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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
To apne hero ko ye log is motive se pit aur pareshan kar rahe hai. But apna hero to unka bhi headmaster hai in mamlo me aise kaise sb bigadne dega.
Aur jaisak ki maine socha tha palan such me apne raja ki rani ban gayi. Aur sirf ek mulakat me baat kaha tak phuch gayi. Aur ye to sikari bhi hai lakin tb kya hoga jab use apne hero ki sachayi ke bare me pata lagega. Aur ye car wale logo ka bas palak ko impress karne ke l
भाग:–16






आर्यमणि दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर चुका था। जबसे खबर आयी थी कि भूमि इस शहर में नहीं है, आर्यमणि को उकसाने और किसी तरह मारपीट करने के लिए प्रेरित करने की मुहिम, और भी तेज हो चुकी थी। 2 दिन जब आर्यमणि ने इनके टॉर्चर और उपहास को झेल लिया तब तीसरे दिन इन्होंने उकसाने की अपनी सीमा पार कर दी।


फर्स्ट ईयर के क्लास में आर्यमणि अकेला बैठा था। उसका इतना मज़ाक बनाया जा रहा था कि कोई भी उसके साथ बैठना नहीं चाह रहा था या चाह रही थी। लेकिन इन्हीं सब के बीच एक लड़का जिसका नाम अवध था, उसे बड़ी हमदर्दी थी, वो जाकर आर्यमणि के पास बैठ गया।


अवध चलते क्लास के बीच में उसे छोटे-छोटे नोट्स पर लिख कर देता रहा… "तुम क्यों इनकी बदतमीजियां सह रहे, प्रिंसिपल से कंप्लेंट क्यों नहीं करते।"


आर्यमणि, उसके जवाब में पेपर पर एक स्माइली इमोजी बनाकर लिखा… "तुम्हारे साथ का शुक्रिया दोस्त। लेकिन मेरे साथ रहना तुम्हारे लिए हानिकारक हो जाएगा और जब तुम कंप्लेंट करने जाओगे तब पता चलेगा कि तुम कितने बेबस हो।"..


अवध ने वापस से जवाब लिखा… "इनकी औकात नहीं जो मुझसे उलझ सके। मेरे बाबा यहां के मुख्य जज है।"..


आर्यमणि:- कुछ बुरा हो और विश्वास टूटे तो मुझ पर विश्वास रखना। जल्द ही तुम्हरे दिल पर मै बर्नोल लगाने का काम करूंगा। बेस्ट ऑफ लक।


इतनी बात के बाद आर्यमणि अपने क्लास पर ध्यान देने लगा। क्लास समाप्त हो गई और कुछ देर बाद ही कॉलेज में एक और सनसनी वीडियो वायरल। अवध को किसने नंगा किया, किसी को पता नहीं। पहले एक तस्वीर वायरल हुई जिसमे अवध, आर्यमणि के साथ बैठा है। उसके बाद में अवध के नंगे होने की वीडियो वाइरल हो गई। मामला तूल पकड़ा लेकिन काफी हाथ पाऊं मारने के बावजूद भी मुख्य न्यायधीश कुछ हासिल ना कर पाए। उन लोगों ने सोचा आर्यमणि को इस बात से कुछ तो फर्क पड़ेगा, लेकिन आर्यमणि तो अपने धुन में था।


कैंटीन में चित्रा और निशांत दोनो ही पूरे आक्रोशित थे लेकिन आज भी उनका हाव–भाव देखकर आर्यमणि उसके बीच से कट लिया। चित्रा गुस्से में तमतमाई उसके पास पहुंची और हांथ पकड़कर उसे एक किनारे ले जाते… "आर्य तुम ये कॉलेज छोड़ दो। तुम्हारा इतना मज़ाक उड़ते देख मै कुछ कर दूंगी।"..


आर्यमणि:- चित्रा मै भी शांत नहीं हूं। अब तुम बताओ जब वो जज का बेटा होकर दोषी को नहीं पहचान पाया तो बदला किस से ले। एक काम करो दोषी का पता लगाओ, उसकी जुलूस तो मै धूम-धाम से निकलूंगा।


चित्रा को एक लंबे समय बाद आर्यमणि के ओर से सुकून भरा जवाब मिला था। चित्रा आर्यमणि के गले लगकर वहां से खुशी–खुशी निकली। कहानी एक छोटी सी यहां भी चल रही थी, जब चित्रा गले लग रही थी, पलक उस क्षण अपने अंदर बहुत कुछ महसूस कर रही थी। हां अच्छा तो नहीं ही उसे महसूस हुआ था।


पलक कुछ निष्कर्ष पर पहुंचती उससे पहले ही उसके पास आर्यमणि का संदेश आया…. "तुम्हे देखकर ये दिल धक-धक करने लगता है। तुम मेरा ध्यान हमेशा खींचती हो।"..


पलक:- इसलिए चित्रा को टाईट हग करके अपना ध्यान कहीं और लगा रहे थे।


आर्यमणि:– आपस में झगड़ा करने को बहुत वक़्त मिलेगा, इस वक़्त चित्रा जरूरी है। वो लोग मुझे उकसाने के लिए अब चित्रा को टारगेट करेंगे। तुम हरपल उसके साथ रहना। तुम साथ रहोगी तो वो चित्रा को छू नहीं पाएंगे।


पलक:- जैसा तुम चाहो, लव यू।


देखते–देखते जिल्लत भड़ा ये दूसरा हफ्ता भी गुजर गया। सुक्रवार की रात थी, पलक मोबाइल स्क्रीन खोलकर आर्यमणि की तस्वीर को चूमती हुई टाइप की… "कल मै पुरा दिन तुम्हरे साथ रहना चाहती हूं।"


पलक ने जैसे ही वो मैसेज सेंड किया ठीक उसी वक़्त वैसा ही संदेश आर्य का भी आया। दोनो अपने-अपने स्क्रीन देखकर हंसने लगे। बहुत बहस होने के बाद पलक नागपुर में स्थित एक जगह "अंबा खोरी" जाने के लिए मान गई। केवल इस शर्त पर की वहां भीड़ ना हो। पलक को आर्यमणि के साथ अकेले वक़्त बिताना था और अंबा खोरी आकर्षण का केंद्र था, खासकर छुट्टियों के दिनों में।


इतनी सारी शर्तों के बाद तो आर्यमणि ने लिख ही दिया, वहां फिर कभी चलेंगे जब हम ऑफिशियल होंगे, तब एक एसपी और एक दबंग का हमे सपोर्ट मिलेगा। कल का तुम प्लान कर लो।


पलक:- प्लान तो है लेकिन वो जगह मेरे लिए प्रतिबंधित है।


आर्यमणि:- तुम रानी हो ये क्यों भुल जाती हो। तुम्हारे लिए कोई भी क्षेत्र प्रतिबंधित नहीं है। बिना हिचक बताओ।


पलक:- वाकी वुड चलते है फिर।


दोनो की सहमति बन गई। पलक सुबह से तैयार होने बैठ गई थी। जिंदगी में पहली बार किसी के लिए सज संवर रही थी। साइड से बालों को कर्ली की, अपने चेहरे पर हल्का मेकअप और होंट पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक। हाथ और पाऊं के नाखूनों पर गहरे लाल रंग का नेलपेंट और परिधान गहरे लाल रंग का फॉर्मल जंप सूट। कपड़ों के ऊपर मनमोहक रिझाने वाले परफ्यूम की खुशबू, जो नाक तक पहुंचते ही आंख मूंदकर गहरी श्वांस लेने पर मजबूर कर दे।


लाल और काले के मिश्रण को ध्यान में रख कर अपने लिए लो हिल की काले रंग की संडल और एक काले रंग का आकर्षित करने वाला शोल्डर बैग। इन सबके ऊपर खुले कर्ली बाल के साथ आखों पर बड़ा सा काले रंग का चस्मा डालकर जब वो अपने कमरे के बाहर आयी, हर कोई उसे देखकर भौचक्का रह गया।


नम्रता और राजदीप तो 2 बार अपनी आखों को मिजते रह गए और उसकी मां अक्षरा का मुंह खुला हुआ था।…. "पलक ये नया अवतार, किस से मिलने जा रही है।"..


पलक:- शॉपिंग करने जा रही हूं।


अक्षरा:- सुबह-सुबह इतना बन संवर के शॉपिंग।


पलक:- ओह हां अच्छा याद दिलाया, मै शाम तक लौटूंगी, इसलिए परेशान नहीं होना।


पलक के इस बात पर तो सभी के मुंह खुले रहे गए। पिताजी उज्जवल थोड़े कड़क लहजे में… "सुबह से शाम तक कौन सा शॉपिंग होता है।"..


पलक:- आप सबने जो पूछा वो मैंने बता दिया, किसी को शक हो तो मेरा पीछा कर लीजिएगा, मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा।


राजदीप:- शॉपिंग के लिए पैसे तो ले लो…


पलक:- 2000, 5000, 10000 करके मैंने 3 लाख जमा किए है। घटेंगे तो फोन कर दूंगी दादा। अब मै जा रही हूं।


पलक अपनी बात कहकर वहां से निकल गई। उसके जाते ही अक्षरा… "राजदीप पता लगाओ किसके साथ जा रही है।"..


राजदीप:- "आई, कुछ गलत करने जा रही होती तो झूट बोलती। मैंने तो देखा है कई मामलों में लड़कियां घर से कुछ और पहन कर निकलती है, और सड़क पर कुछ और पहन कर घूमती हैं। उसे विश्वास था कि वो गलत नहीं है, इसलिए तो हम सबको इन डायरेक्टली बताकर निकली है कि वो किसी के साथ घूमने जा रही है। जब उसका इरादा चोरी करने का नहीं है और हम सब जानते है कि वो किसी के साथ घूमने जा रही है, फिर पीछा करके उसे ये क्यों जताना कि अगली बार चोरी से जाना। वैसे भी उसने बोल ही दिया है जिसे शक हो पीछे जाए। वो जा तो रही है किसी लड़के के साथ लेकिन अब जिसे भरोसा नहीं वो जाए पीछे, मै तो नहीं जा रहा।"


नम्रता:- मै भी नहीं जा रही।


उज्जवल:- क्या प्यारी लग रही थी मेरी बेटी। मै तो उसकी खुशियों का गला घोंटने नहीं जा रहा।


अक्षरा:- हां समझ गई, मै ही पागल हूं जो ज्यादा सोच लेती हूं।


इधर आर्यमणि भी तैयार होकर मासी के घर से कुछ दूरी पर आकर खड़ा हो गया था। आज तो वो भी जैसे बिजली गिराने निकला था। फॉर्मल टाईट शर्ट जो उसके पेट से चिपकी थी, सीने से हल्के गठीले उभार को दिखा रही थी। उसके बाजू भी हल्के टाईट ही थे जो उसके बाय शेप को मस्त निखार रहे थे।


नीचे नैरो बॉटम पैंट, हाथो में घड़ी, आखों पर कूल सन ग्लासेस। पूरा पहनावा एक गठीले बदन आकर दे रहा था और उसके ऊपर नजर ठहर जाने वाला उसका आकर्षक चेहरा। वहां से गुजरने वाली हर लड़कियां जो भी उसे एक झलक देखती, दोबारा एक नजर और देखकर ही आगे बढ़ती।


आर्यमणि के सामने कार आकर रुक गई। दोनो कार में सवार होकर निकल गए। थोड़ी ही देर में दोनो वाकी वुड्स में थे। पलक गाड़ी को घूमाकर पीछे के ओर से लाई, जहां से प्रतिबंधित इलाके की ट्रैकिंग शुरू होती थी। वाकी वुड्स के इस क्षेत्र को पिछले कई सालों से ट्रैकिंग के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। यहां न तो कोई आम इंसान और ना ही किसी शिकारी को जाने की अनुमति थी। तकरीबन 1 किलोमीटर की ट्रैकिंग थी, और ऊपर पुरा हरियाली। पलक आर्यमणि का हांथ थामकर, मुस्कुराती हुई कहने लगी… "तो चले मेरे किंग"..


आर्यमणि पलक के कमर में हाथ डालकर उसे गोद में उठाते हुए… "राजा के होते रानी मुश्किलों भरा सफर कैसे तय कर सकती है।"..


पलक, आर्यमणि के कंधे में हाथ डालते… "और मेरे राजा जो इतनी मुश्किलों का सामना करेगा।"…


आर्यमणि, पलक के आखों में देखते हुए…. "जो राजा, अपनी रानी के मुश्किल सफर को आसान नहीं कर सका वो अपनी प्रजा की मुश्किलों को क्या समाधान निकलेगा।"..


पलक, आर्यमणि का चेहरा देखकर हसने लगी। उसे हसते देख आर्यमणि अपनी ललाट उठाकर सवालिया नज़रों से देखा और पलक ना में सिर हिलाते धीमे से कुछ नहीं बोली। 15 मिनट के ट्रैकिंग के बाद दोनो बिल्कुल ऊपर पहुंच गए थे। ऊपर के इलाके को देखती हुई पलक कहने लगी…. "मै जब भी यहां से गुजरती थी, हमेशा इस ओर आने का दिल करता था, लेकिन प्रहरी ने इसे हमारे लिए पूर्णतः प्रतिबंधित कर रखा था।"..


आर्यमणि:- हां मै मेहसूस कर सकता हूं, यहां बहुत सारी विकृतियां है।


पलक:- मै तो यहां कुछ भी तैयारी से नहीं आयी हूं, किसी ने हमला कर दिया तो।


आर्यमणि:- किसी के हमला की चिंता तुम मुझ पर छोड़ दो, और तुम अपनी इक्छाएं बताओ।


पलक:- मेरी कोई इक्छा नहीं है। जिंदगी चल रही है और मै भी साथ चल रही।


आर्यमणि:- हम्मम ! क्या हुआ था।


पलक:- मतलब..


आर्यमणि:- ऐसा क्या हुआ था जिसने तुम्हे नीरस बाना दिया।


पलक:- कुछ भी नहीं आर्य, तुम ज्यादा सोच रहे हो।


आर्यमणि:- तुम मुझसे कह सकती हो। हर वो छोटी सी छोटी बात जो तुम्हे अजीब लगती है।


पलक:- मुझे तुम बहुत अजीब लगते हो आर्य। ये राजा, ये रानी, सुनने में काफी अजीब लगता है। तुमने एक ऐसी लड़की से अपना दिल का हाल बयान किया, जिसका परिवार तुमसे नफरत करता है। खुद को तकलीफ़ में देखकर मज़ा लेना। दूसरे खतरे में है ये तुम सेकंड के फ्रैक्सनल मार्जिन से जान लेते हो और इतने ही देर में प्लान भी कर लेते हो की उसे कैसे मुसीबत से निकालना है। लेकिन खुद पिछले कई दिनों से हंसी के पात्र बने हो उसपर कोई ध्यान नहीं। और भी बहुत कुछ है, जो अजीब है।


आर्यमणि:- मै सच में राजा हूं और इस राजा की तुम रानी, और प्रजा की रक्षा करना मेरा धर्म। इसके अलावा जितनी भी बातें तुम्हे अजीब लगी है उसे किनारे करते हुए सिर्फ इतना बता दो, मुझे चाहती हो या नहीं..


पलक:- तुम्हे चाहती नहीं तो घरवालों को बताकर नहीं आती। मुझसे पूछ रहे थे कहां जा रही हो। मैंने कह दिया शॉपिंग करने और शॉपिंग करके सीधा शाम को लौटूंगी।


आर्यमणि:- फिर..


पलक:- फिर क्या, किसी के घर की लड़की इतना बोलेगी तो घरवालों का क्या रिएक्शन होगा, सभी के मुंह खुले थे। मैं ज्यादा बात नहीं की, सीधा चली आयी।


पलक, आर्यमणि से बात कर रही थी, उसी वक़्त उसके मोबाइल पर संदेश आया.. इधर पलक अपनी बात कह रही थी उधर आर्यमणि ने वो संदेश पढ़ा। संदेश पढ़कर आर्यमणि ने पलक चुप रहने का इशारा किया, और घोस्ट नाम वाली लड़की को कॉल मिलाया..


घोस्ट:- हाय क्या लग रहे हो … दिल चीर दिया जालिम… और तुम्हारे साथ ये लड़की कौन है..


फोन स्पीकर पर था, पलक जब लस्टी आवाज़ में उसकी बातें सुनी, चिढ़कर आर्यमणि को देखने लगी।..


आर्यमणि:- ये लड़की कहकर मुझे गुस्सा ना दिलाओ। तुम्हे भाली भांति पता होगा कि ये कौन है। हां मेरे लिए ये कौन है उसका मै जवाब देता हूं। ये मेरी रानी है। कैसी लगी तुम्हे..


घोस्ट:- दोनो शिकारी लगे मुझे, चाहो तो मिलकर मेरा शिकार कर लो, मै तैयार हूं।


पलक:- तू पता बता मैं अभी आती हूं।


आर्य:- पलक 2 मिनट शांत हो जाओ। घोस्ट क्या हम तुम्हारे इलाके में है।


घोस्ट:- नहीं ये किसी का इलाका नहीं है। एक प्रतिबंधित क्षेत्र है, हम जैसे वेयरवुल्फ और पलक जैसे शिकारी के लिए।


आर्य:- तुम यहां क्या कर रही हो फिर।


घोस्ट:- तुम वहां ऊपर हो इसलिए संदेश भेजी थी, कुछ विकृति मेहशूस कर रहे हो क्या?


आर्य:- तुम्हारी बातों में भय नजर आ रहा है।


घोस्ट:- हां कह सकते हो। मेरी मां एक अल्फा हीलर थी और उन्ही के कुछ खास गुण मेरे अंदर है। इस जगह पर किसी भयानक जीव के होने के संकेत यहां के हवाओं में है, अपनी रानी को जरा बचकर रखना...


आर्य:- मै इस जगह की जांच कर लूंगा तुम चिंता मत करो। मेरा काम हुआ।


घोस्ट:- हां पर्दे के पीछे के रचयता का करीबी मिल गया है, उसे पकड़ लो तो पूरी कहानी भी साफ हो जाएगी।


आर्य:- कौन है वो..


घोस्ट:- सरदार खान। वो फर्स्ट अल्फा है। और हां तकरीबन 1 हफ्ते बाद सरदार खान और प्रहरी के बीच मीटिंग होगी। मीटिंग के बाद वो अपने 2 अल्फा के साथ जा रहा होगा, तब तुम्हे आसानी होगी उस धर दबोचने में।


आर्यमणि:- चलो जब तुमने मेरे लिए इतनी मेहनत की है तो मैं तुम्हे बता दूं कि रचायता का पता तो मुझे कॉलेज आने से पहले से था। और वैसे भी सोमवार को मै महाकाल की आराधना करूंगा, उस दिन सरदार खान से ना ही मिलूं तो ज्यादा अच्छा है।


घोस्ट:– मतलब तुम्हे यह भी पता था कि कॉलेज में जो भी हो रहा है उसके पीछे सरदार खान के बीटा है।


आर्यमणि:– हाहाहाहाहा... इसमें थोड़ा दिमाग तो तुम भी लगा सकती थी। अच्छा अभी तो वो सब हुआ ही नहीं जो तुम समझ सकती...


घोस्ट:– क्या?


आर्यमणि:– मुझे उकसाने के लिए अब तो खुल्लम खुल्ला चित्रा को निशाना बनाएंगे। चित्रा मतलब प्रहरी के पूर्व मुखिया उज्जवल भारद्वाज की रिश्तेदार। और तो और वो लोग उसी उज्जवल भारद्वाज की छोटी बेटी पलक, जो की एक प्रहरी है, उसके सामने चित्रा को उकसाएंगे.. इसका मतलब समझ रही हो...


घोस्ट:– हाहाहाहा... अब बहुत कुछ समझ में आ रहा है। तो फिर हमे एक्शन देखने कब मिलेगा...


आर्यमणि:– वो तो पहले ही बता दिया, तुमने फिर गौर नही किया... सोमवार के दिन मैं महाकाल का आराधना करूंगा... और उसी दिन तोड़ेंगे सबको... चलो रखता हूं अब...


बात खत्म करके आर्यमणि ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। पलक उसे हैरानी से देखती हुई पूछने लगीं…. "ये वेयरवुल्फ थी।"


आर्यमणि:- हां..


पलक:- पर तुम कैसे एक वेयरवॉल्फ को जानते हो?


आर्यमणि:– क्यों केवल शिकारी ही वेयरवोल्फ को जान सकता है? क्या महान ज्ञानी वर्धराज कुलकर्णी का पोता वेयरवोल्फ को नही जान सकता।


पलक:– हां लेकिन.. मुझे जहां तक पता है...


आर्यमणि:– क्या पता है, खुलकर बताओ...


पलक:– नही छोड़ो, जाने दो... तुम्हे लेकर प्रहरी के बीच कई तरह की धारणाएं मौजूद है...


आर्यमणि:– मुझे सब जानना है...


पलक:– नही, मत पूछो प्लीज...


आर्यमणि:– चलो अब बता भी दो। मैं भी तो जान लूं की महीना दिन भी मुझे नही आए हुए और प्रहरी समाज मेरे बारे में क्या सोचता है?


पलक:– पता नही कैसे बताऊं...


आर्यमणि:– इतना सोच क्यों रही हो सीधा बता दो...


पलक:– प्रहरी के कई उच्च अधिकारी को लगता है कि तुम्हारे दादा वर्घराज कुलकर्णी की सारी सिद्धियां तुम में है। तो कई लोगों का मानना है कि मैत्री लोपचे के प्यार में तुम एक वेयरवोल्फ बन गए थे। पर एक वेयरवोल्फ किसी प्रहरी के यहां कैसे रह सकता है, इसलिए खुद ही वो लोग इस बात का खंडन कर देते है। बाद में इस बात का भी खंडन कर देते हैं कि जब तुम ७–८ साल के थे तब तुम्हारे दादा जी इस दुनिया में नही रहे। फिर उनकी सिद्धि तुम्हारे अंदर कैसे आ सकती है? लेकिन हर किसी को लगता है कि तुम कुछ हो.… उनके लिए तुम किसी रिसर्च सब्जेक्ट की तरह हो, जिसपर कोई नतीजा नहीं निकलता.…
To mahakal ki aradhana jld hi hone wali hai. Aur kuch name bhi samne aaye hai jaise sardar khan aur kon kon hai isme samil wo bhi jldi hi pata lagne wala hai. Aur ye palak ka style mujhe bhaut acha laga. Sath me ab wo 1st time kisi ke liye saj rahi thi to bakiyon ka shocked hone banta hi tha. Jise picha karna hai piche aa skta hai. Bahut maja aane wala hai aage ke kuch Updates me. Overall good Update. Maja aa gaya.
भाग:–17



पलक:– प्रहरी के कई उच्च अधिकारी को लगता है कि तुम्हारे दादा वर्घराज कुलकर्णी की सारी सिद्धियां तुम में है। तो कई लोगों का मानना है कि मैत्री लोपचे के प्यार में तुम एक वेयरवोल्फ बन गए थे। पर एक वेयरवोल्फ किसी प्रहरी के यहां कैसे रह सकता है, इसलिए खुद ही वो लोग इस बात का खंडन कर देते है। बाद में इस बात का भी खंडन कर देते हैं कि जब तुम ७–८ साल के थे तब तुम्हारे दादा जी इस दुनिया में नही रहे। फिर उनकी सिद्धि तुम्हारे अंदर कैसे आ सकती है? लेकिन हर किसी को लगता है कि तुम कुछ हो.… उनके लिए तुम किसी रिसर्च सब्जेक्ट की तरह हो, जिसपर कोई नतीजा नहीं निकलता.…



आर्यमणि, खुलकर हंसते... "फिर किस निष्कर्ष पर पहुंचे"…

पलक:– सब के सब दुविधा में है। किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। लेकिन हर किसी को लगता है कि तुम में कुछ तो खास है...

आर्यमणि:– और मेरी रानी को क्या लगता है?

पलक, आर्यमणि के गले लगकर... "मुझे तो बस तुम्हारे साथ सुकून मिलता है।"…

आर्यमणि, अपने बाजुओं में पलक को भींचते... "और क्या लगता है?"…

पलक:– यही की हमे अब रुक जाना चाहिए वरना मैं खुद को अब रोक नही पाऊंगी...

आर्यमणि:– मैं भी तो यही चाहता हूं कि रुको मत...

अपनी बात कहकर आर्यमणि ने थोड़ा और जोड़ से पलक को अपनी बाजुओं में भींच लिया। पलक कसमसाती हुई.… "आर्य प्लीज छोड़ दो... रोमांस तो हवा हो गई, उल्टा मेरी पूरी हड्डियां चटका दिए।"

आर्यमणि, पलक को खुद से अलग करते... "तुम्हे छोड़ने की एक जरा इच्छा नहीं... जल्दी से मेरा ध्यान किसी और विषय पर ले जाओ"…


पलक:– ध्यान भटकने के लिए तो पहले से विषय है। उस वेयरवॉल्फ ने ऐसा क्यों कहा कि ये इलाका उन जैसे (वेयरवोल्फ) और हमारे जैसों (प्रहरी) के लिए प्रतिबंधित है, तुम्हारा नाम क्यों नहीं ली।


आर्यमणि:- क्योंकि मै दोनो में से कोई भी नहीं हूं।

पलक:– तो फिर तुम क्या हो?

आर्यमणि:– एक और प्रहरी जो मेरे बारे में जानना चाहती है। लेकिन मैं अपनी रानी को बता दूं कि मैं सिर्फ एक आम सा इंसान... जो न तो शिकारी है न ही वेयरवोल्फ। ठीक वैसे जैसे निशांत, चित्रा और माधव है।


पलक को किसी और जवाब की उम्मीद थी। शायद प्रहरी जो आकलन कर रहे थे.. "आर्यमणि में कुछ तो खास है।" बस इसी से मिलता–जुलता की आर्यमणि में क्या खास है। लेकिन आर्यमणि बड़ी चतुराई से बात टाल गया और उसका जवाब सुनकर पलक का खिला सा चेहरा मायूसी में छोटा हो गया। आर्यमणि, पलक के सर को अपने सीने से लगाकर, उसपर हाथ फेरते हुए कहने लगा…. "तुम क्यों इतनी बातो का चिंता करती हो। मै क्या हूं वो मत ढूंढो, हम दोनों एक दूसरे के लिए क्या है, इसमें विश्वास रखो। तुम जब आर्य और पलक को एक मानकर चलोगी ना, फिर तुम्हे पूर्ण रूप से आर्य और पूर्ण रूप से पलक भी समझ में आ जाएगी। और यदि तुम बिना पलक के अधूरे आर्य को ढूंढोगी तो ऐसे ही आर्य तुम्हे उम्र भर अजीब लगता रहेगा।


पलक, उसके पेट से लेकर पीठ तक अपनी हाथ लपेटती…. "पता नहीं ये प्रेम है या कुछ और। लेकिन तुमसे दूर होती हूं तब तुमसे लिपटकर रहने की इक्छा होती है और जब पास होते हो तो धड़कने पूरी तेज। इतनी तेज की मै अपनी भावना ठीक से जाहिर नहीं कर पाती। क्या मुझे प्यार हुआ है?"


आर्यमणि:- हां शायद...


दोनो सुकून के प्यारे से पल को भुनाने लगे। कुछ समय बीतने के बाद… "पलक यहां तो धूप बढ़ रही है, कहीं और चले क्या।"..


पलक:- चलो लॉन्ग ड्राइव पर चलते है। जहां जी करेगा वहां रुकेंगे, और ढेर सारी मस्ती करेंगे।


आर्यमणि:- किस्स के नाम पर तो ताला लगा है, मस्ती क्या खाक करेंगे। तुम्हे गोद में उठाया था तो दिल कर रहा था कि होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए ऊपर तक लेकर आऊं।


पलक:- और ऊपर लाकर कंट्रोल नहीं होता तो मुझे इधर-उधर हाथ लगाते और बाद में फिर..


आर्यमणि:- उफ्फ ! क्या रौंगटे खड़े करने वाले ख्याल है। पलक तुम्हारे साथ मुझे एडवांटेज है। इन सब मामले में जो बात दिमाग में भी नहीं रहती, वो भी तुम डाल देती हो। फिलहाल..


पलक:- हां फिलहाल…


आर्यमणि:- फिलहाल इस जगह पर आते ही अब कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि यह एक विकृति स्थल है और मुझे अब जरा पता लगाने दो की यहां कल रात हुआ क्या था? और क्यों ये इलाका सुपरनैचुरल और शिकारियों के लिए प्रतिबंधित है?


पलक:- और ये पता कैसे लगाएंगे?


आर्यमणि:- ये माटी है ना। लोग इसे कितनी भी मैली कर दे, अपने अंदर सब ज़हर समाकर, ऊपर से उन्हें पोषण ही देती है। मै भी इस माटी से मदद मांगता हूं, ये किसका मैल छिपाकर प्रकृति का मनमोहक नजारा दी हुई थी?


पलक आर्यमणि की बात बड़े ध्यान से सुनती हुई उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगी। दोनो 100 कदम चले होंगे, तभी एक स्थान को देखकर आर्यमणि रुकने के लिए कहा। नीचे बैठकर उसने हाथो में मिट्टी उठाई और उसे सूंघने लगा।… "खून है यहां, किसी तरह का अनुष्ठान हुआ था। खोदने के लिए कुछ है क्या?"..


पलक:- बैग में एक छोटा सा चाकू है।


आर्यमणि, पलक को घूरते हुए… "मेरा गला काटने के लिए तो नहीं लेकर घूम रही थी।"..


पलक, अपने बैग से चाकू निकालकर उसके गले पर रखती… "ये जान और ये आर्य, दोनो मेरे है। इसपर नजर डालने वालों को छिलने के लिए रखी हूं।"..


