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Tiger 786

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UPDATE 21

FLASHBACK CONTINUE


अपनी कार से उतर के रंजीत मेरे सामने आया और बोला...


रंजीत – कैसे हो बेटा कही जा रहे हो आओ मैं छोड़ देता हू


में – जी शुक्रिया में पैदल ही चला जाऊंगा


रंजीत – अरे तुम तो अभी भी नाराज हो मुझसे माफ कर देना उस दिन के लिए मैंने वो सारे काम छोड़ दिए है


मैं – देखिए मुझे उन सब बातो से कोई लेना देना नही है और ना ही मुझे आपकी किसी मदद की जरूरत है मुझे जाने दीजिए यहां से बस


रंजीत – अच्छा ठीक है तुम जाना चाहते हो ठीक है जाओ लेकिन प्लीज मेरी एक मदद कर दो


मैं – (हैरान होके) मदद , लेकिन मैं भला आपकी क्या मदद कर सकता हूं


रंजीत – सिर्फ तुम ही कर सकते हो मेरी मदद प्लीज


मैं – अच्छा ठीक है बताए मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं


रंजीत – एक काम करते है में अभी पास के दुकान में जा रहा हू तुम मेरे साथ चलो वहा बैठ के आराम मैं तुम्हे सब बात बताऊंगा


मैं –(मन में – क्या मुसीबत है यार) अच्छा ठीक है लेकिन मैं ज्यादा देर नहीं रूकुगा घर भी जल्दी जाना है मुझे


रंजीत – ठीक है आओ बैठो कार में..


मैं रंजीत के साथ उसकी कार में बैठ गया मुझे नही पता था वो मुझे कहा लेके जा रहा है कुछ देर बाद उसने कार को रोका एक सुनसान हाईवे पर कहा पर दूर दूर तक किसी का नामोनिशान तक नही था...


मैं – आप तो किसी दुकान में चल के बात करने वाले थे लेकिन यहां पे...


रंजीत – (हस के) बात ऐसी है की मुझे तुमसे जो जरूरी बात करनी है वो सिर्फ यही हो सकती है मिस्टर अभय


मैं –(चौक के) क्या कहा आपने अभी अभय ये कॉन है


रंजीत – (हस्ते हुए) मिस्टर अभय नाटक करने की जरूरत नही है अब तुम्हे मै अच्छे से जान चुका हू तुम्हारी असलीयत


मैं – (रंजीत की आखों में आखें डाल के) जब जान चुके हो तो अब मतलब की बात करो


रंजीत – देखो मुझे इन सब बातो से कोई लेना देना नही है हा अगर मेरा काम कर दोगे तो सही सलामत यहां से जा सकते हो तुम वर्ना


मैं – वर्ना क्या...


इतना बोला था मैने की तभी सड़क की साइड की झाड़ियों से 4 आदमी नकल के सामने आ गए मेरे


मैं – (चारो को देख के रंजीत से) तो आप मुझे मरना चाहते हो यही ना


रंजीत –(हस्ते हुए) अरे नही नही तुम्हे क्यों मरुगा मैं भला सोने के अंडा देने वाली मुर्गी को कोई मरता है क्या


मैं – (कुछ ना समझते हुए) क्या मतलब है आपका...


तभी रंजीत ने अपनी कार से बंदूत निकाली और फिर उन चारो को मार दिया और बंदूक मेरे ऊपर फेकी जल्द बाजी में मैने गलती से उस बंदूक को पकड़ लिया...


मैं –(चौक के) ये क्या किया आपने क्यों मार दिया इनको


रंजीत –(मेरे पास आके अपने रूमाल से बंदूक को मेरे हाथ से लेके बोला) इनको मैने नही तुमने मारा है अभय


मैं –(चौकते हुए) मैने नही तुमने मारा है इन चारो को मेरे सामने


रंजीत – (अभय को हाथ में हटकड़ी पहना के) तुमने मारा है


मैं – मुझे हटकड़ी क्यों पहनाई आपने


रंजीत – (हस्ते हुए) मुजरिमों को हटकड़ी पहनाई जाति है मिस्टर अभय


मैं – लेकिन आप तो मुझे बात करने के लिए...


रंजीत – बात और काम यही था अब जिंदीगी भर जेल में रहोगे तब बताते रहना की ये तुमने नही किया लेकिन कोई नही मानेगा हा अगर मेरी बात मानोगे तो ये सब यही खतम समझो


मैं – क्या मतलब है तुम्हारा


रंजीत –(हस्ते हुए) ओह तो आप से तुम पे आ गए तुम कोई बात नही तो सुन अभी इस वक्त तू शालिनी को कॉल करेगा और बोलेगा की मैने तुझे गुडो से बचाया है ताकि...


मैं – ताकी शालिनी आंटी तुम्हे अच्छा समझे और घर में रहने दे यही ना


रंजीत – समझदार हो तुम अब जल्दी से कॉल करके बोलो और ये किस्सा यही खत्म समझे अभय


मैं – तुझे जो करना है कर ले मैं एसा कुछ नही करने वाला हू और तूने जो अभी किया मैं नही डरता क्यों की मैं जानता हूं शालिनी आंटी कभी नही मानेगी इस बात को


रंजीत – ठीक है चल तेरी शालिनी आंटी तो क्या कानून भी मानेगा जब मैं ये वीडियो दिखाऊंगा तब पता चलेगा तेरी बात सच है या झूठ


फिर रंजीत मुझे अपनी कार में लेजा के जेल में बंद कर दिया लेकिन जल्द बाजी में एक गलती की गया रंजीत मेरे मोबाइल के बारे में भूल गया था जबकि ना जाने कैसे इस वक्त मेरा माइंड काम कर गया जब रंजीत मुझे लेके जा रहा था अपनी मदद के बहाने से तभी मैंने अपने मोबाइल पे वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू करके मोबाइल अपनी शर्ट की पॉकेट में डाल दिया था लॉक अप में आते ही मैंने वीडियो रिकॉर्डिंग बंद की ओर चुपके से शालिनी आंटी को वीडियो भेज दी साथ में मैसेज में सब बात बता दी...


थोड़ी देर बाद शालिनी आंटी आई अपनी पुलिस टीम के साथ आते ही उनकी नजर लॉकअप में पड़ी जहा मैं बैठा था गेट से ही शालिनी आंटी ने चिल्ला के बोला....


शालिनी –(चिल्ला के गुस्से में) किसकी इतनी हिम्मत हुए जिसने मेरे बेटे को लॉकअप में बंद किया है


उनकी आवाज सुन के 2 हवलदार दौड़ते हुए आंटी के सामने आए तुरंत सैल्यूट किया...


हवलदार –(सैल्यूट करके) जय हिंद मैडम , इनको रंजीत सिर ने लॉकअप में डाला है


शालिनी – अभी के अभी निकालो बाहर इसे


हवलदार – जी मैडम


बोल के लॉकअप से मुझे निकला मैं तुरंत गया शालिनी आंटी के पास मैं कुछ बोलता तभी आंटी ने बोला....


शालिनी – अभय जाके कार में बैठो


तभी रंजीत सामने आया मुझे लॉकअप से बाहर देख हवलदार से बोला...


रंजीत –(हवलदार से) इस खूनी को बाहर किसके कहने से निकाला तूने


शालिनी –(बीच में बोली) मेरे कहने पर निकला गया है इसे तुम्हे कोई तकलीफ


रंजीत – ये खूनी है इसने चार लोगो का मर्डर किया है मैने इसे रंगे हाथो पकड़ा है साथ में बंदूक जिसमे इसकी उंगलियों के निशान है ये अब कही नही जा सकता है (हवलदार से) डालो इस खूनी को जेल में


शालिनी – (बीच में रोकते हुए) बड़ी जल्दी तुमने फिंगर प्रिंट मिला लिए , खेर तुम्हारे लिए अच्छा ये होगा इसे जाने दो...


रंजीत – (बीच में) हा ये जाएगा जरूर लेकिन जेल में क्यों की मैने एफ आई आर लिख दी है


शालिनी – (हस्ते हुए अपने मोबाइल में कुछ करती है तभी रंजीत के मोबाइल में मैसेज टोन बजती है जिसके बाद) कुछ और बोलने से पहले जरा अपना मोबाइल चेक कर लेना फिर बात करना मुझसे


रंजीत जैसे अपना मोबाइल देखता है तो देखता ही रह जाता है और तभी एक नजर मुझे देखता है मै मुस्कुरा के रंजीत को देख रहा था जिसके बाद रंजीत कुछ नही बोलता बस सिर नीचे करके के खड़ा रहता है शालिनी आंटी के सामने फिर आंटी बोली...


