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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Food India GIF by Nilons
Thank you sooo much bhai
 

Rowdy

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UPDATE 14

संध्या का एसा रूप देख ललिता , मालती और रमन तीनों हिल के रह गए थे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ललिता और मालती डिनर टेबल साफ करने में लग गए थे और रमन हवेली से बाहर निकल के किसी को फोन मिलाया....

रमन – मुनीम मैने तुझे इस लड़के का पता लगाने को बोला था अभी तक क्यों नही पता लग पाया तुझे

मुनीम – मालिक उस लड़के का पता नही चल पा रहा है कही से भी इसीलिए मैंने शहर से एक लड़के को बुलाया है जो उस लड़के की जानकारी निकाल सकता है

रमन – कॉन है वो कब करेगा काम

मुनीम – मालिक आप बगीचे वाले कमरे में आजाओ मैं उसे वही लेके आता हू

दोपहर का वक्त था अभय हॉस्टल के कमरे में आते ही उसे रमिया मिली...

रमिया – बाबू जी खाना तयार है आप हाथ मू धो लिजिए मैं खाना लगाती हू

अभय – कल की बात से नाराज हो अभी भी क्या

रमिया – नही बाबू जी ऐसी कोई बात नही है

अभय – अच्छा फिर क्या बात है

रमिया – बात तो पता नही बाबू जी लेकिन कल से देख रही हू हवेली में मालकिन ने कल रात को कुछ नही खाया और आज सुबह भी जाने किस बात पे रमन बाबू पे गुस्सा हो रही थी मालकिन

अभय – (हस्ते हुए) अच्छा ऐसा क्या हो गया जो तुम इतनी परेशान हो रही हो

रमिया –पता नही बाबू जी मैं 2 साल पहले आई हू यहा तभी से देख रही हू मालकिन को रोज रात को जब सब आराम से सो रहे होते है तब मालकिन अपने कमरे में कम अपने बेटे के कमरे में होती थी , कभी कभी तो उन्ही के कमरे में सो जाती थी

अभय – (रमिया की बात पे ध्यान ना देते हुए) तुझे यहां भेजा गाया है मेरे लिए , तब तक के लिए हवेली को भूल जा चल खाना खाते है भूख लगी है बहुत

इधर हवेली में जब हर कोई अपने कमरे में दिन में आराम कर रहा होता है तब संध्या हवेली के बाहर अपनी कार से निकल जाती है कही कार ड्राइव करते हुए किसी के घर के बाहर कार रोक के बाहर निकल के घर का दरवाजा खट खटाती है तभी एक औरत दरवाजा खोलती है उसे देख संध्या रोते हुए उसके गले लग जाती है.....

औरत – (रोना सुन के) क्या बात है संध्या तू ऐसे रो क्यों रही है

संध्या – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है दीदी मैने आपकी बात ना मान के...

औरत – चुप पहले अंदर चल तू

अपने घर के अंदर लेजा के संध्या को बैठाती है की तभी किसी की आवाज आती है..

सत्या बाबू – कॉन आया है गीता

गीता देवी – खुद ही देख लो आके कॉन आया है

सत्या बाबू – (अपने सामने संध्या को देख के) ठकुराइन आज इतने सालो के बाद गरीब के घर में....

गीता देवी – (बीच में टोकते हुए) ठकुराइन नही मेरी छोटी बहन आई है घर में

सत्या बाबू – ठीक है तुम बात करो आराम से मैं खेत में जा रहा हू राज का खाना लेके शाम को त्यार रहना

गीता देवी – जी ठीक है (सत्या बाबू के जाने के बाद संध्या से बोली) अब बता क्या बात है क्यों रो रही है तू

संध्या – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई दीदी उसी की सजा मिल रही है मुझे जिस जिस पर विश्वास किया उसी ने धोखा दिया

गीता देवी – संध्या तू सही से बता बात क्या है कैसे सजा , कॉन सी गलती और किसने धोखा दिया तुझे

संध्या – इनके (अपने पति) जाने के बाद हवेली और खेती के हिसाब , बहिखाते की सारी जिम्मेदारी मुझ पे आ गई थी और अभय उदास सा रहने लगा था , हवेली , खेती और बहिखाते अकेले ये सब संभालना साथ अभय को , मेरे लिए आसान नहीं था इसीलिए ऐसे में मैने रमन की मदद ली ताकि सब संभालना आसान हो जाय धीरे धीरे वक्त बिता मैं ज्यादा तर हवेली और खेती के हिसाब में व्यस्त रहने लगी लेकिन इसी बीच कई बार अभय की शिकयत आती थी मेरे पास शुरू शुरू में मैने इतना ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर अभय की शिकायते बड़ने लगी समझाया करती थी मैं लेकिन फिर से वही सब शिकयत और मुझसे बर्दाश नही होता था की मेरे बेटे की शिकायत लोग करते रहते थे अक्सर लेकिन वही अमन की कोई शिकायत नही करता था हर कोई अमन की तारीफ करता बस इसी गुस्से में मैने हाथ उठाया अभय पर और ना जाने कितनी बार हाथ उठाया मैने अभय पे

लेकिन दीदी मेरे अभय ने कभी अपनी सफाई नही दी मुझे और फिर आई वो मनहूस रात जिसके बाद मेरी जिन्दगी पूरी तरह से बदल गई

(बोल के जोर से रोने लगी इस तरह से संध्या का रोना देख के गीता देवी को भी घभराहट होने लगी)

गीता देवी – (घबरा के) संध्या क्या हुआ था ऐसे क्यों रो रही है बता क्या हुआ उस रात को

संध्या –(रोते हुए) पता नही दीदी कैसे हुआ उस रात मैं बहक गई थी रमन के साथ...

गीता देवी – (गुस्से में) ये क्या बकवास कर रही है तू , तू ऐसा कैसे बहक गई , सही से बता संध्या हुआ क्या था ऐसा उस रात को

संध्या –(रोते हुए) मुझे सच में नही पता दीदी ये सब कैसे हुआ , कभी कभी अकेली रातों में अपने पति की याद आती थी तो अपनी शादी को तस्वीरों को देख लिया करती थी उस रात को भी वही तस्वीर देख रही थी क्योंकि कल का दिन मेरे अभय के लिए खुशी का दिन था कल अभय का जन्म दिन था मैंने दिन में सोच लिया और सभी को बता दिया था आज मैं अभय के साथ सोऊगी , कई बार अभय कहता रहता था मुझे की उसके साथ सोऊं , कमरे से जाने को थी तभी मुझे अजीब से उलझन होने लगी थी शशिर में अपने , मैने सोचा आराम करूगी ठीक हो जाओगी , अपनी शादी की तस्वीर को अलमारी में रख के जाने को हुई तभी मेरे शरीर की उलझन बड़ने लगी थी इसी बीच कमरे में रमन आया हुआ था उसे देख के मैं इनकी (अपने पति) कल्पना करने लगी थी क्योंकि दोनो भाईयो की सूरत एक जैसे जो थी और इसके बाद कब मैं रमन के साथ...

बोलते बोलते रोने लगी संध्या

गीता देवी –(संध्या के सिर पे हाथ रख के) फिर क्या हुआ था

संध्या – होश आने पर अपने आप को रमन के साथ पाया मैने कुछ बोलती उससे पहले रमन ने बोला मुझे वो काफी वक्त से मुझे चाहता है काफी वक्त से मेरे साथ ये सब करना चाहता था मन तो हो रहा था मेरा रमन को अभी सबक सिखा दू लेकिन गलती इसमें पूरी उसकी अकेले की नही थी मेरी भी थी काफी देर तक हम बेड में रहे बाद में मैंने रमन को अपने कमरे में जाने को बोला ताकी हवेली में किसी को पता ना चले , अपने अभय की नजर में गिरना नही चाहती थी मैं इसीलिए चाह के भी रमन को कुछ नही कहा मैने , लेकिन उस मनहूस रात ने मेरी जिंदिगी को नर्क बना दिया अगले दिन अभय हवेली में नही है ये पता चला और उसके बाद जंगल में लाश मिली बच्चे की जिसने अभय जैसे कपड़े पहने थे और तब से मेरी जीने को इच्छा मर गई थी , लेकिन अमन को देख के जी रही थी मैं

और अब 11 साल बाद वो वापस आगया दीदी मेरा अभय वापस आगया पहली मुलाकात से मुझे चौका दिया और अगले मुलाकात में उसने बता दिया वो अभय है मेरा और साथ में ये भी बताया को कितनी नफरत करता है क्योंकि उसने मुझे देखा था रमन के साथ कमरे में और क्या कहा उसने मुझसे जानती हो दीदी यह की उसको मेरे आसू मेरा प्यार सब नौंटकी लगता है उसके आने से गांव वालो को जमीन मिली जिसका मुझे पता तक नहीं था और उसके आने से ही आज मैं जान पाई हू दीदी की जिनपे मैने आंख बंद कर के भरोसा किया उन सबने मेरी ही पीठ में छूरा घोपा है सबने धोखा दिया मुझे सबने झूठ पे झूठ बोल के मुझसे पाप करवाया , अभय की नजरो में मुझे हमेशा हमेशा के लिए गिरा दिया उन सबने , दीदी बात तो मैने आपकी भी नही मानी अगर मानी होती तो शायद आज ये दिन नही देखना पड़ता मुझे

बस दीदी मेरी एक इच्छा पूरी कर देना मेरे मरने के बाद कम से कम मुझे अग्नि जरूर दिला देना अभय के हाथो से (रोते हुए)

गीता देवी – (रोते हुए संध्या को गले से लगा के) चुप बिल्कुल चुप तू क्यों मरने लगी अभी तो तुझे उन सबको रोते हुए देखना है जिसने तुझे रुलाया है जिन्होंने ये नीच हरकत की है अभी उनका भी हिसाब होना बाकी है उन्होंने मां और बेटे के बीच दरार डाली है अरे उपर वाला भी मां और बेटे के रिश्ते की डोर को छूने से डरता है क्योंकि उपर वाला भी एक मां को दुवा ले सकता है लेकिन एक मां के दिल से निकली बदूवा से वो खुद डरता है लेकिन यहां इंसानों ने ये काम किया.....

गीता देवी – तूने पता किया अगर अभय यहां है तो फिर वो लाश किसकी थी जो गांव वालो को मिली थी जंगल में कहा से आए उस लाश में अभय के स्कूल के कपड़े

संध्या – नही दीदी मैने इस बारे में कोई बात नही की ये सब मुनीम या रमन ही देखते है ज्यादा तर बाहर के काम , बस अब आपके सिवा कोई नही मेरा दीदी जिसपे भरोसा कर सकू और हवेली में मुझे किसी पे भरोसा नहीं रहा

गीता देवी – (संध्या की बातो को ध्यान से सुन के किसी को कॉल किया)

सामने से – हेलो कॉन

गीता देवी – द....द...देव भईया

देव –(आवाज सुन मुस्कुरा के) गीता दीदी , बरसों के बाद आज आपको याद आई अपने भाई की

गीता देवी – (रोते हुए) तेरी एक बहन और भी है भूल गया तू और आज उसे अपने भाई की सबसे ज्यादा जरूरत है बस कुछ मत बोलना , भूल जा पुरानी बात को , यहां तेरी बहन की जिंदिगी बर्बाद कर दी है दुश्मनों ने

देव – (गुस्से में) किसकी इतनि मजाल है जो देवेंद्र ठाकुर की बहन की जिंदीगी बर्बाद करने की हिम्मत करें , देवी भद्र काली की कसम है मुझे , उसके वंश का नाश कर देगा ये देवेंद्र ठाकुर , मैं अभी आ रहा हू दीदी

इस तरफ रमन आगया था बगीचे में बने कमरे में वहा पे मुनीम और 2 लड़के पहले से इंतजार कर रहे थे रमन का...

रमन – मुनीम बाहर कार किसकी खड़ी है और कॉन बताएगा उस लड़के के बारे में

मुनीम – मालिक कार इन दोनो की है ये दोनो लड़को को शहर से बुलाया है ये कंप्यूटर के बड़े हैकर है (लड़के से) बता दे मालिक को कैसे पता चलेगा लड़के के बारे में

पहला लड़का – उस लड़के की कोई फोटो है आपके पास या डिटेल

रमन – हा फोटो निकलवाई है कॉलेज से उसकी

रमन अपने मोबाइल में फोटो दिखाता है , लड़का मोबाइल लेके सिस्टम में कनेक्ट करता है सर्च करता है फोटो से अभय की डिटेल को....

दूसरा लड़का – ये इनलीगल काम है जानते हो ना आप इस तरह से किसी की जानकारी निकालना मतलब समझ रहे हो ना आप

रमन – (500 की 2 गद्दी देते हुए) अब तो सब लीगल हो गया है ना

पहला लड़का – हा बस 5 मिनट में इसकी कुण्डली निकल जाएगी



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तभी लड़के के कंप्यूटर में अलर्ट मैसेज आता जिसे देख लड़का घबरा जाता है और तभी सिस्टम में उसी लड़के की फोटो दिखने लगती है साथ में उस कमरे में जो भी है उनकी भी फोटो थी डरते डरते अपने सिस्टम में कुछ करता उससे पहले ही उस लड़के के मोबाइल में कॉल आने लगता है मोबाइल में कॉलर का नेम देख के आखें बड़ी हो जाती है उसकी....

पहला लड़का – (कॉल रिसीव करके) हैलो

सामने से – लगता है अपनी औकात भूल गया है तू जानता है ना किसके बिल में हाथ डाल रहा है

पहला लड़का – (डरते हुए) मुझे माफ करिएगा मैडम मैं नही जानता था की ये....

सामने से – (बीच में बात काटते हुए) अपना बोरिया बिस्तर बांध के निकल तेरा काम हो गया वहा का

पहला लड़का – वो मैडम

सामने से – (गुस्से में) अभी निकल

पहला लड़का डरते हुए कॉल कट करके अपना सामान लेके दूसरे लड़को को चलने किए बोल के कमरे से बाहर भाग जाता है उसके पीछे दूसरा लड़का आने लगा तभी रमन उसका कॉलर पकड़ के....

रमन – बिना काम किया भाग रहा है तू , एक लाख दिए है मैने काम के...

दूसरा लड़का – (रमन को उसके पैसे वापस करते हुए) ये रहे पैसे आपके और आज के बाद याद रखना हम कभी नही मिले थे एक दूसरे से

मुनीम – लेकिन तुम दोनो भाग क्यों रहे हो किसका कॉल आगया था

दूसरा लड़का – मुझे नही पता किसका कॉल था लेकिन मेरा बॉस सिर्फ 2 लोगो से डरता है एक या तो वो मेरे बॉस का बॉस हो या फिर उन सब भी कोई बड़ा हो और ये लड़का उनमें से कॉन है मुझे नही पता

बोल के बाहर अपनी कार से भाग जाते है दोनो लड़के..

रमन – मुनीम ये दोनो लौंडे साले भाग गए , एक काम कर इंतजाम कर दे उस लड़के का और याद रहे कल सुबह गांव के समुंदर के बीच (किनारे) पे एक कटी फटी लाश मिलनी चाहिए समझ गया ना

मुनीम – (मुस्कुरा के) जी मालिक एसा ही होगा

इस तरफ गीता देवी के घर के बाहर 4 कारे आ कर रुकती है तीन कार से सूट बूट में बॉडीगार्ड निकलते है और बीच की कार से एक 40 साल का आदमी निकल के गीता देवी के घर में जाता है अंदर जाते ही...

