भाग:–103
जादूगर:– उन एलियन का क्या करोगे, जिसकी शक्ति तुम्हे हर बार चौका देगी? तांत्रिक सभा के तांत्रिक अध्यात का क्या करोगे, जिसका ज्ञान तो तुम जैसे से कहीं आगे है और तांत्रिक की पूरी सभा उन एलियन के साथ गठजोड़ किये है? और क्या करोगे तब, जब उनकी आराध्या महाजनीका दूसरी दुनिया से वापस लौटेगी?
आर्यमणि:– तुम्हारे पास इतनी जानकारी कैसे?
जादूगर:– कहीं तुमने मुझे आज कल के जादूगर की तरह तो नही समझ लिया न। तमाशा दिखाने वाले नल्ले... २२ साल की उम्र तक अघोड़ियों की छाया में पला हूं। उनसे शिक्षा लेने के बाद १० साल तक सभी ग्रंथों के मंत्र को सिद्ध करता रहा। उसके बाद 8 साल तप करके मैंने मोक्ष को साधा था। और आखरी में मैने 5 साल तक अपने गुरु जादूगर वियोरे मलते se शिक्षा प्राप्त किया। जैसे यह अलौकिक पुस्तक है मैं भी ठीक वैसा ही हूं। हम दोनो में कोई अंतर नही। बस फर्क सिर्फ इतना था कि यह पुस्तक एक वक्त में अपने आसपास के सभी चीजों को मेहसूस कर सकती थी। यह वातावरण में हुये छोटे से बदलाव को भी दर्ज करती है। इसका मतलब तुम समझते हो। किसी के होने की मौजूदगी, यह किताब केवल वातारण को मेहसूस करके पता लगा सकती है, भले ही कोई खुद को कितना भी छिपाने में महारत क्यों न हासिल कर चुका हो। फिर चाहे वो कोई आत्मा की पहचान हो या फिर किसी तिलिस्मी वस्तु की पहचान हो। संसार में जितनी भी सजीव अथवा निर्जीव को इस किताब ने मेहसूस किया है, सबका वर्णन मिल जायेगा।
आर्यमणि:– जानकारी के तो भंडार हो आप। लेकिन 45 साल केवल शिक्षा लेने वाला इंसान केवल अपने कुख्यती के लिये शिक्षा ले रहा था?
जादूगर:– जो तुम्हे कुख्यात लग रहा है वह मेरे हिसाब से मजेदार काम था। मैने पहल नहीं किया था। मैने कुछ ऐसा गलत नही किया था, सिवाय मेरे गुरु जादूगर वियोरे मलते को मारने आये २००० सैनिकों को हमने गहरी नींद सुला दी थी। अघोरियो के साथ रहा था फिर भी मैं किसी को मारना नही चाहता था और न ही मेरे गुरु वियोरे मलते ने किसी को परेशान किया था। हम तो जादू सीखते थे और इलाज के लिये पहुंचे लोगों का इलाज करते थे। पर हमारा जादू करना वहां के शासन–प्रशासन को पसंद नही आया। मेरे गुरु ने जगह छोड़ने से इंकार किया तो उसे सीधा जान से मारने पहुंच गये।
आर्यमणि:– तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि मैने यदि तुम्हारे कहे पर विद्या विमुक्तये और ज्ञान विमुक्तये मंत्र का प्रयोग किया है, तो उसके बाद मै सम्पूर्ण भ्रम समाप्ति मंत्र नही प्रयोग करूंगा। तुम जैसे लोग से बार बार उल्लू बन जाऊं, इतना भी कच्चा नही। जो व्यक्ति किताब के बारे में इतना जानता हो उसके लिये किताब के अंदर के शब्दों से छेड़–छाड़ करना कोई बड़ी बात नही होगी। पहले बिना भ्रम समाप्ति के पढ़ा। कुछ पन्ने पढ़ने के बाद मैने फिर भ्रम समाप्ति मंत्र का प्रयोग किया और दोबारा पढ़ना शुरू किया। भगवान, आप कितने पहुंचे जादूगर जो उस पुस्तक के शब्दों से छेड़–छाड़ कर गये। अब जादूगर जी अपनी चिकनी चुपड़ी बातें रहने ही दो। आप सम्पूर्ण विकृत इंसान थे और मैं समझ गया हूं कि किताब आपको क्यों नही ढूंढ पायी।
रूही:– क्यों नहीं ढूंढ पायी?