शालिनी – (हवलदार से बोली) अपने साहेब को बोल देना की डी आई जी शालिनी सिन्हा अपने बेटे को लेके जा रही है...


इसके बाद शालिनी आंटी मेरा हाथ पकड़ के मुझे लेके चलने लगी और मैं सिर्फ शालिनी आंटी को देखे जा रहा था रास्ते भर घर के बाहर कार रोकते ही शालिनी आंटी कुछ बोल रही थी लेकिन मैं सिर्फ उनको देख रहा था और शायद आंटी को भी मेरी स्तिथि समझ आई तभी आंटी बोली...


शालिनी – (अभय के गाल में हाथ रख के मुस्कुरा के) घर आगया अभय


मैं – (होश में आते हुए घर की तरफ देखा बोला) जी....जी आंटी मैं वो...


शालिनी – (गाल पे हाथ रख हल्का सा हस के) कोई बात नही बेटा तुम घर में जाके आराम करो मैं काम निपटा के आती हू फिर बात करेगे..


मैं कार से उतरा जबकि शालिनी आंटी मुस्कुरा के देख रही थी उसके बाद उनकी कार आगे चली गई मैं बस उनकी कार को जाते हुए देखता रहा जब तक मेरी नजरो से ओझल ना हो गई उनकी कार , घर आके मैं एक बात सोच रहा था की कैसे आंटी ने पुलिस स्टेशन में चिल्ला के मुझे अपना बेटा बताया दिल में अजीब सी बेचैनी थी या खुशी समझ नहीं पा रहा था मैं जाने कितनी देर तक हाल में खड़ा सोचता रहा दरवाजे की घंटी बजने से मैं होश में आया देखा तो आंटी आई थी मुझे देख के बोली...


शालिनी – तुम अभी तक इन्ही कपड़ो में हो , बदले नही


मैं – हा....वो....नही...


कुछ समझ ही नही आ रहा था क्या बोलूं मैं शायद आंटी इस बात को समझ गई थी तभी बोली...


शालिनी – कोई बात नही जल्दी से चेंज कर लो तुम मैं भी फ्रेश हो के आती हू फिर रेस्टोरेंट में चलते है वही साथ में खाना खायेंगे..


बोल के आंटी चली गई मैं भी कमरे में चला गया थोड़ी देर में तयार होके हमदोनो रेस्टोरेंट गए खाना ऑर्डर करने की बात में मैं बोला...


मैं – आज दीदी कहा है आई नही ना कॉल आया


शालिनी – (मुस्कुरा के) तेरी दीदी किसी काम से बाहर गई है तुझे कॉल किया था तूने रिसीव नहीं किया...


जब मैंने मोबाइल देखा तो सच में दीदी के मिस कॉल थे...

शालिनी – चल छोड़ ये बता क्या ऑर्डर करें आज का खाना तेरी पसंद का खायेगे


ऑर्डर देने के बाद खाना खा रहे थे हम दोनो तभी दूसरे टेबल पर कोई कपल बैठा था 3 लड़के उनके पास आके लड़की को छेड़ रहे थे आंटी और मैने देखा तो आंटी मुझे एक मिनिट बोल के उस तरफ गई बात करने मैं भी उनके पीछे गया , आंटी तक आता के तभी आंटी ने कुछ बोला लड़के को तो लड़के ने आंटी को जोर से धक्का दिया जिससे आंटी दिसबैलेंस हुई लेकिन मैने पकड़ लिया आंटी को गिरने से गुस्से में मैं गया उन लड़को के पास बिना कुछ बात किया उन तीनो को मारने लगा बिना उन्हें कोई मौका दिए लेकिन आंटी ने आके मुझे रोक लिया...


शालिनी – रुक जा बेटा मर जाएगा वो रुक जा


मैं – इनकी हिम्मत कैसे हुई आपको धक्का देने की , है कॉन ये तीनों , औकात क्या है इनकी आपसे बतमीजी की...


बोल के तभी मैंने देखा एक लड़का खड़ा हुआ था गुस्से में उसको एक लात मार दी वो टेबल पे जाके गिरा जोर से लेकिन आंटी मेरा हाथ पकड़ के अपनी टेबल पर ले गई मेरे बगल में बैठ के अपने हाथो से पानी पिलाया थोड़ा शांत हुआ मैं तब हम दोनो खाना खा रहे थे तभी पुलिस आई वहा पर आंटी को देख के सैल्यूट किया और आंटी ने उन्हें तीनों लड़को की तरफ इशारा किया बात को समझ के पुलिस उन तीनो को लेके गई मैं और आंटी खाना खा के घर निकल गए घर आते ही...


शालिनी – तूने लड़ना कहा से सीखा , अगर एक पल की देरी होती मुझे तो तूने उसे मार दिया होता कहा से सीखा तूने ये सब


मैं – वो आंटी फिल्मे देख देख के सीखा साथ साथ ही एक्सरसाइज के वक्त प्रैक्टिस करता था लड़ने की , रेस्टोरेंट में गुस्सा आ गया था मुझे जब आपको धक्का दिया उसने


शालिनी – (अभय से सिर में हाथ फेर के) अपनी ताकत का इस्तमाल करना है तो सही से करो अभय गुस्से में या जोश में होश खो के कही कोई गलती मत कर बैठना


मैं – जी (थोड़ा रुक के) आपसे एक बात पूछना चाहता हू


शालिनी – यही ना मुझे कैस पता तेरा नाम अभय है (मुस्कुरा के) पहली बार तुझे मिलने पर जब तूने बोला कोई नही तेरा तभी मुझे शक हुआ तुम झूठ बोल रहे हो मैने पता लगाया था इस बात का लेकिन मुझे तुम्हारा अंदाज और भोला पन बहुत अच्छा लगा इसीलिए मैंने सोच लिया तुम मेरे साथ रहोगे 3 से 4 दिन में मुझे मेरे सूत्रों से पता चल गया था तुम्हारे बारे में , जान के यकीन नही हुआ क्योंकि तुम्हारा वहवार बिल्कुल वैसा था जैसा मुझे जानकारी मिली थी , हा अब तक इंतजार में थी की कब तुम खुद बोलोगे अपने बारे में....


बोल के आंटी मुस्कुरा रही थी उनकी बात सुन के मैने उनको सब कुछ सच सच बता दिया अपने बारे में जिसे सुन के आंटी बोली..


शालिनी – अभय जो भी हो ये घर तेरा है और तुझे वहा नही जाना है ना मत जा कोई तेरे से जबरदस्ती नही करेगा ये तेरी जिंदीगी है , तुझे जो अच्छा लगे वो कर मैं तेरे साथ हूं हमेशा।


खाने के बाद हम अपने कमरे में गए सोने लेकिन आज नीद कोसो दूर थी मेरी आखों से मन बेचने था जिस खुशी को मैं डूडता फिर रहा था वो मिली लेकिन बेचनी मेरे मन में चल रहे थी की करू तो क्या करूं मैं बाबा की कही बात नही मानता तो मेरे अपनो को खो ने का डर था और मानता हू तो शालिनी आंटी और दीदी से दूर होने का डर सता रहा था मुझे कुछ समझ नही आ रहा था तो उठ के चला गया आंटी के कमरे में कमरे को खटखटाया..


शालिनी –आजाओ अभय खुला है कमरा


मैं कमरे में गया आंटी बेड में बैठी लैपटॉप में काम कर रही थी मुझे देख बोली....


शालिनी – आओ अभय क्या हुआ आज नीद नही आ रही है क्या


मैं – नही आंटी जाने क्यों मन में अजीब बेचनी सी हो रही है


शालिनी – (चौक के) क्यों क्या हुआ अभय तेरी तबीयत ठीक है ना


फिर मैने आंटी को बाबा वाली बात बताई आंटी बोली....


शालिनी – इसमें सोचने वाली क्या बात है अभय आखिर वो भी तेरे अपने है उनके लिए भी तेरा फर्ज बनता है इसीलिए मेरा तो कहना है तुझे जाना चाहिए वहा पर एक बार अगर तुझे न अच्छा लगे तो आ जाना यहां इसमें इतना सोचने की जरूरत नहीं है तुझे


मैं – आंटी एक बात और बतानी है उस दिन जब आप रंजीत अंकल से चिल्ला के बात कर रहे थे तब मैं दीदी से बात कर रहा था कॉल पर और गलती से....


