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Family Introduction
UPDATE 1 | UPDATE 2 | UPDATE 3 | UPDATE 4 | UPDATE 5 | UPDATE 6 | UPDATE 7 | UPDATE 8 | UPDATE 9 | UPDATE 10 |
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Awesome update again and mind blowing writing efforts dear DEVIL MAXIMUM bhai, shalini ne kuch to plan banaya hai, ab wo kya hai? Ye janne ke liye agley update ka intezar rahega waise kitni baar bola hai ki update post karne ke pahle chek kar liya kar, kitni writing mistake kar rakhi hai, kahi shalini ko shaleen kar diya to kahi kuch orUPDATE 43
दोपहर का वक्त था इस वक्त अभय और शालिनी दोनो अभय के हॉस्टल में आ गए थे अभय अपने कमरे का दरवाजा खोलने जा रहा था कि किसी ने दरवाजा पहले खोल दिया जिसे देख....
अभय –(चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सायरा –(मुस्कुरा के) ठकुराइन ने भेजा मुझे....
अभय –लेकिन मैने तो तुम्हे....
सायरा –(बीच में) हा मैने बताया ठकुराइन को वे बोली आज शालिनी जी आई है इसीलिए मुझे यहां वापस भेज दिया हवेली में चांदनी है उनके साथ....
शालिनी –(मुस्कुरा के) कैसी हो सायरा काम कैसा चल रहा है यहां तुम्हारा....
सायरा – मै अच्छी हूँ मैडम बाकी यहां का काम अभी काफी उलझा हुआ है....
शालिनी – हूंमम....
अभय –(दोनो की बात सुन के) मां ये कौन से काम के बारे में बात कर रहे हो आप मैने सायरा से भी पूछा था लेकिन इसने भी नहीं बताया मुझे आखिर बात है क्या मां....
शालिनी – (मुस्कुरा के) इस बारे में तुझे ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है समझा तू सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे सही वक्त आने पर सब पता चल जाएगा तुझे....
अभय –ठीक है मां, अच्छा अब आप नहा लो फिर साथ में खाना खाते है....
शालीन –(कमरे को देख) तू यहां रहता है इस कमरे में....
सायरा –(अभय के बोलने पहली ही) जी मैडम ये तो शुक्र है कि AC लग गया यहां पर वर्ना ये तो सिर्फ पंखे चला के सोता था इतनी गर्मी में....
शालिनी –(सायरा की बात सुन अभय से) मुझे क्यों नहीं बताया तूने इस बारे में....
अभय –मा आप भी ना जरा जरा सी बात के लिए सोचने लगते हो आप मुझे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी यहां रहने में....
शालिनी –(मुस्कुरा के) बात बनाने में आगे है बस , चल ठीक है तयार होके आती हु....
बोल के शालीन चली गई बाथरूम पीछे से....
अभय –(सायरा से) क्या जरूरत थी मां से ये सब बोलने की तेरे चक्कर में मेरी क्लास ना लग जाए कही....
अभय की बात सुन सायरा हसने लगी....
सायरा –(हस्ते हुए) ठीक है , तुम भी जाके नहा लो मैं खाना गरम करके लगाती हूं....
बोल के सायरा चली गई थोड़ी देर बाद तीनों ने मिल के खाना खाया जिसके बाद सायरा बर्तन साफ करके हवेली चली गई....
अभय – मां आप थक गए होगे आप बेड पे आराम करो मै....
शालिनी – तेरे से मिल के मेरी थकान पहले चली गई आराम को छोड़ मेरे साथ बैठ पहले....
बोलते ही अभय बैठ गया शालिनी के साथ....
शालिनी –अब बता जरा संध्या को किस वजह से किडनैप किया गया था....
अभय – पता नहीं मां मै जब खंडर में गया (जो हुआ सब बता के) उसके बाद अस्पताल ले आया और फिर कल (संध्या के कमरे में मोबाइल की बात बता के) मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मां आखिर कौन कर रहा है ये सब....
शालिनी –(बात सुन के)एक बात मुझे भी समझ नहीं आई खंडर में ऐसा क्या है जो....
शालिनी ने इतना बोला ही था अभय ने तुरंत हाथ आगे बढ़ा के सिक्के दिखाते हुए....
शालिनी –(सोने के सिक्कों को देख) ये क्या है अभय कहा से मिले तुझे....
अभय –(संध्या के बेहोश होने से पहले की बात बता के) उसके बाद मैं दरवाजे के पास गया काफी ढूंढने पर आपको पता है मुझे क्या पता चला....
शालिनी – क्या पता चला....
