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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Intezar rahega agle update ka
Update posted bhai
 

DEVIL MAXIMUM

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DEVIL MAXIMUM

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Bhai Aaj update Ayega?
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Ashuk2705

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UPDATE 52



अभय – वो माफ करिएगा गलती से बोल दिया मैने....

शालिनी – (मुस्कुरा के) एक शर्त पे....

अभय – क्या....

शालिनी – अब से तू मुझे सिर्फ मां बोले तो....

शालिनी की बात सुन अभय ने संध्या को देखा जैसे पूछ रहा हो जिसे समझ संध्या ने मुस्कुरा के हा में सिर हिलाया जिसके बाद....

अभय – ठीक है मां....

शालिनी – (मुस्कुरा के) अच्छा तू बैठ यहां मै अभी खाने को कुछ लाती हु तेरे लिए....

अर्जुन – (बीच में शालिनी से) आप बैठिए मै लेके आता हु....

बोल के अर्जुन निकल गया जबकि संध्या और शालिनी को छोड़ अभय बाकी लोगो को देखने लगा जिसे समझ के....

शालिनी – (गीता देवी की तरफ इशारा करके) ये गीता देवी है तू इनको बचपन से बड़ी मां बोलता है (तीनों दोस्तो की तरफ इशारा करके) ये है राज , राजू और लल्ला तेरे बचपन के दोस्त है ये तीनों और ये है चांदनी बचपन से तू इसको....

अभय – दीदी....

अभय के दीदी बोलते ही एक बार फिर सभी हैरान थे....

अभय – माफ करना अनजाने में मेरे मू से निकल गया....

संध्या – कोई बात नहीं तू बचपन से इसे दीदी बोलता आया है शायद इसीलिए....

चांदनी –(मुस्कुरा के अभय के गाल पे हाथ फेर के) मुझे बहुत अच्छा लगा....

शालिनी – और ये है सत्या शर्मा तू इनको बचपन से बाबा बोलता है गीता देवी इनकी बीवी और राज इनका बेटा है....

अभय – (सबके बारे में जानने के बाद गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख) ये कौन है....

गीता देवी – ये (सत्या बाबू) इनके दोस्त की बेटी है कल आई है गांव में मिलने हमसे....

तभी अर्जुन कुछ खाने को ले के आता है शालिनी को देके कमरे से बाहर चला जाता है जिसे देख....

अभय – (अर्जुन को देख जो कमरे से बाहर चल गया) ये कौन है....

संध्या – ये तेरे पिता के दोस्त कमल ठाकुर के बेटे अर्जुन ठाकुर है तेरे बड़े भाई....

अभय – (संध्या की बात सुन कमरे में इधर उधर देखते हुए) पिता जी वो कहा है दिख नहीं रहे है....

अभय के इस सवाल से सबके चेहरे से जैसे हसी गायब सी हो गई क्योंकि अभय से शायद किसी को उम्मीद नहीं थी इस सवाल की इस मौके पर....

गीता देवी – (अभय के सिर पे हाथ फेर के) बेटा तेरे पिता जी तेरे बचपन में ही इस दुनिया से चले गए थे....

अभय – (मायूसी से) हम्ममम....

संध्या – (अभय के कंधे पे हाथ रख के) मै हूँ ना तेरे साथ....

संध्या को देख अभय हल्का सा स्माइल करता है जिसके बाद....

शालिनी – (बात बदलते हुए) चलो अच्छा पहले कुछ खा लो तुम फिर जल्दी से चलते है घर पर सब इंतजार कर रहे होगे हम लोगों का....

संध्या – अरे हा मैंने हवेली में किसी को बताया नहीं....

शालिनी – कोई बात नहीं मैने हवेली में बता दिया सबको अभय होश में आगया है और हम सब हवेली आ रहे है....

इधर कमरे के बाहर खड़ी सोनिया ये नजारा देख रही थी गौर से जिसे देख शालिनी बाहर चलीं गई....

शालिनी – (सोनिया से) तुमने देखा अभी अभय ने मुझे मां बोला और बिना बताए चांदनी को दीदी....

