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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–20






परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...


राजदीप चला गया और भूमि कैंटीन में चली आयी। वो आर्यमणि के पास बैठती हुई…. "ये हड्डी का ढांचा कौन है।"… भूमि माधव को देखते हुए पूछने लगी।


चित्रा:- उसे हड्डी का ढांचा नहीं बुलाइए।


भूमि:- चित्रा बहुत बड़ी हो गई है। क्या कहती थी मुझसे.. दीदी जब मै नागपुर आऊंगी तब आपके साथ ही रहूंगी और वो आशिक़ कहां गया, मेरा दूसरा बॉयफ्रेंड.. क्यों रे उधर मुंह छिपाकर क्या कर रहा है, यहां इसे कोई मिली नहीं क्या अब तक?


निशांत:- कैसे मिलेगी, आर्य को बीएमडब्लू दी हो और मुझे भुल गई।


भूमि:- तेरा बाप क्या पैसे छाती पर लाद कर ले जाएगा। पिछले साल 182 करोड़ का आईटीआर फाइल किया था। अपने कंजूस बाप को बोल एक बाइक दिला दे।


चित्रा:- दीदी आपकी बात कौन टाल सकता है। आप ही पापा को बोल दो।


भूमि:- ये छोड़ी चुप क्यों है। पलक तुम मुझे पहचानती हो या नहीं।


पलक:- दीदी आप भी ना कैसी बातें कर रही हो। कैसी हो आप?


भूमि:- कैसी बातें क्या? मै आयी, यहां बैठी। तेरे मौसेरे भाई बहन मुझसे खुलकर बात कर रहे और तू मुझसे कतरा रही है। तेरी मां और चित्रा की मां दोनो सौतेली बहने है क्या?


पलक:- आप भी ना कैसी बातें कर रही हो दीदी।


भूमि:- कैसी बातें क्या, मै चित्रा की मां से मिली थी। उसने अपने बच्चे के मन में कभी जहर नहीं घोला, कि तेरे मामा की मौत के कारण मेरी जया मासी है। ये दोनो गहरे दोस्त है और एक बात, तेरी मां के चढ़ावे में आकर तेरा बाप मेरी मासी और मौसा से दुश्मनी निभा रहा है, लेकिन चित्रा की मां और जया मासी दोनो अच्छे दोस्त है, सुख दुख के साथी। क्यों चित्रा, क्यों निशांत मै गलत कह रही हूं क्या?


चित्रा:- दीदी बिल्कुल सही कहा आपने। जैसे आप छुट्टियों में आती थी गंगटोक, तेजस दादा आते थे, वहां महीनों रहते थे। वैसी ही मां भी कहती थी मासी से, दीदी बच्चो को भेज दो राकेश के पुलिस की नौकरी के कारण हम कहीं निकल नहीं पाते। तब मासी साफ माना मार देती, कहती तेरे घर के बगल में कुलकर्णी का घर है।


निशांत:- जानती हो दीदी, एक दिन मैंने पलक के कंधे पर हाथ रख दिया तो इसे ऐसा लगा जैसे किसी अनजान ने इसके कंधे पर हाथ रख दिया। हम बस नाम के दो सगी बहनों के बच्चे है, बाकी जान पहचान तो मानकर चलो की कॉलेज के कारण हुई है।


पलक:- नहीं ऐसी बात नहीं है।


चित्रा:- तो कैसी बात है। हां मानती हूं तुम हम सबसे समझदार हो लेकिन दिल प्यार मांगता है, समझदारी तो जिंदगी भर दिखा सकती हो। तुम बताओ क्या जैसे भूमि दीदी और आर्य के बीच का रिश्ता उसके 5% में भी है क्या हम लोग।


भूमि:- तुम तो ये कहती हो। इसकी मां का दबदबा ऐसा है कि उसने इन सबको सीखा कर रखा है, वो लोग तेरे थोड़े ना अपने है। तेरे दादा 2 भाई थे उसके 2 बच्चे हुए, और ये तीसरा जेनरेशन है। इनसे इतने क्लोज होने की क्या जरूरत। जबकि ये तो मेरे कंप्लीट ब्लड रिलेशन में हुए। एक ही शहर में आए हुए साल भर हो गए है लेकिन मिस ने एक कॉल तक नहीं किया।


पलक:- आप सब क्यों मेरी आई के बारे में इतना कह रहे। भूमि दीदी जैसे आप आर्य के लिए आज व्याकुल होकर यहां स्टूडेंट की लाश गिराने के लिए तैयार थी, वैसा ही हाल तो मेरी मां का भी है ना। आप आक्रोशित हो तो प्यार और वो आक्रोशित हो तो…


भूमि:- मीटिंग में तो तुम आती ही हो ना.. वहां क्या बताया जाता है.… परिस्थितियों से हारकर जो आत्महत्या करते है वो अक्षम्य अपराध है। यानी कि माफ ना करने योग्य गलती। उस आदमी ने आत्महत्या कि और अपने पीछे कई जलते लोगो को छोड़ दिया। भाई से प्रेम है इस बात का हम सब आदर करते है, तभी तो छोटे काका से मै बाहर मिलते रहती हूं, राजदीप मुझसे मिलने आता है। दादा से मिलता है। नम्रता मेरे नीचे काम कर रही है और इस मीटिंग में मै उसे अपना उतराधिकारी बना रही हूं। क्यों नहीं है कदर। उनकी भावना की कदर है तभी तो हम बाहर मिलते है, ताकि उनको दर्द का एहसास ना हो। हम सब मिलते है सिवाय तुम्हारे। अब तुम कह दो कि तुम्हे ये बात पता नहीं।


