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Fantasy ADHVIKA-advitiya shakti

Kya aap log book se li hui story padna pasand karoge?

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Raguhalkal

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अद्विका – अद्वित्या शक्ति

ठंडी चाँदनी रात थी। हवा के बहने के साथ उसके बाल भी उड़ते जा रहे थे, ओर चाँदनी जब उसके चेहरे पर पड़ती तो उसके चेहरे की चमक उसकी सुंदरता के साथ साथ दिव्यता का एहसास भी करा रही थी। परंतु उसका ध्यान सिर्फ़ नीचे किसी के ऊपर केन्द्रित था, और साथ ही वो खोई हुई थी कुछ पुरानी यादों में….

Some people, no matter how old they got, they live or not, never lose their beauty – they merely move it from their faces into their hearts or …….

प्रथम अध्याय : शुरुआत से पहले (भाग्य का लेखा)
समय की धाराओं में काफ़ी पीछे आज के वातावरण से बिलकुल परे, वो खड़ी थी खड़ग को हाथ में लिए, उसके बदन को जैसे ब्रह्मा ने अपने हाथो से तराशा हो, वहाँ बहने वाली हवा उसके लंबो बालों के साथ खेलती हुई उन्हें उड़ाए जा रही थी। ऐसे लगता जैसे बादल आसमान में उड़ के जा रहे हों.. उसके गुलाबी होंठो पे कमी थी मुस्कान की, उसके बिना भी उसके चेहरे पर सख़्त भाव उसके साहस के साथ उसकी सुंदरता को भी व्यक्त कर रहे थे

उसके चेहरे के भाव ना कि उसकी सुंदरता बल्कि उसके परिदृश्य को भी व्यक्त कर रहे थे जहाँ वो खड़ी थी…….. उसकी आंखों में ज्वालामुखी की आग है, उसके दिल मे सुलग रही हे, जो पिघला हुए लावे से अधिक घातक है, जो चेहरे पर कठोरता और उसके हाथ में तलवार पकड़ने की ताकत देती हैं। अपने दुश्मन के सामने सीधे खड़े होकर, जिसने कुछ दिन पहले उसके माता-पिता को मार डाला था

वह केवल कुछ योद्धाओं के साथ युद्धक्षेत्र में खड़ी है और खुद को एक क़ाबिल योद्धा के रूप में साबित कर रही है, जैसे कि माली बाग़ में घास को काटता है उसी तरह वह दुश्मन की सेनिको को ख़त्म कर रही है, अपने बचपन को याद करते हुए जब उसकी मां ने उसे सिखाया कि कैसे उसे तलवार पकड़ना और चलाना है,


अनामिका (माँ) : इसे इस तरह पकड़ो यह सबसे अच्छा तरीका है, न्यूनतम बल से अधिक क्षति और एक ही समय में कई दुश्मनों को संभालने के लिए अपनी गति का उपयोग करो।

दृश्य एक एक करके उसकी आँखों के सामने आ जा रहे थे, विरोधी योद्धा उसकी सुंदरता से दंग थे, उसके बाल पूरे महाद्वीप में प्रसिद्ध हैं … लोग कहते हैं कि पूरी दुनिया में किसी के भी बाल उनके मुकाबले के नहीं है, उसके पास दुनिया के सबसे खूबसूरत बाल हैं, उनकी सुंदरता की सिर्फ़ झलक पाने के लिए कोई मर सकता है। और यहाँ युद्ध के मैदान पर, सचमुच उनके लिए मर रहे थे, यह है अद्विका……, शाही परिवार की एकमात्र संतान, योद्धा राजकुमारी, आज उसकी जिंदगी की सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ रही है।

वो एक एक करके युद्ध के मैदान में सबको मार रही थी उसके पास पहुचने के लिए जिसका नाम है पाशा……

पाशा राजा, इस पूरे पृथ्वी में कोई भी पाशा का वर्णन नहीं सुनना चाहता …। आप एक आदमी की कल्पना कर सकते हैं जो बहुत भारी है, लगभग 20 लोगों के बराबर, उसकी खाल एक गैंडे की खाल से भी मोटी और चेहरा ऐसा की एक पल भी देख लो तो रीड की हड्डी में सिहरन दौड़ जाए, एक हाथी पर बैठे हुए हैं, पूरे युद्ध को देख रहाँ हैं और खूनी खेल का आनंद ले रहाँ हैं …। प्रत्येक कान में 3-4 लोहे के काँटों की बलिया और उसके नाक के प्रत्येक तरफ 3-3 बाली उसके व्यक्तित्व को अधिक क्रूर बताती है.

