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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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एक अद्भुत युद्ध चल रहा था जिसमे तिलस्मी शक्ति के धारक उस बालक ने आर्यमणि को नाकों चने चावबा दिया। बार पे बार किया गया और आर्य किसी भी बार का ठीक ठीक प्रतिउत्तर नहीं दे पाया। ऐसा हाल आर्य का हुआ कि कभी भी प्राण साथ छोड़ दे तभी निकला एक दहाड़ जिसने पूरा शमा ही बादल दिया। दहाड़ में शक्ति का इतना समावेश कि बवंडर उठने लग गया। साधारण मानव का रूप त्याग आर्य ने प्योर अल्फा का रूप ले लिया और क्षणिक विराम के बाद युद्ध फ़िर से चल पड़ा लेकिन इस बार तिलस्मी शक्ति धारक बालक कमजोर पड़ने लग गया कारण आर्य के शिराओं और रक्त धमनियों में बह रहे जहर रहा जिसे आर्य ने दूसरो से ही एकत्र किया था।

जितनी बार उन जहर का स्पर्श बालक से हुआ उतनी बार बालक के शारीरिक क्षमता का क्षय हुआ। आर्य के एक बार ने बालक के पहले एक हाथ फिर दुसरा बार नेे दूसरा हाथ नाकाम कर दिया या कहूं नष्ट कर दिया। पराजय के द्वार पर खड़ा था। प्राण कभी भी साथ छोड़ सकता था फ़िर भी बालक को मैदान छोड़कर भाग जाना मंजूर नहीं था।

उसी वक्त दो शख्स का आगमन हुआ जिसमे एक निशांत और दुसरा सन्यासी शिवम थे जिन्होंने आर्य को रूकने और लडके को बचने का फरमान सुना दिया। यहां फरमान आर्य के मस्तिस्क में सावल उत्पन्न कर दिया कि कहीं उसके काबिलियत या क्षमता का परीक्षा तो नही लिया जा रहा था। सावल का जवाब हां में दिया गया कि परीक्षा सिर्फ आर्य का ही नहीं बल्कि लडके का भी लिया जा रहा था।

एक सवाल का जवाब मिलते ही कही और सारे सावल सिर उठा लिया लेकिन लडके का जान बचना भी ज़रूरी था इसलिए हील करते हुए कॉटेज को चल दिया जहां पहले से जी जमावड़ा लगा हुआ था एक सिद्ध पुरुष जिस आचार्य जी कहर संबोधित किया जा रहा था। सावल जवाब के दौरान जाना गया की लडके का नाम आपश्यु हैं और उसके साथ बहुत अन्याय हुआ था मां बाप सहपाठी सभी को काल के द्वार भेज दिया गया लेकिन लड़का कोई साधारण लड़का नहीं था बड़ा ही होनहार और जज्बा से परिपूर्ण था तभी तो काम वक्त में ही इतना काबिल बन गया की सातों इंद्रियों को बस में कर लिया। जितना अस्त्र शस्त्र और सिद्धियां उसे सीखने वाले जानते थे सभी में निपर्णता हासिल कर लिया।

अपश्यु ऋषि, निशि का प्रथम शिष्य हैं। अस्त्र शस्त्र और सिद्धियों के ज्ञान में निपर्ण हैं जिस कारण उसे सात्विक अश्राम का गुरु बना दिया गया। लेकिन आर्य का जन्म जन्म एक अलौकिक समय पर हुआ और बीतो दिनों में किए गए कठिन परिश्रम ने आर्य को और परिपक्व कर दिया। जिसका सीधा सा मतलब आर्य भी सात्विक अश्राम के गुरु बनने का माद्दा रखता हैं लेकिन यह बात अपश्यु को नागवार गुजरा और एक शर्त के साथ कि आर्य ने बीना छल कपट सिर्फ शारीरिक बल के आधार पे अपश्यु को परस्त कर दिया तो उसे अपना पद छोड़ने में कोई हर्ज नहीं हैं।

ओ हो आदुतिय और अदभुत प्रेम प्रियतमा को मूर्छित देख अवनी भी मूर्छित हो गईं। हृदय का कर्ण कर्ण एक दूसरे (अवनी और अपश्यु) से जुड़ा हुआ। रूह में रूह समाया हुआ।

तिलस्मी पत्थर अपने पीछे निशान छोड़ देती हैं। लेकिन संन्यासी शिवम ने तिलस्मी पत्थर के सभी पद छाप मिटा दिए। लेकिन यह भी उनके लिए आसान न होता आगर आर्य विश्व भ्रमण में समुद्री रास्ता न अपनाया होता। सात्विक अश्राम का गुरु न ही रक्षक आर्य बनना चाहता हैं। लेकिन आचार्य ने आर्य को वह जानकारी अपने मस्तिस्क से दे दिया जिस कारण आर्य को सात्विक अश्राम के गुरु का भर सोफा जा रहा हैं।

ऋषि, निशि पर छल से आक्रमण किया गया था इसलिए ऋषि निशि परस्त हों गए। इसके पूछे प्रहरी सुमादय का किया धरा हों सकता हैं क्योंकि आर्य ने जब प्रहरी समुदाय को पटखनी देखकर भाग था तब प्रहारियो के बीच आश्रम की बात छेड़ा गया था हो न हो वे सभी सात्विक अश्राम की ही बात कर रहें थे।

बरहाल आर्य को ज्ञान मिल चूका हैं क्यों उसे जबरन गुरु की पदवी दिया जा रहा हैं। साथ ही उसे यहां भी पता चला की उसकी क्ला आचार्य जी को वेयर वुल्फ नहीं बनाएगा देखते है आगे और कौन कौन सी खूबी आर्य में हैं? इस अपडेट में कहीं सारे भेदों से पर्दा उठाया गया हैं।

अदभुत अतुलनीय अपडेट गुरू जी।
Thankoooo sooo much for your so lovely and wonderful words...mai kya kah raha tha ki baki updates me jo hona hai hota rahega... Apasyu ko jankar bhi reaction na diye samjh sakta hun ki yahan aapne kirdar ki tarah dekha ... Lekin ek line hi likha tha maine Aimee ke bare me...aur aapne bhi ek line likha .. lekin mujhe aisa kahe lag raha ki yahan Aimee ko aapne ek kirdar ke najriye se na dekha aur aapke dil se aahhhh nikal rahi ho jaise 😄😄😄😄😄
 

nain11ster

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अध्याय 68 – 69...

