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Incest Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer )

Mac01

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आप सभी को बता दू की इस कहानी में मै सप्ताह में कम से कम दो अपडेट दूंगा और अधिकतम की कोई सीमा नहीं रहेगी।

इस कहानी मै सेक्स सीन पर ज्यादा फोकस नहीं किया जाएगा ज्यादा फोकस स्टोरी पर ही किया जाएगा। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कामुक सीन होगा ही नहीं।

इस कहानी में प्यार, नफरत, सस्पेंस, आदि होंगे।
 
Last edited:

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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अपडेट - 01
शीर्षक - कहानी की शुरुआत (भाग -2)

अब आगे :-

स्थान - अस्पताल।
बिरजू डॉ के बातो को सुनने के बाद से कुछ राहत महसूस हो रही थी लेकिन साथ में एक डर भी छिपा हुआ था उसके अंदर की अगर बच्चे को कुछ हो गया तो………………..
"नहीं……. नहीं ऐसा नहीं हो सकता है।" बिरजू अपनी सोच से हड़बड़ा गया
इसी तरह 12 घंटे हो गए लेकिन अभी तक देव और सावित्री को होश नहीं आया था और तो और उन दोनों की शारीरिक हालत एक दम सामान्य थी जिसकी जांच करने के बाद डॉ भी हैरान थे कि ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि मरीज को अभी तक होश नहीं आया था और उसके साथ ही उसका कारण भी कुछ नहीं था सब कुछ सामान्य था।

अभी सभी हैरान परेशान ही थे कि अस्पताल के बाहर सात गाडियां आकर रूकी जो सस्ती तो कतई नहीं थी सभी गाड़ियों कि कीमत 3 करोड़ के ऊपर की थी।
सबसे महंगी कार का दरवाजा खुला और उसमे से एक लगभग 50 वर्ष के एक व्यक्ति बाहर निकले और साथ ही एक लगभग 25-30 वर्ष के एक व्यक्ति, इसी तरह से एक और कार का दरवाजा खुला और उसमे से पहले एक 20 वर्ष का लड़का और एक लड़की निकले उसी के साथ एक 48 वर्षीय महिला भी निकली बाकी गाड़ियों में बॉडीगार्ड थे जो पहले ही निकाल कार अपना स्थान ग्रहण कर लिए थे।
सभी लोग हॉस्पिटल के अंदर चल देते है।
बिरजू वही बेंच पर बैठा था उसके पास ही दो हट्टे कट्टे आदमी भी थे।
जब बिरजू अभी अभी हॉस्पिटल के अंदर आए व्यक्ति को देखता है तो जल्दी से दौड़ लगा देता है और उस 50 वर्षीय व्यक्ति के आगे घुटनों पर बैठ जाता है……. "बड़े मालिक" बिरजू के मुंह से बस यही निकलता है तब उसके बड़े मालिक ने हाथ के इशारे से चुप करवाते हुए कहा………

"किस कमरे में है बिरजू……"

"सब ठीक तो है, बिरजू भैया।" 48 वर्षीय महिला ने पूछा

"हा बिरजू काका मेरा भाई और बहू कैसे है।" 25-30 वर्षीय व्यक्ति ने उत्सुकता से पूछा

"हा बिरजू काका भैया और भाभी ठीक तो है, और भाभी प्रेगनेंट थी तो कुछ गड़बड़ी तो नहीं है।" 20 वर्षीय लड़का और लड़की ने एक साथ पूछा।

"ऐ लड़की मै पूछ रहा था तो तू क्यों मेरे ही बात को दोहरा रही है" 20 वर्ष के लड़के ने चिढ़ते हुए उस लड़की से कहा जिससे यह साफ लग रहा था कि उनमें बिल्कुल भी बनती नहीं थी।

"ओय.. मैंने पहले कहने के लिए अपना मुख खोल था.. समझा" लड़की ने थोड़े गुस्से में कहा

"शांत हो जाओ जब देखो तब लड़ते ही रहते हो…. हा बिरजू भैया आपने जवाब नहीं दिया" महिला ने पूछा और ये सुनकर वह बड़े मालिक जोर जोर से हंसने लगे…..
"हा…. हा….. हा….. अरे भाग्यवान उसे बोलने का मौका तो दो देखो कैसे हमें ही देख रहा है और इसके चेहरे को देखने से तो लग रहा है कि सब ठीक ठाक है।

"एक दम सही बोल रहे है शास्त्री काका.. देवानंद और सावित्री की हालत बिल्कुल ठीक है" ये आवाज डॉ० कि थी जो इतना शोर सुनकर आया था
और अभी ये सभी अपने में ही लगे हुए थे कि डॉ० की आवाज उनके कानों में पड़ी जिसको सुनने के बाद सभी अपनी नजर उठाकर देखते है और जब देखते है तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है।


(यह बता दू की ये परिवार उत्तर प्रदेश के एक जाना माना परिवार शास्त्री परिवार था जिसका दबदबा पूरे भारत देश में था शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के भूत पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके है लेकिन अब ये उस पद पर नहीं है क्योंकि इन्होंने अब अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए राजनीति से संन्यास ले लिए है और यह बता दू की शास्त्री जी राजनीति और परिवार को हमेशा अलग रखते थे जिसके चलते कुछ लोगो को छोड़कर कोई नहीं जानता कि ये वही शास्त्री परिवार है जो 25वर्षों तक उत्तर प्रदेश का CM रहे। अपने कार्य काल में ये 5 बार लगातार चुनाव जीते थे लेकिन उस समय ये अपने परिवार को उतना महत्व नहीं देते थे लेकिन पिछले पांच साल पहले हुए एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया। शास्त्री जी अपने वचन के पक्के थे तथा वह घटना इनके और इनके पिताजी के वचन के कारण ही घटा और इन्हे अपने पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा।
अब बात करते है कि अभी इनका परिचय नहीं दिया जाएगा क्योंकि इस अपडेट के बाद इनका जिक्र नहीं होगा क्योंकि इनकी इंट्री बाद में होगी। तो मै शास्त्री जी को
शास्त्री जी, इनकी पत्नी को देव.मा। 25-30 वर्ष के आदमी को देव.भ। 20 वर्ष के लड़के को देव.छोटा लड़की को देव.ब लिखूंगा।)

देव.ब डॉ० को देख कर चहकते हुए भागी और उसके गले लग गई और खुश होते हुए बोली…." अरे कैलाश भैया आप………"
(डॉ० का नाम कैलाश था जो एक जाना माना डॉ० था। डॉ० शास्त्री की के प्रेम मित्र के बड़े लड़के थे और ये इंडिया है नहीं वर्ल्ड के टॉप डॉ० में आते थे।)
अब डॉ० को उनके नाम से ही संबोधित करूंगा…………

कैलाश भी अपने सबसे छोटी प्यारी बहन को देखकर बहुत खुश हुए और उसे गले लगाते हुए बोले ….
"अरे मेरी प्यारी बहन तू… तू तो कितनी बड़ी हो गई है पर क्या अभी भी तेरी नाक बहती है।"
कैलाश जी की अंतिम शब्द सुनकर तो देव.ब उनसे दूर हो जाती है और गुस्से में उन्हें देखती है तो उसे देखकर शास्त्री जी कहते है……
" चल बेटा ऐसे मत देख उसे वह तुझसे बस मजाक कर रहा था और तू तो जानती ही है कि वह तुझसे कितना प्यार करता है……(फिर कैलाश की ओर देखते हुए) कैलाश बेटा अब कैसी तबीयत है दोनों की और बहू ठीक तो है।"

कैलाश -" हा शास्त्री काका तीनों ठीक है लेकिन बात ये है कि……फिर सारी बाते बता देते है जिसे सुनने के बाद शास्त्री जी भी हैरान हो जाते है।

"क्या अभी तक उन्हें होश नहीं आया है लेकिन उन्हें कोई खतरा नहीं है और तो और वे दोनों कोमा में भी नहीं है तो बच्चा उसका क्या हुआ और वह ठीक तो है।" शास्त्री जी आश्चर्य में कहते है।
डॉ० कैलाश उन्हें समझाते है कि घबराने की कोई बात नहीं है बस उन्हें होश आए जाय तो स्थिति और भी ज्यादा समझ में आने लगेगी।
शास्त्री जी और परिवार के लोगो ने देव और सावित्री को देखते है और बाहर आ जाते है………..

शास्त्री जी :- कैलाश बेटा अब हम चलते…….
शास्त्री जी की ये बाते सुनकर वह उपस्थित सभी चौक और हैरान हो जाते है।

देव.मा :- ये आप क्या कह रहे है यह हमारा बेटा और बहू अस्पताल में है और आप……. ये कैसी बाते कर रहे और आप देव को अब माफ कर दीजिए मै अपने बच्चे को ऐसे नहीं देख सकती हूं।

देव.भ :- हा पापा अब आप देव को माफ कर दीजिए देखिए उसने आपके फैसले का मान रखा और आपके एक बार कहने पर वह घर छोड़ दिया और आप जानते है कि वह अभी किस हालत में रहते है।

शास्त्री जी अपने पत्नी और बेटे की बाते सुनकर गुस्से मै आ जाते है। और कहते है :-
" ख़ामोश मै कुछ नहीं सुनना चाहता समझे तुम सब…… मेरे वचन का मान देव ने ना रखा ना सही लेकिन पिताजी की वचन को तोड दिया और उनकी पगड़ी लांघकर चला आया। ये मुझे कतई मंजूर नहीं और पिताजी द्वारा निर्धारित सजा को भुगतने के बाद ही देवानंद को शास्त्री परिवार में सामिल किया जाएगा और हम यहां आए थे देव को नहीं मालूम चलना चाहिए।।
सभी शास्त्री जी कि बातो को सुनकर शांत हो जाते है क्योंकि वे ये जानते थे कि वे अपने पिताजी के बातो को कभी भी ना मानने की गुस्ताखी भी नहीं कर सकते है (सच तो ये था कि शास्त्री जी अपनी सभी औलादों से बहुत प्रेम करते थे और देवानंद का ऐक्सिडेंट का सुनकर वे तुरंत दौड़े चले आए लेकिन ये अपने वसूलो के भी पक्के थे)। सभी अस्पताल से बाहर आ जाते है। बाहर आकर शास्त्री जी कार में बैठने से पहले बिरजू से कहते है…..

