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Incest Bete se ummeed,,

rkv66

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Doston mein aap sab ko batana chahta hu ki Maine name change kiya hai devlopmet se krishkumar


Update:4 और उधर काली और हरिया हवेली में पहुँचते हैं. वीर सिंह हवेली में इधर उधर टहल रहा था किसी गहरी सोच मे डूबा हुआ.

काली: मालिक मालिक ये शाला रामु किशन पुर मे रघुवीर के घर जाता हैं उसे मिलने.

,, काली की बात सुनकर वीर जैसे होस मे आता है और काली से.

वीर सिंह:रघुवीर के घर वही जिसका बेटा पहलवान है. क्या बात की उससे रामु ने??

हरिया: मालिक यह तो हम नहीं जानते क्योकि हम अंदर नहीं गये थे नहीं तो रामु को पता चल जाता की हम उसका पीछा कर रहे थे..

काली: हो न हो मालिक उसने अपनी बेटी के रिश्ते की बात की होगी रघुवीर के बेटे के साथ क्योकि जब वह वाहर निकल रहा था तो बहुत खुश था हराम जादा


,, यह बात सुनकर वीर सिंह गुस्से से पागल हो जाता हैं और वह गुस्से में,,

वीर सिंह: कल की रात रामु की अंतिम रात होगी उसे और उसके साथ उसके घर को भी जलाकर राख कर देना लेकिन यह काम बहुत ही होस्यारी से करना है तुम्हे.

काली: आप चिंता न करे मालिक यह सब मुझपे छोड़ दीजिये.

वीर सिंह : लेकिन यह याद रखना की गीता मेरी जान है उसे कुछ नहीं होना चाहिए

,, वीर सिंह का आदेश पाकर काली और हरिया वहाँ से चले जाते है और रामु के घर कल की रात कैसे हमला करना है यह योजना बनाते है,,,

,, उधर गीता अब सो चुकी थी और रजनी की आँखों में नींद का कोई नाम नहीं था जैसे ही रजनी गीता की ओर देखती की उसकी बेटी अब गहरी नींद में सो रही हैं वह बहुत धीरे से चारपाई से उठती हैं और अपने सिंगार दान के पास जाती हैं

रजनी (मन में) .. थोड़ा सा सिंगार कर लेती हूँ ताकि गीता के बापू का मन पिघल जाये और वे मुझे निराश न करे,,

,,,यह सब सोचते हुए गीता सिंगार दानी से एक लाल रंग की होंठों की लाली निकल कर अपने होंठों को रंग लेती है मांग पर सिंदूर और अपनी नाक से नाक की लोंग निकालकर नाक की नाथनी पहनती है और एक छोटे से दरपंन् मे अपने आप को देखती है अपने आप को देखते ही उसे बड़ी शर्म महसूस होती हैं और वह शर्मा कर आयना नीचे रख देती है

,, इस सयम रजनी उस स्त्री के के समान थी जो अपनी कमा अग्नि को सांत करने के लिए कुछ भी कर सकती थी परंतु यह उस समय की नारी थी जब कोई भी नारी किसी दूसरे पुरुष के साथ बात करना तो दूर उसके सामने भी नहीं आती थी और आज रजनी ने पहली बार आधी रात को उठकर यह सब किया था अपने पति से सम्भोग करने के लिए,,,

,,, रजनी यह सब करने के बाद चुप चाप घर के अंदर से वाहर आती है और हाथ मे एक जलता हुआ चिराग लेकर पशु शाला की ओर बढ़ जाती है चिराग की रोशनी में उसका चेहरा उसी प्रकार दमक रहा था जिस प्रकार किसी अंधेरी गुफा में नाग की मणि चम चमा ती है धीरे धीरे धीरे से चलते हुए रजनी पशु शाला मे पहुँचती हैं. जहाँ पर रामु एक छोटी सी चारपाई पर सो रहा था और उसके थोड़ी दूरी पर दो बैल और एक भैंस बंधी हुई थी. रामु के निकट पहुँचते ही रजनी के दिल की धड़कन बढ़ने लगती है और वह उसकी चारपाई के पास चिराग लेकर बैठ जाती है.,,,,

,, रजनी रामु का कंधा पकड़कर धीरे से हिलाती है शर्मो हया के मारे रजनी का बुरा हाल था क्योकि पहली बार वह खुद रामु के पास आई थी क्योकि उसके शरीर में जल रही कमा अग्नि ने उसे बिवश् किया था.,,,

रजनी,: शरमाते हुए गीता के बापू एजी गीता के बापू सुनिये ना

,, रामु कसमसाते हुए अपनी आँखे खोलता है और,,

रामु:रजनी को देखे बिना ही,, क्या हुआ रजनी क्या बात है इतनी रात में यहाँ पर क्या कर रही हो तुम और जैसे रजनी पर उसकी नजर जाती है वह अच्छा तो यह बात है

,, वह रजनी के हाथ से चिराग लेकर एक ताख मे रख देता है और रजनी की ओर देखता है जिसके स्तन लम्बी सांस लेने की वजह से उपर नीचे हो रहे थे जिसने एक सुति बिलौच और केवल पेटीकोट पहना हुआ था और उससे कहता है,,

रामु:आओ उपर आओ रजनी.

,, और उसका हाथ पकड़कर चारपाई पर बैठा लेता है रजनी जैसे राहत की सांस लेती हैं कि अब उसे सन्ति मिल जाएगी और धीरे से चारपाई पर लेट जाती है. रामु उसके उपर झुकता हुआ उसके चेहरे के पास अपना चेहरे को लाता हैं और उसकी आँखों मे देखते हुए

रामु; क्या बात है रजनी आज इतनी बेचैन क्यों हो रही हो तुम की इतनी रात को खुद मेरे पास आ गई

,,, और उसके उभरे हुए स्तन को धीरे से दबाता है,,, रजनी के चेहरे पर दर्द के भाव आ जाते है और वह सिसकारी भरते हुए कहती है.,,,


रजनी:: सी.. सी. सी.... ऐ जी. जी.... आज मैने एक कुत्ते और कुत्तिया को यह सब करते देखा था तब से से बहुत बेचैनी हो रही हैं.

रामु: मुस्कराते हुए अच्छा तो अब तुम ये सब देखती हो और अपनी धोती खोल देता है

,, रजनी एक हाथ नीचे लेकर रामु का लिंग पकड़ लेती है और अपने निचले होंठ को दांतों से काटते हुए कहती हैं,,

रजनी: गीता के बापू वो कुत्ता उस कुत्तिया की योनी को सूंघ और चाट रहा था क्या एसा भी होता है जी...

,, रामु अब अपने कच्छा के नाड़े को खोलता है और अपना लिंग वाहर निकाल लेता है. रजनी का हाथ जैसे ही रामु के नंगे लिंग को छुता है उसके शरीर मे बिजली सी दौड़ जाती हैं और वह उसके लिंग को अपनी मुठी मे जोर से जकड़ लेती है. जिससे रामु की सिसकी निकल जाती है और वह रजनी से कहता है.,,

रामु: हाँ रजनी एसा करते है केवल जानवर ही नहीं इंसान भी एसा करते हैं मैने अपने मित्र की एक किताब में पढ़ा था जो कामशुत्र की किताब थी और एसा करने से स्त्री को बहुत चर्रंम सुख की प्राप्ति होती है

रजनी: छी.. वहाँ से तो पेशाब भी निकलता है जी गन्दा नहीं लगता क्या.

रामु: जब इंसान वासना की आग मे जलता है तो उसे कुछ भी गन्दा नहीं लगता रजनी सब कुछ अच्छा लगता है तुम करना चाहते हो क्या एसा.

,, और रामु रजनी के पेटीकोट को नीचे से पकड़कर उपर को सरकता है जिसे देख रजनी अपनी दोनों टांगों को आपस मे भीच लेती है और अपने मुह पर हाथ रखकर कहती है.,,

रजनी::छी.. नहीं जी मुझे नहीं करना एसा मुझे तो सोचकर भी घिन आती है.

रामु: रजनी एक बार करके तो देखो तुम्हे बहुत आनंद मिलेगा जिसका तुमने कभी अहसास भी नहीं किया होगा मेरा मित्र कहता है उसकी पत्नी यह करके बहुत खुश हो जाती हैं.

,, यह सब बाते सुनने के बाद रजनी के मन में भी एसा करने की जिगियासा उत्पन्न होती है मगर वह ठहरी एक साधारण नारी सर्मो हया के कारण यह सब कह नहीं पाती.

रजनी:नहीं जी मुझे बहुत शर्म आएगी

रामु: कुछ नहीं होगा तुम अपने पर खोलो

,, रामु का भी मन था यह सब करने का क्योकि उसने केवल सुना था किया कभी नहीं था वो इसलिए कि कहीं उसकी पत्नी उसके बारे मे कुछ गलत ना समझ ले और रामु रजनी के दोनों पैरो को पकड़कर खोलने लगता है,,

,, रजनी अपनी नाक से लम्बी सांसे लेती है जिसकी वजह से उसके नाक के दोनों सुर फुल पिचक रहे थे और नाक में पहनी हुई नाथनी बार बार हिल और दमक रही थी

रजनी:ऐ जी रहने दीजिये वहाँ मुझे अच्छा नहीं लगेगा जी और आप को कुछ हों ना जाये गन्दी जगह है वो

रामु: कुछ नहीं होगा तुम पर ढीले छोड़ो रजनी

, ,, और इस बार रजनी के पैर खुल जाते है. मगर वह शर्म की वजह से अपनी गर्दन दुसरी ओर घुमा लेती है और रामु को चिराग की रोशनी में जो की रामु के पीछे रखा हुआ था रजनी की योनि दिखाई देती है कामो उतेजं ना की वजह से रजनी की योनि फुलकर दोगुनी हो चुकी थी जिसे देखकर रामु का जोश और बड़ जाता हैं और वह अपनी सर को धीरे धीरे रजनी की टांगों के बीच में लता है.

