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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Mahendra Baranwal

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भाग:–101





यूं तो जवाब देने के लिये तीनो ही उत्सुक थे लेकिन ओजल दोनो के मुंह पर हाथ रखती.… "बॉस अलबेली जब पहली बार दहाड़ी तभी आप दोनो जंगल के लिये निकल चुके होंगे। क्योंकि हमारी फाइट शुरू होने के पहले ही आप दोनो पहुंच चुके थे और दूर से बैठकर फाइट का मजा ले रहे थे। वो सब छोड़ो.... वो बीती बात हो गयी। आपके हाथ में छड़ी को देखकर याद आया, वो जादूगर का दंश और पतली सी चेन कहां है। उनके दर्शन तो करवाओ?


आर्यमणि:– ये बात अभी क्यों?


ओजल:– अनंत कीर्ति की किताब खुल चुकी है और वह किताब भी उसी जगह थी जहां जादूगर का दंश और वह चेन रखा था। देखो तो उस दंश और चेन के बारे में किताब ने क्या मेहसूस किया था और दूसरों के पास की कितनी जानकारी है?.


आर्यमणि:– हम्मम!!! ये सही सोचा है तुमने... जरा देखे तो उन दोनो वस्तु के बारे में किताब का क्या कहना है।


अनंत कीर्ति की पुस्तक को लेकर सभी जंगल में घुसे। कॉटेज से कुछ दूर चलने के बाद आर्यमणि रुक गया और किताब खोला। किताब खोलते ही उसमे लिखे हुये पन्ने दिखने लगे। ओजल पन्ने पर लिखे शब्द को हैरानी से पढ़ती... "बॉस ये किताब तो कमाल की है। लेकिन इसमें केवल चेन के बारे में क्यों लिखा है?"


आर्यमणि:– क्योंकि मैं चेन के बारे में सोच रहा था।


तकरीबन 20 पन्ने की संक्षिप्त जानकारी थी। 2 फिट लंबे इस चेन में प्रिज्म आकर के 18 चमकीले काले पत्थर लगे हुये थे। सभी पत्थर रंग, रूप, आकार और वजन में एक समान ही थे जिसकी लंबाई 1 इंच थी। इस पत्थर के इतिहास से लेकर भूगोल की लगभग जानकारी थी। इसका उद्गम स्थान हिंद महासागर के मध्य, किसी स्थान को बताया जा रहा था। यह चेन सतयुग के भी पूर्व तीन विलुप्त सभ्यता में से एक सभ्यता की थी। जिस स्थान पर यह चेन बनी थी, उसकी तत्कालिक भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर के मध्य में कहीं थी।


विज्ञान की एक उत्कृष्ट रचना। सभी 18 पत्थर को तराशकर उसके दोनो किनारे इतनी बारीकी से छेद किया गया था कि उन पत्थर में किसी प्रकार का निशान नहीं पड़े थे। ऐसा लग रहा था दोनो किनारों का छेद जैसे पत्थर में प्राकृतिक रूप से पहले से मौजूद थे। दो पत्थर को मेटल के पतले वायर जोड़ा गया था और क्या इंजीनियरिंग का मिशाल पेश किया था। मेटल पर कहीं भी जोड़ के निशान नही थे। शायद 2 पत्थरों के बीच में किसी प्रकार का कंडक्टर वायर लगा हुआ था।


सभी 18 पत्थर मिलकर एक एनर्जी पावर हाउस बनाते थे, जिनसे एक पूरे देश में देने लायक बिजली पैदा की जा सकती थी। इसका प्रयोग शहर को रौशन करने से लेकर उन्हें तबाह तक करने लिये किया जा सकता था। चेन को किसी मंत्र से बांधा गया था, जिसे आर्यमणि खोल तो सकता था, लेकिन अभी पांचों गहरी सोच में डूबे थे। नीचे जमीन पर चेन को सीधा फैला दिया गया और पांचों झुक कर उसे देख रहे थे।….


आर्यमणि:– क्या करना चाहिए?


रूही:– मैं क्या सोच रही थी, इस बवाल चीज को जमीन में ही दफन कर देते है। पांच बार इस चेन के दोनो सिरों को जोड़ा गया और पांचों बार पूरा भू–भाग ही विलुप्त हो गया।


अलबेली सोचने की मुद्रा में आती, एक लंबा सा "हूंनननननन" करती.… "सोचने वाली बात ये है कि ये फेकू किताब बढ़ा–चढ़ा कर बोल रहा है। जब 5 बार पूरा एक देश जितना भाग विलुप्त हो गया तब क्या ये किताब इस चेन के पड़ोस में बैठकर चने खा रहा था।"


इवान:– हां जानू की बात में गहराई है। जब ये चेन उस युग की है जिस युग के बारे में लोग कल्पना में भी नही सोचते, फिर उस युग के वस्तु के बारे में इस किताब को कैसे पता?"


ओजल:– बॉस चेन को घूरने से वो अपने बारे में डिटेल थोड़े ना बतायेगा। इसका क्या करना है वो बताओ?


"नही.. मैं अपने बारे में बता नही सकता लेकिन एक रास्ता है जिस से सब कुछ दिखा सकता हूं।"….. वोहह्ह्ह्ह्ह एक चेन से निकली आवाज और पूरा अल्फा पैक चौंककर आवक रह गये। अलबेली, ओजल और इवान, तीनो डर के मारे भूत, भूत करके चिल्लाने लगे। आर्यमणि और रूही की आंखें फटकर बाहर आने को बेकरार हो गयी। भूत के नाम से तो रूही की भी फटी थी और थोड़ा डरा तो आर्यमणि भी था। बस दोनो दिखा ना रहे थे। चेन जमीन पर जैसे तरह–तरह के आकार बनाकर खुद को एक्सप्रेस करने की कोशिश कर रहा हो... "अरे डरो मत.. चिल्लाना बंद करो... डरो मत... मत डरो"…


चेन जितना ज्यादा बोलती उतना ही तेज–तेज तीनो टीन वुल्फ चिल्लाते। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ और सभी वुल्फ शांत होकर आर्यमणि के पीछे दुबक गये। आर्यमणि हैरानी से उस चेन को देखते... "तू.. तू.. तुम उनमें से किसी एक की आत्मा बोल रहे हो, जिसने इस चेन का प्रयोग करना चाहा।"…


चेन:– भाई मैं पत्थर के अंदर लगा एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बोल रहा हूं। मैं सही आदमी से संपर्क कर सकता हूं। और बच्चे तुम (आर्यमणि) मुझे सही आदमी लगे।


आर्यमणि, थोड़ा खुश होते... "हां तो तुम कुछ दिखाने की बात कर रहे थे।"


चेन:– तुम्हारे पास जादूगर महान का दंश है। उसे मेरे ऊपर रख दो। वह जादुई दंश किसी टीवी की तरह काम करेगा। मैं कैसे काम करता हूं और अब तक जो भी मैंने कैप्चर किया है, उसका विजुअल तुम सब देख सकते हो।


रूही, उस बोलते चेन को घूरती.… "तुम्हे जादूगर की दंश ही क्यों चाहिए। एआई (AI) हो तो किसी भी टीवी से कनेक्ट हो जाओ.... आर्य ये चेन मुझे झोलर लग रहा है। जो बात इसने हमसे कही है, वह बात ये सुकेश से भी तो कर सकता था।"


चेन:– अच्छे लोग और बुरे लोग का प्रोटोकॉल समझती हो की नही.…


अलबेली:– बॉस मुझे तो ये अब भी भूत लग रहा है। जब लोगों की जान फसी तो ऐसे ही अच्छे लोग, बुरे लोग की बात करता है।


आर्यमणि:– सोचो हम एक ऐसे युग के दृश्य देखने जा रहे है, जिसके बारे में आज तक कभी किसी ने सुना ही नहीं। हम इतिहास को एक्सप्लोर करने जा रहे हैं।


ओजल:– कहीं ये हमे एक्सोलोड न कर दे...


चेन:– पागल हो क्या, मैं जब मंत्र के कैद में हूं तब एक्सप्लॉड करना तो दूर की बात है, मैं इतना एनर्जी भी उत्पन्न नही कर सकता, जिस से किसी पेड़ का पोषण कर सकूं। आर्यमणि जिस दिन तुमने मुझे यहां दफनाया था मैंने यहां के कई पेड़ों को कुपोषित और क्षतिग्रस्त पाया। अंदर से आंसू आ गये। मुझमें इतना समर्थ नहीं था कि मैं ऊर्जा से उन्हे पोषण दे सकूं या फिर उनके अंदरूनी क्षति को ठीक कर सकूं...


आर्यमणि:– क्या वाकई में.. तुम पेड़ को हील कर सकते हो और उन्हे पोषण भी दे सकते हो...


अलबेली:– बॉस ये आपकी रुचि में अपनी रूचि दिखाकर आपको झांसे में ले रहा है।


रूही:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। मुझे तो ये समझ में नहीं आ रहा की एक आत्मा से हम बात ही क्यों कर रहे। ये कोई एआई (AI) नही बल्कि कोई चालक आत्मा है। जरूर ये जादूगर की दंश से कोई माया करेगा।


चेन:– आत्मा मंत्र से बंधे एक चेन में से कैसे बात कर सकती है डफर। मुझे अब किसी से बात ही नही करनी। दफना दो मुझे...


इवान:– बॉस अब तो इसने खुद को दफनाने भी कह दिया। दफना डालो अभी...


चेन जैसे अपना सर पीट रहा हो.… "अरे कमबख्तों मुझे भी कहां तुमसे बात करने की सूझी। ओ जाहिल मैं गुस्सा दिखा रहा था।"


इतना सुनना था कि अलबेली पिल गयी। चेन के एक सिरे को पाऊं से दबोची और दूसरा सिरा हाथ में लेकर खींचती हुई.… “तेरी इतनी हिम्मत हमसे गुस्सा करे। साले बोलने वाले चेन आज तुझे उखाड़ ही दूंगी"…


इवान और ओजल दोनो अलबेली को पकड़कर उसे चेन से दूर करते.… "बस कर तू उस बोलते वस्तु से कैसे उलझ गयी।"


अलबेली:– छोड़ मुझे... साले तेरे 18 टुकड़ों को जोड़ने वाले ये पतले मेटल है मजबूर टूटा ही नही, वरना आज तेरे 18 टुकड़े कर देती बोलते चेन...


