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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Parthh123

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वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी

कहानी के प्रमुख पात्र


Update:- 24 Posted on page 93

Update:- 25 Posted on page 99



Weekend, weekend, weekend, last weekend mere readers ko sikayat thi ki maine sab suna kar diya.... Aur mera kahna tha ki "weekend ka mera anubhav kafi bura raha hai, isliye update nahi diya"...

Weekend par itna discuss hua ki maine socha ek risk le hi leta hun... Monday to Friday mere har update ko aap sab readers ka dher sara pyar mila.... Saturday, Sunday mujhe pasand nahi, kyonki readers ka response kafi fika rahta hai, aisa main Manta hun...

To kya kahti hai public.... Weekend dhamal ho jaye.... Ya fir iss baar mujhe tay he kar lena hai... Weekend no update... Dekhte hain ye weekend kya result lata hai....

Taiyar ho jaeye aaj ke updates ke liye jo regular intervals par aate rahenge..
Wah nain bhai bdi khushi ho rahi hai apki bate sunkar ki update ek interval pe ate rahenge mtlb kai updates ki barish hogi. Maza hi a jayega. Bhejo bhejo update pe update.
 

Anky@123

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भाग:–26





अरुण, चिढ़ते हुए एक बार जया को देखा, इसी बीच उसकी पत्नी कहने लगी… "मुझे तो पहले से पता था कि हम रोड पर भी आ जाए तो भी ये हमारी मदद नहीं करेंगे। जान बूझकर हमे यहां अटकाकर रखे है।"..


सुकेश:- जया ने अपने भाई से कुछ कहा है, इसमें इतना आवेश में आने की क्या जरूरत है। तुम लोगों ने भी तो जया को बेवजह बहुत कुछ सुनाया था। इतने सालों के रिश्ते में तुम्हे हमारी तब याद आयि जब पैसों की जरूरत हुई। जया का सच सामने आने के बाद भी एक जरा शर्म आई, जो झूठे मुंह माफी ही मांग लेते... भूमि सुनो...


भूमि:- हां बाबा..


अरुण:- जीजाजी क्या है ये पुरा घर का संचालन बेटी के हाथ में दे दिए हो।


वैदेही:- मामाजी हमने पुरा घर का संचालन भूमि के हाथ में नहीं दिया है बल्कि घर में अलग-अलग मामलों के लिए अलग-अलग लोग है।


भूमि:- छोड़ो ना भाभी। बाबा मैंने पता किया है मामाजी ने हर किसी से गलत डील किया है, जिस कारण फसे है। जिस मॉल के केस में ये उलझे है, ठीक उसी वक़्त इन्होंने अपना लगभग पैसा..


भूमि अपनी बात कह ही रही थी ठीक उसी वक़्त आर्यमणि भूमि के कान में कुछ कहा। कुछ शब्द एक दूसरे से कहे गए और उसके बाद… "आपको कितने पैसे चाहिए मामा जी।"..


अरुण:- 500 करोड़।


सुकेश:– 500 करोड़... एक बार जरा फिर से कहना...

प्रीति:– इन्होंने 500 करोड़ कहा...

सुकेश:– इतने सालों बाद हमारे घर आये। चलो मान लिया की भूमि और तेजस बड़े हो गये है, लेकिन घर में तेजस के बच्चे तो है। उनके लिए तो 5 रुपए की टॉफी तक नही लाये, और हमसे 500 करोड़ की उम्मीद रखे हो। जया ने तुम्हे स्वार्थी कहा है तो कुछ गलत नही कहा...

अरुण:- जीजाजी 500 करोड़ कोई बहुत बड़ी रकम नहीं आपके लिए। धंधे में कहीं फसा हूं इसलिए परेशान हूं। और यही वजह है कि इस वक्त मुझे कुछ सूझ नही रहा, वरना मैं अपने भांजे के बच्चों के लिए कुछ न करता। वैदेही के लिए कुछ न लेकर आता। यदि आप मेरी परिस्थिति को सोचते तो बच्चों की बात बीच में न लाते। चलो प्रीति तुम सही कही थी, हमारा दिन बर्बाद किया।


भूमि:- मामाजी पैसे और परिवार को अलग ही रखो तो अच्छा है। 5 करोड़ या 10 करोड़ नहीं आप मांग रहे है कि किसी तरह अरेंज करके से दिए जाए।


प्रीति:- 700 करोड़ का शॉपिंग मॉल तो अपनी दूर की चहेती बहन नम्रता को गिफ्ट कर आयी हो और तुम हमे ऐसी बात कह रही।


भूमि:- हां मै वहीं कल्चर आगे बढ़ा रही हूं जिस कल्चर में मै पली हूं। काका (उज्जवल भारद्वाज) ने जब मुझे अपना उतराधिकारी बनाया था तब उन्होंने नागपुर के बीचोबीच पुरा जमीन का टुकड़ा और साथ ने 180 करोड़ कैश गिफ्ट किए थे। ताली एक हाथ से नहीं बजती मामीजी।


अरुण:- अच्छा ऐसी बात है क्या? यदि मेरी जगह जया दीदी का बेटा होता फिर भी तुम लोग ऐसी ही बातें करते क्या?


मीनाक्षी:- तू घर का सदस्य होता तो जया का बेटा नही बल्कि आर्य कहता। और दिया तो तुझे भी है, लेकिन तेरे आंख में पानी नहीं है। बांद्रा में बाबा ने मेरे और जया के नाम से जो प्लॉट लिया था उसे तुझे ही दी, ना की आर्य को दे दी। भूमि बांद्रा में 10000 स्क्वेयर फीट जगह की कीमत क्या होगी बताओ जरा।


भूमि:- आई मुंह मांगी कीमत। कम से कम हजार करोड़ तो दे ही देंगे।


मीनाक्षी:- अब बोल अरुण। तूने तो हमसे रिश्ता तोड़ लिया था तब भी तेरे एक बुलाए पर हम दोनों बहन पहुंची थी रजिस्ट्रेशन करवाने। यहां आर्य का लगन तय कर दिया, तूने तो होने वाली बहू को आशीर्वाद तक नहीं दिया। तुझे देते रहे तो ठीक है, दूसरों को कुछ दे तो तेरे आंख में खटकता है कि ये धन दूसरे को क्यों दे रही मुझे ही दे दे। भूमि ये स्वार्थी सबके बीच आया है मदद मांगने, जानती हूं ये बेईमान है, लेकिन फिर भी का इसकी मदद कर दे।


भूमि:- ठीक है इनसे कह दो भाऊ से जाकर मिल लेंगे। लेकिन भाऊ के साथ डील में गड़बड़ होगी, तो ये जाने और इनका काम।


मीनाक्षी:- सुन लिया ना तुम दोनो मिया बीवी ने।


अरुण:- जी सुन लिया। कम से कम 5 साल का वक़्त बोलना देने, ताकि मै सब सैटल कर सकूं।


सुकेश:- जब इतना कर रहे है तो ये भी कर लेंगे। अरुण दोबारा फिर कभी अपने उलझे मामले लेकर मत आना, परिवार से मिलने आना।


अरुण:- जी जीजाजी। अब हम चलते है, सारा काम हमारा रुका हुआ है।


सुकेश:- ठीक है जाओ।


अरुण के जाते ही मीनाक्षी और जया, दोनो के आंखो में आंसू आ गए। सुकेश दोनो को चुप करवाते हुए… "हर इंसान एक जैसा नहीं होता। शायद ये तुम दोनो के भाई कहलाने के लायक नहीं।"..


मीनाक्षी:- थैंक्स भूमि, क्या करूं एक ही भाई है ना।


भूमि:- बस भी कर आई, मासी तुम भी चुप हो जाओ। हमने मामा का प्रॉब्लम सैटल कर दिया है। अच्छा अब तुम सब सुनो, मै आर्य को ले जा रही हूं।


मीनाक्षी:- जा ले जा, मेरी बहन है ना यहां। सुनो जी केशव बाबू का ट्रांसफर नागपुर करवाओ। ये लोग अपने परिवार से बहुत दिन दूर रह लिये।


सुकेश:- जी हो जाएगा, और कोई हुकुम।


मीनाक्षी:- नहीं और कोई हुक्म नहीं।


वैदेही:- आई, बाबा ने वो काम कल ही कर दिया था, बस कह रहे थे भूमि को नहीं बताने, वरना आर्य के मोह में ये मौसा जी का ट्रांसफर नहीं होने देंगी।


जया:- नाना हम यहां भी रहे तो भी आर्य भूमि के पास ही रहेगा, और जिला अध्यक्ष आवास यहां, दीदी के घर।


भूमि:- बच गई मासी, वरना नागपुर की जगह कोल्हापुर का ट्रांसफर लेटर आता।


सभा समाप्त होते ही हर कोई अपने अपने काम के लिए निकल गए। डॉक्टर ने भी आर्यमणि की रिकवरी को देखते हुए उसे कॉलेज जाने की अनुमति दे दी थी, इसलिए वो भी कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था, तभी उसके कमरे बाहर निशांत और चित्रा शोर मचाते हुए पार्टी, पार्टी चिल्लाने लगे। दोनो की जोश से भरी जोरदार आवाज सुनकर आर्यमणि हंसता हुआ बाहर आया।


चित्रा वेसल बजाती... "पार्टी–पार्टी".. और ठीक वैसे ही निशांत भी कान फाड़ वेसल बजाते... "पार्टी–पार्टी"


आर्यमणि, हंसते हुए.… "हां ले, लेना पार्टी, अब सिटी बजाना बंद भी करो"…


आर्यमणि की बात सुनकर, निशांत और चित्रा दोनो उसे घेरकर, उसके कानो में वेसल बजाते... "पार्टी–पार्टी"…


आर्यमणि:– अब क्या कान फाड़ोगे? ऐसे पार्टी–पार्टी चिल्लाओ नही... कहां, कब और कैसी पार्टी चाहिए...


चित्रा:– हमे ऐसी वैसी नही, एक यादगार एडवेंचरस पार्टी चाहिए...


निशांत:– हां चित्रा ने सही कहा...


भूमि, जो इनका शोरगुल कबसे सुन रही थी.… "वैसे मेरे विचार से रसिया के बोरियल जंगल में तुम लोग पार्टी ले सकते हो। आखिर आर्यमणि ने उस जंगल को पैदल पार किया था, चप्पे चप्पे से वाकिफ भी है और बेस्ट लोकेशन को जनता भी होगा।


भूमि अपनी बात कहकर मुस्कुराती हुई आर्यमणि को देखने लगी। मानो कह रही हो, तुम्हारी कहानी को एक बार हम भी तो क्रॉस चेक कर ले। आर्यमणि, भूमि के इस तिकरम पर हंसते हुए.… "जमा देने वाली ठंड का यदि मजा लेना चाहते हो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं। प्लान कर लो कब चलना है।"


निशांत और चित्रा दोनो अपने दोस्त के हाथ में अपना हाथ फसाकर.… "फिलहाल हम कॉलेज चलते हैं। भूमि दीदी आप करते रहो आर्य के बीते ४ साल को क्रॉस चेक, पार्टी तो हम अपने हिसाब से लेंगे। चले आर्य..."



