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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Lust_King

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भाग:–29




जैसे ही रूही हिल हुई वह अपने घुटनों पर बैठकर अपना सर झुकाती… "दंत कथाओं का एक पात्र प्योर अल्फा से कभी मिलूंगी, ये तो कभी ख्यालो में भी नही था। प्योरे अल्फा अब तक की एक मनगढ़ंत रचना, जो किसी पागल के कल्पना की उपज मानी जाती थी, वह सच्चाई थी, यकीन करना मुश्किल है। मेरे नजरों के सामने एक प्योरे अल्फा हैं, अद्भुत... अब समझ में आया कि क्यों तुम पर वेयरवोल्फ के एक भी नियम लागू होते। अब समझ में आया की क्यों तुम्हे पहचान पाना इतना मुश्किल है। तुम तो सच के राजा निकले।"


प्योर अल्फा यह कोई शब्द, उपाधि या फिर वेयरवॉल्फ के प्रकार नही था। यह तो अपने आप में एक पूरी सभ्यता का वर्णन था। पौराणिक कथाओं की माने तो वेयरवोल्फ के जितने भी प्रकार होते है फिर चाहे वह बीटा, अल्फा या बीस्ट अल्फा क्यों न हो सब में खून के पीछे आकर्षण और प्रबल मानहारी प्रवृत्ति होती है। और अपने इसी आदतों के कारण वेयरवोल्फ अपनी बहुत सी अलग ताकत को खो देते हैं, जैसे की खुद को और किसी और को हिल करने की अद्भुत क्षमता। दूसरों के हिल किए जहर को हथियार के तरह इस्तमाल करना। कुछ अनहोनी होने से पहले के संकेत। किसी भी जीव के भावना को दूर से मेहसूस करना। अपने क्ला पीछे गर्दन में घुसकर किसी के भी मस्तिस्क के यादों में झांकना... और उन्हें मिटाने तक की काबिलियत... हालांकि यादों में तो हर अल्फा वुल्फ झांक सकते हैं लेकिन चुनिंदा यादों को मिटाने की शक्ति ट्रू–अल्फा होने के बाद ही विकसित होती है...

यधपी यह सभी गुण हर वेयरवोल्फ में पाए जाते हैं। लेकिन जैसे–जैसे वेयरवॉल्फ के अंदर का दरिंदा प्रबल होता है, बाकी सारी शक्तियां स्वतः ही कमजोर होती चली जाती है। इसलिए वेयरवोल्फ में सर्वोत्तम एक ट्रू–अल्फा माना जाता है। हां लेकिन एक ट्रू–अल्फा भी अपनी सर्वोत्तम शक्ति को खो देता है जब वह दरंदगी पर उतर जाता है। ट्रू–अल्फा को कठोर अनुसरण तमाम उम्र करनी होती है। और सबसे आखरी में वुल्फ के नियम... यह नियम हर वुल्फ पर लागू होते हैं, किसी में थोड़ा ज्यादा तो किसी में थोड़ा कम.… जैसे की वुल्फ को मारने की विधि... दूसरा इनका इंसानी पक्ष निर्बल होता है और वुल्फ साइड उतना ही बलशाली... एक बीटा 4 शेर के समान शक्तियां रखता है...

लेकिन प्योर अल्फा के साथ कोई बंदिशे नही। वेयरवॉल्फ के सारे अलौकिक गुण किसी परिस्थिति में नही खो सकता, फिर वह खुद को पूरा सैतान बना ले या फिर खुद को पूरा इंसान। इनके किसी भी रूप में, फिर वो इंसानी रूप हो या भेड़िए का, शक्ति एक समान होती है। इसके क्ला या फेंग से घायल होने वाले वुल्फ नही बनते... और भी बहुत सारे गुण जो वक्त के साथ एक प्योर अल्फा अपने अंदर विकसित कर सकता है। जबतक प्योर अल्फा खुद अपनी असलियत ना सामने लाये तबतक कोई जान नही सकता। और इनकी एक ही पहचान होती है जो हर वेयरवोल्फ को उसका अल्फा पौराणिक कहानियों का एक शक्तिशाली वुल्फ के रूप में बताता है... "प्योर अल्फा जब रूप बदलकर वेयरवोल्फ बनता है, तब उसका रूप अलौकिक होता है। उसका पूरा बदन चमक रहा होता है, जिसे दूर से भी देखकर पहचान सकते हैं।"


रूही के अंदर की हालत वही समझती थी। अंदर ऐसी भावना थी जिसे शब्दों में बयान नही किया जा सकता था। वह अभी अपने घुटनों पर थी। अपना सर झुकाये घोर आश्चर्य और अप्रतिम खुशी में संलिप्त थी। आर्यमणि, रूही का हाथ थामकर उसे उठाते हुये... "आओ मेरे साथ।" रूही, आर्यमणि के साथ घायल पड़े ट्विन अल्फा के पहले भाई के पास पहुंची।… "इसे मारकर अल्फा बनो। हां लेकिन खून चूसना और मांस भक्षण नहीं। मुझे अपने पैक में किसी भी जीव के खून चूसने और उनका मांस खाने वाले नहीं चाहिए।"


रूही अपनी सहमति देती.… "आप बैठ जाइये और शिकार का मज़ा लीजिए।"… रूही आगे बढ़ी। पाऊं के पास ही ट्विन अल्फा दर्द से बिलख रहे थे। हाथ तो बचा ही नहीं था। किसी तरह अपनी हलख से दर्द भरी आवाज मे रहम की भीख मांग रहे थे। रूही आराम से बैठकर ट्विन अल्फा के सर पर हाथ फेरती एक बार आर्यमणि से नजरें मिलाई। आर्यमणि ने इधर नज़रों से सहमति दिया और उधर रूही अपने 4 इंच लंबी धारदार नाखून, ट्विन अल्फा के गर्दन में घुसाकर पूरा गला फाड़ दी। गला फाड़कर अंदर के नालियों को तब तक दबोचे रही जबतक की उनके प्राण, उनके शरीर से ना निकल गये।


जैसे ही शरीर से प्राण निकला, रूही की विजयी दहाड़ अपने आप ही निकल गई। पीली सी दिखने वाली रूही की आंखें लाल दिखने लगी। पास पड़े घायल सभी बीटा और ट्विन का बचा हुआ एक अल्फा सोक की धुन निकालने लगा। रूही ने जब खुद के अंदर एक अल्फा की ताकत को मेहसूस की, तब एक और दहाड़ लगा दी। इधर रूही की ताकत के नशे कि दहाड़ निकली उधर आर्यमणि दहाड़। जैसे ही उसकी दहाड़ रूही सुनी वो अपने घुटने और पंजे को जमीन से टिकाकर गुलामों की तरह सर झुकाने पर विवश हो गई। रूही की नजर जमीन को ताक रही थी…. "रूही ताकत को मेहसूस करना अच्छी बात है लेकिन मेरा पैक ताकत के नशे को मेहसूस करे, मंजूर नहीं।"..


रूही…. पहली बार था, मै अपने अरमान काबू नहीं कर पायि।


आर्यमणि:- अगले 2 महीने तक मै तुम्हे शक्तियों को काबू करना सिखाऊंगा। काम जल्दी खत्म करो। पहले दूसरे अल्फा की शक्ति लो, फिर यहां से भागे बीटा को खत्म करो। मै नहीं चाहता कि प्योर अल्फा की भनक भी किसी को लगे।


रूही:- जैसा आप चाहो।


रूही ट्विन ब्रदर के बचे दूसरे भाई की ताकत को भी खुद में समाती, तेज दहाड़ के साथ दौड़ लगा दी। तकरीबन आधे घंटे बाद रूही खून में नहाकर विजयि मुस्कान के साथ लौटी… "लाश तक के निशान को मिटा आयी बॉस।"


आर्यमणि:- यहां भी सब साफ है.. अब चलें..


रूही आर्यमणि के करीब पहुंचकर कहने लगी… "जानवर जंगल में सहवास करते है और उनके बीच कोई बंधन नहीं होता"..


आर्यमणि उसकी आखों में झांका और उसके होंठ से होंठ लगाकर उसे चूमने लगा। रूही तुरंत ही अपने सारे कपड़े निकालकर नीचे बैठ गई और आर्यमणि के पैंट को खोलि और लिंग को बाहर निकालकर उसपर अपनी जीभ फिराने लगी। आर्यमणि उसके सर पर अपने दोनो पंजे टिकाये गर्दन को ऊपर करके तेज-तेज श्वांस लेने लगा। रूही कुछ देर तक अपनी जीभ लिंग पर फिराने के बाद, लिंग को पूरा मुंह के अंदर लेकर उसे चूसने लगी। ये उत्तेजना आर्यमणि के धड़कनों को उस ऊंचाई पर ले गयि जिस कारण उसका शेप शिफ्ट हो गया और वो पूर्ण वुल्फ दिख रहा था।


बिल्कुल सफेद वुल्फ अपने तरह का इकलौता। जैसे ही आर्यमणि ने शेप शिफ्ट किया उसने बड़ी बेरहमी से रूही का बाल पकड़ कर उठाया और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए उसके योनि को अपने बड़े से पंजे में दबोच कर मसलने लगा। उत्तेजना आर्यमणि पर पूरा हावी था और वो पूरी तरह से रूही पर हावी हो चुका था। दर्द और मज़ा का ऐसा खतरनाक मिश्रण रूही ने आज से पहले कभी मेहसूस नहीं की थी। वो भी अपने हाथ नीचे ले जाकर अपने दोनो हाथो से आर्यमणि के लिंग को पूरे गति में ऊपर नीचे करने लगी। लिंग पर हाथ की गर्माहट, आर्यमणि के अंदर के तूफान को ऐसा भड़काया... उसने तेजी से रूही को पेड़ से टिका दिया। रूही भी अपने हाथ के सहारे के पेड़ को पकड़ती कमर को पूरा झुका दी और अपने दोनो टांग को पूरा खोलकर, आर्यमणि को निमंत्रण देने लगी।


पंजे वाले दोनो हाथ रूही के कमर के दोनों ओर और जोरदार झटके के साथ पुरा लिंग योनि के अंदर। रूही सिसकियां लेती अपने कमर को आगे पीछे हिलाने लगी। हर धक्के के साथ नीचे के ओर लटक रहे स्तन मादक थिरक के साथ हिल रहे थे। रूही का पूरा बदन धक्के के झटके से हिल रहा था। आर्यमणि का जोश पूरे उफान पर था, जो रूही के योनि के अंदर तूफान मचा रहा था।


आर्यमणि लगातार धक्के दिए जा रहा था। प्योर अल्फा के स्टेनमना के सामने रूही कबका थक चुकी थीं। उसकी उखड़ती स्वांस अब बस इस खेल को अंतिम चरण में देखना चाहती थीं। तभी आर्यमणि की गति काफी तेज हो गई। रूही तेजी के साथ सीधी खड़ी हुई और घूमकर आर्यमणि के लिंग को अपने मुट्ठी में भरकर तेज-तेज मुठ्ठीयाने लगी। कुछ ही देर में तेज पिचकारी के साथ आर्यमणि ने अपना वीर्य छोड़ दिया और हांफते हुए वो पीछे हट गया।


रूही अपने फटे कपड़े अपने ऊपर डालकर आर्यमणि के पास ही बैठ गई। काफी देर तक दोनो ख़ामोश बैठे रहे। … "जाओ मेरा बैग ढूंढ़कर लाओ"..


रूही:- रुको तो काफी थकी हूं। थोड़ा रिलैक्स तो करने दो। मज़ा आ गया आर्य।


आर्यमणि:- जानवर है... जंगल में सेक्स करते है... फिर इमोशन इंसानों वाले क्यूं आने लगे।


रूही:- बाद ने पछतावा हो रहा था। इतने मजेदार सेक्स के बाद बिस्तर पर लुढकने का अपना ही मजा आता। कोई ना अगली बार..


आर्यमणि:- तुम्हे यकीन है मै दूसरी बार तुम्हारे हाथ आऊंगा?


रूही:- तुम्हे अपनी रानी चाहिये तो सेक्स के वक़्त तुम्हे अपनी बढ़ी धड़कनों पर काबू पाना सीखना होगा। तुम्हे कोई पकड़ नहीं पाया क्योंकि तुम पूर्ण नियंत्रण सीख कर नागपुर पहुंचे सिवाय एक के... राइट बेबी।


आर्यमणि:- हम्मम ! सही अनुमान है। बस एक ही बात का अब डर लगा रहा है।


रूही:- क्या?


आर्यमणि:- कहीं तुम मुझे ना चाहने लगो और हमारी बात पलक को ना पता चल जाये।


रूही:- हम सीक्रेट रिलेशन मेंटेन रखेंगे तुम परेशान ना हो। चलो अब स्माइल करो। वैसे भी तुम यहां आये हो इसका मतलब है आगे बहुत सी घटनायें होनी है।


आर्यमणि:- मै तुम्हारे ज्ञान को लेकर दुविधा में हूं। प्योर अल्फा का तो किसी को ख्याल भी नहीं आया होगा, तुम्हे कैसे पता?


रूही:- मेरी आई एक ट्रू–अल्फा थी। जिसके पैक को शिकारियों ने खत्म कर दिया, और मेरी मां को पकड़कर सरदार खान को सौंप दिया। मेरा जन्म सरदार खान के किले में ही हुआ था। मेरी आई एक कमल की हिलर थी, तुम्हारी तरह शानदार हीलर। सरदार खान की हवसी नजर मुझ पर हमेशा टिकी रहती और मेरी आई हम दोनों के बीच। एक दिन गुस्से में सरदार खान ने उसे खत्म कर दिया।


आर्यमणि:- तो क्या सरदार खान तुम्हारे साथ...