आर्यमणि ने अंततः उस स्वर्ण भंडार को ठिकाने लगा ही दिया। वैसे तो उसने ये कार्य पहले मेयर को सौंपा था, पर उस मेयर के लक्षण देखकर लग ही रहा था की ये काम उसके वश का नहीं। मेयर ने आर्यमणि से कहा ही था की सोने के डिस्ट्रीब्यूशन में कुछ बड़े नाम जुड़े हुए हैं, जिनका एक उदहारण हमें पार्केंसन के रूप में देखने को मिला। मेयर के हाथ में ज़्यादा सत्ता अथवा शक्ति थी नहीं, वो मेयर भी था तो केवल अपनी बीवी की दयादृष्टि के कारण, स्पष्ट है की उसकी बीवी तक को उस पर एतबार नहीं रहा होगा। आर्यमणि और रूही जब मेयर के घर पहुंचे तो वो किसी महिला संग बिस्तर पर था, अर्थात अपनी बीवी को धोखा दे रहा था। आर्यमणि की बात से लगा की उसने इस चीज़ का सबूत मेयर की बीवी तक पहुंचा दिया है।

संभव है की अब मेयर, के हाथ से उसकी कुर्सी भी छिन जाए। खैर, मेयर ना सही तो पार्केंसन ही सही। लगता है की जब तक आर्यमणि कैलिफोर्निया या अमेरिका के किसी अन्य शहर में भी रहेगा, हमें पार्केंसन का ज़िक्र दोबारा भी सुनने को मिल सकता है। पार्केंसन ने न केवल आर्यमणि के उस 5 मैट्रिक टन स्वर्ण भंडार को ठिकाने लगाया बल्कि भविष्य में ऐसे किसी कार्य के लिए भी आर्यमणि को संपर्क करने के लिए कहा है। पार्केंसन किसी बड़े समूह अथवा संगठन का एक सदस्य है, और उस समूह के सदस्यों को पार्क नामक उपाधि से नवाज़ा जाता है। अब देखना ये है की हमें पार्केंसन दोबारा कहानी में दिखेगा अथवा नहीं!

लगभग 100 मिलियन डॉलर, यानी करीब आठ सौ करोड़ रुपए, बिना किसी अधिक मेहनत अथवा दिक्कत के आर्यमणि और उसके अल्फा पैक ने करोड़ों बना लिए हैं। साफ है की देवगिरी की संपत्ति, भूमि द्वारा दिया गया पैसा और ये धन, आगे चलकर किसी भौतिक वस्तु की कोई कमी नहीं होने वाली है अल्फा पैक को। हालांकि, काफी खर्चा हुआ है इस बीच, जैसा आर्यमणि में कहा ही, कई हज़ार डॉलर लग गए उन्हें ग्रीन कार्ड हासिल करने में, परंतु मेयर के बैंक डिटेल्स हासिल कर, वो रुपया भी वसूलने की तैयारी कर चुका है वो। कनाडा जाकर रूही और बाकी तीनों, शायद उसी पैसे को उड़ाने वाले हैं!

कनाडा में भी ये चारों बिना किसी मुसीबत में पड़े रह जाएं, ये संभव ही कैसे है। जहां, इवान और अलबेली के बीच नए रिश्ते की शुरुआत कनाडा यात्रा का सुखद पहलू रहा वहीं शिकारियों के आक्रमण ने खतरा भी उत्पन्न कर दिया था। वैसे वो सभी शिकारी आम ही लगे मुझे, अर्थात् अधिक शक्तिशाली नहीं थे वो, उन सबके बीच समन्वय की भी कमी नज़र आई, स्पष्ट है की इन शिकारियों का अपेक्स सुपरनैचुरल अर्थात् भारद्वाज – देसाई गुट से कोई संबंध नहीं था। शायद अलबेली और इवान को अपने इलाके में देखकर ये सब इनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी। खैर, अभी के लिए तो, कम से कम ये मानकर चला जा सकता है।

अलबेली और इवान अपने अतीत के अनुभवों में समान हैं, दोनों ही सरदार खान और उन विक्षिप्त प्रहरियों के लालच और वासना के सताए हुए हैं, ऐसे में एक – दूसरे से बेहतर विकल्प इनके लिए और कोई हो भी नहीं सकता था। खैर, दोनों के मध्य जो दृश्य आपने दिखाए, वो वास्तविकता के बेहद करीब थे। दो टीन वोल्फ, जिन्होंने इससे पहले कभी प्रेम जैसी भावना को नहीं जाना, उनकी ऐसी ही प्रतिक्रिया बनती थी, विपरीत लिंग के वोल्फ के प्रथम स्पर्श पर। रुही और ओजल ने अपेक्षा अनुसार दोनों के इस नए रिश्ते पर इनको टांग खींचना भी प्रारंभ कर दिया है, चारों के जीवन में आई इन खुशियों को, और उन खुशियों पर चारों की प्रतिक्रिया को पढ़ना, सुखद है!

खैर, इस प्रेमालाप के बीच ओजल और रूही के बुद्धि तथा बाहुबल की भी झलक देखी हमने। दोनों ने बड़ी ही आसानी से ना केवल इवान और अलबेली को उन शिकारियों से छुड़ा लिया, बल्कि उन सभी को धूल भी चाटा दी। अभी तक के प्रशिक्षण का प्रभाव हम देख ही चुके हैं, हां अभी भी खुद पर पूरा नियंत्रण नहीं है इनका, शायद रूही का हो, परंतु बाकी तीनों को अभी और अधिक प्रयास करना होगा। अलबेली और इवान के चुम्बन के मध्य उनके क्ला निकल आना, इसी बात का परिचायक है। उन शिकारियों को उनकी जगह दिखाने के बाद, चारों कनाडा के अन्य शहरों में अपनी यात्रा पूर्ण करने के लिए भी निकल गए।

इधर आर्यमणि को पार्केंसन से मिलकर लौट रहा था उसका सामना एक अंजान व्यक्ति से हुआ, जोकि एक कम उम्र का लड़का है। आर्यमणि उसे प्रहरियों अर्थात् अपेक्स सुपरनैचुरल द्वारा भेजा हुआ एक व्यक्ति समझ रहा है परंतु अभी तक उसे स्पर्श कर पाने तक में वो असमर्थ रहा है। हां, आर्यमणि ने अभी तक शेप शिफ्ट नहीं की है, परंतु फिर भी वो लड़का अत्यधिक चपल और तेज़ है, आर्यमणि के प्रत्येक वार से बचना, और साथ ही उन जड़ों की पकड़ से भी खुदको आज़ाद करवा लेना, उसके सामर्थ्य का परिचायक है, देखते हैं आर्यमणि आगे कैसे भिड़ता है उस लड़के से, और क्या प्रयोजन है उसका यहां कैलिफोर्निया आने के पीछे!

