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Family Introduction
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Bohot khoob mere Abhay, bohot badhiya update diya haiUPDATE 52
अभय – वो माफ करिएगा गलती से बोल दिया मैने....
शालिनी – (मुस्कुरा के) एक शर्त पे....
अभय – क्या....
शालिनी – अब से तू मुझे सिर्फ मां बोले तो....
शालिनी की बात सुन अभय ने संध्या को देखा जैसे पूछ रहा हो जिसे समझ संध्या ने मुस्कुरा के हा में सिर हिलाया जिसके बाद....
अभय – ठीक है मां....
शालिनी – (मुस्कुरा के) अच्छा तू बैठ यहां मै अभी खाने को कुछ लाती हु तेरे लिए....
अर्जुन – (बीच में शालिनी से) आप बैठिए मै लेके आता हु....
बोल के अर्जुन निकल गया जबकि संध्या और शालिनी को छोड़ अभय बाकी लोगो को देखने लगा जिसे समझ के....
शालिनी – (गीता देवी की तरफ इशारा करके) ये गीता देवी है तू इनको बचपन से बड़ी मां बोलता है (तीनों दोस्तो की तरफ इशारा करके) ये है राज , राजू और लल्ला तेरे बचपन के दोस्त है ये तीनों और ये है चांदनी बचपन से तू इसको....
अभय – दीदी....
अभय के दीदी बोलते ही एक बार फिर सभी हैरान थे....
अभय – माफ करना अनजाने में मेरे मू से निकल गया....
संध्या – कोई बात नहीं तू बचपन से इसे दीदी बोलता आया है शायद इसीलिए....
चांदनी –(मुस्कुरा के अभय के गाल पे हाथ फेर के) मुझे बहुत अच्छा लगा....
शालिनी – और ये है सत्या शर्मा तू इनको बचपन से बाबा बोलता है गीता देवी इनकी बीवी और राज इनका बेटा है....
अभय – (सबके बारे में जानने के बाद गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख) ये कौन है....
गीता देवी – ये (सत्या बाबू) इनके दोस्त की बेटी है कल आई है गांव में मिलने हमसे....
तभी अर्जुन कुछ खाने को ले के आता है शालिनी को देके कमरे से बाहर चला जाता है जिसे देख....
अभय – (अर्जुन को देख जो कमरे से बाहर चल गया) ये कौन है....
संध्या – ये तेरे पिता के दोस्त कमल ठाकुर के बेटे अर्जुन ठाकुर है तेरे बड़े भाई....
अभय – (संध्या की बात सुन कमरे में इधर उधर देखते हुए) पिता जी वो कहा है दिख नहीं रहे है....
अभय के इस सवाल से सबके चेहरे से जैसे हसी गायब सी हो गई क्योंकि अभय से शायद किसी को उम्मीद नहीं थी इस सवाल की इस मौके पर....
गीता देवी – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) बेटा तेरे पिता जी तेरे बचपन में ही इस दुनिया से चले गए थे....
अभय – (मायूसी से) हम्ममम....
संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) मै हूँ ना तेरे साथ....
संध्या को देख अभय हल्का सा स्माइल करता है जिसके बाद....
शालिनी – (बात बदलते हुए) चलो अच्छा पहले कुछ खा लो तुम फिर जल्दी से चलते है घर पर सब इंतजार कर रहे होगे हम लोगों का....
संध्या – अरे हा मैंने हवेली में किसी को बताया नहीं....
शालिनी – कोई बात नहीं मैने हवेली में बता दिया सबको अभय होश में आगया है और हम सब हवेली आ रहे है....
इधर कमरे के बाहर खड़ी सोनिया ये नजारा देख रही थी गौर से जिसे देख शालिनी बाहर चलीं गई....
शालिनी – (सोनिया से) तुमने देखा अभी अभय ने मुझे मां बोला और बिना बताए चांदनी को दीदी....
सोनिया – जी जिसका मतलब ये है कि अभय का लगाव अपने दोस्तों से भी इतना नहीं जितना आपसे और चांदनी से है इसीलिए अभय के सिर पर आपका हाथ लगते ही आपको मां बोल दिया और चांदनी का देखा सबने लेकिन अपनी असली मां तो क्या अपने जिगरी दोस्तो तक को नहीं पहचान पाया....
शालिनी – मतलब क्या है तुम्हारा....
सोनिया – मैने पहले ही कहा आपसे इस वक्त अभय एक खाली किताब है जिसमें आप जो लिखोगे उसे वही सच मानेगा अब ये आप सब के ऊपर है कि आप उसे क्या बोलते हो क्या नहीं....
शालिनी – क्या इन सब से अभय आगे चल के कुछ गलत तो नहीं समझेगा उसकी यादाश्त वापस आने के बाद....
सोनिया – मुझे लगता है आप या चांदनी अगर उसके साथ रहोगे जब तक ऐसी स्थिति में तब उसे हैंडल करना आसान होगा क्योंकि हम जिससे प्यार करते है उसकी बात कभी नहीं ताल सकते बाकी मैं तो साथ हूँ आप सबके अभय की दवा का ध्यान मै रखूंगी....
शालिनी – ठीक है कुछ देर बाद हम हवेली के लिए निकलेंगे सब....
कुछ वक्त के बाद सब अस्पताल से हवेली के लिए निकल रहे थे बाहर सबके गाड़ी में बैठने के बाद संध्या गाड़ी में बैठने जा रही थी तभी सामने से आती पायल जो अपने मा बाप के साथ आ रही थी अस्पताल की तरफ जिसे देख संध्या रुक गई....
संध्या – (पायलं को अपने मा बाप के साथ अस्पताल में आता देख पायल से) तू आ गई अच्छा हुआ अगर नहीं आती तो मैं तेरे पास आने वाली थी....
पायल – जी ठकुराइन वो अभय अब कैसा है....
संध्या – अभय अब ठीक है पायल तू एक काम कर शाम को तू हवेली आना मां बाप के साथ वही बात करती हूँ तेरे से....
पायल – जी ठीक है ठकुराइन....
बोल के पायल गाड़ी में बैठे अभय को देखने लगी जो शालिनी के साथ बैठ बात कर रहा था एक पल के लिए अभय ने पलट के पायल को देख के वापस शालिनी से बात करने लग जो पायल को थोड़ा अजीब सा लगा जिसे ना समझ के इससे पहले आगे कुछ बोलती उसके पिता ने चलने को बोला जिसके बाद पायल अपने मां बाप से साथ वापस चली गई पीछे से सभी अस्पताल के बाहर आते ही सभी गाड़ी में पहले से बैठ गए थे संध्या के गाड़ी में बैठते ही....
अभय – वो कौन थी....
संध्या – तेरी खास दोस्त है शाम को आएगी मिलने हवेली....
अभय – हवेली मतलब....
संध्या – (मुस्कुरा के) चल रहे है वही देख लेना तू खुद ही....
कुछ समय बाद सभी हवेली में आ गए तभी हवेली के दरवाजे में सबके आते ही ललिता , मालती , सायरा , शनाया , अलीता , निधि , रमन और अमन खड़े थे हवेली में आने से पहले शालिनी ने सभी को अभय के बारे में बता दिया था हवेली के अन्दर आते ही शालिनी और संध्या ने मिल के अभय को सबसे मिलवाया....
संध्या –(अभय से) चल मेरे साथ तेरे कमरे में तू फ्रेश होके तैयार होजा....
अभय – मेरा कमरा....
संध्या – (मुस्कुरा के) हा तेरा कमरा चल मेरे साथ....
बोल के संध्या सीडीओ से अभय का हाथ पकड़ के उसे लेके जाने लगी पीछे से शालिनी भी साथ आ गई अपने कमरे में आते ही....
अभय – (कमरे को देख) इतना बड़ा कमरा क्या ये सच में मेरा कमरा है....
संध्या – हा ये तेरा ही कमरा है और ये तेरी टेबल यहां बैठ के तू पढ़ाई करता है और ये देख तेरी ड्राइंग बुक तेरे कलर्स यहां पर तू चित्र बनाता है कभी कभी....
अभय – क्या मै इस कमरे में अकेला रहता हु और आप कहा....
संध्या – मेरा कमरा दूसरी तरफ है....
अभय – ओह....
संध्या –(अभय के मायूसी भरे जवाब को सुन) चल तुझे मै अपना कमरा दिखाती हु....
बोल के अभय को अपना कमरा दिखाने लेके चली गई अपने कमर में आते ही....
संध्या –(कमरे में आते ही) ये मेरा कमरा है....
अभय – (संध्या के आलीशान कमरे को देखते ही) बहुत खूबसूरत है आपका कमरा (मनन के साथ एक बच्चे की तस्वीर को देख के) ये तस्वीर किसकी है....
संध्या – इस तस्वीर में तू और तेरे पिता जी है....
अभय – (तस्वीर को देख) बहुत सुंदर है तस्वीर....
संध्या – एक बात पूछूं तेरे से....
अभय – हा....
संध्या – तू इस कमरे में रहेगा मेरे साथ....
अभय – हा मै भी यही पूछना चाहता था आपसे अगर आपको कोई एतराज ना हो....
शालिनी – भला संध्या को क्या एतराज होगा ये तो बहुत अच्छी बात है तू अब से संध्या के कमरे में रहेगा अब खुश....
संध्या – मै नौकर को बोल के तेरा सामान यही रखवा देती हु ठीक है तू जाके फ्रेश होके तैयार होजा साथ में खाना खाएगे....
बोल कर संध्या अभय का सामान अपने कमरे में रखवा देती है जबकि इस तरफ नीचे हॉल में सबके साथ राज , राजू और लल्ला सबसे अलग खड़े होके बाते कर रहे थे....
राजू – अब क्या करने का सोच रहा है भाई....
राज – मै यही सोच रहा हूँ इतनी देर से ये लड़की कौन है यार....
लल्ला – अबे चांदनी भाभी कम पड़ गई क्या तुझे जो तू उस लड़की के लिए सोच रहा है....
राज – अबे वो बात नहीं है यार चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा है लेकिन याद नहीं आ रहा है कहा देख है इसे....
राजू – बेटा तेरा मन भटक रहा है सच तो ये है समझा....
लल्ला – एक काम कर गीता काकी से पूछ ले पता चल जाएगा तुझे....
राज – यहां से जाने के बाद बात करता हू मा से मुझे तो चिंता अभय की हो रही है यार....
राजू – हा जब से हम आय है यहां पर तब से देख रहा हूँ मैं ये अमनवा और रमन दोनो चुप चाप बैठे है जरूर इनके दिमाग कुछ तो चल रहा होगा....
लल्ला – तुम दोनो को सच में लगता है ये दोनों ऐसा कुछ करेंगे अभय के साथ....
राज – कोई भरोसा नहीं इन दोनों बाप बेटों का वैसे भी इस वक्त अभय Mobile without Memory card है कुछ भी कर सकते है ये दोनों अब उसके साथ....
राजू – मै तो बोलता हूँ ठकुराइन से बात कर लेते है एक बार इस बारे में....
राज – तुम दोनो ने एक बात गौर की....
लल्ला – अब तुझे क्या याद आ गया भाई....
राज – कुछ नहीं यार वो अस्पताल में शालिनी जी और मां जिस बात पर मुस्कुरा रहे थे याद है....
राजू – अबे तो उस बात का इस बात से क्या मतलब....
राज – मतलब है बे.....
लल्ला – अच्छा और वो क्या....
राज – जरा एक नजर ऊपर सीढ़ियों की तरफ देखो समझ जाओगे....
राज के बोलते ही राजू और लल्ला ने सीढ़ियों की तरफ देखा जहां अभय नीचे आ रहा था संध्या के साथ उसका हाथ पकड़ के पीछे शालिनी आ रही थी जिसे देख....
राजू – अबे इसमें ऐसी कौन सी बात है अब....
राज – अबे गौर से देख अभय ठकुराइन के साथ नीचे आ रहा है उसका हाथ पकड़ के इससे पहले तूने देखा अभय को ठकुराइन के साथ हाथ पकड़ के चलते हुए....
लल्ला – अबे हा यार ये तो बात है....
राजू – ओह तेरी तो इसीलिए गीता काकी और शालिनी जी इस बात को लेके मुस्कुरा रही थी तो ये मतलब था दोनो का ताकि अभय ठकुराइन के साथ मिल के रहे बिना नफरत के तभी....
राज – समझदार हो गया है बे तू....
अभय , संध्या और शालिनी के साथ नीचे आते ही....
अलीता – (मुस्कुराते हुए अभय से) आइए देवर जी (डिनर टेबल की कुर्सी बाहर खींच के) बैठिए और संभालिए अपनी जिम्मेदारी....
संध्या – (मुस्कुरा के) तुम भी ना अलीता अभी तो आया है अस्पताल से ठीक होके आते ही मजाक करना शुरू कर दिया....
अलीता –(मुस्कुरा के) चाची जी ये तो भाभी का हक है अपने प्यारे देवर से मजाक करने का क्यों अभय बुरा तो नहीं लगा तुम्हे....
अभय – (मुस्कुरा के) नहीं भाभी....
अलीता – बहुत अच्छी बात है अब कैसा है दर्द....
अभय – अभी आराम है भाभी वैसे भाभी वो भैया कहा है दिख नहीं रहे है....
अलीता – वो काम से गए है अपने गांव कुछ दिन बाद आ जाएंगे....
संध्या – ऐसा क्या काम आ गया अर्जुन को जल्दी चला गया वो....
अलीता – पता नहीं चाची जी बस बोल के गए है कुछ दिन में आ जाऊंगा जल्दी....
अभय – (संध्या से) मां....
अभय के मू से मां सुन सब अभय को देखने लगे....
संध्या –(आंख में एक बूंद आंसू लिए खुश होके) हा...हा...एक बार फिर से बोल....
अभय – मां , क्या हुआ मां मैने कुछ गलत बोल दिया क्या....
संध्या –(अपने आंसू पोछ खुशी से) नहीं कुछ गलत नहीं बोला तूने....
अभय – तो आपके आंख में आंसू क्यों....
संध्या – ऐसे ही तू बता क्या बोल रहा था....
अभय – आपने पढ़ाई के लिए बताया मै क्या पढ़ाई करता हू अभी....
संध्या – तू कॉलेज में पढ़ाई करता है अभी पहला साल है तेरा कॉलेज में क्यों क्या हुआ....
अभय – वो आगे की पढ़ाई के लिए....
संध्या – तू चिंता मत कर पढ़ाई की पहले पूरी तरह ठीक हो जा तू उसके बाद पढ़ाई शुरू करना....
शनाया – हा अभय तुम पढ़ाई की बिल्कुल चिंता मत करो ठीक होते ही मैं मदद करूंगी पढ़ाई में तुम्हारी....
शालिनी – हा बिल्कुल अभय शनाया पहले भी तुझे पढ़ा चुकी है और अब तो तेरे कॉलेज की प्रिंसिपल है वो और तेरे ये तीनों दोस्त भी साथ है तेरे....
शालिनी की बात सुन राजू , राज और लल्ला ने मुस्कुरा के अभय को हा में इशारा किया जिसे देख अभय भी हल्का मुस्कुरा दिया....
ललिता – लल्ला तू बाकी सब बाते छोड़ खाना खा के बता कैसा बना है खाना....
अभय – (खाने का एक निवाला खा के) पराठे बहुत अच्छे बने है चाची....
ललिता – (3 पराठे अभय की प्लेट में रख के) तो जल्दी खा ले....
अभय – चाची ये बहुत ज्यादा है....
ललिता – ज्यादा कहा है लल्ला 4 पराठे तो तू चुटकी में खा जाया करता था वैसे भी तुझे तो दीदी के हाथ के बने पराठे इतने अच्छे लगते है 6 पराठे खाने के बाद भी और पराठे मांगता था खाने को....
ललिता की बात सुन अभय मुस्कुरा रहा था जिसे देख सबके साथ संध्या भी मुस्कुरा के अभय को देखे जा रही थी....
अभय – (2 पराठे खाने के बाद) चाची पेट भर गया अब और मन नहीं हो रहा खाने का....
ललिता – लल्ला देसी घी के बनाए है तेरे लिए खा ले ना तभी तो जल्दी ठीक होगा ना....
अभय – नहीं चाची अब नहीं खा पाऊंगा नहीं तो पचेगा नहीं....
अभय की पचेगा वाली बात सुन जहां सब मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपनी पुरानी सोच में चली गई एक वक्त था जब अभय 4 पराठे खाने के बाद और पराठे मांगता था तब संध्या उसे ताना देती थी जिसके बाद अभय पलट के नहीं मांगता पराठा खाने को और फिर जब काफी साल बाद अभय उसे मिला था तब अभय ने यही कहा था कि (मेरा 2 रोटी से भला हो जाता है तेरे हवेली का देसी घी तुझे मुबारक हो मुझ पचेगा भी नहीं तेरे हवेली का देसी घी) इन बातों को याद कर जाने कैसे संध्या की आंख से आसू आ गया जिसे देख....
अभय – तेरी आंख में फिर से आंसू क्यों मां....
संध्या – कुछ नहीं ऐसे ही तू पराठे खा ले तभी तो ताकत आएगी जल्दी ठीक होगा तू....
अभय – (संध्या की बात सुन उसके आसू पोछ) ठीक है लेकिन फिर से तेरी आंख में आसू नहीं आएगा तो , मेरा मतलब आपके आंख से आंसू....
संध्या –(मुस्कुरा के बीच में) कोई बात नहीं तू ऐसे ही बात करता है , आप नहीं तू करके....
अभय – ठीक है....
सबने खाना खाया साथ में जिसके बाद गीता देवी संध्या से विदा लेके वापस जाने लगी तभी....
संध्या – दीदी कल गांव में पंचायत बुलाई है आपने कोई काम है क्या....
गीता देवी – नहीं संध्या कोई खास काम नहीं है महीने की आखिर में होने वाली पंचायत है ये बस क्यों क्या हुआ....
संध्या – कुछ नहीं दीदी अभय को अकेला छोड़ के....
गीता देवी – (मुस्कुरा के बीच में) तो एक काम कर उसे भी साथ लेके आजाना तू पूरा गांव भी मिल लेगा अभय से वैसे भी अब से पहले किसी को कहा पता था अभय के बारे में और अब तो सब जान गए है सब मिल लेगे उससे....
संध्या –ठीक है दीदी मै लेके आऊंगी अभय को और (लड़की को गीता के साथ देख के) ये आपके साथ अकेले....
गीता देवी – (संध्या का हाथ पकड़ के) मै कॉल कर के बात करती हु तेरे से तू अभय का ध्यान रख बस....
संध्या – ठीक है दीदी....
बोल के गीता देवी वो लड़की , राज , राजू और लल्ला चले गए रस्ते में....
राजू – (राज से इशारे में) पूछ ना बे....
राज – (गीता देवी से) मा वैसे ये कौन है....
गीता देवी – (राज को देख के) तूने पहचाना नहीं अभी तक इसे....
राज – नहीं मा मुझे नहीं याद कौन है ये....
घर आते ही राजू और लल्ला अपने घर की तरफ निकल गए गीता देवी कमरे में चली गई जिसके बाद....
राज – (लड़की से) क्या मै आपको जनता हूँ....
लड़की – मुझे क्या पता....
राज – आपको देख के ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने पहले....
लड़की – (अपनी नाक सिकुड़ के) मै क्या जानू आपको ऐसा लगता है या वैसा हुह हा नहीं तो....
बोल के लड़की अन्दर कमरे में चली गई गीता देवी के पास उसके जाते ही राज उसकी कही बात सोचने लगा जिसके बाद....
राज – हा नहीं तो बड़ा अजीब सा तकिया कलाम है (अचानक से कुछ याद आते ही) दामिनी ये यहां पर....
अन्दर कमरे में जाते ही जहां गीता देवी और लड़की बैठ के बात कर रहे थे....
राज – (कमरे मे आते ही लड़की से) तुम दामिनी हो ना....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) आ गया याद तुझे....
राज – मां लेकिन ये तो शहर गई थी पढ़ाई करने फिर....
गीता देवी – ये सब बाते बाद में करना अब ये यही रहेगी हमारे साथ और तेरे साथ कॉलेज भी जाया करेगी....
राज – AAAAAAAAAYYYYYYYYEEEEEEEE मेरे साथ....
गीता देवी – हा तेरे साथ अब जाके तू आराम कर हमे भी करने दे आराम बाकी बाते तेरे बाबा बताएंगे तुझे....
इस तरफ हवेली में खाना खाने के बाद सब कमरे में चले गए थे आराम करने लेकिन एक कमरे में....
रमन – तो आ गई तू आखिरकार हवेली में....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) सब आपकी मेहरबानी से हुआ है ये....
रमन – (मुस्कुरा के) मै जनता था मेरी ये चाल आसानी से काम कर जाएगी इसीलिए तुझे बीमारी का नाटक करने के लिए कहा था मैने लेकिन तू सच में बीमार कैसे हो गई थी....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) वही पुराना तरीका अपनाया था मैने प्याज को छील के दोनो हाथों के बागली में रख दिया था मैने सुबह तक बुखार बहुत तेज हो गया था मुझे तभी पूनम को सब समझा दिया था मैने तभी पहले आपके पास आई फिर अमन के पास उसी वक्त जब अभय इससे थोड़ी दूर खड़ा था अपने दोस्तों के साथ उनका ध्यान पूनम पे ही था और पूनम ने वैसा ही किया और रोते हुए निकल गई कॉलेज से बाहर और तभी उसने सत्या बाबू को उसकी तरफ आता देखा तभी उसने कुवै में छलांग लगा दी और बेचारा सत्या शर्मा अपने भोले पन में ये बात भूल गया कि पूनम को तैरना आता है इस बात से बेखबर पूनम को बचाने के लिए कुवै कूद गया उसे बाहर निकाल के अस्पताल ले गया और पूनम की बातों से ये समझ बैठा कि पूनम ने मजबूरी में आके ये कदम उठाया....
रमन – और इस चक्कर में अमन को बहुत मार पड़ी थी....
उर्मिला – माफ करना ठाकुर साहब मै सच में अंजान थी इस बात से....
रमन – पूनम कहा है....
पूनम – मै यही हूँ पिता जी....
रमन – शाबाश बेटी गजब की एक्टिंग की तुमने पर ध्यान रहे ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए और ध्यान से हवेली में सबके सामने मुझे पिता जी मत बोलना उनके सामने तुम दोनो ऐसा दिखावा करना जिससे लगे तुम दोनो को मुझसे नफरत है....
उर्मिला – लेकिन इस तरह कितने दिन तक हम ऐसा करेंगे....
रमन – परेशान मत हो ज्यादा दिन तक नहीं करना पड़ेगा ये सब बस इस बार तसल्ली से धीरे धीरे संध्या को अपनी मुट्ठी में करना होगा इसीलिए तुझे यहां लाया हूँ मैं ताकि तेरे सहारे संध्या एक बार मेरी मुट्ठी में आजाय उसके बाद उसके पिल्ले को रस्ते से हटा दूंगा उसके बाद ललिता फिर मालती....
उर्मिला – आप अपने भाई प्रेम को भूल रहे हो ठाकुर साहब....
रमन – उस बेचारे को नुकसान पहुंचा के भी क्या फायदा होगा मुझे एक तो मेरा छोटा भाई ऊपर से वो बेचारा इतना भोला है मनन के जाने के बाद कसम खाली थी उसने की मरते दम तक इस हवेली में नहीं आएगा जब तक मां नहीं मिल जाती बेचारा तब से हवेली के बाहर खेत में ही रहता है बिना किसी सुख सुविधा के....
उर्मिला – तब तो आपको उसे भी अपने साथ मिला लेना चाहिए था एक से भले दो हो जाते....
रमन – अच्छा तो अब तुझे मै कम पड़ता हु क्या जो दूसरे की जरूरत पड़ रही है तुझे....
उर्मिला – ऐसी बात नहीं है ठाकुर साहब अगर आप बोलेंगे तो आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ मै....
रमन – जनता हूँ मेरी जान बस अपने दिमाग से प्रेम का ख्याल निकाल दे उसे इन सब में शामिल करना रिस्क होगा जाने उसके दिमाग में क्या है आज तक नहीं जान पाया मै इस बारे में उससे बात करने की सोचना भी मत वर्ना सारे किए कराए पे पानी फिर जाएगा हमारे....
उर्मिला – ठीक है ठाकुर साहब अब आगे क्या करना है....
रमन – इंतजार कर सही मौके पर तुझे बताऊंगा मै क्या करना है तुझे तब तक तू संध्या के करीब होती रह बस....
बोल के रमन कमरे से निकल गया इधर खाना खाने के बाद अभय ने दवा खाई जिस वजह से जल्दी नीद आ गई उसे जिसे देख संध्या मुस्कुरा के साथ में सो गई शाम होते ही संध्या उठ के तैयार होके नीचे हॉल में आ गई जहां सभी औरते पहले से बैठी थी....
शालिनी – अभय जगा नहीं अभी तक....
सोनिया – (बीच में) दवा का असर है इसीलिए नीद नहीं खुली होगी उसकी....
मालती – इतना सोना सही है क्या....
सोनिया – दवा के असर ही सही जितना ज्यादा आराम करेगा पेन में आराम मिलेगा उसे....
ललिता – वैसे कितने दिन तक चलेगी दावा....
सोनिया – 1 से 2 दिन चलेगी बाकी हर 2 दिन में पट्टी कर दूंगी बस....
इससे पहले ये और कुछ बात करते पायल आ गई अपने मां बाप के साथ जिसे देख....
