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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Agle update ka inezar hai aur kya story ka end hone wala hai kya jaldi hi
अभी इंसेक्ट नहीं आया है पूरी तरह से। और नहीं आया तो पाठक गण लेखक की तुई तोड़ देंगे 😌
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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ये रणविजय कौन पैदा हो कर मर भी गया गया अब??

वो भी खुद को नाजायज बता कर, क्या ये मनन, रमन और प्रेम का भाई है कोई?

लेकिन दादाश्री तो संत आदमी थे। फिर.....?

:applause: बढ़िया अपडेट।

लेकिन सवाल वहीं खड़े हैं सारे के सारे।
 

dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Bahut badhiya update

Mele ka ayojan jir shir se hua ha sabhi ganv walon ko abhay ki sachhai bhi pata pad gayi or ye haweli me na jane kiska khoon ha kahin malti ko tapka to nahi diya kyonki wo hi pure update me nahi dikhi

Or idhar fighting scene bahut badhiya raha or ranvijay thakur matlab ki najayaj olad ha ab ye kab ho gaya kher ranvijay to ate hi khatam use jara pakadte to kuchh raj khulta lekin wo to ate hi khatam jara bhi chance nahi diya use kher dekhte han ki ab age kya hota ha


Magar lagta ha ranvijay ke bhi upper koi ha kyonki itni asani se main villain mar jaye aisa ho nahi sakta ulta abhi to haweli wali orat ka bhi nahi pata pada
 
Last edited:

beatrix

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UPDATE 49


सुबह का समय था अभय अपनी एक्सरसाइ करके अपने कमरे में जा रहा था तभी....

अभय – (एक कमरे में गया जहा अमन बेड पर अपनी कमर पकड़ के टेडा बैठा था) दर्द ज्यादा हो रहा है....

अमन –(अपने सामने अभय को देख) तुम्हे इससे क्या मतलब है....

अभय –(मुस्कुरा के पैंकिलर देते हुए) इसे खा लो दर्द में कुछ राहत मिल जाएगी....

अमन – मुझे नहीं चाहिए....

अभय – लेलो कम से कम तुझे दावा तो मिल रही है मुझे तो दवा पूछी तक नहीं....

बोल के कमरे से निकल गया अभय पीछे से अपनी अजीब निगाहों से अमन जाते हुए देखता रहा अभय को....

सुबह के नाश्ते के वक्त सबके साथ अमन भी टेबल में बैठ के नाश्ता कर रहा था तभी....

अभय –(अमन से) नाश्ते के बाद तैयार हो जाना आज गांव में मेला शुरू होने जा रहा है सबको पूजा में चलना है....

नाश्ते के वक्त अभय देख रहा था जब अमन नाश्ता कर रहा था कोई बात नहीं कर रहा था अमन से इसीलिए बीच में ही अमन को चलने का बोल दिया ताकि अमन भी मेले में साथ चले जबकि अभय की इस बात पर संध्या और ललिता साथ मालती हैरानी से अभय को देख रहे थे लेकिन किसी ने बोला कुछ भी नहीं नाश्ते के बाद लगभग सभी तयार हो गए थे तब अभय गोद में लेके संध्या को कार में बैठा के कार से निकलने जा रहा था....

अभय – (सभी से) रस्ते में कुछ काम निपटा के मेले में सीधे पहुंचेंगे हम....

सबने मुस्कुरा के हा में सिर हिला दिया जिसके बाद अभय और संध्या निकल गए उर्मिला के घर जहा उर्मिला और पूनम कुछ देर पहले आय थे....

अभय – (संध्या को व्हीलचेयर में उर्मिला के घर में आते हुए) चाची....

उर्मिला –(अपने सामने अभय और संध्या को देख) अरे ठकुराइन आप यहां पर....

संध्या –(मुस्कुरा के) अब कैसी हो तुम....

उर्मिला – अच्छी हूँ ठकुराइन लेकिन आप इस तरह इसमें....

संध्या – कुछ खास नहीं पैर में चोट आ गई थी खेर छोड़ो इस बात को (पूनम से) तुम कैसी हो पूनम....

पूनम – जी अच्छी हूँ ठकुराइन....

संध्या – उर्मिला तेरे से काम है एक....

उर्मिला – जी ठकुराइन बोलिए....

संध्या – हम चाहते है कि अब से तुम दोनो हवेली में आके रहो बस....

उर्मिला –(चौक के) क्या हवेली लेकिन....

संध्या – लेकिन कुछ नहीं उर्मिला बस मै चाहती हु तुम दोनो हवेली आ जाओ अब से वही रहोगे....

उर्मिला – लेकिन हवेली में किसी को....

संध्या – उसकी चिंता मत करो तुम अब से पूनम और तुम्हारी सारी जिम्मेदारी मेरी है तो कब आ रहे हो....

उर्मिला – (पूनम को देख) ठीक है ठकुराइन....

संध्या – ठीक है आज से मेले की शुरुवात हो रही है हम वही जा रहे है मै हवेली में खबर कर देती हु तुम्हे वहां किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं होगी....

बोल के संध्या ने हवेली किसी को कॉल करके बात कर उसके बाद....

संध्या – अच्छा उर्मिला चलती हूँ मै शाम में मिलते है हम....

बोल के संध्या और अभय निकल गए कार से मेले की तरफ रस्ते में....

अभय – मुझे लगा मानेगी नहीं उर्मिला शायद....

संध्या – मै भी यही समझ रही थी लेकिन उसके हालत अभी सही नहीं है ऊपर से बेटी की चिंता और पढ़ाई भी है तभी वो मान गई बात मेरी....

अभय – हम्ममम....

संध्या – आज मेले में और भी कई लोग आने वाले है....

अभय – मतलब और कौन आएगा....

संध्या – मेरे मू बोले भाई और मनन ठाकुर के दोस्त देवेंद्र ठाकुर....

अभय – (देवेंद्र ठाकुर का नाम सुन कार में अचानक से ब्रेक मार के) क्या देवेंद्र ठाकुर....

संध्या – (चौक के) क्या हुआ तुझे देव भैया का नाम सुन चौक क्यों गए तुम....

अभय – (खुद को संभाल कार को फिर से चलाते हुए) नहीं कुछ नहीं....

संध्या – देव भैया ने बताया था मुझे कैसे तुमने उन्हें बचाया था शहर के मेले में बहुत तारीफ कर रहे थे तुम्हारी....

रस्ते में अभय सिर्फ सुनता रहा संध्या की बात बिना कुछ बोले कुछ देर में कुलदेवी के मंदिर में आते ही अभय ने संध्या को व्हीलचेयर में बैठा के मंदिर में ले जाने लगा तभी....

अर्जुन – (संध्या और अभय के सामने आके) कैसी हो चाची आप....

संध्या – (मुस्कुरा के) अच्छी हूँ तू बता सीधा यही आ गया हवेली में क्यों नहीं आया....

अर्जुन – (मुस्कुरा के) चाची हवेली में आना ही है मुझे सोचा मेले में आ जाता हूँ यही से सब साथ जाएगी हवेली....

संध्या – (मुस्कुरा के) बहुत अच्छा किया तुने (इधर उधर देखते हुए) अलीता कहा है....

अर्जुन – (एक तरफ इशारा करते हुए) वो देखिए सबके साथ बाते कर रही है अलीता....

संध्या एक तरफ देख जहां हवेली के सभी लोग मंदिर में बैठ बाते कर रहे थे तभी चांदनी आके संध्या को ले जाती है सबके पास दोनो के जाते ही....

अभय – (अर्जुन से) आप जानते हो यहां पर देवेंद्र ठाकुर भी आने वाला है....

अर्जुन – (अभय को देख) हा पता है तो क्या हुआ....

अभय – (हैरानी से) आप तो इस तरह बोल रहे हो जैसे बहुत मामूली बात हो ये....

अर्जुन – (हस के) तेरी प्रॉब्लम जनता है क्या है तू सवाल बहुत पूछता है यार....

अभय – (हैरानी से) क्या मतलब आपका....

अर्जुन – (जेब से बंदूक निकाल अभय के सिर में रखते हुए देखता रहा जब अभय ने कुछ नहीं किया तब) क्या बात है आज पहले की तरह बंदूक नहीं छिनेगा मेरी....

अभय – जनता हूँ आप मजाक कर रहे हो मेरे साथ....

अर्जुन – (हस्ते हुए जेब में बंदूक वापस रख) बड़ा मजा आया था उस दिन जब तूने अचानक से बंदूक छीनी थी जनता है मैं भी एक पल हैरान हो गया था लेकिन मजा बहुत आया उस दिन देख अभय जनता हूँ तेरे पास कई सवाल है जवाब देने है मुझे लेकिन क्या तुझे ये जगह और वक्त सही लगता है तो बता....

अभय – (बात सुन चुप रहा जिसे देख)....

अर्जुन – चल पहले मेला निपटाते है फिर बैठ के आराम से बात करेंगे हम अब खुश चल चले अब....

अभय – हम्ममम....

बोल के अर्जुन और अभय मंदिर के अन्दर जाने लगे तभी अचानक से 4 कारे एक साथ चलती हुई मेले में आने लगी जिसे देख अर्जुन और अभय देखने लगे....

अर्जुन – आ गया देवेन्द्र ठाकुर अपने परिवार के साथ....

चारो कारे रुकी तभी कुछ बॉडीगार्ड कालों कपड़ो में कार से निकले बाहर एक बॉडीगार्ड ने दूसरी कार का दरवाजा खोला उसमें से देवेन्द्र ठाकुर निकला साथ में एक औरत कार में आगे ड्राइवर के साथ एक आदमी निकला तभी देवेन्द्र ठाकुर , औरत और आदमी साथ में चलते हुए मंदिर में आने लगे तभी....

देवेन्द्र ठाकुर – (काले कपड़े पहने अपने बॉडीगार्ड से) तुम लोगो को गांव देखना था जाके घूम आओ यहां से खाली होते ही कॉल करूंगा मैं तुम्हे अब तुमलोग जाओ....

बॉडीगार्ड – लेकिन सर यहां आप अकेले....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के) अरे भाई हम अकेले कहा है (मंदिर की तरफ इशारा करके जहां अभय खड़ा था) वो देखो वो रहा मेरा रखवाला मेरा भांजा समझे अब जाओ तुम सब....

बॉडीगार्ड – (अभय को देख मुस्कुरा के) समझ गया सर लेकिन 3 आदमी बाहर खड़े रहेंगे और उनके लिए आप मना नहीं करेंगे बस....

अपने बॉडीगार्ड की बात सुन हल्का मुस्कुरा के चल गया देवेंद्र ठाकुर उसके जाते ही बॉडीगार्ड और बाकी आदमी कार में बैठ गए इसके साथ तीनों कारे चली गई देवेंद्र ठाकुर , औरत और आदमी साथ चल के मंदिर में आने लगे अभय के पास आके रुक....

देवेंद्र ठाकुर –(मुस्कुरा अभय को गले लगा के) कैसे हो मेरे बच्चे....

देवेंद्र ठाकुर के गले लगने से अभय हैरान था जिसे देख....

देवेंद्र ठाकुर –(अभय को हैरान देख मुस्कुरा के) क्या हुआ भूल गए मुझे....

अभय – नहीं....वो...आप...मै....

देवेंद्र ठाकुर –(मुस्कुरा के) तुझे देख ऐसा लगता है जैसे मनन ठाकुर मेरे सामने खड़ा हो बिल्कुल वैसे ही बात करने का तरीका वही रंग....

शालिनी – (अभयं के पास आके देवेंद्र ठाकुर से) प्रणाम ठाकुर साहब....

देवेंद्र ठाकुर – प्रणाम शालिनी जी भाई दिल खुश हो गया आज मुलाक़ात हो गई मेरी....

शालिनी – चलिए ये तो अच्छी बात है आइए अन्दर देखिए सब मंदिर में इंतजार कर रहे है आपका....

बोल के देवेंद्र ठाकुर एक बार अभय के गाल पे हाथ फेर मुस्कुरा के मंदिर में चला गया साथ में औरत भी तभी एक आदमी जो देवेंद्र ठाकुर के साथ आया था वो अभय के पास जाके गले लग के....

आदमी – (अभय के गले लग के अलग होके) हैरान हो गए तुम मुझे जानते नहीं हो लेकिन मैं जनता हूँ तुम्हे याद है मेले का वो दिन जब देव भैया पर हमला हुआ था तब तुमने आके बचा लिया था जानते हो उस दिन जब तुम बीच में आय उस वक्त तुमने सिर्फ भैया को नहीं बचाया साथ में मुझे बचाया और मेरे परिवार को उस वक्त वो आदमी मुझे गोली मारने वाला था लेकिन तभी तुमने बीच में आके उसे रोक दिया वर्ना शायद आज मैं यहां नहीं होता....

अभय – (कुछ ना समझते हुए) लेकिन वहा पर आपका परिवार कहा से आ गया....

आदमी – (मुस्कुरा के) मेरा परिवार तो घर में था लेकिन मुझे बचाया मतलब मेरे परिवार को भी बचाया तुमने समझे जानते हो मौत से कभी नहीं डरा मै लेकिन उस दिन जब उस आदमी ने बंदूक मेरे सिर में रखी थी बस उस वक्त मेरे ख्याल में सिर्फ मेरे परिवार के चेहरे घूम रहे थे खेर उस दिन मैं तुम्हारे शुक्रिया अदा नहीं कर पाया लेकिन मुझे पता चला तुम यहां मिलने वाले हो आपने आप को यहां आने से रोक नहीं पाया मै , मेरा नाम राघव ठाकुर है देव भैया का छोटा भाई और देव भैया के साथ जो औरत है वो रंजना ठाकुर है आओ चले अन्दर....

बोल के अभय , अर्जुन और राघव एक साथ मन्दिर के अन्दर आ गए अभय शालिनी के पास जाके खड़ा हो गया जहा संध्या बैठी थी व्हीलचेयर में....

संध्या – (अभय से) ये देव भैया है और ये उनकी वाइफ रंजना ठाकुर....

शालिनी – (मुस्कुरा के अभय से) और राघव से तुम मिल चुके हो ये तेरे मामा मामी है (इशारे से पैर छूने को बोलते हुए)....

अभय – (शालिनी का इशारा समझ तीनों के पैर छू के) प्रणाम मामा जी प्रणाम मामी जी....

तीनों एक साथ मुस्कुरा के – प्रणाम बेटा....

रंजना ठाकुर – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) हमेशा खुश रहो तुम....

तभी बंजारों में से लक्ष्मी मंदिर में आके....

लक्ष्मी – (सभी को) प्रणाम....

संध्या – (लक्ष्मी से) मां तैयारी हो गई सारी....

लक्ष्मी – जी सारी तैयारी हो गई....

रमन – (पंडित से) पंडित जी कार्यक्रम शुरू कीजिए....

रमन की बात सुन पंडित पूजा करना शुरू करता है इस बीच अभय बार बार पीछे मूड के देखने लगता है जिसे देख....

चांदनी – क्या बात है तू बार बार पीछे मूड के क्यों देख रहा है....

अभय – दीदी राज , राजू , लल्ला दिख नहीं रहे है कही कहा है....

चांदनी – गीता मा ने भेजा है काम से उन्हें....

अभय – (गीता देवी का नाम सुन) बड़ी मां कहा है वो अन्दर क्यों नहीं आई....

चांदनी – बाहर है वो सभी गांव वालो के साथ (पीछे इशारा करके) वो देख सबके साथ खड़ी ही....

अभय – (सभी गांव वालो को मंदिर के बाहर खड़ा देख) बाहर क्यों खड़े है सब अन्दर क्यों नहीं आए....

चांदनी – पता नहीं अभय मैने सुना है कि इस मंदिर में मेले की पहली पूजा ठाकुर परिवार के लोग करते है उसके बाद सब गांव वाले आते है दर्शन करने....

अभय – ये तो गलत है ऐसा कैसे हो सकता है ये....

संध्या – (अभय से) क्या बात है क्या होगया....

अभय – मंदिर के बाहर सभी गांव वाले खड़े है पूजा के बाद मंदिर में क्यों आय पूजा के वक्त क्यों नहीं....

संध्या – (पंडित को रोक के) पंडित जी एक मिनिट रुकिए जरा....

पंडित – क्या हुआ ठकुराइन कोई गलती हो गई मुझसे....

संध्या – नहीं पंडित जी लेकिन कुछ नियम है जो आज से बदले जा रहे है....

पंडित – मै कुछ समझा नहीं ठकुराइन....

संध्या – मै अभी आती हु (अभय से) मुझे उनके पास ले चल....

संध्या की बात से जहां सब हैरान थे वही संध्या की बात सुन अभय व्हीलचेयर से संध्या को गांव वालो की तरफ ले गया....

संध्या – (सभी गांव वालो से) आज अभी इसी वक्त से कुल देवी की हर पूजन में ठाकुर परिवार के साथ आप सब भी मंदिर में शामिल रहेंगे....

एक गांव वाला – लेकिन ठकुराइन कुलदेवी की पहली पूजन तो सिर्फ ठाकुर ही करते आय है ये परंपरा शुरुवात से चलती आ रही है....

संध्या – (मुस्कुरा के अपने पीछे खड़े अभय के हाथ में अपना हाथ रख के) लेकिन अब से नियम यही रहेगा कुलदेवी की हर पूजन में ठाकुर परिवार के साथ आप सब भी शामिल रहेंगे हमेशा के लिए....