, रजनी दिल जोरों से धड़क रहा था यह सोचकर कि उसे कैसा लगेगा जब उसका पति उसकी योनी मे अपना मुह लगायेगा इस अहसास से उसकी सांसे और भी तेजी से चल रही थी. और जैसे ही रामु उसकी योनि को सुंगता हुआ अपनी जीभ योनि में लगाता है. रजनी का शरीर कांप जाता है और वह.. तेजी से उछल पड़ती है और उसके मुह से,,,

रजनी: ई ई ई ए जी जी.......रहने दीजिये आप मुझसे नहीं होगा जी.. ये सब.. आप मेरे उपर आ जाओ जी....

,,, मगर रामु ने जैसे मन बना लिया था कि वह आज रजनी की योनि का काम रस पीके ही रहेगा और फिर से रजनी की दोनों जांघों को जड़ से पकड़ता है और फिर से अपनी जीभ रजनी की योनि मे लगाता है रामु इस प्रकार रजनी की टांगों को जकड़े हुए था की रजनी हिल नहीं पाती और अपने वेबस समझ कर अपना शरीर ढीला छोड़ देती है और जैसे ही योनि को चाटना सुरु करता है उसे अपने मुह में तिखा और नमका सा पानी जाता महसूस होता है. जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती हैं.,,

रजनी: गीता के बापू मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जी.. चाट लीजिए इसे मुझे नहीं पता था की इसे चाटने से इतना सुकून मिलता है जी...

,,, कुछ देर योनि को चाटने के बाद रामु जैसे ही योनि के अंदर अपनी जीभ डालता है,, तो रजनी अपने शरीर पर एक कमान की तरह कर लेती है और रामु के सैर को अपनी योनि पैर दबाते हुए,,,

रजनी: आई.. हाए.. ए जी.. गीता के बापू कहीं मै मर न जाऊ जी... छोड़ दीजिये अब मेरे उपर अजाइये ना जी.....

,,, रामु को रजनी की योनि में जीभ डालकर अहसास होता है कि उसकी योनि कितनी दहक रही हैं . वह मन में सोचता है कि कहीं उसकी योनि की गर्मी से उसका मुह पिघल न जाए और वह अपना मुह योनि से हटाकर रजनी की ओर देखता है. रजनी जिसका चेहरा उत्तेजना की वजह से लाल हो चुका था. अपना मुह दोनों हाथ से छुपा लेती है. रामु धीरे से रजनी के चेहरे से उसके हाथ हटाता है और उसकी आँखों में देखते हुए कहता है.


रामु: कैसा लगा तुम्हे मजा आया कि नहीं.

, , , रजनी अपनी दोनों टांगों को रामु की कमर में लपेट देती है और उसके लिंग को अपने हाथ से पकड़ते हुए कहती है,,

रजनी;: बहुत अच्छा लगा जी.. और आपको

रामु:मुझे भी अच्छा लगा
,, रजनी रामु की आँखों में देखते हुए उसका लिंग पकड़कर अपनी योनि की ओर खिचती है. जिसे देख रामु समझ जाता है की रजनी अब क्या चाहती है. और वह रजनी की दहकती हुई योनि पे अपना लिंग लगता है. और एक जोर से धक्का लगाता है जिससे उसका आधे से ज्यादा लिंग रजनी की पानी छोड़ती हुई योनि मे घुस जाता है..


रजनी: हाई री मैय्या.. मर गई मै.. धीरे से जी....

,, रामु रजनी के चेहरे की ओर देखता है. और फिर एक तेज धक्का लगा देता है इस बार रजनी जोर से चिल्लाती है,,

रजनी:: धीरे जी...... मर गई माँ री..... जान निकाल दोगे क्या जी....

, रजनी दर्द की वजह से अपने दांतों को भीच लेती है और अपने शरीर से रामु को जकड़ लेती है ताकि रामु और धक्का न लगा सके रामु रजनी की ओर देखता है रजनी अपनी आँखों को बंद किये हुए थी,,, रामु रजनी के कान के पास आकर धीरे से उसके कान में कहता है ,,रामु: ढीला छोड़ो रजनी अब दर्द नहीं होगा

रजनी::धीरे धीरे करना जी... तेजी से दर्द होता है.

,, रजनी अपने शरीर को ढीला छोड़ देती है और रामु धीरे धीरे धक्के लगाने लगता है. कुछ देर धक्के लगाने के बाद रामु रजनी से कहता है,,

रामु: क्या बात है रजनी आज तुम्हारी योनि से बड़ी आग निकल रही है

, , यह बात सुनकर रजनी शर्मा जाती हैं और वह धत्त.. आप भी ना कुछ देर के बाद रजनी को भी मजा आने लगता है और वह चरम सुख की सीमा पर आते हुए कहती है,,,

रजनी::हाँ जी.. आज बहुत परेसान कर रही थी ये मुझे बहुत खुजली हो रही थी इसमें ऐ जी जी.... अब कीजिए तेज़ तेज मिटा दीजिये जी इसकी खुजली जी...

,, रामु भी अब स्खलित होने बला था और वह रजनी की बात सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगता है,,, रजनी:ऐ जी जी ऐ जी.... मै गई जी.. हाय रे मर गई माँ मेरी..

,,, रजनी की योनि अपना गर्म पानी छोड़ देती है और रजनी बेजान सी अपने हाथ पर ढीले छोड़ देती है,,,

रामु: तेज तेज धक्के लगाते हुए हाँफने लगता है और उसकी सांसे फुल जाती है. रजनी..... ओ रजनी.. मै गया.... रजनी

, रामु रजनी के उपर गिर जाता है और दोनों को कब नींद आती है पता ही चलता और सुबह चिडियो के चेहकने से रजनी की आँख खुलती है,,


,, रजनी जल्दी से उठती है कि कहीं गीता उसके पहले न उठ जाए और फिर रामु को उठती है. रामु को उठाने के बाद रजनी घर के अंदर चली जाती है.,,

, और इस प्रकार रात बीत जाती है और एक नई सुबह होती है आज रामु को अपनी बेटी की कुंडली लेकर पंडित जी के पास जाना है. और वह पशुओ को चारा डालने के बाद नहाने चला जाता है और उसके बाद तय्यार होकर रजनी को आबाज लगता है.

रामु:रजनी ओ रजनी कहाँ हो मैं पंडित जी के पास जा रहा हूँ

रजनी:: जी आई रुको मै आती हूँ ये लो ये छाछ पी लो और ये गुड़ खा लो.

,, रजनी के पीछे गीता भी बाहर आती है.
मस्त और कमुक्तापूर्ण अपडेट
 
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rkv66

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,,,, किशन ने आज तक हस्तमैथुन नहीं किया था।। किसी औरत के नरम नरम हाथो का स्पर्श अपने लिंग पर उसे,,,,, बहुत ही अच्छा लग रहा था,, आज पहली बार किसी ने उसके,,, लिंग को छुआ था,,,

,,, तारावती जैसे ही उसके नग्न लिंग को छूती है।। तो उसे ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे उसने किसी पहवान की कलाइ पकड़ लिया हो,,, और वह उसे आगे से पकड़ कर उसके अंत तक पहुँचने की कोशिश करती है,,,, कुछ देर अपना हाथ पीछे ले जाने के बाद भी उसकी माप नहीं कर पाती और उसके मन में,,,,


,,,, हे भगवान लिंग है या खुटा,,,,, और उसके मन में विचार किया की क्यो ना इस मोटे लिंग का भी मजा लिया जाए,,,,,,

,,,,, किशन बेटा तेरा इतना मोटा और इतना लम्बा कैसे है इसकी भी कसरत करता है क्या,,,,,,,, और समय ना गाबाते हुए उसके कान मे कहती है,,,,

,,,,, बेटा इसे बाहर निकाल ले,,,,, हवा लगने दे,,,,,,

,,,, जी काकी,,,,,, और किशन जैसे ही अपने पाजामे का नाड़ा खोल अपना लिंग बाहर निकता है,,,, तारावती के होश उड़ जाते हैं,,, किशन का लिंग ऐसा प्रतीत होता है जैसे जंगल में कोई किंग कोबरा नाग गुस्से में फैंन उठाए खड़ा हो,,,, उसके लिंग की लम्बाई 9 इंच और मोटाई 3.5 थी जिसे देख तारावती दंग रह जाती है,,, उसने अपनी पूरे जीवन काल में इतना मोटा और इतना लम्बा लिंग आज तक नहीं देखा था,,,,

,,,, किशन की माँ रामो देवी यह सब देख तो नहीं पा रही थी क्योकि किशन की पीठ,,, उसके तरफ था,,,, मगर उन दोनों की बातें उसके कानों में साफ सुनाई दे रही थी,,,,और तारावती पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था,,,,,

,,,, रामो देवी,,,, यह रंडी तो मेरे बेटे को बिगाड़ रही है,,, कैसी छिनाल है,, बेटे समान लड़के के साथ,, छि छि,,,,,

,,,, रामो देवी से अब बर्दास्त नहीँ हो रहा था और,,,, वह अपनी साड़ी का पल्लू अपने सर से उतार कर,, अपनी कमर में डाल कर साड़ी और पेटिकोट के नाड़े मे घुसा लेती है,,,, और गुस्से में अंदर घुस जाती है,,,


,,,,, तारावती छिनाल,,,,,, ल,, ल,, तो तु मेरे बेटे को ये सीखा रही है,,,,,

,,,, उसकी आबाज सुनकर किशन और तारावती हदबड़ाते हुए एक दूसरे से अलग हो जाते हैं,,,


,,, और इस हड़बड़ा हट मे किशन जैसे ही घूमता हुआ,, अपनी माँ को देखता है,, तो उसका लिंग उसकी माँ के नजरों के सामने आ जाता है,,,,,,


