UPDATE 33
आज हवेली में कई लोग ऐसे थे जो बिना खाना खाए अपने बेड में लेटे थे शनाया जिसे ये समझ नही आ रहा था आखिर क्यों अभी बिना खाना खाए चला गया क्या हो गया था ऐसा दूसरी तरफ संध्या अपने कमरे की खिड़की के बाहर देखते हुए जिसे ये समझ नही आ रहा था जो हुआ उसके बाद क्या करे तीसरी तरफ चांदनी जो खुद संध्या के कमरे में उसके साथ खड़ी कभी खिड़की के बाहर देखती तो कभी संध्या को जिसने जी जान से कोशिश की ताकि मां बेटे के बीच दूरी कम हो लेकिन आज जो हुआ उसके बाद उसे समझ नही आ रहा था आखिर अब वो क्या करे जबकि चौथी तरफ मालती और ललिता थे जो शनाया की बात के बारे में सोच रहे थे अब उनको समझ नही आ रहा था आखिर सच क्या है क्या वो सच में अभय है या फिर शालिनी का बेटा है और इन सब की सोच का कारण था अभय.....
जो खुद गया तो था हवेली संध्या के जन्म दिन के खाने पर लेकिन जो नजारा उसने अपनी आखों से देखा उसके बाद हवेली से निकल के हॉस्टल ना जाके सीधा निकल गया बीच (समुंदर किनारे) पर जहा पत्थर के उपर बैठ अपने साथ लाई तस्वीर को देख बाते कर रहा था....
अभय –(हाथ में तस्वीर लिए जिसमे उसके पिता उसकी मां और खुद अभय था तस्वीर को देख अपने पिता से बात कर रहा था) (रोते हुए) बचपन से उस औरत ने दिल दुखाया है मेरा बाबा दूसरो की बातो में आके कितनी बार हाथ उठाया मुझ पर मैने कभी उफ्फ तक नही किया बाबा आज जब सच जाना तो लगा शायद मैं ही गलत था जो बिना वजह दूसरो की बात में आके गलत समझता था लेकिन नही बाबा वो अच्छी औरत नही है बाबा नही चाहिए वो मुझे (रोते हुए) वापस आ जाओ बाबा मैं अकेला हो गया हू नही अच्छा लगता आपके बिना जब भी किसी बच्चे को उसके बाबा के साथ देखता हू दिल रोता है मेरा बाबा क्यों छोड़ के चले गए बाबा आप क्यों क्यों क्यों , नही रहना अब मुझे यहां पर बस आपके साथ रहना है बाबा मुझे अपने पास बुला लो बाबा....
बोल रोते रोते जाने कब नीद आ गई पता नही चला सुबह हुई उगते सूरज की पहली किरण सोते हुए अभय पर पड़ी उसकी नीद खुल गई जागते ही उसने देखा उसके बगल में एक आदमी बैठा है जो उसे मुस्कुराते हुए देख रहा है जिस देख अभय बोला...
अभय –(अपने बगल में आदमी को देख) बाबा आप....
मनन –(मुस्कुरा के) जाग गए तुम (सर पे हाथ फेर के) कैसे हो तुम...
अभय – आपके बिना अकेला हू बाबा...
मनन – (मुस्कुरा के सूरज की तरफ इशारा करते हुए) वो देखो कितना सुंदर है , ये नजारा देखने लायक है ना मेरे पिता जी को समुंदर का ये नजारा बहुत पसंद था इसीलिए उन्होंने यहां से थोड़ी दूरी पर जमीन ली जहा उन्होंने हवेली बनाई और साथ में इस पूरे गांव को बसाया यहां से सब ढलान है पहाड़ की तेहलकी में खेत है एक बार की बात है पिता जी मेरे भाई के साथ शहर गए थे खेती के लिए बीजे लेने उस साल बहुत बारिश हुई थी तब मैं 12 साल का था खेतो में पानी आना शुरू होने लगा था तब मैं कुछ गांव वालो के साथ खेतो में पानी भरने से रोकता रहा पूरी रात हमने पानी को रोका और आखिर कार हमने पानी को रोक दिया मां ने घर में गाजर का हलवा बना के खिलाया और कहा मैं हीरो हू अगले दिन दोपहर में पिता जी गांव वापस आ गए उनके साथ गांव घूम रहा था तब मुझे पता चला की उस रात पानी रोकने के चक्कर में मैने पानी की धारा को मोड़ दिया जिसका पानी झील से होते हुए दूसरे गांव में बाड़ ले आया जाने कितनो के खेत डूब गए और साथ में ना जाने कितने जानवर , यहां मैं हलवा खा रहा और वहा लोगो के खेत और जानवर डूब रहे थे उस दिन से मैं रातों को सो नही पाता था मेरी वजह से जो हुआ उसके बुरे सपने मुझे सोने नही देते थे....
अभय –(अपने बाबा की बात सुन) फिर वो बुरे सपने आना कब बंद हुए...
मानना –(मुस्कुरा के) जब मैं तुम्हारी मां से मिला उसने मुझे यकीन दिलाया की दुनिया में अच्छाई भी मौजूद है वो मेरी दुनिया थी और फिर (अभय के सर पे हाथ रख के) फिर तुम्हारे आने से हमदोनो की दुनिया पूरी हो गई , काश ये जिंदिगी मुझे थोड़ा और वक्त देदेती , बहुत याद आती है तुमदोनो की बेटा....