शास्त्री जी :- बिरजू अब तू गाव लौट चल और कुछ दिन परिवार के साथ बिताकर यहां आ जाना और यहां आने के बाद ध्यान रहे कि देव को इस बात का तनिक भी भनक नहीं होनी चाहिए कि तू देव कि देखभाल यहां कर रहा है । और हा जब तक देव कि जिंदगी मौत का सवाल ना हो तब तक उसकी सहायता काद्दापी मत करना। और अगर तूने मेरे आज्ञा की उल्लंघन किया तो तुझे पता है कि तुझे सजा के तौर पर क्या मिलेगा तो ध्यान रखना।"

बिरजू :- (शास्त्री जी की बात सुनकर) जी मालिक…. शिकायत का मौका आपको नहीं मिलेगा।

शास्त्री जी :- यही तेरे लिए बेहतर रहेगा।……

सभी डॉ० कैलाश से विदा लेकर सभी वहां से प्रस्थान कर जाते है।

तभी…………..

स्थान :- पृथ्वी पर ही अनजान स्थान पर एक गुफा में….
इस गुफा में कोई भी प्रवेश द्वार नहीं है क्योंकि इस गुफा के द्वार बंद है अगर गुफा में प्रवेश द्वार होता तो गुफा में प्रवेश करने पर गुफा में पहले सात रंगो के जल वाला नदी जो 100 मीटर की दूरी में है गुफा में बहती है उसे पार करना पड़ता है उसके बाद गुफा के अंतिम छोर पर एक बड़ा धुंध का बवंडर था जो कि हरा था।
वहां एक साधु प्रगट होता है।

साधु :- The Destroyer को उनके शिष्य अनमोल का प्रणाम……. (अपने दोनो हाथ को जोड़ते हुए कहा)

The Destroyer :- आयुष्मान भव: पुत्र …………. पुत्र अनमोल तुम इस समय यहां।

अनमोल :- जी गुरुदेव एक बुरी खबर है……

The Destroyer :- बुरी खबर और वो क्या है……

अनमोल :- गुरुदेव आपके इस जीवन में होने वाली माताजी के साथ एक दुर्घटना हो गई है और वह अब शांत अवस्था में चली गई है और साथ में उनके गर्भ में उनका बच्चा भी।

The Destroyer :- हा… हा…… ये बुरी खबर नहीं है अनमोल जानते हो क्यों क्युकी जो नियति से खिलवाड़ करता है उसके साथ नियति ऐसा खिलवाड़ करती है जिसको समझ पाना किसी के वश की बात नहीं है।

अनमोल :- गुरुदेव मै कुछ समझा नहीं……

The Destroyer :- मै तुम्हे बताता हूं कि ये बुरी खबर क्यों नहीं है बात उस समय से सुरु होती है …… जब मुझे धोखे से मार दिया गया और मेरी आत्मा को दो भागों में बांट दिया गया तब मेरे एक भाग को देवताओं ने तो आजाद करा लिया लेकिन मेरे एक भाग को इस गुफा में कैद कर दिया गया लेकिन मेरे शरीर को सभी भूल गए कि वह किस हालत में है युद्ध समाप्त हो गया था तब एक दिन नरभक्षी समुदाय के लोग की भोजन की तलाश में युद्ध क्षेत्र की ओर आए उस समय सभी उपस्थित वहां शरीर जिनका अंत्येष्ठि नहीं किया गया वह शरीर सड़ गल गए थे लेकिन मेरा शरीर एक तपस्वी का शरीर था जिसमें कोई बीमारी नहीं लग सकती थी और मेरा अंत्येष्ठि नहीं होने से मेरा आजाद आत्मा की आधा भाग मेरे शरीर में ही निवास करती थी। जब नरभक्षी समुदाय के एक दंपति की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो वह दौड़े दौड़े मेरे शरीर के पास आए और मेरे शरीर के मांश को खाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए ही थे कि उनकी नजर मेरे चेहरे पर पड़ी तब उनकी मुझे संतान रूप में पाने की इच्छा ने जन्म ले लिया तब उन्हें मेरे शरीर को वे दोनों अपने साथ लेकर गए और अपने इष्ट देव की तपस्या करने लगे और उनका इष्ट देव थे महाशैतान जिनकी दोनों तपस्या करने लगे और अंत में उनकी तपस्या पूर्ण हुई जिसके फलस्वरूप महाशैतान वहां प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा तब उन्होंने मेरे शरीर के तरफ इशारे करके कहा कि ये मृत व्यक्ति का आगे आने वाले जन्म हमारे पुत्र के रूप में हो।
तब शैतान की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो उसके मन में बुराई फैलाने की एक खतनाक उपाय आया वह जानता था कि में एक the Destroyer हूं अभी तक के समय में सिर्फ 7 Destroyer हुए और सतवा मै हूं बाकी छ: अपना जीवनकाल पूरा करके मोक्ष प्राप्त कर लिए थे तब महशैतान ने मेरे शरीर को अपने कब्जे में लेते हुए उसमे मौजूद मेरी आधी आत्मा को उसमे से निकाल लिया और मेरे पवित्र शरीर के मांस का भक्षण करने को कहा जिससे वे नरभक्षी दंपति ने मेरे शरीर के सारे भागों का भक्षण कर लिए तब महाशैतान ने मेरी आधी आत्मा में अपनी कुछ काली शक्तियां डालकर मुझे उस नरभक्षी महिला के गर्भ में डाल दिया तब मेरा जन्म हुआ एक नरभक्षी समुदाय में और मै तब एक शैतान था और उसी में मैंने बहुत सी गलतियां की कुछ खोया और कुछ पाया लेकिन मुझे वहां एक ऐसी शक्ति मिली जिसका तोड़ इस ब्रह्माण्ड में कहीं नहीं नहीं वह है प्यार जिसके बल पर मुझे मिलने वाले कई अभिशाप टूट गए लेकिन एक अभी शाप कभी भी नहीं मेरा पीछा छोड़ा और वह है मेरा जन्म होने से पहले ही मौत लेकिन ये अभीशाप अभी मेरे लिए वरदान से काम नहीं है। (यह अभिशाप कैसे मिला इसकी जानकारी आगे की कहानी में मिलेगा)। और इस मौत के बाद मिलेगी मेरी पूरी शक्तियां और मेरी आत्मा पूर्ण हो जाएगा । और मै फिर से बन जाऊंगा the Destroyer और इस जन्म में मै पूरा हो जाऊंगा………..

अनमोल :- तो गुरुदेव वह भी दोबारा आएगा। आप उसके बारे में तो जानते ही होंगे।

The Destroyer :- मै सब जानता हूं अनमोल …….उसका अंत मेरे ही हाथो होगा यही उसकी नियति है अनमोल क्योंकि उसने जो king of king से उसने यही वरदान मांगा है जिसके अनुसार कोई Destroyer ही उसे मार सकता है और मै ही अब एक लौटा बचा हुआ हूं। लेकिन जब मै नरभक्षी था तब मै पूर्ण destroyer नहीं था जिसके कारण मै उसे मारने में सक्षम नहीं था लेकिन इस जनम में मेरा जन्म पूर्ण The Destroyer के रूप में होगा।……….

इधर हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….

बाकी की कहानी अगले अपडेट में………….

Next Update:- 03 (वह लौट आया)

अब यह से अगले अपडेट से कहानी असली रूप से शुरू होगी...........
अगला अपडेट मेगा अपडेट होने वाला है.........

Nice updates
 

Naik

Well-Known Member
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Shashtri pariwar aaya or apne beta or bahu ko dekh ker wapas bhi chala or bol ker ki Dewanand ko pata na chale ki uska poora pariwaar yaha aaya tha yeh kia baat huwi aisa kon sa wachan nahi nibhaya tha Dev n or shashtri ji k pita n kon saza nirdhari kari thi
Baherhal dekhte h aage kia hota
Badhiya shaandaar update bhai
 

L.king

जलना नही मुझसे नही तो मेरी DP देखलो।
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अपडेट - 01
शीर्षक - कहानी की शुरुआत (भाग -2)

अब आगे :-

स्थान - अस्पताल।
बिरजू डॉ के बातो को सुनने के बाद से कुछ राहत महसूस हो रही थी लेकिन साथ में एक डर भी छिपा हुआ था उसके अंदर की अगर बच्चे को कुछ हो गया तो………………..
"नहीं……. नहीं ऐसा नहीं हो सकता है।" बिरजू अपनी सोच से हड़बड़ा गया
इसी तरह 12 घंटे हो गए लेकिन अभी तक देव और सावित्री को होश नहीं आया था और तो और उन दोनों की शारीरिक हालत एक दम सामान्य थी जिसकी जांच करने के बाद डॉ भी हैरान थे कि ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि मरीज को अभी तक होश नहीं आया था और उसके साथ ही उसका कारण भी कुछ नहीं था सब कुछ सामान्य था।

अभी सभी हैरान परेशान ही थे कि अस्पताल के बाहर सात गाडियां आकर रूकी जो सस्ती तो कतई नहीं थी सभी गाड़ियों कि कीमत 3 करोड़ के ऊपर की थी।
सबसे महंगी कार का दरवाजा खुला और उसमे से एक लगभग 50 वर्ष के एक व्यक्ति बाहर निकले और साथ ही एक लगभग 25-30 वर्ष के एक व्यक्ति, इसी तरह से एक और कार का दरवाजा खुला और उसमे से पहले एक 20 वर्ष का लड़का और एक लड़की निकले उसी के साथ एक 48 वर्षीय महिला भी निकली बाकी गाड़ियों में बॉडीगार्ड थे जो पहले ही निकाल कार अपना स्थान ग्रहण कर लिए थे।
सभी लोग हॉस्पिटल के अंदर चल देते है।
बिरजू वही बेंच पर बैठा था उसके पास ही दो हट्टे कट्टे आदमी भी थे।
जब बिरजू अभी अभी हॉस्पिटल के अंदर आए व्यक्ति को देखता है तो जल्दी से दौड़ लगा देता है और उस 50 वर्षीय व्यक्ति के आगे घुटनों पर बैठ जाता है……. "बड़े मालिक" बिरजू के मुंह से बस यही निकलता है तब उसके बड़े मालिक ने हाथ के इशारे से चुप करवाते हुए कहा………

"किस कमरे में है बिरजू……"

"सब ठीक तो है, बिरजू भैया।" 48 वर्षीय महिला ने पूछा

"हा बिरजू काका मेरा भाई और बहू कैसे है।" 25-30 वर्षीय व्यक्ति ने उत्सुकता से पूछा

"हा बिरजू काका भैया और भाभी ठीक तो है, और भाभी प्रेगनेंट थी तो कुछ गड़बड़ी तो नहीं है।" 20 वर्षीय लड़का और लड़की ने एक साथ पूछा।

