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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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चचेरी बहन की गांड मारकर मजा लिया



दोस्तो, मेरा नाम आदिल राशिद है. मैं लाहौर का रहने वाला हूँ.

ये मेरे चचाजान की लड़की रुबीना की चुदाई की सिस्टर एस फ़क स्टोरी है.

आप लोगों को तो पता ही है कि हम लोगों में गर्मी कुछ ज्यादा ही होती हैं, खास तौर पर लड़कियों में!

यह बात आज से 2 साल पहले की है, तब मेरी उम्र 21 साल थी और रुबीना की उम्र 19 साल थी.
वो एक कमसिन कली थी. उसकी छोटी सी गांड थी और चुचियां भी चीकू के नाप की छोटी छोटी सी ही थीं.

हम साथ ही पढ़ते और खेलते थे.

मेरा घर चाचा के घर से लगा हुआ ही था.
उस दिन मेरी अम्मी मामू के घर गई थीं और मेरे अब्बू काम पर गए थे.

मैं, रुबीना और उसका छोटा भाई फैजान ही घर में थे.

उस दिन रुबीना मेरे घर खेलने आई थी. मैं बाथरूम में मोबाइल में ब्लू फिल्म देख कर मुठ मार रहा था.

ब्लू फिल्म की आवाज सुनकर रुबीना ने मुझे आवाज दी- भाईजान, आप कहां हो, आओ गेम खेलेंगे.
मैंने कहा- मैं बाथरूम में हूँ, तुम 5 मिनट रुक जाओ मैं अभी आता हूँ.

वो ओके कह कर बाहर ही रुक गई.

मैं मुठ मार रहा था. मेरे ऊपर बस चुदाई का नशा चढ़ रहा था.

उसी समय मेरे मन में आया कि क्यों ना आज रुबीना पर चांस मारा जाए.
लेकिन उसे कैसे फांसूं, ये समझ नहीं आ रहा था.

फिर मैंने आइडिया लगाया
मैंने बाथरूम का सारा पानी बहा दिया और रुबीना को आवाज दे कर कहा- रुबीना थोड़ा पानी दे जा यार, अन्दर नल में पानी नहीं आ रहा है.

वो बोली- ओके भाईजान, आ रही हूँ.

मैंने दरवाजा खोल कर डिब्बा बाहर रख दिया और अपना खड़ा लंड बॉक्सर से थोड़ा बाहर ऐसे निकाला, जैसा अंजाने में निकल आया हो.

मैं पानी के लिए खड़ा हो गया.
वो पानी लाई और डिब्बे में डालने लगी.
उसी समय उसकी निगाह मेरे लंड पर आ पड़ी.

वो मेरे कड़क लंड का लाल सुपारा देख कर घबरा गई मगर छिपी नजरों से मेरे लंड को देखने लगी.

मैंने ये सब ऐसे नजरअंदाज किया, जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं हो कि मेरा लंड बाहर निकला हुआ है.

फिर मैं पानी लेकर खड़ा हो गया और मैंने दरवाजा खुला रहने दिया.
मैं मुठ मारने लगा और मोबाइल में वॉल्यूम बढ़ा कर ब्लू-फिल्म देखने लगा.

ब्लू-फिल्म में से चुदाई की तेज आवाजें बाहर जाने लगीं.
काफी देर तक मुठ मारने के बाद मेरा लंड माल छोड़ने के नजदीक आ गया था.

तभी रुबीना ने चुपके से झांक कर देखा तो वो देखती रह गई.
मैंने देख लिया था कि वो मुझे मुठ मारते हुए देख रही है. मैं मुँह ऊपर करके और तेजी से मुठ मारने लगा.

तभी मेरा लंड अपने चरम पर आ गया और मैंने आंह आंह करते हुए वीर्य झाड़ दिया.
मेरे वीर्य की तेज पिचकारी सामने जा गिरी.

रुबीना वो देखने लगी.
मैं हाथ धोकर आ गया.

मैंने रुबीना की तरफ वासना से देख कर कहा- आओ अब खेलते हैं.
वो मेरी तरफ कुछ अजीब सी नजरों से देख रही थी.

वो बोली- क्या खेलने का मन है?
मैंने कहा- छुपाछुपाई खेलते हैं.

उसने कहा- ठीक है.
तो हम खेलने लगे.

पहले वो और हम छुपने वाले थे और फैजान हम दोनों को खोजने वाला था.
हम दोनों बिस्तर के कोने में आ गए और छिप गए.

मैंने रुबीना से कहा- आ जा … तू मेरी गोदी में बैठ जा. यहां अंधेरा है, वो हमें नहीं खोज पाएगा.
वो मेरी गोद में बैठ गई.

उसके बैठते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा और उसकी गांड से लगने लगा.
मैंने एक मिनट के लिए उसे उठाया और अपना लंड लोअर से बाहर निकाल कर उसे बैठने के लिए कहा.

जैसे ही वो बैठी, उसकी गांड में मेरा लंड सीधा छेद में लग गया.
मैंने उसे उठा कर अपने लंड पर लगभग लटका लिया.

उसे लंड महसूस होने लगा. मैं थोड़ा थोड़ा कंधे से पकड़ कर लंड पर उसे दबाने लगा.

कोई दो मिनट तक हम दोनों यूं ही बैठे रहे.

मैंने उसके गाल से अपने गाल रगड़ते हुए उससे पूछा- तुमको कैसा लग रहा है?
वो बोली- तुम्हारा वो मेरी में गड़ रहा है.

मैंने कहा- तभी तो पूछ रहा हूँ कि कैसा लग रहा है.
वो हंस दी और बोली- अच्छा लग रहा है, मजा भी आ रहा है.

फिर मैंने उससे कहा- और मजा लेना है?
वो बोली- हां.

मैं समझ गया कि उसे भी सेक्स चढ़ने लगा है.

मैंने उससे कहा- ठीक है अब ऐसा करते हैं कि फैजान को किसी काम से बाहर भेज देते हैं फिर हम पूरा खेल खेलेंगे.
उसने हामी भर दी.

मैंने बाहर आकर फैजान को कुछ पैसे दिए और टॉफ़ी लेकर पड़ोस में उसके दोस्त के साथ खेलने जाने के लिए कह दिया.

वो पैसे पाकर खुश हो गया और चला गया.

रुबीना भी मेरे साथ मस्ती करने लगी.

उसने पूछा- भाई आप बाथरूम का दरवाजा खोल कर अपने लंड को क्यों हिला रहे थे.
मैंने उससे कहा- तुझे दिखाने के लिए. तूने देखा था न!

वो हंस दी और बोली- हां दूर से देखा था.
मैंने कहा- पास से देखोगी?

वो बोली- हां देखूँगी और जैसे आप हिला रहे थे, वैसे ही मैं भी हिलाऊंगी.

अब मैंने घर का दरवाजा बंद किया और अपनी बहन का लोअर नीचे खिसका दिया.

वो समझ गई कि आज उसकी चुत की सील टूटने वाली है.

मैंने उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया.
वो मेरे लंड को बड़ी मस्ती से देखने लगी.

मैंने उससे कहा- मुँह में ले कर चूस ले.
वो बोली- मैंने देखा तो है भाई मगर कभी किया नहीं है.

मैंने कहा- फिल्म में देखा था क्या?
वो बोली- हां.

मैंने मोबाइल पर एक भाई बहन की चुदाई वाली फिल्म लगा दी और उसे दिखा कर गर्म करने लगा.
उसमें बहन भाई का लंड चूस रही थी.

फिर मैंने अपने लंड को उसकी तरफ कर दिया तो वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

मुझे अपनी बहन से लंड चुसवाने में काफी मजा आने लगा था.

फिर कुछ देर बाद मैंने टोपे पर तेल लगा कर उसे अपनी गोदी में बैठा लिया.

मेरा लंड उसकी गांड के छेद में घुसने की कोशिश करने लगा. मगर अन्दर नहीं जा रहा था.

मैं ऐसे ही लंड को उसकी चुत के ऊपर नीचे करने लगा था.
मुझे उसकी गर्म चुत से लंड रगड़ने में बहुत मजा आ रहा था.

थोड़ी देर मेरा मन पूरी तरह से उसकी गांड मारने का बन गया तो मैंने उससे कहा- अब तुम अपने पूरे कपड़े उतार दो हम दोनों खुल कर चुदाई का खेल खेलेंगे.

उसने हामी भर दी और हम दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए.
मेरा 7 इंच का मोटा लंड उसके सामने एकदम खड़ा था.

वो एक बार फिर से मेरे लंड को चूसने लगी.
उसके मुँह में मेरा लंड पूरा नहीं जा रहा था.

अब मैंने उससे कहा- चलो अब चुदाई का खेल खेलते हैं.

मैंने उसे चित लिटाया और उसकी चुत को चूसने लगा.
वो मस्त होने लगी.

मैंने उसकी चुत चूसने के साथ साथ उसकी चूचियां मसलना भी शुरू कर दिया था.
उसकी गर्म आवाजें निकलने लगीं.

मैंने पूछा- कभी तुमने अपनी चुत में उंगली की है.
उसने कहा- हां भाई कई बार की है. मगर ज्यादा अन्दर तक नहीं की हैं. हां पीछे काफी अन्दर तक ले चुकी हूँ.

मैंने कहा- ओके इसका मतलब है कि तुम्हारी गांड काफी ढीली है. बताओ पहले चुत में लंड लोगी या गांड मरवाओगी?
वो बोली- जिधर आपकी मर्जी हो.

मैंने पहले उसकी गांड मारने की सोची क्योंकि एक तो उसने अपनी उंगलियों से गांड में मजा ले लिया था, जिससे उसकी गांड में मेरा मोटा लंड आसानी से जा सकता था.
चुत का क्या … वो तो कभी भी मार लूंगा.

मैंने उसे लंड पकड़ा दिया और कहा- इस पर तेल लगा कर इसे हिलाओ.

वो अपने दोनों हाथ से लंड पर तेल लगा कर उसे हिलाने लगी.
मुझे मजा आ रहा था.

फिर थोड़ी देर बाद मैंने उससे लंड मुँह में लेने को कहा, तो उसने मना कर दिया.

वो बोली- इस पर तेल लग गया है. अब बाद में चूस लूंगी.
मैंने कहा- चल ठीक है अब तू कुतिया बन जा!

वो हंसने लगी- मैं कुतिया बनूंगी तो तू कुत्ता बनेगा.
मैंने हंस कर कहा- हां बन जा साली … जल्दी से तेरी गांड का गड्डा बना देता हूँ, फिर कहीं फैजान आ गया तो कुछ नहीं हो पाएगा.

वो झट से डॉगी बन गई.
मैंने उसकी गांड में तेल लगाया और उंगली से गांड ढीली करने लगा.

वो मस्ती से आह आह करने लगी.

मैंने अब तेल से भीगा हुआ लंड उसकी गांड के छेद में लगाया और धक्का मार दिया.

मेरा सुपारा उसकी गांड के पहले छल्ले में फंस गया.
वो दर्द से चीखने लगी- आह भाई बड़ा दर्द हो रहा है.

मैंने आव देखा न ताव और फिर से एक शॉट मार दिया.
इस बार मेरा आधा लंड उसकी गांड फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.
वो बुक्का फाड़ कर चिल्लाने लगी.

मैं घबरा गया और मैंने लंड बाहर निकाल कर उसका मुँह दबा लिया.

वो जैसे तैसे चुप हुई और सुबकने लगी.

मैंने कुछ देर उसे सहलाया तो वो चुप हो गई.
मगर अब वो लंड लेने को राजी नहीं थी.

मैंने सोचा कि इससे लंड चुसवा कर ही माल चुसवा लेता हूँ.

मैंने लंड साफ़ किया और किचन से शहद लाकर लंड पर लगा लिया.

उसने लंड पर शहद देखा तो वो लंड चूसने लगी.

मैंने उससे काफी देर तक लंड चुसवाया और उसके मुँह में ही झड़ गया.
वो भी मेरा सारा वीर्य खा गई.

मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
वो हंस कर बोली- मीठे लंड से खट्टा रस निकला.

मैं समझ गया कि ये फिर से मस्त होने लगी है.
मैंने फिर से लंड चुसवा कर खड़ा करवाया और उससे फिर से घोड़ी बनने को कहा.

उसका मन खुद से गांड मरवाने का था.
वो बोली- इस बार ज्यादा चिकना कर लो और धीरे धीरे करना.
मैंने ओके कहा और गांड में भरपूर तेल लगा कर उसे चिकना कर दिया.

फिर अपने लंड पर भी खूब सारा तेल लगा कर उसकी गांड में धीरे से लंड पेल दिया.

इस बार मैं काफी संभल कर गांड मार रहा था.
उसे दर्द तो हुआ पर वो झेल गई.

मैं धकापेल गांड मारता गया.
वो भी एस फ़क के मजे लेने लगी थी.
मैं उसकी चुत को भी मसलने लगा था. उसकी चुत में भी उंगली करने लगा था जिससे उसे दोगुना मजा आ रहा था.

कुछ बीस मिनट बाद मेरा लंड झड़ने को हो गया और मैंने उसकी चोटी पकड़ कर उसकी गांड में ही अपना सारा माल गिरा दिया.

वो भी चुत रगड़वाने से झड़ गई थी. हम दोनों थक कर गिर पड़े थे.

कुछ देर बाद वो मेरे लंड को चूमती हुई बोली- अब इसे हाथ से मत हिलाना … ये मेरा हो गया है.
मैंने कहा- चल अब आगे भी ले ले.

वो बोली- अभी नहीं अभी गांड में बेहद दर्द हो रहा है. कल ले लूंगी.
मैंने उसे चूम लिया.

अब हम दोनों भाई बहन चुदाई का खेल जब तब खेलने लगे थे.
 
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junglecouple1984

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चाची और उसकी बेटियों की चूत की आग



मेरा नाम हमराज है. आज मैं आपको अपनी दो चचेरी बहनों की चुदाई की कहानी बताऊंगा कि कैसे मैंने उनको थका थकाकर चोदा. उनको मैंने पूरी नंगी करके ठोका और वो भी दोनों चुदकर मेरी दीवानी हो गयीं.

मेरी चाची की दो लड़कियां हैं; आरिफा जो कि उस समय 21 साल की थी और जाकिरा जो साढ़े अठारह साल की थी. दोनों ही मुझे बहुत पसंद थीं. उनको भी मैं पसंद था.

आरिफा तो कुछ नहीं दिखाती थी लेकिन जाकिरा मुझे सेक्सी इशारे किया करती थी.
उसकी बड़ी बड़ी मोटी छाती और कूल्हे दिखाकर वो मुझे चुदाई के लिए उकसाती थी.
मैं भी उसको चोदने की फिराक में था.

ये रियल फैमिली सेक्स कहानी उस वक्त की है जब मैं अपने कॉलेज के पहले साल में था.
मेरी चाची के घर पर रंगीन टीवी था और हमारे घर पर ब्लैक एंड व्हाइट टीवी था.
मैं चाची के घर पर ही बड़े टीवी पर क्रिकेट मैच और फिल्में देखना पसंद करता था.

मेरी चाची आयशा (48) भी मेरे पास बैठकर टीवी देखा करती थी. वो भी अपनी छातियों को मेरी बाजुओं से सटाये रहती थी. कई बार मेरे हाथ को अपनी जांघों पर रखवा लेती थीं और मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

एक दिन की बात है कि शाम के 7 बजे एक बहुत ही रोमांचक क्रिकेट मैच आ रहा था.
मैं चाची के यहां बैठा हुआ था.
आरिफा और जाकिरा पड़ोस के घर में गयी हुई थीं.

मेरी चाची भी कमरे में आ गयी. मैं जानता था कि चाची मेरे पास क्यों आई है.

चाची कुछ देर तक तो बैठी रही और यहां वहां की बातें करती रही. फिर वो चुप हो गयी और बहाने से उसने मेरी जांघ पर हाथ रख लिया था.
वो हाथ को रखे रही और मैं भी बैठा रहा लेकिन मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

बीच बीच में चाची मेरे लंड को भी देख रही थी. शायद चाची को मेरी पैंट में उठा हुआ मेरा लंड दिख गया था.
उसने धीरे से मेरे लंड पर हाथ रख लिया.

मेरे लंड में एक जोर का झटका लगा. मैं बेचैन सा हो गया.

चाची मेरे लंड को सहलाने लगी. मुझे भी मजा आने लगा.
फिर उन्होंने कहा- पैंट उतार लो.

मैंने पैंट उतार ली.
अब मैं कच्छे में था और चाची फिर से मेरे लंड को सहलाने लगी.

अब चाची का हाथ मेरे लंड पर पकड़ बना रहा था. दो मिनट तक सहलाने के बाद चाची से रुका न गया और वो मेरे लंड पर झुक कर उसको किस करने लगी.
मैंने भी टांगें फैला दीं और चाची ने मेरी कच्छे की इलास्टिक हटाकर लंड को बाहर निकाल लिया.

उसने मेरे लंड को अपने नर्म हाथ में लिया और उसको दबाकर देखा.
मेरा लंड पूरा सख्त हो गया था.

फिर चाची ने झुककर उसको मुंह में भर लिया और मेरा लौड़ा चूसने लगी.

अब मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था. मैंने उनके ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. मैं जोर जोर से चाची के बूब्स को भींच रहा था और वो मेरे लंड पर अपने दांत गड़ा देती थी.

तीन चार मिनट तक चाची ने मेरे लंड को मजे से चूसा और फिर उठकर वो अपनी साड़ी खोलने लगी.
चाची ने साड़ी उतार दी और फिर ब्लाउज के बटन खोलने लगी.

उसके बाद चाची ने अपना पेटीकोट भी खोल दिया. वो अब ब्रा और पैंटी में रह गयी और फिर से मेरे लंड को चूसने लगी.

मैंने भी अपने कच्छे को पूरा ही निकाल दिया और नीचे से नंगा हो गया.

अब चाची मेरे गोटों को सहलाते हुए मेरे लौड़़े को चूस रही थी. मैं तो जैसे स्वर्ग में था.

मैंने चाची की ब्रा के हुक खोल लिये और उसकी चूचियों को नंगी कर लिया.

मैं चाची की चूची दबाने लगा.
अब उनकी चूची नंगी थी तो दबाने में और ज्यादा जोश बढ़ रहा था.
मैं उनको जोर जोर से भींचने लगा.

चाची फिर से मेरे लौड़े पर काट लेती थी.

फिर मैंने चाची का सिर उठाया और उसको वहीं सोफे पर पीछे सटाकर उसकी चूचियों को जोर जोर से पीने लगा.
चाची एकदम से सिसकार उठी- आह्ह … हाय … ओह्ह … आह्ह … हां …. हम्म … आह्स्स … स्सस … हये … ओह … पीते रहो!

चाची सिसकारते हुए मेरे सिर को सहला रही थी. एक हाथ उनका मेरे लंड पर पहुंचने की कोशिश कर रहा था. मैं थोड़ा और ऊपर को हुआ और चाची ने मेरे लंड को पकड़ लिया.

वो मेरे लंड की मुठ मारने लगी और मैं उसकी चूचियों के निप्पलों को पीने लगा. बीच बीच में मैं दांत से उसकी चूची के निप्पलों को काट लेता था जिससे चाची एकदम से लंड को कसकर भींच देती थी.

वो सिसकारते हुए बोली- आह्ह … हमराज … तू आज मेरा मर्द बन जा! मैं तेरे लंड से चुदवाना चाहती हूं.
मैं बोला- हां चाची, मैं आपकी प्यास जानता हूं. आज आपको खुश करके रहूंगा.

फिर मैं उनको बेड पर ले गया और आराम से लिटा दिया.
मेरा लम्बा लौड़ा पूरा तनकर फनफना रहा था.

मैंने चाची की चड्डी उतार दी. उनकी चूत एकदम से साफ थी. मैंने चाची की चूत को हाथ से सहलाया तो चूत गीली हो गयी थी.

मेरे सहलाते ही चाची बोली- आह्ह … हमराज इसको जल्दी से चोद दे … आरिफा और जाकिरा कभी भी आ सकती हैं, नहीं तो फिर मैं प्यासी रह जाऊंगी.

मैंने चाची की चूत में उंगली दे दी और उसकी चूत में उंगली को अंदर बाहर करते हुए सिसकारते हुए बोला- आह्ह … चाची … इस गीली चूत को मैं आज खोदकर रख दूंगा. आपकी प्यास बुझा दूंगा अपने लंड से चोद चोदकर।

फिर मैंने चाची की टांगों को फैला दिया और उसकी चूत को चाटने लगा.
चाची पगला गयी और मेरे सिर को जोर से चूत में दबाने लगी.

कुछ देर तक मैंने चाची की चूत चाटी और फिर मैंने उनकी चूत पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया.

वो बोली- कर दे अब … अंदर कर दे इसको … बहुत आग लगी है … आह्ह … जल्दी से चोद दे हमराज … मेरी चूत में प्यास लगी है। मेरी चूत को चोद दे।

फिर मैंने लंड को चाची की चूत पर सेट किया और उसकी नर्म गर्म चूत में अपना लौड़ा पेल दिया.
चाची की चीख निकली और मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

मैं चाची के चूचे दबाता हुआ उसकी चूत में लंड के धक्के लगाने लगा.
चाची छटपटाती रही लेकिन मैंने चूत को चोदना बंद नहीं किया.

फिर चाची धीरे धीरे नॉर्मल होने लगी और वो चुदाई का मजा लेने लगी.

