भाग:–101
यूं तो जवाब देने के लिये तीनो ही उत्सुक थे लेकिन ओजल दोनो के मुंह पर हाथ रखती.… "बॉस अलबेली जब पहली बार दहाड़ी तभी आप दोनो जंगल के लिये निकल चुके होंगे। क्योंकि हमारी फाइट शुरू होने के पहले ही आप दोनो पहुंच चुके थे और दूर से बैठकर फाइट का मजा ले रहे थे। वो सब छोड़ो.... वो बीती बात हो गयी। आपके हाथ में छड़ी को देखकर याद आया, वो जादूगर का दंश और पतली सी चेन कहां है। उनके दर्शन तो करवाओ?
आर्यमणि:– ये बात अभी क्यों?
ओजल:– अनंत कीर्ति की किताब खुल चुकी है और वह किताब भी उसी जगह थी जहां जादूगर का दंश और वह चेन रखा था। देखो तो उस दंश और चेन के बारे में किताब ने क्या मेहसूस किया था और दूसरों के पास की कितनी जानकारी है?.
आर्यमणि:– हम्मम!!! ये सही सोचा है तुमने... जरा देखे तो उन दोनो वस्तु के बारे में किताब का क्या कहना है।
अनंत कीर्ति की पुस्तक को लेकर सभी जंगल में घुसे। कॉटेज से कुछ दूर चलने के बाद आर्यमणि रुक गया और किताब खोला। किताब खोलते ही उसमे लिखे हुये पन्ने दिखने लगे। ओजल पन्ने पर लिखे शब्द को हैरानी से पढ़ती... "बॉस ये किताब तो कमाल की है। लेकिन इसमें केवल चेन के बारे में क्यों लिखा है?"
आर्यमणि:– क्योंकि मैं चेन के बारे में सोच रहा था।
तकरीबन 20 पन्ने की संक्षिप्त जानकारी थी। 2 फिट लंबे इस चेन में प्रिज्म आकर के 18 चमकीले काले पत्थर लगे हुये थे। सभी पत्थर रंग, रूप, आकार और वजन में एक समान ही थे जिसकी लंबाई 1 इंच थी। इस पत्थर के इतिहास से लेकर भूगोल की लगभग जानकारी थी। इसका उद्गम स्थान हिंद महासागर के मध्य, किसी स्थान को बताया जा रहा था। यह चेन सतयुग के भी पूर्व तीन विलुप्त सभ्यता में से एक सभ्यता की थी। जिस स्थान पर यह चेन बनी थी, उसकी तत्कालिक भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर के मध्य में कहीं थी।
विज्ञान की एक उत्कृष्ट रचना। सभी 18 पत्थर को तराशकर उसके दोनो किनारे इतनी बारीकी से छेद किया गया था कि उन पत्थर में किसी प्रकार का निशान नहीं पड़े थे। ऐसा लग रहा था दोनो किनारों का छेद जैसे पत्थर में प्राकृतिक रूप से पहले से मौजूद थे। दो पत्थर को मेटल के पतले वायर जोड़ा गया था और क्या इंजीनियरिंग का मिशाल पेश किया था। मेटल पर कहीं भी जोड़ के निशान नही थे। शायद 2 पत्थरों के बीच में किसी प्रकार का कंडक्टर वायर लगा हुआ था।
सभी 18 पत्थर मिलकर एक एनर्जी पावर हाउस बनाते थे, जिनसे एक पूरे देश में देने लायक बिजली पैदा की जा सकती थी। इसका प्रयोग शहर को रौशन करने से लेकर उन्हें तबाह तक करने लिये किया जा सकता था। चेन को किसी मंत्र से बांधा गया था, जिसे आर्यमणि खोल तो सकता था, लेकिन अभी पांचों गहरी सोच में डूबे थे। नीचे जमीन पर चेन को सीधा फैला दिया गया और पांचों झुक कर उसे देख रहे थे।….
आर्यमणि:– क्या करना चाहिए?
रूही:– मैं क्या सोच रही थी, इस बवाल चीज को जमीन में ही दफन कर देते है। पांच बार इस चेन के दोनो सिरों को जोड़ा गया और पांचों बार पूरा भू–भाग ही विलुप्त हो गया।
अलबेली सोचने की मुद्रा में आती, एक लंबा सा "हूंनननननन" करती.… "सोचने वाली बात ये है कि ये फेकू किताब बढ़ा–चढ़ा कर बोल रहा है। जब 5 बार पूरा एक देश जितना भाग विलुप्त हो गया तब क्या ये किताब इस चेन के पड़ोस में बैठकर चने खा रहा था।"
इवान:– हां जानू की बात में गहराई है। जब ये चेन उस युग की है जिस युग के बारे में लोग कल्पना में भी नही सोचते, फिर उस युग के वस्तु के बारे में इस किताब को कैसे पता?"
