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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–104




आर्यमणि:– हम्मम…. किताब का एलियन तक पहुंचने का ये राज था। एक सवाल अब भी मन में है। आपकी ये छड़ी और वो चेन...


जादूगर:– "छड़ी एक नागमणि की बनी है। मैं इक्छाधारि नाग के समुदाय का काफी करीबी रहा था। उनकी हर समस्या में सबसे आगे रहकर उनकी मदद की थी। उसी से खुश होकर इक्छाधारी नाग के राजा त्रिनेत्रा ने मुझे यह विषेश छड़ी भेंट स्वरूप दिया था। हालांकि मैं भौतिक वस्तु पर ज्यादा यकीन नही करता था लेकिन राजा त्रिनेत्रा की ये छड़ी जैसे कोई एम्प्लीफायर हो। किसी भी मंत्र की शक्ति को चाहूं तो पृथ्वी सा विशाल बना दूं या चींटी के समान छोटी।"

"यह छड़ी पहली ऐसी भौतिक वस्तु थी जिसे मैं प्रयोग में लाता था। इसके अलावा मुझे कई अलौकिक पत्थर मिले लेकिन मैने एक भी अपने पास नही रखा। मुझे मिले ज्यादातर पत्थर मैने नष्ट कर दिये। कुछ पत्थर मैने अपने चेलों में बांट दिया। उसी दौड़ में मैने हिंद महासागर के गर्भ से यह शक्तिशाली चेन निकाला था। यह दूसरी ऐसी भौतिक वस्तु होती जिसका प्रयोग मैं करने वाला था, लेकिन ऐसा हो उस से पहले ही आश्रम वालों चेन के साथ कांड कर दिया।"

"एक बात सबसे आखिर में कहना चाहूंगा। मैं बुरा हूं लेकिन सिद्धातों वाला बुरा इंसान हूं जिसे अमर जीवन नही चाहिए था। जो भौतिक वस्तु पर आश्रित नहीं था और न ही मन में कभी यह ख्याल आया की अपने छड़ी के दम पर पूरे श्रृष्टि को घुटने पर लाया जाये। मैने कभी किसी स्त्री, ब्राह्मण, बच्चे, अथवा दुर्बलों का शिकर नही किया। मैं उन्ही को मरता अथवा कैद करता था जो या तो विकृत हो या लड़ना जिनका धर्म हो।"


आर्यमणि:– चलो कहानी पसंद आयी। ठीक है मुझे २ दिन का वक्त दो, मैं आपके प्रस्ताव पर विचार करके बताता हूं कि क्या करना है? आपके साथ एलियन का शिकर या फिर जो मैने सोच रखा है उसी हिसाब से आगे बढ़ा जाये।


जादूगर:– देखो जरा जल्दी सोचना। इंसानी शरीर के अंदर आत्मा ज्यादा धैर्यवान होती है, लेकिन उसके बाहर बिलकुल भी धैर्य नहीं रहता।


आर्यमणि:– आपने मुझे अयोग्य बताया था, ये बात भूलिए नही। पहले समझ तो लूं कि उन एलियन से लड़ना भी है या नही।


जादूगर:– क्यों एक ही बात को दिल से लगाये बैठे हो। तुम बहुत ज्यादा संतुलित इंसान हो, जिसकी क्षमता वह खुद नही जानता। तुम्हे मुझ जैसे ही एक एम्प्लीफायर की जरूरत है आर्यमणि, जो तुम्हे तुम्हारी सम्पूर्ण शिक्षा से अवगत करवा सके। तुम्हारे जन्म के समय नरसिम्हा योजन किया गया था, तुम पर उसी का पूरा प्रभाव है। ऊपर से विपरीत किंतु अलौकिक नक्षत्र का संपूर्ण प्रभाव। तुम चाहो तो ये समस्त ब्रह्माण्ड, फिर वह मूल दुनिया का ब्रह्मांड हो या विपरीत दुनिया का, ऐसे घूम सकते हो जैसे अपने घर–आंगन में घूम रहे हो।


आर्यमणि:– बातें बड़ी लुभावनी है, लेकिन फिर भी पहले मैं सोचूंगा... अब आप ऐसी जगह जाओ, जहां से हमे सुन न सको। और हां जाने से पहले ये बताते जाओ की मुझे कहा गया था किताब अपने आस–पास किसी विकृत को देखकर इशारे करेगी, लेकिन ये किताब इशारे नही कर रही?


जादूगर:– साथ काम भी नही करना और जानकारी भी पूरी चाहिए। सुनो भेड़िए, यह किताब ऑटोमेटिक और मैनुअल मोड पर चलती है। ऑटोमेटिक मोड पर किताब तुम्हे किसी खतरनाक विकृत के आस पास होने की मौजूदगी का एहसास करवाएगा, क्योंकि संसार में पग–पग पर चोर बईमान और भ्रष्ट लोगों की कमी नही। मैनुअल मोड से तुम्हे किसी का अलर्ट चाहिए तो मैनुअल मोड का मंत्र पढ़ो और जिसका अलर्ट चाहिए उसका स्मरण कर लेना। यदि जिसका स्मरण कर रहे उसे पहले कभी किताब ने मेहसूस किया होगा तब तुम सोच भी नही सकते की यह किताब क्या जानकारियां दे सकती है।


आर्यमणि:– और किताब जिसके संपर्क में नही आयी हो, उसका स्मरण कर रहे हो तब?