संध्या की बात सुन के जहां सभी गांव वाले बहुत खुश हो गए वही गीता देवी मंद मंद मुस्कुरा के अभय को देख रही थी वो समझ गई थी ये सब किया अभय का है खेर इसके बाद अभय व्हील चेयर मोड के संध्या को पंडित के पास लेके जाने लगा साथ में सभी गांव वाले मंदिर के अन्दर आने लगे तभी संध्या पीछे पलट के गीता देवी और पायल को एक साथ देख इशारे से अपने पास बुलाया जिसे देख दोनो आगे आ गए संध्या के पास आके खड़े हो गए....

संध्या – पंडित जी अब शुरू करिए पूजन....

इसके बाद पूजा शुरू हो गई रमन कुछ बोलना चाहता था लेकिन इतने लोगों के बीच बोल नहीं पाया वही अभय ने बगल में खड़ी पायल का हाथ धीरे से अपने हाथ से पकड़ लिया जिसे देख पायल हल्का मुस्कुराईं सभी पूजन में लगे रहे तभी....

अलीता – (अभय के बगल में आके धीरे से) बहुत खूब सूरत है ना....

अभय – (आलिया की बात सुन धीरे से) क्या....

अलीता – (मुस्कुरा के धीरे से) पायल के लिए बोल रही हूँ मै जिसका हाथ पकड़ा हुआ है तुमने....

अभय – (अलीता की बात सुन जल्दी से पायल से अपना हाथ हटा के धीरे से) मैने कहा पकड़ा हुआ है हाथ भाभी देखो ना....

अलीता – (मुस्कुरा के घिरे से) अपनी भाभी से झूठ पूजा होने दो फिर बताती हु तुझे....

अलीता की बात सुन अभय सिर झुका के मुस्कुराने लगा साथ में पायल भी फिर पंडित आरती की थाली देने लगा संध्या को तभी संध्या ने अभय का हाथ पकड़ आगे करके थाली उसे दी आरती करने का इशारा किया जिसके बाद अभय आरती करने लगा ये नजारा देख गांव के लोग हैरान थे कि संध्या कैसे आरती न करके दूसरे लड़के को थाली देके आरती करवा रही है लेकिन किसी ने कुछ बोला नहीं धीरे धीरे करके सभी आरती करने लगे पूजा के खत्म होते ही....

पंडित – (संध्या से) ठकुराइन आगे की विधि कुलदेवी को बलि देके पूरी कीजिए ताकि मेले की शुरुवात हो सके....

संध्या – जी पंडित जी (ललिता से) ललिता थाली देना तो....

ललिता – (थाली का ध्यान आते ही अपने सिर पे हाथ रख के) दीदी माफ करना जल्दी बाजी में मै हवेली में भूल आई थाली....

रमन – (ललिता की बात सुन गुस्से में) एक काम ढंग से नहीं होता है तेरे से थाली भूल आई अब कैसे शुरू होगी मेले की शुरुवात....

संध्या – (बीच में) शांत हो जाओ जरा जरा सी बात पर गुस्सा करने की जरूरत नहीं है रमन....

अभय से कुछ बोलने जा रही थी संध्या तभी....

अर्जुन – (बीच में) चाची मै जाके लता हूँ जल्दी से....

संध्या – (मुस्कुरा के) शुक्रिया अर्जुन....

अर्जुन – कोई बात नहीं चाची आप बताओ कहा रखी है थाली....

ललिता – वो हवेली में मेरे कमरे में रखी है लाल कपड़े से ढकी....

चांदनी – मै अर्जुन के साथ जाती हु जल्दी से लाती हु चलो अर्जुन....

बोल के जल्दी से दोनो साथ में निकल गए कार में हवेली की तरफ कुछ ही दूर आय थे तभी रस्ते में उन्हें राज , राजू और लल्ला दिख गए पैदल जाते हुए मेले की तरफ उन्हें देख गाड़ी रोक....

चांदनी – पैदल कहा जा रहे हो तुम सब....

राज – मेले में जा रहे है लेकिन तुम कहा....

चांदनी – हवेली से कुछ सामान लाना है उसे लेने जा रहे है आओ गाड़ी में बैठ जाओ साथ में चलते है जल्दी पहुंच जायेंगे सब....

इसके बाद गाड़ी आगे बढ़ गई कुछ ही देरी के बाद सब लोग हवेली आ गए जैसे ही हवेली के अन्दर जाने लगे सामने का नजर देख आंखे बड़ी हो गई सब की हवेली के दरवाजा का तला टूटा हुआ एक तरफ पड़ा था दरवाजा खुला था अन्दर सजावट का सामान बिखरा हुआ था ये नजारा देख रहे थे तभी पीछे से किसी की आवाज आई....

उर्मिला – ये क्या हुआ है यहां पे....

सभी एक साथ पलट के सामने देखा तो उर्मिला उसकी बेटी पूनम खड़ी थी....

चांदनी – आप यहां पर....

उर्मिला – ठकुराइन बोल के गई थी यहां रहने के लिए मुझे लेकिन यहां क्या हुआ ये सब....

अर्जुन – हम अभी आय है यही देख हम भी हैरान है....

पूनम – (एक तरफ इशारा करके) ये किसका खून है....

पूनम की बात सुन सबने पलट के देखा तो सीडीओ पर खून लगा हुआ है जो सीधा ऊपर तक जा रहा है जिसे देख सभी एक साथ चल के ऊपर जाने लगे खून की निशान सीधा ऊपर गए हुए थे जैसे ही ऊपर आय सब वो निशान अभय के कमरे की तरफ थे जल्दी से सब दौड़ के अभय के कमरे की तरफ गए जहा का नजारा देख सबकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई तभी चांदनी और अर्जुन ने एक दूसरे की तरफ देख बस एक नाम लिया....

चांदनी और अर्जुन एक साथ – अभय....

बोल के दोनो तुरंत भागे तेजी से हवेली बाहर कार की तरफ उनकी बात का मतलब समझ के राजू , राज और लल्ला भी भागे बाहर आते ही सब गाड़ी में बैठ तेजी से निकल गए पीछे से पूनम और उर्मिला हैरान थे जब वो अभय के कमरे में देख उन्होंने सामने दीवार पर पहेली लिखी थी.....


बाप के किए की सजा
(BAAP KE KIE KI SAJA).....


जबकि इस तरफ मेले में अर्जुन और चांदनी के जाने के कुछ मिनट के बाद मंदिर के बाहर सभी आपस में हसी मजाक और बाते कर रहे थे....


देवेन्द्र ठाकुर – (अपने भाई राघव से) मैने जो कहा था कुश्ती का उसकी तैयारी हो गई....

राघव – जी भइया बस मेले के शुरू होने का इंतजार है....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है वैसे तुम्हे क्या लगता है हमारा पहलवान जीतेगा या हारेगा....

राघव ठाकुर – (मुस्कुरा के) भइया कुश्ती खत्म होते ही आप बस एक बात बोलोगे बेचारे मेरे पहलवान....

बोल के दोनो भाई आपस में हसने लगे जिसे देख संध्या और शालिनी उनके पास आके....

संध्या – क्या बात है देव भैया बहुत खुश लग रहे हो आप आज....

देवेन्द्र ठाकुर – खुशी की बात ही है मेरा भांजा मिला है आज मुझे सच में संध्या बिल्कुल अपने पिता की तरह बात करना उसकी तरह भोली भाली बाते उससे बात करके मनन की याद आ गई आज मुझे....

शालिनी – (चौक के) भोली भली बाते....

देवेन्द्र ठाकुर – (हस्ते हुए) जनता हूँ शालिनी जी उसके स्वभाव को बस आज मुलाक़ात हुई इतने वक्त बाद तारीफ किए बिना रह नहीं पा रहा हू मै....

शालिनी – बस भी करिए ठाकुर साहब बड़ी मुश्किल से गांव में आया है जाने कैसे मान गया हवेली में रहने को वर्ना सोचा तो मैने भी नहीं था ऐसा कभी हो पाएगा लेकिन....

गीता देवी – (बीच में आके) लेकिन जो होना होता है वो होके रहता है शालिनी जी....

देवेन्द्र ठाकुर – (गीता देवी के पैर छू के) कैसी हो दीदी....

गीता देवी – बहुत अच्छी मै (राघव से) कैसे हो रघु तुम तो जैसे भूल ही गए शहर क्या चलेगए जब से....

राघव ठाकुर – दीदी ऐसी बात नहीं है आप तो जानते हो ना पिता जी का उनके आगे कहा चली किसी की आज तक....

गीता देवी – हा सच बोल रहे हो काश वो भी यहां आते तो....

बोल के गीता देवी चुप हो गई जिसे देख....

देवेन्द्र ठाकुर – अरे दीदी आज के दिन उदास क्यों होना कितना शुभ दिन है आज एक तरफ मेले की शुरुवात हो रही है दूसरे तरफ गांव वाले भी बहुत खुश है संध्या के फैसले से....

गीता देवी – (मुस्कुरा के) देव भइया जिसे आप संध्या का फैसला समझ रहे है जरा पूछो तो संध्या से किसका फैसला है ये....

संध्या – (मुस्कुरा के) देव भइया बोल मेरे जरूर थे लेकिन ये सब अभय का किया धारा है....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के अभय को देख जो एक तरफ खड़ा अलीता और पायल से बात कर रहा था) देखा मैने कहा था ना बिल्कुल अपने पिता की तरह है वो भी यही चाहता था लेकिन अपने दादा की चली आ रही परंपरा के वजह से चुप रहा था चलो अच्छा है शुभ दिन में शुभ काम हो रहा है सब....

इधर ये लोग आपस में बाते कर रहे थे वहीं अलीता , अभय और पायल आपस में बाते कर रहे थे....

अलीता – (अभय से) तो क्या बोल रहे थे तुम पूजा के वक्त....

अभय – (मुस्कुरा के) भाभी वो बस गलती से हाथ पकड़ लिया था मैने....

अलीता – अच्छा तभी मेरे पूछते ही तुरंत छोड़ दिया तुमने....

अभय – (मुस्कुरा के) SORRY भाभी मैने ही पकड़ा था हाथ....

अलीता – (मुस्कुरा के) पता है मुझे सब....

अभय – वैसे भाभी आपको कैसे पता पायल का नाम....

अलीता – (पायल के गाल पे हाथ फेर के) क्योंकि तेरे से ज्यादा तेरे बारे में पता है मुझे साथ ही पायल के बारे में भी (पायल से) क्यों पायल ये तुझे तंग तो नहीं करता है ना कॉलेज या कॉलेज के बाहर....

पायल – लेकिन आप कौन है मैं आपको जानती भी नहीं और आप मुझे कैसे जानते हो और अभय को....

अलीता – (मुस्कुरा के) सब बताओगी तुझे अभी के लिए बस इतना जान ले मै तेरी बड़ी भाभी हूँ बस बाकी बाद में बताओगी सब तो अब बता मैने जो पूछा....

पायल – भाभी ये सिर्फ कॉलेज में ही बात करता है कॉलेज के बाहर कभी मिलता ही नहीं....

अलीता – अच्छा ऐसा क्यों....

पायल – क्योंकि ये चाहता ही नहीं गांव में किसी को पता चले इसके बारे में....

अलीता – (मुस्कुरा के) गलत बात है अभय....

अभय – भाभी आप तो जानते हो ना सब....

अलीता – चलो कोई बात नहीं अब मैं आ गई हु ना (पायल से) अब ये तुझसे रोज मिलेगा कॉलेज के अन्दर हो या बाहर मै लाऊंगी इसे तेरे से मिलने को अब से....

बोल के हसने लगे तीनों साथ में तभी पंडित जी बोलते है....

पंडित – (संध्या से) ठकुराइन वक्त बीता जा रहा है शुभ मुहूर्त का आप ऐसा करे बलि देके मेले का आयोजन करे थाल आते ही बाकी की कार्य बाद में कर लेगे....

संध्या – (पंडित की बात सुन) ठीक है पंडित जी....

इससे पहले पंडित एक थाल लेके (जिसमें कुल्हाड़ी रखी थी) उठा के अमन की तरफ जाता तभी....

संध्या – (पंडित से) पंडित जी थाल को (अभय की तरफ इशारा करके) इसे दीजिए....

पंडित – (चौक के) लेकिन बलि सिर्फ ठाकुर के वंश ही देते है ये तो....

संध्या – (बीच में बात काट के) ये ठाकुर है हमारा ठाकुर अभय सिंह मेरा....

इससे आगे संध्या कुछ बोलती तभी गांव के कई लोग ये बात सुन के एक आदमी बोला....

गांव का आदमी –(खुश होके) मुझे लगा ही था ये लड़का कोई मामूली लड़का नहीं है ये जरूर हमारा ठाकुर है (अपने पीछे खड़े गांव के लोगों से) देखा मैने कहा था न देखो ये हमारे अभय बाबू है मनन ठाकुर के बेटे ठाकुर रतन सिंग के पोते है....

इस बात से कुछ लोग हैरानी से अभय को देख रहे थे वहीं काफी लोग अपने गांव के आदमी की बात सुन खुशी से एक बात बोलने लगे....

गांव के लोग अभय से – अभय बाबा आप इतने वक्त से गांव में थे आपने बताया क्यों नहीं कब से तरस गए थे हम जब से पता चला हमें की.....

देवेन्द्र ठाकुर – (बीच में सभी गांव वालो से) शांत हो जाओ सब आज हम सभी के लिए बहुत बड़ी खुशी का दिन है आज से गांव में मेले की शुरुवात हो रही है साथ ही आज आपका ठाकुर लौट के आ गया है आज के शुभ अवसर पर मेले की शुरुवात उसे करने दीजिए बाकी बाते बाद में करिएगा (पंडित जी से) पंडित जी कार्य शुरू करिए....

बोल के पंडित ने अभय के सामने थाल आगे कर उसे कुल्हाड़ी उठाने को कहा जिसे सुन अभय कुल्हाड़ी उठा के बकरे की तरफ जाने लगा तभी....

देवेन्द्र ठाकुर – (अभय से) बेटा बलि देने से पहले अपने मन में देवी भद्र काली का आह्वाहन करना उसे बोलना की हे भद्र काली इस बलि को स्वीकार करे ताकि हम मेले की शुरुवात सुखद पूर्ण कर सके....

देवेंद्र ठाकुर की बात सुन अभय बकरे के पास जाने लगा पीछे से सभी गांव वालो के साथ एक तरफ पूरा ठाकुर परिवार खड़ा अभय को मुस्कुरा के देख रहा था थोड़ी दूरी पर अभय बकरे के पास जाके मन में देवी मा का आवाहन कर एक बार में बलि देदी बकरे की जिसके बाद बकरे का खून नीचे पड़े एक बड़े कटोरे में गिरने लगा कुछ समय बाद खून का कटोरा उठा के पंडित मेले की तरफ जाके छिड़कने लगा लेकिन इस बीच मेले में आए कई लोग एक साथ पंडित के पीछे जाने लगे और अभय पीछे खड़ा देख रहा था संध्या की तरफ पलट को जाने को हुआ ही था तभी अभय ने पलटते ही सामने देखा कुछ लोगो ने चाकू , तलवार की नोक पर ठाकुर परिवार की औरतों को पकड़ा हु था जैसे ही बाकी के लोग अभय की तरफ आने को बड़े थे तभी देवेंद्र ठाकुर और उसके भाई ने मिल के लड़ने लगे गुंडों से लड़ाई के बीच अचानक से पीछे से एक गुंडा देवेन्द्र ठाकुर को मारने आ रहा था पीछे थे तभी सभी ने चिल्लाया देवेन्द्र ठाकुर का नाम लेके तभी बीच में अभय ने आके गुंडे को तलवार को हाथ से पकड़ लिया जिसे पलट के देवेन्द्र ठाकुर ने देखा तो अभय ने तलवार को पकड़ा हुआ था जिस वजह से उसके हाथ से खून निकल रहा था....


01
देवेन्द्र ठाकुर – छोड़ दे इसे अभय तेरे हाथ से खून निकल रहा है बेटा....

अभय – (चिल्ला के) पीछे हट जाओ मामा जी

राघव ठाकुर –(बीच में आके) भइया चलो आप मेरे साथ अभय देख लेगा चलो आप....

देवेन्द्र ठाकुर पीछे हटता चल गया अभय की गुस्से से भरी लाल आखों को देख के....

02
देवेंद्र ठाकुर के जाते ही अभय ने अपने सामने खड़े गुंडे को हाथ का एक जोर का कोना मारा जिससे वो हवा में उछल गया तभी अभय ने ह2वा में उछल उसकी तलवार पकड़ के उसके सीने के पार्क कर जमीन में पटक दिया और गांव के लोगों की भगदड़ मची हुई थी तभी....

अभय –(चिल्ला के) रुक जाओ सब , गांव के जितने भी बच्चे बूढ़े औरते लोग सब एक तरफ हो जाओ और जो लोग यहां मुझे मारने के लिए आय है वो मेरे सामने आजाओ
03
अभय की बात सुन गांव वाले एक तरफ हो गए और बाकी के गुंडे एक तरफ आ गए अभय के सामने हाथ में तलवार चाकू लिए 04
तभी अभय ने उसके मरे एक साथी को अपना पैर मारा जिससे वो फिसलता हुआ बाकी के लोगो के पास जा गिरा 05
राघव – (ये नजारा देख जोर से) वाह मेरे शेर दिखा दे अपना जलवा बता दे सबको ठाकुर अभय सिंह आ गया है....