ओजल:– बॉस चेन को घूरने से वो अपने बारे में डिटेल थोड़े ना बतायेगा। इसका क्या करना है वो बताओ?
"नही.. मैं अपने बारे में बता नही सकता लेकिन एक रास्ता है जिस से सब कुछ दिखा सकता हूं।"….. वोहह्ह्ह्ह्ह एक चेन से निकली आवाज और पूरा अल्फा पैक चौंककर आवक रह गये। अलबेली, ओजल और इवान, तीनो डर के मारे भूत, भूत करके चिल्लाने लगे। आर्यमणि और रूही की आंखें फटकर बाहर आने को बेकरार हो गयी। भूत के नाम से तो रूही की भी फटी थी और थोड़ा डरा तो आर्यमणि भी था। बस दोनो दिखा ना रहे थे। चेन जमीन पर जैसे तरह–तरह के आकार बनाकर खुद को एक्सप्रेस करने की कोशिश कर रहा हो... "अरे डरो मत.. चिल्लाना बंद करो... डरो मत... मत डरो"…
चेन जितना ज्यादा बोलती उतना ही तेज–तेज तीनो टीन वुल्फ चिल्लाते। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ और सभी वुल्फ शांत होकर आर्यमणि के पीछे दुबक गये। आर्यमणि हैरानी से उस चेन को देखते... "तू.. तू.. तुम उनमें से किसी एक की आत्मा बोल रहे हो, जिसने इस चेन का प्रयोग करना चाहा।"…
चेन:– भाई मैं पत्थर के अंदर लगा एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बोल रहा हूं। मैं सही आदमी से संपर्क कर सकता हूं। और बच्चे तुम (आर्यमणि) मुझे सही आदमी लगे।
आर्यमणि, थोड़ा खुश होते... "हां तो तुम कुछ दिखाने की बात कर रहे थे।"
चेन:– तुम्हारे पास जादूगर महान का दंश है। उसे मेरे ऊपर रख दो। वह जादुई दंश किसी टीवी की तरह काम करेगा। मैं कैसे काम करता हूं और अब तक जो भी मैंने कैप्चर किया है, उसका विजुअल तुम सब देख सकते हो।
रूही, उस बोलते चेन को घूरती.… "तुम्हे जादूगर की दंश ही क्यों चाहिए। एआई (AI) हो तो किसी भी टीवी से कनेक्ट हो जाओ.... आर्य ये चेन मुझे झोलर लग रहा है। जो बात इसने हमसे कही है, वह बात ये सुकेश से भी तो कर सकता था।"
चेन:– अच्छे लोग और बुरे लोग का प्रोटोकॉल समझती हो की नही.…
अलबेली:– बॉस मुझे तो ये अब भी भूत लग रहा है। जब लोगों की जान फसी तो ऐसे ही अच्छे लोग, बुरे लोग की बात करता है।
आर्यमणि:– सोचो हम एक ऐसे युग के दृश्य देखने जा रहे है, जिसके बारे में आज तक कभी किसी ने सुना ही नहीं। हम इतिहास को एक्सप्लोर करने जा रहे हैं।
ओजल:– कहीं ये हमे एक्सोलोड न कर दे...
चेन:– पागल हो क्या, मैं जब मंत्र के कैद में हूं तब एक्सप्लॉड करना तो दूर की बात है, मैं इतना एनर्जी भी उत्पन्न नही कर सकता, जिस से किसी पेड़ का पोषण कर सकूं। आर्यमणि जिस दिन तुमने मुझे यहां दफनाया था मैंने यहां के कई पेड़ों को कुपोषित और क्षतिग्रस्त पाया। अंदर से आंसू आ गये। मुझमें इतना समर्थ नहीं था कि मैं ऊर्जा से उन्हे पोषण दे सकूं या फिर उनके अंदरूनी क्षति को ठीक कर सकूं...
आर्यमणि:– क्या वाकई में.. तुम पेड़ को हील कर सकते हो और उन्हे पोषण भी दे सकते हो...