अभय –मैं भी आपको बहुत याद करता हू बाबा अकेला हो गया हू मुझे अपने साथ ले चलो बाबा...
मनन –(मुस्कुरा के) तू अकेला कहा है बेटा मैं हू ना तेरे साथ तेरे दिल में , अंश है तू मेरा अलग नही है तू मुझसे , तू ही तो मेरी दुनिया का एक सहारा है तू खुश रहेगा तो मैं भी खुश रहूंगा अभी तुझे आगे बढ़ना है....
मनन ठाकुर मुस्कुराते हुए अपनी बात बताए जा रहे थे और अभय उसे सुन रहा था अपनी आखरी बात बोल के मनन ठाकुर मुस्कुरा के गायब हो गए तभी अभय की नीद खुली अपनी आंखे आराम से खोल बस उगते हुए सूरज को देखता रहा अभय समुंदर के किनारे से....
कुछ समय बाद अभय टहलने लगा बीच पर लेकिन उसे पता नही था की बीच पर कुछ लोग ऐसे भी है जिनकी नजर सिर्फ अभय पर ही थी
कुछ दूरी चलने पर कुछ लोगो ने अभय के उपर जाल फेका जिसमे लोगो ने फसाया अभय को और एक सिरा फेका समुंदर में खड़ी नाव की तरफ जिसमे बैठे लोगो ने जाल को नाव में बंद के घसीटने लगे जिसमे अभय खींचता चला गया समुंदर की तरफ जाल में फस के लेकिन तभी समुंदर किनारे नाव को बांधने के लिए एक छोटा सा खंभा जिसके सहारे से अभय ने रोक लिया खुद को समुंदर में जाने से
नतीजा अभय बच गया समुंदर में जाने से लेकिन उसी खंभे के सहारे से जाल से निकल के अभय ने उसे खींच लिया जिसके बाद नाव आगे जाने के बजाय उल्टी पटल गई
नाव के पलटते ही उसमे सवार लोग भी गिरने लगे सब
अभय पलट के आने लगा तब अपने सामने खड़े लोगो को देखा जो सिर्फ अभय को ही देख रहे थे ये बात समझते देर नही लगी अभय को की वो लोग उसे मारने आए है और तभी
उनमें से एक आदमी कुल्हाड़ी लेके मारने आया दौड़ के अभय ने उसे निपटा दिया एक झटके में जिसे उनके सामने खड़े सभी लोगो ने देखा और उन्होंने भी दौड़ लगा दी अभय की तरफ साथ में अभय ने भी
उन सभी के वार से बचते हुए अभय ने उनके एक आदमी को पकड़ की रेत में खड़ी नाव में दबा दिया जिससे वो आदमी वही मारा गया
एक एक कर के लोग वार करते रहे अभय उनको मरता गया
इसी बीच में एक आदमी ने अभय पर वार कर दिया जिससे लगते ही अभय पीछे होके गिरा और तभी
कुछ लोगो ने अभय पे वार करने की कोशिश की लेकिन अभय बच गया किस्मत से अभय को किलो से बनी मूगरी हाथ में आ गई जिससे अभय ने उन लोगो को मार दिया
और अपनी तरफ वार करने आने वाले आदमी को मारा एक घुसा कस के दूर जाके गिरा
एक आदमी चाकू से वार करने आया उसका चाकू छीन के उसे मारा और साथ ही आस पास के खड़े सभी लोगो को मरता गया बेहरामी से चाकू का इस्तमाल करके
एक का सिर फोड़ उसे टांग दिया नाव के बीच में आखरी में एक आदमी ने दो चाकू से मरने की कोशिश की अभय को लेकिन
अभय ने उसे भी निपटा दिया STYLE से....
इसके बाद चारो तरफ बीच में सिर्फ लाशे पड़ी थी 25 लोगो की जो आए थे मारने अभय को लेकिन खुद मारे गए अभय के हाथो....
इन सब के बाद अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ जबकि इस तरफ बीच में एक लड़की दूर से ये नजारा देख किसी को कॉल मिलाया...
लड़की –(सामने वाले से) गुड मॉर्निंग मैडम....
चांदनी – गुड मॉर्निंग अनिता इतनी सुबह सुबह कॉल किया तुमने....
अनिता – हा मैडम बात ही कुछ ऐसी है...
चांदनी – अच्छा बताओ क्या बात है...
अनिता –मैं इस वक्त बीच में हू मैडम मेरे सामने करीबन 25 लोगो की लाशे पड़ी है...
चांदनी –(चौक के) क्या 25 लोगो की लाशे बीच में कैस कब हुआ ये सब...
अनिता – वो आपके भाई ने मारा है इन सब को...
चांदनी –(अनिता की बात सुन गुस्से में) ये क्या बकवास की रही हो तुम...
अनिता – मेरी पूरी बात तो सुनिए मैडम , अभय ने इन्हे मारा जरूर है लेकिन सबसे पहले इन लोगो ने शुरुवात की अभय को जान से मरने की....
