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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

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भाग:–66





लगभग २ महीने बाद… बर्कले, कार्लीफिर्निया, यू.एस.ए


शांत सा माहौल, पशु पक्षियों की आवाज और एक प्यारा सा 2 फ्लोर का कॉटेज, जो शानदार तरीके 4000 स्क्वायर फुट में बाना हुआ था। 2 कमरा, किचेन, लिविंग रूम और हॉल नीचे। ऊपर 3 कमरे और एक्सरसाइज करने के लिए बड़ा सा क्षेत्र। साइड से बड़ा सा गराज जिसमे 4-5 गाड़ियों के रखने कि जगह थी। उसी के नीचे एक बेसमेंट जिसे अपनी जरूरतों के हिसाब से इस्तमाल कर सकते थे, वहां सोने की रिम को रख दिया गया था। आगे बड़ा सा लॉन और पार्किंग स्पेस, उसी के साथ किनारे से कई खड़े बृक्ष की फेंसिंग। 200 मीटर के दायरे में कोई घर नहीं। और पीछे पुरा जंगल और पहाड़, जहां बहुत कम ही लोग जाया करते थे।…


"सो कैसा है ये तुम्हारा घर"… आर्य ने सबसे पूछा।


अलबेली:- कभी नागपुर से कोल्हापुर नहीं गयी और 2 महीने में दुनिया घुमाकर यहां तक पहुंचा दिये बॉस… वूहू.. लेकिन बॉस ये मेरा नाम मर्करी काहे रख दिये, बल्ब की जगह मुझे ही जलाओगे क्या?


उसकी बात सुनते ही सभी हसने लगे… "अरे ये फेक नाम है, तुझे यहां तेरे अपने नाम से ही पुकरेंगे। ड्रामा क्वीन अलबेली, और स्कूल के लिए जो नाम होगा वो है केली"..


ओजल:- केला की बहन केली।


अलबेली:- अब सब मुझे ऐसे ही नाम दो। लेकिन मुझे अलबेली ही बुलाना। आई ने रखा था, सुनने में अच्छा लगता है।


आर्यमणि:- अब शांति से सब सुनेगे। ये भारत नहीं है कि किसी के भी फटे में घुस गये। यहां लोग दावत पर भी जाते है तो अपने घर से खाना उठा कर ले जाते है। इसलिए जो तुमसे बात करने आये उसी से बात करना।


इवान:- कैसे बात करूं, मराठी या हिंदी में।


अलबेली:- तू गूंगा बनकर बात कर। मै भी वही करने वाली हूं। हमारे बीच तो ये रूही और बॉस ही है इंजिनियरिंग वाले।


आर्यमणि:- 2–4 लाइन बोलना अलग बात है लेकिन यहां रहने के हिसाब से तो ये भाषा मुझे भी नही आती। परेशानी तो है लेकिन इसका एक हल भी है। रूही अपने पास वुल्फबेन कितना बचा है।


रूही:- नहीं खुद से सीख लेंगे आर्य, ये चीटिंग है।


इवान:- हां तो रूही को खुद से सीखने दो, हमे पंजा फाड़ गर्दन का ज्ञान भी चलेगा।


आर्यमणि:- अब पैक की मेजोरिटी कह रही है रूही मान जाओ। भाषा सीखे बिना कैसे काम बनेगा। चलो अंग्रेजी का टीचर ढूंढा जाये।


रूही:- मै कह रही हूं ये चीटिंग है, और मै कहीं नहीं जाने वाली। मेरा दिल गवारा नहीं कर रहा। किसी की मेमोरी से उसकी स्टडी चुराना और फिर दूसरे के मेमोरी में डालना।


अलबेली:- कौन सा हम रोज-रोज करेंगे। केवल आज ही तो करेंगे इसके बाद नहीं।


रूही:- ये प्रकृति के नियम के खिलाफ है। प्योर अल्फा की शक्ति का नाजायज फायदा ले रहे हो आर्य।


आर्यमणि:- हम्मम ! बात तो तुम सही कह रही हो रूही। लेकिन कभी-कभी हमे आउट ऑफ द वे जाकर काम करना पड़ता है। मै वादा करता हूं, ये हम पहला और आखरी ऐसा काम करेंगे जो वाकई में हमे नहीं करना चाहिए था।


बाकी सब भी रूही और आर्यमणि के हाथ के ऊपर हाथ रखते… "हम भी वादा करते है।"..


रूही:- हां ठीक है समझ गयी.. लेकिन ये आखरी बार होगा। चलो चलते है।


ओजल:– जब सब राजी हो ही गये है, तो मैं चाहूंगी कि मुझे किसी कंप्यूटर जीनियस का ज्ञान मिले।


इवान:– फिर मुझे केमिस्ट्री का ज्ञान चाहिए।


अलबेली:– अंग्रेजी के बदला ये क्या सब सीख रहे है। इवान मुझे भी कुछ अच्छा बता...


रूही:– ये कुछ ज्यादा नही हो रहा...


इवान:– ये ज्यादा उनसे क्यों नही पूछते जिन्होंने हमें अंधेरे में फेंक दिया। वैसे हम है तो इंसान ही, फिर इंसानियत के लिये कुछ सीख रहे इसमें बुराई क्या है?


रूही:– वाह!!! सोच अच्छा करने की और रास्ता ही गलत चुन रहे, फिर अच्छे बुरे में अंतर कैसे करोगे।


ओजल, रूही के कंधे से लटकती... "तुम क्यों हो दीदी। इसके बाद जैसा तुम कहोगी हम आंख मूंद कर कर लेंगे।अच्छा और बुरे का अंतर आप हमसे बेहतर जानती हो। अलबेली तू फिजिक्स ले"


रूही:– वाह!!! अभी तक मैने तो हां–हूं भी नही किया और अपनी बात कहने के बाद सीधा आगे के कार्यक्रम में लग गये।


अलबेली:– ओ दीदी, लोगों ने हमारे साथ बेईमानी करके हमें वक्त से पीछे धकेल दिया। आज थोड़ा हम बेईमानी करके आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे। अब मान भी जाओ...


रूही:– ठीक है चूंकि ये आखरी बार है इसलिए अपने मन के विषय ले लो। बॉस पूरी की पूरी पढ़ाई दिमाग में डाल देना इतना आसान होगा क्या? अभी तक तो तुम केवल कुछ यादें ही डाले हो किसी के दिमाग में, उसका भी डेटा ना लिया की यादें डालने के बाद दिमाग की क्या हालत होती होगी। ऐसे में इतनी सारी यादें एक साथ डालना, क्या यह सुरक्षित होगा?


आर्यमणि:– मुझे नही पता, लेकिन इसका भी उपाय है। मैं इस पर पहले सोध कर लूंगा।


रूही:– हां ये ठीक रहेगा। तो साेध कैसे करे।


आर्यमणि:– अपने पसंदीदा विषय वनस्पति विज्ञान से..


रूही:– ठीक है चलो कोशिश करते हैं।


वहीं से एक टैक्सी बुक हुई। वुल्फबेन का एक इंजेक्शन लिया उन लोगों ने और चल दिए इंटरनेट के पते पर, जहां वनस्पति विज्ञान के महान सोधकर्ता रहते थे। मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में जैसे ही घुसने लगे, गार्ड उसे रोकते… "यहां क्या काम है।" (परिवर्तित भाषा)


आर्यमणि:- वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर विलियम कूपर से मिलना है।


गार्ड:- सर से मिलने का अपॉइंटमेंट है।


आर्यमणि, 10 डॉलर का एक नोट दिखाते… "मेरे पास ये है, मीटिंग हो पायेगी क्या।"


गार्ड:- मुझे नहीं पता वो अभी है भी या नहीं।


आर्यमणि, 10 डॉलर के 2 नोट दिखाते… "अब"


गार्ड:- पूछना पड़ेगा।


आर्यमणि, 3 नोट निकालकर…. "इसके बाद चला जाऊंगा।"..


गार्ड, 30 डॉलर झटपट खींचते.… "50 डॉलर कूपर सर के असिस्टेंट के लिए और सर से मिलना किस उद्देश्य से आये हो।


आर्यमणि, 50 डॉलर बढ़ाते… "उनसे वनस्पति विज्ञान सीखनी है। जो भी उनकी फीस है, अभी पुरा एडवांस दे दूंगा। लेकिन पहले एक डेमो क्लास लेंगे।"..


गार्ड उसे अपने पीछे आने कहा। सभी पीछे-पीछे चल दिये। गार्ड ने सामने से असिस्टेंट को 50 डॉलर थमाया और मामला समझाया। असिस्टेंट ने पांचों को एक झलक देखा और अंदर जाकर कुछ देर बाद वापस आया।… "तुम लोग मेरे साथ आओ।"..


सभी अंदर के एक वेटिंग एरिया में आकर बैठ गये। कुछ देर बाद विलियम मास्टर साहब आये। थोड़ी बहुत पूछताछ के बाद पांचों को एक छोटे से क्लास में ले गये। रूही चोर नजर से चारो ओर देखी और आर्यमणि के कान में कहने लगी… "यहां तो 2 सीसी टीवी कैमरे लगा हुआ है।"..


आर्यमणि:- वाशरूम का पूछो उससे है की नहीं, और चेक करके आओ वहां कोई कैमरा तो नहीं लगा। साले के शक्ल पर ही ठरकी लिखा है।


रूही, आर्यमणि की बात सुनकर हसने लगी। वो जाकर अपने एनिमल इंस्टिंक्ट से चारो ओर का जायजा लेने लगी, आर्यमणि का शक सही था। उस छोटे बाथरूम में तो 3 कैमरा लगा था। रूही वापस आकर सारा ब्योरा आर्यमणि के कानो में दी, और कहने लगी… "अब क्या करेंगे।"…


आर्यमणि सबको खड़े हो जाने का इशारा किया और इशारों में समझा दिया इसे घेरकर अपना काम करना है। पांचों खड़े हो गये। विलियम कूपर को चारो ओर से घेर लिया गया। अचानक से पांचों को यूं गोल घेरे देख विलियम घबराकर उठने की कोशिश कर ही रहा था कि इतने में एक इंजेक्शन उसे लग गया और आर्यमणि के बड़े–बड़े नाखून उसके गर्दन में।"..


लगभग 70–80 मिनट की प्रक्रिया और उसके बाद आर्यमणि ने उसे हील कर दिया। सब लोग वापस आकर बैठ गये। विलियम की आखें खुलते ही आश्चर्य से वो देखते… "तुम सब यहां थे ना।"..


आर्यमणि:- आपने ही तो बुलाया था।


वो कॉफ्यूज होकर अपना सर खुजाने लगा। 45 मिनट का डेमो क्लास था, घड़ी देखा तो 1 घंटा से ऊपर हो गया था। कूपर चेहरे से काफी कन्फ्यूज दिख रहा था। पूरे अल्फा पैक को एक नजर बड़े ध्यान से देखते... "क्या तुम्हारा डेमो क्लास खत्म हो गया?"


आर्यमणि:– हां बिलकुल मिस्टर कूपर...


कूपर:– तो आगे के क्लास के बारे में क्या सोचा है?