आदमी – (अपने सामने बैठी गीता देवी साथ में संध्या को देख के) दीदी

गीता देवी – देव भईया

देव – (आगे आके गीता देवी के पैर छू के) कैसे हो आप दीदी

गीता देवी – अच्छी हू भईया

देव – संध्या क्या अभी तक नाराज हो अपने भाई से

संध्या रोते हुए गले लग गई देव के...

देव – (प्यार से सिर पे हाथ फेरते हुए) अरे पगली रोती क्यों है तेरा भाई जिंदा है अभी

गीता देवी – छल हुआ है संध्या के साथ अपनो के हाथो सिवाय धोखे के कुछ ना मिला इसे ऐसा खेल खेला गया अनजाने में दोनो मां और बेटे के बीच प्यार की जगह नफरत ने लेली , ऐसी नफरत आज एक बेटे को उसके मां के आसू भी नौटंकी लगते है उसे और इन सब का कारण है हवेली में रहने वाले लोग

देव – (सारी बात सुन के गीता देवी से) मुझे पूरी बात बताओ दीदी हुआ क्या है मेरी बहन के साथ

उसके बाद गीता देवी ने सारी बात बता दी देव को जिसे सुन के....

देव – (संध्या से बोला) तेरे साथ ये सब हो रहा था और तूने मुझे एक बार भी बताना जरूरी नही समझा , मानता हू तेरा सगा भाई ना सही लेकिन तुझे तो मैने सगी बहन माना है हमेशा से

संध्या – (रोते हुए) ऐसी बात नही है भईया इनके जाने के बाद से ही हवेली और काम की जिम्मेदारी मुझ पे आगयी थी उसको निभाने में जाने कब मैं खुद के बेटे की दुश्मन बन गई..

देव – (बीच में बात को काटते हुए) सब समझता हू मेरी बहन दादा ठाकुर के गुजरने के बाद पहल जिम्मेदारी मनन के हाथो में आई उसके बाद तेरे कंधो पे , मैने मनन को पहल कई बार समझने की कोशिश की थी अपने भाई पे भरोसा ना करे लेकिन वो नहीं माना कहता था जैसा भी है मेरा भाई है और एक भाई दूसरे भाई का कभी गलत नही करेगा उसकी यहीं गलती ने आज तुझे इस मुकाम में लाके खड़ा कर दिया , (संध्या के आसू पोछ के) हमारा भांजा कहा है कैसा दिखता है , मनन जैसा दिखता होगा है ना

गीता देवी – (अपने मोबाइल में फोटो दिखा के) ये देखिए भईया ऐसा दिखता है आपका भांजा

देव – (मोबाइल में अभय की फोटो देख के हैरान हो जाता है) ये...ये है वो लेकिन ये कैसे हो सकता है अगर ये तेरा बेटा है तो फिर वो...

गीता देवी – क्या हुआ भईया आप फोटो देख के हैरान क्यों हो गए

देव – (संध्या से) तुम कैसे कह सकती हो की ये तेरा बेटा है

संध्या – आप ऐसा क्यों बोल रहे हो भईया ये अभय ही है मेरा बेटा वही नैन नक्श वो सारी बाते जो सिर्फ इसके इलावा कोई नही जानता है

देव – (सारी बाते सुन के किसी सोच में डूब जाता है और तुरंत किसी को कॉल करता है) हेलो शालिनी जी

शालिनी सिन्हा – प्रणाम ठाकुर साहब आज कैसे याद किया

देव – शालिनी जी आपकी बेटी कहा पे है मेरी बात हो सकती है उससे

शालिनी सिन्हा – ठाकुर साहेब वो तो निकल चुकी है लेकिन बात क्या है

देव – शालिनी जी मैने आपसे पूछा था उस लड़के के बारे में , अब आप सच सच बताएगा क्या वो लड़का सच में आपका बेटा है की नही

शालिनी सिन्हा – ठाकुर साहब वैसे तो मेरा कोई बेटा नही सिर्फ एक बेटी है और रही बात उस लड़के की हा उसे अपना बेटा ही मानती हूं मैं , उसके आने से मेरे परिवार में बेटे की कमी भी पूरी हो गई

देव – क्या नाम है उसका

शालिनी सिन्हा – अभय , ठाकुर अभय सिंह , मेरी बेटी उसी के पास आ रही है , लेकिन आप ऐसा क्यों पुछ रहे है

देव – अच्छा तो ये बात है (हस्ते हुए) शालिनी जी अभय यहीं पर है अपने गांव में वापस आगया है

शालिनी सिन्हा – (हस्ते हुए) हा ठाकुर साहब मेरी बेटी किसी केस के सिलसिले में गांव के लिए निकली है क्या आप जानते है किसी संध्या ठाकुर को

देव – जी वो मेरी मु बोली बहन है , बात क्या है

शालिनी सिन्हा – बात कुछ ऐसी है ठाकुर साहब (फिर शालिनी सिन्हा कुछ बात बताती चली गई देव को कुछ देर बात करने के बाद) इसीलिए उपर से ऑर्डर आया है तभी इस मामले की तह तक जाने के लिए भेजा गया है कुछ लोगो को..

देव – ठीक है शालिनी जी मैं ध्यान रखूंगा (कॉल कट करके किसी सोच में था देव)

गीता देवी – भईया क्या बात है आप किस सोच में डूबे है

देव – (मुस्कुरा के) ये लड़का अभय सच में कमाल का है मैने इस जैसा लड़का कही नही देखा अपने पिता मनन की तरह नेक जरूर है लेकिन उतना भी नेक नही जितना हमारे मनन ठाकुर थे

संध्या – क्या मतलब है इसका भईया

देव – बस इतना समझ ले तेरा बेटा खुद यहां नही आया उसे लाया गया है यहां पे और ये बात उसे खुद नही पता है और जिसे पता है वो खुद आ रही है जल्द ही मुलाकात होगी उससे तेरी भी

गीता देवी – क्या मतलब तेरी भी से आपका

देव – मतलब मैं मिल चुका हू अभय से और उस लड़की से भी जिसके साथ अभय रहता था

संध्या – कॉन है वो लड़की और अभय से उसका क्या...

देव – वो लड़की कोई मामूली लड़की नही सी बी आई ऑफिसर चांदनी सिन्हा है , डी आई जी शालिनी सिन्हा की एक लौती बेटी और बाकी की बात सिर्फ चांदनी बता सकती है लेकिन एक बात का ख्याल रहे ये बात बाहर नही जाने चाहिए यहां से और संध्या तेरे कॉलेज में चांदनी को टीचर बना के भेजा जा रहा है और उसके लोग तेरे साथ तेरी हवेली में रहेंगे नौकर के भेष में

संध्या – भईया मेरा अभय...

देव – (सिर पे हाथ फेर के) थोड़ा वक्त दे उसे मेरी बहन नफरत का बीज जो बोया गया है उसे इतनी आसानी से नही हटाया जा सकता है इतना सबर किया है तूने थोड़ा और कर ले।

देव –(गीता देवी से) अच्छा दीदी चलता हू मै लेकिन जब भी आपको अपने भाई की जरूरत पड़े बेजीझक बुला लेना (संध्या से) बहन अब भूलना मत तेरा भाई हर समय तेरे साथ है ।
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जारी रहेगा✍️✍️
Bahut hi lajawab twist aa gya hai story pe
 

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UPDATE 43


दोपहर का वक्त था इस वक्त अभय और शालिनी दोनो अभय के हॉस्टल में आ गए थे अभय अपने कमरे का दरवाजा खोलने जा रहा था कि किसी ने दरवाजा पहले खोल दिया जिसे देख....

अभय –(चौक के) तुम यहां पर कैसे....

सायरा –(मुस्कुरा के) ठकुराइन ने भेजा मुझे....

अभय –लेकिन मैने तो तुम्हे....

सायरा –(बीच में) हा मैने बताया ठकुराइन को वे बोली आज शालिनी जी आई है इसीलिए मुझे यहां वापस भेज दिया हवेली में चांदनी है उनके साथ....

शालिनी –(मुस्कुरा के) कैसी हो सायरा काम कैसा चल रहा है यहां तुम्हारा....

सायरा – मै अच्छी हूँ मैडम बाकी यहां का काम अभी काफी उलझा हुआ है....

शालिनी – हूंमम....

अभय –(दोनो की बात सुन के) मां ये कौन से काम के बारे में बात कर रहे हो आप मैने सायरा से भी पूछा था लेकिन इसने भी नहीं बताया मुझे आखिर बात है क्या मां....

शालिनी – (मुस्कुरा के) इस बारे में तुझे ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है समझा तू सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे सही वक्त आने पर सब पता चल जाएगा तुझे....

अभय –ठीक है मां, अच्छा अब आप नहा लो फिर साथ में खाना खाते है....

शालीन –(कमरे को देख) तू यहां रहता है इस कमरे में....

सायरा –(अभय के बोलने पहली ही) जी मैडम ये तो शुक्र है कि AC लग गया यहां पर वर्ना ये तो सिर्फ पंखे चला के सोता था इतनी गर्मी में....

शालिनी –(सायरा की बात सुन अभय से) मुझे क्यों नहीं बताया तूने इस बारे में....

अभय –मा आप भी ना जरा जरा सी बात के लिए सोचने लगते हो आप मुझे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी यहां रहने में....

शालिनी –(मुस्कुरा के) बात बनाने में आगे है बस , चल ठीक है तयार होके आती हु....

बोल के शालीन चली गई बाथरूम पीछे से....

अभय –(सायरा से) क्या जरूरत थी मां से ये सब बोलने की तेरे चक्कर में मेरी क्लास ना लग जाए कही....

अभय की बात सुन सायरा हसने लगी....

सायरा –(हस्ते हुए) ठीक है , तुम भी जाके नहा लो मैं खाना गरम करके लगाती हूं....

बोल के सायरा चली गई थोड़ी देर बाद तीनों ने मिल के खाना खाया जिसके बाद सायरा बर्तन साफ करके हवेली चली गई....

अभय – मां आप थक गए होगे आप बेड पे आराम करो मै....

शालिनी – तेरे से मिल के मेरी थकान पहले चली गई आराम को छोड़ मेरे साथ बैठ पहले....

बोलते ही अभय बैठ गया शालिनी के साथ....

शालिनी –अब बता जरा संध्या को किस वजह से किडनैप किया गया था....

अभय – पता नहीं मां मै जब खंडर में गया (जो हुआ सब बता के) उसके बाद अस्पताल ले आया और फिर कल (संध्या के कमरे में मोबाइल की बात बता के) मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मां आखिर कौन कर रहा है ये सब....

शालिनी –(बात सुन के)एक बात मुझे भी समझ नहीं आई खंडर में ऐसा क्या है जो....

शालिनी ने इतना बोला ही था अभय ने तुरंत हाथ आगे बढ़ा के सिक्के दिखाते हुए....

शालिनी –(सोने के सिक्कों को देख) ये क्या है अभय कहा से मिले तुझे....

अभय –(संध्या के बेहोश होने से पहले की बात बता के) उसके बाद मैं दरवाजे के पास गया काफी ढूंढने पर आपको पता है मुझे क्या पता चला....

शालिनी – क्या पता चला....

अभय –(अपने गले का लॉकेट दिखा के) ये चाबी है उस दरवाजे की जिसके जरिए दरवाजा खोला मैने ओर अन्दर सोना ही सोना भरा हुआ था जाने कितने तरह के सोना था वहां पर मा लेकिन....

शालिनी – लेकिन क्या अभय....

अभय – मां मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि जब इतना खजाना होने के बाद भी मेरे दादा ने क्यों किसी को नहीं बताया उसके बारे में....

शालिनी –(बीच में टोक के) एक मिनिट तूने बताया था कि ये लॉकेट तुझे तेरी मां ने दिया था....

अभय – हा मा बस यही तो बात समझ नहीं आई मुझे सिर्फ उसे ही क्यों पता था और किसी को क्यों नहीं....

शालिनी –(अभय के सर में हाथ फेर के) बेटा ये दौलत है ही एसी चीज अपनो को अपनो के पास ले आती है या दूर कर देती है दुश्मन को दोस्त भी यही बनाती है और दोस्त को दुश्मन भी , तू ये बता तूने किस किस को बताया है इसके बारे में....

अभय – किसी को नहीं बताया मां अपने दोस्तों तक को नहीं बताया मैने....

शालिनी –अब मेरी बात सुन ध्यान से ऐसी बहुत सी बातें है जो तुझे अभी पता नहीं है इसीलिए सबके साथ जैसा है वैसा ही रह और रही इस खजाने की बात तो तू ये जान ले कि ये तेरा ही है सिर्फ....

अभय –(चौक के) क्या लेकिन मां ये....

शालिनी –(बीच में टोक अभय के गाल पे हाथ रख के) मैने कहा ना वक्त आने पर तुझे सब पता चल जाएगा....

अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है मां जैसा आप बोलो....

शालिनी – अच्छा अब ये बता कहा है वो मुनीम और शंकर....

अभय –(एक कमरे में इशारा करके) वहा पर है दोनो....

शालिनी –चल मिल के आते है दोनो से....

कमरे में आते ही शंकर जमीन में गद्दा बिछा के आराम कर रहा था वहीं मुनीम बेड में बंधा हुआ था उसके मू में पट्टी बांधी हुई थी गु गु कर रहा था....

अभय –(ये नजारा देख शंकर को उठा के) ये क्या है इसके मू में पट्टी क्यों बंधी....

शंकर – मालिक ये मुनीम बोल बोल के सिर खाएं जा रहा था मेरा....

अभय –क्या बोल के सिर खा रहा था ये....

शंकर – यहां से भागने के लिए....

शंकर की बात सुन अभय चलता हुआ गया मुनीम के पास मू से पट्टी हटा के हाथ पैर खोल के....

अभय – (शालिनी की तरफ इशारा करके) जनता है कौन है ये पुलिस DIG ऑफिसर और मेरी मां....

अभय की बात सुन शंकर डर से तुरंत खड़ा हो गया और मुनीम की आंखे डर और हैरानी से बड़ी हो गई शालिनी को देख के....

मुनीम –(डर से शालिनी के पैर पकड़ के) मुझे माफ कर दीजिए मैडम मै....

इससे पहले मुनीम कुछ बोलता तभी कमरे में एक चाटे की आवाज गूंज उठी.....

चटाआक्ककककककककककक...

मुनीम के गाल में पड़ा था चाटा....

शालिनी –(अभय से) तुम दोनो थोड़ी देर के लिए बाहर जाओ और दरवाजा बंद कर देना....

आज पहली बार अभय ने शालिनी की आखों में बेइंतहा गुस्सा देखा जिसे देख अभय बिना कुछ बोले शंकर को साथ लेके कमरे से बाहर निकल गया और दरवाजा बंद कर दिया करीबन 15 से 20 मिनट के बाद शालिनी दरवाजा खोल बाहर आई सामने अभय को खड़ा पाया....

अभय – (शालिनी के बाहर आते ही) क्या हुआ मां....

शालिनी –(मुस्कुरा के) कुछ भी नहीं, (शंकर से) जा के मुनीम को बांध दो और तुम आराम करो , (अभय से) अच्छा ये बता शाम को क्या करता है तू....

अभय –घूमता हू अपने दोस्तो के साथ....

शालिनी – अच्छी बात है चल मुझे हवेली ले चल....