अलबेली:– बॉस ये आपकी रुचि में अपनी रूचि दिखाकर आपको झांसे में ले रहा है।
रूही:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। मुझे तो ये समझ में नहीं आ रहा की एक आत्मा से हम बात ही क्यों कर रहे। ये कोई एआई (AI) नही बल्कि कोई चालक आत्मा है। जरूर ये जादूगर की दंश से कोई माया करेगा।
चेन:– आत्मा मंत्र से बंधे एक चेन में से कैसे बात कर सकती है डफर। मुझे अब किसी से बात ही नही करनी। दफना दो मुझे...
इवान:– बॉस अब तो इसने खुद को दफनाने भी कह दिया। दफना डालो अभी...
चेन जैसे अपना सर पीट रहा हो.… "अरे कमबख्तों मुझे भी कहां तुमसे बात करने की सूझी। ओ जाहिल मैं गुस्सा दिखा रहा था।"
इतना सुनना था कि अलबेली पिल गयी। चेन के एक सिरे को पाऊं से दबोची और दूसरा सिरा हाथ में लेकर खींचती हुई.… “तेरी इतनी हिम्मत हमसे गुस्सा करे। साले बोलने वाले चेन आज तुझे उखाड़ ही दूंगी"…
इवान और ओजल दोनो अलबेली को पकड़कर उसे चेन से दूर करते.… "बस कर तू उस बोलते वस्तु से कैसे उलझ गयी।"
अलबेली:– छोड़ मुझे... साले तेरे 18 टुकड़ों को जोड़ने वाले ये पतले मेटल है मजबूर टूटा ही नही, वरना आज तेरे 18 टुकड़े कर देती बोलते चेन...
आर्यमणि:– मुझे कुछ समझ में न आ रहा क्या करूं? तुम सब मिलकर इस चेन का फैसला कर दो।
रूही, अलबेली, इवान और ओजल सभी आर्यमणि को देखने लगे। लगभग सभी एक साथ आगे और पीछे … "बॉस हमसे न होगा।"…
चेन:– मुझे दफना ही दो। किसी दूसरे समझदार और सही आदमी का इंतजार रहेगा।
काफी मंथन और थोड़ा वक्त लेने के बाद यह फैसला हुआ की चेन को वापस से जमीन में दफन करने के बाद जादूगर महान की दंश निकाला जायेगा। फिर बाद में देखते है की चेन क्या करना है। सबकी सहमति होते ही जादूगर महान की दंश को जमीन से निकाला गया। काफी अनोखा रत्न जरित यह दंश था, जो किसी वक्त के एक महान जादूगर, "जादूगर महान" की दंश थी।
जादूगर महान की दंश किताब से कुछ दूरी पर था और जब किताब खोला गया तब उसमे दंश के बारे में लिखा भी था.… "एक शक्तिशाली दंश जो केवल अपनी मालिक की सुनती है। ऊपरी सिरे पर नाग मणि जरा हुआ है। नागमणि की उत्पत्ति सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी (सूर्य ग्रहण) के मिलन पर हुआ था। वहीं इसके नीचे की लकड़ी 5000 साल पुराने एक वट वृक्ष से लिया गया है। वट वृक्ष की जिस सखा पर बिजली गिड़ी थी, उसी शाखा के बीच की लकड़ी को उपयोग में लिया गया था।
दंश के बारे में लिखे मात्र एक पैराग्राफ को सभी ने एक साथ पढ़ा। पढ़ने के बाद फिर से सभी चिंतन में। अलबेली गुस्से में अपने हाथ–पाऊं पटकती... "ये किताब है या कन्फ्यूजिंग मशीन। जो जादूगर इस किताब की रचना के बाद आया, उसकी छड़ी के बारे केवल एक पैराग्राफ और जिस युग का नाम न सुना, उस वक्त की वस्तु के बारे मे कई पन्ने। फर्जी किताब है ये।"
आर्यमणि:– हमेशा गलत निष्कर्ष। दंश के बारे में किताब ने अपना केवल नजरिया दिया है। उसने जो अभी मेहसूस किया उसे दिखा दिया। यदि दंश लिये उसका मालिक जादूगर महान खड़ा होता तब यह किताब जादूगर महान के पूरे सोच को यहां लिख देती।
ओजल:– लेकिन जादूगर महान के बारे में भी तो कुछ नही लिखा।
आर्यमणि:– अब ये तो किताब से पूछना होगा की क्यों जादूगर महान के बारे में एक भी डेटा नही? बाकी यह दंश केवल शक्तिशाली है। इसका अर्थ है, इस दंश के सहारे बड़े से बड़ा जादू किया जा सकता है। लेकिन हर जादूगर इस दंश से छोटा सा जादू भी नहीं कर सकता क्योंकि इसका मालिक केवल एक ही था जादूगर महान और यह दंश उसी की केवल सुनती है।
रूही:– तो फिर वो पत्थर का भूत इस दंश से क्यों चिपकना चाहता है।
इवान:– हो सकता है इस दंश के ऊपर लगा मणि से सच में वह उस युग के विजुअल दिखा सके।
आर्यमणि:– नही ऐसा नहीं है। किताब के अनुसार इस दंश का कोई एक मालिक हो सकता है और वह चेन इस दंश से चिपकना चाहता है, इसका मतलब साफ है कि उस पत्थर में जादूगर महान का ही भूत है।
रूही:– कुछ भी बॉस... और क्या करेगा बिजली का इतना तेज झटका देगा की पूरे भू –भाग के साथ अपने दंश को भी नष्ट कर देगा। कुछ भी कहते हो बॉस...