आर्यमणि:- मिस्टर कूपर आप बहुत हाई क्लास पढ़ाते है और हम बेसिक वाले है। रहने दीजिये और अपने एक क्लास की फीस बताईये।


विलियम थोड़ा चिढ़ते हुए… "500 डॉलर।"


आर्यमणि:- पागल हो गया है क्या? मुझे रसीद दो बाकी मैं लीगल में देख लूंगा।


विलियम तुरंत अपने सुर बदलते… "50 डॉलर दो, और यदि क्लास शुरू करना हो तो उसके लिये एडवांस 1000 डॉलर लगेंगे, तुम सभी के महीने दिन की फीस।


आर्यमणि उसे 50 डॉलर देकर वहां से बाहर आया। जैसे ही अल्फा पैक बाहर आया कान फाड़ हूटिंग करने लगे। आवाज इतनी तेज थी कि मामला थाने पहुंच गया और पांचों को पुलिस ने पहली हिदायत देकर छोड़ दिया। खुश तो काफी थे। वहीं से पूरा अल्फा पैक शॉपिंग के लिये निकल गया। शॉपिंग तो ऐसे कर रहे थे जैसे पूरे शॉपिंग मॉल को लूट लेंगे। अत्याधुनिक जिम सेटअप, कपड़े, ज्वेलरी, टीवी, वाशिंग मशीन, घर के जरूरतों के ढेर सारे उपकरण, लैपटॉप, मोबाइल, ग्रॉसरी के समान। जो भी जरूरत का दिखता गया सब उठाते चले गये। एक शाम की शॉपिंग पर उन लोगों ने 50 हजार डॉलर उड़ा दिये।


अब जहां रहते है, वहां के कुछ नियम भी होंगे। शॉपिंग मॉल के मैनेजर ने आर्यमणि को इंश्योरेंस पॉलिसी समझाकर हर कीमती सामान का इंसोरेंस कर दिया। इसके अलावा घर की सुरक्षा के मद्दे नजर 5000 यूएसडी का अलार्म सिक्योरिटी सिस्टम को इंस्टॉल करने का सुझाव देने लगा। आर्यमणि को लग गया की ये बंदा काम का है। उसने भी तुरंत अपने बिजली, गैस, पानी इत्यादि के कनेक्शन की बात कर ली। मैनेजर ने भी वहीं बैठे–बैठे मात्र एक फोन कॉल पर सारा काम करवा दिया।


आर्यमणि भी खुश। कौन सा अपने पैसा लग रहा था, इंसोरेंस, सिक्योरिटी इत्यादि, इत्यादि जो भी मैनेजर ने सुझाव दिया आर्यमणि उसे खरीद लिया। 50 हजार यूएसडी शॉपिंग मॉल में और 30 हजार यूएसडी मैनेजर के सजेशन पर आर्यमणि ने खर्च कर डाले। इधर आर्यमणि ने मैनेजर के कहे अनुसार समान खरीदा। उधर मॉल के मैनेजर ने उन लोगों का समान फ्री डेलिवरी भी करवाया और इलेक्ट्रॉनिक सामान को उसके घर में लगाने के लिये इलेक्ट्रीशियन और टेक्नीशियन दोनो को साथ ही भेज दिया। साथ में अन्य टेक्नीशियन भी थे जो अन्य जरूरी चीजों को घर में फिट करते।


शाम तक इन लोगों का घर कंप्लीट हो चुका था जहां जिम, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, केबल, वाईफाई, हाई सिक्योरिटी अलार्म, गैस कनेक्शन, पानी कनेक्शन, इत्यादि, इत्यादि लग चुके थे। सभी लोग आराम से फुर्सत में बैठे। लिविंग रूम में क्राउच लग गया था। पांचों वहीं बैठकर आराम से पिज्जा का लुफ्त उठाते.… "बॉस अब एक्सपेरिमेंट हो जाये क्या?"


आर्यमणि:– ठीक है पहले रूही से ही शुरू करते हैं।


रूही:– नाना, कुछ गड़बड़ हो गयी तो मैं मेंटल हो जाऊंगी। पहले अलबेली पर ट्राय करो।


अलबेली:– नाना, ओजल ने इसके लिये सबसे ज्यादा मेहनत की है। ओजल को पहला मौका मिलना चाहिए।


ओजल:– मुझे कोई ऐतराज नहीं। अब जब मैं जोखिम उठा रही हूं तो ज्ञान के भंडार को दिमाग में संरक्षित करने के संदर्भ में मेरी कुछ इच्छा है। यदि ये प्रयोग सफल हुआ तब वह करेंगे। और मैं पूछ नही रही हूं। बॉस मैं रिस्क ले रही तो मेरी बात मानोगे या नही।


आर्यमणि हां में अपना सर हिलाया और गर्दन के पीछे अपने क्ला घुसाकर आंख मूंद लिया। पहला खेप ज्ञान का उसने अंदर डाला। विलियम कूपर से जितना फिल्टर ज्ञान लिया था, उसका 1% अंदर डाल दिया। एक मिनट बाद दोनो में अपनी आंखें खोल ली। हर कोई ओजल को बड़े ध्यान से देख रहा था। ओजल कुछ पल मौन रहने के बाद.… "क्या हुआ ऐसे घूर क्यों रहे हो?"


सब लोग ध्यान मुद्रा से विश्राम की स्थिति में आते... "तू ठीक तो है न। दिमाग के पुर्जे अपने जगह पर"…. अलबेली मजाकिया अंदाज में पूछी... ओजल उसकी बातों को दरकिनार करती... "वहां से डिक्शनरी उठाओ और मैं जो बोल रही उसे मैच करके देखो।"… अपनी बात कह कर ओजल ने मशरूम को अपने हाथ में लेकर... "इसे एगारिकस बिस्पोरस कहते है।"


अलबेली चौंकती हुई... "क्या एंगा रिंगा विस्फोटस, ये कैसा नाम है "


आर्यमणि:– अलबेली कुछ देर बस चुप चाप देखो... ओजल बहुत बढ़िया। कुछ और बताओ...


ओजल फिर वनस्पति विज्ञान के बारे में कुछ–कुछ बताने लगी। आर्यमणि उसे बीच में ही रोकते वापस क्ला उसके गर्दन में घुसाया और इस बार 30% यादें डाल दीया। ओजल इस बार आंख तक नही खोल पा रही थी। उसके सर में जैसे फुल वॉल्यूम पर डीजे बज रहा हो। उसे आंख खोलने में भी परेशानी हो रही थी। आर्यमणि समझ गया की एक साथ इतनी ज्यादा याद दिमाग झेल नहीं पायेगा, इसलिए उसने तुरंत अपना क्ला अंदर डाला और 5 फीसदी याद को ओजल के दिमाग से हटा दिया। हां लेकिन 25% यादें भी ओजल को उतनी ही तकलीफ दे रही थी। आर्यमणि ऐसे ही 5% और कम किया। लेकिन ओजल के लिये फिर भी कोई राहत नहीं। कुल 10% पर जब आया तब जाकर ओजल पूरी तरह से होश में आयी और उसका व्यवहार भी सामान्य था।


आर्यमणि समझ चुका था कि एक बार कितनी यादों को दिमाग में डालना है। हां लेकिन दोबारा याद को अंदर डालने के लिये दिमाग कितने देर में तैयार होता है, यह समझना अभी बाकी था। आर्यमणि पहले एक घंटा से शुरू किया। यानी की एक घंटे बाद आर्यमणि, ओजल के दिमाग में कुछ डाला, लेकिन एक घंटे बाद भी वही समस्या हुई। एक घंटा का समय अंतराल 2 घंटा हुआ, फिर 3 घंटा। 21 घंटे बाद जब आर्यमणि ने ओजल के दिमाग में वापस कुछ याद डाला तब जाकर कोई समस्या नहीं था। आर्यमणि ने इस बार एक साथ 15% यादें डाल दिया। 15% याद ओजल ने बड़े आसानी से अपने अंदर समेट लिया।



आर्यमणि ने फिर एक पैमाना तय कर लिया। उसे समझ में आ चुका था कि वुल्फ ब्रेन होने के कारण हर बार याद समेटने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही साथ २ याद डालने के बीच में समय अंतराल भी कम लगता है। जैसे पहले 21 घंटा था तो अगली बार मात्र 15 घंटे लगे। परीक्षण सफल रहा और अगले 4 दिन में विलियम कूपर का पूरा ज्ञान हर किसी में साझा हो चुका था। इसी के साथ ओजल ने अपनी शर्त भी रख दी। उसे कंप्यूटर साइंस के अलावा अंग्रेजी भाषा पर भी पूरा कमांड चाहिए, इसलिए किसी इंग्लिश के विद्वान का ज्ञान भी उसे चाहिए। और जो अलग–अलग विषय सबने चुने है, वो सारे विषय हर कोई एक दूसरे से साझा करेगा।


अब चुकी ओजल के शर्त पर सबने हामी भरी थी और किसी को कहीं से कोई बुराई नजर नही आ रही थी, इसलिए सब राजी हो गये। न सिर्फ कैलिफोर्निया से बल्कि अमेरिका के दूसरे शहरों से भी विद्वान को ढूंढा गया और बड़े ही चतुराई से सबका ज्ञान अपने अंदर समेट लिया गया। जैसे कंप्यूटर साइंस और जीव विज्ञान के लिये न्यूयॉर्क के 1 विद्वान प्रोफेसर और एक विद्वान डॉक्टर को पकड़ा, तो वाणिज्य शस्त्र और अंग्रेजी के लिये वॉशिंगटन डीसी पहुंच गये। ऐसे ही करके पांचों ने पहले विलियम कूपर का दिमाग अपने रिसर्च के लिये इस्तमाल किया। उसके बाद ओजल की अंग्रेजी और कंप्यूटर साइंस, आर्यमणि का जीव विज्ञान, रूही का वाणिज्य शास्त्र, इवान की केमिस्ट्री और अलबेली की फिजिक्स के लिये विद्वानों को ढूंढा गया। उनके अध्यन को उनके दिमाग से चुराया गया और उसके बाद मे हर किसी के पास हर विषय को साझा कर दिया गया।
 

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भाग:–67







पहले इन लोगों ने कैलिफोर्निया के विद्वानों से ज्ञान लिया था, उसके बाद अमेरिका भ्रमण पर निकले थे। करीब महीना दिन में सारा ज्ञान समेटकर कैलिफोर्निया अपने स्थाई निवास पर पहुंचे। सभी एक साथ हॉल में बैठकर पंचायत लगाये।


रूही:– यहां आ गये। सीखना था अंग्रेजी उसके साथ–साथ न जाने क्या–क्या नही हमने सिख लिया। या यूं कह लें की गलत तरीके से सिख लिया। अब आगे क्या?


आर्यमणि:- ज्ञान लेना गलत नही था लेकिन उसे हमने अर्जित गलत तरीके से किया। कोई बात नही जो भी ज्ञान है उसका प्रसार करके हम अपनी गलती को ठीक करने की कोशिश करेंगे। अब आगे यही करना है।


ओजल:– सही कहा भैया। और जबतक यहां मज़ा आ रहा है रहेंगे, मज़ा खत्म तो पैकअप करके कहीं और।


अलबेली:- मै थक गई हूं, मै ऊपर वाला कमरा ले लेती हूं।


इवान और ओजल भी उसके पीछे निकल गये सोने। रूही और आर्यमणि दोनो बैठे हुये थे… "कहां से कहां आ गये ना बॉस। जिंदगी भी कितनी अजीब है।"..


आर्यमणि:- तुम तो इंजीनियरिंग फोर्थ ईयर में थी ना। मेरी वजह से तुम्हारा तो पुरा कैरियर खत्म हो गया।


रूही:- या नए कैरियर की शुरुआत। इन तीनों का कुछ सोचा है?


आर्यमणि:- कुछ दिन यहां के माहौल में ढलने देते है। स्कूल का पता किया था, इनको ग्रेड 11 में एडमिशन करवाने का सोच रहा हूं।


रूही:- और टेस्ट जो होगा उसका क्या?


