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Sandar or sexy update hai bhaiUPDATE 31
कॉलेज के बाद जब पायल और अभय आपस में बात करते हुए जा रहे थे तब अमन अपने दोस्तो के साथ उनके पीछे चल रहा था तब अमन और उसके दोस्तो ने पायल और अभय की कल शाम मिलने वाली बात को सुन लिया जिसे सुन अमन एक कुटिल मुस्कान के साथ निकल गया इधर हवेली में कल के कार्य क्रम की तयारी के लिए संध्या , मालती और ललिता हाल में बैठ के बात कर रहे थे....
संध्या – कल की तयारी कैसे करनी है समझ गए ना तुम दोनो रात में छोटी सी पार्टी भी होगी हवेली में....
ललिता – दीदी मेहमानों को बता दिया क्या आपने पार्टी का....
संध्या – नही ललिता मेहमानो या किसी को नहीं बताया है बस घर के लोग होंगे केवल और कोई नही....
मालती – तो दीदी कल रात में खाने में क्या बनाना होगा....
संध्या – कल रात का खाना मैं खुद बनाऊगी....
ललिता – दीदी इतने नौकर है ना आप जो बोलो वो बना देगे...
संध्या – नही ललिता मैं बनाओगी खाना रात का कल वो आएगा हवेली में...
मालती –(संध्या की बात सुन) कॉन आएगा दीदी...
ललिता –(कुछ सोच के बोली) अभय....
संध्या –(अभय का नाम सुन बोली) हा कल आएगा वो हवेली में , देखो उसके सामने कोई भी ऐसी वैसी बात मत बोलना तुम दोनो मुश्किल से आने को राजी हुआ है वो.....
ललिता – क्या सच में वो हवेली में रहने के लिए तयार हो गया...
संध्या – रहने का पता नही ललिता बस पार्टी में आएगा ये पता है काश वो रहने के लिए भी तयार हो जाय.....
ललिता – बुरा न मानना दीदी लेकिन उसे कैसे मनाया आपने पार्टी में आने के लिए...
तभी रमन हवेली के अन्दर आते हुए बात सुन ली...
रमन –(तीनों को बात सुन) भाभी ने कल पूरे गांव को दावत पर बुलाया है इसीलिए वो मान गया यहां आने को सब गांव वालो के साथ.....
मालती – दीदी रात के खाने की बात कर रही है दिन की नही...
रमन – (चौक के) क्या उस लौंडे को रात के खाने पर यहां (गुस्से में) अब वो लौंडा हमारे साथ बैठेगा भी खाने पर , भाभी अब ये कुछ ज्यादा ही हो रहा है आपका बाहर तक ठीक था अब आप उस लौंडे को घर के अन्दर बुला रही हो कल को खुद यहां रहने को आ जाएगा और फिर जायदाद में भी हक मांगने लगेगा तब क्या करोगी आप...
संध्या – (हस्ते हुए) उसे अगर इन सब का मोह होता तो कब का आ चुका होता हवेली के अन्दर इतनी गर्मी में एक पंखे के नीचे नही सो रहा होता वो अकेला हॉस्टल में जैसा भी है वो लेकिन आज अपने आप में पूरा सक्षम है परवाह नही है उसे एशो आराम की आज भी वो आजाद पंछी की तरह है जहा चाहे वहा बसेरा करने का हुनर है उसमे आज उसे सिर्फ एक काम के लिए गांव के लोग मानते है एक दिन पूरा गांव भी मानेगा उसे दादा ठाकुर और मनन ठाकुर की तरह देखना....
संध्या की इस बात से जहा रमन गुस्से से देख रहा था वही ललिता और मालती के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी जिस पर किसी का ध्यान नही गया तब रमन बोला...
रमन – उससे पहले उसे ये साबित करना होगा वो ही अभय है भाभी....
संध्या – (हस्ते हुए) वो ऐसा कभी नहीं करेगा रमन अपने आप को कभी साबित नही करेगा बिल्कुल अपने पिता की तरह है सिर्फ कर्म करने में विश्वास रखता है वो उसे गाने का शौक नही है सबसे , तूने क्या कहा (यहां बैठ के खाने के लिए) ,एक दिन वो यहां बैठेगा भी खाना भी खाएगा और रहेगा भी देखना तू (मालती और ललिता से) तयारी में कोई दिक्कत हो बता देना मुझे (रमन को देख) और मेरी बात का ध्यान रखना उसके सामने कोई नाटक नही होना चाहिए यहां पर कल...
बोल के संध्या सीडियो से अपने कमरे में चली गई जबकि पीछे खड़ा रमन गुस्से में आग बबूला हो गया और निकल गया हवेली बाहर किसी के घर की तरफ लेकिन हवेली में ललिता अपने काम में लग गई और मालती बच्ची को गोद में लेके काम के साथ खेल रही थी जिसे देख ललिता बोली...
ललिता – अरे मालती ये क्या कर रही है तू बच्चे को गोद में लेके काम कर रही है तू जाके बच्चे को संभाल यहां का काम हो जाएगा....
मालती – माफ करना दीदी आदत हो गई है मेरी ध्यान नही दिया....
ललिता –(मुस्कुरा के मालती के सिर हाथ फेर के) कोई बात नही समझ सकती हू लेकिन तू भी समझ ललिता इस वक्त तुझे ज्यादा बच्चे को जरूरत है एक मां की इसलिए बोल रही हू तू बच्चे को संभाल काम की चिंता छोड़....
मालती – दीदी आपको क्या लगता है अभय कल आएगा...
ललिता – (अभय के बारे में बात सुन काम करना रोक के) सच बोलूं ललिता जब से उस रात को वो मिला उसकी बाते सुन के मन बेचैन सा हो गया है तब से , जब भी हवेली में उसकी बात होती है उसे देखने और मिलने की इच्छा होने लगती है लेकिन फिर एक डर सा लगने लगता है कैसे उसका सामना कर पाऊंगी अगर उसने दीदी की तरह टोक दिया मुझे तो क्या जवाब दुगी उसे ललिता मैं भी चाहती हू वो हवेली वापस आ जाए हमेशा के लिए भले कोई माने या न माने लेकिन दीदी की तरह मेरा भी दिल कहता है वो हमारा अभय है....
मालती – हा दीदी वो हमारा अभय ही है मैं मिली थी उससे दो दिन पहले जिस तरह से उसने बात कर के मू फेरा तभी समझ गई थी मैं ये हमारा अभय है....
ललिता –(मुस्कुरा के) अच्छा है वैसे भी बचपन से दीदी के इलावा वो तेरे साथ ज्यादा रहा है तेरे से मू चुराएगा ही कही तू पहचान ना ले उसे...
मालती – लेकिन दीदी अगर वो अभय है आखिर वो क्यों नही हवेली में वापस आ रहा है क्यों वो हॉस्टल में रह रहा है...
ललिता – जाने वो क्या बात है जिसके चलते हवेली में नही आ रहा है...
ये दोनो आपस में बाते कर रहे थे लेकिन हवेली के बाहर रमन निकल के सीधे चला गया भूत पूर्व सरपंच (शंकर) के घर....
शंकर – (घर में रमन को देख) आईये ठाकुर साहब...
उर्मिला –(ठाकुर सुन के कमरे से निकल देखा सामने रमन ठाकुर खड़ा था) बैठिए ठाकुर साहेब क्या लाऊ चाय ठंडा....
रमन – कुछ नही चाहिए (शंकर से) अकेले में बात करनी है तेरे से चल जरा बाहर....
बोल के रमन के साथ शंकर बाहर निकल के खेत की तरफ टहलने लगे....
रमन –(गुस्से में) शंकर लगता है वक्त आगया है कुछ ऐसा करने का जिससे ये बाजी हमारे हाथ में वापस आ जाए....
शंकर –(रमन की बात सुन) क्या करना चाहते हो आप ठाकुर साहब....
रमन – उस शहरी लौंडे को रास्ते से हटाने का वक्त आ चुका है शंकर उसकी वजह से वो औरत बहुत ज्यादा उड़ने लगी है ऐसा चलता रहा तो वो उस लौंडे को हवेली का मालिक बना देगी लेकिन मैं और वक्त बर्बाद नही करना चाहता हू फालतू की बात करके उस औरत से जो प्यार से ना मिले उसे जबरन हासिल करना ही बेहतर होगा....
शंकर – क्या करे फिर आप जैसा कैसे उसे रास्ते से हटाना है ठाकुर साहब....
रमन – वो रोज सुबह टहलने जाता है ना अच्छा मौका रहेगा ये उसी वक्त उसका काम तमाम करवा दो....
शंकर –(हस के) इसके लिए हमे कुछ नही करना पड़ेगा ठाकुर साहब बीच–(समुंदर किनारा) पर अपने भी लोग रहते है समुंदर से दो नंबर का माल लाने के लिए उन्ही से कह के करवा देता हू उस लौंडे की लाश तक नही मिलेगी किसी को और समुंदर की मछली भी दुवाय देगी आपको ताजा मास जो देने वाले हो आप मछलियों को...
रमन –(अपने मोबाइल में अभय की फोटो दिखाते हुए) ये रही फोटो उस लौंडे की अपने लोगो को बोल दे काम कर दे इसका तगड़ा इनाम मिलेगा सभी को....
बोल के दोनो लोग हसने लगे इस तरफ अभय हॉस्टल में बेड में लेता आराम कर रहा था तभी सायरा आ गई....
सायरा – कैसा रहा आज कॉलेज में....
अभय – अच्छा था तुम सुनाओ कुछ....
सायरा – क्या सुनाओ तुम कुछ सुनते ही कहा हो....
अभय – (हस्ते हुए) तेरी सुनने लगा तो मेरी रानी का क्या होगा....
सायरा – (मू बनाते हुए) तेरी रानी का क्या होना है वो तो तेरी ही रहेगी इतने सालो से तेरे लिए संभाले बैठी है खुद को...
अभय – अच्छा और अपने बारे में बता तेरे इंतजार में कोई नही बैठा है क्या....
सायरा – अभी तक कोई मिला नही मुझे ऐसा जो संभाले इस जवानी को....
अभय – ओह तभी मुझपे दाव लगा रही हो....
सायरा – नारे तेरी बात अलग है तू तो दोस्त है मेरा तेरे साथ की बात ही अलग है....
अभय – दोस्तो में होता है क्या ऐसा....
अभय की बात सुन सायरा बेड में बैठ अभय को जबरन किस करने लगी
कुछ पल विरोध किया अभय ने फिर साथ देने लगा किस में सायरा का....2 से 3 मिनट बाद दोनो अलग हुए सास लेने लगे एक दूसरे को देखते हुए फिर अचानक से दोनो ही किस करने लगे
एक दूसरे को कुछ देर बाद अलग होके सायरा बोली...
सायरा – दोस्ती में लोग कुछ भी कर जाते है दोस्त के लिए....
अभय – hmm तू सच में कमाल का किस करती है लेकिन मैं धोखा नही दे सकता पायल को....
सायरा –(बीच में बात काटते हुए) धोखा तो तब देगा ना जब पता चलेगा किसी को हमारे बारे में....
अभय – पहले से सारी तयारी कर के आई हो तुम....
सायरा –दिन भर जो चाहे करले बस अपनी कुछ राते मेरे नाम कर दे...
बोल के दोनो मुस्कुराने लगे सायरा ने खाना लगाया दोनो ने साथ में खाया आराम करने लगे दूसरी तरफ कॉलेज छुटने के बाद हमारे राज बाबू चले गए सीधे चांदनी के पास....
राज – (चांदनी से) हेलो मैडम कैसे हो आप जनता हो अच्छे ही होगे तो चले खेतो में...
चांदनी –(राज की बात सुन) क्या....
राज – मेरा मतलब खेतो का हिसाब किताब कैसे होता है सीखना है आपको मुझे कितना अच्छा है ना कॉलेज में आप टीचर मैं स्टूडेंट और कॉलेज के बाद आप स्टूडेंट और मैं आपका टीचर मजेदार बात है वैसे ये तो....
चांदनी – (मुस्कुरा के) ठीक है वैसे कुछ दिन को बात है ये तो....
राज – (मुस्कुरा के) पल भर में दुनिया उलट जाति है कुछ दिन में बहुत कुछ हो जाता है वैसे मैं ही बोलता रहता हू हर वक्त आप भी कुछ बोलिए ना....
चांदनी –बोलने का मौका दो तभी कुछ बोलूं मैं....
राज – ओह माफ करिएगा मेरी तो आदत है बक बक करने की आप बताए कुछ अपने बारे में....
चांदनी – (धीरे से) बोल तो ऐसे जैसे रिश्ता जोड़ने वाला हो....
राज – (बात सुन अंजान बन के) क्या कहा आपने....
चांदनी – (चौक के) नही कुछ नही चलो चले....
राज – वैसे कुछ तो बोला है आपेन खेर कोई बात नही चलाए आपको एक मस्त जगह ले चलता हो अच्छा लगेगा आपको....
चलते चलते राज ले जाता है चांदनी को अपने घर पर दरवाजा खत खटाते है....
गीता देवी –(अन्दर से आवाज लगाते हुए गेट खोलती है) कॉन है आ रही हू रुको (सामने राज और चांदनी को देख राज से बोली) आ गया तू और इनको साथ में....
राज –मां ये चांदनी जी है कल ठकुराइन ने बोला था ना चांदनी जी को खेती का हिसाब किताब सीखने को इसीलिए लेके आया सोचा घर ले आऊ आपसे मिलवाने....
गीता देवी –(चांदनी को देख) आओ अंदर आओ बैठो बेटा कैसे हो तुम....
चांदनी – जी अच्छी हू और आप....
गीता देवी – मैं भी अच्छी हू बड़ी जिम्मेदारी दी है संध्या ने तुझे संभाल लेगी ना....
राज –(बीच में) अरे मां ये हिसाब किताब कुछ नही है ये तो अच्छे अच्छे को सबल लेटी है जिसके बाद सामने वाला सीधा हो जाता है...
गीता देवी –तू चुप कर बोल तो ऐसे रहा है जैसे मुझे कुछ पता ना हो , अच्छे से जानती हू अभय की बहन है ये C B I ऑफिसर चांदनी सिन्हा , D I G शालिनी सिन्हा की बेटी अब तू यह खड़ा खड़ा क्या कर रहा है जाके कुछ मीठा लेके आ हलवाई के यहां से....
राज –(मुस्कुरा के) अभी जाता हू....
बोल के राज चला गया....
गीता देवी –संध्या ने मुझे बताया था सब शालिनी जी कैसे है....
चांदनी – अच्छी है....
गीता देवी – बहुत बड़ा उपकार किया है शालिनी जी ने हम पे अभय को सहारा दे के ना जाने क्या होता उसका....
चांदनी – ऐसी बात नही है भाई है वो मेरा आंटी...
गीता देवी –(मुस्कुरा के) जानती हू शालिनी जी इलावा बस तेरी ही सुनता है वो और अभय की बड़ी मां हू मै तू...
चांदनी – (बीच में) तो मैं भी आपको बड़ी मां बोला करूगी...
गीता देवी – तू मां बोला या बड़ी मां मैने तो तुझे अपना मान लिया था कल जब तुझे देखा था संध्या के साथ , जब से राज मिला है तेरे से बावला हो गया है रात भर अकेला सोता कम बस प्यार भरी शायरी गाता रहता है पूरी रात , तुझे कल देख लिया तो समझ आ गया क्यों करता है राज ऐसा...
