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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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भाग:–68







धीरे धीरे करके एक छोटा सा आशियाना तैयार हो गया। सुबह ट्रेनिंग और तीनों टीन वूल्फ के झगड़ो की आवाज गूंजती। ड्राइविंग स्कूल में तीनों का एडमिशन भी हो गया और वहां के संचालक द्वार क्लीन चिट यानी की ड्राइविंग लाइसेंस मिलने पर तीनों के लिये अपनी-अपनी गाडियां।


इसी बीच इन तीनों के एडमिशन का भी टेस्ट हुआ। टेस्ट रिजल्ट देखकर प्रिंसिपल बोलने लगे, तीनों को हम ग्रेड 12th का टेस्ट लेंगे, इसके बाद बताएंगे। 12th ग्रेड का टेस्ट होने से पहले तीनों को हिदायत मिल गयी की पेपर के 3 सवाल छोड़ दे। फाइनली टेस्ट हुआ रिजल्ट आया और तीनों का 12th ग्रेड में एडमिशन। आर्यमणि के जेब से 3000 डॉलर निकल गये। 20 दिन बाद आकर क्लास शुरू करने को कह दिया गया। बाहर निकलकर पांचों हंसते हुए विलियम बाबा की जय कर रहे थे। लगभग एक रूटीन कि लाइफ, जिसमें सुबह की मजबूत ट्रेनिंग, उसके बाद कोई काम नहीं जिसे जहां जाना है जाओ घूमना है घूमो, फिर शाम को ओजल, इवान और अलबेली की ड्राइविंग स्कूल।


स्कूल का पहला दिन। अलबेली और ओजल ने जैसा सोचा था ठीक वैसा ही स्कूल कैंपस था। लड़के–लड़कियां घास पर लेटे बातें कर रहे है। कुछ लड़के सपोर्ट टीम के कपड़ों में घूम रहे थे। कैंपस में कई लव बर्डस भी घूम रहे थे, तो कुछ पढ़ाकू टाइप भी थे। ओजल और अलबेली को हंसी तब आ गयी जब कुछ लड़कियां अपने पैंटी का प्रदर्शन करती, केवल अपने पिछवाड़े को ढकने जितना छोटा मिनी–स्कर्ट पहन कर ग्रुप में फुदक रही थी। चीयर गिर्ल्स…


इवान की इन सब पर कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, वो बस दोनो के साथ था। 3 टीन वुल्फ जिनकी देह दशा बिल्कुल अलग। लंबी कद-काठी के साथ-साथ शरीर की आकर्षक संरचना। चेहरे की बनावट और आकर्षण ऐसा की नजर भर देखने पर मजबूर कर दे। तीनों गये प्रिंसिपल ऑफिस और वहां से अपने-अपने क्लास का पता करके क्लास में। कुछ क्लास तीनों के साथ में थे, और 1–2 क्लास अलग–अलग। बीच में बहुत सारे खाली परियड्स।


वो कहते है ना सब कुछ फिल्मी हो जाये तो बात ही क्या थी फिर। लड़के और लड़कियों के ग्रुप द्वारा तंग करना, टांग खिंचना और कमेंट पास करने जैसा कुछ नहीं था। यहां के स्टूडेंट्स जो भी करते आपस के ग्रुप में ही करते और अपनी ही दुनिया में मस्त रहते, कौन आया कौन गया उनसे कोई मतलब नहीं। सब कुछ जैसे सामान्य रूप से चल रहा था। तीनों टीन वुल्फ को उनका काम मिल चुका था। एक आर्यमणि और रूही थे जिनके काम की कोई खबर नहीं थी। मेयर बात तो बड़ी–बड़ी कर रहा था, लेकिन एक महीना से ऊपर हो गया, न तो गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री की परमिशन मिली थी और ना ही उसके फैक्ट्री का कोई काम आगे बढ़ा था। ऊपर से बेसमेंट में रखा सोना किसी सर दर्द से कम नहीं था।


रूही:– बॉस ये मेयर कहीं सिर्फ ग्रीन कार्ड दिलाने का 50 हजार यूएस डॉलर तो न ले लिया।


आर्यमणि:– 50 कहां कुल 70 हजार यूएसडी खर्च हुये हैं रूही।


रूही:– मैं जरा इस मेयर के घर की सिक्योरिटी ब्रिज को समझती हूं। आज रात विजिट मारते हैं।


आर्यमणि:– हम्मम… अच्छा प्लान है।


देर रात का वक्त मेयर अपने बेडरूम में सोया था। सुरक्षा के लिहाज से अति–सुरक्षित घर। आर्यमणि और रूही सभी सुरक्षा प्रणाली को भेदकर दबे पाऊं दोनो (आर्यमणि और रूही) मेयर के बेडरूम में पहुंच चुके थे। मेयर मस्त किसी खूबसूरत महिला के साथ सो रहा था। रूही ने उसे इंजेक्शन लगाया और आर्यमणि ने उसके गर्दन में पंजा। 5 मिनट के बाद दोनो सड़क पर थे।


रूही:– क्या हुआ बॉस, ऐसा क्या देख लिया जो मुस्कुराए जा रहे।


आर्यमणि:– मेयर की बीवी और बच्चे बाहर गये है। मेयर यहां मस्त अपने स्टाफ के साथ सोया था।


रूही, भद्दा सा मुंह बनाते... "मर्द हो न इसलिए दूसरे मर्द की चीटिंग पर ऐसे मुस्कुरा रहे हो"


आर्यमणि:– गलत समझ रही हो। मैं तो ये सोच रहा था की यदि मेयर की बीवी को इस बार का पता चल जाये तो..


रूही:– उसे कैसे पता चलेगा..


आर्यमणि, अपना फोन दिखाते... "शायद पता चल भी चुका हो।"


रूही, हंसती हुई... "बॉस शरारती आप भी कम नही। मियां बीवी के झगड़े में बेचारे बच्चे पीस जायेंगे।"


आर्यमणि:– वो तो वैसे भी पीसने वाले थे। मेयर अपनी बीवी को मरवाना चाहता है।


रूही:– क्या?


आर्यमणि:– हां सही सुना तुमने। मेयर एक बड़े झोल में फसा हुआ है। देश के एक नामचीन नेता से गलत डील कर लिया। उसे तकरीबन 50 मिलियन चुकाने है और उसकी बीवी उसे एक रुपया नही दे रही।


रूही:– उसका इतना बड़ा बिजनेस है, फिर अपनी बीवी से पैसे क्यों मांगेगा...


आर्यमणि:– क्योंकि पूरा बिजनेस इसकी बीवी का है। अपने बीवी के वजह से ही वह मेयर भी बना है। करप्शन से कुछ पैसे तो जोड़े है लेकिन 50 मिलियन से बहुत दूर है। पहले ये पूरे पैसे मुझसे ही लेता लेकिन गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन का लाइसेंस ये बनवा नही पाया। फेडरल में अर्जी डाली तो थी इसने, लेकिन अगले ही दिन इसके बाप लोग पहुंच गये और फॉर्म इसके मुंह पर मारकर इतना ही कहा कि… "ये धंधा उनका है। अगली बार फॉर्म के जगह बॉम्ब फोड़कर जायेगा।"


मेयर ने उसे मेरे साथ बहुत भिड़ाने की कोशिश किया लेकिन उसने एक ही बात कही.… "यदि ऐसा था तो तू उसे गोली मारकर फोन करता, न की इसका फॉर्म तेरे ऑफिस से आता। मैं उसे बिलकुल नहीं जानता लेकिन इतना जानता हूं कि तू मर गया तो वो क्या कोई दूसरा भी इस धंधे को शुरू करने का सोचकर जब तुझ जैसे के साथ मिले तो उसका काम न हो।"… अब उस बेचारे ने मेरा काम किया नही, इसलिए मुझसे 50 मिलियन कैसे निकलवाता।


रूही:– हलवा है क्या जो हम 50 मिलियन दे देते..


आर्यमणि:– बड़े आराम से। इधर हम प्रोजेक्ट के लिये अपना सफेद पैसा दिखाते उधर कोर्ट में तलाक की अर्जी लगती। कोर्ट जुर्माने में हमारी आधी संपत्ति हमारे पेपर वाले जीवन साथी को दे देती। वहीं से ये मेयर अपना पैसा रिकवर करने वाला था।


रूही:– साला बईमान, अच्छा किया बॉस... ठूकने दो चुतीये को। लेकिन बॉस अपने तो 50 हजार यूएसडी गये न।


आर्यमणि:– ऐसे कैसे चले गये... उसके दिमाग से बैंक डिटेल निकाल लिया हूं। 4 मिलियन यूएसडी का मामला है और तुम जानती हो की बिना फसे कैसे पैसे ट्रांसफर करने है।


रूही:– कैसे करना है मतलब... हम दोनो तो साथ में ही होंगे न...


आर्यमणि:– नही.. मैं वेगस जाऊंगा और तुम तीनो को लेकर यूएसए के बाहर किसी रिमोट लोकेशन से मेयर के पैसे उड़ाओगी।


रूही, आंखें फाड़कर आर्यमणि को घूरती.… "बॉस वेगास.. जिस्म और जूए का शौक कबसे"…


आर्यमणि:– ए पागल सोने की डील करने जा रहा हूं। मेयर के उस बाप से मिलने जिसने मेरा डिस्ट्रीब्यूशन प्लांट लगने नही दिया।


रूही:– हम्मम !! ठीक है वीकेंड पर निकलते है। और कोई काम...


आर्यमणि:– अभी घर पर आराम से चलते है। आज एक नजर अपने इन्वेस्टमेंट पर भी मार लेते है।


दोनो देर रात घर पहुंचे। तीनों टीन वुल्फ मस्त नींद में सोये हुये थे। आर्यमणि और रूही लैपटॉप लेकर बैठे और अपने शेयर मार्केट के पैसों पर नजर देने लगे। दोनो अपने पैसे का ग्राफ ऊपर बढ़ता देख खुशी से एक दूसरे को गले लगाते.… "वूहू.. बॉस कुल मिलाकर हम 20% से ग्रो कर गये।"


आर्यमणि:– एक साथ सारे पैसे निकाल लो..


रूही:– लेकिन क्यों बॉस... मात्र २ कंपनी ही तो लॉस में है। बाकी सभी तो अच्छे ग्रोथ में है।


आर्यमणि:– 16 दिसंबर है आज... 9 दिन है अभी क्रिसमस में। अब वक्त है कंपनी बदलने का। रिटेल मार्केट में अभी काफी उछाल देखने मिलेगा, इसलिए सारा पैसा वहां लगा दो। 24 नवंबर को हम सारा पैसा निकाल लेंगे। जहां तक मेरी कैलकुलेशन कहती है, हम अगले 7–8 दिन में 30% और प्रॉफिट बनायेंगे।


रूही:– मैं क्या सोच रही थी 120 मिलियन यूएसडी को यहीं लगे रहने देते हैं। 24 दिसंबर तक 10 से 15% तक का प्रॉफिट यहां से आ जायेगा। हम 150 मिलियन और मार्केट में इन्वेस्ट कर देते है।


आर्यमणि:– हां ये ज्यादा बेहतर विकल्प है। वैसे "अस्त्र लिमिटेड" के शेयर मार्केट में आये या नही..


रूही:– अभी नही...


आर्यमणि:– नजर बनाये रखना क्योंकि उसके एक भी शेयर किसी दूसरे को नहीं लेने दे सकते।


रूही:– ऐसा क्या खास है आपकी कंपनी में...


आर्यमणि:– तुम नही जानती... अगर आज 1 रुपया से उसका शेयर शुरू होगा तो 5 साल बाद उसका शेयर अपने पीक पर होगा जो अनुमानित 10 हजार होगा। यानी एक शेर की कीमत अपने पहले दिन से 10000 गुणा ज्यादा की कीमत। इतना प्रॉफिट हमे किसी और में नही मिलने वाला। ऊपर से एक साथ हम इतने पैसे लगायेंगे की अपनी कम्पनी की तरक्की में और चार चांद लग जायेगा।


रूही:– ठीक है बॉस उसे सेंसेक्स पर रजिस्टर तो हो जाने दो पहले...


आर्यमणि:– हां ठीक है... चलो गुड नाईट..


दोनो सोने चल दिये। वीकेंड पर काम निपटाना था इसलिए सभी शुक्रवार की रात ही निकले। एक ओर रूही टीन वुल्फ के साथ कनाडा में नियाग्रा फॉल और टोरंटो देखने निकली, वहीं आर्यमणि लास वेगास निकला। अल्फा पैक संडे तक कनाडा में मजे करके लौट आती जबकि आर्यमणि गया और काम खत्म करके लौटा।



अल्फा पैक कनाडा टूर पर

वुल्फ कभी अकेला नहीं रहता, उनका शिकार हो जाता है। हर वुल्फ पैक की तरह अल्फा पैक भी भली भांति ये बात समझती थी, इसलिए 2 की टीम में ये लोग निकले थे। रूही और ओजल एक साथ थी, क्योंकि अलबेली का बड़बोलापन देखकर रूही ने ओजल को एडॉप्ट किया था, वहीं इवान और अलबेली आर्यमणि के हिस्से में थे।


टोरंटो लैंड करने के बाद रूही अपना काम करने एकांत की ऐसी जगह ढूंढने लगी जहां उसे कोई ढूंढ न पाये। इधर इवान और अलबेली दोनो टोरंटो शहर घूमने निकल गये। हां लेकिन सभी 2 किलोमीटर के दायरे में ही थे ताकि आराम से एक दूसरे को संदेश दे सके। शहर का माहौल और क्रिसमस का ऐसा समय था कि चारो ओर कपल ही कपल घूम रहे थे। हर उम्र के कपल दिख रहे थे जिनकी मस्ती दोनो के मन में जिज्ञासा पैदा कर रही थी। इवान से रहा न गया और वो अलबेली को हसरत भरी नजरों से देखते.… "क्या तू मेरी गर्लफ्रंड बनेगी"..


अलबेली:– क्या बात है, आखिर तूने पूछ ही लिया। कमर में हाथ डालकर चल ना। यहां आकर मुझे भी बड़ी इच्छा हो रही थी कि अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ घूमती। बड़ी संकोच में थी कि तुझसे पूछूं कैसे?


इवान, अलबेली के कमर में हाथ डालकर उसे जोड़ से खींच लिया। अलबेली झटका खा कर इवान से बिलकुल चिपक गयी। दोनो एक दूसरे के में चिपके बदन को अनुभव कर रहे थे। दोनो की नजरें एक दूसरे से टकराने लगी। तन बदन में झुर–झुरी सी पैदा हो रही थी। दोनो एक दूसरे को देखते हुये मचल गये।


अलबेली अपनी नजर हटाकर सामने देखती... "अब ऐसे खड़े–खड़े देखता रहेगा या अपनी गर्लफ्रेंड को घुमायेगा भी। इवान जैसे चीड़ निद्रा से जाग रहा हो। गुमसुम सा हां–हूं में जवाब दिया और अलबेली को खुद से चिपकाये घूमने लगा। एक तो दोनो टीनएजर ऊपर से पहली बार किसी के बदन से एक कपल की तरह चिपके थे। ये उमंग और उन्माद ही अजीब था। बदन में सुरुसुरी मादक एहसास जैसे फैल रही हो।


दोनो शाम तक एक दूसरे के साथ घूमते रहे। हल्का अंधेरा था और चारो ओर जगमग रौशनी जलने लगी। दोनो एक दूसरे के बदन से चिपके रौशनी को देखने में खो से गये। तभी इवान, अलबेली को कमर के नीचे से पकड़कर ऊपर उठा लिया और गोल–गोल घुमाने लगा। अलबेली भी खिलखिला कर हंसती हुई अपने दोनो बांह फैलाकर हसने लगी। अलबेली की खिली हंसी जैसे उसके कान में मिश्री घोल रही थी। इवान गोल घुमाना बंद करके अलबेली को धीरे–धीरे नीचे उतरने लगा।


बदन से बदन को स्पर्श करते जब अलबेली धीमे–धीमे नीचे आ रही थी तब दोनो के मन में न जाने कितनी ही अद्भुत तरंगे एक साथ जन्म ले रही थी। जब अलबेली के वक्ष, इवान के सीने से टकराते धीमे से नीचे हुये दोनो के अंदर से आह्ह्ह् निकल गयी। दोनो एक इंच के फासले से एक दूसरे से नजरें मिला रहे थे। इवान के अंदर से जैसे अरमान जागे हो और वह तेजी से अलबेली के होंठ को अपने होटों से स्पर्श करता सीधा हो गया। अलबेली के की आंखें बड़ी और चेहरे पर हल्की हंसी फैल गयी। कुछ देर तक अलबेली भी मौन खड़ी होकर देखती रही और फिर.…


अलबेली अपनी एडियां ऊंची करती इवान के गले में हाथ डाल दी और होंठ से होंठ लगाकर चुम्बन देने लगी। इवान भी अलबेली को बाहों में भरकर उतने ही कसीस के साथ चुम्बन देने लगा। दोनो अपने पहले चुम्बन से इतने उत्तेजित हो गये की उनका क्ला बाहर निकल आया। क्ला जैसे ही बाहर आया अलबेली का क्ला इवान के गर्दन में घुसा और इवान का क्ला अलबेली के कमर के ऊपर। दोनो झटके के साथ अलग हुये और एक दूसरे को देखकर हंसने लगे।


इवान:– मैं बता नही सकता मैं कैसा महसूस कर रहा हूं। आज से पहले कभी इतना जिंदा होने का एहसास मुझे कभी नही हुआ।


अलबेली:– हिहिहिहिही.. मैं तो बता नही सकती अंदर से कैसा महसूस हो रहा है। साला ये क्ला बीच में आ गया वरना होंठ छोड़ने की मेरी इच्छा ही नहीं हो रही थी।


इवान:– भैया सही कहते थे हमे पहले नियंत्रण सीखना चाहिए।


अलबेली छोटा सा मुंह बनाते... "अब क्या चुम्मा का नियंत्रण सीखने तू भैया के पास जायेगा।


इवान:– तेरी तो... मसखरी करती है...


इवान अपनी बात कहने के साथ ही अलबेली पर झपटा लेकिन अलबेली भी उतनी ही तेज, झटक कर किनारे हुई और ठेंगा दिखाते.… "जा जा.. भैया से ही नियंत्रण सिख कर आ।"…


अलबेली आगे और इवान पीछे.. दोनो हंसते हुये भाग रहे थे। भागते हुये दोनो किसी अंधेरी सी जगह में पहुंच गये। अलबेली आगे दौड़ रही थी और अचानक से झटका खा कर पीछे गिरी। अलबेली की बेइंतहां दर्द भरी चीख निकल गयी। इवान और तेज दौड़ते अलबेली को संभाला। ऐसा लगा जैसे वह तेज करेंट का झटका खायी हो। उसके मुंह से झाग निकल रहा था। इवान अपने शर्ट से अलबेली का मुंह पोंछते इधर–उधर देखने लगा। उसके आंखों से आंसू बह रहे थे और इवान लगातार अलबेली को जगाने की कोशिश करने लगा।


तभी वहां इवान को कुछ लोग दिखने लगे। हाथों में बंदूक, बड़ी सी कुल्हाड़ी और तरह–तरह के हथियार लिये... "बच्चे किस जंगल से भागकर हमारे इलाके में आये हो"… कुछ शिकारी इवान की नजरो के सामने थे, और बेहोश पड़ी अलबेली, इवान की गोद में। इवान की आंखों में अंगार और दिमाग में खून दौड़ने लगा। अलबेली को नीचे रखते तेजी से दौड़ लगाया और वह भी झटका खा कर अलबेली के पास ही बेहोश हो गया।


एक शिकारी:– करेंट हटाओ और दोनो को साफ कर दो।


उसकी बात सुनकर जैसे ही किसी एक शिकारी ने अपना पहला कदम आगे बढ़ाया, अचानक ही कोई उसके पास से तेज गुजरा और उसे अपने साथ लेकर गायब। यह इतना तेजी में हुआ की केवल उस शिकारी की चीख ही सुनाई दी। दूसरे शिकारी चारो ओर देखने लगे। इतने में फिर एक तेज दौड़ और झपट्टा मारकर एक और शिकारी को भी ले गये।


शिकारी:– सब लोग फैल जाओ, यहां और भी मेहमान आये हुये हैं।


शिकारी अपना हथियार लेकर चारो ओर फैल गये। २ शिकारियों ने अलबेली और इवान को माउंटेन एश के गोले में फसाकर वहां से चल दिये। २ शिकारी जिनको झपट्टा मारकर सबके बीच से उड़ा के गये, वह कभी दाएं से चिल्लाता तो कभी बाएं से। आवाज कभी पास से आती तो कभी बहुत दूर से। सभी शिकारी अपना बैक अप बुलाने लगे। इसके पूर्व रूही और ओजल इसी लोकेशन पर कुछ घंटे पहले पहुंचे थे। उन्हे मेयर का बैंक अकाउंट एक्सेस करना था और इस लोकेशन से अच्छी जगह कहीं और नहीं थी, क्योंकि इसके आस पास आधे किलोमीटर के इलाके में कोई कैमरा नही लगा था।


रूही यहां पहुंची और सीधा 4 मिलियन बेनामी खाते में ट्रांसफर करने के बाद लैपटॉप को वहीं कही छिपा दी। रूही जब अपना काम कर रही थी तब ओजल चारो ओर का मुआयना करने लगी। वह समझ गयी की किसके इलाके में है। रूही को धीमे से ठूस्की देती हुई कहने लगी.… "निकलो यहां से, शिकारी का इलाका है।"


रूही को जैसे ही पता चला वह झटपट वहां से हटी। रूही और ओजल ने दोनो (इवान और अलबेली) को सचेत करने कई बार पुकारा भी लेकिन दोनों में से किसी का जवाब ही नहीं आया। हां घूमते–घूमते दोनो एक बार नजर जरूर आये लेकिन इवान और अलबेली को देखकर दोनो (रूही और ओजल) समझ चुके थे कि क्यों उनकी पुकार पर कोई जवाब नही आया।

Ye mayor to arya ko ghuma rha tha or apni Bibi ko bhi marvane ka plan bnaye baitha tha or idhar Bibi ke na hone pr staf member ke sath rangraliya mna rha tha, arya ne dimag padh kr uski photo uski Bibi ko bhej di...
Tino teen wolf ko 12th me test dila kr admission dilva diya...

