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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Hahaha .... Koi na apni shikayat chalti rahegi kahani ka 100th update... Koi na... 2–3 din aapke kahani ke luft uthata hun aur विश्वरूप ke 100 update tak khangaal kar dekhta hun ki kya bawaal likha aapne...
Es waqt jitni kahaniya running hai unme top 5 me se 1 hai. Bahut hi badhiya likha hai naag bhai ne. Starting me thodi si boriyat ho sakti hai lekin baad me story kafi excitement ban jati hai.
Time ho to padhiye jarur.
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी

कहानी के प्रमुख पात्र


Update:- 24 Posted on page 93

Update:- 25 Posted on page 99

Update:- 26 Posted on page 103
Update:- 27 Posted on page 106
Update:- 28 Posted on page 109

Iss weekend aap sab ka response bilkul hi fika raha. Vastavikta to yah hai ki kayi log jaise ki Sona1492 Scorpionking Wanna be bad Aniruddh Kumar Sinha Story Hunter Ammu775 prakash2piyush lagaatar story par bane to hain lekin feedback ke naam par kuch na aaya...

Kamal ki baat to yah rahi ki SANJU ( V. R. ) Itachi_Uchiha Kala Nag Sudipkr jaise regular log weekend par jhakne na aaye...

Isliye judge ki ye bench is faisle par pahunchi hai ki ab se weekend me no posting.... Haan lekin jinhone weekend par thread raushan rakha tha, unko main alag se PM me advance posting kar dunga... Wo regular update se 2 din aage rahenge...


Ye Chinturocky special mention hai jo kewal dhakadhak wali kahani par 5km ki apni fantasy post karega lekin idhar mere dar se like bhi na karega, chupchap padhkar bhag jayega

Ke bat kr rhe ho bhaya hmara response to rha hai weekend pr
 

Sona1492

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वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी

कहानी के प्रमुख पात्र


Update:- 24 Posted on page 93

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Update:- 27 Posted on page 106
Update:- 28 Posted on page 109

Iss weekend aap sab ka response bilkul hi fika raha. Vastavikta to yah hai ki kayi log jaise ki Sona1492 Scorpionking Wanna be bad Aniruddh Kumar Sinha Story Hunter Ammu775 prakash2piyush lagaatar story par bane to hain lekin feedback ke naam par kuch na aaya...

Kamal ki baat to yah rahi ki SANJU ( V. R. ) Itachi_Uchiha Kala Nag Sudipkr jaise regular log weekend par jhakne na aaye...

Isliye judge ki ye bench is faisle par pahunchi hai ki ab se weekend me no posting.... Haan lekin jinhone weekend par thread raushan rakha tha, unko main alag se PM me advance posting kar dunga... Wo regular update se 2 din aage rahenge...


Ye Chinturocky special mention hai jo kewal dhakadhak wali kahani par 5km ki apni fantasy post karega lekin idhar mere dar se like bhi na karega, chupchap padhkar bhag jayega
वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी

कहानी के प्रमुख पात्र


Update:- 24 Posted on page 93

Update:- 25 Posted on page 99

Update:- 26 Posted on page 103
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Update:- 28 Posted on page 109

Iss weekend aap sab ka response bilkul hi fika raha. Vastavikta to yah hai ki kayi log jaise ki Sona1492 Scorpionking Wanna be bad Aniruddh Kumar Sinha Story Hunter Ammu775 prakash2piyush lagaatar story par bane to hain lekin feedback ke naam par kuch na aaya...

Kamal ki baat to yah rahi ki SANJU ( V. R. ) Itachi_Uchiha Kala Nag Sudipkr jaise regular log weekend par jhakne na aaye...

Isliye judge ki ye bench is faisle par pahunchi hai ki ab se weekend me no posting.... Haan lekin jinhone weekend par thread raushan rakha tha, unko main alag se PM me advance posting kar dunga... Wo regular update se 2 din aage rahenge...


Ye Chinturocky special mention hai jo kewal dhakadhak wali kahani par 5km ki apni fantasy post karega lekin idhar mere dar se like bhi na karega, chupchap padhkar bhag jayega

Koi bhi comment na karne ka karan ye hai hi abhi sirf 2- 3 hi update hi padhi hu abhi storu ka concept samajh rahi hu Sorry for that one
 

Kala Nag

Mr. X
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Galat.... Ek mada Alfa jaroor hogi.... Kisi ne yadi aapse kaha hai ki mada Alfa nahi hoti fir wolf house ki Eden kaun thi .... Usse to maine first alfa banaya tha... Naag Saar "me too" walon se dar lagta hai isliye women impowerment dikhata rahta hoon :D...

