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mistyvixen

I’d agree with you, but then we’d both be wrong;
Prime
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UPDATE 7


रात का समय था, पायल अपने कमरे में बैठी थी। उसकी पलके भीगी थी। वो बार बार अपने हाथो में लिए उस कंगन को देख कर रो रही थी, जिस कंगन को अभय ने उसे दिया था। आज का दिन पायल के लिए सुनी अंधेरी रात की तरह था। आज के ही दिन उसका सबसे चहेता और प्यारा दोस्त उसे छोड़ कर गया था। मगर न जाने क्यों पायल आज भी उसके इंतजार में बैठी रहती है।

पायल की मां शांति से पायल की हालत देखी नही जा रही थीं। वो इस समय पायल के बगल में ही बैठी थी। और ख़ामोश पायल के सिर पर अपनी ममता का हाथ फेर रही थी। पायल का सर उसकी मां के कंधो पर था। पायल सुर्ख हो चुकी आवाज़ में अपने मां से बोली...

पायल --"तुझे पता है मां,। ये कंगन मुझे उसने अपनी मां से चुरा कर दिया था। कहता था, की जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो तेरे लिऐ खूब रंग बिरंगी चिड़िया ले कर आऊंगा। मुझे बहुत परेशान करता था। घंटो तक मुझे नदी के इस पार वाले फूलों के बाग में , मेरा हाथ पकड़ कर चलता था। मुझे भी उसके साथ चलने की आदत हो गई थी। अगर एक दिन भी नही दिखता था वो तो ऐसा लगता था जैसे जिंदगी के सब रंग बेरंग हो गए हो। उसे पता था की मैं उसके बिना नहीं जी पाऊंगी, फिर क्यों वो मुझे छोड़ कर चला गया मां?"

पायल की इस तरह की बाते और सवाल का जवाब शांति के पास भी नहीं था। वो कैसे अपनी लाडली कोने बोल कर और दुखी कर सकती थी की अब उसका हमसफर जिंदगी के इस सफर पर उसके साथ नही चल सकता। शांति और मंगलू को अपनी बेटी की बहुत चिंता हो रही थी। क्यूंकि पायल का प्यार अभय के लिए दिन ब दीन बढ़ता जा रहा था। वो अभय की यादों में जीने लगी थी।

शांति --"बेटी , तेरा अभय तारों की दुनिया में चला गया है, उसे भगवान ने बहुत अच्छे से वहा रखा है। वो तुझे हर रात देखता है, और तुझे इतना दुखी देखकर वो भी बहुत रोता है। तू चाहती है की तेरा अभय हर रात रोए?"

पायल – और जो मैं रोती हू, उसका क्या मां ? वो कहता था की मुझे तारों पर ले चलेगा। और आज वो मुझे छोड़ कर अकेला चला गया। जब मिलूंगी ना उससे तो खबर लूंगी उसकी।"

इसी तरह मां बेटी आपस में घंटो तक बात करती रही। पायल का मासूम चेहरा उसके अश्रु से बार बार भीग जाता। और अंत में रोते हुए थक कर अपनी मां के कंधे पर ही सिर रखे सो जाती है।

और उसी रात हवेली दुल्हन को तरह चमक रही थी। मानो ढेरो खुशियां आई हो , हवेली के एक कमरे में संध्या अलमारी से कपड़े देख रहे थी

संध्या –(अलमारी से लाल रंग की साड़ी निकलती है साड़ी को देख के उसे याद आता है वो दिन जब अभय ने संध्या को लाला रंग की साड़ी के लिए कुछ कहा था)

अभय – मां तू ये लाल रंग की साड़ी पहना कर ये लाल रंग तुझपे जचता है

संध्या –(अभय की इस बात को याद करके रोते हुए बोली) तुझे जो पसंद हो मैं वो करूंगी बस तू वापस आजा बेटा मैं थक चुकी हूं सभी के ताने सुन सुन के अब और बर्दाश नही होता मुझसे या तो तू आजा या मुझे अपने पास बुला ले

तभी संध्या के कमरे का दरवाजा कोई खटखटाता है

संध्या –(अपने आसू पोच के) कॉन है

मालती – दीदी मैं हू , आप त्यार हो गए, जल्दी करिए दीदी नीचे लोग आगए है

संध्या – हा बस 2 मिनट में आरही हू


थोड़ी देर के बाद संध्या लाला साड़ी में किसी अप्सरा की तरह सजी थी। लाल रंग की साड़ी में आज संध्या की खूबसूरती पर चार चांद लगा रही थी। विधवा होने के बावजूद उसने आज अपने माथे पर लाल रंग की बिंदी लगाई थी, कानो के झुमके और गले में एक हार। संध्या किसी कयामत की तरह कहर ढा रही थी।


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हवेली के बाहर जाने माने अमीर घराने के ठाकुर आए थे। जब संध्या हवेली के बाहर निकली तो, लोगो के दिलो पे हजार वॉट का करंट का झटका सा लग गया। सब उसकी खूबसूरती में खो गए। वो लोग ये भी भूल गए की वो सब संध्या के बेटे के जन्मदिन और मरण दिन , पर शोक व्यक्त करने आए है। पर वो लोग भी क्या कर सकते थे। जब मां ही इतनी सज धज कर आई है तो किसी और को क्या कहना ?