आर्यमणि:– मुझे कुछ समझ में न आ रहा क्या करूं? तुम सब मिलकर इस चेन का फैसला कर दो।


रूही, अलबेली, इवान और ओजल सभी आर्यमणि को देखने लगे। लगभग सभी एक साथ आगे और पीछे … "बॉस हमसे न होगा।"…


चेन:– मुझे दफना ही दो। किसी दूसरे समझदार और सही आदमी का इंतजार रहेगा।


काफी मंथन और थोड़ा वक्त लेने के बाद यह फैसला हुआ की चेन को वापस से जमीन में दफन करने के बाद जादूगर महान की दंश निकाला जायेगा। फिर बाद में देखते है की चेन क्या करना है। सबकी सहमति होते ही जादूगर महान की दंश को जमीन से निकाला गया। काफी अनोखा रत्न जरित यह दंश था, जो किसी वक्त के एक महान जादूगर, "जादूगर महान" की दंश थी।

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जादूगर महान की दंश किताब से कुछ दूरी पर था और जब किताब खोला गया तब उसमे दंश के बारे में लिखा भी था.… "एक शक्तिशाली दंश जो केवल अपनी मालिक की सुनती है। ऊपरी सिरे पर नाग मणि जरा हुआ है। नागमणि की उत्पत्ति सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी (सूर्य ग्रहण) के मिलन पर हुआ था। वहीं इसके नीचे की लकड़ी 5000 साल पुराने एक वट वृक्ष से लिया गया है। वट वृक्ष की जिस सखा पर बिजली गिड़ी थी, उसी शाखा के बीच की लकड़ी को उपयोग में लिया गया था।


दंश के बारे में लिखे मात्र एक पैराग्राफ को सभी ने एक साथ पढ़ा। पढ़ने के बाद फिर से सभी चिंतन में। अलबेली गुस्से में अपने हाथ–पाऊं पटकती... "ये किताब है या कन्फ्यूजिंग मशीन। जो जादूगर इस किताब की रचना के बाद आया, उसकी छड़ी के बारे केवल एक पैराग्राफ और जिस युग का नाम न सुना, उस वक्त की वस्तु के बारे मे कई पन्ने। फर्जी किताब है ये।"


आर्यमणि:– हमेशा गलत निष्कर्ष। दंश के बारे में किताब ने अपना केवल नजरिया दिया है। उसने जो अभी मेहसूस किया उसे दिखा दिया। यदि दंश लिये उसका मालिक जादूगर महान खड़ा होता तब यह किताब जादूगर महान के पूरे सोच को यहां लिख देती।


ओजल:– लेकिन जादूगर महान के बारे में भी तो कुछ नही लिखा।


आर्यमणि:– अब ये तो किताब से पूछना होगा की क्यों जादूगर महान के बारे में एक भी डेटा नही? बाकी यह दंश केवल शक्तिशाली है। इसका अर्थ है, इस दंश के सहारे बड़े से बड़ा जादू किया जा सकता है। लेकिन हर जादूगर इस दंश से छोटा सा जादू भी नहीं कर सकता क्योंकि इसका मालिक केवल एक ही था जादूगर महान और यह दंश उसी की केवल सुनती है।


रूही:– तो फिर वो पत्थर का भूत इस दंश से क्यों चिपकना चाहता है।


इवान:– हो सकता है इस दंश के ऊपर लगा मणि से सच में वह उस युग के विजुअल दिखा सके।


आर्यमणि:– नही ऐसा नहीं है। किताब के अनुसार इस दंश का कोई एक मालिक हो सकता है और वह चेन इस दंश से चिपकना चाहता है, इसका मतलब साफ है कि उस पत्थर में जादूगर महान का ही भूत है।


रूही:– कुछ भी बॉस... और क्या करेगा बिजली का इतना तेज झटका देगा की पूरे भू –भाग के साथ अपने दंश को भी नष्ट कर देगा। कुछ भी कहते हो बॉस...

इवान:– बॉस आप न ज्यादा सोचने लगे हो। जादूगर महान की आत्मा जैसे तात्या (फिल्म झपटेलाला का एक किरदार) की आत्मा हो, जो मरते वक्त पास पड़े उस रेयर आइटम में समा गयी। उसे घुसना भी पड़ता तो किसी इंसान में ही घुसता न ताकि अपने दंश को उठाने के लिये उसे किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़ता...


अलबेली:– क्या है बॉस.. मानकी बोलते चेन को देखकर हम सब थोड़े डर गये थे, लेकिन इसका ये मतलब थोड़े ना की कोई भी लॉजिक घुसेड़ दो।


आर्यमणि:– तो तुम सब क्या चाहते हो?


चारो एक साथ.… "हम उस युग को देखना चाहेंगे जो आज हिंद महासागर की गहराइयों में विलुप्त हो गया है। देखे तो उस जमाने में ये दुनिया कितना एडवांस्ड थी।"


आर्यमणि:– जैसा तुम्हारी मर्जी... चलो फिर सब साथ में देखते है।


आर्यमणि ने चेन और किताब पकड़ा। जादूगर महान की दंश बारी–बारी से सभी हाथ में लेकर पागलों की तरह फिल्मों में बोले जाने वाले हर जादुई मंत्र को बोल रहे थे और छड़ी को सामने कर देते... जादू करने की कोशिश तो हो रही थी किंतु सब नाकाम।


सभी लिविंग रूम में आराम से बैठे। एक मेज पर जादूगर के दंश और चेन को रखा गया। आर्यमणि चेन को ध्यान से देखते.… "क्यों भाई मिलन करवा दे।"..


चेन:– खुद को पूर्ण करने के लिये न जाने कैसे पागल बना हूं। बॉस लेकिन एक बात, मेरी ऊर्जा का प्रयोग कैसे करते है इस बात की जानकारी लेने के बाद मेरा प्रयोग केवल शुद्ध ऊर्जा उत्पन्न करने की लिये करना। इस पत्थर का इतिहास रहा है कि जिसने भी गलत मनसा से इसका प्रयोग करना चाहा था, वो खुद को भी तबाह होने से नही बचा पाये।


रूही:– वैसे अब तक कितनो ने खुद को तबाह किया है?


चेन:– मेलोडी खाओ खुद जान जाओ..


पूरा अल्फा पैक एक साथ... "मतलब"


चेन:– मतलब मुझे दंश से चिपका दो। उसके मणि की रौशनी में तुम सब को पूरा दृश्य दिख जायेगा।


आर्यमणि हामी भरते हुये चेन को उठा लिया। आर्यमणि ने जैसे ही चेन को उठाया, तभी अलबेली हड़बड़ा कर आर्यमणि का हाथ पकड़ती.… "एक मिनिट बॉस, मुझे चेन से कुछ जानना है?"


चेन:– मैं मिलन के लिये जा रहा था बीच में ही रोक दिये... पूछिए यहां की सबसे समझदार लड़की जी...


अलबेली:– ओ भाई चेन, तुम जो वीडियो चलाने वाले हो उसमें फास्ट फॉरवर्ड या टाइम जंप का विकल्प होगा की नही? पता चला १०० साल जितनी लंबी वीडियो चला दिये हो...


चेन:– हां मुझे आपसे ऐसे ही समझदारी की उम्मीद थी। चिंता मत करो, पहले मिनट से तुम पूरा वीडियो समझ जाओगी और मैं ज्यादा वक्त न लेते हुये कम से कम समय लूंगा। बस मेरे बारे में जानने के बाद मेरा गलत इस्तमाल मत करना। जब मैं जिंदगी संजोता हूं तब मुझे लगता है कि मैं अपने पिताजी को श्रद्धांजलि दे रहा...


अलबेली:– तुम्हारे पिता....


चेन:– हां मुझे आवाज और दिमाग देने वाले मेरे पिता। साइंटिस्ट "वियोरे मलते" जिन्होंने मेरी रचना की। अभी उनसे सबको मिलवाता हूं...


आर्यमणि:– तो ये लो फिर हो गया चलो अब मिलवओ...


अपनी बात कहते आर्यमणि ने दंश और चेन का मिलन करवा दिया। पांचों कुछ दूर पीछे सोफा पर बैठकर ध्यान से दंश और चेन को देख रहे थे। पहला एक मिनिट कोई हलचल न हुआ। और दूसरे मिनट में ऐसा लगा जैसे दंश और चेन दोनो को मिर्गी आ गयी थी। पहले तो दोनो हवा में ऊंचा गये, उसके बाद तो जैसे दंश और चेन के बीच युद्ध छिड़ गया हो। दंश चेन को बाएं ओर खींचती तो कभी चेन दंश को दाएं ओर। दोनो के आपसी खींचातानी में कभी दंश चेन को लिये तेजी से बाएं चली जाती तो कभी चेन उसे दाएं खींच लेता। ऐसा लग रहा था दोनो पूरा घर में उठम पटका कर रहे हो।


जैसे किसी बेवा की मांग उजड़ती है ठीक वैसे ही दंश और चेन ने मिलकर लिविंग रूम का हाल कर दिया था। लिविंग रूम का हर समान टूटा और बिखड़ा पड़ा था, सिवाय उन सोफे के जिसपर वुल्फ पैक बैठे थे। तकरीबन 5 मिनिट के बाद दंश पर चेन पूरी तरह से लिपट चुकी थी और हवा में अल्फा पैक के नजरों के ठीक सामने थी। माहोल पूरा शांत और हर कोई विजुअल देखने को तैयार। चेन भी ज्यादा वक्त न लेते हुए कहानी को शुरू किया...


"बाय –बाय मूर्खों। मेरी आत्मा को मेरे शरीर से मिलाने का धन्यवाद। आर्यमणि तुम सही थे मैं ही जादूगर महान हूं जिसे तुमने उसकी छड़ी से मिला दिया।।"


तेज रौशनी के साथ इस कमरे में जादूगर महान की आवाज गूंजी और चेन लिपटा वह दंश बिजली की तेजी से ऊपर हवा में गया और कोट्टेज के छत को फाड़कर निकल गया। आर्यमणि गर्दन ऊंचा करके एक बार तो छत के उस छेद के देखा उसके बाद पूरे अल्फा पैक को घूरने लगा। और इधर चारो अपने मुंह पर हाथ रखे, छत पर हुये छेद को देखते.… "बीसी (BC) झूठ बोलने वाला भूत, हमारी काट कर भाग गया।"
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RAAZ

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भाग:–97




आर्यमणि:– ये क्या था उस वक्त के गुरु वशिष्ठ का कोई खुफिया संदेश था?


अपस्यु:– जी नही... किताब में लिखे गये किसी वाक्य से "प्रहरी" शब्द लिया गया था। किसी दूसरे वाक्य से "खुफिया" शब्द लिया गया था। मछली, जंगल, उड़ते तीर और भला, मारा गया, ये सभी शब्द अलग–अलग वाक्य से लिए गये थे। कई वाक्यों के शब्द को उठाकर एक वाक्य बना दिया गया था। मंत्र मुक्त करने के बाद यह किताब पढ़ने गया तो ये किताब कहीं के भी शब्द उठाकर एक वाक्य बना दिया और ढीठ की तरह जैसे मुझसे कह रहा हो "पढ़कर दिखाओ"


आर्यमणि:– तो फिर किताब के बारे में इतनी जानकारी...