रूही:- जाने दो दरिंदे हैवानों की याद मत दिलाओ। उनका कोई परिवार नहीं होता। मै उस किले कि ऐसी बीटा वुल्फ थी, जिसका कोई पैक नहीं। उस किले में मुझे सड़क से लेकर बाजार तक नोचा गया है। और मेरी बेबसी पर सब हंसते रहते... जानते हो आर्य कॉलेज में जब लड़कों को अपने ओर हसरत भरी नजरो से घूरते देखती हुं, तब जहन में एक ही ख्याल आता रहता है... तुम्हारे लिए मैं यहां खास हूं लेकिन अपनी गली में मै सबकी रखैल सी हूं, जब जहां जिसका मन किया उसने नोचा, फिर किसी ने रहम नहीं दिखाया"

"मुझे नफरत है शिकारियों से। खुद को प्रहरी बताते है, पहरा देने वाले और भटकों को खत्म करने वाले। फिर क्या गलती थी मेरी आई की, जिन्हें इन दरिंदो के बीच में छोड़ दिया। अपने होश संभालते ही केवल नरक देखा है मैंने और महसूस की थी मेरी आई का दर्द, जो मुझे बचाने के लिए वहां घुटती रहती थी। कयी साल आर्य, नरक के कयी साल। हां लेकिन शायद ऊपर कहीं खुदा था, जब पहली वो इंसान मेरे जीवन में आयी। तुम्हारी बहन भूमि। मेरे लिए तो ईश्वर, अल्लाह, मसीहा ऊपर वाले के जितने नाम है, सब वही है।"

"7 साल पहले वो प्रहरी की मेंबर कॉर्डिनेटर बनी थी और अपने 10 साथियों के साथ हमारे किले में घुसी। निडर और ताकतवर प्रहरी, जिसे अपना कर्तव्य याद था कि केवल इंसान ही उनकी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सुपरनेचुरल का भी क्षेत्र उनके पहरे के क्षेत्र में आता है।"

"सड़क पर 4 जानवर मुझे नोच रहे थे और मेरी ख़ामोश आंखों के अंदर के आंसू भूमि ने देखे थे। उसका चाबुक चला और 2 बीटा को उसी किले में साफ कर दिया, बिना यह सोचे कि वह 200 से ऊपर वुल्फ से घिरी है। उसी ने मुझे बचाया था। फिर ये तय हुआ कि सुपरनैचुरल शांत है तो क्या हुआ, ऐसे जानवरो की जिंदगी उसे अपने क्षेत्र में नही चाहिये। सभी बच्चे air जवान वेयरवोल्फ पढ़ने जायेंगे और सबके डिटेल प्रहरी ऑफिस में पहुंचने चाहिये। उसी ने मुझे तुम्हारी जिम्मेदारी दी थी, कही थी नजर बनाए रखो।"

"सरदार खान, भूमि के वजह से ही बौखलाए हुए है। अपने अंदर कई सारे राज दबाए बैठा है वो बीस्ट, जिसकी जानकारी भूमि को चाहिए। क्योंकि उसको भनक लग गई है, शिकारी का बहुत बड़ा जत्था अपने आर्थिक फायदे के लिए वुल्फ से मर्डर करवाते है। केवल नागपुर में ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र में यह खेल चल रहा है।"


आर्यमणि:- हां इस खेल के बारे में मुझे भी भनक है। खैर, इतने इमोशनल सेशन के बाद एक सवाल का जवाब दो, पहली मुलाकात से ही मेरे पीछे क्युं पड़ी हो।


रूही:- मज़े करने के लिए। क्या मेरा हक नहीं बनता अपने मन से मज़े करने के। हां लेकिन मैं उनकी तरह तुम्हे निचोड़ना नहीं चाहती थी, इसलिए जबरदस्ती नहीं की।


आर्यमणि:- अच्छी लगती हो ऐसे बात करते। अब से पिछली ज़िंदगी को अलविदा कह दो। मुझे अपने पैक मे सब बिल्कुल मस्त और हसने वाले खास इंसान चाहिये। क्या समझी..


रूही:- बॉस बोल तो ऐसे रहे हो जैसे खुद हंसमुख होने का टैग लिए घूमते हो। सब तो तुम्हे खडूस ही कहते हैं।


आर्यमणि:- बकवास बंद... मुझे एक कंप्लीट पैक चाहिये। और हां तुमने मेरा दिल जीत लिया है, इसलिए तुम्हारी जहां से प्योर अल्फा की याद नही मिटा रहा। अब तुम एक अल्फा हो और अपने फर्स्ट अल्फा के लिए कोई ढंग का पैक बनाओ। तुम जानती हो न मुझे अपने पैक में कैसे वुल्फ चाहिये या उसकी भी डिटेल देनी होगी...


रूही:- बॉस पैक के लिये वेयरवोल्फ को तो मैं ढूंढ लूंगी लेकिन वो मेरे घर में, मेरे बिस्तर पर… उस वादे का क्या हुआ?


आर्यमणि:- बड़ी उम्मीदें जाग रही है तुम्हारी तो। मुझे निचोड़ने का इरादा तो नही?


रूही:- अपने बॉस से उम्मीद कर रही हूं और ये मेरा हक है। वुल्फ पैक के नियम तो मालूम ही होंगे, या उसकी पूरी डिटेल भी बतानी होगी।


आर्यमणि:- हां समझ गया। यूं तो धड़कन काबू करने के लिये रोज ही प्रैक्टिस चालू रहेगी। लेकिन सरदार खान के किले में बिस्तर वाला खेल एक शुभ मुहरत पर होगा। उस दिन बीस्ट की कहानी खत्म करेंगे और साथ में पूरी रात तुम मुझे निचोड़ती रहना। चलो अब चला जाय।
First sex bhi ho gya Hero ka.. aur pack bhi discuss ho gya and Sardar Khan ki death bhi fix ho gayi .. bhut badhiya writer sahab ..
Hero ka first sex... No...wo to kabka ho chuka hai :D... Bus wo aaya nahi hai... Remember wo 4 sal jo gaya raha :D... Baki abhi to khel shuru hua hai...
Haan ye bhi h .. koi nahi story k hisab se to first hee hua h abhi tak ... Jab dheere dheere 4 saal k Raaz open honge tab ka tab gin lenege 🤣🤣
 

Ammu775

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Hmmmm to Arya{Shahnshah}ab apne rajya ka vistar kr rhe he jiski shuruaat twin alfa se ho gai or ab number sardar khan ka wow esa lg rha he k ary kucch bda kr ne wala he or college k sath sath business vo bhi weapon's development ka good idea. Superb updates nain bro
 

Lust_King

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भाग:–30




एक अध्याय समाप्त होने को था, और पहला लक्ष्य मिल चुका था। रात के तकरीबन 10.30 बजे आर्यमणि वापस आया। भूमि हॉल में बैठकर उसका इंतजार कर रही थी। आर्यमणि आते ही भूमि के पास चला गया… "किस सोच में डूबी हो।"..


भूमि:- सॉरी, वो मैंने तुझे टेस्ट के बारे में कुछ भी नही बताया।


आर्यमणि:- वो सब छोड़ो, मुझे पढ़ने में मज़ा नहीं आ रहा, मुझे कुछ पैसे चाहिए, बिजनेस करना है।


भूमि:- हाहाहाहा… अभी तो तूने ठीक से जिंदगी नहीं जिया। 2-4 साल अपने शौक पूरे कर ले, फिर बिजनेस करना।


आर्यमणि:- मुझे आप पैसे दे रही हो या मै मौसी से मांग लूं।


भूमि:- तूने पक्का मन बनाया है।


आर्यमणि:- हां दीदी।


भूमि:- अच्छा ठीक है कितने पैसे चाहिए तुझे..


आर्यमणि:- 10 करोड़।


भूमि:- अच्छा और किराये के दुकान में काम शुरू करेगा।


आर्यमणि:- अभी स्टार्टअप है ना, धीरे-धीरे काम बढ़ाऊंगा।


भूमि:- अच्छा तू बिजनेस कौन सा करेगा।


आर्यमणि:- अर्मस एंड अम्यूनेशन के पार्ट्स डेवलप करना।


भूमि:- क्या है ये सब आर्य। गवर्नमेंट तुम्हे कभी अनुमति नहीं देगी।


आर्यमणि:- दीदी भरोसा है ना मुझ पर।


भूमि:- नहीं।


आर्यमणि:- क्या बोली?


भूमि:- भाई कुछ और कर ले ना। ये हटके वाला बिजनेस क्यों करना चाहता है। आराम से एक शॉपिंग मॉल का फाइनेंस मुझसे लेले। मस्त प्राइम लोकेशन पर खोल। तेजस दादा को टक्कर दे। ये सब ना करके तुझे वैपन डेवलप करना है। भाई गवर्नमेंट उसकी अनुमति तुम्हे नहीं देगी वो सिर्फ इशारों और डीआरडीओ करता है।


आर्यमणि:- अरे मेरी भोली दीदी, गन की नली उसके पार्ट्स, ये सब सरकारी जगहों पर नहीं बनता है। मैंने सब सोच रखा है। मेरा पूरा प्रोजक्ट तैयार भी है। तुम बस 10 करोड़ दो मुझे और 2 महीने का वक़्त।


भूमि:- ठीक है लेकिन एक शर्त पर। तुझे कितना जगह में कैसा कंस्ट्रक्शन चाहिए वो बता दे। काम हम अपनी जगह में शुरू करेंगे।


आर्यमणि:- जगह 6000 स्क्वेयर फुट। 1 अंडरग्राउंड फ्लोर और 4 फ्लोर उसके ऊपर खड़ा।


भूमि:- ओह मतलब तू प्रोजेक्ट के बदले सरकार से लॉन लेता, फिर अपना काम शुरू करता।


आर्यमणि:- हां यही करने वाला था।


भूमि:- कोई जरूरत नहीं है, तू बस अपना प्रोजेक्ट रेडी रख, बाकी सब मैं देख लूंगी। और कुछ..


आर्यमणि:- हां है ना…


भूमि:- क्या?


आर्यमणि:- जल्दी से खुशखबरी दो, मै मामा कब बन रहा हूं।


भूमि:- हां ठीक मैंने सुन लिया, अब जाएगा सोने या थप्पड़ खाएगा। ..


सुबह-सुबह का वक़्त और आर्यमणि की बाइक सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस के घर पर। घर की बेल बजी और नम्रता दरवाजा पर आते ही…. "आई पहली बार तुम्हारे छोटे जमाई घर आये है, क्या करूं?"..


"छोटे जमाई"… सुनकर ही पलक खुशी से उछलने लगी। वो दौड़कर बाहर दरवाजे तक आयी और आर्यमणि का हाथ पकड़कर अंदर लाते…. "हद है दीदी आप तो ऐसे पूछ रही हो जैसे पहली बार कोई दुल्हन घर आ रही हो। यहां बैठो आर्य, क्या लोगे।"


आर्यमणि:- कल तुम्हारे लिए कुछ शॉपिंग की थी, रख लो।


नम्रता:- जारा मुझे भी दिखाओ क्या लाये हो?


जैसे ही नम्रता बैग दिखाने बोली, पलक, आर्यमणि के हाथ से बैग छीनकर कमरे में भागती हुई…. "पहनकर दिखा देती हूं दीदी, मेरे लिए ड्रेस और एसेसरीज लेकर आया है।"..


नम्रता:- हां समझ गई किस तरह के ड्रेस लाया होगा। और आर्य, आज से कॉलेज जाने की अनुमति..


आर्यमणि:- अनुमति तो कल से ही मिल गयि थी। लेकिन हां कल किसी ने जादुई घोल में लिटा दिया तो मेरे पूरे जख्म भर गये।


"माफ करना आर्य, तुम्हारे कारनामे ही ऐसे थे कि किसी को यकीन कर पाना मुश्किल था। हां लेकिन वो करंट वाला मामला कुछ ज्यादा हो गया था।"…. राजदीप उन सब के बीच बैठते हुए कहने लगा।


अक्षरा:- टेस्ट के नाम पर जान से ही मार देने वाले थे क्या? सीधा-सीधा वुल्फबेन इंजेक्ट कर देते।


राजदीप:- फिर पता कैसे चलता आर्यमणि कितना मजबूत है। क्यों आर्य?


आर्यमणि:- हां बकड़े की जान चली गई और खाने वाले को कोई श्वाद ही नहीं मिला।


राजदीप:- बकरे से याद आया, आज मटन बनाते है और रात का खाना हमारे साथ, क्या कहते हो आर्य।


"वो भेज है दादा, नॉन भेज नहीं खाता।".. अंदर से पलक ने जवाब दिया।


राजदीप:- पहला वुल्फ जो साकहारी होगा।


आर्यमणि:- मेरे दादा जी मुझे कुछ जरूरी ज्ञान देने वाले थे। इसलिए मै जब मां के गर्भ में नहीं था उस से पहले ही उन्होंने मां को नॉन भेज खाने से मना कर दिया था। जबतक मै पुरा अन्न खाने लायक नहीं हुआ, तबतक उन्होंने मां को मांस खाने नहीं दिया था। दादा जी मुझे कुछ शुद्घ ज्ञान के ओर प्रेरित करने वाले थे इसलिए..


उज्जवल:- तुम्हारे दादा जी बहुत ज्ञानी पुरुष थे। अब लगता है वो शायद किसी के साजिश का शिकार हो गये। कोई अपनी दूर दृष्टि किसी कार्य में लगाये हुये था जिसके रोड़ा तुम्हारे दादा जी होंगे। दुश्मन कोई बाहर का नहीं था, वो तो अब भी घर में छिपा होगा।


राजदीप:- बाबा ये क्या है? वो बच्चा है अभी। और सुनो बच्चे शादी तय हो गई है इसका ये मतलब नहीं कि ज्यादा मस्ती मज़ाक और घूमना-फिरना करो। पहले कैरियर पर ध्यान दो।


आर्यमणि:- कैरियर पर ध्यान दूंगा तो आपके जैसा हो जाऊंगा भईया। जल्दी शादी कर लो वरना सुपरिटेंडेंट से अस्सिटेंट कमिश्नर बनने के चक्कर में लड़की नहीं मिलेगी।


आर्यमणि की बातें सुनकर सभी हंसने लगे, इसी बीच पलक भी पहुंच गई। ब्लू रंग की पेंसिल जीन्स, जो टखने के थोड़ा ऊपर था। नीचे मैचिंग शू, ऊपर ब्राउन कलर का स्लीवलेस टॉप और उसके ऊपर हल्के पीले रंग का ब्लेजर। बस आज तैयार होने का अंदाज कुछ ऐसा था कि पलक नजर मे बस रही थी।


राजदीप:- ये उस दिन भी ऐसे ही तैयार होकर निकली थी ना? आई हमारे लगन फिक्स करने से पहले कहीं दोनो के बीच कुछ चल तो नही रहा था? जब इसका लगन तय कर रहे थे, तब पलक ने एक बार भी नहीं कहा कि वो किसी और को चाहती है। दाल में कुछ काला है।


पलक:- आप पुलिस में हो ना दादा, कली दाल पकाते रहो, हम कॉलेज चलते है। क्यों आर्य..


दोनो वहां से निकल गये और दोनो को जाते देख सभी एक साथ कहने लगे… "दोनो साथ में कितने प्यारे लगते है ना।"..


"बहुत स्वीट दिख रहे हो, चॉकलेट की तरह"… पलक आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी।


आर्यमणि, कार को एक किनारे खड़ी करके पलक का हांथ खींचकर अपने ऊपर लाया और उसके खुले बाल जो चेहरे पर आए थे, उस हटाते हुए पलक की आखों में झांकने लगा… पलक कभी अपनी नजर आर्यमणि से मिलाती तो कभी नजरें चुराती… धीरे-धीरे दोनो करीब होते चले गए। आर्यमणि अपने होंठ आगे बढ़ाकर पलक के होंठ को स्पर्श किया और अपना चेहरा पीछे करके उसके चेहरे को देखने लगा।


पलक अपनी आखें खोलकर आर्यमणि को देखकर मुस्कुराई और अगले ही पल उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर, उसे प्यार से चूमने लगी। दोनो की ही धड़कने बढ़ी हुई थी। आर्यमणि खुद को काबू करते अपना सर पीछे किया। पलक अब भी आंख मूंदे बस अपने होंठ आगे की हुईं थी।


आर्यमणि, होंठ पर एक छोटा सा स्पर्श करते…. "रात में ऐसे पैशन के साथ किस्स करना पलक, कार में वो मज़ा नहीं आयेगा।"


आर्यमणि की बात सुनकर पलक अपनी आखें दिखती…. "कॉलेज चले।"..


