Tiger 786
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Ok broDoston Sunday ko update karunga,so please don't mind, and sorry for waiting,, thanks for all,,
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ok bhai waiting for tomorrowDoston Sunday ko update karunga,so please don't mind, and sorry for waiting,, thanks for all,,
मस्त अपडेटUpdate: 53
*** SUHAGRAT ***
"रामो देवी, अपने बेटे के वीर्य की एक एक बूंद को अपने अंदर गिरता हुआ महसूस कर रही थी,, किशन के लिंग से निकलते हुए वीर्य के प्रभाव से जैसे ही लिंग फूलता था तो,, उसकी मां की योनि लिंग को और जकड़ लेती थी,, अब किशन की मा ने लिंग, को अपने हाथों से आजाद कर दिया था,, और वह अपने बेटे की आंखों में देख रही थी, जो आनंद के सागर में डूबा आंखें बंद किए अपनी मां की बंजर जमीन को अपने अंदर इकट्ठा हुए सागर से खींच रहा था,, उसकी आंखें आनंद से बंद थी,, और वह अपनी आखिरी बूंद तक लिंग अंदर डाले हुए था,, जब किशन कुछ समय के लिए रुका रहता है तो उसकी मां कुछ सोचते हुए कहती है।।
रामो देवी: अब तो खुश हो ना आप... झड़.. हो गया ना..
"अपने मुंह से झाड़ शब्द कहते कहते उसे शर्म महसूस होती है और वह अपने शब्दों को रोकते हुए कहती है।। जिसे किशन सुन लेता है और अपनी मां की शर्माते हुए सुंदर से मुखड़े को देखकर उसके लाल हो चुके सुर्ख होटों पर नजरें टिका कर कहता है।।
किशनमन में) अभी तो तेरे लाल सुर्ख होठों को चीर कर हलक तक गोते लगाएग मेरा लन्ड..
रामो: सुनिए ना.. जी.. छोड़ दीजिए. ना.. अब
किशन: मां.. मुझे पूरा तो झड़ने दो..देखो ना.. इससे अभी भी कुछ निकल रहा है।।
"किशन की बात सुनकर, रामो देवी, मुस्कुराती है और अपनी योनि को इस प्रकार कश्ती है जैसे कि वह किशन के लिंग से उसका वीर्य निचोड़ रही हो,, योनि का कसाव किशन को अपने लिंग पर महसूस होता है वह समझ नहीं पाता की उसकी मां की योनि इतनी टाइट क्यों हो गई थी,, और अपनी मां के शर्मीले मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर कहता है।।
किशन: ओ.. हो. मां.. यह क्या था?? एक बार फिर से करो ना..
"किशन की बात को सुनकर उसकी मां फिर से शर्म आ जाती है और उसकी बात का कोई जवाब नहीं देती,, किशन एक बार अपनी जवानी का लावा अपनी मां की योनि में छोड़ चुका था परंतु नई जवानी और इतना बलिष्ठ होने के कारण,, उसका लिंग अभी भी उतना ही अकड़ा हुआ था,, और रामो देवी, की योनि के कसाव से उससे जो आनंद प्राप्त हुआ था उससे उसकी इच्छा शक्ति और बढ़ गई थी इसलिए वह लिंग बाहर नहीं निकालना चाहता था,, और अपनी मां से फिर से कहता है।
किशन: तुम शर्म आती बहुत हो.. देखो ना अब तो तुम्हारी चूत भी मेरे लिंग का साथ दे रही है कैसे कस रही है मेरे लिंग को जैसे उसे छोड़ना ही नहीं चाहती देखो ना मां अब तो पूरा का पूरा अंदर समाया हुआ है,,
रामो: नहीं मुझे नहीं देखना अब छोड़ भी दो मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है....
""तभी बाहर दरवाजा खटखटाने की आवाज होती है! किशन को अपनी मां के साथ संभोग करते हुए 2 घंटे से ज्यादा बीत चुका था और बाहर दरवाजे पर खड़ी उसकी मौसी खाना लेकर आई थी जो अंदर का माहौल शांत देखकर दरवाजे को खटखट आती है,,, परंतु दरवाजे की आवाज केवल किशन की मां के कान में ही गूंजती है! किशन को तो केवल उसकी मां का सुंदर चेहरा और उसकी योनि में प्रवेश किया हुआ उसका लिंग ही नजर आ रहा था इसलिए वह और किसी के बारे में सुनना और सोचना भी नहीं चाहता था परंतु दरवाजे की खटखट को सुनकर किशन की दुल्हन बनी मां उससे प्यार से कहती है!
