Bhai maafi mangne ki jarurat nahi hai..hum.bhi samaz sakte hai..Update: 52
**सुहागरात**
""रमो देवी, अपने बेटे की बाहों में अभी भी जकड़ी हुई थी चरम सीमा को पार कर वह आज पहली बार अपने आप को भाग्यशाली समझ रही थी,, से आज पहली बार इस बात का एहसास हुआ था,, की संभोग कि इस क्रिया में इस प्रकार आनंद आता है जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था,,, आज वह पहली बार अपने शरीर को फूलों के समान हल्का महसूस कर रही थी और आनंद के सागर में गोते लगाते हुए उसकी आंखें खुशी के आंसू वह आ रही थी,,
"किशन अभी भी अपनी मां की योनि में उसके चेहरे को देखते हुए धीरे धीरे धक्के लगा रहा था,, परंतु वह अपनी मां की आंखों में आंसू देख रुक जाता है,, और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर प्यार से कहता है।।
किशन: क्या हुआ क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा???
"कुछ देर रामू देवी खामोश रहती है!! वह अपने बेटे की बात का कोई जवाब नहीं देती परंतु किशन फिर से कहता है!! और अपने लिंग को योनि में प्रवेश करवाते हुए
किशन: क्या हुआ मेरी जान अब तो इसने तुम्हारी योनि के अंदर जगह बना ली है,, क्यों रो रही हो क्या तुम्हें मजा नहीं आया,,,
"किशन की मां किशन के लिंग की मोटाई को महसूस करते हुए अपनी योनि की दीवारों पर उसकी रगड़ को महसूस कर दांत पीसते हुए आंखें खोल दी है।। और किशन से कहती है।।
रामो देवी: आंखों में आंसू लिए,, क्या आप हमेशा मुझसे इसी प्रकार प्यार करेंगे,,??
"किशन समझ जाता है कि उसकी मां इस डर से की कहीं वह फिर से गीता के पास तो नहीं चला जाएगा,, उसका प्यार अधूरा रह जाएगा,, इसलिए यह सब पूछ रही है!! वह अपनी मां के चेहरे को दोनों हाथों में लेकर उसके माथे पर प्यार से चूम कर,,।
किशन: क्या तुझे अभी मुझ पर विश्वास नहीं है,,,?? मैं अपनी जान दे दूंगा मगर अपनी पत्नी का साथ कभी नहीं छोडूंगा,, क्या तुम अपना पत्नी धर्म हमेशा निभाओगे मुझे हमेशा खुश रखो गी,,,((अपनी मां के होठों को चूम कर,,
"किशन की मां अपने बेटे के आलिंगन से तृप्त हो चुकी थी,, उसका शरीर उसे फूलों के समान नाजुक जान पड रहा था,, इस प्रकार है का स्क्लर्न कभी पहले नहीं हुआ था जिसकी वजह से उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने पहली बार संभोग क्रिया में चरम सुख की प्राप्ति की है।। किशन का लिंग अभी भी उसकी योनि में खूटे के समान समाया हुआ था,, जिस की मोटाई उसकी मां अच्छे से महसूस कर रही थी उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी योनि को किसी चीज में फैलाया हुआ है और उसकी योनि उस चीज को अपने दबाव से मसल देना चाहती है,,, धीरे धीरे किशन के लिंग की मोटाई की रगड़ से आनंद में हो कर अपने बेटे से कहती है।।
रामो: मैं तो आपके चरणों की धूल बन कर रहूंगी... जी,,,
किशन: तो फिर तेरी आंखों में आंसू क्यों है मेरी जान...???
रामो: आज तक इतना प्यार मिला नहीं ना... इसलिए ज्यादा खुशी बर्दाश्त नहीं कर सके... यह तो खुशी के आंसू है!! हाय.. थोड़ी देर रुकिए ना जी...
"किशन अभी एक बार भी वासना की चरम सीमा को पार नहीं कर पाया था इसलिए उसके लिए रुकना नामुमकिन था वह अपनी मां की योनि और कसावट को अच्छे तरीके से महसूस कर रहा था,,, उसे अपनी मां की योनि में धक्का लगाते समय जो आनंद प्राप्त हो रहा था वह उसकी कल्पना शब्दों में बयां नहीं कर सकता था,, हर धक्के पर अपनी मां की सुंदर चेहरे की ओर देखता था जिस पर अभी भी दुल्हन का रंग चढ़ा हुआ था,, किशन के हर धक्के पर उसकी मां के चेहरे की रंगत बदलती हुई किशन को नजर आती थी,, किशन पर जैसे ही धक्का लगा था उसकी मां की सिसकारी गूंज उठती थी जो मीठे-मीठे दर्द के साथ निकलती थी,, जिसे देख किशन को और भी आनंद मिलता था इसलिए वह नहीं चाहता था कि उसका लिंग योनि से बाहर निकले,,,
किशन: क्यों क्या हुआ,, एक बार इसे ठंडा तो हो जाने दे,,,
""किशन अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा देता है!! किशन के हर धक्के पर रामू देवी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लिंग बच्चेदानी में छेद करता हुआ पेट की ओर घुस रहा है किशन के हर धक्के पर उसकी आंखें फैल रही थी परंतु एक मीठे दर्द के साथ वह अपने बेटे के वजूद को आसानी से सहन कर रही थी क्योंकि वह एक लंबे चौड़े कट की गदर आई हुई महिला थी.. किशन के आक्रामक रूप को देखकर वह दंग रह जाती है इस बार किशन जैसे ही तेज प्रहार करता है उसका लिंग योनि से फिसल कर बाहर आ जाता है!! लिंग बाहर निकलते ही किशन की मां बिस्तर के ऊपर की ओर खिसक जाती है और किशन उसकी आंखों में देख कर उम्मीद भरी नजरों से कहता है!!