इन सब लोगो के बीच 2 आदमी और एक औरत सबसे अलग खड़े तीनों आपस में धीरे से बात कर रहे थे

पहला आदमी – (संध्या को देख के) आज भी ये किसी कच्ची कली से कम नहीं लगती है

दूसरा आदमी – इसका रस पीने को कब से बेताब है हम लेकिन हाथ नही आती किसी के

औरत – तुम दोनो को फुर्सत मिलती भी कहा है पहले संध्या के पीछे पड़े वो ना मिली तो मुझे पटा लिया तुम दोनो को बस आसान शिकार चाहीए जो एक बार में तुम्हारी मुट्ठी में आजाएं क्यों सही कहा न मैने

पहला आदमी – अरे मेरी बुलबुल तू चिंता मत कर इसके आने से तेरी जगह हमारे दिल में वैसे की वैसे रहेगी

दूसरा आदमी – तू बस इसे हमारे नीचे ला दे एक बार फिर देख मालकिन बन जाएगी तू हमेशा के लिए इस हवेली की इकलौती

औरत – कोशिश तो की थी एक बार लेकिन दाव कोई और मार के चला गया था सिर्फ तुम दोनो ही नही हो इसके पीछे (अपनी उंगली से एक तरफ इशारा करके) वो रमन ठाकुर वो भी है पहला दाव उसने मारा था संध्या पे किस्मत अच्छी थी उसदीन इसकी वर्ना उसदीन संध्या तुम दोनो के नीचे होती तब मेरे दिल को सुकून मिलता

दूसरा आदमी –चिंता मत कर तेरा हिसाब तो होगा इससे जैसा चाहती है तू सब्र करेगे हम इतना किया सब्र थोड़ा और सही

पहला आदमी – लेकिन इस बार गलती से भी गलती नही होने चाहीए जितनी जल्दी तू हमारा काम करेगी उतनी जल्दी तेरा बदला पूरा होगा

वही दूसरे तरफ एक आदमी और एक लड़की आपस में बात कर रहे थे

आदमी –(संध्या की तरफ इशारा करते हुए अपने साथ लड़की को बताते हुए) ये है इस गांव और हवेली की बड़ी ठकुराइन अब से यही पे तुम्हारा काम शुरू होने वाला है

लड़की – पहले जो लोग थे उनका क्या हुआ

आदमी– वो यही पे है लेकिन तुम्हारे बारे में उन्हें कुछ नही पता है इसलिए तुम्हारे साथ मैने अपने 4 भरोसे मंद लोगो को यहां बुलाया है जल्द ही वो तुमसे मिलेंगे

लड़की – (संध्या को देख के) ठकुराइन ले हाथ में ये तस्वीर किसकी है

आदमी – उसके बेटे अभय की

लड़की –(चौक के) क्या ये सच में इसका बेटा है लेकिन ये...

आदमी –(चुप रहने का इशारा करके) इसीलिए तुम्हे यहा भेजा गया है बहौत से राज छुपे हुए है इस हवेली में जिसका पता तो बड़ी ठकुराइन तक को नहीं है उसे तो ये भी नहीं पता है की कितना बड़ा छल हुआ है उसके साथ

लड़की – मुझे यहां और क्या क्या करना होगा और पावर क्या है मेरी

आदमी – फुल सपोर्ट है मेरा तुम्हे जिसको चाहो उसको उड़ा दो किसी को बक्शना मत और ना ही किसी के दबाव में आना ज्यादा धमकी देने वाले को गायब कर देना दुनिया से पावर तुम्हारे मन की देता हूं तुम्हे लेकिन रिजल्ट मुझे चाहिए बिल्कुल सही

लड़की –( मुस्कुरा के) एसा ही होगा बस अब आप देखते जाइए गा

इस सब बातो से अलग

एकतरफ संध्या के हाथों में अभय की तस्वीर थी , जो वो लेकर थोड़ी दूर चलते हुए एक टेबल पर रख देती है। उसके बाद सब लोग एक एक करके संध्या से मिले और उसके बेटे के लिए शोक व्यक्त किया लोगो का शोक व्यक्त करना तो मात्र एक बहाना था। असली मुद्दा तो संध्या से कुछ पल बात करने का था। हालाकि संध्या को किसी से बात करने में कोइ रुची नही थी।

