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Incest Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer )

Mac01

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आप सभी को बता दू की इस कहानी में मै सप्ताह में कम से कम दो अपडेट दूंगा और अधिकतम की कोई सीमा नहीं रहेगी।

इस कहानी मै सेक्स सीन पर ज्यादा फोकस नहीं किया जाएगा ज्यादा फोकस स्टोरी पर ही किया जाएगा। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कामुक सीन होगा ही नहीं।

इस कहानी में प्यार, नफरत, सस्पेंस, आदि होंगे।
 
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Mac01

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सॉरी दोस्तो........ मैंने रात को अपडेट नहीं दिया कारण ये था कि जॉब से आने के बाद मुझे याद ही नहीं रहा...........
 
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L.king

जलना नही मुझसे नही तो मेरी DP देखलो।
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Sandar, jabardast, maindbloing............. Etc.
Kahani wakai me lajwab hai.........

Mere paas aapke liye koi shabd hi nahi hai sach me lajwab story hai..........
 

Mac01

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Mac01

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Nice updates
Dhanyawad vk248517 bro.
Shashtri pariwar aaya or apne beta or bahu ko dekh ker wapas bhi chala or bol ker ki Dewanand ko pata na chale ki uska poora pariwaar yaha aaya tha yeh kia baat huwi aisa kon sa wachan nahi nibhaya tha Dev n or shashtri ji k pita n kon saza nirdhari kari thi
Baherhal dekhte h aage kia hota
Badhiya shaandaar update bhai
Abhi mai kuchh nahi kahunga kyoki abhi kahani apane aap ko buildup kar rahi hai lekin aage aane wale update me aapke sare doubt or questions clear ho jayenge..

Aapko is kahani par apani pratikriya dene ke liye dhanyawad aise hi sath bane rahe...
 

