Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer)
भाग - 01
अपडेट - 03
शीर्षक - अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
अब आगे :-
दिल्ली जैसे व्यस्त शहर के एक सुनसान सड़क पर स्ट्रीट लाइट के नीचे रखे बेंच पर एक लड़का लेटा हुआ था और अपने आंखों पर हाथ रखे नीचे ट्रेवल बैग का तकिया बनाया हुआ, अपनी आंखे बंद किए आज जो हुआ और आगे जो होगा उसके बारे में सोच रहा था, आइए जानते है आज इस लड़के के साथ हुआ क्या है और ये है कौन है :-
वास्तव में यह लड़का है अमन शास्त्री जो एक निम्न वर्गीय परिवार से आता है (हालिया अमन के घर की स्थिति के अनुसार) , अमन शास्त्री आज दिल्ली में दिल्ली पुलिस भर्ती में मेडिकल के लिए आया है, और उसे बिना कारण के ही रिजेक्ट कर दिया गया न कोई कारण बताया गया और नही री मेडिकल के लिए बुलाया गया था असल बात ये थी कि अमन के बाद केवल एक ही लड़का बचा हुआ था और कंडीडेट एक ही चाहिए और इस दूसरे लड़के ने पहले से ही बड़े अधिकारियों की जेब गरम कर दिया था और अमन तो यहां आने के लिए ही दूसरे के द्वारा उधार लिए गए पैसे का उपयोग किया था।
अमन यही सोच रहा था की वह किस मुंह से अपने घर जाए कैसे अपने पापा को बताए की उसे रिजेक्ट कर दिया गया है।
अमन के पिताजी दिल्ली के ***** महाविद्यालय के सामने ही फास्ट फूड के ठेला लगाते थे जिससे उनके घर परिवार के लिए खर्च निकल जाता है। अमन पढ़ने में काफी तेज था उसके 12थ में 96% आया था जिसके चलते *****महाविद्यालय में छात्रवृति पर एडमिशन हो गया था अपने घर की स्थिति को देखते हुए अमन ने दिल्ली पुलिस के वकैंसी आने पर फॉर्म अप्लाई किया और उसने पेपर क्वालीफाई करके दौड़ भी निकाल लिया लेकिन आज मेडिकल में उसे डिसक्वालीफाई कर दिया गया, बिना कारण बताए। यह सोचते हुए अमन के बंद आंखों से आशु निकल रहे थे। अमन एक ऐसा लड़का था जो की अपनी हालातो से लड़ता था न की भागता था लेकिन यह अब एक ऐसी परिस्थिति बन गई थी की अमन अपने आप को खत्म करना चाहता था लेकिन उसके परिवार के लोगो में इसकी जान से प्यारी छोटी बहन, माता - पिता जो की अमन की खुशी के लिए खुद को भी बेचने से पीछे नहीं हटते इन्हे कैसे छोड़ कर चला जाता। वह यह यही सोच रहा था की वह क्या करे……………………………………
फिर अमन अपनी सोचो पर विराम देते हुए उठ जाता है और रोड पर अपने कंधो पे बैग लिए आगे की ओर बढ़ने लगता है, तभी अमन के पीछे एक अनबैलेंसड कार चली आ रही थी और कार की गति इतनी तेज थी की अमन को कुछ सोचने या फिर अपनी रक्षा करने का समय ही नहीं मिला और कार एक जोर का टक्कर अमन को मारती है जिससे अमन कार के साथ साथ सड़क के पास के स्ट्रीट लाइट में टकराता है टकराने के साथ साथ ही कार के फ्रंट शीशे को तोड़ते हुए एक आदमी जिसके हाथ में एक नीला बॉक्स जो सीसे का बना हुआ था वह आकर अमन के मुंह पर लगता है जिससे नीले बॉक्स अमन के चेहरे पर टूट जाता है और कमाल की बात ये थी की इस बॉक्स के टूटने से कोई भी सीसे के कण नीचे नही गिरता है । अमन को चोट लगने से अमन बेहोश क्या क्रिटिकल पोजिशन में चला जाता है और वह आदमी का सर स्ट्रीट लाइट के पोल से जाकर टकराता है जिससे उसकी मौत जगह पर ही हो जाता है।……………….
10 मिनट बाद…..