"ऐ लड़की मै पूछ रहा था तो तू क्यों मेरे ही बात को दोहरा रही है" 20 वर्ष के लड़के ने चिढ़ते हुए उस लड़की से कहा जिससे यह साफ लग रहा था कि उनमें बिल्कुल भी बनती नहीं थी।

"ओय.. मैंने पहले कहने के लिए अपना मुख खोल था.. समझा" लड़की ने थोड़े गुस्से में कहा

"शांत हो जाओ जब देखो तब लड़ते ही रहते हो…. हा बिरजू भैया आपने जवाब नहीं दिया" महिला ने पूछा और ये सुनकर वह बड़े मालिक जोर जोर से हंसने लगे…..
"हा…. हा….. हा….. अरे भाग्यवान उसे बोलने का मौका तो दो देखो कैसे हमें ही देख रहा है और इसके चेहरे को देखने से तो लग रहा है कि सब ठीक ठाक है।

"एक दम सही बोल रहे है शास्त्री काका.. देवानंद और सावित्री की हालत बिल्कुल ठीक है" ये आवाज डॉ० कि थी जो इतना शोर सुनकर आया था
और अभी ये सभी अपने में ही लगे हुए थे कि डॉ० की आवाज उनके कानों में पड़ी जिसको सुनने के बाद सभी अपनी नजर उठाकर देखते है और जब देखते है तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है।


(यह बता दू की ये परिवार उत्तर प्रदेश के एक जाना माना परिवार शास्त्री परिवार था जिसका दबदबा पूरे भारत देश में था शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के भूत पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके है लेकिन अब ये उस पद पर नहीं है क्योंकि इन्होंने अब अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए राजनीति से संन्यास ले लिए है और यह बता दू की शास्त्री जी राजनीति और परिवार को हमेशा अलग रखते थे जिसके चलते कुछ लोगो को छोड़कर कोई नहीं जानता कि ये वही शास्त्री परिवार है जो 25वर्षों तक उत्तर प्रदेश का CM रहे। अपने कार्य काल में ये 5 बार लगातार चुनाव जीते थे लेकिन उस समय ये अपने परिवार को उतना महत्व नहीं देते थे लेकिन पिछले पांच साल पहले हुए एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया। शास्त्री जी अपने वचन के पक्के थे तथा वह घटना इनके और इनके पिताजी के वचन के कारण ही घटा और इन्हे अपने पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा।
अब बात करते है कि अभी इनका परिचय नहीं दिया जाएगा क्योंकि इस अपडेट के बाद इनका जिक्र नहीं होगा क्योंकि इनकी इंट्री बाद में होगी। तो मै शास्त्री जी को
शास्त्री जी, इनकी पत्नी को देव.मा। 25-30 वर्ष के आदमी को देव.भ। 20 वर्ष के लड़के को देव.छोटा लड़की को देव.ब लिखूंगा।)

देव.ब डॉ० को देख कर चहकते हुए भागी और उसके गले लग गई और खुश होते हुए बोली…." अरे कैलाश भैया आप………"
(डॉ० का नाम कैलाश था जो एक जाना माना डॉ० था। डॉ० शास्त्री की के प्रेम मित्र के बड़े लड़के थे और ये इंडिया है नहीं वर्ल्ड के टॉप डॉ० में आते थे।)
अब डॉ० को उनके नाम से ही संबोधित करूंगा…………

कैलाश भी अपने सबसे छोटी प्यारी बहन को देखकर बहुत खुश हुए और उसे गले लगाते हुए बोले ….
"अरे मेरी प्यारी बहन तू… तू तो कितनी बड़ी हो गई है पर क्या अभी भी तेरी नाक बहती है।"
कैलाश जी की अंतिम शब्द सुनकर तो देव.ब उनसे दूर हो जाती है और गुस्से में उन्हें देखती है तो उसे देखकर शास्त्री जी कहते है……
" चल बेटा ऐसे मत देख उसे वह तुझसे बस मजाक कर रहा था और तू तो जानती ही है कि वह तुझसे कितना प्यार करता है……(फिर कैलाश की ओर देखते हुए) कैलाश बेटा अब कैसी तबीयत है दोनों की और बहू ठीक तो है।"

कैलाश -" हा शास्त्री काका तीनों ठीक है लेकिन बात ये है कि……फिर सारी बाते बता देते है जिसे सुनने के बाद शास्त्री जी भी हैरान हो जाते है।

"क्या अभी तक उन्हें होश नहीं आया है लेकिन उन्हें कोई खतरा नहीं है और तो और वे दोनों कोमा में भी नहीं है तो बच्चा उसका क्या हुआ और वह ठीक तो है।" शास्त्री जी आश्चर्य में कहते है।
डॉ० कैलाश उन्हें समझाते है कि घबराने की कोई बात नहीं है बस उन्हें होश आए जाय तो स्थिति और भी ज्यादा समझ में आने लगेगी।
शास्त्री जी और परिवार के लोगो ने देव और सावित्री को देखते है और बाहर आ जाते है………..

शास्त्री जी :- कैलाश बेटा अब हम चलते…….
शास्त्री जी की ये बाते सुनकर वह उपस्थित सभी चौक और हैरान हो जाते है।

देव.मा :- ये आप क्या कह रहे है यह हमारा बेटा और बहू अस्पताल में है और आप……. ये कैसी बाते कर रहे और आप देव को अब माफ कर दीजिए मै अपने बच्चे को ऐसे नहीं देख सकती हूं।

देव.भ :- हा पापा अब आप देव को माफ कर दीजिए देखिए उसने आपके फैसले का मान रखा और आपके एक बार कहने पर वह घर छोड़ दिया और आप जानते है कि वह अभी किस हालत में रहते है।

शास्त्री जी अपने पत्नी और बेटे की बाते सुनकर गुस्से मै आ जाते है। और कहते है :-
" ख़ामोश मै कुछ नहीं सुनना चाहता समझे तुम सब…… मेरे वचन का मान देव ने ना रखा ना सही लेकिन पिताजी की वचन को तोड दिया और उनकी पगड़ी लांघकर चला आया। ये मुझे कतई मंजूर नहीं और पिताजी द्वारा निर्धारित सजा को भुगतने के बाद ही देवानंद को शास्त्री परिवार में सामिल किया जाएगा और हम यहां आए थे देव को नहीं मालूम चलना चाहिए।।
सभी शास्त्री जी कि बातो को सुनकर शांत हो जाते है क्योंकि वे ये जानते थे कि वे अपने पिताजी के बातो को कभी भी ना मानने की गुस्ताखी भी नहीं कर सकते है (सच तो ये था कि शास्त्री जी अपनी सभी औलादों से बहुत प्रेम करते थे और देवानंद का ऐक्सिडेंट का सुनकर वे तुरंत दौड़े चले आए लेकिन ये अपने वसूलो के भी पक्के थे)। सभी अस्पताल से बाहर आ जाते है। बाहर आकर शास्त्री जी कार में बैठने से पहले बिरजू से कहते है…..

शास्त्री जी :- बिरजू अब तू गाव लौट चल और कुछ दिन परिवार के साथ बिताकर यहां आ जाना और यहां आने के बाद ध्यान रहे कि देव को इस बात का तनिक भी भनक नहीं होनी चाहिए कि तू देव कि देखभाल यहां कर रहा है । और हा जब तक देव कि जिंदगी मौत का सवाल ना हो तब तक उसकी सहायता काद्दापी मत करना। और अगर तूने मेरे आज्ञा की उल्लंघन किया तो तुझे पता है कि तुझे सजा के तौर पर क्या मिलेगा तो ध्यान रखना।"

बिरजू :- (शास्त्री जी की बात सुनकर) जी मालिक…. शिकायत का मौका आपको नहीं मिलेगा।

शास्त्री जी :- यही तेरे लिए बेहतर रहेगा।……

सभी डॉ० कैलाश से विदा लेकर सभी वहां से प्रस्थान कर जाते है।

तभी…………..

स्थान :- पृथ्वी पर ही अनजान स्थान पर एक गुफा में….
इस गुफा में कोई भी प्रवेश द्वार नहीं है क्योंकि इस गुफा के द्वार बंद है अगर गुफा में प्रवेश द्वार होता तो गुफा में प्रवेश करने पर गुफा में पहले सात रंगो के जल वाला नदी जो 100 मीटर की दूरी में है गुफा में बहती है उसे पार करना पड़ता है उसके बाद गुफा के अंतिम छोर पर एक बड़ा धुंध का बवंडर था जो कि हरा था।
वहां एक साधु प्रगट होता है।

साधु :- The Destroyer को उनके शिष्य अनमोल का प्रणाम……. (अपने दोनो हाथ को जोड़ते हुए कहा)

The Destroyer :- आयुष्मान भव: पुत्र …………. पुत्र अनमोल तुम इस समय यहां।

अनमोल :- जी गुरुदेव एक बुरी खबर है……

The Destroyer :- बुरी खबर और वो क्या है……

अनमोल :- गुरुदेव आपके इस जीवन में होने वाली माताजी के साथ एक दुर्घटना हो गई है और वह अब शांत अवस्था में चली गई है और साथ में उनके गर्भ में उनका बच्चा भी।

The Destroyer :- हा… हा…… ये बुरी खबर नहीं है अनमोल जानते हो क्यों क्युकी जो नियति से खिलवाड़ करता है उसके साथ नियति ऐसा खिलवाड़ करती है जिसको समझ पाना किसी के वश की बात नहीं है।

