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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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andyking302

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भाग:–6



"कॉलेज में नाबालिक लड़की के साथ छेड़छाड़, बीच बचाव करने पुलिस पहुंची तो उसपर भी हमले। 4 कांस्टेबल और एक एस.आई घायल।"..

"नेशनल कॉलेज में एक और रैगिंग का मामला। पीड़ित ने अपनी प्राथमिकता दर्ज करवाई।"

"दिन दहाड़े 2 बाइक सवार ने एक महिला के गले से उसके मंगलसूत्र उड़ा कर फरार हो गए। पुलिस अभियुक्तों कि तलाश में जुटी।"

"दो गुटों में झड़प, मुख्य मार्ग 6 घंटे तक रहा जाम। डीएम मौके पर पहुंचकर मामले का संज्ञान लिए और दोनो पक्षों को शांत करवाकर वहां से हटाया।"

___________________________________________



कमिश्नर कार्यालय, नागपुर… महाराष्ट्र होम मिनिस्टर और नागपुर के नए पुलिस कमिश्नर राकेश नाईक की बैठक।


तकरीबन 3 घंटे की बैठक और बढ़ते क्राइम को देखते हुए लिया गया अहम फैसला। मंत्री जी के जाने के बाद कमिश्नर राकेश नाईक की प्रेस मीटिंग। प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुखातिर होते हुए, कमिश्नर साहब रिपोर्टर्स के सभी सवालों पर विराम लगाते… "हम लोग जिला एसपी का कार्यभार बदल रहे है, आने वाले एक महीने में इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल जाएंगे।"


तकरीबन 3 दिन बाद, नागपुर पुलिस एसपी ऑफस का मीटिंग हाल। सामने 28 साल के बिल्कुल यंग आईपीएस, राजदीप भारद्वाज। जिले के सभी थाना अधिकारी सामने कुर्सी पर बैठे हुए। छोटी सी जान पहचान कि फॉर्मल मीटिंग।


राजदीप, छोटी सी फॉर्मल मीटिंग करने के बाद…. "यहां पहले क्या होता था वो मै नहीं जानता। लेकिन अब से मेरे कानो में केवल एक ही बात आनी चाहिए, नागपुर पुलिस बहुत सक्रिय है। और ये बात आपमें से किसी को बताने की जरूरत नहीं है, लोगों के दिल से निकलनी चाहिए ये बात। जो भी इस सोच के साथ काम करना चाहते है उनका स्वागत है। और जो खुद को बदल नहीं सकते, उनके लिए केवल इतना ही, जल्द से जल्द नई नौकरी ढूंढ़ना शुरू कर दो।"


एसपी ऑफिस से बाहर निकलते वक़्त लगभग सभी थाना अधिकारी ऐसे हंस रहे थे, मानो एसपी ऑफिस से कोई कॉमेडी शो देखकर निकले हैं। हां शायद यही सोच रहे हो, अकेला एसपी कर भी क्या सकता है। लेकिन वो भुल गए की उस 28 साल के लड़के के पास आईपीएस का दिमाग है। उसी शाम चैन स्नैचिंग के लगभग 800 मामले को राजदीप ने अपने हाथ में लिया। अपनी अगुवाई में टीम बनाई जिसमें 20 एस आई और 200 सिपाही थे। सभी के सभी फ्रस्ट्रेट पुलिस वाले जिनका सर्विस बुक में इन डिसिप्लिन होने का दाग लगा हुआ था।


4 दिन की कार्यवाही, और जो ही चोर उचक्कों को पुलिस ने दौरा-दौरा कर मारा। यहां तो केवल राजदीप ने 800 मामले को अपने हाथ में लिया था और जब पुलिस की ठुकाई हुई तो 1800 मामलों में इनका नाम आया। पूरे नागपुर में 12 चैन स्नेचर की गैंग और 108 लोगो की गिरफ्तारी हुई थी। इसके अलावा 17 दुकानों को चोरी का माल खरीदने के लिए सील कर दिया गया था और उनके मालिकों को भी हिरासत में ले लिया गया था।


आते ही हर सुर्खियों में केवल राजदीप ही राजदीप छाए रहे। जिस डिपार्टमेंट को काम ना करने की आदत सी पड़ चुकी थी। जिनकी लापरवाही और मिली भगत का यह नतीजा था कि क्रिमिनल थाने के सामने से चोरी करने से नहीं कतराते थे, उन सब पुलिस वालों पर गाज गिरना शुरू हो गया था। नौकरी तो बचानी ही थी अपनी, इसलिए जो भी क्रिमिनल अरेस्ट होते थे सब के सब पुखते सबूतों के साथ।


एक महीने के पूरी ड्यूटी के बाद तो जैसे नागपुर शहर का क्राइम ग्राफ ही लुढ़क गया हो। जितने भी टपोरी थे या तो उन्होंने धंधा बदल लिया या शहर। जो समय कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया था, उसके खत्म होते ही उन्होंने फिर एक कॉन्फ्रेंस किया, लेकिन इस बार सवाल कम और तारीफ ज्यादा बटोर रही थी नागपुर पुलिस।


सुप्रीटेंडेंट साहब जितने मशहूर नागपुर में हुए, उतने ही अपने परिवार के भी चहेते थे। पिताजी हाई स्कूल में प्रिंसिपल के पोस्ट से रिटायर किए थे और माताजी भी उसी स्कूल में शिक्षिका थी। राजदीप का एक बड़ा भाई कमल भारद्वाज जो यूएस में सॉफ्टवेर इंजिनियर है अपने बीवी बच्चों के साथ वहीं रहता था।


दूसरा राजदीप जो सुप्रीटेंडेंट ऑफ पोलिस है। राजदीप से छोटी उसकी एक बहन नम्रता, जो पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद पीएचडी करना चाह रही थी, लेकिन राजदीप के नागपुर पोस्टिंग के बाद अपने दोस्तों को छोड़कर यहां के यूनिवर्सिटी में अप्लाई करना पड़ा। और सबसे आखरी में पलक भारद्वाज, 1 साल की तैयारी के बाद अपने इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट देकर उसके परिणाम का इंतजार कर रही थी।


शुरू से ही घर का माहौल पठन-पाठन वाला रहा, इसलिए राजदीप को पढ़ने का अनुकूल माहौल मिला और वो 24 साल की उम्र में अपना आईपीएस क्लियर करके ट्रेनिंग के लिए चला गया। ट्रेनिंग के बाद उसे 26 साल में पहली फील्ड पोस्टिंग मिली थी, और 2 साल बाद ही महाराष्ट्र के प्रमुख शहर नागपुर की जिम्मेदारी।


रविवार की सुबह थी। राजदीप बाहर लॉन में बैठकर पेपर पढ़ रहा था, उसकी पहली छोटी बहन नम्रता चाय लेकर उसके पास पहुंची… "क्या पढ़ रहे हो दादा, अखबार में तो केवल आपके ही चर्चे हैं। अब एक काम करो शादी कर लो।"..


राजदीप:- कितने पैसे चाहिए।


नम्रता:- क्या दादा, आपको क्यों ऐसा लग रहा है कि मै आपसे पैसे मांगने आयी हूं।


राजदीप:- फिर क्या बात है।


नम्रता:- दादा पलक ने नेशनल कॉलेज में एडमिशन ले लिया है, वो तो पता ही होगा ना।


राजदीप:- हां पता है, उसने इंट्रेस में टॉप मार्क्स मिले थे, मैंने अपने साथियों में मिठाई भी बंटवाई थी।


नम्रता:- दादा वो कॉलेज रैगिंग के लिए मशहूर है और मुझे बहुत डर लग रहा है। आप तो पलक को जानते ही हो, इसलिए क्या आप पुरा हफ्ता उसे कॉलेज ड्रॉप कर सकते हैं?


राजदीप:- नम्रता वो कॉलेज है, वहां पुलिस का क्या काम। देखो मै पलक को केवल वहां एक हफ्ते छोड़ने जाऊंगा, लेकिन वो अगले 4 साल उस कॉलेज में जाने वाली है। थोड़ा बहुत रैगिंग से जूनियर्स, सीनियर्स के पास आते हैं, वो जायज है। हां उसके ऊपर जब जाए तब मैं हूं, चिंता मत करो। कल पहला दिन है तो मै ही चला जाऊंगा। वैसे ये रहती कहां है आजकल।


नम्रता:- घर में ही होगी जाएगी कहां, रुको बुला देता हूं।


राजदीप:- नहीं रहने दे, उसका यहां बैठना और ना बैठना दोनो एक जैसा होगा। मुझे तो कभी-कभी लगता है आई–बाबा का एक बच्चा हॉस्पिटल में बदल गया था।


नम्रता:- क्या दादा, सुनेगी तो बुरा लगेगा।


राजदीप:- हां लेकिन गुस्सा तो हो, झगड़ा तो करे। वो बस इतना ही कहेगी हर किसी का स्वभाव एक जैसा नहीं होता और बात खत्म।


अगले दिन सुबह-सुबह राजदीप पलक के साथ नेशनल कॉलेज के लिए निकला।..


राजदीप:- सो क्या ख्याल चल रहे है पहले दिन को लेकर।


पलक:- कुछ नहीं दादा, थैंक्स आप साथ आए।


राजदीप:- हद है, अब भाई को भी थैंक्स कहेगी। अच्छा सुन कोई रैगिंग करे तो मुझे बताना।


पलक:- हां बिल्कुल।


राजदीप कुछ दूर आगे चला होगा तभी उसे लंबा जाम दिखा।… "पलक 2 मिनिट गाड़ी में बैठ मै अभी आया।".. लगभग 200 मीटर जाम को पार करने के बाद राजदीप जैसे ही चौराहे पर पहुंचा, वहां का माहौल देखकर वो दंग रह गया। ऊपर से जब वो आगे बढ़ने लगा, तभी एक आदमी उसके सीने पर हाथ रखते… "साले तेरेको दिख नहीं रहा, भाई इधर धरना दे रयले है।"


राजदीप ने ऐसा तमाचा दिया कि उसके गाल पर पंजे का निशान छप गया। कुछ देर तक तो उसका सर नाचने लगा और तमाचा इतना जोरदार था कि वहां तमाचा की आवाज गूंज गई। सभी गुंडे उठकर खड़े हो गए। इसी बीच थाने और कंट्रोल रूम से पुलिस का भारी जत्था पहुंच गया। राजदीप एक कार के बोनट पर अपनी तशरीफ़ को टिकाते हुए, अपने आखों पर चस्मा डाला…. "जबतक रुकने के लिए ना कहूं, ठोकते रहो इनको।"


चारो ओर से घिरे होने के कारण भाग पाना काफी मुश्किल हो रहा था। इसी बीच पुलिस की टीम ने आदेश मिलते ही जो ही डंडे बरसाने शुरू किए, तबतक नहीं रुके जबतक राजदीप ने रुकने का इशारा नहीं किया।… "इसके गैंग लीडर को सामने लेकर आओ"…


सामने लोकल एरिया का मशहूर गुंडा और यहां के लोकल एमएलए का खास आदमी, इमरान कुरैशी को लाकर खड़ा कर दिया… "साले ज्यादा फिल्मी हो रहा है। अगली बार कहीं सड़क जाम करता हुआ दिखा ना तो किसी काम का नहीं छोडूंगा। इंस्पेक्टर यहां का ट्रैफिक क्लियर करो और इन सबको हॉस्पिटल लेकर जाओ।"


राजदीप जाम क्लियर करवाकर वापस अपने गाड़ी में आया और पलक के साथ उसे कॉलेज छोड़ने के लिए चल दिया। कॉलेज का कैंपस देखकर राजदीप कहने पर मजबूर हो गया… "ये लोग कॉलेज चला रहे है या 5 स्टार होटल। तभी आजकल इंजिनियरिंग इतनी मेंहगी हो गई है।"..


पलक:- दादा आप जाओ, मै अपना क्लास ढूंढ लूंगी।


राजदीप:- क्या है पलक, मै यहां तेरे लिए आया हूं और तू है कि मुझे ही भगा रही है। चल आज मै तुम्हारी हेल्प कर देता हूं।


पलक:- ठीक है दादा।


राजदीप वहां से ऑफिस गया और ऑफिस से पलक के सारे क्लास का पता लगाकर उसे दोबारा रैगिंग के विषय में समझाकर, वहां से वापस अपने ऑफिस पहुंचा। राजदीप जैसे ही अपने केबिन में पहुंचा ठीक उसके पीछे संदेशा भी पहुंचा… "एमएलए साहब मिलना चाह रहे थे।"..


राजदीप कुछ फाइल पर साइन करने के बाद एमएलए आवास पर पहुंचा। सामने से उसे सैल्यूट करते हुए… "सर आपने मुझे यहां बुलाया।"..


एमएलए:- सुना है सड़क पर तुमने आज खूब एक्शन दिखाया।


राजदीप:- गलत सुना है सर। आज अपनी बहन को कॉलेज ड्रॉप करने गया था तो थोड़ा जल्दी में था इसलिए केवल वार्निग देकर छोड़ा दिया, कहीं वर्दी में होता तो उसे काल के दर्शन करवाता।


एमएलए:- जवान खून हो और तन पर सुप्रीटेंडेंट की वर्दी। नतीजा तो ऐसा ही होना है। तुम्हे पता है महाराष्ट्र के असेम्बली में मेरा क्या योगदान है। मेरे 72 एमएलए सपोर्ट के साथ ये असेम्बली चल रही है, इधर मैंने अपना हाथ खींचा और उधर इलेक्शन शुरू। तू जानता नहीं मै क्या करवा सकता हूं?


राजदीप:- आराम से बैठकर बातें करें या अपनी कुर्सी का सॉलिड अकड़ है?


एमएलए:- पॉलिटिक्स में अकड़ नहीं बल्कि अक्ल काम आती है, आओ मेरे साथ।


दोनो एमएलए के प्राइवेट चैंबर में बैठते हुए… "हां अभी कहो।"..


राजदीप:- सुनो कृपा शंकर गोडबोले, मुझे शहर कि सड़कें साफ चाहिए। आम जनता परेशान होते नजर नहीं आने चाहिए। मर्डर मतलब उस क्राइम को रिवर्स नहीं किया जा सकता, किसी की जिंदगी नहीं लौटाया जा सकती, इसलिए किसी का मर्डर नहीं चाहिए। ड्रग्स जैसे कारोबार नहीं चाहिए। इसके अलावा कुछ भी करो मै कुछ नहीं कहने आऊंगा। बात समझ में आ गई हो तो 10 करोड़ के एनुअल बजट के साथ डील फाइनल करो वरना बौधायन भारद्वाज के वंशज के बारे में एक बार पता कर लेना।


एमएलए, ने जैसे ही बौधायन भारद्वाज का नाम सुना, राजदीप को आंखे फाड़कर देखते, "उज्ज्वल भारद्वाज के बेटे हो क्या?"… राजदीप ने जैसे ही हां मे सर हिलाया, एमएलए... "मुझे माफ़ कर दो, मै तुम्हे पहचान नहीं पाया। मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है। लेकिन 10 करोड़ थोड़ा ज्यादा नहीं लग रहा, अब थोड़े बहुत काम से मै कितना पैसा बना पाऊंगा। इसे 5 करोड़ कर दो प्लीज।"


राजदीप:- कृपा शंकर सर, ये चिंदी काम से आपका पेट थोड़े ना भरता है। मुझे मजबूर ना करे अपने रिस्ट्रिक्शन के दायरे बढ़ाने में वरना फिर मै पहले मिलावटी चीजों पर ध्यान दूंगा। फिर शिकंजा बढ़ेगा बैटिंग पर। फिर दायरा बढ़ेगा ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के पायरेसी के धंधे पर। और वो जो नेशनल कॉलेज को चकाचक करवाकर जो इतना डोनेशन कमा रहे, उस जैसे फिर ना जाने कितने सरकारी कॉलेज है, जहां तुमने एडवांस फीचर्स के नाम पर बैक डोर से मोटी रकम वसूली है, और वसूलते रहोगे...


एमएलए:- आप तो ज्ञानी है प्रभु। ठीक है डील तय कर दिया, आज से पुरा नागपुर आपका। जो आप कहेंगे वहीं होगा।


राजदीप:- मै तो पूरे भारत में जो कहूंगा वो होगा, लेकिन वो क्या है ना कृपाशंकर, हम यदि अपनी मांगे नाजायज रखेंगे तो अपना वैल्यू ही खत्म हो जाएगा। बाकी पुलिस और पॉलिटिक्स में तो पॉलिटीशियन को इतनी सेवा पुलिस की करनी ही पड़ती है।


एमएलए:- हव साहेब.. आप जैसा बोलो।


राजदीप:- ठीक है सर अब मै चलता हूं, आपके वाहट्स ऐप पर मैंने अपनी बहन की तस्वीर भेज दी है, आपकी छत्र छाया वाले कॉलेज में है, देखिएगा कोई हरासशमेंट का केस ना आए, बाकी छोटी मोटी रैगिंग के लिए मै पढ़ने वालों को परेशान नहीं करता।


एमएलए:- आप जाइए राजदीप सर, कॉलेज में इन्हे कोई परेशानी नहीं होगी।


शाम को ऑफिस से लौटते वक़्त राजदीप अपनी बहनों के लिए कुछ खरीदारी करता हुआ चला। वो जब रास्ते में था तभी कमिश्नर राकेश का फोन आ गया… "जी सर कहिए।"


राकेश:- क्यों रे मैंने सुना है आज एमएलए से मिलकर आया। ये तो कमाल ही हो गया। मतलब हम कमिश्नर ऑफिस में और तू पॉलिटीशियन की गोद में। वो भी पॉलिटीशियन कौन तो कृपाशंकर।


राजदीप:- मै आता हूं ना सर आपके घर।


राकेश:- छोड़ मै ही आता हूं तेरे घर। वैसे भी आजकल डीसी ऑफिस से ज्यादा तो एसपी ऑफिस छाया हुआ है नागपुर में।


राकेश:- जैसा आप सही समझो साहेब। मै भी ऑफिस से निकल गया।


राजदीप अपना सारा प्लान कैंसल करते हुए, नागपुर के सबसे मशहूर रेस्त्रां से मटन, नान और नाना प्रकार के व्यंजन पैक करवाकर सीधा घर पहुंचा। रात के ठीक 8 बजे नए प्रमोटेड कमिश्नर साहब अपने पूरे परिवार के साथ राजदीप के घर पहुंचे।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update
 

andyking302

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भाग:–7


जैसे ही वो घर पहुंचे राजदीप समेत उसकी दोनो बहने जाकर उनके पाऊं छू ली। इधर राकेश और उसकी पत्नी निलांजना भी जाकर राजदीप के माता पिता से मिलने लगे। राजदीप की मां और राकेश की पत्नी दोनो सगी बहने थी और कमिश्नर साहब राजदीप के मौसा जी। पुलिस का काम ऐसा था कि पूरे परिवार का मिल पाना नहीं हो पता था, हां लेकिन फोन पर अक्सर ही बातें हुआ करती थी। राजदीप अपने मौसा से ही इंस्पायर्ड होकर आईपीएस को तैयारी करने गया था। बड़े से डाइनिंग टेबल पर दोनो परिवार बैठा हुए था। चित्रा और निशांत भी वहीं बैठे हुए थे और खामोशी से सबकी बातें सुन रहे थे।…


नम्रता, खाने का प्लेट लगाती…. "दादा फोन पर तो ये निशांत और चित्रा आधा घंटा कान खा जाते थे, आज दोनो मूर्ति बनकर बैठे है। चित्रा, निशांत सब ठीक तो है ना।"…


राकेश:- इन दोनों को कुलकर्णी कीड़े ने काटा है, इसलिए कुछ नहीं बोल रहे।


राजदीप:- कौन वो डीएम केशव कुलकर्णी।


राकेश:- हां उसी का नकारा बेटे के सोक में दोनो सालों से पागल हुए जा रहे है।


राजदीप की मां अक्षरा भारद्वाज…. "छी छी, उस घटिया परिवार से तुमलोग रिश्ता भी कैसे रख सकते हो।"


"पापा हमे ये सब सुनाने के लिए लाए थे। तुझे मटन का स्वाद लेना है तो लेते रह निशांत, मै जा रही।"… चित्रा गुस्से में अपनी बात कहकर खाने के टेबल से उठ गई। उसी के साथ निशांत भी खड़ा होते.… "रुक चित्रा मै भी चलता हूं।"..