सोनिया – जी जिसका मतलब ये है कि अभय का लगाव अपने दोस्तों से भी इतना नहीं जितना आपसे और चांदनी से है इसीलिए अभय के सिर पर आपका हाथ लगते ही आपको मां बोल दिया और चांदनी का देखा सबने लेकिन अपनी असली मां तो क्या अपने जिगरी दोस्तो तक को नहीं पहचान पाया....

शालिनी – मतलब क्या है तुम्हारा....

सोनिया – मैने पहले ही कहा आपसे इस वक्त अभय एक खाली किताब है जिसमें आप जो लिखोगे उसे वही सच मानेगा अब ये आप सब के ऊपर है कि आप उसे क्या बोलते हो क्या नहीं....

शालिनी – क्या इन सब से अभय आगे चल के कुछ गलत तो नहीं समझेगा उसकी यादाश्त वापस आने के बाद....

सोनिया – मुझे लगता है आप या चांदनी अगर उसके साथ रहोगे जब तक ऐसी स्थिति में तब उसे हैंडल करना आसान होगा क्योंकि हम जिससे प्यार करते है उसकी बात कभी नहीं ताल सकते बाकी मैं तो साथ हूँ आप सबके अभय की दवा का ध्यान मै रखूंगी....

शालिनी – ठीक है कुछ देर बाद हम हवेली के लिए निकलेंगे सब....

कुछ वक्त के बाद सब अस्पताल से हवेली के लिए निकल रहे थे बाहर सबके गाड़ी में बैठने के बाद संध्या गाड़ी में बैठने जा रही थी तभी सामने से आती पायल जो अपने मा बाप के साथ आ रही थी अस्पताल की तरफ जिसे देख संध्या रुक गई....

संध्या – (पायलं को अपने मा बाप के साथ अस्पताल में आता देख पायल से) तू आ गई अच्छा हुआ अगर नहीं आती तो मैं तेरे पास आने वाली थी....

पायल – जी ठकुराइन वो अभय अब कैसा है....

संध्या – अभय अब ठीक है पायल तू एक काम कर शाम को तू हवेली आना मां बाप के साथ वही बात करती हूँ तेरे से....

पायल – जी ठीक है ठकुराइन....

बोल के पायल गाड़ी में बैठे अभय को देखने लगी जो शालिनी के साथ बैठ बात कर रहा था एक पल के लिए अभय ने पलट के पायल को देख के वापस शालिनी से बात करने लग जो पायल को थोड़ा अजीब सा लगा जिसे ना समझ के इससे पहले आगे कुछ बोलती उसके पिता ने चलने को बोला जिसके बाद पायल अपने मां बाप से साथ वापस चली गई पीछे से सभी अस्पताल के बाहर आते ही सभी गाड़ी में पहले से बैठ गए थे संध्या के गाड़ी में बैठते ही....

अभय – वो कौन थी....

संध्या – तेरी खास दोस्त है शाम को आएगी मिलने हवेली....

अभय – हवेली मतलब....

संध्या – (मुस्कुरा के) चल रहे है वही देख लेना तू खुद ही....

कुछ समय बाद सभी हवेली में आ गए तभी हवेली के दरवाजे में सबके आते ही ललिता , मालती , सायरा , शनाया , अलीता , निधि , रमन और अमन खड़े थे हवेली में आने से पहले शालिनी ने सभी को अभय के बारे में बता दिया था हवेली के अन्दर आते ही शालिनी और संध्या ने मिल के अभय को सबसे मिलवाया....

संध्या –(अभय से) चल मेरे साथ तेरे कमरे में तू फ्रेश होके तैयार होजा....

अभय – मेरा कमरा....

संध्या – (मुस्कुरा के) हा तेरा कमरा चल मेरे साथ....

बोल के संध्या सीडीओ से अभय का हाथ पकड़ के उसे लेके जाने लगी पीछे से शालिनी भी साथ आ गई अपने कमरे में आते ही....

अभय – (कमरे को देख) इतना बड़ा कमरा क्या ये सच में मेरा कमरा है....

संध्या – हा ये तेरा ही कमरा है और ये तेरी टेबल यहां बैठ के तू पढ़ाई करता है और ये देख तेरी ड्राइंग बुक तेरे कलर्स यहां पर तू चित्र बनाता है कभी कभी....

