Dekha maine just abhi yahe bat boli kisi ne update dhyan se nahi read kia agar aapne read kia hota to aapko bhi pata hota ki khajana Arjun ke pita Kamal Thakur or Abhay ke Dada Ratan Thakur ne mil ke paya or batwara bhi kia aadha aadha aapas meIs baat ki possibility bahut kam hai kyon ki arjun ko khajane ke baar me Pata hi nahi tha aur ye baat ushne kud nahi thi salini se
UPDATE 48
रात का वक्त था इस समय हवेली में सब अपने कमरे में सोने की तैयारी कर रहे थे संध्या के कमरे में चांदनी और शालिनी बैठ बाते कर रही थी....
संध्या – शालिनी तुम्हे पता था उस जगह में रमन ड्रग्स का कारोबार कर रहा है फिर तुमने एक्शन क्यों नहीं लिया....
शालिनी – दरसल बात ये है संध्या मैने जान बूझ के उस वक्त रेड डाली जब वहा पर कोई नहीं हो अभय की बताई बात से मै ये तो समझ गई थी रमन बहुत शातिर है जो इंसान गांव में रह के तुम्हारी नाक के नीचे इतना बड़ा कारोबार कर रहा है इतने सालों से उसकी खबर तुम्हे तक लगने नहीं दी उसने तो सोचो जरा तुम भी अपने आप को बचाने के लिए क्या उसने इस बार मे पहले से सोच के नहीं रखा होगा....
संध्या – हम्ममम, लेकिन एक बात समझ नहीं आई जब तुम्हे और चांदनी को पता था मुनीम और शंकर को अभय ने हॉस्टल में रखा हुआ है फिर तुमने कोई कदम क्यों नहीं उठाया....
शालिनी –(मुस्कुरा के) तुम्हे ऐसा लगता है इतनी बड़ी बात जानने के बाद मै चुप बैठूंगी....
संध्या –(बात ना समझ के) मै समझी नहीं....
शालिनी –(मुस्कुरा के) मेरी प्यारी बहना तेरे अभय ने मुझे पहले ही सब कुछ बता दिया था शंकर से लेके मुनीम तक की सारी बात बता दी थी हा उसने चांदनी को ये बात नहीं बताई क्योंकि अभय जनता था अगर चांदनी को पता चल गई ये बात तो वो कोई रिस्क नहीं लेगी अभय के लिए और जब अभय ने मुझे बताई ये बात तब मै गई थी मिलने अभय के साथ हॉस्टल में मुनीम से....
संध्या – क्या बात हुई तुम्हारी मुनीम से....
संध्या की बात सुन शालिनी मुड़के चांदनी को देखने लगी जिसके बाद....
चांदनी –(सीरियस होके) मौसी मां पहले बात की गहराई नहीं समझी थी कि मुझे CBI CHIEF ने गांव में आखिर किस लिए भेजा है लेकिन मुनीम से मिलने के बाद समझ आ गई बात मां को....
संध्या – क्या मतलब है इसका....
फिर चांदनी ने संध्या को कुछ बात बताती है जिसे सुन के संध्या की आंखे बड़ी हो जाती है संध्या को देख के मानो ऐसा लग रहा था जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रही हो और जब चांदनी की बात खत्म होते ही....
संध्या – (शालिनी को देख हैरानी से) अब क्या होगा शालिनी....
शालिनी – तुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है अभय अकेला नहीं है यहां उसके दोस्त है और अब तो अर्जुन भी आ गया है गांव में वैसे भी अर्जुन परसो आ रहा है यहां मेले की शुरुवात होने वाली है पूरा ठाकुर परिवार जाएगा कुल देवी की पूजा करने उस दिन....
संध्या –(मुस्कुरा के) हा इस बार पूजा की शुरुवात अभय करेगा....
शालिनी – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल अब तो वो तेरे साथ है तुझे जो अच्छा लगे कर....
तभी शनाया कमरे में आई....
शनाया – क्या गप शप हो रही है यहां पर....
शालिनी – कुछ खास नहीं बस थोड़ी देर संध्या के साथ बैठने का मन हुआ सो बैठ गई....
चांदनी – वैसे मां आज कहा सोगे आप....
संध्या – शालिनी का घर है जहां चाहे वहा सो जाएं....
शालिनी – अभय सो गया क्या....
चांदनी – हा मा सो गया अभय....
शालिनी – ठीक है फिर आज मैं यही सो जाती हूँ संध्या के साथ....
चांदनी – ठीक है मां लेकिन शनाया जी कहा सोएगी....
शनाया – मेरी फिकर मत कर मुझे थोड़ा कॉलेज का काम करना है देर हो जाएगी सोने में तू सो जाना मै बाद में आके सो जाओगी....
चांदनी – अंधेरे में काम कहा करोगे आप....
शनाया – हॉल में काम करूंगी खत्म होते ही आ जाऊंगी सोने तेरे पास....
चांदनी – ठीक है....
बोल के चांदनी और शनाया कमरे से चले गए काफी देर हो गई थी हॉल में बैठे शनाया को काम करते हुए काम खत्म करते ही उठ के सीधा चली गई अभय के कमरे में जहां अभय बेड में आंख बंद सोया हुआ था....
शनाया –(बेड में अभय को सोया देख मुस्कुरा के) बड़ी जल्दी सो गए....
