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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Ayankhan1

𝙀𝙍𝙍𝙊𝙍: 𝙉𝙤 𝙄𝙙𝙚𝙣𝙩𝙞𝙩𝙮.
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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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भाग:–96






क्या ही एक्शन मोमेंट था। इवान भी उतने ही पैशनेट होकर अलबेली को चूमा और तीनो (आर्यमणि, रूही और ओजल) के सामने से अलबेली को उठाकर बाहर ले जाते.… "हम जरा अपना झगड़ा शहर के एक चक्कर काटते हुये सुलझाते है, तब तक एक ग्रैंड पार्टी की प्लानिंग कर लो।" ओजल और रूही तो इनके प्यार और पागलपन को देखकर पहले भी हंसी से लोटपोट हो चुकी थी। आज पहली बार आर्यमणि देख रहा था और वह भी खुद को लोटपोट होने से रोक नहीं पाया।


आर्यमणि, रूही और ओजल हंस रही थी। अभी जितनी तेजी से दोनो (अलबेली और इवान) बाहर निकले थे, उतने ही तेजी से वापस आकर सबके बीच बैठते... "हमने सोचा हमारा मसला तो वैसे भी सुलझ गया है, फिर क्यों बाहर जाकर वक्त बर्बाद करे, जब सबके साथ इतना अच्छा वक्त गुजर रहा।"


हंसी की किलकारी फिर से गूंजने लगी। सभी पारिवारिक माहौल का आनंद ले रहे थे। हां लेकिन उस वक्त ओजल ने रूही की उस भावना का जिक्र कर दी, जो शायद रूही कभी आर्यमणि से नहीं कह सकती थी। बीते एक महीने में जब आर्यमणि गहरी नींद में अपने हर कोशिकाओं को हील कर रहा था, तब रूही हर पल खुद को आर्यमणि के लिये समर्पित किये जा रही थी। वह जब भी अकेली होती इस बात का दर्द जरूर छलक जाता की…. "दिल के करीब जो है इस बार उसे दूर मत करो, वरना मेरे लिये भी अब इस संसार में जीवित रहना कठिन हो जायेगा। जानती हूं वह मेरा नही लेकिन मेरे लिये तो वही पूरी दुनिया है।"


जब ये बात ओजल कह गयी, रूही अपना सर नीचे झुका ली। आंसुओं ने एक बार फिर से उसके आंखें भिगो दी थी और सिसकियां लेती अपनी विडंबना वह कह गयी…. "किस मुंह से इजहार कर देती अपनी भावना। कोई एक ऐसी बात तो हो जो मुझमें खास हो। राह चलता हर कोई जिसे नोच लेता था, उसकी हसरतों ने आर्यमणि के सपने देख लिये, वही बहुत बड़ी थी।"


अबकी बार ये रोतलू भावना किसी भी टीन वुल्फ को पसंद ना आयी। आर्यमणि भी अपनी आंख सिकोड़कर बस रूही को ही घुर रहा था, और रूही अपने सर को नीचे झुकाये बस सिसकियां ले रही थी। तभी अलबेली गुस्से में उठी और ग्रेवी से भरी बाउल को रूही के सर पर उड़ेलकर आर्यमणि के पीछे आ गयी।


ओ बेचारी रूही.… जली–कटी भावना मे रो रही थी और अलबेली ने मसालेदार होली खेल ली। हंस–हंस कर सब लोटपोट हुए जा रहे थे। हां रूही ने बदला लेने कि कोशिश जरूर की लेकिन अलबेली उसके हाथ ना आयी। इन लोगों की हंसी ठिठोली चलती रही। इसी बीच ज़िन्दगी में पहली बार आर्यमणि ने भी कॉमेडी ट्राई मारा था। बोले तो ओजल और इवान थे तो उसी मां फेहरीन के बच्चे, जिसकी संतान रूही थी।


आर्यमणि के साथ रूही बैठी थी तभी आर्यमणि कहने लगा... "कैसा बेशर्म है तुम्हारे भाई–बहन। जान बुझ कर तुम्हे वैसी हालत में देखते रहे (बिस्तर पर वाली घटना) और दरवाजे से हट ही ना रहे थे।"….


अब वोल्फ पैक था, ऊपर से आज तक कभी भी इन बातों का ध्यान ना गया होगा की ओजल और इवान भाई–बहन है। हां लेकिन आर्यमणि के इस मजाक पर रूही को आया गुस्सा, पड़ोस मे ही आर्यमणि था बैठा हुआ... फिर तो चल गया रूही का गुस्से से तमतमाया घुसा।


आव्व बेचारा आर्यमणि का जबड़ा…. लेफ्ट साइड से राईट साइड घूम गया। रूही अपनी गुस्से से फुफकारती लाल आंखों से घूरती हुई कहने लगी.… "दोबारा ऐसे बेहूदा मजाक किये ना तो सुली पर टांग दूंगी। ना तो बच्चो के इमोशन दिखी और ना ही उनकी खुशी, बस उतर आये छिछोरेपन पर।"..


बहरहाल, काफी मस्ती मजाक के बीच पूरी इनकी शाम गुजर रही थी। बात शुरू होते ही फिर चर्चा होने लगी उन तस्वीरों और अनंत कीर्ति के उस पुस्तक की जीसे अपस्यु ने खोल दिया था।


आर्यमणि, सबको शांत करते अपस्यु को कॉल लगा दिया.…


अपस्यु:– बड़े भाई को प्रणाम"..


आर्यमणि:–मैं कहां, तू कुछ ज्यादा बड़ा हो गया है। कहां है मियामी या फिर हवाले के पैसे के पीछे?


अपस्यु:– बातों से मेरे लिये शिकायत और आंखों में किसी के लिये प्यार। बड़े कुछ बदले–बदले लग रहे हो।


आर्यमणि:– तू हाथ लग जा फिर कितना बदल गया हूं वो बताता हूं। एक मिनट सर्विलेंस लगाया है क्या यहां, जो मेरे प्यार के विषय में बात कर रहा?


अपस्यु:– नही बड़े, ओजल ने न जाने कबसे वीडियो कांफ्रेंसिंग कर रखा था। अब परिवार में खुशी का माहोल था, तो थोड़ा हम भी खुश हो गये।


आर्यमणि:– ए पागल इतना मायूस क्यों होता है। दिल छोटा न कर। ये बता तू यहां रुका क्यों नही?


अपस्यु:– बड़े मैं रुकता वहां, लेकिन भाभी (रूही) की भावना और आपके पुराने प्यार को देखकर मैं चिढ़ सा गया था। मुझे लगा की कहीं जागने के बाद तुमने अपने पुराने प्यार (ओशुन) को चुन लिया, फिर शायद भाभी के अंदर जो वियोग उठता, मैं उसका सामना नहीं करना चाहता था। और शायद अलबेली, इवान और ओजल भी उस पल का सामना न कर पाते। पर बड़े तुमने तो हम सबको चौंका दिया।


आर्यमणि:– तुम सबकी जिसमे खुशी होगी, वही तो मेरी खुशी है। मेरे शादी की पूरी तैयारी तुझे ही करनी होगी।


अपस्यु:– मैं सात्विक आश्रम के केंद्र गांव जा रहा हूं। पुनर्स्थापित पत्थर को गांव में एक बार स्थापित कर दूं फिर वह गांव पूर्ण हो जायेगा। गुरु ओमकार नारायण की देख–रेख़ में एक बार फिर से वहां गुरकुल की स्थापना की जायेगी। उसके बाद ही आपकी शादी में आ पाऊंगा। यदि मुझे ज्यादा देर हो जाये तो आप लोग शादी कर लेना, मैं पीछे से बधाई देने पहुंचूंगा...


आर्यमणि:– ये तो अच्छी खबर है। ठीक है तू उधर का काम खत्म करले पहले फिर शादी की बात होगी। और ये निशांत किधर है, उसकी 4 महीने की शिक्षा समाप्त न हुई?


अपस्यु:– वह एक कदम आगे निकल गये है। वह पूर्ण तप में लिन है। पहले तो उन्हे संन्यासी बनना था लेकिन ब्रह्मचर्य भंग होने की वजह से ऐसा संभव नहीं था इसलिए अब मात्र ज्ञान ले रहे है। तप से अपनी साधना साध रहे। पता न अपनी साधना से कब वाह उठे कह नही सकता।


आर्यमणि:– हम्म्म… चलो कोई न उसे अपना ज्ञान लेने दो। सबसे मिलने की अब इच्छा सी हो रही। तुम्हे बता नही सकता उन तस्वीरों को आंखों के सामने देखकर मैं कैसा महसूस कर रहा था। खैर यहां क्या सिर्फ मुझसे ही मिलने आये थे, या बात कुछ और थी।


अपस्यु:– बड़े, शंका से क्यों पूछ रहे हो?


आर्यमणि:– नही, अनंत कीर्ति की पुस्तक खोलकर गये न इसलिए पूछ रहा हूं?


अपस्यु:– "क्या बड़े तुम भी सबकी बातों में आ गये। मैं शुद्ध रूप से तुमसे ही मिलने आया था। मन में अजीब सा बेचैनी होने लगा था और रह–रह कर तुम्हारा ही ध्यान आ रहा था, इसलिए मिलने चला आया। जब मैं कैलिफोर्निया पहुंचा तब यहां कोई नही था। मन और बेचैन सा होने लगा। एक–एक करके सबको कॉल भी लगाया लेकिन कोई कॉल नही उठा रहा था। लागातार जब मैं कॉल लगाते रह गया तब भाभी (रूही) का फोन किसी ने उठाया और सीधा कह दिया की सभी मर गये।"

"मैं सुनकर अवाक। फिर संन्यासी शिवम से मैने संपर्क किया। जितनी जल्दी हो सकता था उतनी जल्दी मैं पोर्ट होकर मैक्सिको के उस जंगल में पहुंचा। लेकिन जब तुम्हारे पास पहुंचा तब तुम ही केवल लेटे थे बाकी चारो जाग रहे थे। तुमने कौन सा वो जहर खुद में लिया था, तुम्हारे शरीर का एक अंग नही बल्कि तुम्हारे पूरे शरीर की जितने भी अनगिनत कोशिकाएं थी वही मरी जा रही थी। 4 दिन तक मैने सेल रिप्लेसमेंट थेरेपी दिया तब जाकर तुम्हारे शरीर के सभी कोशिकाएं स्टेबल हुई थी और ढंग से तुम्हारी हीलिंग प्रोसेस शुरू हुई।


आर्यमणि:– मतलब तूने मेरी जान बचाई...


अपास्यु:– नही उस से भी ज्यादा किया है। बड़े तुम मर नही रहे थे बल्कि तुम्हारी कोसिकाएं रिकवर हो रही थी। यदि मैंने सपोर्ट न दिया होता तो एक महीने के बदले शायद 5 साल में पूरा रिकवर होते, या 7 साल में या 10 साल में, कौन जाने...


आर्यमणि:– ओह ऐसा है क्या। हां चल ठीक है इसके लिये मैं तुम्हे मिलकर धन्यवाद भी कह देता लेकिन तूने अनंत कीर्ति की पुस्तक खोली क्यों?


अपस्यु:– तुम्हारा पूरा पैक झूठा है। नींद में तुमने ही "विप्रयुज् विद्या" के मंत्र पढ़े थे मैने तो बस मेहसूस किया की किताब खुल चुका है। मुझे तो पता भी नही था की "विप्रयुज् विद्या" के मंत्र से पुस्तक खुलती है।


आर्यमणि:– तू मुझे चूरन दे रहा है ना...


अपस्यु:– तुमने अभी तक दिमाग के अंदर घुसना नही सीखा है, लेकिन मैं यहीं से तुम्हारे दिमाग घुसकर पूरा प्रूफ कर दूंगा। या नहीं तो अपने दिमाग में क्ला डालो और अचेत मन की यादें देख लो।


आर्यमणि:– अच्छा चल ठीक है मान लिया तेरी बात। चल अब ये बता किताब में ऐसा क्या लिखा है, जिसके लिये ये एलियन पागल बने हुये है?


अपस्यु:– बड़े मैं जो जवाब दूंगा उसके बाद शायद मुझे एक घंटे तक समझाना होगा।


आर्यमणि:– पढ़ने से ज्यादा सुनने में मजा आयेगा। तू सुना छोटे, मैं एक घंटे तक सुन लूंगा।


अपस्यु:– बड़े, इसे परेशान करना कहते हैं। किताब पास में ही तो है।


आर्यमणि:– मुझे फिर भी तुझे सुनना है।


अपस्यु:– पहले किताब को तो देख लो की वो है क्या? मेरे बताने के बाद तुम पहली बार किताब देखने का रहस्यमयी मजा खो दोगे।


आर्यमणि:– बकवास बंद और सुनाना शुरू कर।


आर्यमणि:– ठीक है तो सुनो, उस किताब को न तो पढ़ा जा सकता है और न ही उसमे कुछ लिखा जा सकता है। हां लेकिन "विद्या विमुक्त्ये" मंत्र का जाप करोगे तो उसमे जो भी लिखा है, पढ़ सकते हो। बहुत ज्यादा नहीं बस दिमाग चकराने वाले वाक्यों से सजे डेढ़ करोड़ पन्नो को पढ़ने के बाद सही आकलन कर सकते हो की अनंत कीर्ति की पुस्तक के लिये एलियन क्यों पागल है।


आर्यमणि:– छोटे मजाक तो नही कर रहे। डेढ़ करोड़ पन्ने भी है क्या उसमे?


अपस्यु:– इसलिए मैं कह रहा था कि खुद ही देख लो।


आर्यमणि:– ठीक है तू जल्दी से पूरी बात बता। मैं आज की शाम किताब को देखने और अध्यात्म में तो नही गुजार सकता।


अपस्यु:– "ठीक है ध्यान से सुनो। कंचनजंगा का वह गांव शक्ति का एक केंद्र माना जाता था जहां सात्त्विक आश्रम से ज्ञान लेकर कई गुरु, रक्षक, आचार्य, ऋषि, मुनि और महर्षि निकले थे। सात्विक आश्रम का इतिहास प्रहरी इतिहास से कयी हजार वर्ष पूर्व का है। किसी वक्त एक भीषण लड़ाई हुई थी जहां विपरीत दुनिया का एक सुपरनैचुरल (सुर्पमारीच) ने बहुत ज्यादा तबाही मचाई थी। उसे बांधने और उसके जीवन लीला समाप्त करने के बाद उस वक्त के तात्कालिक गुरु वशिष्ठ ने एक संगठन बनाया था। यहीं से शुरवात हुई थी प्रहरी समुदाय की और पहला प्रहरी मुखिया वैधायन थे। अब वह भारद्वाज थे या सिंह ऐसा कोई उल्लेख नहीं है किताब में।"


"प्रहरी पूर्ण रूप से स्वशासी संगठन (autonomus body) थी, जिसका देख–रेख सात्त्विक आश्रम के गुरु करते थे। उन्होंने सभी चुनिंदा रक्षक को प्रशिक्षण दिया और 2 दुनिया के बीच शांति बनाना तथा जो 2 दुनिया के बीच के विकृत मनुष्य या जीव थे, उन्हें अंजाम तक पहुंचाने के लिए नियुक्त किया गया था। उस वक्त उन्हें एक किताब शौंपी गई थी, जिसे आज अनंत कीर्ति कहते है। दरअसल उस समय में ऐसा कोई नाम नहीं दिया गया था। इसे विशेष तथा विकृत जीव या इंसान की जानकारी और उनके विनाश के कहानी की किताब का नाम दे सकते हो।"


"इस किताब का उद्देश्य सिर्फ इतना था कि जब भी प्रहरी को कोई विशेष प्रकार का जीव से मिले या प्रहरी किसी विकृत मनुष्य, जीव या सुपरनेचुरल का विनाश करे तो उसकी पूरी कहानी का वर्णन इस किताब में हो। वर्णन जिसे कोई प्रहरी इस किताब में लिखता नही बल्कि यह किताब स्वयं पूरी व्याख्यान लिखती थी। लिखने के लिये किताब न सिर्फ प्रहरी के दिमाग से डेटा लेती थी बल्कि चारो ओर के वातावरण, विशेष जीव या विकृत जो भी इसके संपर्क में आता था, उसे अनुभव करने के बाद किताब स्वयं पूरी कहानी लिख देती थी।"


कहानी भी स्वयं किताब किस प्रकार से लिखती थी... यदि कोई विशेष जीव मिला तो उस जीव की उत्पत्ति स्थान। उसके समुदाय का विवरण, उनके पास किस प्रकार की शक्तियां है और यदि वह जीव किसी दूसरों के लिये प्राणघाती होता है तब उसे रोकने के उपाय।"


"वहीं विकृत मनुष्य, जीव या सुपरनैचुरल के बारे में लिखना हो तो... उसकी उत्पत्ति स्थान यदि पता कर सके तो। वह विकृत विनाश का खेल शुरू करने से पहले अपने या किसी गैर समुदाय के साथ कैसे पहचान छिपा कर रहता था। किस तरह की ताकते उनके पास थी। उन्हें कैसे मारा गया और जिस स्थान पर वह मारा गया, उसके कुछ सालों का सर्वे, जहां यह सुनिश्चित करना था कि उस विकृत ने जाने से पहले किसी दूसरे को तो अपने जैसा नही बनाकर गया। या जिनके बीच पहचान छिपाकर रहता था उनमें से कोई ऐसा राजदार तो नही जो या तो खुद उस जैसा विकृत बन जाये या मरे हुये विकृत की शक्ति अथवा उसे ही इस संसार में वापस लाने की कोई विधि जनता हो।"


"प्रहरी को कुछ भी उस किताब के अंदर नही लिखना था बल्कि वह सिर्फ अपने प्रशिक्षण और तय नीति के हिसाब से काम करते वक्त किताब को साथ लिये घूमते थे। अनंत कीर्ति की पुस्तक की जानकारी उस तात्कालिक समय की हुई घटनाओं के आधार पर होती थी। हो सकता था भविष्य में आने वाले उसी प्रजाति के कुछ विकृत, आनुवंशिक गुण मे बदलाव के साथ दोबारा टकरा जाये। इसलिए जो भी जानकारी थी उसे बस एक आधार माना जाता था, बाकी हर बार जब एक ही समुदाय के विकृत आएंगे तो कोई ना कोई बदलाव जरूर देखने मिलेगा।"


कुछ बातें किताब को लेकर काफी प्रचलित हुई थी, जो अनंत कीर्ति की पुस्तक को पाने के लिये किसी भी विकृत का आकर्षण बढ़ा देती थी...

1) प्रहरी किसी छिपे हुये विकृत की पहचान कैसे कर पाते है?

2) विकृत को जाल में कैसे फसाया गया था?

3) उन्हें कैद कैसे किया गया था?

4) उन्हें कैसे मारा गया था?


"यही उस पुस्तक की 4 बातें थी जिसकी जानकारी किसी विकृत के पास पहुंच जाये तो उसे न केवल प्रहरी के काम करने का मूल तरीका मालूम होगा, बल्कि सभी विकृत की पहचान कर उसे अपने साथ काम करने पर मजबूर भी कर सकता था। इसलिए किताब पर मंत्र का प्रयोग किया गया था। इस मंत्र की वजह से वो किताब अपना एक संरक्षक खुद चुन लेती थी। यह किताब नजर और धड़कने पहचानती है। किसी की मनसा साफ ना हो या मन के अंदर उस किताब को लेकर किसी भी प्रकार कि आशाएं हो, फिर वो पुस्तक नहीं खुलेगी।"


"कई तरह के मंत्र से संरक्षित इस किताब को खोलकर कोई पढ़ नही सकता। किसी भी वातावरण मे जाए या कोई ऐसा माहौल हो, जिसकी अच्छी या बुरी घटना को इस किताब ने कभी महसूस किया था, तब ये किताब खुद व खुद इशारा कर देती है और जैसे ही किताब खोलते हैं, सीधा उस घटना का पूरा विवरण पढ़ने मिलेगा।"


"मन में जब कोई दुवधा होगी और किसी प्रकार का बुरे होने की आशंका, तब वो किताब मन के अंदर की उस दुविधा या आशंका को भांपकर उस से मिलते जुलते सारे तथ्य (facts) सामने रख देगी। और सबसे आखिर में जितने भी जीव, विकृत मनुष्य, सुपरनैचुरल या फिर वर्णित जितने भी सजीव इस किताब में लिखे गये है, जब वह आप–पास होंगे तो उनकी पूरी जानकारी किताब खोलने के साथ ही मिलेगी। किताब की जितनी भी जानकारी थी, वो मैंने दे दी। कुछ विशेष तुम्हे पता चले बड़े तब मुझसे साझा करना।"


आर्यमणि और उसका पूरा पैक पूरी बात ध्यान लगाकर सुन रहे थे। पूरी बात सुनने के बाद आर्यमणि.… "छोटे ये बता जब तूने किताब पढ़ने के लिये मंत्र मुक्त किया, तो क्या डेढ़ करोड़ पन्ने में से पहले पन्ने पर ये पूरी डिटेल लिखी हुई थी?"…


अपस्यु:– एक बार मंत्र मुक्त करके खुद भी पढ़ने की कोशिश तो करो। ये किताब हमे भी पागल बना सकती है। पहला पन्ना जब मैने पढ़ना शुरू किया तब तुम विश्वास नहीं करोगे वहां पहला लाइन क्या लिखा था...


आर्यमणि:– तू बता छोटे मैं विश्वास कर लूंगा, क्योंकि किताब मेरे ही पास है...


अपस्यु:– सुनो बड़े पहला लाइन ऐसा लिखा था.… प्रहरी मकड़ी हाथ खुफिया मछली जंगल उड़ते तीर और भाला मारा गया।


आर्यमणि:– ये क्या था उस वक्त के गुरु वशिष्ठ का कोई खुफिया संदेश था?
1.5 karod panne :eyes2::omg1::hide2: Abhi tk to Nainu bhaya sirf paiso se jyada dushmano ki ginti jyada ladaku vimano ki sankhya jyada likhte the pr Ab :runaway: Dhanya ho prabhu 🙏 pr sochne vali baat hai kitni purani pavitra pustak hai or Usne na jane kitne hi tarah ke logo ke sampark me aayi hogi, sahi chij hath lagi hai arya ke 2 duniya ke bich ka google, Jaise Kabhi Kabhi ham puchhte kuchh hai vo btata kuchh aur, Thik Vaise hi Ye pustak hai, sala jo btai hai uska arth nikalne baitho to mahino beet jaye or iski bhi guaranty nhi ki vo niskarsh sahi hi hoga :sigh:

Vo 4 saval Jo apasyu ne btaye unka hi bol bala rha hai us kitab ko itne varsho in prahariyo ke kaid me rahne ka, Dekhte hai arya use padhega ya apni finance ke sath sukoon ke kuchh pal bitayega...

Guru vasist Yani satiyug ke baad dwapar me utpatti Hui iski,

Mujhe ab yah Janna hai ki surpmarich ke liye us duniya se is duniya me aane ki khidki kisne va kaise khuli thi, kiski galti thi Vo or jb yah pustak thi to us surpmarich ke baar baar is duniya me tandav machane ka Raj kaise pta nhi chla, ye alian to bahut baad me aaye...

Arya ne yha ruhi ke sath majak karne ki Kosis ki uske bhai bahno ko lekr, ruhi ne uska hi jabda hila diya, un paragraph me masti or prem ka mind blowing chitran kiya hai aapne bhai or baad me bheja khane vali paheli sabke samne rakh di, Death Kiñg bhaya SANJU ( V. R. ) bhaya ho kuchh dimag me to btao hame bhi...

Superb bhai sandar jabarjast lajvab amazing update with awesome writing skills wonderful
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
10,210
42,638
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भाग:–97




आर्यमणि:– ये क्या था उस वक्त के गुरु वशिष्ठ का कोई खुफिया संदेश था?