जब मैंने नीचे देखा तो चाची की चूत से खून निकल रहा था. मगर मैंने चाची को इस बारे में कुछ नहीं कहा. मैं बस उसकी चूत में लंड के धक्के लगा रहा था और वो आराम से चुदने का अब मजा ले रही थी.

मैं चाची की चूचियां दबा दबाकर चूसने और काटने लगा.
अब मैं चाची की चूत में जोर जोर से धक्के लगा रहा था.
चाची लगातार सिसकार रही थी.

मगर जब मेरे धक्के तेज हुए तो उसकी चीखें भी तेज हो गयी.
चाची चुदते हुए बोली- आह्ह … आहाह … ऊईई … ओह्ह … फट गयी … आह्ह आराम से चोद … हरामी … आह्ह फाड़ दी चूत मेरी।
मैंने चाची की बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसकी चूत को चोदता रहा.

हम दोनों चुदाई का मजा ले ही रहे थे कि अचानक से कमरे का दरवाजा खुल गया.
हमने देखा तो आरिफा और जाकिरा दोनों ही सामने खड़ी थीं.

हमें समझ नहीं आया कि अब क्या करें.

मैं रुक गया तो चाची बोली- चोद हमराज … इनको देखने दे. ये जानती हैं … अब ये बच्ची नहीं रही. तू चोदता रहा.
चाची ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मैं फिर से चाची की चूत में धक्के लगाने लगा.

फिर उन दोनों ने कमरे का दरवाजा बंद किया और बेड के दोनों तरफ आकर खड़ी हो गयीं.
मैं चाची की चूत में धक्के लगाये जा रहा था. मेरा मूसल लम्बा लंड पच पच की आवाज के साथ चाची की चूत की खुदाई कर रहा था.

बीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने चाची की चूत में अपने लौड़े का रस भर दिया.

चाची बेहाल हो गयी थी. चाची हाँफते हुए बोली- आह्ह … हमराज … तेरा लंड तो बहुत मजे देता है रे … मैं तो तेरे लंड की कायल हो गयी. बहुत सुकून देता है तेरा मूसल।

फिर वो उठ गयी और कहने लगी- मैं नहाकर आती हूं.
चाची अपनी साड़ी उठाकर नंगी ही बाहर निकल गयी.

अब आरिफा और जाकिरा ने मुझे देखा और मुस्कराने लगीं.
वो दोनों मेरे पास आ गयीं. मेरा लंड सो चुका था.

मगर उन दोनों ने दोनों तरफ से मेरे लंड पर अपने हाथ रखे और उसको सहलाने लगीं.

दोनों के ही हाथ मेरे लंड पर चल रहे थे. कभी मेरे टोपे को सहलाती तो कभी मेरे गोटों को।
मुझे गुदगुदी हो रही थी और मजा भी आ रहा था।

फिर वो दोनों नीचे झुककर मेरे लंड को चूसने चाटने लगीं.

आज उन दोनों के पास भी मौका था मेरे लंड के साथ खेलने का. उनकी मां ने खुद उनके सामने चूत चुदवाई थी तो वो भी खुलकर मेरे लंड से चुदाई करवा सकती थी.

जाकिरा मेरे लंड को चूसने में लग गयी और नीचे से आरिफा मेरे गोटों को चूसने लगी.
दोनों ही दस मिनट तक मेरे लंड की चूमा चाटी करती रही. मैं एक एक हाथ से दोनों की ही एक एक चूची को बारी बारी से दबाता रहा।

मेरा लंड अपने पूरे तनाव में आ चुका था और अब इन जवान चूतों को चोदने के लिए झटके दे रहा था।
मैंने उनको कपड़े उतारने के लिए कहा तो वो दोनों ही जल्दी से नंगी हो गयी.

ऐसा लग रहा था जैसे मैं हसीनाओं के शहर में आ गया हूं और एक के बाद एक चूत मुझसे चुदवाने के लिए आ रही है. दोनों के ही गोरे बदन देखकर मेरे मुंह में पानी आने लगा.

आरिफा की चूचियां बड़ी थीं और जाकिरा की थोड़ी नुकीली ज्यादा थीं. दोनों की ही चूत क्लीन शेव की हुई थी. समझ नहीं आ रहा था कि कौन सी चूत से शुरूआत करूं और कहां से शुरूआत करूं.

फिर पहले मैं आरिफा की चूत पर गया और उसको चाटने लगा. वो खुश हो गयी. मगर जाकिरा भी पीछे नहीं रहने वाली थी. उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी.

मैं आरिफा की चूत को चूसने लगा और जाकिरा मेरा लंड चूसने लगी. फिर मैंने उसकी चूत में उगली दे दी और जाकिरा अपनी चूत में भी उंगली करने लगी.

उससे रुका न गया और उसने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपनी चूत में मेरी उंगली डलवा ली. मैं अब दोनों की ही चूत में उंगली करने लगा. दोनों ही अपनी चूचियों को दबा दबा कर अपनी चुदास को शांत करने कोशिश कर रही थीं.

जल्दी ही आरिफा बोली- बस अब … अंदर डाल दो. जल्दी से चोदो.
मैंने उसकी चूत में लंड लगाया और उसके ऊपर लेटकर उसकी चूचियों को पीने लगा. फिर मैंने लंड का दबाव बनाना शुरू किया और उसके चूचों को पीते हुए हल्के हल्के धक्के लगाने लगा.

मैंने थोड़ा और जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया लेकिन टोपे से थोड़ा ही आगे जाकर लंड चूत में फंस गया. वो एकदम से उचक गयी और मेरी जांघों को पकड़ लिया ताकि लंड और अंदर न जा पाये.

अब मैं वहीं पर रुक गया क्योंकि लंड मोटा और लम्बा था और आरिफा की चूत बहुत टाइट थी. मैं रुका रहा और धीरे धीरे लंड को धकेलने की कोशिश करता रहा.

इस बीच मैं आरिफा के होंठों को चूस रहा था जबकि जाकिरा ने आरिफा के हाथों को अपनी चूचियों पर रखवाया हुआ था. धीरे धीरे जब आरिफा को अच्छा लगने लगा तो मैंने जोर का धक्का लगा दिया और उसकी चूत में आधे से ज्यादा लंड फंसा दिया.

उसने जोर से चीख मारी और मैंने उसके मुंह को बंद कर दिया. उसकी चूत में मेरा लंड फंस गया था और मैं ऐसे ही लेटा रहा. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसको चोदना शुरू किया.

आरिफा को काफी दर्द हो रहा था मगर फिर बाद में वो मजा लेने लगी. अब वो आराम से चुदवाने लगी और जल्दी ही उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … हमराज … याह … ओह्ह … वाऊ … आह्ह … आई .. आईआ … आह्ह … चोदो ना जान … आह्ह … चोदते रहो।

उसकी कामुक सिसकारियां सुनकर मैं उसकी चूत को तेजी से पेलने लगा और जाकिरा ने अपनी बहन का हाथ पकड़ा और उसकी उंगली को चूत में डलवा लिया.

अब आरिफा चुदते हुए अपनी बहन की चूत में उंगली से चोद रही थी. जाकिरा अपनी चूचियों को दबा रही थी. मैं तेजी से आरिफा की चूत को खोलने में लगा हुआ था.

वो चुदकर बेहोश होने के कगार पर थी. उसकी चूत में मेरा 9 इंची लंड अब पूरा अंदर तक फाड़ रहा था. फिर मैंने अपने धक्के और तेज कर दिये. अब मेरा पानी निकलने को हो गया और मैं उसकी चूत में झड़ गया.

उसकी चूत से भी खून निकला और फिर वो एक साइड होकर लेट गयी. मैं भी वहीं पड़ा हुआ था. मगर इतने में ही जाकिरा मेरे ऊपर आ चढ़ी. वो मेरे लंड को चूसने लगी.

उसने मेरे लंड को चाटकर साफ किया. फिर मेरे लंड से खेलने लगी. मगर लंड पानी निकालने के बाद सो चुका था. फिर वो मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.

वो तब तक मेरे लंड को चूसती रही जब तक कि मेरे लंड में फिर से तनाव नहीं आ गया. लगभग 10 मिनट की चुसाई के बाद मेरा लंड अब एक बार फिर से तन गया.

जैसे ही लंड में तनाव पूरा हुआ तो जाकिरा जल्दी से बेड पर लेट गयी. वो मुझे उसके ऊपर आने के लिए कहने लगी. मैं भी अब उसकी चुदाई के मूड में आ गया था.

मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू किया और उसकी चूत को सहलाने लगा. उसकी चूत तो पहले से पूरी की पूरी गीली हुई पड़ी थी. उसकी चूत में हम तीनों की ही उंगली जा चुकी थी.

एक बार मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, फिर उसने खुद अपनी चूत में उंगली डाली और फिर आरिफा ने भी उसकी चूत में उंगली से चोदा था. वो अब लंड लिये बिना नहीं रुक सकती थी.

मैंने भी उसकी प्यास को ध्यान में रख कर उसकी चूत पर लंड को सेट कर दिया. अब मैंने उसके हाथों को बेड पर नीचे दबा लिया और एक धक्का दे दिया.

जैसे ही मेरा लंड जाकिरा की चूत में घुसा तो वो जोर से चीखी लेकिन तभी आरिफा ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और उसकी चीख को फिर उसके मुंह से दोबारा नहीं निकलने दिया.

आरिफा अब जाकिरा की चूचियों को दबाने लगी और मैं अपने लंड को उसकी चूत में और अंदर सरकाने लगा. उसकी चूत की झिल्ली फट गयी और उसकी चूत से काफी सारा खून निकला.

मगर मैंने लंड को घुसाये रखा क्योंकि अगर मैं लंड को बाहर निकालता तो फिर वो दोबारा से लंड को अपनी चूत में अंदर नहीं डालने देती. फिर मैंने पूरा लंड घुसा दिया और फिर रुक कर उसके ऊपर लेट गया.

अब आरिफा मेरे होंठों को चूसने लगी और जाकिरा मेरी पीठ को सहलाने लगी. साथ ही आरिफा अपनी बहन जाकिरा की चूचियों को दबा रही थी. मेरा लंड जाकिरा की चूत में घुसा हुआ था.

दो तीन मिनट तक मैं रुका और फिर उसकी चूत में लंड को चलाना शुरू किया. उसकी चूत कुछ ज्यादा ही टाइट थी और मेरा लंड बुरी तरह से उसकी चूत में कसा हुआ था.

फिर मैं उसको चोदने लगा. पहले तो वो दर्द में बिलखती रही मगर फिर उसकी चूत ने लंड को अपने भीतर एडजस्ट कर लिया और वो सहज होती चली गयी. उसके बाद मैं भी उसको तेज तेज चोदने लगा.

इतने में ही चाची भी नहाकर बाहर आ गयी. उसकी छोटी बेटी अभी चुद रही थी. उसकी बड़ी बेटी उसकी छोटी बेटी को चुदवाने में मेरा साथ दे रही थी. चाची ये देखकर बहुत खुश हो रही थी.

जिस लंड से चाची ने कुछ देर पहले अपनी चूत की चुदाई करवायी थी. अब वही लंड चाची की दोनों बेटियों को चोदने में लगा हुआ था. मेरा लंड काफी तेज तेज धक्कों के साथ जाकिरा की चूत में अंदर बाहर हो रहा था.

अब चाची मेरे ऊपर आ गयी और उसने अपनी दोनों टांगों को मेरी दोनों ओर कर लिया. चाची मेरी पीठ पर खड़ी थी. उसने मेरी गांड को पकड़ा और नीचे जाकिरा की चूत में तेजी से धकेलने लगी.

चाची के सहयोग से अब जाकिरा की बच्चेदानी में मेरा लंड घुसने लगा. वो जोर जोर से चीखने लगी लेकिन वो दोनों मां बेटी उस कमसिन जाकिरा को इतनी बेरहमी से चुदते हुए देखकर खुश हुईं जा रही थी।

जाकिरा की हालत बेहोशी वाली हो गयी. मुझे भी उसको चोदते हुए 20 मिनट हो चुके थे. अब मेरा माल फिर से निकलने वाला था. मैंने उसकी चूत में धक्के लगाने जारी रखे.

फिर मैंने पूरी ताकत लगा दी और एकदम से मेरा वीर्य निकल कर बाहर आने लगा तो मैं जाकिरा के ऊपर लेट गया और मैंने उसकी चूत में धक्के लगाते हुए अपना माल उसकी चूत में खाली कर दिया.

मैं अब बहुत ज्यादा थक गया था. जाकिरा तो हिल ही नहीं रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि वो बहुत बड़ी जंग जीतकर एकदम से थक कर सो गयी हो.

उसकी चूत से जब लंड निकला तो उसके साथ ही उसकी चूत का खून और वीर्य की मिश्रण भी बाहर आ गया.
चाची उसकी चूत की हालत देखकर मुस्करा रही थी. आरिफा भी मुस्करा रही थी.

अब मैं उठा और चाची मुझे बाथरूम में ले गयी. वहां उसने मेरे लंड को साफ कर दिया. मगर साफ करने के बाद उसने एक बार फिर से मेरे लंड को मुंह में भर लिया.

मैंने चाची को मना किया लेकिन वो चूसती ही रही.

मेरा लंड खड़ा होने ही वाला था कि आरिफा बोली- अम्मी … अपनी छोटी बेटी की चूत का भी ख्याल कर लो. लंड तो यहीं रहने वाला है.

फिर चाची मुझे बाहर लेकर आ गयीं. आरिफा की नजर भी मेरे लंड पर ही थी. मगर इस वक्त मैं और चुदाई करने के मूड में नहीं था. फिर मैं वहां से अपने कपड़े पहन कर आ गया.

उसके बाद उन तीनों की चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया. अब वो तीनों ही रोज मुझे अपने घर बुलाने लगीं. फिर मुझसे तीनों ही साथ में चुदवाती थी.

जब तक आरिफा और जाकिरा की शादी नहीं हो गयी तब तक वो मुझसे चुदवाती रहीं. अभी भी जब वो दोनों ससुराल से आती हैं तो एक दिन मुझसे चुदवाने के लिए मुझे उनके घर जरूर बुलाती हैं.

दोस्तो, ये थी मेरी चाची और उनकी बेटियों की चुदाई की कहानी.
 
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कुंवारी बहन को ट्रेन में चोदा



मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ और नागपुर में जॉब करता हूँ. मेरे घर में हम 3 लोग हैं. मैं, मेरी अम्मी और मेरी छोटी बहन नज़मा हैं. मेरे अब्बू अब नहीं रहे हैं.

मेरी उम्र 26 साल है और मेरी बहन की 22 साल है. मेरी अम्मी की उम्र 44 साल है. मैं मास्टर डिग्री करने के बाद एक कॉलेज में पढ़ाता हूँ और मेरी बहन बेचलर डिग्री कर चुकी है.

ये घटना दो साल पहले की है. जब मैं छुट्टियों में घर आया था.

उस समय मेरी अम्मी ने मुझसे कहा कि अपनी बहन के लिए कोई ठीक सा लड़का देख कर इसकी शादी कर दे.
मैंने कहा- मगर अम्मी, अभी तो नज़मा और आगे पढ़ेगी.
तो अम्मी बोलीं- इतना पढ़ लिया है ये बहुत है. अब शादी कर देना ही ठीक है. यदि इसे पढ़ना होगा तो अपनी ससुराल में पढ़ लेगी.

मैंने पूछा- आप इतना परेशान क्यों हो रही हैं. कोई बात हुई है क्या? हुआ क्या है, मुझे बताओ.
तो उन्होंने बताया कि ये लड़की किसी दिन नाक कटा देगी. ये किसी लड़के से मिलती है.
मैंने कहा- मैं नज़मा से बात करता हूँ. अगर उसको आगे नहीं पढ़ना होगा, तो शादी कर देंगे.

फिर मैंने बहन से बात की.
तो वो बोली कि कुछ नहीं है. मेरा किसी से कोई चक्कर नहीं है. अम्मी तो ऐसे ही बोल रही हैं.
मैंने उससे पूछा- तुम्हें और आगे पढ़ना है या शादी करनी है?
वो बोली- मुझे आगे और पढ़ना है.
मैंने बोला- तो ये समझ लो कि अम्मी तो तुम्हें यहां आगे पढ़ने नहीं देगी. तुम मेरे साथ नागपुर चलो, वहीं मैं तुम्हारा एडमिशन करा दूंगा.
वो बोली- ठीक है … अम्मी से आप बात कर लेना.

मैंने अम्मी से बात की, तो अम्मी बोली- ठीक है … पर इसका ध्यान रखना, कहीं कुछ गलत न कर दे.
मैंने कहा- ठीक है.

जब ये बात मैंने बहन नज़मा को बताई, तो वो मेरे गले से लग गयी और मैंने पहली बार महसूस किया कि मेरी बहन की जवानी तो पूरे शवाब पर आ गई है. उसकी चूचियां 34 डी साइज़ की हो गई थीं. कमर 28 की और गांड 36 इंच की है.

उस दिन उसने भी मेरी छाती से अपनी चूचियां जिस तरह से रगड़ी थीं, उससे मुझे लगने लगा था कि ये चुदने को मचल रही है.

कुछ दिन मैं अपने घर पर रहा. फिर वो दिन भी आ गया जिस दिन हम दोनों नागपुर को निकलने वाले थे.

लेकिन मैंने पहले से ही दो टिकट गोवा के करा रखे थे. ये टिकट कन्फर्म नहीं हो सके थे. हमको एक ही सीट मिली थी. जब हम ट्रेन में बैठ गए … तो टीटीई आया.

वो मुझसे पूछने लगा- मिस्टर एंड मिसेज यासीन … गोवा जा रहे हैं?
मैं बोला- यस … हम गोवा जा रहे हैं.

उसके जाने के बाद मेरी बहन नज़मा हैरानी से बोली- ये क्या चक्कर है?
मैंने बोला- वो मेरी माशूका आने वाली थी … और हम दोनों गोवा जाने वाले थे. लेकिन तुम्हारी वजह से सब गड़बड़ हो गया.

वो बोली- सॉरी भाई … चाहो तो आप मेरे साथ गोवा जा सकते हो.
मैंने कहा- वहां लोग अपनी बीवी के साथ या माशूका के साथ जाते हैं … बहन के साथ नहीं.
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- जो मजा बीवी और माशूका दे सकती, ऐसी जगह पर बहन उतना ही टेंशन देती है.

वो बोली- तो टीटीई की बात को सच कर दो … मुझे बीवी बना कर ले चलो.
मैंने बोला- तुम अभी कहीं से किसी की वाइफ नहीं लगती हो.
वो इठला कर बोली- तो माशूका बना कर ले चलो न.

मैंने सोचा कि जब ये इतना बोल रही है, तो एक बात और पता कर लेता हूँ.

मैंने बोला- तुझे पता भी है कि एक माशूका ओर आशिक के बीच क्या होता है?

वो बोली- कुछ भी होता है … लेकिन लास्ट में तो चुदाई ही होती है. जितना आपने मेरे लिए किया है, आपके लिए वो भी हाजिर कर दूंगी.

मैं उसके मुँह से सब कुछ साफ़ साफ़ सुनकर हैरान था.

फिर भी मैंने संयत होते हुए उसे और ज्यादा खोलने की कोशिश की.
मैं बोला- मुझे फ्रेश माल चाहिए, किसी की चुदी हुई चूत नहीं.
वो भी अब खुल गई थी … बोली कि अगर आपको लगे कि किसी ने मुझे चोदा है तो जिंदगी भर आपकी रंडी बनकर रहूंगी. जिसके सामने … और जिससे चुदवाने को बोलोगे, मैं चुदवा लूंगी.

मैंने बोला- अगर तू किसी से नहीं चुदी होगी, तो मेरी बीवी बनेगी. अगर कोई एतराज हो तो अभी बता दे.
वो बोली- ये मेरा सौभाग्य होगा कि मैं आप जैसे इंसान की बीवी बन सकूंगी.
मैं बोला- ठीक है, फिर गोवा चलते हैं. लेकिन तेरे पास तो वहां पहनने लायक कुछ कपड़े है ही नहीं?
वो बोली- जब आपके जैसा भाई शौहर और आशिक साथ में हो, तो किस बात की प्रॉब्लम … और वैसे भी वहां बिकिनी पहननी होती है. आप मेरे नाप की खरीद देना.

मैंने पूछा- नज़मा, तेरा नाप क्या है?
वो बोली- जब आपके लंड से चुदूंगी, तो मेरा साइज़ नाप लेना.

अब बात साफ़ हो गई थी कि मेरी बहन मेरे लंड से चुदने के लिए एकदम रेडी है.

इसी तरह की गरमागरम बातें करते करते रात हो गयी. सब सोने लगे और थोडी देर में कम्पार्टमेंट की लाइट भी ऑफ हो गयी. मैं और मेरी बहन ने भी चादर ओढ़ ली और एक दूसरे की तरफ मुँह कर लिया. मैं अपनी बहन को किस करने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. हम दोनों 5 मिनट तक एक दूसरे को किस करते रहे.

फिर मैंने बहन की चूची को दबाना शुरू कर दिया. पहले तो ब्रा और कुर्ते के ऊपर से उसके दूध दबाए, फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर बहन की चूत को मसलने लगा.

वो अब तक बहुत गर्म हो गयी थी और उसके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं.

कुछ ही मिनट में ही बहन की चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ पूरा गीला हो गया. मैंने हाथ बाहर निकाला और चाट कर साफ कर दिया.

