भाग:–98
पलक से बात समाप्त करने के बाद आर्यमणि और रूही कुछ बात शुरू ही करते उस से पहले ही चिल्लाते हुये तीनो टीन वुल्फ आंखों के सामने। शादी, एक्शन, शादी, एक्शन... वुहू.. हिप–हिप हुर्रे"… शादी और एक्शन का नाम पर तीनो झूमने और नाचने लगे। पहले रूही से शादी का प्रपोजल फिर 2 महीने बाद के एक्शन डेट कन्फर्मेशन। खुशियों ने जब दस्तक देना शुरू किया फिर तो एक के बाद एक झोली मे खुशियां आती चली गई।
अगली सुबह सभी एक्सरसाइज करके आने के बाद जैसे ही हॉल में पहुंचे, अलबेली और इवान का बहस शुरू हो गया। इवान कह रहा था "नहीं"… अलबेली कह रही थी "हां".. बस केवल हां और ना ही कह रहे थे और झगड़े जा रहे थे। देखते ही देखते बात उठम पटका तक पहुंच गई।
आर्यमणि गुस्से में दोनों को घूरा, दोनों एक दूसरे को छोड़कर अलग हुए। अलबेली को रूही अपने पास बिठायी और इवान, आर्यमणि के पास आकर बैठा…
आर्यमणि:- क्या चाहते हो, दोनों की टांगे तोड़ दूं..
ओजल:- बॉस आप से कुछ ना होगा..
रूही:- ओजल शांत... अब क्या हुआ दोनों मे..
इवान:- मुझसे क्या पूछ रही हो, उसी से पूछो जो हां–हां कर रही थी।
अलबेली:- हां और तुम्हारा मुंह तो खाली चुम्मा लेने के लिए खुलेगा ना। वैसे तो कुछ पूछ लो जनाब से तो बस बॉस जैसे बनने का भूत सवार रहता है। गाल के दोनों किनारे मिठाई दबाकर बैठ जाते हो और "हां, हूं, नहीं" …. और इन सबसे गंदी तुम्हारी वो श्वांस कि फुफकार जो किसी भी बात के जवाब मे निकलती है। लल्लू कहीं का।
अलबेली एक श्वांस मे अपनी बात बोलकर मुंह छिपाकर हसने लगी। उसकी बात सुनकर आर्यमणि अपने मुंह पर हाथ रखकर हंस रहा था। ओजल को इतनी तेज हंसी आयी की वो बेचारी हंसते–हंसते कुर्सी से ही गिड़ गयी। गिरने के क्रम में खुद को बचाने के लिए रूही को पकड़ी, लेकिन बचने के बदले रूही को लेकर ही गिड़ी। दोनों नीचे गिरकर बस 2-3 सेकंड खामोश होकर एक दूसरे का मुंह ताके और वापस से दोनों कि हंसी फूट गई। दोनों नीचे लेटे हुए ही हंसने लगी...
आर्यमणि, अलबेली का गला दबोचते... "शैतान कि नानी, तुम अपने बॉयफ्रेंड को सुना रही थी या मुझे ताने दे रही थी।"…
अलबेली:- बॉस ये ऐसे पैक वाला प्यार जता रहे हो या फिर इवान आप का साला हुआ और मै उसकी होने वाली बीवी, इस नाते से मुझसे चिपक रहे...
आज सुबह के समाचार में तो बस अलबेली ही अलबेली थी। हंस–हंस कर सब लोटपोट हुए जा रहे थे। आर्यमणि उसे छोड़ा और हंसते हुए कहने लगा... "तुम तीनों को स्कूल नहीं जाना है क्या? तुम्हारे स्कूल से 4 बार फोन आ चुका है।"
ओजल हड़बड़ी में सबको बताती... "अरे यार.. 10 दिनों में हाई स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट होना है। अलबेली, इवान जल्दी से तैयार होकर आओ।"
तीनों भागते दौड़ते पहुंचे स्कूल। जैसे ही स्कूल के अंदर गये, सभी गुस्साए फुटबॉल खिलाड़ियों ने उसे घेर लिया। तीनों को ऐसे घुर रहे थे मानो खा जायेंगे.… ओजल सबको शांत करवाती... "दोस्तों हाई स्कूल चैंपियनशिप की तैयारी हम बचे समय में करवा देंगे। लेकिन उस से पहले तुम सब के लिए एक गुड न्यूज है"….