अभय – क्या मै इस कमरे में अकेला रहता हु और आप कहा....

संध्या – मेरा कमरा दूसरी तरफ है....

अभय – ओह....

संध्या –(अभय के मायूसी भरे जवाब को सुन) चल तुझे मै अपना कमरा दिखाती हु....

बोल के अभय को अपना कमरा दिखाने लेके चली गई अपने कमर में आते ही....

संध्या –(कमरे में आते ही) ये मेरा कमरा है....

अभय – (संध्या के आलीशान कमरे को देखते ही) बहुत खूबसूरत है आपका कमरा (मनन के साथ एक बच्चे की तस्वीर को देख के) ये तस्वीर किसकी है....

संध्या – इस तस्वीर में तू और तेरे पिता जी है....

अभय – (तस्वीर को देख) बहुत सुंदर है तस्वीर....

संध्या – एक बात पूछूं तेरे से....

अभय – हा....

संध्या – तू इस कमरे में रहेगा मेरे साथ....

अभय – हा मै भी यही पूछना चाहता था आपसे अगर आपको कोई एतराज ना हो....

शालिनी – भला संध्या को क्या एतराज होगा ये तो बहुत अच्छी बात है तू अब से संध्या के कमरे में रहेगा अब खुश....

संध्या – मै नौकर को बोल के तेरा सामान यही रखवा देती हु ठीक है तू जाके फ्रेश होके तैयार होजा साथ में खाना खाएगे....

बोल कर संध्या अभय का सामान अपने कमरे में रखवा देती है जबकि इस तरफ नीचे हॉल में सबके साथ राज , राजू और लल्ला सबसे अलग खड़े होके बाते कर रहे थे....

राजू – अब क्या करने का सोच रहा है भाई....

राज – मै यही सोच रहा हूँ इतनी देर से ये लड़की कौन है यार....

लल्ला – अबे चांदनी भाभी कम पड़ गई क्या तुझे जो तू उस लड़की के लिए सोच रहा है....

राज – अबे वो बात नहीं है यार चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा है लेकिन याद नहीं आ रहा है कहा देख है इसे....

राजू – बेटा तेरा मन भटक रहा है सच तो ये है समझा....

लल्ला – एक काम कर गीता काकी से पूछ ले पता चल जाएगा तुझे....

राज – यहां से जाने के बाद बात करता हू मा से मुझे तो चिंता अभय की हो रही है यार....

राजू – हा जब से हम आय है यहां पर तब से देख रहा हूँ मैं ये अमनवा और रमन दोनो चुप चाप बैठे है जरूर इनके दिमाग कुछ तो चल रहा होगा....

लल्ला – तुम दोनो को सच में लगता है ये दोनों ऐसा कुछ करेंगे अभय के साथ....

राज – कोई भरोसा नहीं इन दोनों बाप बेटों का वैसे भी इस वक्त अभय Mobile without Memory card है कुछ भी कर सकते है ये दोनों अब उसके साथ....

राजू – मै तो बोलता हूँ ठकुराइन से बात कर लेते है एक बार इस बारे में....

राज – तुम दोनो ने एक बात गौर की....

लल्ला – अब तुझे क्या याद आ गया भाई....

राज – कुछ नहीं यार वो अस्पताल में शालिनी जी और मां जिस बात पर मुस्कुरा रहे थे याद है....

राजू – अबे तो उस बात का इस बात से क्या मतलब....

राज – मतलब है बे.....

लल्ला – अच्छा और वो क्या....

राज – जरा एक नजर ऊपर सीढ़ियों की तरफ देखो समझ जाओगे....

राज के बोलते ही राजू और लल्ला ने सीढ़ियों की तरफ देखा जहां अभय नीचे आ रहा था संध्या के साथ उसका हाथ पकड़ के पीछे शालिनी आ रही थी जिसे देख....

राजू – अबे इसमें ऐसी कौन सी बात है अब....

राज – अबे गौर से देख अभय ठकुराइन के साथ नीचे आ रहा है उसका हाथ पकड़ के इससे पहले तूने देखा अभय को ठकुराइन के साथ हाथ पकड़ के चलते हुए....

लल्ला – अबे हा यार ये तो बात है....