इसके बाद दो गुंडे दौड़ के आए अभय को मारने उसे पहले अभय ने दोनो को एक एक घुसे में पलट दिया

06
तभी चार गुंडों ने आके तलवार से अभय पर वार किया जिससे उसकी शर्ट फट गई साथ ही चारो गुंडों एक साथ घुसा जड़ दिया जिससे चारो पलट के गिर गए07
उसके बाद जो सामने आया उसे मरता गया अभय वही चारो गुदे एक बार फिर साथ में आए हमला करने उन चारों को हाथों से एक साथ फसा के पीछे मंदिर की बनी सीडी में पटक दिया 08
मंदिर की सीडीओ में खड़ा अभय अपने सामने गुंडों को देख रहा था तभी
09
अभय दौड़ने लगा उनकी तरफ बाकी गुंडे भी दौड़ने लगे थे अभय की तरफ सामने आते ही कुछ गुंडों को हाथों से फसा के दौड़ता रहा आगे तभी एक साथ सभी को घूमा के पटक दिया गुंडों को 10
ठाकुर परिवार के लोग सब एक तरफ खड़े देखते रहे किस तरह अभय सबका अकेले मुकाबला कर रहा है जबकि इस तरफ अभय बिना रहम के सबको मरता जा रहा था
11
तभी अभय ने एक तरफ देखा पूरा ठाकुर परिवार खड़ा था लेकिन नीचे पड़ी व्हीलचेयर खाली थी इससे पहले अभय कुछ कहता या समझता किसी ने पीछे से अभय की पीठ में तलवार से बार किया दूरी की वजह से वार हल्का हुआ अभय पर और तब अभय ने तुरंत ही वेर करने वाले को मार कर 12
सभी गुंडों को बेहरमी से तलवार मारता गया आखिरी में जोर से चिल्लाया जिसे देख देवेन्द्र ठाकुर भी एक पल को हिल सा गया....
13
जा तभी सपने सामने खड़े बचे हुए कुछ गुंडे एक पैर पे खड़े होके अभय को देखने लगे....

अभय – (अपने सामने खड़े गुंडों को) रख नीचे पैर रख....

डर से गुंडे पैर नीचे नहीं रखते तभी अभय उनकी तरफ भागता है जिसे देख बाकी के बचे गुंडे भागते है लेकिन अभय एक गुंडे के पीट में तलवार फेक के मरता है जो उसकी पीठ में लग जाती है अभय उसकी गर्दन पकड़ के....

अभय – ठकुराइन कहा है बता...

गुंडा – (दर्द में) खंडर में ले गया वो....

जिसके बाद अभय उस गुंडे की गर्दन मोड़ के जमीन में गिरा देता है और तुरंत ही भाग के गाड़ी चालू कर निकल जाता है तेजी से ये नजारा देख देवेन्द्र ठाकुर साथ में बाकी के लोग कुछ समझ नहीं पाते तभी....


14
देवेंद्र ठाकुर – (अपने भाई राघव से) जल्दी से पीछे जाओ अभय के देखो क्या बात है....

अपने भाई की बात सुन राघव ठाकुर भी तेजी से कार से निकल जाता है पीछे से....

देवेंद्र ठाकुर –(अपने बॉडीगार्ड को कॉल मिला के) जल्दी से सब ध्यान रखो सड़क पर अभय तेजी से निकला है गाड़ी से यहां से उसका पीछा करो जल्दी से....

जबकि इस तरफ अभय तेजी से गाड़ी चल के जा रह होता है तभी रस्ते में अर्जुन अपनी गाड़ी से आ रहा होता है जिसके बगल से अभय गाड़ी से तेजी से निकल जाता है जिसे देख....

राज – (अभय को तेजी से जाता देख चिल्ला के) अभय....

लेकिन अभय निकल जाता है तेजी से जिसके बाद....

अर्जुन – (गाड़ी रोक के) ये अभय कहा जा रहा है तेजी से....

बोल के अर्जुन तेजी से कार को मोड़ता है और भगा देता है जिस तरफ अभय तेजी से गया गाड़ी से एक तरफ आते ही अर्जुन देखता है रास्ता में दो मोड गए है जिसे देख....

अर्जुन – धत तेरे की कहा गया होगा अभय यहां से....

चांदनी – समझ में नहीं आ रहा है अभय किस तरफ गया होगा....

राज – (रस्ते को देख अचानक बोलता है) खंडर की तरफ चलो पक्का वही गया होगा अभय....

राज की बात सुन अर्जुन बिना कुछ बोले तुरंत गाड़ी खंडी की तरफ को ले जाता है जबकि इधर अभय खंडर के बाहर आते ही गाड़ी रोक देखता है एक गाड़ी खड़ी है जिसे देख अभय समझ जाता है संध्या को यही लाया गया है तुरंत दौड़ के खंडर के अन्दर चला जाता है अन्दर आते ही अभय अपनी पैर में रखी बंदूक को निकाल के जैसे खंडर मके मैं हॉल में आता है तभी....

एक आदमी – (हस्ते हुए) आओ अभय ठाकुर आओ….

तभी अभय अपने पीछे देखता है एक आदमी संध्या के सिर पे बंदूक रख हस के बात कर रहा था अभय से....

अभय – (गुस्से में) कौन हो तुम....

आदमी – जरूरी ये नहीं है कि मैं कौन हूँ जरूरी ये है कि तुम और तेरी ये मां यहां क्यों है....

अभय – मतलब क्या है कौन है तू क्यों लाया है इसे यहां साफ साफ बोल....

आदमी – मेरा नाम रणविजय ठाकुर है और मेरी दुश्मनी तेरे और तेरे पूरे परिवार से है....

अभय – दुश्मनी कैसी दुश्मनी....

रणविजय ठाकुर – मै वो ठाकुर हूँ जिसे तेरे बाप के किए की सजा मिली एक नाजायज औलाद का खिताब दिया गया था मुझे....

अभय – (रणविजय ठाकुर की बात सुन कुछ सोच के) इसका मतलब वो तू है जिसने मुनीम और शंकर को मार कर वो पहेली लिखी थी हॉस्टल में मेरे कमरे में....

रणविजय ठाकुर – (हस्ते हुए) बिल्कुल सही समझा तू....


अभय – तो तू ही चाहता था कि मेरे बारे में पूरे गांव को पता चले लेकिन किस लिए....

रणविजय ठाकुर – ताकि तुझे और तेरे रमन उसके बेटे अमन को पूरे गांव के सामने मार कर ठाकुर का नाजायज से जायज़ बेटा बन जाऊ हवेली का असली इकलौता वारिस ताकि हवेली में रह कर तेरी इस बला की खूबसूरत मां और हवेली की बाकी औरतों को अपनी रखैल बना के रखूं....

अभय – (गुस्से में) साले हरामी मेरे बाबा के लिए गलत बोलता है तू....

बोल के अभय अपनी बंदूक ऊपर उठाने को होता है तभी....

रणविजय ठाकुर – (बीच में टोक अभय से) ना ना ना ना मुन्ना गलती से भी ये गलती मत करना वर्ना (संध्या के सिर पर बंदूक रख के) तेरी इस खूबसूरत मां का भेजा बाहर निकल आएगा जो कि मैं करना नहीं चाहता हु जरा अपने चारो तरफ का नजारा तो देख ले पहले....

रणविजय ठाकुर की बात सुन अभय चारो तरफ नजर घुमा के देखता ही जहां कई आदमी खड़े होते है हथियारों के साथ जिसे देख....

रणविजय ठाकुर – (हस्ते हुए) मेले में तो सिर्फ गुंडे लाया था मैं ताकि देवेन्द्र ठाकुर और उसके बॉडीगार्ड को सम्भल सके ताकि मैं आराम से संधा को यहां ला सकूं लेकिन तूने मेरा काम बिगड़ दिया चल कोई बात नहीं एक मौका और देता हू तुझे (अपने आदमियों से) अगर ये जरा भी हरकत करे तो इसे बंदूक से नहीं बल्कि चाकू तलवार से इतने घाव देना ताकि तड़प तड़प के मर जाए अपनी मां के सामने (अभय से) अगर तू चाहता है ऐसा कुछ भी ना हो तो वो दरवाजा खोल दे जैसे तूने पहल खोला था जब तू संध्या को बचाने आया था....


अभय – (हस्ते हुए) ओह तो तू ही था वो जो मर्द बन के नामर्दों का काम कर रहा था और अपने आप को ठाकुर बोलता है तू थू है तुझ जैसे ठाकुर पर तूने सही कहा तू सिर्फ नाजायज ही था और रहेगा हमेशा के लिए....

रणविजय ठाकुर – (गुस्से में) ज्यादा बकवास मत कर वर्ना संध्या के सिर के पार कर दूंगा गोली जल्दी से दरवाजा खोल दे तुझे और तेरी मां को जिंदा रहने का एक मौका दे रहा हूँ मैं....

अभय – (रणविजय ठाकुर की बात सुन संध्या से) मंदिर से यहां तक नंगे पैर आ गई बिना चप्पल के जरा देख अपने पैर का क्या हाल कर दिया तूने....

अभय की कही बात किसी के समझ में नहीं आती संध्या भी अजीब नजरों से पहले अभयं को देखती है फिर अपने सिर नीचे कर अपने पैर को देखने लगी ही थी कि तभी अभय ने बंदूक उठा के गोली चला दी....


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जबकि इस तरफ संध्या ने जैसे ही अपना सिर हल्का नीचे किया तभी अभय की बंदूक से निकली गोली सीधा रणविजय ठाकुर के सिर के पार हो गई जिससे वो मर के जमीन में उसकी लाश गिर गई....

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जिसे देख उसके गुंडों ने देख तुरंत अभय पे हमला बोल दिया तभी ये नजारा देख अर्जुन , राज , चांदनी , राजू और लल्ला साथ में अभय मिल के गुंडों पर टूट पड़े....

सभी मिल के गुंडों को मार रहे थे तभी अभय ने देखा कुछ गुंडे संध्या को पकड़ रहे थे उनके पास जाके अभय उनसे लड़ने लगा जो जो आता गया सबको मारता गया अभय


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तभी पीछे से दो गुंडे ने संध्या को पकड़ के एक तरफ ले जाने लगे जिसे देख अभय उन्हें मारने को जाता तभी एक गुंडे ने पीछे से आके अभय की सिर पर जोरदार पत्थर से वार किया जिससे अभय अचानक से जमीन में गिर के बेहोश हो गया

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मैं तभी चांदनी ने आके दोनो गुंडों को मार डाला और संध्या को एक तरफ की अभय को देख....

चांदनी – (जमीन में पड़े अभय को देख जोर से चिल्ला के) अभय....

जिले बाद संध्या और चांदनी अभयं की तरफ भागे संभालने को तभी खंडर के अन्दर राघव पर उसके साथ कुछ बॉडी गार्ड आ गए जिन्होंने आते ही सभी बॉडीगार्ड गुंडों को मारने लगे तभी अर्जुन , राज , राजू और लल्ला सभी ने तुरंत अभय को उठा के बाहर ले आए गाड़ी में बैठा के अस्पताल की तरफ ले जाने लगे....

संध्या – (अभय के सिर को अपनी गोद में रख हाथ से दबा रही थी सिर की उस हिस्से को जहां से खून तेजी से निकल रहा था रोते हुए) जल्दी चलो अर्जुन देखो अभय के सिर से खून निकलता जा रहा है....

अर्जुन तेजी से गाड़ी चलते हुए अस्पताल में आते ही तुरंत इमरजेंसी में ले जाया गया जहा डॉक्टर अभय का इलाज करने लगे....

अर्जुन – (अलीता को कॉल मिला के) तुम जहा भी हो जल्दी से सोनिया को लेके अस्पताल आ जाओ....

अर्जुन की बात सुन अलीता जो मंदिर में सबके साथ थी सबको अस्पताल का बता के निकल गए सब अस्पताल की तरफ तेजी से अस्पताल में आते ही....

अर्जुन – (सोनिया से) अभी कुछ मत पूछना बस तुरंत अन्दर जाओ डॉक्टर के पास अभय का इलाज करो जल्दी से जाओ तुम....

पूरा ठाकुर परिवार अस्पताल में बैठा किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आखिर हुआ क्या है जबकि संध्या सिर रोए जा रही थी कमरे के बाहर खड़े बस दरवाजे को देखे जा रही थी जहां कमरे में डॉक्टर अभय का इलाज कर रहे थे ही कोई अंजान था कि ये सब कैसे हुआ बस अभी के लिए केवल संध्या को संभाल रहे थे सब....
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Mast update bhai
 

sam21003

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UPDATE 49


सुबह का समय था अभय अपनी एक्सरसाइ करके अपने कमरे में जा रहा था तभी....

अभय – (एक कमरे में गया जहा अमन बेड पर अपनी कमर पकड़ के टेडा बैठा था) दर्द ज्यादा हो रहा है....

अमन –(अपने सामने अभय को देख) तुम्हे इससे क्या मतलब है....

अभय –(मुस्कुरा के पैंकिलर देते हुए) इसे खा लो दर्द में कुछ राहत मिल जाएगी....

अमन – मुझे नहीं चाहिए....

अभय – लेलो कम से कम तुझे दावा तो मिल रही है मुझे तो दवा पूछी तक नहीं....

बोल के कमरे से निकल गया अभय पीछे से अपनी अजीब निगाहों से अमन जाते हुए देखता रहा अभय को....

सुबह के नाश्ते के वक्त सबके साथ अमन भी टेबल में बैठ के नाश्ता कर रहा था तभी....

अभय –(अमन से) नाश्ते के बाद तैयार हो जाना आज गांव में मेला शुरू होने जा रहा है सबको पूजा में चलना है....

नाश्ते के वक्त अभय देख रहा था जब अमन नाश्ता कर रहा था कोई बात नहीं कर रहा था अमन से इसीलिए बीच में ही अमन को चलने का बोल दिया ताकि अमन भी मेले में साथ चले जबकि अभय की इस बात पर संध्या और ललिता साथ मालती हैरानी से अभय को देख रहे थे लेकिन किसी ने बोला कुछ भी नहीं नाश्ते के बाद लगभग सभी तयार हो गए थे तब अभय गोद में लेके संध्या को कार में बैठा के कार से निकलने जा रहा था....

अभय – (सभी से) रस्ते में कुछ काम निपटा के मेले में सीधे पहुंचेंगे हम....

सबने मुस्कुरा के हा में सिर हिला दिया जिसके बाद अभय और संध्या निकल गए उर्मिला के घर जहा उर्मिला और पूनम कुछ देर पहले आय थे....

अभय – (संध्या को व्हीलचेयर में उर्मिला के घर में आते हुए) चाची....

उर्मिला –(अपने सामने अभय और संध्या को देख) अरे ठकुराइन आप यहां पर....

संध्या –(मुस्कुरा के) अब कैसी हो तुम....

उर्मिला – अच्छी हूँ ठकुराइन लेकिन आप इस तरह इसमें....

संध्या – कुछ खास नहीं पैर में चोट आ गई थी खेर छोड़ो इस बात को (पूनम से) तुम कैसी हो पूनम....

पूनम – जी अच्छी हूँ ठकुराइन....

संध्या – उर्मिला तेरे से काम है एक....

उर्मिला – जी ठकुराइन बोलिए....

संध्या – हम चाहते है कि अब से तुम दोनो हवेली में आके रहो बस....

उर्मिला –(चौक के) क्या हवेली लेकिन....

संध्या – लेकिन कुछ नहीं उर्मिला बस मै चाहती हु तुम दोनो हवेली आ जाओ अब से वही रहोगे....

उर्मिला – लेकिन हवेली में किसी को....

संध्या – उसकी चिंता मत करो तुम अब से पूनम और तुम्हारी सारी जिम्मेदारी मेरी है तो कब आ रहे हो....

उर्मिला – (पूनम को देख) ठीक है ठकुराइन....

संध्या – ठीक है आज से मेले की शुरुवात हो रही है हम वही जा रहे है मै हवेली में खबर कर देती हु तुम्हे वहां किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं होगी....

बोल के संध्या ने हवेली किसी को कॉल करके बात कर उसके बाद....

संध्या – अच्छा उर्मिला चलती हूँ मै शाम में मिलते है हम....

बोल के संध्या और अभय निकल गए कार से मेले की तरफ रस्ते में....

अभय – मुझे लगा मानेगी नहीं उर्मिला शायद....

संध्या – मै भी यही समझ रही थी लेकिन उसके हालत अभी सही नहीं है ऊपर से बेटी की चिंता और पढ़ाई भी है तभी वो मान गई बात मेरी....

अभय – हम्ममम....

संध्या – आज मेले में और भी कई लोग आने वाले है....

अभय – मतलब और कौन आएगा....

संध्या – मेरे मू बोले भाई और मनन ठाकुर के दोस्त देवेंद्र ठाकुर....

अभय – (देवेंद्र ठाकुर का नाम सुन कार में अचानक से ब्रेक मार के) क्या देवेंद्र ठाकुर....

संध्या – (चौक के) क्या हुआ तुझे देव भैया का नाम सुन चौक क्यों गए तुम....

अभय – (खुद को संभाल कार को फिर से चलाते हुए) नहीं कुछ नहीं....

संध्या – देव भैया ने बताया था मुझे कैसे तुमने उन्हें बचाया था शहर के मेले में बहुत तारीफ कर रहे थे तुम्हारी....