देवानंद जी पूरे परिवार के साथ रात के खाने के लिए बैठे थे….
"पापा भैया ने अभी तक एक फोन भी नहीं किया.. सुबह से गए अभी तक उनका कोई खबर नहीं आया…." वंदना ने थोड़े गुस्से में अपने भाई की शिकायत करते हुए अपने पापा से बोली।
" तुझे सच में उसकी चिंता हो रही है हा….. कहीं आज सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला है…. देव क्या आज सच में सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला था क्योंकि महारानी साहिबा आज दिन भर से अपने भाई को पूछ रही है.." अमन की मा ने वंदना की बातो को सुनकर उसे ताना मारते हुए कहा….
" मां वो मेरे भैया है तो उनकी फिकर तो होगी ही…" वंदना ने अपनी मां कि बात को सुनकर कहा
" हा… हा पता है मुझे.. बड़ी आई भैया वाली….. तब तुझे भैया नजर नहीं आता जब तू उस परेशान करती है" मां ने वंदना की बात को सुनकर कहा
" हा तो करूंगी ही … वह तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और भैया भी तो मुझे परेशान करते है… तब तो आप उन्हें कुछ नहीं कहती…." वंदना ने भी अपनी मां की बात को सुनकर उनकी जवाब दिया
" सावित्री तुम क्यों इन भाई बहन के बीच में आ रही हो…… अब ये नहीं लड़ेंगे तो कौन लड़ेगा और तुम मेरी लाडली को अब कुछ मत कहना.." बहस खत्म करने के उद्देश्य से देवानंद जी ने कहा क्योंकि वे जानते थे कि जब तक वे कुछ बोलेंगे नहीं तब तक दोनों में से कोई चुप नहीं होगा। वंदना ने जब आनी पापा की बात सुनी तो खुश होते हुए अपने मां की ओर देखा और जीभ निकाल कर उन्हे चिढ़ाने लगी
" हा हा और बीगाड़ो आप इन दोनों को मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनता…." सावित्री जी ने कहा और वे वहां से खाने की थाली लाने रसोई घर में चली गई।
दरअसल बात ये है कि अमन और वंदना में कुत्ते बिल्ली की लड़ाई चलती है जिसमें सावित्री जी का पीसना कन्फर्म है लेकिन आज वंदना कुछ बेचैन थी क्योंकि अमन आज उसे मिले बिना ही चला गया था जो की आज तक कभी नहीं हुआ था। वंदना और अमन में कितना भी लड़ाइयां हो जाय लेकिन एक दूसरे के देखे बिना उनका सुबह नहीं होता…
अपनी मां कि बात को सुनकर वंदना कुछ बोलने ही वाली थी कि फोन रिंग होने लगता है ……
"आ गई भाई की फोन" फोन बजते ही वंदना खाने पर से उठने लगी की…..
"चुपचाप बैठ मै देखती हूं….. (अपने बड़बड़ाते हूं) इतना प्यार है इन दोनों में लेकिन ऐसे झगड़ा करते है जैसे कि कितने जन्म के दुश्मन हो" अमन की माता जी ने कहा जो खाने की थाली लेकर आ रही थी और देवानंद जी और वंदना को उनकी खाने किं थाली देकर टेबल पर से फोन को उठाया तो देखा ये अमन के ही फोन था तो फोन उठाते हुए………..
अमन की मा :- हेल्लो! बेटा……
अमन :- हेल्लो मा!
अमन की मा :- हा बेटा कैसा है तू और तूने सुबह कुछ क्या की नहीं और क्या हुआ तेरा क्या तू पुलिस बन गया। (ये बात खुश और चिंता जताते हुए सावित्री जी ने कहा)
अमन :- मां….शांत मां…. कितना सवाल एक साथ पूछोगी एक एक करके पूछिए।
अमन की मां कुछ बोलने वाली थी कि उनके हाथ से किसी ने फोन ले लिया और ये कोई नहीं वंदना थी……..
वंदना :- हां तो बताना चालू करिए……..
अमन :- हेल्लो……
वंदना :- हां बोल तो रही हूं…….
अमन :- हेल्लो मां….. हेल्लो….