बोल के अपने कपड़े उतार अभय की ओढ़ी हुई चादर जैसे हटाई तुरंत अभय ने अपने ऊपर खींच लिया शनाया को
इसके साथ दोनो एक गहरी किस करने में डूब गए किस करते वक्त अभय ने धीरे से शनाया की ब्रा खोल दी
पलट के शनाया के ऊपर आके किस करने लगा दोनो इस कदर डूबे थी किस करने में जैसे बरसो बाद प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिला हो
तभी शनाया ने दोनो हाथ नीचे ले जा के अभय की टीशर्ट उतार दी गले लग के अभय की गर्दन को चूमते हुए नीचे झुक गई
जिस बात का फायदा उठा के अभय ने शनाया की पेंटी को अपने पैर से खींच के तोड़ दी उसकी डोरी
और शनाया को बेड में हल्का ऊपर कर उसके ऊपर आ के बूब्स को चूमने लगा जिस कारण शनाया मदहोश होने लगी
शनाया के बूब्स को अपने दोनों हाथों से सहलाते हुए किस कारण3 लगा अभय
किस करते हुए शनाया धीरे से नीचे आके लंड को मू में लेके चूस रही थी
अभय की आखों में देखते हुए शिद्दत से चूसने में गुम हो गई
अभय के पेट में हाथ फेरते हुए मदहोशी में लीन हो गई तभी अभय ने शनाया का हाथ पकड़ शनाया को बेड में लेटा
चूत चूसने लग गया चूसते चूसते तेजी से अपनी जबान छूट के अन्दर चलने लगा
शनाया मदहोशी में अभय के सर में हाथ लगा उसे चूत में दबाने लगी
अभय उठ के सीधा खड़ा को के शनाया की चूत में लंड घिसने लगा....
शनाया –(मदहोशी में) तड़पाओ मत अभय डाल दो जल्दी से प्लीज अभय....
शनाया की बात सुन मुस्कुरा के लंड को चूत में डाल दिया....
मदहोशी में शनाया की आंखे बंद हो गई जैसे दर्द की दवा मिल गई को उसे
शनाया की मदहोश भरे चेहरे को देख अभय मुस्कुरा के धक्के लगाने लगा जिसे शनाया के चेहरे पे हल्की मुस्कान आ गई थोड़ी देर की धक्का मक्की के बाद शनाया पलट के अभय के ऊपर आके
लंड को चूत में डाल ऊपर नीचे होने लगी शनाया हल्के हल्के धक्के लगा रही थी
धीरे धीरे शनाया के धक्के की स्पीड बढ़ गई
धक्कों के बीच शनाया नीचे झुक के अभय को चूमती रही
अभय ने तुरंत शनाया के सर को पीछे से पकड़ चूमते हुए नीचे से तेजी से धक्का लगाने लगा
तुरंत पलट शनाया को घोड़ी बना के पीछे से चूत में धक्का लगाने लगा
धीरे धीरे अभय ने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी जिससे शनाया फिर से मदहोश होने लगी
शायद अभय अपनी चरम सीमा तक आने को हो रहा था तभी शनाया को बेड में पीठ के बल लेट दोनो पैर ऊपर कर तेजी से चूत में लंड से धक्का लगाने लगा
तेज धक्कों की वजह से शनाया भी अपने चरम सीमा तक आ गई
कुछ ही देर में अभय और शनाया एक साथ चरमसुख को प्राप्त हो गए
जिसके बाद अभय शनाया के बगल में आ गया
अपने बिखरे बालों पे हाथ फेरते हुए शनाया और अभय लंबी लंबी सास ले रहे थे कुछ समय बाद अपनी सास कंट्रोल होने के बाद....
शनाया –THANK YOU अभय....
अभय –किस लिए....
शनाया – तुमने मेरी बात मान के संध्या से बात की....
अभय – (मुस्कुरा के) अब वादा किया है तो निभाना पड़ेगा ही ना....
शनाया – (मुस्कुरा के) हम्ममम संध्या बहुत खुश है अब....
अभय – और आप....
शनाया – ये बार बार आप आप क्यों लगा रखा है तुमने....
अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा तो क्या नाम लेके बात करू....
शनाया – हा बिल्कुल मेरा नाम लेके बात करो....
अभय – अगर किसी ने टोक दिया तो....
शनाया – तो अकेले में बोला करो जब हम दोनो साथ हो अकेले....
अभय – तो MY LOVE शनाया अब खुश हो ना...
शनाया – हा बहुत खुश....
अभय – तो आज यही सोगी ना....
शनाया – नहीं अभय आज चांदनी के साथ सोना है काम का बहाना बना के आई हूँ मुझे जाना होगा कमरे में तुम्हारी बहन पुलिस वाली है उसके सवालों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा मुझे....
अभय –(हस्ते हुए) अच्छा होता अगर मैं हॉस्टल में होता क्यों....
शनाया – बिल्कुल नहीं उससे अच्छा ये है तुम यहां हो वहां मै कभी कभी आती लेकिन यहां पर जब मन किया तब....
अभय – अच्छा बाबा ठीक है जो बोलो वो सही....
शनाया – THATS LIKE MY LOVE अच्छा चलती हूँ मैं काफी देर हो गई है कल कॉलेज भी जाना है....
अभय – ठीक है आज दर्द तो नहीं हो रहा है....
शनाया –(मुस्कुरा के) एक बार होता है दर्द बस....
अभय –मुझे लगा आज भी दर्द हो रहा होगा....
शनाया – हा दर्द तो हो रहा है आज भी लेकिन मजा उससे ज्यादा आया आज जाने कुंवारी लड़की का क्या हाल करोगे तुम....
अभय – जैसे तुम्हारा सही हो गया वैसे उसका भी हो जाएगा....
अभय की बात सुन शनाया ने कपड़े पहन अभय के गाल को चूम के अपने कमरे में चली गई सोने अगली सुबह अभय जल्दी से उठ के निकल गया अपनी एक्सरसाइज करने हवेली के गार्डन में जबकि इस तरफ सुबह संध्या की नींद जल्दी खुल गई उठते ही संध्या को बाथरूम जाना था लेकिन शालिनी को नीद से जागना उसने ठीक नहीं समझा पैर को जमीन में धीरे से रख खड़ी होके चली गई कुछ समय में बाहर निकल के अपनी बालकनी में आके आज संध्या को अपने पैर में अब उसे कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा था बालकनी के नीचे उसकी नजर एक्सरसाइ करते अभय पर पड़ी मुस्कुरा के अभय को देखती रही थोड़ी देर बाद पीछे से संध्या के कंधे पर शालिनी ने हाथ रखा...
संध्या –(पलट के शालिनी को देख) तुम जाग गई....