आर्यमणि उसके हाथो से चाकू लेकर जमीन कि भुरभुरी मिट्टी हटाते… "ऐसे अदाएं मत दिखाओ की मै खुद को रोक नहीं पाऊ। तुम्हारे पास कोई ग्लोब्स या पॉलीथीन है।"


पलक:- नहीं।


आर्यमणि:- पीछे रहना और किसी चीज को छूना मत।


पलक:- हम्मम ! ठीक है।


आर्यमणि तेजी से गया और पेड़ की लंबी चौड़ी छाल छीलकर ले आया। बड़े ही ऐतिहात से मिट्टी के अंदर के समान को निकला। अंदर से फूल, माला, कुछ हड्डियां और कपाल निकली। सब समनो को देखकर पलक, आर्यमणि से पूछने लगी…. "ये सब क्या है आर्य।"..


आर्यमणि:- बताता हूं, तुम जरा पीछे हो जाओ पहले, और कुछ भी हो मुझे छूना मत। समझ गई।


पलक अपना सर हां में हिलती हुई, चार कदम पीछे हो गई… आर्यमणि अपना शर्ट उतार कर नीचे जमीन में बिछाया और पलक उसके बदन पर गुदे टैटू को गौर से देखने लगी। बांह पर राउंड शेप में, संस्कृत के कुछ शब्द लिखे हुए थे। पीठ पर भगवान शिव की बड़ी सी टैटू। जितने भी टैटू थे, दिखने में काफी आकर्षक लग रहा था।


आर्यमणि भूमि के अंदर से निकले सामान को बांधकर एक पोटली बनाया और ठीक उसके पास जमीन को 5 इंच खोदकर अपना दायां पंजा उसके अंदर डाल दिया। बाएं हाथ की मुट्ठी बनाकर पीछे कमर तक ले गया और दायां हाथ के फैले पंजे के क्लॉ भूमि के अंदर घुस गए। दिमाग के अंदर सारी छवि बननी शुरू हो गई। इधर पलक पीछे खड़ी होकर सब देख रही थी।


जैसे ही थोड़ा वक्त बिता, आर्यमणि का पूरा शरीर ही नीला दिखने लगा था और वो अपनी जगह से हिल नहीं रहा था। तकरीबन 10 मिनट तक बिना हिले एक ही अवस्था में रहने के बाद, आर्यमणि अपनी आखें खोला। आर्यमणि अपने हाथ को साफ करने के बाद, छाल का एक मजबूत कवर बनाया और पोटली को छाल के बीच डालकर… "पलक इसे ऊपर से पकड़ना और आराम से कार की डिक्की में रख देना। तुम जबतक ये सब करो मै कार के पास तुम्हे मिलता हूं।"


आर्यमणि चारो ओर का जायजा लेते पश्चिम के रास्ते चल दिया, जहां कुछ दूर आगे झील था। पूरा मुवाएना करने के बाद आर्यमणि पलक के पास पहुंचकर…. "तुम्हे तैरना आता है।"..


पलक:- हां आता है।


आर्यमणि:- चलो मेरे साथ..


पलक:- लेकिन आर्य सुनो तो…


आर्यमणि:- चलो भी..



पलक को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, वो आर्यमणि के साथ चल दी।… "आर्य अब ये तो नहीं कहोगे ना कि हम इस झील में तैरने वाले है।"..


आर्यमणि, पलक की बातो पर ध्यान ना देकर उसका हाथ पकड़ा और तेजी से दौड़ लगाते हुए झील के अंदर चला गया… "बहुत शरारती हो तुम आर्य।"


आर्यमणि अब भी कोई उत्तर नहीं दे रहा था, वो बस पलक का हाथ पकड़ कर एक दिशा में तैरते जा रहा था। आर्यमणि पलक के साथ तैरते हुए झील के इस किनारे से उस किनारे तक चला आया। और थोड़ी ही दूर आगे जाने के बाद.. एक बड़ा सा गड्ढा उसे नजर आने लगा… "पलक मोबाइल लाई हो।"..


पलक:- मुझे लगा ही था कि तुम झील में मुझसे तैराकी ना करवा दो इसलिए मैंने मोबाइल कार में ही छोड़ दिया।


आर्यमणि:- स्मार्ट गर्ल.. किसी को पकड़ो यहां की तस्वीरें लेनी है।


किसी को पकड़ना क्या था वहां पर दो लड़के पुलिस के साथ खुद ही पहुंच रहे थे। .. पुलिस आर्यमणि और पलक को देखकर… "चला रे, भिड़ ना लगाओ।"..


आर्यमणि:- हमलोग प्रेस से है सर.. ये गड्ढा हमे अजीब लग रहा है और आप भी यहां आए है, इसका मतलब कुछ तो राज ये गड्ढा समेटे है। तो बताइए सर, क्या है इसकी कहानी..


पुलिस, अपनी वर्दी टाईट करते… "देखिए वो क्या है।"..


आर्यमणि:- एक मिनट सर, आपका मोबाइल दीजिए ना। पहले यहां को बारीक तस्वीर ले लूं, फिर आप का स्टेटमेंट रिकॉर्ड करके कल अखबार में छपने के लिए भेज दूंगा।


पुलिस:- हां हां क्यों नहीं…


आर्यमणि, मंहगा मोबाइल फोन देखकर.… "क्या बात है सर काफी तरक्की में हो"


पुलिस:- मेरे साला ने गिफ्ट किया है।


आर्यमणि हर एंगल से वहां की तस्वीर लेने लगा। उसके बाद पुलिस की तस्वीर लेते हुए… "हां सर अभी कहिए।"..


पुलिस:- कल रात को यहां कुछ हलचल हुई। पन ये लोग का कहना है कि यहां गड्ढे से कोई भूत निकला और लोगों को मारकर गायब हो गया। इन लोगों के हिसाब से... रात का अंधेरा था और गड्ढे के पास हलचल देखकर लोग इधर कू आए। पन जब आए तो फिर लौटकर नहीं गए। पहले गड्ढे में गिरे और लाश पानी से निकली। इधर तो आबरा का डाबरा चल रहा है।


पुलिस के पास खड़ा एक लड़का…. "साहेब मुनीर काका ने खुद देखा, जब वो भूत दोनो को मार रहे थे। 10 फिट लंबा भूत बिल्कुल काला और अजीब से आंख। मुनीर काका के साथ वो दोनो आदमी भी जा रहे थे। अचानक ही तीनों को यहां गड्ढे के पास कुछ दिखा। मुनीर काका तो रुक गए लेकिन जैसे ही वो दोनो गड्ढे के पास पहुंचे भूत ने दोनो को खींच लिया। दोनो के गर्दन को अपने २ फिट जितने बड़े पंजे में जैसे ही दबोचा ना, उन दोनों के शरीर के अंदर से लाल रंग का धुआं निकलकर, उसके नाक में समा गया और वो भूत इन दोनों को इसी गड्ढे में डालकर गायब हो गया।


आर्यमणि:- सर लाश का फिर तो पोसटमार्टम हुआ होगा।


पुलिस:- इसलिए तो अरेस्ट करने आए रे बाबा। अब मर्डर भूत ने किया या सौतन ने या किसी इंसान ने, उसका पोस्टमार्टम होना तो चाहिए था ना। अब इनको पोस्टमार्टम के लिए बोला तो पुरा गांव हमे घेरकर कहता है, लाश शापित था पुरा गांव खत्म हो जाएगा और इसलिए रात को ही जला दिया।


आर्यमणि:- छोड़ो ना साहेब मै इसे गड्ढे में फिसलकर पानी में डूबने से मौत छाप देता हूं। गड्ढा भरवा दो साहेब वरना आज रात फिर भूत आ जाएगा और इनकी कहानी सच हो की ना हो लेकिन आपकी परमानेंट ड्यूटी यहीं लग जाएगी।


आर्यमणि की बात सुनकर थानेदार हसने लगा। थानेदार ने दोनो से नाम पूछा और अपनी जीप से ले जाकर दोनो को उस पार छोड़ दिया। आर्यमणि और पलक ने थानेदार को धन्यवाद कहा और दोनो कार से वापस निकल गए। इससे पहले कि पलक अपने पजल हुए माइड को, कुछ सवाल पूछकर राहत देती आर्यमणि कहने लगा… "प्रतिबंधित क्षेत्र में एक विकृति रीछ स्त्री थी जो पिछले 2600 साल से सजा भुगत रही थी। सजा अपने पूर्ण जीवन काल तक की थी"..


पलक:- क्या मतलब है तुम्हारा एक रीछ स्त्री।


आर्यमणि:- "रामायण काल में एक प्रजाति का उल्लेख है रीछ, जिसमें जाम्बवंत जी का नाम प्रमुख था। जिन्होंने श्री हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण करवाया था और लक्ष्मण जी जब मूर्छित थे तब हनुमान जी और विभीषण जी, जाम्बवंत जी के पास गए थे। तब उन्होंने ही हिमालय के ऋषभ और कैलाश पर्वत जाकर संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा था।"

"ये प्रजाति मानव जाति की सबसे श्रेष्ठ प्रजातियों में से एक थी जो इंजिनियरिंग और साइंस में काफी आगे थे। मना ये जाता है कि इन लोगों ने एक ऐसा यंत्र का निर्माण किया था जो विषैले परमाणु निगल जाते थे। ये लोग दीर्घ आयु होते थे। जाम्बवंत जी की उम्र बहुत लंबी थी। 5,000 वर्ष बाद उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ एक गुफा में स्मयंतक मणि के लिए युद्ध किया था। भारत में जम्मू-कश्मीर में जाम्बवंत गुफा मंदिर है। जाम्बवंत जी की बेटी के साथ भगवान श्री कृष्ण ने विवाह किया था।


पलक:- ये विकृति रीछ स्त्री कितना खतरनाक हो सकती है।


आर्यमणि:- अगर इन लोगो की बात पर यकीन करें तो उसने केवल गला पकड़ कर दो लोगों के रक्त को कण में बदल दिया और अपने अंदर समा ली।


पलक:- ये जो प्रजाति थी वो अच्छी थी या बुरी?
To apne hero ne yaha bhi detactivgiri dikhani suru kar di.aur bahut kuch pata kar liya ab isase ek swal ye bhi aaya hai ki use waha hath daal kr ye sub kaise pata chla kya ye bhi apne hero ki koi ability hai. Aur ye ri
भाग:–18





पलक:- ये जो प्रजाति थी वो अच्छी थी या बुरी?


आर्यमणि:- बुरे तो राक्षस भी नहीं थे। उन्हें पृथ्वी पर रक्षा करने के लिए भेजा गया था और रक्षा शब्द से ही राक्षस बना। अब क्या कहा जा सकता है। ये अच्छे प्रजाति की एक विकृति स्वभाव की रीछ थी, जिसे यहां कैद किया गया था। शायद वो सिद्धि प्राप्त थी इसलिए तो हिमालय से इतनी दूर लाकर इसे कैद किया गया था। मंत्र के वश में थी, जिसे कल रात आज़ाद कर दिया गया। 500 दिन का वक़्त है, उसके बाद वो क्या-क्या कर सकती है, ये तो वही बताएगी।


पलक:- तुम्हे इतना कैसे मालूम है आर्य?


आर्यमणि:- मेरे दादा, वर्धराज कुलकर्णी, विशिष्ठ प्रजातियों का अध्ययन और उनके जीवन के बारे में सोध करते थे। साथ में एक इतिहासकार भी रहे है। बचपन में उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाकर बहुत सारी बातों का पुरा ज्ञान दिया था। वो मंत्र और उनकी शक्ति को भी एक साइंस ही मानते थे, जो पंचतत्व में बदलाव लाकर इक्छा अनुसार परिणाम देता था। जिसे चमत्कार कहते है, जो लोग केवल काल्पनिक मानते है।"

"घर जब पहुंचो तो एक बड़ा सा नाद लेना, उसमे पुरा पानी भरकर थोड़ा सा गंगा जल मिला देना और छाल सहित पोटली को उस नाद में डूबो देना। याद रहे बिना गंगा जाल वाले पानी में डुबोए उस कपड़े को छूने की कोशिश भी मत करना। यदि पानी का रंग लाल हुआ तो समझना रक्त मोक्ष श्राप से बंधी थी। और यदि रंग नीला हुआ तो समझना विश मोक्ष श्राप से बंधी थी।


पलक:- लेकिन तुम ये मुझसे क्यों कह रहे हो करने। तुम्हे इतनी जानकारी है तो तुम ही इस जीव को देखो ना।


आर्यमणि:- "मुझे जितना ज्ञान था मैंने बता दिया। प्रहरी के इतिहास की कई सारी पुस्तकें है। यधपी कभी किसी प्रहरी का पाला वकृत रीछ और उसके साथी किसी विकृत महाज्ञानी से नहीं हुआ हो, लेकिन किसी ना किसी के जानकारी में तो ये पुरा मामला जरूर होगा क्योंकि ऐसा तो है नहीं की वैधायाण भारद्वाज के बाद सुपरनेचुरल आए थे, और केवल उन्हें ही अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।"

"वैधायाण भारद्वाज और उनके अनुयाई ने भी कहीं ना कहीं से तो ये सब सिखा ही था। तो इतिहास में कहीं ना कहीं तो इस बांधी हुई रीछ स्त्री का भी जिक्र मिल जाएगा। बिना उसके हम कुछ नहीं कर सकते।"


पलक:- और जब मुझसे पूछेंगे की मुझे ये सब कैसे पता चला तो मै क्या जवाब दूंगी। उनके होने वाले जमाई ने पुरा रिसर्च किया है।


आर्यमणि:- उनसे कहना तुम जिस लड़के के साथ घूमने गई थी वह जबरदस्ती प्रतिबंधित क्षेत्र ले गया। मुझे भी जानने की जिज्ञासा थी कि यहां ऐसा क्या हुआ था, जो यह क्षेत्र प्रतिबंधित है? फिर सबको बताना कि तुम्हे हवा में कुछ अजीब सा महसूस हुआ और तुमने आदिकाल बंधन पुस्तिका का स्मरण किया जिसका ज्ञान प्रहरी शिक्षण के दूसरे साल में दिया जाता है।


पलक:- हां समझ गई आगे याद आ गया। वहीं लिखा हुआ है हवा में छोटी सी अजीब बदलावा का पीछा किया जाए तो बड़े रहस्य के वो करीब पहुंचा देता है। मंत्र पुस्तिका के कारण ये पोटली बनाई और अनुसंधान भेजने के लिए ले आयी। रीछ के बारे में भी पढ़ी हूं और वो गड्ढे की कहानी से जोड़ दूंगी।


आर्यमणि:- ये हुई ना मेरी रानी जैसा सोच और दबदबा।


पलक:- आर्य तुम्हे अपने परिवार को लेकर काफी दुख होता होगा ना। तुम्हारे ज्ञानी दादा जी को कितना बेइज्जत करके महाराष्ट्र से निकलने पर मजबूर कर दिया। तुम्हारी मां..


आर्यमणि:- हूं..


पलक:- माफ करना... मेरी सासू मां प्यार में थी, जैसे मै हूं, गलती मेरे मामा से हुई क्योंकि उन्होंने आत्महत्या चुना, लेकिन सजा तुम्हारी मां को मिली।


आर्यमणि:- छोड़ो बीते वक़्त को, तैयार रहना जल्द ही मै तुम्हे चूमने वाला हूं। शायद सोमवार को ही मेरा मंगल हो जाए। और एक बात, हम इतने क्लोज हो गए है कि तुम्हरे हाव-भाव अब कहीं जाता ना दे, हमारे बीच कुछ है।


पलक:- क्यों ये रिश्ता सीक्रेट रखना है क्या?


आर्यमणि:- हमारा रिश्ता अरेंज होगा और सभी लोग हाथ पकड़कर हमारा रिश्ता करवाएंगे।


पलक:- क्यों तुमने सब पहले से प्लान कर रखा है क्या?


आर्यमणि:- लक्ष्य पता है, कर्म कर रहा हूं, बस दिमाग खुले रखने है और सही वक़्त पर सही नीति… फिर तो ठीक वैसा ही होगा जैसा सोचा है, बस तुम ये जाहिर नहीं होने देना की हम एक दूसरे में डूब चुके है।


पलक:- जो आज्ञा महाराज।


पलक, आर्यमणि को तेजस दादा के शॉपिंग मॉल, बिग सिटी मॉल के पास छोड़ दी और खुद घर लौट गई। पलक जिस अंदाज़ में गई थी और जिस अंदाज़ में लौटी उसे देखकर तो पूरे घरवाले हसने लगे।… "क्या हुआ पलकी, उस लड़के ने तुझे पानी में धकेल दिया क्या।"


पलक:- मै वाकी वुड्स के प्रतिबंधित क्षेत्र में गई थी।


उज्जवल और नम्रता हड़बड़ा कर उसके पास पहुंचे। उनके आखों में गुस्सा साफ देखा जा सकता था। पलक सारी बातें बताती हुई एक नाद मंगवाई और छाल में बंद उस पोटली को डूबो दी। पोटली का रंग नीला पड़ गया। नीला रंग देखकर पिता उज्जवल और पलक दोनो के मुंह से निकल गया… "विष मोक्ष श्राप"।


किसी असीम शक्ति को बांधने के लिए २ तरह के श्राप विख्यात थे। पहला बंधन श्राप था "रक्त मोक्ष श्राप"। इस बंधन को बांधने के लिए 5 अलग–अलग जीवों के साथ एक इंसान की बलि दी जाती थी। इंसानी बलि भी केवल तब मान्य थी, जब वह स्वेक्षा से दी जाए। यूं तो लोग उन असीम शक्तियों वालों से इतना सताए हुए होते थे कि उसे मिटाने की चाह में हंसी–खुशी तैयार हो जाते थे। परंतु असीम सिद्धि प्राप्त या शक्तियों वाले किसी भी ऐसे प्राणी को छुड़ाने वाले, उनके अनुयाई की भी कमी नही थी। सभी मंत्रो के सुरक्षित जाप के बाद बंधन बांधने वाले ज्ञानियों की बलि चढ़ाकर श्राप मुक्त किया जा सकता था।


वहीं दूसरी ओर "विष मोक्ष श्राप" में 5 ज्ञानी सुरक्षित मंत्र जाप करते थे और अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद सभी विष पीकर अपने प्राण त्याग देते थे। वह विष इतना खास था की सेवन के कुछ क्षण बाद तो उनके हड्डियों तक के सबूत नहीं मिलते थे। इतिहास में विष मोक्ष श्राप की विधि तो बताई गई है, लेकिन कितनो को विष मोक्ष श्राप से बंधा गया, इसका कोई उल्लेख नहीं। क्यूंकि गुप्त रूप से विष मोक्ष श्राप की अनुष्ठान होता था और कहीं कोई प्रमाण ही नही बचता... साथ ही साथ इस बंधन को तोड़ तो खुद उन ज्ञानियों के पास भी नहीं था, जो हर तरह के श्राप का ज्ञान रखते थे। इसलिए यदि कोई विष मोक्ष श्राप से बंधा है, तब तो वह जरूर असीम शक्तियों का मालिक होगा। और यदि किसी ने विष मोक्ष श्राप को उलट कर, किसी विकृत को कैद से बाहर निकाला है, फिर तो वह साधक और भी ज्यादा खतरनाक होगा...


विष मोक्ष श्राप का नाम सुनकर पलक और उज्जवल एक दूसरे का मुंह देखने लगे। पलक मन ही मन रीछ स्त्री के शक्तियों की कल्पना कर अपने पिता से पूछने लगी… "बाबा ये रीछ स्त्री कितनी खतरनाक हो सकती है।"..


उज्जवल:- रीछ प्रजाति को इतिहास में श्रेष्ठ मानव माना गया था। कहा जाता है भालू के पूर्वज यही है। इनका क्षेत्र उस समय के तात्कालिक भारतवर्ष में से दक्षिण और हिमालय की तराई में था। दक्षिण में रीछ प्रजाति के बड़े–बड़े राज्य थे, जिसपर रावण ने अपना आधिपत्य जमा लिया था। ऐसे श्रेष्ठ जाती का कोई शापित विकृति है तो उसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होगा कि ये हम सब के लिए कितना ख़तरनाक हो सकती है। रिक्ष स्त्री को विष मोक्ष श्राप से मुक्त करने वाला भी कोई विकृति ज्ञानी होगा। घातक जोड़ी है जो समस्त पृथ्वी पर राज कर सकती है। हमे अपात कालीन बैठक बुलानी होगी और इतिहास के ज्ञानियों से हमे बात करनी होगी। पलक तुमने बहुत अच्छा काम किया है। मै तुम्हे प्रहरी की उच्च सदस्यता देते हुए, तुम्हे विशिष्ठ जीव खोजी साखा का अध्यक्ष नियुक्त करता हूं। प्रहरी उच्च सदस्यों के होने वाले बैठक में तुम्हारा आना अनिवार्य होगा।


पलक:- हम्मम ! ठीक है बाबा।


नम्रता:- 3 लाख खर्च तो नहीं कि ना.. चल अब पार्टी दे। उच्च सदस्य। मतलब कई साल का सफर तूने 4 घंटे में तय कर लिया।


पलक:- ठीक है ले लेना पार्टी। अब खुश ना।


नम्रता:- बेहद ही खुश हूं। और बाबा का चेहरा तो देख अंदर ही अंदर कितना खुश हो रहे है।


उज्जवल:- पलक के लिए तो खुश हूं, लेकिन आने वाले संकट को लेकर चिंतित। हमारा काम केवल पोस्ट बांटना नहीं बल्कि दो दुनिया के बीच दीवार की तरह खड़ा रहना है, ताकि कोई एक दूसरे को परेशान ना करे।


पलक से मिली जानकारी को उज्जवल ने प्रहरी के सभी उच्च सदस्यों से साझा कर दिया। विषय की गंभीरता को देखते हुए, अध्यक्ष विश्व देसाई ने आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमे तात्कालिक सभी सदस्य के साथ संन्यास लिए जीवित सदस्य भी सामिल होंगे। शुरवात मीटिंग की अध्यक्षता विश्व देसाई लेंगे, उसके बाद कमान संभालेंगे सुकेश भारद्वाज।


आपातकालीन बैठक की बात सुनकर भूमि भी वापस नागपुर लौट चुकी थी। भूमि के लौटते ही आर्यमणि को ना चाहते हुए भी अपनी मासी के घर से दीदी के घर वापस आना पड़ा। सोमवार को कॉलेज में फिर एक बार जिल्लत झेलने के बाद आर्यमणि भूमि के घर लौट आया था।


शाम का वक्त था जब भूमि लौटी। आर्यमणि अपने दीदी के गले लगते पूछने लगा कैसा रहा ट्रिप। भूमि मुस्कुराकर जर उसे कही अच्छा रहा। फिर वो थोड़ा आराम करने चली गई और रात के तकरीबन 10 बजे पूरे फुरसत के साथ, अपने भाई के साथ बैठी।


भूमि:- क्या मेरा बच्चा, अब बता क्या बात है?


आर्यमणि:- मेरी छोड़ो और अपनी परेशानी बताओ। मै जानता हूं आप जिस काम से गई थी, उसे अधूरा छोड़कर आयी हो। कोई न, मै फ्री ही बैठा हूं। आपका वो काम मैं कर दूंगा, भरोसा रखो मुझपर।


भूमि:- तू तो आएगा नहीं प्रहरी बनने। मै, जयदेव और रिचा बस प्रहरी के बीच पल रहे आस्तीन के सांप को ढूंढ रही हूं।


आर्यमणि:- आप भी वही सोच रही है ना जो मै सोच रहा हूं।


भूमि:- और मेरा भाई क्या सोच रहा है?


आर्यमणि:- यही की कैसे भारद्वाज खानदान गुमनामी में जाता रहा है? कैसे उसके करीबी ठीक उसी वक़्त परेशान कर दिए जाते है जब भारद्वाज अपनी जड़ें प्रहरी में मजबूत कर रहा होता है? क्यों शुरू से प्रहरी के नेक्स्ट जेनरेशन के बीच झगड़ा होता रहा है और इन्हीं झगड़ों को देखकर मौसा जी ने अपने दो पैदा हुए बेटो का गला घोंटा, ताकि जब ये बड़े हो तो तीनों भाई दुश्मन बनकर परिवार में शक्ल ना देखे और समुदाय मे एक दूसरे का विरोध करते रहे?


भूमि:- तुम्हारे दादा को प्रहरी से बेज्जत करके निकाला, इसलिए ऐसा सोच रहा है ना?


आर्यमणि:- केवल मेरे दादा के साथ ऐसा हुआ था। मेरी मां का मायका कितना सुदृढ़ था। उनके बाबा ने कितनी संपत्ति अर्जी थी मुंबई में। यदि बीते जेनरेशन के मनीष मिश्रा (अक्षरा भारद्वाज का छोटा भाई और पलक का छोटा मामा) की शादी जया जोशी से होती, तो भारद्वाज का करीबी इकलौता मिश्र परिवार और भी सुदृढ़ होता, ऊपर से सुना है मां उस समय की बेस्ट थी, जैसा कि आप आज है। यदि मनीष मिश्रा के साथ जया जोशी की शादी होती तो भारद्वाज के करीबी, इकलौता मिश्रा परिवार भी आज खड़ा होता।


भूमि:- हम्मम ! मतलब तू यहां आया है अपने परिवार के आशुओं का हिसाब लेने।


आर्यमणि:- इतने साल बाद जब लौटा तो लगा कि मैंने कितना बड़ा पाप किया है। लेकिन जब गौर किया तो मां ने अपना अस्तित्व खोया था। भारद्वाज परिवार के करीबी मेरे दादा को किसी की साजिश का शिकार होना पड़ा था। कोई एक कुल तो है जो भारद्वाज को शुरू से तोड़ने का काम करते आ रहा है और पीढ़ी दर पीढ़ी अपने परिवार के पाठसाला में सबको यही सिक्षा से रहा है या रही है।


भूमि:- "हां मै भी बिल्कुल यही सोच रही थी। इसलिए 10 दिन के लिए बाहर गई थी ताकि उन्हें लग जाए कि तुम्हरे ऊपर मेरा हाथ बिल्कुल भी नहीं। जो लड़का पैदल एक पुरा देश के बराबर जंगल को लांघ गया है, उसका तो ये लोग कुछ नहीं बिगाड़ पाते लेकिन जबतक तू पुरा उलझता नहीं, तबतक उसे तुम्हारे पूरे ताकत का अंदाज़ा होता नहीं। जब तुम्हारे ताकत का अंदाजा होता तब वो जरूर किसी ना किसी शिकारी को ये काम देते। मै बस उसी के इंतजार में थी।


आर्यमणि:- खैर आपको पहले ये बात करनी थी। कल आपके बहुत से प्रहरी कम हो जाएंगे। क्योंकि जिसने मेरे परिवार के साथ जाने अंजाने में साजिश रची, उसका पता तो मुझे कबका चल चुका है।


भूमि:- सुन मेरे भाई, तुम कल जो भी पता करना है वो करो, लेकिन किसी प्रहरी को मारना मत। अभी हम बहुत बड़ी मुसीबत में है। कोई कमीना भी हुआ, तो क्या हुआ। हो सकता है उसकी जानकारी से हम उस जीव पर विजय प्राप्त ले।


आर्यमणि:- कौन सा जीव दीदी।


भूमि:- अभी जाकर सो जा, आराम से सब बता दूंगी। सुन मै यहां 3 दिन बाद आने वाली हूं, तो लोगों को पता नहीं चलना चाहिए। और एक बात, मै यहां नहीं हूं ये सोचकर तुझे उकसाने के लिए डायरेक्ट अटैक होंगे। हो सके तो 2-3 दिन कॉलेज ना जा। प्रहरी की मीटिंग से फ्री होकर मै कॉलेज को देखती हूं।


आर्यमणि:- दीदी जाकर सो जाओ और मेरी चिंता छोड़ दो। रही बात कॉलेज की तो वहां का लफड़ा मै खुद निपट लूंगा। हां मेरे एक्शन का इंपैक्ट देखना हो तो कल कॉलेज का सीसी टीवी कैमरा हैक कर लेना। मुख्य साजिशकर्ता का पता मिले या ना मिले लेकिन मैंने किसी को प्रोमिस किया है कि कल ही काम खत्म होगा।
Lo apne hero ka yaha aane ki ek wajah ye bhi hai ab dekhte hai wo kaise in sub ko nipta hai. Kyuki salo se jo ye sun kar raha hai uske bare me to aapne bahut pahle hi richa wale Update me bata diya tha ab bs dekhna hai kya unka pura parivar jad se khatam karta hai kya apna hero aur ye rich stree to such me bahut powerful nikli aur usase bhi jyada usko mulat karne wala dekhte hai ye kiska kaam hai aur wo kam samne aate hai.
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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भाग:–21




आर्यमणि चारो ओर अपनी नजरें घुमाए जा रहा था। अचानक से उसकी नजर एक जगह ठहरी और वहां का नजारा देखकर आर्यमणि मुस्कुराने लगा। मिरर वाले उस हिस्से में पलक खड़ी थी। उसके हाथ में एक क्रिकेट स्टंप था। उसे वह फ्लोर पर टिकाकर बिल्कुल आर्यमणि के स्टाइल में खड़ी थी। कुछ देर वैसे ही खड़ी रही फिर पलक कॉलेज वाला एक्शन दोहराने लगी, जैसा–जैसा आर्यमणि कॉलेज में कर रहा था।


आर्यमणि, पलक के इस हरकत को पीछे से देख रहा था। पलक अपनी जिज्ञासा आइने के सामने दिखा रही थी… "सुनिए आप जरा एक किनारे खड़े होंगे।" आर्यमणि को किसी ने टोका और वो वहां से किनारे हटकर पलक के रिपीट टेलीकास्ट के एक्शन को देखने लगा।


3-4 बार पलक उस एक्ट को करने के बाद, वहीं पास के ट्रायल रूम में घुस गई और आर्यमणि मुस्कुराते हुए वहां से आगे बढ़ गया। अपनी धुन में आर्य मणि भी पलक के पीछे जाने लगा। तभी सामने से भूमि उसे रोकती.… "तू किसके लिए यहां शॉपिंग करने आया है।"… भूमि ने सवाल किया और चित्रा जोड़-जोड़ से हसने लगी।


आर्यमणि, पलक के बारे में सोचने पर ऐसा मशगूल हुआ कि वो लेडीज अंडरगारमेंट्स के शॉप में घुस गया।…. "हम्मम ! ठीक है आप लोग जबतक यहां हो, मै दादा से मिल आता हूं। यहां से फ्री होकर कॉल करना मुझे।"…



चित्रा:- दीदी एक तो बात कम करता है ऊपर से आप ऐसे उसकी बोलती बंद कर दोगी तो क्या होगा।


भूमि:- किसी से बात करे कि ना करे तेरे से तो पूरी बात करता है ना। तू दिल पर हाथ रखकर बता, क्या वो मेरी बात का जवाब नहीं दे सकता था? वो भी ऐसा की हमारी बोलती बंद हो जाए।


चित्रा:- हां आपकी दोनो बात सही है। वो मुझ से बात भी करता है और यहां पर वो जवाब भी दे देता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।


भूमि:- और क्यों नहीं किया..


