"रामो देवी, की सांसों की गति दोगुनी हो चुकी थी,, किशन का भार अपने शरीर पर महसूस होते ही उसे एहसास हो गया था की उसके बेटे का भजन कितना होगा और जब वह पूरी ताकत से मर्दन करेगा,, तो उसके शरीर का अंग अंग हिल जाएगा,,, किशन अपनी मां के चेहरे को हाथों से पकड़कर अपनी और घुमाता है और उसके होठों पर अपने होंठ रख कर रसपान करने लगता है,,।।।
"किशन अपनी मां के दोनों होठों को अपने मुंह में है इस प्रकार लेता है कि,, जैसे किसी संतरे के फल को चुस रहा हो,, रामो देवी,, अपने शरीर को ढीला छोड़ देती है,, परंतु वह उसके चुंबन में किशन का साथ नहीं दे पा रही थी,, किशन अपनी मां के होठों को जी भर के पी लेना चाहता था,, लगातार होठों की चुसाई के बाद,, जब कुछ देर तक किशन अपनी मां के होठों को नहीं छोड़ता,, तो रामो देवी, को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है,, वह हाथों के इशारे से किशन को रोकती