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Aise hi message karte raho ho jayegi50 posts kaise poori hongi. Someone help me. I am not able to send pm
Very nice great going. I must say that your writing skill can be much better than other writers if you will write only with your mind but I think some one influence you. You know why have written this thing because you are giving space to some charector which is not required much. It's my suggestion only that if you will focus on your actual charectors and write with your own mind your story will go on another level. Think about it ThanksDhanshu update de deya
MsstUPDATE 27
चांदनी और संध्या जैसे ही कामरान के घर के अन्दर आए अपने सामने कामरान की लाश को पंखे पे लटकते हुए पाया जिसे देख दोनो की आखें बड़ी हो गईं तभी एक छोटी बच्ची पे नजर गई दोनो की जो जमीन में बैठी पंखे पे लटक रहे कामरान को देख पापा पापा कर रही थी जिसे देख संध्या उसके पास तुरंत गई और बच्ची को अपनी गोद में उठा लिया इस पहले दोनो में कोई कुछ बोलता या करता के तभी बगल के कमरे से दो आदमी निकल के संध्या और चांदनी को धक्का देके तुरंत भागे घर के बाहर....
काफी जोर से धक्का देने की वजह से संध्या के साथ चांदनी अपना बैलेंस संभाल ना पाई दोनो गिर पड़े जमीन पर लेकिन किस्मत से दोनो में से किसी को कुछ नही हुआ तभी घर के बाहर से किसी की आवाज आई जिसे सुन चांदनी ने बाहर जाके देखा उसकी टीम के 3 लोगो ने उन दोनो लोगो को पकड़ के मार रहे थे जिसे देख चांदनी बोली...
चांदनी – (अपने साथियों को देख) तुम तीनो यहां पर कैसे
आरव – चीफ ने नजर बनाए रखने को कहा था ठकुराइन पर , हमने xx गांव की पुलिस को कॉल कर दिया है वो आती होगी
चांदनी – ठीक है इन्हे ले जाओ अच्छे से खातिर दारी करके जानकारी निकालो इनसे
आरव – ठीक है मैडम
बोल के आरव अपने दोनो साथी के साथ उन दोनो आदमी को लेके निकल गया उनके जाते ही चांदनी वापस घर में गई जहा संध्या बच्चे को गोद लिए हुई थी...
चांदनी – हमे चलना चाहिए यहां से xx गांव की पुलिस यहां आ रही है
संध्या – ठीक है चलो (बोल के बच्चे को साथ ले जाने लगी तभी)
चांदनी – ठकुराइन बच्चे को यही छोड़ना होगा बच्चे को नही ले जा सकते है
संध्या – लेकिन चांदनी बच्चे को यहां कैसे छोड़ सकते है वो भी अकेले यहां कोई और दिख भी नही रहा है
चांदनी – पर पुलिस को क्या कहेंगे हम आप जानते हो मैं अपनी जानकारी नहीं दे सकती
संध्या – मैं बात कर लूंगी तुम परेशान मत हो
संध्या की बात पर चांदनी ने अपना सर हा बोल के घर में इधर उधर देखने लगी तभी चांदनी को कुछ दिखा लाश (कामरान) की जेब में उसे धीरे से निकाल के पढ़ने लगी जिसमे एक पहेली लिखी थी..
#(अगर तुम इंसाफ हो तो सच सच बताना आखों पे पट्टी बांधने का क्या लोगे हर्जाना)#
चांदनी – (पहेली को पड़ के) क्या मतलब हुआ इसका
इससे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी पुलिस सायरन की आवाज आई कुछ सेकंड में पुलिस कामरान के घर में दाखिल हुई अपने सामने ठकुराइन को देख...
पुलिस – नमस्ते ठकुराइन आप यहां पर
संध्या – जी हम यहां अपने जरूरी काम से मिलने आए थे थानेदार से लेकिन यहां आते ही ये देखने को मिला
पुलिस – तो वो कॉल आपकी तरफ से आया था हमे
चांदनी –(बीच में) जी हा इंस्पेक्टर साहेब मैने किया था
इसके बाद पुलिस अपना काम करने लगी धीरे से कामरान की लाश को नीचे उतारा गया जिसे देख कामरान की बेटी संध्या की गोद में बैठे बैठे पापा पापा करने लगी उसकी आवाज सुन एक पल के लिए चांदनी और संध्या के आसू निकल आए...
घर की छान बीन करने से बेहोशी की हालत में मेड मिली जो बच्चे की देख भाल करती थी उसे होश में लाके जानकारी ली गई जिससे पता चला कामरान की बीवी साल भर पहले मर गई थी जिस वजह से कामरान के बच्चे की देख रेख मेड करती थी जानकारी मिलने के बाद संध्या बोली पुलिस से...
संध्या – (पुलिस से) आपको जो भी कागजी करवाही करनी हो करे आज से ये बच्ची की जिम्मेदारी मेरी है अब से ये हमारे साथ रहेगी
पुलिस – ठकुराइन हमे कोई दिक्कत नही है अगर कोई इसका रिश्तेदार आ गया तो...
संध्या – अगर ऐसा हुआ तो हम बात कर लगे उससे
इसके बाद पुलिस वहा से चली गई उनके जाते ही संध्या और चांदनी बच्चे को लेके निकल गई रास्ते में चांदनी बोली..
चांदनी – आप बच्चे को साथ क्यों ले आए अपने
संध्या – चांदनी एक बार अनजाने में मैने जो किया उसकी सजा मैं आज तक भुगत रही हू भले इसके पिता ने गलत किया हो लेकिन उसकी सजा इस मासूम बच्ची को क्यों मिले इसीलिए ले आई अपने साथ...
चांदनी –(मुस्कुरा के) आपने बिलकुल सही फैसला लिया ठकुराइन जी
संध्या – लेकिन एक बात समझ में नहीं आ रही है मुझे किसने मारा होगा कामरान को घर में मेड को बेहोश कर दिया
चांदनी – जिसने भी ये किया है वो कामरान को सिर्फ मारने आया था उसने बच्चे को कुछ नही किया बस मेड को बेहोश कर दिया और कामरान को मारने के बाद उसे पंखे में लटका दिया ताकि आत्महत्या लगे लेकिन किस्मत से हम थोड़ा जल्दी आ गए कातिल को सब कुछ सेट करने का मौका नहीं मिला
संध्या – हम कामरान से मिलने जा रहे है ये बात पुलिस स्टेशन में हवलदारों को पता थी
चांदनी – और रमन ठाकुर को
संध्या – (हैरान होके) कही रमन ने नही मार दिया कामरान को
चांदनी – कुछ कह नही सकती मै इस बारे में , अब तो रमन से बात करके है पता चलेगा
थोड़ी देर में हवेली में आ गए संध्या और चांदनी बच्चे के साथ जिसे देख मालती और ललिता बोली..
ललिता – अरे दीदी बच्चे को कहा से लाए आप
संध्या –(कामरान के घर जो हुआ उसे बता के) उससे मिलने गई थी तभी ये सब हुआ
ललिता – (चौक के) उसे कोई क्यों मरेगा दीदी
संध्या – पता नही ललिता मुझे भी समझ नही आई बात
मालती –(बच्चे को गोद में लेके) बहुत अच्छा किया आपने दीदी जो बच्चे को ले आए यहां पर...
बोल के बच्चे के साथ खेलने लगी मालती जिसे देख संध्या और ललिता बाकी की बात भूल कर मुस्कुरा उठे अपने कमरे में चले गए...
खेर ये तो इनके साथ हुआ आपने देखा अब जरा थोड़ा पीछे चलते है जब रमन हवेली से निकला था कामरान के घर उससे मिलने के लिए लेकिन रास्ते में रमन की मुलाकात हो गई अभय से क्योंकि अभय निकला था अपने दोस्तो से मिलने के लिए बाइक लेके उसी वक्त रमन तेजी से निकल रहा था अपनी कार से तभी रास्ते में रमन की कार अचानक से अभय की बाइक के सामने आ गई एक्सीडेंट होते बचा जिसके बाद..
