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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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krish1152

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Nice updates
 

Anky@123

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Kahani apne aap me kai sare raz aur kisse samete huye hai , jo jadugar ke pitare ki tarah khulte ja rhy hai, palak ka mama bhi werewolf tha, aur khud mara ya mar diya gaya iska bhi pata samay aane per hi hoga, baki palak aur aarya dono hi kuch ajeeb lag rhy hai, palak ka bar bar chitra ko bich me Lana samanya harkat nahi hai, baki aarya bhi itna sure nahi lag rha, kher aaj Mama ji ki entry bhi ho gayi jab gand fati to rishtedaari yad aa gayi, iska hisab kitab aaryamani kerega aesa lagta hai, baar baar mera dhyan ek taraf jata hai wo ye ki aarya ka dada senior Kulkarni ne jis female werewolf ko bachaya tha kya wo ab bhi jinda hai aur kya aaryamani ussey mil chuka hai ?
Jo bhi ho samay sab bata dega, baki dono hi update bahut umda the, Kamal ki lekhni aur Kamal ki soch
 

Lib am

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भाग:–23





सभा खत्म होते ही आम सदस्यों को बाहर भेज दिया गया और उच्च सदस्यों को एक बैठक हुई, जिसका अध्यक्ष भूमि के पिता सुकेश भारद्वाज रहे। उन्होंने विकृत रीछ स्त्री और उसके साथी वकृत ज्ञानी मनुष्य का पता तुरंत लगाने के लिए पलक को खुले हाथ छूट दे दी। साथ मे कुछ अन्य सदस्यों को इतिहास में झांककर इस रीछ स्त्री और उसके श्राप का पता लगाने के लिए, कुछ उच्च सदस्यों को नियुक्त कर दिया।


सभी लोग उच्च सदस्य की सभा से साथ निकले। तभी पलक ने पीछे से भूमि का हाथ पकड़ लिया। पलक, राजदीप और तेजस तीनों साथ चल रहे थे। भूमि के रुकते ही सभी लोग रुक गए।… "आप लोग आगे चलिए, मुझे दीदी से कुछ जरूरी बात करनी है।"..


भूमि:- जरूरी बात क्या, आर्य के बारे में सोच रही है ना। उसने प्रतिबंधित क्षेत्र में तेरे जानने की जिज्ञासा में मदद कि और तुम अपने आई-बाबा की वजह से उसका नाम नहीं ले पाय। क्योंकि उस दिन तुम निकली तो थी सबको ये जता कर कि किसी लड़के से मिलने जा रही हो, ताकि तेरे महत्वकांक्षा की भनक किसी को ना लगे। कोई बात नहीं पलक, वैसे भी पूरा क्रेडिट तुम्हे ही जाता है, क्योंकि कोई एक काम को सोचना, और उस काम के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करना एक अच्छे मुखिया का काम होता है।


हालांकि भूमि की बात और सच्चाई में जमीन आसमान का अंतर था। फिर भी भूमि एक अनुमानित समीक्षा दे दी। वहां राजदीप और तेजस भी भूमि की बात सुन रहे थे। जैसे ही भूमि चुप हुई, राजदीप….. "अच्छा एक बात बता पलक, क्या तुम्हे आर्य पसंद है।"


पलक:- मतलब..


राजदीप:- मतलब हम तुम्हारे और आर्य के लगन के बारे में सोच रहे है। आर्य के बारे में जो मुझे पता चला है, बड़ी काकी (मीनाक्षी) और जया आंटी जो बोल देगी, वो करेगा। अब तुम अपनी बताओ।


पलक:- लेकिन उसकी तो पहले से एक गर्लफ्रेंड है।


भूमि, एक छोटा सा वीडियो प्ले की जिसमें मैत्री और आर्यमणि की कुछ क्लिप्स थी। स्कूल जाते 2 छोटे बच्चों की प्यारी भावनाएं… "यही थी मैत्री, जो अब नहीं रही। एक वेयरवुल्फ। देख ली आर्य की गर्लफ्रेंड"


पलक:- हम्मम ! अभी तो हम दोनो पढ़ रहे है। और आर्यमणि अपनी मां या काकी की वजह से हां कह दे, लेकिन मुझे पसंद ना करता है तो।


"तेजस दादा, राजदीप, दोनो जाओ। मै पलक के साथ आती हूं।" दोनो के जाते ही… "मेरी अरेंज मैरेज हुई थी। इंगेजमनेट और शादी के बीच में 2 साल का गैप था। मैंने इस गैप में 2 बॉयफ्रेंड बनाए। बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड 10 हो सकते है, लेकिन पति या पत्नी सिर्फ एक ही होता है। इसलिए दोनो का फ़र्ज़ है कि एक दूसरे को इतना प्यार करे की कहीं भटकाव ना हो। बाकी शादी से पहले करने दे मज़ा, लेकिन इस बीच में भी दबदबा कायम रहना चाहिए। जब भी किसी लड़की को देखे, तो अंदर डर होना चाहिए, "कहीं पलक ने देख लिया तो।" तू समझ रही है ना।"


पलक:- हिहीहिही… हां दीदी समझ गई। चित्रा के केस में भी यही करूंगी।


भूमि:- सब जानते हुए भी क्यों शादी से पहले तलाक का जुगाड़ लगा रही। अच्छा सुन अाई के झगड़े ने हमारा काम आसान कर दिया है। अब तो राजदीप और नम्रता के साथ तेरा भी बात करेंगे। लेकिन मुझे सच-सच बता, तुझे आर्य पसंद तो है ना।


पलक, शर्माती हुए… "पहली बार जब देखी थी तभी से पसंद है दीदी, लेकिन क्या वो मुझे पसंद करता है?


भूमि:- तुझे चित्रा, निशांत, मै, जया मासी हर वो इंसान पसंद करता और करती है, जिसे आर्य पसंद करता है। फिर वो तुझे ना पसंद करे, ये सवाल ही बईमानी है।


पलक:- ये बात तो चित्रा के लिए भी लागू होता है।


भूमि:- तुझे चित्रा से कोई परेशानी है क्या? जब भी आर्य की बात करो चित्रा को घुसेड़ देती है।


पलक:- मुझे लगता है कि इनके बीच दोस्ती से ऊपर का मामला है। बस इसी सोच की वजह से मुझे लगता है कि मै चित्रा और आर्य के बीच में हूं।


भूमि:- चित्रा साफ बात चुकी है, किसी वक्त मे दोनो के रिलेशन थे, लेकिन दोनो ही दोस्ती के आगे के रिश्ते को निभा नहीं पाए। अब इस से ज्यादा कितना ईमानदारी ढूंढ रही है। हां मैंने जितनी बातें की वो चित्रा पर भी लागू होते है और विश्वास मान दोनो मे जरा सी भी उस हिसाब की फीलींग होती तो मैं यहां खड़ी होकर तुझ से पूछ नहीं रही होती। ज्यादा चित्रा और आर्य मे मत घुस। निशांत, चित्रा और आर्य साथ पले बढ़े है। मुझे जहां तक लगता है आर्य भी तुझे पसंद करता है।


पलक:- लेकिन मुझे उसके मुंह से सुनना है..


भूमि:- अच्छा ठीक है अभी तो नहीं लेकिन 2 दिन बाद मै जरूर उसके मुंह से तेरे बारे सुना दूंगी, वो क्या सोचता है तुम्हारे बारे में। ठीक ना...


पलक:- बहुत ठीक। चले अब दीदी…


लगभग 3 दिन बाद, सुबह-सुबह का समय था। मीनाक्षी के घर जया और केशव पहुंच गए। घर के बाहर लॉन में मीनाक्षी के पति सुकेश अपने पोते-पोतियों के साथ खेल रहे थे। जया उसके करीब पहुंचती… "जीजू कभी मेरे साथ भी पकड़म-पकड़ाई खेल लेते सो नहीं, अब ये दिन आ गए की बच्चो के साथ खेलना पड़ रहा है।"..


सुकेश:- क्यों भाई केशव ये मेरी साली क्या शिकायत कर रही है? लगता है तुम ठीक से पकड़म-पकड़ाई नहीं खेलते इसलिए ये ऐसा कह रही है।


केशव:- भाउ मुझसे तो अब इस उम्र में ना हो पाएगा। आप ही देख लो।


सुकेश:- धीमे बोलो केशव कहीं मीनाक्षी ने सुन लिया तो मेरा हुक्का पानी बंद हो जाएगा। तुम दोनो मुझे माफ कर दो, हमारे रहते तुम्हे अपने बच्चे को ऐसे हाल में देखना पड़ेगा कभी सोचा नही था।


सुकेश की बात सुनकर जया के आंखो में आंसू छलक आए। दोनो दंपति अपने तेज कदम बढ़ाते हुए सीधा आर्यमणि के पास पहुंचे। जया सीधे अपने बच्चे से लिपटकर रोने लगी।… "मां, मै ठीक हूं, लेकिन आपके रोने से मेरे सीने मै दर्द हो रहा है।"


जया, बैठती हुई आर्यमणि का चेहरा देखने लगी। आर्यमणि अपना हाथ बढ़ाकर जया के आंसू पोछते…. "मां आपने और पापा ने पहले ही इन मामलों के लिए बहुत रोया है। पापा का पैतृक घर छूट गया और आप का मायका। मैंने एक छोटी सी कोशिश की थी आप दोनो को वापस खुश देखने कि और उल्टा रुला दिया। पापा कहां है?"


अपने बेटे कि बात सुनकर केशव भी पीछे खड़ा होकर रो रहा था। केशव आर्यमणि के करीब आकर बस अपने बेटे का चेहरा देखता रहा और उसके सर पर हाथ फेरने लगा… इधर जबतक नीचे लॉन में सुकेश अपने पोते-पोतियों के साथ खेल रहा था इसी बीच एक और परिवार उनके दरवाजे पर पहुंचा। जैसे ही वो परिवार कार से नीचे उतरा… "ये साला यहां क्या कर रहा है।".. मीनाक्षी और जया का छोटा भाई अरुण जोशी और उसकी पत्नी, प्रीति जोशी अपने दोनो बच्चे वंश और नीर के साथ पहुंचे हुए थे।


चेहरे पर थोड़ी झिझक लिए दोनो दंपति ने दूर से ही सुकेश को देखा और धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए चलने लगे। अरुण और प्रीति ने सुकेश के पाऊं छुए और अपने दोनो बच्चे से कहने लगे… "बेटा ये तेरे सबसे बड़े फूफा जी है, प्रणाम करो।"..


वंश और नीर ने एक बार उनका चेहरा देखा और नमस्ते करते हुए, पीछे हट गए… "क्यों। अरुण आज हम सब की याद कैसे आ गई।"..


अरुण:- बहुत दिनों से आप सब से मिलना चाह रहा था। बच्चों को भी तो अपने परिवार से घुलना मिलना चाहिए ना, इसलिए दीदी से मिलने चला आया।


सुकेश:- क्यों केवल दीदी से मिलने आए हो और बाकी के लोग से नहीं?


"मामा जी आपको यहां देखकर मै बिल्कुल भी सरप्राइज नहीं हुई।"… पीछे से भूमि आती हुई कहने लगी।


सुकेश:- भूमि, अरुण और प्रीति को लेकर अंदर जाओ।


अरुण का पूरा परिवार अंदर आ गया। भूमि सबको हॉल में बिठाते हुए… "शांताराम काका.. हो शांताराम काका।"…


शांताराम:- हां बिटिया..


भूमि:- काका पहचानो कौन आए है..


शांताराम गौर से देखते हुए… "अरे अरुण बाबू आए है। कैसे है अरुण बाबू, बड़े दिनों बाद आए। 2 मिनट दीजिए, अभी आए।


शांताराम वहां से चला गया और आतिथियो के स्वागत की तैयारी करने लगा। भूमि वहीं बैठ गई और अपने ममेरे भाई बहन से बातें करने लगी। लेकिन ऐसा लग रहा था कि सब अंजाने पहली बार बात कर रहे है।


अरुण:- भूमि कोई दिख नहीं रहा है। सब कहीं गए है क्या?


