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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Pehla to rajesh ko chanta mara ye abhi ko kisi ke duara pata lagna chahiye tha dusra kisi ne khana nahi khaya chadni ne bhi nahi ye abhi ko pata lagna tha aur bhi point he jo is bakt hi pata lagna tha bad me inka koi ochitua nahi
Sab kuch hoga bhai lekin ek update me sab kuch nahi ho paya isileye bhai thoda wait kro bhai 😉 😉
 

Rekha rani

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Shanaya se Abhay ka rishta school ke time se juda tha bus Abhay smaj nahi raha tha is bat ko
Shyad aapko yad ho Abhay ne apna Flashback bataya tha Raj ko tab Raj ne poocha tha Abhay se ky wo pyar krta hai lekin Abhay jawab nahi de paya tha jara sochiye Rekha rani ji is bat ko
.
Sochkar hi bol rahi hu tab nahi samjh paya lekin yaha apne bachpan ke payar se milkr kaise samjh gaya jabki wo khud dohare charitr se hi preshan hokr ghar se nikla hai kaise payal jaisi ladki Sanaya ko qbul kregi,

Sandhya ke bare me kya bat kre Abhay or kya batay kisi or ko ye bat to Raj ko bhi nahi batay Abhay ne is bare me sirf 5 log jante hai abhi ke leye Shalini , Chandni , Abhay , Gita Devi or khud Sandhya
Last me Raj ki bat se Abhay bhi smj gaya tha use Bagiche ka such pata hai lekin us rat ka nahi
Ab apne ghr ki pool koi Q kholega kisi or ke samne
.
Kher abhi kahani kaha khtam hue hai Rekha ji abhi Story Baki hai kafi abhi to bahut kuch hona baki hai smj rhe hai na aap😉😉
Maine sirf ab ke incident ke bare me kaha hai pichhle wale kand ke bare me nahi
 

Rekha rani

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Shanaya se Abhay ka rishta school ke time se juda tha bus Abhay smaj nahi raha tha is bat ko
Shyad aapko yad ho Abhay ne apna Flashback bataya tha Raj ko tab Raj ne poocha tha Abhay se ky wo pyar krta hai lekin Abhay jawab nahi de paya tha jara sochiye Rekha rani ji is bat ko
Sochkar hi bol rahi hu tab nahi samjh paya lekin yaha apne bachpan ke payar se milkr kaise samjh gaya jabki wo khud dohare charitr se hi preshan hokr ghar se nikla hai kaise payal jaisi ladki Sanaya ko qbul kregi,
Ya to abhay baki hero ke jaise unke nakshekadam par chalne ko ready ho raha hai ki sab ladies meri hai aur sabko main hi boguga,🤗🤗😎
 
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Sochkar hi bol rahi hu tab nahi samjh paya lekin yaha apne bachpan ke payar se milkr kaise samjh gaya jabki wo khud dohare charitr se hi preshan hokr ghar se nikla hai kaise payal jaisi ladki Sanaya ko qbul kregi,
Ya to abhay baki hero ke jaise unke nakshekadam par chalne ko ready ho raha hai ki sab ladies meri hai aur sabko main hi boguga,🤗🤗😎
Aapki last wali line ke leye such bolo to mai e is bare me abhai tak Socha Q nahi 😂😂😂
 

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UPDATE 32


लड़का – ये कुल्हाड़ी लेके कहा जा रहे हैं....

अभय –(अपने सामने राज और साथ में कुछ लोगो को देख) तुम यहां पर...

राज –हा भाई वो हवेली में ठकुराइन ने पायल और काका काकी (मां और पिता)को अपने साथ बैठाया था बस ठकुराइन से विदा लेके घर जा रहे थे हमलोग , तू बता ये कुल्हाड़ी का क्या करने जा रहा है...

अभय – (कुल्हाड़ी को साइड में रख) वो सामने पेड़ में टंगी हुई थी नीचे पानी में ना गिर जाए इसीलिए यहा साइड में रखने जा रहा था...

राज – (पायल और उसके मां बाप से) अच्छा काका काकी पायल आप घर निकलो शाम हो रही है आराम करो कल मिलते है....

बोल के पायल अपने मां और पिता के साथ जाने लगी तभी पायल पीछे मुड़ के अभय को अपने एक कान पकड़ के हाथ हिला के इशारे से सौरी बोला जिसे समझ के अभय ने इशारे से सिर हिला के ठीक है कहा जिसके बाद पायल मुस्कुराते हुए चली गई तभी...

अभय – (राज से) तो तेरा मतलब है तुम लोग हवेली से आ रहे हो सीधे...

राज –अबे हा यार तू बार बार क्यों पूछ रहा है एक सवाल को...

अभय –अगर पायल तेरे साथ थी तो वहा कॉन है...

राज –(चौक को) कहा कौन है किसकी बात कर रहा है तू यार...

अभय –(बगीचे वाले कमरे पर इशारा करके) उस कमरे में कौन है फिर...

बोल के अभय जाने लगा कमरे की तरफ तभी राज बोला...

राज –(अभय का हाथ पकड़ के) हुआ क्या है भाई क्या बात है पहले बता मुझे...

अभय –(जो कुछ देखा वो बता दिया) समझ नही आ रहा है मुझे कॉन है अमन के साथ...

राज –(अभय को गौर से देख) तो तू कुल्हाड़ी रखने नही उसे लेके मारने जा रहा था अमन और उस लड़की को...

अभय – हा, लेकिन अब जानना है कौन है वो..

राज – (कुछ सोच के अभय का हाथ पकड़ के) चल मेरे साथ तू...

अभय – अबे कहा ले जा रहा है भाई कमरा वहा पर है...

राज –बस चुप कर और साथ चल मेरे कुछ दिखता हू तुझे....

बोल के अभय को अपने साथ कमरे की उलटी दिशा में ले जाके एक पेड़ के पीछे छुप गया राज अपने साथ अभय को लेके...

अभय –तू यहां क्यों लाया है मुझे...

राज –यही छुप के बस देखता रह उस कमरे की तरफ पता चल जाएगा तुझे....

जैसा राज ने बोला था अभय को ठीक वैसा ही हुआ 15 से 20 मिनट के बाद कमरे का दरवाजा खुला अमन निकला और तभी वो लड़की निकली जिसने पायल के जैसे कपड़े पहने थे जिसे देख...

राज और अभय –(एक साथ) पूनम...

राज – (चौक के) ये तो उर्मिला की बेटी है और इसने बिल्कुल पायल के जैसे कपड़े पहने हुए है (अभय को देख)इसका मतलब अमन इसके साथ कमरे में और तू इसको पायल समझ के मारने जा रहा था...

अभय –(हा में सर हिला के) क्यों कर रहे है ऐसा ये लोग...

राज –(अभय की बात को बीच में काट के) वो इसीलिए कर रहे है ऐसा क्यों की रमन की तरह उसका बेटा अमन भी तेरी खुशी बर्दश नही कर पाया है यही खेल दस साल पहले रमन ठाकुर ने खेला था तेरे साथ और दस साल बाद उसके बेटे ने भी वही काम किया तेरे साथ आज अगर पायल वक्त पर तेरे सामने ना आती तो तू उन दोनों को मार देता बिना ये जाने की वो पायल है या कोई और...

अभय – (राज की बात सुन) ये तू दस साल पहले वाली बात क्यों बोल रहा है तुझे क्या पता उस बारे में मैने देखा है वो सब अपनी आखों से राज झूठ नही था वो...

राज –अच्छा अपनी आखों से देखा था तूने दस साल पहले तो जरा बता ठकुराइन के कपड़े देखे थे तूने क्या शकल भी देखी थी तूने...

अभय –(राज की बात सुन सोच मे पड़ गया फिर बोला) तूझे कैसे पता ये बात...

राज –क्योंकि जहा हम अभी खड़े है दस साल पहले मैं यही पर खड़ा होके सारा तमाशा देख रहा था साथ में तुझे भी देखा था मैने (एक तरफ इशारा करके) वो देख कमरे की पीछे वाले पेड़ पे छुप के देख रहा था ना उस दिन मैंने तुझे भी देखा था और जनता है रमन के साथ वो औरत कॉन थी...

अभय – (आखें बड़ी करके) कॉन थी वो औरत...

राज –उस दिन वो औरत और कोई नही उर्मिला थी सरपंच की बीवी जिसे रमन ठाकुर ही लेके आया था ठकुराइन के कपड़े पहना के ताकी तू देखे और समझे की वो ठकुराइन है कितनी आसानी से उसने अपने जाल में फसा दिया तुझे , रमन तेरी नजरो में ठकुराइन को गिराना चाहता था और कामयाब भी हो गया वो...

राज की बात सुन अभय के दिमाग में दस साल पहले की तस्वीरे घूमने लगी बगीचे वाली जिसे याद कर....

अभय – (पुरानी बात याद करके) (मन में – जब मैं हवेली से निकला तब ठकुराइन गांव की खेती का खाता बही बना रही थी उसके बाद बगीचे में रमन के साथ मतलब वो इतनी जल्दी कैसे आ सकती है तो फिर उस रात में)...

राज –(सोचते हुए अभय को बीच में ही कंधे पे हाथ रख के) कहा खो गया भाई तू...

अभय – कही नही यार वो...राज –(बीच में) देख अभय हो सकता है तुझे लग रहा हो मैं झूठ बोल रहा हू लेकिन जरा सोच मुझे झूठ बोल के मिलेगा भी क्या हा अगर फिर भी तुझे शक हो रहा है तो मैं अपनी मां की कसम खा के बोलता हू जो भी बोला मैने उसका एक एक शब्द सच है...

अभय –(अपना माथा झटक के) तुझे कसम खाने की जरूरत नहीं है राज मुझे तुझपे पूरा यकीन है जनता हू तू मुझ से कभी झूठ नहीं बोलेगा...

राज – चल छोड़ ये बात पायल रास्ते में बोल रहीं थी मेरे से तुझे मिल के बता दू पायल क्यों नही आपारही है मिलने तेरे से लेकिन तू रास्ते में मिल गया अब अपने मन को शांत कर हवेली जा रहा है ना तू...

अभय –हा वही जा रहा हू यार...

राज – ठीक है आराम से जा हवेली मिल सबसे आराम से बात करना चल चलता हू भाई बहुत थक गया हू घर जाके आराम करूंगा मैं...

बोल के अभय से विदा लेके राज निकल गया अपने घर और पीछे...

अभय –(मन में सोचते हुए – इसका मतलब उस दिन जो कुछ हुआ वो धोखा था ताकि मैं नफरत करने लगूं ठकुराइन से तो क्या सच में ठकुराइन वैसी नही है जैसा मैं समझ रहा हू लेकिन रमन ऐसा क्यों कर रहा था आखिर क्यों मेरी नजरो में गिराना चाहता था ठकुराइन को दोनो बाप बेटे मिलके रोज मार खिलवाते थे ठकुराइन से फिर ये क्यों किया रमन ने मेरे साथ क्या हासिल करना चाहता था रमन या फिर उसने कुछ हासिल कर लिया और मैं समझ भी नही पाया अभी तक अगर ये सारी बात सही भी मान लूं मैं तो हवेली में उस रात जो मैने देखा वो क्या था कही वो भी उस रमन की चाल तो नही लेकिन उसे कैसे पता होगा कि मैं ये सब देखूगा कमरे के बाहर से) साला एक पहेली सुलझती नहीं है दूसरी कोड़ बन के सामने आ जाति है...

सोचते हुए अपने आप से बाते करते हुए अभय चलता गया हवेली की तरफ जहा पर संध्या की आखें हवेली के दरवाजे को ताक रही थी अभय के इंतजार में...

ललिता –(संध्या की बेसब्री को देख) दीदी वो आजाएगा आप कब तक खड़े रहोगे बैठ जाओ आप....

संध्या – (हवेली के दरवाजे को देखते हुए) जाने कब आएगा वो और इंतजार नही हो रहा मुझसे...

रमन –(पास में ही खड़ा ललिता और संध्या की बात सुनके) जाएगा भी कहा वो भाभी जिसे पकी पकाई थाली हाथ में मिल रही हो उसे कैसे कोई छोड़ सकता है भला...

संध्या –(रमन की बात सुन गुस्से में) मैने पहले भी कहा है फिर कहे देती हू रमन अगर उसके सामने ऐसी वैसी कोई बात हुई तो मुझसे बुरा कोई नही होगा अच्छा यही रहेगा तू चुप चाप अपना काम कर मेरे मामले में टांग अड़ाने की कोई जरूरत नहीं है तुझे...

संध्या की बात सुन अपने दात पीसते हुए कमरे में चला गया रमन कुछ वक्त के बाद अचनक से संध्या के चेहरे पर मुस्कान आ गई अपने सामने अभय को हवेली के अन्दर आते हुए देख तेजी से भागते हुए अभय के पास चली गई संध्या को भागता देख मालती , ललिता , चांदनी , शनाया , अमन और निधि भी तुरंत ही देखने के लिए भर निकले जहा अभय को सामने आता देख जहा अमन गुस्से में देख रहा था और निधि नॉर्मल रही वही मालती , ललिता , चांदनी और शनाया के चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन संध्या को इस तरह अभय के पास तेजी से जाता देख शनाया की आखें सिकुड़ गई थी कुछ सोच के....

संध्या –(अभय के पास जाके) तू आ गया कब से तेरा इंतजार कर रही थी आजा...

बोल के संध्या ने अभय का हाथ पकड़ हवेली के अन्दर ले जाने लगी और अभय भी किसी आज्ञा कारी रोबोट की तरह चलने लगा संध्या के साथ अन्दर आते ही अभय को सोफे पे बैठा के खुद बगल में बैठ गई साथ में सभी बैठ गए.....

संध्या –कैसे हो तुम...

अभय –अच्छा हू....

संध्या – आज दिन में खाना बहुत अच्छा बनाया था तुमने हर कोई तारीफ कर रहा था खाने की...

अभय –(मुस्कुरा के चांदनी दीदी को देख) शहर में कभी कभी मां के साथ खाना बनाने में मदद करता था खाना बनाते बनाते मां से सिख गया खाना बनाना….

अभय को बात सुन कुछ पल के लिए संध्या की हसी जैस थम सी गई जबकि अभय की बात सुन चांदनी स्माइल कर रही थी लेकिन तभी संध्या को देख चांदनी ने बात को बदल बोली...