राजू – ओह तेरी तो इसीलिए गीता काकी और शालिनी जी इस बात को लेके मुस्कुरा रही थी तो ये मतलब था दोनो का ताकि अभय ठकुराइन के साथ मिल के रहे बिना नफरत के तभी....

राज – समझदार हो गया है बे तू....

अभय , संध्या और शालिनी के साथ नीचे आते ही....

अलीता – (मुस्कुराते हुए अभय से) आइए देवर जी (डिनर टेबल की कुर्सी बाहर खींच के) बैठिए और संभालिए अपनी जिम्मेदारी....

संध्या – (मुस्कुरा के) तुम भी ना अलीता अभी तो आया है अस्पताल से ठीक होके आते ही मजाक करना शुरू कर दिया....

अलीता –(मुस्कुरा के) चाची जी ये तो भाभी का हक है अपने प्यारे देवर से मजाक करने का क्यों अभय बुरा तो नहीं लगा तुम्हे....

अभय – (मुस्कुरा के) नहीं भाभी....

अलीता – बहुत अच्छी बात है अब कैसा है दर्द....

अभय – अभी आराम है भाभी वैसे भाभी वो भैया कहा है दिख नहीं रहे है....

अलीता – वो काम से गए है अपने गांव कुछ दिन बाद आ जाएंगे....

संध्या – ऐसा क्या काम आ गया अर्जुन को जल्दी चला गया वो....

अलीता – पता नहीं चाची जी बस बोल के गए है कुछ दिन में आ जाऊंगा जल्दी....

अभय – (संध्या से) मां....

अभय के मू से मां सुन सब अभय को देखने लगे....

संध्या –(आंख में एक बूंद आंसू लिए खुश होके) हा...हा...एक बार फिर से बोल....

अभय – मां , क्या हुआ मां मैने कुछ गलत बोल दिया क्या....

संध्या –(अपने आंसू पोछ खुशी से) नहीं कुछ गलत नहीं बोला तूने....

अभय – तो आपके आंख में आंसू क्यों....

संध्या – ऐसे ही तू बता क्या बोल रहा था....

अभय – आपने पढ़ाई के लिए बताया मै क्या पढ़ाई करता हू अभी....

संध्या – तू कॉलेज में पढ़ाई करता है अभी पहला साल है तेरा कॉलेज में क्यों क्या हुआ....

अभय – वो आगे की पढ़ाई के लिए....

संध्या – तू चिंता मत कर पढ़ाई की पहले पूरी तरह ठीक हो जा तू उसके बाद पढ़ाई शुरू करना....

शनाया – हा अभय तुम पढ़ाई की बिल्कुल चिंता मत करो ठीक होते ही मैं मदद करूंगी पढ़ाई में तुम्हारी....

शालिनी – हा बिल्कुल अभय शनाया पहले भी तुझे पढ़ा चुकी है और अब तो तेरे कॉलेज की प्रिंसिपल है वो और तेरे ये तीनों दोस्त भी साथ है तेरे....

शालिनी की बात सुन राजू , राज और लल्ला ने मुस्कुरा के अभय को हा में इशारा किया जिसे देख अभय भी हल्का मुस्कुरा दिया....

ललिता – लल्ला तू बाकी सब बाते छोड़ खाना खा के बता कैसा बना है खाना....

अभय – (खाने का एक निवाला खा के) पराठे बहुत अच्छे बने है चाची....

ललिता – (3 पराठे अभय की प्लेट में रख के) तो जल्दी खा ले....

अभय – चाची ये बहुत ज्यादा है....

ललिता – ज्यादा कहा है लल्ला 4 पराठे तो तू चुटकी में खा जाया करता था वैसे भी तुझे तो दीदी के हाथ के बने पराठे इतने अच्छे लगते है 6 पराठे खाने के बाद भी और पराठे मांगता था खाने को....

ललिता की बात सुन अभय मुस्कुरा रहा था जिसे देख सबके साथ संध्या भी मुस्कुरा के अभय को देखे जा रही थी....

अभय – (2 पराठे खाने के बाद) चाची पेट भर गया अब और मन नहीं हो रहा खाने का....

ललिता – लल्ला देसी घी के बनाए है तेरे लिए खा ले ना तभी तो जल्दी ठीक होगा ना....