अभय –(हवेली जाने का सुन के) मा आप सुबह से आए हुए हो आराम तक नहीं किया और अब हवेली जाने की बात पहले आराम कर लो मां फिर जहा बोलो वहा ले चलूंगा आपको....

शालिनी –(मुस्कुरा के) आराम तो करना है बेटा लेकिन वक्त देख क्या हो रहा है शाम होने को आई है अब रात में आराम होगा सीधा अब ये बता तू चलेगा हवेली या मुझे हवेली छोड़ के घूमने जाएगा दोस्तो के साथ....

अभय – मां आप बोलो तो आपके साथ रहूंगा....

शालिनी – कोई न तू मुझे हवेली छोड़ के दोस्तो के साथ घूम ले मै कॉल कर दूंगी तुझे लेने आ जाना....

अभय – ठीक है मां....

बोल के अभय बाइक से निकल गया शालिनी को लेके , हवेली आके शालिनी गेट में उतर के....

शालिनी – मै कॉल करती हु तुझे ठीक है....

अभय – मै इंतजार करूंगा मां....

बोल के अभय निकल गया बाइक से इधर जैसे ही शालिनी हवेली के अन्दर आई सामने हॉल में ललिता , मालती , शनाया , चांदनी और संध्या बैठ बाते कर रहे थे...

शालिनी को देख चांदनी मां बोलने जा रही थी कि तभी....

संध्या – शालिनी जी....

शालिनी का नाम सुन बाकी सबका ध्यान हवेली के गेट की तरफ गया अन्दर आते ही शालिनी ने सबको प्रणाम कर संध्या के बगल आके बैठ गई....

संध्या – आप अकेली आए हो कोई साथ में....

शालिनी – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) वो मुझे छोड़ के गया हवेली के बाहर तक लेने आएगा....

संध्या –(हा में सिर हिला के) इनसे मिलिए ये ललिता है रमन की वाइफ और ये मालती है मेरे छोटे देवर प्रेम की वाइफ और इनको आप जानती है ये शनाया है मेरी बहन....

शालिनी – इन्हें कैसे भूल सकती हु मै यही तो पढ़ाती थी मेरे बेटे को स्कूल में....

शालिनी की (मेरे बेटे) बात सुन संध्या जो मुस्कुरा रही थी वो हल्की हो गई जिसे शालिनी ने देख लिया....

शनाया –(शालिनी से) आप क्या लेगी चाय या ठंडा....

शालिनी – (सबको देख जो चाय पी रहे थे) सभी के साथ चाय....

बोल के शनाया चाय लेने चली गई....

शालिनी – (ललिता और मालती से) कैसी है आप दोनों....

ललिता और मालती एक साथ – जी अच्छे है....

शालिनी –(मालती की गोद में बच्चे को देख) आपका बच्चा बहुत सुंदर है कितने साल का हो गया है....

मालती –जी ये लड़की है अभी 3 साल की है....

शालिनी –(मालती से बच्ची को अपनी गोद में लेके) बहुत प्यारी है किसपर गई है ये....

मालती –(हसी रोक के) जी वैसे ये मेरी नहीं है हमारे गांव में पहले थानेदार था ये उसकी बेटी है....

शालिनी –(बात याद आते ही) ओह माफ करिएगा मुझे मै तो भूल ही गई थी....

मालती –(हल्का मुस्कुरा के) जी कोई बात नहीं वैसे भी अब ये मेरी बेटी है और मैं इसकी मां....

शालिनी –(मालती की बात सुन मुस्कुरा के) ये बहुत ही अच्छी बात है मालती तुमसे अच्छी मां इसे नहीं मिल सकती बल्कि मैं कहती हु कि तुम इसकी कस्टडी भी लेलो मै तुम्हारी मदद कर दूंगी इसमें बस 2 से 3 पेपर वर्क में इसकी कस्टडी परमानेंट तुम्हे मिल जाएगी....

संध्या –(शालिनी की बात सुन) आपने बिल्कुल सही कहा शालिनी जी हम तो भूल ही गए थे इस कम को करना....

शालिनी – ये कम मै तुरंत कर दूंगी लेकिन प्लीज पहले तो आप मुझे सिर्फ मेरा नाम लेके बात करो और जी मत लगाना आप....

संध्या – लेकिन आप भी मेरा नाम लेके बात करिएगा प्लीज....

दोनो की बात सुन के सभी मुस्कुराने लगे तब शनाया आई और चाय दी शालिनी को चाय पीते वक्त सबकी नजर बचा के शालिनी ने संध्या को कुछ इशारा किया जिसे समझ के....

संध्या – शालिनी आइए मै आपको अपना कमरा दिखाती हु....

बोल के अपने नौकर को आवाज दी चांदनी और नौकर की मदद से संध्या को अपने कमरे में ले जाया गया जिसके बाद संध्या को आराम करने का बोल के शनाया , ललिता और मालती कमरे से चले गए रह गए सिर्फ शालिनी और चांदनी कमरे में....

संध्या –(शालिनी से) क्या बात है शालिनी आपने इशारे से अकेले में बात करने को क्यों बोला मुझे....

शालिनी –एक बात बताए उस खंडर में जो कुछ भी है उसके बारे में सिर्फ आपको कैसे पता है....

संध्या –(चौक के) आ....आ...आप को कैसे....

शालिनी –(संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) तुम्हारी तरह मै भी मां हू अभय की वो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाता है....

संध्या –(शालिनी की बात सुन गहरी सास लेके) क्या आप कमल ठाकुर को जानती है....

शालिनी –हा अच्छी तरह से....

संध्या – कमल ठाकुर का इकलौते बेटे अर्जुन ठाकुर को भी....

शालिनी – हा उसे भी जानती हू बहुत अच्छे से कई बार मिल चुकी हूँ मै....

संध्या –(मुस्कुरा के) जब मेरा अभय छोटा था उस वक्त 2 साल का तब अर्जुन ठाकुर करीबन 10 साल का था कई बार अर्जुन अपने पिता कमल ठाकुर के साथ यहां आता तो सिर्फ अभय को अपनी गोद में लेके उसके साथ खेलता था जबकि कमल ठाकुर सीधे जाते बड़े ठाकुर के पास मिलने या इनसे (मनन ठाकुर) मिलते थे और साथ ही काफी वक्त से बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर मिल कर साथ में व्यापार करने के लिए गांव से बाहर जाया करते थे एक बार बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर मिल के विदेश यात्रा पर गए थे अपने साथ में एक जहाज लेके आ रहे थे ताकि विदेश से व्यापार न करके यही समुंदर के रस्ते व्यापार कर सके अपनी जमीन पर तभी समुंदर में तूफान आना शुरू हो रहा था रस्ते में एक टापू पर रुकने का फैसला किया उन्होंने जब तक तूफान न थम जाए उसी वक्त बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर उस टापू पर घूम रहे थे और वही पर उन्हें वो खजाना मिला दोनो ने मिल के इसे जहाज में रखवा के समुंदर के रस्ते यहां ले आए लेकिन इतना बड़े खजाने को छिपा के रखने समस्या आ रही थी तब कमल ठाकुर ने इसमें मदद की बड़े ठाकुर की पुरानी वाली हवेली को खंडर के रूप में प्रस्तुत करने का सुझाव दिया कमल ठाकुर ने और बड़े ठाकुर को ये योजना अच्छी लगी और फिर उन्होंने मिल के खंडर में खजाने को छुपा दिया साथ ही कमल ठाकुर ने विदेश जाके खुद एक ताला बनवाया दरवाजे के साथ और यहां लेके उसे बंद कर दिया उसके बाद से खंडर वाली जगह को बड़े ठाकुर ने श्रापित घोषित कर दिया....

शालिनी – अगर बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर ने साथ मिल के ये काम किया तो सारा का सारा खजाना सिर्फ बड़े ठाकुर को क्यों दिया कमल ठाकुर ने....

संध्या – एसा नहीं है शालिनी विदेश से आते वक्त रस्ते में ही बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर ने मिल के बाट लिया था सब कुछ....

शालिनी – तो फिर बड़े ठाकुर ने खंडर में ही क्यों रखा यहां पर भी रख सकते थे ना....

संध्या – पता नहीं शालिनी वैसे तो मरने से पहले बड़े ठाकुर ने खजाने की चाबी मुझे दी थी लेकिन उससे पहले खजाने के बारे में बड़े ठाकुर ने इनको (मनन ठाकुर) को बताया था और साथ में लेके गए थे वहां पर इनको (मनन ठाकुर) और फिर उसके कुछ साल 2 साल के बाद बड़े ठाकुर बीमार रहने लगे धीरे धीरे ये बीमारी (मनन ठाकुर) इनको भी लग गई पहले बड़े ठाकुर चले गए उसके बाद से जाने कैसे मेरी सास सुनैना ठाकुर अचानक से गायब हो गई....

शालिनी –(बीच में टोकते हुए) एक मिनिट संध्या सुनैना ठाकुर का गायब होना ये कैसे हुआ....

संध्या – विदेश से आने के बाद बड़े ठाकुर ने मेरी सास सुनैना ठाकुर को सब बता दिया था कुछ महीने के बाद मुझे सुनने में आया कि कोई खंडर वाली जमीन लेने के लिए काफी पीछे पड़ा हुआ है बड़े ठाकुर के लेकिन बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर साफ मना कर चुके थे उस आदमी को लेकिन तभी कुछ समय के बाद मेरी सास सुनैना ठाकुर ने एक दिन बड़े ठाकुर से खंडर के बारे में बात छेड़ी जिसके बाद बड़े ठाकुर बहुत नाराज हुए थे मेरी सास से और एक दिन रात को मैने देखा मेरी सास किसी से फोन पर बाते कर रही थी छुप छुप के काफी देर तक हस हस के लेकिन मैं जान नहीं पाई कि किस्से बात करती थी मेरी सास , बड़े ठाकुर और सुनैना ठाकुर में एक दिन काफी कहा सुनी हो गई उस वक्त गुस्से में बड़े ठाकुर हवेली से बाहर निकल गए और कुछ देर बाद मेरी सास भी निकल गई बाहर हवेली से जब तक मुझे पता चलता वो हवेली से जा चुकी थी उस दिन (मनन ठाकुर) ये शहर गए हुए थे काम से तब मैने मुनीम से पता लगाने को बोला मेरी सास का काफी देर इंतजार करते करते आखिर कार रात में मेरी सास आई हवेली में कोई अपनी कार से छोड़ने आया था बाहर से ही चला गया था वो मेरी सास अपने कमर में जा रही थी मैं अपने कमरे के दरवाजे से छुप के अपनी सास को जाते हुए देख रही थी बिखरे बाल हाथ की चुड़ी टूटी हुई गले में कई लाल दाग उनको देख के एसा लग रहा था जैसे कि....

शालिनी –(संध्या के कंधे में हाथ रख के) समझ गई मैं संध्या , फिर आगे क्या हुआ....

संध्या – होना क्या था दिन से निकले बड़े ठाकुर अगले दिन हवेली वापस आय आते ही अपने कमरे में गए कुछ देर बाद सुनैना ठाकुर के रोने की आवाज आने लगी और बड़े ठाकुर गुस्से में हवेली से बाहर चले गए रोने की आवाज सुन मै कमरे में गई देखा वहां पर मोबाइल जमीन में टूटा पड़ा है सुनैना ठाकुर एक कोने में बैठ के रो रही थी मैने उनसे काफी पूछा लेकिन कुछ नहीं बताया उन्होंने मुझे उस दिन के बाद जैसे बड़े ठाकुर ने सुनैना ठाकुर से बात करना बंद कर दिया था यहां तक सोते भी अलग थे एक दिन मैने अपनी आखों से देखा बड़े ठाकुर सोफे में सो रहे थे और सुनैना ठाकुर बेड में ये नजारा मैने कई बार देखा एक दिन हिम्मत करके मैने अकेले में बड़े ठाकुर से इस बारे में बात की लेकिन उन्होंने मुस्कुरा के मेरे सिर में हाथ फेरा और बोला....

रतन ठाकुर – संध्या बेटा बड़े अरमानों के साथ तुझे इस हवेली में लाया हु मै अपनी बहू बना के नहीं बल्कि बेटी बना के लाया हूँ तुझे तेरी सेवा मैने देखी है दिल से करती है सेवा सबकी बस एक वादा कर बेटा मुझसे अगर कल को मुझे कुछ हो गया तो तू पूरे परिवार को समेट के रखेंगी....

संध्या –एसी बाते मत बोलिए बाबू जी....

रतन ठाकुर –(हस के) अरे पगली एक न एक दिन तो सबको जाना है अब तू ज्यादा मत सोच बस वादा कर मुझसे....

संध्या – मैं वादा करती हू आपसे बाबू जी....

उसके कुछ समय के बाद से ही तबियत खराब होना शुरू हो गई पहले बाबू जी चले गए कुछ वक्त के बाद ये (मनन ठाकुर) भी चले गए और तब से मैं देख रही हू पूरे परिवार की बाग डोर....

शालिनी – और कमल ठाकुर का क्या हुआ....

संध्या – वो भी बीमारी के कारण दुनिया से विदा हो गए....

शालिनी – और उनका बेटा अर्जुन ठाकुर....

संध्या – कमल ठाकुर के गुजरने के बाद वो आखिरी बार था जब मैने अर्जुन को देख था उसके बाद से कभी न देखा और न सुना मैने अर्जुन के बारे में , उस बेचारे का कमल ठाकुर और उसकी मां के इलावा कोई नहीं था दुनिया में मेरी सास सुनैना ठाकुर की तरह अर्जुन भी जाने कहा चला गया....

शालिनी –(संध्या की सारी बात सुन के) एक बात तो बताओ अभय को वो लॉकेट क्या तुमने दिया था उसे....

संध्या – हा मैने दिया था उसे....

शालिनी –(मुस्कुरा के) तो खजाने की चाबी तुमने अभय को दे दी....

संध्या –(हल्का सा हस के) मेरा असली खजाना सिर्फ वही है बस इसीलिए उसे वो चाबी दे दी मैने....

शालिनी –(अपनी बेटी चांदनी से जो काफी देर से चुप चाप बैठ के सारी बात सुन रही थी) तो चांदनी तेरी तहकीकात कहा तक पहुंची....

चांदनी – घर का भेदी लंका धाय....

शालिनी –(चांदनी की बात सुन) क्या मतलब है तेरा कहने का....

चांदनी – मां हवेली का कोई तो है जो ये सब कर रहा है या करवा रहा है इतना शातिर है वो हर बार दूसरे के कंधे पे बंदूक रख के चलाए जा रहा है जब से अभय गांव आया है कुछ न कुछ गड़बड़ होना शुरू हो रही है हवेली में फिर अभय पे जान लेवा हमला उसके बाद हमारे साथ जो हुआ एक बात तो पक्की है हवेली के लोगो की जानकारी यहां हवेली से बाहर भेजी जा रही है पल पल की....

शालिनी – हवेली में कोई ये सब कर रहा है ये कैसे बोल रही हो तुम....

चांदनी –(अस्पताल में संध्या के बेड की नीचे छुपे मोबाइल की बात बता के) मैने मोबाइल का पता करवाया लास्ट कॉल यहां हवेली से आई थी उसमें इसीलिए मैने यहां हवेली में जिसके पास जो भी जितने भी मोबाइल हो उसकी सारी डिटेल्स निकलवाने के लिए बोल दिया है उम्मीद है कल तक मिल जाएगी डिटेल मुझे....

