Teri chhoti se jaan or itni mehnat, Kaise kar leti hai preetoBahot kuchh likhna hai.
1) psycho Kavita. (Erotic)
2) parinda. (Drama)
3) pink gangsters (crime)
4) jungle ka Salam (crime drama)
5) biwi ne *********** (erotic)
6) mere Pati ki Kashmir posting. (Aap biti)
7) bat lenge ham (erotic)
8) ilaaj (erotic, crime ,thriller)
Running horror story ke kisse to aate jate hi rahenge. Jise kuchh wakt ke lie mene chhod rakha hai.
Nanhi jaan. Aur chhote chhote shapne.
Abe Pehle likhne to de useLink do Devi ji iska read kroga mai
Humne to dekh bhi rakha hai baalikeये भविस्य है बालक. अपनी दिव्या दृष्टि से देखो. लांच होने वाली है. मात्र 1 वर्ष बाद
इतना लिखने मे टाइम लगेगा yaar
Ye lilkhi nahi hai abhi. Likhna baki hai. Dhire dhire hoga sabTeri chhoti se jaan or itni mehnat, Kaise kar leti hai preeto
Bohot hi umda aur lajabaab update tha DEVIL MAXIMUM bhaiyaUPDATE 35
सवेरा हुआ जहा एक तरफ रात की कड़ी मेहनत के बाद अभय और सायरा बाहों में बाहें डाले गहरी नीद में सो रहे थे वही हमारे राज बाबू , राजू और लल्ला सुबह 5 बजे अखाड़े आ गए और अभय के आने का इंतजार कर रहे थे मोबाइल से कौल पर कौल किए जा रहे थे अब उन्हें क्या पता की अभय बाबू ने पहली बार रात में काफी मेहनत की साथ में 1 घंटे तक शंकर की क्लास लगाई ऐसे में नीद कैसे खुले किसी की खेर इसका हर्जाना भुगतना पड़ा बेचारे राज , राजू और लल्ला को क्योंकि सत्या बाबू ने शुरुवात में इतनी मेहनत (कसरत) करवा दी तीनों से बेचारे घर में आके पलग में इस तरह पड़े जैसे मरने के बाद शरीर सुन पड़ जाता है....
इस तरफ अभय उठ के सोती हुई सायरा को देख मुस्कुरा के तयार होके नाश्ता बना दिया....
अभय –(सायरा को जगाते हुए) उठो सायरा देखो सुबह कब की हो गई है...
सायरा –(उठाते हुए) आहहहहह...
अभय –(दर्द वाली आवाज सुन सायरा से) क्या हुआ सायरा...
सायरा –(अभय को देख मू बना के) एक तो इतना दर्द देते हो फिर पूछते हो क्या हुआ....
अभय –(अंजान) मैने क्या किया यार...
सायरा –(मुस्कुरा के) कल रात को किया उसके लिए बोल रही हू...
अभय –(बात न समझ के) लेकिन रात का दर्द अभी क्यों....
सायरा –(मुस्कुरा के) बुद्धू के बुद्धू रहोगे तुम दर्द होता है पहली बार में....
अभय –पहली बार में लेकिन तुम तो....
सायरा –(अपने सिर में हाथ रख के) अरे मेरे भोले बालम काफी वक्त के बाद किया है सेक्स मैंने इसीलिए दर्द होता है जैसे पहली बार में होता है अब ये मत पूछना क्यों , क्योंकि हर लड़की को पहली बार में दर्द होता है समझे अब ज्यादा बक बक मत करो मैं नाश्ता बना देती हू तब तक...
अभय –(कंधे पे हाथ रख के) तुम परेशान मत हो सायरा आराम करो नाश्ता मैने बना दिया है नाश्ता कर के आराम करो दिन में मिलता हू मै...
बोल के बिना बात सुने सायरा की निकल गया कॉलेज...
सायरा –(मुस्कुरा के) पागल कही का....
कॉलेज जहा पर सब दोस्त इंतजार कर रहे थे अभय का कॉलेज में जाते ही मुलाकात हुई सबकी जहा तीनों सिर्फ अभय को घूर के देख रहे थे....
अभय –(तीनों को देख के) क्या बात है कल रात में खाना नही खाया है क्या बे तीनों इस तरह घुर रहे हो मुझे जैसे कच्छा चबा जाओगे....
राज –(गुस्से में) सुबह कहा था बे तू जानता है तेरी वजह से क्या हुआ हमारे साथ...
अभय –(बात याद आते ही) अरे हा माफ करना यार नीद नही खुली मेरी आज सुबह....