,,, रामो देवी की नज़र जैसे ही किशन के लिंग पर जाती है,,, तो बो अपनी नजरे तारावती की ओर घुमा लेती है,,,,, और गुस्से में तारावती की गर्दन दबोच लेती है,,,, बोल हराम जादी मेरा ही बेटा मिला है तुझे यह सब करने के लिए,,,, बोल रंडी,,,,,,

,,,, किशन जैसे ही देखता है कि उसकी माँ बहुत गुस्से में है,,, तो अपनी नजरे नीचे कर लेता है,,, नीचे देखने के साथ उसे पता चलता है कि उसका पैजामा गिरा हुआ है,,,, और उसका फनफ़नात लिंग डर की बजह से,,,, सिकुड़ गया था,,,, वह अपने पजामे को जल्द ही उपर कर बांध लेता है,,,,

,,,,,, रामो देवी बोल छिनाल बोलती क्यो नही है,,,,,

,,, तारावती,,,, मुझसे क्या पूछती है अपने बेटे को पूछो,,,, ये ही आया था मेरे पास,,,, अपने दोस्त को लेकर,,,,,,


,,,, रामो देवी यह सुनते ही किशन की ओर गुस्से में देखती है,,,, और उसके पास आ जाती है,,,,, और किशन जो की अपनी नजरे झुकाए खड़ा था,,,, रामो देवी उसे कुछ कहती नहीं और उसके गाल पर थप्पड की बारिश कर देती है,,,,


,,,, नालायक बेशर्म,,, ये संस्कार दिए थे हमने तुझे,,, तु पैदा होते हि मर् क्यू नही गया,,,,

,,, रामो देवी रोते हुए किशन को मार रही थी और किशन के दोनो गाल लाल हो चुके थे,,, किशन चुप चाप मार खाए जा रहा था और कुछ भी सब्द उसके पास नहीं थे अपनी माँ को कहने के लिए,,,,,,

,,, चला जा यहाँ से और आज के बाद मुझे अपनी सुरत् मत दिखाना,,,, जा मर जा कहीं जाकर,,,, चला जा,,,,,, दुर् हो जा मेरी नज़रो से..........


,,,,, किशन चुप चाप वहाँ से चला जाता है,,, और रामो देवी एक बार नज़र घुमाकर तारावती की ओर देखती है,,, बाहर जाने लगती है,,, जैसे ही रामो देवी चलती है,,,,


,,,, रामो देवी इसमें तेरे बेटे का कोई दोष नहीं है,, उसकी उम्र ही ऐसी है कि ये सब लाजमी है,,,


,,, तरवती की बात सुन् रामो देवी के कदम रुक जाते है और बह तारावती की और नज़र घुमाती है,,, रामो देवी गुस्से में,,,,,


,,, तु चुप कर रंडि,,,,,


,,, ये बात सुन् तारावती को भी अब गुस्सा आता है और बह गुस्से में,,,


,,,, अरे जा,,, रोक सकती है तो रोक ले अपने बेटे को,,,, लेकिन याद रखना उसके शरीर में अब कामवासना,,, की आग भड़क चुकी है,,,, और जब ये आग लग जाती है ना,,, तो उसे केवल एक औरत हि शांत कर सकती है,,,, अरे देवी देवता भी इसे अपने बश् मे नहीं कर सके,,, फिर तेरा बेटा तो एक इंसान हैं,,,, और उसकी इस कामा अग्नि को केवल एक औरत ही सांत् कर सकती है,,,, एक माँ कभी नहीं,,,



,, बोल तु या तेरे ये उसे दिए गए संस्कार कर सकते हैं उसे संतुष्ट,,,, ये केवल मैं कर सकती हूँ रामो,,,,, और तु यह जानती है,,,,, तूने अपने जबान बेटे पर हाथ उठाकर अच्छा नहीं किया,,, पछताए गी तू,, देखना,,,,



,,,,, रामो देवी,, उसकी बात सुनकर कोई जबाब नहीं देती और गुस्से में अपने दांत पिसते हुए अपने हाथो की मुठ्ठी बाँध लेती है और बाहर चली जाती है,,,,,




,,,, रामो देवी घर पहुँचती है और और सोचती है कि क्या तारावती सही कह रही थी,,, कहीं उसका बेटा उसे छोड़कर ना चला जाए और अभी तक घर नहीं आया उसके बापू तो सायद अपने दोस्त के घर रुक गए होंगे,,,,,, हे भगबान अब मै क्या करू,,,, नही,, नही मुझे अपने बेटे से माफ़ी मांगनी होगी,,,,



,,, दूसरी तरफ वीर सिंह गुस्से में रामु के घर पहुँचता है,,,, और गुस्से में रामु के घर के बाहर खड़ा होकर चिल्लाता है,,, रामु हरामी तुझे मै दो दिन का समय देता हूँ,, अगर तूने अपनी बेटी मुझे नहीं सौपी तो,,, मै तुझे और तेरे घर को जलाकर राख कर दूँगा,,,,,,,, रामु हरामी,,,,, सुन ले,,,,,



,,,, रामु ये सब कुछ सुन रहा था और बह डर की बजह से घर के बाहर नहीं आता है,,,, रामु की बेटी और उसकी पत्नी भी वीर सिंह की धमकी सुनकर डर जाते हैं,,,,


,,,, रजनी रामु की पत्नी दर कर रामु से कहती,,,,

,,, गीता के बापू अब क्या होगा??????,,,, ये वीर सिंह तो हमारी बेटी के पीछे ही पड़ा है,,,,,



,,,,, गीता जो डर की बजह से कुछ नहीं बोल रही थी और बह अपनी माँ की बाहों मे सीमत जाती है,,,,


,,, रामु तुम डरो नहीं रजनी,,, मै सुबह पंचायत में जाकर इसकी सिकायत करूँगा,, इसका कुछ ना कुछ हल तो निकल हि जाएगा,,,


,,, वीर सिंह कुछ देर चिल्लाने के बाद बहा से चला जाता है,,,,


,,, आधी रात हो चुकी थी और रामो देवी की आँखों में नींद का नामो निशान नहींं था उसकी आँखे दरबाजे पर टीकी हुई,, सायद इस आस में की उसका बेटा आएगा,,,


,,,, लेकिन किशन का कहीं कोई पता नहीं था और रामो देवी पूरी रात जागते हुए गुजार देती है,,,,


,,,,,
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,,,, सुबह की पहली किरण के साथ चिड़ियों के चहकने की आबाज होती है,,,, और अभी गाँव के लोग अपने अपने खेतों की ओर चल देते हैं,,,,,,


,,,,, एक घने जंगलों में दूर ना जाने क्यू बादलों मे चीलो और कोबो का एक झुंड बहुत तेज आबाज के साथ,,, मंडरा रहा था,,, और कुछ कुत्तो के भोकने की भी आबाज आ रही थी,,,,, जंगल में काम करने वाले किशानो की नज़र जब उन पर जाती है तो,,,,

,,,, एक किशान अरे ये चील्,, और कोए क्या है बहा,,,, सभी खेतों में काम कर रहे किशान उस ओर चल देते हैं,,, जैसे ही वहाँ पहुँचते हैं,, तो देखते हैं की तीन लोगो की लाश एक गहरे गधे मे पड़ी हुई है,,,


,,,, एक व्यक्ति उनमें,,, अरे ये तो अपने रघुवीर काका है,,,,


,,, हाँ भाई लग तो ऐसे ही रहे हैं,,,,, चलो निकालते है उन्हे,,,, सभी किशान एक दूसरे की मदत से उन तीनो की लाश को निकाल लेते हैं और,,,, काली और हरियां की लाश को देखकर पहचान करते हैं,,,,,


,,,,,, उन सभी किशानो मे से एक लड़का बहुत तेज गति से भागता हुआ गाँव की ओर जाता है,,,,

,,,, और इधर रामो देवी जो की नींद की झपकी लेते हुए दरबाजे से उठ कर घर के अंदर जाती है और घर में झाड़ू लगती है,,,,


,,,,, की एक लड़का बहुत तेज गति से भागता हुआ घर के अंदर आता है,,,,, उसकी साँसे दोगुना गति से चल रही थी,,,,,


,,,,, लड़का,,,, काकी,,, काकी,,,,, बो रघुवीर काका को,,,,,,

,,,, काका को क्या,,,, बेटा,,,,, बोल ना क्या हुआ तेरे काका को,,,,,,


,,,,,, काकी बो रघुवीर काका की किसी ने हत्त्या कर दी है,,,, और उनकी लाश पुराने बर्गद् के पेड़ के पास एक खाई मे पड़ी है,,,,,,


,,,,, रामो देवी यह सुनते ही दंग रह जाती है और उसके हाथो से झाड़ू नीचे गिर जाती है,,,, और वह अपना सर पकड़ते हुए नीचे गिर जाती है,,,,,,

,,, हे भगवान तूने ये क्या किया,,,, मै तो बर्बाद हो गई,,,, भगवान,,,, रामो देवी अपना सर पकड़ते हुए रोने लगती है,,,,,,


,,,, तभी ये खबर आस पास के सभी गाँव में हवा की तरह फैल जाती है,,,


,,,, कुछ देर बाद सभी गाँव वाले रघुवीर,, और काली हारिया की लाश को उठाकर गाँव में ले आते हैं,,,, खूंन मे लाल हो चुकी रघुवीर की लाश को उठाकर उसके घर लाया जाता है,,,, और सभी गाँव के लोग आस पास के सभी पंचायत को बुलाने का निर्णय लेते हैं,,,,,


,,,, रघुवीर की लाश को उसके घर लाया जाता है,, रामो देवी अभी भी सर पकड़ते हुए रो रही थी और जैसे ही रघुवीर की लाश उसके सामने आती है,,,, रामो देवी उसे देखते ही बेहोश होकर नीचे गिर जाती है,,,,



,,,,, सभी गाँव बालो ने शाम को पंचायत बुलाने का निर्णय लिया था,,, और उसके पहले सभी गाँव वाले रघुवीर के शरीर का अन्तिम संस्कार करने की तय्यारी में लग जाते हैं,,,