शालिनी – वैसे तूने एक्शन क्यों नहीं लिया....

चांदनी – मां किसपे एक्शन लू मै किस बिना पे हाथ डालू और किसपे मेरी एक गलती मेरा पर्दा फाश करवा सकती है और दुश्मन को सावधान इसीलिए मैने अपने लोगो को सभी की निगरानी पर रख हुआ है वैसे मा रमन पर भी निगरानी रखी हुई थी मैने लेकिन आपके लाडले ने पहले ही आपको सब बता दिया....

शालिनी – (हस के) क्यों जलन हो रही है क्या तुझे....

चांदनी –भला मुझे क्यों जलन होने लगी मेरे भाई से....

शालिनी –(मुस्कुरा के) मजाक कर रही हूँ तेरे से....

चांदनी –(सीरियाई होके) मां जाने क्यों कभी कभी एसा लगता है जैसे अभय कुछ छुपा रहा है हमसे....

शालिनी –(मुस्कुरा के) हमसे नहीं तुझसे...

चांदनी – मुझ से क्यों....

शालिनी – गांव का सरपंच और मुनीम दोनो ही उसके पास है....

चांदनी –(चौक के) मुनीम कैसे सरपंच का पता था मुझे....

संध्या – (बीच में) उसी ने मेरे पैर का ये हाल किया है....

शालिनी – (संध्या से) तुझे पता है मुनीम के एक पैर की हड्डी तोड़ दी है अभय ने और हॉस्टल में ही उसे लगातार टाचर दिए जा रहा है....

चांदनी –(संध्या के कंधे पे हाथ रख के) देखा मौसी मैने कहा था ना आपसे....

शालिनी – चांदनी आगे का क्या करना है तुम्हे....

चांदनी – पहले अभय और अब मौसी ये दोनो ही इस वक्त खतरे के निशान में आ चुके है अलग रहेंगे तो खतरा बना रहेगा दोनो पे एक साथ रहेंगे खतरा फिर भी रहेगा लेकिन उसे हैंडल तो किया जा सकता है आसानी से तब....

शालिनी –ठीक है अब मेरी बात ध्यान से सुनो....

फिर शालिनी ने कुछ कहा जिसके बाद चांदनी ने हा में सिर हिलाया....

शालिनी – (संध्या से) तुम बिल्कुल भी मत घबराना कुछ नहीं होगा किसी को तेरा अभय तुझे जरूर मिलेगा ये सिर्फ मेरा नहीं बल्कि एक मा का दूसरी मां से वादा है ये....

काफी देर तक एक दूसरे से बात कर रहे थे उसके बाद संध्या से विदा लेके शालिनी कमरे से जाने लगी संध्या के कमरे से बाहर निकल हॉल में आके सबसे विदा ले रही थी कि तभी उनका मोबाइल बजा जिसपे बात करके....

शालिनी –(ललिता शनाया और मालती से) अच्छा अब मुझे इजाजत दीजिए चलती हूँ मै....

ललिता – यही रुक जाते आप....

शालिनी – प्लान तो रुकने का ही था मेरा गांव में कुछ दिन के लिए लेकिन एक इमरजेंसी आ गई है मुझे कल सुबह ही निकलना होगा शहर की तरफ अपने लोगो के साथ....

मालती – रात का खाना हमारे साथ खाइए....

शालिनी –नहीं मालती आज नहीं लेकिन अगली बार जरूर , अच्छा मुझे इजाजत दीजिए अब जल्द ही फिर मुलाक़ात होगी....

बोल के शालिनी हवेली के बाहर निकल गई जहां अभय गेट में खड़ा इंतजार कर रहा था शालिनी को साथ लेके हॉस्टल में आते ही दोनों ने खाना खाया और सो गए जबकि इस तरफ....

औरत –(कॉल में रंजीत सिन्हा से) एक अच्छी खबर है तुम्हारे लिए....

रंजीत सिन्हा –(खुश होके) अच्छा क्या बात है....

औरत –आज शालिनी हवेली आई थी लेकिन जाने से पहले बता के गई कि वो कल सुबह वापस जा रही है शहर....

रंजीत सिन्हा –(चौक के) क्या तुम सच बोल रही हो....

औरत – अरे हा बाबा सच बोल रही हू मै अब तू देख ले मौका और दस्तूर खुद चल के तेरे पास आया है....

रंजीत सिन्हा – (हस्ते हुए) शालिनी के जाते ही अपना अधूरा काम पूरा करूंगा मै....

औरत –लेकिन कैसे....

रंजीत सिन्हा –उसके लिए तुझे संध्या को घुमाना होगा शाम के वक्त हवेली के गेट के पास बने बगीचे में उसी वक्त अपने काम को अंजाम दूंगा मै....

औरत – (मुस्कुरा के) उसके लिए मुझे अकेले कुछ नहीं करना पड़ेगा क्योंकि शाम के वक्त लगभग सभी टहलते है वहां पर....

रंजीत सिन्हा – तो ठीक है शालिनी कल सुबह जाएगी और मैं शाम को अपने काम को अंजाम दूंगा....

बोल के कॉल काट दिया दोनो ने अगली सुबह शालिनी और अभय जल्दी से उठ गए....

शालिनी – अभय जल्दी से तैयार हो जा....

अभय – जल्दी क्यों मां कही जाना है क्या....

शालिनी – हा गीता दीदी के घर चल मिलना है उनसे....

अभय –मां दिन में चलते है अभी कॉलेज जाना है मुझे....

शालिनी – एक काम कर आज कॉलेज मत जा सीधा गीता दीदी के पास चल फिर मुझे जाना है....

अभय –(चौक के) क्या जाना है कहा लेकिन आप कल ही तो आए हो आज जाने की बात....

शालिनी – हा बेटा जरूरी काम आ गया है शहर में मुझे सोचा गीता दीदी से मिल के जाऊं....

अभय –ये गलत बात है मां मैने सोचा आपके साथ रहूंगा गांव घुमाऊंगा आपको लेकिन आप तो आज ही....

शालिनी – (मुस्कुरा के) तो कौन सा हमेशा के लिए जा रही हूँ मै मिलने आऊंगी तेरे से नहीं तो कॉल पे बात कर लिया करना मेरे से और जब मन करे तेरा आ जाना शहर मेरे पास....

इससे पहले अभय कुछ बोलता....

शालिनी –(जल्दी से बोली) अच्छा चल पहले मिलते है गीता दीदी से....

बोल के दोनो निकल गए गीता देवी की तरफ घर में आते ही दरवाजा खटखटाया तो गीता देवी ने दरवाजा खोला....

गीता देवी –(अपने घर शालिनी को देख) अरे आइए शालिनी जी क्या बात है आज सुबह सुबह....

शालिनी – हा असल में मुझे जरूरी काम से वापस शहर जाना पड़ रहा है सोचा जाने से पहले आप से मिल लूं....

गीता देवी – बहुत जल्दी जा रहे हो आप वापस कुछ दिन रुक जाते आप....

शालिनी – पुलिस की नौकरी तो आप मुझसे बेहतर जानते हो दीदी कब कहा से बुलावा आए पता नहीं पड़ता है....

गीता देवी – हा सो तो है शालिनी जी....

अभय – बड़ी मां राज कहा है....

गीता देवी – अंदर कमरे में तैयार हो रहा है कॉलेज जाने के लिए....

गीता देवी की बात सुन अभय कमरे में चल गया राज के पास....

राज – (अभय को देख) अबे तू इतनी सुबह सुबह क्या बात है....

अभय – कुछ नहीं यार वो मां आज ही वापस जा रही है तो मिलने आई है बड़ी मां से....

राज – अरे इतनी जल्दी....

अभय – हा वही तो यार मानती ही नहीं मां बात मेरी....

राज – पुलिस का काम ही ऐसा होता है यार चल ये बता कॉलेज चल रहा है साथ में या बाद में आएगा....

अभय – नहीं यार आज नहीं आऊंगा कॉलेज मां ने मना किया है....

राज – यार मन तो मेरा भी नहीं है आज जाने का....

अभय – तो चल आज तू और मैं साथ में घूमते है मै बड़ी मां से बोल देता हू....

अभय बाहर आके गीता देवी से....

अभय – बड़ी मां आज राज को कॉलेज मत भेजो आज मेरे साथ रहेगा....

शालिनी –(तुरंत बीच में) बहुत अच्छी बात है तू एक कम कर राज के साथ घूम के आजा और साथ में अच्छा सा नाश्ता लेके आ तब तक मैं ओर गीता दीदी बाते करते है आपस में....

बात सुन के अभय और राज निकल गए घर के बाहर उनके जाते ही....

गीता देवी – क्या बात है शालिनी जी आपने उन दोनों को बाहर क्यों भेज दिया नाश्ता तो मैं यही बना देती सबके लिए....

शालिनी – जानती हू दीदी लेकिन उनके सामने आपसे मै वो बात नहीं कर सकती थी इसीलिए बाहर भेज दिया दोनो को....

गीता देवी – क्या बात है शालिनी जी बताए....

उसके बाद शालिनी ने कुछ बात की गीता देवी से काफी देर तक बात चलती रही दोनो की जब तक अभय और राज वापस नहीं आ गए दोनो के आते ही सबने मिल के नाश्ता किया एक दूसरे से विदा लेके निकल गए साथ में राज भी आया हॉस्टल में आते ही शालिनी ने अपना बैग लिया हॉस्टल के बाहर निकल जहां शालिनी की कार खड़ी थी ड्राइवर के साथ कार में समान रख....

शालिनी –(अभय को गले से लगा के) दिल छोटा मत कर मै जल्दी ही आऊंगी तेरे पास तब तक अच्छे से पढ़ाई करना तू....

अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है मां....

बोल के शालिनी कार में बैठने लगी कि तभी....

शालिनी – अरे अभय मै शायद अपना बैग तेरे कमरे में भूल गई जाके ले आ....

शालिनी की बात सुन अभय कमरे की तरफ निकल गया उसके जाते ही....

शालिनी – राज मेरी बात ध्यान से सुनो....

उसके बाद शालिनी ने राज से कुछ बात कहने लगी कुछ समय बाद अभय वापस आया बैग लेके जिसे लेके शालिनी ने अभय के सर पे हाथ फेर कार से निकल गई शहर की तरफ अभय पीछे खड़ा कार को जाते हुए देखता रहा जब तक कार उसकी आंख से ओझल नहीं हो गई....

अभय – जब अपना दूर जाता है आपसे कितनी बेचैनी होने लगती है ना राज....

राज –(अभय के कंधे पे हाथ रख देखा तो आसू थे आखों में उसकी अपने हाथ से आसू पोछ गले लगा के) जितना दूर सही लेकिन है तो तेरे दिल में ही चल मायूस मत हो जल्दी आएगी बोला है ना तेरे को चल चलते है घूमने कही....

राज की बात सुन हा में सिर हिला के बाइक से निकलने जा रहे थे कि तभी एक लड़की की प्यारी सी आवाज आई....

लड़की – HELLOOO Mr.ABHAY....
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
बहुत सी बातों पर से धीरे धीरे परदा हट रहा हैं
खजाना कैसे और कहा से आया ये राज खुल गया
शालिनी ने मुनिम से कौनसा राज उगलवाया
शालिनी ने गिताताई और राज को क्या बताया
ये हवेली से फोन पर कौन बात करता हैं
ये सुनैना ठाकुर और अर्जुन ठाकुर कहा गायब हो गये है इन कुछ बातों का उलगडा होना चाहिए
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Achin_Saha18