रस्ते में अभय सिर्फ सुनता रहा संध्या की बात बिना कुछ बोले कुछ देर में कुलदेवी के मंदिर में आते ही अभय ने संध्या को व्हीलचेयर में बैठा के मंदिर में ले जाने लगा तभी....

अर्जुन – (संध्या और अभय के सामने आके) कैसी हो चाची आप....

संध्या – (मुस्कुरा के) अच्छी हूँ तू बता सीधा यही आ गया हवेली में क्यों नहीं आया....

अर्जुन – (मुस्कुरा के) चाची हवेली में आना ही है मुझे सोचा मेले में आ जाता हूँ यही से सब साथ जाएगी हवेली....

संध्या – (मुस्कुरा के) बहुत अच्छा किया तुने (इधर उधर देखते हुए) अलीता कहा है....

अर्जुन – (एक तरफ इशारा करते हुए) वो देखिए सबके साथ बाते कर रही है अलीता....

संध्या एक तरफ देख जहां हवेली के सभी लोग मंदिर में बैठ बाते कर रहे थे तभी चांदनी आके संध्या को ले जाती है सबके पास दोनो के जाते ही....

अभय – (अर्जुन से) आप जानते हो यहां पर देवेंद्र ठाकुर भी आने वाला है....

अर्जुन – (अभय को देख) हा पता है तो क्या हुआ....

अभय – (हैरानी से) आप तो इस तरह बोल रहे हो जैसे बहुत मामूली बात हो ये....

अर्जुन – (हस के) तेरी प्रॉब्लम जनता है क्या है तू सवाल बहुत पूछता है यार....

अभय – (हैरानी से) क्या मतलब आपका....

अर्जुन – (जेब से बंदूक निकाल अभय के सिर में रखते हुए देखता रहा जब अभय ने कुछ नहीं किया तब) क्या बात है आज पहले की तरह बंदूक नहीं छिनेगा मेरी....

अभय – जनता हूँ आप मजाक कर रहे हो मेरे साथ....

अर्जुन – (हस्ते हुए जेब में बंदूक वापस रख) बड़ा मजा आया था उस दिन जब तूने अचानक से बंदूक छीनी थी जनता है मैं भी एक पल हैरान हो गया था लेकिन मजा बहुत आया उस दिन देख अभय जनता हूँ तेरे पास कई सवाल है जवाब देने है मुझे लेकिन क्या तुझे ये जगह और वक्त सही लगता है तो बता....

अभय – (बात सुन चुप रहा जिसे देख)....

अर्जुन – चल पहले मेला निपटाते है फिर बैठ के आराम से बात करेंगे हम अब खुश चल चले अब....

अभय – हम्ममम....

बोल के अर्जुन और अभय मंदिर के अन्दर जाने लगे तभी अचानक से 4 कारे एक साथ चलती हुई मेले में आने लगी जिसे देख अर्जुन और अभय देखने लगे....

अर्जुन – आ गया देवेन्द्र ठाकुर अपने परिवार के साथ....

चारो कारे रुकी तभी कुछ बॉडीगार्ड कालों कपड़ो में कार से निकले बाहर एक बॉडीगार्ड ने दूसरी कार का दरवाजा खोला उसमें से देवेन्द्र ठाकुर निकला साथ में एक औरत कार में आगे ड्राइवर के साथ एक आदमी निकला तभी देवेन्द्र ठाकुर , औरत और आदमी साथ में चलते हुए मंदिर में आने लगे तभी....

देवेन्द्र ठाकुर – (काले कपड़े पहने अपने बॉडीगार्ड से) तुम लोगो को गांव देखना था जाके घूम आओ यहां से खाली होते ही कॉल करूंगा मैं तुम्हे अब तुमलोग जाओ....

बॉडीगार्ड – लेकिन सर यहां आप अकेले....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के) अरे भाई हम अकेले कहा है (मंदिर की तरफ इशारा करके जहां अभय खड़ा था) वो देखो वो रहा मेरा रखवाला मेरा भांजा समझे अब जाओ तुम सब....

बॉडीगार्ड – (अभय को देख मुस्कुरा के) समझ गया सर लेकिन 3 आदमी बाहर खड़े रहेंगे और उनके लिए आप मना नहीं करेंगे बस....

अपने बॉडीगार्ड की बात सुन हल्का मुस्कुरा के चल गया देवेंद्र ठाकुर उसके जाते ही बॉडीगार्ड और बाकी आदमी कार में बैठ गए इसके साथ तीनों कारे चली गई देवेंद्र ठाकुर , औरत और आदमी साथ चल के मंदिर में आने लगे अभय के पास आके रुक....

देवेंद्र ठाकुर –(मुस्कुरा अभय को गले लगा के) कैसे हो मेरे बच्चे....

देवेंद्र ठाकुर के गले लगने से अभय हैरान था जिसे देख....

देवेंद्र ठाकुर –(अभय को हैरान देख मुस्कुरा के) क्या हुआ भूल गए मुझे....

अभय – नहीं....वो...आप...मै....

देवेंद्र ठाकुर –(मुस्कुरा के) तुझे देख ऐसा लगता है जैसे मनन ठाकुर मेरे सामने खड़ा हो बिल्कुल वैसे ही बात करने का तरीका वही रंग....

शालिनी – (अभयं के पास आके देवेंद्र ठाकुर से) प्रणाम ठाकुर साहब....

देवेंद्र ठाकुर – प्रणाम शालिनी जी भाई दिल खुश हो गया आज मुलाक़ात हो गई मेरी....

शालिनी – चलिए ये तो अच्छी बात है आइए अन्दर देखिए सब मंदिर में इंतजार कर रहे है आपका....

बोल के देवेंद्र ठाकुर एक बार अभय के गाल पे हाथ फेर मुस्कुरा के मंदिर में चला गया साथ में औरत भी तभी एक आदमी जो देवेंद्र ठाकुर के साथ आया था वो अभय के पास जाके गले लग के....

आदमी – (अभय के गले लग के अलग होके) हैरान हो गए तुम मुझे जानते नहीं हो लेकिन मैं जनता हूँ तुम्हे याद है मेले का वो दिन जब देव भैया पर हमला हुआ था तब तुमने आके बचा लिया था जानते हो उस दिन जब तुम बीच में आय उस वक्त तुमने सिर्फ भैया को नहीं बचाया साथ में मुझे बचाया और मेरे परिवार को उस वक्त वो आदमी मुझे गोली मारने वाला था लेकिन तभी तुमने बीच में आके उसे रोक दिया वर्ना शायद आज मैं यहां नहीं होता....

अभय – (कुछ ना समझते हुए) लेकिन वहा पर आपका परिवार कहा से आ गया....

आदमी – (मुस्कुरा के) मेरा परिवार तो घर में था लेकिन मुझे बचाया मतलब मेरे परिवार को भी बचाया तुमने समझे जानते हो मौत से कभी नहीं डरा मै लेकिन उस दिन जब उस आदमी ने बंदूक मेरे सिर में रखी थी बस उस वक्त मेरे ख्याल में सिर्फ मेरे परिवार के चेहरे घूम रहे थे खेर उस दिन मैं तुम्हारे शुक्रिया अदा नहीं कर पाया लेकिन मुझे पता चला तुम यहां मिलने वाले हो आपने आप को यहां आने से रोक नहीं पाया मै , मेरा नाम राघव ठाकुर है देव भैया का छोटा भाई और देव भैया के साथ जो औरत है वो रंजना ठाकुर है आओ चले अन्दर....

बोल के अभय , अर्जुन और राघव एक साथ मन्दिर के अन्दर आ गए अभय शालिनी के पास जाके खड़ा हो गया जहा संध्या बैठी थी व्हीलचेयर में....

संध्या – (अभय से) ये देव भैया है और ये उनकी वाइफ रंजना ठाकुर....

शालिनी – (मुस्कुरा के अभय से) और राघव से तुम मिल चुके हो ये तेरे मामा मामी है (इशारे से पैर छूने को बोलते हुए)....

अभय – (शालिनी का इशारा समझ तीनों के पैर छू के) प्रणाम मामा जी प्रणाम मामी जी....

तीनों एक साथ मुस्कुरा के – प्रणाम बेटा....

रंजना ठाकुर – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) हमेशा खुश रहो तुम....

तभी बंजारों में से लक्ष्मी मंदिर में आके....

लक्ष्मी – (सभी को) प्रणाम....

संध्या – (लक्ष्मी से) मां तैयारी हो गई सारी....

लक्ष्मी – जी सारी तैयारी हो गई....

रमन – (पंडित से) पंडित जी कार्यक्रम शुरू कीजिए....

रमन की बात सुन पंडित पूजा करना शुरू करता है इस बीच अभय बार बार पीछे मूड के देखने लगता है जिसे देख....

चांदनी – क्या बात है तू बार बार पीछे मूड के क्यों देख रहा है....

अभय – दीदी राज , राजू , लल्ला दिख नहीं रहे है कही कहा है....

चांदनी – गीता मा ने भेजा है काम से उन्हें....

अभय – (गीता देवी का नाम सुन) बड़ी मां कहा है वो अन्दर क्यों नहीं आई....

चांदनी – बाहर है वो सभी गांव वालो के साथ (पीछे इशारा करके) वो देख सबके साथ खड़ी ही....

अभय – (सभी गांव वालो को मंदिर के बाहर खड़ा देख) बाहर क्यों खड़े है सब अन्दर क्यों नहीं आए....

चांदनी – पता नहीं अभय मैने सुना है कि इस मंदिर में मेले की पहली पूजा ठाकुर परिवार के लोग करते है उसके बाद सब गांव वाले आते है दर्शन करने....

अभय – ये तो गलत है ऐसा कैसे हो सकता है ये....

संध्या – (अभय से) क्या बात है क्या होगया....

अभय – मंदिर के बाहर सभी गांव वाले खड़े है पूजा के बाद मंदिर में क्यों आय पूजा के वक्त क्यों नहीं....

संध्या – (पंडित को रोक के) पंडित जी एक मिनिट रुकिए जरा....

पंडित – क्या हुआ ठकुराइन कोई गलती हो गई मुझसे....

संध्या – नहीं पंडित जी लेकिन कुछ नियम है जो आज से बदले जा रहे है....

पंडित – मै कुछ समझा नहीं ठकुराइन....

संध्या – मै अभी आती हु (अभय से) मुझे उनके पास ले चल....

संध्या की बात से जहां सब हैरान थे वही संध्या की बात सुन अभय व्हीलचेयर से संध्या को गांव वालो की तरफ ले गया....

संध्या – (सभी गांव वालो से) आज अभी इसी वक्त से कुल देवी की हर पूजन में ठाकुर परिवार के साथ आप सब भी मंदिर में शामिल रहेंगे....

एक गांव वाला – लेकिन ठकुराइन कुलदेवी की पहली पूजन तो सिर्फ ठाकुर ही करते आय है ये परंपरा शुरुवात से चलती आ रही है....

संध्या – (मुस्कुरा के अपने पीछे खड़े अभय के हाथ में अपना हाथ रख के) लेकिन अब से नियम यही रहेगा कुलदेवी की हर पूजन में ठाकुर परिवार के साथ आप सब भी शामिल रहेंगे हमेशा के लिए....

संध्या की बात सुन के जहां सभी गांव वाले बहुत खुश हो गए वही गीता देवी मंद मंद मुस्कुरा के अभय को देख रही थी वो समझ गई थी ये सब किया अभय का है खेर इसके बाद अभय व्हील चेयर मोड के संध्या को पंडित के पास लेके जाने लगा साथ में सभी गांव वाले मंदिर के अन्दर आने लगे तभी संध्या पीछे पलट के गीता देवी और पायल को एक साथ देख इशारे से अपने पास बुलाया जिसे देख दोनो आगे आ गए संध्या के पास आके खड़े हो गए....

संध्या – पंडित जी अब शुरू करिए पूजन....

इसके बाद पूजा शुरू हो गई रमन कुछ बोलना चाहता था लेकिन इतने लोगों के बीच बोल नहीं पाया वही अभय ने बगल में खड़ी पायल का हाथ धीरे से अपने हाथ से पकड़ लिया जिसे देख पायल हल्का मुस्कुराईं सभी पूजन में लगे रहे तभी....

अलीता – (अभय के बगल में आके धीरे से) बहुत खूब सूरत है ना....

अभय – (आलिया की बात सुन धीरे से) क्या....

अलीता – (मुस्कुरा के धीरे से) पायल के लिए बोल रही हूँ मै जिसका हाथ पकड़ा हुआ है तुमने....

अभय – (अलीता की बात सुन जल्दी से पायल से अपना हाथ हटा के धीरे से) मैने कहा पकड़ा हुआ है हाथ भाभी देखो ना....

अलीता – (मुस्कुरा के घिरे से) अपनी भाभी से झूठ पूजा होने दो फिर बताती हु तुझे....

अलीता की बात सुन अभय सिर झुका के मुस्कुराने लगा साथ में पायल भी फिर पंडित आरती की थाली देने लगा संध्या को तभी संध्या ने अभय का हाथ पकड़ आगे करके थाली उसे दी आरती करने का इशारा किया जिसके बाद अभय आरती करने लगा ये नजारा देख गांव के लोग हैरान थे कि संध्या कैसे आरती न करके दूसरे लड़के को थाली देके आरती करवा रही है लेकिन किसी ने कुछ बोला नहीं धीरे धीरे करके सभी आरती करने लगे पूजा के खत्म होते ही....

पंडित – (संध्या से) ठकुराइन आगे की विधि कुलदेवी को बलि देके पूरी कीजिए ताकि मेले की शुरुवात हो सके....

संध्या – जी पंडित जी (ललिता से) ललिता थाली देना तो....

ललिता – (थाली का ध्यान आते ही अपने सिर पे हाथ रख के) दीदी माफ करना जल्दी बाजी में मै हवेली में भूल आई थाली....

रमन – (ललिता की बात सुन गुस्से में) एक काम ढंग से नहीं होता है तेरे से थाली भूल आई अब कैसे शुरू होगी मेले की शुरुवात....

संध्या – (बीच में) शांत हो जाओ जरा जरा सी बात पर गुस्सा करने की जरूरत नहीं है रमन....

अभय से कुछ बोलने जा रही थी संध्या तभी....

अर्जुन – (बीच में) चाची मै जाके लता हूँ जल्दी से....

संध्या – (मुस्कुरा के) शुक्रिया अर्जुन....

अर्जुन – कोई बात नहीं चाची आप बताओ कहा रखी है थाली....

ललिता – वो हवेली में मेरे कमरे में रखी है लाल कपड़े से ढकी....

चांदनी – मै अर्जुन के साथ जाती हु जल्दी से लाती हु चलो अर्जुन....

बोल के जल्दी से दोनो साथ में निकल गए कार में हवेली की तरफ कुछ ही दूर आय थे तभी रस्ते में उन्हें राज , राजू और लल्ला दिख गए पैदल जाते हुए मेले की तरफ उन्हें देख गाड़ी रोक....

चांदनी – पैदल कहा जा रहे हो तुम सब....

राज – मेले में जा रहे है लेकिन तुम कहा....

चांदनी – हवेली से कुछ सामान लाना है उसे लेने जा रहे है आओ गाड़ी में बैठ जाओ साथ में चलते है जल्दी पहुंच जायेंगे सब....

इसके बाद गाड़ी आगे बढ़ गई कुछ ही देरी के बाद सब लोग हवेली आ गए जैसे ही हवेली के अन्दर जाने लगे सामने का नजर देख आंखे बड़ी हो गई सब की हवेली के दरवाजा का तला टूटा हुआ एक तरफ पड़ा था दरवाजा खुला था अन्दर सजावट का सामान बिखरा हुआ था ये नजारा देख रहे थे तभी पीछे से किसी की आवाज आई....

उर्मिला – ये क्या हुआ है यहां पे....

सभी एक साथ पलट के सामने देखा तो उर्मिला उसकी बेटी पूनम खड़ी थी....

चांदनी – आप यहां पर....

उर्मिला – ठकुराइन बोल के गई थी यहां रहने के लिए मुझे लेकिन यहां क्या हुआ ये सब....

अर्जुन – हम अभी आय है यही देख हम भी हैरान है....

पूनम – (एक तरफ इशारा करके) ये किसका खून है....

पूनम की बात सुन सबने पलट के देखा तो सीडीओ पर खून लगा हुआ है जो सीधा ऊपर तक जा रहा है जिसे देख सभी एक साथ चल के ऊपर जाने लगे खून की निशान सीधा ऊपर गए हुए थे जैसे ही ऊपर आय सब वो निशान अभय के कमरे की तरफ थे जल्दी से सब दौड़ के अभय के कमरे की तरफ गए जहा का नजारा देख सबकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई तभी चांदनी और अर्जुन ने एक दूसरे की तरफ देख बस एक नाम लिया....

चांदनी और अर्जुन एक साथ – अभय....

बोल के दोनो तुरंत भागे तेजी से हवेली बाहर कार की तरफ उनकी बात का मतलब समझ के राजू , राज और लल्ला भी भागे बाहर आते ही सब गाड़ी में बैठ तेजी से निकल गए पीछे से पूनम और उर्मिला हैरान थे जब वो अभय के कमरे में देख उन्होंने सामने दीवार पर पहेली लिखी थी.....


बाप के किए की सजा
(BAAP KE KIE KI SAJA).....


जबकि इस तरफ मेले में अर्जुन और चांदनी के जाने के कुछ मिनट के बाद मंदिर के बाहर सभी आपस में हसी मजाक और बाते कर रहे थे....