अभय –(अपने गले का लॉकेट दिखा के) ये चाबी है उस दरवाजे की जिसके जरिए दरवाजा खोला मैने ओर अन्दर सोना ही सोना भरा हुआ था जाने कितने तरह के सोना था वहां पर मा लेकिन....
शालिनी – लेकिन क्या अभय....
अभय – मां मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि जब इतना खजाना होने के बाद भी मेरे दादा ने क्यों किसी को नहीं बताया उसके बारे में....
शालिनी –(बीच में टोक के) एक मिनिट तूने बताया था कि ये लॉकेट तुझे तेरी मां ने दिया था....
अभय – हा मा बस यही तो बात समझ नहीं आई मुझे सिर्फ उसे ही क्यों पता था और किसी को क्यों नहीं....
शालिनी –(अभय के सर में हाथ फेर के) बेटा ये दौलत है ही एसी चीज अपनो को अपनो के पास ले आती है या दूर कर देती है दुश्मन को दोस्त भी यही बनाती है और दोस्त को दुश्मन भी , तू ये बता तूने किस किस को बताया है इसके बारे में....
अभय – किसी को नहीं बताया मां अपने दोस्तों तक को नहीं बताया मैने....
शालिनी –अब मेरी बात सुन ध्यान से ऐसी बहुत सी बातें है जो तुझे अभी पता नहीं है इसीलिए सबके साथ जैसा है वैसा ही रह और रही इस खजाने की बात तो तू ये जान ले कि ये तेरा ही है सिर्फ....
अभय –(चौक के) क्या लेकिन मां ये....
शालिनी –(बीच में टोक अभय के गाल पे हाथ रख के) मैने कहा ना वक्त आने पर तुझे सब पता चल जाएगा....
अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है मां जैसा आप बोलो....
शालिनी – अच्छा अब ये बता कहा है वो मुनीम और शंकर....
अभय –(एक कमरे में इशारा करके) वहा पर है दोनो....
शालिनी –चल मिल के आते है दोनो से....
कमरे में आते ही शंकर जमीन में गद्दा बिछा के आराम कर रहा था वहीं मुनीम बेड में बंधा हुआ था उसके मू में पट्टी बांधी हुई थी गु गु कर रहा था....
अभय –(ये नजारा देख शंकर को उठा के) ये क्या है इसके मू में पट्टी क्यों बंधी....
शंकर – मालिक ये मुनीम बोल बोल के सिर खाएं जा रहा था मेरा....
अभय –क्या बोल के सिर खा रहा था ये....
शंकर – यहां से भागने के लिए....
शंकर की बात सुन अभय चलता हुआ गया मुनीम के पास मू से पट्टी हटा के हाथ पैर खोल के....
अभय – (शालिनी की तरफ इशारा करके) जनता है कौन है ये पुलिस DIG ऑफिसर और मेरी मां....
अभय की बात सुन शंकर डर से तुरंत खड़ा हो गया और मुनीम की आंखे डर और हैरानी से बड़ी हो गई शालिनी को देख के....
मुनीम –(डर से शालिनी के पैर पकड़ के) मुझे माफ कर दीजिए मैडम मै....
इससे पहले मुनीम कुछ बोलता तभी कमरे में एक चाटे की आवाज गूंज उठी.....
चटाआक्ककककककककककक...
मुनीम के गाल में पड़ा था चाटा....
शालिनी –(अभय से) तुम दोनो थोड़ी देर के लिए बाहर जाओ और दरवाजा बंद कर देना....
आज पहली बार अभय ने शालिनी की आखों में बेइंतहा गुस्सा देखा जिसे देख अभय बिना कुछ बोले शंकर को साथ लेके कमरे से बाहर निकल गया और दरवाजा बंद कर दिया करीबन 15 से 20 मिनट के बाद शालिनी दरवाजा खोल बाहर आई सामने अभय को खड़ा पाया....
अभय – (शालिनी के बाहर आते ही) क्या हुआ मां....
शालिनी –(मुस्कुरा के) कुछ भी नहीं, (शंकर से) जा के मुनीम को बांध दो और तुम आराम करो , (अभय से) अच्छा ये बता शाम को क्या करता है तू....
अभय –घूमता हू अपने दोस्तो के साथ....
शालिनी – अच्छी बात है चल मुझे हवेली ले चल....
अभय –(हवेली जाने का सुन के) मा आप सुबह से आए हुए हो आराम तक नहीं किया और अब हवेली जाने की बात पहले आराम कर लो मां फिर जहा बोलो वहा ले चलूंगा आपको....