ओजल जैसे ही गुड न्यूज कहने लगी, उसकी नजर भीड़ के पीछे 3-4 लड़के–लड़कियों पर गयी। एक पूरी नजर उन्हे देखने के बाद वापस से सबके ऊपर ध्यान देते... दोस्तों एक गुड न्यूज़ है। मेरी बहन कि शादी तय हो गयी है शादी की तारीख पक्की होते ही सबको खबर भेज दूंगी।"…
माहोल पूरा हूटिंग भरा। हर कोई "वुहु.. पार्टी, पार्टी, पार्टी.. वूहू.. पार्टी, पार्टी, पार्टी" करते लड़के–लड़कियां चिल्लाने लगे। अलबेली और इवान किनारे बैठकर, एक दूसरे के गले में हाथ डाले प्यार जता रहे थे और मुस्कुराकर ओजल को देख रहे थे। ओजल सबके बीच खड़ी हंसती हुई सबको कह रही थी... "हां बाबा आज शाम पार्टी होगी।" इसी हंसी खुशी के माहोल में एक बार फिर नजर पीछे के ओर गयी।
जिन लड़के–लकड़ियों पर पहले नजर गई थी, अब वो बड़े ग्रुप के साथ थे। वो सभी भीड़ लगाकर आये और ओजल के नजरों के सामने से ही ब्लेड निकालकर अलबेली और इवान की पीठ पर ऊपर से लेकर नीचे तक ब्लेड मार दिये। ओजल भागकर वहां पहुंची। सभी दोस्त चूंकि आगे देख रहे थे इसी बीच ओजल का भागना समझ में नहीं आया।
ओजल अपने भाई का खून देखकर चिल्लाती हुई उन पूरे ग्रुप को पुकारने लगी। शायद वो लोग यही चाहते थे। ओजल की आवाज पर एक लड़का बड़ी तेजी से आया और ओजल का सीधे गला दबोचकर, अपनी बड़ी आंखों को लगभग उसके आंख में घुसाते।।.… "क्या हुआ जानेमन"..
यह वही लड़का था जो कल पुलिस लॉकअप में दिखा था। अलबेली कर इवान गुस्से में उठने वाले थे, लेकिन ओजल ने दोनो को "ना" में रुकने का इशारा करने लगी। दोनों ही गुस्से को काबू करते रुके। इसी बीच सभी स्टूडेंट लगभग उनसे भीख मांगते... "लुकस प्लीज जाने दो। ये लोग नए है।"
लड़के–लड़कियां गिड़गिड़ाते रहे, कहते रहे, फिर भी वो लड़का लूकस ओजल का गला पकड़े रहा। उसके पीछे 20-30 स्टूडेंट्स की भीड़ थी और सभी घेरे खड़े थे। तभी उधर से स्कूल मैनेजमेंट के आने कि खबर मिली और लूकस एक नजर तीनो को देखते.… "मेरे नजरों के सामने मत आना वरना जीना मुश्किल कर दूंगा।" अपनी बात कहकर लूकस, ओजल को एक झन्नाटेदार थप्पड़ लगाया और अपने ग्रुप को लेकर वहां से निकल गया। गला छूटते ही ओजल बड़ी ही बेचैनी से दोनों (अलबेली और इवान) के पीठ पर लगे ब्लेड के निशान देखने लगी।
लेथारिया वुलपिना शरीर में होने के कारण इन लोगों के घाव नहीं भड़ना था। ओजल अपने बैग से फर्स्ट एड किट निकलकर दोनों के खून को साफ करके उसपर एंटीसेप्टिक और पट्टी चिपका भी रही थी और लूकस की गैंग को घुर भी रही थी।
अलबेली:- किसी को पसंद कर रही है क्या, जो ऐसे उन्हे घुर रही। छोड़ ना रे बाबा वो गुंडे और हम आम से लोग क्या समझी..