राजू – कमिने तेरी नीद नही खुली लेकिन तेरे चक्कर में हमारी लंका लग गई अबे अभी तक कमर दर्द कर रही है यार.....
लल्ला – हा और नही तो क्या काका ने आज सुबह सुबह जो उठक बैठा कराई है कमर की मां बहन एक हो गई बे सिर्फ तेरे चक्कर में....
अभय –(हल्का हस के) अबे तो एक्सरसाइज किया करो बे देखा एक्सरसाइज ना करने का नतीजा....
राज –(गुस्से में) ज्यादा ज्ञान मत दे बे ये बता आया क्यों नही बे सुबह....
अभय –अरे यार वो कल रात सायरा....(बात बदल के) मेरा मतलब 2:30 बजे शंकर चिल्ला रहा था तभी...
राजू और लल्ला –(बीच में) शंकर कहा से आ गया बे बीच में अब....
राज –(राजू और लल्ला को कल की बात बता के) समझा ये बात है किसी को पता ना चले बस (अभय से) हा फिर क्या हुआ....
अभय –चिल्ला रहा था जोर जोर से मेरी नीद खुल गई उसके पास गया (जो बताया सब बता के) बस इसलिए सुबह नीद नही खुली मेरी यार....
राज –(चौक के) अबे ये तो बहुत बड़ा वाला निकला रमन साला गांव में किसी को पता तक नहीं है अभय अगर कल को ऐसा कुछ हुआ तो जो नदी किनारे काम करते है गांव वाले वो बिना बात के फस जायेगे इस लफड़े में यार....
अभय –यही बात कल रात मेरे दिमाग में भी आई थी यार....
राजू – अभय तू कुछ करता क्यों नही है बे...
लल्ला – हा यार अभय तू चाहे तो कर सकता है सब कुछ...
अभय –(बात सुन के) क्या मतलब है तेरा....
राजू –अबे तू जाके बात कर ना ठकुराइन से इस बारे में....
राज –(अपने सिर में हाथ रख के) सालो गधे के गधे रहोगे दोनो के दोनो...
लल्ला – क्या मतलब है बे...
राज – अबे तुम बोल तो ऐसे रहे हो जैसे अभय हवेली जाके ठकुराइन से बात करेगा और वो मान जाएगी अबे जरा सोचो इतने वक्त में जब गांव वाले नही जान पाए तो ठकुराइन को क्या खाक पता होगा वैसे भी सुना नही क्या बताया अभय ने रमन ने कॉलेज बनानी वाली जमीन में क्या करने का सोचा था और डिग्री कॉलेज की रजिस्ट्री भी अभय के नाम से है ये भी नही पता ठकुराइन को अभय कुछ नही कर पाएगा जब तक सुबूत हाथ में ना हो...
राजू – अबे पगला गया हैं तू क्या सबूत है न शंकर इसके पास है ले चलते है उसको ठकुराइन के पास...
अभय – (बीच में) नही अभी नही अभी और भी जानकारी लेनी है मुझे शंकर से...
राज – फिर क्या करे हम....
अभय –(कुछ सोच के मुस्कुरा के) एक रास्ता है मेरे पास जिससे काम बन जाएगा अपना...
राज –(बात सुन) क्या है बता जल्दी....
अभय मुस्कुरा के किसी को कॉल करने लगा....
सामने से – आ गई याद तुझे मेरी...
अभय – (मुस्कुरा के) अपनी मां को कैसे भूल सकता हू मै भला...
शालिनी –(मुस्कुरा के) याद आ रही थी तेरी आज , देख अभी याद किया तुझे और कॉल आ गया तेरा...
अभय – याद आ रही थी तो कॉल कर लेते आप मैं आजाता आपके पास...
शालिनी – सच में...
अभय – मां एक बार बोल के देखो सब छोड़ के आ जाऊंगा आज ही आपके पास...
शालिनी –(मुस्कुरा के) कोई जरूरत नहीं है तुझे आने की कुछ दिन बाद मैं आ रही हू तेरे पास...
अभय – (खुशी से) सच में मां कब आ रहे हो आप...
शालिनी – जल्द ही आउंगी तेरे पास सरप्राइज़ देने...
अभय –मैं इंतजार करूगा मां...
शालिनी – चल और बता कैसी चल रही है पढ़ाई तेरी...
अभय – अच्छी चल रही है मां पढ़ाई और मां आपसे एक काम है...
शालिनी – हा तो बोल ना सोच क्यों रहा है इतना....