देवेन्द्र ठाकुर – (अपने भाई राघव से) मैने जो कहा था कुश्ती का उसकी तैयारी हो गई....

राघव – जी भइया बस मेले के शुरू होने का इंतजार है....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है वैसे तुम्हे क्या लगता है हमारा पहलवान जीतेगा या हारेगा....

राघव ठाकुर – (मुस्कुरा के) भइया कुश्ती खत्म होते ही आप बस एक बात बोलोगे बेचारे मेरे पहलवान....

बोल के दोनो भाई आपस में हसने लगे जिसे देख संध्या और शालिनी उनके पास आके....

संध्या – क्या बात है देव भैया बहुत खुश लग रहे हो आप आज....

देवेन्द्र ठाकुर – खुशी की बात ही है मेरा भांजा मिला है आज मुझे सच में संध्या बिल्कुल अपने पिता की तरह बात करना उसकी तरह भोली भाली बाते उससे बात करके मनन की याद आ गई आज मुझे....

शालिनी – (चौक के) भोली भली बाते....

देवेन्द्र ठाकुर – (हस्ते हुए) जनता हूँ शालिनी जी उसके स्वभाव को बस आज मुलाक़ात हुई इतने वक्त बाद तारीफ किए बिना रह नहीं पा रहा हू मै....

शालिनी – बस भी करिए ठाकुर साहब बड़ी मुश्किल से गांव में आया है जाने कैसे मान गया हवेली में रहने को वर्ना सोचा तो मैने भी नहीं था ऐसा कभी हो पाएगा लेकिन....

गीता देवी – (बीच में आके) लेकिन जो होना होता है वो होके रहता है शालिनी जी....

देवेन्द्र ठाकुर – (गीता देवी के पैर छू के) कैसी हो दीदी....

गीता देवी – बहुत अच्छी मै (राघव से) कैसे हो रघु तुम तो जैसे भूल ही गए शहर क्या चलेगए जब से....

राघव ठाकुर – दीदी ऐसी बात नहीं है आप तो जानते हो ना पिता जी का उनके आगे कहा चली किसी की आज तक....

गीता देवी – हा सच बोल रहे हो काश वो भी यहां आते तो....

बोल के गीता देवी चुप हो गई जिसे देख....

देवेन्द्र ठाकुर – अरे दीदी आज के दिन उदास क्यों होना कितना शुभ दिन है आज एक तरफ मेले की शुरुवात हो रही है दूसरे तरफ गांव वाले भी बहुत खुश है संध्या के फैसले से....

गीता देवी – (मुस्कुरा के) देव भइया जिसे आप संध्या का फैसला समझ रहे है जरा पूछो तो संध्या से किसका फैसला है ये....

संध्या – (मुस्कुरा के) देव भइया बोल मेरे जरूर थे लेकिन ये सब अभय का किया धारा है....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के अभय को देख जो एक तरफ खड़ा अलीता और पायल से बात कर रहा था) देखा मैने कहा था ना बिल्कुल अपने पिता की तरह है वो भी यही चाहता था लेकिन अपने दादा की चली आ रही परंपरा के वजह से चुप रहा था चलो अच्छा है शुभ दिन में शुभ काम हो रहा है सब....

इधर ये लोग आपस में बाते कर रहे थे वहीं अलीता , अभय और पायल आपस में बाते कर रहे थे....

अलीता – (अभय से) तो क्या बोल रहे थे तुम पूजा के वक्त....

अभय – (मुस्कुरा के) भाभी वो बस गलती से हाथ पकड़ लिया था मैने....

अलीता – अच्छा तभी मेरे पूछते ही तुरंत छोड़ दिया तुमने....

अभय – (मुस्कुरा के) SORRY भाभी मैने ही पकड़ा था हाथ....

अलीता – (मुस्कुरा के) पता है मुझे सब....

अभय – वैसे भाभी आपको कैसे पता पायल का नाम....

अलीता – (पायल के गाल पे हाथ फेर के) क्योंकि तेरे से ज्यादा तेरे बारे में पता है मुझे साथ ही पायल के बारे में भी (पायल से) क्यों पायल ये तुझे तंग तो नहीं करता है ना कॉलेज या कॉलेज के बाहर....

पायल – लेकिन आप कौन है मैं आपको जानती भी नहीं और आप मुझे कैसे जानते हो और अभय को....

अलीता – (मुस्कुरा के) सब बताओगी तुझे अभी के लिए बस इतना जान ले मै तेरी बड़ी भाभी हूँ बस बाकी बाद में बताओगी सब तो अब बता मैने जो पूछा....

पायल – भाभी ये सिर्फ कॉलेज में ही बात करता है कॉलेज के बाहर कभी मिलता ही नहीं....

अलीता – अच्छा ऐसा क्यों....

पायल – क्योंकि ये चाहता ही नहीं गांव में किसी को पता चले इसके बारे में....

अलीता – (मुस्कुरा के) गलत बात है अभय....

अभय – भाभी आप तो जानते हो ना सब....

अलीता – चलो कोई बात नहीं अब मैं आ गई हु ना (पायल से) अब ये तुझसे रोज मिलेगा कॉलेज के अन्दर हो या बाहर मै लाऊंगी इसे तेरे से मिलने को अब से....

बोल के हसने लगे तीनों साथ में तभी पंडित जी बोलते है....

पंडित – (संध्या से) ठकुराइन वक्त बीता जा रहा है शुभ मुहूर्त का आप ऐसा करे बलि देके मेले का आयोजन करे थाल आते ही बाकी की कार्य बाद में कर लेगे....

संध्या – (पंडित की बात सुन) ठीक है पंडित जी....

इससे पहले पंडित एक थाल लेके (जिसमें कुल्हाड़ी रखी थी) उठा के अमन की तरफ जाता तभी....

संध्या – (पंडित से) पंडित जी थाल को (अभय की तरफ इशारा करके) इसे दीजिए....

पंडित – (चौक के) लेकिन बलि सिर्फ ठाकुर के वंश ही देते है ये तो....

संध्या – (बीच में बात काट के) ये ठाकुर है हमारा ठाकुर अभय सिंह मेरा....

इससे आगे संध्या कुछ बोलती तभी गांव के कई लोग ये बात सुन के एक आदमी बोला....

गांव का आदमी –(खुश होके) मुझे लगा ही था ये लड़का कोई मामूली लड़का नहीं है ये जरूर हमारा ठाकुर है (अपने पीछे खड़े गांव के लोगों से) देखा मैने कहा था न देखो ये हमारे अभय बाबू है मनन ठाकुर के बेटे ठाकुर रतन सिंग के पोते है....

इस बात से कुछ लोग हैरानी से अभय को देख रहे थे वहीं काफी लोग अपने गांव के आदमी की बात सुन खुशी से एक बात बोलने लगे....

गांव के लोग अभय से – अभय बाबा आप इतने वक्त से गांव में थे आपने बताया क्यों नहीं कब से तरस गए थे हम जब से पता चला हमें की.....

देवेन्द्र ठाकुर – (बीच में सभी गांव वालो से) शांत हो जाओ सब आज हम सभी के लिए बहुत बड़ी खुशी का दिन है आज से गांव में मेले की शुरुवात हो रही है साथ ही आज आपका ठाकुर लौट के आ गया है आज के शुभ अवसर पर मेले की शुरुवात उसे करने दीजिए बाकी बाते बाद में करिएगा (पंडित जी से) पंडित जी कार्य शुरू करिए....

बोल के पंडित ने अभय के सामने थाल आगे कर उसे कुल्हाड़ी उठाने को कहा जिसे सुन अभय कुल्हाड़ी उठा के बकरे की तरफ जाने लगा तभी....

देवेन्द्र ठाकुर – (अभय से) बेटा बलि देने से पहले अपने मन में देवी भद्र काली का आह्वाहन करना उसे बोलना की हे भद्र काली इस बलि को स्वीकार करे ताकि हम मेले की शुरुवात सुखद पूर्ण कर सके....

देवेंद्र ठाकुर की बात सुन अभय बकरे के पास जाने लगा पीछे से सभी गांव वालो के साथ एक तरफ पूरा ठाकुर परिवार खड़ा अभय को मुस्कुरा के देख रहा था थोड़ी दूरी पर अभय बकरे के पास जाके मन में देवी मा का आवाहन कर एक बार में बलि देदी बकरे की जिसके बाद बकरे का खून नीचे पड़े एक बड़े कटोरे में गिरने लगा कुछ समय बाद खून का कटोरा उठा के पंडित मेले की तरफ जाके छिड़कने लगा लेकिन इस बीच मेले में आए कई लोग एक साथ पंडित के पीछे जाने लगे और अभय पीछे खड़ा देख रहा था संध्या की तरफ पलट को जाने को हुआ ही था तभी अभय ने पलटते ही सामने देखा कुछ लोगो ने चाकू , तलवार की नोक पर ठाकुर परिवार की औरतों को पकड़ा हु था जैसे ही बाकी के लोग अभय की तरफ आने को बड़े थे तभी देवेंद्र ठाकुर और उसके भाई ने मिल के लड़ने लगे गुंडों से लड़ाई के बीच अचानक से पीछे से एक गुंडा देवेन्द्र ठाकुर को मारने आ रहा था पीछे थे तभी सभी ने चिल्लाया देवेन्द्र ठाकुर का नाम लेके तभी बीच में अभय ने आके गुंडे को तलवार को हाथ से पकड़ लिया जिसे पलट के देवेन्द्र ठाकुर ने देखा तो अभय ने तलवार को पकड़ा हुआ था जिस वजह से उसके हाथ से खून निकल रहा था....


01
देवेन्द्र ठाकुर – छोड़ दे इसे अभय तेरे हाथ से खून निकल रहा है बेटा....

अभय – (चिल्ला के) पीछे हट जाओ मामा जी

राघव ठाकुर –(बीच में आके) भइया चलो आप मेरे साथ अभय देख लेगा चलो आप....

देवेन्द्र ठाकुर पीछे हटता चल गया अभय की गुस्से से भरी लाल आखों को देख के....

02
देवेंद्र ठाकुर के जाते ही अभय ने अपने सामने खड़े गुंडे को हाथ का एक जोर का कोना मारा जिससे वो हवा में उछल गया तभी अभय ने ह2वा में उछल उसकी तलवार पकड़ के उसके सीने के पार्क कर जमीन में पटक दिया और गांव के लोगों की भगदड़ मची हुई थी तभी....

अभय –(चिल्ला के) रुक जाओ सब , गांव के जितने भी बच्चे बूढ़े औरते लोग सब एक तरफ हो जाओ और जो लोग यहां मुझे मारने के लिए आय है वो मेरे सामने आजाओ
03
अभय की बात सुन गांव वाले एक तरफ हो गए और बाकी के गुंडे एक तरफ आ गए अभय के सामने हाथ में तलवार चाकू लिए 04
तभी अभय ने उसके मरे एक साथी को अपना पैर मारा जिससे वो फिसलता हुआ बाकी के लोगो के पास जा गिरा 05
राघव – (ये नजारा देख जोर से) वाह मेरे शेर दिखा दे अपना जलवा बता दे सबको ठाकुर अभय सिंह आ गया है....

इसके बाद दो गुंडे दौड़ के आए अभय को मारने उसे पहले अभय ने दोनो को एक एक घुसे में पलट दिया

06
तभी चार गुंडों ने आके तलवार से अभय पर वार किया जिससे उसकी शर्ट फट गई साथ ही चारो गुंडों एक साथ घुसा जड़ दिया जिससे चारो पलट के गिर गए07
उसके बाद जो सामने आया उसे मरता गया अभय वही चारो गुदे एक बार फिर साथ में आए हमला करने उन चारों को हाथों से एक साथ फसा के पीछे मंदिर की बनी सीडी में पटक दिया 08
मंदिर की सीडीओ में खड़ा अभय अपने सामने गुंडों को देख रहा था तभी
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अभय दौड़ने लगा उनकी तरफ बाकी गुंडे भी दौड़ने लगे थे अभय की तरफ सामने आते ही कुछ गुंडों को हाथों से फसा के दौड़ता रहा आगे तभी एक साथ सभी को घूमा के पटक दिया गुंडों को 10
ठाकुर परिवार के लोग सब एक तरफ खड़े देखते रहे किस तरह अभय सबका अकेले मुकाबला कर रहा है जबकि इस तरफ अभय बिना रहम के सबको मरता जा रहा था
11
तभी अभय ने एक तरफ देखा पूरा ठाकुर परिवार खड़ा था लेकिन नीचे पड़ी व्हीलचेयर खाली थी इससे पहले अभय कुछ कहता या समझता किसी ने पीछे से अभय की पीठ में तलवार से बार किया दूरी की वजह से वार हल्का हुआ अभय पर और तब अभय ने तुरंत ही वेर करने वाले को मार कर 12
सभी गुंडों को बेहरमी से तलवार मारता गया आखिरी में जोर से चिल्लाया जिसे देख देवेन्द्र ठाकुर भी एक पल को हिल सा गया....
13
जा तभी सपने सामने खड़े बचे हुए कुछ गुंडे एक पैर पे खड़े होके अभय को देखने लगे....

अभय – (अपने सामने खड़े गुंडों को) रख नीचे पैर रख....

डर से गुंडे पैर नीचे नहीं रखते तभी अभय उनकी तरफ भागता है जिसे देख बाकी के बचे गुंडे भागते है लेकिन अभय एक गुंडे के पीट में तलवार फेक के मरता है जो उसकी पीठ में लग जाती है अभय उसकी गर्दन पकड़ के....

अभय – ठकुराइन कहा है बता...

गुंडा – (दर्द में) खंडर में ले गया वो....

जिसके बाद अभय उस गुंडे की गर्दन मोड़ के जमीन में गिरा देता है और तुरंत ही भाग के गाड़ी चालू कर निकल जाता है तेजी से ये नजारा देख देवेन्द्र ठाकुर साथ में बाकी के लोग कुछ समझ नहीं पाते तभी....


14
देवेंद्र ठाकुर – (अपने भाई राघव से) जल्दी से पीछे जाओ अभय के देखो क्या बात है....

अपने भाई की बात सुन राघव ठाकुर भी तेजी से कार से निकल जाता है पीछे से....

देवेंद्र ठाकुर –(अपने बॉडीगार्ड को कॉल मिला के) जल्दी से सब ध्यान रखो सड़क पर अभय तेजी से निकला है गाड़ी से यहां से उसका पीछा करो जल्दी से....

जबकि इस तरफ अभय तेजी से गाड़ी चल के जा रह होता है तभी रस्ते में अर्जुन अपनी गाड़ी से आ रहा होता है जिसके बगल से अभय गाड़ी से तेजी से निकल जाता है जिसे देख....

राज – (अभय को तेजी से जाता देख चिल्ला के) अभय....

लेकिन अभय निकल जाता है तेजी से जिसके बाद....

अर्जुन – (गाड़ी रोक के) ये अभय कहा जा रहा है तेजी से....

बोल के अर्जुन तेजी से कार को मोड़ता है और भगा देता है जिस तरफ अभय तेजी से गया गाड़ी से एक तरफ आते ही अर्जुन देखता है रास्ता में दो मोड गए है जिसे देख....

अर्जुन – धत तेरे की कहा गया होगा अभय यहां से....

चांदनी – समझ में नहीं आ रहा है अभय किस तरफ गया होगा....

राज – (रस्ते को देख अचानक बोलता है) खंडर की तरफ चलो पक्का वही गया होगा अभय....

राज की बात सुन अर्जुन बिना कुछ बोले तुरंत गाड़ी खंडी की तरफ को ले जाता है जबकि इधर अभय खंडर के बाहर आते ही गाड़ी रोक देखता है एक गाड़ी खड़ी है जिसे देख अभय समझ जाता है संध्या को यही लाया गया है तुरंत दौड़ के खंडर के अन्दर चला जाता है अन्दर आते ही अभय अपनी पैर में रखी बंदूक को निकाल के जैसे खंडर मके मैं हॉल में आता है तभी....

एक आदमी – (हस्ते हुए) आओ अभय ठाकुर आओ….

तभी अभय अपने पीछे देखता है एक आदमी संध्या के सिर पे बंदूक रख हस के बात कर रहा था अभय से....

अभय – (गुस्से में) कौन हो तुम....

आदमी – जरूरी ये नहीं है कि मैं कौन हूँ जरूरी ये है कि तुम और तेरी ये मां यहां क्यों है....

अभय – मतलब क्या है कौन है तू क्यों लाया है इसे यहां साफ साफ बोल....

आदमी – मेरा नाम रणविजय ठाकुर है और मेरी दुश्मनी तेरे और तेरे पूरे परिवार से है....

अभय – दुश्मनी कैसी दुश्मनी....

रणविजय ठाकुर – मै वो ठाकुर हूँ जिसे तेरे बाप के किए की सजा मिली एक नाजायज औलाद का खिताब दिया गया था मुझे....

अभय – (रणविजय ठाकुर की बात सुन कुछ सोच के) इसका मतलब वो तू है जिसने मुनीम और शंकर को मार कर वो पहेली लिखी थी हॉस्टल में मेरे कमरे में....

रणविजय ठाकुर – (हस्ते हुए) बिल्कुल सही समझा तू....


अभय – तो तू ही चाहता था कि मेरे बारे में पूरे गांव को पता चले लेकिन किस लिए....