पलक:- मै जा रही हूं क्लास।


चित्रा:- अब कौन बीच मे छोड़कर जा रहा है।


पलक:- मुझे नहीं समझ में आ रहा की मै क्या जवाब दूं। दीदी ने ऐसी बात कही है जिसमें पॉजिटिव भी उनका है और नेगेटिव भी उन्हीं का। मै किस प्वाइंट को बोलकर तर्क करूं जबकि अभी मै खुद में ही गिल्ट फील कर रही हूं।


भूमि:- चल शॉपिंग करके आते है।


पलक:- मुझे कहीं नहीं जाना।


भूमि:- चित्रा मै तो थर्ड जेनरेशन में हूं, थोड़े दूर की बहन। तू ही कह, कहीं तेरी बात मान ले।


पलक:- कोई ड्रामे नहीं चाहिए। दीदी मै समझ गई दुनिया क्यों कहती है भूमि ने जो ठान लिया वो होकर रहता है।


भूमि:- और क्यों ऐसा कहती है..


पलक:- क्योंकि आप अपनी बात मनवाने में माहिर हो। चलती हूं मै आपके साथ।


भूमि:- ये हुई ना बात। चलो फिर सब..


माधव:- फिर क्लास का क्या होगा।


भूमि:- इस डेढ़ पसली को भी पैक करके लाओ, ये भी चलेगा।


आर्यमणि:- आप लोग जाओ दीदी मै जारा हॉस्पिटल होकर आता हूं। शायद 2 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए है।


भूमि:- ठीक है उन्हें देखकर सीधा दादा के मॉल आ जाना।


ये चारो एक साथ निकल गए और आर्यमणि चल दिया उन लोगों को देखने जिसे उसने पीटा था। कॉलेज के ऑफिस से पता करके आर्यमणि उन लड़कों के घर के ओर चल दिया।


जैसे ही उनके गली में बाइक घुसी, चारो ओर खून कि बू और कटे हुए बकरे लटक रहे थे। आस–पास ऐसे लोगो की भीड़, जिनसे आर्यमणि का पाला पहले भी पड़ चुका था। एक पूरी बस्ती, सरदार खान की बस्ती, जहां खून के प्यासे लोग चारो ओर थे। आर्यमणि चारो ओर के माहौल का जायजा लेते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था तभी एक लड़की अर्यमनि का हाथ पकड़कर कहने लगी… "मेरे साथ चलो और किसी से भी नजरें नहीं मिलाना।"..


आर्यमणि उसके साथ चला। बाज़ार की भीड़ से जैसे ही दोनो आगे बढ़े, वो लड़की आर्यमणि को एक कोने में ले गई और उसे दीवार से चिपकाते हुए…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए हो।"..


दोनो इतने करीब थे कि आर्यमणि उसकी धड़कने सुन सकता था। गले से प्रवाह होने वाले गरम रक्त को मेहसूस कर सकता था। उसके बदन कि खुशबू लड़की का पूरा परिचय दे रही थी। आर्यमणि अपना मुट्ठी बांधकर अपनी तेज धड़कन को धीरे-धीरे सामान्य करने लगा.. इतने में दोबारा वो लड़की पूछी…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए।"…


आर्यमणि, उसे खुद से थोड़ा दूर खड़ा करते ऊपर से नीचे तक देखने लगा… "तुम हमारे कॉलेज में पढ़ती हो। मुझे मारने आए लड़को के साथ तुम भी पीछे खड़ी थी। नाम क्या है तुम्हारा?


लड़की:- रूही..


आर्यमणि:- मुझे घेरकर मारने आए थे, बदले में मैंने उसे मारा। मुझे लगा गुस्से में बहुत गलत कर दिया मैंने, इसलिए यहां पता करने चला आया कि वो कौन से हॉस्पिटल में है।


रूही:- तुम बिल्कुल पागल हो। वो लोग नेचर हॉस्पिटल में एडमिट है। यहां से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां उनसे मिलना और चुपचाप चले जाना। कल कॉलेज आकर मै बात करती हूं।


आर्यमणि:- हम्मम !


आर्यमणि उसी रास्ते वापस जाने की सोच रहा था लेकिन रूही ने उसे दूसरे रास्ते से बाहर निकाला और दोबारा कहने लगी, "बस मिलना और चले जाना"। आर्यमणि उसकी बात पर हां में अपना सर हिलाते हुए नेचर हॉस्पिटल पहुंचा। वो समझ चुका था कि ये हॉस्पिटल इन लोगों का अपना हॉस्पिटल है।


आर्यमणि रिसेप्शन पर…. "मिस यहां 2 लड़का आज एडमिट हुआ होगा, नेशनल कॉलेज का है। एक के सीने की हड्डी टूटी है और दूसरे की पाऊं की। आपको कुछ आइडिया है।


वह लड़की ने आर्यमणि को घुरकर देखी और पहले माले के रूम नंबर 5 में जाने के लिए बोल दी। आर्यमणि के ठीक पीछे-पीछे रूही भी वहां पहुंची थी। रिसेप्शन पर खड़ी लड़की को देखकर रूही समझ गई यहां क्या होने वाला है। हवा की रफ्तार से वो आर्यमणि के पास जाकर खड़ी हो गई… "कैसी हो लिटा, और तुम जानू यहां क्यों आ गए, मना की थी ना मेरे दोस्त ठीक है तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं।"


वो रिसेप्शनिस्ट लिटा, रूही को हैरानी से देखती हुई…. "जानू, ये तेरा बॉयफ्रेंड है क्या?"