अभय – मां वो (शंकर की सारी बात बता के) मां अगर कल को कोई बात हो गई तो बेचारे गांव वाले नदी किनारे काम करते है वो बिना वजह फस जाएंगे इस झमेले में....
शालिनी –(कुछ सोच के) ठीक है तूने बहुत अच्छा किया जो मुझे बता दिया सारी बात तूने दीदी को बताई ये बात...
अभय –नही मां मैने अभी तक कुछ नही बताया दीदी को और प्लीज मां आप कुछ मत बताना शंकर वाली बात तो बिलकुल नहीं मां...
शालिनी –लेकिन बेटा तु दीदी के हवाले कर देता शंकर को वो सब पता करवा लेती उससे....
अभय – मां बात सही है लेकिन मैं जानना चाहता हू शंकर से और भी जानकारी आखिर क्या क्या जनता है वो हवेली के बारे में इसीलिए मैंने आपको बताना जरूरी समझा...
शालिनी – (मुस्कुरा के) ठीक है मैं हैंडल कर लूंगी बात को और जल्द ही रमन के केस को सुलझा दुगी तब तक के लिए तू जितनी जानकारी निकाल सकता है निकाल ले और अभय बस एक बात याद रखना गुस्से में किया काम बनता नही बिगड़ता है हमेशा बस तू गुस्से में कोई गलत काम मत कर देना जिससे तुझे आगे कोई परेशानी आए....
अभय –ठीक है मां मैं ध्यान रखूगा....
शालिनी – (मुस्कुरा के) ठीक है कोई जानकारी मिले मुझे जरूर बताना और अपना ख्याल रखना ठीक है रखती हू बाद में बात करती हू...
अभय –ठीक है मां बाए....
बोल के कॉल कट कर दिया....
अभय – ले भाई हो गया काम अब (पलट के देखा राज नही था बाकी दोनो साथ में थे) अबे ये राज कहा गया बे....
राजू –(इधर उधर देखते हुए) वो देखो और कहा होगा अपना मजनू भाई अपनी लैला के पास चला गया...
अभय – बड़ा अजीब है बे ये मैं यहां बात कर रहा हू और ये इश्क लड़ाने निकल गया बीच में....
इस तरफ....
राज –(चांदनी जो कॉलेज के अंदर आ रही थी उसके पास जाके) गुड वाली मॉर्निंग चांदनी जी कैसी है आप बड़ा इंतजार कराया आपने लेकिन अच्छा हुआ आप आ गई वर्ना मुझे लगा आप आज भी नही आएगी वैसे कल का दिन कैसा रहा आपका मुझे लगा आप कल आएगी काम सीखने लेकिन कोई बात नही आज कॉलेज के बाद मैं आपको सिखाऊगा खेती के हिसाब किताब का काम वैसे अभि थोड़ा टाइम है कुछ चाय कॉफी लेगी आप आइए सामने है मस्त बनाता है चाय कॉफी....
चांदनी जो कॉलेज के गेट से अन्दर आ रही थी राज ने जाके जो बोलना शुरू किया बोलते बोलते दोनो कॉलेज के अंडर आ गए लेकिन राज ने बोलना बंद नही किया तभी सामने से टीचर आते हुए बोले राज से....
M M MUNDE –(राज से) कैसे हो राज क्या बात है बड़े सवाल पूछे जा रहे है मैडम से कभी कभी हमसे भी सवाल पूछ लिया करो हम भी पढ़ाते है कॉलेज में....
राज –(अपने सामने M M MUNDE को देख मन में –मर गया ये कहा से आगया फिर से बबल गम खिलाएगा) सॉरी सर वो मैडम से कुछ पूछना था इसीलिए वैसे मैं अच्छा हू सर और आप तो पहले से मस्त हो मुंडे सर....
M M MUNDE – M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम (हाथ आगे बड़ा के) बबलगम लो ना एक लेले ना...
राज –(जबरन हसके बबलगम लेते हुए) शुक्रिया सर...
M M MUNDE – VERY GOOD हा तो मैं कह रहा था कभी कभी हमसे भी सवाल कर लिया करो टीचर है आपके क्लास के हम भी चलो कोई बात नही(चांदनी से) अरे मैडम माफ करिएगा मैं भूल गया MY SELF M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम(हाथ आगे बड़ते हुए) बबलगम लीजिए ना प्लीज...
चांदनी –(चौक के) नही सर मैं वो...
M M MUNDE – अरे एक ले लीजिए बबलगम बहुत अच्छी है....
चांदनी –(बबलगम लेते हुए) शुक्रिया सर....
M M MUNDE – ना ना मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम (हाथ आगे बड़ा के) बबलगम लीजिए ना एक....