दोनो भाई बहन एक लय से एक साथ अपनी बात कही और दोनो आर्यमणि के साथ कॉलेज के लिए निकल गये। इधर कल रात पलक इतनी थकी थी आकर सीधा अपने कमरे में गई और बिस्तर पर जाकर लेट गई। पलक के कानो में वो बात मिश्री की तरह घोल रही थी… "मैं सबको दिल से चाहता हूं और साथ में पलक को भी"… कितना गुदगुदाने वाला एहसास था। रात भर गुदगुदाते ख्याल आते रहे। कॉलेज का मामला पहले से ही सैटल, ऊपर से आर्यमणि ने वादे के मुताबिक बिना दोनो के बारे में जाहिर किये रिश्ता भी तय करवा दिया। अब ना जाने तब क्या होगा जब वो दोनो अकेले में होंगे।


खैर, सुबह का वक़्त था। आर्यमणि, चित्रा और निशांत के साथ कॉलेज पहुंचा। उन दोनो को विदा कर आर्यमणि, रूही को मैसेज करके लैब बुला लिया। रूही जल्दी से लैब पहुंची और आते ही अपना टॉप निकाल दी। आर्यमणि, उसके हाव–भाव देखकर.… "जलते तवे पर बैठी हो क्या, जो कपड़े भी काटने दौड़ रहे।"


रूही:- अभी अंदर का जानवर हावी है जो मुझसे चिंखकर कह रहा.… "कौन सा जानवर कपड़े पहन कर घूमता है बताओ।"


आर्यमणि:- टॉप पहन लो। मुझे अभी सेक्स में इंट्रेस्ट नहीं, बल्कि सवालों के जबाव में इंट्रेस्ट है।


रूही:- वो तो हर धक्के के साथ भी अपना सवाल दाग सकते हो आर्य।


आर्यमणि:- मै अपना पैक बनाने का इरादा छोड़ रहा हूं, तुम पैक में रही तो मुझे ही अपनी रानी से दूर होना पर जायेगा।


रूही:- ऐसे अकड़ते क्यों हो। तुम तो खुद से आओगे नहीं, इसलिए साफ-साफ बता दो कि कब मेरे अरमान पूरे करोगे..


आर्यमणि:- आज रात तुम्हारे घर में, तुम्हारे ही बिस्तर पर… अब खुश..


रूही:- ठीक है मै बिस्तर सजा कर रखूंगी। हां पूछो क्या पूछना है।


आर्यमणि:- अपने बाप को डूबता क्यों देखना चाहती हो।


आर्यमणि, रूही के साथ अपनी पहली मुलाकात को ध्यान में रखकर बात शुरू किया, जब उसने जंगलों में रूही की जान किसी दूसरे पैक के वेयरवुल्फ से बचाया था.…


रूही:- तुम अनजानों की तरह सवाल ना करो। सरदार खान मुझे मारकर अपनी ताकत बढ़ाय, उस से पहले मै उसे मारकर अल्फा बन जाऊंगी।


आर्यमणि:- सरदार खान को मारकर तुम अल्फा नहीं फर्स्ट अल्फा बनोगी। इसका मतलब उस रात तुम पर 2 अल्फा ने हमला किया था ना?


रूही:- हां लेकिन 2 अलग-अलग मामले मे तुम कौन सा संबंध ढूंढ रहे?


आर्यमणि:- तुम्हारी दूरदर्शिता को समझ रहा हूं। 2 अल्फा वेयरवुल्फ जब एक साथ हो, तब कोई वूल्फ पैक उसे हाथ नहीं लगा सकता। मै तो फिर भी अकेला था। जैसे ही मैंने उन दोनों को मारा, तुम समझ गई कि मैं एक फर्स्ट अल्फा हूं। एक फर्स्ट अल्फा दूसरा फर्स्ट अल्फा मार सकता है, तुमने यही सोचकर मुझपर जाल बिछा रही। ताकि मै और तुम्हारे बाबा भिड़े और जब वो कमजोर पर जाय तब तुम उसे मारकर उसकी जगह लेलो।"


रूही:- हां तो वो कोई संत है क्या? हर साल किसी ना किसी वूल्फ पैक के कई बीटा को खा जाता है। 20 वूल्फ पैक की पूरी बस्ती है, जिसमें केवल 6 वूल्फ पैक के पास अल्फा बचा है। वो तो 12 अल्फा को भी खा चुका है। तुम्हे क्या पता वो क्या है.. वो एक बीस्ट से कम नहीं है आर्य। उसकी ताकत अद्भुत है। वो अकेला चाह ले तो बस्ती क पूरे पैक को खत्म कर सकता है। कमीना साला, हवस और बदन नोचने के मामले में भी वो जानवर है। वो अपनी बस्ती में कहीं भी, किसी के साथ भी संभोग कर सकता है। अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बच्चा पैदा करता है, ना की उसे अपने बच्चों से कोई इमोशन है।


आर्यमणि:- तुम्हे एक अल्फा बनना है, या तुम्हे फर्स्ट अल्फा बनना है, ये बताओ?


रूही:- मुझे नॉर्मल होना है, बिल्कुल सामान्य इंसानों की तरह। घूट गई हूं मै अपनी ज़िंदगी से।


आर्यमणि:- बंदिश खोल दूं तो क्या तुम ये हवाई अवतार छोड़ दोगी।


रूही:- तुम्हरे आज रात के वो मेरे बिस्तर में पूरे मज़े के सेशन के बाद… जान बचाने का शुक्रिया तो कह दूं तुम्हे।


आर्यमणि:- ब्लड ओथ लो फिर, आज अपने पैक का काम शुरू करते है।


रूही:- क्यों झुटी आस दिला रहे हो। क्या तुम वाकई में मेरे साथ पैक बनाना चाहते हो?


आर्यमणि:– जब यकीन ही नहीं फिर बात खत्म करो। जाओ यहां से...


रूही, झटपट आर्यमणि के पाऊं को पकड़कर रोकती.… "क्या अकडू हो बॉस। हां मुझे यकीन है। मैं तो बस एक और बार सुनिश्चित करना चाहती थी की आप हो क्या? अभी खुद मुंह से कबूल किये कि फर्स्ट अल्फा हो जो की हो नही क्योंकि नरभक्षी और खून पीने की प्रवृत्ति तो क्या आप के वुल्फ होने के निशान दूर–दूर तक नही दिखते। फिर वुल्फ नही हो तो एक वुल्फ के साथ पैक क्यों बना रहे? हो क्या आप.. बस यही सुनिश्चित करना चाह रही हूं...

आर्यमणि:– ज्यादा सुनिश्चित के चक्कर में रहोगी तब यही हाल होना है। वक्त आने पर शायद तुम्हे पता चल जाए की मैं क्या हूं। फिलहाल फर्स्ट अल्फा ही रहने दो जो एक अल्फा का आसानी से शिकार कर लेता है। अब काम की बात कर ले। तो क्या तुम पैक में सामिल होने के लिए तैयार हो?



रूही:– बॉस क्या मैं पैक में सामिल हुई तो तुम मुझे टैटू बाना दोगे?


वेयरवुल्फ के लिए टैटू बनाना टेढ़ी खीर होती है। वुल्फ पैक का मुखिया जिसके ब्लड ओथ से पैक बना, वो टैटू का निशान दे सकता है। इसके अलावा 1 बीटा को 1 हाफ अल्फा टैटू के निशान दे सकता था। एक हॉफ अल्फा को 1 अल्फा और 1 अल्फा को फर्स्ट अल्फा टैटू का निशान दे सकते थे। वरना वेयरवोल्फ शरीर पर टैटू के निशान नहीं दिया जा सकता क्योंकि वेयरवोल्फ बहुत तेजी के साथ हील होते हैं और हील होने के बाद निशान नहीं रहता। किसी की हड्डियां तोड़ने में भी यही दूसरी सीरीज चलती है। किसी भी वेयरवुल्फ का शरीर काफी तेजी से हिल करता है। लेकिन एक पायदान ऊपर के वेयरवुल्फ का तोड़ा हील नहीं होता उसे फिर सामान्य इंसानों के तरह मेडिकल प्रोसीजर करना पड़ता है।


आर्यमणि, रूही की जिज्ञासा देखकर हंसते हुए.… "हां बनवा लेना टैटू, बस ज्यादा पेंचीदा टैटू मत कहना बनाने के लिए।"


रूही:- एक बैंड टैटू लेफ्ट हैंड में। एक हार्ट बीट कम करने वाला टैटू जो मुखिया देता है अपने बीटा को। एक अपने पैक का टैटू और एक रिचुअल टैटू।


आर्यमणि:- बस इतना ही। नाना और भी बता दो। एक काम करता हूं, पीठ पर पूरी दुनिया का नक्शा ही बना देता हूं।


रूही:- अब जब टैटू बना ही रहे रहे हो तो इतना कर दो ना, प्लीज…


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है आज रात जब मै आऊंगा तब ये टैटू का काम कर दूंगा। अब मुझे ये बताओ, उस रात बीस्ट पैक (सरदार खान का वुल्फ पैक) से कौन सा दूसरा वूल्फ पैक पंगे करने आया था?


रूही:- उस रात जंगल में मुझपर भी अचानक हमला हुआ था। एक भटका हुआ पैक जो सरदार खान से क्षेत्र के लिए लड़ने आया है। 30 वुल्फ का पैक है और ट्विन अल्फा मुखिया।


रूही जो बता रही थी वो एक प्रतिद्वंदी पैक था, जो सरदार खान के पैक पर हमला करने आया था। वूल्फ पैक के बीच ये लड़ाई आम बात होती है जहां एक वूल्फ पैक दूसरे वूल्फ पैक के इलाके में अपना निशान छोड़ते है। उन्हे लड़ने के लिए चैलेंज करते हैं।
Ye Nishan kese chodte hai 🤔🤔
 

Parthh123

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भाग:–26





अरुण, चिढ़ते हुए एक बार जया को देखा, इसी बीच उसकी पत्नी कहने लगी… "मुझे तो पहले से पता था कि हम रोड पर भी आ जाए तो भी ये हमारी मदद नहीं करेंगे। जान बूझकर हमे यहां अटकाकर रखे है।"..