चांदनी –क्या पीना चाहोगे चाय ठंडा...
अभय –सिर्फ पानी बहुत प्यास लगी है...

अभय के बोलते ही संध्या तुरंत अपने बगल से पानी का भरा ग्लास उठा के अभय को दिया जिसे अभय तुरंत पी गया...

मालती –अरे दीदी वो तो आपका झूठा पानी था...

संध्या –(अभय से) माफ करना मैं जल्दी बाजी में ये हो गया मैं दूसरा लेके आती हू...

मालती –कोई बात नही दीदी आप बैठो मैं लेके आती हू.....

अभय –(संध्या से) काफी जल्दी में है आप कही जाना है क्या आपको....

संध्या –(अभय की बात सुन) नही वो बात नही है वो बस मैं वो तुमने पानी मांगा इसीलिए जल्दी में ध्यान नही रहा मुझे.....

अभय –(मुस्कुरा के) कोई बात नही , वैसे हवेली काफी अच्छी है आपकी हाल का साइज देख के अंदाजा लगा रहा हूं....

अमन –(जो इतनी देर से चुप बैठ के तमाशा देख रहा था) दूर दूर तक शहर में भी ऐसी हवेली नही किसी की भी कोई भी बिजनेस मैन हो या नेता हमारे गांव में आता बाद में है पहले ताई मां से नमस्ते करने आता है , ताई मां की इजाजत के बगैर गांव में कोई नेता चुनाव में खड़ा नही होता जिसे ताई मां चुन लेती है चुनाव के लिए वही जीतता है चुनाव हमारे गांव से...

अभय –(अमन की बात सुन के) ओह ये बहुत अच्छी बात है अगर ऐसी बात है तो उस दिन गांव वाले अपनी जमीन को लेके इतने साल तक क्यों परेशान हो रहे थे जिसमे डिग्री कॉलेज बनने की बात कर रहे थे आपके पिता रमन ठाकुर....

अभय की इस बात से जहा अमन का मू बंद हो गया था वही संध्या गुस्से में अमन को देख रही थी तब संध्या बोली....

संध्या –(बात को संभालते हुए अभय से बोली) मैं कसम से बोल रही हू मुझे सच में उस बारे में कुछ भी पता नही था....

अभय –(मुस्कुरा के) अरे मैने आपको थोड़ी कुछ कहा वो अमन बोल रहा था तभी पूछ लिया मैने सोच के शायद पता हो अमन को इस बारे में (अमन से) आप तो ठाकुर है हवेली के आगे चल के आपको ही सब संभलना है तो इस बारे में आपको भी सोचना चाहिए अमन ठाकुर जहा तक मैने सुना है ठाकुरों ने ही इस गांव को आगे बढ़ाया है अपनी मेहनत से दिन हो या रात गांव वालो की मदद करने में कोई कमी नहीं छोड़ी उन्होंने मतलब आपके दादा आपके चाचा ने आपको भी कुछ करना चाहिए गांव वालो के लिए ये नही बगीचे में आराम करते रहना चाहिए....

अभय की बात से अमन का मू खुला का खुला रह गया उसे समझ आ गया शायद अभय को उसकी चाल समझ आ चुकी है इसीलिए....

अमन –(संध्या से) ताई मां मैं अपने कमरे में जा रहा हू कॉलेज का वर्क करना है भूल गया था कल दिखाना है जरूरी है....

बोल के तुरंत अमन अपने कमरे में चला गया उसके जाते ही चांदनी सिर नीचे करके है रही थी और साथ में संध्या भी....

अभय –(अमन के जाते ही) अमन काफी तेज है अपने पिता को तरह बहुत प्यार करती है आप अमन से पूरा गांव कहता है अमन लाडला है आपका....

अभय की बात सुन संध्या की हसी जैसे गायब सी हो गई....

जिसे देख अभय बोला....

अभय –आज तो जन्म दिन है आपका पार्टी नही रखी आपने आज और कोई मेहमान नजर नहीं आ रहा है यहां पर...

संध्या –वो मैं कभी मानती नही जन्मदिन अपना ना पार्टी रखती हू कभी बस आज मन हुआ जन्मदिन मनाने का....

अभय – अच्छी बात है वैसे मैने अपना जन्म दिन दस साल से नही मनाया है कभी सच बोलूं तो याद भी नही रखना चाहता हू अपना जन्मदिन लेकिन चाह के भी भूला नहीं जाता है वो दिन दस साल से नही भूल पा राह हू मै....

अभय की बात सुन जहा चांदनी गुस्से से देख रही थी अभय को वही संध्या का सिर नीचे हो गया था जिसे देख....

अभय – हवेली दिखाए मुझे देखू तो कैसी लगती है अंदर से हवेली और उसके कमरे....

बात सुन संध्या और बाकी सब साथ में हवेली दिखाने लगे अभय को संध्या बताने लगी कॉन सा कमरा किसका है फिर एक कमरे में ले गई बोली...

संध्या –ये कमरा मेरे बेटे का है दस साल से उसकी जो चीजे जैसे थी आज भी वही है मेरे इलावा कोई नही आता है यहां पर....

अभय –(अपने कमरे को देख) काफी खूब सूरत है कमरा....

मालती – दीदी इस कमरे की साफ सफाई करती है किसी को आने नही देती यहां पर....

अभय – ओह अपने बेटे को भी नही क्या....बोल के हसने लगा अभय जिसे देख संध्या कुछ बोलती उससे पहले अभय बोला...

अभय – (संध्या से) आपका कमरा कम सा है....

बोल के संध्या अपने कमरे में लेके गई अभय को...

अभय –(कमरे में जाते ही) वाह आपका कमरा तो काफी आलीशान है बिल्कुल जैसे राजाओं का होता है...

बोल के कमरे में चारो तरफ देखने लगा तभी एक जगह नजर रुक गई अभय को जहा पर उसे अपने पिता की तस्वीर दिखी और साथ में कई तस्वीर थी बड़ी छोटी सबको देखते हुए अभय ने एक तस्वीर उठा ली जिसमे उसके पिता मनन , संध्या और अभय की बचपन की तस्वीर थी जिसमे उसके पिता मनन ठाकुर अभय को अपनी गोद में लिए हुए थे बस उस तस्वीर को गौर से देखें जा रहा था अभय तभी ललिता बोली....

ललिता – (संध्या से) दीदी कोई मिलने आया है आपसे...

संध्या –(ललिता की बात सुन) इस वक्त कॉन आया होगा चलो....

बोल के सब निकलने लगे कमरे से पीछे से अभय ने चुपके से उस तस्वीर को अपनी शर्ट में डाल के सबके साथ नीचे चलने लगा जहा इंस्पेक्टर राजेश आया था....

संध्या – तुम यहां इस वक्त..

राजेश – हा कुछ काम था इसीलिए यही आ गया (बाकी सबको देख के) अपनी फैमिली से मिलवाओगी नही....

संध्या –(बेमन से) हा...

फिर एक एक करके सबसे मिलवाती है जैसे ही अभय की बारी आती है...

पी0संध्या –(अभय को देख) ये में....

अभय – मेरा नाम अभी है मेहमान हू मै यहां पर...

राजेश – ओह सब साथ में सीडियो से नीचे आ रहे थे मुझे लगा फैमिली के है सब...

अभय –ठकुराइन अपनी हवेली दिखा रही थी मुझे बहुत अल्लीशान हवेली है इनकी...

राजेश – (हवेली के हाल को देख) हा सो तो है (अभय को उपर से नीचे गौर से देख) तुम्हे शायद काफी पसंद आई होगी है ना...

अभय – हा इतनी सुंदर हवेली को ना पसंद कोई कैसे कर सकता है....

राजेश –अच्छा लेकिन तुम अपनी शर्ट में क्या छुपा रहे हो...

राजेश के बोलते ही सब अभय को देखने लगे संध्या कुछ बोलने को हुए की राजेश बोल पढ़ा....

राजेश –(अभय के पास उसकी शर्ट को पकड़ के) क्या चोरी करके आए हो तुम...

संध्या –(गुस्से में) राजेश हद में रहो , तुम नही जानते...

राजेश –(बीच में बात काट के) तुम नही जानती संध्या मैं बहुत अच्छे से जानता हू ऐसे लोगो को चोर चोरी से जाय सीना जोरी से ना जाय...

बोल अभय की शर्ट खींची जिससे तस्वीर नीचे गिर गई....

राजेश –(तस्वीर को उठा के) ये देखो संध्या गोल्ड फ्रेम चोरी करके आया है कमरे से...

संध्या के साथ जैसे ही सबने तस्वीर को देखा संध्या के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई वही शनाया हैरान थी ये नजारा देख के चांदनी , ललिता और मालती की आंख से एक बंद आसू आ गया था इन सब बात के चलते तस्वीर की नीचे गिरते ही अभय इंस्पेक्टर के साथ कुछ करता लेकिन बाकी लोगो को देख रुक गया तब....

संध्या –(राजेश से तस्वीर लेके) ये मैने दिया है इसे और किसी पे इल्जाम लगाने से पहले सोच लिया करो राजेश कही ऐसा ना हो पछताने का मौका भी ना मिले तुम्हे...

राजेश –(संध्या की बात सुन) माफ करना संध्या क्या करू पुलिस वाला हू ना....

संध्या –(बात समझ के) कोई बात नही क्या काम था तुम्हे मुझसे...

राजेश – केस के बारे में बात करनी थी कुछ अर्जेंट...

संध्या – ऐसी क्या अर्जेंट है जो इस वक्त आना पड़ा तुम्हे...

जब तक ये बात कर रहे थे तब ललिता , मालती , शनाया और चांदनी ये अभय को लेके गए हवेली के पीछे बने गार्डन को दिखाने अभय को....

मालती – ये गार्डन है इसे बाबू जी ने बनवाया था और बच्चो के लिए झूले लगवाए थे...

अभय – (मालती के गोद में बच्ची को देख) बहुत सुंदर है आपका बच्चा...

मालती –(मुस्कुरा के) शुक्रिया...

अभय –क्या मैं ले सकता हू गोद में इसे...

मालती –(बच्चे को अभय की गोद में देते हुए) हा क्यों नही बिल्कुल...

बच्चे को गोद में लेके अभय उसके साथ खेलने लगा बात करने लगा बच्चे के साथ अभय को इस तरह देख चांदनी , शनाया ,ललिता और मालती हस रहे थे एक साथ गार्डन में बैठ कर तभी बच्चे ने अभय पर सुसु कर दी जिसे देख...

अभय –(बच्चे से बोला) अले ये क्या कर दिया चूचू कर दी मेरे उपर ओह कोई बात नही अभी सफा करके आता हू मै फिर खेलेंगे हम बोल के बच्चे को मालती को देके...

अभय –में इसे सफा करके आता हू बाथरूम कहा है...

शनाया –(इशारा करके) आगे से राइट में है...

बाथरूम की तरफ चला जाता है अभय जबकि इस तरफ संध्या बात कर रही थी राजेश से....

राजेश – जैसा तुमने बताया था मैने जांच की है लेकिन पक्की जानकारी के लिए तुम्हारा मुनीम से मिलना है मुझे...

संध्या –मुनीम का पता नही चल रहा है जाने कहा गायब हो गया है वो...

राजेश – क्या मतलब गायब हो गया है कहा...

संध्या –मुनीम के बारे में अभी कुछ पता नही चला है लेकिन तुम्हे जानना क्या है...

राजेश – गांव से लेके जंगल के उस कोने तक जहा तुम्हारे बेटे की लाश मिली थी तुम्हारा मुनीम अक्सर आता जाता रहा है ये बात आज गांव वालो से पता चली है मुझे बस इसीलिए मुनीम के बारे में पता करने आया था...

संध्या –चलो फिलहाल के लिए जब तक मुनीम का पता नही चल जाता तब तक अपनी तहकीकात को रोकना मत प्लीज मुझे सच जानना है किसी भी तरह....

राजेश – ठीक है तुम टेंशन मत लो अच्छा चलता हू...

संध्या – खाना खा के जाओ...

राजेश – अरे नही संध्या आज नही फिर कभी...

संध्या – मान जाओ राजेश आज काफी सालों बाद जन्म दिन माना रही हू अपना...

राजेश –(संध्या की बात सुन) आज जन्म दिन है तुम्हारा संध्या पहले क्यों नहीं बताया तुमने....

बोल के राजेश अचानक से गले लग गया संध्या के , संध्या कुछ समझ पाती ठीक उसी वक्त बाथरूम में जाने को निकला था अभय रास्ते में ये नजारा देख जाने कैसे उसकी आंख से एक आसू निकल आया जबकि संध्या हटाने की कोशिश कर रही थी तभी संध्या की नजर अभय पर पड़ी जिसकी आंख में आसू देख जोर लगा के राजेश को दूर किया खुद से लेकिन जब तक संध्या कुछ करती तब तक बिना किसी को पता चले अभय निकल गया हवेली से संध्या ने जैस ही देखा अभय वहा नही है बाहर निकल देख जहा अभय तेजी से भाग के जा रहा था जिस कारण संध्या की आखें भर आई तभी पीछे से राजेश की आवाज आई तभी....

संध्या –(राजेश के गाल में एक जोर का चाटा मारा)CCCCCCCCCHHHHHHHAAAAATTTTTAAAAAKKKKKKK(चिल्ला के) हिम्मत कैसे हुई तेरी मुझे हाथ लगाने की , कॉलेज के दोस्त है इसका मतलब ये नही जैसे चाहे वैसे तेरी हरकत को बरदाश करूगी अभी के अभी निकल जा यहां से तू इससे पहले की मैं आपे से बाहर हो जाऊं....

संध्या का ये रूप देख राजेश की आखें फटी रह गई जबकि संध्या की जोरदार आवाज सुन गार्डन में बैठे सभी हाल में आ गए थे जहा संध्या सुनाई जा रही थी राजेश को तभी राजेश चुप चाप अपने गाल में हाथ रख के निकल गया हवेली से उसके जाते ही संध्या जमीन में बैठ के रोने लगी जिसके बाद....

मालती और ललिता एक साथ –क्या हुआ दीदी आप रो क्यों रही हो....