अपस्यु:– जी नही... किताब में लिखे गये किसी वाक्य से "प्रहरी" शब्द लिया गया था। किसी दूसरे वाक्य से "खुफिया" शब्द लिया गया था। मछली, जंगल, उड़ते तीर और भला, मारा गया, ये सभी शब्द अलग–अलग वाक्य से लिए गये थे। कई वाक्यों के शब्द को उठाकर एक वाक्य बना दिया गया था। मंत्र मुक्त करने के बाद यह किताब पढ़ने गया तो ये किताब कहीं के भी शब्द उठाकर एक वाक्य बना दिया और ढीठ की तरह जैसे मुझसे कह रहा हो "पढ़कर दिखाओ"


आर्यमणि:– तो फिर किताब के बारे में इतनी जानकारी...


अपस्यु:– उस किताब को दोबारा मंत्रो से बांधकर फिर मैने सीधा खोल दिया। अनंत कीर्ति की किताब ने वहां के माहौल और गुरु के होने के एहसास को मेहसूस किया और गुरु की जानकारी वाला पूरा भाग मेरे आंखों के सामने था। बड़े इसका मतलब समझ रहे हो की वो किताब उन एलियन को क्यों चाहिए...


आर्यमणि:– हां समझ रहा हूं... प्रहरी का गाज उन एलियन पर भी गिर चुका है। उसकी पूरी जानकारी इसके अंदर है। इसलिए वो लोग इस किताब को सिद्ध पुरुष से दूर रखने के लिये पागल बने हैं। और यदि कहीं मेरा अंदाजा सही है तो आचार्य श्रृयुत ने इस किताब की विशेषता जरूर उन एलियन प्रहरी को बताया होगा की अनंत कीर्ति के अंदर किस प्रकार की जानकारी है। उन गधों को उन्होंने किताब के बारे में उतना थोड़े ना बताया होगा, जितना तुमने मुझे बताया। आधी जानकारी ने एलियन के मन में जिज्ञासा जगा दिया होगा की यदि उसको पृथ्वी के समस्त विकृत, जीव अथवा सुपरनैचुरल के पहचान करने और उन्हें फसाने का तरीका मिल जाये फिर पूरे पृथ्वी पर उनका ही एकाधिकार होगा। इसलिए तो किताब खोलकर पढ़ने के लिये भी पागल थे।


अपस्यु:– तुम्हारे इस अंदाज में एक बड़ा सा प्रश्न चिह्न है...


आर्यमणि:– हां मैं जानता हूं। यदि प्रहरी पहले इन एलियन से भीड़ चुके थे, तब आचार्य श्रेयुत को किताब ने कैसा आगाह नही किया? और यदि किताब ने आगाह किया तब आचार्य श्रीयुत फंस कैसे गये?


अपस्यु:–उस से भी बड़ी बात... कैलाश मठ की एक पुस्तक में आचार्य श्रीयुत की जानकारी तो है, लेकिन वो सात्त्विक आश्रम से नही थे बल्कि वैदिक आश्रम से थे। फिर ये अनंत कीर्ति की पुस्तक उनके पास कैसे आयी? हां लेकिन बहुत से सवालों का जवाब आसानी से मिल सकता है..


आर्यमणि:– हां मैं भी वही सोच रहा हूं। किताब को उन एलियन के संपर्क में ले जाऊं, तब अपने आप सारे जवाब मिल जायेंगे। जितने भी झूठ का भ्रमित जाल फैला रखा है, सबका जवाब एक साथ।


अपस्यु:– बिलकुल सही। बड़े अब मैं फोन रखता हूं। तुम सबके लिये कुछ भेंट लाया था, अपने गराज से मेरा उपहार उठा लेना।


आर्यमणि:– क्या बात कर रहा है, हम सबके लिये गिफ्ट.…. गिफ्ट देखने की लालसा जाग उठी है छोटे, इसलिए मैं भी जा रहा हूं। अपना ख्याल रखना छोटे।


एक बड़े से वार्तालाप के बाद आर्यमणि ने फोन रखा और उधर 15–20 मिनट से बिलकुल खामोश घर में फिर से जैसे उधम–चौकड़ी शुरू हो चुकी थी। आर्यमणि को इस बात का बड़ा गर्व हुआ की उसका पूरा पैक कितना अनुशासित है। हां लेकिन जबतक आर्यमणि अपनी इस छोटे से ख्याल से बाहर निकलता, तब तक तो तीनो टीन वोल्फ गराज पहुंच भी गये और अपस्यु द्वारा भेजे गये बड़े–बड़े बॉक्स को उठा भी लाये।


उन बॉक्स को देखने के बाद आर्यमणि हैरानी से रूही और तीनो टीन वुल्फ के ओर देखते... "पिछले एक महीने से तुम तीनो गराज नही गये क्या?"


रूही:– तुम गहरी नींद में थे आर्य। भला तुम्हे छोड़कर हम कहां जाते...


आर्यमणि:– तो क्या एक महीने से जरूरी सामान लाने भी कही नही गये।


अलबेली:– बॉस आपसे ज्यादा जरूरी तो कुछ भी नही। बाकी एक फोन कॉल और सारा सामान घर छोड़कर जाते थे।


इवान:– बॉस ये सब छोड़ो। गिफ्ट देखते है ना...


सभी हामी भरते हुये हॉल में बॉक्स को बिछा दिये। बॉक्स मतलब उसे छोटा बॉक्स कतई नहीं समझिए। बड़े–बड़े 5 बॉक्स थे और हर बॉक्स पर नंबरिंग किया हुआ था। पहले नंबर का बॉक्स खोला गया ऊपर ही एक लेटर…. "5 लोगों के लिए 5 शिकारियों के कपड़े। ये इतने स्ट्रेचेबल है कि शेप शिफ्ट होने के बाद भी फटेगा नहीं। बुलेट प्रूफ और वैपन प्रूफ कुछ हद तक।"


हर किसी के नाम से कपड़े के पैकेट रखे हुये थे। अलग–अलग मौकों के लिये 5–6 प्रकार के कपड़े थे।
सभी ने कपड़े को जैसे लूट लिया हो। अलग–अलग फेब्रिक के काफी कुल ड्रेस थे। जितने सुरक्षित उतने ही आरामदायक वस्त्र थे। फिर आया दूसरे नंबर के बॉक्स की बारी जिसके अंदर का समान देखकर सबका चेहरा उतर गया। बॉक्स देखकर भेजनेवाले के लिए मुंह से गालियां नीकल रही थी। उस बॉक्स मे तकरीबन 50 से ऊपर किताब थी। साथ मे एक हार्डडिस्क भी था, जिसके ऊपर लिखा था... "फॉर बुक लवर्स (for book lovers)"


आर्यमणि का चेहरा वाकई मे खिल गया था। तीसरा बॉक्स खोला गया, जिसे देखकर सबकी आंखें चौंधिया गयी। आकर्षक मेटालिक वैपन थे। जैसे कि एक फीट वाली छोटी कुल्हाड़ी। कई तरह के चमचमाते खंजर, साई वैपन (sai weapon) की कई जोड़ें, 3 फीट के ढेर सारे स्टील और आयरन रॉड। उन्ही सब हथियारों के साथ था, नया लेटेस्ट ट्रैप वायर (trap wire). खास तरह के ट्रैप वायर जो बिल्कुल पतले और उतने ही मजबूत। थर्मोडायनेमिक हिट उत्पन्न करने वाले ये वायर इतने घातक थे कि इस वायर के ट्रैप में उलझे फिर शरीर मक्खन की तरह कट जाये।


3 बॉक्स ही खुले और सभी खुशी से एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे। चौथा बॉक्स खोला गया जिसमे वैपन रखने के लाइसेंस से लेकर कई तरह के लेटेस्ट पिस्तौल और स्निपर राइफल थी। साथ में एक चिट्ठी था जिसमें लिखा था, जंगली क्षेत्र में रहने के कारण कुछ घातक हथियार रखने के लाइसेंस मिले है। उसी बॉक्स में एक छोटा सा जार भी था जिसमे बीज रखे थे। आर्यमणि समझ गया ये माउंटेन ऐश पौधों के बीज है। सबसे आखरी बॉक्स में एक लैपटॉप था। उसके नीचे छोटे–बड़े डिवाइस और उन सब डिवाइस के साथ उनका मैनुअल।


सभी लेटेस्ट सिक्यूरिटी ब्रिज डिवाइस थे जो एक दूसरे से एक सुरक्षित संपर्क प्रणाली (secure communication channel) के साथ–साथ आस पास के इलाकों में कोई घुसपैठ से लेकर, वहां की आंतरिक सुरक्षा के मध्यनजर ये सभी डिवाइस भेजी गयी थी। सबसे आखरी मे अपने लोगों से बात करने के लिये सेटेलाइट फोन था। जिसे ट्रेस नही किया जा सकता था। और ऐसा ही फोन भारत में भी आर्यमणि के सभी प्रियजनों के पास था।


अपस्यु का उपहार देख कर तो पूरा अल्फा पैक खुश हो गया।…. "आज की शाम, अल्फा पैक के खुशियों के नाम। क्या शानदार गिफ्ट भेजा है अपस्यु ने।"… अलबेली अपनी बात कहती सेटेलाइट फोन हाथ में ली और सीधा भूमि दीदी का नंबर डायल कर दी...


आर्यमणि:– किसे कॉल लगा दी..


अलबेली, बिना कोई जवाब दिये फोन आर्यमणि को ही थमा दी। आर्यमणि, अलबेली को सवालिया नजरों से देखते फोन कान में लगाया और दूसरी ओर से आवाज आयी.… "आर्य तू है क्या?"


आर्यमणि:– दीदी...


दोनो पक्ष से २ शब्दों की बात और खुशी का एक छोटा सा विराम...


आर्यमणि:– तुम कैसी हो दीदी...


भूमि:– बस तुझे ही मिस कर रही हूं वरना तेरे छोटे भाई के साथ पूरा दिन मस्त और पूरा दिन व्यस्त...


आर्यमणि:– लड्डू–गोपाल (भूमि का बेबी) की तस्वीर मैने भी देखी... गोल मटोल बिलकुल तुम पर गया है...


भूमि:– हां काफी प्यारा है। एक बात बता ये जो नए तरह का फोन तूने भिजवाया है, उस से कोई तुम्हारी लोकेशन तो ट्रेस नही करेगा न...


आर्यमणि:– बिलकुल नहीं... कुछ दिन रुक जाओ फिर तो हम सब नागपुर लौट ही रहे है।


भूमि:– तुम्हारी जब इच्छा हो वापस आ जाना। लेकिन इतने दिन बाद बात हो रही जल्दी–जल्दी अब तक के सफर के बारे में बता...


आर्यमणि भूमि दीदी की बात पर हंसने लगा। वह सोचने लगा कुछ देर पहले उसने जो अपस्यु के साथ किया अभी भूमि दीदी उसके साथ कर रही। कोई चारा था नही इसलिए पूरी कहानी सुनाने लगा। भूमि के साथ बातों का लंबा दौड़ चलता रहा। इतना लंबा बात चली की पूरा अल्फा पैक सारे गिफ्ट को बांट चुके थे। सबने अपने गिफ्ट जब रख लिये फिर पैक की दूसरी मुखिया ने सोचा जब तक उसके होने वाले फोन पर लगे है तब तक टीन वुल्फ के साथ शॉपिंग का मजा लिया जाये। आखिर महीने दिन से कोई घूमने भी नही गया।


रूही कार निकाली और तीनो सवार हो गये।… "बॉस को ऐसे छोड़कर नही आना चाहिए था।"… इवान थोड़ा मायूस होते कहने लगा।


रूही:– आर्य को आराम से बार कर लेने दो, जबतक हम शहर का एक चक्कर लगा आये।

ओजल:– चक्कर लगा आये या अपने होने वाले पति को गिफ्ट देना चाहती हो इसलिए आ गयी।

अलबेली:– क्या सच में... फिर तो मैं भी इवान के लिये एक गिफ्ट ले लेती हू।

रूही:– तू इवान के लिये क्यों गिफ्ट लेगी। इवान तुझे गिफ्ट देगा न?

इवान:– ये क्या तुक हुआ। तुम बॉस के लिये गिफ्ट लेने जा रही और जानू मुझे गिफ्ट दे ये तुमसे बर्दास्त न हो रहा।

अलबेली:– गलती हो गई जानू, हमे अपनी गाड़ी में आना चाहिए था।

रूही:– ओय ये जानू कबसे पुकारने लगे लिलिपुटियन।

ओजल:– दोनो पागल हो गये है। बेशर्मों बड़ी बहन है कुछ तो लिहाज कर ले...

रूही, अपनी घूरती नजरों से ओजल को देखते..... "तू तो कुछ अलग ही एंगल लगा दी।

तभी तीनों जोर से चिल्लाए। रूही सामने देखी, लाइट रेड हो चुका था और लोग सड़क पार करने लगे थे। तेजी के साथ उसने गाड़ी को किनारे मोड़कर ब्रेक लगाई लेकिन किस्मत सबको बचाने के चक्कर में रूही ने पुलिस कार को ही ठोक दिया। ड्राइविंग लाइसेंस जब्त और पुलिस चारो को उठाकर थाने ले गयी। घंटे भर तक पुलिस वालों ने बिठाए रखा। इरादा तो उन चारो को जज के सामने पेश करने का था लेकिन रूही तिकरम लगाकर एक पुलिस अधिकारी को पटाई। उसे 2000 डॉलर का घुस दी। तब जाकर उस अधिकारी ने 500 का फाइन और एक वार्निंग के साथ छोड़ दिया।

चारो जैसे ही बाहर निकले.… "लॉक उप में बंद उस वुल्फ को देखा क्या? वह हमे ही घूर रहा था।"… अलबेली हड़बड़ में बोलने लगी। रूही आंखों से सबको चुप रहने का इशारा करती निकली। बहुत दूर जब निकल आयी... "अलबेली तेरा मैं क्या करूं। उस वुल्फ ने जरूर तुम्हारी बातें सुनी होगी।"

इवान:– सुनकर कर भी क्या लेगा?

रूही:– इतने घमंड में न रहो। मुझे लगता है इलाके को लेकर कहीं झड़प न हो। कुछ भी हो जाये तुम तीनो वादा करो की शांत रहोगे और मामला बातों से निपटाने की कोशिश करोगे...

ओजल:– और बातों से मामला न सुलझे तो...

रूही:– वहां से भाग जाना लेकिन कोई झगड़ा नहीं। पूरा पैक मिलकर ये मामला देखेंगे न की तुम तीनो..

अलबेली:– क्यों हम तीनो से ही झगड़ा हो सकता है? तुमसे या बॉस से झड़प नही हो सकती क्या?

रूही:– हम भी तुम्हे साथ लिये बिना कोई कदम न उठाएंगे... अब तुम तीनो कहो...

अलबेली:– जलकुकरी एक्शन होने से पहले आग लगाने वाली। ठीक है मैं भी वही करूंगी।

रूही:– और तुम दोनो (ओजल और इवान)

दोनो ने भी हामी भर दी। फिर चारो ने अपना शॉपिंग समाप्त किया और वापस लौट आये। रूही ने सोचा था कि आर्यमणि की बात समाप्त हो जायेगी तब वह पीछे से ज्वाइन कर लेगा लेकिन शॉपिंग समाप्त करके वह घर पहुंचने वाले थे लेकिन आर्यमणि का कॉल नही आया।


इधर आर्यमणि की इतनी लंबी बातें की इनका शॉपिंग समाप्त हो गया। और जैसे ही आर्यमणि ने अपने पैक को देखा, उन्हे चौंकते हुये कहने लगा.… "तैयारी शुरू कर दो, जल्द ही हम सब शिकार पर चलेंगे.… एलियन के शिकार पर।"


एक्शन का नाम सुनकर ही तीनो टीन वुल्फ "वुहू–वुहू" करते, अपने–अपने कमरे में चले गये। वहीं रूही आर्यमणि का हाथ थामकर उसे अपने पास बिठाती.… "बॉस बात क्या है? भारत से कोई अप्रिय खबर?"


आर्यमणि:– हां, हमारे लोगों की सुरक्षा कर रहे एक संन्यासी रक्तांक्ष को उन एलियन ने जान से मार दिया। किसी प्रकार का तिलिस्मी हमला मेरे मां–पिताजी पर किया गया था, जिसकी चपेट में संन्यासी रक्तांक्ष आ गया। अचानक ही 4 दिन तक वह गायब रहा और पांचवे दिन उसकी लाश मिली...


रूही:– क्या??? अब ये सीधा हमला करने लगे है। इनको अच्छा सबक सिखाना होगा?


आर्यमणि:– हां सही कही... वो एलियन नित्या अपने जैसे 21 शिकारी के साथ मेरी तलाश में यूरोप पहुंच चुकी है। ये पुरानी पापिन बहुत सारे मामलों में मेरे परिवार की दोषी रही है। और इसी ने रिचा को भी मारा था। पहला नंबर इसी का आयेगा।


रूही, चुटकी लेते... "पुराने प्यार का बदला लेने का तड़प जाग गया क्या?"


आर्यमणि:– हां तड़प जागा तो है। अब इस बात से मैं इनकार नहीं कर सकता की रिचा के लिये इमोशन नही थे। बस मेरी तैयारी नही थी जो मैं नित्या को सजा दे पता पर दिल की कुछ खुन्नस तो निकाल आया था और पुरानी दबी सी आग को अब चिंगारी देने का वक्त आ गया है।


रूही:– हां तो फिर युद्ध का बिगुल फूंक दो…


आर्यमणि:– बस एक को कॉल लगाकर युद्ध का ही बिगुल फूलने वाला हूं।


रूही:– किसे...


आर्यमणि कुटिल मुस्कान अपने चेहरे पर लाते... "वही एलियन जिसे रानी होने का लॉलीपॉप दिया था, पलक"…


रूही:– तो देर किस बात की... चलो बिगुल फूंक ही दो...


आर्यमणि, रूही के होंठ को चूमते.… "तुम्हे तकलीफ नही होगी"..


रूही:– तकलीफ वाली बात करोगे होने वाले पतिदेव, तब तो फिर हम दोनो को तकलीफ होगी न। बराबर के भागीदार... अब चलो भी टाइम पास बंद करो और कॉल लगाओ...


आर्यमणि ने कॉल लगाया लेकिन पलक का नंबर बंद आ रहा था। २–३ कोशिशों के बाद भी जब कॉल नहीं लगा तब आर्यमणि ने अक्षरा को कॉल लगा दिया...


अक्षरा:– हेल्लो कौन?


आर्यमणि:– मेरी न हो पाने वाली सासु मां मैं आर्यमणि..


कुछ पल दोनो ओर की खामोशी, फिर उधर से अक्षरा की हुंकार.… "साल भर से कहां मुंह छिपाकर घूम रहा है हरमखोर, एक बार सामने तो आ...


आर्यमणि:– अपने चेलों चपाटी को फोन दिखाना बंद करो, ये नंबर ट्रेस नही कर पाओगे... यदि वाकई जानना है कि मैं कहां हूं तो पलक से मेरी बात करवाओ.. उसी से मैं बात करूंगा...


अक्षरा:– एक बाप की औलाद है तो तू पता बता देना, लिख पलक का नंबर...


अक्षरा ने उसे पलक का नंबर दे दिया। नंबर देखकर आर्यमणि हंसते हुये... "ये तो पहले से यूरोप पहुंची हुई है।"..


रूही:– यूरोप में कहां है?

आर्यमणि:– स्वीडन में ह।


रूही:– वहां क्या करने गयी है... किसी अच्छे वुल्फ के पैक के खत्म करके उसे दरिंदों की किसी बस्ती में फेकने..


आर्यमणि:– अब मुझे क्या पता... चलो बात करके पूछ ही लेते हैं?


आर्यमणि ने कॉल मिलाया। कॉल होटल के रिसेप्शन में गया और वहां से पलक के रूम में... उधर से किसी लड़के ने कॉल उठाया... "हेल्लो"..


आर्यमणि:– पलक की आवाज लड़के जैसी कैसे हो गयी? मैने तो सुना था वह अकेली स्वीडन गयी है।


लड़का:– तू है कौन बे?


आर्यमणि:– सच में जानना चाहता है क्या? पलक से कहना उसके एक्स ब्वॉयफ्रेंड का कॉल है...


लड़का:– क्या बोला बे?


आर्यमणि:– तू बहरा है क्या? पलक को बोल इसके एक्स ब्वॉयफ्रेंड का कॉल है।



लड़का:– भोंसड़ी के, तू है कौन मदरचोद...


"किसे गालियां दे रहे हो एकलाफ"… पीछे से पलक की आवाज आयी...


वह लड़का एकलाफ... "पता न कोई मदरचोद तुम्हारी इंक्वायरी कर रहा है?"


पलक:– तो ये तुम्हारे बात करने का तरीका है..


एकलाफ:– बदतमीज खुद को तुम्हारा एक्स ब्वॉयफ्रेंड कहता है? गाली अपने आप निकल गयी...


पलक हड़बड़ा कर फोन उसके हाथ से लेती... "क्या ये तुम हो"…


आर्यमणि:– क्या बात है, एक झटके में पहचान गयी। (पलक कुछ बोलने को हुई लेकिन बीच में ही आर्यमणि उसे रोकते).... तुम्हारा नया ब्वॉयफ्रेंड पहले ही बहुत बदतमीजी कर चुका है। सीधे मुद्दे पर आता हूं। मुझसे मिलना हो तो 8 मार्च को जर्मनी चली आना... और हां अपने उस ब्वॉयफ्रेंड को भी साथ ले आना... क्या है फोन पर भौककर तो कोई भी गाली दे सकता है, औकाद तो तब मानू जब मुंह पर गाली दे सके... मुझसे मिलना हो तो उसे भी साथ ले आना। मुझसे मिलने की यही एकमात्र शर्त है। मेरा हो गया अब तुम अपने क्लोजिंग स्टेटमेंट देकर कॉल रख सकती हो। थोड़ा छोटे में देना डिटेल मैं तुमसे जर्मनी में सुन लूंगा मेरी रानी...


पलक:– रानी मत बोल मुझे, किसी गाली की तरह लगती है। रही बात एकलाफ़ के औकाद की तो वो तुझे मुंह पर गाली देगा ही और यही तेरी औकात है। लेकिन मेरी बात कहीं भूल गया तू, तो तुझे याद दिला दूं... मुझसे मिलने के बाद फिर तू किसी से मिल न पायेगा क्योंकि मैं तेरा दिल चिड़कर निकाल लूंगी...


आर्यमणि:– बेस्ट ऑफ़ लक...


आर्यमणि ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। रूही मुस्कुराती हुई कहने लगी..... "लगता है जर्मनी में मजा आने वाला है बॉस"…. आर्यमणि, भी हंसते हुये… "हां एक्शन के साथ तमीज सीखने वाला प्रवचन भी चलेगा। चलो तैयारी करते है।"…
Mere se khushi bardast na ho rhi bhaya, yah update padh kr palak eklaf or arya ki baat sun kr maza hi aa gya, Lagta hai ab imogi hi uchakne padenge :vhappy1::lol1::yippi::roflol::fight3::toohappy::dancing::ecs::happy::hehe::jump::lotpot::lol::ballelaugh::woohoo::yourock::applause::applause::yes1: Ha ab thoda control me lag rha hai...

8 tarikh ko palak ko bulaye hai sath me uske nye boyfriend ko bhi lane kaha hai jarmani me,

Apasyu ne kapde or hathiyaro ke sath sath kitabe or cold weapon bhi bheje hai jo Lagta hai Behad Khash tarah se bnaye gye hai, alian or supernaturals ko marne vale...

Arya kya Pahle un kitabo ko padhne vala hai Ya anant Kirti pustak ko, un alian ne raktaksh ko maar dala, kya uske dimag se bhi koi raaj janne mila hai un alian ko arya ya satvik asram ke khilaf...

Yuddh ka bigul to bajne vala hai or idhar taiyari bhi karni suru kr di hai, bhumi Di se baat ho chuki hai or uske Bich teen wolf pahuch gye shopping bhi kar aaye, idhar lag rha hai ki Ojal ke liye ladka milne vala hai jo Sayad thane me band tha ya Uske hi pack me se koi Ho sakta hai...