कॉलेज पहुंचकर जैसे ही पलक कार से उतरने लगी…. "पलक एक मिनट।"..


पलक:- हां आर्य..


अपने होंठ से पलक के होंठ को स्पर्श करते… "अब जाओ"… पलक हंसती हुई.. "पागल"…


आर्यमणि पार्किंग में अपनी कार खड़ी किया, तभी रूही भी उसके पास पहुंच गई… "हीरो लग रहे हो बॉस।"


आर्यमणि:- थैंक्स रूही..बात क्या है जो कहने में झिझक रही हो।


रूही:- तुम्हे कैसे पता मै झिझक रही हूं।


आर्यमणि उसके सर पर टफ्ली मारते… "मै किसी के भी इमोशंस कयि किलोमीटर दूर से भांप सकता हूं, सिवाय अपनी रानी के।"..


रूही:- चल झूटे कहीं के…


आर्यमणि, उसे आंख दिखाने लगा। रूही शांत होती… "सॉरी बॉस।"..


आर्यमणि:- जाकर कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ लो ना।


रूही:- हमे इजाज़त नहीं आम इंसानों के साथ ज्यादा मेल-जोल बढ़ना। वैसे भी किसी पर दिल आ गया तो जिंदगी भर उसे साथ थोड़े ना रख सकते है। पहचान तो खुल ही जाना है। मुझसे नहीं तो मेरे बच्चे से।


आर्यमणि:- तुम मेरे पैक में हो और पहले ही कह चुका हूं, पुरानी ज़िन्दगी को अलविदा कह दो। खुलकर अपनी जिंदगी जी लो। तुम जिस भविष्य कि कल्पना से डर रही हो, उसकी जिम्मेदारी मेरी है।


रूही:- क्या सच में ऐसा होगा।


आर्यमणि:- मेरा वादा है।


रूही आर्यमणि की बात सुनकर उसके गले लग गई। आर्यमणि उसे खुद से दूर करते… "यहां इमोशन ना दिखाओ, जबतक सरदार का कुछ कर नहीं लेते। अब तुम बताओगी झिझक क्यों रही थी।"..


रूही:- अलबेली इधर आ…


रूही जैसे ही आवाज़ लगाई, बाल्यावस्था से किशोरावस्था में कदम रखी, प्यारी सी लड़की बाहर निकलकर आयी.. आर्यमणि उसे देखकर ही समझ गया वो बहुत ज्यादा घबरायि और सहमी हुई है। उसके खुले कर्ली बाल और गोल सा चेहरा काफी प्यारा और आकर्षक था, लेकिन अलबेली की आंखें उतनी ही खामोश। देखने से ही दिल में टीस उठने लगे, इतनी प्यारी लड़की की हंसी किसने छीन ली।


आर्यमणि, थोड़ा नीचे झुककर जैसे ही अलबेली के चेहरे को अपने हाथ से थामा... उस एक पल में अलबेली को अपने अंदर किसी अभिभावक के साये तले होने का एहसास हुआ, जो अंदर से मेहसूस करवा जाए कि मै इस साये तले खुलकर जी सकती हूं। उस एक पल का एहसास... और अलबेली के आंखों से आंसू फुट निकले...


आर्यमणि उसके चेहरे को सीने से लगाकर उसके बलो में हाथ फेरते हुए… "अलबेली रूही दीदी के साथ रहना। आज से तुम्हारे इस प्यारे चेहरे पर कभी आंसू नहीं आयेंगे, ये वादा है। जाओ तुम कार में इंतजार करो।"..


रूही:- ट्विन अल्फा के मरने के जश्न में अलबेली के बदन को नोचा जा रहा था। ये भी उस किले के उन अभगों मे से है, जिसका कोई पैक नहीं, सिवाय इसके एक जुड़वा भाई के। इसका जुड़वा, इसे बचाने के लिए बीच में आया तो उसे कल रात ही मार दिया गया। किसी तरह मै अलबेली को वहां से निकाल कर लायी हूं, लेकिन सरदार को मुझपर शक हो गया...


आर्यमणि:- हम्मम ! किसकी दिमागी फितूर है ये..


रूही:- और किसकी सरदार खान के चेले नरेश और उसके पूरे पैक की।


आर्यमणि:- चलो सरदार खान के किले में चलते है। अपना पैक के होने का साइन बनाओ। आज प्रहरी और सरदार खान को पता चलना चाहिए कि हमारा भी एक पैक है। अलबेली यहां आओ।


अलबेली:- जी भईया..


आर्यमणि:- तुम अपने बदले के लिए तैयार रहो अलबेली। हमे घंटे भर में ये काम खत्म करना है। लेकिन उससे पहले इसे ब्लड ओथ लेना होगा। क्या ये अपना पैक छोड़ने के लिए तैयार है?


रूही:- इसका कोई पैक नहीं। बस 2 जुड़वा थे। इसके अल्फा को पिछले महीने सरदार ने मार दिया था और बचे हुए बीटा अलग-अलग पैक मे समिल हो गये सिवाय इन जुड़वा के, जिन्हें कमजोर समझ कर खेलने के लिये किले में भटकने छोड़ दिया।


आर्यमणि:- चलो फिर आज ये किला फतह करते है। ब्लड ओथ सेरेमनी की तैयारी करो।


रूही अलबेली को लेकर सुरक्षित जगह पर पहुंची। चारो ओर का माहौल देखने के बाद रूही ने आर्यमणि को बुलाया। आर्यमणि वहां पहुंचा। रूही, चाकू अलबेली के हाथ में थमा दी। अलबेली पहले अपना हथेली चिर ली, फिर आर्यमणि का। और ठीक वैसे ही 2 मिनट की प्रक्रिया हुई जैसे रूही के समय में हुआ था।


अलबेली भी अपने अंदर कुछ अच्छा और सुकून भरा मेहसूस करने लगी। रूही के भांति वह भी अपने हाथ हाथ को उलट–पलट कर देख रही थी। अलबेली को पैक में सामिल करने के बाद आर्यमणि, उन दोनों को लेकर सरदार खान की गली पहुंचा, जिसे उसका किला भी मानते थे। जैसे ही किले में आर्यमणि को वेयरवॉल्फ ने देखा, हर कोई उसे ही घुर रहा था। आर्यमणि आगे–आगे और उसके पीछे रूही और अलबेली। तीनों उस जगह के मध्य में पहुंचे जिसे चौपाल कहते थे। इस जगह पर आम लोगों को आने नहीं दिया जाता था। 4000 स्क्वेयर फीट का खुला मैदान, जिसके मध्य में एक विशाल पेड़ था और उसी के नीचे बड़ा सा चौपाल बना था, जहां बाहर से आने वालों को यहां लाकर शिकार किया करते थे तथा सरदार खान की पंचायत यहीं लगती थी।


रूही को देखते ही वहां का पहरेदार भाग खड़ा हुआ। रूही ने दरवाजा खोला, आर्यमणि सबको लेकर अंदर मैदान में पहुंचा। रूही अपने चाकू से उस चौपाल के पेड़ पर नये पैक निशान बनाकर उसे सर्किल से घेर दी। सर्किल से घेरने के बाद पहले आर्यमणि ने अपने खून से निशान लगाया, फिर रूही ने और अंत में अलबेली ने। यह लड़ाई के लिये चुनौती का निशान था। इधर किले कि सड़क पर जैसे ही आर्यमणि को सबने देखा, सब के सब सरदार खान के हवेली पहुंचे। मांस पर टूटा हुआ सरदार खान अपने खाने को छोड़कर एक बार तेजी से दहारा….. "सुबह के भोजन के वक़्त कौन आ गया अपनी मौत मरने।".. ।


नरेश:- सरदार वो लड़का आर्यमणि आया है, उसके साथ रूही और अलबेली भी थी।


सरदार:- अलबेली और रूही के साथ मे वो लड़का आया है। क्या वो हमसे अलबेली के विषय में सवाल-जवाब करने आया है? या फिर कॉलेज के मैटर में इसने जो हमारे कुछ लोगों को तोड़ा था, उस बात ने कहीं ये सोचने पर तो मजबूर नहीं कर दिया ना की हम कमजोर है। नरेश कहीं हमारी साख अपने ही क्षेत्र में कमजोर तो नहीं पड़ने लगी...


नरेश:- खुद ही चौपाल तक पहुंच गया है सरदार, अब तो बस भोज का नगाड़ा बाजवा दो।


सरदार ने नगाड़ा बजवाया और देखते ही देखते 150 बीटा, 5 अल्फा के साथ सरदार चौपाल पहुंच गया। सरदार और उसके दरिंदे वुल्फ जैसे ही वहां पहुंचे, पेड़ पर नए पैक का अस्तित्व और उसपर लड़ाई की चुनौती का निशान देखते ही सबने अपना शेप शिफ्ट कर लिया… खुर्र–खुरर–खुर्र–खूर्र करके सभी के फेफरों से गुस्से भरी श्वंस की आवाज चारो ओर गूंजने लगी.…
Kya bat hai .. new member ki joining aur ladai ka maidan ready ho chuka h ab bas dekhna h k hero kisko kitni buri tareeke se mout deta Hai.. darindo ko darindo wali mout Dena Bhai ... Nice update aur agle update ka besabri se intjar rhega... Ek hee update me khatm karna Bhai .. jyada maza aayega 🤣🤣
 

Death Kiñg

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आर्यमणि... यानी की केवल किवदंतियों में पाए जाने वाला, एक प्योर अल्फा... आर्यमणि की इस कहानी के अभी तक कुल 30 ही अध्याय पढ़े हैं मैंने, परंतु इस दौरान क्या कुछ नहीं देख लिया है हमने उसके जीवन में होते हुए... रोमांच, साहसपूर्ण कार्य, प्रेम, दुख, कष्ट, आर्यमणि के इस छोटे से जीवन में, वो अभी तक इन सबको देख और भोग चुका है। गंगटोक की वादियों से शुरू हुई ये कहानी अब महाराष्ट्र में पहुंच चुकी है और इस दौरान आर्यमणि और उसके जीवन से जुड़े कई लोगों का परिचय भी हुआ, और साथ ही उनका चरित्र – चित्रण भी हुआ।

अभी तक की कहानी को पढ़ने के पश्चात इतना तो कहा ही जा सकता है की इस कहानी की स्थापना एक ऐसे भारत में है, जहां लोगों ने अलौकिक शक्तियों के मध्य रहना सीख लिया है। वरवॉल्फ और प्रहरी.. ये दो मुख्य शक्तियां इस कहानी में अभी तक आई हैं, जिनका आपस में कटुता और दुश्मनी का संबंध है। प्रहरी समाज, जिसे हम भारद्वाज परिवार की जागीर भी मान सकते हैं, उनका कार्यभार है वरवॉल्फ और उनके गुट को आम जनता से दूर रखना और जब उन्हें रोकना कठिन हो तो उनका अंत कर देना। परंतु आर्यमणि नामक ये लड़का, इस पूरी व्यवस्था को अकेले दम पर बदलने का माद्दा लेकर महाराष्ट्र आया है, और शायद वो उस पथ पर निकल चुका है जहां वो दो संसारों के मध्य एक दीवार बनकर खड़ा होगा।

दो संसार.. एक प्रहरियों का तो दूजा वरवॉल्फ्स का! देखना ये है की आर्यमणि किसे अपना शत्रु बनाएगा तो किसे अपना मित्र। चूंकि वो भारद्वाज परिवार से गहरा ताल्लुक रखता है और साथ ही वर्धराज कुलकर्णी का पोता भी है, तो ऐसे में स्पष्ट है की वरवॉल्फ्स उसे अपना मित्र समझें, इसके आसार कम हैं। परंतु दूसरी ओर, आर्यमणि में दिखाई दे रहे लक्षण, जोकि एक अल्फा के हैं, उसकी रूही से नजदीकियां.. कहीं बाध्य ना कर दें प्रहरी समाज को, इस बात के लिए की वो आर्यमणि को अपना शत्रु ना समझ बैठें। परंतु, जो सवाल यहां सबसे बड़ा है, वो है कि आर्यमणि का असली मकसद क्या है? वो भारद्वाज खानदान के बीच उस विभीषण को ढूंढ रहा है, वो अपने दादा – वर्धराज कुलकर्णी के अपमान के कारण को ढूंढ रहा है और साथ ही, अपने प्यार – मैत्री लोपचे के कातिलों को भी ढूंढ रहा है.. किंतु यदि इस बीच उसे चुनना पड़ा, प्रहरी और वरवॉल्फ में से किसी एक को, तन क्या होगा..?

खैर, एक मुख्य प्रश्न ये भी है की इतने वर्ष जो आर्यमणि ने अज्ञातवास में गुजारे, उन वर्षों में उसके साथ क्या – क्या हुआ? वो जर्मनी के उन जंगलों में ईडन के कब्जे में था, शुहोत्र के धोखे के बाद, वो उस जाल में फंसा था, जहां से उसका निकालना असंभव सा ही था। तो निकला कैसे वो वहां से? ओशुन के अलावा कोई भी ऐसा नहीं था वहां, जिसे आर्यमणि का शुभचिंतक कहा जा सके, परंतु क्या ओशुन इस काबिल थी की आर्यमणि को वहां से निकाल पाती? कहानी की कुछ झलकियां दिखलाई थी आपने, प्रथम अध्याय से पूर्व, उसके एक भाग में ओशुन कहीं बंधी हुई थी और आर्यमणि उसे छोड़ने के लिए ईडन से कह रहा था, क्या आर्यमणि की किसी तरह की सहायता करने का अंजाम था वो, जिसके फलस्वरूप ओशुन को दंड मिला हो? संभव है ऐसा होना। बहरहाल, उत्सुकता इस बात को जानने की भी है की शुहोत्र के साथ आर्यमणि ने क्या किया? क्या उसे छोड़ दिया या फिर...

भूमि को जो कहानी सुनाई आर्यमणि ने अपने अज्ञातवास के बारे में, जिसमें वो अमेरिका से लेकर रूस तक का भ्रमण कर आया, वो पूर्णतः मिथ्या नहीं होगी। ऐसा मेरा अनुमान है की जर्मनी में कैद से निकलने के बाद, आर्यमणि ने कुछ जगहों का भ्रमण अवश्य किया होगा, उदाहरण के लिए रूस का वो जंगल। शायद किसी तथ्य अथवा सत्य की खोज में रहा होगा वो। बहरहाल, शुहोत्र ने आर्यमणि को जर्मनी ले जाने से पूर्व श्रीलंका में कहा था की, आर्यमणि भली – भांति समझ रहा है की मैत्री के कटैल कौन हैं, बस स्वीकारना नहीं चाहता। क्या अर्थ था इसका? क्या मैत्री के खून से उसी व्यक्ति/समूह के हाथ रंगे हैं, जो वर्धराज कुलकर्णी के निष्कासन और जया कुलकर्णी के अपमान का कारण था? मुझे तो ऐसा ही लगता है!