अभय – नहीं चाची अब नहीं खा पाऊंगा नहीं तो पचेगा नहीं....

अभय की पचेगा वाली बात सुन जहां सब मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपनी पुरानी सोच में चली गई एक वक्त था जब अभय 4 पराठे खाने के बाद और पराठे मांगता था तब संध्या उसे ताना देती थी जिसके बाद अभय पलट के नहीं मांगता पराठा खाने को और फिर जब काफी साल बाद अभय उसे मिला था तब अभय ने यही कहा था कि (मेरा 2 रोटी से भला हो जाता है तेरे हवेली का देसी घी तुझे मुबारक हो मुझ पचेगा भी नहीं तेरे हवेली का देसी घी) इन बातों को याद कर जाने कैसे संध्या की आंख से आसू आ गया जिसे देख....

अभय – तेरी आंख में फिर से आंसू क्यों मां....

संध्या – कुछ नहीं ऐसे ही तू पराठे खा ले तभी तो ताकत आएगी जल्दी ठीक होगा तू....

अभय – (संध्या की बात सुन उसके आसू पोछ) ठीक है लेकिन फिर से तेरी आंख में आसू नहीं आएगा तो , मेरा मतलब आपके आंख से आंसू....

संध्या –(मुस्कुरा के बीच में) कोई बात नहीं तू ऐसे ही बात करता है , आप नहीं तू करके....

अभय – ठीक है....

सबने खाना खाया साथ में जिसके बाद गीता देवी संध्या से विदा लेके वापस जाने लगी तभी....

संध्या – दीदी कल गांव में पंचायत बुलाई है आपने कोई काम है क्या....

गीता देवी – नहीं संध्या कोई खास काम नहीं है महीने की आखिर में होने वाली पंचायत है ये बस क्यों क्या हुआ....

संध्या – कुछ नहीं दीदी अभय को अकेला छोड़ के....

गीता देवी – (मुस्कुरा के बीच में) तो एक काम कर उसे भी साथ लेके आजाना तू पूरा गांव भी मिल लेगा अभय से वैसे भी अब से पहले किसी को कहा पता था अभय के बारे में और अब तो सब जान गए है सब मिल लेगे उससे....

संध्या –ठीक है दीदी मै लेके आऊंगी अभय को और (लड़की को गीता के साथ देख के) ये आपके साथ अकेले....

गीता देवी – (संध्या का हाथ पकड़ के) मै कॉल कर के बात करती हु तेरे से तू अभय का ध्यान रख बस....

संध्या – ठीक है दीदी....

बोल के गीता देवी वो लड़की , राज , राजू और लल्ला चले गए रस्ते में....

राजू – (राज से इशारे में) पूछ ना बे....

राज – (गीता देवी से) मा वैसे ये कौन है....

गीता देवी – (राज को देख के) तूने पहचाना नहीं अभी तक इसे....

राज – नहीं मा मुझे नहीं याद कौन है ये....

घर आते ही राजू और लल्ला अपने घर की तरफ निकल गए गीता देवी कमरे में चली गई जिसके बाद....

राज – (लड़की से) क्या मै आपको जनता हूँ....

लड़की – मुझे क्या पता....

राज – आपको देख के ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने पहले....

लड़की – (अपनी नाक सिकुड़ के) मै क्या जानू आपको ऐसा लगता है या वैसा हुह हा नहीं तो....

बोल के लड़की अन्दर कमरे में चली गई गीता देवी के पास उसके जाते ही राज उसकी कही बात सोचने लगा जिसके बाद....

राज – हा नहीं तो बड़ा अजीब सा तकिया कलाम है (अचानक से कुछ याद आते ही) दामिनी ये यहां पर....

अन्दर कमरे में जाते ही जहां गीता देवी और लड़की बैठ के बात कर रहे थे....

राज – (कमरे मे आते ही लड़की से) तुम दामिनी हो ना....

गीता देवी –(मुस्कुरा के) आ गया याद तुझे....

राज – मां लेकिन ये तो शहर गई थी पढ़ाई करने फिर....

गीता देवी – ये सब बाते बाद में करना अब ये यही रहेगी हमारे साथ और तेरे साथ कॉलेज भी जाया करेगी....

