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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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भाग:–100





अलबेली चिल्लाती हुई.… "हां भाई विपक्षी, लड़ने के लिये कोई बचा है क्या?"..


उस पैक के 8 अल्फा 35–36 बीटा सभी जमीन पर घायल अवस्था में फैले कर्राह रहे थे। किसी में बोलने तक की हिम्मत नही थी, हमला करने की सोचना तो दूर की बात थी। तभी फिजाओं में एक खौफनाक दहाड़ गूंजने लगी। तीनो ने पहले एक दूसरे को देखा फिर जब सामने नजर गयी तब कुछ मीटर की दूरी पर 6 फिट ऊंची 4 पाऊं पर खड़ी हीरे सी मजबूत चमरी वाली एक फर्स्ट अल्फा दहाड़ रही थी।


उसके दहाड़ने के साथ ही नीचे फैले घायल वुल्फ वियोग की दहाड़ निकालते, अपने फर्स्ट अल्फा से खुद पर हुये हमले का प्रतिशोध लेने कह रहे थे। आंखों में अंगार उतारे वह फर्स्ट अल्फा दौड़ लगा दी। इधर फर्स्ट अल्फा ने दौड़ लगाया और ऊधर तीनो टीन वुल्फ कतार लगाकर नीचे बैठ गये और क्ला को जमीन में घुसा दिया। पूरे जमीन से सरसराने की आवाज आने लगी। वह फर्स्ट अल्फा दौड़ती हुई जमीन के उस कंपन को मेहसूस की और समझ चुकी थी आगे क्या होगा।


जबतक जमीन के जड़ों की रेशे उसके पाऊं में लगते तब तक वह फर्स्ट अल्फा एक लंबी और ऊंची छलांग लगा चुकी थी। तीनो टीन वुल्फ ने ध्यान बस उड़ते हुये फर्स्ट अल्फा पर लगाया। तीनो जमीन के अंदर क्ला को घुसाकर बड़े ध्यान से उस फर्स्ट अल्फा को ऊंचाई से नीचे आते देख रहे थे। फर्स्ट अल्फा अपने पंजे फैलाए इतनी नजदीक पहुंच चुकी थी कि गर्दन पर अपने पंजे एक वार से सर को धर से अलग कर डाले। तीनो ही अंत तक बस एक टक लगाये उस फर्स्ट अल्फा को ही देखते रहे। ना तो हमले के परिणाम की परवाह थी और न ही उस फर्स्ट अल्फा का डर।


तभी जड़ों की रेशों ने इतनी ऊंचाई ली की पंजा जब इवान की गर्दन से कुछ फिट की दूरी पर था, फर्स्ट अल्फा हवा में ही जकड़ी जा चुकी थी। जड़ों की रेशें लहराते हुये हवा में लगभग 10 फिट ऊंचा गये और फर्स्ट अल्फा को पूरा पैक करके जमीन पर ले आये। फर्स्ट अल्फा ने दिमाग लगाया और वह तुरंत अपना शेप शिफ्ट करके रेशों के बीच से निकलने की कोशिश करने लगी। लेकिन बेचारी को पता नही था कि जड़ों के रेशे भी अपना शेप शिफ्ट करके पूरा शिकुड़ चुकी थी।


ओजल उस फर्स्ट अल्फा के कंधे पर अपना एसिड वाला पंजा टिकाती.… "हमे तुम्हारी ताकत पता है लेकिन तुम्हे ये नही पता की हमे सिवाय हमारे बॉस के कोई कंट्रोल नही कर सकता। और इस भ्रम में मत रहना की तुम्हारी चमड़ी को हम भेद नहीं सकते।"…


फर्स्ट अल्फा:– बच्चे तुमने हमारे इलाके में आकर गलत पंगे लिया है। हां लेकिन इतनी जुर्रत किसके वजह से है वो मुझे पता है। चलो अब हमें इन जड़ों से आजाद करो वरना मैं भूल जाऊंगी की तुम फेहरीन के बच्चे हो।


अलबेली:– मैं न हूं महान अल्फा हीलर फेहरीन की बेटी। मैं तो बस अपनी मां की बेटी हूं।


इवान:– मेरी मां को तो सब जानते थे। इसका ये मतलब नही की हम तुम्हे छोड़ दे।


अभी ओजल भी अपना डायलॉग चिपकाने ही वाली थी, लेकिन उस से पहले ही जमीन से बाहर निकली जड़ें वापस जमीन में घुस गयी। आर्यमणि की नियात्रित लेकिन सभी वुल्फ को सहमा देने वाली आवाज चारो ओर गूंजने लगी। आर्यमणि की आवाज ने जानवर नियंत्रण की वह क्षमता को हासिल किया था कि विपक्षी पैक की मुखिया फर्स्ट अल्फा तक अपना सर झुकाकर घुटनों पर आ चुकी थी और उसके दिमाग में बस भय चल रहा था।


ओशुन को दो दुनिया के बीच से छुड़ाने के क्रम में जब आर्यमणि ने अपने 4 गुणा भय को हराया तभी उसने अपने अंदर ऐसी क्षमता को विकसित कर चुका था जिस से समस्त ब्रह्माण्ड के दिमागी नियंत्रण तकनीक आर्यमणि के आगे घुटने टेक दे। क्योंकि जिस जगह आर्यमणि की आत्मा फसी थी, वहां केवल दिमाग की ही परीक्षा होती है और आर्यमणि उस जगह पर अपने मानसिक शक्ति का प्रदर्शन कर चुका था।


शायद आर्यमणि ही वो पहला और एकमात्र आत्मा थी जिसने भय का वो मंजर पार कर किसी को दो दुनिया के बीच से छुड़ाया था। वरना दो दुनिया के बीच की जो भी चाभी बने, उसकी आत्मा को विपरीत दुनिया वालों ने सालों तक टुकड़ों में खाया था। शायद २ दुनिया के बीच दरवाजा खोलने की कीमत वही होती हो।


बहरहाल लड़ाई के मैदान में क्षेत्र को लेकर जो वर्चस्व की लड़ाई थी, उसे आर्यमणि की एक दहाड़ ने पूर्ण विराम लगा दिया था। विपक्ष पैक की फर्स्ट अल्फा घुटनों पर थी और आर्यमणि तीनो टीन वुल्फ को घूर रहा था।


इवान:– बॉस इनके साथी लूकस ने पहले झगड़ा शुरू किया। हम तो बस जवाबी प्रतिक्रिया दे रहे थे।


इवान की बात का ओजल और अलबेली ने भी समर्थन की और दोनो ही लूकस से अपना बदला चाहती थी। रूही उन तीनो को शांत करवाती, आर्यमणि के पास आकर खड़ी हुई। इससे पहले की आर्यमणि या रूही प्रतिद्वंदी वुल्फ पैक से कोई सवाल पूछते, एक ओर से बॉब और ओशुन चले आ रहे थे।


यूं तो आर्यमणि अब पूरा रूही का ही था, लेकिन न जाने क्यों ओशुन को देखकर रूही कुछ असहज महसूस कर रही थी। आर्यमणि, रूही के चेहरे पर आई भावना को पढ़कर मुस्कुराने लगा। रूही का हाथ थामकर आर्यमणि रूही से नजरें मिलाते….. "इतना इनसिक्योर ना फील करो। अभी चल क्या रहा है उसपर ध्यान दो"…


रूही फुसफुसाती सी आवाज में.… "वो इतनी हॉट और परफेक्ट दिख रही। तुम्हे उससे प्यार भी था। इनसिक्योर होना तो लाजमी है जान"…


आर्यमणि:– तुम खुद को इतना कम क्यों आंक रही। जो कातिलाना और दिलकश लुक तुम्हारा है, वो इस संसार में किसी स्त्री की नही हो सकती।


रूही:– क्यों झूठ बोल रहे आर्य। तुम्हारी भावना बस मुझसे जुड़ी हैं। हम ब्लड पैक में है इसलिए तुम मुझे महसूस कर सकते हो। जैसे मै तुम्हे महसूस कर सकती हूं, कि तुम्हे मुझसे प्यार नही, बस मेरी चाहत को तुमने मेहसूस किया है।


आर्यमणि:– जब मेरी भावना तुमसे जुड़ चुकी है। जब मैं तुम्हारे उदासीनता को मृत्यु समान निद्रा में भी मेहसूस कर सकता हूं। जब ओशुन को मैक्सिको में मरने की हालत में देखा तो दिल वियोग में चला गया था। लेकिन जब मेरी आत्मा २ दुनिया के बीच फसी थी और ख्याल तुम सबके मरने का आया, फिर वहां मेरे अंदर क्या चल रहा था वो मैं बता नही सकता। किंतु वो ख्याल ही इतना भयावाह था कि आज भी रात को नींद नहीं आती। तुम्हे प्यार मेहसूस हो की नही लेकिन भावना तुमसे ऐसी जुड़ी है कि तुम्हारे साथ ही बस जीने की इच्छा है।


"तुम दोनो के बीच क्या खुसुर फुसुर चल रही है?"…. बॉब उनके करीब आते पूछा...