Ye sidha kyun nahi poochte ki arya ke kin kin ladkiyon ke sath sambhog karega jiska vistrit varnan main update me karunga... Pooch lete to shayad main count karke bata bhi deta... :D
अब इस पर चुप रहने में ही मेरी भलाई है
 

Sona1492

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भाग:–9


भूमि प्रिंसिपल से बात करके वहां से निकल गई। दोनो लड़कियां भी आराम से बैठकर कॉफी पीने लगी।…

"पलक तूने हरप्रीत की बात बताकर गलत की है। देख अपनी टेबल खाली हो गई। 2 महीने के लिए माधव बुक हो गया और निशांत को हवा लग गई। 4 साल ये हरप्रीत के साथ निकाल देगा।"..


पलक:- और उसकी पहले कि गर्लफ्रेंड जो गंगटोक में थी, उससे ब्रेकअप कर लिया क्या?


चित्रा:- गर्लफ्रेंड थी लवर नहीं। कुत्ते ने पलट कर फोन भी नहीं किया होगा।


पलक:- फिर तो ये धोका हुआ।


चित्रा:- धोखा काहे का पलक। ये जिस दिन नागपुर आया इसकी गर्लफ्रेंड ने पहले एफबी स्टेटस चेंज किया, नाउ आई एम् सिंगल।


पलक:- और तुम जब नागपुर आयी तब तुम्हारे किसी बॉयफ्रेंड ने तुम्हे कॉल नहीं किया?


चित्रा:- ब्वॉयफ्रैंड तो था लेकिन इतना फट्टू की आर्य और निशांत के सामने कभी आने की हिम्मत ही न हुई और पीछे में मिलने के लिए शाम का वक़्त मिलता था जिसमें मै मिलती नहीं थी।


पलक:- क्यों?


चित्रा:- पागल, शाम रोमांटिक होती है ना, खुद पर काबू ना रहा तो।


पलक:- हां ये भी सही है। तो तुमने ब्रेकअप कर लिया।


चित्रा:- हां लगभग ब्रेकअप ही समझो। वैसे तुम्हे देखकर लगता नहीं कि तुम्हारा भी कोई बॉयफ्रेंड होगा।


पलक:- नहीं ऐसी बात नहीं है। अमरावती में एक ने मुझे परपोज किया था।


चित्रा:- फिर क्या हुआ।


पलक:- 2 दिन बाद मुझसे कहता है तुम बोरिंग हो।


चित्रा:- फिर तुमने क्या कहा।


पलक:- मैंने थैंक्स कहा और बात खत्म।


किसी एक रात का वक़्त… नागपुर के बड़ा सा हॉल, जिसमें पूरे महाराष्ट्र के बड़े-बड़े उद्योगपति, पॉलिटीशियन और बड़े-बड़े अधिकारी एक मीटिंग में पहुंचे हुए थे। लगभग हजारों वर्ष पूर्व शुरू हुई एक संस्था, जिसके संस्थापक सदस्य और पहले मुखिया वैधायन भारद्वाज की प्रहरी संस्था थी। प्रहरी यानी कि पहरा देने वाला। इनका मुख्य काम सुपरनेचुरल और इंसानों के बीच शांति बनाए रखना था। यधपी इंसानों को आभाष भी नहीं था कि उनके बीच इंसान के वेश में सुपरनेचुरल रहते थे।


प्रहरी का काम गुप्त रूप से होता था। ये अपने लोगों को उन सुपरनैचुरल से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करते थे, जो इंसानों के रक्त पीते, उन्हें मारते और खुद को श्रेष्ठ समझते। इसके अलावा सुपरनैचुरल जीवों के बीच क्षेत्र को लेकर आपसी खूनी जंग आम बात थी। जबतक 2 समूह आपस में क्षेत्र के लिए लड़ते और मरते थे, तबतक प्रहरी को कोई आपत्ति नहीं थी। किन्तु दोनो के आपस की लड़ाई में जैसे ही कोई इंसान निशाना बनता, फिर प्रहरी इन दोनों के इलाके में घुसते थे।


प्राचीन काल से ही वैधायन के इस प्रहरी समूह को शुरू से गुप्त रूप से प्रसाशन का पूरा समर्थन रहा है। इसलिए इनके काम को सुचारू रूप से चलाने के लिए इनको शहर का मुख्य व्यावसायिक बना दिया जाता था, ताकि काम करने के लिए या मूलभूत चीजों की खरीदी, बिना किसी पर आश्रित रहकर किया जा सके। यही वजह थी कि ये प्रहरी आज के समय में जहां भी थे, अरबपति ही थे।