शालिनी –(मुस्कुरा के) आराम तो करना है बेटा लेकिन वक्त देख क्या हो रहा है शाम होने को आई है अब रात में आराम होगा सीधा अब ये बता तू चलेगा हवेली या मुझे हवेली छोड़ के घूमने जाएगा दोस्तो के साथ....
अभय – मां आप बोलो तो आपके साथ रहूंगा....
शालिनी – कोई न तू मुझे हवेली छोड़ के दोस्तो के साथ घूम ले मै कॉल कर दूंगी तुझे लेने आ जाना....
अभय – ठीक है मां....
बोल के अभय बाइक से निकल गया शालिनी को लेके , हवेली आके शालिनी गेट में उतर के....
शालिनी – मै कॉल करती हु तुझे ठीक है....
अभय – मै इंतजार करूंगा मां....
बोल के अभय निकल गया बाइक से इधर जैसे ही शालिनी हवेली के अन्दर आई सामने हॉल में ललिता , मालती , शनाया , चांदनी और संध्या बैठ बाते कर रहे थे...
शालिनी को देख चांदनी मां बोलने जा रही थी कि तभी....
संध्या – शालिनी जी....
शालिनी का नाम सुन बाकी सबका ध्यान हवेली के गेट की तरफ गया अन्दर आते ही शालिनी ने सबको प्रणाम कर संध्या के बगल आके बैठ गई....
संध्या – आप अकेली आए हो कोई साथ में....
शालिनी – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) वो मुझे छोड़ के गया हवेली के बाहर तक लेने आएगा....
संध्या –(हा में सिर हिला के) इनसे मिलिए ये ललिता है रमन की वाइफ और ये मालती है मेरे छोटे देवर प्रेम की वाइफ और इनको आप जानती है ये शनाया है मेरी बहन....
शालिनी – इन्हें कैसे भूल सकती हु मै यही तो पढ़ाती थी मेरे बेटे को स्कूल में....
शालिनी की (मेरे बेटे) बात सुन संध्या जो मुस्कुरा रही थी वो हल्की हो गई जिसे शालिनी ने देख लिया....
शनाया –(शालिनी से) आप क्या लेगी चाय या ठंडा....
शालिनी – (सबको देख जो चाय पी रहे थे) सभी के साथ चाय....
बोल के शनाया चाय लेने चली गई....
शालिनी – (ललिता और मालती से) कैसी है आप दोनों....
ललिता और मालती एक साथ – जी अच्छे है....
शालिनी –(मालती की गोद में बच्चे को देख) आपका बच्चा बहुत सुंदर है कितने साल का हो गया है....
मालती –जी ये लड़की है अभी 3 साल की है....
शालिनी –(मालती से बच्ची को अपनी गोद में लेके) बहुत प्यारी है किसपर गई है ये....
मालती –(हसी रोक के) जी वैसे ये मेरी नहीं है हमारे गांव में पहले थानेदार था ये उसकी बेटी है....
शालिनी –(बात याद आते ही) ओह माफ करिएगा मुझे मै तो भूल ही गई थी....
मालती –(हल्का मुस्कुरा के) जी कोई बात नहीं वैसे भी अब ये मेरी बेटी है और मैं इसकी मां....
शालिनी –(मालती की बात सुन मुस्कुरा के) ये बहुत ही अच्छी बात है मालती तुमसे अच्छी मां इसे नहीं मिल सकती बल्कि मैं कहती हु कि तुम इसकी कस्टडी भी लेलो मै तुम्हारी मदद कर दूंगी इसमें बस 2 से 3 पेपर वर्क में इसकी कस्टडी परमानेंट तुम्हे मिल जाएगी....
संध्या –(शालिनी की बात सुन) आपने बिल्कुल सही कहा शालिनी जी हम तो भूल ही गए थे इस कम को करना....
शालिनी – ये कम मै तुरंत कर दूंगी लेकिन प्लीज पहले तो आप मुझे सिर्फ मेरा नाम लेके बात करो और जी मत लगाना आप....
संध्या – लेकिन आप भी मेरा नाम लेके बात करिएगा प्लीज....
दोनो की बात सुन के सभी मुस्कुराने लगे तब शनाया आई और चाय दी शालिनी को चाय पीते वक्त सबकी नजर बचा के शालिनी ने संध्या को कुछ इशारा किया जिसे समझ के....
संध्या – शालिनी आइए मै आपको अपना कमरा दिखाती हु....
बोल के अपने नौकर को आवाज दी चांदनी और नौकर की मदद से संध्या को अपने कमरे में ले जाया गया जिसके बाद संध्या को आराम करने का बोल के शनाया , ललिता और मालती कमरे से चले गए रह गए सिर्फ शालिनी और चांदनी कमरे में....