रूही:– कुछ नही बस पारिवारिक डिस्कशन। तुम कहो बॉब यहां कैसे आना हुआ।


ओशुन:– शायद तुमलोग हमारे पैक को चैलेंज कर गये। अब अल्फा पैक से पंगे कौन ले, इसलिए बॉब को बीच में सामिल करना पड़ा।


रूही:– तो बॉब तुम्हारे साथ काम कर रहा था..


बॉब:– नही मैं एक महान अल्फा हीलर नेरमिन के साथ काम कर रहा था, जो की दुनिया की सर्वश्रेष्ठ अल्फा हीलर फेहरिन की बहन है। वैसे ओशुन भी उसी नेरमिन की बेटी है।


आर्यमणि गहरी शवांस लेते मुस्कुराया.… "बॉब इतनी बड़ी सच्चाई गोल कर गये। ये दुनिया भी कितनी छोटी है बॉब...


आर्यमणि अपनी बात समाप्त करके सभी वुल्फ पर से अपना नियंत्रण हटाया। आर्यमणि और रूही की नजरों के बीच कुछ इशारे हुये और दोनो ने अपने क्ला भूमि में डाल दिया। एक बार फिर रेशों की जकड़ में सभी वुल्फ थे। लेकिन केवल वह वोल्फ जो घायल थे। बाकी सभी अद्भुत परिकल्पना वाले दृश्य को अपनी आंखों से होते देख रहे थे। आर्यमणि और रूही के हाथ जमीन में थे और नब्जो में टॉक्सिक समा रहा था। देखते ही देखते घायल वुल्फ हील होने लगे। जो भी वुल्फ पूरा हील हो जाते वह श्वतः ही जड़ों की रेशों से मुक्त हो जाते। अदभुत और अकल्पनीय कार्य जो आर्यमणि और रूही कर चुके थे।


विपक्षी फर्स्ट अल्फा नेरमिन के साथ उसका पूरा पैक कतार लगाकर अपने घुटनों पर था। सभी ने आर्यमणि और रूही के सम्मान में अपना सर झुका लिये। फेहरीन, आर्यमणि और रूही के समीप पहुंचकर उन्हें एक बार स्पर्श करती.…..


"पहली बार तुमसे मिलना हो रहा है, लेकिन तुम्हारे बारे में ओशुन से बहुत कुछ सुन रखा था। आज देख भी ली। तुम वाकई में अलग हो आर्यमणि।"


नेरमिन अपनी बात कहकर आगे बढ़ गयी। एक नजर रूही, ओजल और इवान के चेहरे पर देखकर, एक–एक करके तीनो के चेहरे पर हाथ फेरती.… "तुम तीनो में मेरी बहन फेहरीन की झलक नजर आती है। और मानना पड़ेगा आर्यमणि, जैसा की मेरी बहन कहा करती थी, हम प्रकृति की सेवा करे तो प्रकृति भी हमे खुद से जोड़ लेती थी। तुम्हारे पैक को देखकर आज फेहरीन खुश हो जाती।"


आर्यमणि:– नेरमिन बात आगे बढ़ाने से पहले मैं एक बात सुनिश्चित कर लूं, क्या हमारा पैक यहां शांति से रह सकता है, या फिर पूरा बर्कले, कैलिफोर्निया को ही अपने पैक का क्षेत्र मान रखी हो?


नेरमिन:– क्षेत्र को लेकर हम वुल्फ की अपनी ही कहानी होती है। मैं क्या कोई भी वुल्फ पैक अपने क्षेत्र में घुसपैठ नही बर्दास्त करेगा। लेकिन चूंकि तुम हम में से एक हो इसलिए तुमपर सीमा प्रतिबंध नही लागू होगा।


आर्यमणि:– तुम्हारी बातों से क्षेत्र के ऊपर एकाधिकार की बु आती है। उमान परिवार की एक वुल्फ अपने शादी के बाद गुयाना में बस गयी। वह गुयाना में बसने के बाद अमेजन के जंगल की सेवा में जुटी रही और हर वेयरवोल्फ का वो स्वागत किया करती थी। उसी फेहरीन की तुम बहन हो न...


फेहरीन:– हर किसी का स्वभाव एक जैसा नही होता और न ही मुझे उसकी तरह अच्छी वोल्फ का तमगा लेकर घूमना है। मैं, मैं हूं और जो हूं मैं अपने दम पर हूं।


आर्यमणि:– मैं भी मैं ही हूं लेकिन जो भी हूं वो कुछ अच्छे लोगों की वजह से हूं। तुम पहले ही अपना क्षेत्र हार चुकी हो। अब...


दोनो के बीच में ओशुन आती.… "हमने अपने ही जैसे एक वुल्फ ईडेन का कहर देखा था। मेरी मां जब यहां भागकर आयी थी तब यहां पहले से बसे वुल्फ का कहर देखा था। हर कोई तुम्हारी तरह नही होता आर्यमणि इसलिए यह सोचना बंद करो की अच्छा वुल्फ यहां होता तो हम उनका क्या करते? दूसरे के क्षेत्र में घुसे वुल्फ तभी तक अच्छे होते है, जब तक उनके पास ताकत नहीं आ जाति। खैर, तुम पर तो वुल्फ के नियम भी लागू नहीं होते क्योंकि तुम इंसानों की बस्ती में रहते हो और उन्ही की तरह जीते हो। अब क्या माहौल सामान्य हुआ या अब भी कुछ कहना है?"


रूही:– नही हो गया... अब हमें कुछ नही कहना...


नेरमिन पूरे मुद्दे को ही बदलती.… आर्यमणि, मैने सुना है तुम रूही से शादी करने वाले हो?


पूरा अल्फा पैक एक साथ.… "हां सही सुना है।"


नेरमिन:– तब तो रूही की शादी उमान परिवार के रीति–रिवाज और उसकी जमीन पर होनी चाहिए। वैसे भी फेहरीन का गम हम सबको है। ऐसे में उसकी बेटी की शादी हम सबके लिये खुशी का एक मौका लेकर आयेगी। इसी बहाने रूही और दोनो जुड़वा अपने परिवार से भी मिल लेंगे...


आर्यमणि:– प्रस्ताव अच्छा है। मुझे पसंद आया..


रूही, ओजल और इवान तीनो एक साथ.… "लेकिन बॉस"…


आर्यमणि:– जो मैंने कहा वही फाइनल है। फेहरीन शादी की तारीख तय होते ही हम सूचित कर देंगे, अब हम चलते है। अरे हां इन सब बातों में उस लड़के से तो मिलना रह ही गया... वो लूकस कहां है?


पीछे खड़ा लूकस उनके सामने आते.… "मुझसे गलती हो गयी। मुझे माफ कर दो सर....