राज – AAAAAAAAAYYYYYYYYEEEEEEEE मेरे साथ....

गीता देवी – हा तेरे साथ अब जाके तू आराम कर हमे भी करने दे आराम बाकी बाते तेरे बाबा बताएंगे तुझे....

इस तरफ हवेली में खाना खाने के बाद सब कमरे में चले गए थे आराम करने लेकिन एक कमरे में....

रमन – तो आ गई तू आखिरकार हवेली में....

उर्मिला – (मुस्कुरा के) सब आपकी मेहरबानी से हुआ है ये....

रमन – (मुस्कुरा के) मै जनता था मेरी ये चाल आसानी से काम कर जाएगी इसीलिए तुझे बीमारी का नाटक करने के लिए कहा था मैने लेकिन तू सच में बीमार कैसे हो गई थी....

उर्मिला – (मुस्कुरा के) वही पुराना तरीका अपनाया था मैने प्याज को छील के दोनो हाथों के बागली में रख दिया था मैने सुबह तक बुखार बहुत तेज हो गया था मुझे तभी पूनम को सब समझा दिया था मैने तभी पहले आपके पास आई फिर अमन के पास उसी वक्त जब अभय इससे थोड़ी दूर खड़ा था अपने दोस्तों के साथ उनका ध्यान पूनम पे ही था और पूनम ने वैसा ही किया और रोते हुए निकल गई कॉलेज से बाहर और तभी उसने सत्या बाबू को उसकी तरफ आता देखा तभी उसने कुवै में छलांग लगा दी और बेचारा सत्या शर्मा अपने भोले पन में ये बात भूल गया कि पूनम को तैरना आता है इस बात से बेखबर पूनम को बचाने के लिए कुवै कूद गया उसे बाहर निकाल के अस्पताल ले गया और पूनम की बातों से ये समझ बैठा कि पूनम ने मजबूरी में आके ये कदम उठाया....

रमन – और इस चक्कर में अमन को बहुत मार पड़ी थी....

उर्मिला – माफ करना ठाकुर साहब मै सच में अंजान थी इस बात से....

रमन – पूनम कहा है....

पूनम – मै यही हूँ पिता जी....

रमन – शाबाश बेटी गजब की एक्टिंग की तुमने पर ध्यान रहे ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए और ध्यान से हवेली में सबके सामने मुझे पिता जी मत बोलना उनके सामने तुम दोनो ऐसा दिखावा करना जिससे लगे तुम दोनो को मुझसे नफरत है....

उर्मिला – लेकिन इस तरह कितने दिन तक हम ऐसा करेंगे....

रमन – परेशान मत हो ज्यादा दिन तक नहीं करना पड़ेगा ये सब बस इस बार तसल्ली से धीरे धीरे संध्या को अपनी मुट्ठी में करना होगा इसीलिए तुझे यहां लाया हूँ मैं ताकि तेरे सहारे संध्या एक बार मेरी मुट्ठी में आजाय उसके बाद उसके पिल्ले को रस्ते से हटा दूंगा उसके बाद ललिता फिर मालती....

उर्मिला – आप अपने भाई प्रेम को भूल रहे हो ठाकुर साहब....

रमन – उस बेचारे को नुकसान पहुंचा के भी क्या फायदा होगा मुझे एक तो मेरा छोटा भाई ऊपर से वो बेचारा इतना भोला है मनन के जाने के बाद कसम खाली थी उसने की मरते दम तक इस हवेली में नहीं आएगा जब तक मां नहीं मिल जाती बेचारा तब से हवेली के बाहर खेत में ही रहता है बिना किसी सुख सुविधा के....

उर्मिला – तब तो आपको उसे भी अपने साथ मिला लेना चाहिए था एक से भले दो हो जाते....

रमन – अच्छा तो अब तुझे मै कम पड़ता हु क्या जो दूसरे की जरूरत पड़ रही है तुझे....

उर्मिला – ऐसी बात नहीं है ठाकुर साहब अगर आप बोलेंगे तो आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ मै....