संध्या – (पायल को देख) अरे पायल आ गई तू तेरा इंतजार कर रही थी मैं आजा....
पायल को अपने साथ बैठा दिया तभी उसके मां बाप खड़े थे तब....
संध्या – अरे तुम दोनो खड़े क्यों हो बैठो ना....
मगरू – ठकुराइन हम कैसे....
ललिता – सोचा मत करो इतना भी बैठ जाओ आप दोनो....
दोनो के बैठते ही....
संध्या – (पायल से) तू मेरे साथ चल ऊपर कमरे में कुछ दिखाती हूँ....
बोल के संध्या पायल को अपने कमरे मे ले गई जहां अभय सोया हुआ था उसे देख....
संध्या – देख रही है पायल इसके चेहरे को सोते हुए कितना मासूम सा बच्चा लग रहा है ये , पायल अभय को होश में आने के बाद उसे कुछ याद नहीं है अपनी यादाश्त खो चुका है वो....
पायल – (हैरानी से) ये आप क्या बोल रही है ठुकराई.....
संध्या – यही सच है पायल इसे तो अपने जिगरी दोस्तों तक को नहीं पहचाना और आज जब तू अस्पताल में मिली उसके बाद भी इसने नहीं पहचाना तुझे और मुझसे तेरे लिए पूछा कौन है ये....
पायल – ऐसा मत बोलिए ठकुराइन बोल दीजिए ये मजाक है.....
संध्या – काश ये मजाक ही होता मुझे नहीं पता इसकी यादाश्त कब वापस आएगी (मुस्कुरा के) लेकिन मेरा वादा है तुझसे ये सिर्फ तेरा ही रहेगा बस और जल्द ही कॉलेज भी आने लगेगा तब तक के लिए नई यादें बनाना अपने अभय के साथ वैसे भी मुझे नहीं लगता कि अभय तुझे ना नहीं बोलेगा कभी....
संध्या की बात पर पायल शर्म से मुस्कुराने लगी उसके बाद दोनों साथ में नीचे आ गए कुछ समय बाद पायल अपने मां बाप के साथ सबसे विदा लेके चली गई जबकि अभय दवा के असर की वजह से काफी देरी से उठा सबके साथ खाना खाने के बाद कमरे मे वापस आके संध्या के साथ बेड में लेट के बाते करने लगा....
अभय – मुझे शाम को जल्दी जगा देती....
संध्या – तुझे दर्द में आराम मिल जाए जल्दी इसीलिए नहीं जगाया क्यों क्या हुआ....
अभय – इतना सोया हूँ मां अब नीद नहीं आ रही है मुझे....
संध्या – मैने भी आराम कल से बहुत किया मुझे भी नहीं आ रही नीद....
अभय – अस्पताल में मेरी वजह से बहुत परेशान होगाई होगी ना....
संध्या – ऐसा मत बोल रे तेरी वजह से क्यों परेशान होने लगी मैं तेरे वापस आने से मुझमें तो फिर से जान वापस आ गई है....
अभय – मेरे आने से मतलब....
संध्या – (हड़बड़ाहट में) वो....मै....मै....ये बोल रही थी तू अस्पताल से आ गया है ना इसीलिए....
अभय – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) क्या हुआ....
संध्या – नहीं कुछ भी तो नहीं....
अभय – तू कुछ छिपा रही है ना बात क्या बात है....
संध्या – नहीं रे एसी कोई बात नहीं है....
अभय – तो बता ना क्या छुपा रही है तू....
संध्या – कोई बात नहीं है रे....
अभय – तो बता दे ना अपने दिल की बात देख मुझे तो कुछ पता नहीं मेरे बारे में मै वही मान लूंगा जो तू बोलेगी बता दे क्या बात है....
संध्या – (अभय को कुछ देर देखती रही) डर लगता है मुझे कही तू रूठ तो नहीं जाएगा फिर से....
अभय – क्या फिर से क्या मतलब है तेरा....
संध्या – (अभय की बात सुन आंख में आंसू के साथ) कही तू फिर से मुझे छोड़ के ना चला जाय....
अभय – (मुस्कुरा के संध्या के आसू पोछ) तू तो मेरी अपनी है तुझे अकेला कैसे छोड़ के जा सकता हूँ मैं (संध्या के गाल पे हाथ रख के) तेरी कसम खा के बोलता हु मर जाऊंगा लेकिन तुझे कभी छोड़ के नहीं जाऊंगा मै....
संध्या – (अभय के मू पे हाथ रख के) मारने की बात मत बोल रे तेरी खुशी के लिए मेरी जिंदगी कुर्बान....
अभय – (मुस्कुरा के) चल छोड़ इन बातों को एक काम कर पहले तू मुझे अपने बारे में बता फिर मेरे बारे में बताना....
संध्या –(मुस्कुरा के) क्या बताऊं....
अभय – सब कुछ....
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जारी रहेगा
Suprb apdet BhaiUPDATE 52
अभय – वो माफ करिएगा गलती से बोल दिया मैने....
शालिनी – (मुस्कुरा के) एक शर्त पे....
अभय – क्या....
शालिनी – अब से तू मुझे सिर्फ मां बोले तो....
शालिनी की बात सुन अभय ने संध्या को देखा जैसे पूछ रहा हो जिसे समझ संध्या ने मुस्कुरा के हा में सिर हिलाया जिसके बाद....
अभय – ठीक है मां....
शालिनी – (मुस्कुरा के) अच्छा तू बैठ यहां मै अभी खाने को कुछ लाती हु तेरे लिए....
अर्जुन – (बीच में शालिनी से) आप बैठिए मै लेके आता हु....
बोल के अर्जुन निकल गया जबकि संध्या और शालिनी को छोड़ अभय बाकी लोगो को देखने लगा जिसे समझ के....
शालिनी – (गीता देवी की तरफ इशारा करके) ये गीता देवी है तू इनको बचपन से बड़ी मां बोलता है (तीनों दोस्तो की तरफ इशारा करके) ये है राज , राजू और लल्ला तेरे बचपन के दोस्त है ये तीनों और ये है चांदनी बचपन से तू इसको....
अभय – दीदी....
अभय के दीदी बोलते ही एक बार फिर सभी हैरान थे....
अभय – माफ करना अनजाने में मेरे मू से निकल गया....
संध्या – कोई बात नहीं तू बचपन से इसे दीदी बोलता आया है शायद इसीलिए....
चांदनी –(मुस्कुरा के अभय के गाल पे हाथ फेर के) मुझे बहुत अच्छा लगा....
शालिनी – और ये है सत्या शर्मा तू इनको बचपन से बाबा बोलता है गीता देवी इनकी बीवी और राज इनका बेटा है....
अभय – (सबके बारे में जानने के बाद गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख) ये कौन है....
गीता देवी – ये (सत्या बाबू) इनके दोस्त की बेटी है कल आई है गांव में मिलने हमसे....
तभी अर्जुन कुछ खाने को ले के आता है शालिनी को देके कमरे से बाहर चला जाता है जिसे देख....
अभय – (अर्जुन को देख जो कमरे से बाहर चल गया) ये कौन है....
संध्या – ये तेरे पिता के दोस्त कमल ठाकुर के बेटे अर्जुन ठाकुर है तेरे बड़े भाई....
अभय – (संध्या की बात सुन कमरे में इधर उधर देखते हुए) पिता जी वो कहा है दिख नहीं रहे है....
अभय के इस सवाल से सबके चेहरे से जैसे हसी गायब सी हो गई क्योंकि अभय से शायद किसी को उम्मीद नहीं थी इस सवाल की इस मौके पर....
गीता देवी – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) बेटा तेरे पिता जी तेरे बचपन में ही इस दुनिया से चले गए थे....
अभय – (मायूसी से) हम्ममम....
संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) मै हूँ ना तेरे साथ....
संध्या को देख अभय हल्का सा स्माइल करता है जिसके बाद....
शालिनी – (बात बदलते हुए) चलो अच्छा पहले कुछ खा लो तुम फिर जल्दी से चलते है घर पर सब इंतजार कर रहे होगे हम लोगों का....
संध्या – अरे हा मैंने हवेली में किसी को बताया नहीं....
शालिनी – कोई बात नहीं मैने हवेली में बता दिया सबको अभय होश में आगया है और हम सब हवेली आ रहे है....
इधर कमरे के बाहर खड़ी सोनिया ये नजारा देख रही थी गौर से जिसे देख शालिनी बाहर चलीं गई....
शालिनी – (सोनिया से) तुमने देखा अभी अभय ने मुझे मां बोला और बिना बताए चांदनी को दीदी....
सोनिया – जी जिसका मतलब ये है कि अभय का लगाव अपने दोस्तों से भी इतना नहीं जितना आपसे और चांदनी से है इसीलिए अभय के सिर पर आपका हाथ लगते ही आपको मां बोल दिया और चांदनी का देखा सबने लेकिन अपनी असली मां तो क्या अपने जिगरी दोस्तो तक को नहीं पहचान पाया....
शालिनी – मतलब क्या है तुम्हारा....
सोनिया – मैने पहले ही कहा आपसे इस वक्त अभय एक खाली किताब है जिसमें आप जो लिखोगे उसे वही सच मानेगा अब ये आप सब के ऊपर है कि आप उसे क्या बोलते हो क्या नहीं....
शालिनी – क्या इन सब से अभय आगे चल के कुछ गलत तो नहीं समझेगा उसकी यादाश्त वापस आने के बाद....
सोनिया – मुझे लगता है आप या चांदनी अगर उसके साथ रहोगे जब तक ऐसी स्थिति में तब उसे हैंडल करना आसान होगा क्योंकि हम जिससे प्यार करते है उसकी बात कभी नहीं ताल सकते बाकी मैं तो साथ हूँ आप सबके अभय की दवा का ध्यान मै रखूंगी....
शालिनी – ठीक है कुछ देर बाद हम हवेली के लिए निकलेंगे सब....
कुछ वक्त के बाद सब अस्पताल से हवेली के लिए निकल रहे थे बाहर सबके गाड़ी में बैठने के बाद संध्या गाड़ी में बैठने जा रही थी तभी सामने से आती पायल जो अपने मा बाप के साथ आ रही थी अस्पताल की तरफ जिसे देख संध्या रुक गई....
संध्या – (पायलं को अपने मा बाप के साथ अस्पताल में आता देख पायल से) तू आ गई अच्छा हुआ अगर नहीं आती तो मैं तेरे पास आने वाली थी....
पायल – जी ठकुराइन वो अभय अब कैसा है....
संध्या – अभय अब ठीक है पायल तू एक काम कर शाम को तू हवेली आना मां बाप के साथ वही बात करती हूँ तेरे से....
पायल – जी ठीक है ठकुराइन....
बोल के पायल गाड़ी में बैठे अभय को देखने लगी जो शालिनी के साथ बैठ बात कर रहा था एक पल के लिए अभय ने पलट के पायल को देख के वापस शालिनी से बात करने लग जो पायल को थोड़ा अजीब सा लगा जिसे ना समझ के इससे पहले आगे कुछ बोलती उसके पिता ने चलने को बोला जिसके बाद पायल अपने मां बाप से साथ वापस चली गई पीछे से सभी अस्पताल के बाहर आते ही सभी गाड़ी में पहले से बैठ गए थे संध्या के गाड़ी में बैठते ही....
अभय – वो कौन थी....
संध्या – तेरी खास दोस्त है शाम को आएगी मिलने हवेली....
अभय – हवेली मतलब....
संध्या – (मुस्कुरा के) चल रहे है वही देख लेना तू खुद ही....
कुछ समय बाद सभी हवेली में आ गए तभी हवेली के दरवाजे में सबके आते ही ललिता , मालती , सायरा , शनाया , अलीता , निधि , रमन और अमन खड़े थे हवेली में आने से पहले शालिनी ने सभी को अभय के बारे में बता दिया था हवेली के अन्दर आते ही शालिनी और संध्या ने मिल के अभय को सबसे मिलवाया....
संध्या –(अभय से) चल मेरे साथ तेरे कमरे में तू फ्रेश होके तैयार होजा....
अभय – मेरा कमरा....
संध्या – (मुस्कुरा के) हा तेरा कमरा चल मेरे साथ....
बोल के संध्या सीडीओ से अभय का हाथ पकड़ के उसे लेके जाने लगी पीछे से शालिनी भी साथ आ गई अपने कमरे में आते ही....
अभय – (कमरे को देख) इतना बड़ा कमरा क्या ये सच में मेरा कमरा है....
संध्या – हा ये तेरा ही कमरा है और ये तेरी टेबल यहां बैठ के तू पढ़ाई करता है और ये देख तेरी ड्राइंग बुक तेरे कलर्स यहां पर तू चित्र बनाता है कभी कभी....
अभय – क्या मै इस कमरे में अकेला रहता हु और आप कहा....
संध्या – मेरा कमरा दूसरी तरफ है....
अभय – ओह....
संध्या –(अभय के मायूसी भरे जवाब को सुन) चल तुझे मै अपना कमरा दिखाती हु....
बोल के अभय को अपना कमरा दिखाने लेके चली गई अपने कमर में आते ही....
संध्या –(कमरे में आते ही) ये मेरा कमरा है....
अभय – (संध्या के आलीशान कमरे को देखते ही) बहुत खूबसूरत है आपका कमरा (मनन के साथ एक बच्चे की तस्वीर को देख के) ये तस्वीर किसकी है....
संध्या – इस तस्वीर में तू और तेरे पिता जी है....
अभय – (तस्वीर को देख) बहुत सुंदर है तस्वीर....
संध्या – एक बात पूछूं तेरे से....
अभय – हा....
संध्या – तू इस कमरे में रहेगा मेरे साथ....
अभय – हा मै भी यही पूछना चाहता था आपसे अगर आपको कोई एतराज ना हो....
शालिनी – भला संध्या को क्या एतराज होगा ये तो बहुत अच्छी बात है तू अब से संध्या के कमरे में रहेगा अब खुश....
संध्या – मै नौकर को बोल के तेरा सामान यही रखवा देती हु ठीक है तू जाके फ्रेश होके तैयार होजा साथ में खाना खाएगे....
बोल कर संध्या अभय का सामान अपने कमरे में रखवा देती है जबकि इस तरफ नीचे हॉल में सबके साथ राज , राजू और लल्ला सबसे अलग खड़े होके बाते कर रहे थे....
राजू – अब क्या करने का सोच रहा है भाई....
राज – मै यही सोच रहा हूँ इतनी देर से ये लड़की कौन है यार....
लल्ला – अबे चांदनी भाभी कम पड़ गई क्या तुझे जो तू उस लड़की के लिए सोच रहा है....
राज – अबे वो बात नहीं है यार चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा है लेकिन याद नहीं आ रहा है कहा देख है इसे....
राजू – बेटा तेरा मन भटक रहा है सच तो ये है समझा....
लल्ला – एक काम कर गीता काकी से पूछ ले पता चल जाएगा तुझे....
राज – यहां से जाने के बाद बात करता हू मा से मुझे तो चिंता अभय की हो रही है यार....
राजू – हा जब से हम आय है यहां पर तब से देख रहा हूँ मैं ये अमनवा और रमन दोनो चुप चाप बैठे है जरूर इनके दिमाग कुछ तो चल रहा होगा....
लल्ला – तुम दोनो को सच में लगता है ये दोनों ऐसा कुछ करेंगे अभय के साथ....
राज – कोई भरोसा नहीं इन दोनों बाप बेटों का वैसे भी इस वक्त अभय Mobile without Memory card है कुछ भी कर सकते है ये दोनों अब उसके साथ....
राजू – मै तो बोलता हूँ ठकुराइन से बात कर लेते है एक बार इस बारे में....
राज – तुम दोनो ने एक बात गौर की....
लल्ला – अब तुझे क्या याद आ गया भाई....
राज – कुछ नहीं यार वो अस्पताल में शालिनी जी और मां जिस बात पर मुस्कुरा रहे थे याद है....
राजू – अबे तो उस बात का इस बात से क्या मतलब....
राज – मतलब है बे.....
लल्ला – अच्छा और वो क्या....
राज – जरा एक नजर ऊपर सीढ़ियों की तरफ देखो समझ जाओगे....
राज के बोलते ही राजू और लल्ला ने सीढ़ियों की तरफ देखा जहां अभय नीचे आ रहा था संध्या के साथ उसका हाथ पकड़ के पीछे शालिनी आ रही थी जिसे देख....
राजू – अबे इसमें ऐसी कौन सी बात है अब....
राज – अबे गौर से देख अभय ठकुराइन के साथ नीचे आ रहा है उसका हाथ पकड़ के इससे पहले तूने देखा अभय को ठकुराइन के साथ हाथ पकड़ के चलते हुए....
लल्ला – अबे हा यार ये तो बात है....
राजू – ओह तेरी तो इसीलिए गीता काकी और शालिनी जी इस बात को लेके मुस्कुरा रही थी तो ये मतलब था दोनो का ताकि अभय ठकुराइन के साथ मिल के रहे बिना नफरत के तभी....
राज – समझदार हो गया है बे तू....
अभय , संध्या और शालिनी के साथ नीचे आते ही....
अलीता – (मुस्कुराते हुए अभय से) आइए देवर जी (डिनर टेबल की कुर्सी बाहर खींच के) बैठिए और संभालिए अपनी जिम्मेदारी....
संध्या – (मुस्कुरा के) तुम भी ना अलीता अभी तो आया है अस्पताल से ठीक होके आते ही मजाक करना शुरू कर दिया....
अलीता –(मुस्कुरा के) चाची जी ये तो भाभी का हक है अपने प्यारे देवर से मजाक करने का क्यों अभय बुरा तो नहीं लगा तुम्हे....
अभय – (मुस्कुरा के) नहीं भाभी....
अलीता – बहुत अच्छी बात है अब कैसा है दर्द....
अभय – अभी आराम है भाभी वैसे भाभी वो भैया कहा है दिख नहीं रहे है....
अलीता – वो काम से गए है अपने गांव कुछ दिन बाद आ जाएंगे....
संध्या – ऐसा क्या काम आ गया अर्जुन को जल्दी चला गया वो....
अलीता – पता नहीं चाची जी बस बोल के गए है कुछ दिन में आ जाऊंगा जल्दी....
अभय – (संध्या से) मां....
अभय के मू से मां सुन सब अभय को देखने लगे....
संध्या –(आंख में एक बूंद आंसू लिए खुश होके) हा...हा...एक बार फिर से बोल....
अभय – मां , क्या हुआ मां मैने कुछ गलत बोल दिया क्या....
संध्या –(अपने आंसू पोछ खुशी से) नहीं कुछ गलत नहीं बोला तूने....
अभय – तो आपके आंख में आंसू क्यों....
संध्या – ऐसे ही तू बता क्या बोल रहा था....
अभय – आपने पढ़ाई के लिए बताया मै क्या पढ़ाई करता हू अभी....
संध्या – तू कॉलेज में पढ़ाई करता है अभी पहला साल है तेरा कॉलेज में क्यों क्या हुआ....
अभय – वो आगे की पढ़ाई के लिए....
संध्या – तू चिंता मत कर पढ़ाई की पहले पूरी तरह ठीक हो जा तू उसके बाद पढ़ाई शुरू करना....
शनाया – हा अभय तुम पढ़ाई की बिल्कुल चिंता मत करो ठीक होते ही मैं मदद करूंगी पढ़ाई में तुम्हारी....
शालिनी – हा बिल्कुल अभय शनाया पहले भी तुझे पढ़ा चुकी है और अब तो तेरे कॉलेज की प्रिंसिपल है वो और तेरे ये तीनों दोस्त भी साथ है तेरे....
शालिनी की बात सुन राजू , राज और लल्ला ने मुस्कुरा के अभय को हा में इशारा किया जिसे देख अभय भी हल्का मुस्कुरा दिया....
ललिता – लल्ला तू बाकी सब बाते छोड़ खाना खा के बता कैसा बना है खाना....
अभय – (खाने का एक निवाला खा के) पराठे बहुत अच्छे बने है चाची....
ललिता – (3 पराठे अभय की प्लेट में रख के) तो जल्दी खा ले....
अभय – चाची ये बहुत ज्यादा है....
ललिता – ज्यादा कहा है लल्ला 4 पराठे तो तू चुटकी में खा जाया करता था वैसे भी तुझे तो दीदी के हाथ के बने पराठे इतने अच्छे लगते है 6 पराठे खाने के बाद भी और पराठे मांगता था खाने को....
ललिता की बात सुन अभय मुस्कुरा रहा था जिसे देख सबके साथ संध्या भी मुस्कुरा के अभय को देखे जा रही थी....
अभय – (2 पराठे खाने के बाद) चाची पेट भर गया अब और मन नहीं हो रहा खाने का....
ललिता – लल्ला देसी घी के बनाए है तेरे लिए खा ले ना तभी तो जल्दी ठीक होगा ना....
अभय – नहीं चाची अब नहीं खा पाऊंगा नहीं तो पचेगा नहीं....
अभय की पचेगा वाली बात सुन जहां सब मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपनी पुरानी सोच में चली गई एक वक्त था जब अभय 4 पराठे खाने के बाद और पराठे मांगता था तब संध्या उसे ताना देती थी जिसके बाद अभय पलट के नहीं मांगता पराठा खाने को और फिर जब काफी साल बाद अभय उसे मिला था तब अभय ने यही कहा था कि (मेरा 2 रोटी से भला हो जाता है तेरे हवेली का देसी घी तुझे मुबारक हो मुझ पचेगा भी नहीं तेरे हवेली का देसी घी) इन बातों को याद कर जाने कैसे संध्या की आंख से आसू आ गया जिसे देख....
अभय – तेरी आंख में फिर से आंसू क्यों मां....
संध्या – कुछ नहीं ऐसे ही तू पराठे खा ले तभी तो ताकत आएगी जल्दी ठीक होगा तू....
अभय – (संध्या की बात सुन उसके आसू पोछ) ठीक है लेकिन फिर से तेरी आंख में आसू नहीं आएगा तो , मेरा मतलब आपके आंख से आंसू....
संध्या –(मुस्कुरा के बीच में) कोई बात नहीं तू ऐसे ही बात करता है , आप नहीं तू करके....
अभय – ठीक है....
सबने खाना खाया साथ में जिसके बाद गीता देवी संध्या से विदा लेके वापस जाने लगी तभी....
संध्या – दीदी कल गांव में पंचायत बुलाई है आपने कोई काम है क्या....
गीता देवी – नहीं संध्या कोई खास काम नहीं है महीने की आखिर में होने वाली पंचायत है ये बस क्यों क्या हुआ....
संध्या – कुछ नहीं दीदी अभय को अकेला छोड़ के....
गीता देवी – (मुस्कुरा के बीच में) तो एक काम कर उसे भी साथ लेके आजाना तू पूरा गांव भी मिल लेगा अभय से वैसे भी अब से पहले किसी को कहा पता था अभय के बारे में और अब तो सब जान गए है सब मिल लेगे उससे....
संध्या –ठीक है दीदी मै लेके आऊंगी अभय को और (लड़की को गीता के साथ देख के) ये आपके साथ अकेले....
गीता देवी – (संध्या का हाथ पकड़ के) मै कॉल कर के बात करती हु तेरे से तू अभय का ध्यान रख बस....
संध्या – ठीक है दीदी....
बोल के गीता देवी वो लड़की , राज , राजू और लल्ला चले गए रस्ते में....
राजू – (राज से इशारे में) पूछ ना बे....
राज – (गीता देवी से) मा वैसे ये कौन है....
गीता देवी – (राज को देख के) तूने पहचाना नहीं अभी तक इसे....
राज – नहीं मा मुझे नहीं याद कौन है ये....
घर आते ही राजू और लल्ला अपने घर की तरफ निकल गए गीता देवी कमरे में चली गई जिसके बाद....
राज – (लड़की से) क्या मै आपको जनता हूँ....
लड़की – मुझे क्या पता....
राज – आपको देख के ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने पहले....
लड़की – (अपनी नाक सिकुड़ के) मै क्या जानू आपको ऐसा लगता है या वैसा हुह हा नहीं तो....
बोल के लड़की अन्दर कमरे में चली गई गीता देवी के पास उसके जाते ही राज उसकी कही बात सोचने लगा जिसके बाद....
राज – हा नहीं तो बड़ा अजीब सा तकिया कलाम है (अचानक से कुछ याद आते ही) दामिनी ये यहां पर....
अन्दर कमरे में जाते ही जहां गीता देवी और लड़की बैठ के बात कर रहे थे....
राज – (कमरे मे आते ही लड़की से) तुम दामिनी हो ना....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) आ गया याद तुझे....
राज – मां लेकिन ये तो शहर गई थी पढ़ाई करने फिर....
गीता देवी – ये सब बाते बाद में करना अब ये यही रहेगी हमारे साथ और तेरे साथ कॉलेज भी जाया करेगी....
राज – AAAAAAAAAYYYYYYYYEEEEEEEE मेरे साथ....
गीता देवी – हा तेरे साथ अब जाके तू आराम कर हमे भी करने दे आराम बाकी बाते तेरे बाबा बताएंगे तुझे....
इस तरफ हवेली में खाना खाने के बाद सब कमरे में चले गए थे आराम करने लेकिन एक कमरे में....
रमन – तो आ गई तू आखिरकार हवेली में....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) सब आपकी मेहरबानी से हुआ है ये....