संध्या –(शालिनी से) क्या बात है शालिनी आपने इशारे से अकेले में बात करने को क्यों बोला मुझे....
शालिनी –एक बात बताए उस खंडर में जो कुछ भी है उसके बारे में सिर्फ आपको कैसे पता है....
संध्या –(चौक के) आ....आ...आप को कैसे....
शालिनी –(संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) तुम्हारी तरह मै भी मां हू अभय की वो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाता है....
संध्या –(शालिनी की बात सुन गहरी सास लेके) क्या आप कमल ठाकुर को जानती है....
शालिनी –हा अच्छी तरह से....
संध्या – कमल ठाकुर का इकलौते बेटे अर्जुन ठाकुर को भी....
शालिनी – हा उसे भी जानती हू बहुत अच्छे से कई बार मिल चुकी हूँ मै....
संध्या –(मुस्कुरा के) जब मेरा अभय छोटा था उस वक्त 2 साल का तब अर्जुन ठाकुर करीबन 10 साल का था कई बार अर्जुन अपने पिता कमल ठाकुर के साथ यहां आता तो सिर्फ अभय को अपनी गोद में लेके उसके साथ खेलता था जबकि कमल ठाकुर सीधे जाते बड़े ठाकुर के पास मिलने या इनसे (मनन ठाकुर) मिलते थे और साथ ही काफी वक्त से बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर मिल कर साथ में व्यापार करने के लिए गांव से बाहर जाया करते थे एक बार बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर मिल के विदेश यात्रा पर गए थे अपने साथ में एक जहाज लेके आ रहे थे ताकि विदेश से व्यापार न करके यही समुंदर के रस्ते व्यापार कर सके अपनी जमीन पर तभी समुंदर में तूफान आना शुरू हो रहा था रस्ते में एक टापू पर रुकने का फैसला किया उन्होंने जब तक तूफान न थम जाए उसी वक्त बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर उस टापू पर घूम रहे थे और वही पर उन्हें वो खजाना मिला दोनो ने मिल के इसे जहाज में रखवा के समुंदर के रस्ते यहां ले आए लेकिन इतना बड़े खजाने को छिपा के रखने समस्या आ रही थी तब कमल ठाकुर ने इसमें मदद की बड़े ठाकुर की पुरानी वाली हवेली को खंडर के रूप में प्रस्तुत करने का सुझाव दिया कमल ठाकुर ने और बड़े ठाकुर को ये योजना अच्छी लगी और फिर उन्होंने मिल के खंडर में खजाने को छुपा दिया साथ ही कमल ठाकुर ने विदेश जाके खुद एक ताला बनवाया दरवाजे के साथ और यहां लेके उसे बंद कर दिया उसके बाद से खंडर वाली जगह को बड़े ठाकुर ने श्रापित घोषित कर दिया....
शालिनी – अगर बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर ने साथ मिल के ये काम किया तो सारा का सारा खजाना सिर्फ बड़े ठाकुर को क्यों दिया कमल ठाकुर ने....
संध्या – एसा नहीं है शालिनी विदेश से आते वक्त रस्ते में ही बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर ने मिल के बाट लिया था सब कुछ....
शालिनी – तो फिर बड़े ठाकुर ने खंडर में ही क्यों रखा यहां पर भी रख सकते थे ना....
संध्या – पता नहीं शालिनी वैसे तो मरने से पहले बड़े ठाकुर ने खजाने की चाबी मुझे दी थी लेकिन उससे पहले खजाने के बारे में बड़े ठाकुर ने इनको (मनन ठाकुर) को बताया था और साथ में लेके गए थे वहां पर इनको (मनन ठाकुर) और फिर उसके कुछ साल 2 साल के बाद बड़े ठाकुर बीमार रहने लगे धीरे धीरे ये बीमारी (मनन ठाकुर) इनको भी लग गई पहले बड़े ठाकुर चले गए उसके बाद से जाने कैसे मेरी सास सुनैना ठाकुर अचानक से गायब हो गई....
शालिनी –(बीच में टोकते हुए) एक मिनिट संध्या सुनैना ठाकुर का गायब होना ये कैसे हुआ....