अभी के लिए कहानी में लगभग सब कुछ ही सुखद और कुशल है, जहां अल्फा पैक के सभी सदस्य अपनी नई – नई आज़ादी और उत्तम आर्थिक स्थिति का आनंद ले रहे हैं, वहीं इवान और अलबेली, अपने नए संबंध का भी। इधर आर्यमणि के सर से स्वर्ण भंडार की चिंता तो है गई है, और अताह धन भी उसके खाते में जमा हो चुका है, परंतु इस नई शक्ति के चलते कुछ कठिनाई भी हो सकती है। देखते हैं कैसे सामना करता है वो उस लड़के का। इस बीच इन सभी अल्फा पैक के सदस्यों की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है, जोकि एक अच्छी बात है।

बहुत ही खूबसूरत भाग थे भाई दोनों ही। चाहे वो इवान और अलबेली का प्रेमालाप हो या फिर आर्यमणि का उस अनजान लड़के से द्वंद्व, बेहतरीन तरीके से लिखा आपने दोनों ही दृश्यों को...
Thankoooo soo much death King bro... Sabhi patron ke liye itna pyara bhara prasang likhne ka shukriya.... Aapke comment dekh leta hun to update dene ki ikchha chauguni ho jati hai... Par kya kare is julm–e–waqt ka jo bilkul nischit hota hai aur kabhi dhime chalta hi nahi...

Khair ... Albeli aur Evan ke chhote se emotions ko parakhane ka shukriya... Teen ager ki poorn manodasha... Charo ore ke mahol ka impact aur first touch ka essence... Dhyan me rakh kar likha tha... Baki abhi to azadi ke din shuru huye hai... Manaki ye katha Aryamani ki hai lekin thoda thoda hum teen wolf ko bhi dekhte chalenge... :hug:
 

nain11ster

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Bhut mast achi update hai bhaii

Aap story key last main achha hai

Baki key lekhak age ye ho ga , aage vo hog batatey hai aur update aaney key baad 3 sra hi kuch bata a y nge

Aap aise hi update detey rhna bro

Next 2-3 update after QUITE me please
Hahaha .. thanks a lot asannd bhai...

Waise har kahani likhne wale ka apna andaz hota hai aur unke mejority readers unhe usi style me likhte dekhna pasand karte hai .. aapko Mera likhna pasand aaya uska shukriya sath bane rahiyega aur aise hi comment karte rahe
 

@09vk

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भाग:–72






अपस्यु और उसकी टीम जा चुकी थी। उनके जाने के साथ ही घर की चहल–पहल भी चली गयी। अलबेली, इवान और ओजल रोज सुबह से स्कूल में व्यस्त हो जाते। स्कूल खत्म करके तीनों वहीं से सीधा ड्राइविंग स्कूल और ड्राइविंग स्कूल से शाम को घर। टीन वुल्फ के लिये फिर भी काम मिल गया था, लेकिन आर्यमणि और रूही का ज्यादातर वक़्त खाली ही गुजरता। लगभग महीना दिन बीतने को आया, दिन में टीवी देखते हुये रूही कहने लगी…. "पड़े–पड़े कबतक दूसरो का पैसा खर्च करेंगे। 3 महीने में हम 30 हजार डॉलर फूंक चुके है।"


आर्यमणि:- क्या करे, कोई शॉप खोल लूं इधर।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, हम मसालेदार इंडियन डिशेज बनायेंगे।


आर्यमणि:- और क्या होगा उस मसालेदार डिश में, भेजा फ्राई, कबाब, चिकन, मटन।


रूही:- तुम्हे नॉन भेज से इतनी एलर्जी क्यों है। इंसान भी तो खाते है।


आर्यमणि:– और तुम क्या हो जानवर..


रूही:– वही तो, नॉन वेज खाने के समय तुम हमे जानवर काउंट करते हो और सभी चीजों में विशेष इंसान। आम इंसानों की तरह ही यहां भी हमे काउंट किया जाना चाहिए।


आर्यमणि:- हां आम इंसान खाते है लेकिन तुम लोग विशेष इंसान हो। वॉयलेंटली खाओगे, जो तुम्हारे स्वभाव को बदलेगा। यूं समझ लो एक तरह का ज़हर है जो एग्रेसिव बनायेगा।


रूही:- मानती हूं, तो क्या हफ्ते 10 दिन में एक दिन तो पका लेने दो। उन तीन मासूमों का भी तो ख्याल करो।


आर्यमणि:- अच्छा ठीक है आज रात पका लेना।


रूही:- जे बात। थनकू सो मच।


आर्यमणि:- आज रात, रात्रि चरते है। देखते है यहां की नाइट लाइफ।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, इन तीनों का क्या?


आर्यमणि:- तीनों के सोने के बाद चलेंगे।


आज शाम चारो की अच्छी दावत हुई। चारो ही शाम से खाना शुरू किये। रात सोने से पहले तक डाकर ले लेकर खाये और मस्त चकाचक नींद मारकर सो गये। रात को लगभग 11 बजे आर्यमणि और रूही पैदल सड़कों पर घूमने निकले।


रूही:- आर्य तुम किस सवाल का जवाब ढूंढते हुये नागपुर पहुंचे थे।


आर्यमणि:- था एक बकवास सवाल, जिसने जिंदगी बदल डाली।


रूही:- हाहाहाहा… हां वरना अभी तक तो सर नागपुर में पुरा रंग जमा चुके होते।


आर्यमणि:- कहना क्या चाहती हो.. ???