जादूगर:– स्मरण करके छोड़ दो। किताब के संपर्क में आते ही किताब तुम्हे उसका अलर्ट भेज देगी और एक बार वह किताब के संपर्क में आ गया, फिर वह कभी भी किताब के नेटवर्क एरिया से बाहर नहीं हो सकता। अब मैं चला, विचार जल्दी करके बताना... और हां.. साथ काम करने पर ही विचार करना...


आर्यमणि:– अरे कहां भागे जा रहे। किसी के अलर्ट का मैनुअल मोड कैसे ऑन होता है, उसका मंत्र दोबारा तो बताते जाओ...


जादूगर मंत्र बताकर उड़ गया और आर्यमणि किताब पर मंत्रों का जाप कर, जादूगर की निगरानी के लिये किताब को पहले प्रयोग में लाया। मंत्र के प्रयोग करते ही जो जानकारी पहले उभर कर सामने आयी उसे देखकर आर्यमणि दंग था। किताब न सिर्फ जादूगर से आर्यमणि की दूरी बता रहा था, बल्कि वह कहां–कहां विस्थापित हो रहा था, यह भी लगातार उस किताब मे अंकित होता। जादूगर, आर्यमणि को देख सकता है अथवा नहीं, या सुन सकता है या नही, यह भी किताब में अंकित था।


आर्यमणि को जैसे–जैसे किताब की विशेषता ज्ञात हो रही थी, उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं था। लगातार २ रात सोच में निकल गयी। इधर तीनो टीन वुल्फ अपने टीम को जीत के रथ पर आगे बढ़ाते खेल का पूरा आनंद ले रहे थे। तीनो अक्सर हो सोचते थे, काश हर किसी को खेल से इतना प्रेम होता तो फिर सारे झगड़े खेल के मैदान पर ही सुलझा लिये जाते। खेल जोश है, जुनून है और इन सबसे से बढ़कर अलग–अलग मकसद से जी रहे लोग, एक लक्ष्य के लिये काम करते है। जीवन का प्यारा अनुभव था जो यह तीनो ले रहे थे।


तीसरे दिन आर्यमणि अकेले ही जादूगर के पास पहुंचा।दोनो जंगल में मिल रहे थे। आर्यमणि जादूगर की योजना पर सहमति जताते एलियन के पास जादूगर को ले जाने के लिये तैयार हो गया। आर्यमणि की केवल एक ही शर्त थी, 2 महीने बाद पलक से होने वाली मुलाकात के बाद जादूगर के शरीर को नष्ट करके, उसके आत्मा को मुक्त कर दिया जायेगा।


पहले तो जादूगर इस शर्त के लिये तैयार नहीं हुआ। उसे तो सबको मरते देखना था, खासकर सुकेश, उज्जवल और तेजस को। लेकिन आर्यमणि जादूगर के प्रस्ताव को ठुकराकर अपनी बात पर अड़ा रहा। जादूगर और आर्यमणि के बीच थोड़ी सी बहस भी हो गयी लेकिन जैसे ही जादूगर को पता चला की पलक से मुलाकात के वक्त वहां नित्या भी होगी, वह झट से मान गया। जादूगर अट्टहास भरी हंसी हंसते हुये इतना ही कहा.….. "चलो सुकेश और उज्जवल न सही, लेकिन जाने से पहले अपने साथ तेजस को साथ लिये जाऊंगा।"…


जादूगर के इस बात पर आर्यमणि मजे लेते कहा भी... "तेजस क्या भारत से टेलीपोर्ट होकर आयेगा?"..


जादूगर:– नित्या जहां होगी, तेजस वहां मिलेगा ही। तुम चिंता न करो। मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है। लेकिन एक बात बताओ एलियन के उच्च–सुरक्षा वाले साइंस लैब से मेरा शरीर निकलोगे कैसे और जलाओगे कैसे?


आर्यमणि:– अब जब काम ठान लिया है तो रास्ता भी निकल आयेगा, लेकिन सैकड़ों वर्ष पुरानी आत्मा को इस लोक में ज्यादा देर रोकना अच्छी बात नही। क्या समझे जादूगर महान जी।


जादूगर:– कर्म के पक्के और लक्ष्य से ना भटकने वाले। सामने इतने सशक्त दुश्मन (एलियन) होने के बावजूद उन दुश्मनों से टक्कर लेने वाले को पहले विदा कर रहे। कर्म का पहला अध्याय आत्मा की मोक्ष प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए।


आर्यमणि:– आत्मा किसी की भी हो मायालोक में ज्यादा वक्त बिताने के बाद उस से बड़ा विकृत कोई नही।


जादूगर:– ओ भाई मैं मरी हुई लाश की आत्मा नही हूं, इसलिए मेरी विकृति को आत्मा की विकृति न मानो।


आर्यमणि:– क्या करे जादूगर जी। आत्मा तो आत्मा होती है। कर्म ने बुलावा दिया है तो पहले आपकी मुक्ति ही जरूरी है।


जादूगर:– हम्मम!!! तुम्हारे फैसले का स्वागत है। वैसे एक बात खाए जा रही है, मैं तुम्हे दुनिया भर का दुर्लभ ज्ञान देना चाहता हूं और मेरी मदद के बदले केवल तुमने मेरी ही मुक्ति की शर्त रखी?