लेकिन अद्विका को उसका कोई डर नहीं, जैसे उसका डर उसके माँ बाप के साथ ही ख़त्म हो गया हो … वह लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, बिना उसका नतीजा सोचे। उसकी आँखें उसके लक्ष्य पर केंद्रित है और जैसे एक कलाकार कैनवास पर ब्रश चलता है, एक अच्छे स्ट्रोक बिना किसी गलती के एक शानदार तसवीर बनाने के लिए, वैसे ही वो तलवार चलाती जा रही थी लेकिन यहां कैनवास की जगह यह युद्धक्षेत्र है और वह अभी उसके लक्ष्य तक पहुंचने जा रही है तभी अचानक…।

उसकी पीठ पर एक वार हुआ …… और उसका शरीर जैसे जमीन पर आ गिरा… उसने देखा कि उसकी सारी सेना मारी गई है और वह वहां अकेली ही बची है …।
वहाँ आसमान पर काफ़ी कौवे मँडरा रहे थे और उसकी आँखें पाशा पर केंद्रित हैं, बदला लेने के भाव उसके सुंदर चेहरे को कठोर कर दे रहे थे, वह अपनी सारी ताकत को इकट्ठा करके खड़ी होती है ओर खड़ी होकर अपने हाथ को मोड़कर अपनी पीठ पीछे घुसे ख़ंजर को एक झटके में खींचकर निकालती है।
अद्विका : आदिशक्ति के नाम पर, मैं … तुम्हें कभी जाने नहीं दूँगी ……। मैं तुम्हें एक चूहे की तरह मारूँगी……।
उसने पाशा को आँखो में आँखे डाल के देखा ओर चुनौती देते हुए कहा। उसके बाल हवा से उड़ते हुए एक सुंदर छवि बना रहे थे जैसे युद्ध के मैदान में कोई परी खड़ी हो..
पाशा … पलक की झलक के समय से भी कम समय में … हाथी से कूदकर युद्ध के मैदान पर उतरा, जिस गति से वह नीचे आया, उसके जैसे शरीर वाले के लिए तो वास्तव में असंभव ही है लेकिन अविश्वसनीय है … एक विशाल भारी शरीर के साथ और एक मोटी और असमान त्वचा के होते हुए भी इतनी फुर्ती कुछ पलो के लिए पूरा युद्ध क्षेत्र शमशान के समान शांत हो गया था, हर कोई सिर्फ उन दोनों को देख रहा था … दोनो सेनाओं के प्रमुख एक दूसरे के सामने थे वह अपने दोनों हाथों से तलवार को पूरी ताक़त से पकड़ के खड़ी होती है और पाशा अपने कुल्हाडे को अपने हाथ में लेकर खडा होता हैं … जैसे कि मृत्युदेव खुद ही वहां खड़े हो … .. उसने उसपर अपने दोनों हाथों से तलवार से वार किया, उसने अपनी गति और तलवार बाजी की कला का पूरा फायदा उठाते हुए एक सटीक वार करा था जिससे किसी भी कुशल योद्धा का बचना भी मुश्किल था, परंतु पाशा बिजली की गति से अपने स्थान से हटकर उसने वार को बेकार कर दिया… और वह हवा के काटने की एक ज़ोरदार आवाज़ पूरे रणछेत्र में फैल गयी.. एक तलवार एक कुल्हाड़ी से टकरा रही थी और एक योद्धा दूसरे से … .. युद्धक्षेत्र धातु की आवाज़ और सेना के सैनिकों की आवाज से भर गया … इस पूरे युद्धक्षेत्र में आसानी से राजकुमारी को पाशा से संघर्ष करते देख सकते है, पाशा एक बच्चे के खेल की तरह इस का आनंद ले रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे वो अपने समय को काट रहा हो और सही पल की प्रतीक्षा कर रहा हो। या वह उसकी सुंदरता का आनंद ले रहा है … वह उसकी चालें, उसका शरीर, उसकी आंखें, उसके बाल देख रहा है …। उसके बालों को निहारता है … यहां तक कि वह उसके पास जाने की कोशिश करता है जहां वह उसके बालो को महसूस कर सके जो हवा से उड़ते हुए उस तरफ़ आ रहे है…। दूसरी तरफ, अद्विका पाशा को हराने के लिए पूरी ताकत लगा रही है .. उसका प्रत्येक वार असली योद्धा की महानता दिखा रहा है … लेकिन वह उसके प्रतिद्वंदी के सामने खड़े होने के लिए पर्याप्त नहीं है। अभी भी उसके मन में उसकी मां की छवि है … .. वह अपनी ही दुनिया में है, जहां वह अपनी मां के साथ है, अपने भविष्य के बारे में बात कर रही है। वह अभी भी आवाज़ सुन सकती है …