भूमि:- सबके बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं या अाई के बारे में पूछ रहे? यदि अाई से कुछ खास काम है तो मै पहले बता देती हूं, अभी ना ही मिलो तो अच्छा है। वो क्या है ना घर में इस वक़्त वही पुराना मुद्दा चल रहा है जिसके ताने तो आप भी दिया करते थे। अाई का गुस्सा इस वक़्त सातवे आसमान में रहता है।


प्रीति:- कोई बात नहीं है, हमसे इतनी बड़ी है, वो नहीं गुस्सा होंगी तो कौन होगा?


भूमि:- मामा कोई बात है तो मुझे बताओ ना? कौन सी चिंता आपको यहां ले आयी?


वंश:- पापा ने नया मॉल खोला था अंधेरी में। लगभग 600 करोड़ खर्च हो गए। बाहर से भी कर्जा लेना पड़ा था। एक भू-माफिया बीच में आ गया और अब पूरे काम पर स्टे लग गया है। कहता है 300 करोड़ में सैटल करेगा मामला वरना मॉल को भुल जाए।


भूमि:- नाम बताओ उसका..


वंश:- राजेन्द्र नामदेव और मुर्शीद आलम।



भूमि, कॉल लगाती… "हेल्लो कौन"..


भूमि:- ठीक से नंबर देख पहले, फिर बात करना।


उधर जो आदमी था हड़बड़ाते हुए… "भूमि, तुम्हारे कॉल की उम्मीद नहीं थी।"..


भूमि:- अमृत ये राजेन्द्र नामदेव और मुर्शीद आलम कौन है?


अमृत:- मुंबई के टॉप क्लास के बिल्डर है इस वक़्त, भाउ का सपोर्ट है और धंधा बिल्कुल एक नंबर करते है। कोई लफड़ा नहीं, कोई रारा नहीं।


भूमि:- फिर ये दोनो मेरे मामा को क्यों परेशान कर रहे हैं?



अमृत:- अरुण जोशी की बात कर रही हो क्या?


भूमि:- हां...


अमृत:- तुम्हारे खानदान का है वो करके बच गया। वरना उसकी लाश भी नहीं मिलती। उसने गलत डील किया है। मै राजेन्द्र और मुर्शीद को बोलता हूं तुमसे बात करने, वो पूरी डिटेल बता देगा।


भूमि:- उपरी मामला बताओ।


अमृत:- "भूमि तुम्हरे मामा और खुर्शीद के बीच डील हुई थी प्रोजेक्ट में 50-50। लैंड एक्विजिशन से लेकर परमिशन तक, सब इन लोगों ने किया। तकरीबन 500 करोड़ का इन्वेस्टमेंट था पहला। बाकी 900 करोड़ में पुरा मॉल तैयार हो गया। 1400 करोड़ के इन्वेस्टमेंट में तुम्हारे मामा ने केवल 500 करोड़ लगाए। उन लोगों का कहना है कि बात जब 50-50 की थी तो तुम्हारे मामा को आधे पैसे लगाने थे, जबकि उनका सारा पैसा काम शुरू होने के साथ लग गया और तुम्हारे मामा ने अंत में पैसा लगाया।"

"तुम्हारे मामा ने उन्हें टोपी पहनाया। उसी खुन्नस में उन लोगो ने अपने डिफरेंस अमाउंट पर इंट्रेस्ट जोड़कर 300 करोड़ की डिमांड कर दी। उनका कहना है कि 200 करोड़ का जो डिफरेंस अमाउंट बचा उसका 1% इंट्रेस्ट रेट से 50 महीने का व्याज सहित पैसा चाहिए।"


भूमि:- हम्मम! समझ गई। उनको कहना आज शाम मुझसे बात कर ले।


अमृत:- ठीक है भूमि। हालांकि मै तो चाहूंगा इस मसले में मत ही पड़ो। तुम्हारे मामा ने 2 जगह और ऐसे ही लफड़ा किया है। हर कोई बस तुम्हारे पापा को लेकर छोड़ देता है, वरना मुंबई से कबका इनका पैकअप हो जाता।


भूमि:- जितने लफड़े वाले मामले है सबको कहना शाम को कॉल करने। मै ये मामला अब खुद देखूंगी।


अमृत:- तभी तो लोगो ने एक्शन नहीं लिया भूमि, उन्हें पता था जिस दिन तुमसे मदद मांगने जाएंगे, उनका मैटर सॉल्व हो ही जाना हैं। यहां धंधा तो जुबान पर होता है।


भूमि कॉल जैसे ही रखी…. "वो झूठ बोल रहा था।"… प्रीति हड़बड़ाती हुई कहने लगी..


भूमि:- आराम से आप लोग यहां रुको। इसे हम बाद ने देखते है। किसी से चर्चा मत करना, अभी घर का माहौल दूसरा है।


भूमि अपनी बात कहकर वहां से उठी और सीधा मीनाक्षी के कमरे में गई। पूरा परिवार ही वहां जमा था और सब हंसी मज़ाक कर रहे थे। उसी बीच भूमि पहुंची…. "मामा आए है।"..


मीनाक्षी और जया दोनो एक साथ भूमि को देखते… "कौन मामा"..


भूमि:- कितने मामा है मेरे..


दोनो बहन गुस्से में… "अरुण आया है क्या यहां?"


भूमि:- आप दोनो बहन पागल हो। इतने सालो बाद भाई आया है और आपकी आखें तनी हुई है।


जया:- मेरी बेज्जती कर लेता कोई बात नहीं थी, लेकिन उसने क्या कुछ नहीं सुनाया था केशव और जीजाजी को।


मीनाक्षी:- जया सही कह रही है। गुस्से में एक बार का समझ में आता है। हमने 8 साल तक उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन वो हर बार हम दोनों के पति की बेज्जती करता रहा है।


तेजस:- अभी वो अपने घर आए है आई। भूमि क्या मामी और बच्चे भी आए है?


भूमि:- हां दादा.. वंश और नीर भी है। और दोनो बड़े बच्चे है।


तेजस:- मामा–मामी का दोष हो सकता है, वंश और नीर का नहीं। और किसी के बच्चो के सामने उसके मां-पिताजी की बेज्जती नहीं करते। वरना बच्चे आर्य की तरह अपने अंदर चाकू खोप लेते है। क्यों आर्य..


तेजस की बात सुनकर सभी हसने लगे। तभी वैदेही कहने लगी… "आर्य के बारे में कोई कुछ नहीं बोलेगा।"


सब लोग नीचे आ गए। नीचे तो आए लेकिन हॉल का माहौल में और ज्यादा रंग भरने के लिए राजदीप का पुरा परिवार पहुंचा हुआ था। मीनाक्षी, अक्षरा को देखकर ही फिर से आग बबूला हो गई। जया उसका हाथ थामती… "दीदी तुम्हे मेरी कसम जो गुस्सा करोगी। शायद गलती महसूस हुआ होगा तभी ये डायन यहां आयी है। अब ऐसा माहौल मत कर देना की लोग पछताने के बाद भी किसी के पास जाने से डरे।"..


मीनाक्षी:- जी तो करता है तुझे सीढ़ियों से धकेल दूं। कसम दे दी मुझे। इसकी शक्ल देखती हूं ना तो मुझे इसका गला दबाने का मन करता है।


जया:- जाकर जीजू का गला दबाओ ना।


मीनाक्षी:- गला दबाया तभी मेरे 4 बच्चे थे। वो अलग बात है कि 2 को ये दुनिया पसंद ना आयी और 1 दिन से ज्यादा टिक नहीं पाए। तेरी तरह नहीं एक बच्चे के बाद दोनो मिया बीवी ने जाकर ऑपरेशन करवा लिया।


जया:- दीदी फिर शुरू मत होना, वरना मुझसे बुरा कोई ना होगा..


मीनाक्षी:- दादी कहीं की चल चुपचाप... आज ये दोनो (जोशी और भारद्वाज परिवार) एक ही वक़्त में कैसे आ धमके.… सुन यहां मै डील करूंगी। तूने अपनी चोंच घुसाई ना तो मै सबके सामने थप्पड़ लगा दूंगी।


जया:- कम अक्ल वाली बात करोगी तो मै टोकुंगी ही। जुबान पर कंट्रोल तो रहता नहीं है और मुझे सीखा रही है। वो तो भला हो की यहां वैदेही है, वरना ना जाने तुम किस-किस को क्या सुना दो।


मीनाक्षी:- मतलब तू कहना क्या चाहती है, मै लड़ाकू विमान हूं। हर किसी से झगड़ा करती हूं।


जया:- दीदी तुम हर किसी से झगड़ा नहीं करती, लेकिन जिससे भी करती है फिर लिहाज नहीं करती। दूसरों को तो बोलने भी नहीं देती और मै शुरू से समझाती आ रही हूं कि दूसरों की सुन भी लिया करो।


मीनाक्षी:- मै क्यों सुनूं !!! मुझे जो करना होगा मै करूंगी, पीछे से तुम सब हो ना मेरी गलत को सही करने। एक बात तो है जया, अरुण की अभी से घिघी निकली हुई है।


जया:- घीघी तो अक्षरा की भी निकली हुई है, लेकिन दीदी बाकी के चेहरे देखो। ये अक्षरा का यहां आना मुझे तो साजिश लगता है।


मीनाक्षी:- कैसी साजिश, क्या दिख गया तुझे।


जया:- देखो वो उसकी बेटी है ना छोटी वाली।


मीनाक्षी:- हां कितनी प्यारी लग रही है।


जया:- वही तो कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही है। यदि ये अक्षरा इतनी खुन्नस ना खाए होती तो आर्य के लिए इसका हाथ मांग लेते। ऐसी प्यारी लड़की को देखकर ही दिन बन जाए।


मीनाक्षी:- पागल आज ये गिल्ट फील करेगी ना और माफी मगेगी तो कह देंगे आगे का रिश्ता सुधारने के लिए क्यों ना पलक और आर्य की शादी करवा दे।


जया:- आप बेस्ट हो दीदी। हां यही कहेंगे।


मीनाक्षी:- हां लेकिन तू कुछ कह रही थी.. वो तुम्हे कुछ साजिश जैसा लग रहा था।


जया:- देखो इस लड़की के रूप ने तो मुझे भुला ही दिया। दीदी उस लड़की पलक को देखो, भूमि को देखो, तेजस और जितने भी नीचे के जेनरेशन के है, सब तैयार है। यहां तक कि ये चित्रा और निशांत भी तैयार होकर आए है। ऐसा लग रहा है यहां का मामला सैटल करके सीधा पिकनिक पर निकलेंगे, पुरा परिवार रीयूनियन करने के लिए।


मीनाक्षी:- हाव जया, चल हम भी तैयार होकर आते है। साथ चलेंगे।


जया:- ओ मेरी डफर दीदी, उन्होंने हमे कहां इन्वाइट किया, आपस में ही मीटिंग कर लिए।


मीनाक्षी:- अच्छा ध्यान दिलाया। चल इनकी बैंड बजाते है, तू बस साथ देते रहना। हम किसी को बोलने ही नहीं देंगे।

यहां तो ये दोनो बहने, जया और मीनाक्षी, पूरे माहौल को देखकर अपनी समीक्षा देती हुई बढ़ रही थी। लेकिन हो कुछ ऐसा रहा था कि.… दोनो बहने कमरे से बाहर निकलकर एक झलक हॉल को देखती और फिर लंबी बात। फिर एक झलक हॉल में देखती और फिर लंबी बात। लोग 10 मिनट से इनके नीचे आने का इंतजार करते रहे, लेकिन दोनो थे कि बातें खत्म ही नहीं हो रही थी।… "दोनो पागल ही हो जाओ.. वहीं खड़े-खड़े बातें करो लेकिन नीचे मत आना।"… भूमि चिल्लाती हुई कहने लगी।


भूमि की बात सुनकर दोनो नीचे आकर बैठ गई। जैसे ही नीचे आयी, अक्षरा एक दम से जया के पाऊं में गिर पड़ी…. दोनो बहन (मीनाक्षी और जया) बिल्कुल आश्चर्य मे पड़ गई। उम्मीद तो थी कि गिल्ट फील करेगी, लेकिन ऐसा कुछ होगा वो सोच से भी पड़े था… "अक्षरा ये सब क्या है।"..