Mind blowing superb update bro Jabardast sandar lajvab with awesome writing skills
 

Kala Nag

Mr. X
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भाग:–98




पलक से बात समाप्त करने के बाद आर्यमणि और रूही कुछ बात शुरू ही करते उस से पहले ही चिल्लाते हुये तीनो टीन वुल्फ आंखों के सामने। शादी, एक्शन, शादी, एक्शन... वुहू.. हिप–हिप हुर्रे"… शादी और एक्शन का नाम पर तीनो झूमने और नाचने लगे। पहले रूही से शादी का प्रपोजल फिर 2 महीने बाद के एक्शन डेट कन्फर्मेशन। खुशियों ने जब दस्तक देना शुरू किया फिर तो एक के बाद एक झोली मे खुशियां आती चली गई।


अगली सुबह सभी एक्सरसाइज करके आने के बाद जैसे ही हॉल में पहुंचे, अलबेली और इवान का बहस शुरू हो गया। इवान कह रहा था "नहीं"… अलबेली कह रही थी "हां".. बस केवल हां और ना ही कह रहे थे और झगड़े जा रहे थे। देखते ही देखते बात उठम पटका तक पहुंच गई।


आर्यमणि गुस्से में दोनों को घूरा, दोनों एक दूसरे को छोड़कर अलग हुए। अलबेली को रूही अपने पास बिठायी और इवान, आर्यमणि के पास आकर बैठा…


आर्यमणि:- क्या चाहते हो, दोनों की टांगे तोड़ दूं..


ओजल:- बॉस आप से कुछ ना होगा..


रूही:- ओजल शांत... अब क्या हुआ दोनों मे..


इवान:- मुझसे क्या पूछ रही हो, उसी से पूछो जो हां–हां कर रही थी।


अलबेली:- हां और तुम्हारा मुंह तो खाली चुम्मा लेने के लिए खुलेगा ना। वैसे तो कुछ पूछ लो जनाब से तो बस बॉस जैसे बनने का भूत सवार रहता है। गाल के दोनों किनारे मिठाई दबाकर बैठ जाते हो और "हां, हूं, नहीं" …. और इन सबसे गंदी तुम्हारी वो श्वांस कि फुफकार जो किसी भी बात के जवाब मे निकलती है। लल्लू कहीं का।


अलबेली एक श्वांस मे अपनी बात बोलकर मुंह छिपाकर हसने लगी। उसकी बात सुनकर आर्यमणि अपने मुंह पर हाथ रखकर हंस रहा था। ओजल को इतनी तेज हंसी आयी की वो बेचारी हंसते–हंसते कुर्सी से ही गिड़ गयी। गिरने के क्रम में खुद को बचाने के लिए रूही को पकड़ी, लेकिन बचने के बदले रूही को लेकर ही गिड़ी। दोनों नीचे गिरकर बस 2-3 सेकंड खामोश होकर एक दूसरे का मुंह ताके और वापस से दोनों कि हंसी फूट गई। दोनों नीचे लेटे हुए ही हंसने लगी...


आर्यमणि, अलबेली का गला दबोचते... "शैतान कि नानी, तुम अपने बॉयफ्रेंड को सुना रही थी या मुझे ताने दे रही थी।"…


अलबेली:- बॉस ये ऐसे पैक वाला प्यार जता रहे हो या फिर इवान आप का साला हुआ और मै उसकी होने वाली बीवी, इस नाते से मुझसे चिपक रहे...


आज सुबह के समाचार में तो बस अलबेली ही अलबेली थी। हंस–हंस कर सब लोटपोट हुए जा रहे थे। आर्यमणि उसे छोड़ा और हंसते हुए कहने लगा... "तुम तीनों को स्कूल नहीं जाना है क्या? तुम्हारे स्कूल से 4 बार फोन आ चुका है।"


ओजल हड़बड़ी में सबको बताती... "अरे यार.. 10 दिनों में हाई स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट होना है। अलबेली, इवान जल्दी से तैयार होकर आओ।"


तीनों भागते दौड़ते पहुंचे स्कूल। जैसे ही स्कूल के अंदर गये, सभी गुस्साए फुटबॉल खिलाड़ियों ने उसे घेर लिया। तीनों को ऐसे घुर रहे थे मानो खा जायेंगे.… ओजल सबको शांत करवाती... "दोस्तों हाई स्कूल चैंपियनशिप की तैयारी हम बचे समय में करवा देंगे। लेकिन उस से पहले तुम सब के लिए एक गुड न्यूज है"….


ओजल जैसे ही गुड न्यूज कहने लगी, उसकी नजर भीड़ के पीछे 3-4 लड़के–लड़कियों पर गयी। एक पूरी नजर उन्हे देखने के बाद वापस से सबके ऊपर ध्यान देते... दोस्तों एक गुड न्यूज़ है। मेरी बहन कि शादी तय हो गयी है शादी की तारीख पक्की होते ही सबको खबर भेज दूंगी।"…


माहोल पूरा हूटिंग भरा। हर कोई "वुहु.. पार्टी, पार्टी, पार्टी.. वूहू.. पार्टी, पार्टी, पार्टी" करते लड़के–लड़कियां चिल्लाने लगे। अलबेली और इवान किनारे बैठकर, एक दूसरे के गले में हाथ डाले प्यार जता रहे थे और मुस्कुराकर ओजल को देख रहे थे। ओजल सबके बीच खड़ी हंसती हुई सबको कह रही थी... "हां बाबा आज शाम पार्टी होगी।" इसी हंसी खुशी के माहोल में एक बार फिर नजर पीछे के ओर गयी।


जिन लड़के–लकड़ियों पर पहले नजर गई थी, अब वो बड़े ग्रुप के साथ थे। वो सभी भीड़ लगाकर आये और ओजल के नजरों के सामने से ही ब्लेड निकालकर अलबेली और इवान की पीठ पर ऊपर से लेकर नीचे तक ब्लेड मार दिये। ओजल भागकर वहां पहुंची। सभी दोस्त चूंकि आगे देख रहे थे इसी बीच ओजल का भागना समझ में नहीं आया।


ओजल अपने भाई का खून देखकर चिल्लाती हुई उन पूरे ग्रुप को पुकारने लगी। शायद वो लोग यही चाहते थे। ओजल की आवाज पर एक लड़का बड़ी तेजी से आया और ओजल का सीधे गला दबोचकर, अपनी बड़ी आंखों को लगभग उसके आंख में घुसाते।।.… "क्या हुआ जानेमन"..


यह वही लड़का था जो कल पुलिस लॉकअप में दिखा था। अलबेली कर इवान गुस्से में उठने वाले थे, लेकिन ओजल ने दोनो को "ना" में रुकने का इशारा करने लगी। दोनों ही गुस्से को काबू करते रुके। इसी बीच सभी स्टूडेंट लगभग उनसे भीख मांगते... "लुकस प्लीज जाने दो। ये लोग नए है।"


लड़के–लड़कियां गिड़गिड़ाते रहे, कहते रहे, फिर भी वो लड़का लूकस ओजल का गला पकड़े रहा। उसके पीछे 20-30 स्टूडेंट्स की भीड़ थी और सभी घेरे खड़े थे। तभी उधर से स्कूल मैनेजमेंट के आने कि खबर मिली और लूकस एक नजर तीनो को देखते.… "मेरे नजरों के सामने मत आना वरना जीना मुश्किल कर दूंगा।" अपनी बात कहकर लूकस, ओजल को एक झन्नाटेदार थप्पड़ लगाया और अपने ग्रुप को लेकर वहां से निकल गया। गला छूटते ही ओजल बड़ी ही बेचैनी से दोनों (अलबेली और इवान) के पीठ पर लगे ब्लेड के निशान देखने लगी।


लेथारिया वुलपिना शरीर में होने के कारण इन लोगों के घाव नहीं भड़ना था। ओजल अपने बैग से फर्स्ट एड किट निकलकर दोनों के खून को साफ करके उसपर एंटीसेप्टिक और पट्टी चिपका भी रही थी और लूकस की गैंग को घुर भी रही थी।


अलबेली:- किसी को पसंद कर रही है क्या, जो ऐसे उन्हे घुर रही। छोड़ ना रे बाबा वो गुंडे और हम आम से लोग क्या समझी..


ओजल के स्कूल का एक दोस्त मारकस... "अलबेली ठीक कह रही है ओजल, जाने दो उन्हे। 4-5 दिन तक स्कूल में इनका तमाशा चलेगा फिर डिटेंशन पर चले जाएंगे।"


इवान:- ओजल तू अपने दोस्तों को फुटबॉल मे हेल्प करने आयी है ना... उधर ध्यान दे… थैंक्स दोस्तो, हमे लगा हम अकेले है पर सब साथ आये देखकर अच्छा लगा...


फुटबाल का एक खिलाड़ी एंडी… "सॉरी हम चाहकर भी उनसे नहीं उलझ सकते। हमे अफसोस है हमारे इतने लोगों के बीच वो ये सब करके चला गया।


अलबेली:- अभी हो गया न। क्या करना है एंडी, चलकर हम अपना काम देखते हैं। उनको उनका काम करने देते है।


पूरी सभा वहां से उठकर ग्राउंड में चली आयी। उधर कोच अलग ही भड़के हुए। कुछ दिनों में प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी और तीनों वादा करके गायब हो गये थे। हालांकि कोच बहुत सी बातों को छिपा ले गया, जो की धीरे–धीरे इनके प्रेक्टिस मे दिखा। तीनो टीन वुल्फ द्वारा सिखाया गया पैंतरा जैसे सब पूरे जोश से सिख कर आये हो। खैर लड़के और लड़की टीम के दोनो कोच अंतिम निर्णय लेते हुये तीनो (ओजल, इवान और अलबेली) को गर्ल्स और बॉयज टीम में बांट चुके थे।


एक महीने से ऊपर तीनो टीन वुल्फ जो गायब रहे थे, उसमे या तो अगले साल भी उसी क्लास में रहो या ग्रेड ठीक करने के लिये हाई स्कूल टीम से खेलो। चारा ही क्या था सिवाय हां कहने के। तीनो ने हामी तो भर दी लेकिन यह भी साफ कर दिया की तीनो एक्स्ट्रा में रहेंगे। यदि कोई चोटिल या घायल होता है तभी वो लोग खेल में आयेंगे। कुछ बात कोच की तो एक बात इन तीनों की भी मान लिया सबने।


आज प्रैक्टिस के बाद एक वर्सेस मैच खेला गया जहां, अलबेली, इवान के साथ एक टीम और ओजल के साथ दूसरी। आपस में एक दूसरे के विरुद्ध खेलकर प्रैक्टिस कर रही थी। हां कुछ और बदलाव भी किये गये थे, जैसे कि एक टीम को आधे बॉय और आधे गर्ल कि फाइनल टीम के साथ मिश्रित टीम बनाया गया था। ठीक ऐसा ही विपक्ष का टीम भी था।


इन तीनों का काम वही था मैदान के बीच में अपने–अपने टीम को कॉर्डिनेट करना। मैच इतना उम्दा सा हो गया था कि दोनों कोच अपने दांतों तले उंगलियां दबा रहे थे। इस खेल में तीनों ने ही अपनी भागीदारी केवल एक कॉर्डिनेटर के तौर पर ही रखा था और खेल के दौरान भूमिका भी वैसे ही थी, मात्र बॉल पास करना और उन्ही लोगों से पूरा खेल करवाना।


मैच इतना टशन वाला था कि पूरा ग्राउंड दर्शक से भर चुका था। हर कोई इस हाई वोल्टेज मैच का लुफ्त उठा रहा था। आखरी पलों में स्कोरिंग को जब आगे ले जाना था, तब अलबेली चीटिंग करती हुई कमान संभाल ली और ओजल की नजरों मे धूल झोंकती अपने स्कोर बोर्ड को आगे बढ़ा दी।


फिर क्या था। मैच खत्म हो गया सभी खिलाड़ी कोच के पास थे। दर्शक स्टूडेंट्स सीढ़ियों पर बैठकर हूटिंग कर रहे थे। ओजल गुस्से में अलबेली के पास पहुंची और खींचकर एक घुसा मुंह पर जड़ दी... "कमिनी इसे चीटिंग कहते है।"


अलबेली भी दी एक घुमाकर, ओजल का जबड़ा हिलाती... "एक गोल की बात थी ना, और सामने तो तू थी ही। चीटिंग क्या रोक लेती। वैसे भी बिना नतीजे वाले मैच में मज़ा ना आता।"


ओजल:- इवान समझा अपनी उड़ती फिरती चुलबली चिड़िया को, ज्यादा मुझ से होशियारी ना करे।


इवान:- ओजल सही ही तो कह रही है अलबेली…


अलबेली गुस्से में एक घुमाकर बाएं से देती... "पक्ष तो अपने खून का ही लोगे ना। हटो, अब तो तुमसे बात भी नही करनी।"..


अलबेली बाएं साइड से जबड़ा हिलाकर निकल गयी। इवान अपना जबड़ा पकड़े खड़ा मायूसी से ओजल को देखते... "अपनी टीम को जिताने के लिये एक गोल ही तो की थी।"..


इवान मायूसी के साथ बड़े धीमे और उतने ही मासूमियत से कहा। लेकिन बेरहम ओजल को अपने भाई पर दया ना आयी। दायां जबड़ा हिलाकर वो भी निकल गयी। एक कंधे पर मारकस और दूसरी कंधे से नताली लटक कर अपना चेहरा इवान के बराबर लाती…

मारकस:- अलबेली तुम्हारी गर्लफ्रेंड और ओजल तुम्हारी बहन है इवान..


इवान, थोड़ा चिढ़कर... "हां"


नताली हंसती हुई इवान का गाल चूमती... "डार्लिंग यही होता है जब बहन के दोस्त को पटा लो। ड्रामा एंज्वाय करते रहो..."


दोनों अपनी बात कहकर हंसते हुए वहां से निकल गये और इवान वहीं खड़ा अपना जबड़ा पकड़े रह गया।….. "लगता है बहन और गर्लफ्रेंड के बीच ज़िन्दगी पीसने वाली है।"


सोचकर ही इवान का बदन कांप गया। ग्राउंड से निकलते वक्त इवान खुद से ही बातें करते... "परिवार के नखरे तो उठा लेंगे, लेकिन जरा उनसे भी मिल लूं जो आज मेरे ही सामने मेरे परिवार को तंग करके चला गया।"…


इवान समझ चुका था लूकस नाम का प्राणी जो ये हरकत करके गया था, वो भी किसी वूल्फ पैक का हिस्सा था। बर्कले, कैलिफोर्निया के वूल्फ पैक जो बाहर के वूल्फ को देखकर पूरे गुस्से में था और उसे अपने क्षेत्र से किसी तरह निकालना चाहता था। इसे मूलभूत एनिमल बिहेभियर (basic animal behaviour) भी कहा जा सकता है जो अपने क्षेत्र मे अपने जैसे जानवरों के घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं कर सकता।


इवान अकेले निकल चुका था समझाने। कार लेकर वो उनके क्षेत्र में दाखिल हुआ। उनकी गंध पहचानते हुए इवान जंगल के शुरुवाती इलाके में था। कार पार्क करके वो पैदल ही उनके जंगली क्षेत्र में निकलता। वो अपनी कार पार्क कर ही रहा था, पीछे से अलबेली और ओजल भी पहुंची...


इवान, दोनों को देखते... "स्कूल में तो दोनों शांत थी फिर यहां क्या कर रही हो?"


ओजल खींचकर वापस से एक घुमा कर देती... "हम उसके पीछे नहीं आये डफर, तेरे पीछे आये हैं। तू चीजों को छोड़ता क्यूं नहीं। हम उनके क्षेत्र में है, और उन्हे ये बात पसंद नहीं आयी। बॉस को भेज देते बात करने।


इवान, अलबेली को देखते... "आओ तुम भी रख दो एक घुसा। रुकी क्यों हो?"


अलबेली, इवान के कॉलर को खींचकर खुद से चिपकाती... "अभी तुम्हे देखकर चूमने का दिल कर रहा है। हाय इतने मासूमियत से तुम कुछ कहो और मैं घुसा चला दूं। ना जानू, ऐसे दिलकश चेहरे को देखकर होंठ खुलते है।"…


अलबेली अपनी बात कहकर, अपनी आंखें मूंदकर मध्यम-मध्यम श्वांस लेने लगी। इवान, अलबेली के चेहरे पर प्यार से हाथ फेरते उसके मासूमियत को अपने सीने में उतारने लगा। "आह्हहहहह !!! कितनी प्यारी है"…. कि कसक दिल में उतरी थी और कुछ पल खामोशी से वो अलबेली का चेहरा देखता रहा।


अलबेली चुम्बन के इंतजार मे अपनी पलकें बोझिल की हुई थी। एहसास दिल में कुलबुलाहट कर रही थी, लेकिन जब किस्स ना हुआ तब अलबेली अपनी आंखें खोलती इवान को देखी। इवान को अपनी ओर यूं प्यार से देखते, अलबेली की नजर नीचे झुक गयी। चेहरे पर आती वो हल्की शर्म की छाया, उसके खुले कर्ली बाल के बीच फैले प्यारे से चेहरे को और भी दिलकश बना रहा था, जो इवान के आंखों के जरिये दिल में उतरते जा रही थी।


"इवान, ऐसे नहीं देखो प्लीज। पता नहीं मुझे क्या होता है।"… अलबेली लचरती हुई, बिल्कुल श्वांस चलने मात्र की धीमी आवाज मे अपनी बात कही। अलबेली की धीमी लचरती आवाज सुनकर ही दिल में टीस सी पैदा हो गयी। इवान के चेहरे पर मुस्कान छाई और होंठ अपनी मसूका के नरम से होंठ को चूमने के लिये आगे बढ़ गये। एक बार फिर से बोझिल आंखें थी। होंठ इतने करीब की चेहरे पर टकराती श्वांस, धड़कनों को अनियंत्रित कर रही थी। नरम मुलायम स्पर्श वो होंठ से होंठ का और मस्ती जैसे पूरे तन बदन मे फैल गयी।


एक दूसरे को बेहतशा चूमने के लिये दोनों बेकरारी मे आगे बढ़े। इतना प्यार और खोया सा माहौल था लेकिन ओजल ने पूरे माहौल में आग लगा दिया। दोनों अपने प्यारे से चुम्बन को पूरा करते, उस से पहले ही इरिटेट कर देने वाला साउंड वहां गूंजने लगा। क्या हो जब आप बड़े ध्यान से किसी काम में पूरे खोए हों, खासकर ऐसे प्यार से होंठ को चूमने के काम में। ऐसे काम में खोए हुए हो और पीछे से लोहे कि चादर पर किसी नुकीले लोहे से घिसकर वो अंदर से झुंझलाहट पैदा करने वाला साउंड पैदा कर दिया हो।


ओजल भी वही कर रही थी। एक लोहे के बोर्ड को अपने मजबूत नाखूनों से खुरचना शुरू कर चुकी थी। मेंटल के घिसने का साउंड इतना इरिटेटिंग था कि इवान और अलबेली के सीने में आग लग गयी। दोनों इस से पहले की पहुंचकर ओजल से कुछ कहते, ओजल वुल्फ पैक को चैलेंज देने वाला निशान बनाकर जंगल के अंदर भाग गयी। अलबेली और इवान, उस निशान को देखकर ही स्तब्ध (shocked) हो गये।


उस लोहे के चादर पर अल्फा पैक का निशान बना था और उस निशान को गोल घेरकर बीच में खून का मोहर। यह 2 पैक के बीच किसी क्षेत्र में वर्चस्व (Supremacy) की लड़ाई के लिये, एक पैक द्वारा दूसरे पैक को दी गई चुनौती थी। हारने वाला वो क्षेत्र हारेगा और शायद जितने वाले ने दया ना दिखाया तो ज़िन्दगी भी हार सकते है, वरना उनका कहा तो वैसे भी मानना ही होगा।


ओजल वो निशान बनाकर अंदर जंगलों के ओर निकल गयी। इधर अलबेली और इवान वो निशान देखने के बाद पीछे से चिल्लाने लगे। लेकिन ओजल कहां रुकने वाली थी। आंधी कि गति और पेड़ों पर लड़ाई के निशान बनाती चली... अलबेली भी उसके पीछे भागती... "हद है ये ओजल। खुद ही लड़ाई ना करने के पक्ष में शुरू से रहती है और आज ये आगे बढ़कर लड़ने का न्योता दे रही।"…


इवान भी उसके साथ भागता.… "अरे यार कम से कम किस्स तो पूरा हो जाने देती... उफ्फ तुम्हारे मुलायम होंठ बिल्कुल बटर कि तरह थे और मेरे होंठों बस उन्हे छूने ही वाले थे।"


अलबेली अपनी दौड़ को उसी क्षण रोकती इवान को खींची और होंठ से होंठ लगाकर भींगे होंठों का एक जानदार चुम्बन लेने लगी। इवान के लिये तो पहले चौकाने और बाद में मदहोश करने वाला क्षण था। चुम्बन शुरू होने के अगले ही पल इवान चुम्बन मे पूरा खोते हुए, अपने होंठ खोलकर एक दूसरे को पूरा वाइल्ड किस्स करने लगा।


लगातार दोनों एक दूसरे के होंठ से होंठ का रस निचोड़ते, चूमते चले जा रहे थे। तेज धड़कनों की आवाज दोनों साफ सुन सकते थे। गर्म चलती श्वांस चेहरे से टकरा रही थी। दोनों पूरी तरह एक दूसरे को भींचकर किस्स कर रहे थे। दोनों के हाथ एक दूसरे के पीठ पर पूरा रेंग रहे थे। अलबेली के वक्ष पूरी तरह से इवान के सीने में धंसे थे जो अलग ही गुदगुदा कामुक एहसास दे रहे थे। इवान का हाथ रेंगते हुये कब पीछे से अलबेली के जीन्स के अंदर घुसे, होश नहीं। उत्सुकता और उत्तेजना मे इवान ने दोनों नितम्बों को अपने पंजे मे इस कदर जकड़ा की अलबेली उसके होंठ को छोड़कर गहरी श्वांस खींचती अलग हुई और बढ़ी धड़कनों को काबू करने लगी।


इवान को अब भी होश नहीं था वो अलबेली के ऊपर हावी होने के लिये फिर से बेकरार था। अलबेली एक हाथ की दूरी से ही उसके सीने पर हाथ रखती.… "बस करो। हर बार सेक्स के लिये कितने एक्साइटेड हो जाते हो"…

"क्या तुम नहीं हो?"…..

"इतनी आग लगाओगे तो मै क्या अपने अरमान बुझाए बैठी हूं, लेकिन जानू हर किस्स के वक्त एक्साइटेड होना अच्छा नहीं।"..