आर्यमणि:- ज्ञान की घुट्टी दी है ना। 11th ग्रेड के टेस्ट तो क्या उन्हे डॉक्टर की डिग्री लेने में कोई परेशानी नही होगी।


रूही:- हां ये भी सही है। वैसे पिछले कुछ महीनों से बहुत भागदौड़ हो गई, मै भी चलती हूं आराम करने।


आर्यमणि:- हम्मम ठीक है जाओ।


आर्यमणि कुछ देर वहीं बैठा रहा, अपने फोन को देखते। सोचते–सोचते कब उसकी आंख लग गयी पता ही नहीं चला। सुबह अलबेली और इवान के झगड़े से उसकी नींद खुली… "क्या हुआ दोनो के बीच लड़ाई किस बात की हो रही है?"..


अलबेली:- टीवी देखने को लेकर, और किस बात पर।


आर्यमणि:- अब टीवी देखने में झगड़ा कैसा?


अलबेली:- बॉस ये ना पता नहीं कौन-कौन सी मूवी सुबह-सुबह लगा दिया। शर्म नाम की चीज है कि नहीं पूछो इससे।


इवान:- बॉस वो मुझे थोड़े ना पता था कि यहां पुरा ओपन ही दिखा देते है। 5 सेकंड के लिये आया और गया उसपर ये झगड़ा करने बैठ गई।


आर्यमणि:- समय क्या हुआ है।


इवान:- 4.30 बज रहे है।


आर्यमणि:- ठीक है इवान सबको जगाकर ले आओ, जबतक मै अलबेली से ट्रेनिंग शुरू करता हूं।


"अलबेली याद है ना क्या करना है, दिमाग में कुछ भी अंधेरा नहीं होने देना है और पुरा ध्यान अपने दिमाग पर। अपने धड़कन और गुस्से पर पूरा काबू। समझ गयी।"..


अलबेली ने हां में अपना सर हिलाया और आर्यमणि को अपने तैयार होने का इशारा की। आर्यमणि ने पूरा चाकू उसके पेट में घुसा दिया। दर्द से वो बिलबिला गयी और अगले ही पल उसने अपना शेप शिफ्ट कर लिया।


शेप शिफ्ट करते ही वो तेजी के साथ अपने क्ला आर्यमणि पर चलाने लगी। आर्यमणि बिना कोई परेशानी के अपने हाथो से उसे रोकता रहा। वो गुस्से में ये भी नहीं देख पायी की उसका जख्म कबका भर चुका है। हमला करते-करते उसे अचानक ख्याल आया और अपनी जगह खड़े होकर अपनी तेज श्वांस को काबू करती, लंबी श्वांस अंदर खींचने लगी और फिर धीमी श्वांस बाहर।


कुछ पल के बाद… "सॉरी दादा, वो मै खुद पर काबू नहीं रख पायी।"..


आर्यमणि:- कुछ भी हो पहले से बेहतर है। पहले 5 मिनट में होश आता था आज 2 मिनट में आया है।


लगभग 2 घंटे सबकी ट्रेनिंग चली और सबसे आखरी में आर्यमणि की। जिसमें पहले चारो ने मिलकर उसपर लगातार हमले किये। कोई शेप शिफ्ट नहीं। फिर इलेक्ट्रिक चेयर और बाद में अन्य तरह की ट्रेनिंग। इसके बाद सबसे आखरी में शुरू हो गया इनके योगा का अभ्यास।


ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सबने फिर एक नींद मार ली और सुबह के 9 बजे सब नाश्ते पर मिले। नाश्ते के वक़्त सबकी एक ही राय थी, भेज खाने में बिल्कुल मज़ा नहीं आता। आर्यमणि सबके ओर हंसते हुए देखता और प्यार से कहता… "खाना शरीर की जरूरत है, तुम लोग प्रीडेटर नहीं इंसान हो।"..


आज आर्यमणि ने तीनों टीन वुल्फ को पूरा शहर घूमने भेज दिया और खुद रूही को लेकर पहले ड्राइविंग स्कूल पहुंचा। पैसे फेके और लाइसेंस के लिये अप्लाई कर दिया। वहां से निकलकर दोनो बैंक पहुंचे जहां 5 खाते खुलवाने और सभी खाते में लगभग 2 मिलियन अमाउंट जमा करने की बात जैसे ही कहे, बैंक वाले तो दामाद की तरह ट्रीट करने लगे और सारी पेपर फॉर्मेलिटी तुरंत हो गयी।


आर्यमणि और रूही वहां से निकलकर टीन वुल्फ के स्कूल एडमिशन की प्रक्रिया समझने स्कूल पहुंच गये और उसके बाद वापस घर। घर आकर रूही ने एक बार तीनों को कॉल लगाया और उनके हाल चाल लेकर आर्यमणि के पास आकर बैठ गई।… "अपने लोगो के बीच ना होने से कितना खाली-खाली लग रहा है ना।"..


आर्यमणि:- खाली क्यों लगेगा, ये कहो की काम नहीं है उल्लू। वैसे बात क्या है आज बहुत सेक्सी दिख रही..


रूही:- ओह हो मै सेक्सी दिख रही हूं, या ये क्यों नहीं कहते कि कुछ-कुछ हो रहा है।


आर्यमणि:- एक हॉट लड़की जब पास में हो तो मूड अपने आप ही बन जाता है।


रूही:- सोच लो ये हॉट लड़की उम्र भर तुम्हारे साथ रहने वाली है और एक बात बता दूं मिस्टर आर्यमणि कुलकर्णी, मुझे तुमसे बिल्कुल प्यार नहीं। मुझे जानते हो कैसा लड़के की ख्वाहिश है..


आर्यमणि:- कैसे लड़के की..


रूही:- कोई मुझे छेड़े ना तो वो खुद उससे कभी नहीं जीत सकता हो, लेकिन फिर भी मेरे लिए भिड़कर मार खा जाये। ऐसा लड़का जिसकी अपने मां बाप से फटती हो, लेकिन जब मेरा मैटर हो तो चेहरे पर शिकन दिल में डर रहे, फिर भी हिम्मत जुटा कर अपने पिता से कह सके, मुझे रूही से प्यार है। बेसिकली बिल्कुल इनोसेंट जो मुझसे प्यार करे।


आर्यमणि:- तो यहां रहने से थोड़े ना मिलेगा ऐसा लड़का। चलो वापस भारत।


रूही, आर्यमणि को किस्स करती… "मेरी किस्मत में होगा तो मुझे मिल ही जाएगा। तब तुम मेरी तरफ देखना भी नहीं। लेकिन अभी तो कुछ तन की इक्छाएँ है, उसे तो पूरी कर लूं।"..


आर्यमणि, हड़बड़ा कर उठ गया। रूही हैरानी से आर्यमणि को देखती... "क्या हुआ बॉस, ऐसे उठकर क्यों जा रहे।"


आर्यमणि:– तुम भी आओ...


दोनो बेसमेंट में पहुंच गये। आर्यमणि अपने सोने के भंडार को देखते... "इसके बारे में तो भूल ही गये।"


रूही:– हां ये अमेरिका है और हमारी मस्त मौलों की टोली। कहीं कोई सरकारी विभाग वाले यहां पहुंच गये फिर परेशानी हो जायेगी।


आर्यमणि:– हां लेकिन इतने सोने का करे क्या? 5000 किलो सोना है।


रूही:– कोई कारगर उपाय नहीं मिल रहा है। यहां की जैसी प्रशासन व्यवस्था है, बिना बिल के कुछ भी बेचे तो चोरी का माल ही माना जायेगा। इसे तो किसी चोर बाजार ही ठिकाने लगाना होगा।


आर्यमणि:– ज्वेलरी शॉप डाल ली जाये तो। पैसे इतने ही पड़े–पड़े सर जायेंगे और गोल्ड इतना है कि कहीं बिक न पायेगा।


रूही:– बात तो सही कह रहे हो, लेकिन हम यहां टूरिस्ट वीजा पर है। 6 महीने के लिये घर लीज पर लिया है। यहां धंधा शुरू करना तो दूर की बात है, लंबे समय तक रहने के लिये पहले जुगाड करना होगा।


आर्यमणि:– सबसे आसान और बेस्ट तरीका क्या है।


रूही:– यहां के किसी निवासी से शादी कर के ग्रीन कार्ड बनवा लो। लेकिन फिर उन तीनो का क्या...


आर्यमणि:– हम इतना डिस्कस क्यों कर रहे है। वो मॉल का मैनेजर है न निकोल, उसके पास चलते हैं। वैसे भी उसका क्रिसमस का महीना तो हमने ही रौशन किया है न।


रूही:– एक काम करते है, दोनो के लिये बढ़िया सा गिफ्ट लेते है। 1 बॉटल सैंपियन कि और कुछ मंहगे खिलौने उनके बच्चे के लिये।


आर्यमणि:– हां चलो ये भी सही है...


दोनो बाजार निकले वहां से महंगा लेडीज पर्स, मंहगी वॉच, बच्चों के लिये लेटेस्ट विडियो गेम, और एक जो गोद में था उसके लिये खूबसूरत सा पालना। सारा गिफ्ट पैक करके आर्यमणि और रूही निकोल के घर रात के करीब 9 बजे पहुंचे। बेल बजी और दरवाजे पर उसकी बीवी। बड़ा ही भद्दा सा मुंह बनाते, बिलकुल रफ आवाज में पूछी... "क्या काम है।"…


शायद यहां के लोगों को पहचान पूछने की जरूरत न पड़ती। सीधा काम पूछो और दरवाजे से चलता करो। आर्यमणि और रूही उसकी बात सुनकर बिना कुछ बोले ही वहां से निकलने लगे। वह औरत गुस्से में चिल्लाती... "बेल बजाकर परेशान करते हो। शक्ल से ही चोर नजर आ रहे। रूको मैं अभी तुम्हारी कंप्लेन करती हूं।"..


आर्यमणि:– मुझे निकोल से काम था लेकिन तुम्हारा व्यवहार देखकर अब मैं जा रहा। अपने हब्बी से कहना वही आदमी आया था जिसने उसके कहने पर 30 हजार यूएसडी के समान लिये। लेकिन अब मुझे उसके यहां का व्यवहार पसंद नही आया।


वह औरत दरवाजे से ही माफी मांगती दौड़ी लेकिन आर्यमणि रुका नही और वहां से टैक्सी लेकर अपने घर लौट आया। घर लौटकर वह हाल में बैठा ही था कि पीछे से घर की बेल बजी। आर्यमणि ने दरवाजा खोला तो सामने निकोल और उसकी बीवी खड़े थे। आर्यमणि भी उतने ही रफ लहजे में.… "क्या काम है।"…


वह औरत अपने दोनो हाथ जोड़ती.… "कुछ लड़के पहले ही परेशान कर के गये थे इसलिए मैं थोड़ी उखड़ी थी। प्लीज हमे माफ कर दीजिये।"..