किशन: क्या हुआ अब मेरी जान लेकर रहेगी क्या??? बाल झड़ तो जाने दे,,
""रामो देवी,, मुझे बहुत जोर की पेशब लगी है,, कितनी देर और लगेगी दर्द भी हो रहा है अंदर,,
किशन: तू चाहे तो जल्दी झड़ सकता हूं,,??
रामो: कैसे?? क्या करना है मुझे???
किशन: तुझे मेरा लन्ड, अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में डालना है,,
""अपने बेटे के मुंह से इस प्रकार खुले शब्दों का विवरण सुनने के बाद वह निर्वस्त्र महिला अपने हाथों से शर्मा कर चेहरे को छुपा लेती है,, समझ नहीं आ रहा था कि किशन की बात का कोई जवाब दे या चुपचाप फिर से अपनी टांगे फैलाकर उसके लिंग को हाथ में लेकर योनि में प्रवेश कराने की इजाजत दें,,
रामो देवी: क्या ऐसा करने से जल्दी हो जाएगा???
किशन: हां मेरी जान.. जल्दी सी से पकड़ना और अपनी टांगे फैलाकर अपनी अंदर ले लो....
रामो देवी: कुछ देर रुक जाइए ना... मैं जल्द वापस आऊंगी...
"परंतु किसन कहां मानने वाला था उसे तो बस अपनी मां की योनि का मर्दन बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए वह अपनी मां की टांगों को पकड़कर खींचता है और उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख देता है.. पर हाथ महसूस होते किशन अपनी मां की आंखों में देख कर कहता है!!
किशन: अब इसे अपनी योनि का रास्ता दिखाओ,,
"रामो देवी,, एक अच्छी पत्नी होने के नाते अपने अंदर महसूस हो रही पेशाब की पीड़ा को रोकते हुए किशन के लिंग को अपने मुट्ठी में जकड़ लेती है और लिंग की ओर देखकर घबराते हुए योनि के द्वार पर रख देती है।।
"जैसे ही किशन की मां उसके लिंग को योनि का रास्ता दिखाती है!! थोड़ा दबाव देता है और लिंग चिकना की वजह से फिसलता हुआ योनि के अंदर, चला जाता है,, जिसका सीधा असर रामो देवी, के गर्भाशय पर होता है।। उसके मुंह से एक जोरदार चीक निकलती है।।
रामो देवी:। हे भगवान.. मर गई.....आई.... ई...
"किशन अपनी मां की चीख सुनकर,, उसके चेहरे को देखते हुए कहता है,,
किशन: बस रामो,, से पकड़ कर छोड़ना नहीं,,
"रामो देवी, एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह अपने पति का आदेश सुनकर लिंग को पकड़े रहती है और किशन धीरे धीरे अपनी पत्नी का सिसकारी के साथ आहें भरते हुए चेहरे को देखकर धक्के लगाने शुरू करता है,, किशन हर धक्के पर एक अलग ही आनंद महसूस कर रहा था और उसके हर धक्के के साथ कमरे में,, चूड़ी और पायल की झंकार गूंज रही थी जिसस साफ जाहिर हो रहा था की कोई दूल्हा और दुल्हन अपनी दुनिया में खोए हुए सुहागरात की सेज पर अपने अंगों की प्यास बुझा रहे हैं,, दोनों मां बेटे आज उस काम को अंजाम दे चुके थे जो इस भारतवर्ष में आज से पहले किसी ने नहीं किया था,, और उनके इस काम से अनजान किशनगढ़ के लोग गहरी नींद में सोए हुए थे,,, दोनों मां-बेटे इस बात से अनजान थे कि यदि इसकी भनक भी गांव में किसी को लगी तो उसका परिणाम भुगतना इन दोनों के बस की बात नहीं है,,
""अपनी रफ्तार से अपनी मां के वजूद को हिला रहा था और हर धक्के पर उसकी गहराई को नाप रहा था किशन के हर धक्के पर उसकी मां के मुंह से चीक गूंज उठती थी,, परंतु वह अपने बेटे का लिंग अपनी योनि के ऊपर से ही जकड़े हुए थे जो किशन को एक अलग ही आनंद की प्राप्ति आ रहा था,,
रामो देवी: हाय मैं मर गई.. जान ही ले लोगे क्या??? आराम से कीजिए ना.......
किशन: कितनी कसी हुई है तेरी च**,, मेरी जान लिंग को झगड़ कर रखना छोड़ना नहीं,,,,
""किशन लगातार आनंद के सागर में गोते लगा रहा था उसे इस समय धरती पर स्वर्ग जैसा प्रतीत हो रहा था जिसकी कल्पना उसने कभी ख्वाब में भी नहीं की थी वह आनंद उसे आज उसकी मां दे रही थी,, कुछ समय बाद लिंग की रगड़ से योनि की दीवारों में मीठी मीठी खुजली महसूस होती है!! की वजह से रामू देवी एक बार फिर चरम सीमा तक पहुंच जाती है और आनंद से वशीभूत होकर कहती है
रामो देवी::। और तेज कीजिए फिर से होने वाली हूं... हाय मैं मर गई..... जी..... कितना मजा आ रहा... है.... हे भगवान क्या करूं मैं....
