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Incest Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer )

Mac01

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आप सभी को बता दू की इस कहानी में मै सप्ताह में कम से कम दो अपडेट दूंगा और अधिकतम की कोई सीमा नहीं रहेगी।

इस कहानी मै सेक्स सीन पर ज्यादा फोकस नहीं किया जाएगा ज्यादा फोकस स्टोरी पर ही किया जाएगा। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कामुक सीन होगा ही नहीं।

इस कहानी में प्यार, नफरत, सस्पेंस, आदि होंगे।
 
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Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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Nice updates
 

Mac01

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Bahut shandaar update hero bi bada ho gaya ab shaktiya jagrit hongi..thrill and fun hoga keep going bro
Dhanyawad bhai........
story is nice
keep updating
Thanks Rahul 23 bro
Awesome👍👏, speechless, shaandaar
Dhanyawad smith_15.....
Kya baat hai Bhai aapne kahani ko itne khubsurati ke sath prastut kiya hai ki aage or Padhne ka man ho rha hai, aisa Lagta hai Jaise ye kahani khatam hi na ho chalti jaye... Superb bhai sandar jabarjast
Aapke is khubsurat pratikriya ke liye dhanyawad Xabhi bro....
Bhai apki story ki starting abhi mere hisaab se xfroum pe best hai or readers ko judne mein time lagega 😊😊
Dhanyawad bhai ji........
Update posted bro.......
Mare huwe bachcho ko paanch muh wale Divv naag ki jyoti n zida kia jiska naam
Dev or savitri n Aman rakha bahot badhiya dev or savitri ko ek beti bhi huwi jiska naam vandana
Tow in 20 salo m dev or savitri ki zindagi m koyi khaas badlao nahi aaye dekhte h aage kis ka badalao hota h
Badhiya shaandaar lajawab update bhai
Aapko mere kahani par is khubsurat pratikriya ke liye dhanyawad..............
Waiting for next update.........
Update posted bro.....
Nice update bro
Thanks bhaiji.........

Sabhi ko mrea dill se dhanyawad........ Bas aise hi sath bane rahe.........
 
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Sandeep singh nirwan

Jindgi na milegi dobara....
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Bhai apki story ki starting abhi mere hisaab se xfroum pe best hai or readers ko judne mein time lagega 😊😊
Absolutely right
 

Sandeep singh nirwan

Jindgi na milegi dobara....
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Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer)
भाग - 01
अपडेट - 03

शीर्षक - अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
अब आगे :-

दिल्ली जैसे व्यस्त शहर के एक सुनसान सड़क पर स्ट्रीट लाइट के नीचे रखे बेंच पर एक लड़का लेटा हुआ था और अपने आंखों पर हाथ रखे नीचे ट्रेवल बैग का तकिया बनाया हुआ, अपनी आंखे बंद किए आज जो हुआ और आगे जो होगा उसके बारे में सोच रहा था, आइए जानते है आज इस लड़के के साथ हुआ क्या है और ये है कौन है :-
वास्तव में यह लड़का है अमन शास्त्री जो एक निम्न वर्गीय परिवार से आता है (हालिया अमन के घर की स्थिति के अनुसार) , अमन शास्त्री आज दिल्ली में दिल्ली पुलिस भर्ती में मेडिकल के लिए आया है, और उसे बिना कारण के ही रिजेक्ट कर दिया गया न कोई कारण बताया गया और नही री मेडिकल के लिए बुलाया गया था असल बात ये थी कि अमन के बाद केवल एक ही लड़का बचा हुआ था और कंडीडेट एक ही चाहिए और इस दूसरे लड़के ने पहले से ही बड़े अधिकारियों की जेब गरम कर दिया था और अमन तो यहां आने के लिए ही दूसरे के द्वारा उधार लिए गए पैसे का उपयोग किया था।
अमन यही सोच रहा था की वह किस मुंह से अपने घर जाए कैसे अपने पापा को बताए की उसे रिजेक्ट कर दिया गया है।
अमन के पिताजी दिल्ली के ***** महाविद्यालय के सामने ही फास्ट फूड के ठेला लगाते थे जिससे उनके घर परिवार के लिए खर्च निकल जाता है। अमन पढ़ने में काफी तेज था उसके 12थ में 96% आया था जिसके चलते *****महाविद्यालय में छात्रवृति पर एडमिशन हो गया था अपने घर की स्थिति को देखते हुए अमन ने दिल्ली पुलिस के वकैंसी आने पर फॉर्म अप्लाई किया और उसने पेपर क्वालीफाई करके दौड़ भी निकाल लिया लेकिन आज मेडिकल में उसे डिसक्वालीफाई कर दिया गया, बिना कारण बताए। यह सोचते हुए अमन के बंद आंखों से आशु निकल रहे थे। अमन एक ऐसा लड़का था जो की अपनी हालातो से लड़ता था न की भागता था लेकिन यह अब एक ऐसी परिस्थिति बन गई थी की अमन अपने आप को खत्म करना चाहता था लेकिन उसके परिवार के लोगो में इसकी जान से प्यारी छोटी बहन, माता - पिता जो की अमन की खुशी के लिए खुद को भी बेचने से पीछे नहीं हटते इन्हे कैसे छोड़ कर चला जाता। वह यह यही सोच रहा था की वह क्या करे……………………………………
फिर अमन अपनी सोचो पर विराम देते हुए उठ जाता है और रोड पर अपने कंधो पे बैग लिए आगे की ओर बढ़ने लगता है, तभी अमन के पीछे एक अनबैलेंसड कार चली आ रही थी और कार की गति इतनी तेज थी की अमन को कुछ सोचने या फिर अपनी रक्षा करने का समय ही नहीं मिला और कार एक जोर का टक्कर अमन को मारती है जिससे अमन कार के साथ साथ सड़क के पास के स्ट्रीट लाइट में टकराता है टकराने के साथ साथ ही कार के फ्रंट शीशे को तोड़ते हुए एक आदमी जिसके हाथ में एक नीला बॉक्स जो सीसे का बना हुआ था वह आकर अमन के मुंह पर लगता है जिससे नीले बॉक्स अमन के चेहरे पर टूट जाता है और कमाल की बात ये थी की इस बॉक्स के टूटने से कोई भी सीसे के कण नीचे नही गिरता है । अमन को चोट लगने से अमन बेहोश क्या क्रिटिकल पोजिशन में चला जाता है और वह आदमी का सर स्ट्रीट लाइट के पोल से जाकर टकराता है जिससे उसकी मौत जगह पर ही हो जाता है।……………….

10 मिनट बाद…..

देवानंद जी पूरे परिवार के साथ रात के खाने के लिए बैठे थे….

"पापा भैया ने अभी तक एक फोन भी नहीं किया.. सुबह से गए अभी तक उनका कोई खबर नहीं आया…." वंदना ने थोड़े गुस्से में अपने भाई की शिकायत करते हुए अपने पापा से बोली।

" तुझे सच में उसकी चिंता हो रही है हा….. कहीं आज सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला है…. देव क्या आज सच में सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला था क्योंकि महारानी साहिबा आज दिन भर से अपने भाई को पूछ रही है.." अमन की मा ने वंदना की बातो को सुनकर उसे ताना मारते हुए कहा….

" मां वो मेरे भैया है तो उनकी फिकर तो होगी ही…" वंदना ने अपनी मां कि बात को सुनकर कहा

" हा… हा पता है मुझे.. बड़ी आई भैया वाली….. तब तुझे भैया नजर नहीं आता जब तू उस परेशान करती है" मां ने वंदना की बात को सुनकर कहा

" हा तो करूंगी ही … वह तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और भैया भी तो मुझे परेशान करते है… तब तो आप उन्हें कुछ नहीं कहती…." वंदना ने भी अपनी मां की बात को सुनकर उनकी जवाब दिया

" सावित्री तुम क्यों इन भाई बहन के बीच में आ रही हो…… अब ये नहीं लड़ेंगे तो कौन लड़ेगा और तुम मेरी लाडली को अब कुछ मत कहना.." बहस खत्म करने के उद्देश्य से देवानंद जी ने कहा क्योंकि वे जानते थे कि जब तक वे कुछ बोलेंगे नहीं तब तक दोनों में से कोई चुप नहीं होगा। वंदना ने जब आनी पापा की बात सुनी तो खुश होते हुए अपने मां की ओर देखा और जीभ निकाल कर उन्हे चिढ़ाने लगी

" हा हा और बीगाड़ो आप इन दोनों को मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनता…." सावित्री जी ने कहा और वे वहां से खाने की थाली लाने रसोई घर में चली गई।
दरअसल बात ये है कि अमन और वंदना में कुत्ते बिल्ली की लड़ाई चलती है जिसमें सावित्री जी का पीसना कन्फर्म है लेकिन आज वंदना कुछ बेचैन थी क्योंकि अमन आज उसे मिले बिना ही चला गया था जो की आज तक कभी नहीं हुआ था। वंदना और अमन में कितना भी लड़ाइयां हो जाय लेकिन एक दूसरे के देखे बिना उनका सुबह नहीं होता…

अपनी मां कि बात को सुनकर वंदना कुछ बोलने ही वाली थी कि फोन रिंग होने लगता है ……

"आ गई भाई की फोन" फोन बजते ही वंदना खाने पर से उठने लगी की…..