रमन –(अपनी कार से निकलते ही) अंधा है क्या देख के नही चल सकता है
अभय –(गुस्से में) अंधा तो तू है जिसे सामने से आती हुई गाड़ी नही दिख रही थी
रमन –(गुस्से में) सुन बे लौंडे तेरी ये हरकतों से तू उस संध्या को बेवकूफ बना सकता है मुझे नहीं अच्छे से समझता हू तुम्हारे जैसे लोगो को चंद पैसे के लिए कैसे किसी के जज्बातों के साथ खेलते है
अभय –(हस्ते हुए) क्या कहा तूने जज्बातों के साथ मैं खेल रहा हू अगर ऐसा है तो तू क्या कर रहा है जिसे सब गांव वालो के सामने भाभी बोलता था आज उसी का नाम लेके बोल रहा है मुझे समझ में नहीं आई ये बात बेवकूफ कॉन है तू या वो ठकुराइन अगर मेरी पूछो तो तुम दोनो ही बेवकूफ हो अवल दर्जे के
रमन – (गुस्से में अभय का कॉलर पकड़ के) बहुत बोल लिया तूने लौंडे
इससे पहले की रमन आगे कुछ बोलता तभी अभय ने लगातार दो घुसे मारे नाक पर उसके बाद रमन का कॉलर पकड़ के बोला...
अभय – अपने ये ठाकुरों वाला रोब गांव के कमजोर और मजबूर लोगो को दिखा अगर दोबारा मेरे गिरेबान में हाथ डाला तेरा वो हाथ तोड़ के तेरे पिछवाड़े में घुसेड़ दुगा समझा , अब अपनी नाक को संभाल और जा डॉक्टर को दिखा दे कही तेरी नाक ना काट जाय...
बोल के अभय बाइक लेके चला गया पीछे रमन अपनी नाक पकड़े डॉक्टर के पास चला गया काफी देर अस्पताल में लगने की वजह से रमन जा नही पाया कामरान के घर और थक हार कर रमन हवेली वापसी निकल गया जहा संध्या और चांदनी पहले आ चुके थे रमन हवेली में आते ही...
ललिता – (अपने पति को नाक पर बैंडेज देख) ये क्या आपकी नाक पर पट्टी क्या हो गया
रमन – रास्ते में वो लौंडा मिला एक नंबर का बत्तमीज निकला कार चलाते वक्त अचानक से सामने आ गया जब बोला मैने तो हाथ उठा लिया मुझपर...
हाल में बैठे अमन , मालती , संध्या , चांदनी , निधि और शनाया बाते सुन रहे थे तभी अमन बोला...
अमन – (संध्या से) देखा आपने अब वो लौंडा इस हद तक बत्तमीजी पे उतर आया है बड़ो तक का लिहाज नही करता
संध्या – वैसे ही जैसे तुम कॉलेज में अपने टीचर्स का लिहाज नही करते...
संध्या की बात सुन अमन का मू बंद हो गया लेकिन रमन ने बोलना शुरू किया...
रमन – भाभी बात किसके बारे में हो रही है और आप किसको बोल रही हो
संध्या –(रमन की बात सुन के) रमन सामने वाले पर उंगली उठाने से पहले देख लेना चाहिए खुद के हाथ की तीन उंगली तुम्हारे तरफ इशारा कर रही है
रमन – (चौक के) क्या मतलब है आपका
संध्या – यही की पुलिस में एफ आई आर कभी हुई ही नहीं थी और ना ही उस लाश का पोस्ट मॉर्टम हुआ था किस बात की जल्दी थी तुम्हे जानना तक जरूरी नहीं समझा वो लाश किसकी है आखिर
रमन – (हड़बड़ा के) भाभी उस वक्त हालत ही ऐसे थे हवेली के हर कोई अभय के जाने के गम में था
संध्या – अच्छा इसीलिए तुमने मुनीम से कहल वाया पुलिस को की ठकुराइन एफ आई आर नही करना चाहती क्यों यही बात है ना
रमन – (घबरा के) भाभी ऐसी कोई बात नही है मैं तो...
संध्या –(बात काटते हुए) तो क्या बात है कही मुनीम को सपना तो नहीं आया जो चला गया पुलिस स्टेशन मना करने एफ आई आर के लिए बोलो यही बात है क्या
रमन –(जान छुड़ाने के चक्कर में) मैं कल ही पता करवाता हू भाभी
संध्या –कोई जरूरत नहीं है कुछ भी करने की अब जो करना होगा वो मैं खुद करूगी , भरोसे की कीमत मैं पहले चुका चुकी हू अब और नहीं (नौकर से) जल्दी से खाना लगाओ..
खाना खा के सब अपने कमरों में जाने लगे तभी संध्या ने चांदनी को इशारे से अपने कमरे में आने के लिए कहा...
चांदनी – (संध्या के कमरे में आके) आपने बुलाया
संध्या – चांदनी मुझे शालिनी जी से बात करनी है बात करा
चांदनी –(मुस्कुरा के अपनी मां शालिनी को कॉल करती है) हेलो मां कैसी हो आप
शालिनी – मैं अच्छी हू तू बता कैसी है
चांदनी – मैं भी अच्छी हू मां
ठकुराइन जी आपसे बात करना चाहती है
संध्या –(चांदनी से फोन लेते हुए) नमस्ते शालिनी जी
शालिनी – नमस्ते ठकुराइन जी कैसी है आप
संध्या – बस ठीक हू शालिनी जी बाकी आप जानती है
शालिनी – जी आप बिलकुल बेफिक्र रहिए ठकुराइन जी सब ठीक हो जाएगा जल्दी ही
संध्या –बस इसी उम्मीद में जी रही हू और प्लीज आप मुझे नाम से बुलाए
शालिनी – (मुस्कुरा के) एक शर्त पर आप भी मुझे नाम लेके बात करेगी तभी
संध्या – (मुस्कुरा के) जी ठीक है
शालिनी – अब बताए आप कुछ बात करना चाहती है
संध्या – मुझे आपकी मदद की जरूरत है (जो कुछ हुआ वो सब बता कर) मैं चाहती हू आप किसी को थाने का इंचार्ज बना के भेजे जो ईमानदार हो मुझे पता करवाना है दस साल पहले जो हुआ उसके बारे में
शालिनी – फिक्र मत करो संध्या एक दिन का वक्त दो मैं कुछ करती हू जल्द ही
संध्या – शुक्रिया शालिनी
शालिनी – इसमें शुक्रिया की जरूरत नहीं है संध्या अभय आपका बेटा है वैसे मेरा भी बेटा है वो उसके लिए ये कुछ भी नही है , खेर चांदनी से बात कराए मेरी
चांदनी –(संध्या से फोन लेके) हा मां
शालिनी – जे भी हुआ उससे क्या लगता है तुम्हे
चांदनी – पता नही मां लेकिन मुझे एक नोट मिला है लाश की जेब से उसमे पहेली लिखी है
#(अगर तुम इंसाफ हो तो सच सच बताना आखों पे पट्टी बांधने का क्या लोगे हर्जाना)#
शालिनी – कामरान को मार कर ये पहेली छोड़ गया कोई
चांदनी – दो लोग मिले है भाग रहे थे उन्हें पकड़ लिया गया है मेरे लोग पूछ ताछ कर रहे है पता चलते ही बताऊगी आपको
शालिनी – ठीक है ख्याल रखना और नजर बनाए रखना खास कर अभय पर वो अकेला जरूर है हॉस्टल में और आजाद भी
चांदनी – बस इस बात की फिक्र है मां
शालिनी – फिक्र मत कर अगर ऐसी कोई भी बात होगी वो तुझे जरूर बताएगा
चांदनी – हा मां अच्छा बाद में बात करती हू
बोल के कॉल कट कर दिया तब संध्या बोली...