वंदना :- भैया आइए घर आपके कान में तेल डालती हूं तब आपको सुनाई देने लगेगा…… (थोड़ा गुस्से मै वंदना ने कहा)
वंदना की गुस्से मै होने से अमन अपनी हसी को रोकते हुए इधर मां और पापा भी अपनी हसी को रोक हुए थे नहीं तो वंदना क्या करती ये सभी जानते थे ….
अमन :- हेल्लो…..
वंदना :- भैया ये ज्यादा हो रहा है….
अमन :- हेल्लो…..
वंदना :- मै फोन तोड़ दूंगी….
अमन :- हेल्लो….
अब वंदना गुस्से में आ गई थी और अमन के सभी घरवाले जानते थे कि जब वंदना को गुस्सा आता है तो क्या होता है तो अमन के पिताजी अब खाने से उठे और वंदना को गुस्से मै आते देख वे तुरंत उसके पास आकर फोन देने का इशारा किए और वंदना जो बोलने वाली थी उसे नहीं बोला और अपने पापा का आदेश सुनकर उन्हे फोन उन्हे दे दिया।
देवानंद :- हा बेटा बोल……
अमन :- (अपने पापा की आवाज सुनकर उनसे कहता है) पापा कुछ नहीं हुआ…. अमन थोड़ा मायूस होते हुए बोला…
देवानंद जी :- हा तो……
अमन :- पापा मुझे डिसक्वालिफाई कर दिया गया है……
देवानंद जी :- (शान्ति से) हा तो बेटा घर आजा…अभी तो तेरे खेलने के दिन है मै तो तुझे पहले ही कहा था अभी समय है तू ने ही जिद्द की थी और यह तेरा पहला चांस है ना कि अंतिम। .. तो तुम अगली बार फिर से कोशिश करना मै जनता हूं कि मेरा बेटा अगली बार जरूर पुलिस बन जाएगा।
अमन :- पापा मै अभी 5 दिन घर नहीं आ सकता..
देवानंद जी :- और वह किस खुशी में बेटा जी …..
अमन :- वो पापा आप तो जानते ही है कि विपिन सर ने मेरी कितनी हेल्प की थी स्कूल में……
देवानंद जी :- हा बेटा….. लेकिन मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि तू कहना क्या चाहता है… विपिन सर का तो ट्रांसफर हो गया है उनके ही गांव में…….
अमन :- हा पापा उन्हीं की शादी है और उन्होंने मुझे बुलाया है तो मै इधर से ही जाना चाहता ही क्योंकि कल ही उनकी शादी की रस्में शुरू होने वाली है और उन्होने मुझे कल ही बुलाया है।….
देवानंद जी :- ठीक है बेटा कोई बात नहीं….. उन्होंने हम पर बहुत अहसान किए है तेरी पढ़ाई में हेल्प करके और वे अपनी खुशी में तुझे सामिल करना चाहते है तो तुम जाओ …… मै इधर संभाल लूंगा…..
अमन :- थैंक्यू पापा……
देवानंद जी :- चल मजे कर…..
फोन कट जाता है…..
देवानंद जी अमन कि बात को घर में सभी को बताते है जिसे सुनने के बाद तो वंदना गुस्से मै अपने कमरे में चली जाती है और जोर से दरवाजा बंद कर देती है…… जिसे देखकर दोनों पति पत्नी के होठं पर मुस्कान तैर जाती है।
".... ये लड़की भी ना…. जब वह इसके पास रहता है तो उसे परेशान करती रहती है और जब वह नहीं रहता है तो पूरा घर अपने सर पर उठा लेती है जैसे भैया से कितना प्यार करती है….. " अमन की मां वंदना के रवैए को देखते हुए अपने आप से बोली जिसे देवानंद जी ने सुन लिया और हस्ते हुए सोने के लिए चले गए और अमन कि मा भी सब काम निपटा कर सोने चली गई……..
इधर अमन की ऐक्सिडेंट वाले स्थल पर…….. कुछ समय बाद इस सड़क पर पुलिस और एंबुलेंस के सायरन का आवाज गूंजने लगता है……………………..
वही कुछ दूरी पर दो कारें खड़ी थी जिनमें काले कोट पहने हुए 8-10 लोग बैठे हुए थे…. उनमें से एक किसी को फोन करता है…..
