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अध्याय आठ: नया घर |
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कुछ ही देर हुए थे की सुहानी, अनिता, प्रिया और आर्यन के सामने एक मर्सिडीज बेंज आकार रूकी। उसमे से एक चौबीस पच्चीस साल की लड़की बाहर निकली। वह सीधे सुहानी के पास आई और अपना सर झुका कर विश किया "गुड आफ्टर नून मैडम!" सुहानी सब का परिचय एक दूसरे से करवाती है। फिर वह सोनम की ओर मुड़कर कहती है। "घर चलो।" "ओके मैडम!" सोनम बाली और सबके लिए गेट खोल दी। प्रिया अनिता और सुहानी पिछली सीट पर बैठ गई। वही आर्यन ड्राइविंग सीट के बगल वाली सीट पर बैठ गया। जब गाड़ी कुछ दूर निकली तो अचानक सुहानी ने सोनम से पूछा "क्या सब कुछ रेडी है?" "जी मैडम!" सोनम सर हिलाकर जबाव दी। वहा पर बैठे बाकी तीनों को उनकी बाते सिर के ऊपर से निकल रही थी। वे सब चुप रहना ही ठीक समझे। बाकी का रास्ता ऐसे ही शांति से गुजर गया। कुछ देर बाद कर की ब्रेक लगी। सबने देखा तो एक आलीशान घर के सामने कार रूकी हुई थी। जो बहुत ही सुंदर थी। घर करीब चौसठ सौ स्क्वायर मीटर की जमीन पर बहुई थी। बाहर से देखने पर घर बहुत सुंदर दिख रहा था। कार जाकर पार्किंग स्पेस में पार्क हो गई। वहा से निकल कर पांचों गार्डन से होकर मेन गेट के सामने पहुंच गए। सोनम ने अपने पॉकेट से एक चाभी निकली और फिर बड़े से गेट को खोला। सभी अंदर जाकर घर को इधर उधर देखने लगे। घर के बीचों बीच एक बड़ा शानदार हॉल था। घर तीन मंजिला था। ग्राउंड फ्लोर पर करीब तीस कमरे थे। हालाकि कमरा बाकी की मंजिल ले कमरे से छोटा था लेकिन आम कमरे की लंबाई से बहुत ही बड़ा था। सभी कमरे के साथ अटैच बाथरूम भी था। फर्स्ट फ्लोर पर बीस कमरे थे। वही सेकेंड फ्लोर पर एक मुख्य कमरा के साथ साथ बड़े बड़े 10 कमरे थे। फर्स्ट और सेकेंड फ्लोर के कमरे की खास बात यह थी की सभी कमरे लड़कियों के पसंद के हिसाब से बनाते गए थे। केवल मुख्य कमरा को छोड़कर। सभी घूमते घूमते सेकेंड फ्लोर पर पहुंचे। वहा ग्राउंड फ्लोर के हाल के ऊपर की जगह को बंद कर के वहा एक अलग और शानदार लिविंग रूम तैयार किया गया था। एक दीवार पर बड़ी सी टीवी लगी हुई थी। उसके सामने गोलाकार सोफे लगे हुए थे। खिड़की के पास एक आरामदायक सोफा रखा हुआ था। जिसपर लोग आराम से कुछ पढ़ सकते है। प्रिया और अनिता इस सब को देखकर कोई खास हैरान नही हुई। क्योंकि राठौर परिवार का मुख्य बंगला इस से भी भव्य था। सोनम और सुहानी यह कई बार आ चुके थे। इसलिए वो लोग भी कोई हैरान नही हुए। हालांकि आर्यन की बात अलग थी। इतने आलीशान घर को देख उसकी हालत खराब थी। वह सुहानी की तरफ मुड़कर हकलाते हुए बोलता है "मां.. मां यह यह आप हमलोग को कहा लाई हो।" सुहानी उसके सवाल पर मुस्कुराते हुए जवाब देती है, "बेटा यह हमारा घर ही है। यह घर पिछले साल ही बनकर तैयार हुआ है। मैं तुम्हारी शादी होने का इंतजार कर रही थी। तब मैं तुम्हे सब कुछ बता देती। लेकिन एक के बाद एक आ रही प्रोब्लम के कारण मैं तुझे सीधे यह ले आई।" "ओह अच्छा!! लेकिन