ऐसा नहीं था कि इस समूह में भ्रष्ट्राचार नहीं आया। बहुत से लोग धन को देखकर काम करना बंद कर दिए तो उनकी जगह कई नए लोगो ने ले लिए। प्रहरी जो भी थे उन्हें तो पहले यह सिखाया जाता था कि जो भी धन उनके पास है, वो लोगो द्वारा दी गई संपत्ति है। केवल इस उद्देश्य से कि प्रहरी रक्षा करता है, और इस कार्य में प्रहरी या उसका परिवार आर्थिक तंगी से ना गुजरे।


इसी तथ्य के साथ प्रहरी छोड़ने के 2 नियम विख्यात थे, जो सभी मानने पर विवश थे। पहला नियम प्रहरी के पास का धन प्रहरी को उसके काम में सुविधा देने के लिए है, इसलिए यदि कोई प्रहरी का काम को छोड़ता है, तो उसे अपनी 60% संपत्ति प्रहरी के समूह में देनी होगी। दूसरा नियम यह कहता है कि यदि किसी को प्रहरी से निष्काशित किया गया हो तो उसकी कुल धन सम्पत्ति प्रहरी संस्था की होगी।


वैधायन कुल के 2 परिवार जो इस वक़्त खड़े थे… केशव भारद्वाज और उसका चचेरा छोटा भाई उज़्ज़वल भारद्वाज। उनके बच्चे आजकल प्रहरी के काम को देख रहे थे। मीटिंग की शूरवात मेंबर कॉर्डिनेटर और प्रहरी ग्रुप की सबसे चहेती भूमि देसाई ने शुरू की…. "लगता है प्रहरी का जोश खत्म हो गया है। आज वो आवाज़ नहीं आ रही जो पहले आया करती थी।"...


तभी पूरे हॉल में एक साथ आवाज़ गूंजी… "हम इंसान और शैतान के बीच की दीवार है, कर्म पथ पर चलते रहना हमारा काम। हम तमाम उम्र सेवा का वादा करते है।"


भूमि:- यें हुई ना बात। वैसे आज मुझे कुछ जरूरी प्रस्ताव देने है, इसलिए अध्यक्ष विश्व देसाई (भूमि का ससुर) और ऊप—अध्यक्ष तेजस भारद्वाज (भूमि का बड़ा भाई) की कोई बात सुनना चाहता है तो हाथ ऊपर कर दे, नहीं तो मै ही मीटिंग लूंगी।


जयदेव (भूमि का पति)… "घर पर भी सुनो और यहां भी, मुझे नहीं सुनना भूमि को। बाबा (विश्व देसाई) को ही बोलो, वो ही बोले, या तेजस दादा बोल ले।"..


तभी भिड़ से एक लड़का बोला… "जयदेव भाव, भूमि को सुनने का अपना ही मजा है। वो तो शुक्र मनाओ सुकेश काका (भूमि के पिता) ने मेरा रिश्ता ये कहकर कैंसल कर दिया कि मैं अभी बहुत छोटा हूं। वैसे मै अब भी लगन के लिए तैयार हूं यदि भूमि तुम्हे छोड़कर आना चाहे तो।"..


भूमि:- बस रे माणिक, अब कुछ नहीं हो सकता। हम लोग मीटिंग पर ध्यान दे दे। वैसे सबसे पीछे से एक लड़का जो चुप है, आज पहली बार मीटिंग में आ रहा अनुराग, उसे मै यहां बुलाना चाहूंगी।


बाल्यावस्था से किशोर अवस्था में कदम रख रहा एक लड़का मंच पर आया। भूमि उसका परिचय करवाती हुई कहने लगी… "ये है हमारे बीच का सबसे छोटा प्रहरी, कौन इसे अपना उतराधिकारी चुन रहा है, हाथ उठाए।"..