" किशन अपनी मां के मुंह से सिसकारी और आनंद भरी बातें सुनकर,, अपने धक्कों की कर देता है।। और इस प्रकार है स्खलन होते समय किशन की मां किशन के लिंग को अपनी योनि पर तेजी से जकड़ लेती है जिसकी वजह से किशन को अलग ही आनंद मिल रहा था वह भी चरम सीमा के पास पहुंचकर और तेज धक्के लगाने शुरु करता है।।
किशन: नहीं मेरी जान मैं जाने वाला हूं मेरे लिंग को जकड़ कर रखना... आज अपनी जवानी का लावा तेरे अंदर भर दूंगा मेरी जान.....
रामो: झाड़ दीजिए न... बहुत देर हो गई है आपको पसीना भी आ रहा है जी जी... छोड़ दो ना इसे.... मैं आपको और तड़पता हुआ नहीं देख सकती... छोड़ दो..... मेरे अंदर......
"किशन: मैं आ रहा हूं मेरी जान मैं झड़ रहा..... रामो... की .....
"हाय कितनी मेहनत करते हो.... साथ तो नहीं छोड़ोगे.. मर जाऊंगी तुम्हारे बिना.....
""इस प्रकार किशन,, और उसकी मां आनंद के सागर में डूबे हुए चरम सीमा पर पहुंच कर न जाने एक दूसरे के प्रति क्या , क्या बोल रहे थे वह किस नशे में थे और क्या बोल रहे थे इसका आभास दोनों में से किसी को नहीं था किशन अपनी मां की योनि में ही अपना वीर्य छोड़ चुका था जिसकी गर्माहट को उसकी मां अच्छे से महसूस कर रही थी परंतु किशन का स्खलन इतनी देर तक चला कि वह महसूस नहीं कर पा रही थी की किशन एक बार में इतना वीर्य छोड़ सकता है,, किशन के वीर्य से उसकी मां की योनि इस प्रकार भर चुकी थी की उसे महसूस हो रहा था जैसे उसकी योनि में वर्षा ऋतु की झाड़ लगी हुई है।। उसकी वर्षों से सुखी पड़ी बंजर जमीन पर आज ऐसी बारिश हुई है की लगता है जैसे बरसात हो रही हो,,
""दोस्तों मैं आपके कमेंट का रिप्लाई इसलिए नहीं दे पाता क्योंकि यदि मैं अपडेट लिखते समय रिप्लाई करता हूं तो मेरा अधूरा अपडेट पोस्ट हो जाता है इसलिए माफी चाहता हूं रिप्लाई न करने के लिए परंतु आप यह न समझे कि मैं यह कहानी पूरी नहीं करना चाहता या आपको इंतजार करा कर मुझे बहुत मजा आता है ऐसा कुछ नहीं है दोस्तों परंतु मेरा मेडिकल वर्क ऐसा है कि यदि कोई इमरजेंसी हो तो मैं पहले इमरजेंसी का ही कार्य करूंगा क्योंकि उस समय कहानी के विचार दिमाग में आना नामुमकिन सा ही लगता है इसलिए अभी इतना इंतजार कराने के लिए माफी चाहता हूं,, धन्यवाद आशा करता हूं आप सभी खुश होंगे,,,
Aur aap log bhi patience rakhna sikhiye...agar 2-3 din comments nahi aaye to log kehte hain ki story band ho gayi and all other negative comments.Bhai maafi mangne ki jarurat nahi hai..hum.bhi samaz sakte hai..
Lekin kya hai bahutse writer ne aadhi adhuri kahani chodne ke wajah
Se reader chid jate hai..
Anyway hot part..aur ho sake to monthly 2-3 part upload karne ki koshish kare
Par apna field sambhalke
Thanks my dear friends , for your support,,Aur aap log bhi patience rakhna sikhiye...agar 2-3 din comments nahi aaye to log kehte hain ki story band ho gayi and all other negative comments.
Hum sab ko yeh yaad rakhna hain ki writers ki apni life/family/job bhi hain...not just everyday yahan par aakar "Attendance" de..and reply to comments..(it applies to me also).
But as you said, hope Rajkumaarji story ko complete karenge...kyunki yeh bahut accha story hain.
Awesome updateUpdate: 52
**सुहागरात**
""रमो देवी, अपने बेटे की बाहों में अभी भी जकड़ी हुई थी चरम सीमा को पार कर वह आज पहली बार अपने आप को भाग्यशाली समझ रही थी,, से आज पहली बार इस बात का एहसास हुआ था,, की संभोग कि इस क्रिया में इस प्रकार आनंद आता है जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था,,, आज वह पहली बार अपने शरीर को फूलों के समान हल्का महसूस कर रही थी और आनंद के सागर में गोते लगाते हुए उसकी आंखें खुशी के आंसू वह आ रही थी,,
"किशन अभी भी अपनी मां की योनि में उसके चेहरे को देखते हुए धीरे धीरे धक्के लगा रहा था,, परंतु वह अपनी मां की आंखों में आंसू देख रुक जाता है,, और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर प्यार से कहता है।।
किशन: क्या हुआ क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा???