रूही:- कामिनी इस हैंडसम हंक को घूरना बंद कर और तुम क्या इसे देख रहे हो, चलो यहां से।


लिटा:- ये लड़का नॉर्मल दिख रहा है, तू कंफ्यूज दिख रही है, सच-सच बता ये तेरा बॉयफ्रेंड है या तू इसे बचना चाह रही है। जिस तरह से ये पूछ रहा था, मुझे तो पुरा यकीन है कि ये वही है जिसने रफी और मोजेक को मारा है।


रूही, रिसेप्शन काउंटर पर अपने दोनो हाथ पटकती… "हां ये वही है। और वो कॉलेज का लफड़ा था समझी। कंफ्यूज मै नहीं थी बल्कि ये साफ मन से आया था इसलिए घबरा रही थी। और अंत में, ये मेरा बॉयफ्रेंड है, इसका मतलब ये मेरे पहचान का है, इसे कुछ नहीं होना चाहिए।


लिटा:- ये बातें तू मुझे नहीं उन्हें समझा जो तेरे बॉयफ्रेंड को ओमेगा मानते है। एक अल्फा जिसके पास कोई पैक नहीं। और हां तू यहां बातें कर वो तो गया..


रूही जबतक मुड़कर देखती तबतक तो आर्यमणि गायब हो चुका था। रूही भागकर ऊपर पहुंची। …. "ओ खुदाया, ये सब क्या है।"


बीच के समय में… जैसे ही रूही आगे बढ़कर रिसेप्शन काउंटर पर अपने हाथ ठोकी, आर्यमणि उन लोगो से मिलने पहले माले पर चल दिया। पूरा पैसेज ही वूल्फ से भड़ा पड़ा था। आर्यमणि जैसे ही भिड़ से होकर अंदर घुसने कि कोशिश करने लगा, वहां खड़े वेयरवुल्फ को समझ में आ गया कि है यह हमारे बीच का नहीं है। आर्यमणि को पीछे धकेलते हुए लोग उसकी ओर मुड़ गए… "ए लड़के अभी तू जा यहां से इलाज चल रहा है। जब इलाज हो जाए तो आ जाना।"..


अभी एक आदमी आर्यमणि से इतना कह ही रहा था तभी एक लड़का चिल्लाया… "यही है वो अल्फा जिसने रफी और मोजेक को मारा है।"… बस इतना कहना था कि वहां पर सभी शेप शिफ्टर ने अपना शेप बदल लिया। किसी की चमकती पीली आखें तो किसी के चमकते लाल आंख। कान सबके बड़े हो गए और ऊपर से तिकोने। चेहरा खींचकर आधा इंसान तो आधा वुल्फ का बन गया।


"वूऊऊऊ" की आवाज़ निकालकर आगे बढ़े। 2 वेयरवोल्फ अद्भुत रफ्तार से दौड़कर अपने पंजे से आर्यमणि को फाड़ने की कोशिश। आर्यमणि दोनो की कलाई पकड़ कर उल्टा घुमाया और तेजी के साथ दोनो के सर को पहले आपस में टकराया और उसके बाद दाएं बाएं के दीवाल पर बारी-बारी से उनका सर दे मारा।


आर्यमणि उस छोटे से पैसेज में आगे बढ़ते हुए, किसी हाथ पकड़कर उसके पंजे के नाखून को उल्टा घूमाकर बड़े–बड़े राक्षस जैसे नाखून को तोड़कर जमीन में बिखेर देता, तो किसी का गला पकड़कर उसके पाऊं पर ऐसा मारता की वो अपने टूटे पाऊं के साथ कर्राहने लगता।


देखते ही देखते वो पुरा पैसेज घायलों के चींख और पुकार से गूंजने लगा। ज्यादातर लोगों की हालत ऐसी थी मानो वो चलती चक्की के बीच में आकर पीस गया हो। आर्यमणि ने ज्यादातर लोगों को दाएं और बाएं के पैसेज की दीवार से टकरा दिया था।


जैसे ही रूही उस पैसेज में पहुंची, अपने सर पर हाथ रखती…. "ओ मेरे खुदाया। आर्य तुमने क्या कर दिया।"


आर्यमणि उसके बातो का जवाब देने से ज्यादा जरूरी अंदर जाकर घायलों से मिलना समझा और वो रफी और मोजेक के कमरे में प्रवेश किया। जैसे ही आर्यमणि ने दरवाजा खोला, मोजेक जोर से चिल्लाया…. "यही है वो ओमेगा"


आर्यमणि:- यही बात बोलकर पीली और लाल चमकती आखों वाले ने मुझ पर हमला किया था। मैंने उनका क्या हाल किया वो जाकर देखो पैसेज में। क्यों जानू तुम कुछ कहती क्यों नहीं?


रूही, जो बिल्कुल पीछे खड़ी थी, और आर्यमणि उसके बदन की खुशबू से समझ गया था। रूही हड़बड़ाई और घबराई आवाज़ में… "मै जी वो बाबा"..