आर्यमणि पूरा दरवाजा खोलते... "अंदर आओ"…


निकोल:– सर प्लीज बात दिल पर मत लीजिये, मैं अपनी बीवी की गलती के लिये शर्मिंदा हूं।


आर्यमणि:– क्यों हमारे शक्ल पर तो चोर लिखा है न... तुम्हारी बीवी ने तो हमे चोर बना दिया। न तो तुम्हारी माफी चाहिए और न ही तुम्हारे स्टोर का एक भी समान।


आर्यमणि की बात सुनकर स्टोर मैनेजर निकोल का चेहरा बिल्कुल उतर गया। एक तो दिसंबर का फेस्टिव महीना ऊपर से जॉब जाने का डर। निकोल का चेहरा देख उसकी बीवी का चेहरा भी आत्मग्लानी से भर आया... "वापस करने दो इसे समान, मैं खरीद लूंगी। बल्कि आपके पहचान का कोई कार डीलर हो तो वो भी बता दीजिए"…


रूही की आवाज सुनकर निकोल का भारी मन जैसे खिल गया हो.… "क्या मैम"..


आर्यमणि:– उसका नाम रूही है और मेरा...


निकोल:– और आपका आर्यमणि। यदि आप मजाक कर रहे थे वाकई आपने मेरे श्वांस अटका दी थी। और यदि मजाक नही कर रहे तो समझिए श्वान्स अब भी अटकी है।


आर्यमणि, अपने हाथ से उन्हे गिफ्ट देते... "आपकी पत्नी ने हमारा दिल दुखाया इसलिए हमने भी वही किया। अब बात बराबर, और ये गिफ्ट जो आपके लिये लेकर आये थे।"..


गिफ्ट देखकर तो दोनो मियां–बीवी का चेहरा खिल गया। ऊपर से उनके बच्चों तक के लिये गिफ्ट। दोनो पूरा खुश हो गये। रूही, निकोल की बीवी के साथ गिफ्ट का समान कार में रखवा रही थी और निकोल, आर्यमणि के साथ था।


निकोल:– बताइए सर क्या मदद कर सकता हूं।


आर्यमणि:– यदि मैं यहां के किसी लोकल रेजिडेंस से शादी कर लूं तो मुझे ग्रीन कार्ड मिल जायेगी...


निकोल:– थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन हां मिल जायेगी..


आर्यमणि:– मेरे साथ तीन टीनएजर रहते है, फिर उनका क्या?


निकोल:– तीनों प्रवासी है और क्या आप पर डिपेंडेंट है..


आर्यमणि:– हां...


निकोल:– आपको मेयर से मिलना चाहिए। आप पसंद आ गये तो आपके ग्रीन कार्ड से लेकर उन टीनएजर के एडोप्टेशन का भी बंदोबस्त हो जायेगा।


आर्यमणि:– और क्या मेयर मुझसे मिलेंगे...


निकोल:– हां बिलकुल मिलेंगे.... शॉपिंग मॉल उन्ही का तो है। कहिए तो मैं अपॉइंटमेंट ले लूं।


आर्यमणि:– रहने दो, हमारी बात नही बनी तो तुम्हारी नौकरी चली जायेगी।


निकोल:– मुझे यकीन है बात बन जायेगी। मैं अपॉइंटमेंट फिक्स करके टेक्स्ट करता हूं।


2 दिन बाद मेयर से मीटिंग फिक्स हो गयी। आर्यमणि और रूही उससे मिले। कुछ बातें हुई। 50 हजार यूएसडी उसके इलेक्शन फंड में गया। 10 हजार डॉलर में एक लड़का और एक लड़की ने दोनो से शादी कर ली। मैरिज काउंसलर ने आकर विजिट मारी। सारे पेपर पुख्ता किये। उसके बाद वो दोनो अपने–अपने 10 हजार यूएसडी लेकर अपने घर। अब बस एक बार तलाक के वक्त मुलाकात करनी थी, जिसका पेपर पहले ही साइन करवा कर रख लिया गया था।


आर्यमणि मिठाई लेकर मेयर के पास पहुंचा और अपने आगे की योजना उसने बतायी की कैसे वह कैलिफोर्निया के पास जो गोल्ड माइन्स है उसके जरिये सोने का बड़ा डिस्ट्रीब्यूटर बनना चाहता है। हालांकि पहले तो मनसा ज्वेलरी शॉप की ही थी लेकिन थोड़े से सर्वे के बाद यह विकल्प ज्यादा बेहतर लगा।


मेयर:– हां लेकिन सोना ही क्यों? उसमे तो पहले से बहुत लोग घुसे है।


आर्यमणि:– हां लेकिन आप तो नही है न इस धंधे में..


मेयर:– न तो मैं इस धंधे में हूं और न ही कोई मदद कर सकता हूं। इसमें मेरा कोई रोल ही नही है। सब फेडरल (सेंट्रल) गवर्मेंट देखती है।


आर्यमणि:– हां तो एक गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री हम भी डाल लेंगे। इसमें बुराई क्या है। प्रॉफिट का 10% आपके पार्टी फंड में। बाकी आप अपना पैसा लगाना चाहे तो वो भी लगा सकते है।


मेयर:– कितने का इन्वेस्टमेंट प्लान है?


आर्यमणि:– 150–200 मिलियन डॉलर। आते ही 2 मिलियन खर्च हो गये है। कुछ तो रिकवर करूंगा।


मेयर:– मुझे प्रॉफिट का 30% चाहिए.. वो भी अनऑफिशियली..


आर्यमणि:– मुझे मंजूर है लेकिन 50 मैट्रिक टन बिकने के बाद ये डील शुरू होगी।


मेयर:– और 50 मेट्रिक टन का प्रॉफिट...


आर्यमणि:– उसमे हम दोनो में से किसी का प्रॉफिट नही होगा। आप अनाउंस करेंगे की पहले 50 मेट्रिक टन तक हम धंधा जीरो परसेंट पर करेंगे। ये आपके इलेक्शन कैंपेन में काम आयेगा और हम कुछ कस्टमर भी बना लेंगे...


मेयर:– गोल्ड का रेट फेडरल यूनिट तय करती है उसमे कम या ज्यादा नही कर सकते। हां लेकिन तुम 20 मेट्रिक टन का प्रॉफिट कैलिफोर्निया के नाम अनाउंस कर दो और 30 मैट्रिक टन का प्रॉफिट सीधा फेडरल यूनिट के नाम, फिर तो तुम हीरो हुये।


आर्यमणि:– ऐसी बात है क्या? फिर तो अभी से कर दिया।


मेयर:– बधाई हो। सही धंधा अच्छा चुना है। हां लेकिन कुछ और धंधा करते तो मैं भी तुम्हारे साथ अपना पैसा लगाता।


आर्यमणि:– और अब..


मेयर:– अब तो तुम मेरे खास दोस्त हो। परमिशन से लेकर लैंड और फैक्ट्री सेटअप सब मेरी कंपनी को टेंडर दे दो। 1 महीने में काम पूरा हो जायेगा।


आर्यमणि:– ठीक है पेपर भिजवा देना, मैं साइन कर दूंगा।


मेयर:– "ओह हां एक बात मैं बताना भूल ही गया। इस से पहले की तुम पेपर साइन करो मैं एक बात साफ कर दूं, मैं गोल्ड का धंधा सिर्फ इसलिए नहीं करता क्योंकि वह धंधा मेरा बाप करता है। यदि मैंने उसके धंधे में हाथ डाला फिर मैं और मेरा करियर दोनो नही रहेगा। एक तो वैसे ही बाहर से आये हो ऊपर से बड़े लोगों का धंधा कर रहे। कहीं कोई परेशानी होगी तो मैं बीच में नही आऊंगा उल्टा उन परेशान करने वालों में से मैं भी एक रहूंगा।"

"अपनी सारी टर्म्स डिस्कस हो चुकी है। रिस्क मैंने तुम्हे बता दिया। इसके बाद तुम आगे अपना सोच कर करना। यदि गोल्ड का बिजनेस नही करना तो हम कुछ और धंधे के बारे में डिस्कस कर सकते हैं जिसमे कोई रिस्क नहीं होगा।"


आर्यमणि:– वो धंधा ही क्या जो रिस्क लेकर न किया जाये। आप तो गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन का सारा प्रक्रिया कर के, गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री की परमिशन ले लो।


मेयर हंसते हुये हाथ मिलाते... "लगता है कुछ बड़ा करने के इरादे से यहां पहुंचे हो।"..


आर्यमणि:– वो कारनामे ही क्या जो बड़ा ना हो। चलता हूं।
 

nain11ster

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सिक्रेट बोर्ड के प्रहरी योजना बनाता रह गया और आर्य उनकी योजना की बत्ती बनकर उन्ही में डालकर किताब और सरदार खान की ऐसी तैसी करके निकल गया

इन सब में सब से ज्यादा ही नुकसान पलक का हुआ। विचारी सोचा था छलिया बनके आर्य से अपना काम निकाल लेगा लेकिन आर्य तो उससे भी बड़ा वाला छलिया निकला पालक को पालकी में में खुलकर उसकी कोमर्या ही ले उड़ा।

पलक ने जो भी कहा और उसके खेमे की जो पोल खुली उसके बाद तो एक महत्वपूर्ण सवाल यह बनता है कि पालक प्यार प्यार की जो पिपड़ी बजा रहा है या शोक में पाल काट रहा हैं कहीं ये सिर्फ दिखावा तो नहीं हैं।

आर्य के मार धड़ को जो दृश्य दिखा वो लाजवाब था एक तरफ वो घायल था पर मस्तिष्क पुरजोर काम कर रहा था प्रकृति में मौजूद चीजों का सहारा लेकर खुद को और अपने पैक को सुरक्षित रखने में लगा हुआ था। पैक को तो सुरक्षित कर दिया था लेकिन खुद को बचाने में बड़ा जतन करना पड़ रहा था हल ऐसा हो गया था कि खुद को हिल ही नहीं कर पा रहा था। अगर संन्यासी और निशांत समय पर नहीं पहुंचता तो शायद युद्ध का नतीजा कुछ और भी हो सकता था खैर जैसे भी हो सरदार खान यम के द्वार तक पहुंच गया और उसके किए घिनौने कु कर्मों का विनाश हो चुका।

बड़े ही योजना बाद तरीके से स्वामी का लूटा हुआ माल लेकर आर्य निकल गया शुरू शुरू में मुझे लगा इतना बजनी समान कहे ढो रहा हैं पर जब खुला तो खजाना निकला साथ ही 40 अलग अलग रंग के पत्थर मिला जो शायद आगे अरु के काम आने वाल है साथ उन सभी किताबों से जो जानकारी मिला वो कभी खाली नहीं जाने वाला है
Yep aapne sabhi baten bilkul sahi farmaya hai... Sah aur maat ki baji me ye baji poori tarah se Aryamani ke naam rahi. Lekin ye to matr khel ka ek padav tha... Abhi bahut se khel baki hai aur bahut se hairatangej kaarname baki hai... Bane rahe aur kahin khisakne ka nahi :hug:
 

nain11ster

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Ek minute bhaaya jara samajhne do akhir kis bankshe kholne ki news mili hai inko bade vale Ya Chhote vale, bade vale khole hai to samajh me aata hai ki arya ne jald baji me khole, lekin Chhote vale to finger print se khole gye the, to unki notification Kaise pta chali, jb bina finger print ke khulte tb to samajh me aata hai lekin ...how,

Ye mati bhram kisne kiya is jaydev ka, mujhe Pahle lga ki jaya ji ne makadi ke jaale ya delivery period me bane nar makadi ki kabra ke upar bichhi safed chadar ko dekha hoga, (kyoki usme bhi bahut sari makadiya bacche hote hai Jo negativity failati hai) lekin baad me ye nya baat samne aaya ki jaydev sasura idhar ke halat ka jayja lene aaya tha, arya ke bare me inke ghar ke bare me chitra or madhav ke driver aur padosiyo ke bare me, or usko mila kya ghanta...