धीरे धीरे लोग अब वहा से जाने लगे थे। भोज किं ब्यावस्था भी हुई थी, तो सब खाना पीना खा कर गए थे। अब रात के 12 बज रहे थे। सब जा चुके थे। हवेली के सब सदस्य एक साथ मिलकर खाना खा रहे थे। लेकिन कोई था जिसके सामने टेबल में खाना रखा था और वो सिर्फ खाने को देखे जा रही थी खा नही रहे थी

मालती –(संध्या के कंधे पे हाथ रख के) दीदी खाना खा लो ठंडा हो रहा है खाना

संध्या –(आखों में हल्की नामी के साथ मालती को देखते हुए हल्का मुस्कुरा के) भूख नही लग रही है आज मालती

मालती –(संध्या के आसू पोछ के) आज सुबह से कुछ भी नहीं खाया है आपने दीदी थोड़ा सा खा लो बस

मालती की बात मान कर संध्या ने खाना खा लिया फिर अपने अपने कमरे में सोने चले गए। संध्या की आंखो में नींद नहीं थी। तो वही दूसरी तरफ रमन की नींद भी आज संध्या को देखकर उड़ चुकी थी। रमन अपनी पत्नी ललिता के सोने का इंतजार करने लगा।

जबकि इस तरफ संध्या अपने कमरे में बेड में बैठी अपने बेटे अभय की तस्वीर को लिए उसकी यादों में खोई हुई थी

करीब 2 बजे संध्या के दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजे की खटखटाहट से संध्या का ध्यान उसके बेटे की यादों से हटा, वो अपने बेड पर से उठते हुए दरवाजे तक पहुंची और दरवाजा जैसे ही खोली। रमन कमरे में दाखिल हुआ और झट से संध्या को अपनी बाहों के भर लिया...

ये सब अचानक हुआ, संध्या कुछ समझ नहीं पाई। और जब तक कुछ समझती वो खुद को रमन की बाहों में पाई।

संध्या --(गुस्से में) तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या रमन , पागल हो गया है क्या तू? छोड़ मुझे, और निकल जा यहां से?

रमन --(अपने हाथ संध्या के गाल पे रखते हुए) क्या हुआ भाभी? मुझसे कुछ गलती हो गई क्या?

संध्या --(रमन के हाथ को झटकते हुए) नही, गलती तो मुझसे हो गई थी देखो रमन उस रात हमारे बीच जो भी हुआ था , वो सब अनजाने में हुआ मैं होश में नहीं थी उस रात

रमन –(ये सुनकर रमन का चेहरा उतर गया वो संध्या को एक बार फिर से कस कर अपनी बाहों में भरते हुए बोला) ये तुम क्या बोल रही हो भाभी? तुम्हे पता है ना , की मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं? पागल हूं तुम्हारे लिए, तुम इस तरह से सब कुछ इतनी आसानी से नहीं खत्म कर सकती।"

संध्या –(ये सुनकर रमन को अपने आप से दूर धकेलती हुई गुस्से में बोली) नही थी होश में मैं उस रात में अगर होती तो एसा कुछ भी नही होता , भ्रष्ट हो गई थी बुद्धि मेरी जिसकी सजा भुगत रही हूं अपने अभय से दूर होके इसलिए आज मैं आखरी बार तुझे समझा रही हू रमन उस मनहूस रात को जो हुआ वो सब उस रात ही खत्म कर दिया मैने। तो इसका मतलब तू भी समझ जा सब कुछ खत्म, अब चुप चाप जा यहां से। और याद रखना एक बात आइंदा से गलती से भी दुबारा मेरे साथ ऐसी वैसी हरकत करने की सोचना भी मत।"

रमन –(झटके पे झटका लगा वो समझ नही पा रहा था की आखिर संध्या को क्या हो गया) पर भाभी....."

संध्या -- बस मैने कहा ना , मुझे कोई बात नही करनी है इस पर। अब जाओ यहा़ से..."