रमन – जनता हूँ मेरी जान बस अपने दिमाग से प्रेम का ख्याल निकाल दे उसे इन सब में शामिल करना रिस्क होगा जाने उसके दिमाग में क्या है आज तक नहीं जान पाया मै इस बारे में उससे बात करने की सोचना भी मत वर्ना सारे किए कराए पे पानी फिर जाएगा हमारे....

उर्मिला – ठीक है ठाकुर साहब अब आगे क्या करना है....

रमन – इंतजार कर सही मौके पर तुझे बताऊंगा मै क्या करना है तुझे तब तक तू संध्या के करीब होती रह बस....

बोल के रमन कमरे से निकल गया इधर खाना खाने के बाद अभय ने दवा खाई जिस वजह से जल्दी नीद आ गई उसे जिसे देख संध्या मुस्कुरा के साथ में सो गई शाम होते ही संध्या उठ के तैयार होके नीचे हॉल में आ गई जहां सभी औरते पहले से बैठी थी....

शालिनी – अभय जगा नहीं अभी तक....

सोनिया – (बीच में) दवा का असर है इसीलिए नीद नहीं खुली होगी उसकी....

मालती – इतना सोना सही है क्या....

सोनिया – दवा के असर ही सही जितना ज्यादा आराम करेगा पेन में आराम मिलेगा उसे....

ललिता – वैसे कितने दिन तक चलेगी दावा....

सोनिया – 1 से 2 दिन चलेगी बाकी हर 2 दिन में पट्टी कर दूंगी बस....

इससे पहले ये और कुछ बात करते पायल आ गई अपने मां बाप के साथ जिसे देख....

संध्या – (पायल को देख) अरे पायल आ गई तू तेरा इंतजार कर रही थी मैं आजा....

पायल को अपने साथ बैठा दिया तभी उसके मां बाप खड़े थे तब....

संध्या – अरे तुम दोनो खड़े क्यों हो बैठो ना....

मगरू – ठकुराइन हम कैसे....

ललिता – सोचा मत करो इतना भी बैठ जाओ आप दोनो....

दोनो के बैठते ही....

संध्या – (पायल से) तू मेरे साथ चल ऊपर कमरे में कुछ दिखाती हूँ....

बोल के संध्या पायल को अपने कमरे मे ले गई जहां अभय सोया हुआ था उसे देख....

संध्या – देख रही है पायल इसके चेहरे को सोते हुए कितना मासूम सा बच्चा लग रहा है ये , पायल अभय को होश में आने के बाद उसे कुछ याद नहीं है अपनी यादाश्त खो चुका है वो....

पायल – (हैरानी से) ये आप क्या बोल रही है ठुकराई.....

संध्या – यही सच है पायल इसे तो अपने जिगरी दोस्तों तक को नहीं पहचाना और आज जब तू अस्पताल में मिली उसके बाद भी इसने नहीं पहचाना तुझे और मुझसे तेरे लिए पूछा कौन है ये....

पायल – ऐसा मत बोलिए ठकुराइन बोल दीजिए ये मजाक है.....

संध्या – काश ये मजाक ही होता मुझे नहीं पता इसकी यादाश्त कब वापस आएगी (मुस्कुरा के) लेकिन मेरा वादा है तुझसे ये सिर्फ तेरा ही रहेगा बस और जल्द ही कॉलेज भी आने लगेगा तब तक के लिए नई यादें बनाना अपने अभय के साथ वैसे भी मुझे नहीं लगता कि अभय तुझे ना नहीं बोलेगा कभी....

संध्या की बात पर पायल शर्म से मुस्कुराने लगी उसके बाद दोनों साथ में नीचे आ गए कुछ समय बाद पायल अपने मां बाप के साथ सबसे विदा लेके चली गई जबकि अभय दवा के असर की वजह से काफी देरी से उठा सबके साथ खाना खाने के बाद कमरे मे वापस आके संध्या के साथ बेड में लेट के बाते करने लगा....

अभय – मुझे शाम को जल्दी जगा देती....

संध्या – तुझे दर्द में आराम मिल जाए जल्दी इसीलिए नहीं जगाया क्यों क्या हुआ....

अभय – इतना सोया हूँ मां अब नीद नहीं आ रही है मुझे....

संध्या – मैने भी आराम कल से बहुत किया मुझे भी नहीं आ रही नीद....

