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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Death Kiñg

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अध्याय 73 – 74...

ओजल और इवान को फिलहाल के लिए उनका सच ना बताने का फैसल लिया है आर्यमणि और रूही ने, जोकि सर्वथा उचित भी है। जैसा की आर्यमणि ने कहा ही, यदि उन दोनों को ज्ञात हुआ की वो किसी भी मामले में उन एलियंस के बराबर या उनके जैसे हैं, तब बिना परिणाम के बारे में सोचे, वो दोनों नागपुर पहुंच जाएंगे। दोनों अभी युवा हैं, अनुभवहीन हैं, और सबसे बड़ी बात अपनी मां के साथ हुए दुष्कर्म के कारण, प्रतिशोध की ज्वाला भी उनके हृदय में धधक रही है! बहरहाल, आर्यमणि ने कहा है की जब तक उन दोनों के अंदर उनके अनुवांशिक गुणों के लक्षण देखने को नहीं मिलते, तब तक बात छुपाए रखने में ही भलाई है, बस देखना ये है की कौन – कौन सी शक्तियां व काबिलियत उन दोनों के भीतर होगी...

खैर, वो तो आगे चलकर ही पता चलेगा पर अब भी.. दोनों भाई – बहन खाद तो हैं! कॉलेज जाते हुए अधिक समय नहीं हुआ है दोनों को, पर इतने ही समय में ओजल ने अच्छी – खासी पहचान बना ली है वहां के विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच में! अमेरिकन फुटबॉल के मैदान में अपने खेल से सभी को हैरान कर दिया उसने, अब आम इंसानों के समक्ष एक वुल्फ होगा, तो नतीजा यही होना था, यहां इंसानों की गिनती कितनी भी हो, क्या ही फर्क पड़ता है! वैसे ओजल का किरदार अभी तक पूर्णतः स्पष्ट नहीं हुआ है, केवल ओजल ही नहीं बल्कि इवान का चरित्र – चित्रण होना भी अभी बाकी है। अलबेली और रूही को तो हम काफी हद तक समझ चुके हैं, परंतु अब भी लगता है की इन दोनों के बारे में बहुत कुछ जानना अभी बाकी है!

इस बीच जेरी उर्फ मारकस तथा नतालिया का भी परिचय हुआ कहानी में। चलो एक और अच्छा काम कर दिया ओजल ने, नौजवानों की जोड़ियां बनवाने से बढ़िया काम और क्या ही हो सकता है!? :D अच्छा लगा इन सभी टीनेजर्स की अटखेलियां और मज़ाक पढ़कर। वहीं इवान और ओजल को ड्राइविंग लाइसेंस भी मिल चुका है, और मानना पड़ेगा, गाड़ी का चुनाव सचमें अपने जैसा ही किया है दोनों ने.. :roll: देखा जाए तो अच्छे – खासे तरीके से कैलिफोर्निया में पांव जमा चुका है अल्फा पैक। जहां तीनों टीनेजर्स अपनी शिक्षा व मस्ती में व्यस्त हैं वहीं आर्यमणि और रूही भी कुछ दुकान वगेरह के बारे में सोच रहे थे.. परंतु इस सबके बीच जो मोड़ आया है कहानी में, वो इन्हें कैलिफोर्निया छोड़ने पर शायद विवश कर सकता है।

माइक और लिली नॉर्मे.. कहानी में आगमन पर लगा की अच्छे इंसान हैं ये दोनों, इनके क्लिनिक पर हुई घटना के बाद लगा की हां थोड़े लालची हैं पर दिल के साफ हैं, और अध्याय के अंत तक पहुंचते – पहुंचते हम स्पष्टता से कह सकते हैं की.. विश्व में अनेकों तरह की प्रजातियां और प्राणी पाए जाते हैं, कुछ अच्छे तो कुछ बुरे! हां, एलियंस भी होते हैं पर इन सबके बीच एक प्रजाति ऐसी भी होती है जिन्हें हम नाली के कीड़ों के नाम से जानते हैं, माइक और लिली उसी प्रजाति का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं इस कहानी में, आशा करूंगा की इन दोनों कीड़ों को इनकी नाली में फेंककर ही वापिस कैलिफोर्निया लौटेगा आर्यमणि! आखिर, किसी भटके हुए मुसाफिर को उसके घर लौटने में सहायता करने से सुंदर कार्य और क्या हो सकता है!?:dazed:

खैर, इन दोनों नाली के कीड़ों ने एक मनघड़ंत कहानी सुनकर आर्यमणि और रूही को मैक्सिको में एक नारकोटिक्स गैंग के पंजे में फंसा दिया है। सर्वप्रथम, यदि आर्यमणि इतनी आसानी से फैंस गया उनके बिछाए जाल में तो उस लड़के ने हमें निराश कर दिया... इससे बेहतर करने की अपेक्षा थी हमें उससे, हैं संभव है की वो अभी उन लोगों को मूर्ख बना रहा ही,वहां फंसना असल में उसकी योजना का हिस्सा हो परंतु यदि ऐसा नहीं है तो... हां, ये हमला अपेक्षाकृत नहीं था आर्यमणि या रूही के लिए, अचानक ही हुआ ये उनके साथ, हां, माइक और लिली ने उन्हें छला भी, परंतु यदि इस तरह का जाल बिछाकर आर्यमणि को चंद मिनटों के लिए भी काबू किया जा सकता है, तो आगे चलकर बहुत मुश्किल होने वाली है उसे...

यहां तो संभवतः इंसान ही थे, मेरे ख्याल से नारकोटिक्स गैंग के मुख्य सभी पात्र इंसान ही हैं, जब मुकाबला सुपरनैचुरल से होगा तब क्या? खैर, अभी के लिए आर्यमणि और रूही बंदिश से आज़ाद हो चुके हैं परंतु आर्यमणि की हालत ठीक नहीं है। रूही तो फिर भी आर्यमणि का रक्तपान कर शायद ठीक हो गई होगी, पर उसे ठीक होने अर्थात् हील होने में शायद समय लगेगा.. तब तक देखते हैं क्या होता है? इधर इन दोनों से अलग चल रहे, अलबेली, इवान और ओजल को रास्ते में कुछ ऐसे लोग मिले, जो निःसंदेह संदेहास्पद थे। सर्वप्रथम, बॉब इवानविस्की.. इसे रॉस्ले ने टीन वुल्फ्स को बिरादरी का कहकर संबोधित किया था...

ऊपर से इसे जितनी जानकारी थी, जितना सहज था ये तीनों के प्रति, क्या ये माना जा सकता है की बॉब भी एक वुल्फ ही है!? वहीं रॉस्ले, लगता है की वो भी अन्य कैदियों की तरह यहां फंसा हुआ है। अलबेली, इवान और ओजल को कुछ चेतावनियां देकर बॉब तो वहां से निकल गया था, परंतु इन तीनों से अपनी आवाज़ निकालनी शुरू कर दी... आर्यमणि इसपर सहज ही था, अर्थात् चिंतित नहीं हुआ, वहीं बॉब के कथन से लगा की इन तीनों ने कोई गलती कर दी है शायद, देखते हैं आर्यमणि सही है या फिर बॉब... देखना ये भी है की अब ये पांचों क्या करेंगे? क्या जिस काम के लिए आए थे उसे पूरा कर पाएंगे? क्या इस “एडवांस व मॉडर्न” गैंग से पार पाने में सक्षम रहेंगे ये अथवा...

दोनों ही अध्याय बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अच्छे – खासे रोमांच की स्थिति उत्पन्न कर दी है आपने। अगले कुछेक अध्यायों में रोमांच व कुछ बेहतरीन द्वंद्व देखने को मिल सकते हैं!

प्रतीक्षा रहेगी अगले अध्याय की...
 

Golu

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अरे भाई इधर तो दस दिनों में दस अपडेट आ गए है सब को पढ़ लू फिर रिव्यू देता हु
 
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Tiger 786

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भाग:–74





4 के विरूद्ध 1, लौडो के तो इज्जत पर बात आ गयी। 20 बार कोशिश कर चुके थे। सब थक कर बैठ गये और कोच ने फाइनल विसेल बजा दिया। उसे तो पहला ऑफर बॉयज की टीम से ही आ गया। ओजल सबको हाथ जोड़कर कहने लगी, वो सिर्फ 1 या 2 साल के लिये यहां आयी है और कोशिश कर रहे लोग कई सालों से कोशिश कर रहे है। वो टीम में सामिल नहीं होगी लेकिन जेरी और नताली को कुछ-कुछ स्किल सीखा सकती है।


फोर्स तो बहुत हुआ लेकिन ओजल नहीं मानी। कुछ देर में मैदान खाली हो गया। नताली और जेरी आमने-सामने। जेरी अपने घुटने पर बैठ गया और नताली को परपोज कर दिया। नताली ऐटिट्यूड दिखती… "नहीं, तुम मुझे पसंद नहीं।"..


ओजल हंसती हुई… "ये क्या ईगो सेटिस्फेक्शन था।"..


नताली हंसती हुई… "हां.. अपने परिचित को बोलो दोबारा परपोज करे।"..


शर्त सामने थी, और जेरी ने दोबारा परपोज कर दिया। दोनो ने एक्सेप्ट भी किया और एक दूसरे को चूमने भी लगे। लेकिन इन सब के बीच अचानक से ओजल लाइम लाइट में आ गयी। स्कूल में चारो ओर उसी की चर्चा और लोग उस से दोस्ती करने के लिये बेताब। शाम को तीनो ड्राइविंग स्कूल पहुंचे। आज तो वहां भी इनको क्लीन चिट मिल गया और साथ में कुछ कंडीशंस वाले ड्राइविंग लाइसेंस। तीनों बहुत खुश थे और आते ही… "बॉस, रूही… दोनो के लिये सरप्राइज है।"


दोनो अपने कमरे से बाहर निकलते… "क्या हुआ क्या सरप्राइज है।"


तीनों एक साथ…. "हमे ड्राइविंग लाइसेंस मिल गया.. वुहु।"


रूही:- कार खरीदकर ही आना था ना। और हां हमारी तरह फाइनेंस पर उठाना कार।


इवान:- वो क्यों भला..


आर्यमणि:- क्योंकि वक़्त कब बदले और कौन सा शहर हमे बुला रहा हो किसे पता। वैसे एक सरप्राइज और भी है, जो 50-50 में है।


ओजल:- कैसा सरप्राइज..


आर्यमणि:- सुनिश्चित नहीं है, लेकिन हो सकता है हम लोग जल्द ही एक्शन करते नजर आयेंगे। बहुत दिनों से लगता है तुमलोग भी बोर हो गये हो।


तीनों एक साथ… "कार छोड़ो चलो पहले एक्शन की तैयारी करते है।"


रूही:- नहीं-नहीं चलो पहले कार लेते है। वैसे कैसी कार चाहिए तुम तीनो को, कुछ सोचा है।


तीनों एक ही वक़्त में आगे पीछे लगभग एक ही बात कहे… सेवर्लेट" की वो चार सीटर मिनी पिक अप आती है ना वही।"


आर्यमणि:- तीनों थोड़े कम फिल्में देखा करो। चलो चलते है।


कार लेने के बाद पारंपरिक ढंग से स्वागत करके उसे गराज में लाकर लगाया गया। तीनों ऊपर बैठकर बातें कर रहे थे, रूही सबके लिए कुछ पका रही थी इसी बीच वो डॉक्टर अपनी पत्नी के साथ आ गया।.... "हमे तुम्हारा प्रस्ताव मंजूर है। मैंने सोचा वीकेंड टूर प्लान कर रहे है और साथ में अपनी हॉट वाइल लिली (डॉक्टर की पत्नी) भी हो तो सफ़र का आनंद ही कुछ और होगा। तुम्हारे 1 मिलियन कौन से अकाउंट में ट्रांसफर करने है वो बताओ।"..


पैसों की लेनदेन पूरे होने के बाद आर्यमणि, डॉक्टर माईक और उसकी पत्नी से उसका मोबाइल लेकर… "आगे का सफर आप हमारे हिसाब से करेंगे डॉक्टर।"


डॉक्टर:- जैसी तुम्हारी मर्जी।


आर्यमणि ने रूही को उनके साथ एयरपोर्ट भेजकर ऊपर आया और तीनों को अकेले एयरपोर्ट पहुंचकर, साथ मैक्सिको चलने के लिये कहा। उनका काम था बिना खुद को जाहिर किये पीछा करना और नजर बनाये रखना की कोई हमारा पीछा तो नहीं कर रहा। यदि कोई हमारा पीछा कर रहा हो तो उसे सफाई से, रास्ते से हटा देना। उसके बाद किसी जंगल में शिकारी और वुल्फ जो मिलकर काम करते है, उनसे जाकर पहले मैं और रूही मिलने जायेंगे। तुमलोग 12 घंटे बाद जंगल के लिये निकलोगे। रास्ते में हम फूट प्रिंट छोड़ते जायेंगे, उसी हिसाब से आगे बढ़ना और हमारे सिग्नल का इंतजार करना। जैसे ही एक्शन शुरू होते है, तुम तीनो जंगल में फैले हुये दुश्मनों को लिटा देना और यदि तुम पर कोई खतरा आता है तब तुरंत आवाज़ लगाना।


सारी बातें क्लियर हो गयी और इधर तीनों ऑनलाइन टिकिट बुक करके जब रास्ते में थे…. "बॉस तो सिम्पल प्लान बता रहे है। देखो अगर ड्रग का धंधा करते है तो इनके पास कैश पैसा भी उतना ही होगा। इसलिए हमे प्लान में थोड़ी तब्दीली लानी होगी।"… इवान ने कहा..


अलबेली:- बॉस चमरी उधेड़ देंगे यदि पता चला कि हम पैसों को उड़ाने के बारे में सोच रहे थे।


ओजल:- कौन सा वो मेहनत का पैसा कमा रहे है। ज़हर का कारोबार करके कमाया है।


इवान:- और कौन सा हम बुरे काम करते है, हमारे खर्च के लिए भी तो पैसे ऐसे ही लोगों के पास से आये है। सो इन पैसे से हम कुछ लोगों के लिये कुछ ना कुछ अच्छा कर सकते है।


अलबेली:- गधों, तुम एक गैंग का पैसा लोगे और इन पैसों के पीछे 4 गैंग वाले पड़ जायेंगे। फिर रोज लफड़े, फिर रोज झगड़े और अंत में यहां से जाना होगा।


ओजल:- हां लेकिन कहीं हमे कैश लेकर आना पड़ा तो, उसकी तैयारी तो करनी होगी ना। बॉस ने नहीं सोचा तो क्या हुआ, हम एक ट्रक लेकर चलेंगे, बॉस के पास प्रस्ताव रखेंगे। मान गये तो ठीक नहीं तो कोई बात नहीं।


अलबेली:- दोनो भाई बहन मिलकर चुरण तो नहीं दे रहे। कोई बेवकूफी मत करना, अपनी मर्जी से खुलकर जीने का मौका मिला है, मै इसे ट्रैवलिंग में बर्बाद नहीं करना चाहती।


इवान:- तुम्हारे बिना पत्ता भी नहीं हिलेगा, अब खुश।


अलबेली:- हां बहुत खुश।


पांचों एक ही प्लेन में उड़ान भर रहे थे लेकिन अलग-अलग। 360⁰ की आंखें थी सबकी और चारो ओर नजर दिये हुए थे। फ्लाइट मैक्सिको लैंड हुई और सब अपने-अपने रास्ते। इवान, ओजल और अलबेली सीधा पहुंचे मैक्सिको के काला बाजार। वहां से उन्होंने 4 कटाना खरीदा और आर्यमणि के लिए 2 सई वैपन। एक वैन में ट्विंस सवार हो गए और एक पिकअप लेकर अलबेली उनके पीछे बढ़ी।


तीनों जाकर रात के लिये होटल में रुके, और अगली सुबह आर्यमणि के मार्क रास्ते पर चल दिये… एक बड़े सा पाऊं का निशान आर्यमणि और रूही ने बनाया था। तीनों समझ गये उन्हें इस पॉइंट पर रुकना है।


दोनो गाड़ी पार्क करने के बाद तीनों साथ हुये… "ये सुपरनैचुरल और शिकारी की भिड़ंत ऐसे घने जंगलों के बीच क्यों होता है? यहां का माहौल देखकर ही लोगों को हार्ट अटैक आ जाये।"… जंगल के शांत और खौफनाक माहौल को मेहसूस करती, अलबेली कहने लगी।


ओजल:- ऐसा लग रहा है वो.. "दि रिंग".. मूवी में चुड़ैल के कुएं के पास जैसा हॉरर इफेक्ट डाला था, वैसा ही यहां भी डाले है। कहीं सच में कोई चुड़ैल हुई तो?


इवान:- काम पर ध्यान दे, बॉस और रूही रात से यहां है?


"रुको, एक मिनट, ऐसे आगे मत बढ़ो।"… इवान ने दोनो को रोकते हुये कहा।


ओजल:- अब क्या हुआ, काम पर ही ध्यान देने जा रहे है?


इवान:- पाऊं के निशान देखी हो, दोनो ने ऐड़ी से गड्ढे बनाये है, इसका मतलब है रुको, आगे कुछ खतरा है। खतरे को भांपकर फिर आगे बढ़ो।


अलबेली:- हम्मम ! चलो हम फ़ैल जाते है और इस सीमा के बाहर रहकर देखते है आगे कोई खतरा है कि नहीं.…


ओजल:- फुट साइन देखो, क्रॉस है, मतलब आगे बढ़ना ही नहीं है। बॉस ऐसा कैसे कर सकते है।


"वो कर सकता है।".… पिछे से एक आवाज आयी और तीनों चौंककर देखने लगे.. ओजल और अलबेली उसे घेरती.. "तुम कौन हो।"..


आदमी:- मुसाफिर, इस जंगल का मुसाफिर..


इवान:- ये भी हमारे साथ फ्लाइट में था। हमारे साथ ही चला था बर्कले (कारलीफॉर्निया) से।


आदमी:- मेरा नाम बॉब इवानविस्की है, यहां आते–जाते रहता हूं। तुम तीनों चाहो तो मेरे साथ अंदर तक चल सकते हो, या आगे जाने का खतरा मोल लोगे मना करने के बावजूद, ये तुम्हारी मर्जी है।


तीनों आपस में कुछ बातें की और उसके साथ जाने के लिए हामी भर दी। वो आदमी बॉब वहां खड़ा होकर किसी को कॉल लगाया और थोड़ी देर बाद 2 जीप वहां पहुंच गई। उस जीप में तीनों सवार होकर निकल गये। बॉब किसी रॉस्ले नाम के आदमी से मिला, उसने एक बैग बॉब को थमा दिया। बॉब बाग को अपने पास रखते... "रॉस्ले, ये कुछ नए लोग धंधा करना चाहते है, इन्हे धंधा समझा दो। जो भी माल लेंगे कैश लेंगे, बस धंधा पहली बार कर रहे है।"..


रॉस्ले:- थैंक्स बॉब…. क्यों किड्स क्या बेचना पसंद करोगे।


ओजल:- जो सबसे ज्यादा नसिला हो, एक कश और दुनिया हील जाये।


रॉस्ले:- हाहाहाहा… तुम्हारा पैक कहां है।


इवान:- हमे पैक की जरूरत नहीं, हम पहले से ही पैक में है। दि अल्फा पैक। लेकिन पैक और वुल्फ वो ताकत नहीं देते जो ये पैसा देता है।


रॉस्ले:- धंधे में तुम जैसे ही सोच वाले लोग तो चाहिए। सुनो बॉब इतने शानदार लोगो से मिलवाने के लिए आज रात का जश्न मेरे ओर से। तुम तीनों रेस्ट करो, मै कुछ लोगो से बात करके तुम लोगो को धंधे के बारे में सब बताता हूं, वैसे माल कितने का लोगे।


अलबेली:- एक दिन में कितने का बिक जाता है।


रॉस्ले:- कोई लिमिट नहीं है, यहां हम बिलियन का माल सेकंड में बेच देते है।


अलबेली:- ठीक है 1 मिलियन का माल शुरवात के लिये।


रॉस्ले:- धंधा नया शुरू कर रहे हो ना..


इवान:- कम है क्या, ठीक है 5 मिलियन का खरीद लेंगे।


रॉस्ले, उन्हें गन प्वाइंट पर लेते… "9 एमएम सिल्वर बुलेट, इधर गोली अंदर और जान बाहर। बॉब के कारण अपन तुम्हारा इंक्वायरी नहीं किया और तुम फिरकी ले रहा है।


ओजल अपना अकाउंट स्टेटस दिखती… "तुम्हारी औकात नहीं हमरे साथ धंधा करने की। चलो सब"..


बॉब:- अरे बेवकूफों रॉस्ले कह रहा है पहले 10 हजार का माल लो, रिस्क और मार्केट देखो, फिर धीरे-धीरे धंधा बढ़ाओ। पहली बार आये हो। धंधा पहली बार कर रहे हो और तुम्हे 5 मिलियन का माल चाहिए, कोई भी चौंक जायेगा।


रॉस्ले:- ये किड्स बहुत आगे तक जायेगा बॉब। आज तूने अपनी बिरादरी वालो को अपने पास लाकर दिल खुश कर दिया है। रात यही रुक और आराम से पार्टी करके जाना।


बॉब:- रॉस्ले तुम जानते हो मै रुक नहीं सकता..