चित्रा:- क्योंकि वो चाहता था हमे लगे कि हमने उससे ऐसा मज़ाक किया कि वो शर्माकर यहां से भाग गया।


भूमि:- तुझे वो दिल से मानता है और तू भी। अच्छा चित्रा तुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि आर्य तुझसे आई लव यू कहे।


चित्रा:- दीदी अगर उसे ऐसा फील होता ना कि मेरे दिल में ऐसी इक्छा है, तो भले ही उसके दिल में ऐसी इक्छा नहीं होती, लेकिन फिर भी वो बोल चुका होता।


भूमि:- और उसके दिल में ऐसी इक्छा होती की तू उसकी गर्लफ्रेंड होती..


चित्रा:- मुझे अभी फील हो जाए तो अभी कह दूंगी। कभी ना कभी किसी ना किसी को पार्टनर बनना ही है और मेरे करीबी दोस्त की ऐसी फीलिंग है तो चलो भाई कमिटेड हो जाओ।


भूमि:- कुछ तो गड़बड़ है चित्रा। इतने क्लियर कॉन्सेप्ट.. नाना कुछ ना कुछ यहां छिपाया जा रहा है। तुझे आर्य की कसम, मुझे वो बात बता जिसने तुम दोनों के बीच इतनी साफ मनसा दी है।


चित्रा:- हम दोनों ने अपने रिलेशन स्टेटस को चेंज किया था। जबरदस्ती 2 महीने तक गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रैंड भी रहे। कई बार किस्स भी हुआ, लेकिन एक बार भी स्मूच नहीं हुआ। बॉयफ्रेंड के साथ चिपकने वाली कभी फीलिंग ही ना आयी। वही रेगुलर गले लगने वाली ही फीलिंग आयी। जबकि हम दोनों ने जान बूझकर काफी टाईट हग किया था, कुछ तो वैसी फीलिंग निकल आए, लेकिन नहीं निकला। और भी सुनना है या हो गया।


भूमि:- हां हां सुना सुना इंट्रेस्टिंग है ये तो।


चित्रा:- हुंह ! आगे कुछ नहीं। 2 महीने में हमे पता चल गया कि हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो सकता, इसलिए हमने ब्रेकअप कर लिया।


भूमि:- तब बच्ची थी ना। सीने पर कुछ रहेगा तो ना फीलींग निकलती। अभी ट्राई करके देख ले।


चित्रा:- नहीं होगा कन्फर्म, क्योंकि आर्य किसी के प्यार मे है।


भूमि:- क्या बक कर रही है।


चित्रा:- मैं तो दोनो को जानती भी हूं।


भूमि:- उसका तो पता नहीं लेकिन तेरी लव स्टोरी किसी के साथ कन्फर्म है। खैर तू छिपाने वाली तो है नहीं इसलिए तेरी चिंता ना है। लेकिन आर्य... चल उसका नाम बता, कल ही आधी शादी करवाकर दोनो को बूक कर दूं।


चित्रा:- दीदी वो पलक..


जैसे ही चित्रा, पलक का नाम ली, पलक का कलेजा धक–धक। इधर भूमि हैरान होती... "क्या !! पलक???"


चित्रा:- अरे वो नहीं पलक हमे सुन रही।


पलक, सामने आती... "सॉरी, चित्रा अपनी और आर्य की लव स्टोरी बता रही थी और मैं तभी पहुंची। मुझे लगा कहीं मेरे सामने न बताए, इसलिए छिपकर सुन ली। वैसे काफी रोमांटिक लव स्टोरी थी।


भूमि:- दूसरों की लव स्टोरी छिपकर सुनते शर्म नहीं आती। चल अपने किस्से बता।


पलक:- मेरा नाम पलक भारद्वाज है। मैंने 2 साल एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी की और पहले अटेम्प्ट में ही अच्छे मार्क्स मिले और आज मै नेशनल कॉलेज में हूं।


चित्रा:- अच्छा परपोज कितने लड़को ने किया वहीं बता दे।


पलक:- मुझे कोई प्रपोज नहीं करता।


भूमि:- चल झुटी। बड़ी आयी.. चित्रा देख इसे जारा..


चित्रा:- देखना क्या है दीदी.. अच्छा बता तो पलक तेरी फिगर क्या है।


पलक:- 32-24-34..


चित्रा:- सुना दीदी, क्या फिगर है। बिल्कुल छरहरा बदन, 5"6’ की हाइट और चेहरे की बनावट ऐसी की नजरें टिक जाए। बस एक ही कमी रह जाती है, कभी सज–संवर के नहीं निकलती। अब ऐसे फिगर वाली को कोई परपोज ना करे?


पलक:- इतने दिन से तो कॉलेज में हूं, किसी ने परपोज किया क्या अब तक?


चित्रा:- अब तू एसपी की बहन बनकर आएगी तो कौन परपोज करेगा। लोग थोड़े कम से काम चला लेते है। वैसे अपने कॉलेज में भी तेरे जैसी फिगर को टक्कर देने वाली लड़कियां है। और वो एक ग्रुप जो सबसे अलग रहता है उसकी लड़कियां इतनी हॉट होती है कि सभी लड़के उधर ही तकते रहते है। अब ऐसे माहौल में लड़के एसपी की बहन के साथ रिस्क क्यों ले? लड़के कहीं और कोशिश में लग गए होंगे। कौन पुलिस का लफड़ा पाले क्यों दीदी।?


भूमि:- अरे पुलिस वाले की बहन हुई तो क्या हुआ, लौंडे आजकल कुछ नहीं देखते, परपोज कर ही देते है।


पलक, थोड़ी चिढ़ती हुई… "ऐसा था तो मुझे अब तक आर्य ही परपोज कर देता।"..


चित्रा:- "अरे कुछ प्राउड मोमेंट होते है। भूमि दीदी आर्य जब मेरे साथ चलता है तब मैं जली-भुनी लड़कियों के रिएक्शंस ही देखती हूं। वो साले अलग-थलग ग्रुप वालों मे लौंडे भी उतना ही हैंडसम। वहां की सेक्सी हॉट लड़कियां ग्रुप के बाहर के लौंडों को देखती तक नहीं, लेकिन वो सब भी आर्य को ताड़ती रहती है, आर्य वो मैटेरियल है।"

"लड़कियां सामने से आकर जिसे परपोज करे, आर्य वो मटेरियल है और वो तुम्हे परपोज करेगा अपनी गर्लफ्रेड बनाने के लिए। वैसे भी अगर आर्य ने किसी को परपोज किया तो समझो वो गर्लफ्रेंड बनाने के लिए परपोज नहीं कर रहा, बल्कि लाइफ पार्टनर बनाने के लिए करेगा। यदि तुम्हे मेरी बातों का यकीन नहीं है तो तुम खुद देख लेना की उसकी नजर कितनी लड़कियों पर होती है, और कितनी लड़कियों की नजर उसपर।"


पलक:- तुम ज्यादा अच्छे से जानती होगी उसके बारे में। मुझे क्या करना है। मै जैसी भी हूं खुश हूं। एक लाइफ पार्टनर ही चुनना है ना, आई-बाबा जिसे चुन लेंगे मै हां कह दूंगी।


चित्रा:- बोरिंग..


भूमि:- चित्रा कल से इसे जरा बन सवर कर निकाल इसके घर से।


चित्रा:- कैसे होगा... ये सिविल लाइन 4th रोड में है और मै सिविल लाइन 1st रोड में।


भूमि:- तेरे बाजू वाले पड़ोसी का नाम बता जो पसंद नहीं।


चित्रा:- मुरली पवार, आईजी ऑफ पुलिस।


भूमि:- ठीक है, कल से इसके घर चली जाना आज रात ही ये शिफ्ट करेंगे।


पलक:- ठीक है जो भी करना है कर लेना.. अभी चले यहां से।


भूमि:- चित्रा वो हड्डी का ढांचा और निशांत किधर है।


चित्रा:- कहीं लाइन मार रहा होगा।


भूमि:- हा हा हा… पहले उन्ही दोनो की करतूत देखते है फिर आर्य को कॉल करती हूं।


पलक:- आप दोनो जाओ, मै तेजस दादा से मिलकर आती हूं।


पलक दोनो को छोड़कर एमडी चेंबर के ओर चल दी। दरवाजे पर वही शामलाल खड़ा था, पलक को देखकर पूछने लगा क्या काम है? पलक अपना नाम बतायी और वो हाथ के इशारे से अंदर जाने के लिए बोल दिया।


पलक अंदर आयि, और नजरों के सामने आर्यमणि… "तेजस दादा नहीं है क्या?"


आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर, अपनी ओर खींचते.… "दादा नही, एक किस्स का वादा है, जो कॉलेज का मैटर खत्म करने के बाद तुम देती"…


पलक नाटकीय अंदाज में गुस्सा दिखती, खुद को आर्यमणि के पकड़ से छुड़ाने के लिए थोड़ी कसमसाती हुई.… "ये वादा कॉलेज के सामने मुझे परपोज करने के बाद का था। लेकिन शायद तुम्हारी फट गई। क्यूंकि सिर्फ तुम्हारे नागपुर में होने पर जिस अक्षरा भारद्वाज ने तुम्हे चैन से श्वांस नही लेने दिया, उसकी बेटी को सबके सामने परपोज कर देते, फिर क्या होता"…


पलक भले चिढ़ाने के लिए बोली हो लेकिन आर्यमणि बात को पूरी गंभीरता से लेते हुए.… "फिर तो फिलहाल हमे अनजान हो जाना चाहिए..."


पलक अंदर ही अंदर मुस्काती और बाहर से वह भी आर्यमणि की तरह गंभीर दिखती... "हां बिल्कुल!! तेजस दादा कहां है?"


आर्यमणि:– कहीं बाहर गए हैं।


पलक जाकर चुपचाप बैठ गई। कुछ पल तक दोनो ख़ामोश रहे… "कुछ पता है कब तक आएंगे?"..


आर्यमणि:- पता नहीं।


दोनो फिर से ख़ामोश हो गए। एक बार फिर पलक खामोशी तोड़ती हुई… "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?"..


आर्यमणि:- हां है।


पलक थोड़ी सी हैरान होती हुई… "लेकिन चित्रा तो बता रही थी कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।"..


आर्यमणि:- अभी एक घंटे पहले बनी है, इसलिए उसे भी पता नहीं।


पलक:- पहली बार उससे कब मिले थे।


आर्यमणि:- 1 घंटे और 5 मिनट पहले।


पलक:- क्या वो चित्रा से भी खूबसूरत है?


आर्यमणि:- कल वो जब आएगी मिलने, तो खुद ही देख लेना।


पलक:- क्या वो अपने ही क्लास की है?


आर्यमणि:- कल उसकी पूरी डिटेल मिल जाएगी। अब चले यहां से दादा लगता है नहीं आने वाले।


पलक:- मै क्यों जाऊं? मै तो भूमि दीदी के साथ आयी हूं। तुम जाओ, मै दादा से मिलकर जाऊंगी।


आर्यमणि, उठकर वहां से बाहर चला आया, और भूमि को कॉल लगाकर उसके बारे में पूछने लगा। भूमि ने उसे कैश काउंटर पर ही आ जाने के लिए कही। हर कोई अपना अपना पेमेंट करके जैसे ही निकलने लगे… "आर्य तू दादा के ऑफिस से आ रहा है ना, पलक वहां थी।"..


आर्यमणि:- दीदी मैंने उसे चलने के लिए कहा था तब वो बोली दादा से मिलकर ही आएगी।


भूमि:- ठीक है एक काम कर तू उसे बाइक से छोड़ देना। मै इन तीनों को छोड़ आती हूं।


आर्यमणि:- ठीक है दीदी। अरे माधव ये लो, ये तुम्हारे लिए है।


माधव, आर्यमणि के हाथ में लैपटॉप देखकर थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया… "नहीं दोस्त ई हमको थोड़े ना चाहिए, वापस कर दो।"..


चित्रा:- वो फ्री में नहीं दे रहा है माधव, बदले में तुम हम दोनों को मैथमेटिक्स और फिजिक्स पढ़ाओगे।


माधव:- वो तो हम वैसे भी हेल्प कर देंगे, लेकिन ई हम नहीं ले सकते है। वापस कर दीजिए इसको।


भूमि:- गार्ड इस अस्थिपंजर को उठाकर लाओ। आर्य तू वो लैपटॉप मुझे दे, हम इसके हॉस्टल के अंदर तक छोड़कर आएंगे।


माधव:- अरे लेकिन उ तो बॉयज हॉस्टल है दीदी आप काहे जाइएगा।


वो लोग माधव को लेकर चलते बने। इधर आर्यमणि अटक सा गया। लगभग 1 घंटे बाद आर्यमणि के मोबाइल पर पलक का कॉल आया, और वो आर्यमणि से उसका पता पूछने लगी। आर्यमणि उसे बिल काउंटर पर ही बुला लिया।… "सॉरी मेरे कारण तुम्हे इंतजार करना पड़ा। दीदी को कॉल की तो पता चला उन्हें जरूरी काम था इसलिए उन्हें निकालना पड़ा और मै तुम्हारे साथ"..


आर्यमणि:- इट्स ओके। चलो चलकर पहले कुछ खाते है।


पलक:- बाहर में कुछ खाए क्या?


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है चलो।


आर्यमणि, पलक को रुकने बोलकर अपनी बाइक ले आया। पलक को अचानक ध्यान आया कि आर्यमणि के पास तो बाइक है, वो भी उसके सीट की पोजिशन ऐसी है कि बिना चिपके जा नहीं सकते है… "आर्य, क्या तुम्हारे पास कार नहीं है"


आर्यमणि:- ज़िन्दगी में हर चीज का मज़ा लेना चाहिए पलक। गंभीर और शांत मै भी रहता हूं, इसका मतलब ये नहीं कि जीता नहीं हूं, हंसता नहीं हूं। तुमने तो अपने अंदर के ख्यालों को ही अपनी पूरी दुनिया बना ली है। अब आओ और ये झिझक छोड़ दो कि बाइक पर मै एक अजनबी के साथ कैसे जाऊंगी।


"चले क्या"… पलक बाइक पर बैठती हुई आर्यमणि के कंधे पर हांथ डालकर मुस्कुराती हुई कहने लगी। आर्यमणि मस्त अपनी बाइक चला रहा था और पीछे बैठकर पलक आर्यमणि से दूरी बनाने की कोशिश तो कर रही थी, लेकिन बीएमडब्लू बाइक के सीट कि पोजिशनिंग कुछ ऐसी थी कि वो जाकर आर्यमणि से चिपक जाती।


बड़ी मुश्किल से पलक 2 इंच की दूरी बनाती और इधर ट्रैफिक के कारण लगा ब्रेक उन दूरियों को मिटा देती।… "पलक कहां चलना है।"..


पलक अपने होंठ आर्यमणि के कान के करीब ले जाती… "चांदनी चौक चलेंगे पहले।"… कुछ ही देर में दोनो चांदनी चौक में थे। पलक स्ट्रीट फूड का लुफ्त उठाने आयी थी, वहां उसने जैसे ही 2 प्लेट हैदराबादी तंदूर का ऑर्डर दिया… "पलक एक ही प्लेट का ऑर्डर दो।"..


पलक:- क्यों ऐसे ठेले पर का खाना खाने में शर्म आएगी क्या?


आर्यमणि:- नहीं, मै नॉन वेज नहीं खाता।


पलक:- सच बताओ।


आर्यमणि:- हां सच ही कह रहा हूं।


पलक:- फिर छोड़ो, चलो चलते है यहां से।


आर्यमणि:- लेकिन हुआ क्या?


पलक:- साथ आए है, खाली हाथ खड़े रहोगे और मै खाऊंगी तो अजीब लगेगा ना।


आर्यमणि:- तुम आराम से खाओ, मै भी अपने लिए कुछ ले लेता हूं।


वहीं पास से उसने गरम छने समोसे लिए और पलक का साथ देते हुए वो समोसा खाने लगा। चांदनी चौक से फिर दोनो प्रताप नगर और वहां से फिर तहसील ऑफिस। हर जगह के स्ट्रीट फूड का मज़ा लेते अंत में दोनो सिविल लाइन चले आए।


जैसे ही सिविल लाइन आया, पलक… "तुम यहीं छोड़ दो, यहां से मै चली जाऊंगी।"…


आर्यमणि:- नहीं दीदी ने घर तक छोड़कर आने के लिए कहा है।


पलक, अनायास ही बोल पड़ी… "पागल हो क्या, मेरे घर जाओगे। तुम जानते भी हो वहां का क्या माहौल होगा।"


आर्यमणि:- हद है, इतना बढ़िया अनजान के रोल में घुसी थी, यहां आकर क्या हो गया?


पलक, छोटा सा मुंह बनाती... "मुझे माफ कर दो। मैं अपनी आई (अक्षरा भारद्वाज) के नाम पर तुम्हे बस छेड़ रही थी। लेकिन मेरे घर तक जाना...


आर्यमणि:- क्यों किसी लड़के के साथ जाने पर तुम्हारे घरवाले तुम्हे गोली मार देंगे क्या?


पलक:- किसी मे, और तुम मे अंतर है ना आर्य।


आर्यमणि:- मेरे माथे पर नाम नहीं लिखा है। दीदी ने कहा है तो घर तक छोड़कर ही आऊंगा।


पलक:- जिद्दी कहीं के ! ठीक है चलो।


कुछ ही दूरी पर पलक का घर था। आर्य उसे छोड़कर वापस लौट ही रहा था कि पीछे से पलक ने आवाज़ लगा दी… "सुनो आर्य"...


आर्य रुककर इशारे से पूछने लगा क्या हुआ। पलक उत्तर देती कहने लगी, दादा (राजदीप) का आवास शिफ्ट कर दिया गया है। आर्यमणि पलक को लेकर उसके नए आवास पर पहुंच गया। पलक बाइक से उतरती हुई आर्यमणि से विदा ली। लेकिन पलक जैसे ही अपना कदम बढ़ायि, आर्यमणि भी उसके पीछे चल दिया।

पलक हैरानी से आर्यमणि को देखती... "मेरे पीछे क्यूं आ रहे?

आर्यमणि:– जब इतनी दूर आ ही गया हूं, तो साथ में तुम्हारे घर भी चलता हूं। मेरे माथे पर थोड़े ना मेरा नाम लिखा है।"

पलक:– आर्य तुम समझते क्यूं नही? अंदर मत आओ..

आर्यमणि:– तुम्हे इस राजा की रानी बनना है या नही?

पलक:– हां लेकिन...

आर्यमणि:– हां तो फिर चलो...

पलक असमंजस में, और आर्यमणि मानने को तैयार नहीं... पलक, आर्यमणि को समझाकर वापस भेजने में विफल रही और नतीजा, आर्यमणि भी पलक के साथ ही अंदर घुसा... वहीं कुछ घंटे पूर्व, शॉपिंग मॉल में जैसा की भूमि, चित्रा से कही थी, ठीक वैसा ही हुआ। एसपी राजदीप और कमिश्नर राकेश नाईक का आवास आसपास था। शिफ्ट करने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए भूमि ने कई सारे लोगों को भेज दिया था।


सुप्रीटेंडेंट और कमिश्नर का परिवार आस-पास और दोनो परिवार के लोग हॉल में बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे, ठीक उसी वक्त पलक और आर्यमणि वहां पहुंच गये। पलक और आर्यमणि ने जैसे ही घर में कदम रखा, सभी लोगो की नजर दोनो पर। और जैसे ही नजर आर्यमणि पर गई, वहां बैठे सभी लोग घोर आश्चर्य में पड़ गए।


इससे पहले कि कोई कुछ कहता, एक उड़ता हुआ चाकू आर्यमणि के ओर चला आया और पीछे से राजदीप की मां अक्षरा चिल्लाने लगी… "ये कुलकर्णी की औलाद यहां क्या कर रहा है। पलकककक .. हट उसके पास से। जिसका साया पड़ना भी अशुद्ध होता है, तू उसे घर तक साथ ले आयी। तुझे और कोई लड़का नहीं मिला क्या पूरे नागपुर में, जो तू उस भगोड़ी जया के बेटे को यहां ले आयी।


आर्यमणि दरवाजे पर ही खड़ा था, और अक्षरा बेज्जती करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पलक को ऐसा लगा मानो उसने आर्यमणि को यहां लाकर कितनी बड़ी गलती कर गई। शब्द तीर की तरह थे जो पलक का कलेजा चिर गई और वो रोती हुई आर्यमणि को देखने लगी, मानो बहते आंसू के साथ माफी मांग रही हो।


आर्यमणि खामोशी से बात सुनता गया। अक्षरा जैसे ही चुप होकर बढ़ी धड़कनों को सामान्य करने लगी, आर्यमणि पलक के आशु पोछकर उसे शांत रहने का इशारा किया और अक्षरा के ओर चल दिया। अपने हाथ में वो चाकू लिए अक्षरा के पास पहुंचा। आर्यमणि, अक्षरा का हाथ पकड़कर उसे चाकू थमाते… "देख तो लूं जरा, कितनी नफरत भरी है आपके दिल में।"…


तभी बीच में निशांत की मां निलानजना बोलने लगी… "नहीं आर्य"..


आर्य:- नहीं आंटी अभी नहीं। बचपन से इनकी एक ही कहानी सुनकर पक गया हूं। मेरी मां के बारे में इन्होंने इतना कुछ बोला है कि मेरा दिमाग खराब हो गया। कॉलेज में मुझे परेशान करने के लिए ये लोग स्टूडेंट को उकसा रहे है। आज दुश्मनी का लेवल भी चेक कर लेने दो मुझे।… अक्षरा भारद्वाज दिखाओ लेवल। भाई मरा था ना उस दिन, तो ले लो बदला। अब चाकू लिए ऐसे ख़ामोश क्या सोच रही है?


आर्यमणि इतनी जोर से चिल्लाया की वहां के हॉल में उसकी आवाज गूंज गई। राजदीप कुछ बोलने लगा लेकिन तभी चित्रा की मां निलांजना ने उसे चुप करा दिया। आर्यमणि गुस्से में अक्षरा से अपनी नजर मिलाए… "क्यों केवल बोलना आता है, पीठ पीछे लोग भेजने आते है। आज मैंने कॉलेज ने 30 ऐसे लोगो को मारा है जो आपके कहने पर कॉलेज मुझसे लड़ने आए थे। उनमें से 2 को बहुत गन्दा तोड़ा मैंने, और जब उससे मिलने हॉस्पिटल गया तो 30-40 और लोगों को तोड़ना परा। भारद्वाज खानदान में सामने से वार करने की हिम्मत खत्म हो गई क्या? चलो चलो चलो अब दिखाओ भी नफरत।


अक्षरा बड़ी मुश्किल से चाकू ऊपर उठाई। उसके हाथ कांप रहे थे। आर्यमणि ने उसके हाथ को अपने हाथ का सहारा देकर अक्षरा की आंखों में देखा। चाकू को अपने सीने के नीचे टिकाया। लोग जैसे ही दौड़कर उसके नजदीक पहुंचते, उससे पहले ही आर्यमणि वो चाकू अपने अंदर घुसा चुका था।
Nafrat ko khatm krne ka sabse accha or sabse sateek tarika arya ne akshra bharadwaj ko dikha diya or unke hatho me chaku pakda kr khud hi apne sine me ghop liya dekhte hai itne pr bhi unki nafrat khatm hoti hai Ya nhi palak ko sunaya jo khud Unhi ki beti hai, Vahi shopping Moll me palak or arya ki aapsi mithi takrar or madhav ka bolne ka lahja kya hi kahne Bhai lajvab, chitra or arya ne 2 mahine gf bf ka role play bhi kiya hua tha bhumi Di ko btate huye palak ne bhi suna or arya ki Gf Kon hai Ispr chitra NE btakr bhi baat ghuma di superb update bhai sandar jabarjast lajvab amazing
 

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भाग:–20






परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...


राजदीप चला गया और भूमि कैंटीन में चली आयी। वो आर्यमणि के पास बैठती हुई…. "ये हड्डी का ढांचा कौन है।"… भूमि माधव को देखते हुए पूछने लगी।


चित्रा:- उसे हड्डी का ढांचा नहीं बुलाइए।


भूमि:- चित्रा बहुत बड़ी हो गई है। क्या कहती थी मुझसे.. दीदी जब मै नागपुर आऊंगी तब आपके साथ ही रहूंगी और वो आशिक़ कहां गया, मेरा दूसरा बॉयफ्रेंड.. क्यों रे उधर मुंह छिपाकर क्या कर रहा है, यहां इसे कोई मिली नहीं क्या अब तक?


निशांत:- कैसे मिलेगी, आर्य को बीएमडब्लू दी हो और मुझे भुल गई।


भूमि:- तेरा बाप क्या पैसे छाती पर लाद कर ले जाएगा। पिछले साल 182 करोड़ का आईटीआर फाइल किया था। अपने कंजूस बाप को बोल एक बाइक दिला दे।


चित्रा:- दीदी आपकी बात कौन टाल सकता है। आप ही पापा को बोल दो।


भूमि:- ये छोड़ी चुप क्यों है। पलक तुम मुझे पहचानती हो या नहीं।


पलक:- दीदी आप भी ना कैसी बातें कर रही हो। कैसी हो आप?


भूमि:- कैसी बातें क्या? मै आयी, यहां बैठी। तेरे मौसेरे भाई बहन मुझसे खुलकर बात कर रहे और तू मुझसे कतरा रही है। तेरी मां और चित्रा की मां दोनो सौतेली बहने है क्या?


पलक:- आप भी ना कैसी बातें कर रही हो दीदी।


भूमि:- कैसी बातें क्या, मै चित्रा की मां से मिली थी। उसने अपने बच्चे के मन में कभी जहर नहीं घोला, कि तेरे मामा की मौत के कारण मेरी जया मासी है। ये दोनो गहरे दोस्त है और एक बात, तेरी मां के चढ़ावे में आकर तेरा बाप मेरी मासी और मौसा से दुश्मनी निभा रहा है, लेकिन चित्रा की मां और जया मासी दोनो अच्छे दोस्त है, सुख दुख के साथी। क्यों चित्रा, क्यों निशांत मै गलत कह रही हूं क्या?


चित्रा:- दीदी बिल्कुल सही कहा आपने। जैसे आप छुट्टियों में आती थी गंगटोक, तेजस दादा आते थे, वहां महीनों रहते थे। वैसी ही मां भी कहती थी मासी से, दीदी बच्चो को भेज दो राकेश के पुलिस की नौकरी के कारण हम कहीं निकल नहीं पाते। तब मासी साफ माना मार देती, कहती तेरे घर के बगल में कुलकर्णी का घर है।


निशांत:- जानती हो दीदी, एक दिन मैंने पलक के कंधे पर हाथ रख दिया तो इसे ऐसा लगा जैसे किसी अनजान ने इसके कंधे पर हाथ रख दिया। हम बस नाम के दो सगी बहनों के बच्चे है, बाकी जान पहचान तो मानकर चलो की कॉलेज के कारण हुई है।


पलक:- नहीं ऐसी बात नहीं है।


चित्रा:- तो कैसी बात है। हां मानती हूं तुम हम सबसे समझदार हो लेकिन दिल प्यार मांगता है, समझदारी तो जिंदगी भर दिखा सकती हो। तुम बताओ क्या जैसे भूमि दीदी और आर्य के बीच का रिश्ता उसके 5% में भी है क्या हम लोग।


भूमि:- तुम तो ये कहती हो। इसकी मां का दबदबा ऐसा है कि उसने इन सबको सीखा कर रखा है, वो लोग तेरे थोड़े ना अपने है। तेरे दादा 2 भाई थे उसके 2 बच्चे हुए, और ये तीसरा जेनरेशन है। इनसे इतने क्लोज होने की क्या जरूरत। जबकि ये तो मेरे कंप्लीट ब्लड रिलेशन में हुए। एक ही शहर में आए हुए साल भर हो गए है लेकिन मिस ने एक कॉल तक नहीं किया।


पलक:- आप सब क्यों मेरी आई के बारे में इतना कह रहे। भूमि दीदी जैसे आप आर्य के लिए आज व्याकुल होकर यहां स्टूडेंट की लाश गिराने के लिए तैयार थी, वैसा ही हाल तो मेरी मां का भी है ना। आप आक्रोशित हो तो प्यार और वो आक्रोशित हो तो…


भूमि:- मीटिंग में तो तुम आती ही हो ना.. वहां क्या बताया जाता है.… परिस्थितियों से हारकर जो आत्महत्या करते है वो अक्षम्य अपराध है। यानी कि माफ ना करने योग्य गलती। उस आदमी ने आत्महत्या कि और अपने पीछे कई जलते लोगो को छोड़ दिया। भाई से प्रेम है इस बात का हम सब आदर करते है, तभी तो छोटे काका से मै बाहर मिलते रहती हूं, राजदीप मुझसे मिलने आता है। दादा से मिलता है। नम्रता मेरे नीचे काम कर रही है और इस मीटिंग में मै उसे अपना उतराधिकारी बना रही हूं। क्यों नहीं है कदर। उनकी भावना की कदर है तभी तो हम बाहर मिलते है, ताकि उनको दर्द का एहसास ना हो। हम सब मिलते है सिवाय तुम्हारे। अब तुम कह दो कि तुम्हे ये बात पता नहीं।


पलक:- मै जा रही हूं क्लास।


चित्रा:- अब कौन बीच मे छोड़कर जा रहा है।


पलक:- मुझे नहीं समझ में आ रहा की मै क्या जवाब दूं। दीदी ने ऐसी बात कही है जिसमें पॉजिटिव भी उनका है और नेगेटिव भी उन्हीं का। मै किस प्वाइंट को बोलकर तर्क करूं जबकि अभी मै खुद में ही गिल्ट फील कर रही हूं।


भूमि:- चल शॉपिंग करके आते है।


पलक:- मुझे कहीं नहीं जाना।


भूमि:- चित्रा मै तो थर्ड जेनरेशन में हूं, थोड़े दूर की बहन। तू ही कह, कहीं तेरी बात मान ले।


पलक:- कोई ड्रामे नहीं चाहिए। दीदी मै समझ गई दुनिया क्यों कहती है भूमि ने जो ठान लिया वो होकर रहता है।


भूमि:- और क्यों ऐसा कहती है..