अक्षरा:- दीदी अपने उस दिन जो भी कहा उसपर मैंने और निलांजना ने बहुत गौर किया। राजदीप तो पुलिस में है उसने भी आपके प्वाइंट को बहुत एनालिसिस किया। सबका यही मानना है कि कुछ तो बात हुई थी उस दौड़ में, जिसका हम सबको जानना जरूरी है। आखिर जिस भाई के लिए मै इतनी तड़प रही हूं, उसके मौत कि वजह तो बता दो?


जया, मीनाक्षी के ओर देखने लगी। मीनाक्षी एक ग्लास पानी पीते… "अक्षरा तुम्हारा भाई मनीष वुल्फबेन खाकर मरा था।"..


(वुल्फबेन एक प्रकार का हर्ब होता है जो आम इंसान में कोई असर नहीं करता लेकिन ये किसी किसी वेयरवुल्फ के सीने में पहुंच जाए तो उसकी मौत निश्चित है)


जैसे ही यह बात सामने आयी। हर किसी के पाऊं तले से जमीन खिसक चुकी थी। लगभग यहां पर हर किसी को पता था कि वुल्फबेन क्या होता है, कुछ को छोड़कर। और जिन्हे नहीं पता था, उसे शामलाल वहां से ले गया।
भाग:–22





अक्षरा बड़ी मुश्किल से चाकू ऊपर उठाई। उसके हाथ कांप रहे थे। आर्यमणि ने उसके हाथ को अपने हाथ का सहारा देकर अक्षरा की आंखों में देखा। चाकू को अपने सीने के नीचे टिकाया। लोग जैसे ही दौड़कर उसके नजदीक पहुंचते, उससे पहले ही आर्यमणि वो चाकू अपने अंदर घुसा चुका था।


दर्द के मारे आर्यमणि के आखों से आंसू गिरे लेकिन मुंह से आवाज़ नहीं निकला… "घबराओ नहीं आप, दर्द हो रहा है लेकिन मरूंगा नहीं। जब सीने में ज्यादा दुश्मनी की आग जले तो बता देना, मै कहीं भी मिल लिया करूंगा। यदि मुझे जिंदा ना देखने का मन हो तो वो भी बता देना। इसी चाकू को बस सीने पर सही जगह प्वाइंट करना है और बड़े प्यार से घुसेड़ देना है। आपसे ना होगा तो मै हूं ना साथ देने के लिए। चलता हूं अब मै। दोबारा फिर कभी मेरी मां के बारे में कुछ नहीं बोलना, वो प्यार में थी और लोगों को पहले ही बता चुकी थी। जब किसी ने नहीं सुनी तब उसकी हिम्मत उसकी बहन बनी। आप भी बहन थी, इस घटना के बाद आपको भी अपने भाई की हिम्मत बननी थी।"


राजदीप आर्यमणि को थामते हुए… "तुम क्या पागल हो? चलो हॉस्पिटल।"..


आर्यमणि, निशांत की मां से:- आंटी निशांत कहां है।


निलंजना:- आर्य, मेरा ब्लड प्रेशर हाई ना करो। चलो पहले हॉस्पिटल।


इतने में ही चित्रा और निशांत भी वहां पहुंचे। पहुंचे तो थे लोगों से मिलने, लेकिन वहां का माहौल देखकर दोनो भाई बहन का खून उबाल मारने लगा। आर्यमणि समझता था कि क्या होने वाला है इसलिए… "निशांत ये हमारा किसी रेस्क्यू में लगा चोट है समझ ले। जाओ जल्दी बैग ले आओ, ओवर रिएक्ट ना करो।"..


निशांत भागकर गया और बैग ले आया। बैग के अंदर से कुछ सूखे पौधे निकालकर उसे बढाते… "ये ले आर्य, एनेस्थीसिया।"..


राजदीप बड़े गौर से उन सूखे पौधों को देखते… "ये तो ऑपियाड है। तुम लोग इसे अपने पास रखते हो। तुम्हे जेल हो सकती है।"..


निशांत:- दादा, ये तेज दर्द का उपचार है। आप लोग थोड़ा शांत रहो।


निशांत, आर्यमणि के टी-शर्ट को काटकर हटाया और अपना काम करते हुए… "कमिने यूरोप से तू ऐसी बॉडी लेकर आया है। ऊपर से स्पोर्ट बाइक। पूरा जलवा तू ही लूट ले कॉलेज में। आज भी तेरा बीपी नॉर्मल है। मै चाकू निकाल रहा हूं।"


निशांत ने चाकू निकला। अंदर के जख्म को इंफेक्शन से बचने के लिए कुछ मेडिकल सॉल्यूशन डालकर अंदर पट्टी डाली। बाहर पट्टी किया और 2 हॉयर एंटीबायोटक्स के इंजेक्शन लगा कर खड़ा होने बोल दिया।… "ले ये भी कवर हो गया। अब 2 हफ्ते तक भुल जाना कोई भी एक्शन।"


आर्यमणि:- मै 2 हफ्ते घर से बाहर ना निकलू।


राजदीप:- 2 हफ्ते में कैसे रिकवर होगा। जख्म भरने में तो बहुत वक़्त लगेगा और बस इतने से हो गया इलाज।


निशांत:- पिछली बार तो इससे कम में हो गया था। हमने तो चित्रा को पता भी नहीं चलने दिया था।


चित्रा:- तुम दोनो पागल हो। मैंने जया आंटी (आर्यमणि की मां) और मीनाक्षी आंटी (आर्यमणि की मासी) को सब बता दिया है। मुझे नहीं लगता कि अब छिपाने को कुछ रह गया है। जब इतना बड़ा ड्रामा हो ही गया है तो आज फाइनल करो और अपना अपना रास्ता देखो। और तुम दोनो यहां खड़ा होकर हीरोगिरी क्यों दिखा रहे हो। दोनो की नौटंकी बहुत देख ली अब चलो हॉस्पिटल।


आर्यमणि:- ये माइनर स्क्रैच है।


चित्रा अपनी आखें दिखती… "कही ना चलो।"..


आर्यमणि:- हम्मम ! चलो चलते हैं।


चित्रा, आर्यमणि को हॉस्पिटल लेकर निकली और उधर आर्यमणि के मासी का पूरा खानदान पलक के यहां पहुंच गया। आर्यमणि की मासी मीनाक्षी के तेवर... उफ्फ !! गुस्सा तो आंखो में था। आती ही वो सीधा अक्षरा के पास पहुंची और उसे खींचकर एक थप्पड़ मारती हुई…. "पर गई तुम्हारे कलेजे में ठंडक, या और दुश्मनी निकालनी है।"..


अक्षरा:- दीदी यहां सबने देखा है, मैंने उसे बहुत कुछ सुनाया था, लेकिन मुझे जारा भी अंदाज़ा नहीं था कि वो खुद अपने हाथ से ऐसे चाकू घुसा लेगा।


मीनाक्षी:- एक दम चुप। ज्यादा बोलना मत मेरे सामने। कम अक्ल तुम लोग एक बात बताओ मुझे, जो लड़की शादी के लिए राजी हुई थी, (जया के विषय में बात करते हुए) वो शादी से एक दिन पहले कैसे भाग सकती है? जिस लड़के से वो पहले कभी मिली ही नहीं, (केशव कुलकर्णी के विषय में कहते) जया को उससे प्यार कैसे हो सकता है? मेरी बहन ने मुझे कभी नहीं बताया, केवल इतना ही कहती रही उसे केशव से प्यार हो गया, और अब वो शादी नहीं करना चाहती।"

"और जानती हो ये सब कब हुआ था, जब तुम्हारा भाई एक रात जया से मिलने चोरी से आया था। जाओ पीछे जाकर पता करो जया और केशव कभी मिले थे या तुम्हारे भाई की दोस्ती थी केशव से। मैंने 100 बार इस बात की चर्चा कि। सोची लंबी चली नफरत को खत्म कर दू। लेकिन जया और केशव ने सिर्फ इतना ही कहा, "कुछ भी आभाष होता तो एक दुर्घटना होने से रह जाती लेकिन हम प्यार में थे और हमे पता नहीं चला वो ऐसा कुछ करेगा।"

"मेरी बहन और उसके पति ने भारद्वाज खानदान के कारण बहुत जिल्लत उठाई है। तुम्हारे कारण वो महाराष्ट्र नहीं आते कभी। उसने जो झेलना था झेल ली। अपनी जिंदगी अपने फैसलों के आधार पर जी ली। तुमने उन्हें बहुत बुरा भला कहा, मैंने सुन लिया और तुम्हारी बात सुनकर दूरियां बाना ली। लेकिन यदि उस बच्चे को अब दोबारा तुम में से किसी ने परेशान किया ना तो मै भुल जाऊंगी की हम एक ही कुल के है। चलो सब यहां से।"


मीनाक्षी अपनी पूरी भड़ास निकालकर वहां से सबको लेकर चल दी। सभी लोग वहां से सीधा हॉस्पिटल पहुंचे। मीनाक्षी तमतमाई हुई वहां पहुंची और कहां क्या चल रहा है उसे देखे बिना, आर्यमणि को 4-5 थप्पड़ खिंचते हुए कहने लगी… "तेरा सामान पैक कर दिया है, नागपुर में अब तू नहीं रहेगा। जिस बच्चे का मै आंसू नहीं देख सकती उसका खून बहा दिया। तू नागपुर में नहीं रहेगा ये फाइनल है, और कोई कुछ नहीं बोलेगा। तेजस चार्टर बुक करो हम अभी निकलेंगे।"


भूमि:- आयी वो अभी घायल है। उड़ान भरने में खतरा है।


मीनाक्षी:- हां तो पुरा हॉस्पिटल मेरे कमरे में शिफ्ट करो। जब तक ये ठीक नहीं होता तबतक मेरे पास रहेगा। उसके बाद यहां से सीधा गंगटोक। डॉक्टर कहां है?


डॉक्टर:- कब से तो मै यहीं हूं।


मीनाक्षी:- डॉक्टर मेरा बेटा कैसा है अभी?


डॉक्टर:- जरा भी चिंता की बात नहीं है। सब कुछ नोर्मल है। इसके दोस्त ने बहुत समझदारी दिखाई और जरूरी उपचार करके हमारे पास लाया था।


मीनाक्षी, निशांत के सर कर हाथ फेरते… "थैंक्स बेटा। तुमने बहुत मदद की। तुम दोनो भाई बहन को कोई भी परेशानी हो सीधा मेरा पास आना। देख तो मेरे बच्चे की क्या हालत की है।


निशांत और चित्रा को कुछ समझ में ही नहीं आया कि क्या जवाब दे, इसलिए वो चुपचाप रहने में ही खुद की भलाई समझे। अभी ये सब ड्रामे हो ही रहे थे कि इसी बीच तेजस की पत्नी वैदेही अपने दोनो बच्चे और भाई के साथ साथ हॉस्पिटल पहुंच गई। आते ही उसने मीनाक्षी के पाऊं छुए… मीनाक्षी भावुक होकर उसके गले लग गई और रोने लगी।


वैदेही, मीनाक्षी के आंसू पोंछति…. "क्या हुआ, आप कबसे इतनी कमजोर हो गई।"..


मीनाक्षी:- देख ना क्या हाल किया है मेरे बच्चे का?


वैदेही:- ठीक है वो भी देख लेते है। आर्य दिखाना जरा। देवा, ये कितना स्ट्रॉन्ग है आई। इस स्टील बॉडी में चाकू कैसे घुस गई। आई लड़का तो जवान हो गया है, इसकी पहली फुरसत में शादी करवा दो, वरना लड़कियां लूट लेंगी इसे।


मीनाक्षी:- वैदेही, मुझे परेशान कर रही है क्या?