"चुपचाप बैठ मै देखती हूं….. (अपने बड़बड़ाते हूं) इतना प्यार है इन दोनों में लेकिन ऐसे झगड़ा करते है जैसे कि कितने जन्म के दुश्मन हो" अमन की माता जी ने कहा जो खाने की थाली लेकर आ रही थी और देवानंद जी और वंदना को उनकी खाने किं थाली देकर टेबल पर से फोन को उठाया तो देखा ये अमन के ही फोन था तो फोन उठाते हुए………..

अमन की मा :- हेल्लो! बेटा……

अमन :- हेल्लो मा!

अमन की मा :- हा बेटा कैसा है तू और तूने सुबह कुछ क्या की नहीं और क्या हुआ तेरा क्या तू पुलिस बन गया। (ये बात खुश और चिंता जताते हुए सावित्री जी ने कहा)

अमन :- मां….शांत मां…. कितना सवाल एक साथ पूछोगी एक एक करके पूछिए।

अमन की मां कुछ बोलने वाली थी कि उनके हाथ से किसी ने फोन ले लिया और ये कोई नहीं वंदना थी……..

वंदना :- हां तो बताना चालू करिए……..

अमन :- हेल्लो……

वंदना :- हां बोल तो रही हूं…….

अमन :- हेल्लो मां….. हेल्लो….

वंदना :- भैया आइए घर आपके कान में तेल डालती हूं तब आपको सुनाई देने लगेगा…… (थोड़ा गुस्से मै वंदना ने कहा)
वंदना की गुस्से मै होने से अमन अपनी हसी को रोकते हुए इधर मां और पापा भी अपनी हसी को रोक हुए थे नहीं तो वंदना क्या करती ये सभी जानते थे ….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- भैया ये ज्यादा हो रहा है….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- मै फोन तोड़ दूंगी….

अमन :- हेल्लो….

अब वंदना गुस्से में आ गई थी और अमन के सभी घरवाले जानते थे कि जब वंदना को गुस्सा आता है तो क्या होता है तो अमन के पिताजी अब खाने से उठे और वंदना को गुस्से मै आते देख वे तुरंत उसके पास आकर फोन देने का इशारा किए और वंदना जो बोलने वाली थी उसे नहीं बोला और अपने पापा का आदेश सुनकर उन्हे फोन उन्हे दे दिया।

देवानंद :- हा बेटा बोल……

अमन :- (अपने पापा की आवाज सुनकर उनसे कहता है) पापा कुछ नहीं हुआ…. अमन थोड़ा मायूस होते हुए बोला…

देवानंद जी :- हा तो……

अमन :- पापा मुझे डिसक्वालिफाई कर दिया गया है……

देवानंद जी :- (शान्ति से) हा तो बेटा घर आजा…अभी तो तेरे खेलने के दिन है मै तो तुझे पहले ही कहा था अभी समय है तू ने ही जिद्द की थी और यह तेरा पहला चांस है ना कि अंतिम। .. तो तुम अगली बार फिर से कोशिश करना मै जनता हूं कि मेरा बेटा अगली बार जरूर पुलिस बन जाएगा।

अमन :- पापा मै अभी 5 दिन घर नहीं आ सकता..

देवानंद जी :- और वह किस खुशी में बेटा जी …..

अमन :- वो पापा आप तो जानते ही है कि विपिन सर ने मेरी कितनी हेल्प की थी स्कूल में……

देवानंद जी :- हा बेटा….. लेकिन मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि तू कहना क्या चाहता है… विपिन सर का तो ट्रांसफर हो गया है उनके ही गांव में…….
अमन :- हा पापा उन्हीं की शादी है और उन्होंने मुझे बुलाया है तो मै इधर से ही जाना चाहता ही क्योंकि कल ही उनकी शादी की रस्में शुरू होने वाली है और उन्होने मुझे कल ही बुलाया है।….

देवानंद जी :- ठीक है बेटा कोई बात नहीं….. उन्होंने हम पर बहुत अहसान किए है तेरी पढ़ाई में हेल्प करके और वे अपनी खुशी में तुझे सामिल करना चाहते है तो तुम जाओ …… मै इधर संभाल लूंगा…..

अमन :- थैंक्यू पापा……

देवानंद जी :- चल मजे कर…..

फोन कट जाता है…..
देवानंद जी अमन कि बात को घर में सभी को बताते है जिसे सुनने के बाद तो वंदना गुस्से मै अपने कमरे में चली जाती है और जोर से दरवाजा बंद कर देती है…… जिसे देखकर दोनों पति पत्नी के होठं पर मुस्कान तैर जाती है।

".... ये लड़की भी ना…. जब वह इसके पास रहता है तो उसे परेशान करती रहती है और जब वह नहीं रहता है तो पूरा घर अपने सर पर उठा लेती है जैसे भैया से कितना प्यार करती है….. " अमन की मां वंदना के रवैए को देखते हुए अपने आप से बोली जिसे देवानंद जी ने सुन लिया और हस्ते हुए सोने के लिए चले गए और अमन कि मा भी सब काम निपटा कर सोने चली गई……..


इधर अमन की ऐक्सिडेंट वाले स्थल पर…….. कुछ समय बाद इस सड़क पर पुलिस और एंबुलेंस के सायरन का आवाज गूंजने लगता है……………………..

वही कुछ दूरी पर दो कारें खड़ी थी जिनमें काले कोट पहने हुए 8-10 लोग बैठे हुए थे…. उनमें से एक किसी को फोन करता है…..

आदमी - बॉस हमारा मिशन फेल हो

गया….. उसकी कार का ऐक्सिडेंट हो गया है और वह मर गया है … हम उसके पास जाने ही वाले थे कि पुलिस आ गई…..

…….. वह बॉक्स

आदमी - वह तो किसी के हाथ में दिखाई नहीं दे रहा है और नाही कार से ऐसा कुछ निकला है।

……… कितनी देर में पहुंचे तुम लोग वहां..

आदमी - (थोड़ा डरते हुए) जी… जी… बॉस लगभग 20-30 मिनट बाद…
फोन कट जाता है कार में बैठा वह आदमी पसीने से भीग गया था…………

क्या अमन की मौत हो गई है , अगर अमन की मौत हो गई तो अमन के परिवार वालों के यहां फोन किसने किया । आखिर वह नीला बॉक्स था क्या। नीला बॉक्स क्या कोई कैमिकल था या फिर कुछ और ।यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए कहानी Avatar………. (Rebarth Of A Destroyer) । कहानी आगे बढ़ाने से पहले इस कहानी के कुछ किरदारों से अवगत हो जाते है ………………………

अमन का परिवार:-

1.देवानंद शास्त्री :- अमन के पिताजी । उम्र 43 वर्ष । ये एक मेहनती इंसान है परिवार के सुख के लिए कुछ भी करने को सदैव तैयार रहते है। इनकी हाइट लगभग 6 फिर के करीब है, लेकिन वक्त के मार ने इनकी दसा बिगाड़ दिया है। (🧘,🤜🤛, 🧐, 😈, 💓, 🤴)

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2.सावित्री देवी :- अमन के माताजी । उम्र 40 वर्ष । ये एक घरेलू महिला है । अपने पति द्वारा लगाए गए फास्ट फूड के ठेले के लिए मसाला आदि तैयार करती है और उनकी सहायता के लिए भी उनके साथ रहती है इनका खान पान अगर सही रहे तो इनके आगे स्वर्ग की अप्सरा भी पानी भरने लगे लेकिन हालात और गरीबी ने इनसे इनकी सुंदरता छीन लिया है गाल धस गए है आंखों के नीचे काला धब्बा बन गया है। ये अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है। (💞)(💫)
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3.अमन शास्त्री :- ये खुद मैं हूं। मेरी उम्र 20 होने में अभी 3 महीने कम है। मैंने जबसे अपनी होस संभाला है, मैं अपने परिवार को गरीबी में ही देखा है। मैं पूरी कोशिश करता हु की अपने परिवार की हालत को सुधारने में पापा की सहायता करु लेकिन पापा मुझे पढ़ाना चाहते है और मां-पापा ने अपनी कसम दी है अगर मैने पढ़ाई छोड़ी तो जब तक वे न चाहे। खर्च वे कही से भी ला के देंगे मुझे बस पढ़के एक बड़ा अफसर बनाना है मां पापा की यही इच्छा है। मैं भी उनकी कसम को तोड़ नही सकता हूं। मेरी ही पढ़ाई के पीछे उन्होंने अपनी थोड़ी सी भी सुख का भी त्याग कर दिया है, और इंटर तक उन्होंने मुझे एक प्राइवेट school में पढ़ाया । मैंने कई सपने सजा लिए थे कि जब पुलिस बन जाऊंगा तो ये करूंगा वो करूंगा लेकिन कभी किसी के सपने इतनी आसानी से पूरे हुए है जल्दी और खास तौर पर गरीब लोगो का। (🧘,🤜🤛, 💞, 🌋, 💯, 🔥, 💀, 🌦️, ⚡,🐍, unlimited , etc…..)
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4.वंदना शास्त्री :- मेरी छोटी बहन जिसके कारण परिवार के लोगो के चेहरे पर थोड़ी बहुत मुस्कान दिखाई देता है। इसकी उम्र 18 वर्ष है। मुझसे हरदम लड़ाई करती रहती है लेकिन प्यार भी उतना ही करती है जब तक सुबह मुझे देख ना ले तब तक इसकी सुबह ही नहीं होती है, यह मेरे ही कमरे में ही सोती है वह भी जबरजस्ती। (2 - ?)(?) (😍,🥰,💞)