चांदनी – (शर्मा के) जी बड़ी मां वो में....
गीता देवी – ये वो मैं क्या बोल रही है इतनी बड़ी ऑफिसर होके अटक अटक के बोल रही हो , क्या पहली बार किसी में तारीफ करी है तेरी....
चांदनी बात सुन के सिर नीचे कर शर्मा रही थी जिसे देख...
गीता देवी – (अपने गले से सोने को चैन निकाल के चांदनी को पहना के) इसे पहने रहना खाली गला अच्छा नहीं लगता है बेटी....
इस बात पे चांदनी एक दम से गले लग गई गीता देवी के....
गीता देवी – (सिर पे हाथ फेर के) बहुत प्यार करता है तुझ से राज जब से अभय चला गया था तब से देखा है मैने उसे ज्यादा किसी से बात नही करता था बस स्कूल से घर या अपने बाबा के साथ खेती देखता लेकिन जब से अभय से मिला है पहले जैसा बन गया है नटखट वाला राज तरस गई थी उसकी ये हंसी देखने को कभी कभी डर लगता था कैसे....
चांदनी –(बीच में) अब डरने को कोई बात नही है मां सब कुछ अच्छा होगा...
गीता देवी –(मुस्कुरा के) हा सही कहा अच्छा होगा सब...
तभी राज वापस आ गया सबने साथ मिल के खाना खाया फिर...
गीता देवी –(राज से) चल चांदनी को हवेली छोड़ के आजा जल्दी से...
राज –लेकिन मां वो काम...
गीता देवी –(बीच में) कोई काम नही अभी ये सब बाद में थकी हुई है चांदनी कॉलेज से सीधा लेके निकल आया काम सिखाने बड़ा आया काम काज वाला जा चांदनी को आराम करने दे काम वाम बाद में सीखना...
फिर राज और चांदनी निकल गए हवेली की तरफ रास्ते में....
चांदनी – तुम अभय के बचपन से दोस्त हो...
राज – हा क्यों पूछा आपने...
चांदनी – फिर तो तुम्हारे साथ ही बात शेयर करता होगा...
राज – कोई शक है क्या...
चांदनी – तो उस रात खंडर में तुंभी थे राज के साथ सही कहा ना...
राज –(चौक के) आपको कैसे पता...
चांदनी – मेरी बात ध्यान से सुनो राज खंडर में क्या है पता नही लेकिन जो भी है वो जगह खतरे से खाली नही है हमारे 4 ऑफिसर गए थे 2 साल पहले पता करने खंडर के बारे में लेकिन कोई लौटा नही आज तक उन चारों में से...
राज –(हैरानी से बात सुन के) आप सच बोल रही हो या डरा रही जो मुझे...
चांदनी – ये सच है राज प्लीज कुछ भी हो जाय उसके आस पास भी मत भटकना मैने अभय को भी माना किया है लेकिन मुझे नहीं लगता वो चुप बैठे हा उसकी बात सुन के अंदाजा लगा है मुझे टीम दोस्त हो इसीलिए तुम्हे बता रही हू प्लीज अभय को जाने मत देना जब तक पता ना चल जाय खंडर का सच....
राज –मैं वादा करता हू अभय को मैं जाने नही दुगा खंडर में कभी भी लेकिन उसके बदले क्या मुझे नंबर मिलेगा आपका वादा करता हू तंग नही करूंगा बस मैसेज करूंगा आपको...
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मोबाइल में सेव करो नंबर और मिस कॉल देदो मैं सेव कर लूंगी...
दोनो ने नंबर ले लिया एक दूसरे का और इसके साथ हवेली आ गई...
राज –अच्छा चलता हू कल मिलूगा आपसे फाई काम सीखा दुगा आपको खेती के हिसाब का...
बोल के चला गया राज अपने घर की तरफ जैसे ही चांदनी हवेली के अन्दर जा रही थी तभी रमन मिल गया...
रमन –(चांदनी को देख के) अरे चांदनी जी आप पैदल क्यों आ रही है हवेली में इतनी कार है उसे ले जाया करिए...
चांदनी –(मुस्कुरा के) शुक्रिया ठाकुर साहब यहां कॉलेज भी पास में है साथ में तेहेलना भी हो जाता है मेरा इसीलिए जरूरत महसूस नही होती कार की...
रमन – चलिए कोई बात नही कैसा रहा आज का दिन कॉलेज में आपका...
चांदनी – अच्छा था जैसा होता है सबका वैसे आपसे एक बात पूछनी थी....
रमन – हा पूछिए चांदनी जी...
चांदनी – कल गांव वालो की बैठक के वक्त ठकुराइन ने एक बात बोली थी मुनीम को हटाने वाली लेकिन मैं जब से आई हू तब से सिर्फ मुनीम का नाम सुना है मुनीम दिखा नहीं आज तक है कहा वो...
रमन –जाने कहा है कुछ पता नहीं चल रहा है उसका चांदनी जी अब आप ही देखो ना भाभी ने अचानक से सरपंच बदल दिया और एक औरत को बना दिया सरपंच कम से कम बनाना ही था सरपंच तो औरत को तो सरपंच की बीवी को बना देती इस तरह छोटी जात वालो को सरपंच बना के क्या फायदा वो सिर्फ अपना भला देखेगे गांव का भले से क्या मतलब होगा उनको...
चांदनी –(रमन की भड़कीली बात को अच्छे से समझ के) बात तो आपकी बिल्कुल सही है ठाकुर साहब मौसी को ऐसा नहीं करना चाहिए था कम से कम आपसे एक बार सलाह जरूर लेटी इस बारे में....
रमन –(चांदनी की बात सुन खुश होके) देखो आपको भी लगता है ना बात सच है मेरी....
चांदनी –(नादान बनते हुए) हा ठाकुर साहब लेकिन अब क्या कर सकते है अब देखिए ना मुझे भी खाते संभालने की जिम्मेदारी देदी मौसी ने एक तरफ कॉलेज देखना फिर खाता हिसाब किताब जाने कैसे संभाल पाऊंगी मैं ये सब....
रमन –(खुश होके) आप चिंता न की चांदनी जी मैं हू ना आपको खाते और हिसाब कैसे बनाते है सब सिखा दुगा....
चांदनी – लेकिन मौसी ने तो राज को बोला है सीखने के लिए फिर कैसे आप...
रमन – आप चिंता मत करिए चांदनी जी राज वैसे भी कही और बिजी होने वाला है जल्द ही फिर मैं सीखा दुगा सब कुछ आपको जल्द ही...
चांदनी – (चौक के) कहा व्यस्त होने वाला है राज...
रमन – (बात संभालते हुए) अरे मेरा मतलब था उसकी मां सरपंच बन गई है तो अपनी मां के साथ व्यस्त रहेगा ना ऐसे में वक्त कहा मिलेगा आपको सीखने का....
चांदनी – हा बात सही है आपकी ठीक है चलती हू थोड़ा थकी हुई हू आराम कर लो मिलते है फिर....
बोल के चांदनी चली गई अपने कमरे में पीछे खड़ा रमन मन में बोला...
रमन –(मन में– उस शहरी लौड़े का दोस्त बन गया है ना राज और संध्या उसकी दीवानी भी अब उस लौंडे के गायब हो जाने से व्यस्त तो रहेगा राज और संध्या डूंडते रहेगी उसे गांव भर में और यहां मैं चांदनी को अपने बस में कर उस संध्या के हाथो से हवेली की सारी बाग डोर मैं लेलूगा जल्द ही फिर किसी का डर नही रहेगा ना संध्या का ना उस लौंडे का एक तीर से सबका शिकार होगा अब)....
शाम को अभय उठाते ही दोस्तो के पास घूमने निकल गया रात में वापस आया...
सायरा – (अभय से) मैने खाना बना दिया है अभय तुम खा लेना....
अभय – क्यों तुम कहा जा रही हो आज की रात तो तुम्हारे साथ बितानी है मुझे....
सायरा –क्या करू अभय कल हवेली में पूरे गांव वालो का खाना रखा गया है उसकी तयारी भी तो करनी है ना इसीलिए जल्दी जाना है हवेली कल सुबह जल्दी से उठना भी है काम है काफी कल मुझे आज का रहने दो अभय....
अभय – अगर ऐसी बात है तो मैं भी अमी भी आ जाता हू सुबह तेरी मदार करने....
सायरा – तुझे कहना बनाना आता है क्या...
अभय – एक बार मेरे हाथ का खाना खालेगी तो भूल नही पाएगी स्वाद उसका....
सायरा – कल हवेली के बाहर खाना बनाने की व्यवस्था रखी गई है लेकिन चांदनी को पता चल गया तो...
अभय – तू चिंता मत कर दीदी कुछ नही बोलेगी....
सायर –ठीक है तुम खाना खा के सो जाओ जल्दी कल सुबह 6 बजे आ जाना हवेली के बाहर मैं इंतजार करूगी....
बोल के सायरा चली गई हवेली इधर अभय खाना खा के राज को कॉल मिलाया...
अभय –(कॉल पर राज से) क्या हाल चाल है मेरे मजनू भाई कैसा रहा आज का दिन....
राज –यार आज तो मजा आ गया भाई मस्त दिन बीता आज मेरा....
अभय –बड़ा खुश लग रहा है क्या बात है बता तो जरा....
राज –यार आज चांदनी ने अपना नंबर दे दिया मुझे अपने घर बाई लाया था साथ में खाना भी खाया फिर अकेले हवेली छोड़ने गया था चांदनी को मैं....
अभय – ओह हो तो अब डायरेक्ट दीदी का नाम भी लेने लग गया तू....
राज – अबे दीदी तेरी है मेरी तो होने वाली बीवी है भूल मत बोनस में एक लौता साला भी मिला रहा है मुझे....
अभय – अबे चल चल समझ गया बात तेरी अब काम की बात सुन कल कॉलेज में बोल देना मैं नही आऊंगा....
राज – क्यों बे कहा अंडे देने जा रहा है तू एक मिनट कही पायल के साथ तू...
अभय – चल बे पायल से शाम को मिलने का वादा है मेरा कल सुबह हवेली में खाना बनाने की तयारी करूंगा वही जाऊंगा मैं...
राज –(चौक के) अबे तू खाना बनाने जा रहा है क्या सच में....
अभय – हा यार कल का खाना मैं बनाऊंगा सब गांव वालो के लिए कुछ मैं भी तो करू अपने गांव वालो के लिए....
राज – अबे किया तो तूने जो है वो काफी है फिर भी अगर तेरा मन है तो करले मेरी मदार चाहिए तो बता मैं भी आ जाऊंगा...
अभय – मदद करनी है तो एक काम कर कॉलेज के बाद सब गांव वालो को खाना खिलाने में मदद करना तू बस....
राज – ठीक है तू आराम कर कल तेरे लिए भी बहुत बड़ा दिन है भाई....
बोल के कॉल कट कर सो गया अभय सुबह जल्दी उठ के निकल गया अभय हवेली की तरफ कहा सायरा इंतजार कर रही थी अभय के आते ही लग गया अभय खाना बनाने में अभय ने बिना किसी की मदद के खाना बना रहा था बाकी के लोग जो खाना बनाने आए थे वो सिर्फ अभय की हल्की फुल्की मदद कर रहे थे आखिर कार 4 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद अभय ने खाना बना लिया जबकि हवेली में संध्या , ललिता और मालती लगे हुए थे तयारी में ताकी जल्द से जल्द खाने का आयोजन शुरू किया जाय करीबन 12 बजे के आस पास खाने का कार्यक्रम शुरू हो गया सब गांव वालो को हवेली के गार्डन में टेंट की नीचे बैठा के खाना दिया जा रहा था कॉलेज का हाफ डे करके राज , राजू और लल्ला भी आ गए हवेली जहा वो सब मिलके गांव वालो को खाना बात रहे थे गांव वालो की भीड़ में संध्या की नजरे किसी को डुंडे जा रही थी काफी देर से लेकिन उसे वो मिल नही रहा था तभी राज पे नज़र पड़ी....
संध्या –(राज को अपने पास बुला के) राज तुम अकेले आए हो अभय कहा है...
राज –(संध्या की बात सुन) क्या आपको पता नही अभय के बारे में....
संध्या –(राज की ऐसी बात सुन घबरा के) क्या हुआ उसे ठीक तो है ना वो ले चलो कहा है वो....
राज –अरे अरे शांत ठकुराइन कुछ नही हुआ है अभय को मैं सिर्फ ये बोल रहा था की अभय तो आज सुबह से ही हवेली आ गया था ये सारा खाना उसी ने तो बनाया है...
संध्या –(राज की बात सुन चौक के) क्या अभय ने बनाया ये खाना लेकिन खाने के लिए तो बावर्ची आय थे....
राज – कल रात अभय का कॉल आया था उसी ने बताया था मुझे आपको विश्वास न हो तो चलिए दिखाता हू आपको...
जब संध्या और राज आपस में बात कर रहे थे तब चांदनी , ललिता और मालती वही खड़े उनकी बात सुन रहे थे फिर राज के साथ ये सभी निकल गए जहा खाना बनाया जा रहा था वहा आते ही सभी देख के हैरान हो गए वहा अभय खाना बना रहा था अकेला और उसकी हल्की फुल्की मदद कर रहे थी सायरा और बावर्ची जिसे देख....
संध्या दौड़ के अभय के पास जाने लगी उसके पीछे बाकी सब आने लगे....
संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) बस कर गर्मी लग जाएगी तुझे....
अभय –(आवाज सुन जैसे ही पलटा अपने सामने संध्या को देख जिसकी आखों में आसू थे) ये गांव मेरा भी है मेरा भी फर्ज बनता है इन के प्रति आप चिंता न करे ये तो मामूली गर्मी है इससे ज्यादा तो ये गांव वाले इस गर्मी को झेलते है रोज मैं सिर्फ कुछ देर के लिए ही इस गर्मी को झेल रहा हू....
अभय की बात सुन संध्या ने कमर में साड़ी बांध अभय का साथ देने लगी जिसे देख अभय बोला....
अभय – बस कीजिए काम खतम हो गया है खाना तयार हो गया है सारा का सारा देखिए....
संध्या , ललिता , मालती और चांदनी ने जब देखा तो चारो तरफ भारी भारी कई पतीले पड़े हुए थे खाने से भरे....
अभय –चलिए मेरा काम तो हो गया यहां का अब मैं चलता हूं....
संध्या , ललिता और मालती – (अभय का हाथ पकड़ के) रुक जा मत जारे....
अभय – (अपना हाथ छुड़ा के) मैं यहां सिर्फ पड़ने आया हू ये तो मेरा मन था सो कर दिया....
संध्या – खाना खा लो साथ में हमारे....
अभय कुछ बोलने जा रहा था तभी मालती बोली....
मालती – तूने इतना किया सबके लिए हमे भी कुछ करने दे तेरे लिए...
अभय – सच में मेरा आधा पेट तो खाना बनाने में भर गया है बहुत थकान हो गई है अब बस आराम करूंगा मैं हॉस्टल जाके....
संध्या – तो यही आराम कर ले ये भी....
अभय – (बीच में बात काटते हुए) इस वक्त आपका ध्यान गांव वालो पर होना चाहिए मुझ पे नही आपने मुझे रात के खाने पर बुलाया था ना छोटी सी पार्टी याद है ना आपको चलता हू....