Ye mayor ke account se paise nikalvane ke liye weekend me California bhej diya Ruhi Ojal Evan or Albeli ko...

Paise to nikal liye mayor ke account se pr Evan Albeli ki ek galti bhari pad gyi, Evan ne Albeli ko prapose kr diya or jb dono kiss karne lage to ho gyi galti uttejna kabu me nhi rakh paye aur ek dusre ke claws bahar aa gye or Unpr ghush gye, jinhe US ilake ke prahariyo ne dekh liya...

भाग:–69







अलबेली और इवान को फुर्सत से घूमने छोड़ दिया गया और ये दोनो भी अपना घूमने लगे। अभी कुछ देर पहले अलबेली और इवान का जब क्ला बाहर आया तब वह शिकारियों की नजरों में आ गये। आते भी क्यों न शिकारी के इलाके में ही रोमांस कर रहे थे। बिजली का तेज झटका लगते ही अलबेली, रूही को आवाज लगा चुकी थी। रूही ने जैसे ही वह आवाज सुनी फिर तो सब कुछ छोड़कर आवाज के पास पहुंची। रूही और ओजल ने दो शिकारी को गायब कर दिया। बौखलाए शिकारी चारो ओर फैल चुके थे।


इधर थोड़ी देर के बाद इवान और अलबेली को भी होश आ चुका था और शिकारियों की भनभनाहट सुनकर दोनो समझ चुके थे कि उनकी मदद आ चुकी है। इवान ने अलबेली की कलाई थाम ली और उसे हील करने लगा। अलबेली को जैसे राहत की श्वांस मिली हो। कुछ देर हील होने के बाद उसे जब होश आया तब वह इवान की हालत को अच्छे से समझ पायी। अलबेली बावरी की तरह इवान के पूरे मुंह को पोंछती, उसकी कलाई थामी और उसका दर्द लेने लगी। दोनो एक दूसरे की कलाई थाम, एक दूसरे का दर्द, एक दूसरे के आंखों में झांकते हुये ले रहे थे।… "ओ टोरंटो के लैला मजनू, मुझे सुन रहे हो।"…


अलबेली और इवान दोनो एक साथ.… "हां सुन रहे है।"..


ओजल:– वहां की पोजिशन बताओ..


इवान:– हमारे सामने माउंटेन एश का घेरा है। आस–पास भ्रमित करने वाली गंध है। शायद शिकारियों ने जाल फैलाया है।


अलबेली:– कुल 6 लोग यहां है। मैं उन सबकी भावना मेहसूस कर सकती हूं। उनकी धड़कन सुन सकती हूं। सभी हम पर ही निशाना लगाये है।


रूही:– अभी मजा चखाते है। ओजल शिकारियों को ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दे। चल जल्दी कर...


रूही और अलबेली जो अपने साथ एक–एक शिकारी को लिये घूम रही थी। बड़ी ही तेजी के साथ वहां से गुजरी और दोनो शिकारी को दूर से ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दी। जैसे ही २ शिकारी अलबेली और इवान के पास गिरे, माउंटेन ऐश की लाइन तहस नहस हो गयी।


जैसे ही 2 शिकारी वहां गिरे घात लगाये सारे शिकारी चौकन्ना और फिर तो अंधाधुन फायरिंग शुरू हो गयी। अंधेरे में शिकारियों को लगा वेयरवोल्फ ने माउंटेन ऐश की लाइन तोड़ने के लिये कुछ फेंका है। फ्रैक्शन सेकंड में ही अलबेली और इवान सारे खतरे को भांप चुके थे। उसने अपने साथ दोनो शिकारी को उठाया और वहां से भाग कर खुद को सुरक्षित किया। दोनो शिकारी कर्राहते हुये इवान और अलबेली को ही देख रहे थे।


इवान ने अलबेली को इशारा किया और दोनो शिकारियों का दर्द खींचने लगे.… "क्या देख रहे हो शिकारी। हमारी दुश्मनी तो चलती रहेगी लेकिन इस दुश्मनी में किसी की जान चली गयी तो बहुत बुरा होगा। रूही दीदी, ओजल क्या हम निकले। यहां सब साफ है।"..


रूही:– हां निकलो... हम भी इनके इलाके के बॉर्डर पर ही है।


इधर रूही ने हामी भरी और पूरा अल्फा पैक वहां से निकल गया। शिकारियों की नजरों में आने के बाद रूही वहां रुकना ठीक नही समझी इसलिए सबके साथ रविवार तक पूरा एंजॉय करने कनाडा के दूसरे शहर चली आयी।



आर्यमणि.. लॉस वेगस के सफर पर


शुक्रवार की रात आर्यमणि वेगस के लिये निकला। रात के करीब 9.30 बजे वह वेगस पहुंचा। एक बड़े से कैसिनो में घुसकर वहां वेटर को 100 डॉलर थमाते... "पार्केंसन कहां मिलेगा"..


वेटर, इशारा करते.… कोने से आखरी गेट के पीछे लेकिन वहां तुम जा नही सकते...


आर्यमणि वेटर को बिना जवाब दिये उधर चला गया। गेट के रास्ते पर खड़े अत्याधुनिक हथियार लिये बैल जैसे पहलवान गार्ड उसका रास्ता रोकते... "क्लब उधर है। यहां नही आ सकते।"


आर्यमणि:– पार्केंसन से कहो कैलिफोर्निया में गोल्ड ब्रिक की फैक्ट्री डालने वाला आर्यमणि आया है।


गार्ड ने आर्यमणि को वहीं खड़े रहने कहा और एक गार्ड अंदर घुसा। कुछ मिनट बाद वह दरवाजा खोलकर आर्यमणि को अंदर बुलाया... आर्यमणि जैसे ही अंदर गया दरवाजा बंद। एक बड़ा सा हॉल जिसके कोने–कोने पर सूट बूट में बॉडीगार्ड खड़े थे। दरवाजे के ठीक सामने एक बड़ा सा डेस्क था जिसके पीछे लगे एक आलीशान कुर्सी पर बैठकर पार्केंसन सिगार पी रहा था। सामने कुछ लोग बैठे थे जो आर्यमणि के अंदर आते ही बाहर चले गये।


पार्केंसन ने आर्यमणि को हाथ के इशारे से बुलाया। जैसे ही आर्यमणि उसके डेस्क के पास पहुंचा 2 लोगों ने उसे धर दबोचा और उसके चेहरे के बाएं हिस्से को डेस्क से चिपकाकर कनपट्टी पर बंदूक तान दिये। आर्यमणि बिना हिले–डुले आराम से डेस्क पर चेहरा टिकाये था। पार्केंसन, आर्यमणि के गाल पर थपथपाते... "बड़ी हिम्मत है तुझमें। मेयर ने तेरे बारे में बताया। मैने सोचा तू बच्चा है, धंधा करने की चाहत थी इसलिए तूने एक अच्छा धंधा चुन लिया, कोई बुराई नही थी इसमें। बस गलती मेयर से हुई जो तुझे अच्छे से समझाया नही। मुझे लगा मेयर को समझा दिया है तो वो तुझे समझा देगा लेकिन लगता नही की तू ठीक से समझा है। तुम सब जरा अच्छे से इसे समझाओ"


जैसे ही पार्केंसन ने मारने का ऑर्डर दिया 2 लोग हवा में उड़ते हुये जाकर दीवार से टकरा गये। आर्यमणि को गन प्वाइंट पर लिये दोनो गार्ड हवा में उड़ रहे थे। आर्यमणि ने दोनो को अपने एक–एक हाथ से दबोचकर ऐसे फेका जैसे 2 हल्के सब्जी के झोले को पीछे हवा में फेंकते है। आर्यमणि का यह एक्शन देखकर दूसरे बॉडीगार्ड हरकत में आ गये... इसी बीच आर्यमणि अपनी भारी आवाज से सबको पहचान करवाते.… "लगता है मैने ठीक से अपना परिचय नही करवाया वरना इतनी परेशानी नही होती। मुझे लगता है कुछ देर बैठकर बात करने के बाद हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं।"


आर्यमणि जबतक अपनी भारी आवाज में बात कर रहा था, पार्केंसन के बॉडीगार्ड उसे घेर चुके थे। पार्केंसन सबको रिलैक्स करते आर्यमणि को बैठने का इशारा किया... "देखो लड़के जब बात से काम हो जाये तो हम भी हथियार बीच में नही लाते। मुझे बताओ तुम इतनी दूर क्यों आये हो?"


आर्यमणि:– मुझे ब्रिक फैक्ट्री लगाने या सोने का डिस्ट्रीब्यूटर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं..


पार्केंसन:– इंट्रेस्टिंग... आगे बताओ..


आर्यमणि:– मेरे पास कुछ गोल्ड है, और मैं किसी भी माफिया या नेता को उसमें एक जरा हिस्सा नही देना चाहता। जैसे तुम्हे अपने धंधे से प्यार है और किसी दूसरे को हिस्सा नही देना चाहते, ठीक वैसे ही।


पार्केंसन:– ओह तो ये बात है। अपने गोल्ड में से किसी को हिस्सा नही देना इसलिए तुमने गोल्ड डिस्ट्रीब्यूटर बनने का सोचा। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर ही क्यों.. क्या बहुत ज्यादा गोल्ड है?


आर्यमणि:– तुम्हारे सोच से भी ज्यादा...


पार्केंसन:– हम्मम... बताओ कैसे मदद करूं?


आर्यमणि:– कोई बीच का रास्ता निकालते है। मेरा काम निकलने तक ही मुझे गोल्ड से जुड़े कामों ने इंटरेस्ट है। और तुम तो जानते ही होगे की ब्लैक से व्हाइट करने में कितना मेहनत लगता है।


पार्केंसन:– बीच का रास्ता... ठीक है यदि 1 मेट्रिक टन तक गोल्ड हुआ तो तुम्हारे गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन प्राइस से 20% नीचे लूंगा। यदि 10 मेट्रिक टन तक हुआ तो 30% नीचे के प्राइस में। उस से ज्यादा है तो 10 मेट्रिक टन इस साल और फिर अगले साल...


आर्यमणि:– डील को लॉक करते है।


पार्केंसन:– कितना माल है..


आर्यमणि:– 5 मैट्रिक टन..


पार्केंसन, अपने एक आदमी को बुलाया सब कैलकुलेशन करने के बाद... "145 मिलियन (उस वक्त मजूदा रेट के हिसाब से) होते है। मेरा 30% काट कर तुम्हारे 101.5 मिलियन। माल कहां है उसकी लोकेशन बताओ। चेक करवाकर लोड होने के बाद पैसे ट्रांसफर कर देता हूं।"


आर्यमणि:– इतना सारा माल पीछे में कोई देखने गया। कहीं कोई चोरी हो गयी तो?


पार्केंसन:– उसकी चिंता तुम मत करो... तुम्हे चिंता इस बात की होनी चाहिए की कहीं तुम गलत हुये तो...


आर्यमणि उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। आर्यमणि अपने घर का सभी सिक्योरिटी ब्रिज हटाया। पार्केंसन के कुछ लोग बेसमेंट में घुसे। उन्होंने कुछ रिम उठाकर पहले सोने की गुणवत्ता चेक किया, फिर कुछ रिम का वजन लिया। सब कुछ सुनिश्चित होने के बाद जैसे ही अनलोगों ने कैलिफोर्निया से संदेश भेजा, वैसे ही यहां आर्यमणि के दिये अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो गये।


आर्यमणि जिज्ञासावश पार्केंसन से पूछ ही लिया.… "न कोई बारगेन, न ही पूछे की माल कहां से आया। न ही डील में कोई गलत मनसा। मुझे तो लगा था यहां मुझे बहुत टाइम लगने वाला है।"…


पार्केंसन:– "हाहहा... तुम्हारे सवाल में ही जवाब है। ज्यादा से ज्यादा मैं पूरा बैमानी कर लेता। तुम्हे मारने की कोशिश करता... इस से क्या हो जाता... इन सब में मेरे 1 घंटे लगते। तुम्हारे घर से माल चोरी करने और फिर उसे पुलिस से बचाने में दिमाग खपाना पड़ता सो अलग। 4–5 घंटे की माथापच्ची के बाद मैं 145 मिलियन कमा लेता। पर अभी..."

"आधे घंटे में एक नौजवान दोस्त बना लिया। 43.5 मिलियन की कमाई कर लिया और सबसे जरूरी चीज। अगली बार हम 5 मिनिट में फोन पर डील करेंगे और 10 मिलियन ही कमाई मानो उस डील से होगा। तो सोच लो बचे साढ़े 3 घंटे में मैं तुमसे कितना कमा लूंगा। फिगर 100 मिलियन से कहीं ज्यादा होगा।"


आर्यमणि:– बिजनेस में कमाल का डेडीकेशन है।


पार्केंसन उसे 8–10 कार्ड थमाते... "10 मिलियन + के प्रॉफिट का जो भी डील हो, सीधा मुझे कॉल करना वरना इन सब कार्ड में से किसी भी पार्क को फोन करके डील सेट कर लेना।


आर्यमणि:– ये आपके सभी स्टाफ का नाम पार्क ही है।


पार्केंसन:– हां... मैं भी एक पार्क ही हूं। किसी भी नंबर के पार्क (जैसे की पार्क–1, पार्क–2) को पुकारो, उसके गैर हाजरी में कोई न कोई आ ही जाता है। काम में काफी सहूलियत होती है। पार्क–2 आर्यमणि का ड्रिंक आज मेरी तरफ से। इसके होस्ट तुम हुये हमारे मेहमान को किसी बात की शिकायत नही होनी चाहिए।


आर्यमणि ने पार्केंसन को शुक्रिया कहा और वहां से सीधा एयरपोर्ट चला आया। रात 12.30 की फ्लाइट थी और आर्यमणि 2 बजे तक कैलिफोर्निया एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी में था। घर लौटने के क्रम में उसके टैक्सी का टायर पंक्चर हो गया। टैक्सी वाले ने माफी मांग लिया और आगे कुछ और व्यवस्था देख लेने कह दिया।


घर पास में ही था आर्यमणि पद यात्रा करते हुये निकला। कुछ दूर आगे बढ़ा होगा की स्ट्रीट लाइट बुझने लगी। देखते ही देखते पूरी सड़क पर अंधेरा पसर गया। आर्यमणि को खतरे का आभास तो हो रहा था लेकिन आस पास किसी के होने के संकेत नही मिल रहे थे। आर्यमणि समझ चुका था की खतरा उसके पीछे पहुंच गयी है। वह तेज दौड़ लगाया और सीधा अपने कॉटेज के पीछे वाले जंगल में रुका।


जंगल में जब वह पहुंचा उसके कुछ देर बाद ही पत्तों की खर–खराहट की आवाज आने लगी। आर्यमणि किसी की मौजूदगी को मेहसूस तो नही कर सकता था लेकिन जिस प्रकार से पाऊं के नीचे पत्ते मसल रहे थे, उसे लग गया की कोई तो है।


आर्यमणि:– प्रहरी का नया तिलिस्मी योद्धा... अकेले ही मुझसे लड़ने चला आया।


तभी आर्यमणि के सामने एक टीनएजर लड़का खड़ा हो गया। आर्यमणि उसे बड़े ध्यान से देखते... "तुम तो अभी काफी छोटे हो, प्रहरी ने तुम्हे अकेले ही भेज दिया"..


लड़का:– हां ऐसा ही समझो। अब वहीं खड़े रहकर टाइम पास करोगे या लड़ना भी है...


आर्यमणि अपने जूते निकलकर, अपने अंगूठे को ही हल्का जमीन में धसा दिया। देखते ही देखते जमीन से जड़ों के रेशे निकलने लगे जो उस लड़के के पाऊं से लिपट गये। वह लड़का अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता था। आर्यमणि उसे फिर एक बार चेतावनी देते... "लड़के अपनी पहचान बताओ। आखिर कौन सी प्रजाति के हो तुम लोग, जो खुद को अपेक्स सुपरनैचुरल कहते हो।"


लड़का, आर्यमणि की बात का कोई जवाब न देकर अपने कमर में लटके कई खंजरों में से एक खंजर को निकाला और काफी तेजी से आर्यमणि के ओर फेंका। आर्यमणि सामने से खतरे को आते देख बिजली की गति से खतरे के सामने से हटा। लेकिन जब आर्यमणि खड़ा हुआ, उसके कंधे से खून की धार बह रही थी। आर्यमणि काफी आश्चर्य में पड़ गया। आंख मूंदकर वह समझने की कोशिश करने लगा की अभी हुआ क्या? आर्यमणि के दिमाग में जैसे सब कुछ स्लो मोशन में चल रहा हो।


तभी उसे झटका सा लगा हो जैसे। उस लड़के ने एक खंजर के पीछे दूसरा खंजर इस तेजी से फेंका की उसके खतरा भांपने की सेंस तक धोखा खा गयी। और क्या सटीक गणना था। खतरा भांप कर बिजली की तरह हटने के क्रम में ही उसे दूसरा खंजर लग गया। आर्यमणि अपने कंधे से खंजर को निकालते... "ये खंजर मुझे मार नही सकती, लेकिन तू आज जरूर मारेगा।"


आर्यमणि अपनी बात कहते हुये तेज दौड़ लगा दिया। वह जब दौड़ रहा था, आस–पास के पत्ते किसी बवंडर में फंस कर उड़ने वाले पत्तों को तरह कई फिट ऊपर उठे। अपनी तेज दहाड़ के साथ आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगा चुका था और उसका मुक्का उस लड़के के सीने को फाड़कर बाहर निकलने के लिये तैयार। लेकिन ना जाने आज सीक्रेट प्रहरी के किस हथियार से पाला पड़ा था। आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगाकर अपने मुक्के से उसके सीने को निशाना बनाये था, लेकिन ऐसा लगा जैसे आर्यमणि ने किसी स्प्रिंग पर हमला किया हो। झट से उस लड़के ने अपने शरीर को आर्यमणि के हमले की जगह से ठीक पीछे किया, जबकि पाऊं उसके अपनी जगह पर जमे थे।


आर्यमणि ने शॉट मिस किया और वह हवा में ही उस लड़के से आगे बढ़ गया। वह लड़का भी आर्यमणि को जैसे कोई फुटबॉल समझ लिया हो... एक लात उठाया और पूरे स्टाइल से पेट पर ऐसे जमाया की आर्यमणि की 2 पसलियां टूट गयी और वह खुद काफी दूर एक पेड़ से जाकर टकराया। हमला इतना तेज और घातक था की आर्यमणि के आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा।


आर्यमणि इतनी बुरी तरह टूटा था कि उसकी खुद की हीलिंग क्षमता ने जवाब दे दिया था। हाथ लगाकर जब वह खुद को हील करने लगा तब हाथों की नब्जों ने जैसे दर्द खींचने से मना कर दिया हो। वह लड़का अब भी अपनी जगह खड़ा था। आर्यमणि काफी धीमे ही सही लेकिन खुद को हील होता मेहसूस कर रहा था। जब थोड़ा होश आया तब यह भी ख्याल आया की वह लड़का तो जड़ों की रेशों से निकल चुका है।


आर्यमणि खुद में थोड़ा हिम्मत भरते, अपने क्ला को पसलियों के बीच घुसाया और 2 नाखूनों के बीच टूटी पसली को पकड़कर उसे सीधा करते उन पसलियों को हील करने की कोशिश किया। आर्यमणि के खुद की थोड़ी हीलिंग और उंगलियों से जी तोड़ हील करने का जज्बे ने आर्यमणि को राहत दिलवाया और उसकी पसली हील हो गयी l एक पसली हील होने के बाद दूसरी और फिर खुद को हील करना...


काफी वक्त लगा खुद को पूरा हील करने में लेकिन आर्यमणि पूर्ण रूप से तैयार था। इस बीच वह लड़का बिना कोई प्रतिक्रिया दिये अपनी जगह खड़ा रहा। आर्यमणि तेजी से उसके करीब पहुंचा और अपनी गति का प्रयोग करके, उस पर क्ला से हमला करने लगा। आर्यमणि हमला तो कर रहा था, किंतु पहले ही पंच से उसे पता चल गया की वह हवा में ही मरता रह जायेगा। क्या गजब की उसके बचने की क्षमता थी। किसी भीं गति और कितना ही नजदीक से आर्यमणि हमला करे, वह लड़का किसी स्प्रिंग की तरह लचीलापन दिखाते, किसी भी दिशा में झुक जाता और उतने ही तेजी से अपना मुक्का चला चुका होता।


नजारा अकल्पनीय था। आर्यमणि जितना तेज हो सकता था उतना तेज हमला करता और वह लड़का उस से भी तेज बचते हुये जवाबी हमला करता। तेजी के साथ लगातार पड़ते मुक्कों की आवाज चारो ओर गूंज रही थी। एक तो दम से मारा गया मुक्का उसमे भी बिजली की रफ्तार। आर्यमणि के जिस अंग पर मुक्का लगता वह हिस्सा 4 इंच तक धंस जाता। कुछ ही पल में आर्यमणि का पूरा बदन सूज चुका था। हांफते और बदहाली में वह पीछे हटा और खड़ा होकर अपने दर्द से उबरने की कोशिश करने लगा। शरीर में इतनी क्षति हुई थी कि अब वह हाथों से हील नही हो पा रहा था। आंख की रौशनी बिलकुल धुंधली हो गयी थी और दिमाग अब गहरी निद्रा में जाने के लिये तड़प रहा था। फिर भी आर्यमणि खुद को संभाले अपने नए दुश्मन को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अपनी जगह से एक कदम भी इधर–उधर नही हुआ था।
Un prahariyo ne to Bijli ke jhatke aur mauntan ass ki madad se evan or Albeli ko gher liya Vahi ruhi or Ojal ne unki avaj sun madad ke liye pahuch gyi or 2-4 ko yha vha fek kr nikal gye bach kr...