पलक:- क्योंकि आप अपनी बात मनवाने में माहिर हो। चलती हूं मै आपके साथ।


भूमि:- ये हुई ना बात। चलो फिर सब..


माधव:- फिर क्लास का क्या होगा।


भूमि:- इस डेढ़ पसली को भी पैक करके लाओ, ये भी चलेगा।


आर्यमणि:- आप लोग जाओ दीदी मै जारा हॉस्पिटल होकर आता हूं। शायद 2 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए है।



भूमि:- ठीक है उन्हें देखकर सीधा दादा के मॉल आ जाना।


ये चारो एक साथ निकल गए और आर्यमणि चल दिया उन लोगों को देखने जिसे उसने पीटा था। कॉलेज के ऑफिस से पता करके आर्यमणि उन लड़कों के घर के ओर चल दिया।


जैसे ही उनके गली में बाइक घुसी, चारो ओर खून कि बू और कटे हुए बकरे लटक रहे थे। आस–पास ऐसे लोगो की भीड़, जिनसे आर्यमणि का पाला पहले भी पड़ चुका था। एक पूरी बस्ती, सरदार खान की बस्ती, जहां खून के प्यासे लोग चारो ओर थे। आर्यमणि चारो ओर के माहौल का जायजा लेते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था तभी एक लड़की अर्यमनि का हाथ पकड़कर कहने लगी… "मेरे साथ चलो और किसी से भी नजरें नहीं मिलाना।"..


आर्यमणि उसके साथ चला। बाज़ार की भीड़ से जैसे ही दोनो आगे बढ़े, वो लड़की आर्यमणि को एक कोने में ले गई और उसे दीवार से चिपकाते हुए…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए हो।"..


दोनो इतने करीब थे कि आर्यमणि उसकी धड़कने सुन सकता था। गले से प्रवाह होने वाले गरम रक्त को मेहसूस कर सकता था। उसके बदन कि खुशबू लड़की का पूरा परिचय दे रही थी। आर्यमणि अपना मुट्ठी बांधकर अपनी तेज धड़कन को धीरे-धीरे सामान्य करने लगा.. इतने में दोबारा वो लड़की पूछी…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए।"…


आर्यमणि, उसे खुद से थोड़ा दूर खड़ा करते ऊपर से नीचे तक देखने लगा… "तुम हमारे कॉलेज में पढ़ती हो। मुझे मारने आए लड़को के साथ तुम भी पीछे खड़ी थी। नाम क्या है तुम्हारा?


लड़की:- रूही..


आर्यमणि:- मुझे घेरकर मारने आए थे, बदले में मैंने उसे मारा। मुझे लगा गुस्से में बहुत गलत कर दिया मैंने, इसलिए यहां पता करने चला आया कि वो कौन से हॉस्पिटल में है।


रूही:- तुम बिल्कुल पागल हो। वो लोग नेचर हॉस्पिटल में एडमिट है। यहां से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां उनसे मिलना और चुपचाप चले जाना। कल कॉलेज आकर मै बात करती हूं।


आर्यमणि:- हम्मम !


आर्यमणि उसी रास्ते वापस जाने की सोच रहा था लेकिन रूही ने उसे दूसरे रास्ते से बाहर निकाला और दोबारा कहने लगी, "बस मिलना और चले जाना"। आर्यमणि उसकी बात पर हां में अपना सर हिलाते हुए नेचर हॉस्पिटल पहुंचा। वो समझ चुका था कि ये हॉस्पिटल इन लोगों का अपना हॉस्पिटल है।


आर्यमणि रिसेप्शन पर…. "मिस यहां 2 लड़का आज एडमिट हुआ होगा, नेशनल कॉलेज का है। एक के सीने की हड्डी टूटी है और दूसरे की पाऊं की। आपको कुछ आइडिया है।


वह लड़की ने आर्यमणि को घुरकर देखी और पहले माले के रूम नंबर 5 में जाने के लिए बोल दी। आर्यमणि के ठीक पीछे-पीछे रूही भी वहां पहुंची थी। रिसेप्शन पर खड़ी लड़की को देखकर रूही समझ गई यहां क्या होने वाला है। हवा की रफ्तार से वो आर्यमणि के पास जाकर खड़ी हो गई… "कैसी हो लिटा, और तुम जानू यहां क्यों आ गए, मना की थी ना मेरे दोस्त ठीक है तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं।"


वो रिसेप्शनिस्ट लिटा, रूही को हैरानी से देखती हुई…. "जानू, ये तेरा बॉयफ्रेंड है क्या?"


रूही:- कामिनी इस हैंडसम हंक को घूरना बंद कर और तुम क्या इसे देख रहे हो, चलो यहां से।


लिटा:- ये लड़का नॉर्मल दिख रहा है, तू कंफ्यूज दिख रही है, सच-सच बता ये तेरा बॉयफ्रेंड है या तू इसे बचना चाह रही है। जिस तरह से ये पूछ रहा था, मुझे तो पुरा यकीन है कि ये वही है जिसने रफी और मोजेक को मारा है।


रूही, रिसेप्शन काउंटर पर अपने दोनो हाथ पटकती… "हां ये वही है। और वो कॉलेज का लफड़ा था समझी। कंफ्यूज मै नहीं थी बल्कि ये साफ मन से आया था इसलिए घबरा रही थी। और अंत में, ये मेरा बॉयफ्रेंड है, इसका मतलब ये मेरे पहचान का है, इसे कुछ नहीं होना चाहिए।


लिटा:- ये बातें तू मुझे नहीं उन्हें समझा जो तेरे बॉयफ्रेंड को ओमेगा मानते है। एक अल्फा जिसके पास कोई पैक नहीं। और हां तू यहां बातें कर वो तो गया..


रूही जबतक मुड़कर देखती तबतक तो आर्यमणि गायब हो चुका था। रूही भागकर ऊपर पहुंची। …. "ओ खुदाया, ये सब क्या है।"


बीच के समय में… जैसे ही रूही आगे बढ़कर रिसेप्शन काउंटर पर अपने हाथ ठोकी, आर्यमणि उन लोगो से मिलने पहले माले पर चल दिया। पूरा पैसेज ही वूल्फ से भड़ा पड़ा था। आर्यमणि जैसे ही भिड़ से होकर अंदर घुसने कि कोशिश करने लगा, वहां खड़े वेयरवुल्फ को समझ में आ गया कि है यह हमारे बीच का नहीं है। आर्यमणि को पीछे धकेलते हुए लोग उसकी ओर मुड़ गए… "ए लड़के अभी तू जा यहां से इलाज चल रहा है। जब इलाज हो जाए तो आ जाना।"..


अभी एक आदमी आर्यमणि से इतना कह ही रहा था तभी एक लड़का चिल्लाया… "यही है वो अल्फा जिसने रफी और मोजेक को मारा है।"… बस इतना कहना था कि वहां पर सभी शेप शिफ्टर ने अपना शेप बदल लिया। किसी की चमकती पीली आखें तो किसी के चमकते लाल आंख। कान सबके बड़े हो गए और ऊपर से तिकोने। चेहरा खींचकर आधा इंसान तो आधा वुल्फ का बन गया।


"वूऊऊऊ" की आवाज़ निकालकर आगे बढ़े। 2 वेयरवोल्फ अद्भुत रफ्तार से दौड़कर अपने पंजे से आर्यमणि को फाड़ने की कोशिश। आर्यमणि दोनो की कलाई पकड़ कर उल्टा घुमाया और तेजी के साथ दोनो के सर को पहले आपस में टकराया और उसके बाद दाएं बाएं के दीवाल पर बारी-बारी से उनका सर दे मारा।


आर्यमणि उस छोटे से पैसेज में आगे बढ़ते हुए, किसी हाथ पकड़कर उसके पंजे के नाखून को उल्टा घूमाकर बड़े–बड़े राक्षस जैसे नाखून को तोड़कर जमीन में बिखेर देता, तो किसी का गला पकड़कर उसके पाऊं पर ऐसा मारता की वो अपने टूटे पाऊं के साथ कर्राहने लगता।


देखते ही देखते वो पुरा पैसेज घायलों के चींख और पुकार से गूंजने लगा। ज्यादातर लोगों की हालत ऐसी थी मानो वो चलती चक्की के बीच में आकर पीस गया हो। आर्यमणि ने ज्यादातर लोगों को दाएं और बाएं के पैसेज की दीवार से टकरा दिया था।


जैसे ही रूही उस पैसेज में पहुंची, अपने सर पर हाथ रखती…. "ओ मेरे खुदाया। आर्य तुमने क्या कर दिया।"


आर्यमणि उसके बातो का जवाब देने से ज्यादा जरूरी अंदर जाकर घायलों से मिलना समझा और वो रफी और मोजेक के कमरे में प्रवेश किया। जैसे ही आर्यमणि ने दरवाजा खोला, मोजेक जोर से चिल्लाया…. "यही है वो ओमेगा"


आर्यमणि:- यही बात बोलकर पीली और लाल चमकती आखों वाले ने मुझ पर हमला किया था। मैंने उनका क्या हाल किया वो जाकर देखो पैसेज में। क्यों जानू तुम कुछ कहती क्यों नहीं?


रूही, जो बिल्कुल पीछे खड़ी थी, और आर्यमणि उसके बदन की खुशबू से समझ गया था। रूही हड़बड़ाई और घबराई आवाज़ में… "मै जी वो बाबा"..


"ये लड़का कौन है रूही, और बाहर के पैसेज में क्या हुआ है जो ये दर्द भरी कर्राहटें निकल रही है।"…. एक रौबदार आवाज़ उस कमरे में गूंजती हुई.. जिसे सुनकर रूही के साथ-साथ मोजेक और रफी भी सिहर गए।


आर्यमणि अपने एक कदम आगे बढ़कर, अपनी उंगली उसके गले के साइड में उभरे हुए नाश पर उंगली फेरते कहने लगा… "तुम डरे हुए हो, और अपनी डर को छिपाने के लिए ये तेज आवाज़ निकाल रहे। तुमने सब सुना बाहर खड़े लोग ने जब मुझे ओमेगा कहा। और देखते ही देखते तुम्हारे 20-30 लोग और घायल हो गए।"


"मै नहीं जानता कि तुम मुझे ओमेगा क्यों कह रहे। मै नहीं जानता कि तुम्हारी आखें पीली या लाल कैसे हो जाती है। मै नहीं जानता तुमलोग रूप बदलकर कैसे इंसान से नर भेड़िए बन जाते हो। एक ही बात मै जनता हूं, महाकाल मेरे सर पर सवार होता है और मै सामने वाले को तोड़ देता हूं।"

"कॉलेज के झगड़े में इसका पाऊं गया। मुझे बुरा लगा कि गलती किसी और कि थी और आगे रहकर मार करने की सजा ये पा गया। अब बात यहीं खत्म करनी है या आगे बढ़ानी है तुम्हारा फैसला। चाहो तो पुरा गांव बुलाकर मुझे ओमेगा-ओमेगा कहते रहो और हड्डियां तुड़वाते रहो। या फिर इसे ये मानकर भुल जाओ की तुम वीर लोग कहीं मार करने गए और कोई तुमसे भी ज्यादा वीर मिल गया।"


आर्यमणि गंभीर से आवाज़ में सरदार खान के इर्द गिर्द घूमता अपनी बात कह रहा था और वो आदमी लगातार अपने माथे के पसीने को पोंछ रहा था। जैसे ही आर्यमणि की बात खत्म हुई…. "मेरा नाम सरदार खान है। ये पूरे इलाके का मुखिया। मुखिया मतलब हम जैसे पीली और लाल आखों वाले वुल्फ का मुखिया। हमे इंसान पहचानने में गलती हुई। मै ये बात यही खत्म करता हूं, इस विनती के साथ की तुमने जो यहां देखा वो किसी से नहीं कहोगे।"..


आर्यमणि:- अब तो आपकी बेटी का बॉयफ्रेंड हूं, यहां आना जाना लगा रहेगा। अब घर की बात थोड़े ना बाहर बताऊंगा, क्यों डार्लिंग।


रूही:- बाबा मै इसे बाहर छोड़कर आती हूं।


रूही ख़ामोश आर्यमणि के साथ चल दी। वो कदम से कदम मिलाकर चल भी रही थी और अपनी नजर त्रिछि करके आर्यमणि को देखकर मुस्कुरा भी रही थी। जैसे ही दोनो बाहर आए…. "तुम्हे जारा भी डर नहीं लगा, जब यहां के लोगों से अपना शेप शिफ्ट किया।"


आर्यमणि:- तुम भी तो उस रात शेप शिफ्ट की हुई थी घोस्ट। मै भूत, पिसाच, और दैत्यों के अस्तित्व में विश्वास तो रखता हूं, लेकिन मुझे घंटा उनसे डर नही लगता। शेप शिफ्टर के गॉडफादर श्री हनुमान जी मे विश्वास रखता हूं, फिर तुम लोग तो इनके सामने धूल के बराबर हो।


रूही:- तुम कमाल के हो मेरे बॉयफ्रेंड। मुझे पाहचना कैसे?


आर्यमणि, बाइक पर बैठते हुए… "जब तुम मेरे बिल्कुल करीब थी, तब मैंने तुम्हारी बढ़ी धड़कने मेहसूस की थी। इन धड़कनों से मै पहले भी परिचित हो चुका हूं। खैर मै कुछ मामले निपटाकर जल्द ही तुमसे मिलता हूं, तबतक जलते अरमान को थोड़ा और जला लो।"..


आर्यमणि, जैसे ही बाइक स्टार्ट करके जाने लगा… "ओय तत्काल बने मेरे बॉयफ्रेंड, अपनी गर्लफ्रेंड को एक बार देखकर बता तो दो कैसी लगी।"..


आर्यमणि "मस्त, सुपर हॉट... वैसे भी पता नहीं तुम लोगों की मां ने कौन सी जड़ी बूटी खाकर पैदा किया था, सब एक से बढकर एक। उसमे भी तुम तो कल्पना से पड़े हो" कहता हुआ चल दिया शॉपिंग पर सबको ज्वाइन करने। कुछ ही देर में आर्यमणि बिग सिटी मॉल में था। नीचे के सेक्शन में कोई नहीं था इसलिए आर्यमणि फर्स्ट फ्लोर पर जाने लगा।
अररे बाप रे
आर्यमणि ने कुछ ऐसा दिखाया है कि सरदार खान के हाथ के तोते उड़ गए
अब उसीके सामने खुद को उसीकी बेटी का बॉय फ्रेंड तक बता दिया
वाव बहुत रॉ और माचो वाला मूव है
फ़िलहाल आर्यमणि जान गया है उस पर हमला करने वाले या यूँ कहूँ करने वाली कौन है
अब देखते हैं कैसे सामना करता है
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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भाग:–19






आर्यमणि:- दीदी जाकर सो जाओ और मेरी चिंता छोड़ दो। रही बात कॉलेज की तो वहां का लफड़ा मै खुद निपट लूंगा। हां मेरे एक्शन का इंपैक्ट देखना हो तो कल कॉलेज का सीसी टीवी कैमरा हैक कर लेना। मुख्य साजिशकर्ता का पता मिले या ना मिले लेकिन मैंने किसी को प्रोमिस किया है कि कल ही काम खत्म होगा।


भूमि:- ओह ये वही लड़की है ना जिससे तू सनीवार को मिला था।


आर्यमणि:- आपने क्या लोग लगाए है मेरे पीछे?


भूमि:- बच्चा है तू मेरा। जहां 10 दोस्त होते है वहां 2-3 कब दुश्मन बन जाए पता नहीं चलता। इसलिए शुरू में लोग लगाए थे। बाद में लगा कि मेरा भाई कैपेबल है और तुझ पर विश्वास जताया और लोग को हटा दी।


आर्यमणि:- झूठी फिर वो लड़की की बात कैसे पता आपको।


भूमि:- अरे भाभी (तेजस की पत्नी, वैदेही) ने तुझे देखा था। तू बन संवर कर निकला था, एक कार आकर रूकी और तू उसमे बैठकर रफूचक्कर। अब बता ना किसके साथ कहां गया था?


आर्यमणि:- बस यूं ही कॉलेज की एक लड़की थी। उसने मुझसे कहा कि वो मेरे साथ अंबा खोरी जाना चाहती है। अब बड़े अरमान के साथ पूछी थी, इसलिए मैंने भी हां कह दिया।


भूमि:- हां ठीक तो किया। फिर क्या हुआ?


आर्यमणि:- बहन हो मेरी, खुद को निशांत ना समझो कि हर बात बता दूंगा। हद है दीदी।


भूमि:- हां ठीक है, ठीक है, समझ गई। वैसे दोनो गर्लफ्रेंड–ब्वॉयफ्रेंड बने की नहीं।


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी अब मै चला सोने।


भूमि उसे पीछे से पुकारती रही लेकिन आर्यमणि चला गया सोने। सुबह के वक्त आर्यमणि कॉलेज निकल चुका था, सारी योजना वो बाना चुका था, बस अब उन लोगो को उलझने की देर थी। इधर निशांत और चित्रा पहले आर्यमणि के गायब होने पर दुखी थे, वहीं अब उसके साथ चल रहे इस अजीब रैगिंग से।


आज तो चित्रा ने सोच लिया था कि किसी तरह वो आर्यमणि को लेकर गंगटोक निकल जाएगी और जया आंटी के सामने उससे पूरे सवाल जवाब करेगी, "उसके मन में चल क्या रहा है?" वहीं निशांत को लग रहा था इतने साल विदेशी जंगल में रहने के कारण आर्यमणि लड़ाई भुल चुका है और अपनी पहले की क्षमता खो चुका है। उसे याद दिलाना होगा कि वो क्या चीज है? और इधर पलक, निराशा में कॉलेज के लिए निकली। वह सोमवार की ही बड़े उत्साह के साथ निकली थी। अपने चाबुक पर तेल लगाकर निकली थी। लेकिन आर्यमणि ने सोमवार को भी वही किया जो पिछले 2 हफ्तों से करता आ रहा था, कुछ नही... पलक बस अब मायूस थी...


हर कोई अपने-अपने अरमान लिए कॉलेज पहुंचा। क्लास खत्म होने के बाद सेकंड ईयर के लोग कुछ देर पहले कैंटीन पहुंचे और फर्स्ट ईयर वाले कुछ देर बाद। आज निशांत के साथ उसकी गर्लफ्रेंड हरप्रीत नहीं थी, और एक ही टेबल पर बड़ा सा महफिल लगा हुआ था। चित्रा, निशांत, माधव, पलक, आर्यमणि और इन सब के बीच सबकी कॉफी। हर कोई आर्यमणि से एक ही विषय में बात करना चाह रहा था। आर्यमणि भी उनके अरमान भली भांति समझ रहा था, इसलिए हमेशा कुछ और बातें शुरू कर देता। मन मारकर सभी आपस में इधर उधर की बातें कर रहे थे, उसी बीच निशांत अपने बैग से एक वायरलेस निकालकर टेबल पर रख दिया।… "पुराने दिनों की तरह कुछ तूफानी हो जाए।"


चित्रा, आखें फाड़कर उस वायरलेस को देखती…. "तुम दोनो पागल हो गए हो क्या?"..


पलक:- ये तो पुलिस का रेडियो है, ये दोनो इसका क्या करने वाले है?


चित्रा:- मुसीबत में फंसे लोगों की मदद।


पलक:- हां लेकिन उसके लिए पुलिस है ना।


चित्रा:- ये बात मुझे नहीं इन दोनों से कहो। गंगटोक में जंगल के सभी केस यही दोनो सॉल्व करते थे।


पलक:- क्या तुम दोनो मुझे भी साथ रखोगे, जब किसी को मुसीबत से निकालने जाओ।


चित्रा:- तुम क्या पागल हो पलक, ऐसे काम के लिए इन्हे बढ़ावा दे रही हो।


पलक:- लाइव एक्शन देखने कि मेरी छोटी सी फैंटेसी रही है, इसी बहाने देख भी लूंगी।


माधव:- छुट्टी में हमारे साथ बिहार चल दो फिर पलक। वहां बहुत एक्शन होता है।


पलक:- थैंक्स, मौका मिला तो तुम्हारे यहां का एक्शन भी देख लूंगी।


चित्रा:- तुम सब पागल हो क्या? देखो मै दादा (राजदीप) को बोल दूंगी, तुम लोग क्या करने कि सोच रहे हो?


आर्यमणि:- चित्रा सही कह रही है। यहां कोई जंगल नहीं है और ना ही कोई मुसीबत में। यहां वाकी पर चोर, उचक्के और गुंडों कि सूचना मिलेगी। फिर भी यदि कोई मुसीबत में हुआ तो मै चलूंगा। हैप्पी चित्रा।


चित्रा:- नो। मुसीबत में फसे लोगों को बचाने का काम पुलिस का है। और हमारा काम है अपनी पढ़ाई को पूरी करके अपने क्षेत्र में कुछ अच्छा करके लोगो के जीवन में विकास लाना। इसलिए पुलिस और प्रशासन को अपना काम करने दो और हमे अपना।


निशांत:- अगर आर्य नहीं आएगा तो मै पलक और माधव के साथ काम करूंगा।


चित्रा:- हां जा कर ले शुरू आर्य नहीं जाएगा तुम्हारे साथ। आर्य साफ मना कर।


आर्य:- निशांत हम गंगटोक में नहीं है और चित्रा की बात से मै पूरी तरह सहमत हूं।


निशांत:- साला लड़की के लिए दोस्त को ना कह दिया।


उसकी बात सुनकर चित्रा, पलक और माधव हसने लगे। आर्यमणि को भी हसी आ गई… "पागल कुछ भी बोलता है।"..


वहां पर हंस हंस कर सबका बुरा हाल था। थोड़ी सी हंसी आर्यमणि की भी निकल रही थी। केवल निशांत था जो अपनी बहन से इतना खुन्नस खाए बैठा था कि अभी ये तीनों अकेले में कहीं होते तो बहुत बड़ा झगड़ा दोनो भाई-बहन के बीच हो गया होता। इनका हंसी भड़ा माहौल चल ही रहा था, इसी बीच कुछ लड़के चित्रा के पास आकर खड़े हो गए और उनमें से 2-3 चित्रा के पाऊं के नीचे से जीन्स ऊपर करने लगा। … "तुम लोग ये क्या कर रहे है, क्यों मेरे पाऊं में गिर रहे हो?"


उनके ग्रुप का लीडर, विक्की… "पहले ईयर में तूने ही कहा था ना तेरा एक पाऊं नहीं है उसकी जगह स्टील के पाऊं लगे है, वही कन्फर्म कर रहे।".. विक्की का इतना कहना था कि तभी एक लड़के ने नीचे से ब्लेड मारकर जीन्स को घुटने तक चिर दिया। जीन्स के साथ साथ चित्रा के पाऊं की गोरी चमरी पर भी ब्लेड लग गया। ताजा खून कि बू आर्यमणि के नाक में जैसे ही गई, उसने अपना सर नीचे झुका लिया और मुट्ठी को जोड़ से भींचकर तेज–तेज श्वास लेने लगा।


माधव चित्रा के सामने बैठा था और निशांत ठीक चित्रा के बगल में। निशांत को तबतक पता नहीं चला था कि चित्रा के साथ क्या हुआ, लेकिन माधव ने अपने आखों से देख लिया था। नीचे बैठा लड़का जिसने ब्लेड चलाया था, माधव ने उसके मुंह पर एक लात खींचकर मारा। इधर निशांत और पलक को भी चित्रा के आंसू दिख गए और उन लड़को की करतूत। निशांत भी उठा और चित्रा के ठीक पीछे खड़े उस लड़के विक्की के मुंह पर कॉफ़ी की खाली कप तोड़ दी।


पूरा कप उसके चेहरे से टकराया और कप का टुकड़ा बड़ी ही बेहरमी से उसके पूरे मुंह में घुस गया… "साले मेरी बहन को तकलीफ पहुंचाने की तेरी हिम्मत कैसे हुई। तुझे बड़ा दादा बनने का शौक है।"


निशांत ने तेजी से दूसरा कप भी उठाया और उसके दूसरे साथी के कनपट्टी पर तोड़ दिया। दोनो ही लड़के लहूलुहान थे। इधर माधव जिसके मुंह पर लात मारा था वो लुढ़क गया और उसके नाक से खून बहने लगा। नीचे बैठे तीन लड़के खड़े हो गए, माधव चिल्लाते हुए अपना चाकू निकला…. "साला हमरे दोस्त को छुए भी तो मर्डर कर देंगे। ई हल्का सरिर पर मत जाना, वरना बदन में इतने छेद कर देंगे कि तुम सब कंफ्यूज कर जाओगे।"


चित्रा उसकी बात पर रोते-रोते हंस दी… "बस माधव अब आगे मत कहना। लाओ वो चाकू दो।"


निशांत:- क्या करने वाली हो।


चित्रा:- घुटनों तक काटकर कैप्री बाना रही हूं।


निशांत:- लाओ मै करता हूं। माधव बैग से फर्सट ऐड निकालकर खून को साफ करो।


माधव:- इतने गोरे पाऊं पर मै हाथ लगाऊंगा तो कहीं मैले ना हो जाए।


निशांत, उसके सर पर एक हाथ मारते… "फ्लर्ट करना सीख रहा है हां"..


माधव:- पागल हो तुम.. खुद ही कहे थे हम मज़ाक करेंगे एक दूसरे से। अब खुद ही ताने दे रहे हो कि हम लाइन मार रहे हैं। देखो हमको कंफ्यूज मत करो।


चित्रा:- वो भी तुमसे मज़ाक ही कर रहा है माधव। इसे क्या हो गया? आर्य तू ठीक तो है ना।


आर्यमणि बिना कुछ कहे नीचे बैठ गया और अपने बैग से फर्स्ट ऐड निकलकर चित्रा के खून को साफ कर दिया। चित्रा के हाथ से चाकू लेकर जीन्स को घुटने से 4 इंच नीचे तक काटकर निकालते हुए उसे 2 स्टेप ऊपर की ओर मोड़ा और टांके लगाने वाले स्टेपलर से उसपर पीन कर दिया… "देखो ठीक लग रहा है ना।"..


"लेकिन यहां ठीक नहीं लग रहा कुछ भी, भागने का वक़्त हो गया है दोस्तो।… माधव बाहर से हॉकी स्टिक लिए आ रही तकरीबन १००–१५० लड़कों की भीड़ को देखते हुए कहने लगा। आर्यमणि भीड़ को देखते हुए, मुस्कुराया और कैंटीन के दरवाजे तक जाकर खड़ा हो गया।


पलक, इतनी भीड़ को देखकर थोड़ी घबरा गई। घबराना लाजमी भी था क्योंकि एक तो लगभग 150 लड़के और उन लड़कों के भीड़ में सरदार खान की गली के कई सारे वेयरवोल्फ। आर्यमणि वहां मौजूद सभी लोगों का गुस्सा साफ मेहसूस कर सकता था। अपनी घूरती नज़रों से अपने सभी दोस्तों को देखा और कहने लगा… "मै आज तोड़ने का मन पहले से बनाकर आया था। चित्रा के साथ बदतमीजी करके उन्होंने मेरे गुस्से को और भड़का दिया है। यदि ये भिड़ मेरा कत्ल करने भी आ रही हो तब भी इन सब से दूर रहो। वरना किसी को भी मै अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा, ये वादा रहा।


माधव:- ओ भाई हृतिक रोशन के कृष, अकेले भिड़ने गए तो वैसे भी ये लोग शक्ल बिगाड़ देंगे।


आर्यमणि ने घूरते हुए चित्रा और निशांत को देखा और दोबारा कहा.. "सभी यहीं बैठे रहो।"..


