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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Parthh123

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Action me wo bat nhi dikhi jo update 18 me kahi gayi thi tandav wali
 
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nain11ster

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Action me wo bat nhi dikhi jo update 18 me kahi gayi thi tandav wali
Haan tandav wali baat to likhi hui thi, lekin wah din somvar tha... Aur fight somvar ko na ho kar mangalvar ko hui hai... Isliye tandav nahi hua...:D
 
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nain11ster

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सभी एक्शन लवर्स से अनुरोध है कि दिल छोटा न करे... अभी दिन यानी की मंगलवार का दिन समाप्त नही हुआ है और अभी आर्य की मुलाकात सरदार खान से बाकी है...
 

Lib am

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भाग:–19






आर्यमणि:- दीदी जाकर सो जाओ और मेरी चिंता छोड़ दो। रही बात कॉलेज की तो वहां का लफड़ा मै खुद निपट लूंगा। हां मेरे एक्शन का इंपैक्ट देखना हो तो कल कॉलेज का सीसी टीवी कैमरा हैक कर लेना। मुख्य साजिशकर्ता का पता मिले या ना मिले लेकिन मैंने किसी को प्रोमिस किया है कि कल ही काम खत्म होगा।


भूमि:- ओह ये वही लड़की है ना जिससे तू सनीवार को मिला था।


आर्यमणि:- आपने क्या लोग लगाए है मेरे पीछे?


भूमि:- बच्चा है तू मेरा। जहां 10 दोस्त होते है वहां 2-3 कब दुश्मन बन जाए पता नहीं चलता। इसलिए शुरू में लोग लगाए थे। बाद में लगा कि मेरा भाई कैपेबल है और तुझ पर विश्वास जताया और लोग को हटा दी।


आर्यमणि:- झूठी फिर वो लड़की की बात कैसे पता आपको।


भूमि:- अरे भाभी (तेजस की पत्नी, वैदेही) ने तुझे देखा था। तू बन संवर कर निकला था, एक कार आकर रूकी और तू उसमे बैठकर रफूचक्कर। अब बता ना किसके साथ कहां गया था?


आर्यमणि:- बस यूं ही कॉलेज की एक लड़की थी। उसने मुझसे कहा कि वो मेरे साथ अंबा खोरी जाना चाहती है। अब बड़े अरमान के साथ पूछी थी, इसलिए मैंने भी हां कह दिया।


भूमि:- हां ठीक तो किया। फिर क्या हुआ?


आर्यमणि:- बहन हो मेरी, खुद को निशांत ना समझो कि हर बात बता दूंगा। हद है दीदी।


भूमि:- हां ठीक है, ठीक है, समझ गई। वैसे दोनो गर्लफ्रेंड–ब्वॉयफ्रेंड बने की नहीं।


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी अब मै चला सोने।


भूमि उसे पीछे से पुकारती रही लेकिन आर्यमणि चला गया सोने। सुबह के वक्त आर्यमणि कॉलेज निकल चुका था, सारी योजना वो बाना चुका था, बस अब उन लोगो को उलझने की देर थी। इधर निशांत और चित्रा पहले आर्यमणि के गायब होने पर दुखी थे, वहीं अब उसके साथ चल रहे इस अजीब रैगिंग से।


आज तो चित्रा ने सोच लिया था कि किसी तरह वो आर्यमणि को लेकर गंगटोक निकल जाएगी और जया आंटी के सामने उससे पूरे सवाल जवाब करेगी, "उसके मन में चल क्या रहा है?" वहीं निशांत को लग रहा था इतने साल विदेशी जंगल में रहने के कारण आर्यमणि लड़ाई भुल चुका है और अपनी पहले की क्षमता खो चुका है। उसे याद दिलाना होगा कि वो क्या चीज है? और इधर पलक, निराशा में कॉलेज के लिए निकली। वह सोमवार की ही बड़े उत्साह के साथ निकली थी। अपने चाबुक पर तेल लगाकर निकली थी। लेकिन आर्यमणि ने सोमवार को भी वही किया जो पिछले 2 हफ्तों से करता आ रहा था, कुछ नही... पलक बस अब मायूस थी...


हर कोई अपने-अपने अरमान लिए कॉलेज पहुंचा। क्लास खत्म होने के बाद सेकंड ईयर के लोग कुछ देर पहले कैंटीन पहुंचे और फर्स्ट ईयर वाले कुछ देर बाद। आज निशांत के साथ उसकी गर्लफ्रेंड हरप्रीत नहीं थी, और एक ही टेबल पर बड़ा सा महफिल लगा हुआ था। चित्रा, निशांत, माधव, पलक, आर्यमणि और इन सब के बीच सबकी कॉफी। हर कोई आर्यमणि से एक ही विषय में बात करना चाह रहा था। आर्यमणि भी उनके अरमान भली भांति समझ रहा था, इसलिए हमेशा कुछ और बातें शुरू कर देता। मन मारकर सभी आपस में इधर उधर की बातें कर रहे थे, उसी बीच निशांत अपने बैग से एक वायरलेस निकालकर टेबल पर रख दिया।… "पुराने दिनों की तरह कुछ तूफानी हो जाए।"


चित्रा, आखें फाड़कर उस वायरलेस को देखती…. "तुम दोनो पागल हो गए हो क्या?"..


पलक:- ये तो पुलिस का रेडियो है, ये दोनो इसका क्या करने वाले है?


चित्रा:- मुसीबत में फंसे लोगों की मदद।


पलक:- हां लेकिन उसके लिए पुलिस है ना।


चित्रा:- ये बात मुझे नहीं इन दोनों से कहो। गंगटोक में जंगल के सभी केस यही दोनो सॉल्व करते थे।


पलक:- क्या तुम दोनो मुझे भी साथ रखोगे, जब किसी को मुसीबत से निकालने जाओ।


चित्रा:- तुम क्या पागल हो पलक, ऐसे काम के लिए इन्हे बढ़ावा दे रही हो।


पलक:- लाइव एक्शन देखने कि मेरी छोटी सी फैंटेसी रही है, इसी बहाने देख भी लूंगी।


माधव:- छुट्टी में हमारे साथ बिहार चल दो फिर पलक। वहां बहुत एक्शन होता है।


पलक:- थैंक्स, मौका मिला तो तुम्हारे यहां का एक्शन भी देख लूंगी।


चित्रा:- तुम सब पागल हो क्या? देखो मै दादा (राजदीप) को बोल दूंगी, तुम लोग क्या करने कि सोच रहे हो?


आर्यमणि:- चित्रा सही कह रही है। यहां कोई जंगल नहीं है और ना ही कोई मुसीबत में। यहां वाकी पर चोर, उचक्के और गुंडों कि सूचना मिलेगी। फिर भी यदि कोई मुसीबत में हुआ तो मै चलूंगा। हैप्पी चित्रा।


चित्रा:- नो। मुसीबत में फसे लोगों को बचाने का काम पुलिस का है। और हमारा काम है अपनी पढ़ाई को पूरी करके अपने क्षेत्र में कुछ अच्छा करके लोगो के जीवन में विकास लाना। इसलिए पुलिस और प्रशासन को अपना काम करने दो और हमे अपना।


निशांत:- अगर आर्य नहीं आएगा तो मै पलक और माधव के साथ काम करूंगा।


चित्रा:- हां जा कर ले शुरू आर्य नहीं जाएगा तुम्हारे साथ। आर्य साफ मना कर।


आर्य:- निशांत हम गंगटोक में नहीं है और चित्रा की बात से मै पूरी तरह सहमत हूं।


निशांत:- साला लड़की के लिए दोस्त को ना कह दिया।


उसकी बात सुनकर चित्रा, पलक और माधव हसने लगे। आर्यमणि को भी हसी आ गई… "पागल कुछ भी बोलता है।"..