"10-15 साल बाद उसपर भी सोच लेंगे जब 4-5 छोटी अलबेली पापा–पापा कहते घेरे रहेगी।"…

"ओह हो पापा !!.. ओ मेरे जूनियर अलबेली और जूनियर इवान के पापा, पहले खुद को पूरा मर्द तो बना लो। अंडरऐज पुअर टीनएजर"

"अभी मुझे इतना नहीं सुनना। एक फटाक–झटाक वाला सेशन यहीं शुरू करने का मूड है। रोककर तो दिखाओ"…


"आग तो तूफानी है जानू पर मज़ा बिस्तर ही देगा। आराम से एक मैराथन सेशन के बाद वो मुलायम सी बिस्तर। फिर एक दूसरे से चिपक कर सोने का जो मज़ा है ना, वो यहां नहीं मिलेगा। आग को और भड़कने दो।"…. अलबेली खिलखिलाती हंसी के साथ अपनी बात पूरी कि, और आंख मारती अपना हाथ सीने से हटाई।
मस्ती भरा था समा
फिर अलबेली का ड्रामा
शैतानी और मनमानी के साथ साथ
अल्हड़ता और बचपना
सबकुछ तो ठीक चल रहा था
पर हर जंगल का नियम है
मेरे इलाके में तुम्हारा क्या काम है
अब बाजी इक तरफै शुरु हुई है
जवाब को तीनों आतुर हैं
अब देखना है यह कौनसा पैक है
और इनका क्या मनसा है

As Always top notch
 

Destiny

Will Change With Time
Prime
3,965
10,672
144
भाग:–98




पलक से बात समाप्त करने के बाद आर्यमणि और रूही कुछ बात शुरू ही करते उस से पहले ही चिल्लाते हुये तीनो टीन वुल्फ आंखों के सामने। शादी, एक्शन, शादी, एक्शन... वुहू.. हिप–हिप हुर्रे"… शादी और एक्शन का नाम पर तीनो झूमने और नाचने लगे। पहले रूही से शादी का प्रपोजल फिर 2 महीने बाद के एक्शन डेट कन्फर्मेशन। खुशियों ने जब दस्तक देना शुरू किया फिर तो एक के बाद एक झोली मे खुशियां आती चली गई।


अगली सुबह सभी एक्सरसाइज करके आने के बाद जैसे ही हॉल में पहुंचे, अलबेली और इवान का बहस शुरू हो गया। इवान कह रहा था "नहीं"… अलबेली कह रही थी "हां".. बस केवल हां और ना ही कह रहे थे और झगड़े जा रहे थे। देखते ही देखते बात उठम पटका तक पहुंच गई।


आर्यमणि गुस्से में दोनों को घूरा, दोनों एक दूसरे को छोड़कर अलग हुए। अलबेली को रूही अपने पास बिठायी और इवान, आर्यमणि के पास आकर बैठा…


आर्यमणि:- क्या चाहते हो, दोनों की टांगे तोड़ दूं..


ओजल:- बॉस आप से कुछ ना होगा..


रूही:- ओजल शांत... अब क्या हुआ दोनों मे..


इवान:- मुझसे क्या पूछ रही हो, उसी से पूछो जो हां–हां कर रही थी।


अलबेली:- हां और तुम्हारा मुंह तो खाली चुम्मा लेने के लिए खुलेगा ना। वैसे तो कुछ पूछ लो जनाब से तो बस बॉस जैसे बनने का भूत सवार रहता है। गाल के दोनों किनारे मिठाई दबाकर बैठ जाते हो और "हां, हूं, नहीं" …. और इन सबसे गंदी तुम्हारी वो श्वांस कि फुफकार जो किसी भी बात के जवाब मे निकलती है। लल्लू कहीं का।


अलबेली एक श्वांस मे अपनी बात बोलकर मुंह छिपाकर हसने लगी। उसकी बात सुनकर आर्यमणि अपने मुंह पर हाथ रखकर हंस रहा था। ओजल को इतनी तेज हंसी आयी की वो बेचारी हंसते–हंसते कुर्सी से ही गिड़ गयी। गिरने के क्रम में खुद को बचाने के लिए रूही को पकड़ी, लेकिन बचने के बदले रूही को लेकर ही गिड़ी। दोनों नीचे गिरकर बस 2-3 सेकंड खामोश होकर एक दूसरे का मुंह ताके और वापस से दोनों कि हंसी फूट गई। दोनों नीचे लेटे हुए ही हंसने लगी...


आर्यमणि, अलबेली का गला दबोचते... "शैतान कि नानी, तुम अपने बॉयफ्रेंड को सुना रही थी या मुझे ताने दे रही थी।"…


अलबेली:- बॉस ये ऐसे पैक वाला प्यार जता रहे हो या फिर इवान आप का साला हुआ और मै उसकी होने वाली बीवी, इस नाते से मुझसे चिपक रहे...


आज सुबह के समाचार में तो बस अलबेली ही अलबेली थी। हंस–हंस कर सब लोटपोट हुए जा रहे थे। आर्यमणि उसे छोड़ा और हंसते हुए कहने लगा... "तुम तीनों को स्कूल नहीं जाना है क्या? तुम्हारे स्कूल से 4 बार फोन आ चुका है।"


ओजल हड़बड़ी में सबको बताती... "अरे यार.. 10 दिनों में हाई स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट होना है। अलबेली, इवान जल्दी से तैयार होकर आओ।"


तीनों भागते दौड़ते पहुंचे स्कूल। जैसे ही स्कूल के अंदर गये, सभी गुस्साए फुटबॉल खिलाड़ियों ने उसे घेर लिया। तीनों को ऐसे घुर रहे थे मानो खा जायेंगे.… ओजल सबको शांत करवाती... "दोस्तों हाई स्कूल चैंपियनशिप की तैयारी हम बचे समय में करवा देंगे। लेकिन उस से पहले तुम सब के लिए एक गुड न्यूज है"….


ओजल जैसे ही गुड न्यूज कहने लगी, उसकी नजर भीड़ के पीछे 3-4 लड़के–लड़कियों पर गयी। एक पूरी नजर उन्हे देखने के बाद वापस से सबके ऊपर ध्यान देते... दोस्तों एक गुड न्यूज़ है। मेरी बहन कि शादी तय हो गयी है शादी की तारीख पक्की होते ही सबको खबर भेज दूंगी।"…


माहोल पूरा हूटिंग भरा। हर कोई "वुहु.. पार्टी, पार्टी, पार्टी.. वूहू.. पार्टी, पार्टी, पार्टी" करते लड़के–लड़कियां चिल्लाने लगे। अलबेली और इवान किनारे बैठकर, एक दूसरे के गले में हाथ डाले प्यार जता रहे थे और मुस्कुराकर ओजल को देख रहे थे। ओजल सबके बीच खड़ी हंसती हुई सबको कह रही थी... "हां बाबा आज शाम पार्टी होगी।" इसी हंसी खुशी के माहोल में एक बार फिर नजर पीछे के ओर गयी।


जिन लड़के–लकड़ियों पर पहले नजर गई थी, अब वो बड़े ग्रुप के साथ थे। वो सभी भीड़ लगाकर आये और ओजल के नजरों के सामने से ही ब्लेड निकालकर अलबेली और इवान की पीठ पर ऊपर से लेकर नीचे तक ब्लेड मार दिये। ओजल भागकर वहां पहुंची। सभी दोस्त चूंकि आगे देख रहे थे इसी बीच ओजल का भागना समझ में नहीं आया।


ओजल अपने भाई का खून देखकर चिल्लाती हुई उन पूरे ग्रुप को पुकारने लगी। शायद वो लोग यही चाहते थे। ओजल की आवाज पर एक लड़का बड़ी तेजी से आया और ओजल का सीधे गला दबोचकर, अपनी बड़ी आंखों को लगभग उसके आंख में घुसाते।।.… "क्या हुआ जानेमन"..


यह वही लड़का था जो कल पुलिस लॉकअप में दिखा था। अलबेली कर इवान गुस्से में उठने वाले थे, लेकिन ओजल ने दोनो को "ना" में रुकने का इशारा करने लगी। दोनों ही गुस्से को काबू करते रुके। इसी बीच सभी स्टूडेंट लगभग उनसे भीख मांगते... "लुकस प्लीज जाने दो। ये लोग नए है।"


लड़के–लड़कियां गिड़गिड़ाते रहे, कहते रहे, फिर भी वो लड़का लूकस ओजल का गला पकड़े रहा। उसके पीछे 20-30 स्टूडेंट्स की भीड़ थी और सभी घेरे खड़े थे। तभी उधर से स्कूल मैनेजमेंट के आने कि खबर मिली और लूकस एक नजर तीनो को देखते.… "मेरे नजरों के सामने मत आना वरना जीना मुश्किल कर दूंगा।" अपनी बात कहकर लूकस, ओजल को एक झन्नाटेदार थप्पड़ लगाया और अपने ग्रुप को लेकर वहां से निकल गया। गला छूटते ही ओजल बड़ी ही बेचैनी से दोनों (अलबेली और इवान) के पीठ पर लगे ब्लेड के निशान देखने लगी।


लेथारिया वुलपिना शरीर में होने के कारण इन लोगों के घाव नहीं भड़ना था। ओजल अपने बैग से फर्स्ट एड किट निकलकर दोनों के खून को साफ करके उसपर एंटीसेप्टिक और पट्टी चिपका भी रही थी और लूकस की गैंग को घुर भी रही थी।


अलबेली:- किसी को पसंद कर रही है क्या, जो ऐसे उन्हे घुर रही। छोड़ ना रे बाबा वो गुंडे और हम आम से लोग क्या समझी..


ओजल के स्कूल का एक दोस्त मारकस... "अलबेली ठीक कह रही है ओजल, जाने दो उन्हे। 4-5 दिन तक स्कूल में इनका तमाशा चलेगा फिर डिटेंशन पर चले जाएंगे।"


इवान:- ओजल तू अपने दोस्तों को फुटबॉल मे हेल्प करने आयी है ना... उधर ध्यान दे… थैंक्स दोस्तो, हमे लगा हम अकेले है पर सब साथ आये देखकर अच्छा लगा...


फुटबाल का एक खिलाड़ी एंडी… "सॉरी हम चाहकर भी उनसे नहीं उलझ सकते। हमे अफसोस है हमारे इतने लोगों के बीच वो ये सब करके चला गया।


अलबेली:- अभी हो गया न। क्या करना है एंडी, चलकर हम अपना काम देखते हैं। उनको उनका काम करने देते है।


पूरी सभा वहां से उठकर ग्राउंड में चली आयी। उधर कोच अलग ही भड़के हुए। कुछ दिनों में प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी और तीनों वादा करके गायब हो गये थे। हालांकि कोच बहुत सी बातों को छिपा ले गया, जो की धीरे–धीरे इनके प्रेक्टिस मे दिखा। तीनो टीन वुल्फ द्वारा सिखाया गया पैंतरा जैसे सब पूरे जोश से सिख कर आये हो। खैर लड़के और लड़की टीम के दोनो कोच अंतिम निर्णय लेते हुये तीनो (ओजल, इवान और अलबेली) को गर्ल्स और बॉयज टीम में बांट चुके थे।


एक महीने से ऊपर तीनो टीन वुल्फ जो गायब रहे थे, उसमे या तो अगले साल भी उसी क्लास में रहो या ग्रेड ठीक करने के लिये हाई स्कूल टीम से खेलो। चारा ही क्या था सिवाय हां कहने के। तीनो ने हामी तो भर दी लेकिन यह भी साफ कर दिया की तीनो एक्स्ट्रा में रहेंगे। यदि कोई चोटिल या घायल होता है तभी वो लोग खेल में आयेंगे। कुछ बात कोच की तो एक बात इन तीनों की भी मान लिया सबने।


आज प्रैक्टिस के बाद एक वर्सेस मैच खेला गया जहां, अलबेली, इवान के साथ एक टीम और ओजल के साथ दूसरी। आपस में एक दूसरे के विरुद्ध खेलकर प्रैक्टिस कर रही थी। हां कुछ और बदलाव भी किये गये थे, जैसे कि एक टीम को आधे बॉय और आधे गर्ल कि फाइनल टीम के साथ मिश्रित टीम बनाया गया था। ठीक ऐसा ही विपक्ष का टीम भी था।


इन तीनों का काम वही था मैदान के बीच में अपने–अपने टीम को कॉर्डिनेट करना। मैच इतना उम्दा सा हो गया था कि दोनों कोच अपने दांतों तले उंगलियां दबा रहे थे। इस खेल में तीनों ने ही अपनी भागीदारी केवल एक कॉर्डिनेटर के तौर पर ही रखा था और खेल के दौरान भूमिका भी वैसे ही थी, मात्र बॉल पास करना और उन्ही लोगों से पूरा खेल करवाना।


मैच इतना टशन वाला था कि पूरा ग्राउंड दर्शक से भर चुका था। हर कोई इस हाई वोल्टेज मैच का लुफ्त उठा रहा था। आखरी पलों में स्कोरिंग को जब आगे ले जाना था, तब अलबेली चीटिंग करती हुई कमान संभाल ली और ओजल की नजरों मे धूल झोंकती अपने स्कोर बोर्ड को आगे बढ़ा दी।


फिर क्या था। मैच खत्म हो गया सभी खिलाड़ी कोच के पास थे। दर्शक स्टूडेंट्स सीढ़ियों पर बैठकर हूटिंग कर रहे थे। ओजल गुस्से में अलबेली के पास पहुंची और खींचकर एक घुसा मुंह पर जड़ दी... "कमिनी इसे चीटिंग कहते है।"


अलबेली भी दी एक घुमाकर, ओजल का जबड़ा हिलाती... "एक गोल की बात थी ना, और सामने तो तू थी ही। चीटिंग क्या रोक लेती। वैसे भी बिना नतीजे वाले मैच में मज़ा ना आता।"


ओजल:- इवान समझा अपनी उड़ती फिरती चुलबली चिड़िया को, ज्यादा मुझ से होशियारी ना करे।


इवान:- ओजल सही ही तो कह रही है अलबेली…


अलबेली गुस्से में एक घुमाकर बाएं से देती... "पक्ष तो अपने खून का ही लोगे ना। हटो, अब तो तुमसे बात भी नही करनी।"..


अलबेली बाएं साइड से जबड़ा हिलाकर निकल गयी। इवान अपना जबड़ा पकड़े खड़ा मायूसी से ओजल को देखते... "अपनी टीम को जिताने के लिये एक गोल ही तो की थी।"..


इवान मायूसी के साथ बड़े धीमे और उतने ही मासूमियत से कहा। लेकिन बेरहम ओजल को अपने भाई पर दया ना आयी। दायां जबड़ा हिलाकर वो भी निकल गयी। एक कंधे पर मारकस और दूसरी कंधे से नताली लटक कर अपना चेहरा इवान के बराबर लाती…

मारकस:- अलबेली तुम्हारी गर्लफ्रेंड और ओजल तुम्हारी बहन है इवान..


इवान, थोड़ा चिढ़कर... "हां"


नताली हंसती हुई इवान का गाल चूमती... "डार्लिंग यही होता है जब बहन के दोस्त को पटा लो। ड्रामा एंज्वाय करते रहो..."


दोनों अपनी बात कहकर हंसते हुए वहां से निकल गये और इवान वहीं खड़ा अपना जबड़ा पकड़े रह गया।….. "लगता है बहन और गर्लफ्रेंड के बीच ज़िन्दगी पीसने वाली है।"


सोचकर ही इवान का बदन कांप गया। ग्राउंड से निकलते वक्त इवान खुद से ही बातें करते... "परिवार के नखरे तो उठा लेंगे, लेकिन जरा उनसे भी मिल लूं जो आज मेरे ही सामने मेरे परिवार को तंग करके चला गया।"…


इवान समझ चुका था लूकस नाम का प्राणी जो ये हरकत करके गया था, वो भी किसी वूल्फ पैक का हिस्सा था। बर्कले, कैलिफोर्निया के वूल्फ पैक जो बाहर के वूल्फ को देखकर पूरे गुस्से में था और उसे अपने क्षेत्र से किसी तरह निकालना चाहता था। इसे मूलभूत एनिमल बिहेभियर (basic animal behaviour) भी कहा जा सकता है जो अपने क्षेत्र मे अपने जैसे जानवरों के घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं कर सकता।


इवान अकेले निकल चुका था समझाने। कार लेकर वो उनके क्षेत्र में दाखिल हुआ। उनकी गंध पहचानते हुए इवान जंगल के शुरुवाती इलाके में था। कार पार्क करके वो पैदल ही उनके जंगली क्षेत्र में निकलता। वो अपनी कार पार्क कर ही रहा था, पीछे से अलबेली और ओजल भी पहुंची...


इवान, दोनों को देखते... "स्कूल में तो दोनों शांत थी फिर यहां क्या कर रही हो?"


ओजल खींचकर वापस से एक घुमा कर देती... "हम उसके पीछे नहीं आये डफर, तेरे पीछे आये हैं। तू चीजों को छोड़ता क्यूं नहीं। हम उनके क्षेत्र में है, और उन्हे ये बात पसंद नहीं आयी। बॉस को भेज देते बात करने।


इवान, अलबेली को देखते... "आओ तुम भी रख दो एक घुसा। रुकी क्यों हो?"


अलबेली, इवान के कॉलर को खींचकर खुद से चिपकाती... "अभी तुम्हे देखकर चूमने का दिल कर रहा है। हाय इतने मासूमियत से तुम कुछ कहो और मैं घुसा चला दूं। ना जानू, ऐसे दिलकश चेहरे को देखकर होंठ खुलते है।"…


अलबेली अपनी बात कहकर, अपनी आंखें मूंदकर मध्यम-मध्यम श्वांस लेने लगी। इवान, अलबेली के चेहरे पर प्यार से हाथ फेरते उसके मासूमियत को अपने सीने में उतारने लगा। "आह्हहहहह !!! कितनी प्यारी है"…. कि कसक दिल में उतरी थी और कुछ पल खामोशी से वो अलबेली का चेहरा देखता रहा।


अलबेली चुम्बन के इंतजार मे अपनी पलकें बोझिल की हुई थी। एहसास दिल में कुलबुलाहट कर रही थी, लेकिन जब किस्स ना हुआ तब अलबेली अपनी आंखें खोलती इवान को देखी। इवान को अपनी ओर यूं प्यार से देखते, अलबेली की नजर नीचे झुक गयी। चेहरे पर आती वो हल्की शर्म की छाया, उसके खुले कर्ली बाल के बीच फैले प्यारे से चेहरे को और भी दिलकश बना रहा था, जो इवान के आंखों के जरिये दिल में उतरते जा रही थी।


"इवान, ऐसे नहीं देखो प्लीज। पता नहीं मुझे क्या होता है।"… अलबेली लचरती हुई, बिल्कुल श्वांस चलने मात्र की धीमी आवाज मे अपनी बात कही। अलबेली की धीमी लचरती आवाज सुनकर ही दिल में टीस सी पैदा हो गयी। इवान के चेहरे पर मुस्कान छाई और होंठ अपनी मसूका के नरम से होंठ को चूमने के लिये आगे बढ़ गये। एक बार फिर से बोझिल आंखें थी। होंठ इतने करीब की चेहरे पर टकराती श्वांस, धड़कनों को अनियंत्रित कर रही थी। नरम मुलायम स्पर्श वो होंठ से होंठ का और मस्ती जैसे पूरे तन बदन मे फैल गयी।


एक दूसरे को बेहतशा चूमने के लिये दोनों बेकरारी मे आगे बढ़े। इतना प्यार और खोया सा माहौल था लेकिन ओजल ने पूरे माहौल में आग लगा दिया। दोनों अपने प्यारे से चुम्बन को पूरा करते, उस से पहले ही इरिटेट कर देने वाला साउंड वहां गूंजने लगा। क्या हो जब आप बड़े ध्यान से किसी काम में पूरे खोए हों, खासकर ऐसे प्यार से होंठ को चूमने के काम में। ऐसे काम में खोए हुए हो और पीछे से लोहे कि चादर पर किसी नुकीले लोहे से घिसकर वो अंदर से झुंझलाहट पैदा करने वाला साउंड पैदा कर दिया हो।


ओजल भी वही कर रही थी। एक लोहे के बोर्ड को अपने मजबूत नाखूनों से खुरचना शुरू कर चुकी थी। मेंटल के घिसने का साउंड इतना इरिटेटिंग था कि इवान और अलबेली के सीने में आग लग गयी। दोनों इस से पहले की पहुंचकर ओजल से कुछ कहते, ओजल वुल्फ पैक को चैलेंज देने वाला निशान बनाकर जंगल के अंदर भाग गयी। अलबेली और इवान, उस निशान को देखकर ही स्तब्ध (shocked) हो गये।


उस लोहे के चादर पर अल्फा पैक का निशान बना था और उस निशान को गोल घेरकर बीच में खून का मोहर। यह 2 पैक के बीच किसी क्षेत्र में वर्चस्व (Supremacy) की लड़ाई के लिये, एक पैक द्वारा दूसरे पैक को दी गई चुनौती थी। हारने वाला वो क्षेत्र हारेगा और शायद जितने वाले ने दया ना दिखाया तो ज़िन्दगी भी हार सकते है, वरना उनका कहा तो वैसे भी मानना ही होगा।


ओजल वो निशान बनाकर अंदर जंगलों के ओर निकल गयी। इधर अलबेली और इवान वो निशान देखने के बाद पीछे से चिल्लाने लगे। लेकिन ओजल कहां रुकने वाली थी। आंधी कि गति और पेड़ों पर लड़ाई के निशान बनाती चली... अलबेली भी उसके पीछे भागती... "हद है ये ओजल। खुद ही लड़ाई ना करने के पक्ष में शुरू से रहती है और आज ये आगे बढ़कर लड़ने का न्योता दे रही।"…


इवान भी उसके साथ भागता.… "अरे यार कम से कम किस्स तो पूरा हो जाने देती... उफ्फ तुम्हारे मुलायम होंठ बिल्कुल बटर कि तरह थे और मेरे होंठों बस उन्हे छूने ही वाले थे।"


अलबेली अपनी दौड़ को उसी क्षण रोकती इवान को खींची और होंठ से होंठ लगाकर भींगे होंठों का एक जानदार चुम्बन लेने लगी। इवान के लिये तो पहले चौकाने और बाद में मदहोश करने वाला क्षण था। चुम्बन शुरू होने के अगले ही पल इवान चुम्बन मे पूरा खोते हुए, अपने होंठ खोलकर एक दूसरे को पूरा वाइल्ड किस्स करने लगा।


लगातार दोनों एक दूसरे के होंठ से होंठ का रस निचोड़ते, चूमते चले जा रहे थे। तेज धड़कनों की आवाज दोनों साफ सुन सकते थे। गर्म चलती श्वांस चेहरे से टकरा रही थी। दोनों पूरी तरह एक दूसरे को भींचकर किस्स कर रहे थे। दोनों के हाथ एक दूसरे के पीठ पर पूरा रेंग रहे थे। अलबेली के वक्ष पूरी तरह से इवान के सीने में धंसे थे जो अलग ही गुदगुदा कामुक एहसास दे रहे थे। इवान का हाथ रेंगते हुये कब पीछे से अलबेली के जीन्स के अंदर घुसे, होश नहीं। उत्सुकता और उत्तेजना मे इवान ने दोनों नितम्बों को अपने पंजे मे इस कदर जकड़ा की अलबेली उसके होंठ को छोड़कर गहरी श्वांस खींचती अलग हुई और बढ़ी धड़कनों को काबू करने लगी।


इवान को अब भी होश नहीं था वो अलबेली के ऊपर हावी होने के लिये फिर से बेकरार था। अलबेली एक हाथ की दूरी से ही उसके सीने पर हाथ रखती.… "बस करो। हर बार सेक्स के लिये कितने एक्साइटेड हो जाते हो"…

"क्या तुम नहीं हो?"…..

"इतनी आग लगाओगे तो मै क्या अपने अरमान बुझाए बैठी हूं, लेकिन जानू हर किस्स के वक्त एक्साइटेड होना अच्छा नहीं।"..