,,,,,, रामो देवी को उठाकर एक चारपाई पर लेटाया जाता है,,,, वह अभी भी बेहोश थी,,,, और उधर किसी,,, से खबर मिलते ही किशन भागता हुआ अपने घर आता है,,,,,,,,


,,,,, किशन अपने बापू की लाश देखकर उसके सीने पर गिर जाता है और रोते हुए,,,,, बापू तेरी कसम खा कर कहता हूँ जिसने भी तुम्हारा ये हाल किया है मै उसे जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,, और तेज तेज रोने लगता है,,,,


,,,,, कुछ देर में रामो देवी होश में आती है और अपने बेटे किशन पर उसकी नजर जाति है,,, किशन को देखकर रामो देवी को थोड़ा सा सुकूंन मिलता है और अब उसकी नजरे केवल किशन पर ही टीकी हुई थी,,,,




,,,,, किशन अपने माँ से बहुत नाराज् था और उसे अपनी माँ के द्वारा किया गया अपमान बहुत खल् रहा था जिसकी वजह से उसने अपनी माँ के प्रति अपने मन में नफ़रत भर ली थी,,,,, वह रामो देवी को देखना भी नहीं चाहता था,,,,,,


,,,,, किशन की आखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे अपने मरे हुए बापू की सूरत देखकर उसे बचपन से लेकर जबानी तक के सारे दिन याद आ रहे थे,,,,, कैसे उसके बापू ने उसे बचपन से लेकर आज तक पाला है और खुद भूखा रहकर उसे बादम् मेवे खिलाकर एक पहलवान बनाया है,,,, और आज उसके इतना शक्तिशालि होने के बाद भी उसके बापू की सूरत खून में रंगी हुई उसके नज़रो के सामने पड़ी है और वह कुछ नहीं कर सका अपने बापू के लिए।।

,,,,, किशन धिक्कार है मेरी जिंदगी पर धिक्कार है,, मेरे पहलवान होने पर जो मैं अपने बापू के लिए कुछ नहीं कर सका,,,, मगर तेरे इस खून की कसम बापू तेरी इस हत्तिया का बदला मै उस पापी के खून से लूँगा जिसने तेरा ये हाल किया है,,,,,,

,,,, रघुवीर की अर्थी तयार हो गया था और अब सभी गाँव बाले गंगा मैय्या की जय जय कार करते हुए अर्थी उठाते हैं,,, तभी रामु रोता हुआ वहाँ आता है और,, किशन को गले लगाकर रोते हुए कहता है कि रघुवीर का हत्यारे वीर सिंह है,,,, और रामु सभी गाँव बालों को गीता के प्रति वीर सिंह के नीच विचारों के बारे में बता देता है,,, सभी गाँव बालों को अब ये यकीन हो गया था कि रघुवीर की हत्तिया वीर सिंह ने ही की है,,,,


,,,, रामु की बात सुनकर किशन को बहुत गुस्सा आता है और वह अपने आप पर काबू नहीं कर पता किशन गुस्से में घर के अंदर जाता है और एक बड़ी सी कुलाहदी लेकर बाहर आता है,,,,



,,,,,,, मै उस जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,,,, और चिल्लाते हुए बाहर जाने ही बाला था कि रामो देवी भागती हुई आती है और किशन का हाथ पकड़ लेती है,,,,,,

,,,,,, नही बेटा रुक जा,,,,, मै तुझे नहीं जाने दूँगी,,,,,, अगर तुझे कुछ हुआ तो मै किसके सहारे जिउँगी मेरे लाल,,,,

,,,, हट जाओ माँ,,,, मेरे रास्ते से और आप को मेरे जीने या मरने से क्या फर्क पड़ता है,,,,,,


,,,, नही मेरे लाल ऐसा नहीं बोलते,,, विधवा तो मै हो ही चुकी हूँ,,, अब मुझे बेसहारा न बना,,,,,


,,, किशन,,,, अपनी माँ के हाथ को अपने कंधे से हटा देता है और अपनी गर्दन दूसरी ओर घूमा लेता है,,, अपने बेटे की अपने प्रति इतनी नफरत देख रामो देवी का दिल टूट गया था और बस असूं बहाये जा रही थी,,,,

,,, पास हि मे खड़ा रामु उन दोनों की बातें सून रहा था रामो देवी को रोता हुआ देख रामु,,, किशन बेटा यह समय होश गवाने का नहीं है,,, तुम्हे अपने बापू का अन्तिम संस्कार करना है और इस समय यही तुम्हारा करत्व है,,,

,,,,, रामु की बातें सुनकर किशन अपने बापू की लाश को देखने लगता है और फिर अपनी माँ को गुस्से से देखते हुए हाथ में पकड़ी कुल्हाड़ी को फेक देता है,,,

,,,, और रामु की ओर देखते हुए,,, मगर रामु काका मैं वीर सिंह को छोडूंगा नहीं,,,,, और अपने बापू की अर्थी को कंधा देते हुए चलने लगता है,,, सभी लोग गंगा मैय्या की जय जय कार करते हुए रघुवीर के शव को ले जाते हैं,,,,

,,,, रामो देवी चुप चाप खड़ी आँखों में आँसू लिए बस किशन को ही देख रही थी और कुछ देर बाद किशन उसकी नज़रो से ओझल हो जाता है,,,,,,


,,, सभी गाँव वाले रघुवीर के शव को लेकर गंगा घाट पर आ जाते हैं और उसके दह्ह् संस्कार की तय्यारी करते हैं,,,,,,,

,,, दूसरी तरफ गाँव की सभी औरते रघुवीर के घर पर,,,, रामो देवी के सभी सिंगार उतारने लगती है,,,,
Nice storyline
 
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,,,,, रामो देवी को पकड़कर कुछ औरत घर के अंदर ले जाती है,,, और एक बड़ी सी चौकी पर बैठाकर सबसे पहले उसके हाथों में पहनी लाल लाल चूड़ियों को तोड़ दिया जाता है,,,,, रामो देवी बेजान पुतले की तरह खड़ी होती है,,


,,,, और फिर एक औरत रामो देवी की साडी निकलती है,,, यह सब होते हुए पास मे खड़ी रामो की शहेली केलो और उसकी दुश्मन तरावती बड़े ही गौर से देख रही थी,,,, और जैसे ही रामो देवी के सर से सड़ी धीरे धीरे खिसकती हुए उसके वक्षों से नीचे गिरती है,,, केलो और तरावती की आँखों में चमक आ जाती है,,,




,,,, सभी की नज़र रामो देवी के ब्लाउच् मे कैसी हुई उसकी स्तनो पर जाती है जो इस प्रकार उभरे हुए थे जैसे दो नुलीले पहाड़ो की चोटी,,, के बीच में एक गहरी खाई उसके गद्राये बदन को देखकर सभी की आँखो में चमक आ जाती है,,,,


,,,, कैसे लम्बी और गद्राई बदन की हैं लगता है रघुवीर इसे सही से निचोड़ नहीं पाया अब इसकी इस जवानी का क्या होगा,,, (तरावती अपने मन में विचार करती है),,,,,, रामो देवी की सुंदरता देख न जाने क्यू तरावती को ईर्षा हो रही थी,,,


,,,,,,, केलॉ देवी मन में,,,,, ऐसा लगता है जैसे अभी जवानी चढ़ी है इसपे इतनी मोटी और तनी हुई छाती तो मेरी जवानी में भी नहीं थी,,,, क्या रघुवीर ने इसकी,,, छातियों का रस् नही पिया जो इतनी भरी हुई है,,,,,


,,,, फिर एक औरत रामो देवी के बाल खोल देती है पेटीकोट और बिलौच मे खड़ी रामो देवी के सर से पानी गिराते है,,, सर से पानी गिराते ही माँग मे भरा हुआ अपने पति के नाम का सिंदूर बह जाता है,,,


,,,,, और उभरी हुए स्त्नो से गिरता हुआ पानी ऐसा लगता है जैसे किसी पहाड़ी से बहता हुआ झरना,,,,


,,,, रामो देवी के सभी आभूषण धीरे धीरे निकाल लिए जाते हैं और फिर उसे एक सफेद साड़ी पहनाकर घर के बीच में एक जलते हुए चिराग के सामने बैठा दिया जाता है,,,,,,,

,,,, और अब किशन अपने बापू की अस्थियो को गंगा मे विश्र्जीत कर सभी गाँव वालो के साथ घर बापिस लौट आया था,,,,

,,, दोपहर का समय हो चुका था और शाम को एक महापंचायत होने वाली थी,,,,, लेकिन किशन और उसकी माँ रामो देवी ने सुबह से कुछ भी नहीं खाया था,,,


,,, किशन के घर में सभी गाँव की औरते रामो देवी के चारों ओर मौंन धारण किए हूए बैठी थी,,,


,,,, सभी गाँव के लोग रघुवीर के घर बापिस लौट आये थे किशन अपने बापू की यादों में खोया हुआ चुप चाप सभी गाँव वालो के पीछे पीछे चल रहा था,,,

,,,, सभी गाँव वाले और सभी औरते शांति की मुंद्रा मे खड़े होकर कुछ शर्ण का मोंन् धारण करते हैं,, किशन सभी गाँव वालो के पीछे खड़ा हुआ चुप चाप अपने बापू को याद कर आँसू बहा रहा था,,


,,, मौंन धारण पूरा होने के बाद सभी गाँव वाले पंचायत का नीयोता देने के लिए सभी अलग अलग गाँव में चले जाते है,,,,


,,,,, रामू किशन से,,,,,,, किशन अब इस घर की जिम्मेदारी तुम्हारे कंधों पर है बेटा,,,

किशन: जी रामु काका,,,,,


,,,, तभी तरावती,, किशन के कंधे पर हाथ रखकर और रामो देवी की जिम्मेदारी भी तुम्ही को लेनी है बेटा,,,