अब यदि एक नज़र कहानी के कुछ मुख्य किरदारों और पहलुओं पर डाली जाए तो...

पलक भारद्वाज... अभी के लिए आर्यमणि के भावी साम्राज्य की महारानी कहा जा सकता है पलक को। पलक का आगमन कहानी में एक ऐसी लड़की के रूप में हुआ था जो केवल अपने काम से काम रखती थी और अधिक बातें नहीं किया करती थी। साथ ही जब बात कुछ ज़रूरी विषयों की होती, तब पलक मुखर भी रहती और साथ ही हमने पलक की युद्ध – कला का नमूना भी देखा जब कॉलेज में उसने दोनों लड़कों को ज़मीन पर ला दिया था। आर्यमणि के पलक के जीवन में आने के बाद, उसमें काफी बदलाव हुआ है। पलक अब पहले से ज्यादा बातें करने लगी है, दूसरे शब्दों में वो अब खुलकर जीने लगी है। पलक ने साथ ही एक अनुमति भी दे दी आर्यमणि को की वो अन्य लड़कियों से भी संबंध रख सकता है, बस उसकी भनक पलक को नहीं लगनी चाहिए। खैर, अब देखना ये है की पलक और आर्यमणि की प्रेम कहानी में और क्या रंग भरने शेष हैं अभी...

भूमि देसाई... भूमि का रूतबा महाराष्ट्र में शायद मुख्यमंत्री से भी बड़ा होगा। हालांकि, अभी तक कहानी में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के दर्शन हुए नहीं हैं, पर मुझे विश्वास है की वो भी भारद्वाज परिवार के सीधे संपर्क में होगा। खैर, भूमि, आर्यमणि को अपनी खुद की संतान की ही तरह प्रेम करती दिखी है अभी तक की कहानी में, साथ ही भूमि जानती है वो षड्यंत्र को भारद्वाज परिवार के खिलाफ रचा जा रहा है। पर शायद वो अनजान है इस हकीकत से की, रिचा, उसकी ननद ही उस षड्यंत्र में शामिल है। मेरे ख्याल में भूमि का निर्णय, सभा को अलविदा कहने का, अभी टलने वाला है। बेशक, भूमि अब मातृत्व सुख प्राप्त करना चाहती है, परंतु आर्यमणि जो रिचा की बातें सुन चुका है, वो क्या भूमि को सभा से अलविदा कहने देगा? दूसरा प्रश्न, ये है की जयदेव, भूमि का पति, उसका क्या किरदार है इस कहानी में? यदि रिचा की बातों पर ध्यान दें तो यही लगेगा की जयदेव एक सकारात्मक किरदार है परंतु संभव है की उसके चेहरे पर भी कोई नकाब हो।

रिचा देसाई... रिचा, अभी तक की कहानी में यदि कोई परिवार का शख्स नकारात्मक किरदार में दिखाई दिया है तो वो रिचा ही है। पहाड़ी पर अपने साथियों संग उसकी बातचीत इसका कारण है। रिचा की योजना अपने मंगेतर मानस को सभा का अध्यक्ष बनाना और खुद को जयदेव का उत्तराधिकारी बनाना है। इसके अतिरिक्त रिचा की योजना में राजदीप की शादी मुक्ता से और नम्रता की शादी माणिक से करवाना भी शामिल है। साफ शब्दों में रिचा का लक्ष्य है, भारद्वाज परिवार की ताकत को उखाड़कर सभा से बाहर फेंक देना और देसाई परिवार को ताकतवर बनाना। परंतु देखने योग्य बात ये है को शायद रिचा अपने पिता विश्वा देसाई का भी सम्मान नहीं करती, नाम लेकर संबोधित किया था उसने अपने पिता को, शोचनीय है ये बात भी...

निशांत और चित्रा नाईक... आर्यमणि के बचपन के दो मित्र जोकि दूर की रिश्तेदारी में संबंधी भी हैं आर्यमणि के। चित्रा और आर्यमणि का रिश्ता मित्रता का शुद्धतम रूप है। सभी को यही लगता है की चित्रा और आर्यमणि का रिश्ता दोस्ती से कुछ आगे था, परंतु सत्य तो यही है की दोनों के बीच मित्रता के अलावा कुछ नहीं... कम से कम अभी के लिए तो बिलकुल भी नहीं! चित्रा, माधव के साथ अपनी दोस्ती को एक नया रिश्ता दे चुकी है, और सत्य ये है की दोनों की हरकतों से इस बात का अंदेशा हो ही गया था। परंतु यहां देखना ये होगा की जिस रिश्वत की बात चित्रा कर रही थी, आर्यमणि से, वो क्या है? इधर निशांत और हरप्रीत अब अलग हो चुके हैं, परंतु जितने खुले विचारों का ये पूरा ही खानदान है, कोई संशय नहीं इस बात में की जल्द ही निशांत भी कोई और लड़की खोज ही लेगा अपने लिए। निशांत और चित्रा, ये दोनों किस ओर होंगे, इस दो संसारों की लड़ाई में ये भी एक सवाल है। अभी के लिए तो यही लगता है की इन दोनों के पास कोई चामत्कारिक अथवा आलौकिक शक्तियां नहीं हैं, ऐसे में इनका किरदार कहानी में कुछ भिन्न हो सकता है।

अक्षरा भारद्वाज की नफरत जया कुलकर्णी के लिए समझी जा सकती है। हालांकि, उन्हें पहले पूरी कहानी नहीं पता था परंतु तब भी यदि एक तटस्थ नजरिए से सारी बातों का आंकलन किया जाता, तो जया उतनी गलत ना लगती। आत्महत्या, एक अपराध था और सदैव एक अपराध ही माना जाएगा (कुछ परिस्थितियों के अलावा)... जया और मीनाक्षी ने जो बातें सामने रखीं उसके पश्चात एक बात तो कही जा सकती है की शायद इन दोनों बहनों का एक फैसला गलत था, शायद दोनों बहनों को पहले ही ये सब कुछ सभी को बता देना चाहिए था। इस बीच मुझे कहीं न कहीं लगा की जया कुलकर्णी और केशव कुलकर्णी के संबंध भी सामान्य नहीं हैं। आर्यमणि के जन्म के बाद, उन्होंने दूसरे बच्चे की कोशिश ही नहीं की, मीनाक्षी से इस बारे में बात भी हो रही थी उसकी जहां जया की प्रतिक्रिया खींची हुई सी थी... शायद कोई राज़ हो इसके पीछे भी!

बहरहाल, मीनाक्षी के पति सुकेश और बेटे तेजस का अभी तक कहानी में खास भाग नहीं रहा है, तो ऐसे में उनके चरित्र का आंकलन करना संभव नहीं। परंतु, तेजस की बीवी वैदैही, ज़रूर एक सुलझी हुई और समझदार युवती के रूप में उभरकर सामने आई है। वैदैही ना केवल अपनी सास मीनाक्षी की चहेती है, अपितु उसका व्यवहार आर्यमणि के प्रति भी काफी अच्छा था। इसके अलावा वो महिलाओं से जुड़ी एक संस्था में सम्मिलित भी है, तो बेशक सामाजिक कार्यों में उसकी रुचि समझी जा सकती है। हां, एक सवाल ये भी था की मीनाक्षी और भूमि में जब आर्यमणि को अपने घर पर ठहराने को लेकर बहस हो रही थी, तब मीनाक्षी ने भूमि को किसी बात को लेकर माफी मांगने को कहा था, जिसपर भूमि की प्रतिक्रिया थी की उसने जो किया सही किया। अतीत के पन्नों में बहुत कुछ छुपा हुआ है... जया की छवि भी कहा गया था भूमि को, अर्थात शायद जया के अतीत में भी गहरे राज़ छुपे होंगे!

राजदीप... महाराष्ट्र पुलिस विभाग में कार्यरत है, परंतु रुतबा इतना बड़ा की मंत्री भी भीगी बिल्ली बन गया था इसके सामने। राजदीप की शादी मुक्ता से होने के पीछे किसका कुचक्र है, ये भी सोचने वाली बात है। परंतु, एक बात तो के ही सकते हैं की राजदीप एक कुशल पुलिस अफसर दिखा है अभी तक की कहानी में। राकेश नाईक भी पुलिस विभाग में ही कार्यरत है। परंतु जो बात मुझे अभी तक असामान्य लगी है वो है केशव कुलकर्णी.. कहीं न कहीं मुझे ऐसा लगता है की केशव के दो रूप हैं, एक जिला अधिकारी का, जो आम लोगों के लिए है और एक ऐसा जो परदे के पीछे छुपा हुआ है।

अरुण जोशी का आगमन भी हुआ कहानी में जोकि आर्यमणि का मामा है। स्वभाव से तो लालची और स्वार्थी ही लगा है अरुण, ऐसा प्रतीत हुआ की उसकी पत्नी प्रीती उसे अपने परिवार के विरुद्ध बरगला रही हो। उसके बच्चे.. वंश और निर भी अपने माता – पिता का ही प्रतिबिंब लगे हैं। देखते हैं की उप – मुख्यमंत्री से को मदद, भूमि के कहने पर अरुण को मिल रही है, उसे किस प्रकार लेता है वो। निश्चित तौर पर जैसा स्वभाव उसका है, कोई न कोई हरकत तो वो करेगा ही। बहरहाल, अक्षरा का को लड़का अमेरिका में बस चुका है, उसका कहानी में कुछ भाग होगा या नहीं ये भी एक प्रश्न है।

सरदार खान... वरवॉल्फ्स के एक बहुत बड़े दल का नेता, एक अल्फा। सरदार खान एक घटिया और नीच प्राणी के रूप में सामने आया है अब तक की कहानी में, जिसने अपनी ही बेटी की इज्ज़त पर हाथ डाल दिया। अब मुझे स्मरण हो रहा है की कॉलेज में निशांत और उसके साथियों से सरदार खान के दल के एक युवक ने कहा था की रूही सबमें प्यार बांटती फिरती है, इसका अर्थ यही था शायद... रूही के लिए काफी बुरा लगा, परंतु अब आर्यमणि के रूप में उसे एक सहारा मिल चुका है जो उसे एक बेहतर ज़िंदगी दे सकता है। आर्यमणि के प्योर अल्फा होने का रहस्य अभी तक केवल रूही को ही मालूम है, और उसी की से अब रूही भी एक अल्फा बन चुकी है। देखते हैं की आर्यमणि की सेना में रूही की भूमिका क्या होती है? मुझे यही लगता है की दुनिया के लिए आर्यमणि के दल की पहचान रूही हो सकती है, और आर्यमणि शायद परदे के पीछे रहकर उस दल का संचालन करेगा। अलबेली के रूप में शायद एक और सदस्य मिल गई है उसे अपने दल के लिए...

खैर, यही कहूंगा की आर्यमणि की कहानी के सभी सिरे वर्धराज कुलकर्णी से ही जुड़ेंगे। बचपन में उन्होंने कई राज़ और कई बातें आर्यमणि को बताई होंगी, और उसी के कारण एक कमज़ोर वोल्फ, शुहोत्र के काटने पर आर्यमणि एक प्योर अल्फा बन गया। संभव है की कुछ ऐसे राज़ मालूम थे वर्धराज को जिसके कारण उन्हें अपमानित कर महाराष्ट्र से पलायन को मजबूर कर दिया गया। देखना ये भी है की आर्यमणि को जो किताब विश्वा की सहायता से प्राप्त हुई जिसका जादुई आंकड़ा – 25 है, उसकी कहानी क्या है? एक बार तो तय है की वो किताब आर्यमणि से जुड़ी हुई है, उसके स्पर्श पर किताब का रंग बदलना तो इसी और इशारा करता है।

खैर, अब आर्यमणि सरदार खान के इलाके में पहुंच गया है, और वहां जाकर अपने दल के चिन्ह द्वारा उसे युद्ध के लिए चुनौती भी से दी है। देखते हैं की इस लड़ाई में केवल सरदार खान का खास आदमी ही करेगा या फिर सरदार खान का नंबर भी लग सकता है...

सभी भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। कहानी के शुरुआती दौर में जिस प्रकार आपने मुख्य पात्रों और घटनाओं का विवरण किया, वो बेहद ही सुंदर था। सभी पात्रों की भूमिका कहानी में विशेष रही है। भूमि और पलक के चरित्र का चित्रण, जिस खूबसूरती से किया आपने, वो बेहद खास लगा। रोमांचकारी दृश्यों पर आपकी पकड़ बेहद मज़बूत है। चाहे वो गंगटोक में दिव्या नामक सैलानी को बचाना हो या फिर जंगल में ट्विन – अल्फा के साथ हुई लड़ाई, बेहद ही खूबसूरती से वर्णन किया आपने इन दृश्यों का।

अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी...
 

Chutiyadr

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भाग:–20






परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...


राजदीप चला गया और भूमि कैंटीन में चली आयी। वो आर्यमणि के पास बैठती हुई…. "ये हड्डी का ढांचा कौन है।"… भूमि माधव को देखते हुए पूछने लगी।


चित्रा:- उसे हड्डी का ढांचा नहीं बुलाइए।


भूमि:- चित्रा बहुत बड़ी हो गई है। क्या कहती थी मुझसे.. दीदी जब मै नागपुर आऊंगी तब आपके साथ ही रहूंगी और वो आशिक़ कहां गया, मेरा दूसरा बॉयफ्रेंड.. क्यों रे उधर मुंह छिपाकर क्या कर रहा है, यहां इसे कोई मिली नहीं क्या अब तक?


निशांत:- कैसे मिलेगी, आर्य को बीएमडब्लू दी हो और मुझे भुल गई।


भूमि:- तेरा बाप क्या पैसे छाती पर लाद कर ले जाएगा। पिछले साल 182 करोड़ का आईटीआर फाइल किया था। अपने कंजूस बाप को बोल एक बाइक दिला दे।


चित्रा:- दीदी आपकी बात कौन टाल सकता है। आप ही पापा को बोल दो।


भूमि:- ये छोड़ी चुप क्यों है। पलक तुम मुझे पहचानती हो या नहीं।


पलक:- दीदी आप भी ना कैसी बातें कर रही हो। कैसी हो आप?


भूमि:- कैसी बातें क्या? मै आयी, यहां बैठी। तेरे मौसेरे भाई बहन मुझसे खुलकर बात कर रहे और तू मुझसे कतरा रही है। तेरी मां और चित्रा की मां दोनो सौतेली बहने है क्या?


पलक:- आप भी ना कैसी बातें कर रही हो दीदी।


भूमि:- कैसी बातें क्या, मै चित्रा की मां से मिली थी। उसने अपने बच्चे के मन में कभी जहर नहीं घोला, कि तेरे मामा की मौत के कारण मेरी जया मासी है। ये दोनो गहरे दोस्त है और एक बात, तेरी मां के चढ़ावे में आकर तेरा बाप मेरी मासी और मौसा से दुश्मनी निभा रहा है, लेकिन चित्रा की मां और जया मासी दोनो अच्छे दोस्त है, सुख दुख के साथी। क्यों चित्रा, क्यों निशांत मै गलत कह रही हूं क्या?