अपस्यु:– उस किताब को दोबारा मंत्रो से बांधकर फिर मैने सीधा खोल दिया। अनंत कीर्ति की किताब ने वहां के माहौल और गुरु के होने के एहसास को मेहसूस किया और गुरु की जानकारी वाला पूरा भाग मेरे आंखों के सामने था। बड़े इसका मतलब समझ रहे हो की वो किताब उन एलियन को क्यों चाहिए...


आर्यमणि:– हां समझ रहा हूं... प्रहरी का गाज उन एलियन पर भी गिर चुका है। उसकी पूरी जानकारी इसके अंदर है। इसलिए वो लोग इस किताब को सिद्ध पुरुष से दूर रखने के लिये पागल बने हैं। और यदि कहीं मेरा अंदाजा सही है तो आचार्य श्रृयुत ने इस किताब की विशेषता जरूर उन एलियन प्रहरी को बताया होगा की अनंत कीर्ति के अंदर किस प्रकार की जानकारी है। उन गधों को उन्होंने किताब के बारे में उतना थोड़े ना बताया होगा, जितना तुमने मुझे बताया। आधी जानकारी ने एलियन के मन में जिज्ञासा जगा दिया होगा की यदि उसको पृथ्वी के समस्त विकृत, जीव अथवा सुपरनैचुरल के पहचान करने और उन्हें फसाने का तरीका मिल जाये फिर पूरे पृथ्वी पर उनका ही एकाधिकार होगा। इसलिए तो किताब खोलकर पढ़ने के लिये भी पागल थे।


अपस्यु:– तुम्हारे इस अंदाज में एक बड़ा सा प्रश्न चिह्न है...


आर्यमणि:– हां मैं जानता हूं। यदि प्रहरी पहले इन एलियन से भीड़ चुके थे, तब आचार्य श्रेयुत को किताब ने कैसा आगाह नही किया? और यदि किताब ने आगाह किया तब आचार्य श्रीयुत फंस कैसे गये?


अपस्यु:–उस से भी बड़ी बात... कैलाश मठ की एक पुस्तक में आचार्य श्रीयुत की जानकारी तो है, लेकिन वो सात्त्विक आश्रम से नही थे बल्कि वैदिक आश्रम से थे। फिर ये अनंत कीर्ति की पुस्तक उनके पास कैसे आयी? हां लेकिन बहुत से सवालों का जवाब आसानी से मिल सकता है..


आर्यमणि:– हां मैं भी वही सोच रहा हूं। किताब को उन एलियन के संपर्क में ले जाऊं, तब अपने आप सारे जवाब मिल जायेंगे। जितने भी झूठ का भ्रमित जाल फैला रखा है, सबका जवाब एक साथ।


अपस्यु:– बिलकुल सही। बड़े अब मैं फोन रखता हूं। तुम सबके लिये कुछ भेंट लाया था, अपने गराज से मेरा उपहार उठा लेना।


आर्यमणि:– क्या बात कर रहा है, हम सबके लिये गिफ्ट.…. गिफ्ट देखने की लालसा जाग उठी है छोटे, इसलिए मैं भी जा रहा हूं। अपना ख्याल रखना छोटे।


एक बड़े से वार्तालाप के बाद आर्यमणि ने फोन रखा और उधर 15–20 मिनट से बिलकुल खामोश घर में फिर से जैसे उधम–चौकड़ी शुरू हो चुकी थी। आर्यमणि को इस बात का बड़ा गर्व हुआ की उसका पूरा पैक कितना अनुशासित है। हां लेकिन जबतक आर्यमणि अपनी इस छोटे से ख्याल से बाहर निकलता, तब तक तो तीनो टीन वोल्फ गराज पहुंच भी गये और अपस्यु द्वारा भेजे गये बड़े–बड़े बॉक्स को उठा भी लाये।


उन बॉक्स को देखने के बाद आर्यमणि हैरानी से रूही और तीनो टीन वुल्फ के ओर देखते... "पिछले एक महीने से तुम तीनो गराज नही गये क्या?"


रूही:– तुम गहरी नींद में थे आर्य। भला तुम्हे छोड़कर हम कहां जाते...


आर्यमणि:– तो क्या एक महीने से जरूरी सामान लाने भी कही नही गये।


अलबेली:– बॉस आपसे ज्यादा जरूरी तो कुछ भी नही। बाकी एक फोन कॉल और सारा सामान घर छोड़कर जाते थे।


इवान:– बॉस ये सब छोड़ो। गिफ्ट देखते है ना...


सभी हामी भरते हुये हॉल में बॉक्स को बिछा दिये। बॉक्स मतलब उसे छोटा बॉक्स कतई नहीं समझिए। बड़े–बड़े 5 बॉक्स थे और हर बॉक्स पर नंबरिंग किया हुआ था। पहले नंबर का बॉक्स खोला गया ऊपर ही एक लेटर…. "5 लोगों के लिए 5 शिकारियों के कपड़े। ये इतने स्ट्रेचेबल है कि शेप शिफ्ट होने के बाद भी फटेगा नहीं। बुलेट प्रूफ और वैपन प्रूफ कुछ हद तक।"


हर किसी के नाम से कपड़े के पैकेट रखे हुये थे। अलग–अलग मौकों के लिये 5–6 प्रकार के कपड़े थे।
सभी ने कपड़े को जैसे लूट लिया हो। अलग–अलग फेब्रिक के काफी कुल ड्रेस थे। जितने सुरक्षित उतने ही आरामदायक वस्त्र थे। फिर आया दूसरे नंबर के बॉक्स की बारी जिसके अंदर का समान देखकर सबका चेहरा उतर गया। बॉक्स देखकर भेजनेवाले के लिए मुंह से गालियां नीकल रही थी। उस बॉक्स मे तकरीबन 50 से ऊपर किताब थी। साथ मे एक हार्डडिस्क भी था, जिसके ऊपर लिखा था... "फॉर बुक लवर्स (for book lovers)"


आर्यमणि का चेहरा वाकई मे खिल गया था। तीसरा बॉक्स खोला गया, जिसे देखकर सबकी आंखें चौंधिया गयी। आकर्षक मेटालिक वैपन थे। जैसे कि एक फीट वाली छोटी कुल्हाड़ी। कई तरह के चमचमाते खंजर, साई वैपन (sai weapon) की कई जोड़ें, 3 फीट के ढेर सारे स्टील और आयरन रॉड। उन्ही सब हथियारों के साथ था, नया लेटेस्ट ट्रैप वायर (trap wire). खास तरह के ट्रैप वायर जो बिल्कुल पतले और उतने ही मजबूत। थर्मोडायनेमिक हिट उत्पन्न करने वाले ये वायर इतने घातक थे कि इस वायर के ट्रैप में उलझे फिर शरीर मक्खन की तरह कट जाये।


3 बॉक्स ही खुले और सभी खुशी से एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे। चौथा बॉक्स खोला गया जिसमे वैपन रखने के लाइसेंस से लेकर कई तरह के लेटेस्ट पिस्तौल और स्निपर राइफल थी। साथ में एक चिट्ठी था जिसमें लिखा था, जंगली क्षेत्र में रहने के कारण कुछ घातक हथियार रखने के लाइसेंस मिले है। उसी बॉक्स में एक छोटा सा जार भी था जिसमे बीज रखे थे। आर्यमणि समझ गया ये माउंटेन ऐश पौधों के बीज है। सबसे आखरी बॉक्स में एक लैपटॉप था। उसके नीचे छोटे–बड़े डिवाइस और उन सब डिवाइस के साथ उनका मैनुअल।


सभी लेटेस्ट सिक्यूरिटी ब्रिज डिवाइस थे जो एक दूसरे से एक सुरक्षित संपर्क प्रणाली (secure communication channel) के साथ–साथ आस पास के इलाकों में कोई घुसपैठ से लेकर, वहां की आंतरिक सुरक्षा के मध्यनजर ये सभी डिवाइस भेजी गयी थी। सबसे आखरी मे अपने लोगों से बात करने के लिये सेटेलाइट फोन था। जिसे ट्रेस नही किया जा सकता था। और ऐसा ही फोन भारत में भी आर्यमणि के सभी प्रियजनों के पास था।


अपस्यु का उपहार देख कर तो पूरा अल्फा पैक खुश हो गया।…. "आज की शाम, अल्फा पैक के खुशियों के नाम। क्या शानदार गिफ्ट भेजा है अपस्यु ने।"… अलबेली अपनी बात कहती सेटेलाइट फोन हाथ में ली और सीधा भूमि दीदी का नंबर डायल कर दी...


आर्यमणि:– किसे कॉल लगा दी..


अलबेली, बिना कोई जवाब दिये फोन आर्यमणि को ही थमा दी। आर्यमणि, अलबेली को सवालिया नजरों से देखते फोन कान में लगाया और दूसरी ओर से आवाज आयी.… "आर्य तू है क्या?"


आर्यमणि:– दीदी...


दोनो पक्ष से २ शब्दों की बात और खुशी का एक छोटा सा विराम...


आर्यमणि:– तुम कैसी हो दीदी...


भूमि:– बस तुझे ही मिस कर रही हूं वरना तेरे छोटे भाई के साथ पूरा दिन मस्त और पूरा दिन व्यस्त...


आर्यमणि:– लड्डू–गोपाल (भूमि का बेबी) की तस्वीर मैने भी देखी... गोल मटोल बिलकुल तुम पर गया है...


भूमि:– हां काफी प्यारा है। एक बात बता ये जो नए तरह का फोन तूने भिजवाया है, उस से कोई तुम्हारी लोकेशन तो ट्रेस नही करेगा न...


आर्यमणि:– बिलकुल नहीं... कुछ दिन रुक जाओ फिर तो हम सब नागपुर लौट ही रहे है।


भूमि:– तुम्हारी जब इच्छा हो वापस आ जाना। लेकिन इतने दिन बाद बात हो रही जल्दी–जल्दी अब तक के सफर के बारे में बता...


आर्यमणि भूमि दीदी की बात पर हंसने लगा। वह सोचने लगा कुछ देर पहले उसने जो अपस्यु के साथ किया अभी भूमि दीदी उसके साथ कर रही। कोई चारा था नही इसलिए पूरी कहानी सुनाने लगा। भूमि के साथ बातों का लंबा दौड़ चलता रहा। इतना लंबा बात चली की पूरा अल्फा पैक सारे गिफ्ट को बांट चुके थे। सबने अपने गिफ्ट जब रख लिये फिर पैक की दूसरी मुखिया ने सोचा जब तक उसके होने वाले फोन पर लगे है तब तक टीन वुल्फ के साथ शॉपिंग का मजा लिया जाये। आखिर महीने दिन से कोई घूमने भी नही गया।


रूही कार निकाली और तीनो सवार हो गये।… "बॉस को ऐसे छोड़कर नही आना चाहिए था।"… इवान थोड़ा मायूस होते कहने लगा।


रूही:– आर्य को आराम से बार कर लेने दो, जबतक हम शहर का एक चक्कर लगा आये।

ओजल:– चक्कर लगा आये या अपने होने वाले पति को गिफ्ट देना चाहती हो इसलिए आ गयी।

अलबेली:– क्या सच में... फिर तो मैं भी इवान के लिये एक गिफ्ट ले लेती हू।

रूही:– तू इवान के लिये क्यों गिफ्ट लेगी। इवान तुझे गिफ्ट देगा न?