भूमि, उठे हाथ में से एक का चुनाव करती… "कुबेर आज से अनुराग की जिम्मेदारी तुम्हारी।".. फिर भूमि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के ओर देखती… "क्यों काका, क्यों दादा.. कौन लेने आ रहा है मीटिंग"


विश्व:- भूमि तू ही लेले मीटिंग।


भूमि:- अब सब शांत होकर सुनेगे। ये कब तक बूढ़े लोगो को अध्यक्ष बनाए रहेंगे। मेरे बाबा ने रिटायरमेंट ले ली। मेरे काका ने रिटायरमेंट ले ली। विश्व काका भी रिटायरमेंट प्लान कर रहे है। इसलिए मै नए अध्यक्ष के लिए माणिक, पंकज और कुशल का नाम प्रस्तावित करती हूं। तीनों ही तैयार रहेंगे। बाद में किसी ने ना नुकुर किया तो ट्रेनिंग हॉल में उल्टा टांग कर बाकियों को उसपर ही अभ्यास करवाऊंगी।


भूमि इतना ही कही थी कि पीछे से कुछ आवाज़ आयी…. तभी भूमि की तेज आवाज गूंजी.… "मैंने कहा सभी शांत रहेंगे, मतलब सबके लिए था वो। किसी को प्रस्ताव से परेशानी है तो अपना मत लिखकर देंगे। दूसरा प्रस्ताव है, मै जल्द ही अपना उतराधिकारी घोषित करूंगी। इसके अलावा राजदीप को मै मेंबर कॉर्डिनेटर का स्वतंत्र प्रभार देती हूं, आने वाले समय में वो मेरी जगह लेगा।"

"बाकियों के लिए मीटिंग खत्म हो गई है। नागपुर के प्रहरी विशेष ध्यान देंगे। मलाजखंड के जंगलों के सुपरनैचुरल और सरदार खान के बीच खूनी जंग शुरू है। हर प्रहरी उस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देंगे। यदि एक भी आम इंसान परेशान हुएक्स1 तो हम सरदार खान के इलाके के साथ मलाजखंड के जंगल घुसेंगे।"…

"बाकी सारी डिटेल पोस्ट कर दिया है, क्यों हमे सरदार खान का साथ देना चाहिए। आप लोग उसे पढ़ सकते है। इसी के साथ मीटिंग समापन होता है। प्रस्ताव से किसी को भी कोई परेशानी हो तो अपना लिखित मत जरूर दें।"


मीटिंग खत्म हो गई, हर कोई जाने लगा। तभी भूमि एक लड़के को रोकती हुई… "हां महा उस वक़्त तुम कुछ कहना चाह रहे थे।"..


महा:- भूमि दीदी मै तो यह कह रहा था कि तेजस दादा का नाम क्यों नहीं है अध्यक्ष में।


भूमि:- क्या तू महा। देख दादा (तेजस) ने पहले लिखित मना किया है कि वो अभी अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। इसके अलावा माणिक और कुशल उभरते हुए लोग है। आज मै उन्हें आगे बढ़ाऊंगी तभी तो वो भी तुम सबको आगे बढ़ाएगा। ये एक कल्चर है महा, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे पूर्वजों ने हमारे आने वाली जेनरेशन को दिया है। तभी तो इतने स्वार्थी और धूर्त लोग होने के बावजूद भी ये समूह आज भी खड़ा है।


महा:- समझ गया दीदी।


भूमि:- बाकी सॉरी हां.. कभी-कभी थोड़ी सी मै स्ट्रिक्ट हो जाती हूं।


भूमि अपनी बात समझाकर वहां से निकल गई। मीटिंग खत्म करके भूमि सीधा अपने मायके पहुंची। पूरा परिवार हॉल में बैठा हुआ था। आई, मीनाक्षी भारद्वाज, बाबा सुकेश भारद्वाज, बड़ा भाई तेजस और साथ में उसकी पत्नी वैदेही। दो बच्चे मयंक और शैली भारद्वाज। इन सबके बीच आर्यमणि का परिवार, मां जया कुलकर्णी और पिता केशव कुलकर्णी बैठे हुए थे। रिश्ते में जया और मीनाक्षी दोनो सगी बहनें थी।



भूमि अपने पति जयदेव के साथ पहुंची, और सबका उतरा चेहरा देखकर… "आर्य की कोई खबर नहीं..."..


मीनाक्षी:- नहीं आयी तो नहीं आये। उसे इतनी अक्ल नहीं की कहीं भी रहे एक बार फोन कर ले। हम तो अपने नहीं है, कम से कम जया से तो बात कर लेता। जिस दिन वो मिल गया ना टांगे तोड़कर घर में बिठा दूंगी।


भूमि:- मौसा जी को भी क्या जरूरत थी जंगल की बात को लेकर इतना खींचने की। वो समझते नहीं है क्या, जवान लड़का है, बात बुरी लग सकती है। कच्ची उम्र थी उसकी भी...