Mujhe Vakai me Bhumi Di ke liye Bahut Dukh Ho rha hai yaar 3 boyfriend or tino hi unke layak nhi sabne Lagbhag istemal hi kiya or jb pati bnaya to vo bhi vaisa hi mila Dhokhebaj shakti ka bhukha, mujhe to ek pal ye bhi lga ki aise admi ke next generation ka na hona hi accha tha pr jb Mai ruhi or un twins ko dekhta hu to dil me ek hi baat aati hai ki baap kaisa bhi ho lekin un baccho ki parvarish Yadi Acchi tarah se ho to vo alag level ke kamaal ki mansikta vale bacche banege... Arya ne bhi Yahi soch kr bhumi Di ke bacche ko apna uttaradhikari abhi se ghosit kr diya hai Sayad, pr bhumi Di ko pyar na mila jitne ki Vo hakdaar thi apni jivan me, arya or Jaya ji ke alava keval chitra Nishant twins ajanma baccha Keshav ji ruhi or ab madhav hi hai unki family ke rup me, baki sab dogle hi lage...

Kya sach me aisa koi sammohit karne vala kida chhoda hai kya kisi ke ghar me jaydev ne, ye siddh purush ki taraf inki soch modne ka Thik hai, ab patthar bhi nhi hai Jiski madad se vo unhe hara bhi sake, kya arya ne vo patthar sanyashi shivam tk pahucha diye ya abhi nhi...

Madhav or chitra ke Bich vo Ruth kr madhav ke bapu ko call lagvana or Uspr khud se bahu ka pranam vagaira padh kr lot pot ho gya bhai mai us pr bhumi Di ka madhav ke maze le lena, maza hi aa gya bhaaya...

DRDO se letter aaya hai or Uspr detail me btaya gya hai ki aage ka Jo plan hai use discuss karne ka, chitra NE Nishant ko call lga diya or vha se 92 din ka time bhi de diya hai or ye khushkhabri jaya ji bhumi Di ko bhi suna di hai, madhav ke pita ji bhi aane wale hai, Dekhte hai kya hota hai jb vo sunege ki unka beta khud ka business kar rha hai or uski income 1lac hai...

Superb bhai lajvab amazing Jabardast sandar update with awesome writing skills Nainu bhaaya
Wo jo hathoda mara aur jabardasti koshis hui thi usi se pata chala hoga... Warna chhota box to khul hi nahi sakta aisa sukesh ko vishwash hai... Bade boxes ko kholne se hi location ka raaj leak hua hai... Gps device ya anya device energy se chalte hain .. energy consume na ho isliye system aisa bana hai ki box khulte hi gos active ho jate honge... Sukesh ke nishan se box kholne par alarm nahi bajega lekin gps to apna signal deta rahega na... Hai ki nahi....

Bhumi ko to pati ka pyar mil hi raha hai... Ab bhumi ko bhi kahan pata ki wo bewafa hai... Jab pata chalega tab dekh lenge... Baharhaal.. matibhram hi hua hai jaydev ... Sukesh ke ghar me saman nahi balki hathiyar the hathiyar ... Khair hathiyar ki baat ho rahi hai to apna "astr limited" ab nayi bulandiyon par hai... Dekhiye kya hota hai...
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–67







पहले इन लोगों ने कैलिफोर्निया के विद्वानों से ज्ञान लिया था, उसके बाद अमेरिका भ्रमण पर निकले थे। करीब महीना दिन में सारा ज्ञान समेटकर कैलिफोर्निया अपने स्थाई निवास पर पहुंचे। सभी एक साथ हॉल में बैठकर पंचायत लगाये।


रूही:– यहां आ गये। सीखना था अंग्रेजी उसके साथ–साथ न जाने क्या–क्या नही हमने सिख लिया। या यूं कह लें की गलत तरीके से सिख लिया। अब आगे क्या?


आर्यमणि:- ज्ञान लेना गलत नही था लेकिन उसे हमने अर्जित गलत तरीके से किया। कोई बात नही जो भी ज्ञान है उसका प्रसार करके हम अपनी गलती को ठीक करने की कोशिश करेंगे। अब आगे यही करना है।


ओजल:– सही कहा भैया। और जबतक यहां मज़ा आ रहा है रहेंगे, मज़ा खत्म तो पैकअप करके कहीं और।


अलबेली:- मै थक गई हूं, मै ऊपर वाला कमरा ले लेती हूं।


इवान और ओजल भी उसके पीछे निकल गये सोने। रूही और आर्यमणि दोनो बैठे हुये थे… "कहां से कहां आ गये ना बॉस। जिंदगी भी कितनी अजीब है।"..


आर्यमणि:- तुम तो इंजीनियरिंग फोर्थ ईयर में थी ना। मेरी वजह से तुम्हारा तो पुरा कैरियर खत्म हो गया।


रूही:- या नए कैरियर की शुरुआत। इन तीनों का कुछ सोचा है?


आर्यमणि:- कुछ दिन यहां के माहौल में ढलने देते है। स्कूल का पता किया था, इनको ग्रेड 11 में एडमिशन करवाने का सोच रहा हूं।


रूही:- और टेस्ट जो होगा उसका क्या?


आर्यमणि:- ज्ञान की घुट्टी दी है ना। 11th ग्रेड के टेस्ट तो क्या उन्हे डॉक्टर की डिग्री लेने में कोई परेशानी नही होगी।


रूही:- हां ये भी सही है। वैसे पिछले कुछ महीनों से बहुत भागदौड़ हो गई, मै भी चलती हूं आराम करने।


आर्यमणि:- हम्मम ठीक है जाओ।


आर्यमणि कुछ देर वहीं बैठा रहा, अपने फोन को देखते। सोचते–सोचते कब उसकी आंख लग गयी पता ही नहीं चला। सुबह अलबेली और इवान के झगड़े से उसकी नींद खुली… "क्या हुआ दोनो के बीच लड़ाई किस बात की हो रही है?"..


अलबेली:- टीवी देखने को लेकर, और किस बात पर।


आर्यमणि:- अब टीवी देखने में झगड़ा कैसा?


अलबेली:- बॉस ये ना पता नहीं कौन-कौन सी मूवी सुबह-सुबह लगा दिया। शर्म नाम की चीज है कि नहीं पूछो इससे।


इवान:- बॉस वो मुझे थोड़े ना पता था कि यहां पुरा ओपन ही दिखा देते है। 5 सेकंड के लिये आया और गया उसपर ये झगड़ा करने बैठ गई।


आर्यमणि:- समय क्या हुआ है।


इवान:- 4.30 बज रहे है।


आर्यमणि:- ठीक है इवान सबको जगाकर ले आओ, जबतक मै अलबेली से ट्रेनिंग शुरू करता हूं।


"अलबेली याद है ना क्या करना है, दिमाग में कुछ भी अंधेरा नहीं होने देना है और पुरा ध्यान अपने दिमाग पर। अपने धड़कन और गुस्से पर पूरा काबू। समझ गयी।"..


अलबेली ने हां में अपना सर हिलाया और आर्यमणि को अपने तैयार होने का इशारा की। आर्यमणि ने पूरा चाकू उसके पेट में घुसा दिया। दर्द से वो बिलबिला गयी और अगले ही पल उसने अपना शेप शिफ्ट कर लिया।


शेप शिफ्ट करते ही वो तेजी के साथ अपने क्ला आर्यमणि पर चलाने लगी। आर्यमणि बिना कोई परेशानी के अपने हाथो से उसे रोकता रहा। वो गुस्से में ये भी नहीं देख पायी की उसका जख्म कबका भर चुका है। हमला करते-करते उसे अचानक ख्याल आया और अपनी जगह खड़े होकर अपनी तेज श्वांस को काबू करती, लंबी श्वांस अंदर खींचने लगी और फिर धीमी श्वांस बाहर।


कुछ पल के बाद… "सॉरी दादा, वो मै खुद पर काबू नहीं रख पायी।"..


आर्यमणि:- कुछ भी हो पहले से बेहतर है। पहले 5 मिनट में होश आता था आज 2 मिनट में आया है।


लगभग 2 घंटे सबकी ट्रेनिंग चली और सबसे आखरी में आर्यमणि की। जिसमें पहले चारो ने मिलकर उसपर लगातार हमले किये। कोई शेप शिफ्ट नहीं। फिर इलेक्ट्रिक चेयर और बाद में अन्य तरह की ट्रेनिंग। इसके बाद सबसे आखरी में शुरू हो गया इनके योगा का अभ्यास।


ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सबने फिर एक नींद मार ली और सुबह के 9 बजे सब नाश्ते पर मिले। नाश्ते के वक़्त सबकी एक ही राय थी, भेज खाने में बिल्कुल मज़ा नहीं आता। आर्यमणि सबके ओर हंसते हुए देखता और प्यार से कहता… "खाना शरीर की जरूरत है, तुम लोग प्रीडेटर नहीं इंसान हो।"..


आज आर्यमणि ने तीनों टीन वुल्फ को पूरा शहर घूमने भेज दिया और खुद रूही को लेकर पहले ड्राइविंग स्कूल पहुंचा। पैसे फेके और लाइसेंस के लिये अप्लाई कर दिया। वहां से निकलकर दोनो बैंक पहुंचे जहां 5 खाते खुलवाने और सभी खाते में लगभग 2 मिलियन अमाउंट जमा करने की बात जैसे ही कहे, बैंक वाले तो दामाद की तरह ट्रीट करने लगे और सारी पेपर फॉर्मेलिटी तुरंत हो गयी।


आर्यमणि और रूही वहां से निकलकर टीन वुल्फ के स्कूल एडमिशन की प्रक्रिया समझने स्कूल पहुंच गये और उसके बाद वापस घर। घर आकर रूही ने एक बार तीनों को कॉल लगाया और उनके हाल चाल लेकर आर्यमणि के पास आकर बैठ गई।… "अपने लोगो के बीच ना होने से कितना खाली-खाली लग रहा है ना।"..


आर्यमणि:- खाली क्यों लगेगा, ये कहो की काम नहीं है उल्लू। वैसे बात क्या है आज बहुत सेक्सी दिख रही..


रूही:- ओह हो मै सेक्सी दिख रही हूं, या ये क्यों नहीं कहते कि कुछ-कुछ हो रहा है।


आर्यमणि:- एक हॉट लड़की जब पास में हो तो मूड अपने आप ही बन जाता है।


रूही:- सोच लो ये हॉट लड़की उम्र भर तुम्हारे साथ रहने वाली है और एक बात बता दूं मिस्टर आर्यमणि कुलकर्णी, मुझे तुमसे बिल्कुल प्यार नहीं। मुझे जानते हो कैसा लड़के की ख्वाहिश है..


आर्यमणि:- कैसे लड़के की..


रूही:- कोई मुझे छेड़े ना तो वो खुद उससे कभी नहीं जीत सकता हो, लेकिन फिर भी मेरे लिए भिड़कर मार खा जाये। ऐसा लड़का जिसकी अपने मां बाप से फटती हो, लेकिन जब मेरा मैटर हो तो चेहरे पर शिकन दिल में डर रहे, फिर भी हिम्मत जुटा कर अपने पिता से कह सके, मुझे रूही से प्यार है। बेसिकली बिल्कुल इनोसेंट जो मुझसे प्यार करे।


आर्यमणि:- तो यहां रहने से थोड़े ना मिलेगा ऐसा लड़का। चलो वापस भारत।


रूही, आर्यमणि को किस्स करती… "मेरी किस्मत में होगा तो मुझे मिल ही जाएगा। तब तुम मेरी तरफ देखना भी नहीं। लेकिन अभी तो कुछ तन की इक्छाएँ है, उसे तो पूरी कर लूं।"..