अनामिका : बेटा आप हमारी अकेली संतान हो, माँ आदिशक्ति के वरदान के फलस्वरूप तुम्हें पाया है तुम हमारे लिए पुत्र से भी बढकर हो, कुछ दिनों में हम आपका राज्याभिषेक कर देंगे, फिर आप अपने देश को अपने नेतृत्व में चलाना हैं और हमारा देश आपके मार्गदर्शन में बहुत तरक़्क़ी करे……”

वह अपनी सोच में इस क़दर खो गयी थी उसे पता नहीं चला कि पाशा ने बूढ़े व्यक्ति को जो कोई गुरु की तरह का लग रहा था, उसने हाथी पर बैठे हुए संकेत दिया है, जैसे कि सही समय आ गया है और अब आवश्यक है कार्य करना .. और पाशा ने कुल्हाड़ी उठाई और साथ में एक सटीक वार किया, वार उसकी तरफ आ रहा है और बहुत देर हो चुकी है कि वह कुछ कर सकती है, और एक झटके के साथ उसने अपनी कुल्हाड़ी को अद्विका की कमर पर वार कर दिया एक छण के अंदर सौंदर्य की मूर्ति के टुकड़े धरती पर गिर गये …… । वह मर गयी हैं……। ये उसका अंत था उसका ऊपरी भाग युद्ध के मैदान के पूर्वी हिस्से पर पड़ा है और निचली आधा पश्चिम भाग पर पड़ा है ……। इस बार भी प्रकृति इस योद्धा की मौत पे शांत हो गई है … कोई आवाज नहीं थी, यहां तक कि हवा की आवाज़ भी नहीं … ..
 

Raguhalkal

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दूसरा अध्याय : सही समय

When a beauty dies it’s a loss to her admirer…
When a warrior dies it’s a loss to his battalion…
When a King dies it’s loss felt by his country…
The loss is immeasurable when she dies….. 


हर कोई वहाँ स्तब्थ राजकुमारी के अवांछनीय अंत देख रहे थे। तभी अचानक एक भयानक आवाज आयी

पाशा : राजकुमारी के शरीर के निचले भाग को यही ‘युद्ध के मैदान दफ़ना दो और ऊपर वाले भाग को मेरे हाथी के सूँड़ पर लटका दो … मैं अपनी जीत का ऐलान करते हुए शहर में प्रवेश करूंगा …। हाहाहाहा


अपने राजा के आदेश और घोषणा के साथ, सभी सैनिकों ने आदेश का पालन करना शुरू कर दिया उसके बाद वो राक्षस सूर्य को ध्यान से देखता है जैसे वो सूर्य से समय का अंदाज़ा लगा रहा हो, सूर्य देव ने भी अपनी रफ़्तार जारी रखते हुए दिन की चादर को लपेटना शुरु कर दिया था ओर शाम ढलने लगी थी. ढलती शाम के साथ राजकुमारी के राज्य में प्रजा भी अपना काम समेत रही थी, उनकी तरफ़ आती हुई प्रलय से बिलकुल बेख़बर