आदमी - बॉस हमारा मिशन फेल हो
गया….. उसकी कार का ऐक्सिडेंट हो गया है और वह मर गया है … हम उसके पास जाने ही वाले थे कि पुलिस आ गई…..
…….. वह बॉक्स
आदमी - वह तो किसी के हाथ में दिखाई नहीं दे रहा है और नाही कार से ऐसा कुछ निकला है।
……… कितनी देर में पहुंचे तुम लोग वहां..
आदमी - (थोड़ा डरते हुए) जी… जी… बॉस लगभग 20-30 मिनट बाद…
फोन कट जाता है कार में बैठा वह आदमी पसीने से भीग गया था…………
क्या अमन की मौत हो गई है , अगर अमन की मौत हो गई तो अमन के परिवार वालों के यहां फोन किसने किया । आखिर वह नीला बॉक्स था क्या। नीला बॉक्स क्या कोई कैमिकल था या फिर कुछ और ।यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए कहानी Avatar………. (Rebarth Of A Destroyer) । कहानी आगे बढ़ाने से पहले इस कहानी के कुछ किरदारों से अवगत हो जाते है ………………………
अमन का परिवार:-
1.देवानंद शास्त्री :- अमन के पिताजी । उम्र 43 वर्ष । ये एक मेहनती इंसान है परिवार के सुख के लिए कुछ भी करने को सदैव तैयार रहते है। इनकी हाइट लगभग 6 फिर के करीब है, लेकिन वक्त के मार ने इनकी दसा बिगाड़ दिया है। (,, , , , )
2.सावित्री देवी :- अमन के माताजी । उम्र 40 वर्ष । ये एक घरेलू महिला है । अपने पति द्वारा लगाए गए फास्ट फूड के ठेले के लिए मसाला आदि तैयार करती है और उनकी सहायता के लिए भी उनके साथ रहती है इनका खान पान अगर सही रहे तो इनके आगे स्वर्ग की अप्सरा भी पानी भरने लगे लेकिन हालात और गरीबी ने इनसे इनकी सुंदरता छीन लिया है गाल धस गए है आंखों के नीचे काला धब्बा बन गया है। ये अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है। ()()
3.अमन शास्त्री :- ये खुद मैं हूं। मेरी उम्र 20 होने में अभी 3 महीने कम है। मैंने जबसे अपनी होस संभाला है, मैं अपने परिवार को गरीबी में ही देखा है। मैं पूरी कोशिश करता हु की अपने परिवार की हालत को सुधारने में पापा की सहायता करु लेकिन पापा मुझे पढ़ाना चाहते है और मां-पापा ने अपनी कसम दी है अगर मैने पढ़ाई छोड़ी तो जब तक वे न चाहे। खर्च वे कही से भी ला के देंगे मुझे बस पढ़के एक बड़ा अफसर बनाना है मां पापा की यही इच्छा है। मैं भी उनकी कसम को तोड़ नही सकता हूं। मेरी ही पढ़ाई के पीछे उन्होंने अपनी थोड़ी सी भी सुख का भी त्याग कर दिया है, और इंटर तक उन्होंने मुझे एक प्राइवेट school में पढ़ाया । मैंने कई सपने सजा लिए थे कि जब पुलिस बन जाऊंगा तो ये करूंगा वो करूंगा लेकिन कभी किसी के सपने इतनी आसानी से पूरे हुए है जल्दी और खास तौर पर गरीब लोगो का। (,, , , , , , , ,, unlimited , etc…..)
