अपडेट १७ , १८.
जामवंत जी का उल्लेख सतयुग से लेकर त्रेता और द्वापर युग तक में मिलता है । सतयुग में राजा बलि के समय से लेकर द्वापरयुग में कृष्ण के साथ युद्ध तक । इस युद्ध के बाद ही उन्होंने अपनी पुत्री जामवंती का हाथ कृष्ण के हाथों में सौंप दिया था ।
काफी शक्तिशाली थे वो । लगभग दस लाख शेरों की ताकत थी उनमें । माता अंजनी उन्हें अपना बड़ा भाई मानती थी । बहुत लम्बी कहानी है जामवंत की ।
और जहां तक मुझे याद है हिमालय से संजीवनी बूटी लाने का सलाह सुषेण वैद्य जी ने दिया था ।
वैसे कहानी में करीब अढ़ाई हजार साल पहले की मादा रीछ की एंट्री ने काफी रोमांच ला दिया । और ऐसा भी लग रहा है कि वो रीछ कोई भले स्वभाव का नहीं है । शायद उसे किसी सुपर नेचुरल गलत शक्ति ने तंत्र मंत्र के प्रयोग से बेजान कर दिया था और शायद फिर से उसी ने उसे मुक्त भी कर दिया ।
लेकिन हमें रक्त मोक्ष श्राप और विष मोक्ष श्राप कुछ समझ में नहीं आया ।
सिर्फ यह समझा कि रीछ विष मोक्ष श्राप से बंधा हुआ था क्योंकि उसके अंश से पानी का रंग नीला पड़ गया था ।
और कुछ कुछ ऐसा भी लग रहा है जैसे ये विकृत जानवर और उसको मुक्त कराने वाला रहस्यमय जीव जंतु या इंसान काफी खतरनाक हो सकता है धरती के लिए ।
पलक , आर्य की बदौलत प्रहरी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग बन गई और अपने फेमिली में प्रशंसा की पात्र भी ।
लेकिन आर्य मणि को इतनी गूढ़ जानकारी कहां से प्राप्त हो गई ? कहीं दादाजी ने उसके बचपन काल में ही तो नहीं बताया था ?
वैसे दादाजी की कहानी भी एक अलग कहानी लगता है । उनके साथ किसने गलत किया था ?
आर्य मणि , सबसे ज्यादा रहस्यमय तो मुझे यही लगता है । बहुत कुछ जानता है लेकिन किसी को जाहिर नहीं होने दे रहा है ।
जर्मनी एवं विदेशों में उसके साथ क्या हुआ था .... तंत्र मंत्र की सिद्धियां कैसे प्राप्त किया....पलक के साथ वो सच में ही प्रेम कहानी लिखना चाहता है या उसे गुमराह कर रहा है.... कालेज में जानबूझकर अपनी बेइज्जती क्यों करवाया.....रीछ के बारे में सटीक अनुमान कैसे लगा लिया !
बहुत कुछ है जिससे पर्दा उठना बाकी है ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट नैन भाई ।