रामो देवी: आप बड़ा गंदा बोलते हो जी... अब छोड़ भी दीजिए ना मुझे देखो ना बाहर दीदी दरवाजे पर खड़ी है!!
"तभी फिर से किशन की मौसी बाहर खड़ी दरवाजे पर दरवाजे को जोर से खटखट आती है!!
मौसी: किशन बेटा ओ किशन बेटा.. दरवाजा खोलो मैं खाना लेकर आई हूं!!
""इस बार किशन के कानों में उसकी मौसी की आवाज गूंजती है तो किशन ना चाहते हुए भी अपना लिंग रामो देवी, की योनि से बाहर निकाल लेता है,, लिंग बाहर आते ही योनि से एक आवाज होती है जैसे की किसी बोतल का ढक्कन खुला हो और किशन की मां के मुंह से एक मीठी दर्द के साथ सिसकारी के मिश्रण में गूंजता है।।
रामो: हाय राम.. धीरे से जी.. जान ही निकाल दी मेरी...
किशन: जी मौसी अभी आया...
""किशन की मां पहले किशन के लिंग की ओर देखती है जो इस प्रकार भयानक लग रहा था जैसे वह कोई युद्ध में खड़ा महा योद्धा हो और उसके शरीर पर कोई वस्त्र ने हो,, लिंग बाहर निकलते ही किशन की मां को ऐसा महसूस होता है जैसे की उसकी योनि का आकार दोगुना बढ़ गया हो और उसकी योनि से किशन का वीर्य बहने लगता है जो किशन की मां देखकर दंग रह जाती है। उसे विश्वास नहीं हो रहा था की उसका बेटा एक बार में इतना वीर्य छोड़ सकता है। अपने बेटे की मर्दानगी को मन ही मन में महसूस कर गदगद हो रही थी।। उसे इस बात का, जरा भी आभास नहीं था की किसी मर्द का लिंग इस आकार का भी हो सकता है और एक स्त्री उसे अपने अंदर समा सकती है और उसके हर प्रकार के वार को जेल भी सकती है।। वह यह सोच कर की उसका बेटा संसार का सबसे उत्तम मर्द है मन ही मन खुश हो रही थी आज उसे यह आभास हो गया था कि पुरुष स्त्री को इतनी देर तक बिस्तर पर रोंध सकता है और,, और उसकी कामाग्नि को बिना अपने आप को चरम सीमा पर पहुंचाए दो बार शांत कर सकता है,, यदि उसका बेटा इतना बड़ा मर्द है तो उससे भाग्यशाली औरत इस संसार में कोई नहीं है।। और यह सोच कर शर्मा जाती है।। और अपने बेटे से कहती है।।
रामो देवी: जल्दी जाकर दरवाजा खोलिए ना.. बाहर दीदी इंतजार कर रही है,,
"किशन अपनी मां के शर्मीली चेहरे को देखकर उसके लाल सुर्ख होटों पर नजरें टिका कर एक आह भरता है और उसका लिंग झटके से खड़ा हो जाता है।। जिसे किशन अपने कपड़े से ढक्क मन ही मन,
किशन: मन में :: हाय.. क्या सुर्ख हॉट है, दिल करता है अभी इसके मुंह में दे दूं दूं..