रणविजय ठाकुर – ताकि तुझे और तेरे रमन उसके बेटे अमन को पूरे गांव के सामने मार कर ठाकुर का नाजायज से जायज़ बेटा बन जाऊ हवेली का असली इकलौता वारिस ताकि हवेली में रह कर तेरी इस बला की खूबसूरत मां और हवेली की बाकी औरतों को अपनी रखैल बना के रखूं....

अभय – (गुस्से में) साले हरामी मेरे बाबा के लिए गलत बोलता है तू....

बोल के अभय अपनी बंदूक ऊपर उठाने को होता है तभी....

रणविजय ठाकुर – (बीच में टोक अभय से) ना ना ना ना मुन्ना गलती से भी ये गलती मत करना वर्ना (संध्या के सिर पर बंदूक रख के) तेरी इस खूबसूरत मां का भेजा बाहर निकल आएगा जो कि मैं करना नहीं चाहता हु जरा अपने चारो तरफ का नजारा तो देख ले पहले....

रणविजय ठाकुर की बात सुन अभय चारो तरफ नजर घुमा के देखता ही जहां कई आदमी खड़े होते है हथियारों के साथ जिसे देख....

रणविजय ठाकुर – (हस्ते हुए) मेले में तो सिर्फ गुंडे लाया था मैं ताकि देवेन्द्र ठाकुर और उसके बॉडीगार्ड को सम्भल सके ताकि मैं आराम से संधा को यहां ला सकूं लेकिन तूने मेरा काम बिगड़ दिया चल कोई बात नहीं एक मौका और देता हू तुझे (अपने आदमियों से) अगर ये जरा भी हरकत करे तो इसे बंदूक से नहीं बल्कि चाकू तलवार से इतने घाव देना ताकि तड़प तड़प के मर जाए अपनी मां के सामने (अभय से) अगर तू चाहता है ऐसा कुछ भी ना हो तो वो दरवाजा खोल दे जैसे तूने पहल खोला था जब तू संध्या को बचाने आया था....


अभय – (हस्ते हुए) ओह तो तू ही था वो जो मर्द बन के नामर्दों का काम कर रहा था और अपने आप को ठाकुर बोलता है तू थू है तुझ जैसे ठाकुर पर तूने सही कहा तू सिर्फ नाजायज ही था और रहेगा हमेशा के लिए....

रणविजय ठाकुर – (गुस्से में) ज्यादा बकवास मत कर वर्ना संध्या के सिर के पार कर दूंगा गोली जल्दी से दरवाजा खोल दे तुझे और तेरी मां को जिंदा रहने का एक मौका दे रहा हूँ मैं....

अभय – (रणविजय ठाकुर की बात सुन संध्या से) मंदिर से यहां तक नंगे पैर आ गई बिना चप्पल के जरा देख अपने पैर का क्या हाल कर दिया तूने....

अभय की कही बात किसी के समझ में नहीं आती संध्या भी अजीब नजरों से पहले अभयं को देखती है फिर अपने सिर नीचे कर अपने पैर को देखने लगी ही थी कि तभी अभय ने बंदूक उठा के गोली चला दी....


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जबकि इस तरफ संध्या ने जैसे ही अपना सिर हल्का नीचे किया तभी अभय की बंदूक से निकली गोली सीधा रणविजय ठाकुर के सिर के पार हो गई जिससे वो मर के जमीन में उसकी लाश गिर गई....

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जिसे देख उसके गुंडों ने देख तुरंत अभय पे हमला बोल दिया तभी ये नजारा देख अर्जुन , राज , चांदनी , राजू और लल्ला साथ में अभय मिल के गुंडों पर टूट पड़े....

सभी मिल के गुंडों को मार रहे थे तभी अभय ने देखा कुछ गुंडे संध्या को पकड़ रहे थे उनके पास जाके अभय उनसे लड़ने लगा जो जो आता गया सबको मारता गया अभय


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तभी पीछे से दो गुंडे ने संध्या को पकड़ के एक तरफ ले जाने लगे जिसे देख अभय उन्हें मारने को जाता तभी एक गुंडे ने पीछे से आके अभय की सिर पर जोरदार पत्थर से वार किया जिससे अभय अचानक से जमीन में गिर के बेहोश हो गया

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मैं तभी चांदनी ने आके दोनो गुंडों को मार डाला और संध्या को एक तरफ की अभय को देख....

चांदनी – (जमीन में पड़े अभय को देख जोर से चिल्ला के) अभय....

जिले बाद संध्या और चांदनी अभयं की तरफ भागे संभालने को तभी खंडर के अन्दर राघव पर उसके साथ कुछ बॉडी गार्ड आ गए जिन्होंने आते ही सभी बॉडीगार्ड गुंडों को मारने लगे तभी अर्जुन , राज , राजू और लल्ला सभी ने तुरंत अभय को उठा के बाहर ले आए गाड़ी में बैठा के अस्पताल की तरफ ले जाने लगे....

संध्या – (अभय के सिर को अपनी गोद में रख हाथ से दबा रही थी सिर की उस हिस्से को जहां से खून तेजी से निकल रहा था रोते हुए) जल्दी चलो अर्जुन देखो अभय के सिर से खून निकलता जा रहा है....

अर्जुन तेजी से गाड़ी चलते हुए अस्पताल में आते ही तुरंत इमरजेंसी में ले जाया गया जहा डॉक्टर अभय का इलाज करने लगे....

अर्जुन – (अलीता को कॉल मिला के) तुम जहा भी हो जल्दी से सोनिया को लेके अस्पताल आ जाओ....

अर्जुन की बात सुन अलीता जो मंदिर में सबके साथ थी सबको अस्पताल का बता के निकल गए सब अस्पताल की तरफ तेजी से अस्पताल में आते ही....

अर्जुन – (सोनिया से) अभी कुछ मत पूछना बस तुरंत अन्दर जाओ डॉक्टर के पास अभय का इलाज करो जल्दी से जाओ तुम....

पूरा ठाकुर परिवार अस्पताल में बैठा किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आखिर हुआ क्या है जबकि संध्या सिर रोए जा रही थी कमरे के बाहर खड़े बस दरवाजे को देखे जा रही थी जहां कमरे में डॉक्टर अभय का इलाज कर रहे थे ही कोई अंजान था कि ये सब कैसे हुआ बस अभी के लिए केवल संध्या को संभाल रहे थे सब....
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Aate hi dhamaal macha diya kya baat guru very nice and awesome update
Chaaa gaye biruuuu
 

Sunli

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UPDATE 49


सुबह का समय था अभय अपनी एक्सरसाइ करके अपने कमरे में जा रहा था तभी....

अभय – (एक कमरे में गया जहा अमन बेड पर अपनी कमर पकड़ के टेडा बैठा था) दर्द ज्यादा हो रहा है....

अमन –(अपने सामने अभय को देख) तुम्हे इससे क्या मतलब है....

अभय –(मुस्कुरा के पैंकिलर देते हुए) इसे खा लो दर्द में कुछ राहत मिल जाएगी....

अमन – मुझे नहीं चाहिए....

अभय – लेलो कम से कम तुझे दावा तो मिल रही है मुझे तो दवा पूछी तक नहीं....

बोल के कमरे से निकल गया अभय पीछे से अपनी अजीब निगाहों से अमन जाते हुए देखता रहा अभय को....

सुबह के नाश्ते के वक्त सबके साथ अमन भी टेबल में बैठ के नाश्ता कर रहा था तभी....

अभय –(अमन से) नाश्ते के बाद तैयार हो जाना आज गांव में मेला शुरू होने जा रहा है सबको पूजा में चलना है....

नाश्ते के वक्त अभय देख रहा था जब अमन नाश्ता कर रहा था कोई बात नहीं कर रहा था अमन से इसीलिए बीच में ही अमन को चलने का बोल दिया ताकि अमन भी मेले में साथ चले जबकि अभय की इस बात पर संध्या और ललिता साथ मालती हैरानी से अभय को देख रहे थे लेकिन किसी ने बोला कुछ भी नहीं नाश्ते के बाद लगभग सभी तयार हो गए थे तब अभय गोद में लेके संध्या को कार में बैठा के कार से निकलने जा रहा था....

अभय – (सभी से) रस्ते में कुछ काम निपटा के मेले में सीधे पहुंचेंगे हम....

सबने मुस्कुरा के हा में सिर हिला दिया जिसके बाद अभय और संध्या निकल गए उर्मिला के घर जहा उर्मिला और पूनम कुछ देर पहले आय थे....

अभय – (संध्या को व्हीलचेयर में उर्मिला के घर में आते हुए) चाची....

उर्मिला –(अपने सामने अभय और संध्या को देख) अरे ठकुराइन आप यहां पर....

संध्या –(मुस्कुरा के) अब कैसी हो तुम....

उर्मिला – अच्छी हूँ ठकुराइन लेकिन आप इस तरह इसमें....

संध्या – कुछ खास नहीं पैर में चोट आ गई थी खेर छोड़ो इस बात को (पूनम से) तुम कैसी हो पूनम....

पूनम – जी अच्छी हूँ ठकुराइन....

संध्या – उर्मिला तेरे से काम है एक....

उर्मिला – जी ठकुराइन बोलिए....

संध्या – हम चाहते है कि अब से तुम दोनो हवेली में आके रहो बस....

उर्मिला –(चौक के) क्या हवेली लेकिन....

संध्या – लेकिन कुछ नहीं उर्मिला बस मै चाहती हु तुम दोनो हवेली आ जाओ अब से वही रहोगे....

उर्मिला – लेकिन हवेली में किसी को....

संध्या – उसकी चिंता मत करो तुम अब से पूनम और तुम्हारी सारी जिम्मेदारी मेरी है तो कब आ रहे हो....

उर्मिला – (पूनम को देख) ठीक है ठकुराइन....

संध्या – ठीक है आज से मेले की शुरुवात हो रही है हम वही जा रहे है मै हवेली में खबर कर देती हु तुम्हे वहां किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं होगी....

बोल के संध्या ने हवेली किसी को कॉल करके बात कर उसके बाद....

संध्या – अच्छा उर्मिला चलती हूँ मै शाम में मिलते है हम....

बोल के संध्या और अभय निकल गए कार से मेले की तरफ रस्ते में....

अभय – मुझे लगा मानेगी नहीं उर्मिला शायद....

संध्या – मै भी यही समझ रही थी लेकिन उसके हालत अभी सही नहीं है ऊपर से बेटी की चिंता और पढ़ाई भी है तभी वो मान गई बात मेरी....

अभय – हम्ममम....

संध्या – आज मेले में और भी कई लोग आने वाले है....

अभय – मतलब और कौन आएगा....

संध्या – मेरे मू बोले भाई और मनन ठाकुर के दोस्त देवेंद्र ठाकुर....

अभय – (देवेंद्र ठाकुर का नाम सुन कार में अचानक से ब्रेक मार के) क्या देवेंद्र ठाकुर....

संध्या – (चौक के) क्या हुआ तुझे देव भैया का नाम सुन चौक क्यों गए तुम....

अभय – (खुद को संभाल कार को फिर से चलाते हुए) नहीं कुछ नहीं....

संध्या – देव भैया ने बताया था मुझे कैसे तुमने उन्हें बचाया था शहर के मेले में बहुत तारीफ कर रहे थे तुम्हारी....

रस्ते में अभय सिर्फ सुनता रहा संध्या की बात बिना कुछ बोले कुछ देर में कुलदेवी के मंदिर में आते ही अभय ने संध्या को व्हीलचेयर में बैठा के मंदिर में ले जाने लगा तभी....

अर्जुन – (संध्या और अभय के सामने आके) कैसी हो चाची आप....

संध्या – (मुस्कुरा के) अच्छी हूँ तू बता सीधा यही आ गया हवेली में क्यों नहीं आया....

अर्जुन – (मुस्कुरा के) चाची हवेली में आना ही है मुझे सोचा मेले में आ जाता हूँ यही से सब साथ जाएगी हवेली....

संध्या – (मुस्कुरा के) बहुत अच्छा किया तुने (इधर उधर देखते हुए) अलीता कहा है....

अर्जुन – (एक तरफ इशारा करते हुए) वो देखिए सबके साथ बाते कर रही है अलीता....

संध्या एक तरफ देख जहां हवेली के सभी लोग मंदिर में बैठ बाते कर रहे थे तभी चांदनी आके संध्या को ले जाती है सबके पास दोनो के जाते ही....

अभय – (अर्जुन से) आप जानते हो यहां पर देवेंद्र ठाकुर भी आने वाला है....

अर्जुन – (अभय को देख) हा पता है तो क्या हुआ....

अभय – (हैरानी से) आप तो इस तरह बोल रहे हो जैसे बहुत मामूली बात हो ये....

अर्जुन – (हस के) तेरी प्रॉब्लम जनता है क्या है तू सवाल बहुत पूछता है यार....

अभय – (हैरानी से) क्या मतलब आपका....

अर्जुन – (जेब से बंदूक निकाल अभय के सिर में रखते हुए देखता रहा जब अभय ने कुछ नहीं किया तब) क्या बात है आज पहले की तरह बंदूक नहीं छिनेगा मेरी....

अभय – जनता हूँ आप मजाक कर रहे हो मेरे साथ....

अर्जुन – (हस्ते हुए जेब में बंदूक वापस रख) बड़ा मजा आया था उस दिन जब तूने अचानक से बंदूक छीनी थी जनता है मैं भी एक पल हैरान हो गया था लेकिन मजा बहुत आया उस दिन देख अभय जनता हूँ तेरे पास कई सवाल है जवाब देने है मुझे लेकिन क्या तुझे ये जगह और वक्त सही लगता है तो बता....

अभय – (बात सुन चुप रहा जिसे देख)....

अर्जुन – चल पहले मेला निपटाते है फिर बैठ के आराम से बात करेंगे हम अब खुश चल चले अब....

अभय – हम्ममम....

बोल के अर्जुन और अभय मंदिर के अन्दर जाने लगे तभी अचानक से 4 कारे एक साथ चलती हुई मेले में आने लगी जिसे देख अर्जुन और अभय देखने लगे....

अर्जुन – आ गया देवेन्द्र ठाकुर अपने परिवार के साथ....

चारो कारे रुकी तभी कुछ बॉडीगार्ड कालों कपड़ो में कार से निकले बाहर एक बॉडीगार्ड ने दूसरी कार का दरवाजा खोला उसमें से देवेन्द्र ठाकुर निकला साथ में एक औरत कार में आगे ड्राइवर के साथ एक आदमी निकला तभी देवेन्द्र ठाकुर , औरत और आदमी साथ में चलते हुए मंदिर में आने लगे तभी....

देवेन्द्र ठाकुर – (काले कपड़े पहने अपने बॉडीगार्ड से) तुम लोगो को गांव देखना था जाके घूम आओ यहां से खाली होते ही कॉल करूंगा मैं तुम्हे अब तुमलोग जाओ....

बॉडीगार्ड – लेकिन सर यहां आप अकेले....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के) अरे भाई हम अकेले कहा है (मंदिर की तरफ इशारा करके जहां अभय खड़ा था) वो देखो वो रहा मेरा रखवाला मेरा भांजा समझे अब जाओ तुम सब....

बॉडीगार्ड – (अभय को देख मुस्कुरा के) समझ गया सर लेकिन 3 आदमी बाहर खड़े रहेंगे और उनके लिए आप मना नहीं करेंगे बस....

अपने बॉडीगार्ड की बात सुन हल्का मुस्कुरा के चल गया देवेंद्र ठाकुर उसके जाते ही बॉडीगार्ड और बाकी आदमी कार में बैठ गए इसके साथ तीनों कारे चली गई देवेंद्र ठाकुर , औरत और आदमी साथ चल के मंदिर में आने लगे अभय के पास आके रुक....

देवेंद्र ठाकुर –(मुस्कुरा अभय को गले लगा के) कैसे हो मेरे बच्चे....

देवेंद्र ठाकुर के गले लगने से अभय हैरान था जिसे देख....

देवेंद्र ठाकुर –(अभय को हैरान देख मुस्कुरा के) क्या हुआ भूल गए मुझे....

अभय – नहीं....वो...आप...मै....

देवेंद्र ठाकुर –(मुस्कुरा के) तुझे देख ऐसा लगता है जैसे मनन ठाकुर मेरे सामने खड़ा हो बिल्कुल वैसे ही बात करने का तरीका वही रंग....

शालिनी – (अभयं के पास आके देवेंद्र ठाकुर से) प्रणाम ठाकुर साहब....

देवेंद्र ठाकुर – प्रणाम शालिनी जी भाई दिल खुश हो गया आज मुलाक़ात हो गई मेरी....

शालिनी – चलिए ये तो अच्छी बात है आइए अन्दर देखिए सब मंदिर में इंतजार कर रहे है आपका....

बोल के देवेंद्र ठाकुर एक बार अभय के गाल पे हाथ फेर मुस्कुरा के मंदिर में चला गया साथ में औरत भी तभी एक आदमी जो देवेंद्र ठाकुर के साथ आया था वो अभय के पास जाके गले लग के....

आदमी – (अभय के गले लग के अलग होके) हैरान हो गए तुम मुझे जानते नहीं हो लेकिन मैं जनता हूँ तुम्हे याद है मेले का वो दिन जब देव भैया पर हमला हुआ था तब तुमने आके बचा लिया था जानते हो उस दिन जब तुम बीच में आय उस वक्त तुमने सिर्फ भैया को नहीं बचाया साथ में मुझे बचाया और मेरे परिवार को उस वक्त वो आदमी मुझे गोली मारने वाला था लेकिन तभी तुमने बीच में आके उसे रोक दिया वर्ना शायद आज मैं यहां नहीं होता....