पलक:- "बैठ जाओ दोनो आराम से। जिस बात की वजह नहीं जानते उस बात को पहले पूछ लो। पीछे की कहानी जान लो, ताकि तुम्हे उसमे अपना कुछ विचार देना हो तो विचार दे दो और फिर ये कहकर उठो की आप बड़े है, मै उल्टे शब्दों में आपको जवाब नहीं दे सकता इसलिए मजबूरी में उठकर जाना पड़ रहा है।"

"देखा जाए तो तुमने आई की बात का जवाब इसलिए नहीं दिया, क्योंकि तुम्हे रिश्ते ने खटास नहीं चाहिए, लेकिन ऐसे उठकर चले गए तो तुम्हारे पापा को बेज्जती झेलनी होगी। उनसे सवाल किए जाएंगे कि कैसे संस्कार दिए अपने बच्चो को। तुमने इज्जत के कारण उठकर जाने का निर्णय लिया, किन्तु यहां बात कुछ और हो जाएगी। इसलिए आराम से बैठ जाओ और सवाल करो, जवाब दो, फिर विनम्रता से उठकर चले जाना।"


पलक की बात सुनकर दोनो भाई बहन बैठ गए। और निशांत अपनी मासी को सॉरी कहते हुए कहते पूछने लगा… "मासी आप उस परिवार के बारे में क्या जानते है।"..


अक्षरा भारद्वाज:- "बेटा उस केशव कुलकर्णी की पत्नी जो है ना जया, उसकी एक बड़ी बहन है यहीं नागपुर में रहते है, मीनाक्षी भारद्वाज और उसके पति का नाम है सुकेश भारद्वाज। सुकेश भारद्वाज जो है वो और राजदीप के बाबा उज्जवल दोनो खास चचेरे भाई है।"

"तेरे 3 मामा है। जिसमें से तेरे जो सबसे छोटे वाले मामा थे, उनकी मौत का कारण वही उसकी बहन जया है। तेरे छोटे मामा और जया का लगन तय हो गया था, लेकिन शादी के एक दिन पहले उसकी बड़ी बहन मीनाक्षी ने अपनी बहन जया को भगा दिया। तेरे छोटे मामा बेज्जती का ये घूंट पी नहीं पाए और उन्होंने आत्महत्या कर ली। नफरत है हमे उस परिवार से। उसका नाम सुनती हूं तो तेरे छोटे मामा याद आ जाते है।"


चित्रा:- पलक तुम्हारा धन्यवाद, तुमने सही वक़्त पर बिल्कुल सही बातें बताई। मासी आपको जो मानना है वो आप मानती रहे, और यहां बैठे जितने भी लोग है। मै इसपर कुछ नही कहूंगी, नहीं तो आप सबकी भावनाओ को ठेस पहुंचेगा। आर्यमणि हमारा दोस्त है और जिंदगी भर हमारा दोस्त रहेगा।


राजदीप:- सिर्फ दोस्त ही है ना..


चित्रा:- हमे साथ देखकर शायद आपको कन्फ्यूजन हो सकता है लेकिन हम दोनों के बीच कोई कन्फ्यूजन नहीं है भईया। वैसे हमने एक बार सोचा था रिलेशनशिप स्टेटस बदलने का। लेकिन फिर समझ में आया, हम पहले ही अच्छे थे।


राजदीप:- अच्छा हम से तो वजह जान लिए तुम बताओ कि तुम दोनो उसके लिए इतने मायूस क्यों हो?


निशांत:- मेरे पापा गंगटोक के अस्सिटेंट कमिश्नर रह चुके है, उनसे पूछ लीजिएगा डिटेल कहानी आपको पता चल जाएगा। हमारा दोस्त आर्यमणि बोलने में विश्वास नहीं रखता, केवल करने में विश्वास रखता है।


खाने के टेबल पर फिर बातों का दौड़ चलता रहा। काफी लंबे अरसे के बाद दोनो परिवार मिल रहे थे। सब एक दूसरे से घुलने मिलने लगे। चित्रा और निशांत के मन का विकार भी लगभग निकल चुका था, वो भी अपने मौसेरे भाई बहन से मिलकर काफी खुश हुए।


बातों के दौरान यह भी पता चला की पलक, निशांत और चित्रा तीनों एक ही कॉलेज में एडमिशन लिए है। जहां पलक और निशांत दोनो मैकेनिकल इंजिनियरिंग कर रहे है वहीं चित्रा कंप्यूटर साइंस पढ़ रही थी।


रात के लगभग 12 बज रहे थे। चित्रा, निशांत के कमरे में आकर उसके बिस्तर पर बैठ गई… "सालों बित गए, आर्यमणि ने एक बार भी फोन नहीं किया।"


निशांत:- कल अंकल (आर्यमणि के पापा) ने फोन किया था, रो रहे थे। आर्यमणि जबसे गया, किसी से एक बार भी संपर्क नहीं किया।


चित्रा:- कमाल की बात है ना निशांत, आर्य नहीं है तो हम सालों से झगड़े भी नहीं।


निशांत:- मन ही नहीं होता तुझे परेशान करने का चित्रा। अंकल बता रहे थे मैत्री के मरने का गहरा सदमा लगा था उसे।


चित्रा:- कहीं वो सारे रिश्ते नाते तोड़कर विदेश में सैटल तो नहीं हो गया। निशांत एफबी प्रोफाइल चेक कर तो आर्य की। कहीं कोई तस्वीर पोस्ट तो नहीं किया वो?


निशांत:- कर चुका हूं, नहीं है कोई पिक शेयर। वैसे एक बात बता, केमिकल इंजीनियरिंग के लिए तुमने आर्य का माइंड डायवर्ट किया था ना?


चित्रा:- नहीं मै तो केमिकल इंजिनियरिंग लेने वाली थी, उसी ने मुझसे कहा कि कंप्यूटर साइंस करते है। तकरीबन 5 महीने तक मुझे समझता रहा मै फिर भी नहीं मानी।


निशांत:- फिर क्यों ले ली..


चित्रा:- एक छोटा सा सरप्राइज। बस इसी खातिर ले ली।


निशांत:- तू भी ना पूरे पागल है।


चित्रा:- हां लेकिन तुम दोनो से कम… वो अजगर वाला वीडियो लगा ना.. उसका एक्शन देखते है।


दोनो भाई बहन फिर एक के बाद एक ड्रोन कि रेकॉर्डेड वीडियो देखने लगे। वीडियो देखते देखते दोनो को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। दोनो भाई बहन सुबह-सुबह उठे और आराम से नेशनल कॉलेज के ओर चल दिए। कैंपस के अंदर कदम रखते ही चारो ओर का नजारा देखकर… "हाय इतनी सारी तितलियां.. सुन ना चित्रा एक हॉट आइटम को अपनी दोस्त बना लेना और उससे मेरा इंट्रो करवा देना।"


चित्रा:- मै भी उस आइटम से पहले इंक्वायरी कर लूंगी उसका कोई भाई है कि नहीं जिसने उससे भी ऐसा ही कुछ कहा हो। थू, कमीना…


निशांत:- जा जा, मत कर हेल्प, वैसे भी यहां का माहौल देखकर लगता नहीं कि तेरे हेल्प की जरूरत भी होगी।


चित्रा:- अब किसी को हर जगह जूते खाने के शौक है तो मै क्या कर सकती हूं। बेस्ट ऑफ लक।


दोनो भाई–बहन बात करने में इतने मशगूल थे कि सामने चल रहे रैगिंग पर ध्यान ही नहीं गया, और जब ध्यान गया तो वहां का नजारा देखकर… "ये उड़ते गिरते लोग क्या कर रहे है यहां।"..


निशांत:- इसे रैगिंग कहते है।


चित्रा, निशांत का कांधा जोर से पकड़ती… "भाई मुझे ये सब नहीं करना है, प्लीज मुझे बचा ले ना।"..


निशांत:- अब तू आज इतने प्यार से कह रही है तो तेरी हेल्प तो बनती है। चल..


चित्रा:- नहीं तू आगे जाकर रास्ता क्लियर कर मै पीछे से आती हूं।


निशांत:- चल ठीक है मै आगे जाता हूं तू पीछे से आ।


निशांत आगे गया, वहां खड़े लड़के लड़कियों से थोड़ी सी बात हुई और उंगली के इशारे से चित्रा को दिखाने लगा। चित्रा को देखकर तो कुछ सीनियर्स ध्यान मुद्रा में ही आ गए। निशांत, चित्रा को प्वाइंट करके फिर आगे निकल गया। जैसे ही चित्रा, निशांत को वहां से निकलते देखी… "कितना भी झगड़ा कर ले, लेकिन निशांत मेरे से प्यार भी उतना ही करता है।"… चित्रा खुद से बातें करती हुई आगे बढ़ी। तभी वहां खड़े लड़के लड़कियां उसका रास्ता रोकते… "फर्स्ट ईयर ना"..


चित्रा:- येस सर


एक लड़का:- चलो बेबी अब जारा बेली डांस करके दिखाओ..


"हांय.. बेली डांस, लेकिन निशांत ने तो सब क्लियर कर दिया था यहां"… चित्रा अपने मन में सोचती हुई, सामने खड़े लड़के से कहने लगी… "सर जरूर कोई कन्फ्यूजन है, अभी-अभी जो मेरा भाई गया है यहां से, उसने आपसे कुछ नहीं कहा क्या?"


एक सीनियर:- कौन वो चिरकुट। हम तो उससे भी रैगिंग करवा लेते लेकिन बोला मै यहां थोड़े ना पढ़ता हूं, अपनी बहन को छोड़ने आया हूं। वो तुम्हारे क्लास वाइग्रह देखने गया है अभी। चल अब बेली डांस करके दिखा।


चित्रा अपनी आखें बड़ी करती… "कुत्ता कहीं का, इसे तो घर पर देखूंगी।"..


सीनियर:- क्या सोच रही है, चल बेली डांस कर।


चित्रा, नीचे से अपनी जीन्स 4 इंच ऊपर करती…. "सर नकली पाऊं से बेली डांस करूंगी तो मै गिर जाऊंगी, फिर लोग क्या कहेंगे। देखो पहले ही दिन कॉलेज में गिर गई।"..


एक लड़की:- तो क्या दूसरे दिन गिरेगी।


चित्रा:- मिस क्या पहला, क्या दूसरा, अब जब पाऊं ही नहीं है तो कभी भी गिरा दो क्या फर्क पड़ता है। जिस बाप को अपना सरनेम देना था उसने अनाथालय की सीढ़ियां दे दी, सिर्फ इस वजह से कि मेरा एक पाऊं है ही नहीं। जब अपना खुद का बाप एक अपाहिज का दर्द नहीं समझा तो तुम लोग क्या समझोगे। अकेला छोड़ दिया ऐसे दुनिया में जहां किसी अनाथ और खुस्बसूरत लड़की को हर नजर नोचना चाहता हो। बेली डांस के बदला ब्रेक डांस ही करवा लो, जब मेरे नकली पाऊं बाहर निकल आएंगे तो तुम सब जोड़-जोड़ से हंसना।


सामने से एक लड़का फुट फुट कर रोते हुए… "सिस्टर, दबाकी मेरा नाम है, यहां मै सबको दबा कर रखता हूं। तुम बिंदास अपने क्लास जाओ, तुम्हे पूरे कॉलेज में कोई आंख उठाकर भी नहीं देखेगा।"


इधर निशांत उन लड़कों को झांसा देकर जैसे ही आगे बढ़ा, उसे पलक मिल गईं… "कैसी हो पलक"


पलक:- अच्छी हूं।


निशांत:- तुम्हारी रैगिंग नहीं हुई क्या?


पलक:- शायद दादा ने यहां सबको पहले से वार्निग दे दिया हो। कॉलेज के गेट से लेकर यहां तक सब सलाम ठोकते ही आए है।


निशांत:- हा हा हा हा.. सुप्रीटेंडेंट साहब की बहन आयी है। वो भी कोई ऐसा वैसा पुलिस वाला नहीं बल्कि सिंघम के अवतार है राजदीप भारद्वाज।


पलक:- हेय वो तुम्हारी बहन के साथ रैगिंग कर रहे है।


निशांत:- कास रैगिंग कर पाए, मै तो विनायक को पूरे 101 रुपए की लड्डू चढ़ाऊंगा।


पलक:- ऐसा क्यों कह रहे हो, वो तुम्हारी बहन है।


निशांत:- मेरी तो बहन है लेकिन इन सबकी मां निकलेगी। इसकी रैगिंग कोई लेकर तो दिखाए।


पलक, निशांत की बातें सुनकर जिज्ञासावश सबकुछ देखने लगी। जैसे-जैसे चित्रा का एक्ट आगे बढ़ रहा था, उसकी हसी ही नहीं रुक रही थी। निशांत पीछे से पलक के दोनो कंधे पर हाथ देकर अपना चेहरा आगे लाते हुए… "देखी मैंने क्या कहा था।"..


पलक ने जैसे ही देखा की निशांत उसके कंधे पर हाथ रखे हुए है वो हंसते हंसते ख़ामोश हो गई और अपनी नजरे टेढ़ी करके निशांत की बातें सुनने लगी। निशांत को ख्याल आया कि उसने पलक के कंधे पर हाथ दिया है… "सॉरी मैंने कैजुअली कंधे पर हाथ रख दिया।"..


पलक:- कोई बात नहीं, बस मुझे दादा का ख्याल आ गया।


तभी इनके पास चित्रा भी पहुंच गई… "कमिने खुद तो मुझे छोड़ने का बहाना बनाकर बच गया, और मुझे फसा दिया। तू देख लेना यहां किसी भी लड़की से तूने बात तक की ना तो तेरी ठरकी देवदास की डीवीडी ना रिलीज कर दी तो तू देख लेना।"


पलक:- क्यों दोनो झगड रहे हो, चलो क्लास अटेंड करने। अभी तो शायद हम सब की क्लास साथ ही होगी ना।


चित्रा:- क्लास साथ हो या अलग पलक, लेकिन इसके साथ मत रहना। भाई के नाम पर कलंक है ये।


निशांत:- वो तो पलक ने भी सुना क्या-क्या साजिशें तुम कर रही। जलकुकड़ी कहीं की। तुझे इस बात से दिक्कत नहीं थी कि तेरा रैगिंग के लिए इन लोगो ने रोका। इनसे निपटने की तैयारी तो तू घर से करके आयी थी। तुझे तो इस बात का गुस्सा ज्यादा आया की मुझे क्यों नहीं रोका, मेरी रैगिंग क्यों नहीं ली?


पलक:- क्लास चले, बाकी बातें क्लास के बाद पूरी कर लेना।


तीनों ही क्लास में चले गए। पलक इन दोनों से मिलकर काफी खुश नजर आ रही थी। अंदर से मेहसूस हो रहा था चलो फॉर्मल लोग नहीं है। हालांकि एक खयाल पलक के मन में बार-बार आता रहा की आखिर मेरा भाई तो केवल एसपी है फिर किसी ने नहीं रोका, और इसके पापा तो कमिश्नर है, फिर क्यों इनकी रैगिंग हो रही है।"..
जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann
 

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भाग:–8

साथ में ये तीसरा दिन था कॉलेज का, जब पलक ने यह सवाल दोनो से पूछ ही लिया… सवाल सुनकर दोनो हंसने लगे। पलक दोनो का चेहरा देखती हुई… "क्या हुआ, कुछ गलत पूछ ली क्या?"


चित्रा:- नहीं कुछ गलत नहीं पूछी। निशांत पलक को इसका जवाब दे…


निशांत:- बस कभी ये ख्याल ही नहीं रहता की हम किसी पुलिस अधिकारी के बच्चे है। यहां तो स्टूडेंट है और हर स्टूडेंट की तरह हमारे भी एक परेंट है।


क्लास, पढ़ाई और भागती हुई ज़िन्दगी, यूं तो निशांत और चित्रा के पास ध्यान भटकाने के कई सारे साधन मिल चुके थे, लेकिन किसी ना किसी बातों से हर वक़्त आर्यमणि की यादें ताज़ा हो ही जाती थी। कॉलेज आकर दोनो भाई बहन के चेहरे के भाव बदले थे लेकिन अंदर की भावना नहीं।


गंगटोक से आए लगभग 3 साल से ऊपर हो गए थे और इतने लंबे वक्त में एक छोटी सी खबर नहीं आर्यमणि कि। कॉलेज शुरू हुए 2 महीने हो गए थे। 2 क्लास के बीच में इतना गैप था कि कम से 1 घंटा तो इनका कैंटीन में जरूर बिता करता था। चित्रा, पलक और निशांत तीनों बैठे थे.…


चित्रा:- अभी देखना हम लोग को सरप्राइज देते हुए आर्य सामने से आएगा।


निशांत:- पिछले 10 दिन से तू यहीं बोल रही है। अब कहेगी नहीं आज मेरी स्ट्रॉन्ग वाली फीलिंग कह रही है।


पलक:- वो देखो तुम्हारा दोस्त आर्य आ गया।


चित्रा और निशांत दोनो एक साथ सामने देखते… "क्या यार पलक, इसे भावनाओ के साथ खेलना कहते है। निशांत उस माधव को बुला जरा।"


ऊपर वाले की फैक्टरी में बाना विचित्र रचना। उम्र 18-19 साल लगभग, हाइट 5 फिट 9 इंच, वजह 38 किलो। निशांत उसे आवाज़ लगाते… "ए माधव इधर आ।"..


माधव ने एक नजर टेबल पर डाली और फिर अपनी नजरें नीची करते चुपचाप जाने लगा…. "क्या यार माधव नाराज है क्या"… माधव ने अब भी नजरदांज किया।


चित्रा:- माधव यहां आओ वरना हम तुम्हारे बाबूजी को फोन अभिए लगा देंगे हां।


माधव, उन तीनों के पास बैठते…. "काहे आपलोग हमको तंग करते है। हमे जाने दीजिए ना।"..


चित्रा:- सुन ना माधव, मझे फिजिक्स और मैथमेटिक्स में हेल्प कर दे ना।


माधव:- देखिए भगवान ने हमको कुरूप बनाया है, कोई बॉडी पर्सनैलिटी नहीं दी है, इसका ये मतलब नहीं कि आप सब हमरा मज़ाक उड़ाए।


चित्रा:- अबे ओय घोंचू, तेरा कब मज़ाक उड़ाये बे।


माधव:- कल यहीं पास वाला टेबल पर बैठे थे। अपने क्लास की वो निधि और उसके दोस्तों ने आप लोगो की तरह ही बुलाया था। और हम बस रोए नहीं, भरी महफिल में ऐसा मज़ाक बनाया। कल वो थी आज आप है।


निशांत:- मज़ाक तो हम भी तुम्हारा बनाते माधव। आखिर कांड ही ऐसे किए थे। प्रेम पत्री दिए मेरी बहन को, हां।


माधव:- सॉरी खाली दोस्ती का लेटर था। पहले कभी इतनी सुंदर लड़की से बात नहीं किए थे। जिससे भी करने कि कोशिश किए, सबने खाली मज़ाक ही उड़ाया। चित्रा से 2-4 बार बात हुई थी सब्जेक्ट को लेकर, तो हम सोचे कहीं हमसे दोस्ती कर ले। अकेले रहते है ना, इसलिए फील होता है। हमारा तो रूममेट भी हमसे बात नहीं करता।


चित्रा:- दोस्ती में तो कोई हर्ज नहीं है माधव, लेकिन मै करूंगी मज़ाक और तुम हो जाओगे सीरियस, और किसी भोले इंसान का दिल नहीं दुखाना चाहती, इसलिए जवाब नहीं दी, वरना तुम तो हीरा हो माधव हीरा। फिजिक्स और मैथमेटिक्स में क्या पकड़ है तुम्हारी।


माधव:- हमारे बाबूजी कहते थे, पाऊं उतना ही पसारना चाहिए जितनी चादर हो। हम तो बिलो एवरेज से भी एक पायदान नीचे है और आप तो मिस वर्ल्ड है।


निशांत:- आज से तुम हमारे दोस्त। हम तुमसे मज़ाक करेंगे और तुम हम सब से मज़ाक करना लेकिन कोई तुम्हे बेइज्जत करे तो हमसे शेयर करना, फिर उनका ग्रुप बेज्जत्ती की कहानी हम लिखेंगे। समझे बुरबक..


माधव:- हां समझ गए। इसी खुशी में आज की काफी मेरी तरफ से।


निशांत:- तू तो बड़ा दिलदार निकला चल पिला, पिला…


कॉलेज आते हुए सभी को लगभग महीनो बीत गए थे। 2 क्लास के बीच में इनके पास लगभग 1 घंटे का गैप होता था जहां चित्रा, निशांत, पलक और माधव कैंटीन में बैठकर बातें किया करते थे।


ऐसे ही एक दिन चारो बैठे हुए थे, तभी एक लड़का उनके बीच आ बैठा।… "मैंने कॉलेज में पुरा सर्वे किया, कैंटीन का बेहतरीन खूबसूरत टेबल यही है। लेकिन इन 2 खूबसूरत तितलियों के साथ 2 बेकार जैसे लोग बैठे रहते है, ये किसी को भी समझ में नहीं आता।"..