शालिनी –(मुस्कुरा के) चांदनी ने सब सुन लिया यही ना , में पहले से जानती थी अगर चांदनी ना भी सुनती तो तू जरूर बता देता उसको मुझे उसकी चिंता नहीं है अभय एक ना एक दिन चांदनी को सच जानना ही था और हा तुझे उस रंजीत को अंकल कहने की कोई जरूरत नहीं है समझा कोई नही लगता है वो हमारा अब से


में – आंटी आज मैं आपके साथ सो जाऊ


शालिनी – (मुस्कुरा के) इसमें पूछना क्या तेरा घर है हम भी तेरे अपने है जहा मन की वहा सो जा पूछने की जरूरत नहीं हक से बोल बस।


उस रात आंटी के साथ सोया जाने कब नीद आई पता नही चला सुबह आंख खुली आंटी मुझे पीछे से गले लगा के सो रही थी मन जाने क्यों बहुत खुश था मेरा आज कुछ समय बाद हम तयार होके नाश्ता कर रहे थे की दीदी आ गई हमने साथ में नाश्ता साथ में किया फिर दीदी ने बोला.....


चांदनी – मां आज शहर के बाहर *** गांव के पास मेला लगा हुआ है वहा एक छोटा सा फंक्शन भी है आप और अभय चलो साथ में मजा करेगे वहा पर


शालिनी – अरे ना ना आज मेरी बहुत इंपोर्टेंट मीटिंग है ऑफिस में तुम दोनो चले जाओ मस्ती करो।


आंटी बोल कर चली गई फिर दीदी और मैं तयार होके निकल गए मेले की तरफ रास्ते में दीदी और मैं आपस में बाते करते जा रहे थे तभी मैने दीदी को मेरी मन में पड़ी उलझन और आंटी की सारी बात बता दी तब दीदी बोली....


चांदनी – तुझे पता है अभय मैं पुलिस फोर्स की सी बी आई टीम का हिस्सा हू मुझे भी सब जानकारी है तेरे बारे में लेकिन अभी कोई सवाल मत पूछना प्लीज शायद मैं समझा ना पाऊं तुझे हा तुझे यहीं सलाह दुगी तू अपने गांव जाके एडमिशन लेले कॉलेज में तू अकेला नहीं रहेगा वहा पर मैं भी वही आउगी तेरे पास जल्द ही


में – आप गांव में आओगे


चांदनी – हा वही आके बात बताऊगी तुझे , अब इन सब बातो को छोड़ अभय चल के आज दिन भर मस्ती करते है मेले में......


मुस्कुराते हुए हम हम आ गए मेले में घूमने क्योंकि मुझे हैरानी से ज्यादा हसी आ रही थी अपने आप पे की मेरे इलावा मेरे बारे में सब जानते है दीदी और आंटी और मैं उनके साथ रहने के बाद आज तक अंजान था इन बातो से यह सोचते हुए चल रहा था दीदी के साथ तभी मेरे मोबाइल पर प्राइवेट नंबर से कॉल आने लगा....


मैं – (दीदी से थोड़ा साइड में जाके कॉल रिसीव करके) हेलो कॉन


SEANIOUR – अपनी दीदी के साथ घूमने आए हो मेले में बहुत खूबसूरत लग रही है तेरी दीदी


मैं – फालतू की बकवास मत कर कॉन है तू क्यों कॉल किया तूने


SEANIOUR –(हस्ते हुए) तुझे ताकत चाहिए थी बदले में मेरी डील याद आया


मैं – तुम हो , लेकिन तुमने मुझे कॉन सा लड़ना सिखाया जो डील की बात कर रहे हो


SEANIOUR – बिना एक मौका दिए तूने कैसे मारा तीनों लड़को को रेस्टोरेंट में बता क्या बिना ताकत के कर सकता था तू


उसकी बात सुन के मैं सच में रात के बारे में सोच कर हैरान था शायद इसीलिए शालिनी आंटी ने मुझे कहा था ताकत का सही इस्तमाल करने के लिए यही सब बात सोच रहा था तभी फोन में आवाज आई...


SEANIOUR – ज्यादा सोचने का वक्त नहीं है तेरे पास डील पूरी करने का वक्त आ गया है


मैं – क्या मतलब है


SEANIOUR – मतलब इस मेले में चीफ गेस्ट बन के आने वालें को मरना होगा तुझे


में – (गुस्से में धीरे से) दिमाग खराब तो नही हो गया है तुम्हारा मैं कोई कातिल नही हू


SEANIOUR – तो तू डील कैंसल करना चाहता है यही ना


मैं – डील जरूर हुई है हमारी इसका मतलब ये नही की तेरे कहने पर किसी को भी मार डालूं


SEANIOUR – (हस्ते हुए) ठीक है आखरी बार देख ले अपनी प्यारी दीदी को कुछ ही देर में एक गोली तेजी से आके तेरे दीदी के भेजे को पार कर जाएगी फिर क्या जवाब देगा अपनी आंटी को एक अंजान के लिए मरने दिया अपनी दीदी को तूने


में – तुम ऐसा नहीं कर सकते


SEANIOUR – चिंता मत जब तेरी दीदी के भेजे को गोली पार करेगी तब तुझे यकीन आ जाएगा


मैं – देख प्लीज ऐसा मत करना बहुत मुश्किल से खुशी का एक पल मिली है मुझे उसे तू बर्बाद मत करना मैं कर दुगा तेरा काम


SEANIOUR – ठीक है दिखा अपना कमाल मैभी तो देखू तेरा निशाना कितना सटीक है


कॉल कट होने के बाद मैं दीदी के साथ घूमते घूमते फंक्शन की तरफ चला गया जहा पर चीफ गेस्ट आने वाला था कुछ वक्त बाद कुछ कार आई पुलिस के साथ एक आदमी चलते हुए स्टेज में आया जहा भाषण हुआ जिससे पता चला मुझे चीफ गेस्ट का नाम देवेन्द्र ठाकुर है कुछ वक्त तक बाकी लोगो की तरह मैं और दीदी वही रहे रबी देवेंद्र ठाकुर जाने लगा पुलिस वालो के साथ....


मैं –(दीदी से) दीदी मैं जरा वाशरूम होके आता हू


चांदनी – (एक तरफ इशारा करके) उस तरफ है जल्दी आना


हा बोल के मैं चला गया दीदी से नजर बचा के देवेंद्र ठाकुर की तरफ जाने लगा के तभी कही से कुछ नकाब पोषो ने आके हमला कर दिया देवेंद्र ठाकुर पर जिसके चलते कुछ पुलिस वाले मारे गए मेले के बाहर भगदड़ मच गई थी देवेंद्र ठाकुर अपनी कार में चुप के बैठा था दो नकाबपोशों ने कार में गोली चलाने लगे लेकिन बुलेटप्रूफ होने की वजह से कुछ नहीं हुआ देवेंद्र ठाकुर को बाकियों की तरह मैं भी छुप के सब देख रहा था तभी एक नकाबपोश पे मेरी नजर पड़ी जिसकी पीठ मेरी तरफ थी मौका देख....



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मैं दौड़ के उस तक गया उसके दोनो पैर को पकड़ के गिरा दिया और उसकी बंदूक से उसके सिर में गोली मर दी , गोली की आवाज से उसके बाकी के साथियों की नजर मुझ पर पड़ी जब तक वो कुछ करते मैने उसके पच साथियों को एक एक कर के मार दिया...


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तभी उसके एक साथी ने मुझ पर झपटा मरने के लिए लेकिन उसे भी मैने पटक दिया उसपे काबू कर लिया लेकिन उस नकाब पोश के बाकी के दो साथी भागे अपनी कार से उसपे गोली चलाने की कोशिश की लेकिन गोलियां खत्म हो गई थी बंदूक की इस बीच पुलिस ने आके उसे पकड़ लिया तभी मैंने देखा देवेंद्र ठाकुर मुझे देख रहा है उस तक जाता तभी सामने से दीदी को देखा जो भागते हुए आ रही थी उन्हे देख मजबूरन मुझे वहा से भागना पड़ा वर्ना दीदी को समझना मुश्किल हो जाता मेरे लिए...


कुछ देर बाद मैं दीदी के पीछे से आया तब तक देवेंद्र ठाकुर की कार जा चुकी थी दीदी मुझे देख के बोली....