ओजल:- बॉब हमारे लिये रुक जाओ।


रुक गया बॉब। चारो हाथ में बियर लिये जंगल में भटक रहे थे, तभी ओजल बॉब से उसकी पहचान पूछने लगी। उसने कुछ नहीं बताया सिर्फ इतना ही कहा वो अपने काम के वजह से यहां है, अगर वो तीनो अपने साथी को छुड़ाकर यहां से निकलने में कामयाब हो गये, तो उसके पते पर आकर मिले। बॉब इसके आलवा कोई जानकारी नहीं दिया और उन्हें जंगल घुमाते-घुमाते एक और सीमा तक ले आया…


"इस रास्ते पर चलते जाओगे तो आगे तुम्हे फार्मिंग दिखेगी, वहीं तुम्हारे साथी कैद है। एक बात याद रहे इसके अंदर यदि तुम पकड़े गये, फिर कभी वापस लौटकर नहीं आ सकते। रॉस्ले अच्छा आदमी है, लेकिन मजबूर। यदि सबको बचाते हो तो उसे भी निकाल लेना। वो जितने लोगो को निकालना चाहे उसकी मदद कर देना। तुम्हारे हथियार तुम्हारे कमरे में पहुंच गये है, बेस्ट ऑफ लक।"


इसके ठीक पूर्व रात के समय छिपते-छिपाते जैसे ही रूही और आर्यमणि वहां पहुंचे उन्हें ट्रैप कर लिया गया। गले में सिल्वर का पट्टा, जिसके अंदर करंट। एक बार करंट का कमांड दिया उन लोगो ने, तो रूही और आर्यमणि गला पकड़ कर बैठ गये और रहम की भीख मांगने लगे। उन्हें बेबस देखकर वो शिकारी हंसे और, हाथ और पाऊं में भी ठीक वैसा ही पट्टा लगा दिया। ये डॉक्टर माइक और लीली का बिछाया जाल था जिसमे दोनो जान बूझकर फंस चुके थे।


डॉक्टर माईक और लिली को वहां रुकना पड़ा, क्योंकि एक पुरा दिन आर्यमणि और रूही का काम देखने के बाद ही उनको रात में पेमेंट मिलती। वहां वुल्फ का काम देखकर आर्यमणि दंग था। कई किलोमीटर तक का फैला फार्म, और नशे के पौधों को पानी की जगह वुल्फ ब्लड से सीचते थे। एक रात में वुल्फ ब्लड से सींचकर पुरा पौधा तैयार कर लेते थे।… दोनो ने जब यहां का हाल देखा, आखों के सामने हैवानियत का ऐसा नजारा देखकर दंग थे…. "बॉस ऐसा भी होता है क्या?"..


आर्यमणि:- दुनिया इनोवेटिव हो गयी है रूही। ये नया अनुभव भी करो और दिमाग को पूरा काबू में रखकर ये देखने की कोशिश करो, इन लाचारों को कैसे बचाएं।


एक रात से अगले दिन का शाम के 5 बज रहे थे। शाम का वक्त था, लेकिन जंगल के अंदर घनघोर अंधेरा, ऐसा लग रहा था अमवस्या की रात थी। रूही और आर्यमणि दोनो आसपास लेटे थे। रूही बेसुध कोई होश ही नहीं, उसी की तरह बाकियों की भी हालत थी। उस बड़े से फार्म में सकड़ो वेयरवॉल्फ थे, जिनके हाथ, पाऊं, और गले में चांदी के पट्टे लगे थे। हर पट्टे मोटी जंजीर से लगा हुआ था। कोई अपनी मर्जी से खून बहाता तो ठीक वरना पट्टे के अंदर लगे हाई वोल्टेज वाले करेंट को जैसे ही ट्रिगर किया जाता, वुल्फ मिर्गी के रोगी समान छटपटाते बेहोश हो जाते। बेहोश वुल्फ के हाथ से खून निकलना कौन सी बड़ी बात थी। उनके शरीर से कतरा-कतरा खून का निचोड़ लिया जाता था।


आर्यमणि बड़ी सफाई से अपना पट्टा खोल चुका था। अपने दांत से होंठ को काटकर खून निकाला और रूही के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगा। जैसे ही खून का कतरा रूही के अंदर गया, गहरी श्वांस लेती वो अपने आखें खोल ली और पागलों की तरह खून चूसने लगी। होश ही नहीं कुछ भी बस चूसती रही। तभी रूही के कान में वुल्फ साउंड सुनाई दिया। यह आवाज ओजल, इवान, और अलेबली की थी। इधर बॉब ने जैसे ही आर्यमणि और रूही का पता बताया। तीनों अपने कमरे से हथियार निकालकर उस सीमा तक पहुंच चुके थे जिसके आगे फार्मिंग शुरू होती थी और वहीं से खड़े होकर वुल्फ साउंड दे रहे थे।


रूही होंठ छोड़कर जैसे ही वुल्फ साउंड का जवाब देने के लिए मुंह खोली… "नहीं, मत आवाज़ दो, उनको निपटने दो। हमे वक़्त मिल गया है इन सबको बचाने का। जबतक ये लोग टीन्स के साथ उलझे है, तुम सबको खोलो। तुम्हे सिल्वर एलर्जी तो नहीं।"..


रूही:- आर्यमणि, तुम्हारी हालत जारा भी ठीक नहीं, तुम्हारे बिना हम यहां से कैसे निकलेंगे?


आर्यमणि, रूही को घूरते.… "ओय पागल मैं मारने वाला नही जो इतने शोक में डूबकर बातें कर रही हो। अब जो कहा है वो करो, या डर लग रहा है सिल्वर एलर्जी का।


रूही मस्ती में आर्यमणि के होंठ चूमती… "तुमने कहा है ना… एलर्जी होगी भी, तो भी करूंगी। जल्दी से रिकवर हो जाओ, सब साथ घर चलेंगे।"


वुल्फ साउंड जैसे ही आया… बॉब अपना सर पीटते… "ये टीन, एंट्री तो बहुत समझदारी वाली मारे थे लेकिन ये क्या बेवकूफी कर गये।


यहां की जगह व्यूह जैसी बनी थी। ड्रग्स माफिया के इलाके में घुसते ही पहला दायरा 200 मीटर का था। ये दायरा प्रवेश द्वार पर खड़े सुरक्षा कर्मी के अंदर आता था। इनका काम था किसी बाहर वाले को 200 मीटर के आगे न जाने दे। 200 मीटर के आगे सुरक्षा कर्मी की सीमा थी। ये लोग वहां से अंदर 300 मीटर की सुरक्षा देखते थे। कोई भटका हुआ उनकी से सीमा में आ जाये तो उन्हे प्रवेश द्वार वाले सुरक्षा कर्मी के पास पहुंचाना इनका काम था। हां लेकिन कोई इनकी बात न माने तो सीधा गोली मार देते थे। कुल 500 मीटर के दायरे में 2 सुरक्षा कर्मी की टीम तैनात थी। और उसके आगे फार्मिंग का इलाका शुरू होता था जो मिलो फैला था और वहां की सुरक्षा एक बड़े से मिलिट्री बंकर से करते थे।
Lazwaab update
 
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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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ओजल और इवान को फिलहाल के लिए उनका सच ना बताने का फैसल लिया है आर्यमणि और रूही ने, जोकि सर्वथा उचित भी है। जैसा की आर्यमणि ने कहा ही, यदि उन दोनों को ज्ञात हुआ की वो किसी भी मामले में उन एलियंस के बराबर या उनके जैसे हैं, तब बिना परिणाम के बारे में सोचे, वो दोनों नागपुर पहुंच जाएंगे। दोनों अभी युवा हैं, अनुभवहीन हैं, और सबसे बड़ी बात अपनी मां के साथ हुए दुष्कर्म के कारण, प्रतिशोध की ज्वाला भी उनके हृदय में धधक रही है! बहरहाल, आर्यमणि ने कहा है की जब तक उन दोनों के अंदर उनके अनुवांशिक गुणों के लक्षण देखने को नहीं मिलते, तब तक बात छुपाए रखने में ही भलाई है, बस देखना ये है की कौन – कौन सी शक्तियां व काबिलियत उन दोनों के भीतर होगी...

खैर, वो तो आगे चलकर ही पता चलेगा पर अब भी.. दोनों भाई – बहन खाद तो हैं! कॉलेज जाते हुए अधिक समय नहीं हुआ है दोनों को, पर इतने ही समय में ओजल ने अच्छी – खासी पहचान बना ली है वहां के विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच में! अमेरिकन फुटबॉल के मैदान में अपने खेल से सभी को हैरान कर दिया उसने, अब आम इंसानों के समक्ष एक वुल्फ होगा, तो नतीजा यही होना था, यहां इंसानों की गिनती कितनी भी हो, क्या ही फर्क पड़ता है! वैसे ओजल का किरदार अभी तक पूर्णतः स्पष्ट नहीं हुआ है, केवल ओजल ही नहीं बल्कि इवान का चरित्र – चित्रण होना भी अभी बाकी है। अलबेली और रूही को तो हम काफी हद तक समझ चुके हैं, परंतु अब भी लगता है की इन दोनों के बारे में बहुत कुछ जानना अभी बाकी है!

इस बीच जेरी उर्फ मारकस तथा नतालिया का भी परिचय हुआ कहानी में। चलो एक और अच्छा काम कर दिया ओजल ने, नौजवानों की जोड़ियां बनवाने से बढ़िया काम और क्या ही हो सकता है!? :D अच्छा लगा इन सभी टीनेजर्स की अटखेलियां और मज़ाक पढ़कर। वहीं इवान और ओजल को ड्राइविंग लाइसेंस भी मिल चुका है, और मानना पड़ेगा, गाड़ी का चुनाव सचमें अपने जैसा ही किया है दोनों ने.. :roll: देखा जाए तो अच्छे – खासे तरीके से कैलिफोर्निया में पांव जमा चुका है अल्फा पैक। जहां तीनों टीनेजर्स अपनी शिक्षा व मस्ती में व्यस्त हैं वहीं आर्यमणि और रूही भी कुछ दुकान वगेरह के बारे में सोच रहे थे.. परंतु इस सबके बीच जो मोड़ आया है कहानी में, वो इन्हें कैलिफोर्निया छोड़ने पर शायद विवश कर सकता है।

माइक और लिली नॉर्मे.. कहानी में आगमन पर लगा की अच्छे इंसान हैं ये दोनों, इनके क्लिनिक पर हुई घटना के बाद लगा की हां थोड़े लालची हैं पर दिल के साफ हैं, और अध्याय के अंत तक पहुंचते – पहुंचते हम स्पष्टता से कह सकते हैं की.. विश्व में अनेकों तरह की प्रजातियां और प्राणी पाए जाते हैं, कुछ अच्छे तो कुछ बुरे! हां, एलियंस भी होते हैं पर इन सबके बीच एक प्रजाति ऐसी भी होती है जिन्हें हम नाली के कीड़ों के नाम से जानते हैं, माइक और लिली उसी प्रजाति का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं इस कहानी में, आशा करूंगा की इन दोनों कीड़ों को इनकी नाली में फेंककर ही वापिस कैलिफोर्निया लौटेगा आर्यमणि! आखिर, किसी भटके हुए मुसाफिर को उसके घर लौटने में सहायता करने से सुंदर कार्य और क्या हो सकता है!?:dazed:

खैर, इन दोनों नाली के कीड़ों ने एक मनघड़ंत कहानी सुनकर आर्यमणि और रूही को मैक्सिको में एक नारकोटिक्स गैंग के पंजे में फंसा दिया है। सर्वप्रथम, यदि आर्यमणि इतनी आसानी से फैंस गया उनके बिछाए जाल में तो उस लड़के ने हमें निराश कर दिया... इससे बेहतर करने की अपेक्षा थी हमें उससे, हैं संभव है की वो अभी उन लोगों को मूर्ख बना रहा ही,वहां फंसना असल में उसकी योजना का हिस्सा हो परंतु यदि ऐसा नहीं है तो... हां, ये हमला अपेक्षाकृत नहीं था आर्यमणि या रूही के लिए, अचानक ही हुआ ये उनके साथ, हां, माइक और लिली ने उन्हें छला भी, परंतु यदि इस तरह का जाल बिछाकर आर्यमणि को चंद मिनटों के लिए भी काबू किया जा सकता है, तो आगे चलकर बहुत मुश्किल होने वाली है उसे...

यहां तो संभवतः इंसान ही थे, मेरे ख्याल से नारकोटिक्स गैंग के मुख्य सभी पात्र इंसान ही हैं, जब मुकाबला सुपरनैचुरल से होगा तब क्या? खैर, अभी के लिए आर्यमणि और रूही बंदिश से आज़ाद हो चुके हैं परंतु आर्यमणि की हालत ठीक नहीं है। रूही तो फिर भी आर्यमणि का रक्तपान कर शायद ठीक हो गई होगी, पर उसे ठीक होने अर्थात् हील होने में शायद समय लगेगा.. तब तक देखते हैं क्या होता है? इधर इन दोनों से अलग चल रहे, अलबेली, इवान और ओजल को रास्ते में कुछ ऐसे लोग मिले, जो निःसंदेह संदेहास्पद थे। सर्वप्रथम, बॉब इवानविस्की.. इसे रॉस्ले ने टीन वुल्फ्स को बिरादरी का कहकर संबोधित किया था...

ऊपर से इसे जितनी जानकारी थी, जितना सहज था ये तीनों के प्रति, क्या ये माना जा सकता है की बॉब भी एक वुल्फ ही है!? वहीं रॉस्ले, लगता है की वो भी अन्य कैदियों की तरह यहां फंसा हुआ है। अलबेली, इवान और ओजल को कुछ चेतावनियां देकर बॉब तो वहां से निकल गया था, परंतु इन तीनों से अपनी आवाज़ निकालनी शुरू कर दी... आर्यमणि इसपर सहज ही था, अर्थात् चिंतित नहीं हुआ, वहीं बॉब के कथन से लगा की इन तीनों ने कोई गलती कर दी है शायद, देखते हैं आर्यमणि सही है या फिर बॉब... देखना ये भी है की अब ये पांचों क्या करेंगे? क्या जिस काम के लिए आए थे उसे पूरा कर पाएंगे? क्या इस “एडवांस व मॉडर्न” गैंग से पार पाने में सक्षम रहेंगे ये अथवा...

दोनों ही अध्याय बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अच्छे – खासे रोमांच की स्थिति उत्पन्न कर दी है आपने। अगले कुछेक अध्यायों में रोमांच व कुछ बेहतरीन द्वंद्व देखने को मिल सकते हैं!

प्रतीक्षा रहेगी अगले अध्याय की...
Bob ivanvisky, yah naam Sayad Maine King's man the golden circle movie me suna tha, jo visky brandy soft drink karke the agents... Kahi Apne Nainu bhaya ne unhe hi to introduce kiya mirch masala lga kr... 🤔
 
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andyking302

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भाग:–70





नजारा अकल्पनीय था। आर्यमणि जितना तेज हो सकता था उतना तेज हमला करता और वह लड़का उस से भी तेज बचते हुये जवाबी हमला करता। तेजी के साथ लगातार पड़ते मुक्कों की आवाज चारो ओर गूंज रही थी। एक तो दम से मारा गया मुक्का उसमे भी बिजली की रफ्तार। आर्यमणि के जिस अंग पर मुक्का लगता वह हिस्सा 4 इंच तक धंस जाता। कुछ ही पल में आर्यमणि का पूरा बदन सूज चुका था। हांफते और बदहाली में वह पीछे हटा और खड़ा होकर अपने दर्द से उबरने की कोशिश करने लगा। शरीर में इतनी क्षति हुई थी कि अब वह हाथों से हील नही हो पा रहा था। आंख की रौशनी बिलकुल धुंधली हो गयी थी और दिमाग अब गहरी निद्रा में जाने के लिये तड़प रहा था। फिर भी आर्यमणि खुद को संभाले अपने नए दुश्मन को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अपनी जगह से एक कदम भी इधर–उधर नही हुआ था।


खुद से उम्र में कहीं छोटे एक तिल्लिश्मी बालक को आर्यमणि ने एक बार और ध्यान से देखने की कोशिश की। लेकिन नजर इतनी साफ नही थी कि अब उस बालक का चेहरा अच्छे से देख पाये। फिर निकली आर्यमणि के मुंह से दिल दहला देने वाली आवाज। यूं तो इस आवाज का दायरा सीमित था, लेकिन सीमित दायरे में गूंजी ये आवाज किसी भयंकर तूफान से कम नही था।बवंडर सी आंधी जिस प्रकार आती है, आर्यमणि की दहाड़ ठीक वैसी ही बवंडर तूफान उठा रहा थे।


आर्यमणि अपना शेप पूर्ण रूप से बदल चुका था। हीरे की भांति चमकीला बदन, विशाल और कठोर। ऐसा लग रहा था चमरी के जगह सीसा रख दिया हो, जिसके नीचे पूरे बदन पर फैले रक्त नलिकाओं को देखा जा सकता था, जिसमे बिलकुल गहरे काला रंग का खून बह रहा था। आर्यमणि अपने विकराल रूम में आ चुका था। उसका बदन पूरी तरह से हील हो चुका था तथा अपनी दहाड़ से उठे बवंडर के बीच एक बार फिर आर्यमणि उस लड़के के सामने खड़ा था।


एक बार फिर मारने की कोशिश अपने चरम पर थी। आर्यमणि पूरी रफ्तार से हमला किया और नतीजा फिर से वही हुआ, काफी तेज रिफ्लेक्स और जवाबी मुक्का उतने ही रफ्तार से लगा। फिर से खेल शुरू हो चुका था, लेकिन इस बार उस लड़के का मुक्का जब भी पड़ता पहले के मुकाबले कमजोर होता। अब तक आर्यमणि उस लड़के को छू भी नहीं पाया था, लेकिन फिर भी इस बार वह लड़का धीमा पड़ता जा रहा था।


आर्यमणि ने हथेली से जितने भी दर्द लिये। जितने भी टॉक्सिक उसने आज तक समेटा था, सब के सब उसके रक्त कोशिकाओं में बह रहा था। जब भी वह लड़का आर्यमणि के बदन पर मुक्का चलाता, ऐसा लगता उसका मुक्का 4 इंच तेजाब में घुस गया हो। ऐसा तेजाब जिसका असर बाद में भी बना रहता। और यही वजह थी कि वह लड़का धीरे–धीरे कमजोर पड़ने लगा था। एक वक्त ऐसा भी आया जब मुक्का तो पड़ रहा था लेकिन अब मानो आर्यमणि के शरीर को मात्र स्पर्श जैसा महसूस हो रहा हो। हां उस लड़के के रिफ्लेक्स अब भी काफी तेज थे। आर्यमणि उसे छू नही पा रहा था लेकिन जवाबी मुक्का भी अब बेअसर सा दिख रहा था।


कुछ वक्त बिताने के बाद आर्यमणि के हाथ अब मौका आ चुका था। पूर्ण रूप से तैयार आर्यमणि ने पूरे दहाड़ के साथ एक तेज हमला किया। आर्यमणि के हमले से बचने के लिये वह लड़का मुक्के के दिशा से अपने शरीर को किनारे किया और जैसे ही अपना मुक्का चलाया, ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने अपना दूसरा मुक्का उस लड़के के मुक्के पर ही दे मारा। लागातार टॉक्सिक से टकराने के कारण उस लड़के का मुक्का पहले ही धीमा पड़ गया था, और उसके पास इस बार आर्यमणि के मुक्के से बचने का कोई काट नही था।


एक सम्पूर्ण जोरदार मुक्का ही तो पड़ा था और वह कहावत सच होती नजर आने लगी... "100 चोट सोनार की, एक चोट लोहार की"…. ठीक उसी प्रकार आर्यमणि के एक जोरदार मुक्के ने उस लड़के को हक्का बक्का कर दिया। वो तो शुक्र था कि उस लड़के ने ना तो सामने से मुक्का में मुक्का भिड़ाया था और न ही आर्यमणि का जब मुक्का उसके कलाई के आस–पास वाले हिस्से में लगा, तो उस हिस्से के ठीक पीछे कोई दीवार या कोई ऐसी चीज रखी हो जो रोकने का काम करे। यदि आर्यमणि के मुक्के और किसी दीवार के बीच उस बालक का वो कलाई का हिस्सा आ गया होता, तब फिर सबूत न रहता की उस हाथ में पहले कभी कलाई या उसके नीचे का पंजा भी था।


आर्यमणि का मुक्का पड़ा और उस लड़के का हाथ इतनी तेजी से हवा में लहराया की उसके कंधे तक उखड़ गये। हवा में लहराने से उसकी सारे नशे खींच चुकी थी। दवाब के कारण उसके ऊपरी हाथ में कितने फ्रैक्चर आये होंगे ये तो उस लड़के का दर्द ही बता रहा होगा लेकिन जिस हिस्से में आर्यमणि का मुक्का लगा वह पूरा हिस्सा झूल रहा था। दर्द और पीड़ा से वह लड़का अंदर ही अंदर पागल हो चुका था। एक हाथ ने पूरा काम करना बंद कर दिया था, लेकिन जज्बा तो उसका भी कम नही था। बिना दर्द का इजहार किये वह लड़का अब भी अपने जगह पर ही खड़ा था। न तो वह अपनी जगह से हिला और न ही लड़ाई रोकने के इरादे से था।


आर्यमणि हमला करना बंद करके 2 कदम पीछे हुआ... "जितना वक्त लेना है, लेकर खुद को ठीक करो।"..