संध्या –(रोते हुए) वो चला गया फिर से नाराज होकर चलागया...

शनाया –कौन चला गया किसके लिए बोल रहे हो आप....

चांदनी –(कुछ सोच के) अभी कहा है वापस क्यों नही आया....

शनाया – वो तो बाथरूम गया था...

तभी चांदनी और शनाया बाथरूम की तरफ गए जिसका दरवाजा खुला हुआ था अन्दर कोई नही था जिसे देख चांदनी को समझते देर नही लगी अभय सच मे हवेली से चला गया...

चांदनी –(संध्या के पास जा उसे सोफे में बैठा के) क्या बात है मौसी हुआ क्या है....

संध्या – (रोते हुए) चांदनी आज फिर से वो नाराज होगया फिर से चला गया मुझे छोड़ कर अकेला...

संध्या की ऐसी बात सुन चांदनी ने संध्या को गले लगालिया...

चांदनी – आप अकेले नही हो मौसी मैं हू ना आपके साथ आपको अकेला छोड़ के नही जाऊंगि कभी....

शनाया – अभी कहा चला गया इस तरह बिना बताए...

बोल के कॉल मिलाने लगी अभय को लेकिन कॉल रिसाव नही कर रहा था अभय....

शनाया – कॉल क्यों नही रिसीव कर रहा है मेरा...

मालती – आप्लोग खाना खा लिजिए...

संध्या –नही चाहिए मुझे खाना...

बोल के संध्या अपने कमरे में चली गई उसके पीछे चांदनी भी चली गई नीचे हाल में शनाया , ललिता और मालती रह गए...

शनाया – आखिर बात क्या है हो क्या रहा है यहा पर...

ललिता – दीदी का बेटे का नाम अभय है और वो लड़का उसे अपना बेटा...

शनाया –(चौक के) वो अभी को अपना बेटा समझ रही है ये कैसे हो सकता है वो तो शालिनी जी का बेटा है...

मालती –(शनाया की बात सुन) कौन शालिनी....

शनाया – D I G शालिनी का बेटा है अभी स्कूल में मैं पढ़ाती थी उसे वही था अभी....

शनाया की बात सुन ललिता और मालती एक दूसरे को देखने लगे...

लल्लिता और मालती एक साथ –इसका मतलब वो अभय नही है लेकिन ये कैसे हो सकता है....

इस तरफ चांदनी बात कर रही थी संध्या से....

चांदनी –मौसी आखिर बात क्या है अभय क्यों चला गया...

संध्या –(जो हुआ सब बता के) मैं क्या सोच के कर रही थी और क्या हो गया चांदनी उसके जितना पास आने की कोशिश करती हू उतनी दूर हो जाता है मुझसे....

चांदनी –(गुस्से में किसी को कॉल लगाया) मां मैने कहा था आपसे राजेश के लिए ये सही नही है....

शालिनी –(कॉल पर चांदनी की आवाज सुन) आखिर बात क्या है चांदनी इतने गुस्से में क्यों हो तुम....

चांदनी –मां राजेश ने सब बर्बाद कर दिया यहां आके (सारी बात बता के) जितना दूरी कम करने में लगे थे हम अब वो दूरी और ज्यादा बड़ गई है मां.....

शालिनी – (बात सुन के) मैं कुछ करती हू...

बोल।के कॉल कट कर दिया शालिनी ने तुरंत ही किसी को कॉल मिलाया...

शालिनी –(काल पे सामने वाले से) तुम्हारे कहने पर मैंने राजेश को गांव भेजा तहकीकात के लिए लेकिन वो उल्टा संध्या का कॉलेज का दोस्त निकला और अब राजेश की वजह से और दूरी बड़ गई आखिर तुम करना क्या चाहते हो क्यों कर रहे हो ये सब अभय के साथ जो पहले से चोट खाया हुआ है....

KING 👑 –कभी कभी इज्जत कमाने के लिए बेइजत्ती भी करनी जरूरी होती है शालिनी जी......

शालिनी –बचपन से जिसके साथ किस्मत खेलती आ रही हो उसके साथ खेल के तुम्हे क्या मिल रहा है अगर किसी के जख्म पे र्मरहाम नही लगा सकते हो तो कम से कम उसके जख्मों का कारण मत बनो....

KING 👑– आखिर कब तक आपकी उंगली पकड़ के चलता रहेगा अभय अकेले भी कुछ करने दीजिए उसे इस तरह सहारा देते देते एक दिन ऐसा आएगा अभय को हर काम के लिए सहारे की जरूरत पड़ेगी....

शालिनी –KING 👑 उसे दुनिया की समझ नही है....

KING 👑 – अच्छे से जानता हू उसकी समझ को खेर जल्द ही मैं जा रहा हू गांव में तब तक आप देखो क्या करता है अभय ठाकुर
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आरी रहेगा✍️✍️
बहुत ही खुबसुरत और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अमन और एक अभय की नजर में पायल रुपी लडकी की चुदाई देख कर अभय तैश में आकर कुल्हाडी लेकर जा रहें अभय को राज टोकता हैं और बताता हैं की वो पायल और उसका परिवार हवेली से आ रहे हैं अभय के कुछ बताने के बाद पायल और परिवार को अपने घर भेंज कर राज उसे अमन की सच्चाई से रुबरु करा कर यें ही चाल संध्या के साथ रमन और उर्मिला ने अपने चली यहाँ अमन और उर्मिला की बेटी पुनम हैं और दस साल पहले की घटना का वो प्रत्यक्ष साक्षी हैं तो अभय राज की बात का यकीन कर हवेली चला जाता हैं वहा संध्या खुद उसका स्वागत करती हैं कुछ छुटपूट बातों के बाद हवेली देखने के लिये सब जातें हैं वहा अभय अपने पिता माँ और अपनी एक फोटो अपने कपडों में छिपा लेता हैं
संध्या राजेश से बात करके अपने जन्म दिन का बोलती हैं तो राजेश उसे गले लगा लेता हैं ये नजारा अभय देख लेता हैं उसके दिल पर फिर एक बार आघात होता है और वो हवेली से निकल जाता हैं इस बात पर संध्या राजेश को एक तमाचा लगा कर खरी खोटी सुना कर हवेली से निकाल देती हैं तमाचे की आवाज सुनकर सभी वहा आ जाते हैं संध्या पर तो एक बार फिर से पहाड तूट पडता है चांदनी सब बात जानकर शालिनी को सब बता देती हैं शालिनी भी किंग से बात करके उसे भी सब बता देती हैं
अब किंग ने गाँव जाने का फैसला लिया हैं तो देखते हैं आगे क्या होता है
एक बडा ही जबरदस्त अपडेट हैं भाई
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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UPDATE 33



आज हवेली में कई लोग ऐसे थे जो बिना खाना खाए अपने बेड में लेटे थे शनाया जिसे ये समझ नही आ रहा था आखिर क्यों अभी बिना खाना खाए चला गया क्या हो गया था ऐसा दूसरी तरफ संध्या अपने कमरे की खिड़की के बाहर देखते हुए जिसे ये समझ नही आ रहा था जो हुआ उसके बाद क्या करे तीसरी तरफ चांदनी जो खुद संध्या के कमरे में उसके साथ खड़ी कभी खिड़की के बाहर देखती तो कभी संध्या को जिसने जी जान से कोशिश की ताकि मां बेटे के बीच दूरी कम हो लेकिन आज जो हुआ उसके बाद उसे समझ नही आ रहा था आखिर अब वो क्या करे जबकि चौथी तरफ मालती और ललिता थे जो शनाया की बात के बारे में सोच रहे थे अब उनको समझ नही आ रहा था आखिर सच क्या है क्या वो सच में अभय है या फिर शालिनी का बेटा है और इन सब की सोच का कारण था अभय.....

जो खुद गया तो था हवेली संध्या के जन्म दिन के खाने पर लेकिन जो नजारा उसने अपनी आखों से देखा उसके बाद हवेली से निकल के हॉस्टल ना जाके सीधा निकल गया बीच (समुंदर किनारे) पर जहा पत्थर के उपर बैठ अपने साथ लाई तस्वीर को देख बाते कर रहा था....

अभय –(हाथ में तस्वीर लिए जिसमे उसके पिता उसकी मां और खुद अभय था तस्वीर को देख अपने पिता से बात कर रहा था) (रोते हुए) बचपन से उस औरत ने दिल दुखाया है मेरा बाबा दूसरो की बातो में आके कितनी बार हाथ उठाया मुझ पर मैने कभी उफ्फ तक नही किया बाबा आज जब सच जाना तो लगा शायद मैं ही गलत था जो बिना वजह दूसरो की बात में आके गलत समझता था लेकिन नही बाबा वो अच्छी औरत नही है बाबा नही चाहिए वो मुझे (रोते हुए) वापस आ जाओ बाबा मैं अकेला हो गया हू नही अच्छा लगता आपके बिना जब भी किसी बच्चे को उसके बाबा के साथ देखता हू दिल रोता है मेरा बाबा क्यों छोड़ के चले गए बाबा आप क्यों क्यों क्यों , नही रहना अब मुझे यहां पर बस आपके साथ रहना है बाबा मुझे अपने पास बुला लो बाबा....

बोल रोते रोते जाने कब नीद आ गई पता नही चला सुबह हुई उगते सूरज की पहली किरण सोते हुए अभय पर पड़ी उसकी नीद खुल गई जागते ही उसने देखा उसके बगल में एक आदमी बैठा है जो उसे मुस्कुराते हुए देख रहा है जिस देख अभय बोला...

अभय –(अपने बगल में आदमी को देख) बाबा आप....

मनन –(मुस्कुरा के) जाग गए तुम (सर पे हाथ फेर के) कैसे हो तुम...

अभय – आपके बिना अकेला हू बाबा...

मनन – (मुस्कुरा के सूरज की तरफ इशारा करते हुए) वो देखो कितना सुंदर है , ये नजारा देखने लायक है ना मेरे पिता जी को समुंदर का ये नजारा बहुत पसंद था इसीलिए उन्होंने यहां से थोड़ी दूरी पर जमीन ली जहा उन्होंने हवेली बनाई और साथ में इस पूरे गांव को बसाया यहां से सब ढलान है पहाड़ की तेहलकी में खेत है एक बार की बात है पिता जी मेरे भाई के साथ शहर गए थे खेती के लिए बीजे लेने उस साल बहुत बारिश हुई थी तब मैं 12 साल का था खेतो में पानी आना शुरू होने लगा था तब मैं कुछ गांव वालो के साथ खेतो में पानी भरने से रोकता रहा पूरी रात हमने पानी को रोका और आखिर कार हमने पानी को रोक दिया मां ने घर में गाजर का हलवा बना के खिलाया और कहा मैं हीरो हू अगले दिन दोपहर में पिता जी गांव वापस आ गए उनके साथ गांव घूम रहा था तब मुझे पता चला की उस रात पानी रोकने के चक्कर में मैने पानी की धारा को मोड़ दिया जिसका पानी झील से होते हुए दूसरे गांव में बाड़ ले आया जाने कितनो के खेत डूब गए और साथ में ना जाने कितने जानवर , यहां मैं हलवा खा रहा और वहा लोगो के खेत और जानवर डूब रहे थे उस दिन से मैं रातों को सो नही पाता था मेरी वजह से जो हुआ उसके बुरे सपने मुझे सोने नही देते थे....

अभय –(अपने बाबा की बात सुन) फिर वो बुरे सपने आना कब बंद हुए...

मानना –(मुस्कुरा के) जब मैं तुम्हारी मां से मिला उसने मुझे यकीन दिलाया की दुनिया में अच्छाई भी मौजूद है वो मेरी दुनिया थी और फिर (अभय के सर पे हाथ रख के) फिर तुम्हारे आने से हमदोनो की दुनिया पूरी हो गई , काश ये जिंदिगी मुझे थोड़ा और वक्त देदेती , बहुत याद आती है तुमदोनो की बेटा....

अभय –मैं भी आपको बहुत याद करता हू बाबा अकेला हो गया हू मुझे अपने साथ ले चलो बाबा...

मनन –(मुस्कुरा के) तू अकेला कहा है बेटा मैं हू ना तेरे साथ तेरे दिल में , अंश है तू मेरा अलग नही है तू मुझसे , तू ही तो मेरी दुनिया का एक सहारा है तू खुश रहेगा तो मैं भी खुश रहूंगा अभी तुझे आगे बढ़ना है....

मनन ठाकुर मुस्कुराते हुए अपनी बात बताए जा रहे थे और अभय उसे सुन रहा था अपनी आखरी बात बोल के मनन ठाकुर मुस्कुरा के गायब हो गए तभी अभय की नीद खुली अपनी आंखे आराम से खोल बस उगते हुए सूरज को देखता रहा अभय समुंदर के किनारे से....


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कुछ समय बाद अभय टहलने लगा बीच पर लेकिन उसे पता नही था की बीच पर कुछ लोग ऐसे भी है जिनकी नजर सिर्फ अभय पर ही थी

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कुछ दूरी चलने पर कुछ लोगो ने अभय के उपर जाल फेका जिसमे लोगो ने फसाया अभय को और एक सिरा फेका समुंदर में खड़ी नाव की तरफ जिसमे बैठे लोगो ने जाल को नाव में बंद के घसीटने लगे जिसमे अभय खींचता चला गया समुंदर की तरफ जाल में फस के लेकिन तभी समुंदर किनारे नाव को बांधने के लिए एक छोटा सा खंभा जिसके सहारे से अभय ने रोक लिया खुद को समुंदर में जाने से
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नतीजा अभय बच गया समुंदर में जाने से लेकिन उसी खंभे के सहारे से जाल से निकल के अभय ने उसे खींच लिया जिसके बाद नाव आगे जाने के बजाय उल्टी पटल गई
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नाव के पलटते ही उसमे सवार लोग भी गिरने लगे सब
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अभय पलट के आने लगा तब अपने सामने खड़े लोगो को देखा जो सिर्फ अभय को ही देख रहे थे ये बात समझते देर नही लगी अभय को की वो लोग उसे मारने आए है और तभी

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उनमें से एक आदमी कुल्हाड़ी लेके मारने आया दौड़ के अभय ने उसे निपटा दिया एक झटके में जिसे उनके सामने खड़े सभी लोगो ने देखा और उन्होंने भी दौड़ लगा दी अभय की तरफ साथ में अभय ने भी

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उन सभी के वार से बचते हुए अभय ने उनके एक आदमी को पकड़ की रेत में खड़ी नाव में दबा दिया जिससे वो आदमी वही मारा गया

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एक एक कर के लोग वार करते रहे अभय उनको मरता गया

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इसी बीच में एक आदमी ने अभय पर वार कर दिया जिससे लगते ही अभय पीछे होके गिरा और तभी

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कुछ लोगो ने अभय पे वार करने की कोशिश की लेकिन अभय बच गया किस्मत से अभय को किलो से बनी मूगरी हाथ में आ गई जिससे अभय ने उन लोगो को मार दिया

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और अपनी तरफ वार करने आने वाले आदमी को मारा एक घुसा कस के दूर जाके गिरा

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एक आदमी चाकू से वार करने आया उसका चाकू छीन के उसे मारा और साथ ही आस पास के खड़े सभी लोगो को मरता गया बेहरामी से चाकू का इस्तमाल करके
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एक का सिर फोड़ उसे टांग दिया नाव के बीच में आखरी में एक आदमी ने दो चाकू से मरने की कोशिश की अभय को लेकिन

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अभय ने उसे भी निपटा दिया STYLE से....
इसके बाद चारो तरफ बीच में सिर्फ लाशे पड़ी थी 25 लोगो की जो आए थे मारने अभय को लेकिन खुद मारे गए अभय के हाथो....