आर्यमणि, हड़बड़ा कर उठ गया। रूही हैरानी से आर्यमणि को देखती... "क्या हुआ बॉस, ऐसे उठकर क्यों जा रहे।"


आर्यमणि:– तुम भी आओ...


दोनो बेसमेंट में पहुंच गये। आर्यमणि अपने सोने के भंडार को देखते... "इसके बारे में तो भूल ही गये।"


रूही:– हां ये अमेरिका है और हमारी मस्त मौलों की टोली। कहीं कोई सरकारी विभाग वाले यहां पहुंच गये फिर परेशानी हो जायेगी।


आर्यमणि:– हां लेकिन इतने सोने का करे क्या? 5000 किलो सोना है।


रूही:– कोई कारगर उपाय नहीं मिल रहा है। यहां की जैसी प्रशासन व्यवस्था है, बिना बिल के कुछ भी बेचे तो चोरी का माल ही माना जायेगा। इसे तो किसी चोर बाजार ही ठिकाने लगाना होगा।


आर्यमणि:– ज्वेलरी शॉप डाल ली जाये तो। पैसे इतने ही पड़े–पड़े सर जायेंगे और गोल्ड इतना है कि कहीं बिक न पायेगा।


रूही:– बात तो सही कह रहे हो, लेकिन हम यहां टूरिस्ट वीजा पर है। 6 महीने के लिये घर लीज पर लिया है। यहां धंधा शुरू करना तो दूर की बात है, लंबे समय तक रहने के लिये पहले जुगाड करना होगा।


आर्यमणि:– सबसे आसान और बेस्ट तरीका क्या है।


रूही:– यहां के किसी निवासी से शादी कर के ग्रीन कार्ड बनवा लो। लेकिन फिर उन तीनो का क्या...


आर्यमणि:– हम इतना डिस्कस क्यों कर रहे है। वो मॉल का मैनेजर है न निकोल, उसके पास चलते हैं। वैसे भी उसका क्रिसमस का महीना तो हमने ही रौशन किया है न।


रूही:– एक काम करते है, दोनो के लिये बढ़िया सा गिफ्ट लेते है। 1 बॉटल सैंपियन कि और कुछ मंहगे खिलौने उनके बच्चे के लिये।


आर्यमणि:– हां चलो ये भी सही है...


दोनो बाजार निकले वहां से महंगा लेडीज पर्स, मंहगी वॉच, बच्चों के लिये लेटेस्ट विडियो गेम, और एक जो गोद में था उसके लिये खूबसूरत सा पालना। सारा गिफ्ट पैक करके आर्यमणि और रूही निकोल के घर रात के करीब 9 बजे पहुंचे। बेल बजी और दरवाजे पर उसकी बीवी। बड़ा ही भद्दा सा मुंह बनाते, बिलकुल रफ आवाज में पूछी... "क्या काम है।"…


शायद यहां के लोगों को पहचान पूछने की जरूरत न पड़ती। सीधा काम पूछो और दरवाजे से चलता करो। आर्यमणि और रूही उसकी बात सुनकर बिना कुछ बोले ही वहां से निकलने लगे। वह औरत गुस्से में चिल्लाती... "बेल बजाकर परेशान करते हो। शक्ल से ही चोर नजर आ रहे। रूको मैं अभी तुम्हारी कंप्लेन करती हूं।"..


आर्यमणि:– मुझे निकोल से काम था लेकिन तुम्हारा व्यवहार देखकर अब मैं जा रहा। अपने हब्बी से कहना वही आदमी आया था जिसने उसके कहने पर 30 हजार यूएसडी के समान लिये। लेकिन अब मुझे उसके यहां का व्यवहार पसंद नही आया।


वह औरत दरवाजे से ही माफी मांगती दौड़ी लेकिन आर्यमणि रुका नही और वहां से टैक्सी लेकर अपने घर लौट आया। घर लौटकर वह हाल में बैठा ही था कि पीछे से घर की बेल बजी। आर्यमणि ने दरवाजा खोला तो सामने निकोल और उसकी बीवी खड़े थे। आर्यमणि भी उतने ही रफ लहजे में.… "क्या काम है।"…


वह औरत अपने दोनो हाथ जोड़ती.… "कुछ लड़के पहले ही परेशान कर के गये थे इसलिए मैं थोड़ी उखड़ी थी। प्लीज हमे माफ कर दीजिये।"..


आर्यमणि पूरा दरवाजा खोलते... "अंदर आओ"…


निकोल:– सर प्लीज बात दिल पर मत लीजिये, मैं अपनी बीवी की गलती के लिये शर्मिंदा हूं।


आर्यमणि:– क्यों हमारे शक्ल पर तो चोर लिखा है न... तुम्हारी बीवी ने तो हमे चोर बना दिया। न तो तुम्हारी माफी चाहिए और न ही तुम्हारे स्टोर का एक भी समान।


आर्यमणि की बात सुनकर स्टोर मैनेजर निकोल का चेहरा बिल्कुल उतर गया। एक तो दिसंबर का फेस्टिव महीना ऊपर से जॉब जाने का डर। निकोल का चेहरा देख उसकी बीवी का चेहरा भी आत्मग्लानी से भर आया... "वापस करने दो इसे समान, मैं खरीद लूंगी। बल्कि आपके पहचान का कोई कार डीलर हो तो वो भी बता दीजिए"…


रूही की आवाज सुनकर निकोल का भारी मन जैसे खिल गया हो.… "क्या मैम"..


आर्यमणि:– उसका नाम रूही है और मेरा...


निकोल:– और आपका आर्यमणि। यदि आप मजाक कर रहे थे वाकई आपने मेरे श्वांस अटका दी थी। और यदि मजाक नही कर रहे तो समझिए श्वान्स अब भी अटकी है।


आर्यमणि, अपने हाथ से उन्हे गिफ्ट देते... "आपकी पत्नी ने हमारा दिल दुखाया इसलिए हमने भी वही किया। अब बात बराबर, और ये गिफ्ट जो आपके लिये लेकर आये थे।"..


गिफ्ट देखकर तो दोनो मियां–बीवी का चेहरा खिल गया। ऊपर से उनके बच्चों तक के लिये गिफ्ट। दोनो पूरा खुश हो गये। रूही, निकोल की बीवी के साथ गिफ्ट का समान कार में रखवा रही थी और निकोल, आर्यमणि के साथ था।


निकोल:– बताइए सर क्या मदद कर सकता हूं।


आर्यमणि:– यदि मैं यहां के किसी लोकल रेजिडेंस से शादी कर लूं तो मुझे ग्रीन कार्ड मिल जायेगी...


निकोल:– थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन हां मिल जायेगी..


आर्यमणि:– मेरे साथ तीन टीनएजर रहते है, फिर उनका क्या?


निकोल:– तीनों प्रवासी है और क्या आप पर डिपेंडेंट है..


आर्यमणि:– हां...


निकोल:– आपको मेयर से मिलना चाहिए। आप पसंद आ गये तो आपके ग्रीन कार्ड से लेकर उन टीनएजर के एडोप्टेशन का भी बंदोबस्त हो जायेगा।


आर्यमणि:– और क्या मेयर मुझसे मिलेंगे...


निकोल:– हां बिलकुल मिलेंगे.... शॉपिंग मॉल उन्ही का तो है। कहिए तो मैं अपॉइंटमेंट ले लूं।


आर्यमणि:– रहने दो, हमारी बात नही बनी तो तुम्हारी नौकरी चली जायेगी।


निकोल:– मुझे यकीन है बात बन जायेगी। मैं अपॉइंटमेंट फिक्स करके टेक्स्ट करता हूं।


2 दिन बाद मेयर से मीटिंग फिक्स हो गयी। आर्यमणि और रूही उससे मिले। कुछ बातें हुई। 50 हजार यूएसडी उसके इलेक्शन फंड में गया। 10 हजार डॉलर में एक लड़का और एक लड़की ने दोनो से शादी कर ली। मैरिज काउंसलर ने आकर विजिट मारी। सारे पेपर पुख्ता किये। उसके बाद वो दोनो अपने–अपने 10 हजार यूएसडी लेकर अपने घर। अब बस एक बार तलाक के वक्त मुलाकात करनी थी, जिसका पेपर पहले ही साइन करवा कर रख लिया गया था।


आर्यमणि मिठाई लेकर मेयर के पास पहुंचा और अपने आगे की योजना उसने बतायी की कैसे वह कैलिफोर्निया के पास जो गोल्ड माइन्स है उसके जरिये सोने का बड़ा डिस्ट्रीब्यूटर बनना चाहता है। हालांकि पहले तो मनसा ज्वेलरी शॉप की ही थी लेकिन थोड़े से सर्वे के बाद यह विकल्प ज्यादा बेहतर लगा।


मेयर:– हां लेकिन सोना ही क्यों? उसमे तो पहले से बहुत लोग घुसे है।


आर्यमणि:– हां लेकिन आप तो नही है न इस धंधे में..


मेयर:– न तो मैं इस धंधे में हूं और न ही कोई मदद कर सकता हूं। इसमें मेरा कोई रोल ही नही है। सब फेडरल (सेंट्रल) गवर्मेंट देखती है।


आर्यमणि:– हां तो एक गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री हम भी डाल लेंगे। इसमें बुराई क्या है। प्रॉफिट का 10% आपके पार्टी फंड में। बाकी आप अपना पैसा लगाना चाहे तो वो भी लगा सकते है।


मेयर:– कितने का इन्वेस्टमेंट प्लान है?


आर्यमणि:– 150–200 मिलियन डॉलर। आते ही 2 मिलियन खर्च हो गये है। कुछ तो रिकवर करूंगा।


मेयर:– मुझे प्रॉफिट का 30% चाहिए.. वो भी अनऑफिशियली..


आर्यमणि:– मुझे मंजूर है लेकिन 50 मैट्रिक टन बिकने के बाद ये डील शुरू होगी।


मेयर:– और 50 मेट्रिक टन का प्रॉफिट...


आर्यमणि:– उसमे हम दोनो में से किसी का प्रॉफिट नही होगा। आप अनाउंस करेंगे की पहले 50 मेट्रिक टन तक हम धंधा जीरो परसेंट पर करेंगे। ये आपके इलेक्शन कैंपेन में काम आयेगा और हम कुछ कस्टमर भी बना लेंगे...


मेयर:– गोल्ड का रेट फेडरल यूनिट तय करती है उसमे कम या ज्यादा नही कर सकते। हां लेकिन तुम 20 मेट्रिक टन का प्रॉफिट कैलिफोर्निया के नाम अनाउंस कर दो और 30 मैट्रिक टन का प्रॉफिट सीधा फेडरल यूनिट के नाम, फिर तो तुम हीरो हुये।


आर्यमणि:– ऐसी बात है क्या? फिर तो अभी से कर दिया।


मेयर:– बधाई हो। सही धंधा अच्छा चुना है। हां लेकिन कुछ और धंधा करते तो मैं भी तुम्हारे साथ अपना पैसा लगाता।


आर्यमणि:– और अब..