वह लड़का अपने कमर से एक खंजर निकालते.... "तुम्हारी तरह खुद को मैं ठीक नही कर सकता लेकिन तैयार हूं।"… इतना कहकर उस लड़के ने आर्यमणि को आने का इशारा किया। फिर से वही तेज–तेज हमले का सिलसिला शुरू हो गया। अब वह लड़का खंजर थाम ले या बंदूक। उसके दोनो हाथ के मुक्के ने आर्यमणि के बदन का इतना टॉक्सिक छू लिया था कि अब वह काम करने से तो रहा। मात्र एक पंच का तो मामला था, आर्यमणि जाते ही एक मुक्का घूमाकर दे दिया। उस लड़के का दूसरा हाथ भी पूरा बेकार हो चुका था।


एक बार फिर आर्यमणि अपना कदम पीछे लिया। 2 कदम नहीं बल्कि पूरी दूरी बनाकर अब उसकी हालत का जायजा ले रहा था और उस लड़के को भी पूरा वक्त दिया, जैसे की उसने पहले आर्यमणि को दिया था। वह लड़का दर्द में भी मुस्कुराया। दोनो हाथ में तो जान बचा नही था, लेकिन फिर भी आंखों के इशारे से लड़ने के लिये बुला रहा था। आर्यमणि अपना कदम आगे बढ़ाते…. "जैसे तुम्हार मर्जी"…कहने के साथ ही अपनी नब्ज को काटकर तेज फूंक लगा दिया।


अंदर की फूंक बहुत ज्यादा तेज तो नही लेकिन तेज तूफान उठ चुका था। खून की बूंदें छींटों की तरह बिखर रही थी। तूफान के साथ उड़ते छींटे किसी घातक अम्लीय वर्षा से कम न था। लेकिन उस लड़के का रिफ्लेक्स.… आती हुई छींटों को भी वह किसी हथियार के रूप में देख रहा था। किंतु वह लड़का भी क्या करे? यह एक दिशा से चलने वाला कोई मुक्का नही था, जो अपने रिफ्लेक्स से वह लड़का खुद को मुक्के की दिशा से किनारे कर लेता। चाहु दिशा से आर्यमणि का रक्त बारिश चल रहा था। कुछ छींटों से तो बच गया, लेकिन शरीर के जिस हिस्से पर खून की बूंद गिरी, वह बूंद कपड़े समेत शरीर तक में छेद कर देता। ऐसा लग रहा था आर्यमणि ने उस लड़के के पूरे बदन में ही छेद–छेद करने का इरादा बना लिया था।



बड़े आराम से आर्यमणि अपना एक–एक कदम आगे बढ़ाते हुये, अपने फूंक को सामने की निश्चित दिशा देते बढ़ रहा था। आर्यमणि उस लड़के के नजदीक पहुंचकर फूंकना बंद किया और अपनी कलाई को पकड़ कर हील किया। आर्यमणि पहली बार उस लड़के के भावना को मेहसूस कर रहा था। असहनीय पीड़ा जो उसकी जान ले रही थी। अब कहां इतना दम बचा की खुद को बचा सके। हां किंतु आर्यमणि उसे अपने तेज हथौड़े वाला मुक्के का स्वाद चखाता, उस से पहले ही वह लड़का बेहोश होकर धम्म से गिर गया।


आर्यमणि इस से पहले की आगे कुछ सोचता उसके पास 2 लोग और पहुंच चुके थे.… "आर्य इसे जल्दी से उठा, और कॉटेज लेकर चल"….. यह आवाज सुनकर आर्यमणि के चेहरे पर जैसे मुस्कान आ गयी हो। मुड़कर देखा तो न केवल वहां निशांत था, बल्कि संन्यासी शिवम भी थे। आर्यमणि के चेहरे की भावना बता रही थी की वह कितना खुश था। लेकिन इस से पहले की वह अपनी भावना जाहिर करता, निशांत दोबारा कह दिया... "गधे, भरत मिलाप बाद में करेंगे, पहले उस लड़के की जान बचाओ और कॉटेज चलो"…


आर्यमणि, उस लड़के को अपने गोद में उठाकर, उसके जख्म को हील करते कॉटेज के ओर कदम बढ़ा दिया... "ये मेरा कोई टेस्ट था क्या?"..


निशांत:– हां कह सकते हो लेकिन टेस्ट उस लड़के का भी था।


आर्यमणि:– क्या ये तुम लोगों में से एक है?


संन्यासी शिवम:– हां हम में से एक है और इसे रक्षक बनना था इसलिए अपना टेस्ट देने आया था।


आर्यमणि:– ये रक्षक क्या होता है?


संन्यासी शिवम:– साथ चलो, हमारे आचार्य जी आ चुके है वो सब बता देंगे...


सभी कॉटेज पहुंचे। कॉटेज में भरा पूरा माहोल था। मीटर जितनी सफेद दाढ़ी में एक वृद्ध व्यक्ति के साथ कुछ संन्यासी और योगी थे। एक प्यारी सी किशोरी भी थी, जो उस लड़के को मूर्छित देखते ही बेहोश हो गयी। शायद उसे किसी प्रकार का पैनिक अटैक आया था। संन्यासी शिवम के कहने पर आर्यमणि ने उस लड़की का भी उपचार कर दिया। दोनो किशोर गहरी निद्रा में थे। आर्यमणि दोनो को ऊपर लिटाकर नीचे सबके बीच आया।


आर्यमणि, अपने दोनो हाथ जोड़ते... "यहां चल क्या रहा है? वो लड़का कौन है जिसे मरना पसंद था लेकिन अपनी जमीन उसने छोड़ा नहीं। क्या आप लोग भी प्रहरी तो नही बनते जा रहे, जो इंसानों को ही हथियार बना रहे हो।


निशांत:– कोई भी बात समझ ले न पहले मेरे भाई..


आर्यमणि:– समझना क्या है यार... कभी किसी जानवर का दर्द लो और उसे सुकून में देखो। तुम्हारी अंतरात्मा तक खुश हो जायेगी। वो एहसास जब तुम बेजुबानों के आंखों में अपने प्रति आभार मेहसूस करते देखते हो। मुख से कुछ बोल नही सकते लेकिन अपने रोम–रोम से वह धन्यवाद कहते है। जान लेना आसान है, पर जान बचाने वाले से बढ़कर कोई नही...


निशांत:– मुझ पर हमला होते देख तुमने तो कई लोगों की कुरुरता से जान ले ली थी। जिसकी तू बात कर रहा है उसके आंखों के सामने उसकी मां को जिंदा आग की भट्टी में झोंक दिया। लोग यहां तक नही रुके। जिसके साथ पढ़ा था, हंसा, खेला, और पूरे साल जिनके साथ ही रहता था, उतने बड़े परिवार को एक साथ आग की भट्टी में झोंक दिया। उसे कैसा होना चाहिए? तूने उस लड़के की उम्र देखी न, अब तू ही तय कर ले की उसकी मानसिकता कैसी होनी चाहिए?


आर्यमणि कुछ देर खामोश रहने के बाद.… "तो क्या वो मेरे हाथ से मारा जाता तो उसका बदला पूरा हो जाता? या फिर मुझे कहते बदला लेने?


आचार्य जी:– "उसका नाम अपस्यु है। अपने गुरुकुल काल के दूसरे वर्ष में उसने अपनी सातवी इंद्री जागृत कर ली थी। पांचवे वर्ष में सारी इंद्रियों पर नियंत्रण पा चुका था। हर शास्त्र का ज्ञान। जितनी हम सिद्धियां जानते है उन पूर्ण सिद्धियों का ज्ञान। ये सब उसने गुरुकुल के पांचवे साल तक अर्जित कर लिया था। उसके और हमारे गुरु, गुरु निशी उसे एक रक्षक बनाना चाहते थे। उसका अस्त्र और शस्त्र का प्रशिक्षण शुरू ही होने वाला था कि उसकी जिंदगी ही पूरी बदल गयी।"

"जिस वक्त गुरु निशी की मृत्यु हुई, अपस्यु ही उनका प्रथम शिष्य थे। प्रथम शिष्य यानी गुरु के समतुल्य। अब इसे अपस्यु की किस्मत कहो या नियति, वह अचानक सात्त्विक आश्रम का गुरु बन गया। बीते कुछ महीनों में जिस प्रकार से तुमने योग और तप का आचरण दिखाया, अपस्यु को लग गया कि तुम आश्रम के सबसे बेहतर गुरु बनोगे। एक विशुद्ध ब्राह्मण जो अलौकिक मुहरत में, ग्रहों के सबसे उत्तम मिलन पर एक अलौकिक रूप में जन्म लिये।"

"मैने ही उनसे कहा था कि आर्यमणि एक रक्षक के रूप में ज्यादा विशेष है और उसका अलौकिक जन्म भी उसी ओर इशारा कर रहे। अपस्यु नही माना और कहने लगा "यदि वो बिना छल के केवल अपने शारीरिक क्षमता से तुम्हे हरा देगा, तब हमे उसकी बात माननी होगी।" अपस्यु, तुम्हारे सामने नही टिक पाया और रक्षक न बनने के मलाल ने उसे अपनी जगह से हिलने नही दिया।


आर्यमणि:– छल मतलब कैसा छल करके जीत जाते...


निशांत:– ठीक वैसे ही जैसे पारीयान के तिलिस्म में हमने अनजाने में उस शेर को छला था, भ्रम से। कई तरह के मंत्र से। और वो तो आश्रम के गुरुजी हुये, उसके पास तो वो पत्थर भी है जो तुम्हे बांध दे। यहां के पत्थरों के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रभावशाली।


आर्यमणि:– और वो लड़की कौन थी.. जो इस बालक गुरुजी को देखकर बेहोश हो गयी।


निशांत:– उसकी परछाई.. उसकी प्रीयसी... अवनी.. वह गुरुजी को बेहोशी की हालत में घायल देख ले, फिर उसकी स्थिति मरने जैसी हो जाती है...


"इतनी छोटी उम्र में ऐसा घनिष्ठ रिश्ता... अतुलनीय है..."… आर्यमणि इतना कहकर निशांत को खींचकर एक थप्पड़ लगा दिया...


निशांत:– अब ये क्यों?


आर्यमणि:– घर के अंदर आते ही ताक झांक करने और उन 40 पत्थरों को देखने के लिये, जिसे मैंने अब तक न दिखाया था...


निशांत:– मैने कब देखा उसे...


आर्यमणि:– अच्छा इसलिए थोड़ी देर पहले मुझे कह रहा था की बालक गुरुजी के पास ऐसे पत्थर है जो मेरे पास रखे पत्थरों के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रभावशाली..


निशांत:– पकड़ लिया तूने... वैसे गलती हमारी नही है। ऐसे पत्थर को जबतक सही तरीके से छिपा कर नही रखोगे वह अपने पीछे निशान छोड़ती है।


आर्यमणि:– क्या मतलब निशानी छोड़ती है...क्या इस पत्थर के सहारे इसका मालिक यहां तक पहुंच सकता है...


आचार्य जी:– अब नही पहुंचेगा... सभी निशानी को मिटाकर एक भ्रमित निशान बना दिया है जो दुनिया के किसी भी कोने में पत्थर के होने के संकेत दे सकते है। शुक्र है ये पत्थर पानी के रास्ते लाये वरना कहीं हवा या जमीनी मार्ग से लाते तब तो इसका मालिक कबका न पहुंच गया होता।


आर्यमणि:– कमाल के है आप लोग। निशांत ने अभी कहा कि बालक गुरुजी बिना छल के लड़े, तो उनका शरीर हवा जैसा लचीला क्यों था?


आचार्य जी:– तुम्हारा शरीर भी तो एक प्राकृतिक संरचना ही है ना, फिर तुम कैसे रूप बदलकर अपने शरीर की पूरी संरचना बदल लेते हो। ये शरीर अपने आप में ब्रह्म है। इसपर जितना नियंत्रण होगा, उतना ही विशेष रूप से क्षमताओं को निखार सकते है।


आर्यमणि:– एक बात बताइए की जब आपके पास सब कुछ था। अपस्यु जब अपने शिक्षा के पांचवे वर्ष सारी सिद्धियां प्राप्त कर लिया था। फिर उसकी मां, गुरुजी, ये सब कैसे मर गये। क्या अपस्यु इन सबकी रक्षा नही कर सकता था?


आचार्य जी:– होने को तो बहुत कुछ हो सकता था लेकिन गुरु निशी किसी साजिश का शिकार थे। भारे के कातिल और सामने से मारने वाले में इतना दम न था। किसी ने पीछे से छल किया था जिसके बारे में अब पता चला है... अपस्यु के साथ में परेशानी यह हो गयी की वह बहुत छोटा था और मंत्रों का समुचित प्रयोग उस से नही हो पाया।


आर्यमणि:– सारी बात अपनी जगह है लेकिन बिना मेरी सहमति के आप मुझे रक्षक या गुरु कैसे बना सकते है। बताओ उस लिलिपुटियन (अपस्यु) ने मुझे ऐसा मारा की मेरे शरीर के पुर्जे–पुर्जे हिला डाले। यदि मैंने दिमाग न लगाया होता तब तो वह मुझे पक्का घुटनों पर ला दिया होता। उसके बाद जब मैंने उसके दोनो कलाई तोड़ डाले फिर भी वह अपनी जगह छोड़ा नहीं। बताओ कहीं मैं सीने पर जमाकर एक मुक्का रख दिया होता तो। और हां मैं अपने पैक और ये दुनिया भ्रमण को छोड़कर कुछ न बनने वाला। रक्षक या गुरु कुछ नही। बताओ ये संन्यासी शिवम, इनके साथ और न जाने कितने महर्षि और योगी है, जो आश्रम का भार संभाल सकते हैं लेकिन आप आचार्य जी उस बच्चे को छोड़ नही रहे। उल्टा मैं जो आपके कम्युनिटी से दूर–दूर तक ताल्लुक नहीं रखता, उसे गुरु या रक्षक बनाने पर तुले हो।


आचार्य जी:– बातें बहुत हो गयी। मैं तुम्हे रक्षक और गुरु दोनो के लिये प्रशिक्षित करूंगा। और यही अपस्यु के लिये भी लागू होगा। मुझे समझाने की जरूरत नहीं की क्यों तुम दोनो ही। अपस्यु जानता है कि वही गुरु क्यों है। अब तुम्हारी बारी... अपने क्ला मेरे मस्तिष्क में डालो...


आर्यमणि:– हो ही नही सकता... मैने रूही से वादा किया है कि ज्ञान पाने के लिये कोई शॉर्टकट नही...


आचार्य जी:– तुम्हारे पास जो है वो अलौकिक वरदान है। इस से समाज कल्याण के लिये ज्ञान दे रहा हूं। तुम्हारी मर्जी हो तो भी ठीक, वरना जब तुम्हे ज्ञान होगा तब खुद ही समझ जाओगे की क्यों हमने जबरदस्ती किया?


आर्यमणि:– रुको तिलिस्मी लोगो, मैं अपनी मर्जी से क्ला डालता हूं। पहले लिथेरिया वुलापीनी का इंजेक्शन तो लगा लेने दो...


आचार्य जी:– उसकी जरूरत नही है। बहुत कुछ तुम अपने विषय में भी नही जानते, उसका अध्यन भी जरूरी है।... तुम्हारे क्ला अंदर घुसने से मैं वेयरवोल्फ नही बन सकता... डरो मत...


आर्यमणि:– ये तो नई बात पता चल रही है। ठीक है जैसा आप कहो...


आर्यमणि अपनी बात कहते क्ला को उनके गले के पीछे डाल दिया। लगभग एक दिन बाद आर्यमणि की आंखें खुल रही थी। जब उसकी आंखें खुली चेहरे पर मुस्कान और आंखों में आचार्य जी के लिये आभार था।


आर्यमणि:– आचार्य जी मुझे आगे क्या करना होगा...


आचार्य जी:– तुम्हे अपने अंदर के ज्ञान को खुद में स्थापित करना होगा।


आर्यमणि:– मतलब..


गुरु अपस्यु के साथ वाली लड़की अवनी.… "आचार्य जी के कहने का मतलब है सॉफ्टवेयर दिमाग में डाल दिया है उसे इंस्टॉल कीजिए तब जाकर सभी फाइल को एक्सेस कर पायेंगे।"..


आर्यमणि:– तुम दोनो कब जागे... और आज कुछ नये चेहरे भी साथ में है।


आचार्य जी:– हम लोगों के निकलने का समय हो गया है। आर्यमणि तुम जीवन दर्शन के लिये निकले हो, अपने जीवन का अनुभव के साथ अपनी सारी सिद्धियां प्राप्त कर लेना। जीवन का ज्ञान ही मूल ज्ञान है, जिसके बिना सारी सिद्धियां बेकार है। प्रकृति की सेवा जारी रखना। ये तुम्हारे वायक्तिव, और पाने वाले सिद्धियों को और भी ज्यादा निखारेगा। हम लोग जा रहे है, बाकी दोनो गुरुजी आपस में जान पहचान बना लो।


आर्यमणि:– और निशांत...


निशांत:– अभी मेरी तपस्या अधूरी है। आचार्य जी ने एक दिन का विश्राम दिया था। वो आज पूरा हो गया।


संन्यासी शिवम ने वहीं से पोर्टल खोल दिया। सभी लोग उस पोर्टल के जरिये निकल गये, सिवाय अपस्यु और उसके साथ के कुछ लोगों के। आर्यमणि, अपस्यु के साथ जंगलों के ओर निकला... "और छोटे गुरु जी अपने साथ मुझे भी फसा दिये।"..
Fabulous out standing update भाऊ

Ye to ek नई disha de diye guruji apne
 

Surya_021

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भाग:–74





4 के विरूद्ध 1, लौडो के तो इज्जत पर बात आ गयी। 20 बार कोशिश कर चुके थे। सब थक कर बैठ गये और कोच ने फाइनल विसेल बजा दिया। उसे तो पहला ऑफर बॉयज की टीम से ही आ गया। ओजल सबको हाथ जोड़कर कहने लगी, वो सिर्फ 1 या 2 साल के लिये यहां आयी है और कोशिश कर रहे लोग कई सालों से कोशिश कर रहे है। वो टीम में सामिल नहीं होगी लेकिन जेरी और नताली को कुछ-कुछ स्किल सीखा सकती है।


फोर्स तो बहुत हुआ लेकिन ओजल नहीं मानी। कुछ देर में मैदान खाली हो गया। नताली और जेरी आमने-सामने। जेरी अपने घुटने पर बैठ गया और नताली को परपोज कर दिया। नताली ऐटिट्यूड दिखती… "नहीं, तुम मुझे पसंद नहीं।"..


ओजल हंसती हुई… "ये क्या ईगो सेटिस्फेक्शन था।"..


नताली हंसती हुई… "हां.. अपने परिचित को बोलो दोबारा परपोज करे।"..


शर्त सामने थी, और जेरी ने दोबारा परपोज कर दिया। दोनो ने एक्सेप्ट भी किया और एक दूसरे को चूमने भी लगे। लेकिन इन सब के बीच अचानक से ओजल लाइम लाइट में आ गयी। स्कूल में चारो ओर उसी की चर्चा और लोग उस से दोस्ती करने के लिये बेताब। शाम को तीनो ड्राइविंग स्कूल पहुंचे। आज तो वहां भी इनको क्लीन चिट मिल गया और साथ में कुछ कंडीशंस वाले ड्राइविंग लाइसेंस। तीनों बहुत खुश थे और आते ही… "बॉस, रूही… दोनो के लिये सरप्राइज है।"


दोनो अपने कमरे से बाहर निकलते… "क्या हुआ क्या सरप्राइज है।"


तीनों एक साथ…. "हमे ड्राइविंग लाइसेंस मिल गया.. वुहु।"


रूही:- कार खरीदकर ही आना था ना। और हां हमारी तरह फाइनेंस पर उठाना कार।


इवान:- वो क्यों भला..


आर्यमणि:- क्योंकि वक़्त कब बदले और कौन सा शहर हमे बुला रहा हो किसे पता। वैसे एक सरप्राइज और भी है, जो 50-50 में है।


ओजल:- कैसा सरप्राइज..