बोल के निकल गया अभय हॉस्टल की तरफ तभी रास्ते में पायल ने आवाज लगाई...
पायल – कहा जा रहा है तू...
अभय – (पायल को देख) इन कपड़ो में बहुत खूबसूरत लग रही है तू , मैं हॉस्टल जा रहा हू आराम करने...
पायल – हा राज ने बताया आज तूने बनाया है खाना सबके लिए....
अभय – तूने खाया खाना....
पायल – अभी नही मां बाबा के साथ खाओगी तू भी आजा....
अभय – नही यार सुबह से लगा पड़ा हू अभी हिम्मत नही हो रही अब आराम करने जा रहा हू बस चल शाम को मिलता हू यही कपड़े पहन के आना....
पायल मुस्कुरा के चली गई लेकिन कोई था जो इनकी बात सुन के वो भी चली गई जबकि इस तरफ अभय के जाते ही संध्या बोली.....
संध्या –रमिया (सायरा) तू अभय के लिए खाना लेजा और अच्छे से खिला के ही वापस आना तू....
सायरा (रमिया) – जी मालकिन...
बोल के अभय का खाना लेके चली गई हॉस्टल की तरफ अभय के हॉस्टल आने के कुछ देर बाद सायरा आ गई....
अभय – तू इस वक्त....
सायरा – कितना भाव खाता है तू जब सब बोल रहे थे खाने के लिए तो मना क्यों कर रहा था तू....
अभय – ये हालत देख रही है मेरी पसीने से भीगा हुआ है शरीर मेरा....
सायरा – बोल तो तेरी थकान मिटा दू....
अभय – अभी नही यार सहम को मिलने जाना है पायल से....
सायरा –(मुस्कुरा के) ठीक है जल्दी से नहा के खाना खा ले वर्ना आराम नही कर पाएगा तू....
अभय नहा के आया सायरा के साथ थोड़ा खाना खा के आराम करने लगा इधर अभय को खाना खिला के सायरा हवेली निकल गई उसके आते ही.....
संध्या , मालती और ललिता –(एक साथ तुरंत पूछा) खाना खाया उसने....
सायरा – जिद की तो थोड़ा सा खाना खा के आराम कर रहा है अब.....
रमिया की बात सुन के तीनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई उसके बाद सब हवेली में गांव वालो को खाने खिलाने का काम देखते रहे शाम हो गई अभय उठ के तयार होके निकल गया बगीचे की तरफ पायल से मिलने आम के पेड़ के नीचे खड़े होके पायल के आने का इंतजार करनें लगा अभय कुछ ही मिनट हुए थे की अभय को किसी के हसी के आवाज आने लगी अभय देखने लगा उस दिशा में जहा से आवाज आ रही थी जहा पर अमन किसी लड़की के साथ जा रहा था गौर से देखने पर अभय ने पाया....
अभय – (हैरान होके) ये कपड़े तो पायल के है लेकिन ये अमन के साथ इस तरह....
अभय ने देखा अमन के साथ पायल कही जा रही थी तभी अमन बगीचे में बने कमरे में पायल को लेके जाने लगा कमरे में पायल के जाते ही अमन ने दरवाजा बंद कर दिया जिसे देख अभय की आखें बड़ी हो गई अभय को यकीन नही हो रहा था जो उसने अभी देखा वो सच है या वहम किसी तरह हिम्मत करके अभय बगीचे में बन कमरे की तरफ गया जहा दरवाजा बंद था चारो तरफ देखने लगा मन में बेचनी लिए की कही उसका वहम तो नही और तभी अभय को एक छोटा सा रोशन दान नजर आया जो खुला हुआ था हवा आने जाने के लिए अभय ने वहा से कमरे में क्या हो रहा है देखने लगा जहा का नजारा कुछ ऐसा था
अंदर आते ही दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपटे जैसे बरसों से बिछड़े प्रेमी प्रेमिका हो पायल के हाथ सीधा अमन के लॅंड पर आए और अमन के उसके मोटे बूब्स पर
दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे पायल के बूब्स तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे है, सिर्फ़ एक कपड़ा ही तो था बीच में
अमन के सामने पायल ने अपने सारे कपड़े खोल डाले
जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म अमन की आँखो के सामने
ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आगयी है योवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर
अमन के मुँह से भरभराकर लार बाहर निकल आई और जैसे ही वो फिर से गिरने को हुई, उसने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर पायल के मुम्मे पर रख दिया और उसे चूसने लगा
अमन की लार से लथपथ चूसम चुसाई ने पायल के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम अमन मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ मेरे बूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊबससस्स्स्सस्स
अमन को तो वैसे भी कुछ बोलने और सिखाने की ज़रूरत नही थी, इस तरह से कर रहा था जैसे कोई एक्सपर्ट हो अभी तो अपना एक्सपीरियन्स दिखा रहा था उन मक्खन के गोलों पर
जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से उसके मुँह से निकलते और वो उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता
अमन का पूरा ध्यान इस बेशक़ीमती नगिने पर था, जिसकी नागमणियाँ वो अभी चूस रहा था मुम्मे चुस्वाते-2 वो उछल कर अमन की गोद में चढ़ गयी
अमन उसे उठा के बेड पर पटक दिया
और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर वो भी अपने कपड़े उतारने लगा जैसे-2 अमन के कपड़े उतर रहे थे, उसका शरीर पायल की आँखो के सामने उजागर हो रहा था और जब उसके बदन की खुदाई करने वाला हल उसके सामने आया तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी
वो लपककर उठी और अपनी गीली जीभ से उसकी चटाई करने लगी लॅंड की प्यासी और लॅंड चूसने वाली औरत मिल जाए तो उसकी आँखे अपने आप ही बंद हो जाती है अमन के साथ भी ऐसा ही हुआ
उसने पायल के सर पर हाथ रखा और उसे अपने लॅंड पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना खूँटा गाड़ दिया बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी
पर इस छटपटाहट में भी उसे मजा आ रहा था जिसे वो अमन की बॉल्स को मसलकर और भी ज़्यादा एंजाय कर रही थी कुछ ही देर में अमन का लॅंड उसकी चूत की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था उसने पायल को बेड पर धक्का दिया उसकी चूत देख उस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लॅंड था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था आखिर क्या करता हवेली में उसकी ताई मां की जन्मदिन की एक छोटी सी पार्टी थी जिसमे उसे जल्दी भी जाना था इसलिए अपने छोटे सिपाही की बात मानते हुए अमन ने उसे पायल की चूत पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे जंग के मैदान के अंदर धकेल दिया
घप्प की आवाज़ के साथ वो पायल की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया
एकदम अंदर तक ठूंस कर अपना किल्ला गाड़ा था अमन ने पायल की चूत में
बेचारी रस्सी से बँधी बकरी की तरह मिमिया कर रह गयी उसके इस प्रहार से उस पर अमन ने उसकी गांड़ के छेद में अपनी उनलगी दल जिसका नतीजा पायल की एक आवाज निकली
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आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…………ओओओओओओओ आई लव यू अमन माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………
अब अमन रुकने वाला नही था...उसे तो मज़ा आ रहा था...पायल अपने आप को तृप्त महसूस कर रही थी इस वक़्त अमन का लॅंड उसकी गहराई तक जा रहा था..
वो उछलकर उपर आ गयी और लॅंड को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से अमन के घोड़े की सवारी करने लगी ..तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था
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आआआआहह अहह और ज़ोर से चोदो मुझे अमन…..और तेज……..मज़ा…..अहह…..मुझे……उम्म्म्मममम ऐसा मजा कोई और नहीं दे सकता है………ज़ोर से चोदो मुझे…अपनी रांड को……..चोदो मुझे अमन…चोदो अपने लॅंड से….अपनी इस रांड को…..चुदाई के समय वो सब अपने आप ही बाहर आने लगा जैसे अमन की रांड बनकर ही रहना चाहती थी वो जिसे आज उसने अपनी ज़ुबान से बोल भी दिया अमन भी अपनी पूरी ताकत से उसकी चुदाई करने लगा
उसके हिप्स को स्टेयरिंग बनाकर उसने अपना ट्रक उसकी चूत के हाइवे पर ऐसा दौड़ाया , ऐसा दौड़ाया की स्पीडोमीटर भी टूट गया...और जब झड़ने का टाइम आया तो उसने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया....लॅंड निकालने से पहले वो झड़ चुकी थी..अमन ने लॅंड को पकड़ा और उसके मू में मलाई देने लगा
इस नजारे को कमरे के बाहर पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ा अभय
अपनी भीगी आखों से देखता रहा
जबकि कमरे के अंदर अमन ने देख लिया था की बाहर उसे कोई देख रहा है जिसे देख अमन के चेहरे पे एक विजय मुस्कान आ गई जबकि बाहर खड़ा अभय ने अपने आसू पोछे अपने से दस कदम दूर एक पेड़ पर कुल्हाड़ी पड़ी दिखी गुस्से में अभय दौड़ के गया कुल्हाड़ी लेके जैस ही कमरे की तरफ मुड़ने जा रहा था की तभी किसी लड़के की आवाज आई उसे...
लड़का – ये कुल्हाड़ी लेके कहा जा रहा है तू
अभय –(अपने सामने देख आंख बड़ी कर हैरान होके) तुम यहां पर कैसे...
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जारी रहेगा![]()
Dhaasu update diya hai yaarUPDATE 31
कॉलेज के बाद जब पायल और अभय आपस में बात करते हुए जा रहे थे तब अमन अपने दोस्तो के साथ उनके पीछे चल रहा था तब अमन और उसके दोस्तो ने पायल और अभय की कल शाम मिलने वाली बात को सुन लिया जिसे सुन अमन एक कुटिल मुस्कान के साथ निकल गया इधर हवेली में कल के कार्य क्रम की तयारी के लिए संध्या , मालती और ललिता हाल में बैठ के बात कर रहे थे....
संध्या – कल की तयारी कैसे करनी है समझ गए ना तुम दोनो रात में छोटी सी पार्टी भी होगी हवेली में....
ललिता – दीदी मेहमानों को बता दिया क्या आपने पार्टी का....
संध्या – नही ललिता मेहमानो या किसी को नहीं बताया है बस घर के लोग होंगे केवल और कोई नही....
मालती – तो दीदी कल रात में खाने में क्या बनाना होगा....
संध्या – कल रात का खाना मैं खुद बनाऊगी....
ललिता – दीदी इतने नौकर है ना आप जो बोलो वो बना देगे...
संध्या – नही ललिता मैं बनाओगी खाना रात का कल वो आएगा हवेली में...
मालती –(संध्या की बात सुन) कॉन आएगा दीदी...
ललिता –(कुछ सोच के बोली) अभय....
संध्या –(अभय का नाम सुन बोली) हा कल आएगा वो हवेली में , देखो उसके सामने कोई भी ऐसी वैसी बात मत बोलना तुम दोनो मुश्किल से आने को राजी हुआ है वो.....
ललिता – क्या सच में वो हवेली में रहने के लिए तयार हो गया...
संध्या – रहने का पता नही ललिता बस पार्टी में आएगा ये पता है काश वो रहने के लिए भी तयार हो जाय.....
ललिता – बुरा न मानना दीदी लेकिन उसे कैसे मनाया आपने पार्टी में आने के लिए...
तभी रमन हवेली के अन्दर आते हुए बात सुन ली...
रमन –(तीनों को बात सुन) भाभी ने कल पूरे गांव को दावत पर बुलाया है इसीलिए वो मान गया यहां आने को सब गांव वालो के साथ.....
मालती – दीदी रात के खाने की बात कर रही है दिन की नही...
रमन – (चौक के) क्या उस लौंडे को रात के खाने पर यहां (गुस्से में) अब वो लौंडा हमारे साथ बैठेगा भी खाने पर , भाभी अब ये कुछ ज्यादा ही हो रहा है आपका बाहर तक ठीक था अब आप उस लौंडे को घर के अन्दर बुला रही हो कल को खुद यहां रहने को आ जाएगा और फिर जायदाद में भी हक मांगने लगेगा तब क्या करोगी आप...
संध्या – (हस्ते हुए) उसे अगर इन सब का मोह होता तो कब का आ चुका होता हवेली के अन्दर इतनी गर्मी में एक पंखे के नीचे नही सो रहा होता वो अकेला हॉस्टल में जैसा भी है वो लेकिन आज अपने आप में पूरा सक्षम है परवाह नही है उसे एशो आराम की आज भी वो आजाद पंछी की तरह है जहा चाहे वहा बसेरा करने का हुनर है उसमे आज उसे सिर्फ एक काम के लिए गांव के लोग मानते है एक दिन पूरा गांव भी मानेगा उसे दादा ठाकुर और मनन ठाकुर की तरह देखना....
संध्या की इस बात से जहा रमन गुस्से से देख रहा था वही ललिता और मालती के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी जिस पर किसी का ध्यान नही गया तब रमन बोला...
रमन – उससे पहले उसे ये साबित करना होगा वो ही अभय है भाभी....
संध्या – (हस्ते हुए) वो ऐसा कभी नहीं करेगा रमन अपने आप को कभी साबित नही करेगा बिल्कुल अपने पिता की तरह है सिर्फ कर्म करने में विश्वास रखता है वो उसे गाने का शौक नही है सबसे , तूने क्या कहा (यहां बैठ के खाने के लिए) ,एक दिन वो यहां बैठेगा भी खाना भी खाएगा और रहेगा भी देखना तू (मालती और ललिता से) तयारी में कोई दिक्कत हो बता देना मुझे (रमन को देख) और मेरी बात का ध्यान रखना उसके सामने कोई नाटक नही होना चाहिए यहां पर कल...
बोल के संध्या सीडियो से अपने कमरे में चली गई जबकि पीछे खड़ा रमन गुस्से में आग बबूला हो गया और निकल गया हवेली बाहर किसी के घर की तरफ लेकिन हवेली में ललिता अपने काम में लग गई और मालती बच्ची को गोद में लेके काम के साथ खेल रही थी जिसे देख ललिता बोली...
ललिता – अरे मालती ये क्या कर रही है तू बच्चे को गोद में लेके काम कर रही है तू जाके बच्चे को संभाल यहां का काम हो जाएगा....
मालती – माफ करना दीदी आदत हो गई है मेरी ध्यान नही दिया....
ललिता –(मुस्कुरा के मालती के सिर हाथ फेर के) कोई बात नही समझ सकती हू लेकिन तू भी समझ ललिता इस वक्त तुझे ज्यादा बच्चे को जरूरत है एक मां की इसलिए बोल रही हू तू बच्चे को संभाल काम की चिंता छोड़....
मालती – दीदी आपको क्या लगता है अभय कल आएगा...
ललिता – (अभय के बारे में बात सुन काम करना रोक के) सच बोलूं ललिता जब से उस रात को वो मिला उसकी बाते सुन के मन बेचैन सा हो गया है तब से , जब भी हवेली में उसकी बात होती है उसे देखने और मिलने की इच्छा होने लगती है लेकिन फिर एक डर सा लगने लगता है कैसे उसका सामना कर पाऊंगी अगर उसने दीदी की तरह टोक दिया मुझे तो क्या जवाब दुगी उसे ललिता मैं भी चाहती हू वो हवेली वापस आ जाए हमेशा के लिए भले कोई माने या न माने लेकिन दीदी की तरह मेरा भी दिल कहता है वो हमारा अभय है....