बहन झड़ कर रिलेक्स हो गयी थी. मैंने कहा- तेरा तो हो गया, मेरा कैसे होगा?
वो बोली- जैसे आप कहोगे, मैं वैसे कर दूंगी.
मैंने कहा- मुझे तो चोदना है.
वो बोली- यहां नहीं, पहली बार है तो मैं दर्द सहन नहीं कर पाऊँगी और सब खून से खराब भी हो जाएगा.

मैंने कहा- फिर कैसे करोगी? चुदाई ही करवा लो.
वो बोली- नहीं भाई, चूत में लंड में डालने के अलावा जो बोलोगे, मैं कर दूंगी.
मैंने बोला- लंड को मुँह में ले लो और चूस लो. तुम अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दो मैं भी तेरी चूत का मजा ले लूंगा.

वो राजी हो गई. अब हम दोनों 69 के पोज़ में आ गए.

मैंने हम दोनों के ऊपर एक चादर ओढ़ ली और उसकी सलवार को ढीला करते हुए पैंटी को नीचे सरका दी.

उसने भी मेरे लोअर और चड्डी को नीचे करते हुए मेरे लंड को हाथ में ले लिया.

मैंने उसकी दोनों टांगों को कुछ इस तरह से फैला दिया कि बहन की चूत मेरे मुँह से लग गई. मैं अपनी बहन की चूत को जीभ से चाटने लगा और वो भी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

मुझे अपनी बहन से लंड चुसवाने में बेहद मजा आ रहा था. मैं अपनी गांड को हरकत देते हुए अपनी बहन के मुँह में अन्दर तक लंड देते हुए लंड चुसवाई का मजा लेने लगा था.

इधर नीचे बहन की चूत का नमकीन रस भी मुझे मस्त किए दे रहा था.

कोई पांच मिनट तक मस्त चुसाई हुई.

फिर जैसे ही वो झड़ने वाली थी, उसकी अकड़न को महसूस करते ही मैं समझ गया था कि इसका दूसरी बार झड़ना होने वाला है. ये समझते ही मैंने बहन की चूत को चाटना छोड़ दिया.

नज़मा तड़फ कर बोली- चाटो न भाईजान … क्यों रोक दिया?
मैं- साली रंडी, भाई मत बोल … और कुछ बोल ले … नाम ले ले या जान बोल ले. साली इधर किसी ने सुन लिया तो सब गड़बड़ हो जाएगी.
वो जिद करते हुए बोली- जानू मेरी चूत चूसो न … क्यों रुक गए.

मैंने कहा- अब मुझसे मुँह से नहीं हो रहा है … तू कहे तो लंड डाल दूं?
वो बोली- डाल दे.
मैंने कहा- दर्द होगा, आवाज मत करना.
वो बोली- मेरी पेंटी मेरे मुँह में ठूंस दो और जल्दी से लंड चूत के अन्दर डाल दो.

मैंने सीधे होते हुए उसकी सलवार नीचे करते हुए उतार दी और उसकी पेंटी को निकाल कर उसके मुँह में ठूंस दिया.

वो अब नीचे से नंगी थी. मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और लंड को बहन की चूत की फांकों पर रखकर लंड सैट कर दिया. फिर मैंने बहन से कहा- अब झेलना … मैं लंड पेल रहा हूँ.

उसकी ‘हूँ..’ की आवाज आई.

मैंने एक जोरदार धक्का मार दिया. मेरा आधा लंड बहन की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.
बिना कोई परवाह करते हुए मैंने एक और धक्का दे दिया. तो मेरा लंड बहन की चूत के अन्दर पूरा घुसता चला गया. मेरी बहन की तड़फ मुझे समझ आ रही थी. मैं पूरा लंड पेलने के बाद रुक गया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. कुछ देर बाद मेरी बहन ठीक हो गई.

मैंने बहन के मुँह से पेंटी निकाली, तो उसको बहुत दर्द हो रहा था.

वो कराहते हुए बोली- फाड़ दी मेरी चूत तूने साले बहनचोद.
मैंने उसे चूमते हुए कहा- साली बहनचोद रंडी … एक न एक दिन तो तेरी चूत फटनी ही थी … साली आज मेरे लंड से फट गयी, तो क्या हो गया.

वो दर्द भरी हंसी हंस दी.

मैंने कहा- सच बता कैसा लग रहा है.
वो बोली- लंड बहुत मोटा है … अन्दर तक मेरी फाड़ते हुए घुस गया है.
मैंने एक ठोकर मारी और पूछा- कितनी अन्दर घुसा है मेरी जान.
वो मुझे समेटते हुए बोली- आह कुछ मत पूछो जान … बस चोदते रहो.

फिर मैंने धीमे धीमे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. दस बारह झटकों के बाद मेरी बहन को भी मजा आने लगा. वो गांड उठाते हुए कामुक सिसकारियां लेने लगी.

मैंने उससे बोला- बहनचोद ये क्या हल्ला कर रही है … चुप रह … कोई सुन लेगा.
वो बोली- ठीक है … आप चोदते रहो.

फिर दस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए. मैंने अपना सारा रस उसकी चूत में भर दिया.

मैंने पूछा- मजा आया?
वो बोली- मजा तो बहुत आया … पर आप बहुत बड़े बहनचोद हो … ट्रेन में ही चोद दिया.

मैंने कहा- मैं भेनचोद भाई तो नहीं था … लेकिन बहन की चूत चोदने मिल गई, तो बहनचोद बन ही गया हूँ. अब बता हनीमून पर चलेगी या नागपुर रूम पर ही चलना है.
वो बोली- हनीमून पर. उधर खुल कर मजा ले लेंगे. नागपुर में उतना मजा नहीं आएगा, जितना गोवा में आएगा.

मैंने अपनी बहन नज़मा को चूम लिया और उसके बाद हम दोनों एक एक करके बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ करके आ गए.

 

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मेरी आपा की औलाद की ख्वाहिश-1



मेरा नाम अशफ़ाक कुरैशी है, मेरी उम्र 24 साल की है. मेरा अभी कुछ माह पहले निकाह हुआ है.

मैंने लव मैरीज की है. शनाज़ अब मेरी बीवी शनाज़ है. शनाज़ की उम्र अभी करीब 21 साल है.

शनाज़ मेरी खाला ताहिरा की इकलौती बेटी है. मैं अपनी मौसेरी बहन शनाज़ को पसंद करता था और वो भी मुझे दिलोजान से चाहती थी. हम छुप छुप कर मिला करते थे. सबके सामने वो मुझे भाईजान कहती थी.
शनाज़ की एक गलती की वजह से हम दोनों भाई बहन की मुहब्बत का राज हमारे बड़ों के सामने खुल गया.

शनाज़ की अलमारी में उसकी किताबों के अंदर मेरा लिखा एक ख़त मेरी खाला ताहिरा के हाथ पड़ गया. खाला ने यह बात मेरी अम्मी को बतायी.

हम दोनों की अम्मियों को जब हम दोनों की मुहब्बत की जानकारी हुई तो वे दोनों बहनें गुस्सा होने के बदले बहुत खुश हुई और हम दोनों का निकाह करवा दिया.

ताहिरा खाला की सिर्फ एक बेटी है और मेरी अम्मी की हम दो औलादें हैं मैं और मेरी आपा!

मेरी आपा ज़ोहरा का निकाह 6 साल पहले रफ़ीक़ से हुआ था और आपा अपनी ससुराल वाले घर में रहती है.

ज़ोहरा आपा के शौहर रफ़ीक़ जीजा दुबई में एक बढ़िया नौकरी कर रहे थे. रफ़ीक़ जीजू को साल में सिर्फ दो बार आठ आठ दिन की छुट्टी मिलती थी घर आने के लिए. वे ये छुट्टियां अपनी बीवी और मेरी बहन के साथ बिताने भारत आते थे.

रफ़ीक़ जीजू की अच्छी नौकरी की वज़ह से अब्बू ने उनके साथ ज़ोहरा आपा का निकाह करवा दिया था. ज़ोहरा से रफ़ीक़ जीजू उम्र में करीब नौ साल बड़े थे. इस वक़्त ज़ोहरा 24 साल की है और जीजू करीब 33 साल के … ज़ोहरा आपा के निकाह के 6 साल बाद भी अभी तक उनकी कोई औलाद नहीं हुई थी.

नामालूम क्यों? लेकिन मुझे तो लगता है कि जीजू और आपा की उम्र में एक तो नौ साल का फर्क … और दूसरे कि रफ़ीक़ जीजू सिर्फ एक हफ्ते की छुट्टी पर आते हैं तो इतने में दोनों में कितना सेक्स हो पता होगा कि मेरी ज़ोहरा आपा के पेट में जीजू का बच्चा आये.

यह मेरी निजी सोच थी. असलियत का मुझे कुछ नहीं पता.
ज़ोहरा आपा की इस हालत के लिए अम्मी अब्बू को ही जिम्मेदार मानती थी और अम्मी अब्बू के बीच अक्सर लड़ाई रहती थी.

लेकिन मेरे निकाह के बाद अब घर में फिर खुशियान बरसने लगी. अब ज़ोहरा आपा को लेकर अम्मी और अब्बू के बीच घर में झगड़ा नहीं होता था. पर तब भी जब कभी ज़ोहरा आपा अपनी ससुराल से कभी हमारे घर आती तो वे अम्मी से अपने अकेलेपन और बेऔलाद होने का दुखड़ा रोटी तो अब्बू और अम्मी के बीच फिर से कहासुनी शुरु हो जाती थी.

शनाज़ और मेरी सेक्स लाइफ काफी मजेदार थी, हम दोनों भाई बहन जो अब शौहर और बीवी हो चुके थे, ज़ोरदार चुदाई करते हैं. मैं रोज रात को अपनी बीवी को 2 बार चोदता था. उसे भी चुदाई का बहुत शौक था तो वो भी जब भी मौके मिले मेरा लंड पकड़ लेती थी और दिन में भी चुद लेती थी. लेकिन इतनी चुदाई होने के बावजूद पिछले 6 महीने से शनाज़ गर्भवती नहीं हुई थी.

अब आहिस्ते आहिस्ते घर में सभी लोगों के मन में डर होने लगा कि कहीं हम दोनों भाई बहन के ऊपर कुछ ऐसा है कि हम बेऔलाद ही रहेंगे.

पर असलियत कुछ और ही थी. वो ये कि फिलहाल शनाज़ गर्भवती होने नहीं चाह रही थी. इसलिये शनाज़ अपनी सुरक्षा खुद कर रही थी. मतलब शनाज़ हर महीने गर्भ से होती थी पर वो गर्भपात की गोली खाकर अपना पीरियड चालू कर रही थी.

एक दिन ज़ोहरा आपा ने शनाज़ को गर्भपात वाली गोली खाते हुए देख लिया.

लेकिन ज़ोहरा आपा को शनाज़ ने कहा- आपा … असल अशफ़ाक भाईजान …

तब ज़ोहरा ने हंस कर शनाज़ की गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारकर कहा- बेशर्म लड़की … अशफ़ाक अब तेरा शौहर है.
शनाज़ हंस कर बोली- सॉरी आपा … बचपन से ही उन्हें भाईजान कहने की आदत है ना!
ज़ोहरा हंस कर- हाँ बोल … तू कुछ बोलने वाली थी?

शनाज़- अशफ़ाक भाई जान … ओ सॉरी … अशफ़ाक रोज रात बिना किसी एहतियात के मेरे साथ हमबिस्तर होते हैं. पर मुझे अभी कोई बच्चा नहीं चाहिए.. इसलिये मैं किसी को बिना बताए ये गोली लेती हूँ.

फिर ज़ोहरा अपने ससुराल चली गई. ज़ोहरा आपा की ससुराल हमारे घर से सिर्फ 10 मील दूर है.

कुछ वक्त बाद अचानक ज़ोहरा आपा और उसकी सास अम्मी हमारे घर आई. तब पता चला कि रफ़ीक़ जीजू एक माह बाद हिन्दुस्तान आने वाले हैं.

किसी बूढ़ी औरत के कहने पर ज़ोहरा आपा को उस की सास हमारे घर पर छोड़ गई थी. बूढ़ी औरत ने कोई तावीज आपा को बांधा था और एक मजार पर किसी पीर औलिया की सेवा करने को कहा था. ऐसा करने से ज़ोहरा आपा का बांझपन खत्म हो जायेगा.

और संयोग से वह मजार हमारे ही गांव के पास कोई एक मील की दूरी पर है.

कुछ दिन हररोज़ सुबह सवेरे मजार पर जाकर सेवा करने और दुआ करने से ज़ोहरा आपा अम्मी बन जाएगी. यह उस बूढ़ी औरत का दावा था. ज़ोहरा आपा की सास के आगे मेरी अम्मी भीगी बिल्ली थी. आखिरकार जवांई की अम्मी थी.

ज़ोहरा आपा और शनाज़ के बीच काफी अच्छी दोस्ती है, दोनों की शुरू से ही खूब जमती थी. और तो और मौसेरी बहनें होने के कारण शनाज़ और ज़ोहरा आपा की शक्ल और कदकाठी काफी मिलती जुलती है.

अब जब से ज़ोहरा आपा घर रहने आई तो तब से शनाज़ मेरे हत्थे नहीं चढ़ती थी. शनाज़ मेरे साथ चुदाई करने से दूर भाग रही थी क्योंकि ज़ोहरा आपा ने आते ही शनाज़ की गर्भपात वाली गोली को बंद करा दिया था. आपा ने सारी गोलियां शनाज़ से लेकर फेंक दी और उसको डांटा कि वो गोली क्यों खा रही है, सब घर वाले तो शनाज के पैर भारी होने का इन्तजार कर रहे हैं.

अब शनाज़ के पास गोली नहीं थी और वो अभी औलाद के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती थी तो इसलिये शनाज़ मुझसे चुदाई नहीं करवा रही थी. शनाज़ जान बूझकर सारा दिन अम्मी और आपा के साथ रहती थी और रात को ज़ोहरा आपा को बुला कर मेरे बेडरूम में सुला लेती थी. इससे मुझे मजबूरन हाल में सोना पड़ता.

इस तरह कुछ दिन बीत गये. भला मैं कैसे मेरे लन्ड को शांत करूँ? और मैं मुठ मार कर अपनी सेहत को खराब करना नहीं चाहता था.

अब मैं आप सभी पाठकों को मेरे लंड के बारे में बता दूँ. मेरा लंड 8″ लम्बा है और मोटाई तो … मेरी बीवी की कलाई जितना होगा. मेरा ताकतवर लंड की ताकत तो केवल मेरी बीवी शनाज़ की चूत बता सकती है. निकाह के बाद दो हफ्ते तक शनाज़ ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.

पर कुछ ही दिनों में शनाज़ की जवान चूत को रात में दो दो बार चोद चोद कर मैंने उसे मेरा लंड सहने काबिल बना दिया था. अब तो शनाज़ खूब मजे से मेरा लंड अपनी चूत में खा लेती है.

तो अचानक से बीवी की चूत चुदाई ना मिल पाने से मैं उससे नाराज हो गया और शनाज़ से बात करनी बंद कर दी.

मेरे इस बर्ताव से शनाज़ को महसूस हुआ कि वह गलत कर रही है. उसने अपनी गलती मान ली.

जोहरा आपा को लेकर हम सब हमारे गांव के पास मौजूद मज़ार पर गए और वहां के सेवादार को अपनी तकलीफ के बारे में बताया.
सेवादार ने हम सब को जोहरा आपा के लिए दुआ मांगने को कहा.

तो अम्मी और आपा दोनों ने अपनी झोली फैला कर मजार में औलाद के लिए दुआ मांगी. वे दोनों रो रही थी, गिड़गिड़ा रही कि हे मौला एक औलाद दे दे.

माँ और आपा को इस तरह औलाद के लिए तड़पती देख मेरी बीवी शनाज़ भी अंदर तक हिल गयी कि ये औलाद के लिए कितनी बेचैन हैं और मैं औलाद को रोक रही हूँ.

शनाज़ मेरे पास ही खड़ी थी, उसमे मेरे सामने अपनी गलती कबूल की और मजार में माफी मांगी कि जवानी के मजे लूटने के लिए मैं गोली खा रही थी.
उसने आगे से गोली खाने से तौबा की और जल्दी से जल्दी औलाद का सुख पाने के लिए तैयार हो गयी.

मैंने उसे ताना मारा- आपने शौहर से दूर रह कर कहाँ से औलाद लाएगी?

तब शनाज़ ने शर्मा कर मुझे कहा- आज से आपको शिकायत का मौक़ा नहीं मिलेगा.

मज़ार के सेवादार ने ज़ोहरा आपा को प्रसाद दिया- चिंता मत कर बेटी, इस जगह से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. मुझे यकीन है कि बहुत जल्दी तेरी कोख भरेगी.
फिर हम सब लोग अपने घर लौट कर आ गए.

हम सब मज़ार तक पैदल गए थे तो हम सब थक गए थे. पर मेरा बदमाश लंड मेरी बीवी शनाज़ की बात सुन कर तभी से ठुमक रहा था और उसकी चूत में घुसने के लिए मचल रहा था.

शनाज़ की नजर जब मेरी पैन्ट में खड़े लंड पर पड़ी तो वो मेरे पास आई और फुसफुसा कर बोली- आप रात होने का इन्तजार करो.

जब रात को खाना खाने के बाद हम दोनों सोने के लिए हमारे कमरे में गए तब देखा कि ज़ोहरा आपा हमारे बिस्तर पर पहले ही सो चुकी थी.
ज़ोहरा आपा को देख मेरा दिमाग खराब होने लगा कि आज भी चूत नहीं मिलेगी शायद.
मैं गुस्से में अपने कमरे से बाहर निकल गया.

मेरी बीवी शनाज़ मेरे पीछे पीछे भागती हुई आई.
मैं उससे गुस्से में बोला- शनाज़, तू चली जा मेरे सामने से! टू मेरा ज़रा भी ख्याल नहीं रखती.
शनाज़ मेरे चेहरे को चूमती हुई बोली- नाराज़ हो मेरे सरताज?

मैं दुखी होकर बोला- बेगम साहिबा, पूरे एक हफ्ते से मेरा लंड फटने को हो रहा है.
शनाज़ बोली- मैं समझती हूँ सरकार … आप यही हाल में लेट जाएँ, मैं कुछ देर के बाद आपके पास आती हूँ. हम आज हाल में ही करेंगे.

मैं- यार शनाज़ … तुम पागल हो क्या? इस खुले हाल में हम दोनों नंगे हो कर सेक्स करेंगे? कोई आ गया तो इज़्ज़त का कचरा हो जाएगा.
तो शनाज़ बोली- फिर आप हमारे कमरे में ही चलिए. आज हम कमरे में सोफे के ऊपर सेक्स करेंगे.
मैं तकलीफ भरी आवाज़ में बोला- लेकिन अंदर तो आपा सोई हैं, अगर आपा जाग गयी गई तो?

शनाज़ बोली- कमरे में बिल्कुल अंधेरा है. तो हम बिना शोर के अपना काम कर लेंगे. वैसे भी हम कुछ नाजायज तो कर नहीं रहे … अगर आपा जाग भी गयी तो हमने सेक्स करते देख खुद शर्मा कर बाहर चली जायेंगी और इसका एक और फ़ायदा यह होगा कि वो कल से हमारे कमरे में नहीं सोयेंगी.

लेकिन मैं बोला- मैं थोड़ी देर के बाद आऊंगा. फिर देखेंगे.

कुछ देर के बाद मैं अपने कमरे में गया यह सोच कर कि मेरी सेक्सी बीवी शनाज़ अंदर सोफे पर लेटी मेरा और मेरे बड़े मोटे लंड का इन्तजार कर रही होगी.

कमरे में एकदम अंधेरा था. मैं बिना सोचे समझे सीधा सोफे पर जाकर अपनी बीवी शनाज़ की बगल में बैठ गया.

शनाज़ रात को बिना चड्डी के सोती है. मैंने सीधे अपना हाथ शनाज़ की झांट भरी चूत पर रख दिया. वो गहरी नींद में सोई थी और मैं अपनी बीवी शनाज़ की चूत को सहला रहा था.

थोड़ी देर बाद मैं अपने चेहरे को शनाज़ की चूत के पास ले गया.

शनाज़ की चुत की खुशबू मुझे कुछ अलग सी लगी पर मैंने सोचा कि बिना चुदाई के शनाज़ की चूत की खुशबू बदल गई है.

चुत की खुशबू से मेरा पहले से ही खड़ा लंड अब विकराल रूप धारण करने लगा. मैंने वासना के जोश में एक उंगली अपनी बीवी की चूत में घुसा दी.

जैसे ही उंगली चूत के अंदर गयी, वैसे ही शनाज़ की नींद खुल गई.

 

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मेरी आपा की औलाद की ख्वाहिश-2



रिश्तों में चुदाई की मेरी सेक्स कहानी
मेरी आपा की औलाद की ख्वाहिश-1
के पहले भाग में आपने पढ़ा कि मेरी बड़ी बहन के निकाह को 6 साल हो चुके थे और उनकी कोई औलाद नहीं हुई थी. मेरा निकाह मेरी खाला की बेटी से हुआ था और मैं अपनी बीवी शनाज़ की गर्म चूत के मजे ले रहा था. आपा हमारे घर आई हुई थी तो मुझे अपनी बीवी की चूत चुदाई का मौक़ा नहीं मिल रहा था तो मैं बहुत बेचैन था.