रूही:- हम यहां लाइफ जीने आये थे। हर मुश्किल और हर सवालों से दूर एकांत की एक जिंदगी, लेकिन जब यहां आकार जीने की कोशिश कर रही हूं तो जीना इतना मुश्किल क्यों लग रहा है?


आर्यमणि:- क्योंकि जब हमारे पास करने को कुछ नहीं होता तो ऐसे ही बकवास बातें दिमाग में आती है।…. जिंदगी में इतनी तन्हाई क्यों है? क्यों लोग आज कल स्वार्थी हो रहे है? मेरे जीने का मकसद क्या? कभी-कभी लगता है मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?


फटाक, एक जोरदार पंच और आर्यमणि की नाक टूट गयी। वो अपने नाक पर रुमाल लगाकर कुछ बोलने ही वाला होता है कि सड़क पर चल रही एक बेकाबू कार पलट जाती है, जो लगभग 20 फिट घिस्टाते हुए एक पोल से जा टकराती है। दोनो दौड़कर वहां पहुंचे और कार में फसे व्यक्ति को निकालने की कोशिश करने लगे। वो आदमी सीट बेल्ट लगाये अंदर फसा था। गाड़ी पलटने के कारण पेट्रोल सड़क पर बह रहा था। रूही को लगा कोई भी सिगरेट पीता आदमी इधर से गुजरा तब तो अपने साथ-साथ पूरे कार को भी फ्राय कर देगा। रूही जबतक मिट्टी वगैरह डालकर वहां बचाव कर रही थी, आर्यमणि उसका सीट बेल्ट खोलते… "रूही इसका पाऊं तो बोनट में फसा हुआ है, तुम एम्बुलेंस को कॉल करो।"..


रूही एम्बुलेंस को कॉल करने लगी, तभी आर्यमणि को मेहसूस हुआ उस आदमी की धड़कन गायब हो रही है। अपना हाथ लगाकर उसने हील करना शुरू किया। जैसे ही हीलिंग शुरू हुई, आर्यमणि किसी तरह खुद को शांत रखने की कोशिश करने लगा। हील करते हुये आर्यमणि को काफी पीड़ा हो रही थी। वह आदमी कार एक्सीडेंट से नही मरता तो भी उसके शरीर में फैल रहा जहर उसे मार देता। आर्यमणि की हीलिंग जैसे ही खत्म हुई, वहां पुलिस और एम्बुलेंस भी आ पहुंची।


उन दोनों का एड्रेस और बयान दर्ज करके पुलिस वाले ने दोनों को जाने के लिए बोल दिया। दोनो वहां से निकले…. "क्या हुआ, उसके खून की खुशबू से परेशान हो।"


रूही:- हां, आर्य बहुत ही अलग खिंचाव होता है ताज़ा कटे खून में, ऊपर से इंसान का हो तो पता नहीं दिमाग में क्या होने लगता है। तुम्हे कभी ऐसा फील नहीं हुआ क्या?


आर्यमणि:- हां पहली बार चित्रा का खून देखकर। तुम्हारे जितना तो नहीं, लेकिन थोड़ा सा खिंचाव था। दरअसल सरदार की गली में हमेशा कटे मांस और खून के गंध पर ही तुम और अलबेली पली बढ़ी हो। उन लोगों ने तुम्हे काबू करने के बदले उन्हें नोचना सिखाया था इसलिए इतना आकर्षण हैं। वैसे ये अच्छा आइडिया है, ब्लड के आकर्षण को काबू करना, कंट्रोल का अच्छा एक्सरसाइज होगा।


अगली सुबह, चारो को खड़ा करके एक बड़ा सा माउंटेन एश का सर्किल बाना दिया गया। आर्यमणि ने एक बकड़े में थोड़ा सा सुराख करके उनके नजदीक रखा और खून की गंध पर काबू पाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी। आकर्षण ऐसा था कि उसे पाने के लिए तीनों टीन वुल्फ माउंटेन एश के सर्किल से बाहर आने की जद्दो–जहद करते रहे, और अपनी सारी ऊर्जा उसी में गवा बैठे। माउंटेन एश के सर्किल को हाथ लगाना ही एक सदमे जैसा अनुभव था, और तीनो ने तो काफी ज्यादा जोर लगा दिया था।


ओजल, इवान और अलबेली तीनों को जब सर्किल से बाहर निकाला गया, बेसुध होकर वहीं हॉल में ही लेट गये। जानवर के खून के प्रति रूही का आकर्षण उतना नहीं था, इसलिए वो शांत बस सबके साथ खड़ी रही… रूही उनकी हालत को देखकर आगे बढ़ी हील करने… "नहीं ये हील नहीं होंगे। छोड़ दो ये खुद से रिकवर हो जायेंगे शाम तक।"


रूही:- माउंटेन एश का प्रभाव हम पर इतना क्यों है।


आर्यमणि:- ये एक प्रकार का पौधा है जो हिमालय के ऊंची चोटियों पर पाया जाता है, ग्रीन हाउस बनाकर शिकारी भी इसकी खेती करते है। कहा जाता है यह एक बैरियर है, जो एक दुनिया को दूसरे दुनिया में बांध देता है।


रूही:- तो क्या हम इस बैरियर को पार नहीं कर पायेंगे।


आर्यमणि:- ना तो तुम पूर्ण इस दुनिया की होकर रहना चाहती हो, ना तो तुम पूर्ण उस दुनिया की। इसलिए तुम ये बैरियर पार नहीं कर सकती।


रूही:- लेकिन ओजल और इवान का इंसानी पक्ष ज्यादा मजबूत है, फिर वो क्यों नहीं इस बैरियर से बाहर निकल पाये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है एक अल्फा हिलर इस बैरियर को बहुत आसानी पार कर ली थी और फिर….


रूही:- क्या हुआ क्या सोचने लग गये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है पलक की कोई भी इमोशंस तुम्हे मेहसूस क्यों नहीं हुये?


रूही:- क्यों?