मालती – हा दीदी वो हमारा अभय ही है मैं मिली थी उससे दो दिन पहले जिस तरह से उसने बात कर के मू फेरा तभी समझ गई थी मैं ये हमारा अभय है....
ललिता –(मुस्कुरा के) अच्छा है वैसे भी बचपन से दीदी के इलावा वो तेरे साथ ज्यादा रहा है तेरे से मू चुराएगा ही कही तू पहचान ना ले उसे...
मालती – लेकिन दीदी अगर वो अभय है आखिर वो क्यों नही हवेली में वापस आ रहा है क्यों वो हॉस्टल में रह रहा है...
ललिता – जाने वो क्या बात है जिसके चलते हवेली में नही आ रहा है...
ये दोनो आपस में बाते कर रहे थे लेकिन हवेली के बाहर रमन निकल के सीधे चला गया भूत पूर्व सरपंच (शंकर) के घर....
शंकर – (घर में रमन को देख) आईये ठाकुर साहब...
उर्मिला –(ठाकुर सुन के कमरे से निकल देखा सामने रमन ठाकुर खड़ा था) बैठिए ठाकुर साहेब क्या लाऊ चाय ठंडा....
रमन – कुछ नही चाहिए (शंकर से) अकेले में बात करनी है तेरे से चल जरा बाहर....
बोल के रमन के साथ शंकर बाहर निकल के खेत की तरफ टहलने लगे....
रमन –(गुस्से में) शंकर लगता है वक्त आगया है कुछ ऐसा करने का जिससे ये बाजी हमारे हाथ में वापस आ जाए....
शंकर –(रमन की बात सुन) क्या करना चाहते हो आप ठाकुर साहब....
रमन – उस शहरी लौंडे को रास्ते से हटाने का वक्त आ चुका है शंकर उसकी वजह से वो औरत बहुत ज्यादा उड़ने लगी है ऐसा चलता रहा तो वो उस लौंडे को हवेली का मालिक बना देगी लेकिन मैं और वक्त बर्बाद नही करना चाहता हू फालतू की बात करके उस औरत से जो प्यार से ना मिले उसे जबरन हासिल करना ही बेहतर होगा....
शंकर – क्या करे फिर आप जैसा कैसे उसे रास्ते से हटाना है ठाकुर साहब....
रमन – वो रोज सुबह टहलने जाता है ना अच्छा मौका रहेगा ये उसी वक्त उसका काम तमाम करवा दो....
शंकर –(हस के) इसके लिए हमे कुछ नही करना पड़ेगा ठाकुर साहब बीच–(समुंदर किनारा) पर अपने भी लोग रहते है समुंदर से दो नंबर का माल लाने के लिए उन्ही से कह के करवा देता हू उस लौंडे की लाश तक नही मिलेगी किसी को और समुंदर की मछली भी दुवाय देगी आपको ताजा मास जो देने वाले हो आप मछलियों को...
रमन –(अपने मोबाइल में अभय की फोटो दिखाते हुए) ये रही फोटो उस लौंडे की अपने लोगो को बोल दे काम कर दे इसका तगड़ा इनाम मिलेगा सभी को....
बोल के दोनो लोग हसने लगे इस तरफ अभय हॉस्टल में बेड में लेता आराम कर रहा था तभी सायरा आ गई....
सायरा – कैसा रहा आज कॉलेज में....
अभय – अच्छा था तुम सुनाओ कुछ....
सायरा – क्या सुनाओ तुम कुछ सुनते ही कहा हो....
अभय – (हस्ते हुए) तेरी सुनने लगा तो मेरी रानी का क्या होगा....
सायरा – (मू बनाते हुए) तेरी रानी का क्या होना है वो तो तेरी ही रहेगी इतने सालो से तेरे लिए संभाले बैठी है खुद को...
अभय – अच्छा और अपने बारे में बता तेरे इंतजार में कोई नही बैठा है क्या....
सायरा – अभी तक कोई मिला नही मुझे ऐसा जो संभाले इस जवानी को....
अभय – ओह तभी मुझपे दाव लगा रही हो....
सायरा – नारे तेरी बात अलग है तू तो दोस्त है मेरा तेरे साथ की बात ही अलग है....
अभय – दोस्तो में होता है क्या ऐसा....
अभय की बात सुन सायरा बेड में बैठ अभय को जबरन किस करने लगी
कुछ पल विरोध किया अभय ने फिर साथ देने लगा किस में सायरा का....2 से 3 मिनट बाद दोनो अलग हुए सास लेने लगे एक दूसरे को देखते हुए फिर अचानक से दोनो ही किस करने लगे
एक दूसरे को कुछ देर बाद अलग होके सायरा बोली...
सायरा – दोस्ती में लोग कुछ भी कर जाते है दोस्त के लिए....
अभय – hmm तू सच में कमाल का किस करती है लेकिन मैं धोखा नही दे सकता पायल को....
सायरा –(बीच में बात काटते हुए) धोखा तो तब देगा ना जब पता चलेगा किसी को हमारे बारे में....
अभय – पहले से सारी तयारी कर के आई हो तुम....
सायरा –दिन भर जो चाहे करले बस अपनी कुछ राते मेरे नाम कर दे...
बोल के दोनो मुस्कुराने लगे सायरा ने खाना लगाया दोनो ने साथ में खाया आराम करने लगे दूसरी तरफ कॉलेज छुटने के बाद हमारे राज बाबू चले गए सीधे चांदनी के पास....
राज – (चांदनी से) हेलो मैडम कैसे हो आप जनता हो अच्छे ही होगे तो चले खेतो में...
चांदनी –(राज की बात सुन) क्या....
राज – मेरा मतलब खेतो का हिसाब किताब कैसे होता है सीखना है आपको मुझे कितना अच्छा है ना कॉलेज में आप टीचर मैं स्टूडेंट और कॉलेज के बाद आप स्टूडेंट और मैं आपका टीचर मजेदार बात है वैसे ये तो....
चांदनी – (मुस्कुरा के) ठीक है वैसे कुछ दिन को बात है ये तो....
राज – (मुस्कुरा के) पल भर में दुनिया उलट जाति है कुछ दिन में बहुत कुछ हो जाता है वैसे मैं ही बोलता रहता हू हर वक्त आप भी कुछ बोलिए ना....
चांदनी –बोलने का मौका दो तभी कुछ बोलूं मैं....
राज – ओह माफ करिएगा मेरी तो आदत है बक बक करने की आप बताए कुछ अपने बारे में....
चांदनी – (धीरे से) बोल तो ऐसे जैसे रिश्ता जोड़ने वाला हो....
राज – (बात सुन अंजान बन के) क्या कहा आपने....
चांदनी – (चौक के) नही कुछ नही चलो चले....
राज – वैसे कुछ तो बोला है आपेन खेर कोई बात नही चलाए आपको एक मस्त जगह ले चलता हो अच्छा लगेगा आपको....
चलते चलते राज ले जाता है चांदनी को अपने घर पर दरवाजा खत खटाते है....
गीता देवी –(अन्दर से आवाज लगाते हुए गेट खोलती है) कॉन है आ रही हू रुको (सामने राज और चांदनी को देख राज से बोली) आ गया तू और इनको साथ में....
राज –मां ये चांदनी जी है कल ठकुराइन ने बोला था ना चांदनी जी को खेती का हिसाब किताब सीखने को इसीलिए लेके आया सोचा घर ले आऊ आपसे मिलवाने....
गीता देवी –(चांदनी को देख) आओ अंदर आओ बैठो बेटा कैसे हो तुम....
चांदनी – जी अच्छी हू और आप....
गीता देवी – मैं भी अच्छी हू बड़ी जिम्मेदारी दी है संध्या ने तुझे संभाल लेगी ना....
राज –(बीच में) अरे मां ये हिसाब किताब कुछ नही है ये तो अच्छे अच्छे को सबल लेटी है जिसके बाद सामने वाला सीधा हो जाता है...
गीता देवी –तू चुप कर बोल तो ऐसे रहा है जैसे मुझे कुछ पता ना हो , अच्छे से जानती हू अभय की बहन है ये C B I ऑफिसर चांदनी सिन्हा , D I G शालिनी सिन्हा की बेटी अब तू यह खड़ा खड़ा क्या कर रहा है जाके कुछ मीठा लेके आ हलवाई के यहां से....
राज –(मुस्कुरा के) अभी जाता हू....
बोल के राज चला गया....
गीता देवी –संध्या ने मुझे बताया था सब शालिनी जी कैसे है....
चांदनी – अच्छी है....
गीता देवी – बहुत बड़ा उपकार किया है शालिनी जी ने हम पे अभय को सहारा दे के ना जाने क्या होता उसका....
चांदनी – ऐसी बात नही है भाई है वो मेरा आंटी...
गीता देवी –(मुस्कुरा के) जानती हू शालिनी जी इलावा बस तेरी ही सुनता है वो और अभय की बड़ी मां हू मै तू...
चांदनी – (बीच में) तो मैं भी आपको बड़ी मां बोला करूगी...
गीता देवी – तू मां बोला या बड़ी मां मैने तो तुझे अपना मान लिया था कल जब तुझे देखा था संध्या के साथ , जब से राज मिला है तेरे से बावला हो गया है रात भर अकेला सोता कम बस प्यार भरी शायरी गाता रहता है पूरी रात , तुझे कल देख लिया तो समझ आ गया क्यों करता है राज ऐसा...
चांदनी – (शर्मा के) जी बड़ी मां वो में....
गीता देवी – ये वो मैं क्या बोल रही है इतनी बड़ी ऑफिसर होके अटक अटक के बोल रही हो , क्या पहली बार किसी में तारीफ करी है तेरी....
चांदनी बात सुन के सिर नीचे कर शर्मा रही थी जिसे देख...
गीता देवी – (अपने गले से सोने को चैन निकाल के चांदनी को पहना के) इसे पहने रहना खाली गला अच्छा नहीं लगता है बेटी....
इस बात पे चांदनी एक दम से गले लग गई गीता देवी के....
गीता देवी – (सिर पे हाथ फेर के) बहुत प्यार करता है तुझ से राज जब से अभय चला गया था तब से देखा है मैने उसे ज्यादा किसी से बात नही करता था बस स्कूल से घर या अपने बाबा के साथ खेती देखता लेकिन जब से अभय से मिला है पहले जैसा बन गया है नटखट वाला राज तरस गई थी उसकी ये हंसी देखने को कभी कभी डर लगता था कैसे....
चांदनी –(बीच में) अब डरने को कोई बात नही है मां सब कुछ अच्छा होगा...
गीता देवी –(मुस्कुरा के) हा सही कहा अच्छा होगा सब...
तभी राज वापस आ गया सबने साथ मिल के खाना खाया फिर...
गीता देवी –(राज से) चल चांदनी को हवेली छोड़ के आजा जल्दी से...
राज –लेकिन मां वो काम...
गीता देवी –(बीच में) कोई काम नही अभी ये सब बाद में थकी हुई है चांदनी कॉलेज से सीधा लेके निकल आया काम सिखाने बड़ा आया काम काज वाला जा चांदनी को आराम करने दे काम वाम बाद में सीखना...
फिर राज और चांदनी निकल गए हवेली की तरफ रास्ते में....
चांदनी – तुम अभय के बचपन से दोस्त हो...
राज – हा क्यों पूछा आपने...
चांदनी – फिर तो तुम्हारे साथ ही बात शेयर करता होगा...
राज – कोई शक है क्या...
चांदनी – तो उस रात खंडर में तुंभी थे राज के साथ सही कहा ना...
राज –(चौक के) आपको कैसे पता...
चांदनी – मेरी बात ध्यान से सुनो राज खंडर में क्या है पता नही लेकिन जो भी है वो जगह खतरे से खाली नही है हमारे 4 ऑफिसर गए थे 2 साल पहले पता करने खंडर के बारे में लेकिन कोई लौटा नही आज तक उन चारों में से...
राज –(हैरानी से बात सुन के) आप सच बोल रही हो या डरा रही जो मुझे...
चांदनी – ये सच है राज प्लीज कुछ भी हो जाय उसके आस पास भी मत भटकना मैने अभय को भी माना किया है लेकिन मुझे नहीं लगता वो चुप बैठे हा उसकी बात सुन के अंदाजा लगा है मुझे टीम दोस्त हो इसीलिए तुम्हे बता रही हू प्लीज अभय को जाने मत देना जब तक पता ना चल जाय खंडर का सच....
राज –मैं वादा करता हू अभय को मैं जाने नही दुगा खंडर में कभी भी लेकिन उसके बदले क्या मुझे नंबर मिलेगा आपका वादा करता हू तंग नही करूंगा बस मैसेज करूंगा आपको...
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मोबाइल में सेव करो नंबर और मिस कॉल देदो मैं सेव कर लूंगी...
दोनो ने नंबर ले लिया एक दूसरे का और इसके साथ हवेली आ गई...
राज –अच्छा चलता हू कल मिलूगा आपसे फाई काम सीखा दुगा आपको खेती के हिसाब का...
बोल के चला गया राज अपने घर की तरफ जैसे ही चांदनी हवेली के अन्दर जा रही थी तभी रमन मिल गया...
रमन –(चांदनी को देख के) अरे चांदनी जी आप पैदल क्यों आ रही है हवेली में इतनी कार है उसे ले जाया करिए...
चांदनी –(मुस्कुरा के) शुक्रिया ठाकुर साहब यहां कॉलेज भी पास में है साथ में तेहेलना भी हो जाता है मेरा इसीलिए जरूरत महसूस नही होती कार की...
रमन – चलिए कोई बात नही कैसा रहा आज का दिन कॉलेज में आपका...
चांदनी – अच्छा था जैसा होता है सबका वैसे आपसे एक बात पूछनी थी....
रमन – हा पूछिए चांदनी जी...
चांदनी – कल गांव वालो की बैठक के वक्त ठकुराइन ने एक बात बोली थी मुनीम को हटाने वाली लेकिन मैं जब से आई हू तब से सिर्फ मुनीम का नाम सुना है मुनीम दिखा नहीं आज तक है कहा वो...
रमन –जाने कहा है कुछ पता नहीं चल रहा है उसका चांदनी जी अब आप ही देखो ना भाभी ने अचानक से सरपंच बदल दिया और एक औरत को बना दिया सरपंच कम से कम बनाना ही था सरपंच तो औरत को तो सरपंच की बीवी को बना देती इस तरह छोटी जात वालो को सरपंच बना के क्या फायदा वो सिर्फ अपना भला देखेगे गांव का भले से क्या मतलब होगा उनको...
चांदनी –(रमन की भड़कीली बात को अच्छे से समझ के) बात तो आपकी बिल्कुल सही है ठाकुर साहब मौसी को ऐसा नहीं करना चाहिए था कम से कम आपसे एक बार सलाह जरूर लेटी इस बारे में....
रमन –(चांदनी की बात सुन खुश होके) देखो आपको भी लगता है ना बात सच है मेरी....
चांदनी –(नादान बनते हुए) हा ठाकुर साहब लेकिन अब क्या कर सकते है अब देखिए ना मुझे भी खाते संभालने की जिम्मेदारी देदी मौसी ने एक तरफ कॉलेज देखना फिर खाता हिसाब किताब जाने कैसे संभाल पाऊंगी मैं ये सब....