आर्यमणि:– इसमें ज्यादा क्या दिमाग लगाना जादूगर जी। मैं आपसे कोई उम्मीद लगाये रखूंगा तो आपकी उम्मीद भी बढ़ेगी। फिर आपकी शर्त भी सुननी होगी। हो सकता है मोह वश मैं 500 साल पुराने शरीर में आपकी आत्मा को विस्थापित कर दूं। इसलिए मैं कोई उम्मीद नहीं लगाए बैठा। बिना किसी गलत तरीके के और बिना कोई गलत गुरु दक्षिणा लिये, जितना ज्ञान आप मुझे सिखाना चाहो सीखा दो। मैं और मेरा पैक कुछ नया सीखने के लिये हमेशा तत्पर रहते है।


जादूगर:– पहले ही कहा था, तुम बहुत संतुलित हो। कल सुबह से ही मैं ज्ञान बांटना शुरू करूंगा। किसी भी गलत विधि (गलत विधि अर्थात नर या पशु बलि लेकर सिद्धि प्राप्त करना) का ज्ञान नही होगा और गुरु दक्षिणा में सिर्फ इतना ही.… जिस वक्त किताब में मेरे अंत की जीवनी में मुझे एक शुद्ध आत्मा घोषित कर दे, मैं चाहता हूं तुम मुझे केवल उन्हीं अच्छे कर्मों के लिये याद करो जो मैं कल से तुम्हारे साथ शुरू करने वाला हूं।


आर्यमणि:– क्या आप यह कहना चाह रहे हो की आप सुधर गये?


जादूगर:– जब मुझे खुद यकीन नही की मैं सुधर सकता हूं फिर तुम कैसे सोच लिये की मैं सुधरना चाह रहा। बस शुद्ध रूप से, बिना किसी छल के मैं तुम्हे और तुम्हारे पैक को पूर्ण ज्ञान देना चाहता हूं। मेरे आत्मा की यह भावना किताब जरूर मेहसूस करेगी...


आर्यमणि:– कमाल है। इतनी कृपा बरसाने की वजह..


जादूगर:– "जिस वक्त मैं था, उस वक्त और कोई नही था। सात्विक आश्रम को हम जैसे विकृत लोग बर्बाद कर चुके थे। वैदिक और सनातनी आश्रम का तो उस से भी बुरा हाल था। आश्रम के जितने भी लड़ने वाले मिले, उनमें ऐसा लगा जैसे पूर्ण ज्ञान है ही नही। मैं तो आश्रम में महर्षि गुरु वशिष्ठ जैसे ज्ञानी को ढूंढता था, लेकिन कोई भी उनके बराबर तो क्या एक चौथाई भी नही था।"

"बराबर की टक्कर के दुश्मन से लड़ो तो बल और बुद्धि में वृद्धि होती है। वहीं अपने से दुर्बल से लड़ो तो केवल अहंकार में वृद्धि होती है। वही अहंकार जो एक महाबली और महाज्ञानी के अंदर आ गया और उसका सर्वनाश हो गया। मैं अपने आराध्य महाज्ञानि रावण की बात कर रहा। बस केवल उनकी गलती को अपने अंदर नही आने दिया बाकी अनुसरण मैं उन्ही का करता हूं।"

"अब मैं अपने जीवन के आखरी वक्त में बिना किसी लालच के आश्रम के एक नौसिखिए गुरु को ज्ञान के उस ऊंचाई पर देखना चाहता हूं, जिसे मैं अपने सम्पूर्ण जीवन काल में ढूढता रहा। मेरी मृत्यु यदि गुरु वशिष्ठ जैसे किसी महर्षि के हाथों होती तो ही वह एक सही मृत्यु होती। लेकिन मेरी बदकिश्मति थी जो आश्रम में उन जैसा कोई नहीं था। जाने से पहले अपने पूर्ण जीवन काल के एक अधूरी इच्छा को पूरी करके जाना चाहता हूं। मैं गुरु वशिष्ठ जैसा ज्ञानी तो नही क्योंकि उनकी ज्ञान की परिभाषा तो उनकी रचित यह पुस्तक देती है लेकिन जाने से पहले वह तरीका सीखा कर जाऊंगा जिसके मार्ग पर चकते हुये शायद किसी दिन तुम गुरु महर्षि वशिष्ठ के बराबर या उनसे आगे निकल जाओ"


आर्यमणि:– चलो आपकी इस बात पर यकीन करके देखता हूं। पता तो चल ही जायेगा की आपकी बातों में कितनी सच्चाई है। शाम ढलने वाली है, मेरा पूरा परिवार कॉटेज पहुंच चुका होगा, मैं जा रहा हूं।


जादूगर:– ठीक है फिर जाओ। अब तो बस तुम्हे सिखाते हुये 60 दिन निकालने है। उसके बाद दिल के नासूर जख्म को मलहम लगेगा, जब तेजस से मुलाकात होगी...