चांदनी –(हैरान होके) जान से मारने की अभय को क्यों...
अनिता – अभी तो कुछ नही कहा जा सकता है मैडम कोई जिंदा बचा हो तो पता लगाया जा सकता था लेकिन सब के सब मारे गए..…
चांदनी – अभय कहा है....
अनिता – चला गया वो शायद हॉस्टल की तरफ...
चांदनी – पुलिस को कॉल करके हालात बता दो उन्हें...
बोल के कॉल कट कर दिया इस तरफ अभय हॉस्टल आया तयार होके निकल गया कॉलेज जहा पर सभी दोस्त अभय का इंतजार कर रहे थे अभय के आते ही....
राज –(अभय से) आओ भाई क्या हाल है तेरे कैसा रहा कल सब ठीक था ना...
अभय –(हल्का हस के) हा सब ठीक था तू बता भाई...
राज – मैं मस्त हू कल बहुत मस्त नीद आई मुझे रात में सोया सीधा सुबह उठा हू...
राजू और लल्ला – हा यार कल दिन भर में हालत खराब हो गई यार अपनी लेकिन नीद भी गजब की आई तू बता अपने कल का खाना तो तूने बनाया था कहा से सीखा इतना अच्छा खाना बनाना मजा आगया यार खाने में....
अभय – शहर में सीखा था मां से...
पायल –(इन सब के पास आके सभी की बात सुन) अगर खाना और सोना हो गया हो तो जरा पढ़ाई पर ध्यान देदो एग्जाम आने वाले है...
राज – बड़ी जल्दी एग्जाम आ गए यार अभी तो कॉलेज शुरू हुआ था...
पायल –हा हा घूमने से फुरसत मिले तब तो पता चलेगा कॉलेज शुरू हुए 3 महीने हो गए है...
अभय – चल छोड़ो यार एग्जाम है कोई तोप नही देख लेंगे इसे भी...
बोल के हसने लगे सभी निकल गए क्लास की तरफ जहा पढ़ाई शुरू हो गई कुछ देर बाद क्लास में कोई आया अभय को बुलाने...
पीयून – (अभय से) आपको प्रिंसिपल बुला रही है...
पीयून की बात सुन अभय निकल गया प्रिंसिपल के केबिन में...
अभय – mai i comein...
शनाया – yes...
अभय – आपने बुलाया मुझे....
शनाया – हा बैठो...
बोल के शनाया उठी कमरे का दरवाजा लॉक करके....
शनाया – कल क्या हुआ था क्यों चले गए तुम बिना खाना खाए....
अभय – कुछ खास नही एग्जाम शुरू होने वाले है न इसीलिए...
शनाया –(गुस्से में) बेकार की बाते मत करो तुम स्कूल में भी तुम दूर रहने लगे थे मुझसे गांव आने से पहले भी मिलने तक नही आए तुम मुझसे प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी क्यों कर रहे हो ऐसा...
अभय –कोई प्राब्लम नही है मुझे आपसे बस अपने हालात में उलझा हुआ हू...
शनाया – तो बताओ मुझे मैं मदद करती हू तुम्हारी एक मौका तो दो मुझे...
अभय – ये मुझे खुद करना है मैडम...
शनाया – क्या दोस्ती के नाते भी एक मौका नही दोगे...
अभय – (उठ के वापस जाते हुए) आप समझ क्यों नही रहे हो मैं...
शनाया –(बीच में बात काट के अभय के पास आते हुए) आखिर बात क्या है क्यों दूर भाग रहे हो मुझसे अगर कोई गलती हुई हो बताओ मुझे...
अभय –आपसे कोई गलती नही हुई है मैं अपनी परेशानी को खुद सुलझाना चाहता हू मै नही चाहता की आप...
बोला हे था की तभी शनाया ने अभय के चेहरा पकड़ के किस करने लगी कुछ सेकंड बाद अलग होके...
शनाया –मैं जानती हू ये शायद गलत है लेकिन मेरे पास मौका था शहर के किसी और कॉलेज में जाने का लेकिन मुझे जब तुम्हारे यह होने का पता चला मैं यही पर आ गई तुम्हारे पास जा अगर तुम्हे मेरा यह पर आना अच्छा नहीं लगता तो मैं चली जाओगी यहां से...
अभय – (बात सुन के तुरंत बोला) नही मैं वो मैं...
शनाया – कोई बात नही मुझे तू।हरा जवाब मिल गया तुम चिंता मत करो मैं जल्द ही चली जाओगी यहां से...
अभय – नही मत जाओ आप मैं किसी और से....
शनाया –(बीच में) हा जानती हू देखा था मैने तुम्हे पायल के साथ प्यार करते हो ना उससे तुम इसीलिए मैं कुछ नही बोलुगी नही आऊगी बीच में तुम्हारे कभी , धोखा खाने के बाद मैने कभी नही सोचा था की मैं प्यार कर पाऊगी किसी से लेकिन जब से तुम आय मेरी लाइफ में तब से ना जाने क्यों तुम्हारी तरफ खींची चली आई जानती हू तुम्म्मे मुझमें फर्क है उमर का लेकिन सच में मैं नही जानती क्यों तुमसे ना चाहते हुए भी दूर नही रह पाई मैं , मैं वादा करती हू तुमसे तुम्हारे बीच नही आओगी कभी भी बस दूर मत जाओ मुझसे...