वैदेही:- आई, जिंदगी में कभी अनचाहा पल आ जाता है। जिन बातों की हम कामना नहीं करते वो बातें हो जाती है, इसका मतलब ये तो नहीं कि हमारी ज़िन्दगी रुक जाती है। आज कल तो सड़क पर पैदल चलने में भी खतरा है, तो क्या हम पैदल चलना छोड़ देते है। आप का फिक्र करना जायज है लेकिन किसी एक घटना के चलते आर्य का नागपुर छोड़ना गलत है। और अभी तो इसने केवल अपनी बहन को बाइक पर घुमाया है, भाभी को तो घूमना रह ही गया। क्यों आर्य मुझे घुमाएगा ना?


आर्य:- हां भाभी।


मीनाक्षी:- तेरे कान किसने भर दिए जो तू यहां आर्य को ना जाने के लिए सिफारिश कर रही है।


भूमि:- भाभी को मैंने ही बताया था। आपका ये लाडला भी कम नहीं है। खुद अपने हाथो से चाकू पकड़कर घोप लिया था। काकी की गलती है तो इसकी भी कम नहीं। वैसे भी आपको आर्य के बारे में नहीं पता, ये दिखता सरीफ है लेकिन अंदर से उतना ही बड़ा बदमाश है।


मीनाक्षी:- मुझे कोई बहस में नहीं पड़ना, इसे पहले घर लेकर चलो। चित्रा, निशांत तुम दोनो भी घर जाओ। बाद में आकर मिलते रहना।


चित्रा और निशांत वहां से निकल गए। थोड़ी देर में मीनाक्षी भी आर्य को लेकर निकल गई। भूमि ने अपने पति जयदेव को कॉल लगाकर सारी घटना बता दी और जरूरी काम के लिए ही सिर्फ लोग को भेजे ऐसा कहती चली।


रात का वक़्त ….. प्रहरी समुदाय की मीटिंग। ..


तकरीबन 500 लोगों की उपस्तिथि थी। 50 नए लोग कतार में थे। आज कई लोगो को उसकी लंबे सेवा से विराम दिया जाता और कई नए लोगों को सेवा के लिए शामिल किया जाता। इसके अलावा एक अहम बैठक होनी थी, जिसकी चर्चा अंत में केवल उच्च सदस्य के बीच होती, जिसके अध्यक्ष सुकेश भारद्वाज थे।


भूमि पूरे समुदाय की मेंबर कॉर्डिनेटर थी। मीटिंग की शुरवात करती हुई भूमि कहने लगी…. "लगता है प्रहरी का जोश खत्म हो गया है। आज वो आवाज़ नहीं आ रही जो पहले आया करती थी।"...


तभी पूरे हॉल में एक साथ आवाज़ गूंजी… "हम इंसान और शैतान के बीच की दीवार है, कर्म पथ पर चलते रहना हमारा काम। हम तमाम उम्र सेवा का वादा करते है।"


भूमि:- ये हुई ना बात। आज की सभा शुरू करने से पहले मै कुछ दिखाना चाहूंगी…


भूमि अपनी बात कहती हुई, आर्य की कॉलेज वाली वीडियो फुटेज चलाई, जिसमें उसने रफी और मोजेक को मारा था। इस वीडियो क्लिप को देखकर सब के सब दंग रह गए।


भिड़ में से कई आवाज़ गूंजने लगी जिसका साफ मतलब था… "ये वीर लड़का कौन है, कहां है, हमारे बीच क्यों नहीं।"


भूमि:- वो हमारे बीच ना है और ना कभी रहेगा, क्योंकि ये उस कुलकर्णी परिवार का बच्चा है जिसके दादा वर्धराज कुलकर्णी को कभी हमने इंकैपाबल कह कर निकाल दिया था। ये मेरी मासी जया का बेटा है।


एक नौजवान खड़ा होते…. "हमे तो सिखाया गया है कि प्रहरी अपने समुदाय में किसी का तिरस्कार नहीं करते, किसी का अनादर नहीं करते फिर ये चूक कहां हो गई।"..


भूमि:- माणिक तुम्हारी बातें बिल्कुल सही है दोस्त, लेकिन आर्यमणि के दादा पर ये इल्ज़ाम लगा था कि एक वेयरवुल्फ के प्यार में उन्होंने उसकी जिंदगी बख्श दी, और समुदाय ये कहानी सुनकर आक्रोशित हो गया था। कुलकर्णी परिवार को समुदाय से बाहर निकालने के बाद भी हमने उन्हें बेइज्जत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।


फिर से भिड़ जोड़-जोड़ से चिल्लाने लगी। सबके कहने का एक ही मकसद था… "बीती बातों को छोड़कर हमे इसे मौका देना चाहिए।"..


भूमि:- आपका सुझाव अच्छा है लेकिन शायद यह कहना ग़लत नहीं होगा कि उसे ना तो हमारे काम में इंट्रेस्ट है और ना ही उसे प्रहरी के बारे में कोई जानकारी। फिर भी मै कोशिश कर रही हूं कि ये हमारी एक मीटिंग अटेंड करने आए। इसी के साथ आज कई बड़े अनाउंसमेंट होंगे… जिसके लिए मै अध्यक्ष विश्वा काका को बुलानी चाहूंगी।


विश्वा देसाई.. प्रहरी के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम… "भूमि को जब भी मैं सुनता हूं खुद में शर्म होने लगती है कि मै क्यों अध्यक्ष हूं।"


भूमि:- काका यहां जलेबी वाली पॉलिटिक्स की बातें ना करो…


विश्वा:- आप लोग अपने मत दीजिए.. भूमि ने सक्रिय सदस्यता से 10 साल का अवकाश मांगा है। क्या मुझे मंजूर करना चाहिए?


पूरी भिड़ एक साथ…. "नहीं"..


भूमि:- क्या है यार.. शादी को 9 साल हो गए। अब मेरे भी अरमान है कि कोई मुझे मां कहे। मै भी अपने बच्चो को इस मंच पर देखना चाहती हूं, तो क्या मेरी ये ख्वाहिश गलत है।


भिड़ में से एक लड़का… "वादा करना होगा मेंबर कॉर्डिनेटर तुम ही रहोगी जबतक जीवित हो। काम हम सब कर लिया करेंगे। तुम्हे चिंता की कोई जरूरत नहीं।"


विश्व:- खैर आप सब की भावना और भूमि की सेवा को ध्यान में रखकर भूमि को मनोनीत सदस्य मै घोषित करता हूं। आप सब अब तो खुश है ना।


पूरी भिड़ एक साथ… " काका, अध्यक्ष बना दो और आप राजनीति देखो।"


विश्वा:- "हां समझ रहा हूं तुम लोगों की भावना। अब जरा जल्दी से काम खत्म कर लूं। भूमि की उतराधिकारी होगी भूमि की चचेरी बहन नम्रता और उसके पति जयदेव देसाई की उतराधिकारी होगी उसकी बहन रिचा। दोनो को मै उच्च सदस्य घोषित करता हूं। इसी के साथ भूमि की जगह लेने के लिए आएगा राजदीप भारद्वाज, जिसका नाम भूमि और तेजस ने दिया है। और अब पेश है आज के बैठक कि नायिका पलक भारद्वाज।"

"हां ये कहना ग़लत नहीं होगा कि मुश्किलों से भड़ा वक़्त आने वाला है। लेकिन हम साथ है तो हर बुराई का मुकाबला कर लेंगे। विशिष्ठ जीव खोजी साखा जो लगभग बंद हो गई थी, किसी एक सदस्य के जाने के बाद। उसके बाद कोई भी उस योग्य नहीं आया। खैर, जैसा की आप सबको सूचना मिल ही गई थी, और सारे मामले हमने आपको बता दिए थे, मै पलक भारद्वाज को उच्च सदस्य घोषित करते हुए उसे विशिष्ठ खोजी साखा का अध्यक्ष बनाता हूं। मै हटाए गए अध्यक्ष महेन्द्र जोशी से उनके किए सेवा के लिए धन्यवाद कहता हूं। अब वक़्त है पलक को मंच पर बुलाने का, जिसकी कोशिश के कारण हम एक बड़े सच से अवगत हो पाए हैं।


पलक मंच पर आकर सबका अभिवादन करती हुई, अपने खोज के विषय में बताई। वह आर्यमणि के बारे में भी बताना चाह रही थी, लेकिन आर्यमणि का नाम लेते ही सब समझ जाते की पलक और आर्यमणि पहले से एक दूसरे के साथ मे है, इसलिए वो मंच पर आर्यमणि का नाम नहीं ले पाई। इधर नए मेंबर कॉर्डिनेटर राजदीप के नाम पर भी सहमति हो गई और नए मामले की गंभीरता को देखते हुए अध्यक्ष पद का चुनाव रद करके वापस से विश्वा देसाई को ही अगले साल का कार्यभार मिल गया। सारी बातें हो जाने के बाद...


भूमि… "जैसा कि हम सब जानते है। पीछले महीने सतपुड़ा के जंगलों में कई अप्रिय घटनाएं हुई है। सरकार को लगता है कि ये मामला किसी सुपरनेचुरल का है। हमने इस विषय पर सरदार खान को भी बुलाया है चर्चा के लिए। शांति प्रक्रिया इंसानी और सुपरनैचुरल, दोनो ही समुदाय में कई वर्षों से चली आ रही है, उसे कोई भंग तो नहीं कर रहा, इसी बात का हमे पता लगाना है। अपना पद भार छोड़ने से पहले मै ये काम राजदीप के जिम्मे दिए जाती हूं। वो अपने हिसाब से ये सारा काम देख ले।"


राजदीप:- दोस्तों भूमि दीदी कि जगह कोई ले सकता है क्या ?


भिड़ की पूरी आवाज़…. "बिल्कुल नहीं"..


राजदीप:- मै कोशिश करूंगा कल को ये बात आप मेरे लिए भी कहे। इसी के साथ मैं सभा का समापन करता हूं।


सभा खत्म होते ही आम सदस्यों को बाहर भेज दिया गया और उच्च सदस्यों को एक बैठक हुई, जिसका अध्यक्ष भूमि के पिता सुकेश भारद्वाज रहे। उन्होंने विकृत रीछ स्त्री और उसके साथी वकृत ज्ञानी मनुष्य का पता तुरंत लगाने के लिए पलक को खुले हाथ छूट दे दी। साथ मे कुछ अन्य सदस्यों को इतिहास में झांककर इस रीछ स्त्री और उसके श्राप का पता लगाने के लिए, कुछ उच्च सदस्यों को नियुक्त कर दिया।
मजा आ गया दोनो अपडेट्स पढ़ कर। आर्य के इस स्टंट ने सालो पुरानी दुश्मनी और दुश्मनों दोनो को एक नया रुख दे दिया है, लगता है अब ये दुश्मनी खतम नही तो कम तो हो ही जाएगी। ये वैदही भी सही पात्र लग रही है इस कहानी का देखना होगा कि इसका कितना रोल होगा कहानी में।

मीनाक्षी भी एक दम मस्त कैरेक्टर है, हर समय नाक पर गुस्सा और सबसे पंगे लेने को तैयार। अक्षरा की क्या क्लास ली है, मजा आ गया। ये देसाई खानदान का बस चले तो आज ही आर्य और पलक की शादी करवा दे।

चलो इस चाकू घोपम घोपाई में जया और केशव को नागपुर आने को तो मिला। इसी बहाने पूरा परिवार इकहटा हो गया और उसमे रंग में भंग डाले आ गया एक कमीना इंसान अरुण, जो अपनी बहनों और जीजाओ को बेइज्जत करता आ रहा था मगर जब खुदके काम को जरूरत पड़ी तो नाक रगड़ता आ गया।

ये भूमि भी क्या धांसू कैरेक्टर है हर जगह घुसपैठ है इसकी और हर कोई या तो इज्जत करता है या डरता है इससे। एक मिनट में अरुण का पूरा कच्चा चिट्ठा निकल दिया इसने। अब देखना होगा जब सबके सामने अरुण की पोल पट्टी खुलेगी और वो सबके सामने सर झुका कर खड़ा होगा।