रमन – (मुस्कुरा के) मै जनता था मेरी ये चाल आसानी से काम कर जाएगी इसीलिए तुझे बीमारी का नाटक करने के लिए कहा था मैने लेकिन तू सच में बीमार कैसे हो गई थी....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) वही पुराना तरीका अपनाया था मैने प्याज को छील के दोनो हाथों के बागली में रख दिया था मैने सुबह तक बुखार बहुत तेज हो गया था मुझे तभी पूनम को सब समझा दिया था मैने तभी पहले आपके पास आई फिर अमन के पास उसी वक्त जब अभय इससे थोड़ी दूर खड़ा था अपने दोस्तों के साथ उनका ध्यान पूनम पे ही था और पूनम ने वैसा ही किया और रोते हुए निकल गई कॉलेज से बाहर और तभी उसने सत्या बाबू को उसकी तरफ आता देखा तभी उसने कुवै में छलांग लगा दी और बेचारा सत्या शर्मा अपने भोले पन में ये बात भूल गया कि पूनम को तैरना आता है इस बात से बेखबर पूनम को बचाने के लिए कुवै कूद गया उसे बाहर निकाल के अस्पताल ले गया और पूनम की बातों से ये समझ बैठा कि पूनम ने मजबूरी में आके ये कदम उठाया....
रमन – और इस चक्कर में अमन को बहुत मार पड़ी थी....
उर्मिला – माफ करना ठाकुर साहब मै सच में अंजान थी इस बात से....
रमन – पूनम कहा है....
पूनम – मै यही हूँ पिता जी....
रमन – शाबाश बेटी गजब की एक्टिंग की तुमने पर ध्यान रहे ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए और ध्यान से हवेली में सबके सामने मुझे पिता जी मत बोलना उनके सामने तुम दोनो ऐसा दिखावा करना जिससे लगे तुम दोनो को मुझसे नफरत है....
उर्मिला – लेकिन इस तरह कितने दिन तक हम ऐसा करेंगे....
रमन – परेशान मत हो ज्यादा दिन तक नहीं करना पड़ेगा ये सब बस इस बार तसल्ली से धीरे धीरे संध्या को अपनी मुट्ठी में करना होगा इसीलिए तुझे यहां लाया हूँ मैं ताकि तेरे सहारे संध्या एक बार मेरी मुट्ठी में आजाय उसके बाद उसके पिल्ले को रस्ते से हटा दूंगा उसके बाद ललिता फिर मालती....
उर्मिला – आप अपने भाई प्रेम को भूल रहे हो ठाकुर साहब....
रमन – उस बेचारे को नुकसान पहुंचा के भी क्या फायदा होगा मुझे एक तो मेरा छोटा भाई ऊपर से वो बेचारा इतना भोला है मनन के जाने के बाद कसम खाली थी उसने की मरते दम तक इस हवेली में नहीं आएगा जब तक मां नहीं मिल जाती बेचारा तब से हवेली के बाहर खेत में ही रहता है बिना किसी सुख सुविधा के....
उर्मिला – तब तो आपको उसे भी अपने साथ मिला लेना चाहिए था एक से भले दो हो जाते....
रमन – अच्छा तो अब तुझे मै कम पड़ता हु क्या जो दूसरे की जरूरत पड़ रही है तुझे....
उर्मिला – ऐसी बात नहीं है ठाकुर साहब अगर आप बोलेंगे तो आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ मै....
रमन – जनता हूँ मेरी जान बस अपने दिमाग से प्रेम का ख्याल निकाल दे उसे इन सब में शामिल करना रिस्क होगा जाने उसके दिमाग में क्या है आज तक नहीं जान पाया मै इस बारे में उससे बात करने की सोचना भी मत वर्ना सारे किए कराए पे पानी फिर जाएगा हमारे....
उर्मिला – ठीक है ठाकुर साहब अब आगे क्या करना है....
रमन – इंतजार कर सही मौके पर तुझे बताऊंगा मै क्या करना है तुझे तब तक तू संध्या के करीब होती रह बस....
बोल के रमन कमरे से निकल गया इधर खाना खाने के बाद अभय ने दवा खाई जिस वजह से जल्दी नीद आ गई उसे जिसे देख संध्या मुस्कुरा के साथ में सो गई शाम होते ही संध्या उठ के तैयार होके नीचे हॉल में आ गई जहां सभी औरते पहले से बैठी थी....
शालिनी – अभय जगा नहीं अभी तक....
सोनिया – (बीच में) दवा का असर है इसीलिए नीद नहीं खुली होगी उसकी....
मालती – इतना सोना सही है क्या....
सोनिया – दवा के असर ही सही जितना ज्यादा आराम करेगा पेन में आराम मिलेगा उसे....
ललिता – वैसे कितने दिन तक चलेगी दावा....
सोनिया – 1 से 2 दिन चलेगी बाकी हर 2 दिन में पट्टी कर दूंगी बस....
इससे पहले ये और कुछ बात करते पायल आ गई अपने मां बाप के साथ जिसे देख....
संध्या – (पायल को देख) अरे पायल आ गई तू तेरा इंतजार कर रही थी मैं आजा....
पायल को अपने साथ बैठा दिया तभी उसके मां बाप खड़े थे तब....
संध्या – अरे तुम दोनो खड़े क्यों हो बैठो ना....
मगरू – ठकुराइन हम कैसे....
ललिता – सोचा मत करो इतना भी बैठ जाओ आप दोनो....
दोनो के बैठते ही....
संध्या – (पायल से) तू मेरे साथ चल ऊपर कमरे में कुछ दिखाती हूँ....
बोल के संध्या पायल को अपने कमरे मे ले गई जहां अभय सोया हुआ था उसे देख....
संध्या – देख रही है पायल इसके चेहरे को सोते हुए कितना मासूम सा बच्चा लग रहा है ये , पायल अभय को होश में आने के बाद उसे कुछ याद नहीं है अपनी यादाश्त खो चुका है वो....
पायल – (हैरानी से) ये आप क्या बोल रही है ठुकराई.....
संध्या – यही सच है पायल इसे तो अपने जिगरी दोस्तों तक को नहीं पहचाना और आज जब तू अस्पताल में मिली उसके बाद भी इसने नहीं पहचाना तुझे और मुझसे तेरे लिए पूछा कौन है ये....
पायल – ऐसा मत बोलिए ठकुराइन बोल दीजिए ये मजाक है.....
संध्या – काश ये मजाक ही होता मुझे नहीं पता इसकी यादाश्त कब वापस आएगी (मुस्कुरा के) लेकिन मेरा वादा है तुझसे ये सिर्फ तेरा ही रहेगा बस और जल्द ही कॉलेज भी आने लगेगा तब तक के लिए नई यादें बनाना अपने अभय के साथ वैसे भी मुझे नहीं लगता कि अभय तुझे ना नहीं बोलेगा कभी....
संध्या की बात पर पायल शर्म से मुस्कुराने लगी उसके बाद दोनों साथ में नीचे आ गए कुछ समय बाद पायल अपने मां बाप के साथ सबसे विदा लेके चली गई जबकि अभय दवा के असर की वजह से काफी देरी से उठा सबके साथ खाना खाने के बाद कमरे मे वापस आके संध्या के साथ बेड में लेट के बाते करने लगा....
अभय – मुझे शाम को जल्दी जगा देती....
संध्या – तुझे दर्द में आराम मिल जाए जल्दी इसीलिए नहीं जगाया क्यों क्या हुआ....
अभय – इतना सोया हूँ मां अब नीद नहीं आ रही है मुझे....
संध्या – मैने भी आराम कल से बहुत किया मुझे भी नहीं आ रही नीद....
अभय – अस्पताल में मेरी वजह से बहुत परेशान होगाई होगी ना....
संध्या – ऐसा मत बोल रे तेरी वजह से क्यों परेशान होने लगी मैं तेरे वापस आने से मुझमें तो फिर से जान वापस आ गई है....
अभय – मेरे आने से मतलब....
संध्या – (हड़बड़ाहट में) वो....मै....मै....ये बोल रही थी तू अस्पताल से आ गया है ना इसीलिए....
अभय – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) क्या हुआ....
संध्या – नहीं कुछ भी तो नहीं....
अभय – तू कुछ छिपा रही है ना बात क्या बात है....
संध्या – नहीं रे एसी कोई बात नहीं है....
अभय – तो बता ना क्या छुपा रही है तू....
संध्या – कोई बात नहीं है रे....
अभय – तो बता दे ना अपने दिल की बात देख मुझे तो कुछ पता नहीं मेरे बारे में मै वही मान लूंगा जो तू बोलेगी बता दे क्या बात है....
संध्या – (अभय को कुछ देर देखती रही) डर लगता है मुझे कही तू रूठ तो नहीं जाएगा फिर से....
अभय – क्या फिर से क्या मतलब है तेरा....
संध्या – (अभय की बात सुन आंख में आंसू के साथ) कही तू फिर से मुझे छोड़ के ना चला जाय....
अभय – (मुस्कुरा के संध्या के आसू पोछ) तू तो मेरी अपनी है तुझे अकेला कैसे छोड़ के जा सकता हूँ मैं (संध्या के गाल पे हाथ रख के) तेरी कसम खा के बोलता हु मर जाऊंगा लेकिन तुझे कभी छोड़ के नहीं जाऊंगा मै....
संध्या – (अभय के मू पे हाथ रख के) मारने की बात मत बोल रे तेरी खुशी के लिए मेरी जिंदगी कुर्बान....
अभय – (मुस्कुरा के) चल छोड़ इन बातों को एक काम कर पहले तू मुझे अपने बारे में बता फिर मेरे बारे में बताना....
संध्या –(मुस्कुरा के) क्या बताऊं....
अभय – सब कुछ....
.
.
.
जारी रहेगा
Mast update bhaiUPDATE 52
अभय – वो माफ करिएगा गलती से बोल दिया मैने....
शालिनी – (मुस्कुरा के) एक शर्त पे....
अभय – क्या....
शालिनी – अब से तू मुझे सिर्फ मां बोले तो....
शालिनी की बात सुन अभय ने संध्या को देखा जैसे पूछ रहा हो जिसे समझ संध्या ने मुस्कुरा के हा में सिर हिलाया जिसके बाद....
अभय – ठीक है मां....
शालिनी – (मुस्कुरा के) अच्छा तू बैठ यहां मै अभी खाने को कुछ लाती हु तेरे लिए....
अर्जुन – (बीच में शालिनी से) आप बैठिए मै लेके आता हु....
बोल के अर्जुन निकल गया जबकि संध्या और शालिनी को छोड़ अभय बाकी लोगो को देखने लगा जिसे समझ के....
शालिनी – (गीता देवी की तरफ इशारा करके) ये गीता देवी है तू इनको बचपन से बड़ी मां बोलता है (तीनों दोस्तो की तरफ इशारा करके) ये है राज , राजू और लल्ला तेरे बचपन के दोस्त है ये तीनों और ये है चांदनी बचपन से तू इसको....
अभय – दीदी....
अभय के दीदी बोलते ही एक बार फिर सभी हैरान थे....
अभय – माफ करना अनजाने में मेरे मू से निकल गया....
संध्या – कोई बात नहीं तू बचपन से इसे दीदी बोलता आया है शायद इसीलिए....
चांदनी –(मुस्कुरा के अभय के गाल पे हाथ फेर के) मुझे बहुत अच्छा लगा....
शालिनी – और ये है सत्या शर्मा तू इनको बचपन से बाबा बोलता है गीता देवी इनकी बीवी और राज इनका बेटा है....
अभय – (सबके बारे में जानने के बाद गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख) ये कौन है....
गीता देवी – ये (सत्या बाबू) इनके दोस्त की बेटी है कल आई है गांव में मिलने हमसे....
तभी अर्जुन कुछ खाने को ले के आता है शालिनी को देके कमरे से बाहर चला जाता है जिसे देख....
अभय – (अर्जुन को देख जो कमरे से बाहर चल गया) ये कौन है....
संध्या – ये तेरे पिता के दोस्त कमल ठाकुर के बेटे अर्जुन ठाकुर है तेरे बड़े भाई....
अभय – (संध्या की बात सुन कमरे में इधर उधर देखते हुए) पिता जी वो कहा है दिख नहीं रहे है....
अभय के इस सवाल से सबके चेहरे से जैसे हसी गायब सी हो गई क्योंकि अभय से शायद किसी को उम्मीद नहीं थी इस सवाल की इस मौके पर....
गीता देवी – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) बेटा तेरे पिता जी तेरे बचपन में ही इस दुनिया से चले गए थे....
अभय – (मायूसी से) हम्ममम....
संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) मै हूँ ना तेरे साथ....
संध्या को देख अभय हल्का सा स्माइल करता है जिसके बाद....
शालिनी – (बात बदलते हुए) चलो अच्छा पहले कुछ खा लो तुम फिर जल्दी से चलते है घर पर सब इंतजार कर रहे होगे हम लोगों का....
संध्या – अरे हा मैंने हवेली में किसी को बताया नहीं....
शालिनी – कोई बात नहीं मैने हवेली में बता दिया सबको अभय होश में आगया है और हम सब हवेली आ रहे है....
इधर कमरे के बाहर खड़ी सोनिया ये नजारा देख रही थी गौर से जिसे देख शालिनी बाहर चलीं गई....
शालिनी – (सोनिया से) तुमने देखा अभी अभय ने मुझे मां बोला और बिना बताए चांदनी को दीदी....
सोनिया – जी जिसका मतलब ये है कि अभय का लगाव अपने दोस्तों से भी इतना नहीं जितना आपसे और चांदनी से है इसीलिए अभय के सिर पर आपका हाथ लगते ही आपको मां बोल दिया और चांदनी का देखा सबने लेकिन अपनी असली मां तो क्या अपने जिगरी दोस्तो तक को नहीं पहचान पाया....
शालिनी – मतलब क्या है तुम्हारा....
सोनिया – मैने पहले ही कहा आपसे इस वक्त अभय एक खाली किताब है जिसमें आप जो लिखोगे उसे वही सच मानेगा अब ये आप सब के ऊपर है कि आप उसे क्या बोलते हो क्या नहीं....
शालिनी – क्या इन सब से अभय आगे चल के कुछ गलत तो नहीं समझेगा उसकी यादाश्त वापस आने के बाद....
सोनिया – मुझे लगता है आप या चांदनी अगर उसके साथ रहोगे जब तक ऐसी स्थिति में तब उसे हैंडल करना आसान होगा क्योंकि हम जिससे प्यार करते है उसकी बात कभी नहीं ताल सकते बाकी मैं तो साथ हूँ आप सबके अभय की दवा का ध्यान मै रखूंगी....
शालिनी – ठीक है कुछ देर बाद हम हवेली के लिए निकलेंगे सब....
कुछ वक्त के बाद सब अस्पताल से हवेली के लिए निकल रहे थे बाहर सबके गाड़ी में बैठने के बाद संध्या गाड़ी में बैठने जा रही थी तभी सामने से आती पायल जो अपने मा बाप के साथ आ रही थी अस्पताल की तरफ जिसे देख संध्या रुक गई....
संध्या – (पायलं को अपने मा बाप के साथ अस्पताल में आता देख पायल से) तू आ गई अच्छा हुआ अगर नहीं आती तो मैं तेरे पास आने वाली थी....
पायल – जी ठकुराइन वो अभय अब कैसा है....
संध्या – अभय अब ठीक है पायल तू एक काम कर शाम को तू हवेली आना मां बाप के साथ वही बात करती हूँ तेरे से....
पायल – जी ठीक है ठकुराइन....
बोल के पायल गाड़ी में बैठे अभय को देखने लगी जो शालिनी के साथ बैठ बात कर रहा था एक पल के लिए अभय ने पलट के पायल को देख के वापस शालिनी से बात करने लग जो पायल को थोड़ा अजीब सा लगा जिसे ना समझ के इससे पहले आगे कुछ बोलती उसके पिता ने चलने को बोला जिसके बाद पायल अपने मां बाप से साथ वापस चली गई पीछे से सभी अस्पताल के बाहर आते ही सभी गाड़ी में पहले से बैठ गए थे संध्या के गाड़ी में बैठते ही....
अभय – वो कौन थी....
संध्या – तेरी खास दोस्त है शाम को आएगी मिलने हवेली....
अभय – हवेली मतलब....
संध्या – (मुस्कुरा के) चल रहे है वही देख लेना तू खुद ही....
कुछ समय बाद सभी हवेली में आ गए तभी हवेली के दरवाजे में सबके आते ही ललिता , मालती , सायरा , शनाया , अलीता , निधि , रमन और अमन खड़े थे हवेली में आने से पहले शालिनी ने सभी को अभय के बारे में बता दिया था हवेली के अन्दर आते ही शालिनी और संध्या ने मिल के अभय को सबसे मिलवाया....
संध्या –(अभय से) चल मेरे साथ तेरे कमरे में तू फ्रेश होके तैयार होजा....
अभय – मेरा कमरा....
संध्या – (मुस्कुरा के) हा तेरा कमरा चल मेरे साथ....
बोल के संध्या सीडीओ से अभय का हाथ पकड़ के उसे लेके जाने लगी पीछे से शालिनी भी साथ आ गई अपने कमरे में आते ही....
अभय – (कमरे को देख) इतना बड़ा कमरा क्या ये सच में मेरा कमरा है....
संध्या – हा ये तेरा ही कमरा है और ये तेरी टेबल यहां बैठ के तू पढ़ाई करता है और ये देख तेरी ड्राइंग बुक तेरे कलर्स यहां पर तू चित्र बनाता है कभी कभी....
अभय – क्या मै इस कमरे में अकेला रहता हु और आप कहा....
संध्या – मेरा कमरा दूसरी तरफ है....
अभय – ओह....
संध्या –(अभय के मायूसी भरे जवाब को सुन) चल तुझे मै अपना कमरा दिखाती हु....
बोल के अभय को अपना कमरा दिखाने लेके चली गई अपने कमर में आते ही....
संध्या –(कमरे में आते ही) ये मेरा कमरा है....
अभय – (संध्या के आलीशान कमरे को देखते ही) बहुत खूबसूरत है आपका कमरा (मनन के साथ एक बच्चे की तस्वीर को देख के) ये तस्वीर किसकी है....
संध्या – इस तस्वीर में तू और तेरे पिता जी है....
अभय – (तस्वीर को देख) बहुत सुंदर है तस्वीर....
संध्या – एक बात पूछूं तेरे से....
अभय – हा....
संध्या – तू इस कमरे में रहेगा मेरे साथ....
अभय – हा मै भी यही पूछना चाहता था आपसे अगर आपको कोई एतराज ना हो....
शालिनी – भला संध्या को क्या एतराज होगा ये तो बहुत अच्छी बात है तू अब से संध्या के कमरे में रहेगा अब खुश....
संध्या – मै नौकर को बोल के तेरा सामान यही रखवा देती हु ठीक है तू जाके फ्रेश होके तैयार होजा साथ में खाना खाएगे....
बोल कर संध्या अभय का सामान अपने कमरे में रखवा देती है जबकि इस तरफ नीचे हॉल में सबके साथ राज , राजू और लल्ला सबसे अलग खड़े होके बाते कर रहे थे....
राजू – अब क्या करने का सोच रहा है भाई....
राज – मै यही सोच रहा हूँ इतनी देर से ये लड़की कौन है यार....
लल्ला – अबे चांदनी भाभी कम पड़ गई क्या तुझे जो तू उस लड़की के लिए सोच रहा है....
राज – अबे वो बात नहीं है यार चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा है लेकिन याद नहीं आ रहा है कहा देख है इसे....
राजू – बेटा तेरा मन भटक रहा है सच तो ये है समझा....
लल्ला – एक काम कर गीता काकी से पूछ ले पता चल जाएगा तुझे....
राज – यहां से जाने के बाद बात करता हू मा से मुझे तो चिंता अभय की हो रही है यार....
राजू – हा जब से हम आय है यहां पर तब से देख रहा हूँ मैं ये अमनवा और रमन दोनो चुप चाप बैठे है जरूर इनके दिमाग कुछ तो चल रहा होगा....
लल्ला – तुम दोनो को सच में लगता है ये दोनों ऐसा कुछ करेंगे अभय के साथ....
राज – कोई भरोसा नहीं इन दोनों बाप बेटों का वैसे भी इस वक्त अभय Mobile without Memory card है कुछ भी कर सकते है ये दोनों अब उसके साथ....
राजू – मै तो बोलता हूँ ठकुराइन से बात कर लेते है एक बार इस बारे में....
राज – तुम दोनो ने एक बात गौर की....
लल्ला – अब तुझे क्या याद आ गया भाई....
राज – कुछ नहीं यार वो अस्पताल में शालिनी जी और मां जिस बात पर मुस्कुरा रहे थे याद है....
राजू – अबे तो उस बात का इस बात से क्या मतलब....
राज – मतलब है बे.....
लल्ला – अच्छा और वो क्या....
राज – जरा एक नजर ऊपर सीढ़ियों की तरफ देखो समझ जाओगे....
राज के बोलते ही राजू और लल्ला ने सीढ़ियों की तरफ देखा जहां अभय नीचे आ रहा था संध्या के साथ उसका हाथ पकड़ के पीछे शालिनी आ रही थी जिसे देख....
राजू – अबे इसमें ऐसी कौन सी बात है अब....
राज – अबे गौर से देख अभय ठकुराइन के साथ नीचे आ रहा है उसका हाथ पकड़ के इससे पहले तूने देखा अभय को ठकुराइन के साथ हाथ पकड़ के चलते हुए....
लल्ला – अबे हा यार ये तो बात है....
राजू – ओह तेरी तो इसीलिए गीता काकी और शालिनी जी इस बात को लेके मुस्कुरा रही थी तो ये मतलब था दोनो का ताकि अभय ठकुराइन के साथ मिल के रहे बिना नफरत के तभी....
राज – समझदार हो गया है बे तू....
अभय , संध्या और शालिनी के साथ नीचे आते ही....
अलीता – (मुस्कुराते हुए अभय से) आइए देवर जी (डिनर टेबल की कुर्सी बाहर खींच के) बैठिए और संभालिए अपनी जिम्मेदारी....
संध्या – (मुस्कुरा के) तुम भी ना अलीता अभी तो आया है अस्पताल से ठीक होके आते ही मजाक करना शुरू कर दिया....
अलीता –(मुस्कुरा के) चाची जी ये तो भाभी का हक है अपने प्यारे देवर से मजाक करने का क्यों अभय बुरा तो नहीं लगा तुम्हे....
अभय – (मुस्कुरा के) नहीं भाभी....
अलीता – बहुत अच्छी बात है अब कैसा है दर्द....
अभय – अभी आराम है भाभी वैसे भाभी वो भैया कहा है दिख नहीं रहे है....
अलीता – वो काम से गए है अपने गांव कुछ दिन बाद आ जाएंगे....
संध्या – ऐसा क्या काम आ गया अर्जुन को जल्दी चला गया वो....
अलीता – पता नहीं चाची जी बस बोल के गए है कुछ दिन में आ जाऊंगा जल्दी....
अभय – (संध्या से) मां....
अभय के मू से मां सुन सब अभय को देखने लगे....
संध्या –(आंख में एक बूंद आंसू लिए खुश होके) हा...हा...एक बार फिर से बोल....
अभय – मां , क्या हुआ मां मैने कुछ गलत बोल दिया क्या....
संध्या –(अपने आंसू पोछ खुशी से) नहीं कुछ गलत नहीं बोला तूने....
अभय – तो आपके आंख में आंसू क्यों....
संध्या – ऐसे ही तू बता क्या बोल रहा था....
अभय – आपने पढ़ाई के लिए बताया मै क्या पढ़ाई करता हू अभी....
संध्या – तू कॉलेज में पढ़ाई करता है अभी पहला साल है तेरा कॉलेज में क्यों क्या हुआ....
अभय – वो आगे की पढ़ाई के लिए....
संध्या – तू चिंता मत कर पढ़ाई की पहले पूरी तरह ठीक हो जा तू उसके बाद पढ़ाई शुरू करना....
शनाया – हा अभय तुम पढ़ाई की बिल्कुल चिंता मत करो ठीक होते ही मैं मदद करूंगी पढ़ाई में तुम्हारी....
शालिनी – हा बिल्कुल अभय शनाया पहले भी तुझे पढ़ा चुकी है और अब तो तेरे कॉलेज की प्रिंसिपल है वो और तेरे ये तीनों दोस्त भी साथ है तेरे....
शालिनी की बात सुन राजू , राज और लल्ला ने मुस्कुरा के अभय को हा में इशारा किया जिसे देख अभय भी हल्का मुस्कुरा दिया....
ललिता – लल्ला तू बाकी सब बाते छोड़ खाना खा के बता कैसा बना है खाना....
अभय – (खाने का एक निवाला खा के) पराठे बहुत अच्छे बने है चाची....
ललिता – (3 पराठे अभय की प्लेट में रख के) तो जल्दी खा ले....
अभय – चाची ये बहुत ज्यादा है....
ललिता – ज्यादा कहा है लल्ला 4 पराठे तो तू चुटकी में खा जाया करता था वैसे भी तुझे तो दीदी के हाथ के बने पराठे इतने अच्छे लगते है 6 पराठे खाने के बाद भी और पराठे मांगता था खाने को....
ललिता की बात सुन अभय मुस्कुरा रहा था जिसे देख सबके साथ संध्या भी मुस्कुरा के अभय को देखे जा रही थी....
अभय – (2 पराठे खाने के बाद) चाची पेट भर गया अब और मन नहीं हो रहा खाने का....
ललिता – लल्ला देसी घी के बनाए है तेरे लिए खा ले ना तभी तो जल्दी ठीक होगा ना....
अभय – नहीं चाची अब नहीं खा पाऊंगा नहीं तो पचेगा नहीं....