अभय – (कुछ ना समझते हुए) लेकिन वहा पर आपका परिवार कहा से आ गया....

आदमी – (मुस्कुरा के) मेरा परिवार तो घर में था लेकिन मुझे बचाया मतलब मेरे परिवार को भी बचाया तुमने समझे जानते हो मौत से कभी नहीं डरा मै लेकिन उस दिन जब उस आदमी ने बंदूक मेरे सिर में रखी थी बस उस वक्त मेरे ख्याल में सिर्फ मेरे परिवार के चेहरे घूम रहे थे खेर उस दिन मैं तुम्हारे शुक्रिया अदा नहीं कर पाया लेकिन मुझे पता चला तुम यहां मिलने वाले हो आपने आप को यहां आने से रोक नहीं पाया मै , मेरा नाम राघव ठाकुर है देव भैया का छोटा भाई और देव भैया के साथ जो औरत है वो रंजना ठाकुर है आओ चले अन्दर....

बोल के अभय , अर्जुन और राघव एक साथ मन्दिर के अन्दर आ गए अभय शालिनी के पास जाके खड़ा हो गया जहा संध्या बैठी थी व्हीलचेयर में....

संध्या – (अभय से) ये देव भैया है और ये उनकी वाइफ रंजना ठाकुर....

शालिनी – (मुस्कुरा के अभय से) और राघव से तुम मिल चुके हो ये तेरे मामा मामी है (इशारे से पैर छूने को बोलते हुए)....

अभय – (शालिनी का इशारा समझ तीनों के पैर छू के) प्रणाम मामा जी प्रणाम मामी जी....

तीनों एक साथ मुस्कुरा के – प्रणाम बेटा....

रंजना ठाकुर – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) हमेशा खुश रहो तुम....

तभी बंजारों में से लक्ष्मी मंदिर में आके....

लक्ष्मी – (सभी को) प्रणाम....

संध्या – (लक्ष्मी से) मां तैयारी हो गई सारी....

लक्ष्मी – जी सारी तैयारी हो गई....

रमन – (पंडित से) पंडित जी कार्यक्रम शुरू कीजिए....

रमन की बात सुन पंडित पूजा करना शुरू करता है इस बीच अभय बार बार पीछे मूड के देखने लगता है जिसे देख....

चांदनी – क्या बात है तू बार बार पीछे मूड के क्यों देख रहा है....

अभय – दीदी राज , राजू , लल्ला दिख नहीं रहे है कही कहा है....

चांदनी – गीता मा ने भेजा है काम से उन्हें....

अभय – (गीता देवी का नाम सुन) बड़ी मां कहा है वो अन्दर क्यों नहीं आई....

चांदनी – बाहर है वो सभी गांव वालो के साथ (पीछे इशारा करके) वो देख सबके साथ खड़ी ही....

अभय – (सभी गांव वालो को मंदिर के बाहर खड़ा देख) बाहर क्यों खड़े है सब अन्दर क्यों नहीं आए....

चांदनी – पता नहीं अभय मैने सुना है कि इस मंदिर में मेले की पहली पूजा ठाकुर परिवार के लोग करते है उसके बाद सब गांव वाले आते है दर्शन करने....

अभय – ये तो गलत है ऐसा कैसे हो सकता है ये....

संध्या – (अभय से) क्या बात है क्या होगया....

अभय – मंदिर के बाहर सभी गांव वाले खड़े है पूजा के बाद मंदिर में क्यों आय पूजा के वक्त क्यों नहीं....

संध्या – (पंडित को रोक के) पंडित जी एक मिनिट रुकिए जरा....

पंडित – क्या हुआ ठकुराइन कोई गलती हो गई मुझसे....

संध्या – नहीं पंडित जी लेकिन कुछ नियम है जो आज से बदले जा रहे है....

पंडित – मै कुछ समझा नहीं ठकुराइन....

संध्या – मै अभी आती हु (अभय से) मुझे उनके पास ले चल....

संध्या की बात से जहां सब हैरान थे वही संध्या की बात सुन अभय व्हीलचेयर से संध्या को गांव वालो की तरफ ले गया....

संध्या – (सभी गांव वालो से) आज अभी इसी वक्त से कुल देवी की हर पूजन में ठाकुर परिवार के साथ आप सब भी मंदिर में शामिल रहेंगे....

एक गांव वाला – लेकिन ठकुराइन कुलदेवी की पहली पूजन तो सिर्फ ठाकुर ही करते आय है ये परंपरा शुरुवात से चलती आ रही है....

संध्या – (मुस्कुरा के अपने पीछे खड़े अभय के हाथ में अपना हाथ रख के) लेकिन अब से नियम यही रहेगा कुलदेवी की हर पूजन में ठाकुर परिवार के साथ आप सब भी शामिल रहेंगे हमेशा के लिए....

संध्या की बात सुन के जहां सभी गांव वाले बहुत खुश हो गए वही गीता देवी मंद मंद मुस्कुरा के अभय को देख रही थी वो समझ गई थी ये सब किया अभय का है खेर इसके बाद अभय व्हील चेयर मोड के संध्या को पंडित के पास लेके जाने लगा साथ में सभी गांव वाले मंदिर के अन्दर आने लगे तभी संध्या पीछे पलट के गीता देवी और पायल को एक साथ देख इशारे से अपने पास बुलाया जिसे देख दोनो आगे आ गए संध्या के पास आके खड़े हो गए....

संध्या – पंडित जी अब शुरू करिए पूजन....

इसके बाद पूजा शुरू हो गई रमन कुछ बोलना चाहता था लेकिन इतने लोगों के बीच बोल नहीं पाया वही अभय ने बगल में खड़ी पायल का हाथ धीरे से अपने हाथ से पकड़ लिया जिसे देख पायल हल्का मुस्कुराईं सभी पूजन में लगे रहे तभी....

अलीता – (अभय के बगल में आके धीरे से) बहुत खूब सूरत है ना....

अभय – (आलिया की बात सुन धीरे से) क्या....

अलीता – (मुस्कुरा के धीरे से) पायल के लिए बोल रही हूँ मै जिसका हाथ पकड़ा हुआ है तुमने....

अभय – (अलीता की बात सुन जल्दी से पायल से अपना हाथ हटा के धीरे से) मैने कहा पकड़ा हुआ है हाथ भाभी देखो ना....

अलीता – (मुस्कुरा के घिरे से) अपनी भाभी से झूठ पूजा होने दो फिर बताती हु तुझे....

अलीता की बात सुन अभय सिर झुका के मुस्कुराने लगा साथ में पायल भी फिर पंडित आरती की थाली देने लगा संध्या को तभी संध्या ने अभय का हाथ पकड़ आगे करके थाली उसे दी आरती करने का इशारा किया जिसके बाद अभय आरती करने लगा ये नजारा देख गांव के लोग हैरान थे कि संध्या कैसे आरती न करके दूसरे लड़के को थाली देके आरती करवा रही है लेकिन किसी ने कुछ बोला नहीं धीरे धीरे करके सभी आरती करने लगे पूजा के खत्म होते ही....

पंडित – (संध्या से) ठकुराइन आगे की विधि कुलदेवी को बलि देके पूरी कीजिए ताकि मेले की शुरुवात हो सके....

संध्या – जी पंडित जी (ललिता से) ललिता थाली देना तो....

ललिता – (थाली का ध्यान आते ही अपने सिर पे हाथ रख के) दीदी माफ करना जल्दी बाजी में मै हवेली में भूल आई थाली....

रमन – (ललिता की बात सुन गुस्से में) एक काम ढंग से नहीं होता है तेरे से थाली भूल आई अब कैसे शुरू होगी मेले की शुरुवात....

संध्या – (बीच में) शांत हो जाओ जरा जरा सी बात पर गुस्सा करने की जरूरत नहीं है रमन....

अभय से कुछ बोलने जा रही थी संध्या तभी....

अर्जुन – (बीच में) चाची मै जाके लता हूँ जल्दी से....

संध्या – (मुस्कुरा के) शुक्रिया अर्जुन....

अर्जुन – कोई बात नहीं चाची आप बताओ कहा रखी है थाली....

ललिता – वो हवेली में मेरे कमरे में रखी है लाल कपड़े से ढकी....

चांदनी – मै अर्जुन के साथ जाती हु जल्दी से लाती हु चलो अर्जुन....

बोल के जल्दी से दोनो साथ में निकल गए कार में हवेली की तरफ कुछ ही दूर आय थे तभी रस्ते में उन्हें राज , राजू और लल्ला दिख गए पैदल जाते हुए मेले की तरफ उन्हें देख गाड़ी रोक....

चांदनी – पैदल कहा जा रहे हो तुम सब....

राज – मेले में जा रहे है लेकिन तुम कहा....

चांदनी – हवेली से कुछ सामान लाना है उसे लेने जा रहे है आओ गाड़ी में बैठ जाओ साथ में चलते है जल्दी पहुंच जायेंगे सब....

इसके बाद गाड़ी आगे बढ़ गई कुछ ही देरी के बाद सब लोग हवेली आ गए जैसे ही हवेली के अन्दर जाने लगे सामने का नजर देख आंखे बड़ी हो गई सब की हवेली के दरवाजा का तला टूटा हुआ एक तरफ पड़ा था दरवाजा खुला था अन्दर सजावट का सामान बिखरा हुआ था ये नजारा देख रहे थे तभी पीछे से किसी की आवाज आई....

उर्मिला – ये क्या हुआ है यहां पे....

सभी एक साथ पलट के सामने देखा तो उर्मिला उसकी बेटी पूनम खड़ी थी....

चांदनी – आप यहां पर....

उर्मिला – ठकुराइन बोल के गई थी यहां रहने के लिए मुझे लेकिन यहां क्या हुआ ये सब....

अर्जुन – हम अभी आय है यही देख हम भी हैरान है....

पूनम – (एक तरफ इशारा करके) ये किसका खून है....

पूनम की बात सुन सबने पलट के देखा तो सीडीओ पर खून लगा हुआ है जो सीधा ऊपर तक जा रहा है जिसे देख सभी एक साथ चल के ऊपर जाने लगे खून की निशान सीधा ऊपर गए हुए थे जैसे ही ऊपर आय सब वो निशान अभय के कमरे की तरफ थे जल्दी से सब दौड़ के अभय के कमरे की तरफ गए जहा का नजारा देख सबकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई तभी चांदनी और अर्जुन ने एक दूसरे की तरफ देख बस एक नाम लिया....

चांदनी और अर्जुन एक साथ – अभय....

बोल के दोनो तुरंत भागे तेजी से हवेली बाहर कार की तरफ उनकी बात का मतलब समझ के राजू , राज और लल्ला भी भागे बाहर आते ही सब गाड़ी में बैठ तेजी से निकल गए पीछे से पूनम और उर्मिला हैरान थे जब वो अभय के कमरे में देख उन्होंने सामने दीवार पर पहेली लिखी थी.....


बाप के किए की सजा
(BAAP KE KIE KI SAJA).....


जबकि इस तरफ मेले में अर्जुन और चांदनी के जाने के कुछ मिनट के बाद मंदिर के बाहर सभी आपस में हसी मजाक और बाते कर रहे थे....


देवेन्द्र ठाकुर – (अपने भाई राघव से) मैने जो कहा था कुश्ती का उसकी तैयारी हो गई....

राघव – जी भइया बस मेले के शुरू होने का इंतजार है....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है वैसे तुम्हे क्या लगता है हमारा पहलवान जीतेगा या हारेगा....

राघव ठाकुर – (मुस्कुरा के) भइया कुश्ती खत्म होते ही आप बस एक बात बोलोगे बेचारे मेरे पहलवान....

बोल के दोनो भाई आपस में हसने लगे जिसे देख संध्या और शालिनी उनके पास आके....

संध्या – क्या बात है देव भैया बहुत खुश लग रहे हो आप आज....

देवेन्द्र ठाकुर – खुशी की बात ही है मेरा भांजा मिला है आज मुझे सच में संध्या बिल्कुल अपने पिता की तरह बात करना उसकी तरह भोली भाली बाते उससे बात करके मनन की याद आ गई आज मुझे....

शालिनी – (चौक के) भोली भली बाते....

देवेन्द्र ठाकुर – (हस्ते हुए) जनता हूँ शालिनी जी उसके स्वभाव को बस आज मुलाक़ात हुई इतने वक्त बाद तारीफ किए बिना रह नहीं पा रहा हू मै....

शालिनी – बस भी करिए ठाकुर साहब बड़ी मुश्किल से गांव में आया है जाने कैसे मान गया हवेली में रहने को वर्ना सोचा तो मैने भी नहीं था ऐसा कभी हो पाएगा लेकिन....

गीता देवी – (बीच में आके) लेकिन जो होना होता है वो होके रहता है शालिनी जी....

देवेन्द्र ठाकुर – (गीता देवी के पैर छू के) कैसी हो दीदी....

गीता देवी – बहुत अच्छी मै (राघव से) कैसे हो रघु तुम तो जैसे भूल ही गए शहर क्या चलेगए जब से....

राघव ठाकुर – दीदी ऐसी बात नहीं है आप तो जानते हो ना पिता जी का उनके आगे कहा चली किसी की आज तक....

गीता देवी – हा सच बोल रहे हो काश वो भी यहां आते तो....

बोल के गीता देवी चुप हो गई जिसे देख....

देवेन्द्र ठाकुर – अरे दीदी आज के दिन उदास क्यों होना कितना शुभ दिन है आज एक तरफ मेले की शुरुवात हो रही है दूसरे तरफ गांव वाले भी बहुत खुश है संध्या के फैसले से....

गीता देवी – (मुस्कुरा के) देव भइया जिसे आप संध्या का फैसला समझ रहे है जरा पूछो तो संध्या से किसका फैसला है ये....

संध्या – (मुस्कुरा के) देव भइया बोल मेरे जरूर थे लेकिन ये सब अभय का किया धारा है....

देवेन्द्र ठाकुर – (मुस्कुरा के अभय को देख जो एक तरफ खड़ा अलीता और पायल से बात कर रहा था) देखा मैने कहा था ना बिल्कुल अपने पिता की तरह है वो भी यही चाहता था लेकिन अपने दादा की चली आ रही परंपरा के वजह से चुप रहा था चलो अच्छा है शुभ दिन में शुभ काम हो रहा है सब....

इधर ये लोग आपस में बाते कर रहे थे वहीं अलीता , अभय और पायल आपस में बाते कर रहे थे....

अलीता – (अभय से) तो क्या बोल रहे थे तुम पूजा के वक्त....

अभय – (मुस्कुरा के) भाभी वो बस गलती से हाथ पकड़ लिया था मैने....

अलीता – अच्छा तभी मेरे पूछते ही तुरंत छोड़ दिया तुमने....

अभय – (मुस्कुरा के) SORRY भाभी मैने ही पकड़ा था हाथ....

अलीता – (मुस्कुरा के) पता है मुझे सब....

अभय – वैसे भाभी आपको कैसे पता पायल का नाम....

अलीता – (पायल के गाल पे हाथ फेर के) क्योंकि तेरे से ज्यादा तेरे बारे में पता है मुझे साथ ही पायल के बारे में भी (पायल से) क्यों पायल ये तुझे तंग तो नहीं करता है ना कॉलेज या कॉलेज के बाहर....

पायल – लेकिन आप कौन है मैं आपको जानती भी नहीं और आप मुझे कैसे जानते हो और अभय को....

अलीता – (मुस्कुरा के) सब बताओगी तुझे अभी के लिए बस इतना जान ले मै तेरी बड़ी भाभी हूँ बस बाकी बाद में बताओगी सब तो अब बता मैने जो पूछा....

पायल – भाभी ये सिर्फ कॉलेज में ही बात करता है कॉलेज के बाहर कभी मिलता ही नहीं....

अलीता – अच्छा ऐसा क्यों....

पायल – क्योंकि ये चाहता ही नहीं गांव में किसी को पता चले इसके बारे में....

अलीता – (मुस्कुरा के) गलत बात है अभय....

अभय – भाभी आप तो जानते हो ना सब....

अलीता – चलो कोई बात नहीं अब मैं आ गई हु ना (पायल से) अब ये तुझसे रोज मिलेगा कॉलेज के अन्दर हो या बाहर मै लाऊंगी इसे तेरे से मिलने को अब से....

बोल के हसने लगे तीनों साथ में तभी पंडित जी बोलते है....

पंडित – (संध्या से) ठकुराइन वक्त बीता जा रहा है शुभ मुहूर्त का आप ऐसा करे बलि देके मेले का आयोजन करे थाल आते ही बाकी की कार्य बाद में कर लेगे....

संध्या – (पंडित की बात सुन) ठीक है पंडित जी....

इससे पहले पंडित एक थाल लेके (जिसमें कुल्हाड़ी रखी थी) उठा के अमन की तरफ जाता तभी....

संध्या – (पंडित से) पंडित जी थाल को (अभय की तरफ इशारा करके) इसे दीजिए....

पंडित – (चौक के) लेकिन बलि सिर्फ ठाकुर के वंश ही देते है ये तो....

संध्या – (बीच में बात काट के) ये ठाकुर है हमारा ठाकुर अभय सिंह मेरा....

इससे आगे संध्या कुछ बोलती तभी गांव के कई लोग ये बात सुन के एक आदमी बोला....