"ये लड़का कौन है रूही, और बाहर के पैसेज में क्या हुआ है जो ये दर्द भरी कर्राहटें निकल रही है।"…. एक रौबदार आवाज़ उस कमरे में गूंजती हुई.. जिसे सुनकर रूही के साथ-साथ मोजेक और रफी भी सिहर गए।


आर्यमणि अपने एक कदम आगे बढ़कर, अपनी उंगली उसके गले के साइड में उभरे हुए नाश पर उंगली फेरते कहने लगा… "तुम डरे हुए हो, और अपनी डर को छिपाने के लिए ये तेज आवाज़ निकाल रहे। तुमने सब सुना बाहर खड़े लोग ने जब मुझे ओमेगा कहा। और देखते ही देखते तुम्हारे 20-30 लोग और घायल हो गए।"

"मै नहीं जानता कि तुम मुझे ओमेगा क्यों कह रहे। मै नहीं जानता कि तुम्हारी आखें पीली या लाल कैसे हो जाती है। मै नहीं जानता तुमलोग रूप बदलकर कैसे इंसान से नर भेड़िए बन जाते हो। एक ही बात मै जनता हूं, महाकाल मेरे सर पर सवार होता है और मै सामने वाले को तोड़ देता हूं।"

"कॉलेज के झगड़े में इसका पाऊं गया। मुझे बुरा लगा कि गलती किसी और कि थी और आगे रहकर मार करने की सजा ये पा गया। अब बात यहीं खत्म करनी है या आगे बढ़ानी है तुम्हारा फैसला। चाहो तो पुरा गांव बुलाकर मुझे ओमेगा-ओमेगा कहते रहो और हड्डियां तुड़वाते रहो। या फिर इसे ये मानकर भुल जाओ की तुम वीर लोग कहीं मार करने गए और कोई तुमसे भी ज्यादा वीर मिल गया।"


आर्यमणि गंभीर से आवाज़ में सरदार खान के इर्द गिर्द घूमता अपनी बात कह रहा था और वो आदमी लगातार अपने माथे के पसीने को पोंछ रहा था। जैसे ही आर्यमणि की बात खत्म हुई…. "मेरा नाम सरदार खान है। ये पूरे इलाके का मुखिया। मुखिया मतलब हम जैसे पीली और लाल आखों वाले वुल्फ का मुखिया। हमे इंसान पहचानने में गलती हुई। मै ये बात यही खत्म करता हूं, इस विनती के साथ की तुमने जो यहां देखा वो किसी से नहीं कहोगे।"..


आर्यमणि:- अब तो आपकी बेटी का बॉयफ्रेंड हूं, यहां आना जाना लगा रहेगा। अब घर की बात थोड़े ना बाहर बताऊंगा, क्यों डार्लिंग।


रूही:- बाबा मै इसे बाहर छोड़कर आती हूं।


रूही ख़ामोश आर्यमणि के साथ चल दी। वो कदम से कदम मिलाकर चल भी रही थी और अपनी नजर त्रिछि करके आर्यमणि को देखकर मुस्कुरा भी रही थी। जैसे ही दोनो बाहर आए…. "तुम्हे जारा भी डर नहीं लगा, जब यहां के लोगों से अपना शेप शिफ्ट किया।"


आर्यमणि:- तुम भी तो उस रात शेप शिफ्ट की हुई थी घोस्ट। मै भूत, पिसाच, और दैत्यों के अस्तित्व में विश्वास तो रखता हूं, लेकिन मुझे घंटा उनसे डर नही लगता। शेप शिफ्टर के गॉडफादर श्री हनुमान जी मे विश्वास रखता हूं, फिर तुम लोग तो इनके सामने धूल के बराबर हो।


रूही:- तुम कमाल के हो मेरे बॉयफ्रेंड। मुझे पाहचना कैसे?


आर्यमणि, बाइक पर बैठते हुए… "जब तुम मेरे बिल्कुल करीब थी, तब मैंने तुम्हारी बढ़ी धड़कने मेहसूस की थी। इन धड़कनों से मै पहले भी परिचित हो चुका हूं। खैर मै कुछ मामले निपटाकर जल्द ही तुमसे मिलता हूं, तबतक जलते अरमान को थोड़ा और जला लो।"..


आर्यमणि, जैसे ही बाइक स्टार्ट करके जाने लगा… "ओय तत्काल बने मेरे बॉयफ्रेंड, अपनी गर्लफ्रेंड को एक बार देखकर बता तो दो कैसी लगी।"..


आर्यमणि "मस्त, सुपर हॉट... वैसे भी पता नहीं तुम लोगों की मां ने कौन सी जड़ी बूटी खाकर पैदा किया था, सब एक से बढकर एक। उसमे भी तुम तो कल्पना से पड़े हो" कहता हुआ चल दिया शॉपिंग पर सबको ज्वाइन करने। कुछ ही देर में आर्यमणि बिग सिटी मॉल में था। नीचे के सेक्शन में कोई नहीं था इसलिए आर्यमणि फर्स्ट फ्लोर पर जाने लगा।
Awesome updates
 

nain11ster

Prime
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Bai main ki keh riha ke ab jaldi se. 19 special fight update bhi de he doh. Dekhna laage kaise pashade apna patha
Sorry subah se lekar raat tak kafi vyast raha... I mean uthne ke baad se hi... Isliye baad me aaya wo update.
 

nain11ster

Prime
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Very Good Writing Bro.. This is my first Comment on this Platform Ever .... Waiting for college segment
Lust King ji :celebconf: swagat hai... Hope u read college segment... Time to move... Bus ek hi baat... Likhne me bahut mehnat lagti hai aur aapke comment uska mehntana hota hai... Enjoy the story
 

nain11ster

Prime
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Nice nice is do dhamakedar update ke bad aur bhi update aane wale hai kya
Aane wale tab the lekin nind aa gayi aur jab jaaga tab bhor khatm ho gaya tha aur kayi sare kaam sar par :D
 

nain11ster

Prime
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Barish hone wali thi but jaise hi fuhar pdi waise hi nain bhai ko nind a gyi ab bina unke jage ummid to na hi kr rhe hai kuki ye unke alawa koi aur kr na sakta. Hahaha
Us fuhaar wali barish me mujhe hi pneumonia ho gaya tha :D
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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भाग:–20






परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...