आर्यमणि लूकस के गाल को थपथपाते.… "बेटे जाकर पहले ठीक से गुंडई की ट्रेनिंग ले लेना। क्योंकि हर तुच्चे गुंडे के पता होता है कि उसका बाप कौन है। और बाप से पंगे नही लिये जाते।


आर्यमणि अपनी बात कहा और वहां से अपने पैक को लेकर चलते बना। सभी घर पहुंचे और आर्यमणि ने तीनो को कतार में खड़ा कर दिया। हाथ में पतली सी छड़ी और तीनो के हाथ बिलकुल सामने। आर्यमणि तीनो के हाथ पर बारी–बारी से छड़ी मारते...… "तुम तीनो की इतनी हिम्मत जो फर्स्ट अल्फा के पैक से अकेले भिड़ गये।"…


यूं तो जवाब देने के लिये तीनो ही उत्सुक थे लेकिन ओजल दोनो के मुंह पर हाथ रखती.… "बॉस अलबेली जब पहली बार दहाड़ी तभी आप दोनो जंगल के लिये निकल चुके होंगे। क्योंकि हमारी फाइट शुरू होने के पहले ही आप दोनो पहुंच चुके थे और दूर से बैठकर फाइट का मजा ले रहे थे। वो सब छोड़ो.... वो बीती बात हो गयी। आपके हाथ में छड़ी को देखकर याद आया, वो जादूगर का दंश और पतली सी चेन कहां है। उनके दर्शन तो करवाओ?
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मजा आ गया तीन बच्चों ने तीगड़ी का नाच नचा दिया फर्स्ट अल्फा आठ अल्फा ओर 35 बिटा वुल्फ को
वाव शानदार फाइट टीनेज की

एक फर्स्ट अल्फा वुल्फ की तों हालत हीं खराब कर दी तीनों ने हवा में 10फिट उपर हीं जड़ों के रेशे में कैद कर लिया 😄😄

आर्य की दूसरों को नियंत्रित करने की क्षमता में भव्य बढ़ोतरी हुई हैं भाई
दों दुनिया के बीच में अपने हीं डर पर काबू पाना ओर ओशुन को वापस लाना एक करिश्मा है और उसका फायदा आर्य को भी हूआ उसकी दूसरों को नियंत्रित करने की शक्ति असीम हों गई
मजा आ गया यह जानकर

वहीं ओशुन अपने पैक को बचाने के लिए बोब को ले आई
इसमें पहली बात उसे पता कैसे चला कि आर्य का पैक हमला करने वाला
दूसरी हमला होने के बाद वो बोब के पास कैसे पहुंची क्यूंकि उसे जंग में होना चाहिए था
क्या उसे पहले से पता था
या ओशुन ने आर्य के पैक पर नजर रखी थीं
ऐसा हैं तो आर्य के पैक को पता क्यूं नहीं चला भाई

वैसे भी ओशुन चाहतीं तो जंग होती हीं नहीं
ओशुन फेहरिन की बहन नेरमिन की लड़की हैं

आर्य ने अच्छा सुनाया नेरमिन को भाई
आर्य रुही का अपने विपक्षी को हिल करना बहुत अच्छा लगा भाई उससे भी ज्यादा अच्छा लगा विपक्षी की गांड फटना की बिना हाथ लगाए दो बंदों जड़ों के रेशे से हिल कर दिया अमेजिंग भाई

चलो अच्छा हुआ रुही इवान ओर ओजल को एक और परिवार मिल गया भाई

वहीं आर्य ने लुक्स को बहुत अच्छा डायलॉग चिपकाया हैं जो कि सच भी हैं भाई

अब बारी जादूगर के दंश ओर चेन की
ये जानने के लिए बेसब्री से इंतजार हैं नैन भाई
 

Zoro x

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एक बेहतरीन कहानी के 100 अपडेट पुर्ण करने पर नैन भाई को बहुत बहुत बधाई 💐💐🌹
 
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CG

Sab Chutiyapa hai Bhaya
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Kuch na kuch locha hai jo Arya itna kuch jaantaa hai wo itni aasani se Chutiyaa naa banne wala…..

Waiting for the next update
 

Zoro x

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भाग:–101





यूं तो जवाब देने के लिये तीनो ही उत्सुक थे लेकिन ओजल दोनो के मुंह पर हाथ रखती.… "बॉस अलबेली जब पहली बार दहाड़ी तभी आप दोनो जंगल के लिये निकल चुके होंगे। क्योंकि हमारी फाइट शुरू होने के पहले ही आप दोनो पहुंच चुके थे और दूर से बैठकर फाइट का मजा ले रहे थे। वो सब छोड़ो.... वो बीती बात हो गयी। आपके हाथ में छड़ी को देखकर याद आया, वो जादूगर का दंश और पतली सी चेन कहां है। उनके दर्शन तो करवाओ?


आर्यमणि:– ये बात अभी क्यों?


ओजल:– अनंत कीर्ति की किताब खुल चुकी है और वह किताब भी उसी जगह थी जहां जादूगर का दंश और वह चेन रखा था। देखो तो उस दंश और चेन के बारे में किताब ने क्या मेहसूस किया था और दूसरों के पास की कितनी जानकारी है?.


आर्यमणि:– हम्मम!!! ये सही सोचा है तुमने... जरा देखे तो उन दोनो वस्तु के बारे में किताब का क्या कहना है।


अनंत कीर्ति की पुस्तक को लेकर सभी जंगल में घुसे। कॉटेज से कुछ दूर चलने के बाद आर्यमणि रुक गया और किताब खोला। किताब खोलते ही उसमे लिखे हुये पन्ने दिखने लगे। ओजल पन्ने पर लिखे शब्द को हैरानी से पढ़ती... "बॉस ये किताब तो कमाल की है। लेकिन इसमें केवल चेन के बारे में क्यों लिखा है?"


आर्यमणि:– क्योंकि मैं चेन के बारे में सोच रहा था।


तकरीबन 20 पन्ने की संक्षिप्त जानकारी थी। 2 फिट लंबे इस चेन में प्रिज्म आकर के 18 चमकीले काले पत्थर लगे हुये थे। सभी पत्थर रंग, रूप, आकार और वजन में एक समान ही थे जिसकी लंबाई 1 इंच थी। इस पत्थर के इतिहास से लेकर भूगोल की लगभग जानकारी थी। इसका उद्गम स्थान हिंद महासागर के मध्य, किसी स्थान को बताया जा रहा था। यह चेन सतयुग के भी पूर्व तीन विलुप्त सभ्यता में से एक सभ्यता की थी। जिस स्थान पर यह चेन बनी थी, उसकी तत्कालिक भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर के मध्य में कहीं थी।


विज्ञान की एक उत्कृष्ट रचना। सभी 18 पत्थर को तराशकर उसके दोनो किनारे इतनी बारीकी से छेद किया गया था कि उन पत्थर में किसी प्रकार का निशान नहीं पड़े थे। ऐसा लग रहा था दोनो किनारों का छेद जैसे पत्थर में प्राकृतिक रूप से पहले से मौजूद थे। दो पत्थर को मेटल के पतले वायर जोड़ा गया था और क्या इंजीनियरिंग का मिशाल पेश किया था। मेटल पर कहीं भी जोड़ के निशान नही थे। शायद 2 पत्थरों के बीच में किसी प्रकार का कंडक्टर वायर लगा हुआ था।


सभी 18 पत्थर मिलकर एक एनर्जी पावर हाउस बनाते थे, जिनसे एक पूरे देश में देने लायक बिजली पैदा की जा सकती थी। इसका प्रयोग शहर को रौशन करने से लेकर उन्हें तबाह तक करने लिये किया जा सकता था। चेन को किसी मंत्र से बांधा गया था, जिसे आर्यमणि खोल तो सकता था, लेकिन अभी पांचों गहरी सोच में डूबे थे। नीचे जमीन पर चेन को सीधा फैला दिया गया और पांचों झुक कर उसे देख रहे थे।….


आर्यमणि:– क्या करना चाहिए?