आर्यमणि:- क्योंकि वो सब भी एक सुपरनेचुरल है, जिन्हे इंसानी दुनिया में रहने के लिए ट्रेंड किया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि वो जो सरदार खान कह रहा था उनका मालिक अपेक्स सुपरनेचुरल है वो वाकई में सही कह रहा था। प्रहरी में कुछ लोग सुपरनेचुरल होते है, तो कुछ लोग आम इंसान।


रूही:- अब एक माउंटेन एश की बात पर इतनी समीक्षा क्यों?


आर्यमणि:- "सरदार खान की लगभग 400 साल पुरानी याद में एक जगह वर्णित है, नालंदा विश्वविद्यालय। वहां से 10 किलोमीटर पश्चिम में वो गया था, किसी आचार्य से मिलने। मुझे अच्छे से याद है उसके पीछे 8-10 साये थे। यानी कुछ लोग थोड़े दूरी पर खड़े थे जिसकी परछाई सरदार खान के पास तक आ रही थी, और सरदार खान रह-रह कर उस परछाई को देख रहा था। जबकि आचार्य सरदार से नजरे मिलाकर बात कर रहे थे।"

"उसके बाद सरदार खान के कुछ दिनों की यादें नहीं थी। लेकिन एक साल बाद की याद में सरदार खान वहीं आचार्य के पास था और उसके पीछे कुछ शिष्य खड़े थे। इस बार भी आचार्य सरदार खान को ही देख रहे थे, लेकिन वो रह रहकर आचार्य के पीछे खड़े लड़को को देख रहा था।"

"अगर दोनो घटना में कुछ सामान्य था, वो था आचार्य के कुटिया के पास की वो रेखा और दोनो ही दिन में कुछ लोगो का होना। जहां पहली मुलाकात में कुछ लोग सरदार खान के बहुत पीछे खड़े थे और सरदार खान खींची लाइन के बाहर खड़ा होकर आचार्य से बात रहा था… "कुछ शिष्य आपकी सेवा में आना चाहते है।" वहीं दूसरी चर्चा में कुछ शिष्य आचार्य के पीछे खड़े थे और सरदार खान ने कहा था…. "आप है तो सब संभव है आचार्य।" और सबसे बड़ी बात एक शिष्य जब आचार्य की खींची रेखा को पार कर रहा था, सरदार खान के चेहरे के भाव कुछ पल के लिए बदल गये थे।"


रूही:- इसका मतलब तुम कहना चाह रहे हो की वो जो 8-10 लोग थे वो सुपरनेचुरल थे, जिन्हे अचार्य ने माउंटेन ऐश की खींची रेखा से निकलना सिखाया।


आर्यमणि:- हां, 100 फीसदी सुनिश्चित, क्योंकि परिवार के अंदर जो भसर मची है, सिर्फ इसी एक पॉइंट की वजह से। ये जो खुद को एपेक्स सुपरनेचुरल मानते है, उन्हे बस अपने जैसों से प्यार होता है। जैसे की मेरे मौसा के घर में, भूमि दीदी इंसान के रूप में पैदा हुई, इसलिए वो अलग है और उसके लिये इमोशन भी अलग है जबकि तेजस उन्ही जैसा सुपरनेचुरल है, इसलिए तेजस के लिये अलग इमोशन..


रूही:– ये तो बड़ी खबर है। तो क्या इनके सुपरनेचुरल होने के कारण ही हम उनके इमोशन को नही पढ़ सकते..


आर्यमणि:– जहीर सी बात है, इसी एक पहचान के कारण मुझे भी पता चला था की मेरे मौसा–मौसी और तेजस परिवार में एक जैसे है और बाकी सब अलग।


रूही:– किस प्रकार के सुपरनेचुरल है ये लोग, जो खुद को शर्वश्रेठ की श्रेणी में मानते है।


आर्यमणि, जोर से चिल्लाते... "मैं जान गया, मैं जान गया की ये लोग किस प्रकार के सुपरनेचुरल है। ये पृथ्वी पर पाये जाने वाले एक भी सुपरनेचुरल में से नही है। बल्कि... बल्कि ये लोग किसी दूसरे ग्रह के निवासी है। इनके पास जो पृथ्वी से लेकर अन्य ग्रह के मानव प्रजाति के क्लासिफिकेशन का संग्रह है, इस से यही लगता है की इन्होंने कई ग्रहों का भ्रमण भी किया है, और वहां बसने वालों का पूर्ण अवलोकन किया है। हां लेकिन उस पुस्तक में इन्होंने अपना कहीं क्लासिफिकेशन नही लिखा है।"


रूही:– साले हरामि एलियन.. आर्य ये किस प्रकार के एलियन हो सकते है। और इनके पास कैसी ताकत हो सकती है?


आर्यमणि:– अनोखे पत्थर का प्रयोग जानते है। हवा को कंट्रोल कर सकते है। और क्या खास है वो पूरा पता नही। अपने समुदाय को छोड़कर बाकियों के लिये कोई इमोशन नही। साधुओं से इन्हे खतरा लगता है। खासकर सात्विक आश्रम से और ये लोग किसी वेयरवॉल्फ के झुंड का शिकर भी हो सकते थे। इसलिए वेयरवोल्फ को अपने नियंत्रण में रखते हैं और सात्विक आश्रम को तो कभी खड़ा ही नहीं होने दिया। न जाने कितने साधुओं को मारा होगा इन्होंने..


रूही:– बॉस इतनी गहरी समीक्षा। चलो एक बात तो मान सकती हूं कि सिद्ध पुरुष से उन्हे खतरा है। लेकिन वेयरवॉल्फ... नागपुर के जंगलों में उन एलियन ने तुम्हारा क्या हाल किया था, वो भूल गये क्या?