चांदनी –(हैरानी से) लेली सर बबलगम....
M M MUNDE – ओह हा सॉरी आदत है ना मेरी क्या करे मैडम वैसे आप मुझे सर नही मनोहर कह के पुकारे वो क्या है ना आप भी टीचर मैं भी टीचर सेम कोलेज में अच्छा नहीं लगता आप मुझे सर बोले....
चांदनी –(हल्का मुस्कुरा के) जी बिलकुल मनोहर जी....
M M MUNDE – वेलकम चांदनी जी...
तभी कॉलेज की घंटी बज गई जिसे सुन चांदनी जल्दी से भाग गई साथ में राज भी....
M M MUNDE –(चांदनी और राज के अचनाक से जल्दी चले जाने से) अरे ये क्या बड़ी जल्दी चले गए दोनो (बबलगम खाते हुए) चलो भाई हम भी चलते है क्लास में....
बोल के M M MUNDE भी निकल गया क्लास की तरफ राज क्लास में आते ही....
राज –(अभय के बगल में बैठ के) अबे यार ये साला बबलगम खिला खिला के मार डालेगा बे....
बात सुन तीनों दोस्त मू दबा के हस्ते जा रहे थे साथ में पायल भी...
पायल –(अभय से) ये बिल्कुल टेप रिकॉर्डर बन जाता है चांदनी दीदी से मिलके एक बार शुरू हो गया तो रुकने का नाम ही नही लेता है....
पायल की बात सुन अभय , राजू और लल्ला हसने लगे मू दबा के...
राज –(पायल से) ओए जबान संभाल के पायल मैने क्या किया ऐसा क्यों बोल रही है तू...
अभय – अबे जब से दीदी गेट से अन्दर आ रही थी तू टेप रिकॉर्डर की तरह बकर बकर करते हुए चलता चला आ रहा था अबे दीदी को बोलने तक का मौका नहीं दिया तूने तभी पायल तेरे को टेप रिकॉर्डर बोल रही है....
राज –(अपना सिर खूजाते हुए हस के) वो यार पता नही चला कब कॉलेज के अन्दर आ गए हम बात करते करते....
पायल –(हस्ते हुए) बात सिर्फ तू कर रहा था चांदनी दीदी नही...
पायल की बात सुन तीनों हसने लगे तभी टीचर आ गए क्लास में और पढ़ाई शुरू हो गई कॉलेज के बाद बाहर निकल के...
अभय –(पायल से) आज क्या कर रही हो...
पायल – कुछ खास नही घर में रहूंगी....
अभय –शाम को मिलोगी बगीचे में....
पायल – आज नही अभय कल संडे है कल चलते है...
अभय – अरे आज क्यों नही कल क्या है...
पायल – अच्छा घर में क्या बोलूं मैं की अभय से मिलने जा रही हू मै....
अभय – जरूरी थोड़ी है ये बोल कोई और बहाना बना दे....
पायल – गांव में लड़कियों को अकेला बाहर नही निकलने दिया जाता है बाहर मां और बाबा भी मुझे जल्दी कही जाने नही देते जाति भी हू तो नीलम या नूर के संग वो भी उनके घर पास में है इसीलिए....
अभय – (बात सुन के) अरे यार अब...
पायल – कल नीलम , नूर और मैं खेत की तरफ जाएंगे घूमने वही आजाना...
अभय – लेकिन वहा तो सब होगे ना...
पायल – (मुस्कुरा के) तू आ जाना फिर देखेगे....
अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है कल पक्का...
बोल के पायल चली गई घर जबकि अभय , राजू और लल्ला साथ में बात कर रहे थे...
अभय –ये राज कहा रह गया यार....
राजू – (हसके) अबे वो पहले निकल गया तेरी दीदी के साथ...
अभय –यार ये भी ना चल कोई बात नही अब जाके आराम करता हू हॉस्टल में नीद आ रही है यार शाम को मिलते है अगर ना मिलू तो हॉस्टल आजाना तुम लोग...
बोल के अभय हॉस्टल निकल गया कमरे में आते ही सायरा मिली...
अभय – अब कैसी हो तुम....
सायरा – ठीक हू अब...
अभय – अच्छी बात है और हमारे मेहमान का क्या हाल है....
सायरा – (मुस्कुरा के) तुम्हारे जाने के बाद मैने सोचा नाश्ता पूछ लेती हू भूखा ना हो लेकिन कमरे में जाते ही अपनी ताकत दिखाने लगा था मुझे खीच के दिया एक गाल पे...