रूही:– मैं क्या सोच रही थी, इस बवाल चीज को जमीन में ही दफन कर देते है। पांच बार इस चेन के दोनो सिरों को जोड़ा गया और पांचों बार पूरा भू–भाग ही विलुप्त हो गया।


अलबेली सोचने की मुद्रा में आती, एक लंबा सा "हूंनननननन" करती.… "सोचने वाली बात ये है कि ये फेकू किताब बढ़ा–चढ़ा कर बोल रहा है। जब 5 बार पूरा एक देश जितना भाग विलुप्त हो गया तब क्या ये किताब इस चेन के पड़ोस में बैठकर चने खा रहा था।"


इवान:– हां जानू की बात में गहराई है। जब ये चेन उस युग की है जिस युग के बारे में लोग कल्पना में भी नही सोचते, फिर उस युग के वस्तु के बारे में इस किताब को कैसे पता?"


ओजल:– बॉस चेन को घूरने से वो अपने बारे में डिटेल थोड़े ना बतायेगा। इसका क्या करना है वो बताओ?


"नही.. मैं अपने बारे में बता नही सकता लेकिन एक रास्ता है जिस से सब कुछ दिखा सकता हूं।"….. वोहह्ह्ह्ह्ह एक चेन से निकली आवाज और पूरा अल्फा पैक चौंककर आवक रह गये। अलबेली, ओजल और इवान, तीनो डर के मारे भूत, भूत करके चिल्लाने लगे। आर्यमणि और रूही की आंखें फटकर बाहर आने को बेकरार हो गयी। भूत के नाम से तो रूही की भी फटी थी और थोड़ा डरा तो आर्यमणि भी था। बस दोनो दिखा ना रहे थे। चेन जमीन पर जैसे तरह–तरह के आकार बनाकर खुद को एक्सप्रेस करने की कोशिश कर रहा हो... "अरे डरो मत.. चिल्लाना बंद करो... डरो मत... मत डरो"…


चेन जितना ज्यादा बोलती उतना ही तेज–तेज तीनो टीन वुल्फ चिल्लाते। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ और सभी वुल्फ शांत होकर आर्यमणि के पीछे दुबक गये। आर्यमणि हैरानी से उस चेन को देखते... "तू.. तू.. तुम उनमें से किसी एक की आत्मा बोल रहे हो, जिसने इस चेन का प्रयोग करना चाहा।"…


चेन:– भाई मैं पत्थर के अंदर लगा एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बोल रहा हूं। मैं सही आदमी से संपर्क कर सकता हूं। और बच्चे तुम (आर्यमणि) मुझे सही आदमी लगे।


आर्यमणि, थोड़ा खुश होते... "हां तो तुम कुछ दिखाने की बात कर रहे थे।"


चेन:– तुम्हारे पास जादूगर महान का दंश है। उसे मेरे ऊपर रख दो। वह जादुई दंश किसी टीवी की तरह काम करेगा। मैं कैसे काम करता हूं और अब तक जो भी मैंने कैप्चर किया है, उसका विजुअल तुम सब देख सकते हो।


रूही, उस बोलते चेन को घूरती.… "तुम्हे जादूगर की दंश ही क्यों चाहिए। एआई (AI) हो तो किसी भी टीवी से कनेक्ट हो जाओ.... आर्य ये चेन मुझे झोलर लग रहा है। जो बात इसने हमसे कही है, वह बात ये सुकेश से भी तो कर सकता था।"


चेन:– अच्छे लोग और बुरे लोग का प्रोटोकॉल समझती हो की नही.…


अलबेली:– बॉस मुझे तो ये अब भी भूत लग रहा है। जब लोगों की जान फसी तो ऐसे ही अच्छे लोग, बुरे लोग की बात करता है।


आर्यमणि:– सोचो हम एक ऐसे युग के दृश्य देखने जा रहे है, जिसके बारे में आज तक कभी किसी ने सुना ही नहीं। हम इतिहास को एक्सप्लोर करने जा रहे हैं।


ओजल:– कहीं ये हमे एक्सोलोड न कर दे...


चेन:– पागल हो क्या, मैं जब मंत्र के कैद में हूं तब एक्सप्लॉड करना तो दूर की बात है, मैं इतना एनर्जी भी उत्पन्न नही कर सकता, जिस से किसी पेड़ का पोषण कर सकूं। आर्यमणि जिस दिन तुमने मुझे यहां दफनाया था मैंने यहां के कई पेड़ों को कुपोषित और क्षतिग्रस्त पाया। अंदर से आंसू आ गये। मुझमें इतना समर्थ नहीं था कि मैं ऊर्जा से उन्हे पोषण दे सकूं या फिर उनके अंदरूनी क्षति को ठीक कर सकूं...


आर्यमणि:– क्या वाकई में.. तुम पेड़ को हील कर सकते हो और उन्हे पोषण भी दे सकते हो...


अलबेली:– बॉस ये आपकी रुचि में अपनी रूचि दिखाकर आपको झांसे में ले रहा है।


रूही:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। मुझे तो ये समझ में नहीं आ रहा की एक आत्मा से हम बात ही क्यों कर रहे। ये कोई एआई (AI) नही बल्कि कोई चालक आत्मा है। जरूर ये जादूगर की दंश से कोई माया करेगा।


चेन:– आत्मा मंत्र से बंधे एक चेन में से कैसे बात कर सकती है डफर। मुझे अब किसी से बात ही नही करनी। दफना दो मुझे...


इवान:– बॉस अब तो इसने खुद को दफनाने भी कह दिया। दफना डालो अभी...


चेन जैसे अपना सर पीट रहा हो.… "अरे कमबख्तों मुझे भी कहां तुमसे बात करने की सूझी। ओ जाहिल मैं गुस्सा दिखा रहा था।"


इतना सुनना था कि अलबेली पिल गयी। चेन के एक सिरे को पाऊं से दबोची और दूसरा सिरा हाथ में लेकर खींचती हुई.… “तेरी इतनी हिम्मत हमसे गुस्सा करे। साले बोलने वाले चेन आज तुझे उखाड़ ही दूंगी"…


इवान और ओजल दोनो अलबेली को पकड़कर उसे चेन से दूर करते.… "बस कर तू उस बोलते वस्तु से कैसे उलझ गयी।"


अलबेली:– छोड़ मुझे... साले तेरे 18 टुकड़ों को जोड़ने वाले ये पतले मेटल है मजबूर टूटा ही नही, वरना आज तेरे 18 टुकड़े कर देती बोलते चेन...


आर्यमणि:– मुझे कुछ समझ में न आ रहा क्या करूं? तुम सब मिलकर इस चेन का फैसला कर दो।


रूही, अलबेली, इवान और ओजल सभी आर्यमणि को देखने लगे। लगभग सभी एक साथ आगे और पीछे … "बॉस हमसे न होगा।"…


चेन:– मुझे दफना ही दो। किसी दूसरे समझदार और सही आदमी का इंतजार रहेगा।


काफी मंथन और थोड़ा वक्त लेने के बाद यह फैसला हुआ की चेन को वापस से जमीन में दफन करने के बाद जादूगर महान की दंश निकाला जायेगा। फिर बाद में देखते है की चेन क्या करना है। सबकी सहमति होते ही जादूगर महान की दंश को जमीन से निकाला गया। काफी अनोखा रत्न जरित यह दंश था, जो किसी वक्त के एक महान जादूगर, "जादूगर महान" की दंश थी।


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जादूगर महान की दंश किताब से कुछ दूरी पर था और जब किताब खोला गया तब उसमे दंश के बारे में लिखा भी था.… "एक शक्तिशाली दंश जो केवल अपनी मालिक की सुनती है। ऊपरी सिरे पर नाग मणि जरा हुआ है। नागमणि की उत्पत्ति सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी (सूर्य ग्रहण) के मिलन पर हुआ था। वहीं इसके नीचे की लकड़ी 5000 साल पुराने एक वट वृक्ष से लिया गया है। वट वृक्ष की जिस सखा पर बिजली गिड़ी थी, उसी शाखा के बीच की लकड़ी को उपयोग में लिया गया था।