वहां पर हंस हंस कर सबका बुरा हाल था। थोड़ी सी हंसी आर्यमणि की भी निकल रही थी। केवल निशांत था जो अपनी बहन से इतना खुन्नस खाए बैठा था कि अभी ये तीनों अकेले में कहीं होते तो बहुत बड़ा झगड़ा दोनो भाई-बहन के बीच हो गया होता। इनका हंसी भड़ा माहौल चल ही रहा था, इसी बीच कुछ लड़के चित्रा के पास आकर खड़े हो गए और उनमें से 2-3 चित्रा के पाऊं के नीचे से जीन्स ऊपर करने लगा। … "तुम लोग ये क्या कर रहे है, क्यों मेरे पाऊं में गिर रहे हो?"


उनके ग्रुप का लीडर, विक्की… "पहले ईयर में तूने ही कहा था ना तेरा एक पाऊं नहीं है उसकी जगह स्टील के पाऊं लगे है, वही कन्फर्म कर रहे।".. विक्की का इतना कहना था कि तभी एक लड़के ने नीचे से ब्लेड मारकर जीन्स को घुटने तक चिर दिया। जीन्स के साथ साथ चित्रा के पाऊं की गोरी चमरी पर भी ब्लेड लग गया। ताजा खून कि बू आर्यमणि के नाक में जैसे ही गई, उसने अपना सर नीचे झुका लिया और मुट्ठी को जोड़ से भींचकर तेज–तेज श्वास लेने लगा।


माधव चित्रा के सामने बैठा था और निशांत ठीक चित्रा के बगल में। निशांत को तबतक पता नहीं चला था कि चित्रा के साथ क्या हुआ, लेकिन माधव ने अपने आखों से देख लिया था। नीचे बैठा लड़का जिसने ब्लेड चलाया था, माधव ने उसके मुंह पर एक लात खींचकर मारा। इधर निशांत और पलक को भी चित्रा के आंसू दिख गए और उन लड़को की करतूत। निशांत भी उठा और चित्रा के ठीक पीछे खड़े उस लड़के विक्की के मुंह पर कॉफ़ी की खाली कप तोड़ दी।


पूरा कप उसके चेहरे से टकराया और कप का टुकड़ा बड़ी ही बेहरमी से उसके पूरे मुंह में घुस गया… "साले मेरी बहन को तकलीफ पहुंचाने की तेरी हिम्मत कैसे हुई। तुझे बड़ा दादा बनने का शौक है।"


निशांत ने तेजी से दूसरा कप भी उठाया और उसके दूसरे साथी के कनपट्टी पर तोड़ दिया। दोनो ही लड़के लहूलुहान थे। इधर माधव जिसके मुंह पर लात मारा था वो लुढ़क गया और उसके नाक से खून बहने लगा। नीचे बैठे तीन लड़के खड़े हो गए, माधव चिल्लाते हुए अपना चाकू निकला…. "साला हमरे दोस्त को छुए भी तो मर्डर कर देंगे। ई हल्का सरिर पर मत जाना, वरना बदन में इतने छेद कर देंगे कि तुम सब कंफ्यूज कर जाओगे।"


चित्रा उसकी बात पर रोते-रोते हंस दी… "बस माधव अब आगे मत कहना। लाओ वो चाकू दो।"


निशांत:- क्या करने वाली हो।


चित्रा:- घुटनों तक काटकर कैप्री बाना रही हूं।


निशांत:- लाओ मै करता हूं। माधव बैग से फर्सट ऐड निकालकर खून को साफ करो।


माधव:- इतने गोरे पाऊं पर मै हाथ लगाऊंगा तो कहीं मैले ना हो जाए।


निशांत, उसके सर पर एक हाथ मारते… "फ्लर्ट करना सीख रहा है हां"..


माधव:- पागल हो तुम.. खुद ही कहे थे हम मज़ाक करेंगे एक दूसरे से। अब खुद ही ताने दे रहे हो कि हम लाइन मार रहे हैं। देखो हमको कंफ्यूज मत करो।


चित्रा:- वो भी तुमसे मज़ाक ही कर रहा है माधव। इसे क्या हो गया? आर्य तू ठीक तो है ना।


आर्यमणि बिना कुछ कहे नीचे बैठ गया और अपने बैग से फर्स्ट ऐड निकलकर चित्रा के खून को साफ कर दिया। चित्रा के हाथ से चाकू लेकर जीन्स को घुटने से 4 इंच नीचे तक काटकर निकालते हुए उसे 2 स्टेप ऊपर की ओर मोड़ा और टांके लगाने वाले स्टेपलर से उसपर पीन कर दिया… "देखो ठीक लग रहा है ना।"..


"लेकिन यहां ठीक नहीं लग रहा कुछ भी, भागने का वक़्त हो गया है दोस्तो।… माधव बाहर से हॉकी स्टिक लिए आ रही तकरीबन १००–१५० लड़कों की भीड़ को देखते हुए कहने लगा। आर्यमणि भीड़ को देखते हुए, मुस्कुराया और कैंटीन के दरवाजे तक जाकर खड़ा हो गया।


पलक, इतनी भीड़ को देखकर थोड़ी घबरा गई। घबराना लाजमी भी था क्योंकि एक तो लगभग 150 लड़के और उन लड़कों के भीड़ में सरदार खान की गली के कई सारे वेयरवोल्फ। आर्यमणि वहां मौजूद सभी लोगों का गुस्सा साफ मेहसूस कर सकता था। अपनी घूरती नज़रों से अपने सभी दोस्तों को देखा और कहने लगा… "मै आज तोड़ने का मन पहले से बनाकर आया था। चित्रा के साथ बदतमीजी करके उन्होंने मेरे गुस्से को और भड़का दिया है। यदि ये भिड़ मेरा कत्ल करने भी आ रही हो तब भी इन सब से दूर रहो। वरना किसी को भी मै अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा, ये वादा रहा।


माधव:- ओ भाई हृतिक रोशन के कृष, अकेले भिड़ने गए तो वैसे भी ये लोग शक्ल बिगाड़ देंगे।


आर्यमणि ने घूरते हुए चित्रा और निशांत को देखा और दोबारा कहा.. "सभी यहीं बैठे रहो।"..


निशांत:- पलक, भूमि दीदी को कॉल लगाओ और उनसे कहो, 150 हथियारबंद लड़कों के साथ आर्य अकेले लड़ने गया है।


पलक:- ओह अभी समझ में आया कि क्यों आर्य इतनी बेज्जती झेलता रहा। चित्रा, निशांत खुद देख लो, कोई ख़ामोश है तो उसके पीछे कोई कहानी होगी। बहरहाल मै नागपुर के दबंग को कॉल लगाती हूं।


पलक, भूमि को कॉल लगायी और कोई भी इधर-उधर की बातें किए बगैर सीधा भूमि को पूरा मुद्दा बता दी। पलक समझ रही थी कि निशांत और चित्रा अपने पापा को क्यों फोन नहीं लगा रही इसी वजह से उसने राजदीप को कॉल लगाया और जल्दी से कॉलेज आने के लिए बोल दी।


इधर आर्यमणि कैंटीन के सीढ़ी पर खड़ा था। सीढ़ी को 2 भागो में बाटने के लिए, बीच से स्टील रॉड के पाइप का पिलर बनाकर उसपर जंजीर डालकर पार्टीशन किया हुआ था। आर्यमणि स्टील रॉड पकड़कर खड़ा था और सामने से लड़कों की भीड़ चली आ रही थी जिसमे आगे से आ रहे लड़कों की चाल और हाव भाव कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही थी। आगे वेयरवोल्फ की भीड़ थी जिसके पीछे और लड़के खड़े थे। आर्यमणि के पास पहुंचते ही एक लड़के ने अपने दोनो हाथ उठाए और सबको शांत रहने का इशारा करते…. "देखो दोस्त, सामने से हट जाओ, जिसने भी मेरे दोस्तो को मारा है, उसे कीमत चुकानी होगी।".