"कुछ देर रामू देवी खामोश रहती है!! वह अपने बेटे की बात का कोई जवाब नहीं देती परंतु किशन फिर से कहता है!! और अपने लिंग को योनि में प्रवेश करवाते हुए
किशन: क्या हुआ मेरी जान अब तो इसने तुम्हारी योनि के अंदर जगह बना ली है,, क्यों रो रही हो क्या तुम्हें मजा नहीं आया,,,
"किशन की मां किशन के लिंग की मोटाई को महसूस करते हुए अपनी योनि की दीवारों पर उसकी रगड़ को महसूस कर दांत पीसते हुए आंखें खोल दी है।। और किशन से कहती है।।
रामो देवी: आंखों में आंसू लिए,, क्या आप हमेशा मुझसे इसी प्रकार प्यार करेंगे,,??
"किशन समझ जाता है कि उसकी मां इस डर से की कहीं वह फिर से गीता के पास तो नहीं चला जाएगा,, उसका प्यार अधूरा रह जाएगा,, इसलिए यह सब पूछ रही है!! वह अपनी मां के चेहरे को दोनों हाथों में लेकर उसके माथे पर प्यार से चूम कर,,।
किशन: क्या तुझे अभी मुझ पर विश्वास नहीं है,,,?? मैं अपनी जान दे दूंगा मगर अपनी पत्नी का साथ कभी नहीं छोडूंगा,, क्या तुम अपना पत्नी धर्म हमेशा निभाओगे मुझे हमेशा खुश रखो गी,,,((अपनी मां के होठों को चूम कर,,
"किशन की मां अपने बेटे के आलिंगन से तृप्त हो चुकी थी,, उसका शरीर उसे फूलों के समान नाजुक जान पड रहा था,, इस प्रकार है का स्क्लर्न कभी पहले नहीं हुआ था जिसकी वजह से उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने पहली बार संभोग क्रिया में चरम सुख की प्राप्ति की है।। किशन का लिंग अभी भी उसकी योनि में खूटे के समान समाया हुआ था,, जिस की मोटाई उसकी मां अच्छे से महसूस कर रही थी उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी योनि को किसी चीज में फैलाया हुआ है और उसकी योनि उस चीज को अपने दबाव से मसल देना चाहती है,,, धीरे धीरे किशन के लिंग की मोटाई की रगड़ से आनंद में हो कर अपने बेटे से कहती है।।
रामो: मैं तो आपके चरणों की धूल बन कर रहूंगी... जी,,,
किशन: तो फिर तेरी आंखों में आंसू क्यों है मेरी जान...???
रामो: आज तक इतना प्यार मिला नहीं ना... इसलिए ज्यादा खुशी बर्दाश्त नहीं कर सके... यह तो खुशी के आंसू है!! हाय.. थोड़ी देर रुकिए ना जी...
"किशन अभी एक बार भी वासना की चरम सीमा को पार नहीं कर पाया था इसलिए उसके लिए रुकना नामुमकिन था वह अपनी मां की योनि और कसावट को अच्छे तरीके से महसूस कर रहा था,,, उसे अपनी मां की योनि में धक्का लगाते समय जो आनंद प्राप्त हो रहा था वह उसकी कल्पना शब्दों में बयां नहीं कर सकता था,, हर धक्के पर अपनी मां की सुंदर चेहरे की ओर देखता था जिस पर अभी भी दुल्हन का रंग चढ़ा हुआ था,, किशन के हर धक्के पर उसकी मां के चेहरे की रंगत बदलती हुई किशन को नजर आती थी,, किशन पर जैसे ही धक्का लगा था उसकी मां की सिसकारी गूंज उठती थी जो मीठे-मीठे दर्द के साथ निकलती थी,, जिसे देख किशन को और भी आनंद मिलता था इसलिए वह नहीं चाहता था कि उसका लिंग योनि से बाहर निकले,,,
किशन: क्यों क्या हुआ,, एक बार इसे ठंडा तो हो जाने दे,,,
""किशन अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा देता है!! किशन के हर धक्के पर रामू देवी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लिंग बच्चेदानी में छेद करता हुआ पेट की ओर घुस रहा है किशन के हर धक्के पर उसकी आंखें फैल रही थी परंतु एक मीठे दर्द के साथ वह अपने बेटे के वजूद को आसानी से सहन कर रही थी क्योंकि वह एक लंबे चौड़े कट की गदर आई हुई महिला थी.. किशन के आक्रामक रूप को देखकर वह दंग रह जाती है इस बार किशन जैसे ही तेज प्रहार करता है उसका लिंग योनि से फिसल कर बाहर आ जाता है!! लिंग बाहर निकलते ही किशन की मां बिस्तर के ऊपर की ओर खिसक जाती है और किशन उसकी आंखों में देख कर उम्मीद भरी नजरों से कहता है!!
किशन: क्या हुआ अब मेरी जान लेकर रहेगी क्या??? बाल झड़ तो जाने दे,,
""रामो देवी,, मुझे बहुत जोर की पेशब लगी है,, कितनी देर और लगेगी दर्द भी हो रहा है अंदर,,
किशन: तू चाहे तो जल्दी झड़ सकता हूं,,??
रामो: कैसे?? क्या करना है मुझे???
किशन: तुझे मेरा लन्ड, अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में डालना है,,
""अपने बेटे के मुंह से इस प्रकार खुले शब्दों का विवरण सुनने के बाद वह निर्वस्त्र महिला अपने हाथों से शर्मा कर चेहरे को छुपा लेती है,, समझ नहीं आ रहा था कि किशन की बात का कोई जवाब दे या चुपचाप फिर से अपनी टांगे फैलाकर उसके लिंग को हाथ में लेकर योनि में प्रवेश कराने की इजाजत दें,,
रामो देवी: क्या ऐसा करने से जल्दी हो जाएगा???