सुकेश:- जया ने अपने भाई से कुछ कहा है, इसमें इतना आवेश में आने की क्या जरूरत है। तुम लोगों ने भी तो जया को बेवजह बहुत कुछ सुनाया था। इतने सालों के रिश्ते में तुम्हे हमारी तब याद आयि जब पैसों की जरूरत हुई। जया का सच सामने आने के बाद भी एक जरा शर्म आई, जो झूठे मुंह माफी ही मांग लेते... भूमि सुनो...


भूमि:- हां बाबा..


अरुण:- जीजाजी क्या है ये पुरा घर का संचालन बेटी के हाथ में दे दिए हो।


वैदेही:- मामाजी हमने पुरा घर का संचालन भूमि के हाथ में नहीं दिया है बल्कि घर में अलग-अलग मामलों के लिए अलग-अलग लोग है।


भूमि:- छोड़ो ना भाभी। बाबा मैंने पता किया है मामाजी ने हर किसी से गलत डील किया है, जिस कारण फसे है। जिस मॉल के केस में ये उलझे है, ठीक उसी वक़्त इन्होंने अपना लगभग पैसा..


भूमि अपनी बात कह ही रही थी ठीक उसी वक़्त आर्यमणि भूमि के कान में कुछ कहा। कुछ शब्द एक दूसरे से कहे गए और उसके बाद… "आपको कितने पैसे चाहिए मामा जी।"..


अरुण:- 500 करोड़।


सुकेश:– 500 करोड़... एक बार जरा फिर से कहना...

प्रीति:– इन्होंने 500 करोड़ कहा...

सुकेश:– इतने सालों बाद हमारे घर आये। चलो मान लिया की भूमि और तेजस बड़े हो गये है, लेकिन घर में तेजस के बच्चे तो है। उनके लिए तो 5 रुपए की टॉफी तक नही लाये, और हमसे 500 करोड़ की उम्मीद रखे हो। जया ने तुम्हे स्वार्थी कहा है तो कुछ गलत नही कहा...

अरुण:- जीजाजी 500 करोड़ कोई बहुत बड़ी रकम नहीं आपके लिए। धंधे में कहीं फसा हूं इसलिए परेशान हूं। और यही वजह है कि इस वक्त मुझे कुछ सूझ नही रहा, वरना मैं अपने भांजे के बच्चों के लिए कुछ न करता। वैदेही के लिए कुछ न लेकर आता। यदि आप मेरी परिस्थिति को सोचते तो बच्चों की बात बीच में न लाते। चलो प्रीति तुम सही कही थी, हमारा दिन बर्बाद किया।


भूमि:- मामाजी पैसे और परिवार को अलग ही रखो तो अच्छा है। 5 करोड़ या 10 करोड़ नहीं आप मांग रहे है कि किसी तरह अरेंज करके से दिए जाए।


प्रीति:- 700 करोड़ का शॉपिंग मॉल तो अपनी दूर की चहेती बहन नम्रता को गिफ्ट कर आयी हो और तुम हमे ऐसी बात कह रही।


भूमि:- हां मै वहीं कल्चर आगे बढ़ा रही हूं जिस कल्चर में मै पली हूं। काका (उज्जवल भारद्वाज) ने जब मुझे अपना उतराधिकारी बनाया था तब उन्होंने नागपुर के बीचोबीच पुरा जमीन का टुकड़ा और साथ ने 180 करोड़ कैश गिफ्ट किए थे। ताली एक हाथ से नहीं बजती मामीजी।


अरुण:- अच्छा ऐसी बात है क्या? यदि मेरी जगह जया दीदी का बेटा होता फिर भी तुम लोग ऐसी ही बातें करते क्या?


मीनाक्षी:- तू घर का सदस्य होता तो जया का बेटा नही बल्कि आर्य कहता। और दिया तो तुझे भी है, लेकिन तेरे आंख में पानी नहीं है। बांद्रा में बाबा ने मेरे और जया के नाम से जो प्लॉट लिया था उसे तुझे ही दी, ना की आर्य को दे दी। भूमि बांद्रा में 10000 स्क्वेयर फीट जगह की कीमत क्या होगी बताओ जरा।


भूमि:- आई मुंह मांगी कीमत। कम से कम हजार करोड़ तो दे ही देंगे।


मीनाक्षी:- अब बोल अरुण। तूने तो हमसे रिश्ता तोड़ लिया था तब भी तेरे एक बुलाए पर हम दोनों बहन पहुंची थी रजिस्ट्रेशन करवाने। यहां आर्य का लगन तय कर दिया, तूने तो होने वाली बहू को आशीर्वाद तक नहीं दिया। तुझे देते रहे तो ठीक है, दूसरों को कुछ दे तो तेरे आंख में खटकता है कि ये धन दूसरे को क्यों दे रही मुझे ही दे दे। भूमि ये स्वार्थी सबके बीच आया है मदद मांगने, जानती हूं ये बेईमान है, लेकिन फिर भी का इसकी मदद कर दे।


भूमि:- ठीक है इनसे कह दो भाऊ से जाकर मिल लेंगे। लेकिन भाऊ के साथ डील में गड़बड़ होगी, तो ये जाने और इनका काम।


मीनाक्षी:- सुन लिया ना तुम दोनो मिया बीवी ने।


अरुण:- जी सुन लिया। कम से कम 5 साल का वक़्त बोलना देने, ताकि मै सब सैटल कर सकूं।


सुकेश:- जब इतना कर रहे है तो ये भी कर लेंगे। अरुण दोबारा फिर कभी अपने उलझे मामले लेकर मत आना, परिवार से मिलने आना।


अरुण:- जी जीजाजी। अब हम चलते है, सारा काम हमारा रुका हुआ है।


सुकेश:- ठीक है जाओ।


अरुण के जाते ही मीनाक्षी और जया, दोनो के आंखो में आंसू आ गए। सुकेश दोनो को चुप करवाते हुए… "हर इंसान एक जैसा नहीं होता। शायद ये तुम दोनो के भाई कहलाने के लायक नहीं।"..


मीनाक्षी:- थैंक्स भूमि, क्या करूं एक ही भाई है ना।


भूमि:- बस भी कर आई, मासी तुम भी चुप हो जाओ। हमने मामा का प्रॉब्लम सैटल कर दिया है। अच्छा अब तुम सब सुनो, मै आर्य को ले जा रही हूं।


मीनाक्षी:- जा ले जा, मेरी बहन है ना यहां। सुनो जी केशव बाबू का ट्रांसफर नागपुर करवाओ। ये लोग अपने परिवार से बहुत दिन दूर रह लिये।


सुकेश:- जी हो जाएगा, और कोई हुकुम।


मीनाक्षी:- नहीं और कोई हुक्म नहीं।


वैदेही:- आई, बाबा ने वो काम कल ही कर दिया था, बस कह रहे थे भूमि को नहीं बताने, वरना आर्य के मोह में ये मौसा जी का ट्रांसफर नहीं होने देंगी।


जया:- नाना हम यहां भी रहे तो भी आर्य भूमि के पास ही रहेगा, और जिला अध्यक्ष आवास यहां, दीदी के घर।


भूमि:- बच गई मासी, वरना नागपुर की जगह कोल्हापुर का ट्रांसफर लेटर आता।


सभा समाप्त होते ही हर कोई अपने अपने काम के लिए निकल गए। डॉक्टर ने भी आर्यमणि की रिकवरी को देखते हुए उसे कॉलेज जाने की अनुमति दे दी थी, इसलिए वो भी कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था, तभी उसके कमरे बाहर निशांत और चित्रा शोर मचाते हुए पार्टी, पार्टी चिल्लाने लगे। दोनो की जोश से भरी जोरदार आवाज सुनकर आर्यमणि हंसता हुआ बाहर आया।


चित्रा वेसल बजाती... "पार्टी–पार्टी".. और ठीक वैसे ही निशांत भी कान फाड़ वेसल बजाते... "पार्टी–पार्टी"


आर्यमणि, हंसते हुए.… "हां ले, लेना पार्टी, अब सिटी बजाना बंद भी करो"…


आर्यमणि की बात सुनकर, निशांत और चित्रा दोनो उसे घेरकर, उसके कानो में वेसल बजाते... "पार्टी–पार्टी"…


आर्यमणि:– अब क्या कान फाड़ोगे? ऐसे पार्टी–पार्टी चिल्लाओ नही... कहां, कब और कैसी पार्टी चाहिए...


चित्रा:– हमे ऐसी वैसी नही, एक यादगार एडवेंचरस पार्टी चाहिए...


निशांत:– हां चित्रा ने सही कहा...


भूमि, जो इनका शोरगुल कबसे सुन रही थी.… "वैसे मेरे विचार से रसिया के बोरियल जंगल में तुम लोग पार्टी ले सकते हो। आखिर आर्यमणि ने उस जंगल को पैदल पार किया था, चप्पे चप्पे से वाकिफ भी है और बेस्ट लोकेशन को जनता भी होगा।


भूमि अपनी बात कहकर मुस्कुराती हुई आर्यमणि को देखने लगी। मानो कह रही हो, तुम्हारी कहानी को एक बार हम भी तो क्रॉस चेक कर ले। आर्यमणि, भूमि के इस तिकरम पर हंसते हुए.… "जमा देने वाली ठंड का यदि मजा लेना चाहते हो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं। प्लान कर लो कब चलना है।"


निशांत और चित्रा दोनो अपने दोस्त के हाथ में अपना हाथ फसाकर.… "फिलहाल हम कॉलेज चलते हैं। भूमि दीदी आप करते रहो आर्य के बीते ४ साल को क्रॉस चेक, पार्टी तो हम अपने हिसाब से लेंगे। चले आर्य..."


दोनो भाई बहन एक लय से एक साथ अपनी बात कही और दोनो आर्यमणि के साथ कॉलेज के लिए निकल गये। इधर कल रात पलक इतनी थकी थी आकर सीधा अपने कमरे में गई और बिस्तर पर जाकर लेट गई। पलक के कानो में वो बात मिश्री की तरह घोल रही थी… "मैं सबको दिल से चाहता हूं और साथ में पलक को भी"… कितना गुदगुदाने वाला एहसास था। रात भर गुदगुदाते ख्याल आते रहे। कॉलेज का मामला पहले से ही सैटल, ऊपर से आर्यमणि ने वादे के मुताबिक बिना दोनो के बारे में जाहिर किये रिश्ता भी तय करवा दिया। अब ना जाने तब क्या होगा जब वो दोनो अकेले में होंगे।


खैर, सुबह का वक़्त था। आर्यमणि, चित्रा और निशांत के साथ कॉलेज पहुंचा। उन दोनो को विदा कर आर्यमणि, रूही को मैसेज करके लैब बुला लिया। रूही जल्दी से लैब पहुंची और आते ही अपना टॉप निकाल दी। आर्यमणि, उसके हाव–भाव देखकर.… "जलते तवे पर बैठी हो क्या, जो कपड़े भी काटने दौड़ रहे।"


रूही:- अभी अंदर का जानवर हावी है जो मुझसे चिंखकर कह रहा.… "कौन सा जानवर कपड़े पहन कर घूमता है बताओ।"


आर्यमणि:- टॉप पहन लो। मुझे अभी सेक्स में इंट्रेस्ट नहीं, बल्कि सवालों के जबाव में इंट्रेस्ट है।


रूही:- वो तो हर धक्के के साथ भी अपना सवाल दाग सकते हो आर्य।


आर्यमणि:- मै अपना पैक बनाने का इरादा छोड़ रहा हूं, तुम पैक में रही तो मुझे ही अपनी रानी से दूर होना पर जायेगा।


रूही:- ऐसे अकड़ते क्यों हो। तुम तो खुद से आओगे नहीं, इसलिए साफ-साफ बता दो कि कब मेरे अरमान पूरे करोगे..