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ये हुई मेरे परिवार का परिचय अब आइए कुछ और मुख्य पत्रों के बारे में जान लेते है :-

कनक मेहता :- दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर है। उम्र 27 वर्ष शादी नही हुई है। देखने में रवीना टंडन के जैसे लगती है। (2-01)(03)(🤜🤛,😠,💞,🧚)
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शैलेंद्र देशमुख :- उम्र लगभग 50 वर्ष । अमन जिस महाविद्यालय में पढ़ता है उस महाविद्यालय के ट्रस्टी साथ ही में इस एरिया के mla। दिल्ली के कॉलेज और महाविद्यालय में नशा की चीजों का मुख्य सेलर और भी गलत धंधे है इसकी संबंध अंडरवर्ल्ड से भी है(🖤,😈)

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रिया देशमुख :- शैलेंद्र देशमुख की छोटी बेटी। उम्र 20 वर्ष। अमन की सहपाठी है । इसके अंदर अमन के लिए एक तरफा प्यार है जिसकी जानकारी किसी को भी नही है यह प्यार तब से उमड़ रहा है जबसे अमन ने इसकी इज्जत बचाई थी (आगे पता चलेगा) । सुंदरता में माधुरी दीक्षित। (2-02)(4)(👩‍❤️‍👨,💞,🧜)
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जान्हवी सिंघानिया :- (Age-18)जान्हवी इंडिया के टॉप कंपनियों में से एक कंपनी के मालिक संजय सिंघानिया के इकलौती बेटी है। यह वंदना की दोस्त है केवल स्कूल में क्योंकि बाहर उन्हें उनका स्टेटस अलग कर देता था पर जान्हवी अपनी सहेली वंदना को बहुत ही मानती है इसकी सगाई हो गई है। (1-01)(01)(🦸,💞)
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जय सिंघानिया :- जान्हवी के बड़ा भाई है जो उससे 2 साल बड़ा है। दिखाने मै ठीक लड़कियों के राजकुमार जैसा है। वंदना से प्यार करता है…. वंदना भी इसे पसंद करती है लेकिन प्यार नहीं करती है क्योंकि वह किसी और से प्यार करती है। (कौन कहानी में पता चलेगा). इसका एक बड़ा सीक्रेट है।(💘,💔,🧐,😠,😡,😈)
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किशन भाई:- इसे वसूली भाई के नाम से भी जाना जाता है। (🧟)
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सेठ ध्यानचंद्र:- ये ब्याज पर पैसे देता है इसने ही अमन के पिताजी को ब्याज पर पैसा दीया है। यह शैलेंद्र देशमुख के काले धंधे को नियंत्रण करता है मतलब की यह शैलेंद्र के काले धंधों का मैनेजरी का कार्य करता है।(🧞)
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प्रो० नंदकिशोर चंदानी:- ये पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारी है। इनके ही कार से अमन का एक्सीडेंट हुआ है और गाड़ी वाला शक्स यही है जिनकी अब मौत हो गई है।(🗣️,👣)


अमन ने अपनी स्कूल, कॉलेज टाइम में कोई भी दोस्त नही बनाया था ।

कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती जायेगी वैसे वैसे कहानी में किरदार एक सीमित संख्या तक बढ़ते जाएंगे जिनका परिचय उनका समय आने पर दिया जाएगा। एक और बात बता दूं की कहानी मेरे यानी अमन के साथ ही चलेगी और कहानी में मुख्य केंद्र अमन ही रहेगा। यह कहानी एक वन मैन हीरो स्टोरी है। हा साइड हीरो भी होंगे। जो मुख्य हीरो की सहायता करेंगे।

अमन के परिवार में सभी बिना विचारे कोई भी काम में आगे नही बढ़ते है अगर कोई बात हो तो पहले उसका हल ढूंढते है फालतू में ओवर रियेक्ट नही करते है खास तौर पर अमन के माता पिता। क्योंकि गरीबी सब कुछ सिखा देती है।

कहानी जारी रहेगी.......

अब मिलते है कहानी के अगले अपडेट में.........
Bahut he shandaar update ye toh apne suspence mai daal diya ki aman ke ghar aman ne phone kiya ya kisi aur ne muje lagta h wo destroyer he h jo prithivi par jinda rah gaya tha ...keep going bro 👏👍👍👏
 

Gang007

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Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer)
भाग - 01
अपडेट - 03

शीर्षक - अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
अब आगे :-

दिल्ली जैसे व्यस्त शहर के एक सुनसान सड़क पर स्ट्रीट लाइट के नीचे रखे बेंच पर एक लड़का लेटा हुआ था और अपने आंखों पर हाथ रखे नीचे ट्रेवल बैग का तकिया बनाया हुआ, अपनी आंखे बंद किए आज जो हुआ और आगे जो होगा उसके बारे में सोच रहा था, आइए जानते है आज इस लड़के के साथ हुआ क्या है और ये है कौन है :-
वास्तव में यह लड़का है अमन शास्त्री जो एक निम्न वर्गीय परिवार से आता है (हालिया अमन के घर की स्थिति के अनुसार) , अमन शास्त्री आज दिल्ली में दिल्ली पुलिस भर्ती में मेडिकल के लिए आया है, और उसे बिना कारण के ही रिजेक्ट कर दिया गया न कोई कारण बताया गया और नही री मेडिकल के लिए बुलाया गया था असल बात ये थी कि अमन के बाद केवल एक ही लड़का बचा हुआ था और कंडीडेट एक ही चाहिए और इस दूसरे लड़के ने पहले से ही बड़े अधिकारियों की जेब गरम कर दिया था और अमन तो यहां आने के लिए ही दूसरे के द्वारा उधार लिए गए पैसे का उपयोग किया था।
अमन यही सोच रहा था की वह किस मुंह से अपने घर जाए कैसे अपने पापा को बताए की उसे रिजेक्ट कर दिया गया है।
अमन के पिताजी दिल्ली के ***** महाविद्यालय के सामने ही फास्ट फूड के ठेला लगाते थे जिससे उनके घर परिवार के लिए खर्च निकल जाता है। अमन पढ़ने में काफी तेज था उसके 12थ में 96% आया था जिसके चलते *****महाविद्यालय में छात्रवृति पर एडमिशन हो गया था अपने घर की स्थिति को देखते हुए अमन ने दिल्ली पुलिस के वकैंसी आने पर फॉर्म अप्लाई किया और उसने पेपर क्वालीफाई करके दौड़ भी निकाल लिया लेकिन आज मेडिकल में उसे डिसक्वालीफाई कर दिया गया, बिना कारण बताए। यह सोचते हुए अमन के बंद आंखों से आशु निकल रहे थे। अमन एक ऐसा लड़का था जो की अपनी हालातो से लड़ता था न की भागता था लेकिन यह अब एक ऐसी परिस्थिति बन गई थी की अमन अपने आप को खत्म करना चाहता था लेकिन उसके परिवार के लोगो में इसकी जान से प्यारी छोटी बहन, माता - पिता जो की अमन की खुशी के लिए खुद को भी बेचने से पीछे नहीं हटते इन्हे कैसे छोड़ कर चला जाता। वह यह यही सोच रहा था की वह क्या करे……………………………………
फिर अमन अपनी सोचो पर विराम देते हुए उठ जाता है और रोड पर अपने कंधो पे बैग लिए आगे की ओर बढ़ने लगता है, तभी अमन के पीछे एक अनबैलेंसड कार चली आ रही थी और कार की गति इतनी तेज थी की अमन को कुछ सोचने या फिर अपनी रक्षा करने का समय ही नहीं मिला और कार एक जोर का टक्कर अमन को मारती है जिससे अमन कार के साथ साथ सड़क के पास के स्ट्रीट लाइट में टकराता है टकराने के साथ साथ ही कार के फ्रंट शीशे को तोड़ते हुए एक आदमी जिसके हाथ में एक नीला बॉक्स जो सीसे का बना हुआ था वह आकर अमन के मुंह पर लगता है जिससे नीले बॉक्स अमन के चेहरे पर टूट जाता है और कमाल की बात ये थी की इस बॉक्स के टूटने से कोई भी सीसे के कण नीचे नही गिरता है । अमन को चोट लगने से अमन बेहोश क्या क्रिटिकल पोजिशन में चला जाता है और वह आदमी का सर स्ट्रीट लाइट के पोल से जाकर टकराता है जिससे उसकी मौत जगह पर ही हो जाता है।……………….

10 मिनट बाद…..

देवानंद जी पूरे परिवार के साथ रात के खाने के लिए बैठे थे….

"पापा भैया ने अभी तक एक फोन भी नहीं किया.. सुबह से गए अभी तक उनका कोई खबर नहीं आया…." वंदना ने थोड़े गुस्से में अपने भाई की शिकायत करते हुए अपने पापा से बोली।

" तुझे सच में उसकी चिंता हो रही है हा….. कहीं आज सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला है…. देव क्या आज सच में सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला था क्योंकि महारानी साहिबा आज दिन भर से अपने भाई को पूछ रही है.." अमन की मा ने वंदना की बातो को सुनकर उसे ताना मारते हुए कहा….