Yha apne arya bhau pahuch gye hai Las Vegas or vha Parkensan ke office me hame ek acche business or businessman ke kuchh tricks dekhne mile, Jo ki sach me Jabardast the... Deal done paise transfer karne ke baad kuchh cards or hidayate dekr arya ko Vida kiya...

Texi puncher light 💡 bulb ka ek ek karke band ho Jane se hi arya ne mahsus kr liya ki ab bhed khul gya hai or use ab ladna padega, daud kr jungle me pahuch kr jb patto ki charmrahat suni to samajh gya sence bhale hi na aa rha lekin dushman aaspass hi hai, or jb samne se ek bacche ko aate dekha to arya ne use vapas chale Jane kaha lekin jb fight suru hui hai bhaya dil khush ho gya, arya uske samne kahi bhi tik nhi pa rha Abhi, jitne bhi war kr rha vo ladka apni jagah pr khade khade hi yha vha jhuk ke hi hasi safai se bach rha hai or us ladke ke jitne bhi war arya ko lag rhe hai arya ko apne dada ji yaad aa rhe hai...

Beinteha dard, Haddiyo or pasaliyo ke tutne ka dard, ek ko Thik karne pr dusre ghav ka dard or vo ladke pr arya ke prahar hava me ja rhe hai...

Superb updates bhai sandar & jabarjast & lajvab & thoda sa romantic & amazing with awesome writing skills Nainu bhaaya :applause: :applause:
 

B2.

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भाग:–66





लगभग २ महीने बाद… बर्कले, कार्लीफिर्निया, यू.एस.ए


शांत सा माहौल, पशु पक्षियों की आवाज और एक प्यारा सा 2 फ्लोर का कॉटेज, जो शानदार तरीके 4000 स्क्वायर फुट में बाना हुआ था। 2 कमरा, किचेन, लिविंग रूम और हॉल नीचे। ऊपर 3 कमरे और एक्सरसाइज करने के लिए बड़ा सा क्षेत्र। साइड से बड़ा सा गराज जिसमे 4-5 गाड़ियों के रखने कि जगह थी। उसी के नीचे एक बेसमेंट जिसे अपनी जरूरतों के हिसाब से इस्तमाल कर सकते थे, वहां सोने की रिम को रख दिया गया था। आगे बड़ा सा लॉन और पार्किंग स्पेस, उसी के साथ किनारे से कई खड़े बृक्ष की फेंसिंग। 200 मीटर के दायरे में कोई घर नहीं। और पीछे पुरा जंगल और पहाड़, जहां बहुत कम ही लोग जाया करते थे।…


"सो कैसा है ये तुम्हारा घर"… आर्य ने सबसे पूछा।


अलबेली:- कभी नागपुर से कोल्हापुर नहीं गयी और 2 महीने में दुनिया घुमाकर यहां तक पहुंचा दिये बॉस… वूहू.. लेकिन बॉस ये मेरा नाम मर्करी काहे रख दिये, बल्ब की जगह मुझे ही जलाओगे क्या?


उसकी बात सुनते ही सभी हसने लगे… "अरे ये फेक नाम है, तुझे यहां तेरे अपने नाम से ही पुकरेंगे। ड्रामा क्वीन अलबेली, और स्कूल के लिए जो नाम होगा वो है केली"..


ओजल:- केला की बहन केली।


अलबेली:- अब सब मुझे ऐसे ही नाम दो। लेकिन मुझे अलबेली ही बुलाना। आई ने रखा था, सुनने में अच्छा लगता है।


आर्यमणि:- अब शांति से सब सुनेगे। ये भारत नहीं है कि किसी के भी फटे में घुस गये। यहां लोग दावत पर भी जाते है तो अपने घर से खाना उठा कर ले जाते है। इसलिए जो तुमसे बात करने आये उसी से बात करना।


इवान:- कैसे बात करूं, मराठी या हिंदी में।


अलबेली:- तू गूंगा बनकर बात कर। मै भी वही करने वाली हूं। हमारे बीच तो ये रूही और बॉस ही है इंजिनियरिंग वाले।


आर्यमणि:- 2–4 लाइन बोलना अलग बात है लेकिन यहां रहने के हिसाब से तो ये भाषा मुझे भी नही आती। परेशानी तो है लेकिन इसका एक हल भी है। रूही अपने पास वुल्फबेन कितना बचा है।


रूही:- नहीं खुद से सीख लेंगे आर्य, ये चीटिंग है।


इवान:- हां तो रूही को खुद से सीखने दो, हमे पंजा फाड़ गर्दन का ज्ञान भी चलेगा।


आर्यमणि:- अब पैक की मेजोरिटी कह रही है रूही मान जाओ। भाषा सीखे बिना कैसे काम बनेगा। चलो अंग्रेजी का टीचर ढूंढा जाये।


रूही:- मै कह रही हूं ये चीटिंग है, और मै कहीं नहीं जाने वाली। मेरा दिल गवारा नहीं कर रहा। किसी की मेमोरी से उसकी स्टडी चुराना और फिर दूसरे के मेमोरी में डालना।


अलबेली:- कौन सा हम रोज-रोज करेंगे। केवल आज ही तो करेंगे इसके बाद नहीं।


रूही:- ये प्रकृति के नियम के खिलाफ है। प्योर अल्फा की शक्ति का नाजायज फायदा ले रहे हो आर्य।


आर्यमणि:- हम्मम ! बात तो तुम सही कह रही हो रूही। लेकिन कभी-कभी हमे आउट ऑफ द वे जाकर काम करना पड़ता है। मै वादा करता हूं, ये हम पहला और आखरी ऐसा काम करेंगे जो वाकई में हमे नहीं करना चाहिए था।


बाकी सब भी रूही और आर्यमणि के हाथ के ऊपर हाथ रखते… "हम भी वादा करते है।"..


रूही:- हां ठीक है समझ गयी.. लेकिन ये आखरी बार होगा। चलो चलते है।


ओजल:– जब सब राजी हो ही गये है, तो मैं चाहूंगी कि मुझे किसी कंप्यूटर जीनियस का ज्ञान मिले।


इवान:– फिर मुझे केमिस्ट्री का ज्ञान चाहिए।


अलबेली:– अंग्रेजी के बदला ये क्या सब सीख रहे है। इवान मुझे भी कुछ अच्छा बता...


रूही:– ये कुछ ज्यादा नही हो रहा...


इवान:– ये ज्यादा उनसे क्यों नही पूछते जिन्होंने हमें अंधेरे में फेंक दिया। वैसे हम है तो इंसान ही, फिर इंसानियत के लिये कुछ सीख रहे इसमें बुराई क्या है?


रूही:– वाह!!! सोच अच्छा करने की और रास्ता ही गलत चुन रहे, फिर अच्छे बुरे में अंतर कैसे करोगे।


ओजल, रूही के कंधे से लटकती... "तुम क्यों हो दीदी। इसके बाद जैसा तुम कहोगी हम आंख मूंद कर कर लेंगे।अच्छा और बुरे का अंतर आप हमसे बेहतर जानती हो। अलबेली तू फिजिक्स ले"


रूही:– वाह!!! अभी तक मैने तो हां–हूं भी नही किया और अपनी बात कहने के बाद सीधा आगे के कार्यक्रम में लग गये।


अलबेली:– ओ दीदी, लोगों ने हमारे साथ बेईमानी करके हमें वक्त से पीछे धकेल दिया। आज थोड़ा हम बेईमानी करके आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे। अब मान भी जाओ...


रूही:– ठीक है चूंकि ये आखरी बार है इसलिए अपने मन के विषय ले लो। बॉस पूरी की पूरी पढ़ाई दिमाग में डाल देना इतना आसान होगा क्या? अभी तक तो तुम केवल कुछ यादें ही डाले हो किसी के दिमाग में, उसका भी डेटा ना लिया की यादें डालने के बाद दिमाग की क्या हालत होती होगी। ऐसे में इतनी सारी यादें एक साथ डालना, क्या यह सुरक्षित होगा?


आर्यमणि:– मुझे नही पता, लेकिन इसका भी उपाय है। मैं इस पर पहले सोध कर लूंगा।


रूही:– हां ये ठीक रहेगा। तो साेध कैसे करे।


आर्यमणि:– अपने पसंदीदा विषय वनस्पति विज्ञान से..


रूही:– ठीक है चलो कोशिश करते हैं।


वहीं से एक टैक्सी बुक हुई। वुल्फबेन का एक इंजेक्शन लिया उन लोगों ने और चल दिए इंटरनेट के पते पर, जहां वनस्पति विज्ञान के महान सोधकर्ता रहते थे। मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में जैसे ही घुसने लगे, गार्ड उसे रोकते… "यहां क्या काम है।" (परिवर्तित भाषा)


आर्यमणि:- वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर विलियम कूपर से मिलना है।


गार्ड:- सर से मिलने का अपॉइंटमेंट है।


आर्यमणि, 10 डॉलर का एक नोट दिखाते… "मेरे पास ये है, मीटिंग हो पायेगी क्या।"


गार्ड:- मुझे नहीं पता वो अभी है भी या नहीं।


आर्यमणि, 10 डॉलर के 2 नोट दिखाते… "अब"


गार्ड:- पूछना पड़ेगा।


आर्यमणि, 3 नोट निकालकर…. "इसके बाद चला जाऊंगा।"..


गार्ड, 30 डॉलर झटपट खींचते.… "50 डॉलर कूपर सर के असिस्टेंट के लिए और सर से मिलना किस उद्देश्य से आये हो।


आर्यमणि, 50 डॉलर बढ़ाते… "उनसे वनस्पति विज्ञान सीखनी है। जो भी उनकी फीस है, अभी पुरा एडवांस दे दूंगा। लेकिन पहले एक डेमो क्लास लेंगे।"..


गार्ड उसे अपने पीछे आने कहा। सभी पीछे-पीछे चल दिये। गार्ड ने सामने से असिस्टेंट को 50 डॉलर थमाया और मामला समझाया। असिस्टेंट ने पांचों को एक झलक देखा और अंदर जाकर कुछ देर बाद वापस आया।… "तुम लोग मेरे साथ आओ।"..


सभी अंदर के एक वेटिंग एरिया में आकर बैठ गये। कुछ देर बाद विलियम मास्टर साहब आये। थोड़ी बहुत पूछताछ के बाद पांचों को एक छोटे से क्लास में ले गये। रूही चोर नजर से चारो ओर देखी और आर्यमणि के कान में कहने लगी… "यहां तो 2 सीसी टीवी कैमरे लगा हुआ है।"..


आर्यमणि:- वाशरूम का पूछो उससे है की नहीं, और चेक करके आओ वहां कोई कैमरा तो नहीं लगा। साले के शक्ल पर ही ठरकी लिखा है।


रूही, आर्यमणि की बात सुनकर हसने लगी। वो जाकर अपने एनिमल इंस्टिंक्ट से चारो ओर का जायजा लेने लगी, आर्यमणि का शक सही था। उस छोटे बाथरूम में तो 3 कैमरा लगा था। रूही वापस आकर सारा ब्योरा आर्यमणि के कानो में दी, और कहने लगी… "अब क्या करेंगे।"…


आर्यमणि सबको खड़े हो जाने का इशारा किया और इशारों में समझा दिया इसे घेरकर अपना काम करना है। पांचों खड़े हो गये। विलियम कूपर को चारो ओर से घेर लिया गया। अचानक से पांचों को यूं गोल घेरे देख विलियम घबराकर उठने की कोशिश कर ही रहा था कि इतने में एक इंजेक्शन उसे लग गया और आर्यमणि के बड़े–बड़े नाखून उसके गर्दन में।"..


लगभग 70–80 मिनट की प्रक्रिया और उसके बाद आर्यमणि ने उसे हील कर दिया। सब लोग वापस आकर बैठ गये। विलियम की आखें खुलते ही आश्चर्य से वो देखते… "तुम सब यहां थे ना।"..


आर्यमणि:- आपने ही तो बुलाया था।


वो कॉफ्यूज होकर अपना सर खुजाने लगा। 45 मिनट का डेमो क्लास था, घड़ी देखा तो 1 घंटा से ऊपर हो गया था। कूपर चेहरे से काफी कन्फ्यूज दिख रहा था। पूरे अल्फा पैक को एक नजर बड़े ध्यान से देखते... "क्या तुम्हारा डेमो क्लास खत्म हो गया?"


आर्यमणि:– हां बिलकुल मिस्टर कूपर...


कूपर:– तो आगे के क्लास के बारे में क्या सोचा है?


आर्यमणि:- मिस्टर कूपर आप बहुत हाई क्लास पढ़ाते है और हम बेसिक वाले है। रहने दीजिये और अपने एक क्लास की फीस बताईये।


विलियम थोड़ा चिढ़ते हुए… "500 डॉलर।"


आर्यमणि:- पागल हो गया है क्या? मुझे रसीद दो बाकी मैं लीगल में देख लूंगा।


विलियम तुरंत अपने सुर बदलते… "50 डॉलर दो, और यदि क्लास शुरू करना हो तो उसके लिये एडवांस 1000 डॉलर लगेंगे, तुम सभी के महीने दिन की फीस।


आर्यमणि उसे 50 डॉलर देकर वहां से बाहर आया। जैसे ही अल्फा पैक बाहर आया कान फाड़ हूटिंग करने लगे। आवाज इतनी तेज थी कि मामला थाने पहुंच गया और पांचों को पुलिस ने पहली हिदायत देकर छोड़ दिया। खुश तो काफी थे। वहीं से पूरा अल्फा पैक शॉपिंग के लिये निकल गया। शॉपिंग तो ऐसे कर रहे थे जैसे पूरे शॉपिंग मॉल को लूट लेंगे। अत्याधुनिक जिम सेटअप, कपड़े, ज्वेलरी, टीवी, वाशिंग मशीन, घर के जरूरतों के ढेर सारे उपकरण, लैपटॉप, मोबाइल, ग्रॉसरी के समान। जो भी जरूरत का दिखता गया सब उठाते चले गये। एक शाम की शॉपिंग पर उन लोगों ने 50 हजार डॉलर उड़ा दिये।


अब जहां रहते है, वहां के कुछ नियम भी होंगे। शॉपिंग मॉल के मैनेजर ने आर्यमणि को इंश्योरेंस पॉलिसी समझाकर हर कीमती सामान का इंसोरेंस कर दिया। इसके अलावा घर की सुरक्षा के मद्दे नजर 5000 यूएसडी का अलार्म सिक्योरिटी सिस्टम को इंस्टॉल करने का सुझाव देने लगा। आर्यमणि को लग गया की ये बंदा काम का है। उसने भी तुरंत अपने बिजली, गैस, पानी इत्यादि के कनेक्शन की बात कर ली। मैनेजर ने भी वहीं बैठे–बैठे मात्र एक फोन कॉल पर सारा काम करवा दिया।


आर्यमणि भी खुश। कौन सा अपने पैसा लग रहा था, इंसोरेंस, सिक्योरिटी इत्यादि, इत्यादि जो भी मैनेजर ने सुझाव दिया आर्यमणि उसे खरीद लिया। 50 हजार यूएसडी शॉपिंग मॉल में और 30 हजार यूएसडी मैनेजर के सजेशन पर आर्यमणि ने खर्च कर डाले। इधर आर्यमणि ने मैनेजर के कहे अनुसार समान खरीदा। उधर मॉल के मैनेजर ने उन लोगों का समान फ्री डेलिवरी भी करवाया और इलेक्ट्रॉनिक सामान को उसके घर में लगाने के लिये इलेक्ट्रीशियन और टेक्नीशियन दोनो को साथ ही भेज दिया। साथ में अन्य टेक्नीशियन भी थे जो अन्य जरूरी चीजों को घर में फिट करते।


शाम तक इन लोगों का घर कंप्लीट हो चुका था जहां जिम, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, केबल, वाईफाई, हाई सिक्योरिटी अलार्म, गैस कनेक्शन, पानी कनेक्शन, इत्यादि, इत्यादि लग चुके थे। सभी लोग आराम से फुर्सत में बैठे। लिविंग रूम में क्राउच लग गया था। पांचों वहीं बैठकर आराम से पिज्जा का लुफ्त उठाते.… "बॉस अब एक्सपेरिमेंट हो जाये क्या?"


आर्यमणि:– ठीक है पहले रूही से ही शुरू करते हैं।


रूही:– नाना, कुछ गड़बड़ हो गयी तो मैं मेंटल हो जाऊंगी। पहले अलबेली पर ट्राय करो।


अलबेली:– नाना, ओजल ने इसके लिये सबसे ज्यादा मेहनत की है। ओजल को पहला मौका मिलना चाहिए।


ओजल:– मुझे कोई ऐतराज नहीं। अब जब मैं जोखिम उठा रही हूं तो ज्ञान के भंडार को दिमाग में संरक्षित करने के संदर्भ में मेरी कुछ इच्छा है। यदि ये प्रयोग सफल हुआ तब वह करेंगे। और मैं पूछ नही रही हूं। बॉस मैं रिस्क ले रही तो मेरी बात मानोगे या नही।


आर्यमणि हां में अपना सर हिलाया और गर्दन के पीछे अपने क्ला घुसाकर आंख मूंद लिया। पहला खेप ज्ञान का उसने अंदर डाला। विलियम कूपर से जितना फिल्टर ज्ञान लिया था, उसका 1% अंदर डाल दिया। एक मिनट बाद दोनो में अपनी आंखें खोल ली। हर कोई ओजल को बड़े ध्यान से देख रहा था। ओजल कुछ पल मौन रहने के बाद.… "क्या हुआ ऐसे घूर क्यों रहे हो?"


सब लोग ध्यान मुद्रा से विश्राम की स्थिति में आते... "तू ठीक तो है न। दिमाग के पुर्जे अपने जगह पर"…. अलबेली मजाकिया अंदाज में पूछी... ओजल उसकी बातों को दरकिनार करती... "वहां से डिक्शनरी उठाओ और मैं जो बोल रही उसे मैच करके देखो।"… अपनी बात कह कर ओजल ने मशरूम को अपने हाथ में लेकर... "इसे एगारिकस बिस्पोरस कहते है।"


अलबेली चौंकती हुई... "क्या एंगा रिंगा विस्फोटस, ये कैसा नाम है "


आर्यमणि:– अलबेली कुछ देर बस चुप चाप देखो... ओजल बहुत बढ़िया। कुछ और बताओ...


ओजल फिर वनस्पति विज्ञान के बारे में कुछ–कुछ बताने लगी। आर्यमणि उसे बीच में ही रोकते वापस क्ला उसके गर्दन में घुसाया और इस बार 30% यादें डाल दीया। ओजल इस बार आंख तक नही खोल पा रही थी। उसके सर में जैसे फुल वॉल्यूम पर डीजे बज रहा हो। उसे आंख खोलने में भी परेशानी हो रही थी। आर्यमणि समझ गया की एक साथ इतनी ज्यादा याद दिमाग झेल नहीं पायेगा, इसलिए उसने तुरंत अपना क्ला अंदर डाला और 5 फीसदी याद को ओजल के दिमाग से हटा दिया। हां लेकिन 25% यादें भी ओजल को उतनी ही तकलीफ दे रही थी। आर्यमणि ऐसे ही 5% और कम किया। लेकिन ओजल के लिये फिर भी कोई राहत नहीं। कुल 10% पर जब आया तब जाकर ओजल पूरी तरह से होश में आयी और उसका व्यवहार भी सामान्य था।


आर्यमणि समझ चुका था कि एक बार कितनी यादों को दिमाग में डालना है। हां लेकिन दोबारा याद को अंदर डालने के लिये दिमाग कितने देर में तैयार होता है, यह समझना अभी बाकी था। आर्यमणि पहले एक घंटा से शुरू किया। यानी की एक घंटे बाद आर्यमणि, ओजल के दिमाग में कुछ डाला, लेकिन एक घंटे बाद भी वही समस्या हुई। एक घंटा का समय अंतराल 2 घंटा हुआ, फिर 3 घंटा। 21 घंटे बाद जब आर्यमणि ने ओजल के दिमाग में वापस कुछ याद डाला तब जाकर कोई समस्या नहीं था। आर्यमणि ने इस बार एक साथ 15% यादें डाल दिया। 15% याद ओजल ने बड़े आसानी से अपने अंदर समेट लिया।



आर्यमणि ने फिर एक पैमाना तय कर लिया। उसे समझ में आ चुका था कि वुल्फ ब्रेन होने के कारण हर बार याद समेटने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही साथ २ याद डालने के बीच में समय अंतराल भी कम लगता है। जैसे पहले 21 घंटा था तो अगली बार मात्र 15 घंटे लगे। परीक्षण सफल रहा और अगले 4 दिन में विलियम कूपर का पूरा ज्ञान हर किसी में साझा हो चुका था। इसी के साथ ओजल ने अपनी शर्त भी रख दी। उसे कंप्यूटर साइंस के अलावा अंग्रेजी भाषा पर भी पूरा कमांड चाहिए, इसलिए किसी इंग्लिश के विद्वान का ज्ञान भी उसे चाहिए। और जो अलग–अलग विषय सबने चुने है, वो सारे विषय हर कोई एक दूसरे से साझा करेगा।


अब चुकी ओजल के शर्त पर सबने हामी भरी थी और किसी को कहीं से कोई बुराई नजर नही आ रही थी, इसलिए सब राजी हो गये। न सिर्फ कैलिफोर्निया से बल्कि अमेरिका के दूसरे शहरों से भी विद्वान को ढूंढा गया और बड़े ही चतुराई से सबका ज्ञान अपने अंदर समेट लिया गया। जैसे कंप्यूटर साइंस और जीव विज्ञान के लिये न्यूयॉर्क के 1 विद्वान प्रोफेसर और एक विद्वान डॉक्टर को पकड़ा, तो वाणिज्य शस्त्र और अंग्रेजी के लिये वॉशिंगटन डीसी पहुंच गये। ऐसे ही करके पांचों ने पहले विलियम कूपर का दिमाग अपने रिसर्च के लिये इस्तमाल किया। उसके बाद ओजल की अंग्रेजी और कंप्यूटर साइंस, आर्यमणि का जीव विज्ञान, रूही का वाणिज्य शास्त्र, इवान की केमिस्ट्री और अलबेली की फिजिक्स के लिये विद्वानों को ढूंढा गया। उनके अध्यन को उनके दिमाग से चुराया गया और उसके बाद मे हर किसी के पास हर विषय को साझा कर दिया गया।
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B2.