अभय की पचेगा वाली बात सुन जहां सब मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपनी पुरानी सोच में चली गई एक वक्त था जब अभय 4 पराठे खाने के बाद और पराठे मांगता था तब संध्या उसे ताना देती थी जिसके बाद अभय पलट के नहीं मांगता पराठा खाने को और फिर जब काफी साल बाद अभय उसे मिला था तब अभय ने यही कहा था कि (मेरा 2 रोटी से भला हो जाता है तेरे हवेली का देसी घी तुझे मुबारक हो मुझ पचेगा भी नहीं तेरे हवेली का देसी घी) इन बातों को याद कर जाने कैसे संध्या की आंख से आसू आ गया जिसे देख....
अभय – तेरी आंख में फिर से आंसू क्यों मां....
संध्या – कुछ नहीं ऐसे ही तू पराठे खा ले तभी तो ताकत आएगी जल्दी ठीक होगा तू....
अभय – (संध्या की बात सुन उसके आसू पोछ) ठीक है लेकिन फिर से तेरी आंख में आसू नहीं आएगा तो , मेरा मतलब आपके आंख से आंसू....
संध्या –(मुस्कुरा के बीच में) कोई बात नहीं तू ऐसे ही बात करता है , आप नहीं तू करके....
अभय – ठीक है....
सबने खाना खाया साथ में जिसके बाद गीता देवी संध्या से विदा लेके वापस जाने लगी तभी....
संध्या – दीदी कल गांव में पंचायत बुलाई है आपने कोई काम है क्या....
गीता देवी – नहीं संध्या कोई खास काम नहीं है महीने की आखिर में होने वाली पंचायत है ये बस क्यों क्या हुआ....
संध्या – कुछ नहीं दीदी अभय को अकेला छोड़ के....
गीता देवी – (मुस्कुरा के बीच में) तो एक काम कर उसे भी साथ लेके आजाना तू पूरा गांव भी मिल लेगा अभय से वैसे भी अब से पहले किसी को कहा पता था अभय के बारे में और अब तो सब जान गए है सब मिल लेगे उससे....
संध्या –ठीक है दीदी मै लेके आऊंगी अभय को और (लड़की को गीता के साथ देख के) ये आपके साथ अकेले....
गीता देवी – (संध्या का हाथ पकड़ के) मै कॉल कर के बात करती हु तेरे से तू अभय का ध्यान रख बस....
संध्या – ठीक है दीदी....
बोल के गीता देवी वो लड़की , राज , राजू और लल्ला चले गए रस्ते में....
राजू – (राज से इशारे में) पूछ ना बे....
राज – (गीता देवी से) मा वैसे ये कौन है....
गीता देवी – (राज को देख के) तूने पहचाना नहीं अभी तक इसे....
राज – नहीं मा मुझे नहीं याद कौन है ये....
घर आते ही राजू और लल्ला अपने घर की तरफ निकल गए गीता देवी कमरे में चली गई जिसके बाद....
राज – (लड़की से) क्या मै आपको जनता हूँ....
लड़की – मुझे क्या पता....
राज – आपको देख के ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने पहले....
लड़की – (अपनी नाक सिकुड़ के) मै क्या जानू आपको ऐसा लगता है या वैसा हुह हा नहीं तो....
बोल के लड़की अन्दर कमरे में चली गई गीता देवी के पास उसके जाते ही राज उसकी कही बात सोचने लगा जिसके बाद....
राज – हा नहीं तो बड़ा अजीब सा तकिया कलाम है (अचानक से कुछ याद आते ही) दामिनी ये यहां पर....
अन्दर कमरे में जाते ही जहां गीता देवी और लड़की बैठ के बात कर रहे थे....
राज – (कमरे मे आते ही लड़की से) तुम दामिनी हो ना....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) आ गया याद तुझे....
राज – मां लेकिन ये तो शहर गई थी पढ़ाई करने फिर....
गीता देवी – ये सब बाते बाद में करना अब ये यही रहेगी हमारे साथ और तेरे साथ कॉलेज भी जाया करेगी....
राज – AAAAAAAAAYYYYYYYYEEEEEEEE मेरे साथ....
गीता देवी – हा तेरे साथ अब जाके तू आराम कर हमे भी करने दे आराम बाकी बाते तेरे बाबा बताएंगे तुझे....
इस तरफ हवेली में खाना खाने के बाद सब कमरे में चले गए थे आराम करने लेकिन एक कमरे में....
रमन – तो आ गई तू आखिरकार हवेली में....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) सब आपकी मेहरबानी से हुआ है ये....
रमन – (मुस्कुरा के) मै जनता था मेरी ये चाल आसानी से काम कर जाएगी इसीलिए तुझे बीमारी का नाटक करने के लिए कहा था मैने लेकिन तू सच में बीमार कैसे हो गई थी....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) वही पुराना तरीका अपनाया था मैने प्याज को छील के दोनो हाथों के बागली में रख दिया था मैने सुबह तक बुखार बहुत तेज हो गया था मुझे तभी पूनम को सब समझा दिया था मैने तभी पहले आपके पास आई फिर अमन के पास उसी वक्त जब अभय इससे थोड़ी दूर खड़ा था अपने दोस्तों के साथ उनका ध्यान पूनम पे ही था और पूनम ने वैसा ही किया और रोते हुए निकल गई कॉलेज से बाहर और तभी उसने सत्या बाबू को उसकी तरफ आता देखा तभी उसने कुवै में छलांग लगा दी और बेचारा सत्या शर्मा अपने भोले पन में ये बात भूल गया कि पूनम को तैरना आता है इस बात से बेखबर पूनम को बचाने के लिए कुवै कूद गया उसे बाहर निकाल के अस्पताल ले गया और पूनम की बातों से ये समझ बैठा कि पूनम ने मजबूरी में आके ये कदम उठाया....
रमन – और इस चक्कर में अमन को बहुत मार पड़ी थी....
उर्मिला – माफ करना ठाकुर साहब मै सच में अंजान थी इस बात से....
रमन – पूनम कहा है....
पूनम – मै यही हूँ पिता जी....
रमन – शाबाश बेटी गजब की एक्टिंग की तुमने पर ध्यान रहे ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए और ध्यान से हवेली में सबके सामने मुझे पिता जी मत बोलना उनके सामने तुम दोनो ऐसा दिखावा करना जिससे लगे तुम दोनो को मुझसे नफरत है....
उर्मिला – लेकिन इस तरह कितने दिन तक हम ऐसा करेंगे....
रमन – परेशान मत हो ज्यादा दिन तक नहीं करना पड़ेगा ये सब बस इस बार तसल्ली से धीरे धीरे संध्या को अपनी मुट्ठी में करना होगा इसीलिए तुझे यहां लाया हूँ मैं ताकि तेरे सहारे संध्या एक बार मेरी मुट्ठी में आजाय उसके बाद उसके पिल्ले को रस्ते से हटा दूंगा उसके बाद ललिता फिर मालती....
उर्मिला – आप अपने भाई प्रेम को भूल रहे हो ठाकुर साहब....
रमन – उस बेचारे को नुकसान पहुंचा के भी क्या फायदा होगा मुझे एक तो मेरा छोटा भाई ऊपर से वो बेचारा इतना भोला है मनन के जाने के बाद कसम खाली थी उसने की मरते दम तक इस हवेली में नहीं आएगा जब तक मां नहीं मिल जाती बेचारा तब से हवेली के बाहर खेत में ही रहता है बिना किसी सुख सुविधा के....
उर्मिला – तब तो आपको उसे भी अपने साथ मिला लेना चाहिए था एक से भले दो हो जाते....
रमन – अच्छा तो अब तुझे मै कम पड़ता हु क्या जो दूसरे की जरूरत पड़ रही है तुझे....
उर्मिला – ऐसी बात नहीं है ठाकुर साहब अगर आप बोलेंगे तो आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ मै....
रमन – जनता हूँ मेरी जान बस अपने दिमाग से प्रेम का ख्याल निकाल दे उसे इन सब में शामिल करना रिस्क होगा जाने उसके दिमाग में क्या है आज तक नहीं जान पाया मै इस बारे में उससे बात करने की सोचना भी मत वर्ना सारे किए कराए पे पानी फिर जाएगा हमारे....
उर्मिला – ठीक है ठाकुर साहब अब आगे क्या करना है....
रमन – इंतजार कर सही मौके पर तुझे बताऊंगा मै क्या करना है तुझे तब तक तू संध्या के करीब होती रह बस....
बोल के रमन कमरे से निकल गया इधर खाना खाने के बाद अभय ने दवा खाई जिस वजह से जल्दी नीद आ गई उसे जिसे देख संध्या मुस्कुरा के साथ में सो गई शाम होते ही संध्या उठ के तैयार होके नीचे हॉल में आ गई जहां सभी औरते पहले से बैठी थी....
शालिनी – अभय जगा नहीं अभी तक....
सोनिया – (बीच में) दवा का असर है इसीलिए नीद नहीं खुली होगी उसकी....
मालती – इतना सोना सही है क्या....
सोनिया – दवा के असर ही सही जितना ज्यादा आराम करेगा पेन में आराम मिलेगा उसे....
ललिता – वैसे कितने दिन तक चलेगी दावा....
सोनिया – 1 से 2 दिन चलेगी बाकी हर 2 दिन में पट्टी कर दूंगी बस....
इससे पहले ये और कुछ बात करते पायल आ गई अपने मां बाप के साथ जिसे देख....
संध्या – (पायल को देख) अरे पायल आ गई तू तेरा इंतजार कर रही थी मैं आजा....
पायल को अपने साथ बैठा दिया तभी उसके मां बाप खड़े थे तब....
संध्या – अरे तुम दोनो खड़े क्यों हो बैठो ना....
मगरू – ठकुराइन हम कैसे....
ललिता – सोचा मत करो इतना भी बैठ जाओ आप दोनो....
दोनो के बैठते ही....
संध्या – (पायल से) तू मेरे साथ चल ऊपर कमरे में कुछ दिखाती हूँ....
बोल के संध्या पायल को अपने कमरे मे ले गई जहां अभय सोया हुआ था उसे देख....
संध्या – देख रही है पायल इसके चेहरे को सोते हुए कितना मासूम सा बच्चा लग रहा है ये , पायल अभय को होश में आने के बाद उसे कुछ याद नहीं है अपनी यादाश्त खो चुका है वो....
पायल – (हैरानी से) ये आप क्या बोल रही है ठुकराई.....
संध्या – यही सच है पायल इसे तो अपने जिगरी दोस्तों तक को नहीं पहचाना और आज जब तू अस्पताल में मिली उसके बाद भी इसने नहीं पहचाना तुझे और मुझसे तेरे लिए पूछा कौन है ये....
पायल – ऐसा मत बोलिए ठकुराइन बोल दीजिए ये मजाक है.....
संध्या – काश ये मजाक ही होता मुझे नहीं पता इसकी यादाश्त कब वापस आएगी (मुस्कुरा के) लेकिन मेरा वादा है तुझसे ये सिर्फ तेरा ही रहेगा बस और जल्द ही कॉलेज भी आने लगेगा तब तक के लिए नई यादें बनाना अपने अभय के साथ वैसे भी मुझे नहीं लगता कि अभय तुझे ना नहीं बोलेगा कभी....
संध्या की बात पर पायल शर्म से मुस्कुराने लगी उसके बाद दोनों साथ में नीचे आ गए कुछ समय बाद पायल अपने मां बाप के साथ सबसे विदा लेके चली गई जबकि अभय दवा के असर की वजह से काफी देरी से उठा सबके साथ खाना खाने के बाद कमरे मे वापस आके संध्या के साथ बेड में लेट के बाते करने लगा....
अभय – मुझे शाम को जल्दी जगा देती....
संध्या – तुझे दर्द में आराम मिल जाए जल्दी इसीलिए नहीं जगाया क्यों क्या हुआ....
अभय – इतना सोया हूँ मां अब नीद नहीं आ रही है मुझे....
संध्या – मैने भी आराम कल से बहुत किया मुझे भी नहीं आ रही नीद....
अभय – अस्पताल में मेरी वजह से बहुत परेशान होगाई होगी ना....
संध्या – ऐसा मत बोल रे तेरी वजह से क्यों परेशान होने लगी मैं तेरे वापस आने से मुझमें तो फिर से जान वापस आ गई है....
अभय – मेरे आने से मतलब....
संध्या – (हड़बड़ाहट में) वो....मै....मै....ये बोल रही थी तू अस्पताल से आ गया है ना इसीलिए....
अभय – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) क्या हुआ....
संध्या – नहीं कुछ भी तो नहीं....
अभय – तू कुछ छिपा रही है ना बात क्या बात है....
संध्या – नहीं रे एसी कोई बात नहीं है....
अभय – तो बता ना क्या छुपा रही है तू....
संध्या – कोई बात नहीं है रे....
अभय – तो बता दे ना अपने दिल की बात देख मुझे तो कुछ पता नहीं मेरे बारे में मै वही मान लूंगा जो तू बोलेगी बता दे क्या बात है....
संध्या – (अभय को कुछ देर देखती रही) डर लगता है मुझे कही तू रूठ तो नहीं जाएगा फिर से....
अभय – क्या फिर से क्या मतलब है तेरा....
संध्या – (अभय की बात सुन आंख में आंसू के साथ) कही तू फिर से मुझे छोड़ के ना चला जाय....
अभय – (मुस्कुरा के संध्या के आसू पोछ) तू तो मेरी अपनी है तुझे अकेला कैसे छोड़ के जा सकता हूँ मैं (संध्या के गाल पे हाथ रख के) तेरी कसम खा के बोलता हु मर जाऊंगा लेकिन तुझे कभी छोड़ के नहीं जाऊंगा मै....
संध्या – (अभय के मू पे हाथ रख के) मारने की बात मत बोल रे तेरी खुशी के लिए मेरी जिंदगी कुर्बान....
अभय – (मुस्कुरा के) चल छोड़ इन बातों को एक काम कर पहले तू मुझे अपने बारे में बता फिर मेरे बारे में बताना....
संध्या –(मुस्कुरा के) क्या बताऊं....
अभय – सब कुछ....
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जारी रहेगा
Awesome updateUPDATE 52
अभय – वो माफ करिएगा गलती से बोल दिया मैने....
शालिनी – (मुस्कुरा के) एक शर्त पे....
अभय – क्या....
शालिनी – अब से तू मुझे सिर्फ मां बोले तो....
शालिनी की बात सुन अभय ने संध्या को देखा जैसे पूछ रहा हो जिसे समझ संध्या ने मुस्कुरा के हा में सिर हिलाया जिसके बाद....
अभय – ठीक है मां....
शालिनी – (मुस्कुरा के) अच्छा तू बैठ यहां मै अभी खाने को कुछ लाती हु तेरे लिए....
अर्जुन – (बीच में शालिनी से) आप बैठिए मै लेके आता हु....
बोल के अर्जुन निकल गया जबकि संध्या और शालिनी को छोड़ अभय बाकी लोगो को देखने लगा जिसे समझ के....
शालिनी – (गीता देवी की तरफ इशारा करके) ये गीता देवी है तू इनको बचपन से बड़ी मां बोलता है (तीनों दोस्तो की तरफ इशारा करके) ये है राज , राजू और लल्ला तेरे बचपन के दोस्त है ये तीनों और ये है चांदनी बचपन से तू इसको....
अभय – दीदी....
अभय के दीदी बोलते ही एक बार फिर सभी हैरान थे....
अभय – माफ करना अनजाने में मेरे मू से निकल गया....
संध्या – कोई बात नहीं तू बचपन से इसे दीदी बोलता आया है शायद इसीलिए....
चांदनी –(मुस्कुरा के अभय के गाल पे हाथ फेर के) मुझे बहुत अच्छा लगा....
शालिनी – और ये है सत्या शर्मा तू इनको बचपन से बाबा बोलता है गीता देवी इनकी बीवी और राज इनका बेटा है....
अभय – (सबके बारे में जानने के बाद गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख) ये कौन है....
गीता देवी – ये (सत्या बाबू) इनके दोस्त की बेटी है कल आई है गांव में मिलने हमसे....
तभी अर्जुन कुछ खाने को ले के आता है शालिनी को देके कमरे से बाहर चला जाता है जिसे देख....
अभय – (अर्जुन को देख जो कमरे से बाहर चल गया) ये कौन है....
संध्या – ये तेरे पिता के दोस्त कमल ठाकुर के बेटे अर्जुन ठाकुर है तेरे बड़े भाई....
अभय – (संध्या की बात सुन कमरे में इधर उधर देखते हुए) पिता जी वो कहा है दिख नहीं रहे है....
अभय के इस सवाल से सबके चेहरे से जैसे हसी गायब सी हो गई क्योंकि अभय से शायद किसी को उम्मीद नहीं थी इस सवाल की इस मौके पर....
गीता देवी – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) बेटा तेरे पिता जी तेरे बचपन में ही इस दुनिया से चले गए थे....
अभय – (मायूसी से) हम्ममम....
संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) मै हूँ ना तेरे साथ....
संध्या को देख अभय हल्का सा स्माइल करता है जिसके बाद....
शालिनी – (बात बदलते हुए) चलो अच्छा पहले कुछ खा लो तुम फिर जल्दी से चलते है घर पर सब इंतजार कर रहे होगे हम लोगों का....
संध्या – अरे हा मैंने हवेली में किसी को बताया नहीं....
शालिनी – कोई बात नहीं मैने हवेली में बता दिया सबको अभय होश में आगया है और हम सब हवेली आ रहे है....
इधर कमरे के बाहर खड़ी सोनिया ये नजारा देख रही थी गौर से जिसे देख शालिनी बाहर चलीं गई....
शालिनी – (सोनिया से) तुमने देखा अभी अभय ने मुझे मां बोला और बिना बताए चांदनी को दीदी....
सोनिया – जी जिसका मतलब ये है कि अभय का लगाव अपने दोस्तों से भी इतना नहीं जितना आपसे और चांदनी से है इसीलिए अभय के सिर पर आपका हाथ लगते ही आपको मां बोल दिया और चांदनी का देखा सबने लेकिन अपनी असली मां तो क्या अपने जिगरी दोस्तो तक को नहीं पहचान पाया....
शालिनी – मतलब क्या है तुम्हारा....
सोनिया – मैने पहले ही कहा आपसे इस वक्त अभय एक खाली किताब है जिसमें आप जो लिखोगे उसे वही सच मानेगा अब ये आप सब के ऊपर है कि आप उसे क्या बोलते हो क्या नहीं....
शालिनी – क्या इन सब से अभय आगे चल के कुछ गलत तो नहीं समझेगा उसकी यादाश्त वापस आने के बाद....
सोनिया – मुझे लगता है आप या चांदनी अगर उसके साथ रहोगे जब तक ऐसी स्थिति में तब उसे हैंडल करना आसान होगा क्योंकि हम जिससे प्यार करते है उसकी बात कभी नहीं ताल सकते बाकी मैं तो साथ हूँ आप सबके अभय की दवा का ध्यान मै रखूंगी....
शालिनी – ठीक है कुछ देर बाद हम हवेली के लिए निकलेंगे सब....
कुछ वक्त के बाद सब अस्पताल से हवेली के लिए निकल रहे थे बाहर सबके गाड़ी में बैठने के बाद संध्या गाड़ी में बैठने जा रही थी तभी सामने से आती पायल जो अपने मा बाप के साथ आ रही थी अस्पताल की तरफ जिसे देख संध्या रुक गई....
संध्या – (पायलं को अपने मा बाप के साथ अस्पताल में आता देख पायल से) तू आ गई अच्छा हुआ अगर नहीं आती तो मैं तेरे पास आने वाली थी....
पायल – जी ठकुराइन वो अभय अब कैसा है....
संध्या – अभय अब ठीक है पायल तू एक काम कर शाम को तू हवेली आना मां बाप के साथ वही बात करती हूँ तेरे से....
पायल – जी ठीक है ठकुराइन....
बोल के पायल गाड़ी में बैठे अभय को देखने लगी जो शालिनी के साथ बैठ बात कर रहा था एक पल के लिए अभय ने पलट के पायल को देख के वापस शालिनी से बात करने लग जो पायल को थोड़ा अजीब सा लगा जिसे ना समझ के इससे पहले आगे कुछ बोलती उसके पिता ने चलने को बोला जिसके बाद पायल अपने मां बाप से साथ वापस चली गई पीछे से सभी अस्पताल के बाहर आते ही सभी गाड़ी में पहले से बैठ गए थे संध्या के गाड़ी में बैठते ही....
अभय – वो कौन थी....
संध्या – तेरी खास दोस्त है शाम को आएगी मिलने हवेली....
अभय – हवेली मतलब....
संध्या – (मुस्कुरा के) चल रहे है वही देख लेना तू खुद ही....
कुछ समय बाद सभी हवेली में आ गए तभी हवेली के दरवाजे में सबके आते ही ललिता , मालती , सायरा , शनाया , अलीता , निधि , रमन और अमन खड़े थे हवेली में आने से पहले शालिनी ने सभी को अभय के बारे में बता दिया था हवेली के अन्दर आते ही शालिनी और संध्या ने मिल के अभय को सबसे मिलवाया....
संध्या –(अभय से) चल मेरे साथ तेरे कमरे में तू फ्रेश होके तैयार होजा....
अभय – मेरा कमरा....
संध्या – (मुस्कुरा के) हा तेरा कमरा चल मेरे साथ....
बोल के संध्या सीडीओ से अभय का हाथ पकड़ के उसे लेके जाने लगी पीछे से शालिनी भी साथ आ गई अपने कमरे में आते ही....
अभय – (कमरे को देख) इतना बड़ा कमरा क्या ये सच में मेरा कमरा है....
संध्या – हा ये तेरा ही कमरा है और ये तेरी टेबल यहां बैठ के तू पढ़ाई करता है और ये देख तेरी ड्राइंग बुक तेरे कलर्स यहां पर तू चित्र बनाता है कभी कभी....
अभय – क्या मै इस कमरे में अकेला रहता हु और आप कहा....
संध्या – मेरा कमरा दूसरी तरफ है....
अभय – ओह....
संध्या –(अभय के मायूसी भरे जवाब को सुन) चल तुझे मै अपना कमरा दिखाती हु....
बोल के अभय को अपना कमरा दिखाने लेके चली गई अपने कमर में आते ही....
संध्या –(कमरे में आते ही) ये मेरा कमरा है....
अभय – (संध्या के आलीशान कमरे को देखते ही) बहुत खूबसूरत है आपका कमरा (मनन के साथ एक बच्चे की तस्वीर को देख के) ये तस्वीर किसकी है....
संध्या – इस तस्वीर में तू और तेरे पिता जी है....
अभय – (तस्वीर को देख) बहुत सुंदर है तस्वीर....
संध्या – एक बात पूछूं तेरे से....
अभय – हा....
संध्या – तू इस कमरे में रहेगा मेरे साथ....
अभय – हा मै भी यही पूछना चाहता था आपसे अगर आपको कोई एतराज ना हो....
शालिनी – भला संध्या को क्या एतराज होगा ये तो बहुत अच्छी बात है तू अब से संध्या के कमरे में रहेगा अब खुश....
संध्या – मै नौकर को बोल के तेरा सामान यही रखवा देती हु ठीक है तू जाके फ्रेश होके तैयार होजा साथ में खाना खाएगे....
बोल कर संध्या अभय का सामान अपने कमरे में रखवा देती है जबकि इस तरफ नीचे हॉल में सबके साथ राज , राजू और लल्ला सबसे अलग खड़े होके बाते कर रहे थे....
राजू – अब क्या करने का सोच रहा है भाई....
राज – मै यही सोच रहा हूँ इतनी देर से ये लड़की कौन है यार....
लल्ला – अबे चांदनी भाभी कम पड़ गई क्या तुझे जो तू उस लड़की के लिए सोच रहा है....
राज – अबे वो बात नहीं है यार चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा है लेकिन याद नहीं आ रहा है कहा देख है इसे....
राजू – बेटा तेरा मन भटक रहा है सच तो ये है समझा....
लल्ला – एक काम कर गीता काकी से पूछ ले पता चल जाएगा तुझे....
राज – यहां से जाने के बाद बात करता हू मा से मुझे तो चिंता अभय की हो रही है यार....
राजू – हा जब से हम आय है यहां पर तब से देख रहा हूँ मैं ये अमनवा और रमन दोनो चुप चाप बैठे है जरूर इनके दिमाग कुछ तो चल रहा होगा....
लल्ला – तुम दोनो को सच में लगता है ये दोनों ऐसा कुछ करेंगे अभय के साथ....
राज – कोई भरोसा नहीं इन दोनों बाप बेटों का वैसे भी इस वक्त अभय Mobile without Memory card है कुछ भी कर सकते है ये दोनों अब उसके साथ....
राजू – मै तो बोलता हूँ ठकुराइन से बात कर लेते है एक बार इस बारे में....
राज – तुम दोनो ने एक बात गौर की....
लल्ला – अब तुझे क्या याद आ गया भाई....
राज – कुछ नहीं यार वो अस्पताल में शालिनी जी और मां जिस बात पर मुस्कुरा रहे थे याद है....
राजू – अबे तो उस बात का इस बात से क्या मतलब....
राज – मतलब है बे.....
लल्ला – अच्छा और वो क्या....
राज – जरा एक नजर ऊपर सीढ़ियों की तरफ देखो समझ जाओगे....