"10-15 साल बाद उसपर भी सोच लेंगे जब 4-5 छोटी अलबेली पापा–पापा कहते घेरे रहेगी।"…

"ओह हो पापा !!.. ओ मेरे जूनियर अलबेली और जूनियर इवान के पापा, पहले खुद को पूरा मर्द तो बना लो। अंडरऐज पुअर टीनएजर"

"अभी मुझे इतना नहीं सुनना। एक फटाक–झटाक वाला सेशन यहीं शुरू करने का मूड है। रोककर तो दिखाओ"…


"आग तो तूफानी है जानू पर मज़ा बिस्तर ही देगा। आराम से एक मैराथन सेशन के बाद वो मुलायम सी बिस्तर। फिर एक दूसरे से चिपक कर सोने का जो मज़ा है ना, वो यहां नहीं मिलेगा। आग को और भड़कने दो।"…. अलबेली खिलखिलाती हंसी के साथ अपनी बात पूरी कि, और आंख मारती अपना हाथ सीने से हटाई।

दो माह बाद शादी फिर होगा भूम भड़का वाला एक्शन, मार धाड़ के लिए तीनों टेनेजर एक पैर पर खड़ा हों गया पर इसका मतलब ये कतई नहीं की शादी जैसे शुभ अवसर की खुश नुमा पलों को जीना नहीं चाहते ऐसे खुशियों भरा पल उन्हें पहली बार देखने को मिलेगा लेकिन देखने वाली बात ये होगी की भूमि आर्य के मां पापा का उस वक्त क्या प्रतिक्रिया होगी जब उन्हें पता चलेगा कि उनके घुमक्कड़ बेटे ने घूमते घूमते अपने ही पैक के एक खूबसूरत और खूंखार बाला को अपनी जीवन संगिनी और उनका बहू चुन लिया हैं।

कॉलेज में लुक्स ने इवान और अलबेली को जन बूझकर चोट पहुंचा कर कहीं खुद के लिए समत तो न बुला लिया। जिसकी पूरी पूरी उम्मीद लग रहा हैं क्योंकि ओझल ने अपने पैक का निशान उनके आधिकारिक क्षेत्र में छोड़कर युद्ध की चुनौती दे दिया है। अब देखते है आगे क्या होता हैं।

अदभुत अतुलनीय लेखन कौशल
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
10,210
42,638
174
भाग:–98




पलक से बात समाप्त करने के बाद आर्यमणि और रूही कुछ बात शुरू ही करते उस से पहले ही चिल्लाते हुये तीनो टीन वुल्फ आंखों के सामने। शादी, एक्शन, शादी, एक्शन... वुहू.. हिप–हिप हुर्रे"… शादी और एक्शन का नाम पर तीनो झूमने और नाचने लगे। पहले रूही से शादी का प्रपोजल फिर 2 महीने बाद के एक्शन डेट कन्फर्मेशन। खुशियों ने जब दस्तक देना शुरू किया फिर तो एक के बाद एक झोली मे खुशियां आती चली गई।


अगली सुबह सभी एक्सरसाइज करके आने के बाद जैसे ही हॉल में पहुंचे, अलबेली और इवान का बहस शुरू हो गया। इवान कह रहा था "नहीं"… अलबेली कह रही थी "हां".. बस केवल हां और ना ही कह रहे थे और झगड़े जा रहे थे। देखते ही देखते बात उठम पटका तक पहुंच गई।


आर्यमणि गुस्से में दोनों को घूरा, दोनों एक दूसरे को छोड़कर अलग हुए। अलबेली को रूही अपने पास बिठायी और इवान, आर्यमणि के पास आकर बैठा…


आर्यमणि:- क्या चाहते हो, दोनों की टांगे तोड़ दूं..


ओजल:- बॉस आप से कुछ ना होगा..


रूही:- ओजल शांत... अब क्या हुआ दोनों मे..


इवान:- मुझसे क्या पूछ रही हो, उसी से पूछो जो हां–हां कर रही थी।


अलबेली:- हां और तुम्हारा मुंह तो खाली चुम्मा लेने के लिए खुलेगा ना। वैसे तो कुछ पूछ लो जनाब से तो बस बॉस जैसे बनने का भूत सवार रहता है। गाल के दोनों किनारे मिठाई दबाकर बैठ जाते हो और "हां, हूं, नहीं" …. और इन सबसे गंदी तुम्हारी वो श्वांस कि फुफकार जो किसी भी बात के जवाब मे निकलती है। लल्लू कहीं का।


अलबेली एक श्वांस मे अपनी बात बोलकर मुंह छिपाकर हसने लगी। उसकी बात सुनकर आर्यमणि अपने मुंह पर हाथ रखकर हंस रहा था। ओजल को इतनी तेज हंसी आयी की वो बेचारी हंसते–हंसते कुर्सी से ही गिड़ गयी। गिरने के क्रम में खुद को बचाने के लिए रूही को पकड़ी, लेकिन बचने के बदले रूही को लेकर ही गिड़ी। दोनों नीचे गिरकर बस 2-3 सेकंड खामोश होकर एक दूसरे का मुंह ताके और वापस से दोनों कि हंसी फूट गई। दोनों नीचे लेटे हुए ही हंसने लगी...


आर्यमणि, अलबेली का गला दबोचते... "शैतान कि नानी, तुम अपने बॉयफ्रेंड को सुना रही थी या मुझे ताने दे रही थी।"…


अलबेली:- बॉस ये ऐसे पैक वाला प्यार जता रहे हो या फिर इवान आप का साला हुआ और मै उसकी होने वाली बीवी, इस नाते से मुझसे चिपक रहे...


आज सुबह के समाचार में तो बस अलबेली ही अलबेली थी। हंस–हंस कर सब लोटपोट हुए जा रहे थे। आर्यमणि उसे छोड़ा और हंसते हुए कहने लगा... "तुम तीनों को स्कूल नहीं जाना है क्या? तुम्हारे स्कूल से 4 बार फोन आ चुका है।"


ओजल हड़बड़ी में सबको बताती... "अरे यार.. 10 दिनों में हाई स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट होना है। अलबेली, इवान जल्दी से तैयार होकर आओ।"


तीनों भागते दौड़ते पहुंचे स्कूल। जैसे ही स्कूल के अंदर गये, सभी गुस्साए फुटबॉल खिलाड़ियों ने उसे घेर लिया। तीनों को ऐसे घुर रहे थे मानो खा जायेंगे.… ओजल सबको शांत करवाती... "दोस्तों हाई स्कूल चैंपियनशिप की तैयारी हम बचे समय में करवा देंगे। लेकिन उस से पहले तुम सब के लिए एक गुड न्यूज है"….


ओजल जैसे ही गुड न्यूज कहने लगी, उसकी नजर भीड़ के पीछे 3-4 लड़के–लड़कियों पर गयी। एक पूरी नजर उन्हे देखने के बाद वापस से सबके ऊपर ध्यान देते... दोस्तों एक गुड न्यूज़ है। मेरी बहन कि शादी तय हो गयी है शादी की तारीख पक्की होते ही सबको खबर भेज दूंगी।"…


माहोल पूरा हूटिंग भरा। हर कोई "वुहु.. पार्टी, पार्टी, पार्टी.. वूहू.. पार्टी, पार्टी, पार्टी" करते लड़के–लड़कियां चिल्लाने लगे। अलबेली और इवान किनारे बैठकर, एक दूसरे के गले में हाथ डाले प्यार जता रहे थे और मुस्कुराकर ओजल को देख रहे थे। ओजल सबके बीच खड़ी हंसती हुई सबको कह रही थी... "हां बाबा आज शाम पार्टी होगी।" इसी हंसी खुशी के माहोल में एक बार फिर नजर पीछे के ओर गयी।


जिन लड़के–लकड़ियों पर पहले नजर गई थी, अब वो बड़े ग्रुप के साथ थे। वो सभी भीड़ लगाकर आये और ओजल के नजरों के सामने से ही ब्लेड निकालकर अलबेली और इवान की पीठ पर ऊपर से लेकर नीचे तक ब्लेड मार दिये। ओजल भागकर वहां पहुंची। सभी दोस्त चूंकि आगे देख रहे थे इसी बीच ओजल का भागना समझ में नहीं आया।


ओजल अपने भाई का खून देखकर चिल्लाती हुई उन पूरे ग्रुप को पुकारने लगी। शायद वो लोग यही चाहते थे। ओजल की आवाज पर एक लड़का बड़ी तेजी से आया और ओजल का सीधे गला दबोचकर, अपनी बड़ी आंखों को लगभग उसके आंख में घुसाते।।.… "क्या हुआ जानेमन"..


यह वही लड़का था जो कल पुलिस लॉकअप में दिखा था। अलबेली कर इवान गुस्से में उठने वाले थे, लेकिन ओजल ने दोनो को "ना" में रुकने का इशारा करने लगी। दोनों ही गुस्से को काबू करते रुके। इसी बीच सभी स्टूडेंट लगभग उनसे भीख मांगते... "लुकस प्लीज जाने दो। ये लोग नए है।"


लड़के–लड़कियां गिड़गिड़ाते रहे, कहते रहे, फिर भी वो लड़का लूकस ओजल का गला पकड़े रहा। उसके पीछे 20-30 स्टूडेंट्स की भीड़ थी और सभी घेरे खड़े थे। तभी उधर से स्कूल मैनेजमेंट के आने कि खबर मिली और लूकस एक नजर तीनो को देखते.… "मेरे नजरों के सामने मत आना वरना जीना मुश्किल कर दूंगा।" अपनी बात कहकर लूकस, ओजल को एक झन्नाटेदार थप्पड़ लगाया और अपने ग्रुप को लेकर वहां से निकल गया। गला छूटते ही ओजल बड़ी ही बेचैनी से दोनों (अलबेली और इवान) के पीठ पर लगे ब्लेड के निशान देखने लगी।


लेथारिया वुलपिना शरीर में होने के कारण इन लोगों के घाव नहीं भड़ना था। ओजल अपने बैग से फर्स्ट एड किट निकलकर दोनों के खून को साफ करके उसपर एंटीसेप्टिक और पट्टी चिपका भी रही थी और लूकस की गैंग को घुर भी रही थी।


अलबेली:- किसी को पसंद कर रही है क्या, जो ऐसे उन्हे घुर रही। छोड़ ना रे बाबा वो गुंडे और हम आम से लोग क्या समझी..


ओजल के स्कूल का एक दोस्त मारकस... "अलबेली ठीक कह रही है ओजल, जाने दो उन्हे। 4-5 दिन तक स्कूल में इनका तमाशा चलेगा फिर डिटेंशन पर चले जाएंगे।"


इवान:- ओजल तू अपने दोस्तों को फुटबॉल मे हेल्प करने आयी है ना... उधर ध्यान दे… थैंक्स दोस्तो, हमे लगा हम अकेले है पर सब साथ आये देखकर अच्छा लगा...


फुटबाल का एक खिलाड़ी एंडी… "सॉरी हम चाहकर भी उनसे नहीं उलझ सकते। हमे अफसोस है हमारे इतने लोगों के बीच वो ये सब करके चला गया।


अलबेली:- अभी हो गया न। क्या करना है एंडी, चलकर हम अपना काम देखते हैं। उनको उनका काम करने देते है।


पूरी सभा वहां से उठकर ग्राउंड में चली आयी। उधर कोच अलग ही भड़के हुए। कुछ दिनों में प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी और तीनों वादा करके गायब हो गये थे। हालांकि कोच बहुत सी बातों को छिपा ले गया, जो की धीरे–धीरे इनके प्रेक्टिस मे दिखा। तीनो टीन वुल्फ द्वारा सिखाया गया पैंतरा जैसे सब पूरे जोश से सिख कर आये हो। खैर लड़के और लड़की टीम के दोनो कोच अंतिम निर्णय लेते हुये तीनो (ओजल, इवान और अलबेली) को गर्ल्स और बॉयज टीम में बांट चुके थे।


एक महीने से ऊपर तीनो टीन वुल्फ जो गायब रहे थे, उसमे या तो अगले साल भी उसी क्लास में रहो या ग्रेड ठीक करने के लिये हाई स्कूल टीम से खेलो। चारा ही क्या था सिवाय हां कहने के। तीनो ने हामी तो भर दी लेकिन यह भी साफ कर दिया की तीनो एक्स्ट्रा में रहेंगे। यदि कोई चोटिल या घायल होता है तभी वो लोग खेल में आयेंगे। कुछ बात कोच की तो एक बात इन तीनों की भी मान लिया सबने।


आज प्रैक्टिस के बाद एक वर्सेस मैच खेला गया जहां, अलबेली, इवान के साथ एक टीम और ओजल के साथ दूसरी। आपस में एक दूसरे के विरुद्ध खेलकर प्रैक्टिस कर रही थी। हां कुछ और बदलाव भी किये गये थे, जैसे कि एक टीम को आधे बॉय और आधे गर्ल कि फाइनल टीम के साथ मिश्रित टीम बनाया गया था। ठीक ऐसा ही विपक्ष का टीम भी था।


इन तीनों का काम वही था मैदान के बीच में अपने–अपने टीम को कॉर्डिनेट करना। मैच इतना उम्दा सा हो गया था कि दोनों कोच अपने दांतों तले उंगलियां दबा रहे थे। इस खेल में तीनों ने ही अपनी भागीदारी केवल एक कॉर्डिनेटर के तौर पर ही रखा था और खेल के दौरान भूमिका भी वैसे ही थी, मात्र बॉल पास करना और उन्ही लोगों से पूरा खेल करवाना।


मैच इतना टशन वाला था कि पूरा ग्राउंड दर्शक से भर चुका था। हर कोई इस हाई वोल्टेज मैच का लुफ्त उठा रहा था। आखरी पलों में स्कोरिंग को जब आगे ले जाना था, तब अलबेली चीटिंग करती हुई कमान संभाल ली और ओजल की नजरों मे धूल झोंकती अपने स्कोर बोर्ड को आगे बढ़ा दी।


फिर क्या था। मैच खत्म हो गया सभी खिलाड़ी कोच के पास थे। दर्शक स्टूडेंट्स सीढ़ियों पर बैठकर हूटिंग कर रहे थे। ओजल गुस्से में अलबेली के पास पहुंची और खींचकर एक घुसा मुंह पर जड़ दी... "कमिनी इसे चीटिंग कहते है।"


अलबेली भी दी एक घुमाकर, ओजल का जबड़ा हिलाती... "एक गोल की बात थी ना, और सामने तो तू थी ही। चीटिंग क्या रोक लेती। वैसे भी बिना नतीजे वाले मैच में मज़ा ना आता।"


ओजल:- इवान समझा अपनी उड़ती फिरती चुलबली चिड़िया को, ज्यादा मुझ से होशियारी ना करे।


इवान:- ओजल सही ही तो कह रही है अलबेली…


अलबेली गुस्से में एक घुमाकर बाएं से देती... "पक्ष तो अपने खून का ही लोगे ना। हटो, अब तो तुमसे बात भी नही करनी।"..


अलबेली बाएं साइड से जबड़ा हिलाकर निकल गयी। इवान अपना जबड़ा पकड़े खड़ा मायूसी से ओजल को देखते... "अपनी टीम को जिताने के लिये एक गोल ही तो की थी।"..


इवान मायूसी के साथ बड़े धीमे और उतने ही मासूमियत से कहा। लेकिन बेरहम ओजल को अपने भाई पर दया ना आयी। दायां जबड़ा हिलाकर वो भी निकल गयी। एक कंधे पर मारकस और दूसरी कंधे से नताली लटक कर अपना चेहरा इवान के बराबर लाती…

मारकस:- अलबेली तुम्हारी गर्लफ्रेंड और ओजल तुम्हारी बहन है इवान..


इवान, थोड़ा चिढ़कर... "हां"


नताली हंसती हुई इवान का गाल चूमती... "डार्लिंग यही होता है जब बहन के दोस्त को पटा लो। ड्रामा एंज्वाय करते रहो..."


दोनों अपनी बात कहकर हंसते हुए वहां से निकल गये और इवान वहीं खड़ा अपना जबड़ा पकड़े रह गया।….. "लगता है बहन और गर्लफ्रेंड के बीच ज़िन्दगी पीसने वाली है।"


सोचकर ही इवान का बदन कांप गया। ग्राउंड से निकलते वक्त इवान खुद से ही बातें करते... "परिवार के नखरे तो उठा लेंगे, लेकिन जरा उनसे भी मिल लूं जो आज मेरे ही सामने मेरे परिवार को तंग करके चला गया।"…


इवान समझ चुका था लूकस नाम का प्राणी जो ये हरकत करके गया था, वो भी किसी वूल्फ पैक का हिस्सा था। बर्कले, कैलिफोर्निया के वूल्फ पैक जो बाहर के वूल्फ को देखकर पूरे गुस्से में था और उसे अपने क्षेत्र से किसी तरह निकालना चाहता था। इसे मूलभूत एनिमल बिहेभियर (basic animal behaviour) भी कहा जा सकता है जो अपने क्षेत्र मे अपने जैसे जानवरों के घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं कर सकता।


इवान अकेले निकल चुका था समझाने। कार लेकर वो उनके क्षेत्र में दाखिल हुआ। उनकी गंध पहचानते हुए इवान जंगल के शुरुवाती इलाके में था। कार पार्क करके वो पैदल ही उनके जंगली क्षेत्र में निकलता। वो अपनी कार पार्क कर ही रहा था, पीछे से अलबेली और ओजल भी पहुंची...


इवान, दोनों को देखते... "स्कूल में तो दोनों शांत थी फिर यहां क्या कर रही हो?"


ओजल खींचकर वापस से एक घुमा कर देती... "हम उसके पीछे नहीं आये डफर, तेरे पीछे आये हैं। तू चीजों को छोड़ता क्यूं नहीं। हम उनके क्षेत्र में है, और उन्हे ये बात पसंद नहीं आयी। बॉस को भेज देते बात करने।


इवान, अलबेली को देखते... "आओ तुम भी रख दो एक घुसा। रुकी क्यों हो?"


अलबेली, इवान के कॉलर को खींचकर खुद से चिपकाती... "अभी तुम्हे देखकर चूमने का दिल कर रहा है। हाय इतने मासूमियत से तुम कुछ कहो और मैं घुसा चला दूं। ना जानू, ऐसे दिलकश चेहरे को देखकर होंठ खुलते है।"…


अलबेली अपनी बात कहकर, अपनी आंखें मूंदकर मध्यम-मध्यम श्वांस लेने लगी। इवान, अलबेली के चेहरे पर प्यार से हाथ फेरते उसके मासूमियत को अपने सीने में उतारने लगा। "आह्हहहहह !!! कितनी प्यारी है"…. कि कसक दिल में उतरी थी और कुछ पल खामोशी से वो अलबेली का चेहरा देखता रहा।


अलबेली चुम्बन के इंतजार मे अपनी पलकें बोझिल की हुई थी। एहसास दिल में कुलबुलाहट कर रही थी, लेकिन जब किस्स ना हुआ तब अलबेली अपनी आंखें खोलती इवान को देखी। इवान को अपनी ओर यूं प्यार से देखते, अलबेली की नजर नीचे झुक गयी। चेहरे पर आती वो हल्की शर्म की छाया, उसके खुले कर्ली बाल के बीच फैले प्यारे से चेहरे को और भी दिलकश बना रहा था, जो इवान के आंखों के जरिये दिल में उतरते जा रही थी।


"इवान, ऐसे नहीं देखो प्लीज। पता नहीं मुझे क्या होता है।"… अलबेली लचरती हुई, बिल्कुल श्वांस चलने मात्र की धीमी आवाज मे अपनी बात कही। अलबेली की धीमी लचरती आवाज सुनकर ही दिल में टीस सी पैदा हो गयी। इवान के चेहरे पर मुस्कान छाई और होंठ अपनी मसूका के नरम से होंठ को चूमने के लिये आगे बढ़ गये। एक बार फिर से बोझिल आंखें थी। होंठ इतने करीब की चेहरे पर टकराती श्वांस, धड़कनों को अनियंत्रित कर रही थी। नरम मुलायम स्पर्श वो होंठ से होंठ का और मस्ती जैसे पूरे तन बदन मे फैल गयी।


एक दूसरे को बेहतशा चूमने के लिये दोनों बेकरारी मे आगे बढ़े। इतना प्यार और खोया सा माहौल था लेकिन ओजल ने पूरे माहौल में आग लगा दिया। दोनों अपने प्यारे से चुम्बन को पूरा करते, उस से पहले ही इरिटेट कर देने वाला साउंड वहां गूंजने लगा। क्या हो जब आप बड़े ध्यान से किसी काम में पूरे खोए हों, खासकर ऐसे प्यार से होंठ को चूमने के काम में। ऐसे काम में खोए हुए हो और पीछे से लोहे कि चादर पर किसी नुकीले लोहे से घिसकर वो अंदर से झुंझलाहट पैदा करने वाला साउंड पैदा कर दिया हो।


ओजल भी वही कर रही थी। एक लोहे के बोर्ड को अपने मजबूत नाखूनों से खुरचना शुरू कर चुकी थी। मेंटल के घिसने का साउंड इतना इरिटेटिंग था कि इवान और अलबेली के सीने में आग लग गयी। दोनों इस से पहले की पहुंचकर ओजल से कुछ कहते, ओजल वुल्फ पैक को चैलेंज देने वाला निशान बनाकर जंगल के अंदर भाग गयी। अलबेली और इवान, उस निशान को देखकर ही स्तब्ध (shocked) हो गये।


उस लोहे के चादर पर अल्फा पैक का निशान बना था और उस निशान को गोल घेरकर बीच में खून का मोहर। यह 2 पैक के बीच किसी क्षेत्र में वर्चस्व (Supremacy) की लड़ाई के लिये, एक पैक द्वारा दूसरे पैक को दी गई चुनौती थी। हारने वाला वो क्षेत्र हारेगा और शायद जितने वाले ने दया ना दिखाया तो ज़िन्दगी भी हार सकते है, वरना उनका कहा तो वैसे भी मानना ही होगा।


ओजल वो निशान बनाकर अंदर जंगलों के ओर निकल गयी। इधर अलबेली और इवान वो निशान देखने के बाद पीछे से चिल्लाने लगे। लेकिन ओजल कहां रुकने वाली थी। आंधी कि गति और पेड़ों पर लड़ाई के निशान बनाती चली... अलबेली भी उसके पीछे भागती... "हद है ये ओजल। खुद ही लड़ाई ना करने के पक्ष में शुरू से रहती है और आज ये आगे बढ़कर लड़ने का न्योता दे रही।"…


इवान भी उसके साथ भागता.… "अरे यार कम से कम किस्स तो पूरा हो जाने देती... उफ्फ तुम्हारे मुलायम होंठ बिल्कुल बटर कि तरह थे और मेरे होंठों बस उन्हे छूने ही वाले थे।"


अलबेली अपनी दौड़ को उसी क्षण रोकती इवान को खींची और होंठ से होंठ लगाकर भींगे होंठों का एक जानदार चुम्बन लेने लगी। इवान के लिये तो पहले चौकाने और बाद में मदहोश करने वाला क्षण था। चुम्बन शुरू होने के अगले ही पल इवान चुम्बन मे पूरा खोते हुए, अपने होंठ खोलकर एक दूसरे को पूरा वाइल्ड किस्स करने लगा।


लगातार दोनों एक दूसरे के होंठ से होंठ का रस निचोड़ते, चूमते चले जा रहे थे। तेज धड़कनों की आवाज दोनों साफ सुन सकते थे। गर्म चलती श्वांस चेहरे से टकरा रही थी। दोनों पूरी तरह एक दूसरे को भींचकर किस्स कर रहे थे। दोनों के हाथ एक दूसरे के पीठ पर पूरा रेंग रहे थे। अलबेली के वक्ष पूरी तरह से इवान के सीने में धंसे थे जो अलग ही गुदगुदा कामुक एहसास दे रहे थे। इवान का हाथ रेंगते हुये कब पीछे से अलबेली के जीन्स के अंदर घुसे, होश नहीं। उत्सुकता और उत्तेजना मे इवान ने दोनों नितम्बों को अपने पंजे मे इस कदर जकड़ा की अलबेली उसके होंठ को छोड़कर गहरी श्वांस खींचती अलग हुई और बढ़ी धड़कनों को काबू करने लगी।


इवान को अब भी होश नहीं था वो अलबेली के ऊपर हावी होने के लिये फिर से बेकरार था। अलबेली एक हाथ की दूरी से ही उसके सीने पर हाथ रखती.… "बस करो। हर बार सेक्स के लिये कितने एक्साइटेड हो जाते हो"…

"क्या तुम नहीं हो?"…..

"इतनी आग लगाओगे तो मै क्या अपने अरमान बुझाए बैठी हूं, लेकिन जानू हर किस्स के वक्त एक्साइटेड होना अच्छा नहीं।"..