चित्रा:- दीदी बिल्कुल सही कहा आपने। जैसे आप छुट्टियों में आती थी गंगटोक, तेजस दादा आते थे, वहां महीनों रहते थे। वैसी ही मां भी कहती थी मासी से, दीदी बच्चो को भेज दो राकेश के पुलिस की नौकरी के कारण हम कहीं निकल नहीं पाते। तब मासी साफ माना मार देती, कहती तेरे घर के बगल में कुलकर्णी का घर है।


निशांत:- जानती हो दीदी, एक दिन मैंने पलक के कंधे पर हाथ रख दिया तो इसे ऐसा लगा जैसे किसी अनजान ने इसके कंधे पर हाथ रख दिया। हम बस नाम के दो सगी बहनों के बच्चे है, बाकी जान पहचान तो मानकर चलो की कॉलेज के कारण हुई है।


पलक:- नहीं ऐसी बात नहीं है।


चित्रा:- तो कैसी बात है। हां मानती हूं तुम हम सबसे समझदार हो लेकिन दिल प्यार मांगता है, समझदारी तो जिंदगी भर दिखा सकती हो। तुम बताओ क्या जैसे भूमि दीदी और आर्य के बीच का रिश्ता उसके 5% में भी है क्या हम लोग।


भूमि:- तुम तो ये कहती हो। इसकी मां का दबदबा ऐसा है कि उसने इन सबको सीखा कर रखा है, वो लोग तेरे थोड़े ना अपने है। तेरे दादा 2 भाई थे उसके 2 बच्चे हुए, और ये तीसरा जेनरेशन है। इनसे इतने क्लोज होने की क्या जरूरत। जबकि ये तो मेरे कंप्लीट ब्लड रिलेशन में हुए। एक ही शहर में आए हुए साल भर हो गए है लेकिन मिस ने एक कॉल तक नहीं किया।


पलक:- आप सब क्यों मेरी आई के बारे में इतना कह रहे। भूमि दीदी जैसे आप आर्य के लिए आज व्याकुल होकर यहां स्टूडेंट की लाश गिराने के लिए तैयार थी, वैसा ही हाल तो मेरी मां का भी है ना। आप आक्रोशित हो तो प्यार और वो आक्रोशित हो तो…


भूमि:- मीटिंग में तो तुम आती ही हो ना.. वहां क्या बताया जाता है.… परिस्थितियों से हारकर जो आत्महत्या करते है वो अक्षम्य अपराध है। यानी कि माफ ना करने योग्य गलती। उस आदमी ने आत्महत्या कि और अपने पीछे कई जलते लोगो को छोड़ दिया। भाई से प्रेम है इस बात का हम सब आदर करते है, तभी तो छोटे काका से मै बाहर मिलते रहती हूं, राजदीप मुझसे मिलने आता है। दादा से मिलता है। नम्रता मेरे नीचे काम कर रही है और इस मीटिंग में मै उसे अपना उतराधिकारी बना रही हूं। क्यों नहीं है कदर। उनकी भावना की कदर है तभी तो हम बाहर मिलते है, ताकि उनको दर्द का एहसास ना हो। हम सब मिलते है सिवाय तुम्हारे। अब तुम कह दो कि तुम्हे ये बात पता नहीं।


पलक:- मै जा रही हूं क्लास।


चित्रा:- अब कौन बीच मे छोड़कर जा रहा है।


पलक:- मुझे नहीं समझ में आ रहा की मै क्या जवाब दूं। दीदी ने ऐसी बात कही है जिसमें पॉजिटिव भी उनका है और नेगेटिव भी उन्हीं का। मै किस प्वाइंट को बोलकर तर्क करूं जबकि अभी मै खुद में ही गिल्ट फील कर रही हूं।


भूमि:- चल शॉपिंग करके आते है।


पलक:- मुझे कहीं नहीं जाना।


भूमि:- चित्रा मै तो थर्ड जेनरेशन में हूं, थोड़े दूर की बहन। तू ही कह, कहीं तेरी बात मान ले।


पलक:- कोई ड्रामे नहीं चाहिए। दीदी मै समझ गई दुनिया क्यों कहती है भूमि ने जो ठान लिया वो होकर रहता है।


भूमि:- और क्यों ऐसा कहती है..


पलक:- क्योंकि आप अपनी बात मनवाने में माहिर हो। चलती हूं मै आपके साथ।


भूमि:- ये हुई ना बात। चलो फिर सब..


माधव:- फिर क्लास का क्या होगा।


भूमि:- इस डेढ़ पसली को भी पैक करके लाओ, ये भी चलेगा।


आर्यमणि:- आप लोग जाओ दीदी मै जारा हॉस्पिटल होकर आता हूं। शायद 2 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए है।



भूमि:- ठीक है उन्हें देखकर सीधा दादा के मॉल आ जाना।


ये चारो एक साथ निकल गए और आर्यमणि चल दिया उन लोगों को देखने जिसे उसने पीटा था। कॉलेज के ऑफिस से पता करके आर्यमणि उन लड़कों के घर के ओर चल दिया।


जैसे ही उनके गली में बाइक घुसी, चारो ओर खून कि बू और कटे हुए बकरे लटक रहे थे। आस–पास ऐसे लोगो की भीड़, जिनसे आर्यमणि का पाला पहले भी पड़ चुका था। एक पूरी बस्ती, सरदार खान की बस्ती, जहां खून के प्यासे लोग चारो ओर थे। आर्यमणि चारो ओर के माहौल का जायजा लेते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था तभी एक लड़की अर्यमनि का हाथ पकड़कर कहने लगी… "मेरे साथ चलो और किसी से भी नजरें नहीं मिलाना।"..


आर्यमणि उसके साथ चला। बाज़ार की भीड़ से जैसे ही दोनो आगे बढ़े, वो लड़की आर्यमणि को एक कोने में ले गई और उसे दीवार से चिपकाते हुए…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए हो।"..


दोनो इतने करीब थे कि आर्यमणि उसकी धड़कने सुन सकता था। गले से प्रवाह होने वाले गरम रक्त को मेहसूस कर सकता था। उसके बदन कि खुशबू लड़की का पूरा परिचय दे रही थी। आर्यमणि अपना मुट्ठी बांधकर अपनी तेज धड़कन को धीरे-धीरे सामान्य करने लगा.. इतने में दोबारा वो लड़की पूछी…. "तुम क्या पागल हो जो यहां आए।"…


आर्यमणि, उसे खुद से थोड़ा दूर खड़ा करते ऊपर से नीचे तक देखने लगा… "तुम हमारे कॉलेज में पढ़ती हो। मुझे मारने आए लड़को के साथ तुम भी पीछे खड़ी थी। नाम क्या है तुम्हारा?


लड़की:- रूही..


आर्यमणि:- मुझे घेरकर मारने आए थे, बदले में मैंने उसे मारा। मुझे लगा गुस्से में बहुत गलत कर दिया मैंने, इसलिए यहां पता करने चला आया कि वो कौन से हॉस्पिटल में है।


रूही:- तुम बिल्कुल पागल हो। वो लोग नेचर हॉस्पिटल में एडमिट है। यहां से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां उनसे मिलना और चुपचाप चले जाना। कल कॉलेज आकर मै बात करती हूं।


आर्यमणि:- हम्मम !


आर्यमणि उसी रास्ते वापस जाने की सोच रहा था लेकिन रूही ने उसे दूसरे रास्ते से बाहर निकाला और दोबारा कहने लगी, "बस मिलना और चले जाना"। आर्यमणि उसकी बात पर हां में अपना सर हिलाते हुए नेचर हॉस्पिटल पहुंचा। वो समझ चुका था कि ये हॉस्पिटल इन लोगों का अपना हॉस्पिटल है।


आर्यमणि रिसेप्शन पर…. "मिस यहां 2 लड़का आज एडमिट हुआ होगा, नेशनल कॉलेज का है। एक के सीने की हड्डी टूटी है और दूसरे की पाऊं की। आपको कुछ आइडिया है।


वह लड़की ने आर्यमणि को घुरकर देखी और पहले माले के रूम नंबर 5 में जाने के लिए बोल दी। आर्यमणि के ठीक पीछे-पीछे रूही भी वहां पहुंची थी। रिसेप्शन पर खड़ी लड़की को देखकर रूही समझ गई यहां क्या होने वाला है। हवा की रफ्तार से वो आर्यमणि के पास जाकर खड़ी हो गई… "कैसी हो लिटा, और तुम जानू यहां क्यों आ गए, मना की थी ना मेरे दोस्त ठीक है तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं।"


वो रिसेप्शनिस्ट लिटा, रूही को हैरानी से देखती हुई…. "जानू, ये तेरा बॉयफ्रेंड है क्या?"


रूही:- कामिनी इस हैंडसम हंक को घूरना बंद कर और तुम क्या इसे देख रहे हो, चलो यहां से।


लिटा:- ये लड़का नॉर्मल दिख रहा है, तू कंफ्यूज दिख रही है, सच-सच बता ये तेरा बॉयफ्रेंड है या तू इसे बचना चाह रही है। जिस तरह से ये पूछ रहा था, मुझे तो पुरा यकीन है कि ये वही है जिसने रफी और मोजेक को मारा है।


रूही, रिसेप्शन काउंटर पर अपने दोनो हाथ पटकती… "हां ये वही है। और वो कॉलेज का लफड़ा था समझी। कंफ्यूज मै नहीं थी बल्कि ये साफ मन से आया था इसलिए घबरा रही थी। और अंत में, ये मेरा बॉयफ्रेंड है, इसका मतलब ये मेरे पहचान का है, इसे कुछ नहीं होना चाहिए।


लिटा:- ये बातें तू मुझे नहीं उन्हें समझा जो तेरे बॉयफ्रेंड को ओमेगा मानते है। एक अल्फा जिसके पास कोई पैक नहीं। और हां तू यहां बातें कर वो तो गया..


रूही जबतक मुड़कर देखती तबतक तो आर्यमणि गायब हो चुका था। रूही भागकर ऊपर पहुंची। …. "ओ खुदाया, ये सब क्या है।"


बीच के समय में… जैसे ही रूही आगे बढ़कर रिसेप्शन काउंटर पर अपने हाथ ठोकी, आर्यमणि उन लोगो से मिलने पहले माले पर चल दिया। पूरा पैसेज ही वूल्फ से भड़ा पड़ा था। आर्यमणि जैसे ही भिड़ से होकर अंदर घुसने कि कोशिश करने लगा, वहां खड़े वेयरवुल्फ को समझ में आ गया कि है यह हमारे बीच का नहीं है। आर्यमणि को पीछे धकेलते हुए लोग उसकी ओर मुड़ गए… "ए लड़के अभी तू जा यहां से इलाज चल रहा है। जब इलाज हो जाए तो आ जाना।"..


अभी एक आदमी आर्यमणि से इतना कह ही रहा था तभी एक लड़का चिल्लाया… "यही है वो अल्फा जिसने रफी और मोजेक को मारा है।"… बस इतना कहना था कि वहां पर सभी शेप शिफ्टर ने अपना शेप बदल लिया। किसी की चमकती पीली आखें तो किसी के चमकते लाल आंख। कान सबके बड़े हो गए और ऊपर से तिकोने। चेहरा खींचकर आधा इंसान तो आधा वुल्फ का बन गया।


"वूऊऊऊ" की आवाज़ निकालकर आगे बढ़े। 2 वेयरवोल्फ अद्भुत रफ्तार से दौड़कर अपने पंजे से आर्यमणि को फाड़ने की कोशिश। आर्यमणि दोनो की कलाई पकड़ कर उल्टा घुमाया और तेजी के साथ दोनो के सर को पहले आपस में टकराया और उसके बाद दाएं बाएं के दीवाल पर बारी-बारी से उनका सर दे मारा।


आर्यमणि उस छोटे से पैसेज में आगे बढ़ते हुए, किसी हाथ पकड़कर उसके पंजे के नाखून को उल्टा घूमाकर बड़े–बड़े राक्षस जैसे नाखून को तोड़कर जमीन में बिखेर देता, तो किसी का गला पकड़कर उसके पाऊं पर ऐसा मारता की वो अपने टूटे पाऊं के साथ कर्राहने लगता।


देखते ही देखते वो पुरा पैसेज घायलों के चींख और पुकार से गूंजने लगा। ज्यादातर लोगों की हालत ऐसी थी मानो वो चलती चक्की के बीच में आकर पीस गया हो। आर्यमणि ने ज्यादातर लोगों को दाएं और बाएं के पैसेज की दीवार से टकरा दिया था।


जैसे ही रूही उस पैसेज में पहुंची, अपने सर पर हाथ रखती…. "ओ मेरे खुदाया। आर्य तुमने क्या कर दिया।"


आर्यमणि उसके बातो का जवाब देने से ज्यादा जरूरी अंदर जाकर घायलों से मिलना समझा और वो रफी और मोजेक के कमरे में प्रवेश किया। जैसे ही आर्यमणि ने दरवाजा खोला, मोजेक जोर से चिल्लाया…. "यही है वो ओमेगा"


आर्यमणि:- यही बात बोलकर पीली और लाल चमकती आखों वाले ने मुझ पर हमला किया था। मैंने उनका क्या हाल किया वो जाकर देखो पैसेज में। क्यों जानू तुम कुछ कहती क्यों नहीं?


रूही, जो बिल्कुल पीछे खड़ी थी, और आर्यमणि उसके बदन की खुशबू से समझ गया था। रूही हड़बड़ाई और घबराई आवाज़ में… "मै जी वो बाबा"..


"ये लड़का कौन है रूही, और बाहर के पैसेज में क्या हुआ है जो ये दर्द भरी कर्राहटें निकल रही है।"…. एक रौबदार आवाज़ उस कमरे में गूंजती हुई.. जिसे सुनकर रूही के साथ-साथ मोजेक और रफी भी सिहर गए।


आर्यमणि अपने एक कदम आगे बढ़कर, अपनी उंगली उसके गले के साइड में उभरे हुए नाश पर उंगली फेरते कहने लगा… "तुम डरे हुए हो, और अपनी डर को छिपाने के लिए ये तेज आवाज़ निकाल रहे। तुमने सब सुना बाहर खड़े लोग ने जब मुझे ओमेगा कहा। और देखते ही देखते तुम्हारे 20-30 लोग और घायल हो गए।"


"मै नहीं जानता कि तुम मुझे ओमेगा क्यों कह रहे। मै नहीं जानता कि तुम्हारी आखें पीली या लाल कैसे हो जाती है। मै नहीं जानता तुमलोग रूप बदलकर कैसे इंसान से नर भेड़िए बन जाते हो। एक ही बात मै जनता हूं, महाकाल मेरे सर पर सवार होता है और मै सामने वाले को तोड़ देता हूं।"

"कॉलेज के झगड़े में इसका पाऊं गया। मुझे बुरा लगा कि गलती किसी और कि थी और आगे रहकर मार करने की सजा ये पा गया। अब बात यहीं खत्म करनी है या आगे बढ़ानी है तुम्हारा फैसला। चाहो तो पुरा गांव बुलाकर मुझे ओमेगा-ओमेगा कहते रहो और हड्डियां तुड़वाते रहो। या फिर इसे ये मानकर भुल जाओ की तुम वीर लोग कहीं मार करने गए और कोई तुमसे भी ज्यादा वीर मिल गया।"


आर्यमणि गंभीर से आवाज़ में सरदार खान के इर्द गिर्द घूमता अपनी बात कह रहा था और वो आदमी लगातार अपने माथे के पसीने को पोंछ रहा था। जैसे ही आर्यमणि की बात खत्म हुई…. "मेरा नाम सरदार खान है। ये पूरे इलाके का मुखिया। मुखिया मतलब हम जैसे पीली और लाल आखों वाले वुल्फ का मुखिया। हमे इंसान पहचानने में गलती हुई। मै ये बात यही खत्म करता हूं, इस विनती के साथ की तुमने जो यहां देखा वो किसी से नहीं कहोगे।"..