Mac01

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Kya hi Khatarnak update diya ju ne padh kr thode se rongte khade ho gye mere... The destroyer ki kahani sunkr amazing feeling aayi Vahi shastri Ji or unke parivar CM pad or adarsh ki jankari mili... Superb update bhai sandar jabarjast lajvab
Dhanyawad Xabhi bro aapki is pratikriya ke liye aise hi sath bane rahe..
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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अपडेट - 02 (मेगा अपडेट - 01)
शीर्षक - वह लौट आया
अब आगे :-
अब सुबह के 3-4 बज गए थे…….. हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….
अंधेरा और अधिक गहरा होने लगा आकाश में बदल और भी अधिक प्रचंड रूप धारण करने लगा………………..
तभी…… साय……साय……. करके तेज हवा चलने लगी मानो तेज तूफान आने की खबर को पहले ही लोगो के बीच फैला रहा हो धीरे धीरे हवा कि रफ्तार बढ़ने लगे……….
तड़ाक……. तड़…… तड़ाक….. करके बिजलियां कड़कने लगी……. सड़क पर रात को इक्के दुक्के लोग अब अपने घरों से निकलने लगे थे और वे ऐसे मौसम को देखते हुए आस पास बने घरों के छज्जो के नीचे और घरों के आगे बने बरामदे में जाकर छुपने लगे………….
बिजलियों के कड़कड़ाहट के बीच तेज बारिश भी शुरू हो गई………. एक भयंकर तूफान सुरु हो गया था जिसमें कई घरों के बने कच्चे दीवारें ढह गए…तथा कई लोगो की माल जान पर खतरा मंडराने लगे …. तभी एक तेज की बिजली कड़की जिससे चारो ओर क्षण भर के लिए रोशनी फैल गई और उसी में एक आदमी ने चिल्लाते हुए कहा………..
"भाई लोग देखो बरगद के पेड़ पर एक पांच मुंह वाला सांप बैठा हुआ है……."
उस आदमी की बात को सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग उसपर हसने लगे और एक दूसरे आदमी ने हस्ते हुए कहा "अरे संटू भैया आज सुबह सुबह चढ़ा रखी है क्या…….. आजकल एक मुंह वाला सांप दिखाई नहीं दे रहा है और आपको पांच मुंह वाला सांप दिखाई दे रहा है…… या फिर तेज हवा के कारण आपकी आंखों में धूल चला गया है जिसके चलते आपको साफ दिखाई नहीं दे…………" आदमी अपनी बात करते करते रुक गया क्योंकि जब वह अपनी बात कह रहा था तभी एक बार फिर बिजली कड़की और वहां उपस्थित लोगो में से कुछ लोगो का ध्यान बरगद के पेड़ पर गया जिसपर बैठा वह पांच मुंह वाला सांप दिखाई दिया जिसको देखने के बाद सबके बोलती ही बंद हो गई…………
एक बार फिर आसमान में एक जोरदार धमाके के साथ बिजलियां कड़की और उस तेज धमाके में सबको उस बरगद के पेड़ पर लिपटा हुए वह दिव्य पांच फनो वाला दिव्य नाग सबको दिखाई दिया………….. बरगद के पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर लिपटा हुआ वह सांप साफ साफ लोगो को दिखाई दिया……… और यह भी दिखाई दिया कि बरगद के पेड़ के उची डाली पर लिपटा हुआ वह सांप जख्मी था और उसके पांच फनो से रिसता हुआ खून बरगद के पेड़ पर लिपटा नाग के पास के फल पर गिर रहा था और वह खून फलो में समा रहा था………… लेकिन जख्मी हालत में भी वह अपने पांच फनो को गर्व से फैलाए हुए तकरीबन 20-22 फुट लंबा स्याह काले रंगो (गहरे काले रंग) वाला सांप देखने वालो को दूर से ही अपने दिव्यता का अनुभव करा रहा था……………
अपने सामने का नजारा देख लोग उस बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठे होने लगे। उनमें से कुछ तो उस पांच मुंह वाले नाग को देखकर ही अपने घुटनों के बल बैठकर उसके दिव्यता को प्रणाम करने लगे तो वहीं उपस्थित कुछ नौजवान उस नजारे को अपने फोन के कैमरे में कैद करने के लिए अपना फोन ढूंढने लगे लेकिन इसके पहले कि वो लोग अपने फोन ढूंढ़कर उसमे रिकार्डिंग शुरू करते की……. वह दिव्य नाग एक छोटी सी ज्योति में तब्दील हो गया और अचानक आसमान में तेज….तेज और ऊंची आवाज में बिजलियां कड़कने लगी जिससे वहां उपस्थित लोगो में एक डर ने जगह ले लिया…… कुछ डर के मारे वहीं गिरकर बेहोश हो गए कुछ के पैरो ने जवाब दे दिया और वे सभी वहां धड़ाम की आवाज करते हुए गिर पड़े किसी के पैरो में जान नहीं बचा हुआ रहा कि वे वहां से भाग जाए……….
अचानक उस दिव्य नाग की दिव्य ज्योति गोली से भी तेज स्पीड से एक दिशा कि और उड़ चली और वहां उपस्थित लोगो के सर पर एक शक्ति गोला घूमने लगा और सभी वही पर गिरकर बेहोश हो गए…………………
यहां अस्पताल में उपस्थिति देवानंद जी परेशान थे और उनकी आंखो में एक आशु कि धारा थी वे अपने गोद में लिए मरे हुए बच्चे को निहारे जा रहे थे…….. बच्चे के चेहरे पर एक तेज था उसको देखने पर लोग उसकी तरफ आकर्षित होते जा रहे थे लेकिन दुर्भाग्य की उस बच्चे के अंदर प्राण ज्योति ही नहीं थी……….. बच्चे को लिए देवानंद जी अपनी पत्नी के हाथो को मजबूती से पकड़ हुए थे जैसे वे दिलासा से रहे हो कि सावित्री हौसला रखो यही हमारा नियति है…… और सावित्री जी के चेहरे पर बेहोशी की हालत में अपनी पति के दिल कि आवाज को सुनकर एक संतुष्टि वाले भाव थे…. देवानंद जी अपनी पत्नी का हाथ पकड़े हुए अपने बेजान से पड़े बच्चे को अपनी गोद में लिए हुए थे और उनकी आंखे धीरे धीरे बोझिल होने लगी और वे वही मरीज के बेड पर आना सर टिकाकर एक गहरी नींद में चले गए……………..