राज के बोलते ही राजू और लल्ला ने सीढ़ियों की तरफ देखा जहां अभय नीचे आ रहा था संध्या के साथ उसका हाथ पकड़ के पीछे शालिनी आ रही थी जिसे देख....
राजू – अबे इसमें ऐसी कौन सी बात है अब....
राज – अबे गौर से देख अभय ठकुराइन के साथ नीचे आ रहा है उसका हाथ पकड़ के इससे पहले तूने देखा अभय को ठकुराइन के साथ हाथ पकड़ के चलते हुए....
लल्ला – अबे हा यार ये तो बात है....
राजू – ओह तेरी तो इसीलिए गीता काकी और शालिनी जी इस बात को लेके मुस्कुरा रही थी तो ये मतलब था दोनो का ताकि अभय ठकुराइन के साथ मिल के रहे बिना नफरत के तभी....
राज – समझदार हो गया है बे तू....
अभय , संध्या और शालिनी के साथ नीचे आते ही....
अलीता – (मुस्कुराते हुए अभय से) आइए देवर जी (डिनर टेबल की कुर्सी बाहर खींच के) बैठिए और संभालिए अपनी जिम्मेदारी....
संध्या – (मुस्कुरा के) तुम भी ना अलीता अभी तो आया है अस्पताल से ठीक होके आते ही मजाक करना शुरू कर दिया....
अलीता –(मुस्कुरा के) चाची जी ये तो भाभी का हक है अपने प्यारे देवर से मजाक करने का क्यों अभय बुरा तो नहीं लगा तुम्हे....
अभय – (मुस्कुरा के) नहीं भाभी....
अलीता – बहुत अच्छी बात है अब कैसा है दर्द....
अभय – अभी आराम है भाभी वैसे भाभी वो भैया कहा है दिख नहीं रहे है....
अलीता – वो काम से गए है अपने गांव कुछ दिन बाद आ जाएंगे....
संध्या – ऐसा क्या काम आ गया अर्जुन को जल्दी चला गया वो....
अलीता – पता नहीं चाची जी बस बोल के गए है कुछ दिन में आ जाऊंगा जल्दी....
अभय – (संध्या से) मां....
अभय के मू से मां सुन सब अभय को देखने लगे....
संध्या –(आंख में एक बूंद आंसू लिए खुश होके) हा...हा...एक बार फिर से बोल....
अभय – मां , क्या हुआ मां मैने कुछ गलत बोल दिया क्या....
संध्या –(अपने आंसू पोछ खुशी से) नहीं कुछ गलत नहीं बोला तूने....
अभय – तो आपके आंख में आंसू क्यों....
संध्या – ऐसे ही तू बता क्या बोल रहा था....
अभय – आपने पढ़ाई के लिए बताया मै क्या पढ़ाई करता हू अभी....
संध्या – तू कॉलेज में पढ़ाई करता है अभी पहला साल है तेरा कॉलेज में क्यों क्या हुआ....
अभय – वो आगे की पढ़ाई के लिए....
संध्या – तू चिंता मत कर पढ़ाई की पहले पूरी तरह ठीक हो जा तू उसके बाद पढ़ाई शुरू करना....
शनाया – हा अभय तुम पढ़ाई की बिल्कुल चिंता मत करो ठीक होते ही मैं मदद करूंगी पढ़ाई में तुम्हारी....
शालिनी – हा बिल्कुल अभय शनाया पहले भी तुझे पढ़ा चुकी है और अब तो तेरे कॉलेज की प्रिंसिपल है वो और तेरे ये तीनों दोस्त भी साथ है तेरे....
शालिनी की बात सुन राजू , राज और लल्ला ने मुस्कुरा के अभय को हा में इशारा किया जिसे देख अभय भी हल्का मुस्कुरा दिया....
ललिता – लल्ला तू बाकी सब बाते छोड़ खाना खा के बता कैसा बना है खाना....
अभय – (खाने का एक निवाला खा के) पराठे बहुत अच्छे बने है चाची....
ललिता – (3 पराठे अभय की प्लेट में रख के) तो जल्दी खा ले....
अभय – चाची ये बहुत ज्यादा है....
ललिता – ज्यादा कहा है लल्ला 4 पराठे तो तू चुटकी में खा जाया करता था वैसे भी तुझे तो दीदी के हाथ के बने पराठे इतने अच्छे लगते है 6 पराठे खाने के बाद भी और पराठे मांगता था खाने को....
ललिता की बात सुन अभय मुस्कुरा रहा था जिसे देख सबके साथ संध्या भी मुस्कुरा के अभय को देखे जा रही थी....
अभय – (2 पराठे खाने के बाद) चाची पेट भर गया अब और मन नहीं हो रहा खाने का....
ललिता – लल्ला देसी घी के बनाए है तेरे लिए खा ले ना तभी तो जल्दी ठीक होगा ना....
अभय – नहीं चाची अब नहीं खा पाऊंगा नहीं तो पचेगा नहीं....
अभय की पचेगा वाली बात सुन जहां सब मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपनी पुरानी सोच में चली गई एक वक्त था जब अभय 4 पराठे खाने के बाद और पराठे मांगता था तब संध्या उसे ताना देती थी जिसके बाद अभय पलट के नहीं मांगता पराठा खाने को और फिर जब काफी साल बाद अभय उसे मिला था तब अभय ने यही कहा था कि (मेरा 2 रोटी से भला हो जाता है तेरे हवेली का देसी घी तुझे मुबारक हो मुझ पचेगा भी नहीं तेरे हवेली का देसी घी) इन बातों को याद कर जाने कैसे संध्या की आंख से आसू आ गया जिसे देख....
अभय – तेरी आंख में फिर से आंसू क्यों मां....
संध्या – कुछ नहीं ऐसे ही तू पराठे खा ले तभी तो ताकत आएगी जल्दी ठीक होगा तू....
अभय – (संध्या की बात सुन उसके आसू पोछ) ठीक है लेकिन फिर से तेरी आंख में आसू नहीं आएगा तो , मेरा मतलब आपके आंख से आंसू....
संध्या –(मुस्कुरा के बीच में) कोई बात नहीं तू ऐसे ही बात करता है , आप नहीं तू करके....
अभय – ठीक है....
सबने खाना खाया साथ में जिसके बाद गीता देवी संध्या से विदा लेके वापस जाने लगी तभी....
संध्या – दीदी कल गांव में पंचायत बुलाई है आपने कोई काम है क्या....
गीता देवी – नहीं संध्या कोई खास काम नहीं है महीने की आखिर में होने वाली पंचायत है ये बस क्यों क्या हुआ....
संध्या – कुछ नहीं दीदी अभय को अकेला छोड़ के....
गीता देवी – (मुस्कुरा के बीच में) तो एक काम कर उसे भी साथ लेके आजाना तू पूरा गांव भी मिल लेगा अभय से वैसे भी अब से पहले किसी को कहा पता था अभय के बारे में और अब तो सब जान गए है सब मिल लेगे उससे....
संध्या –ठीक है दीदी मै लेके आऊंगी अभय को और (लड़की को गीता के साथ देख के) ये आपके साथ अकेले....
गीता देवी – (संध्या का हाथ पकड़ के) मै कॉल कर के बात करती हु तेरे से तू अभय का ध्यान रख बस....
संध्या – ठीक है दीदी....
बोल के गीता देवी वो लड़की , राज , राजू और लल्ला चले गए रस्ते में....
राजू – (राज से इशारे में) पूछ ना बे....
राज – (गीता देवी से) मा वैसे ये कौन है....
गीता देवी – (राज को देख के) तूने पहचाना नहीं अभी तक इसे....
राज – नहीं मा मुझे नहीं याद कौन है ये....
घर आते ही राजू और लल्ला अपने घर की तरफ निकल गए गीता देवी कमरे में चली गई जिसके बाद....
राज – (लड़की से) क्या मै आपको जनता हूँ....
लड़की – मुझे क्या पता....
राज – आपको देख के ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने पहले....
लड़की – (अपनी नाक सिकुड़ के) मै क्या जानू आपको ऐसा लगता है या वैसा हुह हा नहीं तो....
बोल के लड़की अन्दर कमरे में चली गई गीता देवी के पास उसके जाते ही राज उसकी कही बात सोचने लगा जिसके बाद....
राज – हा नहीं तो बड़ा अजीब सा तकिया कलाम है (अचानक से कुछ याद आते ही) दामिनी ये यहां पर....
अन्दर कमरे में जाते ही जहां गीता देवी और लड़की बैठ के बात कर रहे थे....
राज – (कमरे मे आते ही लड़की से) तुम दामिनी हो ना....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) आ गया याद तुझे....
राज – मां लेकिन ये तो शहर गई थी पढ़ाई करने फिर....
गीता देवी – ये सब बाते बाद में करना अब ये यही रहेगी हमारे साथ और तेरे साथ कॉलेज भी जाया करेगी....
राज – AAAAAAAAAYYYYYYYYEEEEEEEE मेरे साथ....
गीता देवी – हा तेरे साथ अब जाके तू आराम कर हमे भी करने दे आराम बाकी बाते तेरे बाबा बताएंगे तुझे....
इस तरफ हवेली में खाना खाने के बाद सब कमरे में चले गए थे आराम करने लेकिन एक कमरे में....
रमन – तो आ गई तू आखिरकार हवेली में....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) सब आपकी मेहरबानी से हुआ है ये....
रमन – (मुस्कुरा के) मै जनता था मेरी ये चाल आसानी से काम कर जाएगी इसीलिए तुझे बीमारी का नाटक करने के लिए कहा था मैने लेकिन तू सच में बीमार कैसे हो गई थी....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) वही पुराना तरीका अपनाया था मैने प्याज को छील के दोनो हाथों के बागली में रख दिया था मैने सुबह तक बुखार बहुत तेज हो गया था मुझे तभी पूनम को सब समझा दिया था मैने तभी पहले आपके पास आई फिर अमन के पास उसी वक्त जब अभय इससे थोड़ी दूर खड़ा था अपने दोस्तों के साथ उनका ध्यान पूनम पे ही था और पूनम ने वैसा ही किया और रोते हुए निकल गई कॉलेज से बाहर और तभी उसने सत्या बाबू को उसकी तरफ आता देखा तभी उसने कुवै में छलांग लगा दी और बेचारा सत्या शर्मा अपने भोले पन में ये बात भूल गया कि पूनम को तैरना आता है इस बात से बेखबर पूनम को बचाने के लिए कुवै कूद गया उसे बाहर निकाल के अस्पताल ले गया और पूनम की बातों से ये समझ बैठा कि पूनम ने मजबूरी में आके ये कदम उठाया....
रमन – और इस चक्कर में अमन को बहुत मार पड़ी थी....
उर्मिला – माफ करना ठाकुर साहब मै सच में अंजान थी इस बात से....
रमन – पूनम कहा है....
पूनम – मै यही हूँ पिता जी....
रमन – शाबाश बेटी गजब की एक्टिंग की तुमने पर ध्यान रहे ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए और ध्यान से हवेली में सबके सामने मुझे पिता जी मत बोलना उनके सामने तुम दोनो ऐसा दिखावा करना जिससे लगे तुम दोनो को मुझसे नफरत है....
उर्मिला – लेकिन इस तरह कितने दिन तक हम ऐसा करेंगे....
रमन – परेशान मत हो ज्यादा दिन तक नहीं करना पड़ेगा ये सब बस इस बार तसल्ली से धीरे धीरे संध्या को अपनी मुट्ठी में करना होगा इसीलिए तुझे यहां लाया हूँ मैं ताकि तेरे सहारे संध्या एक बार मेरी मुट्ठी में आजाय उसके बाद उसके पिल्ले को रस्ते से हटा दूंगा उसके बाद ललिता फिर मालती....
उर्मिला – आप अपने भाई प्रेम को भूल रहे हो ठाकुर साहब....
रमन – उस बेचारे को नुकसान पहुंचा के भी क्या फायदा होगा मुझे एक तो मेरा छोटा भाई ऊपर से वो बेचारा इतना भोला है मनन के जाने के बाद कसम खाली थी उसने की मरते दम तक इस हवेली में नहीं आएगा जब तक मां नहीं मिल जाती बेचारा तब से हवेली के बाहर खेत में ही रहता है बिना किसी सुख सुविधा के....
उर्मिला – तब तो आपको उसे भी अपने साथ मिला लेना चाहिए था एक से भले दो हो जाते....
रमन – अच्छा तो अब तुझे मै कम पड़ता हु क्या जो दूसरे की जरूरत पड़ रही है तुझे....
उर्मिला – ऐसी बात नहीं है ठाकुर साहब अगर आप बोलेंगे तो आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ मै....
रमन – जनता हूँ मेरी जान बस अपने दिमाग से प्रेम का ख्याल निकाल दे उसे इन सब में शामिल करना रिस्क होगा जाने उसके दिमाग में क्या है आज तक नहीं जान पाया मै इस बारे में उससे बात करने की सोचना भी मत वर्ना सारे किए कराए पे पानी फिर जाएगा हमारे....
उर्मिला – ठीक है ठाकुर साहब अब आगे क्या करना है....
रमन – इंतजार कर सही मौके पर तुझे बताऊंगा मै क्या करना है तुझे तब तक तू संध्या के करीब होती रह बस....
बोल के रमन कमरे से निकल गया इधर खाना खाने के बाद अभय ने दवा खाई जिस वजह से जल्दी नीद आ गई उसे जिसे देख संध्या मुस्कुरा के साथ में सो गई शाम होते ही संध्या उठ के तैयार होके नीचे हॉल में आ गई जहां सभी औरते पहले से बैठी थी....
शालिनी – अभय जगा नहीं अभी तक....
सोनिया – (बीच में) दवा का असर है इसीलिए नीद नहीं खुली होगी उसकी....
मालती – इतना सोना सही है क्या....
सोनिया – दवा के असर ही सही जितना ज्यादा आराम करेगा पेन में आराम मिलेगा उसे....
ललिता – वैसे कितने दिन तक चलेगी दावा....
सोनिया – 1 से 2 दिन चलेगी बाकी हर 2 दिन में पट्टी कर दूंगी बस....
इससे पहले ये और कुछ बात करते पायल आ गई अपने मां बाप के साथ जिसे देख....
संध्या – (पायल को देख) अरे पायल आ गई तू तेरा इंतजार कर रही थी मैं आजा....
पायल को अपने साथ बैठा दिया तभी उसके मां बाप खड़े थे तब....
संध्या – अरे तुम दोनो खड़े क्यों हो बैठो ना....
मगरू – ठकुराइन हम कैसे....
ललिता – सोचा मत करो इतना भी बैठ जाओ आप दोनो....
दोनो के बैठते ही....
संध्या – (पायल से) तू मेरे साथ चल ऊपर कमरे में कुछ दिखाती हूँ....
बोल के संध्या पायल को अपने कमरे मे ले गई जहां अभय सोया हुआ था उसे देख....
संध्या – देख रही है पायल इसके चेहरे को सोते हुए कितना मासूम सा बच्चा लग रहा है ये , पायल अभय को होश में आने के बाद उसे कुछ याद नहीं है अपनी यादाश्त खो चुका है वो....
पायल – (हैरानी से) ये आप क्या बोल रही है ठुकराई.....
संध्या – यही सच है पायल इसे तो अपने जिगरी दोस्तों तक को नहीं पहचाना और आज जब तू अस्पताल में मिली उसके बाद भी इसने नहीं पहचाना तुझे और मुझसे तेरे लिए पूछा कौन है ये....
पायल – ऐसा मत बोलिए ठकुराइन बोल दीजिए ये मजाक है.....
संध्या – काश ये मजाक ही होता मुझे नहीं पता इसकी यादाश्त कब वापस आएगी (मुस्कुरा के) लेकिन मेरा वादा है तुझसे ये सिर्फ तेरा ही रहेगा बस और जल्द ही कॉलेज भी आने लगेगा तब तक के लिए नई यादें बनाना अपने अभय के साथ वैसे भी मुझे नहीं लगता कि अभय तुझे ना नहीं बोलेगा कभी....
संध्या की बात पर पायल शर्म से मुस्कुराने लगी उसके बाद दोनों साथ में नीचे आ गए कुछ समय बाद पायल अपने मां बाप के साथ सबसे विदा लेके चली गई जबकि अभय दवा के असर की वजह से काफी देरी से उठा सबके साथ खाना खाने के बाद कमरे मे वापस आके संध्या के साथ बेड में लेट के बाते करने लगा....
अभय – मुझे शाम को जल्दी जगा देती....
संध्या – तुझे दर्द में आराम मिल जाए जल्दी इसीलिए नहीं जगाया क्यों क्या हुआ....
अभय – इतना सोया हूँ मां अब नीद नहीं आ रही है मुझे....
संध्या – मैने भी आराम कल से बहुत किया मुझे भी नहीं आ रही नीद....
अभय – अस्पताल में मेरी वजह से बहुत परेशान होगाई होगी ना....
संध्या – ऐसा मत बोल रे तेरी वजह से क्यों परेशान होने लगी मैं तेरे वापस आने से मुझमें तो फिर से जान वापस आ गई है....
अभय – मेरे आने से मतलब....
संध्या – (हड़बड़ाहट में) वो....मै....मै....ये बोल रही थी तू अस्पताल से आ गया है ना इसीलिए....
अभय – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) क्या हुआ....
संध्या – नहीं कुछ भी तो नहीं....
अभय – तू कुछ छिपा रही है ना बात क्या बात है....
संध्या – नहीं रे एसी कोई बात नहीं है....
अभय – तो बता ना क्या छुपा रही है तू....
संध्या – कोई बात नहीं है रे....
अभय – तो बता दे ना अपने दिल की बात देख मुझे तो कुछ पता नहीं मेरे बारे में मै वही मान लूंगा जो तू बोलेगी बता दे क्या बात है....
संध्या – (अभय को कुछ देर देखती रही) डर लगता है मुझे कही तू रूठ तो नहीं जाएगा फिर से....
अभय – क्या फिर से क्या मतलब है तेरा....
संध्या – (अभय की बात सुन आंख में आंसू के साथ) कही तू फिर से मुझे छोड़ के ना चला जाय....
अभय – (मुस्कुरा के संध्या के आसू पोछ) तू तो मेरी अपनी है तुझे अकेला कैसे छोड़ के जा सकता हूँ मैं (संध्या के गाल पे हाथ रख के) तेरी कसम खा के बोलता हु मर जाऊंगा लेकिन तुझे कभी छोड़ के नहीं जाऊंगा मै....
संध्या – (अभय के मू पे हाथ रख के) मारने की बात मत बोल रे तेरी खुशी के लिए मेरी जिंदगी कुर्बान....
अभय – (मुस्कुरा के) चल छोड़ इन बातों को एक काम कर पहले तू मुझे अपने बारे में बता फिर मेरे बारे में बताना....
संध्या –(मुस्कुरा के) क्या बताऊं....
अभय – सब कुछ....
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जारी रहेगा
Bahut hi shaandar update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....UPDATE 52
अभय – वो माफ करिएगा गलती से बोल दिया मैने....
शालिनी – (मुस्कुरा के) एक शर्त पे....
अभय – क्या....
शालिनी – अब से तू मुझे सिर्फ मां बोले तो....
शालिनी की बात सुन अभय ने संध्या को देखा जैसे पूछ रहा हो जिसे समझ संध्या ने मुस्कुरा के हा में सिर हिलाया जिसके बाद....
अभय – ठीक है मां....
शालिनी – (मुस्कुरा के) अच्छा तू बैठ यहां मै अभी खाने को कुछ लाती हु तेरे लिए....
अर्जुन – (बीच में शालिनी से) आप बैठिए मै लेके आता हु....
बोल के अर्जुन निकल गया जबकि संध्या और शालिनी को छोड़ अभय बाकी लोगो को देखने लगा जिसे समझ के....
शालिनी – (गीता देवी की तरफ इशारा करके) ये गीता देवी है तू इनको बचपन से बड़ी मां बोलता है (तीनों दोस्तो की तरफ इशारा करके) ये है राज , राजू और लल्ला तेरे बचपन के दोस्त है ये तीनों और ये है चांदनी बचपन से तू इसको....
अभय – दीदी....
अभय के दीदी बोलते ही एक बार फिर सभी हैरान थे....
अभय – माफ करना अनजाने में मेरे मू से निकल गया....
संध्या – कोई बात नहीं तू बचपन से इसे दीदी बोलता आया है शायद इसीलिए....
चांदनी –(मुस्कुरा के अभय के गाल पे हाथ फेर के) मुझे बहुत अच्छा लगा....
शालिनी – और ये है सत्या शर्मा तू इनको बचपन से बाबा बोलता है गीता देवी इनकी बीवी और राज इनका बेटा है....
अभय – (सबके बारे में जानने के बाद गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख) ये कौन है....
गीता देवी – ये (सत्या बाबू) इनके दोस्त की बेटी है कल आई है गांव में मिलने हमसे....
तभी अर्जुन कुछ खाने को ले के आता है शालिनी को देके कमरे से बाहर चला जाता है जिसे देख....
अभय – (अर्जुन को देख जो कमरे से बाहर चल गया) ये कौन है....
संध्या – ये तेरे पिता के दोस्त कमल ठाकुर के बेटे अर्जुन ठाकुर है तेरे बड़े भाई....
अभय – (संध्या की बात सुन कमरे में इधर उधर देखते हुए) पिता जी वो कहा है दिख नहीं रहे है....
अभय के इस सवाल से सबके चेहरे से जैसे हसी गायब सी हो गई क्योंकि अभय से शायद किसी को उम्मीद नहीं थी इस सवाल की इस मौके पर....
गीता देवी – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) बेटा तेरे पिता जी तेरे बचपन में ही इस दुनिया से चले गए थे....
अभय – (मायूसी से) हम्ममम....
संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) मै हूँ ना तेरे साथ....
संध्या को देख अभय हल्का सा स्माइल करता है जिसके बाद....
शालिनी – (बात बदलते हुए) चलो अच्छा पहले कुछ खा लो तुम फिर जल्दी से चलते है घर पर सब इंतजार कर रहे होगे हम लोगों का....
संध्या – अरे हा मैंने हवेली में किसी को बताया नहीं....
शालिनी – कोई बात नहीं मैने हवेली में बता दिया सबको अभय होश में आगया है और हम सब हवेली आ रहे है....
इधर कमरे के बाहर खड़ी सोनिया ये नजारा देख रही थी गौर से जिसे देख शालिनी बाहर चलीं गई....
शालिनी – (सोनिया से) तुमने देखा अभी अभय ने मुझे मां बोला और बिना बताए चांदनी को दीदी....
सोनिया – जी जिसका मतलब ये है कि अभय का लगाव अपने दोस्तों से भी इतना नहीं जितना आपसे और चांदनी से है इसीलिए अभय के सिर पर आपका हाथ लगते ही आपको मां बोल दिया और चांदनी का देखा सबने लेकिन अपनी असली मां तो क्या अपने जिगरी दोस्तो तक को नहीं पहचान पाया....
शालिनी – मतलब क्या है तुम्हारा....
सोनिया – मैने पहले ही कहा आपसे इस वक्त अभय एक खाली किताब है जिसमें आप जो लिखोगे उसे वही सच मानेगा अब ये आप सब के ऊपर है कि आप उसे क्या बोलते हो क्या नहीं....
शालिनी – क्या इन सब से अभय आगे चल के कुछ गलत तो नहीं समझेगा उसकी यादाश्त वापस आने के बाद....
सोनिया – मुझे लगता है आप या चांदनी अगर उसके साथ रहोगे जब तक ऐसी स्थिति में तब उसे हैंडल करना आसान होगा क्योंकि हम जिससे प्यार करते है उसकी बात कभी नहीं ताल सकते बाकी मैं तो साथ हूँ आप सबके अभय की दवा का ध्यान मै रखूंगी....
शालिनी – ठीक है कुछ देर बाद हम हवेली के लिए निकलेंगे सब....
कुछ वक्त के बाद सब अस्पताल से हवेली के लिए निकल रहे थे बाहर सबके गाड़ी में बैठने के बाद संध्या गाड़ी में बैठने जा रही थी तभी सामने से आती पायल जो अपने मा बाप के साथ आ रही थी अस्पताल की तरफ जिसे देख संध्या रुक गई....
संध्या – (पायलं को अपने मा बाप के साथ अस्पताल में आता देख पायल से) तू आ गई अच्छा हुआ अगर नहीं आती तो मैं तेरे पास आने वाली थी....
पायल – जी ठकुराइन वो अभय अब कैसा है....
संध्या – अभय अब ठीक है पायल तू एक काम कर शाम को तू हवेली आना मां बाप के साथ वही बात करती हूँ तेरे से....
पायल – जी ठीक है ठकुराइन....
बोल के पायल गाड़ी में बैठे अभय को देखने लगी जो शालिनी के साथ बैठ बात कर रहा था एक पल के लिए अभय ने पलट के पायल को देख के वापस शालिनी से बात करने लग जो पायल को थोड़ा अजीब सा लगा जिसे ना समझ के इससे पहले आगे कुछ बोलती उसके पिता ने चलने को बोला जिसके बाद पायल अपने मां बाप से साथ वापस चली गई पीछे से सभी अस्पताल के बाहर आते ही सभी गाड़ी में पहले से बैठ गए थे संध्या के गाड़ी में बैठते ही....
अभय – वो कौन थी....
संध्या – तेरी खास दोस्त है शाम को आएगी मिलने हवेली....
अभय – हवेली मतलब....
संध्या – (मुस्कुरा के) चल रहे है वही देख लेना तू खुद ही....