आर्यमणि:- आज रात तुम्हारे घर में, तुम्हारे ही बिस्तर पर… अब खुश..


रूही:- ठीक है मै बिस्तर सजा कर रखूंगी। हां पूछो क्या पूछना है।


आर्यमणि:- अपने बाप को डूबता क्यों देखना चाहती हो।


आर्यमणि, रूही के साथ अपनी पहली मुलाकात को ध्यान में रखकर बात शुरू किया, जब उसने जंगलों में रूही की जान किसी दूसरे पैक के वेयरवुल्फ से बचाया था.…


रूही:- तुम अनजानों की तरह सवाल ना करो। सरदार खान मुझे मारकर अपनी ताकत बढ़ाय, उस से पहले मै उसे मारकर अल्फा बन जाऊंगी।


आर्यमणि:- सरदार खान को मारकर तुम अल्फा नहीं फर्स्ट अल्फा बनोगी। इसका मतलब उस रात तुम पर 2 अल्फा ने हमला किया था ना?


रूही:- हां लेकिन 2 अलग-अलग मामले मे तुम कौन सा संबंध ढूंढ रहे?


आर्यमणि:- तुम्हारी दूरदर्शिता को समझ रहा हूं। 2 अल्फा वेयरवुल्फ जब एक साथ हो, तब कोई वूल्फ पैक उसे हाथ नहीं लगा सकता। मै तो फिर भी अकेला था। जैसे ही मैंने उन दोनों को मारा, तुम समझ गई कि मैं एक फर्स्ट अल्फा हूं। एक फर्स्ट अल्फा दूसरा फर्स्ट अल्फा मार सकता है, तुमने यही सोचकर मुझपर जाल बिछा रही। ताकि मै और तुम्हारे बाबा भिड़े और जब वो कमजोर पर जाय तब तुम उसे मारकर उसकी जगह लेलो।"


रूही:- हां तो वो कोई संत है क्या? हर साल किसी ना किसी वूल्फ पैक के कई बीटा को खा जाता है। 20 वूल्फ पैक की पूरी बस्ती है, जिसमें केवल 6 वूल्फ पैक के पास अल्फा बचा है। वो तो 12 अल्फा को भी खा चुका है। तुम्हे क्या पता वो क्या है.. वो एक बीस्ट से कम नहीं है आर्य। उसकी ताकत अद्भुत है। वो अकेला चाह ले तो बस्ती क पूरे पैक को खत्म कर सकता है। कमीना साला, हवस और बदन नोचने के मामले में भी वो जानवर है। वो अपनी बस्ती में कहीं भी, किसी के साथ भी संभोग कर सकता है। अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बच्चा पैदा करता है, ना की उसे अपने बच्चों से कोई इमोशन है।


आर्यमणि:- तुम्हे एक अल्फा बनना है, या तुम्हे फर्स्ट अल्फा बनना है, ये बताओ?


रूही:- मुझे नॉर्मल होना है, बिल्कुल सामान्य इंसानों की तरह। घूट गई हूं मै अपनी ज़िंदगी से।


आर्यमणि:- बंदिश खोल दूं तो क्या तुम ये हवाई अवतार छोड़ दोगी।


रूही:- तुम्हरे आज रात के वो मेरे बिस्तर में पूरे मज़े के सेशन के बाद… जान बचाने का शुक्रिया तो कह दूं तुम्हे।


आर्यमणि:- ब्लड ओथ लो फिर, आज अपने पैक का काम शुरू करते है।


रूही:- क्यों झुटी आस दिला रहे हो। क्या तुम वाकई में मेरे साथ पैक बनाना चाहते हो?


आर्यमणि:– जब यकीन ही नहीं फिर बात खत्म करो। जाओ यहां से...


रूही, झटपट आर्यमणि के पाऊं को पकड़कर रोकती.… "क्या अकडू हो बॉस। हां मुझे यकीन है। मैं तो बस एक और बार सुनिश्चित करना चाहती थी की आप हो क्या? अभी खुद मुंह से कबूल किये कि फर्स्ट अल्फा हो जो की हो नही क्योंकि नरभक्षी और खून पीने की प्रवृत्ति तो क्या आप के वुल्फ होने के निशान दूर–दूर तक नही दिखते। फिर वुल्फ नही हो तो एक वुल्फ के साथ पैक क्यों बना रहे? हो क्या आप.. बस यही सुनिश्चित करना चाह रही हूं...

आर्यमणि:– ज्यादा सुनिश्चित के चक्कर में रहोगी तब यही हाल होना है। वक्त आने पर शायद तुम्हे पता चल जाए की मैं क्या हूं। फिलहाल फर्स्ट अल्फा ही रहने दो जो एक अल्फा का आसानी से शिकार कर लेता है। अब काम की बात कर ले। तो क्या तुम पैक में सामिल होने के लिए तैयार हो?


रूही:– बॉस क्या मैं पैक में सामिल हुई तो तुम मुझे टैटू बाना दोगे?


वेयरवुल्फ के लिए टैटू बनाना टेढ़ी खीर होती है। वुल्फ पैक का मुखिया जिसके ब्लड ओथ से पैक बना, वो टैटू का निशान दे सकता है। इसके अलावा 1 बीटा को 1 हाफ अल्फा टैटू के निशान दे सकता था। एक हॉफ अल्फा को 1 अल्फा और 1 अल्फा को फर्स्ट अल्फा टैटू का निशान दे सकते थे। वरना वेयरवोल्फ शरीर पर टैटू के निशान नहीं दिया जा सकता क्योंकि वेयरवोल्फ बहुत तेजी के साथ हील होते हैं और हील होने के बाद निशान नहीं रहता। किसी की हड्डियां तोड़ने में भी यही दूसरी सीरीज चलती है। किसी भी वेयरवुल्फ का शरीर काफी तेजी से हिल करता है। लेकिन एक पायदान ऊपर के वेयरवुल्फ का तोड़ा हील नहीं होता उसे फिर सामान्य इंसानों के तरह मेडिकल प्रोसीजर करना पड़ता है।


आर्यमणि, रूही की जिज्ञासा देखकर हंसते हुए.… "हां बनवा लेना टैटू, बस ज्यादा पेंचीदा टैटू मत कहना बनाने के लिए।"


रूही:- एक बैंड टैटू लेफ्ट हैंड में। एक हार्ट बीट कम करने वाला टैटू जो मुखिया देता है अपने बीटा को। एक अपने पैक का टैटू और एक रिचुअल टैटू।


आर्यमणि:- बस इतना ही। नाना और भी बता दो। एक काम करता हूं, पीठ पर पूरी दुनिया का नक्शा ही बना देता हूं।


रूही:- अब जब टैटू बना ही रहे रहे हो तो इतना कर दो ना, प्लीज…


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है आज रात जब मै आऊंगा तब ये टैटू का काम कर दूंगा। अब मुझे ये बताओ, उस रात बीस्ट पैक (सरदार खान का वुल्फ पैक) से कौन सा दूसरा वूल्फ पैक पंगे करने आया था?


रूही:- उस रात जंगल में मुझपर भी अचानक हमला हुआ था। एक भटका हुआ पैक जो सरदार खान से क्षेत्र के लिए लड़ने आया है। 30 वुल्फ का पैक है और ट्विन अल्फा मुखिया।


रूही जो बता रही थी वो एक प्रतिद्वंदी पैक था, जो सरदार खान के पैक पर हमला करने आया था। वूल्फ पैक के बीच ये लड़ाई आम बात होती है जहां एक वूल्फ पैक दूसरे वूल्फ पैक के इलाके में अपना निशान छोड़ते है। उन्हे लड़ने के लिए चैलेंज करते हैं।
Wah ab kahani dhar pe a rhi hai. Mazedar update nain bhai action ki ummid dikha rha hai.
 

Parthh123

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भाग:–25

Ahhh annant krerti ki kitab jiske liye arya ne mausa ji ka gupt darwaza khol diya tha. But shantaram with 15-20 gunner wah raula hai launde ka. Hahhaahhahaha. Sukesh bhardwaj lgta hai smjh gye ki arya kisi chakkar me hai tabhi lekar gye us jgh jaha 25 year ke pagle kisi ko na le gye. Book ka clr change hona aur arya ka mana krna aage updates me clear kr dijiyega nain bhai. Thanku mast update ke liye.



आर्यमणि वहां पहुंचकर नीचे बोर्ड पर अपना लात मारा और सभी स्विच एक साथ ऑन कर दिया। जैसे ही स्विच ऑन हुआ कुछ हल्की सी आवाज हुई।… "कमाल का सिविल इंजीनियरिंग है मौसा जी, स्विच कहीं है और दरवाजा कहीं और।" लेकिन इससे पहल की आर्यमणि उस गुप्त दरवाजे तक पहुंच पता, शांताराम के साथ कुछ हथियारबंद लोग अंदर हॉल में प्रवेश कर चुके थे।


इधर आवाज आना सुरु हुआ और पीछे से आ रही बू से आर्यमणि समझ चुका था कि वहां कुछ लोग पहुंच चुके है। लेकिन आर्यमणि सबको अनदेखा कर अपने काम में लगा रहा… "आर्य यहां क्या कर रहे हो।".... पीछे से नौकर शांताराम की आवाज आयि।


आर्यमणि:- सब लोग चले गए है काका और मै बिस्तर पर परे–परे उब गया हूं, शॉकेट से वायर निकाल रहा हूं, ये टीवी मुझे ऊपर के कमरे में चाहिए।


आर्यमणि बिना पीछे पल्टे जवाब दिया। तभी बहुत से लोगों में से किसी एक ने… "आप रहने दीजिए सर, मै नया टीवी मंगवा देता हूं।"… उसकी आवाज़ पर आर्यमणि पीछे पलट गया। आंखों के सामने कई गार्ड खड़े थे। सभी वर्दी में और अत्यआधुनिक हथियारों से लैस...…. "ये सब क्या है काका। इतने हथियारबंद लोग घर के अंदर।"..