""किशन अपने वस्त्र को सही करता है और अपनी मां की ओर देखकर मुस्कुराते हुए दरवाजे की ओर चल देता है!! जैसे ही किशन दरवाजे की ओर बढ़ता है। रामो देवी, एक चादर उठा कर अपने आप को ढक लेती है और जैसे ही बैठने की कोशिश करती है उससे अपने कमर में दर्द सा महसूस होता है।। जो उसे उसके वजूद को ढीला होने का एहसास करा ता है,, क्योंकि इससे पहले उसने कभी भी इस प्रकार अपने शरीर में हलचल महसूस नहीं की थी और न ही वह कभी दो बार चरम सीमा को पार की थी, जिसकी वजह से उससे अपना शरीर बहुत हल्का महसूस हो रहा था और जीवन में पहली बार संभोग क्रिया में उसे भरपूर आनंद की प्राप्ति हुई थी दो बार चरम सीमा को पार कर उसकी इच्छाएं सामान्य हो गई थी,, वह संभोग कला में इतना निपुण नहीं थी जितना कि उसका बेटा संभोग की पुस्तकें पढ़ कर इस क्रिया की डिग्री हासिल कर चुका था, और अबे क्या करने वाला था इसका अंदाजा भी रामो देवी को नहीं था,,
"किशन दरवाजे के पास पहुंचकर दरवाजा खोलता है तो वह देखता है कि उसकी मौसी खाने की थाली सजाकर दरवाजे के सामने खड़ी हुई है और किशन को देखकर मन मन मुस्कुरा रही थी किशन की हालत देखकर उसे विश्वास हो गया था कि किशन कितनी मेहनत अपनी मां के ऊपर करके आया है,, तभी उसकी नजर किशन के चेहरे से होकर सीने के नीचे पेट पर जाती है और पेट के निचले हिस्से पर नजर पहुंचते ही उसके दिल में एक दहशत सी फैल जाती है क्योंकि किशन का लिंग अभी भी पूर्ण रूप से तो नहीं परंतु तनाव में था जिसका आभास उसे कपड़े के ऊपर से ही हो रहा था और उसका आकार साफ दिखाई देता है जिसे देखकर किशन की मौसी के दिल की धड़कनें बढ़ जाती है।। वह तिरछी नजरों से थाली को झुककर किशन के पास रखते हुए कहती है।।
मौसी: लो बेटा खाना खा लेना भूखे मेहनत करोगे तो कमजोर पड़ जाओगे...
"इतना कहकर किशन की मौसी खाने की थाली किशन के पास रख जल्दी से वहां से चली जाती है और अपने मन में विचार करती है,।।
"हे भगवान कितना बड़ा है किशन का.. इतने भाग्यशाली है. मेरी बहन की उसे इस उम्र में इतने जवान और ताकतवर युवक का साथ मिला है!!
"मौसी के जाते ही किशन खाने की थाली लेकर दरवाजा बंद करता है और अपनी मां की ओर चल देता है अब तक किशन की मां ने अपने वस्त्र पहन लिए थे और वह एक बार फिर से अपने शरीर को पूर्ण रूप से ढक ली थी,,,
"किशन अपनी मां को देखकर फिर से जोश में आ जाता है।। और मुस्कुराता हुआ उसकी ओर, बढ़ता है तभी रामू देवी,,
रामो देवी: देखो मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं अभी जाने दो,,
"किशन अपनी मां की ओर एक बार फिर उसे अपनी बाहों में भर लेता है।और उसके सुंदर लाल हॉट देखकर उनको उंगली से महसूस कर कहता है
nice update..!!Update: 53
*** SUHAGRAT ***
"रामो देवी, अपने बेटे के वीर्य की एक एक बूंद को अपने अंदर गिरता हुआ महसूस कर रही थी,, किशन के लिंग से निकलते हुए वीर्य के प्रभाव से जैसे ही लिंग फूलता था तो,, उसकी मां की योनि लिंग को और जकड़ लेती थी,, अब किशन की मा ने लिंग, को अपने हाथों से आजाद कर दिया था,, और वह अपने बेटे की आंखों में देख रही थी, जो आनंद के सागर में डूबा आंखें बंद किए अपनी मां की बंजर जमीन को अपने अंदर इकट्ठा हुए सागर से खींच रहा था,, उसकी आंखें आनंद से बंद थी,, और वह अपनी आखिरी बूंद तक लिंग अंदर डाले हुए था,, जब किशन कुछ समय के लिए रुका रहता है तो उसकी मां कुछ सोचते हुए कहती है।।
रामो देवी: अब तो खुश हो ना आप... झड़.. हो गया ना..
"अपने मुंह से झाड़ शब्द कहते कहते उसे शर्म महसूस होती है और वह अपने शब्दों को रोकते हुए कहती है।। जिसे किशन सुन लेता है और अपनी मां की शर्माते हुए सुंदर से मुखड़े को देखकर उसके लाल हो चुके सुर्ख होटों पर नजरें टिका कर कहता है।।
किशनमन में) अभी तो तेरे लाल सुर्ख होठों को चीर कर हलक तक गोते लगाएग मेरा लन्ड..
