FallenAngel
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Woohoooo bhai apne to ate hi gadar macha dala dharti fadh dali asmaan hila dala maa ko bete se akhir chudwa hi dala ab kishan ka beeja uski maa ki bur ke ander jayega or fir 9 10 mahine mai bacha bnkr bahar ayega
Update: 51
**SUHAGRAT**
"किशन के सामने अब उसकी मां की योनि थी जिसकी कल्पना बहन कब से करता था आज वह चीज उसके सामने थी जिसके लिए उसने अपनी मां के हाथों से मार खाई और उसकी उस चीज के लिए उसके दिल में जगह बनाई शादी की सारी दुनिया से लड़ा आज वह चीज उसके सामने थी और उसके साथ उसके दर्शन उसे मोहित कर रहे थे अपनी मां की योनि को देखकर किशन गीता की योनि को भूल चुका था इतनी सुंदर और उभरी हुई होनी उसे आज पहली बार नजर आ रही थी योनि का आकार इस प्रकार उभरा हुआ था कि मानो किसी पावरोटी की तरह हो..
"किशन की मा ने अपने चेहरे को दोनों हाथों से,, छुपा रखा था उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अपनी ही सगे बेटे के सामने अपनी योनि के प्रदर्शन करें किशन को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी मां की योनि कितनी सुंदर हो सकती है वह अपनी मां की योनि के पास पहुंच जाता है,, और योनि के पास पहुंचते ही उसके सांसो में गुलाब जल के खुशबू महकती है जिससे महसूस कर वह अपने आप को रोक नहीं पाता और अपनी जीब योनि पर लगाकर उसका स्वाद लेता है।।
किशन की मां को एहसास होता है कि किसी गर्म चीज ने उसकी योनि को छुआ है परंतु वह जान नहीं पाती है कि वह किशन की जीभ है योनि के ऊपर से उसकी मां थरथर आ जाती है परंतु किशन अपनी जीभ निकालकर उसकी टांगे थोड़ा फैलाता है और जीप से योनि को चाटने लगता है
"अब किशन की मां को कुछ अजीब, सा महसूस होता है उसे ऐसा लगता है कि जैसे कोई खुरदरी गर्म चीज उसकी योनि को कुरेद रही है और वह अपनी नजरों को हाथों से आजाद कर गर्दन उठा कर देखती है उसे किशन का सर अपनी योनि पर, झुका हुआ नजर आता है वह तुरंत समझ जाती है की किशन उसकी योनि को चाट रहा है।। उसे बहुत अजीब सा महसूस होता है और वह अपने हाथों पैरों को थरथर आते हुए किशन की गर्दन पकड़कर उससे अलग होते हुए कहती है
रामो देवी: हे भगवान.... न यह क्या कर रहे हो जी... छोड़ो मुझे यह सब ठीक नहीं है वह गंदी जगह है.. छोड़ दो मुझे...
"किशन की मां अपनी मजबूत बाहों से किशन केसर को पकड़कर हटा देती है और उससे आजाद होकर बैठ जाती है वह एक चादर लेकर अपने आप को उस से ढक लेती है किशन यह सब देख कर रहे हैं बहुत गुस्सा होता है और है नाराज होकर रहता है।।
किशन: जब तुझे मुझसे प्यार नहीं था तो यह सब नाटक करने की क्या जरूरत थी मैं तो, गीता के साथ अपना जीवन समाप्त करने के लिए तैयार था,,,
"किशन यह सब क्या कर रहे वहां से जाने लगता है तभी रामू देवी उसे अपने हाथों से रोकते हुए,,
रामो: रुकिए ना.. कहां जा रहे हैं आप,,
किशन: मैं जा रहा हूं और अब कभी तो मैं अपना मुंह नहीं दिखाऊंगा..
रामो: रोते हुए) मैंने आपको कुछ गलत कहा क्या उसके लिए मुझे माफ कर दीजिए परंतु यह पेशाब करने की जगह है वहां पर मुंह नहीं लगाते हैं
किशन: मेरे लिए तुम्हारी सारी जगह पवित्र है क्योंकि मैं तुझसे सच्चा प्यार करता हूं और वहां का रस पीना चाहता हूं मुझे तेरी च** जाटनी है,, बोल चटबाए गी..