किशन: हां मेरी जान.. जल्दी सी से पकड़ना और अपनी टांगे फैलाकर अपनी अंदर ले लो....
रामो देवी: कुछ देर रुक जाइए ना... मैं जल्द वापस आऊंगी...
"परंतु किसन कहां मानने वाला था उसे तो बस अपनी मां की योनि का मर्दन बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए वह अपनी मां की टांगों को पकड़कर खींचता है और उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख देता है.. पर हाथ महसूस होते किशन अपनी मां की आंखों में देख कर कहता है!!
किशन: अब इसे अपनी योनि का रास्ता दिखाओ,,
"रामो देवी,, एक अच्छी पत्नी होने के नाते अपने अंदर महसूस हो रही पेशाब की पीड़ा को रोकते हुए किशन के लिंग को अपने मुट्ठी में जकड़ लेती है और लिंग की ओर देखकर घबराते हुए योनि के द्वार पर रख देती है।।
"जैसे ही किशन की मां उसके लिंग को योनि का रास्ता दिखाती है!! थोड़ा दबाव देता है और लिंग चिकना की वजह से फिसलता हुआ योनि के अंदर, चला जाता है,, जिसका सीधा असर रामो देवी, के गर्भाशय पर होता है।। उसके मुंह से एक जोरदार चीक निकलती है।।
रामो देवी:। हे भगवान.. मर गई.....आई.... ई...
"किशन अपनी मां की चीख सुनकर,, उसके चेहरे को देखते हुए कहता है,,
किशन: बस रामो,, से पकड़ कर छोड़ना नहीं,,
"रामो देवी, एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह अपने पति का आदेश सुनकर लिंग को पकड़े रहती है और किशन धीरे धीरे अपनी पत्नी का सिसकारी के साथ आहें भरते हुए चेहरे को देखकर धक्के लगाने शुरू करता है,, किशन हर धक्के पर एक अलग ही आनंद महसूस कर रहा था और उसके हर धक्के के साथ कमरे में,, चूड़ी और पायल की झंकार गूंज रही थी जिसस साफ जाहिर हो रहा था की कोई दूल्हा और दुल्हन अपनी दुनिया में खोए हुए सुहागरात की सेज पर अपने अंगों की प्यास बुझा रहे हैं,, दोनों मां बेटे आज उस काम को अंजाम दे चुके थे जो इस भारतवर्ष में आज से पहले किसी ने नहीं किया था,, और उनके इस काम से अनजान किशनगढ़ के लोग गहरी नींद में सोए हुए थे,,, दोनों मां-बेटे इस बात से अनजान थे कि यदि इसकी भनक भी गांव में किसी को लगी तो उसका परिणाम भुगतना इन दोनों के बस की बात नहीं है,,
""अपनी रफ्तार से अपनी मां के वजूद को हिला रहा था और हर धक्के पर उसकी गहराई को नाप रहा था किशन के हर धक्के पर उसकी मां के मुंह से चीक गूंज उठती थी,, परंतु वह अपने बेटे का लिंग अपनी योनि के ऊपर से ही जकड़े हुए थे जो किशन को एक अलग ही आनंद की प्राप्ति आ रहा था,,
रामो देवी: हाय मैं मर गई.. जान ही ले लोगे क्या??? आराम से कीजिए ना.......
किशन: कितनी कसी हुई है तेरी च**,, मेरी जान लिंग को झगड़ कर रखना छोड़ना नहीं,,,,
""किशन लगातार आनंद के सागर में गोते लगा रहा था उसे इस समय धरती पर स्वर्ग जैसा प्रतीत हो रहा था जिसकी कल्पना उसने कभी ख्वाब में भी नहीं की थी वह आनंद उसे आज उसकी मां दे रही थी,, कुछ समय बाद लिंग की रगड़ से योनि की दीवारों में मीठी मीठी खुजली महसूस होती है!! की वजह से रामू देवी एक बार फिर चरम सीमा तक पहुंच जाती है और आनंद से वशीभूत होकर कहती है
रामो देवी::। और तेज कीजिए फिर से होने वाली हूं... हाय मैं मर गई..... जी..... कितना मजा आ रहा... है.... हे भगवान क्या करूं मैं....
" किशन अपनी मां के मुंह से सिसकारी और आनंद भरी बातें सुनकर,, अपने धक्कों की कर देता है।। और इस प्रकार है स्खलन होते समय किशन की मां किशन के लिंग को अपनी योनि पर तेजी से जकड़ लेती है जिसकी वजह से किशन को अलग ही आनंद मिल रहा था वह भी चरम सीमा के पास पहुंचकर और तेज धक्के लगाने शुरु करता है।।
किशन: नहीं मेरी जान मैं जाने वाला हूं मेरे लिंग को जकड़ कर रखना... आज अपनी जवानी का लावा तेरे अंदर भर दूंगा मेरी जान.....
रामो: झाड़ दीजिए न... बहुत देर हो गई है आपको पसीना भी आ रहा है जी जी... छोड़ दो ना इसे.... मैं आपको और तड़पता हुआ नहीं देख सकती... छोड़ दो..... मेरे अंदर......
"किशन: मैं आ रहा हूं मेरी जान मैं झड़ रहा..... रामो... की .....