आर्यमणि:- सुनिश्चित नहीं है, लेकिन हो सकता है हम लोग जल्द ही एक्शन करते नजर आयेंगे। बहुत दिनों से लगता है तुमलोग भी बोर हो गये हो।


तीनों एक साथ… "कार छोड़ो चलो पहले एक्शन की तैयारी करते है।"


रूही:- नहीं-नहीं चलो पहले कार लेते है। वैसे कैसी कार चाहिए तुम तीनो को, कुछ सोचा है।


तीनों एक ही वक़्त में आगे पीछे लगभग एक ही बात कहे… सेवर्लेट" की वो चार सीटर मिनी पिक अप आती है ना वही।"


आर्यमणि:- तीनों थोड़े कम फिल्में देखा करो। चलो चलते है।


कार लेने के बाद पारंपरिक ढंग से स्वागत करके उसे गराज में लाकर लगाया गया। तीनों ऊपर बैठकर बातें कर रहे थे, रूही सबके लिए कुछ पका रही थी इसी बीच वो डॉक्टर अपनी पत्नी के साथ आ गया।.... "हमे तुम्हारा प्रस्ताव मंजूर है। मैंने सोचा वीकेंड टूर प्लान कर रहे है और साथ में अपनी हॉट वाइल लिली (डॉक्टर की पत्नी) भी हो तो सफ़र का आनंद ही कुछ और होगा। तुम्हारे 1 मिलियन कौन से अकाउंट में ट्रांसफर करने है वो बताओ।"..


पैसों की लेनदेन पूरे होने के बाद आर्यमणि, डॉक्टर माईक और उसकी पत्नी से उसका मोबाइल लेकर… "आगे का सफर आप हमारे हिसाब से करेंगे डॉक्टर।"


डॉक्टर:- जैसी तुम्हारी मर्जी।


आर्यमणि ने रूही को उनके साथ एयरपोर्ट भेजकर ऊपर आया और तीनों को अकेले एयरपोर्ट पहुंचकर, साथ मैक्सिको चलने के लिये कहा। उनका काम था बिना खुद को जाहिर किये पीछा करना और नजर बनाये रखना की कोई हमारा पीछा तो नहीं कर रहा। यदि कोई हमारा पीछा कर रहा हो तो उसे सफाई से, रास्ते से हटा देना। उसके बाद किसी जंगल में शिकारी और वुल्फ जो मिलकर काम करते है, उनसे जाकर पहले मैं और रूही मिलने जायेंगे। तुमलोग 12 घंटे बाद जंगल के लिये निकलोगे। रास्ते में हम फूट प्रिंट छोड़ते जायेंगे, उसी हिसाब से आगे बढ़ना और हमारे सिग्नल का इंतजार करना। जैसे ही एक्शन शुरू होते है, तुम तीनो जंगल में फैले हुये दुश्मनों को लिटा देना और यदि तुम पर कोई खतरा आता है तब तुरंत आवाज़ लगाना।


सारी बातें क्लियर हो गयी और इधर तीनों ऑनलाइन टिकिट बुक करके जब रास्ते में थे…. "बॉस तो सिम्पल प्लान बता रहे है। देखो अगर ड्रग का धंधा करते है तो इनके पास कैश पैसा भी उतना ही होगा। इसलिए हमे प्लान में थोड़ी तब्दीली लानी होगी।"… इवान ने कहा..


अलबेली:- बॉस चमरी उधेड़ देंगे यदि पता चला कि हम पैसों को उड़ाने के बारे में सोच रहे थे।


ओजल:- कौन सा वो मेहनत का पैसा कमा रहे है। ज़हर का कारोबार करके कमाया है।


इवान:- और कौन सा हम बुरे काम करते है, हमारे खर्च के लिए भी तो पैसे ऐसे ही लोगों के पास से आये है। सो इन पैसे से हम कुछ लोगों के लिये कुछ ना कुछ अच्छा कर सकते है।


अलबेली:- गधों, तुम एक गैंग का पैसा लोगे और इन पैसों के पीछे 4 गैंग वाले पड़ जायेंगे। फिर रोज लफड़े, फिर रोज झगड़े और अंत में यहां से जाना होगा।


ओजल:- हां लेकिन कहीं हमे कैश लेकर आना पड़ा तो, उसकी तैयारी तो करनी होगी ना। बॉस ने नहीं सोचा तो क्या हुआ, हम एक ट्रक लेकर चलेंगे, बॉस के पास प्रस्ताव रखेंगे। मान गये तो ठीक नहीं तो कोई बात नहीं।


अलबेली:- दोनो भाई बहन मिलकर चुरण तो नहीं दे रहे। कोई बेवकूफी मत करना, अपनी मर्जी से खुलकर जीने का मौका मिला है, मै इसे ट्रैवलिंग में बर्बाद नहीं करना चाहती।


इवान:- तुम्हारे बिना पत्ता भी नहीं हिलेगा, अब खुश।


अलबेली:- हां बहुत खुश।


पांचों एक ही प्लेन में उड़ान भर रहे थे लेकिन अलग-अलग। 360⁰ की आंखें थी सबकी और चारो ओर नजर दिये हुए थे। फ्लाइट मैक्सिको लैंड हुई और सब अपने-अपने रास्ते। इवान, ओजल और अलबेली सीधा पहुंचे मैक्सिको के काला बाजार। वहां से उन्होंने 4 कटाना खरीदा और आर्यमणि के लिए 2 सई वैपन। एक वैन में ट्विंस सवार हो गए और एक पिकअप लेकर अलबेली उनके पीछे बढ़ी।


तीनों जाकर रात के लिये होटल में रुके, और अगली सुबह आर्यमणि के मार्क रास्ते पर चल दिये… एक बड़े सा पाऊं का निशान आर्यमणि और रूही ने बनाया था। तीनों समझ गये उन्हें इस पॉइंट पर रुकना है।


दोनो गाड़ी पार्क करने के बाद तीनों साथ हुये… "ये सुपरनैचुरल और शिकारी की भिड़ंत ऐसे घने जंगलों के बीच क्यों होता है? यहां का माहौल देखकर ही लोगों को हार्ट अटैक आ जाये।"… जंगल के शांत और खौफनाक माहौल को मेहसूस करती, अलबेली कहने लगी।


ओजल:- ऐसा लग रहा है वो.. "दि रिंग".. मूवी में चुड़ैल के कुएं के पास जैसा हॉरर इफेक्ट डाला था, वैसा ही यहां भी डाले है। कहीं सच में कोई चुड़ैल हुई तो?


इवान:- काम पर ध्यान दे, बॉस और रूही रात से यहां है?


"रुको, एक मिनट, ऐसे आगे मत बढ़ो।"… इवान ने दोनो को रोकते हुये कहा।


ओजल:- अब क्या हुआ, काम पर ही ध्यान देने जा रहे है?


इवान:- पाऊं के निशान देखी हो, दोनो ने ऐड़ी से गड्ढे बनाये है, इसका मतलब है रुको, आगे कुछ खतरा है। खतरे को भांपकर फिर आगे बढ़ो।


अलबेली:- हम्मम ! चलो हम फ़ैल जाते है और इस सीमा के बाहर रहकर देखते है आगे कोई खतरा है कि नहीं.…


ओजल:- फुट साइन देखो, क्रॉस है, मतलब आगे बढ़ना ही नहीं है। बॉस ऐसा कैसे कर सकते है।


"वो कर सकता है।".… पिछे से एक आवाज आयी और तीनों चौंककर देखने लगे.. ओजल और अलबेली उसे घेरती.. "तुम कौन हो।"..


आदमी:- मुसाफिर, इस जंगल का मुसाफिर..


इवान:- ये भी हमारे साथ फ्लाइट में था। हमारे साथ ही चला था बर्कले (कारलीफॉर्निया) से।


आदमी:- मेरा नाम बॉब इवानविस्की है, यहां आते–जाते रहता हूं। तुम तीनों चाहो तो मेरे साथ अंदर तक चल सकते हो, या आगे जाने का खतरा मोल लोगे मना करने के बावजूद, ये तुम्हारी मर्जी है।


तीनों आपस में कुछ बातें की और उसके साथ जाने के लिए हामी भर दी। वो आदमी बॉब वहां खड़ा होकर किसी को कॉल लगाया और थोड़ी देर बाद 2 जीप वहां पहुंच गई। उस जीप में तीनों सवार होकर निकल गये। बॉब किसी रॉस्ले नाम के आदमी से मिला, उसने एक बैग बॉब को थमा दिया। बॉब बाग को अपने पास रखते... "रॉस्ले, ये कुछ नए लोग धंधा करना चाहते है, इन्हे धंधा समझा दो। जो भी माल लेंगे कैश लेंगे, बस धंधा पहली बार कर रहे है।"..


रॉस्ले:- थैंक्स बॉब…. क्यों किड्स क्या बेचना पसंद करोगे।


ओजल:- जो सबसे ज्यादा नसिला हो, एक कश और दुनिया हील जाये।


रॉस्ले:- हाहाहाहा… तुम्हारा पैक कहां है।


इवान:- हमे पैक की जरूरत नहीं, हम पहले से ही पैक में है। दि अल्फा पैक। लेकिन पैक और वुल्फ वो ताकत नहीं देते जो ये पैसा देता है।


रॉस्ले:- धंधे में तुम जैसे ही सोच वाले लोग तो चाहिए। सुनो बॉब इतने शानदार लोगो से मिलवाने के लिए आज रात का जश्न मेरे ओर से। तुम तीनों रेस्ट करो, मै कुछ लोगो से बात करके तुम लोगो को धंधे के बारे में सब बताता हूं, वैसे माल कितने का लोगे।


अलबेली:- एक दिन में कितने का बिक जाता है।


रॉस्ले:- कोई लिमिट नहीं है, यहां हम बिलियन का माल सेकंड में बेच देते है।


अलबेली:- ठीक है 1 मिलियन का माल शुरवात के लिये।


रॉस्ले:- धंधा नया शुरू कर रहे हो ना..


इवान:- कम है क्या, ठीक है 5 मिलियन का खरीद लेंगे।


रॉस्ले, उन्हें गन प्वाइंट पर लेते… "9 एमएम सिल्वर बुलेट, इधर गोली अंदर और जान बाहर। बॉब के कारण अपन तुम्हारा इंक्वायरी नहीं किया और तुम फिरकी ले रहा है।


ओजल अपना अकाउंट स्टेटस दिखती… "तुम्हारी औकात नहीं हमरे साथ धंधा करने की। चलो सब"..


बॉब:- अरे बेवकूफों रॉस्ले कह रहा है पहले 10 हजार का माल लो, रिस्क और मार्केट देखो, फिर धीरे-धीरे धंधा बढ़ाओ। पहली बार आये हो। धंधा पहली बार कर रहे हो और तुम्हे 5 मिलियन का माल चाहिए, कोई भी चौंक जायेगा।


रॉस्ले:- ये किड्स बहुत आगे तक जायेगा बॉब। आज तूने अपनी बिरादरी वालो को अपने पास लाकर दिल खुश कर दिया है। रात यही रुक और आराम से पार्टी करके जाना।


बॉब:- रॉस्ले तुम जानते हो मै रुक नहीं सकता..


ओजल:- बॉब हमारे लिये रुक जाओ।


रुक गया बॉब। चारो हाथ में बियर लिये जंगल में भटक रहे थे, तभी ओजल बॉब से उसकी पहचान पूछने लगी। उसने कुछ नहीं बताया सिर्फ इतना ही कहा वो अपने काम के वजह से यहां है, अगर वो तीनो अपने साथी को छुड़ाकर यहां से निकलने में कामयाब हो गये, तो उसके पते पर आकर मिले। बॉब इसके आलवा कोई जानकारी नहीं दिया और उन्हें जंगल घुमाते-घुमाते एक और सीमा तक ले आया…


"इस रास्ते पर चलते जाओगे तो आगे तुम्हे फार्मिंग दिखेगी, वहीं तुम्हारे साथी कैद है। एक बात याद रहे इसके अंदर यदि तुम पकड़े गये, फिर कभी वापस लौटकर नहीं आ सकते। रॉस्ले अच्छा आदमी है, लेकिन मजबूर। यदि सबको बचाते हो तो उसे भी निकाल लेना। वो जितने लोगो को निकालना चाहे उसकी मदद कर देना। तुम्हारे हथियार तुम्हारे कमरे में पहुंच गये है, बेस्ट ऑफ लक।"


इसके ठीक पूर्व रात के समय छिपते-छिपाते जैसे ही रूही और आर्यमणि वहां पहुंचे उन्हें ट्रैप कर लिया गया। गले में सिल्वर का पट्टा, जिसके अंदर करंट। एक बार करंट का कमांड दिया उन लोगो ने, तो रूही और आर्यमणि गला पकड़ कर बैठ गये और रहम की भीख मांगने लगे। उन्हें बेबस देखकर वो शिकारी हंसे और, हाथ और पाऊं में भी ठीक वैसा ही पट्टा लगा दिया। ये डॉक्टर माइक और लीली का बिछाया जाल था जिसमे दोनो जान बूझकर फंस चुके थे।


डॉक्टर माईक और लिली को वहां रुकना पड़ा, क्योंकि एक पुरा दिन आर्यमणि और रूही का काम देखने के बाद ही उनको रात में पेमेंट मिलती। वहां वुल्फ का काम देखकर आर्यमणि दंग था। कई किलोमीटर तक का फैला फार्म, और नशे के पौधों को पानी की जगह वुल्फ ब्लड से सीचते थे। एक रात में वुल्फ ब्लड से सींचकर पुरा पौधा तैयार कर लेते थे।… दोनो ने जब यहां का हाल देखा, आखों के सामने हैवानियत का ऐसा नजारा देखकर दंग थे…. "बॉस ऐसा भी होता है क्या?"..


आर्यमणि:- दुनिया इनोवेटिव हो गयी है रूही। ये नया अनुभव भी करो और दिमाग को पूरा काबू में रखकर ये देखने की कोशिश करो, इन लाचारों को कैसे बचाएं।


एक रात से अगले दिन का शाम के 5 बज रहे थे। शाम का वक्त था, लेकिन जंगल के अंदर घनघोर अंधेरा, ऐसा लग रहा था अमवस्या की रात थी। रूही और आर्यमणि दोनो आसपास लेटे थे। रूही बेसुध कोई होश ही नहीं, उसी की तरह बाकियों की भी हालत थी। उस बड़े से फार्म में सकड़ो वेयरवॉल्फ थे, जिनके हाथ, पाऊं, और गले में चांदी के पट्टे लगे थे। हर पट्टे मोटी जंजीर से लगा हुआ था। कोई अपनी मर्जी से खून बहाता तो ठीक वरना पट्टे के अंदर लगे हाई वोल्टेज वाले करेंट को जैसे ही ट्रिगर किया जाता, वुल्फ मिर्गी के रोगी समान छटपटाते बेहोश हो जाते। बेहोश वुल्फ के हाथ से खून निकलना कौन सी बड़ी बात थी। उनके शरीर से कतरा-कतरा खून का निचोड़ लिया जाता था।


आर्यमणि बड़ी सफाई से अपना पट्टा खोल चुका था। अपने दांत से होंठ को काटकर खून निकाला और रूही के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगा। जैसे ही खून का कतरा रूही के अंदर गया, गहरी श्वांस लेती वो अपने आखें खोल ली और पागलों की तरह खून चूसने लगी। होश ही नहीं कुछ भी बस चूसती रही। तभी रूही के कान में वुल्फ साउंड सुनाई दिया। यह आवाज ओजल, इवान, और अलेबली की थी। इधर बॉब ने जैसे ही आर्यमणि और रूही का पता बताया। तीनों अपने कमरे से हथियार निकालकर उस सीमा तक पहुंच चुके थे जिसके आगे फार्मिंग शुरू होती थी और वहीं से खड़े होकर वुल्फ साउंड दे रहे थे।


रूही होंठ छोड़कर जैसे ही वुल्फ साउंड का जवाब देने के लिए मुंह खोली… "नहीं, मत आवाज़ दो, उनको निपटने दो। हमे वक़्त मिल गया है इन सबको बचाने का। जबतक ये लोग टीन्स के साथ उलझे है, तुम सबको खोलो। तुम्हे सिल्वर एलर्जी तो नहीं।"..


रूही:- आर्यमणि, तुम्हारी हालत जारा भी ठीक नहीं, तुम्हारे बिना हम यहां से कैसे निकलेंगे?


आर्यमणि, रूही को घूरते.… "ओय पागल मैं मारने वाला नही जो इतने शोक में डूबकर बातें कर रही हो। अब जो कहा है वो करो, या डर लग रहा है सिल्वर एलर्जी का।


रूही मस्ती में आर्यमणि के होंठ चूमती… "तुमने कहा है ना… एलर्जी होगी भी, तो भी करूंगी। जल्दी से रिकवर हो जाओ, सब साथ घर चलेंगे।"


वुल्फ साउंड जैसे ही आया… बॉब अपना सर पीटते… "ये टीन, एंट्री तो बहुत समझदारी वाली मारे थे लेकिन ये क्या बेवकूफी कर गये।


यहां की जगह व्यूह जैसी बनी थी। ड्रग्स माफिया के इलाके में घुसते ही पहला दायरा 200 मीटर का था। ये दायरा प्रवेश द्वार पर खड़े सुरक्षा कर्मी के अंदर आता था। इनका काम था किसी बाहर वाले को 200 मीटर के आगे न जाने दे। 200 मीटर के आगे सुरक्षा कर्मी की सीमा थी। ये लोग वहां से अंदर 300 मीटर की सुरक्षा देखते थे। कोई भटका हुआ उनकी से सीमा में आ जाये तो उन्हे प्रवेश द्वार वाले सुरक्षा कर्मी के पास पहुंचाना इनका काम था। हां लेकिन कोई इनकी बात न माने तो सीधा गोली मार देते थे। कुल 500 मीटर के दायरे में 2 सुरक्षा कर्मी की टीम तैनात थी। और उसके आगे फार्मिंग का इलाका शुरू होता था जो मिलो फैला था और वहां की सुरक्षा एक बड़े से मिलिट्री बंकर से करते थे।
Superb Update 😍
 
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shoby54

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भाग:–74





4 के विरूद्ध 1, लौडो के तो इज्जत पर बात आ गयी। 20 बार कोशिश कर चुके थे। सब थक कर बैठ गये और कोच ने फाइनल विसेल बजा दिया। उसे तो पहला ऑफर बॉयज की टीम से ही आ गया। ओजल सबको हाथ जोड़कर कहने लगी, वो सिर्फ 1 या 2 साल के लिये यहां आयी है और कोशिश कर रहे लोग कई सालों से कोशिश कर रहे है। वो टीम में सामिल नहीं होगी लेकिन जेरी और नताली को कुछ-कुछ स्किल सीखा सकती है।


फोर्स तो बहुत हुआ लेकिन ओजल नहीं मानी। कुछ देर में मैदान खाली हो गया। नताली और जेरी आमने-सामने। जेरी अपने घुटने पर बैठ गया और नताली को परपोज कर दिया। नताली ऐटिट्यूड दिखती… "नहीं, तुम मुझे पसंद नहीं।"..


ओजल हंसती हुई… "ये क्या ईगो सेटिस्फेक्शन था।"..


नताली हंसती हुई… "हां.. अपने परिचित को बोलो दोबारा परपोज करे।"..


शर्त सामने थी, और जेरी ने दोबारा परपोज कर दिया। दोनो ने एक्सेप्ट भी किया और एक दूसरे को चूमने भी लगे। लेकिन इन सब के बीच अचानक से ओजल लाइम लाइट में आ गयी। स्कूल में चारो ओर उसी की चर्चा और लोग उस से दोस्ती करने के लिये बेताब। शाम को तीनो ड्राइविंग स्कूल पहुंचे। आज तो वहां भी इनको क्लीन चिट मिल गया और साथ में कुछ कंडीशंस वाले ड्राइविंग लाइसेंस। तीनों बहुत खुश थे और आते ही… "बॉस, रूही… दोनो के लिये सरप्राइज है।"


दोनो अपने कमरे से बाहर निकलते… "क्या हुआ क्या सरप्राइज है।"


तीनों एक साथ…. "हमे ड्राइविंग लाइसेंस मिल गया.. वुहु।"


रूही:- कार खरीदकर ही आना था ना। और हां हमारी तरह फाइनेंस पर उठाना कार।


इवान:- वो क्यों भला..


आर्यमणि:- क्योंकि वक़्त कब बदले और कौन सा शहर हमे बुला रहा हो किसे पता। वैसे एक सरप्राइज और भी है, जो 50-50 में है।


ओजल:- कैसा सरप्राइज..


आर्यमणि:- सुनिश्चित नहीं है, लेकिन हो सकता है हम लोग जल्द ही एक्शन करते नजर आयेंगे। बहुत दिनों से लगता है तुमलोग भी बोर हो गये हो।


तीनों एक साथ… "कार छोड़ो चलो पहले एक्शन की तैयारी करते है।"


रूही:- नहीं-नहीं चलो पहले कार लेते है। वैसे कैसी कार चाहिए तुम तीनो को, कुछ सोचा है।


तीनों एक ही वक़्त में आगे पीछे लगभग एक ही बात कहे… सेवर्लेट" की वो चार सीटर मिनी पिक अप आती है ना वही।"


आर्यमणि:- तीनों थोड़े कम फिल्में देखा करो। चलो चलते है।


कार लेने के बाद पारंपरिक ढंग से स्वागत करके उसे गराज में लाकर लगाया गया। तीनों ऊपर बैठकर बातें कर रहे थे, रूही सबके लिए कुछ पका रही थी इसी बीच वो डॉक्टर अपनी पत्नी के साथ आ गया।.... "हमे तुम्हारा प्रस्ताव मंजूर है। मैंने सोचा वीकेंड टूर प्लान कर रहे है और साथ में अपनी हॉट वाइल लिली (डॉक्टर की पत्नी) भी हो तो सफ़र का आनंद ही कुछ और होगा। तुम्हारे 1 मिलियन कौन से अकाउंट में ट्रांसफर करने है वो बताओ।"..