" मां वो मेरे भैया है तो उनकी फिकर तो होगी ही…" वंदना ने अपनी मां कि बात को सुनकर कहा

" हा… हा पता है मुझे.. बड़ी आई भैया वाली….. तब तुझे भैया नजर नहीं आता जब तू उस परेशान करती है" मां ने वंदना की बात को सुनकर कहा

" हा तो करूंगी ही … वह तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और भैया भी तो मुझे परेशान करते है… तब तो आप उन्हें कुछ नहीं कहती…." वंदना ने भी अपनी मां की बात को सुनकर उनकी जवाब दिया

" सावित्री तुम क्यों इन भाई बहन के बीच में आ रही हो…… अब ये नहीं लड़ेंगे तो कौन लड़ेगा और तुम मेरी लाडली को अब कुछ मत कहना.." बहस खत्म करने के उद्देश्य से देवानंद जी ने कहा क्योंकि वे जानते थे कि जब तक वे कुछ बोलेंगे नहीं तब तक दोनों में से कोई चुप नहीं होगा। वंदना ने जब आनी पापा की बात सुनी तो खुश होते हुए अपने मां की ओर देखा और जीभ निकाल कर उन्हे चिढ़ाने लगी

" हा हा और बीगाड़ो आप इन दोनों को मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनता…." सावित्री जी ने कहा और वे वहां से खाने की थाली लाने रसोई घर में चली गई।
दरअसल बात ये है कि अमन और वंदना में कुत्ते बिल्ली की लड़ाई चलती है जिसमें सावित्री जी का पीसना कन्फर्म है लेकिन आज वंदना कुछ बेचैन थी क्योंकि अमन आज उसे मिले बिना ही चला गया था जो की आज तक कभी नहीं हुआ था। वंदना और अमन में कितना भी लड़ाइयां हो जाय लेकिन एक दूसरे के देखे बिना उनका सुबह नहीं होता…

अपनी मां कि बात को सुनकर वंदना कुछ बोलने ही वाली थी कि फोन रिंग होने लगता है ……

"आ गई भाई की फोन" फोन बजते ही वंदना खाने पर से उठने लगी की…..

"चुपचाप बैठ मै देखती हूं….. (अपने बड़बड़ाते हूं) इतना प्यार है इन दोनों में लेकिन ऐसे झगड़ा करते है जैसे कि कितने जन्म के दुश्मन हो" अमन की माता जी ने कहा जो खाने की थाली लेकर आ रही थी और देवानंद जी और वंदना को उनकी खाने किं थाली देकर टेबल पर से फोन को उठाया तो देखा ये अमन के ही फोन था तो फोन उठाते हुए………..

अमन की मा :- हेल्लो! बेटा……

अमन :- हेल्लो मा!

अमन की मा :- हा बेटा कैसा है तू और तूने सुबह कुछ क्या की नहीं और क्या हुआ तेरा क्या तू पुलिस बन गया। (ये बात खुश और चिंता जताते हुए सावित्री जी ने कहा)

अमन :- मां….शांत मां…. कितना सवाल एक साथ पूछोगी एक एक करके पूछिए।

अमन की मां कुछ बोलने वाली थी कि उनके हाथ से किसी ने फोन ले लिया और ये कोई नहीं वंदना थी……..

वंदना :- हां तो बताना चालू करिए……..

अमन :- हेल्लो……

वंदना :- हां बोल तो रही हूं…….

अमन :- हेल्लो मां….. हेल्लो….

वंदना :- भैया आइए घर आपके कान में तेल डालती हूं तब आपको सुनाई देने लगेगा…… (थोड़ा गुस्से मै वंदना ने कहा)
वंदना की गुस्से मै होने से अमन अपनी हसी को रोकते हुए इधर मां और पापा भी अपनी हसी को रोक हुए थे नहीं तो वंदना क्या करती ये सभी जानते थे ….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- भैया ये ज्यादा हो रहा है….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- मै फोन तोड़ दूंगी….

अमन :- हेल्लो….

अब वंदना गुस्से में आ गई थी और अमन के सभी घरवाले जानते थे कि जब वंदना को गुस्सा आता है तो क्या होता है तो अमन के पिताजी अब खाने से उठे और वंदना को गुस्से मै आते देख वे तुरंत उसके पास आकर फोन देने का इशारा किए और वंदना जो बोलने वाली थी उसे नहीं बोला और अपने पापा का आदेश सुनकर उन्हे फोन उन्हे दे दिया।

देवानंद :- हा बेटा बोल……

अमन :- (अपने पापा की आवाज सुनकर उनसे कहता है) पापा कुछ नहीं हुआ…. अमन थोड़ा मायूस होते हुए बोला…

देवानंद जी :- हा तो……

अमन :- पापा मुझे डिसक्वालिफाई कर दिया गया है……

देवानंद जी :- (शान्ति से) हा तो बेटा घर आजा…अभी तो तेरे खेलने के दिन है मै तो तुझे पहले ही कहा था अभी समय है तू ने ही जिद्द की थी और यह तेरा पहला चांस है ना कि अंतिम। .. तो तुम अगली बार फिर से कोशिश करना मै जनता हूं कि मेरा बेटा अगली बार जरूर पुलिस बन जाएगा।

अमन :- पापा मै अभी 5 दिन घर नहीं आ सकता..

देवानंद जी :- और वह किस खुशी में बेटा जी …..

अमन :- वो पापा आप तो जानते ही है कि विपिन सर ने मेरी कितनी हेल्प की थी स्कूल में……

देवानंद जी :- हा बेटा….. लेकिन मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि तू कहना क्या चाहता है… विपिन सर का तो ट्रांसफर हो गया है उनके ही गांव में…….
अमन :- हा पापा उन्हीं की शादी है और उन्होंने मुझे बुलाया है तो मै इधर से ही जाना चाहता ही क्योंकि कल ही उनकी शादी की रस्में शुरू होने वाली है और उन्होने मुझे कल ही बुलाया है।….

देवानंद जी :- ठीक है बेटा कोई बात नहीं….. उन्होंने हम पर बहुत अहसान किए है तेरी पढ़ाई में हेल्प करके और वे अपनी खुशी में तुझे सामिल करना चाहते है तो तुम जाओ …… मै इधर संभाल लूंगा…..

अमन :- थैंक्यू पापा……

देवानंद जी :- चल मजे कर…..

फोन कट जाता है…..
देवानंद जी अमन कि बात को घर में सभी को बताते है जिसे सुनने के बाद तो वंदना गुस्से मै अपने कमरे में चली जाती है और जोर से दरवाजा बंद कर देती है…… जिसे देखकर दोनों पति पत्नी के होठं पर मुस्कान तैर जाती है।

".... ये लड़की भी ना…. जब वह इसके पास रहता है तो उसे परेशान करती रहती है और जब वह नहीं रहता है तो पूरा घर अपने सर पर उठा लेती है जैसे भैया से कितना प्यार करती है….. " अमन की मां वंदना के रवैए को देखते हुए अपने आप से बोली जिसे देवानंद जी ने सुन लिया और हस्ते हुए सोने के लिए चले गए और अमन कि मा भी सब काम निपटा कर सोने चली गई……..


इधर अमन की ऐक्सिडेंट वाले स्थल पर…….. कुछ समय बाद इस सड़क पर पुलिस और एंबुलेंस के सायरन का आवाज गूंजने लगता है……………………..

वही कुछ दूरी पर दो कारें खड़ी थी जिनमें काले कोट पहने हुए 8-10 लोग बैठे हुए थे…. उनमें से एक किसी को फोन करता है…..

आदमी - बॉस हमारा मिशन फेल हो

गया….. उसकी कार का ऐक्सिडेंट हो गया है और वह मर गया है … हम उसके पास जाने ही वाले थे कि पुलिस आ गई…..

…….. वह बॉक्स

आदमी - वह तो किसी के हाथ में दिखाई नहीं दे रहा है और नाही कार से ऐसा कुछ निकला है।

……… कितनी देर में पहुंचे तुम लोग वहां..