दंश के बारे में लिखे मात्र एक पैराग्राफ को सभी ने एक साथ पढ़ा। पढ़ने के बाद फिर से सभी चिंतन में। अलबेली गुस्से में अपने हाथ–पाऊं पटकती... "ये किताब है या कन्फ्यूजिंग मशीन। जो जादूगर इस किताब की रचना के बाद आया, उसकी छड़ी के बारे केवल एक पैराग्राफ और जिस युग का नाम न सुना, उस वक्त की वस्तु के बारे मे कई पन्ने। फर्जी किताब है ये।"


आर्यमणि:– हमेशा गलत निष्कर्ष। दंश के बारे में किताब ने अपना केवल नजरिया दिया है। उसने जो अभी मेहसूस किया उसे दिखा दिया। यदि दंश लिये उसका मालिक जादूगर महान खड़ा होता तब यह किताब जादूगर महान के पूरे सोच को यहां लिख देती।


ओजल:– लेकिन जादूगर महान के बारे में भी तो कुछ नही लिखा।


आर्यमणि:– अब ये तो किताब से पूछना होगा की क्यों जादूगर महान के बारे में एक भी डेटा नही? बाकी यह दंश केवल शक्तिशाली है। इसका अर्थ है, इस दंश के सहारे बड़े से बड़ा जादू किया जा सकता है। लेकिन हर जादूगर इस दंश से छोटा सा जादू भी नहीं कर सकता क्योंकि इसका मालिक केवल एक ही था जादूगर महान और यह दंश उसी की केवल सुनती है।


रूही:– तो फिर वो पत्थर का भूत इस दंश से क्यों चिपकना चाहता है।


इवान:– हो सकता है इस दंश के ऊपर लगा मणि से सच में वह उस युग के विजुअल दिखा सके।


आर्यमणि:– नही ऐसा नहीं है। किताब के अनुसार इस दंश का कोई एक मालिक हो सकता है और वह चेन इस दंश से चिपकना चाहता है, इसका मतलब साफ है कि उस पत्थर में जादूगर महान का ही भूत है।


रूही:– कुछ भी बॉस... और क्या करेगा बिजली का इतना तेज झटका देगा की पूरे भू –भाग के साथ अपने दंश को भी नष्ट कर देगा। कुछ भी कहते हो बॉस...

इवान:– बॉस आप न ज्यादा सोचने लगे हो। जादूगर महान की आत्मा जैसे तात्या (फिल्म झपटेलाला का एक किरदार) की आत्मा हो, जो मरते वक्त पास पड़े उस रेयर आइटम में समा गयी। उसे घुसना भी पड़ता तो किसी इंसान में ही घुसता न ताकि अपने दंश को उठाने के लिये उसे किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़ता...


अलबेली:– क्या है बॉस.. मानकी बोलते चेन को देखकर हम सब थोड़े डर गये थे, लेकिन इसका ये मतलब थोड़े ना की कोई भी लॉजिक घुसेड़ दो।


आर्यमणि:– तो तुम सब क्या चाहते हो?


चारो एक साथ.… "हम उस युग को देखना चाहेंगे जो आज हिंद महासागर की गहराइयों में विलुप्त हो गया है। देखे तो उस जमाने में ये दुनिया कितना एडवांस्ड थी।"


आर्यमणि:– जैसा तुम्हारी मर्जी... चलो फिर सब साथ में देखते है।


आर्यमणि ने चेन और किताब पकड़ा। जादूगर महान की दंश बारी–बारी से सभी हाथ में लेकर पागलों की तरह फिल्मों में बोले जाने वाले हर जादुई मंत्र को बोल रहे थे और छड़ी को सामने कर देते... जादू करने की कोशिश तो हो रही थी किंतु सब नाकाम।


सभी लिविंग रूम में आराम से बैठे। एक मेज पर जादूगर के दंश और चेन को रखा गया। आर्यमणि चेन को ध्यान से देखते.… "क्यों भाई मिलन करवा दे।"..



चेन:– खुद को पूर्ण करने के लिये न जाने कैसे पागल बना हूं। बॉस लेकिन एक बात, मेरी ऊर्जा का प्रयोग कैसे करते है इस बात की जानकारी लेने के बाद मेरा प्रयोग केवल शुद्ध ऊर्जा उत्पन्न करने की लिये करना। इस पत्थर का इतिहास रहा है कि जिसने भी गलत मनसा से इसका प्रयोग करना चाहा था, वो खुद को भी तबाह होने से नही बचा पाये।


रूही:– वैसे अब तक कितनो ने खुद को तबाह किया है?


चेन:– मेलोडी खाओ खुद जान जाओ..


पूरा अल्फा पैक एक साथ... "मतलब"


चेन:– मतलब मुझे दंश से चिपका दो। उसके मणि की रौशनी में तुम सब को पूरा दृश्य दिख जायेगा।


आर्यमणि हामी भरते हुये चेन को उठा लिया। आर्यमणि ने जैसे ही चेन को उठाया, तभी अलबेली हड़बड़ा कर आर्यमणि का हाथ पकड़ती.… "एक मिनिट बॉस, मुझे चेन से कुछ जानना है?"


चेन:– मैं मिलन के लिये जा रहा था बीच में ही रोक दिये... पूछिए यहां की सबसे समझदार लड़की जी...


अलबेली:– ओ भाई चेन, तुम जो वीडियो चलाने वाले हो उसमें फास्ट फॉरवर्ड या टाइम जंप का विकल्प होगा की नही? पता चला १०० साल जितनी लंबी वीडियो चला दिये हो...


चेन:– हां मुझे आपसे ऐसे ही समझदारी की उम्मीद थी। चिंता मत करो, पहले मिनट से तुम पूरा वीडियो समझ जाओगी और मैं ज्यादा वक्त न लेते हुये कम से कम समय लूंगा। बस मेरे बारे में जानने के बाद मेरा गलत इस्तमाल मत करना। जब मैं जिंदगी संजोता हूं तब मुझे लगता है कि मैं अपने पिताजी को श्रद्धांजलि दे रहा...


अलबेली:– तुम्हारे पिता....


चेन:– हां मुझे आवाज और दिमाग देने वाले मेरे पिता। साइंटिस्ट "वियोरे मलते" जिन्होंने मेरी रचना की। अभी उनसे सबको मिलवाता हूं...


आर्यमणि:– तो ये लो फिर हो गया चलो अब मिलवओ...


अपनी बात कहते आर्यमणि ने दंश और चेन का मिलन करवा दिया। पांचों कुछ दूर पीछे सोफा पर बैठकर ध्यान से दंश और चेन को देख रहे थे। पहला एक मिनिट कोई हलचल न हुआ। और दूसरे मिनट में ऐसा लगा जैसे दंश और चेन दोनो को मिर्गी आ गयी थी। पहले तो दोनो हवा में ऊंचा गये, उसके बाद तो जैसे दंश और चेन के बीच युद्ध छिड़ गया हो। दंश चेन को बाएं ओर खींचती तो कभी चेन दंश को दाएं ओर। दोनो के आपसी खींचातानी में कभी दंश चेन को लिये तेजी से बाएं चली जाती तो कभी चेन उसे दाएं खींच लेता। ऐसा लग रहा था दोनो पूरा घर में उठम पटका कर रहे हो।


जैसे किसी बेवा की मांग उजड़ती है ठीक वैसे ही दंश और चेन ने मिलकर लिविंग रूम का हाल कर दिया था। लिविंग रूम का हर समान टूटा और बिखड़ा पड़ा था, सिवाय उन सोफे के जिसपर वुल्फ पैक बैठे थे। तकरीबन 5 मिनिट के बाद दंश पर चेन पूरी तरह से लिपट चुकी थी और हवा में अल्फा पैक के नजरों के ठीक सामने थी। माहोल पूरा शांत और हर कोई विजुअल देखने को तैयार। चेन भी ज्यादा वक्त न लेते हुए कहानी को शुरू किया...