पैसों की लेनदेन पूरे होने के बाद आर्यमणि, डॉक्टर माईक और उसकी पत्नी से उसका मोबाइल लेकर… "आगे का सफर आप हमारे हिसाब से करेंगे डॉक्टर।"


डॉक्टर:- जैसी तुम्हारी मर्जी।


आर्यमणि ने रूही को उनके साथ एयरपोर्ट भेजकर ऊपर आया और तीनों को अकेले एयरपोर्ट पहुंचकर, साथ मैक्सिको चलने के लिये कहा। उनका काम था बिना खुद को जाहिर किये पीछा करना और नजर बनाये रखना की कोई हमारा पीछा तो नहीं कर रहा। यदि कोई हमारा पीछा कर रहा हो तो उसे सफाई से, रास्ते से हटा देना। उसके बाद किसी जंगल में शिकारी और वुल्फ जो मिलकर काम करते है, उनसे जाकर पहले मैं और रूही मिलने जायेंगे। तुमलोग 12 घंटे बाद जंगल के लिये निकलोगे। रास्ते में हम फूट प्रिंट छोड़ते जायेंगे, उसी हिसाब से आगे बढ़ना और हमारे सिग्नल का इंतजार करना। जैसे ही एक्शन शुरू होते है, तुम तीनो जंगल में फैले हुये दुश्मनों को लिटा देना और यदि तुम पर कोई खतरा आता है तब तुरंत आवाज़ लगाना।


सारी बातें क्लियर हो गयी और इधर तीनों ऑनलाइन टिकिट बुक करके जब रास्ते में थे…. "बॉस तो सिम्पल प्लान बता रहे है। देखो अगर ड्रग का धंधा करते है तो इनके पास कैश पैसा भी उतना ही होगा। इसलिए हमे प्लान में थोड़ी तब्दीली लानी होगी।"… इवान ने कहा..


अलबेली:- बॉस चमरी उधेड़ देंगे यदि पता चला कि हम पैसों को उड़ाने के बारे में सोच रहे थे।


ओजल:- कौन सा वो मेहनत का पैसा कमा रहे है। ज़हर का कारोबार करके कमाया है।


इवान:- और कौन सा हम बुरे काम करते है, हमारे खर्च के लिए भी तो पैसे ऐसे ही लोगों के पास से आये है। सो इन पैसे से हम कुछ लोगों के लिये कुछ ना कुछ अच्छा कर सकते है।


अलबेली:- गधों, तुम एक गैंग का पैसा लोगे और इन पैसों के पीछे 4 गैंग वाले पड़ जायेंगे। फिर रोज लफड़े, फिर रोज झगड़े और अंत में यहां से जाना होगा।


ओजल:- हां लेकिन कहीं हमे कैश लेकर आना पड़ा तो, उसकी तैयारी तो करनी होगी ना। बॉस ने नहीं सोचा तो क्या हुआ, हम एक ट्रक लेकर चलेंगे, बॉस के पास प्रस्ताव रखेंगे। मान गये तो ठीक नहीं तो कोई बात नहीं।


अलबेली:- दोनो भाई बहन मिलकर चुरण तो नहीं दे रहे। कोई बेवकूफी मत करना, अपनी मर्जी से खुलकर जीने का मौका मिला है, मै इसे ट्रैवलिंग में बर्बाद नहीं करना चाहती।


इवान:- तुम्हारे बिना पत्ता भी नहीं हिलेगा, अब खुश।


अलबेली:- हां बहुत खुश।


पांचों एक ही प्लेन में उड़ान भर रहे थे लेकिन अलग-अलग। 360⁰ की आंखें थी सबकी और चारो ओर नजर दिये हुए थे। फ्लाइट मैक्सिको लैंड हुई और सब अपने-अपने रास्ते। इवान, ओजल और अलबेली सीधा पहुंचे मैक्सिको के काला बाजार। वहां से उन्होंने 4 कटाना खरीदा और आर्यमणि के लिए 2 सई वैपन। एक वैन में ट्विंस सवार हो गए और एक पिकअप लेकर अलबेली उनके पीछे बढ़ी।


तीनों जाकर रात के लिये होटल में रुके, और अगली सुबह आर्यमणि के मार्क रास्ते पर चल दिये… एक बड़े सा पाऊं का निशान आर्यमणि और रूही ने बनाया था। तीनों समझ गये उन्हें इस पॉइंट पर रुकना है।


दोनो गाड़ी पार्क करने के बाद तीनों साथ हुये… "ये सुपरनैचुरल और शिकारी की भिड़ंत ऐसे घने जंगलों के बीच क्यों होता है? यहां का माहौल देखकर ही लोगों को हार्ट अटैक आ जाये।"… जंगल के शांत और खौफनाक माहौल को मेहसूस करती, अलबेली कहने लगी।


ओजल:- ऐसा लग रहा है वो.. "दि रिंग".. मूवी में चुड़ैल के कुएं के पास जैसा हॉरर इफेक्ट डाला था, वैसा ही यहां भी डाले है। कहीं सच में कोई चुड़ैल हुई तो?


इवान:- काम पर ध्यान दे, बॉस और रूही रात से यहां है?


"रुको, एक मिनट, ऐसे आगे मत बढ़ो।"… इवान ने दोनो को रोकते हुये कहा।


ओजल:- अब क्या हुआ, काम पर ही ध्यान देने जा रहे है?


इवान:- पाऊं के निशान देखी हो, दोनो ने ऐड़ी से गड्ढे बनाये है, इसका मतलब है रुको, आगे कुछ खतरा है। खतरे को भांपकर फिर आगे बढ़ो।


अलबेली:- हम्मम ! चलो हम फ़ैल जाते है और इस सीमा के बाहर रहकर देखते है आगे कोई खतरा है कि नहीं.…


ओजल:- फुट साइन देखो, क्रॉस है, मतलब आगे बढ़ना ही नहीं है। बॉस ऐसा कैसे कर सकते है।


"वो कर सकता है।".… पिछे से एक आवाज आयी और तीनों चौंककर देखने लगे.. ओजल और अलबेली उसे घेरती.. "तुम कौन हो।"..


आदमी:- मुसाफिर, इस जंगल का मुसाफिर..


इवान:- ये भी हमारे साथ फ्लाइट में था। हमारे साथ ही चला था बर्कले (कारलीफॉर्निया) से।


आदमी:- मेरा नाम बॉब इवानविस्की है, यहां आते–जाते रहता हूं। तुम तीनों चाहो तो मेरे साथ अंदर तक चल सकते हो, या आगे जाने का खतरा मोल लोगे मना करने के बावजूद, ये तुम्हारी मर्जी है।


तीनों आपस में कुछ बातें की और उसके साथ जाने के लिए हामी भर दी। वो आदमी बॉब वहां खड़ा होकर किसी को कॉल लगाया और थोड़ी देर बाद 2 जीप वहां पहुंच गई। उस जीप में तीनों सवार होकर निकल गये। बॉब किसी रॉस्ले नाम के आदमी से मिला, उसने एक बैग बॉब को थमा दिया। बॉब बाग को अपने पास रखते... "रॉस्ले, ये कुछ नए लोग धंधा करना चाहते है, इन्हे धंधा समझा दो। जो भी माल लेंगे कैश लेंगे, बस धंधा पहली बार कर रहे है।"..


रॉस्ले:- थैंक्स बॉब…. क्यों किड्स क्या बेचना पसंद करोगे।


ओजल:- जो सबसे ज्यादा नसिला हो, एक कश और दुनिया हील जाये।


रॉस्ले:- हाहाहाहा… तुम्हारा पैक कहां है।


इवान:- हमे पैक की जरूरत नहीं, हम पहले से ही पैक में है। दि अल्फा पैक। लेकिन पैक और वुल्फ वो ताकत नहीं देते जो ये पैसा देता है।


रॉस्ले:- धंधे में तुम जैसे ही सोच वाले लोग तो चाहिए। सुनो बॉब इतने शानदार लोगो से मिलवाने के लिए आज रात का जश्न मेरे ओर से। तुम तीनों रेस्ट करो, मै कुछ लोगो से बात करके तुम लोगो को धंधे के बारे में सब बताता हूं, वैसे माल कितने का लोगे।


अलबेली:- एक दिन में कितने का बिक जाता है।


रॉस्ले:- कोई लिमिट नहीं है, यहां हम बिलियन का माल सेकंड में बेच देते है।


अलबेली:- ठीक है 1 मिलियन का माल शुरवात के लिये।


रॉस्ले:- धंधा नया शुरू कर रहे हो ना..


इवान:- कम है क्या, ठीक है 5 मिलियन का खरीद लेंगे।


रॉस्ले, उन्हें गन प्वाइंट पर लेते… "9 एमएम सिल्वर बुलेट, इधर गोली अंदर और जान बाहर। बॉब के कारण अपन तुम्हारा इंक्वायरी नहीं किया और तुम फिरकी ले रहा है।


ओजल अपना अकाउंट स्टेटस दिखती… "तुम्हारी औकात नहीं हमरे साथ धंधा करने की। चलो सब"..


बॉब:- अरे बेवकूफों रॉस्ले कह रहा है पहले 10 हजार का माल लो, रिस्क और मार्केट देखो, फिर धीरे-धीरे धंधा बढ़ाओ। पहली बार आये हो। धंधा पहली बार कर रहे हो और तुम्हे 5 मिलियन का माल चाहिए, कोई भी चौंक जायेगा।


रॉस्ले:- ये किड्स बहुत आगे तक जायेगा बॉब। आज तूने अपनी बिरादरी वालो को अपने पास लाकर दिल खुश कर दिया है। रात यही रुक और आराम से पार्टी करके जाना।


बॉब:- रॉस्ले तुम जानते हो मै रुक नहीं सकता..


ओजल:- बॉब हमारे लिये रुक जाओ।


रुक गया बॉब। चारो हाथ में बियर लिये जंगल में भटक रहे थे, तभी ओजल बॉब से उसकी पहचान पूछने लगी। उसने कुछ नहीं बताया सिर्फ इतना ही कहा वो अपने काम के वजह से यहां है, अगर वो तीनो अपने साथी को छुड़ाकर यहां से निकलने में कामयाब हो गये, तो उसके पते पर आकर मिले। बॉब इसके आलवा कोई जानकारी नहीं दिया और उन्हें जंगल घुमाते-घुमाते एक और सीमा तक ले आया…


"इस रास्ते पर चलते जाओगे तो आगे तुम्हे फार्मिंग दिखेगी, वहीं तुम्हारे साथी कैद है। एक बात याद रहे इसके अंदर यदि तुम पकड़े गये, फिर कभी वापस लौटकर नहीं आ सकते। रॉस्ले अच्छा आदमी है, लेकिन मजबूर। यदि सबको बचाते हो तो उसे भी निकाल लेना। वो जितने लोगो को निकालना चाहे उसकी मदद कर देना। तुम्हारे हथियार तुम्हारे कमरे में पहुंच गये है, बेस्ट ऑफ लक।"


इसके ठीक पूर्व रात के समय छिपते-छिपाते जैसे ही रूही और आर्यमणि वहां पहुंचे उन्हें ट्रैप कर लिया गया। गले में सिल्वर का पट्टा, जिसके अंदर करंट। एक बार करंट का कमांड दिया उन लोगो ने, तो रूही और आर्यमणि गला पकड़ कर बैठ गये और रहम की भीख मांगने लगे। उन्हें बेबस देखकर वो शिकारी हंसे और, हाथ और पाऊं में भी ठीक वैसा ही पट्टा लगा दिया। ये डॉक्टर माइक और लीली का बिछाया जाल था जिसमे दोनो जान बूझकर फंस चुके थे।


डॉक्टर माईक और लिली को वहां रुकना पड़ा, क्योंकि एक पुरा दिन आर्यमणि और रूही का काम देखने के बाद ही उनको रात में पेमेंट मिलती। वहां वुल्फ का काम देखकर आर्यमणि दंग था। कई किलोमीटर तक का फैला फार्म, और नशे के पौधों को पानी की जगह वुल्फ ब्लड से सीचते थे। एक रात में वुल्फ ब्लड से सींचकर पुरा पौधा तैयार कर लेते थे।… दोनो ने जब यहां का हाल देखा, आखों के सामने हैवानियत का ऐसा नजारा देखकर दंग थे…. "बॉस ऐसा भी होता है क्या?"..


आर्यमणि:- दुनिया इनोवेटिव हो गयी है रूही। ये नया अनुभव भी करो और दिमाग को पूरा काबू में रखकर ये देखने की कोशिश करो, इन लाचारों को कैसे बचाएं।


एक रात से अगले दिन का शाम के 5 बज रहे थे। शाम का वक्त था, लेकिन जंगल के अंदर घनघोर अंधेरा, ऐसा लग रहा था अमवस्या की रात थी। रूही और आर्यमणि दोनो आसपास लेटे थे। रूही बेसुध कोई होश ही नहीं, उसी की तरह बाकियों की भी हालत थी। उस बड़े से फार्म में सकड़ो वेयरवॉल्फ थे, जिनके हाथ, पाऊं, और गले में चांदी के पट्टे लगे थे। हर पट्टे मोटी जंजीर से लगा हुआ था। कोई अपनी मर्जी से खून बहाता तो ठीक वरना पट्टे के अंदर लगे हाई वोल्टेज वाले करेंट को जैसे ही ट्रिगर किया जाता, वुल्फ मिर्गी के रोगी समान छटपटाते बेहोश हो जाते। बेहोश वुल्फ के हाथ से खून निकलना कौन सी बड़ी बात थी। उनके शरीर से कतरा-कतरा खून का निचोड़ लिया जाता था।


आर्यमणि बड़ी सफाई से अपना पट्टा खोल चुका था। अपने दांत से होंठ को काटकर खून निकाला और रूही के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगा। जैसे ही खून का कतरा रूही के अंदर गया, गहरी श्वांस लेती वो अपने आखें खोल ली और पागलों की तरह खून चूसने लगी। होश ही नहीं कुछ भी बस चूसती रही। तभी रूही के कान में वुल्फ साउंड सुनाई दिया। यह आवाज ओजल, इवान, और अलेबली की थी। इधर बॉब ने जैसे ही आर्यमणि और रूही का पता बताया। तीनों अपने कमरे से हथियार निकालकर उस सीमा तक पहुंच चुके थे जिसके आगे फार्मिंग शुरू होती थी और वहीं से खड़े होकर वुल्फ साउंड दे रहे थे।


रूही होंठ छोड़कर जैसे ही वुल्फ साउंड का जवाब देने के लिए मुंह खोली… "नहीं, मत आवाज़ दो, उनको निपटने दो। हमे वक़्त मिल गया है इन सबको बचाने का। जबतक ये लोग टीन्स के साथ उलझे है, तुम सबको खोलो। तुम्हे सिल्वर एलर्जी तो नहीं।"..


रूही:- आर्यमणि, तुम्हारी हालत जारा भी ठीक नहीं, तुम्हारे बिना हम यहां से कैसे निकलेंगे?


आर्यमणि, रूही को घूरते.… "ओय पागल मैं मारने वाला नही जो इतने शोक में डूबकर बातें कर रही हो। अब जो कहा है वो करो, या डर लग रहा है सिल्वर एलर्जी का।


रूही मस्ती में आर्यमणि के होंठ चूमती… "तुमने कहा है ना… एलर्जी होगी भी, तो भी करूंगी। जल्दी से रिकवर हो जाओ, सब साथ घर चलेंगे।"


वुल्फ साउंड जैसे ही आया… बॉब अपना सर पीटते… "ये टीन, एंट्री तो बहुत समझदारी वाली मारे थे लेकिन ये क्या बेवकूफी कर गये।


यहां की जगह व्यूह जैसी बनी थी। ड्रग्स माफिया के इलाके में घुसते ही पहला दायरा 200 मीटर का था। ये दायरा प्रवेश द्वार पर खड़े सुरक्षा कर्मी के अंदर आता था। इनका काम था किसी बाहर वाले को 200 मीटर के आगे न जाने दे। 200 मीटर के आगे सुरक्षा कर्मी की सीमा थी। ये लोग वहां से अंदर 300 मीटर की सुरक्षा देखते थे। कोई भटका हुआ उनकी से सीमा में आ जाये तो उन्हे प्रवेश द्वार वाले सुरक्षा कर्मी के पास पहुंचाना इनका काम था। हां लेकिन कोई इनकी बात न माने तो सीधा गोली मार देते थे। कुल 500 मीटर के दायरे में 2 सुरक्षा कर्मी की टीम तैनात थी। और उसके आगे फार्मिंग का इलाका शुरू होता था जो मिलो फैला था और वहां की सुरक्षा एक बड़े से मिलिट्री बंकर से करते थे।
Nice update...👍
 
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भाग:–71







संन्यासी शिवम ने वहीं से पोर्टल खोल दिया। सभी लोग उस पोर्टल के जरिये निकल गये, सिवाय अपस्यु और उसके साथ के कुछ लोगों के। आर्यमणि, अपस्यु के साथ जंगलों के ओर निकला... "और छोटे गुरु जी अपने साथ मुझे भी फसा दिये।"..


अपस्यु:– बड़े गुरु जी मुझे लगा अब मैं रक्षक बन जाऊंगा। लेकिन आचार्य जी ने हम दोनो को फसा दिया। खैर अच्छा लगा आपसे मिलकर। मात्र कुछ महीनो के ध्यान में अपने कुंडलिनी चक्र को जागृत कर लेना कोई मामूली बात नही है। आप प्रतिभा के धनी है।


आर्यमणि:– तारीफ तो तुम्हारी भी होनी चाहिए छोटे, इतनी कम उम्र में गुरु जी। खैर अब इस पर चर्चा बंद करते हैं। क्या तुम मुझे हवा की तरह तेज लहराना सिखाओगे...


अपस्यु:– हां क्यों नही बड़े गुरु जी। बहुत आसान है.. और आपके लिये तो और ज्यादा आसान होगा..


आर्यमणि:– कैसे...


अपस्यु:– आप इस पूरे वातावरण को मेहसूस कर सकते हो, खुद में समा सकते हो। ॐ का जाप करके मन के सभी ख्यालों को भूल जाओ और बहती हवा को मेहसूस करो...


आर्यमणि:– हां, हां..


अपस्यु:– अब बस हवा के परिवर्तन को सुनो..


आर्यमणि:– हां, हां..


अपस्यु:– बस मेहसूस करो...


आर्यमणि बिलकुल खो गया। इधर हवा का परिवर्तन यानी अपस्यु का तेजी से चाकू चलाना। आर्यमणि अब भी आंखे मूंदे था। वह बस हवा के परिवर्तन को मेहसूस करता और परिवर्तित हवा के विपरीत अपने शरीर को ले जाता, जबकि उसके पाऊं एक जगह ही टीके थे।


अपस्यु:– बड़े गुरुजी आंखे खोल लो। आंखें आपकी सब कुछ देखेगी लेकिन अंतर्मन के ध्यान को हवा की भांति बहने दो। हवा के परिवर्तन को मेहसूस करते रहो...


आर्यमणि अपनी आंखें खोल लिया। वह चारो ओर देख रहा था, लेकिन अंदर से उसका ध्यान पूरे वातावरण से घुला–मिला था। अपस्यु लगातार आर्यमणि पर चाकू से वार कर रहा था और आर्यमणि उसे अपनी आंखों से देखकर नही बच रहा था। बल्कि उसकी आंखें देख रही थी की कैसे हवा के परिवर्तन को मेहसूस करके शरीर इतना तेज लहरा रहा है...


आर्यमणि:– और तेज छोटे गुरुजी..