आर्यमणि:– क्योंकि इसकी आत्म एक ऐसे चेन में घुसा दिया गया था, जो पहले से सम्पूर्ण सुरक्षा मंत्र से बंधी थी। जिसके अंदर के किसी भी प्रकार की शक्ति को कोई इस्तमाल नही कर सकता था। बेचारा जादूगर एक नॉन–ट्रेसबल चेन में कैद हुआ था। जिस वजह से इसके चेले भी इसे ढूंढ नही पाये और न ही किताब ने चेन के अंदर क्या है उसे बताया।
रूही:– हां लेकिन आर्य किताब को तो बताना चाहिए था न...
जादूगर:– कच्ची खिलाड़ी.… सम्पूर्ण सुरक्षा मंत्र के अंदर क्या है, यदि ये बात इतनी आसानी से पता चल जाये तो फिर इस मंत्र का फायदा क्या हुआ। तुमने वाकई मुझे चौंका दिया गुरु भेड़िए।
रूही:– हम मात्र भेड़िए होते तो क्या तुम हमसे बात कर रहे होते। जादूगर अपनी जुबान संभाल कर...
जादूगर:– तुम्हारा मुखिया मुझे आप कहता है और तुम मुझे बेइज्जत कर रही। खैर जब तुम्हे सब पता ही है गुरु भेड़िए तो टाइम पास करने से क्या फायदा है...
रूही:– मुझे सभी बातें पता न है... पहले उसपर बात होगी आर्य... जादूगर की बात सुनकर पजल मीटिंग मत करो।
ओजल:– आप लोग अपना सेशन जारी रखो, हम चलें।हमारे मैच का समय हो रहा है।
कुछ देर बाद गर्ल टीम का मैच शुरू होने वाला था इसलिए तीनो निकल गये। वहीं रूही अपनी शंका रखती... "मुझे सारी बातें पता नही है। इस जादूगर पर मोक्ष मंत्र का असर क्यों नही हुआ?
आर्यमणि:– क्योंकि ये मरा नही है। इसकी आत्म चेन में कैद है और शरीर को अब तक जिंदा रखा गया है।
जादूगर:– तुम कमाल का परिचय दे रहे आर्यमणि। ठीक है मैं सीधा मुद्दे पर आता हूं। मुझे अनंत वर्षों तक किसी घिनौने रूप में जिंदा रहने का कोई शौक नहीं। बेशक तुम मेरे शरीर को जलाकर मोक्ष मंत्र पढ़ देना लेकिन उस से पहले मैं अपने दुश्मन को मरता देखना चाहता हूं।
आर्यमणि:– वो तो अब तुम खुद भी कर सकते हो। दंश तुम्हारे पास है।
जादूगर:– कमाल है ज्ञानी भेड़िया। तुम्हे भीं पता है कि यह चेन किताब के सुरक्षा मंत्र से घिरा है। मैं किताब से ज्यादा दूर नहीं जा सकता। या तो तुम सम्पूर्ण सुरक्षा मंत्र हटा दो, फिर तो इस चेन के जरिए मैं चुटकी बजाकर बदला ले लूंगा। लेकिन मैं जानता हूं कि सम्पूर्ण सुरक्षा मंत्र तुम हटाओगे नही, इसलिए तुम मुझे उन एलियन के पास ले चलो। हम दोनो मिलकर उन्हें जमीन के नीचे गाड़ देंगे।
आर्यमणि:– जादूगर तुम कुछ ज्यादा ही उम्मीद न लगा लिये। तुमने ही तो उन एलियन की शक्ति से मुझे अवगत करवाया है। तुम क्या चाहते हो तुम जैसे भूत के कहने पर उनसे सामने की लड़ाई करूं और मारा जाऊं।
जादूगर:– मैं तुम्हे जादूगरी की हर वो चीज सीखा सकता हूं। यहां तक की टेलीपोर्ट होना भी।
आर्यमणि:– कैसे??? नर बलि या पशु बलि लेकर मुझे विद्या सिखाओगे?
जादूगर:– तुम चाहते क्या हो भेड़िया वही बता दो?
आर्यमणि:– तुम अपने बारे में बखान गा चुके। तुमने एलियन का भी गुणगान कर लिया। और सबसे कमाल की बात यह रही की तुम दोनो के शक्तियों के आगे मैं धूल के बराबर भी नहीं। तो महान जादूगर अपनी कहानी ही बता दो की तुम इस तिलिस्म में फसे कैसे?