"बाय –बाय मूर्खों। मेरी आत्मा को मेरे शरीर से मिलाने का धन्यवाद। आर्यमणि तुम सही थे मैं ही जादूगर महान हूं जिसे तुमने उसकी छड़ी से मिला दिया।।"


तेज रौशनी के साथ इस कमरे में जादूगर महान की आवाज गूंजी और चेन लिपटा वह दंश बिजली की तेजी से ऊपर हवा में गया और कोट्टेज के छत को फाड़कर निकल गया। आर्यमणि गर्दन ऊंचा करके एक बार तो छत के उस छेद के देखा उसके बाद पूरे अल्फा पैक को घूरने लगा। और इधर चारो अपने मुंह पर हाथ रखे, छत पर हुये छेद को देखते.… "बीसी (BC) झूठ बोलने वाला भूत, हमारी काट कर भाग गया।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
एक झुठ बोलने वाला भुत सबकी बजा कर अपने हथियार को लेकर भाग गया लेकिन जायेगा कहां
वापस आना तो उसे आर्य के पास हीं पड़ेगा
क्यूंकि वो हैं तो एक आत्मा हीं शरीर तो हैं नहीं उसके पास जों वो कुछ कर पाएं 😃😃

उस किताब ने भी आर्य को आधा अधुरा बताया चेन के बारे में और दंश के बारे में भी
इसलिए अल्फा पैक चोदूं बन गया वो जादूगर की आत्मा छड़ी ओर चेन लेकर भाग गया
जादूगर सामने था फिर भी कुछ नहीं बताया किताब ने

लेकिन अब जब जादूगर ने खुद को शों कर दिया है तो आर्य को तुरंत किताब खोलनी चाहिए ताकि इस जादूगर की जन्म कुंडली पता कर सकें नैन भाई
 

Zoro x

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भाग:–101





यूं तो जवाब देने के लिये तीनो ही उत्सुक थे लेकिन ओजल दोनो के मुंह पर हाथ रखती.… "बॉस अलबेली जब पहली बार दहाड़ी तभी आप दोनो जंगल के लिये निकल चुके होंगे। क्योंकि हमारी फाइट शुरू होने के पहले ही आप दोनो पहुंच चुके थे और दूर से बैठकर फाइट का मजा ले रहे थे। वो सब छोड़ो.... वो बीती बात हो गयी। आपके हाथ में छड़ी को देखकर याद आया, वो जादूगर का दंश और पतली सी चेन कहां है। उनके दर्शन तो करवाओ?


आर्यमणि:– ये बात अभी क्यों?


ओजल:– अनंत कीर्ति की किताब खुल चुकी है और वह किताब भी उसी जगह थी जहां जादूगर का दंश और वह चेन रखा था। देखो तो उस दंश और चेन के बारे में किताब ने क्या मेहसूस किया था और दूसरों के पास की कितनी जानकारी है?.


आर्यमणि:– हम्मम!!! ये सही सोचा है तुमने... जरा देखे तो उन दोनो वस्तु के बारे में किताब का क्या कहना है।


अनंत कीर्ति की पुस्तक को लेकर सभी जंगल में घुसे। कॉटेज से कुछ दूर चलने के बाद आर्यमणि रुक गया और किताब खोला। किताब खोलते ही उसमे लिखे हुये पन्ने दिखने लगे। ओजल पन्ने पर लिखे शब्द को हैरानी से पढ़ती... "बॉस ये किताब तो कमाल की है। लेकिन इसमें केवल चेन के बारे में क्यों लिखा है?"


आर्यमणि:– क्योंकि मैं चेन के बारे में सोच रहा था।


तकरीबन 20 पन्ने की संक्षिप्त जानकारी थी। 2 फिट लंबे इस चेन में प्रिज्म आकर के 18 चमकीले काले पत्थर लगे हुये थे। सभी पत्थर रंग, रूप, आकार और वजन में एक समान ही थे जिसकी लंबाई 1 इंच थी। इस पत्थर के इतिहास से लेकर भूगोल की लगभग जानकारी थी। इसका उद्गम स्थान हिंद महासागर के मध्य, किसी स्थान को बताया जा रहा था। यह चेन सतयुग के भी पूर्व तीन विलुप्त सभ्यता में से एक सभ्यता की थी। जिस स्थान पर यह चेन बनी थी, उसकी तत्कालिक भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर के मध्य में कहीं थी।


विज्ञान की एक उत्कृष्ट रचना। सभी 18 पत्थर को तराशकर उसके दोनो किनारे इतनी बारीकी से छेद किया गया था कि उन पत्थर में किसी प्रकार का निशान नहीं पड़े थे। ऐसा लग रहा था दोनो किनारों का छेद जैसे पत्थर में प्राकृतिक रूप से पहले से मौजूद थे। दो पत्थर को मेटल के पतले वायर जोड़ा गया था और क्या इंजीनियरिंग का मिशाल पेश किया था। मेटल पर कहीं भी जोड़ के निशान नही थे। शायद 2 पत्थरों के बीच में किसी प्रकार का कंडक्टर वायर लगा हुआ था।


सभी 18 पत्थर मिलकर एक एनर्जी पावर हाउस बनाते थे, जिनसे एक पूरे देश में देने लायक बिजली पैदा की जा सकती थी। इसका प्रयोग शहर को रौशन करने से लेकर उन्हें तबाह तक करने लिये किया जा सकता था। चेन को किसी मंत्र से बांधा गया था, जिसे आर्यमणि खोल तो सकता था, लेकिन अभी पांचों गहरी सोच में डूबे थे। नीचे जमीन पर चेन को सीधा फैला दिया गया और पांचों झुक कर उसे देख रहे थे।….


आर्यमणि:– क्या करना चाहिए?


रूही:– मैं क्या सोच रही थी, इस बवाल चीज को जमीन में ही दफन कर देते है। पांच बार इस चेन के दोनो सिरों को जोड़ा गया और पांचों बार पूरा भू–भाग ही विलुप्त हो गया।


अलबेली सोचने की मुद्रा में आती, एक लंबा सा "हूंनननननन" करती.… "सोचने वाली बात ये है कि ये फेकू किताब बढ़ा–चढ़ा कर बोल रहा है। जब 5 बार पूरा एक देश जितना भाग विलुप्त हो गया तब क्या ये किताब इस चेन के पड़ोस में बैठकर चने खा रहा था।"


इवान:– हां जानू की बात में गहराई है। जब ये चेन उस युग की है जिस युग के बारे में लोग कल्पना में भी नही सोचते, फिर उस युग के वस्तु के बारे में इस किताब को कैसे पता?"


ओजल:– बॉस चेन को घूरने से वो अपने बारे में डिटेल थोड़े ना बतायेगा। इसका क्या करना है वो बताओ?