निशांत:- पलक, भूमि दीदी को कॉल लगाओ और उनसे कहो, 150 हथियारबंद लड़कों के साथ आर्य अकेले लड़ने गया है।


पलक:- ओह अभी समझ में आया कि क्यों आर्य इतनी बेज्जती झेलता रहा। चित्रा, निशांत खुद देख लो, कोई ख़ामोश है तो उसके पीछे कोई कहानी होगी। बहरहाल मै नागपुर के दबंग को कॉल लगाती हूं।


पलक, भूमि को कॉल लगायी और कोई भी इधर-उधर की बातें किए बगैर सीधा भूमि को पूरा मुद्दा बता दी। पलक समझ रही थी कि निशांत और चित्रा अपने पापा को क्यों फोन नहीं लगा रही इसी वजह से उसने राजदीप को कॉल लगाया और जल्दी से कॉलेज आने के लिए बोल दी।


इधर आर्यमणि कैंटीन के सीढ़ी पर खड़ा था। सीढ़ी को 2 भागो में बाटने के लिए, बीच से स्टील रॉड के पाइप का पिलर बनाकर उसपर जंजीर डालकर पार्टीशन किया हुआ था। आर्यमणि स्टील रॉड पकड़कर खड़ा था और सामने से लड़कों की भीड़ चली आ रही थी जिसमे आगे से आ रहे लड़कों की चाल और हाव भाव कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही थी। आगे वेयरवोल्फ की भीड़ थी जिसके पीछे और लड़के खड़े थे। आर्यमणि के पास पहुंचते ही एक लड़के ने अपने दोनो हाथ उठाए और सबको शांत रहने का इशारा करते…. "देखो दोस्त, सामने से हट जाओ, जिसने भी मेरे दोस्तो को मारा है, उसे कीमत चुकानी होगी।".


आर्यमणि:- चले जाओ यहां से और बात यही खत्म करो।


जैसे ही आर्यमणि ने यह बात कही, उस वेयरवोल्फ ने अपना पूरा जोर लगाकर आर्यमणि को एक पंच उसके पेट में मार दिया। एक वेयरवुल्फ द्वारा मारा गया ऐसा पंच, जो किसी आम लड़के की अंतरियां फाड़ चुका होता, लेकिन आर्यमणि के चेहरे पर सिकन तक नही आयि। अगले ही पल आर्यमणि जिस रॉड को पकड़ा था, वो जमीन की ढलाई से उखाड़कर आर्य के हाथ में थी और उस लड़के से विश्वास भरा पॉवर पंच खाने के बाद भी जब आर्य को कोई फर्क नहीं पड़ा, तब उसके सभी वेयरवुल्फ साथी एक दूसरे का मुंह देख रहे थे।…


"चिंता मत करो आज तुम लोगों को समझ में नही आयेगा की क्या हो रहा है?"… अपनी बात कहते हुए आर्य ने उस लड़के की छाती पर एक लात जमा दिया। ऐसा मारा था, जैसे करंट प्रवाह किया हो उस लात से। जिस लड़के के सीने पर लगा, वो तेज धक्का खाकर पीछे अपने दूसरे साथी से टकराया, और जैसे साइकिल स्टैंड में खड़े एक साइकिल के धक्के से पीछे के सभी साइकिल गिरना शुरू होते है, वैसे ही उसके लात के धक्के से तकरीबन पीछे के सभी लड़के धक्के खाकर एक बार में ही गिर गए।


भीड़ का हमला अब आर्यमणि पर जोर से होने लगा। दाएं–बाएं से लड़को ने हमला किया। आर्यमणि के ऊपर कई लड़के हॉकी स्टिक बरसा रहे थे, और आर्यमणि बिना हिले खड़ा होकर बस उन्हें घूरती नज़रों से देखा और उनमें से एक को पकड़कर अपने दोनो हाथ से हवा में उठा लिया, जैसे आज उस लड़के को आर्यमणि एयरोप्लेन बनाकर हवा में उड़ा ही देगा… लेकिन बीच में ही चित्रा चिल्लाई... "नहीं आर्य, ये क्रिमिनल नहीं है। स्पाइनल कॉर्ड में कहीं चोट लगी तो ये किसी काम का नहीं रहेगा।".. और आर्यमणि को रोक लिया


आर्यमणि, चित्रा की बात सुनकर उस लड़के को नीचे उतरा और फिर सामने की भीड़ पर फिर एक बार नजर दिया, जो अब भी लगातार मार तो रहे थे लेकिन आर्यमणि को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। खास वेयरवोल्फ लड़के जो आए थे, उनमें से एक को जोरदार मार पड़ते ही, बाकी के सभी अभी भी उसी को होश में लाने की कोशिश कर रहे थे।


आर्यमणि ने अब विकराल रूप धारण किया। उसने एक लड़के के हाथ से डंडा छीनकर पूरी भिड़ पर अकेले लाठी चार्ज कर दिया। वो लोग भी मार रहे थे लेकिन आर्यमणि का शरीर तो इनके मार के हिसाब से बहुत बाहर था। कितना भी मार लो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आर्यमणि ने एक डंडा जहां खींचकर रख दिया, छटपटाते हुए वही अंग पकड़ कर बैठ गए।


10 लड़को को ही तो ढंग से डंडे की मार पड़ी थी, बाकी के सभी मैदान छोड़कर भाग गए। तभी उन वेयरवोल्फ में से एक खड़ा होकर आया और इस बार आर्यमणि के सीने पर एक जोरदार पंच मार दिया। आर्यमणि श्वांस एक क्षण के लिए अटकी, लेकिन अगले ही पल उसने अपने पाऊं से उसके घुटने के नीचे ऐसा मारा की साफ दिख रहा था, हड्डी टूट गई है और मांस के साथ अलग ही लटक रहा है।


2 वेयरवोल्फ बुरी तरह घायल हो गए थे, जो चाहकर भी हिल नही कर पा रहे थे। बाकी के सभी वेयरवोल्फ को समझ में नहीं आ रहा था कि उनका पाला किससे पड़ा है। तभी उन लोगो ने भूमि को आते हुए देख लिया और अपने घायल साथी को उठाकर वहां से भाग गए।


भूमि तेजी के साथ आर्यमणि के पास पहुंची और व्याकुलता से उसे टटोलती हुई देखने लगी। आखों से उसके आशु निकल रहे थे… "पैट्रिक जिसने मेरे भाई को मारा है सबको ऐसा मारो की ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते हुए वो हस्पताल पहुंच जाए "..


आर्यमणि अपने दीदी के आशु पूछते…. "उसे रोको वरना मै नागपुर छोड़कर चला जाऊंगा।"…


भूमि:- मार खाएगा मुझसे अभी… मेरे बच्चे को मारने कि हिम्मत कौन कर गया वो भी मेरे रहते। उसके खानदान समेत सबको आग लगा दूंगी। समझ क्या रखा है, शांत हूं तो कमजोर पर गई। पैट्रिक मुझे चीखें क्यों नहीं सुनाई दे रही है।


पैट्रिक:- वो राजदीप सर हमे रुकने कह रहे है।


भूमि, राजदीप को देखकर जैसे ही आगे बढ़ने लगी, आर्यमणि उसका हाथ थामकर रोकते हुए… "दीदी ये कॉलेज है। हम स्टूडेंट के बीच मारपीट होते रहती है। आप तो ये कह रही है। बचपन में मैंने मैत्री के मैटर में अपने से 4-5 साल सीनियर उसके बड़े भाई शूहोत्र लोपचे को 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा चुका हूं। उस लड़ाई के मुकाबले तो ये कुछ भी नहीं। फिर आप क्यों इतने गुस्से में पढ़ने लिखने वालों पर ज़ुल्म कर रही हो। अभी नहीं मारपीट होगी, तो क्या शादी के बाद लोगो से लड़ाई करूंगा।"..


भूमि:- हम्मम ! समझ गई सॉरी। तू जाकर अपने दोस्तो के साथ बैठ और पलक को कहना जबतक मै ना आऊं वो भी तेरे साथ ही बैठी रहे।


भूमि आर्यमणि के पास से हटकर सीधा राजदीप के पास पहुंची और गुस्से में उसे आखें दिखती हुई, पैट्रिक को एक थप्पड़ मारते… "सबको लेकर निकलो यहां से।"


राजदीप:- ऐसे दूसरों को मारकर क्यूं जाता रही हो की तुम मुझे थप्पड़ मार सकती हो। सीधा मारो ना। पैट्रिक तुम जाओ।


भूमि उसे एकांत में लाती…. "शर्म नहीं आती तुझे... एक बच्चे परेशान करने के लिए वेयरवोल्फ की मदद लेते हो। प्रहरी के सारे विचार कहां घुस गए। २ दुनिया के बीच दीवार खड़ी करने वाले खुद उसे लड़ा रहे...


राजदीप:- दीदी तुम क्या कह रही हो?


भूमि:- राजदीप तू मेरा भाई है लेकिन आर्यमणि मेरे बच्चे जैसा है। मेरी नजर हमेशा बनी रहती है। उसके आते ही तुमने एमएलए से बोलकर आर्य की रैगिंग करवाई। उसे भरी सभा में सबके बीच जिल्लत झेलना पड़ा और मै गम पीकर रह गई। आज भी तेरे इशारे पर ही इन वुल्फ की इतनी हिम्मत हुई कि प्रहरी के सामने ही वह हमला कर रहा था। इतनी सह वेयरवोल्फ को कहां से मिल गई बताएगा।


राजदीप:- ये मेरा काम नहीं होगा फिर मेरी मां का काम होगा। उन्हें मैंने ही गलती से बता दिया था कि जया का बेटा भी आया है नागपुर।


भूमि:- तू अपनी मां और मेरी मां को नहीं जानता क्या? उनकी वजह से हम एक दूसरे के घर नहीं जा सकते? दोनो एक दूसरे से दुश्मनी निभाए बैठे है और तूने अपनी मां को आर्य के बारे में बता दिया? आज अगर यहां किसी पढ़ने वाले बच्चे की लाश गिरती तो उसके जिम्मेदार तुम होते राजदीप?


राजदीप:- तो आप ही बताओ ना मै क्या करू?


भूमि:- तू जानता है आर्य की क्षमता।


राजदीप:- क्या ?


भूमि:- 6-7 साल पहले इसकी लड़ाई जीतन लोपचे के बेटे से हुई थी। मैटर था आर्य और जीतन की बेटी मैत्री से दोस्ती। आर्य ने तब उस जितन लोपचे के बेटे को मारा था और 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। उसकी मार से एक वेयरवोल्फ 3 महीने तक हिल नही हुआ...


राजदीप, आश्चर्य से उसका मुंह देखता रहा, फिर अचानक से गुस्से में आते हुए… "ऐसा लड़का जब यहां स्टूडेंट के बीच आकर आपस में लड़ाई कर रहा है तो तुम क्यों बच्चो के बीच ने दादी बनकर चली आयी। ऐसा कौन करता है। लड़कियों को छेड़ना, एक दूसरे से झगड़ा करना, आपस की प्यार दोस्तो और पढ़ाई के बीच में आप क्यों घुसने चली आयी।"


भूमि:- क्योंकि ये झगड़ा प्रायोजित लग रहा था। आज तो मै तेरा खून कर देती अगर उसे खरोच भी आयी होती तो।


राजदीप:- साला ये तो लकी निकला। मुझे दादा (तेजस) ने बताया था कि आप इसे एकतरफा प्यार करती है। मुझे लगा हो सकता है ज्यादा लगाव हो, लेकिन इतना ज्यादा होगा पता नहीं था।


भूमि:- आर्यमणि, मेरे मौसा केशव कुलकर्णी और मेरी प्यारी जया मासी, इनसे लगाव के बारे में मत ही पूछो। और हां इनसे लगाव बहुत ज्यादा है इसका मतलब यह नहीं की मैं दूसरो के प्रति को लगाव ही नही रखती। मुझे भारद्वाज खानदान के दोनो चचेरे भाई, सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज को एक होते देखना चाहती हूं।


राजदीप:– वो तो मैं भी चाहता हूं, लेकिन रास्ता क्या है...

भूमि:– एक रास्ता है लेकिन थोड़ा पेंचीदा...


राजदीप:- कौन सा दीदी...


भूमि:- मैंने अपने बेटे आर्यमणि के लिए पलक को पसंद किया है। तू भी लड़का देख ले, तेरी बहन के लिए ठीक रहेगा या नहीं।


राजदीप:- जया का बेटा नागपुर आया है, केवल इतना सुनकर मेरी मां जब उसे इतना परेशान कर सकती है, फिर तो जब वो सुनेगी की जया का बेटा उसकी बेटी से शादी करने वाला है… आप होश में भी हो।


भूमि:- अच्छा और यदि दोनो को प्यार हो गया तो।


राजदीप:- मुझे कोई ऐतराज नहीं है, बाकी गृह युद्ध को आप जानो।


भूमि:- एक बार और देख ले उसे, बाद में ये नहीं कहना की दीदी ने अपने रिश्तेदारी में मेरी बहन का लगन गलत लड़के से करवा दिया है।


राजदीप:- आर्य मुझे भी पसंद है। मै रविवार को अपनी मासी के घर गया था, वहीं चित्रा ने निशांत और आर्य के जंगल रेक्यू के वीडियो दिखाएं। दीदी दोनो ने मिलकर तकरीबन 20 लोगो की जान बचाई थी। जबकि वो लोपचे के कॉटेज वाला जंगल है।


भूमि:- जानती हूं भाई।


राजदीप:- सुनो दीदी पहले से कोई प्लान नहीं करते है। अभी जवान है, पता नहीं कब किसपर दिल आ जाए।


भूमि:- सब तेरी मां के गलत डिसीजन का नतीजा है। 20-21 साल के होते ही समुदाय में लगन करवा देते तो इतना नाटक ही नहीं होता। कंवल का लगन समुदाय के बाहर हुआ और वो लड़की उसे लेकर यूएसए निकल गई। तू 28 का हो गया, मुझे तो तुझ पर भी शक होने लगा है। 23-24 की नम्रता होगी। भारद्वाज खानदान ही समुदाय के बाहर जाने लगेगा तो हमारा बचा हुआ अस्तित्व भी चला जाएगा।


राजदीप:- दीदी कह तो आप सही रही हो। आर्य की उम्र क्या होगी..


भूमि:- वो 21 का है..


राजदीप:- पलक भी 20 की है। एक काम करता हूं नम्रता से आज मै साफ साफ पूछ लेता हूं कि उसने किसी को पसंद किया है या नहीं। नहीं की होगी तो उसके लगन के बाद इन दोनों की एंगेजमेंट फिक्स कर देंगे। शादी पढ़ाई पूरी होने बाद करवा देंगे।


भूमि:- और तू.. साफ साफ बता की तू किसी को चाहता है या नहीं.. फिर मै मुक्ता का रिश्ता तेरे लिए भेजूं। बड़ी प्यारी लड़की है, परिवार के साथ रहने वाली और कारोबार को आगे बढ़ाने वाली। एक बॉयफ्रेंड था कॉलेज के दिन में लेकिन बहुत पहले उससे ब्रेकअप हो गया। ।


राजदीप:- मतलब मेरे जैसी है..


भूमि:- जी नहीं उसके 1 ही बॉयफ्रेंड था। तेरी 6-7 गर्लफ्रेंड थी। अब सच-सच बता किसी को फिक्स किया है या मै मुक्ता का रिश्ता भेजूं तेरे घर।


राजदीप:- नम्रता से बात करने दो, फिर दोनो का साथ में भेज देना।


भूमि:- हम्मम ! ये भी ठीक है। तू अभी ड्यूटी पर है क्या?


राजदीप:- हां दीदी..


भूमि:- ठीक है ड्यूटी के बाद मुन्ना खान के पास चले जाना, वहां तेरे पसंद की मॉडिफाइड कार तैयार हो गई है जाकर ले लेना।


राजदीप:- आप कुछ भी भूलती नहीं ना दीदी।


भूमि:- उल्लू… भूलूंगी क्यों, उल्टा बुरा लगा था जब तू देसाई बंधु की कार देखकर आकर्षित हो गया और उसने तुझे एक कार के लिए सुना दिया था।


राजदीप:- आपने सब देख लिया था क्या?


भूमि:- हां तो.. साले भिकाड़ी। 2 साल बाद ही तो उसे निकाल दिया था प्रहरी से। जिसमे अपने समुदाय के लोगों के लिए इज्जत नहीं वो लोकहित और अपने जान जोखिम में डालकर क्या दूसरों की रक्षा करेगा। भगा दिया साले को।


राजदीप:- आप ना बिल्कुल डॉन हो। मै तो होने वाली मीटिंग में आपको ही अध्यक्ष चुनुगा।


भूमि:- ना मुझे अध्यक्ष नहीं बनना वो राजनीति वाला काम है और तू जानता है मुझसे ये सब नहीं होगा। हां तू मुझे अध्यक्ष नहीं बना बल्कि मेरे बेटे के लिए अपनी बहन का हाथ दे दे ठाकुर।


राजदीप:- पागल है आप। दोनो को आराम से पढ़ने दीजिए। हम दोनों का अरेंज मैरिज प्लान करते है ना। मै जा रहा हूं, आपसे परसो मिलता हूं।


भूमि:- सुन अपनी मां को जाकर समझाओ होने वाले जमाई पर हमला नहीं करवाते।


परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...
Batao ye akchra bhi kitni chlak lomdi hai. Jo pura game khel rahi hai. Uske piche ki wajah mujhe abhi tak jo bataya gaya hai uske aalawa bhi aur kuch lag raha hai. Aur ye kya dhmaka kiya apne hero ne aisa maar mara ki har koi ab yaad rakhega ki isase to nahi panga lena hai. Lakin fir bhi kutte ki dum hai manegi thodi na. Aur yaha bhumi ne bhi apne arya ki baat Rajdeep se kar li palak ke liye. Dekhte hai aage aur kya gul khilata hai apna hero.
भाग:–20






परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...


राजदीप चला गया और भूमि कैंटीन में चली आयी। वो आर्यमणि के पास बैठती हुई…. "ये हड्डी का ढांचा कौन है।"… भूमि माधव को देखते हुए पूछने लगी।


चित्रा:- उसे हड्डी का ढांचा नहीं बुलाइए।


भूमि:- चित्रा बहुत बड़ी हो गई है। क्या कहती थी मुझसे.. दीदी जब मै नागपुर आऊंगी तब आपके साथ ही रहूंगी और वो आशिक़ कहां गया, मेरा दूसरा बॉयफ्रेंड.. क्यों रे उधर मुंह छिपाकर क्या कर रहा है, यहां इसे कोई मिली नहीं क्या अब तक?


निशांत:- कैसे मिलेगी, आर्य को बीएमडब्लू दी हो और मुझे भुल गई।


भूमि:- तेरा बाप क्या पैसे छाती पर लाद कर ले जाएगा। पिछले साल 182 करोड़ का आईटीआर फाइल किया था। अपने कंजूस बाप को बोल एक बाइक दिला दे।


चित्रा:- दीदी आपकी बात कौन टाल सकता है। आप ही पापा को बोल दो।


भूमि:- ये छोड़ी चुप क्यों है। पलक तुम मुझे पहचानती हो या नहीं।


पलक:- दीदी आप भी ना कैसी बातें कर रही हो। कैसी हो आप?


भूमि:- कैसी बातें क्या? मै आयी, यहां बैठी। तेरे मौसेरे भाई बहन मुझसे खुलकर बात कर रहे और तू मुझसे कतरा रही है। तेरी मां और चित्रा की मां दोनो सौतेली बहने है क्या?


पलक:- आप भी ना कैसी बातें कर रही हो दीदी।


भूमि:- कैसी बातें क्या, मै चित्रा की मां से मिली थी। उसने अपने बच्चे के मन में कभी जहर नहीं घोला, कि तेरे मामा की मौत के कारण मेरी जया मासी है। ये दोनो गहरे दोस्त है और एक बात, तेरी मां के चढ़ावे में आकर तेरा बाप मेरी मासी और मौसा से दुश्मनी निभा रहा है, लेकिन चित्रा की मां और जया मासी दोनो अच्छे दोस्त है, सुख दुख के साथी। क्यों चित्रा, क्यों निशांत मै गलत कह रही हूं क्या?


चित्रा:- दीदी बिल्कुल सही कहा आपने। जैसे आप छुट्टियों में आती थी गंगटोक, तेजस दादा आते थे, वहां महीनों रहते थे। वैसी ही मां भी कहती थी मासी से, दीदी बच्चो को भेज दो राकेश के पुलिस की नौकरी के कारण हम कहीं निकल नहीं पाते। तब मासी साफ माना मार देती, कहती तेरे घर के बगल में कुलकर्णी का घर है।


निशांत:- जानती हो दीदी, एक दिन मैंने पलक के कंधे पर हाथ रख दिया तो इसे ऐसा लगा जैसे किसी अनजान ने इसके कंधे पर हाथ रख दिया। हम बस नाम के दो सगी बहनों के बच्चे है, बाकी जान पहचान तो मानकर चलो की कॉलेज के कारण हुई है।


पलक:- नहीं ऐसी बात नहीं है।


चित्रा:- तो कैसी बात है। हां मानती हूं तुम हम सबसे समझदार हो लेकिन दिल प्यार मांगता है, समझदारी तो जिंदगी भर दिखा सकती हो। तुम बताओ क्या जैसे भूमि दीदी और आर्य के बीच का रिश्ता उसके 5% में भी है क्या हम लोग।


भूमि:- तुम तो ये कहती हो। इसकी मां का दबदबा ऐसा है कि उसने इन सबको सीखा कर रखा है, वो लोग तेरे थोड़े ना अपने है। तेरे दादा 2 भाई थे उसके 2 बच्चे हुए, और ये तीसरा जेनरेशन है। इनसे इतने क्लोज होने की क्या जरूरत। जबकि ये तो मेरे कंप्लीट ब्लड रिलेशन में हुए। एक ही शहर में आए हुए साल भर हो गए है लेकिन मिस ने एक कॉल तक नहीं किया।


पलक:- आप सब क्यों मेरी आई के बारे में इतना कह रहे। भूमि दीदी जैसे आप आर्य के लिए आज व्याकुल होकर यहां स्टूडेंट की लाश गिराने के लिए तैयार थी, वैसा ही हाल तो मेरी मां का भी है ना। आप आक्रोशित हो तो प्यार और वो आक्रोशित हो तो…


भूमि:- मीटिंग में तो तुम आती ही हो ना.. वहां क्या बताया जाता है.… परिस्थितियों से हारकर जो आत्महत्या करते है वो अक्षम्य अपराध है। यानी कि माफ ना करने योग्य गलती। उस आदमी ने आत्महत्या कि और अपने पीछे कई जलते लोगो को छोड़ दिया। भाई से प्रेम है इस बात का हम सब आदर करते है, तभी तो छोटे काका से मै बाहर मिलते रहती हूं, राजदीप मुझसे मिलने आता है। दादा से मिलता है। नम्रता मेरे नीचे काम कर रही है और इस मीटिंग में मै उसे अपना उतराधिकारी बना रही हूं। क्यों नहीं है कदर। उनकी भावना की कदर है तभी तो हम बाहर मिलते है, ताकि उनको दर्द का एहसास ना हो। हम सब मिलते है सिवाय तुम्हारे। अब तुम कह दो कि तुम्हे ये बात पता नहीं।


पलक:- मै जा रही हूं क्लास।


चित्रा:- अब कौन बीच मे छोड़कर जा रहा है।


पलक:- मुझे नहीं समझ में आ रहा की मै क्या जवाब दूं। दीदी ने ऐसी बात कही है जिसमें पॉजिटिव भी उनका है और नेगेटिव भी उन्हीं का। मै किस प्वाइंट को बोलकर तर्क करूं जबकि अभी मै खुद में ही गिल्ट फील कर रही हूं।


भूमि:- चल शॉपिंग करके आते है।


पलक:- मुझे कहीं नहीं जाना।


भूमि:- चित्रा मै तो थर्ड जेनरेशन में हूं, थोड़े दूर की बहन। तू ही कह, कहीं तेरी बात मान ले।


पलक:- कोई ड्रामे नहीं चाहिए। दीदी मै समझ गई दुनिया क्यों कहती है भूमि ने जो ठान लिया वो होकर रहता है।


भूमि:- और क्यों ऐसा कहती है..


पलक:- क्योंकि आप अपनी बात मनवाने में माहिर हो। चलती हूं मै आपके साथ।


भूमि:- ये हुई ना बात। चलो फिर सब..


माधव:- फिर क्लास का क्या होगा।


भूमि:- इस डेढ़ पसली को भी पैक करके लाओ, ये भी चलेगा।


आर्यमणि:- आप लोग जाओ दीदी मै जारा हॉस्पिटल होकर आता हूं। शायद 2 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए है।



भूमि:- ठीक है उन्हें देखकर सीधा दादा के मॉल आ जाना।


ये चारो एक साथ निकल गए और आर्यमणि चल दिया उन लोगों को देखने जिसे उसने पीटा था। कॉलेज के ऑफिस से पता करके आर्यमणि उन लड़कों के घर के ओर चल दिया।


जैसे ही उनके गली में बाइक घुसी, चारो ओर खून कि बू और कटे हुए बकरे लटक रहे थे। आस–पास ऐसे लोगो की भीड़, जिनसे आर्यमणि का पाला पहले भी पड़ चुका था। एक पूरी बस्ती, सरदार खान की बस्ती, जहां खून के प्यासे लोग चारो ओर थे। आर्यमणि चारो ओर के माहौल का जायजा लेते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था तभी एक लड़की अर्यमनि का हाथ पकड़कर कहने लगी… "मेरे साथ चलो और किसी से भी नजरें नहीं मिलाना।"..


आर्यमणि उसके साथ चला। बाज़ार की भीड़ से जैसे ही दोनो आगे बढ़े, वो लड़की आर्यमणि को एक कोने में ले गई और उसे दीवार से चिपकाते हुए…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए हो।"..


दोनो इतने करीब थे कि आर्यमणि उसकी धड़कने सुन सकता था। गले से प्रवाह होने वाले गरम रक्त को मेहसूस कर सकता था। उसके बदन कि खुशबू लड़की का पूरा परिचय दे रही थी। आर्यमणि अपना मुट्ठी बांधकर अपनी तेज धड़कन को धीरे-धीरे सामान्य करने लगा.. इतने में दोबारा वो लड़की पूछी…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए।"…


आर्यमणि, उसे खुद से थोड़ा दूर खड़ा करते ऊपर से नीचे तक देखने लगा… "तुम हमारे कॉलेज में पढ़ती हो। मुझे मारने आए लड़को के साथ तुम भी पीछे खड़ी थी। नाम क्या है तुम्हारा?


लड़की:- रूही..


आर्यमणि:- मुझे घेरकर मारने आए थे, बदले में मैंने उसे मारा। मुझे लगा गुस्से में बहुत गलत कर दिया मैंने, इसलिए यहां पता करने चला आया कि वो कौन से हॉस्पिटल में है।


रूही:- तुम बिल्कुल पागल हो। वो लोग नेचर हॉस्पिटल में एडमिट है। यहां से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां उनसे मिलना और चुपचाप चले जाना। कल कॉलेज आकर मै बात करती हूं।


आर्यमणि:- हम्मम !


आर्यमणि उसी रास्ते वापस जाने की सोच रहा था लेकिन रूही ने उसे दूसरे रास्ते से बाहर निकाला और दोबारा कहने लगी, "बस मिलना और चले जाना"। आर्यमणि उसकी बात पर हां में अपना सर हिलाते हुए नेचर हॉस्पिटल पहुंचा। वो समझ चुका था कि ये हॉस्पिटल इन लोगों का अपना हॉस्पिटल है।


आर्यमणि रिसेप्शन पर…. "मिस यहां 2 लड़का आज एडमिट हुआ होगा, नेशनल कॉलेज का है। एक के सीने की हड्डी टूटी है और दूसरे की पाऊं की। आपको कुछ आइडिया है।


वह लड़की ने आर्यमणि को घुरकर देखी और पहले माले के रूम नंबर 5 में जाने के लिए बोल दी। आर्यमणि के ठीक पीछे-पीछे रूही भी वहां पहुंची थी। रिसेप्शन पर खड़ी लड़की को देखकर रूही समझ गई यहां क्या होने वाला है। हवा की रफ्तार से वो आर्यमणि के पास जाकर खड़ी हो गई… "कैसी हो लिटा, और तुम जानू यहां क्यों आ गए, मना की थी ना मेरे दोस्त ठीक है तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं।"


वो रिसेप्शनिस्ट लिटा, रूही को हैरानी से देखती हुई…. "जानू, ये तेरा बॉयफ्रेंड है क्या?"


रूही:- कामिनी इस हैंडसम हंक को घूरना बंद कर और तुम क्या इसे देख रहे हो, चलो यहां से।


लिटा:- ये लड़का नॉर्मल दिख रहा है, तू कंफ्यूज दिख रही है, सच-सच बता ये तेरा बॉयफ्रेंड है या तू इसे बचना चाह रही है। जिस तरह से ये पूछ रहा था, मुझे तो पुरा यकीन है कि ये वही है जिसने रफी और मोजेक को मारा है।


रूही, रिसेप्शन काउंटर पर अपने दोनो हाथ पटकती… "हां ये वही है। और वो कॉलेज का लफड़ा था समझी। कंफ्यूज मै नहीं थी बल्कि ये साफ मन से आया था इसलिए घबरा रही थी। और अंत में, ये मेरा बॉयफ्रेंड है, इसका मतलब ये मेरे पहचान का है, इसे कुछ नहीं होना चाहिए।


लिटा:- ये बातें तू मुझे नहीं उन्हें समझा जो तेरे बॉयफ्रेंड को ओमेगा मानते है। एक अल्फा जिसके पास कोई पैक नहीं। और हां तू यहां बातें कर वो तो गया..


रूही जबतक मुड़कर देखती तबतक तो आर्यमणि गायब हो चुका था। रूही भागकर ऊपर पहुंची। …. "ओ खुदाया, ये सब क्या है।"


बीच के समय में… जैसे ही रूही आगे बढ़कर रिसेप्शन काउंटर पर अपने हाथ ठोकी, आर्यमणि उन लोगो से मिलने पहले माले पर चल दिया। पूरा पैसेज ही वूल्फ से भड़ा पड़ा था। आर्यमणि जैसे ही भिड़ से होकर अंदर घुसने कि कोशिश करने लगा, वहां खड़े वेयरवुल्फ को समझ में आ गया कि है यह हमारे बीच का नहीं है। आर्यमणि को पीछे धकेलते हुए लोग उसकी ओर मुड़ गए… "ए लड़के अभी तू जा यहां से इलाज चल रहा है। जब इलाज हो जाए तो आ जाना।"..