जादूगर:– "जो बोया था वही पाया। जिस वक्त मैं था उस दौड़ में केवल मैं ही था और मेरे विपक्ष में सभी शक्तिशाली समुदाय। फिर चाहे वो अच्छे लोगों के समुदाय हो या बुरे। सभी शक्तिशाली आश्रम, तांत्रिक महासभा, एलियन समुदाय, किरकिनी समुदाय या फिर कोई अन्य समुदाय हो। हां शुरवात में मैं कुछ ज्यादा ही पागल था। जिस किसी से लड़ता केवल मारने के लिये ही लड़ता। इसी वजह से जितने भी विकृत समुदाय थे जैसे तांत्रिक महासभा, एलियन समुदाय या जादूगरों की किरकीन समुदाय, उन सबके बीच मैं तुरंत ही लोकप्रिय हो गया।"
"बाद में ख्याल आया की ये जितने भी बुरे समुदाय थे, साले मुझे चने के झाड़ पर चढ़ाकर मात्र एक हथियार की तरह उपयोग में ला रहे है। जिस दिन मेरे भेजे की बत्ती खुली थी, उसी दिन मैं जादूगरों की महासभा किरकीनी के सभी अनुयाई को मौत की नींद सुला दिया था। तांत्रिक महासभा को लगभग समाप्त कर दिया था और एलियन समुदाय में मैं जितने को जनता था, सबको साफ कर दिया। हालांकि कुछ दिन पहले तक मुझे यह पता नही था की एलियन का वह समुदाय था। 5 दिन के अंदर अलग–अलग समुदाय के लगभग 800 विकृत को मैं मार चुका था। किंतु दुश्मन तो आश्रम वालों को कहते है। एक भी आश्रम वाला मेरे इस कार्य की सराहना करने नही आया। मैं उनकी नजर में पहले जैसा ही विकृत था।"
"एक साथ सभी समुदाय मेरे जान के दुश्मन बने हुये थे। जिंदगी ने जैसे मेरे मजे के रास्ते खोल दिये हो। रोज किसी न किसी को धूल चटाने में बड़ा मजा आता था। हां लेकिन मैं पहले जैसा नही रह गया था। जो मुझे मारने आते उन्हे मैं मारता और जो मुझे कैद करने आते मैं उन्हे कैद कर लेता। वो अलग बात थी कि मेरी कैद मौत से भी ज्यादा खौफनाक होती। लौटकर जब मैं किसी कैदी से मिलता, तब उसका गिड़गिड़ाना देखकर कलेजे को जो सुकून मिलता था, उसकी कोई सीमा नहीं थी। और यही वजह थी कि बाद में मैने सबको मारना छोड़कर केवल कैद करता था।"
"उन्ही कैदियों में से किसी कैदी की हाय लगी होगी। सबकुछ अचानक से हो गया। तांत्रिक महासभा का महागुरु तांत्रिक मिंडरीक्ष और मेरी दुश्मनी अपने चरम पर थी। हालांकि तांत्रिक महासभा को मैने ऐसा डशा था कि मिंडरीक्ष मुझे मारने के लिये बौखलाया हुआ था। छिपकर उसने मुझे कई बार चोट भी दिये, लेकिन कभी मार नही पाया और न ही कभी सामने से लड़ने आया था।"
"तांत्रिक मिंडरीक्ष के दिये घाव इतने नशूर थे कि मैं उसे मौत से बदतर सजा देने के लिये तड़प रहा था। उन्ही दिनों मुझे तांत्रिक मिंडरीक्ष के छिपे ठिकाने का पता चला। उसके छिपे ठिकाने की खबर मिलते ही मैं बिना वक्त गवाए उसके ठिकाने पर पहुंचा। हम दोनो आमने सामने थे और मैने बिना कोई वक्त गवाए मिंडरीक्ष पर हमला बोल दिया। मैने अमोघ अस्त्र चलाया। मिंडरीक्ष के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन मेरा अस्त्र वो एलियन नागासुर ने अपने ऊपर ले लिया। मेरे लिये यह चौकाने वाला क्षण था। मेरी आंखें बड़ी हो गयी। मेरे अस्त्र और मिंडरीक्ष के बीच में आने वाले व्यक्ति पर मेरे अस्त्र का कोई असर नहीं हुआ।"