आर्यमणि:– मैं कुछ नहीं भूलता। सुनो अब ऐसा तो है नही की जिन शक्तियों के साथ ये लोग पहुंचे थे, उन्ही शक्तियों पर आज तक टिके रहे। इनके पास ऐसे पत्थर है जो दूसरों की शक्तियों को अपने अंदर निहित कर सकते है। मैं अभी बता तो नही सकता की उनके पत्थर किस प्रकार की शक्तियों का अधिग्रहण कर लेते है, लेकिन इतना जरूर बता सकता हूं कि वेयरवोल्फ के झुंड ने सीक्रेट प्रहरी का शिकर किया था, इसलिए वेयरवोल्फ के बहुत सी शक्तियों को इन लोगों ने चुरा लिया। इनका दिमाग तब चक्कर खा गया होगा जब वेयरवोल्फ के बारे में इतनी गहराई से जानने और उन्हें अपने नियंत्रण में रखने के बावजूद तुम्हारी मां ने सकडों वर्ष बाद एलियन का शिकर कर लिया था।


रूही:– क्या मेरी मां ने.. ये कैसे कह सकते हो...


आर्यमणि:– "इसमें कैसे वाली तो कोई बात ही नही है। शुरू से उन एलियन के लिये वेयरवोल्फ एक दुश्मन रहा था। एक तो वेयरवोल्फ के खुद की शक्तियां उसके ऊपर इनके झुंड की ताकत, इसके सामने ये एलियन घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते होंगे। बाद में इन लोगों ने वेयरवोल्फ पर रिसर्च किया और बहुत से पावर को चोरी कर लिये। इंसानों के मुकाबले वेयरवोल्फ काफी ताकतवर और अकर्मक होते है। इन्हे करप्ट करना काफी आसान होता है, इसलिए इन लोगों ने प्रहरी संस्था में अपनी घुसपैठ बनाई होगी। या नहीं तो पूरे प्रहरी को ही समाप्त करने के बाद पूरे प्रहरी समाज को अपने अनुरूप ढाल दिया होगा।"

"सकड़ों वर्षों बाद अमेजन के जंगलों फेहरीन के झुंड से प्रहरी का सामना हो गया था। संभवतः वह सीक्रेट प्रहरी का झुंड था और पहली बार किसी ट्रू अल्फा से भिड़ रहे थे। फेहरीन नागपुर लायी गयी, तब सरदार खान ने पहली मुलाकात में ही कहा था, "एक को मारने में अपने पूरे पैक को दाव पर लगा दी।"… लेकिन फेहरीन ने जो जवाब दिया वह सरदार खान के मस्तिष्क से गायब था। सीधे दूसरे सवाल परपहुंच गया.… "कैसे बचकर निकल गयी थी तू उस घेरे (माउंटेन ऐश) से।"… और तुम्हारी मां ने कहा था… "तुम्हारी आत्मा तक काली है सरदार।"…

"फेहरीन की एक और बात रह-रह कर याद आती है जब वो सरदार से कह रही थी… "तुम सिर्फ अपने दहाड़ के कारण मुझसे बेहतर हो, और मैंने हमेशा अपने जंगल को बचाया है इसलिए किसी को मरता नहीं देख सकती, और ना ही तुम्हारे नियंत्रण को मै अपने ऊपर से हटा पाती हूं, यही मेरी विवस्ता है।"


रूही:- मेरी आई बेस्ट थी, लेकिन प्रहरी ने उनके साथ बहुत बुरा किया। खैर भावनाएं अपनी जगह लेकिन मुझे ये समझा सकते हो की उन्हे मारने के बदला उन एलियन ने आई को सरदार खान की नरक में क्यों ले आये?


आर्यमणि:- फेहरीन एक ट्रू अल्फा हीलर थी। जिसने सैकड़ों वर्षों बाद उन एलियन को धूल चटाया था। शायद फेहरीन के पावर को चोरी करने के इरादे से नागपुर लेकर आये होंगे। लेकिन ऐसा हो न सका। एलियन को शायद पता न था कि ट्रू अल्फा की पावर चुरायी नही जा सकती। यह काम न तो उनके पत्थरों से हो सका और न ही ये काम सरदार खान कर सकता था। तुम्हे पता है ओजल और इवान को क्यों ये एलियन पैदा होने के साथ ही मार देना चाहते थे...


रूही:– क्यों?


आर्यमणि:– क्योंकि वह नही चाहते थे कि वेयरवोल्फ के साथ उनका कोई हाइब्रिड बच्चा हो। लेकिन सुकेश भारद्वाज से यह गलती हो चुकी थी। अब किस परिस्थिति में यह गलती हुई, ये तो सुकेश, मीनाक्षी, उज्जवल या अक्षरा ही बता सकते है, लेकिन उन्हें भी अंदाजा न होगा की जिस स्त्री को इतने सारे लोग नोच रहे, उनमें से फेहरीन के कोख में सुकेश का ही बच्चा ठहर जायेगा। बच्चा जब पैदा हुआ होगा तब उन एलियन को भी जानकारी हुई होगी। या फिर सरदार खान समझ गया होगा और उसी ने एलियन को बताया हो.. कुछ पक्का नही कह सकते। लेकिन सुकेश को खबर मिल चुकी थी। एक तो वेयरवोल्फ पुराना दुश्मन। उसमे भी एक ट्रू अल्फा का बच्चा उन एलियन के अनुवांशिक गुण वाला। ये हाइब्रिड उनके लिये सर दर्द देने वाला था।
Nice one
 
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nain11ster

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Mera sabse nivedan hai jisne bhavar nahi padi pehle wo pad le, yu samaz lijiye nain ke har kahani ka center point bhavar hi hai aur baki sari kahaniya ussey Judi hui hai
Nahi kahani ka center point bhanvar nahi balki Apasyu hai... Aur use samjhna hai to bhanvar se behtar aur kya ho sakta hai... Anky bhai shukriya:hug:
 

nain11ster

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अपश्यु, जिसे गुरु निशि एक रक्षक बना चाहता था लेकिन किस्मत की फेर और परिस्थिति में आए बदलाब ने उसे गुरु के आसन पर बैठा दिया। एक रस्ता अपश्यु को दिखा कि आर्य को परस्त कर गुरु का आसन छोड़कर रक्षक बन जायेगा मगर आर्य तो आर्य हैं उसके सामने अपश्यु को परस्त होना पड़ा और गुरु के आसन पर बने रहना पड़ा।

किस्मत में फेर बदल आर्य के साथ भी हुआ। आर्य को न प्रहरी बनना था न ही गुरु लेकिन अलौकिक ग्रह मेल से बना अलौकिक मूहर्त में जन्म लेना सात्विक ब्रह्मण होना इत्यादि इत्यादि ने आर्य को गुरु के आसन पर बैठा दिया।