इवान:– ये क्या तुक हुआ। तुम बॉस के लिये गिफ्ट लेने जा रही और जानू मुझे गिफ्ट दे ये तुमसे बर्दास्त न हो रहा।

अलबेली:– गलती हो गई जानू, हमे अपनी गाड़ी में आना चाहिए था।

रूही:– ओय ये जानू कबसे पुकारने लगे लिलिपुटियन।

ओजल:– दोनो पागल हो गये है। बेशर्मों बड़ी बहन है कुछ तो लिहाज कर ले...

रूही, अपनी घूरती नजरों से ओजल को देखते..... "तू तो कुछ अलग ही एंगल लगा दी।

तभी तीनों जोर से चिल्लाए। रूही सामने देखी, लाइट रेड हो चुका था और लोग सड़क पार करने लगे थे। तेजी के साथ उसने गाड़ी को किनारे मोड़कर ब्रेक लगाई लेकिन किस्मत सबको बचाने के चक्कर में रूही ने पुलिस कार को ही ठोक दिया। ड्राइविंग लाइसेंस जब्त और पुलिस चारो को उठाकर थाने ले गयी। घंटे भर तक पुलिस वालों ने बिठाए रखा। इरादा तो उन चारो को जज के सामने पेश करने का था लेकिन रूही तिकरम लगाकर एक पुलिस अधिकारी को पटाई। उसे 2000 डॉलर का घुस दी। तब जाकर उस अधिकारी ने 500 का फाइन और एक वार्निंग के साथ छोड़ दिया।

चारो जैसे ही बाहर निकले.… "लॉक उप में बंद उस वुल्फ को देखा क्या? वह हमे ही घूर रहा था।"… अलबेली हड़बड़ में बोलने लगी। रूही आंखों से सबको चुप रहने का इशारा करती निकली। बहुत दूर जब निकल आयी... "अलबेली तेरा मैं क्या करूं। उस वुल्फ ने जरूर तुम्हारी बातें सुनी होगी।"

इवान:– सुनकर कर भी क्या लेगा?

रूही:– इतने घमंड में न रहो। मुझे लगता है इलाके को लेकर कहीं झड़प न हो। कुछ भी हो जाये तुम तीनो वादा करो की शांत रहोगे और मामला बातों से निपटाने की कोशिश करोगे...

ओजल:– और बातों से मामला न सुलझे तो...

रूही:– वहां से भाग जाना लेकिन कोई झगड़ा नहीं। पूरा पैक मिलकर ये मामला देखेंगे न की तुम तीनो..

अलबेली:– क्यों हम तीनो से ही झगड़ा हो सकता है? तुमसे या बॉस से झड़प नही हो सकती क्या?

रूही:– हम भी तुम्हे साथ लिये बिना कोई कदम न उठाएंगे... अब तुम तीनो कहो...

अलबेली:– जलकुकरी एक्शन होने से पहले आग लगाने वाली। ठीक है मैं भी वही करूंगी।

रूही:– और तुम दोनो (ओजल और इवान)

दोनो ने भी हामी भर दी। फिर चारो ने अपना शॉपिंग समाप्त किया और वापस लौट आये। रूही ने सोचा था कि आर्यमणि की बात समाप्त हो जायेगी तब वह पीछे से ज्वाइन कर लेगा लेकिन शॉपिंग समाप्त करके वह घर पहुंचने वाले थे लेकिन आर्यमणि का कॉल नही आया।


इधर आर्यमणि की इतनी लंबी बातें की इनका शॉपिंग समाप्त हो गया। और जैसे ही आर्यमणि ने अपने पैक को देखा, उन्हे चौंकते हुये कहने लगा.… "तैयारी शुरू कर दो, जल्द ही हम सब शिकार पर चलेंगे.… एलियन के शिकार पर।"


एक्शन का नाम सुनकर ही तीनो टीन वुल्फ "वुहू–वुहू" करते, अपने–अपने कमरे में चले गये। वहीं रूही आर्यमणि का हाथ थामकर उसे अपने पास बिठाती.… "बॉस बात क्या है? भारत से कोई अप्रिय खबर?"


आर्यमणि:– हां, हमारे लोगों की सुरक्षा कर रहे एक संन्यासी रक्तांक्ष को उन एलियन ने जान से मार दिया। किसी प्रकार का तिलिस्मी हमला मेरे मां–पिताजी पर किया गया था, जिसकी चपेट में संन्यासी रक्तांक्ष आ गया। अचानक ही 4 दिन तक वह गायब रहा और पांचवे दिन उसकी लाश मिली...


रूही:– क्या??? अब ये सीधा हमला करने लगे है। इनको अच्छा सबक सिखाना होगा?


आर्यमणि:– हां सही कही... वो एलियन नित्या अपने जैसे 21 शिकारी के साथ मेरी तलाश में यूरोप पहुंच चुकी है। ये पुरानी पापिन बहुत सारे मामलों में मेरे परिवार की दोषी रही है। और इसी ने रिचा को भी मारा था। पहला नंबर इसी का आयेगा।


रूही, चुटकी लेते... "पुराने प्यार का बदला लेने का तड़प जाग गया क्या?"


आर्यमणि:– हां तड़प जागा तो है। अब इस बात से मैं इनकार नहीं कर सकता की रिचा के लिये इमोशन नही थे। बस मेरी तैयारी नही थी जो मैं नित्या को सजा दे पता पर दिल की कुछ खुन्नस तो निकाल आया था और पुरानी दबी सी आग को अब चिंगारी देने का वक्त आ गया है।


रूही:– हां तो फिर युद्ध का बिगुल फूंक दो…


आर्यमणि:– बस एक को कॉल लगाकर युद्ध का ही बिगुल फूलने वाला हूं।


रूही:– किसे...


आर्यमणि कुटिल मुस्कान अपने चेहरे पर लाते... "वही एलियन जिसे रानी होने का लॉलीपॉप दिया था, पलक"…


रूही:– तो देर किस बात की... चलो बिगुल फूंक ही दो...


आर्यमणि, रूही के होंठ को चूमते.… "तुम्हे तकलीफ नही होगी"..


रूही:– तकलीफ वाली बात करोगे होने वाले पतिदेव, तब तो फिर हम दोनो को तकलीफ होगी न। बराबर के भागीदार... अब चलो भी टाइम पास बंद करो और कॉल लगाओ...


आर्यमणि ने कॉल लगाया लेकिन पलक का नंबर बंद आ रहा था। २–३ कोशिशों के बाद भी जब कॉल नहीं लगा तब आर्यमणि ने अक्षरा को कॉल लगा दिया...


अक्षरा:– हेल्लो कौन?


आर्यमणि:– मेरी न हो पाने वाली सासु मां मैं आर्यमणि..


कुछ पल दोनो ओर की खामोशी, फिर उधर से अक्षरा की हुंकार.… "साल भर से कहां मुंह छिपाकर घूम रहा है हरमखोर, एक बार सामने तो आ...


आर्यमणि:– अपने चेलों चपाटी को फोन दिखाना बंद करो, ये नंबर ट्रेस नही कर पाओगे... यदि वाकई जानना है कि मैं कहां हूं तो पलक से मेरी बात करवाओ.. उसी से मैं बात करूंगा...


अक्षरा:– एक बाप की औलाद है तो तू पता बता देना, लिख पलक का नंबर...


अक्षरा ने उसे पलक का नंबर दे दिया। नंबर देखकर आर्यमणि हंसते हुये... "ये तो पहले से यूरोप पहुंची हुई है।"..


रूही:– यूरोप में कहां है?

आर्यमणि:– स्वीडन में ह।


रूही:– वहां क्या करने गयी है... किसी अच्छे वुल्फ के पैक के खत्म करके उसे दरिंदों की किसी बस्ती में फेकने..


आर्यमणि:– अब मुझे क्या पता... चलो बात करके पूछ ही लेते हैं?


आर्यमणि ने कॉल मिलाया। कॉल होटल के रिसेप्शन में गया और वहां से पलक के रूम में... उधर से किसी लड़के ने कॉल उठाया... "हेल्लो"..


आर्यमणि:– पलक की आवाज लड़के जैसी कैसे हो गयी? मैने तो सुना था वह अकेली स्वीडन गयी है।


लड़का:– तू है कौन बे?


आर्यमणि:– सच में जानना चाहता है क्या? पलक से कहना उसके एक्स ब्वॉयफ्रेंड का कॉल है...


लड़का:– क्या बोला बे?


आर्यमणि:– तू बहरा है क्या? पलक को बोल इसके एक्स ब्वॉयफ्रेंड का कॉल है।



लड़का:– भोंसड़ी के, तू है कौन मदरचोद...


"किसे गालियां दे रहे हो एकलाफ"… पीछे से पलक की आवाज आयी...


वह लड़का एकलाफ... "पता न कोई मदरचोद तुम्हारी इंक्वायरी कर रहा है?"


पलक:– तो ये तुम्हारे बात करने का तरीका है..


एकलाफ:– बदतमीज खुद को तुम्हारा एक्स ब्वॉयफ्रेंड कहता है? गाली अपने आप निकल गयी...


पलक हड़बड़ा कर फोन उसके हाथ से लेती... "क्या ये तुम हो"…


आर्यमणि:– क्या बात है, एक झटके में पहचान गयी। (पलक कुछ बोलने को हुई लेकिन बीच में ही आर्यमणि उसे रोकते).... तुम्हारा नया ब्वॉयफ्रेंड पहले ही बहुत बदतमीजी कर चुका है। सीधे मुद्दे पर आता हूं। मुझसे मिलना हो तो 8 मार्च को जर्मनी चली आना... और हां अपने उस ब्वॉयफ्रेंड को भी साथ ले आना... क्या है फोन पर भौककर तो कोई भी गाली दे सकता है, औकाद तो तब मानू जब मुंह पर गाली दे सके... मुझसे मिलना हो तो उसे भी साथ ले आना। मुझसे मिलने की यही एकमात्र शर्त है। मेरा हो गया अब तुम अपने क्लोजिंग स्टेटमेंट देकर कॉल रख सकती हो। थोड़ा छोटे में देना डिटेल मैं तुमसे जर्मनी में सुन लूंगा मेरी रानी...


पलक:– रानी मत बोल मुझे, किसी गाली की तरह लगती है। रही बात एकलाफ़ के औकाद की तो वो तुझे मुंह पर गाली देगा ही और यही तेरी औकात है। लेकिन मेरी बात कहीं भूल गया तू, तो तुझे याद दिला दूं... मुझसे मिलने के बाद फिर तू किसी से मिल न पायेगा क्योंकि मैं तेरा दिल चिड़कर निकाल लूंगी...