अभय –(शनाया की बात सुन उसके चेहरे को देखा जहा उसकी आखों में आसू थे उसे गले लगा के) में नही जानता ये कैसे हुआ लेकिन हा सच ये भी है मैं भी प्यार करने लगा हू आपसे लेकिन मैं किसी और का हू सालो तक उसने मेरा इंतजार किया सिर्फ इस उम्मीद में मैं एक दिन वापस आऊंगा उसके पास मैं कैसे उसे बोल दू किसी और से भी प्यार करता हू वो बर्दश नही कर पाएगी...
शनाया – (गले लगे अभय से) इसका फैसला वक्त पर छोड़ दो तुम अपने आप को मत उलझाओ और...
अभय –(अलग होके शनाया के आसू पोछ के) में वादा करता हू कभी दूर नही जाऊंगा अब आपसे मुझे वक्त दो आप मैं सब बता दुगा पायल को जल्द ही आपके बारे में भी मैं जानता हूं वो समझेगी जरूर मुझे...
शनाया – क्या तुम्हे सच में ऐसा लगता है अगर नही तो मैं चली जाओगी मैं नही चाहती मेरी वजह से तुम्हारा प्यार दूर हो तुमसे...
अभय –ऐसा कुछ नही होगा मैं बात करूंगा पायल से जल्द ही...
शनाया –मैं इंतजार करूगी (मुस्कुराने लगी) अच्छा सुनो कल क्या हो गया था तुम्हे क्यों चले गए थे तुम हवेली से ललिता और मालती ने बताया मुझे की संध्या तुम्हे अपना बेटा समझ रही है...
अभय –(बात सुन के) फिर आपने क्या कहा...
शनाया –मैने बता दिया उन्हें तुम DIG शालिनी के बेटे हो लेकिन वो ऐसा क्यों समझ रहे है तुम्हे...
अभय –जाने दीजिए उनकी बातो को आप मैं ध्यान नही देता बातो को आप भी ध्यान मत दो बस...
शनाया – कॉलेज के बाद क्या कर रहे हो तुम....
अभय –हॉस्टल जाऊंगा आराम करूंगा बस....
शनाया –आज मैं भी चलूं तुम्हारे साथ...
अभय – आप क्या करोगे गर्मी में इतनी...
शनाया –(मुस्कुरा के) तुंभी तो इतनी गर्मी में क्यों रहते हो खेर छोड़ो मैने AC ऑर्डर किया ही तुम्हारे लिए मना मत करना बात हो गई है मेरी आज कॉलेज के बाद तुम्हारे कमरे में लग जाएगा तब तो आ सकती हू ना मैं तुम्हारे पास...
अभय –(शनाया को देख मुस्कुरा के) ऐसा लगता है आपके इरादे नेक नही है मैडम....
शनाया – तुम्हारे साथ नेक इरादो का अचार डालना है क्या बोलो कब...
अभय –सन्डे को मैं फ्री रहूंगा....
शनाया – में शनिवार रात तुम्हारे पास आओगी....
अभय –और हवेली में क्या बोलोगे आप...
शनाया – वो मुझ पे छोड़ दो...
अभय– (मुस्कुरा के) ठीक ही चलता हू बाद में मिलते है...
बोल के क्लास की तरफ निकल गया अभय क्लास चल रही थी तभी आते ही क्लास लेने एक टीचर...
टीचर–(सभी से) कैसे हो सभी बच्चों...
स्टूडेंट्स– (एक साथ) अच्छे है सर....
टीचर– My Self...Munde , M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (आगे बैठी पायल की तरफ हाथ बड़ा के) बबलगम...
पायल–(हैरान होके) नही सर....
मनोहर –ले लो ना प्लीज एक लेलो....
पायल – (बबलगम लेके) शुक्रिया सर....
मनोहर – VERY GOOD (लडको की तरफ जाके) हा तो मैं आपका नया टीचर हू आज से मैं आप सब की क्लास लूंगा लेकिन आज के लिए फिलहाल इंट्रोडक्शन सबका तो बताए आप सब अपना अपना नाम पहले मेरा नाम M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम (अभय की तरफ हाथ बड़ा के) बबलगम लेलो प्लीज एक ही लेना अभी और भी है यार....
अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है सर....
राजू – सर मुझे भी बहुत अच्छा लगता है बबल गम....
मनोहर –(हस के) एक ही लेना बेटा अभी और भी लोग लेंगे बबलगम....
बोल के मनोहर सबका इंट्रोडक्शन लेने लगता है जिसे देख....
राज – (अभय से धीरे से) यार ये बंद न पक्का बबलगम खिला खिला के पागल ना कर दे सबको अपने नाम के बाद ही बार बबलगम देंने लगता है....
लल्ला –(धीरे से) मुझे तो लगता है खाने में भी बबलगम ही खाता होगा...
राजू– (धीरे से) हा बे खाने से ज्यादा बबलगम खाता है पक्का इसका खर्चा भी क्या बस बबलगम और क्या...