रामो: सुनिए ना.. जी.. छोड़ दीजिए. ना.. अब
किशन: मां.. मुझे पूरा तो झड़ने दो..देखो ना.. इससे अभी भी कुछ निकल रहा है।।
"किशन की बात सुनकर, रामो देवी, मुस्कुराती है और अपनी योनि को इस प्रकार कश्ती है जैसे कि वह किशन के लिंग से उसका वीर्य निचोड़ रही हो,, योनि का कसाव किशन को अपने लिंग पर महसूस होता है वह समझ नहीं पाता की उसकी मां की योनि इतनी टाइट क्यों हो गई थी,, और अपनी मां के शर्मीले मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर कहता है।।
किशन: ओ.. हो. मां.. यह क्या था?? एक बार फिर से करो ना..
"किशन की बात को सुनकर उसकी मां फिर से शर्म आ जाती है और उसकी बात का कोई जवाब नहीं देती,, किशन एक बार अपनी जवानी का लावा अपनी मां की योनि में छोड़ चुका था परंतु नई जवानी और इतना बलिष्ठ होने के कारण,, उसका लिंग अभी भी उतना ही अकड़ा हुआ था,, और रामो देवी, की योनि के कसाव से उससे जो आनंद प्राप्त हुआ था उससे उसकी इच्छा शक्ति और बढ़ गई थी इसलिए वह लिंग बाहर नहीं निकालना चाहता था,, और अपनी मां से फिर से कहता है।
किशन: तुम शर्म आती बहुत हो.. देखो ना अब तो तुम्हारी चूत भी मेरे लिंग का साथ दे रही है कैसे कस रही है मेरे लिंग को जैसे उसे छोड़ना ही नहीं चाहती देखो ना मां अब तो पूरा का पूरा अंदर समाया हुआ है,,
रामो: नहीं मुझे नहीं देखना अब छोड़ भी दो मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है....
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रामो देवी: आप बड़ा गंदा बोलते हो जी... अब छोड़ भी दीजिए ना मुझे देखो ना बाहर दीदी दरवाजे पर खड़ी है!!
"तभी फिर से किशन की मौसी बाहर खड़ी दरवाजे पर दरवाजे को जोर से खटखट आती है!!
मौसी: किशन बेटा ओ किशन बेटा.. दरवाजा खोलो मैं खाना लेकर आई हूं!!
""इस बार किशन के कानों में उसकी मौसी की आवाज गूंजती है तो किशन ना चाहते हुए भी अपना लिंग रामो देवी, की योनि से बाहर निकाल लेता है,, लिंग बाहर आते ही योनि से एक आवाज होती है जैसे की किसी बोतल का ढक्कन खुला हो और किशन की मां के मुंह से एक मीठी दर्द के साथ सिसकारी के मिश्रण में गूंजता है।।
रामो: हाय राम.. धीरे से जी.. जान ही निकाल दी मेरी...
किशन: जी मौसी अभी आया...
""किशन की मां पहले किशन के लिंग की ओर देखती है जो इस प्रकार भयानक लग रहा था जैसे वह कोई युद्ध में खड़ा महा योद्धा हो और उसके शरीर पर कोई वस्त्र ने हो,, लिंग बाहर निकलते ही किशन की मां को ऐसा महसूस होता है जैसे की उसकी योनि का आकार दोगुना बढ़ गया हो और उसकी योनि से किशन का वीर्य बहने लगता है जो किशन की मां देखकर दंग रह जाती है। उसे विश्वास नहीं हो रहा था की उसका बेटा एक बार में इतना वीर्य छोड़ सकता है। अपने बेटे की मर्दानगी को मन ही मन में महसूस कर गदगद हो रही थी।। उसे इस बात का, जरा भी आभास नहीं था की किसी मर्द का लिंग इस आकार का भी हो सकता है और एक स्त्री उसे अपने अंदर समा सकती है और उसके हर प्रकार के वार को जेल भी सकती है।। वह यह सोच कर की उसका बेटा संसार का सबसे उत्तम मर्द है मन ही मन खुश हो रही थी आज उसे यह आभास हो गया था कि पुरुष स्त्री को इतनी देर तक बिस्तर पर रोंध सकता है और,, और उसकी कामाग्नि को बिना अपने आप को चरम सीमा पर पहुंचाए दो बार शांत कर सकता है,, यदि उसका बेटा इतना बड़ा मर्द है तो उससे भाग्यशाली औरत इस संसार में कोई नहीं है।। और यह सोच कर शर्मा जाती है।। और अपने बेटे से कहती है।।
रामो देवी: जल्दी जाकर दरवाजा खोलिए ना.. बाहर दीदी इंतजार कर रही है,,
"किशन अपनी मां के शर्मीली चेहरे को देखकर उसके लाल सुर्ख होटों पर नजरें टिका कर एक आह भरता है और उसका लिंग झटके से खड़ा हो जाता है।। जिसे किशन अपने कपड़े से ढक्क मन ही मन,
किशन: मन में :: हाय.. क्या सुर्ख हॉट है, दिल करता है अभी इसके मुंह में दे दूं दूं..
