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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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nain11ster

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Bohot hi badiya update bhai jann superree duperrere

Badiya siar karware ho bhai jangal ki maja agya
Ab books mey se padke aryw ko ohh super pehri ko harwne ne ki tarkib mil jaye to badiya hey sab pari ko harane ke tor tarike to mja hi ayega
Abhi to 400 me 2 tarah ki kitab hi likhi hai... Ek sidhh purush ke maut ki dusra wo jalwayu wala... Shayad isme prahari ko marne wala koi kitab na ho... Lekin koi baat nahi .. pahle ek secret prahari ko maar'kar hum unhe marne ke live raaj jaan jayenge... Jyada mazedar hoga
 

nain11ster

Prime
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शानदार जबरदस्त लाजवाब update bhai jann superree duperrere update fabulous

Itna sona ke bat hey bhaya kaha se leke aya hey

Aur un bakso mey kya hi mil sakta hey arya ko ab dekhna padega
Likhne ke baad dil me yahi aaya .. 5-10 sikke screen se bistar par gir aaye.... :D.. khair dekhiye ye sona ab kya rang lata hai...
 

nain11ster

Prime
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आर्यमणि अपने पूरे अल्फा पैक के साथ विदेश यात्रा पर निकल चुका है। भारत से निकलकर, तंजानिया और नाइजीरिया से होते हुए, अल्फा पैक, मैक्सिको की तरफ बढ़ रहा है। भारत से निकले हुए इन सबको लगभग 35 दिन हो चुके हैं और इस अंतराल के दौरान अल्फा पैक के मध्य मौजूद लगाव की विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई हमें। रूही, ओजल और इवान, तीनों ही अल्फा हीलर फेहरीन की संतान हैं, ये चौंकाने वाला खुलासा था। इससे काफी हद तक स्पष्ट होता है की सीक्रेट बॉडी की वो “फर्स्ट लाइन” अथवा “अपेक्स सुपरनैचुरल” किस दर्जे के नीच हैं। साथ ही वो अराजकता भी सामने आई जो शिकारियों और वरवॉल्फ्स द्वारा समाज में फैलाई जा चुकी है।

रूही के साथ हुआ सामूहिक दुष्कर्म, जिसका कारण उसका अपना बाप था, अलबेली के साथ हुई दुष्कर्म की कोशिश, अलबेली की मां नवेली की दास्तां, ओजल और इवान की कहानी, और सबसे प्रमुख, फेहरीन जैसी सशक्त हीलर के साथ हुई दरिंदगी... काफी है बताने के लिए की क्यों सीक्रेट बॉडी केवल और केवल एक दर्दनाक मृत्यु के ही काबिल है। मीनाक्षी ने पिछले किसी अध्याय में कहा था कि वो आर्यमणि को बहुत चाहती है, परंतु उसे मारने से मिलने वाली जो खुशी होगी, उससे ही उनके जीवन का असल ज़ायका है! इसके बाद कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं, जरुरत है तो बस, आर्यमणि द्वारा इन सभी को इनका कर्मफल देने की!

ओजल, इवान, रूही और अलबेली, सभी का दुख समान है। मां की मृत्यु और ऐसा पिता, जिसे पिता कहने में भी शर्म आए, और ऊपर से अपनी छोटी सी ज़िंदगी में जो कुछ सहा है इन चारों ने.. ऐसे में इन चारों का एक – दूसरे के साथ और आर्यमणि के साथ भी, लगाव और जुड़ाव देखकर प्रसन्नता हुई। आपसी नोंक – झोंक और खींचतान केवल एक जरिया ही दिखाई पड़ती है उस गमों के चक्रवात से निकलने का। सही मायनों में, ये चारों किसी भी स्थिति में जान फूंकने की काबिलियत रखते हैं। रूही का किरदार काफी बढ़िया लगा मुझे, वो इन तीनों के साथ खुद भी अटखेलियों और नादानी में शामिल रहती है, परंतु आवश्यकता अनुसार वो अपने धीर – गंभीर स्वरूप को भी प्रकाशित करना जानती है।