इवान:– बॉस आप न ज्यादा सोचने लगे हो। जादूगर महान की आत्मा जैसे तात्या (फिल्म झपटेलाला का एक किरदार) की आत्मा हो, जो मरते वक्त पास पड़े उस रेयर आइटम में समा गयी। उसे घुसना भी पड़ता तो किसी इंसान में ही घुसता न ताकि अपने दंश को उठाने के लिये उसे किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़ता...
अलबेली:– क्या है बॉस.. मानकी बोलते चेन को देखकर हम सब थोड़े डर गये थे, लेकिन इसका ये मतलब थोड़े ना की कोई भी लॉजिक घुसेड़ दो।
आर्यमणि:– तो तुम सब क्या चाहते हो?
चारो एक साथ.… "हम उस युग को देखना चाहेंगे जो आज हिंद महासागर की गहराइयों में विलुप्त हो गया है। देखे तो उस जमाने में ये दुनिया कितना एडवांस्ड थी।"
आर्यमणि:– जैसा तुम्हारी मर्जी... चलो फिर सब साथ में देखते है।
आर्यमणि ने चेन और किताब पकड़ा। जादूगर महान की दंश बारी–बारी से सभी हाथ में लेकर पागलों की तरह फिल्मों में बोले जाने वाले हर जादुई मंत्र को बोल रहे थे और छड़ी को सामने कर देते... जादू करने की कोशिश तो हो रही थी किंतु सब नाकाम।
सभी लिविंग रूम में आराम से बैठे। एक मेज पर जादूगर के दंश और चेन को रखा गया। आर्यमणि चेन को ध्यान से देखते.… "क्यों भाई मिलन करवा दे।"..
चेन:– खुद को पूर्ण करने के लिये न जाने कैसे पागल बना हूं। बॉस लेकिन एक बात, मेरी ऊर्जा का प्रयोग कैसे करते है इस बात की जानकारी लेने के बाद मेरा प्रयोग केवल शुद्ध ऊर्जा उत्पन्न करने की लिये करना। इस पत्थर का इतिहास रहा है कि जिसने भी गलत मनसा से इसका प्रयोग करना चाहा था, वो खुद को भी तबाह होने से नही बचा पाये।
रूही:– वैसे अब तक कितनो ने खुद को तबाह किया है?
चेन:– मेलोडी खाओ खुद जान जाओ..
पूरा अल्फा पैक एक साथ... "मतलब"
चेन:– मतलब मुझे दंश से चिपका दो। उसके मणि की रौशनी में तुम सब को पूरा दृश्य दिख जायेगा।
आर्यमणि हामी भरते हुये चेन को उठा लिया। आर्यमणि ने जैसे ही चेन को उठाया, तभी अलबेली हड़बड़ा कर आर्यमणि का हाथ पकड़ती.… "एक मिनिट बॉस, मुझे चेन से कुछ जानना है?"
चेन:– मैं मिलन के लिये जा रहा था बीच में ही रोक दिये... पूछिए यहां की सबसे समझदार लड़की जी...
अलबेली:– ओ भाई चेन, तुम जो वीडियो चलाने वाले हो उसमें फास्ट फॉरवर्ड या टाइम जंप का विकल्प होगा की नही? पता चला १०० साल जितनी लंबी वीडियो चला दिये हो...