संध्या – विदेश से आने के बाद बड़े ठाकुर ने मेरी सास सुनैना ठाकुर को सब बता दिया था कुछ महीने के बाद मुझे सुनने में आया कि कोई खंडर वाली जमीन लेने के लिए काफी पीछे पड़ा हुआ है बड़े ठाकुर के लेकिन बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर साफ मना कर चुके थे उस आदमी को लेकिन तभी कुछ समय के बाद मेरी सास सुनैना ठाकुर ने एक दिन बड़े ठाकुर से खंडर के बारे में बात छेड़ी जिसके बाद बड़े ठाकुर बहुत नाराज हुए थे मेरी सास से और एक दिन रात को मैने देखा मेरी सास किसी से फोन पर बाते कर रही थी छुप छुप के काफी देर तक हस हस के लेकिन मैं जान नहीं पाई कि किस्से बात करती थी मेरी सास , बड़े ठाकुर और सुनैना ठाकुर में एक दिन काफी कहा सुनी हो गई उस वक्त गुस्से में बड़े ठाकुर हवेली से बाहर निकल गए और कुछ देर बाद मेरी सास भी निकल गई बाहर हवेली से जब तक मुझे पता चलता वो हवेली से जा चुकी थी उस दिन (मनन ठाकुर) ये शहर गए हुए थे काम से तब मैने मुनीम से पता लगाने को बोला मेरी सास का काफी देर इंतजार करते करते आखिर कार रात में मेरी सास आई हवेली में कोई अपनी कार से छोड़ने आया था बाहर से ही चला गया था वो मेरी सास अपने कमर में जा रही थी मैं अपने कमरे के दरवाजे से छुप के अपनी सास को जाते हुए देख रही थी बिखरे बाल हाथ की चुड़ी टूटी हुई गले में कई लाल दाग उनको देख के एसा लग रहा था जैसे कि....
शालिनी –(संध्या के कंधे में हाथ रख के) समझ गई मैं संध्या , फिर आगे क्या हुआ....
संध्या – होना क्या था दिन से निकले बड़े ठाकुर अगले दिन हवेली वापस आय आते ही अपने कमरे में गए कुछ देर बाद सुनैना ठाकुर के रोने की आवाज आने लगी और बड़े ठाकुर गुस्से में हवेली से बाहर चले गए रोने की आवाज सुन मै कमरे में गई देखा वहां पर मोबाइल जमीन में टूटा पड़ा है सुनैना ठाकुर एक कोने में बैठ के रो रही थी मैने उनसे काफी पूछा लेकिन कुछ नहीं बताया उन्होंने मुझे उस दिन के बाद जैसे बड़े ठाकुर ने सुनैना ठाकुर से बात करना बंद कर दिया था यहां तक सोते भी अलग थे एक दिन मैने अपनी आखों से देखा बड़े ठाकुर सोफे में सो रहे थे और सुनैना ठाकुर बेड में ये नजारा मैने कई बार देखा एक दिन हिम्मत करके मैने अकेले में बड़े ठाकुर से इस बारे में बात की लेकिन उन्होंने मुस्कुरा के मेरे सिर में हाथ फेरा और बोला....
रतन ठाकुर – संध्या बेटा बड़े अरमानों के साथ तुझे इस हवेली में लाया हु मै अपनी बहू बना के नहीं बल्कि बेटी बना के लाया हूँ तुझे तेरी सेवा मैने देखी है दिल से करती है सेवा सबकी बस एक वादा कर बेटा मुझसे अगर कल को मुझे कुछ हो गया तो तू पूरे परिवार को समेट के रखेंगी....
संध्या –एसी बाते मत बोलिए बाबू जी....
रतन ठाकुर –(हस के) अरे पगली एक न एक दिन तो सबको जाना है अब तू ज्यादा मत सोच बस वादा कर मुझसे....
संध्या – मैं वादा करती हू आपसे बाबू जी....
उसके कुछ समय के बाद से ही तबियत खराब होना शुरू हो गई पहले बाबू जी चले गए कुछ वक्त के बाद ये (मनन ठाकुर) भी चले गए और तब से मैं देख रही हू पूरे परिवार की बाग डोर....
शालिनी – और कमल ठाकुर का क्या हुआ....
संध्या – वो भी बीमारी के कारण दुनिया से विदा हो गए....
शालिनी – और उनका बेटा अर्जुन ठाकुर....
संध्या – कमल ठाकुर के गुजरने के बाद वो आखिरी बार था जब मैने अर्जुन को देख था उसके बाद से कभी न देखा और न सुना मैने अर्जुन के बारे में , उस बेचारे का कमल ठाकुर और उसकी मां के इलावा कोई नहीं था दुनिया में मेरी सास सुनैना ठाकुर की तरह अर्जुन भी जाने कहा चला गया....
शालिनी –(संध्या की सारी बात सुन के) एक बात तो बताओ अभय को वो लॉकेट क्या तुमने दिया था उसे....