कुछ समय बाद सभी हवेली में आ गए तभी हवेली के दरवाजे में सबके आते ही ललिता , मालती , सायरा , शनाया , अलीता , निधि , रमन और अमन खड़े थे हवेली में आने से पहले शालिनी ने सभी को अभय के बारे में बता दिया था हवेली के अन्दर आते ही शालिनी और संध्या ने मिल के अभय को सबसे मिलवाया....
संध्या –(अभय से) चल मेरे साथ तेरे कमरे में तू फ्रेश होके तैयार होजा....
अभय – मेरा कमरा....
संध्या – (मुस्कुरा के) हा तेरा कमरा चल मेरे साथ....
बोल के संध्या सीडीओ से अभय का हाथ पकड़ के उसे लेके जाने लगी पीछे से शालिनी भी साथ आ गई अपने कमरे में आते ही....
अभय – (कमरे को देख) इतना बड़ा कमरा क्या ये सच में मेरा कमरा है....
संध्या – हा ये तेरा ही कमरा है और ये तेरी टेबल यहां बैठ के तू पढ़ाई करता है और ये देख तेरी ड्राइंग बुक तेरे कलर्स यहां पर तू चित्र बनाता है कभी कभी....
अभय – क्या मै इस कमरे में अकेला रहता हु और आप कहा....
संध्या – मेरा कमरा दूसरी तरफ है....
अभय – ओह....
संध्या –(अभय के मायूसी भरे जवाब को सुन) चल तुझे मै अपना कमरा दिखाती हु....
बोल के अभय को अपना कमरा दिखाने लेके चली गई अपने कमर में आते ही....
संध्या –(कमरे में आते ही) ये मेरा कमरा है....
अभय – (संध्या के आलीशान कमरे को देखते ही) बहुत खूबसूरत है आपका कमरा (मनन के साथ एक बच्चे की तस्वीर को देख के) ये तस्वीर किसकी है....
संध्या – इस तस्वीर में तू और तेरे पिता जी है....
अभय – (तस्वीर को देख) बहुत सुंदर है तस्वीर....
संध्या – एक बात पूछूं तेरे से....
अभय – हा....
संध्या – तू इस कमरे में रहेगा मेरे साथ....
अभय – हा मै भी यही पूछना चाहता था आपसे अगर आपको कोई एतराज ना हो....
शालिनी – भला संध्या को क्या एतराज होगा ये तो बहुत अच्छी बात है तू अब से संध्या के कमरे में रहेगा अब खुश....
संध्या – मै नौकर को बोल के तेरा सामान यही रखवा देती हु ठीक है तू जाके फ्रेश होके तैयार होजा साथ में खाना खाएगे....
बोल कर संध्या अभय का सामान अपने कमरे में रखवा देती है जबकि इस तरफ नीचे हॉल में सबके साथ राज , राजू और लल्ला सबसे अलग खड़े होके बाते कर रहे थे....
राजू – अब क्या करने का सोच रहा है भाई....
राज – मै यही सोच रहा हूँ इतनी देर से ये लड़की कौन है यार....
लल्ला – अबे चांदनी भाभी कम पड़ गई क्या तुझे जो तू उस लड़की के लिए सोच रहा है....
राज – अबे वो बात नहीं है यार चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा है लेकिन याद नहीं आ रहा है कहा देख है इसे....
राजू – बेटा तेरा मन भटक रहा है सच तो ये है समझा....
लल्ला – एक काम कर गीता काकी से पूछ ले पता चल जाएगा तुझे....
राज – यहां से जाने के बाद बात करता हू मा से मुझे तो चिंता अभय की हो रही है यार....
राजू – हा जब से हम आय है यहां पर तब से देख रहा हूँ मैं ये अमनवा और रमन दोनो चुप चाप बैठे है जरूर इनके दिमाग कुछ तो चल रहा होगा....
लल्ला – तुम दोनो को सच में लगता है ये दोनों ऐसा कुछ करेंगे अभय के साथ....
राज – कोई भरोसा नहीं इन दोनों बाप बेटों का वैसे भी इस वक्त अभय Mobile without Memory card है कुछ भी कर सकते है ये दोनों अब उसके साथ....
राजू – मै तो बोलता हूँ ठकुराइन से बात कर लेते है एक बार इस बारे में....
राज – तुम दोनो ने एक बात गौर की....
लल्ला – अब तुझे क्या याद आ गया भाई....
राज – कुछ नहीं यार वो अस्पताल में शालिनी जी और मां जिस बात पर मुस्कुरा रहे थे याद है....
राजू – अबे तो उस बात का इस बात से क्या मतलब....
राज – मतलब है बे.....
लल्ला – अच्छा और वो क्या....
राज – जरा एक नजर ऊपर सीढ़ियों की तरफ देखो समझ जाओगे....
राज के बोलते ही राजू और लल्ला ने सीढ़ियों की तरफ देखा जहां अभय नीचे आ रहा था संध्या के साथ उसका हाथ पकड़ के पीछे शालिनी आ रही थी जिसे देख....
राजू – अबे इसमें ऐसी कौन सी बात है अब....
राज – अबे गौर से देख अभय ठकुराइन के साथ नीचे आ रहा है उसका हाथ पकड़ के इससे पहले तूने देखा अभय को ठकुराइन के साथ हाथ पकड़ के चलते हुए....
लल्ला – अबे हा यार ये तो बात है....
राजू – ओह तेरी तो इसीलिए गीता काकी और शालिनी जी इस बात को लेके मुस्कुरा रही थी तो ये मतलब था दोनो का ताकि अभय ठकुराइन के साथ मिल के रहे बिना नफरत के तभी....
राज – समझदार हो गया है बे तू....
अभय , संध्या और शालिनी के साथ नीचे आते ही....
अलीता – (मुस्कुराते हुए अभय से) आइए देवर जी (डिनर टेबल की कुर्सी बाहर खींच के) बैठिए और संभालिए अपनी जिम्मेदारी....
संध्या – (मुस्कुरा के) तुम भी ना अलीता अभी तो आया है अस्पताल से ठीक होके आते ही मजाक करना शुरू कर दिया....
अलीता –(मुस्कुरा के) चाची जी ये तो भाभी का हक है अपने प्यारे देवर से मजाक करने का क्यों अभय बुरा तो नहीं लगा तुम्हे....
अभय – (मुस्कुरा के) नहीं भाभी....
अलीता – बहुत अच्छी बात है अब कैसा है दर्द....
अभय – अभी आराम है भाभी वैसे भाभी वो भैया कहा है दिख नहीं रहे है....
अलीता – वो काम से गए है अपने गांव कुछ दिन बाद आ जाएंगे....
संध्या – ऐसा क्या काम आ गया अर्जुन को जल्दी चला गया वो....
अलीता – पता नहीं चाची जी बस बोल के गए है कुछ दिन में आ जाऊंगा जल्दी....
अभय – (संध्या से) मां....
अभय के मू से मां सुन सब अभय को देखने लगे....
संध्या –(आंख में एक बूंद आंसू लिए खुश होके) हा...हा...एक बार फिर से बोल....
अभय – मां , क्या हुआ मां मैने कुछ गलत बोल दिया क्या....
संध्या –(अपने आंसू पोछ खुशी से) नहीं कुछ गलत नहीं बोला तूने....
अभय – तो आपके आंख में आंसू क्यों....
संध्या – ऐसे ही तू बता क्या बोल रहा था....
अभय – आपने पढ़ाई के लिए बताया मै क्या पढ़ाई करता हू अभी....
संध्या – तू कॉलेज में पढ़ाई करता है अभी पहला साल है तेरा कॉलेज में क्यों क्या हुआ....
अभय – वो आगे की पढ़ाई के लिए....
संध्या – तू चिंता मत कर पढ़ाई की पहले पूरी तरह ठीक हो जा तू उसके बाद पढ़ाई शुरू करना....
शनाया – हा अभय तुम पढ़ाई की बिल्कुल चिंता मत करो ठीक होते ही मैं मदद करूंगी पढ़ाई में तुम्हारी....
शालिनी – हा बिल्कुल अभय शनाया पहले भी तुझे पढ़ा चुकी है और अब तो तेरे कॉलेज की प्रिंसिपल है वो और तेरे ये तीनों दोस्त भी साथ है तेरे....
शालिनी की बात सुन राजू , राज और लल्ला ने मुस्कुरा के अभय को हा में इशारा किया जिसे देख अभय भी हल्का मुस्कुरा दिया....
ललिता – लल्ला तू बाकी सब बाते छोड़ खाना खा के बता कैसा बना है खाना....
अभय – (खाने का एक निवाला खा के) पराठे बहुत अच्छे बने है चाची....
ललिता – (3 पराठे अभय की प्लेट में रख के) तो जल्दी खा ले....
अभय – चाची ये बहुत ज्यादा है....
ललिता – ज्यादा कहा है लल्ला 4 पराठे तो तू चुटकी में खा जाया करता था वैसे भी तुझे तो दीदी के हाथ के बने पराठे इतने अच्छे लगते है 6 पराठे खाने के बाद भी और पराठे मांगता था खाने को....
ललिता की बात सुन अभय मुस्कुरा रहा था जिसे देख सबके साथ संध्या भी मुस्कुरा के अभय को देखे जा रही थी....
अभय – (2 पराठे खाने के बाद) चाची पेट भर गया अब और मन नहीं हो रहा खाने का....
ललिता – लल्ला देसी घी के बनाए है तेरे लिए खा ले ना तभी तो जल्दी ठीक होगा ना....
अभय – नहीं चाची अब नहीं खा पाऊंगा नहीं तो पचेगा नहीं....
अभय की पचेगा वाली बात सुन जहां सब मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपनी पुरानी सोच में चली गई एक वक्त था जब अभय 4 पराठे खाने के बाद और पराठे मांगता था तब संध्या उसे ताना देती थी जिसके बाद अभय पलट के नहीं मांगता पराठा खाने को और फिर जब काफी साल बाद अभय उसे मिला था तब अभय ने यही कहा था कि (मेरा 2 रोटी से भला हो जाता है तेरे हवेली का देसी घी तुझे मुबारक हो मुझ पचेगा भी नहीं तेरे हवेली का देसी घी) इन बातों को याद कर जाने कैसे संध्या की आंख से आसू आ गया जिसे देख....
अभय – तेरी आंख में फिर से आंसू क्यों मां....
संध्या – कुछ नहीं ऐसे ही तू पराठे खा ले तभी तो ताकत आएगी जल्दी ठीक होगा तू....
अभय – (संध्या की बात सुन उसके आसू पोछ) ठीक है लेकिन फिर से तेरी आंख में आसू नहीं आएगा तो , मेरा मतलब आपके आंख से आंसू....
संध्या –(मुस्कुरा के बीच में) कोई बात नहीं तू ऐसे ही बात करता है , आप नहीं तू करके....
अभय – ठीक है....
सबने खाना खाया साथ में जिसके बाद गीता देवी संध्या से विदा लेके वापस जाने लगी तभी....
संध्या – दीदी कल गांव में पंचायत बुलाई है आपने कोई काम है क्या....
गीता देवी – नहीं संध्या कोई खास काम नहीं है महीने की आखिर में होने वाली पंचायत है ये बस क्यों क्या हुआ....
संध्या – कुछ नहीं दीदी अभय को अकेला छोड़ के....
गीता देवी – (मुस्कुरा के बीच में) तो एक काम कर उसे भी साथ लेके आजाना तू पूरा गांव भी मिल लेगा अभय से वैसे भी अब से पहले किसी को कहा पता था अभय के बारे में और अब तो सब जान गए है सब मिल लेगे उससे....
संध्या –ठीक है दीदी मै लेके आऊंगी अभय को और (लड़की को गीता के साथ देख के) ये आपके साथ अकेले....
गीता देवी – (संध्या का हाथ पकड़ के) मै कॉल कर के बात करती हु तेरे से तू अभय का ध्यान रख बस....
संध्या – ठीक है दीदी....
बोल के गीता देवी वो लड़की , राज , राजू और लल्ला चले गए रस्ते में....
राजू – (राज से इशारे में) पूछ ना बे....
राज – (गीता देवी से) मा वैसे ये कौन है....
गीता देवी – (राज को देख के) तूने पहचाना नहीं अभी तक इसे....
राज – नहीं मा मुझे नहीं याद कौन है ये....
घर आते ही राजू और लल्ला अपने घर की तरफ निकल गए गीता देवी कमरे में चली गई जिसके बाद....
राज – (लड़की से) क्या मै आपको जनता हूँ....
लड़की – मुझे क्या पता....
राज – आपको देख के ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने पहले....
लड़की – (अपनी नाक सिकुड़ के) मै क्या जानू आपको ऐसा लगता है या वैसा हुह हा नहीं तो....
बोल के लड़की अन्दर कमरे में चली गई गीता देवी के पास उसके जाते ही राज उसकी कही बात सोचने लगा जिसके बाद....
राज – हा नहीं तो बड़ा अजीब सा तकिया कलाम है (अचानक से कुछ याद आते ही) दामिनी ये यहां पर....
अन्दर कमरे में जाते ही जहां गीता देवी और लड़की बैठ के बात कर रहे थे....
राज – (कमरे मे आते ही लड़की से) तुम दामिनी हो ना....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) आ गया याद तुझे....
राज – मां लेकिन ये तो शहर गई थी पढ़ाई करने फिर....
गीता देवी – ये सब बाते बाद में करना अब ये यही रहेगी हमारे साथ और तेरे साथ कॉलेज भी जाया करेगी....
राज – AAAAAAAAAYYYYYYYYEEEEEEEE मेरे साथ....
गीता देवी – हा तेरे साथ अब जाके तू आराम कर हमे भी करने दे आराम बाकी बाते तेरे बाबा बताएंगे तुझे....
इस तरफ हवेली में खाना खाने के बाद सब कमरे में चले गए थे आराम करने लेकिन एक कमरे में....
रमन – तो आ गई तू आखिरकार हवेली में....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) सब आपकी मेहरबानी से हुआ है ये....
रमन – (मुस्कुरा के) मै जनता था मेरी ये चाल आसानी से काम कर जाएगी इसीलिए तुझे बीमारी का नाटक करने के लिए कहा था मैने लेकिन तू सच में बीमार कैसे हो गई थी....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) वही पुराना तरीका अपनाया था मैने प्याज को छील के दोनो हाथों के बागली में रख दिया था मैने सुबह तक बुखार बहुत तेज हो गया था मुझे तभी पूनम को सब समझा दिया था मैने तभी पहले आपके पास आई फिर अमन के पास उसी वक्त जब अभय इससे थोड़ी दूर खड़ा था अपने दोस्तों के साथ उनका ध्यान पूनम पे ही था और पूनम ने वैसा ही किया और रोते हुए निकल गई कॉलेज से बाहर और तभी उसने सत्या बाबू को उसकी तरफ आता देखा तभी उसने कुवै में छलांग लगा दी और बेचारा सत्या शर्मा अपने भोले पन में ये बात भूल गया कि पूनम को तैरना आता है इस बात से बेखबर पूनम को बचाने के लिए कुवै कूद गया उसे बाहर निकाल के अस्पताल ले गया और पूनम की बातों से ये समझ बैठा कि पूनम ने मजबूरी में आके ये कदम उठाया....
रमन – और इस चक्कर में अमन को बहुत मार पड़ी थी....
उर्मिला – माफ करना ठाकुर साहब मै सच में अंजान थी इस बात से....
रमन – पूनम कहा है....
पूनम – मै यही हूँ पिता जी....
रमन – शाबाश बेटी गजब की एक्टिंग की तुमने पर ध्यान रहे ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए और ध्यान से हवेली में सबके सामने मुझे पिता जी मत बोलना उनके सामने तुम दोनो ऐसा दिखावा करना जिससे लगे तुम दोनो को मुझसे नफरत है....
उर्मिला – लेकिन इस तरह कितने दिन तक हम ऐसा करेंगे....
रमन – परेशान मत हो ज्यादा दिन तक नहीं करना पड़ेगा ये सब बस इस बार तसल्ली से धीरे धीरे संध्या को अपनी मुट्ठी में करना होगा इसीलिए तुझे यहां लाया हूँ मैं ताकि तेरे सहारे संध्या एक बार मेरी मुट्ठी में आजाय उसके बाद उसके पिल्ले को रस्ते से हटा दूंगा उसके बाद ललिता फिर मालती....
उर्मिला – आप अपने भाई प्रेम को भूल रहे हो ठाकुर साहब....
रमन – उस बेचारे को नुकसान पहुंचा के भी क्या फायदा होगा मुझे एक तो मेरा छोटा भाई ऊपर से वो बेचारा इतना भोला है मनन के जाने के बाद कसम खाली थी उसने की मरते दम तक इस हवेली में नहीं आएगा जब तक मां नहीं मिल जाती बेचारा तब से हवेली के बाहर खेत में ही रहता है बिना किसी सुख सुविधा के....
उर्मिला – तब तो आपको उसे भी अपने साथ मिला लेना चाहिए था एक से भले दो हो जाते....
रमन – अच्छा तो अब तुझे मै कम पड़ता हु क्या जो दूसरे की जरूरत पड़ रही है तुझे....
उर्मिला – ऐसी बात नहीं है ठाकुर साहब अगर आप बोलेंगे तो आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ मै....
रमन – जनता हूँ मेरी जान बस अपने दिमाग से प्रेम का ख्याल निकाल दे उसे इन सब में शामिल करना रिस्क होगा जाने उसके दिमाग में क्या है आज तक नहीं जान पाया मै इस बारे में उससे बात करने की सोचना भी मत वर्ना सारे किए कराए पे पानी फिर जाएगा हमारे....
उर्मिला – ठीक है ठाकुर साहब अब आगे क्या करना है....
रमन – इंतजार कर सही मौके पर तुझे बताऊंगा मै क्या करना है तुझे तब तक तू संध्या के करीब होती रह बस....
बोल के रमन कमरे से निकल गया इधर खाना खाने के बाद अभय ने दवा खाई जिस वजह से जल्दी नीद आ गई उसे जिसे देख संध्या मुस्कुरा के साथ में सो गई शाम होते ही संध्या उठ के तैयार होके नीचे हॉल में आ गई जहां सभी औरते पहले से बैठी थी....
शालिनी – अभय जगा नहीं अभी तक....
सोनिया – (बीच में) दवा का असर है इसीलिए नीद नहीं खुली होगी उसकी....
मालती – इतना सोना सही है क्या....
सोनिया – दवा के असर ही सही जितना ज्यादा आराम करेगा पेन में आराम मिलेगा उसे....
ललिता – वैसे कितने दिन तक चलेगी दावा....
सोनिया – 1 से 2 दिन चलेगी बाकी हर 2 दिन में पट्टी कर दूंगी बस....
इससे पहले ये और कुछ बात करते पायल आ गई अपने मां बाप के साथ जिसे देख....
संध्या – (पायल को देख) अरे पायल आ गई तू तेरा इंतजार कर रही थी मैं आजा....
पायल को अपने साथ बैठा दिया तभी उसके मां बाप खड़े थे तब....
संध्या – अरे तुम दोनो खड़े क्यों हो बैठो ना....
मगरू – ठकुराइन हम कैसे....
ललिता – सोचा मत करो इतना भी बैठ जाओ आप दोनो....
दोनो के बैठते ही....
संध्या – (पायल से) तू मेरे साथ चल ऊपर कमरे में कुछ दिखाती हूँ....
बोल के संध्या पायल को अपने कमरे मे ले गई जहां अभय सोया हुआ था उसे देख....
संध्या – देख रही है पायल इसके चेहरे को सोते हुए कितना मासूम सा बच्चा लग रहा है ये , पायल अभय को होश में आने के बाद उसे कुछ याद नहीं है अपनी यादाश्त खो चुका है वो....
पायल – (हैरानी से) ये आप क्या बोल रही है ठुकराई.....
संध्या – यही सच है पायल इसे तो अपने जिगरी दोस्तों तक को नहीं पहचाना और आज जब तू अस्पताल में मिली उसके बाद भी इसने नहीं पहचाना तुझे और मुझसे तेरे लिए पूछा कौन है ये....
पायल – ऐसा मत बोलिए ठकुराइन बोल दीजिए ये मजाक है.....
संध्या – काश ये मजाक ही होता मुझे नहीं पता इसकी यादाश्त कब वापस आएगी (मुस्कुरा के) लेकिन मेरा वादा है तुझसे ये सिर्फ तेरा ही रहेगा बस और जल्द ही कॉलेज भी आने लगेगा तब तक के लिए नई यादें बनाना अपने अभय के साथ वैसे भी मुझे नहीं लगता कि अभय तुझे ना नहीं बोलेगा कभी....
संध्या की बात पर पायल शर्म से मुस्कुराने लगी उसके बाद दोनों साथ में नीचे आ गए कुछ समय बाद पायल अपने मां बाप के साथ सबसे विदा लेके चली गई जबकि अभय दवा के असर की वजह से काफी देरी से उठा सबके साथ खाना खाने के बाद कमरे मे वापस आके संध्या के साथ बेड में लेट के बाते करने लगा....
अभय – मुझे शाम को जल्दी जगा देती....
संध्या – तुझे दर्द में आराम मिल जाए जल्दी इसीलिए नहीं जगाया क्यों क्या हुआ....
अभय – इतना सोया हूँ मां अब नीद नहीं आ रही है मुझे....
संध्या – मैने भी आराम कल से बहुत किया मुझे भी नहीं आ रही नीद....
अभय – अस्पताल में मेरी वजह से बहुत परेशान होगाई होगी ना....
संध्या – ऐसा मत बोल रे तेरी वजह से क्यों परेशान होने लगी मैं तेरे वापस आने से मुझमें तो फिर से जान वापस आ गई है....
अभय – मेरे आने से मतलब....
संध्या – (हड़बड़ाहट में) वो....मै....मै....ये बोल रही थी तू अस्पताल से आ गया है ना इसीलिए....
अभय – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) क्या हुआ....
संध्या – नहीं कुछ भी तो नहीं....
अभय – तू कुछ छिपा रही है ना बात क्या बात है....
संध्या – नहीं रे एसी कोई बात नहीं है....
अभय – तो बता ना क्या छुपा रही है तू....
संध्या – कोई बात नहीं है रे....
अभय – तो बता दे ना अपने दिल की बात देख मुझे तो कुछ पता नहीं मेरे बारे में मै वही मान लूंगा जो तू बोलेगी बता दे क्या बात है....
संध्या – (अभय को कुछ देर देखती रही) डर लगता है मुझे कही तू रूठ तो नहीं जाएगा फिर से....
अभय – क्या फिर से क्या मतलब है तेरा....
संध्या – (अभय की बात सुन आंख में आंसू के साथ) कही तू फिर से मुझे छोड़ के ना चला जाय....
अभय – (मुस्कुरा के संध्या के आसू पोछ) तू तो मेरी अपनी है तुझे अकेला कैसे छोड़ के जा सकता हूँ मैं (संध्या के गाल पे हाथ रख के) तेरी कसम खा के बोलता हु मर जाऊंगा लेकिन तुझे कभी छोड़ के नहीं जाऊंगा मै....
संध्या – (अभय के मू पे हाथ रख के) मारने की बात मत बोल रे तेरी खुशी के लिए मेरी जिंदगी कुर्बान....
अभय – (मुस्कुरा के) चल छोड़ इन बातों को एक काम कर पहले तू मुझे अपने बारे में बता फिर मेरे बारे में बताना....
संध्या –(मुस्कुरा के) क्या बताऊं....
अभय – सब कुछ....
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जारी रहेगा
Awesome updateUPDATE 50
काफी देर से चल रहे ऑपरेशन के बाद डॉक्टर और सोनिया कमरे से बाहर आए....
संध्या – (डॉक्टर और सोनिया से) कैसा है अभय....
सोनिया – ऑपरेशन कर दिया है हमने अभय के सिर से काफी खून निकल गया था अभी फिलहाल बेहोश है वो बाकी होश में आने पर ही कुछ कहा जा सकता है....
संध्या – अभय के पास जा सकती हूँ....
सोनिया – मै रोकूंगी नहीं लेकिन प्लीज अभी के लिए आप सब उसे बाहर से देखें यही सही रहेगा शाम तक एक बार चेक करके बता सकती हूँ मैं....
बोल के सोनिया एक तरफ हो जाती है जिसे देख अलीता चुप चाप सोनिया की पास जाके....
अलीता – (सोनिया से) क्या बात है सोनिया....
सोनिया – अभय के सिर में गहरी चोट लगी है सब कुछ सही कर दिया मैने लेकिन अभय होश में कब आएगा ये नहीं बता सकती हूँ मैं....
अलीता – (हैरानी से) क्या मतलब है तेरा....
सोनिया – पक्का तो नहीं बोल सकती अगर 24 घंटे में होश नहीं आया अभय को तो हो सकता है शायद कोमा में....
अर्जुन – (बीच में टोक के) तुम्हे किस लिए लाए है हम क्या ये बताने के लिए....
सोनिया – मैने पूरी कोशिश की है जब तक होश नहीं आता मै कैसे कुछ कह सकती हु....
अर्जुन – सोनिया तुम्हे मेडिकल में किसी भी चीज की जरूरत पड़े मै मंगवा सकता हु लेकिन अभय ठीक होना चाहिए बस....
अलीता – (अर्जुन के कंधे पे हाथ रख के) परेशान मत हो उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश कि है बस होश आ जाय अभय को एक बार....
सोनिया – (अर्जुन को एक पैकेट देते हुए) इसमें अभय का सामान है उसके कपड़ो से मिला मुझे....