एक रात मेरी बीवी ने चुदाई का प्रोग्राम बनाया लेकिन उस रात भी आपा हमारे बिस्तर पर सो गयी तो हमने सोफे पर चुदाई करने का तय किया.
मैं सोफे पर सोई अपनी बीवी की चूत में उंगली कर रहा था कि तभी वो जाग गयी.

अब सुनें कि असल में उस रात अब तक क्या हुआ था. ये सब बाद में मेरी बीवी शनाज़ ने मुझे बताया था.
हॉल में मेरे से बात करके शनाज़ थोड़ा दुखी सी होकर चली गई कि उसे मेरी इच्छा पूरी करने में दिक्कत हो रही है. वो सोफे पर ना लेट कर जाकर बिस्तर पर ज़ोहरा आपा की बगल में लेट गई.

थोड़ी देर में ही शनाज़ को नींद आ गई क्योंकि दिन भर की दौड़धूप से वह थकी हुई थी.

सोते सोते ज़ोहरा आपा को पेशाब की हाजत हुयी तो वो उठ कर टॉयलेट जाकर नींद में वहीं सोफे के ऊपर सो गई. पता नहीं वो सोफे पर क्यों सोयी? शायद आपा ने सोचा होगा कि बेड पर उनका भाई यानि मैं सो जाऊँगा.

तो अब आप समझे कि जिस लड़की की चूत में मैंने उंगली घुसाई वो मेरी बीवी शनाज़ नहीं बल्कि मेरी बड़ी बहन जोहरा थी. लेकिन मैं इस बात से एकदम अनजान अपनी आपा की चूत में अपनी बीवी की चूत समझ कर उंगली कर रहा था.

पर ज़ोहरा आपा कुछ समझ नहीं पाई. शायद ज़ोहरा आपा तब सुबह मजार वाली घटना को सपने में देख रही थी. मजार का वो सेवादार ज़ोहरा के लिए गर्भवती होने की दुआ कर रहा था.
तभी अचानक चूत में उंगली से ज़ोहरा की नींद खुल गई.

ज़ोहरा ने कुछ नींद और कुछ होश में सोचा कि शायद यह मजार पर दुआ करने के कारण हो रहा है. शायद ऊपर वाले मुझे औलाद देने के लिए आधी रात में मेरे पास फ़रिश्ते भेजे हैं.

इधर मैं अपनी उंगली से ज़ोहरा आपा की कसी चूत महसूस करके अपने मन में सोचने लगा कि पांच सात दिन शनाज़ की चुदाई नहीं हुई तो मेरी बीवी की चूत तो कुंवारी लड़की की चूत की तरह से टाइट हो गई.

इतना सोचकर मैं फटाक से ज़ोहरा आपा की चूत को अपनी बीवी शनाज़ की चूत समझ कर चूमने लगा. मैं अपनी आपा की चूत ऐसे चाटने लगा जैसे प्यासा कुत्ता अपनी जीभ से लपर लपर पानी पीता है.

उधर ज़ोहरा अपना ने कभी भी अपनी चूत अपने शौहर रफ़ीक़ से नहीं चुसवाई थी. लंड चूसना या चूत चाटना रफ़ीक़ को नापसंद था. ज़ोहरा को भी ये सब ओरल सेक्स गन्दा ही लगता था क्योंकि उसने कभी इसका मजा लिया ही नहीं था.

पर अभी मैं रात में आपा की चूत की चुसाई कर रहा था तो इससे ज़ोहरा को इतना मजा मिल रहा था कि वो मजे से पागल हो रही थी. पर वो सोच रही थी कि ऊपर वाले के भेजे हुए फ़रिश्ते यह काम कर रहे हैं तभी उसे इतना मजा आ रहा है.

ज़ोहरा तो जैसे ज़न्नत में थी. ज़ोहरा अपने मन में अपने छोटे भाई अशफ़ाक को फ़रिश्ता समझ रही थी.

मेरी बड़ी बहन ने सेक्स के मजे में पागल होकर एकदम से मेरा मोटा और आठ इंच लम्बा लंड अपनी मुट्ठी में ले लिया.

ज़ोहरा अपने मन में हैरान परेशान सी सोच रही थी कि इतना बड़ा लंड इस दुनिया में किसी इंसान का नहीं हो सकता. इस लंड के सामने मेरे शौहर रफ़ीक़ का लंड तो छोटा चूहा है. यह ज़रूर ऊपर वाले का भेजा फ़रिश्ता ही है जो मेरी चूत चोद कर मुझे औलाद देने आया है.

यह सोच कर ज़ोहरा भी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

इधर मैं सोच रहा था कि मेरी बीवी शनाज़ तो बहुत अच्छे से मेरा लंड चूसती है. पर आज शनाज़ ऐसे अनाड़ी जैसे लंड क्यों चूस रही है?

मुझे लंड चुसवाने में मजा नहीं आया तो मैंने अपनी ज़ोहरा आपा के मुँह से अपना लंड निकाला और लंड को सीधा ज़ोहरा आपा की चूत की दरार के बीच में टिका दिया.

ज़ोहरा कुछ समझ पाती, उससे पहले मेरा लंड ज़ोहरा आपा की चूत को फाड़ कर 3 इंच तक अंदर घुस चुका था. ज़ोहरा आपा को तेज दर्द हुआ. ज़ोहरा की चूत ने कभी इतना मोटा लंड नहीं लिया था शायद.

इधर ज़ोहरा फ़रिश्ते का लंड समझ कर अपनी चूत में हुए दर्द को सहने की कोशिश करने लगी.

मैं तो यही समझ रहा था कि कुछ दिन चुदाई ना होने से मेरी बीवी की चूत कस गयी है.

मैंने बिना वक्त खोये दूसरा धक्का आपा की चूत में लगा दिया. आपा की चीख निकलने को थी पर उन्होंने खुद को रोका कि चीखने से फ़रिश्ते के काम में खलल होगा.

इधर मैंने सोचा कि मेरी बीवी की चूत को तो मेरे लंड की आदत है, ये मेरा लंड आसानी से सह गयी है.

फिर मैंने तीसरा धक्का आपा की चूत में मारा और इस करारे झटके से मेरा लंड पूरा जड़ तक आपा की कम चुदी चूत में घुस गया.

जैसे ही मेरे लंड का मोटा सुपारा आपा की बच्चेदानी में घुसा, वैसे ही मेरी बड़ी बहन की आंखें दर्द के मारे फटने का हो गयी.
ज़ोहरा आपा की सांसें जैसे कुछ देर के लिए थम सी गयी थी.

मैं भी शनाज़ समझ कर ज़ोहरा आपा की चूची के निप्पल को अपने मुँह में लेकर आपा की जवान चिकनी नर्म चूची का रस पीने लगा.

अब मैंने बिना रुके ज़ोहरा आपा को शनाज़ समझ कर पूरे जोर शोर से चोदना शुरू कर दिया.

मेरे खतरनाक लंड को ज़ोहरा आपा बड़ी मुश्किल से झेल रही थी. पर कुछ ही वक्त बाद ज़ोहरा को भी इस फ़रिश्ते की चुदाई में पूरा मज़ा आने लगा.

रात के अंधेरे में मैं अपनी आपा को अपनी बीवी शनाज़ समझ कर पूरे दम खम से चुदाई करता रहा. इस बीच मेरी बड़ी बहन एक बार झड़ गयी थी.


फिर मैंने ज़ोहरा के दोनों पैर अपने कंधों के ऊपर किया और फिर से आपा की चूत में जोर जोर से झटके लगाने लगा. पिछले एक हफ्ते से मैंने चुदाई नहीं की थी तो मुझे पूरा जोश चढ़ा हुआ था.

थोड़ी देर बाद मैंने ज़ोहरा आपा को खींचकर अपनी छाती से लगाया और अपने मोटे लंड को बहन की बच्चेदानी में घुसाकर मनी की पिचकारियाँ मारने लगा.

एक के बाद दूसरी लंबी पिचकारी से ज़ोहरा आपा की जवान बच्चेदानी का घड़ा उनके छोटे भाई की सफेद मलाई से भरने लगा.
जब मेरा पूरा रस आपा के गर्भ में समा गया तो मैंने आपा के गर्म जिस्म को अपनी गिरफ्त से आजाद किया. मैं खुद आपा के ऊपर लेट गया और अपनी सांसें संभालने लगा.

मेरा लम्बा मोटा लंड जो कुछ देर पहले शेर की तरह दहाड़ रहा था, अब मुर्दा सा होकर, सिकुड़ कर आपा की चूत से बाहर आ गया.

जैसे ही मैं उठ कर जाने को खड़ा हुआ, वैसे ही ज़ोहरा ने मुझे फ़रिश्ता समझकर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर रोक लिया.

मैं समझा कि अभी मेरी बीवी शनाज़ का मन चुदाई से पूरा भरा नहीं है. मैं भी रुक गया.
फिर उस रात मैंने 3 बार ज़ोहरा आपा को अपनी बीवी शनाज़ समझ कर उनकी बच्चेदानी में अपना माल डाला. फिर मैं उन्हें ऐसी ही छोड़कर हॉल में आकर सो गया.

सुबह मैं थोड़ा देरी से उठा, शनाज़ घर के काम में लगी हुई थी. ज़ोहरा आपा बाहर बरामदे में आराम कुर्सी पर आँखें बंद करके ध्यान मग्न थी.

शायद ज़ोहरा सोफे पर पिछली रात की फ़रिश्ते के साथ हुई घमासान चुदाई के बारे में आंखें बंद करके सोच रही थी. मेरी बड़ी बहन ज़ोहरा को पूरा यकीन था कि पिछली रात ऊपर वाले के कहने पर कोई फ़रिश्ता आकर उसे चोदकर गया है. आपा के दिमाग में वो लम्बा मोटा लंड घूम रहा होगा.

ज़ोहरा के निकाह के बाद पिछले 6 साल में वो बीसियों बार अपने शौहर रफ़ीक़ के लंड का रस अपनी बच्चेदानी में ले चुकी थी. पर बीती रात जो गर्मागर्म मर्दाना मलाई ज़ोहरा की बच्चेदानी के अंदर गई थी … वो रस तो फ़रिश्ते का था, सबसे अलग था.

यह सोच कर ज़ोहरा खुशी से झूम रही थी कि उसकी जो औलाद होगी वो सबसे निराली होगी क्योंकि वो फ़रिश्ते की औलाद होगी.
लेकिन उसे क्या पता था कि उसके छोटे भाई अशफ़ाक ने उसे अपनी बीवी शनाज़ समझकर उसे चोद दिया था.

मैं उठ कर सीधा बाथरूम में घुस गया.

शनाज़ मेरी अम्मी नौरीन के साथ किचन में थी.

पिछली रात के लिए शुक्रिया कहने जब मैं शनाज़ के पास गया. तब अम्मी को पास में देख मैं फिर से हॉल में आ गया.

इधर ज़ोहरा आपा ने एक जोरदार अंगड़ाई ली और बाथरूम में घुस गई. वहां ज़ोहरा ने जैसे ही अपनी चिपचिपी चूत देखी तो वो खुशी से लहरा उठी. उसकी चुत की दरार अभी भी खुली पड़ी थी और उसकी चूत के अंदर की लाली दिखाई दे रही थी.
उसने अपनी गोरी चूचियां देखी तो वे भी कश्मीरी सेब की तरह लाल हुई पड़ी थी.

ज़ोहरा खुशी खुशी अपनी उंगलियों पर कुछ गिनती करने लगी. फिर ज़ोहरा अपने आप से बात करने लगी- रफ़ीक़ के आने में तीन हफ्ते रह गए हैं. वे 6-7 रुककर चले जायेंगे. उनके जाने के बाद ही मेरे ऊपर हमल के इलामात जाहिर होंगे. सब कुछ ठीक रहेगा. सब यही समझेंगे कि रफ़ीक़ के आकर जाने से ही मुझे हमल हुआ है.

इस तरह मेरी बड़ी बहन ज़ोहरा आने वाले वक्त के बारे में सोचकर बाथरूम से बाहर निकली.

फिर ज़ोहरा आपा तैयार होकर ख़ुशी से बन संवर कर हॉल में मेरी बगल में ही बैठ गई.

ज़ोहरा आपा को सजीधजी देखकर मैं भी बहुत खुश हुआ और उनसे हंस हंस कर बात करने लगा.

फिर कुछ देर के बाद मैं अपनी अम्मी और आपा को लेकर मजार पर चला गया.

मैं अगरबत्ती वगैरा लेने रुक गया तो अम्मी और आपा आगे निकल गयी. ठीक उसी वक़्त ज़ोहरा आपा ने पिछली रात की फ़रिश्ते के आने का वाकिया अम्मी को बताया.

ज़ोहरा बेटी के चेहरे की चमक देख नौरीन अम्मी की आँखें खुशी से छलकने लगी. अम्मी बेटी दोनों शुरू से ही सहेलियों की तरह बात करती थी.

फिर हम सब मज़ार में खुशी खुशी दुआ करके अपने घर आ गए.

घर आते ही ज़ोहरा खुशी से अपने शौहर रफ़ीक़ से बात करने मोबाइल लेकर छत पर चली गई.

मेरी अम्मी मेरी बीवी के साथ रसोई में चली गई.

अभी तक मैंने अपनी बीवी शनाज़ से बीती रात की घमासान चुदाई पर बात नहीं की थी. मैं रसोई के बाहर से शनाज़ को आंख के इशारे से छत पर बुलाया.

शनाज़ में भी आँखों के इशारे से ‘थोड़ी देर बाद आती हूँ’ बताकर मुझे जाने को कहा.

 

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मेरी आपा की औलाद की ख्वाहिश-3



मेरी बड़ी बहन की चूत चुदाई की कहानी के पिछले भाग
मेरी आपा की औलाद की ख्वाहिश-2
में अपने पढ़ा कि कैसे गलती से मैंने अपनी आपा की चुदाई कर डाली थी और मैं समझ रहा था कि मैंने अपनी बीवी की चुदाई की है.

मैं हॉफ पैंट और टीशर्ट पहन कर शनाज़ के आने की इंतज़ार करने लगा.

थोड़ी देर बाद शनाज़ बावर्चीखाने से बाहर आई और मुझे आंखों के इशारे से छत पर जाने को कहा.

इधर ज़ोहरा अपने शौहर रफ़ीक़ से फोन पर बात करने के बाद छत पर पानी की टंकी के पीछे बैठी बीती रात की फ़रिश्ते चुदाई के बारे में सोच रही थी.

मैं अपनी बड़ी बहन की मौजूदगी से अनजान में उस पानी टंकी की दूसरी तरफ खड़ा होकर अपनी बीवी शनाज़ का इंतज़ार कर रहा था.

जैसे ही शनाज़ छत पर आई, मैंने उसे एकदम से अपनी बांहों में भर लिया.

पर शनाज़ दुखी होकर बोली- सॉरी जान … काल रात मैंने थकान की वज़ह से बेड पर ही सो गई थी. मुझे माफ़ कर दो.
यह सुन कर मैं हंस कर बोला- यार तुम भी अच्छा मज़ाक कर लेती हो. अगर कल रात तुम बेड पर सोई थी तो क्या सोफे पर मैंने तेरी बहन को 3 बार चोदा था?

इतना बोलकर मैंने जब हंस कर शनाज़ के चेहरे को ऊपर उठाया तो देखा कि मेरी बीवी की आंखों में आँसू थे.
मैंने उसके आँसू पौंछे- अरे पगली, तुम रो क्यों रही हो?
शनाज़- मैं आपके काबिल नहीं हूँ. मैं हमल (गर्भ) के डर से आपको बीवी का सुख नहीं दे रही हूँ.

मैं हंस कर शनाज़ को हंसाने के लिए बोला- ये अशफ़ाक कुरैशी … असली मर्द है. एक बार अपनी पिचकारी जिसकी चूत में छोड़ी तो उसकी कोख में 100% बच्चा आ जाएगा.
इतना सुनकर शनाज़ भी हंस कर बोली- जानती हूँ आपके खतरनाक लंड और आपके गर्म माल से मैं हर बार हमल से हो सकती हूँ. आज के बाद मैं कभी हमल रोकने की दवा नहीं खाऊँगी.

इतना बोलकर शनाज़ ने सीढ़ियों वाला दरवाज़ा बन्द किया और वो मेरे पास आ गई.
शनाज़ बोली- पिछले पूरे हफ्ते मैंने अपने जिगर के टुकड़े को प्यार नहीं किया.
इतना बोल शनाज़ ने एकदम मेरी हाफ पैंट को नीचे खींच दिया.

मेरा गोरा चिकना बड़ा लंड मेरी बीवी शनाज़ के सामने नुमाया हो गया. दिन की रोशनी में मेरा लंड चमक रहा था.
मैं मज़ाक में बोला- साली कुतिया … तू कितनी प्यासी है … कल रात तूने इसका सारा रस अपनी चूत में खींच लिया. फिर भी तेरी Xforum ठण्डी नहीं हुई?
शनाज़ उदास चेहरे से- माफ कर दो ना … कल मैं थकान की वज़ह से बेड पर ज़ोहरा आपा की बगल में सो गई थी.

अपनी बीवी के मुंह से यह सुनकर मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा- तो फिर मैंने …?
शनाज़ ने मेरे लंड के लाल सुपारे को चूम कर कहा- आप चूत के नशे में सपने देख रहे होंगे.


शनाज़ ने अब मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर चुसाई शुरु कर दी.

मैं जानता था कि मेरी शनाज़ मज़ाक कर रही है. मैं अपनी आंखें बंद करके अपना लंड शनाज़ के मुँह के हवाले करके मजा लेने लगा- शनाज़ मेरी जान … कल रात की चुदाई मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा. क्या अलग सी खुशबू थी तेरी चूत की … आह … क्या मज़ा मिला था. मेरे लंड का रस तेरी बच्चेदानी ने पूरे तीन बार पीया था. आज की रात भी उसी तरह से कई बार तेरी चूत को अपने लंड का रस पिलाऊँगा.

इतना सुनकर शनाज़ ने मेरे लंड को मुँह से निकला और रोने लगी- माफ कर दो मुझे … कल रात थकान की वज़ से मैं आपको खुश नहीं कर पायी … अब ताने मार मर कर मुझे और तंग मत करो.
इतना बोलकर शनाज़ फूट फूट कर रोती हुई दौड़कर नीचे चली गई.

शनाज़ की इस बर्ताव से मैं हैराँ परेशां शनाज़ को पीछे से देखता रहा. फिर मैं धीरे से खुद से बोला- अगर काल रात मेरे लंड के नीचे शनाज़ नहीं थी तो फिर किसको मैंने 3 बार चोदा था?

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि शनाज़ नहीं तो कौन?
घर में शनाज़ के अलावा ज़ोहरा आपा ही हैं.
तो क्या … क्या मैंने गलती से … जोहरा आपा को … चोद दिया?

इतना सुनते ही टंकी के पीछे ज़ोहरा आपा बुरी तरह डर गई. आपा ने जिसे फ़रिश्ता समझ कर पूरी रात अपनी कसी चूतचुदवाई थी … वो उनका छोटा भाई था?

आपा ने मेरी तरफ झाँक कर देखा तो मेरा लंड ज़ोहरा की आंखों के सामने था. पिछली रात अंधेरे में जो लम्बा और मोटा लंड ज़ोहरा आपा ने चूसा था और अपनी चूत में लिया था. वही लंड अब ज़ोहरा की निगाहों के सामने था.

मैं अब अपने आप से बात कर रहा था- कल रात मुझे शनाज़ की चूत की खुशबू भी अलग सी लगी थी. पर एक बार चुदाई करने के बाद जब मैं उठकर जाने लगा था … तब मेरा हाथ पकड़ कर रोका था. अगर वो आपा थी तो उन्होंने एक बार गलती होने के बाद मुझे क्यों रोका था गलती दोहराने के लिए?

इतना सुन ज़ोहरा बुरी तरह डर गयी.

मैं फिर से खुद से पूछने लगा- सुबह जब मैंने ज़ोहरा आपा को देखा तो वे बहुत खुश थी. अगर मैंने आपा की चुदाई कर दी होती तो वे दुखी होती. उनके चेहरे से मुझे लगता नहीं कि आपा परेशान हैं. बल्कि वे तो मुझे रोज से ज्यादा खुश नजर आ रही हैं. तो क्या ज़ोहरा आपा ने जानबूझकर …?

तभी शनाज़ दोबारा छत पर आई और मेरे पास आकर बोली- आज मैं आपा को पहले ही दूसरे कमरे में सोने के लिये कह दूंगी. ताकि फिर आपको ऐसे सपने ना आयें.

मैं अब यह पक्के तौर पर जान लेना चाहता था कि रात में मैंने शनाज़ की चूत मारी थी या किसी और की … मैंने शनाज़ का हाथ अपने सिर पर रखा और कहा- तू मेरे सिर की कसम खाकर बता कि तू सच बोल रही है?

शनाज़ मेरे सिर पर हाथ रखे रखे बोली- आपकी कसम मेरे सरताज … हम दोनों के बीच कल रात एक बार भी सेक्स नहीं हुआ.

मैं समझ गया और एकदम से बात को घुमाकर बोला- अरे पगली … मैं तो तुम्हारे साथ मज़ाक कर रहा था.
इतना सुनकर शनाज़ भी खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- मैं समझी कि आपने कहीं गलती से ज़ोहरा आपा को चोद दिया.

मैं थोड़ा गुससे और थोड़ी हंसी के साथ बोला- शनाज़ … ज़ोहरा आपा को लेकर इतना गलत मज़ाक ना करो … ज़ोहरा आपा मेरी बड़ी बहन हैं.
शनाज़ हंसती हुई शरारत से बोली- मैं भी तो आपकी बहन ही लगती थी.