शांताराम:- उन्हें लगा घर में कोई चोर घुस आया है, इसलिए ये लोग आ गये।


आर्यमणि:- हम्मम ! माफ कीजिएगा, मुझे इस घर के बारे में पता नहीं था। और हां टीवी रहने दीजिएगा, मै मासी को बोलकर मंगवा लूंगा।


आर्यमणि अपनी बात कहकर वहां से अपने कमरे में निकल गया। बिस्तर पर लेटकर वो अभी हुई घटना पर ध्यान देने लगा। नीचे लगे बोर्ड को ठोका और बड़ी ही धीमी आवाज़ जो मौसा–मासी के ठीक बाजू वाले कमरे से आयी। किताब घर से यह आवाज़ आयी थी।… "मंजिल तो यहीं है बस मंजिल की जाभी के बारे में ज्ञान नहीं। मौसा जी और तेजस दादा के करीब जाना होगा। हम्मम ! मतलब दोनो को कुछ काम का बताना होगा। इन्हे कुछ खास यकीन दिलाना होगा।"


आर्यमणि अपने सोच में डूबा हुआ था, तभी फिर से फोन की रिंग बजी, दूसरी ओर से मीनाक्षी थी। आर्यमणि ने जैसे ही फोन उठाया…. "तुझे टीवी चाहिए क्या आर्य।"..


आर्यमणि:- हद है टीवी वाली बात आपको भी बता दिया ये लोग। नहीं मासी मुझे नहीं चाहिए टीवी, दीदी से मेरी बात करवाओ।


भूमि:- क्या हुआ आर्य..


आर्यमणि:- दीदी यहां रहना मुझे कन्फ्यूजन सा लग रहा है। मै आपके साथ ही रहूंगा।


मीनाक्षी:- मै यही हूं और फोन स्पीकर पर है, मै भी सुन रही हूं।


भूमि:- आई रुको अभी। आर्य तू मेरे साथ ही रहना बस जरा अपनी सिचुएशन एक्सप्लेन कर दे, वरना मेरी आई को खाना नहीं पचेगा।


आर्यमणि:- मैं गहन सोच में था। मुझे लगा मैंने रीछ स्त्री और उसके साथी का लगभग पता लगा ही लिया। मेरे दादा अक्सर कहते थे, "बारीकियों पर यदि गौर किया जाय, फिर किसी भी सिद्धि के स्रोत का पता लगाया जा सकता है। सिद्धियां द्वारा बांधना या मुक्त करना उनका भी पता लगाया जा सकता है।" और जानती हो दीदी अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने एक ऐसी पुस्तक को खोल डाली जो आम इंसान नही खोल पाये। बस इसी तर्ज पर मैंने रीछ स्त्री के मुक्त करने की पूरी सिद्धि पर ध्यान दिया। बहुत सारे तर्क दिमाग में थे और मैं किसी नतीजे पर पहुंचना चाहता था। लेकिन नतीजे पर पहुंचने से पहले मुझे अपने दिमाग में चल रहे सभी बातों को बिलकुल साफ करना था। ध्यान भटकाने के लिए मैंने सोचा क्यों न आराम से शाम तक टीवी देखा जाये।

बस यही सोचकर हॉल से टीवी निकालकर अपने कमरे में शिफ्ट कर रहा था, तभी 10-15 हथियारबंद लोग आ गए। फिर उन्ही में से एक कहता है मै नई टीवी ला देता हूं। उसे मैने साफ कह दिया की मुझे कुछ भी मंगवाना हो तो वो मैं मासी से मंगवा लूंगा। और देखो इतना कहने के बावजूद भी 5 मिनट बाद मासी का कॉल आ गया। एक टीवी के लिए मै पुरा शर्मिंदा महसूस करने लगा। दीदी तुम ही बताओ मुझे कैसा लगना चाहिए?


सुकेश:- बस रे लड़के। ये सब मेरी गलती है। मै आकर बात करता हूं, और मुझे पता है तुम मेरे यहां वैसे भी नहीं रहेने वाले थे, रहोगे तो भूमि के पास ही। टीवी नहीं तो किसी और बहाने से, नहीं तो किसी और बहाने से।


आर्यमणि:- सॉरी मौसा जी।


जया:- इसका यही तो है बस सॉरी बोलकर बात खत्म करो। ये नहीं को मौसा से अच्छे से बात कर ले।


आर्य:- मौसा ने क्या गलत कहा है, सही ही तो कह रहे है। मेरा दिल कह रहा है कि मै दीदी के पास रहूं। अभी टीवी का इश्यू दिखा तो अपने आप बढ़ गया। कल को हो सकता है कोई और इश्यू हो। अब वो सही कह रहे है तो उसपर मै क्या झूठ कह दू, जबकि समझ वो सारी बात रहे है। मां अब ये दोबारा दिल रखने वाली बात मत करना। मै आप सब को दिल से चाहता हूं, हां साथ में पलक को भी। बस मुझ से ये दिल रखने वाली बातो को उम्मीद नहीं रखो, और ना ही मै अपनी बात से किसी का दिल तोड़ूंगा।


मीनाक्षी:- तेरे तो अभी से लक्षण दिख रहे है।


आर्य:- मै फोन रखता हूं। सब लोग आ जाओ फिर बातें होंगी।


मीनाक्षी:- देखा जया, उसे लग गया कि खिंचाई होगी तो फोन रख दिया। क्यों पलक सुनी ना की दोबारा सुना दूं, उसके दिल का हाल।


पलक बेचारी, पूरे परिवार के सामने पानी–पानी हो गई। लेकिन साथ ही साथ दिल में गुदगुदी सी भी होने लगी थी। सभी लोग शाम के 8 बजे तक लौट आए थे। आज काफी मस्ती हुई। आकर सभी लोग हॉल में ही बैठ गए। कहने को यहां थे तो 3 परिवार थे, लेकिन सबसे छोटा भाई अरुण और उसका पूरा परिवार लगभग कटा ही था। क्योंकि बच्चो को किसी भी भाई–बहन से मतलब नहीं था, अरुण और उसकी पत्नी प्रीति का छल उसके चेहरे से नजर आता था। बावजूद इसके कि उस वक़्त शादी से पहले जया क्यों भागी थी ये बात सामने आने के बाद भी, अरुण ने ऐसा रिएक्ट किया जैसे हो गया हमे क्या करना। जबकि इसी बात को लेकर जो उसने एक बार रिश्ता तोड़ा था फिर तो एक दूसरे को तब देख पाये जब फेसबुक का प्रसार हुआ था।


अगली सुबह सुकेश, भूमि, तेजस और आर्यमणि को अपने साथ लिया और किताब वाले घर में चला आया…. "बाबा, आप आर्य को अंदर ले जाने वाले हो।"..


सवाल की गहराई को समझते हुए सुकेश कहने लगा… "हां शायद। मुझे लगता है चीजें जितनी पारदर्शी रहे उतना ही अच्छा होगा। आर्य वैसे भी है तो परिवार ही।"..


तेजस:- लेकिन बाबा क्या वो चीजों को समझ पाएगा?


सुकेश:- जब मैंने फैसला कर लिया है तो कुछ सोच–समझकर ही किया होगा। और आज से आर्य तुम दोनो का उत्तरदायित्व है, जैसे मैंने तुम्हे चीजें समझाई है, तुम दोनो आर्य को समझाओगे।


आर्यमणि:- क्या कुछ ऐसा है जो मुझे नहीं जानना चाहिए था मौसा जी। या कल अंजाने में मैंने आपका दिल दुखा दिया।


सुकेश:- ज्ञान का प्रसार जितने लोगों में हो अच्छा होता है। बस बात ये है कि तुमसे जिस कार्य को सम्पन्न करवाना चाहते हैं, उसके लिए हमने 25 साल की आयु निर्धारित की है। वो भी केवल प्रहरी समूह के सदस्य के लिए। पहली बार किसी घर के सदस्य को वो चीजें दिखा रहे है।


आर्यमणि:- मौसा जी फिर ये मुझे नहीं देखना है। बाद में आप मुझे प्रहरी सभा में सामिल होने कहोगे और वो मैं नही कर सकता...


तेजस:- मेरी अनुपस्थिति में मेरा प्रतिनिधित्व तो करने जा सकते हो ना। भूमि के साथ खड़े तो हो सकते हो ना। पलक जब अपना जौहर दिखा रही होगी तो उसकी मदद कर सकते हो ना। चित्रा और निशांत के लिए खड़े तो रह सकते हो ना।


आर्यमणि:- सकते वाला तो बात ही नहीं है दादा, मै ही सबसे आगे खड़ा रहूंगा। मै लेकिन प्रहरी समूह का हिस्सा नहीं हूं, बस ये बात मै अभी से साफ कर रहा हूं।


सुकेश:- हम जानते है ये बात। जया और केशव का भी यही मत है, इसलिए उसने तुम्हे कभी प्रहरी समूह के बारे में नहीं बताया और ना ही उसके और हमरे बीच क्या बातें होती थी वो बताया होगा।


सभी लाइब्रेरी में थे। इनकी बातें चल रही थी। इसी बीच दीवार के किनारे से एक गुप्त दरवाजा खुल गया। अंदर का गुप्त कमरा तो वाकई काफी रहस्यमय था। पीछे एक पूरी लाइब्रेरी थी लेकिन इस गुप्त कमरे में भी कई सारी पुस्तक थी। दीवार पर कई सीसे के सेल्फ बने थे, जिसमे कई तरह की वस्तु थी। आर्यमणि उन वस्तुओं का प्रयोग नही जानता था, लेकिन सभी वस्तुओं में कुछ तो खास था। एक सेल्फ के अंदर एक लंबी सी छड़ी थी। ऐसा लग रहा था, मानो किसी जादूगर की छड़ी हो, जिसे दंश कहते थे।आर्यमणि जिज्ञासावश उस सेल्फ को हाथ लगा लिया।


उसने जैसे ही सेल्फ को छुआ, तेज सायरन बजने लगा। आगे चल रहे सुकेश ने पीछे मुड़कर देखा और तेजस को अपनी नजरों से कुछ समझाया। चंद सेकेंड तक अलार्म बजने के बाद बंद हो गया और तेजस उस शेल्फ के पास पहुंचते.…. "ये किसी महान ऋषि का दंश था। वह जब मरने लगे तब उन्होंने इसे प्रहरी समुदाय को सौंप दिया था, ताकि कोई गलत इस्तमाल न कर सके। तब से यह दंश प्रहरी के कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है?"..


आर्यमणि:– वाउ!!! एक असली पौराणिक वस्तु, जिसे मंत्रों से सिद्ध किया गया है। क्या मैं इसे देख सकता हूं?


तेजस:– नही, इसे कोई हाथ नहीं लगा सकता...


आर्यमणि:– क्या बात कर रहे? क्या मौसा जी भी नही?