आर्यमणि:– अरे जख्मों पर धीरे–धीरे मलहम लगाते हुये हम जर्मनी पहुंचेंगे। यूं ही नही मैने 60 दिन का वक्त लिया है।


जादूगर:– मतलब?


आर्यमणि:– मैं इतना भी मूर्ख नहीं जो यह न समझ सकूं की वह एलियन जितना मेरे लिये पहेली है, उतना ही आपके लिये भी। यह तो आपको पता होगा की मैं सुकेश के संग्रहालय को लूटकर भागा हूं, तभी मेरे पास वह चेन और आपकी दंश है। लेकिन आपको ये पता नही की, उन एलियन को लगता है कि मैं केवल अनंत कीर्ति की किताब लेकर भागा हूं और कोई छिपा हुआ गैंग उनका खजाने में सेंध मार गया। भागते वक्त ऐसा जाल बुना था की वह एलियन अपने कीमती खजाने को जगह–जगह तलाश कर रहे। उनकी एक टुकड़ी मैक्सिको और दूसरी टुकड़ी अर्जेंटीना पहुंच चुकी है। इसके अलावा मुझे इनके 4 और टुकड़ी के बारे में पता है जो अलग–अलग जगहों पर अपने संग्रहालय से चोरी हुई समान की छानबीन करते हुये धीरे–धीरे मेरे ओर बढ़ रहे। 10 दिनो में तीनो टीन वुल्फ का स्कूल गेम समाप्त हो जायेगा उसके बाद हम शिकार पर निकलेंगे। दुश्मन की अलग–अलग टुकड़ी को नापते हुये सबसे आखरी में मैं पलक से मिलने पहुंचूंगा... क्या समझे जादूगर जी... 10 दिन बाद से जो एक्शन शुरू होगा वह सीधा 2 महीने बाद ही समाप्त होगा। उम्मीद है यह खबर सुनकर आप कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो चुके होंगे... अब मैं चलता हूं, आप अपना 10 दिन का काउंट डाउन शुरू कर दीजिए.…


जादूगर महान दंश के जरिए अपनी भावना नहीं दिखा सकता था वरना जादूगर अपने दोनो हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुये नजर आता। जादूगर समझ चुका था कि कैसे योजनाबद्ध तरीके से आर्यमणि ने उन छिपे एलियन को न सिर्फ उनके छिपे बिल से निकाला, बल्कि एक जुट संगठन को कई टुकड़ी में विभाजित करके अलग–अलग जगहों पर जाने के लिये मजबूर कर दिया। अब होगा शिकार। एक अनजान दुश्मन को पूरी तरह से जानने की प्रक्रिया।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
आर्य के लिए यह जादूगर हर समस्या के समाधान का पिटारा बनकर आया हैं और अपनी सभी शुद्ध तंत्र मंत्र यंत्र ओर सिद्धी आर्य और उसके पेक को सिखाने के लिए तैयार हो गया हैं अपनी मर्जी से
ताकि अपने जीवन की एक ख्वाहिश वशिष्ठ जैसे गुरु के हाथों मरने की इच्छा पूरी नहीं कर पाया लेकिन मरते हुए आर्य को इतना कुछ सिखा कर जाना कि वो गुरु वशिष्ठ से भी आगे निकल जाएं

वहीं जादूगर की अपने सभी दुश्मन एलियन को मारने की बात पर आर्य ने मना कर दिया लेकिन नित्या को मरते हुए देख सकता हैं जिस पर जादूगर खुश हो गया कि वो तेजस को मरते हुए देख पायेगा जो आर्य के समझ नहीं आया

वहीं दो महीने बाद नित्या का कल्याण होगा तब तक जादूगर आर्य और उसके पैक के लिए ज्ञान का पिटारा खोलने वाला हैं

आर्य ने जो इन एलियन को अलग अलग टुकड़े में बांट दिया उसे जानकर जादूगर खुश हो गया हैं


इंतजार हैं अगलें एक्शन से भरपूर अपडेट का नैन भाई
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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Bahut hi khubsurat update the last ke 3 maja hi aa gaya.
Anant kirti ki book ke bare me jitna jano itna kam lag raha hai. Sayad usi book ke upar alag se kai story likhi ja sakti hai.
Khair jadugar bhi kam nahi tha apne time ka sktimaan tha subko ghat ghat ka pani pila diya tha. Ab maja tab aayega jb action time aayega. Aur jadugar bina bole entry karega. Kya hi mast plan banaya hai bahut maja aa gaya. Dekhte hai kya hota hai ab ?
 