माधव:- समझिएगा भी नहीं, ये आउट ऑफ स्लैब्स वाला सवाल है।


चित्रा:- तुम्हे क्या चाहिए मिस्टर, किसपर ट्राय करने आए हो। आए तो हो, लेकिन अपना नाम भी नहीं बताए।


लड़का:- मेरा नाम नीरज है, और पलक मुझे बहुत अच्छी लगती है। सिर्फ दोस्ती करने आया हूं।


पलक, अपना हाथ बढाती…. "नीरज जी हमारी दोस्ती हो गई, अब क्या हमे परेशान करना बंद करेंगे।"


तभी वहां पर एक और लड़का पहुंच गया… "अरे नीरज तूने तो 2 मिनट में दोस्ती भी कर ली, मुझे भी चित्रा से दोस्ती करवा दे कसम से कितनी हॉट है।"..


चित्रा:- तुम भी अपना परिचय दे ही दो।


लड़का:- मै हूं विनीत, हम दोनों सेकंड ईयर में है।


चित्रा भी अपनी हाथ बढ़ाती… "तुम से भी दोस्ती हो गई विनीत अब खुश"


दोनो ही लड़के ठीक चित्रा और पलक के बाजू में अपना टेबल लगाते हुए उससे चिपक कर बैठ गए।…. "ओ ओ !! चित्रा, पलक, लगता है हम सबको यहां से चलना चाहिए। पहले दिन में ही काफी गहरी दोस्ती बनाने के इरादे से आए है।"… माधव कहते हुए खड़ा हो गया।


निशांत:- माधव सही कह रहा है, चलो चलते है।


चित्रा और पलक भी दोनो के बात से सहमत होती खड़ी हो गई। दोनो लड़कियां जैसे ही खड़ी हुई, उन दोनों लड़को ने उसका हाथ पकड़ लिया।… "देखिए सर, आपने दोस्ती कहीं करने, हमने कर ली। लेकिन जबरदस्ती हाथ पकड़ना गलत है। हाथ छोड़िए।"..


दोनो लड़को ने हाथ छोड़ दिया। चित्रा और पलक वहां से जाने लगी। पीछे से वो लड़का नीरज कहने लगा… "अब तो दोस्ती हो गई है, आज नहीं तो कल हाथ थाम ही लेंगे।"..


कुछ दिन और बीते, चारो ने नीरज और विनीत की हरकतों को लगभग अनदेखा ही किया। जबदस्ती कुछ देर के लिए आते, फालतू की बकवास करते और चले जाते। कभी चारो मिलकर उन्हें छिल देते तो कभी चारो कुछ मिनट में ही इरिटेट होकर वहां से उठकर चले आते। लेकिन उस दिन ये लड़के अपने और 4 दोस्तो के साथ आए थे और आते ही सीधा चित्रा और पलक को परपोज कर दिया।


पलक:- सॉरी, मेरी ऐसी कोई फीलिंग नहीं है।

चित्रा:- और मेरी भी।


विनीत जिसने चित्रा को परपोज किया था… "इस डेढ़ पसली वाले कुत्ते (माधव) के साथ तो तुम ना जाने क्या-क्या करती होगी, जब तुम्हे ये पसंद आ सकता है फिर मै क्यों नही?"


उसकी बात सुनकर निशांत और माधव आगे बढ़े ही थे कि पलक…. "तुम दोनो ध्यान मत दो, चलो चलते है यहां से।"..


"साली कामिनी हमे इनकार करेगी, तुझसे तो हां करवाकर रहूंगा"… पीछे से नीरज ने कहा।


चित्रा और पलक आगे जा रही थी, माधव और निशांत पीछे–पीछे। दोनो ने एक दूसरे को देखकर सहमति बनाई और पीछे की ओर मुड़ गए। माधव ने टेबल पर परा हुआ कप उठाया और सीधा नीरज के कनपटी पर दे मारा। कप के इतने टुकड़े उसके सर में घुसे की ब्लीडिंग शुरू हो गई।


वहीं निशांत, विनीत के मुंह पर ऐसा पंच मारा कि उसके नाक और मुंह से खून बहने लगा। वो भी अपने 4 दोस्तो के साथ आया था। उन चारो ने निशांत पर ध्यान दिया और माधव को भुल गए। माधव भी इस लड़ाई में चार चांद लगाते हुए टेबल पर परे बचे हुए कप किसी के गाल पर मार कर ऐसा फोड़ा की उसका जबड़ा हिल गया तो किसी के सर पर कप तोड़कर उसका सर फोड़ डाला।


जैसे ही 2 लड़के निशांत के पास से हटे, निशांत को भी पाऊं चलाने का मौका मिल गया। जिसने पूरी उम्र जंगल और पहाड़ों में गुजरी हो, स्वाभाविक है उसके हाथ और पाऊं में उतना ही बल होगा। निशांत ने जब मारना शुरू किया, फिर तो जबतक वो सब भाग नहीं गए तबतक मारता रहा।


सभी लड़के टूटी-फूटी हालत में कैंटीन से निकल रहे थे। जाते-जाते कहते गए, सेकंड ईयर से पंगा लेकर तुमने गलत किया है… "कुत्ते के पिल्ले दोबारा कभी सामने आया तो फोर्थ ईयर वाले तुम्हे नहीं बचा पाएंगे।"


पलक और चित्रा दोनो किनारे खड़ी होकर ये सब देख रही थी। दोनो को ही यहां उनको मारने में कुछ गलत नहीं लगा बस ये लड़ाई आगे ना बढ़े इस बारे में सोच रही थी। चारो ने बाकी के क्लास अटेंड किए और जाते वक़्त पलक कहने लगी… "मै क्या सोच रही थी, 4-5 दिन कॉलेज ड्रॉप कर देते है, जबतक मौसा जी (निशांत और चित्रा के पापा) और दादा (राजदीप) मुंबई की मीटिंग खत्म करके चले आएंगे।"


चित्रा:- दादा या पापा नहीं पढ़ते है इस कॉलेज में, तुम चिंता नहीं करो, माधव तो हर रोज अपने गांव में मार खाता था और निशांत को लड़कियों के सैंडल ने इतना मजबूत बना दिया है कि दोनो की कल कुटाई भी हो गई, तो भी कुछ फर्क नहीं पड़ेगा।


माधव:- ऐसे दोस्त से अच्छा तो उ दुश्मन होंगे जो हमारे बल के हिसाब से रणनीति बाना रहे होंगे। कोई कमी ना छोड़ी बेज्जाती में।


निशांत:- सही कहा माधव। चल चलकर कल इनकी कुटाई की प्लांनिंग हम भी करते है।


माधव:- प्लांनिंग क्या करना है उ आकाश और सुरेश दोनो है ना, जो क्लास में पलक और चित्रा को ही देखते रहते है, उनको उकसा देंगे। हीरो बनने का अच्छा मौका है साला खुद ही 8-10 हॉस्टल के लड़के लेकर चले आएंगे।


माधव की बात सुनकर चित्रा और पलक दोनो ही हसने लगी… "बहुत बड़े वाले कमिने हो दोनो। चलो अब क्लास अटेंड करते है।"..


चारो क्लास अटेंड करने चल दिए। शाम का वक्त था जब पहले खबर निशांत के पास गई। निशांत से चित्रा और चित्रा से पलक तक खबर पहुंची। तीनों ही सिटी हॉस्पिटल के जनरल वार्ड में पहुंचे।… "अरे निशांत आ गए। सालों ने रणनीति बदल दी रे। सालों ने मुझे हॉस्टल में ही धो दिए। कुत्ते की तरह मरा।"


निशांत:- कुछ टूटा फूटा तो नहीं है ना।


माधव:- हाथ ही तोड़ दिया सालो ने।


दोनो बात कर ही रहे थे तभी माधव को जनरल वार्ड से उठाकर प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया। पलक और चित्रा भी उसके पीछे गई। कुछ देर मिलने के बाद तीनों वहां से निकल गए।


पलक के सीने में अलग आग लगी थी। चित्रा के सीने में अलग और निशांत के सीने में अलग, और तीनों अलग-अलग आग लिए, अलग-अलग निकले और एक ही बंगलो पर आगे–पीछे पहुंचे।…. सबसे पहले निशांत पहुंचा।


ये बंगलो आर्यमणि की मौसेरी बहन भूमि का ससुराल था। भूमि की मां मीनाक्षी और आर्यमणि की मां जया दोनो अपनी सगी बहन थी। वहीं भूमि के बाबा सुकेश भारद्वाज और पलक के बाबा उज्जवल भारद्वाज दोनो अपने चचेरे भाई थे। भूमि के परिवार का लगाव आर्यमणि के परिवार के साथ अलग ही लेवल का था, ये सबको पता था। उसमे भी भूमि, आर्य को अपने बच्चे जैसा मानती थी। यही वजह थी कि चित्रा और निशांत भी भूमि के काफी क्लोज थे।


बंगलो में भूमि, पलक की बड़ी बहन नम्रता के साथ थी और कुछ बातें कर रही थी। तभी वहां निशांत पहुंच गया। निशांत को देखते ही भूमि… "अरे मेरे छोटे बॉयफ्रेंड, अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने में इतनी देर लगा दी।"..


नम्रता:- दीदी आप निशांत को जानती हो।


भूमि:- क्यों तेरी मां तुम लोगों को कहीं नहीं भेजती तो क्या मेरी भी अाई कहीं नहीं भेजे। बस 2 लोगों का दिमाग खराब है, एक तेरी अाई और दूसरा इसका बाप, बाकी सब मस्त है।


निशांत:- दीदी कॉलेज में एक लफड़ा हुआ है और मुझे 50-60 लोगों को टूटी-फूटी हालत में हॉस्पिटल भेजना है।


निशांत अपनी बात खत्म किया ही था कि पीछे से चित्रा भी पहुंच गई। निशांत को वहां देखकर चित्रा उससे पूछने लगी क्या वो माधव के लिए आया है? निशांत ने उसे हां में जवाब दिया। कॉलेज के लफड़े के लिए केवल निशांत आता तो भूमि कॉम्प्रोमाइज का रास्ता अपनाती क्योंकि लड़कों के बीच लड़ाई होना आम बात थी, लेकिन चित्रा का आना, भूमि के लिए चिंता का विषय था।


भूमि ने दोनो भाई बहन को बिठाकर पूरी कहानी सुनी। पूरी कहानी सुनने के बाद… "हम्मम ! गलत किया है उन लड़को ने, बहुत गलत"..


भूमि इतना कह ही रही थी कि तभी पीछे से पलक भी वहां पहुंच गई। पलक को देखकर नम्रता और भूमि दोनो आश्चर्य करती हुई…. "पलक और यहां"..


चित्रा और निशांत दोनो एक साथ… "वो भी इसी मुद्दे के लिए आयी है।"..


पलक आते ही… "शायद हर किसी के दिल में आग लगी है।"


भूमि को यूं तो तीनों से बहुत सी बातें करने थी, लेकिन तीनों ही उसके सामने बच्चे थे और इनके परेशानी को देखते हुए, भूमि ने सिर्फ इतना पूछा… "पलक तुम क्या चाहती हो।"


पलक:- सबको तोड़ना है, सिवाय नीरज और विनीत के। क्योंकि उनकी चमरी मै अपने हाथो से कल उधेड़ दूंगी।


भूमि:- नम्रता ये काम मै तुम्हे दे रही हूं। सुनो स्टूडेंट है तो थोड़ा हिसाब से तोड़ना 2-3 महीने में पढ़ाई करने लगे ऐसा।


नम्रता:- मज़ा आएगा दीदी।


अगले दिन पलक ने अपना बैग खुद तैयार किया। नम्रता तो पहले ही अपने लोगो को भेज चुकी थी, जो पलक के कैंटीन आने से पहले पता लगा कर रखते की कौन सा ग्रुप पलक, चित्रा और निशांत को मारने वाले है, ताकि तोड़ते वक़्त कोई कन्फ्यूजन ना हो।


नीरज और विनीत ने कल शाम 10 लड़को के साथ पिटने गया था, लेकिन आज 40 लड़के लेकर आया था, यह सोचकर कि कॉलेज का माहौल है और पाता नहीं शायद 10-15 दोस्त निशांत भी लेकर आए। जैसे ही नम्रता को पुष्टि हो गई 40 लड़के है, उसके 60 लोग पहले से ही कैंटीन के आसपास जाकर फ़ैल गए।


पहला क्लास खत्म होने के बाद पलक अपने बैग का चैन खोली और नजरे बस प्रतीक्षा कर रही थी कि कब ये लोग आए। ज्यादा इंतजार भी नहीं करना पड़ा था और कैंटीन आने वाले रास्ते पर ही दूर से वो दिख गये।


पलक तेजी से दौड़ लगती अपने बैग से 1 मीटर की चाबुक निकल ली। जिसके चमड़े के ऊपर कांटेदार पतली तार लगी हुई थी। नीरज और विनीत कुछ कह पाते उससे पहले ही पलक ने आधे मीटर की दूरी से चाबुक चलना शुरू कर दिया।


जब वो चाबुक चला रही थी, देखने वाले स्टूडेंट ने अपने दातों तले उंगलियां दबा ली। सटाक की आवाज के साथ चाबुक पड़ते और अंदर का मांस लेकर निकल आते। पलक ने तबीयत से नीरज और वीनित को चाबुक मारना शुरू कर दिया था।


नीरज और वीनीत हर चाबुक पड़ने के बाद छिलमिलाते हुए दर्द भारी चींख निकालते और मदद के लिए अपने दोस्तो को गुहार लगाते। लेकिन चाबुक का दर्द इतना अशहनिया था कि नीरज और विनीत को पता ही नहीं चला कि जब उन्हें पलक के हाथ का पहला हंटर लग रहा था, ठीक उसी वक़्त उसके पीछे नम्रता के भेजे सभी लोगो ने नीरज के साथ आए मार करने वाले स्टूडेंट को तोड़ दिया था।


पलक दोनो को उसके औक़ाद अनुसार हंटर मारकर, हंटर को वापस बैग में रखी। पलक की नजर साफ देख पा रही थी कि जब वो हंटर चला रही थी, कैसे कॉलेज का एक समूह उसे घुरे जा रहा था। पलक अपना काम खत्म करके नीरज और विनीत के पास पहुंची और उसके मुंह पर अपना लात रखती हुई कहने लगी… "अगली बार हमारे आसपास भी नजर आए तो फिर से मारूंगी।"..


निशांत, पलक के पास पहुंचते…. "एक को तो छोड़ देती, मै ठुकाई कर देता, कम से कम इसी बहाने कोई लड़की तो इंप्रेस हो जाती।"..


पलक:- कल तुम्हे वो सीएस वाली लड़की हरप्रीत बड़े गौर से देख रही थी। तुमने ध्यान नहीं दिया। निशांत खुशी से उसके दोनो गाल खिंचते… "यू आर सो स्वीट। तुम्हे कोई पसंद हो तो बताना मै हेल्प कर दूंगा।"


चित्रा:- ये तो गया काम से अब हफ्तों तक दिखेगा नहीं।


चित्रा और पलक बातें करती वहां से जा ही रही थी कि तभी वहां प्रिंसिपल अपनी पूरी टीम के साथ पहुंच गए। प्रिंसीपल जैसे ही वहां पहुंचा, पीछे से नम्रता और भूमि भी वहां पहुंच गई।


भूमि प्रिंसिपल को देखते हुए कहने लगी…. "क्या देख रहे हो मसूद, ये हमारी नेक्स्ट जेनरेशन है। तुम कुछ सोचकर तो नहीं आए थे इनके पास।"..


मसूद:- भूमि ये कॉलेज है। छोटे मोटे झगड़े तक तो ठीक है लेकिन आज जो इस कैंपस में हुआ…


भूमि:- पलक, चित्रा तुम दोनो जाओ। जो भी हुआ उसमे उन लौडों की गलती थी। उनके गार्डियन को संदेश भेज दो, उनके बच्चे ग्रुप बनाकर बाहर लड़को की पिटाई करते है, जिसका नतीजा ये हुआ है कि यहां के लोकल लोग कॉलेज में घुसकर मार कर रहे है। पुलिस कार्यवाही होती तो मजबूरन उन्हें रस्टीकेट करना पड़ता इसलिए कोई एक्शन नहीं ले पाए।


मसूद:- हम्मम ! ठीक है ऐसा ही होगा। भूमि वो सरदार ने तेजस से कुछ कहा था, उसपर तुम लोगों का क्या विचार बना।


भूमि:- मसूद हम दोनों ही बंधे है। अगर सरदार चाहता है तो हम मदद के लिए आएंगे। लेकिन सोच लो तुम दूसरे के इलाके में घुसोगे, फिर वो तुम्हारे इलाके में घुसेंगे और यदि आम लोग परेशान हुए तो हम तुम दोनो के इलाके में घुसेंगे। जो भी फैसला हो बता देना।


मसूद:- ठीक है मै सरदार से बात करता हूं।


भूमि प्रिंसिपल से बात करके वहां से निकल गई। दोनो लड़कियां भी आराम से बैठकर कॉफी पीने लगी।…
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update
 

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जबरदस्त
भाग:–9


भूमि प्रिंसिपल से बात करके वहां से निकल गई। दोनो लड़कियां भी आराम से बैठकर कॉफी पीने लगी।…

"पलक तूने हरप्रीत की बात बताकर गलत की है। देख अपनी टेबल खाली हो गई। 2 महीने के लिए माधव बुक हो गया और निशांत को हवा लग गई। 4 साल ये हरप्रीत के साथ निकाल देगा।"..


पलक:- और उसकी पहले कि गर्लफ्रेंड जो गंगटोक में थी, उससे ब्रेकअप कर लिया क्या?


चित्रा:- गर्लफ्रेंड थी लवर नहीं। कुत्ते ने पलट कर फोन भी नहीं किया होगा।


पलक:- फिर तो ये धोका हुआ।


चित्रा:- धोखा काहे का पलक। ये जिस दिन नागपुर आया इसकी गर्लफ्रेंड ने पहले एफबी स्टेटस चेंज किया, नाउ आई एम् सिंगल।


पलक:- और तुम जब नागपुर आयी तब तुम्हारे किसी बॉयफ्रेंड ने तुम्हे कॉल नहीं किया?


चित्रा:- ब्वॉयफ्रैंड तो था लेकिन इतना फट्टू की आर्य और निशांत के सामने कभी आने की हिम्मत ही न हुई और पीछे में मिलने के लिए शाम का वक़्त मिलता था जिसमें मै मिलती नहीं थी।


पलक:- क्यों?


चित्रा:- पागल, शाम रोमांटिक होती है ना, खुद पर काबू ना रहा तो।


पलक:- हां ये भी सही है। तो तुमने ब्रेकअप कर लिया।


चित्रा:- हां लगभग ब्रेकअप ही समझो। वैसे तुम्हे देखकर लगता नहीं कि तुम्हारा भी कोई बॉयफ्रेंड होगा।


पलक:- नहीं ऐसी बात नहीं है। अमरावती में एक ने मुझे परपोज किया था।


चित्रा:- फिर क्या हुआ।


पलक:- 2 दिन बाद मुझसे कहता है तुम बोरिंग हो।


चित्रा:- फिर तुमने क्या कहा।


पलक:- मैंने थैंक्स कहा और बात खत्म।


किसी एक रात का वक़्त… नागपुर के बड़ा सा हॉल, जिसमें पूरे महाराष्ट्र के बड़े-बड़े उद्योगपति, पॉलिटीशियन और बड़े-बड़े अधिकारी एक मीटिंग में पहुंचे हुए थे। लगभग हजारों वर्ष पूर्व शुरू हुई एक संस्था, जिसके संस्थापक सदस्य और पहले मुखिया वैधायन भारद्वाज की प्रहरी संस्था थी। प्रहरी यानी कि पहरा देने वाला। इनका मुख्य काम सुपरनेचुरल और इंसानों के बीच शांति बनाए रखना था। यधपी इंसानों को आभाष भी नहीं था कि उनके बीच इंसान के वेश में सुपरनेचुरल रहते थे।


प्रहरी का काम गुप्त रूप से होता था। ये अपने लोगों को उन सुपरनैचुरल से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करते थे, जो इंसानों के रक्त पीते, उन्हें मारते और खुद को श्रेष्ठ समझते। इसके अलावा सुपरनैचुरल जीवों के बीच क्षेत्र को लेकर आपसी खूनी जंग आम बात थी। जबतक 2 समूह आपस में क्षेत्र के लिए लड़ते और मरते थे, तबतक प्रहरी को कोई आपत्ति नहीं थी। किन्तु दोनो के आपस की लड़ाई में जैसे ही कोई इंसान निशाना बनता, फिर प्रहरी इन दोनों के इलाके में घुसते थे।


प्राचीन काल से ही वैधायन के इस प्रहरी समूह को शुरू से गुप्त रूप से प्रसाशन का पूरा समर्थन रहा है। इसलिए इनके काम को सुचारू रूप से चलाने के लिए इनको शहर का मुख्य व्यावसायिक बना दिया जाता था, ताकि काम करने के लिए या मूलभूत चीजों की खरीदी, बिना किसी पर आश्रित रहकर किया जा सके। यही वजह थी कि ये प्रहरी आज के समय में जहां भी थे, अरबपति ही थे।


ऐसा नहीं था कि इस समूह में भ्रष्ट्राचार नहीं आया। बहुत से लोग धन को देखकर काम करना बंद कर दिए तो उनकी जगह कई नए लोगो ने ले लिए। प्रहरी जो भी थे उन्हें तो पहले यह सिखाया जाता था कि जो भी धन उनके पास है, वो लोगो द्वारा दी गई संपत्ति है। केवल इस उद्देश्य से कि प्रहरी रक्षा करता है, और इस कार्य में प्रहरी या उसका परिवार आर्थिक तंगी से ना गुजरे।


इसी तथ्य के साथ प्रहरी छोड़ने के 2 नियम विख्यात थे, जो सभी मानने पर विवश थे। पहला नियम प्रहरी के पास का धन प्रहरी को उसके काम में सुविधा देने के लिए है, इसलिए यदि कोई प्रहरी का काम को छोड़ता है, तो उसे अपनी 60% संपत्ति प्रहरी के समूह में देनी होगी। दूसरा नियम यह कहता है कि यदि किसी को प्रहरी से निष्काशित किया गया हो तो उसकी कुल धन सम्पत्ति प्रहरी संस्था की होगी।


वैधायन कुल के 2 परिवार जो इस वक़्त खड़े थे… केशव भारद्वाज और उसका चचेरा छोटा भाई उज़्ज़वल भारद्वाज। उनके बच्चे आजकल प्रहरी के काम को देख रहे थे। मीटिंग की शूरवात मेंबर कॉर्डिनेटर और प्रहरी ग्रुप की सबसे चहेती भूमि देसाई ने शुरू की…. "लगता है प्रहरी का जोश खत्म हो गया है। आज वो आवाज़ नहीं आ रही जो पहले आया करती थी।"...