"नही.. मैं अपने बारे में बता नही सकता लेकिन एक रास्ता है जिस से सब कुछ दिखा सकता हूं।"….. वोहह्ह्ह्ह्ह एक चेन से निकली आवाज और पूरा अल्फा पैक चौंककर आवक रह गये। अलबेली, ओजल और इवान, तीनो डर के मारे भूत, भूत करके चिल्लाने लगे। आर्यमणि और रूही की आंखें फटकर बाहर आने को बेकरार हो गयी। भूत के नाम से तो रूही की भी फटी थी और थोड़ा डरा तो आर्यमणि भी था। बस दोनो दिखा ना रहे थे। चेन जमीन पर जैसे तरह–तरह के आकार बनाकर खुद को एक्सप्रेस करने की कोशिश कर रहा हो... "अरे डरो मत.. चिल्लाना बंद करो... डरो मत... मत डरो"…


चेन जितना ज्यादा बोलती उतना ही तेज–तेज तीनो टीन वुल्फ चिल्लाते। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ और सभी वुल्फ शांत होकर आर्यमणि के पीछे दुबक गये। आर्यमणि हैरानी से उस चेन को देखते... "तू.. तू.. तुम उनमें से किसी एक की आत्मा बोल रहे हो, जिसने इस चेन का प्रयोग करना चाहा।"…


चेन:– भाई मैं पत्थर के अंदर लगा एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बोल रहा हूं। मैं सही आदमी से संपर्क कर सकता हूं। और बच्चे तुम (आर्यमणि) मुझे सही आदमी लगे।


आर्यमणि, थोड़ा खुश होते... "हां तो तुम कुछ दिखाने की बात कर रहे थे।"


चेन:– तुम्हारे पास जादूगर महान का दंश है। उसे मेरे ऊपर रख दो। वह जादुई दंश किसी टीवी की तरह काम करेगा। मैं कैसे काम करता हूं और अब तक जो भी मैंने कैप्चर किया है, उसका विजुअल तुम सब देख सकते हो।


रूही, उस बोलते चेन को घूरती.… "तुम्हे जादूगर की दंश ही क्यों चाहिए। एआई (AI) हो तो किसी भी टीवी से कनेक्ट हो जाओ.... आर्य ये चेन मुझे झोलर लग रहा है। जो बात इसने हमसे कही है, वह बात ये सुकेश से भी तो कर सकता था।"


चेन:– अच्छे लोग और बुरे लोग का प्रोटोकॉल समझती हो की नही.…


अलबेली:– बॉस मुझे तो ये अब भी भूत लग रहा है। जब लोगों की जान फसी तो ऐसे ही अच्छे लोग, बुरे लोग की बात करता है।


आर्यमणि:– सोचो हम एक ऐसे युग के दृश्य देखने जा रहे है, जिसके बारे में आज तक कभी किसी ने सुना ही नहीं। हम इतिहास को एक्सप्लोर करने जा रहे हैं।


ओजल:– कहीं ये हमे एक्सोलोड न कर दे...


चेन:– पागल हो क्या, मैं जब मंत्र के कैद में हूं तब एक्सप्लॉड करना तो दूर की बात है, मैं इतना एनर्जी भी उत्पन्न नही कर सकता, जिस से किसी पेड़ का पोषण कर सकूं। आर्यमणि जिस दिन तुमने मुझे यहां दफनाया था मैंने यहां के कई पेड़ों को कुपोषित और क्षतिग्रस्त पाया। अंदर से आंसू आ गये। मुझमें इतना समर्थ नहीं था कि मैं ऊर्जा से उन्हे पोषण दे सकूं या फिर उनके अंदरूनी क्षति को ठीक कर सकूं...


आर्यमणि:– क्या वाकई में.. तुम पेड़ को हील कर सकते हो और उन्हे पोषण भी दे सकते हो...


अलबेली:– बॉस ये आपकी रुचि में अपनी रूचि दिखाकर आपको झांसे में ले रहा है।


रूही:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। मुझे तो ये समझ में नहीं आ रहा की एक आत्मा से हम बात ही क्यों कर रहे। ये कोई एआई (AI) नही बल्कि कोई चालक आत्मा है। जरूर ये जादूगर की दंश से कोई माया करेगा।


चेन:– आत्मा मंत्र से बंधे एक चेन में से कैसे बात कर सकती है डफर। मुझे अब किसी से बात ही नही करनी। दफना दो मुझे...


इवान:– बॉस अब तो इसने खुद को दफनाने भी कह दिया। दफना डालो अभी...


चेन जैसे अपना सर पीट रहा हो.… "अरे कमबख्तों मुझे भी कहां तुमसे बात करने की सूझी। ओ जाहिल मैं गुस्सा दिखा रहा था।"


इतना सुनना था कि अलबेली पिल गयी। चेन के एक सिरे को पाऊं से दबोची और दूसरा सिरा हाथ में लेकर खींचती हुई.… “तेरी इतनी हिम्मत हमसे गुस्सा करे। साले बोलने वाले चेन आज तुझे उखाड़ ही दूंगी"…


इवान और ओजल दोनो अलबेली को पकड़कर उसे चेन से दूर करते.… "बस कर तू उस बोलते वस्तु से कैसे उलझ गयी।"


अलबेली:– छोड़ मुझे... साले तेरे 18 टुकड़ों को जोड़ने वाले ये पतले मेटल है मजबूर टूटा ही नही, वरना आज तेरे 18 टुकड़े कर देती बोलते चेन...


आर्यमणि:– मुझे कुछ समझ में न आ रहा क्या करूं? तुम सब मिलकर इस चेन का फैसला कर दो।


रूही, अलबेली, इवान और ओजल सभी आर्यमणि को देखने लगे। लगभग सभी एक साथ आगे और पीछे … "बॉस हमसे न होगा।"…


चेन:– मुझे दफना ही दो। किसी दूसरे समझदार और सही आदमी का इंतजार रहेगा।


काफी मंथन और थोड़ा वक्त लेने के बाद यह फैसला हुआ की चेन को वापस से जमीन में दफन करने के बाद जादूगर महान की दंश निकाला जायेगा। फिर बाद में देखते है की चेन क्या करना है। सबकी सहमति होते ही जादूगर महान की दंश को जमीन से निकाला गया। काफी अनोखा रत्न जरित यह दंश था, जो किसी वक्त के एक महान जादूगर, "जादूगर महान" की दंश थी।


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जादूगर महान की दंश किताब से कुछ दूरी पर था और जब किताब खोला गया तब उसमे दंश के बारे में लिखा भी था.… "एक शक्तिशाली दंश जो केवल अपनी मालिक की सुनती है। ऊपरी सिरे पर नाग मणि जरा हुआ है। नागमणि की उत्पत्ति सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी (सूर्य ग्रहण) के मिलन पर हुआ था। वहीं इसके नीचे की लकड़ी 5000 साल पुराने एक वट वृक्ष से लिया गया है। वट वृक्ष की जिस सखा पर बिजली गिड़ी थी, उसी शाखा के बीच की लकड़ी को उपयोग में लिया गया था।


दंश के बारे में लिखे मात्र एक पैराग्राफ को सभी ने एक साथ पढ़ा। पढ़ने के बाद फिर से सभी चिंतन में। अलबेली गुस्से में अपने हाथ–पाऊं पटकती... "ये किताब है या कन्फ्यूजिंग मशीन। जो जादूगर इस किताब की रचना के बाद आया, उसकी छड़ी के बारे केवल एक पैराग्राफ और जिस युग का नाम न सुना, उस वक्त की वस्तु के बारे मे कई पन्ने। फर्जी किताब है ये।"


आर्यमणि:– हमेशा गलत निष्कर्ष। दंश के बारे में किताब ने अपना केवल नजरिया दिया है। उसने जो अभी मेहसूस किया उसे दिखा दिया। यदि दंश लिये उसका मालिक जादूगर महान खड़ा होता तब यह किताब जादूगर महान के पूरे सोच को यहां लिख देती।


ओजल:– लेकिन जादूगर महान के बारे में भी तो कुछ नही लिखा।


आर्यमणि:– अब ये तो किताब से पूछना होगा की क्यों जादूगर महान के बारे में एक भी डेटा नही? बाकी यह दंश केवल शक्तिशाली है। इसका अर्थ है, इस दंश के सहारे बड़े से बड़ा जादू किया जा सकता है। लेकिन हर जादूगर इस दंश से छोटा सा जादू भी नहीं कर सकता क्योंकि इसका मालिक केवल एक ही था जादूगर महान और यह दंश उसी की केवल सुनती है।


रूही:– तो फिर वो पत्थर का भूत इस दंश से क्यों चिपकना चाहता है।


इवान:– हो सकता है इस दंश के ऊपर लगा मणि से सच में वह उस युग के विजुअल दिखा सके।


आर्यमणि:– नही ऐसा नहीं है। किताब के अनुसार इस दंश का कोई एक मालिक हो सकता है और वह चेन इस दंश से चिपकना चाहता है, इसका मतलब साफ है कि उस पत्थर में जादूगर महान का ही भूत है।


रूही:– कुछ भी बॉस... और क्या करेगा बिजली का इतना तेज झटका देगा की पूरे भू –भाग के साथ अपने दंश को भी नष्ट कर देगा। कुछ भी कहते हो बॉस...