राजदीप चला गया और भूमि कैंटीन में चली आयी। वो आर्यमणि के पास बैठती हुई…. "ये हड्डी का ढांचा कौन है।"… भूमि माधव को देखते हुए पूछने लगी।


चित्रा:- उसे हड्डी का ढांचा नहीं बुलाइए।


भूमि:- चित्रा बहुत बड़ी हो गई है। क्या कहती थी मुझसे.. दीदी जब मै नागपुर आऊंगी तब आपके साथ ही रहूंगी और वो आशिक़ कहां गया, मेरा दूसरा बॉयफ्रेंड.. क्यों रे उधर मुंह छिपाकर क्या कर रहा है, यहां इसे कोई मिली नहीं क्या अब तक?


निशांत:- कैसे मिलेगी, आर्य को बीएमडब्लू दी हो और मुझे भुल गई।


भूमि:- तेरा बाप क्या पैसे छाती पर लाद कर ले जाएगा। पिछले साल 182 करोड़ का आईटीआर फाइल किया था। अपने कंजूस बाप को बोल एक बाइक दिला दे।


चित्रा:- दीदी आपकी बात कौन टाल सकता है। आप ही पापा को बोल दो।


भूमि:- ये छोड़ी चुप क्यों है। पलक तुम मुझे पहचानती हो या नहीं।


पलक:- दीदी आप भी ना कैसी बातें कर रही हो। कैसी हो आप?


भूमि:- कैसी बातें क्या? मै आयी, यहां बैठी। तेरे मौसेरे भाई बहन मुझसे खुलकर बात कर रहे और तू मुझसे कतरा रही है। तेरी मां और चित्रा की मां दोनो सौतेली बहने है क्या?


पलक:- आप भी ना कैसी बातें कर रही हो दीदी।


भूमि:- कैसी बातें क्या, मै चित्रा की मां से मिली थी। उसने अपने बच्चे के मन में कभी जहर नहीं घोला, कि तेरे मामा की मौत के कारण मेरी जया मासी है। ये दोनो गहरे दोस्त है और एक बात, तेरी मां के चढ़ावे में आकर तेरा बाप मेरी मासी और मौसा से दुश्मनी निभा रहा है, लेकिन चित्रा की मां और जया मासी दोनो अच्छे दोस्त है, सुख दुख के साथी। क्यों चित्रा, क्यों निशांत मै गलत कह रही हूं क्या?


चित्रा:- दीदी बिल्कुल सही कहा आपने। जैसे आप छुट्टियों में आती थी गंगटोक, तेजस दादा आते थे, वहां महीनों रहते थे। वैसी ही मां भी कहती थी मासी से, दीदी बच्चो को भेज दो राकेश के पुलिस की नौकरी के कारण हम कहीं निकल नहीं पाते। तब मासी साफ माना मार देती, कहती तेरे घर के बगल में कुलकर्णी का घर है।


निशांत:- जानती हो दीदी, एक दिन मैंने पलक के कंधे पर हाथ रख दिया तो इसे ऐसा लगा जैसे किसी अनजान ने इसके कंधे पर हाथ रख दिया। हम बस नाम के दो सगी बहनों के बच्चे है, बाकी जान पहचान तो मानकर चलो की कॉलेज के कारण हुई है।


पलक:- नहीं ऐसी बात नहीं है।


चित्रा:- तो कैसी बात है। हां मानती हूं तुम हम सबसे समझदार हो लेकिन दिल प्यार मांगता है, समझदारी तो जिंदगी भर दिखा सकती हो। तुम बताओ क्या जैसे भूमि दीदी और आर्य के बीच का रिश्ता उसके 5% में भी है क्या हम लोग।


भूमि:- तुम तो ये कहती हो। इसकी मां का दबदबा ऐसा है कि उसने इन सबको सीखा कर रखा है, वो लोग तेरे थोड़े ना अपने है। तेरे दादा 2 भाई थे उसके 2 बच्चे हुए, और ये तीसरा जेनरेशन है। इनसे इतने क्लोज होने की क्या जरूरत। जबकि ये तो मेरे कंप्लीट ब्लड रिलेशन में हुए। एक ही शहर में आए हुए साल भर हो गए है लेकिन मिस ने एक कॉल तक नहीं किया।


पलक:- आप सब क्यों मेरी आई के बारे में इतना कह रहे। भूमि दीदी जैसे आप आर्य के लिए आज व्याकुल होकर यहां स्टूडेंट की लाश गिराने के लिए तैयार थी, वैसा ही हाल तो मेरी मां का भी है ना। आप आक्रोशित हो तो प्यार और वो आक्रोशित हो तो…


भूमि:- मीटिंग में तो तुम आती ही हो ना.. वहां क्या बताया जाता है.… परिस्थितियों से हारकर जो आत्महत्या करते है वो अक्षम्य अपराध है। यानी कि माफ ना करने योग्य गलती। उस आदमी ने आत्महत्या कि और अपने पीछे कई जलते लोगो को छोड़ दिया। भाई से प्रेम है इस बात का हम सब आदर करते है, तभी तो छोटे काका से मै बाहर मिलते रहती हूं, राजदीप मुझसे मिलने आता है। दादा से मिलता है। नम्रता मेरे नीचे काम कर रही है और इस मीटिंग में मै उसे अपना उतराधिकारी बना रही हूं। क्यों नहीं है कदर। उनकी भावना की कदर है तभी तो हम बाहर मिलते है, ताकि उनको दर्द का एहसास ना हो। हम सब मिलते है सिवाय तुम्हारे। अब तुम कह दो कि तुम्हे ये बात पता नहीं।