राज्य काफ़ी वैभवशाली था, देख कर नहीं लगता था कोई वहाँ ग़रीब होगा सभी सम्पन्न वर्ग के थे, वह सभी पक्के मकान उस समय के हिसाब से काफ़ी आधुनिक और काफ़ी अच्छे से बने हुए थे, वहाँ लोग ज़्यादातर किसी व्यापार में या किसी ऊँचे दर्जे के काम ही करते थे, बाक़ी वहाँ राजकीय कार्य करते थे, वहाँ लोगों को बाज़ार में ख़रीदारी करते हुए देख सकते है शहर के चारों ओर एक मज़बूत दीवार बनी हुई है, जो राजा ने राज्य को किसी बाहरी ख़तरे से बचाने के लिए बनवायी थी. वहाँ सिर्फ़ एक ही द्वार है जहाँ से अंदर और बाहर आया जाया जा सकता है. वो द्वार काफ़ी बड़ा और भव्य है जो ना कि सिर्फ़ अपनी बल्कि अपने राजा की भव्यता भी दर्शाता है और उसपर शाही निशान भी लगा है जो राज्य कि शान को बयाँ करता है.

वहाँ हर समय 4 द्वारपाल बाहर और 4 अंदर पहरा देते हैं अन्य सभी दिनों के विपरीत आज जब सूर्य देव शहर के सम्मान के लिए अलविदा कहते हुए शाही चिन्ह पर अपनी किरणें दे रहे थे, उसी समय यह गेट विशाल विस्फोट से टूट गया और रात के अंधेरे के आने से पहले पाशा के रूप में अँधेरा वहां प्रवेश कर गया था और जैसे ही वह शहर में प्रवेश करता है गेट के टूटने की आखिरी आवाज़ है जो वहां आती है .. हर नागरिक क्रूरता का अविश्वसनीय चित्र देखकर खड़ा दंग रह जाता है, ओर सबकी आँखो से आँसू टपकने लगते हैं जब वो देखते है उनकी राजकुमारी के मृत शरीर का ऊपरी भाग उस राक्षस ने अपने हाथी की सूँड़ पर लटकाया हुआ है …

पाशा राजकुमारी के आधे कटे शरीर को पूरे शहर में घुमाता है और महल पहुँच कर वहाँ सिंहासन पर बैठ जाता है और अपने सभा के लोगों से कहता है …

पाशा : जश्न मनाओ साथियों आज, हमारी एक और विजय हुई है

रक्तकूट (पाशा का सेनापति) : महाराज आपके होते हुए हम कोई जंग हार भी कैसे सकते है , महाराज आज्ञा हो तो कुछ पुछू ?

पाशा : हाँ पूछो रक्तकूट : महाराज हम आसानी से कोई भी बड़ा राज्य जीत सकते थे, परंतु आपने इस छोटे से राज्य पर ही आक्रमण किया ?

पाशा : रक्तकूट कुछ बातें तुम्हारी समझ में नहीं आएगी और कुछ हम बताना उचित नहीं समझते इसलिए इस चर्चा को यही समाप्त कर दो

रक्तकूट : जो आज्ञा महाराज, परंतु राजकुमारी के शव का क्या करना है, क्या इससे अग्नि की सुपुर्द कर दें ? पाशा : अब ये हमारे किसी काम का नहीं , परंतु हमने इसके बालों की काफ़ी तारीफ़ सुनी है। कहते हैं इसके बाल पूरे ब्रह्मांड में सबसे सुंदर है, इससे जलाने से पहले इसके बाल काट कर मेरे घोड़े की पूँछ पर लगा दो, आज से ये बाल मेरे घोड़े की शोभा बढाएँगे

इतने में एक सेवक आता है

सेवक : महाराज की जय हो, गुरु शुक्राचार्य आपसे भेंट करना चाहते है

पाशा : उन्हें अतिशीघ्र हमारे कक्ष में भेजो हम उनसे अभी भेंट करेंगे
कुछ देर पश्चात् वही गुरु जिसने रणक्षेत्र में पाशा को इशारा किया था , अंदर प्रवेश करते हैं

पाशा : गुरु शुक्राचार्य को मेरा प्रणाम

शुक्राचार्य : आयुष्मान भव: , पाशा मुझे नहीं पता था की तुम इतने बड़े मूर्ख होगे

पाशा : क्या हुआ गुरुदेव ?