रमन –(खुश होके) आप चिंता न की चांदनी जी मैं हू ना आपको खाते और हिसाब कैसे बनाते है सब सिखा दुगा....
चांदनी – लेकिन मौसी ने तो राज को बोला है सीखने के लिए फिर कैसे आप...
रमन – आप चिंता मत करिए चांदनी जी राज वैसे भी कही और बिजी होने वाला है जल्द ही फिर मैं सीखा दुगा सब कुछ आपको जल्द ही...
चांदनी – (चौक के) कहा व्यस्त होने वाला है राज...
रमन – (बात संभालते हुए) अरे मेरा मतलब था उसकी मां सरपंच बन गई है तो अपनी मां के साथ व्यस्त रहेगा ना ऐसे में वक्त कहा मिलेगा आपको सीखने का....
चांदनी – हा बात सही है आपकी ठीक है चलती हू थोड़ा थकी हुई हू आराम कर लो मिलते है फिर....
बोल के चांदनी चली गई अपने कमरे में पीछे खड़ा रमन मन में बोला...
रमन –(मन में– उस शहरी लौड़े का दोस्त बन गया है ना राज और संध्या उसकी दीवानी भी अब उस लौंडे के गायब हो जाने से व्यस्त तो रहेगा राज और संध्या डूंडते रहेगी उसे गांव भर में और यहां मैं चांदनी को अपने बस में कर उस संध्या के हाथो से हवेली की सारी बाग डोर मैं लेलूगा जल्द ही फिर किसी का डर नही रहेगा ना संध्या का ना उस लौंडे का एक तीर से सबका शिकार होगा अब)....
शाम को अभय उठाते ही दोस्तो के पास घूमने निकल गया रात में वापस आया...
सायरा – (अभय से) मैने खाना बना दिया है अभय तुम खा लेना....
अभय – क्यों तुम कहा जा रही हो आज की रात तो तुम्हारे साथ बितानी है मुझे....
सायरा –क्या करू अभय कल हवेली में पूरे गांव वालो का खाना रखा गया है उसकी तयारी भी तो करनी है ना इसीलिए जल्दी जाना है हवेली कल सुबह जल्दी से उठना भी है काम है काफी कल मुझे आज का रहने दो अभय....
अभय – अगर ऐसी बात है तो मैं भी अमी भी आ जाता हू सुबह तेरी मदार करने....
सायरा – तुझे कहना बनाना आता है क्या...
अभय – एक बार मेरे हाथ का खाना खालेगी तो भूल नही पाएगी स्वाद उसका....
सायरा – कल हवेली के बाहर खाना बनाने की व्यवस्था रखी गई है लेकिन चांदनी को पता चल गया तो...
अभय – तू चिंता मत कर दीदी कुछ नही बोलेगी....
सायर –ठीक है तुम खाना खा के सो जाओ जल्दी कल सुबह 6 बजे आ जाना हवेली के बाहर मैं इंतजार करूगी....
बोल के सायरा चली गई हवेली इधर अभय खाना खा के राज को कॉल मिलाया...
अभय –(कॉल पर राज से) क्या हाल चाल है मेरे मजनू भाई कैसा रहा आज का दिन....
राज –यार आज तो मजा आ गया भाई मस्त दिन बीता आज मेरा....
अभय –बड़ा खुश लग रहा है क्या बात है बता तो जरा....
राज –यार आज चांदनी ने अपना नंबर दे दिया मुझे अपने घर बाई लाया था साथ में खाना भी खाया फिर अकेले हवेली छोड़ने गया था चांदनी को मैं....
अभय – ओह हो तो अब डायरेक्ट दीदी का नाम भी लेने लग गया तू....
राज – अबे दीदी तेरी है मेरी तो होने वाली बीवी है भूल मत बोनस में एक लौता साला भी मिला रहा है मुझे....
अभय – अबे चल चल समझ गया बात तेरी अब काम की बात सुन कल कॉलेज में बोल देना मैं नही आऊंगा....
राज – क्यों बे कहा अंडे देने जा रहा है तू एक मिनट कही पायल के साथ तू...
अभय – चल बे पायल से शाम को मिलने का वादा है मेरा कल सुबह हवेली में खाना बनाने की तयारी करूंगा वही जाऊंगा मैं...
राज –(चौक के) अबे तू खाना बनाने जा रहा है क्या सच में....
अभय – हा यार कल का खाना मैं बनाऊंगा सब गांव वालो के लिए कुछ मैं भी तो करू अपने गांव वालो के लिए....
राज – अबे किया तो तूने जो है वो काफी है फिर भी अगर तेरा मन है तो करले मेरी मदार चाहिए तो बता मैं भी आ जाऊंगा...
अभय – मदद करनी है तो एक काम कर कॉलेज के बाद सब गांव वालो को खाना खिलाने में मदद करना तू बस....
राज – ठीक है तू आराम कर कल तेरे लिए भी बहुत बड़ा दिन है भाई....
बोल के कॉल कट कर सो गया अभय सुबह जल्दी उठ के निकल गया अभय हवेली की तरफ कहा सायरा इंतजार कर रही थी अभय के आते ही लग गया अभय खाना बनाने में अभय ने बिना किसी की मदद के खाना बना रहा था बाकी के लोग जो खाना बनाने आए थे वो सिर्फ अभय की हल्की फुल्की मदद कर रहे थे आखिर कार 4 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद अभय ने खाना बना लिया जबकि हवेली में संध्या , ललिता और मालती लगे हुए थे तयारी में ताकी जल्द से जल्द खाने का आयोजन शुरू किया जाय करीबन 12 बजे के आस पास खाने का कार्यक्रम शुरू हो गया सब गांव वालो को हवेली के गार्डन में टेंट की नीचे बैठा के खाना दिया जा रहा था कॉलेज का हाफ डे करके राज , राजू और लल्ला भी आ गए हवेली जहा वो सब मिलके गांव वालो को खाना बात रहे थे गांव वालो की भीड़ में संध्या की नजरे किसी को डुंडे जा रही थी काफी देर से लेकिन उसे वो मिल नही रहा था तभी राज पे नज़र पड़ी....
संध्या –(राज को अपने पास बुला के) राज तुम अकेले आए हो अभय कहा है...
राज –(संध्या की बात सुन) क्या आपको पता नही अभय के बारे में....
संध्या –(राज की ऐसी बात सुन घबरा के) क्या हुआ उसे ठीक तो है ना वो ले चलो कहा है वो....
राज –अरे अरे शांत ठकुराइन कुछ नही हुआ है अभय को मैं सिर्फ ये बोल रहा था की अभय तो आज सुबह से ही हवेली आ गया था ये सारा खाना उसी ने तो बनाया है...
संध्या –(राज की बात सुन चौक के) क्या अभय ने बनाया ये खाना लेकिन खाने के लिए तो बावर्ची आय थे....
राज – कल रात अभय का कॉल आया था उसी ने बताया था मुझे आपको विश्वास न हो तो चलिए दिखाता हू आपको...
जब संध्या और राज आपस में बात कर रहे थे तब चांदनी , ललिता और मालती वही खड़े उनकी बात सुन रहे थे फिर राज के साथ ये सभी निकल गए जहा खाना बनाया जा रहा था वहा आते ही सभी देख के हैरान हो गए वहा अभय खाना बना रहा था अकेला और उसकी हल्की फुल्की मदद कर रहे थी सायरा और बावर्ची जिसे देख....
संध्या दौड़ के अभय के पास जाने लगी उसके पीछे बाकी सब आने लगे....
संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) बस कर गर्मी लग जाएगी तुझे....
अभय –(आवाज सुन जैसे ही पलटा अपने सामने संध्या को देख जिसकी आखों में आसू थे) ये गांव मेरा भी है मेरा भी फर्ज बनता है इन के प्रति आप चिंता न करे ये तो मामूली गर्मी है इससे ज्यादा तो ये गांव वाले इस गर्मी को झेलते है रोज मैं सिर्फ कुछ देर के लिए ही इस गर्मी को झेल रहा हू....
अभय की बात सुन संध्या ने कमर में साड़ी बांध अभय का साथ देने लगी जिसे देख अभय बोला....
अभय – बस कीजिए काम खतम हो गया है खाना तयार हो गया है सारा का सारा देखिए....
संध्या , ललिता , मालती और चांदनी ने जब देखा तो चारो तरफ भारी भारी कई पतीले पड़े हुए थे खाने से भरे....
अभय –चलिए मेरा काम तो हो गया यहां का अब मैं चलता हूं....
संध्या , ललिता और मालती – (अभय का हाथ पकड़ के) रुक जा मत जारे....
अभय – (अपना हाथ छुड़ा के) मैं यहां सिर्फ पड़ने आया हू ये तो मेरा मन था सो कर दिया....
संध्या – खाना खा लो साथ में हमारे....
अभय कुछ बोलने जा रहा था तभी मालती बोली....
मालती – तूने इतना किया सबके लिए हमे भी कुछ करने दे तेरे लिए...
अभय – सच में मेरा आधा पेट तो खाना बनाने में भर गया है बहुत थकान हो गई है अब बस आराम करूंगा मैं हॉस्टल जाके....
संध्या – तो यही आराम कर ले ये भी....
अभय – (बीच में बात काटते हुए) इस वक्त आपका ध्यान गांव वालो पर होना चाहिए मुझ पे नही आपने मुझे रात के खाने पर बुलाया था ना छोटी सी पार्टी याद है ना आपको चलता हू....
बोल के निकल गया अभय हॉस्टल की तरफ तभी रास्ते में पायल ने आवाज लगाई...
पायल – कहा जा रहा है तू...
अभय – (पायल को देख) इन कपड़ो में बहुत खूबसूरत लग रही है तू , मैं हॉस्टल जा रहा हू आराम करने...
पायल – हा राज ने बताया आज तूने बनाया है खाना सबके लिए....
अभय – तूने खाया खाना....
पायल – अभी नही मां बाबा के साथ खाओगी तू भी आजा....
अभय – नही यार सुबह से लगा पड़ा हू अभी हिम्मत नही हो रही अब आराम करने जा रहा हू बस चल शाम को मिलता हू यही कपड़े पहन के आना....
पायल मुस्कुरा के चली गई लेकिन कोई था जो इनकी बात सुन के वो भी चली गई जबकि इस तरफ अभय के जाते ही संध्या बोली.....
संध्या –रमिया (सायरा) तू अभय के लिए खाना लेजा और अच्छे से खिला के ही वापस आना तू....
सायरा (रमिया) – जी मालकिन...
बोल के अभय का खाना लेके चली गई हॉस्टल की तरफ अभय के हॉस्टल आने के कुछ देर बाद सायरा आ गई....
अभय – तू इस वक्त....
सायरा – कितना भाव खाता है तू जब सब बोल रहे थे खाने के लिए तो मना क्यों कर रहा था तू....
अभय – ये हालत देख रही है मेरी पसीने से भीगा हुआ है शरीर मेरा....
सायरा – बोल तो तेरी थकान मिटा दू....
अभय – अभी नही यार सहम को मिलने जाना है पायल से....
सायरा –(मुस्कुरा के) ठीक है जल्दी से नहा के खाना खा ले वर्ना आराम नही कर पाएगा तू....
अभय नहा के आया सायरा के साथ थोड़ा खाना खा के आराम करने लगा इधर अभय को खाना खिला के सायरा हवेली निकल गई उसके आते ही.....
संध्या , मालती और ललिता –(एक साथ तुरंत पूछा) खाना खाया उसने....
सायरा – जिद की तो थोड़ा सा खाना खा के आराम कर रहा है अब.....
रमिया की बात सुन के तीनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई उसके बाद सब हवेली में गांव वालो को खाने खिलाने का काम देखते रहे शाम हो गई अभय उठ के तयार होके निकल गया बगीचे की तरफ पायल से मिलने आम के पेड़ के नीचे खड़े होके पायल के आने का इंतजार करनें लगा अभय कुछ ही मिनट हुए थे की अभय को किसी के हसी के आवाज आने लगी अभय देखने लगा उस दिशा में जहा से आवाज आ रही थी जहा पर अमन किसी लड़की के साथ जा रहा था गौर से देखने पर अभय ने पाया....
अभय – (हैरान होके) ये कपड़े तो पायल के है लेकिन ये अमन के साथ इस तरह....
अभय ने देखा अमन के साथ पायल कही जा रही थी तभी अमन बगीचे में बने कमरे में पायल को लेके जाने लगा कमरे में पायल के जाते ही अमन ने दरवाजा बंद कर दिया जिसे देख अभय की आखें बड़ी हो गई अभय को यकीन नही हो रहा था जो उसने अभी देखा वो सच है या वहम किसी तरह हिम्मत करके अभय बगीचे में बन कमरे की तरफ गया जहा दरवाजा बंद था चारो तरफ देखने लगा मन में बेचनी लिए की कही उसका वहम तो नही और तभी अभय को एक छोटा सा रोशन दान नजर आया जो खुला हुआ था हवा आने जाने के लिए अभय ने वहा से कमरे में क्या हो रहा है देखने लगा जहा का नजारा कुछ ऐसा था
अंदर आते ही दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपटे जैसे बरसों से बिछड़े प्रेमी प्रेमिका हो पायल के हाथ सीधा अमन के लॅंड पर आए और अमन के उसके मोटे बूब्स पर
दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे पायल के बूब्स तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे है, सिर्फ़ एक कपड़ा ही तो था बीच में
अमन के सामने पायल ने अपने सारे कपड़े खोल डाले
जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म अमन की आँखो के सामने
ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आगयी है योवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर
अमन के मुँह से भरभराकर लार बाहर निकल आई और जैसे ही वो फिर से गिरने को हुई, उसने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर पायल के मुम्मे पर रख दिया और उसे चूसने लगा
अमन की लार से लथपथ चूसम चुसाई ने पायल के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम अमन मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ मेरे बूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊबससस्स्स्सस्स
अमन को तो वैसे भी कुछ बोलने और सिखाने की ज़रूरत नही थी, इस तरह से कर रहा था जैसे कोई एक्सपर्ट हो अभी तो अपना एक्सपीरियन्स दिखा रहा था उन मक्खन के गोलों पर
जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से उसके मुँह से निकलते और वो उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता
अमन का पूरा ध्यान इस बेशक़ीमती नगिने पर था, जिसकी नागमणियाँ वो अभी चूस रहा था मुम्मे चुस्वाते-2 वो उछल कर अमन की गोद में चढ़ गयी
अमन उसे उठा के बेड पर पटक दिया
और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर वो भी अपने कपड़े उतारने लगा जैसे-2 अमन के कपड़े उतर रहे थे, उसका शरीर पायल की आँखो के सामने उजागर हो रहा था और जब उसके बदन की खुदाई करने वाला हल उसके सामने आया तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी
वो लपककर उठी और अपनी गीली जीभ से उसकी चटाई करने लगी लॅंड की प्यासी और लॅंड चूसने वाली औरत मिल जाए तो उसकी आँखे अपने आप ही बंद हो जाती है अमन के साथ भी ऐसा ही हुआ
उसने पायल के सर पर हाथ रखा और उसे अपने लॅंड पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना खूँटा गाड़ दिया बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी
पर इस छटपटाहट में भी उसे मजा आ रहा था जिसे वो अमन की बॉल्स को मसलकर और भी ज़्यादा एंजाय कर रही थी कुछ ही देर में अमन का लॅंड उसकी चूत की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था उसने पायल को बेड पर धक्का दिया उसकी चूत देख उस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लॅंड था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था आखिर क्या करता हवेली में उसकी ताई मां की जन्मदिन की एक छोटी सी पार्टी थी जिसमे उसे जल्दी भी जाना था इसलिए अपने छोटे सिपाही की बात मानते हुए अमन ने उसे पायल की चूत पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे जंग के मैदान के अंदर धकेल दिया
घप्प की आवाज़ के साथ वो पायल की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया
एकदम अंदर तक ठूंस कर अपना किल्ला गाड़ा था अमन ने पायल की चूत में
बेचारी रस्सी से बँधी बकरी की तरह मिमिया कर रह गयी उसके इस प्रहार से उस पर अमन ने उसकी गांड़ के छेद में अपनी उनलगी दल जिसका नतीजा पायल की एक आवाज निकली
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अब अमन रुकने वाला नही था...उसे तो मज़ा आ रहा था...पायल अपने आप को तृप्त महसूस कर रही थी इस वक़्त अमन का लॅंड उसकी गहराई तक जा रहा था..