चेन:– हां मुझे आपसे ऐसे ही समझदारी की उम्मीद थी। चिंता मत करो, पहले मिनट से तुम पूरा वीडियो समझ जाओगी और मैं ज्यादा वक्त न लेते हुये कम से कम समय लूंगा। बस मेरे बारे में जानने के बाद मेरा गलत इस्तमाल मत करना। जब मैं जिंदगी संजोता हूं तब मुझे लगता है कि मैं अपने पिताजी को श्रद्धांजलि दे रहा...
अलबेली:– तुम्हारे पिता....
चेन:– हां मुझे आवाज और दिमाग देने वाले मेरे पिता। साइंटिस्ट "वियोरे मलते" जिन्होंने मेरी रचना की। अभी उनसे सबको मिलवाता हूं...
आर्यमणि:– तो ये लो फिर हो गया चलो अब मिलवओ...
अपनी बात कहते आर्यमणि ने दंश और चेन का मिलन करवा दिया। पांचों कुछ दूर पीछे सोफा पर बैठकर ध्यान से दंश और चेन को देख रहे थे। पहला एक मिनिट कोई हलचल न हुआ। और दूसरे मिनट में ऐसा लगा जैसे दंश और चेन दोनो को मिर्गी आ गयी थी। पहले तो दोनो हवा में ऊंचा गये, उसके बाद तो जैसे दंश और चेन के बीच युद्ध छिड़ गया हो। दंश चेन को बाएं ओर खींचती तो कभी चेन दंश को दाएं ओर। दोनो के आपसी खींचातानी में कभी दंश चेन को लिये तेजी से बाएं चली जाती तो कभी चेन उसे दाएं खींच लेता। ऐसा लग रहा था दोनो पूरा घर में उठम पटका कर रहे हो।
जैसे किसी बेवा की मांग उजड़ती है ठीक वैसे ही दंश और चेन ने मिलकर लिविंग रूम का हाल कर दिया था। लिविंग रूम का हर समान टूटा और बिखड़ा पड़ा था, सिवाय उन सोफे के जिसपर वुल्फ पैक बैठे थे। तकरीबन 5 मिनिट के बाद दंश पर चेन पूरी तरह से लिपट चुकी थी और हवा में अल्फा पैक के नजरों के ठीक सामने थी। माहोल पूरा शांत और हर कोई विजुअल देखने को तैयार। चेन भी ज्यादा वक्त न लेते हुए कहानी को शुरू किया...
"बाय –बाय मूर्खों। मेरी आत्मा को मेरे शरीर से मिलाने का धन्यवाद। आर्यमणि तुम सही थे मैं ही जादूगर महान हूं जिसे तुमने उसकी छड़ी से मिला दिया।।"
तेज रौशनी के साथ इस कमरे में जादूगर महान की आवाज गूंजी और चेन लिपटा वह दंश बिजली की तेजी से ऊपर हवा में गया और कोट्टेज के छत को फाड़कर निकल गया। आर्यमणि गर्दन ऊंचा करके एक बार तो छत के उस छेद के देखा उसके बाद पूरे अल्फा पैक को घूरने लगा। और इधर चारो अपने मुंह पर हाथ रखे, छत पर हुये छेद को देखते.… "बीसी (BC) झूठ बोलने वाला भूत, हमारी काट कर भाग गया।"
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ye dikha kr 9 2 =11 Ho liya
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Kya baat hai ek bolne vali mala jiske bare me pure Alfa pack ne alag alag vichar dhara Bnai thi or anant Kirti ne bhi uske bare me kai panne prastut kiye, lekin kisi ne bhi unhe pura nhi padha...
Mujhe ek baat samajh nhi aati ye log is kitab hone ka kya fayda jab uska btaya gya gyan hi upyog me na laye, jb itne panne samne aaye to Pahle unhe padhna chahiye tha acche se Lekin nhi upar ka padh liya or baki ka chhod diya...
Jadugar mahan pure pack ko hi bevkoof bna kr nikal liya or yha sabhi Baithe rhe ek dusre ka muh takte huye...
Pta nhi ab yah dans kaha tabahi mchayega or inka failaya hua rayta kon saaf karega,
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bee woman vale kand ko bhi sahi se nhi dekha, uske bare me bhi kisi ko pta nhi tha or ab unki Rani pta nhi kiske andar ande de rhi hogi...
Bahut maza aya padh kr, Superb update bhai amazing fantastic sandar Jabardast lajvab with awesome writing skills bhai