आर्यमणि:- चले जाओ यहां से और बात यही खत्म करो।


जैसे ही आर्यमणि ने यह बात कही, उस वेयरवोल्फ ने अपना पूरा जोर लगाकर आर्यमणि को एक पंच उसके पेट में मार दिया। एक वेयरवुल्फ द्वारा मारा गया ऐसा पंच, जो किसी आम लड़के की अंतरियां फाड़ चुका होता, लेकिन आर्यमणि के चेहरे पर सिकन तक नही आयि। अगले ही पल आर्यमणि जिस रॉड को पकड़ा था, वो जमीन की ढलाई से उखाड़कर आर्य के हाथ में थी और उस लड़के से विश्वास भरा पॉवर पंच खाने के बाद भी जब आर्य को कोई फर्क नहीं पड़ा, तब उसके सभी वेयरवुल्फ साथी एक दूसरे का मुंह देख रहे थे।…


"चिंता मत करो आज तुम लोगों को समझ में नही आयेगा की क्या हो रहा है?"… अपनी बात कहते हुए आर्य ने उस लड़के की छाती पर एक लात जमा दिया। ऐसा मारा था, जैसे करंट प्रवाह किया हो उस लात से। जिस लड़के के सीने पर लगा, वो तेज धक्का खाकर पीछे अपने दूसरे साथी से टकराया, और जैसे साइकिल स्टैंड में खड़े एक साइकिल के धक्के से पीछे के सभी साइकिल गिरना शुरू होते है, वैसे ही उसके लात के धक्के से तकरीबन पीछे के सभी लड़के धक्के खाकर एक बार में ही गिर गए।


भीड़ का हमला अब आर्यमणि पर जोर से होने लगा। दाएं–बाएं से लड़को ने हमला किया। आर्यमणि के ऊपर कई लड़के हॉकी स्टिक बरसा रहे थे, और आर्यमणि बिना हिले खड़ा होकर बस उन्हें घूरती नज़रों से देखा और उनमें से एक को पकड़कर अपने दोनो हाथ से हवा में उठा लिया, जैसे आज उस लड़के को आर्यमणि एयरोप्लेन बनाकर हवा में उड़ा ही देगा… लेकिन बीच में ही चित्रा चिल्लाई... "नहीं आर्य, ये क्रिमिनल नहीं है। स्पाइनल कॉर्ड में कहीं चोट लगी तो ये किसी काम का नहीं रहेगा।".. और आर्यमणि को रोक लिया


आर्यमणि, चित्रा की बात सुनकर उस लड़के को नीचे उतरा और फिर सामने की भीड़ पर फिर एक बार नजर दिया, जो अब भी लगातार मार तो रहे थे लेकिन आर्यमणि को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। खास वेयरवोल्फ लड़के जो आए थे, उनमें से एक को जोरदार मार पड़ते ही, बाकी के सभी अभी भी उसी को होश में लाने की कोशिश कर रहे थे।


आर्यमणि ने अब विकराल रूप धारण किया। उसने एक लड़के के हाथ से डंडा छीनकर पूरी भिड़ पर अकेले लाठी चार्ज कर दिया। वो लोग भी मार रहे थे लेकिन आर्यमणि का शरीर तो इनके मार के हिसाब से बहुत बाहर था। कितना भी मार लो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आर्यमणि ने एक डंडा जहां खींचकर रख दिया, छटपटाते हुए वही अंग पकड़ कर बैठ गए।


10 लड़को को ही तो ढंग से डंडे की मार पड़ी थी, बाकी के सभी मैदान छोड़कर भाग गए। तभी उन वेयरवोल्फ में से एक खड़ा होकर आया और इस बार आर्यमणि के सीने पर एक जोरदार पंच मार दिया। आर्यमणि श्वांस एक क्षण के लिए अटकी, लेकिन अगले ही पल उसने अपने पाऊं से उसके घुटने के नीचे ऐसा मारा की साफ दिख रहा था, हड्डी टूट गई है और मांस के साथ अलग ही लटक रहा है।


2 वेयरवोल्फ बुरी तरह घायल हो गए थे, जो चाहकर भी हिल नही कर पा रहे थे। बाकी के सभी वेयरवोल्फ को समझ में नहीं आ रहा था कि उनका पाला किससे पड़ा है। तभी उन लोगो ने भूमि को आते हुए देख लिया और अपने घायल साथी को उठाकर वहां से भाग गए।


भूमि तेजी के साथ आर्यमणि के पास पहुंची और व्याकुलता से उसे टटोलती हुई देखने लगी। आखों से उसके आशु निकल रहे थे… "पैट्रिक जिसने मेरे भाई को मारा है सबको ऐसा मारो की ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते हुए वो हस्पताल पहुंच जाए "..


आर्यमणि अपने दीदी के आशु पूछते…. "उसे रोको वरना मै नागपुर छोड़कर चला जाऊंगा।"…


भूमि:- मार खाएगा मुझसे अभी… मेरे बच्चे को मारने कि हिम्मत कौन कर गया वो भी मेरे रहते। उसके खानदान समेत सबको आग लगा दूंगी। समझ क्या रखा है, शांत हूं तो कमजोर पर गई। पैट्रिक मुझे चीखें क्यों नहीं सुनाई दे रही है।


पैट्रिक:- वो राजदीप सर हमे रुकने कह रहे है।


भूमि, राजदीप को देखकर जैसे ही आगे बढ़ने लगी, आर्यमणि उसका हाथ थामकर रोकते हुए… "दीदी ये कॉलेज है। हम स्टूडेंट के बीच मारपीट होते रहती है। आप तो ये कह रही है। बचपन में मैंने मैत्री के मैटर में अपने से 4-5 साल सीनियर उसके बड़े भाई शूहोत्र लोपचे को 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा चुका हूं। उस लड़ाई के मुकाबले तो ये कुछ भी नहीं। फिर आप क्यों इतने गुस्से में पढ़ने लिखने वालों पर ज़ुल्म कर रही हो। अभी नहीं मारपीट होगी, तो क्या शादी के बाद लोगो से लड़ाई करूंगा।"..


भूमि:- हम्मम ! समझ गई सॉरी। तू जाकर अपने दोस्तो के साथ बैठ और पलक को कहना जबतक मै ना आऊं वो भी तेरे साथ ही बैठी रहे।


भूमि आर्यमणि के पास से हटकर सीधा राजदीप के पास पहुंची और गुस्से में उसे आखें दिखती हुई, पैट्रिक को एक थप्पड़ मारते… "सबको लेकर निकलो यहां से।"


राजदीप:- ऐसे दूसरों को मारकर क्यूं जाता रही हो की तुम मुझे थप्पड़ मार सकती हो। सीधा मारो ना। पैट्रिक तुम जाओ।


भूमि उसे एकांत में लाती…. "शर्म नहीं आती तुझे... एक बच्चे परेशान करने के लिए वेयरवोल्फ की मदद लेते हो। प्रहरी के सारे विचार कहां घुस गए। २ दुनिया के बीच दीवार खड़ी करने वाले खुद उसे लड़ा रहे...


राजदीप:- दीदी तुम क्या कह रही हो?


भूमि:- राजदीप तू मेरा भाई है लेकिन आर्यमणि मेरे बच्चे जैसा है। मेरी नजर हमेशा बनी रहती है। उसके आते ही तुमने एमएलए से बोलकर आर्य की रैगिंग करवाई। उसे भरी सभा में सबके बीच जिल्लत झेलना पड़ा और मै गम पीकर रह गई। आज भी तेरे इशारे पर ही इन वुल्फ की इतनी हिम्मत हुई कि प्रहरी के सामने ही वह हमला कर रहा था। इतनी सह वेयरवोल्फ को कहां से मिल गई बताएगा।


राजदीप:- ये मेरा काम नहीं होगा फिर मेरी मां का काम होगा। उन्हें मैंने ही गलती से बता दिया था कि जया का बेटा भी आया है नागपुर।


भूमि:- तू अपनी मां और मेरी मां को नहीं जानता क्या? उनकी वजह से हम एक दूसरे के घर नहीं जा सकते? दोनो एक दूसरे से दुश्मनी निभाए बैठे है और तूने अपनी मां को आर्य के बारे में बता दिया? आज अगर यहां किसी पढ़ने वाले बच्चे की लाश गिरती तो उसके जिम्मेदार तुम होते राजदीप?