तभी पूरे हॉल में एक साथ आवाज़ गूंजी… "हम इंसान और शैतान के बीच की दीवार है, कर्म पथ पर चलते रहना हमारा काम। हम तमाम उम्र सेवा का वादा करते है।"


भूमि:- यें हुई ना बात। वैसे आज मुझे कुछ जरूरी प्रस्ताव देने है, इसलिए अध्यक्ष विश्व देसाई (भूमि का ससुर) और ऊप—अध्यक्ष तेजस भारद्वाज (भूमि का बड़ा भाई) की कोई बात सुनना चाहता है तो हाथ ऊपर कर दे, नहीं तो मै ही मीटिंग लूंगी।


जयदेव (भूमि का पति)… "घर पर भी सुनो और यहां भी, मुझे नहीं सुनना भूमि को। बाबा (विश्व देसाई) को ही बोलो, वो ही बोले, या तेजस दादा बोल ले।"..


तभी भिड़ से एक लड़का बोला… "जयदेव भाव, भूमि को सुनने का अपना ही मजा है। वो तो शुक्र मनाओ सुकेश काका (भूमि के पिता) ने मेरा रिश्ता ये कहकर कैंसल कर दिया कि मैं अभी बहुत छोटा हूं। वैसे मै अब भी लगन के लिए तैयार हूं यदि भूमि तुम्हे छोड़कर आना चाहे तो।"..


भूमि:- बस रे माणिक, अब कुछ नहीं हो सकता। हम लोग मीटिंग पर ध्यान दे दे। वैसे सबसे पीछे से एक लड़का जो चुप है, आज पहली बार मीटिंग में आ रहा अनुराग, उसे मै यहां बुलाना चाहूंगी।


बाल्यावस्था से किशोर अवस्था में कदम रख रहा एक लड़का मंच पर आया। भूमि उसका परिचय करवाती हुई कहने लगी… "ये है हमारे बीच का सबसे छोटा प्रहरी, कौन इसे अपना उतराधिकारी चुन रहा है, हाथ उठाए।"..


भूमि, उठे हाथ में से एक का चुनाव करती… "कुबेर आज से अनुराग की जिम्मेदारी तुम्हारी।".. फिर भूमि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के ओर देखती… "क्यों काका, क्यों दादा.. कौन लेने आ रहा है मीटिंग"


विश्व:- भूमि तू ही लेले मीटिंग।


भूमि:- अब सब शांत होकर सुनेगे। ये कब तक बूढ़े लोगो को अध्यक्ष बनाए रहेंगे। मेरे बाबा ने रिटायरमेंट ले ली। मेरे काका ने रिटायरमेंट ले ली। विश्व काका भी रिटायरमेंट प्लान कर रहे है। इसलिए मै नए अध्यक्ष के लिए माणिक, पंकज और कुशल का नाम प्रस्तावित करती हूं। तीनों ही तैयार रहेंगे। बाद में किसी ने ना नुकुर किया तो ट्रेनिंग हॉल में उल्टा टांग कर बाकियों को उसपर ही अभ्यास करवाऊंगी।


भूमि इतना ही कही थी कि पीछे से कुछ आवाज़ आयी…. तभी भूमि की तेज आवाज गूंजी.… "मैंने कहा सभी शांत रहेंगे, मतलब सबके लिए था वो। किसी को प्रस्ताव से परेशानी है तो अपना मत लिखकर देंगे। दूसरा प्रस्ताव है, मै जल्द ही अपना उतराधिकारी घोषित करूंगी। इसके अलावा राजदीप को मै मेंबर कॉर्डिनेटर का स्वतंत्र प्रभार देती हूं, आने वाले समय में वो मेरी जगह लेगा।"

"बाकियों के लिए मीटिंग खत्म हो गई है। नागपुर के प्रहरी विशेष ध्यान देंगे। मलाजखंड के जंगलों के सुपरनैचुरल और सरदार खान के बीच खूनी जंग शुरू है। हर प्रहरी उस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देंगे। यदि एक भी आम इंसान परेशान हुएक्स1 तो हम सरदार खान के इलाके के साथ मलाजखंड के जंगल घुसेंगे।"…

"बाकी सारी डिटेल पोस्ट कर दिया है, क्यों हमे सरदार खान का साथ देना चाहिए। आप लोग उसे पढ़ सकते है। इसी के साथ मीटिंग समापन होता है। प्रस्ताव से किसी को भी कोई परेशानी हो तो अपना लिखित मत जरूर दें।"


मीटिंग खत्म हो गई, हर कोई जाने लगा। तभी भूमि एक लड़के को रोकती हुई… "हां महा उस वक़्त तुम कुछ कहना चाह रहे थे।"..


महा:- भूमि दीदी मै तो यह कह रहा था कि तेजस दादा का नाम क्यों नहीं है अध्यक्ष में।


भूमि:- क्या तू महा। देख दादा (तेजस) ने पहले लिखित मना किया है कि वो अभी अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। इसके अलावा माणिक और कुशल उभरते हुए लोग है। आज मै उन्हें आगे बढ़ाऊंगी तभी तो वो भी तुम सबको आगे बढ़ाएगा। ये एक कल्चर है महा, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे पूर्वजों ने हमारे आने वाली जेनरेशन को दिया है। तभी तो इतने स्वार्थी और धूर्त लोग होने के बावजूद भी ये समूह आज भी खड़ा है।


महा:- समझ गया दीदी।


भूमि:- बाकी सॉरी हां.. कभी-कभी थोड़ी सी मै स्ट्रिक्ट हो जाती हूं।


भूमि अपनी बात समझाकर वहां से निकल गई। मीटिंग खत्म करके भूमि सीधा अपने मायके पहुंची। पूरा परिवार हॉल में बैठा हुआ था। आई, मीनाक्षी भारद्वाज, बाबा सुकेश भारद्वाज, बड़ा भाई तेजस और साथ में उसकी पत्नी वैदेही। दो बच्चे मयंक और शैली भारद्वाज। इन सबके बीच आर्यमणि का परिवार, मां जया कुलकर्णी और पिता केशव कुलकर्णी बैठे हुए थे। रिश्ते में जया और मीनाक्षी दोनो सगी बहनें थी।



भूमि अपने पति जयदेव के साथ पहुंची, और सबका उतरा चेहरा देखकर… "आर्य की कोई खबर नहीं..."..


मीनाक्षी:- नहीं आयी तो नहीं आये। उसे इतनी अक्ल नहीं की कहीं भी रहे एक बार फोन कर ले। हम तो अपने नहीं है, कम से कम जया से तो बात कर लेता। जिस दिन वो मिल गया ना टांगे तोड़कर घर में बिठा दूंगी।


भूमि:- मौसा जी को भी क्या जरूरत थी जंगल की बात को लेकर इतना खींचने की। वो समझते नहीं है क्या, जवान लड़का है, बात बुरी लग सकती है। कच्ची उम्र थी उसकी भी...


केशव कुलकर्णी:- नहीं आर्य उन लड़कों में से नहीं है जो अपने आई-बाबा की बात सुनकर घर छोड़कर चला जाए। उसे मैत्री लोपचे की मौत का सदमा लगा था शायद, और मती भ्रम होने के कारण वह कहीं भी भटक रहा होगा। वरना उसे यूएस जाने की क्या जरूरत थी।


भूमि:- मौसा यूएस 500 या हजार रुपए में नहीं जाते। आर्य को जरूर कोई ले गया है। या फिर वो मैत्री के मौत का पता लगाने के लिए जर्मनी तो नहीं पहुंच गया।


सुकेश:- जर्मनी में मैंने शिकारियों से पता लगवाया था। वो लोग वुल्फ हाउस में खुद तहकीकात करके आए थे। वहां आर्य तो क्या, कोई भी नही था।


भूमि:- बाबा मै बस इतना जानती हूं कि मेरा भाई मुसीबत में है और इस वक़्त वो बिना पैसे और बिना किसी सहारे के अकेला होगा। जयदेव अपने कुछ लोगो को लेकर मै आर्य का पता लगाने यूएस जाऊंगी, क्या तुम तबतक यहां का सारा काम देख लोगे?


वैदेही:- मै इस वक़्त खाली हूं। तुम्हारे हिस्से का सारा काम मै और नम्रता मिलकर देख लेंगे। तुम बेफिक्र होकर जाओ।


भूमि:- आप सब हौसला रखो। अपने भाई को लेकर ही लौटूंगी...


कुछ दिन बाद भूमि अपने भरोसे के 10 शिकारियों के साथ वो यूएस निकल गई। इंडियन एंबेसी जाकर भूमि ने आर्य की पासपोर्ट डिटेल दी और लापता होने के बाद कहां-कहां पहुंचा है उसकी जानकारी ली।


खुद 5 दिन यूएस स्थित इंडियन एंबेसी में रुकी और उस वक्त आर्यमणि के साथ आए सभी पैसेंजर लिस्ट निकालने के बाद, वो उनके एड्रेस पर जाकर क्रॉस चेक की। यूएस में दूसरे शिकारियों से भी मिली और उसे आर्यमणि की तस्वीर दिखाते हुए ढूंढने के लिए कहने लगी।


लगभग 2 महीने तक भूमि ने यूएस से लेकर यूरोप कि खाक छानी। जर्मनी वुल्फ हाउस भी गई, लेकिन आर्य का कहीं कोई प्रमाण नहीं मिला। वो तो हार चुकी थी और शायद अंदर से टूट भी चुकी थी, लेकिन बाकियों को हौसला देने के लिए उसने झूट का भ्रम फैला दिया। एक कंप्यूटर एक्सपर्ट से मिलकर आर्य की रियल दिखने वाली होलोग्राफिक इमेज तैयार करवाई। हर किसी को वीडियो कॉल पर उसे दिखा दिया, लेकिन सबको एक बार देखने के बाद वर्चुअल आर्य ने फोन कट कर दिया।


भूमि के पास जैसे ही कॉल आया उसने सबको यही बताया कि आर्य उससे भी बात नहीं कर रहा। केवल इतना ही कहा कि "पापा मुझे बाहर भेजना चाहते थे इसलिए आ गया। जब बाहर रहने से मै ऊब जाऊंगा चला आऊंगा।" और हां आज के बाद वो ये जगह भी छोड़ रहा है। अभी उसका मन पुरा भटकने का हो रहा है। पैसे की चिंता ना करे, वो जिन लोगो के साथ भटक रहा है उन्हीं के साथ काम भी कर लेता है और पैसे भी कमा लेता है।


भूमि की बातो पर सबको यकीन था क्योंकि झूट बोलकर सांत्वना देना भूमि के आदतों में नहीं था। इसलिए हर कोई आर्यमणि की खबर सुनकर खुश था। भूमि लगभग 75 दिनों बाद लौट तो आयी लेकिन अंदर से यही प्रार्थना कर रही थी कि उसका भाई जहां भी हो सुरक्षित हो और जल्दी लौट आए।


इधर 75 दिन बाद भूमि भी लौट रही थी और 3 महीने अवकाश के बाद माधव भी कॉलेज लौट रहा था। माधव को देखकर चित्रा खुश होते हुए उसके गले लग गई… "वेलकम बैक, हड्डी"।


फिर निशांत भी उसके गले लगते… "हड्डी तेरे हाथ टेढ़े हो गए होंगे इसलिए मैंने कटोरा खरीद लिया था।"…. "साला तुम सब जब भी बोलोगे ऊटपटांग ही बोलोगे।"..


पलक भी माधव से हाथ मिलाती उसका वेलकम की… ब्रेक टाइम में सब कैंटीन पहुंचे… "ओएं, निशांत नहीं है आज, कहां गया।"..


चित्रा:- अपनी गर्लफ्रेंड के पास।


माधव:- क्या बात कर रही हो। उसने गर्लफ्रेंड बना भी ली।


चित्रा:- जाओ तुम भी लाइन मारने..


माधव:- ई हड्डी को देखकर कोई पट जाती तो हम दिन रात किसी के दरवाजे पर नहीं बीता देते।


पलक:- उतनी मेहनत क्यों करोगे, चित्रा को ही परपोज कर दो ना, ये तो थप्पड़ भी नहीं मारेगी।


चित्रा:- नहीं माधव ये चढ़ा रही है, फिर अपनी कट्टी हो जाएगी। तुम मुझे गर्लफ्रेड वाली फीलिंग से देखोगे और मै तुम्हे दोस्त, फिर पहले चिढ़ आएगी, बाद में झगड़ा और अंत में दोस्ती का अंत।


माधव:- हां सही कह रही है चित्रा। पलक तुमको ही परपोज कर देते है। तुम्हारा थप्पड़ भी खा लेंगे और झगड़ा का तो सवाल ही नहीं होता।


चित्रा:- वो क्यों..


माधव:- 2-4 शब्द बोलकर जो चुप हो जाती है वो एक पन्ने जितना कहां से बोलेगी।


माधव अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और चित्रा हंसती हुई उसकी बात पर ताली बजा दी।.. पलक भी थोड़ा सा मुस्कुराती… "हड्डी बहुत बोलने लग गए हो।"


माधव:- ये सब छोड़ो, ये बताओ कॉलेज में क्या सब चल रहा है। उस दिन के बाद से दोनो लफंटर मिले की नहीं।


चित्रा:- पलक ने उसकी ऐसी चमड़ी उधेड़ी है कि दोबारा कभी सामने आने की हिम्मत ही नहीं हुई, और उसके बाद किसी को हमारे साथ बकवास करने की भी हिम्मत नहीं हुई।


माधव:- वो तो दिख रहा है तभी उ निशांत गायब है और तुम दोनो अकेली।


चित्रा और पलक दोनो एक साथ… "वेरी फनी"…


लगभग 1 सेमेस्टर बीत गए थे इन सबके। सेमेस्टर रिजल्ट में पलक 4th टॉपर, माधव ओवरऑल 1st टॉपर, सभी ब्रांच मिलाकर, चित्रा 8th रैंक और निशांत 4 सब्जेक्ट में बैक।
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भाग:–10


लगभग 1 सेमेस्टर बीत गए थे इन सबके। सेमेस्टर रिजल्ट में पलक 4th टॉपर, माधव ओवरऑल 1st टॉपर, सभी ब्रांच मिलाकर, चित्रा 8th रैंक और निशांत 4 सब्जेक्ट में बैक।


तीनों ही माधव को कैंटीन में सामने बिठाकर… "क्यों बे हड्डी तू तो 3 महीने कॉलेज नहीं आया फिर ये गड़बड़ घोटाला कैसे हो गया, तू कैसे टॉपर हो गया।"..


माधव:- उ फेल वाले से पूछोगी कि कैसे फेल हो गया? उल्टा मुझसे ही पुछ रही मैं कैसे टॉप कर गया।


पलक:- माधव सही ही तो कह रहा है।


चित्रा:- ना पहले मेरे सवाल का जवाब दे।


माधव:- जब मै टूटा फूटा घर में था तब कोई काम ही नहीं था। पूरा बुक 3 बार खत्म कर लिए 3 महीने में। यहां तक कि आगे के सेमेस्टर का भी सेलेब्स 2 बार कंप्लीट कर लिया।


निशांत:- क्या बात कर रहा है। इतना पढ़कर क्या करेगा।


माधव:- एक्सक्यूटिव इंजिनियर बनूंगा और तब अपने आप सुंदरियों के रिश्ता आने शुरू हो जाएंगे। फिर कोई मेरे रंग सांवला होना या मेरे ऐसे दुबले होने का मज़ाक नहीं उड़ाएंगे।


पलक:- मै इंप्रेस हुई। अच्छी सोच है माधव।


वक़्त अपनी रफ्तार से बीत रहा था। हर किसी की अपनी ही कहानी चल रही थी। इसी बीच कॉलेज के कुछ दिन और बीते होंगे। ऐसे ही एक दिन सभी दोस्त बैठे हुए थे। निशांत हरप्रीत को लेकर चित्रा, माधव और पलक के साथ बैठा हुआ था। पांचों के बीच बातचीत चल रही थी, तभी हरप्रीत खड़ी हुई और पीछे से आ रहे लड़के से टकरा गई।


निशांत गुस्से में उठा और उस लड़के को एक थप्पड़ खींच दिया। निशांत ने जैसे ही उसे थप्पड़ मरा, वो लड़का निशांत को घूरने लगा… "साले घूरता क्या है बे, दोनो आखें निकल लूंगा तेरी।"..


वो लड़का एक नजर सबको देखा और वहां से चुपचाप चला गया। हरप्रीत भी अपने ड्रेस साफ करने के लिए निकल गई… "गलत थप्पड़ मार दिए निशांत, उ लड़के की तो कोई गलती भी नहीं थी। सबसे मजबूत ग्रुप है उनका, जो कैंपस में किसी और से बात तक नहीं करते। उनके ग्रुप में फर्स्ट ईयर से लेकर फाइनल ईयर तक के स्टूडेंट्स होंगे, लेकिन आज तक उन्हें किसी से भी झगड़ा करते हुए नही देखे। इतने कैपेबल होने के बाद भी तुम्हारा तप्पड़ खा लिए। गलत किए हो तुम निशांत।".... माधव ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दे दी।


पलक:- गलत नहीं इसे गलतफहमी कहते है। और खून अपने बहन, दोस्त और गर्लफ्रेंड के लिए नहीं खौलेगा तो किसके लिए खौलेगा। कोई नहीं गलतफहमी में गलती हुई है, तो माफी मंगाकर सही कर लेंगे। क्या कहते हो निशांत।


निशांत:- कुछ भी हो गिल्ट तो फील हो ही रहा है ना। उसकी जगह मै होता और कोई मुझे इस तरह से कैंटीन में थप्पड़ मार चुका होता तो मुझे कैसा लगता?


पलक सभी लोगो के साथ उनके ग्रुप के पास पहुंची। इनका पूरा ग्रुप गार्डन में ही बैठा रहता था। लगभग 40-50 लड़के–लड़कियां। सब एक से बढ़कर एक फिगर वाले। जैसे ही चारो पहुंचे, निशांत एक लड़की को देखकर माधव से कहता है… "हाय क्या लग रही है ये तो। ऐसा लग रहा है जैसे मै "स्कार्लेट जोहानसन" की कॉपी देख रहा हूं। उफ्फ मन हराभरा हो गया।"


माधव बाएं साइड से पाऊं मारते… "गधा उधर दाए चित्रा खड़ी है घोंचू, मैं तेरे बाएं ओर हूं। अभी मामला सैटल करने आया है, थोड़ा दिल संभाल।"


इधर पलक उन तीनों को छोड़कर जैसे ही आगे बढ़ी, सभी एक साथ खड़े हो गए। पलक उन्हें अपने पास जमा होते देख मुस्कुराती हुई कहने लगी… "ऐसे एक साथ घेरकर मुझे डराने की कोशिश तो नहीं कर रहे ना?"..