बोल के ये चारो धीरे से हसने लगते है धीरे धीरे क्लास खतम हो जाती छुट्टी के वक्त सब निकलने लगते है बाहर तभी...
अभय –(पायल से) आज क्या कर रही हो....
पायल – मां की तबीयत थोड़ी खराब है अस्पताल जाना है मां को लेके...
अभय – क्या हो गया है काकी हो पहले भी तबियत खराब थी अब फिर से...
पायल – पता नही डाक्टर बोल रहा है शहर ले जाओ दूसरे डाक्टर को दिखाने के लिए लेकिन (बोल के चुप हो हुई)...
अभय – लेकिन क्या पायल बोल ना....
पायल – फीस के लिए पैसे नहीं है हमारे पास शहर में डाक्टर की फीस , दवाई का खर्चा बहुत ज्यादा है....
अभय – देख तू चिंता मत कर तू सिर्फ काकी को शहर ले जाने की तयारी कर बाकी मैं देख लूंगा...
पायल – नही नही अभय मां नही मानेगी कल भी हवेली में कैसे रुकी है मां मैं जानती हू...
अभय – कल हवेली कैसे मतलब क्या हुआ हवेली में कुछ हुआ है क्या बता मुझे...
पायल –(मुस्कुरा के) अरे हवेली में कुछ नही हुआ जब हम वहा गए तब ठकुराइन ने देख लिया मुझे आते हुए और...
Mini Flashback कल का...
संध्या –(पायल को देख के) अरे पायल इधर आजा...
पायल –(संध्या के पास जाके) जी ठकुराइन...
संध्या –कैसी है तू....
पायल – अच्छी हू और आप...
संध्या – मैं भी बहुत अच्छी हू (चांदनी से मिलते हुए) इनसे मिल ये चांदनी है अभय की बड़ी दीदी और मेरी भांजी...
पायल – (चांदनी से) नमस्ते दीदी अभय ने बताया था आपके बारे में बहुत तारीफ करता है आपकी...
चांदनी – मुझे भी बताया था अभय ने तुम्हारे बारे में लेकिन गलत बताया तुम उससे भी ज्यादा सुंदर हो बहुत बाते करता था तेरे बारे में अभय...
पायल –(शर्मा के) वो तो ऐसा ही है दीदी...
संध्या – और कौन आया है तेरे साथ...
पायल – जी मां और बाब आय है साथ में...
संध्या – उनको बुला यही पर हमारे साथ बैठे...
पायल –लेकिन वो नही मानेंगे ठकुराइन...
संध्या – (मुस्कुरा के) उनको बोल ठकुराइन ने बुलाया है...
सुन के पायल लेके आ गई अपने मां और बाबा को...
संध्या –(पायल के मां बाप से) कैसे हो मगलू और शांति....
मगलू –(हाथ जोड़ के) ठीक हू मालकिन....
संध्या – खेती का काम कैसा चल रहा है...
मगलू –ठीक है मालकिन बस गुजारा चल रहा है...
संध्या –अब तेरी तबीयत कैसी है शांति....
शांति – अब ठीक हू मालकिन इलाज चल रहा है डाक्टर से...
संध्या – जरूरत पड़े तो बता देना मुझे अच्छे डाक्टर से इलाज करवाओगी तेरा...
शांति – शुक्रिया मालकिन...
संध्या – कभी कभी पायल को भेज दिया करो हवेली में मेरा भी वक्त अच्छा बीत जाया करेगा इसके साथ (पायल से) आया कर तू जब भी मौका मिले....
मगलू –लेकिन मालकिन ठाकुर साहेब वो...
संध्या –(बात समझ के)चिंता मत करो मैं बोल रही हू ना कोई रास्ता रोक तो बोल देना ठकुराइन का हुकुम है उसके बाद मैं देख लूंगी कौन रोकता है रास्ता चलो आओ मेरे साथ खाना खालो फिर बाते करते है...
इसके बाद संध्या ने पायल और उसके मां बाप को खाना खिलाती है जिसे देख पायल बोली...
पायल – ठकुराइन आप भी आइए....
संध्या – अभी नही पायल आज सभी को खाना खिलाने के बाद ही खाओगी मैं...
पायल –(धीरे से) वो रात में आएगा...
संध्या – (हा में सर हिला के बोली) हा उसी के साथ खाओगी आज बस इंतजार है रात होने का मुझे...
बोल के संध्या , पायल और चांदनी मुस्कुराने लगे खाने के बाद संध्या ने पायल और उसके मां बाप को अपने साथ रोक लिया कुछ समय बाद सबका खाना हो गया तब...
संध्या –(पायल को अपनी सोने की चेन पहनाते हुए) इसे पहन ले...
पायल –(हैरानी से) लेकिन ठकुराइन...
संध्या –(पायल को चुप रहने का इशारा करते हुए) चुप कुछ मत बोल बस पहन ले इसे और कभी कभी आया कर मिलने ठीक है...
मगलू और शांति – मालकिन ये सब...
संध्या – ये मेरी तरफ से है पायल के लिए बस और कोई सवाल नही....
चांदनी –(इतनी देर से देख रही थी वो बोली) कॉलेज में मिलना जब खाली वक्त मिले बात करनी है तुमसे...
पायल – जी दीदी...
BACK TO PRESENT...