"तब मुझे लगा था कि वह कोई इच्छाधारी जानवर है। तुम्हे तो पता ही होगा आर्यमणि, मंत्र की सिद्धि जानवरों पर काम नही आती। मुझे लगा ये कोई इक्छाधारी जानवर ही है। एक मौका चुका तो क्या हुआ, फिर मैंने बाहर की वस्तुओं से आक्रमण किया। एक असरदार उपाय। जब आपके सिद्ध मंत्र किसी इक्छाधारी जानवर के लिये काम न आये तो उसपर बाहर के वस्तुओं से हमला करना चाहिए, और मैंने भी वही किया। बादल, बिजली इन सब से हमला शुरु कर दिया। मेरे लिये नागासुर कोई नया नाम या चेहरा नहीं था। मैने उसके समुदाय के लोगों को पहले भी मारा था, लेकिन ये कुछ नया था।"
"मुझे समझ में आ चुका था कि नागासुर और उसके जैसे लोग खुद को छिपाकर, अपने समुदाय के नाम पर इंसानों को ही आगे रखते है, ताकि इनकी सही पहचान छिपी रह सके। विश्वास मानो आर्यमणि, मुझे तनिक भी भनक होती की वो नागासुर किसी अन्य ग्रह का प्राणी है जो बिजली के हमले को अपने अंदर समाकर अट्टहास भरी हंसी से सामने वाले का उपहास करता है, तब मैं शायद किसी अलग रणनीति से जाता। खैर चूक तो हो चुकी थी और सजा भी मिली। तकरीबन 500 साल के कैद की सजा। उस एलियन ने कौन सा मंत्र पढ़ा अथवा कौन सी वस्तु का प्रयोग किया मुझे नही पता, लेकिन पलक झपकते ही मेरी आत्मा मेरा शरीर छोड़ने को तैयार हो गयी।"
"वो लोग जीत चुके थे लेकिन एक भूल उनसे भी हो गयी। वह भूल चुके थे कि मैं जादूगर महान हूं। वह भूल चुके थे कि मैने मोक्ष पर सिद्धि प्राप्त किया था। मैने आत्मा विस्थापित मंत्र का जाप किया और खुद को उस चेन में समा लिया। वरना पता न वो मेरे आत्मा को किस चीज में कैद करते और लगातार प्रताड़ना के बाद शायद मैं उनकी गुलामी स्वीकार कर लेता। पर उनके मंसूबों पर भी तब पानी फिर गया जब उनकी मनचाही कैद के बदले मैं सीधा चेन में कैद हो गया। वह चेन जो पहले से उस अलौकिक ग्रंथ से बंधी थी और उस अलौकिक ग्रंथ को जब मुझ जैसा सिद्धि प्राप्त खोल नही पाया, फिर उन एलियन या फिर तांत्रिक महासभा के तांत्रिकों की क्या औकाद थी।"
"मुझसे बात कर पाना तभी संभव था जब वह किताब खुलती। और मुझे पता था जब कभी यह किताब खुलेगी तो उसे सात्विक आश्रम का कोई गुरु ही खोल सकता है। मेरे शरीर को आज भी वो एलियन सुरक्षित रखे है, ताकि मेरी आत्मा कभी मुक्त न हो। उन लोगों ने किताब खोलने की बहुत कोशिश की, लेकिन उनकी सभी कोशिश नाकाम रही। सात्विक आश्रम से मदद ले नही सकते थे वरना वह किताब उन एलियन की पोल खोल देती। साथ ही साथ उस किताब को वो एलियन न जाने कितने वर्षों से अपने साथ रखे है, महाग्रंथ में अब तक तो उन एलियन की पूरी जीवनी छप चुकी होगी।
आर्यमणि:– नही ऐसा नहीं हुआ होगा, क्योंकि उन एलियन के कोई इमोशन ही नहीं जिसे, किताब मेहसूस कर सके। खैर वो तो जब एलियन के संपर्क में यह किताब आयेगी तब पता चल ही जायेगा। लेकिन इस वक्त का बड़ा सवाल यह है कि क्या अनंत कीर्ति की पुस्तक तुम्हारे जरिए उनको मिली?