अब दोनों एक दूसरे को छोटे गुरु और बड़े गुरु से संबोधित करते हैं जो बाद में छोटे और बड़े में तब्दील हों गया।

इस अपडेट में उस भेद का भी खुलासा हो गया की वो कौन सा ज्ञान है जिसके बल पे अपश्यु, आर्य के वार को पहले ही भाप ले रहा था और वह ज्ञान है हवा में आई बदलाब को भाप लेना। अपश्यु ने यह ज्ञान आर्य को दे दिया साथ ही बाकी सभी से ज्ञान का आदान प्रदान कर लिया।
Apasyu ka ye reflexes to bhanvar me bhi dekhne Mila tha jab wah ek experimental fighter se lad raha tha... Kulhadi se... Khair ... Kismat kismat ki baat hoti hai Destiny bhai... Ab kar yuddh ke Bigul fukne ke baad wo manchahi Destiny par thode na pahunch sakti hai aapke tarah :D
 

nain11ster

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Bahut badhiya update bro...
Between ye dusri konsi kahani hai apasyu ki aur kitni kahaniyan hai
Apasyu ki ek kahani hai ... Bhanvar

Iske alawa hai ek kahani ke 2 part...

Kaisa ye ishq hai ~ ajab sa risk hai

Kaisa ye ishq hai ~ ajab sa risk hai ~ reload


Bhanvar, Ishq-risk - realod aur Aryamani ki kahani ek hi time line me thoda sa aage pichhe chalne wali parellel kahani hai ... Jinme nayak ka ek dusre se connection dikh jayega...
 

nain11ster

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अध्याय 70 – 71...

सुखद आश्चर्य! निश्चल दिखाई देगा इस कहानी में इसकी अपेक्षा बहुत पहले से थी, इसका सीधा कारण वो दृश्य जो हम इश्क – रिस्क के द्वितीय भाग में पढ़ चुके हैं। परंतु अपस्यु महोदय के दर्शन भी होंगे इस कहानी में, इसकी अपेक्षा नहीं की थी। अपस्यु की भी अपनी ही कहानी थी, हां मुझे अपस्यु का किरदार इसके कुछ चुनाव और कर्मों के कारण उठा प्रिय नहीं, परंतु इस बात में कोई दोराय नहीं, की जिन कठिनाइयों और परेशानियों का उसने सामना किया, आश्रम के साथ हुई घटना हो या फिर उसकी मां के साथ.. भावनाओं के उस “भंवर” से निकलना, और अपने कर्मपथ पर आगे बढ़ना ही अपस्यु की काबिलियत और दृढ़ – निश्चय का परिचायक है!

खैर, यहां उसकी चर्चा करने बैठा, तो काफी कुछ लिखना पड़ेगा, इसीलिए इस कहानी के इन दो अध्यायों में हुई गतिविधियों पर ही नज़र डालना उचित होगा। पिछले भाग अर्थात अध्याय क्रमांक 69 के अंतिम दृश्य में जिस प्रकार उस लड़के (अपस्यु) ने आर्यमणि का सामना किया था, उसके बाद कहीं न कहीं, चिंता हुई थी की यदि अपेक्स सुपरनैचुरल द्वारा भेजा गया एक मोहरा इतना सशक्त हुआ, तो आगे कितनी बड़ी शक्तियां आर्यमणि के सामने खड़ी होंगी! परंतु, गनीमत रही की ये योद्धा, आर्यमणि का शुभचिंतक अर्थात् अपस्यु निकला, जिसका खुद का लक्ष्य भी एक तरह से उन अपेक्स सुपरनैचुरल को कर्मफल प्रदान करना है...

आश्रम के साथ हुई घटना और अपस्यु के निजी जीवन पर हुआ प्रहार, उनके दोषियों को देखने का ज़िम्मा आर्यमणि ने अपस्यु के हाथों में दे दिया है वहीं परदे के पीछे से प्रहार करने वाले.. अर्थात् अपेक्स सुपरनैचुरल को संभालने का कार्यभार उसने अपने हाथों में ले लिया है। सही भी है, वो लोग सीधे तौर पर कुलकर्णी परिवार और अल्फा पैक के गुनाहगार हैं, आर्यमणि की बातों से झलक दिखी उस दंड की जो उन अपराधियों को मिलेगा.. संभवतः ऐसा कोई दंड जो मृत्यु से भी भयंकर हो! बहरहाल, अपेक्स सुपरनैचुरल के खिलाफ शायद जल्द ही कोई और कदम भी उठा सकता है वो, आखिर काफी समय बीत गया है आखिरी बार उनकी बक्खियां उधेड़े हुए।

अपस्यु, अवनी, आरव, स्वास्तिका और पार्थ.. पांचों ही आर्यमणि के पास वहां कैलिफोर्निया में रुके और अताह ज्ञान भी अपने अंदर समाहित कर लिया। कोई यदि भंवर पढ़े तो उसे पहले ये दो अध्याय पढ़ लेने चाहिए, ताकि समझ में आए की इतना ज्ञान और काबिलियत कैसे थी इन पांचों के पास उस कहानी में! आर्यमणि ने ना केवल कैलिफोर्निया में रहकर अर्जित किया हुआ ज्ञान साझा किया अपितु, उन 400 पुस्तकों से हासिल किया हुआ ज्ञान – भंडार भी अपस्यु से साझा कर दिया। बाकी चारों की हालत ही खराब हो जानी थी यदि उनके साथ उन पुस्तकों का ज्ञान साझा किया गया होता, आखिर अपस्यु के समान तो नहीं है ना वो सब!