Zoro x

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भाई ये एडल्ट स्टोरी बढ़िया है या नहीं… अभी तक मैंने पढ़ी नहीं इसे, सिर्फ़ कमेंट्स देख रहा था ताकि पता चल सके अच्छी है या नहीं, शुरू के पहले पेज में इतने लोगो का नाम और पात्र फिर वुल्फ की जानकारी पढ़ कर ही बोरिंग लगी इसलिए पूछ रहा हूँ। कृपया बताने की किरपा करे।
बहुत ही शानदार एक्शन रोमांस और बदले की आग से लबरेज कहानी है
एक बार पढ़ना शुरू किया तो प्रजेंट अपडेट पर आकर हीं रुकोगे भाई

पढ़ों ओर एक बेहतरीन कहानी का आनन्द लों भाई
 

nain11ster

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Nain bhai firse gayab kidhar ho
Yahin hun... Update edit karne me vyast tha.... Aur log 3 update itminan se padh le uske intzar me... Sat and Sunday will be grand
 

Sandyk123

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Yahin hun... Update edit karne me vyast tha.... Aur log 3 update itminan se padh le uske intzar me... Sat and Sunday will be grand
इतने हसीन सपने मत दिखाओ नैन भाई।
 

Golu

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Yahin hun... Update edit karne me vyast tha.... Aur log 3 update itminan se padh le uske intzar me... Sat and Sunday will be grand
Are sir ham to bs rah dekh rhe
 

Destiny

Will Change With Time
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भाग:–102





तेज रौशनी के साथ इस कमरे में जादूगर महान की आवाज गूंजी और चेन लिपटा वह दंश बिजली की तेजी से ऊपर हवा में गया। जादूगर कोट्टेज के छत को फाड़कर निकल गया। आर्यमणि गर्दन ऊंचा करके एक बार छत के उस छेद के देखा उसके बाद पूरे अल्फा पैक को घूरने लगा। और इधर चारो अपने मुंह पर हाथ रखे, छत पर हुये छेद को देखते.… "बीसी (BC) झूठ बोलने वाला भूत, हमारी काट लिया।"


सभी छत को घूर रहे थे और आर्यमानी गुस्से से फुफकारते.… "जबतक उस जादूगर को पकड़ न लेते, तबतक चारो बाहर ही रहोगे।"


रूही:– और तुम क्या घर पर बैठकर रोटियां बनाओगे। बाहर जाकर तुम जादूगर को पकड़ो आर्य। ये तुम्हारा काम है।


आर्यमणि:– अच्छा ये मेरा काम है। जब मैं कह रहा था कि किताब के हिसाब से.…


रूही, आर्य के बात को बीच से काटती.… "किताब का हिसाब किताब तुम देखो। ये फालतू की तिलिस्मी चीजें तुम लेकर आये थे।"


आर्यमणि:– हां तो जब मना कर रहा था तब माने क्यों नही। कह तो रहा था न, चेन में जादूगर की आत्मा है।


रूही:– उस मक्कार भोस्डीवाले जादूगर का नाम मत लो। झूठा साला.. दिखा तो ऐसे रहा था जैसे वह एनर्जी पावर हाउस वाले उस चेन में बसने वाला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, लेकिन मदरचोद निकला जादूगर का भूत, उसकी मां की चू...


आर्यमणि:– बच्चों के सामने ये कैसी भाषा का प्रयोग कर रही हो।


रूही:– शुद्ध देशी भाषा का प्रयोग कर रही हूं और जो मदरचोद मरने के के बाद भी झूठ बोले, उसकी मां का भोसड़ा, बेंचोद दो कौड़ी का घटिया...


आर्यमणि:– रूही बहुत हुआ..


रूही:– कम ही कह रही हूं। अमेरिका आ गयी इसका मतलब ये नही की सरदार खान के बस्ती की अच्छी बातों को भूल जाऊं। तू कुछ बोल क्यों नही रही अलबेली... अलबेली.… ओ तेरी जादूगर... अ, अ, आप कब आये जादूगर और इन्हे बांध क्यों रखा है?


हुआ यूं की आर्यमणि और रूही अपनी तीखी बहस में व्यस्त थे। उधर जिस तेजी से जादूगर महान बाहर भागा था, उसी रफ्तार से वापस भी आ गया। अब ये दोनो तो व्यस्त थे और जब तीनो टीन वुल्फ ने रूही को रोकना चाहा तब जादूगर महान तीनो को जादू से बांध चुका था। तीनो टीन वोल्फ ना तो हिल सकते थे और न ही कुछ बोल सकते थे।


जादूगर, रूही की बातों पर तंज कसते.… "जब तुम मुझे आशीर्वाद देना शुरू की थी तभी आया। ये तीनों तुम्हे बीच में ही रोकने वाले थे, इसलिए बांध दिया।


रूही:– ओह तो सब सुन लिया। फिर क्यों मैं इतनी घबरा रही की कहीं कुछ सुन तो न लिया। वैसे बुरा मत मानना, पीठ पीछे दी हुई गाली लगती नही।


जादूगर:– हां लेकिन अभी–अभी गये मेहमान के जाने के ठीक बाद कभी गाली नहीं देते। हो सकता है किसी कारणवश वह लौट आये।