राजदीप:- तो आप ही बताओ ना मै क्या करू?


भूमि:- तू जानता है आर्य की क्षमता।


राजदीप:- क्या ?


भूमि:- 6-7 साल पहले इसकी लड़ाई जीतन लोपचे के बेटे से हुई थी। मैटर था आर्य और जीतन की बेटी मैत्री से दोस्ती। आर्य ने तब उस जितन लोपचे के बेटे को मारा था और 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। उसकी मार से एक वेयरवोल्फ 3 महीने तक हिल नही हुआ...


राजदीप, आश्चर्य से उसका मुंह देखता रहा, फिर अचानक से गुस्से में आते हुए… "ऐसा लड़का जब यहां स्टूडेंट के बीच आकर आपस में लड़ाई कर रहा है तो तुम क्यों बच्चो के बीच ने दादी बनकर चली आयी। ऐसा कौन करता है। लड़कियों को छेड़ना, एक दूसरे से झगड़ा करना, आपस की प्यार दोस्तो और पढ़ाई के बीच में आप क्यों घुसने चली आयी।"


भूमि:- क्योंकि ये झगड़ा प्रायोजित लग रहा था। आज तो मै तेरा खून कर देती अगर उसे खरोच भी आयी होती तो।


राजदीप:- साला ये तो लकी निकला। मुझे दादा (तेजस) ने बताया था कि आप इसे एकतरफा प्यार करती है। मुझे लगा हो सकता है ज्यादा लगाव हो, लेकिन इतना ज्यादा होगा पता नहीं था।


भूमि:- आर्यमणि, मेरे मौसा केशव कुलकर्णी और मेरी प्यारी जया मासी, इनसे लगाव के बारे में मत ही पूछो। और हां इनसे लगाव बहुत ज्यादा है इसका मतलब यह नहीं की मैं दूसरो के प्रति को लगाव ही नही रखती। मुझे भारद्वाज खानदान के दोनो चचेरे भाई, सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज को एक होते देखना चाहती हूं।


राजदीप:– वो तो मैं भी चाहता हूं, लेकिन रास्ता क्या है...

भूमि:– एक रास्ता है लेकिन थोड़ा पेंचीदा...


राजदीप:- कौन सा दीदी...


भूमि:- मैंने अपने बेटे आर्यमणि के लिए पलक को पसंद किया है। तू भी लड़का देख ले, तेरी बहन के लिए ठीक रहेगा या नहीं।


राजदीप:- जया का बेटा नागपुर आया है, केवल इतना सुनकर मेरी मां जब उसे इतना परेशान कर सकती है, फिर तो जब वो सुनेगी की जया का बेटा उसकी बेटी से शादी करने वाला है… आप होश में भी हो।


भूमि:- अच्छा और यदि दोनो को प्यार हो गया तो।


राजदीप:- मुझे कोई ऐतराज नहीं है, बाकी गृह युद्ध को आप जानो।


भूमि:- एक बार और देख ले उसे, बाद में ये नहीं कहना की दीदी ने अपने रिश्तेदारी में मेरी बहन का लगन गलत लड़के से करवा दिया है।


राजदीप:- आर्य मुझे भी पसंद है। मै रविवार को अपनी मासी के घर गया था, वहीं चित्रा ने निशांत और आर्य के जंगल रेक्यू के वीडियो दिखाएं। दीदी दोनो ने मिलकर तकरीबन 20 लोगो की जान बचाई थी। जबकि वो लोपचे के कॉटेज वाला जंगल है।


भूमि:- जानती हूं भाई।


राजदीप:- सुनो दीदी पहले से कोई प्लान नहीं करते है। अभी जवान है, पता नहीं कब किसपर दिल आ जाए।


भूमि:- सब तेरी मां के गलत डिसीजन का नतीजा है। 20-21 साल के होते ही समुदाय में लगन करवा देते तो इतना नाटक ही नहीं होता। कंवल का लगन समुदाय के बाहर हुआ और वो लड़की उसे लेकर यूएसए निकल गई। तू 28 का हो गया, मुझे तो तुझ पर भी शक होने लगा है। 23-24 की नम्रता होगी। भारद्वाज खानदान ही समुदाय के बाहर जाने लगेगा तो हमारा बचा हुआ अस्तित्व भी चला जाएगा।


राजदीप:- दीदी कह तो आप सही रही हो। आर्य की उम्र क्या होगी..


भूमि:- वो 21 का है..


राजदीप:- पलक भी 20 की है। एक काम करता हूं नम्रता से आज मै साफ साफ पूछ लेता हूं कि उसने किसी को पसंद किया है या नहीं। नहीं की होगी तो उसके लगन के बाद इन दोनों की एंगेजमेंट फिक्स कर देंगे। शादी पढ़ाई पूरी होने बाद करवा देंगे।


भूमि:- और तू.. साफ साफ बता की तू किसी को चाहता है या नहीं.. फिर मै मुक्ता का रिश्ता तेरे लिए भेजूं। बड़ी प्यारी लड़की है, परिवार के साथ रहने वाली और कारोबार को आगे बढ़ाने वाली। एक बॉयफ्रेंड था कॉलेज के दिन में लेकिन बहुत पहले उससे ब्रेकअप हो गया। ।


राजदीप:- मतलब मेरे जैसी है..


भूमि:- जी नहीं उसके 1 ही बॉयफ्रेंड था। तेरी 6-7 गर्लफ्रेंड थी। अब सच-सच बता किसी को फिक्स किया है या मै मुक्ता का रिश्ता भेजूं तेरे घर।


राजदीप:- नम्रता से बात करने दो, फिर दोनो का साथ में भेज देना।


भूमि:- हम्मम ! ये भी ठीक है। तू अभी ड्यूटी पर है क्या?


राजदीप:- हां दीदी..


भूमि:- ठीक है ड्यूटी के बाद मुन्ना खान के पास चले जाना, वहां तेरे पसंद की मॉडिफाइड कार तैयार हो गई है जाकर ले लेना।


राजदीप:- आप कुछ भी भूलती नहीं ना दीदी।


भूमि:- उल्लू… भूलूंगी क्यों, उल्टा बुरा लगा था जब तू देसाई बंधु की कार देखकर आकर्षित हो गया और उसने तुझे एक कार के लिए सुना दिया था।


राजदीप:- आपने सब देख लिया था क्या?


भूमि:- हां तो.. साले भिकाड़ी। 2 साल बाद ही तो उसे निकाल दिया था प्रहरी से। जिसमे अपने समुदाय के लोगों के लिए इज्जत नहीं वो लोकहित और अपने जान जोखिम में डालकर क्या दूसरों की रक्षा करेगा। भगा दिया साले को।


राजदीप:- आप ना बिल्कुल डॉन हो। मै तो होने वाली मीटिंग में आपको ही अध्यक्ष चुनुगा।


भूमि:- ना मुझे अध्यक्ष नहीं बनना वो राजनीति वाला काम है और तू जानता है मुझसे ये सब नहीं होगा। हां तू मुझे अध्यक्ष नहीं बना बल्कि मेरे बेटे के लिए अपनी बहन का हाथ दे दे ठाकुर।


राजदीप:- पागल है आप। दोनो को आराम से पढ़ने दीजिए। हम दोनों का अरेंज मैरिज प्लान करते है ना। मै जा रहा हूं, आपसे परसो मिलता हूं।


भूमि:- सुन अपनी मां को जाकर समझाओ होने वाले जमाई पर हमला नहीं करवाते।


परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...
तो आर्य ने आज सबको अपनी ताकते वाकिफ करा दिया की वो क्या है? अब अगला नंबर सरदार खान का लगेगा या अक्षरा का वो तो समय ही बताएगा? ये राजदीप भी कुछ अजीब ही लग रहा है कभी लगता है सही है और कभी लगता है गलत है इसका पता भी आगे ही चलेगा?