तेजस:– कोई नही, मतलब कोई नही...


आर्यमणि:– यदि कोई इसे चुरा ले, या फिर जबरदस्ती हाथ लगाने की कोशिश करे...


तेजस:– ऐसा कभी नहीं हो सकता...


आर्यमणि:– लेकिन फिर भी... यदि ऐसा हुआ तो?


सुकेश, थोड़ा गंभीर आवाज में.… "तेजस ने कहा न... ऐसा हो ही नही सकता... जो बात होगी ही नही उसमे दिमाग लगाने का कोई अर्थ नहीं... हमे ऊपर चलना चाहिए.…


सुकेश ने सबको आगे किया और खुद पीछे–पीछे चलने लगा। लाइब्रेरी के पीछे कमरा और कमरे के अंत में एक घुमावदार सीढ़ी जो ऊपर के ओर जा रही थी। ऊपर के १४ फिट वाले कमरे के पीछे का जो 8 फिट का हिस्सा छिपा था, उसी का रास्ता। आर्यमणि के लिए ऊपर और भी आश्चर्य था। 6 कमरे के पीछे बना 8 फिट चौड़ा 90 फिट लंबा गुप्त हॉल। चारो ओर दीवार पर हथियार टंगे थे। चमचमाती रसियन, जर्मन और यूएस मेड अत्याधुनिक हथियार रखे थे। उसी के नीचे कई साइज के तलवार, भाला, बरछी, जंजीर और ना जाने क्या-क्या। कमरे की दीवार पर तरह-तरह के स्लोक लिखे हुए थे। आर्य चारो ओर का नजारा देखते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।


चलते-चलते दीदार उस पुस्तक के भी हुए जिसके आकर्षण में आर्यमणि नागपुर आया था। आर्यमणि सबके पीछे ही खड़ा था और उस पुस्तक को अपने पास होने का अनुभव कर रहा था। वो आगे बढ़कर जैसे ही उस पुस्तक को छूने के लिए अपना हाथ आगे बढाया… "नाह ! ऐसे नहीं। इसमें 25 अध्याय है और हर अध्याय को पढ़ने के लिए एक परीक्षा। कुल 25 परीक्षा देने होंगे तभी इस पुस्तक को हाथ लगा सकते हो, इसे पढ़ सकते हो। इसलिए तो इसके जानने की आयु भी हमने 25 वर्ष रखी है।"… शुकेश मुस्कुराते हुए पुस्तक खोलने की विधि का वर्णन करने लगा...


आर्यमणि:- और वो 25 परीक्षाएं क्या है मौसा जी?


सुकेश:- 25 अलग-अलग तरह के हथियारबंद लोगो से एक साथ लड़ना और जीत हासिल करना। लेकिन एक बात ध्यान रहे, लड़ाई के दौरान एक कतरा खून का बहना नहीं चाहिए।


आर्यमणि:- इस से अच्छा मै फिजिक्स, मैथमेटिक्स न पढ़ लूं। वैसे मौसा जी बिना परीक्षा दिए इस किताब को खोले तो..


सुकेश:- एक कोशिश करो, खोलकर दिखाओ इस पुस्तक को।


आर्यमणि आगे बढ़कर किताब के ऊपर ऐसे हाथ फेरा जैसे किसी मासूम बच्चे के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हो। हाथ लगने से ही किताब का रंग बदलना शुरू हो गया। ऊपर का जो काला कवर था वो बदलकर हरे रंग का हो गया और कुछ अजीब सा लिखा आ रहा था।


सुकेश आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखते हुए..… "तुमने अभी क्या किया?"


आर्यमणि:- केवल स्पर्श ही तो किया है, आप भी तो यहीं हो।


सुकेश:- किताब तुम्हारे स्पर्श को पहचानती हुई कह रही है, धन्यवाद जो तुम यहां तक पहुंचे, अपने लक्ष्य में कामयाब हो। किताब तुमसे खुश है।


आर्यमणि:- खुश होती तो खुल ना जाती। मुझे तो आप पर शक होता है कि आप कोई सॉलिड जादूगर हो।


सुकेश:- और तू ये क्यों बोल रहा है?


आर्यमणि:- क्योंकि आपने जो अभी किताब के साथ किया वो अद्भुत है। खैर जो भी हो यहां तक लाने का शुक्रिया। मेरी इंजिनियरिंग की बुक ही सही है, मै वही पढूंगा। हर 6 महीने में अपना एग्जाम दूंगा और कोशिश करूंगा किसी विषय में बैक ना लगे।


भूमि:- बाबा चिंता मत करो, इसे मै तैयार करूंगी।


आर्यमणि:- 25 लोग और 25 तरह के हथियार, दीदी मै तो सहिद ही हो जाऊंगा।


भूमि:- बात शहीद की नहीं बल्कि आनंत कीर्ति की है। बाकी मै हूं ना। चलो नीचे चला जाए। आर्य मेरे साथ रहना, मै चाहती हूं यदि मै कहीं भटकूं तो तुम मुझे संभालना।


आर्यमणि:- ठीक है दीदी।


भूमि और आर्यमणि सीधा पहुंचे गेस्ट रूम में, जहां मामा का परिवार रुका हुआ था। गेस्ट रूम का क्या नजारा था। भूमि और आर्यमणि एक ओर दरवाजे के बाहर देख रहे थे जहां हॉल में उसका पूरा परिवार बैठा था। नौकरों की कोई कमी नहीं फिर भी एक बहु अपने हाथ से चाय दे रही थी। बच्चे कभी अपने इस दादी तो कभी अपने उस दादी, तो कभी अपने दादा। जिसके साथ मन हुआ उसके साथ खेल रहे थे। अंदर मामा की फैमिली थी। मामा कुर्सी पर बैठकर मोबाइल चला रहे थे। मामी उसके बाजू में बैठकर मोबाइल चला रही थी। ममेरा भाई–बहन बिस्तर के दोनो किनारे पर लेटकर मोबाइल चला रहे थे। सभी मोबाइल चलाने में इतने मशगूल थे कि होश ही नहीं कमरे में कोई आया है।


भूमि:- वंश, नीर तुम दोनो बाहर जाओ। हमे कुछ जरूरी बात डिस्कस करनी है।


अरुण:- नहीं तुम रहने दो, हम अभी जाकर दीदी से ही डिस्कस कर लेते है।


भूमि:- कोई बात नहीं है मामा जी, जैसा आप ठीक समझे।


भूमि, आर्यमणि के साथ हॉल में चली आयी और पीछे-पीछे मामा और मामी भी.. अरुण, सुकेश के पास खड़ा होकर.… "बड़े जीजाजी, बड़ी दीदी आपसे कुछ बात करनी थी।"


सुकेश:- हां अरुण कहो ना।


अरुण:- जीजाजी वो मै बिजनेस में कहीं फंस गया हूं, आलम यें है कि यदि जल्द से जल्द मैटर सॉल्व नहीं किया तो हम सड़क पर आ जाएंगे।


सुकेश:- हम्मम ! कितने पैसे की जरूरत है।


इस से पहले की अरुण कुछ कहता, जया की भावना फूट पड़ी। अनायास ही उसके मुख से निकल गया.… "अरुण तू कितना स्वार्थी हो गया रे।"


अरुण, चिढ़ते हुए एक बार जया को देखा, इसी बीच उसकी पत्नी कहने लगी… "मुझे तो पहले से पता था कि हम रोड पर भी आ जाए तो भी ये हमारी मदद नहीं करेंगे। जान बूझकर हमे यहां अटकाकर रखे है।"..
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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Sectional Moderator
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भाग:–26





अरुण, चिढ़ते हुए एक बार जया को देखा, इसी बीच उसकी पत्नी कहने लगी… "मुझे तो पहले से पता था कि हम रोड पर भी आ जाए तो भी ये हमारी मदद नहीं करेंगे। जान बूझकर हमे यहां अटकाकर रखे है।"..


सुकेश:- जया ने अपने भाई से कुछ कहा है, इसमें इतना आवेश में आने की क्या जरूरत है। तुम लोगों ने भी तो जया को बेवजह बहुत कुछ सुनाया था। इतने सालों के रिश्ते में तुम्हे हमारी तब याद आयि जब पैसों की जरूरत हुई। जया का सच सामने आने के बाद भी एक जरा शर्म आई, जो झूठे मुंह माफी ही मांग लेते... भूमि सुनो...


भूमि:- हां बाबा..


अरुण:- जीजाजी क्या है ये पुरा घर का संचालन बेटी के हाथ में दे दिए हो।


वैदेही:- मामाजी हमने पुरा घर का संचालन भूमि के हाथ में नहीं दिया है बल्कि घर में अलग-अलग मामलों के लिए अलग-अलग लोग है।


भूमि:- छोड़ो ना भाभी। बाबा मैंने पता किया है मामाजी ने हर किसी से गलत डील किया है, जिस कारण फसे है। जिस मॉल के केस में ये उलझे है, ठीक उसी वक़्त इन्होंने अपना लगभग पैसा..


भूमि अपनी बात कह ही रही थी ठीक उसी वक़्त आर्यमणि भूमि के कान में कुछ कहा। कुछ शब्द एक दूसरे से कहे गए और उसके बाद… "आपको कितने पैसे चाहिए मामा जी।"..


अरुण:- 500 करोड़।


सुकेश:– 500 करोड़... एक बार जरा फिर से कहना...

प्रीति:– इन्होंने 500 करोड़ कहा...

सुकेश:– इतने सालों बाद हमारे घर आये। चलो मान लिया की भूमि और तेजस बड़े हो गये है, लेकिन घर में तेजस के बच्चे तो है। उनके लिए तो 5 रुपए की टॉफी तक नही लाये, और हमसे 500 करोड़ की उम्मीद रखे हो। जया ने तुम्हे स्वार्थी कहा है तो कुछ गलत नही कहा...

अरुण:- जीजाजी 500 करोड़ कोई बहुत बड़ी रकम नहीं आपके लिए। धंधे में कहीं फसा हूं इसलिए परेशान हूं। और यही वजह है कि इस वक्त मुझे कुछ सूझ नही रहा, वरना मैं अपने भांजे के बच्चों के लिए कुछ न करता। वैदेही के लिए कुछ न लेकर आता। यदि आप मेरी परिस्थिति को सोचते तो बच्चों की बात बीच में न लाते। चलो प्रीति तुम सही कही थी, हमारा दिन बर्बाद किया।


भूमि:- मामाजी पैसे और परिवार को अलग ही रखो तो अच्छा है। 5 करोड़ या 10 करोड़ नहीं आप मांग रहे है कि किसी तरह अरेंज करके से दिए जाए।


प्रीति:- 700 करोड़ का शॉपिंग मॉल तो अपनी दूर की चहेती बहन नम्रता को गिफ्ट कर आयी हो और तुम हमे ऐसी बात कह रही।


भूमि:- हां मै वहीं कल्चर आगे बढ़ा रही हूं जिस कल्चर में मै पली हूं। काका (उज्जवल भारद्वाज) ने जब मुझे अपना उतराधिकारी बनाया था तब उन्होंने नागपुर के बीचोबीच पुरा जमीन का टुकड़ा और साथ ने 180 करोड़ कैश गिफ्ट किए थे। ताली एक हाथ से नहीं बजती मामीजी।


अरुण:- अच्छा ऐसी बात है क्या? यदि मेरी जगह जया दीदी का बेटा होता फिर भी तुम लोग ऐसी ही बातें करते क्या?