अनमोल :- गुरुदेव मै कुछ समझा नहीं……

The Destroyer :- मै तुम्हे बताता हूं कि ये बुरी खबर क्यों नहीं है बात उस समय से सुरु होती है …… जब मुझे धोखे से मार दिया गया और मेरी आत्मा को दो भागों में बांट दिया गया तब मेरे एक भाग को देवताओं ने तो आजाद करा लिया लेकिन मेरे एक भाग को इस गुफा में कैद कर दिया गया लेकिन मेरे शरीर को सभी भूल गए कि वह किस हालत में है युद्ध समाप्त हो गया था तब एक दिन नरभक्षी समुदाय के लोग की भोजन की तलाश में युद्ध क्षेत्र की ओर आए उस समय सभी उपस्थित वहां शरीर जिनका अंत्येष्ठि नहीं किया गया वह शरीर सड़ गल गए थे लेकिन मेरा शरीर एक तपस्वी का शरीर था जिसमें कोई बीमारी नहीं लग सकती थी और मेरा अंत्येष्ठि नहीं होने से मेरा आजाद आत्मा की आधा भाग मेरे शरीर में ही निवास करती थी। जब नरभक्षी समुदाय के एक दंपति की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो वह दौड़े दौड़े मेरे शरीर के पास आए और मेरे शरीर के मांश को खाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए ही थे कि उनकी नजर मेरे चेहरे पर पड़ी तब उनकी मुझे संतान रूप में पाने की इच्छा ने जन्म ले लिया तब उन्हें मेरे शरीर को वे दोनों अपने साथ लेकर गए और अपने इष्ट देव की तपस्या करने लगे और उनका इष्ट देव थे महाशैतान जिनकी दोनों तपस्या करने लगे और अंत में उनकी तपस्या पूर्ण हुई जिसके फलस्वरूप महाशैतान वहां प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा तब उन्होंने मेरे शरीर के तरफ इशारे करके कहा कि ये मृत व्यक्ति का आगे आने वाले जन्म हमारे पुत्र के रूप में हो।
तब शैतान की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो उसके मन में बुराई फैलाने की एक खतनाक उपाय आया वह जानता था कि में एक the Destroyer हूं अभी तक के समय में सिर्फ 7 Destroyer हुए और सतवा मै हूं बाकी छ: अपना जीवनकाल पूरा करके मोक्ष प्राप्त कर लिए थे तब महशैतान ने मेरे शरीर को अपने कब्जे में लेते हुए उसमे मौजूद मेरी आधी आत्मा को उसमे से निकाल लिया और मेरे पवित्र शरीर के मांस का भक्षण करने को कहा जिससे वे नरभक्षी दंपति ने मेरे शरीर के सारे भागों का भक्षण कर लिए तब महाशैतान ने मेरी आधी आत्मा में अपनी कुछ काली शक्तियां डालकर मुझे उस नरभक्षी महिला के गर्भ में डाल दिया तब मेरा जन्म हुआ एक नरभक्षी समुदाय में और मै तब एक शैतान था और उसी में मैंने बहुत सी गलतियां की कुछ खोया और कुछ पाया लेकिन मुझे वहां एक ऐसी शक्ति मिली जिसका तोड़ इस ब्रह्माण्ड में कहीं नहीं नहीं वह है प्यार जिसके बल पर मुझे मिलने वाले कई अभिशाप टूट गए लेकिन एक अभी शाप कभी भी नहीं मेरा पीछा छोड़ा और वह है मेरा जन्म होने से पहले ही मौत लेकिन ये अभीशाप अभी मेरे लिए वरदान से काम नहीं है। (यह अभिशाप कैसे मिला इसकी जानकारी आगे की कहानी में मिलेगा)। और इस मौत के बाद मिलेगी मेरी पूरी शक्तियां और मेरी आत्मा पूर्ण हो जाएगा । और मै फिर से बन जाऊंगा the Destroyer और इस जन्म में मै पूरा हो जाऊंगा………..

अनमोल :- तो गुरुदेव वह भी दोबारा आएगा। आप उसके बारे में तो जानते ही होंगे।

The Destroyer :- मै सब जानता हूं अनमोल …….उसका अंत मेरे ही हाथो होगा यही उसकी नियति है अनमोल क्योंकि उसने जो king of king से उसने यही वरदान मांगा है जिसके अनुसार कोई Destroyer ही उसे मार सकता है और मै ही अब एक लौटा बचा हुआ हूं। लेकिन जब मै नरभक्षी था तब मै पूर्ण destroyer नहीं था जिसके कारण मै उसे मारने में सक्षम नहीं था लेकिन इस जनम में मेरा जन्म पूर्ण The Destroyer के रूप में होगा।……….

इधर हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….

बाकी की कहानी अगले अपडेट में………….

Next Update:- 03 (वह लौट आया)

अब यह से अगले अपडेट से कहानी असली रूप से शुरू होगी...........
अगला अपडेट मेगा अपडेट होने वाला है.........
Aapki kahani wakai me majjedar hai do update ko padhane ke baad abhi tak yahi pata chala hai ki sastri ji apane beto se bahut pyar karte hai lekin apani baat ke bhi pakke hai is update ko padhane par pata chalta hai ki devanand ji ne jarur koi kand kiya hai jisake falsvarup unhe ghar se nikal diya gaya hai...........
Aur sach bolu to mujhe abhi Destroyer ke bare me kuchh bhi samjh nahi aaya hai lekin sayad aage chal kar destroyer ka vyaktitv puri trah se khul ke samane aaye ki aakhir ye ek vyakti hai aur ye vah kaun hai jise keval destroyer hi rok sakta hai....
aapki story ek khula suspension wali story lag rahi hai...................



Ab aage dekhate hai ki kya hota hai.......
Update for next update..............
 
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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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अपडेट - 01
शीर्षक - कहानी की शुरुआत (भाग -2)

अब आगे :-

स्थान - अस्पताल।
बिरजू डॉ के बातो को सुनने के बाद से कुछ राहत महसूस हो रही थी लेकिन साथ में एक डर भी छिपा हुआ था उसके अंदर की अगर बच्चे को कुछ हो गया तो………………..
"नहीं……. नहीं ऐसा नहीं हो सकता है।" बिरजू अपनी सोच से हड़बड़ा गया
इसी तरह 12 घंटे हो गए लेकिन अभी तक देव और सावित्री को होश नहीं आया था और तो और उन दोनों की शारीरिक हालत एक दम सामान्य थी जिसकी जांच करने के बाद डॉ भी हैरान थे कि ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि मरीज को अभी तक होश नहीं आया था और उसके साथ ही उसका कारण भी कुछ नहीं था सब कुछ सामान्य था।

अभी सभी हैरान परेशान ही थे कि अस्पताल के बाहर सात गाडियां आकर रूकी जो सस्ती तो कतई नहीं थी सभी गाड़ियों कि कीमत 3 करोड़ के ऊपर की थी।
सबसे महंगी कार का दरवाजा खुला और उसमे से एक लगभग 50 वर्ष के एक व्यक्ति बाहर निकले और साथ ही एक लगभग 25-30 वर्ष के एक व्यक्ति, इसी तरह से एक और कार का दरवाजा खुला और उसमे से पहले एक 20 वर्ष का लड़का और एक लड़की निकले उसी के साथ एक 48 वर्षीय महिला भी निकली बाकी गाड़ियों में बॉडीगार्ड थे जो पहले ही निकाल कार अपना स्थान ग्रहण कर लिए थे।
सभी लोग हॉस्पिटल के अंदर चल देते है।
बिरजू वही बेंच पर बैठा था उसके पास ही दो हट्टे कट्टे आदमी भी थे।
जब बिरजू अभी अभी हॉस्पिटल के अंदर आए व्यक्ति को देखता है तो जल्दी से दौड़ लगा देता है और उस 50 वर्षीय व्यक्ति के आगे घुटनों पर बैठ जाता है……. "बड़े मालिक" बिरजू के मुंह से बस यही निकलता है तब उसके बड़े मालिक ने हाथ के इशारे से चुप करवाते हुए कहा………

"किस कमरे में है बिरजू……"

"सब ठीक तो है, बिरजू भैया।" 48 वर्षीय महिला ने पूछा

"हा बिरजू काका मेरा भाई और बहू कैसे है।" 25-30 वर्षीय व्यक्ति ने उत्सुकता से पूछा

"हा बिरजू काका भैया और भाभी ठीक तो है, और भाभी प्रेगनेंट थी तो कुछ गड़बड़ी तो नहीं है।" 20 वर्षीय लड़का और लड़की ने एक साथ पूछा।

"ऐ लड़की मै पूछ रहा था तो तू क्यों मेरे ही बात को दोहरा रही है" 20 वर्ष के लड़के ने चिढ़ते हुए उस लड़की से कहा जिससे यह साफ लग रहा था कि उनमें बिल्कुल भी बनती नहीं थी।

"ओय.. मैंने पहले कहने के लिए अपना मुख खोल था.. समझा" लड़की ने थोड़े गुस्से में कहा

"शांत हो जाओ जब देखो तब लड़ते ही रहते हो…. हा बिरजू भैया आपने जवाब नहीं दिया" महिला ने पूछा और ये सुनकर वह बड़े मालिक जोर जोर से हंसने लगे…..
"हा…. हा….. हा….. अरे भाग्यवान उसे बोलने का मौका तो दो देखो कैसे हमें ही देख रहा है और इसके चेहरे को देखने से तो लग रहा है कि सब ठीक ठाक है।

"एक दम सही बोल रहे है शास्त्री काका.. देवानंद और सावित्री की हालत बिल्कुल ठीक है" ये आवाज डॉ० कि थी जो इतना शोर सुनकर आया था
और अभी ये सभी अपने में ही लगे हुए थे कि डॉ० की आवाज उनके कानों में पड़ी जिसको सुनने के बाद सभी अपनी नजर उठाकर देखते है और जब देखते है तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है।


(यह बता दू की ये परिवार उत्तर प्रदेश के एक जाना माना परिवार शास्त्री परिवार था जिसका दबदबा पूरे भारत देश में था शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के भूत पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके है लेकिन अब ये उस पद पर नहीं है क्योंकि इन्होंने अब अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए राजनीति से संन्यास ले लिए है और यह बता दू की शास्त्री जी राजनीति और परिवार को हमेशा अलग रखते थे जिसके चलते कुछ लोगो को छोड़कर कोई नहीं जानता कि ये वही शास्त्री परिवार है जो 25वर्षों तक उत्तर प्रदेश का CM रहे। अपने कार्य काल में ये 5 बार लगातार चुनाव जीते थे लेकिन उस समय ये अपने परिवार को उतना महत्व नहीं देते थे लेकिन पिछले पांच साल पहले हुए एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया। शास्त्री जी अपने वचन के पक्के थे तथा वह घटना इनके और इनके पिताजी के वचन के कारण ही घटा और इन्हे अपने पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा।
अब बात करते है कि अभी इनका परिचय नहीं दिया जाएगा क्योंकि इस अपडेट के बाद इनका जिक्र नहीं होगा क्योंकि इनकी इंट्री बाद में होगी। तो मै शास्त्री जी को
शास्त्री जी, इनकी पत्नी को देव.मा। 25-30 वर्ष के आदमी को देव.भ। 20 वर्ष के लड़के को देव.छोटा लड़की को देव.ब लिखूंगा।)

देव.ब डॉ० को देख कर चहकते हुए भागी और उसके गले लग गई और खुश होते हुए बोली…." अरे कैलाश भैया आप………"
(डॉ० का नाम कैलाश था जो एक जाना माना डॉ० था। डॉ० शास्त्री की के प्रेम मित्र के बड़े लड़के थे और ये इंडिया है नहीं वर्ल्ड के टॉप डॉ० में आते थे।)
अब डॉ० को उनके नाम से ही संबोधित करूंगा…………

कैलाश भी अपने सबसे छोटी प्यारी बहन को देखकर बहुत खुश हुए और उसे गले लगाते हुए बोले ….
"अरे मेरी प्यारी बहन तू… तू तो कितनी बड़ी हो गई है पर क्या अभी भी तेरी नाक बहती है।"
कैलाश जी की अंतिम शब्द सुनकर तो देव.ब उनसे दूर हो जाती है और गुस्से में उन्हें देखती है तो उसे देखकर शास्त्री जी कहते है……
" चल बेटा ऐसे मत देख उसे वह तुझसे बस मजाक कर रहा था और तू तो जानती ही है कि वह तुझसे कितना प्यार करता है……(फिर कैलाश की ओर देखते हुए) कैलाश बेटा अब कैसी तबीयत है दोनों की और बहू ठीक तो है।"

कैलाश -" हा शास्त्री काका तीनों ठीक है लेकिन बात ये है कि……फिर सारी बाते बता देते है जिसे सुनने के बाद शास्त्री जी भी हैरान हो जाते है।

"क्या अभी तक उन्हें होश नहीं आया है लेकिन उन्हें कोई खतरा नहीं है और तो और वे दोनों कोमा में भी नहीं है तो बच्चा उसका क्या हुआ और वह ठीक तो है।" शास्त्री जी आश्चर्य में कहते है।
डॉ० कैलाश उन्हें समझाते है कि घबराने की कोई बात नहीं है बस उन्हें होश आए जाय तो स्थिति और भी ज्यादा समझ में आने लगेगी।
शास्त्री जी और परिवार के लोगो ने देव और सावित्री को देखते है और बाहर आ जाते है………..