,,,, अपनी माँ का नाम सुनते ही किशन गुस्से में अपनी माँ को देखता है मगर सभी गाँव की औरतो के बीच में बैठी उसकी माँ उसे दिखाई नहीं देती है,,,, और बह तरावती को कोई जबाब न देकर गुस्से में अपने हाथ की मुठ्ठी बाँध लेता है,,,,

,,, किशन को पंचायत में आने के लिए कहकर सभी गाँव वाले अपने अपने घर बापिस लौट आये थे और केलो देवी किशन और रामो देवी के लिए खाना बनाने मे लग जाती है,,,,,

,,, गाँव बालों के जाते ही किशन की नज़र अपनी माँ पर जाती है,,, अपनी माँ को देखते ही किशन को जैसे दिल में धक्का सा लगता है,,,


,,, एक जालिदार सफेद साड़ी में लिपटी उसके माँ के माथे पर ना ही बिंदी थी ना मांग मे सिंदूर होठों की लाली तो कब की उड़ चुकी थी कानों में बस छोटी सी बाली थी नाक में पहनी हुई लोग भी नहीं थी,,,,,


,,,, अपनी माँ को इस रूप में देखकर किशन का दिल दहल् जाता है और वह अपना सारा गुस्सा एक पल् मे भूल जाता है,,,, अरे किसकी माँ अपने बेटे को नहीं मारती अगर उसका बेटा कोई नीच हरकर करे तो,,, गलती मेरी ही थी और मैं ही उल्टा माँ से नाराज होकर चला गया,,,,, कितनी सुन्दर लगती थी मेरी माँ और आज इस रूप में,,,, वीर सिंह कुत्ते मैंने भी तेरे शरीर के टुकडे टुकड़े करके चील कोवौं को नहीं खिलाया तो मै भी रघुवीर की औलाद नहीं मेरी माँ की इस हालत का जिम्मेदार तु ही है हरामी,,,,

,,, रामो देवी किसी सदमे में चुप चाप बुद्ध बनी बैठी हुई थी,,,, किशन अपनी माँ के पास आकर बैठ जाता है,,,


,,, किशन,,, माँ,,, माँ,,, ओ माँ,,,


,,, रामो देवी,,, के तो जैसे कानों में आबाज ही नहीं जाती और वह किशन की बात का कोई जबाब नहीं देती,,,,

,,,, किशन इस बार अपनी माँ के कंधे पर हाथ रखकर उसे हिलता है,,,,

,,, किशन,,, माँ...... ओ माँ...... उठो माँ अंदर चलो,,,,,


,,, किशन के इस प्रकार काँधे हिलाने से रामो देवी जैसे किसी सपन से जागती है,,,, और एक नज़र अपने बेटे पर डालती है,, किशन भी अपनी माँ की आँखों में ही देख रहा था,,,, माँ के होश में आते ही,,,


,,,, किशन,,, मुझे माफ कर दे माँ मैने तुम्हे गलत समझा और तुम पर गुस्सा भी किया मुझे माफ कर दे,,,, और अपनी माँ के सामने घुटनों के बल् हाथ जोड़कर रोने लगता है,,,,

,,, अपने बेटे को इस प्रकार हाथ जोड़कर रोता देख रामो देवी का दिल कांप जाता है,,,, और वह रोते हुए किशन को गले लगा लेती है,,,,

,,,,, नही मेरे बच्चे तु मुझसे माफ़ी ना मांग मैने तुझे मारा माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिए,,,, तुझे दर्द दिया मैने,,,


,,,,, किशन नहीं माँ गलती मेरी थी,,, और मुझे उसकी सजा मिल गया,,,,

,,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी उसकी बाहों में और सिमत जाती है,,,, जैसे कोई बच्चा दूध पीने के लिए अपनी माँ की गोद में सिमत् जाता है,,,,,,

,,,, रामो देवी के इस प्रकार चिपकने से किशन को अपनी छाती पर कुछ चुभता हुआ मेहसूस होता है,,, जो की दो गेंद् की तरह हो और उन गेंदों मे डो गोली चिपका दी गई हो,,,,


,,,,, किशन को जैसे ही महसूस किया की यह क्या है,,, उसने अपनी नजरे निची कर देखना चाहा किशन ने देखा की उसकी माँ के दोनों ठोस वक्ष उसकी छाती मे धसे हूए है,, और जिसकी वह चुभन मेहसूस कर रहा था बो बड़े मोती जैसे उनके तूंने थे,,,, उन दोनों के बीच में गहरी घाटी,,,,,

,,,, यह देख किशन के उपर ना चाहते हुए भी काम वासना ने अपना प्रहार महाप्रलय के रूप में किशन पर किया और उसका नतीजा यह हुआ की किशन का लिंग उसके पाजामे मे अकड़ने लगा,,,,

,,,,, किशन के मन में न जाने क्यू पुस्तक में देखी गई नग्न स्त्रि का चित्र आ गया और वह सोचने लगा की क्या उसकी माँ के भी,,,,


,,, नहीं,,, नहीं, छी.... छी, छी.... ये मैं क्या आखिर उस पुस्तक को मैं क्यों नहीं भूल पा रहा हूँ,,,,,

,,,, रामो देवी को तो जैसे अपने बेटे की बाहों मे बड़ा ही सुकूंन मिल रहा था उसे तो ऐसा लगता है जैसे किशन कई बर्षो के बाद लौटा है,,,,,


,,,,,,
Hunh
 
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,,,,,, किशन अपनी माँ को गोद में से पीछे कर,,,, चलो माँ अन्दर जाकर चारपाई पर लेटना,,, मै तब तक तुम्हारे लिए केलो काकी के घर से खाना लाता हूँ,,, और अपनी माँ को गोद से दूर कर खड़ा हो जाता है,,,,


,, रामो देवी मुझे भूख नहीं है बेटा तु खा लेना,,,,

,,,, माँ क्या तुम सिर्फ बापू के लिए ही जी रही थी और


,,,, मै कुछ नहीं तुम्हारे लिए,,,,,

,,, नही मेरे लाल ऐसा नहीं कहते अब तु ही मेरा सहारा है,,, जा तु खाना ले कर आ मैं खा लुंगी थोड़ा,,,,, सा,,,,

,,,,, और इन पशुओं को भी चारा डाल दे सुबह से भूके है,,,,

,,, अपनी माँ की बात सुनकर किशन पशुओं की ओर देखता है,,, और रामो देवी खड़ी हो जाती है,,, रात भर जागने और कुछ न खाने की बजह से उसे खड़े होते ही चक्कर आने लगते हैं,,, उसका शरीर बेजान होकर गिरने ही बाला था, तभी किशन उसे अपनी मजबूत बाजुओ मे थाम लेता है,,,,

,,, रामो देवी एक भरे हुए और बजनी शरीर की औरत थी,,,,, उसके गद्राये हुए शरीर को संभलने की शक्ति हर किसी मे नहीं थी,, मगर जिसने दंगल में 200, किलो के पहलवान को उठाकर पटक दिया हो उसके लिए तो वह एक फूल के समान ही थी,,,,

,,,,, किशन अपनी माँ को अपनी मजबूत बाजुओ मे उठा लेता है,,, जिसकी वजह से उसके दोनों वक्षो से जालीदार सफेद साड़ी उतर जाती है,,, और न चाहते हुए भी किशन की नज़र अपनी माँ के नुकीले और पहाड के समान उठे हुए वक्षों पर चली जाती है,,,



,,,, रामो देवी के खुले हुए काले और घने बाल इस प्रकार लटके हुए थे,, जैसे किसी तार पर किसी ने कोई काली रंग की साड़ी डाल दि हँ और वह धरती पर लगती हुई हवा में हिल् रही हो,,,,,


,,, किशन कुछ देर अपनी माँ के बक्षो को देखता है और उसके मन में गलत विचार आते ही वह अपनी नजरे वहाँ से हटाकर तुरंत अपनी माँ के मासूम से चेहरे की ओर देखने लगता है,, और अपनी माँ के चेहरे पर नज़र टिकाए उसे गोद में लिए घर के अंदर जाने लगता है,,, रामो देवी के मासूम चेहरे को देख किशन,,,, कितनी सुंदर लगती थी मेरी माँ जब उसके शरीर पर सिंगार के सारे आभूषण होते थे,, और आज एक भी नहीं,,,,,,,


,,,,, और किशन अपने दांत को पिसते हुए वीर सिंह जब तक तेरा खून ना पी लू मुझे चन् नही मिलेगा तुझे तो मै बो मोत् दूँगा की तेरी रूह भी कांप उठेगी,,,,,


,,,,,, तभी रामो देवी की आँखे खुलती है और वह आज पहली बार अपने आप को किसी की मजबूत बाजुओ मे मेहसूस करती है,,, क्योकि रघुवीर ने कभी भी उसे गोद में उठाने की हिम्मत नहीं जताई थी,,, और उसे इस प्रकार उठाना रघुवीर के सायद बस मे ही न हो,,,,, रामो देवी देखती है,, की किशन उसे किसी बच्चे की तरह अपनी गोद में लिए चल रहा है,,, उसे अपने बेटे की ताकत पर बड़ा गर्व होता है,,


,,,, और वह किशन की नजरो मे देखती है जो उसे ही देख रहा था,,,,


,,,, और अपने बेटे की नजरो मे देखकर उसे ना जाने,,,, क्यु अजीब सा मेहसूस होता है,,,,

,,, क्या हुआ किशन कहाँ ले जा रहा है मुझे इस प्रकार,,,,,

,,,, किशन उसकी आँखो में देखते हुए,,, बो,,, बो,,, माँ तुझे चक्कर आ गया था जिसकी वजह से तुम गिरने वाली थी इसलिए मैने तुम्हे,,,,


,,,,,,,,,,, अपने बेटे को इस प्रकार अपनी नज़रो मे देखकर रामो देवी,,,, ऐसे क्या देख रहा है तु,,,,