फिर वो बोली- अच्छा वो सब छोड़ो … मुझे यह बताओ कि कल रात को आपके सपनों में आपको मेरी चूत कैसी लगी?
मैं बोला- एक अलग सी महक थी … अलग सा नशा था. ऐसा लगता थी जैसे कोई बिनचुदी चूत हो! बहुत मजा आया था.

तभी अम्मी ने सीढ़ियों से ऊपर आकर वहीं दरवाजे में खडी होकर आवाज लगायी- आ जाओ बच्चो … खाना खा लो.

अम्मी छत के दरवाजे में खड़ी होकर मेरे और शनाज़ के साथ ज़ोहरा आपा को भी देख पा रही थी.

अम्मी की बात सुनकर शनाज़ एकदम नीचे चली गई.
और अम्मी मुझसे बोली- अशफ़ाक तू अपनी आपा को लेकर ज़ल्दी आ कर खाना खा ले!

आपा का नाम सुनकर मुझे फिर से बीती रात का वाकिया याद आ गया.

मैं बोला- अम्मी, मैं बाद में खा लूंगा. तुम आपा और शनाज़ को बुलाकर खा लो.
अम्मी गुस्से में- जब तक तू नहीं खायेगा … तब तक शनाज़ भी नहीं खाएगी. चल मेरे साथ … ज़ोहरा तू भी चल!

ज़ोहरा का नाम सुनकर मैं एकदम चौंक गया. मैंने इधर उधर नजर घुमाई तो पानी की टंकी की बगल से जोहरा आपा मेरे सामने आयी. मैं एकदम डर गया.
फिर अम्मी के साथ मैं और ज़ोहरा आपा नीचे चले गए.

मैं आकर खाने की मेज पर बैठ गया. मेरे बगल में शनाज़ और शनाज़ की बगल में अम्मी ने जोहरा आपा को बैठने को कहा तो उन्होंने कहा कि उन्हें भूख नहीं है.
आपा ने अम्मी को खाने के लिए बैठने को कहा और सब को खाना परोसने लगी.

अम्मी हंस कर बोली- ज़ोहरा, आज तुझे भूख नहीं है? चल उस तरफ अशफ़ाक के बगल में बैठ जा.
ज़ोहरा सिर झुकाकर मेरी दूसरी तरफ बैठ गई.

तब मेरी बीवी शनाज़ ज़ोहरा आपा से बोली- आपा … अभी कुछ देर पहले तो आप बहुत खुश थी. पर अचानक आपके चेहरे पर उदासी दिख रही है? फोन पर क्या जीजू से झगड़ा हो गया?
इस पर ज़ोहरा बनावटी हंसी से बोली- शनाज़ तू हमेशा मेरी मज़ाक उड़ाती है. एक दिन तुझे मुझसे बहुत मार पड़ेगी.
ज़ोहरा नहीं चाहती थी कि कल रात के हादसे के बारे में शनाज़ को कुछ पता चले!

शनाज़ हंस कर बोली- आपा, आप रात को ठीक से सो नहीं पाती होंगी. आज से आप ऊपर वाले कमरे में अकेली सो जाना और फिर फोन पर जीजू से बात करके मजा लेना.

ठीक उसी वक़्त शनाज़ के फोन की घंटी बजी, वो हंस कर अपनी अम्मी से फ़ोन पर बात करती करती बाहर चली गई.

तब अम्मी ने ज़ोहरा को कहा- ज़ोहरा, तू आज से अकेली और अलग कमरे में सोएगी.

इतना सुनकर ज़ोहरा अचानक मुझे देखने लगी.
मैं समझा कि शायद ज़ोहरा आपा अपनी अम्मी और शनाज़ के सुझाव से खुश नहीं है. मुझे लगा कि शायद ज़ोहरा आपा मेरे साथ सेक्स करके खुश हैं.

लेकिन अम्मी मेरी मौजूदगी में ही ज़ोहरा को घुमा फिरा कर सुझाव देने लगी- तू चिंता मत कर ज़ोहरा … मुझे पूरी उम्मीद है कि कल रात की तरह आज रात भी तुझे सुकून और खुशी मिलेगी. यह मेरी दुआ है तेरे लिए.

ज़ोहरा आपा फिर से मेरी ओर देखने लगी.
मैं समझा कि शायद ज़ोहरा आपा मुझसे जवाब मांग रही हैं.

अचानक मेरी की ज़ुबान से निकला अम्मी सही बोल रही हैं आपा!
मेरी ज़ुबान से इतनी बात सुनते ही ज़ोहरा आपा की आँकहें हैरानी से फ़ैल गई.

मैं खाना खाकर हाथ धोने ही वाला था कि अम्मी ने मुझे कहा- आज शाम को तू एक बार फिर ज़ोहरा को मजार पर दुआ के लिए ले जाना.

आपा के कुछ बोलने से पहले ही अम्मी ने कहा- तुम दोनों भाई बहन के बच्चे को देखने के लिए मेरी आँखें तरस रही हैं.

अम्मी की बात सीधी थी … पर ज़ोहरा और मैंने इस बात का उल्टा मतलब निकाला.

मैं हंस कर बोला- अम्मी, तुझे नानी और दादी बनने की बड़ी जल्दी है?
अम्मी हंस कर बोली- तुम दोनों तो मेरे दिल की धड़कन हो … मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों के बच्चे तुम्हारी ही शक्ल लेकर इस दुनिया में आयें.

मुझे तो पूरी पूरी गलतफहमी हो चुकी थी कि ज़ोहरा आपा अपने भाई से चुदवा कर गर्भवती होने चाहती हैं. नहीं तो कल रात को जब मैं एक बार ज़ोहरा आपा को चोदकर वापिस आ रहा था तो ज़ोहरा आपा ने मुझे रोक कर फिर से 2 बार चुदाई क्यों करवायी?

मैं हंस कर अपनी अम्मी को बोला- अगर हम दोनों भाई बहन के बच्चे हमारी शक्ल लेकर पैदा होंगे तो रफ़ीक़ जीजू और शनाज़ का मन छोटा हो जाएगा.
अम्मी हंस कर बोली- शनाज़ और ज़ोहरा की शक्ल मिलती जुलती है. पर जमाई बाबू की शक्ल मुझे पसंद नहीं है.

इतना सुनकर ज़ोहरा आपा शर्म से पानी पानी हो दूसरे कमरे में चली गई.

इधर ज़ोहरा सोचने लगी कि उनके भाई को सब पता चल चुका है. जब अम्मी ने घुमा फिरा कर उनको पिछली रात जैसी चुदाई दुबारा से मिलने को बोली तो अशफ़ाक भाई ने हाँ क्यों बोल दिया?
इसका मतलब ज़ोहरा आपा की दुबारा चुदाई करने में अशफ़ाक भाई को कोई एतराज नहीं था.

फिर ज़ोहरा सोचने लगी कि शनाज़ की पीरियड हर महीने रुक जाती थी. शनाज़ गर्भपात वाली गोलियां खा कर अपना पीरियड शुरु करती है.

इधर मैंने दिन में ही मौक़ा निकाल कर अपनी बीवी की घमासान चुदाई करके उसे पूरा मजा देकर चोद दिया और अपना सारा माल अपनी बीवी की बच्चेदानी में भर कर रात की नींद को पूरा करने लगा.

शाम को मैं ज़ोहरा आपा को लेकर मजार पर चला गया. उस वक्त वहां काफी भीड़ थी.

फिर भी सेवादार ने हम दोनों को देख लिया था और हमें भीड़ से बाहर निकाल कर मजार के अंदर ले आया.

आज सुबह ज़ोहरा सेवादार को बता चुकी थी कि पिछली रात को ऊपर वाला ज़ोहरा को सपने में आया और ज़ोहरा की गोद भरने की बात कही.

मजार पर दुआ करने के बाद सेवादार ने ज़ोहरा को कहा- बेटी, तेरी तमन्ना बहुत जल्द पूरी हो जाएगी. कल रात की तरह आज भी तुझे ऐसा ही अहसास होगा.

यह सुनकर ज़ोहरा शर्म से लाल हो गई. मैं भी समझ गया कि ज़ोहरा आपा अम्मी बनने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती हैं. अगर मैंने अपनी बहन को गर्भवती नहीं बनाया तो वो किसी बाहर के आदमी से गर्भवती हो जाएगी.

तब मैंने कुछ सोच कर सेवादार से कहा- हाँ अगर ऊपर वाले की कृपा हुई तो आज भी मेरी आपा को बरकत मिलेगी..

यह सब सुन ज़ोहरा कुछ सोचने पर मजबूर हो गई.

ज़ोहरा बार बार अपने रिश्तों की नाप तोल करने लगी. ज़ोहरा की चूत पानी छोड़ने लगी थी. मैं भी काफी सोच समझकर ये बोला था.

फिर दोनों भाई बहन उस भीड़ में से रास्ता बनाते हुए संभल कर आगे बढ़ने लगे. ज़ोहरा आगे आगे थी और मैं आपा के पीछे पीछे!

एक जगह पर ज्यादा भीड़ की वज़ह से हम दोनों बुरी तरह फंस गए. ज़ोहरा आपा को भीड़ से बचाने के चक्कर में मैं अनजाने में आपा के पिछवाड़े पर चिपक गया था. मैंने भीड़ में आपा को पीछे से अपनी बाहों के घेरे में ले रखा था. इससे मेरे हाथ अनजाने में ज़ोहरा की दोनों चूचियों के ऊपर आ गए थे.

जब ज़ोहरा को इस बात का अहसास हुआ तो उनके जिस्म में जैसे हाई वोल्ट का करेंट दौड़ गया.

भीड़ कम नहीं हो रही थी. ज़ोहरा की गांड के दवाब से मेरा लंड खड़ा होकर आपा की गांड की दरार में सेट हो गया. इतना सब होने के बावजूद भी आपा कुछ नहीं बोली तो मैं भी अब जानबूझकर अपने लंड को आपा की गांड में दबाने लगा.

फिर भी ज़ोहरा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना पाकर मैं अपनी ज़ोहरा आपा के बूब्ज़ को दबाने लगा. काफी देर तक यही चलता रहा. अब मेरे साथ साथ ज़ोहरा भी काफी गर्म हो गयी थी.

वासना के जोश में मैं अपने एक हाथ को आपा के सामने नीछे की तरफ ले गया और ज़ोहरा की चूत तक पहुँच गया. मैं आपा की चूत को सहलाने लगा.

तभी भीड़ कम होने लगी और मैंने अपना हाथ आपा की चूत से हटा लिया.

मैं सोच रहा था कि ज़ोहरा आपा मेरी इस हरकत से खुश हुई होंगी तो मैं ज़ोहरा आपा को दिखा कर अपनी उंगली को अपने नाक के पास लाकर सूंघने लगा. मुझे अपनी उंगली में से वही रात वाली खुशबू आ रही थी. क्योंकि आपा की चूत गर्म होकर पानी छोड़ रही थी तो आपा की चूत का पानी मेरी उंगली तक पहुँच गया था.

अपने सगे भाई की ऐसी कामुक हरकत देख कर ज़ोहरा आपा की 24 साल की जवानी दहक उठी. आपा का चेहरा कामुकता से तमतमा गया था, उनकी आँखों में वासना साफ़ झलक रही थी. वे प्यासी निगाहों से मुझे देख रही थी.

फिर हम दोनों भाई बहन अपने जज्बातों पर काबू करके बाइक से घर आ गए.
 
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मेरी आपा की औलाद की ख्वाहिश-4




पिछले भाग
मेरी आपा की औलाद की ख्वाहिश-3
में आपने पढ़ा कि मैं गलती से अपनी बहन की चुदाई कर चुका था. लेकिन अब हम दोनों भाई बहन के जिस्मों के अंदर चुदाई की आग भड़क चुकी थी पर दोनों किसी भी तरह अपने घर आ गए.

जैसे ही मैंने बाइक घर के अंदर पार्क की, तभी अम्मी आकर बोली- अशफ़ाक बेटा … मैं बहू को लेकर पास वाले पड़ोस के घर जा रही हूँ. जब तक हम दोनों वापिस ना आयें, तब तक तू घर में रहना.
फिर अम्मी ने मेरी बीवी को आवाज दी- शनाज़ … बेटी ज़ल्दी आ.

तभी ज़ोहरा आपा की सासू का फ़ोन अम्मी के मोबाईल पर आया. अम्मी थोड़ा दूर खड़ी होकर ज़ोहरा की सासू से बात करने लगी. कुछ देर बाद फ़ोन कट गया.

अम्मी का चेहरा उतर गया था.
ज़ोहरा- क्या हुआ अम्मी?

अम्मी गुस्से में अब्बू को कोसने लगी- मैंने पहले ही कहा था कि वो रफ़ीक़ तेरे लिए ठीक नहीं है.
मैं- अम्मी … आखिर बात क्या है?
अम्मी गुस्से में- ज़ोहरा की सास कह रही है कि अगर इस बार ज़ोहरा के हमल ना रुका तो अगली बार रफ़ीक़ की दूसरी शादी करवा देगी.

तब तक शनाज़ सजीधजी बाहर आई- क्या हुआ अम्मी?
अम्मी- अभी तू चल … तुझे रास्ते में बता दूंगी.
इतना बोलकर अम्मी शनाज़ को लेकर चली गई.

ज़ोहरा आपा उदास होकर कमरे में चली गई.

मैं अपने कपड़े बदलने के बाद सोचने लगा कि अब क्या करूं मैं!
मैंने तय किया कि मैं आपा के पास जाता हूँ.

मैं जब ज़ोहरा आपा के कमरे में गया तो ज़ोहरा कमरे में नहीं थी. ज़ोहरा आपा को ढूंढते ढूंढते मैं छत पर चला गया.

मैंने देखा कि ज़ोहरा आपा अपने कपड़े बदल कर सिर्फ एक गाउन पहन कर गैलेरी पर खड़ी होकर नीचे देख रही थी. उनके चेहरे से लग रहा था कि वे अंदर से टूट चुकी थी. पर फिर भी ज़ोहरा अपने भाई को देख अपना दर्द छिपा कर मुस्कुरा दी.

मैं समझा कि शायद हमारे इस अकेलेपन का फायदा उठाने के लिए आपा गाउन पहन कर मेरा इंतज़ार कर रही हैं. मैं सीधा आपा के पास गया और उनकी बगल में खड़ा हो गया और गली का नज़ारा देखने लगा.
पर ज़ोहरा फिर से किसी सोच में डूब गई थी.

ज़ोहरा अपने मन में सोच रही थी- क्या करूँ मैं … कुछ भी समझ में नहीं आ रहा! मैं दो बार अपनी जांच करवा चुकी हूं. डॉक्टरनी के हिसाब से मैं औलाद पैदा कर सकती हूँ. रफ़ीक़ के अंदर कुछ कमी है.

आपा अपनी सोच में खोई हू थी- शनाज़ बोल रही थी कि अशफ़ाक शनाज़ को हर महीने गर्भवती बना देता है. मतलब अशफ़ाक का बीज एकदम ठीक है. इधर अशफ़ाक भी मेरे पीछे है. कल रात जो हुआ, गलती से हुआ, लेकिन अशफ़ाक तो दोबारा से मुझे चोदना चाह रहा है.

जोहरा मन ही मन- अशफ़ाक और मेरे बीच जो हुआ, वो नहीं होना चाहिए था. और वो भी एक नहीं तीन तीन बार! लेकिन अगर भाई को बुरा नहीं लग रहा तो मैं क्यों इतना सोच रही हूँ? रफ़ीक़ थोड़े दिन बाद हिन्दूस्तान आ रहे हैं. एक गलती तो मैं कर चुकी हूँ. अपने घर में अपने शौहर की दूसरी बीवी को आने से रोकने के लिए अगर उसी गलती को मैं जानबूझकर करूँ तो … तो मुझे यकीन है कि रफ़ीक़ के आने से पहले ही मैं भाई से चूत चुदाई करवा कर प्रेगनेंट हो जाऊँगी.

तभी मैं कुछ बात करने के लिहाज से बोला- आपा … जीजू किस तारीख को हिन्दूस्तान पहुँच रहे हैं?
वैसे मैं भी जानता था कि रफ़ीक़ कब आने वाले हैं लेकिन ज़ोहरा से कुछ बात करके बात को आगे बढ़ना चाहता था.

ज़ोहरा- तेरे जीजू 20 दिन के बाद आने वाले हैं.

फिर ऐसे ही आपा बोली- वैसे तेरी बीवी शनाज़ हर महीने गोलियां खाकर कुछ अच्छा नहीं कर रही!
मैं- क्या बताऊँ आपा … शनाज़ अभी औलाद नहीं चाहती.
ज़ोहरा- पहले एक बच्चा तो होने दो. फिर जो मन में आये करो. आज सुबह सुन लिया ना … अम्मी पोते-पोती के लिए तरस रही हैं.

मैं हंस कर बोला- तू बड़ी है. पहले तू एक बच्चे की अम्मी बन जा … फिर मैं शनाज़ को …

ज़ोहरा- हमारी अम्मी भी ना … अजीब बात करती हैं … अगर बेटा होगा तो तेरी शक्ल पर और बेटी हुई तो मेरी जैसी!

मैं और जोहरा दोनों ही मजार की भीड़ में काफी गर्म हो चुके थे. मेरा लंड तो अभी भी खड़ा था.

मुझसे खुद को सम्भालना अब मुश्किल हो रहा था. अशफ़ाक ज़ोहरा आपा के पीछे खड़ा हो गया. इस वक़्त आपा गैलरी की रेलिंग पकड़ कर आगे झुक कर खड़ी थी. झुकने से ज़ोहरा के गाऊँ के अंदर बिना पैंटी के नंगे चूतड़ और उनके बीच की दरार पीछे से साफ दिखाई दे रही थी.

मैं रुक नहीं पाया और अपनी हाफ पैंट को उतार कर आपा की पीछे चिपक गया.

लेकिन जैसे आपा को मेरी इस हरकत से कुछ भी नहीं हुआ … वो अब भी बालकनी से बाहर झाँक रही थी.
अपनी धुन में खोई आपा बोली- अम्मी और मजार वाले बाबा का दावा है कि इस बार मेरी कोख खाली नहीं रहेगी.

“आ … ऊऊऊ … मॉआआ …” इस बीच मैं अपने लंड को आपा की गांड की दरार में दबा रहा था. आपा की चूत में इससे सरसराहट हुई तो उनकी सिसकारी निकल गयी.

अब मैंने आपा के गाऊँ को उनके कूल्हों से ऊपर किया और पीछे से अपना लंड आपा की चूत पर दबा दिया. एक तो मेरे लंड का मोटा सुपारा और दूसरे मेरी बहन ज़ोहरा की चूत पर बढ़ी हुई झांटें … मेरा लंड आपा की चूत में नहीं जा पाया.

मैं बोला- आपा … हम सबकी दुआ आपके साथ है. इस बार आपकी कोख खाली नहीं रहेगी.

मेरा लंड आपा की चूत में दाखिल हो नहीं पा रहा था. मैंने ढेर सा थूक निकाल के लंड पर लगाया और देर न करते हुए मैंने अपने लंड को आपा की चूत पर 4-5 बार घिसा और चूत के छेद का आभास मिलते ही मैंने एक धक्का मारा और मेरे लंड का सुपारा आपा की चूत में चला गया.

भाई के लंड का गर्म सुपारा चूत के अंदर घुसते ही मेरी बड़ी बहन की चूत वासना से तपने लगी. अब ज़ोहरा भी मेरे लंड के ऊपर अपने कूल्हों को दबा रही थी लेकिन ऐसे दिखा रही थी कि जैसे उसे कुछ पता ही नहीं कि क्या हो रहा था.

वो उसी तरह से मेरे साथ बात कर रही थी. ज़ोहरा की आवाज भारी हो गयी थी, उत्तेजना भरी आवाज़ में वो बोली- कल रात फ़रिश्ते के आने से मेरी उम्मीद बढ़ गयी है. अगर वो कल नहीं आते तो आज मैं नाउम्मीद ही हो जाती! आह … भाई ऊऊई … आउच!

अब तक मेरा आधा लंड आपा की चूत में घुस चुका था. इसी हालत में मैं अपने लंड को आपा की गीली चूत में आगे पीछे करने लगा.
मैं बोला- आपा … अब तो आपकी उम्मीद को हकीकत में बदलने के लिए आपका भाई आपके पीछे खड़ा है. आपके होने वाली औलाद किसकी शक्ल लेकर आएगी? आपकी या रफ़ीक़ जीजू की?

ज़ोहरा आपा मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करती हुई नशीली आवाज में बोली- मेरे राजा भाई अशफ़ाक जैसी शक्ल लेकर आयेगी मेरी औलाद!

मैं अपने लंड को अपनी बड़ी बहन की चूत में थोड़ा और धकेल कर बोला- आपा, क्या सच में आपको रफ़ीक़ जीजू पसंद नहीं?
ज़ोहरा सिसकारी भरती हुई बोली- एक तरफ तू अपनी और शनाज़ की जोड़ी देख … दूसरी तरफ रफ़ीक़ और मेरी जोड़ी देख … तू खुद फैसला कर!

मैं अपना लंड आपा की चूत में आगे पीछे करते हुआ बोला- शनाज़ और आपकी शक्ल तो बराबर है. कोई अनजान भी तुम दोनों को एक साथ देखे तो यही कहेगा कि तुम दोनों सगी बहनें हो.