मेयर:– अब तो तुम मेरे खास दोस्त हो। परमिशन से लेकर लैंड और फैक्ट्री सेटअप सब मेरी कंपनी को टेंडर दे दो। 1 महीने में काम पूरा हो जायेगा।


आर्यमणि:– ठीक है पेपर भिजवा देना, मैं साइन कर दूंगा।


मेयर:– "ओह हां एक बात मैं बताना भूल ही गया। इस से पहले की तुम पेपर साइन करो मैं एक बात साफ कर दूं, मैं गोल्ड का धंधा सिर्फ इसलिए नहीं करता क्योंकि वह धंधा मेरा बाप करता है। यदि मैंने उसके धंधे में हाथ डाला फिर मैं और मेरा करियर दोनो नही रहेगा। एक तो वैसे ही बाहर से आये हो ऊपर से बड़े लोगों का धंधा कर रहे। कहीं कोई परेशानी होगी तो मैं बीच में नही आऊंगा उल्टा उन परेशान करने वालों में से मैं भी एक रहूंगा।"

"अपनी सारी टर्म्स डिस्कस हो चुकी है। रिस्क मैंने तुम्हे बता दिया। इसके बाद तुम आगे अपना सोच कर करना। यदि गोल्ड का बिजनेस नही करना तो हम कुछ और धंधे के बारे में डिस्कस कर सकते हैं जिसमे कोई रिस्क नहीं होगा।"


आर्यमणि:– वो धंधा ही क्या जो रिस्क लेकर न किया जाये। आप तो गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन का सारा प्रक्रिया कर के, गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री की परमिशन ले लो।


मेयर हंसते हुये हाथ मिलाते... "लगता है कुछ बड़ा करने के इरादे से यहां पहुंचे हो।"..


आर्यमणि:– वो कारनामे ही क्या जो बड़ा ना हो। चलता हूं।
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भाग:–66





लगभग २ महीने बाद… बर्कले, कार्लीफिर्निया, यू.एस.ए


शांत सा माहौल, पशु पक्षियों की आवाज और एक प्यारा सा 2 फ्लोर का कॉटेज, जो शानदार तरीके 4000 स्क्वायर फुट में बाना हुआ था। 2 कमरा, किचेन, लिविंग रूम और हॉल नीचे। ऊपर 3 कमरे और एक्सरसाइज करने के लिए बड़ा सा क्षेत्र। साइड से बड़ा सा गराज जिसमे 4-5 गाड़ियों के रखने कि जगह थी। उसी के नीचे एक बेसमेंट जिसे अपनी जरूरतों के हिसाब से इस्तमाल कर सकते थे, वहां सोने की रिम को रख दिया गया था। आगे बड़ा सा लॉन और पार्किंग स्पेस, उसी के साथ किनारे से कई खड़े बृक्ष की फेंसिंग। 200 मीटर के दायरे में कोई घर नहीं। और पीछे पुरा जंगल और पहाड़, जहां बहुत कम ही लोग जाया करते थे।…


"सो कैसा है ये तुम्हारा घर"… आर्य ने सबसे पूछा।


अलबेली:- कभी नागपुर से कोल्हापुर नहीं गयी और 2 महीने में दुनिया घुमाकर यहां तक पहुंचा दिये बॉस… वूहू.. लेकिन बॉस ये मेरा नाम मर्करी काहे रख दिये, बल्ब की जगह मुझे ही जलाओगे क्या?


उसकी बात सुनते ही सभी हसने लगे… "अरे ये फेक नाम है, तुझे यहां तेरे अपने नाम से ही पुकरेंगे। ड्रामा क्वीन अलबेली, और स्कूल के लिए जो नाम होगा वो है केली"..


ओजल:- केला की बहन केली।


अलबेली:- अब सब मुझे ऐसे ही नाम दो। लेकिन मुझे अलबेली ही बुलाना। आई ने रखा था, सुनने में अच्छा लगता है।


आर्यमणि:- अब शांति से सब सुनेगे। ये भारत नहीं है कि किसी के भी फटे में घुस गये। यहां लोग दावत पर भी जाते है तो अपने घर से खाना उठा कर ले जाते है। इसलिए जो तुमसे बात करने आये उसी से बात करना।


इवान:- कैसे बात करूं, मराठी या हिंदी में।


अलबेली:- तू गूंगा बनकर बात कर। मै भी वही करने वाली हूं। हमारे बीच तो ये रूही और बॉस ही है इंजिनियरिंग वाले।


आर्यमणि:- 2–4 लाइन बोलना अलग बात है लेकिन यहां रहने के हिसाब से तो ये भाषा मुझे भी नही आती। परेशानी तो है लेकिन इसका एक हल भी है। रूही अपने पास वुल्फबेन कितना बचा है।


रूही:- नहीं खुद से सीख लेंगे आर्य, ये चीटिंग है।


इवान:- हां तो रूही को खुद से सीखने दो, हमे पंजा फाड़ गर्दन का ज्ञान भी चलेगा।


आर्यमणि:- अब पैक की मेजोरिटी कह रही है रूही मान जाओ। भाषा सीखे बिना कैसे काम बनेगा। चलो अंग्रेजी का टीचर ढूंढा जाये।


रूही:- मै कह रही हूं ये चीटिंग है, और मै कहीं नहीं जाने वाली। मेरा दिल गवारा नहीं कर रहा। किसी की मेमोरी से उसकी स्टडी चुराना और फिर दूसरे के मेमोरी में डालना।


अलबेली:- कौन सा हम रोज-रोज करेंगे। केवल आज ही तो करेंगे इसके बाद नहीं।


रूही:- ये प्रकृति के नियम के खिलाफ है। प्योर अल्फा की शक्ति का नाजायज फायदा ले रहे हो आर्य।


आर्यमणि:- हम्मम ! बात तो तुम सही कह रही हो रूही। लेकिन कभी-कभी हमे आउट ऑफ द वे जाकर काम करना पड़ता है। मै वादा करता हूं, ये हम पहला और आखरी ऐसा काम करेंगे जो वाकई में हमे नहीं करना चाहिए था।


बाकी सब भी रूही और आर्यमणि के हाथ के ऊपर हाथ रखते… "हम भी वादा करते है।"..


रूही:- हां ठीक है समझ गयी.. लेकिन ये आखरी बार होगा। चलो चलते है।


ओजल:– जब सब राजी हो ही गये है, तो मैं चाहूंगी कि मुझे किसी कंप्यूटर जीनियस का ज्ञान मिले।


इवान:– फिर मुझे केमिस्ट्री का ज्ञान चाहिए।


अलबेली:– अंग्रेजी के बदला ये क्या सब सीख रहे है। इवान मुझे भी कुछ अच्छा बता...


रूही:– ये कुछ ज्यादा नही हो रहा...


इवान:– ये ज्यादा उनसे क्यों नही पूछते जिन्होंने हमें अंधेरे में फेंक दिया। वैसे हम है तो इंसान ही, फिर इंसानियत के लिये कुछ सीख रहे इसमें बुराई क्या है?


रूही:– वाह!!! सोच अच्छा करने की और रास्ता ही गलत चुन रहे, फिर अच्छे बुरे में अंतर कैसे करोगे।


ओजल, रूही के कंधे से लटकती... "तुम क्यों हो दीदी। इसके बाद जैसा तुम कहोगी हम आंख मूंद कर कर लेंगे।अच्छा और बुरे का अंतर आप हमसे बेहतर जानती हो। अलबेली तू फिजिक्स ले"


रूही:– वाह!!! अभी तक मैने तो हां–हूं भी नही किया और अपनी बात कहने के बाद सीधा आगे के कार्यक्रम में लग गये।


अलबेली:– ओ दीदी, लोगों ने हमारे साथ बेईमानी करके हमें वक्त से पीछे धकेल दिया। आज थोड़ा हम बेईमानी करके आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे। अब मान भी जाओ...


रूही:– ठीक है चूंकि ये आखरी बार है इसलिए अपने मन के विषय ले लो। बॉस पूरी की पूरी पढ़ाई दिमाग में डाल देना इतना आसान होगा क्या? अभी तक तो तुम केवल कुछ यादें ही डाले हो किसी के दिमाग में, उसका भी डेटा ना लिया की यादें डालने के बाद दिमाग की क्या हालत होती होगी। ऐसे में इतनी सारी यादें एक साथ डालना, क्या यह सुरक्षित होगा?


आर्यमणि:– मुझे नही पता, लेकिन इसका भी उपाय है। मैं इस पर पहले सोध कर लूंगा।


रूही:– हां ये ठीक रहेगा। तो साेध कैसे करे।


आर्यमणि:– अपने पसंदीदा विषय वनस्पति विज्ञान से..


रूही:– ठीक है चलो कोशिश करते हैं।


वहीं से एक टैक्सी बुक हुई। वुल्फबेन का एक इंजेक्शन लिया उन लोगों ने और चल दिए इंटरनेट के पते पर, जहां वनस्पति विज्ञान के महान सोधकर्ता रहते थे। मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में जैसे ही घुसने लगे, गार्ड उसे रोकते… "यहां क्या काम है।" (परिवर्तित भाषा)


आर्यमणि:- वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर विलियम कूपर से मिलना है।


गार्ड:- सर से मिलने का अपॉइंटमेंट है।


आर्यमणि, 10 डॉलर का एक नोट दिखाते… "मेरे पास ये है, मीटिंग हो पायेगी क्या।"


गार्ड:- मुझे नहीं पता वो अभी है भी या नहीं।


आर्यमणि, 10 डॉलर के 2 नोट दिखाते… "अब"


गार्ड:- पूछना पड़ेगा।


आर्यमणि, 3 नोट निकालकर…. "इसके बाद चला जाऊंगा।"..


गार्ड, 30 डॉलर झटपट खींचते.… "50 डॉलर कूपर सर के असिस्टेंट के लिए और सर से मिलना किस उद्देश्य से आये हो।


आर्यमणि, 50 डॉलर बढ़ाते… "उनसे वनस्पति विज्ञान सीखनी है। जो भी उनकी फीस है, अभी पुरा एडवांस दे दूंगा। लेकिन पहले एक डेमो क्लास लेंगे।"..


गार्ड उसे अपने पीछे आने कहा। सभी पीछे-पीछे चल दिये। गार्ड ने सामने से असिस्टेंट को 50 डॉलर थमाया और मामला समझाया। असिस्टेंट ने पांचों को एक झलक देखा और अंदर जाकर कुछ देर बाद वापस आया।… "तुम लोग मेरे साथ आओ।"..


सभी अंदर के एक वेटिंग एरिया में आकर बैठ गये। कुछ देर बाद विलियम मास्टर साहब आये। थोड़ी बहुत पूछताछ के बाद पांचों को एक छोटे से क्लास में ले गये। रूही चोर नजर से चारो ओर देखी और आर्यमणि के कान में कहने लगी… "यहां तो 2 सीसी टीवी कैमरे लगा हुआ है।"..


आर्यमणि:- वाशरूम का पूछो उससे है की नहीं, और चेक करके आओ वहां कोई कैमरा तो नहीं लगा। साले के शक्ल पर ही ठरकी लिखा है।


रूही, आर्यमणि की बात सुनकर हसने लगी। वो जाकर अपने एनिमल इंस्टिंक्ट से चारो ओर का जायजा लेने लगी, आर्यमणि का शक सही था। उस छोटे बाथरूम में तो 3 कैमरा लगा था। रूही वापस आकर सारा ब्योरा आर्यमणि के कानो में दी, और कहने लगी… "अब क्या करेंगे।"…


आर्यमणि सबको खड़े हो जाने का इशारा किया और इशारों में समझा दिया इसे घेरकर अपना काम करना है। पांचों खड़े हो गये। विलियम कूपर को चारो ओर से घेर लिया गया। अचानक से पांचों को यूं गोल घेरे देख विलियम घबराकर उठने की कोशिश कर ही रहा था कि इतने में एक इंजेक्शन उसे लग गया और आर्यमणि के बड़े–बड़े नाखून उसके गर्दन में।"..