संध्या – क्या बात है चांदनी तुम कुछ परेशान सी लग रही हो
चांदनी – जी ठकुराइन कामरान की बॉडी से मुझे ये नोट मिला है पहेली लिखी है इसमें समझ में नहीं आ रहा है क्या मतलब है इसका और कातिल ने उसे मार कर ये पहेली क्यों छोड़ दी
संध्या – कही कातिल पहेली के जरिए कुछ कहना तो नही चाहता
चांदनी – (पहेली पड़ के) कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या मतलब हो सकता है इस पहेली का
संध्या – (चांदनी की बात सुन के) रात काफी हो रही है तुम आराम करो चांदनी कल कॉलेज भी जाना है इस बारे में बाद में सोचना
हा बोल के चांदनी चली गई कमरे में सोने जबकि अपने अभय बाबू शाम को घूमने निकले थे लेकिन रमन से मुलाकात के बाद वापस हॉस्टल में लौट आए जहा सायरा ने उन्हें खाना दिया और आज की हुई घटना बताई जिसके बाद अभय सो गया अगले दिन सुबह सायरा के जागने से उठा और निकल गया मॉर्निंग वॉक पर कुछ ही देर में तयार होके कॉलेज में आ गए सभी...
अभय की नई बाइक देख के तीनों दोस्त ने घेर लिया अभय को...
राज – (बाइक देख के) क्या बात है लौंडे नई बाइक कब ली बे
अभय – कल मिली है भाई दीदी ने दी है
राज – ओह हो तेरे ब्रदर की होने वाली दुल्हन ने वाह मानना पड़ेगा मेरी दुल्हन की चॉइस को
अभय – (चौक के) अबे अभी तक तेरे सिर से भूत नही उतरा क्या
राजू – (अभय से) अभय शराबी कभी शराब पीना छोड़ता है क्या
राज – (शायरी) क्या चाहूँ रब से उसे पाने के बाद , किसका करूँ इंतज़ार उसके आने के बाद, क्यों मोहब्बत में जान लुटा देते हैं लोग,मैंने भी यह जाना इश्क़ करने के बाद
लल्ला –(राज की शायरी सुन के) देख ले अभी तक नशा बरकरार है इनका
अभय – यार इसके चक्कर में कही क्लास के भी ना रहे हम लोग
तभी पीछे से पायल ने आके बोला...
पायल – कभी खुद ने ऐसा कुछ किया नही जब दोस्त को प्यार हुआ तो पीछा छुड़ाने में लगे हो तुम तीनों
अभय – अरे मैने एसा कब कहा यार मैं तो बस...
पायल –(बीच में टोकते हुए) कहोगे भी कैसे कुछ होगा तब कहोगे ना
अभय – पायल बात को समझ वो टीचर है और ये स्टूडेंट मेल होना नामुमकिन है यार
पायल – अच्छा किसने कहा नामुमकिन है एसा वो टीचर है तो क्या वो लड़की नही है दिल नही है उनका क्या प्यार नही हो सकता है उनको और क्या पता राज पसंद आ गया हो उनको
अभय –(पायल की बात सुन मन में – अब कैसे बताऊं तुझे वो मेरी बहन है , अच्छा होगा पतली गली पकड़ के निकल ले अभय) ठीक है करे अपने प्यार का इजहार उनसे
पायल – करेगा जरूर करेगा सबके सामने करेगा क्यों राज
तभी राज ने देखा कॉलेज गेट से चांदनी आ रही थी धीरे धीरे चलते चलते राज के बगल से गुजर ने लगी तभी राज बोला...
राज – (चांदनी को अपने बगल से जाता देख)
मुसाफिर इश्क़ का हूं मैं
मेरी मंज़िल मुहब्बत है,
तेरे दिल में ठहर जाऊं
अगर तेरी इजाज़त है।
शायरी सुन चांदनी ने जैसे पलट के देखा राज अकेला खड़ा था चेहरे पर मुस्कान लिए..
चांदनी – तुम पढ़ने आते हो कॉलेज में या शायरी करने
राज – आप जो बना दे मैं हस्ते हस्ते बन जाने को तयार हू
चांदनी –(चौक के) क्या
राज – आपको देख के दिल झूमने लगता है मेरा साथ ही दिल गाने लगता है
चांदनी – (हस्ते हुए) अपने सीर से प्यार का भूत उतार दो अच्छा रहेगा तुम्हारे लिए
राज –(मुस्कुरा के)
प्यार जो हकीकत में प्यार होता है,
जिन्दगी में सिर्फ एक बार होता है,
निगाहों के मिलते मिलते दिल मिल जाये,
ऐसा इतेफाक सिर्फ एक बार होता है।।
शायरी सुन के चांदनी हल्का मुस्कुरा के चली गाई कॉलेज में उसके जाते ही राज ने पलट के देखा खुद को वो अकेला खड़ा पाया बाकी सब गायब थे राज ने चारो तरफ देखा एक कोने में अभय , राजू , लल्ला , पायल , और नीलम छुप के देख रहे थे राज को...
राज –(सभी को देख के) अबे तुम सब वहा क्या कर रहे हो बे
पायल – तेरी जरा तारीफ क्या कर दी तू सच में शुरू हो गया देख तो लेता कॉलेज है तेरे चक्कर में हम नप जाते अभी
राज – अच्छा थोड़ी देर पहले तू ही बोल रही थी खुले आम सबके सामने इजहार करूंगा प्यार का उसका क्या
पायल – इसका मतलब ये थोड़ी ना की हम साथ हो तेरे उस वक्त (नीलम से) चल क्लास में चलते है वर्ना इसके चक्कर में हमे कॉलेज से निकल ना दिया जाय...
जब ये सब बाते हो रही थी तब राजू , अभय और लल्ला अपने मू पे हाथ रख के हंसे जा रहे थे पायल के जाते ही तीनों जोर से हसने लगे...
राजू – इसे बोलते है दोस्ती का इम्तेहानसमझे जब कॉलेज में टीचर से मार खाने की बात हो अच्छे से अच्छे दोस्त भी किनारे हो जाते है भाई
लल्ला –(हस्ते हुए) और तूने तो टीचर से प्यार कर लिया
अभय – देख मेरे भाई हर मामले में हम तेरे साथ रहेंगे लेकिन इस मामले में तू अकेला पाएगा खुद को हम दूर दूर तक नजर नहीं आएंगे तुझे इसमें
राज – (राजू और लल्ला को देख के) यार गद्दार , (अभय को देख के) साले शर्म नही आती तुझे अपने जीजा पे हस्ते हुए साले , बोला था ना आदत डाल ले
बोल के निकल गया राज पीछे से राजू और लल्ला हस रहे थे अभय और राज पे...
अभय – (हस्ते हुए) देखो तो जरा कैसे बच्चे की तरह मू फुल्लाए जा रहा है
राजू और लल्ला –(अभय से) भाई ये जीजा वाली तरकी हो गईं तेरी कमाल है भाईचलो चलते है क्लास में
इसी तरह हसी मजाक में कॉलेज का दिन काट गया छुट्टी होते ही सब वापस जाने लगे घर तभी चांदनी ने अभय को रोका हुआ था इशारा कर के सबके जाते ही आखरी में अभय अपनी बाइक से निकला तभी पीछे से चांदनी आके बैठ गई अभय के साथ...
अभय – (दीदी से) हा दीदी कहा ले चलूं आपको
चांदनी – हवेली छोड़ दे मुझे
अभय –(हवेली का नाम सुनते ही) हवेली में
चांदनी –(मुस्कुरा के) तेरे से बात करनी है मुझे हवेली चल रास्ते में बात करते हुए चलते है मुझे छोड़ के वापस आ जाना ठीक है...
दीदी की बात सुन अभय ने बाइक शुरू की निकल गए हवेली की तरफ रास्ते में चांदनी बोली...
चांदनी – तो तू खंडर में गया था मुझे बताए बगैर
अभय –(बाइक में ब्रेक लगा के) आपको कैसे पता दीदी
चांदनी –पहले बाइक चला तू सब बताती हू तुझे
बाइक शुरू करके चलाने लगा अभय तब चांदनी बोली..
चांदनी – तो अब बता खंडर क्यों गया था तू
फिर अभय ने अपने बचपन की बात बताई जब घर से भगा था रास्ते में क्या हुआ था जिसे सुन चांदनी बोली...