4.वंदना शास्त्री :- मेरी छोटी बहन जिसके कारण परिवार के लोगो के चेहरे पर थोड़ी बहुत मुस्कान दिखाई देता है। इसकी उम्र 18 वर्ष है। मुझसे हरदम लड़ाई करती रहती है लेकिन प्यार भी उतना ही करती है जब तक सुबह मुझे देख ना ले तब तक इसकी सुबह ही नहीं होती है, यह मेरे ही कमरे में ही सोती है वह भी जबरजस्ती। (2 - ?)(?) (,,)
ये हुई मेरे परिवार का परिचय अब आइए कुछ और मुख्य पत्रों के बारे में जान लेते है :-
कनक मेहता :- दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर है। उम्र 27 वर्ष शादी नही हुई है। देखने में रवीना टंडन के जैसे लगती है। (2-01)(03)(,,,)
शैलेंद्र देशमुख :- उम्र लगभग 50 वर्ष । अमन जिस महाविद्यालय में पढ़ता है उस महाविद्यालय के ट्रस्टी साथ ही में इस एरिया के mla। दिल्ली के कॉलेज और महाविद्यालय में नशा की चीजों का मुख्य सेलर और भी गलत धंधे है इसकी संबंध अंडरवर्ल्ड से भी है(,)
रिया देशमुख :- शैलेंद्र देशमुख की छोटी बेटी। उम्र 20 वर्ष। अमन की सहपाठी है । इसके अंदर अमन के लिए एक तरफा प्यार है जिसकी जानकारी किसी को भी नही है यह प्यार तब से उमड़ रहा है जबसे अमन ने इसकी इज्जत बचाई थी (आगे पता चलेगा) । सुंदरता में माधुरी दीक्षित। (2-02)(4)(,,)
जान्हवी सिंघानिया :- (Age-18)जान्हवी इंडिया के टॉप कंपनियों में से एक कंपनी के मालिक संजय सिंघानिया के इकलौती बेटी है। यह वंदना की दोस्त है केवल स्कूल में क्योंकि बाहर उन्हें उनका स्टेटस अलग कर देता था पर जान्हवी अपनी सहेली वंदना को बहुत ही मानती है इसकी सगाई हो गई है। (1-01)(01)(,)
जय सिंघानिया :- जान्हवी के बड़ा भाई है जो उससे 2 साल बड़ा है। दिखाने मै ठीक लड़कियों के राजकुमार जैसा है। वंदना से प्यार करता है…. वंदना भी इसे पसंद करती है लेकिन प्यार नहीं करती है क्योंकि वह किसी और से प्यार करती है। (कौन कहानी में पता चलेगा). इसका एक बड़ा सीक्रेट है।(,,,,,)
किशन भाई:- इसे वसूली भाई के नाम से भी जाना जाता है। ()
सेठ ध्यानचंद्र:- ये ब्याज पर पैसे देता है इसने ही अमन के पिताजी को ब्याज पर पैसा दीया है। यह शैलेंद्र देशमुख के काले धंधे को नियंत्रण करता है मतलब की यह शैलेंद्र के काले धंधों का मैनेजरी का कार्य करता है।()
प्रो० नंदकिशोर चंदानी:- ये पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारी है। इनके ही कार से अमन का एक्सीडेंट हुआ है और गाड़ी वाला शक्स यही है जिनकी अब मौत हो गई है।(,)
अमन ने अपनी स्कूल, कॉलेज टाइम में कोई भी दोस्त नही बनाया था ।
कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती जायेगी वैसे वैसे कहानी में किरदार एक सीमित संख्या तक बढ़ते जाएंगे जिनका परिचय उनका समय आने पर दिया जाएगा। एक और बात बता दूं की कहानी मेरे यानी अमन के साथ ही चलेगी और कहानी में मुख्य केंद्र अमन ही रहेगा। यह कहानी एक वन मैन हीरो स्टोरी है। हा साइड हीरो भी होंगे। जो मुख्य हीरो की सहायता करेंगे।
अमन के परिवार में सभी बिना विचारे कोई भी काम में आगे नही बढ़ते है अगर कोई बात हो तो पहले उसका हल ढूंढते है फालतू में ओवर रियेक्ट नही करते है खास तौर पर अमन के माता पिता। क्योंकि गरीबी सब कुछ सिखा देती है।
कहानी जारी रहेगी.......
अब मिलते है कहानी के अगले अपडेट में.........
Bahot behtareen shaandaar update bhai
Police walo n apna ghanda chehra dikha dikha dia Aman ko reject kerke or wajah bhi nahi bataya
Aman jis gadi se takraya tha woh professor chandani thai jo accident m seedha parlok sudhar gaye woh neela box Aman k muh per takrane se kaha gayab ho gaya
Dono bhai bahen m kutte billi ki tarah ladayi hoti rehti h lekin pyar bhi bahot h
Aman ki awaz m kisne phone kia tha
Parichay dene ka andaz bada shaandaar tha
Baherhal dekhte h aage kia hota
Bahot khoob shaandaar update