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UPDATE 42आज गांव में सुबह से ही चहल पहल मची हुई थी गांव के ज्यादा तर लोग खंडर के पास वाली जगह को घेरे बैठे थे क्योंकि खंडर के पास वाली जगह में पुलिस की घेरा बंधी लगी हुई थी जहां कई पुलिस की गाड़िया आई हुई थी और उनके साथ थी हमारी DIG शालिनी जी अपनी वर्दी में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कुछ पुलिस वाले उ के साथ खड़े थे तो बाकी के पुलिस वाले खंडर के पास वाली जगह में बनी एक सुरंग से कई तरह की पेटियां निकल रहे थे काफी देर की काफी मेहनत के बाद लगभग 150 पेटी एक जगह इक्कठा कर उसे खोला गया जिसमें कई पेटियों में ड्रग्स का कच्माचा माल मिला पुलिस वालो को गांव वालो की भीड़ ये नजारा देख रही थी उन्हीं में एक आदमी एसा भी था जो ये नजारा देख पसीने से भीग गया था और गांव के लोगों से किनारे होके उसने किसी को कॉल मिलाया....आदमी – मालिक गजब हो गया पुलिस वालो ने सारा माल पकड़ लिया अपना....रमन – ये क्या बकवास कर रहा है तू....आदमी – मालिक सच बोल रहा हू शुभ से ही पुलिस ने आके घेरा बंदी कर दी इस जगह की ये तो अच्छा था अपने लोग खेत चले गए थे फ्रेश होने....रमन – तू वही रुक मै अभी आता हु....बोल के दोनो ने कॉल कर कर दिया तभी रमन ने तुरंत किसी को कॉल मिलाया....रमन – राजेश कहा है तू...राजेश – क्या बात है ठाकुर साहब आज सुबह सुबह कॉल मिलाया....रमन – अबे जितना पूछ रहा हू वो बता....राजेश – अपने कमरे में हू लेकिन हुआ क्या ठाकुर साहब....रमन – मेरे गोदाम में पुलिस की रेड कैसे पड़ी....राजेश –(चौक के) क्या पुलिस की रेड आपके गोदाम में कब....रमन – अभी मेरे आदमी ने कॉल कर के बताया मुझे....राजेश – मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है ठाकुर साहब....रमन – तू पहुंच पता कर क्या मझरा है मैं भी निकल रहा हूँ....रमन इस बात से अंजान की कोई उसकी बात सुन रहा है रमन के जाते ही....औरत – (किसी को कॉल मिला के) हेल्लो रंजीत....रंजीत – गांव में आज कुछ हुआ है क्या....रंजीत –हुआ तो नहीं लेकिन होने वाला जरूर है....औरत – जितना पूछ रही हू वो बताओ मुझे....रंजीत –इतनी टेंशन में लग रही हो तुम....औरत – रमन किसी से कॉल पे बात कर रहा था गोदाम में पुलिस की रेड की बात सुनी मैने....रंजीत – क्या पुलिस की रेड यहां गांव मेवा भी रमन ठाकुर के गोदाम में....औरत – हा काफी टेंशन में निकला है रमन यहां से अभी....रंजीत – अगर ऐसा है तो मैं खुद जा के पता करता हू अभी करता हू केल बाद में तुझे....बोल के दोनो ने कॉल काट दिया जबकि रमन के बात करने के थोड़ी देर में राजेश अपने हवलदारों के साथ पहुंच गया उस जगह जहां गांव वालो की भीड़ इक्कठी पड़ी थी उन्हें साइड करते हुए जैसे ही सामने गया अपने सामने DIG शालिनी को देख के हैरान हो गया....राजेश –(पास जाके शालिनी को सेल्यूट करके) मैडम आप यहां अचानक से खबर कर दी होती....DIG SHALINI – अगर खबर कर दी होती तो मुझे कभी ये सब जानने को नहीं मिलता राजेश तुम्हारे होते हुए ये सब यहां तुम्हे तो ये भी पता नहीं होगा ये सब कब से चल रहा है यहां पर....राजेश – नहीं मैडम मुझे कोई जानकारी नहीं थी इस बात की लेकिन ये सब किसका है....DIG SHALINI – अभी पता नहीं चला है बस यहां पर ड्रग्स होने की जानकारी मिली हमे इसीलिए तुरंत जांच के लिए मै खुद यहां आई हूँ....जब ये लोग आपस में बात कर रहे थे तभी रमन ठाकुर की कार आती हुई दिखी कार से उतर के रमन ठाकुर DIG SHALINI के पास आके....रमन – प्रणाम शालिनी जी....DIG SHALINI – (अपने सामने रमन ठाकुर को देख) प्रणाम ठाकुर साहब कैसे है आप....रमन – जी मैं अच्छा हूँ और आप....
DIG SHALINI – मै भी....रमन – क्या बात है शालिनी जी आज इतनी सुबह सुबह यहां इतनी भीड़....DIG SHALINI – जी ठाकुर साहब हमे जानकारी मिली थी यहां पर गैर कानूनी काम हो रहा है उसकी पुष्टि के लिए अधिकारियों के साथ मुझे भेजा गया यहां पर यहां आते ही (एक तरफ इशारा करते हुए) नशे का कच्चा माल मिला हमे , ठाकुर साहब आपके गांव में ये सब हो रहा है जाने कब से क्या इसकी जानकारी नहीं थी आपको....रमन – नहीं शालिनी जी मुझे कतई इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि मेरे गांव में ये सब हो रहा है वैसे कौन है वो जो मेरे गांव में ये सब कर रहा है....DIG SHALINI – इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं मिली ठाकुर साहब हम जब यहां आय तो यहां कोई भी नहीं था....रमन – ओह बहुत अफसोस की बात है शालिनी जी मेरे गांव में ये सब हो रहा है और मुझे भी जानकारी नहीं इसकी (हाथ जोड़ के) माफ करिएगा शालिनी जी....DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) अरे एकी कोई जरूरत नहीं है ठाकुर साहब वैसे संध्या जी कैसी है अब हवेली आ गई....रमन –(चौक के) आपको कैसे पता सन.....मेरा मतलब भाभी के बारे में....DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) पुलिस का काम ही यही होता है तौर साहेब आते ही पता चल गया था मुझे संध्या जी के बारे में बल्कि यहां का काम निपट जाने के बाद मैं संध्या जी से मिलने आने वाली थी अस्पताल में....रमन –(मजबूरन हस के) जी भाभी आज अस्पताल से हवेली आएगी जल्द ही....DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) चलिए ये तो बहुत अच्छी बात है मैं मिलने आऊंगी संध्या जी से जल्द ही....रमन – जी अच्छी बात है अभी कितना वक्त लगेगा सबको....DIG SHALINI – क्यों क्या हुआ ठाकुर साहब....रमन – (हड़बड़ा के) अरे ऐसी कोई बात नहीं है आप सब यहां हमारे गांव में आए है पहले बार इसीलिए पूछ रहा था खेर जितनी भी देर लगे आप सब को मैं यहां सबके लिए नाश्ते पानी का प्रबंध करता हू....DIG SHALINI – इसकी कोई जरूरत नहीं है ठाकुर साहब....रमन – अरे कैसे नहीं है आप मेहमान है हमारी हमारा फर्ज बनता है प्लीज करने दीजिए मुझे....DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी ठाकुर साहब....बोल के रमन निकल गया गांव के लोगों से बात करने के लिए जबकि रमन के जाते ही शालिनी जी मुस्कुरा रही थी तभी....आदमी –(शालिनी जी के बगल में आके) मैडम लगता है ठाकुर साहब हमारी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहने देगे देखिए तो कैसे जल्दी जल्दी भाग के गए और गांव वालो को हुकुम दे रहे है....DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) मजबूरी है उसकी ओर किस्मत भी अच्छी की यहां उसक कोई आदमी मौजूद नहीं था....बोल के दोनो मुस्कुरा के निकल गए अपने लोगो के पास....राजेश –(रमन के पास जाके) क्या बात हुई शालिनी जी से....रमन – किसी ने उल्टी की है मेरे कम के बार में ये तो अच्छा था मेरा कोई आदमी नहीं था उस वक्त वहां पर....राजेश – लेकिन तुमने मुझे क्यों नहीं बताया संध्या के बारे में ओर कब से अस्पताल में है संध्या क्यों....रमन – कल ही आई है अस्पताल से और किसी ने ज्यादा टाचर किया है उसे....राजेश – (चौक के) टाचर किसने किया कुछ बताया और कहा थी और कौन लाया संध्या को.....रमन – बाकी बात के बारे में बताए नहीं संध्या ने जहां तक लाने की बात है मुझे लगता है जरूर वही लौंडा लाया है संध्या को....राजेश –क्या वो लौंडा लाया उसे कहा मिली संध्या और मुझे कब बताने वाले थे तुम....रमन – अरे यार मुझे भी अर्जेंट में खबर मिली तो निकल गया सबके साथ अस्पताल में काफी देर भी हो गई थी मुझे ध्यान से उतर गया यार ओर कल संध्या जिस तरह से बात कर रही थी मुझे शक है जरूर वो लौंडा लाया है क्यों कहा कैसे कुछ नहीं पता....राजेश – यहां का कम निपट जाय फिर जाऊंगा अस्पताल मिलने संध्या से ओर तुम्हारे माल के लिए माफ करना मुझे सच में कोई जानकारी नहीं थी कि ये सब होगा यहां अचानक से....रमन –(गुस्से में) एक बार पता चल जाए किसने उल्टी की है इन लोगों के सामने उसकी लाश भी नसीब नहीं होगी उसके खानदान को....गांव की भीड़ में रंजीत गमछे से अपना मू छिपाए ये नजारा देख रहा था अपनी बीवी शालिनी को देख उसकी हवा टाइट हो गई थी....रंजीत – (अपने आप से) ये यहां इस वक्त ये तो शाम को आने वाली थी (तुरंत अपने आदमी को कॉल करके) आज का काम कैंसिल कर दो अभी वक्त सही नहीं है बाकी बात बाद में आके करूंगा मैं....बोल के रंजीत ने कॉल काट दिया यहां ये सब हो रहा था जबकि कुछ देर पहले अस्पताल में राज की आखों की पट्टी जैसे ही खुली उसे कुछ भी नहीं दिख रहा था तभी....अभय – (राज से) ये क्या बोल रहा है तू यार देख मजाक मत कर....राज –मै मजाक नहीं कर रहा भाई मुझे सच में कुछ नहीं दिख रहा है....राजू – (राज के बगल में आके अभय से) देख मै बोलता था राज को ज्यादा मजाक मत किया कर किसी से देख क्या हो गया....लल्ला – हा यार राजू तू बिल्कुल सही बोल रहा है लेकिन बहुत गलत हुआ भाई....राज – अबे क्या बकवास कर रहे हो मैने कब किया मजाक किसी के साथ अनजाने में भी मै नहीं करता मजाक किसी से मा तुम ही कुछ बोलो न....अभय – कोई नहीं है यहां पर बस हम तीनों है और डॉक्टर बाकी बड़ी मां और दीदी बाहर है आती होगी थोड़ी देर में.....राज – अभय यार कुछ कर यार ये मेरे साथ क्यों हो रहा है....अभय – क्या बात है ये सब कैसे अपने तो कहा था नॉर्मल है आंखे राज की कुछ नहीं हुआ है फिर....डॉक्टर – मुझे भी ये समझ नहीं आ रहा है ये कैसे हो गया....अभय – राजू सही बोल रहा था जरूर राज ने....राज – अबे तू भी पगला गया है क्या मैने कोई मजाक नहीं किया कभी किसी के साथ....अभय – अच्छा लेकिन मेरे से तो करता रहता है जब देखो साला साला बोलता रहता था मुझे.....राज –(रोते हुए) भाई गलती हो गई जो तेरे साथ मजाक किया मै मा की कसम खा के बोलता हु आज के बाद कभी तुझे साला नहीं बोलूंगा....अभय – अच्छा फिर क्या बोलेगा....राज – भाई बोलूंगा बस....अभय –(बात सुन मुस्कुरा के) ये ठीक है चल माफ किया तुझे तू भी क्या याद रखेगा....बोल के लाइट ऑन कर दी जिसके बाद....राज –(रोशनी देख) अरे वाह दिखने लगा मुझे भाई अरे वाह (अपने सामने अपनी मां ओर चांदनी को देख) मां मै देख सकता हूँ देखो बिल्कुल ठीक हो गई मेरी आँखें....राज बोलता जा रहा था जबकि गीता देवी और चांदनी हंसे जा रही थी जिसे देख अचानक से राज का माथा टैंकर लाइट देखी फिर अभय को देख जो लाइट के स्विच के पास खड़ा हस रहा था....राज –(गुस्से में) कुत्ते कमीने मेरे साथ मजाक किया तुने छोड़ूंगा नहीं तुझे....बोल के राज अभय की तरफ भागा जिसे देख सब हस रहे थे वही अभय भाग के सीधे गीता देवी की पीछे चुप के....अभय –(हस्ते हुए) बड़ी मां बचाओ बचाओ सैंड पागल हो गया है....राज –(गुस्से में) क्या सांड अब देख ये सांड क्या करता है तेरे साथ सा....अभय –(बीच में टोकते हुए) ओय नहीं बड़ी मां की कसम खाई है तूने अभी भूल गया क्या....राज – इतना बड़ा धोखा दिया तूने बाहर निकल वहां से (अपनी मां से) मा तुम बीच से हटो....अभय –बड़ी मां आपको मेरी कसम है आप यही रहना मेरे साथ वर्ना ये सांड देखो कैसे पगला गया है....गीता देवी –(जोर से हस्ते हुए राज से) अरे बस बस बहुत हो गया रुक जाओ दोनो....राज – मा देखो कैसे परेशान कर रहा था मुझे जानती हो कितना डर गया था मै....बोल के गीता देवी ने हस्ते हुए गले लगाया राज को....अभय –(गीता देवी के पीछे आके राज के कान में धीरे से) जरूर यही सोच रहा होगा कि कैसे मेरी दीदी को देखेगा कैसे घूमेगा दीदी के साथ क्यों यही न....राज –(गुस्से में) तू चुप कर बे तेरे चक्कर में ये सब हो रहा था....अभय –(राजू और लल्ला से हस्ते हुए) मस्त प्लान था न मेरा मजा आया दोनो को....राजू और लल्ला एक साथ –(हस्ते हुए) बहुत मजा आया भाई....राज – अच्छा तो तुम दोनो भी मिले हुए हो....राजू –(हस्ते हुए) क्या करे भाई अभय का आइडिया इतना मस्त लगा इसीलिए हम तयार हो गए....राज –(अपनी मां गीता देवी से) और मां तुम भी इनके साथ शामिल हो गई....गीता देवी –(मुस्कुरा के) मै क्या करती अभय ने अपनी कसम दे के बोला कमरे में जो भी हो बस देखते रहना बोल आ कुछ नहीं इसीलिए मैं भी चुप बैठ के देख रही थी खेल....बोल के सभी हसने लगे....राज – सबने मिल के बेवकूफ बना दिया मुझे (अभय से) और तू देखना तुझे मै छोडूंगा नहीं अभय के बच्चे....अभय – (मुस्कुराते हुए) देखते है पहले तो चलो यहां से बहुत हो गया ये अस्पताल में रहना निकले यहां से सब जल्दी वर्ना मैं पागल हो जाऊंगा यहां पर....बोल के सब निकलने लगे तभी....डॉक्टर – (राज और गीता देवी से) राज तुम कुछ दिनों के लिए काला चश्मा लगा के धूप में निकलना अभी इन्फेक्शन सही हुआ है आखों का तो कुछ वक्त के लिए धूप चुभेगी तुम्हे....राज – ठीक है डॉक्टर साहेब....गीता देवी – डॉक्टर साहेब संध्या को ले जा सकते है हम....डॉक्टर – है क्यों नहीं मैने तो कल ही बोल दिया था जाने को....बोल के राज , अभय , राजू और लल्ला एक साथ बात करने लगे जबकि गीता देवी और चांदनी निकल गई संध्या के कमरे में....गीता देवी – संध्या चल तयार होजा चलते है हम....संध्या – दीदी राज कैसे है अब....गीता देवी – अब ठीक है वो पट्टी खोल दी है डॉक्टर ने....संध्या – अच्छी बात है दीदी....तभी गीता देवी ने अभय को आवाज दी जिसे सुन अभय कमरे में आया...अभय – जी बड़ी मां आपने बुलाया....गीता देवी – अभय एक कम करेगा मेरा....अभय – हा बड़ी मां आप जो बोलो....गीता देवी – संध्या को गोद में उठा के बाहर कार तक ले चल....गीता देवी की बात सुन अभय ने एक नजर संध्या को देखा इससे पहले संध्या कुछ बोलती अभय ने उसे गोद में उठा लिया और ले जाने लगा अस्पताल के बाहर कार की तरफ पीछे से गीता देवी और चांदनी मुस्कुरा रही थी कार तक आते ही राजू ने कार का दरवाजा खोला तब अभय ने संध्या को आराम से बैठा दिया कार में तभी गीता देवी ने लल्ला के कान में कुछ कहा जिसे सुन....लल्ला – (अभय से) यार अभय मुझे जरूरी काम से बजार जाना है तेरी बाइक मिलेगी....अभय –इसमें पूछने की क्या बात है ले जा....
लल्ला – (राजू से) चल राजू मेरे साथ बजार से सामान लेके आते है...बोल के अभय ने बाइक की चबी लल्ला को देदी उसके बाद लल्ला अपने साथ राजू लेके निकल गया उसके जाते ही चांदनी और राज जल्दी से कार में आगे बैठ गए जब तक अभय कुछ समझ पाता तब तक दोनो कार में आगे बैठ गए थे तब मजबूरन अभय को पीछे बैठना पड़ा अब आलम ये था कि एक तरफ अभय बैठा था बीच में संध्या और उसके बाद गीता देवी कार में अभय की बैठ ते ही कार निकल गई अस्पताल से कार को चलते अभी कुछ ही देर हुई थी कि तभी अभय संध्या की तरफ देख के बोला....अभय – मां....जिसे सुन अचानक से चांदनी ने कार को ब्रेक मारी पर संध्या ने तुरंत ही अभय की तरफ देखा अपना हाथ अभय के गाल पे ले जाती की तभी अभय कार का दरवाजा खोल निकल गया दौड़ते हुए कही जाने लगा जिसे देख सब हैरान थे....अभय –(चिल्लाते हुए) मां....आवाज सुन शालिनी ने पलट के देखा अभय दौड़ते हुए आ रहा था उसके पास तब शालिनी ने मुस्कुरा के अपने दोनो हाथ अभय की तरफ किए जिसके बाद अभय के आते ही उसे गले लगा लिया ये नजारा देख कहा संध्या के साथ गीता देवी हैरान थे वही....चांदनी –(सामने देख) मां....गीता देवी –(चांदनी के मू से मां सुन) ये शालिनी जी है....चांदनी – जी मां....जिसके बाद सब उसी तरफ देख रहे थे लेकिन किसी का इस बात पे ध्यान नहीं गया कि अभय के मां पुकारने से संध्या को एक पल के लिए खुशी हुई और जब अभय को मां चिल्लाते हुए दौड़ के जाके औरत के गले लगते देख उसकी आंख से आसू निकल आए इसके बाद संध्या को छोड़ तीनों कार से बाहर निकल आए बाहर आते ही....चांदनी –(गीता देवी से) मा मै अभी आती हु....बोल के चांदनी चली गई तब राज को ध्यान आया संध्या का तुरंत कार के अन्दर आते ही संध्या के आंख में आसू देख....राज –क्या हुआ ठकुराइन आप रो क्यों रहे हो....संध्या –(राज की बात सुन ना में सिर हिला के) कुछ नहीं....जिसके बाद राज ने अभय की तरफ देख जो गले लगे हुए था शालिनी जी के जिसके बाद....राज –(संध्या के कंधे पे हाथ रख) मैने आपसे वादा किया है ठकुराइन देखना मै जल्द ही अभय को लेके आऊंगा हवेली में आपके पास हमेशा के लिए....संध्या –(राज की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) हम्ममम....जबकि अभय की तरफ....अभय –(शालिनी की गले लगे हुए) आपको देख आज मुझे बहुत खुशी हो रही है मा....शालिनी –(अभय की बात सुन मुस्कुरा के) अच्छा वो किस लिए भला....अभय – पता नहीं बस ऐसे ही बहुत खुशी हो रही है मुझे....शालिनी –(मुस्कुरा के) बहुत अच्छी बात है पर बता तू कैसा है....अभय – पहले अच्छा था आपको देख अब बहुत अच्छा लगने लगा है....शालिनी – (मुस्कुरा के) तुझे देख के मुझे भी आज बहुत अच्छा लग रहा है ऐसा लगता है बरसो बाद मिली हू तेरे से....चांदनी –(दोनो के बीच में बोलते हुए) अच्छा मां और मेरा क्या....चांदनी की आवाज सुन शालिनी हाथ आगे कर गले लगा के....शालिनी – तुझे क्या लगा तुझे भूल गई क्या मैं....चांदनी – (मुस्कुरा के) नहीं मा लेकिन अचानक से आपको देख सरप्राइस हो गई मैं....अभय –अरे मां आप तो कल बोल रहे थी शाम को आओगे आप लेकिन आप कब आय यहां ओर बताया क्यों नहीं आपने....शालिनी – (मुस्कुरा के) सब बताऊंगी पहले ये बताओ कहा से आ रहे हो तुम दोनों....
चांदनी –(शालिनी को सारी बात बता के) सीधे हवेली जा रहे थे मां इतने में आपको देख रुक गए हम....शालिनी –(चांदनी की बात सुन) क्या संध्या भी तुम्हारे साथ है कहा है वो....शालिनी की बात सुन चांदनी ने एक तरफ इशारा किया जिसे देख शालिनी तुरंत आगे बढ़ने लगी और चलते हुए आ गई संध्या की कार के पास....शालिनी – (संध्या के साथ कार में बैठ के) कैसी हो आप अब....संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक हू आप कैसे हो....शालिनी – मै भी अच्छी हू , अभी मुझे यहां पर थोड़ी देर का और काम है उसे करके मै मिलने आती हो हवेली में आपसे....संध्या –(मुस्कुरा के) मै इंतजार करूंगी आपका....बोल के शालिनी कार से बाहर निकल गई अपने सामने गीता देवी को देख....शालिनी –(हाथ जोड़ के) प्रणाम गीता दीदी....गीता देवी –(हैरानी से) प्रणाम , बस ये आप हाथ मत जोड़े मुझे अच्छा नहीं लगता....शालिनी – (मुस्कुरा के) आप बड़े हो मुझ से मेरा फर्ज बनता है....गीता देवी – बच्चों ने बताया था आपके आने के बारे में लेकिन आप तो सुबह ही आ गए बता देते बच्चे लेने आ जाते आपको....शालिनी – कुछ अफसरों के साथ आई हू यहां उनके कम से उसके बाद बस बच्चों के साथ ही रहूंगी कुछ दिन....गीता देवी – ये तो बहुत अच्छी बात है हमारे घर भी आईए आप....शालिनी –(मुस्कुरा के) जी बिल्कुल आऊंगी मैं , अच्छा अभी के लिए इजाजत दीजिए कम निपटा के मिलती हू जल्द ही....अभय – (आंख से हल्का सा इशारा करके) मां मै रुकता हु आपके साथ काम होते ही साथ में चलेंगे मेरे हॉस्टल में....शालिनी –(मुस्कुरा के) ठीक है....बोल के अभय और शालिनी निकल गए इस तरफ उनके जाते ही बाकी के लोग भी कार से निकल गए चांदनी पहले राज और गीता देवी को घर छोड़ हवेली की तरफ निकल गए रस्ते में....चांदनी – मौसी....संध्या – हा....चांदनी – मै जानती हूं आपको क्या लगा था आज मुझे भी यही लगा था....संध्या – (मुस्कुरा के) मेरी बाकी की जिंदगी में अब इसके सिवा और कुछ भी नहीं रखा चांदनी....चांदनी –मायूस मत हो आप मौसी आपको पता नहीं लेकिन आपके गायब हो जाने से अभय को एक पल का चैन नहीं मिला है....संध्या –गीता दीदी ने बताया था मुझे....चांदनी – क्या ये भी बताया आपको की आपके बारे में पता चलते ही अभय बिना अपनी जान की परवा किए सिर्फ आपके लिए खंडर में अकेला आया था और न जाने कितने लोगो को मारा उसने सिर्फ आपके लिए मौसी....संध्या –(मुस्कुरा के) यही बात मैने पूछी थी कल तब बोलता है कि इंसानियत के नाते किया....चांदनी – (हस्ते हुए) इंसानियत के नाते नहीं आपके लिए किया है लेकिन कबूल नहीं कर पा रहा है....बात करते करते हवेली आ गए दोनो जहा पर मालती , ललिता , निधि , सायरा और हवेली के कुछ नौकर थे संध्या को व्हीलचेयर में बैठा के अन्दर हॉल में लेके आ गए....ललिता – दीदी मैने नीचे वाले कमरा साफ कर दिया है आपके लिए ताकि कुछ दिन तक आपको सीडीओ से ऊपर नीचे आना जाना न पड़े....संध्या – (मुस्कुरा के) क्यों परेशान होते हो तुम सब मै ठीक हू बस पैर में हल्का दर्द है जल्दी ठीक हो जाएगा ये भी....मालती – इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है दीदी ये फ़र्ज़ है हमारा....संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक है (सायरा से) तू यहां पे....सायरा – जी वो बाबू जी ने बोला था हवेली में रह के आपका ख्याल रखने को....सायरा की बात सुन संध्या ने चांदनी को देखा जो मुस्कुरा रही थी जबकि इस तरफ अभय अपनी मां शालिनी के साथ बैठ बाते कर रहा था....शालिनी – तो बता कैसी चल रही है तेरी पढ़ाई....अभय – अच्छी चल रही है मां लेकिन आप अचानक से इतनी सुबह यहां कैसे....शालिनी –(मुस्करा के) जैसे ही तूने इनफॉर्मेशन दी मैने तुरंत जांच शुरू करवा दी जानकारी मिलते ही अपने भरोसेमंद लोगो के साथ टीम बना के यहां आ गई तुझे पता है एक बात....अभय – क्या....शालिनी –(एक तरफ इशारा करके) वो सामने ठाकुर रमन भी यही आया हुआ है ओर साथ में राजेश भी....अभय – मतलब ये दोनो भी मिले हुए है आपस में....शालिनी –हम्ममम....फिर अभय ने शालिनी को वो बात बताई जो राजेश ने अकेले कही थी अभय से इससे पहले अभय और कुछ बोलने वाला था तभी कोई आया और शालिनी से बोला....आदमी – मैडम काम पूरा हो गया है अब आगे क्या करना है बताए....अभय –(आदमी को देख चौक के) मुंडे सर आप यहां....M M MUNDE – ना ना M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबलगम लो ना प्लीज....अभय –(बबलगम लेके शालिनी से) मां ये तो....शालिनी – (हस के) है पता है मुझे मैने ही भेजा था इनको यहां पर....अभय – (हैरानी से) लेकिन ये तो टीचर है कॉलेज में एक मिनिट तो दीदी भी जानती है इनको....शालिनी –(हस के) हा जानती है चांदनी भी....अभय – मुझे क्यों नहीं बताया फिर....शालिनी – सही मौके का इंतजार कर रहे थे हम समझा....अभय – (हस के) समझ गया मां....शालिनी – मनोहर और मैं बचपन से ही एक ही स्कूल ओर एक कॉलेज में साथ पढ़ते थे ये मुझ से 2 साल जूनियर था कॉलेज के बाद मैने पुलिस ज्वाइन की ओर इसने डिटेक्टिव एजेंसी , काफी फेमस डिटेक्टिव है ये....अभय – ओह हो मतलब डिटेक्टिव मामा हुए मेरे (मनोहर से) मनोहर मामा कैसे हो आप....M M MUNDE – मनोहर नहीं M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबलगम....बोल के तीनों हसने लगे वही दूसरी तरफ ये नजारा देख रमन आग बबूला हो रहा था....राजेश –(रमन से) ये लौंडा तो सच में DIG का बेटा निकला कही इसी ने तो तुम्हारे गोदाम का पता....रमन – दिमाग खराब है क्या तेरा इसे कैसे पता होगा इसका पता तो मुनीम और शंकर के सिवा किसी को नहीं पता है....राजेश – होने को कुछ भी हो सकता है रमन ठाकुर....रमन – कहना क्या चाहते है तू....राजेश – यही की क्या पता तेरा मुनीम इस लौंडे के पास हो या इस लौंडे से हाथ मिला लिया हो उसने....रमन – नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता है....राजेश – अपने फायदे के लिए कोई भी कुछ भी कर सकता है , धोखा भी दे सकता है किसी को आखिर है तो मुनीम भी इंसान ही ना सोचो ठाकुर साहब....राजेश की बात सुन रमन सोच में पड़ गया अपनी अब रमन को भी लगने लगा था कि जरूर मुनीम का ये सब किया धारा है शायद तभी वो अभी तक लापता है सामने नहीं आया किसी के जबकि इस तरफ....औरत –(कॉल पर रंजीत से) तूम तो बोल रहे थे कल संध्या की जानकारी देने को लेकिन कुछ किया नहीं तुमने....रंजीत सिन्हा – (औरत की बात सुन) तो क्या करता मै तूने तो कहा था शालिनी शाम को आएगी लेकिन वो तो सुबह सुबह आ गई यहां गांव में आते ही रमन के गोदाम में छापा मार दिया....औरत –(हैरानी से) क्या ये कैसे हो सकता है....रंजीत सिन्हा – हो सकता नहीं यही हुआ है इसीलिए मैने अपने लोगो मना कर दिया काम के लिए....औरत – तो अब आगे क्या....रंजीत सिन्हा – जब तक शालिनी यहां है मै कोई रिस्क नहीं ले सकता जिस तरह से उसने रमन का सारा माल पकड़ लिया है जरूर कोई है जिससे जरिए उसे जानकारी मिली होगी ऐसे में अगर मैं उसकी नजर में आ गया तो गजब हो जाएगा मेरे लिए तू भी अपना ध्यान रख कोई गलती मत करना कही तू भी समझ रही है ना बात मेरी....औरत – (हस के) मुझे अपने जैसा समझा है क्या तूने जो हर काम जल्दी बाजी में करती फिरती हूँ मेरी चिंता मत कर कोई ना जान पाया है और ना कभी जान पाएगा....बोल के दोनो कॉल कट कर दिया....
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जारी रहेगा✍️✍️
UPDATE 43