एक दम मस्त अपडेट पर अभी कई राजो से पर्दा उठना बाकी है और पता नही कितने राज अभी भी समय की गर्त में दबे पड़े है?
 

The king

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आर्यमणि:- दीदी जाकर सो जाओ और मेरी चिंता छोड़ दो। रही बात कॉलेज की तो वहां का लफड़ा मै खुद निपट लूंगा। हां मेरे एक्शन का इंपैक्ट देखना हो तो कल कॉलेज का सीसी टीवी कैमरा हैक कर लेना। मुख्य साजिशकर्ता का पता मिले या ना मिले लेकिन मैंने किसी को प्रोमिस किया है कि कल ही काम खत्म होगा।


भूमि:- ओह ये वही लड़की है ना जिससे तू सनीवार को मिला था।


आर्यमणि:- आपने क्या लोग लगाए है मेरे पीछे?


भूमि:- बच्चा है तू मेरा। जहां 10 दोस्त होते है वहां 2-3 कब दुश्मन बन जाए पता नहीं चलता। इसलिए शुरू में लोग लगाए थे। बाद में लगा कि मेरा भाई कैपेबल है और तुझ पर विश्वास जताया और लोग को हटा दी।


आर्यमणि:- झूठी फिर वो लड़की की बात कैसे पता आपको।


भूमि:- अरे भाभी (तेजस की पत्नी, वैदेही) ने तुझे देखा था। तू बन संवर कर निकला था, एक कार आकर रूकी और तू उसमे बैठकर रफूचक्कर। अब बता ना किसके साथ कहां गया था?


आर्यमणि:- बस यूं ही कॉलेज की एक लड़की थी। उसने मुझसे कहा कि वो मेरे साथ अंबा खोरी जाना चाहती है। अब बड़े अरमान के साथ पूछी थी, इसलिए मैंने भी हां कह दिया।


भूमि:- हां ठीक तो किया। फिर क्या हुआ?


आर्यमणि:- बहन हो मेरी, खुद को निशांत ना समझो कि हर बात बता दूंगा। हद है दीदी।


भूमि:- हां ठीक है, ठीक है, समझ गई। वैसे दोनो गर्लफ्रेंड–ब्वॉयफ्रेंड बने की नहीं।


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी अब मै चला सोने।


भूमि उसे पीछे से पुकारती रही लेकिन आर्यमणि चला गया सोने। सुबह के वक्त आर्यमणि कॉलेज निकल चुका था, सारी योजना वो बाना चुका था, बस अब उन लोगो को उलझने की देर थी। इधर निशांत और चित्रा पहले आर्यमणि के गायब होने पर दुखी थे, वहीं अब उसके साथ चल रहे इस अजीब रैगिंग से।


आज तो चित्रा ने सोच लिया था कि किसी तरह वो आर्यमणि को लेकर गंगटोक निकल जाएगी और जया आंटी के सामने उससे पूरे सवाल जवाब करेगी, "उसके मन में चल क्या रहा है?" वहीं निशांत को लग रहा था इतने साल विदेशी जंगल में रहने के कारण आर्यमणि लड़ाई भुल चुका है और अपनी पहले की क्षमता खो चुका है। उसे याद दिलाना होगा कि वो क्या चीज है? और इधर पलक, निराशा में कॉलेज के लिए निकली। वह सोमवार की ही बड़े उत्साह के साथ निकली थी। अपने चाबुक पर तेल लगाकर निकली थी। लेकिन आर्यमणि ने सोमवार को भी वही किया जो पिछले 2 हफ्तों से करता आ रहा था, कुछ नही... पलक बस अब मायूस थी...


हर कोई अपने-अपने अरमान लिए कॉलेज पहुंचा। क्लास खत्म होने के बाद सेकंड ईयर के लोग कुछ देर पहले कैंटीन पहुंचे और फर्स्ट ईयर वाले कुछ देर बाद। आज निशांत के साथ उसकी गर्लफ्रेंड हरप्रीत नहीं थी, और एक ही टेबल पर बड़ा सा महफिल लगा हुआ था। चित्रा, निशांत, माधव, पलक, आर्यमणि और इन सब के बीच सबकी कॉफी। हर कोई आर्यमणि से एक ही विषय में बात करना चाह रहा था। आर्यमणि भी उनके अरमान भली भांति समझ रहा था, इसलिए हमेशा कुछ और बातें शुरू कर देता। मन मारकर सभी आपस में इधर उधर की बातें कर रहे थे, उसी बीच निशांत अपने बैग से एक वायरलेस निकालकर टेबल पर रख दिया।… "पुराने दिनों की तरह कुछ तूफानी हो जाए।"


चित्रा, आखें फाड़कर उस वायरलेस को देखती…. "तुम दोनो पागल हो गए हो क्या?"..


पलक:- ये तो पुलिस का रेडियो है, ये दोनो इसका क्या करने वाले है?


चित्रा:- मुसीबत में फंसे लोगों की मदद।


पलक:- हां लेकिन उसके लिए पुलिस है ना।


चित्रा:- ये बात मुझे नहीं इन दोनों से कहो। गंगटोक में जंगल के सभी केस यही दोनो सॉल्व करते थे।


पलक:- क्या तुम दोनो मुझे भी साथ रखोगे, जब किसी को मुसीबत से निकालने जाओ।


चित्रा:- तुम क्या पागल हो पलक, ऐसे काम के लिए इन्हे बढ़ावा दे रही हो।


पलक:- लाइव एक्शन देखने कि मेरी छोटी सी फैंटेसी रही है, इसी बहाने देख भी लूंगी।


माधव:- छुट्टी में हमारे साथ बिहार चल दो फिर पलक। वहां बहुत एक्शन होता है।


पलक:- थैंक्स, मौका मिला तो तुम्हारे यहां का एक्शन भी देख लूंगी।


चित्रा:- तुम सब पागल हो क्या? देखो मै दादा (राजदीप) को बोल दूंगी, तुम लोग क्या करने कि सोच रहे हो?


आर्यमणि:- चित्रा सही कह रही है। यहां कोई जंगल नहीं है और ना ही कोई मुसीबत में। यहां वाकी पर चोर, उचक्के और गुंडों कि सूचना मिलेगी। फिर भी यदि कोई मुसीबत में हुआ तो मै चलूंगा। हैप्पी चित्रा।


चित्रा:- नो। मुसीबत में फसे लोगों को बचाने का काम पुलिस का है। और हमारा काम है अपनी पढ़ाई को पूरी करके अपने क्षेत्र में कुछ अच्छा करके लोगो के जीवन में विकास लाना। इसलिए पुलिस और प्रशासन को अपना काम करने दो और हमे अपना।


निशांत:- अगर आर्य नहीं आएगा तो मै पलक और माधव के साथ काम करूंगा।


चित्रा:- हां जा कर ले शुरू आर्य नहीं जाएगा तुम्हारे साथ। आर्य साफ मना कर।


आर्य:- निशांत हम गंगटोक में नहीं है और चित्रा की बात से मै पूरी तरह सहमत हूं।


निशांत:- साला लड़की के लिए दोस्त को ना कह दिया।


उसकी बात सुनकर चित्रा, पलक और माधव हसने लगे। आर्यमणि को भी हसी आ गई… "पागल कुछ भी बोलता है।"..