शास्त्री जी :- कैलाश बेटा अब हम चलते…….
शास्त्री जी की ये बाते सुनकर वह उपस्थित सभी चौक और हैरान हो जाते है।

देव.मा :- ये आप क्या कह रहे है यह हमारा बेटा और बहू अस्पताल में है और आप……. ये कैसी बाते कर रहे और आप देव को अब माफ कर दीजिए मै अपने बच्चे को ऐसे नहीं देख सकती हूं।

देव.भ :- हा पापा अब आप देव को माफ कर दीजिए देखिए उसने आपके फैसले का मान रखा और आपके एक बार कहने पर वह घर छोड़ दिया और आप जानते है कि वह अभी किस हालत में रहते है।

शास्त्री जी अपने पत्नी और बेटे की बाते सुनकर गुस्से मै आ जाते है। और कहते है :-
" ख़ामोश मै कुछ नहीं सुनना चाहता समझे तुम सब…… मेरे वचन का मान देव ने ना रखा ना सही लेकिन पिताजी की वचन को तोड दिया और उनकी पगड़ी लांघकर चला आया। ये मुझे कतई मंजूर नहीं और पिताजी द्वारा निर्धारित सजा को भुगतने के बाद ही देवानंद को शास्त्री परिवार में सामिल किया जाएगा और हम यहां आए थे देव को नहीं मालूम चलना चाहिए।।
सभी शास्त्री जी कि बातो को सुनकर शांत हो जाते है क्योंकि वे ये जानते थे कि वे अपने पिताजी के बातो को कभी भी ना मानने की गुस्ताखी भी नहीं कर सकते है (सच तो ये था कि शास्त्री जी अपनी सभी औलादों से बहुत प्रेम करते थे और देवानंद का ऐक्सिडेंट का सुनकर वे तुरंत दौड़े चले आए लेकिन ये अपने वसूलो के भी पक्के थे)। सभी अस्पताल से बाहर आ जाते है। बाहर आकर शास्त्री जी कार में बैठने से पहले बिरजू से कहते है…..

शास्त्री जी :- बिरजू अब तू गाव लौट चल और कुछ दिन परिवार के साथ बिताकर यहां आ जाना और यहां आने के बाद ध्यान रहे कि देव को इस बात का तनिक भी भनक नहीं होनी चाहिए कि तू देव कि देखभाल यहां कर रहा है । और हा जब तक देव कि जिंदगी मौत का सवाल ना हो तब तक उसकी सहायता काद्दापी मत करना। और अगर तूने मेरे आज्ञा की उल्लंघन किया तो तुझे पता है कि तुझे सजा के तौर पर क्या मिलेगा तो ध्यान रखना।"

बिरजू :- (शास्त्री जी की बात सुनकर) जी मालिक…. शिकायत का मौका आपको नहीं मिलेगा।

शास्त्री जी :- यही तेरे लिए बेहतर रहेगा।……

सभी डॉ० कैलाश से विदा लेकर सभी वहां से प्रस्थान कर जाते है।

तभी…………..

स्थान :- पृथ्वी पर ही अनजान स्थान पर एक गुफा में….
इस गुफा में कोई भी प्रवेश द्वार नहीं है क्योंकि इस गुफा के द्वार बंद है अगर गुफा में प्रवेश द्वार होता तो गुफा में प्रवेश करने पर गुफा में पहले सात रंगो के जल वाला नदी जो 100 मीटर की दूरी में है गुफा में बहती है उसे पार करना पड़ता है उसके बाद गुफा के अंतिम छोर पर एक बड़ा धुंध का बवंडर था जो कि हरा था।
वहां एक साधु प्रगट होता है।

साधु :- The Destroyer को उनके शिष्य अनमोल का प्रणाम……. (अपने दोनो हाथ को जोड़ते हुए कहा)

The Destroyer :- आयुष्मान भव: पुत्र …………. पुत्र अनमोल तुम इस समय यहां।

अनमोल :- जी गुरुदेव एक बुरी खबर है……

The Destroyer :- बुरी खबर और वो क्या है……

अनमोल :- गुरुदेव आपके इस जीवन में होने वाली माताजी के साथ एक दुर्घटना हो गई है और वह अब शांत अवस्था में चली गई है और साथ में उनके गर्भ में उनका बच्चा भी।

The Destroyer :- हा… हा…… ये बुरी खबर नहीं है अनमोल जानते हो क्यों क्युकी जो नियति से खिलवाड़ करता है उसके साथ नियति ऐसा खिलवाड़ करती है जिसको समझ पाना किसी के वश की बात नहीं है।

अनमोल :- गुरुदेव मै कुछ समझा नहीं……

The Destroyer :- मै तुम्हे बताता हूं कि ये बुरी खबर क्यों नहीं है बात उस समय से सुरु होती है …… जब मुझे धोखे से मार दिया गया और मेरी आत्मा को दो भागों में बांट दिया गया तब मेरे एक भाग को देवताओं ने तो आजाद करा लिया लेकिन मेरे एक भाग को इस गुफा में कैद कर दिया गया लेकिन मेरे शरीर को सभी भूल गए कि वह किस हालत में है युद्ध समाप्त हो गया था तब एक दिन नरभक्षी समुदाय के लोग की भोजन की तलाश में युद्ध क्षेत्र की ओर आए उस समय सभी उपस्थित वहां शरीर जिनका अंत्येष्ठि नहीं किया गया वह शरीर सड़ गल गए थे लेकिन मेरा शरीर एक तपस्वी का शरीर था जिसमें कोई बीमारी नहीं लग सकती थी और मेरा अंत्येष्ठि नहीं होने से मेरा आजाद आत्मा की आधा भाग मेरे शरीर में ही निवास करती थी। जब नरभक्षी समुदाय के एक दंपति की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो वह दौड़े दौड़े मेरे शरीर के पास आए और मेरे शरीर के मांश को खाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए ही थे कि उनकी नजर मेरे चेहरे पर पड़ी तब उनकी मुझे संतान रूप में पाने की इच्छा ने जन्म ले लिया तब उन्हें मेरे शरीर को वे दोनों अपने साथ लेकर गए और अपने इष्ट देव की तपस्या करने लगे और उनका इष्ट देव थे महाशैतान जिनकी दोनों तपस्या करने लगे और अंत में उनकी तपस्या पूर्ण हुई जिसके फलस्वरूप महाशैतान वहां प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा तब उन्होंने मेरे शरीर के तरफ इशारे करके कहा कि ये मृत व्यक्ति का आगे आने वाले जन्म हमारे पुत्र के रूप में हो।
तब शैतान की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो उसके मन में बुराई फैलाने की एक खतनाक उपाय आया वह जानता था कि में एक the Destroyer हूं अभी तक के समय में सिर्फ 7 Destroyer हुए और सतवा मै हूं बाकी छ: अपना जीवनकाल पूरा करके मोक्ष प्राप्त कर लिए थे तब महशैतान ने मेरे शरीर को अपने कब्जे में लेते हुए उसमे मौजूद मेरी आधी आत्मा को उसमे से निकाल लिया और मेरे पवित्र शरीर के मांस का भक्षण करने को कहा जिससे वे नरभक्षी दंपति ने मेरे शरीर के सारे भागों का भक्षण कर लिए तब महाशैतान ने मेरी आधी आत्मा में अपनी कुछ काली शक्तियां डालकर मुझे उस नरभक्षी महिला के गर्भ में डाल दिया तब मेरा जन्म हुआ एक नरभक्षी समुदाय में और मै तब एक शैतान था और उसी में मैंने बहुत सी गलतियां की कुछ खोया और कुछ पाया लेकिन मुझे वहां एक ऐसी शक्ति मिली जिसका तोड़ इस ब्रह्माण्ड में कहीं नहीं नहीं वह है प्यार जिसके बल पर मुझे मिलने वाले कई अभिशाप टूट गए लेकिन एक अभी शाप कभी भी नहीं मेरा पीछा छोड़ा और वह है मेरा जन्म होने से पहले ही मौत लेकिन ये अभीशाप अभी मेरे लिए वरदान से काम नहीं है। (यह अभिशाप कैसे मिला इसकी जानकारी आगे की कहानी में मिलेगा)। और इस मौत के बाद मिलेगी मेरी पूरी शक्तियां और मेरी आत्मा पूर्ण हो जाएगा । और मै फिर से बन जाऊंगा the Destroyer और इस जन्म में मै पूरा हो जाऊंगा………..

अनमोल :- तो गुरुदेव वह भी दोबारा आएगा। आप उसके बारे में तो जानते ही होंगे।

The Destroyer :- मै सब जानता हूं अनमोल …….उसका अंत मेरे ही हाथो होगा यही उसकी नियति है अनमोल क्योंकि उसने जो king of king से उसने यही वरदान मांगा है जिसके अनुसार कोई Destroyer ही उसे मार सकता है और मै ही अब एक लौटा बचा हुआ हूं। लेकिन जब मै नरभक्षी था तब मै पूर्ण destroyer नहीं था जिसके कारण मै उसे मारने में सक्षम नहीं था लेकिन इस जनम में मेरा जन्म पूर्ण The Destroyer के रूप में होगा।……….