आदमी - (थोड़ा डरते हुए) जी… जी… बॉस लगभग 20-30 मिनट बाद…
फोन कट जाता है कार में बैठा वह आदमी पसीने से भीग गया था…………

क्या अमन की मौत हो गई है , अगर अमन की मौत हो गई तो अमन के परिवार वालों के यहां फोन किसने किया । आखिर वह नीला बॉक्स था क्या। नीला बॉक्स क्या कोई कैमिकल था या फिर कुछ और ।यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए कहानी Avatar………. (Rebarth Of A Destroyer) । कहानी आगे बढ़ाने से पहले इस कहानी के कुछ किरदारों से अवगत हो जाते है ………………………

अमन का परिवार:-

1.देवानंद शास्त्री :- अमन के पिताजी । उम्र 43 वर्ष । ये एक मेहनती इंसान है परिवार के सुख के लिए कुछ भी करने को सदैव तैयार रहते है। इनकी हाइट लगभग 6 फिर के करीब है, लेकिन वक्त के मार ने इनकी दसा बिगाड़ दिया है। (🧘,🤜🤛, 🧐, 😈, 💓, 🤴)

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2.सावित्री देवी :- अमन के माताजी । उम्र 40 वर्ष । ये एक घरेलू महिला है । अपने पति द्वारा लगाए गए फास्ट फूड के ठेले के लिए मसाला आदि तैयार करती है और उनकी सहायता के लिए भी उनके साथ रहती है इनका खान पान अगर सही रहे तो इनके आगे स्वर्ग की अप्सरा भी पानी भरने लगे लेकिन हालात और गरीबी ने इनसे इनकी सुंदरता छीन लिया है गाल धस गए है आंखों के नीचे काला धब्बा बन गया है। ये अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है। (💞)(💫)
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3.अमन शास्त्री :- ये खुद मैं हूं। मेरी उम्र 20 होने में अभी 3 महीने कम है। मैंने जबसे अपनी होस संभाला है, मैं अपने परिवार को गरीबी में ही देखा है। मैं पूरी कोशिश करता हु की अपने परिवार की हालत को सुधारने में पापा की सहायता करु लेकिन पापा मुझे पढ़ाना चाहते है और मां-पापा ने अपनी कसम दी है अगर मैने पढ़ाई छोड़ी तो जब तक वे न चाहे। खर्च वे कही से भी ला के देंगे मुझे बस पढ़के एक बड़ा अफसर बनाना है मां पापा की यही इच्छा है। मैं भी उनकी कसम को तोड़ नही सकता हूं। मेरी ही पढ़ाई के पीछे उन्होंने अपनी थोड़ी सी भी सुख का भी त्याग कर दिया है, और इंटर तक उन्होंने मुझे एक प्राइवेट school में पढ़ाया । मैंने कई सपने सजा लिए थे कि जब पुलिस बन जाऊंगा तो ये करूंगा वो करूंगा लेकिन कभी किसी के सपने इतनी आसानी से पूरे हुए है जल्दी और खास तौर पर गरीब लोगो का। (🧘,🤜🤛, 💞, 🌋, 💯, 🔥, 💀, 🌦️, ⚡,🐍, unlimited , etc…..)
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4.वंदना शास्त्री :- मेरी छोटी बहन जिसके कारण परिवार के लोगो के चेहरे पर थोड़ी बहुत मुस्कान दिखाई देता है। इसकी उम्र 18 वर्ष है। मुझसे हरदम लड़ाई करती रहती है लेकिन प्यार भी उतना ही करती है जब तक सुबह मुझे देख ना ले तब तक इसकी सुबह ही नहीं होती है, यह मेरे ही कमरे में ही सोती है वह भी जबरजस्ती। (2 - ?)(?) (😍,🥰,💞)

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ये हुई मेरे परिवार का परिचय अब आइए कुछ और मुख्य पत्रों के बारे में जान लेते है :-

कनक मेहता :- दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर है। उम्र 27 वर्ष शादी नही हुई है। देखने में रवीना टंडन के जैसे लगती है। (2-01)(03)(🤜🤛,😠,💞,🧚)
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शैलेंद्र देशमुख :- उम्र लगभग 50 वर्ष । अमन जिस महाविद्यालय में पढ़ता है उस महाविद्यालय के ट्रस्टी साथ ही में इस एरिया के mla। दिल्ली के कॉलेज और महाविद्यालय में नशा की चीजों का मुख्य सेलर और भी गलत धंधे है इसकी संबंध अंडरवर्ल्ड से भी है(🖤,😈)

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रिया देशमुख :- शैलेंद्र देशमुख की छोटी बेटी। उम्र 20 वर्ष। अमन की सहपाठी है । इसके अंदर अमन के लिए एक तरफा प्यार है जिसकी जानकारी किसी को भी नही है यह प्यार तब से उमड़ रहा है जबसे अमन ने इसकी इज्जत बचाई थी (आगे पता चलेगा) । सुंदरता में माधुरी दीक्षित। (2-02)(4)(👩‍❤️‍👨,💞,🧜)
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जान्हवी सिंघानिया :- (Age-18)जान्हवी इंडिया के टॉप कंपनियों में से एक कंपनी के मालिक संजय सिंघानिया के इकलौती बेटी है। यह वंदना की दोस्त है केवल स्कूल में क्योंकि बाहर उन्हें उनका स्टेटस अलग कर देता था पर जान्हवी अपनी सहेली वंदना को बहुत ही मानती है इसकी सगाई हो गई है। (1-01)(01)(🦸,💞)
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जय सिंघानिया :- जान्हवी के बड़ा भाई है जो उससे 2 साल बड़ा है। दिखाने मै ठीक लड़कियों के राजकुमार जैसा है। वंदना से प्यार करता है…. वंदना भी इसे पसंद करती है लेकिन प्यार नहीं करती है क्योंकि वह किसी और से प्यार करती है। (कौन कहानी में पता चलेगा). इसका एक बड़ा सीक्रेट है।(💘,💔,🧐,😠,😡,😈)
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किशन भाई:- इसे वसूली भाई के नाम से भी जाना जाता है। (🧟)
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सेठ ध्यानचंद्र:- ये ब्याज पर पैसे देता है इसने ही अमन के पिताजी को ब्याज पर पैसा दीया है। यह शैलेंद्र देशमुख के काले धंधे को नियंत्रण करता है मतलब की यह शैलेंद्र के काले धंधों का मैनेजरी का कार्य करता है।(🧞)
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प्रो० नंदकिशोर चंदानी:- ये पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारी है। इनके ही कार से अमन का एक्सीडेंट हुआ है और गाड़ी वाला शक्स यही है जिनकी अब मौत हो गई है।(🗣️,👣)


अमन ने अपनी स्कूल, कॉलेज टाइम में कोई भी दोस्त नही बनाया था ।

कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती जायेगी वैसे वैसे कहानी में किरदार एक सीमित संख्या तक बढ़ते जाएंगे जिनका परिचय उनका समय आने पर दिया जाएगा। एक और बात बता दूं की कहानी मेरे यानी अमन के साथ ही चलेगी और कहानी में मुख्य केंद्र अमन ही रहेगा। यह कहानी एक वन मैन हीरो स्टोरी है। हा साइड हीरो भी होंगे। जो मुख्य हीरो की सहायता करेंगे।

अमन के परिवार में सभी बिना विचारे कोई भी काम में आगे नही बढ़ते है अगर कोई बात हो तो पहले उसका हल ढूंढते है फालतू में ओवर रियेक्ट नही करते है खास तौर पर अमन के माता पिता। क्योंकि गरीबी सब कुछ सिखा देती है।

कहानी जारी रहेगी.......

अब मिलते है कहानी के अगले अपडेट में.........
Nice update
Intjar rhega agle update ka
 

Luliya

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एक अति महत्वपूर्ण सूचना………..

वैसे तो यहां सभी कहानियां काल्पनिक ही होती है और ये बात सभी जानते है लेकिन में अपनी औपचारिकता पूरी करते हुए बताना चाहता हूं कि यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है जिसका दूर दूर तक किसी व्यक्ति, स्थान अथवा जीव से कोई सम्बन्ध नहीं है। लेकिन ऐसा होता है तो वह मात्र एक संयोग माना जाएगा ………


यह स्टोरी इस फोरम के सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए लिखी जाएगी……..
Kahani ke liye Shubhkamnaye.
:flamethrower::celebconf::celebconf::congrats::congrats:
 
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अपडेट - 00
शीर्षक - कहानी की शुरुआत।
आज पूर्णिमा की रात थी लेकिन अंधेरा इतना था कि लोगों को अपने पास वाले ही नहीं दिखाई दे रहे है……. पूरा सड़क सुनसान था कोई भी लोग नहीं थे इस सड़क पर सिवाय एक के को अपने हाथो से ठेला गाड़ी (जिस पर फास्ट फूड बेचा जाता है) को दौड़ते हुए के जा रहा है………………

"आ…. आ………… ह मा देव ये दर्द मेरी जान ले लेगा प्लीज कुछ करिए….. मा………." ठेला गाड़ी पर एक महिला लेती हुई थी जो की उस व्यक्ति की पत्नी थी और वह गर्भवती थी जिसका समय काल अब पूरा ही हो गया है और यह दर्द उसके प्रसव पीड़ा के कारण ही उठ रहा है………………

"बस सावित्री हिम्मत रखो हम अब पहुंचने ही वाले है" वह व्यक्ति जिसको महिला देव नाम से संबोधित कर रही थी वह अपने पत्नी को हिम्मत बांधते हुए बोला और सड़क पर ठेला गाड़ी को दौड़ते जा रहा था उसे सड़क तो दिखाई नहीं दे रहा था पर उस पता था कि यह सड़क सीधे अस्पताल की ओर ही जाएगा वह व्यक्ति हर चौराहे पर धीरे होकर रास्ता देखता की वह सही रास्ते पर है कि नहीं लेकिन बढ़ते समय के साथ ही महिला के प्रसव पीड़ा में बढ़ोतरी होती ही जा रही थी जिसके कारण वह व्यक्ति और भी तेज दौड़ने लगा लेकिन इसी तेजी में उससे एक गलती हो गई वह एक चौराहे से अस्पताल वाला रास्ता छोड़कर जल्दीबाजी में जंगल वाला रास्ता पकड़ लेता है, अचानक सड़क पर एक गढ्ढा आता है जिसमें गाड़ी के टायर पड़ते है एक तेज झटका लगता है और उस पर लेती महिला हवा में उड़ जाती है और वह व्यक्ति का सर ठेला गाड़ी से लगता है और वह व्यक्ति वही बेहोश हो जाता है………………………………..