चांदनी – तो जब तू खंडर में गया वहा पर क्या देखा तूने
अभय –(खंडर में जो हुआ सब बता साथ ही हॉस्टल में वापस आने के बाद वीडियो में देखा वो बताए) इसीलिए मैंने हाल फिलहाल खंडर में दोबारा जाने का फैसला बदल लिया है
चांदनी – (अभय की सारी बात सुन के) तुझे पक्का यकीन है खंडर के अन्दर बिल्कुल हवेली जैसा सब बना हुआ है
अभय – हा दीदी मेरा आधा बचपन बीता है उस हवेली में कैसे भूल सकता हू मै उसे
चांदनी – और कुछ नजर आया तुझे खंडर में कुछ अजीब सा लगा हो ऐसा कुछ
अभय – दीदी वो भूत के सामने आने से पहले किसी के बात करने की आवाज सुनी थी लेकिन सही से कुछ समझ नही आया मुझे क्या बात कर रहे थे लेकिन दीदी आपको कैसे पता मैं वहा गया था
चांदनी –जैसे भी पता चला हो ये भी पता चला तू अकेला नही था तेरा साथ राज भी था वहा पर
अभय – मतलब आपको सब पता है पहले से
चांदनी –देख अभय तू इन सब बातो को मजाक में मत ले समझा तुझे पता भी है उस खंडर में मेरे चीफ के 4 बेस्ट ऑफिसर गए थे जिनका आज तक पता भी नही चला है वो जिंदा भी है या मर गए है और तू उस जग चला गया वो भी रात के अंधेरे में
अभय – दीदी आपकी कसम मुझे नही पता था इस बारे में बचपन में जो देखा था उस बारे में पता करने गया था मैं बस
चांदनी – चल ठीक है देख अभय जो भी करना हो कर लेकिन एक बात सोच लेना तेरी बहुत चिंता रहती है मां और मुझे एक तो तू अकेला रहता है हॉस्टल में इसीलिए
अभय – दीदी फिकर मत करो आप मैं ठीक हू संभल के रहता हू और रही खंडर की बात अभी के लिए मैं उस तरफ देख भी नही रहा जाना दूर की बात है
चांदनी – और ये कब तक के लिए है
अभय –(मुस्कुरा के) जब तक मुझे तस्सली ना हो जाय वहा जो कोई भी है उसे हमारे आने और जाने का पता ना चला हो तब तक
चांदनी – (मुस्कुरा के) मुझे लगा ही था
अभय – जाने दीजिए कल शाम को क्या हुआ था दीदी मैने सुना कामरान को किसी ने मार दिया
चांदनी – हा उसे मार कर किसी ने उसकी जेब में एक पहेली छोड़ दी थी
अभय – पहेली कॉन सी पहेली है दीदी बताओ
चांदनी – #(अगर तुम इंसाफ हो तो सच सच बताना आखों पे पट्टी बांधने का क्या लोगे हर्जाना)#
जाने क्या बताना चाहता है कातिल इस पहेली के जरिए
अभय – रिश्वत
चांदनी – क्या
अभय – अरे दीदी आपकी पहेली का जवाब है ये (रिश्वत)
चांदनी – तुझे कैसे पता
अभय –(मुस्कुरा के) दीदी आप अभी तक नही समझी बात को क्यों की आप पुलिस में हो ना इसीलिए तो , देखो दीदी आज के युग में कोई पुलिस के पचड़े में पड़ना नही चाहता है इसलिए जान छुड़ाने के लिए रिश्वत देते है लोग अब समझे आप आखों में पट्टी बांधने का हर्जाना का मतलब....
पहेली का जवाब सुन चांदनी चुप हो गईं सोचने लगी कुछ तभी अभय ने बाइक रोक बोला...
अभय –(कंधा हिलाते हुए) क्या हुआ दीदी किस सोच में डूब गए आप
चांदनी –(अभय द्वारा कंधा हिलाने से होश में आते हुए) कुछ नही सोच रही थी की...
अभय – (बीच में बात काटते हुए) दीदी इतना भी मत सोचो जो हुआ उसे बदल तो नही सकते हम वैसे भी कामरान कॉन सा दूध का धुला था आखिर था तो रिश्वत खोर ही ना
चांदनी – उसकी एक छोटी से बेटी के इलावा कोई नही था उसका दुनिया में
अभय – बहुत बुरा हुआ खुद तो चला गया अब उसकी बेटी का क्या होगा दीदी
चांदनी –(हल्का हस के) ठकुराइन उसे ले आई अपने साथ हवेली में कल ही
अभय – (हस के) जो औरत अपने बेटे तक को संभाल ना पाई वो दूसरों के बच्चो को संभालेगी आपको लगता है एसा दीदी
चांदनी –जरूरी नहीं जो दिखता हो वही सच हो सच्चाई उसके उल्टी भी होती है कभी कभी
अभय – मुझे क्या वो जाने उसके काम जाने वैसे हवेली आ गई
चांदनी – तेरी बातो में मैने ध्यान ही नही दिया चल तू भी जाके आराम कर और ध्यान रखना मेरी बात का...
बोल के चांदनी हवेली के मेन गेट से होते हुए अन्दर चली गई जबकि अभय हवेली के मेन गेट के बाहर खड़ा सिर्फ हवेली को देखता रहा जैसे कुछ याद कर रहा हो जिस वजह से आंख में हल्का आसू आ गए जिसे साफ कर अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ जबकि हवेली में चांदनी के आते ही...
रमन –(चांदनी से) काफी लेट हो गए आने में आप किसके साथ आए आप कॉन था वो
चांदनी – कॉलेज का स्टूडेंट था मैने उससे कहा था छोड़ दे मुझे हवेली तक
रमन – अरे आप मुझे बता देते मैं भेज देता कार अपनी लेने के लिए आपको
चांदनी – शुक्रिया ठाकुर साहब कभी जरूरत पड़ी तो जरूर बताऊगी आपको...
बोल के चांदनी चली गई अपने कमरे की तरफ पीछे रमन जाति हुई चांदनी को देखता रहा और तभी रमन को किसी ने आवाज दी जिसे सके रमन बोला..
संध्या – रमन
रमन –अरे भाभी बताए क्या बात है
संध्या – (घूर के देखते हुए) अच्छा होगा तेरे लिए अपने काम से मतलब रख तू दोबारा चांदनी की तरफ अपनी गंदी नजर डाली तो समझ लेना और ये बात मैं दोबारा नही बोलूगी
रमन – भाभी ये कॉलेज की टीचर है ना की आपकी कोई रिश्तेदार जिसके वजह से आप मुझे सुना रही हो बाते
संध्या – मतलब तुझे समझ नही आई बात मेरी
रमन – देखो भाभी अब बहुत हो गया कभी उस लौंडे ले लिए आप मुझे सुनाते हो बाते तो कभी अमन को तना देते हो चलो एक बार मान भी लू उसे अपना बेटा मानते हो आप लेकिन इसके लिए क्या बोलोगे आप
संध्या – बेटी नही तो क्या हुआ बेटी से काम भी नही है मेरे लिए समझ आ गई बात तुझे और दोबारा मुझे समझाना ना पड़े तो अच्छा होगा तेरे लिए (बोल के जाने लगी तभी रुक के पलट के रमन को बोली) मैने बात कर ली है डी आई जी से कल तक गांव में नया दरोगा आ जाएगा साथ ही मेरे केस की छान बीन भी शुरू कर देगा और तब तक के लिए तुम गांव से बाहर कही नही जाओगे समझे...
बोल के संध्या कमरे में चली गई पीछे रमन की बोलती बंद हो गई संध्या की बात से जबकि रसोई में खड़ी ललिता ये नजारा देख मुस्कुरा रही थी....