पायल –उसके बाद हम सब निकल आए हवेली से और फिर तुम मिले रास्ते में....
अभय –(पायल की पूरी बात सुन के) ठीक है एक काम कर आज अस्पताल में काकी को दिखा दे डाक्टर से जा करी लेलेना फिर मुझे बता देना बाकी मैं देख लूंगा बस कोई सवाल मत पूछना अब...
पायल –(मुस्कुरा के) ठीक है कल मिलती हू...
बोल के पायल चली गई घर पीछे से राज , राजू और लल्ला आ गए...
राज – हा भाई हो हुई बात चीत तेरी....
अभय – अरे कुछ नही यार ऐसे ही बात कर रहे थे हम तू बता...
राज –आज चांदनी नही आई कॉलेज क्या बात है...
अभय –(चौक के) क्या सच में दीदी नही आई मुझे नही पता...
राज –अबे तो पता कर ना क्या बात है...
अभय –(जल्दी बाजी में) हा रुक मैं अभी पता करता हू (मोबाइल निकल के कॉल मिलने जा रहा था तभी रुक गया) एक मिनट तेरे पास नंबर है ना दीदी का तो तू खुद क्यों नही पता करता है मैं क्यों पता करू मिलना तुझे है मैं तो रोज मिलता हू...
राज – देख अभय ज्यादा भाव मत खा भाई प्लीज पता की ना...
अभय –(टांग खींचते हुए) जिसे पढ़ है वो खुद करे मैं क्यों बीच में आऊं...
राज –(झल्ला के) हा तो ठीक है मैं खुद पता कर लूंगा (बोल के जाने लगा फिर वापस आके अभय से) मिलाया कॉल तूने...
अभय – (मुस्कुरा के) तूने बोला ना तू खुद कर लेगा तो कर ले...
राज – देख लूंगा तेरे को बहुत फायदा उठा रहा है तू मेरा भी वक्त आएगा....
बोल के चला गया राज पीछे से तीनों हसने लगे निकल गए अपने अपने रास्ते अभय हॉस्टल में आते ही...
अभय –(कमरे में चांदनी , अनिता और सायरा को देख) आप तीनों यहां पर...
सायरा – दो लोग आए थे AC लगा के गए है कमरे में सोचा ठंडक का मजा लेले हम भी...
अभय – अच्छी बात है...
चांदनी –(गौर से अभय को देखते हुए) सुबह कहा थे तुम...
अभय –(अपनी दीदी की बात सुन हसी रुक गई उसकी) तो आपने नजर बनाई हुई है मुझ पे अभी भी...
चांदनी –ये मेरे सवाल का जवाब नही हुआ अभय...
अभय –पता नही दीदी कौन थे वो बिना बात के मारने में लगे थे मुझे मैं सिर्फ अपना बचाव कर रहा था...
चांदनी – बचाव कर रहे थे या मार रहे थे तुम उन्हें...
अभय –तो आप क्या चाहती हो क्या करता उनके साथ मरने देता उन्हें खुद को....
चांदनी – कम से कम पता करने के लिए किसी को इस लायक छोड़ देता ताकि पता चल जाता किसका किया है ये (सायरा और अनिता से) हमे अकेला छोड़ दो....
बात सुन दोनो निकल गई कमरे से बाहर....
चांदनी – कल रात क्यों चला गया था हवेली से तू...
अभय – मन नही लग रहा था मेरा इसीलिए निकल आया...
चांदनी – मन नही था या बात कुछ और है...
अभय – आप जानते हो ना सब बता दिया होगा उसने आपको हा मैं निकल आया वहा से गलती कर दी जाना ही नही चाहे था मुझे हवेली पर...
चांदनी – (अभय की बात सुन ज्यादा बोलना सही नही समझा) ठीक है जो अच्छा लगे तुझे वो कर...
बोल के चांदनी चली गई इसके जाते ही सायरा अन्दर आई...
सायरा – क्या केरते हो तुम अभय नाराज कर दिया अपनी दीदी को तुमने...
अभय –(मुस्कुरा के) मुझसे कभी नाराज नही हो सकती है दीदी....
सायरा – खाना लगाऊं कल से कुछ नही खाया तुमने अभय खा लो...
अभय –दीदी ने खाया कुछ...
सायरा – हा सुबह नाश्ता किया सबने कल का खाना बहुत मजेदार था पूरा गांव तारीफ कर रहा था खाने की...
अभय – अच्छा और हवेली में किसी ने नहीं की तारीफ....
सायरा –(सीरियस होके) खाने की इच्छा थी लेकिन तुम्हारे साथ सोचा था रात में साथ खाना खाएंगे सब लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ किसी ने नहीं खाया खाना न दिन में ना रात में सुबह चांदनी के कहने पर नाश्ता किया ठकुराइन ने , अभय गुस्सा करना अच्छी बात है लेकिन गुस्से में किया काम जरूरी नही सही हो...