"हाय कितनी मेहनत करते हो.... साथ तो नहीं छोड़ोगे.. मर जाऊंगी तुम्हारे बिना.....
""इस प्रकार किशन,, और उसकी मां आनंद के सागर में डूबे हुए चरम सीमा पर पहुंच कर न जाने एक दूसरे के प्रति क्या , क्या बोल रहे थे वह किस नशे में थे और क्या बोल रहे थे इसका आभास दोनों में से किसी को नहीं था किशन अपनी मां की योनि में ही अपना वीर्य छोड़ चुका था जिसकी गर्माहट को उसकी मां अच्छे से महसूस कर रही थी परंतु किशन का स्खलन इतनी देर तक चला कि वह महसूस नहीं कर पा रही थी की किशन एक बार में इतना वीर्य छोड़ सकता है,, किशन के वीर्य से उसकी मां की योनि इस प्रकार भर चुकी थी की उसे महसूस हो रहा था जैसे उसकी योनि में वर्षा ऋतु की झाड़ लगी हुई है।। उसकी वर्षों से सुखी पड़ी बंजर जमीन पर आज ऐसी बारिश हुई है की लगता है जैसे बरसात हो रही हो,,
""दोस्तों मैं आपके कमेंट का रिप्लाई इसलिए नहीं दे पाता क्योंकि यदि मैं अपडेट लिखते समय रिप्लाई करता हूं तो मेरा अधूरा अपडेट पोस्ट हो जाता है इसलिए माफी चाहता हूं रिप्लाई न करने के लिए परंतु आप यह न समझे कि मैं यह कहानी पूरी नहीं करना चाहता या आपको इंतजार करा कर मुझे बहुत मजा आता है ऐसा कुछ नहीं है दोस्तों परंतु मेरा मेडिकल वर्क ऐसा है कि यदि कोई इमरजेंसी हो तो मैं पहले इमरजेंसी का ही कार्य करूंगा क्योंकि उस समय कहानी के विचार दिमाग में आना नामुमकिन सा ही लगता है इसलिए अभी इतना इंतजार कराने के लिए माफी चाहता हूं,, धन्यवाद आशा करता हूं आप सभी खुश होंगे,,,
Awesome superb updateUpdate: 52
**सुहागरात**
""रमो देवी, अपने बेटे की बाहों में अभी भी जकड़ी हुई थी चरम सीमा को पार कर वह आज पहली बार अपने आप को भाग्यशाली समझ रही थी,, से आज पहली बार इस बात का एहसास हुआ था,, की संभोग कि इस क्रिया में इस प्रकार आनंद आता है जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था,,, आज वह पहली बार अपने शरीर को फूलों के समान हल्का महसूस कर रही थी और आनंद के सागर में गोते लगाते हुए उसकी आंखें खुशी के आंसू वह आ रही थी,,
"किशन अभी भी अपनी मां की योनि में उसके चेहरे को देखते हुए धीरे धीरे धक्के लगा रहा था,, परंतु वह अपनी मां की आंखों में आंसू देख रुक जाता है,, और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर प्यार से कहता है।।
किशन: क्या हुआ क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा???
"कुछ देर रामू देवी खामोश रहती है!! वह अपने बेटे की बात का कोई जवाब नहीं देती परंतु किशन फिर से कहता है!! और अपने लिंग को योनि में प्रवेश करवाते हुए
किशन: क्या हुआ मेरी जान अब तो इसने तुम्हारी योनि के अंदर जगह बना ली है,, क्यों रो रही हो क्या तुम्हें मजा नहीं आया,,,
"किशन की मां किशन के लिंग की मोटाई को महसूस करते हुए अपनी योनि की दीवारों पर उसकी रगड़ को महसूस कर दांत पीसते हुए आंखें खोल दी है।। और किशन से कहती है।।
रामो देवी: आंखों में आंसू लिए,, क्या आप हमेशा मुझसे इसी प्रकार प्यार करेंगे,,??
"किशन समझ जाता है कि उसकी मां इस डर से की कहीं वह फिर से गीता के पास तो नहीं चला जाएगा,, उसका प्यार अधूरा रह जाएगा,, इसलिए यह सब पूछ रही है!! वह अपनी मां के चेहरे को दोनों हाथों में लेकर उसके माथे पर प्यार से चूम कर,,।
किशन: क्या तुझे अभी मुझ पर विश्वास नहीं है,,,?? मैं अपनी जान दे दूंगा मगर अपनी पत्नी का साथ कभी नहीं छोडूंगा,, क्या तुम अपना पत्नी धर्म हमेशा निभाओगे मुझे हमेशा खुश रखो गी,,,((अपनी मां के होठों को चूम कर,,
"किशन की मां अपने बेटे के आलिंगन से तृप्त हो चुकी थी,, उसका शरीर उसे फूलों के समान नाजुक जान पड रहा था,, इस प्रकार है का स्क्लर्न कभी पहले नहीं हुआ था जिसकी वजह से उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने पहली बार संभोग क्रिया में चरम सुख की प्राप्ति की है।। किशन का लिंग अभी भी उसकी योनि में खूटे के समान समाया हुआ था,, जिस की मोटाई उसकी मां अच्छे से महसूस कर रही थी उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी योनि को किसी चीज में फैलाया हुआ है और उसकी योनि उस चीज को अपने दबाव से मसल देना चाहती है,,, धीरे धीरे किशन के लिंग की मोटाई की रगड़ से आनंद में हो कर अपने बेटे से कहती है।।
रामो: मैं तो आपके चरणों की धूल बन कर रहूंगी... जी,,,
किशन: तो फिर तेरी आंखों में आंसू क्यों है मेरी जान...???