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जारी रहेगा![]()
Usne kya likh diya bhai??? Ye story to DEVIL MAXIMUM likh raha hai, and you are replying to other personVery nice great going. I must say that your writing skill can be much better than other writers if you will write only with your mind but I think some one influence you. You know why have written this thing because you are giving space to some charector which is not required much. It's my suggestion only that if you will focus on your actual charectors and write with your own mind your story will go on another level. Think about it Thanks
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 27
चांदनी और संध्या जैसे ही कामरान के घर के अन्दर आए अपने सामने कामरान की लाश को पंखे पे लटकते हुए पाया जिसे देख दोनो की आखें बड़ी हो गईं तभी एक छोटी बच्ची पे नजर गई दोनो की जो जमीन में बैठी पंखे पे लटक रहे कामरान को देख पापा पापा कर रही थी जिसे देख संध्या उसके पास तुरंत गई और बच्ची को अपनी गोद में उठा लिया इस पहले दोनो में कोई कुछ बोलता या करता के तभी बगल के कमरे से दो आदमी निकल के संध्या और चांदनी को धक्का देके तुरंत भागे घर के बाहर....
काफी जोर से धक्का देने की वजह से संध्या के साथ चांदनी अपना बैलेंस संभाल ना पाई दोनो गिर पड़े जमीन पर लेकिन किस्मत से दोनो में से किसी को कुछ नही हुआ तभी घर के बाहर से किसी की आवाज आई जिसे सुन चांदनी ने बाहर जाके देखा उसकी टीम के 3 लोगो ने उन दोनो लोगो को पकड़ के मार रहे थे जिसे देख चांदनी बोली...
चांदनी – (अपने साथियों को देख) तुम तीनो यहां पर कैसे
आरव – चीफ ने नजर बनाए रखने को कहा था ठकुराइन पर , हमने xx गांव की पुलिस को कॉल कर दिया है वो आती होगी
चांदनी – ठीक है इन्हे ले जाओ अच्छे से खातिर दारी करके जानकारी निकालो इनसे
आरव – ठीक है मैडम
बोल के आरव अपने दोनो साथी के साथ उन दोनो आदमी को लेके निकल गया उनके जाते ही चांदनी वापस घर में गई जहा संध्या बच्चे को गोद लिए हुई थी...
चांदनी – हमे चलना चाहिए यहां से xx गांव की पुलिस यहां आ रही है
संध्या – ठीक है चलो (बोल के बच्चे को साथ ले जाने लगी तभी)
चांदनी – ठकुराइन बच्चे को यही छोड़ना होगा बच्चे को नही ले जा सकते है
संध्या – लेकिन चांदनी बच्चे को यहां कैसे छोड़ सकते है वो भी अकेले यहां कोई और दिख भी नही रहा है
चांदनी – पर पुलिस को क्या कहेंगे हम आप जानते हो मैं अपनी जानकारी नहीं दे सकती
संध्या – मैं बात कर लूंगी तुम परेशान मत हो
संध्या की बात पर चांदनी ने अपना सर हा बोल के घर में इधर उधर देखने लगी तभी चांदनी को कुछ दिखा लाश (कामरान) की जेब में उसे धीरे से निकाल के पढ़ने लगी जिसमे एक पहेली लिखी थी..
#(अगर तुम इंसाफ हो तो सच सच बताना आखों पे पट्टी बांधने का क्या लोगे हर्जाना)#
चांदनी – (पहेली को पड़ के) क्या मतलब हुआ इसका
इससे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी पुलिस सायरन की आवाज आई कुछ सेकंड में पुलिस कामरान के घर में दाखिल हुई अपने सामने ठकुराइन को देख...
पुलिस – नमस्ते ठकुराइन आप यहां पर
संध्या – जी हम यहां अपने जरूरी काम से मिलने आए थे थानेदार से लेकिन यहां आते ही ये देखने को मिला
पुलिस – तो वो कॉल आपकी तरफ से आया था हमे
चांदनी –(बीच में) जी हा इंस्पेक्टर साहेब मैने किया था
इसके बाद पुलिस अपना काम करने लगी धीरे से कामरान की लाश को नीचे उतारा गया जिसे देख कामरान की बेटी संध्या की गोद में बैठे बैठे पापा पापा करने लगी उसकी आवाज सुन एक पल के लिए चांदनी और संध्या के आसू निकल आए...
घर की छान बीन करने से बेहोशी की हालत में मेड मिली जो बच्चे की देख भाल करती थी उसे होश में लाके जानकारी ली गई जिससे पता चला कामरान की बीवी साल भर पहले मर गई थी जिस वजह से कामरान के बच्चे की देख रेख मेड करती थी जानकारी मिलने के बाद संध्या बोली पुलिस से...
संध्या – (पुलिस से) आपको जो भी कागजी करवाही करनी हो करे आज से ये बच्ची की जिम्मेदारी मेरी है अब से ये हमारे साथ रहेगी
पुलिस – ठकुराइन हमे कोई दिक्कत नही है अगर कोई इसका रिश्तेदार आ गया तो...
संध्या – अगर ऐसा हुआ तो हम बात कर लगे उससे
इसके बाद पुलिस वहा से चली गई उनके जाते ही संध्या और चांदनी बच्चे को लेके निकल गई रास्ते में चांदनी बोली..
चांदनी – आप बच्चे को साथ क्यों ले आए अपने
संध्या – चांदनी एक बार अनजाने में मैने जो किया उसकी सजा मैं आज तक भुगत रही हू भले इसके पिता ने गलत किया हो लेकिन उसकी सजा इस मासूम बच्ची को क्यों मिले इसीलिए ले आई अपने साथ...
चांदनी –(मुस्कुरा के) आपने बिलकुल सही फैसला लिया ठकुराइन जी
संध्या – लेकिन एक बात समझ में नहीं आ रही है मुझे किसने मारा होगा कामरान को घर में मेड को बेहोश कर दिया
चांदनी – जिसने भी ये किया है वो कामरान को सिर्फ मारने आया था उसने बच्चे को कुछ नही किया बस मेड को बेहोश कर दिया और कामरान को मारने के बाद उसे पंखे में लटका दिया ताकि आत्महत्या लगे लेकिन किस्मत से हम थोड़ा जल्दी आ गए कातिल को सब कुछ सेट करने का मौका नहीं मिला
संध्या – हम कामरान से मिलने जा रहे है ये बात पुलिस स्टेशन में हवलदारों को पता थी
चांदनी – और रमन ठाकुर को
संध्या – (हैरान होके) कही रमन ने नही मार दिया कामरान को
चांदनी – कुछ कह नही सकती मै इस बारे में , अब तो रमन से बात करके है पता चलेगा
थोड़ी देर में हवेली में आ गए संध्या और चांदनी बच्चे के साथ जिसे देख मालती और ललिता बोली..
ललिता – अरे दीदी बच्चे को कहा से लाए आप
संध्या –(कामरान के घर जो हुआ उसे बता के) उससे मिलने गई थी तभी ये सब हुआ
ललिता – (चौक के) उसे कोई क्यों मरेगा दीदी
संध्या – पता नही ललिता मुझे भी समझ नही आई बात
मालती –(बच्चे को गोद में लेके) बहुत अच्छा किया आपने दीदी जो बच्चे को ले आए यहां पर...
बोल के बच्चे के साथ खेलने लगी मालती जिसे देख संध्या और ललिता बाकी की बात भूल कर मुस्कुरा उठे अपने कमरे में चले गए...
खेर ये तो इनके साथ हुआ आपने देखा अब जरा थोड़ा पीछे चलते है जब रमन हवेली से निकला था कामरान के घर उससे मिलने के लिए लेकिन रास्ते में रमन की मुलाकात हो गई अभय से क्योंकि अभय निकला था अपने दोस्तो से मिलने के लिए बाइक लेके उसी वक्त रमन तेजी से निकल रहा था अपनी कार से तभी रास्ते में रमन की कार अचानक से अभय की बाइक के सामने आ गई एक्सीडेंट होते बचा जिसके बाद..