इन सब के बाद अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ जबकि इस तरफ बीच में एक लड़की दूर से ये नजारा देख किसी को कॉल मिलाया...

लड़की –(सामने वाले से) गुड मॉर्निंग मैडम....

चांदनी – गुड मॉर्निंग अनिता इतनी सुबह सुबह कॉल किया तुमने....

अनिता – हा मैडम बात ही कुछ ऐसी है...

चांदनी – अच्छा बताओ क्या बात है...

अनिता –मैं इस वक्त बीच में हू मैडम मेरे सामने करीबन 25 लोगो की लाशे पड़ी है...

चांदनी –(चौक के) क्या 25 लोगो की लाशे बीच में कैस कब हुआ ये सब...

अनिता – वो आपके भाई ने मारा है इन सब को...

चांदनी –(अनिता की बात सुन गुस्से में) ये क्या बकवास की रही हो तुम...

अनिता – मेरी पूरी बात तो सुनिए मैडम , अभय ने इन्हे मारा जरूर है लेकिन सबसे पहले इन लोगो ने शुरुवात की अभय को जान से मरने की....

चांदनी –(हैरान होके) जान से मारने की अभय को क्यों...

अनिता – अभी तो कुछ नही कहा जा सकता है मैडम कोई जिंदा बचा हो तो पता लगाया जा सकता था लेकिन सब के सब मारे गए..…

चांदनी – अभय कहा है....

अनिता – चला गया वो शायद हॉस्टल की तरफ...

चांदनी – पुलिस को कॉल करके हालात बता दो उन्हें...

बोल के कॉल कट कर दिया इस तरफ अभय हॉस्टल आया तयार होके निकल गया कॉलेज जहा पर सभी दोस्त अभय का इंतजार कर रहे थे अभय के आते ही....

राज –(अभय से) आओ भाई क्या हाल है तेरे कैसा रहा कल सब ठीक था ना...

अभय –(हल्का हस के) हा सब ठीक था तू बता भाई...

राज – मैं मस्त हू कल बहुत मस्त नीद आई मुझे रात में सोया सीधा सुबह उठा हू...

राजू और लल्ला – हा यार कल दिन भर में हालत खराब हो गई यार अपनी लेकिन नीद भी गजब की आई तू बता अपने कल का खाना तो तूने बनाया था कहा से सीखा इतना अच्छा खाना बनाना मजा आगया यार खाने में....

अभय – शहर में सीखा था मां से...

पायल –(इन सब के पास आके सभी की बात सुन) अगर खाना और सोना हो गया हो तो जरा पढ़ाई पर ध्यान देदो एग्जाम आने वाले है...

राज – बड़ी जल्दी एग्जाम आ गए यार अभी तो कॉलेज शुरू हुआ था...

पायल –हा हा घूमने से फुरसत मिले तब तो पता चलेगा कॉलेज शुरू हुए 3 महीने हो गए है...

अभय – चल छोड़ो यार एग्जाम है कोई तोप नही देख लेंगे इसे भी...

बोल के हसने लगे सभी निकल गए क्लास की तरफ जहा पढ़ाई शुरू हो गई कुछ देर बाद क्लास में कोई आया अभय को बुलाने...

पीयून – (अभय से) आपको प्रिंसिपल बुला रही है...

पीयून की बात सुन अभय निकल गया प्रिंसिपल के केबिन में...

अभय – mai i comein...

शनाया – yes...

अभय – आपने बुलाया मुझे....

शनाया – हा बैठो...

बोल के शनाया उठी कमरे का दरवाजा लॉक करके....

शनाया – कल क्या हुआ था क्यों चले गए तुम बिना खाना खाए....

अभय – कुछ खास नही एग्जाम शुरू होने वाले है न इसीलिए...

शनाया –(गुस्से में) बेकार की बाते मत करो तुम स्कूल में भी तुम दूर रहने लगे थे मुझसे गांव आने से पहले भी मिलने तक नही आए तुम मुझसे प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी क्यों कर रहे हो ऐसा...

अभय –कोई प्राब्लम नही है मुझे आपसे बस अपने हालात में उलझा हुआ हू...

शनाया – तो बताओ मुझे मैं मदद करती हू तुम्हारी एक मौका तो दो मुझे...

अभय – ये मुझे खुद करना है मैडम...

शनाया – क्या दोस्ती के नाते भी एक मौका नही दोगे...

अभय – (उठ के वापस जाते हुए) आप समझ क्यों नही रहे हो मैं...

शनाया –(बीच में बात काट के अभय के पास आते हुए) आखिर बात क्या है क्यों दूर भाग रहे हो मुझसे अगर कोई गलती हुई हो बताओ मुझे...

अभय –आपसे कोई गलती नही हुई है मैं अपनी परेशानी को खुद सुलझाना चाहता हू मै नही चाहता की आप...

बोला हे था की तभी शनाया ने अभय के चेहरा पकड़ के किस करने लगी कुछ सेकंड बाद अलग होके...


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शनाया –मैं जानती हू ये शायद गलत है लेकिन मेरे पास मौका था शहर के किसी और कॉलेज में जाने का लेकिन मुझे जब तुम्हारे यह होने का पता चला मैं यही पर आ गई तुम्हारे पास जा अगर तुम्हे मेरा यह पर आना अच्छा नहीं लगता तो मैं चली जाओगी यहां से...

अभय – (बात सुन के तुरंत बोला) नही मैं वो मैं...

शनाया – कोई बात नही मुझे तू।हरा जवाब मिल गया तुम चिंता मत करो मैं जल्द ही चली जाओगी यहां से...

अभय – नही मत जाओ आप मैं किसी और से....

शनाया –(बीच में) हा जानती हू देखा था मैने तुम्हे पायल के साथ प्यार करते हो ना उससे तुम इसीलिए मैं कुछ नही बोलुगी नही आऊगी बीच में तुम्हारे कभी , धोखा खाने के बाद मैने कभी नही सोचा था की मैं प्यार कर पाऊगी किसी से लेकिन जब से तुम आय मेरी लाइफ में तब से ना जाने क्यों तुम्हारी तरफ खींची चली आई जानती हू तुम्म्मे मुझमें फर्क है उमर का लेकिन सच में मैं नही जानती क्यों तुमसे ना चाहते हुए भी दूर नही रह पाई मैं , मैं वादा करती हू तुमसे तुम्हारे बीच नही आओगी कभी भी बस दूर मत जाओ मुझसे...

अभय –(शनाया की बात सुन उसके चेहरे को देखा जहा उसकी आखों में आसू थे उसे गले लगा के) में नही जानता ये कैसे हुआ लेकिन हा सच ये भी है मैं भी प्यार करने लगा हू आपसे लेकिन मैं किसी और का हू सालो तक उसने मेरा इंतजार किया सिर्फ इस उम्मीद में मैं एक दिन वापस आऊंगा उसके पास मैं कैसे उसे बोल दू किसी और से भी प्यार करता हू वो बर्दश नही कर पाएगी...

शनाया – (गले लगे अभय से) इसका फैसला वक्त पर छोड़ दो तुम अपने आप को मत उलझाओ और...

अभय –(अलग होके शनाया के आसू पोछ के) में वादा करता हू कभी दूर नही जाऊंगा अब आपसे मुझे वक्त दो आप मैं सब बता दुगा पायल को जल्द ही आपके बारे में भी मैं जानता हूं वो समझेगी जरूर मुझे...

शनाया – क्या तुम्हे सच में ऐसा लगता है अगर नही तो मैं चली जाओगी मैं नही चाहती मेरी वजह से तुम्हारा प्यार दूर हो तुमसे...

अभय –ऐसा कुछ नही होगा मैं बात करूंगा पायल से जल्द ही...

शनाया –मैं इंतजार करूगी (मुस्कुराने लगी) अच्छा सुनो कल क्या हो गया था तुम्हे क्यों चले गए थे तुम हवेली से ललिता और मालती ने बताया मुझे की संध्या तुम्हे अपना बेटा समझ रही है...

अभय –(बात सुन के) फिर आपने क्या कहा...

शनाया –मैने बता दिया उन्हें तुम DIG शालिनी के बेटे हो लेकिन वो ऐसा क्यों समझ रहे है तुम्हे...

अभय –जाने दीजिए उनकी बातो को आप मैं ध्यान नही देता बातो को आप भी ध्यान मत दो बस...

शनाया – कॉलेज के बाद क्या कर रहे हो तुम....

अभय –हॉस्टल जाऊंगा आराम करूंगा बस....

शनाया –आज मैं भी चलूं तुम्हारे साथ...

अभय – आप क्या करोगे गर्मी में इतनी...

शनाया –(मुस्कुरा के) तुंभी तो इतनी गर्मी में क्यों रहते हो खेर छोड़ो मैने AC ऑर्डर किया ही तुम्हारे लिए मना मत करना बात हो गई है मेरी आज कॉलेज के बाद तुम्हारे कमरे में लग जाएगा तब तो आ सकती हू ना मैं तुम्हारे पास...

अभय –(शनाया को देख मुस्कुरा के) ऐसा लगता है आपके इरादे नेक नही है मैडम....

शनाया – तुम्हारे साथ नेक इरादो का अचार डालना है क्या बोलो कब...

अभय –सन्डे को मैं फ्री रहूंगा....

शनाया – में शनिवार रात तुम्हारे पास आओगी....

अभय –और हवेली में क्या बोलोगे आप...

शनाया – वो मुझ पे छोड़ दो...

अभय– (मुस्कुरा के) ठीक ही चलता हू बाद में मिलते है...

बोल के क्लास की तरफ निकल गया अभय क्लास चल रही थी तभी आते ही क्लास लेने एक टीचर...

टीचर–(सभी से) कैसे हो सभी बच्चों...

स्टूडेंट्स– (एक साथ) अच्छे है सर....

टीचर– My Self...Munde , M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (आगे बैठी पायल की तरफ हाथ बड़ा के) बबलगम...

पायल–(हैरान होके) नही सर....

मनोहर –ले लो ना प्लीज एक लेलो....

पायल – (बबलगम लेके) शुक्रिया सर....

मनोहर – VERY GOOD (लडको की तरफ जाके) हा तो मैं आपका नया टीचर हू आज से मैं आप सब की क्लास लूंगा लेकिन आज के लिए फिलहाल इंट्रोडक्शन सबका तो बताए आप सब अपना अपना नाम पहले मेरा नाम M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम (अभय की तरफ हाथ बड़ा के) बबलगम लेलो प्लीज एक ही लेना अभी और भी है यार....

अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है सर....

राजू – सर मुझे भी बहुत अच्छा लगता है बबल गम....

मनोहर –(हस के) एक ही लेना बेटा अभी और भी लोग लेंगे बबलगम....

बोल के मनोहर सबका इंट्रोडक्शन लेने लगता है जिसे देख....

राज – (अभय से धीरे से) यार ये बंद न पक्का बबलगम खिला खिला के पागल ना कर दे सबको अपने नाम के बाद ही बार बबलगम देंने लगता है....

लल्ला –(धीरे से) मुझे तो लगता है खाने में भी बबलगम ही खाता होगा...

राजू– (धीरे से) हा बे खाने से ज्यादा बबलगम खाता है पक्का इसका खर्चा भी क्या बस बबलगम और क्या...

बोल के ये चारो धीरे से हसने लगते है धीरे धीरे क्लास खतम हो जाती छुट्टी के वक्त सब निकलने लगते है बाहर तभी...

अभय –(पायल से) आज क्या कर रही हो....

पायल – मां की तबीयत थोड़ी खराब है अस्पताल जाना है मां को लेके...

अभय – क्या हो गया है काकी हो पहले भी तबियत खराब थी अब फिर से...

पायल – पता नही डाक्टर बोल रहा है शहर ले जाओ दूसरे डाक्टर को दिखाने के लिए लेकिन (बोल के चुप हो हुई)...

अभय – लेकिन क्या पायल बोल ना....

पायल – फीस के लिए पैसे नहीं है हमारे पास शहर में डाक्टर की फीस , दवाई का खर्चा बहुत ज्यादा है....

अभय – देख तू चिंता मत कर तू सिर्फ काकी को शहर ले जाने की तयारी कर बाकी मैं देख लूंगा...

पायल – नही नही अभय मां नही मानेगी कल भी हवेली में कैसे रुकी है मां मैं जानती हू...

अभय – कल हवेली कैसे मतलब क्या हुआ हवेली में कुछ हुआ है क्या बता मुझे...

पायल –(मुस्कुरा के) अरे हवेली में कुछ नही हुआ जब हम वहा गए तब ठकुराइन ने देख लिया मुझे आते हुए और...

Mini Flashback कल का...

संध्या –(पायल को देख के) अरे पायल इधर आजा...

पायल –(संध्या के पास जाके) जी ठकुराइन...

संध्या –कैसी है तू....

पायल – अच्छी हू और आप...

संध्या – मैं भी बहुत अच्छी हू (चांदनी से मिलते हुए) इनसे मिल ये चांदनी है अभय की बड़ी दीदी और मेरी भांजी...

पायल – (चांदनी से) नमस्ते दीदी अभय ने बताया था आपके बारे में बहुत तारीफ करता है आपकी...

चांदनी – मुझे भी बताया था अभय ने तुम्हारे बारे में लेकिन गलत बताया तुम उससे भी ज्यादा सुंदर हो बहुत बाते करता था तेरे बारे में अभय...

पायल –(शर्मा के) वो तो ऐसा ही है दीदी...

संध्या – और कौन आया है तेरे साथ...

पायल – जी मां और बाब आय है साथ में...

संध्या – उनको बुला यही पर हमारे साथ बैठे...

पायल –लेकिन वो नही मानेंगे ठकुराइन...

संध्या – (मुस्कुरा के) उनको बोल ठकुराइन ने बुलाया है...

सुन के पायल लेके आ गई अपने मां और बाबा को...

संध्या –(पायल के मां बाप से) कैसे हो मगलू और शांति....

मगलू –(हाथ जोड़ के) ठीक हू मालकिन....

संध्या – खेती का काम कैसा चल रहा है...

मगलू –ठीक है मालकिन बस गुजारा चल रहा है...

संध्या –अब तेरी तबीयत कैसी है शांति....

शांति – अब ठीक हू मालकिन इलाज चल रहा है डाक्टर से...

संध्या – जरूरत पड़े तो बता देना मुझे अच्छे डाक्टर से इलाज करवाओगी तेरा...

शांति – शुक्रिया मालकिन...

संध्या – कभी कभी पायल को भेज दिया करो हवेली में मेरा भी वक्त अच्छा बीत जाया करेगा इसके साथ (पायल से) आया कर तू जब भी मौका मिले....

मगलू –लेकिन मालकिन ठाकुर साहेब वो...

संध्या –(बात समझ के)चिंता मत करो मैं बोल रही हू ना कोई रास्ता रोक तो बोल देना ठकुराइन का हुकुम है उसके बाद मैं देख लूंगी कौन रोकता है रास्ता चलो आओ मेरे साथ खाना खालो फिर बाते करते है...

इसके बाद संध्या ने पायल और उसके मां बाप को खाना खिलाती है जिसे देख पायल बोली...

पायल – ठकुराइन आप भी आइए....

संध्या – अभी नही पायल आज सभी को खाना खिलाने के बाद ही खाओगी मैं...

पायल –(धीरे से) वो रात में आएगा...

संध्या – (हा में सर हिला के बोली) हा उसी के साथ खाओगी आज बस इंतजार है रात होने का मुझे...

बोल के संध्या , पायल और चांदनी मुस्कुराने लगे खाने के बाद संध्या ने पायल और उसके मां बाप को अपने साथ रोक लिया कुछ समय बाद सबका खाना हो गया तब...

संध्या –(पायल को अपनी सोने की चेन पहनाते हुए) इसे पहन ले...

पायल –(हैरानी से) लेकिन ठकुराइन...

संध्या –(पायल को चुप रहने का इशारा करते हुए) चुप कुछ मत बोल बस पहन ले इसे और कभी कभी आया कर मिलने ठीक है...

मगलू और शांति – मालकिन ये सब...

संध्या – ये मेरी तरफ से है पायल के लिए बस और कोई सवाल नही....

चांदनी –(इतनी देर से देख रही थी वो बोली) कॉलेज में मिलना जब खाली वक्त मिले बात करनी है तुमसे...

पायल – जी दीदी...

BACK TO PRESENT...

पायल –उसके बाद हम सब निकल आए हवेली से और फिर तुम मिले रास्ते में....

अभय –(पायल की पूरी बात सुन के) ठीक है एक काम कर आज अस्पताल में काकी को दिखा दे डाक्टर से जा करी लेलेना फिर मुझे बता देना बाकी मैं देख लूंगा बस कोई सवाल मत पूछना अब...

पायल –(मुस्कुरा के) ठीक है कल मिलती हू...

बोल के पायल चली गई घर पीछे से राज , राजू और लल्ला आ गए...

राज – हा भाई हो हुई बात चीत तेरी....

अभय – अरे कुछ नही यार ऐसे ही बात कर रहे थे हम तू बता...

राज –आज चांदनी नही आई कॉलेज क्या बात है...

अभय –(चौक के) क्या सच में दीदी नही आई मुझे नही पता...

राज –अबे तो पता कर ना क्या बात है...

अभय –(जल्दी बाजी में) हा रुक मैं अभी पता करता हू (मोबाइल निकल के कॉल मिलने जा रहा था तभी रुक गया) एक मिनट तेरे पास नंबर है ना दीदी का तो तू खुद क्यों नही पता करता है मैं क्यों पता करू मिलना तुझे है मैं तो रोज मिलता हू...

राज – देख अभय ज्यादा भाव मत खा भाई प्लीज पता की ना...

अभय –(टांग खींचते हुए) जिसे पढ़ है वो खुद करे मैं क्यों बीच में आऊं...

राज –(झल्ला के) हा तो ठीक है मैं खुद पता कर लूंगा (बोल के जाने लगा फिर वापस आके अभय से) मिलाया कॉल तूने...

अभय – (मुस्कुरा के) तूने बोला ना तू खुद कर लेगा तो कर ले...

राज – देख लूंगा तेरे को बहुत फायदा उठा रहा है तू मेरा भी वक्त आएगा....

बोल के चला गया राज पीछे से तीनों हसने लगे निकल गए अपने अपने रास्ते अभय हॉस्टल में आते ही...

अभय –(कमरे में चांदनी , अनिता और सायरा को देख) आप तीनों यहां पर...

सायरा – दो लोग आए थे AC लगा के गए है कमरे में सोचा ठंडक का मजा लेले हम भी...

अभय – अच्छी बात है...

चांदनी –(गौर से अभय को देखते हुए) सुबह कहा थे तुम...

अभय –(अपनी दीदी की बात सुन हसी रुक गई उसकी) तो आपने नजर बनाई हुई है मुझ पे अभी भी...

चांदनी –ये मेरे सवाल का जवाब नही हुआ अभय...

अभय –पता नही दीदी कौन थे वो बिना बात के मारने में लगे थे मुझे मैं सिर्फ अपना बचाव कर रहा था...

चांदनी – बचाव कर रहे थे या मार रहे थे तुम उन्हें...

अभय –तो आप क्या चाहती हो क्या करता उनके साथ मरने देता उन्हें खुद को....

चांदनी – कम से कम पता करने के लिए किसी को इस लायक छोड़ देता ताकि पता चल जाता किसका किया है ये (सायरा और अनिता से) हमे अकेला छोड़ दो....

बात सुन दोनो निकल गई कमरे से बाहर....

चांदनी – कल रात क्यों चला गया था हवेली से तू...

अभय – मन नही लग रहा था मेरा इसीलिए निकल आया...

चांदनी – मन नही था या बात कुछ और है...

अभय – आप जानते हो ना सब बता दिया होगा उसने आपको हा मैं निकल आया वहा से गलती कर दी जाना ही नही चाहे था मुझे हवेली पर...

चांदनी – (अभय की बात सुन ज्यादा बोलना सही नही समझा) ठीक है जो अच्छा लगे तुझे वो कर...

बोल के चांदनी चली गई इसके जाते ही सायरा अन्दर आई...

सायरा – क्या केरते हो तुम अभय नाराज कर दिया अपनी दीदी को तुमने...

अभय –(मुस्कुरा के) मुझसे कभी नाराज नही हो सकती है दीदी....

सायरा – खाना लगाऊं कल से कुछ नही खाया तुमने अभय खा लो...

अभय –दीदी ने खाया कुछ...

सायरा – हा सुबह नाश्ता किया सबने कल का खाना बहुत मजेदार था पूरा गांव तारीफ कर रहा था खाने की...

अभय – अच्छा और हवेली में किसी ने नहीं की तारीफ....

सायरा –(सीरियस होके) खाने की इच्छा थी लेकिन तुम्हारे साथ सोचा था रात में साथ खाना खाएंगे सब लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ किसी ने नहीं खाया खाना न दिन में ना रात में सुबह चांदनी के कहने पर नाश्ता किया ठकुराइन ने , अभय गुस्सा करना अच्छी बात है लेकिन गुस्से में किया काम जरूरी नही सही हो...

अभय – (बात सुन के) कभी कभी आपके सामने कोई ऐसा नजारा आ जाय जिसे आप चाह के भी भूला नहीं सकते हो तब गुस्से में काबू पाना मुश्किल हो जाता है सायरा मानता हू गलत है ये लेकिन मैं भी इंसान हू बचपन से देखता आ रहा हू लेकिन अब नही समझ आता है मुझे ये सब गांव में दोस्तो के साथ वक्त बिताना खेलना कूदना इससे बाद हवेली आना और मार खाना बाते सुनना बस यही मेरी जिंदिगी बन गई थी और पिछले दस सालो में मैं सिर्फ एक ही चीज पर ध्यान देता रहा हू सिर्फ पढ़ाई पर घर से स्कूल बस कोई दोस्त नहीं घर में सिर्फ दीदी और मां और कोई नही , दुनिया में लोग कैसे क्या करते है अंजान हू मै इन सब से क्या करू तुम ही बताओ नही सह पता हू मै वो सब कुछ इसीलिए गुस्सा आ जाता है और हो जाता है गलत....

सायरा –(कंधे पे हाथ रख के) दुनिया के साथ चलना सीखो अभय ये दुनिया भोलेपन और सिधाई वाली नही है बिल्कुल भी....

सायरा की बात सुन अभय अपना सीर नीचे करके बैठा हुआ था कमरे के बाहर खड़ी चांदनी नजारा देख रही थी तभी चांदनी ने सायरा को इशारा किया आखों से...

सायरा – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) तुम आराम करो अभय मैं जब तक खाना लाती हू...

बोल के सायरा कमरे से बाहर चली हुई अन्दर अभय बेड में लेट गया बाहर सायरा ने दरवाजा बंद कर बाहर निकल के बात करने लगी चांदनी से....

सायरा – दस साल तक जिसने दिन दुनिया से मतलब ना रखा हो वो क्या जाने दुनिया वालो के साथ कैसे डील करना है....

अनिता –(सायरा की बात सुन) लेकिन जिस तरह से आज वो लड़ा था लगा नही था की अभय का ये रूप भी होगा....

चांदनी –(बात सुन के) हाथो से लड़ने से इंसान दुनिया को समझ नही लेता है अनिता इसके लिए दुनिया वालो का सामना करना पड़ता है...

सायरा – अब क्या करना है चांदनी....

चांदनी – अब इसे समझने का वक्त आ गया है को दुनिया वालो से कैसे पेश आना है और इसके लिए मुझे पता है किस्से बात करनी है मुझे तुम ध्यान रखो उसका अकेला मत छोड़ो उसे....

बोल के चांदनी और अनिता निकल गए रास्ते में चांदनी ने किसी को कॉल लगाया.....

सामने से –(मोबाइल में नंबर देख) क्या बात है आज कॉल किया आपने कैसी हो आप और आज आय क्यों नही कॉलेज....

चांदनी – राज मुझे तुमसे बात करनी है कहा मिल सकते हो अभी....

राज –(चौक के) क्या हुआ सब ठीक तो है न एक दम से अर्जेंट बुला रही हो इरादा तो नेक है ना....

चांदनी – SHUTAAP JUST LICEN TO ME मुझे अभी आके मिलो बस बोलो कहा मिलोगे....

राज – (सीरियस होके) ठीक है मैं बीच में मिलता हो आ जाओ वहा पर.....

थोड़ी देर में राज और चांदनी आमने सामने थे....

राज – क्या बात है इतना गुस्से में क्यों थी तुम...

चांदनी –(कल हवेली से लेके आज सुबह से अभी तक जो हुआ सब बता के) बात तो बहुत अजीब है ये जाने क्या लिखा है किस्मत में अभय की क्या हो रहा है ये सब उसके साथ....

चांदनी – वो तुम्हारे साथ ज्यादा रहता है तुम दोस्त हो उसके जो तुम कर सकते हो वो कोई और शायद कर पाए....

राज – मैं समझाऊंगा उसे करूंगा बात उससे फिकर मत करो अब तक मैं भी अंजान था इस बात से लेकिन अब नही....

चांदनी – ठीक है तुम्हे जैसा सही लगे करो....

बात करके राज निकल गया अपने बाबा के पास खेत में जहा सत्या बाबू के साथ पहल से मौजूद थी गीता देवी....

सत्या बाबू –(राज को देख) अरे राज तुम यहां पर...

गीता देवी –(राज को देख) मैं भी यही हू ना शायद कोई काम होगा तभी यहां आया है क्या हुआ राज कोई काम था...

राज – हा मां अच्छा हुआ आप दोनो यही पर हो...

सत्या बाबू – क्या बात है बेटा...

राज –(चांदनी ने जो बताया उसे बता के) अब आप बताओ बाबा क्या हो सकता है...

राज की बात सुन सत्या बाबू और गीता देवी एक दूसरे को देखने लगे तब गीता देवी बोली....

गीता देवी – तू एक काम कर अभय तू और तेरे दोस्त सब कल से सुबह 5 बजे आ जाना रोज अपने बाबा के पास अखाड़े में जो होगा वही देखना...

राज –(चौक के) मां मैं अभय के लिए बात करने आया था आप मुझे क्यों बीच में ले आए...

गीता देवी –(राज का कण पकड़ के) क्योरे बड़ी चिंता हो रही है अभय की तुझे अपने दोस्त के लिए इतना भी नही कर सकता है.....

राज –आ आ आ मां मैं समझ गया मां मैं समझ गया मां कल से आऊंगा मैं पक्का सबको लेके...

गीता देवी –(राज का कान छोड़ के) आएगा नही आना पड़ेगा आज से अपने मोबाइल में अलार्म बनाना शुरू कर दे...

राज – ठीक है मां मैं सबको बता दुगा आज ही...