स्थान - स्वर्ग लोक राज दरबार।

God king:- ये तो अनर्थ हो गया……

god king के मुख से अचानक ही शब्द निकले जिससे दरबार में सन्नाटा पसर गया और कुछ समय बाद…….
Fire god :- क्या हुआ महाराज….. क्या अनर्थ हो गया।
God king :- वही fire god जो नहीं होना चाहिए था…. आप सभी तो जानते ही होंगे कि आज पूर्णिमा की रात The Destroyer के अंश पृथ्वी पर अवतरित होने वाले है लेकिन अभी तक हुए नहीं है जो एक शुभ संकेत कदापि नहीं है…….. दूसरी उनकी होने वाली माता एक दुर्घटना के चपेट में आ गई है……. और हमारी मजबूरी यह है कि हम उनकी सहायता नहीं कर सकते है अगर उनका धरती पर यह अवतार नहीं हुआ तो आने वाले समय में उसका विनाश कौन करेगा……………

Wind god :- महाराज हमें कुछ समझ नहीं आया आप किसका विनाश करने की बात कर रहे है जिसके लिए The Destroyer को धरती पर अवतार लेना पड़ रहा है……….
God king :- wind god की बाते सुनने के बाद king सबके ओर देखते है सभी के चेहरे पर उन्हें कुछ ना समझने का भाव नजर आता है और यह देखकर वे आश्चर्य और सोच में पड़ गए की उस ये सभी कैसे भूल सकते है जिसके डर से इन्हे क्या से क्या हो जाता था।
King को सोच में पड़े देखकर गुरुदेव ने कहा।
गुरुदेव :- महाराज आप ऐसे आश्चर्य चकित ना हो शायद आप भूल रहे है कि उस घटना को सबके स्मृति (याद) से भुला दिया गया है, जिससे सारे gods निर्भीक होकर अपने अपने कार्य को सुचारू रूप से करते रहे। और अब समय आ गया है कि इन सभी की स्मृतियां लौटने की यही आदेश उस समय king of king ने दिया था क्या आप ये भूल गए थे।

गुरुदेव की बातो को सुनकर god king ने कहा ……
"भला ये कैसे भूल सकता हूं गुरुदेव, उनके आदेश का अक्षरसह पालन होगा और अब लगता है कि वह घड़ी आ गई है ।"

"हे प्रभु आपके आदेशानुसार मै अपने कर्तव्य का निर्वहन करने जा रहा हूं यदी हमसे कोई त्रुटि हो जाती है तो हमें क्षमा करे…….." गुरुदेव से बात करने के बाद king god ने अपने हाथ जोड़े बोल और उनके हाथ से एक पीली रोशनी निकली और सभी gods में समा गई और उनकी आंखे बंद हो गई और जब उन्होंने अपनी आंखे सभी ने खोले तो उन आंखों में एक डर नजर आया और उन सभी के शरीर पसीने से भीग गए………..

आखिर ये है कौन जिसको याद करने मात्र से ही सभी के पसीने छूट गए……….. आखिर किसकी बात कर रहे है कि ये जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को………………

Introduction to the Gods:-

King of king (KK):- इन्हे भाग्य विधाता भी कहा जाता है यही सबके भाग्य में क्या है लिखते है इन्होंने ही सृष्टि के निर्माण किया है। यही हम मनुष्यो को बनाने वाले । इस संसार को बनाने वाले इनका कोई आकर नहीं, कोई रूप नहीं है ये निराकार है और इन्हीं के अभिन्न अंग है इनकी पत्नी जिसको हम प्रकृति (नियति, कुदरत इत्यादि) कहा जाता है। इनके तीन साकार रूप है जिसको पूरा संसार पूजता है।
King of god (kg) :- सभी देवताओं के राजा और स्वर्ग के सिंहासन पर विराजमान।
King of death (kd):- ये है मौत के देवता लेकिन इन्हें धर्म के रक्षक भी कहा जाता है क्योंकि धर्म की रक्षा में एक महत्वपूर्ण योगदान है और इनका न्याय सबके लिए एक समान रहता है वह चाहे king of God हो या फिर कोई साधारण मनुष्य।
King of fire (kf) :- ये आग के देवता है, लेकिन ये अतायधिक सौम्य, उदार, और न्याय प्रिय देवता है इनकी आग धर्म रक्षा के प्रतीक मानी जाती है। और इनके ही द्वारा मनुष्यो द्वारा किए गए पूजा सारे देवताओं को मिलता है।
King of wind (kw ):- ये है हवा के देवता जिनसे हमें प्राणवायु मिलता है।

King of time :- ये समय लोक के राजा है जो सात घोड़ों के रथ पर बना लोक है और यह लोक हमेशा गतिशील ही रहता है जिससे इस संसार का समय भी चलता रहता है इनके रुकने से सब कुछ रुक जाता है।

Gurudev of gods (GG) :- देवताओं के गुरु।

The destroyer इनके बारे में आगे पता चलेगा। क्योंकि ये कोई भगवान नहीं ये एक इंसान है (कहानी आगे पता चलेगा) जिसने धर्म रक्षा के लिए अपनी जान गंवा दिया और देवत्व को प्राप्त कर लिया इनका स्थान देवताओं में सर्वोच्च है।

नोट :- यहां gods का परिचय देने का कारण ये है कि रीडर्स समझ जाए कि कौन god क्या करते है। क्योंकि असली god का नाम तो ले नहीं सकते है लेकिन फिर भी किसी को आपत्ति हो तो मुझे कॉमेंट करके बताएं।

स्थान :- पृथ्वी पर एक अस्पताल में।

एक व्यक्ति फोन पर बात कर रहा था उसके शरीर पसीने से भीगा हुआ था उसके अंदर इतना डर था कि उसके हाथ इतना हील रहे थे कि ऐसा लग लग रहा था कि उसके हाथ में रखे फोन कभी भी गिर जाएगा। उसने अपने कान पर फोन लगाए हुए थे फोन कि रिंग जा रही थी……………..

……… "हेल्लो बिरजू! क्या हुआ इतनी रात को फोन किया सब ठीक तो है।" दूसरी तरफ से फोन उठाया जाता है और उधर से एक रौबदार आवाज सुनाई देता है जिसको सुनने के बाद वह व्यक्ति जिसका नाम बिरजू था उसने अपने थूक निगलते हुए कहता है।

बिरजू :- ब ..ब ..बड़े मा… मालिक …

……." हा मै ही बोल रहा हूं बिरजू बोलो इतनी रात को फोन करने का कारण मेरा बेटा और बहू स्वास्थ्य तो है ना और……" अभी उधर की बाते पूरी हुई नहीं थी कि बात काटते हुए बिरजू बोलता है……

बिरजू :- अनर्थ हो गया बड़े मालिक…………. हूं हूं हूं…….. (रोने लगा) और यह सुनते ही उधर शान्ति फेल जाती है और दरवाजा खुलने का आवाज आती है……..कुछ देर बाद…..

………" बिरजू क्या अनर्थ हो गया है…. कहीं अर्जुन सिंह"….. बात अधूरा छोड़ देते है

बिरजू:- नहीं मालिक दरअसल……….. पूरी घटना बताता है (यह बता दू की यहा बिरजू देव और सावित्री की बाते कर रहा है अपने मालिक से और ऊपर बड़े मालिक के कथन से आप सभी समझ ही गए होंगे कि ये दोनों उनके बेटा और बहू है)
……बिरजू की बाते सुनने के बाद " क्या ये सब हो गया और तू मुझे अब बता रहा है….. और तू था कहा मैंने तुझसे बोला था कि कोई भी परेशानी हो तो तुरंत देव की मदद करने उसके सामने आ जाना लेकिन तू (गुस्से में गहरी सांसे लेते है) तू…….. कर क्या रहा था"………. उधर से लगभग गुस्से में चिल्लाने की आवाज आती जिसे सुनने के बाद तो बिरजू के पैंट पिल्ला होने से बचा और वह पेशाब भी कर दिया।…………

………"अरे बोलता क्यों नहीं है तू, ये बता कि तू किस अस्पताल में लेकर गया है उन्हें……" उधर से आवाज आती।

बिरजू - जी….. जी…. मै*** **** हॉस्पिटल pvt. Ltd. दिल्ली।

फोन काट जाता है………………..

फोन करने के बाद बिरजू डॉक्टर के पास जाता है जो अभी अभी सावित्री देवी के कमरे से बाहर निकाला था।

बिरजू - डॉ साहब अब कैसी है तबीयत…….