"किशन की मां सर हमसे अपना सर झुका कर कुछ कह नहीं पाते परंतु किशन ने उसे मजबूर कर दिया था इसलिए वह सर झुका कर अपनी सहमति जाहिर करती है परंतु किसन उसके कान के पास आकर फिर से कहता है।।
किशन: बोलना हां या ना,,
"रामो देवी'अपनी गर्दन हिलाकर हां का संकेत देती है परंतु किशन उसके कान में फिर से कहता है..
किशन: जब तक तुम अपने मुंह से नहीं कहेगी मैं तब तक विश्वास नहीं करूंगा कि तुम मुझसे सच्चा प्यार करती है,,
"अब अपने मुंह से कहना किशन की मां के लिए बहुत ही मुश्किल था क्योंकि वह अपने ही बेटे से अपनी योनि को चटवानी के लिए कहना चाहती थी परंतु पत्नी होने के नाते वह है अपने पति को अपनी जिंदगी से दूर नहीं करना चाहती थी इसलिए कहती है।।
रामो: चाट लीजिए..
"किशन को उसके मुंह से यह सुनकर एक आनंद मिलता है और वह फिर से उसे पकड़ कर निर्वस्त्र कर उसकी टांगे फैला देता है डांगी फैलाते ही वह अपनी मां की जीवनी पर टूट पड़ता है
"रामो देवी, पानी के बिना जिस प्रकार मछली तड़पती है उसी प्रकार तड़प रही थी वह आज से पहले कभी ऐसा महसूस नहीं की थी की योनि में मुंह लगाकर उसे चटा जाता है,, उसे भी एक अजीब सा आनंद मिल रहा था परंतु अपने ही बेटे से इस प्रकार की हरकत उसे लज्जित कर रही थी किशन अपनी मां की फूली हुई होनी को पूरा मुंह में भर कर पूरी शिद्दत से उस का रस पी रहा था किशन को गीता की अपेक्षा अपनी मां की योनि में कुछ ज्यादा ही आनंद मिल रहा था उसका लिंग इस प्रकार अकड़ गया था कि वह कपड़े में तंबू के समान प्रतीत हो रहा था परंतु किशन ने अभी तक है अपने लिंग को आजाद नहीं किया था,,, किशन अपनी मां की योनि में जीभ डाल कर बड़े ही प्यार से उसका रसपान कर रहा था
रामो देवी: बस भी करो जी... कितनी देर और करोगे.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा. मा....
"किशन और लगन के साथ अपनी मां की योनि को रसपान करने लगता है वह अपनी मां को पूरी तरह से उत्तेजित कर देना चाहता था,, ताकि योनि अच्छी तरह से गीली हो जाए और उसके लिए लिंक को निगलने में आसानी हो,, रामो देवी, सर्द मौसम में भी योनि का रसपान करने की वजह से पसीना पसीना हो चुकी थी उसकी गर्मी उसके शरीर से पसीना बंद कर टपक रही थी वह है अपनी सांसो को रोक नहीं पा रही थी इसलिए किशन से फिर से कहती है,,
रामो: अब हट भी चाहिए ना... मेरा निकलने वाला है अपना मुंह हटा लीजिए...
"किशन अपनी मां की बात सुनकर तुरंत अपना मुंह हटा लेता है और उसकी मां , चरम सीमा के पास आते हुए रुक जाती है उसे अपनी गलती का एहसास होता है क्योंकि उसे भी बहुत आनंद मिल रहा था और उसकी गर्मी निकलते निकलते हैं रुक जाती है किशन यही चाहता था की उसकी मां उसका लिंग अपनी योनि में लेने के लिए तड़पे किशन मुस्कुराते हुए अपनी मां की ओर देखता है जो कि उसे ही देख रही थी अपनी आंखों के सारे से किशन से कहती है जैसे कि एक बार और कुछ देर के लिए उसकी योनि को चाट ले,,
"रामो देवी'उम्मीद भरी नजरों से अपने बेटे की ओर देखती है परंतु किशन अब ऐसा नहीं करने वाला था वह अपनी मां के सामने खड़ा होता है और उससे कहता है,,.