रमन –(अपनी कार से निकलते ही) अंधा है क्या देख के नही चल सकता है
अभय –(गुस्से में) अंधा तो तू है जिसे सामने से आती हुई गाड़ी नही दिख रही थी
रमन –(गुस्से में) सुन बे लौंडे तेरी ये हरकतों से तू उस संध्या को बेवकूफ बना सकता है मुझे नहीं अच्छे से समझता हू तुम्हारे जैसे लोगो को चंद पैसे के लिए कैसे किसी के जज्बातों के साथ खेलते है
अभय –(हस्ते हुए) क्या कहा तूने जज्बातों के साथ मैं खेल रहा हू अगर ऐसा है तो तू क्या कर रहा है जिसे सब गांव वालो के सामने भाभी बोलता था आज उसी का नाम लेके बोल रहा है मुझे समझ में नहीं आई ये बात बेवकूफ कॉन है तू या वो ठकुराइन अगर मेरी पूछो तो तुम दोनो ही बेवकूफ हो अवल दर्जे के
रमन – (गुस्से में अभय का कॉलर पकड़ के) बहुत बोल लिया तूने लौंडे
इससे पहले की रमन आगे कुछ बोलता तभी अभय ने लगातार दो घुसे मारे नाक पर उसके बाद रमन का कॉलर पकड़ के बोला...
अभय – अपने ये ठाकुरों वाला रोब गांव के कमजोर और मजबूर लोगो को दिखा अगर दोबारा मेरे गिरेबान में हाथ डाला तेरा वो हाथ तोड़ के तेरे पिछवाड़े में घुसेड़ दुगा समझा , अब अपनी नाक को संभाल और जा डॉक्टर को दिखा दे कही तेरी नाक ना काट जाय...
बोल के अभय बाइक लेके चला गया पीछे रमन अपनी नाक पकड़े डॉक्टर के पास चला गया काफी देर अस्पताल में लगने की वजह से रमन जा नही पाया कामरान के घर और थक हार कर रमन हवेली वापसी निकल गया जहा संध्या और चांदनी पहले आ चुके थे रमन हवेली में आते ही...
ललिता – (अपने पति को नाक पर बैंडेज देख) ये क्या आपकी नाक पर पट्टी क्या हो गया
रमन – रास्ते में वो लौंडा मिला एक नंबर का बत्तमीज निकला कार चलाते वक्त अचानक से सामने आ गया जब बोला मैने तो हाथ उठा लिया मुझपर...
हाल में बैठे अमन , मालती , संध्या , चांदनी , निधि और शनाया बाते सुन रहे थे तभी अमन बोला...
अमन – (संध्या से) देखा आपने अब वो लौंडा इस हद तक बत्तमीजी पे उतर आया है बड़ो तक का लिहाज नही करता
संध्या – वैसे ही जैसे तुम कॉलेज में अपने टीचर्स का लिहाज नही करते...
संध्या की बात सुन अमन का मू बंद हो गया लेकिन रमन ने बोलना शुरू किया...
रमन – भाभी बात किसके बारे में हो रही है और आप किसको बोल रही हो
संध्या –(रमन की बात सुन के) रमन सामने वाले पर उंगली उठाने से पहले देख लेना चाहिए खुद के हाथ की तीन उंगली तुम्हारे तरफ इशारा कर रही है
रमन – (चौक के) क्या मतलब है आपका
संध्या – यही की पुलिस में एफ आई आर कभी हुई ही नहीं थी और ना ही उस लाश का पोस्ट मॉर्टम हुआ था किस बात की जल्दी थी तुम्हे जानना तक जरूरी नहीं समझा वो लाश किसकी है आखिर
रमन – (हड़बड़ा के) भाभी उस वक्त हालत ही ऐसे थे हवेली के हर कोई अभय के जाने के गम में था
संध्या – अच्छा इसीलिए तुमने मुनीम से कहल वाया पुलिस को की ठकुराइन एफ आई आर नही करना चाहती क्यों यही बात है ना
रमन – (घबरा के) भाभी ऐसी कोई बात नही है मैं तो...
संध्या –(बात काटते हुए) तो क्या बात है कही मुनीम को सपना तो नहीं आया जो चला गया पुलिस स्टेशन मना करने एफ आई आर के लिए बोलो यही बात है क्या
रमन –(जान छुड़ाने के चक्कर में) मैं कल ही पता करवाता हू भाभी
संध्या –कोई जरूरत नहीं है कुछ भी करने की अब जो करना होगा वो मैं खुद करूगी , भरोसे की कीमत मैं पहले चुका चुकी हू अब और नहीं (नौकर से) जल्दी से खाना लगाओ..
खाना खा के सब अपने कमरों में जाने लगे तभी संध्या ने चांदनी को इशारे से अपने कमरे में आने के लिए कहा...
चांदनी – (संध्या के कमरे में आके) आपने बुलाया
संध्या – चांदनी मुझे शालिनी जी से बात करनी है बात करा
चांदनी –(मुस्कुरा के अपनी मां शालिनी को कॉल करती है) हेलो मां कैसी हो आप
शालिनी – मैं अच्छी हू तू बता कैसी है
चांदनी – मैं भी अच्छी हू मां
ठकुराइन जी आपसे बात करना चाहती है
संध्या –(चांदनी से फोन लेते हुए) नमस्ते शालिनी जी
शालिनी – नमस्ते ठकुराइन जी कैसी है आप
संध्या – बस ठीक हू शालिनी जी बाकी आप जानती है
शालिनी – जी आप बिलकुल बेफिक्र रहिए ठकुराइन जी सब ठीक हो जाएगा जल्दी ही
संध्या –बस इसी उम्मीद में जी रही हू और प्लीज आप मुझे नाम से बुलाए
शालिनी – (मुस्कुरा के) एक शर्त पर आप भी मुझे नाम लेके बात करेगी तभी
संध्या – (मुस्कुरा के) जी ठीक है
शालिनी – अब बताए आप कुछ बात करना चाहती है
संध्या – मुझे आपकी मदद की जरूरत है (जो कुछ हुआ वो सब बता कर) मैं चाहती हू आप किसी को थाने का इंचार्ज बना के भेजे जो ईमानदार हो मुझे पता करवाना है दस साल पहले जो हुआ उसके बारे में
शालिनी – फिक्र मत करो संध्या एक दिन का वक्त दो मैं कुछ करती हू जल्द ही
संध्या – शुक्रिया शालिनी
शालिनी – इसमें शुक्रिया की जरूरत नहीं है संध्या अभय आपका बेटा है वैसे मेरा भी बेटा है वो उसके लिए ये कुछ भी नही है , खेर चांदनी से बात कराए मेरी
चांदनी –(संध्या से फोन लेके) हा मां
शालिनी – जे भी हुआ उससे क्या लगता है तुम्हे
चांदनी – पता नही मां लेकिन मुझे एक नोट मिला है लाश की जेब से उसमे पहेली लिखी है
#(अगर तुम इंसाफ हो तो सच सच बताना आखों पे पट्टी बांधने का क्या लोगे हर्जाना)#
शालिनी – कामरान को मार कर ये पहेली छोड़ गया कोई
चांदनी – दो लोग मिले है भाग रहे थे उन्हें पकड़ लिया गया है मेरे लोग पूछ ताछ कर रहे है पता चलते ही बताऊगी आपको
शालिनी – ठीक है ख्याल रखना और नजर बनाए रखना खास कर अभय पर वो अकेला जरूर है हॉस्टल में और आजाद भी
चांदनी – बस इस बात की फिक्र है मां
शालिनी – फिक्र मत कर अगर ऐसी कोई भी बात होगी वो तुझे जरूर बताएगा
चांदनी – हा मां अच्छा बाद में बात करती हू
बोल के कॉल कट कर दिया तब संध्या बोली...
संध्या – क्या बात है चांदनी तुम कुछ परेशान सी लग रही हो
चांदनी – जी ठकुराइन कामरान की बॉडी से मुझे ये नोट मिला है पहेली लिखी है इसमें समझ में नहीं आ रहा है क्या मतलब है इसका और कातिल ने उसे मार कर ये पहेली क्यों छोड़ दी
संध्या – कही कातिल पहेली के जरिए कुछ कहना तो नही चाहता
चांदनी – (पहेली पड़ के) कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या मतलब हो सकता है इस पहेली का
संध्या – (चांदनी की बात सुन के) रात काफी हो रही है तुम आराम करो चांदनी कल कॉलेज भी जाना है इस बारे में बाद में सोचना
हा बोल के चांदनी चली गई कमरे में सोने जबकि अपने अभय बाबू शाम को घूमने निकले थे लेकिन रमन से मुलाकात के बाद वापस हॉस्टल में लौट आए जहा सायरा ने उन्हें खाना दिया और आज की हुई घटना बताई जिसके बाद अभय सो गया अगले दिन सुबह सायरा के जागने से उठा और निकल गया मॉर्निंग वॉक पर कुछ ही देर में तयार होके कॉलेज में आ गए सभी...