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भाग:–67







पहले इन लोगों ने कैलिफोर्निया के विद्वानों से ज्ञान लिया था, उसके बाद अमेरिका भ्रमण पर निकले थे। करीब महीना दिन में सारा ज्ञान समेटकर कैलिफोर्निया अपने स्थाई निवास पर पहुंचे। सभी एक साथ हॉल में बैठकर पंचायत लगाये।


रूही:– यहां आ गये। सीखना था अंग्रेजी उसके साथ–साथ न जाने क्या–क्या नही हमने सिख लिया। या यूं कह लें की गलत तरीके से सिख लिया। अब आगे क्या?


आर्यमणि:- ज्ञान लेना गलत नही था लेकिन उसे हमने अर्जित गलत तरीके से किया। कोई बात नही जो भी ज्ञान है उसका प्रसार करके हम अपनी गलती को ठीक करने की कोशिश करेंगे। अब आगे यही करना है।


ओजल:– सही कहा भैया। और जबतक यहां मज़ा आ रहा है रहेंगे, मज़ा खत्म तो पैकअप करके कहीं और।


अलबेली:- मै थक गई हूं, मै ऊपर वाला कमरा ले लेती हूं।


इवान और ओजल भी उसके पीछे निकल गये सोने। रूही और आर्यमणि दोनो बैठे हुये थे… "कहां से कहां आ गये ना बॉस। जिंदगी भी कितनी अजीब है।"..


आर्यमणि:- तुम तो इंजीनियरिंग फोर्थ ईयर में थी ना। मेरी वजह से तुम्हारा तो पुरा कैरियर खत्म हो गया।


रूही:- या नए कैरियर की शुरुआत। इन तीनों का कुछ सोचा है?


आर्यमणि:- कुछ दिन यहां के माहौल में ढलने देते है। स्कूल का पता किया था, इनको ग्रेड 11 में एडमिशन करवाने का सोच रहा हूं।


रूही:- और टेस्ट जो होगा उसका क्या?


आर्यमणि:- ज्ञान की घुट्टी दी है ना। 11th ग्रेड के टेस्ट तो क्या उन्हे डॉक्टर की डिग्री लेने में कोई परेशानी नही होगी।


रूही:- हां ये भी सही है। वैसे पिछले कुछ महीनों से बहुत भागदौड़ हो गई, मै भी चलती हूं आराम करने।


आर्यमणि:- हम्मम ठीक है जाओ।


आर्यमणि कुछ देर वहीं बैठा रहा, अपने फोन को देखते। सोचते–सोचते कब उसकी आंख लग गयी पता ही नहीं चला। सुबह अलबेली और इवान के झगड़े से उसकी नींद खुली… "क्या हुआ दोनो के बीच लड़ाई किस बात की हो रही है?"..


अलबेली:- टीवी देखने को लेकर, और किस बात पर।


आर्यमणि:- अब टीवी देखने में झगड़ा कैसा?


अलबेली:- बॉस ये ना पता नहीं कौन-कौन सी मूवी सुबह-सुबह लगा दिया। शर्म नाम की चीज है कि नहीं पूछो इससे।


इवान:- बॉस वो मुझे थोड़े ना पता था कि यहां पुरा ओपन ही दिखा देते है। 5 सेकंड के लिये आया और गया उसपर ये झगड़ा करने बैठ गई।


आर्यमणि:- समय क्या हुआ है।


इवान:- 4.30 बज रहे है।


आर्यमणि:- ठीक है इवान सबको जगाकर ले आओ, जबतक मै अलबेली से ट्रेनिंग शुरू करता हूं।


"अलबेली याद है ना क्या करना है, दिमाग में कुछ भी अंधेरा नहीं होने देना है और पुरा ध्यान अपने दिमाग पर। अपने धड़कन और गुस्से पर पूरा काबू। समझ गयी।"..


अलबेली ने हां में अपना सर हिलाया और आर्यमणि को अपने तैयार होने का इशारा की। आर्यमणि ने पूरा चाकू उसके पेट में घुसा दिया। दर्द से वो बिलबिला गयी और अगले ही पल उसने अपना शेप शिफ्ट कर लिया।


शेप शिफ्ट करते ही वो तेजी के साथ अपने क्ला आर्यमणि पर चलाने लगी। आर्यमणि बिना कोई परेशानी के अपने हाथो से उसे रोकता रहा। वो गुस्से में ये भी नहीं देख पायी की उसका जख्म कबका भर चुका है। हमला करते-करते उसे अचानक ख्याल आया और अपनी जगह खड़े होकर अपनी तेज श्वांस को काबू करती, लंबी श्वांस अंदर खींचने लगी और फिर धीमी श्वांस बाहर।


कुछ पल के बाद… "सॉरी दादा, वो मै खुद पर काबू नहीं रख पायी।"..


आर्यमणि:- कुछ भी हो पहले से बेहतर है। पहले 5 मिनट में होश आता था आज 2 मिनट में आया है।


लगभग 2 घंटे सबकी ट्रेनिंग चली और सबसे आखरी में आर्यमणि की। जिसमें पहले चारो ने मिलकर उसपर लगातार हमले किये। कोई शेप शिफ्ट नहीं। फिर इलेक्ट्रिक चेयर और बाद में अन्य तरह की ट्रेनिंग। इसके बाद सबसे आखरी में शुरू हो गया इनके योगा का अभ्यास।


ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सबने फिर एक नींद मार ली और सुबह के 9 बजे सब नाश्ते पर मिले। नाश्ते के वक़्त सबकी एक ही राय थी, भेज खाने में बिल्कुल मज़ा नहीं आता। आर्यमणि सबके ओर हंसते हुए देखता और प्यार से कहता… "खाना शरीर की जरूरत है, तुम लोग प्रीडेटर नहीं इंसान हो।"..


आज आर्यमणि ने तीनों टीन वुल्फ को पूरा शहर घूमने भेज दिया और खुद रूही को लेकर पहले ड्राइविंग स्कूल पहुंचा। पैसे फेके और लाइसेंस के लिये अप्लाई कर दिया। वहां से निकलकर दोनो बैंक पहुंचे जहां 5 खाते खुलवाने और सभी खाते में लगभग 2 मिलियन अमाउंट जमा करने की बात जैसे ही कहे, बैंक वाले तो दामाद की तरह ट्रीट करने लगे और सारी पेपर फॉर्मेलिटी तुरंत हो गयी।


आर्यमणि और रूही वहां से निकलकर टीन वुल्फ के स्कूल एडमिशन की प्रक्रिया समझने स्कूल पहुंच गये और उसके बाद वापस घर। घर आकर रूही ने एक बार तीनों को कॉल लगाया और उनके हाल चाल लेकर आर्यमणि के पास आकर बैठ गई।… "अपने लोगो के बीच ना होने से कितना खाली-खाली लग रहा है ना।"..


आर्यमणि:- खाली क्यों लगेगा, ये कहो की काम नहीं है उल्लू। वैसे बात क्या है आज बहुत सेक्सी दिख रही..


रूही:- ओह हो मै सेक्सी दिख रही हूं, या ये क्यों नहीं कहते कि कुछ-कुछ हो रहा है।


आर्यमणि:- एक हॉट लड़की जब पास में हो तो मूड अपने आप ही बन जाता है।


रूही:- सोच लो ये हॉट लड़की उम्र भर तुम्हारे साथ रहने वाली है और एक बात बता दूं मिस्टर आर्यमणि कुलकर्णी, मुझे तुमसे बिल्कुल प्यार नहीं। मुझे जानते हो कैसा लड़के की ख्वाहिश है..


आर्यमणि:- कैसे लड़के की..


रूही:- कोई मुझे छेड़े ना तो वो खुद उससे कभी नहीं जीत सकता हो, लेकिन फिर भी मेरे लिए भिड़कर मार खा जाये। ऐसा लड़का जिसकी अपने मां बाप से फटती हो, लेकिन जब मेरा मैटर हो तो चेहरे पर शिकन दिल में डर रहे, फिर भी हिम्मत जुटा कर अपने पिता से कह सके, मुझे रूही से प्यार है। बेसिकली बिल्कुल इनोसेंट जो मुझसे प्यार करे।


आर्यमणि:- तो यहां रहने से थोड़े ना मिलेगा ऐसा लड़का। चलो वापस भारत।


रूही, आर्यमणि को किस्स करती… "मेरी किस्मत में होगा तो मुझे मिल ही जाएगा। तब तुम मेरी तरफ देखना भी नहीं। लेकिन अभी तो कुछ तन की इक्छाएँ है, उसे तो पूरी कर लूं।"..


आर्यमणि, हड़बड़ा कर उठ गया। रूही हैरानी से आर्यमणि को देखती... "क्या हुआ बॉस, ऐसे उठकर क्यों जा रहे।"


आर्यमणि:– तुम भी आओ...


दोनो बेसमेंट में पहुंच गये। आर्यमणि अपने सोने के भंडार को देखते... "इसके बारे में तो भूल ही गये।"


रूही:– हां ये अमेरिका है और हमारी मस्त मौलों की टोली। कहीं कोई सरकारी विभाग वाले यहां पहुंच गये फिर परेशानी हो जायेगी।


आर्यमणि:– हां लेकिन इतने सोने का करे क्या? 5000 किलो सोना है।


रूही:– कोई कारगर उपाय नहीं मिल रहा है। यहां की जैसी प्रशासन व्यवस्था है, बिना बिल के कुछ भी बेचे तो चोरी का माल ही माना जायेगा। इसे तो किसी चोर बाजार ही ठिकाने लगाना होगा।


आर्यमणि:– ज्वेलरी शॉप डाल ली जाये तो। पैसे इतने ही पड़े–पड़े सर जायेंगे और गोल्ड इतना है कि कहीं बिक न पायेगा।


रूही:– बात तो सही कह रहे हो, लेकिन हम यहां टूरिस्ट वीजा पर है। 6 महीने के लिये घर लीज पर लिया है। यहां धंधा शुरू करना तो दूर की बात है, लंबे समय तक रहने के लिये पहले जुगाड करना होगा।


आर्यमणि:– सबसे आसान और बेस्ट तरीका क्या है।


रूही:– यहां के किसी निवासी से शादी कर के ग्रीन कार्ड बनवा लो। लेकिन फिर उन तीनो का क्या...


आर्यमणि:– हम इतना डिस्कस क्यों कर रहे है। वो मॉल का मैनेजर है न निकोल, उसके पास चलते हैं। वैसे भी उसका क्रिसमस का महीना तो हमने ही रौशन किया है न।


रूही:– एक काम करते है, दोनो के लिये बढ़िया सा गिफ्ट लेते है। 1 बॉटल सैंपियन कि और कुछ मंहगे खिलौने उनके बच्चे के लिये।


आर्यमणि:– हां चलो ये भी सही है...


दोनो बाजार निकले वहां से महंगा लेडीज पर्स, मंहगी वॉच, बच्चों के लिये लेटेस्ट विडियो गेम, और एक जो गोद में था उसके लिये खूबसूरत सा पालना। सारा गिफ्ट पैक करके आर्यमणि और रूही निकोल के घर रात के करीब 9 बजे पहुंचे। बेल बजी और दरवाजे पर उसकी बीवी। बड़ा ही भद्दा सा मुंह बनाते, बिलकुल रफ आवाज में पूछी... "क्या काम है।"…


शायद यहां के लोगों को पहचान पूछने की जरूरत न पड़ती। सीधा काम पूछो और दरवाजे से चलता करो। आर्यमणि और रूही उसकी बात सुनकर बिना कुछ बोले ही वहां से निकलने लगे। वह औरत गुस्से में चिल्लाती... "बेल बजाकर परेशान करते हो। शक्ल से ही चोर नजर आ रहे। रूको मैं अभी तुम्हारी कंप्लेन करती हूं।"..


आर्यमणि:– मुझे निकोल से काम था लेकिन तुम्हारा व्यवहार देखकर अब मैं जा रहा। अपने हब्बी से कहना वही आदमी आया था जिसने उसके कहने पर 30 हजार यूएसडी के समान लिये। लेकिन अब मुझे उसके यहां का व्यवहार पसंद नही आया।


वह औरत दरवाजे से ही माफी मांगती दौड़ी लेकिन आर्यमणि रुका नही और वहां से टैक्सी लेकर अपने घर लौट आया। घर लौटकर वह हाल में बैठा ही था कि पीछे से घर की बेल बजी। आर्यमणि ने दरवाजा खोला तो सामने निकोल और उसकी बीवी खड़े थे। आर्यमणि भी उतने ही रफ लहजे में.… "क्या काम है।"…


वह औरत अपने दोनो हाथ जोड़ती.… "कुछ लड़के पहले ही परेशान कर के गये थे इसलिए मैं थोड़ी उखड़ी थी। प्लीज हमे माफ कर दीजिये।"..


आर्यमणि पूरा दरवाजा खोलते... "अंदर आओ"…


निकोल:– सर प्लीज बात दिल पर मत लीजिये, मैं अपनी बीवी की गलती के लिये शर्मिंदा हूं।


आर्यमणि:– क्यों हमारे शक्ल पर तो चोर लिखा है न... तुम्हारी बीवी ने तो हमे चोर बना दिया। न तो तुम्हारी माफी चाहिए और न ही तुम्हारे स्टोर का एक भी समान।


आर्यमणि की बात सुनकर स्टोर मैनेजर निकोल का चेहरा बिल्कुल उतर गया। एक तो दिसंबर का फेस्टिव महीना ऊपर से जॉब जाने का डर। निकोल का चेहरा देख उसकी बीवी का चेहरा भी आत्मग्लानी से भर आया... "वापस करने दो इसे समान, मैं खरीद लूंगी। बल्कि आपके पहचान का कोई कार डीलर हो तो वो भी बता दीजिए"…


रूही की आवाज सुनकर निकोल का भारी मन जैसे खिल गया हो.… "क्या मैम"..


आर्यमणि:– उसका नाम रूही है और मेरा...


निकोल:– और आपका आर्यमणि। यदि आप मजाक कर रहे थे वाकई आपने मेरे श्वांस अटका दी थी। और यदि मजाक नही कर रहे तो समझिए श्वान्स अब भी अटकी है।


आर्यमणि, अपने हाथ से उन्हे गिफ्ट देते... "आपकी पत्नी ने हमारा दिल दुखाया इसलिए हमने भी वही किया। अब बात बराबर, और ये गिफ्ट जो आपके लिये लेकर आये थे।"..


गिफ्ट देखकर तो दोनो मियां–बीवी का चेहरा खिल गया। ऊपर से उनके बच्चों तक के लिये गिफ्ट। दोनो पूरा खुश हो गये। रूही, निकोल की बीवी के साथ गिफ्ट का समान कार में रखवा रही थी और निकोल, आर्यमणि के साथ था।


निकोल:– बताइए सर क्या मदद कर सकता हूं।


आर्यमणि:– यदि मैं यहां के किसी लोकल रेजिडेंस से शादी कर लूं तो मुझे ग्रीन कार्ड मिल जायेगी...


निकोल:– थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन हां मिल जायेगी..


आर्यमणि:– मेरे साथ तीन टीनएजर रहते है, फिर उनका क्या?


निकोल:– तीनों प्रवासी है और क्या आप पर डिपेंडेंट है..


आर्यमणि:– हां...


निकोल:– आपको मेयर से मिलना चाहिए। आप पसंद आ गये तो आपके ग्रीन कार्ड से लेकर उन टीनएजर के एडोप्टेशन का भी बंदोबस्त हो जायेगा।


आर्यमणि:– और क्या मेयर मुझसे मिलेंगे...


निकोल:– हां बिलकुल मिलेंगे.... शॉपिंग मॉल उन्ही का तो है। कहिए तो मैं अपॉइंटमेंट ले लूं।


आर्यमणि:– रहने दो, हमारी बात नही बनी तो तुम्हारी नौकरी चली जायेगी।


निकोल:– मुझे यकीन है बात बन जायेगी। मैं अपॉइंटमेंट फिक्स करके टेक्स्ट करता हूं।


2 दिन बाद मेयर से मीटिंग फिक्स हो गयी। आर्यमणि और रूही उससे मिले। कुछ बातें हुई। 50 हजार यूएसडी उसके इलेक्शन फंड में गया। 10 हजार डॉलर में एक लड़का और एक लड़की ने दोनो से शादी कर ली। मैरिज काउंसलर ने आकर विजिट मारी। सारे पेपर पुख्ता किये। उसके बाद वो दोनो अपने–अपने 10 हजार यूएसडी लेकर अपने घर। अब बस एक बार तलाक के वक्त मुलाकात करनी थी, जिसका पेपर पहले ही साइन करवा कर रख लिया गया था।


आर्यमणि मिठाई लेकर मेयर के पास पहुंचा और अपने आगे की योजना उसने बतायी की कैसे वह कैलिफोर्निया के पास जो गोल्ड माइन्स है उसके जरिये सोने का बड़ा डिस्ट्रीब्यूटर बनना चाहता है। हालांकि पहले तो मनसा ज्वेलरी शॉप की ही थी लेकिन थोड़े से सर्वे के बाद यह विकल्प ज्यादा बेहतर लगा।


मेयर:– हां लेकिन सोना ही क्यों? उसमे तो पहले से बहुत लोग घुसे है।


आर्यमणि:– हां लेकिन आप तो नही है न इस धंधे में..


मेयर:– न तो मैं इस धंधे में हूं और न ही कोई मदद कर सकता हूं। इसमें मेरा कोई रोल ही नही है। सब फेडरल (सेंट्रल) गवर्मेंट देखती है।


आर्यमणि:– हां तो एक गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री हम भी डाल लेंगे। इसमें बुराई क्या है। प्रॉफिट का 10% आपके पार्टी फंड में। बाकी आप अपना पैसा लगाना चाहे तो वो भी लगा सकते है।


मेयर:– कितने का इन्वेस्टमेंट प्लान है?


आर्यमणि:– 150–200 मिलियन डॉलर। आते ही 2 मिलियन खर्च हो गये है। कुछ तो रिकवर करूंगा।


मेयर:– मुझे प्रॉफिट का 30% चाहिए.. वो भी अनऑफिशियली..


आर्यमणि:– मुझे मंजूर है लेकिन 50 मैट्रिक टन बिकने के बाद ये डील शुरू होगी।


मेयर:– और 50 मेट्रिक टन का प्रॉफिट...


आर्यमणि:– उसमे हम दोनो में से किसी का प्रॉफिट नही होगा। आप अनाउंस करेंगे की पहले 50 मेट्रिक टन तक हम धंधा जीरो परसेंट पर करेंगे। ये आपके इलेक्शन कैंपेन में काम आयेगा और हम कुछ कस्टमर भी बना लेंगे...


मेयर:– गोल्ड का रेट फेडरल यूनिट तय करती है उसमे कम या ज्यादा नही कर सकते। हां लेकिन तुम 20 मेट्रिक टन का प्रॉफिट कैलिफोर्निया के नाम अनाउंस कर दो और 30 मैट्रिक टन का प्रॉफिट सीधा फेडरल यूनिट के नाम, फिर तो तुम हीरो हुये।


आर्यमणि:– ऐसी बात है क्या? फिर तो अभी से कर दिया।


मेयर:– बधाई हो। सही धंधा अच्छा चुना है। हां लेकिन कुछ और धंधा करते तो मैं भी तुम्हारे साथ अपना पैसा लगाता।


आर्यमणि:– और अब..


मेयर:– अब तो तुम मेरे खास दोस्त हो। परमिशन से लेकर लैंड और फैक्ट्री सेटअप सब मेरी कंपनी को टेंडर दे दो। 1 महीने में काम पूरा हो जायेगा।


आर्यमणि:– ठीक है पेपर भिजवा देना, मैं साइन कर दूंगा।


मेयर:– "ओह हां एक बात मैं बताना भूल ही गया। इस से पहले की तुम पेपर साइन करो मैं एक बात साफ कर दूं, मैं गोल्ड का धंधा सिर्फ इसलिए नहीं करता क्योंकि वह धंधा मेरा बाप करता है। यदि मैंने उसके धंधे में हाथ डाला फिर मैं और मेरा करियर दोनो नही रहेगा। एक तो वैसे ही बाहर से आये हो ऊपर से बड़े लोगों का धंधा कर रहे। कहीं कोई परेशानी होगी तो मैं बीच में नही आऊंगा उल्टा उन परेशान करने वालों में से मैं भी एक रहूंगा।"

"अपनी सारी टर्म्स डिस्कस हो चुकी है। रिस्क मैंने तुम्हे बता दिया। इसके बाद तुम आगे अपना सोच कर करना। यदि गोल्ड का बिजनेस नही करना तो हम कुछ और धंधे के बारे में डिस्कस कर सकते हैं जिसमे कोई रिस्क नहीं होगा।"


आर्यमणि:– वो धंधा ही क्या जो रिस्क लेकर न किया जाये। आप तो गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन का सारा प्रक्रिया कर के, गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री की परमिशन ले लो।


मेयर हंसते हुये हाथ मिलाते... "लगता है कुछ बड़ा करने के इरादे से यहां पहुंचे हो।"..