अभय – अस्पताल में मेरी वजह से बहुत परेशान होगाई होगी ना....

संध्या – ऐसा मत बोल रे तेरी वजह से क्यों परेशान होने लगी मैं तेरे वापस आने से मुझमें तो फिर से जान वापस आ गई है....

अभय – मेरे आने से मतलब....

संध्या – (हड़बड़ाहट में) वो....मै....मै....ये बोल रही थी तू अस्पताल से आ गया है ना इसीलिए....

अभय – (संध्या के हाथ में अपना हाथ रख के) क्या हुआ....

संध्या – नहीं कुछ भी तो नहीं....

अभय – तू कुछ छिपा रही है ना बात क्या बात है....

संध्या – नहीं रे एसी कोई बात नहीं है....

अभय – तो बता ना क्या छुपा रही है तू....

संध्या – कोई बात नहीं है रे....

अभय – तो बता दे ना अपने दिल की बात देख मुझे तो कुछ पता नहीं मेरे बारे में मै वही मान लूंगा जो तू बोलेगी बता दे क्या बात है....

संध्या – (अभय को कुछ देर देखती रही) डर लगता है मुझे कही तू रूठ तो नहीं जाएगा फिर से....

अभय – क्या फिर से क्या मतलब है तेरा....

संध्या – (अभय की बात सुन आंख में आंसू के साथ) कही तू फिर से मुझे छोड़ के ना चला जाय....

अभय – (मुस्कुरा के संध्या के आसू पोछ) तू तो मेरी अपनी है तुझे अकेला कैसे छोड़ के जा सकता हूँ मैं (संध्या के गाल पे हाथ रख के) तेरी कसम खा के बोलता हु मर जाऊंगा लेकिन तुझे कभी छोड़ के नहीं जाऊंगा मै....

संध्या – (अभय के मू पे हाथ रख के) मारने की बात मत बोल रे तेरी खुशी के लिए मेरी जिंदगी कुर्बान....

अभय – (मुस्कुरा के) चल छोड़ इन बातों को एक काम कर पहले तू मुझे अपने बारे में बता फिर मेरे बारे में बताना....

संध्या –(मुस्कुरा के) क्या बताऊं....

अभय – सब कुछ....
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
I think raj yadasat ka bahana bana rahi hi past jan ne ki liye sath me ghar ka bhedhi khoj ne ke liye
 

dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Badhiya update bhai

Ye to sach me hi abhay ki yaddasht chali gayi jahan ek bar wo fir haweli me aa chuka ha or sandhya ko bhi apna beta mil gaya chahe uski yaddasht hi ja chuki ho lekin ab abhay usse nafrat to nahi karta or ab to maa bhi bulane laga ha use sandhya ke liye to yahi words amrat ke saman ha abhi or geeta devi or shalini ji bhi bharpur sath de rahi ha dono ke bich bond ko majbut banane ke liye taki yaddasht wapas aye to ye wali yaden shyad abhay ki nafrat kam kar de

Or ye Urmila ot Poonam kabhi nahi sudhar sakti or Raman to ha hi gira hua ye dono bhi ab tak natak kar rahi thi or Raman sandhya ko wapas apne control me lena chahta ha urmila ki madad se jo chij wo pahle kar chuka ha usi ko dohrana chahta ha lekin is bar sandhya akeli nahi ha lagta ha is bar Raman ki badhiya pilayi hone wali ha

Idhar Raj ke liye chandani gayi damini aa gayi 😅😅😅😅 chalo Raj bhai ka dil to nahi tutega or jaisi dono ki pehli mulakat ha usse to yahi lagta ha Rak bhai to abhi bhi chandni ke khwab dekh rahe han lekin lagta ha ab unko bhi unka bachpan ka pyar mil jayega

Or jaise Raman ne kaha tha Prem ke bare me to kya sach much prem ke dimag me kuchh chal raha ha kyonki ab tak to uska jikra hi nahi hua ha

Or idhar last me jya sandhya abhay ko puri sachaai bata degi chahe iska parinam kuchh bhi ho ya fir kuchh story ghuma degi kher ye to age hi pata padega ki sandhya sach ke sath abhay ko pati ha ya fir isi prakar sab chalne deti ha
 
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