आर्यमणि:– बेस्ट ऑफ़ लक...


आर्यमणि ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। रूही मुस्कुराती हुई कहने लगी..... "लगता है जर्मनी में मजा आने वाला है बॉस"…. आर्यमणि, भी हंसते हुये… "हां एक्शन के साथ तमीज सीखने वाला प्रवचन भी चलेगा। चलो तैयारी करते है।"…
To ek baar phir purane zakham harey ho gaye kisi ne sahi kaha hai ki zakhmi nagan aur pyaar me dhoka khayee hui aurat bohat khatarnak palatwaar karti hain ab dekhtey Hain ki yah palatwaar kis par bhari padta hain waisay ab Arya ke pass uske pyaar ki bhi taqat hain aur pack ki bhi. Jail me jo wolf mila hain ab woh kia gull khilata hai ya phir time to welcome new member in the pack.
Bohat zabardast story warna werewolf jese subject me maza nahi aata magar kiya hi khoob dhang se likha hain
 

Aadi bhai

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भाग:–101





यूं तो जवाब देने के लिये तीनो ही उत्सुक थे लेकिन ओजल दोनो के मुंह पर हाथ रखती.… "बॉस अलबेली जब पहली बार दहाड़ी तभी आप दोनो जंगल के लिये निकल चुके होंगे। क्योंकि हमारी फाइट शुरू होने के पहले ही आप दोनो पहुंच चुके थे और दूर से बैठकर फाइट का मजा ले रहे थे। वो सब छोड़ो.... वो बीती बात हो गयी। आपके हाथ में छड़ी को देखकर याद आया, वो जादूगर का दंश और पतली सी चेन कहां है। उनके दर्शन तो करवाओ?


आर्यमणि:– ये बात अभी क्यों?


ओजल:– अनंत कीर्ति की किताब खुल चुकी है और वह किताब भी उसी जगह थी जहां जादूगर का दंश और वह चेन रखा था। देखो तो उस दंश और चेन के बारे में किताब ने क्या मेहसूस किया था और दूसरों के पास की कितनी जानकारी है?.


आर्यमणि:– हम्मम!!! ये सही सोचा है तुमने... जरा देखे तो उन दोनो वस्तु के बारे में किताब का क्या कहना है।


अनंत कीर्ति की पुस्तक को लेकर सभी जंगल में घुसे। कॉटेज से कुछ दूर चलने के बाद आर्यमणि रुक गया और किताब खोला। किताब खोलते ही उसमे लिखे हुये पन्ने दिखने लगे। ओजल पन्ने पर लिखे शब्द को हैरानी से पढ़ती... "बॉस ये किताब तो कमाल की है। लेकिन इसमें केवल चेन के बारे में क्यों लिखा है?"


आर्यमणि:– क्योंकि मैं चेन के बारे में सोच रहा था।


तकरीबन 20 पन्ने की संक्षिप्त जानकारी थी। 2 फिट लंबे इस चेन में प्रिज्म आकर के 18 चमकीले काले पत्थर लगे हुये थे। सभी पत्थर रंग, रूप, आकार और वजन में एक समान ही थे जिसकी लंबाई 1 इंच थी। इस पत्थर के इतिहास से लेकर भूगोल की लगभग जानकारी थी। इसका उद्गम स्थान हिंद महासागर के मध्य, किसी स्थान को बताया जा रहा था। यह चेन सतयुग के भी पूर्व तीन विलुप्त सभ्यता में से एक सभ्यता की थी। जिस स्थान पर यह चेन बनी थी, उसकी तत्कालिक भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर के मध्य में कहीं थी।


विज्ञान की एक उत्कृष्ट रचना। सभी 18 पत्थर को तराशकर उसके दोनो किनारे इतनी बारीकी से छेद किया गया था कि उन पत्थर में किसी प्रकार का निशान नहीं पड़े थे। ऐसा लग रहा था दोनो किनारों का छेद जैसे पत्थर में प्राकृतिक रूप से पहले से मौजूद थे। दो पत्थर को मेटल के पतले वायर जोड़ा गया था और क्या इंजीनियरिंग का मिशाल पेश किया था। मेटल पर कहीं भी जोड़ के निशान नही थे। शायद 2 पत्थरों के बीच में किसी प्रकार का कंडक्टर वायर लगा हुआ था।


सभी 18 पत्थर मिलकर एक एनर्जी पावर हाउस बनाते थे, जिनसे एक पूरे देश में देने लायक बिजली पैदा की जा सकती थी। इसका प्रयोग शहर को रौशन करने से लेकर उन्हें तबाह तक करने लिये किया जा सकता था। चेन को किसी मंत्र से बांधा गया था, जिसे आर्यमणि खोल तो सकता था, लेकिन अभी पांचों गहरी सोच में डूबे थे। नीचे जमीन पर चेन को सीधा फैला दिया गया और पांचों झुक कर उसे देख रहे थे।….


आर्यमणि:– क्या करना चाहिए?


रूही:– मैं क्या सोच रही थी, इस बवाल चीज को जमीन में ही दफन कर देते है। पांच बार इस चेन के दोनो सिरों को जोड़ा गया और पांचों बार पूरा भू–भाग ही विलुप्त हो गया।


अलबेली सोचने की मुद्रा में आती, एक लंबा सा "हूंनननननन" करती.… "सोचने वाली बात ये है कि ये फेकू किताब बढ़ा–चढ़ा कर बोल रहा है। जब 5 बार पूरा एक देश जितना भाग विलुप्त हो गया तब क्या ये किताब इस चेन के पड़ोस में बैठकर चने खा रहा था।"


इवान:– हां जानू की बात में गहराई है। जब ये चेन उस युग की है जिस युग के बारे में लोग कल्पना में भी नही सोचते, फिर उस युग के वस्तु के बारे में इस किताब को कैसे पता?"


ओजल:– बॉस चेन को घूरने से वो अपने बारे में डिटेल थोड़े ना बतायेगा। इसका क्या करना है वो बताओ?


"नही.. मैं अपने बारे में बता नही सकता लेकिन एक रास्ता है जिस से सब कुछ दिखा सकता हूं।"….. वोहह्ह्ह्ह्ह एक चेन से निकली आवाज और पूरा अल्फा पैक चौंककर आवक रह गये। अलबेली, ओजल और इवान, तीनो डर के मारे भूत, भूत करके चिल्लाने लगे। आर्यमणि और रूही की आंखें फटकर बाहर आने को बेकरार हो गयी। भूत के नाम से तो रूही की भी फटी थी और थोड़ा डरा तो आर्यमणि भी था। बस दोनो दिखा ना रहे थे। चेन जमीन पर जैसे तरह–तरह के आकार बनाकर खुद को एक्सप्रेस करने की कोशिश कर रहा हो... "अरे डरो मत.. चिल्लाना बंद करो... डरो मत... मत डरो"…


चेन जितना ज्यादा बोलती उतना ही तेज–तेज तीनो टीन वुल्फ चिल्लाते। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ और सभी वुल्फ शांत होकर आर्यमणि के पीछे दुबक गये। आर्यमणि हैरानी से उस चेन को देखते... "तू.. तू.. तुम उनमें से किसी एक की आत्मा बोल रहे हो, जिसने इस चेन का प्रयोग करना चाहा।"…


चेन:– भाई मैं पत्थर के अंदर लगा एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बोल रहा हूं। मैं सही आदमी से संपर्क कर सकता हूं। और बच्चे तुम (आर्यमणि) मुझे सही आदमी लगे।


आर्यमणि, थोड़ा खुश होते... "हां तो तुम कुछ दिखाने की बात कर रहे थे।"


चेन:– तुम्हारे पास जादूगर महान का दंश है। उसे मेरे ऊपर रख दो। वह जादुई दंश किसी टीवी की तरह काम करेगा। मैं कैसे काम करता हूं और अब तक जो भी मैंने कैप्चर किया है, उसका विजुअल तुम सब देख सकते हो।


रूही, उस बोलते चेन को घूरती.… "तुम्हे जादूगर की दंश ही क्यों चाहिए। एआई (AI) हो तो किसी भी टीवी से कनेक्ट हो जाओ.... आर्य ये चेन मुझे झोलर लग रहा है। जो बात इसने हमसे कही है, वह बात ये सुकेश से भी तो कर सकता था।"


चेन:– अच्छे लोग और बुरे लोग का प्रोटोकॉल समझती हो की नही.…


अलबेली:– बॉस मुझे तो ये अब भी भूत लग रहा है। जब लोगों की जान फसी तो ऐसे ही अच्छे लोग, बुरे लोग की बात करता है।


आर्यमणि:– सोचो हम एक ऐसे युग के दृश्य देखने जा रहे है, जिसके बारे में आज तक कभी किसी ने सुना ही नहीं। हम इतिहास को एक्सप्लोर करने जा रहे हैं।


ओजल:– कहीं ये हमे एक्सोलोड न कर दे...


चेन:– पागल हो क्या, मैं जब मंत्र के कैद में हूं तब एक्सप्लॉड करना तो दूर की बात है, मैं इतना एनर्जी भी उत्पन्न नही कर सकता, जिस से किसी पेड़ का पोषण कर सकूं। आर्यमणि जिस दिन तुमने मुझे यहां दफनाया था मैंने यहां के कई पेड़ों को कुपोषित और क्षतिग्रस्त पाया। अंदर से आंसू आ गये। मुझमें इतना समर्थ नहीं था कि मैं ऊर्जा से उन्हे पोषण दे सकूं या फिर उनके अंदरूनी क्षति को ठीक कर सकूं...


आर्यमणि:– क्या वाकई में.. तुम पेड़ को हील कर सकते हो और उन्हे पोषण भी दे सकते हो...


अलबेली:– बॉस ये आपकी रुचि में अपनी रूचि दिखाकर आपको झांसे में ले रहा है।


रूही:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। मुझे तो ये समझ में नहीं आ रहा की एक आत्मा से हम बात ही क्यों कर रहे। ये कोई एआई (AI) नही बल्कि कोई चालक आत्मा है। जरूर ये जादूगर की दंश से कोई माया करेगा।


चेन:– आत्मा मंत्र से बंधे एक चेन में से कैसे बात कर सकती है डफर। मुझे अब किसी से बात ही नही करनी। दफना दो मुझे...


इवान:– बॉस अब तो इसने खुद को दफनाने भी कह दिया। दफना डालो अभी...


चेन जैसे अपना सर पीट रहा हो.… "अरे कमबख्तों मुझे भी कहां तुमसे बात करने की सूझी। ओ जाहिल मैं गुस्सा दिखा रहा था।"


इतना सुनना था कि अलबेली पिल गयी। चेन के एक सिरे को पाऊं से दबोची और दूसरा सिरा हाथ में लेकर खींचती हुई.… “तेरी इतनी हिम्मत हमसे गुस्सा करे। साले बोलने वाले चेन आज तुझे उखाड़ ही दूंगी"…


इवान और ओजल दोनो अलबेली को पकड़कर उसे चेन से दूर करते.… "बस कर तू उस बोलते वस्तु से कैसे उलझ गयी।"


अलबेली:– छोड़ मुझे... साले तेरे 18 टुकड़ों को जोड़ने वाले ये पतले मेटल है मजबूर टूटा ही नही, वरना आज तेरे 18 टुकड़े कर देती बोलते चेन...