""किशन अपने वस्त्र को सही करता है और अपनी मां की ओर देखकर मुस्कुराते हुए दरवाजे की ओर चल देता है!! जैसे ही किशन दरवाजे की ओर बढ़ता है। रामो देवी, एक चादर उठा कर अपने आप को ढक लेती है और जैसे ही बैठने की कोशिश करती है उससे अपने कमर में दर्द सा महसूस होता है।। जो उसे उसके वजूद को ढीला होने का एहसास करा ता है,, क्योंकि इससे पहले उसने कभी भी इस प्रकार अपने शरीर में हलचल महसूस नहीं की थी और न ही वह कभी दो बार चरम सीमा को पार की थी, जिसकी वजह से उससे अपना शरीर बहुत हल्का महसूस हो रहा था और जीवन में पहली बार संभोग क्रिया में उसे भरपूर आनंद की प्राप्ति हुई थी दो बार चरम सीमा को पार कर उसकी इच्छाएं सामान्य हो गई थी,, वह संभोग कला में इतना निपुण नहीं थी जितना कि उसका बेटा संभोग की पुस्तकें पढ़ कर इस क्रिया की डिग्री हासिल कर चुका था, और अबे क्या करने वाला था इसका अंदाजा भी रामो देवी को नहीं था,,
"किशन दरवाजे के पास पहुंचकर दरवाजा खोलता है तो वह देखता है कि उसकी मौसी खाने की थाली सजाकर दरवाजे के सामने खड़ी हुई है और किशन को देखकर मन मन मुस्कुरा रही थी किशन की हालत देखकर उसे विश्वास हो गया था कि किशन कितनी मेहनत अपनी मां के ऊपर करके आया है,, तभी उसकी नजर किशन के चेहरे से होकर सीने के नीचे पेट पर जाती है और पेट के निचले हिस्से पर नजर पहुंचते ही उसके दिल में एक दहशत सी फैल जाती है क्योंकि किशन का लिंग अभी भी पूर्ण रूप से तो नहीं परंतु तनाव में था जिसका आभास उसे कपड़े के ऊपर से ही हो रहा था और उसका आकार साफ दिखाई देता है जिसे देखकर किशन की मौसी के दिल की धड़कनें बढ़ जाती है।। वह तिरछी नजरों से थाली को झुककर किशन के पास रखते हुए कहती है।।
मौसी: लो बेटा खाना खा लेना भूखे मेहनत करोगे तो कमजोर पड़ जाओगे...
"इतना कहकर किशन की मौसी खाने की थाली किशन के पास रख जल्दी से वहां से चली जाती है और अपने मन में विचार करती है,।।
"हे भगवान कितना बड़ा है किशन का.. इतने भाग्यशाली है. मेरी बहन की उसे इस उम्र में इतने जवान और ताकतवर युवक का साथ मिला है!!
"मौसी के जाते ही किशन खाने की थाली लेकर दरवाजा बंद करता है और अपनी मां की ओर चल देता है अब तक किशन की मां ने अपने वस्त्र पहन लिए थे और वह एक बार फिर से अपने शरीर को पूर्ण रूप से ढक ली थी,,,
"किशन अपनी मां को देखकर फिर से जोश में आ जाता है।। और मुस्कुराता हुआ उसकी ओर, बढ़ता है तभी रामू देवी,,
रामो देवी: देखो मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं अभी जाने दो,,
"किशन अपनी मां की ओर एक बार फिर उसे अपनी बाहों में भर लेता है।और उसके सुंदर लाल हॉट देखकर उनको उंगली से महसूस कर कहता है