डाॅ० - देखिए अब वे दोनों खतरे से बाहर है और हमने उन्हें नींद की सुई लगाई है तो अभी वे आराम कर रहे है…..लेकिन

लेकिन सुनते ही बिरजू के जान ही हलक में आ जाता है…..
बिरजू - ल…. ल…. लेकिन क्या डॉ……

डॉ० - देखिए घबराइए मत…… बात दरअसल यह है कि महिला को धक्के लगाने से गिरने के कारण महिला को एक हार्ट अटैक था जिसका प्रभाव बच्चे पर भी पड़ा है और बच्चा गर्भ में ही बेहोश हो गया है या फिर कोमा में भी जा सकता है….. पर बच्चा ठीक है……. (यह मैंने ये सभी बाते अपने काल्पनिकता से लिखा है ऐसा होता है कि नहीं मुझे नहीं पता)
डॉ इतना कहने के बाद चला जाता है और बीजू वहीं पर बैठ जाता है और god को धन्यवाद देता है की सभी लोग सुरक्षित है खास तौर पर बच्चा।…………………

तो आखिर य बड़े मालिक है कौन…….. क्या बच्चा डॉ के कहे अनुसार होगा की कोई और बात होगी………. ये जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को…………….. आज के लिए बस इतना ही मिलते है अब अगले अपडेट पर धन्यवाद………


दोस्तो मेरी जीवन की यह पहली स्टोरी है तो कोई गलती हो तो कृपया उसे अनदेखा करे और हा केवल पढ़कर मत जाइएगा अपना सुझाव भी देना कि यह अपडेट आपको कैसा लगा अगर कोई सुझाव हो तो उसका स्वागत है।…………..
Kahani mast trike se suru huyi hai
Dekhate hai aage kya hota hai
 
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Luliya

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अपडेट - 01
शीर्षक - कहानी की शुरुआत (भाग -2)

अब आगे :-

स्थान - अस्पताल।
बिरजू डॉ के बातो को सुनने के बाद से कुछ राहत महसूस हो रही थी लेकिन साथ में एक डर भी छिपा हुआ था उसके अंदर की अगर बच्चे को कुछ हो गया तो………………..
"नहीं……. नहीं ऐसा नहीं हो सकता है।" बिरजू अपनी सोच से हड़बड़ा गया
इसी तरह 12 घंटे हो गए लेकिन अभी तक देव और सावित्री को होश नहीं आया था और तो और उन दोनों की शारीरिक हालत एक दम सामान्य थी जिसकी जांच करने के बाद डॉ भी हैरान थे कि ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि मरीज को अभी तक होश नहीं आया था और उसके साथ ही उसका कारण भी कुछ नहीं था सब कुछ सामान्य था।

अभी सभी हैरान परेशान ही थे कि अस्पताल के बाहर सात गाडियां आकर रूकी जो सस्ती तो कतई नहीं थी सभी गाड़ियों कि कीमत 3 करोड़ के ऊपर की थी।
सबसे महंगी कार का दरवाजा खुला और उसमे से एक लगभग 50 वर्ष के एक व्यक्ति बाहर निकले और साथ ही एक लगभग 25-30 वर्ष के एक व्यक्ति, इसी तरह से एक और कार का दरवाजा खुला और उसमे से पहले एक 20 वर्ष का लड़का और एक लड़की निकले उसी के साथ एक 48 वर्षीय महिला भी निकली बाकी गाड़ियों में बॉडीगार्ड थे जो पहले ही निकाल कार अपना स्थान ग्रहण कर लिए थे।
सभी लोग हॉस्पिटल के अंदर चल देते है।
बिरजू वही बेंच पर बैठा था उसके पास ही दो हट्टे कट्टे आदमी भी थे।
जब बिरजू अभी अभी हॉस्पिटल के अंदर आए व्यक्ति को देखता है तो जल्दी से दौड़ लगा देता है और उस 50 वर्षीय व्यक्ति के आगे घुटनों पर बैठ जाता है……. "बड़े मालिक" बिरजू के मुंह से बस यही निकलता है तब उसके बड़े मालिक ने हाथ के इशारे से चुप करवाते हुए कहा………

"किस कमरे में है बिरजू……"

"सब ठीक तो है, बिरजू भैया।" 48 वर्षीय महिला ने पूछा

"हा बिरजू काका मेरा भाई और बहू कैसे है।" 25-30 वर्षीय व्यक्ति ने उत्सुकता से पूछा

"हा बिरजू काका भैया और भाभी ठीक तो है, और भाभी प्रेगनेंट थी तो कुछ गड़बड़ी तो नहीं है।" 20 वर्षीय लड़का और लड़की ने एक साथ पूछा।

"ऐ लड़की मै पूछ रहा था तो तू क्यों मेरे ही बात को दोहरा रही है" 20 वर्ष के लड़के ने चिढ़ते हुए उस लड़की से कहा जिससे यह साफ लग रहा था कि उनमें बिल्कुल भी बनती नहीं थी।

"ओय.. मैंने पहले कहने के लिए अपना मुख खोल था.. समझा" लड़की ने थोड़े गुस्से में कहा

"शांत हो जाओ जब देखो तब लड़ते ही रहते हो…. हा बिरजू भैया आपने जवाब नहीं दिया" महिला ने पूछा और ये सुनकर वह बड़े मालिक जोर जोर से हंसने लगे…..
"हा…. हा….. हा….. अरे भाग्यवान उसे बोलने का मौका तो दो देखो कैसे हमें ही देख रहा है और इसके चेहरे को देखने से तो लग रहा है कि सब ठीक ठाक है।

"एक दम सही बोल रहे है शास्त्री काका.. देवानंद और सावित्री की हालत बिल्कुल ठीक है" ये आवाज डॉ० कि थी जो इतना शोर सुनकर आया था
और अभी ये सभी अपने में ही लगे हुए थे कि डॉ० की आवाज उनके कानों में पड़ी जिसको सुनने के बाद सभी अपनी नजर उठाकर देखते है और जब देखते है तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है।


(यह बता दू की ये परिवार उत्तर प्रदेश के एक जाना माना परिवार शास्त्री परिवार था जिसका दबदबा पूरे भारत देश में था शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के भूत पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके है लेकिन अब ये उस पद पर नहीं है क्योंकि इन्होंने अब अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए राजनीति से संन्यास ले लिए है और यह बता दू की शास्त्री जी राजनीति और परिवार को हमेशा अलग रखते थे जिसके चलते कुछ लोगो को छोड़कर कोई नहीं जानता कि ये वही शास्त्री परिवार है जो 25वर्षों तक उत्तर प्रदेश का CM रहे। अपने कार्य काल में ये 5 बार लगातार चुनाव जीते थे लेकिन उस समय ये अपने परिवार को उतना महत्व नहीं देते थे लेकिन पिछले पांच साल पहले हुए एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया। शास्त्री जी अपने वचन के पक्के थे तथा वह घटना इनके और इनके पिताजी के वचन के कारण ही घटा और इन्हे अपने पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा।
अब बात करते है कि अभी इनका परिचय नहीं दिया जाएगा क्योंकि इस अपडेट के बाद इनका जिक्र नहीं होगा क्योंकि इनकी इंट्री बाद में होगी। तो मै शास्त्री जी को
शास्त्री जी, इनकी पत्नी को देव.मा। 25-30 वर्ष के आदमी को देव.भ। 20 वर्ष के लड़के को देव.छोटा लड़की को देव.ब लिखूंगा।)

देव.ब डॉ० को देख कर चहकते हुए भागी और उसके गले लग गई और खुश होते हुए बोली…." अरे कैलाश भैया आप………"
(डॉ० का नाम कैलाश था जो एक जाना माना डॉ० था। डॉ० शास्त्री की के प्रेम मित्र के बड़े लड़के थे और ये इंडिया है नहीं वर्ल्ड के टॉप डॉ० में आते थे।)
अब डॉ० को उनके नाम से ही संबोधित करूंगा…………

कैलाश भी अपने सबसे छोटी प्यारी बहन को देखकर बहुत खुश हुए और उसे गले लगाते हुए बोले ….
"अरे मेरी प्यारी बहन तू… तू तो कितनी बड़ी हो गई है पर क्या अभी भी तेरी नाक बहती है।"
कैलाश जी की अंतिम शब्द सुनकर तो देव.ब उनसे दूर हो जाती है और गुस्से में उन्हें देखती है तो उसे देखकर शास्त्री जी कहते है……
" चल बेटा ऐसे मत देख उसे वह तुझसे बस मजाक कर रहा था और तू तो जानती ही है कि वह तुझसे कितना प्यार करता है……(फिर कैलाश की ओर देखते हुए) कैलाश बेटा अब कैसी तबीयत है दोनों की और बहू ठीक तो है।"

कैलाश -" हा शास्त्री काका तीनों ठीक है लेकिन बात ये है कि……फिर सारी बाते बता देते है जिसे सुनने के बाद शास्त्री जी भी हैरान हो जाते है।

"क्या अभी तक उन्हें होश नहीं आया है लेकिन उन्हें कोई खतरा नहीं है और तो और वे दोनों कोमा में भी नहीं है तो बच्चा उसका क्या हुआ और वह ठीक तो है।" शास्त्री जी आश्चर्य में कहते है।
डॉ० कैलाश उन्हें समझाते है कि घबराने की कोई बात नहीं है बस उन्हें होश आए जाय तो स्थिति और भी ज्यादा समझ में आने लगेगी।
शास्त्री जी और परिवार के लोगो ने देव और सावित्री को देखते है और बाहर आ जाते है………..