आर्यमणि:– मुझे कुछ समझ में न आ रहा क्या करूं? तुम सब मिलकर इस चेन का फैसला कर दो।


रूही, अलबेली, इवान और ओजल सभी आर्यमणि को देखने लगे। लगभग सभी एक साथ आगे और पीछे … "बॉस हमसे न होगा।"…


चेन:– मुझे दफना ही दो। किसी दूसरे समझदार और सही आदमी का इंतजार रहेगा।


काफी मंथन और थोड़ा वक्त लेने के बाद यह फैसला हुआ की चेन को वापस से जमीन में दफन करने के बाद जादूगर महान की दंश निकाला जायेगा। फिर बाद में देखते है की चेन क्या करना है। सबकी सहमति होते ही जादूगर महान की दंश को जमीन से निकाला गया। काफी अनोखा रत्न जरित यह दंश था, जो किसी वक्त के एक महान जादूगर, "जादूगर महान" की दंश थी।


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जादूगर महान की दंश किताब से कुछ दूरी पर था और जब किताब खोला गया तब उसमे दंश के बारे में लिखा भी था.… "एक शक्तिशाली दंश जो केवल अपनी मालिक की सुनती है। ऊपरी सिरे पर नाग मणि जरा हुआ है। नागमणि की उत्पत्ति सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी (सूर्य ग्रहण) के मिलन पर हुआ था। वहीं इसके नीचे की लकड़ी 5000 साल पुराने एक वट वृक्ष से लिया गया है। वट वृक्ष की जिस सखा पर बिजली गिड़ी थी, उसी शाखा के बीच की लकड़ी को उपयोग में लिया गया था।


दंश के बारे में लिखे मात्र एक पैराग्राफ को सभी ने एक साथ पढ़ा। पढ़ने के बाद फिर से सभी चिंतन में। अलबेली गुस्से में अपने हाथ–पाऊं पटकती... "ये किताब है या कन्फ्यूजिंग मशीन। जो जादूगर इस किताब की रचना के बाद आया, उसकी छड़ी के बारे केवल एक पैराग्राफ और जिस युग का नाम न सुना, उस वक्त की वस्तु के बारे मे कई पन्ने। फर्जी किताब है ये।"


आर्यमणि:– हमेशा गलत निष्कर्ष। दंश के बारे में किताब ने अपना केवल नजरिया दिया है। उसने जो अभी मेहसूस किया उसे दिखा दिया। यदि दंश लिये उसका मालिक जादूगर महान खड़ा होता तब यह किताब जादूगर महान के पूरे सोच को यहां लिख देती।


ओजल:– लेकिन जादूगर महान के बारे में भी तो कुछ नही लिखा।


आर्यमणि:– अब ये तो किताब से पूछना होगा की क्यों जादूगर महान के बारे में एक भी डेटा नही? बाकी यह दंश केवल शक्तिशाली है। इसका अर्थ है, इस दंश के सहारे बड़े से बड़ा जादू किया जा सकता है। लेकिन हर जादूगर इस दंश से छोटा सा जादू भी नहीं कर सकता क्योंकि इसका मालिक केवल एक ही था जादूगर महान और यह दंश उसी की केवल सुनती है।


रूही:– तो फिर वो पत्थर का भूत इस दंश से क्यों चिपकना चाहता है।


इवान:– हो सकता है इस दंश के ऊपर लगा मणि से सच में वह उस युग के विजुअल दिखा सके।


आर्यमणि:– नही ऐसा नहीं है। किताब के अनुसार इस दंश का कोई एक मालिक हो सकता है और वह चेन इस दंश से चिपकना चाहता है, इसका मतलब साफ है कि उस पत्थर में जादूगर महान का ही भूत है।


रूही:– कुछ भी बॉस... और क्या करेगा बिजली का इतना तेज झटका देगा की पूरे भू –भाग के साथ अपने दंश को भी नष्ट कर देगा। कुछ भी कहते हो बॉस...

इवान:– बॉस आप न ज्यादा सोचने लगे हो। जादूगर महान की आत्मा जैसे तात्या (फिल्म झपटेलाला का एक किरदार) की आत्मा हो, जो मरते वक्त पास पड़े उस रेयर आइटम में समा गयी। उसे घुसना भी पड़ता तो किसी इंसान में ही घुसता न ताकि अपने दंश को उठाने के लिये उसे किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़ता...


अलबेली:– क्या है बॉस.. मानकी बोलते चेन को देखकर हम सब थोड़े डर गये थे, लेकिन इसका ये मतलब थोड़े ना की कोई भी लॉजिक घुसेड़ दो।


आर्यमणि:– तो तुम सब क्या चाहते हो?


चारो एक साथ.… "हम उस युग को देखना चाहेंगे जो आज हिंद महासागर की गहराइयों में विलुप्त हो गया है। देखे तो उस जमाने में ये दुनिया कितना एडवांस्ड थी।"


आर्यमणि:– जैसा तुम्हारी मर्जी... चलो फिर सब साथ में देखते है।


आर्यमणि ने चेन और किताब पकड़ा। जादूगर महान की दंश बारी–बारी से सभी हाथ में लेकर पागलों की तरह फिल्मों में बोले जाने वाले हर जादुई मंत्र को बोल रहे थे और छड़ी को सामने कर देते... जादू करने की कोशिश तो हो रही थी किंतु सब नाकाम।


सभी लिविंग रूम में आराम से बैठे। एक मेज पर जादूगर के दंश और चेन को रखा गया। आर्यमणि चेन को ध्यान से देखते.… "क्यों भाई मिलन करवा दे।"..



चेन:– खुद को पूर्ण करने के लिये न जाने कैसे पागल बना हूं। बॉस लेकिन एक बात, मेरी ऊर्जा का प्रयोग कैसे करते है इस बात की जानकारी लेने के बाद मेरा प्रयोग केवल शुद्ध ऊर्जा उत्पन्न करने की लिये करना। इस पत्थर का इतिहास रहा है कि जिसने भी गलत मनसा से इसका प्रयोग करना चाहा था, वो खुद को भी तबाह होने से नही बचा पाये।


रूही:– वैसे अब तक कितनो ने खुद को तबाह किया है?


चेन:– मेलोडी खाओ खुद जान जाओ..


पूरा अल्फा पैक एक साथ... "मतलब"


चेन:– मतलब मुझे दंश से चिपका दो। उसके मणि की रौशनी में तुम सब को पूरा दृश्य दिख जायेगा।


आर्यमणि हामी भरते हुये चेन को उठा लिया। आर्यमणि ने जैसे ही चेन को उठाया, तभी अलबेली हड़बड़ा कर आर्यमणि का हाथ पकड़ती.… "एक मिनिट बॉस, मुझे चेन से कुछ जानना है?"


चेन:– मैं मिलन के लिये जा रहा था बीच में ही रोक दिये... पूछिए यहां की सबसे समझदार लड़की जी...


अलबेली:– ओ भाई चेन, तुम जो वीडियो चलाने वाले हो उसमें फास्ट फॉरवर्ड या टाइम जंप का विकल्प होगा की नही? पता चला १०० साल जितनी लंबी वीडियो चला दिये हो...


चेन:– हां मुझे आपसे ऐसे ही समझदारी की उम्मीद थी। चिंता मत करो, पहले मिनट से तुम पूरा वीडियो समझ जाओगी और मैं ज्यादा वक्त न लेते हुये कम से कम समय लूंगा। बस मेरे बारे में जानने के बाद मेरा गलत इस्तमाल मत करना। जब मैं जिंदगी संजोता हूं तब मुझे लगता है कि मैं अपने पिताजी को श्रद्धांजलि दे रहा...


अलबेली:– तुम्हारे पिता....


चेन:– हां मुझे आवाज और दिमाग देने वाले मेरे पिता। साइंटिस्ट "वियोरे मलते" जिन्होंने मेरी रचना की। अभी उनसे सबको मिलवाता हूं...


आर्यमणि:– तो ये लो फिर हो गया चलो अब मिलवओ...


अपनी बात कहते आर्यमणि ने दंश और चेन का मिलन करवा दिया। पांचों कुछ दूर पीछे सोफा पर बैठकर ध्यान से दंश और चेन को देख रहे थे। पहला एक मिनिट कोई हलचल न हुआ। और दूसरे मिनट में ऐसा लगा जैसे दंश और चेन दोनो को मिर्गी आ गयी थी। पहले तो दोनो हवा में ऊंचा गये, उसके बाद तो जैसे दंश और चेन के बीच युद्ध छिड़ गया हो। दंश चेन को बाएं ओर खींचती तो कभी चेन दंश को दाएं ओर। दोनो के आपसी खींचातानी में कभी दंश चेन को लिये तेजी से बाएं चली जाती तो कभी चेन उसे दाएं खींच लेता। ऐसा लग रहा था दोनो पूरा घर में उठम पटका कर रहे हो।


जैसे किसी बेवा की मांग उजड़ती है ठीक वैसे ही दंश और चेन ने मिलकर लिविंग रूम का हाल कर दिया था। लिविंग रूम का हर समान टूटा और बिखड़ा पड़ा था, सिवाय उन सोफे के जिसपर वुल्फ पैक बैठे थे। तकरीबन 5 मिनिट के बाद दंश पर चेन पूरी तरह से लिपट चुकी थी और हवा में अल्फा पैक के नजरों के ठीक सामने थी। माहोल पूरा शांत और हर कोई विजुअल देखने को तैयार। चेन भी ज्यादा वक्त न लेते हुए कहानी को शुरू किया...