शालिनी –(चुप रहने का इशार कर संध्या को वापस कमरे में ले जाके) तू ऐसे बाहर क्यों गई अगर अभय देख लेता तो....
संध्या – तो क्या हुआ....
शालिनी –(मुस्कुरा के) तू भी ना पूरी पागल है चुप चाप बस बेड में बैठी रह तू वर्ना भूल जा अगर अभय तुझे देख लेता तो फिर तुझे खुद चल के नीचे आना पड़ता समझी मेरी बात....
संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक तो होना ही है मुझे तब क्या करूंगी....
शालिनी – तब को छोड़ कुछ समय के लिए ऐसे रह तू बस चल मै जा रही हो तैयार होने फिर तू भी तैयार हो जाना....
बोल के शालिनी तैयार होने चली गई इधर अभय भी अपनी एक्सरसाइ कर कमरे में आके तैयार हो गया कमरे से बाहर आते ही गलियारे में चांदनी और शनाया मिल गए....
चांदनी – (अभय से) तू आ गया तेरे पास आ रही थी मैं....
अभय – कोई काम था दीदी....
चांदनी – हा मौसी को नीचे ले जाना है....
अभय – ठीक है चलो फिर....
बोल के अभय , शनाया और चांदनी सीधे संध्या के कमरे में दाखिल हुए जहां शालिनी और संध्या तैयार बैठे थे संध्या को तयार देख अभय ने तुरंत पास जाके संध्या को गोद में उठा लिया और लेके सीधे हाल में आ गया जहा सबने मिल के नाश्ता किया जिसके बाद अभय कॉलेज के लिए निकल गया कॉलेज में आते ही दोस्त मिल गए अभय को आपस में बाते करने लगे तभी....
M M MUNDE – कैसे हो अभय....
अभय – मामा मै मस्त हु आप बताओ....
अभय के मू से मामा सुन....
राजू , लल्ला और राज एक साथ – मामा कैसे कब....
अभय – अरे यार मैं तुमलोगो को बताना भूल गया....
फिर अभय ने तीनों दोस्तों को बताई पूरी बात जिसे सुन....
राज – तब तो हमारे भी मामा लगे ये....
M M MUNDE – वाह वाह वाह वाह ऐसा चलता रहा तो वो वक्त दूर नहीं जब लोग हमें जगत मामा के नाम से पुकारने लगेगे....
बात को सुन चारो दोस्त हसने लगे....
अभय – वैसे मामा आप अकेले आए हो या हमारी मामी भी साथ आई है गांव में....
M M MUNDE –उफ़ ये कैसा सवाल पूछ लिया भांजे....
राजू – क्या हो गया मामा....
M M MUNDE – पूछो मत भांजे श्री इस जालिम दुनिया ने तुम्हारे मामा को इतना वक्त भी नहीं दिया कि तुम्हारे लिए मामी ढूंढ सके....
अभय –(चौक के) मतलब मामा आपने अभी तक....
M M MUNDE – हा भांजे जी तुम्हारे मामा अभी तक कुंवारे ही है देखो तो तुम्हारे गांव में 178 परिवार रहते है जिसमें में 8 औरते ने आज तक शादी नहीं की हा ये बात अलग है दूसरों की शादी में नाची बहुत है लेकिन अभी भी क्वारी है बेचारी बिल्कुल तुम्हारे इस मामा की तरह वैसे गांव में है तो और भी औरते जिनके पति शहर में गए अभी तक वापस नहीं आए वो और कुछ औरते है जिनके पति ही नहीं रहे दुनिया में...
M M MUNDE की बात सुन के चारो दोस्त जोर से हसने लगे तभी....
राज –(राजू के कान में धीरे से) देख ले बेटा हम तो तुझे समझते थे कि तू ही इस गांव का नारद मुनि है लेकिन ये तो तेरे से भी 10 कदम आगे निकला....
राजू –(राज की बात सुन) मामा आपको इतनी जानकारी कैसे मिल गई....
M M MUNDE – भांजे ऐसे ही हमें लोग नहीं बोलते है बताओ क्या....
राजू – मुंडे....
M M MUNDE – नाना भांजे M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबाल गम लो ना एक लेलो....
राजू –(बबलगम लेके) समझ गया मामा....
तभी कॉलेज की घंटी बज गई जिसके बाद सभी क्लास में जाने लगे तभी अमन दूसरे गांव के ठाकुर के 2 लड़कों के साथ क्लास में जा रहा था....1– रवि ठाकुर , 2 – तेज ठाकुर , कहने को दोनो चचेरे भाई है इस गांव से करीबन 60 किलो मीटर दूर गांव में रहते है हफ्ते में 2 दिन के लिए आते है कॉलेज इनके मां बाप अपने गांव के नामी ठाकुरों में से है लेकिन संध्या ठाकुर से इनकी बनती नहीं है लेकिन मजबूरन वश इन्हें संध्या की बात के आगे हा में हा मिलनी पड़ती है क्योंकि संध्या ठाकुर को उनके ससुर रतन ठाकुर ने हवेली का सारा भार सौंप के दुनिया से विदा हो गए थे लेकिन उससे पहले रतन ठाकुर ने जाने से पहले संध्या को काम काज की सारी जानकारी दे दी थी जिस वजह से आगे चल के संध्या को हवेली का कार्य भार संभालने में कोई दिक्कत नहीं हुई साथ अपने अच्छे व्यवहार के कारण संध्या ने अच्छा नाम बना लिया कई बड़े लोगो के बीच ये सब तब तक जब तक अभय घर से चला नहीं गया था खेर एक तरह से कह सकते है रवि और तेज ठाकुर के मां बाप साल में केवल एक बार ही इनकी मुलाक़ात संध्या से होती है जब गांव में कुलदेवी के मंदिर में मेला लगता था खेर क्लास में जाते ही पढ़ाई शुरू हो गई कॉलेज खत्म होने के बाद सब बाहर निकलने लगे अभय अपने दोस्तों के साथ आगे चल रहा था पीछे से अमन , रवि और तेज साथ में चल रहे थी धीरे धीरे बात करते हुए....