अभय – (बात सुन के) कभी कभी आपके सामने कोई ऐसा नजारा आ जाय जिसे आप चाह के भी भूला नहीं सकते हो तब गुस्से में काबू पाना मुश्किल हो जाता है सायरा मानता हू गलत है ये लेकिन मैं भी इंसान हू बचपन से देखता आ रहा हू लेकिन अब नही समझ आता है मुझे ये सब गांव में दोस्तो के साथ वक्त बिताना खेलना कूदना इससे बाद हवेली आना और मार खाना बाते सुनना बस यही मेरी जिंदिगी बन गई थी और पिछले दस सालो में मैं सिर्फ एक ही चीज पर ध्यान देता रहा हू सिर्फ पढ़ाई पर घर से स्कूल बस कोई दोस्त नहीं घर में सिर्फ दीदी और मां और कोई नही , दुनिया में लोग कैसे क्या करते है अंजान हू मै इन सब से क्या करू तुम ही बताओ नही सह पता हू मै वो सब कुछ इसीलिए गुस्सा आ जाता है और हो जाता है गलत....
सायरा –(कंधे पे हाथ रख के) दुनिया के साथ चलना सीखो अभय ये दुनिया भोलेपन और सिधाई वाली नही है बिल्कुल भी....
सायरा की बात सुन अभय अपना सीर नीचे करके बैठा हुआ था कमरे के बाहर खड़ी चांदनी नजारा देख रही थी तभी चांदनी ने सायरा को इशारा किया आखों से...
सायरा – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) तुम आराम करो अभय मैं जब तक खाना लाती हू...
बोल के सायरा कमरे से बाहर चली हुई अन्दर अभय बेड में लेट गया बाहर सायरा ने दरवाजा बंद कर बाहर निकल के बात करने लगी चांदनी से....
सायरा – दस साल तक जिसने दिन दुनिया से मतलब ना रखा हो वो क्या जाने दुनिया वालो के साथ कैसे डील करना है....
अनिता –(सायरा की बात सुन) लेकिन जिस तरह से आज वो लड़ा था लगा नही था की अभय का ये रूप भी होगा....
चांदनी –(बात सुन के) हाथो से लड़ने से इंसान दुनिया को समझ नही लेता है अनिता इसके लिए दुनिया वालो का सामना करना पड़ता है...
सायरा – अब क्या करना है चांदनी....
चांदनी – अब इसे समझने का वक्त आ गया है को दुनिया वालो से कैसे पेश आना है और इसके लिए मुझे पता है किस्से बात करनी है मुझे तुम ध्यान रखो उसका अकेला मत छोड़ो उसे....
बोल के चांदनी और अनिता निकल गए रास्ते में चांदनी ने किसी को कॉल लगाया.....
सामने से –(मोबाइल में नंबर देख) क्या बात है आज कॉल किया आपने कैसी हो आप और आज आय क्यों नही कॉलेज....
चांदनी – राज मुझे तुमसे बात करनी है कहा मिल सकते हो अभी....
राज –(चौक के) क्या हुआ सब ठीक तो है न एक दम से अर्जेंट बुला रही हो इरादा तो नेक है ना....
चांदनी – SHUTAAP JUST LICEN TO ME मुझे अभी आके मिलो बस बोलो कहा मिलोगे....
राज – (सीरियस होके) ठीक है मैं बीच में मिलता हो आ जाओ वहा पर.....
थोड़ी देर में राज और चांदनी आमने सामने थे....
राज – क्या बात है इतना गुस्से में क्यों थी तुम...
चांदनी –(कल हवेली से लेके आज सुबह से अभी तक जो हुआ सब बता के) बात तो बहुत अजीब है ये जाने क्या लिखा है किस्मत में अभय की क्या हो रहा है ये सब उसके साथ....
चांदनी – वो तुम्हारे साथ ज्यादा रहता है तुम दोस्त हो उसके जो तुम कर सकते हो वो कोई और शायद कर पाए....
राज – मैं समझाऊंगा उसे करूंगा बात उससे फिकर मत करो अब तक मैं भी अंजान था इस बात से लेकिन अब नही....
चांदनी – ठीक है तुम्हे जैसा सही लगे करो....
बात करके राज निकल गया अपने बाबा के पास खेत में जहा सत्या बाबू के साथ पहल से मौजूद थी गीता देवी....
सत्या बाबू –(राज को देख) अरे राज तुम यहां पर...
गीता देवी –(राज को देख) मैं भी यही हू ना शायद कोई काम होगा तभी यहां आया है क्या हुआ राज कोई काम था...
राज – हा मां अच्छा हुआ आप दोनो यही पर हो...
सत्या बाबू – क्या बात है बेटा...
राज –(चांदनी ने जो बताया उसे बता के) अब आप बताओ बाबा क्या हो सकता है...
राज की बात सुन सत्या बाबू और गीता देवी एक दूसरे को देखने लगे तब गीता देवी बोली....
गीता देवी – तू एक काम कर अभय तू और तेरे दोस्त सब कल से सुबह 5 बजे आ जाना रोज अपने बाबा के पास अखाड़े में जो होगा वही देखना...
राज –(चौक के) मां मैं अभय के लिए बात करने आया था आप मुझे क्यों बीच में ले आए...
गीता देवी –(राज का कण पकड़ के) क्योरे बड़ी चिंता हो रही है अभय की तुझे अपने दोस्त के लिए इतना भी नही कर सकता है.....
राज –आ आ आ मां मैं समझ गया मां मैं समझ गया मां कल से आऊंगा मैं पक्का सबको लेके...