आर्यमणि:- अब तो आपकी बेटी का बॉयफ्रेंड हूं, यहां आना जाना लगा रहेगा। अब घर की बात थोड़े ना बाहर बताऊंगा, क्यों डार्लिंग।


रूही:- बाबा मै इसे बाहर छोड़कर आती हूं।


रूही ख़ामोश आर्यमणि के साथ चल दी। वो कदम से कदम मिलाकर चल भी रही थी और अपनी नजर त्रिछि करके आर्यमणि को देखकर मुस्कुरा भी रही थी। जैसे ही दोनो बाहर आए…. "तुम्हे जारा भी डर नहीं लगा, जब यहां के लोगों से अपना शेप शिफ्ट किया।"


आर्यमणि:- तुम भी तो उस रात शेप शिफ्ट की हुई थी घोस्ट। मै भूत, पिसाच, और दैत्यों के अस्तित्व में विश्वास तो रखता हूं, लेकिन मुझे घंटा उनसे डर नही लगता। शेप शिफ्टर के गॉडफादर श्री हनुमान जी मे विश्वास रखता हूं, फिर तुम लोग तो इनके सामने धूल के बराबर हो।


रूही:- तुम कमाल के हो मेरे बॉयफ्रेंड। मुझे पाहचना कैसे?


आर्यमणि, बाइक पर बैठते हुए… "जब तुम मेरे बिल्कुल करीब थी, तब मैंने तुम्हारी बढ़ी धड़कने मेहसूस की थी। इन धड़कनों से मै पहले भी परिचित हो चुका हूं। खैर मै कुछ मामले निपटाकर जल्द ही तुमसे मिलता हूं, तबतक जलते अरमान को थोड़ा और जला लो।"..


आर्यमणि, जैसे ही बाइक स्टार्ट करके जाने लगा… "ओय तत्काल बने मेरे बॉयफ्रेंड, अपनी गर्लफ्रेंड को एक बार देखकर बता तो दो कैसी लगी।"..


आर्यमणि "मस्त, सुपर हॉट... वैसे भी पता नहीं तुम लोगों की मां ने कौन सी जड़ी बूटी खाकर पैदा किया था, सब एक से बढकर एक। उसमे भी तुम तो कल्पना से पड़े हो" कहता हुआ चल दिया शॉपिंग पर सबको ज्वाइन करने। कुछ ही देर में आर्यमणि बिग सिटी मॉल में था। नीचे के सेक्शन में कोई नहीं था इसलिए आर्यमणि फर्स्ट फ्लोर पर जाने लगा।
Nainu bhai ki style wala full filmy south action wala update :superb:
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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भाग:–29




जैसे ही रूही हिल हुई वह अपने घुटनों पर बैठकर अपना सर झुकाती… "दंत कथाओं का एक पात्र प्योर अल्फा से कभी मिलूंगी, ये तो कभी ख्यालो में भी नही था। प्योरे अल्फा अब तक की एक मनगढ़ंत रचना, जो किसी पागल के कल्पना की उपज मानी जाती थी, वह सच्चाई थी, यकीन करना मुश्किल है। मेरे नजरों के सामने एक प्योरे अल्फा हैं, अद्भुत... अब समझ में आया कि क्यों तुम पर वेयरवोल्फ के एक भी नियम लागू होते। अब समझ में आया की क्यों तुम्हे पहचान पाना इतना मुश्किल है। तुम तो सच के राजा निकले।"


प्योर अल्फा यह कोई शब्द, उपाधि या फिर वेयरवॉल्फ के प्रकार नही था। यह तो अपने आप में एक पूरी सभ्यता का वर्णन था। पौराणिक कथाओं की माने तो वेयरवोल्फ के जितने भी प्रकार होते है फिर चाहे वह बीटा, अल्फा या बीस्ट अल्फा क्यों न हो सब में खून के पीछे आकर्षण और प्रबल मानहारी प्रवृत्ति होती है। और अपने इसी आदतों के कारण वेयरवोल्फ अपनी बहुत सी अलग ताकत को खो देते हैं, जैसे की खुद को और किसी और को हिल करने की अद्भुत क्षमता। दूसरों के हिल किए जहर को हथियार के तरह इस्तमाल करना। कुछ अनहोनी होने से पहले के संकेत। किसी भी जीव के भावना को दूर से मेहसूस करना। अपने क्ला पीछे गर्दन में घुसकर किसी के भी मस्तिस्क के यादों में झांकना... और उन्हें मिटाने तक की काबिलियत... हालांकि यादों में तो हर अल्फा वुल्फ झांक सकते हैं लेकिन चुनिंदा यादों को मिटाने की शक्ति ट्रू–अल्फा होने के बाद ही विकसित होती है...

यधपी यह सभी गुण हर वेयरवोल्फ में पाए जाते हैं। लेकिन जैसे–जैसे वेयरवॉल्फ के अंदर का दरिंदा प्रबल होता है, बाकी सारी शक्तियां स्वतः ही कमजोर होती चली जाती है। इसलिए वेयरवोल्फ में सर्वोत्तम एक ट्रू–अल्फा माना जाता है। हां लेकिन एक ट्रू–अल्फा भी अपनी सर्वोत्तम शक्ति को खो देता है जब वह दरंदगी पर उतर जाता है। ट्रू–अल्फा को कठोर अनुसरण तमाम उम्र करनी होती है। और सबसे आखरी में वुल्फ के नियम... यह नियम हर वुल्फ पर लागू होते हैं, किसी में थोड़ा ज्यादा तो किसी में थोड़ा कम.… जैसे की वुल्फ को मारने की विधि... दूसरा इनका इंसानी पक्ष निर्बल होता है और वुल्फ साइड उतना ही बलशाली... एक बीटा 4 शेर के समान शक्तियां रखता है...

लेकिन प्योर अल्फा के साथ कोई बंदिशे नही। वेयरवॉल्फ के सारे अलौकिक गुण किसी परिस्थिति में नही खो सकता, फिर वह खुद को पूरा सैतान बना ले या फिर खुद को पूरा इंसान। इनके किसी भी रूप में, फिर वो इंसानी रूप हो या भेड़िए का, शक्ति एक समान होती है। इसके क्ला या फेंग से घायल होने वाले वुल्फ नही बनते... और भी बहुत सारे गुण जो वक्त के साथ एक प्योर अल्फा अपने अंदर विकसित कर सकता है। जबतक प्योर अल्फा खुद अपनी असलियत ना सामने लाये तबतक कोई जान नही सकता। और इनकी एक ही पहचान होती है जो हर वेयरवोल्फ को उसका अल्फा पौराणिक कहानियों का एक शक्तिशाली वुल्फ के रूप में बताता है... "प्योर अल्फा जब रूप बदलकर वेयरवोल्फ बनता है, तब उसका रूप अलौकिक होता है। उसका पूरा बदन चमक रहा होता है, जिसे दूर से भी देखकर पहचान सकते हैं।"


रूही के अंदर की हालत वही समझती थी। अंदर ऐसी भावना थी जिसे शब्दों में बयान नही किया जा सकता था। वह अभी अपने घुटनों पर थी। अपना सर झुकाये घोर आश्चर्य और अप्रतिम खुशी में संलिप्त थी। आर्यमणि, रूही का हाथ थामकर उसे उठाते हुये... "आओ मेरे साथ।" रूही, आर्यमणि के साथ घायल पड़े ट्विन अल्फा के पहले भाई के पास पहुंची।… "इसे मारकर अल्फा बनो। हां लेकिन खून चूसना और मांस भक्षण नहीं। मुझे अपने पैक में किसी भी जीव के खून चूसने और उनका मांस खाने वाले नहीं चाहिए।"


रूही अपनी सहमति देती.… "आप बैठ जाइये और शिकार का मज़ा लीजिए।"… रूही आगे बढ़ी। पाऊं के पास ही ट्विन अल्फा दर्द से बिलख रहे थे। हाथ तो बचा ही नहीं था। किसी तरह अपनी हलख से दर्द भरी आवाज मे रहम की भीख मांग रहे थे। रूही आराम से बैठकर ट्विन अल्फा के सर पर हाथ फेरती एक बार आर्यमणि से नजरें मिलाई। आर्यमणि ने इधर नज़रों से सहमति दिया और उधर रूही अपने 4 इंच लंबी धारदार नाखून, ट्विन अल्फा के गर्दन में घुसाकर पूरा गला फाड़ दी। गला फाड़कर अंदर के नालियों को तब तक दबोचे रही जबतक की उनके प्राण, उनके शरीर से ना निकल गये।


जैसे ही शरीर से प्राण निकला, रूही की विजयी दहाड़ अपने आप ही निकल गई। पीली सी दिखने वाली रूही की आंखें लाल दिखने लगी। पास पड़े घायल सभी बीटा और ट्विन का बचा हुआ एक अल्फा सोक की धुन निकालने लगा। रूही ने जब खुद के अंदर एक अल्फा की ताकत को मेहसूस की, तब एक और दहाड़ लगा दी। इधर रूही की ताकत के नशे कि दहाड़ निकली उधर आर्यमणि दहाड़। जैसे ही उसकी दहाड़ रूही सुनी वो अपने घुटने और पंजे को जमीन से टिकाकर गुलामों की तरह सर झुकाने पर विवश हो गई। रूही की नजर जमीन को ताक रही थी…. "रूही ताकत को मेहसूस करना अच्छी बात है लेकिन मेरा पैक ताकत के नशे को मेहसूस करे, मंजूर नहीं।"..


रूही…. पहली बार था, मै अपने अरमान काबू नहीं कर पायि।


आर्यमणि:- अगले 2 महीने तक मै तुम्हे शक्तियों को काबू करना सिखाऊंगा। काम जल्दी खत्म करो। पहले दूसरे अल्फा की शक्ति लो, फिर यहां से भागे बीटा को खत्म करो। मै नहीं चाहता कि प्योर अल्फा की भनक भी किसी को लगे।


रूही:- जैसा आप चाहो।


रूही ट्विन ब्रदर के बचे दूसरे भाई की ताकत को भी खुद में समाती, तेज दहाड़ के साथ दौड़ लगा दी। तकरीबन आधे घंटे बाद रूही खून में नहाकर विजयि मुस्कान के साथ लौटी… "लाश तक के निशान को मिटा आयी बॉस।"


आर्यमणि:- यहां भी सब साफ है.. अब चलें..


रूही आर्यमणि के करीब पहुंचकर कहने लगी… "जानवर जंगल में सहवास करते है और उनके बीच कोई बंधन नहीं होता"..


आर्यमणि उसकी आखों में झांका और उसके होंठ से होंठ लगाकर उसे चूमने लगा। रूही तुरंत ही अपने सारे कपड़े निकालकर नीचे बैठ गई और आर्यमणि के पैंट को खोलि और लिंग को बाहर निकालकर उसपर अपनी जीभ फिराने लगी। आर्यमणि उसके सर पर अपने दोनो पंजे टिकाये गर्दन को ऊपर करके तेज-तेज श्वांस लेने लगा। रूही कुछ देर तक अपनी जीभ लिंग पर फिराने के बाद, लिंग को पूरा मुंह के अंदर लेकर उसे चूसने लगी। ये उत्तेजना आर्यमणि के धड़कनों को उस ऊंचाई पर ले गयि जिस कारण उसका शेप शिफ्ट हो गया और वो पूर्ण वुल्फ दिख रहा था।


बिल्कुल सफेद वुल्फ अपने तरह का इकलौता। जैसे ही आर्यमणि ने शेप शिफ्ट किया उसने बड़ी बेरहमी से रूही का बाल पकड़ कर उठाया और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए उसके योनि को अपने बड़े से पंजे में दबोच कर मसलने लगा। उत्तेजना आर्यमणि पर पूरा हावी था और वो पूरी तरह से रूही पर हावी हो चुका था। दर्द और मज़ा का ऐसा खतरनाक मिश्रण रूही ने आज से पहले कभी मेहसूस नहीं की थी। वो भी अपने हाथ नीचे ले जाकर अपने दोनो हाथो से आर्यमणि के लिंग को पूरे गति में ऊपर नीचे करने लगी। लिंग पर हाथ की गर्माहट, आर्यमणि के अंदर के तूफान को ऐसा भड़काया... उसने तेजी से रूही को पेड़ से टिका दिया। रूही भी अपने हाथ के सहारे के पेड़ को पकड़ती कमर को पूरा झुका दी और अपने दोनो टांग को पूरा खोलकर, आर्यमणि को निमंत्रण देने लगी।


पंजे वाले दोनो हाथ रूही के कमर के दोनों ओर और जोरदार झटके के साथ पुरा लिंग योनि के अंदर। रूही सिसकियां लेती अपने कमर को आगे पीछे हिलाने लगी। हर धक्के के साथ नीचे के ओर लटक रहे स्तन मादक थिरक के साथ हिल रहे थे। रूही का पूरा बदन धक्के के झटके से हिल रहा था। आर्यमणि का जोश पूरे उफान पर था, जो रूही के योनि के अंदर तूफान मचा रहा था।


आर्यमणि लगातार धक्के दिए जा रहा था। प्योर अल्फा के स्टेनमना के सामने रूही कबका थक चुकी थीं। उसकी उखड़ती स्वांस अब बस इस खेल को अंतिम चरण में देखना चाहती थीं। तभी आर्यमणि की गति काफी तेज हो गई। रूही तेजी के साथ सीधी खड़ी हुई और घूमकर आर्यमणि के लिंग को अपने मुट्ठी में भरकर तेज-तेज मुठ्ठीयाने लगी। कुछ ही देर में तेज पिचकारी के साथ आर्यमणि ने अपना वीर्य छोड़ दिया और हांफते हुए वो पीछे हट गया।


रूही अपने फटे कपड़े अपने ऊपर डालकर आर्यमणि के पास ही बैठ गई। काफी देर तक दोनो ख़ामोश बैठे रहे। … "जाओ मेरा बैग ढूंढ़कर लाओ"..