एक लड़का खड़ा होते… "मेरा नाम मोजेक है, मिस पलक भारद्वाज। जानकार खुशी हुई कि तुम भूमि की बहन हो। हमे लगा था हमारा परिचय बहुत पहले हो जाएगा, लेकिन तुमने बहुत देर कर दी यहां हमारे बीच आने में।


पलक:- डरती जो थी। तुम सब एक से बढ़कर एक, कहीं किसी से इश्क़ हो गया तो वो ज्यादा दर्द देता। मुझे थोड़ा कम और तुम लोगो को थोड़ा ज्यादा। वैसे हम दोस्त तो हो ही सकते है।


मोजेक:- ऐसे सूखे मुंह दोस्त कह देने से थोड़े ना होता है। हमारे बीच बैठकर जब तक हम एक दूसरे को नहीं जानेगे, दोस्ती कैसे होगी।


पलक:- अभी होगी ना। मेरे भाई से एक भुल हो गई, सबके बीच तुम्हारे के साथी को उसने थप्पड़ मार दिया।


मोजेक का दोस्त रफी… "कौन वो लड़का जो मेरी बहन रूही को कब से घुरे जा रहा है।"


पलक:- हाहाहाहा.. देखा 4 दिन बैठ गई तुमलोगो के पास तो लफड़े ही होने है। मुझे इश्क़ होने से पहले लगता है मेरा भाई घायल हो जाएगा।


मोजेक:- तुम्हारे इश्क़ से प्रॉब्लम हो सकती है, उस निशांत से नहीं। यदि बात सत्यापित करनी हो तो कभी हमारी गली आ जाना... रूही तो हर किसी पर खुलेआम प्यार बरसाती है। क्यों रूही...


जिस लड़की रुही के बारे में सभी बोल रहे थे, वह बस एक नजर सबको देखी और वहां से चली गई। पलक भी फालतू के बातों से अपना ध्यान हटाती.… मोजेक उस लड़के को भी बुला दो, निशांत उसे दिल से सॉरी कहना चाहता है।


मोजेक:- महफिल में थप्पड़ पड़ी है गलती तो हुई है, और रही बात माफी कि तो एक ही शर्त पर मिलेगी..


पलक:- और वो कैसे..


मोजेक:- हमारे बीच कभी-कभी बैठना होगा। मेरे बाबा सरदार खान जब ये सुनेगे तो खुश होंगे। साथ में इन सब के बाबा भी।


पलक:- ठीक है मोजेक, वैसे जिसे भी थप्पड़ पड़ी उससे कहना हम सब दिल से सॉरी फील कर रहे है।


इसी का नाम जिंदगी है। पलक बचपन से अपने समूह प्रहरी के साथ जिनके खिलाफ लड़ना सीख रही थी, आज उन्ही के ओर से दोस्ती का प्रस्ताव हंसकर स्वीकार कर रही थी। हर समुदाय में अच्छे और बुरे लोग होते है, नागपुर के प्रहरी और सुपरनैचुरल एक जगह साथ खड़े रहकर इस बात का प्रमाण दे रहे थे। ..


देखते ही देखते पुरा साल बीत गया। सेकंड सेमेस्टर भी बीत गया। चित्रा और पलक के समझाने के कारण निशांत कुछ महीनों से माधव के साथ उसके कमरे में रुककर साथ तैयारी कर रहा था। अपना पिछले 4 बैंक मे 2 कवर कर लिया, साथ में इस बार के एग्जाम में एक बैक के साथ नेक्स्ट ईयर क्लास में चला गया।


इन लोगों का पूरा ग्रुप अब एक साल सीनियर हो चुका था और नए लड़के लड़कियां एडमिशन के लिए आ रहे थे। फिर से वहीं रैगिंग, फिर से वही नए लोग के सहमे से चेहरे, और पढ़ाई के साथ सबकी अपनी नई कहानी लिखी जानी थी।


बड़ा सा बंगलो जिसके दरवाजे पर ही लिखा था देसाई भवन। एक लड़का देसाई भवन के बड़े से मुख्य द्वार से अंदर जाने लगा। उसे दरवाजे पर ही रोक लिया गया… "सर, आप कौन है, और किस से मिलने आए है।"..


लड़का:- यहां जयदेव पवार रहते है?


दरबान:- आपको सर से काम है।


लड़का:- नहीं, भूमि से..


दरबान:- सर आपको किस से काम है, सर से या मैडम से?


लड़का:- भूमि मैडम से।


दरबान:- अपना नाम बताइए..


लड़का:- नाम जानकर क्या करोगे, उनसे बोल देना उनका बॉयफ्रेंड आया है।


दरबान, गुस्से में बाहर निकला और उसका कॉलर पकड़ते हुए… "तू जा मयला.. इतनी हिम्मत तेरी"..


लड़का बड़े से दरवाजे के बिल्कुल मध्य में खड़ा था और दरबान उसका कॉलर पकड़े। इसी बीच भूमि की कार हॉर्न बजाती हुई अंदर घुस रही थी, वो दरवाजे पर ही रुक गई। गुस्से में भूमि कार से उतरी… "दरवाजे पर क्या तमाशा लगा रखा है जीवन।"


दरबान जीवन… "मैडम ये लड़का जो खड़ा है.. वो कहता है आपका बॉयफ्रेंड है।"..


"क्या बकवास है ये…".. भूमि तेजी में उसके पास पहुंची और कांधा पकड़कर जैसे ही पीछे घुमाई…. "आर्य"..


आश्चर्य से उसकी आंखें फैल चुकी थी। चेहरे के भाव ऐसे थे मानो जिंदगी की कितनी बड़ी खुशी आंखों के सामने खड़ी हो। भूमि की नम आंखें एक टक आर्यमणि को ही देख रही थी और आर्यमणि अपनी प्यारी दीदी को देखकर, खड़ा बस मुस्कुरा रहा था।
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आश्चर्य से उसकी आंखें फैल चुकी थी। चेहरे के भाव ऐसे थे मानो जिंदगी की कितनी बड़ी खुशी आंखों के सामने खड़ी हो। भूमि की नम आंखें एक टक आर्यमणि को ही देख रही थी और आर्यमणि अपनी प्यारी दीदी को देखकर, खड़ा बस मुस्कुरा रहा था।


भूमि, आर्यमणि को देखती ही उससे लिपट गई, कभी उसके गाल चूमती तो कभी, उसका चेहरा छूती। आखों से आंसू सराबोर थे। वो लगातार रोए ही जा रही थी।…. "दीदी चूमकर मेरा पूरा चेहरा गीला कर दी, ऊपर से आशु से भी भिगो रही। जीवन को तो बोल दो की तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो।


"हां वो समझ गया, तू चल अंदर।"..


भूमि उसे लेकर घर में पहुंची। जैसे ही भूमि अंदर आयी, एक लड़की उसके करीब पहुंचती… "मैम, 10 मिनट बाद.." इतना ही कही थी वो, तभी भूमि उसे हाथ दिखती… "छाया, तुम ऑफिस चली जाओ और जय से कहना सारे क्लाइंट के साथ ऑफिशियल मीटिंग कर लो। मैं एक वीक हॉलिडे पर हूं।"..


छाया:- लेकिन मैम वो कल तो टेंडर होने वाला है।


आर्यमणि:- ये पागल हो गई है। आज आप काम संभाल लीजिए। दीदी कल से सारे ऑफिशियल मीटिंग अटेंड करेगी।


भूमि:- छाया जो मै बोली वो करो। जरूरी काम के लिए मै आ जाऊंगी। अब तुम ऑफिस जाओ और जय से मिल लेना।


जैसे ही वो लड़की गई… "ये क्या नाटक किया आर्य। सबको कितना परेशान किया है। मै क्या रिएक्ट करूं, इतने साल बिना किसी से कॉन्टैक्ट किए तू गायब कैसे रह सकता है?"


आर्यमणि:- मासी के पास चलो ना। एक हफ्ते कि छुट्टी तो ले ही ली हो ना।


भूमि:- मै पागल हूं क्या जो इतनी देर से तुमसे कुछ कह रही हूं, उसपर जवाब ना देकर, इधर-उधर की बात कर रहा है।


आर्यमणि:- सॉरी दीदी, अब दोबारा नहीं होगा।


भूमि:- मुझे ये जानने में इंट्रेस्ट नहीं की क्या होगा, मुझे अभी जानना है कि ऐसा हुआ क्या था जो तुमने एक फोन करना, एक मेल करना, या छोटा सा भी संदेश देना जरूरी नहीं समझा। 2.5 महीने मैं यूरोप और अमेरिका के चक्कर काटती रही.. जनता है तू, जो दर्द तेरे जाने का पहले दिन था वो कभी घटा नहीं, उल्टा वक्त के साथ बढ़ता रहा है...



आर्यमणि, एक झूठी कहानी बनाते…. "दीदी यूएस में एक टूर कॉर्डिनेटर ने मुझे 2 दिन के एडवेंचर टूर का झांसा दिया और मुझे टोंगास नेशनल फॉरेस्ट, अलास्का लेकर गया। बहुत बड़ा टूर ग्रुप था। रात को मै पूरे ग्रुप के साथ सोया था और सुबह जागने जैसा कुछ भी नहीं था। बदन में बिल्कुल भी जान नहीं थी, ऐसा लग रहा था शरीर कटे-फटे थे और शरद हवा मुझे जमा रही थी। धुंधली सी आखें खुली, फिर बंद। फिर खुली, फिर बंद। मुझे जब होश आया तो मै जंगलों के बीच बसे कुछ आदिवासी के बीच था। जिसकी भाषा मुझे समझ में नहीं आती और उनको मेरी भाषा।"

"मैं उनके लिए लकी था। वो मुझे रोज चारे की तरह जंगल में बांध देते और छिपकर जंगली भालू का शिकार करते थे। काफी खौफनाक मंजर था। कभी–कभी तो ऐसा महसूस होता की आज ये भालू मुझे फाड़कर यहीं मेरी कहानी समाप्त कर देगा। हां लेकिन शुक्र है भगवान का हर बार मैं बच गया। मैं धीरे–धीरे ठीक हो रहा था, साथ ही साथ उनसे कैसे पिछा छूटे उस पर काम भी कर रहा था। मेरी चोट ठीक होने के बाद, जैसे ही मुझे पहला मौका मिला, वहां से भाग गया। दीदी एक गाड़ी नहीं, एक इंसान नहीं। ऐसा लग रहा था मै किसी दूसरे ग्रह पर हूं, बिल्कुल ठंडा और जंगल से घिरा।"

"चलते गया, चलते गया और जब पहली बार किसी कार को देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। ऐसा लगा जैसे अब मै जिंदा बच जाऊंगा। ऐसा लगा जैसे अब मै सबसे मिल पाऊंगा। उस आदमी से मुझे पता चला कि मै रशिया के बोरियल जंगल में हूं और जब उसने तारीख बताई तो पता चला मै पिछले 8 महीने से केवल और केवल चल रहा हूं।"

"अच्छा आदमी था वो। उसने मुझे सरण दी। फिर मै कैसा पहुंचा उसके बारे में बताया। उसे भी हैरानी हुई मैं 8 महीनों से चल रहा था। फिर उसी ने मुझसे कहा कि मै जंगल के मध्य से पश्चिम दिशा में चला था, जो शहरी क्षेत्र से दूर ले जा रहा था। इसी वजह से कोई नहीं मिला। ना पासपोर्ट ना ही कोई लीगल डॉक्यूमेंट। और जानती हो दीदी, पैसा क्या चीज होती है ये भी मुझे एहसास हो गया। फिर उस आदमी बॉब के साथ मैं काम करके पैसे जमा करता रहा। जब फर्जी पासपोर्ट और टिकट के लिए पूरे पैसे जमा हो गए तब पहली फुरसत में वापस लौट आया।"


भूमि:- मै ज़िन्दगी में किसी के लिए इतना नहीं रोई, लेकिन तेरी लिए बहुत रोई। तुझे जहां जाना है, वहां जा। दुनिया का जो कोना घूमना है, घूम। नहीं आने का मन हो मत आ, पर अपनी खबर तो देते रह ताकि हम सब सुकून में रहे। अब जारा मुझे उस आदमी की डिटेल दे जो तुझे अलास्का ले गया था।


आर्यमणि:- दीदी उसका नाम एड्रू रॉबर्ट था, कोई "न्यू रेड फील्ड एडवेंचर ट्रिप" करके उसकी कंपनी थी।


भूमि:- तेरे साथ और कोई था क्या? या तू जिस फ्लाइट में था, वहां कोई ऐसा जो संदिग्ध लगे।


आर्यमणि:- याद नहीं दीदी। पता नहीं कैसे लेकिन जिंदा बच गया। और दीदी मुझे थैंक्स तो कह दो। मेरे बहाने कम से कम ढाई महीने आप यूरोप और अमेरिका तो घूमी।


भूमि:- कुता तू मुझसे चप्पल खाएगा, समझा। मेरी एरिया घिस गई तुझे ढूंढ़ते-ढूंढ़ते। लेकिन तू यूरोप या अमेरिका में होता तो ना मिलता। वैसे तेरी मेहनत का फल दिख रहा है । चल जारा कपड़े उतार के दिखा कैसी बॉडी बनी है तेरी।


आर्यमणि अपना शर्ट उतारकर दिखाने लगा। भूमि उसके बदन को देखती… "इसे कहते है ना मेहनत वाली एथलीट बॉडी। गधे जिम जाकर लड़कियों कि तरह छाती फुला लेते है और बैल की तरह पुरा बदन। ये बॉडी सबसे तंदरुस्त और एक्टिव लोगो की होती है, इसे मेंटेन करना।


आर्यमणि:- बिल्कुल दीदी। दीदी एक बात और है।


भूमि:- क्या ?


आर्यमणि:- दीदी मैंने कोई इंजिनियरिंग इंट्रेस एग्जाम नहीं दिया लेकिन मुझे नेशनल कॉलेज में एडमिशन लेना है।


भूमि:– बहरवी कब पास किए जो इंजीनियरिंग में तुझे एडमिशन चाहिए।


आर्यमणि:– मेरे पास बारहवी के समतुल्य सर्टिफिकेट है। हां लेकिन वो रसियन सर्टिफिकेट है, चलेगा न...


भूमि:- वो मासी (आर्य की मां जया) ने जब मुझे बताया कि तू आ गया है, तभी मैंने तेरे लिए उस कॉलेज में एडमिशन का बंदोबस्त कर दिया था, बस सर्टिफिकेट को लेकर ही रुकी थी। अभी चलकर बस एक आदमी से मिलेंगे और आराम से तू सोमवार से कॉलेज जाना।


"किसे कॉलेज भेज रही हो दीदी"… भूमि का चचेरा भाई एसपी राजदीप पीछे से आते हुए कहने लगा।


भूमि:- आर्य के एडमिशन की बात कह रही थी। अब चित्रा और निशांत नेशनल कॉलेज में है तो ये कहीं और कैसे पढ़ सकता है।


राजदीप ने जैसे ही आर्य सुना वो हैरानी से देखते हुए उसे गले से लगा लिया। काफी टाईट हग करने के बाद…. "इसका बदन तो सॉलिड है दीदी। सुनो आर्य वैसे मेरी आई जानेगी की मै तुम्हारे गले लगा हूं तो हो सकता है वो मेरा गला काट दे।"..


आर्य:- ओह आप अक्षरा आंटी के बेटे राजदीप है।


राजदीप:- तुम मुझे कैसे जानते हो।


आर्य:- नीलांजना आंटी आप सबके बारे में बात करते रहती थी।


राजदीप:- और राकेश मौसा वो कुछ नहीं कहते थे मेरे बारे में।


आर्य:- गुलाब के साथ कितने काटें है उन पर कौन ध्यान देता है सर। कभी अच्छा या बुरा आपके बारे में कहा भी हो, लेकिन मै नहीं जानता।


राजदीप:- दीदी ये आपका पुरा भक्त है और शागिर्द भी। अब ये आ गया है तो आप कुछ सुनने से रही। मै आराम से कुछ दिन बाद मिलता हूं।


भूमि:- हम्मम ! थैंक्स राजदीप। कुछ दिन इसके साथ वक़्त बिताने के बाद मै मिलती हूं। आर्य सुन नीचे का वो दूसरा कमरा तेरा है। मासी ने तुझे वहां नहीं बताया, कहीं तू हंगामा ना करे। यहां तू मेरे साथ रहेगा।


आर्यमणि:- नहीं, मै तो अपनी मासी के साथ ही रहूंगा।


भूमि:- लेकिन मेरे साथ रहने में क्या बुराई है?


आर्यमणि:- बहन के ससुराल में रहने से इज्जत कम हो जाती है। ऐसा मुझे किसी ने सिखाया था।


भूमि:- नालायक कहीं का, भुल गया जब मुझे फोन करता था.. दीदी ट्रैक रोप, दीदी ड्रोन, दीदी, चस्मा.. तब इज्जत कम नहीं हुई, अभी कम हो जाएगी। अच्छा सुन, तू यहां मेरे पास रह, मै तुझे बाइक दिलवा दूंगी।


आर्यमणि:- बाइक, हुंह ! जो बाइक आप दिलवाओगी वो तो मुझे कोई भी दिलवा सकता है, और मुझे फालतू बाइक नहीं चाहिए।


भूमि, मुस्कुराती हुई… "हां ठीक है तुझे जो बाइक चाहिए वही दिलवा दूंगी, जाकर फ्रेश हो जा.. दोनो साथ खाना खाते है, तब तक रिचा भी आ जाएगी, फिर हम सब साथ शॉपिंग के लिए चलेंगे।"


आर्यमणि:- नाह, मै सिर्फ आपके साथ शॉपिंग चलूंगा, और फिर रात को मासी के पास रुकेंगे।


भूमि:- मै इतना प्रेशर लेकर काम नहीं करती। आज हम दोनों शॉपिंग करते है। कल फिर तेरे बाइक पर सवार होकर चलेंगे आई के पास। मंजूर..


आर्यमणि:- हां लेकिन शॉपिंग में दादा को लूटेंगे।


भूमि:- हिहिहीही… हां ये अच्छा है। रुक मै जय को बता देती हूं।


दोनो लगभग 3 बजे के करीब निकले। सबसे पहले पहुंचे एमएलए कृपाशंकर के पास। भले ही वह एमएलए राजदीप को न जनता हो, लेकिन भूमि का नाम सुनकर ही वह खुद बाहर उसे लेने चला आया। आर्यमणि को बाहर बिठाकर दोनो ऑफिस में पहुंचे जहां भूमि, आर्यमणि के इंजीनियर दाखिले की बात करने लगी। छोटा सा पेपर वर्क फॉर्मुलिट हुई और मैनेजमेंट कोटा से एडमिशन। बस कुछ पेपर साइन करने थे जो 2 घंटे बाद आकार कभी भी कर सकते थे।


वहीं भूमि को यह भी पता चला कि राजदीप एमएलए से मिलने पहुंचा था। वहां का काम निपटाकर भूमि, आर्यमणि के साथ सीधा शॉपिंग पर निकल गई। दोनो पहुंचे बिग सिटी मॉल।… "अच्छा सुन आर्य, यहां एसेसरीज सेक्शन में बहुत सारी इलेक्ट्रॉनिक आइटम है, तू अपने काम का देख ले।


आर्यमणि:- दीदी यहां कौन सा जंगल है और जंगली जानवर, जो मुझे वो करंट वाली गन या फिर ड्रोन या अन्य सामानों की जरूरत होगी।


भूमि:- जरूरत वक़्त बताकर थोड़े ना आती है। वैसे भी दुनिया में इंसानों से बड़ा भी कोई जानवर है क्या? जाकर देख तो ले।


आर्यमणि:- दीदी वो दादा कहीं गुस्सा ना हो जाए।


भूमि:- दादा गुस्सा होगा तो पैसे लेगा, तू बस शॉपिंग कर। और सुन मै कुछ अपने पसंद से तेरे लिए ले रही हूं.. यहां से शॉपिंग खत्म करके सीधा कपड़ों के सेक्शन में आ जाना।


भूमि:- ठीक है दीदी।


आर्य एक्सेसरीज सेक्शन में गया और अपने काम की चीजें ढूंढने लगा। वह एक शेल्फ से दूसरे शेल्फ तक नजर दौरा ही रहा था, तभी मानो पीछे से कोई बिलकुल चिपक सा गया हो। वह अपने होंठ आर्यमणि के कान पास लाते.… "मेरी जेब में एक पिस्तौल है, जिसकी नली तुम पर है। बिना कोई होशियारी किए चलो"…


आर्यमणि चुपचाप उनके साथ निकला। वो लोग मॉल से बाहर निकलकर उसके पार्किंग में चले आए, जहां एक गाड़ी के बोनट पर एक आदमी बैठा था और उसके आस–पास 8–10 लोग थे। जैसे ही वह आदमी आर्यमणि को पार्किंग के उस जगह तक लेकर आया जहां गुंडे सरीखे लोग थे.… "इसे ले आया छपड़ी भाई"…


आर्यमणि को जो साथ लेकर आया था वह शायद बोनट पर बैठा उस बॉस से कह रहा था, जिसका नाम छापड़ी था.… छपड़ी हाथ के इशारे से अपने पास बुलाया और आर्यमणि को घुरकर देखते.… "हां यही लड़का है। जल्दी मार कर काम खत्म करो।"


छपड़ी ने हुकुम दिया और पीछे खड़ा आदमी ने तुरंत ही एक राउंड फायर कर दिया। आर्यमणि को कमर के ऊपर गोली लगी और वह दर्द से बिलबिला गया। लेकिन गोली लगने के बावजूद भी आर्यमणि खड़ा रहा। जिसे देख छपड़ी हंसते हुए.… "लड़के में दम है बे, जल्दी से गिरा"… इतना कहना था कि फिर सामने से 2 और राउंड फायर हो गए। आर्यमणि को दर्द तो बेहिसाब हो रहा था लेकिन फिर भी वह खड़ा था।


छपड़ी अपनी बड़ी सी आंखें फाड़े... "अबे ये किसकी सुपाड़ी उठा लिया। कहीं रजनीकांत का फैन तो नही"...