अपस्यु भी हवा को मेहसूस करते काफी तेज हमला कर रहा था... दोनो के बदन मानो हवा की सुर में लहरा रहे थे। जितना तेज अपस्यु हमला कर रहा था, उस से भी कहीं ज्यादा तेज आर्यमणि अपना बचाव कर रहा था। दोनो विराम लिये। अपस्यु आगे चर्चा करते हुये आर्यमणि से सिर्फ इतना ही कहा की जब आप पूर्ण रूप से वातावरण में खो जाते हैं, तब कण–कण को मेहसूस कर सकते है।


आर्यमणि काफी खुश हुआ। दोनो की चर्चा आगे बढ़ी। अपस्यु ने सबसे पहले तो अपने और अवनी के बीच चल रहे रिश्ते को किसी से न बताने के लिये कहा। दुनिया और दोस्तों की नजरों में वो दोनो केवल अच्छे दोस्त थे, जबकि आचार्य जी या फिर गुरु निशी से ये बात कभी छिपी नही रही की अपस्यु और अवनी एक दूसरे को चाहते हैं। आर्यमणि मान गया।


चर्चाओं का एक छोटा सा सिलसिला शुरू हुआ। अपस्यु ने आश्रम पर चल रहे साजिश के बारे में बताया। शुरू से लेकर आज तक कैसे आश्रम जब भी उठने की कोशिश करता रहा है, कुछ साजिशकर्ता उसे ध्वस्त करते रहे। गुरु निशी की संदिग्ध मृत्यु के विषय में चर्चा हुई। अपस्यु के अनुसार.… "जिन लोगों ने आश्रम में आग लगायी वो कहीं से भी गुरु निशी के आगे नहीं टिकते। सामने रहकर मारने वाले की तो पहचान है लेकिन पीछे किसकी साजिश थी वह पता नहीं था, तबतक जबतक की आर्यमणि के पीछे संन्यासी शिवांश नही पहुंचे थे। और अब हमें पता है की लंबे समय से कौन पीछे से साजिश कर रहा था। लेकिन अपने इस दुश्मन के बारे में जरा भी ज्ञान नहीं।"



आर्यमणि मुस्कुराते हुये कहने लगा.… "धीरे बच्चे.. मैं बड़ा और तुम छोटे।"..


अपस्यु:– हां बड़े गुरुजी..


आर्यमणि:– "ठीक है छोटे फिर तुम जो ये अपनो को समेट कर खुद में सक्षम होने का काम कर रहे थे, उसे करते रहो। कुछ साल का वक्त लो ताकि दिल का दर्द और हल्का हो जाये। ये न सिर्फ तुम्हारे लिये बेहतर होगा बल्कि तुम्हारी टीम के लिये भी उतना ही फायदेमंद होगा। जिसने तुम्हारे आंखों के सामने तुम्हारे परिवार को मारा, वो तुम्हारा हुआ। मारना मत उन्हे... क्योंकि मार दिये तो एक झटके में मुक्ति मिल जायेगी। उन्हे सजा देना... ऐसा की मरने से पहले पल–पल मौत की भीख मांगे।"

"परदे के पीछे वाला जो नालायक है वो मेरा हुआ। मेरे पूरे परिवार को उसने बहुत परेशान किया है। मेरे ब्लड पैक को खून के आंसू रुलाये हैं। इनका कृतज्ञ देखकर मैं आहत हूं। निकलने से पहले मै उनकी लंका में सेंध मारकर आया था। संन्यासी शिवांश से आग्रह भी कर आया था कि मेरे परिवार की देखभाल करे।"


अपस्यु:– आश्रम के कई लोग नागपुर पहुंच चुके है। हमारी सर्विलेंस उन अजीब से लोगों पर भी शुरू हो चुकी है जो आश्रम के दुश्मन है। हम उन्हे अब समझना शुरू कर चुके है। उनके दिमाग से खेलना शुरू कर चुके है।


आर्यमणि:– उस आदमी से कुछ पता चला, जिसे संन्यासी शिवम को मैने पैक करके दिया था। (थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी, जिसे संन्यासी शिवम अपने साथ ले गया था)


अपस्यु:– आपने जिस आदमी को पैक करके शिवम के साथ भेजा था, वह मरा हुआ हमारे पास पहुंचा। अपने समुदाय का काफी वफादार सेवक था। हमने वहीं उसका अंतिम संस्कार कर दिया।


आर्यमणि:– उस तांत्रिक का क्या हुआ जिसे रीछ स्त्री के पास से पकड़े थे।


अपस्यु:– तांत्रिक उध्यात एक जटिल व्यक्ति है। हम उन्हे बांधने में कामयाब तो हुये है, लेकिन कुछ भी जानकारी नही निकाल सके। उनके पास हमलोगों से कहीं ज्यादा सिद्धि है, जिसका तोड़ हमारे पास नही। कुछ भी अनुकूल नहीं है शायद। और हम हर मोर्चे पर कमजोर दिख रहे।


आर्यमणि:– मरना ही तो है, कौन सा हम अमर वरदान लेकर आये हैं। फिर इतनी चिंता क्यों? इतनी छोटी उम्र में इतना बोझ लोगे तो जो कर सकते हो, वो भी नही कर पाओगे। चिल मार छोटे, सब अच्छा ही होगा।


अपस्यु:– हां कह सकते है। मुझे बड़े गुरु जी मिल गये। सो अब मैं अपनी नाकामी पर शर्मिंदा नहीं हो सकता क्योंकि मेरे ऊपर संभालने वाला कोई आ गया है। वरना पहले ऐसा लगता था, मैं गलती कैसे कर सकता हूं।


आर्यमणि:– चलो फिर सुकून है। आज से अपनी चिंता आधी कर दो। दोनो पक्ष को हम एक साथ सजा देंगे। तुम आग लगाने वाले को जिस अवधि में साफ करोगे, उसी अवधि में मैं इन एपेक्स सुपरनैचुरल का भी सफाया करूंगा। हम दोनो ये काम एक वक्त पर करेंगे।


अपस्यु:– हां ये बेहतर विकल्प है। जबतक हम अपनी तयारी में भी पूरा परिपक्व हो जायेंगे।


आर्यमणि:– बिलकुल सही कहा...


अपस्यु:– मैने सुना है ये जो आप इंसानी रूप लिये घूम रहे है, वो मेकअप से ऐसा बदला है कि वास्तविक रूप का पता ही नही चलता। इतना बढ़िया आर्ट सीखा कहां से।


आर्यमणि:– मेरे बीते वक्त में एक दर्द का दौड़ था। उस दौड़ में मैने बहुत सी चीजें सीखी थी। कुछ काम की और कुछ फालतू... ये मेरे फालतू कामों में से एक था जो भारत छोड़ने के बाद बहुत काम आया।


अपस्यु:– हमारे साथ स्वस्तिका आयी है। गुरु निशी की गोद ली हुई पुत्री है। उसे ये आर्ट सीखा दो ना बड़े गुरुजी...


आर्यमणि:– मेरे पास कुछ विषय के विद्वानों का ज्ञान है। चलो देखते हैं किसकी किसमे रुचि है, उनको शायद मैं मदद कर सकूं। वैसे एक बात बताओ मेरे घर का सिक्योरिटी सिस्टम को किसी मंत्र से तोड़ा या कोई कंप्यूटर एक्सपर्ट है।


अपस्यु:– एमी है न, वही ये सारा काम देखती है..


आर्यमणि:– विश्वास मानो इस भौतिक दुनिया में कंप्यूटर और पैसे से बड़ा कोई सुपरनैचुरल पावर नही। अच्छा लगा एक कंप्यूटर एक्सपर्ट तुम्हारी टीम में है..


अपस्यु:– अभी तो सब सीख ही रहे है। और पैसे अपने पास तो बिलकुल नही, लेकिन आश्रम को जलाने वाले दुश्मन के इतने पैसे उड़ाये है कि कहां ले जाये, क्या करे कुछ समझ में नहीं आ रहा।


आर्यमणि:– मेरी भूमि दीदी ने एक बात समझाई थी। पैसे का कभी भी सबूत न छोड़ो। और जो पैसा सिर दर्द दे, उसे छोड़कर निकल जाओ... पैसा वो तिलिस्मी चीज है जिसके पीछे हर कोई खींचा चला आता है। एक छोटी सी भूल और आपका खेल खत्म।


अपस्यु:– आपको बाहरी चीजों का बहुत ज्ञान है बड़े गुरु जी। मैं तो गुरुकुल में ही रहा और वहां से जब बाहर निकला तब दुनिया ही बदल चुकी थी। पहले अपनी दुनिया समेट लूं या दुनिया को समझ लूं यही विडंबना है।


आर्यमणि:– "मैं भी शायद कभी जंगल से आगे की दुनिया नही समझ पाता। मैने एक कमीने की जान बचाई। और उसी कमीने ने बदले में लगभग मेरी जान ले ली थी। एक लड़की ने मुझसे कहा था, हर अच्छाई का परिणाम अच्छा नहीं होता। शायद तब वो सही थी, क्योंकि मैं नर्क भोग रहा था। उस वक्त मुझे एहसास हुआ की मरना तो आसान होता है, मुश्किल तो जिंदगी हो जाती है।"

"खैर आज का आर्यमणि उसी मुश्किल दौड़ का नतीजा है। शायद उस लड़की ने, उस एक घटिया इंसान की करतूत देखी, जिसकी जान मैने बचाई थी। लेकिन उसके बाद के अच्छे परिणाम को वह लड़की देख नही पायी। मेरे एक अच्छे काम के बुरे नतीजे की वजह से मैंने क्या कुछ नही पाया था। ये जिंदगी भी अजीब है छोटे। अच्छे कर्म का नतीजा कहीं न कहीं से अच्छा मिल ही जाता है, बस किसी से उम्मीद मत करना...


अपस्यु:– आपसे बहुत कुछ सीखना होगा बड़े गुरुजी।


आर्यमणि:– नाना... मैं भी सिख ही रहा हूं। तुम भी आराम से अभी कुछ साल भारत से दूर रहो। सुकून से पहले इंसानो के बीच रहकर उनकी अजीब सी भावना को समझो। जिंदगी दर्शन तुम भी लो… फिर आराम से वापस लौटकर सबको सजा देने निकलना...


अपस्यु:– जैसा आप कहो। मेरे यहां के मेंटर तो आप ही हो।


आर्यमणि:– हम्म् सब मिलकर मुझे ही बाप बना दो.. वो तीन टीनएजर कम थे जो तुम्हारा भी एक ग्रुप आ गया।


अपस्यु:– कौन सा मैं आपके साथ रहने वाला हूं। बस बीच–बीच में एक दूसरे की स्किल साझा कर लिया करेंगे।


आर्यमणि:– हां लेकिन मेरी बात मानो और यहां से भारत लौटकर मत जाओ। पूरी टीम को पहले खुल कर जीने दो। कुछ साल जब माहोल से दूर रहोगे, तब सोच में बहुत ज्यादा परिवर्तन और खुद को ज्यादा संयम रख सकते हो। वैसे तुम तो काफी संतुलित हो। मुझसे भी कहीं ज्यादा, ये बात तो मैने जंगल में देख लिया। लेकिन तुम्हारी टीम के लिये शायद ज्यादा फायदेमंद रहे...


अपस्यु:– बड़े गुरु जी यहां रहना आसान होगा क्या?


आर्यमणि:– मुझे जो अनुभव मिला है वो तुम्हारे काम तो आ ही जायेगा। पहले अपनी टीम से मिलवाओ, फिर हम तुम्हारे दुश्मन के पैसे का भी जुगाड लगाते है।


आर्यमणि, अपस्यु की टीम से मिलने चला आया। अपस्यु और ऐमी (अवनी) के अलावा उनके साथ स्वस्तिका, नाम की एक लड़की, पार्थ और आरव नाम के 2 लड़के। कुल 5 लोगों की टीम थी। आर्यमणि ने सबसे थोड़ी जान पहचान बनानी चाही, किंतु अपस्यु को छोड़कर बाकी सब जैसे गहरे सदमे में हो। आर्यमणि उनकी भावना मेहसूस करके चौंक गया। अंदर से सभी काफी दर्द में थे।


आर्यमणि से रहा नही गया। आज से पहले उसने कभी किसी के भावना को अपने नब्ज में उतारने की कोशिश नही किया था। अचानक ही उसने ऐमी और आरव का हाथ थाम लिया। आंख मूंदकर वही "ॐ" का उच्चारण और फिर वह केवल उनके अंदर के दर्द भरी भावना के सिवा और कुछ भी मेहसूस नही करना चाह रहा था। आर्यमणि ने अपना हाथ रखा और भावना को खींचने की कोशिश करने लगा।


आंख मूंदे वह दोनो के दर्द को मेहसूस कर रहा था। फिर ऐसा लगा जैसे उनका दर्द धीरे–धीरे घटता जा रहा है। इधर उन दोनो को अच्छा लग रहा था और उधर आर्यमणि के आंखों से आंसू के धारा फुट रही थी। थोड़ी देर बाद जब आर्यमणि ने उनका हाथ छोड़ा, तब दोनो के चेहरे पर काफी सुकून के भाव थे। उसके बाद फिर आर्यमणि ने स्वस्तिका और पार्थ के हाथ को थाम लिया। कुछ देर बाद वो लोग भी उतने ही शांति महसूस कर रहे थे। अपस्यु अपने दोनो हाथ जोड़ते... "धन्यवाद बड़े गुरुजी"..


आर्यमणि:– तू बड़े ही कहा कर छोटे। हमारी बड़े–छोटे की जोड़ी होगी... मेरा कोई भाई नहीं, लेकिन आज से तू मेरा छोटा भाई है.. ला हाथ इधर ला…


अपस्यु ने जैसे ही हाथ आगे बढाया, आर्यमणि पहले चाकू से अपस्यु का हथेली चिर दिया, फिर खुद का हथेली चिड़कड़ उसके ऊपर रख दिया। दोनो २ मिनट के लिये मौन रहे उसके बाद आर्यमणि, अपस्यु का हाथ हील करके छोड़ दिया। जैसे ही आर्यमणि ने हाथ छोड़ा अपस्यु भी अपने हाथ उलट–पलट कर देखते... "काफी बढ़िया मेहसूस हो रहा। मैं एक्सप्लेन तो नही कर सकता लेकिन ये एहसास ही अलग है।"…


फिर तो बड़े–बड़े बोलकर सबने हाथ आगे बढ़ा दिये। एक छोटे भाई की ख्वाइश थी, तीन छोटे भाई, एक छोटी बहन और साथ में एक बहु भी मिल गयी, जिसका तत्काल वर्णन आर्यमणि ने नही किया। सोमवार की सुबह आर्यमणि का बड़ा सा परिवार एक छत के नीचे था। अपनी मस्ती बिखेड़कर अल्फा पैक भी वापस आ चुके थे। एक दूसरे से परिचय हो गया और इसी के साथ अल्फा पैक की ट्रेनिंग को एक नई दिशा भी मिल गयी।वुल्फ के पास तो हवा के परखने की सेंस तो पहले से होती है, लेकिन अल्फा पैक तो जैसे अपने हर सेंस को पूर्ण रूप से जागृत किये बैठे थे, बस जरूरत एक ट्रिगर की थी।


अपस्यु वहां रुक कर सबको हवा को परखने और पूर्ण रूप से वातावरण में खो कर उसके कण–कण को मेहसूस करने की ट्रेनिंग दे रहा था। और इधर आर्यमणि, अपस्यु और उसकी टीम को धीरे–धीरे ज्ञान से प्रकाशित कर रहा था। स्वस्तिका को डॉक्टर और मेक अप आर्टिस्ट वाला ज्ञान मिल रहा था। ऐमी को कंप्यूटर और फिजिक्स का। आरव को वाणिज्य और केमिस्ट्री। पार्थ को फिजिक्स, और केमिस्ट्री। इन सब के दिमाग में किसी याद को समेटने की क्षमता काफी कम थी। मात्र 5% यादें ही एक दिन में ट्रांसफर हो सकती थी।


वहीं अपस्यु के साथ मामला थोड़ा अलग था। उसका दिमाग एक बार में ही सभी विद्वानों के स्टोर डेटा को अपने अंदर समा लिया। चूंकि अपस्यु आश्रम का गुरु भी था। इसलिए आर्यमणि ने सीक्रेट प्रहरी के उन 350 कितना के आखरी अध्याय को साझा कर दिया जिसमे साधु को मारने की विधि लिखी थी। साथ ही साथ 50 मास्टर क्लास बुक जिसमे अलग–अलग ग्रह पर बसने वाले इंसानों और वहां के पारिस्थितिकी तंत्र तंत्र का वर्णन था, उसे भी साझा कर दिया।


खैर इन सब का संयुक्त अभ्यास काफी रोमांचकारी था। आर्यमणि ने अपस्यु और उसके पूरे टीम को तरह–तरह के हथियार चलाना सिखाया। ट्रैप वायर लगाना और शिकार को फसाने के न जाने कितने तरीके। जिसमे पहला बेहद महत्वपूर्ण सबक था धैर्य। किसी भी तरीके से शिकार पकड़ना हो उसके लिये सबसे ज्यादा जरूरी था धैर्य। उसके बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात, शिकार फसाने का तरीका कोई भी हो, लेकिन किसी भी तरीके में शिकार को शिकारी की भनक नहीं होनी चाहिए।


खैर संयुक्त अभ्यास जोरों पर था और उतने ही टीनएजर के झगड़े भी। कभी भी कोई भी टीनएजर किसी के साथ भी अपना ग्रुप बनाकर लड़ाई का माहोल बना देते थे। कभी–कभी तो आर्यमणि को अपने बाल तक नोचने पड़ जाते थे। हां लेकिन एक अलबेली ही थी जिसके कारनामों से घर में ठहाकों का माहोल बना रहता था। अलबेली तो अपने नाम की तर्ज पर अलबेली ही थी। इवान को चिढ़ाने के लिये वह पार्थ के साथ कभी–कभी फ्लर्ट भी कर देती और इवान जल–बूझ सा जाता। सभी टीनएजर ही थे और जो हाल कुछ दिन पहले अल्फा पैक का था, वैसा ही शोक तो इनके खेमे में भी था। दुनिया में कोई ऐसा शब्द नही बना जो किसी को सदमे से उबार सके, सिवाय वक्त के। और जैसे–जैसे सभी टीनएजर का वक्त साथ में गुजर रहा था, वो लोग भी सामान्य हो रहे थे।


अपस्यु की टीम को सबसे ज्यादा अच्छा जंगल में ही लगता। जब अल्फा पैक किसी जानवर या पेड़ को हील करते, वो लोग अपना हाथ उनके हाथ के ऊपर रख कर वह सबकुछ मेहसूस कर सकते थे, जो अल्फा पैक मेहसूस करता था। अपस्यु और उसके टीम की जिदंगी जैसे खुशनुमा सी होने लगी थी। अल्फा पैक के साथ वो लोग जीवन संजोना सिख रहे थे।


इसी बीच आर्यमणि अपने छोटे (अपस्यु) के काम में भी लगा रहा। अपने पहचान के मेयर की लंका तो खुद आर्यमणि लगा चुका था। इसलिए ग्रीन कार्ड के लिये किसी और जुगाड़ू को पकड़ना था। साथ ही साथ अपस्यु एंड टीम ने जो अपने दुश्मन के पैसे उड़ाये थे, उन्हे भी ठिकाने लगाना था। आर्यमणि कुछ सोचते हुये अपस्यु से लूट का अमाउंट पूछ लिया। अपस्यु ने जब कहा की उसने हवाला के 250 मिलियन उड़ाये हैं, आर्यमणि के होश ही उड़ गये। उस वक्त के भारतीय रुपए से तकरीबन 1000 करोड़ से ऊपर।


आर्यमणि:– ये थोड़ा रुपया है...


अपस्यु:– हमे क्या पता। हमारा तो लूट का माल है। जिनका पैसा है वो जाने की ऊसको कितना नुकसान हुआ।


आर्यमणि:– हम्मम रुको एक से पूछने दो। डील सेट हो गया तो पैसे ठिकाने लग जायेंगे...