अभी एक आदमी आर्यमणि से इतना कह ही रहा था तभी एक लड़का चिल्लाया… "यही है वो अल्फा जिसने रफी और मोजेक को मारा है।"… बस इतना कहना था कि वहां पर सभी शेप शिफ्टर ने अपना शेप बदल लिया। किसी की चमकती पीली आखें तो किसी के चमकते लाल आंख। कान सबके बड़े हो गए और ऊपर से तिकोने। चेहरा खींचकर आधा इंसान तो आधा वुल्फ का बन गया।


"वूऊऊऊ" की आवाज़ निकालकर आगे बढ़े। 2 वेयरवोल्फ अद्भुत रफ्तार से दौड़कर अपने पंजे से आर्यमणि को फाड़ने की कोशिश। आर्यमणि दोनो की कलाई पकड़ कर उल्टा घुमाया और तेजी के साथ दोनो के सर को पहले आपस में टकराया और उसके बाद दाएं बाएं के दीवाल पर बारी-बारी से उनका सर दे मारा।


आर्यमणि उस छोटे से पैसेज में आगे बढ़ते हुए, किसी हाथ पकड़कर उसके पंजे के नाखून को उल्टा घूमाकर बड़े–बड़े राक्षस जैसे नाखून को तोड़कर जमीन में बिखेर देता, तो किसी का गला पकड़कर उसके पाऊं पर ऐसा मारता की वो अपने टूटे पाऊं के साथ कर्राहने लगता।


देखते ही देखते वो पुरा पैसेज घायलों के चींख और पुकार से गूंजने लगा। ज्यादातर लोगों की हालत ऐसी थी मानो वो चलती चक्की के बीच में आकर पीस गया हो। आर्यमणि ने ज्यादातर लोगों को दाएं और बाएं के पैसेज की दीवार से टकरा दिया था।


जैसे ही रूही उस पैसेज में पहुंची, अपने सर पर हाथ रखती…. "ओ मेरे खुदाया। आर्य तुमने क्या कर दिया।"


आर्यमणि उसके बातो का जवाब देने से ज्यादा जरूरी अंदर जाकर घायलों से मिलना समझा और वो रफी और मोजेक के कमरे में प्रवेश किया। जैसे ही आर्यमणि ने दरवाजा खोला, मोजेक जोर से चिल्लाया…. "यही है वो ओमेगा"


आर्यमणि:- यही बात बोलकर पीली और लाल चमकती आखों वाले ने मुझ पर हमला किया था। मैंने उनका क्या हाल किया वो जाकर देखो पैसेज में। क्यों जानू तुम कुछ कहती क्यों नहीं?


रूही, जो बिल्कुल पीछे खड़ी थी, और आर्यमणि उसके बदन की खुशबू से समझ गया था। रूही हड़बड़ाई और घबराई आवाज़ में… "मै जी वो बाबा"..


"ये लड़का कौन है रूही, और बाहर के पैसेज में क्या हुआ है जो ये दर्द भरी कर्राहटें निकल रही है।"…. एक रौबदार आवाज़ उस कमरे में गूंजती हुई.. जिसे सुनकर रूही के साथ-साथ मोजेक और रफी भी सिहर गए।


आर्यमणि अपने एक कदम आगे बढ़कर, अपनी उंगली उसके गले के साइड में उभरे हुए नाश पर उंगली फेरते कहने लगा… "तुम डरे हुए हो, और अपनी डर को छिपाने के लिए ये तेज आवाज़ निकाल रहे। तुमने सब सुना बाहर खड़े लोग ने जब मुझे ओमेगा कहा। और देखते ही देखते तुम्हारे 20-30 लोग और घायल हो गए।"


"मै नहीं जानता कि तुम मुझे ओमेगा क्यों कह रहे। मै नहीं जानता कि तुम्हारी आखें पीली या लाल कैसे हो जाती है। मै नहीं जानता तुमलोग रूप बदलकर कैसे इंसान से नर भेड़िए बन जाते हो। एक ही बात मै जनता हूं, महाकाल मेरे सर पर सवार होता है और मै सामने वाले को तोड़ देता हूं।"

"कॉलेज के झगड़े में इसका पाऊं गया। मुझे बुरा लगा कि गलती किसी और कि थी और आगे रहकर मार करने की सजा ये पा गया। अब बात यहीं खत्म करनी है या आगे बढ़ानी है तुम्हारा फैसला। चाहो तो पुरा गांव बुलाकर मुझे ओमेगा-ओमेगा कहते रहो और हड्डियां तुड़वाते रहो। या फिर इसे ये मानकर भुल जाओ की तुम वीर लोग कहीं मार करने गए और कोई तुमसे भी ज्यादा वीर मिल गया।"


आर्यमणि गंभीर से आवाज़ में सरदार खान के इर्द गिर्द घूमता अपनी बात कह रहा था और वो आदमी लगातार अपने माथे के पसीने को पोंछ रहा था। जैसे ही आर्यमणि की बात खत्म हुई…. "मेरा नाम सरदार खान है। ये पूरे इलाके का मुखिया। मुखिया मतलब हम जैसे पीली और लाल आखों वाले वुल्फ का मुखिया। हमे इंसान पहचानने में गलती हुई। मै ये बात यही खत्म करता हूं, इस विनती के साथ की तुमने जो यहां देखा वो किसी से नहीं कहोगे।"..


आर्यमणि:- अब तो आपकी बेटी का बॉयफ्रेंड हूं, यहां आना जाना लगा रहेगा। अब घर की बात थोड़े ना बाहर बताऊंगा, क्यों डार्लिंग।


रूही:- बाबा मै इसे बाहर छोड़कर आती हूं।


रूही ख़ामोश आर्यमणि के साथ चल दी। वो कदम से कदम मिलाकर चल भी रही थी और अपनी नजर त्रिछि करके आर्यमणि को देखकर मुस्कुरा भी रही थी। जैसे ही दोनो बाहर आए…. "तुम्हे जारा भी डर नहीं लगा, जब यहां के लोगों से अपना शेप शिफ्ट किया।"


आर्यमणि:- तुम भी तो उस रात शेप शिफ्ट की हुई थी घोस्ट। मै भूत, पिसाच, और दैत्यों के अस्तित्व में विश्वास तो रखता हूं, लेकिन मुझे घंटा उनसे डर नही लगता। शेप शिफ्टर के गॉडफादर श्री हनुमान जी मे विश्वास रखता हूं, फिर तुम लोग तो इनके सामने धूल के बराबर हो।


रूही:- तुम कमाल के हो मेरे बॉयफ्रेंड। मुझे पाहचना कैसे?


आर्यमणि, बाइक पर बैठते हुए… "जब तुम मेरे बिल्कुल करीब थी, तब मैंने तुम्हारी बढ़ी धड़कने मेहसूस की थी। इन धड़कनों से मै पहले भी परिचित हो चुका हूं। खैर मै कुछ मामले निपटाकर जल्द ही तुमसे मिलता हूं, तबतक जलते अरमान को थोड़ा और जला लो।"..


आर्यमणि, जैसे ही बाइक स्टार्ट करके जाने लगा… "ओय तत्काल बने मेरे बॉयफ्रेंड, अपनी गर्लफ्रेंड को एक बार देखकर बता तो दो कैसी लगी।"..


आर्यमणि "मस्त, सुपर हॉट... वैसे भी पता नहीं तुम लोगों की मां ने कौन सी जड़ी बूटी खाकर पैदा किया था, सब एक से बढकर एक। उसमे भी तुम तो कल्पना से पड़े हो" कहता हुआ चल दिया शॉपिंग पर सबको ज्वाइन करने। कुछ ही देर में आर्यमणि बिग सिटी मॉल में था। नीचे के सेक्शन में कोई नहीं था इसलिए आर्यमणि फर्स्ट फ्लोर पर जाने लगा।
Ye bilkul sahi tarika hai pahle ache se todo band baja do fir smjha do. Aur last me rishta hi bana lo. Wo bhi baap ke samne uski beti ko darling kya baat hai himmat ki daad deni padegi. Mast update tha bhai maja aa gaya. Aur mujhe laga hi tha ye Ruhi hi hogi ab ek confusion dur kariye aap ye Ruhi bs time pass rahegi na ? Quki rani to sirf palak hi ho skti hai.
भाग:–21




आर्यमणि चारो ओर अपनी नजरें घुमाए जा रहा था। अचानक से उसकी नजर एक जगह ठहरी और वहां का नजारा देखकर आर्यमणि मुस्कुराने लगा। मिरर वाले उस हिस्से में पलक खड़ी थी। उसके हाथ में एक क्रिकेट स्टंप था। उसे वह फ्लोर पर टिकाकर बिल्कुल आर्यमणि के स्टाइल में खड़ी थी। कुछ देर वैसे ही खड़ी रही फिर पलक कॉलेज वाला एक्शन दोहराने लगी, जैसा–जैसा आर्यमणि कॉलेज में कर रहा था।


आर्यमणि, पलक के इस हरकत को पीछे से देख रहा था। पलक अपनी जिज्ञासा आइने के सामने दिखा रही थी… "सुनिए आप जरा एक किनारे खड़े होंगे।" आर्यमणि को किसी ने टोका और वो वहां से किनारे हटकर पलक के रिपीट टेलीकास्ट के एक्शन को देखने लगा।


3-4 बार पलक उस एक्ट को करने के बाद, वहीं पास के ट्रायल रूम में घुस गई और आर्यमणि मुस्कुराते हुए वहां से आगे बढ़ गया। अपनी धुन में आर्य मणि भी पलक के पीछे जाने लगा। तभी सामने से भूमि उसे रोकती.… "तू किसके लिए यहां शॉपिंग करने आया है।"… भूमि ने सवाल किया और चित्रा जोड़-जोड़ से हसने लगी।


आर्यमणि, पलक के बारे में सोचने पर ऐसा मशगूल हुआ कि वो लेडीज अंडरगारमेंट्स के शॉप में घुस गया।…. "हम्मम ! ठीक है आप लोग जबतक यहां हो, मै दादा से मिल आता हूं। यहां से फ्री होकर कॉल करना मुझे।"…



चित्रा:- दीदी एक तो बात कम करता है ऊपर से आप ऐसे उसकी बोलती बंद कर दोगी तो क्या होगा।


भूमि:- किसी से बात करे कि ना करे तेरे से तो पूरी बात करता है ना। तू दिल पर हाथ रखकर बता, क्या वो मेरी बात का जवाब नहीं दे सकता था? वो भी ऐसा की हमारी बोलती बंद हो जाए।


चित्रा:- हां आपकी दोनो बात सही है। वो मुझ से बात भी करता है और यहां पर वो जवाब भी दे देता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।


भूमि:- और क्यों नहीं किया..


चित्रा:- क्योंकि वो चाहता था हमे लगे कि हमने उससे ऐसा मज़ाक किया कि वो शर्माकर यहां से भाग गया।


भूमि:- तुझे वो दिल से मानता है और तू भी। अच्छा चित्रा तुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि आर्य तुझसे आई लव यू कहे।


चित्रा:- दीदी अगर उसे ऐसा फील होता ना कि मेरे दिल में ऐसी इक्छा है, तो भले ही उसके दिल में ऐसी इक्छा नहीं होती, लेकिन फिर भी वो बोल चुका होता।


भूमि:- और उसके दिल में ऐसी इक्छा होती की तू उसकी गर्लफ्रेंड होती..


चित्रा:- मुझे अभी फील हो जाए तो अभी कह दूंगी। कभी ना कभी किसी ना किसी को पार्टनर बनना ही है और मेरे करीबी दोस्त की ऐसी फीलिंग है तो चलो भाई कमिटेड हो जाओ।


भूमि:- कुछ तो गड़बड़ है चित्रा। इतने क्लियर कॉन्सेप्ट.. नाना कुछ ना कुछ यहां छिपाया जा रहा है। तुझे आर्य की कसम, मुझे वो बात बता जिसने तुम दोनों के बीच इतनी साफ मनसा दी है।


चित्रा:- हम दोनों ने अपने रिलेशन स्टेटस को चेंज किया था। जबरदस्ती 2 महीने तक गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रैंड भी रहे। कई बार किस्स भी हुआ, लेकिन एक बार भी स्मूच नहीं हुआ। बॉयफ्रेंड के साथ चिपकने वाली कभी फीलिंग ही ना आयी। वही रेगुलर गले लगने वाली ही फीलिंग आयी। जबकि हम दोनों ने जान बूझकर काफी टाईट हग किया था, कुछ तो वैसी फीलिंग निकल आए, लेकिन नहीं निकला। और भी सुनना है या हो गया।


भूमि:- हां हां सुना सुना इंट्रेस्टिंग है ये तो।


चित्रा:- हुंह ! आगे कुछ नहीं। 2 महीने में हमे पता चल गया कि हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो सकता, इसलिए हमने ब्रेकअप कर लिया।


भूमि:- तब बच्ची थी ना। सीने पर कुछ रहेगा तो ना फीलींग निकलती। अभी ट्राई करके देख ले।


चित्रा:- नहीं होगा कन्फर्म, क्योंकि आर्य किसी के प्यार मे है।


भूमि:- क्या बक कर रही है।


चित्रा:- मैं तो दोनो को जानती भी हूं।


भूमि:- उसका तो पता नहीं लेकिन तेरी लव स्टोरी किसी के साथ कन्फर्म है। खैर तू छिपाने वाली तो है नहीं इसलिए तेरी चिंता ना है। लेकिन आर्य... चल उसका नाम बता, कल ही आधी शादी करवाकर दोनो को बूक कर दूं।


चित्रा:- दीदी वो पलक..


जैसे ही चित्रा, पलक का नाम ली, पलक का कलेजा धक–धक। इधर भूमि हैरान होती... "क्या !! पलक???"


चित्रा:- अरे वो नहीं पलक हमे सुन रही।


पलक, सामने आती... "सॉरी, चित्रा अपनी और आर्य की लव स्टोरी बता रही थी और मैं तभी पहुंची। मुझे लगा कहीं मेरे सामने न बताए, इसलिए छिपकर सुन ली। वैसे काफी रोमांटिक लव स्टोरी थी।


भूमि:- दूसरों की लव स्टोरी छिपकर सुनते शर्म नहीं आती। चल अपने किस्से बता।


पलक:- मेरा नाम पलक भारद्वाज है। मैंने 2 साल एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी की और पहले अटेम्प्ट में ही अच्छे मार्क्स मिले और आज मै नेशनल कॉलेज में हूं।


चित्रा:- अच्छा परपोज कितने लड़को ने किया वहीं बता दे।


पलक:- मुझे कोई प्रपोज नहीं करता।


भूमि:- चल झुटी। बड़ी आयी.. चित्रा देख इसे जारा..


चित्रा:- देखना क्या है दीदी.. अच्छा बता तो पलक तेरी फिगर क्या है।


पलक:- 32-24-34..


चित्रा:- सुना दीदी, क्या फिगर है। बिल्कुल छरहरा बदन, 5"6’ की हाइट और चेहरे की बनावट ऐसी की नजरें टिक जाए। बस एक ही कमी रह जाती है, कभी सज–संवर के नहीं निकलती। अब ऐसे फिगर वाली को कोई परपोज ना करे?


पलक:- इतने दिन से तो कॉलेज में हूं, किसी ने परपोज किया क्या अब तक?


चित्रा:- अब तू एसपी की बहन बनकर आएगी तो कौन परपोज करेगा। लोग थोड़े कम से काम चला लेते है। वैसे अपने कॉलेज में भी तेरे जैसी फिगर को टक्कर देने वाली लड़कियां है। और वो एक ग्रुप जो सबसे अलग रहता है उसकी लड़कियां इतनी हॉट होती है कि सभी लड़के उधर ही तकते रहते है। अब ऐसे माहौल में लड़के एसपी की बहन के साथ रिस्क क्यों ले? लड़के कहीं और कोशिश में लग गए होंगे। कौन पुलिस का लफड़ा पाले क्यों दीदी।?


भूमि:- अरे पुलिस वाले की बहन हुई तो क्या हुआ, लौंडे आजकल कुछ नहीं देखते, परपोज कर ही देते है।


पलक, थोड़ी चिढ़ती हुई… "ऐसा था तो मुझे अब तक आर्य ही परपोज कर देता।"..


चित्रा:- "अरे कुछ प्राउड मोमेंट होते है। भूमि दीदी आर्य जब मेरे साथ चलता है तब मैं जली-भुनी लड़कियों के रिएक्शंस ही देखती हूं। वो साले अलग-थलग ग्रुप वालों मे लौंडे भी उतना ही हैंडसम। वहां की सेक्सी हॉट लड़कियां ग्रुप के बाहर के लौंडों को देखती तक नहीं, लेकिन वो सब भी आर्य को ताड़ती रहती है, आर्य वो मैटेरियल है।"

"लड़कियां सामने से आकर जिसे परपोज करे, आर्य वो मटेरियल है और वो तुम्हे परपोज करेगा अपनी गर्लफ्रेड बनाने के लिए। वैसे भी अगर आर्य ने किसी को परपोज किया तो समझो वो गर्लफ्रेंड बनाने के लिए परपोज नहीं कर रहा, बल्कि लाइफ पार्टनर बनाने के लिए करेगा। यदि तुम्हे मेरी बातों का यकीन नहीं है तो तुम खुद देख लेना की उसकी नजर कितनी लड़कियों पर होती है, और कितनी लड़कियों की नजर उसपर।"


पलक:- तुम ज्यादा अच्छे से जानती होगी उसके बारे में। मुझे क्या करना है। मै जैसी भी हूं खुश हूं। एक लाइफ पार्टनर ही चुनना है ना, आई-बाबा जिसे चुन लेंगे मै हां कह दूंगी।


चित्रा:- बोरिंग..


भूमि:- चित्रा कल से इसे जरा बन सवर कर निकाल इसके घर से।


चित्रा:- कैसे होगा... ये सिविल लाइन 4th रोड में है और मै सिविल लाइन 1st रोड में।


भूमि:- तेरे बाजू वाले पड़ोसी का नाम बता जो पसंद नहीं।


चित्रा:- मुरली पवार, आईजी ऑफ पुलिस।


भूमि:- ठीक है, कल से इसके घर चली जाना आज रात ही ये शिफ्ट करेंगे।


पलक:- ठीक है जो भी करना है कर लेना.. अभी चले यहां से।


भूमि:- चित्रा वो हड्डी का ढांचा और निशांत किधर है।


चित्रा:- कहीं लाइन मार रहा होगा।


भूमि:- हा हा हा… पहले उन्ही दोनो की करतूत देखते है फिर आर्य को कॉल करती हूं।


पलक:- आप दोनो जाओ, मै तेजस दादा से मिलकर आती हूं।


पलक दोनो को छोड़कर एमडी चेंबर के ओर चल दी। दरवाजे पर वही शामलाल खड़ा था, पलक को देखकर पूछने लगा क्या काम है? पलक अपना नाम बतायी और वो हाथ के इशारे से अंदर जाने के लिए बोल दिया।


पलक अंदर आयि, और नजरों के सामने आर्यमणि… "तेजस दादा नहीं है क्या?"


आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर, अपनी ओर खींचते.… "दादा नही, एक किस्स का वादा है, जो कॉलेज का मैटर खत्म करने के बाद तुम देती"…


पलक नाटकीय अंदाज में गुस्सा दिखती, खुद को आर्यमणि के पकड़ से छुड़ाने के लिए थोड़ी कसमसाती हुई.… "ये वादा कॉलेज के सामने मुझे परपोज करने के बाद का था। लेकिन शायद तुम्हारी फट गई। क्यूंकि सिर्फ तुम्हारे नागपुर में होने पर जिस अक्षरा भारद्वाज ने तुम्हे चैन से श्वांस नही लेने दिया, उसकी बेटी को सबके सामने परपोज कर देते, फिर क्या होता"…


पलक भले चिढ़ाने के लिए बोली हो लेकिन आर्यमणि बात को पूरी गंभीरता से लेते हुए.… "फिर तो फिलहाल हमे अनजान हो जाना चाहिए..."


पलक अंदर ही अंदर मुस्काती और बाहर से वह भी आर्यमणि की तरह गंभीर दिखती... "हां बिल्कुल!! तेजस दादा कहां है?"


आर्यमणि:– कहीं बाहर गए हैं।


पलक जाकर चुपचाप बैठ गई। कुछ पल तक दोनो ख़ामोश रहे… "कुछ पता है कब तक आएंगे?"..


आर्यमणि:- पता नहीं।


दोनो फिर से ख़ामोश हो गए। एक बार फिर पलक खामोशी तोड़ती हुई… "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?"..


आर्यमणि:- हां है।


पलक थोड़ी सी हैरान होती हुई… "लेकिन चित्रा तो बता रही थी कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।"..


आर्यमणि:- अभी एक घंटे पहले बनी है, इसलिए उसे भी पता नहीं।


पलक:- पहली बार उससे कब मिले थे।


आर्यमणि:- 1 घंटे और 5 मिनट पहले।


पलक:- क्या वो चित्रा से भी खूबसूरत है?


आर्यमणि:- कल वो जब आएगी मिलने, तो खुद ही देख लेना।


पलक:- क्या वो अपने ही क्लास की है?


आर्यमणि:- कल उसकी पूरी डिटेल मिल जाएगी। अब चले यहां से दादा लगता है नहीं आने वाले।


पलक:- मै क्यों जाऊं? मै तो भूमि दीदी के साथ आयी हूं। तुम जाओ, मै दादा से मिलकर जाऊंगी।


आर्यमणि, उठकर वहां से बाहर चला आया, और भूमि को कॉल लगाकर उसके बारे में पूछने लगा। भूमि ने उसे कैश काउंटर पर ही आ जाने के लिए कही। हर कोई अपना अपना पेमेंट करके जैसे ही निकलने लगे… "आर्य तू दादा के ऑफिस से आ रहा है ना, पलक वहां थी।"..


आर्यमणि:- दीदी मैंने उसे चलने के लिए कहा था तब वो बोली दादा से मिलकर ही आएगी।


भूमि:- ठीक है एक काम कर तू उसे बाइक से छोड़ देना। मै इन तीनों को छोड़ आती हूं।


आर्यमणि:- ठीक है दीदी। अरे माधव ये लो, ये तुम्हारे लिए है।


माधव, आर्यमणि के हाथ में लैपटॉप देखकर थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया… "नहीं दोस्त ई हमको थोड़े ना चाहिए, वापस कर दो।"..


चित्रा:- वो फ्री में नहीं दे रहा है माधव, बदले में तुम हम दोनों को मैथमेटिक्स और फिजिक्स पढ़ाओगे।


माधव:- वो तो हम वैसे भी हेल्प कर देंगे, लेकिन ई हम नहीं ले सकते है। वापस कर दीजिए इसको।


भूमि:- गार्ड इस अस्थिपंजर को उठाकर लाओ। आर्य तू वो लैपटॉप मुझे दे, हम इसके हॉस्टल के अंदर तक छोड़कर आएंगे।


माधव:- अरे लेकिन उ तो बॉयज हॉस्टल है दीदी आप काहे जाइएगा।


वो लोग माधव को लेकर चलते बने। इधर आर्यमणि अटक सा गया। लगभग 1 घंटे बाद आर्यमणि के मोबाइल पर पलक का कॉल आया, और वो आर्यमणि से उसका पता पूछने लगी। आर्यमणि उसे बिल काउंटर पर ही बुला लिया।… "सॉरी मेरे कारण तुम्हे इंतजार करना पड़ा। दीदी को कॉल की तो पता चला उन्हें जरूरी काम था इसलिए उन्हें निकालना पड़ा और मै तुम्हारे साथ"..


आर्यमणि:- इट्स ओके। चलो चलकर पहले कुछ खाते है।


पलक:- बाहर में कुछ खाए क्या?


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है चलो।


आर्यमणि, पलक को रुकने बोलकर अपनी बाइक ले आया। पलक को अचानक ध्यान आया कि आर्यमणि के पास तो बाइक है, वो भी उसके सीट की पोजिशन ऐसी है कि बिना चिपके जा नहीं सकते है… "आर्य, क्या तुम्हारे पास कार नहीं है"


आर्यमणि:- ज़िन्दगी में हर चीज का मज़ा लेना चाहिए पलक। गंभीर और शांत मै भी रहता हूं, इसका मतलब ये नहीं कि जीता नहीं हूं, हंसता नहीं हूं। तुमने तो अपने अंदर के ख्यालों को ही अपनी पूरी दुनिया बना ली है। अब आओ और ये झिझक छोड़ दो कि बाइक पर मै एक अजनबी के साथ कैसे जाऊंगी।


"चले क्या"… पलक बाइक पर बैठती हुई आर्यमणि के कंधे पर हांथ डालकर मुस्कुराती हुई कहने लगी। आर्यमणि मस्त अपनी बाइक चला रहा था और पीछे बैठकर पलक आर्यमणि से दूरी बनाने की कोशिश तो कर रही थी, लेकिन बीएमडब्लू बाइक के सीट कि पोजिशनिंग कुछ ऐसी थी कि वो जाकर आर्यमणि से चिपक जाती।


बड़ी मुश्किल से पलक 2 इंच की दूरी बनाती और इधर ट्रैफिक के कारण लगा ब्रेक उन दूरियों को मिटा देती।… "पलक कहां चलना है।"..


पलक अपने होंठ आर्यमणि के कान के करीब ले जाती… "चांदनी चौक चलेंगे पहले।"… कुछ ही देर में दोनो चांदनी चौक में थे। पलक स्ट्रीट फूड का लुफ्त उठाने आयी थी, वहां उसने जैसे ही 2 प्लेट हैदराबादी तंदूर का ऑर्डर दिया… "पलक एक ही प्लेट का ऑर्डर दो।"..


पलक:- क्यों ऐसे ठेले पर का खाना खाने में शर्म आएगी क्या?


आर्यमणि:- नहीं, मै नॉन वेज नहीं खाता।


पलक:- सच बताओ।


आर्यमणि:- हां सच ही कह रहा हूं।


पलक:- फिर छोड़ो, चलो चलते है यहां से।


आर्यमणि:- लेकिन हुआ क्या?


पलक:- साथ आए है, खाली हाथ खड़े रहोगे और मै खाऊंगी तो अजीब लगेगा ना।


आर्यमणि:- तुम आराम से खाओ, मै भी अपने लिए कुछ ले लेता हूं।


वहीं पास से उसने गरम छने समोसे लिए और पलक का साथ देते हुए वो समोसा खाने लगा। चांदनी चौक से फिर दोनो प्रताप नगर और वहां से फिर तहसील ऑफिस। हर जगह के स्ट्रीट फूड का मज़ा लेते अंत में दोनो सिविल लाइन चले आए।


जैसे ही सिविल लाइन आया, पलक… "तुम यहीं छोड़ दो, यहां से मै चली जाऊंगी।"…


आर्यमणि:- नहीं दीदी ने घर तक छोड़कर आने के लिए कहा है।


पलक, अनायास ही बोल पड़ी… "पागल हो क्या, मेरे घर जाओगे। तुम जानते भी हो वहां का क्या माहौल होगा।"


आर्यमणि:- हद है, इतना बढ़िया अनजान के रोल में घुसी थी, यहां आकर क्या हो गया?


पलक, छोटा सा मुंह बनाती... "मुझे माफ कर दो। मैं अपनी आई (अक्षरा भारद्वाज) के नाम पर तुम्हे बस छेड़ रही थी। लेकिन मेरे घर तक जाना...


आर्यमणि:- क्यों किसी लड़के के साथ जाने पर तुम्हारे घरवाले तुम्हे गोली मार देंगे क्या?


पलक:- किसी मे, और तुम मे अंतर है ना आर्य।


आर्यमणि:- मेरे माथे पर नाम नहीं लिखा है। दीदी ने कहा है तो घर तक छोड़कर ही आऊंगा।


पलक:- जिद्दी कहीं के ! ठीक है चलो।


कुछ ही दूरी पर पलक का घर था। आर्य उसे छोड़कर वापस लौट ही रहा था कि पीछे से पलक ने आवाज़ लगा दी… "सुनो आर्य"...


आर्य रुककर इशारे से पूछने लगा क्या हुआ। पलक उत्तर देती कहने लगी, दादा (राजदीप) का आवास शिफ्ट कर दिया गया है। आर्यमणि पलक को लेकर उसके नए आवास पर पहुंच गया। पलक बाइक से उतरती हुई आर्यमणि से विदा ली। लेकिन पलक जैसे ही अपना कदम बढ़ायि, आर्यमणि भी उसके पीछे चल दिया।

पलक हैरानी से आर्यमणि को देखती... "मेरे पीछे क्यूं आ रहे?

आर्यमणि:– जब इतनी दूर आ ही गया हूं, तो साथ में तुम्हारे घर भी चलता हूं। मेरे माथे पर थोड़े ना मेरा नाम लिखा है।"

पलक:– आर्य तुम समझते क्यूं नही? अंदर मत आओ..

आर्यमणि:– तुम्हे इस राजा की रानी बनना है या नही?

पलक:– हां लेकिन...

आर्यमणि:– हां तो फिर चलो...