अब थोड़ा पीछे चलत है सुबह जब अभय ने बीच (समुंदर किनारे) सबको मारा था तब से शंकर अपने लोगो को कॉल कर रहा था लेकिन किसी का कोई जवाब नही आ रहा था तब शंकर गया देखने जहा उसने देखा जिनको अभय को करने के लिए बुलाया था वो खुद मरे पड़े है जिसे देख शंकर की हवा निकल गई उसने सीधे रमन को कॉल लगाया....

रमन – (कॉल उठा के) हा शंकर काम हो गया....

शंकर – ठाकुर साहब जिनको काम तमाम करने के लिए भेजा था उन्हीं का काम तमाम हो गया है बीच में सबकी लाशे पीढ़ी है अभी देख के आ रहा हू मै....

रमन –(शंकर की बात सुन चौक के) क्या बकवास कर रहा है तू ये कैसे हो सकता है...

शंकर –25 आदमी थे ठाकुर साहब सब के सब मारे गए कोई नही बचा...

रमन –और वो लड़का...

शंकर – उस लड़के की लाश नही है यहां पर ठाकुर साहब अब क्या होगा....

रमन –(घबरा के) देख तू निकल जा जहा भी है तू छुप जा कही और घर में बोल दे अगर कोई पूछे तो बता दे शहर गया हुआ है ये बात पुलिस तक गई तो पहल तुझे पकड़े गि पुलिस तुझे क्योंकि तूने कॉल किया था इनलोगो को....

शंकर –(घबरा के) लेकिन ठाकुर साहब मेरे घर....

रमन –(बीच में) तू उनकी चिंता मत कर अगर कोई बात हुई तो औरते को पुलिस कुछ नही बोलेगी बाकी सब मैं देख लूंगा बस तू आज के आज निकल जा कही पर और एक नया नंबर लेलेना ताकि संपर्क में रहे तू मेरे से अगर कोई बात नही हुई तो तुझे बुला लूंगा मैं...बोल के कॉल कट कर दिया...

रमन –(मन में – एक बार शंकर पकड़ में आने से पहले निकल जाय यहां से फिर डरने की जरूरत नहीं पड़ेगी मुझे , साला नजाने किसने मारा होगा उनलोगो को कही उस लौंडे ने तो , नही नही एक अकेला लौंडा 25 को मार दे कभी नही हो सकता है लेकिन कामरान ने भी बोला था एक बार इस लौंडे ने गांव के बाहर भी कई लोगो को मारा था कही सच में इसी ने नही किया ये सब या फिर कही ये सच में अभय है अपना बदला लेने आया हो यहां पे , अमन भी बोल रहा था उस दिन उस लड़की के लिए क्या नाम है उसका हा पायल वो अभय की दीवानी है किसी से नही बोलती ना हस्ती थी लेकिन उस लौंडे के आते ही बोलने लगी हसने लगी अगर वो सच में अभय निकला तो सारे किया कराए पर पानी फिर जाएगा सब निकल जाएगा मेरे हाथ से मैं ऐसा नहीं होने दुगा इससे पहले की वो लौंडा पता लगे हमले की वजह का कुछ ऐसा करना होगा जिससे उसका शक मुझ पे ना जाय और इसके लिए शंकर को रास्ते से हटाना पड़ेगा मुझे)
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जारी रहेगा✍️✍️
Super update Bhai 💯
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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58,844
259
UPDATE 33



आज हवेली में कई लोग ऐसे थे जो बिना खाना खाए अपने बेड में लेटे थे शनाया जिसे ये समझ नही आ रहा था आखिर क्यों अभी बिना खाना खाए चला गया क्या हो गया था ऐसा दूसरी तरफ संध्या अपने कमरे की खिड़की के बाहर देखते हुए जिसे ये समझ नही आ रहा था जो हुआ उसके बाद क्या करे तीसरी तरफ चांदनी जो खुद संध्या के कमरे में उसके साथ खड़ी कभी खिड़की के बाहर देखती तो कभी संध्या को जिसने जी जान से कोशिश की ताकि मां बेटे के बीच दूरी कम हो लेकिन आज जो हुआ उसके बाद उसे समझ नही आ रहा था आखिर अब वो क्या करे जबकि चौथी तरफ मालती और ललिता थे जो शनाया की बात के बारे में सोच रहे थे अब उनको समझ नही आ रहा था आखिर सच क्या है क्या वो सच में अभय है या फिर शालिनी का बेटा है और इन सब की सोच का कारण था अभय.....

जो खुद गया तो था हवेली संध्या के जन्म दिन के खाने पर लेकिन जो नजारा उसने अपनी आखों से देखा उसके बाद हवेली से निकल के हॉस्टल ना जाके सीधा निकल गया बीच (समुंदर किनारे) पर जहा पत्थर के उपर बैठ अपने साथ लाई तस्वीर को देख बाते कर रहा था....

अभय –(हाथ में तस्वीर लिए जिसमे उसके पिता उसकी मां और खुद अभय था तस्वीर को देख अपने पिता से बात कर रहा था) (रोते हुए) बचपन से उस औरत ने दिल दुखाया है मेरा बाबा दूसरो की बातो में आके कितनी बार हाथ उठाया मुझ पर मैने कभी उफ्फ तक नही किया बाबा आज जब सच जाना तो लगा शायद मैं ही गलत था जो बिना वजह दूसरो की बात में आके गलत समझता था लेकिन नही बाबा वो अच्छी औरत नही है बाबा नही चाहिए वो मुझे (रोते हुए) वापस आ जाओ बाबा मैं अकेला हो गया हू नही अच्छा लगता आपके बिना जब भी किसी बच्चे को उसके बाबा के साथ देखता हू दिल रोता है मेरा बाबा क्यों छोड़ के चले गए बाबा आप क्यों क्यों क्यों , नही रहना अब मुझे यहां पर बस आपके साथ रहना है बाबा मुझे अपने पास बुला लो बाबा....

बोल रोते रोते जाने कब नीद आ गई पता नही चला सुबह हुई उगते सूरज की पहली किरण सोते हुए अभय पर पड़ी उसकी नीद खुल गई जागते ही उसने देखा उसके बगल में एक आदमी बैठा है जो उसे मुस्कुराते हुए देख रहा है जिस देख अभय बोला...

अभय –(अपने बगल में आदमी को देख) बाबा आप....

मनन –(मुस्कुरा के) जाग गए तुम (सर पे हाथ फेर के) कैसे हो तुम...

अभय – आपके बिना अकेला हू बाबा...

मनन – (मुस्कुरा के सूरज की तरफ इशारा करते हुए) वो देखो कितना सुंदर है , ये नजारा देखने लायक है ना मेरे पिता जी को समुंदर का ये नजारा बहुत पसंद था इसीलिए उन्होंने यहां से थोड़ी दूरी पर जमीन ली जहा उन्होंने हवेली बनाई और साथ में इस पूरे गांव को बसाया यहां से सब ढलान है पहाड़ की तेहलकी में खेत है एक बार की बात है पिता जी मेरे भाई के साथ शहर गए थे खेती के लिए बीजे लेने उस साल बहुत बारिश हुई थी तब मैं 12 साल का था खेतो में पानी आना शुरू होने लगा था तब मैं कुछ गांव वालो के साथ खेतो में पानी भरने से रोकता रहा पूरी रात हमने पानी को रोका और आखिर कार हमने पानी को रोक दिया मां ने घर में गाजर का हलवा बना के खिलाया और कहा मैं हीरो हू अगले दिन दोपहर में पिता जी गांव वापस आ गए उनके साथ गांव घूम रहा था तब मुझे पता चला की उस रात पानी रोकने के चक्कर में मैने पानी की धारा को मोड़ दिया जिसका पानी झील से होते हुए दूसरे गांव में बाड़ ले आया जाने कितनो के खेत डूब गए और साथ में ना जाने कितने जानवर , यहां मैं हलवा खा रहा और वहा लोगो के खेत और जानवर डूब रहे थे उस दिन से मैं रातों को सो नही पाता था मेरी वजह से जो हुआ उसके बुरे सपने मुझे सोने नही देते थे....

अभय –(अपने बाबा की बात सुन) फिर वो बुरे सपने आना कब बंद हुए...

मानना –(मुस्कुरा के) जब मैं तुम्हारी मां से मिला उसने मुझे यकीन दिलाया की दुनिया में अच्छाई भी मौजूद है वो मेरी दुनिया थी और फिर (अभय के सर पे हाथ रख के) फिर तुम्हारे आने से हमदोनो की दुनिया पूरी हो गई , काश ये जिंदिगी मुझे थोड़ा और वक्त देदेती , बहुत याद आती है तुमदोनो की बेटा....

अभय –मैं भी आपको बहुत याद करता हू बाबा अकेला हो गया हू मुझे अपने साथ ले चलो बाबा...

मनन –(मुस्कुरा के) तू अकेला कहा है बेटा मैं हू ना तेरे साथ तेरे दिल में , अंश है तू मेरा अलग नही है तू मुझसे , तू ही तो मेरी दुनिया का एक सहारा है तू खुश रहेगा तो मैं भी खुश रहूंगा अभी तुझे आगे बढ़ना है....

मनन ठाकुर मुस्कुराते हुए अपनी बात बताए जा रहे थे और अभय उसे सुन रहा था अपनी आखरी बात बोल के मनन ठाकुर मुस्कुरा के गायब हो गए तभी अभय की नीद खुली अपनी आंखे आराम से खोल बस उगते हुए सूरज को देखता रहा अभय समुंदर के किनारे से....


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कुछ समय बाद अभय टहलने लगा बीच पर लेकिन उसे पता नही था की बीच पर कुछ लोग ऐसे भी है जिनकी नजर सिर्फ अभय पर ही थी

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कुछ दूरी चलने पर कुछ लोगो ने अभय के उपर जाल फेका जिसमे लोगो ने फसाया अभय को और एक सिरा फेका समुंदर में खड़ी नाव की तरफ जिसमे बैठे लोगो ने जाल को नाव में बंद के घसीटने लगे जिसमे अभय खींचता चला गया समुंदर की तरफ जाल में फस के लेकिन तभी समुंदर किनारे नाव को बांधने के लिए एक छोटा सा खंभा जिसके सहारे से अभय ने रोक लिया खुद को समुंदर में जाने से
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नतीजा अभय बच गया समुंदर में जाने से लेकिन उसी खंभे के सहारे से जाल से निकल के अभय ने उसे खींच लिया जिसके बाद नाव आगे जाने के बजाय उल्टी पटल गई
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नाव के पलटते ही उसमे सवार लोग भी गिरने लगे सब
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अभय पलट के आने लगा तब अपने सामने खड़े लोगो को देखा जो सिर्फ अभय को ही देख रहे थे ये बात समझते देर नही लगी अभय को की वो लोग उसे मारने आए है और तभी

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उनमें से एक आदमी कुल्हाड़ी लेके मारने आया दौड़ के अभय ने उसे निपटा दिया एक झटके में जिसे उनके सामने खड़े सभी लोगो ने देखा और उन्होंने भी दौड़ लगा दी अभय की तरफ साथ में अभय ने भी

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उन सभी के वार से बचते हुए अभय ने उनके एक आदमी को पकड़ की रेत में खड़ी नाव में दबा दिया जिससे वो आदमी वही मारा गया

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एक एक कर के लोग वार करते रहे अभय उनको मरता गया

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इसी बीच में एक आदमी ने अभय पर वार कर दिया जिससे लगते ही अभय पीछे होके गिरा और तभी

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कुछ लोगो ने अभय पे वार करने की कोशिश की लेकिन अभय बच गया किस्मत से अभय को किलो से बनी मूगरी हाथ में आ गई जिससे अभय ने उन लोगो को मार दिया

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और अपनी तरफ वार करने आने वाले आदमी को मारा एक घुसा कस के दूर जाके गिरा

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एक आदमी चाकू से वार करने आया उसका चाकू छीन के उसे मारा और साथ ही आस पास के खड़े सभी लोगो को मरता गया बेहरामी से चाकू का इस्तमाल करके
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एक का सिर फोड़ उसे टांग दिया नाव के बीच में आखरी में एक आदमी ने दो चाकू से मरने की कोशिश की अभय को लेकिन

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अभय ने उसे भी निपटा दिया STYLE से....
इसके बाद चारो तरफ बीच में सिर्फ लाशे पड़ी थी 25 लोगो की जो आए थे मारने अभय को लेकिन खुद मारे गए अभय के हाथो....

इन सब के बाद अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ जबकि इस तरफ बीच में एक लड़की दूर से ये नजारा देख किसी को कॉल मिलाया...

लड़की –(सामने वाले से) गुड मॉर्निंग मैडम....

चांदनी – गुड मॉर्निंग अनिता इतनी सुबह सुबह कॉल किया तुमने....

अनिता – हा मैडम बात ही कुछ ऐसी है...

चांदनी – अच्छा बताओ क्या बात है...

अनिता –मैं इस वक्त बीच में हू मैडम मेरे सामने करीबन 25 लोगो की लाशे पड़ी है...

चांदनी –(चौक के) क्या 25 लोगो की लाशे बीच में कैस कब हुआ ये सब...

अनिता – वो आपके भाई ने मारा है इन सब को...

चांदनी –(अनिता की बात सुन गुस्से में) ये क्या बकवास की रही हो तुम...

अनिता – मेरी पूरी बात तो सुनिए मैडम , अभय ने इन्हे मारा जरूर है लेकिन सबसे पहले इन लोगो ने शुरुवात की अभय को जान से मरने की....

चांदनी –(हैरान होके) जान से मारने की अभय को क्यों...

अनिता – अभी तो कुछ नही कहा जा सकता है मैडम कोई जिंदा बचा हो तो पता लगाया जा सकता था लेकिन सब के सब मारे गए..…

चांदनी – अभय कहा है....

अनिता – चला गया वो शायद हॉस्टल की तरफ...

चांदनी – पुलिस को कॉल करके हालात बता दो उन्हें...

बोल के कॉल कट कर दिया इस तरफ अभय हॉस्टल आया तयार होके निकल गया कॉलेज जहा पर सभी दोस्त अभय का इंतजार कर रहे थे अभय के आते ही....

राज –(अभय से) आओ भाई क्या हाल है तेरे कैसा रहा कल सब ठीक था ना...

अभय –(हल्का हस के) हा सब ठीक था तू बता भाई...