शास्त्री जी :- कैलाश बेटा अब हम चलते…….
शास्त्री जी की ये बाते सुनकर वह उपस्थित सभी चौक और हैरान हो जाते है।

देव.मा :- ये आप क्या कह रहे है यह हमारा बेटा और बहू अस्पताल में है और आप……. ये कैसी बाते कर रहे और आप देव को अब माफ कर दीजिए मै अपने बच्चे को ऐसे नहीं देख सकती हूं।

देव.भ :- हा पापा अब आप देव को माफ कर दीजिए देखिए उसने आपके फैसले का मान रखा और आपके एक बार कहने पर वह घर छोड़ दिया और आप जानते है कि वह अभी किस हालत में रहते है।

शास्त्री जी अपने पत्नी और बेटे की बाते सुनकर गुस्से मै आ जाते है। और कहते है :-
" ख़ामोश मै कुछ नहीं सुनना चाहता समझे तुम सब…… मेरे वचन का मान देव ने ना रखा ना सही लेकिन पिताजी की वचन को तोड दिया और उनकी पगड़ी लांघकर चला आया। ये मुझे कतई मंजूर नहीं और पिताजी द्वारा निर्धारित सजा को भुगतने के बाद ही देवानंद को शास्त्री परिवार में सामिल किया जाएगा और हम यहां आए थे देव को नहीं मालूम चलना चाहिए।।
सभी शास्त्री जी कि बातो को सुनकर शांत हो जाते है क्योंकि वे ये जानते थे कि वे अपने पिताजी के बातो को कभी भी ना मानने की गुस्ताखी भी नहीं कर सकते है (सच तो ये था कि शास्त्री जी अपनी सभी औलादों से बहुत प्रेम करते थे और देवानंद का ऐक्सिडेंट का सुनकर वे तुरंत दौड़े चले आए लेकिन ये अपने वसूलो के भी पक्के थे)। सभी अस्पताल से बाहर आ जाते है। बाहर आकर शास्त्री जी कार में बैठने से पहले बिरजू से कहते है…..

शास्त्री जी :- बिरजू अब तू गाव लौट चल और कुछ दिन परिवार के साथ बिताकर यहां आ जाना और यहां आने के बाद ध्यान रहे कि देव को इस बात का तनिक भी भनक नहीं होनी चाहिए कि तू देव कि देखभाल यहां कर रहा है । और हा जब तक देव कि जिंदगी मौत का सवाल ना हो तब तक उसकी सहायता काद्दापी मत करना। और अगर तूने मेरे आज्ञा की उल्लंघन किया तो तुझे पता है कि तुझे सजा के तौर पर क्या मिलेगा तो ध्यान रखना।"

बिरजू :- (शास्त्री जी की बात सुनकर) जी मालिक…. शिकायत का मौका आपको नहीं मिलेगा।

शास्त्री जी :- यही तेरे लिए बेहतर रहेगा।……

सभी डॉ० कैलाश से विदा लेकर सभी वहां से प्रस्थान कर जाते है।

तभी…………..

स्थान :- पृथ्वी पर ही अनजान स्थान पर एक गुफा में….
इस गुफा में कोई भी प्रवेश द्वार नहीं है क्योंकि इस गुफा के द्वार बंद है अगर गुफा में प्रवेश द्वार होता तो गुफा में प्रवेश करने पर गुफा में पहले सात रंगो के जल वाला नदी जो 100 मीटर की दूरी में है गुफा में बहती है उसे पार करना पड़ता है उसके बाद गुफा के अंतिम छोर पर एक बड़ा धुंध का बवंडर था जो कि हरा था।
वहां एक साधु प्रगट होता है।

साधु :- The Destroyer को उनके शिष्य अनमोल का प्रणाम……. (अपने दोनो हाथ को जोड़ते हुए कहा)

The Destroyer :- आयुष्मान भव: पुत्र …………. पुत्र अनमोल तुम इस समय यहां।

अनमोल :- जी गुरुदेव एक बुरी खबर है……

The Destroyer :- बुरी खबर और वो क्या है……

अनमोल :- गुरुदेव आपके इस जीवन में होने वाली माताजी के साथ एक दुर्घटना हो गई है और वह अब शांत अवस्था में चली गई है और साथ में उनके गर्भ में उनका बच्चा भी।

The Destroyer :- हा… हा…… ये बुरी खबर नहीं है अनमोल जानते हो क्यों क्युकी जो नियति से खिलवाड़ करता है उसके साथ नियति ऐसा खिलवाड़ करती है जिसको समझ पाना किसी के वश की बात नहीं है।

अनमोल :- गुरुदेव मै कुछ समझा नहीं……

The Destroyer :- मै तुम्हे बताता हूं कि ये बुरी खबर क्यों नहीं है बात उस समय से सुरु होती है …… जब मुझे धोखे से मार दिया गया और मेरी आत्मा को दो भागों में बांट दिया गया तब मेरे एक भाग को देवताओं ने तो आजाद करा लिया लेकिन मेरे एक भाग को इस गुफा में कैद कर दिया गया लेकिन मेरे शरीर को सभी भूल गए कि वह किस हालत में है युद्ध समाप्त हो गया था तब एक दिन नरभक्षी समुदाय के लोग की भोजन की तलाश में युद्ध क्षेत्र की ओर आए उस समय सभी उपस्थित वहां शरीर जिनका अंत्येष्ठि नहीं किया गया वह शरीर सड़ गल गए थे लेकिन मेरा शरीर एक तपस्वी का शरीर था जिसमें कोई बीमारी नहीं लग सकती थी और मेरा अंत्येष्ठि नहीं होने से मेरा आजाद आत्मा की आधा भाग मेरे शरीर में ही निवास करती थी। जब नरभक्षी समुदाय के एक दंपति की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो वह दौड़े दौड़े मेरे शरीर के पास आए और मेरे शरीर के मांश को खाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए ही थे कि उनकी नजर मेरे चेहरे पर पड़ी तब उनकी मुझे संतान रूप में पाने की इच्छा ने जन्म ले लिया तब उन्हें मेरे शरीर को वे दोनों अपने साथ लेकर गए और अपने इष्ट देव की तपस्या करने लगे और उनका इष्ट देव थे महाशैतान जिनकी दोनों तपस्या करने लगे और अंत में उनकी तपस्या पूर्ण हुई जिसके फलस्वरूप महाशैतान वहां प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा तब उन्होंने मेरे शरीर के तरफ इशारे करके कहा कि ये मृत व्यक्ति का आगे आने वाले जन्म हमारे पुत्र के रूप में हो।
तब शैतान की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो उसके मन में बुराई फैलाने की एक खतनाक उपाय आया वह जानता था कि में एक the Destroyer हूं अभी तक के समय में सिर्फ 7 Destroyer हुए और सतवा मै हूं बाकी छ: अपना जीवनकाल पूरा करके मोक्ष प्राप्त कर लिए थे तब महशैतान ने मेरे शरीर को अपने कब्जे में लेते हुए उसमे मौजूद मेरी आधी आत्मा को उसमे से निकाल लिया और मेरे पवित्र शरीर के मांस का भक्षण करने को कहा जिससे वे नरभक्षी दंपति ने मेरे शरीर के सारे भागों का भक्षण कर लिए तब महाशैतान ने मेरी आधी आत्मा में अपनी कुछ काली शक्तियां डालकर मुझे उस नरभक्षी महिला के गर्भ में डाल दिया तब मेरा जन्म हुआ एक नरभक्षी समुदाय में और मै तब एक शैतान था और उसी में मैंने बहुत सी गलतियां की कुछ खोया और कुछ पाया लेकिन मुझे वहां एक ऐसी शक्ति मिली जिसका तोड़ इस ब्रह्माण्ड में कहीं नहीं नहीं वह है प्यार जिसके बल पर मुझे मिलने वाले कई अभिशाप टूट गए लेकिन एक अभी शाप कभी भी नहीं मेरा पीछा छोड़ा और वह है मेरा जन्म होने से पहले ही मौत लेकिन ये अभीशाप अभी मेरे लिए वरदान से काम नहीं है। (यह अभिशाप कैसे मिला इसकी जानकारी आगे की कहानी में मिलेगा)। और इस मौत के बाद मिलेगी मेरी पूरी शक्तियां और मेरी आत्मा पूर्ण हो जाएगा । और मै फिर से बन जाऊंगा the Destroyer और इस जन्म में मै पूरा हो जाऊंगा………..

अनमोल :- तो गुरुदेव वह भी दोबारा आएगा। आप उसके बारे में तो जानते ही होंगे।

The Destroyer :- मै सब जानता हूं अनमोल …….उसका अंत मेरे ही हाथो होगा यही उसकी नियति है अनमोल क्योंकि उसने जो king of king से उसने यही वरदान मांगा है जिसके अनुसार कोई Destroyer ही उसे मार सकता है और मै ही अब एक लौटा बचा हुआ हूं। लेकिन जब मै नरभक्षी था तब मै पूर्ण destroyer नहीं था जिसके कारण मै उसे मारने में सक्षम नहीं था लेकिन इस जनम में मेरा जन्म पूर्ण The Destroyer के रूप में होगा।……….

इधर हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….

बाकी की कहानी अगले अपडेट में………….

Next Update:- 03 (वह लौट आया)

अब यह से अगले अपडेट से कहानी असली रूप से शुरू होगी...........
अगला अपडेट मेगा अपडेट होने वाला है.........
Wah update padhke maja aa gaya
Bahut hi interesting update tha dekhate hai aage kya hota hai
 
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