वहां पर हंस हंस कर सबका बुरा हाल था। थोड़ी सी हंसी आर्यमणि की भी निकल रही थी। केवल निशांत था जो अपनी बहन से इतना खुन्नस खाए बैठा था कि अभी ये तीनों अकेले में कहीं होते तो बहुत बड़ा झगड़ा दोनो भाई-बहन के बीच हो गया होता। इनका हंसी भड़ा माहौल चल ही रहा था, इसी बीच कुछ लड़के चित्रा के पास आकर खड़े हो गए और उनमें से 2-3 चित्रा के पाऊं के नीचे से जीन्स ऊपर करने लगा। … "तुम लोग ये क्या कर रहे है, क्यों मेरे पाऊं में गिर रहे हो?"


उनके ग्रुप का लीडर, विक्की… "पहले ईयर में तूने ही कहा था ना तेरा एक पाऊं नहीं है उसकी जगह स्टील के पाऊं लगे है, वही कन्फर्म कर रहे।".. विक्की का इतना कहना था कि तभी एक लड़के ने नीचे से ब्लेड मारकर जीन्स को घुटने तक चिर दिया। जीन्स के साथ साथ चित्रा के पाऊं की गोरी चमरी पर भी ब्लेड लग गया। ताजा खून कि बू आर्यमणि के नाक में जैसे ही गई, उसने अपना सर नीचे झुका लिया और मुट्ठी को जोड़ से भींचकर तेज–तेज श्वास लेने लगा।


माधव चित्रा के सामने बैठा था और निशांत ठीक चित्रा के बगल में। निशांत को तबतक पता नहीं चला था कि चित्रा के साथ क्या हुआ, लेकिन माधव ने अपने आखों से देख लिया था। नीचे बैठा लड़का जिसने ब्लेड चलाया था, माधव ने उसके मुंह पर एक लात खींचकर मारा। इधर निशांत और पलक को भी चित्रा के आंसू दिख गए और उन लड़को की करतूत। निशांत भी उठा और चित्रा के ठीक पीछे खड़े उस लड़के विक्की के मुंह पर कॉफ़ी की खाली कप तोड़ दी।


पूरा कप उसके चेहरे से टकराया और कप का टुकड़ा बड़ी ही बेहरमी से उसके पूरे मुंह में घुस गया… "साले मेरी बहन को तकलीफ पहुंचाने की तेरी हिम्मत कैसे हुई। तुझे बड़ा दादा बनने का शौक है।"


निशांत ने तेजी से दूसरा कप भी उठाया और उसके दूसरे साथी के कनपट्टी पर तोड़ दिया। दोनो ही लड़के लहूलुहान थे। इधर माधव जिसके मुंह पर लात मारा था वो लुढ़क गया और उसके नाक से खून बहने लगा। नीचे बैठे तीन लड़के खड़े हो गए, माधव चिल्लाते हुए अपना चाकू निकला…. "साला हमरे दोस्त को छुए भी तो मर्डर कर देंगे। ई हल्का सरिर पर मत जाना, वरना बदन में इतने छेद कर देंगे कि तुम सब कंफ्यूज कर जाओगे।"


चित्रा उसकी बात पर रोते-रोते हंस दी… "बस माधव अब आगे मत कहना। लाओ वो चाकू दो।"


निशांत:- क्या करने वाली हो।


चित्रा:- घुटनों तक काटकर कैप्री बाना रही हूं।


निशांत:- लाओ मै करता हूं। माधव बैग से फर्सट ऐड निकालकर खून को साफ करो।


माधव:- इतने गोरे पाऊं पर मै हाथ लगाऊंगा तो कहीं मैले ना हो जाए।


निशांत, उसके सर पर एक हाथ मारते… "फ्लर्ट करना सीख रहा है हां"..


माधव:- पागल हो तुम.. खुद ही कहे थे हम मज़ाक करेंगे एक दूसरे से। अब खुद ही ताने दे रहे हो कि हम लाइन मार रहे हैं। देखो हमको कंफ्यूज मत करो।


चित्रा:- वो भी तुमसे मज़ाक ही कर रहा है माधव। इसे क्या हो गया? आर्य तू ठीक तो है ना।


आर्यमणि बिना कुछ कहे नीचे बैठ गया और अपने बैग से फर्स्ट ऐड निकलकर चित्रा के खून को साफ कर दिया। चित्रा के हाथ से चाकू लेकर जीन्स को घुटने से 4 इंच नीचे तक काटकर निकालते हुए उसे 2 स्टेप ऊपर की ओर मोड़ा और टांके लगाने वाले स्टेपलर से उसपर पीन कर दिया… "देखो ठीक लग रहा है ना।"..


"लेकिन यहां ठीक नहीं लग रहा कुछ भी, भागने का वक़्त हो गया है दोस्तो।… माधव बाहर से हॉकी स्टिक लिए आ रही तकरीबन १००–१५० लड़कों की भीड़ को देखते हुए कहने लगा। आर्यमणि भीड़ को देखते हुए, मुस्कुराया और कैंटीन के दरवाजे तक जाकर खड़ा हो गया।


पलक, इतनी भीड़ को देखकर थोड़ी घबरा गई। घबराना लाजमी भी था क्योंकि एक तो लगभग 150 लड़के और उन लड़कों के भीड़ में सरदार खान की गली के कई सारे वेयरवोल्फ। आर्यमणि वहां मौजूद सभी लोगों का गुस्सा साफ मेहसूस कर सकता था। अपनी घूरती नज़रों से अपने सभी दोस्तों को देखा और कहने लगा… "मै आज तोड़ने का मन पहले से बनाकर आया था। चित्रा के साथ बदतमीजी करके उन्होंने मेरे गुस्से को और भड़का दिया है। यदि ये भिड़ मेरा कत्ल करने भी आ रही हो तब भी इन सब से दूर रहो। वरना किसी को भी मै अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा, ये वादा रहा।


माधव:- ओ भाई हृतिक रोशन के कृष, अकेले भिड़ने गए तो वैसे भी ये लोग शक्ल बिगाड़ देंगे।


आर्यमणि ने घूरते हुए चित्रा और निशांत को देखा और दोबारा कहा.. "सभी यहीं बैठे रहो।"..


निशांत:- पलक, भूमि दीदी को कॉल लगाओ और उनसे कहो, 150 हथियारबंद लड़कों के साथ आर्य अकेले लड़ने गया है।


पलक:- ओह अभी समझ में आया कि क्यों आर्य इतनी बेज्जती झेलता रहा। चित्रा, निशांत खुद देख लो, कोई ख़ामोश है तो उसके पीछे कोई कहानी होगी। बहरहाल मै नागपुर के दबंग को कॉल लगाती हूं।


पलक, भूमि को कॉल लगायी और कोई भी इधर-उधर की बातें किए बगैर सीधा भूमि को पूरा मुद्दा बता दी। पलक समझ रही थी कि निशांत और चित्रा अपने पापा को क्यों फोन नहीं लगा रही इसी वजह से उसने राजदीप को कॉल लगाया और जल्दी से कॉलेज आने के लिए बोल दी।


इधर आर्यमणि कैंटीन के सीढ़ी पर खड़ा था। सीढ़ी को 2 भागो में बाटने के लिए, बीच से स्टील रॉड के पाइप का पिलर बनाकर उसपर जंजीर डालकर पार्टीशन किया हुआ था। आर्यमणि स्टील रॉड पकड़कर खड़ा था और सामने से लड़कों की भीड़ चली आ रही थी जिसमे आगे से आ रहे लड़कों की चाल और हाव भाव कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही थी। आगे वेयरवोल्फ की भीड़ थी जिसके पीछे और लड़के खड़े थे। आर्यमणि के पास पहुंचते ही एक लड़के ने अपने दोनो हाथ उठाए और सबको शांत रहने का इशारा करते…. "देखो दोस्त, सामने से हट जाओ, जिसने भी मेरे दोस्तो को मारा है, उसे कीमत चुकानी होगी।".