"बाय –बाय मूर्खों। मेरी आत्मा को मेरे शरीर से मिलाने का धन्यवाद। आर्यमणि तुम सही थे मैं ही जादूगर महान हूं जिसे तुमने उसकी छड़ी से मिला दिया।।"


तेज रौशनी के साथ इस कमरे में जादूगर महान की आवाज गूंजी और चेन लिपटा वह दंश बिजली की तेजी से ऊपर हवा में गया और कोट्टेज के छत को फाड़कर निकल गया। आर्यमणि गर्दन ऊंचा करके एक बार तो छत के उस छेद के देखा उसके बाद पूरे अल्फा पैक को घूरने लगा। और इधर चारो अपने मुंह पर हाथ रखे, छत पर हुये छेद को देखते.… "बीसी (BC) झूठ बोलने वाला भूत, हमारी काट कर भाग गया।"
Bhai Nain ye chain to Arya or uski gang ko promotion k naam pe job se hi out kr diyela bidu aaisa thodi na hota h mere ko lag rela h koi bada vaala jhol hoyenga man kyuki etna mahan jadoogar kisi ka aaisa chutiyapa nhi krega ya to Arya koi game khel rela h ya fir koi or h en sbko chomu bnane vala baaki es raj se parda to man tum hi uthayinga tbhi mja aayinga man jldi krne ka ab wait nhi hoping ab update hadtal pr jayenge hum readers log miya soch lo kya krne ka h
 

Anky@123

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Bhai.mast update the , ab to rishtedari bhi nikal aayi ,aarya ki hone wali mauseri saas se milna kerwa diya ....aur oshun hone wali sali ban gayi ,kher sabhi update me drama bahut jyada lag rha tha, matlab ye samaz lo Varun Dhawan ki judwa 2 ke jesa ,jo ki Muzay hazam na ho rha tha ,jese albeli ki chain se huyi batcheet ,aarya ka bat bat per sar pakadna ,albeli aur Ivan ki over acting... Lekin sabhi update apne aap me ek bada raz samete the jiska khulasa bhi sath sath hota chala gaya
 

Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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20221110-165208
मेलोडी खाओ खुद जान जाओ...
Melody for MyLady
 

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I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–101





यूं तो जवाब देने के लिये तीनो ही उत्सुक थे लेकिन ओजल दोनो के मुंह पर हाथ रखती.… "बॉस अलबेली जब पहली बार दहाड़ी तभी आप दोनो जंगल के लिये निकल चुके होंगे। क्योंकि हमारी फाइट शुरू होने के पहले ही आप दोनो पहुंच चुके थे और दूर से बैठकर फाइट का मजा ले रहे थे। वो सब छोड़ो.... वो बीती बात हो गयी। आपके हाथ में छड़ी को देखकर याद आया, वो जादूगर का दंश और पतली सी चेन कहां है। उनके दर्शन तो करवाओ?


आर्यमणि:– ये बात अभी क्यों?


ओजल:– अनंत कीर्ति की किताब खुल चुकी है और वह किताब भी उसी जगह थी जहां जादूगर का दंश और वह चेन रखा था। देखो तो उस दंश और चेन के बारे में किताब ने क्या मेहसूस किया था और दूसरों के पास की कितनी जानकारी है?.


आर्यमणि:– हम्मम!!! ये सही सोचा है तुमने... जरा देखे तो उन दोनो वस्तु के बारे में किताब का क्या कहना है।


अनंत कीर्ति की पुस्तक को लेकर सभी जंगल में घुसे। कॉटेज से कुछ दूर चलने के बाद आर्यमणि रुक गया और किताब खोला। किताब खोलते ही उसमे लिखे हुये पन्ने दिखने लगे। ओजल पन्ने पर लिखे शब्द को हैरानी से पढ़ती... "बॉस ये किताब तो कमाल की है। लेकिन इसमें केवल चेन के बारे में क्यों लिखा है?"


आर्यमणि:– क्योंकि मैं चेन के बारे में सोच रहा था।


तकरीबन 20 पन्ने की संक्षिप्त जानकारी थी। 2 फिट लंबे इस चेन में प्रिज्म आकर के 18 चमकीले काले पत्थर लगे हुये थे। सभी पत्थर रंग, रूप, आकार और वजन में एक समान ही थे जिसकी लंबाई 1 इंच थी। इस पत्थर के इतिहास से लेकर भूगोल की लगभग जानकारी थी। इसका उद्गम स्थान हिंद महासागर के मध्य, किसी स्थान को बताया जा रहा था। यह चेन सतयुग के भी पूर्व तीन विलुप्त सभ्यता में से एक सभ्यता की थी। जिस स्थान पर यह चेन बनी थी, उसकी तत्कालिक भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर के मध्य में कहीं थी।


विज्ञान की एक उत्कृष्ट रचना। सभी 18 पत्थर को तराशकर उसके दोनो किनारे इतनी बारीकी से छेद किया गया था कि उन पत्थर में किसी प्रकार का निशान नहीं पड़े थे। ऐसा लग रहा था दोनो किनारों का छेद जैसे पत्थर में प्राकृतिक रूप से पहले से मौजूद थे। दो पत्थर को मेटल के पतले वायर जोड़ा गया था और क्या इंजीनियरिंग का मिशाल पेश किया था। मेटल पर कहीं भी जोड़ के निशान नही थे। शायद 2 पत्थरों के बीच में किसी प्रकार का कंडक्टर वायर लगा हुआ था।


सभी 18 पत्थर मिलकर एक एनर्जी पावर हाउस बनाते थे, जिनसे एक पूरे देश में देने लायक बिजली पैदा की जा सकती थी। इसका प्रयोग शहर को रौशन करने से लेकर उन्हें तबाह तक करने लिये किया जा सकता था। चेन को किसी मंत्र से बांधा गया था, जिसे आर्यमणि खोल तो सकता था, लेकिन अभी पांचों गहरी सोच में डूबे थे। नीचे जमीन पर चेन को सीधा फैला दिया गया और पांचों झुक कर उसे देख रहे थे।….


आर्यमणि:– क्या करना चाहिए?


रूही:– मैं क्या सोच रही थी, इस बवाल चीज को जमीन में ही दफन कर देते है। पांच बार इस चेन के दोनो सिरों को जोड़ा गया और पांचों बार पूरा भू–भाग ही विलुप्त हो गया।


अलबेली सोचने की मुद्रा में आती, एक लंबा सा "हूंनननननन" करती.… "सोचने वाली बात ये है कि ये फेकू किताब बढ़ा–चढ़ा कर बोल रहा है। जब 5 बार पूरा एक देश जितना भाग विलुप्त हो गया तब क्या ये किताब इस चेन के पड़ोस में बैठकर चने खा रहा था।"


इवान:– हां जानू की बात में गहराई है। जब ये चेन उस युग की है जिस युग के बारे में लोग कल्पना में भी नही सोचते, फिर उस युग के वस्तु के बारे में इस किताब को कैसे पता?"


ओजल:– बॉस चेन को घूरने से वो अपने बारे में डिटेल थोड़े ना बतायेगा। इसका क्या करना है वो बताओ?


"नही.. मैं अपने बारे में बता नही सकता लेकिन एक रास्ता है जिस से सब कुछ दिखा सकता हूं।"….. वोहह्ह्ह्ह्ह एक चेन से निकली आवाज और पूरा अल्फा पैक चौंककर आवक रह गये। अलबेली, ओजल और इवान, तीनो डर के मारे भूत, भूत करके चिल्लाने लगे। आर्यमणि और रूही की आंखें फटकर बाहर आने को बेकरार हो गयी। भूत के नाम से तो रूही की भी फटी थी और थोड़ा डरा तो आर्यमणि भी था। बस दोनो दिखा ना रहे थे। चेन जमीन पर जैसे तरह–तरह के आकार बनाकर खुद को एक्सप्रेस करने की कोशिश कर रहा हो... "अरे डरो मत.. चिल्लाना बंद करो... डरो मत... मत डरो"…


चेन जितना ज्यादा बोलती उतना ही तेज–तेज तीनो टीन वुल्फ चिल्लाते। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ और सभी वुल्फ शांत होकर आर्यमणि के पीछे दुबक गये। आर्यमणि हैरानी से उस चेन को देखते... "तू.. तू.. तुम उनमें से किसी एक की आत्मा बोल रहे हो, जिसने इस चेन का प्रयोग करना चाहा।"…


चेन:– भाई मैं पत्थर के अंदर लगा एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बोल रहा हूं। मैं सही आदमी से संपर्क कर सकता हूं। और बच्चे तुम (आर्यमणि) मुझे सही आदमी लगे।


आर्यमणि, थोड़ा खुश होते... "हां तो तुम कुछ दिखाने की बात कर रहे थे।"


चेन:– तुम्हारे पास जादूगर महान का दंश है। उसे मेरे ऊपर रख दो। वह जादुई दंश किसी टीवी की तरह काम करेगा। मैं कैसे काम करता हूं और अब तक जो भी मैंने कैप्चर किया है, उसका विजुअल तुम सब देख सकते हो।


रूही, उस बोलते चेन को घूरती.… "तुम्हे जादूगर की दंश ही क्यों चाहिए। एआई (AI) हो तो किसी भी टीवी से कनेक्ट हो जाओ.... आर्य ये चेन मुझे झोलर लग रहा है। जो बात इसने हमसे कही है, वह बात ये सुकेश से भी तो कर सकता था।"


चेन:– अच्छे लोग और बुरे लोग का प्रोटोकॉल समझती हो की नही.…


अलबेली:– बॉस मुझे तो ये अब भी भूत लग रहा है। जब लोगों की जान फसी तो ऐसे ही अच्छे लोग, बुरे लोग की बात करता है।


आर्यमणि:– सोचो हम एक ऐसे युग के दृश्य देखने जा रहे है, जिसके बारे में आज तक कभी किसी ने सुना ही नहीं। हम इतिहास को एक्सप्लोर करने जा रहे हैं।


ओजल:– कहीं ये हमे एक्सोलोड न कर दे...


चेन:– पागल हो क्या, मैं जब मंत्र के कैद में हूं तब एक्सप्लॉड करना तो दूर की बात है, मैं इतना एनर्जी भी उत्पन्न नही कर सकता, जिस से किसी पेड़ का पोषण कर सकूं। आर्यमणि जिस दिन तुमने मुझे यहां दफनाया था मैंने यहां के कई पेड़ों को कुपोषित और क्षतिग्रस्त पाया। अंदर से आंसू आ गये। मुझमें इतना समर्थ नहीं था कि मैं ऊर्जा से उन्हे पोषण दे सकूं या फिर उनके अंदरूनी क्षति को ठीक कर सकूं...


आर्यमणि:– क्या वाकई में.. तुम पेड़ को हील कर सकते हो और उन्हे पोषण भी दे सकते हो...


अलबेली:– बॉस ये आपकी रुचि में अपनी रूचि दिखाकर आपको झांसे में ले रहा है।


रूही:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। मुझे तो ये समझ में नहीं आ रहा की एक आत्मा से हम बात ही क्यों कर रहे। ये कोई एआई (AI) नही बल्कि कोई चालक आत्मा है। जरूर ये जादूगर की दंश से कोई माया करेगा।


चेन:– आत्मा मंत्र से बंधे एक चेन में से कैसे बात कर सकती है डफर। मुझे अब किसी से बात ही नही करनी। दफना दो मुझे...


इवान:– बॉस अब तो इसने खुद को दफनाने भी कह दिया। दफना डालो अभी...