रवि – कल से मेला शुरू हो रहा है गांव में अमन इस बार का क्या प्लान है....
तेज – हा यार अमन पिछली बार तो तूने वादा किया था पूनम के लिए लेकिन सारा मजा तूने खुद ले लिया इस बार धोखा मत देना....
अमन – यार इस बार गड़बड़ हो गई है पूनम नहीं आएगी....
रवि – अबे ड्रामा मत कर यार मेले के बहाने से हम दोनों गांव में रुक पाते है तू जानता है ना....
तेज – अमन अगर पूनम नहीं आएगी तो किसी और का जुगाड करवा दे भाई....
अमन – (चौक के) क्या मतलब....
रवि –(एक तरफ इशारा करके) वो सामने देख तीन तीन मस्त आइटम जा रहे है....
अमन –(सामने देखता है जहां नूर , नीलम और पायल एक साथ जा रहे थे) अबे पगला गए हो क्या अगर पायल की तरफ देखा तो मेरी ताई मां जिंदा नहीं छोड़ेगी किसी को....
तेज – अबे ये तेरी ताई मां बीच में कहा से आ गई....
रवि – वैसे तेरी ताई मां भी किसी से कम है क्या....
अमन – (गुस्से में) ज्यादा फालतू की बकवास मत कर समझा मेरी ताई मां है वो....
तेज – अबे तेरी ताई है वो सिर्फ तेरी असली मां के लिए नहीं बोल थे है बे हम....
रवि – वैसे भी तेरी ताई के पीछे दूसरे गांव के ठाकुर भी पड़े है उनको मौका मिल जाय वो छोड़ेंगे थोड़ी ना....
तेज – यार अमन कुछ कर ना यार तेरा गांव है क्या तेरी इतनी भी नहीं चलती है क्या गांव में....
अमन – ऐसा कुछ नहीं है बे आज भी चाहूं तो बहुत कुछ हो सकता है....
रवि – तो देर किस बात की यार कुछ जुगाड कर दे यार....
अमन – वही सोच रहा हू कैसे....
तेज – वही कर यार जैसे पूनम के साथ किया था पिछली बार....
अमन – लेकिन मेरे पास दावा नहीं है बे....
तेज – लेकिन मेरे पास है पिछली बार मेले में मैने खरीदी थी पानी में मिला के देना है बस तुझे....
अमन – किसको देना है....
रवि – ये तीनों आइटम है ना या संध्या को दे दे बाकी हम सम्भल लेगे तू चिंता मत कर तीनों मजा लेगे किसी को पता भी नहीं चलेगा....
अमन – दिमाग तो सही है तुम दोनो का मार डालेगी मुझे ताई मां....
तेज – तू डरता क्यों है बे जब हम करेंगे तब वीडियो बना लेगे उसके बाद तेरी ताई हो या ये तीनों हो कोई कुछ नहीं बोलेगा और परमानेंट काम बन जाएगा अपना सोच अमन सोच तुझे किसी चीज के लिए कभी मना नहीं कर पाएगी तेरी ताई कभी....
अमन – (रवि और तेज की बात सोचते हुए) हा यार जब से गांव में वो लौंडा आया है तब से ताई ने जीना हराम कर दिया है मेरा और मेरे पिता जी का....
रवि – फिर सोचना कैसा यही वक्त है बदला लेने का एक तीर से दो शिकार हो जाएगा अपने को मजा मिलेगा और तुझे सब कुछ मिलेगा....
दोनो की बात सुन अमन मुस्कुराने लगा साथ में रवि और तेज भी साथ हस्ते हुए निकल गए घर की तरफ इस बात से अंजान कोई था इनके पीछे जो इनकी सारी बात सुन रहा था जिसके बाद वो सीधा गया राजू के पास जहां राज , राजू और लल्ला आपस में बात कर रहे थे जबकि अभय निकल गया था हवेली....
लड़का –(राजू से) अबे राजू कैसा है बे....
राजू – अबे अमित मै मस्त हु और तू बता....
अमित – एक काम की खबर लाया हूँ मै....
राजू – अच्छा क्या बात है बता तो....
अमित – पहले जेब हल्की कर फिर बताता हु....
राजू – तू सुधरे गा नहीं (अपनी जेब से 50 का नोट देके) अब बता क्या बात है....
अमित – सिर्फ 50 रुपए अबे बात 50 वाली नहीं है ये जो मेरे पास है....
राजू – (चौक के) अबे ऐसी कौन सी बात है जो आज तू इतना बड़ा मू खोल रहा है बे....
अमित – बात कोई मामूली नहीं है समझा तेरी आइटम और ठकुराइन की है बात....
अमित के मू से ठकुराइन नाम सुन....
राज –(बीच में) ऐसी कौन सी बात है अमित बता तो....
अमित –(मुस्कुरा के) पहले कुछ....
राज – (जेब से 500 का नोट देते हुए) अब बता क्या बात है....
फिर अमित ने सारी बात बता दी जिसके बाद....
राज –(सारी बात सुन के) ठीक है तू जा अमित लेकिन ध्यान रहे किसी और को पता ना चले इस बारे में वर्ना तू जानता है ना....
अमित – मै पागल थोड़ी हूँ जो किसी और को बता दो ये बात....
बोल के अमित चला गया उसके जाते ही....
राजू –(गुस्से में) मादरचोद ये अमन अपनी औकात से ज्यादा बोल दिया इसने आज जिंदा नहीं छोड़ोगा इसको मै....
राज – (राजू के कंधे पे हाथ रख के) उससे पहले हम जो करेंगे उसे मरते दम तक याद रखेगा अमन और उसके दोनों दोस्त....
लल्ला – मैं तो बोलता हु हमें अभय को बता देना चाहिए इस बारे में....
राज – अभी नहीं अगर गलती से उसे पता चल गया तो हवेली में अमन की जिंदगी का आखिरी दिन होगा आज....
राजू – अबे तुझे क्या लगता है उसे पता नहीं चलेगा इस बारे में वैसे भी देखा नहीं ठकुराइन ने रमन के सामने ही उसका सारा काम हम चारो को दे दिया है....