चांदनी – अभय घर चल जल्दी से मां बुला रही है हमे

मैं – ठीक है दीदी

हम घर के लिए निकल गए रास्ते भर दीदी ने कुछ नही बोला नॉर्मल तरीके से कार चलती रही घर आते ही हम अन्दर गए जहा शालिनी आंटी हाल के सोफे में बैठी थी हमे देख आंटी मुस्कुरा के कुछ बोलने वाली थी की तभी एक चाटे की आवाज गूंज उठी हाल में.....CCCHHHHAAAATTTTAAAAKKKKKKK

चांदनी –(अभय को चाटा मार गुस्से में चिल्ला के) क्या कर रह था तू वहा पे हीरो बनने का बड़ा शौक है तुझे किसने कहा था तुझे बीच में पड़ने के लिए मरने देता उसे तू क्यों गया उसे बचाने के लिए बोल

शालिनी – (दीदी और मेरे बीच में आके) ये क्या बात्मीजी है चांदनी क्यों हाथ उठा रही है तू अभय पर

चांदनी – (गुस्से में सारी बात बता दी फिर बोली) मां ये बात आप इसे पूछो मेले में देवेंद्र ठाकुर पर हमला किया कुछ नकापोशो ने वो भी मशीनगन से और ये महाशय हीरो बन के बीच में कूद गए उसे बचाने के लिए , एक मिनट मां (अभय से) तूने बंदूक चलाना कहा से सीखा

शालिनी – मैने सिखाया इसे बंदूक चलाना

चांदनी – (हैरानी से) मां आपको इसे पढ़ने के लिए समझना चाहिए और आप इसे गन चलाना सीखा रहे हो , इसने एक पल के लिए भी नही सोचा (आंख में आसू लिए अभय से) अगर तुझे कुछ हो जाता वहा पर तो तेरी ये बहन वही खड़े खड़े अपना दम तोड़ देती...

दीदी के आसू देख और बात सुन के मैं खुद को रोक नहीं पाया और रोते हुए गले लग गया दीदी के...

मैं – (रोते हू) मुझे माफ कर दो दीदी मैं सच में पागल हू जो बिना सोचे इतनी बड़ी बेवकूफी कर गया माफ कर दो दीदी

शालिनी – (हम दोनो के सिर पर हाथ रख के बोली) चलो अब चुप हो जाओ दोनो इतने बड़े हो गए हो दोनो बच्चो की तरह रोते हो बस , (अभय से) एक बात बता सच सच तूने सच में 6 लोगो को मारा एक बार में

चांदनी – मां आप फिर से

शालिनी – तू चुप कर , तू बोल अभय

मैं – जी आंटी

शालिनी –(मुस्कुरा के) शाबाश बहुत अच्छा किया तूने काश मैं भी वहा पर होती देखने के लिए खेर , लेकिन अभय अब तुझे जाना पड़ेगा यहां से क्योंकि उसके दो साथी भाग गए है और उन्होंने तुझे देख लिया है वो कोई मामूली मुजरिम नही है अभय मोस्ट वांटेड है मेले में फिलहाल किसी को नही पता ये सब कैसे हुआ है

चांदनी – मां आगे की पढ़ाई के लिए अभय का गांव जाना ही बेहतर रहेगा वहा इसे कोई नही जानता इसके लिए वही सेफ जगह रहेगी

शालिनी – हा ये अच्छा तरीका है (अभय से) तू जाने की तयारी कर बेटा कल ही , मैं ट्रेन की टिकट बुक करती हू..

बोल के शालिनी आंटी कॉल पे किसी से बात करने लगी मैं और दीदी कमरे में चले गए...

मैं – (दीदी से) अभी भी नाराज हो आप दीदी

चांदनी – (गुस्से में) हा तूने मुझ से क्यों छुपाया की तूने बंदूक चलाना सीखा है , मैं मना कर देती क्या

मैं – नही दीदी बात ये नही है लेकिन आपसे एक बात और भी करनी है मुझे , आपको मेरी कसम है दीदी ये बात आप किसी को नहीं बोलोगे अपने तक रखोगे आप इस बात को

चांदनी – आखिर ऐसी क्या बात है जो मुझे कसम दे रहा है तू अपनी..

तब मैंने दीदी को अपनी ओर SEANIOUR की हुए मुलाकात और डील के बारे में बता दिया साथ ही मेले में जो हुआ वो भी जिसे सुन के दीदी बोली...

चांदनी – (गुस्से में) तेरा दिमाग तो नही खराब हो गया है अभय ये किस तरह की डील हुए ऐसा कैसे हो सकता है एक इंजेक्शन से ताकत देना किसी को (कुछ मिनट चुप हो गई दीदी जैसे कुछ सोच रही हो फिर कमरे से बाहर चली गई जब वापस आई बोली) अपने हाथ आगे बड़ा अभय..

हाथ आगे करते ही दीदी ने मेरे खून का 5 सैंपल लेके उसे एक बॉक्स में बंद कर दिया और बोली...

चांदनी – कहा है वो आदमी मैं अभी मिल के आती हू उससे

मैं – वो वहा नही है दीदी आप उसे नही जानती हो वो मेरे हर मूवमेंट को जनता है साथ ही मेरे बारे में भी जनता है पता नही कैसे

चांदनी – तेरे बारे में सब जानता है इसका मतलब.... खेर ये सब बाद में अपनी पैकिंग कर कल निकलना है तुझे अपने गांव के लिए..

बोल के दीदी चली गई अपने बाग अटैची पैक करके रात सबने साथ में खाना खाया अगले दिन सुबह सुबह 5 बजे मेरी ट्रेन थी स्टेशन में ट्रेन खड़ी थी समान रख दिया मैने अपना ट्रेन चलने से पहले मैं शालिनी के गले लगा उन्होंने मुस्कुरा के मेरे सिर पे हाथ फेरा और बोली..

शालिनी – (मुस्कुरा के) वहा जाके घबराना मत जल्द ही तेरी दीदी भी वहा पर आएगी तेरे पास मन लगा के पढ़ाई करना बीच बीच मैं आऊंगी मिलने तुझसे...

तभी ट्रेन का सिग्नल हो गया मैं जाने लगा ट्रेन में बैठने तभी रुक के शालिनी आंटी के पास गया उनके पैर छू के ट्रेन में बैठ चढ़ गया मुस्कुरा के देखता रहा हाथो से बाय बाय का इशारा करते रहे हम एक दूसरे को जब तक एक दूसरे की आखों से ओझल ना हो गए जैस हे पलट के मैं अंदर जाने लगा तभी पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा जैस हे पलटा उसने मेरे सिर में बंदूक रख दी...

मैं –(उसे देख के) तुम यहां

SEANIOUR – भाग रहा है मुझ से बच के..

तभी मैंने उसके हाथ से उसकी गन छीन ली जिसके बाद मैं बोला...

मैं –(SEANIOUR को बंदूत दिखा के) अब क्या लेने आया है तू यहां पर

SEANIOUR – (हस्ते हुए) बहुत खूब Mr HERO बहुत खूब , अंदाज अच्छा है तुम्हारा

मैं – हस क्यों रहा है चुटकला सुनाया क्या

SEANIOUR – (हस्ते हुए) तेरी इस हरकत से मुझे एक किस्सा याद आ गया एक बार एक होटल में एक आदमी में जाता है और वेटर से बोलता है भाई गरमा गर्म क्या तो वेटर बोला है सर गरम खाना है फिर आदमी बोला भाई उससे ज्यादा गरम क्या है तो वेटर बोला सर दूध है फिर आदमी अरे भाई उससे ज्यादा गर्म क्या है तब वेटर बोला सर गरमा गर्म तवा है कहिए तो ले आऊं (जोर से हस्ते हुए) देखा जैस को तैसा मिल ही गया , बेटा तूने जो ये बंदूक पकड़ी है ना वो बिना उसके मालिक के उंगली के निशान के बिना नही चलती है..

मैने उसकी बात झूठ समझ बंदूक का ट्रिगर दबाने की कोशिश की लेकिन नही दबा तब उसने में हाथ से बंदूक लेके ट्रेन के बाहर एक गोली चलाई और बोला....

SEANIOUR – मजाक मैं करता नही किसी से जो बोलता हू वही करता हू अब एक बात अच्छे से अपने दिमाग में उतार दे तू मैने तुझे ताकत दी बदले में एक सौदा जो अभी तक बाकी है उसे कर देगा तो डील खतम हमारी

मैं – बातो से मामूली नही लगते तुम हो कॉन इतना सब कैसे जानते हो मेरे बारे में

SEANIOUR – KING 👑 हू मै , नाम सुना होगा न्यूज पेपर में लेकिन देखा किसी ने नहीं आज तूने देख लिया मुझे मामूली काम करना मेरी शान की खिलाफ है इसीलिए दोस्तो से करवाता हू काम अपने करने वालो को इनाम और माना करने वालो को जिंदीगी भर का कलंक देना मेरा काम है मेरे कॉल का इंतजार करना डील जब तक पूरी नहीं होती तब तक अपनी असलियत छुपा के रखना वर्ना कही कोई और मारा गया तो मुझे ब्लेम मत करना और ये बैग तेरे लिए रख ले काम आएगा जल्द ही...