मीनाक्षी:- तू घर का सदस्य होता तो जया का बेटा नही बल्कि आर्य कहता। और दिया तो तुझे भी है, लेकिन तेरे आंख में पानी नहीं है। बांद्रा में बाबा ने मेरे और जया के नाम से जो प्लॉट लिया था उसे तुझे ही दी, ना की आर्य को दे दी। भूमि बांद्रा में 10000 स्क्वेयर फीट जगह की कीमत क्या होगी बताओ जरा।


भूमि:- आई मुंह मांगी कीमत। कम से कम हजार करोड़ तो दे ही देंगे।


मीनाक्षी:- अब बोल अरुण। तूने तो हमसे रिश्ता तोड़ लिया था तब भी तेरे एक बुलाए पर हम दोनों बहन पहुंची थी रजिस्ट्रेशन करवाने। यहां आर्य का लगन तय कर दिया, तूने तो होने वाली बहू को आशीर्वाद तक नहीं दिया। तुझे देते रहे तो ठीक है, दूसरों को कुछ दे तो तेरे आंख में खटकता है कि ये धन दूसरे को क्यों दे रही मुझे ही दे दे। भूमि ये स्वार्थी सबके बीच आया है मदद मांगने, जानती हूं ये बेईमान है, लेकिन फिर भी का इसकी मदद कर दे।


भूमि:- ठीक है इनसे कह दो भाऊ से जाकर मिल लेंगे। लेकिन भाऊ के साथ डील में गड़बड़ होगी, तो ये जाने और इनका काम।


मीनाक्षी:- सुन लिया ना तुम दोनो मिया बीवी ने।


अरुण:- जी सुन लिया। कम से कम 5 साल का वक़्त बोलना देने, ताकि मै सब सैटल कर सकूं।


सुकेश:- जब इतना कर रहे है तो ये भी कर लेंगे। अरुण दोबारा फिर कभी अपने उलझे मामले लेकर मत आना, परिवार से मिलने आना।


अरुण:- जी जीजाजी। अब हम चलते है, सारा काम हमारा रुका हुआ है।


सुकेश:- ठीक है जाओ।


अरुण के जाते ही मीनाक्षी और जया, दोनो के आंखो में आंसू आ गए। सुकेश दोनो को चुप करवाते हुए… "हर इंसान एक जैसा नहीं होता। शायद ये तुम दोनो के भाई कहलाने के लायक नहीं।"..


मीनाक्षी:- थैंक्स भूमि, क्या करूं एक ही भाई है ना।


भूमि:- बस भी कर आई, मासी तुम भी चुप हो जाओ। हमने मामा का प्रॉब्लम सैटल कर दिया है। अच्छा अब तुम सब सुनो, मै आर्य को ले जा रही हूं।


मीनाक्षी:- जा ले जा, मेरी बहन है ना यहां। सुनो जी केशव बाबू का ट्रांसफर नागपुर करवाओ। ये लोग अपने परिवार से बहुत दिन दूर रह लिये।


सुकेश:- जी हो जाएगा, और कोई हुकुम।


मीनाक्षी:- नहीं और कोई हुक्म नहीं।


वैदेही:- आई, बाबा ने वो काम कल ही कर दिया था, बस कह रहे थे भूमि को नहीं बताने, वरना आर्य के मोह में ये मौसा जी का ट्रांसफर नहीं होने देंगी।


जया:- नाना हम यहां भी रहे तो भी आर्य भूमि के पास ही रहेगा, और जिला अध्यक्ष आवास यहां, दीदी के घर।


भूमि:- बच गई मासी, वरना नागपुर की जगह कोल्हापुर का ट्रांसफर लेटर आता।


सभा समाप्त होते ही हर कोई अपने अपने काम के लिए निकल गए। डॉक्टर ने भी आर्यमणि की रिकवरी को देखते हुए उसे कॉलेज जाने की अनुमति दे दी थी, इसलिए वो भी कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था, तभी उसके कमरे बाहर निशांत और चित्रा शोर मचाते हुए पार्टी, पार्टी चिल्लाने लगे। दोनो की जोश से भरी जोरदार आवाज सुनकर आर्यमणि हंसता हुआ बाहर आया।


चित्रा वेसल बजाती... "पार्टी–पार्टी".. और ठीक वैसे ही निशांत भी कान फाड़ वेसल बजाते... "पार्टी–पार्टी"


आर्यमणि, हंसते हुए.… "हां ले, लेना पार्टी, अब सिटी बजाना बंद भी करो"…


आर्यमणि की बात सुनकर, निशांत और चित्रा दोनो उसे घेरकर, उसके कानो में वेसल बजाते... "पार्टी–पार्टी"…


आर्यमणि:– अब क्या कान फाड़ोगे? ऐसे पार्टी–पार्टी चिल्लाओ नही... कहां, कब और कैसी पार्टी चाहिए...


चित्रा:– हमे ऐसी वैसी नही, एक यादगार एडवेंचरस पार्टी चाहिए...


निशांत:– हां चित्रा ने सही कहा...


भूमि, जो इनका शोरगुल कबसे सुन रही थी.… "वैसे मेरे विचार से रसिया के बोरियल जंगल में तुम लोग पार्टी ले सकते हो। आखिर आर्यमणि ने उस जंगल को पैदल पार किया था, चप्पे चप्पे से वाकिफ भी है और बेस्ट लोकेशन को जनता भी होगा।


भूमि अपनी बात कहकर मुस्कुराती हुई आर्यमणि को देखने लगी। मानो कह रही हो, तुम्हारी कहानी को एक बार हम भी तो क्रॉस चेक कर ले। आर्यमणि, भूमि के इस तिकरम पर हंसते हुए.… "जमा देने वाली ठंड का यदि मजा लेना चाहते हो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं। प्लान कर लो कब चलना है।"


निशांत और चित्रा दोनो अपने दोस्त के हाथ में अपना हाथ फसाकर.… "फिलहाल हम कॉलेज चलते हैं। भूमि दीदी आप करते रहो आर्य के बीते ४ साल को क्रॉस चेक, पार्टी तो हम अपने हिसाब से लेंगे। चले आर्य..."



दोनो भाई बहन एक लय से एक साथ अपनी बात कही और दोनो आर्यमणि के साथ कॉलेज के लिए निकल गये। इधर कल रात पलक इतनी थकी थी आकर सीधा अपने कमरे में गई और बिस्तर पर जाकर लेट गई। पलक के कानो में वो बात मिश्री की तरह घोल रही थी… "मैं सबको दिल से चाहता हूं और साथ में पलक को भी"… कितना गुदगुदाने वाला एहसास था। रात भर गुदगुदाते ख्याल आते रहे। कॉलेज का मामला पहले से ही सैटल, ऊपर से आर्यमणि ने वादे के मुताबिक बिना दोनो के बारे में जाहिर किये रिश्ता भी तय करवा दिया। अब ना जाने तब क्या होगा जब वो दोनो अकेले में होंगे।


खैर, सुबह का वक़्त था। आर्यमणि, चित्रा और निशांत के साथ कॉलेज पहुंचा। उन दोनो को विदा कर आर्यमणि, रूही को मैसेज करके लैब बुला लिया। रूही जल्दी से लैब पहुंची और आते ही अपना टॉप निकाल दी। आर्यमणि, उसके हाव–भाव देखकर.… "जलते तवे पर बैठी हो क्या, जो कपड़े भी काटने दौड़ रहे।"


रूही:- अभी अंदर का जानवर हावी है जो मुझसे चिंखकर कह रहा.… "कौन सा जानवर कपड़े पहन कर घूमता है बताओ।"


आर्यमणि:- टॉप पहन लो। मुझे अभी सेक्स में इंट्रेस्ट नहीं, बल्कि सवालों के जबाव में इंट्रेस्ट है।


रूही:- वो तो हर धक्के के साथ भी अपना सवाल दाग सकते हो आर्य।


आर्यमणि:- मै अपना पैक बनाने का इरादा छोड़ रहा हूं, तुम पैक में रही तो मुझे ही अपनी रानी से दूर होना पर जायेगा।


रूही:- ऐसे अकड़ते क्यों हो। तुम तो खुद से आओगे नहीं, इसलिए साफ-साफ बता दो कि कब मेरे अरमान पूरे करोगे..


आर्यमणि:- आज रात तुम्हारे घर में, तुम्हारे ही बिस्तर पर… अब खुश..


रूही:- ठीक है मै बिस्तर सजा कर रखूंगी। हां पूछो क्या पूछना है।


आर्यमणि:- अपने बाप को डूबता क्यों देखना चाहती हो।


आर्यमणि, रूही के साथ अपनी पहली मुलाकात को ध्यान में रखकर बात शुरू किया, जब उसने जंगलों में रूही की जान किसी दूसरे पैक के वेयरवुल्फ से बचाया था.…


रूही:- तुम अनजानों की तरह सवाल ना करो। सरदार खान मुझे मारकर अपनी ताकत बढ़ाय, उस से पहले मै उसे मारकर अल्फा बन जाऊंगी।


आर्यमणि:- सरदार खान को मारकर तुम अल्फा नहीं फर्स्ट अल्फा बनोगी। इसका मतलब उस रात तुम पर 2 अल्फा ने हमला किया था ना?


रूही:- हां लेकिन 2 अलग-अलग मामले मे तुम कौन सा संबंध ढूंढ रहे?