राज –(राजू की बात के बारे में सोचते ही एक कुटिल मुस्कान के साथ) सही कहा बे तूने अभय को बता देना चाहिए हमे ये बात....
लल्ला – क्या मतलब है तेरा....
राज – (अपना मोबाइल जेब से निकल के) बस देखता जा....
अभय को कॉल मिला के....
राज –अभय कहा है तू अभी....
अभय –रस्ते में हूँ हवेली के बाहर आगया बस....
राज – एक काम कर तुरंत वापस आपने अड्डे में बहुत जरूरी बात करनी है....
अभय –तो बता दे फोन पे बात....
राज – नहीं सामने बैठ के बात करेंगे हम....
अभय –आता हु....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद चारो दोस्त अपने अड्डे (गांव की पुलिया) में मिले....
अभय – (राज से) अबे ऐसी क्या बात हो गई तूने तुरंत वापस बुला लिया मुझे....
राज –(सारी बात बता के) अब समझा क्यों बुलाया मैने तुझे....
अभय –साला दोनो बाप बेटे एक नंबर के हरामी है....
राज –सुन गुस्से से नहीं दिमाग से काम ले इसीलिए तुझे कॉल पे नहीं बताई बात मैने....
अभय – (मुस्कुरा के) नहीं यार अब तो गुस्से से नहीं इनके साथ तो वही खेल खेल रहा हू मै जैसे मेरे साथ बचपन से खेलते आए है दोनो बाप बेटे....
राज –(हस्ते हुए) बहुत खूब मेरे लाल जा दिखा दे हवेली में जाके अपना कमाल फिर से....
राज की बात सुन अभय हस्ते हुए निकल गया हवेली की तरफ अभय के जाते ही....
राजू –मै कुछ समझा नहीं क्या करने वाला है अभय अब....
राज – बचपन से अमन और रमन ने अभय के पीठ पीछे जो किया था वही अभय करने वाला है उनके साथ भी अब देखना अभय क्या करता है इन दोनों बाप बेटों का....
इधर अभय हवेली जैसे आया हाल में शनाया को छोड़ सभी बैठ बाते कर रहे थे....
शालिनी – (अभय को देख) आ गया तू कैसा रहा कॉलेज का दिन....
अभय –(शालिनी के बगल में बैठ) अच्छा था मां आप बताओ आपका कैसा रहा दिन आज का....
शालिनी – एक दम मस्त सुबह से बाते ही बाते कर रहे है हमलोग चल जल्दी से फ्रेश होजा खाना खाते है सब....
बोल के अभय जाने लगा अपने कमरे में तभी शनाया भी आ गई हवेली वो भी जाने लगी कमरे में ऊपर आके....
अभय – (शनाया से) कैसा रहा आज का दिन....
शनाया –(मुस्कुरा के) बहुत अच्छा तुम बताओ कल रात के बाद तुम सुबह जल्दी कैसे उठ गए....
अभय –(मुस्कुरा के) आदत है मैडम शुरू से मेरी ऐसे नहीं जाने वाली....
शनाया – अच्छा....
अभय –(मुस्कुरा के) चाहो तो आजमा लो आज रात में फिर से....
शनाया – ना ना बिल्कुल नहीं....
अभय – क्यों क्या हुआ....
शनाया – सांड हो तुम पूरे एक बार चढ़ गए तो रुकते कहा हो वैसे क्या तुम्हे पता नहीं कल सुबह जल्दी उठ के मेले में जाना है जल्दी सोऊंगी तभी तो सुबह जल्दी उठूंगी....
अभय –(मुस्कुरा के) कोई बात नहीं तो कल रात को ट्राई कर लेना....
शनाया –(मुस्कुरा के) हा ये ठीक रहेगा वैसे भी परसो सन्डे है कॉलेज भी बंद रहेगा....
बोल के शनाया अपने कमरे में चली गई इधर अभय भी अपने कमरे में जैसे हो गया तभी....
सायरा –(अभय के कमरे में जल्दी से आ दरवाजा बंद कर पीछे गले लग के) क्या बात है हवेली क्या आ गए मुझे भूल ही गए तुम....
अभय –(पलट के सायरा को देख) अरे तुम्हे कैसे भूल सकता हू मै तुम ही तो मेरी इस हवेली में एक इकलौती दोस्त हो वैसे ये बात तो मुझे पूछनी चाहिए तुम कहा थी दिखी नहीं मुझे....
सायरा – काम में फंस गई थी मैं अच्छा सुनो मुझे कुछ जरूरी बात करनी है तुमसे....
अभय – हा बताओ ना क्या बात है....
सायरा –(मुस्कुरा के) अभी नहीं रात में सबके सोने के बाद आऊंगी तुम्हारे कमरे में तब....
अभय –(मुस्कुरा के) लगता है आज मैडम का इरादा नेक नहीं है....
सायरा – बिल्कुल आज तो तुझे कच्चा खा जाने का मन बना लिया है मैने....
अभय –अच्छा ठीक है फिर तो रात का इंतजार रहेगा मुझे....
इसके बाद सायरा चली गई कमरे से बाहर थोड़ी देर में अभय और शनाया नीचे आए खाना खा लिया सबने....
शालिनी – (खाना खाने के बाद) चलो चल के कमरे में आराम करते है....
अभय – मां मै जा रहा हु बाहर....
शालिनी – बाहर क्यों....
अभय –मां कल रात में खाना खाते वक्त बताया था ना गांव के काम के लिए जाना है रोज....
शालिनी – अरे हा मेरे ध्यान से उतर गया था ठीक है संध्या को कमरे में छोड़ के जा....
बोल के अभय ने संध्या को गोद में उठा सीडीओ से जाने लगा कमरे में इस बीच संध्या सिर्फ मुस्कुरा के अभय को देखती रही कमरे में आते ही....
संध्या –(अभय से) थोड़ी देर बैठ जा मेरे साथ....