बोल के चला गया SEANIOUR उसके बाद का तो तुझे पता है....

PRESENT

राज – अच्छा एक बात तो बता अभय शनाया मैडम का क्या हुआ

मैं – उनका ट्रांसफर हो गया किसी कॉलेज में अब वो वहा पर प्रिंसिपल ही

राज – तेरी बात सुन के मेरा मन होने लगा है शालिनी आंटी से मिलने का जैसे तूने बताए उससे तो यही लगता है तुझे अपना ही बेटा मानती है शालिनी आंटी

मैं – मैने कल कई साल बाद आंटी को मां बोला है बहुत खुश हुई रोई भी साथ में

राज – सही कहा है किसी ने जहा चाह होती है वहा राह मिल ही जाति है , जैसे शालिनी आंटी को चाह थी तेरे जैसे बेटे की ओर तुझे उनकी चाह में अपनी राह मिल गई , तो अब आगे क्या सोचा है तूने

मैं – सच बोलूं तो अभी कुछ नही सोचा मैने किसी के बारे में

राज – अच्छा क्या सच में एक इंजेक्शन लगाने से ताकत मिलती है क्या तेरी दीदी को पता चला तेरे खून के सैंपल से कुछ

मैं – कुछ भी नही भाई अगर ऐसी कोई बात होती तो दीदी कब का मुझे बता देती

राज – चल घर में साथ खाना खाते है वक्त भी हो गया है मां इंतजार कर रही होगी तुझे दिखेगी तो खुश हो जाएगी मां
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जारी रहेगा ✍️✍️✍️
Awesome update
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 22


राज और अभय टहलते टहलते आ गए राज के घर...

राज –( घर में आते ही) मां मां कहा हो देखो तो कौन आया है

गीता देवी –(कमरे बाहर बोलके आते हुए) कौन आया है राज (अभय को देख के) अभी कैसे हो तुम।

राज – (हस्ते हुए) अभी नही मां अभय है अपना

गीता देवी –(मुस्कुराते हुए) तो बता दिया इसने तुझे

राज – (चौक के) क्या मतलब मां और आप...

अभय –(मुस्कुरा के बीच में) बड़ी मां शुरू से जानती है सब कुछ मैने ही माना किया था क्योंकि मैं खुद बताऊंगा तुझे

राज – वाह बेटा वाह मतलब मैं ही अंजान बना बैठा हू अपने घर में क्यों मां तुम भी

गीता देवी –(हस्ते हुए) मुझे बीच में नही आना तुम दोनो के ये तुम दोनो समझो

राज –(हसके) अच्छा ठीक है मां वैसे आज अभय हमारे साथ खाना खाएगा

गीता देवी – क्यों नही इसका भी घर है ये , तुम दोनो हाथ मु धो लो जब तक मैं खाना लगाती हू

अभय – बड़ी मां आज बाबा कही दिखाई नही दे रहे है

गीता देवी – हा आज वो शहर गए है खेत के लिए बीज लेने कल सुबह तक आ जाएंगे

फिर तीनों ने साथ में खाना खाया फिर अभय बोला...

अभय – (गीता देवी और राज से) अच्छा बड़ी मां चलता हूं हॉस्टल में बता के नही आया हू मै

राज – जरूरी है क्या सुबह चले जाना यार

अभय – फिर आता रहूंगा भाई यहीं हू मै अब

गीता देवी – अभय यहीं रोज खाना खाया कर साथ में हमारे

अभय – अभी नही बड़ी मां लेकिन कभी कभी आया करूंगा

गीता देवी – तू जब चाहे तब आजा तेरा घर है बेटा

इसके बाद अभय हॉस्टल की तरफ चला गया जबकि इस तरफ हवेली में चांदनी एक टीचर बन के आई हवेली में संध्या से मिलने जिसका स्वागत किया रमन ने....

रमन – (चांदनी को देख के आखों में चमक आ गई) आप कॉन है

चांदनी – जी मैं आपके कॉलेज की नई टीचर हू

रमन – (मुस्कुरा के) आइए आइए अन्दर आइए , आप पहले बता देते मैं स्टेशन में कार भिजवा देता अपनी आपको लेने के लिए

चांदनी – जी शुक्रिया वैसे मुझे जानकारी नहीं थी यहां के बारे में ज्यादा एक गांव वाले की मदद से यहां आ गई मैं

रमन – चलिए कोई बात नही अब तो आप मेरे साथ ही रहने वाली हो

चांदनी –(चौक के) जी क्या मतलब आपका

रमन – अ....अ..मेरा मतलब आप अब हवेली में ही रहने वाले हो जब तक सभी टीचर्स के लिए रूम बन नही जाते है

चांदनी – ओह अच्छा है वैसे ठकुराइन जी कहा है उनसे मिलना था कॉलेज की कुछ जानकारी मिल जाएगी

रमन – अरे इसके लिए ठकुराइन को क्यों परेशान करना मैं हू ना आपको सारी जानकारी दे सकता हू वैसे भी मैं ही देखता हूं कॉलेज का सारा मैनेजमेंट

इसे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी संध्या आ गई चांदनी को देखते ही बोली...

संध्या – तुम आ गई चांदनी (बोल के चांदनी का हाथ पकड़ के अपने साथ सोफे पर बैठाया फिर बोली) आने में कोई दिक्कत तो नही हुई तुम्हे और तुम अकेली आई हो

चांदनी – (संध्या इसके आगे कुछ और बोलती तभी उसका हाथ दबाया फिर बोली) जी मैं अभी थोड़ी देर पहले ही आई हू रेलवे स्टेशन से सीधे यहां पर...

तभी बीच में रमन बोल पड़ा...

रमन – भाभी मैं इन्हे यही कह रहा था हमे बता देती इन्हे लेने अपनी कार भेज देते हम

संध्या – (बीच में) इसने मुझे पहले बता दिया था ये खुद आ जाएगी यहां पर

इसे पहले रमन कुछ और बोलता संध्या ने अपने नौकर को आवाज लगाई...

संध्या – भानु भानु इधर आ

भानु – जी मालकिन

संध्या – मेम साहब का सामान लेके उपर वाले कमरे में रख दो जल्दी से आज से ये यही रहेगी

भानु – जी मालकिन

भानु समान लेके चला गया चांदनी का उपर वाले कमरे में...

चांदनी – ठकुराइन इसकी क्या जरूरत थी मैं बाकी टीचर्स के साथ रह लूंगी आप क्यों परेशान हो रहे हो

संध्या – इसमें परेशानी की कोई बात नही चांदनी तुम यही रहोगी हमारे साथ , मैने पहले ही सोच लिया था आओ मै तुम्हे कमरा दिखाती हू

संध्या हाथ पकड़ के लेके जाने लगी चांदनी को जबकि पीछे रमन हैरानी से देखता रहा दोनो को जाते हुए...

रमन –(मन में– साली आइटम तो मस्त है ये लेकिन संध्या कहा से बीच में आग गई अब तो समझना पड़ेगा चांदनी को)

संध्या उपर वाले कमरे ले जाती है चांदनी को बीच में अभय का कमरा पड़ता है रुक कर चांदनी से कहती है....

संध्या – ये अभय का रूम है है चांदनी

चांदनी – (रूम को देखते हुए) काफी सुंदर है ये कमरा

संध्या – जब से वो गया है तब से इस कमरे की हर चीज जहा थी वही रखी हुई है मैने , इतने सालो में इस कमरे की चाहे साफ सफाई क्यों ना हो मेरे इलावा कोई इस रूम में नही आता था वैसे भी तुम्हारे इलावा कोई नही समझ सकता है इस बात को

चांदनी – (मुस्कुरा के) शुक्रिया

संध्या – नही शुक्रिया तो मुझे कहना चाहे तुम्हे (इसके बाद चांदनी को अभय के बगल वाले कमरे में ले जाती है) चांदनी क्या अभय तुमसे मिलने के लिए आयेगा यहां पर

चांदनी – (संध्या के मू पर हाथ रख के) इस बारे में बात मत करिए आप हम बाद में बात करेंगे अकेले में

संध्या – ठीक है तुम जब तक फ्रेश होके त्यार हो के नीचे आजाना थोड़ी देर में खाना त्यार हो जाएगा

थोड़ी देर में सभी डाइनिंग टेबल में सब बैठे थे तभी चांदनी सीडियो से नीचे आने लगी तभी टेबल में बैठे सभी की निगाहे चांदनी पर पड़ी लेकिन दो लोग थे जो चांदनी को देख के खो गए थे रमन और अमन...