मां अपने कहा की यह पिछले साल ही तैयार हुई है। हमारे पास इतने पैसे भी नहीं की हम इतने शानदार घर बना सके।" आर्यन दूसरा सवाल करता है। यह सवाल उसके मन में यह आने के बाद से ही आई थी। प्रिया और अनिता भी इसका जबाव जानना चाहते थे। आखिर उन्हें इतना ही पता था की आर्यन एक गरीब परिवार से है। आर्यन की बात सुनकर सुहानी जवाब देती है "बाबू मैं तुम्हे इस बारे में इसलिए नही बताई की मैं तुम्हारा बचपन तुमसे नही छीनना चाहती थी। अगर लोग जानते की तुम बहुत ही अच्छे परिवार से हो तो तुम अच्छे दोस्त नही बना पाते। खैर सबसे बड़ा कारण यह है की मैं तुमको पैसे का घमंडी बना नही देखना चाहती थी। इसीलिए मैने तुमको अब तक आम जिंदगी जीने दिया। खैर अब समय आ गया है की अब तुम्हे अपने बारे में पता चलना चाहिए।" सुहानी मुस्कुराते हुए आर्यन का हाथ पकड़ती है और सोफे पर ले जाकर उसे अपने साथ बिठा लेता है। सोनम अनिता और प्रिया भी बगल में बैठ गए। आर्यन से अब नही रहा जा रहा था वह जोर देकर पूछता है "बताओ न मां!" सुहानी को उसकी इस हड़बड़ी को देख हंसी आ जाती है। वह हंसते हुए कहती है "बाबू तुमने आर्यन ग्रुप ऑफ कंपनी का नाम सुना है।" सुहानी की बात सुनकर प्रिया और अनिता चौक जाते है "यह वही आर्यन ग्रुप है न जो पूरे पटना और आसपास के इलाके में सबसे बड़ा ग्रुप है।" प्रिया अचानक से पूछती है। क्योंकि वह पिछले दो महीने से आर्यन ग्रुप से ही अपनी बिजनेस की बात करना चाह रही थी। लेकिन उसे कोई जवाब ही नही मिल रहा था। "हा प्रिया! मैं उसी आर्यन ग्रुप की बात कर रही हू।" सुहानी अपना सर हिला कर जवाब देती है। "तो आप वही आर्यन ग्रुप की मिस्टीरियस मालकिन हो जिसे आज तक किसी ने नहीं देखा है।" प्रिया एक बार फिर से अपनी बात को कन्फर्म करते हुए बोली। फिर उसे कुछ याद आया "आर्यन ग्रुप बीस साल पहले बना। मतलब उस वक्त आर्यन केवल चार साल का रहा होगा। मतलब आपने आर्यन के साथ साथ आर्यन ग्रुप को भी पाला है। आप बहुत ही ताकतवर हो आंटी।" प्रिया की बात सुनकर सुहानी मुस्कुराई। एक मां के लिए अपना बिजनेस शुरू करना कोई आसान काम नही था। काफी दौड़ धूप किए थे उसने। वही प्रिया की इस बात पर आर्यन को बहुत बुरा लगा की वह अपनी मां की मदद नही कर पाया। खैर वह इस सब बात को छोड़ कर अपना अगला सवाल पूछता है "लेकिन मां आप इतना ताकतवर कैसे हो। आपकी स्पीड बहुत तेज है। कैसे।" आर्यन की इस बात पर सुहानी को बीते साल की बाते याद आने लगती है। वह आर्यन को देख कर कहती है "यह सब शक्तियां मुझे तुम्हारे पिता ने सिखाई।" अपने पिता को बात सुन आर्यन के कान खड़े हो जाते है। क्योंकि आज तक उसने सुहानी की मुंह से अपने पिता का जिक्र नहीं सुना था। उसे याद है की बचपन में उसने एक बार पूछ था अपने पिता के बारे में लेकिन सुहानी उसे कुछ नहीं बताई। बाद में उसने पूछना छोड़ ही दिया। वह सुहानी को कहता है "मां अपने कभी पिता जी के बारे में नही बताया। क्या आप आज बताओगी?" सुहानी आर्यन की आंखो में आई चमक को देख कर वह अपने अतीत में चली जाती है "बात उस समय की है…" |