"10-15 साल बाद उसपर भी सोच लेंगे जब 4-5 छोटी अलबेली पापा–पापा कहते घेरे रहेगी।"…

"ओह हो पापा !!.. ओ मेरे जूनियर अलबेली और जूनियर इवान के पापा, पहले खुद को पूरा मर्द तो बना लो। अंडरऐज पुअर टीनएजर"

"अभी मुझे इतना नहीं सुनना। एक फटाक–झटाक वाला सेशन यहीं शुरू करने का मूड है। रोककर तो दिखाओ"…


"आग तो तूफानी है जानू पर मज़ा बिस्तर ही देगा। आराम से एक मैराथन सेशन के बाद वो मुलायम सी बिस्तर। फिर एक दूसरे से चिपक कर सोने का जो मज़ा है ना, वो यहां नहीं मिलेगा। आग को और भड़कने दो।"…. अलबेली खिलखिलाती हंसी के साथ अपनी बात पूरी कि, और आंख मारती अपना हाथ सीने से हटाई।
Albeli Ojal Evan ka vo subah exercise ke baad ha na ha na karna or uske baad Ojal ke sabd kasam se bada maza aaya padh kr, pura mahaul hi khushnuma bna diya unhone ruhi or arya bhi haste haste lot pot ho gye...

College me bhi Albeli ke cheating karne pr Evan ke dono ne gaal suja diye, ye Lukas apne group lekr college pahuch gya or Albeli Evan ko jakhmi kr diya, Ojal ko gale se pakad kr use dhamki di, badla to banta hai, koi bhi aakr maar kr chla jaye aisa pack nhi hai vo, Evan pahuch gya hai unki territory me pichhe se Ojal or Albeli bhi pahuch gyi hai, yha aake bhi inka pyar hilore maar rha tha Ojal ne rang me Accha bang dala or apne pack ka nishan bnakr jungle me bhag gyi...

Ye Albeli or Evan ke romance ke chalte kahi Ojal inka sar hi na fod de, rukte hi nhi hai kahi bhi suru ho jate hai...

Superb update bhai sandar jabarjast lajvab
 
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1.5 karod panne :eyes2::omg1::hide2: Abhi tk to Nainu bhaya sirf paiso se jyada dushmano ki ginti jyada ladaku vimano ki sankhya jyada likhte the pr Ab :runaway: Dhanya ho prabhu 🙏 pr sochne vali baat hai kitni purani pavitra pustak hai or Usne na jane kitne hi tarah ke logo ke sampark me aayi hogi, sahi chij hath lagi hai arya ke 2 duniya ke bich ka google, Jaise Kabhi Kabhi ham puchhte kuchh hai vo btata kuchh aur, Thik Vaise hi Ye pustak hai, sala jo btai hai uska arth nikalne baitho to mahino beet jaye or iski bhi guaranty nhi ki vo niskarsh sahi hi hoga :sigh:

Vo 4 saval Jo apasyu ne btaye unka hi bol bala rha hai us kitab ko itne varsho in prahariyo ke kaid me rahne ka, Dekhte hai arya use padhega ya apni finance ke sath sukoon ke kuchh pal bitayega...

Guru vasist Yani satiyug ke baad dwapar me utpatti Hui iski,

Mujhe ab yah Janna hai ki surpmarich ke liye us duniya se is duniya me aane ki khidki kisne va kaise khuli thi, kiski galti thi Vo or jb yah pustak thi to us surpmarich ke baar baar is duniya me tandav machane ka Raj kaise pta nhi chla, ye alian to bahut baad me aaye...

Arya ne yha ruhi ke sath majak karne ki Kosis ki uske bhai bahno ko lekr, ruhi ne uska hi jabda hila diya, un paragraph me masti or prem ka mind blowing chitran kiya hai aapne bhai or baad me bheja khane vali paheli sabke samne rakh di, Death Kiñg bhaya SANJU ( V. R. ) bhaya ho kuchh dimag me to btao hame bhi...

Superb bhai sandar jabarjast lajvab amazing update with awesome writing skills wonderful
nain11ster ki paheli wahi bata sakte hai..pahle se hi es story me etna dimag khapana pad gaya ki abb dimag ki batti hi gul ho gayi hai. :D
 

Scorpio92

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भाग:–96






क्या ही एक्शन मोमेंट था। इवान भी उतने ही पैशनेट होकर अलबेली को चूमा और तीनो (आर्यमणि, रूही और ओजल) के सामने से अलबेली को उठाकर बाहर ले जाते.… "हम जरा अपना झगड़ा शहर के एक चक्कर काटते हुये सुलझाते है, तब तक एक ग्रैंड पार्टी की प्लानिंग कर लो।" ओजल और रूही तो इनके प्यार और पागलपन को देखकर पहले भी हंसी से लोटपोट हो चुकी थी। आज पहली बार आर्यमणि देख रहा था और वह भी खुद को लोटपोट होने से रोक नहीं पाया।


आर्यमणि, रूही और ओजल हंस रही थी। अभी जितनी तेजी से दोनो (अलबेली और इवान) बाहर निकले थे, उतने ही तेजी से वापस आकर सबके बीच बैठते... "हमने सोचा हमारा मसला तो वैसे भी सुलझ गया है, फिर क्यों बाहर जाकर वक्त बर्बाद करे, जब सबके साथ इतना अच्छा वक्त गुजर रहा।"


हंसी की किलकारी फिर से गूंजने लगी। सभी पारिवारिक माहौल का आनंद ले रहे थे। हां लेकिन उस वक्त ओजल ने रूही की उस भावना का जिक्र कर दी, जो शायद रूही कभी आर्यमणि से नहीं कह सकती थी। बीते एक महीने में जब आर्यमणि गहरी नींद में अपने हर कोशिकाओं को हील कर रहा था, तब रूही हर पल खुद को आर्यमणि के लिये समर्पित किये जा रही थी। वह जब भी अकेली होती इस बात का दर्द जरूर छलक जाता की…. "दिल के करीब जो है इस बार उसे दूर मत करो, वरना मेरे लिये भी अब इस संसार में जीवित रहना कठिन हो जायेगा। जानती हूं वह मेरा नही लेकिन मेरे लिये तो वही पूरी दुनिया है।"


जब ये बात ओजल कह गयी, रूही अपना सर नीचे झुका ली। आंसुओं ने एक बार फिर से उसके आंखें भिगो दी थी और सिसकियां लेती अपनी विडंबना वह कह गयी…. "किस मुंह से इजहार कर देती अपनी भावना। कोई एक ऐसी बात तो हो जो मुझमें खास हो। राह चलता हर कोई जिसे नोच लेता था, उसकी हसरतों ने आर्यमणि के सपने देख लिये, वही बहुत बड़ी थी।"


अबकी बार ये रोतलू भावना किसी भी टीन वुल्फ को पसंद ना आयी। आर्यमणि भी अपनी आंख सिकोड़कर बस रूही को ही घुर रहा था, और रूही अपने सर को नीचे झुकाये बस सिसकियां ले रही थी। तभी अलबेली गुस्से में उठी और ग्रेवी से भरी बाउल को रूही के सर पर उड़ेलकर आर्यमणि के पीछे आ गयी।


ओ बेचारी रूही.… जली–कटी भावना मे रो रही थी और अलबेली ने मसालेदार होली खेल ली। हंस–हंस कर सब लोटपोट हुए जा रहे थे। हां रूही ने बदला लेने कि कोशिश जरूर की लेकिन अलबेली उसके हाथ ना आयी। इन लोगों की हंसी ठिठोली चलती रही। इसी बीच ज़िन्दगी में पहली बार आर्यमणि ने भी कॉमेडी ट्राई मारा था। बोले तो ओजल और इवान थे तो उसी मां फेहरीन के बच्चे, जिसकी संतान रूही थी।


आर्यमणि के साथ रूही बैठी थी तभी आर्यमणि कहने लगा... "कैसा बेशर्म है तुम्हारे भाई–बहन। जान बुझ कर तुम्हे वैसी हालत में देखते रहे (बिस्तर पर वाली घटना) और दरवाजे से हट ही ना रहे थे।"….


अब वोल्फ पैक था, ऊपर से आज तक कभी भी इन बातों का ध्यान ना गया होगा की ओजल और इवान भाई–बहन है। हां लेकिन आर्यमणि के इस मजाक पर रूही को आया गुस्सा, पड़ोस मे ही आर्यमणि था बैठा हुआ... फिर तो चल गया रूही का गुस्से से तमतमाया घुसा।


आव्व बेचारा आर्यमणि का जबड़ा…. लेफ्ट साइड से राईट साइड घूम गया। रूही अपनी गुस्से से फुफकारती लाल आंखों से घूरती हुई कहने लगी.… "दोबारा ऐसे बेहूदा मजाक किये ना तो सुली पर टांग दूंगी। ना तो बच्चो के इमोशन दिखी और ना ही उनकी खुशी, बस उतर आये छिछोरेपन पर।"..


बहरहाल, काफी मस्ती मजाक के बीच पूरी इनकी शाम गुजर रही थी। बात शुरू होते ही फिर चर्चा होने लगी उन तस्वीरों और अनंत कीर्ति के उस पुस्तक की जीसे अपस्यु ने खोल दिया था।


आर्यमणि, सबको शांत करते अपस्यु को कॉल लगा दिया.…


अपस्यु:– बड़े भाई को प्रणाम"..


आर्यमणि:–मैं कहां, तू कुछ ज्यादा बड़ा हो गया है। कहां है मियामी या फिर हवाले के पैसे के पीछे?


अपस्यु:– बातों से मेरे लिये शिकायत और आंखों में किसी के लिये प्यार। बड़े कुछ बदले–बदले लग रहे हो।


आर्यमणि:– तू हाथ लग जा फिर कितना बदल गया हूं वो बताता हूं। एक मिनट सर्विलेंस लगाया है क्या यहां, जो मेरे प्यार के विषय में बात कर रहा?


अपस्यु:– नही बड़े, ओजल ने न जाने कबसे वीडियो कांफ्रेंसिंग कर रखा था। अब परिवार में खुशी का माहोल था, तो थोड़ा हम भी खुश हो गये।


आर्यमणि:– ए पागल इतना मायूस क्यों होता है। दिल छोटा न कर। ये बता तू यहां रुका क्यों नही?


अपस्यु:– बड़े मैं रुकता वहां, लेकिन भाभी (रूही) की भावना और आपके पुराने प्यार को देखकर मैं चिढ़ सा गया था। मुझे लगा की कहीं जागने के बाद तुमने अपने पुराने प्यार (ओशुन) को चुन लिया, फिर शायद भाभी के अंदर जो वियोग उठता, मैं उसका सामना नहीं करना चाहता था। और शायद अलबेली, इवान और ओजल भी उस पल का सामना न कर पाते। पर बड़े तुमने तो हम सबको चौंका दिया।


आर्यमणि:– तुम सबकी जिसमे खुशी होगी, वही तो मेरी खुशी है। मेरे शादी की पूरी तैयारी तुझे ही करनी होगी।


अपस्यु:– मैं सात्विक आश्रम के केंद्र गांव जा रहा हूं। पुनर्स्थापित पत्थर को गांव में एक बार स्थापित कर दूं फिर वह गांव पूर्ण हो जायेगा। गुरु ओमकार नारायण की देख–रेख़ में एक बार फिर से वहां गुरकुल की स्थापना की जायेगी। उसके बाद ही आपकी शादी में आ पाऊंगा। यदि मुझे ज्यादा देर हो जाये तो आप लोग शादी कर लेना, मैं पीछे से बधाई देने पहुंचूंगा...


आर्यमणि:– ये तो अच्छी खबर है। ठीक है तू उधर का काम खत्म करले पहले फिर शादी की बात होगी। और ये निशांत किधर है, उसकी 4 महीने की शिक्षा समाप्त न हुई?


अपस्यु:– वह एक कदम आगे निकल गये है। वह पूर्ण तप में लिन है। पहले तो उन्हे संन्यासी बनना था लेकिन ब्रह्मचर्य भंग होने की वजह से ऐसा संभव नहीं था इसलिए अब मात्र ज्ञान ले रहे है। तप से अपनी साधना साध रहे। पता न अपनी साधना से कब वाह उठे कह नही सकता।


आर्यमणि:– हम्म्म… चलो कोई न उसे अपना ज्ञान लेने दो। सबसे मिलने की अब इच्छा सी हो रही। तुम्हे बता नही सकता उन तस्वीरों को आंखों के सामने देखकर मैं कैसा महसूस कर रहा था। खैर यहां क्या सिर्फ मुझसे ही मिलने आये थे, या बात कुछ और थी।


अपस्यु:– बड़े, शंका से क्यों पूछ रहे हो?


आर्यमणि:– नही, अनंत कीर्ति की पुस्तक खोलकर गये न इसलिए पूछ रहा हूं?


अपस्यु:– "क्या बड़े तुम भी सबकी बातों में आ गये। मैं शुद्ध रूप से तुमसे ही मिलने आया था। मन में अजीब सा बेचैनी होने लगा था और रह–रह कर तुम्हारा ही ध्यान आ रहा था, इसलिए मिलने चला आया। जब मैं कैलिफोर्निया पहुंचा तब यहां कोई नही था। मन और बेचैन सा होने लगा। एक–एक करके सबको कॉल भी लगाया लेकिन कोई कॉल नही उठा रहा था। लागातार जब मैं कॉल लगाते रह गया तब भाभी (रूही) का फोन किसी ने उठाया और सीधा कह दिया की सभी मर गये।"

"मैं सुनकर अवाक। फिर संन्यासी शिवम से मैने संपर्क किया। जितनी जल्दी हो सकता था उतनी जल्दी मैं पोर्ट होकर मैक्सिको के उस जंगल में पहुंचा। लेकिन जब तुम्हारे पास पहुंचा तब तुम ही केवल लेटे थे बाकी चारो जाग रहे थे। तुमने कौन सा वो जहर खुद में लिया था, तुम्हारे शरीर का एक अंग नही बल्कि तुम्हारे पूरे शरीर की जितने भी अनगिनत कोशिकाएं थी वही मरी जा रही थी। 4 दिन तक मैने सेल रिप्लेसमेंट थेरेपी दिया तब जाकर तुम्हारे शरीर के सभी कोशिकाएं स्टेबल हुई थी और ढंग से तुम्हारी हीलिंग प्रोसेस शुरू हुई।


आर्यमणि:– मतलब तूने मेरी जान बचाई...


अपास्यु:– नही उस से भी ज्यादा किया है। बड़े तुम मर नही रहे थे बल्कि तुम्हारी कोसिकाएं रिकवर हो रही थी। यदि मैंने सपोर्ट न दिया होता तो एक महीने के बदले शायद 5 साल में पूरा रिकवर होते, या 7 साल में या 10 साल में, कौन जाने...


आर्यमणि:– ओह ऐसा है क्या। हां चल ठीक है इसके लिये मैं तुम्हे मिलकर धन्यवाद भी कह देता लेकिन तूने अनंत कीर्ति की पुस्तक खोली क्यों?


अपस्यु:– तुम्हारा पूरा पैक झूठा है। नींद में तुमने ही "विप्रयुज् विद्या" के मंत्र पढ़े थे मैने तो बस मेहसूस किया की किताब खुल चुका है। मुझे तो पता भी नही था की "विप्रयुज् विद्या" के मंत्र से पुस्तक खुलती है।


आर्यमणि:– तू मुझे चूरन दे रहा है ना...


अपस्यु:– तुमने अभी तक दिमाग के अंदर घुसना नही सीखा है, लेकिन मैं यहीं से तुम्हारे दिमाग घुसकर पूरा प्रूफ कर दूंगा। या नहीं तो अपने दिमाग में क्ला डालो और अचेत मन की यादें देख लो।


आर्यमणि:– अच्छा चल ठीक है मान लिया तेरी बात। चल अब ये बता किताब में ऐसा क्या लिखा है, जिसके लिये ये एलियन पागल बने हुये है?


अपस्यु:– बड़े मैं जो जवाब दूंगा उसके बाद शायद मुझे एक घंटे तक समझाना होगा।


आर्यमणि:– पढ़ने से ज्यादा सुनने में मजा आयेगा। तू सुना छोटे, मैं एक घंटे तक सुन लूंगा।


अपस्यु:– बड़े, इसे परेशान करना कहते हैं। किताब पास में ही तो है।


आर्यमणि:– मुझे फिर भी तुझे सुनना है।


अपस्यु:– पहले किताब को तो देख लो की वो है क्या? मेरे बताने के बाद तुम पहली बार किताब देखने का रहस्यमयी मजा खो दोगे।


आर्यमणि:– बकवास बंद और सुनाना शुरू कर।


आर्यमणि:– ठीक है तो सुनो, उस किताब को न तो पढ़ा जा सकता है और न ही उसमे कुछ लिखा जा सकता है। हां लेकिन "विद्या विमुक्त्ये" मंत्र का जाप करोगे तो उसमे जो भी लिखा है, पढ़ सकते हो। बहुत ज्यादा नहीं बस दिमाग चकराने वाले वाक्यों से सजे डेढ़ करोड़ पन्नो को पढ़ने के बाद सही आकलन कर सकते हो की अनंत कीर्ति की पुस्तक के लिये एलियन क्यों पागल है।


आर्यमणि:– छोटे मजाक तो नही कर रहे। डेढ़ करोड़ पन्ने भी है क्या उसमे?


अपस्यु:– इसलिए मैं कह रहा था कि खुद ही देख लो।


आर्यमणि:– ठीक है तू जल्दी से पूरी बात बता। मैं आज की शाम किताब को देखने और अध्यात्म में तो नही गुजार सकता।


अपस्यु:– "ठीक है ध्यान से सुनो। कंचनजंगा का वह गांव शक्ति का एक केंद्र माना जाता था जहां सात्त्विक आश्रम से ज्ञान लेकर कई गुरु, रक्षक, आचार्य, ऋषि, मुनि और महर्षि निकले थे। सात्विक आश्रम का इतिहास प्रहरी इतिहास से कयी हजार वर्ष पूर्व का है। किसी वक्त एक भीषण लड़ाई हुई थी जहां विपरीत दुनिया का एक सुपरनैचुरल (सुर्पमारीच) ने बहुत ज्यादा तबाही मचाई थी। उसे बांधने और उसके जीवन लीला समाप्त करने के बाद उस वक्त के तात्कालिक गुरु वशिष्ठ ने एक संगठन बनाया था। यहीं से शुरवात हुई थी प्रहरी समुदाय की और पहला प्रहरी मुखिया वैधायन थे। अब वह भारद्वाज थे या सिंह ऐसा कोई उल्लेख नहीं है किताब में।"


"प्रहरी पूर्ण रूप से स्वशासी संगठन (autonomus body) थी, जिसका देख–रेख सात्त्विक आश्रम के गुरु करते थे। उन्होंने सभी चुनिंदा रक्षक को प्रशिक्षण दिया और 2 दुनिया के बीच शांति बनाना तथा जो 2 दुनिया के बीच के विकृत मनुष्य या जीव थे, उन्हें अंजाम तक पहुंचाने के लिए नियुक्त किया गया था। उस वक्त उन्हें एक किताब शौंपी गई थी, जिसे आज अनंत कीर्ति कहते है। दरअसल उस समय में ऐसा कोई नाम नहीं दिया गया था। इसे विशेष तथा विकृत जीव या इंसान की जानकारी और उनके विनाश के कहानी की किताब का नाम दे सकते हो।"


"इस किताब का उद्देश्य सिर्फ इतना था कि जब भी प्रहरी को कोई विशेष प्रकार का जीव से मिले या प्रहरी किसी विकृत मनुष्य, जीव या सुपरनेचुरल का विनाश करे तो उसकी पूरी कहानी का वर्णन इस किताब में हो। वर्णन जिसे कोई प्रहरी इस किताब में लिखता नही बल्कि यह किताब स्वयं पूरी व्याख्यान लिखती थी। लिखने के लिये किताब न सिर्फ प्रहरी के दिमाग से डेटा लेती थी बल्कि चारो ओर के वातावरण, विशेष जीव या विकृत जो भी इसके संपर्क में आता था, उसे अनुभव करने के बाद किताब स्वयं पूरी कहानी लिख देती थी।"


कहानी भी स्वयं किताब किस प्रकार से लिखती थी... यदि कोई विशेष जीव मिला तो उस जीव की उत्पत्ति स्थान। उसके समुदाय का विवरण, उनके पास किस प्रकार की शक्तियां है और यदि वह जीव किसी दूसरों के लिये प्राणघाती होता है तब उसे रोकने के उपाय।"


"वहीं विकृत मनुष्य, जीव या सुपरनैचुरल के बारे में लिखना हो तो... उसकी उत्पत्ति स्थान यदि पता कर सके तो। वह विकृत विनाश का खेल शुरू करने से पहले अपने या किसी गैर समुदाय के साथ कैसे पहचान छिपा कर रहता था। किस तरह की ताकते उनके पास थी। उन्हें कैसे मारा गया और जिस स्थान पर वह मारा गया, उसके कुछ सालों का सर्वे, जहां यह सुनिश्चित करना था कि उस विकृत ने जाने से पहले किसी दूसरे को तो अपने जैसा नही बनाकर गया। या जिनके बीच पहचान छिपाकर रहता था उनमें से कोई ऐसा राजदार तो नही जो या तो खुद उस जैसा विकृत बन जाये या मरे हुये विकृत की शक्ति अथवा उसे ही इस संसार में वापस लाने की कोई विधि जनता हो।"


"प्रहरी को कुछ भी उस किताब के अंदर नही लिखना था बल्कि वह सिर्फ अपने प्रशिक्षण और तय नीति के हिसाब से काम करते वक्त किताब को साथ लिये घूमते थे। अनंत कीर्ति की पुस्तक की जानकारी उस तात्कालिक समय की हुई घटनाओं के आधार पर होती थी। हो सकता था भविष्य में आने वाले उसी प्रजाति के कुछ विकृत, आनुवंशिक गुण मे बदलाव के साथ दोबारा टकरा जाये। इसलिए जो भी जानकारी थी उसे बस एक आधार माना जाता था, बाकी हर बार जब एक ही समुदाय के विकृत आएंगे तो कोई ना कोई बदलाव जरूर देखने मिलेगा।"


कुछ बातें किताब को लेकर काफी प्रचलित हुई थी, जो अनंत कीर्ति की पुस्तक को पाने के लिये किसी भी विकृत का आकर्षण बढ़ा देती थी...

1) प्रहरी किसी छिपे हुये विकृत की पहचान कैसे कर पाते है?

2) विकृत को जाल में कैसे फसाया गया था?

3) उन्हें कैद कैसे किया गया था?

4) उन्हें कैसे मारा गया था?


"यही उस पुस्तक की 4 बातें थी जिसकी जानकारी किसी विकृत के पास पहुंच जाये तो उसे न केवल प्रहरी के काम करने का मूल तरीका मालूम होगा, बल्कि सभी विकृत की पहचान कर उसे अपने साथ काम करने पर मजबूर भी कर सकता था। इसलिए किताब पर मंत्र का प्रयोग किया गया था। इस मंत्र की वजह से वो किताब अपना एक संरक्षक खुद चुन लेती थी। यह किताब नजर और धड़कने पहचानती है। किसी की मनसा साफ ना हो या मन के अंदर उस किताब को लेकर किसी भी प्रकार कि आशाएं हो, फिर वो पुस्तक नहीं खुलेगी।"


"कई तरह के मंत्र से संरक्षित इस किताब को खोलकर कोई पढ़ नही सकता। किसी भी वातावरण मे जाए या कोई ऐसा माहौल हो, जिसकी अच्छी या बुरी घटना को इस किताब ने कभी महसूस किया था, तब ये किताब खुद व खुद इशारा कर देती है और जैसे ही किताब खोलते हैं, सीधा उस घटना का पूरा विवरण पढ़ने मिलेगा।"


"मन में जब कोई दुवधा होगी और किसी प्रकार का बुरे होने की आशंका, तब वो किताब मन के अंदर की उस दुविधा या आशंका को भांपकर उस से मिलते जुलते सारे तथ्य (facts) सामने रख देगी। और सबसे आखिर में जितने भी जीव, विकृत मनुष्य, सुपरनैचुरल या फिर वर्णित जितने भी सजीव इस किताब में लिखे गये है, जब वह आप–पास होंगे तो उनकी पूरी जानकारी किताब खोलने के साथ ही मिलेगी। किताब की जितनी भी जानकारी थी, वो मैंने दे दी। कुछ विशेष तुम्हे पता चले बड़े तब मुझसे साझा करना।"


आर्यमणि और उसका पूरा पैक पूरी बात ध्यान लगाकर सुन रहे थे। पूरी बात सुनने के बाद आर्यमणि.… "छोटे ये बता जब तूने किताब पढ़ने के लिये मंत्र मुक्त किया, तो क्या डेढ़ करोड़ पन्ने में से पहले पन्ने पर ये पूरी डिटेल लिखी हुई थी?"…


अपस्यु:– एक बार मंत्र मुक्त करके खुद भी पढ़ने की कोशिश तो करो। ये किताब हमे भी पागल बना सकती है। पहला पन्ना जब मैने पढ़ना शुरू किया तब तुम विश्वास नहीं करोगे वहां पहला लाइन क्या लिखा था...