किशन: अब अपनी असली पति को इन कपड़ों से आजाद करो वही तुम्हें तुम्हारी जिस्म की गर्मी से निजात दिलाएंगे...
"किशन की मां इस समय वासना की गर्मी से झुलस रही थी वह हर प्रकार से किशन की बात मानने के लिए तैयार थी वह चाहती थी कि जल्द से जल्द उसके शरीर की गर्मी योनि के रास्ते बाहर निकल जाए इसलिए अपना हाथ बढ़ा कर तुरंत किशन के लंगोट को खींच देती है और किशन का विकराल भयानक लिंग फनफानाता हुआ उसकी आंखों के सामने आता है
"किशन के लिंग को देखकर उसकी मां को और पसीने छूटने लगते हैं परंतु किशन पहले से ही जानता था कि ऐसा होगा इसलिए वह अपनी मां के चेहरे की ओर देखता है और उसके डर को देखकर,,
किशन: क्या हुआ डर गई क्या?
रामो: आपको क्या लगता है यह इतना मोटा और लंबा चला जाएगा अंदर?
किशन: अपनी मां की आंखों में देखते हुए,,, फिक्र मत कर मेरी जान मैंने तेरी च** की गर्मी को महसूस किया है उसमें इतनी तभी से कि इससे भी मोटा झेल सकती है और तुम भी तो कम नहीं हो कितनी वजूद है तुम्हारा,,, तुम्हारे जैसी के लिए था इतना बड़ा लौड़ा होना आवश्यक है,, हाथ से पकड़ ले,,
"किशन की मां को बहुत शर्म आती है वह कोई हरकत डर की वजह से नहीं कर पा रही थी परंतु किसन ज्यादा समय न करवाते हुए उसे उसकी टांगों से खींच कर अपने करीब लाता है और टांगे फैलाकर उसकी ओर देखता है।।
किशन: किशन अपनी मां की आंखों में देखते हुए,, क्या हुआ कुछ कहना है,,
रामो: जी.. मुझे.. पेशाब लगी है।।
किशन: आज तेरा पेशाब यही निकाल दूंगा फिकर मत कर अब तो तुम कहीं नहीं जा सकती..
रामो: आराम से करना जी......... मैं सह नहीं पाऊंगी...
किशन: फिक्र मत कर मेरी जान मुझ पर विश्वास रखा है अगर तुझे कुछ हुआ तो मैं भी जी नहीं पाऊंगा...
"किशन अपने लिंग का अगला भाग योनि के मुख पर रखकर दबाव देता है अधिक चिकना वट होने के कारण लिंग का हिस्सा कुछ हद तक है योनि में प्रवेश करता है प्रवेश करते ही योनि बुरी तरह से फैल जाती है और किशन की मां की आंखें बाहर निकल आती है उसी चीक में एक दर्द के साथ कहती है,,
रामो:: हाए.... म्.. भगवान..... बचा ले मुझे बहुत दर्द हुआ ये जी.... बहुत मोटा है जी यह तो...
""और इसी दर्द के साथ किशन की मां के पेशाब की धार छोड़ती है जिसके ताकत से लिंग बाहर आ जाता है और किशन की मां के पैर थरथर आने लगते हैं।।
रामो: रोते हुए कहती है) बहुत दर्द हो रहा है जी... देखो ना.. मेरा पेशाब भी निकल गया...
किशन: मां बहुत दिन हो गए हैं ना जगह तो बनानी पड़ेगी एक बार जगह बन जाएगी तो फिर दर्द नहीं होगा कब से तुमने लौड़ा लिया नहीं अपनी चूत में..
रामो: कुछ लगा लो ना तेल लगा लो... नहीं तो मैं मर जाऊंगी ....
