हर भारतीय परिवार की तरह इन सभी के परिवारों में भी कई तरह के मसलें , कई तरह के लफड़े , कई तरह के मतभेद दृष्टिगोचर हो रहे हैं ।
अपने मरहूम भाई अरूण की मौत से अक्षरा जी कुलकर्णी फेमिली से खार खाई हुई थी तो मामा श्री अरूण जी भी अपनी ही सगी बहनों मिनाक्षी और जया जी से दुरियां पाले बैठे हुए थे । शायद कारण वही होगा , जया जी का घर से भागकर शादी करना एवं मिनाक्षी जी का अपनी बहन को सपोर्ट करना ।
लेकिन फिलहाल अरूण जी जिस मकसद से सालों बाद अपने बहनों से मेल मुलाकात करने आए हैं उससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि वो व्यक्ति वास्तव में ही एक रिश्तेदार तो क्या इंसान भी अच्छा नहीं है । लोभी , खुदगर्जी और मतलबपरस्त आदमी है ये । जिस तरह से उसकी पत्नी प्रिती ने अपने हसबैंड का पक्षधर बनने का प्रयास किया उससे वो भी अपने पति के रंग में रंगी हुई जैसा ही लगी ।
पता नहीं , उनके बच्चों ( वंश और निर ) पर उनके माता पिता के संस्कारों का ही असर पड़ा है या उसके बुआ का !
प्रहरी समाज में महिलाओं का दबदबा दिखने लगा है । नम्रता , रिचा के बाद पलक ने भी अपनी मौजूदगी वहां दर्ज करा दी है । वैसे तो प्रहरी समाज के अन्दर भारद्वाज फेमिली और देसाई फेमिली का वर्चस्व ही शुरूआत से रहा है । इसलिए इन महिलाओं की नियुक्ति कोई हैरानी भरा डिसिजन नहीं था । देखना अब यह है कि भुमि रिटायरमेंट के बाद किस अवतार में नजर आती है !
आनन फानन में बुलाई गई प्रहरी समाज की मीटिंग का प्रमुख एजेंडा मादा रीछ का मैटर और पदों का बंटवारा था ।
लगता है रीछ का खतरा बहुत जल्द उनके सर पर मंडराने वाला है । पलक के वश का वो जानवर है ही नहीं । पलक ने गलती की जो आर्य के कारनामों की खबर सबसे छुपा ली ।
आर्य मणि के बगैर रीछ पर काबू पाना असम्भव ही है ।
फैमिली रियूनियन के दौरान पता चला , अरूण भी वेयरवोल्फ था । एक वेयरवोल्फ इंसान से प्रेम भी कर सकता है और विवाह भी । मतलब आर्य मणि का रास्ता क्लियर है । वो बेझिझक पलक ही नहीं बल्कि चित्रा , रूही के साथ साथ नम्रता और पलक दोनों बहनों के साथ विवाह कर सकता है । शायद बाद में रिचा भी उनकी जीवन संगिनी बन जाए !
भुमि और पलक की बातों से मुझे तो ऐसा ही लगता है आर्य के जीवन में कई सारी लड़कियां प्रवेश करेंगी ।
मुझे सबसे बेहतरीन दृश्य लगा जब दोनों बहनें मिनाक्षी और जया अपने भाई से मिलने की जगह गप्पे लड़ाने में मशगूल रही । शादी के वर्षों बाद बहनों का ऐसा अद्भुत प्रेम.... इमोशनल अटैचमेंट फार मी । मेरी तीनों बुआ जब तक जिंदा थी ऐसे ही एक दूसरे से मोहब्बत से पेश आई ।
जब जब वो शादी ब्याह के मौके पर अपने मायके आती , एक ही थाली में खाना , एक साथ ही घर के सारे काम करना , खाली समय एक साथ बैठकर गप्पे लड़ाना और एक साथ ही सोना । शायद चौबीस घंटे में सिर्फ एकाध घंटे ही ऐसे होते थे जब वो साथ में नहीं पाई जाती थी ।
मिनाक्षी और जया को देखकर पुरानी यादें ताजा हो गई । और यह मेरे लिए काफी इमोशनल था ।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट नैन भाई ।
जगमग जगमग अपडेट्स ।