अर्जुन पैकेट को देखता है जिसमें अभय की घड़ी , मोबाइल , गले का लॉकेट , सोने की सिक्के और कुछ कैश था जिसे देख....
अर्जुन – (पैकेट में रखे सामान को देख) अजीब लड़का है ये सब जानते हुए भी लॉकेट और सिक्के लेके घूम रहा है ये भी कोई जेब में रख के घूमने की चीज है....
अलीता – ये सब छोड़ो चाची का सोचो देखो जब से चाची , शालिनी और चांदनी यहां आए है तब से सिर्फ रोए जा रही है तीनों....
अर्जुन –(संध्या के पास जाके) चाची चुप हो जाओ ऐसे रोने से कुछ नहीं होगा....
संध्या –(रोते हुए) कैसे अर्जुन कैसे अपने आसू रोकूं इनके अभी अभी तो मिला था मुझे मेरा अभय मिलते ही (रोते हुए अर्जुन के कंधे पे सिर रख जोर से रोने लगी) अर्जुन मुझे मेरा अभय दिला दो वापस मै उसे लेके चली जाऊंगी दूर यहां से कही नहीं चाहिए मुझे कुछ भी अभय के इलावा....
अर्जुन – आप चिंता मत करो चाची मै वादा करता हू अभय आपको मिलेगा जरूर मिलेगा उसे कुछ नहीं होगा (शालिनी से) खुद को संभालिए शालिनी जी प्लीज....
शालिनी – (रोते हुए) संध्या बिल्कुल सही बोल रही है अर्जुन अभय यहां नहीं रहेगा अब उसके ठीक होते ही चलाएंगे हम यहां से बहुत हो गया ये सब....
अर्जुन – देखिए शालिनी जी अभी आप....
शालिनी –(बात काट के) नहीं अर्जुन अब नहीं बस बहुत हुआ ये सब देखो संध्या को आखिर किसकी गलती की सजा भुगत रही है वो सिवाय रोने के सिवा क्या किया उसने इतने साल तक तड़पती रही अभय के लिए और अब उसे अभय मिला और मिलते ही ये सब नहीं अर्जुन मैने फैसला कर लिया है अभय जैसे ही ठीक हो जाएगा हम यहां से चले जाएंगे दूर कही....
गीता देवी – (रोते हुए बीच में) सही बोल रही है संध्या और शालिनी जी अरे जिस उमर में बच्चे पढ़ाई मस्ती में अपने दिन बिताते है उस उमर में अभय दुश्मनों से लड़ रहा है आखिर किस लिए और क्यों दुश्मनी का बीज बोने वाला कोई और है और उसे भुगते अभय , नहीं अब नहीं होगा ऐसा कुछ भी अर्जुन....
चांदनी – (अपनी मां के कंधे पे हाथ रख के) ठीक है मां हम यही करेंगे बस आप शांत हो जाओ मां बस दुआ करो बस हमारा अभय जल्दी ठीक हो जाएं....
माहोल को समझ के अर्जुन ने अभी चुप रहना सही समझा दूसरी तरफ मालती और ललिता भी अपने आसू बहा रहे थे साथ में निधि अपनी मां के साथ बैठी थी और रमन और अमन बगल में खड़े अपनी अपनी सोच में गुम थे जहां रमन आज मेले में हुए अचानक हमले से सोच में डूबा हुआ था वहीं अमन आज सुबह अभय ने जो किया उसके बाद से अपने आप में गुम था जैसे कोई फैसला लेने में लगा हुआ था जबकि इनसे अलग एक तरफ कोने में अलग बैठी शनाया अस्पताल के उस कमरे को देखे जा रही थी जहां से अभी डाक्टर ने निकल के संध्या को बताया जबकि अर्जुन , अलीता और सोनिया ये तीनों इस बात से अंजान थे कि जहां पर इन तीनों ने बात की उसे शनाया ने सुन लिया था जिस वजह से बेजान बन के बैठी रही इस तरफ देवेंद्र ठाकुर अपनी बीवी रंजना और अपने भाई राघव के साथ अस्पताल में खड़ा था संध्या और शालिनी के साथ तभी....
देवेन्द्र ठाकुर – (एक तरफ अर्जुन के पास आके) तुम कौन हो बेटा काफी देर से देख रहा हूँ तुम्हे जब तुमने संध्या को चाची कहा जिसे सुन मै समझ नहीं पा रहा हूँ तुम्हे....
अर्जुन – कमल ठाकुर का बेटा अर्जुन ठाकुर....
देवेन्द्र ठाकुर –(हैरानी से) क्या तुम अर्जुन हो तुम कहा थे इतने साल तक....
अर्जुन – मामा जी सब बताऊंगा लेकिन अभी सिर्फ अभय ठीक हो जाए एक बार....
देवेन्द्र ठाकुर – (अर्जुन के कंधे पे हाथ रख के) परेशान मत हो अभय ठीक हो जाएगा देवी भद्रकाली सब ठीक करेगी बेटा....
जबकि एक तरफ तीन लोग बैठे अपने आसू बहते हुए आपस में बाते कर रहे थे....
राज – ये सब अचानक से क्या हो गया यार सब कुछ कितना अच्छा चल रहा था....
राजू – गलती कर दी यार हमें कही जाना ही नहीं चाहिए था....
लल्ला – क्या सोचा था हमने मेले के बाद आज रामलीला की शुरुवात अभय से करवाएंगे लेकिन मेले में ये सब अचानक से हुआ कैसे यार....
राज – सब मेरी गलती है इसमें मुझे अभय के साथ रहना था....
लल्ला – (राज के कंधे पे हाथ रख) दुआ करो के अभय जल्दी से ठीक हो जाय बस....
राजू – इस वक्त मुझे ये बात कहनी तो नहीं चाहिए लेकिन वो आदमी रणविजय जिसे अभय ने मार दिया उसने ऐसा क्यों बोला जायज़ और नाजायज वाली बात आखिर कौन था वो क्या रिश्ता था उसका ठाकुर परिवार के साथ...
इन तीनों के पास खड़ा अर्जुन और देवेंद्र ठाकुर इतनी देर से तीनों की बात सुन रहे थे राजू की आखिरी कही बात सुन दोनो एक दूसरे को देखने लगे जिसके बाद अर्जुन एक तरफ निकल गया जिसे देख देवेन्द्र ठाकुर पीछे चला गया अर्जुन एक जगह रुक के....
देवेन्द्र ठाकुर – (अर्जुन से) तुमलोग वही थे ना लेकिन तुमलोगो को कैसे पता चला इस हमले के बारे में....
अर्जुन – हवेली में आते ही ताला टूटा था दरवाजा खुला हुआ था अन्दर खून के निशान जो अभय के कमरे गए थे वहां एक पहेली लिखी थी....
देवेन्द्र ठाकुर –(चौक के) क्या पहेली और क्या थी वो....
अर्जुन – (पहेली – बाप के किए की सजा) पढ़ते ही समझ गया था मैं अभय खतरे में है तुरंत वहां से निकल गए (रस्ते में जो हुआ सब बता दिया जिसे सुन.....
देवेन्द्र ठाकुर – मनन ऐसा कभी नहीं कर सकता है मै अच्छे से जनता हूँ मनन को....
अर्जुन – मामा जी ये वो पहेली है जो मेरे भी समझ के परे है लेकिन जिस तरह से रणविजय बोल रहा था उससे तो....
देवेंद्र ठाकुर – (बीच में बात काट के) एक मिनिट क्या नाम लिया तुमने रणविजय....
अर्जुन – हा यही नाम था उसका क्यों क्या हुआ मामा जी....
देवेंद्र ठाकुर – ऐसा लगता है जैसे ये नाम सुना हुआ है मैने , उसकी लाश कहा है शायद देख के याद आ जाए मुझे....
अर्जुन – उसी खंडर में है लाश उसके बाकी लोगों के साथ....
देवेंद्र ठाकुर – ये खंडर का क्या चक्कर है मैंने पहले भी सुना है उसके बारे में बताते है श्रापित है वो....
अर्जुन – (अंजान बनने का नाटक करते हुए) पता नहीं मामा जी इस बारे में दादा ठाकुर ही जानते थे सारी बात आपकी तरह मैने भी श्रापित वाली बात सुनी है बस....
देवेंद्र ठाकुर – (अपने भाई राघव से) राघव खंडर में जिस आदमी को अभय ने मारा उसकी लाश कहा है.....
राघव – भइया वो वही खंडर में है....
देवेंद्र ठाकुर –पुलिस को खबर कर दो ताकि लाश पोस्टमार्टम के लिए लाई जा सके मै चेहरा देखना चाहता हु लाश का....
राघव – जी अभी कर देता हू खबर....
तभी अस्पताल के बाहर गांव वाले इक्कठा हो गए थे मेले की शुरुवात के वक्त से ही जब से गांव के लोगों को पता चला शहर से आया वो लड़का जिसने गांव में आते ही उनकी जमीन उन्हें वापस दिला दी वो कोई और नहीं मनन ठाकुर का बेटा ठाकुर अभय सिंह है जिसने बचपन से कभी ऊंच नीच देखे बिना गांव में घूमता सबसे बाते करता किसान के बच्चों के साथ खेलता जिस वजह से बचपन से ही अभय पूरे गांव वाले की नजरों में ऐसा छाया गांव के लोग अभय को अभय बाबा कह के बुलाने लगे और बचपन में जब अभय के मारने की खबर मिली थी गांव वाले को उस दिन गांव के काफी लोगो ने भी अपने आंसू बहाए थे और आज जब उन्हें पता चला वो शहर लड़का और कोई नहीं उनका अभय बाबा है जो मेले में हादसे की वजह से अस्पताल में घायल अवस्था में है वो सब अपने आप को रोक ना सके गांव से सभी आदमी औरत अस्पताल में एक साथ आ गए अभय का हाल जाने के लिए अस्पताल में पूरे गांव के लोगों को एक साथ देख हवेली के कुछ लोग बहुत हैरान थे जैसे रमन और अमन गांव की इस भीड़ में कोई ऐसा भी था जो अस्पताल के अन्दर तेजी से संध्या के पास आ गया आते ही....
शख़्स – (रोते हुए) अभय कैसा है....
संध्या – (नजर उठा के अपने सामने रोती हुई खड़ी पायल को देख उसे गले लगा के) मत रो तू वो अभी बेहोश है डॉक्टर ने बोला है कुछ वक्त लगेगा होश आने में....
पायल – (रोते हुए) क्यों होता है ऐसा मेरे साथ मेरी क्या गलती है इसमें बचपन में स्कूल से मुझे जबरदस्ती अपने साथ घुमाता था अभय जब मुझे उसकी आदत पड़ गई तो चला गया छोड़ के मुझे अब जब वापस आ गया तो फिर से आखिर क्यों करता है अभय ऐसा क्या गलती है मेरी इसमें....
संध्या – (पायल के आंसू पोछ के) कोई गलती नहीं है तेरी सब मेरी गलती थी इसमें मेरी की गलती की सजा तूने भुगती माफ कर दे मुझे पायल....
पायल ना में सिर हिलाते हुए एक बार फिर से संध्या के गले लग के रोने लगी जिसे प्यार से संध्या उसके सिर पे हाथ फेरती रही जबकि इस तरफ गांव की भीड़ में अभी भी कई लोग ऐसे थे जो आपस में बात कर रहे थे....
1 गांव वाला – देख रहे हो आज कैसे रो रही है ठकुराइन....
2 गांव वाला – यार ये सिर्फ दिखावा कर सकती है इसके इलावा किया ही क्या है इसने अब तक याद है तुझे जब बचपन में अभय बाबा की लाश के बारे में पता चला था तब तो ये देखने तक नहीं आई थी हवेली से बाहर यहां तक कि हवेली के बाहर से लाश को विधि विधान के साथ ले जाके अंतिम संस्कार कर दिया गया था लेकिन फिर भी एक आखिरी बार तक नहीं देखा और आज तो....
3 गांव वाला – सही बोल रहा है तू शायद तभी अभय बाबा गांव में आने के बाद भी हवेली में रहने नहीं गए अकेले ही हॉस्टल में रहते थे जाने इतने वक्त कैसे रहे होगे अंजान शहर में अकेले....
गीता देवी – (बगल में खड़ी इनकी बात सुनती रही जब इनलोगों ने बोलना बंद किया) और कुछ बोलना बाकी रह गया हो तो वो भी बोल दो तुम सब....
1 आदमी – माफ करना दीदी हम सिर्फ अभय बाबा के खातिर आए थे यहां पर लेकिन आज फिर से ठकुराइन को देख सालों पहले पुरानी बात याद आ गई थी....
गीता देवी – वक्त एक जैसा नहीं रहता है हर किसी का बदलता है वक्त बरसो पहले जो हुआ इसका मतलब ये नहीं उसकी सजा इंसान जिंदगी भर भुगते और रही बात जमीन की अभय के आने की वजह से तुम्हे जमीन वापस नहीं मिली है बल्कि संध्या के कारण मिली है जमीन तुम्हे अगर वो सच में डिग्री कॉलेज तुम्हारी जमीन में बनवाना चाहती तो उसे रोकने वाला भी कोई नहीं था वहा पर ये संध्या की अच्छाई थी जिसे सच का पता चल गया तभी जमीन वापस मिली थी तुम्हारी समझे इसीलिए अगली बार किसी के लिए उल्टा बोलने से पहले सोच लिया करो....
ये सब हो रहा था तभी राघव ठाकुर का फोन बजा जिसे उठाते ही सामने वाले से बात की उसकी बात सुन राघव की आंखे बड़ी हो गई कॉल कट होने के बाद राघव ठाकुर अपने बड़े भाई देवेंद्र ठाकुर के पास गया जहा पर उसके साथ अर्जुन खड़ा था वहां आते ही....
राघव ठाकुर –(अपने भाई देवेंद्र ठाकुर से) भइया पुलिस खंडर में गई थी उन्हें वहां लाशे भी मिली लेकिन रणविजय की लाश नहीं मिली उन्हें वहां पर....
देवेंद्र ठाकुर –(चौक के) क्या ये कैसे हो सकता है....
अर्जुन – (दोनो की बात सुन बीच में बोल पड़ा) मामा जी खेल अभी खत्म नहीं हुआ है ये....
देवेंद्र ठाकुर – क्या मतलब है तुम्हारा....
अर्जुन – रणविजय ने नाजायज होने वाली बात कही थी अगर वो नाजायज है तो उसका परिवार भी तो होगा जरूर उसकी लाश उसके परिवार का ही कोई ले गया होगा खंडर से....
देवेंद्र ठाकुर – (अर्जुन की बात सुन संध्या की तरफ देख के) इसका मतलब अभय और संध्या पर से खतरा अभी टला नहीं है....
अर्जुन – (हल्की मुस्कान के साथ) खतरा वो भी यहां पर , आने वाले खतरे को खतरे का ऐसा एहसास दिलवाऊंगा उस खतरे की रूह भी काप जाएगी....
देवेंद्र ठाकुर – इसमें मेरी जरूरत तुम्हे कभी भी पड़े मै तयार हु हर वक्त अपनी बहन और भांजे के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ....
अर्जुन – जनता हूँ मामा जी आप चिंता मत करिए जब तक अभय ठीक नहीं हो जाता और जब तक दुश्मनी का ये किस्सा खत्म नहीं होता मै कही नहीं जाऊंगा यही रहूंगा सबके साथ मैं ले देके बस यही मेरा एकलौता परिवार बचा है....
इन तीनों के बीच एक बंदा और था जो इनकी बात एक तरफ होके सुन रहा था जिसके बाद वो सीधा गया किसी के पास....
राजू – (राज और लल्ला से) अबे लगता है ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ है....
राज – (कुछ ना समझ के) क्या बके जा रहा है बे तू सही से बता....
फिर राजू ने जो सुना वो सब बता देता है जिसके बाद....
राज – (कुछ सोच के) राजू एक काम कर तू यहां से जा और अपनी नजरे बना के रख ही जगह तेरे जितने भी खबरी है गांव में बोल दे उनको डबल पैसे देने का बोल उनको ताकि कोई भी बात पता चलते ही सिर्फ तुझे बताए जल्दी से हमारे पास यही एक मौका है राजू अगर खंडर से उस आदमी की लाश गायब हुई है तो जरूर उसका अंतिम संस्कार भी होगा एक बार पता चल जाए तो ये भी पता चल जाएगा कौन है वो जो अभय को मारना चाहता है....
लल्ला – अबे ये सब तो समझ में आया लेकिन पैसे आएंगे कहा से ये सोचा है तूने....
अर्जुन – (बीच में टोक के) मै दूंगा पैसे....
तीनों एक साथ – (चौक के) अर्जुन भइया आप....
अर्जुन – हा मै तुमलोगो को क्या लगा मै जनता नहीं तुमलोगो को....
राजू – भइया हमें तो अभय ने बताया था आपके बारे में ये भी की आप तो KING हो हर काम चुटकी बजा के कर सकते हो आप आपको हमारी क्या जरूरत....
अर्जुन – (चुप रहने का इशारा करके) मै KING हूँ ये बात गांव में कोई नहीं जनता है (राजू से) तुम अपने तरीके से पता लगाओ बात का मेरे कुछ लोग तुम्हारी मदद करेंगे इसमें तुम्हारी और एक बात जब तक अभय इस अस्पताल में है तब तक के लिए हम चारो हर वक्त अस्पताल में रहेंगे तुमलोग को हथियार चलना आता है....
चारो एक साथ – हा आता है अच्छे से....
अर्जुन – ठीक है थोड़ी देर में मेरा आदमी आके तुमलोगो को हथियार देगा जरूरत पड़ने पर इस्तमाल करना....
राज – लेकिन मा और बाबा....
अर्जुन – अब ये भी मै ही संभालों क्या....
तभी अस्पताल में अचानक से M M MUMDE सर आए कुछ लोगो के साथ जिसमें चार आदमी सूट बूट में थे और बाकी के चार में
1 – सायरा ,
2 – अनिता ,
3 – आरव और
4 – रहमान
थे और साथ में उनके पीछे से सत्या बाबू आ रहे थे ये नजारा देख के राज , राजू और लल्ला M M MUMDE को इस रूप में देख के हैरान थे वही....
अर्जुन – (M M MUMDE और उनके साथ लोगो को देख उनके सामने जाके) क्या बात है जैसा हर बार होता आया है आज भी वैसा ही हो रहा है जब सब कुछ खत्म हो जाता है तभी पुलिस आती है और आज तो CBI CHIEF खुद चल के सामने आए है....
M M MUMDE – (अर्जुन से) जनता हूँ अच्छे से मै तुम किस बात का ताना दे रहे हो लेकिन ये मत भूलो किसके सामने खड़े होके बात कर रहे हो तुम भले तुम KING होगे दुनिया के लिए इसका मतलब ये नहीं कि हर पुलिस वाला तुम्हारे सामने अपने सिर झुका दे....
अर्जुन – अरे अरे आप तो गलत समझ बैठे मेरी बात का मतलब CBI CHIEF या ये कहूं M M MUMDE सर मैने तो बस वही बोला जो होता आया है काम खत्म होने के बाद पुलिस आती है वैसे ही आप भी आ गए यहां तो बताएं क्या जानने आए है आप या बताने आए है आप....
M M MUMDE – अब मै CBI CHIEF नहीं रहा मैने छोड़ दी वो नौकरी....
अर्जुन – (हैरान होके) क्या ऐसा करने की वजह क्या थी आपकी....
M M MUMDE – तुम हो वो वजह जो यहां आ गए इस गांव में तुम्हारे रहते कोई काम कानून के मुताबिक हो पाया है आज तक जो इस गांव में होगा....
अर्जुन – (हस्ते हुए) छोड़ा आपने है और दोषी मै बन गया....
सत्या बाबू – (बीच में आके) बस करिए अब बहुत हो गया ये सब यहां अभय अस्पताल में पड़ा हुआ है और आप दोनों आते ही अपने में लगे हुए है....
गीता देवी – (सताया बाबू से) आप कहा रह गए थे....
सत्या बाबू – अस्पताल आ रहा था रस्ते में (M M MUMDE की तरफ इशारा करके) इनको देख खंडर में जाते हुए वही चल गया था देखने और यही आ गया इनके साथ मै खेर छोड़ो ये सब अभय कैसा है अब....
गीता देवी – बेहोश है अभी होश में आने का इंतजार कर रहे है (अर्जुन से) छोड़ बेटा ये सही वक्त नहीं है ये सब बात करने का....
अर्जुन – (मुस्कुरा के) बड़ी मां हमारे M M MUMDE सर पुलिस होने का फर्ज निभा रहे है बस....
गीता देवी – (अर्जुन की बात सुन मुस्कुरा के) अब चलो आप सब बाकी बाते बाद में करना....
अर्जुन – (गीता देवी से) बड़ी मां आप मुझे आप क्यों बोल रहे हो मैं आपका अपना नहीं हूँ क्या या सिर्फ अभय ही है आपका....
गीता देवी – (मू बना के) चुप कर तू बड़ा आया मेरे साथ खेलने वाला (अर्जुन का कान पकड़ के) तेरी ये चाल मेरे सामने नहीं चलेगी समझा होगा तू दुनिया के लिए कोई KING बिंग मेरे लिए तू वही पुराना अर्जुन है जैसे बचपन में था....
गीता देवी की बात सुन मुस्कुरा के....
अर्जुन – (गीता देवी को गले लगा के) आपकी इस डॉट को बहुत याद करता था मैं पूरे गांव में बस एक आप ही हो जो मुझे डॉटती थी....
गीता देवी – वो तो मैं आज भी डॉटती हूँ और हमेशा डाटू गी समझा अब चल सबके पास....
चांदनी – (अपने चारो साथियों से) ये चारो कौन है CHIEF के साथ और CHIEF ने ऐसा क्यों कहा उन्होंने छोड़ दिया ये काम क्या मतलब है इसका....
सायरा – जब से KING गांव में आया है तभी से CHIEF ने Registration की तैयारी कर ली उनका कहना था वो नहीं चाहते थे कि KING इस गांव में कभी आए KING के आने की वजह से उन्होंने ऐसा किया और ये चारो वही लोग है को 2 साल पहले लापता हो गए थे खंडर में आज के हादसे के बाद CHIEF हम सब के साथ खंडर में गए थे वही एक कोठरी में ये चारो मिले हमे....
चांदनी – लेकिन ये बात तो नहीं हो सकती CHIEF के Registration की जरूर कोई ओर बात है मै पता करती हु बाद में....
सायरा – अभय कैसा है अब....
चांदनी – डॉक्टर ने इलाज किया है अभी बेहोश है बस उसके होश में आने का इंतजार कर रहे है सब शायद 24 घंटे लग सकते है....
आज इस हादसे के बाद अस्पताल में सभी को बैठे हुए शाम हो गई थी लेकिन अभी तक अभय को होश नहीं आया था इस बीच सोनिया कई बार अभय को चेक करती रही किसी ने भी सुबह से कुछ खाया नहीं था....
अलीता – (संध्या से) चाची जी सुबह से शाम हो गई है उठिए हाथ मू धो लीजिए मैंने सबके लिए चाय मंगवाई है....
संध्या – अभय ने भी सुबह से कुछ भी नहीं खाया पिया है अलीता मै कैसे खा पी लु जब तक अभय ठीक नहीं होता मै यही रहूंगी कही नही जाऊंगी बिना अभय को साथ लिए....
अलीता – (संध्या के कंधे के हाथ रख के) चाची बिना खाय पिए कैसे काम चलेगा जरा बाकियों को देखिए आप आपके साथ सुबह से वो सब भी यही है अभय के इंतजार में उन्होंने भी सुबह से कुछ भी नहीं खाया पिया है अपने लिए ना सही तो उनके लिए कुछ खा लीजिए आप....
देवेंद्र ठाकुर – (संध्या से) खा लो कुछ संध्या भूखे रहने से भला किसी को कुछ मिला है आज तक खाना खा लो अभय की चिंता मत करो मां भद्र काली जल्दी अच्छा कर देगी उसे....
बात मान के हा बोल दी संध्या ने तभी....
ललिता – मैं हवेली जाके सबके लिए खाना बना के लाती हूँ (मालती से) मालती चल जरा....
सायरा – मै भी चलती हु आपके साथ....
बोल के तीनों निकल गए हवेली की तरफ जबकि आज दिन के हुए हादसे के बाद जैसे ही अभय को लेके सब खंडर से निकले थे उसके कुछ देर बाद एक गाड़ी से तीन लोग आय खंडर के अन्दर जाके रणविजय की लाश को लेके निकल गए गांव से दूर एक जगह पर वहां आते ही वो आदमी किसी को कॉल मिलने लगा कई बार लगातार करने के बाद कॉल किसी औरत ने उठाया....
औरत – क्या बात है गजानन मुझे कॉल क्यों मिलाया तुमने....
गजानन – मैडम आप कहा पर है....
औरत – हूँ मैं एक जगह तुम जल्दी से बोलो क्यों कॉल किया क्या काम है....
गजानन – (चौक के) आपको पता नहीं आज क्या हुआ है यहां पर....
औरत – (चौक के) कहा क्या हुआ है पहेली मत भुजाओं सही से बताओ क्या बात है....
गजानन – मैडम वो रणविजय मारा गया....
औरत – (गजानन की बात सुन आंख से आसू निकल आया साथ गुस्से में) क्या बकवास कर रहा है तू जानता है ना....
गजानन – मै सच बोल रहा हूँ मैडम खंडर से रणविजय की लाश लेके आया हु मै उसके साथ मेरे कई आदमी भी मारे गए है....
औरत – (रोते हुए) किसने किया ये सब....