ज़ोहरा भारी आवाज़ से बोली- हम दोनों सगी बहनें हां सही … पर मौसेरी बहनें तो हैं ना … शनाज़ तेरी बहन ही थी, तुझे उससे निकाह करना नहीं चाहिए था.

मैं बोला- फिर तुम सबने मिलकर खुशी खुशी हम दोनों का निकाह शादी क्यों करवाया?

ज़ोहरा आपा ने हंस कर अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत से निकाला और बोली- चल अंदर चलते हैं.

फिर ज़ोहरा मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई और अंदर जाकर हंसती हुई बोली- हम सब नहीं चाहते थे कि तू मौसी की बेटी से शादी करे …. अभी भी शनाज़ तुझे भाई बुला देती है.

मैंने हंस कर ज़ोहरा को पीछे से पकड़ा- शौहर तो मैं उसका बाद में हुआ, पहले मैं शनाज़ का भाई ही था. आप दोनों ही मेरी बहनें थी. जितना हक शनाज़ का मेरे ऊपर है उतना हक आपका भी मेरे ऊपर है. आपका वही हक़ तो अब अदा कर रहा हूँ.

ज़ोहरा आपा अब पूरी तरह खुल चुकी थी- जब तुझे अपनी बहनों के जिस्म पसंद आते हैं तो हम क्या कर सकते हैं. एक बहन को बीवी बना कर चोदा तूने … दूसरी को तू किस हक़ से चोद रहा है बहनचोद?

इतना सुनते ही मैं हंस कर बोला- क्या बोली?

ज़ोहरा हंस कर बोली- मैं तेरी बहन हूँ और तू मेरे सामने नंगा खड़ा है अपनी बड़ी बहन की चुदाई करने के लिए … तो तू बहनचोद ही हुआ ना!

मैंने फटाफट ज़ोहरा का गाउन उतारा और उन्हें बिस्तर पर लिटाते हुए बोला- जब तुम जैसी हूर परी मेरे घर में हो तो मैं बार बार बहनचोद बनूंगा.

ज़ोहरा बोली- अशफ़ाक भाई … जो करना है, ज़ल्दी कर … अम्मी और शनाज़ आने वाली होंगी.
इतना सुनते ही मैंने ज़ोहरा आपा की जांघें फैलायी और अपने लंड को ज़ोहरा की चुत के अंदर घुसा कर चुदाई शुरु कर दी.

दोनों भाई बहन अब खुल्लम खुल्ला चुदाई का मज़ा उठाने लगे.
ज़ोहरा आपा भी अब पूरी खुलकर बात करने लगी- अशफ़ाक भाई … रफ़ीक़ के आने से पहले तू मेरी कोख में अपनी औलाद डाल देगा ना?

मैं चुदाई का रफ्तार तेज़ करके बोला- आप चिन्ता मत करो आपा … आप जीजू के आने से पहले ही पेट से हो जाओगी.

ज़ोहरा नशीली आवाज़ में बोली- अशफ़ाक भाई … जब रफ़ीक़ वापस चले जायेंगे तो मैं फिर से आऊंगी तेरे साथ रहने!
इतना बोलकर ज़ोहरा ने अपनी चूत की ओर देखा.

आपा उत्तेजना भरी आवाज़ में बोली- यह तेरा खतरनाक लंड बेचारी शनाज़ कैसे झेलती होगी.
मैं अपनी आपा की चूत को तेज़ रफ़्तार से चोदते हुए बोला- जैसे आप इस वक़्त झेल रही हो, वैसे ही शनाज़ झेल रही है.
आपा बोली- कल रकात तो मैं इसे फ़रिश्ते का लंड समझ कर झेल गयी. इसने मेरी पूरी चूत ही फाड़ दी थी. भाई तेरे लंड ने तो मेरी चूत पूरी खोल दी है. अब तो तेरे जीजू का लंड तेरी आपा की चूत में ऐसे जाएगा जैसे कुएँ में बाल्टी!

इस तरह की मज़ेदार बात करते करते हम दोनों भाई बहन ने अलग अलग स्टाइल से चुदाई की. फिर मैं और ज़ोहरा दोनों एक साथ झड़ने लगे तो हम बुरी तरह हांफने लगे.

हम दोनों के चेहरे पर खुशी झलक रही थी.
मैं इसलिए खुश था कि एक तो मुझे नयी और कसी हुई चूत मिली और दूसरे इसलिए कि मैं अपनी आपा को औलाद का सुख दे पाऊँगा.
आपा इस लिए खुश थी कि एक तो उन्हें औलाद का सुख मिल जाएगा और भाई के मोटे लंड से उन्हें असली चुदाई का मजा मिल रहा है.

फिर ज़ोहरा आपा अपना गाऊन सम्भालती हुई बोली- भाई, आधी रात को एक बार मेरे कमरे पर जरूर आ जाना!
मैंने भी खुश होते हुए कह- ठीक है आपाजान!

ज़ोहरा हंस कर- आपा को अपनी जान बना लिया? बदमाश कहीं का! अब तू जा … कहीं शनाज़ को शक हो गया तो गड़बड़ हो सकती है.

मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर निकल आया.

जब तक शनाज़ और अम्मी वापस आई … तब तक मैं बाहर बाइक को साफ़ करने का नाटक करने लगा.

इधर ज़ोहरा आपा अपनी चुदाई की थकान मिटा कर एक घण्टे बाद नीचे आयी और खुशी खुशी मेरी बीवी से बात करने लगी.

रात का खाना खाकर सब अपने अपने कमरे में चले गये.

मैं शनाज़ को एक बार चोद कर उसे सुला कर आपा के कमरे में जाना चाहता था लेकिन उस रात उसने मुझे कहीं नहीं जाने दिया. भले ही उस रात मैंने शनाज़ की एक ही बार चुदाई की लेकिन वो पूरी रात मेरे लंड को हाथ में लेकर मुझसे बातें करती रही. शनाज़ का रोमांस काफी देर तक चलता रहा. आखिर देर रात मैंने शनाज़ को एक बार और चोद कर सुला दिया और मैं भी सो गया.
फिर सुबह आठ बजे मेरी नींद खुली.

फिर सुबह मैं नहा धोकर ज़ोहरा आपा को मजार पर ले गया. दुआ के बाद मैं आपा को पास वाले जंगल में ले गया, वहां मैंने आपा को पूरी नंगी करके पेड़ के सहारे खडी करके पीछे से मस्त चोदा.

यही जंगल चुदाई हम दोनों भाई बहन ने शाम को मजार पर जाने के बहाने की.

अब मेरा रोज का काम हो गया कि मैं रात को अपनी बीवी शनाज़ को एक बार जोर से चोद कर ठण्डी कर देता और फिर आधी रात के बाद ज़ोहरा आपा के कमरे में जाकर मैं आपा की चुदाई करता.

थोड़े दिन बाद ज़ोहरा की डेट आनी थी जो नहीं आयी. फिर भी ज़ोहरा ने यह खबर किसी को नहीं बताई.

फिर कुछ दिन बाद शनाज़ की डेट नहीं आई तो उसने मुझे अम्मी को ये बात बताई. अम्मी ने यह बात अब्बू को और जोहरा को बतायी तो सब खुश हो गए.

तब अचानक मुझे लगा कि मैं दो हफ्ते से ज़ोहरा आपा को चोद रहा हूँ, उनकी डेट कब आनी थी, यह मैंने पूछा ही नहीं.
मुझे लगा कि जरूर ज़ोहरा आपा की डेट निकल चुकी होगी और उनकी कोख भी शनाज़ की तरह भर गयी होगी. क्योंकि मैंने अपनी बीवी को कम और ज़ोहरा आपा को पिछले दिनों ज्यादा चोदा था. आगे आपा की डेट आती तो वो चुदाई बंद कर देती लेकिन ऐसा तो कुछ नहीं हुआ था.

मैं आपा के कमरे में गया और उनकी डेट के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनकी डेट शनाज़ से 2 रोज पहले थी जो नहीं आयी थी.
यह सुन कर मैं खुशी से झूम उठा. मैंने आपा के लबों को चूम लिया और उन्हें गले से लगा लिया.

जीजू के आने में अब दो दिन ही बचे थे. आपा को अभी भी मजार पर कुछ दिन और दुआ मांगनी थी तो जीजू हमारे घर ही आये. अब आपा और मेरी चुदाई बंद हो गयी. जीजू रोज रात को आपा को चदते थे. आपा रोज मुझे बताती थी कि कैसी चुदाई हुई. आपा को जीजू का लंड अब चूत में पता भी नहीं लगता था. उन्हें जीजू से चुदाई में ज़रा भी मजा नहीं आता था.

जीजू पाँच दिन हमारे घर रुक कर दो दिन के लिए अपने घर रुका और फिर वापिस चले गए.

रफ़ीक़ जाने के बाद अब मैं और ज़ोहरा फ्री होकर चुदाई करने लगे.
जीजू के जाने के थोड़े दिन बाद आपा ने अम्मी को अपनी माहवारी ना आने का बताया तो अम्मी खुश हो गयी और उन्होंने आपा की सासू को फोन करके यह खुशखबरी दी. वो भी बहुत खुश हुआ और काफी फल मिठाई तोहफे लेकर वो हमारे घर आयी और इस खुशी में शरीक हुई.

आपा की सासू उन्हें अपने घर ले जाना चाहती थी लेकिन आपा ने अभी मजार जाने का बहाना बना कर उन्हें टाल दिया. असल में आपा को मेरे लंड की लत लग गयी थी.

जब ज़ोहरा ओर शनाज़ का पेट फूल कर आगे निकलने लगा तो शनाज़ की अम्मी ताहिरा मौसी शनाज़ को अपने घर ले गई.

इधर ज़ोहरा की सासू ने ज़ोहरा को अपने घर ले जाने की बात की तो ज़ोहरा ने बड़ी चालाकी से ससुराल जाने से मना कर दिया- अम्मी … जिस मजार पर दुआ करने से मुझे यह खुशी मिली है, उसे मैं खुशी पूरी होने तक नहीं छोडूंगी.

ज़ोहरा आपा की इस चालाकी से मैं बहुत खुश था.

आखिर वही हुआ … ज़ोहरा के बेटी हुई और मेरी बीवी शनाज़ ने एक बेटे को जन्म दिया.

बच्चा पैदा करने के बाद ज़ोहरा को अपनी ससुराल जाना पड़ा.

आज तक ज़ोहरा आपा की औलाद असली राज़ कोई नहीं जान पाया. अम्मी तो यही सोचती हैं कि आपा की औलाद फ़रिश्ते के चोदने से हुई है.
 
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जवान ताई और भतीजे की चुदाई कहानी- 2



दोस्तो, मैं दीपक आपको अपनी अंजुमन ताई की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
जवान ताई पर भतीजे का दिल आया
में अब तक आपने जाना था कि मैं अंजुमन को चूमते हुए और उनके दूध मसलते सहलाते हुए उन्हें कमरे में ले गया था.

अब आगे मस्त आंटी फक स्टोरी:

कमरे में आ जाने के बाद मैंने अंजुमन के ब्लाउज को खोलना चालू कर दिया था और उन्होंने मेरी शर्ट को.

उनके 34-डी के दूध जो अब तक ब्रा में कैद दिख रहे थे. उनके दोनों चूचों के बीच की वह कामुक लकीर यानि क्लीवेज मानो मेरी जान ले रही थी.

मेरे से अब और इंतजार नहीं हो रहा था.
मैंने उनकी ब्रा खोल कर मम्मों को भी आज़ाद कर दिया था. ब्रा को उतार कर फेंक दिया.
अब मेरे सामने अंजुमन के दोनों पपीते लटक रहे थे.
उन पर लगे काले जामुन जैसे दाने मुझे खाने को आमंत्रित कर रहे थे.

मैंने भी देर ना करते हुए एक को मुँह में भर लिया और दूसरे को हाथ से सहलाने लगा.
उनके मुँह से ‘आह उह आह.’ जैसी आवाज ने वासना भरा वातावरण बनाना चालू कर दिया था.

मैं अंजुमन के एक दूध को चूसते हुए उनके दूसरे दूध के जामुन के दाने को भी मसल रहा था.
मुझे तो आज पता चला कि जिस स्वर्ग के सुख की बात कही जाती है, वह यही है.

अब मैं उनके पपीतों को छोड़ कर उनके गले को किस करने लगा.
फिर गले से होते हुए उनकी पीठ पर आ गया.

अगर आपको किसी औरत या लड़की को गर्म करना है, तो आप उसके संवेदनशील बिंदुओं पर चुंबन करो; वह चुदने के लिए अपने आप तैयार हो जाएगी.

अब मैं उनकी पीठ से होता हुआ उनकी कान की लौ को किस करने लगा.
इससे तो अंजुमन पागल सी हो गयी थीं और उनके मुँह से अजीब अजीब सी आवाजें आने लगी थीं ‘आह आह मुँह ममम ससस.’

मैंने उनके पेटीकोट के नाड़े को झटके से खोल दिया और अंजुमन का पेटीकोट नीचे सरक गया.

मेरे सामने अंजुमन एक लाल कलर की पैंटी में हो गई थीं.
उनकी पैंटी पर चुत वाली जगह पर पानी का धब्बा बना हुआ था.
मैं समझ गया कि अंजुमन एक बार निकल गयी हैं.

मैंने देर न करते हुए अंजुमन को बेड पर गिरा दिया और उनके पैरों से पैंटी को खींच कर अलग कर दिया.

आज मेरे सामने जन्नत थी.
एकदम लाल तो नहीं थी, थोड़ी सांवाली चुत थी.
पर उसे सामने देख कर मेरे लंड में और ज्यादा उत्तेजना महसूस हो रही थी.

उनकी चूत में से पानी की बूंदें निकल कर चुत पर मोतियों की तरह चमक रही थीं.

चुत से पानी की कुछ बूंदें टपक भी रही थीं, जिस वजह से चुत और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी.
मैंने देर न करते हुए उनकी चूत में मुँह लगा दिया और उसको किसी पागल कुत्ते की तरह चाटने लगा.

जैसे बिल्ली को कहीं दूध मिल जाए, तो वह जीभ निकाल निकाल कर दूध को चाटती है, बिल्कुल वैसे ही मैं लपर लपर करता हुआ चुत चाट रहा था.

अंजुमन जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं- आ आह ऊ उई आह बुझा दे मेरी आग मेरे लाल … आह.
वे अपनी चूत को उठा कर आगे पीछे भी करने लगी थीं और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने भी लगी थीं.
साथ ही वे जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं.

कुछ देर बाद अंजुमन के मुँह से कुछ ज्यादा तेज स्वर में आवाजें निकलने लगीं और उनकी अकड़न उनकी उत्तेजना को बयान करने लगी थी- इस्सस उम्म आह आह ओऊ ओ मर गई आह मैं मर गई!

वह एकदम से आसमान की सैर करने लगी थीं.

मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था.
मैं अपने पूरे वेग से चुत चाटने के काम में लगा रहा.

अब तो मैं एक हाथ से उनके एक आम को भी दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत में उंगली डाल कर उनके दाने को रगड़ रहा था.
वे इस सबसे बेड पर पागलों की तरह सर पटक रही थीं और कह रही थीं- अब चोद दे मुझे … मादरचोद अब मुझसे नहीं रहा जाता है … ये सब तो बाद में कर लेना … मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ.

यह सुनते ही मैंने उनकी चूत को छोड़ दिया और खुद अपने सारे कपड़े उतार दिए.

मेरा लंड तो पहले से ही एकदम लोहे के रॉड की तरह सख्त हो गया था.
उस पर पानी की बूंदें चमक रही थीं. लंड का सुपारा एकदम लाल हो गया था.

मैंने खुद आज से पहले तक अपने लौड़े को ऐसा कभी नहीं देखा था.

मैंने अंजुमन से कहा- यार अंजुमन, एक बार इसे चूस दो ना!
अंजुमन ने बिना किसी संकोच के मेरे लंड को पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगीं.

वे लंड चूसने में एकदम खिलाड़ी थीं. उनके हाथों से मेरे टट्टे भी धन्य हो गए थे.

मैं अपनी आंखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहा था.

तकरीबन पांच मिनट बाद मेरा लंड झड़ गया और अंजुमन मेरा पूरा पानी पी गईं उन्होंने एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने दी.

उन्होंने किसी गन्ने के जैसे मेरे पूरे लंड को चूस साफ कर दिया और अपने थूक से लौड़े को चिकना भी कर दिया.
अंजुमन चटखारा लेती हुई बोलीं- वाह रे … तेरे लंड का पानी तो बड़ा मस्त है.
इस बात पर मैं भी हंस दिया और वे भी खिलखिलाने लगीं.

मुझे तो अभी भी ये एक सपने की तरह ही लग रहा था. मेरा लंड अब मुरझा गया था.
अब मैं अंजुमन को फिर किस करने लगा था.

कुछ ही देर तक अंजुमन के साथ चूमाचाटी और दूध सहलाने का खेल करते करते लंड में फिर से जान आ गयी.
अब अंजुमन ने कहा- चल अब जल्दी से मेरी चूत की गर्मी को मटा दे. मुझे भी लंड लिए हुए काफ़ी टाइम हो गया है. ये सब बाद में कर लेना, मैं यहीं हूँ.

मैंने भी देर न करते हुए अंजुमन के पैर खोल दिए और मस्त आंटी फक का मजा लेने उनकी टांगों के बीच में आ गया.
मैंने अपने लंड की नोक से उनकी चूत के दाने को घिसना शुरू कर दिया.
उनके मुँह से मधुर ध्वनि आने लगी.

जैसे ही मैंने लंड अन्दर डालने की कोशिश की तो मेरा लंड चूत के मुँह पर ही रुक गया.
लंड ने अन्दर जाने से मना कर दिया था.

मैंने एक दो बार और क़ोशिश की, पर फिर भी चूत के अन्दर नहीं जा रहा था.

अंजुमन की चुदाई बहुत दिनों से नहीं हुई थी तो उनकी चूत की फांकें कसी हो गयी थीं.
उसी वजह से लंड को चूत के अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी.

मैं भी कहां हार माने वाला था.
मैंने किसी तरह लंड के सुपारे को फांकों में फंसाया और एक जोरदार झटका लगा दिया.

मेरा आधा लंड उनकी चूत को फाड़ते हुए अन्दर घुसता चला गया

अंजुमन की चुत चिर सी गई और उन्होंने दर्द से तड़फ कर जोर से कहा- आह आह ई … मेरी जान लेगा क्या … आराम से कर न … बहुत दिन बाद लंड ले रही हूँ चूत में … आराम आराम से अन्दर डाल!

मैं धीरे धीरे करने लगा.
वे बुदबुदा रही थीं- आह अभी ऐसे ही धीरे धीरे पेल … थोड़ी देर बाद जैसे मन करे, वैसे चोद लेना अपनी अंजुमन को!

मैंने कहा- मेरा पहली बार है मेरी जान. मुझसे आराम आराम से नहीं होगा … ऐसा करो आप ही ऊपर आ जाओ और आप ही अपने हिसाब से लंड को अन्दर बाहर कर लो.

अंजुमन बोलीं- अभी नीचे से ही कर लेती हूँ.
वे यह कहती हुई गांड मटकाने लगीं और खुद ही नीचे से अपनी चूत उठा उठा कर लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगीं.

ताई सिसकारियां भी ले रही थीं- आह उई आह आह!

थोड़ी देर ऐसे ही मजा लेने के बाद मैंने कमान वापस अपने हाथ में ले ली और अंजुमन ताई की चूत में लंड को जोर जोर से आगे पीछे करने लगा.

तब उनके मुँह से मस्ती भरी आह निकलने लगी.

आज पहली बार मुझे अंजुमन की चुत का मजा मिल रहा था.
इतने दिन तो बस हाथ से माल निकाल रहा था.

आज पता चला कि चूत में कितनी गर्मी होती है और कैसे लंड को सिर्फ चुत में ही चैन मिलता है.

मैंने धीरे धीरे अपने धक्के तेज करने शुरू कर दिए थे.
साथ में मैं उनके चूचों को भी मसल रहा था और उनके होंठों को भी चूस रहा था.

मैंने चुदाई की गति बढ़ा दी थी तो उन्होंने कहा- आह धीरे धीरे धक्के मार न … मैंने पूरे 6 महीने बाद चूत में लंड लिया है.

मैंने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया और धक्के मारता रहा.

अब अंजुमन ने भी नीचे से अपनी कमर को तेज तेज हिलाना शुरू कर दिया था.

दस मिनट की चुदाई के बाद अंजुम हार मान गईं और उन्होंने जबाब दे दिया.
वे थोड़ी शांत पड़ गईं.

मेरा तो एक बार पानी निकल चुका था तो मेरा अभी इतनी जल्दी नहीं होने वाला था.

अंजुमन की आह आह की आवाज ने गति पकड़ी तो मैंने भी अपनी चुदाई की गति को थोड़ा और तेज कर दिया.

अब जैसे ही अंजुमन की चूत में मेरा लंड जाता, उनकी चूत में पानी की चिकनाहट से आराम से लंड अन्दर बाहर होने लगा था.
पूरे कमरे में फच फच की आवाज आने लगी थी. साथ ही शरीर से शरीर टकराने से पट पट फच फच का शोर भी गूंजने लगा था.

मुझे तो मानो स्वर्ग ही मिल गया था.

अंजुमन एक बार झड़ कर वापस चार्ज हो गयी थीं.
उन्होंने कहा- अब तू लेट जा, मैं तेरे ऊपर आकर सवारी करती हूँ.