आर्यमणि:- तुम्हारी दूरदर्शिता को समझ रहा हूं। 2 अल्फा वेयरवुल्फ जब एक साथ हो, तब कोई वूल्फ पैक उसे हाथ नहीं लगा सकता। मै तो फिर भी अकेला था। जैसे ही मैंने उन दोनों को मारा, तुम समझ गई कि मैं एक फर्स्ट अल्फा हूं। एक फर्स्ट अल्फा दूसरा फर्स्ट अल्फा मार सकता है, तुमने यही सोचकर मुझपर जाल बिछा रही। ताकि मै और तुम्हारे बाबा भिड़े और जब वो कमजोर पर जाय तब तुम उसे मारकर उसकी जगह लेलो।"


रूही:- हां तो वो कोई संत है क्या? हर साल किसी ना किसी वूल्फ पैक के कई बीटा को खा जाता है। 20 वूल्फ पैक की पूरी बस्ती है, जिसमें केवल 6 वूल्फ पैक के पास अल्फा बचा है। वो तो 12 अल्फा को भी खा चुका है। तुम्हे क्या पता वो क्या है.. वो एक बीस्ट से कम नहीं है आर्य। उसकी ताकत अद्भुत है। वो अकेला चाह ले तो बस्ती क पूरे पैक को खत्म कर सकता है। कमीना साला, हवस और बदन नोचने के मामले में भी वो जानवर है। वो अपनी बस्ती में कहीं भी, किसी के साथ भी संभोग कर सकता है। अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बच्चा पैदा करता है, ना की उसे अपने बच्चों से कोई इमोशन है।


आर्यमणि:- तुम्हे एक अल्फा बनना है, या तुम्हे फर्स्ट अल्फा बनना है, ये बताओ?


रूही:- मुझे नॉर्मल होना है, बिल्कुल सामान्य इंसानों की तरह। घूट गई हूं मै अपनी ज़िंदगी से।


आर्यमणि:- बंदिश खोल दूं तो क्या तुम ये हवाई अवतार छोड़ दोगी।


रूही:- तुम्हरे आज रात के वो मेरे बिस्तर में पूरे मज़े के सेशन के बाद… जान बचाने का शुक्रिया तो कह दूं तुम्हे।


आर्यमणि:- ब्लड ओथ लो फिर, आज अपने पैक का काम शुरू करते है।


रूही:- क्यों झुटी आस दिला रहे हो। क्या तुम वाकई में मेरे साथ पैक बनाना चाहते हो?


आर्यमणि:– जब यकीन ही नहीं फिर बात खत्म करो। जाओ यहां से...


रूही, झटपट आर्यमणि के पाऊं को पकड़कर रोकती.… "क्या अकडू हो बॉस। हां मुझे यकीन है। मैं तो बस एक और बार सुनिश्चित करना चाहती थी की आप हो क्या? अभी खुद मुंह से कबूल किये कि फर्स्ट अल्फा हो जो की हो नही क्योंकि नरभक्षी और खून पीने की प्रवृत्ति तो क्या आप के वुल्फ होने के निशान दूर–दूर तक नही दिखते। फिर वुल्फ नही हो तो एक वुल्फ के साथ पैक क्यों बना रहे? हो क्या आप.. बस यही सुनिश्चित करना चाह रही हूं...

आर्यमणि:– ज्यादा सुनिश्चित के चक्कर में रहोगी तब यही हाल होना है। वक्त आने पर शायद तुम्हे पता चल जाए की मैं क्या हूं। फिलहाल फर्स्ट अल्फा ही रहने दो जो एक अल्फा का आसानी से शिकार कर लेता है। अब काम की बात कर ले। तो क्या तुम पैक में सामिल होने के लिए तैयार हो?



रूही:– बॉस क्या मैं पैक में सामिल हुई तो तुम मुझे टैटू बाना दोगे?


वेयरवुल्फ के लिए टैटू बनाना टेढ़ी खीर होती है। वुल्फ पैक का मुखिया जिसके ब्लड ओथ से पैक बना, वो टैटू का निशान दे सकता है। इसके अलावा 1 बीटा को 1 हाफ अल्फा टैटू के निशान दे सकता था। एक हॉफ अल्फा को 1 अल्फा और 1 अल्फा को फर्स्ट अल्फा टैटू का निशान दे सकते थे। वरना वेयरवोल्फ शरीर पर टैटू के निशान नहीं दिया जा सकता क्योंकि वेयरवोल्फ बहुत तेजी के साथ हील होते हैं और हील होने के बाद निशान नहीं रहता। किसी की हड्डियां तोड़ने में भी यही दूसरी सीरीज चलती है। किसी भी वेयरवुल्फ का शरीर काफी तेजी से हिल करता है। लेकिन एक पायदान ऊपर के वेयरवुल्फ का तोड़ा हील नहीं होता उसे फिर सामान्य इंसानों के तरह मेडिकल प्रोसीजर करना पड़ता है।


आर्यमणि, रूही की जिज्ञासा देखकर हंसते हुए.… "हां बनवा लेना टैटू, बस ज्यादा पेंचीदा टैटू मत कहना बनाने के लिए।"


रूही:- एक बैंड टैटू लेफ्ट हैंड में। एक हार्ट बीट कम करने वाला टैटू जो मुखिया देता है अपने बीटा को। एक अपने पैक का टैटू और एक रिचुअल टैटू।


आर्यमणि:- बस इतना ही। नाना और भी बता दो। एक काम करता हूं, पीठ पर पूरी दुनिया का नक्शा ही बना देता हूं।


रूही:- अब जब टैटू बना ही रहे रहे हो तो इतना कर दो ना, प्लीज…


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है आज रात जब मै आऊंगा तब ये टैटू का काम कर दूंगा। अब मुझे ये बताओ, उस रात बीस्ट पैक (सरदार खान का वुल्फ पैक) से कौन सा दूसरा वूल्फ पैक पंगे करने आया था?


रूही:- उस रात जंगल में मुझपर भी अचानक हमला हुआ था। एक भटका हुआ पैक जो सरदार खान से क्षेत्र के लिए लड़ने आया है। 30 वुल्फ का पैक है और ट्विन अल्फा मुखिया।


रूही जो बता रही थी वो एक प्रतिद्वंदी पैक था, जो सरदार खान के पैक पर हमला करने आया था। वूल्फ पैक के बीच ये लड़ाई आम बात होती है जहां एक वूल्फ पैक दूसरे वूल्फ पैक के इलाके में अपना निशान छोड़ते है। उन्हे लड़ने के लिए चैलेंज करते हैं।
Bahut hi acha Update nain11ster bhai. But ek baat mai kahunga aapke Update ko Bahut hi dhyan se read Krna padta hai warna kuch smjh me nahi aata hai sahi se. Aur ye arun ko paise dene wwali baat mujhe bhut khrab lagi aise logo ki help mere hisab se to kabhi nahi karni chahiye. Lakin mujhe ek hope ye bhi hai ki arya ne hi bhumi ko kaha hoga paise dene ko aur bhumi ne wajah puchi hogi jiske reply me arya ne jarur kuch aisa kaha hai jisase bhumi maan gayi hogi. In short arya ne koi plan banaya hai ab wo plan kya hai aur kab pata chlega uske bare me ye to aap hi bata skte ho.
Aur ye bhumi arya ke baat ko cross check jarur karegi lakin kab aur kaise wo bhi aap hi bata skte ho.
Aur ye Ruhi to such me bhut bada plan banaye baithi thi. Jiske bare me apne arya se kaise chupa rah skta hai. Lakin isase ek baat to confirm hai ki wolf me mujhe abhi tak pyar nahi dikha hai mujhe inme bas takat ke liye bukh hi dikhi hai. Batao kud ke logo ko hi berahmi se maar dalte hai. Lakin ye bhi insano se kam thodi na hai. Aur ye tattu aur blood oth aur iske bare me kuch sahi se smjh nahi aaya. Ho sake to sahi se iske bare me bata dijiye nain11ster bhai.
Baki Ruhi ko bhi arya par shak hai lakin wo shak karke bhi kya hi kar legi.dekhte hai aage kya hota hai.
Overall excellent Update bhai 👍
 
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पांच सौ करोड़ , सात सौ करोड़ की बातें तो ये ऐसे कर रहे है जैसे पांच सात लाख रुपए । बहुत ही अमीर खानदान है इन सभी का । और सुकेत भारद्वाज की फेमिली दानवीर कर्ण से कम भी नहीं है । गलतियों पर गलतियों के बावजूद मामा श्री को इस तरह से करोड़ों रुपए डोनेट कर दिए जैसे उन रूपयों पर उन्हीं का हक बनता था ।
जरा सा भी तमीज नहीं दिखाई दिया मामा श्री में । वैसे यह इंसान जन्मजात ही दुष्ट प्रवृत्ति का लगता है । जैसा बाप वैसा ही बीवी बच्चे । चारों को अलग अलग नहीं बल्कि एक साथ बैठकर मोबाइल पर पोर्न देखना चाहिए । जरूर उस वक्त ये सभी एडल्ट साइट ही मोबाइल पर खोले बैठे होंगे ।
पौराणिक और आम कहानियों में मामा श्री का किरदार हमेशा ही बदनाम रहा है ।

रहस्यमई किताब और उसके रहस्यमय नियम.... पच्चीस वर्ष... पच्चीस अध्याय.... पच्चीस लोगों से अकेले अलग हथियारों से युद्ध कर विजई होना । रहस्यमय का पिटारा लगता है यह ।
आर्य के स्पर्श मात्र से दंश का ध्वनि उच्चारण करना और किताब के रग का बदल जाना भी कोई कम रहस्यमय नहीं था ।
पता नहीं उन पच्चीस अध्यायों के खुलने के बाद और कितने रहस्यमय चीजें बाहर आयेंगी !

आर्य मणि खुद का एक ग्रुप बना रहे हैं और इसके लिए उसने सबसे पहले रूही को पसंद किया है ।
लगता तो यही है कि कोई ऐसी बड़ी शक्ति जरूर है जिससे पार पाना अकेले उनके वश का भी नहीं है ।
मुझे लग रहा है कि रूही की आरजू रात को अवश्य ही पुरी हो जायेगी । अगर खुद का पैक बनाना है तो आर्य को कहीं ना कहीं समझौता करना ही होगा ।

वैसे मुझे एक सवाल पुछना था नैन भाई !
भुमि सगाई के दो साल बाद शादी करी । लेकिन इन दो वर्षों में उसने दो तीन ब्वायफ्रेंड भी पाल रखे थे । कौन थे दोनों खुशनसीब कमीनें ? मुझे तो सोच सोच कर ही जलन हो रहा है । भुमि जैसी लड़की का ब्वायफ्रेंड होना किस्मत की बात थी ।
वो जब बेइमानों पर रहमदिल हो सकती है तो एक्स ब्वॉयफ्रेंड पर पता नहीं कितनी दरियादिली दिखा दे ! :D

दोनों अपडेट्स उम्मीद से भी अधिक शानदार थे नैन भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 

nain11ster

Prime
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जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update

Kamra to mil gaya par tab tak Bande bhi aye ab dekhte ktya hota hey
Jo bhi hoga dhamal hoga... Waise wo episode aa bhi gaya hai... Thanks for your support...
 
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Reactions: Tiger 786

nain11ster

Prime
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Bhai weekend aapke liye hai ,ham to abhi bhi kaam me baithe hai ,sunday bhi kaam me aayenge ...
Mujhe nahi maloom thi ye baat... Koi na jab fursat mile tab padhiyega... Magar padhiyega jaroor....
 
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