केशव कुलकर्णी:- नहीं आर्य उन लड़कों में से नहीं है जो अपने आई-बाबा की बात सुनकर घर छोड़कर चला जाए। उसे मैत्री लोपचे की मौत का सदमा लगा था शायद, और मती भ्रम होने के कारण वह कहीं भी भटक रहा होगा। वरना उसे यूएस जाने की क्या जरूरत थी।


भूमि:- मौसा यूएस 500 या हजार रुपए में नहीं जाते। आर्य को जरूर कोई ले गया है। या फिर वो मैत्री के मौत का पता लगाने के लिए जर्मनी तो नहीं पहुंच गया।


सुकेश:- जर्मनी में मैंने शिकारियों से पता लगवाया था। वो लोग वुल्फ हाउस में खुद तहकीकात करके आए थे। वहां आर्य तो क्या, कोई भी नही था।


भूमि:- बाबा मै बस इतना जानती हूं कि मेरा भाई मुसीबत में है और इस वक़्त वो बिना पैसे और बिना किसी सहारे के अकेला होगा। जयदेव अपने कुछ लोगो को लेकर मै आर्य का पता लगाने यूएस जाऊंगी, क्या तुम तबतक यहां का सारा काम देख लोगे?


वैदेही:- मै इस वक़्त खाली हूं। तुम्हारे हिस्से का सारा काम मै और नम्रता मिलकर देख लेंगे। तुम बेफिक्र होकर जाओ।


भूमि:- आप सब हौसला रखो। अपने भाई को लेकर ही लौटूंगी...


कुछ दिन बाद भूमि अपने भरोसे के 10 शिकारियों के साथ वो यूएस निकल गई। इंडियन एंबेसी जाकर भूमि ने आर्य की पासपोर्ट डिटेल दी और लापता होने के बाद कहां-कहां पहुंचा है उसकी जानकारी ली।


खुद 5 दिन यूएस स्थित इंडियन एंबेसी में रुकी और उस वक्त आर्यमणि के साथ आए सभी पैसेंजर लिस्ट निकालने के बाद, वो उनके एड्रेस पर जाकर क्रॉस चेक की। यूएस में दूसरे शिकारियों से भी मिली और उसे आर्यमणि की तस्वीर दिखाते हुए ढूंढने के लिए कहने लगी।


लगभग 2 महीने तक भूमि ने यूएस से लेकर यूरोप कि खाक छानी। जर्मनी वुल्फ हाउस भी गई, लेकिन आर्य का कहीं कोई प्रमाण नहीं मिला। वो तो हार चुकी थी और शायद अंदर से टूट भी चुकी थी, लेकिन बाकियों को हौसला देने के लिए उसने झूट का भ्रम फैला दिया। एक कंप्यूटर एक्सपर्ट से मिलकर आर्य की रियल दिखने वाली होलोग्राफिक इमेज तैयार करवाई। हर किसी को वीडियो कॉल पर उसे दिखा दिया, लेकिन सबको एक बार देखने के बाद वर्चुअल आर्य ने फोन कट कर दिया।


भूमि के पास जैसे ही कॉल आया उसने सबको यही बताया कि आर्य उससे भी बात नहीं कर रहा। केवल इतना ही कहा कि "पापा मुझे बाहर भेजना चाहते थे इसलिए आ गया। जब बाहर रहने से मै ऊब जाऊंगा चला आऊंगा।" और हां आज के बाद वो ये जगह भी छोड़ रहा है। अभी उसका मन पुरा भटकने का हो रहा है। पैसे की चिंता ना करे, वो जिन लोगो के साथ भटक रहा है उन्हीं के साथ काम भी कर लेता है और पैसे भी कमा लेता है।


भूमि की बातो पर सबको यकीन था क्योंकि झूट बोलकर सांत्वना देना भूमि के आदतों में नहीं था। इसलिए हर कोई आर्यमणि की खबर सुनकर खुश था। भूमि लगभग 75 दिनों बाद लौट तो आयी लेकिन अंदर से यही प्रार्थना कर रही थी कि उसका भाई जहां भी हो सुरक्षित हो और जल्दी लौट आए।


इधर 75 दिन बाद भूमि भी लौट रही थी और 3 महीने अवकाश के बाद माधव भी कॉलेज लौट रहा था। माधव को देखकर चित्रा खुश होते हुए उसके गले लग गई… "वेलकम बैक, हड्डी"।


फिर निशांत भी उसके गले लगते… "हड्डी तेरे हाथ टेढ़े हो गए होंगे इसलिए मैंने कटोरा खरीद लिया था।"…. "साला तुम सब जब भी बोलोगे ऊटपटांग ही बोलोगे।"..