मैंने झट से लंड निकाला और एक ओर लेट गया.
अंजुमन मेरे ऊपर आकर लंड पर सवार होकर सवारी करने लगीं.
मैं उनके बड़े बड़े चूचों से खेलने लगा. एक को मुँह में लेकर चूस रहा था, तो दूसरे को हाथ से मसल रहा था.

बीच बीच में मैं अपने हाथ से उनकी चुत की मदनमणि यानि दाने को भी रगड़ रहा था.
सच में आज मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

जिन भाइयों ने ऐसा किया है, उन्हें ही ऐसे आनन्द का पता होगा … या उन औरतों को पता होगा, जिनके मर्द उनकी चुत की मदनमणि को और चूची को चूसते हुए चुदाई का मजा लेते हैं.

कोई दस मिनट के बाद अंजुमन थक गई तो मैंने उनको लंड से नीचे उतारा और घोड़ी बनने को कहा.
वे तुरंत घोड़ी बन गईं.

मैं पीछे से उनकी चुत में लंड चलाने लगा.
साथ ही पीछे से उनकी गांड पर थप्पड़ मार मार कर इलाका लाल कर दिया.
मैंने उनके मम्मों को भी मार मार कर लाल कर दिया था.

तकरीबन 20 मिनट की चुदाई में मुझे लगने लगा मानो मेरे पैरों में कुछ हो रहा है.
मेरे पैरों में चीटियां सी रेंगने लगी थीं, तो मैंने कहा- अंजुमन, मैं आने वाला हूँ.

अंजुमन ने कहा- बस दो मिनट ओर रुक जा … मैं भी झड़ने वाली हूँ, हम दोनों साथ में ही झड़ेंगे.
मैंने ओके कह दिया.

फिर 5-7 झटके देने के बाद मैंने कहा- अंजुमन पानी कहां निकालूं?
अंजुमन ने कहा- मेरी चूत को ही भर दे आज … बड़े दिन बाद इस खाई में पानी जाएगा. इस कुएं में तो बरसों पहले तेरे ताऊ जी का पानी गया था. आज इसे फिर से भर दे और मुझे हरी कर दे.

इतना सुनते ही मेरे लंड ने अंजुमन की चूत में पिचकारी छोड़ दी.
आज कई दिन बाद मेरे लंड से इतना पानी निकला था.

जब मैं मुठ मारता था तो मेरे लंड से 3-4 बूंद निकल कर रुक जाती थीं.

आज तो पता नहीं कितनी बूंदें आई होंगी … मुझे खुद नहीं पता.
उसके बाद मैं उनके ऊपर ही गिरा पड़ा रहा.

थोड़ी देर बाद मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से निकल गया.
उनकी चूत का पानी और मेरा पानी दोनों एक साथ उनकी जांघों से होकर निकल रहा था.
मेरी तो आंखें बंद ही हो गयी थीं.

बाद में अंजुमन ने मुझे किस किया और कहा- इतना मजा मुझे कभी नहीं आया. आज तेरी वजह से मैं 3 बार झड़ी हूँ. तूने मुझे फिर से हरी कर दिया है. अब से तू मेरा दूसरा पति बन गया है.

उसके बाद हम दोनों ने किस किया और अंजुमन ने मेरे लंड चूस कर एकदम साफ कर दिया.
तब अंजुमन बाथरूम में चली गईं और खुद को साफ करके आ गईं.

बाद में उन्होंने मुझे कुछ ड्राई फ़्रूट्स दिए.
मैंने कपड़े पहने और ड्राई फ़्रूट्स खाकर अपने घर आ गया.

आज मैं दो बार झड़ा था और अंजुमन ताई तीन बार झड़ी थीं.

आज का दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था क्योंकि मैंने पहली बार चूत ली थी वह भी अपनी अंजुमन की!

उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता तो हम दोनों सेक्स के खेल में लग जाते थे.
अब अंजुमन काफ़ी खुश रहने लगी हैं.

फिर एक दिन अंजुमन ने बताया कि वह पेट से हैं.
मेरी तो गांड ही फट कर हाथ में आ गयी थी.

आपको मेरी यह एकदम सच्ची सेक्स कहानी कैसी लगी.
woww very nice story.
 

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मौसी के साथ सेक्स के मज़े- 2


कहानी के पहले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने मौसी को नंगी नहाते हुए देख लिया था और उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए तैयार हो गया था.

अब आगे वाटर सेक्स का मजा:

मैंने बाइक निकाली और उन्हें इशारा किया तो मौसी मेरी पीठ से चिपक कर बैठ गईं.

हम चल दिए और जल्दी ही हम दोनों डॉक्टर के पास आ गए और उन्हें दिखा कर वहां से वापस घर आए.

घर वापसी में हमें कुछ टाइम लग गया था तो नानी कहीं चली गई थीं.

वे शायद अपने साथ वाली महिलाओं के साथ किसी कीर्तन मंडली में गई थीं.
अब घर में मैं और मौसी ही थे.

डॉक्टर ने मौसी को पीठ में लगाने के लिए क्रीम दी थी लेकिन मौसी खुद से नहीं लगा पा रही थीं.

चूंकि उस वक्त नानी भी नहीं थीं तो उन्होंने मुझे बुला कर कहा- तू ये क्रीम मेरे पीछे लगा दे.
मैंने कहा- हां लाओ.

मौसी बेड पर औंधी लेट गईं.
क्रीम लगाते हुए थोड़ी दिक्कत हो रही थी तो मैंने उनसे कहा- मौसी, ये क्रीम आपकी पूरी पीठ पर नहीं लग पा रही है.

यह सुनकर उन्होंने लेटे हुए ही अपने ब्लाउज के बटन खोल कर ब्लाउज को ढीला कर दिया और ब्रा का हुक खोल दिया.

अब मैं मौसी की पीठ में क्रीम को धीरे धीरे लगाने लगा और उनके मम्मों को साइड से टच करने लगा.
उनके पीछे बैठ कर अपने लंड को उनकी गांड से टच करने लगा.

मैंने धीमे से कहा- मौसी, आप अभी भी बहुत सेक्सी हो.
इतना सुनते ही वे मेरा इरादा समझ गईं और बोलीं- तू अभी बच्चा है, ये सब मत सोचा कर!

मैं बोला- कल से आप बहुत अच्छी लगने लगी हो.
वे बोलीं- कैसी अच्छी लगने लगी हूँ? क्या कल से पहले अच्छी नहीं थी?

मैं बोला- नहीं, पहले आपके लिए मेरे मन में कोई फीलिंग नहीं थी. पर जब से आप मेरे लंड को बाम लगाने लगी हो, तब से बहुत जबरदस्त फीलिंग आने लगी है.

वे मुझे सुनती रहीं मगर कुछ बोली नहीं!
तो मैंने उनको यह भी बोल दिया- मौसी, मैंने आज आपको नहाते हुए भी देखा था, सच में आप बिना कपड़ों के बहुत सेक्सी लग रही थीं.

मौसी ने मेरी तरफ़ गुस्से वाली निगाहों से देखा और बोलीं- तू कितना बेशर्म हो गया है!
मेरे से रहा नहीं गया और मैंने कह दिया- मौसी, मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूँ.

इतना सुनते वे चुप हो गईं और उठ कर बैठ गईं.
मौसी कुछ पल रुक कर बोलीं- मैं ये सब तेरे साथ नहीं कर सकती.

यह कहते हुए उन्होंने मेरे गाल पर एक चांटा मार दिया और उठ कर अपनी ब्रा और ब्लाउज ठीक करके रूम से चली गईं.

उतने में डोरबेल बज गई.
नानी आ गई थीं.

मैं भी बाहर घूमने चला गया.

रात में नानी को बुखार आ गया था तो वे बोलीं- मैं पंखे में नहीं सोऊंगी.
यह कह कर वह सबसे आखिरी वाले कमरे में सोने चली गईं.

अब आगे वाले कमरे में मैं और मौसी एक ही बेड पर सोए हुए थे.

रात के एक बजे मैं मौसी के करीब आया और उनके पेट पर हाथ रख दिया.
साथ ही एक पैर को उनकी जांघ के ऊपर रख दिया और गहरी नींद में होने का नाटक करने लगा.

कुछ देर तक मौसी की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तो मैंने अपना मुँह मौसी के गाल के पास टच कर दिया और सो गया.

मैंने भी मन बना लिया था कि आज कुछ भी हो जाए, मैं मौसी को चोद कर ही रहूँगा.

अब मैंने मौसी के गाल को किस किया तो वे नींद से उठ गईं और बोलीं- क्या कर रहा है नालायक!

मैंने कहा- शांत रहो मौसी, मैं आपके बिना नहीं रह सकता हूँ. आप बहुत अच्छी लगती हो मुझे!

बस इतना बोल कर मैं उनके मम्मों को एक हाथ से दबाने लगा और गाल पर किस कर दिया.
जब वे कुछ नहीं बोलीं.

तो मैं मौसी के ऊपर चढ़ गया और अपने दोनों पैरों से उनके पैरों को दबा कर अपने दोनों हाथों से उन के दोनों हाथों को पकड़ लिया.
अब मौसी मुझे हटाना चाहती थीं लेकिन मैंने उनको लॉक सा कर दिया और गाल पर किस करना चालू कर दिया. साथ ही उनके होंठों पर किस करने लगा.

मौसी ने मेरा ज़्यादा विरोध नहीं किया और मेरे होंठों पर जोर से काट कर मुझे धक्का देकर खुद को छुड़ा लिया.
वे बाथरूम की तरफ भाग गईं, मैं उनके पीछे आ गया.

मौसी ने बिना बाथरूम की लाइट ऑन किए अन्दर जाकर बैठ गईं और पेशाब करने लगीं.
उन्होंने दरवाजा भी नहीं लगाया था.

मैं पीछे से गया और उनको बैठ कर घुमा दिया और उनके पीछे बैठ गया.

मौसी की पेशाब की आवाज आ रही थी ‘सर्र शर्र सुर्र …’

मैं उनके दूध दबाने लगा और एक हाथ को उनकी चूत में लगा दिया.
मेरा हाथ उनकी पेशाब से गीला हो गया.

मैं उनको पीछे से किस कर रहा था.
उनका मूतना खत्म हुआ तो वे अपनी चूत को पानी से साफ करने लगीं.

मैंने उनके हाथ से पानी का मग्गा छुड़ा कर उनको मना कर दिया.
वे खड़ी होकर चड्डी पहनने लगीं.

मैंने एक हाथ से उनकी चड्डी को पकड़ कर उन्हें पहनने से रोक दिया और पेटीकोट के अन्दर अपना मुँह डाल कर चूत में अपनी जीभ को रगड़ने लगा.

उनकी पेशाब से मेरा मुँह कुछ नमकीन और कसैला सा हो गया.
मैं उनकी चूत को चाटने लगा.

लगातार चूत चाटने की वजह से वे भी गर्म हो गईं और आवाजें निकालने लगीं.
उनकी तेज होती आवाजों से मुझे यह डर लगने लगा था कि कहीं तेज आवाजें सुनकर नानी ना आ जाएं.

मैंने मौसी का हाथ पकड़ा और हम दोनों बिस्तर पर आकर लेट गए.
अब मैं उनको पकड़ कर किस करने लगा और उनके दूध दबाने लगा.

मैंने मौसी के पेटीकोट को उठाया और उनके पैरों में फंसी उनकी पैंटी को निकाल लिया.
फिर मौसी का ब्लाउज खोल कर ब्रा को भी उतार दिया.

मैंने एक चादर भी पास में रख ली ताकि चुदाई करते टाइम नानी आ भी जाएं तो हम लोग जल्दी से खुद को ठीक से ढक लें.

कुछ देर बाद मैं मौसी से बोला- सोफे पर चलते हैं. अगर रात में नानी रूम में आईं तो मुझे सोफे के पास वाले दरवाजे से दिख जाएंगी.
अब मैंने मौसी को सोफ़े पर लेटा दिया और उनकी साड़ी ऊपर करके चूत चाटना शुरू कर दिया.

मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत के दाने में रगड़ना शुरू कर दिया; साथ ही एक उंगली को भी चूत के अन्दर पेल दिया.

तब मैंने मौसी की चूत को लगातार चाटना शुरू किया.
तो मौसी पूरी तरह से उत्तेजित हो गईं और तेज तेज सांसों से सौं सौं करने लगीं.

मैंने देखा कि मौसी की भट्टी सुलगने लगी है.
तो मैंने उनकी एक टांग को उठाया और अपने एक कंधे पर रख लिया.

अब मैं उनकी चूत के साथ गांड के छेद को भी चाटने लगा.
वे बेहद कसमसाने लगी थीं.

कुछ ही देर में मैंने मौसी की जांघ को भी चाटना शुरू कर दिया.
मौसी की जांघों पर मूत की बूँदें लग गई थीं इसलिए उनकी जांघों को चाटने पर मुझे एकदम खट्टा सा स्वाद आ रहा था.

जांघ चूमने और चूसने के बाद मैंने मौसी को उठा दिया और उनके चूतड़ पर काटना शुरू कर दिया.
मौसी चिल्लाईं- आह कुत्ते … मत कर हरामी …

मैं पलट कर बोला- चुप कुतिया … बोल मत रंडी.
मैंने ऐसा कहा तो मौसी चुप हो गईं.

अब मैं उनके पेट को किस करने लगा और उनकी नाभि में अपने मुँह से थूक डाल कर चाटने लगा.
मौसी पूरी गर्म हो गई थीं और चोदने की कहने लगी थीं.

मैं उनके पेट पर मुँह से काटते हुए मम्मों के ऊपर मुँह से चाटना चालू किया और एक निप्पल को धीरे धीरे चूसने लगा.
फिर दोनों निप्पलों को एक साथ करके अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

उसके बाद मैंने अपना लोवर नीचे कर दिया और लंड को खोल कर आजाद कर दिया.
मौसी लंड देखने लगीं, तो मैंने उनके हाथ में लंड दे दिया.

अब मौसी मेरे लंड को सहलाने लगीं और मुँह खोलती हुई बोलीं- आज तो तेरा कुछ ज़्यादा ही बड़ा हो गया है.
मैंने कहा- हां साली, तेरी चूत देख कर मूसल सा हो गया है. यह तेरा इंतज़ार कर रहा था कि कब मौसी को चोदने मिलेगा.
वे हंस दीं.

अब मैं दरवाजे की तरफ खड़ा हो गया और मौसी को घुटने के बल बिठा दिया.
वे समझ गईं और उन्होंने अपना मुँह खोल दिया.

मैंने उनके मुँह में लंड दे दिया.
मौसी धीरे धीरे मेरा लंड चूसने लगीं.

ये सब मैं पॉर्न देख कर याद कर रहा था और मौसी के साथ वैसा ही करता जा रहा था.
लंड चुसवाने के बाद मैंने मौसी के मुँह को एक हाथ से दबाया और दूसरे हाथ से उनके बालों को जोरों से पकड़ कर लंड को मुँह में तेजी से अन्दर बाहर करने लगा.

लगभग 5 मिनट तक मौसी के मुँह में लंड पेला और उसके बाद में चूत में लंड डाल कर उन्हें चोदना चालू कर दिया.
मैं मौसी के मुँह से मुँह लगा कर उन्हें किस करते हुए उन्हें चोद रहा था.

लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद मुझे पीछे से आवाज आई.
ऐसा लगा कि शायद नानी जाग गई थीं, तो हम दोनों बेड में आकर लेट गए.

नानी पानी पीने आई थीं.
कुछ देर बाद नानी के वापस सोने के बाद मैंने अपना लंड मौसी के मुँह में डाल दिया और मौसी लेटी हुई ही जोर जोर से लंड हिलाने लगीं.

मेरे लंड का माल उनके मुँह में गिर गया और मौसी तुरंत बाथरूम की तरफ भागीं.
फिर वे अपना मुँह साफ करके वापस आई और मेरे बाजू में लेट गईं.

हम दोनों चिपक कर सो गए.

अगले दिन मैं उठा तो देखा मौसी और नानी घर का काम कर रही थीं.

मुझे पता चला कि आज कोई रिश्तेदार के घर में कुछ कार्यक्रम था, तो हम दोनों को भी जाना था.
लेकिन नानी को उन्होंने जल्दी बुला लिया था, उस वजह से नानी सुबह से ही चली गई थीं.

अब घर में मैं और मौसी ही रह गए थे.
उस वक्त तक डॉक्टर के पास जाने का समय हो गया था तो मैं मौसी को लेकर डॉक्टर के पास आ गया.
वहां से जल्दी ही घर वापस आ गए.

घर में आते ही मैंने दरवाजे को बंद किया और मौसी से कहा- आज आपको कुछ नया खेल सिखाता हूँ.
वे बोलीं- क्या?

मैंने कहा- आज हम दोनों वॉटर सेक्स करेंगे.
वे बोलीं- कहां?

मैंने कहा- यहीं घर में.
हमारे घर के गार्डन में एक बड़ा सा टैंक था, जो जमीन के अन्दर बना था.

मैं बचपन से ही उसी टैंक में किसी लड़की के साथ नहाना चाहता था और आज मेरी वह कामना पूरी होने वाली थी.

मैंने और मौसी दोनों ने कपड़े उतार लिए.
मैं पूरा नंगा हो गया जबकि मौसी ब्रा और पैंटी में थीं.

उसके बाद हम दोनों सीढ़ी से टैंक में उतर गए. दोनों ने पहले एक दूसरे को हग किया और डुबकी लगाना चालू किया.

मौसी पानी के अन्दर मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगीं.
मैं उन्हें किस करने लगा.

हम दोनों किस करते हुए डुबकी लगाने लगे.
मैंने मौसी की ब्रा निकाल कर बाहर फेंक दी और उनके मम्मों को चूसने लगा.

फिर मौसी को मैंने सीढ़ी पर बैठा दिया और नीचे से चड्डी के ऊपर से चूत को चाटने लगा.
फिर मौसी की चड्डी को भी निकाल कर फेंक दिया.

फिर सीढ़ी पर ही मौसी की टांगें फैला कर मैंने पोजीशन बनाई और उनके साथ सेक्स करना चालू कर दिया.
चूत में लंड पेलते समय उनके दूध दबाने लगा.

लगातार दस मिनट तक चुदाई करने के बाद हम दोनों टैंक में घुस गए.
वहां मैंने मौसी को खड़े खड़े चोदा, उनको पीछे घुमा कर पीछे से सेक्स करने लगा.

हम दोनों एक लम्बी चुदाई करने के बाद टैंक से बाहर निकले.

उसके बाद मैं मौसी को दूसरे रूम ले गया और उन्हें एक चेयर पर बैठा कर सैटिंग बनाई.

ये चेयर वैसी थी, जो ब्यूटी पार्लर में इस्तेमाल होती है, जो पूरी खुल कर फ्लैट हो जाती है, मौसी को उस पर बैठा कर चेयर को फ्लैट कर दिया.
मौसी की जांघ के नीचे वाला भाग नीचे था, बाकी सब फ्लैट था. वे चित लेटी हुई थीं.

मैंने दोनों हाथ और पैर चेयर से बांध दिए और आंखों पर कपड़े की पट्टी बांध दी.
उसके बाद मैंने फ़्रिज से आइसक्रीम निकाल कर मौसी की पूरी बॉडी में लगा दी, कुछ चूत और गांड के पास भी लगा दी.

उसके बाद मैंने मौसी को चाटना शुरू कर दिया.
पूरी तरह से चाटने के बाद मौसी क्लीन हो गईं.

अब मैंने मौसी के हाथ पैर खोले और उनको उल्टी लेटा दिया. उनकी गांड में नारियल तेल लगा कर फिर से दोनों हाथ पैर बांध दिए.

अब वे कुछ नहीं कर सकती थीं.
मैंने लंड को उनकी गांड में पेल दिया.

हम दोनों ही बहुत जोर से चीखे और धीरे धीरे मैंने मौसी की गांड मारना चालू कर दिया.
काफी देर तक मौसी की गांड मारने के बाद मेरा माल झड़ने वाला था तो मैं मौसी की और जोर से गांड बजाने लगा.

अंतत: मैंने अपने लंड का माल मौसी की गांड में निकाल दिया और उनके ऊपर लेट गया.
कुछ देर बाद हम दोनों वापस फ्रेश होकर उसी रिश्तेदार के घर के कार्यक्रम में चले गए.

अगले दिन भैया आ गए और मौसी अपने गांव चली गईं.
Superb story. Mery first chudai bhi apni chhoti mausi ke sath hui thi.
 

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मौसी-मौसा के साथ थ्री-सम सेक्स का मजा



दोस्तो, मेरा नाम राजा है. ये मौसी की चूत की चुदाई कहानी मेरी, मौसी और मौसा के बीच की है.
मैं अपनी ट्रेनिंग के सिलसिले में मौसा जी के साथ आकर रहने लगा था.

पहले मैं आपको अपनी मौसी के बारे में बता देता हूँ.
मेरी मौसी की उम्र 43 साल है और वो बहुत सेक्सी हैं. मेरी मौसी रात में जब पारदर्शी नाइटी पहनती हैं, तो उन्हें देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता है.
उनके बूब्स भी बहुत सेक्सी हैं. मैंने बहुत बार इस तरह की पारदर्शी नाइटी में देखा है.
वो मुनमुन सेन सी लगती हैं.

उनकी एक लड़की है जिससे मेरी खूब बनती है.
हम दोनों सेक्स के टॉपिक पर खुल कर खूब बात करते हैं.
हालांकि वो सिटी से बाहर जॉब करती है तो वो बाहर ही रहती है.