अभय की नई बाइक देख के तीनों दोस्त ने घेर लिया अभय को...
राज – (बाइक देख के) क्या बात है लौंडे नई बाइक कब ली बे
अभय – कल मिली है भाई दीदी ने दी है
राज – ओह हो तेरे ब्रदर की होने वाली दुल्हन ने वाह मानना पड़ेगा मेरी दुल्हन की चॉइस को
अभय – (चौक के) अबे अभी तक तेरे सिर से भूत नही उतरा क्या
राजू – (अभय से) अभय शराबी कभी शराब पीना छोड़ता है क्या
राज – (शायरी) क्या चाहूँ रब से उसे पाने के बाद , किसका करूँ इंतज़ार उसके आने के बाद, क्यों मोहब्बत में जान लुटा देते हैं लोग,मैंने भी यह जाना इश्क़ करने के बाद
लल्ला –(राज की शायरी सुन के) देख ले अभी तक नशा बरकरार है इनका
अभय – यार इसके चक्कर में कही क्लास के भी ना रहे हम लोग
तभी पीछे से पायल ने आके बोला...
पायल – कभी खुद ने ऐसा कुछ किया नही जब दोस्त को प्यार हुआ तो पीछा छुड़ाने में लगे हो तुम तीनों
अभय – अरे मैने एसा कब कहा यार मैं तो बस...
पायल –(बीच में टोकते हुए) कहोगे भी कैसे कुछ होगा तब कहोगे ना
अभय – पायल बात को समझ वो टीचर है और ये स्टूडेंट मेल होना नामुमकिन है यार
पायल – अच्छा किसने कहा नामुमकिन है एसा वो टीचर है तो क्या वो लड़की नही है दिल नही है उनका क्या प्यार नही हो सकता है उनको और क्या पता राज पसंद आ गया हो उनको
अभय –(पायल की बात सुन मन में – अब कैसे बताऊं तुझे वो मेरी बहन है , अच्छा होगा पतली गली पकड़ के निकल ले अभय) ठीक है करे अपने प्यार का इजहार उनसे
पायल – करेगा जरूर करेगा सबके सामने करेगा क्यों राज
तभी राज ने देखा कॉलेज गेट से चांदनी आ रही थी धीरे धीरे चलते चलते राज के बगल से गुजर ने लगी तभी राज बोला...
राज – (चांदनी को अपने बगल से जाता देख)
मुसाफिर इश्क़ का हूं मैं
मेरी मंज़िल मुहब्बत है,
तेरे दिल में ठहर जाऊं
अगर तेरी इजाज़त है।
शायरी सुन चांदनी ने जैसे पलट के देखा राज अकेला खड़ा था चेहरे पर मुस्कान लिए..
चांदनी – तुम पढ़ने आते हो कॉलेज में या शायरी करने
राज – आप जो बना दे मैं हस्ते हस्ते बन जाने को तयार हू
चांदनी –(चौक के) क्या
राज – आपको देख के दिल झूमने लगता है मेरा साथ ही दिल गाने लगता है
चांदनी – (हस्ते हुए) अपने सीर से प्यार का भूत उतार दो अच्छा रहेगा तुम्हारे लिए
राज –(मुस्कुरा के)
प्यार जो हकीकत में प्यार होता है,
जिन्दगी में सिर्फ एक बार होता है,
निगाहों के मिलते मिलते दिल मिल जाये,
ऐसा इतेफाक सिर्फ एक बार होता है।।
शायरी सुन के चांदनी हल्का मुस्कुरा के चली गाई कॉलेज में उसके जाते ही राज ने पलट के देखा खुद को वो अकेला खड़ा पाया बाकी सब गायब थे राज ने चारो तरफ देखा एक कोने में अभय , राजू , लल्ला , पायल , और नीलम छुप के देख रहे थे राज को...
राज –(सभी को देख के) अबे तुम सब वहा क्या कर रहे हो बे
पायल – तेरी जरा तारीफ क्या कर दी तू सच में शुरू हो गया देख तो लेता कॉलेज है तेरे चक्कर में हम नप जाते अभी
राज – अच्छा थोड़ी देर पहले तू ही बोल रही थी खुले आम सबके सामने इजहार करूंगा प्यार का उसका क्या
पायल – इसका मतलब ये थोड़ी ना की हम साथ हो तेरे उस वक्त (नीलम से) चल क्लास में चलते है वर्ना इसके चक्कर में हमे कॉलेज से निकल ना दिया जाय...
जब ये सब बाते हो रही थी तब राजू , अभय और लल्ला अपने मू पे हाथ रख के हंसे जा रहे थे पायल के जाते ही तीनों जोर से हसने लगे...
राजू – इसे बोलते है दोस्ती का इम्तेहानसमझे जब कॉलेज में टीचर से मार खाने की बात हो अच्छे से अच्छे दोस्त भी किनारे हो जाते है भाई
लल्ला –(हस्ते हुए) और तूने तो टीचर से प्यार कर लिया
अभय – देख मेरे भाई हर मामले में हम तेरे साथ रहेंगे लेकिन इस मामले में तू अकेला पाएगा खुद को हम दूर दूर तक नजर नहीं आएंगे तुझे इसमें
राज – (राजू और लल्ला को देख के) यार गद्दार , (अभय को देख के) साले शर्म नही आती तुझे अपने जीजा पे हस्ते हुए साले , बोला था ना आदत डाल ले
बोल के निकल गया राज पीछे से राजू और लल्ला हस रहे थे अभय और राज पे...
अभय – (हस्ते हुए) देखो तो जरा कैसे बच्चे की तरह मू फुल्लाए जा रहा है
राजू और लल्ला –(अभय से) भाई ये जीजा वाली तरकी हो गईं तेरी कमाल है भाईचलो चलते है क्लास में
इसी तरह हसी मजाक में कॉलेज का दिन काट गया छुट्टी होते ही सब वापस जाने लगे घर तभी चांदनी ने अभय को रोका हुआ था इशारा कर के सबके जाते ही आखरी में अभय अपनी बाइक से निकला तभी पीछे से चांदनी आके बैठ गई अभय के साथ...
अभय – (दीदी से) हा दीदी कहा ले चलूं आपको
चांदनी – हवेली छोड़ दे मुझे
अभय –(हवेली का नाम सुनते ही) हवेली में
चांदनी –(मुस्कुरा के) तेरे से बात करनी है मुझे हवेली चल रास्ते में बात करते हुए चलते है मुझे छोड़ के वापस आ जाना ठीक है...
दीदी की बात सुन अभय ने बाइक शुरू की निकल गए हवेली की तरफ रास्ते में चांदनी बोली...
चांदनी – तो तू खंडर में गया था मुझे बताए बगैर
अभय –(बाइक में ब्रेक लगा के) आपको कैसे पता दीदी
चांदनी –पहले बाइक चला तू सब बताती हू तुझे
बाइक शुरू करके चलाने लगा अभय तब चांदनी बोली..
चांदनी – तो अब बता खंडर क्यों गया था तू
फिर अभय ने अपने बचपन की बात बताई जब घर से भगा था रास्ते में क्या हुआ था जिसे सुन चांदनी बोली...