"किशन अपनी मां की बात से सहमत होकर तेल की बोतल उठा लेता है और अपने लिंग के ऊपर लगाकर फिर से अपनी मां को देखते हुए उसकी योनि पर लिंग रगड़ता है,,, रामो, देवी, को डर था की किशन फिर से एक ही झटके में लिंग प्रवेश ना करा दें इसलिए वह अपना हाथ नीचे ले जाती है और लिंग की रगड़ को हाथ से पकड़ लेती है उसे चलाते हुए किशन की ओर देखकर कहती है,,
रामो: प्यार से करना इस बार..
किशन: तेरी चूत.. इतनी कसी हुई है की जगह बनाने में कुछ तो मेहनत करनी पड़ेगी...
"और किशन अपनी मां की दर्द भरे चेहरे को देखते हुए और उत्तेजित होकर रह उसके योनि में अपना लिंग प्रवेश कराता है।।
"लिंग का अगला हिस्सा योनि की दीवारों को , रबड़ के छल्ले की तरह फैलाता हुआ तेल लगा होने के कारण अंदर चला जाता है,, जैसे ही लिंग प्रवेश करता है किशन की मां किशन के दोनों पैरों को पकड़ लेती है ताकि किशन और अंदर ना कर सके और अपने दांतो को पीसते हुए कहती है,,।
रामो देवी:। बस.. बस... और नहीं.. रुक जाइए ना... जी... जान.. निकल गई....
"किशन अपनी मां के पैरों को जांघों से पकड़ कर जकड़ लेता है वह जानता था की उसकी मां लिंग बाहर निकालने की कोशिश करेगी परंतु उसकी ताकत के आगे मजबूर,, रामो देवी, हिल भी नहीं पाती किशन अपनी मां की योनि की गर्मी लिंग पर अच्छी तरह से महसूस कर रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसके लिंग को किसी रबड़ के छल्ले में जकड़ लिया हो परंतु इतनी से उसे संतुष्टि नहीं मिल रही थी वह अपनी मां की सिंगार करे हुए रूप को देखकर और उत्तेजित होता है और उसके होठों को निहारता हुआ करीब आता है,,
"उसके लाल सुर्ख होठों को देखकर वह अपने आप को रोक नहीं पाता और दोनों होठों को अपने मुंह में भर कर एक जोरदार धक्का लिंग को लगाता है तेज धक्का होने के कारण लिंग योनि की अंदरूनी दीवारों को रगड़ता हुआ योनि में प्रवेश कर जाता है इस प्रकार योनि में लिंग प्रवेश करने से किशन की मां को बहुत तकलीफ होती है परंतु किशन उसे और उसके होठों को अपनी जकड़ में लिए हुए था जिसके कारण उसके मुंह से कोई आवाज नहीं निकल पाती है,,।। किशन से अब बर्दाश्त करना मुश्किल था वह योनि की गर्मी को महसूस कर तेज तेज धक्के लगाने शुरू करता है।।
""कुछ समय तक अपने मुंह में अपनी मां के होठों को जब आता रहता है और उसके ताकत से लिंग की मार को ना चाहते हुए भी उसकी मां बर्दाश्त करती है किशन को तो इसमें बहुत आनंद आ रहा था परंतु उसे अपनी मां का कोई ध्यान नहीं था जो उसके नीचे पिसती हुई दर्द बर्दाश्त कर रही थी इतना मोटा लिंग योनि में पहली बार प्रवेश हुआ था कुछ देर के धक्के सहने के बाद,, रामो देवी, को भी आनंद के साथ मीठा मीठा दर्द उठता है वह अपनी योनि में दर्द के साथ एक मीठी मीठी चुभन महसूस करती है उसे अब विश्वास हो गया था कि वह किशन के हर बार को सह लेगी इसलिए किशन को अपने हाथों से इशारा कर होठों को छोड़ने के लिए कहती है,,,
"जैसे ही किशन अपनी मां के होठों को आजाद करता है वह लंबी सांसे लेते हुए किशन से कहती है।।
रामो देवी: टूट जाएगी जी.. ये.. आराम से कीजिए....
किशन: बहुत तरसा हूं मैं इसके लिए आज तो इसकी गर्मी महसूस कर लेने दो.. इसकी गहराई को नाप दूंगा आज...