पलक:- मै जा रही हूं क्लास।


चित्रा:- अब कौन बीच मे छोड़कर जा रहा है।


पलक:- मुझे नहीं समझ में आ रहा की मै क्या जवाब दूं। दीदी ने ऐसी बात कही है जिसमें पॉजिटिव भी उनका है और नेगेटिव भी उन्हीं का। मै किस प्वाइंट को बोलकर तर्क करूं जबकि अभी मै खुद में ही गिल्ट फील कर रही हूं।


भूमि:- चल शॉपिंग करके आते है।


पलक:- मुझे कहीं नहीं जाना।


भूमि:- चित्रा मै तो थर्ड जेनरेशन में हूं, थोड़े दूर की बहन। तू ही कह, कहीं तेरी बात मान ले।


पलक:- कोई ड्रामे नहीं चाहिए। दीदी मै समझ गई दुनिया क्यों कहती है भूमि ने जो ठान लिया वो होकर रहता है।


भूमि:- और क्यों ऐसा कहती है..


पलक:- क्योंकि आप अपनी बात मनवाने में माहिर हो। चलती हूं मै आपके साथ।


भूमि:- ये हुई ना बात। चलो फिर सब..


माधव:- फिर क्लास का क्या होगा।


भूमि:- इस डेढ़ पसली को भी पैक करके लाओ, ये भी चलेगा।


आर्यमणि:- आप लोग जाओ दीदी मै जारा हॉस्पिटल होकर आता हूं। शायद 2 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए है।



भूमि:- ठीक है उन्हें देखकर सीधा दादा के मॉल आ जाना।


ये चारो एक साथ निकल गए और आर्यमणि चल दिया उन लोगों को देखने जिसे उसने पीटा था। कॉलेज के ऑफिस से पता करके आर्यमणि उन लड़कों के घर के ओर चल दिया।


जैसे ही उनके गली में बाइक घुसी, चारो ओर खून कि बू और कटे हुए बकरे लटक रहे थे। आस–पास ऐसे लोगो की भीड़, जिनसे आर्यमणि का पाला पहले भी पड़ चुका था। एक पूरी बस्ती, सरदार खान की बस्ती, जहां खून के प्यासे लोग चारो ओर थे। आर्यमणि चारो ओर के माहौल का जायजा लेते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था तभी एक लड़की अर्यमनि का हाथ पकड़कर कहने लगी… "मेरे साथ चलो और किसी से भी नजरें नहीं मिलाना।"..


आर्यमणि उसके साथ चला। बाज़ार की भीड़ से जैसे ही दोनो आगे बढ़े, वो लड़की आर्यमणि को एक कोने में ले गई और उसे दीवार से चिपकाते हुए…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए हो।"..


दोनो इतने करीब थे कि आर्यमणि उसकी धड़कने सुन सकता था। गले से प्रवाह होने वाले गरम रक्त को मेहसूस कर सकता था। उसके बदन कि खुशबू लड़की का पूरा परिचय दे रही थी। आर्यमणि अपना मुट्ठी बांधकर अपनी तेज धड़कन को धीरे-धीरे सामान्य करने लगा.. इतने में दोबारा वो लड़की पूछी…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए।"…


आर्यमणि, उसे खुद से थोड़ा दूर खड़ा करते ऊपर से नीचे तक देखने लगा… "तुम हमारे कॉलेज में पढ़ती हो। मुझे मारने आए लड़को के साथ तुम भी पीछे खड़ी थी। नाम क्या है तुम्हारा?


लड़की:- रूही..


आर्यमणि:- मुझे घेरकर मारने आए थे, बदले में मैंने उसे मारा। मुझे लगा गुस्से में बहुत गलत कर दिया मैंने, इसलिए यहां पता करने चला आया कि वो कौन से हॉस्पिटल में है।


रूही:- तुम बिल्कुल पागल हो। वो लोग नेचर हॉस्पिटल में एडमिट है। यहां से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां उनसे मिलना और चुपचाप चले जाना। कल कॉलेज आकर मै बात करती हूं।


आर्यमणि:- हम्मम !


आर्यमणि उसी रास्ते वापस जाने की सोच रहा था लेकिन रूही ने उसे दूसरे रास्ते से बाहर निकाला और दोबारा कहने लगी, "बस मिलना और चले जाना"। आर्यमणि उसकी बात पर हां में अपना सर हिलाते हुए नेचर हॉस्पिटल पहुंचा। वो समझ चुका था कि ये हॉस्पिटल इन लोगों का अपना हॉस्पिटल है।


आर्यमणि रिसेप्शन पर…. "मिस यहां 2 लड़का आज एडमिट हुआ होगा, नेशनल कॉलेज का है। एक के सीने की हड्डी टूटी है और दूसरे की पाऊं की। आपको कुछ आइडिया है।


वह लड़की ने आर्यमणि को घुरकर देखी और पहले माले के रूम नंबर 5 में जाने के लिए बोल दी। आर्यमणि के ठीक पीछे-पीछे रूही भी वहां पहुंची थी। रिसेप्शन पर खड़ी लड़की को देखकर रूही समझ गई यहां क्या होने वाला है। हवा की रफ्तार से वो आर्यमणि के पास जाकर खड़ी हो गई… "कैसी हो लिटा, और तुम जानू यहां क्यों आ गए, मना की थी ना मेरे दोस्त ठीक है तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं।"


वो रिसेप्शनिस्ट लिटा, रूही को हैरानी से देखती हुई…. "जानू, ये तेरा बॉयफ्रेंड है क्या?"