चांदनी – तो जब तू खंडर में गया वहा पर क्या देखा तूने
अभय –(खंडर में जो हुआ सब बता साथ ही हॉस्टल में वापस आने के बाद वीडियो में देखा वो बताए) इसीलिए मैंने हाल फिलहाल खंडर में दोबारा जाने का फैसला बदल लिया है
चांदनी – (अभय की सारी बात सुन के) तुझे पक्का यकीन है खंडर के अन्दर बिल्कुल हवेली जैसा सब बना हुआ है
अभय – हा दीदी मेरा आधा बचपन बीता है उस हवेली में कैसे भूल सकता हू मै उसे
चांदनी – और कुछ नजर आया तुझे खंडर में कुछ अजीब सा लगा हो ऐसा कुछ
अभय – दीदी वो भूत के सामने आने से पहले किसी के बात करने की आवाज सुनी थी लेकिन सही से कुछ समझ नही आया मुझे क्या बात कर रहे थे लेकिन दीदी आपको कैसे पता मैं वहा गया था
चांदनी –जैसे भी पता चला हो ये भी पता चला तू अकेला नही था तेरा साथ राज भी था वहा पर
अभय – मतलब आपको सब पता है पहले से
चांदनी –देख अभय तू इन सब बातो को मजाक में मत ले समझा तुझे पता भी है उस खंडर में मेरे चीफ के 4 बेस्ट ऑफिसर गए थे जिनका आज तक पता भी नही चला है वो जिंदा भी है या मर गए है और तू उस जग चला गया वो भी रात के अंधेरे में
अभय – दीदी आपकी कसम मुझे नही पता था इस बारे में बचपन में जो देखा था उस बारे में पता करने गया था मैं बस
चांदनी – चल ठीक है देख अभय जो भी करना हो कर लेकिन एक बात सोच लेना तेरी बहुत चिंता रहती है मां और मुझे एक तो तू अकेला रहता है हॉस्टल में इसीलिए
अभय – दीदी फिकर मत करो आप मैं ठीक हू संभल के रहता हू और रही खंडर की बात अभी के लिए मैं उस तरफ देख भी नही रहा जाना दूर की बात है
चांदनी – और ये कब तक के लिए है
अभय –(मुस्कुरा के) जब तक मुझे तस्सली ना हो जाय वहा जो कोई भी है उसे हमारे आने और जाने का पता ना चला हो तब तक
चांदनी – (मुस्कुरा के) मुझे लगा ही था
अभय – जाने दीजिए कल शाम को क्या हुआ था दीदी मैने सुना कामरान को किसी ने मार दिया
चांदनी – हा उसे मार कर किसी ने उसकी जेब में एक पहेली छोड़ दी थी
अभय – पहेली कॉन सी पहेली है दीदी बताओ
चांदनी – #(अगर तुम इंसाफ हो तो सच सच बताना आखों पे पट्टी बांधने का क्या लोगे हर्जाना)#
जाने क्या बताना चाहता है कातिल इस पहेली के जरिए
अभय – रिश्वत
चांदनी – क्या
अभय – अरे दीदी आपकी पहेली का जवाब है ये (रिश्वत)
चांदनी – तुझे कैसे पता
अभय –(मुस्कुरा के) दीदी आप अभी तक नही समझी बात को क्यों की आप पुलिस में हो ना इसीलिए तो , देखो दीदी आज के युग में कोई पुलिस के पचड़े में पड़ना नही चाहता है इसलिए जान छुड़ाने के लिए रिश्वत देते है लोग अब समझे आप आखों में पट्टी बांधने का हर्जाना का मतलब....
पहेली का जवाब सुन चांदनी चुप हो गईं सोचने लगी कुछ तभी अभय ने बाइक रोक बोला...
अभय –(कंधा हिलाते हुए) क्या हुआ दीदी किस सोच में डूब गए आप
चांदनी –(अभय द्वारा कंधा हिलाने से होश में आते हुए) कुछ नही सोच रही थी की...
अभय – (बीच में बात काटते हुए) दीदी इतना भी मत सोचो जो हुआ उसे बदल तो नही सकते हम वैसे भी कामरान कॉन सा दूध का धुला था आखिर था तो रिश्वत खोर ही ना
चांदनी – उसकी एक छोटी से बेटी के इलावा कोई नही था उसका दुनिया में
अभय – बहुत बुरा हुआ खुद तो चला गया अब उसकी बेटी का क्या होगा दीदी
चांदनी –(हल्का हस के) ठकुराइन उसे ले आई अपने साथ हवेली में कल ही
अभय – (हस के) जो औरत अपने बेटे तक को संभाल ना पाई वो दूसरों के बच्चो को संभालेगी आपको लगता है एसा दीदी
चांदनी –जरूरी नहीं जो दिखता हो वही सच हो सच्चाई उसके उल्टी भी होती है कभी कभी
अभय – मुझे क्या वो जाने उसके काम जाने वैसे हवेली आ गई
चांदनी – तेरी बातो में मैने ध्यान ही नही दिया चल तू भी जाके आराम कर और ध्यान रखना मेरी बात का...
बोल के चांदनी हवेली के मेन गेट से होते हुए अन्दर चली गई जबकि अभय हवेली के मेन गेट के बाहर खड़ा सिर्फ हवेली को देखता रहा जैसे कुछ याद कर रहा हो जिस वजह से आंख में हल्का आसू आ गए जिसे साफ कर अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ जबकि हवेली में चांदनी के आते ही...
रमन –(चांदनी से) काफी लेट हो गए आने में आप किसके साथ आए आप कॉन था वो
चांदनी – कॉलेज का स्टूडेंट था मैने उससे कहा था छोड़ दे मुझे हवेली तक
रमन – अरे आप मुझे बता देते मैं भेज देता कार अपनी लेने के लिए आपको
चांदनी – शुक्रिया ठाकुर साहब कभी जरूरत पड़ी तो जरूर बताऊगी आपको...
बोल के चांदनी चली गई अपने कमरे की तरफ पीछे रमन जाति हुई चांदनी को देखता रहा और तभी रमन को किसी ने आवाज दी जिसे सके रमन बोला..
संध्या – रमन
रमन –अरे भाभी बताए क्या बात है
संध्या – (घूर के देखते हुए) अच्छा होगा तेरे लिए अपने काम से मतलब रख तू दोबारा चांदनी की तरफ अपनी गंदी नजर डाली तो समझ लेना और ये बात मैं दोबारा नही बोलूगी
रमन – भाभी ये कॉलेज की टीचर है ना की आपकी कोई रिश्तेदार जिसके वजह से आप मुझे सुना रही हो बाते
संध्या – मतलब तुझे समझ नही आई बात मेरी
रमन – देखो भाभी अब बहुत हो गया कभी उस लौंडे ले लिए आप मुझे सुनाते हो बाते तो कभी अमन को तना देते हो चलो एक बार मान भी लू उसे अपना बेटा मानते हो आप लेकिन इसके लिए क्या बोलोगे आप
संध्या – बेटी नही तो क्या हुआ बेटी से काम भी नही है मेरे लिए समझ आ गई बात तुझे और दोबारा मुझे समझाना ना पड़े तो अच्छा होगा तेरे लिए (बोल के जाने लगी तभी रुक के पलट के रमन को बोली) मैने बात कर ली है डी आई जी से कल तक गांव में नया दरोगा आ जाएगा साथ ही मेरे केस की छान बीन भी शुरू कर देगा और तब तक के लिए तुम गांव से बाहर कही नही जाओगे समझे...
बोल के संध्या कमरे में चली गई पीछे रमन की बोलती बंद हो गई संध्या की बात से जबकि रसोई में खड़ी ललिता ये नजारा देख मुस्कुरा रही थी....
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जारी रहेगा![]()
Sahi pakde ho bhaiVery nice great going. I must say that your writing skill can be much better than other writers if you will write only with your mind but I think some one influence you. You know why have written this thing because you are giving space to some charector which is not required much. It's my suggestion only that if you will focus on your actual charectors and write with your own mind your story will go on another level. Think about it Thanks
our me ispe 100% sure huSahi pakde ho bhai
But mujhe lagta he ki ye dusra hi story likh raha he our wahi iska writer he
Because ek kahawat he na
ki chai se jyada ketli garam
Sorry bro I have replied to devil maximum but I don't know how it's happen. Sorry againUsne kya likh diya bhai??? Ye story to DEVIL MAXIMUM likh raha hai, and you are replying to other person![]()