अभय –(संध्या के बगल में बेड में बैठ के) एक बात बोलनी है मुझे....
संध्या – हा बोल ना पूछना क्या इसमें.....
अभय – वो पूनम और उर्मिला के बारे में क्या सोचा है....
संध्या –मेरी बात ही थी डॉक्टर से आज उर्मिला ठीक हो गई है कल अस्पताल से घर आ जाएगी वो , मैने सोचा है पूनम और उर्मिला को यही हवेली में बुलालू उनको नीचे वाले कमरे में रहने के लिए....
अभय – क्या वो मानेगी....
संध्या – कल मेले में जाते वक्त मिलती जाऊंगी उर्मिला से तू चलेगा साथ में मेरे....
अभय – ठीक है....
संध्या – अभय कल मेले की शुरुवात मै चाहती हु तू करे....
अभय – शुरुवात मेरे से मै कुछ समझा नहीं....
ललिता –(संध्या के कमरे में आके) लल्ला मेले की शुरुवात ठाकुर परिवार के लोग बकरे की बलि देके करते है ये रिवाज बाबू जी के वक्त से चला आ रहा है....
अभय – बकरे की बलि से लेकिन क्यों....
ललिता – लल्ला बंजारों का मानना है बलि से देवी मां प्रसन्न होती है साल में एक बार मेले की शुरुवात के पहले दिन में ये परंपरा चली आ रही है बाबू जी के वक्त से और तू जानता है बंजारे कहते है मेले की शुरुवात के पहले दिन देवी मां भी आती है हमारे कुल देवी के मंदिर में ये बात अलग है किसी ने देखा नहीं है आज तक लेकिन बाबू जी बताते थे एक बार उन्होंने दर्शन किए थे देवी मा के मेले में....
अभय – लेकिन मैं ही क्यों और....
ललिता –(बीच में अभय की बात काट उसके कंधे पे हाथ रख के) लल्ला तू ही इस हवेली की गद्दी का वारिस है ये तेरा धर्म भी है पूरे गांव के प्रति और मेले में आए बंजारों के लिए भी सब तुझे ही देखना है....
अभय – ठीक है....
ललित ने मुस्कुरा अभय के सिर पे हाथ फेर दिया तभी चांदनी और शालिनी संध्या के कमरे में आके....
चांदनी – मौसी दवा का वक्त हो गया है खा के आराम आरो आप....
अभय – मुझे एक और बात बोलनी है....
संध्या – हा बोलो ना....
अभय – वो अमन (आज कॉलेज में जो हुआ सब बता के) रमन की तरह हरकते करने में लगा है उसे रोक लीजिए कही....
बोल के अभय चुप हो गया जबकि अभय की बात सुन संध्या और ललिता का गुस्से का पारा बढ़ गया जिसके चलते ललीता तुरंत उठ के अमन के कमरे मे चली गई जहां अमन बेड में लेटा हुआ था उसी वक्त ललिता ने अमन के कमरे में पड़े स्टंप उठा के लेटे हुए अमन को मारने लगी जिसके बाद अमन की चीख गूंजने लगी कमरे में जिसे सुन सब कमरे के बाहर खड़े देखने लगे संध्या को भी आज बहुत गुस्सा आया इसीलिए वो भी चुप चाप कमरे के बाहर व्हील चेयर में बैठ सबके साथ खड़े होके तमाशा देख रही थी....
अमन –(मार खाते हुए) मां क्यों मार रहे हो दर्द हो रहा है रुक जाओ प्लीज मां....
ललिता –(गुस्से में चिल्ला के) हरामजादे तो अब तू ये भी हरकत करने लगा है दूर गांव के ठाकुर के बेटों के साथ क्या प्लान बनाया था तूने पायल पर गंदी नजर डालेगा तू कुत्ते सुवर आंख उठा के भी देख उसे तेरी जान लेलूगी मै और क्या बोल रहा था दोस्तो से नूर और नीलम के लिए भी तूने , कितना प्यार दिया तुझे और तेरी ये सोच छी (गुस्से में) तू भी अपने बाप का ही खून है जैसा बाप वैसा बेटा....
बोल के एक और मारा अमन के कमर में....
ललिता – (गुस्से में) ध्यान से और कान खोल के मेरी बात सुन ले आज और अभी से तेरा कॉलेज जाना बंद अब से तू भी गांव के किसानों के साथ खेती करेगा और अगर तूने जरा भी आना कानी की तो याद रखना भूखा सोना पड़ेगा तुझे....
बोल के ललिता तुरंत कमरे से चली गई साथ में बाकी के सब लोग भी सिर्फ अभय को छोड़ के अमन के कमरे के बाहर खड़ा अभय देख रहा था अमन को जो जमीन में बैठ अपनी कमर पकड़े हुए थे कमरे में जाके....
अभय –(मुस्कुरा के) अब पता चला तुझे मार कैसी होती है वो भी अपनी मां से जब पड़ती है जोर से , याद है एक वक्त था जब तू अपनी गलती मेरे सिर थोप देता था लेकिन देख आज तेरी की गलती की सजा मिली तुझे , शुक्र मना अभी जो हुआ तेरी मां ने किया अगर मैं होता तो तेरी और तेरे उन दोनों दोस्तो की जान ले चुका होता कब की बाकी तू समझदार है अब....
बोल के अभय चला गया कमरे से बाहर सीडीओ की तरफ जा रहा था तभी संध्या के कमरे में बात सुनने लगा जहा ललिता बहुत रो रही थी जिसे संध्या चुप कर रही थी कमरे के बाहर खड़ा होके....
संध्या – (रोते हुए) शायद हमारे प्यार में कोई कमी रह गई थी जो अमन इस तरह निकला सबकुछ दिया उसे जो मांगा वो दिया कभी इंकार नहीं किया अमन को किसी चीज के लिए और अब ये सब....
ललिता – शांत हो जाओ आप दीदी शांत हो जाओ इसमें आपका नहीं मेरा कसूर है सारा....