छपड़ी ने जैसे ही अपनी बातें पूर्ण किया तभी फिर से लोग फायरिंग करने को तैयार। लेकिन इस बार छपड़ी उन्हे रोकते.… "अबे 3 राउंड तो मार ही दिए। अब क्या बदन में पूरा छेद ही कर दोगे। रुको जरा इसके स्टेमिना का राज भी पूछ ले। क्यों बे चूजे तू है कौन और ये कैसे कर रहा है?"..


आर्यमणि एक नजर दौड़ाकर चारो ओर देखा और अगले ही पल सामने बोनट पर बैठे छपड़ी को बाल से पकड़ कर बोनट पर ऐसा मारा की उसका सिर ही बोनट को फाड़कर अंदर घुस गया। उसके अगले ही पल अपने पीछे खड़े उस आदमी को गर्दन से पकड़ा और कुछ फिट दूर खड़े किसी दूसरे आदमी के ओर फेंक दिया। ऐसा लगा जैसे काफी तेज गति से 2 तरबूज टकराए हो और टकराने के बाद बिखड़ गए। ठीक वैसा ही हाल उन दोनो के सिर का भी था।


महज चंद सेकेंड में तीन लोग की कुरूरता पूर्ण तरीके से हत्या देखकर, बाकी के लोग भय से मूत दिए। हलख से बचाओ, बचाओ की चीख निकल रही थी। और पार्किंग में जो भी लोग उनकी दर्दनाक चीख सुनते, वह पहले खुद अपनी जान बचाकर भागते। और इधर आर्यमणि उन सबको अपना परिचय देने में व्यस्त था। आखरी का एक लड़का बचा जो हाथ पाऊं जोड़े नीचे जमीन पर बैठा था.…


आर्यमणि:– नागपुर में पहले दिन ही मेरा बड़े ही गर्म जोशी के साथ स्वागत हुआ है। ऐसा स्वागत करने वाला कौन था..


वह लड़का अपने कांपते होटों से.… "अ.. क.. क.. छ.."


आर्यमणि:– ओह तो इन्होंने इतने गर्मजोशी से स्वागत किया गया है... खैर अब तू ध्यान से सुन, तुझे क्या करना है। यहां से जा और अपने मालिक से कहना की उनका पाला किसी भूत से पड़ा है, तैयारी उसी हिसाब से करे। हां लेकिन 2 बात बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए...


लड़का:– क… क... कौन सी.. बा... त


आर्यमणि:– पहली मुझे यह बिलकुल भी नहीं पता की तुम लोगों को किसने भेजा और दुसरी पुलिस को मेरे खिलाफ एक भी सबूत न मिले... दोनो में से किसी एक में भी चूक हुई, तो मैं तुम्हे दिखाऊंगा कि कैसा लगता है अपने शरीर की चमड़ी को अपने आंखों से उतरते देखना। कैसा लगता है जब तुम दर्द से 10 दिन तक लगातार बिलबिलाते रहो और हर पल ये सोचो की तुम्हे मौत क्यों नही आती?


लड़का:– स.. समझ.. गया..


लड़का वहां से भाग गया। आर्यमणि अपने बड़े से नाखून से अपने शरीर में घुसी गोली को निकाला और वापस शॉपिंग मॉल चला आया। शाम 7 बजे तक आर्यमणि अपने सबसे बड़े भाई तेजस के शॉपिंग मॉल से लाखों का शॉपिंग कर चुका था। बिल देने कि जब बारी आयी तब भूमि जान बूझकर आर्यमणि को बिल काउंटर पर भेज दी, और खुद अपने बड़े भाई तेजस के चेंबर के ओर चल दी। बिल काउंटर पर 11 लाख 22 हजार का बिल बन गया। पेमेंट की जब बारी आयी तब आर्यमणि ने साफ कह दिया, बिल उसके दादा पेमेंट करेंगे। लोग पेमेंट के लिए कहते रहे लेकिन आर्यमणि जिद पर अड़ा रहा।


माहौल बिगड़ता देख मैनेजर, आर्यमणि को अपने साथ ले जाते हुए, केबिन में बिठाया…. "सर, आप अपने दादा की डिटेल दे दीजिए, मै उनसे ही बात कर लूंगा।"..


आर्यमणि एक बार फिर उस मैनेजर के सब्र का इम्तिहान लेते हुए कह दिया.… "मैं अपने दादा की डिटेल मैनेजर को क्यों दूं... मैं केवल यहां के मालिक को हो दूंगा।"


मैनेजर ने लाख मिन्नतें किए। जब बात न बनी तो पुलिस बुलाने अथवा सारा सामान छोड़कर जाने तक की बात भी कह डाली, लेकिन आर्यमणि शायद बड़े से फाइट के बाद थोड़े मस्ती के मूड में था और लगातार मैनेजर को चिढ़ाते हुए एक ही रट लगाए था.… "वह मैनेजर की एक कही बात न मानेगा। जो भी बात होगी अब तो मॉल के मालिक से ही बात होगी"…
जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update 😘😘😘❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
 

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भाग:–12




मैनेजर ने लाख मिन्नतें किए। जब बात न बनी तो पुलिस बुलाने अथवा सारा सामान छोड़कर जाने तक की बात भी कह डाली, लेकिन आर्यमणि शायद बड़े से फाइट के बाद थोड़े मस्ती के मूड में था और लगातार मैनेजर को चिढ़ाते हुए एक ही रट लगाए था.… "वह मैनेजर की एक कही बात न मानेगा। जो भी बात होगी अब तो मॉल के मालिक से ही बात होगी"…


मैनेजर:- सर मै हूं ना मुझसे कहिए। एमडी सर बहुत व्यस्त रहते है, उनसे बात नहीं हो पाएगी।


काफी देर बहस हुई, अंत में जब बात नहीं बनी तब मैनेजर मजबूरन मालिक के चेंबर के ओर चल दिया। लेकिन बाहर खड़े एक पुराने मुलाजिम ने मैनेजर को साफ मना करते हुए कहने लगा… "भूमि बहन आयी है रे, जाओ बाद में आना"..


"ना अक्ल है ना सकल, बस पूरे बदन में एक ही चीज है, तेरा पेट शामलाल"… आर्यमणि ने जैसे ही ये बात कही, शामलाल सर ऊपर करके सोचने लग गया… "ये मैंने कहीं तो सुना है रे बाबा, पन किधर को सुना, याद नहीं आ रहा।"..


शामलाल अपने सोच में ही था तभी मैनेजर हड़बड़ी में दरवाजे तक आया, शामलाल उसे रोकते… "कहां जा रहा है।"..


मैनेजर:- बेवकूफ हो क्या, वो लड़का अंदर चला गया और तुम उपर सीलिंग देख रहे हो।


शामलाल:- तू सूट बुट और टाई लगाकर खुद को बड़ा समझदार मानस समझे आहे। जा अंदर जा…


मैनेजर तेजी से अंदर घुसते… "सॉरी सर मै इन्हे बहुत देर से समझा रहा था कि पेमेंट का जो भी इश्यू है मुझसे कह दे, लेकीन ये लड़का आपसे मिलने की जिद पकड़े हुआ था।"


तेजस:- हम्मम ! ठीक है प्रोडक्ट डिटेल दो, क्या क्या पर्चेज किया है..


मैनेजर ने अपने हाथ का बिल तेजस को दे दिया… 2 मीटर वाले बिल की लंबाई देखकर… "बस इतना छोटा बिल है। ये एलइडी 56 इंच वाला.. ये क्या है। स्टन गन, इसका क्या होगा।"


मैनेजर:- जाने दीजिए ना सर वो करंट छोड़ने वाली गन है। ज्यादा नुकसान नहीं करती है और मै तो कहता हूं सर को 56 क्या उससे भी बड़ा साइज का टीवी लेले।


तेजस:- आईफोन और आईपैड दोनो…


भूमि:- दादा बिल की डिटेल देखकर बच्चे को परेशान ना करो। पेमेंट करना है तो करो, वरना बहुत दुकान है शहर में।


तेजस भूमि के ओर मुड़ते… "मतलब मुफ्त का लेना हो तो दादा के मॉल याद आता है और पैसे से कहीं और जाकर खरीदोगे।"


आर्यमणि, भूमि के कान में कुछ कहा, तभी तेजस… "क्या कहा इसने तुझसे"..


भूमि:- कह रहा है लैपटॉप भुल गया लेना।


तेजस:- गुरुदेव और कुछ तो नहीं रह गया..


आर्यमणि, तेजस के पास पहुंचकर उसे गले लगाते…. "थैंक्स दादा। आप बहुत स्वीट हो।"..


तेजस:- हां मस्का पॉलिश। अच्छा सुन आर्य कल सुबह ही घर चले आना। सुनो कदम, ये अपने छोटे दादा है इनका सारा बिल मेरे अकाउंट पर डाल देना। और सुनो ये अब यहीं रहने वाला है तो अपने या अपनी गर्लफ्रेंड के लिए 20000 तक का शॉपिंग करे तो बिल मेरे अकाउंट पर डाल देना, 20000 से ज्यादा का हो तो इसे कहना एक बार मुझसे बात कर लेने। इसके अलावा रेस्त्रां में दोस्तों के साथ छोटी बड़ी जो भी पार्टी हो उसका भी बिल मेरे अकाउंट पर। खुश है ना तू आर्य।


आर्यमणि:- थैंक्स दादा।


तेजस:- बेटा अब तू जाकर और भी कुछ देख ले, भूमि आयी है तो कुछ बातें डिस्कस कर लूं। अगर तू इजाजत दे तो।


आर्यमणि जाते हुए… "दीदी बस 5 मिनट लेना। मै नीचे बिल काउंटर पर ही हूं।"..


जैसे ही आर्यमणि निकला… "ये मुझसे बात क्यों नहीं करता, तुझसे तो हर बात बताता है।"


भूमि:- आर्य आपसे बात तो करता है दादा। वैसे आपको मुझसे कुछ बात करनी थी ना।


तेजस:- मीटिंग की बात तो घर पर करता हूं, लेकिन राजदीप के बारे में कुछ खबर लगी कि नहीं।


भूमि:- जब से पोस्टिंग हुई है अच्छा काम कर रहा है। मै तो बहुत खुश हूं।


तेजस:- ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद ही एमएलए कृपाशंकर से मिला था। राजदीप ने तब एमएलए के पास वैधायान भारद्वाज का नाम इस्तमाल किया था, अपने काले कमाई के परिचय में।


भूमि:- दादा आप बहुत जल्दी परेशान हो जाते हो। वैधायन भारद्वाज का नाम लेकर राजदीप ने उस कृपाशंकर की अकड़ बस निकाली होगी। वरना वो अपना काम अच्छे से जनता है। वो कभी भी ऐसा नहीं करेगा।


तेजस:- हम्मम !!! मै मिलूंगा राजदीप से तो खुलकर बताएगा नहीं, तू मिलकर बात कर लेना और कह देना कि कोई अकड़ दिखाए तो पहले 2 चप्पल मारे बाद में बात करे, बाकी मै सब देख लूंगा।


भूमि:- ठीक है दादा, अब मै जा रही हूं। आई–बाबा को बोलना कल आर्य के साथ आऊंगी। आज हम दोनों शॉपिंग पर निकले है।


तेजस:- चल मै भी चलता हूं।


भूमि:- सोचना भी मत, साफ कह दिया है सिर्फ वो मेरे साथ शॉपिंग करेगा।


तेजस:- हां जनता हूं.. तेरा चमचा है वो।


भूमि:- मेरा बच्चा है वो, चमचा नहीं। जा रही हूं अब मै।


भूमि कैश काउंटर पर पहुंची। सारा सामान कार में और दोनो वहां से चल दिए बाइक खरीदने। भूमि ने कार को आर्यमणि के बोले पते पर लगाई और जब नजर उठा कर देखी तो बीएमडब्लू बाइक शो रूम।


भूमि:- मेरे भाई मैंने आज तक एक भी बीएमडब्लू कार नहीं ली, और तू बाइक बोलकर कार के शोरूम ले आया।


आर्यमणि:- दीदी कार से उतरकर देखो ना, ये बाइक का ही शोरूम है।


भूमि:- हां दिख गया। बेटा तू बीएमडब्लू ही लेगा क्या?


आर्यमणि अपनी आंखें दिखाते… "चलो भी टाइम पास कर रही हो।"..


भूमि, चली अंदर… "आर्य मुझे आज पता चला कि बीएमडब्लू की बाइक भी आती है। वो लाल वाली मस्त है.. वही ले। (भूमि बीएमडब्ल्यू S1000XR मॉडल पसंद करती हुई कहने लगी)


आर्यमणि, हंसते हुए भूमि को गले लगा लिया… "चलो यहां से, मै तो बस छेड़ रहा था।"


भूमि:- मुझे यही बाइक राइड करनी है, ड्राइवर गाड़ी लेकर तुम घर जाओ। हां तू कुछ बोल रहा था आर्य।


आर्यमणि:- दीदी मुझे ये बाइक नहीं चाहिए। कहा तो आपको छेड़ रहा था मै।


भूमि:- मतलब यहां सीन क्रिएट करोगे तुम।


अर्यामानी:- सॉरी, ठीक है वही बाइक लेते है, अब खुश।


भूमि:- तू पागल है क्या? मै क्या इतने पैसे लाद कर ले जाऊंगी। वैसे भी तू तो मेरा लाडला है। तेरे लिए 20 लाख क्या 20 करोड़ की बाइक खरीद सकती हूं। बाकी बातें बाद में होगी चल अब मुझे बाइक पर घुमा।


2 मिनट में बाइक पसंद 10 मिनट में बाइक सड़क पर और दोनो हवा से बातें करते हुए पहले एमएलए कृपा शंकर के पास पहुंचे, जहां आर्यमणि ने एडमिशन के कुछ पेपर पर साइन किया, उसके बाद दोनो घर पहुंच गए। आर्यमणि अपनी बाइक खड़ी करके जैसे ही जाने लगा, भूमि उसे रोकती हुई अंदर का गराज खोल दी।


अंदर का नजारा देखकर आर्यमणि का मुंह खुला का खुला ही रह गया… "दीदी ये तो कार का शानदार कलेक्शन है। और झूठी यहां तो बीएमडब्ल्यू की कार भी है।".. कुल 21 कार थी उस गराज में। एक से बढ़कर एक लग्जरियस कार, स्पोर्ट्स कार, 5 तो एसयूवी जितने बड़े शानदार लुक की मिनी ट्रक खड़ी थी।"


भूमि:- ये ले गराज की चाभी। तेरे लेफ्ट में बोर्ड पर सभी कार की चाभी है, उसके नीचे मॉडल लिखा है, आगे समझाने कि जरूरत ना है। और हां, बस एक गलती कभी ना करना, किसी और मॉडल पर कोई दूसरी चाभी मत चिपका देना। वैसे तेरी बाइक देखकर अब लगता है मुझे बाइक कलेक्शन भी कर ही लेना चाहिए।


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी।


दोनो गराज से निकलकर घर के अंदर पहुंचे। दिन में जिन 2 सदस्य से मुलाकात नहीं हो पाई थी, भूमि के पति जयदेव और उसकी बहन रिचा से, दोनो हॉल में ही बैठे थे। सभी खाने के टेबल पर जमा हुए और बातो का सिलसिला शुरू हो गया।


शनिवार की शुबह थी, भूमि आर्यमणि के साथ अपने पैतृक मकान पहुंची, जहां उसकी माता मीनाक्षी भारद्वाज और पिता उज्जवल भारद्वाज रहते थे। उनके साथ भूमि का बड़ा भाई तेजस अपनी बीवी वैदेही और 2 बच्चों मयंक और शैली भारद्वाज के साथ रहते थे।


भूमि के साथ जैसे ही आर्यमणि घर में घुसा, स्वागत के लिए उसकी मासी दरवाजे पर ही खड़ी थी। आर्यमणि के अंदर आते ही, वो उसको साथ लेकर जाकर सोफे पर बिठाई… "शांताराम जल्दी से ले आओ मेरे बच्चे का गिफ्ट। क्यों रे पहले मासी या पहले दीदी जो सीधा भूमि के ससुराल पहुंच गया। ऊपर से तूने वहीं रहने का फैसला भी कर लिया, वो भी बिना मुझसे पूछे। जया ने तुझे परिवार के बारे में नहीं बताया था क्या? बहन के ससुरल रहने से इज्जत कम हो जाती है।"


भूमि:- आई सुन लो इस बात पर झगड़ा हो जाएगा। आर्य के कान भरना बंद करो।


मीनाक्षी:- मेरी बात बुरी लग रही है तो चली जा। मेरा बच्चा मेरे पास रहेगा न की तेरे पास।


भूमि:- ठीक है रख लो, सुबह-सुबह मेरा दिमाग मत खाओ। बाबा काम काज से रिटायरमेंट लिए हो या परिवार से भी। आकर आई को चुप करवाओ वरना झगड़ा हो जायेगा।


मीनाक्षी:- वो क्या बोलेंगे, घर की मुखिया मै हूं। यहां वही होगा जो मै चाहूंगी।


तेजस:- क्या है आई, ऐसे कौन बात करता है। भूमि तू बैठ ना। तू भी तो जबरदस्ती आई के बात पर ध्यान देती है।


भूमि:- कब से कह रही हूं जाकर किसी अच्छे डॉक्टर से इनका इलाज करवाओ, लेकिन कोई मेरी सुने तब ना।


भूमि के पिता उज्जवल, अपने कमरे से बाहर निकलते…. "मीनाक्षी बस भी करो। भूमि से गुस्सा हो तुम, हम सब जान रहे है। वो भी जानती है। एक ही बात के लिए कब तक नाराज़ रहोगी।


मीनाक्षी:- जबतक वो पाऊं पकड़कर ये नहीं कह देती की मुझसे गलती हो गई। मै गलत थी। मेरा ना आना गलत था। मेरा मुंह लगाना गलत था। अब से जो बोलोगी वो होगा।


भूमि:- जब मै गलत हूं ही नहीं तो माफी किस बात की। आर्य का मन था इसलिए चली भी आयी, वरना इतने ड्रामे मुझे पसंद नहीं।


आर्यमणि:- मासी मै वापस गंगटोक जा रहा हूं कल। अगले साल एडमिशन लूंगा।


मीनाक्षी:- क्यों ?


आर्यमणि:- क्योंकि अब मै अपने पापा की तरह आईएएस बनूंगा।


मीनाक्षी:- चमचा कहीं का। भूमि के यहां रहता तो इंजिनियरिंग तेरी अच्छे से होती, मेरे पास आते ही तुझे आईएएस बनने का ख्याल आ गया। सही है बेटा। आजा, तू क्यों मुंह फुलाए है, मुझे तो पता ही था ये यहां नहीं रुकेगा।


भूमि:- हां और आपको बिना मेरे से झगड़ा किए खाना नहीं पचेगा।


मीनाक्षी:- तू ही तो मेरा मनोरंजन है, वरना घर में पड़े-पड़े बोर हो जाती हूं।


भूमि:- तो अपनी बहू से झगड़ा किया करो ना। मेरा खून जला कर कौन सा सुख पा लोगी।


मीनाक्षी:- बहुत कोशिश की झगड़ा करने कि। अभी मै अपनी बहू को बोलूं पाऊं पकड़ कर माफी मांग तो पूछेगी भी नहीं क्यों कह रही हूं ऐसा। वो तो 100 लोगों के भिड़ में भी ऐसा कर लेगी। वो मेरी बहू नहीं मेरी दोस्त है।


भूमि:- लो शुरू हो गया इनका बहू पुराण। कहां है दिख तो नहीं रही।


मीनाक्षी:- उसके पापा की तबीयत कल रात अचानक ही खराब हो गई। इसलिए कल रात ही बच्चो के साथ वो निकल गई।


भूमि:- हरिवंश काका को क्या हुआ, किसी ने मुझे बताया क्यों नहीं?