आर्यमणि:– जादूगर इतनी गलियां खाने के बाद भी इतने संयम में हो और दिल की भड़ास भी बड़े प्यार से निकाल रहे। अब बात क्या है वो सीधा बताओ, वरना मैं मोक्ष मंत्र पढ़ना शुरू करूं।


जादूगर:– मैं तो चला रे बाबा। ये तो मुझे जान से मारने की धमकी दे रहा। मुझे जो भी कहना होगा तुम्हे छोड़कर बाकी सबको कह दूंगा।


जादूगर आया... सबकी बातें सुनी और जैसे ही आर्यमणि ने मोक्ष मंत्र का केवल चर्चा किया, जादूगर वैसे ही भाग गया। उसके आने और जाने के बीच एक ही अच्छी बात हुई, आर्यमणि और रूही के बीच की बहस रुक गयी। एक बार फिर पांचों ऊपर की ओर देख रहे थे जहां से वह जादूगर भागा था।


आर्यमणि:– ये सर दर्द देने वाला है। मैं तुम लोगों की बातों में क्यों आ गया।


रूही कुछ जवाब देती उस से पहले ही ओजल कहने लगी.… "तैयार आप भी थे बॉस। इच्छा आपकी भी थी, तभी ऐसा संभव हुआ। दोष हम सब का है। हम सब उस जादूगर की बात में फसे। जादूगर की आत्मा अपने दंश से किसके वजह से जुड़ी, इसपर चर्चा करने से केवल एक दूसरे पर आरोप ही लगना है। ये सोचिए की उसे रोका कैसे जाये। भूलिए मत वह चेन खुद एक विध्वंशक हथियार है उसके ऊपर शक्तिशाली दंश। और एक ऐसा दुश्मन ने दस्तक दिया है जिसे हम मार भी नही सकते।


आर्यमणि:– हम्मम!!! ठीक है मैं आश्रम के लोगों से संपर्क करता हूं, तब तक तुम सब भी कुछ सोचो।


अलबेली:– सॉरी बॉस... कल से इंटर स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट शुरू हो रहा है और हमें अपने टीम के बारे में सोचना है।


अलबेली अपनी बात कह कर वहां से निकल गयी। ओजल और इवान भी उसके पीछे गये। इधर आर्यमणि भी आश्रम के लोगों से संपर्क करने लगा। अगली सुबह तीनो टीन वोल्फ सीधा स्कूल निकल गये। स्कूल जाते समय तीनो ने आर्यमणि और रूही को लिविंग रूम में गुमसुम पाया, इसलिए हिचक से कह भी नही सके की आज हमारे पहले गेम में आना।


चुकी इनका हाईस्कूल होम टीम थी, इसलिए तैयारी की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की ही थी। सुबह के 11 बजे पहला मैच होम टीम बर्कले हाई स्कूल और सन डायगोस हाई स्कूल के बीच खेला जाना था। दोनो ही टीम का जोश अपने उफान पर था। खिलाड़ियों के बीच एक दूसरे पर छींटाकशी बदस्तूर जारी था। सन डिएगो स्कूल पिछले वर्ष की रनर अप टीम में से थी और बर्कले हाई स्कूल अंतिम 8 में भी दूर–दूर तक नही।


और सब वर्ष की बात और थी। जबसे टीम में ओजल, इवान और अलबेली ने दस्तक दिया था, तबसे इस टीम का मनोबल भी पूरा ऊंचा था, और इस वर्ष यह टीम मात्र सुनकर चुप नही रहने वाली थी। लड़कों का मैच था और कोच के साथ इवान अपनी टीम की रणनीति बनाने में लगा हुआ था। दर्शक के रॉ में ओजल और पूरी गर्ल टीम बैठी हुई थी। मैच शुरू होने में कुछ देर थे तभी स्टैंड में तीनो टीन वुल्फ के मेंटर आर्यमणि और रूही भी पहुंच चुके थे। उनको दर्शकों के बीच देखकर तीनो टीन वुल्फ का उत्साह और भी ज्यादा बढ़ गया।


सभी खिलाड़ी और रेफरी मैदान पर। दोनो टीम के अतरिक्त खिलाड़ी अपने–अपने बेंच पर। उनमें से एक इवान भी था जो अतरिक्त खिलाड़ी के रूप में मैदान पर था और कोच के साथ ही खड़ा था। मैदान के केंद्र में दोनो टीम के 11 खिलाड़ी अपने–अपने पाले में। अब क्रिकेट होता या फिर हॉकी या फुटबॉल तब तो मैच का पूरा हाइलाइट बताना उचित होता, लोग चटकारा लगाकर इनकी लिखी कमेंट्री भी पढ़ सकते थे। किंतु अमेरिकन फुटबॉल, इसकी कमेंट्री लिखना तो दूर की बात है, टेक्निकल बातें भी लिख दिया जाये तो लोग थू–थू करते हुये लिख दे, "ये क्या बकवास लिखा है।" ज्यादातर लोग तो इसे रग्बी भी समझते है, किंतु दोनो अलग खेल है।