इवान:– बॉस आप न ज्यादा सोचने लगे हो। जादूगर महान की आत्मा जैसे तात्या (फिल्म झपटेलाला का एक किरदार) की आत्मा हो, जो मरते वक्त पास पड़े उस रेयर आइटम में समा गयी। उसे घुसना भी पड़ता तो किसी इंसान में ही घुसता न ताकि अपने दंश को उठाने के लिये उसे किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़ता...


अलबेली:– क्या है बॉस.. मानकी बोलते चेन को देखकर हम सब थोड़े डर गये थे, लेकिन इसका ये मतलब थोड़े ना की कोई भी लॉजिक घुसेड़ दो।


आर्यमणि:– तो तुम सब क्या चाहते हो?


चारो एक साथ.… "हम उस युग को देखना चाहेंगे जो आज हिंद महासागर की गहराइयों में विलुप्त हो गया है। देखे तो उस जमाने में ये दुनिया कितना एडवांस्ड थी।"


आर्यमणि:– जैसा तुम्हारी मर्जी... चलो फिर सब साथ में देखते है।


आर्यमणि ने चेन और किताब पकड़ा। जादूगर महान की दंश बारी–बारी से सभी हाथ में लेकर पागलों की तरह फिल्मों में बोले जाने वाले हर जादुई मंत्र को बोल रहे थे और छड़ी को सामने कर देते... जादू करने की कोशिश तो हो रही थी किंतु सब नाकाम।


सभी लिविंग रूम में आराम से बैठे। एक मेज पर जादूगर के दंश और चेन को रखा गया। आर्यमणि चेन को ध्यान से देखते.… "क्यों भाई मिलन करवा दे।"..



चेन:– खुद को पूर्ण करने के लिये न जाने कैसे पागल बना हूं। बॉस लेकिन एक बात, मेरी ऊर्जा का प्रयोग कैसे करते है इस बात की जानकारी लेने के बाद मेरा प्रयोग केवल शुद्ध ऊर्जा उत्पन्न करने की लिये करना। इस पत्थर का इतिहास रहा है कि जिसने भी गलत मनसा से इसका प्रयोग करना चाहा था, वो खुद को भी तबाह होने से नही बचा पाये।


रूही:– वैसे अब तक कितनो ने खुद को तबाह किया है?


चेन:– मेलोडी खाओ खुद जान जाओ..


पूरा अल्फा पैक एक साथ... "मतलब"


चेन:– मतलब मुझे दंश से चिपका दो। उसके मणि की रौशनी में तुम सब को पूरा दृश्य दिख जायेगा।


आर्यमणि हामी भरते हुये चेन को उठा लिया। आर्यमणि ने जैसे ही चेन को उठाया, तभी अलबेली हड़बड़ा कर आर्यमणि का हाथ पकड़ती.… "एक मिनिट बॉस, मुझे चेन से कुछ जानना है?"


चेन:– मैं मिलन के लिये जा रहा था बीच में ही रोक दिये... पूछिए यहां की सबसे समझदार लड़की जी...


अलबेली:– ओ भाई चेन, तुम जो वीडियो चलाने वाले हो उसमें फास्ट फॉरवर्ड या टाइम जंप का विकल्प होगा की नही? पता चला १०० साल जितनी लंबी वीडियो चला दिये हो...


चेन:– हां मुझे आपसे ऐसे ही समझदारी की उम्मीद थी। चिंता मत करो, पहले मिनट से तुम पूरा वीडियो समझ जाओगी और मैं ज्यादा वक्त न लेते हुये कम से कम समय लूंगा। बस मेरे बारे में जानने के बाद मेरा गलत इस्तमाल मत करना। जब मैं जिंदगी संजोता हूं तब मुझे लगता है कि मैं अपने पिताजी को श्रद्धांजलि दे रहा...


अलबेली:– तुम्हारे पिता....


चेन:– हां मुझे आवाज और दिमाग देने वाले मेरे पिता। साइंटिस्ट "वियोरे मलते" जिन्होंने मेरी रचना की। अभी उनसे सबको मिलवाता हूं...


आर्यमणि:– तो ये लो फिर हो गया चलो अब मिलवओ...


अपनी बात कहते आर्यमणि ने दंश और चेन का मिलन करवा दिया। पांचों कुछ दूर पीछे सोफा पर बैठकर ध्यान से दंश और चेन को देख रहे थे। पहला एक मिनिट कोई हलचल न हुआ। और दूसरे मिनट में ऐसा लगा जैसे दंश और चेन दोनो को मिर्गी आ गयी थी। पहले तो दोनो हवा में ऊंचा गये, उसके बाद तो जैसे दंश और चेन के बीच युद्ध छिड़ गया हो। दंश चेन को बाएं ओर खींचती तो कभी चेन दंश को दाएं ओर। दोनो के आपसी खींचातानी में कभी दंश चेन को लिये तेजी से बाएं चली जाती तो कभी चेन उसे दाएं खींच लेता। ऐसा लग रहा था दोनो पूरा घर में उठम पटका कर रहे हो।


जैसे किसी बेवा की मांग उजड़ती है ठीक वैसे ही दंश और चेन ने मिलकर लिविंग रूम का हाल कर दिया था। लिविंग रूम का हर समान टूटा और बिखड़ा पड़ा था, सिवाय उन सोफे के जिसपर वुल्फ पैक बैठे थे। तकरीबन 5 मिनिट के बाद दंश पर चेन पूरी तरह से लिपट चुकी थी और हवा में अल्फा पैक के नजरों के ठीक सामने थी। माहोल पूरा शांत और हर कोई विजुअल देखने को तैयार। चेन भी ज्यादा वक्त न लेते हुए कहानी को शुरू किया...


"बाय –बाय मूर्खों। मेरी आत्मा को मेरे शरीर से मिलाने का धन्यवाद। आर्यमणि तुम सही थे मैं ही जादूगर महान हूं जिसे तुमने उसकी छड़ी से मिला दिया।।"


तेज रौशनी के साथ इस कमरे में जादूगर महान की आवाज गूंजी और चेन लिपटा वह दंश बिजली की तेजी से ऊपर हवा में गया और कोट्टेज के छत को फाड़कर निकल गया। आर्यमणि गर्दन ऊंचा करके एक बार तो छत के उस छेद के देखा उसके बाद पूरे अल्फा पैक को घूरने लगा। और इधर चारो अपने मुंह पर हाथ रखे, छत पर हुये छेद को देखते.… "बीसी (BC) झूठ बोलने वाला भूत, हमारी काट कर भाग गया।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
एक झुठ बोलने वाला भुत सबकी बजा कर अपने हथियार को लेकर भाग गया लेकिन जायेगा कहां
वापस आना तो उसे आर्य के पास हीं पड़ेगा
क्यूंकि वो हैं तो एक आत्मा हीं शरीर तो हैं नहीं उसके पास जों वो कुछ कर पाएं 😃😃

उस किताब ने भी आर्य को आधा अधुरा बताया चेन के बारे में और दंश के बारे में भी
इसलिए अल्फा पैक चोदूं बन गया वो जादूगर की आत्मा छड़ी ओर चेन लेकर भाग गया
जादूगर सामने था फिर भी कुछ नहीं बताया किताब ने

लेकिन अब जब जादूगर ने खुद को शों कर दिया है तो आर्य को तुरंत किताब खोलनी चाहिए ताकि इस जादूगर की जन्म कुंडली पता कर सकें नैन भाई
 

Parthh123

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Nain bhai kaha hai ap sb thik to hai? Aj update denge 2 ?
 
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