वो उछलकर उपर आ गयी और लॅंड को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से अमन के घोड़े की सवारी करने लगी ..तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था
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आआआआहह अहह और ज़ोर से चोदो मुझे अमन…..और तेज……..मज़ा…..अहह…..मुझे……उम्म्म्मममम ऐसा मजा कोई और नहीं दे सकता है………ज़ोर से चोदो मुझे…अपनी रांड को……..चोदो मुझे अमन…चोदो अपने लॅंड से….अपनी इस रांड को…..चुदाई के समय वो सब अपने आप ही बाहर आने लगा जैसे अमन की रांड बनकर ही रहना चाहती थी वो जिसे आज उसने अपनी ज़ुबान से बोल भी दिया अमन भी अपनी पूरी ताकत से उसकी चुदाई करने लगा
उसके हिप्स को स्टेयरिंग बनाकर उसने अपना ट्रक उसकी चूत के हाइवे पर ऐसा दौड़ाया , ऐसा दौड़ाया की स्पीडोमीटर भी टूट गया...और जब झड़ने का टाइम आया तो उसने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया....लॅंड निकालने से पहले वो झड़ चुकी थी..अमन ने लॅंड को पकड़ा और उसके मू में मलाई देने लगा
इस नजारे को कमरे के बाहर पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ा अभय
अपनी भीगी आखों से देखता रहा
जबकि कमरे के अंदर अमन ने देख लिया था की बाहर उसे कोई देख रहा है जिसे देख अमन के चेहरे पे एक विजय मुस्कान आ गई जबकि बाहर खड़ा अभय ने अपने आसू पोछे अपने से दस कदम दूर एक पेड़ पर कुल्हाड़ी पड़ी दिखी गुस्से में अभय दौड़ के गया कुल्हाड़ी लेके जैस ही कमरे की तरफ मुड़ने जा रहा था की तभी किसी लड़के की आवाज आई उसे...
लड़का – ये कुल्हाड़ी लेके कहा जा रहा है तू
अभय –(अपने सामने देख आंख बड़ी कर हैरान होके) तुम यहां पर कैसे...
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जारी रहेगा![]()
Nice essay sirBahut badhiya update
Idhar haweli me sab khush ha abhay ke party me aa jane se idhar raman ki fir jali or usne ab sabko tapkane ka plan bana liya ha shankar ke sath milkar but dekhte han ki ye abhay ka kuchh bigad pate ha ya nahi
Haweli me sandhya ka to thik ha lekin malti or lalita bhi ab aise behave kar rahe han ki ye abhay ke ane se khush han chalo malti ka to ek bar ke liye man lete han lekin lalita ye jo dikha rahi ha wo ha nahi shayd sab ke samne achha hona ka dikhawa kar rahi ha lagta ha abhay ke samne bhi achha hona chhahti ha lekin lon kya ha ye abhi kehna thik nahi hoga wo to abhay jab haweli ayega tab hi pata padega
Ye jo abhay in sab se itna shanti se bat kar raha ha lagta ha ye tufan ke pahle ki shanti ha jo ki sandhya ke janmdin ke time khatm hogi
Idhar sayra ready ha apne abhay babu ka kalyan karne ke liye
Idhar raj or chandni ke liye sab ready ha bas chandni haa kar de to abhi lagta ha dono ki shadi kara de
Or ye last me akhir aman raman ka hi to khun ha jo chal uske bap ne chali thi abhay ir sandhya ko alag karne ke liye wo hi same chal aman ne chal di kisi ko payal banakar leke jisse abhay ka dil toot jaye or wo kamyab bhi ho gaya tha abhay fir puri sachhai jane apne gusse per control nahi rakh paya tha lekin wo to us ladke ne rok liya jisse dekhke abhay bhi chowk gaya kher lagta ha wo ladka raj bhi ho sakta ha ya fir koi uska dost kher wo ladki kon ho sakti ha kahin wo sarpanch ki beti to nahi agar aisa ha to aman ne apni behen baki samjhdar ha sab
बढ़िया अपडेट
आखिर पायल ने भी अभय को धोखा दे दिया क्या? या कुछ और ही दिखाया गया उसे?
और ये कौन आया अब?
Are sir ji aap bhi itna bada update likh de hum bhi aisa essay likh dengeNice essay sirAisa essay meri story pe to na diya tumne?
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Mind blowingUPDATE 31
कॉलेज के बाद जब पायल और अभय आपस में बात करते हुए जा रहे थे तब अमन अपने दोस्तो के साथ उनके पीछे चल रहा था तब अमन और उसके दोस्तो ने पायल और अभय की कल शाम मिलने वाली बात को सुन लिया जिसे सुन अमन एक कुटिल मुस्कान के साथ निकल गया इधर हवेली में कल के कार्य क्रम की तयारी के लिए संध्या , मालती और ललिता हाल में बैठ के बात कर रहे थे....
संध्या – कल की तयारी कैसे करनी है समझ गए ना तुम दोनो रात में छोटी सी पार्टी भी होगी हवेली में....
ललिता – दीदी मेहमानों को बता दिया क्या आपने पार्टी का....
संध्या – नही ललिता मेहमानो या किसी को नहीं बताया है बस घर के लोग होंगे केवल और कोई नही....
मालती – तो दीदी कल रात में खाने में क्या बनाना होगा....
संध्या – कल रात का खाना मैं खुद बनाऊगी....
ललिता – दीदी इतने नौकर है ना आप जो बोलो वो बना देगे...
संध्या – नही ललिता मैं बनाओगी खाना रात का कल वो आएगा हवेली में...
मालती –(संध्या की बात सुन) कॉन आएगा दीदी...
ललिता –(कुछ सोच के बोली) अभय....
संध्या –(अभय का नाम सुन बोली) हा कल आएगा वो हवेली में , देखो उसके सामने कोई भी ऐसी वैसी बात मत बोलना तुम दोनो मुश्किल से आने को राजी हुआ है वो.....
ललिता – क्या सच में वो हवेली में रहने के लिए तयार हो गया...
संध्या – रहने का पता नही ललिता बस पार्टी में आएगा ये पता है काश वो रहने के लिए भी तयार हो जाय.....
ललिता – बुरा न मानना दीदी लेकिन उसे कैसे मनाया आपने पार्टी में आने के लिए...
तभी रमन हवेली के अन्दर आते हुए बात सुन ली...
रमन –(तीनों को बात सुन) भाभी ने कल पूरे गांव को दावत पर बुलाया है इसीलिए वो मान गया यहां आने को सब गांव वालो के साथ.....
मालती – दीदी रात के खाने की बात कर रही है दिन की नही...
रमन – (चौक के) क्या उस लौंडे को रात के खाने पर यहां (गुस्से में) अब वो लौंडा हमारे साथ बैठेगा भी खाने पर , भाभी अब ये कुछ ज्यादा ही हो रहा है आपका बाहर तक ठीक था अब आप उस लौंडे को घर के अन्दर बुला रही हो कल को खुद यहां रहने को आ जाएगा और फिर जायदाद में भी हक मांगने लगेगा तब क्या करोगी आप...
संध्या – (हस्ते हुए) उसे अगर इन सब का मोह होता तो कब का आ चुका होता हवेली के अन्दर इतनी गर्मी में एक पंखे के नीचे नही सो रहा होता वो अकेला हॉस्टल में जैसा भी है वो लेकिन आज अपने आप में पूरा सक्षम है परवाह नही है उसे एशो आराम की आज भी वो आजाद पंछी की तरह है जहा चाहे वहा बसेरा करने का हुनर है उसमे आज उसे सिर्फ एक काम के लिए गांव के लोग मानते है एक दिन पूरा गांव भी मानेगा उसे दादा ठाकुर और मनन ठाकुर की तरह देखना....
संध्या की इस बात से जहा रमन गुस्से से देख रहा था वही ललिता और मालती के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी जिस पर किसी का ध्यान नही गया तब रमन बोला...
रमन – उससे पहले उसे ये साबित करना होगा वो ही अभय है भाभी....
संध्या – (हस्ते हुए) वो ऐसा कभी नहीं करेगा रमन अपने आप को कभी साबित नही करेगा बिल्कुल अपने पिता की तरह है सिर्फ कर्म करने में विश्वास रखता है वो उसे गाने का शौक नही है सबसे , तूने क्या कहा (यहां बैठ के खाने के लिए) ,एक दिन वो यहां बैठेगा भी खाना भी खाएगा और रहेगा भी देखना तू (मालती और ललिता से) तयारी में कोई दिक्कत हो बता देना मुझे (रमन को देख) और मेरी बात का ध्यान रखना उसके सामने कोई नाटक नही होना चाहिए यहां पर कल...
बोल के संध्या सीडियो से अपने कमरे में चली गई जबकि पीछे खड़ा रमन गुस्से में आग बबूला हो गया और निकल गया हवेली बाहर किसी के घर की तरफ लेकिन हवेली में ललिता अपने काम में लग गई और मालती बच्ची को गोद में लेके काम के साथ खेल रही थी जिसे देख ललिता बोली...
ललिता – अरे मालती ये क्या कर रही है तू बच्चे को गोद में लेके काम कर रही है तू जाके बच्चे को संभाल यहां का काम हो जाएगा....
मालती – माफ करना दीदी आदत हो गई है मेरी ध्यान नही दिया....
ललिता –(मुस्कुरा के मालती के सिर हाथ फेर के) कोई बात नही समझ सकती हू लेकिन तू भी समझ ललिता इस वक्त तुझे ज्यादा बच्चे को जरूरत है एक मां की इसलिए बोल रही हू तू बच्चे को संभाल काम की चिंता छोड़....
मालती – दीदी आपको क्या लगता है अभय कल आएगा...
ललिता – (अभय के बारे में बात सुन काम करना रोक के) सच बोलूं ललिता जब से उस रात को वो मिला उसकी बाते सुन के मन बेचैन सा हो गया है तब से , जब भी हवेली में उसकी बात होती है उसे देखने और मिलने की इच्छा होने लगती है लेकिन फिर एक डर सा लगने लगता है कैसे उसका सामना कर पाऊंगी अगर उसने दीदी की तरह टोक दिया मुझे तो क्या जवाब दुगी उसे ललिता मैं भी चाहती हू वो हवेली वापस आ जाए हमेशा के लिए भले कोई माने या न माने लेकिन दीदी की तरह मेरा भी दिल कहता है वो हमारा अभय है....
मालती – हा दीदी वो हमारा अभय ही है मैं मिली थी उससे दो दिन पहले जिस तरह से उसने बात कर के मू फेरा तभी समझ गई थी मैं ये हमारा अभय है....
ललिता –(मुस्कुरा के) अच्छा है वैसे भी बचपन से दीदी के इलावा वो तेरे साथ ज्यादा रहा है तेरे से मू चुराएगा ही कही तू पहचान ना ले उसे...
मालती – लेकिन दीदी अगर वो अभय है आखिर वो क्यों नही हवेली में वापस आ रहा है क्यों वो हॉस्टल में रह रहा है...
ललिता – जाने वो क्या बात है जिसके चलते हवेली में नही आ रहा है...
ये दोनो आपस में बाते कर रहे थे लेकिन हवेली के बाहर रमन निकल के सीधे चला गया भूत पूर्व सरपंच (शंकर) के घर....
शंकर – (घर में रमन को देख) आईये ठाकुर साहब...
उर्मिला –(ठाकुर सुन के कमरे से निकल देखा सामने रमन ठाकुर खड़ा था) बैठिए ठाकुर साहेब क्या लाऊ चाय ठंडा....
रमन – कुछ नही चाहिए (शंकर से) अकेले में बात करनी है तेरे से चल जरा बाहर....
बोल के रमन के साथ शंकर बाहर निकल के खेत की तरफ टहलने लगे....
रमन –(गुस्से में) शंकर लगता है वक्त आगया है कुछ ऐसा करने का जिससे ये बाजी हमारे हाथ में वापस आ जाए....
शंकर –(रमन की बात सुन) क्या करना चाहते हो आप ठाकुर साहब....
रमन – उस शहरी लौंडे को रास्ते से हटाने का वक्त आ चुका है शंकर उसकी वजह से वो औरत बहुत ज्यादा उड़ने लगी है ऐसा चलता रहा तो वो उस लौंडे को हवेली का मालिक बना देगी लेकिन मैं और वक्त बर्बाद नही करना चाहता हू फालतू की बात करके उस औरत से जो प्यार से ना मिले उसे जबरन हासिल करना ही बेहतर होगा....
शंकर – क्या करे फिर आप जैसा कैसे उसे रास्ते से हटाना है ठाकुर साहब....
रमन – वो रोज सुबह टहलने जाता है ना अच्छा मौका रहेगा ये उसी वक्त उसका काम तमाम करवा दो....
शंकर –(हस के) इसके लिए हमे कुछ नही करना पड़ेगा ठाकुर साहब बीच–(समुंदर किनारा) पर अपने भी लोग रहते है समुंदर से दो नंबर का माल लाने के लिए उन्ही से कह के करवा देता हू उस लौंडे की लाश तक नही मिलेगी किसी को और समुंदर की मछली भी दुवाय देगी आपको ताजा मास जो देने वाले हो आप मछलियों को...
रमन –(अपने मोबाइल में अभय की फोटो दिखाते हुए) ये रही फोटो उस लौंडे की अपने लोगो को बोल दे काम कर दे इसका तगड़ा इनाम मिलेगा सभी को....
बोल के दोनो लोग हसने लगे इस तरफ अभय हॉस्टल में बेड में लेता आराम कर रहा था तभी सायरा आ गई....
सायरा – कैसा रहा आज कॉलेज में....
अभय – अच्छा था तुम सुनाओ कुछ....
सायरा – क्या सुनाओ तुम कुछ सुनते ही कहा हो....
अभय – (हस्ते हुए) तेरी सुनने लगा तो मेरी रानी का क्या होगा....
सायरा – (मू बनाते हुए) तेरी रानी का क्या होना है वो तो तेरी ही रहेगी इतने सालो से तेरे लिए संभाले बैठी है खुद को...