,,,,,, माँ तुम्हारे चेहरे पर अब एक भी आभूषण नहीं है मुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,,,


,,,, रामो देवी को इस प्रकार की बात सुनकर बड़ी सर्म आती है और वह अपनी गर्दन दूसरी ओर घुमा लेती है,,,,,


,,, और शर्मा कर कहती है,,,,, तु उतार मुझे और जाकर पशुओं को पानी पीला दे और चारा भी डाल देना,,,,,


,,, रामो देवी की बात सुनकर किशन अपनी माँ को एक चारपाई पर लेटा देता है और अपनी गर्दन जुकाकर पशुओं को चारा पानी देने चला जाता है,,,,

,,,, तभी रामो देवी की शहेली केलॉ देवी खाना लेकर आती है,,,,, सीधा घर के अंदर आ कर रामो देवी के पास बैठ जाति है,,,



,,,, ले रामो खाना खा ले सुबह से कुछ भी नहीं खाया है तूने,,,,,


,,, नही मुझे भूख नहीं है,, किशन को खिला दो,,,,


,,, अरे भाई उसे भी खिला दूँगी,,, अब देख जो होना था बो तो हो गया,,,, मरना तो सभी को है एक दिन,,, अब ऐसे खाना ना खाने से क्या होगा,,, चल खाना खा ले,,,,,



,,,,,, तभी किशन अंदर आता है,,,, क्या हुआ काकी,,,

,,,,,, देख ना बेटा तेरी माँ खाना नहीं खा रही है,,,


,,,,, काकी तुम ये खाना मुझे दे दो मैं माँ को खिला दूंगा,,,


,,, kelo देवी,,, ठीक है बेटा मैं जाती हूँ अपनी माँ का ख्याल रखना बेटा,,,,

,,, जी काकी,,, मै देख लूँगा,,,, kelo देवी वहाँ से चली जाती है,,,,,

,,,,
Emotive
 
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,,,, केलॉ देवी के जाने के बाद,,,,, किशन खाने की थाली को अपने हाथ में लेकर अपनी माँ के पास बैठ जाता है और,,,


,,,,, किशन लो माँ खा लो,,,, थोड़ा सा,,,,,,

,,,, बेटा मुझे अभी भूख नहीं है,,,,, मै बाद में खा लूंगी तुम खा लो,,,,,,

,,,, जब तक तुम नहीं खओगी मैं भी नहीं,,,,,

,,,,,, रामो देवी किशन की जिद्द से मजबूर होकर एक निबाला तोड़ती है और जैसे ही अपने मुह में रखती है उसे रोना आ जाता है,,,, और हाथ में लिया निबाला रख देती है,,,,,,


,,,,,,, किशन अपनी माँ को इस प्रकार रोता देख उसे समझ जाता है कि उसकी माँ अंदर से टुट् चुकी है,,,,

,,,, और वह तुरंत अपनी माँ को अपनी बाहो में भर लेता है,,, और उसके लंबे और खुले बालों को सहलाते हूए,,,,,,


,,,, रो नहीं माँ मै तेरे साथ हूँ उस वीर सिंह को तो,,,,,

,,,, उसके और कुछ बोलने से पहले ही रामो देवी,,,

,,, नही किशन तु कुछ नहीं करेगा तुझे कुछ हो गया तो,,,, बो बहुत ही नीच आदमी है,,,,,,

,,,,,,, ठीक है माँ बो तो समय बताएगा कि क्या होगा उस वीर सिंह का,,,,,,,, मगर तुम्हे मेरी कसम है तुम खा लो,,,,,,,,


,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी फिर से निबाला उठाने के लिए हाथ बढ़ाती है,,, मगर न जाने क्यू उसके हाथ कांपने लगते हैं,,,,, किशन देखता है कि उसकी माँ के हाथ कांप रहे हैं,,,


,,, रुको माँ मैं खिला देता हूँ,,,,,,


,,,, रामो देवी को किशन की बात सुनकर बड़ी शर्म आती है और वह सर जुकाकर नही मैं खा लुंगी,,,,,


,,,,, देखता है कि उसकी माँ शर्मा रही है,,,,, और वह अपना उल्टा हाथ आगे लेकर रामो देवी की थोड़ी पर रखकर धीरे धीरे उसका चेहरा ऊपर उठता है,,,,,,

,,,,, रामो अपनी गर्दन उपर उठती है और अपनी आँखो को जैसे ही खोलती है उसकी नजरे किशन की नजरो से टकरा जाती है,,,, किशन की नजरो से नजरे मिलते ही वह खो सी जाती है,,,,,,


,,,,, किशन अपनी माँ के आँखों में देखते हुए एक निबाला उठता है और अपनी माँ के कांपते होंठों के पास लाकर लो मुह खोलो माँ,,,,,


,,,,,, ना चाहते हुए भी रामो देवी अपना मुह खोलती है,,, किशन अपनी माँ की आँखों में बड़ी गौर से देखते हुए निबाला खिला देता है,,, गले से निबाला उतरते ही रामो देवी की आँखों से आँसू के दो मोती नीचे गिरते हैं,,,,,


,,,,,,, किशन अपनी माँ की आँखों के आंसू पोछते हूए,,,,,


,,,,, माँ तुम अगर इतना टुट् जाओगी तो मेरा क्या होगा,,,, और हाँ मैं तुम्हे हमेसा इस प्रकार रोता नहीं देख सकता माँ,,,,,,

,,,,,,, रामो देवी,,,, के आसुँ रुक जाते हैं किशन की बात सुनकर,,,,,,

,,,,,, और तुम अब हमेशा इस तरह से राहोगी,,,,,


,,, हाँ मेरे लाल एक बिधवा का जीवन उसके पति के मरने के बाद इसी प्रकार गुजरता है,, अब से ये ही मेरी जिंदगी है,,,,,,


,,, नही माँ मुझे तेरा बिना आभूषण का चेहरा अच्छा नहीं लगता,,, मंगलसूत्र न सही कुछ तो पहन ही सकती हो,,,,,,


,,,, रामो कुछ क्या,,,,

,,,, माँ मैं अगर कुछ लेकर आया तो क्या तुम उसे पहनो गी,,,,,,

,,,,,, रामो देवी किशन की बात सुनकर उसकी गोद से निकलकर अलग हो जाती है और किशन से



,,,,, नही नहीं,,,, अब ये ही मेरा जीवं है और तु क्या पहनाना चाहता है मुझे,,,, इससे पहले तो कुछ नहीं लाया मेरे लिए,,,,,, और आज अपने बापू के मरने के बाद,,, तु,,,,


,,,,,, ठीक है माँ तुम तो मुझे गलत ही समझती हो,,,,, मै जा रहा हूँ वीर सिंह से अपने बापू की हत्तिया का बदला लेने,,,,,, चाहे फिर मुझे मृतु ही क्यो ना आजाए,,,,,,, और गुस्से में घर से जाने लगता है,,, किशन को गुस्से में देख रामो देवी डर जाती है,,,


,,,,, किशन का हाथ पकड़कर नहीं,, नही मैं तुझे अकेला नहीं जाने दूँगी वहाँ तु समझता क्यू नही उसके साथ बहुत से घुन्डे लोग है और तु अकेला,,,,,,


,,,, अपने बापू की मोत् का बदला लेते हुए मुझे मौत भी मंजूर है,,,, और तुम्हे क्या,,,,,

,,,,, रामो देवी तु चाहता क्या है,,, बेटा क्यों मुझे तिल् तिल मारना चाहता है,,,, वीर सिंह बहुत ही खतरनाक आदमी है,,,,, विधवा होकर तो मै अपना जीवन काट लुंगी मगर तुझे कुछ हो गया तो,,, लोग मुझे जीने नहीं देंगे मेरे लाल,,,,,


,,,, माँ तु तो चाहती थी ना की मुझे मौत आजाए तो,,,,,,

,,, नही बेटा बो तो मैंने गुस्से में,,,,, रामो देवी रोते हुए कहती है,,,,

,,,, अच्छा ला क्या पहनाना चाहता है अपनी माँ को,,, मै पहन लुंगी मगर तुझे मेरी कसम है तु वीर सिंह के पास नहीं जाना,,,,,,


,,,, अपनी माँ की बात सुनकर किशन किशन के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,,,,


,,, माँ बो अभी तो मेरे पास नहीं है,,, मगर मैं शाम को लेकर आऊंगा,,,,, तब तुम पहन लेना,,,,,,


,,,,, दोनो माँ बेटे के बीच में बातें चल रही थी कि तभी एक लड़का,,,



,,,, किशन भैया,,,,,,, किशन भैया,,,,,, आप को पंचायत में बुलाया है,,,,,, पुराने मंदिर के पास जो पीपल का पेड है वही पर,,,,,,


,,,, ठीक है मैं आता हूँ तु जा,,,,,

,,, जी भैया,,,,,, लड़का संदेशा देकर चला जाता है,,,

,,,, किशन अपनी माँ से माँ मै जा रहा हूँ पंचायत में,,,, शाम को घर लौटूंगा,,,,,

,,,, रामो देवी,,,, ठीक है,, बेटा मगर किसी से भी झगड़ा मत करना,,,, तुझे मेरी कसम है,,,,,

,,,, किशन अपनी माँ की बात सुनकर बिना कुछ जबाब दिए ही घर से चला जाता है,,,,,

,,, और रामो देवी चिंता मे डूबी उसे देखती रह जाती है,,,,,,,


क्
,,, किशन के जाते ही रामो देवी घर के अंदर जाती है और एक चारपाई पर लेट जाती है,,, और अपने मन मे बीचार करती है,,,, किशन को क्या हुआ है इतनी नजरे मिलाकर क्यू बात करता है,,, पहले तो कभी नहीं क्या,, ऐसा,,, क्या ये उसकी जवानी का आकर्षण है या फिर उस गंदी किताब का असर,,,,,