पलक भी माधव से हाथ मिलाती उसका वेलकम की… ब्रेक टाइम में सब कैंटीन पहुंचे… "ओएं, निशांत नहीं है आज, कहां गया।"..


चित्रा:- अपनी गर्लफ्रेंड के पास।


माधव:- क्या बात कर रही हो। उसने गर्लफ्रेंड बना भी ली।


चित्रा:- जाओ तुम भी लाइन मारने..


माधव:- ई हड्डी को देखकर कोई पट जाती तो हम दिन रात किसी के दरवाजे पर नहीं बीता देते।


पलक:- उतनी मेहनत क्यों करोगे, चित्रा को ही परपोज कर दो ना, ये तो थप्पड़ भी नहीं मारेगी।


चित्रा:- नहीं माधव ये चढ़ा रही है, फिर अपनी कट्टी हो जाएगी। तुम मुझे गर्लफ्रेड वाली फीलिंग से देखोगे और मै तुम्हे दोस्त, फिर पहले चिढ़ आएगी, बाद में झगड़ा और अंत में दोस्ती का अंत।


माधव:- हां सही कह रही है चित्रा। पलक तुमको ही परपोज कर देते है। तुम्हारा थप्पड़ भी खा लेंगे और झगड़ा का तो सवाल ही नहीं होता।


चित्रा:- वो क्यों..


माधव:- 2-4 शब्द बोलकर जो चुप हो जाती है वो एक पन्ने जितना कहां से बोलेगी।


माधव अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और चित्रा हंसती हुई उसकी बात पर ताली बजा दी।.. पलक भी थोड़ा सा मुस्कुराती… "हड्डी बहुत बोलने लग गए हो।"


माधव:- ये सब छोड़ो, ये बताओ कॉलेज में क्या सब चल रहा है। उस दिन के बाद से दोनो लफंटर मिले की नहीं।


चित्रा:- पलक ने उसकी ऐसी चमड़ी उधेड़ी है कि दोबारा कभी सामने आने की हिम्मत ही नहीं हुई, और उसके बाद किसी को हमारे साथ बकवास करने की भी हिम्मत नहीं हुई।


माधव:- वो तो दिख रहा है तभी उ निशांत गायब है और तुम दोनो अकेली।


चित्रा और पलक दोनो एक साथ… "वेरी फनी"…


लगभग 1 सेमेस्टर बीत गए थे इन सबके। सेमेस्टर रिजल्ट में पलक 4th टॉपर, माधव ओवरऑल 1st टॉपर, सभी ब्रांच मिलाकर, चित्रा 8th रैंक और निशांत 4 सब्जेक्ट में बैक।
Aryamani kaha hai uska koi jikar nahi hua
 

Sona1492

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भाग:–10


लगभग 1 सेमेस्टर बीत गए थे इन सबके। सेमेस्टर रिजल्ट में पलक 4th टॉपर, माधव ओवरऑल 1st टॉपर, सभी ब्रांच मिलाकर, चित्रा 8th रैंक और निशांत 4 सब्जेक्ट में बैक।


तीनों ही माधव को कैंटीन में सामने बिठाकर… "क्यों बे हड्डी तू तो 3 महीने कॉलेज नहीं आया फिर ये गड़बड़ घोटाला कैसे हो गया, तू कैसे टॉपर हो गया।"..


माधव:- उ फेल वाले से पूछोगी कि कैसे फेल हो गया? उल्टा मुझसे ही पुछ रही मैं कैसे टॉप कर गया।


पलक:- माधव सही ही तो कह रहा है।


चित्रा:- ना पहले मेरे सवाल का जवाब दे।


माधव:- जब मै टूटा फूटा घर में था तब कोई काम ही नहीं था। पूरा बुक 3 बार खत्म कर लिए 3 महीने में। यहां तक कि आगे के सेमेस्टर का भी सेलेब्स 2 बार कंप्लीट कर लिया।


निशांत:- क्या बात कर रहा है। इतना पढ़कर क्या करेगा।


माधव:- एक्सक्यूटिव इंजिनियर बनूंगा और तब अपने आप सुंदरियों के रिश्ता आने शुरू हो जाएंगे। फिर कोई मेरे रंग सांवला होना या मेरे ऐसे दुबले होने का मज़ाक नहीं उड़ाएंगे।


पलक:- मै इंप्रेस हुई। अच्छी सोच है माधव।


वक़्त अपनी रफ्तार से बीत रहा था। हर किसी की अपनी ही कहानी चल रही थी। इसी बीच कॉलेज के कुछ दिन और बीते होंगे। ऐसे ही एक दिन सभी दोस्त बैठे हुए थे। निशांत हरप्रीत को लेकर चित्रा, माधव और पलक के साथ बैठा हुआ था। पांचों के बीच बातचीत चल रही थी, तभी हरप्रीत खड़ी हुई और पीछे से आ रहे लड़के से टकरा गई।


निशांत गुस्से में उठा और उस लड़के को एक थप्पड़ खींच दिया। निशांत ने जैसे ही उसे थप्पड़ मरा, वो लड़का निशांत को घूरने लगा… "साले घूरता क्या है बे, दोनो आखें निकल लूंगा तेरी।"..