लगभग 70–80 मिनट की प्रक्रिया और उसके बाद आर्यमणि ने उसे हील कर दिया। सब लोग वापस आकर बैठ गये। विलियम की आखें खुलते ही आश्चर्य से वो देखते… "तुम सब यहां थे ना।"..


आर्यमणि:- आपने ही तो बुलाया था।


वो कॉफ्यूज होकर अपना सर खुजाने लगा। 45 मिनट का डेमो क्लास था, घड़ी देखा तो 1 घंटा से ऊपर हो गया था। कूपर चेहरे से काफी कन्फ्यूज दिख रहा था। पूरे अल्फा पैक को एक नजर बड़े ध्यान से देखते... "क्या तुम्हारा डेमो क्लास खत्म हो गया?"


आर्यमणि:– हां बिलकुल मिस्टर कूपर...


कूपर:– तो आगे के क्लास के बारे में क्या सोचा है?


आर्यमणि:- मिस्टर कूपर आप बहुत हाई क्लास पढ़ाते है और हम बेसिक वाले है। रहने दीजिये और अपने एक क्लास की फीस बताईये।


विलियम थोड़ा चिढ़ते हुए… "500 डॉलर।"


आर्यमणि:- पागल हो गया है क्या? मुझे रसीद दो बाकी मैं लीगल में देख लूंगा।


विलियम तुरंत अपने सुर बदलते… "50 डॉलर दो, और यदि क्लास शुरू करना हो तो उसके लिये एडवांस 1000 डॉलर लगेंगे, तुम सभी के महीने दिन की फीस।


आर्यमणि उसे 50 डॉलर देकर वहां से बाहर आया। जैसे ही अल्फा पैक बाहर आया कान फाड़ हूटिंग करने लगे। आवाज इतनी तेज थी कि मामला थाने पहुंच गया और पांचों को पुलिस ने पहली हिदायत देकर छोड़ दिया। खुश तो काफी थे। वहीं से पूरा अल्फा पैक शॉपिंग के लिये निकल गया। शॉपिंग तो ऐसे कर रहे थे जैसे पूरे शॉपिंग मॉल को लूट लेंगे। अत्याधुनिक जिम सेटअप, कपड़े, ज्वेलरी, टीवी, वाशिंग मशीन, घर के जरूरतों के ढेर सारे उपकरण, लैपटॉप, मोबाइल, ग्रॉसरी के समान। जो भी जरूरत का दिखता गया सब उठाते चले गये। एक शाम की शॉपिंग पर उन लोगों ने 50 हजार डॉलर उड़ा दिये।


अब जहां रहते है, वहां के कुछ नियम भी होंगे। शॉपिंग मॉल के मैनेजर ने आर्यमणि को इंश्योरेंस पॉलिसी समझाकर हर कीमती सामान का इंसोरेंस कर दिया। इसके अलावा घर की सुरक्षा के मद्दे नजर 5000 यूएसडी का अलार्म सिक्योरिटी सिस्टम को इंस्टॉल करने का सुझाव देने लगा। आर्यमणि को लग गया की ये बंदा काम का है। उसने भी तुरंत अपने बिजली, गैस, पानी इत्यादि के कनेक्शन की बात कर ली। मैनेजर ने भी वहीं बैठे–बैठे मात्र एक फोन कॉल पर सारा काम करवा दिया।


आर्यमणि भी खुश। कौन सा अपने पैसा लग रहा था, इंसोरेंस, सिक्योरिटी इत्यादि, इत्यादि जो भी मैनेजर ने सुझाव दिया आर्यमणि उसे खरीद लिया। 50 हजार यूएसडी शॉपिंग मॉल में और 30 हजार यूएसडी मैनेजर के सजेशन पर आर्यमणि ने खर्च कर डाले। इधर आर्यमणि ने मैनेजर के कहे अनुसार समान खरीदा। उधर मॉल के मैनेजर ने उन लोगों का समान फ्री डेलिवरी भी करवाया और इलेक्ट्रॉनिक सामान को उसके घर में लगाने के लिये इलेक्ट्रीशियन और टेक्नीशियन दोनो को साथ ही भेज दिया। साथ में अन्य टेक्नीशियन भी थे जो अन्य जरूरी चीजों को घर में फिट करते।


शाम तक इन लोगों का घर कंप्लीट हो चुका था जहां जिम, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, केबल, वाईफाई, हाई सिक्योरिटी अलार्म, गैस कनेक्शन, पानी कनेक्शन, इत्यादि, इत्यादि लग चुके थे। सभी लोग आराम से फुर्सत में बैठे। लिविंग रूम में क्राउच लग गया था। पांचों वहीं बैठकर आराम से पिज्जा का लुफ्त उठाते.… "बॉस अब एक्सपेरिमेंट हो जाये क्या?"


आर्यमणि:– ठीक है पहले रूही से ही शुरू करते हैं।


रूही:– नाना, कुछ गड़बड़ हो गयी तो मैं मेंटल हो जाऊंगी। पहले अलबेली पर ट्राय करो।


अलबेली:– नाना, ओजल ने इसके लिये सबसे ज्यादा मेहनत की है। ओजल को पहला मौका मिलना चाहिए।


ओजल:– मुझे कोई ऐतराज नहीं। अब जब मैं जोखिम उठा रही हूं तो ज्ञान के भंडार को दिमाग में संरक्षित करने के संदर्भ में मेरी कुछ इच्छा है। यदि ये प्रयोग सफल हुआ तब वह करेंगे। और मैं पूछ नही रही हूं। बॉस मैं रिस्क ले रही तो मेरी बात मानोगे या नही।


आर्यमणि हां में अपना सर हिलाया और गर्दन के पीछे अपने क्ला घुसाकर आंख मूंद लिया। पहला खेप ज्ञान का उसने अंदर डाला। विलियम कूपर से जितना फिल्टर ज्ञान लिया था, उसका 1% अंदर डाल दिया। एक मिनट बाद दोनो में अपनी आंखें खोल ली। हर कोई ओजल को बड़े ध्यान से देख रहा था। ओजल कुछ पल मौन रहने के बाद.… "क्या हुआ ऐसे घूर क्यों रहे हो?"


सब लोग ध्यान मुद्रा से विश्राम की स्थिति में आते... "तू ठीक तो है न। दिमाग के पुर्जे अपने जगह पर"…. अलबेली मजाकिया अंदाज में पूछी... ओजल उसकी बातों को दरकिनार करती... "वहां से डिक्शनरी उठाओ और मैं जो बोल रही उसे मैच करके देखो।"… अपनी बात कह कर ओजल ने मशरूम को अपने हाथ में लेकर... "इसे एगारिकस बिस्पोरस कहते है।"


अलबेली चौंकती हुई... "क्या एंगा रिंगा विस्फोटस, ये कैसा नाम है "


आर्यमणि:– अलबेली कुछ देर बस चुप चाप देखो... ओजल बहुत बढ़िया। कुछ और बताओ...


ओजल फिर वनस्पति विज्ञान के बारे में कुछ–कुछ बताने लगी। आर्यमणि उसे बीच में ही रोकते वापस क्ला उसके गर्दन में घुसाया और इस बार 30% यादें डाल दीया। ओजल इस बार आंख तक नही खोल पा रही थी। उसके सर में जैसे फुल वॉल्यूम पर डीजे बज रहा हो। उसे आंख खोलने में भी परेशानी हो रही थी। आर्यमणि समझ गया की एक साथ इतनी ज्यादा याद दिमाग झेल नहीं पायेगा, इसलिए उसने तुरंत अपना क्ला अंदर डाला और 5 फीसदी याद को ओजल के दिमाग से हटा दिया। हां लेकिन 25% यादें भी ओजल को उतनी ही तकलीफ दे रही थी। आर्यमणि ऐसे ही 5% और कम किया। लेकिन ओजल के लिये फिर भी कोई राहत नहीं। कुल 10% पर जब आया तब जाकर ओजल पूरी तरह से होश में आयी और उसका व्यवहार भी सामान्य था।


आर्यमणि समझ चुका था कि एक बार कितनी यादों को दिमाग में डालना है। हां लेकिन दोबारा याद को अंदर डालने के लिये दिमाग कितने देर में तैयार होता है, यह समझना अभी बाकी था। आर्यमणि पहले एक घंटा से शुरू किया। यानी की एक घंटे बाद आर्यमणि, ओजल के दिमाग में कुछ डाला, लेकिन एक घंटे बाद भी वही समस्या हुई। एक घंटा का समय अंतराल 2 घंटा हुआ, फिर 3 घंटा। 21 घंटे बाद जब आर्यमणि ने ओजल के दिमाग में वापस कुछ याद डाला तब जाकर कोई समस्या नहीं था। आर्यमणि ने इस बार एक साथ 15% यादें डाल दिया। 15% याद ओजल ने बड़े आसानी से अपने अंदर समेट लिया।



आर्यमणि ने फिर एक पैमाना तय कर लिया। उसे समझ में आ चुका था कि वुल्फ ब्रेन होने के कारण हर बार याद समेटने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही साथ २ याद डालने के बीच में समय अंतराल भी कम लगता है। जैसे पहले 21 घंटा था तो अगली बार मात्र 15 घंटे लगे। परीक्षण सफल रहा और अगले 4 दिन में विलियम कूपर का पूरा ज्ञान हर किसी में साझा हो चुका था। इसी के साथ ओजल ने अपनी शर्त भी रख दी। उसे कंप्यूटर साइंस के अलावा अंग्रेजी भाषा पर भी पूरा कमांड चाहिए, इसलिए किसी इंग्लिश के विद्वान का ज्ञान भी उसे चाहिए। और जो अलग–अलग विषय सबने चुने है, वो सारे विषय हर कोई एक दूसरे से साझा करेगा।


अब चुकी ओजल के शर्त पर सबने हामी भरी थी और किसी को कहीं से कोई बुराई नजर नही आ रही थी, इसलिए सब राजी हो गये। न सिर्फ कैलिफोर्निया से बल्कि अमेरिका के दूसरे शहरों से भी विद्वान को ढूंढा गया और बड़े ही चतुराई से सबका ज्ञान अपने अंदर समेट लिया गया। जैसे कंप्यूटर साइंस और जीव विज्ञान के लिये न्यूयॉर्क के 1 विद्वान प्रोफेसर और एक विद्वान डॉक्टर को पकड़ा, तो वाणिज्य शस्त्र और अंग्रेजी के लिये वॉशिंगटन डीसी पहुंच गये। ऐसे ही करके पांचों ने पहले विलियम कूपर का दिमाग अपने रिसर्च के लिये इस्तमाल किया। उसके बाद ओजल की अंग्रेजी और कंप्यूटर साइंस, आर्यमणि का जीव विज्ञान, रूही का वाणिज्य शास्त्र, इवान की केमिस्ट्री और अलबेली की फिजिक्स के लिये विद्वानों को ढूंढा गया। उनके अध्यन को उनके दिमाग से चुराया गया और उसके बाद मे हर किसी के पास हर विषय को साझा कर दिया गया।
Dhasssu updates👍🎉
 

nain11ster

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nain11ster भाई आर्यमणी हथियार भी लेकर आया था उनका क्या करा ?????????​

Hathiyar to usne nagpur ke junglon me hi chhod aaya... Yaad nahi usne apne van me hathiyar rakhwaya aur sardar khan ko apne van se volvo me... Aur wo volvo se nikal gaya... Van wahin khadi rahi
 
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