ओजल के स्कूल का एक दोस्त मारकस... "अलबेली ठीक कह रही है ओजल, जाने दो उन्हे। 4-5 दिन तक स्कूल में इनका तमाशा चलेगा फिर डिटेंशन पर चले जाएंगे।"
इवान:- ओजल तू अपने दोस्तों को फुटबॉल मे हेल्प करने आयी है ना... उधर ध्यान दे… थैंक्स दोस्तो, हमे लगा हम अकेले है पर सब साथ आये देखकर अच्छा लगा...
फुटबाल का एक खिलाड़ी एंडी… "सॉरी हम चाहकर भी उनसे नहीं उलझ सकते। हमे अफसोस है हमारे इतने लोगों के बीच वो ये सब करके चला गया।
अलबेली:- अभी हो गया न। क्या करना है एंडी, चलकर हम अपना काम देखते हैं। उनको उनका काम करने देते है।
पूरी सभा वहां से उठकर ग्राउंड में चली आयी। उधर कोच अलग ही भड़के हुए। कुछ दिनों में प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी और तीनों वादा करके गायब हो गये थे। हालांकि कोच बहुत सी बातों को छिपा ले गया, जो की धीरे–धीरे इनके प्रेक्टिस मे दिखा। तीनो टीन वुल्फ द्वारा सिखाया गया पैंतरा जैसे सब पूरे जोश से सिख कर आये हो। खैर लड़के और लड़की टीम के दोनो कोच अंतिम निर्णय लेते हुये तीनो (ओजल, इवान और अलबेली) को गर्ल्स और बॉयज टीम में बांट चुके थे।
एक महीने से ऊपर तीनो टीन वुल्फ जो गायब रहे थे, उसमे या तो अगले साल भी उसी क्लास में रहो या ग्रेड ठीक करने के लिये हाई स्कूल टीम से खेलो। चारा ही क्या था सिवाय हां कहने के। तीनो ने हामी तो भर दी लेकिन यह भी साफ कर दिया की तीनो एक्स्ट्रा में रहेंगे। यदि कोई चोटिल या घायल होता है तभी वो लोग खेल में आयेंगे। कुछ बात कोच की तो एक बात इन तीनों की भी मान लिया सबने।
आज प्रैक्टिस के बाद एक वर्सेस मैच खेला गया जहां, अलबेली, इवान के साथ एक टीम और ओजल के साथ दूसरी। आपस में एक दूसरे के विरुद्ध खेलकर प्रैक्टिस कर रही थी। हां कुछ और बदलाव भी किये गये थे, जैसे कि एक टीम को आधे बॉय और आधे गर्ल कि फाइनल टीम के साथ मिश्रित टीम बनाया गया था। ठीक ऐसा ही विपक्ष का टीम भी था।
इन तीनों का काम वही था मैदान के बीच में अपने–अपने टीम को कॉर्डिनेट करना। मैच इतना उम्दा सा हो गया था कि दोनों कोच अपने दांतों तले उंगलियां दबा रहे थे। इस खेल में तीनों ने ही अपनी भागीदारी केवल एक कॉर्डिनेटर के तौर पर ही रखा था और खेल के दौरान भूमिका भी वैसे ही थी, मात्र बॉल पास करना और उन्ही लोगों से पूरा खेल करवाना।
मैच इतना टशन वाला था कि पूरा ग्राउंड दर्शक से भर चुका था। हर कोई इस हाई वोल्टेज मैच का लुफ्त उठा रहा था। आखरी पलों में स्कोरिंग को जब आगे ले जाना था, तब अलबेली चीटिंग करती हुई कमान संभाल ली और ओजल की नजरों मे धूल झोंकती अपने स्कोर बोर्ड को आगे बढ़ा दी।
फिर क्या था। मैच खत्म हो गया सभी खिलाड़ी कोच के पास थे। दर्शक स्टूडेंट्स सीढ़ियों पर बैठकर हूटिंग कर रहे थे। ओजल गुस्से में अलबेली के पास पहुंची और खींचकर एक घुसा मुंह पर जड़ दी... "कमिनी इसे चीटिंग कहते है।"
अलबेली भी दी एक घुमाकर, ओजल का जबड़ा हिलाती... "एक गोल की बात थी ना, और सामने तो तू थी ही। चीटिंग क्या रोक लेती। वैसे भी बिना नतीजे वाले मैच में मज़ा ना आता।"
ओजल:- इवान समझा अपनी उड़ती फिरती चुलबली चिड़िया को, ज्यादा मुझ से होशियारी ना करे।
इवान:- ओजल सही ही तो कह रही है अलबेली…
अलबेली गुस्से में एक घुमाकर बाएं से देती... "पक्ष तो अपने खून का ही लोगे ना। हटो, अब तो तुमसे बात भी नही करनी।"..