संध्या – (रोते हुए) तू जानती है ललिता उस रात मेरे अभय ने सच कहा था मुझे , मै वो फूल हूँ जिसके चारों तरफ काटे बिछे हुए है बस एक वही था जो मुझे बचा सकता था लेकिन मैने ही उसे दुत्कार दिया....
बोल के संध्या जोर जोर से रोने लगी कमरे के बाहर खड़ा अभय ये बात सुन के उसकी आंख से भी आसू की एक बूंद निकल आई जिसे अभय से थोड़ा दूर खड़ी मालती देख रही थी....
तभी मालती ने पीछे से अभय के कंधे पे हाथ रखा जिसे अभय ने पलट के देख तुरंत गले लग गया मालती के गले लग सुबक रहा था मालती प्यार से अभय के सर पर हाथ फेर रही थी जबकि अन्दर कमरे में बाकी के सभी संध्या के साथ बैठ के दिलासा दे रहे थे संध्या और ललिता को वही कमरे के बाहर खड़ी मालती ने अभय का हाथ पकड़ सीडीओ से अपने कमरे में ले जाने लगी कमरे में आके अभय को पानी देके पिलाया....
मालती –(अभय को देखते हुए) कैसा है तू....
अभय – अच्छा हूँ....
मालती – कितना बड़ा हो गया है रे तू जानता है एक वो वक्त था जब मैं इस हवेली में आई थी शादी करके तब मै दोनो दीदियों को भाभी बोलती ही तब तू छोटा था मेरी नकल किया करता था अपनी तुतली जुबान से बोलता था अपनी मां और चाची को बाबी बाबी और हम सब हंसा करते थे तेरी बात पर....
अभय –(हल्का मुस्कुरा के) हा याद है आपने बताया था मुझे....
मालती – (रोते हुए) फिर क्यों चला गया था रे मुझे छोड़ के घर से जाते वक्त तुझे अपनी इस चाची का ख्याल नहीं आया जरा भी कैसे रहेगी तेरे बगैर....
अभय – मुझे माफ कर दो चाची....
अभय के मू से चाची सुन तुरंत अभय को अपने गले लगा लिया मालती ने....
मालती –(रोते हुए) जानता है मेरे कान तरस गए थे तेरे मू से चाची सुनने के लिए पहले कसम खा मेरी की अब तू कही नहीं जाएगा हमें छोड़ के....
अभय – हा चाची मै कही नही जाऊंगा हमेशा यही रहूंगा मै....
मालती –(अभय के आसू पोछ के) चल अब रोना बंद कर (हल्का हस के) सच में तू आज भी लड़कियों की तरह रोता है....
मालती की बात सुन अभय के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई जिसके बाद....
अभय – अच्छा चाची चलता हू मै....
मालती – कहा जा रहा है....
अभय – जिम्मेदारी निभाने चाची गांव के प्रति कुछ जिम्मेदारी है मेरी निभाना पड़ेगा मुझे ही उसे....
मालती –(मुस्कुरा के) ठीक है और सुन जल्दी आना रात में आज तेरे लिए पराठे बनाऊंगी आलू के तुझे बहुत पसंद है ना....
अभय –(मुस्कुरा के) हा चाची जल्दी आ जाऊंगा....
बोल के अभय हवेली से बाहर निकल गया गांव की तरफ जहा राज , लल्ला और राजू पहल से इंतजार कर रहे थे....
राज –(अभय को अकेला आता देख) अबे तू अकेला क्यों आया है....
अभय – तो तू क्या चाहता है हवेली से सबको ले आता अपने साथ यहां काम कराने को....
राजू –(हस्ते हुए अभय से) अबे भाई तूने कभी सुना है कि पेट्रोल के बिना गाड़ी चलती है उसी तरह ये मजनू भी अपनी लैला के बिना काम में बेचारे का मन कैसे लगेगा यार....
बोल के तीनों दोस्त जोर से हसने लगे जिसके बाद....
अभय – भाई ऐसा है कि दीदी तो आने से रही आज वो क्या है ना मां हवेली में रुकी हुई है और कल से बाकी सब लेडीज ने दिन में आराम बंद कर दिया है अब तो दिन में उनकी पंचायत चलती रहती है हवेली में....
लल्ला –(हस्ते हुए) चू चू चू चू बेचारा राज अब कैसे मन लगेगा काम में इसका.....
बोल के फिर से तीनों जोर से हसने लगे....
राज –(तीनों की हसी सुन झल्ला के) ऐसा कुछ नहीं बे वो तो लिखा पड़ी का काम हो जाएगा इसीलिए मैं पूछ रहा था वर्ना मुझे क्या पड़ी है मिलने की अभी से....
अभय –(बात सुन के) अच्छा ऐसी बात है ठीक है मै दीदी को बता दूंगा जो अभी तूने कहा....
बोल के हसने लगा अभय जिसके बाद....
राज –अबे पगला गया है क्या बे में ये बात ऐसे बोला तू इसे इतना सीरियस क्यों ले रहा है मेरे भाई प्लीज ऐसा मत करना मेरा घर बसने से पहले ही उजड़ जाएगा....
राज की बात सुन तीनों फिर से हसने लगे जिसके बाद....
राजू – अबे चलो चलो पहले काम पे ध्यान देते है मस्ती के चक्कर में काम नहीं रुकना चाहिए वर्ना जानते हो ना ठकुराइन से पहले हमारी चांदनी भाभी नाराज हो जाएगी क्यों राज सही कहा ना....
राज –हा बिल्कुल (एक दम चुप होके राजू की तरफ पलट के) कुत्ते तू मजाक उड़ा रहा है मेरा रुक अभी बताता हु तुझे....
बोल के राज भागने लगा राजू के पीछे जिसे देख अभय और लल्ला हसने लगे गांव का काम निपटा के चारो अपने घर की तरफ निकल गए अभय हवेली में आते ही अपने कमरे में चला गया फ्रेश होके नीचे आया खाना खाने सबके साथ खाना खाने लगा तभी....
अभय – (अमन को कुर्सी में ना पाके) अमन कहा है....
ललिता – वो अपने कमरे में है वही खाना भिजवा दिया है उसका....