पलक असमंजस में, और आर्यमणि मानने को तैयार नहीं... पलक, आर्यमणि को समझाकर वापस भेजने में विफल रही और नतीजा, आर्यमणि भी पलक के साथ ही अंदर घुसा... वहीं कुछ घंटे पूर्व, शॉपिंग मॉल में जैसा की भूमि, चित्रा से कही थी, ठीक वैसा ही हुआ। एसपी राजदीप और कमिश्नर राकेश नाईक का आवास आसपास था। शिफ्ट करने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए भूमि ने कई सारे लोगों को भेज दिया था।


सुप्रीटेंडेंट और कमिश्नर का परिवार आस-पास और दोनो परिवार के लोग हॉल में बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे, ठीक उसी वक्त पलक और आर्यमणि वहां पहुंच गये। पलक और आर्यमणि ने जैसे ही घर में कदम रखा, सभी लोगो की नजर दोनो पर। और जैसे ही नजर आर्यमणि पर गई, वहां बैठे सभी लोग घोर आश्चर्य में पड़ गए।


इससे पहले कि कोई कुछ कहता, एक उड़ता हुआ चाकू आर्यमणि के ओर चला आया और पीछे से राजदीप की मां अक्षरा चिल्लाने लगी… "ये कुलकर्णी की औलाद यहां क्या कर रहा है। पलकककक .. हट उसके पास से। जिसका साया पड़ना भी अशुद्ध होता है, तू उसे घर तक साथ ले आयी। तुझे और कोई लड़का नहीं मिला क्या पूरे नागपुर में, जो तू उस भगोड़ी जया के बेटे को यहां ले आयी।


आर्यमणि दरवाजे पर ही खड़ा था, और अक्षरा बेज्जती करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पलक को ऐसा लगा मानो उसने आर्यमणि को यहां लाकर कितनी बड़ी गलती कर गई। शब्द तीर की तरह थे जो पलक का कलेजा चिर गई और वो रोती हुई आर्यमणि को देखने लगी, मानो बहते आंसू के साथ माफी मांग रही हो।


आर्यमणि खामोशी से बात सुनता गया। अक्षरा जैसे ही चुप होकर बढ़ी धड़कनों को सामान्य करने लगी, आर्यमणि पलक के आशु पोछकर उसे शांत रहने का इशारा किया और अक्षरा के ओर चल दिया। अपने हाथ में वो चाकू लिए अक्षरा के पास पहुंचा। आर्यमणि, अक्षरा का हाथ पकड़कर उसे चाकू थमाते… "देख तो लूं जरा, कितनी नफरत भरी है आपके दिल में।"…


तभी बीच में निशांत की मां निलानजना बोलने लगी… "नहीं आर्य"..


आर्य:- नहीं आंटी अभी नहीं। बचपन से इनकी एक ही कहानी सुनकर पक गया हूं। मेरी मां के बारे में इन्होंने इतना कुछ बोला है कि मेरा दिमाग खराब हो गया। कॉलेज में मुझे परेशान करने के लिए ये लोग स्टूडेंट को उकसा रहे है। आज दुश्मनी का लेवल भी चेक कर लेने दो मुझे।… अक्षरा भारद्वाज दिखाओ लेवल। भाई मरा था ना उस दिन, तो ले लो बदला। अब चाकू लिए ऐसे ख़ामोश क्या सोच रही है?


आर्यमणि इतनी जोर से चिल्लाया की वहां के हॉल में उसकी आवाज गूंज गई। राजदीप कुछ बोलने लगा लेकिन तभी चित्रा की मां निलांजना ने उसे चुप करा दिया। आर्यमणि गुस्से में अक्षरा से अपनी नजर मिलाए… "क्यों केवल बोलना आता है, पीठ पीछे लोग भेजने आते है। आज मैंने कॉलेज ने 30 ऐसे लोगो को मारा है जो आपके कहने पर कॉलेज मुझसे लड़ने आए थे। उनमें से 2 को बहुत गन्दा तोड़ा मैंने, और जब उससे मिलने हॉस्पिटल गया तो 30-40 और लोगों को तोड़ना परा। भारद्वाज खानदान में सामने से वार करने की हिम्मत खत्म हो गई क्या? चलो चलो चलो अब दिखाओ भी नफरत।


अक्षरा बड़ी मुश्किल से चाकू ऊपर उठाई। उसके हाथ कांप रहे थे। आर्यमणि ने उसके हाथ को अपने हाथ का सहारा देकर अक्षरा की आंखों में देखा। चाकू को अपने सीने के नीचे टिकाया। लोग जैसे ही दौड़कर उसके नजदीक पहुंचते, उससे पहले ही आर्यमणि वो चाकू अपने अंदर घुसा चुका था।
Wahhh ye ajnabi wala khel bhi sahi khel rahe hai ye dono log. Aur maja bhi aa raha tha isme to. Aur arya to changing room me bhi jane wala tha bach gaya. Waise mujhe bhi thodi utsukta hai ki aakhir chitra ke life me kon aayega. Meri bhi 1st choice to arya hi hai. Waise bhi aise Raja ki kai raniya to ho hi sakti hai. Aur ye kya aapne to last me boom hi food diya jo chaku hi pura andar utar gaya. Lakin isase ek baat to confirm hai ki Akchara ki ab nafrat sayad khtam ho jayen. Aur future ke hisab se pure family ka ek dono bhi bahut jaruri hai. Tabhi aage aane wale Enemy se fight sahi se ho skti hai.
Khir Dekhte hai aage kya hota hai.
 

Kala Nag

Mr. X
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भाग:–21




आर्यमणि चारो ओर अपनी नजरें घुमाए जा रहा था। अचानक से उसकी नजर एक जगह ठहरी और वहां का नजारा देखकर आर्यमणि मुस्कुराने लगा। मिरर वाले उस हिस्से में पलक खड़ी थी। उसके हाथ में एक क्रिकेट स्टंप था। उसे वह फ्लोर पर टिकाकर बिल्कुल आर्यमणि के स्टाइल में खड़ी थी। कुछ देर वैसे ही खड़ी रही फिर पलक कॉलेज वाला एक्शन दोहराने लगी, जैसा–जैसा आर्यमणि कॉलेज में कर रहा था।


आर्यमणि, पलक के इस हरकत को पीछे से देख रहा था। पलक अपनी जिज्ञासा आइने के सामने दिखा रही थी… "सुनिए आप जरा एक किनारे खड़े होंगे।" आर्यमणि को किसी ने टोका और वो वहां से किनारे हटकर पलक के रिपीट टेलीकास्ट के एक्शन को देखने लगा।


3-4 बार पलक उस एक्ट को करने के बाद, वहीं पास के ट्रायल रूम में घुस गई और आर्यमणि मुस्कुराते हुए वहां से आगे बढ़ गया। अपनी धुन में आर्य मणि भी पलक के पीछे जाने लगा। तभी सामने से भूमि उसे रोकती.… "तू किसके लिए यहां शॉपिंग करने आया है।"… भूमि ने सवाल किया और चित्रा जोड़-जोड़ से हसने लगी।
यह वाला वाकई बहुत बढ़िया रहा
पलक अपने राजा से बहुत प्रभावित हो गई
होना भी चाहिए
आर्यमणि, पलक के बारे में सोचने पर ऐसा मशगूल हुआ कि वो लेडीज अंडरगारमेंट्स के शॉप में घुस गया।…. "हम्मम ! ठीक है आप लोग जबतक यहां हो, मै दादा से मिल आता हूं। यहां से फ्री होकर कॉल करना मुझे।"…


चित्रा:- दीदी एक तो बात कम करता है ऊपर से आप ऐसे उसकी बोलती बंद कर दोगी तो क्या होगा।


भूमि:- किसी से बात करे कि ना करे तेरे से तो पूरी बात करता है ना। तू दिल पर हाथ रखकर बता, क्या वो मेरी बात का जवाब नहीं दे सकता था? वो भी ऐसा की हमारी बोलती बंद हो जाए।


चित्रा:- हां आपकी दोनो बात सही है। वो मुझ से बात भी करता है और यहां पर वो जवाब भी दे देता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।


भूमि:- और क्यों नहीं किया..


चित्रा:- क्योंकि वो चाहता था हमे लगे कि हमने उससे ऐसा मज़ाक किया कि वो शर्माकर यहां से भाग गया।


भूमि:- तुझे वो दिल से मानता है और तू भी। अच्छा चित्रा तुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि आर्य तुझसे आई लव यू कहे।


चित्रा:- दीदी अगर उसे ऐसा फील होता ना कि मेरे दिल में ऐसी इक्छा है, तो भले ही उसके दिल में ऐसी इक्छा नहीं होती, लेकिन फिर भी वो बोल चुका होता।


भूमि:- और उसके दिल में ऐसी इक्छा होती की तू उसकी गर्लफ्रेंड होती..


चित्रा:- मुझे अभी फील हो जाए तो अभी कह दूंगी। कभी ना कभी किसी ना किसी को पार्टनर बनना ही है और मेरे करीबी दोस्त की ऐसी फीलिंग है तो चलो भाई कमिटेड हो जाओ।


भूमि:- कुछ तो गड़बड़ है चित्रा। इतने क्लियर कॉन्सेप्ट.. नाना कुछ ना कुछ यहां छिपाया जा रहा है। तुझे आर्य की कसम, मुझे वो बात बता जिसने तुम दोनों के बीच इतनी साफ मनसा दी है।


चित्रा:- हम दोनों ने अपने रिलेशन स्टेटस को चेंज किया था। जबरदस्ती 2 महीने तक गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रैंड भी रहे। कई बार किस्स भी हुआ, लेकिन एक बार भी स्मूच नहीं हुआ। बॉयफ्रेंड के साथ चिपकने वाली कभी फीलिंग ही ना आयी। वही रेगुलर गले लगने वाली ही फीलिंग आयी। जबकि हम दोनों ने जान बूझकर काफी टाईट हग किया था, कुछ तो वैसी फीलिंग निकल आए, लेकिन नहीं निकला। और भी सुनना है या हो गया।


भूमि:- हां हां सुना सुना इंट्रेस्टिंग है ये तो।


चित्रा:- हुंह ! आगे कुछ नहीं। 2 महीने में हमे पता चल गया कि हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो सकता, इसलिए हमने ब्रेकअप कर लिया।


भूमि:- तब बच्ची थी ना। सीने पर कुछ रहेगा तो ना फीलींग निकलती। अभी ट्राई करके देख ले।


चित्रा:- नहीं होगा कन्फर्म, क्योंकि आर्य किसी के प्यार मे है।


भूमि:- क्या बक कर रही है।


चित्रा:- मैं तो दोनो को जानती भी हूं।


भूमि:- उसका तो पता नहीं लेकिन तेरी लव स्टोरी किसी के साथ कन्फर्म है। खैर तू छिपाने वाली तो है नहीं इसलिए तेरी चिंता ना है। लेकिन आर्य... चल उसका नाम बता, कल ही आधी शादी करवाकर दोनो को बूक कर दूं।


चित्रा:- दीदी वो पलक..


जैसे ही चित्रा, पलक का नाम ली, पलक का कलेजा धक–धक। इधर भूमि हैरान होती... "क्या !! पलक???"


चित्रा:- अरे वो नहीं पलक हमे सुन रही।
वाह यह भी खूब रही
सच बाहर भी आ गई और बड़ी ख़ूबसूरती के साथ छुप भी गई
पलक, सामने आती... "सॉरी, चित्रा अपनी और आर्य की लव स्टोरी बता रही थी और मैं तभी पहुंची। मुझे लगा कहीं मेरे सामने न बताए, इसलिए छिपकर सुन ली। वैसे काफी रोमांटिक लव स्टोरी थी।


भूमि:- दूसरों की लव स्टोरी छिपकर सुनते शर्म नहीं आती। चल अपने किस्से बता।


पलक:- मेरा नाम पलक भारद्वाज है। मैंने 2 साल एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी की और पहले अटेम्प्ट में ही अच्छे मार्क्स मिले और आज मै नेशनल कॉलेज में हूं।


चित्रा:- अच्छा परपोज कितने लड़को ने किया वहीं बता दे।


पलक:- मुझे कोई प्रपोज नहीं करता।


भूमि:- चल झुटी। बड़ी आयी.. चित्रा देख इसे जारा..


चित्रा:- देखना क्या है दीदी.. अच्छा बता तो पलक तेरी फिगर क्या है।


पलक:- 32-24-34..


चित्रा:- सुना दीदी, क्या फिगर है। बिल्कुल छरहरा बदन, 5"6’ की हाइट और चेहरे की बनावट ऐसी की नजरें टिक जाए। बस एक ही कमी रह जाती है, कभी सज–संवर के नहीं निकलती। अब ऐसे फिगर वाली को कोई परपोज ना करे?


पलक:- इतने दिन से तो कॉलेज में हूं, किसी ने परपोज किया क्या अब तक?


चित्रा:- अब तू एसपी की बहन बनकर आएगी तो कौन परपोज करेगा। लोग थोड़े कम से काम चला लेते है। वैसे अपने कॉलेज में भी तेरे जैसी फिगर को टक्कर देने वाली लड़कियां है। और वो एक ग्रुप जो सबसे अलग रहता है उसकी लड़कियां इतनी हॉट होती है कि सभी लड़के उधर ही तकते रहते है। अब ऐसे माहौल में लड़के एसपी की बहन के साथ रिस्क क्यों ले? लड़के कहीं और कोशिश में लग गए होंगे। कौन पुलिस का लफड़ा पाले क्यों दीदी।?


भूमि:- अरे पुलिस वाले की बहन हुई तो क्या हुआ, लौंडे आजकल कुछ नहीं देखते, परपोज कर ही देते है।


पलक, थोड़ी चिढ़ती हुई… "ऐसा था तो मुझे अब तक आर्य ही परपोज कर देता।"..
हा हा हा हा हा
बढ़िया बहुत बढ़िया
चित्रा:- "अरे कुछ प्राउड मोमेंट होते है। भूमि दीदी आर्य जब मेरे साथ चलता है तब मैं जली-भुनी लड़कियों के रिएक्शंस ही देखती हूं। वो साले अलग-थलग ग्रुप वालों मे लौंडे भी उतना ही हैंडसम। वहां की सेक्सी हॉट लड़कियां ग्रुप के बाहर के लौंडों को देखती तक नहीं, लेकिन वो सब भी आर्य को ताड़ती रहती है, आर्य वो मैटेरियल है।"

"लड़कियां सामने से आकर जिसे परपोज करे, आर्य वो मटेरियल है और वो तुम्हे परपोज करेगा अपनी गर्लफ्रेड बनाने के लिए। वैसे भी अगर आर्य ने किसी को परपोज किया तो समझो वो गर्लफ्रेंड बनाने के लिए परपोज नहीं कर रहा, बल्कि लाइफ पार्टनर बनाने के लिए करेगा। यदि तुम्हे मेरी बातों का यकीन नहीं है तो तुम खुद देख लेना की उसकी नजर कितनी लड़कियों पर होती है, और कितनी लड़कियों की नजर उसपर।"


पलक:- तुम ज्यादा अच्छे से जानती होगी उसके बारे में। मुझे क्या करना है। मै जैसी भी हूं खुश हूं। एक लाइफ पार्टनर ही चुनना है ना, आई-बाबा जिसे चुन लेंगे मै हां कह दूंगी।
हा हा हा

चित्रा:- बोरिंग..


भूमि:- चित्रा कल से इसे जरा बन सवर कर निकाल इसके घर से।


चित्रा:- कैसे होगा... ये सिविल लाइन 4th रोड में है और मै सिविल लाइन 1st रोड में।


भूमि:- तेरे बाजू वाले पड़ोसी का नाम बता जो पसंद नहीं।


चित्रा:- मुरली पवार, आईजी ऑफ पुलिस।


भूमि:- ठीक है, कल से इसके घर चली जाना आज रात ही ये शिफ्ट करेंगे।
बाप रे बाप
यार nain11ster भाई कुछ मामलों में कहानी में कुछ चरित्रों के लिए इच्छाएं यूँ चुटकियों में पुरा कर देते हो
पलक:- ठीक है जो भी करना है कर लेना.. अभी चले यहां से।


भूमि:- चित्रा वो हड्डी का ढांचा और निशांत किधर है।


चित्रा:- कहीं लाइन मार रहा होगा।


भूमि:- हा हा हा… पहले उन्ही दोनो की करतूत देखते है फिर आर्य को कॉल करती हूं।


पलक:- आप दोनो जाओ, मै तेजस दादा से मिलकर आती हूं।


पलक दोनो को छोड़कर एमडी चेंबर के ओर चल दी। दरवाजे पर वही शामलाल खड़ा था, पलक को देखकर पूछने लगा क्या काम है? पलक अपना नाम बतायी और वो हाथ के इशारे से अंदर जाने के लिए बोल दिया।


पलक अंदर आयि, और नजरों के सामने आर्यमणि… "तेजस दादा नहीं है क्या?"


आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर, अपनी ओर खींचते.… "दादा नही, एक किस्स का वादा है, जो कॉलेज का मैटर खत्म करने के बाद तुम देती"…


पलक नाटकीय अंदाज में गुस्सा दिखती, खुद को आर्यमणि के पकड़ से छुड़ाने के लिए थोड़ी कसमसाती हुई.… "ये वादा कॉलेज के सामने मुझे परपोज करने के बाद का था। लेकिन शायद तुम्हारी फट गई। क्यूंकि सिर्फ तुम्हारे नागपुर में होने पर जिस अक्षरा भारद्वाज ने तुम्हे चैन से श्वांस नही लेने दिया, उसकी बेटी को सबके सामने परपोज कर देते, फिर क्या होता"…


पलक भले चिढ़ाने के लिए बोली हो लेकिन आर्यमणि बात को पूरी गंभीरता से लेते हुए.… "फिर तो फिलहाल हमे अनजान हो जाना चाहिए..."


पलक अंदर ही अंदर मुस्काती और बाहर से वह भी आर्यमणि की तरह गंभीर दिखती... "हां बिल्कुल!! तेजस दादा कहां है?"


आर्यमणि:– कहीं बाहर गए हैं।


पलक जाकर चुपचाप बैठ गई। कुछ पल तक दोनो ख़ामोश रहे… "कुछ पता है कब तक आएंगे?"..


आर्यमणि:- पता नहीं।


दोनो फिर से ख़ामोश हो गए। एक बार फिर पलक खामोशी तोड़ती हुई… "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?"..


आर्यमणि:- हां है।


पलक थोड़ी सी हैरान होती हुई… "लेकिन चित्रा तो बता रही थी कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।"..


आर्यमणि:- अभी एक घंटे पहले बनी है, इसलिए उसे भी पता नहीं।


पलक:- पहली बार उससे कब मिले थे।


आर्यमणि:- 1 घंटे और 5 मिनट पहले।


पलक:- क्या वो चित्रा से भी खूबसूरत है?


आर्यमणि:- कल वो जब आएगी मिलने, तो खुद ही देख लेना।


पलक:- क्या वो अपने ही क्लास की है?


आर्यमणि:- कल उसकी पूरी डिटेल मिल जाएगी। अब चले यहां से दादा लगता है नहीं आने वाले।


पलक:- मै क्यों जाऊं? मै तो भूमि दीदी के साथ आयी हूं। तुम जाओ, मै दादा से मिलकर जाऊंगी।


आर्यमणि, उठकर वहां से बाहर चला आया, और भूमि को कॉल लगाकर उसके बारे में पूछने लगा। भूमि ने उसे कैश काउंटर पर ही आ जाने के लिए कही। हर कोई अपना अपना पेमेंट करके जैसे ही निकलने लगे… "आर्य तू दादा के ऑफिस से आ रहा है ना, पलक वहां थी।"..


आर्यमणि:- दीदी मैंने उसे चलने के लिए कहा था तब वो बोली दादा से मिलकर ही आएगी।


भूमि:- ठीक है एक काम कर तू उसे बाइक से छोड़ देना। मै इन तीनों को छोड़ आती हूं।


आर्यमणि:- ठीक है दीदी। अरे माधव ये लो, ये तुम्हारे लिए है।


माधव, आर्यमणि के हाथ में लैपटॉप देखकर थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया… "नहीं दोस्त ई हमको थोड़े ना चाहिए, वापस कर दो।"..


चित्रा:- वो फ्री में नहीं दे रहा है माधव, बदले में तुम हम दोनों को मैथमेटिक्स और फिजिक्स पढ़ाओगे।


माधव:- वो तो हम वैसे भी हेल्प कर देंगे, लेकिन ई हम नहीं ले सकते है। वापस कर दीजिए इसको।


भूमि:- गार्ड इस अस्थिपंजर को उठाकर लाओ। आर्य तू वो लैपटॉप मुझे दे, हम इसके हॉस्टल के अंदर तक छोड़कर आएंगे।


माधव:- अरे लेकिन उ तो बॉयज हॉस्टल है दीदी आप काहे जाइएगा।


वो लोग माधव को लेकर चलते बने। इधर आर्यमणि अटक सा गया। लगभग 1 घंटे बाद आर्यमणि के मोबाइल पर पलक का कॉल आया, और वो आर्यमणि से उसका पता पूछने लगी। आर्यमणि उसे बिल काउंटर पर ही बुला लिया।… "सॉरी मेरे कारण तुम्हे इंतजार करना पड़ा। दीदी को कॉल की तो पता चला उन्हें जरूरी काम था इसलिए उन्हें निकालना पड़ा और मै तुम्हारे साथ"..


आर्यमणि:- इट्स ओके। चलो चलकर पहले कुछ खाते है।


पलक:- बाहर में कुछ खाए क्या?


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है चलो।


आर्यमणि, पलक को रुकने बोलकर अपनी बाइक ले आया। पलक को अचानक ध्यान आया कि आर्यमणि के पास तो बाइक है, वो भी उसके सीट की पोजिशन ऐसी है कि बिना चिपके जा नहीं सकते है… "आर्य, क्या तुम्हारे पास कार नहीं है"


आर्यमणि:- ज़िन्दगी में हर चीज का मज़ा लेना चाहिए पलक। गंभीर और शांत मै भी रहता हूं, इसका मतलब ये नहीं कि जीता नहीं हूं, हंसता नहीं हूं। तुमने तो अपने अंदर के ख्यालों को ही अपनी पूरी दुनिया बना ली है। अब आओ और ये झिझक छोड़ दो कि बाइक पर मै एक अजनबी के साथ कैसे जाऊंगी।


"चले क्या"… पलक बाइक पर बैठती हुई आर्यमणि के कंधे पर हांथ डालकर मुस्कुराती हुई कहने लगी। आर्यमणि मस्त अपनी बाइक चला रहा था और पीछे बैठकर पलक आर्यमणि से दूरी बनाने की कोशिश तो कर रही थी, लेकिन बीएमडब्लू बाइक के सीट कि पोजिशनिंग कुछ ऐसी थी कि वो जाकर आर्यमणि से चिपक जाती।


बड़ी मुश्किल से पलक 2 इंच की दूरी बनाती और इधर ट्रैफिक के कारण लगा ब्रेक उन दूरियों को मिटा देती।… "पलक कहां चलना है।"..


पलक अपने होंठ आर्यमणि के कान के करीब ले जाती… "चांदनी चौक चलेंगे पहले।"… कुछ ही देर में दोनो चांदनी चौक में थे। पलक स्ट्रीट फूड का लुफ्त उठाने आयी थी, वहां उसने जैसे ही 2 प्लेट हैदराबादी तंदूर का ऑर्डर दिया… "पलक एक ही प्लेट का ऑर्डर दो।"..


पलक:- क्यों ऐसे ठेले पर का खाना खाने में शर्म आएगी क्या?


आर्यमणि:- नहीं, मै नॉन वेज नहीं खाता।


पलक:- सच बताओ।


आर्यमणि:- हां सच ही कह रहा हूं।


पलक:- फिर छोड़ो, चलो चलते है यहां से।


आर्यमणि:- लेकिन हुआ क्या?


पलक:- साथ आए है, खाली हाथ खड़े रहोगे और मै खाऊंगी तो अजीब लगेगा ना।


आर्यमणि:- तुम आराम से खाओ, मै भी अपने लिए कुछ ले लेता हूं।


वहीं पास से उसने गरम छने समोसे लिए और पलक का साथ देते हुए वो समोसा खाने लगा। चांदनी चौक से फिर दोनो प्रताप नगर और वहां से फिर तहसील ऑफिस। हर जगह के स्ट्रीट फूड का मज़ा लेते अंत में दोनो सिविल लाइन चले आए।
वाव यही खासियत है अपनी देशी प्रेम कहानी में
स्ट्रीट फूड डेट होते ही लाज़वाब हैं
जैसे ही सिविल लाइन आया, पलक… "तुम यहीं छोड़ दो, यहां से मै चली जाऊंगी।"…


आर्यमणि:- नहीं दीदी ने घर तक छोड़कर आने के लिए कहा है।


पलक, अनायास ही बोल पड़ी… "पागल हो क्या, मेरे घर जाओगे। तुम जानते भी हो वहां का क्या माहौल होगा।"


आर्यमणि:- हद है, इतना बढ़िया अनजान के रोल में घुसी थी, यहां आकर क्या हो गया?


पलक, छोटा सा मुंह बनाती... "मुझे माफ कर दो। मैं अपनी आई (अक्षरा भारद्वाज) के नाम पर तुम्हे बस छेड़ रही थी। लेकिन मेरे घर तक जाना...


आर्यमणि:- क्यों किसी लड़के के साथ जाने पर तुम्हारे घरवाले तुम्हे गोली मार देंगे क्या?


पलक:- किसी मे, और तुम मे अंतर है ना आर्य।


आर्यमणि:- मेरे माथे पर नाम नहीं लिखा है। दीदी ने कहा है तो घर तक छोड़कर ही आऊंगा।


पलक:- जिद्दी कहीं के ! ठीक है चलो।


कुछ ही दूरी पर पलक का घर था। आर्य उसे छोड़कर वापस लौट ही रहा था कि पीछे से पलक ने आवाज़ लगा दी… "सुनो आर्य"...


आर्य रुककर इशारे से पूछने लगा क्या हुआ। पलक उत्तर देती कहने लगी, दादा (राजदीप) का आवास शिफ्ट कर दिया गया है। आर्यमणि पलक को लेकर उसके नए आवास पर पहुंच गया। पलक बाइक से उतरती हुई आर्यमणि से विदा ली। लेकिन पलक जैसे ही अपना कदम बढ़ायि, आर्यमणि भी उसके पीछे चल दिया।

पलक हैरानी से आर्यमणि को देखती... "मेरे पीछे क्यूं आ रहे?

आर्यमणि:– जब इतनी दूर आ ही गया हूं, तो साथ में तुम्हारे घर भी चलता हूं। मेरे माथे पर थोड़े ना मेरा नाम लिखा है।"

पलक:– आर्य तुम समझते क्यूं नही? अंदर मत आओ..

आर्यमणि:– तुम्हे इस राजा की रानी बनना है या नही?

पलक:– हां लेकिन...

आर्यमणि:– हां तो फिर चलो...

पलक असमंजस में, और आर्यमणि मानने को तैयार नहीं... पलक, आर्यमणि को समझाकर वापस भेजने में विफल रही और नतीजा, आर्यमणि भी पलक के साथ ही अंदर घुसा... वहीं कुछ घंटे पूर्व, शॉपिंग मॉल में जैसा की भूमि, चित्रा से कही थी, ठीक वैसा ही हुआ। एसपी राजदीप और कमिश्नर राकेश नाईक का आवास आसपास था। शिफ्ट करने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए भूमि ने कई सारे लोगों को भेज दिया था।


सुप्रीटेंडेंट और कमिश्नर का परिवार आस-पास और दोनो परिवार के लोग हॉल में बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे, ठीक उसी वक्त पलक और आर्यमणि वहां पहुंच गये। पलक और आर्यमणि ने जैसे ही घर में कदम रखा, सभी लोगो की नजर दोनो पर। और जैसे ही नजर आर्यमणि पर गई, वहां बैठे सभी लोग घोर आश्चर्य में पड़ गए।


इससे पहले कि कोई कुछ कहता, एक उड़ता हुआ चाकू आर्यमणि के ओर चला आया और पीछे से राजदीप की मां अक्षरा चिल्लाने लगी… "ये कुलकर्णी की औलाद यहां क्या कर रहा है। पलकककक .. हट उसके पास से। जिसका साया पड़ना भी अशुद्ध होता है, तू उसे घर तक साथ ले आयी। तुझे और कोई लड़का नहीं मिला क्या पूरे नागपुर में, जो तू उस भगोड़ी जया के बेटे को यहां ले आयी।


आर्यमणि दरवाजे पर ही खड़ा था, और अक्षरा बेज्जती करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पलक को ऐसा लगा मानो उसने आर्यमणि को यहां लाकर कितनी बड़ी गलती कर गई। शब्द तीर की तरह थे जो पलक का कलेजा चिर गई और वो रोती हुई आर्यमणि को देखने लगी, मानो बहते आंसू के साथ माफी मांग रही हो।


आर्यमणि खामोशी से बात सुनता गया। अक्षरा जैसे ही चुप होकर बढ़ी धड़कनों को सामान्य करने लगी, आर्यमणि पलक के आशु पोछकर उसे शांत रहने का इशारा किया और अक्षरा के ओर चल दिया। अपने हाथ में वो चाकू लिए अक्षरा के पास पहुंचा। आर्यमणि, अक्षरा का हाथ पकड़कर उसे चाकू थमाते… "देख तो लूं जरा, कितनी नफरत भरी है आपके दिल में।"…


तभी बीच में निशांत की मां निलानजना बोलने लगी… "नहीं आर्य"..


आर्य:- नहीं आंटी अभी नहीं। बचपन से इनकी एक ही कहानी सुनकर पक गया हूं। मेरी मां के बारे में इन्होंने इतना कुछ बोला है कि मेरा दिमाग खराब हो गया। कॉलेज में मुझे परेशान करने के लिए ये लोग स्टूडेंट को उकसा रहे है। आज दुश्मनी का लेवल भी चेक कर लेने दो मुझे।… अक्षरा भारद्वाज दिखाओ लेवल। भाई मरा था ना उस दिन, तो ले लो बदला। अब चाकू लिए ऐसे ख़ामोश क्या सोच रही है?