सीधी भाषा में लिखा जाये तो 1 घंटे में 4 क्वार्टर का खेल होता है। दोनो टीम को बराबर अटैक और डिफेंस करने का मौका मिलता है। बर्कले की टीम ने पहले डिफेंस चुना और सबके उम्मीद को पस्त करते हुये उन्होंने ऐसा डिफेंस का नजारा पेश किया की विपक्षी टीम नाकों तले चने चबाने पर मजबूर थी। वहीं जब बर्कले हाई स्कूल का अटैक शुरू हुआ तब तो विपक्षी को आंखे फटी की फटी रह गयी। पहले हाफ पूरा होने पर स्कोर कुछ इस प्रकार था... बर्कले 22 पॉइंट पर और सन डिएगो स्कूल मात्र ३ अंक पर थी।


फिर शुरू हुआ खेल अगले हाफ का। पहले हाफ में मैदान पर अनहोनी होते सबने देखा था। बर्कले हाई स्कूल वह टीम थी, जिसके लिये अंतिम 4 में जगह बनाना मुश्किल था। लेकिन बर्कले हाई स्कूल का खेल देखकर सभी हैरान थे। हां वो अलग बात थी की दूसरा हाफ और भी ज्यादा हैरान करने वाला था। बर्कले की टीम डिफेंस पर थी और जैसे ही बॉल विपक्ष के क्वार्टर बैक खिलाड़ी के हाथ में पहुंचा, बर्कले की पूरी टीम विपक्षी को रोकेगी क्या, वह तो जमीन पर ऐसे गिर रहे थे जैसे पेड़ से सूखे पत्ते।


पहले हाफ में जहां होम टीम ने अपने खेल में सबको हैरान कर दिया था। वहीं दूसरे हाफ में बर्कले की टीम हंसी की पात्र बनी हुई थी। इवान को समझ में आ चुका था कि यहां क्या हो रहा है। अपनी रोनी सी सूरत बनाकर वह आर्यमणि के ओर देखने लगा। आर्यमणि अपने हाथों के इशारे उसे धीरज रखने कहकर.… "रूही ये जादूगर तो सर दर्द हो गया है।"


रूही:– उस से भी कहीं ज्यादा सरदर्द ये मैच दे रहा। ऐसे लड़–भिड़ रहे हैं, जैसे शांढ की लड़ाई चल रही हो।


आर्यमणि:– हम्म, चलो चलते है। पता तो चले की यह जादूगर चाहता क्या है?


रूही:– हां लेकिन तब तक तो वो जादूगर पूरा मैच बिगाड़ देगा।


आर्यमणि:– इसलिए तो जादूगर को साथ लिये चलेंगे। ताकि वो मैच न बिगाड़े।


आर्यमणि ने धीमा अपना संदेश दिया। यह संदेश तीनो टीन वुल्फ तक पहुंचा और तीनो ही सबसे नजरें बचाकर अपने घर को निकले। एक–एक करके सभी घर में इकट्ठा हो गये। आर्यमणि लिविंग हॉल से चिल्लाते... "जादूगर महान कहां हो तुम। आ जाओ हम तुम्हे सुनेगे।"


आर्यमणि तेज चिल्लाया और ऊपर छत को देखने लगा। बाकी के चारो भी छत को घूरने लगे। ज्यादा इंतजार न करवाते हुये जादूगर उसी रास्ते से आया जिस रस्ते से गया था। जादूगर आते ही.… "मुझे समय देने के लिये तुम्हारा धन्यवाद"…


आर्यमणि चिढ़ते हुये.… "बात करने के लिये इन बच्चों के गेम क्यों खराब कर दिये? जी तो करता है अभी मोक्ष मंत्र पढ़ दूं। लेकिन फायदा क्या, फिर तुम भाग जाओगे और पता न उसके बाद क्या गुल खिलाओगे.…


जादूगर:– मोक्ष मंत्र, हाहाहा… मैं नही भागूंगा। चलो पहले तुम अपने मंत्र ही आजमा लो। वैसे इस पृथ्वी पर वह ऋषि या महर्षि बचे नही जिन्हे मोक्ष के 22 मंत्रो का ज्ञान हो। दिमाग तेज हो तो सीधा सुनो या फिर तुम महर्षि गुरु वशिष्ठ की वह किताब ले आओ और उसके सामने मैं सारे मंत्र बोलता हूं। पहले मेरी आत्मा को इस संसार से मुक्त करके दिखाओ।


आर्यमणि:– मोक्ष के २२ मंत्र आप मुझे सिखाएंगे?


जादूगर:– क्यों मुझसे सीखने से छोटे हो जाओगे...


आर्यमणि:– नही मुझे खुशी होगी। आप मंत्र बोलना शुरू करो, किताब तो यहीं है। मंत्र बोलने के बाद मुझे समझाना की आप अनंत कीर्ति की पुस्तक को कैसे जानते हो?


जादूगर:– अनंत कीर्ति... अनंत कीर्ति.. क्या बकवास नाम दिया है उन बदजातो ने। बच्चे यह एक अलौकिक ग्रंथ है। कोई पुरस्कार अथवा वाह–वाही का जरिया नहीं जिसे पाकर तुम कह सको की मैने अनंत कीर्ति की पुस्तक पायी। खैर मंत्र सुनो...