अभय – अच्छा और अपने बारे में बता तेरे इंतजार में कोई नही बैठा है क्या....
सायरा – अभी तक कोई मिला नही मुझे ऐसा जो संभाले इस जवानी को....
अभय – ओह तभी मुझपे दाव लगा रही हो....
सायरा – नारे तेरी बात अलग है तू तो दोस्त है मेरा तेरे साथ की बात ही अलग है....
अभय – दोस्तो में होता है क्या ऐसा....
अभय की बात सुन सायरा बेड में बैठ अभय को जबरन किस करने लगी
कुछ पल विरोध किया अभय ने फिर साथ देने लगा किस में सायरा का....2 से 3 मिनट बाद दोनो अलग हुए सास लेने लगे एक दूसरे को देखते हुए फिर अचानक से दोनो ही किस करने लगे
एक दूसरे को कुछ देर बाद अलग होके सायरा बोली...
सायरा – दोस्ती में लोग कुछ भी कर जाते है दोस्त के लिए....
अभय – hmm तू सच में कमाल का किस करती है लेकिन मैं धोखा नही दे सकता पायल को....
सायरा –(बीच में बात काटते हुए) धोखा तो तब देगा ना जब पता चलेगा किसी को हमारे बारे में....
अभय – पहले से सारी तयारी कर के आई हो तुम....
सायरा –दिन भर जो चाहे करले बस अपनी कुछ राते मेरे नाम कर दे...
बोल के दोनो मुस्कुराने लगे सायरा ने खाना लगाया दोनो ने साथ में खाया आराम करने लगे दूसरी तरफ कॉलेज छुटने के बाद हमारे राज बाबू चले गए सीधे चांदनी के पास....
राज – (चांदनी से) हेलो मैडम कैसे हो आप जनता हो अच्छे ही होगे तो चले खेतो में...
चांदनी –(राज की बात सुन) क्या....
राज – मेरा मतलब खेतो का हिसाब किताब कैसे होता है सीखना है आपको मुझे कितना अच्छा है ना कॉलेज में आप टीचर मैं स्टूडेंट और कॉलेज के बाद आप स्टूडेंट और मैं आपका टीचर मजेदार बात है वैसे ये तो....
चांदनी – (मुस्कुरा के) ठीक है वैसे कुछ दिन को बात है ये तो....
राज – (मुस्कुरा के) पल भर में दुनिया उलट जाति है कुछ दिन में बहुत कुछ हो जाता है वैसे मैं ही बोलता रहता हू हर वक्त आप भी कुछ बोलिए ना....
चांदनी –बोलने का मौका दो तभी कुछ बोलूं मैं....
राज – ओह माफ करिएगा मेरी तो आदत है बक बक करने की आप बताए कुछ अपने बारे में....
चांदनी – (धीरे से) बोल तो ऐसे जैसे रिश्ता जोड़ने वाला हो....
राज – (बात सुन अंजान बन के) क्या कहा आपने....
चांदनी – (चौक के) नही कुछ नही चलो चले....
राज – वैसे कुछ तो बोला है आपेन खेर कोई बात नही चलाए आपको एक मस्त जगह ले चलता हो अच्छा लगेगा आपको....
चलते चलते राज ले जाता है चांदनी को अपने घर पर दरवाजा खत खटाते है....
गीता देवी –(अन्दर से आवाज लगाते हुए गेट खोलती है) कॉन है आ रही हू रुको (सामने राज और चांदनी को देख राज से बोली) आ गया तू और इनको साथ में....
राज –मां ये चांदनी जी है कल ठकुराइन ने बोला था ना चांदनी जी को खेती का हिसाब किताब सीखने को इसीलिए लेके आया सोचा घर ले आऊ आपसे मिलवाने....
गीता देवी –(चांदनी को देख) आओ अंदर आओ बैठो बेटा कैसे हो तुम....
चांदनी – जी अच्छी हू और आप....
गीता देवी – मैं भी अच्छी हू बड़ी जिम्मेदारी दी है संध्या ने तुझे संभाल लेगी ना....
राज –(बीच में) अरे मां ये हिसाब किताब कुछ नही है ये तो अच्छे अच्छे को सबल लेटी है जिसके बाद सामने वाला सीधा हो जाता है...
गीता देवी –तू चुप कर बोल तो ऐसे रहा है जैसे मुझे कुछ पता ना हो , अच्छे से जानती हू अभय की बहन है ये C B I ऑफिसर चांदनी सिन्हा , D I G शालिनी सिन्हा की बेटी अब तू यह खड़ा खड़ा क्या कर रहा है जाके कुछ मीठा लेके आ हलवाई के यहां से....
राज –(मुस्कुरा के) अभी जाता हू....
बोल के राज चला गया....
गीता देवी –संध्या ने मुझे बताया था सब शालिनी जी कैसे है....
चांदनी – अच्छी है....
गीता देवी – बहुत बड़ा उपकार किया है शालिनी जी ने हम पे अभय को सहारा दे के ना जाने क्या होता उसका....
चांदनी – ऐसी बात नही है भाई है वो मेरा आंटी...
गीता देवी –(मुस्कुरा के) जानती हू शालिनी जी इलावा बस तेरी ही सुनता है वो और अभय की बड़ी मां हू मै तू...
चांदनी – (बीच में) तो मैं भी आपको बड़ी मां बोला करूगी...
गीता देवी – तू मां बोला या बड़ी मां मैने तो तुझे अपना मान लिया था कल जब तुझे देखा था संध्या के साथ , जब से राज मिला है तेरे से बावला हो गया है रात भर अकेला सोता कम बस प्यार भरी शायरी गाता रहता है पूरी रात , तुझे कल देख लिया तो समझ आ गया क्यों करता है राज ऐसा...
चांदनी – (शर्मा के) जी बड़ी मां वो में....
गीता देवी – ये वो मैं क्या बोल रही है इतनी बड़ी ऑफिसर होके अटक अटक के बोल रही हो , क्या पहली बार किसी में तारीफ करी है तेरी....
चांदनी बात सुन के सिर नीचे कर शर्मा रही थी जिसे देख...
गीता देवी – (अपने गले से सोने को चैन निकाल के चांदनी को पहना के) इसे पहने रहना खाली गला अच्छा नहीं लगता है बेटी....
इस बात पे चांदनी एक दम से गले लग गई गीता देवी के....
गीता देवी – (सिर पे हाथ फेर के) बहुत प्यार करता है तुझ से राज जब से अभय चला गया था तब से देखा है मैने उसे ज्यादा किसी से बात नही करता था बस स्कूल से घर या अपने बाबा के साथ खेती देखता लेकिन जब से अभय से मिला है पहले जैसा बन गया है नटखट वाला राज तरस गई थी उसकी ये हंसी देखने को कभी कभी डर लगता था कैसे....
चांदनी –(बीच में) अब डरने को कोई बात नही है मां सब कुछ अच्छा होगा...
गीता देवी –(मुस्कुरा के) हा सही कहा अच्छा होगा सब...
तभी राज वापस आ गया सबने साथ मिल के खाना खाया फिर...
गीता देवी –(राज से) चल चांदनी को हवेली छोड़ के आजा जल्दी से...
राज –लेकिन मां वो काम...
गीता देवी –(बीच में) कोई काम नही अभी ये सब बाद में थकी हुई है चांदनी कॉलेज से सीधा लेके निकल आया काम सिखाने बड़ा आया काम काज वाला जा चांदनी को आराम करने दे काम वाम बाद में सीखना...
फिर राज और चांदनी निकल गए हवेली की तरफ रास्ते में....
चांदनी – तुम अभय के बचपन से दोस्त हो...
राज – हा क्यों पूछा आपने...
चांदनी – फिर तो तुम्हारे साथ ही बात शेयर करता होगा...
राज – कोई शक है क्या...
चांदनी – तो उस रात खंडर में तुंभी थे राज के साथ सही कहा ना...
राज –(चौक के) आपको कैसे पता...
चांदनी – मेरी बात ध्यान से सुनो राज खंडर में क्या है पता नही लेकिन जो भी है वो जगह खतरे से खाली नही है हमारे 4 ऑफिसर गए थे 2 साल पहले पता करने खंडर के बारे में लेकिन कोई लौटा नही आज तक उन चारों में से...
राज –(हैरानी से बात सुन के) आप सच बोल रही हो या डरा रही जो मुझे...
चांदनी – ये सच है राज प्लीज कुछ भी हो जाय उसके आस पास भी मत भटकना मैने अभय को भी माना किया है लेकिन मुझे नहीं लगता वो चुप बैठे हा उसकी बात सुन के अंदाजा लगा है मुझे टीम दोस्त हो इसीलिए तुम्हे बता रही हू प्लीज अभय को जाने मत देना जब तक पता ना चल जाय खंडर का सच....
राज –मैं वादा करता हू अभय को मैं जाने नही दुगा खंडर में कभी भी लेकिन उसके बदले क्या मुझे नंबर मिलेगा आपका वादा करता हू तंग नही करूंगा बस मैसेज करूंगा आपको...
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मोबाइल में सेव करो नंबर और मिस कॉल देदो मैं सेव कर लूंगी...
दोनो ने नंबर ले लिया एक दूसरे का और इसके साथ हवेली आ गई...
राज –अच्छा चलता हू कल मिलूगा आपसे फाई काम सीखा दुगा आपको खेती के हिसाब का...
बोल के चला गया राज अपने घर की तरफ जैसे ही चांदनी हवेली के अन्दर जा रही थी तभी रमन मिल गया...
रमन –(चांदनी को देख के) अरे चांदनी जी आप पैदल क्यों आ रही है हवेली में इतनी कार है उसे ले जाया करिए...
चांदनी –(मुस्कुरा के) शुक्रिया ठाकुर साहब यहां कॉलेज भी पास में है साथ में तेहेलना भी हो जाता है मेरा इसीलिए जरूरत महसूस नही होती कार की...
रमन – चलिए कोई बात नही कैसा रहा आज का दिन कॉलेज में आपका...
चांदनी – अच्छा था जैसा होता है सबका वैसे आपसे एक बात पूछनी थी....
रमन – हा पूछिए चांदनी जी...
चांदनी – कल गांव वालो की बैठक के वक्त ठकुराइन ने एक बात बोली थी मुनीम को हटाने वाली लेकिन मैं जब से आई हू तब से सिर्फ मुनीम का नाम सुना है मुनीम दिखा नहीं आज तक है कहा वो...
रमन –जाने कहा है कुछ पता नहीं चल रहा है उसका चांदनी जी अब आप ही देखो ना भाभी ने अचानक से सरपंच बदल दिया और एक औरत को बना दिया सरपंच कम से कम बनाना ही था सरपंच तो औरत को तो सरपंच की बीवी को बना देती इस तरह छोटी जात वालो को सरपंच बना के क्या फायदा वो सिर्फ अपना भला देखेगे गांव का भले से क्या मतलब होगा उनको...
चांदनी –(रमन की भड़कीली बात को अच्छे से समझ के) बात तो आपकी बिल्कुल सही है ठाकुर साहब मौसी को ऐसा नहीं करना चाहिए था कम से कम आपसे एक बार सलाह जरूर लेटी इस बारे में....
रमन –(चांदनी की बात सुन खुश होके) देखो आपको भी लगता है ना बात सच है मेरी....
चांदनी –(नादान बनते हुए) हा ठाकुर साहब लेकिन अब क्या कर सकते है अब देखिए ना मुझे भी खाते संभालने की जिम्मेदारी देदी मौसी ने एक तरफ कॉलेज देखना फिर खाता हिसाब किताब जाने कैसे संभाल पाऊंगी मैं ये सब....
रमन –(खुश होके) आप चिंता न की चांदनी जी मैं हू ना आपको खाते और हिसाब कैसे बनाते है सब सिखा दुगा....
चांदनी – लेकिन मौसी ने तो राज को बोला है सीखने के लिए फिर कैसे आप...
रमन – आप चिंता मत करिए चांदनी जी राज वैसे भी कही और बिजी होने वाला है जल्द ही फिर मैं सीखा दुगा सब कुछ आपको जल्द ही...
चांदनी – (चौक के) कहा व्यस्त होने वाला है राज...
रमन – (बात संभालते हुए) अरे मेरा मतलब था उसकी मां सरपंच बन गई है तो अपनी मां के साथ व्यस्त रहेगा ना ऐसे में वक्त कहा मिलेगा आपको सीखने का....
चांदनी – हा बात सही है आपकी ठीक है चलती हू थोड़ा थकी हुई हू आराम कर लो मिलते है फिर....
बोल के चांदनी चली गई अपने कमरे में पीछे खड़ा रमन मन में बोला...
रमन –(मन में– उस शहरी लौड़े का दोस्त बन गया है ना राज और संध्या उसकी दीवानी भी अब उस लौंडे के गायब हो जाने से व्यस्त तो रहेगा राज और संध्या डूंडते रहेगी उसे गांव भर में और यहां मैं चांदनी को अपने बस में कर उस संध्या के हाथो से हवेली की सारी बाग डोर मैं लेलूगा जल्द ही फिर किसी का डर नही रहेगा ना संध्या का ना उस लौंडे का एक तीर से सबका शिकार होगा अब)....
शाम को अभय उठाते ही दोस्तो के पास घूमने निकल गया रात में वापस आया...
सायरा – (अभय से) मैने खाना बना दिया है अभय तुम खा लेना....
अभय – क्यों तुम कहा जा रही हो आज की रात तो तुम्हारे साथ बितानी है मुझे....
सायरा –क्या करू अभय कल हवेली में पूरे गांव वालो का खाना रखा गया है उसकी तयारी भी तो करनी है ना इसीलिए जल्दी जाना है हवेली कल सुबह जल्दी से उठना भी है काम है काफी कल मुझे आज का रहने दो अभय....
अभय – अगर ऐसी बात है तो मैं भी अमी भी आ जाता हू सुबह तेरी मदार करने....
सायरा – तुझे कहना बनाना आता है क्या...
अभय – एक बार मेरे हाथ का खाना खालेगी तो भूल नही पाएगी स्वाद उसका....
सायरा – कल हवेली के बाहर खाना बनाने की व्यवस्था रखी गई है लेकिन चांदनी को पता चल गया तो...
अभय – तू चिंता मत कर दीदी कुछ नही बोलेगी....
सायर –ठीक है तुम खाना खा के सो जाओ जल्दी कल सुबह 6 बजे आ जाना हवेली के बाहर मैं इंतजार करूगी....
बोल के सायरा चली गई हवेली इधर अभय खाना खा के राज को कॉल मिलाया...
अभय –(कॉल पर राज से) क्या हाल चाल है मेरे मजनू भाई कैसा रहा आज का दिन....
राज –यार आज तो मजा आ गया भाई मस्त दिन बीता आज मेरा....
अभय –बड़ा खुश लग रहा है क्या बात है बता तो जरा....
राज –यार आज चांदनी ने अपना नंबर दे दिया मुझे अपने घर बाई लाया था साथ में खाना भी खाया फिर अकेले हवेली छोड़ने गया था चांदनी को मैं....
अभय – ओह हो तो अब डायरेक्ट दीदी का नाम भी लेने लग गया तू....
राज – अबे दीदी तेरी है मेरी तो होने वाली बीवी है भूल मत बोनस में एक लौता साला भी मिला रहा है मुझे....
अभय – अबे चल चल समझ गया बात तेरी अब काम की बात सुन कल कॉलेज में बोल देना मैं नही आऊंगा....