अलबेली बाएं साइड से जबड़ा हिलाकर निकल गयी। इवान अपना जबड़ा पकड़े खड़ा मायूसी से ओजल को देखते... "अपनी टीम को जिताने के लिये एक गोल ही तो की थी।"..
इवान मायूसी के साथ बड़े धीमे और उतने ही मासूमियत से कहा। लेकिन बेरहम ओजल को अपने भाई पर दया ना आयी। दायां जबड़ा हिलाकर वो भी निकल गयी। एक कंधे पर मारकस और दूसरी कंधे से नताली लटक कर अपना चेहरा इवान के बराबर लाती…
मारकस:- अलबेली तुम्हारी गर्लफ्रेंड और ओजल तुम्हारी बहन है इवान..
इवान, थोड़ा चिढ़कर... "हां"
नताली हंसती हुई इवान का गाल चूमती... "डार्लिंग यही होता है जब बहन के दोस्त को पटा लो। ड्रामा एंज्वाय करते रहो..."
दोनों अपनी बात कहकर हंसते हुए वहां से निकल गये और इवान वहीं खड़ा अपना जबड़ा पकड़े रह गया।….. "लगता है बहन और गर्लफ्रेंड के बीच ज़िन्दगी पीसने वाली है।"
सोचकर ही इवान का बदन कांप गया। ग्राउंड से निकलते वक्त इवान खुद से ही बातें करते... "परिवार के नखरे तो उठा लेंगे, लेकिन जरा उनसे भी मिल लूं जो आज मेरे ही सामने मेरे परिवार को तंग करके चला गया।"…
इवान समझ चुका था लूकस नाम का प्राणी जो ये हरकत करके गया था, वो भी किसी वूल्फ पैक का हिस्सा था। बर्कले, कैलिफोर्निया के वूल्फ पैक जो बाहर के वूल्फ को देखकर पूरे गुस्से में था और उसे अपने क्षेत्र से किसी तरह निकालना चाहता था। इसे मूलभूत एनिमल बिहेभियर (basic animal behaviour) भी कहा जा सकता है जो अपने क्षेत्र मे अपने जैसे जानवरों के घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
इवान अकेले निकल चुका था समझाने। कार लेकर वो उनके क्षेत्र में दाखिल हुआ। उनकी गंध पहचानते हुए इवान जंगल के शुरुवाती इलाके में था। कार पार्क करके वो पैदल ही उनके जंगली क्षेत्र में निकलता। वो अपनी कार पार्क कर ही रहा था, पीछे से अलबेली और ओजल भी पहुंची...
इवान, दोनों को देखते... "स्कूल में तो दोनों शांत थी फिर यहां क्या कर रही हो?"
ओजल खींचकर वापस से एक घुमा कर देती... "हम उसके पीछे नहीं आये डफर, तेरे पीछे आये हैं। तू चीजों को छोड़ता क्यूं नहीं। हम उनके क्षेत्र में है, और उन्हे ये बात पसंद नहीं आयी। बॉस को भेज देते बात करने।
इवान, अलबेली को देखते... "आओ तुम भी रख दो एक घुसा। रुकी क्यों हो?"