संध्या – हा मैने दिया था उसे....
शालिनी –(मुस्कुरा के) तो खजाने की चाबी तुमने अभय को दे दी....
संध्या –(हल्का सा हस के) मेरा असली खजाना सिर्फ वही है बस इसीलिए उसे वो चाबी दे दी मैने....
शालिनी –(अपनी बेटी चांदनी से जो काफी देर से चुप चाप बैठ के सारी बात सुन रही थी) तो चांदनी तेरी तहकीकात कहा तक पहुंची....
चांदनी – घर का भेदी लंका धाय....
शालिनी –(चांदनी की बात सुन) क्या मतलब है तेरा कहने का....
चांदनी – मां हवेली का कोई तो है जो ये सब कर रहा है या करवा रहा है इतना शातिर है वो हर बार दूसरे के कंधे पे बंदूक रख के चलाए जा रहा है जब से अभय गांव आया है कुछ न कुछ गड़बड़ होना शुरू हो रही है हवेली में फिर अभय पे जान लेवा हमला उसके बाद हमारे साथ जो हुआ एक बात तो पक्की है हवेली के लोगो की जानकारी यहां हवेली से बाहर भेजी जा रही है पल पल की....
शालिनी – हवेली में कोई ये सब कर रहा है ये कैसे बोल रही हो तुम....
चांदनी –(अस्पताल में संध्या के बेड की नीचे छुपे मोबाइल की बात बता के) मैने मोबाइल का पता करवाया लास्ट कॉल यहां हवेली से आई थी उसमें इसीलिए मैने यहां हवेली में जिसके पास जो भी जितने भी मोबाइल हो उसकी सारी डिटेल्स निकलवाने के लिए बोल दिया है उम्मीद है कल तक मिल जाएगी डिटेल मुझे....
शालिनी – वैसे तूने एक्शन क्यों नहीं लिया....
चांदनी – मां किसपे एक्शन लू मै किस बिना पे हाथ डालू और किसपे मेरी एक गलती मेरा पर्दा फाश करवा सकती है और दुश्मन को सावधान इसीलिए मैने अपने लोगो को सभी की निगरानी पर रख हुआ है वैसे मा रमन पर भी निगरानी रखी हुई थी मैने लेकिन आपके लाडले ने पहले ही आपको सब बता दिया....
शालिनी – (हस के) क्यों जलन हो रही है क्या तुझे....
चांदनी –भला मुझे क्यों जलन होने लगी मेरे भाई से....
शालिनी –(मुस्कुरा के) मजाक कर रही हूँ तेरे से....
चांदनी –(सीरियाई होके) मां जाने क्यों कभी कभी एसा लगता है जैसे अभय कुछ छुपा रहा है हमसे....
शालिनी –(मुस्कुरा के) हमसे नहीं तुझसे...
चांदनी – मुझ से क्यों....
शालिनी – गांव का सरपंच और मुनीम दोनो ही उसके पास है....
चांदनी –(चौक के) मुनीम कैसे सरपंच का पता था मुझे....
संध्या – (बीच में) उसी ने मेरे पैर का ये हाल किया है....
शालिनी – (संध्या से) तुझे पता है मुनीम के एक पैर की हड्डी तोड़ दी है अभय ने और हॉस्टल में ही उसे लगातार टाचर दिए जा रहा है....
चांदनी –(संध्या के कंधे पे हाथ रख के) देखा मौसी मैने कहा था ना आपसे....
शालिनी – चांदनी आगे का क्या करना है तुम्हे....
चांदनी – पहले अभय और अब मौसी ये दोनो ही इस वक्त खतरे के निशान में आ चुके है अलग रहेंगे तो खतरा बना रहेगा दोनो पे एक साथ रहेंगे खतरा फिर भी रहेगा लेकिन उसे हैंडल तो किया जा सकता है आसानी से तब....
शालिनी –ठीक है अब मेरी बात ध्यान से सुनो....
फिर शालिनी ने कुछ कहा जिसके बाद चांदनी ने हा में सिर हिलाया....
शालिनी – (संध्या से) तुम बिल्कुल भी मत घबराना कुछ नहीं होगा किसी को तेरा अभय तुझे जरूर मिलेगा ये सिर्फ मेरा नहीं बल्कि एक मा का दूसरी मां से वादा है ये....
काफी देर तक एक दूसरे से बात कर रहे थे उसके बाद संध्या से विदा लेके शालिनी कमरे से जाने लगी संध्या के कमरे से बाहर निकल हॉल में आके सबसे विदा ले रही थी कि तभी उनका मोबाइल बजा जिसपे बात करके....