रात में मौसा मौसी अपने कमरे में घुस कर बिंदास चुदाई करते हैं. उनकी चुदाई की आवाजें कमरे के बाहर सबको सुनाई देती हैं लेकिन वो दोनों इस बात की जरा भी फ़िक्र नहीं करते हैं.

चूंकि अब घर में मैं ही तीसरा सदस्य था तो मैं उन दोनों की चुदाई की आवाजों का लुत्फ़ लेता था.
मुझे उस समय उनकी इस बिंदास चुदाई का मतलब समझ नहीं आया था. वो मुझे बाद में मालूम चला था.

जब ये बात मैंने अपनी मौसी की बेटी को बताई, तो वो भी हंसने लगी.

इसका मतलब ये था कि अपनी मम्मी की चुदाई की इस आदत का उसको भी पता था.

अब मैं ही घर में था, तो उन दोनों के रास रंग देखता रहता था.

एक दिन मैंने देखा कि मौसी जी किचन में थीं और मेरे मौसा जी अन्दर घुस गए.
मैंने देखा कि मौसा जी तो इतने बड़े वाले ठरकी हैं कि वो मौसी को किचन में आकर भी चोद देते हैं.

मेरी मौसी अक्सर सोने से पहले अपनी चड्डी ब्रा बाथरूम में टांग देती हैं और मैं उसको अपने कमरे में लाकर रात में मुठ मारता रहता हूँ और मौसी की पैंटी को चूत वाली जगह से चाट भी लेता हूँ.

मुझे बहुत मन होता है कि मैं अपनी मौसी के साथ सेक्स करूं.

ये बात उन गर्मियों के मौसम की है जब मैं, मेरी मौसी मौसा और उनकी बेटी किसी रिश्तेदार की शादी में 3-4 दिन के लिए गांव गए हुए थे.
उस वजह से मौसा जी को चुदाई करना नहीं मिल पाया था.

जब हम सब लोग वापस अपने शहर आ गए तो मैंने देखा कि मेरे कमरे का एसी काम नहीं कर रहा था.
उस रात ज्यादा गर्मी थी तो उस वजह से हम सब मौसा जी के ही रूम में सो गए.

बिस्तर पर पहले मौसा, फिर मौसी लेट गईं और उनकी बेटी में साइड में सोफे में सो गई.

रात के एक बजे के करीब मेरी नींद खुली तो मैं बाथरूम से आकर सो गया.
मुझे नींद नहीं आ रही थी.

मैंने देखा कि मौसा मौसी के बीच कुछ हलचल होने लगी थी.
मैं पहले तो बस यूं ही देखता रहा.

एसी की एलईडी की हल्की रोशनी कमरे में उजाला सा कर रही थी. मुझे कुछ कुछ समझ आ रहा था.

मैंने देखा कि मौसा ने मौसी की जांघ के ऊपर हाथ रखा और मौसी के गाउन को ऊपर कर दिया.

फिर धीरे से मौसा जी ने मौसी की गांड के पास से गाउन उठाया.
मौसा को लग रहा था कि उनकी बेटी और मैं सो रहे हैं लेकिन मैं जाग रहा था.

फिर मौसा ने गाउन को ऊपर किया तो मौसी की पैंटी दिखने लगी.

मैं तो देख कर चकित रह गया कि मौसी ने थोंग चड्डी पहनी हुई थी जो उनकी गांड की दरार में फंसी हुई बड़ी ही मादक लग रही थी.

मौसी ने अपनी चड्डी को उतार दिया.
तब तक मौसा का लंड उनकी चड्डी में से एकदम खड़ा हो गया था.

मौसी ने मौसा का लंड बाहर निकाला.
उनका लंड एकदम कड़ा हो गया था. ऐसा लग रहा था कि लंड मौसी की चुत का प्यासा हो गया था.

इतने में मौसी ने अपनी बेटी की तरफ देखा, फिर मेरी तरफ़ देखा कि हम दोनों जाग तो नहीं रहे हैं.

उन्होंने चादर को अपने पैर के ऊपर लिया और पीछे से खुला ही रखा.

तभी मौसा जी ने मौसी की चूत में उंगली डाल दी और मौसी ने मौसा के लंड को पकड़ लिया.
अपने एक हाथ से मौसा जी ने मौसी की चड्डी को जांघों के नीचे सरका दिया और मौसी के गाउन को पेट के ऊपर कर दिया.

मौसी की चुत एकदम गोरी थी, अन्दर से एकदम गुलाबी दिख रही थी.
मुझे तो ऐसा लग रहा था कि अभी ही मौसी के पास जाकर उनकी चूत चाट लूं.

फिर मौसा जी ने मौसी को अपने पास खींचा और उन्हें पलट कर मौसी का मुँह उनकी बेटी की तरफ़ कर दिया और पीछे से लंड पेल दिया.
उन दोनों की इसी पोजीशन में चुदाई होने लगी.

दस मिनट तक उन दोनों ऐसे ही चुदाई की और मौसा जी अपना माल मौसी की चूत में निकाल दिया.
वो झड़ कर पीछे हट गए.

मैंने देखा कि मौसी कुछ गुस्सा हो गई थीं, शायद वो झड़ी नहीं थीं और मौसा जी ने उन्हें प्यासा छोड़ दिया था.

मौसी एक मिनट तक मौसा को गुस्से से देखती रहीं. फिर अपनी चड्डी ऊपर करके वो बाथरूम में चली गईं और चूत को साफ करके अपनी चड्डी ब्रा को उतार कर बाथरूम से वापस आ गईं.

वो बाथरूम से आकर मौसा को देखने लगीं.
मौसा जी थक कर आंख बंद करके लेट गए थे.

मौसी जी मुँह बनाए हुए उनके बाजू में सो गईं.

यह नजारा देख कर मेरा हाल खराब हो रहा था. मैं सोच रहा था कि काश मौसा की जगह मैं होता, तो अभी मौसी को चोद कर ठंडी कर देता.

तभी मौसा जी की आंख खुल गई और वो फिर से मौसी जी के मम्मों को अपने मुँह में दबा कर चूसने लगे.

कुछ मिनट बाद मौसा जी फिर से सो गए.

फिर अगले दिन मेरे कमरे का एसी सही हो गया.

उस दिन शाम को मैं और मेरी मौसी की बेटी मिलकर छत पर मस्ती कर रहे थे.

मैंने उससे कहा- रात को मैंने मौसी मौसा को सेक्स करते हुए देखा था.
वो पूछने लगी- अरे वाह … क्या क्या और कैसे हुआ था?

मैंने उसे सारी स्टोरी बता दी.

वो बोली- यार, मैंने भी उन दोनों को बहुत बार चुदाई करते हुए देखा है. एक दिन तो मुझे बेड में पापा का यूज्ड कंडोम भी मिल गया था.

उसने मुझे एक बात और भी बताई कि मौसी मौसा को अपनी चुदाई में तीसरा पर्सन भी चाहिए.
बहुत बार मौसी अपने घर में पीजी में रहने वाली लड़की को फंसा कर मौसा जी के पास लाती हैं और मौसा उसके साथ सेक्स करते हैं.

फिर लगभग 5 दिन बाद मेरी मौसी की बेटी भी अपनी जॉब पर वापस चली गई.

मैं अपने ट्रेनिंग सेंटर चला गया था.

जब मैं घर वापस आया तो देखा कि दरवाजा खुला है, केवल जाली वाला दरवाजा लगा है.
मैंने हल्का सा धक्का देकर खोलने की कोशिश की तो वो खुल गया.

मौसा मौसी को इस बात का पता नहीं चला.
मैं अन्दर आया और देखा कि मौसा के रूम का दरवाजा जरा खुला सा था.

मैंने झांक कर अन्दर देखा तो मौसा मौसी अपने बेड में नंगे लेटे हुए थे.

मौसी बड़ी ही सेक्सी लग रही थीं. उनके जिस्म पर कपड़े की एक धजी भी नहीं थी. उनके हाथ की चूड़ियां आवाज कर रही थीं.

आज दिन की रोशनी में मेरी मौसी बहुत ही गोरी दिखाई दे रही थीं.
वो अपने एक हाथ से मौसा जी के लंड को सहला रही थीं और मौसा जी ने मौसी की चुत में उंगली डाल रखी थी.

ये नजारा देख कर मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं लेकिन मेरे आने की आहट शायद उन्हें मिल गई थी.

मौसी जी ने आवाज लगाई- कौन है?

मैं जल्दी से दूर हुआ और अपने आने की बात कह कर अपने रूम में जाने लगा.

तभी मौसी ने जल्दी से अपना गाउन पहना और बाहर आ गईं.

मैं कमरे की जगह किचन में चला गया था ताकि उनको पता न चले कि मैंने सारा सीन देख लिया है.

फिर मैं बाथरूम में चला गया और सीन याद करके मुठ मारने लगा.

उस दिन मैं मौसी को याद कर रहा था कि काश मुझे मौसी की चूत चोदने मिल जाती और मैं उन्हें चोद लेता.

फिर रात में हम सब खाना खाकर सो गए.
मैं अपने कमरे में आकर सो गया और मौसी मौसा अपने रूम में.

रात में मुझे एसी में ठंड सी लगी तो मैं कंबल लेने के लिए मौसी के रूम में आ गया.

उनके रूम का दरवाजा जैसे ही मैंने खोला तो देखता ही रह गया.
मेरी मौसी बेड में नंगी कुतिया बनी हुई थीं और मौसा जी मौसी की गांड मार रहे थे.

मेरी मौसी की चड्डी ब्रा और गाउन सब ज़मीन में पड़े हुए थे.

मैं ये जताते हुए उनके रूम में घुस गया कि मैंने अन्दर आने से पहले देखा ही नहीं था.

मुझे देखते ही वो दोनों हट गए और मौसी ने चादर ढक ली.

मैं बोला- आप लोग करो … मैं तो बस कम्बल लेने आया था.
और मैं हंसता हुआ रूम से बाहर निकल गया.

मुझे हंसता देख कर मेरे मौसा ने आवाज़ लगाई- राजा रूम में आना!

मैं फिर से रूम में गया तो मौसी चादर के अन्दर थीं और मौसा जी ने चड्डी पहन ली थी.

मौसा ने मुझसे कहा- तुझे ऐसा देख कर कोई दिक्कत तो नहीं हुई?

मैंने उनके मुँह से ऐसा सुन कर जरा शर्माने का नाटक किया.

मौसा ने लंड सहलाते हुए कहा- मैं तेरी मौसी को बहुत प्यार करता हूँ, इसी लिए अभी तक उनके साथ सेक्स करता हूँ. यदि तू ये सब हमारी बेटी को नहीं बताएगा तो तेरे लिए एक गिफ्ट है.
मैंने कहा- क्या है?

मौसा बोले- तुझे अपनी मौसी कैसी लगती है?
मैंने कहा- अच्छी.

मौसा ने कहा- और मैं अच्छा नहीं लगता तुझे?
मैंने कहा- आप भी अच्छे लगते हो.

तो मौसा ने कहा- चल आ जा, आज तू भी हम लोगों के साथ सेक्स का मजा ले ले. तुम, मैं और तेरी मौसी एक साथ सेक्स का मजा लेते हैं.
मुझे तो मौसा जी की बात सुन कर विश्वास ही नहीं हो रहा था.

तभी मौसी जी ने भी कहा- हां आ जा राजा, तू भी हमारे साथ एन्जॉय कर ले.

एक मिनट सोचने के बाद मैंने कपड़े उतारे और बेड में चला गया.

मैं मौसी मौसा के बीच में आ गया.

मौसी जी मेरे लंड को सहलाने लगीं और लंड खड़ा करने लगीं. मौसा मेरे एक हाथ को अपने लंड पर रखवा कर लंड हिलवाने लगे.

मौसा जी कहने लगे- आज हम थ्रीसम सेक्स करेंगे.

मैंने मजा लेना शुरू कर दिया, मैं अपने मुँह से मौसी के एक निप्पल को चूसने लगा.
मौसी जी अपना दूध मुझे पिलाने लगीं तो मैं उनकी चुत में उंगली करने लगा.

हम तीनों को बहुत मजा आ रहा था.

कुछ ही देर में सेक्स की मस्ती बढ़ गई और मेरी मौसी जी अपनी टांगें फैला कर चित लेट गईं.
मैं मौसी की टांगों के बीच में आकर उनकी चुत चाटने लगा. मैं अपनी जीभ से अपनी मौसी की झांट रहित गोरी चूत को चाटने लगा.

लगभग दस मिनट में मौसी पूरी तरह से गर्म हो गई थीं.

मौसी की चुत से जो पानी निकल रहा था उसमें मौसी की पेशाब भी मिल रही थी.
मुझे एकदम नमकीन जूस जैसा स्वाद लग रहा था.

फिर मैं और मौसी जी 69 की पोजीशन में आ गए.
अब मौसी मेरा लंड चूस रही थीं और मैं मौसी की चुत चाट रहा था.

मौसा जी साइड में लेट कर हम दोनों का सेक्स गेम देख रहे थे.

फिर मौसा जी बोले- राजा अब सेक्स करो … अपनी मौसी की चुत में लंड पेल दो.

मैंने मौसी की टांगें चुदाई की पोजीशन में खोलीं और अपना लंड डाल दिया.
लंड लेते ही मौसी की मादक आवाज निकल गई और मैं लंड चूत में पेल कर आगे पीछे करने लगा.

फिर मौसा जी मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी गांड के छेद में अपना लंड रगड़ने लगे.
मेरे आगे पीछे होने से मौसा का लंड मेरी गांड से लड़ रहा था.

मैंने समझ लिया कि मौसा जी का मूड कुछ और ही है. मैंने मौसी की चूत से लंड बाहर निकाला और हम तीनों खड़े हो गए.

खड़े होकर मैंने मौसी की एक टांग उठाई और उनकी चुत में लंड डाल दिया.
मौसा ने पीछे से आकर मौसी की गांड में लंड पेल दिया.

मौसी को डबल लंड का मजा आ रहा था. मौसी ‘आ ऑश …’ कर रही थीं और बोल रही थीं- आंह राजा … आज तो तेरी वजह से मेरे दोनों छेदों को एक साथ डबल मजा मिल गया.

फिर कुछ देर बाद मौसी घोड़ी बन गईं और मौसा जी के लंड को मुँह में लेने लगीं.
मैं डॉगी स्टाइल में मौसी की गांड मार रहा था.

ऐसे ही 15 मिनट तक मौसी की गांड मारने के बाद मैंने देखा कि मौसा ने अपना माल मौसी के मुँह में निकाल दिया और अलग हो गए.

मौसा बोले- अब तुम दोनों मजा लो.
वे कमरे से बाहर निकल कर हॉल में सोफे पर जाकर लेट गए.

अब मैं और मौसी ही चुदाई का मजा ले रहे थे. हम दोनों जानवर बन गए थे.

मैंने मौसी जी कहा- मेरा मन आपको किचन में चोदने का कर रहा है.
वो बोलीं- हां उधर ही चलते हैं.

हम दोनों रसोई में आ गए.

मैंने मौसी को प्लॅटफॉर्म पर बिठा दिया और मौसी की टांगें खोल कर उनकी चुत में लंड पेल दिया.

मैंने उधर मौसी के साथ हचक कर सेक्स किया.
फिर झड़ने को हुआ तो मैंने मौसी के मुँह में लंड दे दिया.

मौसी ने लंड चूस कर रस खा लिया.

मैं नशे से मौसी को देख रहा था.
मौसी भी शायद अभी एक पारी और खेलने के मूड में थीं.

उन्होंने फ्रिज से केक निकाला और मुझे दिखाया.
मैं समझ गया कि क्या करना है.

मैंने उनसे केक लेकर मौसी के मम्मों पर मल दिया, उनकी चुत और गांड में केक लगा दिया.
फिर मौसी जी की गांड को चाटा, तो केक चाट कर मुझे बहुत मजा आया. फिर चुत चाटी और मम्मों से पूरा केक चाट कर साफ़ कर दिया.

इसके बाद मौसी ने मेरे लंड में केक लगाया और लंड चाटने लगीं.
केक के साथ मेरा एक बार फिर से माल निकल गया और मौसी के मुँह में निकल गया.

फिर हम दोनों ने पानी पिया और हॉल में आ गए.

सोफे पर मौसा सोए हुए थे. उनके एक साइड में मौसी लेट गईं और मैं मौसी के ऊपर लेट गया.

फिर कुछ देर बाद हम लोगों का बाथरूम में सेक्स करने का प्लान बना.

हम तीनों बाथरूम में चले गए और शॉवर खोलकर गीले होने लगे.

मौसी खड़ी हुईं तो फिर से मौसा ने उनकी चूत में लंड पेल दिया.
मैं मौसी की चुत में उंगली करने लगा.
मौसी की चूत में लंड और उंगली एक साथ चलने लगे थे.

मौसा बोले- राजा, तू अपनी मौसी की गांड में अपने लंड को रगड़ कर पेल दे.
मैंने मौसी की गांड में लंड पेल दिया.

एक बार फिर से मौसी की सैंडविच चुदाई होने लगी.

कुछ दस मिनट बाद हम दोनों मर्दों ने मौसी के मुँह में एक साथ लंड डाल दिए और मौसी ने हम दोनों के लंड को चूस कर रस पी लिया.

चुदाई के बाद हम तीनों मस्ती भरी बातें करने लगे.

मौसी मौसा कहने लगे- इसके पहले हम दोनों को इतना मज़ा कभी नहीं आया था, जितना आज आया.

अब मौसा जी ने मौसी से कहा- कुछ पिलाओ यार, बड़ी थकान हो रही है.
मौसी जी व्हिस्की की बोतल ले आईं और हम तीनों ने दो दो पैग लेकर फिर से चुदाई का मन बना लिया.

इस बार मैंने अकेले ही मौसी की गांड में लंड डाला और उनकी गांड मारने लगा.

फिर मौसी ने कहा- राजा, तुम मेरी चूत में लंड डालो और पीछे से तेरे मौसा मेरी गांड में लंड पेल कर मुझे चोदें.

मैं मान गया.
मुझे उन दोनों की स्कीम समझ नहीं आ सकी थी. मैं मौसी की चूत में लंड डालकर उन्हें चोद रहा था.

तभी मौसा जी अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया.
मेरी जोर से आंह निकल गई मगर उन दोनों ने मुझे पकड़ रखा था तो मैं कुछ नहीं कर सका.

कुछ देर बाद मुझे अपने लंड से मौसी की चूत की चुदाई का मजा मिलने लगा और मेरी गांड को मौसा जी के लंड का मजा आने लगा.

इस तरह से हम तीनों ने एक दूसरे की गांड मारी और सो गए.

सुबह में मौसा जी अपनी जॉब पर चले गए और मौसी घर के कामों में लग गईं.

मैं अभी भी बेडरूम के अन्दर नंगा सोया पड़ा था. मैं सोकर उठा तो बाहर आ गया.
मैंने देखा कि मौसी किचन में थीं. मैंने उन्हें गुड मॉर्निंग बोला.

मौसी ने गुड मॉर्निंग के साथ प्यारी सी स्माइल दी और बोलीं- उठ गया मेरा राजा.
मैं पीछे से मौसी की गांड पर हाथ फेरते हुए उनसे चिपक गया और अपनी मौसी को पीछे से हग करके बोला- हां मेरी प्यारी मौसी.

मैंने अपने लंड को उनकी गांड में रगड़ कर पीछे से उनके गाल पर किस किया.

मेरी मौसी केवल गाउन में थीं और मेरे लिए नाश्ता बना रही थीं.

मैंने पूछा- मौसा जी कहां हैं?
तो वो बोलीं- ड्यूटी पर गए हैं, दो बजे तक आएंगे.

मैंने कहा- तब तक हम दोनों ही मस्ती करते हैं.
वो हंस दीं.

फिर मैंने मौसी के गाउन नीचे से उठाया और देखा तो मौसी ने वी-शेप वाली चड्डी पहनी हुई थी.

मैंने पीछे से मौसी की चड्डी के ऊपर से गांड चाटनी शुरू की.

तो मौसी बोलीं- पहले फ्रेश तो हो जा … जा, जाकर नहा ले.
मैंने बोला- मेरी जान आज तो मैं आपके साथ ही नहाऊंगा.

मैंने मौसी जी का गाउन उतार दिया.
मौसी ने ब्रा नहीं पहनी थी. अब मौसी चड्डी में रह गई थीं.

मैंने मौसी जी की चड्डी भी उतार दी.
अब मौसी जी नंगी ही रह कर मेरे लिए नाश्ता बना रही थीं.

मैंने भी अपने बॉक्सर को उतारा और मौसी के साथ मस्ती करने लगा.

कुछ देर में नाश्ता रेडी हो गया तो मैंने उन्हें गोदी में उठाया और बाथरूम में ले गया.
फिर शॉवर के नीचे खड़ी करके मैं बैठ गया और उनकी एक टांग को अपने कंधे पर रख कर उनकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.

कुछ मिनट तक चूत चाटने के बाद मौसी का पानी निकलने लगा तो मैंने खड़े होकर फव्वारे के नीचे ही उनकी चुत में लंड पेल दिया.

मैंने दस मिनट तक मौसी को हचक कर चोदा और उनकी चूत में लंड का पानी निकाल दिया.
मौसी मस्त हो गई थीं.

उसके बाद से हम तीनों रोज रात को थ्री-सम चुदाई का मजा लेने लगे.
Gadrai shadi shuda aurat ko chodne ka majaa alag hi hota hai.
 
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