आर्यमणि ने पार्किनसन को कॉल लगाया। कॉल लगाते ही सबसे पहले उसने यही पूछा की उसका हवाले का धंधा तो नही। उसने साफ इंकार कर दिया। उसने बताया की वह केवल वेपन, कंस्ट्रक्शन और गोल्ड के धंधे में अपना पैसा लगाता है। बाकी वह हर वो धंधा कर लेगा जिसमे कमीशन अच्छा हो। आर्यमणि ने 250 मिलियन का डील पकड़ाया, जिसे यूरोप के किसी ठिकाने से उठाना था। पार्केनसन एक शर्त पर इस डील को आगे बढ़ाने के लिये राजी हुआ... "जब कभी भी पैसे के पीछे कोई आयेगा, वह सीधा आर्यमणि के पीछे भेज देगा और कमीशन के पैसे तो भूल ही जाओ।" आर्यमणि ने जैसे ही उसके शर्त पर हामी भरी, डील सेट हो गया। 30% कमीशन से पार्किनसन ने मामला शुरू हुआ और 23% पर डील लॉक।


आधे घंटे में लोग ठिकाने पर पहुंच चुके थे। पूरे पैसे चेक हो गये। जैसे ही सब सही निकला अपस्यु के अकाउंट में पैसे भी ट्रांसफर हो गये। अपस्यु इस कमाल के कनेक्शन को देखकर हैरान हो गया। एक काम हो गया था। दूसरा काम यानी की ग्रीन कार्ड के लिये जब आर्यमणि ने पूछा तब पार्किनसन ने उसे या तो मेयर की बीवी से मिलने कह दिया, जो अपने पति को हटाकर खुद एक मेयर बन चुकी थी, या फिर शिकागो चले जाने कहा।


अपस्यु के दोनो समस्या का हल मिल गया था। लगभग 60 दिन साथ बिताने के बाद सभी ने विदा लिया। इस बीच आर्यमणि नए मेयर से मिला। यानी की पुराने मेयर की बीवी, जो अपने पति को हटाकर खुद अब मेयर थी। आर्यमणि ने पहले तो अपना पहचान बताया। आर्यमणि से मिलकर मानो वो मेयर खुश हो गयी हो। उसे भी 50 हजार यूएसडी का चंदा मिला और बदले में अपस्यु और आरव के ग्रीन कार्ड बन गये। स्वस्तिका अपनी अलग पहचान के साथ भारत वापस लौट रही थी। ऐमी की तो अपनी पहचान थी ही और पार्थ पहले से एक ब्रिटिश नागरिक था।


हर कोई विदा लेकर चल दिया। अपस्यु अपनी टीम को सदमे से उबरा देख काफी खुश नजर आ रहा था। नम आंखों से अपने दोनो हाथ जोडकर आर्यमणि से विदा लिया।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update

Sab log ghul mil gaye hey एक साथ

Sabne apna shiksha bhi lelii hey ye bohot hi acha huva

Aur pise ka bhi jugad ho hi gaya
 

andyking302

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भाग:–72






अपस्यु और उसकी टीम जा चुकी थी। उनके जाने के साथ ही घर की चहल–पहल भी चली गयी। अलबेली, इवान और ओजल रोज सुबह से स्कूल में व्यस्त हो जाते। स्कूल खत्म करके तीनों वहीं से सीधा ड्राइविंग स्कूल और ड्राइविंग स्कूल से शाम को घर। टीन वुल्फ के लिये फिर भी काम मिल गया था, लेकिन आर्यमणि और रूही का ज्यादातर वक़्त खाली ही गुजरता। लगभग महीना दिन बीतने को आया, दिन में टीवी देखते हुये रूही कहने लगी…. "पड़े–पड़े कबतक दूसरो का पैसा खर्च करेंगे। 3 महीने में हम 30 हजार डॉलर फूंक चुके है।"


आर्यमणि:- क्या करे, कोई शॉप खोल लूं इधर।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, हम मसालेदार इंडियन डिशेज बनायेंगे।


आर्यमणि:- और क्या होगा उस मसालेदार डिश में, भेजा फ्राई, कबाब, चिकन, मटन।


रूही:- तुम्हे नॉन भेज से इतनी एलर्जी क्यों है। इंसान भी तो खाते है।


आर्यमणि:– और तुम क्या हो जानवर..


रूही:– वही तो, नॉन वेज खाने के समय तुम हमे जानवर काउंट करते हो और सभी चीजों में विशेष इंसान। आम इंसानों की तरह ही यहां भी हमे काउंट किया जाना चाहिए।


आर्यमणि:- हां आम इंसान खाते है लेकिन तुम लोग विशेष इंसान हो। वॉयलेंटली खाओगे, जो तुम्हारे स्वभाव को बदलेगा। यूं समझ लो एक तरह का ज़हर है जो एग्रेसिव बनायेगा।


रूही:- मानती हूं, तो क्या हफ्ते 10 दिन में एक दिन तो पका लेने दो। उन तीन मासूमों का भी तो ख्याल करो।


आर्यमणि:- अच्छा ठीक है आज रात पका लेना।


रूही:- जे बात। थनकू सो मच।


आर्यमणि:- आज रात, रात्रि चरते है। देखते है यहां की नाइट लाइफ।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, इन तीनों का क्या?


आर्यमणि:- तीनों के सोने के बाद चलेंगे।


आज शाम चारो की अच्छी दावत हुई। चारो ही शाम से खाना शुरू किये। रात सोने से पहले तक डाकर ले लेकर खाये और मस्त चकाचक नींद मारकर सो गये। रात को लगभग 11 बजे आर्यमणि और रूही पैदल सड़कों पर घूमने निकले।


रूही:- आर्य तुम किस सवाल का जवाब ढूंढते हुये नागपुर पहुंचे थे।


आर्यमणि:- था एक बकवास सवाल, जिसने जिंदगी बदल डाली।


रूही:- हाहाहाहा… हां वरना अभी तक तो सर नागपुर में पुरा रंग जमा चुके होते।


आर्यमणि:- कहना क्या चाहती हो.. ???


रूही:- हम यहां लाइफ जीने आये थे। हर मुश्किल और हर सवालों से दूर एकांत की एक जिंदगी, लेकिन जब यहां आकार जीने की कोशिश कर रही हूं तो जीना इतना मुश्किल क्यों लग रहा है?


आर्यमणि:- क्योंकि जब हमारे पास करने को कुछ नहीं होता तो ऐसे ही बकवास बातें दिमाग में आती है।…. जिंदगी में इतनी तन्हाई क्यों है? क्यों लोग आज कल स्वार्थी हो रहे है? मेरे जीने का मकसद क्या? कभी-कभी लगता है मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?


फटाक, एक जोरदार पंच और आर्यमणि की नाक टूट गयी। वो अपने नाक पर रुमाल लगाकर कुछ बोलने ही वाला होता है कि सड़क पर चल रही एक बेकाबू कार पलट जाती है, जो लगभग 20 फिट घिस्टाते हुए एक पोल से जा टकराती है। दोनो दौड़कर वहां पहुंचे और कार में फसे व्यक्ति को निकालने की कोशिश करने लगे। वो आदमी सीट बेल्ट लगाये अंदर फसा था। गाड़ी पलटने के कारण पेट्रोल सड़क पर बह रहा था। रूही को लगा कोई भी सिगरेट पीता आदमी इधर से गुजरा तब तो अपने साथ-साथ पूरे कार को भी फ्राय कर देगा। रूही जबतक मिट्टी वगैरह डालकर वहां बचाव कर रही थी, आर्यमणि उसका सीट बेल्ट खोलते… "रूही इसका पाऊं तो बोनट में फसा हुआ है, तुम एम्बुलेंस को कॉल करो।"..


रूही एम्बुलेंस को कॉल करने लगी, तभी आर्यमणि को मेहसूस हुआ उस आदमी की धड़कन गायब हो रही है। अपना हाथ लगाकर उसने हील करना शुरू किया। जैसे ही हीलिंग शुरू हुई, आर्यमणि किसी तरह खुद को शांत रखने की कोशिश करने लगा। हील करते हुये आर्यमणि को काफी पीड़ा हो रही थी। वह आदमी कार एक्सीडेंट से नही मरता तो भी उसके शरीर में फैल रहा जहर उसे मार देता। आर्यमणि की हीलिंग जैसे ही खत्म हुई, वहां पुलिस और एम्बुलेंस भी आ पहुंची।


उन दोनों का एड्रेस और बयान दर्ज करके पुलिस वाले ने दोनों को जाने के लिए बोल दिया। दोनो वहां से निकले…. "क्या हुआ, उसके खून की खुशबू से परेशान हो।"


रूही:- हां, आर्य बहुत ही अलग खिंचाव होता है ताज़ा कटे खून में, ऊपर से इंसान का हो तो पता नहीं दिमाग में क्या होने लगता है। तुम्हे कभी ऐसा फील नहीं हुआ क्या?


आर्यमणि:- हां पहली बार चित्रा का खून देखकर। तुम्हारे जितना तो नहीं, लेकिन थोड़ा सा खिंचाव था। दरअसल सरदार की गली में हमेशा कटे मांस और खून के गंध पर ही तुम और अलबेली पली बढ़ी हो। उन लोगों ने तुम्हे काबू करने के बदले उन्हें नोचना सिखाया था इसलिए इतना आकर्षण हैं। वैसे ये अच्छा आइडिया है, ब्लड के आकर्षण को काबू करना, कंट्रोल का अच्छा एक्सरसाइज होगा।


अगली सुबह, चारो को खड़ा करके एक बड़ा सा माउंटेन एश का सर्किल बाना दिया गया। आर्यमणि ने एक बकड़े में थोड़ा सा सुराख करके उनके नजदीक रखा और खून की गंध पर काबू पाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी। आकर्षण ऐसा था कि उसे पाने के लिए तीनों टीन वुल्फ माउंटेन एश के सर्किल से बाहर आने की जद्दो–जहद करते रहे, और अपनी सारी ऊर्जा उसी में गवा बैठे। माउंटेन एश के सर्किल को हाथ लगाना ही एक सदमे जैसा अनुभव था, और तीनो ने तो काफी ज्यादा जोर लगा दिया था।


ओजल, इवान और अलबेली तीनों को जब सर्किल से बाहर निकाला गया, बेसुध होकर वहीं हॉल में ही लेट गये। जानवर के खून के प्रति रूही का आकर्षण उतना नहीं था, इसलिए वो शांत बस सबके साथ खड़ी रही… रूही उनकी हालत को देखकर आगे बढ़ी हील करने… "नहीं ये हील नहीं होंगे। छोड़ दो ये खुद से रिकवर हो जायेंगे शाम तक।"


रूही:- माउंटेन एश का प्रभाव हम पर इतना क्यों है।


आर्यमणि:- ये एक प्रकार का पौधा है जो हिमालय के ऊंची चोटियों पर पाया जाता है, ग्रीन हाउस बनाकर शिकारी भी इसकी खेती करते है। कहा जाता है यह एक बैरियर है, जो एक दुनिया को दूसरे दुनिया में बांध देता है।


रूही:- तो क्या हम इस बैरियर को पार नहीं कर पायेंगे।


आर्यमणि:- ना तो तुम पूर्ण इस दुनिया की होकर रहना चाहती हो, ना तो तुम पूर्ण उस दुनिया की। इसलिए तुम ये बैरियर पार नहीं कर सकती।


रूही:- लेकिन ओजल और इवान का इंसानी पक्ष ज्यादा मजबूत है, फिर वो क्यों नहीं इस बैरियर से बाहर निकल पाये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है एक अल्फा हिलर इस बैरियर को बहुत आसानी पार कर ली थी और फिर….


रूही:- क्या हुआ क्या सोचने लग गये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है पलक की कोई भी इमोशंस तुम्हे मेहसूस क्यों नहीं हुये?


रूही:- क्यों?


आर्यमणि:- क्योंकि वो सब भी एक सुपरनेचुरल है, जिन्हे इंसानी दुनिया में रहने के लिए ट्रेंड किया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि वो जो सरदार खान कह रहा था उनका मालिक अपेक्स सुपरनेचुरल है वो वाकई में सही कह रहा था। प्रहरी में कुछ लोग सुपरनेचुरल होते है, तो कुछ लोग आम इंसान।


रूही:- अब एक माउंटेन एश की बात पर इतनी समीक्षा क्यों?


आर्यमणि:- "सरदार खान की लगभग 400 साल पुरानी याद में एक जगह वर्णित है, नालंदा विश्वविद्यालय। वहां से 10 किलोमीटर पश्चिम में वो गया था, किसी आचार्य से मिलने। मुझे अच्छे से याद है उसके पीछे 8-10 साये थे। यानी कुछ लोग थोड़े दूरी पर खड़े थे जिसकी परछाई सरदार खान के पास तक आ रही थी, और सरदार खान रह-रह कर उस परछाई को देख रहा था। जबकि आचार्य सरदार से नजरे मिलाकर बात कर रहे थे।"

"उसके बाद सरदार खान के कुछ दिनों की यादें नहीं थी। लेकिन एक साल बाद की याद में सरदार खान वहीं आचार्य के पास था और उसके पीछे कुछ शिष्य खड़े थे। इस बार भी आचार्य सरदार खान को ही देख रहे थे, लेकिन वो रह रहकर आचार्य के पीछे खड़े लड़को को देख रहा था।"

"अगर दोनो घटना में कुछ सामान्य था, वो था आचार्य के कुटिया के पास की वो रेखा और दोनो ही दिन में कुछ लोगो का होना। जहां पहली मुलाकात में कुछ लोग सरदार खान के बहुत पीछे खड़े थे और सरदार खान खींची लाइन के बाहर खड़ा होकर आचार्य से बात रहा था… "कुछ शिष्य आपकी सेवा में आना चाहते है।" वहीं दूसरी चर्चा में कुछ शिष्य आचार्य के पीछे खड़े थे और सरदार खान ने कहा था…. "आप है तो सब संभव है आचार्य।" और सबसे बड़ी बात एक शिष्य जब आचार्य की खींची रेखा को पार कर रहा था, सरदार खान के चेहरे के भाव कुछ पल के लिए बदल गये थे।"


रूही:- इसका मतलब तुम कहना चाह रहे हो की वो जो 8-10 लोग थे वो सुपरनेचुरल थे, जिन्हे अचार्य ने माउंटेन ऐश की खींची रेखा से निकलना सिखाया।


आर्यमणि:- हां, 100 फीसदी सुनिश्चित, क्योंकि परिवार के अंदर जो भसर मची है, सिर्फ इसी एक पॉइंट की वजह से। ये जो खुद को एपेक्स सुपरनेचुरल मानते है, उन्हे बस अपने जैसों से प्यार होता है। जैसे की मेरे मौसा के घर में, भूमि दीदी इंसान के रूप में पैदा हुई, इसलिए वो अलग है और उसके लिये इमोशन भी अलग है जबकि तेजस उन्ही जैसा सुपरनेचुरल है, इसलिए तेजस के लिये अलग इमोशन..


रूही:– ये तो बड़ी खबर है। तो क्या इनके सुपरनेचुरल होने के कारण ही हम उनके इमोशन को नही पढ़ सकते..


आर्यमणि:– जहीर सी बात है, इसी एक पहचान के कारण मुझे भी पता चला था की मेरे मौसा–मौसी और तेजस परिवार में एक जैसे है और बाकी सब अलग।


रूही:– किस प्रकार के सुपरनेचुरल है ये लोग, जो खुद को शर्वश्रेठ की श्रेणी में मानते है।


आर्यमणि, जोर से चिल्लाते... "मैं जान गया, मैं जान गया की ये लोग किस प्रकार के सुपरनेचुरल है। ये पृथ्वी पर पाये जाने वाले एक भी सुपरनेचुरल में से नही है। बल्कि... बल्कि ये लोग किसी दूसरे ग्रह के निवासी है। इनके पास जो पृथ्वी से लेकर अन्य ग्रह के मानव प्रजाति के क्लासिफिकेशन का संग्रह है, इस से यही लगता है की इन्होंने कई ग्रहों का भ्रमण भी किया है, और वहां बसने वालों का पूर्ण अवलोकन किया है। हां लेकिन उस पुस्तक में इन्होंने अपना कहीं क्लासिफिकेशन नही लिखा है।"


रूही:– साले हरामि एलियन.. आर्य ये किस प्रकार के एलियन हो सकते है। और इनके पास कैसी ताकत हो सकती है?


आर्यमणि:– अनोखे पत्थर का प्रयोग जानते है। हवा को कंट्रोल कर सकते है। और क्या खास है वो पूरा पता नही। अपने समुदाय को छोड़कर बाकियों के लिये कोई इमोशन नही। साधुओं से इन्हे खतरा लगता है। खासकर सात्विक आश्रम से और ये लोग किसी वेयरवॉल्फ के झुंड का शिकर भी हो सकते थे। इसलिए वेयरवोल्फ को अपने नियंत्रण में रखते हैं और सात्विक आश्रम को तो कभी खड़ा ही नहीं होने दिया। न जाने कितने साधुओं को मारा होगा इन्होंने..


रूही:– बॉस इतनी गहरी समीक्षा। चलो एक बात तो मान सकती हूं कि सिद्ध पुरुष से उन्हे खतरा है। लेकिन वेयरवॉल्फ... नागपुर के जंगलों में उन एलियन ने तुम्हारा क्या हाल किया था, वो भूल गये क्या?


आर्यमणि:– मैं कुछ नहीं भूलता। सुनो अब ऐसा तो है नही की जिन शक्तियों के साथ ये लोग पहुंचे थे, उन्ही शक्तियों पर आज तक टिके रहे। इनके पास ऐसे पत्थर है जो दूसरों की शक्तियों को अपने अंदर निहित कर सकते है। मैं अभी बता तो नही सकता की उनके पत्थर किस प्रकार की शक्तियों का अधिग्रहण कर लेते है, लेकिन इतना जरूर बता सकता हूं कि वेयरवोल्फ के झुंड ने सीक्रेट प्रहरी का शिकर किया था, इसलिए वेयरवोल्फ के बहुत सी शक्तियों को इन लोगों ने चुरा लिया। इनका दिमाग तब चक्कर खा गया होगा जब वेयरवोल्फ के बारे में इतनी गहराई से जानने और उन्हें अपने नियंत्रण में रखने के बावजूद तुम्हारी मां ने सकडों वर्ष बाद एलियन का शिकर कर लिया था।


रूही:– क्या मेरी मां ने.. ये कैसे कह सकते हो...


आर्यमणि:– "इसमें कैसे वाली तो कोई बात ही नही है। शुरू से उन एलियन के लिये वेयरवोल्फ एक दुश्मन रहा था। एक तो वेयरवोल्फ के खुद की शक्तियां उसके ऊपर इनके झुंड की ताकत, इसके सामने ये एलियन घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते होंगे। बाद में इन लोगों ने वेयरवोल्फ पर रिसर्च किया और बहुत से पावर को चोरी कर लिये। इंसानों के मुकाबले वेयरवोल्फ काफी ताकतवर और अकर्मक होते है। इन्हे करप्ट करना काफी आसान होता है, इसलिए इन लोगों ने प्रहरी संस्था में अपनी घुसपैठ बनाई होगी। या नहीं तो पूरे प्रहरी को ही समाप्त करने के बाद पूरे प्रहरी समाज को अपने अनुरूप ढाल दिया होगा।"

"सकड़ों वर्षों बाद अमेजन के जंगलों फेहरीन के झुंड से प्रहरी का सामना हो गया था। संभवतः वह सीक्रेट प्रहरी का झुंड था और पहली बार किसी ट्रू अल्फा से भिड़ रहे थे। फेहरीन नागपुर लायी गयी, तब सरदार खान ने पहली मुलाकात में ही कहा था, "एक को मारने में अपने पूरे पैक को दाव पर लगा दी।"… लेकिन फेहरीन ने जो जवाब दिया वह सरदार खान के मस्तिष्क से गायब था। सीधे दूसरे सवाल परपहुंच गया.… "कैसे बचकर निकल गयी थी तू उस घेरे (माउंटेन ऐश) से।"… और तुम्हारी मां ने कहा था… "तुम्हारी आत्मा तक काली है सरदार।"…

"फेहरीन की एक और बात रह-रह कर याद आती है जब वो सरदार से कह रही थी… "तुम सिर्फ अपने दहाड़ के कारण मुझसे बेहतर हो, और मैंने हमेशा अपने जंगल को बचाया है इसलिए किसी को मरता नहीं देख सकती, और ना ही तुम्हारे नियंत्रण को मै अपने ऊपर से हटा पाती हूं, यही मेरी विवस्ता है।"


रूही:- मेरी आई बेस्ट थी, लेकिन प्रहरी ने उनके साथ बहुत बुरा किया। खैर भावनाएं अपनी जगह लेकिन मुझे ये समझा सकते हो की उन्हे मारने के बदला उन एलियन ने आई को सरदार खान की नरक में क्यों ले आये?


आर्यमणि:- फेहरीन एक ट्रू अल्फा हीलर थी। जिसने सैकड़ों वर्षों बाद उन एलियन को धूल चटाया था। शायद फेहरीन के पावर को चोरी करने के इरादे से नागपुर लेकर आये होंगे। लेकिन ऐसा हो न सका। एलियन को शायद पता न था कि ट्रू अल्फा की पावर चुरायी नही जा सकती। यह काम न तो उनके पत्थरों से हो सका और न ही ये काम सरदार खान कर सकता था। तुम्हे पता है ओजल और इवान को क्यों ये एलियन पैदा होने के साथ ही मार देना चाहते थे...


रूही:– क्यों?


आर्यमणि:– क्योंकि वह नही चाहते थे कि वेयरवोल्फ के साथ उनका कोई हाइब्रिड बच्चा हो। लेकिन सुकेश भारद्वाज से यह गलती हो चुकी थी। अब किस परिस्थिति में यह गलती हुई, ये तो सुकेश, मीनाक्षी, उज्जवल या अक्षरा ही बता सकते है, लेकिन उन्हें भी अंदाजा न होगा की जिस स्त्री को इतने सारे लोग नोच रहे, उनमें से फेहरीन के कोख में सुकेश का ही बच्चा ठहर जायेगा। बच्चा जब पैदा हुआ होगा तब उन एलियन को भी जानकारी हुई होगी। या फिर सरदार खान समझ गया होगा और उसी ने एलियन को बताया हो.. कुछ पक्का नही कह सकते। लेकिन सुकेश को खबर मिल चुकी थी। एक तो वेयरवोल्फ पुराना दुश्मन। उसमे भी एक ट्रू अल्फा का बच्चा उन एलियन के अनुवांशिक गुण वाला। ये हाइब्रिड उनके लिये सर दर्द देने वाला था।
Fabulous excellent update भाऊ
 
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भाग:–73





आर्यमणि:– एक तो वेयरवोल्फ पुराना दुश्मन। उसमे भी एक ट्रू अल्फा का बच्चा उन एलियन के अनुवांशिक गुण वाला। ये हाइब्रिड उनके लिये सर दर्द देने वाला था।


रूही:– इसका मतलब ओजल और इवान उन एलियन के लिये काल है।


आर्यमणि:– तुम्हारी यादें मिटा दूं या मुंह बंद रखोगी, ये बताओ?