इधर हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….

बाकी की कहानी अगले अपडेट में………….

Next Update:- 03 (वह लौट आया)

अब यह से अगले अपडेट से कहानी असली रूप से शुरू होगी...........
अगला अपडेट मेगा अपडेट होने वाला है.........
Kya hi Khatarnak update diya ju ne padh kr thode se rongte khade ho gye mere... The destroyer ki kahani sunkr amazing feeling aayi Vahi shastri Ji or unke parivar CM pad or adarsh ki jankari mili... Superb update bhai sandar jabarjast lajvab
 

Smith_15

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L.king

जलना नही मुझसे नही तो मेरी DP देखलो।
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अपडेट भाई साहब कहा रह गए................
 
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Mac01

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शीर्षक - कहानी की शुरुआत (भाग -2)

अब आगे :-

स्थान - अस्पताल।
बिरजू डॉ के बातो को सुनने के बाद से कुछ राहत महसूस हो रही थी लेकिन साथ में एक डर भी छिपा हुआ था उसके अंदर की अगर बच्चे को कुछ हो गया तो………………..
"नहीं……. नहीं ऐसा नहीं हो सकता है।" बिरजू अपनी सोच से हड़बड़ा गया
इसी तरह 12 घंटे हो गए लेकिन अभी तक देव और सावित्री को होश नहीं आया था और तो और उन दोनों की शारीरिक हालत एक दम सामान्य थी जिसकी जांच करने के बाद डॉ भी हैरान थे कि ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि मरीज को अभी तक होश नहीं आया था और उसके साथ ही उसका कारण भी कुछ नहीं था सब कुछ सामान्य था।

अभी सभी हैरान परेशान ही थे कि अस्पताल के बाहर सात गाडियां आकर रूकी जो सस्ती तो कतई नहीं थी सभी गाड़ियों कि कीमत 3 करोड़ के ऊपर की थी।
सबसे महंगी कार का दरवाजा खुला और उसमे से एक लगभग 50 वर्ष के एक व्यक्ति बाहर निकले और साथ ही एक लगभग 25-30 वर्ष के एक व्यक्ति, इसी तरह से एक और कार का दरवाजा खुला और उसमे से पहले एक 20 वर्ष का लड़का और एक लड़की निकले उसी के साथ एक 48 वर्षीय महिला भी निकली बाकी गाड़ियों में बॉडीगार्ड थे जो पहले ही निकाल कार अपना स्थान ग्रहण कर लिए थे।
सभी लोग हॉस्पिटल के अंदर चल देते है।
बिरजू वही बेंच पर बैठा था उसके पास ही दो हट्टे कट्टे आदमी भी थे।
जब बिरजू अभी अभी हॉस्पिटल के अंदर आए व्यक्ति को देखता है तो जल्दी से दौड़ लगा देता है और उस 50 वर्षीय व्यक्ति के आगे घुटनों पर बैठ जाता है……. "बड़े मालिक" बिरजू के मुंह से बस यही निकलता है तब उसके बड़े मालिक ने हाथ के इशारे से चुप करवाते हुए कहा………

"किस कमरे में है बिरजू……"

"सब ठीक तो है, बिरजू भैया।" 48 वर्षीय महिला ने पूछा

"हा बिरजू काका मेरा भाई और बहू कैसे है।" 25-30 वर्षीय व्यक्ति ने उत्सुकता से पूछा

"हा बिरजू काका भैया और भाभी ठीक तो है, और भाभी प्रेगनेंट थी तो कुछ गड़बड़ी तो नहीं है।" 20 वर्षीय लड़का और लड़की ने एक साथ पूछा।

"ऐ लड़की मै पूछ रहा था तो तू क्यों मेरे ही बात को दोहरा रही है" 20 वर्ष के लड़के ने चिढ़ते हुए उस लड़की से कहा जिससे यह साफ लग रहा था कि उनमें बिल्कुल भी बनती नहीं थी।

"ओय.. मैंने पहले कहने के लिए अपना मुख खोल था.. समझा" लड़की ने थोड़े गुस्से में कहा

"शांत हो जाओ जब देखो तब लड़ते ही रहते हो…. हा बिरजू भैया आपने जवाब नहीं दिया" महिला ने पूछा और ये सुनकर वह बड़े मालिक जोर जोर से हंसने लगे…..
"हा…. हा….. हा….. अरे भाग्यवान उसे बोलने का मौका तो दो देखो कैसे हमें ही देख रहा है और इसके चेहरे को देखने से तो लग रहा है कि सब ठीक ठाक है।

"एक दम सही बोल रहे है शास्त्री काका.. देवानंद और सावित्री की हालत बिल्कुल ठीक है" ये आवाज डॉ० कि थी जो इतना शोर सुनकर आया था
और अभी ये सभी अपने में ही लगे हुए थे कि डॉ० की आवाज उनके कानों में पड़ी जिसको सुनने के बाद सभी अपनी नजर उठाकर देखते है और जब देखते है तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है।


(यह बता दू की ये परिवार उत्तर प्रदेश के एक जाना माना परिवार शास्त्री परिवार था जिसका दबदबा पूरे भारत देश में था शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के भूत पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके है लेकिन अब ये उस पद पर नहीं है क्योंकि इन्होंने अब अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए राजनीति से संन्यास ले लिए है और यह बता दू की शास्त्री जी राजनीति और परिवार को हमेशा अलग रखते थे जिसके चलते कुछ लोगो को छोड़कर कोई नहीं जानता कि ये वही शास्त्री परिवार है जो 25वर्षों तक उत्तर प्रदेश का CM रहे। अपने कार्य काल में ये 5 बार लगातार चुनाव जीते थे लेकिन उस समय ये अपने परिवार को उतना महत्व नहीं देते थे लेकिन पिछले पांच साल पहले हुए एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया। शास्त्री जी अपने वचन के पक्के थे तथा वह घटना इनके और इनके पिताजी के वचन के कारण ही घटा और इन्हे अपने पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा।
अब बात करते है कि अभी इनका परिचय नहीं दिया जाएगा क्योंकि इस अपडेट के बाद इनका जिक्र नहीं होगा क्योंकि इनकी इंट्री बाद में होगी। तो मै शास्त्री जी को
शास्त्री जी, इनकी पत्नी को देव.मा। 25-30 वर्ष के आदमी को देव.भ। 20 वर्ष के लड़के को देव.छोटा लड़की को देव.ब लिखूंगा।)

देव.ब डॉ० को देख कर चहकते हुए भागी और उसके गले लग गई और खुश होते हुए बोली…." अरे कैलाश भैया आप………"
(डॉ० का नाम कैलाश था जो एक जाना माना डॉ० था। डॉ० शास्त्री की के प्रेम मित्र के बड़े लड़के थे और ये इंडिया है नहीं वर्ल्ड के टॉप डॉ० में आते थे।)
अब डॉ० को उनके नाम से ही संबोधित करूंगा…………

कैलाश भी अपने सबसे छोटी प्यारी बहन को देखकर बहुत खुश हुए और उसे गले लगाते हुए बोले ….
"अरे मेरी प्यारी बहन तू… तू तो कितनी बड़ी हो गई है पर क्या अभी भी तेरी नाक बहती है।"
कैलाश जी की अंतिम शब्द सुनकर तो देव.ब उनसे दूर हो जाती है और गुस्से में उन्हें देखती है तो उसे देखकर शास्त्री जी कहते है……
" चल बेटा ऐसे मत देख उसे वह तुझसे बस मजाक कर रहा था और तू तो जानती ही है कि वह तुझसे कितना प्यार करता है……(फिर कैलाश की ओर देखते हुए) कैलाश बेटा अब कैसी तबीयत है दोनों की और बहू ठीक तो है।"

कैलाश -" हा शास्त्री काका तीनों ठीक है लेकिन बात ये है कि……फिर सारी बाते बता देते है जिसे सुनने के बाद शास्त्री जी भी हैरान हो जाते है।

"क्या अभी तक उन्हें होश नहीं आया है लेकिन उन्हें कोई खतरा नहीं है और तो और वे दोनों कोमा में भी नहीं है तो बच्चा उसका क्या हुआ और वह ठीक तो है।" शास्त्री जी आश्चर्य में कहते है।
डॉ० कैलाश उन्हें समझाते है कि घबराने की कोई बात नहीं है बस उन्हें होश आए जाय तो स्थिति और भी ज्यादा समझ में आने लगेगी।
शास्त्री जी और परिवार के लोगो ने देव और सावित्री को देखते है और बाहर आ जाते है………..

शास्त्री जी :- कैलाश बेटा अब हम चलते…….
शास्त्री जी की ये बाते सुनकर वह उपस्थित सभी चौक और हैरान हो जाते है।

देव.मा :- ये आप क्या कह रहे है यह हमारा बेटा और बहू अस्पताल में है और आप……. ये कैसी बाते कर रहे और आप देव को अब माफ कर दीजिए मै अपने बच्चे को ऐसे नहीं देख सकती हूं।

देव.भ :- हा पापा अब आप देव को माफ कर दीजिए देखिए उसने आपके फैसले का मान रखा और आपके एक बार कहने पर वह घर छोड़ दिया और आप जानते है कि वह अभी किस हालत में रहते है।

शास्त्री जी अपने पत्नी और बेटे की बाते सुनकर गुस्से मै आ जाते है। और कहते है :-
" ख़ामोश मै कुछ नहीं सुनना चाहता समझे तुम सब…… मेरे वचन का मान देव ने ना रखा ना सही लेकिन पिताजी की वचन को तोड दिया और उनकी पगड़ी लांघकर चला आया। ये मुझे कतई मंजूर नहीं और पिताजी द्वारा निर्धारित सजा को भुगतने के बाद ही देवानंद को शास्त्री परिवार में सामिल किया जाएगा और हम यहां आए थे देव को नहीं मालूम चलना चाहिए।।
सभी शास्त्री जी कि बातो को सुनकर शांत हो जाते है क्योंकि वे ये जानते थे कि वे अपने पिताजी के बातो को कभी भी ना मानने की गुस्ताखी भी नहीं कर सकते है (सच तो ये था कि शास्त्री जी अपनी सभी औलादों से बहुत प्रेम करते थे और देवानंद का ऐक्सिडेंट का सुनकर वे तुरंत दौड़े चले आए लेकिन ये अपने वसूलो के भी पक्के थे)। सभी अस्पताल से बाहर आ जाते है। बाहर आकर शास्त्री जी कार में बैठने से पहले बिरजू से कहते है…..