राज – मैं मस्त हू कल बहुत मस्त नीद आई मुझे रात में सोया सीधा सुबह उठा हू...

राजू और लल्ला – हा यार कल दिन भर में हालत खराब हो गई यार अपनी लेकिन नीद भी गजब की आई तू बता अपने कल का खाना तो तूने बनाया था कहा से सीखा इतना अच्छा खाना बनाना मजा आगया यार खाने में....

अभय – शहर में सीखा था मां से...

पायल –(इन सब के पास आके सभी की बात सुन) अगर खाना और सोना हो गया हो तो जरा पढ़ाई पर ध्यान देदो एग्जाम आने वाले है...

राज – बड़ी जल्दी एग्जाम आ गए यार अभी तो कॉलेज शुरू हुआ था...

पायल –हा हा घूमने से फुरसत मिले तब तो पता चलेगा कॉलेज शुरू हुए 3 महीने हो गए है...

अभय – चल छोड़ो यार एग्जाम है कोई तोप नही देख लेंगे इसे भी...

बोल के हसने लगे सभी निकल गए क्लास की तरफ जहा पढ़ाई शुरू हो गई कुछ देर बाद क्लास में कोई आया अभय को बुलाने...

पीयून – (अभय से) आपको प्रिंसिपल बुला रही है...

पीयून की बात सुन अभय निकल गया प्रिंसिपल के केबिन में...

अभय – mai i comein...

शनाया – yes...

अभय – आपने बुलाया मुझे....

शनाया – हा बैठो...

बोल के शनाया उठी कमरे का दरवाजा लॉक करके....

शनाया – कल क्या हुआ था क्यों चले गए तुम बिना खाना खाए....

अभय – कुछ खास नही एग्जाम शुरू होने वाले है न इसीलिए...

शनाया –(गुस्से में) बेकार की बाते मत करो तुम स्कूल में भी तुम दूर रहने लगे थे मुझसे गांव आने से पहले भी मिलने तक नही आए तुम मुझसे प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी क्यों कर रहे हो ऐसा...

अभय –कोई प्राब्लम नही है मुझे आपसे बस अपने हालात में उलझा हुआ हू...

शनाया – तो बताओ मुझे मैं मदद करती हू तुम्हारी एक मौका तो दो मुझे...

अभय – ये मुझे खुद करना है मैडम...

शनाया – क्या दोस्ती के नाते भी एक मौका नही दोगे...

अभय – (उठ के वापस जाते हुए) आप समझ क्यों नही रहे हो मैं...

शनाया –(बीच में बात काट के अभय के पास आते हुए) आखिर बात क्या है क्यों दूर भाग रहे हो मुझसे अगर कोई गलती हुई हो बताओ मुझे...

अभय –आपसे कोई गलती नही हुई है मैं अपनी परेशानी को खुद सुलझाना चाहता हू मै नही चाहता की आप...

बोला हे था की तभी शनाया ने अभय के चेहरा पकड़ के किस करने लगी कुछ सेकंड बाद अलग होके...


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शनाया –मैं जानती हू ये शायद गलत है लेकिन मेरे पास मौका था शहर के किसी और कॉलेज में जाने का लेकिन मुझे जब तुम्हारे यह होने का पता चला मैं यही पर आ गई तुम्हारे पास जा अगर तुम्हे मेरा यह पर आना अच्छा नहीं लगता तो मैं चली जाओगी यहां से...

अभय – (बात सुन के तुरंत बोला) नही मैं वो मैं...

शनाया – कोई बात नही मुझे तू।हरा जवाब मिल गया तुम चिंता मत करो मैं जल्द ही चली जाओगी यहां से...

अभय – नही मत जाओ आप मैं किसी और से....

शनाया –(बीच में) हा जानती हू देखा था मैने तुम्हे पायल के साथ प्यार करते हो ना उससे तुम इसीलिए मैं कुछ नही बोलुगी नही आऊगी बीच में तुम्हारे कभी , धोखा खाने के बाद मैने कभी नही सोचा था की मैं प्यार कर पाऊगी किसी से लेकिन जब से तुम आय मेरी लाइफ में तब से ना जाने क्यों तुम्हारी तरफ खींची चली आई जानती हू तुम्म्मे मुझमें फर्क है उमर का लेकिन सच में मैं नही जानती क्यों तुमसे ना चाहते हुए भी दूर नही रह पाई मैं , मैं वादा करती हू तुमसे तुम्हारे बीच नही आओगी कभी भी बस दूर मत जाओ मुझसे...

अभय –(शनाया की बात सुन उसके चेहरे को देखा जहा उसकी आखों में आसू थे उसे गले लगा के) में नही जानता ये कैसे हुआ लेकिन हा सच ये भी है मैं भी प्यार करने लगा हू आपसे लेकिन मैं किसी और का हू सालो तक उसने मेरा इंतजार किया सिर्फ इस उम्मीद में मैं एक दिन वापस आऊंगा उसके पास मैं कैसे उसे बोल दू किसी और से भी प्यार करता हू वो बर्दश नही कर पाएगी...

शनाया – (गले लगे अभय से) इसका फैसला वक्त पर छोड़ दो तुम अपने आप को मत उलझाओ और...

अभय –(अलग होके शनाया के आसू पोछ के) में वादा करता हू कभी दूर नही जाऊंगा अब आपसे मुझे वक्त दो आप मैं सब बता दुगा पायल को जल्द ही आपके बारे में भी मैं जानता हूं वो समझेगी जरूर मुझे...

शनाया – क्या तुम्हे सच में ऐसा लगता है अगर नही तो मैं चली जाओगी मैं नही चाहती मेरी वजह से तुम्हारा प्यार दूर हो तुमसे...

अभय –ऐसा कुछ नही होगा मैं बात करूंगा पायल से जल्द ही...

शनाया –मैं इंतजार करूगी (मुस्कुराने लगी) अच्छा सुनो कल क्या हो गया था तुम्हे क्यों चले गए थे तुम हवेली से ललिता और मालती ने बताया मुझे की संध्या तुम्हे अपना बेटा समझ रही है...

अभय –(बात सुन के) फिर आपने क्या कहा...

शनाया –मैने बता दिया उन्हें तुम DIG शालिनी के बेटे हो लेकिन वो ऐसा क्यों समझ रहे है तुम्हे...

अभय –जाने दीजिए उनकी बातो को आप मैं ध्यान नही देता बातो को आप भी ध्यान मत दो बस...

शनाया – कॉलेज के बाद क्या कर रहे हो तुम....

अभय –हॉस्टल जाऊंगा आराम करूंगा बस....

शनाया –आज मैं भी चलूं तुम्हारे साथ...

अभय – आप क्या करोगे गर्मी में इतनी...

शनाया –(मुस्कुरा के) तुंभी तो इतनी गर्मी में क्यों रहते हो खेर छोड़ो मैने AC ऑर्डर किया ही तुम्हारे लिए मना मत करना बात हो गई है मेरी आज कॉलेज के बाद तुम्हारे कमरे में लग जाएगा तब तो आ सकती हू ना मैं तुम्हारे पास...

अभय –(शनाया को देख मुस्कुरा के) ऐसा लगता है आपके इरादे नेक नही है मैडम....

शनाया – तुम्हारे साथ नेक इरादो का अचार डालना है क्या बोलो कब...

अभय –सन्डे को मैं फ्री रहूंगा....

शनाया – में शनिवार रात तुम्हारे पास आओगी....

अभय –और हवेली में क्या बोलोगे आप...

शनाया – वो मुझ पे छोड़ दो...

अभय– (मुस्कुरा के) ठीक ही चलता हू बाद में मिलते है...

बोल के क्लास की तरफ निकल गया अभय क्लास चल रही थी तभी आते ही क्लास लेने एक टीचर...

टीचर–(सभी से) कैसे हो सभी बच्चों...

स्टूडेंट्स– (एक साथ) अच्छे है सर....

टीचर– My Self...Munde , M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (आगे बैठी पायल की तरफ हाथ बड़ा के) बबलगम...

पायल–(हैरान होके) नही सर....

मनोहर –ले लो ना प्लीज एक लेलो....

पायल – (बबलगम लेके) शुक्रिया सर....

मनोहर – VERY GOOD (लडको की तरफ जाके) हा तो मैं आपका नया टीचर हू आज से मैं आप सब की क्लास लूंगा लेकिन आज के लिए फिलहाल इंट्रोडक्शन सबका तो बताए आप सब अपना अपना नाम पहले मेरा नाम M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम (अभय की तरफ हाथ बड़ा के) बबलगम लेलो प्लीज एक ही लेना अभी और भी है यार....

अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है सर....

राजू – सर मुझे भी बहुत अच्छा लगता है बबल गम....

मनोहर –(हस के) एक ही लेना बेटा अभी और भी लोग लेंगे बबलगम....

बोल के मनोहर सबका इंट्रोडक्शन लेने लगता है जिसे देख....

राज – (अभय से धीरे से) यार ये बंद न पक्का बबलगम खिला खिला के पागल ना कर दे सबको अपने नाम के बाद ही बार बबलगम देंने लगता है....

लल्ला –(धीरे से) मुझे तो लगता है खाने में भी बबलगम ही खाता होगा...

राजू– (धीरे से) हा बे खाने से ज्यादा बबलगम खाता है पक्का इसका खर्चा भी क्या बस बबलगम और क्या...

बोल के ये चारो धीरे से हसने लगते है धीरे धीरे क्लास खतम हो जाती छुट्टी के वक्त सब निकलने लगते है बाहर तभी...

अभय –(पायल से) आज क्या कर रही हो....

पायल – मां की तबीयत थोड़ी खराब है अस्पताल जाना है मां को लेके...

अभय – क्या हो गया है काकी हो पहले भी तबियत खराब थी अब फिर से...

पायल – पता नही डाक्टर बोल रहा है शहर ले जाओ दूसरे डाक्टर को दिखाने के लिए लेकिन (बोल के चुप हो हुई)...

अभय – लेकिन क्या पायल बोल ना....

पायल – फीस के लिए पैसे नहीं है हमारे पास शहर में डाक्टर की फीस , दवाई का खर्चा बहुत ज्यादा है....

अभय – देख तू चिंता मत कर तू सिर्फ काकी को शहर ले जाने की तयारी कर बाकी मैं देख लूंगा...

पायल – नही नही अभय मां नही मानेगी कल भी हवेली में कैसे रुकी है मां मैं जानती हू...

अभय – कल हवेली कैसे मतलब क्या हुआ हवेली में कुछ हुआ है क्या बता मुझे...

पायल –(मुस्कुरा के) अरे हवेली में कुछ नही हुआ जब हम वहा गए तब ठकुराइन ने देख लिया मुझे आते हुए और...

Mini Flashback कल का...

संध्या –(पायल को देख के) अरे पायल इधर आजा...

पायल –(संध्या के पास जाके) जी ठकुराइन...

संध्या –कैसी है तू....

पायल – अच्छी हू और आप...

संध्या – मैं भी बहुत अच्छी हू (चांदनी से मिलते हुए) इनसे मिल ये चांदनी है अभय की बड़ी दीदी और मेरी भांजी...

पायल – (चांदनी से) नमस्ते दीदी अभय ने बताया था आपके बारे में बहुत तारीफ करता है आपकी...

चांदनी – मुझे भी बताया था अभय ने तुम्हारे बारे में लेकिन गलत बताया तुम उससे भी ज्यादा सुंदर हो बहुत बाते करता था तेरे बारे में अभय...

पायल –(शर्मा के) वो तो ऐसा ही है दीदी...

संध्या – और कौन आया है तेरे साथ...

पायल – जी मां और बाब आय है साथ में...

संध्या – उनको बुला यही पर हमारे साथ बैठे...

पायल –लेकिन वो नही मानेंगे ठकुराइन...

संध्या – (मुस्कुरा के) उनको बोल ठकुराइन ने बुलाया है...

सुन के पायल लेके आ गई अपने मां और बाबा को...

संध्या –(पायल के मां बाप से) कैसे हो मगलू और शांति....

मगलू –(हाथ जोड़ के) ठीक हू मालकिन....

संध्या – खेती का काम कैसा चल रहा है...

मगलू –ठीक है मालकिन बस गुजारा चल रहा है...

संध्या –अब तेरी तबीयत कैसी है शांति....

शांति – अब ठीक हू मालकिन इलाज चल रहा है डाक्टर से...

संध्या – जरूरत पड़े तो बता देना मुझे अच्छे डाक्टर से इलाज करवाओगी तेरा...

शांति – शुक्रिया मालकिन...

संध्या – कभी कभी पायल को भेज दिया करो हवेली में मेरा भी वक्त अच्छा बीत जाया करेगा इसके साथ (पायल से) आया कर तू जब भी मौका मिले....

मगलू –लेकिन मालकिन ठाकुर साहेब वो...

संध्या –(बात समझ के)चिंता मत करो मैं बोल रही हू ना कोई रास्ता रोक तो बोल देना ठकुराइन का हुकुम है उसके बाद मैं देख लूंगी कौन रोकता है रास्ता चलो आओ मेरे साथ खाना खालो फिर बाते करते है...

इसके बाद संध्या ने पायल और उसके मां बाप को खाना खिलाती है जिसे देख पायल बोली...

पायल – ठकुराइन आप भी आइए....

संध्या – अभी नही पायल आज सभी को खाना खिलाने के बाद ही खाओगी मैं...

पायल –(धीरे से) वो रात में आएगा...

संध्या – (हा में सर हिला के बोली) हा उसी के साथ खाओगी आज बस इंतजार है रात होने का मुझे...

बोल के संध्या , पायल और चांदनी मुस्कुराने लगे खाने के बाद संध्या ने पायल और उसके मां बाप को अपने साथ रोक लिया कुछ समय बाद सबका खाना हो गया तब...

संध्या –(पायल को अपनी सोने की चेन पहनाते हुए) इसे पहन ले...

पायल –(हैरानी से) लेकिन ठकुराइन...

संध्या –(पायल को चुप रहने का इशारा करते हुए) चुप कुछ मत बोल बस पहन ले इसे और कभी कभी आया कर मिलने ठीक है...

मगलू और शांति – मालकिन ये सब...

संध्या – ये मेरी तरफ से है पायल के लिए बस और कोई सवाल नही....