खैर, अभी के लिए तो इस अल्फा पैक में सब कुशल – मंगल ही है। जहां, आर्यमणि, सन्यासी शिवम् द्वारा दी गई, योगासन व ध्यान की पुस्तक का पूर्ण उपयोग कर रहा है, वहीं सुकेश के घर से मिला किताबों का पुलिंदा भी वो लगभग कंटस्थ कर ही चुका है। वो बेनामी 350 किताबें, जिनमें सिद्ध पुरुषों को मारने का साधन दर्शाया गया था, उन्हें पढ़कर, राख में तब्दील कर चुका है वो। सही ही है, अपने पीछे कोई सुराग छोड़ना अथवा अपने साथ अनावश्यक भार ले जाना मूर्खता ही कहलाती है। परंतु, इनमें से खास थी वो पुस्तकें जिनपर नाम लिखा गया था। उन पचास पुस्तकों में से एक विशिष्ट श्रृंखला है “जीव–जंतु, जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र”, जिसके कुल सात भाग आर्यमणि पढ़ चुका है। देखते हैं कुल कितने भाग हैं इस श्रृंखला के!

ज्ञान जितना भी हो, कम ही होता है, इसी की झलक दिखी इन दोनों भागों में। अपने जीवन के जर्मनी नामक कांड से काफी कुछ सीखने के पश्चात, आर्यमणि ने नागपुर में भी काफी ज्ञान प्राप्त किया, वर्धराज ने तो उसे काफी कुछ सिखाया होगा ही, और उसके बाद अब ये सभी किताबें। अपनी इस विदेश यात्रा या अज्ञातवास के दौरान अपने ज्ञान के कोष का काफी विस्तार कर सकता है आर्यमणि, और इसमें कोई संदेह नहीं की हर एक पुस्तक उसके भविष्य में कुछ न कुछ योगदान तो देगी ही। हालांकि, ये किताबें ये भी दर्शाती हैं की उस सीक्रेट बॉडी, जिनकी मिल्कियत थीं ये सभी चीजें, उनके पास कितना ज्ञान और जानकारी होगी, और अनुभव तो है ही, चालबाज़ी और षड्यंत्र का!

इस सबके बीच इन सभी का सेरेंगती राष्ट्रीय उद्यान में वन्य जीवों का दर्द अपने अंदर सोखना और उन्हें हील करना भी हृदय – स्पर्शी था। हम देख ही चुके हैं की आर्यमणि ने बचपन में वृक्षों का जो दर्द बांटा था, उसके कारण आज वो जड़ों से क्या कुछ नहीं कर सकता। इन सभी के द्वारा किए जाने वाले हर कर्म का प्रतिफल तो मिलना ही है, तो जितने भी अच्छे कार्य ये कर सकें, उतना बढ़िया... अभी के लिए अल्फा पैक के समक्ष उन बक्सों के रूप में एक पहेली है, जिसे सुलझाना काफी मुश्किल प्रतीत हो रहा है। आर्यमणि की शंका व्यर्थ ही नहीं है, पूरी संभावना है की उन बक्सों के कारण, सुकेश और उसके साथियों को अल्फा पैक का ठिकाना पता चल जाए।

परंतु सोचने लायक बात है की ऐसा क्या होगा उन बक्सों में जिसे 250 किलो स्वर्ण की छाया में छुपाया गया था। स्पष्ट है की कोई अमूल्य वस्तु ही होगी, अन्यथा एक हज़ार करोड़ का वो छलावा वहां नहीं होता। देखते हैं की आर्यमणि क्या निर्णय लेता है, उन बक्सों को खोलेगा अथवा नहीं, खोलेगा तो क्या तरकीब लगाएगा वो! बेशक, काफी रोमांच पनपता नज़र आ रहा है आने वाले भागों में।

दोनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे, चारों अल्फा का आपसी और आर्यमणि के प्रति लगाव बहुत ही बढ़िया तरीके से दर्शाया आपने। इस प्रकार के अपडेट्स अक्सर ही बेहद ही आकर्षक लगते हैं।

प्रतीक्षा रहेगी अगली कड़ी की...
Thankooo soo much death King bro... Aapke review dekhkar dil khush ho gaya.. khair kahin bhavna hai to kahin haiwaniyat... Kahin kabhi koi dusra marham lagata hai to kahin apne hi nashur jakhm de jate hain... Zindagi shayad aisi hi hai....

Khair dekhiye ki un box me kya tha aur itna Sona bina box ke le kaise jayega.... Waise chhota sa correction kiya tha... Sona ab total 5000 kilo hai... Dekhiye ab hota kya hai
 

nain11ster

Prime
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2500 किली सोना लेकर जहाज पर चढ़े कैसे ? पोर्ट अधिकारी और कस्टम डिपार्टमेन्ट वालो ने छानबीन नही की थी क्या ?
सुकेस भारद्वाज साहब इन स्वर्ण भंडार के साथ साथ एक ऐसे खास चीज पर भी कब्जा किए हुए थे जो शायद इन स्वर्ण मुद्राकोष से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था। उसकी हिफाजत का इंतजाम स्वर्ण मुद्रा से भी काफी चौकस किया गया था। क्या हो सकता है ये ! कहीं युरेनियम या कोई घातक वायरस तो नही ?

चारो वेयरवोल्फ जिन्हने कभी खुशियों के एक लम्हा तक का दर्शन नही किया था , उन्हे हंसते मुस्कराते शरारत करते देख बहुत ही अच्छा लगा। उनकी उम्र भी तो शरारत करने की ही थी । आर्य ने न सिर्फ उन्हे नया जीवन दिया बल्कि उनके जीवन मे खुशियों का सौगात भी ला खड़ा किया। उनका यह खुबसूरत भ्रमण यादगार स्मृति बन कर आजीवन उनके मस्तिष्क मे सुरक्षित रहेगा।

साढ़े तीन-चार सौ मोटी मोटी किताबे पढ़ना और वह भी चंद दिनो मे एक आम इंसान के लिए असम्भव ही है। वैसे यह बात आर्य पर लागु नही होता है। वो खास है।
एक संन्यासी के उत्थान और पतन की कहानी उन बुक्स के कई कहानियों मे एक खास कहानी थी।
शायद कुछ प्रहरी ने उन सिद्ध पुरुष के साथ विश्वासघात किया हो और उनकी शक्तियाँ चुरा कर स्पेशल बन गए हों ! वो प्रहरी जो वर्तमान मे खुद को सर्वश्रेष्ठ एवं सर्व शक्तिमान मान बैठे हों !
वो अद्भुत बक्सा और वो मोटी मोटी किताबें जरूर उन प्रहरियों के लिए वाटर लू साबित हो सकता है।

बहुत खुबसूरत अपडेट नैन भाई।
Outstanding & Amazing & brilliant.
Mild correction total 5000 kg sona hai aur baki sare jawab aa rahe hain... Wahin jo 350 kitab the uska ek kitab poora padha tha arya ne baki 349 kitab ke kewal aakhri adhyay ko padha tha ki uss sidhh purush ko kis tarah ke bal aur chhal se mara gaya tha... Wo poora dhyan se padha tha... Isliye 350 kitab samapt hua baki aapki baat bhi satya hai... Padhne nahi balki Aryamani ke adhyan ki speed kafi achhi hai...

Abhi alfa pack ka waqt hai aur ye uska safar.... Dekhiye aage kya hota hai... Filhaal to chalte hai ek raaj ko khol le...

Thankoo so much Sanju bhai... Ju r simply superb
 
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