संध्या –(चांदनी को देख के बोली) आओ चांदनी

बोलते हुए संध्या ने चांदनी को अपने बगल की कुर्सी में बैठने को कहा...

संध्या – (सभी से बोली) ये चांदनी है हमारे कॉलेज की नई टीचर (सभी से परिचय कराया फिर बोली) अब से यही पर रहेगी उपर वाले कमरे में

मालती – लेकिन दीदी उपर वाला कमरा तो अभय का है वहा तो...

संध्या –(बीच में टोकते हुए) अभय के बगल वाले कमरे में रुकी है चांदनी

मालती – ओह मुझे लगा की...

संध्या – वो कमरा सिर्फ अभय का है किसी और का नही हो सकता है कभी भी...

चांदनी – (अंजान बनते हुए) किसके बारे में बात कर रहे हो आप और कॉन है अभय

मालती – दीदी के बेटे का नाम है अभय

चांदनी – ओह कहा है वो दिखा नही मुझे

रमन – मर चुका है वो 10 साल पहले

संध्या – (चिल्ला के) रमन जबान संभाल के बोल अभय अभी...

रमन – (बीच में) भाभी तुम्हारे दिमाग की सुई क्यों हर बार उस लौंडे पर आके रुक जाती है होश में आओ भाभी 10 साल पहले जंगल में अभय की लाश मिली थी जिसे जंगली जानवरों ने नोचा हुआ था

चांदनी – (सबकी नजर बचा के संध्या के हाथ को हल्के से दबा के) जानवरो ने नोचा था लाश को फिर आपको कैसे पता चला वो लाश अभय की है

रमन – क्यों की उस लाश पर अभय के स्कूल ड्रेस थी तभी समझ पाए हम

चांदनी – ओह माफ करिएगा

इससे पहले संध्या कुछ बोलती किसी ने हवेली का दरवाजा खटखटाया और सभी का ध्यान दरवाजे पर गया जिसे सुन के संध्या बोली...

संध्या – इस समय कॉन आया होगा (अपने नौकर को आवाज देके) भानु जरा देख कॉन आया है

भानु ने जैसे दरवाजा खोल के देखा तो सामने एक खूबसूरत सी औरत खड़ी थी एक हाथ में बैग और दोसर हाथ में अटैची लेके भानु ने उस बात की ओर वापस आके संध्या से बोला...

भानु – मालकिन कॉलेज की नई प्रिंसिपल आई हुई है

संध्या – (नौकर की बात सुन कर) अरे हा मैं भूल गई थी हमारे कॉलेज की नई प्रिंसिपल आने वाली है (नौकर से) अन्दर लेकर आओ उनको

तभी संध्या के सामने एक औरत आई जिसे गौर से देख रही थी संध्या तभी वो औरत बोली...

औरत – नमस्ते मेरा नाम शनाया है

संध्या –(शनाया को देखते हुए) शनाया , जी नमस्ते आपको आने में कोई तकलीफ तो नही हुई

शनाया – (मुस्कुरा के) जी नहीं कोई दिक्कत नही हुई

संध्या – आईए हम सब खाना खाने की तयारी कर रहे है बैठिए

फिर सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त जहा रमन हवस भरी निघाओ से चांदनी और शनाया को देखे जा रहा था वही चांदनी ने जैसे ही शनाया को देखा हल्का मुस्कुराई थी जबकि संध्या ने जब से शनाया को देखा तब से कुछ न कुछ सोच रही थी , खाने के बाद संध्या बोली...

संध्या – (शनाया से) आप आज की रात चांदनी के साथ साथ उपर वाले कमरे में आराम करीये कल आपके लिए कमरे की सफाई करवा दी जाएगी...

शनाया – (मुस्कुरा के) जी शुक्रिया

बोल के शनाया उपर वाले कमरे में चली गई चांदनी के साथ और बाकी सब अपने कमरे में चले गए आराम करने के लिए...

शनाया – (चांदनी से) क्या मैं आपको जानती हू , ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने कही

चांदनी – जी मैं जोधपुर से हू

शनाया –(शहर का नाम सुन के) ओह शायद वही देखा होगा मैने आपको , वैसे आप जोधपुर से यहां पर क्यों आ गए वहा पर भी काफी अच्छे कॉलेज है

चांदनी – अब जहा किस्मत ले जाए वही कदम चल दिए मेरे , और आप यहां पर कैसे

शनाया – पहले स्कूल में टीचर थी फिर प्रमोशन हो गया मेरा साथ ही यहां के कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया

चांदनी – ये तो अच्छी बात है मेहनत का नतीजा है ये आपके

शनाया – शुक्रिया

चांदनी – अब आराम करते है आप थकी होगी काफी , कल बात करेगे शुभ रात्रि

इस तरफ हवेली में सब आराम फरमा रहे थे जबकि हॉस्टल के कमरे में बैठा अभय कमरे की खिड़की से आती हुई थड़ी हवा का आनंद ले रहा था के तभी अभय का मोबाइल बजा...

अभय –(नंबर देख के कॉल उठा के) हैलो

सामने से – ????

अभय – क्यों कॉल कर रही है देख समझा चुका हू तुझे समझ ले बात को अपने दिल दिमाग से निकल दे की मैं तेरा कुछ लगता हू कुछ नही हू मै तेरा ना तु मेरी मत कर कॉल मुझे

संध्या – तू मुझे कुछ भी बोल लेकिन बात कर तेरी आवाज सुन के दिल को कुछ तस्सली सी मिल जाती है

अभय – उसके लिए तेरा राजा बेटा है ना अरे नही तेरा यार का बेटा है ना वो , और ज्यादा तस्सली के लिए अपने यार को बुला ले

बोल के गुस्से में कॉल कट कर दिया अभय ने इस तरफ अभय की ऐसी बात सुन संध्या रोती रही , रोते रोते जाने कब सो गईं इस तरफ अभय भी बेड में सो गया अगली सुबह अभय जल्दी उठ फ्रेश होके निकल गया अपनी वॉकिंग पर चलते चलते चला गया खंडर की तरफ चारो तरफ का मौइआना करने लगा तभी कोई उसके सामने आ गया...

राज – मुझे पहले से लग रहा था तू पक्का यहां पर आएगा

अभय – अरे तू यहां कब आया अचानक से

राज – अबे अचनक से नही पहले से ही आया हुआ हू मै यहां पर राजू के साथ कुछ देखा है इसने यहां पे

अभय – क्यारे राजू क्या देखा तूने यहां पे

राजू – अरे यार राज ने बोला था पता लगाने को मैं तभी से लग गया था और तभी मैने सरपंच को इस खंडर वाले कच्चे रास्ते से जाते देखा था वही पता लगाने पिछे गया था मैं लेकिन साला जाने कहा गायब हो गया रास्ते से

राज – अबे तूने सुबह सुबह पी रखी है क्या रास्ते से कैसे कोई गायब हो जाएगा

राजू – अबे मैं कुछ नहीं पिता और जो देखा वो बोल रहा हू ये साला सरपंच शायद कुछ जनता हो एसा लगता है मुझे

अभय – क्या बोलता है राज कैसे पता किया जाय इस बारे में सरपंच से

राज – यार ये सरपंच बहुत टेडी खीर है मुझे लगता है इसके लिए हमे एक अच्छी सी योजना बनानी पड़ेगी

अभय – एक काम करते है आज दोपहर में मिलते है हमलोग दिन में ज्यादा तर लोग घर में रहते है किसी का ध्यान हम पर जाएगा नही क्या बोलता है

राज – नही अभय इस समय खेत में बुआई का काम चल रहा है और अब तो ज्यादा तर लोग अपने खेत में बने कमरे में आराम करते है

अभय – फिर क्या किया जाए

राजू – एक काम हो सकता है अगर मेरी मानो तो

अभय और राज – हा बोल क्या करना होगा

राजू – देख सब गांव वाले उस हादसे के बाद अभय को मसीहा की तरह मानते है , तो अगर अभय घूमने के बहाने खेत में चला जाय उस वक्त जब सभी अपने खेतो में बुआई कर रहे हो तो वो अभय से मिलेंगे बात करेगे बस उस वक्त अभय जानकारी ले सकता है सबके बारे में साथ ही खंडर के बारे में भी , गांव वाले तुझे नया समझ के जानकारी दे देंगे जो हमे भी पता नही आज तक...