दोपहर का वक्त था इस वक्त अभय और शालिनी दोनो अभय के हॉस्टल में आ गए थे अभय अपने कमरे का दरवाजा खोलने जा रहा था कि किसी ने दरवाजा पहले खोल दिया जिसे देख....

अभय –(चौक के) तुम यहां पर कैसे....

सायरा –(मुस्कुरा के) ठकुराइन ने भेजा मुझे....

अभय –लेकिन मैने तो तुम्हे....

सायरा –(बीच में) हा मैने बताया ठकुराइन को वे बोली आज शालिनी जी आई है इसीलिए मुझे यहां वापस भेज दिया हवेली में चांदनी है उनके साथ....

शालिनी –(मुस्कुरा के) कैसी हो सायरा काम कैसा चल रहा है यहां तुम्हारा....

सायरा – मै अच्छी हूँ मैडम बाकी यहां का काम अभी काफी उलझा हुआ है....

शालिनी – हूंमम....

अभय –(दोनो की बात सुन के) मां ये कौन से काम के बारे में बात कर रहे हो आप मैने सायरा से भी पूछा था लेकिन इसने भी नहीं बताया मुझे आखिर बात है क्या मां....

शालिनी – (मुस्कुरा के) इस बारे में तुझे ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है समझा तू सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे सही वक्त आने पर सब पता चल जाएगा तुझे....

अभय –ठीक है मां, अच्छा अब आप नहा लो फिर साथ में खाना खाते है....

शालीन –(कमरे को देख) तू यहां रहता है इस कमरे में....

सायरा –(अभय के बोलने पहली ही) जी मैडम ये तो शुक्र है कि AC लग गया यहां पर वर्ना ये तो सिर्फ पंखे चला के सोता था इतनी गर्मी में....

शालिनी –(सायरा की बात सुन अभय से) मुझे क्यों नहीं बताया तूने इस बारे में....

अभय –मा आप भी ना जरा जरा सी बात के लिए सोचने लगते हो आप मुझे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी यहां रहने में....

शालिनी –(मुस्कुरा के) बात बनाने में आगे है बस , चल ठीक है तयार होके आती हु....

बोल के शालीन चली गई बाथरूम पीछे से....

अभय –(सायरा से) क्या जरूरत थी मां से ये सब बोलने की तेरे चक्कर में मेरी क्लास ना लग जाए कही....

अभय की बात सुन सायरा हसने लगी....

सायरा –(हस्ते हुए) ठीक है , तुम भी जाके नहा लो मैं खाना गरम करके लगाती हूं....

बोल के सायरा चली गई थोड़ी देर बाद तीनों ने मिल के खाना खाया जिसके बाद सायरा बर्तन साफ करके हवेली चली गई....

अभय – मां आप थक गए होगे आप बेड पे आराम करो मै....

शालिनी – तेरे से मिल के मेरी थकान पहले चली गई आराम को छोड़ मेरे साथ बैठ पहले....

बोलते ही अभय बैठ गया शालिनी के साथ....

शालिनी –अब बता जरा संध्या को किस वजह से किडनैप किया गया था....

अभय – पता नहीं मां मै जब खंडर में गया (जो हुआ सब बता के) उसके बाद अस्पताल ले आया और फिर कल (संध्या के कमरे में मोबाइल की बात बता के) मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मां आखिर कौन कर रहा है ये सब....

शालिनी –(बात सुन के)एक बात मुझे भी समझ नहीं आई खंडर में ऐसा क्या है जो....

शालिनी ने इतना बोला ही था अभय ने तुरंत हाथ आगे बढ़ा के सिक्के दिखाते हुए....

शालिनी –(सोने के सिक्कों को देख) ये क्या है अभय कहा से मिले तुझे....

अभय –(संध्या के बेहोश होने से पहले की बात बता के) उसके बाद मैं दरवाजे के पास गया काफी ढूंढने पर आपको पता है मुझे क्या पता चला....