रूही:- रुको तो काफी थकी हूं। थोड़ा रिलैक्स तो करने दो। मज़ा आ गया आर्य।


आर्यमणि:- जानवर है... जंगल में सेक्स करते है... फिर इमोशन इंसानों वाले क्यूं आने लगे।


रूही:- बाद ने पछतावा हो रहा था। इतने मजेदार सेक्स के बाद बिस्तर पर लुढकने का अपना ही मजा आता। कोई ना अगली बार..


आर्यमणि:- तुम्हे यकीन है मै दूसरी बार तुम्हारे हाथ आऊंगा?


रूही:- तुम्हे अपनी रानी चाहिये तो सेक्स के वक़्त तुम्हे अपनी बढ़ी धड़कनों पर काबू पाना सीखना होगा। तुम्हे कोई पकड़ नहीं पाया क्योंकि तुम पूर्ण नियंत्रण सीख कर नागपुर पहुंचे सिवाय एक के... राइट बेबी।


आर्यमणि:- हम्मम ! सही अनुमान है। बस एक ही बात का अब डर लगा रहा है।


रूही:- क्या?


आर्यमणि:- कहीं तुम मुझे ना चाहने लगो और हमारी बात पलक को ना पता चल जाये।


रूही:- हम सीक्रेट रिलेशन मेंटेन रखेंगे तुम परेशान ना हो। चलो अब स्माइल करो। वैसे भी तुम यहां आये हो इसका मतलब है आगे बहुत सी घटनायें होनी है।


आर्यमणि:- मै तुम्हारे ज्ञान को लेकर दुविधा में हूं। प्योर अल्फा का तो किसी को ख्याल भी नहीं आया होगा, तुम्हे कैसे पता?


रूही:- मेरी आई एक ट्रू–अल्फा थी। जिसके पैक को शिकारियों ने खत्म कर दिया, और मेरी मां को पकड़कर सरदार खान को सौंप दिया। मेरा जन्म सरदार खान के किले में ही हुआ था। मेरी आई एक कमल की हिलर थी, तुम्हारी तरह शानदार हीलर। सरदार खान की हवसी नजर मुझ पर हमेशा टिकी रहती और मेरी आई हम दोनों के बीच। एक दिन गुस्से में सरदार खान ने उसे खत्म कर दिया।


आर्यमणि:- तो क्या सरदार खान तुम्हारे साथ...


रूही:- जाने दो दरिंदे हैवानों की याद मत दिलाओ। उनका कोई परिवार नहीं होता। मै उस किले कि ऐसी बीटा वुल्फ थी, जिसका कोई पैक नहीं। उस किले में मुझे सड़क से लेकर बाजार तक नोचा गया है। और मेरी बेबसी पर सब हंसते रहते... जानते हो आर्य कॉलेज में जब लड़कों को अपने ओर हसरत भरी नजरो से घूरते देखती हुं, तब जहन में एक ही ख्याल आता रहता है... तुम्हारे लिए मैं यहां खास हूं लेकिन अपनी गली में मै सबकी रखैल सी हूं, जब जहां जिसका मन किया उसने नोचा, फिर किसी ने रहम नहीं दिखाया"

"मुझे नफरत है शिकारियों से। खुद को प्रहरी बताते है, पहरा देने वाले और भटकों को खत्म करने वाले। फिर क्या गलती थी मेरी आई की, जिन्हें इन दरिंदो के बीच में छोड़ दिया। अपने होश संभालते ही केवल नरक देखा है मैंने और महसूस की थी मेरी आई का दर्द, जो मुझे बचाने के लिए वहां घुटती रहती थी। कयी साल आर्य, नरक के कयी साल। हां लेकिन शायद ऊपर कहीं खुदा था, जब पहली वो इंसान मेरे जीवन में आयी। तुम्हारी बहन भूमि। मेरे लिए तो ईश्वर, अल्लाह, मसीहा ऊपर वाले के जितने नाम है, सब वही है।"

"7 साल पहले वो प्रहरी की मेंबर कॉर्डिनेटर बनी थी और अपने 10 साथियों के साथ हमारे किले में घुसी। निडर और ताकतवर प्रहरी, जिसे अपना कर्तव्य याद था कि केवल इंसान ही उनकी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सुपरनेचुरल का भी क्षेत्र उनके पहरे के क्षेत्र में आता है।"

"सड़क पर 4 जानवर मुझे नोच रहे थे और मेरी ख़ामोश आंखों के अंदर के आंसू भूमि ने देखे थे। उसका चाबुक चला और 2 बीटा को उसी किले में साफ कर दिया, बिना यह सोचे कि वह 200 से ऊपर वुल्फ से घिरी है। उसी ने मुझे बचाया था। फिर ये तय हुआ कि सुपरनैचुरल शांत है तो क्या हुआ, ऐसे जानवरो की जिंदगी उसे अपने क्षेत्र में नही चाहिये। सभी बच्चे air जवान वेयरवोल्फ पढ़ने जायेंगे और सबके डिटेल प्रहरी ऑफिस में पहुंचने चाहिये। उसी ने मुझे तुम्हारी जिम्मेदारी दी थी, कही थी नजर बनाए रखो।"

"सरदार खान, भूमि के वजह से ही बौखलाए हुए है। अपने अंदर कई सारे राज दबाए बैठा है वो बीस्ट, जिसकी जानकारी भूमि को चाहिए। क्योंकि उसको भनक लग गई है, शिकारी का बहुत बड़ा जत्था अपने आर्थिक फायदे के लिए वुल्फ से मर्डर करवाते है। केवल नागपुर में ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र में यह खेल चल रहा है।"


आर्यमणि:- हां इस खेल के बारे में मुझे भी भनक है। खैर, इतने इमोशनल सेशन के बाद एक सवाल का जवाब दो, पहली मुलाकात से ही मेरे पीछे क्युं पड़ी हो।


रूही:- मज़े करने के लिए। क्या मेरा हक नहीं बनता अपने मन से मज़े करने के। हां लेकिन मैं उनकी तरह तुम्हे निचोड़ना नहीं चाहती थी, इसलिए जबरदस्ती नहीं की।


आर्यमणि:- अच्छी लगती हो ऐसे बात करते। अब से पिछली ज़िंदगी को अलविदा कह दो। मुझे अपने पैक मे सब बिल्कुल मस्त और हसने वाले खास इंसान चाहिये। क्या समझी..


रूही:- बॉस बोल तो ऐसे रहे हो जैसे खुद हंसमुख होने का टैग लिए घूमते हो। सब तो तुम्हे खडूस ही कहते हैं।


आर्यमणि:- बकवास बंद... मुझे एक कंप्लीट पैक चाहिये। और हां तुमने मेरा दिल जीत लिया है, इसलिए तुम्हारी जहां से प्योर अल्फा की याद नही मिटा रहा। अब तुम एक अल्फा हो और अपने फर्स्ट अल्फा के लिए कोई ढंग का पैक बनाओ। तुम जानती हो न मुझे अपने पैक में कैसे वुल्फ चाहिये या उसकी भी डिटेल देनी होगी...


रूही:- बॉस पैक के लिये वेयरवोल्फ को तो मैं ढूंढ लूंगी लेकिन वो मेरे घर में, मेरे बिस्तर पर… उस वादे का क्या हुआ?


आर्यमणि:- बड़ी उम्मीदें जाग रही है तुम्हारी तो। मुझे निचोड़ने का इरादा तो नही?


रूही:- अपने बॉस से उम्मीद कर रही हूं और ये मेरा हक है। वुल्फ पैक के नियम तो मालूम ही होंगे, या उसकी पूरी डिटेल भी बतानी होगी।


आर्यमणि:- हां समझ गया। यूं तो धड़कन काबू करने के लिये रोज ही प्रैक्टिस चालू रहेगी। लेकिन सरदार खान के किले में बिस्तर वाला खेल एक शुभ मुहरत पर होगा। उस दिन बीस्ट की कहानी खत्म करेंगे और साथ में पूरी रात तुम मुझे निचोड़ती रहना। चलो अब चला जाय।
Wao! Amazing kya hi feel ke sath kahani bya ki hai ruhi ne, arya ne ruhi ko apne khud ka pack bnane ka kaha hai or Kaise log use chahiye Iska dhyan bhi rakhne bola...
Yha hame arya ki ek kamjori ke bare me bhi pta Chal gya, arya Apne Aap ko badalne se nhi rok sakta jab koi uske anaconda se khelne lage, iske liye ruhi practice karvane vali hai, ruhi ki kahani sun kr Dukh bhi hua Vahi bhumi Di ne ruhi ko bchaya or baki baccho ko Padhne avam Sabhi ka registration prahariyo ke pash hone vali baat padh kr accha lga, aise hi thodi vo Itni famous hai usne Bahut se acche kaam kiye hai dono hi duniya ke liye... Ruhi ne Maharashtra me bhrast prahariyo dwara wolf se apne kaam nikalvane ki baat bhi btai jiske bare me arya Pahle se hi janta tha...
Arya ne ruhi ko khoon pine or mans khane se Mna kr diya, bina khoon piye hi ruhi ne twin wolf ki shakti hasil ki or sath me bache huye bita ko khatm bhi kiya unko thikane lga kr, arya ne 1 mahine shakti ko kabu karne ki training dene ko kaha... Superb bhai jabarjast sandar lajvab
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Nahi cancer nahi hoga... Kyonki wolf hai heal kar jayenge :D.. aur ek raat ki planning kaise hui... Subah college me hai aur raat tak ki planning hai....
Tattoo... 4 hr
Blood oath.... 5 minute
Ek planning for murder... 1 hour
Fourplay... Maximum 2hr
Sex.... Maximum 1hr...

Sirf 8 ghante ka kaam hai raat 8 se shuru karenge subah 4 tak samapt...simple matmatics... Waise simple mathmatics to aapne bhi comment me de diya... Log aapke comment padh le fir to unhe update ki jaroorat hi nahi...kya mast aur funny narrate kiya hai...
Baki jo hoga... Wo jald hi pata chalega wo bhi dhum dham se
Ham fom me Tabhi aane suru huye the jb Aapki isqe risk padhi thi or uske baad se to ruke hi nhi, Ha thoda sa badal sake hai Apne Aapko, Aap bhi gayab Naina ji bhi gayab anand bhai bhi gayab enigma bhai bhi gayab or to or Kingfisher99 jo ab only kingfisher rah gya hai uske sath 11starfan bhi gayab. Ab Aap hi btao akela chhod kr aap jaoge to Kaise sikhne milega hame.

Romance or erotica me ghuste nhi ham, bs Aapki story Thi isliye gye the to aap adhure chhod diye or jb vapas aaye to ham nhi pahuch paye notification na milne pr... Pr koi na yahi maze karenge mil baith kr...

Ham to Kai baar soche Aapko call Kare ya email fir yahi soch ke Ruk gye kahi bhabhi ji ke hath me phone hua to ulta lanka lag jani hai hmari or hmare bhai Nain11star ki...
 

Scorpionking

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भाग:–30




एक अध्याय समाप्त होने को था, और पहला लक्ष्य मिल चुका था। रात के तकरीबन 10.30 बजे आर्यमणि वापस आया। भूमि हॉल में बैठकर उसका इंतजार कर रही थी। आर्यमणि आते ही भूमि के पास चला गया… "किस सोच में डूबी हो।"..


भूमि:- सॉरी, वो मैंने तुझे टेस्ट के बारे में कुछ भी नही बताया।


आर्यमणि:- वो सब छोड़ो, मुझे पढ़ने में मज़ा नहीं आ रहा, मुझे कुछ पैसे चाहिए, बिजनेस करना है।


भूमि:- हाहाहाहा… अभी तो तूने ठीक से जिंदगी नहीं जिया। 2-4 साल अपने शौक पूरे कर ले, फिर बिजनेस करना।


आर्यमणि:- मुझे आप पैसे दे रही हो या मै मौसी से मांग लूं।


भूमि:- तूने पक्का मन बनाया है।


आर्यमणि:- हां दीदी।


भूमि:- अच्छा ठीक है कितने पैसे चाहिए तुझे..


आर्यमणि:- 10 करोड़।


भूमि:- अच्छा और किराये के दुकान में काम शुरू करेगा।


आर्यमणि:- अभी स्टार्टअप है ना, धीरे-धीरे काम बढ़ाऊंगा।


भूमि:- अच्छा तू बिजनेस कौन सा करेगा।


आर्यमणि:- अर्मस एंड अम्यूनेशन के पार्ट्स डेवलप करना।


भूमि:- क्या है ये सब आर्य। गवर्नमेंट तुम्हे कभी अनुमति नहीं देगी।


आर्यमणि:- दीदी भरोसा है ना मुझ पर।


भूमि:- नहीं।


आर्यमणि:- क्या बोली?


भूमि:- भाई कुछ और कर ले ना। ये हटके वाला बिजनेस क्यों करना चाहता है। आराम से एक शॉपिंग मॉल का फाइनेंस मुझसे लेले। मस्त प्राइम लोकेशन पर खोल। तेजस दादा को टक्कर दे। ये सब ना करके तुझे वैपन डेवलप करना है। भाई गवर्नमेंट उसकी अनुमति तुम्हे नहीं देगी वो सिर्फ इशारों और डीआरडीओ करता है।


आर्यमणि:- अरे मेरी भोली दीदी, गन की नली उसके पार्ट्स, ये सब सरकारी जगहों पर नहीं बनता है। मैंने सब सोच रखा है। मेरा पूरा प्रोजक्ट तैयार भी है। तुम बस 10 करोड़ दो मुझे और 2 महीने का वक़्त।


भूमि:- ठीक है लेकिन एक शर्त पर। तुझे कितना जगह में कैसा कंस्ट्रक्शन चाहिए वो बता दे। काम हम अपनी जगह में शुरू करेंगे।


आर्यमणि:- जगह 6000 स्क्वेयर फुट। 1 अंडरग्राउंड फ्लोर और 4 फ्लोर उसके ऊपर खड़ा।


भूमि:- ओह मतलब तू प्रोजेक्ट के बदले सरकार से लॉन लेता, फिर अपना काम शुरू करता।


आर्यमणि:- हां यही करने वाला था।


भूमि:- कोई जरूरत नहीं है, तू बस अपना प्रोजेक्ट रेडी रख, बाकी सब मैं देख लूंगी। और कुछ..


आर्यमणि:- हां है ना…


भूमि:- क्या?


आर्यमणि:- जल्दी से खुशखबरी दो, मै मामा कब बन रहा हूं।


भूमि:- हां ठीक मैंने सुन लिया, अब जाएगा सोने या थप्पड़ खाएगा। ..


सुबह-सुबह का वक़्त और आर्यमणि की बाइक सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस के घर पर। घर की बेल बजी और नम्रता दरवाजा पर आते ही…. "आई पहली बार तुम्हारे छोटे जमाई घर आये है, क्या करूं?"..