शुक्राचार्य : मैंने तुम्हें पहले निर्देश दिए हुए थे कि मैं जब पहला इशारा करूँ इसका अर्थ की तुम सर्तक हो जाओ और अगले इशारे पर तुम्हें उसके प्राण लेने थे.. पर तुम तो बिना कुछ सोचे समझे सीधे वध करके आ गए

पाशा : परंतु गुरुदेव मैं उसका वध कर चुका हूँ अब क्या चिंता ?

शुक्राचार्य : मूर्ख जो तुम्हारी समझ में ना आए उसमें अपनी बुद्धि मत लगाओ, और नयी बेवक़ूफ़ी करने से पहले मुझे बता देना, अच्छा अब मैं चलता हूँ |


वही दूसरी तरफ़ सेनापति के आदेश पर राजकुमारी की बाल काट कर उन्हें घोड़े की पूछ पर बाँध दिया जाता है और राज कुमारी के बचे हुए शरीर को अग्नि के सुपुर्द कर देते हैं, जहाँ पूरा राज्य वह खड़ा होकर शोक मना रहा होता है
 

Raguhalkal

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आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया मेर साथ देने के लिये ओर मे आगे ऐसे ही अपडेट देते राहु इसके लिये आप सब की कोमेनट की जरुरत है सो प्लिस कॉमेंट करे

ओर एक बात येह स्टोरी शायद अधुरी रहे पर मे पूरा करने का बरसात प्रयास करूंगा क्युंकि जिस बुक से मे कॉपी कर रहा हू वहा सिर्फ ओर सिर्फ 45 पेजस ही है तो आप समाज सकते है

पहले तो मैने सोच इससे यही ड्रॉप कर्दू पर मेर मैन नही मना इसलिये पोस्ट की है

मेरा मजबूरी सम्ज्के मजे जितना हो सेक सप्पोर्त करे
 
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Jitu kumar

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Awesome updates bhai,
advika ka saundarya varnan adbhut tha,
pasha sach me ek bahot hi krur yoddha aur shasak hai,
dekhte hai ab aage kya hota hai
 

Raguhalkal

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:congrats: bhai for new thread,
:applause::applause::cheerlead::celebconf:

:congrats: For New Thread
Hum Ap K Sath Hai. Ap Continue Kare.

post karo yaar ham padhenge

Congratulations for new thread !!!!

Full support Meri taraf !!!

:celebconf::congrats::congrats:


For new thread akhir aap ek story likhna chahate ho

Aap story shuru karo mujhe lagta hai aapki story bohot achi hogi


First update ka intzaar

Thank you bhai log muje support karne ke liye koi bi niraash nahi hona story adhoori hai per me poora karne ka koshish to jaroor karunga
 
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Raguhalkal

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Awesome updates bhai,
advika ka saundarya varnan adbhut tha,
pasha sach me ek bahot hi krur yoddha aur shasak hai,
dekhte hai ab aage kya hota hai
Thank you bhai
 
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anandsngh12

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Congratulations bhai for starting a new thread.

Kahani ka agaz bahut hi shandar hai
Lekin isko hindi font me kyo likh rahe ho aap...?
Isko Roman hindi me bhi to likh sakte hain
Koi nahi bhai story jaha tak hai vaha tak ki pahle post kar lo
Utne me hi plot ka idea to lagbhag ho hi jata hai....aage story apne anusar increase kar lena
Anyway very nice start
 

Avir

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Raguhalkal

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Thank you bhai
 
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