रूही:- कामिनी इस हैंडसम हंक को घूरना बंद कर और तुम क्या इसे देख रहे हो, चलो यहां से।


लिटा:- ये लड़का नॉर्मल दिख रहा है, तू कंफ्यूज दिख रही है, सच-सच बता ये तेरा बॉयफ्रेंड है या तू इसे बचना चाह रही है। जिस तरह से ये पूछ रहा था, मुझे तो पुरा यकीन है कि ये वही है जिसने रफी और मोजेक को मारा है।


रूही, रिसेप्शन काउंटर पर अपने दोनो हाथ पटकती… "हां ये वही है। और वो कॉलेज का लफड़ा था समझी। कंफ्यूज मै नहीं थी बल्कि ये साफ मन से आया था इसलिए घबरा रही थी। और अंत में, ये मेरा बॉयफ्रेंड है, इसका मतलब ये मेरे पहचान का है, इसे कुछ नहीं होना चाहिए।


लिटा:- ये बातें तू मुझे नहीं उन्हें समझा जो तेरे बॉयफ्रेंड को ओमेगा मानते है। एक अल्फा जिसके पास कोई पैक नहीं। और हां तू यहां बातें कर वो तो गया..


रूही जबतक मुड़कर देखती तबतक तो आर्यमणि गायब हो चुका था। रूही भागकर ऊपर पहुंची। …. "ओ खुदाया, ये सब क्या है।"


बीच के समय में… जैसे ही रूही आगे बढ़कर रिसेप्शन काउंटर पर अपने हाथ ठोकी, आर्यमणि उन लोगो से मिलने पहले माले पर चल दिया। पूरा पैसेज ही वूल्फ से भड़ा पड़ा था। आर्यमणि जैसे ही भिड़ से होकर अंदर घुसने कि कोशिश करने लगा, वहां खड़े वेयरवुल्फ को समझ में आ गया कि है यह हमारे बीच का नहीं है। आर्यमणि को पीछे धकेलते हुए लोग उसकी ओर मुड़ गए… "ए लड़के अभी तू जा यहां से इलाज चल रहा है। जब इलाज हो जाए तो आ जाना।"..


अभी एक आदमी आर्यमणि से इतना कह ही रहा था तभी एक लड़का चिल्लाया… "यही है वो अल्फा जिसने रफी और मोजेक को मारा है।"… बस इतना कहना था कि वहां पर सभी शेप शिफ्टर ने अपना शेप बदल लिया। किसी की चमकती पीली आखें तो किसी के चमकते लाल आंख। कान सबके बड़े हो गए और ऊपर से तिकोने। चेहरा खींचकर आधा इंसान तो आधा वुल्फ का बन गया।


"वूऊऊऊ" की आवाज़ निकालकर आगे बढ़े। 2 वेयरवोल्फ अद्भुत रफ्तार से दौड़कर अपने पंजे से आर्यमणि को फाड़ने की कोशिश। आर्यमणि दोनो की कलाई पकड़ कर उल्टा घुमाया और तेजी के साथ दोनो के सर को पहले आपस में टकराया और उसके बाद दाएं बाएं के दीवाल पर बारी-बारी से उनका सर दे मारा।


आर्यमणि उस छोटे से पैसेज में आगे बढ़ते हुए, किसी हाथ पकड़कर उसके पंजे के नाखून को उल्टा घूमाकर बड़े–बड़े राक्षस जैसे नाखून को तोड़कर जमीन में बिखेर देता, तो किसी का गला पकड़कर उसके पाऊं पर ऐसा मारता की वो अपने टूटे पाऊं के साथ कर्राहने लगता।


देखते ही देखते वो पुरा पैसेज घायलों के चींख और पुकार से गूंजने लगा। ज्यादातर लोगों की हालत ऐसी थी मानो वो चलती चक्की के बीच में आकर पीस गया हो। आर्यमणि ने ज्यादातर लोगों को दाएं और बाएं के पैसेज की दीवार से टकरा दिया था।


जैसे ही रूही उस पैसेज में पहुंची, अपने सर पर हाथ रखती…. "ओ मेरे खुदाया। आर्य तुमने क्या कर दिया।"


आर्यमणि उसके बातो का जवाब देने से ज्यादा जरूरी अंदर जाकर घायलों से मिलना समझा और वो रफी और मोजेक के कमरे में प्रवेश किया। जैसे ही आर्यमणि ने दरवाजा खोला, मोजेक जोर से चिल्लाया…. "यही है वो ओमेगा"


आर्यमणि:- यही बात बोलकर पीली और लाल चमकती आखों वाले ने मुझ पर हमला किया था। मैंने उनका क्या हाल किया वो जाकर देखो पैसेज में। क्यों जानू तुम कुछ कहती क्यों नहीं?


रूही, जो बिल्कुल पीछे खड़ी थी, और आर्यमणि उसके बदन की खुशबू से समझ गया था। रूही हड़बड़ाई और घबराई आवाज़ में… "मै जी वो बाबा"..