,,,,, वो जो भी हो मगर उसकी आँखो में देखकर मुझे कुछ अजीब सा क्यू लगता है,,, उसने अभी जवानी में कदम रक्खा है,,,, फिर रामो देवी अपने मन को तसल्ली देते हुए,,,,, कुछ भी हो मगर मेरा बेटा ऐसा नहीं है,,,,,


,,,,,,, महापंचाय मे,,,,,,, एक बड़े से पीपल के पेड़ के नीचे ऊचे से चबूतरे पर पांच सरपंच बैठे हुए थे और उनके बीच में दो खून से तराभोर लाशे रक्खी हुई थी,,,, जिनके पास वीर सिंह सर झुकाए खड़ा था,,,,


,,, ,,, और चारो तरफ आस पास से आये पांच गाँव के लोगों की भीड़ लगी हुई थी,,, जिसमे रघुवीर का मित्र रामु भी था,,,,,


,,,,,, तभी एक सरपंच खड़े होकर बोलते है,,,,


,,, वीर सिंह हमने सुना है की तुम्हारी घुंडागर्डि से सभी गाँव के लोग बहुत परेशान है,,,, तुमने रघुवीर की हत्तिया की है,,,,, जिसका सबूत तुम्हारे ये मारे गए काली और हरियां है,,,,,



,,,,,, इतनी ही बात हुई थी की किशन वहाँ आ जाता है और अपने बाप के कातिल वीर सिंह को देखकर उसका खून खोल जाता है,,,,,,



,,,,,,, किशन वीर सिंह को देखते ही उसपर टूट पड़ता है और उसे अपने एक हाथ से ही उठाकर पटक देता है,,,,

,,,, किशन को गुस्से में देख सभी गाँव वाले उसे पकड़ लेते हैं,,,,,,


,,, किशन,,, वीर सिंह तूने मेरे बापू की हत्तिया की है मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,,


,,,,,,, किशन को इस प्रकार गुस्से में देख वीर सिंह बुरी तरह डर जाता है और वह पैंचो के पीछे छुप जाता है,,,,


,,,,,, सरपंच किशन शांत हो जा बेटा इसके पाप की सजा हम ऐसे देंगे,,,,,

,,,, किशन,,,, आप नहीं जानते सरपंच जी इसने रामू काका को भी बहुत परेशान किया है उनकी बेटी गीता से जबर्जस्ती शादी करना चाहता है ये,,,,,,,

,,,,, सरपंच हम सब जानते हैं बेटा गाँव बालों और रामु ने हमे सब बता दिया है,,, इसलिए तो यह पंचायत बुलाई है,,,, रामू की बेटी गीता की शादी तुमसे ना हो इसलिए तो इस ने तुम्हारे बापू की हत्तिया की,,,,,,



,,,,,, फिर सभी सरपंच,,,, के नियम अनुशार् वीर सिंह को एक शाल के लिए गाँव से वहिष्कार किया जाता है।।,,, और किशन की शादी गीता से होगी इसकी हम जिम्मेदारी लेते हैं,,, जब तक रघुवीर की तेहरवी नही होती तब तक गीता और उसका परिवार पंचायत की निघ्रानी मे रहेगा,, और उसके बाद किशन और गीता की शादी होंगी,,,,,,



,,,, पचायत का फैशला सुनकर सभी गाँव वाले बड़े खुश होते हैं,,,, वीर सिंह अपने लोगो की लाश को लेकर चला जाता है,,,, और सभी गाँव वाले अपने अपने घर बातें करते हुए लौट जाते हैं



,,,, रामू को इस बात की खुशी थी की अब उसकी बेटी गीता की शादी किशन से होगी,,,, और वह एक नज़र पड़ित जी की दी हुई माला पर डालता है जो किशन के गले में पड़ी हुई थी,,,, माला को देख उसे बड़ा सुकूंन मिलता है,,,, और वह किशन से कुछ देर बात करने के बाद अपने घर चला जाता है,,,


,,,,,, शाम हो चुकी थी किशन भी अपने घर लौट रहा था,,, मगर वह वीर सिंह के जिन्दा रहने से खुश नहीं था,,, तभी उसे गाँव के एक जौहरी के घर के पास से गुजरते हुए याद आती है की उसे अपनी माँ के लिए कुछ लेना है और वह जौहरी के घर के अंदर चला जाता है,,,,


,,, किशन की कैद काठि को देखकर सभी के पसीने छूट जाते थे,,,, जैसे ही जौहरी किशन को देखता है,,,,


,,, अरे किशन बेटा तुम आओ बैठो,,, मै तुम्हारे लिए दूध और गुड़ मंगबाता हूँ,,,


,,, किशन, नही नहीं काका इसकी कोई जरूरत नहीं है,,,, मै तो कुछ लेने आया था,,,

,,, हाँ बेटा बोलो क्या चाहिए तुम्हे,,,,

,, काका मुझे एक नाक की नैथनी चाहिए सोने की,,,,


,,, अच्छा गीता बेटी से सदी होने बाली है ना तो उसके लिए,, है,,,,

,,,, किशन,, जी काका,,,

,,, ठीक है मै अभी लाता हूँ जो तुम्हे पसन्द हो ले लेना,,,,

,,,,, जौहरी अंदर से एक बक्शा लाता है जिसमे सोने की बहुत सी सुंदर सुंदर नैथनी रखी थी,,,, किशन उनमे से एक सुंदर नैथनी पसंद कर लेता है और,,,


,,, कितने पैसे काका इस के,,,,

,,, जौहरी ये,,, 300,, रुपये की है,

,,, ठीक है और किशन अपने कुर्ते से पैसे निकाल कर जौहरी को दे देता है,,, जौहरी के साथ उसे काफी समय हो चुका था वह देखता है कि रात हो चुकी है,,,, और माँ घर पर अकेली हैं,,,,


,,, जौहरी को प्रणाम कर किशन वहाँ से अपने घर चला जाता है,,,,


,,,, घर आकर वह देखता है कि उसकी माँ गहरी नींद में सो चुकी है,,,, रामो देवी को पिछली रात जागने की वजह से जल्द ही नींद आ जाती है,,,, किशन अपनी माँ को सोता छोड़ पशुशाला मे सोने चला जाता है,,,,




,,,,,, सुबह की पहली किरण के साथ पक्षियों के चहकने से रामो देवी की आँखे खुलती है और वह उठकर पहले पशुशाला मे जाती है,,, किशन को देखने किशन जो अभी भी सो रहा था,,, रामो देवी उसे ना उठाकर पशुओं को चारा डालने लगती है,,,,


,,,, रामो देवी और पशुओं की चहल पहल से किशन की आँखे खुल जाती है और वह अपनी माँ को देखकर,,,


,,,,,, अरे माँ मैं डाल दूँगा इन्हे चारा तु क्यों परेशान होती है,,,

,,,, नही मैने डाल दिया हैं तु उठकर पहले मुह हाथ धो ले मै तेरे लिए दूध लाती हूँ,,, रामो देवी उदास होकर कहती है,,,,


,,, नही माँ रात तुम जल्दी सो गई थी इसलिए मैंने तुम्हे उठाना जरूरी नही समझा,,, मै जो तुम्हारे लिए लाया था पहले तुम उसे पहन लो,,,,,

,,, रामो देवी किशन की ओर देखते हुए क्या है,,,,


,,,,,, किशन अपनी जेब से सोने की नैथनी निकाल कर अपनी माँ को देता है,,,,

,,, ये क्या मै इसे नहीं पहन सकती मुझे,,,,,


,,,,,,, किशन अपनी माँ की बात सुनकर उदास होकर अपनी गर्दन झुका लेता है और रामो देवी,,,


मै तेरे लिए दूध लाती हूँ,,,,, कहकर जैसे ही अपने कदम बड़ाती हैं किशन उसका हाथ पकड़ लेता है,,,,


,,, माँ तुझे मेरी कसम हैं,,, मेरा मरा हुआ मुह देखेगी,,,


,,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी को जैसे एक धक्का सा लगता है,,, और वह,,,


,,, तु क्या चाहता है,,,, मै ये सब,,,,,


,,,,,, और रामो देवी के कुछ बोलने से पहले ही किशन अपनी माँ का चेहरा उसकी आँखो में देखते हुए,,, अपने मजबूत हाथो में थाम लेता है,,,,


,,, रामो देवी अपने बेटे की आँखो में देखते ही कुछ समझने की कोशिश करती है,,,, और पीछे बनी दीवार के सहारे खड़ी हो जाती है,,,,, किशन अपनी जेब से नैथनी निकाल कर अपने हाथ में लेता है,,,,

,,,,,, और रामो देवी अपने बेटे के हाथ में नैथनी देखकर,,, शर्म से अपनी आँखे बंद कर लेती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा कर,



,,,, किशन ******तु ये,,,,, क्या कर रहा है,,,, बेटा,,,,,


,,,,, किशन अपनी लाज और शर्म से झुकी माँ के चेहरे को एक हाथ से अपनी तरफ घूमता है,,,,, और वह देखता है कि उसकी माँ का शरीर कांप रहा है,,,,


,,,,, वह अपनी माँ के मासूम चेहरे को देखते हुए


,,, नैथनी को हाथ में लेकर जैसे ही उसकी नाक के पास जाता है,,,,

,,, रामो देवी किशन के कंधो को मजबूती से पकड़ लेती है,,,,,

,,,,, और,,,,,, किशन के कंधो मे अपने नाखून घुसाते हुए,,,,


,,,,,,, किशन ******न,,,, मुझे दर्द होगा,, बेटा ये मैने पहले कभी नहीं पहनी,,,,,,


,,,,,, कुछ नहीं होगा माँ,,,,, मै बहुत प्यार से,,,,


,,,,, और एक हाथ में अपनी माँ की नाक पकड़कर जैसे ही नैथनी डालता है,,,


,, रामो देवी,,,,, दर्द से सिसकारी भरते हुए,,,,, नही,,,, किशन*****मै मर जाउंगी,,,,,,,, मेरे लाल,,,,




