फिर तो यहां वहां फुदक कर जितना हो सकता था जानवरों का दर्द ले रहे थे। इसी क्रम में अलबेली पहुंच गयी जेब्रा के झुंड के पास। जेब्रा यूं तो दिखने में काफी खूबसूरत और लुभावना लगता है, लेकिन ये उतने ही आक्रमक भी होते है। अपने झुंड में किसी गैर को देखना पसंद नही करते। अलबेली, जेब्रा की खूबसूरती पर मोहित होकर उसके पास तो पहुंच गयी, लेकिन जैसे ही उसके बदन पर हाथ रखी, जेब्रा ने दुलत्ती मार उसका नाक ही तोड़ दिया। अलबेली के नाक से रसभरी चुने लगा, जिसे साफ करके वह हिल हुई।
हिल होने के बाद उसके मन में आयी शैतानी और जेब्रा को हील करने के बाद किस प्रकार की नई खुशी अलबेली ने अर्जित किया, उसका विस्तृत विवरण वह अपने बाकी के पैक के साथ साझा करने लगी। रूही, इवान और ओजल तीनों ही जेब्रा के झुंड में घुस गये और कुछ देर बाद अपना नाक पकड़े बाहर आये। झुंड के बाहर जब निकले तब अलबेली बाहर खड़ी हंस रही थी। फिर तो जो ही उन तीनो ने पहले अलबेली को दौड़ाया। आगे अलबेली, पीछे से तीनो और कुछ दूर भागे होंगे की तभी उनके पीछे बैल का बड़ा सा झुंड दौड़ने लगा। अब तो चारो बाप–बाप चिल्लाते बैल के आगे दौड़ रहे थे।
चारो अपने बीते वक्त के गमों से उबरकर उस पूरे जंगल में चहलकदमी करने लगे। उनकी हंसी आपस की नोक झोंक और गुस्से में एक दूसरे को मारकर फुटबॉल बना देना, आम सा हो गया। उनका ये खिला स्वभाव देखकर आर्यमणि भी काफी खुश था। यूं तो आर्यमणि बस एक रात रुकने के इरादे से आया था, लेकिन उसने तय किया की अगले एक हफ्ते तक सभी तंजानिया में ही रहने वाले हैं।