संध्या के कमरे के बाहर छुप के खड़ी एक औरत इनकी बाते सुन कर हल्का सा मुस्कुरा रही थी जब उसने रमन के आने की आहट सुनी वो औरत चुप चाप निकल गई वहा से जबकि बेचारा रमन, अपना मुंह बना कर संध्या के कमरे से दबे पांव बाहर निकल गया। संध्या भी चुप चाप अपने कमरे का दरवाजा बंद करती है और अभय की तस्वीर को अपने सीने से लगाए अपने बिस्तर पर आकर लेट जाती है।

अगले दिन रात का समय था रेलवे स्टेशन से एक लड़का अपने हाथ में बैग लिए गांव को जाने वाली सड़क पे चला जा रहा था तभी वो लड़का गांव की सरहद में आते ही


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झुक के जमीन पे अपना हाथ रख के मुस्कुराया

लड़का – आज मैं वापस आगया मेरे अपनो के खातिर
.
.
.
.
जारी रहेगा ✍️✍️
Damn. Sandhya really had an affair with Raman😐.

Dekhte hai aage kya hota hai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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I agree,,,
Mujhe bhi lagta hai 600 crore Is to Mach value wo bhi 1 sikke ki
main ne google kiye toh 300 Sal purane sikke ki price 7 crore hai
Aaaaaaayyyyyeeeeee
Ye kya hai bhai matlab IMAGINATION ko aap google me search kar rhe ho😂😉😂😂😂😂
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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(एक बड़े सा हाल का कमरा बना हुआ था जिसमे सोना ही सोना (GOLD) चारो तरफ हाल में सोना था....)
ab is baat ka kya matlab ham samjhe ki haal me sikke hi hai ya fir aur bhi kuch gold ki cheze hai
aur ab to arjun aur Alita bhi sak ke ghere me aa rahe hai kyon ki wo aurat aur admi amne samne baythe the aur wo mohra jishki baat ush aurat ne ki kya wo soniya hai ya fir koi aur. Ek baat samajh nahi aayi a abhay ke khte hi Alita ne 600 crore transfer Kar di vo bhi itni jaldi kayse mana baap paise wala hai par 600 cr bahut jyada hota hai bhai
sak ke dayre me
malti,,,,,bacchi ko Liya hai (40%)
Lalita,,,,,behavior changes (40%)
Sanaya,,,,,sabse karibi (60%)jo ish update se kam hua
Arjun,,,,, abhay aur sandhya ke karib (50%)
Alita,,,, karibi hai (60%)
Sunaina thakur.,,,,, mystery
dekhte hai aage kya hota hai
banao na ayse suspense re ,
jaan leloge kya suspense se😅🤣🤣
Chalo dekhte hai aapko kahee hue baaki baato me kitna such hota hai story me😂😂😂
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Ok why not,,,, any problem
Galt bat maine read nahi kia tha bhai
 

DEVIL MAXIMUM

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Mahesh007

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Arjun ke pas bhi is khajane ka 50%he ye bat to pahale hi hogai thi kamal thakur aur bade thakur ne batbara karliya tha
Is kahani ka mukhay vilen tesra thakur hona chahiye jiske pas badi thakurain bhi hogi aur uske admi habeli me bhi hone chahiye insaf bali paheli sayed ye he ki is khajane me uska bhi koi hissa ho ya bo khandahar bali jagah isi se kharidi ho
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Reading ur story bhai… magar abhay itna chutiya kyu hai…. Uski maa se itna pyaar karta hai … or itna attitude kyu dikha raha hai… are maa hai kitni bar jukayega…. Sab ek galti maaf kar dete hai… ye tho chutiyo ki tarah apni life maje me ji raha hai… apni maa ko marne ke liye chod ke …..
or ek ladki (Payal) ke nakre jail raha hai….
agar uski maa ne ek bar sex kar liya tho kya hua . Is chutiye ne tho uski maami or helper ko chod diya or Payal ke piche hai….
Ye kaha se incest story huyi yaar ….
He should leave everyone n try to win her mother . Story ki maa behen kyu kar rahe ho bhai ….
Dekho mitra, mwra maanna hai ki story likhne per kewal writer ka adhikaar hota hai, khali prefix incest hone se kya hi fark padta hai? Agar tujhe us se dikkat hai to alag baat hai? :?: Baaki sex to isme waise bhi hai, doosri baat only sex se story hit nahi hoti:nope: Btw. Meri pichli story super hit thi, likin usme sex ka namonisaan bhi nahi tha:declare: Aur meri current story me bhi nahi hai, lekin wo bhi ek badhiya story hai, wo baat alag hai, ki yaha kai chumatiye aise bhi aate hai jinhe khaali maa bahan ki chudai padhna pasand hai bc,:approve:
 

Raj_sharma

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Aaaaaaayyyyyeeeeee
Ye kya hai bhai matlab IMAGINATION ko aap google me search kar rhe ho😂😉😂😂😂😂
:haha:Kitne tejsvi log bhare pade hai yaha be, acha hai meri thread pe nahi aate aise, warna apun to jhel hi nahi paate:nope:
 

DEVIL MAXIMUM

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