अलबेली, इवान के कॉलर को खींचकर खुद से चिपकाती... "अभी तुम्हे देखकर चूमने का दिल कर रहा है। हाय इतने मासूमियत से तुम कुछ कहो और मैं घुसा चला दूं। ना जानू, ऐसे दिलकश चेहरे को देखकर होंठ खुलते है।"…
अलबेली अपनी बात कहकर, अपनी आंखें मूंदकर मध्यम-मध्यम श्वांस लेने लगी। इवान, अलबेली के चेहरे पर प्यार से हाथ फेरते उसके मासूमियत को अपने सीने में उतारने लगा। "आह्हहहहह !!! कितनी प्यारी है"…. कि कसक दिल में उतरी थी और कुछ पल खामोशी से वो अलबेली का चेहरा देखता रहा।
अलबेली चुम्बन के इंतजार मे अपनी पलकें बोझिल की हुई थी। एहसास दिल में कुलबुलाहट कर रही थी, लेकिन जब किस्स ना हुआ तब अलबेली अपनी आंखें खोलती इवान को देखी। इवान को अपनी ओर यूं प्यार से देखते, अलबेली की नजर नीचे झुक गयी। चेहरे पर आती वो हल्की शर्म की छाया, उसके खुले कर्ली बाल के बीच फैले प्यारे से चेहरे को और भी दिलकश बना रहा था, जो इवान के आंखों के जरिये दिल में उतरते जा रही थी।
"इवान, ऐसे नहीं देखो प्लीज। पता नहीं मुझे क्या होता है।"… अलबेली लचरती हुई, बिल्कुल श्वांस चलने मात्र की धीमी आवाज मे अपनी बात कही। अलबेली की धीमी लचरती आवाज सुनकर ही दिल में टीस सी पैदा हो गयी। इवान के चेहरे पर मुस्कान छाई और होंठ अपनी मसूका के नरम से होंठ को चूमने के लिये आगे बढ़ गये। एक बार फिर से बोझिल आंखें थी। होंठ इतने करीब की चेहरे पर टकराती श्वांस, धड़कनों को अनियंत्रित कर रही थी। नरम मुलायम स्पर्श वो होंठ से होंठ का और मस्ती जैसे पूरे तन बदन मे फैल गयी।
एक दूसरे को बेहतशा चूमने के लिये दोनों बेकरारी मे आगे बढ़े। इतना प्यार और खोया सा माहौल था लेकिन ओजल ने पूरे माहौल में आग लगा दिया। दोनों अपने प्यारे से चुम्बन को पूरा करते, उस से पहले ही इरिटेट कर देने वाला साउंड वहां गूंजने लगा। क्या हो जब आप बड़े ध्यान से किसी काम में पूरे खोए हों, खासकर ऐसे प्यार से होंठ को चूमने के काम में। ऐसे काम में खोए हुए हो और पीछे से लोहे कि चादर पर किसी नुकीले लोहे से घिसकर वो अंदर से झुंझलाहट पैदा करने वाला साउंड पैदा कर दिया हो।
ओजल भी वही कर रही थी। एक लोहे के बोर्ड को अपने मजबूत नाखूनों से खुरचना शुरू कर चुकी थी। मेंटल के घिसने का साउंड इतना इरिटेटिंग था कि इवान और अलबेली के सीने में आग लग गयी। दोनों इस से पहले की पहुंचकर ओजल से कुछ कहते, ओजल वुल्फ पैक को चैलेंज देने वाला निशान बनाकर जंगल के अंदर भाग गयी। अलबेली और इवान, उस निशान को देखकर ही स्तब्ध (shocked) हो गये।
उस लोहे के चादर पर अल्फा पैक का निशान बना था और उस निशान को गोल घेरकर बीच में खून का मोहर। यह 2 पैक के बीच किसी क्षेत्र में वर्चस्व (Supremacy) की लड़ाई के लिये, एक पैक द्वारा दूसरे पैक को दी गई चुनौती थी। हारने वाला वो क्षेत्र हारेगा और शायद जितने वाले ने दया ना दिखाया तो ज़िन्दगी भी हार सकते है, वरना उनका कहा तो वैसे भी मानना ही होगा।
ओजल वो निशान बनाकर अंदर जंगलों के ओर निकल गयी। इधर अलबेली और इवान वो निशान देखने के बाद पीछे से चिल्लाने लगे। लेकिन ओजल कहां रुकने वाली थी। आंधी कि गति और पेड़ों पर लड़ाई के निशान बनाती चली... अलबेली भी उसके पीछे भागती... "हद है ये ओजल। खुद ही लड़ाई ना करने के पक्ष में शुरू से रहती है और आज ये आगे बढ़कर लड़ने का न्योता दे रही।"…