मीनाक्षी:- मैंने ही मना किया तेजस को। उसने बताया कि कल तुम दोनो शॉपिंग पर निकले हो। वैसे भी तू खुद को काम में इतना मसरूफ कर चुकी है, हमे लगा इसी बहाने कुछ तो काम से ध्यान हटे।


भूमि:- आई काम से ध्यान हटना अलग बात है, अपने लोगो की जरूरत को देखना दूसरी बात है। आप लोगो को भी वहां जाना चाहिए था, वो भी नहीं गए।


तेजस:- वैदेही ने कहा है कुछ जरूरत होगी तो सूचना दे देगी, अब तू इतना मत सोच।


"तुम लोग की पंचायत में आर्य को तो सब भुल ही गए। शांताराम दे मुझे"… मीनाक्षी शांताराम के हाथ से एक डिब्बा ली उसे खोलकर एक शानदार घड़ी आर्य के हांथ पर बांध दी। "हां अब अच्छा लग रहा है।"…


फिर हाथ में एक बॉक्स देती हुई कहने लगी… "इसमें एटीएम और क्रेडिट कार्ड है। किसी से पैसे मांगने नहीं, और इस कंजूस भूमि से बिल्कुल नहीं। और हां मै अपने बेटे को दे रही इसलिए खर्च करने में कोई भी झिझक मत रखना। समझ गया।".. आर्य हां में अपना सर हिला दिया।


शनिवार से लेकर रविवार तक आर्यमणि अपनी मासी के यहां ही रुका। पूरे नागपुर की सैर इन्हीं 2 दिनों में हो गया। सोमवार की सुबह कॉलेज का पहला दिन। बड़े ही खुशी के साथ आर्यमणि कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update
 

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भाग:–13




शनिवार से लेकर रविवार तक आर्यमणि अपनी मासी के यहां ही रुका। पूरे नागपुर की सैर इन्हीं 2 दिनों में हो गया। सोमवार की सुबह कॉलेज का पहला दिन। बड़े ही खुशी के साथ आर्यमणि कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसकी खुशी देखकर भूमि कहने लगी… "क्यों अपनी गर्लफ्रेंड चित्रा से मिलने की तुझे इतनी ज्यादा खुशी है।"


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी और निशांत से भी..


भूमि:- आह हीरो लग रहा है बिल्कुल। ऊपर सन ग्लासेस लगा। हां अब ठीक है। ये बता तू मुझे थैंक्स क्यों कहा चित्रा के मामले में।


आर्यमणि:- अभी मै अपने दोस्तो से मिलने की खुशी में जा रहा हूं। आप मुझे उस बात के लिए छेड़ रही है, जो बात आपको भी पूरे अच्छे से पता है। कौन बहस मे पड़े।


भूमि:- इस बात के लिए कोई वीरता का पुरस्कार दे दूं क्या? चल आज मै तुझे कॉलेज छोड़ आती हूं।


आर्यमणि:- दीदी, आप परेशान ना हो मै चला जाऊंगा।


आर्यमणि कॉलेज पहुंचा और आराम से अपने क्लास ढूंढने लगा। इधर चित्रा, पलक, माधव, निशांत और निशांत की गर्लफ्रेंड हरप्रीत सभी कैंटीन में बैठकर कॉफी की चुस्की ले रहे थे, इसी बीच एक सेकंड ईयर का स्टूडेंट भागता हुआ कैंटीन में आया… "सुपर सीनियर (4th ईयर स्टूडेंट) आए है और एक स्टूडेंट को पकड़ रखा है। लगता है उसकी आज बैंड बजाने वाले है।"..


वो लड़का हल्ला करता हुआ सबको बता गया और कैंटीन से 5 कॉफी और सिगरेट लेकर चलता बना।… "इन सुपर सीनियर की रैगिंग क्या अलग होती है।"… पलक, निशांत और चित्रा से पूछने लगी।


निशांत:- पता नहीं। वैसे हमे तो सेकंड ईयर वालो का दर्द झेला नहीं गया था, ये तो फाइनल ईयर वाले है।


माधव:- चलकर देख लेते है फिर, ये सुपर सीनियर कैसे रैगिंग लेते है।


चित्रा:- चलो चलकर देखते है, इसी बहाने कुछ टाइमपास भी हो जाएगा।


पलक:- कैसे हो तुमलोग। कोई किसी को परेशान करेगा और तुम लोग उसे देखोगे।


निशांत:- शायद उन सुपर सीनियर्स के जाने के बाद उसे किसी कंधे कि जरूरत पड़े। ये भी तो हो सकता है ना पलक। मानवीय भावना से तुम भी क्यों नहीं चलती।


पलक:- हम्मम ! ये भी सही है। चलो चलते है।


चित्रा:- वैसे पलक ने उसे अपना कांधा दे दिया तब तो बेचारे के सारे गम दूर हो जाएंगे।


सभी बात करते हुए पहुंचे गए फर्स्ट ईयर के एरिया में, और जैसे ही नजर गई उस लडके पर… हाइट 6 फिट के करीब। आकर्षक गठीला बदन बिल्कुल किसी प्रोफेशनल एथलीट की तरह। रंग गोरा, चेहरा नजरें टिका देनेने वाली। और जब फॉर्मल के ऊपर आखों पर सन ग्लासेस लगाए था, किलर से कम नहीं लग रहा था। पलक उसे नजर भर देखने लगी।


चित्रा:- मारो, इसे खूब मारो.. इतना मारो कि होश ठिकाने आ जाए


निशांत:- बस अच्छे से इसकी ठुकाई हो जाए तो दिल खुश हो जाए।


पलक हैरानी से उन दोनों का चेहरा देखने लगी। ये सभी सुपर सीनियर्स के ठीक पीछे खड़े थे और नज़रों के सामने आर्यमणि।…. "इसने अपनी बॉडी पर काम किया है ना। पहले से कुछ पतला नजर आ रहा है ना निशांत।"..


निशांत:- ऐसा लग रहा है बदन के एक्स्ट्रा चर्बी को छीलकर आया हो जैसे।


इधर सुपर सीनियर्स छोटे से लॉन में लगे पत्थर की बनी बेंच पर बैठे थे और आर्यमणि ठीक उसके सामने। छोटा सा इंट्रो तो हो गया था। उसे खड़े रहने बोलकर सभी कॉफी पीने लगे थे। इसी बीच आर्यमणि ने अपने दोस्तो को देखा और अपना चस्मा निकालकर सीने में खोंस लिया।… "इसकी आखें नीली कबसे हो गई, कॉन्टैक्ट लेंस तो नहीं लिया।"..


निशांत:- इसपर पक्का यूएस की गलत हवा लगी है चित्रा। ये तो यहां की लड़कियों को दीवाना बनाने आया है। कमिने ने मेरे बारे में भी नहीं सोचा। अब मेरा क्या होगा।


हरप्रीत निशांत को एक लात मारती… "तुम्हारी छिछोड़ी हरकतें कभी बंद नहीं होगी ना।"


पलक इतनी डिटेल सुनने के बाद थोड़ी हैरान होती… "क्या यही आर्य है।"..


दोनो भाई बहन एक साथ… "हां यही आर्य है।"..


तभी सीनियर जो कॉफी पी रहे थे, अपनी आधी बची कॉफी आर्य के मुंह पर फेंकते… "अबे हम यहां बैठे है और तू मुस्कुराए जा रहा है।"


आर्यमणि:- सॉरी सर...


तभी एक सीनियर खड़ा हुआ और खींचकर एक तमाचा मरा। तमाचा इतना जोड़ का था कि आर्यमणि का उजला गाल लाल पर गया।… "कुत्ते के पिल्ले, झुककर, अदब से सर बोला कर। अच्छा तू सिगरेट पीता है।"


आर्यमणि:- टेक्निकल सवाल है सर जिसके जवाब पर थप्पड़ ही पड़ने है। वक़्त क्यों बर्बाद करना मारो।


उसे देखकर सभी हंसते हुए… "समझदार लड़का है।" सभी खड़े हो गए और एक के बाद एक उसके गाल पर निशान बनाते चले गए। उनकी इस हरकत को ना तो चित्रा बर्दास्त कर पाई और ना ही निशांत। उनके चेहरा देखकर ही आर्यमणि समझ गया कि अब ये दोनो यहां ना आ जाए इसलिए उसने इशारे से मानकर दिया।


निशांत:- साले कमीनो, वो मारने पर आ गया तो तुम पांचों अपनी जान बचा कर भागने लगोगे।


पलक:- तो फिर ये इतना बर्दास्त क्यों कर रहा है?


चित्रा:- क्योंकि वो सीनियर है और हमे रोज कॉलेज आना। अब हर दिन कॉलेज आकर लड़ाई तो नही कर सकते न... बस इसलिए मार खा रहा है...


इधर इन सीनियर्स का जब मारना हो गया।… "चल अब अपनी शर्ट निकाल।"..


आर्यमणि:- बस रैगिंग खत्म हो गई। अब जाओ यहां से सब। मेरा मूड नहीं रैगिंग देने का।


एक सीनियर… "साले तू हमे सिखाएगा।"..


आर्यमणि:- मै जानता हूं तुझे किसी ने सीखा कर भेजा है। तेरा काम हो गया अब मुझे जाने दे। वरना मामला फसा तो जिसने तुझे भेजा है वो शायद बच जाए पर तुम पांचों का मै वो हाल करूंगा कि पछताओगे, काश बात मान ली होती।


सीनियर्स को समझ में आ गया कि पोल खुल गई है इसलिए वहां से कटने में ही अपनी भलाई समझे। आर्यमणि भी अपनी बात कहकर, अपने दोस्तों के ओर तेजी से कदम बढ़ा दिया। वो दोनो भी आर्यमणि के ओर दौड़ लगा दिया। निशांत आकर सीधा गले से लगा, वहीं चित्रा पास में आकर खड़ी हो गई।


आर्यमणि अपना एक हाथ खोलकर उसे भी अपने बीच लिया और तीनों ही गले लगकर अपने गम भुलाने लगे। हल्की आखें नम और दिल में ढेरों उमंगे। कुछ देर गले लगने के बाद तीनों वापस कैंटीन आ गए। अपने बीच 2 नए लोग को देखकर आर्यमणि पूछने लगा…. "ये हमारे नए साथी कौन है, मिलवाया नहीं तुमने।"..


चित्रा:- आर्य, ये है मेरी प्यारी कजिन पलक, और पलक..


पलक:- हां जानती हूं, ये है आर्य। हेल्लो आर्य..


आर्यमणि, भी अपना हाथ आगे बढ़ते हुए… "हेल्लो पलक, तुम बहुत खूबसूरत है।"..


चित्रा:- खूबसूरत है, ये मेरे कान सही काम कर रहे है ना।


निशांत, आर्यमणि के सर पर हाथ रखते हुए…. "मेरे भाई दिमाग के अंदर सारे पुर्जे सही से काम तो कर रहे है ना।"


आर्यमणि:- और ये साथी कौन हैं?


आर्यमणि, माधव के ओर देखते हुए कहने लगा।…. "ये माधव है।"


माधव अपना हाथ आगे बढ़ते हुए… "जी हम माधव है।"..


आर्यमणि:- तुमसे मिलकर अच्छा लगा माधव।


चित्रा:- गए तो ना कोई संदेश, ना कोई खबर। अपने घर तक कॉन्टैक्ट नहीं किए।


निशांत:- हमे बहुत बुरा लगा।


आर्यमणि:- आराम से सब शाम को बताऊंगा ना। फिलहाल मुझे अपने शर्ट से एलर्जी हो रही है। निशांत पुरानी आदत बरकरार है या बदलाव है।


निशांत:- सब वैसा ही है। पैंट के ऊपर टी-शर्ट अच्छा नहीं लगेगा। जाओ पूरा चेंज कर आओ।


आर्यमणि वहीं कैंटीन के किचेन में जाकर चेंज कर आया। जबतक लौटा तबतक क्लास का टाइम भी हो चुका था। चित्रा और निशांत उससे जानकारी लेने लगे पता चला ये लोग 1 साल अब सीनियर हो चुके हैं।


लगभग 2 बजे तक सभी क्लास समाप्त हो गए। पलक को बाय बोलकर चित्रा और निशांत दोनो आर्यमणि के साथ चलने लगे… तीनों कॉलेज में ही पीछे के गार्डन में बैठ गए।


निशांत:- बहुत सारे सवाल है यार, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तुम्हे हम सब के संपर्क करने की एक जारा इक्छा नहीं हुई।


चित्रा:- और हां, हूं वाला जवाब कतई नहीं देना।


आर्यमणि:- "कॉन्टैक्ट तो मै भी करना चाहता था लेकिन यूएस में मेरा किडनैप हो गया। फसा भी कहां तो फॉरेस्ट में। वो फॉरेस्ट नहीं, बल्कि मेरे ज़िन्दगी का ब्लैक हिस्सा बन गया। हर पल खुद के सर्वाइवल के लिए मुझे जूझना पड़ता था। मेरे पास कोई तैयारी नहीं थी और बिना तैयारी के मुझे रोज जानवरो के झुंड से सामना करना पड़ता था।"

"हां वो अलग बात है कि वहां के सर्वाइवल इंस्टिंक्ट ने मेरे शरीर को काफी स्ट्रॉन्ग बाना दिया, ये एक अच्छी चीज मै लेकर आ रहा हूं। लेकिन जब वहां था तो बस एक ही बात दिमाग में थी, क्या मै तुम सब से कभी मिल पाऊंगा? उस रात चित्रा का दिल दुखाया, तुम दोनो जा रहे थे और ठीक से मिला भी नहीं, ऐसा लगा जैसे मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी हो।"

"जान बचाने के क्रम में एक ही बात अक्सर सताया करती थी जो कभी मैं कह नहीं सका अपने पापा से, कि मै उनसे कितना प्यार करता हूं। मां के गोद की अकसर याद आया करती थी। तुम लोग के चेहरे हमेशा आखों के आगे घूमते रहता और खुद से ही सवाल करता, क्या मै तुम दोनों से मिलकर कभी ये कह पाऊंगा की तुमसे जब दूर हआ तो ऐसा लगा जिंदगी ही अधूरी है।"


निशांत:- हमारा भी यही हाल था आर्य। जितनी दूरियां नहीं अखरती, उस से कहीं ज्यादा बात ना करना अखरता है। मुद्दा ये नहीं था कि तुमसे बात नहीं हुई, बस दिल में डर बाना रहता था, क्या हुआ जो बात नहीं करता। या तो अपनी नई दुनिया में मस्त हो गया या किसी बड़ी मुसीबत में है।


चित्रा:- और तुम वाकई में मुसीबत में थे। हमे माफ कर दो, तुम्हारे बहुत ही बुरे वक़्त में हम तुम्हारे साथ नहीं थे। अंकल आंटी से मिले या नहीं।


आर्यमणि:- 10 दिन पहले आया। सबसे पहले सीधा गंगटोक ही गया था। इस बार उनसे भी कुछ नहीं छिपाया। पापा से बोल दिया मैंने, भले ही मै उनसे बहुत बहस करता हूं लेकिन वो हमेशा मेरे रोल मॉडल ही रहेंगे। मै उनसे बहुत प्यार करता हूं। यही बात मैंने अपनी मम्मी से भी कहा। यही बात मै तुम दोनो से भी कहता हूं।


निशांत:- ज्यादा इमोशनल होने की जरूरत नहीं है, अभी जरूरत है एक पार्टी की। आज रात डिस्को?


आर्यमणि:- नहीं आज कोई प्रोग्राम नहीं। चित्रा के साथ हम दोनों ने क्या किया था याद है ना, इसलिए आज तो चित्रा बोलेगी।


चित्रा:- नहीं कोई गिला-शिकवा नहीं। हम तो यहां सुरक्षित थे, पता नहीं तुमने उस फॉरेस्ट में कैसे दिन झेले होंगे, जाओ तुम दोनो।


निशांत:- हां तो आज ये फाइनल रहा, डिस्को।


आर्यमणि:- 1 हफ्ते बाद की प्लांनिंग रखो ना। अभी यहां थोड़ा सैटल हो जाऊं। गंगटोक से लौटा हूं तो सीधा कॉलेज आ गया, जबकि मासी और मौसा का फोन पर फोन आए जा रहा है।


चित्रा:- हां ये भी सही है। चलो चला जाए, तुम आराम से यहां सैटल हो लो, उसके बाद तो फन और मस्ती चलती रहेगी।


तीनों वहां से एक दूसरे को अलविदा कहकर घर लौट गए। 3 बजे के करीब आर्य घर पर पहुंचा। वो अपने कमरे में जा ही रहा था कि तभी रिचा के कमरे से उसके चिल्लाने की आवाज़ आयी। आर्यमणि उसके कमरे में दौर कर पहुंचा, और सामने का नजारा देखकर उतनी ही तेजी से दरवाजा बंद करके निकल गया।… तभी अंदर से आवाज़ आयी… "ओय शर्माए से लड़के आ जाओ, ऐसे मै 100 लोगो के बीच प्रैक्टिस करती हूं।"..


दरसअल रिचा स्पोर्ट्स ब्रा और माइक्रो मिनी शॉर्ट्स में थी। जिसे देखकर आर्यमणि दरवाजा बंद कर चुका था। वापस से अंदर आते… "वो बस चिल्लाने कि आवाज़ सुनकर मै आ गया था, जा रहा हूं।"


रिचा:- अब आ गए हो तो बैठो और देखकर बताओ मै कैसा कर रही हूं।


आर्यमणि अपना सर हां में हिलाया और रिचा को देखने लगा। रिचा अपने हाथ की "साय वैपन" को बड़ी तेजी में घुमाई और हवा में हमला करना शुरू कर दी। हमले कि प्रैक्टिस करती हुई कहने लगी… "हम हमलवार श्रेणी में आते है। मर्टियल अर्ट के दौरान हमे ये तरह-तरह के हथियार चलना सिखाया जाता है।"..


रिचा अपने गति का प्रदर्शन करती 360⁰ पर घूम-घूम कर दोनो हाथ को इस एंगल से घुमा रही थी जिसमे एक हाथ सीने से लेकर गर्दन तक हमला करता तो दूसरा हाथ कमर से लेकर पेट तक। हाथ का ऐसा संतुलन बना था कि जब बायां हाथ ऊपर होता तो दायां नीचे, और इसी प्रकार जब दायां ऊपर होता तो बाएं नीचे। 360⁰ रोल के वक़्त भी ऐसा ही होता, एक हाथ कमर के ऊंचाई पर रहता तो दूसरा हाथ गर्दन की ऊंचाई पर।


रिचा लगातार अपनी प्रेक्टिस दिखाती हुई, उसे हथियारों के बारे में जानकारी देती रही। वो जो चला रही थी एक इजिप्टियन हथियार साय थी। जो बेहद ही हल्का, उतना ही मजबूत और चलाने में आसान। उसके बाद कटाना और अन्य हथियारों के बारे में बताने लगी।


आर्य:- अच्छा नाच लेती हो। इस हथियार के साथ, तुम्हारा नाचना देखकर ही दुश्मन हथियार डाल देते होंगे।


रिचा:- हूं, अच्छा कॉम्प्लीमेंट था। चलो कहीं घूमकर आते है।


आर्य:- ठीक है मैम.. वैसे कहां चल रहे है..


रिचा:- महाराष्ट्र और एमपी के बॉर्डर की पहाड़ियों पर। जाओ कुछ हल्का और स्पोर्ट्स वाले कपड़े पहन आओ, जबतक मै भी फ्रेश होकर चेंज कर लेती हूं।


आर्य:- क्यों ये 100 लोगों के सामने नहीं करती क्या?