आर्यमणि:– तू बता छोटे मैं विश्वास कर लूंगा, क्योंकि किताब मेरे ही पास है...


अपस्यु:– सुनो बड़े पहला लाइन ऐसा लिखा था.… प्रहरी मकड़ी हाथ खुफिया मछली जंगल उड़ते तीर और भाला मारा गया।


आर्यमणि:– ये क्या था उस वक्त के गुरु वशिष्ठ का कोई खुफिया संदेश था?
Shaandar update bhai maza aa gaya
 

Scorpio92

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भाग:–97




आर्यमणि:– ये क्या था उस वक्त के गुरु वशिष्ठ का कोई खुफिया संदेश था?


अपस्यु:– जी नही... किताब में लिखे गये किसी वाक्य से "प्रहरी" शब्द लिया गया था। किसी दूसरे वाक्य से "खुफिया" शब्द लिया गया था। मछली, जंगल, उड़ते तीर और भला, मारा गया, ये सभी शब्द अलग–अलग वाक्य से लिए गये थे। कई वाक्यों के शब्द को उठाकर एक वाक्य बना दिया गया था। मंत्र मुक्त करने के बाद यह किताब पढ़ने गया तो ये किताब कहीं के भी शब्द उठाकर एक वाक्य बना दिया और ढीठ की तरह जैसे मुझसे कह रहा हो "पढ़कर दिखाओ"


आर्यमणि:– तो फिर किताब के बारे में इतनी जानकारी...


अपस्यु:– उस किताब को दोबारा मंत्रो से बांधकर फिर मैने सीधा खोल दिया। अनंत कीर्ति की किताब ने वहां के माहौल और गुरु के होने के एहसास को मेहसूस किया और गुरु की जानकारी वाला पूरा भाग मेरे आंखों के सामने था। बड़े इसका मतलब समझ रहे हो की वो किताब उन एलियन को क्यों चाहिए...


आर्यमणि:– हां समझ रहा हूं... प्रहरी का गाज उन एलियन पर भी गिर चुका है। उसकी पूरी जानकारी इसके अंदर है। इसलिए वो लोग इस किताब को सिद्ध पुरुष से दूर रखने के लिये पागल बने हैं। और यदि कहीं मेरा अंदाजा सही है तो आचार्य श्रृयुत ने इस किताब की विशेषता जरूर उन एलियन प्रहरी को बताया होगा की अनंत कीर्ति के अंदर किस प्रकार की जानकारी है। उन गधों को उन्होंने किताब के बारे में उतना थोड़े ना बताया होगा, जितना तुमने मुझे बताया। आधी जानकारी ने एलियन के मन में जिज्ञासा जगा दिया होगा की यदि उसको पृथ्वी के समस्त विकृत, जीव अथवा सुपरनैचुरल के पहचान करने और उन्हें फसाने का तरीका मिल जाये फिर पूरे पृथ्वी पर उनका ही एकाधिकार होगा। इसलिए तो किताब खोलकर पढ़ने के लिये भी पागल थे।


अपस्यु:– तुम्हारे इस अंदाज में एक बड़ा सा प्रश्न चिह्न है...


आर्यमणि:– हां मैं जानता हूं। यदि प्रहरी पहले इन एलियन से भीड़ चुके थे, तब आचार्य श्रेयुत को किताब ने कैसा आगाह नही किया? और यदि किताब ने आगाह किया तब आचार्य श्रीयुत फंस कैसे गये?


अपस्यु:–उस से भी बड़ी बात... कैलाश मठ की एक पुस्तक में आचार्य श्रीयुत की जानकारी तो है, लेकिन वो सात्त्विक आश्रम से नही थे बल्कि वैदिक आश्रम से थे। फिर ये अनंत कीर्ति की पुस्तक उनके पास कैसे आयी? हां लेकिन बहुत से सवालों का जवाब आसानी से मिल सकता है..


आर्यमणि:– हां मैं भी वही सोच रहा हूं। किताब को उन एलियन के संपर्क में ले जाऊं, तब अपने आप सारे जवाब मिल जायेंगे। जितने भी झूठ का भ्रमित जाल फैला रखा है, सबका जवाब एक साथ।


अपस्यु:– बिलकुल सही। बड़े अब मैं फोन रखता हूं। तुम सबके लिये कुछ भेंट लाया था, अपने गराज से मेरा उपहार उठा लेना।


आर्यमणि:– क्या बात कर रहा है, हम सबके लिये गिफ्ट.…. गिफ्ट देखने की लालसा जाग उठी है छोटे, इसलिए मैं भी जा रहा हूं। अपना ख्याल रखना छोटे।


एक बड़े से वार्तालाप के बाद आर्यमणि ने फोन रखा और उधर 15–20 मिनट से बिलकुल खामोश घर में फिर से जैसे उधम–चौकड़ी शुरू हो चुकी थी। आर्यमणि को इस बात का बड़ा गर्व हुआ की उसका पूरा पैक कितना अनुशासित है। हां लेकिन जबतक आर्यमणि अपनी इस छोटे से ख्याल से बाहर निकलता, तब तक तो तीनो टीन वोल्फ गराज पहुंच भी गये और अपस्यु द्वारा भेजे गये बड़े–बड़े बॉक्स को उठा भी लाये।


उन बॉक्स को देखने के बाद आर्यमणि हैरानी से रूही और तीनो टीन वुल्फ के ओर देखते... "पिछले एक महीने से तुम तीनो गराज नही गये क्या?"


रूही:– तुम गहरी नींद में थे आर्य। भला तुम्हे छोड़कर हम कहां जाते...


आर्यमणि:– तो क्या एक महीने से जरूरी सामान लाने भी कही नही गये।


अलबेली:– बॉस आपसे ज्यादा जरूरी तो कुछ भी नही। बाकी एक फोन कॉल और सारा सामान घर छोड़कर जाते थे।


इवान:– बॉस ये सब छोड़ो। गिफ्ट देखते है ना...


सभी हामी भरते हुये हॉल में बॉक्स को बिछा दिये। बॉक्स मतलब उसे छोटा बॉक्स कतई नहीं समझिए। बड़े–बड़े 5 बॉक्स थे और हर बॉक्स पर नंबरिंग किया हुआ था। पहले नंबर का बॉक्स खोला गया ऊपर ही एक लेटर…. "5 लोगों के लिए 5 शिकारियों के कपड़े। ये इतने स्ट्रेचेबल है कि शेप शिफ्ट होने के बाद भी फटेगा नहीं। बुलेट प्रूफ और वैपन प्रूफ कुछ हद तक।"


हर किसी के नाम से कपड़े के पैकेट रखे हुये थे। अलग–अलग मौकों के लिये 5–6 प्रकार के कपड़े थे।
सभी ने कपड़े को जैसे लूट लिया हो। अलग–अलग फेब्रिक के काफी कुल ड्रेस थे। जितने सुरक्षित उतने ही आरामदायक वस्त्र थे। फिर आया दूसरे नंबर के बॉक्स की बारी जिसके अंदर का समान देखकर सबका चेहरा उतर गया। बॉक्स देखकर भेजनेवाले के लिए मुंह से गालियां नीकल रही थी। उस बॉक्स मे तकरीबन 50 से ऊपर किताब थी। साथ मे एक हार्डडिस्क भी था, जिसके ऊपर लिखा था... "फॉर बुक लवर्स (for book lovers)"


आर्यमणि का चेहरा वाकई मे खिल गया था। तीसरा बॉक्स खोला गया, जिसे देखकर सबकी आंखें चौंधिया गयी। आकर्षक मेटालिक वैपन थे। जैसे कि एक फीट वाली छोटी कुल्हाड़ी। कई तरह के चमचमाते खंजर, साई वैपन (sai weapon) की कई जोड़ें, 3 फीट के ढेर सारे स्टील और आयरन रॉड। उन्ही सब हथियारों के साथ था, नया लेटेस्ट ट्रैप वायर (trap wire). खास तरह के ट्रैप वायर जो बिल्कुल पतले और उतने ही मजबूत। थर्मोडायनेमिक हिट उत्पन्न करने वाले ये वायर इतने घातक थे कि इस वायर के ट्रैप में उलझे फिर शरीर मक्खन की तरह कट जाये।


3 बॉक्स ही खुले और सभी खुशी से एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे। चौथा बॉक्स खोला गया जिसमे वैपन रखने के लाइसेंस से लेकर कई तरह के लेटेस्ट पिस्तौल और स्निपर राइफल थी। साथ में एक चिट्ठी था जिसमें लिखा था, जंगली क्षेत्र में रहने के कारण कुछ घातक हथियार रखने के लाइसेंस मिले है। उसी बॉक्स में एक छोटा सा जार भी था जिसमे बीज रखे थे। आर्यमणि समझ गया ये माउंटेन ऐश पौधों के बीज है। सबसे आखरी बॉक्स में एक लैपटॉप था। उसके नीचे छोटे–बड़े डिवाइस और उन सब डिवाइस के साथ उनका मैनुअल।


सभी लेटेस्ट सिक्यूरिटी ब्रिज डिवाइस थे जो एक दूसरे से एक सुरक्षित संपर्क प्रणाली (secure communication channel) के साथ–साथ आस पास के इलाकों में कोई घुसपैठ से लेकर, वहां की आंतरिक सुरक्षा के मध्यनजर ये सभी डिवाइस भेजी गयी थी। सबसे आखरी मे अपने लोगों से बात करने के लिये सेटेलाइट फोन था। जिसे ट्रेस नही किया जा सकता था। और ऐसा ही फोन भारत में भी आर्यमणि के सभी प्रियजनों के पास था।


अपस्यु का उपहार देख कर तो पूरा अल्फा पैक खुश हो गया।…. "आज की शाम, अल्फा पैक के खुशियों के नाम। क्या शानदार गिफ्ट भेजा है अपस्यु ने।"… अलबेली अपनी बात कहती सेटेलाइट फोन हाथ में ली और सीधा भूमि दीदी का नंबर डायल कर दी...


आर्यमणि:– किसे कॉल लगा दी..


अलबेली, बिना कोई जवाब दिये फोन आर्यमणि को ही थमा दी। आर्यमणि, अलबेली को सवालिया नजरों से देखते फोन कान में लगाया और दूसरी ओर से आवाज आयी.… "आर्य तू है क्या?"


आर्यमणि:– दीदी...


दोनो पक्ष से २ शब्दों की बात और खुशी का एक छोटा सा विराम...


आर्यमणि:– तुम कैसी हो दीदी...


भूमि:– बस तुझे ही मिस कर रही हूं वरना तेरे छोटे भाई के साथ पूरा दिन मस्त और पूरा दिन व्यस्त...


आर्यमणि:– लड्डू–गोपाल (भूमि का बेबी) की तस्वीर मैने भी देखी... गोल मटोल बिलकुल तुम पर गया है...


भूमि:– हां काफी प्यारा है। एक बात बता ये जो नए तरह का फोन तूने भिजवाया है, उस से कोई तुम्हारी लोकेशन तो ट्रेस नही करेगा न...


आर्यमणि:– बिलकुल नहीं... कुछ दिन रुक जाओ फिर तो हम सब नागपुर लौट ही रहे है।


भूमि:– तुम्हारी जब इच्छा हो वापस आ जाना। लेकिन इतने दिन बाद बात हो रही जल्दी–जल्दी अब तक के सफर के बारे में बता...


आर्यमणि भूमि दीदी की बात पर हंसने लगा। वह सोचने लगा कुछ देर पहले उसने जो अपस्यु के साथ किया अभी भूमि दीदी उसके साथ कर रही। कोई चारा था नही इसलिए पूरी कहानी सुनाने लगा। भूमि के साथ बातों का लंबा दौड़ चलता रहा। इतना लंबा बात चली की पूरा अल्फा पैक सारे गिफ्ट को बांट चुके थे। सबने अपने गिफ्ट जब रख लिये फिर पैक की दूसरी मुखिया ने सोचा जब तक उसके होने वाले फोन पर लगे है तब तक टीन वुल्फ के साथ शॉपिंग का मजा लिया जाये। आखिर महीने दिन से कोई घूमने भी नही गया।


रूही कार निकाली और तीनो सवार हो गये।… "बॉस को ऐसे छोड़कर नही आना चाहिए था।"… इवान थोड़ा मायूस होते कहने लगा।


रूही:– आर्य को आराम से बार कर लेने दो, जबतक हम शहर का एक चक्कर लगा आये।

ओजल:– चक्कर लगा आये या अपने होने वाले पति को गिफ्ट देना चाहती हो इसलिए आ गयी।

अलबेली:– क्या सच में... फिर तो मैं भी इवान के लिये एक गिफ्ट ले लेती हू।

रूही:– तू इवान के लिये क्यों गिफ्ट लेगी। इवान तुझे गिफ्ट देगा न?

इवान:– ये क्या तुक हुआ। तुम बॉस के लिये गिफ्ट लेने जा रही और जानू मुझे गिफ्ट दे ये तुमसे बर्दास्त न हो रहा।

अलबेली:– गलती हो गई जानू, हमे अपनी गाड़ी में आना चाहिए था।

रूही:– ओय ये जानू कबसे पुकारने लगे लिलिपुटियन।

ओजल:– दोनो पागल हो गये है। बेशर्मों बड़ी बहन है कुछ तो लिहाज कर ले...

रूही, अपनी घूरती नजरों से ओजल को देखते..... "तू तो कुछ अलग ही एंगल लगा दी।

तभी तीनों जोर से चिल्लाए। रूही सामने देखी, लाइट रेड हो चुका था और लोग सड़क पार करने लगे थे। तेजी के साथ उसने गाड़ी को किनारे मोड़कर ब्रेक लगाई लेकिन किस्मत सबको बचाने के चक्कर में रूही ने पुलिस कार को ही ठोक दिया। ड्राइविंग लाइसेंस जब्त और पुलिस चारो को उठाकर थाने ले गयी। घंटे भर तक पुलिस वालों ने बिठाए रखा। इरादा तो उन चारो को जज के सामने पेश करने का था लेकिन रूही तिकरम लगाकर एक पुलिस अधिकारी को पटाई। उसे 2000 डॉलर का घुस दी। तब जाकर उस अधिकारी ने 500 का फाइन और एक वार्निंग के साथ छोड़ दिया।

चारो जैसे ही बाहर निकले.… "लॉक उप में बंद उस वुल्फ को देखा क्या? वह हमे ही घूर रहा था।"… अलबेली हड़बड़ में बोलने लगी। रूही आंखों से सबको चुप रहने का इशारा करती निकली। बहुत दूर जब निकल आयी... "अलबेली तेरा मैं क्या करूं। उस वुल्फ ने जरूर तुम्हारी बातें सुनी होगी।"

इवान:– सुनकर कर भी क्या लेगा?

रूही:– इतने घमंड में न रहो। मुझे लगता है इलाके को लेकर कहीं झड़प न हो। कुछ भी हो जाये तुम तीनो वादा करो की शांत रहोगे और मामला बातों से निपटाने की कोशिश करोगे...

ओजल:– और बातों से मामला न सुलझे तो...

रूही:– वहां से भाग जाना लेकिन कोई झगड़ा नहीं। पूरा पैक मिलकर ये मामला देखेंगे न की तुम तीनो..

अलबेली:– क्यों हम तीनो से ही झगड़ा हो सकता है? तुमसे या बॉस से झड़प नही हो सकती क्या?

रूही:– हम भी तुम्हे साथ लिये बिना कोई कदम न उठाएंगे... अब तुम तीनो कहो...

अलबेली:– जलकुकरी एक्शन होने से पहले आग लगाने वाली। ठीक है मैं भी वही करूंगी।

रूही:– और तुम दोनो (ओजल और इवान)

दोनो ने भी हामी भर दी। फिर चारो ने अपना शॉपिंग समाप्त किया और वापस लौट आये। रूही ने सोचा था कि आर्यमणि की बात समाप्त हो जायेगी तब वह पीछे से ज्वाइन कर लेगा लेकिन शॉपिंग समाप्त करके वह घर पहुंचने वाले थे लेकिन आर्यमणि का कॉल नही आया।


इधर आर्यमणि की इतनी लंबी बातें की इनका शॉपिंग समाप्त हो गया। और जैसे ही आर्यमणि ने अपने पैक को देखा, उन्हे चौंकते हुये कहने लगा.… "तैयारी शुरू कर दो, जल्द ही हम सब शिकार पर चलेंगे.… एलियन के शिकार पर।"


एक्शन का नाम सुनकर ही तीनो टीन वुल्फ "वुहू–वुहू" करते, अपने–अपने कमरे में चले गये। वहीं रूही आर्यमणि का हाथ थामकर उसे अपने पास बिठाती.… "बॉस बात क्या है? भारत से कोई अप्रिय खबर?"


आर्यमणि:– हां, हमारे लोगों की सुरक्षा कर रहे एक संन्यासी रक्तांक्ष को उन एलियन ने जान से मार दिया। किसी प्रकार का तिलिस्मी हमला मेरे मां–पिताजी पर किया गया था, जिसकी चपेट में संन्यासी रक्तांक्ष आ गया। अचानक ही 4 दिन तक वह गायब रहा और पांचवे दिन उसकी लाश मिली...


रूही:– क्या??? अब ये सीधा हमला करने लगे है। इनको अच्छा सबक सिखाना होगा?


आर्यमणि:– हां सही कही... वो एलियन नित्या अपने जैसे 21 शिकारी के साथ मेरी तलाश में यूरोप पहुंच चुकी है। ये पुरानी पापिन बहुत सारे मामलों में मेरे परिवार की दोषी रही है। और इसी ने रिचा को भी मारा था। पहला नंबर इसी का आयेगा।


रूही, चुटकी लेते... "पुराने प्यार का बदला लेने का तड़प जाग गया क्या?"


आर्यमणि:– हां तड़प जागा तो है। अब इस बात से मैं इनकार नहीं कर सकता की रिचा के लिये इमोशन नही थे। बस मेरी तैयारी नही थी जो मैं नित्या को सजा दे पता पर दिल की कुछ खुन्नस तो निकाल आया था और पुरानी दबी सी आग को अब चिंगारी देने का वक्त आ गया है।


रूही:– हां तो फिर युद्ध का बिगुल फूंक दो…


आर्यमणि:– बस एक को कॉल लगाकर युद्ध का ही बिगुल फूलने वाला हूं।


रूही:– किसे...


आर्यमणि कुटिल मुस्कान अपने चेहरे पर लाते... "वही एलियन जिसे रानी होने का लॉलीपॉप दिया था, पलक"…


रूही:– तो देर किस बात की... चलो बिगुल फूंक ही दो...


आर्यमणि, रूही के होंठ को चूमते.… "तुम्हे तकलीफ नही होगी"..


रूही:– तकलीफ वाली बात करोगे होने वाले पतिदेव, तब तो फिर हम दोनो को तकलीफ होगी न। बराबर के भागीदार... अब चलो भी टाइम पास बंद करो और कॉल लगाओ...


आर्यमणि ने कॉल लगाया लेकिन पलक का नंबर बंद आ रहा था। २–३ कोशिशों के बाद भी जब कॉल नहीं लगा तब आर्यमणि ने अक्षरा को कॉल लगा दिया...


अक्षरा:– हेल्लो कौन?


आर्यमणि:– मेरी न हो पाने वाली सासु मां मैं आर्यमणि..


कुछ पल दोनो ओर की खामोशी, फिर उधर से अक्षरा की हुंकार.… "साल भर से कहां मुंह छिपाकर घूम रहा है हरमखोर, एक बार सामने तो आ...


आर्यमणि:– अपने चेलों चपाटी को फोन दिखाना बंद करो, ये नंबर ट्रेस नही कर पाओगे... यदि वाकई जानना है कि मैं कहां हूं तो पलक से मेरी बात करवाओ.. उसी से मैं बात करूंगा...


अक्षरा:– एक बाप की औलाद है तो तू पता बता देना, लिख पलक का नंबर...


अक्षरा ने उसे पलक का नंबर दे दिया। नंबर देखकर आर्यमणि हंसते हुये... "ये तो पहले से यूरोप पहुंची हुई है।"..


रूही:– यूरोप में कहां है?

आर्यमणि:– स्वीडन में ह।


रूही:– वहां क्या करने गयी है... किसी अच्छे वुल्फ के पैक के खत्म करके उसे दरिंदों की किसी बस्ती में फेकने..


आर्यमणि:– अब मुझे क्या पता... चलो बात करके पूछ ही लेते हैं?


आर्यमणि ने कॉल मिलाया। कॉल होटल के रिसेप्शन में गया और वहां से पलक के रूम में... उधर से किसी लड़के ने कॉल उठाया... "हेल्लो"..


आर्यमणि:– पलक की आवाज लड़के जैसी कैसे हो गयी? मैने तो सुना था वह अकेली स्वीडन गयी है।


लड़का:– तू है कौन बे?


आर्यमणि:– सच में जानना चाहता है क्या? पलक से कहना उसके एक्स ब्वॉयफ्रेंड का कॉल है...


लड़का:– क्या बोला बे?


आर्यमणि:– तू बहरा है क्या? पलक को बोल इसके एक्स ब्वॉयफ्रेंड का कॉल है।



लड़का:– भोंसड़ी के, तू है कौन मदरचोद...


"किसे गालियां दे रहे हो एकलाफ"… पीछे से पलक की आवाज आयी...


वह लड़का एकलाफ... "पता न कोई मदरचोद तुम्हारी इंक्वायरी कर रहा है?"


पलक:– तो ये तुम्हारे बात करने का तरीका है..


एकलाफ:– बदतमीज खुद को तुम्हारा एक्स ब्वॉयफ्रेंड कहता है? गाली अपने आप निकल गयी...


पलक हड़बड़ा कर फोन उसके हाथ से लेती... "क्या ये तुम हो"…


आर्यमणि:– क्या बात है, एक झटके में पहचान गयी। (पलक कुछ बोलने को हुई लेकिन बीच में ही आर्यमणि उसे रोकते).... तुम्हारा नया ब्वॉयफ्रेंड पहले ही बहुत बदतमीजी कर चुका है। सीधे मुद्दे पर आता हूं। मुझसे मिलना हो तो 8 मार्च को जर्मनी चली आना... और हां अपने उस ब्वॉयफ्रेंड को भी साथ ले आना... क्या है फोन पर भौककर तो कोई भी गाली दे सकता है, औकाद तो तब मानू जब मुंह पर गाली दे सके... मुझसे मिलना हो तो उसे भी साथ ले आना। मुझसे मिलने की यही एकमात्र शर्त है। मेरा हो गया अब तुम अपने क्लोजिंग स्टेटमेंट देकर कॉल रख सकती हो। थोड़ा छोटे में देना डिटेल मैं तुमसे जर्मनी में सुन लूंगा मेरी रानी...


पलक:– रानी मत बोल मुझे, किसी गाली की तरह लगती है। रही बात एकलाफ़ के औकाद की तो वो तुझे मुंह पर गाली देगा ही और यही तेरी औकात है। लेकिन मेरी बात कहीं भूल गया तू, तो तुझे याद दिला दूं... मुझसे मिलने के बाद फिर तू किसी से मिल न पायेगा क्योंकि मैं तेरा दिल चिड़कर निकाल लूंगी...


आर्यमणि:– बेस्ट ऑफ़ लक...