गांव का आदमी –(खुश होके) मुझे लगा ही था ये लड़का कोई मामूली लड़का नहीं है ये जरूर हमारा ठाकुर है (अपने पीछे खड़े गांव के लोगों से) देखा मैने कहा था न देखो ये हमारे अभय बाबू है मनन ठाकुर के बेटे ठाकुर रतन सिंग के पोते है....

इस बात से कुछ लोग हैरानी से अभय को देख रहे थे वहीं काफी लोग अपने गांव के आदमी की बात सुन खुशी से एक बात बोलने लगे....

गांव के लोग अभय से – अभय बाबा आप इतने वक्त से गांव में थे आपने बताया क्यों नहीं कब से तरस गए थे हम जब से पता चला हमें की.....

देवेन्द्र ठाकुर – (बीच में सभी गांव वालो से) शांत हो जाओ सब आज हम सभी के लिए बहुत बड़ी खुशी का दिन है आज से गांव में मेले की शुरुवात हो रही है साथ ही आज आपका ठाकुर लौट के आ गया है आज के शुभ अवसर पर मेले की शुरुवात उसे करने दीजिए बाकी बाते बाद में करिएगा (पंडित जी से) पंडित जी कार्य शुरू करिए....

बोल के पंडित ने अभय के सामने थाल आगे कर उसे कुल्हाड़ी उठाने को कहा जिसे सुन अभय कुल्हाड़ी उठा के बकरे की तरफ जाने लगा तभी....

देवेन्द्र ठाकुर – (अभय से) बेटा बलि देने से पहले अपने मन में देवी भद्र काली का आह्वाहन करना उसे बोलना की हे भद्र काली इस बलि को स्वीकार करे ताकि हम मेले की शुरुवात सुखद पूर्ण कर सके....

देवेंद्र ठाकुर की बात सुन अभय बकरे के पास जाने लगा पीछे से सभी गांव वालो के साथ एक तरफ पूरा ठाकुर परिवार खड़ा अभय को मुस्कुरा के देख रहा था थोड़ी दूरी पर अभय बकरे के पास जाके मन में देवी मा का आवाहन कर एक बार में बलि देदी बकरे की जिसके बाद बकरे का खून नीचे पड़े एक बड़े कटोरे में गिरने लगा कुछ समय बाद खून का कटोरा उठा के पंडित मेले की तरफ जाके छिड़कने लगा लेकिन इस बीच मेले में आए कई लोग एक साथ पंडित के पीछे जाने लगे और अभय पीछे खड़ा देख रहा था संध्या की तरफ पलट को जाने को हुआ ही था तभी अभय ने पलटते ही सामने देखा कुछ लोगो ने चाकू , तलवार की नोक पर ठाकुर परिवार की औरतों को पकड़ा हु था जैसे ही बाकी के लोग अभय की तरफ आने को बड़े थे तभी देवेंद्र ठाकुर और उसके भाई ने मिल के लड़ने लगे गुंडों से लड़ाई के बीच अचानक से पीछे से एक गुंडा देवेन्द्र ठाकुर को मारने आ रहा था पीछे थे तभी सभी ने चिल्लाया देवेन्द्र ठाकुर का नाम लेके तभी बीच में अभय ने आके गुंडे को तलवार को हाथ से पकड़ लिया जिसे पलट के देवेन्द्र ठाकुर ने देखा तो अभय ने तलवार को पकड़ा हुआ था जिस वजह से उसके हाथ से खून निकल रहा था....


01
देवेन्द्र ठाकुर – छोड़ दे इसे अभय तेरे हाथ से खून निकल रहा है बेटा....

अभय – (चिल्ला के) पीछे हट जाओ मामा जी

राघव ठाकुर –(बीच में आके) भइया चलो आप मेरे साथ अभय देख लेगा चलो आप....

देवेन्द्र ठाकुर पीछे हटता चल गया अभय की गुस्से से भरी लाल आखों को देख के....

02
देवेंद्र ठाकुर के जाते ही अभय ने अपने सामने खड़े गुंडे को हाथ का एक जोर का कोना मारा जिससे वो हवा में उछल गया तभी अभय ने ह2वा में उछल उसकी तलवार पकड़ के उसके सीने के पार्क कर जमीन में पटक दिया और गांव के लोगों की भगदड़ मची हुई थी तभी....

अभय –(चिल्ला के) रुक जाओ सब , गांव के जितने भी बच्चे बूढ़े औरते लोग सब एक तरफ हो जाओ और जो लोग यहां मुझे मारने के लिए आय है वो मेरे सामने आजाओ
03
अभय की बात सुन गांव वाले एक तरफ हो गए और बाकी के गुंडे एक तरफ आ गए अभय के सामने हाथ में तलवार चाकू लिए 04
तभी अभय ने उसके मरे एक साथी को अपना पैर मारा जिससे वो फिसलता हुआ बाकी के लोगो के पास जा गिरा 05
राघव – (ये नजारा देख जोर से) वाह मेरे शेर दिखा दे अपना जलवा बता दे सबको ठाकुर अभय सिंह आ गया है....

इसके बाद दो गुंडे दौड़ के आए अभय को मारने उसे पहले अभय ने दोनो को एक एक घुसे में पलट दिया

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तभी चार गुंडों ने आके तलवार से अभय पर वार किया जिससे उसकी शर्ट फट गई साथ ही चारो गुंडों एक साथ घुसा जड़ दिया जिससे चारो पलट के गिर गए07
उसके बाद जो सामने आया उसे मरता गया अभय वही चारो गुदे एक बार फिर साथ में आए हमला करने उन चारों को हाथों से एक साथ फसा के पीछे मंदिर की बनी सीडी में पटक दिया 08
मंदिर की सीडीओ में खड़ा अभय अपने सामने गुंडों को देख रहा था तभी
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अभय दौड़ने लगा उनकी तरफ बाकी गुंडे भी दौड़ने लगे थे अभय की तरफ सामने आते ही कुछ गुंडों को हाथों से फसा के दौड़ता रहा आगे तभी एक साथ सभी को घूमा के पटक दिया गुंडों को 10
ठाकुर परिवार के लोग सब एक तरफ खड़े देखते रहे किस तरह अभय सबका अकेले मुकाबला कर रहा है जबकि इस तरफ अभय बिना रहम के सबको मरता जा रहा था
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तभी अभय ने एक तरफ देखा पूरा ठाकुर परिवार खड़ा था लेकिन नीचे पड़ी व्हीलचेयर खाली थी इससे पहले अभय कुछ कहता या समझता किसी ने पीछे से अभय की पीठ में तलवार से बार किया दूरी की वजह से वार हल्का हुआ अभय पर और तब अभय ने तुरंत ही वेर करने वाले को मार कर 12
सभी गुंडों को बेहरमी से तलवार मारता गया आखिरी में जोर से चिल्लाया जिसे देख देवेन्द्र ठाकुर भी एक पल को हिल सा गया....
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जा तभी सपने सामने खड़े बचे हुए कुछ गुंडे एक पैर पे खड़े होके अभय को देखने लगे....

अभय – (अपने सामने खड़े गुंडों को) रख नीचे पैर रख....

डर से गुंडे पैर नीचे नहीं रखते तभी अभय उनकी तरफ भागता है जिसे देख बाकी के बचे गुंडे भागते है लेकिन अभय एक गुंडे के पीट में तलवार फेक के मरता है जो उसकी पीठ में लग जाती है अभय उसकी गर्दन पकड़ के....

अभय – ठकुराइन कहा है बता...

गुंडा – (दर्द में) खंडर में ले गया वो....

जिसके बाद अभय उस गुंडे की गर्दन मोड़ के जमीन में गिरा देता है और तुरंत ही भाग के गाड़ी चालू कर निकल जाता है तेजी से ये नजारा देख देवेन्द्र ठाकुर साथ में बाकी के लोग कुछ समझ नहीं पाते तभी....


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देवेंद्र ठाकुर – (अपने भाई राघव से) जल्दी से पीछे जाओ अभय के देखो क्या बात है....

अपने भाई की बात सुन राघव ठाकुर भी तेजी से कार से निकल जाता है पीछे से....

देवेंद्र ठाकुर –(अपने बॉडीगार्ड को कॉल मिला के) जल्दी से सब ध्यान रखो सड़क पर अभय तेजी से निकला है गाड़ी से यहां से उसका पीछा करो जल्दी से....

जबकि इस तरफ अभय तेजी से गाड़ी चल के जा रह होता है तभी रस्ते में अर्जुन अपनी गाड़ी से आ रहा होता है जिसके बगल से अभय गाड़ी से तेजी से निकल जाता है जिसे देख....

राज – (अभय को तेजी से जाता देख चिल्ला के) अभय....

लेकिन अभय निकल जाता है तेजी से जिसके बाद....

अर्जुन – (गाड़ी रोक के) ये अभय कहा जा रहा है तेजी से....

बोल के अर्जुन तेजी से कार को मोड़ता है और भगा देता है जिस तरफ अभय तेजी से गया गाड़ी से एक तरफ आते ही अर्जुन देखता है रास्ता में दो मोड गए है जिसे देख....

अर्जुन – धत तेरे की कहा गया होगा अभय यहां से....

चांदनी – समझ में नहीं आ रहा है अभय किस तरफ गया होगा....

राज – (रस्ते को देख अचानक बोलता है) खंडर की तरफ चलो पक्का वही गया होगा अभय....

राज की बात सुन अर्जुन बिना कुछ बोले तुरंत गाड़ी खंडी की तरफ को ले जाता है जबकि इधर अभय खंडर के बाहर आते ही गाड़ी रोक देखता है एक गाड़ी खड़ी है जिसे देख अभय समझ जाता है संध्या को यही लाया गया है तुरंत दौड़ के खंडर के अन्दर चला जाता है अन्दर आते ही अभय अपनी पैर में रखी बंदूक को निकाल के जैसे खंडर मके मैं हॉल में आता है तभी....

एक आदमी – (हस्ते हुए) आओ अभय ठाकुर आओ….

तभी अभय अपने पीछे देखता है एक आदमी संध्या के सिर पे बंदूक रख हस के बात कर रहा था अभय से....

अभय – (गुस्से में) कौन हो तुम....

आदमी – जरूरी ये नहीं है कि मैं कौन हूँ जरूरी ये है कि तुम और तेरी ये मां यहां क्यों है....

अभय – मतलब क्या है कौन है तू क्यों लाया है इसे यहां साफ साफ बोल....

आदमी – मेरा नाम रणविजय ठाकुर है और मेरी दुश्मनी तेरे और तेरे पूरे परिवार से है....

अभय – दुश्मनी कैसी दुश्मनी....

रणविजय ठाकुर – मै वो ठाकुर हूँ जिसे तेरे बाप के किए की सजा मिली एक नाजायज औलाद का खिताब दिया गया था मुझे....

अभय – (रणविजय ठाकुर की बात सुन कुछ सोच के) इसका मतलब वो तू है जिसने मुनीम और शंकर को मार कर वो पहेली लिखी थी हॉस्टल में मेरे कमरे में....

रणविजय ठाकुर – (हस्ते हुए) बिल्कुल सही समझा तू....


अभय – तो तू ही चाहता था कि मेरे बारे में पूरे गांव को पता चले लेकिन किस लिए....

रणविजय ठाकुर – ताकि तुझे और तेरे रमन उसके बेटे अमन को पूरे गांव के सामने मार कर ठाकुर का नाजायज से जायज़ बेटा बन जाऊ हवेली का असली इकलौता वारिस ताकि हवेली में रह कर तेरी इस बला की खूबसूरत मां और हवेली की बाकी औरतों को अपनी रखैल बना के रखूं....

अभय – (गुस्से में) साले हरामी मेरे बाबा के लिए गलत बोलता है तू....

बोल के अभय अपनी बंदूक ऊपर उठाने को होता है तभी....

रणविजय ठाकुर – (बीच में टोक अभय से) ना ना ना ना मुन्ना गलती से भी ये गलती मत करना वर्ना (संध्या के सिर पर बंदूक रख के) तेरी इस खूबसूरत मां का भेजा बाहर निकल आएगा जो कि मैं करना नहीं चाहता हु जरा अपने चारो तरफ का नजारा तो देख ले पहले....

रणविजय ठाकुर की बात सुन अभय चारो तरफ नजर घुमा के देखता ही जहां कई आदमी खड़े होते है हथियारों के साथ जिसे देख....

रणविजय ठाकुर – (हस्ते हुए) मेले में तो सिर्फ गुंडे लाया था मैं ताकि देवेन्द्र ठाकुर और उसके बॉडीगार्ड को सम्भल सके ताकि मैं आराम से संधा को यहां ला सकूं लेकिन तूने मेरा काम बिगड़ दिया चल कोई बात नहीं एक मौका और देता हू तुझे (अपने आदमियों से) अगर ये जरा भी हरकत करे तो इसे बंदूक से नहीं बल्कि चाकू तलवार से इतने घाव देना ताकि तड़प तड़प के मर जाए अपनी मां के सामने (अभय से) अगर तू चाहता है ऐसा कुछ भी ना हो तो वो दरवाजा खोल दे जैसे तूने पहल खोला था जब तू संध्या को बचाने आया था....


अभय – (हस्ते हुए) ओह तो तू ही था वो जो मर्द बन के नामर्दों का काम कर रहा था और अपने आप को ठाकुर बोलता है तू थू है तुझ जैसे ठाकुर पर तूने सही कहा तू सिर्फ नाजायज ही था और रहेगा हमेशा के लिए....

रणविजय ठाकुर – (गुस्से में) ज्यादा बकवास मत कर वर्ना संध्या के सिर के पार कर दूंगा गोली जल्दी से दरवाजा खोल दे तुझे और तेरी मां को जिंदा रहने का एक मौका दे रहा हूँ मैं....

अभय – (रणविजय ठाकुर की बात सुन संध्या से) मंदिर से यहां तक नंगे पैर आ गई बिना चप्पल के जरा देख अपने पैर का क्या हाल कर दिया तूने....

अभय की कही बात किसी के समझ में नहीं आती संध्या भी अजीब नजरों से पहले अभयं को देखती है फिर अपने सिर नीचे कर अपने पैर को देखने लगी ही थी कि तभी अभय ने बंदूक उठा के गोली चला दी....


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जबकि इस तरफ संध्या ने जैसे ही अपना सिर हल्का नीचे किया तभी अभय की बंदूक से निकली गोली सीधा रणविजय ठाकुर के सिर के पार हो गई जिससे वो मर के जमीन में उसकी लाश गिर गई....

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जिसे देख उसके गुंडों ने देख तुरंत अभय पे हमला बोल दिया तभी ये नजारा देख अर्जुन , राज , चांदनी , राजू और लल्ला साथ में अभय मिल के गुंडों पर टूट पड़े....

सभी मिल के गुंडों को मार रहे थे तभी अभय ने देखा कुछ गुंडे संध्या को पकड़ रहे थे उनके पास जाके अभय उनसे लड़ने लगा जो जो आता गया सबको मारता गया अभय


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तभी पीछे से दो गुंडे ने संध्या को पकड़ के एक तरफ ले जाने लगे जिसे देख अभय उन्हें मारने को जाता तभी एक गुंडे ने पीछे से आके अभय की सिर पर जोरदार पत्थर से वार किया जिससे अभय अचानक से जमीन में गिर के बेहोश हो गया

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मैं तभी चांदनी ने आके दोनो गुंडों को मार डाला और संध्या को एक तरफ की अभय को देख....

चांदनी – (जमीन में पड़े अभय को देख जोर से चिल्ला के) अभय....

जिले बाद संध्या और चांदनी अभयं की तरफ भागे संभालने को तभी खंडर के अन्दर राघव पर उसके साथ कुछ बॉडी गार्ड आ गए जिन्होंने आते ही सभी बॉडीगार्ड गुंडों को मारने लगे तभी अर्जुन , राज , राजू और लल्ला सभी ने तुरंत अभय को उठा के बाहर ले आए गाड़ी में बैठा के अस्पताल की तरफ ले जाने लगे....

संध्या – (अभय के सिर को अपनी गोद में रख हाथ से दबा रही थी सिर की उस हिस्से को जहां से खून तेजी से निकल रहा था रोते हुए) जल्दी चलो अर्जुन देखो अभय के सिर से खून निकलता जा रहा है....

अर्जुन तेजी से गाड़ी चलते हुए अस्पताल में आते ही तुरंत इमरजेंसी में ले जाया गया जहा डॉक्टर अभय का इलाज करने लगे....

अर्जुन – (अलीता को कॉल मिला के) तुम जहा भी हो जल्दी से सोनिया को लेके अस्पताल आ जाओ....

अर्जुन की बात सुन अलीता जो मंदिर में सबके साथ थी सबको अस्पताल का बता के निकल गए सब अस्पताल की तरफ तेजी से अस्पताल में आते ही....

अर्जुन – (सोनिया से) अभी कुछ मत पूछना बस तुरंत अन्दर जाओ डॉक्टर के पास अभय का इलाज करो जल्दी से जाओ तुम....

पूरा ठाकुर परिवार अस्पताल में बैठा किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आखिर हुआ क्या है जबकि संध्या सिर रोए जा रही थी कमरे के बाहर खड़े बस दरवाजे को देखे जा रही थी जहां कमरे में डॉक्टर अभय का इलाज कर रहे थे ही कोई अंजान था कि ये सब कैसे हुआ बस अभी के लिए केवल संध्या को संभाल रहे थे सब....
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बहुत ही धांसू बोले मस्त हैं
 

Ashish120

RIP
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Sectional Moderator
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Superb story brother
 
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