ये आर्य और पलक भी एक दम मस्त गेम खेल रहे है छूपम छूपाई का, अकेले में राजा रानी और सबके सामने तू कोन मैं खामखा।

बहुत ही शानदार अपडेट। बस एक सवाल है मन में कहानी के शुरू में दिए गए अपडेट के हिस्सो को लेकर। सीन 6 जो लड़की आर्य को फोन करके गुस्सा कर रही थी वो पलक है या रिचा? जिस तरह प्रहरी संस्था से अवार्ड की बात आर्य ने की उससे वो रिचा लगती है मगर एक जगह आर्य ये भी कहता है कि

आर्यमणि:- "तुम्हे किताब जाने का गम है, या मिस्टर एक्स के मरने का। या इन दोनों के चक्कर में तुम्हारे परिवार ने मुझसे नाता तोड़ने कह दिया उसका गम है, मुझे नहीं पता।

इस बात से ये लगता है की कहीं ये पलक तो नही। ये सीन अभी कितनी दूर है कहानी में और क्या आप इस पर अभी कुछ प्रकाश डाल पाएंगे?
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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भाग:–22





अक्षरा बड़ी मुश्किल से चाकू ऊपर उठाई। उसके हाथ कांप रहे थे। आर्यमणि ने उसके हाथ को अपने हाथ का सहारा देकर अक्षरा की आंखों में देखा। चाकू को अपने सीने के नीचे टिकाया। लोग जैसे ही दौड़कर उसके नजदीक पहुंचते, उससे पहले ही आर्यमणि वो चाकू अपने अंदर घुसा चुका था।


दर्द के मारे आर्यमणि के आखों से आंसू गिरे लेकिन मुंह से आवाज़ नहीं निकला… "घबराओ नहीं आप, दर्द हो रहा है लेकिन मरूंगा नहीं। जब सीने में ज्यादा दुश्मनी की आग जले तो बता देना, मै कहीं भी मिल लिया करूंगा। यदि मुझे जिंदा ना देखने का मन हो तो वो भी बता देना। इसी चाकू को बस सीने पर सही जगह प्वाइंट करना है और बड़े प्यार से घुसेड़ देना है। आपसे ना होगा तो मै हूं ना साथ देने के लिए। चलता हूं अब मै। दोबारा फिर कभी मेरी मां के बारे में कुछ नहीं बोलना, वो प्यार में थी और लोगों को पहले ही बता चुकी थी। जब किसी ने नहीं सुनी तब उसकी हिम्मत उसकी बहन बनी। आप भी बहन थी, इस घटना के बाद आपको भी अपने भाई की हिम्मत बननी थी।"


राजदीप आर्यमणि को थामते हुए… "तुम क्या पागल हो? चलो हॉस्पिटल।"..


आर्यमणि, निशांत की मां से:- आंटी निशांत कहां है।


निलंजना:- आर्य, मेरा ब्लड प्रेशर हाई ना करो। चलो पहले हॉस्पिटल।


इतने में ही चित्रा और निशांत भी वहां पहुंचे। पहुंचे तो थे लोगों से मिलने, लेकिन वहां का माहौल देखकर दोनो भाई बहन का खून उबाल मारने लगा। आर्यमणि समझता था कि क्या होने वाला है इसलिए… "निशांत ये हमारा किसी रेस्क्यू में लगा चोट है समझ ले। जाओ जल्दी बैग ले आओ, ओवर रिएक्ट ना करो।"..


निशांत भागकर गया और बैग ले आया। बैग के अंदर से कुछ सूखे पौधे निकालकर उसे बढाते… "ये ले आर्य, एनेस्थीसिया।"..


राजदीप बड़े गौर से उन सूखे पौधों को देखते… "ये तो ऑपियाड है। तुम लोग इसे अपने पास रखते हो। तुम्हे जेल हो सकती है।"..


निशांत:- दादा, ये तेज दर्द का उपचार है। आप लोग थोड़ा शांत रहो।


निशांत, आर्यमणि के टी-शर्ट को काटकर हटाया और अपना काम करते हुए… "कमिने यूरोप से तू ऐसी बॉडी लेकर आया है। ऊपर से स्पोर्ट बाइक। पूरा जलवा तू ही लूट ले कॉलेज में। आज भी तेरा बीपी नॉर्मल है। मै चाकू निकाल रहा हूं।"


निशांत ने चाकू निकला। अंदर के जख्म को इंफेक्शन से बचने के लिए कुछ मेडिकल सॉल्यूशन डालकर अंदर पट्टी डाली। बाहर पट्टी किया और 2 हॉयर एंटीबायोटक्स के इंजेक्शन लगा कर खड़ा होने बोल दिया।… "ले ये भी कवर हो गया। अब 2 हफ्ते तक भुल जाना कोई भी एक्शन।"


आर्यमणि:- मै 2 हफ्ते घर से बाहर ना निकलू।


राजदीप:- 2 हफ्ते में कैसे रिकवर होगा। जख्म भरने में तो बहुत वक़्त लगेगा और बस इतने से हो गया इलाज।


निशांत:- पिछली बार तो इससे कम में हो गया था। हमने तो चित्रा को पता भी नहीं चलने दिया था।


चित्रा:- तुम दोनो पागल हो। मैंने जया आंटी (आर्यमणि की मां) और मीनाक्षी आंटी (आर्यमणि की मासी) को सब बता दिया है। मुझे नहीं लगता कि अब छिपाने को कुछ रह गया है। जब इतना बड़ा ड्रामा हो ही गया है तो आज फाइनल करो और अपना अपना रास्ता देखो। और तुम दोनो यहां खड़ा होकर हीरोगिरी क्यों दिखा रहे हो। दोनो की नौटंकी बहुत देख ली अब चलो हॉस्पिटल।


आर्यमणि:- ये माइनर स्क्रैच है।


चित्रा अपनी आखें दिखती… "कही ना चलो।"..


आर्यमणि:- हम्मम ! चलो चलते हैं।


चित्रा, आर्यमणि को हॉस्पिटल लेकर निकली और उधर आर्यमणि के मासी का पूरा खानदान पलक के यहां पहुंच गया। आर्यमणि की मासी मीनाक्षी के तेवर... उफ्फ !! गुस्सा तो आंखो में था। आती ही वो सीधा अक्षरा के पास पहुंची और उसे खींचकर एक थप्पड़ मारती हुई…. "पर गई तुम्हारे कलेजे में ठंडक, या और दुश्मनी निकालनी है।"..


अक्षरा:- दीदी यहां सबने देखा है, मैंने उसे बहुत कुछ सुनाया था, लेकिन मुझे जारा भी अंदाज़ा नहीं था कि वो खुद अपने हाथ से ऐसे चाकू घुसा लेगा।


मीनाक्षी:- एक दम चुप। ज्यादा बोलना मत मेरे सामने। कम अक्ल तुम लोग एक बात बताओ मुझे, जो लड़की शादी के लिए राजी हुई थी, (जया के विषय में बात करते हुए) वो शादी से एक दिन पहले कैसे भाग सकती है? जिस लड़के से वो पहले कभी मिली ही नहीं, (केशव कुलकर्णी के विषय में कहते) जया को उससे प्यार कैसे हो सकता है? मेरी बहन ने मुझे कभी नहीं बताया, केवल इतना ही कहती रही उसे केशव से प्यार हो गया, और अब वो शादी नहीं करना चाहती।"

"और जानती हो ये सब कब हुआ था, जब तुम्हारा भाई एक रात जया से मिलने चोरी से आया था। जाओ पीछे जाकर पता करो जया और केशव कभी मिले थे या तुम्हारे भाई की दोस्ती थी केशव से। मैंने 100 बार इस बात की चर्चा कि। सोची लंबी चली नफरत को खत्म कर दू। लेकिन जया और केशव ने सिर्फ इतना ही कहा, "कुछ भी आभाष होता तो एक दुर्घटना होने से रह जाती लेकिन हम प्यार में थे और हमे पता नहीं चला वो ऐसा कुछ करेगा।"

"मेरी बहन और उसके पति ने भारद्वाज खानदान के कारण बहुत जिल्लत उठाई है। तुम्हारे कारण वो महाराष्ट्र नहीं आते कभी। उसने जो झेलना था झेल ली। अपनी जिंदगी अपने फैसलों के आधार पर जी ली। तुमने उन्हें बहुत बुरा भला कहा, मैंने सुन लिया और तुम्हारी बात सुनकर दूरियां बाना ली। लेकिन यदि उस बच्चे को अब दोबारा तुम में से किसी ने परेशान किया ना तो मै भुल जाऊंगी की हम एक ही कुल के है। चलो सब यहां से।"


मीनाक्षी अपनी पूरी भड़ास निकालकर वहां से सबको लेकर चल दी। सभी लोग वहां से सीधा हॉस्पिटल पहुंचे। मीनाक्षी तमतमाई हुई वहां पहुंची और कहां क्या चल रहा है उसे देखे बिना, आर्यमणि को 4-5 थप्पड़ खिंचते हुए कहने लगी… "तेरा सामान पैक कर दिया है, नागपुर में अब तू नहीं रहेगा। जिस बच्चे का मै आंसू नहीं देख सकती उसका खून बहा दिया। तू नागपुर में नहीं रहेगा ये फाइनल है, और कोई कुछ नहीं बोलेगा। तेजस चार्टर बुक करो हम अभी निकलेंगे।"


भूमि:- आयी वो अभी घायल है। उड़ान भरने में खतरा है।


मीनाक्षी:- हां तो पुरा हॉस्पिटल मेरे कमरे में शिफ्ट करो। जब तक ये ठीक नहीं होता तबतक मेरे पास रहेगा। उसके बाद यहां से सीधा गंगटोक। डॉक्टर कहां है?


डॉक्टर:- कब से तो मै यहीं हूं।


मीनाक्षी:- डॉक्टर मेरा बेटा कैसा है अभी?


डॉक्टर:- जरा भी चिंता की बात नहीं है। सब कुछ नोर्मल है। इसके दोस्त ने बहुत समझदारी दिखाई और जरूरी उपचार करके हमारे पास लाया था।


मीनाक्षी, निशांत के सर कर हाथ फेरते… "थैंक्स बेटा। तुमने बहुत मदद की। तुम दोनो भाई बहन को कोई भी परेशानी हो सीधा मेरा पास आना। देख तो मेरे बच्चे की क्या हालत की है।


निशांत और चित्रा को कुछ समझ में ही नहीं आया कि क्या जवाब दे, इसलिए वो चुपचाप रहने में ही खुद की भलाई समझे। अभी ये सब ड्रामे हो ही रहे थे कि इसी बीच तेजस की पत्नी वैदेही अपने दोनो बच्चे और भाई के साथ साथ हॉस्पिटल पहुंच गई। आते ही उसने मीनाक्षी के पाऊं छुए… मीनाक्षी भावुक होकर उसके गले लग गई और रोने लगी।


वैदेही, मीनाक्षी के आंसू पोंछति…. "क्या हुआ, आप कबसे इतनी कमजोर हो गई।"..


मीनाक्षी:- देख ना क्या हाल किया है मेरे बच्चे का?


वैदेही:- ठीक है वो भी देख लेते है। आर्य दिखाना जरा। देवा, ये कितना स्ट्रॉन्ग है आई। इस स्टील बॉडी में चाकू कैसे घुस गई। आई लड़का तो जवान हो गया है, इसकी पहली फुरसत में शादी करवा दो, वरना लड़कियां लूट लेंगी इसे।


मीनाक्षी:- वैदेही, मुझे परेशान कर रही है क्या?


वैदेही:- आई, जिंदगी में कभी अनचाहा पल आ जाता है। जिन बातों की हम कामना नहीं करते वो बातें हो जाती है, इसका मतलब ये तो नहीं कि हमारी ज़िन्दगी रुक जाती है। आज कल तो सड़क पर पैदल चलने में भी खतरा है, तो क्या हम पैदल चलना छोड़ देते है। आप का फिक्र करना जायज है लेकिन किसी एक घटना के चलते आर्य का नागपुर छोड़ना गलत है। और अभी तो इसने केवल अपनी बहन को बाइक पर घुमाया है, भाभी को तो घूमना रह ही गया। क्यों आर्य मुझे घुमाएगा ना?