गजानन – वहां पर लगे कैमरे की रिकॉर्डेड मेरा आदमी आपको भेज देगा आगे क्या करना है मैडम....
औरत – (गुस्से में) अब जो होगा मैं खुद करूंगी मेरा खून बहाया है उनलोगों ने इसकी कीमत उन्हें अपने खून से चुकानी पड़ेगी....
गजानन – अगर आप कहे तो उनका काम कर देता हू मै आज ही....
औरत – (गुस्से में) नहीं खून बहेगा उनका लेकिन इतनी आसान मौत नहीं मिलेगी किसी को तड़प तड़प के मरेंगे सब के सब तुम्हारी मदद की जरूरत पड़ेगी मुझे बस मेरे कॉल का इंतजार करना तबतक रणविजय की बॉडी को सम्भल के रखना अब उसका अंतिम संस्कार उन सब को मिटाने के बाद ही करूंगी मै तब शांति मिलेगी मेरे बेटे की आत्मा को
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जाती रहेगा
Superb updateUPDATE 51
इस वक्त हवेली में एक गहरा सन्नाटा था और इसी बीच इस सन्नाटे को चीरते हुए एक आवाज तेजी से आने लगी जैसे कोई किसी को मदद के लिए पुकार रहा हो....
संध्या – (चिल्लाते हुए) सुनिए कहा हो आप....
मनन ठाकुर – अरे क्या हुआ तुम इस तरह चिल्ला क्यों रही हो....
संध्या – (आंख में आसू लिए) ये देखिए ना क्या हुआ अभय को कितना खून निकल रहा है इसका....
ठाकुर रतन सिंह –(बीच में आते हुए) क्या बात है क्या हुआ अभय को....
संध्या – देखिए ना बाबूजी अभय की उंगली में चोट लग गई है....
ठाकुर रतन सिंह –(मुस्कुरा के अभय को अपनी गोद में लेके) अले अले अले मेरे बच्चे को चोट लग गई देखूं तो मैं (अभयं की छोटी सी उंगली को देख जिसमें हल्का सा एक बूंद खून लगा था) बस इतनी सी लगी कोई बात नहीं मेरा बेटा तो शेर है मामूली चोट से कुछ नहीं होगा उसे....
छोटे से अभय को पुचकारते हुए ठाकुर रतन सिंह गोद में लिए अभय के साथ मस्ती करने लगे जिसके बाद....
ठाकुर रतन सिंह – (संध्या से) बहू रसोई से जाके चाय की पत्ती ले आओ थोड़ी अभय की उंगली में लगा दो आराम मिल जाएगा तुरंत इसे....
जिसके बाद संध्या तुरंत रसोई से चाय की पत्ती लाके अभय की उंगली में लगा देती है जिसके बाद....
ठाकुर रतन सिंह –(संध्या से) इतना भी डरने की जरूरत नहीं है बहू ये ठाकुर रतन सिंह का पोता है कोई मामूली ठाकुर नहीं है ये....
मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के अपने पिता की गोद से अभय को लेके) देखा संध्या कैसे चुप चाप मस्ती कर रहा है अपने दादा के साथ ये , तुम्भी ना बेवजह इतना घबराती हो....
ठाकुर रतन सिंह –(मनन के कंधे पे हाथ रख के) नहीं बेटा इसे घबराना नहीं मां का प्यार होता है उसकी चिंता होती है अपने बच्चे की हल्की सी तकलीफ मां को बेचैन कर देती है हा ये हमारे लिए मामूली जरूर है लेकिन एक मां की नजर से देखोगे तब तुम्हे समझ आएगा इसका मतलब....
अपने पिता की बात सुन मनन ठाकुर मुस्कुरा के संध्या और अभय को देखने लगा जिसके बाद....
मनन ठाकुर – (संध्या से) अब तो ठीक है ना अभय देखो अब खून नहीं निकल रहा है इसका और कितना हस रहा है....
संध्या – (अभय को देख) जी बिल्कुल सूरत आपके जैसी सही लेकिन हरकत अपने दादा जैसी है इसकी....
ठाकुर रतन सिंह – (हस्ते हुए) आखिर पोता किसका है....
सुनैना –(मुस्कुरा के अभय को अपनी गोद में लेके) अब बस भी करिए आप दोनो मेरे पोते को नजर लगाओगे क्या....
ठाकुर रतन सिंह – (मुस्कुरा के) अरे देवी जी अपनो की नजर कभी नहीं लगती सिर्फ दुआ लगती है समझी आप....
सुनैना – बस बस मुझे मत बताइए आप अच्छे से समझती हु मै....
सुनैना की बात सुन सभी मुस्कुराने लगे और फिर अचानक से पूरा दृश्य बदल गया जहा सभी मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपने कमरे में मनन ठाकुर के साथ बैठी बेड में एक तरफ मनन ठाकुर बेड में लेटा था वही घर के बाकी सदस्य जैसे ललिता , प्रेम , मालती और रमन कमरे में खड़े थे और संध्या जिसे देख....
संध्या –(रोते हुए) आप चिंता मत करिए आप ठीक हो जाओगे जल्द ही....
मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के) मै सब जनता हूँ संध्या लेकिन अफसोस सिर्फ एक बात का रहेगा मुझे मेरी मां को ढूंढ नहीं सका मै जाने कहा होगी मेरी मां....
रमन – (आंख में आसू लिए) हिम्मत मत हारो भाई मै ढूंढ लाऊंगा मां को फिर देखना हम सब एक बार फिर से हसी खुशी साथ में पहले की तरह रहेंगे....
मनन ठाकुर – (आंख में आसू लिए) काश ऐसा हो पता रमन काश (संध्या का हाथ पकड़ के) तुम घबराना मत संध्या अब तुम्हे सब संभालना है सब कुछ हवेली के साथ हमारे अभय को भी....
संध्या –(रोते हुए) ऐसा मत बोलिए आप मै अकेले आपके बिना नहीं कर पाऊंगी सब....
इससे पहले संध्या आगे कुछ बोलती मालती और ललिता की रोनें की आवाज आने लगी जिसे संध्या ने पलट के एक पल देख के तुरंत मनन की तरफ देखा जिसकी आंखे खुली थी लेकिन शरीर साथ छोड़ चुका था उसका जिसे देख संध्या जोर जोर से रोने लगी साथ में प्रेम और रमन भी काफी देर तक चलता रहा ये सिलसिला तभी संध्या के सिर पर किसी ने हाथ रखा....
मनन ठाकुर –(संध्या के सिर पर हाथ फेरते हुए) रो मत संध्या अगर तुम ऐसे रोगी तो कैसे संभाल पाओगी सबको....
संध्या –(अपना रोते हुए अपना सिर उठा के मनन को अपने सामने खड़ा देख गले लग के) नहीं सम्भल पाई कुछ भी नहीं कर पाई किसी के लिए कुछ भी ना गांव के लिए ना अभय के लिए गिर गई मैं उसकी नजरों में हमेशा के लिए कितना दूर चल गया अभय मुझसे क्यों चले गए आप मुझे छोड़ के अकेला....
मनन ठाकुर –(गले लगी संध्या के सिर में हाथ फेरते हुए) मै कहा गया तुझे छोड़ के तेरे ही साथ था मैं बस रूप ही तो बदला है मेरा पहले मै था अब अभय के रूप में में हो साथ तेरे....
बात सुन संध्या अलग होके मनन को देखते हुए....
मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के) ऐसे क्या देख रही हो संध्या , अभय मेरा ही तो अंश है भला तुझे कैसे अकेला छोड़ देता मै बस भटक गए थे कुछ वक्त के लिए तुम दोनो लेकिन अब देखो साथ है हम और अब तेरा साथ नहीं छोडूंगा कभी....
तभी संध्या को अभय की आवाज आने लगती है....
अभय – मां....
आवाज सुन के संध्या नींद से जागके देखती है अभयं को जो बेहोश में मा मा बोले जा रहा था जिसे सुन....
संध्या –(चिल्ला के) डॉक्टर डॉक्टर (अभय का हाथ पकड़ के) मै यही हूँ तेरे साथ....
संध्या की आवाज सुन डॉक्टर के साथ सोनिया , शालिनी और चांदनी जो बगल के कमरे में लेते थे संध्या की आवाज सुन भागे चले आए....
सोनिया और डॉक्टर अभय के कमरे आके चेक करने लगे अभय के तब सोनिया ने संध्या से कहा....
सोनिया – (मुस्कुरा के) अभय को होश आ गया है....
संध्या – (अभय को सोता देख) लेकिन ये तो अभी भी सो रहा है....
सोनिया – हा क्योंकि कही होश में आके अभय अपनी बॉडी पर जोर ना दे ज्यादा इसीलिए मैने पहले से ही पैंकिलर का हेवी डोस दिया था जिसकी वजह से अभय को पेन में राहत मिल गई जल्दी और होश भी आगया अब कल सुबह तक वैसे ही उठेगा अभय जैसे रोज उठता है....
संध्या – (सोनिया की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) शुक्रिया सोनिया....
सोनिया – (संध्या की बात पर) कोई बात नहीं ये मेरा काम है चलिए अब आप सब आराम करिए काफी रात हो चुकी है किसी ने भी आराम नहीं किया है सही से....
संध्या – (सोनिया से) अर्जुन कहा है सो रहा है क्या...
शालिनी – अर्जुन और राज अस्पताल के बाहर गए है किसी को नींद नहीं आ रही थी तो सबके लिए चाय लेने गए है दोनो....
अर्जुन –(राज के साथ कमरे में आके) मुझे याद किया मै आ गया क्या हुआ....
सोनिया – अभय को होश आ गया है कल सुबह तक नॉर्मल ट्रैक से उठ जाएगा....
अर्जुन – होश आ गया कल सुबह नोर्मल मतलब....
सोनिया – पेनकिलर के हैवी डोस के कारण सो रहा है अभी अभय....
अर्जुन – ये तो बहुत खुशी की बात है....
राज – मै सबको बता देता हू कॉल करके....
अर्जुन – रुको कल सुबह जब सब आएंगे तब बताना अभी नहीं आराम करने दो सबको सुबह से सब यही थे कल आगे तब बताना आप सब आराम करिए....
बोल के अर्जुन राज के साथ बाहर निकल गया....
चांदनी – (बाहर आके राज से) राज मा और बाबा अचानक से जल्दी क्यों चले गए घर किसका कॉल आया था....
राज – पता नहीं मुझे बोल के गए कि जरूरी काम है निपटा के जल्दी आ जाएंगे नहीं तो कल सुबह आयेंगे....
चांदनी – ठीक है तुम भी आराम कर लो जब तक....
राज – ठीक है....
कुछ और भी बोलना चाहता था राज लेकिन उसे मौका नहीं मिला क्योंकि चांदनी बोल के तुरंत वाली गई अभय के कमरे में जबकि रात में मालती , ललिता और सायरा हवेली से जब सबका खाना लेके आए थे तब सभी ने खाना खाया जिसके बाद संध्या ने सभी को जाने को बोला काफी ना नुकूर के बाद मालती , ललिता , रमन , अमन , निधि , सायरा , अलीता और शनाया चले गए हवेली उसके बाद संध्या ने अपने मू बोले भाई देवेंद्र ठाकुर , राघव और रंजना को भी भेज दिया वापस इतने लोगों के अस्पताल में रहने की सुविधा नहीं थी छोटे से अस्पताल में रह गए तो संध्या , चांदनी , शालिनी , अर्जुन और राज जबकि अर्जुन ने राजू और लल्ला अपने कुछ लोगो के साथ भेजा था आगे की जानकारी इक्कठी करने के लिए ये रात आज की खत्म हुई एक नए सवेरे के साथ और शालिनी की आंख खुल गई....
शालिनी ने जागते ही देखा बेड में अभय सोया हुआ था बगल में संध्या टेक लगाए सो रही थी और चांदनी एक तरफ कुर्सी में बैठे अभय को देख रही थी जिसे देख....
शालिनी – (चांदनी के पास जाके धीरे से) तू सोई नहीं रात भर....
चांदनी – मां मै अभय के बिना नहीं रह सकती हूँ मां....
बोल के चांदनी कमरे से बाहर निकल गई पूछे से शालिनी जल्दी से बाहर आ गई जहां एक तरफ मू करके अस्पताल की बालकनी में चांदनी खड़ी थी उसके पास जाके....
शालिनी – तू क्या बोल न चाहती है....
चांदनी –(आंख में आसू लिए) मैने बहुत सोचा मां लेकिन....
बोल के चांदनी रोने लगी जिसे देख शालिनी तुरंत गले लगा लिया....
शालिनी –(चांदनी के सिर पर हाथ फेरते हुए) हुआ क्या है तुझे आज ऐसा क्यों बोल रही है तू....
चांदनी – मा जब से अभय हमारे घर आया मै उसे पसंद नहीं करती थी लेकिन फिर जाने कैसे वो मुझे बहुत मासूम लगने लगा तब से मेरे दिल में उतर गया लेकिन कल से पहले तक ऐसा मुझे लगता था ये सिर्फ भाई बहन वाला प्यार है लेकिन नहीं मां ये वो प्यार नहीं है मां कल के हादसे के बाद मेरा दिल बहुत बेचैन सा हो गया है पूरी रात मै यही सोचती रही लेकिन....
बोल के चुप हो गई चांदनी जिसे देख....
शालिनी – लेकिन क्या बोल आगे....
चांदनी –प्यार करती हूँ मां मै अभय से उसके बिना मै अपने आप को सोच भी नहीं सकती हूँ....
शालिनी – तू जानती है ना तू क्या बोल रही है , एक मिनिट क्या अभय भी....
चांदनी – मुझे नहीं पता मां....
शालिनी – तुम तो राज को पसंद करती हो ना फिर....
अर्जुन –(बीच में आके शालिनी के कंधे पे हाथ रख के) प्यार में कभी कभी ऐसा होता है शालिनी जी जब साथ होता है तो इंसान सोचता नही इस बारे में लेकिन जब वो दूर होने लगता है या गहरी तकलीफ में होता है तब एहसास होता है और उस एहसास को प्यार कहते है जो आज चांदनी को हुआ है और क्या पता यही एहसास अभय को भी हो जाय एक दिन....
शालिनी – जाने ये कैसी परीक्षा ले रहा है भगवान हमारी....
अर्जुन – घबराइए मत सब ठीक ही होगा आप कमरे में जाइए शालिनी जी चाची अकेली है चांदनी से बात करनी है अभी मैं आता हु चांदनी को लेके....
शालिनी चली गई कमरे में उसके जाते ही....
अर्जुन – (मुस्कुरा के चांदनी से) लगता है लिस्ट में तुम्हारे नाम आने वाला है लेकिन आगे का क्या सोचा है तुमने....
चांदनी – मै समझी नहीं आपकी बात....
अर्जुन – अभय तो गांव छोड़ के जाने से रहा और तुम....
चांदनी – रात भर मैने बहुत सोचा इस बारे में मैने फैसला ले लिया है रिजाइन देने का....
अर्जुन – और उससे क्या होगा....
चांदनी – जो करना है मै खुद करूंगी अपने बलबूते पर इतना टैलेंट है मेरे पास....
अर्जुन – और अगर मैं कहूं कि तुम अपने टैलेंट का उसे करो लेकिन मेरे कम में तो क्या फैसला होगा तुम्हारा....
चांदनी – (मुस्कुरा के) दुनिया के बड़े से बड़े लोग जिसका नाम सुन के काप जाते है उसे मेरे जैसे कि क्या जरूरत होगी....
अर्जुन – जरूरत अभी के लिए तुम्हे है अभय की और साथ में अभय को तुम्हारी रही मेरी बात तो जल्द ही तुम्हे पता चल जाएगा अभी के लिए सोचो राज का (एक तरफ इशारा करके) वो यही आ रहा है....
चांदनी – मै उसे सारा सच बता दूंगी भी....
अर्जुन – अभी नहीं हालफिलहाल अभय जब तक ठीक नहीं हो जाता तब तक....
चांदनी – ठीक है....
राज – (दोनो के पास आते ही) आप दोनो यहां क्या कर रहे हो सोनिया और डॉक्टर अभय के कमर एमे बैठे है बोल रहे है अभय को किसी भी समय उठता होगा चलो पहले वहां पर मै घर में कॉल करके बता चुका हु मा ओर बाबा आते होगे....
बोल के तीनों अभय के कमर में चले गए थोड़ी देर बाद गीता देवी , सत्या बाबू और उनके साथ एक खूबसूरत लड़की आई जिसे देख....
राज – (अपनी मां से इशारे में) कौन है ये.....
जिसे देख गीता देवी ने आखों से चुप रहने का इशारा किया राज को तभी पीछे से राजू और लल्ला आ गए अस्पताल में आते ही....
राजू – (राज से) क्या हुआ अभय को होश कब आएगा....
इससे पहले राज कुछ बोलता तभी अभय की आंख खुल गई जो अपने सिर में हाथ रख के उठने लगा तभी....
सोनिया – (अभय से) अब कैसा लग रहा है तुम्हे दर्द हो रहा है क्या....
अभय – (अपने सिर में हाथ रख के) हा थोड़ा दर्द हो रहा है मेरे सिर में....
सोनिया – कोई बात नहीं थोड़ी बस देर में ठीक हो जाएगा दर्द....
अभय – गला सूख रहा है मेरा पानी....
संध्या – (पानी देते हुए) ये लो पानी....
अभय जल्दी से पानी पीने लगा जिसे देख....
सोनिया – आराम आराम से पियो पानी नहीं तो अटके है गले में....
अभय – (पानी पीने के बाद ग्लास वापस रख के) शुक्रिया (कमरे में सबको देख के) आप सब लोग कौन हो और मैं यहां पर कैसे आया....
अभय की बात सुन सभी हैरानी से उसे देख रहे थे जिसे देख....
सोनिया – कल आपका एक्सीडेंट हुआ था रस्ते में....
अभय – (चौक के) मेरा एक्सीडेंट और मेरा नाम क्या है मुझे याद क्यों नहीं आ रहा है....
और इसके साथ सभी जो अस्पताल में अभय के कमरे खड़े थे उनके दिमाग पर जैसे एक बॉम्ब फटा हो....
संध्या – (अभय के पास आके) अभय....
संध्या की आवाज सुन अभय गौर से उसे देखने लगा जैसे पहचानने की कोशिश कर रहा हो....
अभय – (संध्या को गौर से देखते हुए) कौन हो आप क्या मै आपको जनता हूँ....
संध्या – (अभय के गाल पे हाथ रख के) मै मां हूँ तेरी....
अभय –(संध्या की बात सुन) मां लेकिन मैं किसी को पहचान क्यों नहीं पा रहा हूँ....
सोनिया – (अभय को शांत करते हुए) कोई बात नहीं कल आपको सिर में चोट लगी थी शायद उसके वजह से ऐसा हो रहा हो आप अभी आराम करिए जल्दी सब ठीक हो जाएगा आपको सब याद आ जाएगा जल्द ही....
बोल के सोनिया ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया जिसे समझ सब जाने लगे संध्या भी जाने लगी लेकिन संध्या बाहर जा नहीं पाई क्यों की अभय ने संध्या के हाथ को पकड़ रखा था जिसे देख सोनिया ने इशारा किया संध्या को कमरे में रहने का....
संध्या – (अभय से) आराम कर तू मै यही हूँ तेरे साथ बस थोड़ी देर आराम कर अभी....
संध्या की बात सुन अभय आंख बंद करके बेड में वापस लेट गया....
सोनिया –(अभय से) बस अब आप अपने दिमाग में जोर मत डालिए नहीं तो फिर से दर्द होने लगेगा सिर आपका बाकी चिंता मत करिएगा जल्दी सब ठीक हो जाएगा आराम करिए मै अभी आती हु....
बोल के सोनिया तुरंत बाहर निकल गई कमरे से बाहर आते ही....
शालिनी – (सोनिया से) क्या बात है सोनिया ये अभय ऐसा रिएक्ट क्यों कर रहा है....
सोनिया – सिर में चोट लगने की वजह से लगता है अभय की यादाश्त चली गई है....
शालिनी – देखो सोनिया प्लीज तुम ऐसी बात मत करो भला ऐसा कैसे हो सकता है कि अभय की यादाश्त....
सोनिया – कल ही कहा था मैने सब ठीक कर दिया है बाकी अभय के होश आने पर बताया जा सकता है क्योंकि अभय के सिर के पीछे चोट लगी है जहां माइंड की सेंसिटिव नसे होती है सिर की उस हिस्से में चोट लगने से कुछ ना कुछ फर्क आता है बॉडी में....
अर्जुन – तो अब क्या अभय कब तक ठीक होगा कब आएगी यादाश्त उसकी....
सोनिया – शायद कुछ टेस्ट करके बता सकू मै उसके लिए हमें शहर जाना पड़ेगा यहां पर टेस्ट के लिए वैसी मशीन नहीं है....
शालिनी – कब जाना होगा....
सोनिया – अभी नहीं अभय को अभी होश आया है उसे ठीक होने दीजिए अभी फिर ले जाया जाएगा उसे टेस्ट के लिए....
चांदनी – लेकिन उठने के बाद फिर से पूछेगा तब....
सोनिया – तब तक के लिए सभी को संभालना होगा उसे....
शालिनी –(कुछ सोच के) सोनिया अगर अभय की यादाश्त वापस नहीं आई तो....
चांदनी – (चौक के) मां ये आप क्या बोल रहे हो....
गीता देवी – (बीच में) शालिनी जी बिल्कुल सही बोल रही है सोनिया तुम क्या कहती हो क्या इन सब से कोई फर्क पड़ेगा....
सोनिया – देखिए इस समय अभय एक खाली किताब की तरह है उसमें जो लिखोगे आप अभय उसे ही सच मानेगा और बाकी बात मै टेस्ट करके बता सकती हु....
अर्जुन – सोनिया तुम्हे टेस्ट के लिए जो भी मशीन चाहिए वो यही आ जाएगी आज शाम तक (शालिनी और गीता देवी को देख मुस्कुरा के) मै अच्छे से समझ गया आप दोनो क्या चाहते हो उम्मीद है टेस्ट के रेसुल अच्छे आय बस....
राज – तो अभय को हवेली ले जा सकते है अब....
सोनिया – हा अभय के उठते ही ले जा सकते है उसे हवेली....
बोल के शालिनी और गीता देवी एक दूसरे को देख मुस्कुराने लगे....
ये नजारा एक शक्श की आंख से छुप नहीं पाया....
राजू – (राज को एक तरफ ले जाके) अबे एक बात तो बता ये गीता काकी और शालिनी जी के बीच क्या चल रहा है....
राज – (चौक के) अबे क्या बकवास कर रहा है तू....
राजू – अबे तू सच में गधा है क्या देखा नहीं अभय की यादाश्त की बात को लेके कैसे पहले शालिनी जी ने सवाल किया और उसका साथ दिया गीता काकी ने उसके बाद अर्जुन भइया भी आ गए साथ देने अबे क्या चल रहा है इनके दिमाग में.....
राज – (राजू की बात सुन कुछ देर सोचता रहा) समझ में नहीं आ रहा यार इससे क्या फायदा होगा किसी को.....
राजू – (गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख राज के) वैसे ये आइटम कौन है बे बड़ा मस्त माल लग रहा है यार ऐसा लगता है जैसे देखा हुआ है मैने इसे कही....
राज – (राजू की बात सुन अपनी मां के साथ खड़ी लड़की को देख) पता नहीं यार मैं भी सोच रहा हूँ जाने कौन है ये और मा के साथ कैसे और तूने कहा देखा है बे इसे....
राजू – पता नहीं यार ध्यान नहीं आ रहा है मुझे....
लल्ला – अबे तुम दोनो को जरा भी अकल है कि नहीं एक तरफ अभय की हालत देखो ऊपर से तुम दोनो लड़की को देख है कि नहीं इसमें लगे पड़े हो....
राजू – अबे राज ये तो बात सही है अभय के दिमाग का फूस हो गया अब क्या होगा यार....
राज – साला ये भी अभी होना था अभय के साथ मुझे तो अब ज्यादा चिंता हो रही है अभय की यहां से बाहर हवेली में जाने के बाद क्या होगा अभय का ये सोच के परेशान हूँ मैं....
लल्ला – हा यार वो हराम का जना अमनवा इस बात का फायदा उठा के कही अभय के दिमाग में जहर ना भर दे सबके लिए....
राज – (चौक के) चल बे इतना भी भोंदू नहीं है अपना अभय (अपना सिर खुजा के) लेकिन अभी के हिसाब से भरोसा नहीं किया जा सकता है यार....
राजू – जाने क्या होगा अब यार....
थोड़ी देर में अभय उठ जाता है अपने हाथ से संध्या का हाथ पकड़े हुए अपने सामने शालिनी , गीता देवी , अर्जुन , चांदनी और अपने तीनों दोस्त राज , राजू , लल्ला को देखता है....
संध्या – अब कैसा है दर्द....
अभय – अब ठीक है कुछ खाने को....
शालिनी –(बीच में अभय के सिर पर हाथ फेर के) तू जो बता मै लाती हु खाने को....
शालिनी द्वारा अभय के सिर पे हाथ फेरने से पल भर के लिए अभय अपनी आंख बंद करके खोलता है....
अभय – मां....
अभय के मू से मां सुन शालिनी तुरंत अभय को गले लगा लेती है जिस करना अभय का हाथ संध्या के हाथ हट जाता है शालिनी के गले लग जाता है ये नजारा देख सबकी आंखों में हैरानी आ जाती है
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जारी रहेगा