आर्यमणि:– वो कारनामे ही क्या जो बड़ा ना हो। चलता हूं।
Next al-dorado the lost city of gold,
Arya ne hi banwai hogi vo city bhi esa hi lg raha hai,
Sona hi Sona hoga Sona hi sona bhai,
😂😂😂😂😂

Shandaar jabarjast lajawab update Bhai ❤️🎉🎉
 

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भाग:–69







अलबेली और इवान को फुर्सत से घूमने छोड़ दिया गया और ये दोनो भी अपना घूमने लगे। अभी कुछ देर पहले अलबेली और इवान का जब क्ला बाहर आया तब वह शिकारियों की नजरों में आ गये। आते भी क्यों न शिकारी के इलाके में ही रोमांस कर रहे थे। बिजली का तेज झटका लगते ही अलबेली, रूही को आवाज लगा चुकी थी। रूही ने जैसे ही वह आवाज सुनी फिर तो सब कुछ छोड़कर आवाज के पास पहुंची। रूही और ओजल ने दो शिकारी को गायब कर दिया। बौखलाए शिकारी चारो ओर फैल चुके थे।


इधर थोड़ी देर के बाद इवान और अलबेली को भी होश आ चुका था और शिकारियों की भनभनाहट सुनकर दोनो समझ चुके थे कि उनकी मदद आ चुकी है। इवान ने अलबेली की कलाई थाम ली और उसे हील करने लगा। अलबेली को जैसे राहत की श्वांस मिली हो। कुछ देर हील होने के बाद उसे जब होश आया तब वह इवान की हालत को अच्छे से समझ पायी। अलबेली बावरी की तरह इवान के पूरे मुंह को पोंछती, उसकी कलाई थामी और उसका दर्द लेने लगी। दोनो एक दूसरे की कलाई थाम, एक दूसरे का दर्द, एक दूसरे के आंखों में झांकते हुये ले रहे थे।… "ओ टोरंटो के लैला मजनू, मुझे सुन रहे हो।"…


अलबेली और इवान दोनो एक साथ.… "हां सुन रहे है।"..


ओजल:– वहां की पोजिशन बताओ..


इवान:– हमारे सामने माउंटेन एश का घेरा है। आस–पास भ्रमित करने वाली गंध है। शायद शिकारियों ने जाल फैलाया है।


अलबेली:– कुल 6 लोग यहां है। मैं उन सबकी भावना मेहसूस कर सकती हूं। उनकी धड़कन सुन सकती हूं। सभी हम पर ही निशाना लगाये है।


रूही:– अभी मजा चखाते है। ओजल शिकारियों को ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दे। चल जल्दी कर...


रूही और अलबेली जो अपने साथ एक–एक शिकारी को लिये घूम रही थी। बड़ी ही तेजी के साथ वहां से गुजरी और दोनो शिकारी को दूर से ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दी। जैसे ही २ शिकारी अलबेली और इवान के पास गिरे, माउंटेन ऐश की लाइन तहस नहस हो गयी।


जैसे ही 2 शिकारी वहां गिरे घात लगाये सारे शिकारी चौकन्ना और फिर तो अंधाधुन फायरिंग शुरू हो गयी। अंधेरे में शिकारियों को लगा वेयरवोल्फ ने माउंटेन ऐश की लाइन तोड़ने के लिये कुछ फेंका है। फ्रैक्शन सेकंड में ही अलबेली और इवान सारे खतरे को भांप चुके थे। उसने अपने साथ दोनो शिकारी को उठाया और वहां से भाग कर खुद को सुरक्षित किया। दोनो शिकारी कर्राहते हुये इवान और अलबेली को ही देख रहे थे।


इवान ने अलबेली को इशारा किया और दोनो शिकारियों का दर्द खींचने लगे.… "क्या देख रहे हो शिकारी। हमारी दुश्मनी तो चलती रहेगी लेकिन इस दुश्मनी में किसी की जान चली गयी तो बहुत बुरा होगा। रूही दीदी, ओजल क्या हम निकले। यहां सब साफ है।"..


रूही:– हां निकलो... हम भी इनके इलाके के बॉर्डर पर ही है।


इधर रूही ने हामी भरी और पूरा अल्फा पैक वहां से निकल गया। शिकारियों की नजरों में आने के बाद रूही वहां रुकना ठीक नही समझी इसलिए सबके साथ रविवार तक पूरा एंजॉय करने कनाडा के दूसरे शहर चली आयी।



आर्यमणि.. लॉस वेगस के सफर पर


शुक्रवार की रात आर्यमणि वेगस के लिये निकला। रात के करीब 9.30 बजे वह वेगस पहुंचा। एक बड़े से कैसिनो में घुसकर वहां वेटर को 100 डॉलर थमाते... "पार्केंसन कहां मिलेगा"..


वेटर, इशारा करते.… कोने से आखरी गेट के पीछे लेकिन वहां तुम जा नही सकते...


आर्यमणि वेटर को बिना जवाब दिये उधर चला गया। गेट के रास्ते पर खड़े अत्याधुनिक हथियार लिये बैल जैसे पहलवान गार्ड उसका रास्ता रोकते... "क्लब उधर है। यहां नही आ सकते।"


आर्यमणि:– पार्केंसन से कहो कैलिफोर्निया में गोल्ड ब्रिक की फैक्ट्री डालने वाला आर्यमणि आया है।


गार्ड ने आर्यमणि को वहीं खड़े रहने कहा और एक गार्ड अंदर घुसा। कुछ मिनट बाद वह दरवाजा खोलकर आर्यमणि को अंदर बुलाया... आर्यमणि जैसे ही अंदर गया दरवाजा बंद। एक बड़ा सा हॉल जिसके कोने–कोने पर सूट बूट में बॉडीगार्ड खड़े थे। दरवाजे के ठीक सामने एक बड़ा सा डेस्क था जिसके पीछे लगे एक आलीशान कुर्सी पर बैठकर पार्केंसन सिगार पी रहा था। सामने कुछ लोग बैठे थे जो आर्यमणि के अंदर आते ही बाहर चले गये।


पार्केंसन ने आर्यमणि को हाथ के इशारे से बुलाया। जैसे ही आर्यमणि उसके डेस्क के पास पहुंचा 2 लोगों ने उसे धर दबोचा और उसके चेहरे के बाएं हिस्से को डेस्क से चिपकाकर कनपट्टी पर बंदूक तान दिये। आर्यमणि बिना हिले–डुले आराम से डेस्क पर चेहरा टिकाये था। पार्केंसन, आर्यमणि के गाल पर थपथपाते... "बड़ी हिम्मत है तुझमें। मेयर ने तेरे बारे में बताया। मैने सोचा तू बच्चा है, धंधा करने की चाहत थी इसलिए तूने एक अच्छा धंधा चुन लिया, कोई बुराई नही थी इसमें। बस गलती मेयर से हुई जो तुझे अच्छे से समझाया नही। मुझे लगा मेयर को समझा दिया है तो वो तुझे समझा देगा लेकिन लगता नही की तू ठीक से समझा है। तुम सब जरा अच्छे से इसे समझाओ"


जैसे ही पार्केंसन ने मारने का ऑर्डर दिया 2 लोग हवा में उड़ते हुये जाकर दीवार से टकरा गये। आर्यमणि को गन प्वाइंट पर लिये दोनो गार्ड हवा में उड़ रहे थे। आर्यमणि ने दोनो को अपने एक–एक हाथ से दबोचकर ऐसे फेका जैसे 2 हल्के सब्जी के झोले को पीछे हवा में फेंकते है। आर्यमणि का यह एक्शन देखकर दूसरे बॉडीगार्ड हरकत में आ गये... इसी बीच आर्यमणि अपनी भारी आवाज से सबको पहचान करवाते.… "लगता है मैने ठीक से अपना परिचय नही करवाया वरना इतनी परेशानी नही होती। मुझे लगता है कुछ देर बैठकर बात करने के बाद हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं।"


आर्यमणि जबतक अपनी भारी आवाज में बात कर रहा था, पार्केंसन के बॉडीगार्ड उसे घेर चुके थे। पार्केंसन सबको रिलैक्स करते आर्यमणि को बैठने का इशारा किया... "देखो लड़के जब बात से काम हो जाये तो हम भी हथियार बीच में नही लाते। मुझे बताओ तुम इतनी दूर क्यों आये हो?"


आर्यमणि:– मुझे ब्रिक फैक्ट्री लगाने या सोने का डिस्ट्रीब्यूटर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं..


पार्केंसन:– इंट्रेस्टिंग... आगे बताओ..


आर्यमणि:– मेरे पास कुछ गोल्ड है, और मैं किसी भी माफिया या नेता को उसमें एक जरा हिस्सा नही देना चाहता। जैसे तुम्हे अपने धंधे से प्यार है और किसी दूसरे को हिस्सा नही देना चाहते, ठीक वैसे ही।


पार्केंसन:– ओह तो ये बात है। अपने गोल्ड में से किसी को हिस्सा नही देना इसलिए तुमने गोल्ड डिस्ट्रीब्यूटर बनने का सोचा। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर ही क्यों.. क्या बहुत ज्यादा गोल्ड है?


आर्यमणि:– तुम्हारे सोच से भी ज्यादा...


पार्केंसन:– हम्मम... बताओ कैसे मदद करूं?


आर्यमणि:– कोई बीच का रास्ता निकालते है। मेरा काम निकलने तक ही मुझे गोल्ड से जुड़े कामों ने इंटरेस्ट है। और तुम तो जानते ही होगे की ब्लैक से व्हाइट करने में कितना मेहनत लगता है।


पार्केंसन:– बीच का रास्ता... ठीक है यदि 1 मेट्रिक टन तक गोल्ड हुआ तो तुम्हारे गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन प्राइस से 20% नीचे लूंगा। यदि 10 मेट्रिक टन तक हुआ तो 30% नीचे के प्राइस में। उस से ज्यादा है तो 10 मेट्रिक टन इस साल और फिर अगले साल...


आर्यमणि:– डील को लॉक करते है।


पार्केंसन:– कितना माल है..


आर्यमणि:– 5 मैट्रिक टन..


पार्केंसन, अपने एक आदमी को बुलाया सब कैलकुलेशन करने के बाद... "145 मिलियन (उस वक्त मजूदा रेट के हिसाब से) होते है। मेरा 30% काट कर तुम्हारे 101.5 मिलियन। माल कहां है उसकी लोकेशन बताओ। चेक करवाकर लोड होने के बाद पैसे ट्रांसफर कर देता हूं।"


आर्यमणि:– इतना सारा माल पीछे में कोई देखने गया। कहीं कोई चोरी हो गयी तो?


पार्केंसन:– उसकी चिंता तुम मत करो... तुम्हे चिंता इस बात की होनी चाहिए की कहीं तुम गलत हुये तो...


आर्यमणि उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। आर्यमणि अपने घर का सभी सिक्योरिटी ब्रिज हटाया। पार्केंसन के कुछ लोग बेसमेंट में घुसे। उन्होंने कुछ रिम उठाकर पहले सोने की गुणवत्ता चेक किया, फिर कुछ रिम का वजन लिया। सब कुछ सुनिश्चित होने के बाद जैसे ही अनलोगों ने कैलिफोर्निया से संदेश भेजा, वैसे ही यहां आर्यमणि के दिये अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो गये।


आर्यमणि जिज्ञासावश पार्केंसन से पूछ ही लिया.… "न कोई बारगेन, न ही पूछे की माल कहां से आया। न ही डील में कोई गलत मनसा। मुझे तो लगा था यहां मुझे बहुत टाइम लगने वाला है।"…


पार्केंसन:– "हाहहा... तुम्हारे सवाल में ही जवाब है। ज्यादा से ज्यादा मैं पूरा बैमानी कर लेता। तुम्हे मारने की कोशिश करता... इस से क्या हो जाता... इन सब में मेरे 1 घंटे लगते। तुम्हारे घर से माल चोरी करने और फिर उसे पुलिस से बचाने में दिमाग खपाना पड़ता सो अलग। 4–5 घंटे की माथापच्ची के बाद मैं 145 मिलियन कमा लेता। पर अभी..."

"आधे घंटे में एक नौजवान दोस्त बना लिया। 43.5 मिलियन की कमाई कर लिया और सबसे जरूरी चीज। अगली बार हम 5 मिनिट में फोन पर डील करेंगे और 10 मिलियन ही कमाई मानो उस डील से होगा। तो सोच लो बचे साढ़े 3 घंटे में मैं तुमसे कितना कमा लूंगा। फिगर 100 मिलियन से कहीं ज्यादा होगा।"


आर्यमणि:– बिजनेस में कमाल का डेडीकेशन है।


पार्केंसन उसे 8–10 कार्ड थमाते... "10 मिलियन + के प्रॉफिट का जो भी डील हो, सीधा मुझे कॉल करना वरना इन सब कार्ड में से किसी भी पार्क को फोन करके डील सेट कर लेना।


आर्यमणि:– ये आपके सभी स्टाफ का नाम पार्क ही है।


पार्केंसन:– हां... मैं भी एक पार्क ही हूं। किसी भी नंबर के पार्क (जैसे की पार्क–1, पार्क–2) को पुकारो, उसके गैर हाजरी में कोई न कोई आ ही जाता है। काम में काफी सहूलियत होती है। पार्क–2 आर्यमणि का ड्रिंक आज मेरी तरफ से। इसके होस्ट तुम हुये हमारे मेहमान को किसी बात की शिकायत नही होनी चाहिए।


आर्यमणि ने पार्केंसन को शुक्रिया कहा और वहां से सीधा एयरपोर्ट चला आया। रात 12.30 की फ्लाइट थी और आर्यमणि 2 बजे तक कैलिफोर्निया एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी में था। घर लौटने के क्रम में उसके टैक्सी का टायर पंक्चर हो गया। टैक्सी वाले ने माफी मांग लिया और आगे कुछ और व्यवस्था देख लेने कह दिया।


घर पास में ही था आर्यमणि पद यात्रा करते हुये निकला। कुछ दूर आगे बढ़ा होगा की स्ट्रीट लाइट बुझने लगी। देखते ही देखते पूरी सड़क पर अंधेरा पसर गया। आर्यमणि को खतरे का आभास तो हो रहा था लेकिन आस पास किसी के होने के संकेत नही मिल रहे थे। आर्यमणि समझ चुका था की खतरा उसके पीछे पहुंच गयी है। वह तेज दौड़ लगाया और सीधा अपने कॉटेज के पीछे वाले जंगल में रुका।


जंगल में जब वह पहुंचा उसके कुछ देर बाद ही पत्तों की खर–खराहट की आवाज आने लगी। आर्यमणि किसी की मौजूदगी को मेहसूस तो नही कर सकता था लेकिन जिस प्रकार से पाऊं के नीचे पत्ते मसल रहे थे, उसे लग गया की कोई तो है।


आर्यमणि:– प्रहरी का नया तिलिस्मी योद्धा... अकेले ही मुझसे लड़ने चला आया।


तभी आर्यमणि के सामने एक टीनएजर लड़का खड़ा हो गया। आर्यमणि उसे बड़े ध्यान से देखते... "तुम तो अभी काफी छोटे हो, प्रहरी ने तुम्हे अकेले ही भेज दिया"..


लड़का:– हां ऐसा ही समझो। अब वहीं खड़े रहकर टाइम पास करोगे या लड़ना भी है...


आर्यमणि अपने जूते निकलकर, अपने अंगूठे को ही हल्का जमीन में धसा दिया। देखते ही देखते जमीन से जड़ों के रेशे निकलने लगे जो उस लड़के के पाऊं से लिपट गये। वह लड़का अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता था। आर्यमणि उसे फिर एक बार चेतावनी देते... "लड़के अपनी पहचान बताओ। आखिर कौन सी प्रजाति के हो तुम लोग, जो खुद को अपेक्स सुपरनैचुरल कहते हो।"


लड़का, आर्यमणि की बात का कोई जवाब न देकर अपने कमर में लटके कई खंजरों में से एक खंजर को निकाला और काफी तेजी से आर्यमणि के ओर फेंका। आर्यमणि सामने से खतरे को आते देख बिजली की गति से खतरे के सामने से हटा। लेकिन जब आर्यमणि खड़ा हुआ, उसके कंधे से खून की धार बह रही थी। आर्यमणि काफी आश्चर्य में पड़ गया। आंख मूंदकर वह समझने की कोशिश करने लगा की अभी हुआ क्या? आर्यमणि के दिमाग में जैसे सब कुछ स्लो मोशन में चल रहा हो।


तभी उसे झटका सा लगा हो जैसे। उस लड़के ने एक खंजर के पीछे दूसरा खंजर इस तेजी से फेंका की उसके खतरा भांपने की सेंस तक धोखा खा गयी। और क्या सटीक गणना था। खतरा भांप कर बिजली की तरह हटने के क्रम में ही उसे दूसरा खंजर लग गया। आर्यमणि अपने कंधे से खंजर को निकालते... "ये खंजर मुझे मार नही सकती, लेकिन तू आज जरूर मारेगा।"


आर्यमणि अपनी बात कहते हुये तेज दौड़ लगा दिया। वह जब दौड़ रहा था, आस–पास के पत्ते किसी बवंडर में फंस कर उड़ने वाले पत्तों को तरह कई फिट ऊपर उठे। अपनी तेज दहाड़ के साथ आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगा चुका था और उसका मुक्का उस लड़के के सीने को फाड़कर बाहर निकलने के लिये तैयार। लेकिन ना जाने आज सीक्रेट प्रहरी के किस हथियार से पाला पड़ा था। आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगाकर अपने मुक्के से उसके सीने को निशाना बनाये था, लेकिन ऐसा लगा जैसे आर्यमणि ने किसी स्प्रिंग पर हमला किया हो। झट से उस लड़के ने अपने शरीर को आर्यमणि के हमले की जगह से ठीक पीछे किया, जबकि पाऊं उसके अपनी जगह पर जमे थे।


आर्यमणि ने शॉट मिस किया और वह हवा में ही उस लड़के से आगे बढ़ गया। वह लड़का भी आर्यमणि को जैसे कोई फुटबॉल समझ लिया हो... एक लात उठाया और पूरे स्टाइल से पेट पर ऐसे जमाया की आर्यमणि की 2 पसलियां टूट गयी और वह खुद काफी दूर एक पेड़ से जाकर टकराया। हमला इतना तेज और घातक था की आर्यमणि के आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा।


आर्यमणि इतनी बुरी तरह टूटा था कि उसकी खुद की हीलिंग क्षमता ने जवाब दे दिया था। हाथ लगाकर जब वह खुद को हील करने लगा तब हाथों की नब्जों ने जैसे दर्द खींचने से मना कर दिया हो। वह लड़का अब भी अपनी जगह खड़ा था। आर्यमणि काफी धीमे ही सही लेकिन खुद को हील होता मेहसूस कर रहा था। जब थोड़ा होश आया तब यह भी ख्याल आया की वह लड़का तो जड़ों की रेशों से निकल चुका है।


आर्यमणि खुद में थोड़ा हिम्मत भरते, अपने क्ला को पसलियों के बीच घुसाया और 2 नाखूनों के बीच टूटी पसली को पकड़कर उसे सीधा करते उन पसलियों को हील करने की कोशिश किया। आर्यमणि के खुद की थोड़ी हीलिंग और उंगलियों से जी तोड़ हील करने का जज्बे ने आर्यमणि को राहत दिलवाया और उसकी पसली हील हो गयी l एक पसली हील होने के बाद दूसरी और फिर खुद को हील करना...


काफी वक्त लगा खुद को पूरा हील करने में लेकिन आर्यमणि पूर्ण रूप से तैयार था। इस बीच वह लड़का बिना कोई प्रतिक्रिया दिये अपनी जगह खड़ा रहा। आर्यमणि तेजी से उसके करीब पहुंचा और अपनी गति का प्रयोग करके, उस पर क्ला से हमला करने लगा। आर्यमणि हमला तो कर रहा था, किंतु पहले ही पंच से उसे पता चल गया की वह हवा में ही मरता रह जायेगा। क्या गजब की उसके बचने की क्षमता थी। किसी भीं गति और कितना ही नजदीक से आर्यमणि हमला करे, वह लड़का किसी स्प्रिंग की तरह लचीलापन दिखाते, किसी भी दिशा में झुक जाता और उतने ही तेजी से अपना मुक्का चला चुका होता।


नजारा अकल्पनीय था। आर्यमणि जितना तेज हो सकता था उतना तेज हमला करता और वह लड़का उस से भी तेज बचते हुये जवाबी हमला करता। तेजी के साथ लगातार पड़ते मुक्कों की आवाज चारो ओर गूंज रही थी। एक तो दम से मारा गया मुक्का उसमे भी बिजली की रफ्तार। आर्यमणि के जिस अंग पर मुक्का लगता वह हिस्सा 4 इंच तक धंस जाता। कुछ ही पल में आर्यमणि का पूरा बदन सूज चुका था। हांफते और बदहाली में वह पीछे हटा और खड़ा होकर अपने दर्द से उबरने की कोशिश करने लगा। शरीर में इतनी क्षति हुई थी कि अब वह हाथों से हील नही हो पा रहा था। आंख की रौशनी बिलकुल धुंधली हो गयी थी और दिमाग अब गहरी निद्रा में जाने के लिये तड़प रहा था। फिर भी आर्यमणि खुद को संभाले अपने नए दुश्मन को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अपनी जगह से एक कदम भी इधर–उधर नही हुआ था।

अरे सुनो रे.. सभी कान खोलकर सुनो रे मेरेको कोई पथभ्रष्ट पथिक नहीं समझना जो भूले भटके बीच में घुस आया बल्कि मैं वहीं पुराना बिगुल हूं बस टाइटल बदलवा दिया।

ये छिछोरा और छिछोरी चढ़ती जवानी और आलिंगन करने से जागी कामभावना जिसमे दोनों इस कदर बहके की भूल चुके थे कि वे साधारण इंसान नहीं अपितु वेयरवुल्फ हैं। थोड़ी सी चूक और शिकारी के निगाहों में आ जायेंगे साथ ही भारत में प्रहरी ने उन्हें भगौड़ा घोषित कर रखा हैं।

कमवेग की अधिकता से दोनों (अलबेली-इवान) इतना बहक गए कि खुद पे से नियंत्रण ही खो दिया और उनके क्ला बहार निकल आए और अचूक निरक्षण में तैनात शिकारियों के निगाहों में आ गए।

पलक झपकते ही ऐसा विधुत प्रवाह का अदृश्य जाल बिछा दिया जिसे छूते ही अलबेली मूर्छित हों गईं शुक्र हैं विद्युत अघात से पहुंची पीढ़ा में चीख के साथ रूही का नाम निकला वरना दोनों नर्क के द्वार में पहुंच जाते। बरहाल सब ठीक रहा और खतरे को भांप कर रूही दोनों को निकालके दूसरी जगह चली गई।

पार्केंसन आर्यमणि को छोटा बचा समझ बैठा लेकिन पार्केंसन का अनुमान तब धरी कि धरी रहीं गईं जब उसके दो पहलवानों को हवा में यूं उछाल दिया जैसे रूई का बोरा फेंक दिया हों। खैर पार्केंसन व्यापार जगत का एक मज़ा हुआ खिलाड़ी हैं तभी तो अपना फायदा और समय पर ज्यादा ध्यान दिया न कि माल कहा से आया इतना सोना कहा और कैसे लाएं इत्यादि इत्यादि नहीं पुछा, सोना का सौदा हो चूका 101 मिलियन यूएसडी आर्यमणि के हाथ लग गया।

इतनी सावधानी बरतने के बाद भी चूक हो गया पहले अलबेली इवान ओजल और रूही शिकारियों के नजरों में आ गईं और आर्यमणि भी शिकारियों से नहीं बचा पाया उसका सामना अपेक्स सुपरनेचुरल शिकारी से पड़ा जो तिलस्मी शक्तियों के धारक हैं।

मुठभेड़ बड़ा तगड़ा हुआ अपेक्स सुपरनेचुरल शिकारी के शक्तियों के सामने आर्यमणि लगभग बौना साबित हों चुका हैं और घायल इतना अधिक हों चुका कि खुद को हिल ही नहीं कर पा रहा हैं। देखते है आगे यहां मुठभेड़ किसके पक्ष में जाता हैं और विजयता बनकर कौन उभरता हैं?
 