"किशन अपनी जवानी के जोश में और उतावला हो जाता है वह अपनी मां के चेहरे पर दर्द के भाव देखकर जोश में आता हुआ और तेज रवतार कर देता है,, उसे हर धक्के पर अपनी मां की पायल की छन छन और चूड़ियों की खनखन सुनाई दे रही थी आभूषण अपने आप ही इधर-उधर बिखर चुके थे परंतु किशन ने अपनी मां के किसी भी आभूषण को नहीं बता रहा था वह दुल्हन के इस रूप में उसे प्राप्त करना चाहता था,, किशन के हर धक्के के साथ उसकी मां कम हूं खुल जाता था और उसकी सांसो की गति से नाक में पहनी हुई नथनी हिल रही थी जिसे किशन लगातार देख रहा था और उसे देखकर उसका जोश बढ़ रहा था,,
रामो': हाय दीदी.. कहां रह गया जल्दी आ जाओ ना..
"रामो'दर्द की वजह से अपनी बहन को याद करती है और वह मन ही मन में विचार करती है कि यदि उसकी बहन खाना लेकर आ गई तो शायद वह कुछ देर के लिए किशन के हाथों से निकल जाएगी,, किशन की मां अपना चेहरा घुमा कर होठों को जब आते हुए दर्द बर्दाश्त कर रही थी परंतु किसन हर धक्के के साथ अपनी मां के बदलते हैं चेहरे के रंग को देखना चाहता था इसलिए वह अपनी मां के चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर घूमाता है और कहता है,,।
किशन: चेहरे को मेरी आंखों के सामने रखो मैं देखना चाहता हूं कि मेरे हर धक्के पर तेरी चीज कैसे निकलती है,,,
रामो: आज ही तोड़ दोगे क्या...मुझसे बर्दाश्त नहीं होता कुछ देर के लिए रुक जाइए ना.. जी... हाय मेरी कमर....
किशन: कमर ही तो तोड़नी है तेरी... बहुत चक्कर लटका के चलती थी ना...
"हाय मैं गई .. अभी रुकना नहीं करते ... रहो... मेरा आने वाला है।।
"किसान अपने धक्कों की रफ़्तार है और तेज कर देता है और अपनी मां की आंखों में देखते हुए उसका सर पकड़ कर कहता है।।
किशन: क्या आने वाला है मेरी जान...
"किशन की मां कुछ बोल नहीं पाती वह आनंद की नदी में गोते लगा रही थी उसे अपने शरीर में कुछ योनि द्वार पर आता हुआ महसूस होता है और वह जल्द से जल्द उस चीज को बाहर निकाल देना चाहती थी क्योंकि उसी की वजह से उसकी योनि में एक आग लगी हुई थी,,। किशन फिर से कहता है।
किशन: बोलना मां .... की तू झड़ने वाली है... इस प्रकार बोला अपनी मां से..
"किशन को बहुत ही आनंद मिल रहा था हर धक्के पर है वह है अपनी मां का वजूद है हिला रहा था और उसे देख कर रहे असीम सुख मिल रहा था परंतु किसन अभी भी चरम सीमा के पास नहीं था उसकी मां चरम सीमा के पास आकर है अपने बेटे के कहे अनुसार कहती है..
रामो देवी:। हा.. जी.. मैं झड़ने वाली हूं.... मुझे अपनी बाहों में कर लो ना....
"किशन अपनी मां को अपनी मजबूत बाहों में भिच लेता है.. और तेज तेज दो-तीन धक्कों के बाद उसकी मां की योनि से काम रस,, निकलता है
"किशन कि मां के पैर इस प्रकार कहां पर है थे कि जैसे उसने अपने शरीर का बहुत भजन धरती पर निकाल दिया हो,, किशन अपने लिंग को बाहर निकालता है और जैसे ही देखता है उसकी मां कांपते हुए झड़ने लगती है,, किशन के आजाद होते हैं रामो देवी, फिर से झड़ते हुए किशन को अपनी बाहों में पकड़ लेती है और कहती है।।
रामो देवी: अभी मुझे ना छोड़ मेरे लाल... मुझे अपनी बाहों में ही रखो आज से मैं तेरी हूं सिर्फ तेरी... किशन...