राज – अबे साला मैं सोचता था तू इस गांव का नारद मुनि है , आज पता चला ये साला चाणक्य का चेला भी है वाह मस्त प्लान है बे , क्या बोलता है अभय

अभय – मान गया भाई आज एक तीर से बहुत शिकार होने वाले है , ठीक है मैं दिन में तयार होके निकल जाऊंगा खेत की तरफ , लेकिन तुमलोग कहा पर रहोगे

राज – हम भी खेतो में रहेंगे क्योंकि आज रविवार है छुट्टी का दिन

इसके बाद अभय हॉस्टल को निकल गया और राज और राजू निकल गए अपने अपने घर की तरफ...

राज – (घर में आके अपनी मां गीता देवी से) अरे मां वो आज दिन में खेत पर जाऊंगा बाबा के साथ

गीता देवी – क्या बात है आज खेत जाने की याद कैसे आ गई तुझे , क्या खिचड़ी पका के आ रहा है तू सुबह सुबह सच बता

राज – अरे ऐसा कुछ नही है मां वो....वो...

गीता देवी – अभय ने बोला होगा यही ना

राज – (मुस्कुरा के) हा मां अभय के साथ रहूंगा आज

गीता देवी – चल ठीक है चला जाना लेकिन मेरे साथ चलना पहले खेत में तेरे बाबा ये बोरिया लाए है खेत लेजाना है उसके बाद चले जाना

राज – हा मां हो जाएगा ये काम

हॉस्टल में अभय आया तब सायरा से मुलाकात हुई उसकी...

सायरा – बड़ी जल्दी आ गए वॉक से

अभय – अच्छा मुझे पता ही नही चला वैसे आप यहां क्या कर रहे हो

सायरा – (हस्ते हुए) बोल था ठकुराइन ने तुम्हारे लिए भेजा है मुझे

अभय – (मुस्कुरा के) अरे हा मैं सच में भूल गया था की आपको भेजा है मेरे लिए (हल्की आंख मार के)

सायरा – (अपनी बात को समझ के) माफ करना मेरा मतलब था की काम के लिए भेजा है

अभय – हा काम तो है कई तरह के आप और किस काम में एक्सपर्ट हो बताओ तो सही

सायरा – (बात का मतलब समझ के बोली) अभी आप सिर्फ अपनी पढ़ाई में ध्यान दो मिस्टर बाकी के काम आपके बस का नही है

अभय – (हस्ते हुए) मौका तो दीजिए कभी पता चल जाएगा आपको किसके बस में क्या है और क्या नहीं

सायरा – मौके को तलाशने वाला सिर्फ मौका ही तलाशता रह जाता है...

बोल के सायरा हस्ते हुए चली गई रसोई में पीछे अभय हस्ते हुए बाथरूम चला गया त्यार होके दोनो ने साथ में नाश्ता कर के अभय निकल गया खेत की तरफ , इस तरफ हवेली में सुबह सब उठ के तयार होके नीचे आ गए नाश्ते के लिए...

संध्या – (चांदनी और शनाया से) अगर आज आप दोनो खाली हो तो मेरे साथ चलिए आपको गांव दिखा देती हू घूमना भी हो जाएगा आपका इसी बहाने

शनाया और चांदनी – जी बिलकुल जब आप कहे

रमन –(बीच में) अच्छा शनाया जी आप अकेली आई है आपकी फैमिली कहा पर है

शनाया – जी कोई नही है फैमिली में मेरे

रमन – ओह माफ कीजिए गा , आप अकेले रहते हो , मेरा मतलब क्या आपकी शादी नहीं हुई अभी तक

शनाया – जी नहीं

रमन – अच्छा चांदनी जी आप ...

चांदनी – (बीच में) ठाकुर साहब नाम आप जानते है मेरा शादी अभी नहीं हुई , मैं भी अकेली हू शनाया मैडम की तरह और सेम सिटी से हू मै भी और कुछ पूछना चाहेंगे आप

चांदनी की इस बात पर शनाया और संध्या के साथ सभी की हंसी निकल गई बेचारा रमन भी झूठी हसी हसने लगा मजबूरी में , नाश्ते के बाद संध्या , चांदनी और शनाया निकल गए गांव की सैर करने कार से और सैर की शुरुवात हुई कॉलेज के हास्टल से ठीक उस वक्त जब अभय निकल रहा था हॉस्टल से गांव की तरफ तभी...

कार में आगे बैठे संध्या और चांदनी की नजर पड़ी अभय पर जो पैदल जा रहा था दिन की तपती धूप में गांव की तरफ तभी संध्या को बीच में किसी ने टोका...

शनाया – क्या ये हॉस्टल है स्टूडेंट्स के लिए

संध्या – जी....जी....जी हा ये हॉस्टल है अभी फिलहाल यहां पर एक ही स्टूडेंट आया है रहने धीर धीरे बाकी आएंगे

शनाया – कॉलेज कितनी दूर है यहां से

संध्या – यही 1 से 2 किलो मीटर के फासले पर है

शनाया – काफी धूप लगती होगी स्टूडेंट्स को दिन के वक्त

शनाया की इस बात से संध्या कुछ सोचने लगी तभी चांदनी बोली..

चांदनी – ठकुराइन जी कॉलेज चलिए उसे भी दिखा दिजिए

कॉलेज में आते ही चौकीदार ने संध्या की कार को देखते ही गेट खोल दिया कार के अन्दर आते ही कार से उतर के संध्या दोनो को कॉलेज दिखाने लगी कॉलेज के गार्डन में आते ही संध्या और चांदनी धीरे धीरे चल रहे थे जबकि शनाया आगे आगे चल रही थी तभी संध्या बोली चांदनी से...

संध्या – चांदनी एक बात कहना चाहती हू प्लीज मना मत करना

चांदनी – ऐसी क्या बात है

संध्या – मैं अभय के लिए एक बाइक लेना चाहती हू वो दिन में इस तरह पैदल हॉस्टल से कॉलेज रोज....

चांदनी –(बीच में) आप जानती है ना वो कभी नही मानेगा इस बात को
संध्या – इसीलिए तुमसे बोल रही हूं तुम उसे देना बाइक कम से कम तुम्हे तो मना नही करेगा

चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मैं कर दुगी आपका काम , अब चलिए अभी पूरा गांव भी दिखाना है आपको

कॉलेज के बाद संध्या ने दोनों को पूरा गांव घुमाया फिर वापस आ गई हवेली पर इसी बीच अभय गांव घूम रहा था अकेला उसकी मुलाकात गांव के कई किसानों से हुई सभी से बात कर के अभय निकल गया बगीचे की तरफ अभय को आए कुछ मिनट हुए होगे की तभी राज आगया वहा पर आते ही बोला...

राज – तो क्या पता चला तुझे

अभय – वही बात पता चली भाई जो तुमलोग ने बताई थी श्राप वाली लेकिन एक बात और पता चली है

राज – क्या

अभय – उन्होंने बताया की खंडर के आस पास किसी साए को भटकते देखा गया है कई बार

राज – अरे तो इसमें कॉन सी बड़ी बात है श्रापित है खंडर तो ये सब मामूली बात है

अभय – तू समझा नही भाई अभी तक साया देखा है कुछ लोगो ने लेकिन तब देखा जब उसके आस पास से गुजरे है लोग और यही बात कुछ गांव वालो ने भी बोली लेकिन उन्होंने दिन में देखा है , अब तू बता क्या दिन में भी ऐसा होता है क्या

राज – देख तू मुद्दे की बात पर आ क्या चाहता है तू

अभय – मैने सोच लिया है आज रात मैं जाऊंगा उस खंडर में जरा मैं भी तो देखूं कॉन सा साया रहता है वहा पर

राज – अबे तू पागल हो गया है क्या तू खंडर में जाएगा नही कोई जरूरत नहीं है तुझे वहा जाने की हम कोई और तरीका डूंड लेगे

अभय – तू ही बता कॉन सा तरीका है पता करने का तेरी नजर में

राज – एक तरीका है उसके लिए तुझे हवेली में जाना होगा रहने के लिए

अभय – भाड़ में गया ये तरीका मैं नही जाने वाला हू उस हवेली में कभी

राज – अरे यार तू कैसी बात कर रहा है तेरी हवेली है हक है तेरा

अभय –(गुस्से में) देख राज कुछ भी हो जाय मैं नही जाने वाला उस बदचलन औरत के पास कभी

राज – (चौक के) क्या बदचलन औरत कौन है और किसके लिए बोल रहा है तू

अभय – (गुस्से में) उसी के लिए जिसे तुम लोग ठकुराइन बोलते हो

राज –(गुस्से में) ये क्या बकवास कर रहा है तू दिमाग तो ठिकाने पर है तेरा

अभय – हा सच बोल रहा हू मै उस औरत की बदचलनी की वजह से घर छोड़ा था मैने

राज – कहना क्या चाहता है तू ऐसा क्या हुआ था उस दिन जिस कारण घर छोड़ना पड़ा तुझे

अभय – जिस रात मैं घर से भागा था उसी दिन की बात है ये.....