चेन जैसे अपना सर पीट रहा हो.… "अरे कमबख्तों मुझे भी कहां तुमसे बात करने की सूझी। ओ जाहिल मैं गुस्सा दिखा रहा था।"


इतना सुनना था कि अलबेली पिल गयी। चेन के एक सिरे को पाऊं से दबोची और दूसरा सिरा हाथ में लेकर खींचती हुई.… “तेरी इतनी हिम्मत हमसे गुस्सा करे। साले बोलने वाले चेन आज तुझे उखाड़ ही दूंगी"…


इवान और ओजल दोनो अलबेली को पकड़कर उसे चेन से दूर करते.… "बस कर तू उस बोलते वस्तु से कैसे उलझ गयी।"


अलबेली:– छोड़ मुझे... साले तेरे 18 टुकड़ों को जोड़ने वाले ये पतले मेटल है मजबूर टूटा ही नही, वरना आज तेरे 18 टुकड़े कर देती बोलते चेन...


आर्यमणि:– मुझे कुछ समझ में न आ रहा क्या करूं? तुम सब मिलकर इस चेन का फैसला कर दो।


रूही, अलबेली, इवान और ओजल सभी आर्यमणि को देखने लगे। लगभग सभी एक साथ आगे और पीछे … "बॉस हमसे न होगा।"…


चेन:– मुझे दफना ही दो। किसी दूसरे समझदार और सही आदमी का इंतजार रहेगा।


काफी मंथन और थोड़ा वक्त लेने के बाद यह फैसला हुआ की चेन को वापस से जमीन में दफन करने के बाद जादूगर महान की दंश निकाला जायेगा। फिर बाद में देखते है की चेन क्या करना है। सबकी सहमति होते ही जादूगर महान की दंश को जमीन से निकाला गया। काफी अनोखा रत्न जरित यह दंश था, जो किसी वक्त के एक महान जादूगर, "जादूगर महान" की दंश थी।


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जादूगर महान की दंश किताब से कुछ दूरी पर था और जब किताब खोला गया तब उसमे दंश के बारे में लिखा भी था.… "एक शक्तिशाली दंश जो केवल अपनी मालिक की सुनती है। ऊपरी सिरे पर नाग मणि जरा हुआ है। नागमणि की उत्पत्ति सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी (सूर्य ग्रहण) के मिलन पर हुआ था। वहीं इसके नीचे की लकड़ी 5000 साल पुराने एक वट वृक्ष से लिया गया है। वट वृक्ष की जिस सखा पर बिजली गिड़ी थी, उसी शाखा के बीच की लकड़ी को उपयोग में लिया गया था।


दंश के बारे में लिखे मात्र एक पैराग्राफ को सभी ने एक साथ पढ़ा। पढ़ने के बाद फिर से सभी चिंतन में। अलबेली गुस्से में अपने हाथ–पाऊं पटकती... "ये किताब है या कन्फ्यूजिंग मशीन। जो जादूगर इस किताब की रचना के बाद आया, उसकी छड़ी के बारे केवल एक पैराग्राफ और जिस युग का नाम न सुना, उस वक्त की वस्तु के बारे मे कई पन्ने। फर्जी किताब है ये।"


आर्यमणि:– हमेशा गलत निष्कर्ष। दंश के बारे में किताब ने अपना केवल नजरिया दिया है। उसने जो अभी मेहसूस किया उसे दिखा दिया। यदि दंश लिये उसका मालिक जादूगर महान खड़ा होता तब यह किताब जादूगर महान के पूरे सोच को यहां लिख देती।


ओजल:– लेकिन जादूगर महान के बारे में भी तो कुछ नही लिखा।


आर्यमणि:– अब ये तो किताब से पूछना होगा की क्यों जादूगर महान के बारे में एक भी डेटा नही? बाकी यह दंश केवल शक्तिशाली है। इसका अर्थ है, इस दंश के सहारे बड़े से बड़ा जादू किया जा सकता है। लेकिन हर जादूगर इस दंश से छोटा सा जादू भी नहीं कर सकता क्योंकि इसका मालिक केवल एक ही था जादूगर महान और यह दंश उसी की केवल सुनती है।


रूही:– तो फिर वो पत्थर का भूत इस दंश से क्यों चिपकना चाहता है।


इवान:– हो सकता है इस दंश के ऊपर लगा मणि से सच में वह उस युग के विजुअल दिखा सके।


आर्यमणि:– नही ऐसा नहीं है। किताब के अनुसार इस दंश का कोई एक मालिक हो सकता है और वह चेन इस दंश से चिपकना चाहता है, इसका मतलब साफ है कि उस पत्थर में जादूगर महान का ही भूत है।


रूही:– कुछ भी बॉस... और क्या करेगा बिजली का इतना तेज झटका देगा की पूरे भू –भाग के साथ अपने दंश को भी नष्ट कर देगा। कुछ भी कहते हो बॉस...

इवान:– बॉस आप न ज्यादा सोचने लगे हो। जादूगर महान की आत्मा जैसे तात्या (फिल्म झपटेलाला का एक किरदार) की आत्मा हो, जो मरते वक्त पास पड़े उस रेयर आइटम में समा गयी। उसे घुसना भी पड़ता तो किसी इंसान में ही घुसता न ताकि अपने दंश को उठाने के लिये उसे किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़ता...


अलबेली:– क्या है बॉस.. मानकी बोलते चेन को देखकर हम सब थोड़े डर गये थे, लेकिन इसका ये मतलब थोड़े ना की कोई भी लॉजिक घुसेड़ दो।


आर्यमणि:– तो तुम सब क्या चाहते हो?


चारो एक साथ.… "हम उस युग को देखना चाहेंगे जो आज हिंद महासागर की गहराइयों में विलुप्त हो गया है। देखे तो उस जमाने में ये दुनिया कितना एडवांस्ड थी।"


आर्यमणि:– जैसा तुम्हारी मर्जी... चलो फिर सब साथ में देखते है।


आर्यमणि ने चेन और किताब पकड़ा। जादूगर महान की दंश बारी–बारी से सभी हाथ में लेकर पागलों की तरह फिल्मों में बोले जाने वाले हर जादुई मंत्र को बोल रहे थे और छड़ी को सामने कर देते... जादू करने की कोशिश तो हो रही थी किंतु सब नाकाम।


सभी लिविंग रूम में आराम से बैठे। एक मेज पर जादूगर के दंश और चेन को रखा गया। आर्यमणि चेन को ध्यान से देखते.… "क्यों भाई मिलन करवा दे।"..



चेन:– खुद को पूर्ण करने के लिये न जाने कैसे पागल बना हूं। बॉस लेकिन एक बात, मेरी ऊर्जा का प्रयोग कैसे करते है इस बात की जानकारी लेने के बाद मेरा प्रयोग केवल शुद्ध ऊर्जा उत्पन्न करने की लिये करना। इस पत्थर का इतिहास रहा है कि जिसने भी गलत मनसा से इसका प्रयोग करना चाहा था, वो खुद को भी तबाह होने से नही बचा पाये।


रूही:– वैसे अब तक कितनो ने खुद को तबाह किया है?


चेन:– मेलोडी खाओ खुद जान जाओ..


पूरा अल्फा पैक एक साथ... "मतलब"


चेन:– मतलब मुझे दंश से चिपका दो। उसके मणि की रौशनी में तुम सब को पूरा दृश्य दिख जायेगा।


आर्यमणि हामी भरते हुये चेन को उठा लिया। आर्यमणि ने जैसे ही चेन को उठाया, तभी अलबेली हड़बड़ा कर आर्यमणि का हाथ पकड़ती.… "एक मिनिट बॉस, मुझे चेन से कुछ जानना है?"


चेन:– मैं मिलन के लिये जा रहा था बीच में ही रोक दिये... पूछिए यहां की सबसे समझदार लड़की जी...


अलबेली:– ओ भाई चेन, तुम जो वीडियो चलाने वाले हो उसमें फास्ट फॉरवर्ड या टाइम जंप का विकल्प होगा की नही? पता चला १०० साल जितनी लंबी वीडियो चला दिये हो...


चेन:– हां मुझे आपसे ऐसे ही समझदारी की उम्मीद थी। चिंता मत करो, पहले मिनट से तुम पूरा वीडियो समझ जाओगी और मैं ज्यादा वक्त न लेते हुये कम से कम समय लूंगा। बस मेरे बारे में जानने के बाद मेरा गलत इस्तमाल मत करना। जब मैं जिंदगी संजोता हूं तब मुझे लगता है कि मैं अपने पिताजी को श्रद्धांजलि दे रहा...


अलबेली:– तुम्हारे पिता....


चेन:– हां मुझे आवाज और दिमाग देने वाले मेरे पिता। साइंटिस्ट "वियोरे मलते" जिन्होंने मेरी रचना की। अभी उनसे सबको मिलवाता हूं...


आर्यमणि:– तो ये लो फिर हो गया चलो अब मिलवओ...


अपनी बात कहते आर्यमणि ने दंश और चेन का मिलन करवा दिया। पांचों कुछ दूर पीछे सोफा पर बैठकर ध्यान से दंश और चेन को देख रहे थे। पहला एक मिनिट कोई हलचल न हुआ। और दूसरे मिनट में ऐसा लगा जैसे दंश और चेन दोनो को मिर्गी आ गयी थी। पहले तो दोनो हवा में ऊंचा गये, उसके बाद तो जैसे दंश और चेन के बीच युद्ध छिड़ गया हो। दंश चेन को बाएं ओर खींचती तो कभी चेन दंश को दाएं ओर। दोनो के आपसी खींचातानी में कभी दंश चेन को लिये तेजी से बाएं चली जाती तो कभी चेन उसे दाएं खींच लेता। ऐसा लग रहा था दोनो पूरा घर में उठम पटका कर रहे हो।


जैसे किसी बेवा की मांग उजड़ती है ठीक वैसे ही दंश और चेन ने मिलकर लिविंग रूम का हाल कर दिया था। लिविंग रूम का हर समान टूटा और बिखड़ा पड़ा था, सिवाय उन सोफे के जिसपर वुल्फ पैक बैठे थे। तकरीबन 5 मिनिट के बाद दंश पर चेन पूरी तरह से लिपट चुकी थी और हवा में अल्फा पैक के नजरों के ठीक सामने थी। माहोल पूरा शांत और हर कोई विजुअल देखने को तैयार। चेन भी ज्यादा वक्त न लेते हुए कहानी को शुरू किया...


"बाय –बाय मूर्खों। मेरी आत्मा को मेरे शरीर से मिलाने का धन्यवाद। आर्यमणि तुम सही थे मैं ही जादूगर महान हूं जिसे तुमने उसकी छड़ी से मिला दिया।।"


तेज रौशनी के साथ इस कमरे में जादूगर महान की आवाज गूंजी और चेन लिपटा वह दंश बिजली की तेजी से ऊपर हवा में गया और कोट्टेज के छत को फाड़कर निकल गया। आर्यमणि गर्दन ऊंचा करके एक बार तो छत के उस छेद के देखा उसके बाद पूरे अल्फा पैक को घूरने लगा। और इधर चारो अपने मुंह पर हाथ रखे, छत पर हुये छेद को देखते.… "बीसी (BC) झूठ बोलने वाला भूत, हमारी काट कर भाग गया।"
Awesome updates🎉👍
 
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