शास्त्री जी :- बिरजू अब तू गाव लौट चल और कुछ दिन परिवार के साथ बिताकर यहां आ जाना और यहां आने के बाद ध्यान रहे कि देव को इस बात का तनिक भी भनक नहीं होनी चाहिए कि तू देव कि देखभाल यहां कर रहा है । और हा जब तक देव कि जिंदगी मौत का सवाल ना हो तब तक उसकी सहायता काद्दापी मत करना। और अगर तूने मेरे आज्ञा की उल्लंघन किया तो तुझे पता है कि तुझे सजा के तौर पर क्या मिलेगा तो ध्यान रखना।"

बिरजू :- (शास्त्री जी की बात सुनकर) जी मालिक…. शिकायत का मौका आपको नहीं मिलेगा।

शास्त्री जी :- यही तेरे लिए बेहतर रहेगा।……

सभी डॉ० कैलाश से विदा लेकर सभी वहां से प्रस्थान कर जाते है।

तभी…………..

स्थान :- पृथ्वी पर ही अनजान स्थान पर एक गुफा में….
इस गुफा में कोई भी प्रवेश द्वार नहीं है क्योंकि इस गुफा के द्वार बंद है अगर गुफा में प्रवेश द्वार होता तो गुफा में प्रवेश करने पर गुफा में पहले सात रंगो के जल वाला नदी जो 100 मीटर की दूरी में है गुफा में बहती है उसे पार करना पड़ता है उसके बाद गुफा के अंतिम छोर पर एक बड़ा धुंध का बवंडर था जो कि हरा था।
वहां एक साधु प्रगट होता है।

साधु :- The Destroyer को उनके शिष्य अनमोल का प्रणाम……. (अपने दोनो हाथ को जोड़ते हुए कहा)

The Destroyer :- आयुष्मान भव: पुत्र …………. पुत्र अनमोल तुम इस समय यहां।

अनमोल :- जी गुरुदेव एक बुरी खबर है……

The Destroyer :- बुरी खबर और वो क्या है……

अनमोल :- गुरुदेव आपके इस जीवन में होने वाली माताजी के साथ एक दुर्घटना हो गई है और वह अब शांत अवस्था में चली गई है और साथ में उनके गर्भ में उनका बच्चा भी।

The Destroyer :- हा… हा…… ये बुरी खबर नहीं है अनमोल जानते हो क्यों क्युकी जो नियति से खिलवाड़ करता है उसके साथ नियति ऐसा खिलवाड़ करती है जिसको समझ पाना किसी के वश की बात नहीं है।

अनमोल :- गुरुदेव मै कुछ समझा नहीं……

The Destroyer :- मै तुम्हे बताता हूं कि ये बुरी खबर क्यों नहीं है बात उस समय से सुरु होती है …… जब मुझे धोखे से मार दिया गया और मेरी आत्मा को दो भागों में बांट दिया गया तब मेरे एक भाग को देवताओं ने तो आजाद करा लिया लेकिन मेरे एक भाग को इस गुफा में कैद कर दिया गया लेकिन मेरे शरीर को सभी भूल गए कि वह किस हालत में है युद्ध समाप्त हो गया था तब एक दिन नरभक्षी समुदाय के लोग की भोजन की तलाश में युद्ध क्षेत्र की ओर आए उस समय सभी उपस्थित वहां शरीर जिनका अंत्येष्ठि नहीं किया गया वह शरीर सड़ गल गए थे लेकिन मेरा शरीर एक तपस्वी का शरीर था जिसमें कोई बीमारी नहीं लग सकती थी और मेरा अंत्येष्ठि नहीं होने से मेरा आजाद आत्मा की आधा भाग मेरे शरीर में ही निवास करती थी। जब नरभक्षी समुदाय के एक दंपति की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो वह दौड़े दौड़े मेरे शरीर के पास आए और मेरे शरीर के मांश को खाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए ही थे कि उनकी नजर मेरे चेहरे पर पड़ी तब उनकी मुझे संतान रूप में पाने की इच्छा ने जन्म ले लिया तब उन्हें मेरे शरीर को वे दोनों अपने साथ लेकर गए और अपने इष्ट देव की तपस्या करने लगे और उनका इष्ट देव थे महाशैतान जिनकी दोनों तपस्या करने लगे और अंत में उनकी तपस्या पूर्ण हुई जिसके फलस्वरूप महाशैतान वहां प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा तब उन्होंने मेरे शरीर के तरफ इशारे करके कहा कि ये मृत व्यक्ति का आगे आने वाले जन्म हमारे पुत्र के रूप में हो।
तब शैतान की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो उसके मन में बुराई फैलाने की एक खतनाक उपाय आया वह जानता था कि में एक the Destroyer हूं अभी तक के समय में सिर्फ 7 Destroyer हुए और सतवा मै हूं बाकी छ: अपना जीवनकाल पूरा करके मोक्ष प्राप्त कर लिए थे तब महशैतान ने मेरे शरीर को अपने कब्जे में लेते हुए उसमे मौजूद मेरी आधी आत्मा को उसमे से निकाल लिया और मेरे पवित्र शरीर के मांस का भक्षण करने को कहा जिससे वे नरभक्षी दंपति ने मेरे शरीर के सारे भागों का भक्षण कर लिए तब महाशैतान ने मेरी आधी आत्मा में अपनी कुछ काली शक्तियां डालकर मुझे उस नरभक्षी महिला के गर्भ में डाल दिया तब मेरा जन्म हुआ एक नरभक्षी समुदाय में और मै तब एक शैतान था और उसी में मैंने बहुत सी गलतियां की कुछ खोया और कुछ पाया लेकिन मुझे वहां एक ऐसी शक्ति मिली जिसका तोड़ इस ब्रह्माण्ड में कहीं नहीं नहीं वह है प्यार जिसके बल पर मुझे मिलने वाले कई अभिशाप टूट गए लेकिन एक अभी शाप कभी भी नहीं मेरा पीछा छोड़ा और वह है मेरा जन्म होने से पहले ही मौत लेकिन ये अभीशाप अभी मेरे लिए वरदान से काम नहीं है। (यह अभिशाप कैसे मिला इसकी जानकारी आगे की कहानी में मिलेगा)। और इस मौत के बाद मिलेगी मेरी पूरी शक्तियां और मेरी आत्मा पूर्ण हो जाएगा । और मै फिर से बन जाऊंगा the Destroyer और इस जन्म में मै पूरा हो जाऊंगा………..

अनमोल :- तो गुरुदेव वह भी दोबारा आएगा। आप उसके बारे में तो जानते ही होंगे।

The Destroyer :- मै सब जानता हूं अनमोल …….उसका अंत मेरे ही हाथो होगा यही उसकी नियति है अनमोल क्योंकि उसने जो king of king से उसने यही वरदान मांगा है जिसके अनुसार कोई Destroyer ही उसे मार सकता है और मै ही अब एक लौटा बचा हुआ हूं। लेकिन जब मै नरभक्षी था तब मै पूर्ण destroyer नहीं था जिसके कारण मै उसे मारने में सक्षम नहीं था लेकिन इस जनम में मेरा जन्म पूर्ण The Destroyer के रूप में होगा।……….

इधर हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….

बाकी की कहानी अगले अपडेट में………….

Next Update:- 03 (वह लौट आया)

अब यह से अगले अपडेट से कहानी असली रूप से शुरू होगी...........
अगला अपडेट मेगा अपडेट होने वाला है.........
अपडेट - 02 (मेगा अपडेट - 01)
शीर्षक - वह लौट आया
अब आगे :-
अब सुबह के 3-4 बज गए थे…….. हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….
अंधेरा और अधिक गहरा होने लगा आकाश में बदल और भी अधिक प्रचंड रूप धारण करने लगा………………..
तभी…… साय……साय……. करके तेज हवा चलने लगी मानो तेज तूफान आने की खबर को पहले ही लोगो के बीच फैला रहा हो धीरे धीरे हवा कि रफ्तार बढ़ने लगे……….
तड़ाक……. तड़…… तड़ाक….. करके बिजलियां कड़कने लगी……. सड़क पर रात को इक्के दुक्के लोग अब अपने घरों से निकलने लगे थे और वे ऐसे मौसम को देखते हुए आस पास बने घरों के छज्जो के नीचे और घरों के आगे बने बरामदे में जाकर छुपने लगे………….
बिजलियों के कड़कड़ाहट के बीच तेज बारिश भी शुरू हो गई………. एक भयंकर तूफान सुरु हो गया था जिसमें कई घरों के बने कच्चे दीवारें ढह गए…तथा कई लोगो की माल जान पर खतरा मंडराने लगे …. तभी एक तेज की बिजली कड़की जिससे चारो ओर क्षण भर के लिए रोशनी फैल गई और उसी में एक आदमी ने चिल्लाते हुए कहा………..
"भाई लोग देखो बरगद के पेड़ पर एक पांच मुंह वाला सांप बैठा हुआ है……."
उस आदमी की बात को सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग उसपर हसने लगे और एक दूसरे आदमी ने हस्ते हुए कहा "अरे संटू भैया आज सुबह सुबह चढ़ा रखी है क्या…….. आजकल एक मुंह वाला सांप दिखाई नहीं दे रहा है और आपको पांच मुंह वाला सांप दिखाई दे रहा है…… या फिर तेज हवा के कारण आपकी आंखों में धूल चला गया है जिसके चलते आपको साफ दिखाई नहीं दे…………" आदमी अपनी बात करते करते रुक गया क्योंकि जब वह अपनी बात कह रहा था तभी एक बार फिर बिजली कड़की और वहां उपस्थित लोगो में से कुछ लोगो का ध्यान बरगद के पेड़ पर गया जिसपर बैठा वह पांच मुंह वाला सांप दिखाई दिया जिसको देखने के बाद सबके बोलती ही बंद हो गई…………
एक बार फिर आसमान में एक जोरदार धमाके के साथ बिजलियां कड़की और उस तेज धमाके में सबको उस बरगद के पेड़ पर लिपटा हुए वह दिव्य पांच फनो वाला दिव्य नाग सबको दिखाई दिया………….. बरगद के पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर लिपटा हुआ वह सांप साफ साफ लोगो को दिखाई दिया……… और यह भी दिखाई दिया कि बरगद के पेड़ के उची डाली पर लिपटा हुआ वह सांप जख्मी था और उसके पांच फनो से रिसता हुआ खून बरगद के पेड़ पर लिपटा नाग के पास के फल पर गिर रहा था और वह खून फलो में समा रहा था………… लेकिन जख्मी हालत में भी वह अपने पांच फनो को गर्व से फैलाए हुए तकरीबन 20-22 फुट लंबा स्याह काले रंगो (गहरे काले रंग) वाला सांप देखने वालो को दूर से ही अपने दिव्यता का अनुभव करा रहा था……………
अपने सामने का नजारा देख लोग उस बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठे होने लगे। उनमें से कुछ तो उस पांच मुंह वाले नाग को देखकर ही अपने घुटनों के बल बैठकर उसके दिव्यता को प्रणाम करने लगे तो वहीं उपस्थित कुछ नौजवान उस नजारे को अपने फोन के कैमरे में कैद करने के लिए अपना फोन ढूंढने लगे लेकिन इसके पहले कि वो लोग अपने फोन ढूंढ़कर उसमे रिकार्डिंग शुरू करते की……. वह दिव्य नाग एक छोटी सी ज्योति में तब्दील हो गया और अचानक आसमान में तेज….तेज और ऊंची आवाज में बिजलियां कड़कने लगी जिससे वहां उपस्थित लोगो में एक डर ने जगह ले लिया…… कुछ डर के मारे वहीं गिरकर बेहोश हो गए कुछ के पैरो ने जवाब दे दिया और वे सभी वहां धड़ाम की आवाज करते हुए गिर पड़े किसी के पैरो में जान नहीं बचा हुआ रहा कि वे वहां से भाग जाए……….
अचानक उस दिव्य नाग की दिव्य ज्योति गोली से भी तेज स्पीड से एक दिशा कि और उड़ चली और वहां उपस्थित लोगो के सर पर एक शक्ति गोला घूमने लगा और सभी वही पर गिरकर बेहोश हो गए…………………
यहां अस्पताल में उपस्थिति देवानंद जी परेशान थे और उनकी आंखो में एक आशु कि धारा थी वे अपने गोद में लिए मरे हुए बच्चे को निहारे जा रहे थे…….. बच्चे के चेहरे पर एक तेज था उसको देखने पर लोग उसकी तरफ आकर्षित होते जा रहे थे लेकिन दुर्भाग्य की उस बच्चे के अंदर प्राण ज्योति ही नहीं थी……….. बच्चे को लिए देवानंद जी अपनी पत्नी के हाथो को मजबूती से पकड़ हुए थे जैसे वे दिलासा से रहे हो कि सावित्री हौसला रखो यही हमारा नियति है…… और सावित्री जी के चेहरे पर बेहोशी की हालत में अपनी पति के दिल कि आवाज को सुनकर एक संतुष्टि वाले भाव थे…. देवानंद जी अपनी पत्नी का हाथ पकड़े हुए अपने बेजान से पड़े बच्चे को अपनी गोद में लिए हुए थे और उनकी आंखे धीरे धीरे बोझिल होने लगी और वे वही मरीज के बेड पर आना सर टिकाकर एक गहरी नींद में चले गए……………..