MINI FLASHBACK


जब मैं स्कूल से घर आया तब अमन और मुनीम पहले से हवेली में मौजूद थे क्योंकि उस दिन स्कूल में मैं और पायल साथ में खाना खा रहे थे तभी बीच में अमन ने आके मेरा लंच बॉक्स फेक दिया जिसके चलते पायल ने अमन के एक चाटा मारा तभी अमन ने पायल का हाथ पकड़ लिया गुस्से में मैने भी अमन का वो हाथ हल्का सा मोड़ा लेकिन कुछ सोच के छोड़ दिया तब अमन बोला...

अमन – बहुत ज्यादा उड़ने लगा है तू हवा में अब देख मैं क्या करता हू

तभी जाने कहा से मुनीम आ गया अमन को देख पूछा क्या हुआ तब अमन बोला मैने उसका हाथ मोड़ा उसे मारा ये बात बोल उस वक्त मुनीम बिना कुछ बोले चला गया वहा से लेकिन जब मैं हवेली आया तब देखा हाल में अमन अपना हाथ पकड़े बैठा है बगल में मुनीम खड़ा है और मेरी मां संध्या हाथ में डंडा लिए खड़ी थी मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने लगा तभी एक जोर की आवाज आई संध्या की...

संध्या –(गुस्से में) तो अब तू खाना भी फेकने लगा है क्यों फेका खाना तूने अमन का बोल और क्यों मारा अमन को तूने बताओ मुनीम क्या हुआ था वहा पर

मुनीम – अब क्या बताऊं ठकुराइन अभय बाबा ने जाने क्यों अमन बाबा का टिफिन फेक दिया जब अमन बाबा ने पूछा तो उनसे लड़ने लगे और हाथ मोड़ दिया...

ये सुनने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोला स्कूल में जो हुआ उसके बारे में सोचने लगा था तभी एक डंडा पड़ा मुझे लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं बोला ऐसे 2 से 3 डंडे पड़े लेकिन मैं कुछ नही बोला तब संध्या ने मुनीम को बोला...

संध्या – मुनीम इसने अन का अपमान किया है आज से इसे एक वक्त का खाना देना जब भूख लगेगी तब इसे समझ आएगा क्या कीमत होती है खाने की

इतना बोल के अमन का हाथ पकड़ के जाने लगी तभी अमन ने पलट के मुस्कुराके मुझे देखा जाने उस दिन मेरे दिमाग में क्या आया मैने भी अमन को पलट के मुस्कुरा के जवाब दिया जिसके बाद उसकी हसी अपने आप रुक गई उनके जाने के बाद रमन आया बोला...

रमन – मुझे बहुत बुरा लगता है जब तू इस तरह मार खाता है अपनी मां के हाथो से लेकिन तू कुछ बोलता भी नही है देख बेटा बात को समझ जा तू तेरी मां तुझे प्यार नही करती है देख मैं जानता हूं गलती तेरी नही थी आज की खाना अमन ने फेका था लेकिन फिर भी तेरी मां ने तुझे मारा

मैं – वो मुझे मारती है क्योंकि उसे लगता है मैं गलत कर रहा हू वर्ना मुझे कभी नही मारती

रमन – बेटा जब तेरी मां तेरे बाप को प्यार नही कर पाई तो तुझे कैसे प्यार कर सकती है

मैं – क्या मतलब , मेरी मां मेरे पिता से प्यार नहीं करती क्या मतलब है इसका

रमन – मतलब ये की तू उसका बेटा जरूर है लेकिन वो तुझे प्यार नही करती है वैसे जैसे वो तेरे बाप से प्यार नहीं करती और ये बात उसने मुझे बोली थी जनता है क्यों बोली क्योंकि तेरी मां मुझसे प्यार करती है इसीलिए मेरे बेटे अमन पर सारा प्यार लुटाती है अपना

मैं – तुम झूठ बोल रहे हो मेरी मां तुमसे प्यार नहीं कर सकती है कभी वो मुझे प्यार करती है

रमन – देख तू मेरा भतीजा है इसीलिए तुझे बता रहा हू , तेरी मां ने ही ये बात बोली थी मुझे , की वो तुझे और तेरे बाप से प्यार नहीं करती है , उसे शुरू से ही पसंद नहीं था तेरा बाप समझा , इसीलिए तेरी मां मुझसे प्यार करती है और अगर तुझे अभी भी यकीन नहीं आ रहा हो मेरी बात का तो 1 घंटे बाद आ जाना अमरूद के बगीचे में बने कमरे में अपनी आखों से देख लेना कैसे तेरी मां मुझ प्यार करती है

उसकी इस बात से मैं हैरान था कमरे में आते ही मन नही लग रहा था मेरा बस घड़ी देखे जा रहा था तभी मैं कमरे से निकल के हॉल में देखा जहा संध्या टेबल में बैठ के लिखा पड़ी कर रही थी मैं चुपके से निकल गया बगीचे की तरफ कमरे से दूर एक पेड़ के पीछे खड़े इंतजार करने लगा देखते ही देखते थोड़ी देर बाद मैने देखा संध्या की कार आई रमन उतरा और साथ में संध्या थी दोनो एक साथ बगीचे वाले कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर दिया मैं हिम्मत करके पास गया जहा मुझे सिसकियों की आवाज आने लगी आवाज सुन के मेरा दिल घबरा गया मैं भाग गया वहा से....


BACK TO PRESENT


अभय – क्या अब भी तुझे लगता है मैं जाऊंगा उस हवेली में दोबारा

राज – एक बात तो बता अभय उस दिन तूने अपनी आखों से देखा था वो संध्या ठकुराइन थी

अभय – हा वही थी वो

राज –भाई मेरा मतलब क्या तूने चेहरा देखा था या नहीं सोच के बता तू

अभय – नही देखा लेकिन जब मैं हवेली से निकला तब कपड़े वही पहने थी उसने और उसी से पहचाना मैने उसे , देख राज मैने सोच लिया है मैं जाऊंगा आज रात को उस खंडर में अकेले पता करने सच का लेकिन उस हवेली में कभी नहीं जाऊंगा

बोल के अभय निकल गया बिना राज की बात को समझे जबकि राज अपनी सोच में डूबा था बस अभय को जाते देखता रहा राज निकल गया अपने घर की तरफ घर में आते ही राज कुर्सी मैं बैठ गया जबकि गीता देवी ने अपने बेटे राज को इस तरह गुमसुम हालत में घर आते देखा तो बोली...

गीता देवी – क्या बात है बेटा तू इस तरह गुमसुम क्यों बैठा है कुछ हुआ है क्या

राज – (अपनी मां को देख के) अभय की बात सुन के कुछ समझ नही आ रहा है मां

गीता देवी – ऐसी क्या बात हो गई बता मुझे

फिर राज ने बताया अभय ने जो बताया उसे सारी बाते सुनने के बाद गीत देवी बोली..

गीता देवी – जब अभय ने देखा है इसका मतलब हो सकता हो ये बात सच हो

राज –(चिल्ला के) नही मां ये सच नहीं हो सकता है क्योंकि उस दिन बगीचे वाले कमरे में ठकुराइन नही थी

गीता देवी – (आंख बड़ी करके हैरानी से) क्या मतलब और तू कैसे कह सकता है ये बात वो ठकुराइन नही थी

राज – क्योंकि मां उस दिन मैं घूम रहा था घूमते घूमते बगीचे की तरफ निकल गया तभी मैंने देखा अभय को जो एक पेड़ के पीछे से कही देख रहा था जैसे ही मैं आगे आने को हुआ तभी देखा ठकुराइन की कार आई बगीचे वाले कमरे के पास रुकी उसमे रमन ठाकुर निकला और साथ में उर्मिला चौधरी थी

गीता देवी –(हैरानी से) ये क्या बोले जा रहा है तू

राज – सच बोल रहा हू मां सरपंच की बीवी उर्मिला चौधरी को देखा था मैंने उस दिन रमन के साथ उस कमरे में जाते हुए.....
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जारी रहेगा...✍️✍️
 
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Update aaj raat tak aayega bhai log👍
Jab tak iska update aata hai, meri wali story padh lo, wo sard raat :approve: Link mere signature me hai
Aagaya bhai update
 

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