इवान भी उसके साथ भागता.… "अरे यार कम से कम किस्स तो पूरा हो जाने देती... उफ्फ तुम्हारे मुलायम होंठ बिल्कुल बटर कि तरह थे और मेरे होंठों बस उन्हे छूने ही वाले थे।"
अलबेली अपनी दौड़ को उसी क्षण रोकती इवान को खींची और होंठ से होंठ लगाकर भींगे होंठों का एक जानदार चुम्बन लेने लगी। इवान के लिये तो पहले चौकाने और बाद में मदहोश करने वाला क्षण था। चुम्बन शुरू होने के अगले ही पल इवान चुम्बन मे पूरा खोते हुए, अपने होंठ खोलकर एक दूसरे को पूरा वाइल्ड किस्स करने लगा।
लगातार दोनों एक दूसरे के होंठ से होंठ का रस निचोड़ते, चूमते चले जा रहे थे। तेज धड़कनों की आवाज दोनों साफ सुन सकते थे। गर्म चलती श्वांस चेहरे से टकरा रही थी। दोनों पूरी तरह एक दूसरे को भींचकर किस्स कर रहे थे। दोनों के हाथ एक दूसरे के पीठ पर पूरा रेंग रहे थे। अलबेली के वक्ष पूरी तरह से इवान के सीने में धंसे थे जो अलग ही गुदगुदा कामुक एहसास दे रहे थे। इवान का हाथ रेंगते हुये कब पीछे से अलबेली के जीन्स के अंदर घुसे, होश नहीं। उत्सुकता और उत्तेजना मे इवान ने दोनों नितम्बों को अपने पंजे मे इस कदर जकड़ा की अलबेली उसके होंठ को छोड़कर गहरी श्वांस खींचती अलग हुई और बढ़ी धड़कनों को काबू करने लगी।
इवान को अब भी होश नहीं था वो अलबेली के ऊपर हावी होने के लिये फिर से बेकरार था। अलबेली एक हाथ की दूरी से ही उसके सीने पर हाथ रखती.… "बस करो। हर बार सेक्स के लिये कितने एक्साइटेड हो जाते हो"…
"क्या तुम नहीं हो?"…..
"इतनी आग लगाओगे तो मै क्या अपने अरमान बुझाए बैठी हूं, लेकिन जानू हर किस्स के वक्त एक्साइटेड होना अच्छा नहीं।"..
"10-15 साल बाद उसपर भी सोच लेंगे जब 4-5 छोटी अलबेली पापा–पापा कहते घेरे रहेगी।"…
"ओह हो पापा !!.. ओ मेरे जूनियर अलबेली और जूनियर इवान के पापा, पहले खुद को पूरा मर्द तो बना लो। अंडरऐज पुअर टीनएजर"
"अभी मुझे इतना नहीं सुनना। एक फटाक–झटाक वाला सेशन यहीं शुरू करने का मूड है। रोककर तो दिखाओ"…
"आग तो तूफानी है जानू पर मज़ा बिस्तर ही देगा। आराम से एक मैराथन सेशन के बाद वो मुलायम सी बिस्तर। फिर एक दूसरे से चिपक कर सोने का जो मज़ा है ना, वो यहां नहीं मिलेगा। आग को और भड़कने दो।"…. अलबेली खिलखिलाती हंसी के साथ अपनी बात पूरी कि, और आंख मारती अपना हाथ सीने से हटाई।
लूकस ने आज अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी, ओजल से पंगा ले कर। पहले इवान और अलबेली को घायल करना और फिर ओजल को मारना और धमकी देना।
अब ओजल सिर्फ चुनौती के निशान ही बनाएगी या फिर आज ही लड़ाई भी करेगी या फिर पूरा पैक लड़ने आयेगा।
nain11ster नैनू भाई एक सवाल दिमाग में गूंज रहा है कि आर्य जन्म से ही वेरवोल्फ था बस लोपचे के काटने से वो व्यक्तित्व जाग्रत हुआ, ऐसा बॉब की बातो से भी लगा था तो
- क्या आर्य के दादाजी ये बात पहले से ही जानते थे इसीलिए उसके जन्म से पहले से सात्विक जीवन पद्धति का प्रयोग शुरू हो गया था?
- अगर आर्य जन्म से वेरवॉल्फ है और केशव वेरवॉल्फ नही है तो क्या जया में ये अनुवांशिक गुण है या किसी और वजह से आर्य में ये गुण जन्मे पहले से आए है?