रामो: आज तक इतना प्यार मिला नहीं ना... इसलिए ज्यादा खुशी बर्दाश्त नहीं कर सके... यह तो खुशी के आंसू है!! हाय.. थोड़ी देर रुकिए ना जी...
"किशन अभी एक बार भी वासना की चरम सीमा को पार नहीं कर पाया था इसलिए उसके लिए रुकना नामुमकिन था वह अपनी मां की योनि और कसावट को अच्छे तरीके से महसूस कर रहा था,,, उसे अपनी मां की योनि में धक्का लगाते समय जो आनंद प्राप्त हो रहा था वह उसकी कल्पना शब्दों में बयां नहीं कर सकता था,, हर धक्के पर अपनी मां की सुंदर चेहरे की ओर देखता था जिस पर अभी भी दुल्हन का रंग चढ़ा हुआ था,, किशन के हर धक्के पर उसकी मां के चेहरे की रंगत बदलती हुई किशन को नजर आती थी,, किशन पर जैसे ही धक्का लगा था उसकी मां की सिसकारी गूंज उठती थी जो मीठे-मीठे दर्द के साथ निकलती थी,, जिसे देख किशन को और भी आनंद मिलता था इसलिए वह नहीं चाहता था कि उसका लिंग योनि से बाहर निकले,,,
किशन: क्यों क्या हुआ,, एक बार इसे ठंडा तो हो जाने दे,,,
""किशन अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा देता है!! किशन के हर धक्के पर रामू देवी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लिंग बच्चेदानी में छेद करता हुआ पेट की ओर घुस रहा है किशन के हर धक्के पर उसकी आंखें फैल रही थी परंतु एक मीठे दर्द के साथ वह अपने बेटे के वजूद को आसानी से सहन कर रही थी क्योंकि वह एक लंबे चौड़े कट की गदर आई हुई महिला थी.. किशन के आक्रामक रूप को देखकर वह दंग रह जाती है इस बार किशन जैसे ही तेज प्रहार करता है उसका लिंग योनि से फिसल कर बाहर आ जाता है!! लिंग बाहर निकलते ही किशन की मां बिस्तर के ऊपर की ओर खिसक जाती है और किशन उसकी आंखों में देख कर उम्मीद भरी नजरों से कहता है!!
किशन: क्या हुआ अब मेरी जान लेकर रहेगी क्या??? बाल झड़ तो जाने दे,,
""रामो देवी,, मुझे बहुत जोर की पेशब लगी है,, कितनी देर और लगेगी दर्द भी हो रहा है अंदर,,
किशन: तू चाहे तो जल्दी झड़ सकता हूं,,??
रामो: कैसे?? क्या करना है मुझे???
किशन: तुझे मेरा लन्ड, अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में डालना है,,
""अपने बेटे के मुंह से इस प्रकार खुले शब्दों का विवरण सुनने के बाद वह निर्वस्त्र महिला अपने हाथों से शर्मा कर चेहरे को छुपा लेती है,, समझ नहीं आ रहा था कि किशन की बात का कोई जवाब दे या चुपचाप फिर से अपनी टांगे फैलाकर उसके लिंग को हाथ में लेकर योनि में प्रवेश कराने की इजाजत दें,,
रामो देवी: क्या ऐसा करने से जल्दी हो जाएगा???
किशन: हां मेरी जान.. जल्दी सी से पकड़ना और अपनी टांगे फैलाकर अपनी अंदर ले लो....
रामो देवी: कुछ देर रुक जाइए ना... मैं जल्द वापस आऊंगी...
"परंतु किसन कहां मानने वाला था उसे तो बस अपनी मां की योनि का मर्दन बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए वह अपनी मां की टांगों को पकड़कर खींचता है और उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख देता है.. पर हाथ महसूस होते किशन अपनी मां की आंखों में देख कर कहता है!!
किशन: अब इसे अपनी योनि का रास्ता दिखाओ,,
"रामो देवी,, एक अच्छी पत्नी होने के नाते अपने अंदर महसूस हो रही पेशाब की पीड़ा को रोकते हुए किशन के लिंग को अपने मुट्ठी में जकड़ लेती है और लिंग की ओर देखकर घबराते हुए योनि के द्वार पर रख देती है।।
"जैसे ही किशन की मां उसके लिंग को योनि का रास्ता दिखाती है!! थोड़ा दबाव देता है और लिंग चिकना की वजह से फिसलता हुआ योनि के अंदर, चला जाता है,, जिसका सीधा असर रामो देवी, के गर्भाशय पर होता है।। उसके मुंह से एक जोरदार चीक निकलती है।।
रामो देवी:। हे भगवान.. मर गई.....आई.... ई...