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न कंचित् शाश्वतम्
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भाग:–58






दोनो दोस्त मुस्कुराकर एक दूसरे से विदा लिये। संन्यासी शिवम ने पोर्टल खोल दिया और दोनो वहां से गायब। उन दोनो के जाते ही आर्यमणि, अपने पैक के पास पहुंचा। वो लोग दूसरी वैन लाकर सरदार खान को उसमे शिफ्ट कर चुके थे। आर्यमणि के आते ही सबको पहले चलने के लिये कहा, और बाकी के सवाल जवाब रास्ते में होते रहते। पांचों एक बड़ी वैन मे सवार होकर नागपुर– जबलपुर के रास्ते पर थे।


रात साढ़े ११ (11.30pm) बजे तक जहां 2 बंदरों की लड़ाई चल रही थी, उसी बीच एक बिल्ली भी अपनी बाजी मारने की कोशिश में था, जिसका अंदाजा दोनो में से किसी पक्ष को सपने में भी नही आया होगा। शाम के 7.30 बजे धीरेन स्वामी सुकेश भारद्वाज के घर में घुसकर उसके सिक्योरिटी ब्रिज को तोड़ चुका था। स्वामी भी प्रहरी के उन शिकारियों में से था, जो सुकेश के निजी संग्रालय को घूम चुका था। कुछ वर्ष पूर्व भूमि के साथ वह भी 25 तरह के हथियार से लड़ा था किंतु अनंत कीर्ति की किताब नही खोल पाया था।


धीरेन स्वामी, सुकेश के सभी सुरक्षा इंतजाम को तोड़ने का पहले से इंतजाम कर चुका था, इसलिए उसे संग्रहालय में घुसने में कोई भी परेशानी नही हुई। हां लेकिन उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) तब हो गया, जब उस संग्रहालय में कहीं भी अनंत कीर्ति की पुस्तक नही थी। स्वामी पागलों की तरह नही–नही करते कुछ देर तक वहीं बैठ गया। किस्मत ही कहा जा सकता है, क्योंकि आर्यमणि ने एक जैमर नाशिक रिजॉर्ट के आस–पास के इलाके में लगाया था, तो दूसरा जैमर सरदार खान के बस्ती के आस पास। और धीरेन स्वामी ने अपने लोगों को नाशिक एयरपोर्ट पर लगाया था, ताकि यदि कोई नाशिक से लौटे तो तुरंत उस तक सूचना पहुंच जाय। सवा 8 बजे धीरेन स्वामी को नाशिक एयरपोर्ट से खबर मिली कि आर्यमणि प्राइवेट जेट से नागपुर निकला है।


धीरेन स्वामी ने कुछ सोचते हुये, अपने कुछ लोगों को नागपुर एयरपोर्ट भेजा और इधर बड़ी सी वोल्वो बस मंगवाया। संग्रहालय के पूरे समान को समेटने और तेजी से भागने के लिये धीरेन स्वामी ने एक बड़ा सा वोल्वो बस को ही पूरी तरह से खाली करके उसमे समान लोड करने की पूरी व्यवस्था कर चुका था। वह अपने विचार में पूरा सुनिश्चित था, कि यदि आर्यमणि लौटकर अपने मौसा के घर आता है तो उसे मार दिया जायेगा। लेकिन उसे आश्चर्य तब हो गया जब पता चला की आर्यमणि एयरपोर्ट से सीधा सरदार खान के बस्ती के ओर निकला है।


धीरेन स्वामी ने अपने ३ लोगों को उसके पीछे लगा दिया और पहले इत्मीनान से सुकेश का संग्रहालय साफ करने लगा। उस बड़ी सी वोल्वो बस में उसने सुकेश भारद्वाज के पूरे संग्रहालय को ही समेट लिया। तकरीबन 400 किताब, जगदूगर की दंश, कई सारे आर्टिफैक्ट, 8–10 बंद बक्से और जितने भी हथियार थे, सबको अच्छे से पैक करके वोल्वो में लोड कर लिया। उसका काम लगभग 10.30 बजे तक समाप्त हो चुका था। काम खत्म करने के बाद धीरेन स्वामी अपने लोगों के साथ सीधा सरदार खान के बस्ती के ओर निकला।


नागपुर एयरपोर्ट से वैन लेकर आर्यमणि सरदार खान के बस्ती के ओर निकला यहां तक तो स्वामी को सूचना मिली थी, लेकिन उसके बाद उसके किसी आदमी की कोई खबर नहीं आयि। आयेगी भी कैसे, सरदार खान की बस्ती में जैमर जो लगा हुआ था। धीरेन स्वामी जैसे–जैसे सरदार खान के बस्ती के करीब जा रहा था, वैसे–वैसे डीजे की आवाज तेज सुनाई दे रही थी। धीरेन स्वामी अपने काफिले के साथ कुछ दूर आगे बढ़ा ही था कि रास्ते में उसके एक आदमी ने हाथ दिखाकर रोका.…


स्वामी अपने आदमी राजू से... "राजू क्या खबर है।"


राजू:– यहां अलग ही ड्रामा चल रहा है सर। आर्यमणि, पूर्णिमा की रात सरदार खान से लड़ा। और अभी–अभी अपनी टीम के साथ सरदार खान को लेकर अपने एक्जिट पॉइंट पर निकला है।


राजू और अपने २ साथियों के साथ आर्यमणि के पीछे आया था। यहां जब पहुंचा तभी उन तीनो को सिग्नल जैमर का भी पता चला। राजू जिस जगह खड़ा था, वहीं शुरू से खड़ा रहा। बाकी उसके २ आदमी पूरी जगह की पूरी जांच करने के बाद उसके पास आकर सूचना पहुंचाया। उन्ही में से एक आदमी ने सरदार खान और आर्यमणि की टीम के बीच खूनी जंग की बात बताई, तो दूसरा जंगल के दूसरे हिस्से में जांच करते हुये, हाईवे से कुछ दूर अंदर एक खड़ी वैन का पता लगाया था, जो आर्यमणि का एक्जिट पॉइंट था।


राजू पूरी सूचना स्वामी के साथ साझा कर दिया। स्वामी अपने सभी आदमी को गाड़ी में बिठाया और पूरा काफिला सरदार खान की बस्ती को छोड़ नागपुर–जबलपुर हाईवे पर चल दिया। काफिला जब आर्यमणि के एक्जिट पॉइंट के पास से गुजर रहा था तभी राजू ने स्वामी को बताया की.… "यहीं के सड़क से आधा किलोमीटर अंदर एक वैन खड़ी है। जिसका दूसरा संकरा रास्ता तकरीबन 400 मीटर आगे हाईवे के मोड़ से मिलता है। अपना एक आदमी वहीं खड़ा है।" स्वामी अपने काफिले को बिना रोके 400 मीटर आगे ले गया और रास्ते के दोनो ओर गाड़ी लगाकर पहले तो अपने आदमी से आर्यमणि के बारे में जानकारी लिया। पाता चला की आर्यमणि अब तक इस रास्ते को क्रॉस नही किया है। स्वामी राहत की श्वांस लिया और आर्यमणि को ब्लॉक करने का आदेश दे डाला।


आर्यमणि को ब्लॉक करने के आदेश देने के बाद अपने 8 आदमियों के साथ वह जंगल के अंदर मुआयना करने निकला। स्वामी जंगल के अंदर चलते हुये आर्यमणि के मीटिंग पॉइंट के ओर चल दिया। कुछ दूर आगे गया ही था कि ऊंचाई से टॉर्च की रौशनी का इशारा हुआ। यह इशारा स्वामी के तीसरे आदमी का था। स्वामी उसके पास पहुंचकर... "क्या खबर है।"…


उसका आदमी नाइट विजन वाला दूरबीन देते... "अभी–अभी आर्यमणि अपने वैन के पास पहुंचा था। लेकिन उसके बाद पता नही कहां से इतनी आंधी चलने लगी"…


स्वामी बड़े ध्यान से उस ओर देखने लगा। आर्यमणि की फाइट जैसे–जैसे बढ़ रही थी, स्वामी की आंखें वैसे–वैसे बड़ी हो रही थी। फिर तो सबका कलेजा तब दहल गया जब सबने आर्यमणि की दहाड़ सुनी, और उस दहाड़ को सुनने के बाद केवल स्वामी ही था, जो वहां से भाग नही लेकिन कलेजा तो उसका भी कांप ही गया था। बाकी उसके साथ आये 8 लोग ऐसे पागलों की तरह भागे की जंगल में पेड़ और पत्थरों से टकराकर घायल होकर वहीं बेहोश हो गये।


स्वामी फिर भी डटा रहा। अब तक जो भी उसने प्रहरी समुदाय में देखा और जितनी भी शक्तियां उसे चाहिए थी, यहां की लड़ाई देखने के बाद उसे एहसास हो गया की वह प्रहरी के मात्र दिखावे की दुनिया की शक्तियों के लिये पागल था, जबकि आंतरिक शक्तियां तो सोच से भी पड़े है। एक ही वक्त में उसके जहन में कई सारे सवाल खड़े हो गये। जैसे की वोल्फबेन से टेस्ट के बाद भी आर्यमणि मरा नही, जबकि वह एक वुल्फ है? उस से भी हैरानी तो तब हुई जब स्वामी ने क्ला और जड़ वाला कारनामा देखा। आर्यमणि से दूसरा पक्ष कौन लड़ रहा जो हवा को आंधी कैसे बना रहा था? ये किस तरह का शिकारी है जिसके पास अलौकिक शक्ति है? यह तब की बात थी जब आर्यमणि के ऊपर भाला चला था और वह लगभग मरा हुआ सा गिरा था। उसके बाद तो जैसे स्वामी ने अपना माथा ही पकड़ लिया, जब निशांत और संन्यासी शिवम वहां पोर्टल के जरिये पहुंचे। स्वामी पूरी घटना बड़े ध्यान से देख रहा था और शक्तियों के इतने बड़े भंडार को समझने की कोशिश कर रहा था।


इधर आर्यमणि सारा काम खत्म करने के बाद, नागपुर–जबलपुर हाईवे के रास्ते पर तो गया, लेकिन संकरा रास्ता जो आगे मोड़ पर हाईवे से मिलता था और जिस जगह पर स्वामी ने अपने लोग खड़े किये थे, उस रास्ते से न जाकर बल्कि पीछे का रास्ता लिया। आर्यमणि वैन को हाईवे के किनारे खड़ा करता.… "तुम लोगों को किसी और के होने की गंध नही मिली क्या"…


पूरा पैक एक साथ... "नही..."


आर्यमणि:– हम्मम... नागपुर एयरपोर्ट से ही मेरा पीछा हो रहा था और लड़ाई के दौरान मैंने धीरेन स्वामी को देखा था।


रूही:– फिर तो उसने सब देखा होगा...


आर्यमणि:– मुझे जंगल में धीरेन स्वामी के अलावा 8 और लोगों की गंध मिली थी। वो लोग अब भी जंगल में है, केवल धीरेन स्वामी को छोड़कर। वह संकरे रास्ते के दूसरे छोड़ से लगे हाईवे पर खड़ा है। तुम लोग अपने सेंस इस्तमाल करो और उन्हे सुनने की कोशिश करो।


रूही:– कानो में सांप, कीड़े, बुच्छू, पूरे बस में बैठे पैसेंजर, कुछ और लोग, तरह–तरह की आवाज एक साथ आ रही है... बॉस दिमाग फट जायेगा। बहुत सी आवाज एक साथ आ रही है...


आर्यमणि:– कोई और ध्यान लगा रहा है...


अलबेली:– एक बॉस उसके साथ कुछ चमचे हमारा बेसब्री से हाईवे के किनारे इंतजार कर रहे है। भारी हथियार, वोल्फबेन, हाई साउंड वेव रॉड... वेयरवॉल्फ को मारने के तरह–तरह के इंतजाम किये है।


रूही:– ये झूठ बोल रही है...


आर्यमणि:– तुम अब भी क्यों नही मान लेती की अलबेली सुनने में काफी फोकस है। सतपुरा के जंगल में जबकि उसने प्रूफ भी दे दिया, फिर भी तुम नही मानती..


रूही:– बॉस आप जूनियर के सामने मुझे नीचा दिखा रहे।


आर्यमणि:– रूही शांत जाओ और अभी यहां का एक्शन प्लान क्या होना चाहिए उसपर फोकस करो।


रूही:– आप जंगल जाकर वहां घात लगाये लोगों से निपटिये और उनकी याद मिटाकर हाईवे के दूसरे हिस्से पहुंचिये। जब तक हम चारो सीधा जाते हैं और हाईवे पर घात लगाये लोगों को बेहोश करके रखते हैं।


आर्यमणि अपना माथा पीटते... "कोई इस से बेहतर कुछ बतायेगा?"


रूही:– इसमें क्या बुराई है बॉस...


आर्यमणि, घूरती नजरों से देखा और रूही शांत।… "भैया जो जंगल में है, उनकी कुछ डिटेल"… नया पैक मेंबर इवान ने पूछा..


आर्यमणि:– कोई हथियार नही... बस अपने पोजिशन पर है।


इवान:– मैं और ओजल वैन को वापस संकरे रास्ते पर ले जाते है। रूही और अलबेली जंगल में फैल जायेगी। उनके जितने भी लोग जंगल में होंगे उनका ध्यान वैन पर होगा और इधर रूही और अलबेली को काफी आसानी होगी। आप आराम से सीधे जाओ, और वहां का मामला खत्म करके हमे सिग्नल देना। हम उन 8 लोगों को वैन में लोड करके ले आयेंगे।


आर्यमणि:– बेहतर योजना... हम इसी पर काम करेंगे। और जिस–जिस के चेहरे की भावना पर सवाल आये हैं वो चुपचाप अपना मुंह बंद कर ले, क्योंकि 12 बजने वाले है और हमने अब तक नागपुर नही छोड़ा है।


सब काम पर लग गये। रूही और अलबेली का काम बिलकुल ही आसान था, क्योंकि जिन्हे घात लगाये समझ रहे थे वो सब तो बेहोश थे। जबतक वैन में बेहोश लोगों को लोड किया गया, तबतक आर्यमणि भी अपना काम कर चुका था। हाईवे से नीचे उतरकर वह दौड़ लगाया और घात लगाये शिकारियों के ठीक पीछे पहुंच गया। हर किसी की नजर रास्ते पर ही थी, क्योंकि वैन के आने का सब इंतजार कर रहे थे और आर्यमणि बड़ी ही सफाई से सबको बेहोश करता चला गया।

कुल २२ लोग थे वहां। 16 को तो उसने आसानी से बेहोश कर दिया क्योंकि वह फैले हुये थे। बचे 6 लोग साथ में बैठे थे, जिसमे से एक स्वामी भी था। आर्यमणि की वैन के आने का इंतजार स्वामी भी कर रहा था, लेकिन वैन को न आते देख स्वामी को कुछ–कुछ शंका होने लगी। किंतु स्वामी अब शंका करके भी क्या ही कर लेता। आर्यमणि उनके वोल्वो में ही पहुंच चुका था। फिर तो केवल वोल्वो की दीवार से लोगों के टकराने की आवाज ही आ रही थी।


आर्यमणि अपना काम खत्म करके, अपने पैक को सिग्नल देने के बाद स्वामी के सभी लोगों को एक जगह इकट्ठा किया और सबकी यादों से आखरी के कुछ वक्त की उन तस्वीरों को मिटाने लगा, जिनमे आर्यमणि की कोई चर्चा अथवा उसके या उसके पैक की कोई याद हो।स्वामी को छोड़कर सबके मेमोरी से छेड़ –छाड़ हो चुका था। जबतक रूही भी अपनी पूरी टीम को लेकर पहुंच चुकी थी। उन 8 लोगों की यादों से भी छेड़–छाड़ करने के बाद आर्यमणि स्वामी के पास पहुंचा।


स्वामी का गुजरा वक्त जैसे आर्यमणि को धोका सा लगा हो। भले ही उसने भूमि के साथ धोका किया था, लेकिन उसे आर्यमणि भी मेहसूस कर रहा था। स्वामी के लिये तो आर्यमणि ने कुछ और ही सोच रखा था। स्वामी की यादों से पूरी तरह से खेलने के बाद आर्यमणि सुकेश को एक और चोट देने की ठान चुका था। उसने वोल्वो से सभी तरह के हथियार को अपने वैन में लोड कर दिया और अपने वैन से सरदार खान को निकालकर वोल्वो में..... "चलो यहां का काम खत्म हुआ"…


स्वामी का गुजरा वक्त जैसे आर्यमणि को धोका सा लगा हो। भले ही उसने भूमि के साथ धोका किया था, लेकिन उसे आर्यमणि भी मेहसूस कर रहा था। स्वामी के लिये तो आर्यमणि ने कुछ और ही सोच रखा था। स्वामी की यादों से पूरी तरह से खेलने के बाद आर्यमणि सुकेश को एक और चोट देने की ठान चुका था। उसने वोल्वो से सभी तरह के हथियार को अपने वैन में लोड कर दिया और अपने वैन से सरदार खान को निकालकर वोल्वो में..... "चलो यहां का काम खत्म हुआ"…


रूही:– सब ठीक तो है न बॉस... तुम स्वामी की यादों में पिछले 10 मिनट में थे।


आर्यमणि:– कुछ नही बस आराम से स्वामी की याद देख रहा था। भूमि दीदी को इसने बहुत धोका दिया। चलो चलते हैं, हम शेड्यूल से काफी देर से चल रहे हैं।


रूही:– वोल्वो में स्वामी का एक आदमी बेहोश है, उसका क्या?


आर्यमणि:– उसे रहने दो, बड़े काम का वो आदमी है।


स्वामी नामक छोटे से बाधा को साफ करने के बाद पूरा अल्फा पैक हाईवे पर धूल उड़ाते जबलपुर के ओर बढ़ गया। वोल्वो अपने पूरी रफ्तार में थी। सभी कुछ किलोमीटर आगे चले होंगे, की सबसे पहले तो पूरा पैक ने उन्हे जड़ों की रेशों में जकड़ने की लिये लड़ने लगा। आर्यमणि सबको शांत करवाकर कुछ देर के लिये खामोश हुआ ही था कि सबके सवालों के बौछार फिर शुरू हो गये। "निशांत के साथ संन्यासी कौन था? ये क्ला को जमीन में घुसा कर कौन सा जादू किये? ये किस तरह का दरवाजा हवा में खुला जिसके जरिये निशांत और उसके साथ वाला आदमी गायब हो गया?"

बातचीत का लंबा माहोल चला जहां आर्यमणि ने एक–एक सवाल का जवाब पूरे विस्तार से साझा किया। हवा को नियंत्रण करने वाले शिकारियों के हमला करने के तरीकों को विस्तार में सुनकर अल्फा पैक काफी अचंभित था। सभी सवालों के जवाब के बाद आर्यमणि शांति से आंख मूंद लिया और अल्फा पैक अभी हुये हमले पर बात करते जा रहे थे। कुछ देर तक सबकी इधर–उधर की बातें सुनने के बाद, आर्यमणि सबको चुप करवाते.… "हमारे साथ में एक मेहमान को भी है। मैं जरा उस से भी कुछ सवाल जवाब कर लेता हूं, तुमलोग जरा शांत रहो। आर्यमणि सरदार का मुंह खोलकर… "हां सरदार कुछ सवाल जवाब हो जाये।"
57 ke bad mene direct 59 padh liya tha aur jab usme dhiren swami aur use gunde ki baat huyi to fir meko laga ki mene koi sa update miss kr diya......Sardar khan aur Aarya ke ladai me sahi me hi isko bhul gaye the ye bhi to billi ki tarha taak lagaye betha tha bhali hi usko wo Anant Kirti ki pushtak na mili ho lekin sukesh ke ghar se wo dansh aur khajana aur 9-10 sanduk le liye ab dekhte hai ki sukesh aur party ka kya reaction rehta hai kyu ki anant kirti ki pushtak tak ka to wo soch bhi sakte the lekin baaki ki ciz ....... Dhiren swami ka plan sukesh ke ghar tak to bilkul sahi chala uske hisaab se lekin aarya ko maarne ki laalsa me usne galt kar diya lekin aarya ne uske yaadast me jhanka aur jo usne bhoomi ke saath kara usko dekh bhi aarya ne kuch jyada react nhi kara acha nhi laga........ee na cholbe........lekin dekho dhiren swami ki yaadast ke saath ched chad kya rang laati hai dhiren swami hosh me aane ke bad kya react karta hai ye dekhna hai .....
भाग:–59







आर्यमणि सबको चुप करवाते.… "हमारे साथ में एक मेहमान को भी है। मैं जरा उस से भी कुछ सवाल जवाब कर लेता हूं, तुमलोग जरा शांत रहो। आर्यमणि सरदार का मुंह खोलकर… "हां सरदार कुछ सवाल जवाब हो जाये।"


सरदार:- मेरा थोड़ा दर्द ले लो।


आर्यमणि:- हम्मम ! दर्द नहीं तुम्हारी याद ही ले लेते है सरदार।


आर्यमणि ने अपना क्ला सरदार के गर्दन में पिछले हिस्से में डाला और उसकी यादों में झांकने लगा। ऐसी काली यादें सिर्फ इसी की हो सकती थी। अपने जीवन काल में इसने केवल जिस्म भोगना ही किया था, फिर चाहे कामुक संतुष्टि हो या नोचकर भूख मिटान। आर्यमणि के अंदर कुछ अजीब सा होने लगा। उसने अपना दूसरा हाथ हवा में उठा दिया। रूही बस को किनारे खड़ी करते… "बॉस के हाथ में सभी अपने क्ला घुसाओ, जल्दी।"..