शालिनी –(ललिता शनाया और मालती से) अच्छा अब मुझे इजाजत दीजिए चलती हूँ मै....
ललिता – यही रुक जाते आप....
शालिनी – प्लान तो रुकने का ही था मेरा गांव में कुछ दिन के लिए लेकिन एक इमरजेंसी आ गई है मुझे कल सुबह ही निकलना होगा शहर की तरफ अपने लोगो के साथ....
मालती – रात का खाना हमारे साथ खाइए....
शालिनी –नहीं मालती आज नहीं लेकिन अगली बार जरूर , अच्छा मुझे इजाजत दीजिए अब जल्द ही फिर मुलाक़ात होगी....
बोल के शालिनी हवेली के बाहर निकल गई जहां अभय गेट में खड़ा इंतजार कर रहा था शालिनी को साथ लेके हॉस्टल में आते ही दोनों ने खाना खाया और सो गए जबकि इस तरफ....
औरत –(कॉल में रंजीत सिन्हा से) एक अच्छी खबर है तुम्हारे लिए....
रंजीत सिन्हा –(खुश होके) अच्छा क्या बात है....
औरत –आज शालिनी हवेली आई थी लेकिन जाने से पहले बता के गई कि वो कल सुबह वापस जा रही है शहर....
रंजीत सिन्हा –(चौक के) क्या तुम सच बोल रही हो....
औरत – अरे हा बाबा सच बोल रही हू मै अब तू देख ले मौका और दस्तूर खुद चल के तेरे पास आया है....
रंजीत सिन्हा – (हस्ते हुए) शालिनी के जाते ही अपना अधूरा काम पूरा करूंगा मै....
औरत –लेकिन कैसे....
रंजीत सिन्हा –उसके लिए तुझे संध्या को घुमाना होगा शाम के वक्त हवेली के गेट के पास बने बगीचे में उसी वक्त अपने काम को अंजाम दूंगा मै....
औरत – (मुस्कुरा के) उसके लिए मुझे अकेले कुछ नहीं करना पड़ेगा क्योंकि शाम के वक्त लगभग सभी टहलते है वहां पर....
रंजीत सिन्हा – तो ठीक है शालिनी कल सुबह जाएगी और मैं शाम को अपने काम को अंजाम दूंगा....
बोल के कॉल काट दिया दोनो ने अगली सुबह शालिनी और अभय जल्दी से उठ गए....
शालिनी – अभय जल्दी से तैयार हो जा....
अभय – जल्दी क्यों मां कही जाना है क्या....
शालिनी – हा गीता दीदी के घर चल मिलना है उनसे....
अभय –मां दिन में चलते है अभी कॉलेज जाना है मुझे....
शालिनी – एक काम कर आज कॉलेज मत जा सीधा गीता दीदी के पास चल फिर मुझे जाना है....
अभय –(चौक के) क्या जाना है कहा लेकिन आप कल ही तो आए हो आज जाने की बात....
शालिनी – हा बेटा जरूरी काम आ गया है शहर में मुझे सोचा गीता दीदी से मिल के जाऊं....
अभय –ये गलत बात है मां मैने सोचा आपके साथ रहूंगा गांव घुमाऊंगा आपको लेकिन आप तो आज ही....
शालिनी – (मुस्कुरा के) तो कौन सा हमेशा के लिए जा रही हूँ मै मिलने आऊंगी तेरे से नहीं तो कॉल पे बात कर लिया करना मेरे से और जब मन करे तेरा आ जाना शहर मेरे पास....
इससे पहले अभय कुछ बोलता....
शालिनी –(जल्दी से बोली) अच्छा चल पहले मिलते है गीता दीदी से....
बोल के दोनो निकल गए गीता देवी की तरफ घर में आते ही दरवाजा खटखटाया तो गीता देवी ने दरवाजा खोला....
गीता देवी –(अपने घर शालिनी को देख) अरे आइए शालिनी जी क्या बात है आज सुबह सुबह....
शालिनी – हा असल में मुझे जरूरी काम से वापस शहर जाना पड़ रहा है सोचा जाने से पहले आप से मिल लूं....
गीता देवी – बहुत जल्दी जा रहे हो आप वापस कुछ दिन रुक जाते आप....
शालिनी – पुलिस की नौकरी तो आप मुझसे बेहतर जानते हो दीदी कब कहा से बुलावा आए पता नहीं पड़ता है....
गीता देवी – हा सो तो है शालिनी जी....
अभय – बड़ी मां राज कहा है....