रिचा:- 100 लोगो के सामने तो कभी नहीं की लेकिन आज जहां चल रहे है, वहां यदि तुम डरे नहीं तो तुम्हारे सामने ये कारनामे कर सकती हूं। पर शर्त ये है कि केवल आखों से नजारा लोगे।


आर्य:- हा हा हा हा.. तुम शर्त हार जाओगी।


रिचा:- कोई नहीं देख ही लोगे तो कौन सा मै घट जाऊंगी.. लेकिन शर्त हार गए तो।


आर्य:- शर्त हार गया तो मै, तुम्हे अपना न्यूड शो दिखा दूंगा।


रिचा:- मै किड्स शो नहीं देखती। यदि तुम वहां डर गए तो मेरे शागिर्द बनोगे, बोलो मंजूर।


आर्य:- शागिर्द बनने की प्रोमिस कर सकता हूं लेकिन प्रहरी नहीं बनूंगा, ये पहले बता देता हूं। मै अभी तैयार होकर आया।


आर्य झटाक से गया और फटाक से तैयार होकर चला आया। थोड़ी देर बाद रिचा भी तैयार होकर आ गई। बिल्कुल किसी शिकारी की तरह उसका ड्रेसअप था। नीचे काले रंग की चुस्त पैंट, ऊपर काले रंग की चुस्त स्लीवलेस छोटी टी-शर्ट जिसमें कमर और पेट के बीच का 3 इंच का हिस्सा दिख रहा था और उसके ऊपर एक छोटी सी लैदर जैकेट। इन सबके अलावा पूरे कपड़ों में तरह–तरह के हथियार लगे हुए थे। जबकि रिचा, आर्यमणि को शॉर्ट्स और स्लीवलेस टीशर्ट में देखकर हंस रही थी।
Shandar भाई
 

andyking302

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भाग:–14



दोनो गराज के ओर चल दिए। रिचा गराज खोलकर फोर्ड के किसी भी मिनी पिकअप ट्रक को निकालने के लिए बोली, तबतक वो गराज के बाएं हिस्से का शटर खोलकर रसियन मेड शॉर्ट गन और खास पाउडर में डूबी हुई उसकी गोलियां रख ली। साथ में एक जर्मन मेड पिस्तौल भी रखी, और इसकी भी गोलियां खास पाउडर में डूबी थी।


आर्य पिकअप बाहर निकालकर वहीं दरवाजे के पास खड़ा था। रिचा उसे देखकर हंसती हुई कहने लगी… " तुम्हारे यहां आने पर हमने प्रतिबंध नहीं लगाया है।"


आर्य:- ये बुलेट किस पाउडर में डूबी है।


रिचा:- बुलेट किसी पाउडर में नहीं डूबी, बल्कि बुलेट के अंदर यही पाउडर डाला गया है। इसे वुल्फबेन कहते है। एक बार किसी भी वुल्फ को गोली मार दिए, फिर जैसे ही ये पाउडर ब्लड फ्लो से होते हुए उसके हृदय में पहुंचेगा, वो मारा जाएगा।


आर्य:- प्रहरी और उसके जॉब। मै आज तक इतने जंगलों में रहा, लेकिन मुझे तो कोई वेयरवुल्फ नहीं मिला।


रिचा:- आज मिल जाए तो घहबराना मत।


रिचा ने हथियार से भरा बैग पिकअप में रखा और दोनो चल दिए एमपी और नागपुर के बॉर्डर पर पड़ने वाले जंगलों में। एक मीटिंग प्वाइंट पर गाड़ी रुकी और एक एक करके 6 कीमती विदेशी मिनी ट्रक वहां आकर लग गई।


रिचा जैसे ही एक लड़के से मिली, झटककर उसकी बाहों में जाकर उसके होंठ को चूमती हुई कहने लगी… "फिर कभी ये पल हो ना हो।".. दोनो ये लाइन कहते हुए अलग हो गए और रिचा उस लड़के का परिचय करवाती हुई… "आर्य इनसे मिलो ये है मानस, मेरे होने वाले पति। मानस ये है आर्य, भाभी का भाई।"


मानस:- आर्य, ये कैसे गेटअप में आए हो।


रिचा:- मानस ये वही कुलकर्णी के परिवार से है।


रिचा ने बड़े ही धीमे कहा था लेकिन आर्यमणि के कान तो कई मिल दूर की आवाज़ को सुन सकते थे, फिर ये तो पड़ोस में ही खड़े थे। रिचा की बात सुनकर मानस ने मुंह बनाकर आर्यमणि को नीचे से ऊपर देखा और वो लोग अपने काम में लग गए।


सभी के एक हाथ में एक रॉड था, जिसका ऊपर का सिरा गोल और नीचे पतली नुकली धातु लगी थी, जिसके सहारे ये लोग उस रॉड को जमीन में गाड़ रहे थे। इस रोड से एक सुपर साउंड वेभ निकलती, जो किसी भी सुपरनैचुरल को सर पकड़कर वहीं बैठने पर मजबूर कर दे।


जंगल को प्वाइंट किया गया और ये सभी 6 लोग आर्य को गाड़ी के पास रहने का बोलकर अपने काम में लगे रह गए। आर्यमणि वहीं खड़ा था कि तभी उत्तर कि दिशा से उसे तीन लोगों की बू आनी शुरू हुई, जानी पहचानी और जिसमें से एक के डरने की बू थी।


आर्यमणि इधर–उधर देखा, और गायब होने वाली रफ्तार से दौड़ लगा दिया। जंगल में लगभग अंधेरा हो चुका था। आर्य अपनी सुपरनैचुरल आखों से चारो ओर देखने लगा। बिल्कुल फोकस। तभी कुछ दूरी पर उसे 2 सैतान नजर आने लगे। 2 शेप शिफ्टर वेयरवुल्फ जो अपने ही जैसे किसी शेप शिफ्टर को जकड़ रखा था और दोनो कंधे के ऊपर से, गर्दन में दांत घुसाकर उसका गला फाड़ने ही वाले थे।


आर्यमणि रफ्तार से वहां पहुंचा और धाराम से जाकर एक से टकराया। आर्यमणि जिस वेयरवुल्फ से टकराया वह जाकर कहीं दूर गिरा। दूसरा वेयरवुल्फ अपने शिकार को छोड़कर आर्यमणि पर अपना पंजा चलाया। एक ओर से, बड़े से क्ला वाला पंजा आर्यमणि के चेहरे के ओर बढ़ रहा था, ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने अपना मुक्का ठीक उसके बड़े से पंजे के बीच चला दिया। हथेली के बीच आर्यमणि का पड़ा मुक्का बड़ा ही रोचक परिणाम लेकर आया और उस वेयरवॉल्फ का कलाई पूरा टूट गया।


आर्यमणि उसके टूटे कलाई को पकड़ कर उल्टा मोड़ दिया। कड़ाक की आवाज में साथ, हाथ की हड्डियां आंटा बन गई। आर्य ने अपने पाऊं उठाकर उसके जांघ पर पूरे जोर से मारा। उसके जांघ की हड्डी टूट गई और पाऊं मांस के सहारे लटक गया। आर्यमणि ने वुल्फ को ऐसा तड़पाया था कि वह वेयरवोल्फ दर्द से बिलबिलाता अपनी मुक्ति की दुआ ही कर रहा था।

आर्यमणि उसे और ज्यादा न तड़पाते हुए, उसके हाथ को खींचकर उसे अपने करीब लाया और उसके गर्दन को जोर से गोल (360⁰) घूमाकर नचा दिया। आर्यमणि जैसे ही हाथ छोड़ा, उसका पार्थिव शरीर भूमि पर गिर रहा था। वहीं पहला वेयरवुल्फ जो आर्यमणि से टकराकर गिरा था, उसकी पसलियां टूटी थी और कर्राहती आवाज़ में "वूंउउउ" के वुल्फ साउंड के सहारे, अपने साथियों को बुला रहा था। आर्यमणि कर्राहते हुए वुल्फ के पास पहुंचा, उसके गर्दन को भी झटके में 360⁰ घुमाते हुए उसका भी राम नाम सत्य कर दिया।


वह लाचार सी वुल्फ जिसपर जानलेवा हमला हुआ था, अब सिकंजे से आज़ाद थी। वह आश्चर्य से आर्यमणि को देख रही थी, मानो जानने को कोशिश कर रही हो कि कैसे आर्यमणि ने 2 अल्फा वेयरवुल्फ को इतनी आसानी से मार दिया। आर्यमणि उसके चेहरे के भाव को भली भांति समझते.… "इतना मत सोचो की मैंने इन्हें कैसे मारा... तुम तो बस अपने जिंदा रहने की खुशी मनाओ"…


"ओह हां जिंदा रहने की खुशी माननी है।"… इतना कह कर वह वुल्फ झपटकर आर्यमणि के ऊपर आयी और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी। आर्य उसे खुद से थोड़ा दूर करते… "तुम लड़की हो ना"… उसने "हां" .. में अपना सर हिलाकर जवाब दिया।.. "किस्स करो लेकिन पीछे गले पर नाखून मत चूभो देना वरना आत्महत्या करना होगा।"


"डरो मत मै एक बीटा हूं।".. कहती हुई उस लड़की ने आर्य को चूमना शुरू किया और अपने हाथ आर्यमणि के नितम्बो पर ले जाती, उसे अपने मुट्ठी में जकड़ ली।.. आर्य उससे अलग होते हुए…. "तुम तो पूरे मूड में आ गई। अभी-अभी तो जान बची है, फिर क्यों मरने कि इक्छा है।"..


लड़की:- मरने की नहीं तुम्हे थैंक्स कहने कि इक्छा है।


आर्यमणि:- शिकारी यहां पहुंच गए है, तुम निकलो यहां से। वरना, मै तुम्हे बचा नहीं पाऊंगा। ज़िन्दगी रही और फिर कभी मिले तो फुरसत से तुम मुझे थैंक्स कहना। और हां वहां अंधेरा नहीं होगा।


लड़की दोबारा आर्य के होंठ को चुमती…… "दोबारा मिलने के लिए अपना नंबर तो दो। कॉन्टैक्ट कैसे करूंगी।"


आर्य:- नंबर दूंगा लेकिन एक शर्त पर। पहले तुम संदेश दोगी, और मै फ्री हुआ तो तुम्हे कॉल करूंगा।


लड़की:- कितने संदेश भेजने के बाद कॉल करोगे..


आर्य:- रोज 1 संदेश भेज देना, जिंदगी ढलने से पहले कभी ना कभी संपर्क कर ही लूंगा।


लड़की हंसती हुई आर्य का नंबर ले ली और एक बार फिर उसके होंठ को चूसती… "पहली बार किसी के होंठ चूमने में इतना मज़ा आ रहा है। मुझे ज्यादा तड़पाना मत।"… कहती हुई वो वहां से चली गई। आर्य को भी लग गया वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी पहुंचते ही होंगे, इसलिए वो भी वहां से भगा और जाकर गाड़ी के पास खड़ा हो गया।


9 बजे के करीब सभी शिकारी गाड़ी के पास जमा हुए। उसके जाल में एक लड़की थी जो काफी एग्रेसिव थी। चारो ओर हाथ पाऊं मार रही थी। उसके चारो ओर सुपर साउंड वेभ वाला रॉड गारकर उसके तरंग छोड़ दिए। जैसे ही वो तरंग शुरू हुई, आर्य के सर में भी हल्का–हल्का दर्द होने लगा।


उसके धड़कन की रफ्तार बढ़ने लगी और ये रफ्तार इसी तरह से बढ़ती रहती तब यहां कुछ ऐसा होता जिसकी उम्मीद किसी ने भी नहीं की होती। आर्य पहाड़ की ऊंचाई पर था, उसने खुद को पहाड़ की ऊंचाई से लुढ़का लिया और वेभ के रेंज से बाहर निकल आया।


रिचा:- मानस, ये आर्य तो इस कुतिया का अग्रेशन देखकर ही पहाड़ से लुढ़क गया। मेरी भाभी को बड़ा विश्वास था अपने भाई पर। सुनेगी तो बेचारी का दिल टूट जाएगा।


मानस:- भूमि सुनेगी तो तुम्हे दौड़ा-दौड़ा कर मारेगी।


रिचा:- उसका दौड़ और राज करने का समय चला गया मानस, भूमि 10 साल के लिए एक्टिव नहीं रहेगी। अब उसे बच्चा चाहिए। इसलिए विश्वा का होने वाला जमाई ही अध्यक्ष होगा और ये पूरी सभा हमारे इशारे पर नाचेगी।


तेनु, रिचा का एक साथी… "और उस राजदीप, नम्रता और पलक का क्या, जिसे भूमि अपने पीछे छोड़े जाएगी और तेजस को क्यों भुल जाते हो।"..


रिचा:- एक बार सभा हमारे हाथ में आने दो। मुझे जयदेव का उतराधिकारी घोषित तो होने दो। फिर देखना हम एक-एक करके कैसे सबको गायब करते है। कहने को तो ये सभा सबका है। यहां कोई भी बड़े औहदे पर हो सकता है लेकिन शुरू से राज तो भारद्वाज का ही चलता आ रहा है।


तेनु:- हां सही कही। विश्वा काका अध्यक्ष है तब भी एक भारद्वाज ही बोलती है। इस से पहले जयदेव कॉर्डिनेटर था और पर्ण जोशी अध्यक्ष, तब तेजस बोला करता था। उस से पहले तो खैर उज्जवल भारद्वाज अध्यक्ष था और वो भी किसी को नहीं बोलने देता था।


पंकज:- कोई किसी भी पद पर रहे पुरा प्रहरी समूह में केवल भारद्वाज ही बोलते है। लेकिन अब वक़्त बदलना चाहिए, हालात बदलने चाहिए और भारद्वाज के ऊपर से विश्वास बदलना चाहिए।


रिचा:- केवल मानस को अध्यक्ष हो जाने दो फिर ऐसा मती भ्रमित करूंगी की भारद्वाज खुद किनारे हो जाएंगे, बस नम्रता और उस राजदीप की शादी किसी तरह मुक्ता और माणिक से तय करवानी है।


आर्य जो इनके रेंज के बाहर गिरा था, इनकी बातें सुनकर हंसने लगा और अपनी जगह आराम से लेटा रहा। थोड़ी देर बाद ये लोग आए और आर्य को ढूंढने लगे। आर्य के बेहोश देखकर उन्होंने पानी का छींटा मारा और आर्य चौंक कर जाग गया।…. "क्यों सर कहीं से गीला और पिला तो नहीं कर दिए।"..


आर्यमणि अपनी हालात देखकर अपने ऊपर लगे धूल मिट्टी को झारने लगा, किन्तु पानी पड़ जाने के कारण वो और चिपचिपी हो चुकी थी। आर्यमणि, रिचा की बात का जवाब ना देकर चुपचाप अपनी गाड़ी के ओर जाने लगा। तभी उनमें से एक ने कहा… "ये वही वर्धराज कुरकर्णी का पोता है ना जिसका दादा ने डर के मारे एक वेयरवुल्फ को भगा दिया और बाद में कहानी बाना दिया कि उसे प्यार हो गया था"..


रिचा उसपर चिल्लाती हुई… "प्रहरी के नियम यहां कोई ना भूले तो ही अच्छा होगा। हम किसी का तिरस्कार नहीं करते। चलो आर्य।"


आर्य:- हम्मम !


दोनो मिनी ट्रक में सवार होकर वहां से निकल गए। रात में 11.30 बज रहे थे, जब रिचा उसे लेकर घर पहुंची। आर्यमणि की हालत देखकर भूमि उसके पास पहुंची…. "ये सब क्या है, सुनी तू डर के मारे पहाड़ से गिर गया।"..


आर्यमणि:- नहीं दीदी मेरा पाऊं फिसल गया था। पता नहीं वो किस तरह का साउंड था, बड़ा ही अजीब। मैने सोचा जाकर गाड़ी में बैठ जाऊं और इन्हीं चक्कर में मै गिर गया।


इतने में रिचा भी गाड़ी पार्क करके आ चुकी थी… "क्यों रिचा गलत अफवाह हां"..


रिचा:- कांच की गुड़िया है ये तो भाभी, मुझे शॉर्ट और सपोर्ट ब्रा में देखकर इसके पसीने छुटने लगे। दरवाजा से अंदर घुसा और बाहर भगा। मर्द बनाने ले गई थी इसे। और अब शर्त के मुताबिक ये मेरा शागिर्द बनेगा।


भूमि:- कैसी शर्त..


रिचा:- मै हारती तो इसे सैर पर लेकर जाना था इसकी नैन प्रिया नजारे दिखाने, और ये हारता तो मेरा शागिर्द बनता। ये शर्त हार चुका है और डील के मुताबिक़ ये मेरा शागिर्द बनेगा।


भूमि:- शर्त अगर हार गया है तो आर्य तुम्हे ये करना होगा।


आर्य:- दीदी मै नहीं डारा था, मेरे पाऊं फिसल गए थे।


रिचा:- मेरे पास 5 गवाह है।


आर्य:- 5 लोग एक ही झूट को बोले तो तो क्या वो सच हो जाएगा। मै अभी प्रूफ कर दूंगा कि रिचा गलत बोल रही है।


रिचा:- करो प्रूफ।


आर्य:- तुम जब उस विकृत लड़की को लेकर आ रही थी तब तुमने मेरे चेहरे की भावना पढ़ी थी?


रिचा:- नहीं।


आर्य:- क्या मै उस लड़की के डर से चिल्लाया था या कुछ पूछा था?


रिचा:- नहीं।


आर्य:- वो रॉड जो तुमने जमीन में गाड़ा उसे पहली बार सुनो तो हम पर क्या असर होगा।


रिचा:- इंसानी दिमाग पर भी उसका गहरा असर होता है यदि कोई पहली बार सुन रहा हो तो धड़कन बढ़ना, बेचैनी और घबराहट।


भूमि:- रिचा तो 30 दिन लगातार सुनी, तब कहीं जाकर सामान्य रहने लगी।


आर्य:- और उससे पहले।


भूमि:- उल्टियां। पहले पुरा दिन होता था। फिर धीरे-धीरे कम होता गया।


आर्य:- शर्त मै जीता हूं, आप दोनो ही अब फैसला करो… मै चला, सुबह मुझे कॉलेज जाना है।


आर्यमणि अगली सुबह जब कॉलेज पहुंचा तब फिर से कोई अन्य सीनियर आर्यमणि के पास पहुंच गया और बीच ग्राउंड में रुकवाकर उसके शर्ट पर अपने मुंह का गुटखा थूक दिया। आर्यमणि वहां से चुपचाप निकल गया और वाशरूम जाकर बैग से दूसरा कपड़ा निकालने के लिए बैग का चैन खोला ही था, कि किसी ने बाहर से उसके ऊपर एक पत्थर दे मारा। कौन मारा, कहां से मारा किसी को पता नहीं, नाक टूट गई और वो अपने रुमाल से खून को साफ करने लगा।


वो कपड़े बदल कर चुपचाप आया, और अपने क्लास में चला गया। क्लास में सभी लड़के-लड़कियां उसके ऊपर हंस रहे थे। गुटके के पिचकारी वाली वीडियो पूरे कॉलेज में वायरल हो गई थी। आर्यमणि मुसकुराते हुए अपनी क्लास अटेंड किया, तभी उसके मोबाइल पर मैसेज आया।


नंबर किसी घोस्ट के नाम से रजिस्टर था और अंदर संदेश… "सुबह-सवेरे अपनी इंसानी आखों से तुम्हे देखी। जी किया तुम्हे निचोड़ डालूं और महीने दिन पुरा मज़ा करने के बाद तब कहूं, अभी के लिए दिल भर गया, कभी-कभी मेरी प्यास मिटा देना। लेकिन शायद अभी तुम मिलना ना चाहो।"..


आर्य टाइप करते… "और तुम्हे ऐसा क्यों लगा।"..


घोस्ट:- जिस तरह तुम्हारे ऊपर किसी ने पिचकारी उड़ाई है, तुम्हारे हाव-भाव से लगता है तुम खेलने के मूड से हो। उन्हें पुरा हावी होने का मौका दोगे। जैसे कोई बड़ा शिकारी करता है। खेल के रचयता का जबतक पता नहीं लगता तबतक तो तुम एक्शन नहीं लेने वाले।


आर्य:- तुम्हे कैसे पता की मै ऐसा करने वाला हूं।


घोस्ट:- क्योंकि कल पहाड़ी से तुम्हारा जान बुझ कर गिरना और वो लोग जो तुम्हारे बराबर कहीं टिकते ही नहीं है उनकी सुनना। इससे ये साफ जाहिर है कि तुम खेल का पूरा मज़ा लेते हो। वरना अपने दादा के नाम का मज़ाक उड़ते हुए कौन सहता है।


आर्य:- फिर तो तुम्हे भी पता चल गया होगा कि ये पुरा कांड कौन रच रहा है।


घोस्ट:- तुम मेरे साथ खेल ना ही खेलो। तुम रिचा को कभी रचयिता मान ही नहीं सकते, यदि ऐसा होता तो अब तक यहां भूचाल आ गया होता।


आर्य:- मेरे पैक का हिस्सा बनना पसंद करोगी।


घोस्ट:- लेकिन तुम मेरे जैसे नहीं हो।


आर्य:- लेकिन ग्रुप तो चाहिए ना।


घोस्ट:- तुम्हारी जान बचाई हुई है अंत तक तुम्हारे साथ रहूंगी। जब मिलूंगी तब रक्त प्रतिज्ञा लूंगी। आई एम इन..


आर्य:- बचकर रहना अब मेरी नजर कॉलेज में तुम्हे ढूंढेगी। और हां आगे क्या होने वाला है उसका अलर्ट नहीं भेजना मुझे। जारा सस्पेंस का मज़ा लेने दो।


घोस्ट:- जल्दी से ये खेल खत्म करो फिर हम अपना खेल शुरू करेंगे। बाय..


आर्य लगभग पूरी क्लास संदेश-संदेश ही खेलता रहा। क्लास ओवर होने के बाद वो सीधा कैंटीन पहुंचा, जहां उसके सभी दोस्त सुबह की बात को लेकर आक्रोशित थे। आर्यमणि से पूछते रहे की कौन था, और आर्य कहता रहा जिसने किया वो गलती से कर गया वीडियो बनाने वाले ने वायरल किया है। और इधर आर्यमणि को नीचा दिखाने के लिए कैंटीन में जो भी आता पुच वाला डमी एक्शन करके जा रहा था।




वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी और कहानी के प्रमुख पात्र के लिंक मैने स्टीकी पोस्ट पर डाल दिए हैं.. आप सब से अनुरोध है.. वहां एक झलक जरूर देख लें
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update
 

andyking302

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भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
शानदार जबरदस्त भाई
 
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