जादूगर:– "हां बिलकुल... हिंद महासागर की गहराई से जब मैं चेन लेकर लौट रहा था तभी मेरा सामना प्रहरी के मुखिया हिंदलाल से हो गया। समुद्र तट पर ही वह मेरा इंतजार कर रहा था। हिंदलाल के साथ वैदिक आश्रम के तत्काल गुरु रामनरेश भी थे। जब मैं चेन का प्रयोग करना चाहा तभी गुरु रामनरेश ने उस चेन को सम्पूर्ण सुरक्षा चक्र में बांध दिया ताकि मैं उस चेन का इस्तमाल न कर सकूं। गुस्से में मैने वहां मौजूद सभी को हिंद महासागर एक वीरान टापू पर टेलीपोर्ट करके उस पूरे टापू को ही बांध दिया। निर्जन भटकते जीवन के लिये उन्हे वहां पर छोड़कर मैं वह अलौकिक किताब लेकर भाग गया।"
"जब किताब मेरे हाथ लगी उसके 6 महीने तक मैं कहीं गया ही नहीं। यूं तो सुरक्षा मंत्र चक्र को हटाना मेरे लिये कोई मुश्किल कार्य नही था किंतु किताब खोले बिना मंत्र को निष्क्रिय नही किया जा सकता था। महर्षि गुरु वशिष्ठ को उन 6 महीनो तक नमन करता रहा। किताब की सारी बातें जान गया लेकिन विद्या विमुक्तये का कितना भी प्रयोग किया वह किताब खुली नही। मेरे लिये यह किताब किसी चुनौती से कम नही थी। हर वक्त उसे अपने साथ लिये घूमता और किताब कैसे खोला जाये उसी पर विचार करता।"
जब मैं खुद को चेन के अंदर बांध लिया तब भी किताब मेरे ही पास थी। मेरी आत्मा चेन में बंधी थी और मेरे आंखों के सामने तांत्रिक महासभा के बचे तांत्रिक और उनका गुरु मिंडरीक्ष किताब को पाने के लिये उन एलियन से जंग छेड़ चुका था। पर तांत्रिक महासभा को क्या पता कि जो हथियार वो लोग मेरी आत्मा को कैद करने लाये थे, उसी हथियार से एलियन ने पूरे तांत्रिक महासभा को नाप दिया। वो तो मिंडरीक्ष टेलीपोर्ट कर गया, वरना वो भी चला जाता।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
यह जादूगर तो बहुत हीं खतरनाक ओर पहुंची हुई चीज हैं भाई
दुनिया भर का ज्ञान हैं इसके पास अकेला एलियन ओर तांत्रिको की महासभा से लड़ने में सक्षम हैं मोक्ष को सिद्ध किया हुआ आत्मा विस्थापित मंत्र को सिद्ध किया हुआ है टेलीपोर्ट को जानता है शायद हीं वर्तमान में कोई ऐसा होगा जो इसका मुकाबला तो बहुत दूर की बात कोई खड़ा भी नहीं रह सकता हैं नैन भाई
इतनी सिध्दीयो के होते हुए भी तांत्रिक की लड़ाई में एक एलियन की वजह से मात खा गया ओर चेन में कैद हों गया वरना उनकी गुलामी करनी पड़ती जादूगर को
लेकिन एलियन की मदद लीं तांत्रिकों ने उसकी सजा उनको भी मिलीं एलियन ने उन सबको मार दिया सिर्फ उनका गुरु हीं टेलीपोर्टेशन से बच पाया था
जादूगर ने जो दूसरों को कैद किया तो खुद भी कैद हों गया ऐसी चीज में जिसके बारे में कोई भी पता नहीं लगा सकता था अनंत किर्ती किताब भी नहीं
एक बात कमाल की हैं हम सब को लगा कि किताब आश्रम के किसी गुरु को मारकर एलियन ने हासिल की की हैं
लेकिन ऐसा नहीं है किताब आश्रम के गुर रामनरेश से जादूगर के पास आई और जादूगर से यह किताब एलियन के पास पहुंचीं जिसमें कोई हत्या नहीं हुई थी भाई
बहुत ही शानदार नैन भाई अगर ये जादूगर कुछ दिन आर्य के साथ रहा तो आर्य के दिमाग की या तो चक्करघिन्नी बना देगा या फिर इतना पावरफुल सिद्ध योगी बना देगा जिसके लिए लौकीक या पैरालौकिक का कुछ महत्व नहीं रहेगा भाई