"किशन अपनी मां की चीख सुनकर,, उसके चेहरे को देखते हुए कहता है,,
किशन: बस रामो,, से पकड़ कर छोड़ना नहीं,,
"रामो देवी, एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह अपने पति का आदेश सुनकर लिंग को पकड़े रहती है और किशन धीरे धीरे अपनी पत्नी का सिसकारी के साथ आहें भरते हुए चेहरे को देखकर धक्के लगाने शुरू करता है,, किशन हर धक्के पर एक अलग ही आनंद महसूस कर रहा था और उसके हर धक्के के साथ कमरे में,, चूड़ी और पायल की झंकार गूंज रही थी जिसस साफ जाहिर हो रहा था की कोई दूल्हा और दुल्हन अपनी दुनिया में खोए हुए सुहागरात की सेज पर अपने अंगों की प्यास बुझा रहे हैं,, दोनों मां बेटे आज उस काम को अंजाम दे चुके थे जो इस भारतवर्ष में आज से पहले किसी ने नहीं किया था,, और उनके इस काम से अनजान किशनगढ़ के लोग गहरी नींद में सोए हुए थे,,, दोनों मां-बेटे इस बात से अनजान थे कि यदि इसकी भनक भी गांव में किसी को लगी तो उसका परिणाम भुगतना इन दोनों के बस की बात नहीं है,,
""अपनी रफ्तार से अपनी मां के वजूद को हिला रहा था और हर धक्के पर उसकी गहराई को नाप रहा था किशन के हर धक्के पर उसकी मां के मुंह से चीक गूंज उठती थी,, परंतु वह अपने बेटे का लिंग अपनी योनि के ऊपर से ही जकड़े हुए थे जो किशन को एक अलग ही आनंद की प्राप्ति आ रहा था,,
रामो देवी: हाय मैं मर गई.. जान ही ले लोगे क्या??? आराम से कीजिए ना.......
किशन: कितनी कसी हुई है तेरी च**,, मेरी जान लिंग को झगड़ कर रखना छोड़ना नहीं,,,,
""किशन लगातार आनंद के सागर में गोते लगा रहा था उसे इस समय धरती पर स्वर्ग जैसा प्रतीत हो रहा था जिसकी कल्पना उसने कभी ख्वाब में भी नहीं की थी वह आनंद उसे आज उसकी मां दे रही थी,, कुछ समय बाद लिंग की रगड़ से योनि की दीवारों में मीठी मीठी खुजली महसूस होती है!! की वजह से रामू देवी एक बार फिर चरम सीमा तक पहुंच जाती है और आनंद से वशीभूत होकर कहती है
रामो देवी::। और तेज कीजिए फिर से होने वाली हूं... हाय मैं मर गई..... जी..... कितना मजा आ रहा... है.... हे भगवान क्या करूं मैं....
" किशन अपनी मां के मुंह से सिसकारी और आनंद भरी बातें सुनकर,, अपने धक्कों की कर देता है।। और इस प्रकार है स्खलन होते समय किशन की मां किशन के लिंग को अपनी योनि पर तेजी से जकड़ लेती है जिसकी वजह से किशन को अलग ही आनंद मिल रहा था वह भी चरम सीमा के पास पहुंचकर और तेज धक्के लगाने शुरु करता है।।
किशन: नहीं मेरी जान मैं जाने वाला हूं मेरे लिंग को जकड़ कर रखना... आज अपनी जवानी का लावा तेरे अंदर भर दूंगा मेरी जान.....
रामो: झाड़ दीजिए न... बहुत देर हो गई है आपको पसीना भी आ रहा है जी जी... छोड़ दो ना इसे.... मैं आपको और तड़पता हुआ नहीं देख सकती... छोड़ दो..... मेरे अंदर......
"किशन: मैं आ रहा हूं मेरी जान मैं झड़ रहा..... रामो... की .....
"हाय कितनी मेहनत करते हो.... साथ तो नहीं छोड़ोगे.. मर जाऊंगी तुम्हारे बिना.....
""इस प्रकार किशन,, और उसकी मां आनंद के सागर में डूबे हुए चरम सीमा पर पहुंच कर न जाने एक दूसरे के प्रति क्या , क्या बोल रहे थे वह किस नशे में थे और क्या बोल रहे थे इसका आभास दोनों में से किसी को नहीं था किशन अपनी मां की योनि में ही अपना वीर्य छोड़ चुका था जिसकी गर्माहट को उसकी मां अच्छे से महसूस कर रही थी परंतु किशन का स्खलन इतनी देर तक चला कि वह महसूस नहीं कर पा रही थी की किशन एक बार में इतना वीर्य छोड़ सकता है,, किशन के वीर्य से उसकी मां की योनि इस प्रकार भर चुकी थी की उसे महसूस हो रहा था जैसे उसकी योनि में वर्षा ऋतु की झाड़ लगी हुई है।। उसकी वर्षों से सुखी पड़ी बंजर जमीन पर आज ऐसी बारिश हुई है की लगता है जैसे बरसात हो रही हो,,
""दोस्तों मैं आपके कमेंट का रिप्लाई इसलिए नहीं दे पाता क्योंकि यदि मैं अपडेट लिखते समय रिप्लाई करता हूं तो मेरा अधूरा अपडेट पोस्ट हो जाता है इसलिए माफी चाहता हूं रिप्लाई न करने के लिए परंतु आप यह न समझे कि मैं यह कहानी पूरी नहीं करना चाहता या आपको इंतजार करा कर मुझे बहुत मजा आता है ऐसा कुछ नहीं है दोस्तों परंतु मेरा मेडिकल वर्क ऐसा है कि यदि कोई इमरजेंसी हो तो मैं पहले इमरजेंसी का ही कार्य करूंगा क्योंकि उस समय कहानी के विचार दिमाग में आना नामुमकिन सा ही लगता है इसलिए अभी इतना इंतजार कराने के लिए माफी चाहता हूं,, धन्यवाद आशा करता हूं आप सभी खुश होंगे,,,