आर्यमणि:- चले जाओ यहां से और बात यही खत्म करो।


जैसे ही आर्यमणि ने यह बात कही, उस वेयरवोल्फ ने अपना पूरा जोर लगाकर आर्यमणि को एक पंच उसके पेट में मार दिया। एक वेयरवुल्फ द्वारा मारा गया ऐसा पंच, जो किसी आम लड़के की अंतरियां फाड़ चुका होता, लेकिन आर्यमणि के चेहरे पर सिकन तक नही आयि। अगले ही पल आर्यमणि जिस रॉड को पकड़ा था, वो जमीन की ढलाई से उखाड़कर आर्य के हाथ में थी और उस लड़के से विश्वास भरा पॉवर पंच खाने के बाद भी जब आर्य को कोई फर्क नहीं पड़ा, तब उसके सभी वेयरवुल्फ साथी एक दूसरे का मुंह देख रहे थे।…


"चिंता मत करो आज तुम लोगों को समझ में नही आयेगा की क्या हो रहा है?"… अपनी बात कहते हुए आर्य ने उस लड़के की छाती पर एक लात जमा दिया। ऐसा मारा था, जैसे करंट प्रवाह किया हो उस लात से। जिस लड़के के सीने पर लगा, वो तेज धक्का खाकर पीछे अपने दूसरे साथी से टकराया, और जैसे साइकिल स्टैंड में खड़े एक साइकिल के धक्के से पीछे के सभी साइकिल गिरना शुरू होते है, वैसे ही उसके लात के धक्के से तकरीबन पीछे के सभी लड़के धक्के खाकर एक बार में ही गिर गए।


भीड़ का हमला अब आर्यमणि पर जोर से होने लगा। दाएं–बाएं से लड़को ने हमला किया। आर्यमणि के ऊपर कई लड़के हॉकी स्टिक बरसा रहे थे, और आर्यमणि बिना हिले खड़ा होकर बस उन्हें घूरती नज़रों से देखा और उनमें से एक को पकड़कर अपने दोनो हाथ से हवा में उठा लिया, जैसे आज उस लड़के को आर्यमणि एयरोप्लेन बनाकर हवा में उड़ा ही देगा… लेकिन बीच में ही चित्रा चिल्लाई... "नहीं आर्य, ये क्रिमिनल नहीं है। स्पाइनल कॉर्ड में कहीं चोट लगी तो ये किसी काम का नहीं रहेगा।".. और आर्यमणि को रोक लिया


आर्यमणि, चित्रा की बात सुनकर उस लड़के को नीचे उतरा और फिर सामने की भीड़ पर फिर एक बार नजर दिया, जो अब भी लगातार मार तो रहे थे लेकिन आर्यमणि को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। खास वेयरवोल्फ लड़के जो आए थे, उनमें से एक को जोरदार मार पड़ते ही, बाकी के सभी अभी भी उसी को होश में लाने की कोशिश कर रहे थे।


आर्यमणि ने अब विकराल रूप धारण किया। उसने एक लड़के के हाथ से डंडा छीनकर पूरी भिड़ पर अकेले लाठी चार्ज कर दिया। वो लोग भी मार रहे थे लेकिन आर्यमणि का शरीर तो इनके मार के हिसाब से बहुत बाहर था। कितना भी मार लो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आर्यमणि ने एक डंडा जहां खींचकर रख दिया, छटपटाते हुए वही अंग पकड़ कर बैठ गए।


10 लड़को को ही तो ढंग से डंडे की मार पड़ी थी, बाकी के सभी मैदान छोड़कर भाग गए। तभी उन वेयरवोल्फ में से एक खड़ा होकर आया और इस बार आर्यमणि के सीने पर एक जोरदार पंच मार दिया। आर्यमणि श्वांस एक क्षण के लिए अटकी, लेकिन अगले ही पल उसने अपने पाऊं से उसके घुटने के नीचे ऐसा मारा की साफ दिख रहा था, हड्डी टूट गई है और मांस के साथ अलग ही लटक रहा है।


2 वेयरवोल्फ बुरी तरह घायल हो गए थे, जो चाहकर भी हिल नही कर पा रहे थे। बाकी के सभी वेयरवोल्फ को समझ में नहीं आ रहा था कि उनका पाला किससे पड़ा है। तभी उन लोगो ने भूमि को आते हुए देख लिया और अपने घायल साथी को उठाकर वहां से भाग गए।


भूमि तेजी के साथ आर्यमणि के पास पहुंची और व्याकुलता से उसे टटोलती हुई देखने लगी। आखों से उसके आशु निकल रहे थे… "पैट्रिक जिसने मेरे भाई को मारा है सबको ऐसा मारो की ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते हुए वो हस्पताल पहुंच जाए "..


आर्यमणि अपने दीदी के आशु पूछते…. "उसे रोको वरना मै नागपुर छोड़कर चला जाऊंगा।"…


भूमि:- मार खाएगा मुझसे अभी… मेरे बच्चे को मारने कि हिम्मत कौन कर गया वो भी मेरे रहते। उसके खानदान समेत सबको आग लगा दूंगी। समझ क्या रखा है, शांत हूं तो कमजोर पर गई। पैट्रिक मुझे चीखें क्यों नहीं सुनाई दे रही है।


पैट्रिक:- वो राजदीप सर हमे रुकने कह रहे है।


भूमि, राजदीप को देखकर जैसे ही आगे बढ़ने लगी, आर्यमणि उसका हाथ थामकर रोकते हुए… "दीदी ये कॉलेज है। हम स्टूडेंट के बीच मारपीट होते रहती है। आप तो ये कह रही है। बचपन में मैंने मैत्री के मैटर में अपने से 4-5 साल सीनियर उसके बड़े भाई शूहोत्र लोपचे को 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा चुका हूं। उस लड़ाई के मुकाबले तो ये कुछ भी नहीं। फिर आप क्यों इतने गुस्से में पढ़ने लिखने वालों पर ज़ुल्म कर रही हो। अभी नहीं मारपीट होगी, तो क्या शादी के बाद लोगो से लड़ाई करूंगा।"..


भूमि:- हम्मम ! समझ गई सॉरी। तू जाकर अपने दोस्तो के साथ बैठ और पलक को कहना जबतक मै ना आऊं वो भी तेरे साथ ही बैठी रहे।


भूमि आर्यमणि के पास से हटकर सीधा राजदीप के पास पहुंची और गुस्से में उसे आखें दिखती हुई, पैट्रिक को एक थप्पड़ मारते… "सबको लेकर निकलो यहां से।"


राजदीप:- ऐसे दूसरों को मारकर क्यूं जाता रही हो की तुम मुझे थप्पड़ मार सकती हो। सीधा मारो ना। पैट्रिक तुम जाओ।


भूमि उसे एकांत में लाती…. "शर्म नहीं आती तुझे... एक बच्चे परेशान करने के लिए वेयरवोल्फ की मदद लेते हो। प्रहरी के सारे विचार कहां घुस गए। २ दुनिया के बीच दीवार खड़ी करने वाले खुद उसे लड़ा रहे...


राजदीप:- दीदी तुम क्या कह रही हो?


भूमि:- राजदीप तू मेरा भाई है लेकिन आर्यमणि मेरे बच्चे जैसा है। मेरी नजर हमेशा बनी रहती है। उसके आते ही तुमने एमएलए से बोलकर आर्य की रैगिंग करवाई। उसे भरी सभा में सबके बीच जिल्लत झेलना पड़ा और मै गम पीकर रह गई। आज भी तेरे इशारे पर ही इन वुल्फ की इतनी हिम्मत हुई कि प्रहरी के सामने ही वह हमला कर रहा था। इतनी सह वेयरवोल्फ को कहां से मिल गई बताएगा।


राजदीप:- ये मेरा काम नहीं होगा फिर मेरी मां का काम होगा। उन्हें मैंने ही गलती से बता दिया था कि जया का बेटा भी आया है नागपुर।


भूमि:- तू अपनी मां और मेरी मां को नहीं जानता क्या? उनकी वजह से हम एक दूसरे के घर नहीं जा सकते? दोनो एक दूसरे से दुश्मनी निभाए बैठे है और तूने अपनी मां को आर्य के बारे में बता दिया? आज अगर यहां किसी पढ़ने वाले बच्चे की लाश गिरती तो उसके जिम्मेदार तुम होते राजदीप?