आर्य:- हां भाभी।


मीनाक्षी:- तेरे कान किसने भर दिए जो तू यहां आर्य को ना जाने के लिए सिफारिश कर रही है।


भूमि:- भाभी को मैंने ही बताया था। आपका ये लाडला भी कम नहीं है। खुद अपने हाथो से चाकू पकड़कर घोप लिया था। काकी की गलती है तो इसकी भी कम नहीं। वैसे भी आपको आर्य के बारे में नहीं पता, ये दिखता सरीफ है लेकिन अंदर से उतना ही बड़ा बदमाश है।


मीनाक्षी:- मुझे कोई बहस में नहीं पड़ना, इसे पहले घर लेकर चलो। चित्रा, निशांत तुम दोनो भी घर जाओ। बाद में आकर मिलते रहना।


चित्रा और निशांत वहां से निकल गए। थोड़ी देर में मीनाक्षी भी आर्य को लेकर निकल गई। भूमि ने अपने पति जयदेव को कॉल लगाकर सारी घटना बता दी और जरूरी काम के लिए ही सिर्फ लोग को भेजे ऐसा कहती चली।


रात का वक़्त ….. प्रहरी समुदाय की मीटिंग। ..


तकरीबन 500 लोगों की उपस्तिथि थी। 50 नए लोग कतार में थे। आज कई लोगो को उसकी लंबे सेवा से विराम दिया जाता और कई नए लोगों को सेवा के लिए शामिल किया जाता। इसके अलावा एक अहम बैठक होनी थी, जिसकी चर्चा अंत में केवल उच्च सदस्य के बीच होती, जिसके अध्यक्ष सुकेश भारद्वाज थे।


भूमि पूरे समुदाय की मेंबर कॉर्डिनेटर थी। मीटिंग की शुरवात करती हुई भूमि कहने लगी…. "लगता है प्रहरी का जोश खत्म हो गया है। आज वो आवाज़ नहीं आ रही जो पहले आया करती थी।"...


तभी पूरे हॉल में एक साथ आवाज़ गूंजी… "हम इंसान और शैतान के बीच की दीवार है, कर्म पथ पर चलते रहना हमारा काम। हम तमाम उम्र सेवा का वादा करते है।"


भूमि:- ये हुई ना बात। आज की सभा शुरू करने से पहले मै कुछ दिखाना चाहूंगी…


भूमि अपनी बात कहती हुई, आर्य की कॉलेज वाली वीडियो फुटेज चलाई, जिसमें उसने रफी और मोजेक को मारा था। इस वीडियो क्लिप को देखकर सब के सब दंग रह गए।


भिड़ में से कई आवाज़ गूंजने लगी जिसका साफ मतलब था… "ये वीर लड़का कौन है, कहां है, हमारे बीच क्यों नहीं।"


भूमि:- वो हमारे बीच ना है और ना कभी रहेगा, क्योंकि ये उस कुलकर्णी परिवार का बच्चा है जिसके दादा वर्धराज कुलकर्णी को कभी हमने इंकैपाबल कह कर निकाल दिया था। ये मेरी मासी जया का बेटा है।


एक नौजवान खड़ा होते…. "हमे तो सिखाया गया है कि प्रहरी अपने समुदाय में किसी का तिरस्कार नहीं करते, किसी का अनादर नहीं करते फिर ये चूक कहां हो गई।"..


भूमि:- माणिक तुम्हारी बातें बिल्कुल सही है दोस्त, लेकिन आर्यमणि के दादा पर ये इल्ज़ाम लगा था कि एक वेयरवुल्फ के प्यार में उन्होंने उसकी जिंदगी बख्श दी, और समुदाय ये कहानी सुनकर आक्रोशित हो गया था। कुलकर्णी परिवार को समुदाय से बाहर निकालने के बाद भी हमने उन्हें बेइज्जत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।


फिर से भिड़ जोड़-जोड़ से चिल्लाने लगी। सबके कहने का एक ही मकसद था… "बीती बातों को छोड़कर हमे इसे मौका देना चाहिए।"..


भूमि:- आपका सुझाव अच्छा है लेकिन शायद यह कहना ग़लत नहीं होगा कि उसे ना तो हमारे काम में इंट्रेस्ट है और ना ही उसे प्रहरी के बारे में कोई जानकारी। फिर भी मै कोशिश कर रही हूं कि ये हमारी एक मीटिंग अटेंड करने आए। इसी के साथ आज कई बड़े अनाउंसमेंट होंगे… जिसके लिए मै अध्यक्ष विश्वा काका को बुलानी चाहूंगी।


विश्वा देसाई.. प्रहरी के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम… "भूमि को जब भी मैं सुनता हूं खुद में शर्म होने लगती है कि मै क्यों अध्यक्ष हूं।"


भूमि:- काका यहां जलेबी वाली पॉलिटिक्स की बातें ना करो…


विश्वा:- आप लोग अपने मत दीजिए.. भूमि ने सक्रिय सदस्यता से 10 साल का अवकाश मांगा है। क्या मुझे मंजूर करना चाहिए?


पूरी भिड़ एक साथ…. "नहीं"..


भूमि:- क्या है यार.. शादी को 9 साल हो गए। अब मेरे भी अरमान है कि कोई मुझे मां कहे। मै भी अपने बच्चो को इस मंच पर देखना चाहती हूं, तो क्या मेरी ये ख्वाहिश गलत है।


भिड़ में से एक लड़का… "वादा करना होगा मेंबर कॉर्डिनेटर तुम ही रहोगी जबतक जीवित हो। काम हम सब कर लिया करेंगे। तुम्हे चिंता की कोई जरूरत नहीं।"


विश्व:- खैर आप सब की भावना और भूमि की सेवा को ध्यान में रखकर भूमि को मनोनीत सदस्य मै घोषित करता हूं। आप सब अब तो खुश है ना।


पूरी भिड़ एक साथ… " काका, अध्यक्ष बना दो और आप राजनीति देखो।"


विश्वा:- "हां समझ रहा हूं तुम लोगों की भावना। अब जरा जल्दी से काम खत्म कर लूं। भूमि की उतराधिकारी होगी भूमि की चचेरी बहन नम्रता और उसके पति जयदेव देसाई की उतराधिकारी होगी उसकी बहन रिचा। दोनो को मै उच्च सदस्य घोषित करता हूं। इसी के साथ भूमि की जगह लेने के लिए आएगा राजदीप भारद्वाज, जिसका नाम भूमि और तेजस ने दिया है। और अब पेश है आज के बैठक कि नायिका पलक भारद्वाज।"

"हां ये कहना ग़लत नहीं होगा कि मुश्किलों से भड़ा वक़्त आने वाला है। लेकिन हम साथ है तो हर बुराई का मुकाबला कर लेंगे। विशिष्ठ जीव खोजी साखा जो लगभग बंद हो गई थी, किसी एक सदस्य के जाने के बाद। उसके बाद कोई भी उस योग्य नहीं आया। खैर, जैसा की आप सबको सूचना मिल ही गई थी, और सारे मामले हमने आपको बता दिए थे, मै पलक भारद्वाज को उच्च सदस्य घोषित करते हुए उसे विशिष्ठ खोजी साखा का अध्यक्ष बनाता हूं। मै हटाए गए अध्यक्ष महेन्द्र जोशी से उनके किए सेवा के लिए धन्यवाद कहता हूं। अब वक़्त है पलक को मंच पर बुलाने का, जिसकी कोशिश के कारण हम एक बड़े सच से अवगत हो पाए हैं।


पलक मंच पर आकर सबका अभिवादन करती हुई, अपने खोज के विषय में बताई। वह आर्यमणि के बारे में भी बताना चाह रही थी, लेकिन आर्यमणि का नाम लेते ही सब समझ जाते की पलक और आर्यमणि पहले से एक दूसरे के साथ मे है, इसलिए वो मंच पर आर्यमणि का नाम नहीं ले पाई। इधर नए मेंबर कॉर्डिनेटर राजदीप के नाम पर भी सहमति हो गई और नए मामले की गंभीरता को देखते हुए अध्यक्ष पद का चुनाव रद करके वापस से विश्वा देसाई को ही अगले साल का कार्यभार मिल गया। सारी बातें हो जाने के बाद...


भूमि… "जैसा कि हम सब जानते है। पीछले महीने सतपुड़ा के जंगलों में कई अप्रिय घटनाएं हुई है। सरकार को लगता है कि ये मामला किसी सुपरनेचुरल का है। हमने इस विषय पर सरदार खान को भी बुलाया है चर्चा के लिए। शांति प्रक्रिया इंसानी और सुपरनैचुरल, दोनो ही समुदाय में कई वर्षों से चली आ रही है, उसे कोई भंग तो नहीं कर रहा, इसी बात का हमे पता लगाना है। अपना पद भार छोड़ने से पहले मै ये काम राजदीप के जिम्मे दिए जाती हूं। वो अपने हिसाब से ये सारा काम देख ले।"


राजदीप:- दोस्तों भूमि दीदी कि जगह कोई ले सकता है क्या ?


भिड़ की पूरी आवाज़…. "बिल्कुल नहीं"..


राजदीप:- मै कोशिश करूंगा कल को ये बात आप मेरे लिए भी कहे। इसी के साथ मैं सभा का समापन करता हूं।


सभा खत्म होते ही आम सदस्यों को बाहर भेज दिया गया और उच्च सदस्यों को एक बैठक हुई, जिसका अध्यक्ष भूमि के पिता सुकेश भारद्वाज रहे। उन्होंने विकृत रीछ स्त्री और उसके साथी वकृत ज्ञानी मनुष्य का पता तुरंत लगाने के लिए पलक को खुले हाथ छूट दे दी। साथ मे कुछ अन्य सदस्यों को इतिहास में झांककर इस रीछ स्त्री और उसके श्राप का पता लगाने के लिए, कुछ उच्च सदस्यों को नियुक्त कर दिया।
Kya khub Update likha hai nain11ster bhai maja aa gaya.
To apne arya ne Heart se thoda hath kar chaku ghonpa tha. Aur mere khyal se uske ability ke karan to wo kal M9 tak heal ho hi jayega. Lakin apna arya ye baat kisi na kisi tarah sbse chupa kar hi rakhega. Aur Arya ki masi ne to aa kar bahut sahi se khabar li Akchara ki iski jarurat bhi thi. Aur meeting bhi ho gayi ab dekhte hai aage kya hota hai. Arya group me samil to kabhi nahi hoga ye to mujhe confirm hai.
भाग:–23





सभा खत्म होते ही आम सदस्यों को बाहर भेज दिया गया और उच्च सदस्यों को एक बैठक हुई, जिसका अध्यक्ष भूमि के पिता सुकेश भारद्वाज रहे। उन्होंने विकृत रीछ स्त्री और उसके साथी वकृत ज्ञानी मनुष्य का पता तुरंत लगाने के लिए पलक को खुले हाथ छूट दे दी। साथ मे कुछ अन्य सदस्यों को इतिहास में झांककर इस रीछ स्त्री और उसके श्राप का पता लगाने के लिए, कुछ उच्च सदस्यों को नियुक्त कर दिया।


सभी लोग उच्च सदस्य की सभा से साथ निकले। तभी पलक ने पीछे से भूमि का हाथ पकड़ लिया। पलक, राजदीप और तेजस तीनों साथ चल रहे थे। भूमि के रुकते ही सभी लोग रुक गए।… "आप लोग आगे चलिए, मुझे दीदी से कुछ जरूरी बात करनी है।"..