चांदनी –(इतनी देर से देख रही थी वो बोली) कॉलेज में मिलना जब खाली वक्त मिले बात करनी है तुमसे...

पायल – जी दीदी...

BACK TO PRESENT...

पायल –उसके बाद हम सब निकल आए हवेली से और फिर तुम मिले रास्ते में....

अभय –(पायल की पूरी बात सुन के) ठीक है एक काम कर आज अस्पताल में काकी को दिखा दे डाक्टर से जा करी लेलेना फिर मुझे बता देना बाकी मैं देख लूंगा बस कोई सवाल मत पूछना अब...

पायल –(मुस्कुरा के) ठीक है कल मिलती हू...

बोल के पायल चली गई घर पीछे से राज , राजू और लल्ला आ गए...

राज – हा भाई हो हुई बात चीत तेरी....

अभय – अरे कुछ नही यार ऐसे ही बात कर रहे थे हम तू बता...

राज –आज चांदनी नही आई कॉलेज क्या बात है...

अभय –(चौक के) क्या सच में दीदी नही आई मुझे नही पता...

राज –अबे तो पता कर ना क्या बात है...

अभय –(जल्दी बाजी में) हा रुक मैं अभी पता करता हू (मोबाइल निकल के कॉल मिलने जा रहा था तभी रुक गया) एक मिनट तेरे पास नंबर है ना दीदी का तो तू खुद क्यों नही पता करता है मैं क्यों पता करू मिलना तुझे है मैं तो रोज मिलता हू...

राज – देख अभय ज्यादा भाव मत खा भाई प्लीज पता की ना...

अभय –(टांग खींचते हुए) जिसे पढ़ है वो खुद करे मैं क्यों बीच में आऊं...

राज –(झल्ला के) हा तो ठीक है मैं खुद पता कर लूंगा (बोल के जाने लगा फिर वापस आके अभय से) मिलाया कॉल तूने...

अभय – (मुस्कुरा के) तूने बोला ना तू खुद कर लेगा तो कर ले...

राज – देख लूंगा तेरे को बहुत फायदा उठा रहा है तू मेरा भी वक्त आएगा....

बोल के चला गया राज पीछे से तीनों हसने लगे निकल गए अपने अपने रास्ते अभय हॉस्टल में आते ही...

अभय –(कमरे में चांदनी , अनिता और सायरा को देख) आप तीनों यहां पर...

सायरा – दो लोग आए थे AC लगा के गए है कमरे में सोचा ठंडक का मजा लेले हम भी...

अभय – अच्छी बात है...

चांदनी –(गौर से अभय को देखते हुए) सुबह कहा थे तुम...

अभय –(अपनी दीदी की बात सुन हसी रुक गई उसकी) तो आपने नजर बनाई हुई है मुझ पे अभी भी...

चांदनी –ये मेरे सवाल का जवाब नही हुआ अभय...

अभय –पता नही दीदी कौन थे वो बिना बात के मारने में लगे थे मुझे मैं सिर्फ अपना बचाव कर रहा था...

चांदनी – बचाव कर रहे थे या मार रहे थे तुम उन्हें...

अभय –तो आप क्या चाहती हो क्या करता उनके साथ मरने देता उन्हें खुद को....

चांदनी – कम से कम पता करने के लिए किसी को इस लायक छोड़ देता ताकि पता चल जाता किसका किया है ये (सायरा और अनिता से) हमे अकेला छोड़ दो....

बात सुन दोनो निकल गई कमरे से बाहर....

चांदनी – कल रात क्यों चला गया था हवेली से तू...

अभय – मन नही लग रहा था मेरा इसीलिए निकल आया...

चांदनी – मन नही था या बात कुछ और है...

अभय – आप जानते हो ना सब बता दिया होगा उसने आपको हा मैं निकल आया वहा से गलती कर दी जाना ही नही चाहे था मुझे हवेली पर...

चांदनी – (अभय की बात सुन ज्यादा बोलना सही नही समझा) ठीक है जो अच्छा लगे तुझे वो कर...

बोल के चांदनी चली गई इसके जाते ही सायरा अन्दर आई...

सायरा – क्या केरते हो तुम अभय नाराज कर दिया अपनी दीदी को तुमने...

अभय –(मुस्कुरा के) मुझसे कभी नाराज नही हो सकती है दीदी....

सायरा – खाना लगाऊं कल से कुछ नही खाया तुमने अभय खा लो...

अभय –दीदी ने खाया कुछ...

सायरा – हा सुबह नाश्ता किया सबने कल का खाना बहुत मजेदार था पूरा गांव तारीफ कर रहा था खाने की...

अभय – अच्छा और हवेली में किसी ने नहीं की तारीफ....

सायरा –(सीरियस होके) खाने की इच्छा थी लेकिन तुम्हारे साथ सोचा था रात में साथ खाना खाएंगे सब लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ किसी ने नहीं खाया खाना न दिन में ना रात में सुबह चांदनी के कहने पर नाश्ता किया ठकुराइन ने , अभय गुस्सा करना अच्छी बात है लेकिन गुस्से में किया काम जरूरी नही सही हो...

अभय – (बात सुन के) कभी कभी आपके सामने कोई ऐसा नजारा आ जाय जिसे आप चाह के भी भूला नहीं सकते हो तब गुस्से में काबू पाना मुश्किल हो जाता है सायरा मानता हू गलत है ये लेकिन मैं भी इंसान हू बचपन से देखता आ रहा हू लेकिन अब नही समझ आता है मुझे ये सब गांव में दोस्तो के साथ वक्त बिताना खेलना कूदना इससे बाद हवेली आना और मार खाना बाते सुनना बस यही मेरी जिंदिगी बन गई थी और पिछले दस सालो में मैं सिर्फ एक ही चीज पर ध्यान देता रहा हू सिर्फ पढ़ाई पर घर से स्कूल बस कोई दोस्त नहीं घर में सिर्फ दीदी और मां और कोई नही , दुनिया में लोग कैसे क्या करते है अंजान हू मै इन सब से क्या करू तुम ही बताओ नही सह पता हू मै वो सब कुछ इसीलिए गुस्सा आ जाता है और हो जाता है गलत....

सायरा –(कंधे पे हाथ रख के) दुनिया के साथ चलना सीखो अभय ये दुनिया भोलेपन और सिधाई वाली नही है बिल्कुल भी....

सायरा की बात सुन अभय अपना सीर नीचे करके बैठा हुआ था कमरे के बाहर खड़ी चांदनी नजारा देख रही थी तभी चांदनी ने सायरा को इशारा किया आखों से...

सायरा – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) तुम आराम करो अभय मैं जब तक खाना लाती हू...

बोल के सायरा कमरे से बाहर चली हुई अन्दर अभय बेड में लेट गया बाहर सायरा ने दरवाजा बंद कर बाहर निकल के बात करने लगी चांदनी से....

सायरा – दस साल तक जिसने दिन दुनिया से मतलब ना रखा हो वो क्या जाने दुनिया वालो के साथ कैसे डील करना है....

अनिता –(सायरा की बात सुन) लेकिन जिस तरह से आज वो लड़ा था लगा नही था की अभय का ये रूप भी होगा....

चांदनी –(बात सुन के) हाथो से लड़ने से इंसान दुनिया को समझ नही लेता है अनिता इसके लिए दुनिया वालो का सामना करना पड़ता है...

सायरा – अब क्या करना है चांदनी....

चांदनी – अब इसे समझने का वक्त आ गया है को दुनिया वालो से कैसे पेश आना है और इसके लिए मुझे पता है किस्से बात करनी है मुझे तुम ध्यान रखो उसका अकेला मत छोड़ो उसे....

बोल के चांदनी और अनिता निकल गए रास्ते में चांदनी ने किसी को कॉल लगाया.....

सामने से –(मोबाइल में नंबर देख) क्या बात है आज कॉल किया आपने कैसी हो आप और आज आय क्यों नही कॉलेज....

चांदनी – राज मुझे तुमसे बात करनी है कहा मिल सकते हो अभी....

राज –(चौक के) क्या हुआ सब ठीक तो है न एक दम से अर्जेंट बुला रही हो इरादा तो नेक है ना....

चांदनी – SHUTAAP JUST LICEN TO ME मुझे अभी आके मिलो बस बोलो कहा मिलोगे....

राज – (सीरियस होके) ठीक है मैं बीच में मिलता हो आ जाओ वहा पर.....

थोड़ी देर में राज और चांदनी आमने सामने थे....

राज – क्या बात है इतना गुस्से में क्यों थी तुम...

चांदनी –(कल हवेली से लेके आज सुबह से अभी तक जो हुआ सब बता के) बात तो बहुत अजीब है ये जाने क्या लिखा है किस्मत में अभय की क्या हो रहा है ये सब उसके साथ....

चांदनी – वो तुम्हारे साथ ज्यादा रहता है तुम दोस्त हो उसके जो तुम कर सकते हो वो कोई और शायद कर पाए....

राज – मैं समझाऊंगा उसे करूंगा बात उससे फिकर मत करो अब तक मैं भी अंजान था इस बात से लेकिन अब नही....

चांदनी – ठीक है तुम्हे जैसा सही लगे करो....

बात करके राज निकल गया अपने बाबा के पास खेत में जहा सत्या बाबू के साथ पहल से मौजूद थी गीता देवी....

सत्या बाबू –(राज को देख) अरे राज तुम यहां पर...

गीता देवी –(राज को देख) मैं भी यही हू ना शायद कोई काम होगा तभी यहां आया है क्या हुआ राज कोई काम था...

राज – हा मां अच्छा हुआ आप दोनो यही पर हो...

सत्या बाबू – क्या बात है बेटा...

राज –(चांदनी ने जो बताया उसे बता के) अब आप बताओ बाबा क्या हो सकता है...

राज की बात सुन सत्या बाबू और गीता देवी एक दूसरे को देखने लगे तब गीता देवी बोली....

गीता देवी – तू एक काम कर अभय तू और तेरे दोस्त सब कल से सुबह 5 बजे आ जाना रोज अपने बाबा के पास अखाड़े में जो होगा वही देखना...

राज –(चौक के) मां मैं अभय के लिए बात करने आया था आप मुझे क्यों बीच में ले आए...

गीता देवी –(राज का कण पकड़ के) क्योरे बड़ी चिंता हो रही है अभय की तुझे अपने दोस्त के लिए इतना भी नही कर सकता है.....

राज –आ आ आ मां मैं समझ गया मां मैं समझ गया मां कल से आऊंगा मैं पक्का सबको लेके...

गीता देवी –(राज का कान छोड़ के) आएगा नही आना पड़ेगा आज से अपने मोबाइल में अलार्म बनाना शुरू कर दे...

राज – ठीक है मां मैं सबको बता दुगा आज ही...

अब थोड़ा पीछे चलत है सुबह जब अभय ने बीच (समुंदर किनारे) सबको मारा था तब से शंकर अपने लोगो को कॉल कर रहा था लेकिन किसी का कोई जवाब नही आ रहा था तब शंकर गया देखने जहा उसने देखा जिनको अभय को करने के लिए बुलाया था वो खुद मरे पड़े है जिसे देख शंकर की हवा निकल गई उसने सीधे रमन को कॉल लगाया....

रमन – (कॉल उठा के) हा शंकर काम हो गया....

शंकर – ठाकुर साहब जिनको काम तमाम करने के लिए भेजा था उन्हीं का काम तमाम हो गया है बीच में सबकी लाशे पीढ़ी है अभी देख के आ रहा हू मै....

रमन –(शंकर की बात सुन चौक के) क्या बकवास कर रहा है तू ये कैसे हो सकता है...

शंकर –25 आदमी थे ठाकुर साहब सब के सब मारे गए कोई नही बचा...

रमन –और वो लड़का...

शंकर – उस लड़के की लाश नही है यहां पर ठाकुर साहब अब क्या होगा....

रमन –(घबरा के) देख तू निकल जा जहा भी है तू छुप जा कही और घर में बोल दे अगर कोई पूछे तो बता दे शहर गया हुआ है ये बात पुलिस तक गई तो पहल तुझे पकड़े गि पुलिस तुझे क्योंकि तूने कॉल किया था इनलोगो को....

शंकर –(घबरा के) लेकिन ठाकुर साहब मेरे घर....

रमन –(बीच में) तू उनकी चिंता मत कर अगर कोई बात हुई तो औरते को पुलिस कुछ नही बोलेगी बाकी सब मैं देख लूंगा बस तू आज के आज निकल जा कही पर और एक नया नंबर लेलेना ताकि संपर्क में रहे तू मेरे से अगर कोई बात नही हुई तो तुझे बुला लूंगा मैं...बोल के कॉल कट कर दिया...

रमन –(मन में – एक बार शंकर पकड़ में आने से पहले निकल जाय यहां से फिर डरने की जरूरत नहीं पड़ेगी मुझे , साला नजाने किसने मारा होगा उनलोगो को कही उस लौंडे ने तो , नही नही एक अकेला लौंडा 25 को मार दे कभी नही हो सकता है लेकिन कामरान ने भी बोला था एक बार इस लौंडे ने गांव के बाहर भी कई लोगो को मारा था कही सच में इसी ने नही किया ये सब या फिर कही ये सच में अभय है अपना बदला लेने आया हो यहां पे , अमन भी बोल रहा था उस दिन उस लड़की के लिए क्या नाम है उसका हा पायल वो अभय की दीवानी है किसी से नही बोलती ना हस्ती थी लेकिन उस लौंडे के आते ही बोलने लगी हसने लगी अगर वो सच में अभय निकला तो सारे किया कराए पर पानी फिर जाएगा सब निकल जाएगा मेरे हाथ से मैं ऐसा नहीं होने दुगा इससे पहले की वो लौंडा पता लगे हमले की वजह का कुछ ऐसा करना होगा जिससे उसका शक मुझ पे ना जाय और इसके लिए शंकर को रास्ते से हटाना पड़ेगा मुझे)
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जारी रहेगा✍️✍️
Bohot badhiya update diya hai yaar, abhay ne 25 ko pel diya aur raj usko akhade me le jane wala hai, dekhte hai waha kya hota hai, udhar wo apni ma se bhi naraaj hai, ab use kon or kaise samjhaye ye bhi dekhne wali baat hogi👍
Awesome update again and superb writing ✍️. My dear friend 🧡
 
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