अभय – हम्ममम (पराठे खाते वक्त) बहुत मस्त बने है पराठे....
मालती – (अभय की प्लेट में 2 पराठे रख के) तेरे लिए ही बनाए है आलू के पराठे....
अभय – आपको पता है (शालिनी को देख के) मा भी बहुत अच्छे बनती है पराठे....
शालिनी – (हल्का हस अभय को हाथ दिखा के) चुप कर खाना खा तू चुप चाप....
अभय – इसमें गलत क्या है मां सच ही बोल रहा हू मै....
शालिनी – (हस के) हा हा अच्छे से समझ गई मैं तेरी बात सुबह बना दुगी पराठे तेरे लिए मै अब खुश....
अभय – (मुस्कुरा के) बहुत खुश....
शालिनी और अभय की बात सुन संध्या खामोशी से खाना खाती और देखती रहती अभय को कभी अभय की बात पर हल्का हस्ती तो कभी उसकी हसी अचानक कही गायब सी हो जाती खाना होंने के बाद सभी अपने कमरे में जाने लगते है अभय भी संध्या को कमरे में छोड़ के जाने को पलटा था तभी....
संध्या –अभय....
अभय – हा....
संध्या – कल दोपहर में चलना है मेले में तू कॉलेज मत जाना कल....
अभय – ठीक है....
बोल अभय अपने कमरे में चला गया काफी देर हो गई सभी लोग सो चुके थे तभी सायरा चुपके से अभय के कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा लॉक कर दिया....
अभय –(सायरा को अपने सामने देख) अरे वाह तुम तो सच में आ गई मुझे लगा....
सायरा – (बीच में बात काट अपनी टीशर्ट उतरते हुए) बहुत बक बक करने लगे हो तुम अभी बताती हु तुझे....
जैसे ही अभय की चादर खींची....
सायरा –(अभयं को बिन कपड़ो के देख मुस्कुरा के) ओहो तुम तो पहले से तयार हो
सायरा ने इतना ही बोला था कि अभय ने तुरंत सायरा को बेड में खींच उसके ऊपर आके चूमने लगा
कभी किस करता कभी गर्दन को चूमता
निकी झुक के बूब को चूसता
इस बीच सायर निकी झुक के लंड को चूसने लगी
सायरा बालों को पकड़ के अभय तेजी से लंड को सायरा के मू में अन्दर बाहर करने लगा
साथ ही सायरा की चूत में अपने हाथ से मसलने लगा जिस वजह सायरा हल्का मदहोशी में अपने दोनों पैर फैलाने लगी
तब अभय बेड से उठ सायरा के पैरों के बीच में आके चूत पर अपना मू लगा अपनी जीव चाव तरफ घूमते हुए साथ अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स को दबाने लगा जिससे सायरा मदहोशी के आलम में गोते लगाने लगी
है अपनी जीव को तेजी से चूत में नचाते हुए कुछ ही देर में सायरा चरम सुख को प्राप्त हो गई सायरा की अधमरी जैसी हालत देख अभय मुस्कुरा ने लगा खड़ा होके धीरे से सायरा की चूत पर लंड का टॉप टीका दिया जिसका एहसास होते ही सायरा की आंख खुल गई इससे पहले कुछ बोलती या समझ पाती अभय ने लंड को चूत में पूरा उतार दिया
सायरा सिसकियों के साथ हल्की मुस्कुराहट से अभय को देखने लगी
च अभय हल्के धक्कों के साथ नीचे झुक सायरा के होठ चूमने लगा जिसमें सायरा उसका साथ देने लगी
धीरे धीरे धक्के की रफ्तार को बढ़ते हुए अभय तेजी लंड अंडर बाहर करने लगा सायरा भी अभय का हाथ पकड़ उसका साथ देने लगी
फिर रुक सायरा को दोनों पैरों को अपने कंधे में रख धक्के लगाने लगा अभय तो कभी कमर से उठा गोद में सायरा की चूत में धक्का लगता तेजी से
जिसमें सायरा अभय की गर्दन में हाथ डाले उसका साथ देती गोद में उछलते हुए
तो कभी अभय बेड में लेट सायर को अपने ऊपर लेता तो सायरा लंड में उछलती
साथ ही अभय की आखों में देख उसे चूमती
तो अभय सायरा को पलट ऊपर आके तेजी से धक्के लगता
दोनो एक दूसरे को चूमते हुए
अपने चरम सुख को पा लिया दोनो ने
अपनी सास पर काबू पाते हुए अभय ने अपना सिर सायरा के सीने पर रख दिया जिससे सायरा के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई अभय के सिर पर हाथ फेरते हुए....
सायरा – I LOVE YOU ABHAY....
अभय – (चौक के) क्या....
सायरा – कुछ नहीं बस निकल आया मू से मेरे अपने आप तुम्हे क्या लगा....
अभय – नहीं कुछ नहीं खेर तुम बता रही थी कुछ बताने को क्या बात है....
सायरा – कोई दुश्मन है तुम्हारे परिवार का जो तुम्हे नुकसान पहुंचाना चाहता है तुम सावधान रहना अभय....
अभय – हम्ममम जनता हूँ तुम चिंता मत करो....
सायरा – हम्ममम अच्छा उठो अब मुझे जाना होगा अपने कमर में....
अभय – कोई जरूरत नहीं कही जाने की आज तुम यही सो जाओ मेरे साथ अच्छा लग रहा है तुम्हारे सीने पे सिर रख के....
सायरा – (मुस्कुरा के अभय के सीर पे हाथ फेरते हुए) ठीक है लेकिन सुबह जल्दी चली जाओगी मैं ठीक है....
अभय – हम्ममम ठीक है....
बोल के दोनो गले लग के सो गए....
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जारी रहेगा
Thanks brotherSuperb
Kaisi ho lallo ji
ThanksGajab ...
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Do baar bolne ki kya jarurat hai,? Ek baar me hi samajh sakta hai woSahi hai bhai
Je baatKahani me twist na ho to maja kaise aayga bhai