इधर अल्फा पैक भी कनाडा से लौट आया और इन सभी मेहमानों के साथ सामंजस्य बैठाने में अधिक समय भी नहीं लगा उन्हें। इवान और अलबेली की बात भी शायद खुल ही गई होगी, वहीं अलबेली अभी भी अपने नाम के मुताबिक ही चुहलबाज़ी जारी रखे हुए है! वहीं अपस्यु ने अपनी वो विधा जिसके ज़रिए वो आर्यमणि के प्रत्येक प्रहार को चकमा दे रहा था, आर्यमणि को भी सिखा दी है। वैसे काफी रोचक विधा थी वो, पवन के वेग से आने वाले प्रहार का अंदाज़ा लगा लेना। हालांकि, कई पौराणिक कथाओं में भी इसका विवरण मिलता है, परंतु यहां अपस्यु का इतनी कम आयु में इस विधा में पारंगत होना, अपने आप में एक बड़ी बात है। खैर, अब आर्यमणि, जोकि पहले ही अत्यंत शक्तिशाली थी, इस विद्या में पारंगत होने के पश्चात, अजय होता नज़र आ रहा है... बशर्ते, कोई महाबली (जैसे, महाजनिका) उसके विरोधी पक्ष में न हो!

इस बीच जो चीज़ सबसे बढ़िया लगी वो था, आर्यमणि का उन पांचों के दुखों को महसूस करना, और उनकी तकलीफ को अपने अंदर समा लेना। क्या ही बेहतरीन दृश्य था वो! सही मायनो में बहुत कुछ सहा था उन सभी ने, और अच्छा लगा देखकर की आर्यमणि की कृत्य से उन्हें कुछ तो बेहतर महसूस हुआ। आर्यमणि का यही स्वभाव उसे बाकियों से अलग बनाता है, जैसा एक बार शायद भूमि ने भी कहा था, आर्यमणि बेहद ही कोमल हृदय का है, और अपनी अच्छाई को कभी नहीं छोड़ता। ऐसा नहीं है की उसके ये सभी कर्म व्यर्थ ही चले जायेंगे, अपस्यु से द्वंद्व के दौरान हमने देख ही लिया था की जिन प्राणियों की तकलीफें वो सोखता था,वही उसका एक अकाट्य अस्त्र बन चुकी हैं! इससे पहले पेड़ों और वनस्पतियों को हील करने से उसे उन जड़ों और रेशों को काबू करने की क्षमता हासिल हुई थी, स्पष्ट है, प्रत्येक शुद्ध कर्म का सुंदर फल मिलता ही है...

खैर, काफी दिन तक अल्फा पैक के साथ रहे वो पांचों और काफी कुछ उन्होंने खुद सीखा, तो काफी बातें अल्फा पैक से भी साझा की। किन्हीं दो बड़े देशों का सामूहिक युद्धाभ्यास जैसा लगा मुझे ये सब, मानो किसी तीसरे देश के विरुद्ध युद्ध से पूर्व अपने अस्त्रों – शस्त्रों को धार दे रहे हों! अब अपस्यु अपने साथियों के साथ निकल पड़ा है अपनी आगे की यात्रा के लिए। संन्यासी शिवम्, निशांत और उनके साथ आए आचार्य ने काफी कुछ बातें बताई जो गौर करने लायक हैं। निशांत के अनुसार जो पत्थर आर्यमणि के पास हैं, उनसे भी अधिक प्रभावशाली अभी अपस्यु के पास भी मौजूद हैं। वहीं वो सभी पत्थर अपने पीछे निशान भी छोड़ते हैं, अच्छा ही हुआ की वो लोग यहां आए और उन निशानों को मिटा दिया, अन्यथा अपेक्स सुपरनैचुरल शायद वहां पहुंच चुके होते...

वहीं आचार्य ने आर्यमणि से कहा की वो अपने बारे में काफी बातों से अनभिज्ञ है, अर्थात् काफी कुछ बाकी है आर्यमणि के इस सफर में। जो ज्ञान उन्होंने आर्यमणि को प्रदान किया उसकी विराटता कितनी होगी, इससे ही पता चलता है की आर्यमणि एक दिन तक उसके कारण बेहोश रहा। अब लगातार प्रयास से उस सारे ज्ञान को वो अपने भीतर समाहित कर ही लेगा, देखते हैं और कौन – कौन सी चीज़ें सीखी हैं उसने इसके द्वारा। वहीं, आर्यमणि को रक्षक और गुरु, दोनों का ही प्रशिक्षण देने की बात कही आचार्य ने, शायद वो प्रशिक्षण इसी दिव्य – ज्ञान से संबंधित होगा। देखते हैं पुनः कब मुलाकात होगी, सात्विक आश्रम वालों की आर्यमणि से।

आर्यमणि और अपस्तु का द्वंद्व भी बहुत ही बढ़िया लिखा था आपने। प्रत्येक युद्ध के बाद आर्यमणि की कई प्रतिभाएं उजागर हो जाती हैं, सत्य यही है की शेप शिफ्ट करने के बाद, आर्यमणि की शक्तियां एक अलग ही स्तर पर पहुंच जाती हैं... अब देखना ये है की आगे क्या करेगा अल्फा पैक! अपस्यु और उसके साथियों के ज़रिए ज्ञान तो काफी प्राप्त हो गया है इन्हें,अब बारी है उस ज्ञान को कंठस्थ करने की, और ये तो हमें पता ही है को आर्यमणि लगभग एक योगी ही है, अधिक समय नहीं लगेगा उसे इस कार्य में। आर्यमणि और अपस्यु का एक – दूसरे को छोटे और बड़े कहकर संबोधित करने वाले दृश्य भी रमणीय थे!

बहुत ही खूबसूरत अध्याय थे भाई दोनों ही। दोनों के द्वंद्व का विवरण, अपस्यु और आर्यमणि के बीच की बातचीत, ज्ञान का आदान – प्रदान, सब कुछ बहुत ही बढ़िया था!

प्रतीक्षा अगली कड़ी की...
:hug: thankoo so much death King bro... Yep timeline ke hisab se Apasyu abhi Delhi nahi pahuncha hai... So yadi koi Bhanvar padhne wala hai to wo ye 2 update na padhe warna casual relationship ke band to baj hi jana hai lekin ek alag hi thrill ka wo maza na milega... And of-cource sachi ko hatane ke liye log mujhe kosenge bhi nahi :D...

Baharhaal jane dete hain iss baat ko... Baki abhi ke mahol ka kya impact. Padta hai ye to tab samajh me aayega jab kisi barabar ya jyada takatwar se takkar hoga... Lekin filhal waqt hai abhi janne ka ki black forest me aakhir hua kya tha aur jald hi hum log wahan se ru baru Honge...
 
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