आर्यमणि ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। रूही मुस्कुराती हुई कहने लगी..... "लगता है जर्मनी में मजा आने वाला है बॉस"…. आर्यमणि, भी हंसते हुये… "हां एक्शन के साथ तमीज सीखने वाला प्रवचन भी चलेगा। चलो तैयारी करते है।"…
Shaandar update bhai maza aa gaya. To ab action ki tyari suro ab dekhte hai age kya hota hai.
 

Scorpio92

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भाग:–98




पलक से बात समाप्त करने के बाद आर्यमणि और रूही कुछ बात शुरू ही करते उस से पहले ही चिल्लाते हुये तीनो टीन वुल्फ आंखों के सामने। शादी, एक्शन, शादी, एक्शन... वुहू.. हिप–हिप हुर्रे"… शादी और एक्शन का नाम पर तीनो झूमने और नाचने लगे। पहले रूही से शादी का प्रपोजल फिर 2 महीने बाद के एक्शन डेट कन्फर्मेशन। खुशियों ने जब दस्तक देना शुरू किया फिर तो एक के बाद एक झोली मे खुशियां आती चली गई।


अगली सुबह सभी एक्सरसाइज करके आने के बाद जैसे ही हॉल में पहुंचे, अलबेली और इवान का बहस शुरू हो गया। इवान कह रहा था "नहीं"… अलबेली कह रही थी "हां".. बस केवल हां और ना ही कह रहे थे और झगड़े जा रहे थे। देखते ही देखते बात उठम पटका तक पहुंच गई।


आर्यमणि गुस्से में दोनों को घूरा, दोनों एक दूसरे को छोड़कर अलग हुए। अलबेली को रूही अपने पास बिठायी और इवान, आर्यमणि के पास आकर बैठा…


आर्यमणि:- क्या चाहते हो, दोनों की टांगे तोड़ दूं..


ओजल:- बॉस आप से कुछ ना होगा..


रूही:- ओजल शांत... अब क्या हुआ दोनों मे..


इवान:- मुझसे क्या पूछ रही हो, उसी से पूछो जो हां–हां कर रही थी।


अलबेली:- हां और तुम्हारा मुंह तो खाली चुम्मा लेने के लिए खुलेगा ना। वैसे तो कुछ पूछ लो जनाब से तो बस बॉस जैसे बनने का भूत सवार रहता है। गाल के दोनों किनारे मिठाई दबाकर बैठ जाते हो और "हां, हूं, नहीं" …. और इन सबसे गंदी तुम्हारी वो श्वांस कि फुफकार जो किसी भी बात के जवाब मे निकलती है। लल्लू कहीं का।


अलबेली एक श्वांस मे अपनी बात बोलकर मुंह छिपाकर हसने लगी। उसकी बात सुनकर आर्यमणि अपने मुंह पर हाथ रखकर हंस रहा था। ओजल को इतनी तेज हंसी आयी की वो बेचारी हंसते–हंसते कुर्सी से ही गिड़ गयी। गिरने के क्रम में खुद को बचाने के लिए रूही को पकड़ी, लेकिन बचने के बदले रूही को लेकर ही गिड़ी। दोनों नीचे गिरकर बस 2-3 सेकंड खामोश होकर एक दूसरे का मुंह ताके और वापस से दोनों कि हंसी फूट गई। दोनों नीचे लेटे हुए ही हंसने लगी...


आर्यमणि, अलबेली का गला दबोचते... "शैतान कि नानी, तुम अपने बॉयफ्रेंड को सुना रही थी या मुझे ताने दे रही थी।"…


अलबेली:- बॉस ये ऐसे पैक वाला प्यार जता रहे हो या फिर इवान आप का साला हुआ और मै उसकी होने वाली बीवी, इस नाते से मुझसे चिपक रहे...


आज सुबह के समाचार में तो बस अलबेली ही अलबेली थी। हंस–हंस कर सब लोटपोट हुए जा रहे थे। आर्यमणि उसे छोड़ा और हंसते हुए कहने लगा... "तुम तीनों को स्कूल नहीं जाना है क्या? तुम्हारे स्कूल से 4 बार फोन आ चुका है।"


ओजल हड़बड़ी में सबको बताती... "अरे यार.. 10 दिनों में हाई स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट होना है। अलबेली, इवान जल्दी से तैयार होकर आओ।"


तीनों भागते दौड़ते पहुंचे स्कूल। जैसे ही स्कूल के अंदर गये, सभी गुस्साए फुटबॉल खिलाड़ियों ने उसे घेर लिया। तीनों को ऐसे घुर रहे थे मानो खा जायेंगे.… ओजल सबको शांत करवाती... "दोस्तों हाई स्कूल चैंपियनशिप की तैयारी हम बचे समय में करवा देंगे। लेकिन उस से पहले तुम सब के लिए एक गुड न्यूज है"….


ओजल जैसे ही गुड न्यूज कहने लगी, उसकी नजर भीड़ के पीछे 3-4 लड़के–लड़कियों पर गयी। एक पूरी नजर उन्हे देखने के बाद वापस से सबके ऊपर ध्यान देते... दोस्तों एक गुड न्यूज़ है। मेरी बहन कि शादी तय हो गयी है शादी की तारीख पक्की होते ही सबको खबर भेज दूंगी।"…


माहोल पूरा हूटिंग भरा। हर कोई "वुहु.. पार्टी, पार्टी, पार्टी.. वूहू.. पार्टी, पार्टी, पार्टी" करते लड़के–लड़कियां चिल्लाने लगे। अलबेली और इवान किनारे बैठकर, एक दूसरे के गले में हाथ डाले प्यार जता रहे थे और मुस्कुराकर ओजल को देख रहे थे। ओजल सबके बीच खड़ी हंसती हुई सबको कह रही थी... "हां बाबा आज शाम पार्टी होगी।" इसी हंसी खुशी के माहोल में एक बार फिर नजर पीछे के ओर गयी।


जिन लड़के–लकड़ियों पर पहले नजर गई थी, अब वो बड़े ग्रुप के साथ थे। वो सभी भीड़ लगाकर आये और ओजल के नजरों के सामने से ही ब्लेड निकालकर अलबेली और इवान की पीठ पर ऊपर से लेकर नीचे तक ब्लेड मार दिये। ओजल भागकर वहां पहुंची। सभी दोस्त चूंकि आगे देख रहे थे इसी बीच ओजल का भागना समझ में नहीं आया।


ओजल अपने भाई का खून देखकर चिल्लाती हुई उन पूरे ग्रुप को पुकारने लगी। शायद वो लोग यही चाहते थे। ओजल की आवाज पर एक लड़का बड़ी तेजी से आया और ओजल का सीधे गला दबोचकर, अपनी बड़ी आंखों को लगभग उसके आंख में घुसाते।।.… "क्या हुआ जानेमन"..


यह वही लड़का था जो कल पुलिस लॉकअप में दिखा था। अलबेली कर इवान गुस्से में उठने वाले थे, लेकिन ओजल ने दोनो को "ना" में रुकने का इशारा करने लगी। दोनों ही गुस्से को काबू करते रुके। इसी बीच सभी स्टूडेंट लगभग उनसे भीख मांगते... "लुकस प्लीज जाने दो। ये लोग नए है।"


लड़के–लड़कियां गिड़गिड़ाते रहे, कहते रहे, फिर भी वो लड़का लूकस ओजल का गला पकड़े रहा। उसके पीछे 20-30 स्टूडेंट्स की भीड़ थी और सभी घेरे खड़े थे। तभी उधर से स्कूल मैनेजमेंट के आने कि खबर मिली और लूकस एक नजर तीनो को देखते.… "मेरे नजरों के सामने मत आना वरना जीना मुश्किल कर दूंगा।" अपनी बात कहकर लूकस, ओजल को एक झन्नाटेदार थप्पड़ लगाया और अपने ग्रुप को लेकर वहां से निकल गया। गला छूटते ही ओजल बड़ी ही बेचैनी से दोनों (अलबेली और इवान) के पीठ पर लगे ब्लेड के निशान देखने लगी।


लेथारिया वुलपिना शरीर में होने के कारण इन लोगों के घाव नहीं भड़ना था। ओजल अपने बैग से फर्स्ट एड किट निकलकर दोनों के खून को साफ करके उसपर एंटीसेप्टिक और पट्टी चिपका भी रही थी और लूकस की गैंग को घुर भी रही थी।


अलबेली:- किसी को पसंद कर रही है क्या, जो ऐसे उन्हे घुर रही। छोड़ ना रे बाबा वो गुंडे और हम आम से लोग क्या समझी..


ओजल के स्कूल का एक दोस्त मारकस... "अलबेली ठीक कह रही है ओजल, जाने दो उन्हे। 4-5 दिन तक स्कूल में इनका तमाशा चलेगा फिर डिटेंशन पर चले जाएंगे।"


इवान:- ओजल तू अपने दोस्तों को फुटबॉल मे हेल्प करने आयी है ना... उधर ध्यान दे… थैंक्स दोस्तो, हमे लगा हम अकेले है पर सब साथ आये देखकर अच्छा लगा...


फुटबाल का एक खिलाड़ी एंडी… "सॉरी हम चाहकर भी उनसे नहीं उलझ सकते। हमे अफसोस है हमारे इतने लोगों के बीच वो ये सब करके चला गया।


अलबेली:- अभी हो गया न। क्या करना है एंडी, चलकर हम अपना काम देखते हैं। उनको उनका काम करने देते है।


पूरी सभा वहां से उठकर ग्राउंड में चली आयी। उधर कोच अलग ही भड़के हुए। कुछ दिनों में प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी और तीनों वादा करके गायब हो गये थे। हालांकि कोच बहुत सी बातों को छिपा ले गया, जो की धीरे–धीरे इनके प्रेक्टिस मे दिखा। तीनो टीन वुल्फ द्वारा सिखाया गया पैंतरा जैसे सब पूरे जोश से सिख कर आये हो। खैर लड़के और लड़की टीम के दोनो कोच अंतिम निर्णय लेते हुये तीनो (ओजल, इवान और अलबेली) को गर्ल्स और बॉयज टीम में बांट चुके थे।


एक महीने से ऊपर तीनो टीन वुल्फ जो गायब रहे थे, उसमे या तो अगले साल भी उसी क्लास में रहो या ग्रेड ठीक करने के लिये हाई स्कूल टीम से खेलो। चारा ही क्या था सिवाय हां कहने के। तीनो ने हामी तो भर दी लेकिन यह भी साफ कर दिया की तीनो एक्स्ट्रा में रहेंगे। यदि कोई चोटिल या घायल होता है तभी वो लोग खेल में आयेंगे। कुछ बात कोच की तो एक बात इन तीनों की भी मान लिया सबने।


आज प्रैक्टिस के बाद एक वर्सेस मैच खेला गया जहां, अलबेली, इवान के साथ एक टीम और ओजल के साथ दूसरी। आपस में एक दूसरे के विरुद्ध खेलकर प्रैक्टिस कर रही थी। हां कुछ और बदलाव भी किये गये थे, जैसे कि एक टीम को आधे बॉय और आधे गर्ल कि फाइनल टीम के साथ मिश्रित टीम बनाया गया था। ठीक ऐसा ही विपक्ष का टीम भी था।


इन तीनों का काम वही था मैदान के बीच में अपने–अपने टीम को कॉर्डिनेट करना। मैच इतना उम्दा सा हो गया था कि दोनों कोच अपने दांतों तले उंगलियां दबा रहे थे। इस खेल में तीनों ने ही अपनी भागीदारी केवल एक कॉर्डिनेटर के तौर पर ही रखा था और खेल के दौरान भूमिका भी वैसे ही थी, मात्र बॉल पास करना और उन्ही लोगों से पूरा खेल करवाना।


मैच इतना टशन वाला था कि पूरा ग्राउंड दर्शक से भर चुका था। हर कोई इस हाई वोल्टेज मैच का लुफ्त उठा रहा था। आखरी पलों में स्कोरिंग को जब आगे ले जाना था, तब अलबेली चीटिंग करती हुई कमान संभाल ली और ओजल की नजरों मे धूल झोंकती अपने स्कोर बोर्ड को आगे बढ़ा दी।


फिर क्या था। मैच खत्म हो गया सभी खिलाड़ी कोच के पास थे। दर्शक स्टूडेंट्स सीढ़ियों पर बैठकर हूटिंग कर रहे थे। ओजल गुस्से में अलबेली के पास पहुंची और खींचकर एक घुसा मुंह पर जड़ दी... "कमिनी इसे चीटिंग कहते है।"


अलबेली भी दी एक घुमाकर, ओजल का जबड़ा हिलाती... "एक गोल की बात थी ना, और सामने तो तू थी ही। चीटिंग क्या रोक लेती। वैसे भी बिना नतीजे वाले मैच में मज़ा ना आता।"


ओजल:- इवान समझा अपनी उड़ती फिरती चुलबली चिड़िया को, ज्यादा मुझ से होशियारी ना करे।


इवान:- ओजल सही ही तो कह रही है अलबेली…


अलबेली गुस्से में एक घुमाकर बाएं से देती... "पक्ष तो अपने खून का ही लोगे ना। हटो, अब तो तुमसे बात भी नही करनी।"..


अलबेली बाएं साइड से जबड़ा हिलाकर निकल गयी। इवान अपना जबड़ा पकड़े खड़ा मायूसी से ओजल को देखते... "अपनी टीम को जिताने के लिये एक गोल ही तो की थी।"..


इवान मायूसी के साथ बड़े धीमे और उतने ही मासूमियत से कहा। लेकिन बेरहम ओजल को अपने भाई पर दया ना आयी। दायां जबड़ा हिलाकर वो भी निकल गयी। एक कंधे पर मारकस और दूसरी कंधे से नताली लटक कर अपना चेहरा इवान के बराबर लाती…

मारकस:- अलबेली तुम्हारी गर्लफ्रेंड और ओजल तुम्हारी बहन है इवान..


इवान, थोड़ा चिढ़कर... "हां"


नताली हंसती हुई इवान का गाल चूमती... "डार्लिंग यही होता है जब बहन के दोस्त को पटा लो। ड्रामा एंज्वाय करते रहो..."


दोनों अपनी बात कहकर हंसते हुए वहां से निकल गये और इवान वहीं खड़ा अपना जबड़ा पकड़े रह गया।….. "लगता है बहन और गर्लफ्रेंड के बीच ज़िन्दगी पीसने वाली है।"


सोचकर ही इवान का बदन कांप गया। ग्राउंड से निकलते वक्त इवान खुद से ही बातें करते... "परिवार के नखरे तो उठा लेंगे, लेकिन जरा उनसे भी मिल लूं जो आज मेरे ही सामने मेरे परिवार को तंग करके चला गया।"…


इवान समझ चुका था लूकस नाम का प्राणी जो ये हरकत करके गया था, वो भी किसी वूल्फ पैक का हिस्सा था। बर्कले, कैलिफोर्निया के वूल्फ पैक जो बाहर के वूल्फ को देखकर पूरे गुस्से में था और उसे अपने क्षेत्र से किसी तरह निकालना चाहता था। इसे मूलभूत एनिमल बिहेभियर (basic animal behaviour) भी कहा जा सकता है जो अपने क्षेत्र मे अपने जैसे जानवरों के घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं कर सकता।


इवान अकेले निकल चुका था समझाने। कार लेकर वो उनके क्षेत्र में दाखिल हुआ। उनकी गंध पहचानते हुए इवान जंगल के शुरुवाती इलाके में था। कार पार्क करके वो पैदल ही उनके जंगली क्षेत्र में निकलता। वो अपनी कार पार्क कर ही रहा था, पीछे से अलबेली और ओजल भी पहुंची...


इवान, दोनों को देखते... "स्कूल में तो दोनों शांत थी फिर यहां क्या कर रही हो?"


ओजल खींचकर वापस से एक घुमा कर देती... "हम उसके पीछे नहीं आये डफर, तेरे पीछे आये हैं। तू चीजों को छोड़ता क्यूं नहीं। हम उनके क्षेत्र में है, और उन्हे ये बात पसंद नहीं आयी। बॉस को भेज देते बात करने।


इवान, अलबेली को देखते... "आओ तुम भी रख दो एक घुसा। रुकी क्यों हो?"


अलबेली, इवान के कॉलर को खींचकर खुद से चिपकाती... "अभी तुम्हे देखकर चूमने का दिल कर रहा है। हाय इतने मासूमियत से तुम कुछ कहो और मैं घुसा चला दूं। ना जानू, ऐसे दिलकश चेहरे को देखकर होंठ खुलते है।"…


अलबेली अपनी बात कहकर, अपनी आंखें मूंदकर मध्यम-मध्यम श्वांस लेने लगी। इवान, अलबेली के चेहरे पर प्यार से हाथ फेरते उसके मासूमियत को अपने सीने में उतारने लगा। "आह्हहहहह !!! कितनी प्यारी है"…. कि कसक दिल में उतरी थी और कुछ पल खामोशी से वो अलबेली का चेहरा देखता रहा।


अलबेली चुम्बन के इंतजार मे अपनी पलकें बोझिल की हुई थी। एहसास दिल में कुलबुलाहट कर रही थी, लेकिन जब किस्स ना हुआ तब अलबेली अपनी आंखें खोलती इवान को देखी। इवान को अपनी ओर यूं प्यार से देखते, अलबेली की नजर नीचे झुक गयी। चेहरे पर आती वो हल्की शर्म की छाया, उसके खुले कर्ली बाल के बीच फैले प्यारे से चेहरे को और भी दिलकश बना रहा था, जो इवान के आंखों के जरिये दिल में उतरते जा रही थी।


"इवान, ऐसे नहीं देखो प्लीज। पता नहीं मुझे क्या होता है।"… अलबेली लचरती हुई, बिल्कुल श्वांस चलने मात्र की धीमी आवाज मे अपनी बात कही। अलबेली की धीमी लचरती आवाज सुनकर ही दिल में टीस सी पैदा हो गयी। इवान के चेहरे पर मुस्कान छाई और होंठ अपनी मसूका के नरम से होंठ को चूमने के लिये आगे बढ़ गये। एक बार फिर से बोझिल आंखें थी। होंठ इतने करीब की चेहरे पर टकराती श्वांस, धड़कनों को अनियंत्रित कर रही थी। नरम मुलायम स्पर्श वो होंठ से होंठ का और मस्ती जैसे पूरे तन बदन मे फैल गयी।


एक दूसरे को बेहतशा चूमने के लिये दोनों बेकरारी मे आगे बढ़े। इतना प्यार और खोया सा माहौल था लेकिन ओजल ने पूरे माहौल में आग लगा दिया। दोनों अपने प्यारे से चुम्बन को पूरा करते, उस से पहले ही इरिटेट कर देने वाला साउंड वहां गूंजने लगा। क्या हो जब आप बड़े ध्यान से किसी काम में पूरे खोए हों, खासकर ऐसे प्यार से होंठ को चूमने के काम में। ऐसे काम में खोए हुए हो और पीछे से लोहे कि चादर पर किसी नुकीले लोहे से घिसकर वो अंदर से झुंझलाहट पैदा करने वाला साउंड पैदा कर दिया हो।


ओजल भी वही कर रही थी। एक लोहे के बोर्ड को अपने मजबूत नाखूनों से खुरचना शुरू कर चुकी थी। मेंटल के घिसने का साउंड इतना इरिटेटिंग था कि इवान और अलबेली के सीने में आग लग गयी। दोनों इस से पहले की पहुंचकर ओजल से कुछ कहते, ओजल वुल्फ पैक को चैलेंज देने वाला निशान बनाकर जंगल के अंदर भाग गयी। अलबेली और इवान, उस निशान को देखकर ही स्तब्ध (shocked) हो गये।


उस लोहे के चादर पर अल्फा पैक का निशान बना था और उस निशान को गोल घेरकर बीच में खून का मोहर। यह 2 पैक के बीच किसी क्षेत्र में वर्चस्व (Supremacy) की लड़ाई के लिये, एक पैक द्वारा दूसरे पैक को दी गई चुनौती थी। हारने वाला वो क्षेत्र हारेगा और शायद जितने वाले ने दया ना दिखाया तो ज़िन्दगी भी हार सकते है, वरना उनका कहा तो वैसे भी मानना ही होगा।


ओजल वो निशान बनाकर अंदर जंगलों के ओर निकल गयी। इधर अलबेली और इवान वो निशान देखने के बाद पीछे से चिल्लाने लगे। लेकिन ओजल कहां रुकने वाली थी। आंधी कि गति और पेड़ों पर लड़ाई के निशान बनाती चली... अलबेली भी उसके पीछे भागती... "हद है ये ओजल। खुद ही लड़ाई ना करने के पक्ष में शुरू से रहती है और आज ये आगे बढ़कर लड़ने का न्योता दे रही।"…


इवान भी उसके साथ भागता.… "अरे यार कम से कम किस्स तो पूरा हो जाने देती... उफ्फ तुम्हारे मुलायम होंठ बिल्कुल बटर कि तरह थे और मेरे होंठों बस उन्हे छूने ही वाले थे।"


अलबेली अपनी दौड़ को उसी क्षण रोकती इवान को खींची और होंठ से होंठ लगाकर भींगे होंठों का एक जानदार चुम्बन लेने लगी। इवान के लिये तो पहले चौकाने और बाद में मदहोश करने वाला क्षण था। चुम्बन शुरू होने के अगले ही पल इवान चुम्बन मे पूरा खोते हुए, अपने होंठ खोलकर एक दूसरे को पूरा वाइल्ड किस्स करने लगा।


लगातार दोनों एक दूसरे के होंठ से होंठ का रस निचोड़ते, चूमते चले जा रहे थे। तेज धड़कनों की आवाज दोनों साफ सुन सकते थे। गर्म चलती श्वांस चेहरे से टकरा रही थी। दोनों पूरी तरह एक दूसरे को भींचकर किस्स कर रहे थे। दोनों के हाथ एक दूसरे के पीठ पर पूरा रेंग रहे थे। अलबेली के वक्ष पूरी तरह से इवान के सीने में धंसे थे जो अलग ही गुदगुदा कामुक एहसास दे रहे थे। इवान का हाथ रेंगते हुये कब पीछे से अलबेली के जीन्स के अंदर घुसे, होश नहीं। उत्सुकता और उत्तेजना मे इवान ने दोनों नितम्बों को अपने पंजे मे इस कदर जकड़ा की अलबेली उसके होंठ को छोड़कर गहरी श्वांस खींचती अलग हुई और बढ़ी धड़कनों को काबू करने लगी।


इवान को अब भी होश नहीं था वो अलबेली के ऊपर हावी होने के लिये फिर से बेकरार था। अलबेली एक हाथ की दूरी से ही उसके सीने पर हाथ रखती.… "बस करो। हर बार सेक्स के लिये कितने एक्साइटेड हो जाते हो"…

"क्या तुम नहीं हो?"…..

"इतनी आग लगाओगे तो मै क्या अपने अरमान बुझाए बैठी हूं, लेकिन जानू हर किस्स के वक्त एक्साइटेड होना अच्छा नहीं।"..

"10-15 साल बाद उसपर भी सोच लेंगे जब 4-5 छोटी अलबेली पापा–पापा कहते घेरे रहेगी।"…

"ओह हो पापा !!.. ओ मेरे जूनियर अलबेली और जूनियर इवान के पापा, पहले खुद को पूरा मर्द तो बना लो। अंडरऐज पुअर टीनएजर"

"अभी मुझे इतना नहीं सुनना। एक फटाक–झटाक वाला सेशन यहीं शुरू करने का मूड है। रोककर तो दिखाओ"…


"आग तो तूफानी है जानू पर मज़ा बिस्तर ही देगा। आराम से एक मैराथन सेशन के बाद वो मुलायम सी बिस्तर। फिर एक दूसरे से चिपक कर सोने का जो मज़ा है ना, वो यहां नहीं मिलेगा। आग को और भड़कने दो।"…. अलबेली खिलखिलाती हंसी के साथ अपनी बात पूरी कि, और आंख मारती अपना हाथ सीने से हटाई।
Amazing update bhai maza aa gaya to ab dekhte hai ye tikdi kya karti hai .
 
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