गीता देवी – अंदर कमरे में तैयार हो रहा है कॉलेज जाने के लिए....
गीता देवी की बात सुन अभय कमरे में चल गया राज के पास....
राज – (अभय को देख) अबे तू इतनी सुबह सुबह क्या बात है....
अभय – कुछ नहीं यार वो मां आज ही वापस जा रही है तो मिलने आई है बड़ी मां से....
राज – अरे इतनी जल्दी....
अभय – हा वही तो यार मानती ही नहीं मां बात मेरी....
राज – पुलिस का काम ही ऐसा होता है यार चल ये बता कॉलेज चल रहा है साथ में या बाद में आएगा....
अभय – नहीं यार आज नहीं आऊंगा कॉलेज मां ने मना किया है....
राज – यार मन तो मेरा भी नहीं है आज जाने का....
अभय – तो चल आज तू और मैं साथ में घूमते है मै बड़ी मां से बोल देता हू....
अभय बाहर आके गीता देवी से....
अभय – बड़ी मां आज राज को कॉलेज मत भेजो आज मेरे साथ रहेगा....
शालिनी –(तुरंत बीच में) बहुत अच्छी बात है तू एक कम कर राज के साथ घूम के आजा और साथ में अच्छा सा नाश्ता लेके आ तब तक मैं ओर गीता दीदी बाते करते है आपस में....
बात सुन के अभय और राज निकल गए घर के बाहर उनके जाते ही....
गीता देवी – क्या बात है शालिनी जी आपने उन दोनों को बाहर क्यों भेज दिया नाश्ता तो मैं यही बना देती सबके लिए....
शालिनी – जानती हू दीदी लेकिन उनके सामने आपसे मै वो बात नहीं कर सकती थी इसीलिए बाहर भेज दिया दोनो को....
गीता देवी – क्या बात है शालिनी जी बताए....
उसके बाद शालिनी ने कुछ बात की गीता देवी से काफी देर तक बात चलती रही दोनो की जब तक अभय और राज वापस नहीं आ गए दोनो के आते ही सबने मिल के नाश्ता किया एक दूसरे से विदा लेके निकल गए साथ में राज भी आया हॉस्टल में आते ही शालिनी ने अपना बैग लिया हॉस्टल के बाहर निकल जहां शालिनी की कार खड़ी थी ड्राइवर के साथ कार में समान रख....
शालिनी –(अभय को गले से लगा के) दिल छोटा मत कर मै जल्दी ही आऊंगी तेरे पास तब तक अच्छे से पढ़ाई करना तू....
अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है मां....
बोल के शालिनी कार में बैठने लगी कि तभी....
शालिनी – अरे अभय मै शायद अपना बैग तेरे कमरे में भूल गई जाके ले आ....
शालिनी की बात सुन अभय कमरे की तरफ निकल गया उसके जाते ही....
शालिनी – राज मेरी बात ध्यान से सुनो....
उसके बाद शालिनी ने राज से कुछ बात कहने लगी कुछ समय बाद अभय वापस आया बैग लेके जिसे लेके शालिनी ने अभय के सर पे हाथ फेर कार से निकल गई शहर की तरफ अभय पीछे खड़ा कार को जाते हुए देखता रहा जब तक कार उसकी आंख से ओझल नहीं हो गई....
अभय – जब अपना दूर जाता है आपसे कितनी बेचैनी होने लगती है ना राज....
राज –(अभय के कंधे पे हाथ रख देखा तो आसू थे आखों में उसकी अपने हाथ से आसू पोछ गले लगा के) जितना दूर सही लेकिन है तो तेरे दिल में ही चल मायूस मत हो जल्दी आएगी बोला है ना तेरे को चल चलते है घूमने कही....
राज की बात सुन हा में सिर हिला के बाइक से निकलने जा रहे थे कि तभी एक लड़की की प्यारी सी आवाज आई....
लड़की – HELLOOO Mr.ABHAY....
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जारी रहेगा
Very welcome broThank you very much dear bro for your kind reply and assurance. I feel grateful. Regards
Thank you
Thank you sooo much Achavery very nice.......................................................................................................................................................
Big Wala Thank you Raj_sharma bhaiAwesome update again and mind blowing writing efforts dear DEVIL MAXIMUM bhai, shalini ne kuch to plan banaya hai, ab wo kya hai? Ye janne ke liye agley update ka intezar rahega waise kitni baar bola hai ki update post karne ke pahle chek kar liya kar, kitni writing mistake kar rakhi hai, kahi shalini ko shaleen kar diya to kahi kuch or
Aaj ya kal pakka44 update?