राजदीप:- तो आप ही बताओ ना मै क्या करू?


भूमि:- तू जानता है आर्य की क्षमता।


राजदीप:- क्या ?


भूमि:- 6-7 साल पहले इसकी लड़ाई जीतन लोपचे के बेटे से हुई थी। मैटर था आर्य और जीतन की बेटी मैत्री से दोस्ती। आर्य ने तब उस जितन लोपचे के बेटे को मारा था और 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। उसकी मार से एक वेयरवोल्फ 3 महीने तक हिल नही हुआ...


राजदीप, आश्चर्य से उसका मुंह देखता रहा, फिर अचानक से गुस्से में आते हुए… "ऐसा लड़का जब यहां स्टूडेंट के बीच आकर आपस में लड़ाई कर रहा है तो तुम क्यों बच्चो के बीच ने दादी बनकर चली आयी। ऐसा कौन करता है। लड़कियों को छेड़ना, एक दूसरे से झगड़ा करना, आपस की प्यार दोस्तो और पढ़ाई के बीच में आप क्यों घुसने चली आयी।"


भूमि:- क्योंकि ये झगड़ा प्रायोजित लग रहा था। आज तो मै तेरा खून कर देती अगर उसे खरोच भी आयी होती तो।


राजदीप:- साला ये तो लकी निकला। मुझे दादा (तेजस) ने बताया था कि आप इसे एकतरफा प्यार करती है। मुझे लगा हो सकता है ज्यादा लगाव हो, लेकिन इतना ज्यादा होगा पता नहीं था।


भूमि:- आर्यमणि, मेरे मौसा केशव कुलकर्णी और मेरी प्यारी जया मासी, इनसे लगाव के बारे में मत ही पूछो। और हां इनसे लगाव बहुत ज्यादा है इसका मतलब यह नहीं की मैं दूसरो के प्रति को लगाव ही नही रखती। मुझे भारद्वाज खानदान के दोनो चचेरे भाई, सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज को एक होते देखना चाहती हूं।


राजदीप:– वो तो मैं भी चाहता हूं, लेकिन रास्ता क्या है...

भूमि:– एक रास्ता है लेकिन थोड़ा पेंचीदा...


राजदीप:- कौन सा दीदी...


भूमि:- मैंने अपने बेटे आर्यमणि के लिए पलक को पसंद किया है। तू भी लड़का देख ले, तेरी बहन के लिए ठीक रहेगा या नहीं।


राजदीप:- जया का बेटा नागपुर आया है, केवल इतना सुनकर मेरी मां जब उसे इतना परेशान कर सकती है, फिर तो जब वो सुनेगी की जया का बेटा उसकी बेटी से शादी करने वाला है… आप होश में भी हो।


भूमि:- अच्छा और यदि दोनो को प्यार हो गया तो।


राजदीप:- मुझे कोई ऐतराज नहीं है, बाकी गृह युद्ध को आप जानो।


भूमि:- एक बार और देख ले उसे, बाद में ये नहीं कहना की दीदी ने अपने रिश्तेदारी में मेरी बहन का लगन गलत लड़के से करवा दिया है।


राजदीप:- आर्य मुझे भी पसंद है। मै रविवार को अपनी मासी के घर गया था, वहीं चित्रा ने निशांत और आर्य के जंगल रेक्यू के वीडियो दिखाएं। दीदी दोनो ने मिलकर तकरीबन 20 लोगो की जान बचाई थी। जबकि वो लोपचे के कॉटेज वाला जंगल है।


भूमि:- जानती हूं भाई।


राजदीप:- सुनो दीदी पहले से कोई प्लान नहीं करते है। अभी जवान है, पता नहीं कब किसपर दिल आ जाए।


भूमि:- सब तेरी मां के गलत डिसीजन का नतीजा है। 20-21 साल के होते ही समुदाय में लगन करवा देते तो इतना नाटक ही नहीं होता। कंवल का लगन समुदाय के बाहर हुआ और वो लड़की उसे लेकर यूएसए निकल गई। तू 28 का हो गया, मुझे तो तुझ पर भी शक होने लगा है। 23-24 की नम्रता होगी। भारद्वाज खानदान ही समुदाय के बाहर जाने लगेगा तो हमारा बचा हुआ अस्तित्व भी चला जाएगा।


राजदीप:- दीदी कह तो आप सही रही हो। आर्य की उम्र क्या होगी..


भूमि:- वो 21 का है..


राजदीप:- पलक भी 20 की है। एक काम करता हूं नम्रता से आज मै साफ साफ पूछ लेता हूं कि उसने किसी को पसंद किया है या नहीं। नहीं की होगी तो उसके लगन के बाद इन दोनों की एंगेजमेंट फिक्स कर देंगे। शादी पढ़ाई पूरी होने बाद करवा देंगे।


भूमि:- और तू.. साफ साफ बता की तू किसी को चाहता है या नहीं.. फिर मै मुक्ता का रिश्ता तेरे लिए भेजूं। बड़ी प्यारी लड़की है, परिवार के साथ रहने वाली और कारोबार को आगे बढ़ाने वाली। एक बॉयफ्रेंड था कॉलेज के दिन में लेकिन बहुत पहले उससे ब्रेकअप हो गया। ।


राजदीप:- मतलब मेरे जैसी है..


भूमि:- जी नहीं उसके 1 ही बॉयफ्रेंड था। तेरी 6-7 गर्लफ्रेंड थी। अब सच-सच बता किसी को फिक्स किया है या मै मुक्ता का रिश्ता भेजूं तेरे घर।


राजदीप:- नम्रता से बात करने दो, फिर दोनो का साथ में भेज देना।


भूमि:- हम्मम ! ये भी ठीक है। तू अभी ड्यूटी पर है क्या?


राजदीप:- हां दीदी..


भूमि:- ठीक है ड्यूटी के बाद मुन्ना खान के पास चले जाना, वहां तेरे पसंद की मॉडिफाइड कार तैयार हो गई है जाकर ले लेना।


राजदीप:- आप कुछ भी भूलती नहीं ना दीदी।


भूमि:- उल्लू… भूलूंगी क्यों, उल्टा बुरा लगा था जब तू देसाई बंधु की कार देखकर आकर्षित हो गया और उसने तुझे एक कार के लिए सुना दिया था।


राजदीप:- आपने सब देख लिया था क्या?


भूमि:- हां तो.. साले भिकाड़ी। 2 साल बाद ही तो उसे निकाल दिया था प्रहरी से। जिसमे अपने समुदाय के लोगों के लिए इज्जत नहीं वो लोकहित और अपने जान जोखिम में डालकर क्या दूसरों की रक्षा करेगा। भगा दिया साले को।


राजदीप:- आप ना बिल्कुल डॉन हो। मै तो होने वाली मीटिंग में आपको ही अध्यक्ष चुनुगा।


भूमि:- ना मुझे अध्यक्ष नहीं बनना वो राजनीति वाला काम है और तू जानता है मुझसे ये सब नहीं होगा। हां तू मुझे अध्यक्ष नहीं बना बल्कि मेरे बेटे के लिए अपनी बहन का हाथ दे दे ठाकुर।


राजदीप:- पागल है आप। दोनो को आराम से पढ़ने दीजिए। हम दोनों का अरेंज मैरिज प्लान करते है ना। मै जा रहा हूं, आपसे परसो मिलता हूं।


भूमि:- सुन अपनी मां को जाकर समझाओ होने वाले जमाई पर हमला नहीं करवाते।


परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...
Nice update bhai waiting for next update
 
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