स्थान :- एक अनजान जगह पर
चारो तरफ आग ही आग था, जहां भी नजर जा रहा था वहां तक केवल आग ही आग थी……. इसी आग में एक बोतल था जिसमें काले रंग के धुएं जैसा कुछ था……… वह धुआं बोतल में इधर से उधर बोतल के दीवार से टकरा रहा था जैसे वह बोतल को तोड़ना चाहता है…….. बोतल के ठीक ऊपर नीचे की और बढ़ता हुए एक कमल का फूल था जो कि धीरे धीरे बोतल के ठीक ऊपर ही था…….. बोतल में मौजूद धुआं अब शांत हो गया था…….. उस आग की दुनिया में उस बोतल और कमल के आलावा कुछ नहीं था था तो केवल आग…….. तभी वह एक आवाज गूंज गया………..
" बस कुछ दिन और फिर मै आजाद हो जाऊंगा यह कवच मुझे अब ज्यादा दिन कैद में नहीं रख सकता है बस कुछ दिन और फिर दुनिया को में इतना रुला दूंगा कि सभी मेरे पैरो गिरकर माफी मांगेंगे लेकिन माफी किसी को नहीं मिलेगा……… हा….. हा…… हा……हा…… ही ही ही……."

इधर पृथ्वी पर उस दिव्य नाग की ज्योति गोली की स्पीड से एक दिशा में उड़ता जा रहा था और जाते जाते वह एक अस्पताल के ऊपर मंडराने लगा और जाकर एक अस्पताल के रूम में घुस गया।
रूम में एक व्यक्ति मरीज के बेड से अपना सर टिकाए सी रहा था उसके गोद में एक बच्चा और बेड पर एक औरत सो रही थी………..
वह दिव्य नाग की ज्योति उस व्यक्ति के गोद में पड़े बच्चे के माथे पर दोनों आंखों के ठीक बीचो बीच समा गया………..
ज्योति समय ही उस बच्चे के शरीर में धीरे धीरे हरकत होने लगी और अचानक पूरे अस्पताल में……………………..
**केहा……केेहा……**
एक छोटे बच्चे की रोने कि आवाज गूंजने लगा…… बच्चे के रोने से मौसम धीरे धीरे सामान्य होने लगा…… आसमान में बादल छटने लगा, आसमान में सुबह के समय पूरा चांद दिखाई दे रहा था और वह रात बीतने का और सुबह होने का संकेत दे रहा था मौसम ऐसा हो गया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं अब आसमान में सूर्य की लालिमा दिखाने लगी थी …… अस्पताल में बच्चे के रोना सबको अपने पास खीच रहा था, हॉस्पिटल के परिसर में लगे पेड़ हिलाने लगे जैसे कोई किसी रोते हुए बच्चे को झुनझुना बजाकर चुप करता है लेकिन लोगो के नजर में तेज हवा के कारण पेड़ हील रहे है…… बच्चे वाले रूम की खिड़की पर रंगबिरंगे चिड़ियों ने अपना अपना स्थान सुनिश्चित कर लिए थे और बच्चे को चुप कराने के लिए मधुर आवाजे निकाल रही थी…………..
एक नर्स दौड़ती हुई कमरे मै प्रवेश करती है और देखती है कि देवानंद जी के गोद में रखा बच्चा रो रहा है पहले तो उसे विश्वास है नहीं हुआ कि बच्चा जिंदा है लेकिन वह इसे नकार भी नहीं सकती थी…….. जब उसने बच्चे के चेहरे को देखा तो वह वहीं मंत्रमुग्ध हो गई और एक तक बच्चे को देखने लगी……. धीरे धीरे उसके कदम बच्चे के तरफ अपने आप ही बढ़ने लगा।……जब उससे और अधिक रहा नहीं गया तो उसने जल्दी से आगे बढ़कर उस बच्चे को अपने गोद में उठा लिया उसके बाद उसने बच्चे को चुप कराया …….
गोद में लेते ही नर्स आनंद के सागर में डूब गई और उसे होस तब आया जब सावित्री जी की आवाज़ उसके कानों में पड़ी……
"मेरा बच्चा……." ये आवाज सावित्री जी की आंख खुलते के साथ ही उनके मुख से निकला आवाज था।
नर्स बच्चे को सावित्री जी की गोद में दे दिया…….. देवानंद जी भी अपनी नींद से जाग गए थे उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि उन्हें अचानक इतनी गहरी नींद कैसे आ गई…… लेकिन जब उनकी नजर अपनी पत्नी के गोद में खेल रहे बच्चे पर गया तो उस बच्चे को देखकर वे तो फूल ही नहीं समय साथ ही हैरान भी हुए की ये कैसे हो सकता है लेकिन ये सभी भाई उन्होंने अपने अंदर छिपा लिया। और वे एक तक बच्चे कोही निहारने लगे जिसको उनकी पत्नी अपने स्नेह से नहला रही थी और बच्चा अपनी मा की गोद में हस्ते हुए खेल रहा था।
……………..
…..
अब देवानंद जी अस्पताल से घर आ गए थे और अपनी जिंदगी में मस्त हो गए थे ये अपने परिवार का पेट पालने के लिए फास्ट फूड का ठेला लगाए थे लड़के का नाम ये अमन शास्त्री रखते है…………
लगभग 1.5 साल बीत गया और आज सावित्री जी ने एक प्यारी बची को जन्म दिया है बच्ची का नाम ये वंदना रखते है ……….. धीरे धीरे देवानंद जी और उनके परिवार की जिंदगी आगे बढ़ने लगती है देवानंद जी अपने बेटे और बेटी को पढ़ाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते थे और इस काम में उनके अदम से कदम मिलाकर साथ देती थी उनकी पत्नी ……. जब उनका बेटा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने जाने लगा तो देवानंद जी ने अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए लेकिन अपने बेटा और बेटी की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दिए उन्हे सबसे अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाए……….(हा तो भाईलोग कुछ लोग बोलेंगे की जब देवानंद जी को घर से निकाल दिया गया है तो गहने कहा से तो मै बस इतना कहूंगा कि रुको जरा कहानी तो आगे बढ़ने दो)……..
धीरे धीरे अमन कि जिंदगी आगे बढ़ने लगी और उसकी पढ़ाई भी पूरी होने लगी अब उसने इंटर मीडिएट की परीक्षा भी पास कर लिया था और उसने इंडिया टॉप किया जिसके फलस्वरूप उसका एडमिशन एक महाविद्यालय में छात्रवृति पर हो गया और इसी महाविद्यालय के आगे देवानंद जी अपना ठेला लगाते है …. अमन की बहन 11 वीं में थी।…..
अमन नौकरी करना चाहता था ताकि वह अपनी घर की हालत को सुधार सके लेकिन देवानंद जी और उनकी पत्नी ने अपनी कसम देकर अमन को आगे पढ़ने पर मजबूत कर दिया और वे दिन रात एक कर दिए अमन और वंदना ( अमन की बहन जिसका नाम वंदना रखा गया है) को आगे पढ़ाने के लिए…………..
अब अमन कि उम्र 20 वर्ष में 3 महीने काम रह गया है और आज अमन दिल्ली पुलिस में पेपर और दौड़ निकालने के बाद फाइनल मेडिकल के लिए जा रहा है……………………………….