स्थान :- एक अनजान जगह पर
चारो तरफ आग ही आग था, जहां भी नजर जा रहा था वहां तक केवल आग ही आग थी……. इसी आग में एक बोतल था जिसमें काले रंग के धुएं जैसा कुछ था……… वह धुआं बोतल में इधर से उधर बोतल के दीवार से टकरा रहा था जैसे वह बोतल को तोड़ना चाहता है…….. बोतल के ठीक ऊपर नीचे की और बढ़ता हुए एक कमल का फूल था जो कि धीरे धीरे बोतल के ठीक ऊपर ही था…….. बोतल में मौजूद धुआं अब शांत हो गया था…….. उस आग की दुनिया में उस बोतल और कमल के आलावा कुछ नहीं था था तो केवल आग…….. तभी वह एक आवाज गूंज गया………..
" बस कुछ दिन और फिर मै आजाद हो जाऊंगा यह कवच मुझे अब ज्यादा दिन कैद में नहीं रख सकता है बस कुछ दिन और फिर दुनिया को में इतना रुला दूंगा कि सभी मेरे पैरो गिरकर माफी मांगेंगे लेकिन माफी किसी को नहीं मिलेगा……… हा….. हा…… हा……हा…… ही ही ही……."

इधर पृथ्वी पर उस दिव्य नाग की ज्योति गोली की स्पीड से एक दिशा में उड़ता जा रहा था और जाते जाते वह एक अस्पताल के ऊपर मंडराने लगा और जाकर एक अस्पताल के रूम में घुस गया।
रूम में एक व्यक्ति मरीज के बेड से अपना सर टिकाए सी रहा था उसके गोद में एक बच्चा और बेड पर एक औरत सो रही थी………..
वह दिव्य नाग की ज्योति उस व्यक्ति के गोद में पड़े बच्चे के माथे पर दोनों आंखों के ठीक बीचो बीच समा गया………..
ज्योति समय ही उस बच्चे के शरीर में धीरे धीरे हरकत होने लगी और अचानक पूरे अस्पताल में……………………..
**केहा……केेहा……**
एक छोटे बच्चे की रोने कि आवाज गूंजने लगा…… बच्चे के रोने से मौसम धीरे धीरे सामान्य होने लगा…… आसमान में बादल छटने लगा, आसमान में सुबह के समय पूरा चांद दिखाई दे रहा था और वह रात बीतने का और सुबह होने का संकेत दे रहा था मौसम ऐसा हो गया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं अब आसमान में सूर्य की लालिमा दिखाने लगी थी …… अस्पताल में बच्चे के रोना सबको अपने पास खीच रहा था, हॉस्पिटल के परिसर में लगे पेड़ हिलाने लगे जैसे कोई किसी रोते हुए बच्चे को झुनझुना बजाकर चुप करता है लेकिन लोगो के नजर में तेज हवा के कारण पेड़ हील रहे है…… बच्चे वाले रूम की खिड़की पर रंगबिरंगे चिड़ियों ने अपना अपना स्थान सुनिश्चित कर लिए थे और बच्चे को चुप कराने के लिए मधुर आवाजे निकाल रही थी…………..
एक नर्स दौड़ती हुई कमरे मै प्रवेश करती है और देखती है कि देवानंद जी के गोद में रखा बच्चा रो रहा है पहले तो उसे विश्वास है नहीं हुआ कि बच्चा जिंदा है लेकिन वह इसे नकार भी नहीं सकती थी…….. जब उसने बच्चे के चेहरे को देखा तो वह वहीं मंत्रमुग्ध हो गई और एक तक बच्चे को देखने लगी……. धीरे धीरे उसके कदम बच्चे के तरफ अपने आप ही बढ़ने लगा।……जब उससे और अधिक रहा नहीं गया तो उसने जल्दी से आगे बढ़कर उस बच्चे को अपने गोद में उठा लिया उसके बाद उसने बच्चे को चुप कराया …….
गोद में लेते ही नर्स आनंद के सागर में डूब गई और उसे होस तब आया जब सावित्री जी की आवाज़ उसके कानों में पड़ी……
"मेरा बच्चा……." ये आवाज सावित्री जी की आंख खुलते के साथ ही उनके मुख से निकला आवाज था।
नर्स बच्चे को सावित्री जी की गोद में दे दिया…….. देवानंद जी भी अपनी नींद से जाग गए थे उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि उन्हें अचानक इतनी गहरी नींद कैसे आ गई…… लेकिन जब उनकी नजर अपनी पत्नी के गोद में खेल रहे बच्चे पर गया तो उस बच्चे को देखकर वे तो फूल ही नहीं समय साथ ही हैरान भी हुए की ये कैसे हो सकता है लेकिन ये सभी भाई उन्होंने अपने अंदर छिपा लिया। और वे एक तक बच्चे कोही निहारने लगे जिसको उनकी पत्नी अपने स्नेह से नहला रही थी और बच्चा अपनी मा की गोद में हस्ते हुए खेल रहा था।
……………..
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अब देवानंद जी अस्पताल से घर आ गए थे और अपनी जिंदगी में मस्त हो गए थे ये अपने परिवार का पेट पालने के लिए फास्ट फूड का ठेला लगाए थे लड़के का नाम ये अमन शास्त्री रखते है…………
लगभग 1.5 साल बीत गया और आज सावित्री जी ने एक प्यारी बची को जन्म दिया है बच्ची का नाम ये वंदना रखते है ……….. धीरे धीरे देवानंद जी और उनके परिवार की जिंदगी आगे बढ़ने लगती है देवानंद जी अपने बेटे और बेटी को पढ़ाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते थे और इस काम में उनके अदम से कदम मिलाकर साथ देती थी उनकी पत्नी ……. जब उनका बेटा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने जाने लगा तो देवानंद जी ने अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए लेकिन अपने बेटा और बेटी की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दिए उन्हे सबसे अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाए……….(हा तो भाईलोग कुछ लोग बोलेंगे की जब देवानंद जी को घर से निकाल दिया गया है तो गहने कहा से तो मै बस इतना कहूंगा कि रुको जरा कहानी तो आगे बढ़ने दो)……..
धीरे धीरे अमन कि जिंदगी आगे बढ़ने लगी और उसकी पढ़ाई भी पूरी होने लगी अब उसने इंटर मीडिएट की परीक्षा भी पास कर लिया था और उसने इंडिया टॉप किया जिसके फलस्वरूप उसका एडमिशन एक महाविद्यालय में छात्रवृति पर हो गया और इसी महाविद्यालय के आगे देवानंद जी अपना ठेला लगाते है …. अमन की बहन 11 वीं में थी।…..
अमन नौकरी करना चाहता था ताकि वह अपनी घर की हालत को सुधार सके लेकिन देवानंद जी और उनकी पत्नी ने अपनी कसम देकर अमन को आगे पढ़ने पर मजबूत कर दिया और वे दिन रात एक कर दिए अमन और वंदना ( अमन की बहन जिसका नाम वंदना रखा गया है) को आगे पढ़ाने के लिए…………..
अब अमन कि उम्र 20 वर्ष में 3 महीने काम रह गया है और आज अमन दिल्ली पुलिस में पेपर और दौड़ निकालने के बाद फाइनल मेडिकल के लिए जा रहा है……………………………….

दोस्तो अमन के पैदा होने के 19 वर्ष तक देवानंद जी के जीवन में कुछ नहीं हुआ सिवाय अपने फास्ट फूड के ठेले पर दुकान लगाने की तो मैंने फास्ट फॉरवर्ड करके लगभग 19-20 साल कहानी को आगे कर दिया है और इसके आगे से यह कहानी अपनी असली रूप में चलेगा लेकिन हा अमन के जीवन में छोटी छोटी चुनौतियां जरूर आती जिसका जिक्र आगे बातो ही बातो में होगा ………….…….

अब मिलते है कहनिंके अगले अपडेट में………

Next update :- 03
Title :- अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
 
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