हर किसी ने तुरंत ही अपना क्ला आर्यमणि के हाथ में घुसा दिया। चूंकि उन सब के हाथ आर्यमणि के प्योर ब्लड में थे, इसलिए उन्हें काले अंधेरे नहीं दिखे केवल सरदार खान की यादें दिख रही थी। काफी लंबी याद जिसमे केवल वॉयलेंस ही था। लेकिन उसमें कहीं भी ये नहीं था कि सरदार नागपुर कैसे पहुंचा। आर्यमणि पूरी याद देखने के बाद अपना क्ला निकला। कुछ देर तक खुद को शांत करता रहा…. "इसकी यादें बहुत ही विचलित करने वाली हैं।"..


रूही:- और मेरी मां फेहरिन के साथ इसने बहुत घिनौना काम किया था। सिर्फ मेरी वजह से वो आत्महत्या तक नहीं कर पायि।


ओजल:- इसे मार डालो, जिंदा रहने के लायक नहीं। आई (भूमि) ने मुझे मेरा इतिहास बताया था, सुनने में मार्मिक लगा था। लेकिन अभी जब अपने जन्म देने वाली मां की हालत देखी, रूह कांप गया मेरा।


अलबेली ने तो कुछ कहा ही नहीं बल्कि बैग से उसने एक चाकू निकाला और सीधा सरदार के सीने में उतारने की कोशिश करने लगी। लेकिन वो चाकू सरदार के सीने में घुसा नहीं।


आर्यमणि तेज दहाड़ा… सभी सहम कर शांत हो गये… "इसकी मौत तो आज तय है। रूही तुम गाड़ी आगे बढ़ाओ। सरदार हमने सब देखा। मै बहुत ज्यादा सवाल पूछ कर अब अपना वक़्त बर्बाद नहीं करूंगा और ना ही तुम्हे साथ रखकर अपने पैक का खून जलाऊंगा.... कुछ कहना है तुम्हे अपने आखरी के पलों में.."


सरदार खान:- "मुझे मेरे बेटे ने कमजोर कर दिया और मेरे शरीर में पता नहीं कौन सा जहर उतार दिया। इतना सब कुछ देखने के बाद मैं समझ गया की चौपाल पर तुमने सही कहा था। मेरे अंदर जहर उन्हीं लोगों का दिया है जिसने मुझे बनाया और वो मेरी ताकत मेरे बेटे के अंदर डालकर अपनी इमेज साफ रखना चाहते थे। जैसा कि तुम जानते हो मेरी याद से छेड़छाड़ किया गया है, और वो सिर्फ इसी दिन के लिये किया गया था। तुम उनकी ताकत का अंदाजा भी नहीं लगा सकते। हम जैसे प्रेडेटर का वो लोग मालिक है और मेरे मालिको का तुम एक बाल भी बांका नहीं कर सकते। उसके सामने कीड़े मकोड़े के बराबर हो तुम लोग। वो अपेक्स सुपरनैचुरल है, मै एक बीस्ट और तुम लोग की तो कोई श्रेणी ही नहीं।"

"अभी जिनसे तुम्हारा सामना हुआ था, वो थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी थे, जिसे तुमने बड़ी मुश्किल से झेला। तब क्या होगा जब सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी का सामना करोगे। इसके आगे तो तुम्हारे बाप ही है, जिन्हे पूजनीय सिवा छोड़कर कुछ और कह ही नही सकते। वो आयेंगे तुम्हे, तुम्हारे पैक सहित समाप्त करेंगे और चलते बनेंगे। सिवाय मुंह देखने के और कुछ न कर पाओगे"


रूही:- सुन बे घिनौने से जीव, तूने ये जिस भी पूजनीय तोप का नाम लिया है... वो हमे मारे या हम उसे, ये तो भविष्य की बातें है, जिसे देखने के लिये तू नही जिंदा रहेगा। बॉस क्या टाइम पास कर रहे हो, वैसे भी ये कुछ बताने वाला है नहीं, मार डालो।


आर्यमणि:- इसे खुद भी कुछ पता नहीं है रूही, जितना जानता था बता चुका। अपने मालिको का गुणगान कर चुका। खैर जिसके बारे में जानते नही उसकी चिंता काहे... बस को साइड में लगाओ, इसे मुक्ति दे दिया जाय…


सरदार खान को हाईवे से दूर अंदर सुनसान में ले जाया गया। उसके हाथ और पाऊं को सिल्वर हथकड़ी से बांधकर उसके मुंह को सिल्वर कैप से भर दिया गया, जिसमें पाइप मात्र का छेद था। उसके जरिये एक पाइप उसके मुंह के अंदर आंतरियों तक डाल दिया गया। नाक के जरिये भी 2 पाइप उतार दिए गये। हाथ और पाऊं को सिल्वर की चेन में जकड़कर पेड़ से टाईट बांध दिया गया।…. "चलो ये तैयार है।"


तीन ट्यूब उसके शरीर के अंदर तक थे। एक ट्यूब से पहले धीरे–धीरे उसके शरीर में लिक्वड वुल्फबेन उतारा जाने लगा। दूसरे पाइप से लिक्वड मर्करी और तीसरे पाइप से पेट्रोल। 8 लीटर लिक्वड वुल्फबेन पहले गया। लगभग उसके 15 मिनट बाद 6 लीटर पेट्रोल और सबसे आखरी में 4 लीटर लिक्वड मर्करी।


रूही:- सब डाल दिया इसके अंदर।


आर्यमणि:- पेट्रोल डालते रहो और, इसके चिथरे उड़ाने है।


रूही:- बॉस, 12.30 बज गया है, लोग हमारी तलाश में निकल रहे होंगे।


आर्यमणि:- एक का कॉल नहीं आया है अभी तक, मतलब अभी सब मामला समझने कि कोशिश ही कर रहे होंगे।


"मुझसे और इंतजार नहीं होता, आप तो हमे पकाये जा रहे हो। ये हुआ रावण दहन को तैयार। सब ताली बजाकर हैप्पी दशहरा कहो"… रूही जल्दी मे अपनी बात कही और सभी ने पेट्रोल पाइप में आग लगा दिया। अंदर ऐसा विस्फोट हुआ कि आर्यमणि के पूरे शरीर पर मांस के छींटे थे। उसका शरीर विस्फोट के संपर्क में आ चुका था और हालत कुछ फिल्मी सी हो गई थी। चेहरे की चमरी जल गई। कपड़ों में आग लगना और फिर बुझाया गया। आर्यमणि की हालत कुछ ऐसी थी.… आधा चेहरा जला। आधे जले कपड़े और पूरे शरीर पर मांस के छींटे के साथ शरीर पर विस्फोट के काले मैल लगे थे।


आर्यमणि बदहाली से हालात में चारो को घूरने लगा। आर्यमणि को देखकर चारो हसने लगे। रात के तकरीबन पौने १ (12.45am) बज रहे थे, आर्यमणि के मोबाइल पर रिंग बजा… "शांत हो जाओ, और तुम सब भी सुनो।"… कहते हुए आर्यमणि ने फोन स्पीकर पर डाला..


पलक:– हेलो...

आर्यमणि:– हां पलक...

पलक:– उम्म्मआह्ह्ह्ह... लव यू मेरे किंग। नागपुर पहुंचकर अब तक गुड न्यूज नही दिये।

आर्यमणि:– मुझे लगा गुड न्यूज तुम्हे देना है। हमने एक साथ इतने शानदार कारनामे किये की मुझे लगा तुम उम्मीद से होगी।

पलक, खून का घूंट अपने अंदर पीती.… "मजाक नही मेरे किंग। प्लीज बताओ ना...


आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक खोलने की कोशिश तो की लेकिन जब वह नही खुला तब घूमने निकल आया। अब किस मुंह से कह देता की मैं असफल हो गया।


"कहां हो अभी तुम मेरे किंग।"… पलक की गंभीर आवाज़..

आर्यमणि जोड़ से हंसते हुये.… "राजा–रानी.. हाहाहा.. तुम्हे ये बचकाना नही लग रहा है क्या?"

पलक चिढ़ती हुई... "कहां हो तुम इस वक्त आर्य"…

आर्यमणि:– सरदार खान के चीथड़े उड़ा रहा था। तुम इतनी सीरियस क्यों हो?

पलक, लगभग चिल्लाती हुई…. "सरदार खान तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं थी, तुम्हारे वॉयलेंस के कारण संतुलन बिगड़ चुका है। तुमने यह अच्छा नहीं किया।"


आर्यमणि:- अच्छा नही किया। पलक एक दरिंदे को मैंने मारा है, जिसने मेरे पैक के साथ बहुत ही अत्याचार किया था। रेपिस्ट और मडरर के लिये इतना भी क्या गुस्सा। मैने तुमसे प्यार किया लेकिन शायद तुमने मुझे कभी समझा ही नहीं। मेरे साथ रहकर तुमने इतना नहीं जाना की मेरे डिक्शनरी में अच्छा या बुरा जैसा कोई शब्द नहीं होता। अब जो कर दिया सो कर दिया। रत्ती भर भी उसका अफसोस नहीं...


पलक:- अनंत कीर्ति की किताब कहां है।


आर्यमणि:- वो मुझसे खुलते-खुलते रह गई। जब मै खोल लूंगा तो किताब का सारांश पीडीएफ बनाकर मेल कर दूंगा।


पलक:- दुनिया में किसी के लिए इतनी चाहत नही हुयि, जितना मैने तुम्हे चाहा था आर्य। लेकिन तुमने अपना मकसद पाने के लिए मुझसे झूट बोला। तुमने मेरे साथ धोका किया है आर्य, तुम्हे इसकी कीमत चुकानी होगी।


आर्यमणि:- प्यार तो मैने भी किया था पलक। यदि ऐसा न होता तो आर्यमणि का इतिहास पलट लो, वो किसी को इतनी सफाई नही दे रहा होता। शायद अपनी किस्मत में किसी प्रियसी का प्रेम ही नही। और क्या कही तुम अपने मकसद के लिये मैंने तुम्हारा इस्तमाल किया। ओ बावड़ी लड़की, सरदार खान को मारना मेरा मकसद कहां से हो गया। उसके सपने क्या मुझे बचपन से आते थे? यहां आया और मुझे एक दरिंदे के बारे में पता चला, नरक का टिकिट काट दिया। ठीक वैसे ही एक दिन मै मौसा के हॉल का टीवी इधर से उधर कर रहा था, पता नहीं क्या हो गया उस घर में। मौसा ने मुझे एक फैंटेसी बुक दिखा दी।"

"अब जिस पुस्तक का इतना शानदार इतिहास हो उसे पढ़ने के लिये दिल में बेईमानी आ गयी बस। यहां धूम पार्ट 1, पार्ट 2, और पार्ट 3 की तरह कोई एक्शन सीरीज प्लान नहीं कर रहा था। लगता है तुम लोग किसी मकसद को साधने के लिए इतनी प्लांनिंग करते हो। जैसा की शायद सतपुरा के जंगल में हुआ था। अपने से इतना नहीं होता। अब तो बात ईगो की है। मै ये बुक अपने पास रखूंगा। इस किताब की क्या कीमत चुकानी है, वो बता दो।"


पलक:- तुम्हारे छाती चिड़कर दिल बाहर निकालना ही इसकी कीमत होगी। तुमने मुझे धोका दिया है। कीमत तो चुकानी होगी, वो भी तुम्हे अपनी मौत से।


आर्यमणि:- "तुम्हे बुक जाने का गम है, या सरदार के मरने का या इन दोनों के चक्कर में तुम्हारे परिवार ने मुझसे नाता तोड़ने कह दिया उसका गम है, मुझे नहीं पता। अब मैं ये बुक लेकर चला। वरना पहले मुझे लगा था, सरदार को मारकर जब मैं वापस आऊंगा तो तुम मुझे प्रहरी का गलेंटरी अवॉर्ड दिलवा दोगी। तुमने तो किताब चोर बाना दिया। खैर, तुमने जो मुझे इस किताब तक पहुंचाने रिस्क लिया और मुझ पर भरोसा जताया उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया। मैं तुम्हारे भरोसे को टूटने नहीं दूंगा। एक दिन यह किताब खोलकर रहूंगा।"

"मैंने और मेरे पैक ने सरदार को खत्म किया। तुम्हारे 10 प्रहरी को बचाया। शहर पर एक बड़ा हमला होने वाला था, जिसे ये लोग जंगली कुत्तों का अटेक दिखाते, उस से शहर को बचाया। बिना कोई सच्चाई जाने तुमने दुश्मनी की बात कह दी। मै चला, अब किसी को अपनी शक्ल ना दिखाऊंगा। तबतक, जबतक मेरा दिल ना जुड़ जाये। और हां देवगिरी भाऊ को थैंक्स कह देना। उन्होंने जो मुझे 40% का मालिक बनाया था, वो मै अपने हिस्से के 40% ले लिया हूं। जहां भी रहूंगा उनके पैसे से लोक कल्याण करूंगा। रूही मेरे दिल की फीलिंग जारा गाने बजाकर सुना दो।"


पलक उधर से कुछ–कुछ कह रही थी लेकिन आर्यमणि ने सुना ही नहीं। उपर से रूही ने… "ये दुनिया, ये महफिल, मेरे काम की नहीं"….. वाला गाना बजाकर फोन को स्पीकर के पास रख दिया।


आर्यमणि:- सरदार की बची लाश को क्रॉस चेक कर लिया ना? ऐसा ना हो हम यहां लौटकर आये और ये जिंदा मिले। इसकी हीलिंग पॉवर कमाल की है।


रूही:- हम सबने चेक कर लिया है बॉस, तुम भी सुनिश्चित कर लो।


ओजल:- ओ ओ.. पुलिस आ रही है।


आर्यमणि:- अच्छा है, वो आरी निकलो। पुलिस वालों से ही लाश कटवाकर इसकी मौत सुनिश्चित करेंगे।


1 एसआई, 1 हेड कांस्टेबल और 4 कांस्टेबल के साथ एक पुलिस जीप उनके पास रुकी। इससे पहले कि वो कुछ कहते… "जेल ले जाओगे या पैसे चाहिए।"..


एस आई… "कितने पैसे है।"..


आर्यमणि:- मेरे हिसाब से किये तो 20 लाख। और यहां से आंख मूंदकर केवल जाना है तो 2 लाख। जल्दी बताओ कि क्या करना है।


एस आई:- ये अच्छा आदमी था, या बुरा आदमी।


आर्यमणि:- कोई फर्क पड़ता है क्या?


एस आई:- अच्छा आदमी हुआ तो 1 करोड़ की मांग होगी, वो क्या है ना जमीर गवाही नहीं देगा। बुरा आदमी है तो 20 लाख बहुत है, पार्टी भी कर लेंगे।


रूही:- ये मेरा बाप था। नागपुर बॉर्डर पर इसकी अपनी बस्ती है, सरदार खान नाम है इसका।


एस आई:- 50% डिस्काउंट है फिर तो। साले ने बहुत परेशान कर रखा था... यहां के कई गांव वालों को गायब किया था।


आर्यमणि:- इसकी लाश को काटो। रूही 50 लाख दो इन्हे। सुनिये सर इसकी वजह से जिन घरों की माली हालात खराब हुई है उन्हें मदद कर दीजिएगा।


एस.आई, लाश को बीच से कई टुकड़े करते…. "इतनी ज्यादा दुश्मनी थी, की मरने के बाद चिड़वा रहे। खैर तुमलोग अच्छे लगे। लो एक काम तुम्हारा कर दिया, अब तुम सब निकलो, मै केवल विस्फोट का केस बनाता हूं, और इसकी लाश को गायब करता हूं।


आर्यमणि, एस.आई कि बात मानकर वहां से निकल गया। उसके जाते ही एस.आई, सरदार खान के ऊपर थूकते हुए…. "मैं तो यहीं था जब तू लाया गया। आह दिल को कितना सुकून सा मिला। चलो ठिकाने लगाओ इसको और इस जगह की रिपोर्ट तैयार करके दो।"..


इधर ये सब जैसे ही निकले…. "इन लोगो के पास हमारे यहां आने की पूर्व सूचना थी ना। लगा ही नहीं की ये किसी के फोन करने के कारण आये हैं।".. रूही ने अपनी आशंका जाहिर की


आर्यमणि:- सरदार अपनी दावत के लिये यहीं से लोगो को उठाया करता था। ये थानेदार यहीं आस-पास का लोकल है, जिसको पहले से काफी खुन्नस थी। इसकी गंध मैंने 20 किलोमीटर पहले ही सूंघ ली थी, जब हम एमपी में इन किये। ये बॉर्डर पर ही गस्त लगा रहा था। खैर समय नहीं है, चलो पहले निकला जाय।


इन लोगो ने वोल्वो को एमपी के एक छोटे से टाउन सिवनी तक लेकर आये, जो नागपुर और जबलपुर के हाईवे पर पड़ने वाला पहला टाउन था। वोल्वो एक वीराने में लगा जहां उसके समान को ट्रक में लोड किया गया और वाया बालाघाट (एमपी), गोंदिया (महाराष्ट्र) के रास्ते उसे कोचीन के सबसे व्यस्त पोर्ट तक पहुंचाने की वयवस्थ करवा दी गयि थी। वोल्वो खाली करवाने के तुरंत बाद जबलपुर, प्रयागराज के रास्ते दिल्ली के लिये रवाना हो गयि। वोल्वो पर लाये स्वामी के बेहोश आदमी के दिमाग के साथ आर्यमणि ने थोड़ी सी छेड़–छाड़ किया और उसे 40 लाख के बैग के साथ वहीं वीराने में छोड़ दिया। वोल्वो एक अतरिक्त काम था, जिसे करवाने के लिये थोड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। बाकी चकमा देने का जो भी काम था, वह वोल्वो के खाली होने के साथ ही चल रहा था।


वोल्वो का काम समाप्त करने के उपरांत वुल्फ पैक सिवनी टाउन से जबलपुर के रास्ते पर तकरीबन 20 किलोमीटर आगे तक दौड़ लगाते पहुंचे, जहां इनके लिये 2 स्पोर्ट कार पहले से खड़ी थी। एक कार में रूही और दूसरे में आर्यमणि, और दोनो स्पोर्ट कार हवा से बातें करती हुयि जबलपुर निकली। सभी के मोबाइल सड़क पर थे। लगभग रात के 2 बजे तक इनका लोकेशन सबको मिलता रहा, उसके बाद अदृश्य हो गये।
Is update me meri purani wali hi shikayat hai .... last me bataunga
To finallly Aarya and pack ko Apex Supernatural aur Third Line Superior ke baare me pata chala khair aaj nhi to kal wese bhi pata chal jata kyu ki aashram me ek ko lekr gaye hi the nishant aur shivam ji ..............lekin bhot jyda hi gun gaan kiya sardar khan ne unka isse ek baat achi hogi ki aarya aur uske pack ko ab unki ability me aur bhi sudhaar krna padega aage ki ladai ko sochte huye.... wese ek question tha Lopche ke Cottage me jo shikari Maitrayi ke bhai ko maarne aaye the wo normal shikari the ya ye superior....wese sardar khan ne aarya ka asli roop dekha fir bhi uska ye kehna ki aarya unka ek baal bhi banka nhi kar sakta sochne par majboor kr deta hai ki yaa to sardar khan aarya ko kum aank raha hai use uski power ka andaja nhi aur ya fir sahi me apex supernatural takatwar ho lekin inka origin abhi tak pata nhi chala kyu ki aarya naturally ek werewolf jo ki uparwala ki rachna bhi keh satke hai aur apex supernatural wo sayad science aur milawat ka natija .... ab to ye apex natural ka origin jaan ne ki ikchha bad gayi hai ....
aur ye last me sardar khan pujniye siva bolkar gaya isse iska taatparya kya tha samjh nhi aaya .... Sardar khan ka anth sayad iske alawa koi tarike se ho nhi sakta tha lekin to bhi jitna usne logo ko kasht diya uske muqable to ye kuch bhi nhi tha....khashkar jo roohi, evan, aur ojal ki maa fehreen ke saath hua jab ki wo to ek pure alpha healer thi jisne apni power se prakrti aur na jaane hi kitne jeev jantu ki madad ki hogi...
khair sardar khan ki yaadon ke saath bhi ched chaad huyi baat bhot sochne wali hai ki ye apex supernatural ciz kya hai kya ye bhi ek tarha ke werewolf hai ya fir kuch aur kyu ki yaadast me jaane wali power aur uske saath ched chaad karne wali power pure alpha jese werewolf ke pass hoti hai

पलक:– उम्म्मआह्ह्ह्ह... लव यू मेरे किंग। नागपुर पहुंचकर अब तक गुड न्यूज नही दिये।

आर्यमणि:– मुझे लगा गुड न्यूज तुम्हे देना है। हमने एक साथ इतने शानदार कारनामे किये की मुझे लगा तुम उम्मीद से होगी।

पलक, खून का घूंट अपने अंदर पीती.… "मजाक नही मेरे किंग। प्लीज बताओ ना...


आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक खोलने की कोशिश तो की लेकिन जब वह नही खुला तब घूमने निकल आया। अब किस मुंह से कह देता की मैं असफल हो गया।


"कहां हो अभी तुम मेरे किंग।"… पलक की गंभीर आवाज़..
:waiting1:Ye abhi bhi king queen ke role me hi thi kasam se .... iske king king karne se to meko king word se irritation hone lagi hai ....
Palak role negative shade me jaa raha hai lekin abhi bhi kuch keh nahi sakte... sirf majje hi liye jaa sakte hai jo aarya ne abhi palak ke saath kara hai lekin ek ciz hai aarya ne third line superior ka baare me koi baat nhi ki na kuch sayad wo jatana hi nhi chahate tha ki usko insab ke baare me pata hai jo ki un logo ke dimaag me bhi hai ki aarya secret body ke bare me nhi jaanta ... lekin third line superior ka gayab hona pura doubt to aarya pr hi jayega kyu ki maarne to use hi bheja to to kese gayabb ho gaye .......

ye galat hai yaar shivni tak aaye aur fir itarsi chodh diye :waiting1:
 

Anubhavp14

न कंचित् शाश्वतम्
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भाग:–60





नाशिक रात के लगभग 12 से 12.10 बजे के बीच जब पलक के भाई राजदीप के सुहागरात स्वीट की घटना प्रकाश में आयी, पलक का दिमाग शन्न हो गया और उसे धोके की बू आने लगी। पलक समझ चुकी थी, जिस सुहागरात कि सेज को आर्यमणि ने अपना बताया था, दरअसल वो जान बुझकर उसे यहां लेकर आया था। पलक के दिमाग में एक के बाद एक तस्वीर बनती जा रही थी। जिसमें आर्यमणि के साजिश और झूठ का एहसास पलक को होता जा रहा था।


आर्यमणि के ऊपर शक की सुई तो इस बात से ही अटक गयी की वो जान बूझकर मुझे फर्स्ट नाईट में शॉक्ड देने वाला था और पलक को रह-रह कर ये ख्याल आता रहा.. "भाई की सुहागरात कि सेज पर मुझे ही इस्तमाल कर लिया।".. गुस्सा अपने सातवे आसमान पर था लेकिन पलक किसी से अपना गुस्सा कह भी नहीं सकती थी।


धोखा हो चुका था और पलक को समझ में आ चुका था कि आर्यमणि अब नागपुर में नहीं रुकने वाला, कहीं गायब हो रहा होगा। पलक कुछ कर नहीं सकती थी, क्योंकि उसे शक किस बात पर हुआ यह कैसे बताती। 10 मिनट के बाद पलक को बताने की एक कड़ी मिली जब सिग्नल जैमर का किस्सा सामने आया। और एक बार सिग्नल जैमर का किस्सा सामने आया, तब तो पलक का दिमाग और भी ज्यादा घूम गया। क्योंकि बहुत सी योजना के लिये जरूरी दिशा निर्देश तो आर्यमणि के नागपुर पहुंचने और अनंत कीर्ति के पुस्तक खुलने के बाद की थी।


रात के तकरीबन साढ़े 12 बजे पलक के गाल पर तमाचा पड़ा, जिसे देखकर जया, केशव और भूमि अपने भाव जाहिर करते, उसके लिए मुस्कुराकर अफ़सोस कर रहे थे। थप्पड़ पड़ने के कुछ देर बाद पलक ने आर्यमणि को कॉल लगाया और दोनो के बीच एक लंबे बात चित के बाद….


सुकेश:- पलक को कुछ कहने से पहले हमे खुद में भी समीक्षा करनी चाहिए... आर्यमणि अपनी इमेज साफ करके नागपुर से गया है। हम जैसों से धोका हो गया फिर तो पलक की ट्रेनिंग पीरियड है। इस से पहले की वो हमारी पकड़ से बाहर निकले, चारो ओर लोग लगा दो।


उज्जवल:- प्लेन रनवे पर खड़ी हो गयी है, हमे नागपुर चलना चाहिए।


दूल्हा और दुल्हन के साथ कुछ लोगों को छोड़कर सब लोग देर रात नागपुर पहुंचे। रात के 1 बजे तक चारो ओर लोग फैल चुके थे। आर्यमणि को उसके पैक के साथ जबलपुर हाईवे पर देखा गया था, इसलिए रात के २ बजे तक जबलपुर के चप्पे–चप्पे पर पुलिस को ही, तीनो आर्यमणि, रूही और अलबेली को ढूंढने के काम पर लगा दिया गया था। सीक्रेट प्रहरी को ओजल और इवान के विषय में भनक भी नही थी। और शायद इसी दिन के लिये ओजल और इवान की पहचान छिपाकर रखी गयी थी।


२ बिगड़ैल टीनेजर स्पोर्ट कार को उड़ाते हुये जबलपुर में दाखिल हुये। जबलपुर सीमा के पास आर्यमणि, रूही और अलबेली उतर गये। तीनों ही दौड़ लगाते जबलपुर के एक छोटे से प्राइवेट रनवे पर खड़े थे। पीछे से ओजल और इवान भी उसके पास पहुंच गये। उस प्राइवेट रनवे से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बंगलौर, हैदराबाद, चेन्नई और केरल के लिये 7 प्राइवेट प्लेन ने उड़ान भरा। कुछ ही घंटो में पूरा अल्फा पैक कोचीन के डॉकयार्ड पर था। एक मालवाहक बड़ी सी शिप खड़ी थी जिसके अंदर तीनो अपना डेरा जमा चुके थे। लगभग 45 घंटे बाद सुकेश के घर से लूटे समान के साथ पूरा वुल्फ पैक विदेश यात्रा पर रवाना हो चुके थे।


जबलपुर पुलिस उस रात आर्यमणि, रूही और अलबेली को ढूंढते रहे, लेकिन जिन ३ लोगों के ढूंढने का फरमान जारी हुआ था, पुलिस को उनके निशान तक नही मिले। नाशिक से रात के तकरीबन 2.30 बजे सभी लोग नागपुर एयरपोर्ट पर लैंड कर चुके थे। भूमि, जया और केशव को मीनाक्षी ने भूमि के ससुराल ही भेज दिया। राकेश नाईक, जो न जाने कबसे आर्यमणि और उसके परिवार की जासूसी करते आया था, उसे जब सुकेश ने किनारा करते उसके घर भेज दिया, तब बेचारे का दिल ही टूट गया। उसे लगा "इतने साल तक इन लोगों के करीब रहा लेकिन आज मुझे किनारे कर दिया"…


खैर पारिवारिक कहानी को इस वक्त बहुत ज्यादा तावोज्जो देने की हालत में सीक्रेट बॉडी नही थे। वो लोग तो रास्ते से ही अपने हर आदमी से संपर्क कर रहे थे। हर पूछ–ताछ में एक खबर सुनने को आतुर... "आर्यमणि मिला क्या?" जिसका जवाब किसी के पास नही था। सिर पकड़कर बैठने की नौबत तब आ गयी, जब सुकेश अपने घर पहुंचा। पूरा संग्रहालय को ही खाली कर दिया गया था। सुकेश ही अकेला नहीं, बल्कि पूरा सीक्रेट प्रहरी ही बिलबिला गया। अनंत कीर्ति की किताब जितनी जरूरी थी, उस से कहीं ज्यादा जरूरी और बेशकीमती खजाना लूट चुका था।


इनके सैकड़ों वर्षों की मेहनत जैसे लूटकर ले गये थे। तकरीबन 12 सीक्रेट बॉडी प्रहरी सुकेश के घर पर थे और सभी सुकेश का गला दबाकर उसे हवा में लटकाये थे। सबका एक ही बात कहना था, "सुकेश और उज्जवल भारद्वाज ने जो भी सुरक्षा इंतजामात किये वो फिसड्डी साबित हुये।" आर्यमणि उसकी सोच से एक कदम आगे निकला जिसने न सिर्फ अनंत कीर्ति की किताब बल्कि घर से उन कीमती सामानों की लूट ले गया, जिनके जाने से कलेजे में इतनी आग लगी थी कि सुकेश को जान से मारने पर ही तुले थे। सबसे आगे तो अक्षरा ही थी।


जयदेव, बीच बचाव करते.… "आपस में लड़ने का वक्त नहीं है। किनारे हटो।"


सुकेश की पत्नी मीनाक्षी भारद्वाज... "चुतिये को मार ही डालो। मैं कहती रह गयी की ये लड़का आर्यमणि रहश्यमयी है। थर्ड लाइन या सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी ही क्यों... अपनी एक टीम के साथ रुकते है। लेकिन इस चुतिये से बड़ी–बड़ी बातें बनवा लो।"


अक्षरा:– सही कहा मीनाक्षी ने। क्या कहा था इसने... एक तरफ अनंत कीर्ति की किताब खुलेगी, दूसरे ओर इसे सरदार खान के इलाके में मरने भेज देंगे। वहां से बच गया तो थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी इनका इंतजार कर रहे होगे। हरामि ने एक बार भी नही सोचा की कहीं ये लड़का हमारे सारे इंतजाम भेद देगा तब।


तेजस:– ये कैसा इंतजाम किये थे। अनंत कीर्ति की पुस्तक कब गायब हुयि, संताराम जैसे सेकंड लाइन शिकारी की टुकड़ी को पता न चला। इसका मतलब समझते हो। तुम तभी आर्यमणि से हार गये जब उसने किताब को यहां से हटाकर अपनी जगह पर रखा। उसकी जगह पर उसके इंतजाम थे। नाक के नीचे से वो किताब ले गया। अपनी जगह से किताब को तो हटाये ही, साथ में सांताराम और उसकी पूरी टीम को भी हटा दिये। आर्यमणि अपनी जगह के साथ–साथ तुम्हारे जगह में भी सेंध लगा गया।


जयदेव:– पूरी रिपोर्ट आ गयी है। इस घर में चोरी आर्यमणि ने नही बल्कि स्वामी और उसके लोगों ने किया था। यहां सीसी टीवी कॉम्प्रोमाइज्ड हुआ था, लेकिन वो गधा भूल गया की रास्ते में कयि सीसी टीवी लगे थे। आर्यमणि कभी नही भाग पता। अनजाने में स्वामी ने उसकी मदद की है।


सभी 11 सीक्रेट बॉडी के सदस्य टुकटुकी लगाये एक साथ.… "कैसे"


जयदेव:– क्योंकि वो स्वामी था, जो थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी से लड़ा और सभी 8 को गायब कर दिया।


सुकेश:– क्या स्वामी???


जयदेव:– हां स्वामी... उसकी यादों को खंगाला गया। वह जादूगर महान की दंश के सहारे अपने सभी थर्ड लाइन शिकारी को हराया। और जब यह लड़ाई चल रही थी तब उसका एक आदमी वोल्वो चुराकर भाग गया। वोल्वो हमारे कब्जे में है, लेकिन उसके अंदर का समान कहीं गायब है।


सुकेश:– चमरी खींच लो और उनसे समान का पता उगलवाओ...


जयदेव:– पता... हां ये सबसे ज्यादा रोचक है। जो आदमी वोल्वो और समान लेकर भागा उसने 40 लाख रूपये में वोल्वो और उसके अंदर के समान का सौदा कर लिया। वो 40 लाख रूपये लेकर गायब। जिससे उसने सौदा किया उसने वोल्वो को 20 लाख रूपये में बेच दिया और अंदर का समान लेकर गायब।


सुकेश:– हां तो जो समान लेकर गायब हुआ, उस आदमी को पकड़ा या नही।


जयदेव:– शायद उसे पता था कि माल चोरी का था। उसने कयि वैन छोटी सी जगह सिवनी से बुक किये। हर वैन में समान लोड किया गया। नागपुर, जबलपुर, तुमसर, बरघाट, छिंदवाड़ा, बालाघाट, पेंच नेशनल पार्क और ऐसे छोटे–बड़े हर जगह मिलाकर 30 पार्सल वैन भिजवाया। अब तक 10 वैन मिले जिनमे रद्दी के अलावा कोई चीज नहीं मिली। बाकी के 20 वैन भी ट्रेस हो जायेंगे, लेकिन मुझे नही लगता की उनमें भी कुछ मिलने वाला है।


उज्जवल अपने माथे पर हाथ पीटते.… "साला ये किस मकड़जाल में फसे है। उस वर्धराज के पोते को ढूंढे या फिर अपने समान को, जो उस स्वामी की वजह से लापता हो गया। मेरे खून की प्यास बढ़ती जा रही है। सबसे पहले इस कम अक्ल सुकेश को मेरे नजरों के सामने से हटाओ, जिसे हर समय लगता है कि हर योजना इसके हिसाब से चल रहा। और वो चुतीया देवगिरी कहां है, जिसने स्वामी को नागपुर भेजा। क्या हमारी लंका लगाने ही भेजे थे। एक वो हरामजदा वर्धराज का पोता कम था जिसने रीछ स्त्री वाला काम खराब कर दिया जो ये दूसरा पहुंच गया।"


सुकेश:– मैं अपनी गलती की जिम्मेदारी लेता हूं। आज से तुम लोगों जिसे मुखिया चुन लो वो मेरा भी मुखिया होगा।


सभी सदस्य एक साथ.… "जयदेव ही हमारा मुखिया होगा। जयदेव तुम ही कहो"…


जयदेव:– "8 सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी गायब हो गये। हमारे पास 40 अभी लाइन अप लोग है। पुणे में सबके ट्रेनिंग की वयवस्था पहले होगी। 80 थर्ड लाइन को सेकंड लाइन की ट्रेनिंग के लिये भेजना होगा। और बाकियों को मुख्य धारा में लेकर आना होगा, ताकि वो हमारे तौर तरीके और सभ्यता को पूर्ण रूप से समझ सके।"

"आर्यमणि के पीछे नित्या के साथ उसकी पूरी टुकड़ी को लगाओ। आज के बाद नित्या की सजा माफ की जा रही है। तेजस, नित्या से बात करने तुम ही जाओगे। बाकी एक और दिमाग वाला ये कौन था, जो हमारा माल लूटकर ले गया। उसकी तलाश यहां हम सब करेंगे। वैसे यदि कुछ सामान का वो लोग इस्तमाल करे तब तो उसे पकड़ने में काफी आसानी हो जायेगी, वर्ना ढूढना कभी बंद नही करेंगे।"

2 दिन बाद प्रहरी के सिक्रेट बॉडी की मीटिंग जिसमे 13 लोगों ने हिस्सा लिया… 12 कोर सीक्रेट मेंबर और 1 पलक, जिसे भविष्य के खिलाड़ी के रूप में तैयार किया जा रहा था। पलक के जैसे और भी कई मेंबर थे, लेकिन किसी को भी एक दूसरे के बारे में ना तो पता था और ना ही वो किसी से जाहिर कर सकते थे।


उज्जवल:- अपनी समीक्षा दो पलक…


पलक:- मैं कुछ भी समीक्षा देने की हालत में नहीं। आप लोग अपना फैसला सुना दीजिये।


सुकेश:- किसी को और कुछ कहना है..



तेजस:- "पलक हमने तुम्हे उसके पीछे लगाया, इसलिए तुम अकेली दोषी नहीं हो। पुस्तक के विषय में उसने जितनी बातें बतायि, उससे तुम्हे क्या हमे भी यकीन हो गया कि वो पुस्तक खोल लेगा। तुम्हे तो पुस्तक के अंदर के ज्ञान का इतना लालच भी नहीं था, जितना हमे था। पुस्तक को लेकर तुम जितना धोका खयि हो, हम भी उतना ही। बस एक बात बता दो, क्या तुम्हे आर्यमणि से सच में प्यार था या उसमे कोई अलौकिक शक्ति की वजह से तुम उसे अपने साथ रखकर भविष्य में आर्यमणि का इस्तमाल करती?


"प्यार में ना होती तो अपना कौमार्य एक ऐसे लड़के के हाथो भंग करती जिसे सीक्रेट प्रहरी खतरा मानते है। साले ने 2 हफ्ते का पूरा मज़ा लिया ये बात मै किसे बताऊं। उसकी तो.. इतना बड़ा छल कर गया। जान बूझकर उस सेज पर मेरे साथ सेक्स किया ताकि मैं कितनी बड़ी बेवकूफ हूं वो मुझे एहसास करवा सके। साला पुरा मज़ा लेकर भागा है।"… पलक अपने ख्यालों में थी, तभी फिर से तेजस ने पूछा…


पलक:- दोनो ही बातें थी। उसकी शक्ति का इस्तमाल करना दिमाग में तो था ही लेकिन यह भी सत्य है कि दिल से उसे चाहा था मैंने। पर क्या ये बात अब मायने रखती है?



जयदेव:- किसी के दिल टूटने का दर्द हम बांट नहीं सकते लेकिन तुम प्यार में रहकर भी हमारे लिये वफादार थी यही बहुत बड़ी बात है। पलक तुम राम शुक्ल के साथ अभी नाशिक रवाना होगी। वहां के आम प्रहरी में अपनी साख बनाओ। साथ ही साथ कल से तुम्हे वो सब मिलना शुरू हो जाएगा जिसकी तुम हकदार हो। तुम्हारी थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी की ट्रेनिंग।

पलक:– क्या मैं पूछ सकती हूं, बुरी तरह से असफल होने के बाद भी मुझे तरक्की क्यों मिल रही।

जयदेव:– क्योंकि तुम हम में से एक हो। तुम्हारी समीक्षा काफी उपयोगी है। जिंदगी का तुम्हे करीब से अनुभव भी हो चुका है। इसलिए मुझे विश्वास है कि तुम जल्द ही हमारे सभा में सामिल होगी और एक भावी लीडर बनकर उभरोगी।


पलक, जयदेव को आभार प्रकट करती वहां से बाहर निकल गयी। उसके बाहर निकलते ही… सभी लोग एक–एक करके एक ही बात कह रहे थे… "क्या पलक अब भी हमारे तौर तरीके के लायक हुई है? उसे इतनी जल्दी थर्ड लाइन की ट्रेनिंग में भेजना एक गलत फैसला हो सकता है।"


जयदेव:- शांत होकर मीटिंग आगे बढ़ाओ। मै अंत में अपनी बात रखूंगा, फिर कहना।


उज्जवल:- देव पहले ये बताओ कि किस बेवकूफ ने तुमसे कहा था 40% शेयर आर्यमणि के नाम करने।


देवगिरी:- दादा वो ताकत का भूखा स्वामी मेरे पास आया था। मुझे लगा कि वो आर्यमणि से उसकी ताकत का राज पता करने की लिये अपने साथ मिला रहा है। उसके आर्म्स एंड एम्यूनेशन फैक्ट्री को उसने इतनी तेजी से स्वीकृति दिलवाया की मैंने भी आर्य को छलावे वाला एक झुनझुना थमा बैठा। मुझे क्या पता था वो अकाउंट एसेस करेगा, वो भी शादी की रात और साला शातिर इतना है कि सिग्नल जैमर लगा रखा था। मुझे भनक तक नहीं लगने दिया और ना ही बैंक का कोई संदेश आने दिया।


मनीषा शुक्ल (मुक्ता की मां और राजदीप की सास)…. "उसके योजना में परिवार के लोग भी सामिल है। जिस तरह से उसके दोस्त ने वहां के महफिल का ध्यान खींचा, जिस तरह से वो अपने परिवार के गले लग रहा था, मुझे तो शक है वो लोग भी मिले हुये है। यदि ऐसा है तो कहीं ना कहीं परिवार के लोग भी शक के दायरे में है।


मीनाक्षी:- परिवार की बात ना करो मनीषा, क्योंकि पारिवारिक दृष्टिकोण से तो मै भी उन सबके साथ सामिल हुयि। आर्यमणि को तो मै भी बहुत चाहती हूं। हमे अफ़सोस होता है, जब नेक्स्ट जेनरेशन आता है। क्योंकि कुछ अच्छे दिल के लोगो को हम सामिल नहीं कर सकते। थोड़ा दर्द भी होता है जब वो मरते है या अपना राज बचाने के लिये उन्हें मारना पड़ता है।(बिलकुल किसी दैत्य वाली हंसी के साथ)… लेकिन क्या करे हमारे जीने का जायका भी वही है।
Ye minakshi ka chitran jis tarha kahani ki starting me dikhaya tha aur aarya ke prati inka maasi prem aur akshara ke prati inki nafrat yaha to pura hi ulat gaya ..... jese wo Pirates of the Caribbean me pure ship ko ulat kar dusri duniya me aa jata hai wesa hi kuch yaha hua hai lag raha hai ..... mujhe sukesh ujjwal aur baaki ke secret prahari group ke member me akshara aur minakshi hi bade khatrnaak lag rahe hai .... palak ke character par abhi bhi mujhe kahin na kahin doubt hota hai ye to aage dekhne ko mila ....lekin jaydev aur tejas ko utna nhi dikhaya gaya to inpr bhi abhi doubt hai ki ye log kya sahi me secret group me mile huye hai ya fir bhoomi didi ke banaye plan par chal rahe hai .....
Rakesh naik ko doodh se makkhi ki tarha nikalna ab sayad use smjh aayega ki wo sirf ek piyada tha unke liye jiska kaam khatam hote hi kinaare kar diya gaya
Dhiren swami ka istemaal aarya ne bhot ache dhang se kiya lekin ek baat puchna chahunga ki wo jo dansh hai uska istemal aarya jaanta jo usne dhiren ki yaadon me istemaal karte dikha diya .... ab apke pass pencil bhi ho to use to karte aani hi chahiye ....
Dhiren swami ka kya reaction raha hosh me aane ke bad wo bhi dekhna hai ki uske dimaag me kya chal raha hai aur use third line superior ke baare me yaad hai ki nhi .... kya iska bhi aage koi role ho sakta hai kya isko secret prahari group yahi khatam kr denge aur dhiren swami ke liye aarya ne kya socha hai wo bhi jaan na hai .... kya ye jo ujjwal ne kaha tha khaal kheechne ki isi ki keh raha tha aarymani ya kuch aur ki dekhna hai ....
me abhi bhi jaydev ka role bhot jyda crucial hone wala hai meko lagta hai ek taraf bhoomi didi uske bachche ki maa banane wali hai aur use jaydev ke baare me pata hai ki nhi ye nhi pata lekin kahi na kahi wo apne pati ke khilaf hi lad rahi hai aur wese hi dusri taraf jaydev bhi bhoomi didi ke khilaf hi lad raha hai .....
Jaydev ka palak ko Third Line Superior shikari ki trainning dena uske vifal hone ke bad bhi mujhe jaydev aur palak abhi bhi apne paale me hi lag rahe hai khair ye to aage dekhne ko milega

brilliant update nainu bhaiya
 
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