राज – क्यों बे कहा अंडे देने जा रहा है तू एक मिनट कही पायल के साथ तू...
अभय – चल बे पायल से शाम को मिलने का वादा है मेरा कल सुबह हवेली में खाना बनाने की तयारी करूंगा वही जाऊंगा मैं...
राज –(चौक के) अबे तू खाना बनाने जा रहा है क्या सच में....
अभय – हा यार कल का खाना मैं बनाऊंगा सब गांव वालो के लिए कुछ मैं भी तो करू अपने गांव वालो के लिए....
राज – अबे किया तो तूने जो है वो काफी है फिर भी अगर तेरा मन है तो करले मेरी मदार चाहिए तो बता मैं भी आ जाऊंगा...
अभय – मदद करनी है तो एक काम कर कॉलेज के बाद सब गांव वालो को खाना खिलाने में मदद करना तू बस....
राज – ठीक है तू आराम कर कल तेरे लिए भी बहुत बड़ा दिन है भाई....
बोल के कॉल कट कर सो गया अभय सुबह जल्दी उठ के निकल गया अभय हवेली की तरफ कहा सायरा इंतजार कर रही थी अभय के आते ही लग गया अभय खाना बनाने में अभय ने बिना किसी की मदद के खाना बना रहा था बाकी के लोग जो खाना बनाने आए थे वो सिर्फ अभय की हल्की फुल्की मदद कर रहे थे आखिर कार 4 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद अभय ने खाना बना लिया जबकि हवेली में संध्या , ललिता और मालती लगे हुए थे तयारी में ताकी जल्द से जल्द खाने का आयोजन शुरू किया जाय करीबन 12 बजे के आस पास खाने का कार्यक्रम शुरू हो गया सब गांव वालो को हवेली के गार्डन में टेंट की नीचे बैठा के खाना दिया जा रहा था कॉलेज का हाफ डे करके राज , राजू और लल्ला भी आ गए हवेली जहा वो सब मिलके गांव वालो को खाना बात रहे थे गांव वालो की भीड़ में संध्या की नजरे किसी को डुंडे जा रही थी काफी देर से लेकिन उसे वो मिल नही रहा था तभी राज पे नज़र पड़ी....
संध्या –(राज को अपने पास बुला के) राज तुम अकेले आए हो अभय कहा है...
राज –(संध्या की बात सुन) क्या आपको पता नही अभय के बारे में....
संध्या –(राज की ऐसी बात सुन घबरा के) क्या हुआ उसे ठीक तो है ना वो ले चलो कहा है वो....
राज –अरे अरे शांत ठकुराइन कुछ नही हुआ है अभय को मैं सिर्फ ये बोल रहा था की अभय तो आज सुबह से ही हवेली आ गया था ये सारा खाना उसी ने तो बनाया है...
संध्या –(राज की बात सुन चौक के) क्या अभय ने बनाया ये खाना लेकिन खाने के लिए तो बावर्ची आय थे....
राज – कल रात अभय का कॉल आया था उसी ने बताया था मुझे आपको विश्वास न हो तो चलिए दिखाता हू आपको...
जब संध्या और राज आपस में बात कर रहे थे तब चांदनी , ललिता और मालती वही खड़े उनकी बात सुन रहे थे फिर राज के साथ ये सभी निकल गए जहा खाना बनाया जा रहा था वहा आते ही सभी देख के हैरान हो गए वहा अभय खाना बना रहा था अकेला और उसकी हल्की फुल्की मदद कर रहे थी सायरा और बावर्ची जिसे देख....
संध्या दौड़ के अभय के पास जाने लगी उसके पीछे बाकी सब आने लगे....
संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) बस कर गर्मी लग जाएगी तुझे....
अभय –(आवाज सुन जैसे ही पलटा अपने सामने संध्या को देख जिसकी आखों में आसू थे) ये गांव मेरा भी है मेरा भी फर्ज बनता है इन के प्रति आप चिंता न करे ये तो मामूली गर्मी है इससे ज्यादा तो ये गांव वाले इस गर्मी को झेलते है रोज मैं सिर्फ कुछ देर के लिए ही इस गर्मी को झेल रहा हू....
अभय की बात सुन संध्या ने कमर में साड़ी बांध अभय का साथ देने लगी जिसे देख अभय बोला....
अभय – बस कीजिए काम खतम हो गया है खाना तयार हो गया है सारा का सारा देखिए....
संध्या , ललिता , मालती और चांदनी ने जब देखा तो चारो तरफ भारी भारी कई पतीले पड़े हुए थे खाने से भरे....
अभय –चलिए मेरा काम तो हो गया यहां का अब मैं चलता हूं....
संध्या , ललिता और मालती – (अभय का हाथ पकड़ के) रुक जा मत जारे....
अभय – (अपना हाथ छुड़ा के) मैं यहां सिर्फ पड़ने आया हू ये तो मेरा मन था सो कर दिया....
संध्या – खाना खा लो साथ में हमारे....
अभय कुछ बोलने जा रहा था तभी मालती बोली....
मालती – तूने इतना किया सबके लिए हमे भी कुछ करने दे तेरे लिए...
अभय – सच में मेरा आधा पेट तो खाना बनाने में भर गया है बहुत थकान हो गई है अब बस आराम करूंगा मैं हॉस्टल जाके....
संध्या – तो यही आराम कर ले ये भी....
अभय – (बीच में बात काटते हुए) इस वक्त आपका ध्यान गांव वालो पर होना चाहिए मुझ पे नही आपने मुझे रात के खाने पर बुलाया था ना छोटी सी पार्टी याद है ना आपको चलता हू....
बोल के निकल गया अभय हॉस्टल की तरफ तभी रास्ते में पायल ने आवाज लगाई...
पायल – कहा जा रहा है तू...
अभय – (पायल को देख) इन कपड़ो में बहुत खूबसूरत लग रही है तू , मैं हॉस्टल जा रहा हू आराम करने...
पायल – हा राज ने बताया आज तूने बनाया है खाना सबके लिए....
अभय – तूने खाया खाना....
पायल – अभी नही मां बाबा के साथ खाओगी तू भी आजा....
अभय – नही यार सुबह से लगा पड़ा हू अभी हिम्मत नही हो रही अब आराम करने जा रहा हू बस चल शाम को मिलता हू यही कपड़े पहन के आना....
पायल मुस्कुरा के चली गई लेकिन कोई था जो इनकी बात सुन के वो भी चली गई जबकि इस तरफ अभय के जाते ही संध्या बोली.....
संध्या –रमिया (सायरा) तू अभय के लिए खाना लेजा और अच्छे से खिला के ही वापस आना तू....
सायरा (रमिया) – जी मालकिन...
बोल के अभय का खाना लेके चली गई हॉस्टल की तरफ अभय के हॉस्टल आने के कुछ देर बाद सायरा आ गई....
अभय – तू इस वक्त....
सायरा – कितना भाव खाता है तू जब सब बोल रहे थे खाने के लिए तो मना क्यों कर रहा था तू....
अभय – ये हालत देख रही है मेरी पसीने से भीगा हुआ है शरीर मेरा....
सायरा – बोल तो तेरी थकान मिटा दू....
अभय – अभी नही यार सहम को मिलने जाना है पायल से....
सायरा –(मुस्कुरा के) ठीक है जल्दी से नहा के खाना खा ले वर्ना आराम नही कर पाएगा तू....
अभय नहा के आया सायरा के साथ थोड़ा खाना खा के आराम करने लगा इधर अभय को खाना खिला के सायरा हवेली निकल गई उसके आते ही.....
संध्या , मालती और ललिता –(एक साथ तुरंत पूछा) खाना खाया उसने....
सायरा – जिद की तो थोड़ा सा खाना खा के आराम कर रहा है अब.....
रमिया की बात सुन के तीनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई उसके बाद सब हवेली में गांव वालो को खाने खिलाने का काम देखते रहे शाम हो गई अभय उठ के तयार होके निकल गया बगीचे की तरफ पायल से मिलने आम के पेड़ के नीचे खड़े होके पायल के आने का इंतजार करनें लगा अभय कुछ ही मिनट हुए थे की अभय को किसी के हसी के आवाज आने लगी अभय देखने लगा उस दिशा में जहा से आवाज आ रही थी जहा पर अमन किसी लड़की के साथ जा रहा था गौर से देखने पर अभय ने पाया....
अभय – (हैरान होके) ये कपड़े तो पायल के है लेकिन ये अमन के साथ इस तरह....
अभय ने देखा अमन के साथ पायल कही जा रही थी तभी अमन बगीचे में बने कमरे में पायल को लेके जाने लगा कमरे में पायल के जाते ही अमन ने दरवाजा बंद कर दिया जिसे देख अभय की आखें बड़ी हो गई अभय को यकीन नही हो रहा था जो उसने अभी देखा वो सच है या वहम किसी तरह हिम्मत करके अभय बगीचे में बन कमरे की तरफ गया जहा दरवाजा बंद था चारो तरफ देखने लगा मन में बेचनी लिए की कही उसका वहम तो नही और तभी अभय को एक छोटा सा रोशन दान नजर आया जो खुला हुआ था हवा आने जाने के लिए अभय ने वहा से कमरे में क्या हो रहा है देखने लगा जहा का नजारा कुछ ऐसा था
अंदर आते ही दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपटे जैसे बरसों से बिछड़े प्रेमी प्रेमिका हो पायल के हाथ सीधा अमन के लॅंड पर आए और अमन के उसके मोटे बूब्स पर
दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे पायल के बूब्स तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे है, सिर्फ़ एक कपड़ा ही तो था बीच में
अमन के सामने पायल ने अपने सारे कपड़े खोल डाले
जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म अमन की आँखो के सामने
ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आगयी है योवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर
अमन के मुँह से भरभराकर लार बाहर निकल आई और जैसे ही वो फिर से गिरने को हुई, उसने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर पायल के मुम्मे पर रख दिया और उसे चूसने लगा
अमन की लार से लथपथ चूसम चुसाई ने पायल के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम अमन मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ मेरे बूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊबससस्स्स्सस्स
अमन को तो वैसे भी कुछ बोलने और सिखाने की ज़रूरत नही थी, इस तरह से कर रहा था जैसे कोई एक्सपर्ट हो अभी तो अपना एक्सपीरियन्स दिखा रहा था उन मक्खन के गोलों पर
जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से उसके मुँह से निकलते और वो उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता
अमन का पूरा ध्यान इस बेशक़ीमती नगिने पर था, जिसकी नागमणियाँ वो अभी चूस रहा था मुम्मे चुस्वाते-2 वो उछल कर अमन की गोद में चढ़ गयी
अमन उसे उठा के बेड पर पटक दिया
और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर वो भी अपने कपड़े उतारने लगा जैसे-2 अमन के कपड़े उतर रहे थे, उसका शरीर पायल की आँखो के सामने उजागर हो रहा था और जब उसके बदन की खुदाई करने वाला हल उसके सामने आया तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी
वो लपककर उठी और अपनी गीली जीभ से उसकी चटाई करने लगी लॅंड की प्यासी और लॅंड चूसने वाली औरत मिल जाए तो उसकी आँखे अपने आप ही बंद हो जाती है अमन के साथ भी ऐसा ही हुआ
उसने पायल के सर पर हाथ रखा और उसे अपने लॅंड पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना खूँटा गाड़ दिया बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी
पर इस छटपटाहट में भी उसे मजा आ रहा था जिसे वो अमन की बॉल्स को मसलकर और भी ज़्यादा एंजाय कर रही थी कुछ ही देर में अमन का लॅंड उसकी चूत की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था उसने पायल को बेड पर धक्का दिया उसकी चूत देख उस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लॅंड था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था आखिर क्या करता हवेली में उसकी ताई मां की जन्मदिन की एक छोटी सी पार्टी थी जिसमे उसे जल्दी भी जाना था इसलिए अपने छोटे सिपाही की बात मानते हुए अमन ने उसे पायल की चूत पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे जंग के मैदान के अंदर धकेल दिया
घप्प की आवाज़ के साथ वो पायल की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया
एकदम अंदर तक ठूंस कर अपना किल्ला गाड़ा था अमन ने पायल की चूत में
बेचारी रस्सी से बँधी बकरी की तरह मिमिया कर रह गयी उसके इस प्रहार से उस पर अमन ने उसकी गांड़ के छेद में अपनी उनलगी दल जिसका नतीजा पायल की एक आवाज निकली
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आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…………ओओओओओओओ आई लव यू अमन माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………
अब अमन रुकने वाला नही था...उसे तो मज़ा आ रहा था...पायल अपने आप को तृप्त महसूस कर रही थी इस वक़्त अमन का लॅंड उसकी गहराई तक जा रहा था..
वो उछलकर उपर आ गयी और लॅंड को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से अमन के घोड़े की सवारी करने लगी ..तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था
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आआआआहह अहह और ज़ोर से चोदो मुझे अमन…..और तेज……..मज़ा…..अहह…..मुझे……उम्म्म्मममम ऐसा मजा कोई और नहीं दे सकता है………ज़ोर से चोदो मुझे…अपनी रांड को……..चोदो मुझे अमन…चोदो अपने लॅंड से….अपनी इस रांड को…..चुदाई के समय वो सब अपने आप ही बाहर आने लगा जैसे अमन की रांड बनकर ही रहना चाहती थी वो जिसे आज उसने अपनी ज़ुबान से बोल भी दिया अमन भी अपनी पूरी ताकत से उसकी चुदाई करने लगा
उसके हिप्स को स्टेयरिंग बनाकर उसने अपना ट्रक उसकी चूत के हाइवे पर ऐसा दौड़ाया , ऐसा दौड़ाया की स्पीडोमीटर भी टूट गया...और जब झड़ने का टाइम आया तो उसने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया....लॅंड निकालने से पहले वो झड़ चुकी थी..अमन ने लॅंड को पकड़ा और उसके मू में मलाई देने लगा
इस नजारे को कमरे के बाहर पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ा अभय
अपनी भीगी आखों से देखता रहा
जबकि कमरे के अंदर अमन ने देख लिया था की बाहर उसे कोई देख रहा है जिसे देख अमन के चेहरे पे एक विजय मुस्कान आ गई जबकि बाहर खड़ा अभय ने अपने आसू पोछे अपने से दस कदम दूर एक पेड़ पर कुल्हाड़ी पड़ी दिखी गुस्से में अभय दौड़ के गया कुल्हाड़ी लेके जैस ही कमरे की तरफ मुड़ने जा रहा था की तभी किसी लड़के की आवाज आई उसे...
लड़का – ये कुल्हाड़ी लेके कहा जा रहा है तू
अभय –(अपने सामने देख आंख बड़ी कर हैरान होके) तुम यहां पर कैसे...
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जारी रहेगा![]()
Thank you sooo much parkNice and superb update....
Thank you sooo much Rekha rani jiAwesome update
Ending jabrdasti hai
Aman.ne wahi chal chali Jo uske bap ne chali thi Sandhya ko lekr wahi scene repeat hua payal aur abhay ke sath
Twist ke sath end hua shayad Raj hai use aawaj dene wala aur ab vartman ko dikha kr Raj bhutkal ko smajhayega abhay ko
Behtrin likha hai gajab
Thank you sooo much Pandu1990Wonderful suspense dost