"छोटे जमाई"… सुनकर ही पलक खुशी से उछलने लगी। वो दौड़कर बाहर दरवाजे तक आयी और आर्यमणि का हाथ पकड़कर अंदर लाते…. "हद है दीदी आप तो ऐसे पूछ रही हो जैसे पहली बार कोई दुल्हन घर आ रही हो। यहां बैठो आर्य, क्या लोगे।"


आर्यमणि:- कल तुम्हारे लिए कुछ शॉपिंग की थी, रख लो।


नम्रता:- जारा मुझे भी दिखाओ क्या लाये हो?


जैसे ही नम्रता बैग दिखाने बोली, पलक, आर्यमणि के हाथ से बैग छीनकर कमरे में भागती हुई…. "पहनकर दिखा देती हूं दीदी, मेरे लिए ड्रेस और एसेसरीज लेकर आया है।"..


नम्रता:- हां समझ गई किस तरह के ड्रेस लाया होगा। और आर्य, आज से कॉलेज जाने की अनुमति..


आर्यमणि:- अनुमति तो कल से ही मिल गयि थी। लेकिन हां कल किसी ने जादुई घोल में लिटा दिया तो मेरे पूरे जख्म भर गये।


"माफ करना आर्य, तुम्हारे कारनामे ही ऐसे थे कि किसी को यकीन कर पाना मुश्किल था। हां लेकिन वो करंट वाला मामला कुछ ज्यादा हो गया था।"…. राजदीप उन सब के बीच बैठते हुए कहने लगा।


अक्षरा:- टेस्ट के नाम पर जान से ही मार देने वाले थे क्या? सीधा-सीधा वुल्फबेन इंजेक्ट कर देते।


राजदीप:- फिर पता कैसे चलता आर्यमणि कितना मजबूत है। क्यों आर्य?


आर्यमणि:- हां बकड़े की जान चली गई और खाने वाले को कोई श्वाद ही नहीं मिला।


राजदीप:- बकरे से याद आया, आज मटन बनाते है और रात का खाना हमारे साथ, क्या कहते हो आर्य।


"वो भेज है दादा, नॉन भेज नहीं खाता।".. अंदर से पलक ने जवाब दिया।


राजदीप:- पहला वुल्फ जो साकहारी होगा।


आर्यमणि:- मेरे दादा जी मुझे कुछ जरूरी ज्ञान देने वाले थे। इसलिए मै जब मां के गर्भ में नहीं था उस से पहले ही उन्होंने मां को नॉन भेज खाने से मना कर दिया था। जबतक मै पुरा अन्न खाने लायक नहीं हुआ, तबतक उन्होंने मां को मांस खाने नहीं दिया था। दादा जी मुझे कुछ शुद्घ ज्ञान के ओर प्रेरित करने वाले थे इसलिए..


उज्जवल:- तुम्हारे दादा जी बहुत ज्ञानी पुरुष थे। अब लगता है वो शायद किसी के साजिश का शिकार हो गये। कोई अपनी दूर दृष्टि किसी कार्य में लगाये हुये था जिसके रोड़ा तुम्हारे दादा जी होंगे। दुश्मन कोई बाहर का नहीं था, वो तो अब भी घर में छिपा होगा।


राजदीप:- बाबा ये क्या है? वो बच्चा है अभी। और सुनो बच्चे शादी तय हो गई है इसका ये मतलब नहीं कि ज्यादा मस्ती मज़ाक और घूमना-फिरना करो। पहले कैरियर पर ध्यान दो।


आर्यमणि:- कैरियर पर ध्यान दूंगा तो आपके जैसा हो जाऊंगा भईया। जल्दी शादी कर लो वरना सुपरिटेंडेंट से अस्सिटेंट कमिश्नर बनने के चक्कर में लड़की नहीं मिलेगी।


आर्यमणि की बातें सुनकर सभी हंसने लगे, इसी बीच पलक भी पहुंच गई। ब्लू रंग की पेंसिल जीन्स, जो टखने के थोड़ा ऊपर था। नीचे मैचिंग शू, ऊपर ब्राउन कलर का स्लीवलेस टॉप और उसके ऊपर हल्के पीले रंग का ब्लेजर। बस आज तैयार होने का अंदाज कुछ ऐसा था कि पलक नजर मे बस रही थी।


राजदीप:- ये उस दिन भी ऐसे ही तैयार होकर निकली थी ना? आई हमारे लगन फिक्स करने से पहले कहीं दोनो के बीच कुछ चल तो नही रहा था? जब इसका लगन तय कर रहे थे, तब पलक ने एक बार भी नहीं कहा कि वो किसी और को चाहती है। दाल में कुछ काला है।


पलक:- आप पुलिस में हो ना दादा, कली दाल पकाते रहो, हम कॉलेज चलते है। क्यों आर्य..


दोनो वहां से निकल गये और दोनो को जाते देख सभी एक साथ कहने लगे… "दोनो साथ में कितने प्यारे लगते है ना।"..


"बहुत स्वीट दिख रहे हो, चॉकलेट की तरह"… पलक आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी।


आर्यमणि, कार को एक किनारे खड़ी करके पलक का हांथ खींचकर अपने ऊपर लाया और उसके खुले बाल जो चेहरे पर आए थे, उस हटाते हुए पलक की आखों में झांकने लगा… पलक कभी अपनी नजर आर्यमणि से मिलाती तो कभी नजरें चुराती… धीरे-धीरे दोनो करीब होते चले गए। आर्यमणि अपने होंठ आगे बढ़ाकर पलक के होंठ को स्पर्श किया और अपना चेहरा पीछे करके उसके चेहरे को देखने लगा।


पलक अपनी आखें खोलकर आर्यमणि को देखकर मुस्कुराई और अगले ही पल उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर, उसे प्यार से चूमने लगी। दोनो की ही धड़कने बढ़ी हुई थी। आर्यमणि खुद को काबू करते अपना सर पीछे किया। पलक अब भी आंख मूंदे बस अपने होंठ आगे की हुईं थी।


आर्यमणि, होंठ पर एक छोटा सा स्पर्श करते…. "रात में ऐसे पैशन के साथ किस्स करना पलक, कार में वो मज़ा नहीं आयेगा।"


आर्यमणि की बात सुनकर पलक अपनी आखें दिखती…. "कॉलेज चले।"..


कॉलेज पहुंचकर जैसे ही पलक कार से उतरने लगी…. "पलक एक मिनट।"..


पलक:- हां आर्य..


अपने होंठ से पलक के होंठ को स्पर्श करते… "अब जाओ"… पलक हंसती हुई.. "पागल"…


आर्यमणि पार्किंग में अपनी कार खड़ी किया, तभी रूही भी उसके पास पहुंच गई… "हीरो लग रहे हो बॉस।"


आर्यमणि:- थैंक्स रूही..बात क्या है जो कहने में झिझक रही हो।


रूही:- तुम्हे कैसे पता मै झिझक रही हूं।


आर्यमणि उसके सर पर टफ्ली मारते… "मै किसी के भी इमोशंस कयि किलोमीटर दूर से भांप सकता हूं, सिवाय अपनी रानी के।"..


रूही:- चल झूटे कहीं के…


आर्यमणि, उसे आंख दिखाने लगा। रूही शांत होती… "सॉरी बॉस।"..


आर्यमणि:- जाकर कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ लो ना।


रूही:- हमे इजाज़त नहीं आम इंसानों के साथ ज्यादा मेल-जोल बढ़ना। वैसे भी किसी पर दिल आ गया तो जिंदगी भर उसे साथ थोड़े ना रख सकते है। पहचान तो खुल ही जाना है। मुझसे नहीं तो मेरे बच्चे से।


आर्यमणि:- तुम मेरे पैक में हो और पहले ही कह चुका हूं, पुरानी ज़िन्दगी को अलविदा कह दो। खुलकर अपनी जिंदगी जी लो। तुम जिस भविष्य कि कल्पना से डर रही हो, उसकी जिम्मेदारी मेरी है।


रूही:- क्या सच में ऐसा होगा।


आर्यमणि:- मेरा वादा है।


रूही आर्यमणि की बात सुनकर उसके गले लग गई। आर्यमणि उसे खुद से दूर करते… "यहां इमोशन ना दिखाओ, जबतक सरदार का कुछ कर नहीं लेते। अब तुम बताओगी झिझक क्यों रही थी।"..


रूही:- अलबेली इधर आ…


रूही जैसे ही आवाज़ लगाई, बाल्यावस्था से किशोरावस्था में कदम रखी, प्यारी सी लड़की बाहर निकलकर आयी.. आर्यमणि उसे देखकर ही समझ गया वो बहुत ज्यादा घबरायि और सहमी हुई है। उसके खुले कर्ली बाल और गोल सा चेहरा काफी प्यारा और आकर्षक था, लेकिन अलबेली की आंखें उतनी ही खामोश। देखने से ही दिल में टीस उठने लगे, इतनी प्यारी लड़की की हंसी किसने छीन ली।


आर्यमणि, थोड़ा नीचे झुककर जैसे ही अलबेली के चेहरे को अपने हाथ से थामा... उस एक पल में अलबेली को अपने अंदर किसी अभिभावक के साये तले होने का एहसास हुआ, जो अंदर से मेहसूस करवा जाए कि मै इस साये तले खुलकर जी सकती हूं। उस एक पल का एहसास... और अलबेली के आंखों से आंसू फुट निकले...


आर्यमणि उसके चेहरे को सीने से लगाकर उसके बलो में हाथ फेरते हुए… "अलबेली रूही दीदी के साथ रहना। आज से तुम्हारे इस प्यारे चेहरे पर कभी आंसू नहीं आयेंगे, ये वादा है। जाओ तुम कार में इंतजार करो।"..


रूही:- ट्विन अल्फा के मरने के जश्न में अलबेली के बदन को नोचा जा रहा था। ये भी उस किले के उन अभगों मे से है, जिसका कोई पैक नहीं, सिवाय इसके एक जुड़वा भाई के। इसका जुड़वा, इसे बचाने के लिए बीच में आया तो उसे कल रात ही मार दिया गया। किसी तरह मै अलबेली को वहां से निकाल कर लायी हूं, लेकिन सरदार को मुझपर शक हो गया...


आर्यमणि:- हम्मम ! किसकी दिमागी फितूर है ये..


रूही:- और किसकी सरदार खान के चेले नरेश और उसके पूरे पैक की।


आर्यमणि:- चलो सरदार खान के किले में चलते है। अपना पैक के होने का साइन बनाओ। आज प्रहरी और सरदार खान को पता चलना चाहिए कि हमारा भी एक पैक है। अलबेली यहां आओ।


अलबेली:- जी भईया..


आर्यमणि:- तुम अपने बदले के लिए तैयार रहो अलबेली। हमे घंटे भर में ये काम खत्म करना है। लेकिन उससे पहले इसे ब्लड ओथ लेना होगा। क्या ये अपना पैक छोड़ने के लिए तैयार है?


रूही:- इसका कोई पैक नहीं। बस 2 जुड़वा थे। इसके अल्फा को पिछले महीने सरदार ने मार दिया था और बचे हुए बीटा अलग-अलग पैक मे समिल हो गये सिवाय इन जुड़वा के, जिन्हें कमजोर समझ कर खेलने के लिये किले में भटकने छोड़ दिया।


आर्यमणि:- चलो फिर आज ये किला फतह करते है। ब्लड ओथ सेरेमनी की तैयारी करो।


रूही अलबेली को लेकर सुरक्षित जगह पर पहुंची। चारो ओर का माहौल देखने के बाद रूही ने आर्यमणि को बुलाया। आर्यमणि वहां पहुंचा। रूही, चाकू अलबेली के हाथ में थमा दी। अलबेली पहले अपना हथेली चिर ली, फिर आर्यमणि का। और ठीक वैसे ही 2 मिनट की प्रक्रिया हुई जैसे रूही के समय में हुआ था।


अलबेली भी अपने अंदर कुछ अच्छा और सुकून भरा मेहसूस करने लगी। रूही के भांति वह भी अपने हाथ हाथ को उलट–पलट कर देख रही थी। अलबेली को पैक में सामिल करने के बाद आर्यमणि, उन दोनों को लेकर सरदार खान की गली पहुंचा, जिसे उसका किला भी मानते थे। जैसे ही किले में आर्यमणि को वेयरवॉल्फ ने देखा, हर कोई उसे ही घुर रहा था। आर्यमणि आगे–आगे और उसके पीछे रूही और अलबेली। तीनों उस जगह के मध्य में पहुंचे जिसे चौपाल कहते थे। इस जगह पर आम लोगों को आने नहीं दिया जाता था। 4000 स्क्वेयर फीट का खुला मैदान, जिसके मध्य में एक विशाल पेड़ था और उसी के नीचे बड़ा सा चौपाल बना था, जहां बाहर से आने वालों को यहां लाकर शिकार किया करते थे तथा सरदार खान की पंचायत यहीं लगती थी।


रूही को देखते ही वहां का पहरेदार भाग खड़ा हुआ। रूही ने दरवाजा खोला, आर्यमणि सबको लेकर अंदर मैदान में पहुंचा। रूही अपने चाकू से उस चौपाल के पेड़ पर नये पैक निशान बनाकर उसे सर्किल से घेर दी। सर्किल से घेरने के बाद पहले आर्यमणि ने अपने खून से निशान लगाया, फिर रूही ने और अंत में अलबेली ने। यह लड़ाई के लिये चुनौती का निशान था। इधर किले कि सड़क पर जैसे ही आर्यमणि को सबने देखा, सब के सब सरदार खान के हवेली पहुंचे। मांस पर टूटा हुआ सरदार खान अपने खाने को छोड़कर एक बार तेजी से दहारा….. "सुबह के भोजन के वक़्त कौन आ गया अपनी मौत मरने।".. ।


नरेश:- सरदार वो लड़का आर्यमणि आया है, उसके साथ रूही और अलबेली भी थी।


सरदार:- अलबेली और रूही के साथ मे वो लड़का आया है। क्या वो हमसे अलबेली के विषय में सवाल-जवाब करने आया है? या फिर कॉलेज के मैटर में इसने जो हमारे कुछ लोगों को तोड़ा था, उस बात ने कहीं ये सोचने पर तो मजबूर नहीं कर दिया ना की हम कमजोर है। नरेश कहीं हमारी साख अपने ही क्षेत्र में कमजोर तो नहीं पड़ने लगी...


नरेश:- खुद ही चौपाल तक पहुंच गया है सरदार, अब तो बस भोज का नगाड़ा बाजवा दो।


सरदार ने नगाड़ा बजवाया और देखते ही देखते 150 बीटा, 5 अल्फा के साथ सरदार चौपाल पहुंच गया। सरदार और उसके दरिंदे वुल्फ जैसे ही वहां पहुंचे, पेड़ पर नए पैक का अस्तित्व और उसपर लड़ाई की चुनौती का निशान देखते ही सबने अपना शेप शिफ्ट कर लिया… खुर्र–खुरर–खुर्र–खूर्र करके सभी के फेफरों से गुस्से भरी श्वंस की आवाज चारो ओर गूंजने लगी.…
Outstanding update bhai. Ab ayega na maza jab आर्यमणि sardar se or uske pantro se bhidega. Ab dekhte hai age kya hota hai.
 
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