दोस्तो अमन के पैदा होने के 19 वर्ष तक देवानंद जी के जीवन में कुछ नहीं हुआ सिवाय अपने फास्ट फूड के ठेले पर दुकान लगाने की तो मैंने फास्ट फॉरवर्ड करके लगभग 19-20 साल कहानी को आगे कर दिया है और इसके आगे से यह कहानी अपनी असली रूप में चलेगा लेकिन हा अमन के जीवन में छोटी छोटी चुनौतियां जरूर आती जिसका जिक्र आगे बातो ही बातो में होगा ………….…….

अब मिलते है कहनिंके अगले अपडेट में………

Next update :- 03
Title :- अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
Awesome updates
 

Mac01

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Bhai update kab de rhe ho?
Bro update de diya hu....... Kaya kare mera bhi man thoda dukhi ho gaya hai kyoki kahani par view ke hisab se 1% bhi pratikriya nahi aa rahi hai jisase yah lag raha hai ki kahani achchi nahi likhi ja rahi hai.....
 

Mac01

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Aapki kahani wakai me majjedar hai do update ko padhane ke baad abhi tak yahi pata chala hai ki sastri ji apane beto se bahut pyar karte hai lekin apani baat ke bhi pakke hai is update ko padhane par pata chalta hai ki devanand ji ne jarur koi kand kiya hai jisake falsvarup unhe ghar se nikal diya gaya hai...........
Aur sach bolu to mujhe abhi Destroyer ke bare me kuchh bhi samjh nahi aaya hai lekin sayad aage chal kar destroyer ka vyaktitv puri trah se khul ke samane aaye ki aakhir ye ek vyakti hai aur ye vah kaun hai jise keval destroyer hi rok sakta hai....
aapki story ek khula suspension wali story lag rahi hai...................



Ab aage dekhate hai ki kya hota hai.......
Update for next update..............
Aapko is story par is pratikriya ke liye dil se dhanyawad.......... Bas aise hi sath bane rahe....
 
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