वो लड़का एक नजर सबको देखा और वहां से चुपचाप चला गया। हरप्रीत भी अपने ड्रेस साफ करने के लिए निकल गई… "गलत थप्पड़ मार दिए निशांत, उ लड़के की तो कोई गलती भी नहीं थी। सबसे मजबूत ग्रुप है उनका, जो कैंपस में किसी और से बात तक नहीं करते। उनके ग्रुप में फर्स्ट ईयर से लेकर फाइनल ईयर तक के स्टूडेंट्स होंगे, लेकिन आज तक उन्हें किसी से भी झगड़ा करते हुए नही देखे। इतने कैपेबल होने के बाद भी तुम्हारा तप्पड़ खा लिए। गलत किए हो तुम निशांत।".... माधव ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दे दी।


पलक:- गलत नहीं इसे गलतफहमी कहते है। और खून अपने बहन, दोस्त और गर्लफ्रेंड के लिए नहीं खौलेगा तो किसके लिए खौलेगा। कोई नहीं गलतफहमी में गलती हुई है, तो माफी मंगाकर सही कर लेंगे। क्या कहते हो निशांत।


निशांत:- कुछ भी हो गिल्ट तो फील हो ही रहा है ना। उसकी जगह मै होता और कोई मुझे इस तरह से कैंटीन में थप्पड़ मार चुका होता तो मुझे कैसा लगता?


पलक सभी लोगो के साथ उनके ग्रुप के पास पहुंची। इनका पूरा ग्रुप गार्डन में ही बैठा रहता था। लगभग 40-50 लड़के–लड़कियां। सब एक से बढ़कर एक फिगर वाले। जैसे ही चारो पहुंचे, निशांत एक लड़की को देखकर माधव से कहता है… "हाय क्या लग रही है ये तो। ऐसा लग रहा है जैसे मै "स्कार्लेट जोहानसन" की कॉपी देख रहा हूं। उफ्फ मन हराभरा हो गया।"


माधव बाएं साइड से पाऊं मारते… "गधा उधर दाए चित्रा खड़ी है घोंचू, मैं तेरे बाएं ओर हूं। अभी मामला सैटल करने आया है, थोड़ा दिल संभाल।"


इधर पलक उन तीनों को छोड़कर जैसे ही आगे बढ़ी, सभी एक साथ खड़े हो गए। पलक उन्हें अपने पास जमा होते देख मुस्कुराती हुई कहने लगी… "ऐसे एक साथ घेरकर मुझे डराने की कोशिश तो नहीं कर रहे ना?"..


एक लड़का खड़ा होते… "मेरा नाम मोजेक है, मिस पलक भारद्वाज। जानकार खुशी हुई कि तुम भूमि की बहन हो। हमे लगा था हमारा परिचय बहुत पहले हो जाएगा, लेकिन तुमने बहुत देर कर दी यहां हमारे बीच आने में।


पलक:- डरती जो थी। तुम सब एक से बढ़कर एक, कहीं किसी से इश्क़ हो गया तो वो ज्यादा दर्द देता। मुझे थोड़ा कम और तुम लोगो को थोड़ा ज्यादा। वैसे हम दोस्त तो हो ही सकते है।


मोजेक:- ऐसे सूखे मुंह दोस्त कह देने से थोड़े ना होता है। हमारे बीच बैठकर जब तक हम एक दूसरे को नहीं जानेगे, दोस्ती कैसे होगी।


पलक:- अभी होगी ना। मेरे भाई से एक भुल हो गई, सबके बीच तुम्हारे के साथी को उसने थप्पड़ मार दिया।


मोजेक का दोस्त रफी… "कौन वो लड़का जो मेरी बहन रूही को कब से घुरे जा रहा है।"


पलक:- हाहाहाहा.. देखा 4 दिन बैठ गई तुमलोगो के पास तो लफड़े ही होने है। मुझे इश्क़ होने से पहले लगता है मेरा भाई घायल हो जाएगा।


मोजेक:- तुम्हारे इश्क़ से प्रॉब्लम हो सकती है, उस निशांत से नहीं। यदि बात सत्यापित करनी हो तो कभी हमारी गली आ जाना... रूही तो हर किसी पर खुलेआम प्यार बरसाती है। क्यों रूही...