अभय – (मुस्कुरा के) ओह हो बीना मतलब के ताकत दिखाई तुमने उसे जंजीर से बंधा है मैने गलती से भी खोलने की कोशिश अगर करता एक जोर का झटका पड़ता उसे करेंट का...
सायरा –(मुस्कुरा के) ओह तब तो सच में गलत किया मैने , बेचारे कल रात की तरह टॉर्चर झेल रहा है थोड़ी देर में चिल्लाने की आवाज आएगी देखना तुम मैं खाना लेके आती हू....
बोल के सायरा चली गई खाना लेने अभय निकल गया फ्रेश होने अब चलते है जरा हवेली की तरफ जहा सुबह तो सबकी नॉर्मल हुई दोपहर में चांदनी जब हवेली आई हाल में संध्या बैठी हुई मिली इससे पहले चांदनी या संध्या कुछ बोलते उसी वक्त चांदनी के मोबाइल में शालिनी (मां) का कॉल आया...
शालिनी – कैसी हो चांदनी...
चांदनी – में अच्छी हू मां आप बताए...
शालिनी – तूने कल एक फोटो भेजी थी मुझे...
चांदनी – हा मां क्या हुआ कुछ पता चला आपको...
शालिनी –(हस्ते हुए) तू भी अजीब लड़की है तूने पहचाना नही इसे....
चांदनी – (चौक के) नही मां मैं कैसे पहचानूगि मैं मिली ही नही हू इनसे...
शालिनी –लेकिन अभय मिला है इनसे...
चांदनी –(हैरानी से) क्या कह रही हो मां अभय मिला है इनसे लेकिन कब....
शालिनी – ये अभय के स्कूल की टीचर है पढ़ाती थी अभय की क्लास में लेकिन अब काफी चेंज हो गई है ये पहले की तरह हेल्थी नही नॉर्मल हो गई है ये सब अभय ने किया है और आज ये ही उसी कॉलेज में प्रिंसिपल बन के आई है जहा पर तुम टीचर बन के गई हो....
चांदनी –(चौक के) आपका मतलब शनाया...
शालिनी – हा वही है...
चांदनी – अगर ऐसा है तो उन्होंने मौसी को पहचाना क्यों नहीं इतने वक्त से यही पर है वो....
शालिनी – घर से भागने के बाद कोई कैसे फेस करेगा बेटा शायद यही वजह हो उसकी तुम बात करके पता करो उनसे...
चांदनी – हा मां मैं पता करती हू...
संध्या –(बात सुन के) क्या सच में शनाया ही...
चांदनी –(हा में सिर हिला के) लेकिन मौसी वो इतने वक्त से यहा है लेकिन उन्होंने आपसे ये बात क्यों नहीं बताई....
संध्या – (खुश होके) जाने दे वो सब बात बाद में देखेगे उसे अभी कहा है वो...
चांदनी – आती होगी जल्द ही लेकिन मौसी यहा सबके सामने बात मत करना आप ना जाने वो कॉन सी बात है जिसकी वजह से उन्होंने आपको भी नही बताया आप अकेले बात करना पहले शनाया जी से...
संध्या – ठीक है चांदनी जब वो आजाये मुझे बता देना मै तेरे कमरे में आऊंगी मिलने उसे वही पर बात करेंगे....
आज संध्या को उसकी बहन का पता चल गया था वो इसी बात से ज्यादा खुश लग रही थी जबकि चांदनी का भी सोचना सही था आखिर किस वजह से शनाया चुप बैठी है अभी तक इस तरफ अभय और सायरा ने साथ में खाना खाने के बाद शंकर के कमरे में चले गए जहा शंकर चिल्ला रहा था...
अभय – (शंकर को देख के) कैसे हो सरपंच चाचा मैने सुना भागने की फिराक में थे तुम इसीलिए तुम्हे वापस टार्चर देने शुरू कर दिया उसने चलो अब चिल्लाओ मत (नल बंद करके) बंद कर दिया नल अब अगर चाहते हो ये सब ना हो फिर से तो जो भी सवाल पूछूं उसका सही सही जवाब देना वर्ना नल शुरू हो जाएगा...
शंकर –(रोते हुए) बेटा मत करो ये सब तुम जो सवाल करोगे मैं सब बता दुगा बस ये मत करो वरना मैं पागल हो जाऊंगा इससे...
अभय –(सरपंच की हालत देख) तेरे काम ही ऐसे है की तुझपे तरस खाने को भी जी नही चाहता है चल बता कामरान को क्यों मारा....
शंकर – कामरान को क्यों मरेगा कोई...
अभय – कोई नही तूने या रमन ने किया होगा कही कामरान संध्या के सामने अपना मू ना खोल दे जिसके बाद रमन के साथ मुनीम और तेरा पत्ता कट जाता....
शंकर – नही कामरान को नही मारा मैने या रमन ने...
अभय – तो किसने मारा कामरान को उसे मार के पहेली छोड़ गया था वहा पर कोई....
शंकर – मैं सच बोल रहा हू बेटा मैने या रमन ने नही मारा उसे हमारे 2 नंबर वाले काम को कामरान ही देखता था वो अपनी निगरानी में माल को चेक नाके से पार करता था...
अभय – तो कामरान को मारने से किसी को क्या फायदा होगा भला...
शंकर – उसका कोई निजी दुश्मन हो अगर इसकी जानकारी नहीं है मुझे लेकिन ये हमने नही किया...
अभय – मुनीम कहा है आज कल दिख क्यों नही रहा है...
शंकर – उस दिन के हादसे के बस मुनीम का अभी तक कोई पता नही है...
अभय –किस दिन के हादसे की बात कर रहे हो तुम....
शंकर – कॉलेज में जब अमन से हाथा पाई हुई थी उसदीन से लापता है रमन भी कोशिश कर रहा है मुनीम को ढूंढने की....
अभय – खंडर के बारे में बताओ मुझे...
शंकर – वो तो श्रापित जगह है...
शंकर के इतना बोलते ही अभय का हाथ नल पर गया जिसे देख...
शंकर – (डर से) बताता हू वो खंडर बरसो पुराना है बड़े ठाकुर के वक्त बड़े ही चाव से बनवाया था...
अभय –(शंकर की बात सुन के नल शुरू कर दिया तेजी से जिसका पानी तेजी से शंकर के चेहरे में गिरने लगा फिर नल बंद करके) सुन चाचा जितना सवाल पूछा जाय जवाब उसका ही दे तेरी बेकार की रामायण सुनने नही बैठा हू सिर्फ काम की बात कर....
शंकर –कोई नही जानता की बड़े ठाकुर की संपत्ति के बारे में रमन भी नहीं बड़े ठाकुर ने कमल ठाकुर के साथ मिल कर बहुत से काम करते थे एक दिन बड़े ठाकुर , कमल ठाकुर और महादेव ठाकुर आपस में बात कर रहे थे खंडर के बारे में....
अभय – (बीच में टोकते हुए) कमल ठाकुर तो (सोचते हुए) ये तो दोस्त थे ना आपस में बड़े ठाकुर और मनन ठाकुर के....
शंकर – हा सही कहा...
अभय – लेकिन ये महादेव ठाकुर कौन है...
शंकर –महादेव ठाकुर दूसरे गांव का ठाकुर है उसका बेटा देवेंद्र ठाकुर , मनन ठाकुर और संध्या एक ही कॉलेज में पढ़ते थे रमन भी उसी में पड़ता था लेकिन उसकी बनती नही थी देवेंद्र ठाकुर से तो...
अभय –(बीच में) ये बात बाद में पहले ये बता वो तीनो आपस में क्या बात कर रहे थे...
शंकर – असल में खंडर वाली जमीन महादेव ठाकुर के नाम थी जिसे कमल ठाकुर ने बात करके बड़े ठाकुर को दिलवाई थी जिसमे बड़े ठाकुर ने हवेली बनवाई थी लेकिन ना जाने क्यों बड़े ठाकुर ने एक दिन फैसला किया उस हवेली को छोड़ के दूसरी जगह हवेली बनवाई और वही रहने लगे थे ये सब क्यों हुआ ये नही पता लेकिन जिस दिन ये तीनों बात कर रहे थे महादेव से उसी खंडर के विषय में महादेव ठाकुर खंडर वाली जगह को खरीदना चाहता था लेकिन बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर मना कर रहे थे बेचने से इस बात पर बहुत बात हुई इनमे तब महादेव ठाकुर ने गुस्से में बोल के निकल गया की वो कुछ भी कर के जगह ले के रहेगा...
अभय – ये बात तुझे कैसे पता है...
शंकर – रमन ठाकुर चुपके से उनकी सारी बाते सुन रहा था , बस यही बात है...
शंकर की बात सुन अभय ने उठ के नल शुरू कर दिया जिससे पानी तेजी से शंकर के मू पर गिरने लगा जिससे शंकर छटपटाने लगा जिसके बाद अभय ने नल को बंद किया जिसके कारण शंकर लंबी सास लेने लगा जिसे देख...
अभय – बोला था ना मैने सब कुछ बताने को बार बार क्यों खुद को तकलीफ दे रहा है तू चल अब बता बात पूरी याद रखना अगली बार ये नल तब तक खुला रहेगा जब तक तू खुद नही बोल देता की सब बताता हू , अब बता क्यों महादेव ठाकुर जगह लेना चहता था जबकि महादेव ने खुद जमीन बेची थी बड़े ठाकुर को आखिर क्यों...
शंकर –उस वक्त महादेव ठाकुर जब चला गया तभी बड़े ठाकुर की नजर गई रमन पे जो छुप के बात सुन रहा था तब बड़े ठाकुर ने रमन को अपने पास बुलाया तब रमन ने बोला की आप बेच दो उस खंडर को तब बड़े ठाकुर ने बोला की वो ऐसा नहीं कर सकते है क्योंकि वो जगह श्रापित है वहा पर भूत है इसीलिए नही बेचना चाहते है वो खंडर वाली जमीन....
अभय –अच्छा इसके बाद भी तुम उसके आस पास घूमते रहते हो कई बार देखा है तुझे मैने...
शंकर – नही नही मैं वहा नही जाता हू उस जगह के पास रमन का गुप्त अड्डा है जहा पर ड्रग्स का माल छुपा के रखा जाता है मैं बस उसके लिए जाता था वहा पर....
अभय – तेरी बताई बातो में कुछ तो गड़बड़ लग रही है मुझे...
शंकर – यही सच है मैं कसम खा के बोलता हू बेटा...
अभय – तो किसे पता होगा सच का...
शंकर –मुनीम को पता होगा सच का क्योंकि मुनीम बड़े ठाकुर के वक्त से है हवेली में उसे पता होगा खंडर के बारे में और शायद ठकुराइन को...
अभय –अच्छा ठकुराइन को क्यों पता होगा...
शंकर – क्योंकि मरने से पहले हवेली की सारी बागडोर बड़े ठाकुर ने ठकुराइन को दी थी तब उन्होंने कुछ बात भी बताई थी अकेले में ठकुराइन को...
अभय – क्या बात बताई बड़े ठाकुर ने ठकुराइन को...
शंकर – ये तो पता नही मुझे और रमन ने बात करते देखा था दोनो को तभी मुझे बताया उसने और रमन ने कोशिश की बात जानने की लेकिन कामयाब नही हुआ वो...
अभय – वैसे तेरे हिसाब से मुनीम कहा जा सकता है...
शंकर – पता नही बेटा वो कही जाता नही था अगर गया तो ठकुराइन के काम से जाता या रमन ठाकुर के काम से और जल्दी ही वापस आ जाता था लेकिन ना जाने कहा गायब हो गया है मुनीम काफी दिन से...
अभय – ठकुराइन के बेटे के घर छोड़ के चले जाने के बाद रमन ने क्या क्या किया है...
शंकर – ठकुराइन का बेटा जब से गया हवेली से तब से ठकुराइन गुमसुम सी रहने लगी थी काफी वक्त से तब रमन ने अमन को समझा के ठकुराइन के पास भेज दिया ताकि अमन ठकुराइन के करीब रह के अभय की जगह ले सके और तभी ठकुराइन भी पिघल गई अमन की बातो से और उसे ही बेटा मानने लगी लेकिन वैसा नही हुआ जैसा रमन चाहता था उल्टा ठकुराइन अभय को भूल नही पा रही थी हर साल अभय का जन्मदिन मनाती...
अभय –(हस्ते हुए) जब बेटा साथ था तब कदर नही कर पाई और जब दूर हो गया तब जन्मदिन मनाया जा रहा है उसका एक बात तो बता उसी दिन लाश भी मिली थी ना बच्चे की जिसे अभय समझ लिया गया था तो फिर हर साल जन्मदिन मनाती थी या उसका मरणदीन...
बोल के अभय जोर जोर से हसने लगा शंकर अपनी फटी आखों से देखे जा रहा था अभय को जबकि इन दोनो को पता भी नही था की कमरे के दरवाजे पर खड़ी सायरा इनकी सारी बाते सुन रही थी इधर जब ये सब हो रहा था तब हवेली में शनाया आ गई अपने कमरे में आते ही चांदनी से मिल फ्रेश होके जैसे बाहर आई सामने संध्या बैठी दिखी...
शनाया – (संध्या को देख के) अरे आप आज यहां पे....
संध्या –(रोते हुए गले लग गई शनाया के) कहा चली गई थी तू कितना ढूढा तुझे मैने लेकिन , चल छोड़ ये सब तू इतने वक्त से साथ है बताया क्यों नहीं मुझे तूने...
शनाया जो इस सब बात से हैरान थी एक दम शौक होके खड़ी रही जिसे देख संध्या बोली...
संध्या – क्या हुआ तुझे बोल क्यों नहीं रही है तू...
शनाया –(आंख में आसू लिए हैरान होके) तुझे कैसे पता चला मेरे बारे में...
संध्या – बस पता चल गया अब तू बता क्यों चुप थी तू इतने वक्त से...
शनाया –(रोते हुए) मुझे माफ कर दो संध्या मैने बहुत बड़ी गलती की थी जो घर से भाग गई शायद उसीकी सजा मिली मुझे जिसके साथ भागी उसी ने धोखा दिया मुझे एक रात अचानक से वो भाग गया सब कुछ लेके जो मैं घर से लेके भागी थी कुछ नहीं बचा था मेरे पास दो दिन तक ठोकर खाती रही शहर में एक घर में नौकरानी मिली साथ में रहने के लिए जगह भी वहा काम करती थी और साथ में उनके बच्चो को पढ़ाती थी घर की मालकिन का खुद का स्कूल था वो ये सब रोज देखती एक दिन उसने मुझे अपने स्कूल में पढ़ाने के लिए कहा बस तब से मैं स्कूल में पढ़ाने लगी और अब यहां कॉलेज में प्रिंसिपल के लिए मुझे चुना गया जब तेरा नाम सुना मैने सोचा एक बार मिलु तेरे से लेकिन जब तेरे सामने आई हिम्मत नही हुई बताने की तेरे से कही तू नाराज ना हो जाय मैं नही चाहती थी मैं दूर तुझसे इसीलिए मैंने सोच लिया भले सच ना बताऊं लेकिन तेरा साथ तो रहूंगी मैं जब तक यहां पर हू....
संध्या –(मुस्कुरा के) जानती है पहली बार तुझे देखते ही जाने क्यों मुझे लग रहा था तू मेरी अपनी है लेकिन तेरा तो होलिया ही बदल गया पूरा एक पूरा कैसे किया ये...
चांदनी –(बीच में) मौसी ये अभय का किया धरा है सब...
संध्या –(चौक के) अभय का किया क्या मतलब अभय बीच में कैसे आ गया...
चांदनी –(मुस्कुरा के) मौसी आप भूल रहे हो अभय जिस स्कूल में पढ़ता था उसी स्कूल में शनाया मैडम पढ़ाती थी अभय वही पर मिला था मैडम से हॉस्टल में रह के शनाया मैडम से ट्यूशन पड़ता था और उसी के साथ मैडम रोज सुबह शाम एक्सरसाइज करती थी इसीलिए शनाया मैडम का लुक पूरा बदल गया...
संध्या –(बात सुन के शनाया से) अभय तेरे साथ था इतने वक्त तक तू पढ़ाती थी उसे...
शनाया –(चांदनी की बात सुन) तुम इतना सब कैसे जानती हो चांदनी और मेरे साथ तो अभी था अभय नही (संध्या से) और तू बार बार इसकी तरह अभी को अभय क्यों बोल रही है संध्या वो अभी है अभय नही...
संध्या –(मुस्कुरा के) तू जिसे अभी समझ रही है वो अभय ही है और (चांदनी पे इशारा करके) ये CBI ऑफिसर चांदनी है DIG शालिनी सिन्हा की बेटी अभय इन्ही के साथ रहता था...
और इस बात के बाद शनाया के सिर में फूटा एक बहुत बड़ा बॉम्ब जिसके बाद...
शनाया –(संध्या की बात सुन आंखे बड़ी कर) म...म...मतलब वो....वो...वो अभय है तेरा बे...बे...बेटा है वो....
संध्या –(शनाया के गाल पे हाथ रख के) हा मेरा बेटा है अभय और साथ में तेरा भांजा भी....
बोल के संध्या खुशी से गले गई शनाया के दोनो को देख चांदनी के चेहरे पे मुस्कान आ गई लेकिन शनाया की हसी तो जैसे गायब हो गई ये जान के की अभी ही अभय है उसके बहन संध्या का बेटा....
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जारी रहेगा
Raj kumaar style: Jaani a-Socho mat.. Likh daaloYe lilkhi nahi hai abhi. Likhna baki hai. Dhire dhire hoga sab
Ab bhi 3 story ke name nahi likhe.
Meri script to dekhi hi nahi tumneawesome update . your script is really good.
Time lagta hai janab. Par likhungi pakkaRaj kumaar style: Jaani a-Socho mat.. Likh daalo