आर्यमणि इतनी जोर से चिल्लाया की वहां के हॉल में उसकी आवाज गूंज गई। राजदीप कुछ बोलने लगा लेकिन तभी चित्रा की मां निलांजना ने उसे चुप करा दिया। आर्यमणि गुस्से में अक्षरा से अपनी नजर मिलाए… "क्यों केवल बोलना आता है, पीठ पीछे लोग भेजने आते है। आज मैंने कॉलेज ने 30 ऐसे लोगो को मारा है जो आपके कहने पर कॉलेज मुझसे लड़ने आए थे। उनमें से 2 को बहुत गन्दा तोड़ा मैंने, और जब उससे मिलने हॉस्पिटल गया तो 30-40 और लोगों को तोड़ना परा। भारद्वाज खानदान में सामने से वार करने की हिम्मत खत्म हो गई क्या? चलो चलो चलो अब दिखाओ भी नफरत।


अक्षरा बड़ी मुश्किल से चाकू ऊपर उठाई। उसके हाथ कांप रहे थे। आर्यमणि ने उसके हाथ को अपने हाथ का सहारा देकर अक्षरा की आंखों में देखा। चाकू को अपने सीने के नीचे टिकाया। लोग जैसे ही दौड़कर उसके नजदीक पहुंचते, उससे पहले ही आर्यमणि वो चाकू अपने अंदर घुसा चुका था।
यह तो बहुत खतरनाक एंट्री हो गई
सास की हाथ की छुरी दामाद के सीने में घुस गई
 

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भाग:–21




आर्यमणि चारो ओर अपनी नजरें घुमाए जा रहा था। अचानक से उसकी नजर एक जगह ठहरी और वहां का नजारा देखकर आर्यमणि मुस्कुराने लगा। मिरर वाले उस हिस्से में पलक खड़ी थी। उसके हाथ में एक क्रिकेट स्टंप था। उसे वह फ्लोर पर टिकाकर बिल्कुल आर्यमणि के स्टाइल में खड़ी थी। कुछ देर वैसे ही खड़ी रही फिर पलक कॉलेज वाला एक्शन दोहराने लगी, जैसा–जैसा आर्यमणि कॉलेज में कर रहा था।


आर्यमणि, पलक के इस हरकत को पीछे से देख रहा था। पलक अपनी जिज्ञासा आइने के सामने दिखा रही थी… "सुनिए आप जरा एक किनारे खड़े होंगे।" आर्यमणि को किसी ने टोका और वो वहां से किनारे हटकर पलक के रिपीट टेलीकास्ट के एक्शन को देखने लगा।


3-4 बार पलक उस एक्ट को करने के बाद, वहीं पास के ट्रायल रूम में घुस गई और आर्यमणि मुस्कुराते हुए वहां से आगे बढ़ गया। अपनी धुन में आर्य मणि भी पलक के पीछे जाने लगा। तभी सामने से भूमि उसे रोकती.… "तू किसके लिए यहां शॉपिंग करने आया है।"… भूमि ने सवाल किया और चित्रा जोड़-जोड़ से हसने लगी।


आर्यमणि, पलक के बारे में सोचने पर ऐसा मशगूल हुआ कि वो लेडीज अंडरगारमेंट्स के शॉप में घुस गया।…. "हम्मम ! ठीक है आप लोग जबतक यहां हो, मै दादा से मिल आता हूं। यहां से फ्री होकर कॉल करना मुझे।"…


चित्रा:- दीदी एक तो बात कम करता है ऊपर से आप ऐसे उसकी बोलती बंद कर दोगी तो क्या होगा।


भूमि:- किसी से बात करे कि ना करे तेरे से तो पूरी बात करता है ना। तू दिल पर हाथ रखकर बता, क्या वो मेरी बात का जवाब नहीं दे सकता था? वो भी ऐसा की हमारी बोलती बंद हो जाए।


चित्रा:- हां आपकी दोनो बात सही है। वो मुझ से बात भी करता है और यहां पर वो जवाब भी दे देता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।


भूमि:- और क्यों नहीं किया..


चित्रा:- क्योंकि वो चाहता था हमे लगे कि हमने उससे ऐसा मज़ाक किया कि वो शर्माकर यहां से भाग गया।


भूमि:- तुझे वो दिल से मानता है और तू भी। अच्छा चित्रा तुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि आर्य तुझसे आई लव यू कहे।


चित्रा:- दीदी अगर उसे ऐसा फील होता ना कि मेरे दिल में ऐसी इक्छा है, तो भले ही उसके दिल में ऐसी इक्छा नहीं होती, लेकिन फिर भी वो बोल चुका होता।


भूमि:- और उसके दिल में ऐसी इक्छा होती की तू उसकी गर्लफ्रेंड होती..


चित्रा:- मुझे अभी फील हो जाए तो अभी कह दूंगी। कभी ना कभी किसी ना किसी को पार्टनर बनना ही है और मेरे करीबी दोस्त की ऐसी फीलिंग है तो चलो भाई कमिटेड हो जाओ।


भूमि:- कुछ तो गड़बड़ है चित्रा। इतने क्लियर कॉन्सेप्ट.. नाना कुछ ना कुछ यहां छिपाया जा रहा है। तुझे आर्य की कसम, मुझे वो बात बता जिसने तुम दोनों के बीच इतनी साफ मनसा दी है।


चित्रा:- हम दोनों ने अपने रिलेशन स्टेटस को चेंज किया था। जबरदस्ती 2 महीने तक गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रैंड भी रहे। कई बार किस्स भी हुआ, लेकिन एक बार भी स्मूच नहीं हुआ। बॉयफ्रेंड के साथ चिपकने वाली कभी फीलिंग ही ना आयी। वही रेगुलर गले लगने वाली ही फीलिंग आयी। जबकि हम दोनों ने जान बूझकर काफी टाईट हग किया था, कुछ तो वैसी फीलिंग निकल आए, लेकिन नहीं निकला। और भी सुनना है या हो गया।


भूमि:- हां हां सुना सुना इंट्रेस्टिंग है ये तो।


चित्रा:- हुंह ! आगे कुछ नहीं। 2 महीने में हमे पता चल गया कि हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो सकता, इसलिए हमने ब्रेकअप कर लिया।


भूमि:- तब बच्ची थी ना। सीने पर कुछ रहेगा तो ना फीलींग निकलती। अभी ट्राई करके देख ले।


चित्रा:- नहीं होगा कन्फर्म, क्योंकि आर्य किसी के प्यार मे है।


भूमि:- क्या बक कर रही है।


चित्रा:- मैं तो दोनो को जानती भी हूं।


भूमि:- उसका तो पता नहीं लेकिन तेरी लव स्टोरी किसी के साथ कन्फर्म है। खैर तू छिपाने वाली तो है नहीं इसलिए तेरी चिंता ना है। लेकिन आर्य... चल उसका नाम बता, कल ही आधी शादी करवाकर दोनो को बूक कर दूं।


चित्रा:- दीदी वो पलक..


जैसे ही चित्रा, पलक का नाम ली, पलक का कलेजा धक–धक। इधर भूमि हैरान होती... "क्या !! पलक???"


चित्रा:- अरे वो नहीं पलक हमे सुन रही।


पलक, सामने आती... "सॉरी, चित्रा अपनी और आर्य की लव स्टोरी बता रही थी और मैं तभी पहुंची। मुझे लगा कहीं मेरे सामने न बताए, इसलिए छिपकर सुन ली। वैसे काफी रोमांटिक लव स्टोरी थी।


भूमि:- दूसरों की लव स्टोरी छिपकर सुनते शर्म नहीं आती। चल अपने किस्से बता।


पलक:- मेरा नाम पलक भारद्वाज है। मैंने 2 साल एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी की और पहले अटेम्प्ट में ही अच्छे मार्क्स मिले और आज मै नेशनल कॉलेज में हूं।


चित्रा:- अच्छा परपोज कितने लड़को ने किया वहीं बता दे।


पलक:- मुझे कोई प्रपोज नहीं करता।


भूमि:- चल झुटी। बड़ी आयी.. चित्रा देख इसे जारा..


चित्रा:- देखना क्या है दीदी.. अच्छा बता तो पलक तेरी फिगर क्या है।


पलक:- 32-24-34..


चित्रा:- सुना दीदी, क्या फिगर है। बिल्कुल छरहरा बदन, 5"6’ की हाइट और चेहरे की बनावट ऐसी की नजरें टिक जाए। बस एक ही कमी रह जाती है, कभी सज–संवर के नहीं निकलती। अब ऐसे फिगर वाली को कोई परपोज ना करे?


पलक:- इतने दिन से तो कॉलेज में हूं, किसी ने परपोज किया क्या अब तक?


चित्रा:- अब तू एसपी की बहन बनकर आएगी तो कौन परपोज करेगा। लोग थोड़े कम से काम चला लेते है। वैसे अपने कॉलेज में भी तेरे जैसी फिगर को टक्कर देने वाली लड़कियां है। और वो एक ग्रुप जो सबसे अलग रहता है उसकी लड़कियां इतनी हॉट होती है कि सभी लड़के उधर ही तकते रहते है। अब ऐसे माहौल में लड़के एसपी की बहन के साथ रिस्क क्यों ले? लड़के कहीं और कोशिश में लग गए होंगे। कौन पुलिस का लफड़ा पाले क्यों दीदी।?


भूमि:- अरे पुलिस वाले की बहन हुई तो क्या हुआ, लौंडे आजकल कुछ नहीं देखते, परपोज कर ही देते है।


पलक, थोड़ी चिढ़ती हुई… "ऐसा था तो मुझे अब तक आर्य ही परपोज कर देता।"..


चित्रा:- "अरे कुछ प्राउड मोमेंट होते है। भूमि दीदी आर्य जब मेरे साथ चलता है तब मैं जली-भुनी लड़कियों के रिएक्शंस ही देखती हूं। वो साले अलग-थलग ग्रुप वालों मे लौंडे भी उतना ही हैंडसम। वहां की सेक्सी हॉट लड़कियां ग्रुप के बाहर के लौंडों को देखती तक नहीं, लेकिन वो सब भी आर्य को ताड़ती रहती है, आर्य वो मैटेरियल है।"

"लड़कियां सामने से आकर जिसे परपोज करे, आर्य वो मटेरियल है और वो तुम्हे परपोज करेगा अपनी गर्लफ्रेड बनाने के लिए। वैसे भी अगर आर्य ने किसी को परपोज किया तो समझो वो गर्लफ्रेंड बनाने के लिए परपोज नहीं कर रहा, बल्कि लाइफ पार्टनर बनाने के लिए करेगा। यदि तुम्हे मेरी बातों का यकीन नहीं है तो तुम खुद देख लेना की उसकी नजर कितनी लड़कियों पर होती है, और कितनी लड़कियों की नजर उसपर।"


पलक:- तुम ज्यादा अच्छे से जानती होगी उसके बारे में। मुझे क्या करना है। मै जैसी भी हूं खुश हूं। एक लाइफ पार्टनर ही चुनना है ना, आई-बाबा जिसे चुन लेंगे मै हां कह दूंगी।


चित्रा:- बोरिंग..


भूमि:- चित्रा कल से इसे जरा बन सवर कर निकाल इसके घर से।


चित्रा:- कैसे होगा... ये सिविल लाइन 4th रोड में है और मै सिविल लाइन 1st रोड में।


भूमि:- तेरे बाजू वाले पड़ोसी का नाम बता जो पसंद नहीं।


चित्रा:- मुरली पवार, आईजी ऑफ पुलिस।


भूमि:- ठीक है, कल से इसके घर चली जाना आज रात ही ये शिफ्ट करेंगे।


पलक:- ठीक है जो भी करना है कर लेना.. अभी चले यहां से।


भूमि:- चित्रा वो हड्डी का ढांचा और निशांत किधर है।


चित्रा:- कहीं लाइन मार रहा होगा।


भूमि:- हा हा हा… पहले उन्ही दोनो की करतूत देखते है फिर आर्य को कॉल करती हूं।


पलक:- आप दोनो जाओ, मै तेजस दादा से मिलकर आती हूं।


पलक दोनो को छोड़कर एमडी चेंबर के ओर चल दी। दरवाजे पर वही शामलाल खड़ा था, पलक को देखकर पूछने लगा क्या काम है? पलक अपना नाम बतायी और वो हाथ के इशारे से अंदर जाने के लिए बोल दिया।


पलक अंदर आयि, और नजरों के सामने आर्यमणि… "तेजस दादा नहीं है क्या?"


आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर, अपनी ओर खींचते.… "दादा नही, एक किस्स का वादा है, जो कॉलेज का मैटर खत्म करने के बाद तुम देती"…


पलक नाटकीय अंदाज में गुस्सा दिखती, खुद को आर्यमणि के पकड़ से छुड़ाने के लिए थोड़ी कसमसाती हुई.… "ये वादा कॉलेज के सामने मुझे परपोज करने के बाद का था। लेकिन शायद तुम्हारी फट गई। क्यूंकि सिर्फ तुम्हारे नागपुर में होने पर जिस अक्षरा भारद्वाज ने तुम्हे चैन से श्वांस नही लेने दिया, उसकी बेटी को सबके सामने परपोज कर देते, फिर क्या होता"…


पलक भले चिढ़ाने के लिए बोली हो लेकिन आर्यमणि बात को पूरी गंभीरता से लेते हुए.… "फिर तो फिलहाल हमे अनजान हो जाना चाहिए..."


पलक अंदर ही अंदर मुस्काती और बाहर से वह भी आर्यमणि की तरह गंभीर दिखती... "हां बिल्कुल!! तेजस दादा कहां है?"


आर्यमणि:– कहीं बाहर गए हैं।


पलक जाकर चुपचाप बैठ गई। कुछ पल तक दोनो ख़ामोश रहे… "कुछ पता है कब तक आएंगे?"..


आर्यमणि:- पता नहीं।


दोनो फिर से ख़ामोश हो गए। एक बार फिर पलक खामोशी तोड़ती हुई… "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?"..


आर्यमणि:- हां है।


पलक थोड़ी सी हैरान होती हुई… "लेकिन चित्रा तो बता रही थी कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।"..


आर्यमणि:- अभी एक घंटे पहले बनी है, इसलिए उसे भी पता नहीं।


पलक:- पहली बार उससे कब मिले थे।


आर्यमणि:- 1 घंटे और 5 मिनट पहले।


पलक:- क्या वो चित्रा से भी खूबसूरत है?


आर्यमणि:- कल वो जब आएगी मिलने, तो खुद ही देख लेना।


पलक:- क्या वो अपने ही क्लास की है?


आर्यमणि:- कल उसकी पूरी डिटेल मिल जाएगी। अब चले यहां से दादा लगता है नहीं आने वाले।


पलक:- मै क्यों जाऊं? मै तो भूमि दीदी के साथ आयी हूं। तुम जाओ, मै दादा से मिलकर जाऊंगी।


आर्यमणि, उठकर वहां से बाहर चला आया, और भूमि को कॉल लगाकर उसके बारे में पूछने लगा। भूमि ने उसे कैश काउंटर पर ही आ जाने के लिए कही। हर कोई अपना अपना पेमेंट करके जैसे ही निकलने लगे… "आर्य तू दादा के ऑफिस से आ रहा है ना, पलक वहां थी।"..


आर्यमणि:- दीदी मैंने उसे चलने के लिए कहा था तब वो बोली दादा से मिलकर ही आएगी।


भूमि:- ठीक है एक काम कर तू उसे बाइक से छोड़ देना। मै इन तीनों को छोड़ आती हूं।


आर्यमणि:- ठीक है दीदी। अरे माधव ये लो, ये तुम्हारे लिए है।


माधव, आर्यमणि के हाथ में लैपटॉप देखकर थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया… "नहीं दोस्त ई हमको थोड़े ना चाहिए, वापस कर दो।"..


चित्रा:- वो फ्री में नहीं दे रहा है माधव, बदले में तुम हम दोनों को मैथमेटिक्स और फिजिक्स पढ़ाओगे।


माधव:- वो तो हम वैसे भी हेल्प कर देंगे, लेकिन ई हम नहीं ले सकते है। वापस कर दीजिए इसको।


भूमि:- गार्ड इस अस्थिपंजर को उठाकर लाओ। आर्य तू वो लैपटॉप मुझे दे, हम इसके हॉस्टल के अंदर तक छोड़कर आएंगे।


माधव:- अरे लेकिन उ तो बॉयज हॉस्टल है दीदी आप काहे जाइएगा।


वो लोग माधव को लेकर चलते बने। इधर आर्यमणि अटक सा गया। लगभग 1 घंटे बाद आर्यमणि के मोबाइल पर पलक का कॉल आया, और वो आर्यमणि से उसका पता पूछने लगी। आर्यमणि उसे बिल काउंटर पर ही बुला लिया।… "सॉरी मेरे कारण तुम्हे इंतजार करना पड़ा। दीदी को कॉल की तो पता चला उन्हें जरूरी काम था इसलिए उन्हें निकालना पड़ा और मै तुम्हारे साथ"..


आर्यमणि:- इट्स ओके। चलो चलकर पहले कुछ खाते है।


पलक:- बाहर में कुछ खाए क्या?


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है चलो।


आर्यमणि, पलक को रुकने बोलकर अपनी बाइक ले आया। पलक को अचानक ध्यान आया कि आर्यमणि के पास तो बाइक है, वो भी उसके सीट की पोजिशन ऐसी है कि बिना चिपके जा नहीं सकते है… "आर्य, क्या तुम्हारे पास कार नहीं है"


आर्यमणि:- ज़िन्दगी में हर चीज का मज़ा लेना चाहिए पलक। गंभीर और शांत मै भी रहता हूं, इसका मतलब ये नहीं कि जीता नहीं हूं, हंसता नहीं हूं। तुमने तो अपने अंदर के ख्यालों को ही अपनी पूरी दुनिया बना ली है। अब आओ और ये झिझक छोड़ दो कि बाइक पर मै एक अजनबी के साथ कैसे जाऊंगी।


"चले क्या"… पलक बाइक पर बैठती हुई आर्यमणि के कंधे पर हांथ डालकर मुस्कुराती हुई कहने लगी। आर्यमणि मस्त अपनी बाइक चला रहा था और पीछे बैठकर पलक आर्यमणि से दूरी बनाने की कोशिश तो कर रही थी, लेकिन बीएमडब्लू बाइक के सीट कि पोजिशनिंग कुछ ऐसी थी कि वो जाकर आर्यमणि से चिपक जाती।


बड़ी मुश्किल से पलक 2 इंच की दूरी बनाती और इधर ट्रैफिक के कारण लगा ब्रेक उन दूरियों को मिटा देती।… "पलक कहां चलना है।"..


पलक अपने होंठ आर्यमणि के कान के करीब ले जाती… "चांदनी चौक चलेंगे पहले।"… कुछ ही देर में दोनो चांदनी चौक में थे। पलक स्ट्रीट फूड का लुफ्त उठाने आयी थी, वहां उसने जैसे ही 2 प्लेट हैदराबादी तंदूर का ऑर्डर दिया… "पलक एक ही प्लेट का ऑर्डर दो।"..


पलक:- क्यों ऐसे ठेले पर का खाना खाने में शर्म आएगी क्या?


आर्यमणि:- नहीं, मै नॉन वेज नहीं खाता।


पलक:- सच बताओ।


आर्यमणि:- हां सच ही कह रहा हूं।


पलक:- फिर छोड़ो, चलो चलते है यहां से।


आर्यमणि:- लेकिन हुआ क्या?


पलक:- साथ आए है, खाली हाथ खड़े रहोगे और मै खाऊंगी तो अजीब लगेगा ना।


आर्यमणि:- तुम आराम से खाओ, मै भी अपने लिए कुछ ले लेता हूं।


वहीं पास से उसने गरम छने समोसे लिए और पलक का साथ देते हुए वो समोसा खाने लगा। चांदनी चौक से फिर दोनो प्रताप नगर और वहां से फिर तहसील ऑफिस। हर जगह के स्ट्रीट फूड का मज़ा लेते अंत में दोनो सिविल लाइन चले आए।


जैसे ही सिविल लाइन आया, पलक… "तुम यहीं छोड़ दो, यहां से मै चली जाऊंगी।"…


आर्यमणि:- नहीं दीदी ने घर तक छोड़कर आने के लिए कहा है।


पलक, अनायास ही बोल पड़ी… "पागल हो क्या, मेरे घर जाओगे। तुम जानते भी हो वहां का क्या माहौल होगा।"


आर्यमणि:- हद है, इतना बढ़िया अनजान के रोल में घुसी थी, यहां आकर क्या हो गया?


पलक, छोटा सा मुंह बनाती... "मुझे माफ कर दो। मैं अपनी आई (अक्षरा भारद्वाज) के नाम पर तुम्हे बस छेड़ रही थी। लेकिन मेरे घर तक जाना...


आर्यमणि:- क्यों किसी लड़के के साथ जाने पर तुम्हारे घरवाले तुम्हे गोली मार देंगे क्या?


पलक:- किसी मे, और तुम मे अंतर है ना आर्य।


आर्यमणि:- मेरे माथे पर नाम नहीं लिखा है। दीदी ने कहा है तो घर तक छोड़कर ही आऊंगा।


पलक:- जिद्दी कहीं के ! ठीक है चलो।


कुछ ही दूरी पर पलक का घर था। आर्य उसे छोड़कर वापस लौट ही रहा था कि पीछे से पलक ने आवाज़ लगा दी… "सुनो आर्य"...


आर्य रुककर इशारे से पूछने लगा क्या हुआ। पलक उत्तर देती कहने लगी, दादा (राजदीप) का आवास शिफ्ट कर दिया गया है। आर्यमणि पलक को लेकर उसके नए आवास पर पहुंच गया। पलक बाइक से उतरती हुई आर्यमणि से विदा ली। लेकिन पलक जैसे ही अपना कदम बढ़ायि, आर्यमणि भी उसके पीछे चल दिया।

पलक हैरानी से आर्यमणि को देखती... "मेरे पीछे क्यूं आ रहे?

आर्यमणि:– जब इतनी दूर आ ही गया हूं, तो साथ में तुम्हारे घर भी चलता हूं। मेरे माथे पर थोड़े ना मेरा नाम लिखा है।"

पलक:– आर्य तुम समझते क्यूं नही? अंदर मत आओ..

आर्यमणि:– तुम्हे इस राजा की रानी बनना है या नही?

पलक:– हां लेकिन...

आर्यमणि:– हां तो फिर चलो...

पलक असमंजस में, और आर्यमणि मानने को तैयार नहीं... पलक, आर्यमणि को समझाकर वापस भेजने में विफल रही और नतीजा, आर्यमणि भी पलक के साथ ही अंदर घुसा... वहीं कुछ घंटे पूर्व, शॉपिंग मॉल में जैसा की भूमि, चित्रा से कही थी, ठीक वैसा ही हुआ। एसपी राजदीप और कमिश्नर राकेश नाईक का आवास आसपास था। शिफ्ट करने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए भूमि ने कई सारे लोगों को भेज दिया था।


सुप्रीटेंडेंट और कमिश्नर का परिवार आस-पास और दोनो परिवार के लोग हॉल में बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे, ठीक उसी वक्त पलक और आर्यमणि वहां पहुंच गये। पलक और आर्यमणि ने जैसे ही घर में कदम रखा, सभी लोगो की नजर दोनो पर। और जैसे ही नजर आर्यमणि पर गई, वहां बैठे सभी लोग घोर आश्चर्य में पड़ गए।


इससे पहले कि कोई कुछ कहता, एक उड़ता हुआ चाकू आर्यमणि के ओर चला आया और पीछे से राजदीप की मां अक्षरा चिल्लाने लगी… "ये कुलकर्णी की औलाद यहां क्या कर रहा है। पलकककक .. हट उसके पास से। जिसका साया पड़ना भी अशुद्ध होता है, तू उसे घर तक साथ ले आयी। तुझे और कोई लड़का नहीं मिला क्या पूरे नागपुर में, जो तू उस भगोड़ी जया के बेटे को यहां ले आयी।


आर्यमणि दरवाजे पर ही खड़ा था, और अक्षरा बेज्जती करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पलक को ऐसा लगा मानो उसने आर्यमणि को यहां लाकर कितनी बड़ी गलती कर गई। शब्द तीर की तरह थे जो पलक का कलेजा चिर गई और वो रोती हुई आर्यमणि को देखने लगी, मानो बहते आंसू के साथ माफी मांग रही हो।


आर्यमणि खामोशी से बात सुनता गया। अक्षरा जैसे ही चुप होकर बढ़ी धड़कनों को सामान्य करने लगी, आर्यमणि पलक के आशु पोछकर उसे शांत रहने का इशारा किया और अक्षरा के ओर चल दिया। अपने हाथ में वो चाकू लिए अक्षरा के पास पहुंचा। आर्यमणि, अक्षरा का हाथ पकड़कर उसे चाकू थमाते… "देख तो लूं जरा, कितनी नफरत भरी है आपके दिल में।"…


तभी बीच में निशांत की मां निलानजना बोलने लगी… "नहीं आर्य"..


आर्य:- नहीं आंटी अभी नहीं। बचपन से इनकी एक ही कहानी सुनकर पक गया हूं। मेरी मां के बारे में इन्होंने इतना कुछ बोला है कि मेरा दिमाग खराब हो गया। कॉलेज में मुझे परेशान करने के लिए ये लोग स्टूडेंट को उकसा रहे है। आज दुश्मनी का लेवल भी चेक कर लेने दो मुझे।… अक्षरा भारद्वाज दिखाओ लेवल। भाई मरा था ना उस दिन, तो ले लो बदला। अब चाकू लिए ऐसे ख़ामोश क्या सोच रही है?


आर्यमणि इतनी जोर से चिल्लाया की वहां के हॉल में उसकी आवाज गूंज गई। राजदीप कुछ बोलने लगा लेकिन तभी चित्रा की मां निलांजना ने उसे चुप करा दिया। आर्यमणि गुस्से में अक्षरा से अपनी नजर मिलाए… "क्यों केवल बोलना आता है, पीठ पीछे लोग भेजने आते है। आज मैंने कॉलेज ने 30 ऐसे लोगो को मारा है जो आपके कहने पर कॉलेज मुझसे लड़ने आए थे। उनमें से 2 को बहुत गन्दा तोड़ा मैंने, और जब उससे मिलने हॉस्पिटल गया तो 30-40 और लोगों को तोड़ना परा। भारद्वाज खानदान में सामने से वार करने की हिम्मत खत्म हो गई क्या? चलो चलो चलो अब दिखाओ भी नफरत।


अक्षरा बड़ी मुश्किल से चाकू ऊपर उठाई। उसके हाथ कांप रहे थे। आर्यमणि ने उसके हाथ को अपने हाथ का सहारा देकर अक्षरा की आंखों में देखा। चाकू को अपने सीने के नीचे टिकाया। लोग जैसे ही दौड़कर उसके नजदीक पहुंचते, उससे पहले ही आर्यमणि वो चाकू अपने अंदर घुसा चुका था।
Nice updates
 
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आर्य जब किशोरावस्था में था तभी उसने अपने हैरतअंगेज कारनामों से हमें दांतों तले उंगलियां चबाने पर मजबुर कर दिया था जबकि उस वक्त उसके पास कोई कुदरती शक्ति भी नहीं थी ।
अब वो एक परिपक्व इंसान बन चुका है और खूंखार वेयरवोल्फ की अद्भुत शक्तियों से भी लैस हो गया है , ऐसे में ये छोटे मोटे भेड़िए उसका क्या ही बाल बांका कर सकेंगे !
सरदार खान और उसकी पुरी सेना उसे मात दे ही नहीं सकती । बहुत ही बेहतरीन दृश्य पेश किया था अस्पताल का सीन ।
इस दरम्यान यह भी पता चला , जंगलों में जिस मादा वेयरवोल्फ को बचाया था उसने वो सरदार खान की सुपुत्री रूही ही थी ।
ये लड़की भी उसके प्रेम पाश में बंध गईं । दो वार वो आर्य की अद्भुत क्षमताओं की आई विटनेस बन चुकी है । उसका आकर्षण स्वाभाविक ही है ।

भुमि का पलक के साथ कन्वर्सेशन और फिर उसका चित्रा के साथ हुई बातें , बहुत ही बेहतरीन लगा मुझे । पलक का अपने मां को सपोर्ट करना ऐसा ही था जैसे शर्मिंदगी महसूस करते हुए अपने मां की खामियों पर पर्दा डालना ।
और चित्रा के बारे में मुझे नहीं पता था कि कभी वो आर्य के साथ रिलेशनशिप में थी । भुमि ने सही कहा बचपन का प्रेम लडका और लड़की के लिए बचपना ही कहा जाएगा । शारीरिक आकर्षण के बगैर ऐसे प्रेम की लाइफ ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता ।
अभी वो जवान है । खुबसूरत है । बचपन की यादें भी हैं । दोनों कुछ वक्त एक दूसरे के साथ बिताए तो हो सकता है , प्रेम की चिंगारी जल उठे !
आखिर आर्य इंसान होने के साथ साथ एक वेयरवोल्फ भी है । आर्य जब रूही के साथ रोमांटिक हो सकता है तो चित्रा के साथ क्यों नहीं !

वैसे मैंने हमेशा देखा है , नैन भाई के कहानी का नायक अपने नायिका के लिए काफी इमानदार रहता है । इसलिए ऐसा कुछ होने का सम्भावना नहीं ही है ।

आर्य और पलक का अजनबियों की तरह बाईक पर तफरीह करना समझ में नहीं आया । दोनों का जो कैरेक्टर है उससे यह थोड़ा अजीब सा लगा ।
पलक का घर भी चेंज हो गया और पलक को ही नहीं पता , यह भी असमंजस पैदा कर दिया ।
लेकिन अक्षरा देवी के साथ आर्य ने जो प्रेम के अक्षरों से सराबोर भरा पाठ पढ़ाया , वो दिल को खुश कर गया ।
यह तो हमें पता है कि खंजर क्या , हजारों तोप भी आर्य का कुछ नहीं बिगाड़ सकते पर , अक्षरा देवी को थोड़ी पता है । बल्कि उनके खानदान में किसी को नहीं पता है ।
थोड़ा बहुत पलक ट्रेलर जरूर देखी है लेकिन फिल्म वो भी नहीं देख पाई है ।

दोनों अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे नैन भाई ।
रोमांच और हास्य तत्वों से भरपूर ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट्स ।
 
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