जादूगर ने मोक्ष के २२ मंत्र बता दिये। आर्यमणि सभी मंत्रो को बड़े ध्यान से सुन रहा था। मंत्र जब समाप्त हुये तब आर्यमणि ने किताब खोला। किंतु किताब में एक भी मोक्ष के मंत्र नही लिखे मिले। आर्यमणि हैरानी से कभी किताब को तो कभी दंश को देख रहा था।


जादूगर:– क्या हुआ किताब का ऑटोमेटिक मोड काम नही कर रहा क्या?


आर्यमणि:– जैसा इस किताब के बारे में कहा गया था, आस–पास के माहोल को मेहसूस कर यह किताब श्वतः ही सारी जानकारी दे देगी, लेकिन ऐसा नहीं है। किताब खोलो तो केवल दंश और चेन के बारे में लिखा है।


जादूगर:– कहा था न अलौकिक ग्रंथ है। चलो एक काम और कर देता हूं। तुम्हे मै ये सीखता हूं कि कैसे किताब को ऑटोमेटिक मोड से मैनुअल मोड पर पढ़ सकते हैं। विधा विमुक्तये से किताब के पन्नो को मंत्रो की कैद मुक्त करने के बाद, बड़े ही ध्यान और एकाग्रता के साथ अपनी इच्छा रखो और ज्ञान विमुक्त्य का मंत्र ३ बार पढ़ना...


जैसा जादूगर ने बताया आर्यमणि ने ठीक वैसा ही किया। किताब से जो जानकारी चाहिए थी, वह आंखों के सामने थी। आर्यमणि समझ चुका था कि जादूगर पर मोक्ष मंत्र काम न करेगा, इसलिए उसने जादूगर महान को ही किताब में ढूंढने की कोशिश किया और पहचान के लिये उसके दंश का स्मरण करने लगा। जादूगर महान के बारे में १०० पन्ने लिखे गये थे। उसके कुकर्मों की गिनती का कोई अंत नहीं था। प्रहरी और तीन आश्रम, सात्त्विक, वैदिक और सनातनी आश्रम का एक भगोड़ा जिसे किताब लापता बता रही थी।


लगभग ३ घंटे तक आर्यमणि एक–एक घटना को पढ़ता रहा। इस बीच वुल्फ पैक के साथ वह जादूगर घुल–मिल रहा था। आर्यमणि जब उसकी जीवनी पढ़कर सामने आया, जादूगर जोड़–जोड़ से हंसते हुये.… "क्या हुआ ३ आश्रम मिलकर भी मुझे रोक न सके, चेहरे पर उसी की हैरानी है क्या?"


आर्यमणि:– मुझमें इतनी शक्ति तो है कि तुम्हे दंश से अलग कर दूं और फिर बाद में सोचूं की इस चेन का करना क्या है? या फिर मैं तुम्हे दंश से अलग करने के बाद, इस दंश को ही नष्ट कर दूं?


जादूगर:– ख्याल बुरा नही है। लेकिन एक कमीने को दूसरा कमीना ही मार सकता है। मुझे तुम्हारे हर दुश्मन के बारे में पता है। जिस जादूगर को 3 आश्रम के योगी, गुरु, ऋषि, महर्षि आदि अपने दिव्य दृष्टि से देख नही पाये। प्रहरी के सभी प्रशिक्षित को केवल इतना आदेश था कि मेरा पता लगाये, लेकिन कोई मुझसे उलझे न। मैने तुम्हारे दुश्मन उन एलियन समुदाय के लोगों को हराया था। काश ये बात तब पता होती की वो साले एलियन थे। उन एलियन का क्या करोगे, जिसकी शक्ति तुम्हे हर बार चौका देगी? तांत्रिक सभा के तांत्रिक अध्यात का क्या करोगे, जिसका ज्ञान तो तुम जैसे से कहीं आगे है और तांत्रिक की पूरी सभा उन एलियन के साथ गठजोड़ किये है? और क्या करोगे तब, जब उनकी आराध्या महाजनीका दूसरी दुनिया से वापस लौटेगी?

रूही ने क्या भड़ास निकाली शुद्ध हिंदी की वो सभी खूबसूरत शब्द बोल दिया जो अमूमन अपर गुस्से में निकल ही जाता हैं और जादूगर जैसे गया वैसे ही लौट आ लेकिन रूही ने जिन सम्मानित शब्दों से जादूगर को नवाजा उसे सुनकर और आर्य के मोक्ष मंत्र से बांधने की बात सुनकर फिर से भाग गया।

जादूगर महान एक खूंखार जादूगर हैं। मोक्ष बंधन के 22 मंत्र वो जानता हैं जो की कुछ गिने चुने ऋषि महर्षि ही जानते थे। सिर्फ इतना ही नहीं अनंत कृति की पुस्तक के बारे में भी जानता है और आर्य के दुश्मनों के बारे में भी जानता है देखते हैं आगे ओर क्या कुछ जादूगर से सुनने को मिलता है।

अद्भुत लेखन कौशल
 
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