,,,,,,,,, किशन अपनी माँ को नैथनी पहनाकर उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर बड़े ही गौर से देखता है,,,,


,,, रामो देवी लंबी साँसे लेते हुए अपनी आँखे खोलती है और अपने बेटे को इस प्रकार देखता हूए शर्मा कर,,,


,,, हत् जा अब कर ली अपनी जिद्द पूरी,,,, जाने दे मुझे घर मे झाड़ू लगानी है,,,,,


,,,,, रामो देवी किशन से यह बोलकर सर झुकती वहाँ से चली जाती है,,,,,,,,
Wow. Jabardast
 
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rkv66

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, पिछले भाग में आप सभी ने जान लिया की किस तरह वीर सिंह को एक वर्ष के लिए गाँव से वहिष्कार किया गया,, और अब रघुवीर की तेहरवि होने के बाद किशन और गीता की शादी कराने की जिम्मेदारी पंचायत ने ली थी,,।।

,,,किशन के नैथनी पहनाने के बाद उसकी माँ रामो देवी शर्म से पानी पानी हो गई थी और अब उसके लिए किशन के साथ रहना एक क्षण भर भी मुस्किल था।।। इसीलिए वह अपने बड़ती हुई साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी,, और किशन से अलग होकर तेज कदमों की गति से घर के अंदर चली जाती है,,।।। घर के अंदर जाते ही वह एक दीवार के सहारे खड़ी होकर अपनी साँसों को दुरुस्त करती है।।। और अपने मन में,,, क्या मेरा बेटा इतना नादान है कि उसे यह भी नहीं पता की नैथनी पहनाने की एक रस्म होती जो एक कुवारी कन्या को पहली बार दुल्हन बनाते समय की जाती है,,, और उसकी सुहाग रात को पहली बार उसका योबन् भंग करने के साथ हि उसकी नैथ उतारी जाती है,,,,, मगर मेरा बेटा तो इन सब रसमो से अंजान है,,।।। या उसके मन में मेरे लिए कोई,,, नही,, नही,,, मेरा बेटा ऐसा नहीं है,,, हे भगवान उसकी इस नादानी के लिए उसे क्षमा कर देना,, राम जी,,,,, गलती मेरी हैं जो सब कुछ जानते हुए भी,,, उसकी जिद्द से बेबस हो गई थी,,,,,,

***रामो देवी अपने मन में ये सब विचार कर रही थी कि****!

किशन: ***माँ ओ माँ कहाँ हो,,,,,

रमो***: देवी अपनी सफेद जाली दार साड़ी से अपने सर और चेहरे को ढक लेती है,, शर्म और लाज उस समय की नारी मे कुट् कूट के भरी हुई थी,,,, जो आज भी कुछ भरतीय नारियो मे जिन्दा है,,,,, और वही उनकी सभीयता और संसारिक गहना होता था,,,,,,

रामो देवी::,, क्या है क्यों चीख रहा है,,,,,

,,,, किशन देखता है की उसकी माँ आज पहली बार अपना चेहरा उससे छुपा रही है,,,।।।।

किशन: **क्या हुआ मां मुह क्यों छुपा रही हो,,,,

रामो देवी:: कुछ नहीं,, बो मैं,,,, अच्छा ये बता कल पंचायत में क्या हुआ,, क्या पंचायत ने वीर सिंह को कोई दण्ड दिया,,

किशन:,,, दंड तो मै उसे देता मां लेकिन सभी सरपंच ने मुझे रोक लिया।। नही तो वीर सिंह मेरे हाथो से जिंदा नहीं बचता,,

रामो देवी: **तुझे मैंने कसम दि थी ना फिर तूने ऐसा क्यू किया,,

किशन: ***माँ अपने बाप के खूनी को देखकर जिस बेटे का खून ना खोले बो बेटा किस काम का,,,, बापू भी तो तेरी मांग का सिंदूर थे,,

रामो देवी: **जो मेरी किस्मत में था बो मैं सह लुंगी मगर तुझे कुछ हो गया तो मेरे जीने का मक्सद ही नहीं,,,,

किशन: ***मुझे कुछ नहीं होगा माँ,, उस वीर सिंह को पंचायत ने एक वर्ष का जीवनदान दिया है उसे गाँव से एक वर्ष के लिए बहिष्कार कर दिया है,,, और उसके बाद मैं उसकी जीवन लीला समाप्त कर दूंगा।।।।।।,,

रामो देवी:: ***तु अब कुछ नहीं करना मेरे लाल,, और तेरे रामू काका की बेटी का शादी,,,

किशन': हाँ गीता की शादी बापू की तेहरबी के बाद मेरे साथ होगी इसकी जिम्मेदारी पंचायत ने ली है,,,

रामो देवी: फिर तो अच्छा है गीता बेटी के घर आने से मुझे भी राहत मिल जायेगी,,,

,,,,,, ले अब तु जाकर जंगल से पशुओं के लिए चारा ले आ,, किशन देखता है कि आज उसकी माँ पहली बार अपना मुह उससे छुपा रही है मगर वह इस बात से अंजान था कि जो नैथनी उसने अपनी माँ को पहनाई है,,, वो एक दुल्हन के लिए होती है ना की मां के लिए,,, जिसकी वजह से उसकी माँ को शर्म और लाज से मुह छुपाना पड़ रहा है,,,,

किशन::: माँ तु मुझसे पर्दा क्यू की है मैं तेरा बेटा हूँ कोई अंजान तो नहीं,,, जब तक तु अपना मुह नहीं दिखाएगी मै ये दूध नहीं,,,

,,, और किशन वहार जाने के लिए जैसे ही कदम बड़ता है रामो देवी उसका हाथ पकड़ लेती है,,

रामो देवी::: *तु समझता क्यू नही है,, अच्छा ठीक है चारा लाने के बाद देख लेना,,, अभी ये दूध पी ले,,

किशन,,: देखता है कि उसकी माँ सर झुकाए उसका हाथ पकड़ कर खड़ी है वह उसे अपने नज़रो के सामने लाता है,,

किशन,, नही मुझे अभी देखना है, मै देखना चाहता हूं कि मै जो चीज पसन्द कर लाया हूँ बो मेरी माँ पर कैसी लगती है,,,,

,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी की दिल की धड़कन बड़ जाती है और वह अपने पैरों के नाखूनों से धरती को कुरेदते हूए,,,

रामो देवी: ***किशन तु ये सब से अंजान,,,, ,,

,,, रामो देवी के कुछ कहने से पहले ही किशन अपनी माँ के सर से घुँघट धीरे धीरे हटता है और उसकी माँ का मासूम सा चेहरा उसकी नज़रो के सामने आ जाता है,, रामो देवी ने कोई सिंगार तो नहीं किया था मगर उसकी सुंदता और मसुमित मे चार चाँद लगाने के लिए उसकी नाक में पहनी नैथ ही काफी थी उसके मासूम से चेहरे पर नैथनी उसी प्रकार दमक रही थी जिस प्रकार एक नागिन के सर पर उसकी मणी,,,,

रामो देवी,, की सांसों की गति तेज होते ही उसकी नाक में पहनी नैथ हिलने लगती है और वह शर्म से लरजती आबाज मे,,,

रामो देवी:,,, बस देख लिया अब तो पी लो दूध,, बेटा

किशन: माँ अपना मुह ऊपर उठाओ ना,,,,,


रामो देवी: ***किशन तु जा ना अब,,,, मै तेरी माँ हूँ जब चाहे देख लेना अभी क्यू,, जिद्द कर रहा है,,,,

,,, किशन अपनी माँ का मासूम सा चेहरा झुका देख अपनी हाथ की उंगलियो से उसकी थोड़ी पकड़ कर धीरे धीरे उठता है,,, और अपनी माँ की सुंदाता निहारता है मगर वह इस बात से अंजान था कि जिसकी सुंदाता निहार् रहा है वह उसकी माँ है सही गलत का तो उसे अंदाजा ही नहीं था,,,,

,,,, रामो देवी अपने बेटे का हाथ मेहसूस करते ही अपनी आँखे बंद कर लेती,,,


रामो देवी,,, सी सी,,, सी,,, किशन जाने दे अब मुझे,,,, तु ना,,,,,

किशन:: ***माँ आँखे खोलो ना तुम्हे मेरी कसम,,,,

रामो देवी:::: लंबी साँसे लेते हूए अपनी आँखे धीरे धीरे खोलती है और जैसे ही उसकी नज़र उसके बेटे से मिलती है उसे अजीब सा मेहसूस होता है

,, किशन,,,,, अपना हाथ उसकी माँ की नैथनी पर सहलाते हूए,,

किशन: **माँ तुम बहुत सुंदर हो,,,,, और उसकी आँखो में देखता है,

,,, अपनी सुंदाता की तारीफ सुनकर रामो देवी यह भूल जाती है कि जो उसकी सुंदरता निहार रहा है वो उसका खून हैं,,,

रामो देवी: ****किशन न,,,, न,,,, छोड़ दो न जाने दो अब,, मुझे,,,,

,,,,, किशन माँ तुझ पर ये नैथनी बहुत सुंदर लग रही है,,, और उसे गले लगा कर फिर से उसके कान में कहता है,,, तुम बहुत सुंदर हो माँ,,,,,

रामो देवी: ****जी,,,,, जी,,,,,, अब जाने भी दो,,,,,
,,,, रामो देवी के मुह से अंजाने मे ही जी सब्द किशन के लिए लिकल् गया था और उसे उसकी गलती का एहसास होते ही,,,, वह किशन से दूर हो जाती है और दूध किशन को देकर घर के अंदर चली जाती है,,,,


,,,, किशन को समझ नहीं आता की उसकी माँ ने उसे जी क्यो कहा,,,, और अपनी माँ से कुछ और कहना जरूरी नहीं समझता दूध पीने के बाद किशन अपने भैसे को गाड़ी मे बांधकर जंगल चला जाता है,,,


,,,,
Mast
 
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