गीता देवी –(राज का कान छोड़ के) आएगा नही आना पड़ेगा आज से अपने मोबाइल में अलार्म बनाना शुरू कर दे...
राज – ठीक है मां मैं सबको बता दुगा आज ही...
अब थोड़ा पीछे चलत है सुबह जब अभय ने बीच (समुंदर किनारे) सबको मारा था तब से शंकर अपने लोगो को कॉल कर रहा था लेकिन किसी का कोई जवाब नही आ रहा था तब शंकर गया देखने जहा उसने देखा जिनको अभय को करने के लिए बुलाया था वो खुद मरे पड़े है जिसे देख शंकर की हवा निकल गई उसने सीधे रमन को कॉल लगाया....
रमन – (कॉल उठा के) हा शंकर काम हो गया....
शंकर – ठाकुर साहब जिनको काम तमाम करने के लिए भेजा था उन्हीं का काम तमाम हो गया है बीच में सबकी लाशे पीढ़ी है अभी देख के आ रहा हू मै....
रमन –(शंकर की बात सुन चौक के) क्या बकवास कर रहा है तू ये कैसे हो सकता है...
शंकर –25 आदमी थे ठाकुर साहब सब के सब मारे गए कोई नही बचा...
रमन –और वो लड़का...
शंकर – उस लड़के की लाश नही है यहां पर ठाकुर साहब अब क्या होगा....
रमन –(घबरा के) देख तू निकल जा जहा भी है तू छुप जा कही और घर में बोल दे अगर कोई पूछे तो बता दे शहर गया हुआ है ये बात पुलिस तक गई तो पहल तुझे पकड़े गि पुलिस तुझे क्योंकि तूने कॉल किया था इनलोगो को....
शंकर –(घबरा के) लेकिन ठाकुर साहब मेरे घर....
रमन –(बीच में) तू उनकी चिंता मत कर अगर कोई बात हुई तो औरते को पुलिस कुछ नही बोलेगी बाकी सब मैं देख लूंगा बस तू आज के आज निकल जा कही पर और एक नया नंबर लेलेना ताकि संपर्क में रहे तू मेरे से अगर कोई बात नही हुई तो तुझे बुला लूंगा मैं...बोल के कॉल कट कर दिया...
रमन –(मन में – एक बार शंकर पकड़ में आने से पहले निकल जाय यहां से फिर डरने की जरूरत नहीं पड़ेगी मुझे , साला नजाने किसने मारा होगा उनलोगो को कही उस लौंडे ने तो , नही नही एक अकेला लौंडा 25 को मार दे कभी नही हो सकता है लेकिन कामरान ने भी बोला था एक बार इस लौंडे ने गांव के बाहर भी कई लोगो को मारा था कही सच में इसी ने नही किया ये सब या फिर कही ये सच में अभय है अपना बदला लेने आया हो यहां पे , अमन भी बोल रहा था उस दिन उस लड़की के लिए क्या नाम है उसका हा पायल वो अभय की दीवानी है किसी से नही बोलती ना हस्ती थी लेकिन उस लौंडे के आते ही बोलने लगी हसने लगी अगर वो सच में अभय निकला तो सारे किया कराए पर पानी फिर जाएगा सब निकल जाएगा मेरे हाथ से मैं ऐसा नहीं होने दुगा इससे पहले की वो लौंडा पता लगे हमले की वजह का कुछ ऐसा करना होगा जिससे उसका शक मुझ पे ना जाय और इसके लिए शंकर को रास्ते से हटाना पड़ेगा मुझे)
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जारी रहेगा
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
हवेली से निकल कर अभय समंदर के किनारे अपनी यादों में सो गया वहा वो जो सपनें में अपने पिता से बात करता हैं वो अभय के कोमल मन में कैसी हलचल मची हैं वो दर्शाता हैं
समंदर के किनारे रमन के आदमीयोंको की जो हालत अभय की और उनको यमलोक की तिकीटे दी वो देखकर रमन की वाट लगने वाली हैं लेकीन वहा भी अनिता नाम की चांदनी की जासुस अभय पर नजर रखें थी और उसने वहा का मंजर चांदनी को बता दिया
ये साला शनाया मॅडम और अभय के बीच पुराना गुटर गु वाला रिस्ता हैं
पायल का अपनी माँ की तबियत के बारें का अभय के साथ का संवाद बहुत ही मस्त
राज और अभय के बीच का संवाद चांदनी को लेकर बडा ही मजेदार हैं
अब चांदनी, अनिता और सायरा ने अभय को दुनियादारी दिखाने का सोच लिया हैं और उसमें उन्होंने अभय का परम मित्र राज का सहारा लिया हैं और राज भी मान गया ये बात राज ने अपने माँ और पिता को बताई तो गीताताई ने भी अभय को दुनियादारी सिखाने की ओर पहला कदम उठा लिया हैं
इधर रमन के आदमी शंकर ने उसे समंदर के के पास के अभय व्दारा किये मौत के तांडव की बात बताई तो रमन ने उसे छिप जाने को तो कहा लेकीन वो उसे रास्ते से हटाने की सोच रहा है की वो खुद बच सके
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा