UPDATE 41
राजू – (अभय को खुश देख) अबे तुझे क्या हो गया किसका कॉल था....
अभय –(मुस्कुरा के) मां का कॉल आया था गांव आ रही है मां....
राज –अच्छा कब आ रही है....
अभय – अभी निकली है घर से कल शाम तक आ जाएगी मां गांव....
राज – अरे वाह कल तो मेरी पट्टी भी खुलने वाली है....
अभय – कल क्यों डॉक्टर तो आज के लिए बोल रहा था....
राज – वो इसीलिए तब डॉक्टर बिजी हो गया था ठकुराइन का इलाज करने में इसीलिए देर हो गई तभी कल का बोला डॉक्टर....
राजू – अभय एक बात तो बता तू यहां है हॉस्टल में मुनीम के साथ शंकर है कही तेरे पीठ पीछे कुछ....
अभय –(बीच में) कुछ नहीं करेगा वो दोनो शंकर की कमजोरी मेरे हाथ है और मुनीम इस काबिल नहीं एक कदम हिल सके....
लल्ला –(अभय से) अबे तू पगला गया है क्या भाई मुनीम की हड्डी टूटी हुई है उसका इलाज क्यों नहीं करवाता है तू कही मर मरा गया दिक्कत हो जाएगी भाई....
राज – लल्ला ठीक बोल रहा ही अभय तुझे मुनीम का इलाज करा लेना चाहिए....
अभय – अरे अरे तुम लोग भी किसकी चिंता कर रहे हो बेफिक्र रहो यार मैने इंतजाम कर लिया है उसका....
राज – तो क्या सोचा है तूने मुनीम के लिए....
अभय – अभी के लिए तो झेल रहा है मेरा टॉन्चर मुनीम देखते है कब तक झेल पाता है....
राज – और मुनीम से सब पता करने के बाद क्या करेगा तू उनके साथ....
अभय – मैंने अभी तक इसके बाद की बात का नहीं सोचा है यार....
ये चारो आपस में बाते कर रहे थे इस बात से अंजान की कोई इनकी बात सुन रहा था कमरे के बाहर खड़ा होके तभी बात करते करते राजू की नजर गई कमरे के बाहर से आ रही रोशनी में किसी की परछाई दिखी हल्की सी जिसे देख राजू उठा के जैसे ही देखने गया वहां कुछ भी नहीं था....
अभय –(राजू से) क्या हुआ तुझे कमरे के बाहर क्या देखने गया था....
राजू – कुछ नहीं यार मैने देखा जैसे कोई कमरे के बाहर खड़ा हो लेकिन जैसे देखने गया कोई नहीं था वहां पर....
अभय –जाने दे वहम आ गया होगा तुझे...
राजू –नहीं यार कसम से किसी की परछाई थी वहां पर लेकिन जाने कहा गायब हो गई....
अभय –(कमरे के बाहर देख के) खेर छोड़ यार....
लल्ला –एक बात बता अभय मां को कहा ले जाएगा तू हॉस्टल में जाने से रहा वहां मुनीम और शंकर पहले से है अब बची हवेली वहां पर तो चांदनी भाभी पहले से मौजूद है तो वहां कोई दिक्कत नहीं होगी....
अभय – मां को मैने पहले बता दिया था शंकर के बारे में मुनीम के लिए भी बता दुगा....
राजू –अबे पगला गया है क्या तू तू बोलेगा और मां कुछ नहीं बोलेगी तुझे जा त है न मुनीम ने क्या किया था तेरे साथ....
अभय –(हस के) वो बचपन की बात थी लेकिन अब वो कुछ नहीं कर सकता है....
इस तरफ संध्या के कमरे में....
डॉक्टर –(संध्या से) आप चाहे तो हवेली जा सकती है ठकुराइन बस कुछ दिन आपको चलना नहीं है जब तक आपके पैर ठीक नहीं हो जाए....
संध्या –डॉक्टर बगल वाले कमरे में राज कैसा है....
डॉक्टर – वो भी ठीक है कल उसकी आंख की पट्टी खुल जाएगी....
संध्या – ठीक है फिर कल राज की पट्टी खुलने के बाद जाऊंगी....
डॉक्टर –ठीक है जैसा आप सही समझे....
रमन – भाभी जब आपके छुट्टी मिल रही है अस्पताल से तो हवेली चलिए उस राज के लिए क्यों रुकना कल कॉल कर के पता कर लेना आप राज के लिए....
गीता देवी – ठाकुर साहब ठीक बोल रहे है संध्या तुम चिंता मत करो मैं खबर पहुंचा दूंगी तुझे....
संध्या –(सबकी बात अन सुन कर डॉक्टर से) डॉक्टर राज की आखों की पट्टी मेरे सामने खुलनी चाहिए....
डॉक्टर –ठीक है ठकुराइन....
बोल के डॉक्टर निकल गया उसके बाद गीता देवी और रमन ने कुछ नहीं बोला फिर....
संध्या – (सभी से) आप सब घर जाइए आराम करिए कल राज की पत्ती खुलने के बाद हवेली आऊंगी मै....
ललिता और मालती – दीदी हम रुक जाते है आपके साथ....
शनाया – हा दीदी या मै रुक जाती हु....
संध्या – नहीं तुम लोग परेशान मत हो यहां पर गीता दीदी भी है और राज के सभी दोस्त भी है तुम लोग जाओ फिकर मत करो यहां की....
इसके बाद सब निकल गए अस्पताल से....
संध्या –(गीता देवी से) दीदी अभय नहीं आया अभी तक....
गीता देवी – (मुस्कुरा के) तू चिंता मत कर मैं अभी भेजती हूँ उसे....
गीता देवी –(बोल के चांदनी से) तू चल बेटा मेरे साथ राज के कमरे में अभय को मै लेके आती हु यहां....
राज के कमरे में निकल गए....
गीता देवी –(अभय से) क्या हो रहा है बेटा....
अभय – कुछ नहीं बड़ी मां बस बाते कर रहे थे हम....
गीता देवी –ठीक है चल तू मेरे साथ....
अभय –कहा बड़ी मां....
गीता देवी – संध्या के पास....
बोल के अभय का हाथ पकड़ के ले गई गीता देवी कमरे में आते ही अभय को देख सांध्य खुद हो गई....
गीता देवी –(अभय से) तू यही बैठ थोड़ी देर में मैं आती हूँ....
बोल के गीता देवी चली गई....
संध्या – (अभय से) कैसा है तू खाना खाया तूने....
अभय ठीक हू और खा लिया खाना....
इससे पहले संध्या कुछ बोलती अभय ने अपनी जेब से सोने के 5 सिक्के निकल के संध्या के पास बेड में रखे की तभी एक सिक्का नीचे जमीन में गिर गया जिसे उठाने के लिए अभय नीचे झुका सिक्का उठा के सीधा हो रहा था के तभी अभय की नजर गई बेड के बीच फंसे किसी चीज पर जिसे निकल के देखा अभय ने तो वो एक छोटा सा मोबाइल था जिसमें कॉल अभी भी चल रही थी जिसमें कोई अंजान नंबर था जिसे देख संध्या कुछ बोलने को हुई कि तभी अभय ने अपने मू में उंगली रख चुप रहने का इशारा किया संध्या को अपने हाथ में पेन से लिख संध्या को दिखाया जिसमें लिखा था कोई हमारी बात सुन रहा है जिसके बाद अभय ने 5 सिक्के को वापस जेब में रख....
अभय – अब कैसी है तबियत....
संध्या – ठीक है अब आराम के लिए बोल है डॉक्टर ने....
अभय – हम्ममम तेरा लाडला इतनी मेहनत से तेरे लिए व्हीलचेयर लाया था चली जाती बैठ के कितना चाहता है तुझे तेरा प्यार बच्चा....
संध्या –(अभय की बात सुन आंख में आसू लिए) ऐसा मत बोल रे मेरा अपना तो सिर्फ तू है और कोई नहीं मेरा यहां....
अभय –आज तू मुझे अपना बोल रही है लेकिन एक दिन तूने ही दूसरों के लिए अपने ही खून के साथ जो किया वो कैसे भूल रही है तू , देख मैने पहले बोल था मैं यहां केवल पढ़ने आया हूँ रिश्ते जोड़ने नहीं और....
संध्या –(बीच में बात काट के) तो क्यों बचाया मुझे छोड़ देता उसी खंडर में ज्यादा से ज्यादा क्या होता मार ही देता मुनीम मुझे मरने देता जब तुझे कोई मतलब नहीं मुझ से....
अभय – नफरत ही सही लेकिन कम से कम मेरी इंसानियत तो जिंदा है अभी इसीलिए तुझे लाया यहां पर , देख कल मेरी मां आ रही है मिलने मुझे मै नहीं चाहता उसके सामने ऐसा कुछ हो जिससे उसका दिल दुखे....
संध्या – (अभय की बात सुन) उस मां का दिल न दुखे और तेरी इस मां के दिल का क्या बोल....
अभय –(बात सुन अपनी जगह से खड़ा होके) इस बात का जवाब तू मुझसे बेहतर जानती है....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
संध्या –(हिम्मत कर बेड से किसी तरह खड़ी हो अभय का हाथ पकड़ के जमीन में गिर गई) मत जा रे मत जा मर जाऊंगी मैं तेरे बिना मत जा मुझे छोड़ के तू जो बोलेगा वही करूंगी जहां बोलेगा वही रहूंगी बस मत जा छोड़ के मुझे....
तभी अभय ने तुरंत संध्या को गोद में उठा उसे बेड में लेटा के....
अभय – ये सब करके कुछ नहीं होगा मैं वैसे भी नहीं रुकने वाला हूँ पढ़ाई खत्म होते ही चला जाऊंगा मै....
बोल मोबाइल को उसी जगह रख वापस चला गया राज के कमरे में अभय के जाते ही संध्या रोने लगी जबकि उस मोबाइल में कॉल चल रही थी वो अपने आप कट हो गई....
औरत –(मोबाइल कट कर मुस्कुरा के) अभि तो और भी दर्द झेलना है तुझे संध्या जितना मैने सहा है तेरी वजह से इतने सालों तक तब मेरे दिल को ठंडक मिलेगी....
इस तरफ हवेली में ललिता के कमरे में ललिता और उसकी बेटी निधि आपस में बात कर रहे थे....
निधि – (अपनी मां ललिता से) मा क्या सच में वो लड़का अभय है क्या वही ताई को बचा के लाया है अस्पताल....
ललिता – हा बेटा वही अभय है और वही बचा के लाया है संध्या को मुझे समझ में नहीं आ रहा आखिर कॉन कर सकता है ऐसा संध्या के साथ....
निधि – मां वो भईया बहुत बुरा भला बोलता है अभय के लिए कॉलेज में सबसे....
ललिता – और तू , तूने भी तो अपने भाई का साथ दिया है न कई बार जब भी वो मार खता था अपनी मां से तब तुम दोनो भाई बहन हस्ते थे उसे मार खता देख....
निधि – मुझे नहीं पता था मां की भाई ये सब कुछ जानबूझ के कर रहा है मै मजाक समझती थी लेकिन धीरे धीरे मुझे एहसास हुआ इस बात का की ये बहुत गलत हो रहा है अभय के साथ लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी अभय चला गया था घर छोड़ के....
ललिता –तुम सब से ज्यादा गलत तो मै थी सब कुछ मेरे सामने हुआ लेकिन मैं कुछ न कर पाई और इन सब का कारण तेरे पिता है सब उसी का किया धारा है....
निधि – हा मां एक बार पिता जी ने मेरे सामने कहा था अमन को अभय के साथ लड़े झगड़ा करे ताकि ताई मां अभय पे हाथ उठाएं तभी से अमन ये सब कर रह है....
ललिता – और तू सब जन के चुप क्यों थी बताया क्यों नहीं मुझे....
निधि – पिता जी ने मना किया था बताने को , लेकिन मां मै सच में नहीं जानती थी कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी....
ललिता – तू दूर रहना बस क्योंकि रमन के साथ अमन भी उसी की तरह कमाना बन गया है किसी की नहीं सुनता है सिर्फ अपने मन की करता है....
मालती –(ललिता के कमरे में आके) दीदी सही बोल रही है निधि....
ललिता – अरे मालती तू आजा क्या बात है कोई काम था क्या....
मालती – नहीं दीदी कमरे से गुजर रही थी आपकी बात सुनी तो आ गई यहां....
ललिता – अच्छा किया एक बात तो बता अस्पताल में इतनी देर तक बैठे रहे लेकिन अभय क्यों नहीं आया....
मालती – पता नहीं दीदी क्या आपकी मुलाक़ात हुई थी अभय से....
ललिता – है जब दीदी के बारे में पता चला था अस्पताल में तब मिली थी मैं....
मालती – आपको क्या लगता है अभय हवेली में आएगा....
ललिता – पता नहीं मालती जाने वो ऐसा क्यों कर रहा है अपनी हवेली होते हुए भी हॉस्टल में रह रहा है....
मालती – एक बात बोलूं दीदी सिर्फ दीदी से मार खाने की वजह से ही अभय हवेली वापस नहीं आ रहा या कोई और बात है....
ललिता –(मालती का सवाल सुन हड़बड़ा के) अरे न....न....नहीं....वो....ऐसी कोई बात नहीं है मालती वो तो बस उसकी बात नहीं मानी किसी ने उसको बुरा भला समझते थे इसीलिए , खेर जाने दे मुझे रसोई में कुछ काम है आती हु काम कर के....
बोल के ललिता चली गई और मालती भी चली गई अपने कमरे में....
ललिता –(रसोई में आके) ये आज मालती ने एसी बात क्यों पूछी मुझसे कही मालती को कुछ (कुछ सेकंड चुप रह के) नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं हो सकता शायद मैं कुछ ज्यादा सोच रही हू लेकिन क्या अभय को पता है इस बारे में कही इसी वजह से नहीं आ रहा वो कही इसी वजह से नफरत करता है दीदी से अगर अभय को पता है तो कैसे पता चला इस बात का किसने बताया होगा उसे मुझे दीदी से पता करना पड़ेगा....
इस तरफ अस्पताल में राज के कमरे में आते ही....
अभय – क्या बात हो रही है....
चांदनी – कुछ नहीं तू मिल आया मौसी से क्या बोला....
अभय –बस हाल चाल पूछे उन्होंने खेर दीदी आपसे एक बात करनी है जरूरी है....
चांदनी –(अभय की बात समाज के कमरे के बाहर आके) क्या बात है अभय ऐसा कौन सी बात है जो सबके सामने नहीं बोल सकता है....
अभय – (संध्या के कमरे में मोबाइल वाली बात बता के) क्या आप सब की इलावा कोई और भी आया था कमरे में....
चांदनी – नहीं अभय सिर्फ हवेली के ही लोग थे सब लेकिन कौन हो सकता है जिसे मौसी की बात सुननी हो....
अभय –दीदी आपको एक बात अजीब नहीं लगती है....
चांदनी – कौन सी अजीब बात....
अभय – ठकुराइन अस्पताल में आ गई हवेली के भी सब लोग आ गए लेकिन पुलिस अभी तक नहीं आई यहां पर....
चांदनी – (हैरानी से) हा ये बात तो मैने सोची नहीं....
अभय – दीदी ये राजेश कुछ सही नहीं लगता है मुझे....
चांदनी – अच्छा ओर वो किस लिए....
अभय – (अपनी ओर राजेश की अकेले वाली मुलाक़ात की बात बता के) कॉलेज का दोस्त ओर ऐसी सोच अपने दोस्त के लिए.....
चांदनी – डाउट तो मुझे पहले ही था लेकिन अब पक्का यकीन हो गया है मुझे बहुत बड़ी गलती कर दी मैने.....
अभय –(चौक के) आपने कौन सी गलती की दीदी....
चांदनी – मेरे केस की तहकीकात के लिए बुलाया था तो मां ने राजेश को भेज दिया....
अभय – (चौक के) क्या मां ने भेजा राजेश को यहां नहीं नहीं दीदी मां ऐसा कभी नहीं करेगी मै नहीं मानता ये बात....
चांदनी – भले ना मान लेकिन ये सच है....
अभय – एक बात तो बताए आप किस केस की तहकीकात के लिए राजेश को यहां बुलाया गया था और किसने बुलाया था....
चांदनी – मौसी के कहने पर मां ने भेजा था राजेश को.....
अभय – (हस्ते हुए) ओह हो तो ठकुराइन के कहने पर राजेश आया है यहां पर....
चांदनी – (गुस्से में) फालतू की बकवास मत कर समझा जो मन में आई बात बना रहा है तू....
अभय – अरे अभी आप ही ने तो कहा ना....
चांदनी – तू बेवकूफ है क्या पूरी बात क्यों नहीं सुनता है मैने कहा मौसी के कहने पर मां ने भेजा है लेकिन ये बात मौसी को नहीं पता थी कि राजेश आएगा यहां पर ओर ना मां को पता था इस सब के बारे में....
अभय – दीदी अभी के लिए क्या करोगे आप मैने वो मोबाइल वापस उसी जगह रख दिया है....
चांदनी – मै मोबाइल से नंबर देख के पता करती हु किसका नंबर है उसमें....
अभय – ठीक है अच्छा एक बात और भी है कल मां आ रही है शाम को यहां गांव में....
चांदनी – हा पता चला मुझे राज ने बताया....
तभी अभय का मोबाइल बजा नंबर देख....
अभय –(कॉल रिसीव करके) हेल्लो....
अलिता – तुमने सिक्के की जानकारी मांगी थी जानते हो वो क्या है....
अभय – नहीं पता मुझे....
अलिता – इंसान के हाथ के बनाए पहले सोने के सिक्के है ये....
अभय – बस इतनी सी बात के लिए इस वक्त कॉल किया था....
अलिता – तुम इसे इतनी सी बात बोल रहे हो....
अभय – (चांदनी से थोड़ा साइड होके) अलिता ये कैसा भी सिक्के हो इसकी कीमत भी वही होगी जो आज सोने की कीमत होगी....
अलिता –(मुस्कुरा के) हा बात तो बिल्कुल सही कही तुम इसकी कीमत भी कुछ वैसी ही है जानना नहीं चाहोगे क्या कीमत है इसकी....
अभय – बताओ क्या कीमत है इसकी....
अलिता – कुछ खास नहीं बस एक सौ पचास करोड़....
अभय – (चिल्ला के) क्या....
अलिता – बिल्कुल सही सुना तुमने पर ये तो सिर बोली कि शुरुवात है कीमत तो आगे बढ़ जाती है इसकी....
अभय – तुमने जो अभी कहा वो मजाक है ना....
अलिता –काश एसा होता खेर जब भी बेचने का मन हो बता देना मुझे....
अभय –(अपने मन में – एक सिक्के की इतनी कीमत उस खंडर में जाने कितने सिक्के भरे पड़े है अगर इतना खजाना मेरे दादा के पास था तो उन्होंने इसका इस्तमाल क्यों नहीं किया क्यों छुपा के रखा सबसे , ठकुराइन को पता था इस खजाने के बारे में तो इसकी चाबी लॉकेट बनाके मुझे ही क्यों दी उसने)....
अभय के मन में खजाने को लेके कई सवाल उठ रहे थे जिसका जवाब उसे नहीं पता था जबकि इस तरफ....
औरत – (कॉल पर रंजीत से) कल संध्या अस्पताल से हवेली आएगी....
रंजीत – ठीक है मेरी जान कल ही इंतजाम करता हू मै संध्या का....
औरत – जरा सम्भल के वो अकेली नहीं होगी अभय भी साथ होगा उसके और एक बात कल शाम को DIG शालिनी आ रही है गांव में....
रंजीत सिन्हा – (चौक के) ये कैसा मजाक कर रही हो तुम....
औरत – मजाक नहीं ये सच है रंजीत....
रंजीत सिन्हा – जब तक वो यहां रहेगी मै कुछ नहीं कर सकता हू....
औरत – क्यों डर लगता है अपनी बीवी से....
रंजीत सिन्हा – डर उससे नहीं उसकी पोजीशन से लगता है अपनी पावर का इस्तमाल करके वो कुछ भी कर सकती है मेरे इस गांव में होने की भनक भी लगी उसे तो बहुत बड़ी दिक्कत आ जाएगी मेरे ऊपर....
औरत – तो अब क्या करना है....
रंजीत सिन्हा – उसके सामने आने का खतरा मै नहीं ले सकता लेकिन किसी और से काम करवा सकता हूँ अगर वो पकड़े भी गए तो कुछ नहीं बोलेंगे क्योंकि उन्हें कुछ पता नहीं होगा....
औरत – ठीक है मैं इंतजार करूंगी तुम्हारे कॉल का....
बोल के दोनो ने कॉल काट दिया जब की अस्पताल में जब गीता देवी और चांदनी संध्या के कमरे में आई तब तक संध्या सो चुकी थीं उसे देख दोनो भी सो गए अगले दिन सुबह अस्पताल में डॉक्टर के आने के बाद राज की आंखों की पट्टी खोली गई और तब....
डॉक्टर –अब धीरे धीरे अपनी आंखे खोलो....
राज –(अपनी आंख धीरे से खोल के) डॉक्टर कमरे में इतना अंधेरा क्यों है....
राज की बात सुन कमरे में खड़े सभी हैरान थे....
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जारी रहेगा
UPDATE 41
राजू – (अभय को खुश देख) अबे तुझे क्या हो गया किसका कॉल था....
अभय –(मुस्कुरा के) मां का कॉल आया था गांव आ रही है मां....
राज –अच्छा कब आ रही है....
अभय – अभी निकली है घर से कल शाम तक आ जाएगी मां गांव....
राज – अरे वाह कल तो मेरी पट्टी भी खुलने वाली है....
अभय – कल क्यों डॉक्टर तो आज के लिए बोल रहा था....
राज – वो इसीलिए तब डॉक्टर बिजी हो गया था ठकुराइन का इलाज करने में इसीलिए देर हो गई तभी कल का बोला डॉक्टर....
राजू – अभय एक बात तो बता तू यहां है हॉस्टल में मुनीम के साथ शंकर है कही तेरे पीठ पीछे कुछ....
अभय –(बीच में) कुछ नहीं करेगा वो दोनो शंकर की कमजोरी मेरे हाथ है और मुनीम इस काबिल नहीं एक कदम हिल सके....
लल्ला –(अभय से) अबे तू पगला गया है क्या भाई मुनीम की हड्डी टूटी हुई है उसका इलाज क्यों नहीं करवाता है तू कही मर मरा गया दिक्कत हो जाएगी भाई....
राज – लल्ला ठीक बोल रहा ही अभय तुझे मुनीम का इलाज करा लेना चाहिए....
अभय – अरे अरे तुम लोग भी किसकी चिंता कर रहे हो बेफिक्र रहो यार मैने इंतजाम कर लिया है उसका....
राज – तो क्या सोचा है तूने मुनीम के लिए....
अभय – अभी के लिए तो झेल रहा है मेरा टॉन्चर मुनीम देखते है कब तक झेल पाता है....
राज – और मुनीम से सब पता करने के बाद क्या करेगा तू उनके साथ....
अभय – मैंने अभी तक इसके बाद की बात का नहीं सोचा है यार....
ये चारो आपस में बाते कर रहे थे इस बात से अंजान की कोई इनकी बात सुन रहा था कमरे के बाहर खड़ा होके तभी बात करते करते राजू की नजर गई कमरे के बाहर से आ रही रोशनी में किसी की परछाई दिखी हल्की सी जिसे देख राजू उठा के जैसे ही देखने गया वहां कुछ भी नहीं था....
अभय –(राजू से) क्या हुआ तुझे कमरे के बाहर क्या देखने गया था....
राजू – कुछ नहीं यार मैने देखा जैसे कोई कमरे के बाहर खड़ा हो लेकिन जैसे देखने गया कोई नहीं था वहां पर....
अभय –जाने दे वहम आ गया होगा तुझे...
राजू –नहीं यार कसम से किसी की परछाई थी वहां पर लेकिन जाने कहा गायब हो गई....
अभय –(कमरे के बाहर देख के) खेर छोड़ यार....
लल्ला –एक बात बता अभय मां को कहा ले जाएगा तू हॉस्टल में जाने से रहा वहां मुनीम और शंकर पहले से है अब बची हवेली वहां पर तो चांदनी भाभी पहले से मौजूद है तो वहां कोई दिक्कत नहीं होगी....
अभय – मां को मैने पहले बता दिया था शंकर के बारे में मुनीम के लिए भी बता दुगा....
राजू –अबे पगला गया है क्या तू तू बोलेगा और मां कुछ नहीं बोलेगी तुझे जा त है न मुनीम ने क्या किया था तेरे साथ....
अभय –(हस के) वो बचपन की बात थी लेकिन अब वो कुछ नहीं कर सकता है....
इस तरफ संध्या के कमरे में....
डॉक्टर –(संध्या से) आप चाहे तो हवेली जा सकती है ठकुराइन बस कुछ दिन आपको चलना नहीं है जब तक आपके पैर ठीक नहीं हो जाए....
संध्या –डॉक्टर बगल वाले कमरे में राज कैसा है....
डॉक्टर – वो भी ठीक है कल उसकी आंख की पट्टी खुल जाएगी....
संध्या – ठीक है फिर कल राज की पट्टी खुलने के बाद जाऊंगी....
डॉक्टर –ठीक है जैसा आप सही समझे....
रमन – भाभी जब आपके छुट्टी मिल रही है अस्पताल से तो हवेली चलिए उस राज के लिए क्यों रुकना कल कॉल कर के पता कर लेना आप राज के लिए....
गीता देवी – ठाकुर साहब ठीक बोल रहे है संध्या तुम चिंता मत करो मैं खबर पहुंचा दूंगी तुझे....
संध्या –(सबकी बात अन सुन कर डॉक्टर से) डॉक्टर राज की आखों की पट्टी मेरे सामने खुलनी चाहिए....
डॉक्टर –ठीक है ठकुराइन....
बोल के डॉक्टर निकल गया उसके बाद गीता देवी और रमन ने कुछ नहीं बोला फिर....
संध्या – (सभी से) आप सब घर जाइए आराम करिए कल राज की पत्ती खुलने के बाद हवेली आऊंगी मै....
ललिता और मालती – दीदी हम रुक जाते है आपके साथ....
शनाया – हा दीदी या मै रुक जाती हु....
संध्या – नहीं तुम लोग परेशान मत हो यहां पर गीता दीदी भी है और राज के सभी दोस्त भी है तुम लोग जाओ फिकर मत करो यहां की....
इसके बाद सब निकल गए अस्पताल से....
संध्या –(गीता देवी से) दीदी अभय नहीं आया अभी तक....
गीता देवी – (मुस्कुरा के) तू चिंता मत कर मैं अभी भेजती हूँ उसे....
गीता देवी –(बोल के चांदनी से) तू चल बेटा मेरे साथ राज के कमरे में अभय को मै लेके आती हु यहां....
राज के कमरे में निकल गए....
गीता देवी –(अभय से) क्या हो रहा है बेटा....
अभय – कुछ नहीं बड़ी मां बस बाते कर रहे थे हम....
गीता देवी –ठीक है चल तू मेरे साथ....
अभय –कहा बड़ी मां....
गीता देवी – संध्या के पास....
बोल के अभय का हाथ पकड़ के ले गई गीता देवी कमरे में आते ही अभय को देख सांध्य खुद हो गई....
गीता देवी –(अभय से) तू यही बैठ थोड़ी देर में मैं आती हूँ....
बोल के गीता देवी चली गई....
संध्या – (अभय से) कैसा है तू खाना खाया तूने....
अभय ठीक हू और खा लिया खाना....
इससे पहले संध्या कुछ बोलती अभय ने अपनी जेब से सोने के 5 सिक्के निकल के संध्या के पास बेड में रखे की तभी एक सिक्का नीचे जमीन में गिर गया जिसे उठाने के लिए अभय नीचे झुका सिक्का उठा के सीधा हो रहा था के तभी अभय की नजर गई बेड के बीच फंसे किसी चीज पर जिसे निकल के देखा अभय ने तो वो एक छोटा सा मोबाइल था जिसमें कॉल अभी भी चल रही थी जिसमें कोई अंजान नंबर था जिसे देख संध्या कुछ बोलने को हुई कि तभी अभय ने अपने मू में उंगली रख चुप रहने का इशारा किया संध्या को अपने हाथ में पेन से लिख संध्या को दिखाया जिसमें लिखा था कोई हमारी बात सुन रहा है जिसके बाद अभय ने 5 सिक्के को वापस जेब में रख....
अभय – अब कैसी है तबियत....
संध्या – ठीक है अब आराम के लिए बोल है डॉक्टर ने....
अभय – हम्ममम तेरा लाडला इतनी मेहनत से तेरे लिए व्हीलचेयर लाया था चली जाती बैठ के कितना चाहता है तुझे तेरा प्यार बच्चा....
संध्या –(अभय की बात सुन आंख में आसू लिए) ऐसा मत बोल रे मेरा अपना तो सिर्फ तू है और कोई नहीं मेरा यहां....
अभय –आज तू मुझे अपना बोल रही है लेकिन एक दिन तूने ही दूसरों के लिए अपने ही खून के साथ जो किया वो कैसे भूल रही है तू , देख मैने पहले बोल था मैं यहां केवल पढ़ने आया हूँ रिश्ते जोड़ने नहीं और....
संध्या –(बीच में बात काट के) तो क्यों बचाया मुझे छोड़ देता उसी खंडर में ज्यादा से ज्यादा क्या होता मार ही देता मुनीम मुझे मरने देता जब तुझे कोई मतलब नहीं मुझ से....
अभय – नफरत ही सही लेकिन कम से कम मेरी इंसानियत तो जिंदा है अभी इसीलिए तुझे लाया यहां पर , देख कल मेरी मां आ रही है मिलने मुझे मै नहीं चाहता उसके सामने ऐसा कुछ हो जिससे उसका दिल दुखे....
संध्या – (अभय की बात सुन) उस मां का दिल न दुखे और तेरी इस मां के दिल का क्या बोल....
अभय –(बात सुन अपनी जगह से खड़ा होके) इस बात का जवाब तू मुझसे बेहतर जानती है....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
संध्या –(हिम्मत कर बेड से किसी तरह खड़ी हो अभय का हाथ पकड़ के जमीन में गिर गई) मत जा रे मत जा मर जाऊंगी मैं तेरे बिना मत जा मुझे छोड़ के तू जो बोलेगा वही करूंगी जहां बोलेगा वही रहूंगी बस मत जा छोड़ के मुझे....
तभी अभय ने तुरंत संध्या को गोद में उठा उसे बेड में लेटा के....
अभय – ये सब करके कुछ नहीं होगा मैं वैसे भी नहीं रुकने वाला हूँ पढ़ाई खत्म होते ही चला जाऊंगा मै....
बोल मोबाइल को उसी जगह रख वापस चला गया राज के कमरे में अभय के जाते ही संध्या रोने लगी जबकि उस मोबाइल में कॉल चल रही थी वो अपने आप कट हो गई....
औरत –(मोबाइल कट कर मुस्कुरा के) अभि तो और भी दर्द झेलना है तुझे संध्या जितना मैने सहा है तेरी वजह से इतने सालों तक तब मेरे दिल को ठंडक मिलेगी....
इस तरफ हवेली में ललिता के कमरे में ललिता और उसकी बेटी निधि आपस में बात कर रहे थे....
निधि – (अपनी मां ललिता से) मा क्या सच में वो लड़का अभय है क्या वही ताई को बचा के लाया है अस्पताल....
ललिता – हा बेटा वही अभय है और वही बचा के लाया है संध्या को मुझे समझ में नहीं आ रहा आखिर कॉन कर सकता है ऐसा संध्या के साथ....
निधि – मां वो भईया बहुत बुरा भला बोलता है अभय के लिए कॉलेज में सबसे....
ललिता – और तू , तूने भी तो अपने भाई का साथ दिया है न कई बार जब भी वो मार खता था अपनी मां से तब तुम दोनो भाई बहन हस्ते थे उसे मार खता देख....
निधि – मुझे नहीं पता था मां की भाई ये सब कुछ जानबूझ के कर रहा है मै मजाक समझती थी लेकिन धीरे धीरे मुझे एहसास हुआ इस बात का की ये बहुत गलत हो रहा है अभय के साथ लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी अभय चला गया था घर छोड़ के....
ललिता –तुम सब से ज्यादा गलत तो मै थी सब कुछ मेरे सामने हुआ लेकिन मैं कुछ न कर पाई और इन सब का कारण तेरे पिता है सब उसी का किया धारा है....
निधि – हा मां एक बार पिता जी ने मेरे सामने कहा था अमन को अभय के साथ लड़े झगड़ा करे ताकि ताई मां अभय पे हाथ उठाएं तभी से अमन ये सब कर रह है....
ललिता – और तू सब जन के चुप क्यों थी बताया क्यों नहीं मुझे....
निधि – पिता जी ने मना किया था बताने को , लेकिन मां मै सच में नहीं जानती थी कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी....
ललिता – तू दूर रहना बस क्योंकि रमन के साथ अमन भी उसी की तरह कमाना बन गया है किसी की नहीं सुनता है सिर्फ अपने मन की करता है....
मालती –(ललिता के कमरे में आके) दीदी सही बोल रही है निधि....
ललिता – अरे मालती तू आजा क्या बात है कोई काम था क्या....
मालती – नहीं दीदी कमरे से गुजर रही थी आपकी बात सुनी तो आ गई यहां....
ललिता – अच्छा किया एक बात तो बता अस्पताल में इतनी देर तक बैठे रहे लेकिन अभय क्यों नहीं आया....
मालती – पता नहीं दीदी क्या आपकी मुलाक़ात हुई थी अभय से....
ललिता – है जब दीदी के बारे में पता चला था अस्पताल में तब मिली थी मैं....
मालती – आपको क्या लगता है अभय हवेली में आएगा....
ललिता – पता नहीं मालती जाने वो ऐसा क्यों कर रहा है अपनी हवेली होते हुए भी हॉस्टल में रह रहा है....
मालती – एक बात बोलूं दीदी सिर्फ दीदी से मार खाने की वजह से ही अभय हवेली वापस नहीं आ रहा या कोई और बात है....
ललिता –(मालती का सवाल सुन हड़बड़ा के) अरे न....न....नहीं....वो....ऐसी कोई बात नहीं है मालती वो तो बस उसकी बात नहीं मानी किसी ने उसको बुरा भला समझते थे इसीलिए , खेर जाने दे मुझे रसोई में कुछ काम है आती हु काम कर के....
बोल के ललिता चली गई और मालती भी चली गई अपने कमरे में....
ललिता –(रसोई में आके) ये आज मालती ने एसी बात क्यों पूछी मुझसे कही मालती को कुछ (कुछ सेकंड चुप रह के) नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं हो सकता शायद मैं कुछ ज्यादा सोच रही हू लेकिन क्या अभय को पता है इस बारे में कही इसी वजह से नहीं आ रहा वो कही इसी वजह से नफरत करता है दीदी से अगर अभय को पता है तो कैसे पता चला इस बात का किसने बताया होगा उसे मुझे दीदी से पता करना पड़ेगा....
इस तरफ अस्पताल में राज के कमरे में आते ही....
अभय – क्या बात हो रही है....
चांदनी – कुछ नहीं तू मिल आया मौसी से क्या बोला....
अभय –बस हाल चाल पूछे उन्होंने खेर दीदी आपसे एक बात करनी है जरूरी है....
चांदनी –(अभय की बात समाज के कमरे के बाहर आके) क्या बात है अभय ऐसा कौन सी बात है जो सबके सामने नहीं बोल सकता है....
अभय – (संध्या के कमरे में मोबाइल वाली बात बता के) क्या आप सब की इलावा कोई और भी आया था कमरे में....
चांदनी – नहीं अभय सिर्फ हवेली के ही लोग थे सब लेकिन कौन हो सकता है जिसे मौसी की बात सुननी हो....
अभय –दीदी आपको एक बात अजीब नहीं लगती है....
चांदनी – कौन सी अजीब बात....
अभय – ठकुराइन अस्पताल में आ गई हवेली के भी सब लोग आ गए लेकिन पुलिस अभी तक नहीं आई यहां पर....
चांदनी – (हैरानी से) हा ये बात तो मैने सोची नहीं....
अभय – दीदी ये राजेश कुछ सही नहीं लगता है मुझे....
चांदनी – अच्छा ओर वो किस लिए....
अभय – (अपनी ओर राजेश की अकेले वाली मुलाक़ात की बात बता के) कॉलेज का दोस्त ओर ऐसी सोच अपने दोस्त के लिए.....
चांदनी – डाउट तो मुझे पहले ही था लेकिन अब पक्का यकीन हो गया है मुझे बहुत बड़ी गलती कर दी मैने.....
अभय –(चौक के) आपने कौन सी गलती की दीदी....
चांदनी – मेरे केस की तहकीकात के लिए बुलाया था तो मां ने राजेश को भेज दिया....
अभय – (चौक के) क्या मां ने भेजा राजेश को यहां नहीं नहीं दीदी मां ऐसा कभी नहीं करेगी मै नहीं मानता ये बात....
चांदनी – भले ना मान लेकिन ये सच है....
अभय – एक बात तो बताए आप किस केस की तहकीकात के लिए राजेश को यहां बुलाया गया था और किसने बुलाया था....
चांदनी – मौसी के कहने पर मां ने भेजा था राजेश को.....
अभय – (हस्ते हुए) ओह हो तो ठकुराइन के कहने पर राजेश आया है यहां पर....
चांदनी – (गुस्से में) फालतू की बकवास मत कर समझा जो मन में आई बात बना रहा है तू....
अभय – अरे अभी आप ही ने तो कहा ना....
चांदनी – तू बेवकूफ है क्या पूरी बात क्यों नहीं सुनता है मैने कहा मौसी के कहने पर मां ने भेजा है लेकिन ये बात मौसी को नहीं पता थी कि राजेश आएगा यहां पर ओर ना मां को पता था इस सब के बारे में....
अभय – दीदी अभी के लिए क्या करोगे आप मैने वो मोबाइल वापस उसी जगह रख दिया है....
चांदनी – मै मोबाइल से नंबर देख के पता करती हु किसका नंबर है उसमें....
अभय – ठीक है अच्छा एक बात और भी है कल मां आ रही है शाम को यहां गांव में....
चांदनी – हा पता चला मुझे राज ने बताया....
तभी अभय का मोबाइल बजा नंबर देख....
अभय –(कॉल रिसीव करके) हेल्लो....
अलिता – तुमने सिक्के की जानकारी मांगी थी जानते हो वो क्या है....
अभय – नहीं पता मुझे....
अलिता – इंसान के हाथ के बनाए पहले सोने के सिक्के है ये....
अभय – बस इतनी सी बात के लिए इस वक्त कॉल किया था....
अलिता – तुम इसे इतनी सी बात बोल रहे हो....
अभय – (चांदनी से थोड़ा साइड होके) अलिता ये कैसा भी सिक्के हो इसकी कीमत भी वही होगी जो आज सोने की कीमत होगी....
अलिता –(मुस्कुरा के) हा बात तो बिल्कुल सही कही तुम इसकी कीमत भी कुछ वैसी ही है जानना नहीं चाहोगे क्या कीमत है इसकी....
अभय – बताओ क्या कीमत है इसकी....
अलिता – कुछ खास नहीं बस एक सौ पचास करोड़....
अभय – (चिल्ला के) क्या....
अलिता – बिल्कुल सही सुना तुमने पर ये तो सिर बोली कि शुरुवात है कीमत तो आगे बढ़ जाती है इसकी....
अभय – तुमने जो अभी कहा वो मजाक है ना....
अलिता –काश एसा होता खेर जब भी बेचने का मन हो बता देना मुझे....
अभय –(अपने मन में – एक सिक्के की इतनी कीमत उस खंडर में जाने कितने सिक्के भरे पड़े है अगर इतना खजाना मेरे दादा के पास था तो उन्होंने इसका इस्तमाल क्यों नहीं किया क्यों छुपा के रखा सबसे , ठकुराइन को पता था इस खजाने के बारे में तो इसकी चाबी लॉकेट बनाके मुझे ही क्यों दी उसने)....
अभय के मन में खजाने को लेके कई सवाल उठ रहे थे जिसका जवाब उसे नहीं पता था जबकि इस तरफ....
औरत – (कॉल पर रंजीत से) कल संध्या अस्पताल से हवेली आएगी....
रंजीत – ठीक है मेरी जान कल ही इंतजाम करता हू मै संध्या का....
औरत – जरा सम्भल के वो अकेली नहीं होगी अभय भी साथ होगा उसके और एक बात कल शाम को DIG शालिनी आ रही है गांव में....
रंजीत सिन्हा – (चौक के) ये कैसा मजाक कर रही हो तुम....
औरत – मजाक नहीं ये सच है रंजीत....
रंजीत सिन्हा – जब तक वो यहां रहेगी मै कुछ नहीं कर सकता हू....
औरत – क्यों डर लगता है अपनी बीवी से....
रंजीत सिन्हा – डर उससे नहीं उसकी पोजीशन से लगता है अपनी पावर का इस्तमाल करके वो कुछ भी कर सकती है मेरे इस गांव में होने की भनक भी लगी उसे तो बहुत बड़ी दिक्कत आ जाएगी मेरे ऊपर....
औरत – तो अब क्या करना है....
रंजीत सिन्हा – उसके सामने आने का खतरा मै नहीं ले सकता लेकिन किसी और से काम करवा सकता हूँ अगर वो पकड़े भी गए तो कुछ नहीं बोलेंगे क्योंकि उन्हें कुछ पता नहीं होगा....
औरत – ठीक है मैं इंतजार करूंगी तुम्हारे कॉल का....
बोल के दोनो ने कॉल काट दिया जब की अस्पताल में जब गीता देवी और चांदनी संध्या के कमरे में आई तब तक संध्या सो चुकी थीं उसे देख दोनो भी सो गए अगले दिन सुबह अस्पताल में डॉक्टर के आने के बाद राज की आंखों की पट्टी खोली गई और तब....
डॉक्टर –अब धीरे धीरे अपनी आंखे खोलो....
राज –(अपनी आंख धीरे से खोल के) डॉक्टर कमरे में इतना अंधेरा क्यों है....
राज की बात सुन कमरे में खड़े सभी हैरान थे....
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जारी रहेगा
इंटरस्टिंग अपडेट
अभय को संध्या के रूम में छुपा हुआ फोन मिला और उसके बावजूद उसने संध्या के साथ अभय बनकर ही बात की जबकि वो खुद दूसरो से कहता आया है कि अभी पता नहीं चलना चाहिए कि वो अभय है,
फिर शालिनी के गांव आने की बात भी बताई
फिर रूम में।शंकर और मुनीम की।बाते करते वक्त जब राजू को किसी के।बाहर होने का शक हुआ तो भी अभय ने हल्के में।लिया जबकि मैटर सीरियस था
अपडेट का एंड भी ट्विस्ट के साथ हुआ कि राज को दिख नहीं रहा ये नाटक है या हकीकत