जिस लड़की रुही के बारे में सभी बोल रहे थे, वह बस एक नजर सबको देखी और वहां से चली गई। पलक भी फालतू के बातों से अपना ध्यान हटाती.… मोजेक उस लड़के को भी बुला दो, निशांत उसे दिल से सॉरी कहना चाहता है।


मोजेक:- महफिल में थप्पड़ पड़ी है गलती तो हुई है, और रही बात माफी कि तो एक ही शर्त पर मिलेगी..


पलक:- और वो कैसे..


मोजेक:- हमारे बीच कभी-कभी बैठना होगा। मेरे बाबा सरदार खान जब ये सुनेगे तो खुश होंगे। साथ में इन सब के बाबा भी।


पलक:- ठीक है मोजेक, वैसे जिसे भी थप्पड़ पड़ी उससे कहना हम सब दिल से सॉरी फील कर रहे है।


इसी का नाम जिंदगी है। पलक बचपन से अपने समूह प्रहरी के साथ जिनके खिलाफ लड़ना सीख रही थी, आज उन्ही के ओर से दोस्ती का प्रस्ताव हंसकर स्वीकार कर रही थी। हर समुदाय में अच्छे और बुरे लोग होते है, नागपुर के प्रहरी और सुपरनैचुरल एक जगह साथ खड़े रहकर इस बात का प्रमाण दे रहे थे। ..


देखते ही देखते पुरा साल बीत गया। सेकंड सेमेस्टर भी बीत गया। चित्रा और पलक के समझाने के कारण निशांत कुछ महीनों से माधव के साथ उसके कमरे में रुककर साथ तैयारी कर रहा था। अपना पिछले 4 बैंक मे 2 कवर कर लिया, साथ में इस बार के एग्जाम में एक बैक के साथ नेक्स्ट ईयर क्लास में चला गया।


इन लोगों का पूरा ग्रुप अब एक साल सीनियर हो चुका था और नए लड़के लड़कियां एडमिशन के लिए आ रहे थे। फिर से वहीं रैगिंग, फिर से वही नए लोग के सहमे से चेहरे, और पढ़ाई के साथ सबकी अपनी नई कहानी लिखी जानी थी।


बड़ा सा बंगलो जिसके दरवाजे पर ही लिखा था देसाई भवन। एक लड़का देसाई भवन के बड़े से मुख्य द्वार से अंदर जाने लगा। उसे दरवाजे पर ही रोक लिया गया… "सर, आप कौन है, और किस से मिलने आए है।"..


लड़का:- यहां जयदेव पवार रहते है?


दरबान:- आपको सर से काम है।


लड़का:- नहीं, भूमि से..


दरबान:- सर आपको किस से काम है, सर से या मैडम से?


लड़का:- भूमि मैडम से।


दरबान:- अपना नाम बताइए..


लड़का:- नाम जानकर क्या करोगे, उनसे बोल देना उनका बॉयफ्रेंड आया है।


दरबान, गुस्से में बाहर निकला और उसका कॉलर पकड़ते हुए… "तू जा मयला.. इतनी हिम्मत तेरी"..


लड़का बड़े से दरवाजे के बिल्कुल मध्य में खड़ा था और दरबान उसका कॉलर पकड़े। इसी बीच भूमि की कार हॉर्न बजाती हुई अंदर घुस रही थी, वो दरवाजे पर ही रुक गई। गुस्से में भूमि कार से उतरी… "दरवाजे पर क्या तमाशा लगा रखा है जीवन।"


दरबान जीवन… "मैडम ये लड़का जो खड़ा है.. वो कहता है आपका बॉयफ्रेंड है।"..


"क्या बकवास है ये…".. भूमि तेजी में उसके पास पहुंची और कांधा पकड़कर जैसे ही पीछे घुमाई…. "आर्य"..


आश्चर्य से उसकी आंखें फैल चुकी थी। चेहरे के भाव ऐसे थे मानो जिंदगी की कितनी बड़ी खुशी आंखों के सामने खड़ी हो। भूमि की नम आंखें एक टक आर्यमणि को ही देख रही थी और आर्यमणि अपनी प्यारी दीदी को देखकर, खड़ा बस मुस्कुरा रहा था।
Ab aryamani ka intro ek super natural hero ke rup me hoga
 
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