"ये लड़का कौन है रूही, और बाहर के पैसेज में क्या हुआ है जो ये दर्द भरी कर्राहटें निकल रही है।"…. एक रौबदार आवाज़ उस कमरे में गूंजती हुई.. जिसे सुनकर रूही के साथ-साथ मोजेक और रफी भी सिहर गए।


आर्यमणि अपने एक कदम आगे बढ़कर, अपनी उंगली उसके गले के साइड में उभरे हुए नाश पर उंगली फेरते कहने लगा… "तुम डरे हुए हो, और अपनी डर को छिपाने के लिए ये तेज आवाज़ निकाल रहे। तुमने सब सुना बाहर खड़े लोग ने जब मुझे ओमेगा कहा। और देखते ही देखते तुम्हारे 20-30 लोग और घायल हो गए।"


"मै नहीं जानता कि तुम मुझे ओमेगा क्यों कह रहे। मै नहीं जानता कि तुम्हारी आखें पीली या लाल कैसे हो जाती है। मै नहीं जानता तुमलोग रूप बदलकर कैसे इंसान से नर भेड़िए बन जाते हो। एक ही बात मै जनता हूं, महाकाल मेरे सर पर सवार होता है और मै सामने वाले को तोड़ देता हूं।"

"कॉलेज के झगड़े में इसका पाऊं गया। मुझे बुरा लगा कि गलती किसी और कि थी और आगे रहकर मार करने की सजा ये पा गया। अब बात यहीं खत्म करनी है या आगे बढ़ानी है तुम्हारा फैसला। चाहो तो पुरा गांव बुलाकर मुझे ओमेगा-ओमेगा कहते रहो और हड्डियां तुड़वाते रहो। या फिर इसे ये मानकर भुल जाओ की तुम वीर लोग कहीं मार करने गए और कोई तुमसे भी ज्यादा वीर मिल गया।"


आर्यमणि गंभीर से आवाज़ में सरदार खान के इर्द गिर्द घूमता अपनी बात कह रहा था और वो आदमी लगातार अपने माथे के पसीने को पोंछ रहा था। जैसे ही आर्यमणि की बात खत्म हुई…. "मेरा नाम सरदार खान है। ये पूरे इलाके का मुखिया। मुखिया मतलब हम जैसे पीली और लाल आखों वाले वुल्फ का मुखिया। हमे इंसान पहचानने में गलती हुई। मै ये बात यही खत्म करता हूं, इस विनती के साथ की तुमने जो यहां देखा वो किसी से नहीं कहोगे।"..


आर्यमणि:- अब तो आपकी बेटी का बॉयफ्रेंड हूं, यहां आना जाना लगा रहेगा। अब घर की बात थोड़े ना बाहर बताऊंगा, क्यों डार्लिंग।


रूही:- बाबा मै इसे बाहर छोड़कर आती हूं।


रूही ख़ामोश आर्यमणि के साथ चल दी। वो कदम से कदम मिलाकर चल भी रही थी और अपनी नजर त्रिछि करके आर्यमणि को देखकर मुस्कुरा भी रही थी। जैसे ही दोनो बाहर आए…. "तुम्हे जारा भी डर नहीं लगा, जब यहां के लोगों से अपना शेप शिफ्ट किया।"


आर्यमणि:- तुम भी तो उस रात शेप शिफ्ट की हुई थी घोस्ट। मै भूत, पिसाच, और दैत्यों के अस्तित्व में विश्वास तो रखता हूं, लेकिन मुझे घंटा उनसे डर नही लगता। शेप शिफ्टर के गॉडफादर श्री हनुमान जी मे विश्वास रखता हूं, फिर तुम लोग तो इनके सामने धूल के बराबर हो।


रूही:- तुम कमाल के हो मेरे बॉयफ्रेंड। मुझे पाहचना कैसे?


आर्यमणि, बाइक पर बैठते हुए… "जब तुम मेरे बिल्कुल करीब थी, तब मैंने तुम्हारी बढ़ी धड़कने मेहसूस की थी। इन धड़कनों से मै पहले भी परिचित हो चुका हूं। खैर मै कुछ मामले निपटाकर जल्द ही तुमसे मिलता हूं, तबतक जलते अरमान को थोड़ा और जला लो।"..


आर्यमणि, जैसे ही बाइक स्टार्ट करके जाने लगा… "ओय तत्काल बने मेरे बॉयफ्रेंड, अपनी गर्लफ्रेंड को एक बार देखकर बता तो दो कैसी लगी।"..


आर्यमणि "मस्त, सुपर हॉट... वैसे भी पता नहीं तुम लोगों की मां ने कौन सी जड़ी बूटी खाकर पैदा किया था, सब एक से बढकर एक। उसमे भी तुम तो कल्पना से पड़े हो" कहता हुआ चल दिया शॉपिंग पर सबको ज्वाइन करने। कुछ ही देर में आर्यमणि बिग सिटी मॉल में था। नीचे के सेक्शन में कोई नहीं था इसलिए आर्यमणि फर्स्ट फ्लोर पर जाने लगा।
Bhumi Di ne to yha palak ko bhi apne lapete me le liya unki MA ke vyavhar ko leke, Vahi arya ka insab me chup rahna or uske dost ka arya ki bike ko leke taut marna... Inki Nokjhok dekh kr maza hi aa gya...
Ruhi Sardar khan ki beti hai sahi hai guru kisto me Ladkiya set kr rhe ho, kya hi drisya bna tha bhaya Sardar khan ke samne pahuch kr apne hi andaj me arya ne apni baat kahi or unke hi samne unki beti ko Gf bolkr nikal aaya... Superb amazing Jabardast bhai jhakkash update
 
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