रूही:– लेकिन बॉस, उन दोनो को भी तो सच्चाई पता होनी चाहिए न...


आर्यमणि:– अभी नही... वक्त के साथ उन्हे अपने अनुवांशिक गुण को ट्रिगर करने दो। अभी बता दिये तो हो सकता है उन्हे यकीन हो जाये की वो एलियन से भीड़ सकते है और नागपुर लौट जाये। क्या तुम ऐसा चाहती हो? क्या तुम उन दोनो की जान खतरे में देखना चाहती हो?


रूही:- नही बॉस, बिलकुल नहीं... अभी हमारे बीच कोई बात ही नही हुई.. और न ही हमे पता है कि ये सीक्रेट प्रहरी क्या है। बॉस लेकिन उनका क्लासिफिकेशन भी हमे चाहिए... जैसे उनके पास पूरे ब्रह्मांड के मानव प्रजाति का है।


आर्यमणि:- छोड़ो इस बात को। कल से तुम सब की नई ट्रेनिंग। माउंटेन ऐश को पार करने की ट्रेनिंग शुरू होगी। तुम लोगों के ट्रू अल्फा बनने की ट्रेनिंग... राइट बेबी।


रूही:- हिहीहिहिही… येस डार्लिंग…


लगभग एक हफ्ते बाद सुबह के 10 बज रहे होंगे। तीनों स्कूल चले गये थे, एक कार घर के सामने आकर खड़ी हुई और घर का बेल बजने लगा… रूही जब दरवाजा खोली तो सामने वही व्यक्ति था जिसका कुछ दिन पहले ऐक्सिडेंट हुआ था और साथ में उसके एक खूबसूरत सी लेडी, दोनो इजाज़त मांगकर अंदर दाखिल हुये। रूही उसे बिठाकर ठंडा या गरम के बारे में पूछने लगी। वह आदमी रूही को अपना परिचय देते… "हेल्लो मेरा नाम माईक नॉर्मे है और ये है मेरी पत्नी लिली नोर्मे"..


रूही:- कैसे है अभी, स्वास्थ्य..


लिली, रूही का हाथ थामती… "मै माईक से बहुत प्यार करती हूं, यदि इसे कुछ हो जाता तो मै भी शायद जी नहीं पाती।"..


रूही:- हां लेकिन ऐसा हुआ तो नहीं ना। वैसे भी मैने तो केवल एम्बुलेंस को कॉल किया था।


माईक:- हां लेकिन हॉस्पिटल भी मेरा इलाज नहीं कर सकता था, क्योंकि मुझे पॉयजन दिया गया था। और मै जानता हूं कि आपके बॉयफ्रेंड ने मेरे साथ क्या किया?


रूही:- माफ कीजिएगा एक मिनट इंतजार करेंगे, मैं बस अभी आयी..


माईक:- हां हां क्यों नहीं?


रूही तेजी से आर्यमणि के कमरे में घुसी। आर्यमणि कान में हेड फोन डाले गाने सुन रहा था। रूही उसका हेड फोन निकलती… "मिस्टर बॉयफ्रेंड आपको भले ना सुनाई दे लेकिन सुंघाई तो दे रहा है ना कि घर में लोग आये है।"..


आर्यमणि:- हां, एक तो वही ऐक्सिडेंट वाला आदमी है…


रूही:- हां.… और वो कह रहा है, हमारे बारे में जानता है।


आर्यमणि बाहर आया.. दोनो से एक छोटे से परिचय के बाद… "आप कुछ कह रहे थे हमारे बारे में।"


माईक:- कुछ नहीं कह रहा था, बस इतना कहूंगा की मेरा एक एनिमल क्लीनिक है, अगर आप वहां काम करने आएंगे तो मुझे बहुत हेल्प होगी। बदले में मै आपको पे भी करूंगा और वटनेरियन की डिग्री भी दूंगा।


रूही:- हम्मम ठीक है... हम आपको सोचकर जवाब देंगे।


उन दोनों के जाते ही…. "तुम्हे पक्का यकीन है ना उसने यही कहा था कि वो जनता है हम कौन है।"..


रूही:- मेरे माथे पर तो लिखा है ना कि मै झूठी हूं।


आर्यमणि:- नहीं वहां तो लिखा है मै सेक्सी हूं। यदि किसी को यकीन ना होता हो तो नजरे नीचे के ओर बढ़ाते चले जाइये।


रूही:- क्या मस्त जोक मारा है। वेरी फनी, अब कुछ सोचोगे इनका। या फिर ये शहर छोड़ दे।


आर्यमणि:- नहीं पहले चलकर देखते है कि चक्कर क्या है।


थोड़ी देर बाद दोनो एक बड़े एनिमल क्लीनिक के एंट्रेंस पर थे। आर्यमणि गार्ड से बातें कर रहा था और रूही की नजर पास में ही परे एक कैक्टस पर गई जो लगभग मर रही थी। रूही आराम से नीचे बैठी, बड़े प्यार से उसने कैक्टस को देखा और इधर-उधर देखकर वो पेड़ को हील करना शुरू कर दी। जब वो खड़ी हो रही थी, कैक्टस को हरा होते मेहसूस कर रही थी और अंदर से खुश हो गयी।


इतने में ही वो डॉक्टर बाहर निकल कर आया और दोनो को अपने साथ अंदर लेकर गया। बीमार पड़े जानवर जो आवाज़ निकाल रहे थे एक दम से शांत होकर दोनो को ही घूरने लगे। वो डॉक्टर इन दोनों को देखकर मुस्कुराया और अपने साथ अंदर लेकर गया।


"मुझे यकीन था कि तुम दोनों आओगे। मैंने आज तक केवल 2 वुल्फ से ही मिला हूं जो जहर तक को हील कर सकते थे, लेकिन वो भी इतना अच्छा हील कर पाते या नहीं, पता नहीं।"… डॉक्टर दोनो को बैठने का इशारा करते हुए अपनी बात कहा।


आर्यमणि:- डॉक्टर हमने पहचान जाहिर करने के लिये तुम्हारी जान नहीं बचाई, बस इतना ही कहने आये थे। हमे मजबूर ना करो कि हम लोगो की जान बचाने से पहले 10 बार सोचने लगे।


डॉक्टर:- मैंने सीसी टीवी बंद कर दिया है, तुम चाहो तो अपने क्लॉ घूसाकर देख सकते हो, मै तुम्हारे राज जाहिर कर सकता हूं, या हम साथ मिलकर काम कर सकते है। मै दुनिया भर में घूमकर तरह-तरह के जानवरो का इलाज कर चुका हूं। मेरे सफर के दौरान मै तिब्बत गया था और वहां से 3 साल बाद लौटा हूं। लौटकर जैसे ही अपने शहर आया, मैंने जानवरो के इलाज के लिये मेडिसिन और हर्ब्स दोनो का इस्तमाल शुरू कर दिया। इसके परिणाम काफी रोचक थे और जैसा की तुम बाहर देख सकते हो, यहां बीमार जानवरो की लाइन लगी हुई है।


आर्यमणि:- हां लेकिन तुम्हारा तो धंधा पहले से चकाचक है, फिर हम क्या काम आ सकते है?


डॉक्टर:- जो काम मै 1 घंटे में कर सकता हूं, वो काम तुम 1 मिनट में कर सकते हो।


रूही:- और तुम यहां माल छापोगे ।


डॉक्टर:- कहीं भी अपने पालतू जानवर का इलाज करवायेंगे तो माल तो देंगे ही, तो यहां क्यों नहीं। कुछ अच्छा करने के लिए भी बहुत पैसा चाहिए।


रूही:- ऐसा क्या अच्छा करने की सोच रहे हो जो तुम्हे इतना माल चाहिए डॉक्टर?


डॉक्टर:- तुम्हारे जैसे ही 2 लोग है, मैक्सिको के खतरनाक नारकोटिक्स गैंग के इलाके में फसे। उन दोनों को छोड़ने के लिये 10 मिलियन यूएसडी का सेटलमेंट मांग रहे है।


आर्यमणि:- 2 वुल्फ को एक गैंग पकड़ कर रखी है, मज़ाक तो नहीं कर रहे।


डॉक्टर:- बड़ी शातिर गैंग है। शिकारी और वुल्फ की गैंग जो ड्रग्स की खेती करती है और वहां से लगभग पूरे अमेरिका और यूरोप में सप्लाई करती है। बहुत से वुल्फ वहां मर्जी से काम करते है, तो बहुत से वुल्फ से जबरन काम करवाया जाता है।


आर्यमणि:- लगता है उन दोनों वुल्फ से तुम्हे अच्छी इनकम होती थी।


डॉक्टर:- अच्छी नहीं बहुत अच्छी। मै 2 साल में उन दोनों के जरिए 20 मिलियन कमा सकता हूं, उनके लिये पैसों की चिंता नहीं है। लेकिन क्या करूं इस वक़्त पैसे नहीं है मेरे पास। हॉफ मिलियन कैश है और सारी प्रॉपर्टी को गिरवी भी रख दूं तो 1 मिलियन से ज्यादा नहीं मिलेगा।


रूही:- तो 1 मिलियन यूएसडी में हमसे डील कर लो। पता बताओ हम तुम्हारा काम कर देंगे। वैसे भी बहुत दिन हो गए एक्शन किये।


डॉक्टर:- दोनो पागल हो गये हो क्या? वहां गये तो या तो मारे जाओगे या उन्हीं के गुलाम बनकर रह जाओगे।


रूही:- 1 मिलियन जब पेमेंट कर दोगे तब बात करेंगे, यकीन हो तो डील करना, वरना रहने दो।


डॉक्टर:- हम्मम ! तुमने मेरी जान बचाई है, इसलिए 1 मिलियन कोई बड़ी बात नहीं, यदि डूब भी जाते है तो गम नहीं।


आर्यमणि:- पैसे जब तैयार हो तो चले आना। और हां वीकेंड पर आना, साथ ट्रिप का मज़ा लेंगे।


डॉक्टर:- ठीक है मै पैसे अरेंज करके मिलता हूं।


उधर स्कूल में… अलबेली और इवान अपने एक्स्ट्रा क्लास में म्यूज़िक लिये हुए थे और दोनो को ही म्यूज़िक से काफी रुचि सा हो गया था। एक बैंड के साथ लगभग रोज प्रैक्टिस करते थे जिसमे 8 सदस्य थे, 3 लड़की और 5 लड़के, जिसमे ये दोनो भी थे।


ओजल रोज के तरह ही इधर-उधर भटकती हुई ग्राउंड में पहुंच गयी, जहां हाई स्कूल की टीम अमेरिकन फुटबॉल खेल रही थी। वही खेल जिसमे 11-11 खिलाड़ी 2 ओर होते है। दोनो ओर से कोन शेप बॉल को विरोधी पाले के अंत तक ले जाकर अपना अंक बटोरते है। दूर से देखने पर सांढ की फाइट जैसी यह खेल लगती है। क्योंकि प्रोटेक्शन के लिहाज से इतने अजीब तरह के कपड़े खिलाड़ियों ने पहन रखे होते है की देखने में सांढ जैसे ही प्रतीत होते है।


बहरहाल 11 खिलाड़ी ग्राउंड में थे, कुछ खिलाड़ी बेंच पर बैठे हुए और कोच स्टूडेंट्स का ट्रायल लें रहे थे। हालांकि 11 की टीम फिक्स थी जो एक साइड में बैठकर विदेशी गुटका यानी कि चुइंगम चबा रही थी और ट्रायल दे रहे नए खिलाड़ियों का मनोबल "बू, बू, बू" करके गिरा रहे थे।..


दर्शक की सीढ़ी पर ओजल का एक क्लासमेट बैठा हुआ था, अक्सर तन्हा ही बैठा रहता और अकेले ही ज्यादातर एन्जॉय करता। ओजल उसके पास बैठती… "हाई जेरी".. "हेल्लो ओजल"..


ओजल:- फिर से अकेले बैठे हो जेरी?


मारकस:- अकेला ज्यादा अच्छा लगता है ओजल। तुम भी यहां ट्रायल देने आयी हो क्या?


ओजल:- ना ना, तुम्हे देखने आयी हूं, इतने क्यूट जो लगते हो।


मारकस:- जी शुक्रिया… वैसे बहुत है स्कूल में, और तुम्हारे लिये तो कई लड़के है, फिर मुझ बोरिंग पर दिल कैसे आ गया?


ओजल:- दिल नहीं आया है, तुम अच्छे लगते हो इसलिए बात करने चली आयी। अगर डिस्ट्रूब कर रही हूं तो बता दो..


"हेय इडियट्स, बॉल पास करो।"… फुटबॉल की एक चयनित खिलाड़ी अपने ट्रायल के दौरान बॉल लेने पहुंची, और दोनो के पाऊं के नीचे जो बॉल आकर गिरी थी, उसे बड़े प्यार से मांगी।


ओजल, उसे घूरती… "इसकी तो इडियट्स किसे बोली"..


जेरी, उसका कंधा पकड़ कर रोकते…. "ये लोग स्कूल के हीरो है इसलिए थोड़ी अकड़ है, जाने दो।"..


ओजल:- हम्मम ! लाओ बॉल मुझे दो.. मै देकर आती हूं।


ओजल बॉल लेकर उसके पास पहुंची और अपना हाथ बढ़ा दी। वो लड़की ओजल को देखकर "यू फुल" बड़बड़ाई और पूरे अटिड्यूट से, नजर से नजर मिलाकर उसके हाथ से बॉल ले ली। जैसे ही वो जाने लगी… "हेय यूं मोरोन, बॉल तो लेती जा।".... ओजल ने भी उसी एटिट्यूड से उस लड़की को पुकारा...


उस लड़की ने अपने हाथ में देखा, बॉल नहीं था। वो गुस्से में पलट कर आयी अपने नाक, आंख शिकोरे उसके हाथ से बॉल ली और झटक कर जाने लगी।… "हेय डफर, बॉल तो लेती जा।".. ओजल ने उसे फिर पीछे से टोका।


कम से कम 10 बार ऐसा हुआ होगा। वो लड़की बॉल लेकर जैसे ही मुड़ती और चार कदम आगे जाती बॉल हाथ से गायब। लगभग पूरा ग्राउंड ही उन्हें देख रहा था। अंत में वो लड़की मुस्कुराई… "तुम जिस लड़के से बात कर रही थी, उसे मैंने परपोज किया था। लेकिन उसने मुझे रिजेक्ट कर दिया। सो मै थोड़ा सा रूड हो गयी। आई एम सॉरी, अब बॉल दे दो।"


ओजल:- ये सही टोन है। वैसे भी कहो तो मै बात करूं तुम्हारे लिये। वो मेरा बॉयफ्रेंड नहीं है। हम जब खाली बैठते है तो यूं ही इधर–उधर की बातें करते है।


लड़की:- ओह थैंक्स डियर, बाय द वे मै नतालिया,


ओजल:- मै ओजल हूं, और उसे तो सॉरी कहती जाओ..


वो लड़की नतालिया, जेरी को भी सॉरी कहती हुई चली। ओजल जेरी के पास बैठ गयी और फिर से ग्राउंड पर देखने लगी… "तुम कमाल कि हो ओजल"..


ओजल:- जानती हूं जेरी। अब ये मुझे अपनी टीम का ट्रायल करने कहेंगे, और वो मै करूंगी, लेकिन मै खेलूंगी नहीं।


मारकस:- क्यों?


ओजल:- क्योंकि तुम्हारे साथ बात करना ज्यादा इंट्रेस्टिंग है, खेलने कूदने से।


मारकस:- हाहाहाहा.. तुम भी ना ओजल, इतना बड़ा मौका खो रही हो। फुटबॉल टीम में होना अपने आप में प्राइड की बात है।


ओजल:- क्या तुम्हारी इक्छा है फुटबॉल टीम में जाने की।


मारकस:- इक्छा पता नहीं...


"हेय ओजल, तुम्हे कोच बुला रहे है।"… नताली उनके पास आकर कही। ओजल जवाब देते… "एक मिनट नताली तुम भी रुको।"..


नताली:- जल्दी करो वरना कोच नाराज हो जाएंगे।


ओजल:- जेरी इतना भी क्या सोचना, बताओ ना?


मारकस:- सच कहूं तो हां इक्छा तो है, लेकिन ज्यादा स्किल नहीं है?


ओजल:- नताली को आई लव यू बोलकर यदि तुमने किस्स कर लिया तो मै वो स्किल तुम्हे सीखा दूंगी, जो अभी मै दिखाने वाली हूं, चलो नताली।


नताली बड़ी सी आखें किये… "क्या वो सच में मुझे आई लव यू कहेगा।"..


ओजल:- वो क्या उसका बाप भी कहेगा।


नताली:- उसका बाप नहीं चाहिए, ये बुड्ढे केवल ओरल से ही मस्त रहते है।


ओजल:- हीहीहीही… ट्रायल लेना था ना बॉयफ्रेंड बनाने से पहले, कहीं ये भी ओरल वाला निकला तो। हिहिहिह..


नताली, आंख मारती… "फिर दो बॉयफ्रेंड रखूंगी।"


दोनो हंसते हुये कोच के पास पहुंचे। जैसे ही वो कोच के पास पहुंची… "क्या तुम फुटबॉल का ट्रायल दोगी।"


ओजल:- इन बच्चीयों के साथ मेरा क्या ट्रायल करवाते हो सर, लड़को की टीम बुलाओ और उनके 4 खिलाड़ी और मै अकेली, फिर देखते हैं कौन जीतता है?



कोच:- इतना कॉफिडेंस..


ओजल:- मेरे डिफेंस और आटैक का कोई सामना नहीं कर सकता।


कोच:- ठीक है पहले तुम ये कारनामा यहां के लड़कियों के साथ दिखाओ।


चार लिड़किया एक ओर और उसके विपक्ष में ओजल खड़ी। सिटी बजी और और नियम से गेम आगे बढ़ा। पहली कोशिश, एक लड़की ओजल के सामने थी और 3 लड़की ओजल के गोल पोस्ट पर। प्लान बॉल लेकर सीधा दूर थ्रो और वहां से बिना किसी झंझट के गोल।


सिटी बजी, बॉल हाथ में आया और दूर पास होने से पहले ही बॉल गायब। ओजल अपने विपक्षी के हाथों से बॉल छीनकर बड़े आराम से विपक्षी के गोल पोस्ट में घुसी। क्योंकि वहां कोई डिफेंस ही नहीं था। अलग-अलग तरह के फॉर्मेशन में उन लड़कियों ने खेला। 4 ट्रायल बाद कोच समझ चुका था कि ओजल ने लड़कों की टीम को चैलेंज क्यों देने कही?


गर्ल्स कोच ने बॉयज कोच को संदेश भेजा, लड़को की टीम आते ही हंस रही थी और ओजल सामने खड़ी। पहला मौका उन लोगो ने ओजल को ही दिया। बॉल ओजल के हाथ में और 4 मुस्टंडे सीधा सामने से भिड़ने के इरादे से। ओजल 5 कदम पीछे हटी, उन लोगों ने दौड़ लगाया। सभी टकराने को मरे जा रहे थे और ओजल अपनी जगह खड़ी। लगभग 4 कदम दूर होंगे, तभी ओजल किनारे हट गई। वो इतनी तेज हटी की उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि टक्कर लगी नहीं।


देखने वालों ने दातों तले उंगली दबा ली थी। डिफेंस लाइन सब आगे और ओजल तेज दौड़ लगाती उनके गोल में। फिर उनको मौका मिला। इस बार भी वही रणनीति। तीन लोग आगे डिफेंस लाइन बनाकर चलेंगे और बॉल लिये एक खिलाड़ी उनके पीछे।


वो लोग कंधे से कंधा मिलाये झूक कर दौड़ लगा रहे थे। इस बार इन लोगों ने सोचा कि कहीं ये तेजी से किनारे ना हो जाये, इसलिए रणनिंती के तहत ओजल से 5 कदम पीछे ही सभी अलग होकर थोड़ा-थोड़ा फ़ैल गये और ठीक उसी वक़्त ओजल 2 लोगो के बीच से निकलकर कब पीछे वाले के हाथ से बॉल लेकर विरोधी के पोस्ट पर निकल गयी पता भी नहीं चला।


4 के विरूद्ध 1, लौडो के तो इज्जत पर बात आ गयी। 20 बार कोशिश कर चुके थे। सब थक कर बैठ गये और कोच ने फाइनल विसेल बजा दिया। उसे तो पहला ऑफर बॉयज की टीम से ही आ गया। ओजल सबको हाथ जोड़कर कहने लगी, वो सिर्फ 1 या 2 साल के लिये यहां आयी है और कोशिश कर रहे लोग कई सालों से कोशिश कर रहे है। वो टीम में सामिल नहीं होगी लेकिन जेरी और नताली को कुछ-कुछ स्किल सीखा सकती है।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 
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