शालिनी – क्या पता चला....

अभय –(अपने गले का लॉकेट दिखा के) ये चाबी है उस दरवाजे की जिसके जरिए दरवाजा खोला मैने ओर अन्दर सोना ही सोना भरा हुआ था जाने कितने तरह के सोना था वहां पर मा लेकिन....

शालिनी – लेकिन क्या अभय....

अभय – मां मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि जब इतना खजाना होने के बाद भी मेरे दादा ने क्यों किसी को नहीं बताया उसके बारे में....

शालिनी –(बीच में टोक के) एक मिनिट तूने बताया था कि ये लॉकेट तुझे तेरी मां ने दिया था....

अभय – हा मा बस यही तो बात समझ नहीं आई मुझे सिर्फ उसे ही क्यों पता था और किसी को क्यों नहीं....

शालिनी –(अभय के सर में हाथ फेर के) बेटा ये दौलत है ही एसी चीज अपनो को अपनो के पास ले आती है या दूर कर देती है दुश्मन को दोस्त भी यही बनाती है और दोस्त को दुश्मन भी , तू ये बता तूने किस किस को बताया है इसके बारे में....

अभय – किसी को नहीं बताया मां अपने दोस्तों तक को नहीं बताया मैने....

शालिनी –अब मेरी बात सुन ध्यान से ऐसी बहुत सी बातें है जो तुझे अभी पता नहीं है इसीलिए सबके साथ जैसा है वैसा ही रह और रही इस खजाने की बात तो तू ये जान ले कि ये तेरा ही है सिर्फ....

अभय –(चौक के) क्या लेकिन मां ये....

शालिनी –(बीच में टोक अभय के गाल पे हाथ रख के) मैने कहा ना वक्त आने पर तुझे सब पता चल जाएगा....

अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है मां जैसा आप बोलो....

शालिनी – अच्छा अब ये बता कहा है वो मुनीम और शंकर....

अभय –(एक कमरे में इशारा करके) वहा पर है दोनो....

शालिनी –चल मिल के आते है दोनो से....

कमरे में आते ही शंकर जमीन में गद्दा बिछा के आराम कर रहा था वहीं मुनीम बेड में बंधा हुआ था उसके मू में पट्टी बांधी हुई थी गु गु कर रहा था....

अभय –(ये नजारा देख शंकर को उठा के) ये क्या है इसके मू में पट्टी क्यों बंधी....

शंकर – मालिक ये मुनीम बोल बोल के सिर खाएं जा रहा था मेरा....

अभय –क्या बोल के सिर खा रहा था ये....

शंकर – यहां से भागने के लिए....

शंकर की बात सुन अभय चलता हुआ गया मुनीम के पास मू से पट्टी हटा के हाथ पैर खोल के....

अभय – (शालिनी की तरफ इशारा करके) जनता है कौन है ये पुलिस DIG ऑफिसर और मेरी मां....

अभय की बात सुन शंकर डर से तुरंत खड़ा हो गया और मुनीम की आंखे डर और हैरानी से बड़ी हो गई शालिनी को देख के....

मुनीम –(डर से शालिनी के पैर पकड़ के) मुझे माफ कर दीजिए मैडम मै....

इससे पहले मुनीम कुछ बोलता तभी कमरे में एक चाटे की आवाज गूंज उठी.....

चटाआक्ककककककककककक...

मुनीम के गाल में पड़ा था चाटा....

शालिनी –(अभय से) तुम दोनो थोड़ी देर के लिए बाहर जाओ और दरवाजा बंद कर देना....

आज पहली बार अभय ने शालिनी की आखों में बेइंतहा गुस्सा देखा जिसे देख अभय बिना कुछ बोले शंकर को साथ लेके कमरे से बाहर निकल गया और दरवाजा बंद कर दिया करीबन 15 से 20 मिनट के बाद शालिनी दरवाजा खोल बाहर आई सामने अभय को खड़ा पाया....

अभय – (शालिनी के बाहर आते ही) क्या हुआ मां....

शालिनी –(मुस्कुरा के) कुछ भी नहीं, (शंकर से) जा के मुनीम को बांध दो और तुम आराम करो , (अभय से) अच्छा ये बता शाम को क्या करता है तू....

अभय –घूमता हू अपने दोस्तो के साथ....

शालिनी – अच्छी बात है चल मुझे हवेली ले चल....

अभय –(हवेली जाने का सुन के) मा आप सुबह से आए हुए हो आराम तक नहीं किया और अब हवेली जाने की बात पहले आराम कर लो मां फिर जहा बोलो वहा ले चलूंगा आपको....

शालिनी –(मुस्कुरा के) आराम तो करना है बेटा लेकिन वक्त देख क्या हो रहा है शाम होने को आई है अब रात में आराम होगा सीधा अब ये बता तू चलेगा हवेली या मुझे हवेली छोड़ के घूमने जाएगा दोस्तो के साथ....

अभय – मां आप बोलो तो आपके साथ रहूंगा....

शालिनी – कोई न तू मुझे हवेली छोड़ के दोस्तो के साथ घूम ले मै कॉल कर दूंगी तुझे लेने आ जाना....

अभय – ठीक है मां....

बोल के अभय बाइक से निकल गया शालिनी को लेके , हवेली आके शालिनी गेट में उतर के....

शालिनी – मै कॉल करती हु तुझे ठीक है....

अभय – मै इंतजार करूंगा मां....

बोल के अभय निकल गया बाइक से इधर जैसे ही शालिनी हवेली के अन्दर आई सामने हॉल में ललिता , मालती , शनाया , चांदनी और संध्या बैठ बाते कर रहे थे...

शालिनी को देख चांदनी मां बोलने जा रही थी कि तभी....

संध्या – शालिनी जी....

शालिनी का नाम सुन बाकी सबका ध्यान हवेली के गेट की तरफ गया अन्दर आते ही शालिनी ने सबको प्रणाम कर संध्या के बगल आके बैठ गई....

संध्या – आप अकेली आए हो कोई साथ में....

शालिनी – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) वो मुझे छोड़ के गया हवेली के बाहर तक लेने आएगा....

संध्या –(हा में सिर हिला के) इनसे मिलिए ये ललिता है रमन की वाइफ और ये मालती है मेरे छोटे देवर प्रेम की वाइफ और इनको आप जानती है ये शनाया है मेरी बहन....

शालिनी – इन्हें कैसे भूल सकती हु मै यही तो पढ़ाती थी मेरे बेटे को स्कूल में....

शालिनी की (मेरे बेटे) बात सुन संध्या जो मुस्कुरा रही थी वो हल्की हो गई जिसे शालिनी ने देख लिया....

शनाया –(शालिनी से) आप क्या लेगी चाय या ठंडा....

शालिनी – (सबको देख जो चाय पी रहे थे) सभी के साथ चाय....

बोल के शनाया चाय लेने चली गई....

शालिनी – (ललिता और मालती से) कैसी है आप दोनों....

ललिता और मालती एक साथ – जी अच्छे है....

शालिनी –(मालती की गोद में बच्चे को देख) आपका बच्चा बहुत सुंदर है कितने साल का हो गया है....

मालती –जी ये लड़की है अभी 3 साल की है....

शालिनी –(मालती से बच्ची को अपनी गोद में लेके) बहुत प्यारी है किसपर गई है ये....

मालती –(हसी रोक के) जी वैसे ये मेरी नहीं है हमारे गांव में पहले थानेदार था ये उसकी बेटी है....

शालिनी –(बात याद आते ही) ओह माफ करिएगा मुझे मै तो भूल ही गई थी....

मालती –(हल्का मुस्कुरा के) जी कोई बात नहीं वैसे भी अब ये मेरी बेटी है और मैं इसकी मां....

शालिनी –(मालती की बात सुन मुस्कुरा के) ये बहुत ही अच्छी बात है मालती तुमसे अच्छी मां इसे नहीं मिल सकती बल्कि मैं कहती हु कि तुम इसकी कस्टडी भी लेलो मै तुम्हारी मदद कर दूंगी इसमें बस 2 से 3 पेपर वर्क में इसकी कस्टडी परमानेंट तुम्हे मिल जाएगी....

संध्या –(शालिनी की बात सुन) आपने बिल्कुल सही कहा शालिनी जी हम तो भूल ही गए थे इस कम को करना....

शालिनी – ये कम मै तुरंत कर दूंगी लेकिन प्लीज पहले तो आप मुझे सिर्फ मेरा नाम लेके बात करो और जी मत लगाना आप....

संध्या – लेकिन आप भी मेरा नाम लेके बात करिएगा प्लीज....

दोनो की बात सुन के सभी मुस्कुराने लगे तब शनाया आई और चाय दी शालिनी को चाय पीते वक्त सबकी नजर बचा के शालिनी ने संध्या को कुछ इशारा किया जिसे समझ के....

संध्या – शालिनी आइए मै आपको अपना कमरा दिखाती हु....

बोल के अपने नौकर को आवाज दी चांदनी और नौकर की मदद से संध्या को अपने कमरे में ले जाया गया जिसके बाद संध्या को आराम करने का बोल के शनाया , ललिता और मालती कमरे से चले गए रह गए सिर्फ शालिनी और चांदनी कमरे में....

संध्या –(शालिनी से) क्या बात है शालिनी आपने इशारे से अकेले में बात करने को क्यों बोला मुझे....

शालिनी –एक बात बताए उस खंडर में जो कुछ भी है उसके बारे में सिर्फ आपको कैसे पता है....

संध्या –(चौक के) आ....आ...आप को कैसे....

शालिनी –(संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) तुम्हारी तरह मै भी मां हू अभय की वो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाता है....

संध्या –(शालिनी की बात सुन गहरी सास लेके) क्या आप कमल ठाकुर को जानती है....

शालिनी –हा अच्छी तरह से....

संध्या – कमल ठाकुर का इकलौते बेटे अर्जुन ठाकुर को भी....

शालिनी – हा उसे भी जानती हू बहुत अच्छे से कई बार मिल चुकी हूँ मै....

संध्या –(मुस्कुरा के) जब मेरा अभय छोटा था उस वक्त 2 साल का तब अर्जुन ठाकुर करीबन 10 साल का था कई बार अर्जुन अपने पिता कमल ठाकुर के साथ यहां आता तो सिर्फ अभय को अपनी गोद में लेके उसके साथ खेलता था जबकि कमल ठाकुर सीधे जाते बड़े ठाकुर के पास मिलने या इनसे (मनन ठाकुर) मिलते थे और साथ ही काफी वक्त से बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर मिल कर साथ में व्यापार करने के लिए गांव से बाहर जाया करते थे एक बार बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर मिल के विदेश यात्रा पर गए थे अपने साथ में एक जहाज लेके आ रहे थे ताकि विदेश से व्यापार न करके यही समुंदर के रस्ते व्यापार कर सके अपनी जमीन पर तभी समुंदर में तूफान आना शुरू हो रहा था रस्ते में एक टापू पर रुकने का फैसला किया उन्होंने जब तक तूफान न थम जाए उसी वक्त बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर उस टापू पर घूम रहे थे और वही पर उन्हें वो खजाना मिला दोनो ने मिल के इसे जहाज में रखवा के समुंदर के रस्ते यहां ले आए लेकिन इतना बड़े खजाने को छिपा के रखने समस्या आ रही थी तब कमल ठाकुर ने इसमें मदद की बड़े ठाकुर की पुरानी वाली हवेली को खंडर के रूप में प्रस्तुत करने का सुझाव दिया कमल ठाकुर ने और बड़े ठाकुर को ये योजना अच्छी लगी और फिर उन्होंने मिल के खंडर में खजाने को छुपा दिया साथ ही कमल ठाकुर ने विदेश जाके खुद एक ताला बनवाया दरवाजे के साथ और यहां लेके उसे बंद कर दिया उसके बाद से खंडर वाली जगह को बड़े ठाकुर ने श्रापित घोषित कर दिया....

शालिनी – अगर बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर ने साथ मिल के ये काम किया तो सारा का सारा खजाना सिर्फ बड़े ठाकुर को क्यों दिया कमल ठाकुर ने....

संध्या – एसा नहीं है शालिनी विदेश से आते वक्त रस्ते में ही बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर ने मिल के बाट लिया था सब कुछ....

शालिनी – तो फिर बड़े ठाकुर ने खंडर में ही क्यों रखा यहां पर भी रख सकते थे ना....

संध्या – पता नहीं शालिनी वैसे तो मरने से पहले बड़े ठाकुर ने खजाने की चाबी मुझे दी थी लेकिन उससे पहले खजाने के बारे में बड़े ठाकुर ने इनको (मनन ठाकुर) को बताया था और साथ में लेके गए थे वहां पर इनको (मनन ठाकुर) और फिर उसके कुछ साल 2 साल के बाद बड़े ठाकुर बीमार रहने लगे धीरे धीरे ये बीमारी (मनन ठाकुर) इनको भी लग गई पहले बड़े ठाकुर चले गए उसके बाद से जाने कैसे मेरी सास सुनैना ठाकुर अचानक से गायब हो गई....

शालिनी –(बीच में टोकते हुए) एक मिनिट संध्या सुनैना ठाकुर का गायब होना ये कैसे हुआ....

संध्या – विदेश से आने के बाद बड़े ठाकुर ने मेरी सास सुनैना ठाकुर को सब बता दिया था कुछ महीने के बाद मुझे सुनने में आया कि कोई खंडर वाली जमीन लेने के लिए काफी पीछे पड़ा हुआ है बड़े ठाकुर के लेकिन बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर साफ मना कर चुके थे उस आदमी को लेकिन तभी कुछ समय के बाद मेरी सास सुनैना ठाकुर ने एक दिन बड़े ठाकुर से खंडर के बारे में बात छेड़ी जिसके बाद बड़े ठाकुर बहुत नाराज हुए थे मेरी सास से और एक दिन रात को मैने देखा मेरी सास किसी से फोन पर बाते कर रही थी छुप छुप के काफी देर तक हस हस के लेकिन मैं जान नहीं पाई कि किस्से बात करती थी मेरी सास , बड़े ठाकुर और सुनैना ठाकुर में एक दिन काफी कहा सुनी हो गई उस वक्त गुस्से में बड़े ठाकुर हवेली से बाहर निकल गए और कुछ देर बाद मेरी सास भी निकल गई बाहर हवेली से जब तक मुझे पता चलता वो हवेली से जा चुकी थी उस दिन (मनन ठाकुर) ये शहर गए हुए थे काम से तब मैने मुनीम से पता लगाने को बोला मेरी सास का काफी देर इंतजार करते करते आखिर कार रात में मेरी सास आई हवेली में कोई अपनी कार से छोड़ने आया था बाहर से ही चला गया था वो मेरी सास अपने कमर में जा रही थी मैं अपने कमरे के दरवाजे से छुप के अपनी सास को जाते हुए देख रही थी बिखरे बाल हाथ की चुड़ी टूटी हुई गले में कई लाल दाग उनको देख के एसा लग रहा था जैसे कि....

शालिनी –(संध्या के कंधे में हाथ रख के) समझ गई मैं संध्या , फिर आगे क्या हुआ....