भूमि:- जरूरी बात क्या, आर्य के बारे में सोच रही है ना। उसने प्रतिबंधित क्षेत्र में तेरे जानने की जिज्ञासा में मदद कि और तुम अपने आई-बाबा की वजह से उसका नाम नहीं ले पाय। क्योंकि उस दिन तुम निकली तो थी सबको ये जता कर कि किसी लड़के से मिलने जा रही हो, ताकि तेरे महत्वकांक्षा की भनक किसी को ना लगे। कोई बात नहीं पलक, वैसे भी पूरा क्रेडिट तुम्हे ही जाता है, क्योंकि कोई एक काम को सोचना, और उस काम के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करना एक अच्छे मुखिया का काम होता है।


हालांकि भूमि की बात और सच्चाई में जमीन आसमान का अंतर था। फिर भी भूमि एक अनुमानित समीक्षा दे दी। वहां राजदीप और तेजस भी भूमि की बात सुन रहे थे। जैसे ही भूमि चुप हुई, राजदीप….. "अच्छा एक बात बता पलक, क्या तुम्हे आर्य पसंद है।"


पलक:- मतलब..


राजदीप:- मतलब हम तुम्हारे और आर्य के लगन के बारे में सोच रहे है। आर्य के बारे में जो मुझे पता चला है, बड़ी काकी (मीनाक्षी) और जया आंटी जो बोल देगी, वो करेगा। अब तुम अपनी बताओ।


पलक:- लेकिन उसकी तो पहले से एक गर्लफ्रेंड है।


भूमि, एक छोटा सा वीडियो प्ले की जिसमें मैत्री और आर्यमणि की कुछ क्लिप्स थी। स्कूल जाते 2 छोटे बच्चों की प्यारी भावनाएं… "यही थी मैत्री, जो अब नहीं रही। एक वेयरवुल्फ। देख ली आर्य की गर्लफ्रेंड"


पलक:- हम्मम ! अभी तो हम दोनो पढ़ रहे है। और आर्यमणि अपनी मां या काकी की वजह से हां कह दे, लेकिन मुझे पसंद ना करता है तो।


"तेजस दादा, राजदीप, दोनो जाओ। मै पलक के साथ आती हूं।" दोनो के जाते ही… "मेरी अरेंज मैरेज हुई थी। इंगेजमनेट और शादी के बीच में 2 साल का गैप था। मैंने इस गैप में 2 बॉयफ्रेंड बनाए। बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड 10 हो सकते है, लेकिन पति या पत्नी सिर्फ एक ही होता है। इसलिए दोनो का फ़र्ज़ है कि एक दूसरे को इतना प्यार करे की कहीं भटकाव ना हो। बाकी शादी से पहले करने दे मज़ा, लेकिन इस बीच में भी दबदबा कायम रहना चाहिए। जब भी किसी लड़की को देखे, तो अंदर डर होना चाहिए, "कहीं पलक ने देख लिया तो।" तू समझ रही है ना।"


पलक:- हिहीहिही… हां दीदी समझ गई। चित्रा के केस में भी यही करूंगी।


भूमि:- सब जानते हुए भी क्यों शादी से पहले तलाक का जुगाड़ लगा रही। अच्छा सुन अाई के झगड़े ने हमारा काम आसान कर दिया है। अब तो राजदीप और नम्रता के साथ तेरा भी बात करेंगे। लेकिन मुझे सच-सच बता, तुझे आर्य पसंद तो है ना।


पलक, शर्माती हुए… "पहली बार जब देखी थी तभी से पसंद है दीदी, लेकिन क्या वो मुझे पसंद करता है?


भूमि:- तुझे चित्रा, निशांत, मै, जया मासी हर वो इंसान पसंद करता और करती है, जिसे आर्य पसंद करता है। फिर वो तुझे ना पसंद करे, ये सवाल ही बईमानी है।


पलक:- ये बात तो चित्रा के लिए भी लागू होता है।


भूमि:- तुझे चित्रा से कोई परेशानी है क्या? जब भी आर्य की बात करो चित्रा को घुसेड़ देती है।


पलक:- मुझे लगता है कि इनके बीच दोस्ती से ऊपर का मामला है। बस इसी सोच की वजह से मुझे लगता है कि मै चित्रा और आर्य के बीच में हूं।


भूमि:- चित्रा साफ बात चुकी है, किसी वक्त मे दोनो के रिलेशन थे, लेकिन दोनो ही दोस्ती के आगे के रिश्ते को निभा नहीं पाए। अब इस से ज्यादा कितना ईमानदारी ढूंढ रही है। हां मैंने जितनी बातें की वो चित्रा पर भी लागू होते है और विश्वास मान दोनो मे जरा सी भी उस हिसाब की फीलींग होती तो मैं यहां खड़ी होकर तुझ से पूछ नहीं रही होती। ज्यादा चित्रा और आर्य मे मत घुस। निशांत, चित्रा और आर्य साथ पले बढ़े है। मुझे जहां तक लगता है आर्य भी तुझे पसंद करता है।


पलक:- लेकिन मुझे उसके मुंह से सुनना है..


भूमि:- अच्छा ठीक है अभी तो नहीं लेकिन 2 दिन बाद मै जरूर उसके मुंह से तेरे बारे सुना दूंगी, वो क्या सोचता है तुम्हारे बारे में। ठीक ना...


पलक:- बहुत ठीक। चले अब दीदी…


लगभग 3 दिन बाद, सुबह-सुबह का समय था। मीनाक्षी के घर जया और केशव पहुंच गए। घर के बाहर लॉन में मीनाक्षी के पति सुकेश अपने पोते-पोतियों के साथ खेल रहे थे। जया उसके करीब पहुंचती… "जीजू कभी मेरे साथ भी पकड़म-पकड़ाई खेल लेते सो नहीं, अब ये दिन आ गए की बच्चो के साथ खेलना पड़ रहा है।"..


सुकेश:- क्यों भाई केशव ये मेरी साली क्या शिकायत कर रही है? लगता है तुम ठीक से पकड़म-पकड़ाई नहीं खेलते इसलिए ये ऐसा कह रही है।


केशव:- भाउ मुझसे तो अब इस उम्र में ना हो पाएगा। आप ही देख लो।


सुकेश:- धीमे बोलो केशव कहीं मीनाक्षी ने सुन लिया तो मेरा हुक्का पानी बंद हो जाएगा। तुम दोनो मुझे माफ कर दो, हमारे रहते तुम्हे अपने बच्चे को ऐसे हाल में देखना पड़ेगा कभी सोचा नही था।


सुकेश की बात सुनकर जया के आंखो में आंसू छलक आए। दोनो दंपति अपने तेज कदम बढ़ाते हुए सीधा आर्यमणि के पास पहुंचे। जया सीधे अपने बच्चे से लिपटकर रोने लगी।… "मां, मै ठीक हूं, लेकिन आपके रोने से मेरे सीने मै दर्द हो रहा है।"


जया, बैठती हुई आर्यमणि का चेहरा देखने लगी। आर्यमणि अपना हाथ बढ़ाकर जया के आंसू पोछते…. "मां आपने और पापा ने पहले ही इन मामलों के लिए बहुत रोया है। पापा का पैतृक घर छूट गया और आप का मायका। मैंने एक छोटी सी कोशिश की थी आप दोनो को वापस खुश देखने कि और उल्टा रुला दिया। पापा कहां है?"


अपने बेटे कि बात सुनकर केशव भी पीछे खड़ा होकर रो रहा था। केशव आर्यमणि के करीब आकर बस अपने बेटे का चेहरा देखता रहा और उसके सर पर हाथ फेरने लगा… इधर जबतक नीचे लॉन में सुकेश अपने पोते-पोतियों के साथ खेल रहा था इसी बीच एक और परिवार उनके दरवाजे पर पहुंचा। जैसे ही वो परिवार कार से नीचे उतरा… "ये साला यहां क्या कर रहा है।".. मीनाक्षी और जया का छोटा भाई अरुण जोशी और उसकी पत्नी, प्रीति जोशी अपने दोनो बच्चे वंश और नीर के साथ पहुंचे हुए थे।


चेहरे पर थोड़ी झिझक लिए दोनो दंपति ने दूर से ही सुकेश को देखा और धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए चलने लगे। अरुण और प्रीति ने सुकेश के पाऊं छुए और अपने दोनो बच्चे से कहने लगे… "बेटा ये तेरे सबसे बड़े फूफा जी है, प्रणाम करो।"..


वंश और नीर ने एक बार उनका चेहरा देखा और नमस्ते करते हुए, पीछे हट गए… "क्यों। अरुण आज हम सब की याद कैसे आ गई।"..


अरुण:- बहुत दिनों से आप सब से मिलना चाह रहा था। बच्चों को भी तो अपने परिवार से घुलना मिलना चाहिए ना, इसलिए दीदी से मिलने चला आया।


सुकेश:- क्यों केवल दीदी से मिलने आए हो और बाकी के लोग से नहीं?


"मामा जी आपको यहां देखकर मै बिल्कुल भी सरप्राइज नहीं हुई।"… पीछे से भूमि आती हुई कहने लगी।


सुकेश:- भूमि, अरुण और प्रीति को लेकर अंदर जाओ।


अरुण का पूरा परिवार अंदर आ गया। भूमि सबको हॉल में बिठाते हुए… "शांताराम काका.. हो शांताराम काका।"…


शांताराम:- हां बिटिया..


भूमि:- काका पहचानो कौन आए है..


शांताराम गौर से देखते हुए… "अरे अरुण बाबू आए है। कैसे है अरुण बाबू, बड़े दिनों बाद आए। 2 मिनट दीजिए, अभी आए।


शांताराम वहां से चला गया और आतिथियो के स्वागत की तैयारी करने लगा। भूमि वहीं बैठ गई और अपने ममेरे भाई बहन से बातें करने लगी। लेकिन ऐसा लग रहा था कि सब अंजाने पहली बार बात कर रहे है।


अरुण:- भूमि कोई दिख नहीं रहा है। सब कहीं गए है क्या?


भूमि:- सबके बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं या अाई के बारे में पूछ रहे? यदि अाई से कुछ खास काम है तो मै पहले बता देती हूं, अभी ना ही मिलो तो अच्छा है। वो क्या है ना घर में इस वक़्त वही पुराना मुद्दा चल रहा है जिसके ताने तो आप भी दिया करते थे। अाई का गुस्सा इस वक़्त सातवे आसमान में रहता है।


प्रीति:- कोई बात नहीं है, हमसे इतनी बड़ी है, वो नहीं गुस्सा होंगी तो कौन होगा?


भूमि:- मामा कोई बात है तो मुझे बताओ ना? कौन सी चिंता आपको यहां ले आयी?


वंश:- पापा ने नया मॉल खोला था अंधेरी में। लगभग 600 करोड़ खर्च हो गए। बाहर से भी कर्जा लेना पड़ा था। एक भू-माफिया बीच में आ गया और अब पूरे काम पर स्टे लग गया है। कहता है 300 करोड़ में सैटल करेगा मामला वरना मॉल को भुल जाए।


भूमि:- नाम बताओ उसका..


वंश:- राजेन्द्र नामदेव और मुर्शीद आलम।



भूमि, कॉल लगाती… "हेल्लो कौन"..


भूमि:- ठीक से नंबर देख पहले, फिर बात करना।


उधर जो आदमी था हड़बड़ाते हुए… "भूमि, तुम्हारे कॉल की उम्मीद नहीं थी।"..


भूमि:- अमृत ये राजेन्द्र नामदेव और मुर्शीद आलम कौन है?


अमृत:- मुंबई के टॉप क्लास के बिल्डर है इस वक़्त, भाउ का सपोर्ट है और धंधा बिल्कुल एक नंबर करते है। कोई लफड़ा नहीं, कोई रारा नहीं।


भूमि:- फिर ये दोनो मेरे मामा को क्यों परेशान कर रहे हैं?



अमृत:- अरुण जोशी की बात कर रही हो क्या?


भूमि:- हां...