संध्या – होना क्या था दिन से निकले बड़े ठाकुर अगले दिन हवेली वापस आय आते ही अपने कमरे में गए कुछ देर बाद सुनैना ठाकुर के रोने की आवाज आने लगी और बड़े ठाकुर गुस्से में हवेली से बाहर चले गए रोने की आवाज सुन मै कमरे में गई देखा वहां पर मोबाइल जमीन में टूटा पड़ा है सुनैना ठाकुर एक कोने में बैठ के रो रही थी मैने उनसे काफी पूछा लेकिन कुछ नहीं बताया उन्होंने मुझे उस दिन के बाद जैसे बड़े ठाकुर ने सुनैना ठाकुर से बात करना बंद कर दिया था यहां तक सोते भी अलग थे एक दिन मैने अपनी आखों से देखा बड़े ठाकुर सोफे में सो रहे थे और सुनैना ठाकुर बेड में ये नजारा मैने कई बार देखा एक दिन हिम्मत करके मैने अकेले में बड़े ठाकुर से इस बारे में बात की लेकिन उन्होंने मुस्कुरा के मेरे सिर में हाथ फेरा और बोला....

रतन ठाकुर – संध्या बेटा बड़े अरमानों के साथ तुझे इस हवेली में लाया हु मै अपनी बहू बना के नहीं बल्कि बेटी बना के लाया हूँ तुझे तेरी सेवा मैने देखी है दिल से करती है सेवा सबकी बस एक वादा कर बेटा मुझसे अगर कल को मुझे कुछ हो गया तो तू पूरे परिवार को समेट के रखेंगी....

संध्या –एसी बाते मत बोलिए बाबू जी....

रतन ठाकुर –(हस के) अरे पगली एक न एक दिन तो सबको जाना है अब तू ज्यादा मत सोच बस वादा कर मुझसे....

संध्या – मैं वादा करती हू आपसे बाबू जी....

उसके कुछ समय के बाद से ही तबियत खराब होना शुरू हो गई पहले बाबू जी चले गए कुछ वक्त के बाद ये (मनन ठाकुर) भी चले गए और तब से मैं देख रही हू पूरे परिवार की बाग डोर....

शालिनी – और कमल ठाकुर का क्या हुआ....

संध्या – वो भी बीमारी के कारण दुनिया से विदा हो गए....

शालिनी – और उनका बेटा अर्जुन ठाकुर....

संध्या – कमल ठाकुर के गुजरने के बाद वो आखिरी बार था जब मैने अर्जुन को देख था उसके बाद से कभी न देखा और न सुना मैने अर्जुन के बारे में , उस बेचारे का कमल ठाकुर और उसकी मां के इलावा कोई नहीं था दुनिया में मेरी सास सुनैना ठाकुर की तरह अर्जुन भी जाने कहा चला गया....

शालिनी –(संध्या की सारी बात सुन के) एक बात तो बताओ अभय को वो लॉकेट क्या तुमने दिया था उसे....

संध्या – हा मैने दिया था उसे....

शालिनी –(मुस्कुरा के) तो खजाने की चाबी तुमने अभय को दे दी....

संध्या –(हल्का सा हस के) मेरा असली खजाना सिर्फ वही है बस इसीलिए उसे वो चाबी दे दी मैने....

शालिनी –(अपनी बेटी चांदनी से जो काफी देर से चुप चाप बैठ के सारी बात सुन रही थी) तो चांदनी तेरी तहकीकात कहा तक पहुंची....

चांदनी – घर का भेदी लंका धाय....

शालिनी –(चांदनी की बात सुन) क्या मतलब है तेरा कहने का....

चांदनी – मां हवेली का कोई तो है जो ये सब कर रहा है या करवा रहा है इतना शातिर है वो हर बार दूसरे के कंधे पे बंदूक रख के चलाए जा रहा है जब से अभय गांव आया है कुछ न कुछ गड़बड़ होना शुरू हो रही है हवेली में फिर अभय पे जान लेवा हमला उसके बाद हमारे साथ जो हुआ एक बात तो पक्की है हवेली के लोगो की जानकारी यहां हवेली से बाहर भेजी जा रही है पल पल की....

शालिनी – हवेली में कोई ये सब कर रहा है ये कैसे बोल रही हो तुम....

चांदनी –(अस्पताल में संध्या के बेड की नीचे छुपे मोबाइल की बात बता के) मैने मोबाइल का पता करवाया लास्ट कॉल यहां हवेली से आई थी उसमें इसीलिए मैने यहां हवेली में जिसके पास जो भी जितने भी मोबाइल हो उसकी सारी डिटेल्स निकलवाने के लिए बोल दिया है उम्मीद है कल तक मिल जाएगी डिटेल मुझे....

शालिनी – वैसे तूने एक्शन क्यों नहीं लिया....

चांदनी – मां किसपे एक्शन लू मै किस बिना पे हाथ डालू और किसपे मेरी एक गलती मेरा पर्दा फाश करवा सकती है और दुश्मन को सावधान इसीलिए मैने अपने लोगो को सभी की निगरानी पर रख हुआ है वैसे मा रमन पर भी निगरानी रखी हुई थी मैने लेकिन आपके लाडले ने पहले ही आपको सब बता दिया....

शालिनी – (हस के) क्यों जलन हो रही है क्या तुझे....

चांदनी –भला मुझे क्यों जलन होने लगी मेरे भाई से....

शालिनी –(मुस्कुरा के) मजाक कर रही हूँ तेरे से....

चांदनी –(सीरियाई होके) मां जाने क्यों कभी कभी एसा लगता है जैसे अभय कुछ छुपा रहा है हमसे....

शालिनी –(मुस्कुरा के) हमसे नहीं तुझसे...

चांदनी – मुझ से क्यों....

शालिनी – गांव का सरपंच और मुनीम दोनो ही उसके पास है....

चांदनी –(चौक के) मुनीम कैसे सरपंच का पता था मुझे....

संध्या – (बीच में) उसी ने मेरे पैर का ये हाल किया है....

शालिनी – (संध्या से) तुझे पता है मुनीम के एक पैर की हड्डी तोड़ दी है अभय ने और हॉस्टल में ही उसे लगातार टाचर दिए जा रहा है....

चांदनी –(संध्या के कंधे पे हाथ रख के) देखा मौसी मैने कहा था ना आपसे....

शालिनी – चांदनी आगे का क्या करना है तुम्हे....

चांदनी – पहले अभय और अब मौसी ये दोनो ही इस वक्त खतरे के निशान में आ चुके है अलग रहेंगे तो खतरा बना रहेगा दोनो पे एक साथ रहेंगे खतरा फिर भी रहेगा लेकिन उसे हैंडल तो किया जा सकता है आसानी से तब....

शालिनी –ठीक है अब मेरी बात ध्यान से सुनो....

फिर शालिनी ने कुछ कहा जिसके बाद चांदनी ने हा में सिर हिलाया....

शालिनी – (संध्या से) तुम बिल्कुल भी मत घबराना कुछ नहीं होगा किसी को तेरा अभय तुझे जरूर मिलेगा ये सिर्फ मेरा नहीं बल्कि एक मा का दूसरी मां से वादा है ये....

काफी देर तक एक दूसरे से बात कर रहे थे उसके बाद संध्या से विदा लेके शालिनी कमरे से जाने लगी संध्या के कमरे से बाहर निकल हॉल में आके सबसे विदा ले रही थी कि तभी उनका मोबाइल बजा जिसपे बात करके....

शालिनी –(ललिता शनाया और मालती से) अच्छा अब मुझे इजाजत दीजिए चलती हूँ मै....

ललिता – यही रुक जाते आप....

शालिनी – प्लान तो रुकने का ही था मेरा गांव में कुछ दिन के लिए लेकिन एक इमरजेंसी आ गई है मुझे कल सुबह ही निकलना होगा शहर की तरफ अपने लोगो के साथ....

मालती – रात का खाना हमारे साथ खाइए....

शालिनी –नहीं मालती आज नहीं लेकिन अगली बार जरूर , अच्छा मुझे इजाजत दीजिए अब जल्द ही फिर मुलाक़ात होगी....

बोल के शालिनी हवेली के बाहर निकल गई जहां अभय गेट में खड़ा इंतजार कर रहा था शालिनी को साथ लेके हॉस्टल में आते ही दोनों ने खाना खाया और सो गए जबकि इस तरफ....

औरत –(कॉल में रंजीत सिन्हा से) एक अच्छी खबर है तुम्हारे लिए....

रंजीत सिन्हा –(खुश होके) अच्छा क्या बात है....

औरत –आज शालिनी हवेली आई थी लेकिन जाने से पहले बता के गई कि वो कल सुबह वापस जा रही है शहर....

रंजीत सिन्हा –(चौक के) क्या तुम सच बोल रही हो....

औरत – अरे हा बाबा सच बोल रही हू मै अब तू देख ले मौका और दस्तूर खुद चल के तेरे पास आया है....

रंजीत सिन्हा – (हस्ते हुए) शालिनी के जाते ही अपना अधूरा काम पूरा करूंगा मै....

औरत –लेकिन कैसे....

रंजीत सिन्हा –उसके लिए तुझे संध्या को घुमाना होगा शाम के वक्त हवेली के गेट के पास बने बगीचे में उसी वक्त अपने काम को अंजाम दूंगा मै....

औरत – (मुस्कुरा के) उसके लिए मुझे अकेले कुछ नहीं करना पड़ेगा क्योंकि शाम के वक्त लगभग सभी टहलते है वहां पर....

रंजीत सिन्हा – तो ठीक है शालिनी कल सुबह जाएगी और मैं शाम को अपने काम को अंजाम दूंगा....

बोल के कॉल काट दिया दोनो ने अगली सुबह शालिनी और अभय जल्दी से उठ गए....

शालिनी – अभय जल्दी से तैयार हो जा....

अभय – जल्दी क्यों मां कही जाना है क्या....

शालिनी – हा गीता दीदी के घर चल मिलना है उनसे....

अभय –मां दिन में चलते है अभी कॉलेज जाना है मुझे....

शालिनी – एक काम कर आज कॉलेज मत जा सीधा गीता दीदी के पास चल फिर मुझे जाना है....

अभय –(चौक के) क्या जाना है कहा लेकिन आप कल ही तो आए हो आज जाने की बात....

शालिनी – हा बेटा जरूरी काम आ गया है शहर में मुझे सोचा गीता दीदी से मिल के जाऊं....

अभय –ये गलत बात है मां मैने सोचा आपके साथ रहूंगा गांव घुमाऊंगा आपको लेकिन आप तो आज ही....

शालिनी – (मुस्कुरा के) तो कौन सा हमेशा के लिए जा रही हूँ मै मिलने आऊंगी तेरे से नहीं तो कॉल पे बात कर लिया करना मेरे से और जब मन करे तेरा आ जाना शहर मेरे पास....

इससे पहले अभय कुछ बोलता....

शालिनी –(जल्दी से बोली) अच्छा चल पहले मिलते है गीता दीदी से....

बोल के दोनो निकल गए गीता देवी की तरफ घर में आते ही दरवाजा खटखटाया तो गीता देवी ने दरवाजा खोला....

गीता देवी –(अपने घर शालिनी को देख) अरे आइए शालिनी जी क्या बात है आज सुबह सुबह....

शालिनी – हा असल में मुझे जरूरी काम से वापस शहर जाना पड़ रहा है सोचा जाने से पहले आप से मिल लूं....

गीता देवी – बहुत जल्दी जा रहे हो आप वापस कुछ दिन रुक जाते आप....

शालिनी – पुलिस की नौकरी तो आप मुझसे बेहतर जानते हो दीदी कब कहा से बुलावा आए पता नहीं पड़ता है....

गीता देवी – हा सो तो है शालिनी जी....

अभय – बड़ी मां राज कहा है....

गीता देवी – अंदर कमरे में तैयार हो रहा है कॉलेज जाने के लिए....

गीता देवी की बात सुन अभय कमरे में चल गया राज के पास....

राज – (अभय को देख) अबे तू इतनी सुबह सुबह क्या बात है....

अभय – कुछ नहीं यार वो मां आज ही वापस जा रही है तो मिलने आई है बड़ी मां से....

राज – अरे इतनी जल्दी....

अभय – हा वही तो यार मानती ही नहीं मां बात मेरी....

राज – पुलिस का काम ही ऐसा होता है यार चल ये बता कॉलेज चल रहा है साथ में या बाद में आएगा....

अभय – नहीं यार आज नहीं आऊंगा कॉलेज मां ने मना किया है....

राज – यार मन तो मेरा भी नहीं है आज जाने का....

अभय – तो चल आज तू और मैं साथ में घूमते है मै बड़ी मां से बोल देता हू....

अभय बाहर आके गीता देवी से....

अभय – बड़ी मां आज राज को कॉलेज मत भेजो आज मेरे साथ रहेगा....

शालिनी –(तुरंत बीच में) बहुत अच्छी बात है तू एक कम कर राज के साथ घूम के आजा और साथ में अच्छा सा नाश्ता लेके आ तब तक मैं ओर गीता दीदी बाते करते है आपस में....

बात सुन के अभय और राज निकल गए घर के बाहर उनके जाते ही....

गीता देवी – क्या बात है शालिनी जी आपने उन दोनों को बाहर क्यों भेज दिया नाश्ता तो मैं यही बना देती सबके लिए....

शालिनी – जानती हू दीदी लेकिन उनके सामने आपसे मै वो बात नहीं कर सकती थी इसीलिए बाहर भेज दिया दोनो को....

गीता देवी – क्या बात है शालिनी जी बताए....

उसके बाद शालिनी ने कुछ बात की गीता देवी से काफी देर तक बात चलती रही दोनो की जब तक अभय और राज वापस नहीं आ गए दोनो के आते ही सबने मिल के नाश्ता किया एक दूसरे से विदा लेके निकल गए साथ में राज भी आया हॉस्टल में आते ही शालिनी ने अपना बैग लिया हॉस्टल के बाहर निकल जहां शालिनी की कार खड़ी थी ड्राइवर के साथ कार में समान रख....

शालिनी –(अभय को गले से लगा के) दिल छोटा मत कर मै जल्दी ही आऊंगी तेरे पास तब तक अच्छे से पढ़ाई करना तू....

अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है मां....

बोल के शालिनी कार में बैठने लगी कि तभी....

शालिनी – अरे अभय मै शायद अपना बैग तेरे कमरे में भूल गई जाके ले आ....

शालिनी की बात सुन अभय कमरे की तरफ निकल गया उसके जाते ही....

शालिनी – राज मेरी बात ध्यान से सुनो....

उसके बाद शालिनी ने राज से कुछ बात कहने लगी कुछ समय बाद अभय वापस आया बैग लेके जिसे लेके शालिनी ने अभय के सर पे हाथ फेर कार से निकल गई शहर की तरफ अभय पीछे खड़ा कार को जाते हुए देखता रहा जब तक कार उसकी आंख से ओझल नहीं हो गई....

अभय – जब अपना दूर जाता है आपसे कितनी बेचैनी होने लगती है ना राज....

राज –(अभय के कंधे पे हाथ रख देखा तो आसू थे आखों में उसकी अपने हाथ से आसू पोछ गले लगा के) जितना दूर सही लेकिन है तो तेरे दिल में ही चल मायूस मत हो जल्दी आएगी बोला है ना तेरे को चल चलते है घूमने कही....

राज की बात सुन हा में सिर हिला के बाइक से निकलने जा रहे थे कि तभी एक लड़की की प्यारी सी आवाज आई....

लड़की – HELLOOO Mr.ABHAY....
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जारी रहेगा✍️✍️
Nice update 👍
 
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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