अमृत:- तुम्हारे खानदान का है वो करके बच गया। वरना उसकी लाश भी नहीं मिलती। उसने गलत डील किया है। मै राजेन्द्र और मुर्शीद को बोलता हूं तुमसे बात करने, वो पूरी डिटेल बता देगा।


भूमि:- उपरी मामला बताओ।


अमृत:- "भूमि तुम्हरे मामा और खुर्शीद के बीच डील हुई थी प्रोजेक्ट में 50-50। लैंड एक्विजिशन से लेकर परमिशन तक, सब इन लोगों ने किया। तकरीबन 500 करोड़ का इन्वेस्टमेंट था पहला। बाकी 900 करोड़ में पुरा मॉल तैयार हो गया। 1400 करोड़ के इन्वेस्टमेंट में तुम्हारे मामा ने केवल 500 करोड़ लगाए। उन लोगों का कहना है कि बात जब 50-50 की थी तो तुम्हारे मामा को आधे पैसे लगाने थे, जबकि उनका सारा पैसा काम शुरू होने के साथ लग गया और तुम्हारे मामा ने अंत में पैसा लगाया।"

"तुम्हारे मामा ने उन्हें टोपी पहनाया। उसी खुन्नस में उन लोगो ने अपने डिफरेंस अमाउंट पर इंट्रेस्ट जोड़कर 300 करोड़ की डिमांड कर दी। उनका कहना है कि 200 करोड़ का जो डिफरेंस अमाउंट बचा उसका 1% इंट्रेस्ट रेट से 50 महीने का व्याज सहित पैसा चाहिए।"


भूमि:- हम्मम! समझ गई। उनको कहना आज शाम मुझसे बात कर ले।


अमृत:- ठीक है भूमि। हालांकि मै तो चाहूंगा इस मसले में मत ही पड़ो। तुम्हारे मामा ने 2 जगह और ऐसे ही लफड़ा किया है। हर कोई बस तुम्हारे पापा को लेकर छोड़ देता है, वरना मुंबई से कबका इनका पैकअप हो जाता।


भूमि:- जितने लफड़े वाले मामले है सबको कहना शाम को कॉल करने। मै ये मामला अब खुद देखूंगी।


अमृत:- तभी तो लोगो ने एक्शन नहीं लिया भूमि, उन्हें पता था जिस दिन तुमसे मदद मांगने जाएंगे, उनका मैटर सॉल्व हो ही जाना हैं। यहां धंधा तो जुबान पर होता है।


भूमि कॉल जैसे ही रखी…. "वो झूठ बोल रहा था।"… प्रीति हड़बड़ाती हुई कहने लगी..


भूमि:- आराम से आप लोग यहां रुको। इसे हम बाद ने देखते है। किसी से चर्चा मत करना, अभी घर का माहौल दूसरा है।


भूमि अपनी बात कहकर वहां से उठी और सीधा मीनाक्षी के कमरे में गई। पूरा परिवार ही वहां जमा था और सब हंसी मज़ाक कर रहे थे। उसी बीच भूमि पहुंची…. "मामा आए है।"..


मीनाक्षी और जया दोनो एक साथ भूमि को देखते… "कौन मामा"..


भूमि:- कितने मामा है मेरे..


दोनो बहन गुस्से में… "अरुण आया है क्या यहां?"


भूमि:- आप दोनो बहन पागल हो। इतने सालो बाद भाई आया है और आपकी आखें तनी हुई है।


जया:- मेरी बेज्जती कर लेता कोई बात नहीं थी, लेकिन उसने क्या कुछ नहीं सुनाया था केशव और जीजाजी को।


मीनाक्षी:- जया सही कह रही है। गुस्से में एक बार का समझ में आता है। हमने 8 साल तक उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन वो हर बार हम दोनों के पति की बेज्जती करता रहा है।


तेजस:- अभी वो अपने घर आए है आई। भूमि क्या मामी और बच्चे भी आए है?


भूमि:- हां दादा.. वंश और नीर भी है। और दोनो बड़े बच्चे है।


तेजस:- मामा–मामी का दोष हो सकता है, वंश और नीर का नहीं। और किसी के बच्चो के सामने उसके मां-पिताजी की बेज्जती नहीं करते। वरना बच्चे आर्य की तरह अपने अंदर चाकू खोप लेते है। क्यों आर्य..


तेजस की बात सुनकर सभी हसने लगे। तभी वैदेही कहने लगी… "आर्य के बारे में कोई कुछ नहीं बोलेगा।"


सब लोग नीचे आ गए। नीचे तो आए लेकिन हॉल का माहौल में और ज्यादा रंग भरने के लिए राजदीप का पुरा परिवार पहुंचा हुआ था। मीनाक्षी, अक्षरा को देखकर ही फिर से आग बबूला हो गई। जया उसका हाथ थामती… "दीदी तुम्हे मेरी कसम जो गुस्सा करोगी। शायद गलती महसूस हुआ होगा तभी ये डायन यहां आयी है। अब ऐसा माहौल मत कर देना की लोग पछताने के बाद भी किसी के पास जाने से डरे।"..


मीनाक्षी:- जी तो करता है तुझे सीढ़ियों से धकेल दूं। कसम दे दी मुझे। इसकी शक्ल देखती हूं ना तो मुझे इसका गला दबाने का मन करता है।


जया:- जाकर जीजू का गला दबाओ ना।


मीनाक्षी:- गला दबाया तभी मेरे 4 बच्चे थे। वो अलग बात है कि 2 को ये दुनिया पसंद ना आयी और 1 दिन से ज्यादा टिक नहीं पाए। तेरी तरह नहीं एक बच्चे के बाद दोनो मिया बीवी ने जाकर ऑपरेशन करवा लिया।


जया:- दीदी फिर शुरू मत होना, वरना मुझसे बुरा कोई ना होगा..


मीनाक्षी:- दादी कहीं की चल चुपचाप... आज ये दोनो (जोशी और भारद्वाज परिवार) एक ही वक़्त में कैसे आ धमके.… सुन यहां मै डील करूंगी। तूने अपनी चोंच घुसाई ना तो मै सबके सामने थप्पड़ लगा दूंगी।


जया:- कम अक्ल वाली बात करोगी तो मै टोकुंगी ही। जुबान पर कंट्रोल तो रहता नहीं है और मुझे सीखा रही है। वो तो भला हो की यहां वैदेही है, वरना ना जाने तुम किस-किस को क्या सुना दो।


मीनाक्षी:- मतलब तू कहना क्या चाहती है, मै लड़ाकू विमान हूं। हर किसी से झगड़ा करती हूं।


जया:- दीदी तुम हर किसी से झगड़ा नहीं करती, लेकिन जिससे भी करती है फिर लिहाज नहीं करती। दूसरों को तो बोलने भी नहीं देती और मै शुरू से समझाती आ रही हूं कि दूसरों की सुन भी लिया करो।


मीनाक्षी:- मै क्यों सुनूं !!! मुझे जो करना होगा मै करूंगी, पीछे से तुम सब हो ना मेरी गलत को सही करने। एक बात तो है जया, अरुण की अभी से घिघी निकली हुई है।


जया:- घीघी तो अक्षरा की भी निकली हुई है, लेकिन दीदी बाकी के चेहरे देखो। ये अक्षरा का यहां आना मुझे तो साजिश लगता है।


मीनाक्षी:- कैसी साजिश, क्या दिख गया तुझे।


जया:- देखो वो उसकी बेटी है ना छोटी वाली।


मीनाक्षी:- हां कितनी प्यारी लग रही है।


जया:- वही तो कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही है। यदि ये अक्षरा इतनी खुन्नस ना खाए होती तो आर्य के लिए इसका हाथ मांग लेते। ऐसी प्यारी लड़की को देखकर ही दिन बन जाए।


मीनाक्षी:- पागल आज ये गिल्ट फील करेगी ना और माफी मगेगी तो कह देंगे आगे का रिश्ता सुधारने के लिए क्यों ना पलक और आर्य की शादी करवा दे।


जया:- आप बेस्ट हो दीदी। हां यही कहेंगे।


मीनाक्षी:- हां लेकिन तू कुछ कह रही थी.. वो तुम्हे कुछ साजिश जैसा लग रहा था।


जया:- देखो इस लड़की के रूप ने तो मुझे भुला ही दिया। दीदी उस लड़की पलक को देखो, भूमि को देखो, तेजस और जितने भी नीचे के जेनरेशन के है, सब तैयार है। यहां तक कि ये चित्रा और निशांत भी तैयार होकर आए है। ऐसा लग रहा है यहां का मामला सैटल करके सीधा पिकनिक पर निकलेंगे, पुरा परिवार रीयूनियन करने के लिए।


मीनाक्षी:- हाव जया, चल हम भी तैयार होकर आते है। साथ चलेंगे।


जया:- ओ मेरी डफर दीदी, उन्होंने हमे कहां इन्वाइट किया, आपस में ही मीटिंग कर लिए।


मीनाक्षी:- अच्छा ध्यान दिलाया। चल इनकी बैंड बजाते है, तू बस साथ देते रहना। हम किसी को बोलने ही नहीं देंगे।

यहां तो ये दोनो बहने, जया और मीनाक्षी, पूरे माहौल को देखकर अपनी समीक्षा देती हुई बढ़ रही थी। लेकिन हो कुछ ऐसा रहा था कि.… दोनो बहने कमरे से बाहर निकलकर एक झलक हॉल को देखती और फिर लंबी बात। फिर एक झलक हॉल में देखती और फिर लंबी बात। लोग 10 मिनट से इनके नीचे आने का इंतजार करते रहे, लेकिन दोनो थे कि बातें खत्म ही नहीं हो रही थी।… "दोनो पागल ही हो जाओ.. वहीं खड़े-खड़े बातें करो लेकिन नीचे मत आना।"… भूमि चिल्लाती हुई कहने लगी।


भूमि की बात सुनकर दोनो नीचे आकर बैठ गई। जैसे ही नीचे आयी, अक्षरा एक दम से जया के पाऊं में गिर पड़ी…. दोनो बहन (मीनाक्षी और जया) बिल्कुल आश्चर्य मे पड़ गई। उम्मीद तो थी कि गिल्ट फील करेगी, लेकिन ऐसा कुछ होगा वो सोच से भी पड़े था… "अक्षरा ये सब क्या है।"..


अक्षरा:- दीदी अपने उस दिन जो भी कहा उसपर मैंने और निलांजना ने बहुत गौर किया। राजदीप तो पुलिस में है उसने भी आपके प्वाइंट को बहुत एनालिसिस किया। सबका यही मानना है कि कुछ तो बात हुई थी उस दौड़ में, जिसका हम सबको जानना जरूरी है। आखिर जिस भाई के लिए मै इतनी तड़प रही हूं, उसके मौत कि वजह तो बता दो?


जया, मीनाक्षी के ओर देखने लगी। मीनाक्षी एक ग्लास पानी पीते… "अक्षरा तुम्हारा भाई मनीष वुल्फबेन खाकर मरा था।"..


(वुल्फबेन एक प्रकार का हर्ब होता है जो आम इंसान में कोई असर नहीं करता लेकिन ये किसी किसी वेयरवुल्फ के सीने में पहुंच जाए तो उसकी मौत निश्चित है)


जैसे ही यह बात सामने आयी। हर किसी के पाऊं तले से जमीन खिसक चुकी थी। लगभग यहां पर हर किसी को पता था कि वुल्फबेन क्या होता है, कुछ को छोड़कर। और जिन्हे नहीं पता था, उसे शामलाल वहां से ले गया।
Matlb ye chota bhai bhut bada wala hai. Aur sirf wo hi nahi dono pati patni aise hai aur yaha bhi apna ullu sidha karne aaye hai. Inki to sahi se leni chahiye quki aisi ko maaf krte rahne ka matlb future me kud ke liye bahut badi problem kud se taiyar karna. Aur yaha to palak to jo dekh raha hai wo arya se hi usko set karne me laga hua hai kya baat hai. Aur ye ending me kya hi boom fod diya bhai. Akchara ka bhai ek werewolf tha ?
Ab to bs next update de do bhai aur bata do aakhir ye sub hua kaise tha. Ek no. Update maja aa gaya .
 

Parthh123

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Mast update re bava. Kya hi kamal ke update hmko to comedy lagi esme kya hi gajab ki tuning dikhi minakshi aur jaya me. Dabang minakshi bhi down ho gayi jaya ke payar ki wjh se aur vadehi wo bhi to minakshi ko shant kr gayi. Hahaha. Mazedar update nain bhai.
 
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