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**** Suhagrat ****
"किशन अपनी मां की योनि में अपना लिंग डालने के बाद लगातार तेज तेज धक्कों की बरसात कर देता है,, उसे इस क्रिया में एक असीम सुख की प्राप्ति हो रही थी परंतु उसकी मां जो झुकी हुई खड़ी थी शर्म से पानी पानी होकर चिल्ला रही थी उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी योनि की दीवारों को चीर कर उसके बेटे का लिंग उसकी बच्चेदानी में अपनी जगह बना लेगा किशन के हर धक्के पर उसकी मां के नितंब 4 इंच तक ऊपर उछल जाते थे जिससे उसे आभास हो रहा था कि उसके बेटे की मर्दानगी किस प्रकार उसके नितंब पर प्रहार कर रही है!! जब दर्द असहनीय होता है तो वह चिल्लाते हुए कहती है!
रामो: नहीं,,.... नहीं मेरे लाल.. रुक जाना मर जाएगी तेरी मां... रुक जाना किशन.... नहीं मर जाऊंगी मैं.....
", किशन अपनी मस्ती में डूबा अपनी मां को गले से पकड़कर और तेज धक्के लगाता है जिससे उसकी मां का सारा वजूद जाता है। किताबों में पढ़ी हुई सारी क्रियाएं और उनमें देखे गए चित्र के कलं को मन में ध्यान करते हुए किशन सभी का अध्ययन अपनी माता पर कर लेना चाहता था वह हर उस क्रिया का आनंद लेना चाहता था जिसकी वह मन ही मन कल्पना करता था,, परंतु उस कल्पना में उन क्रिया का अमल वह अपनी ही सगी मां पर करेगा ऐसा उसने सोचा भी नहीं था,,, जैसे-जैसे किशन अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा रहा था उसके हर धक्के पर रामो देवी, की आंखें बड़ी हो जाती थी और उसके कठोर उन्नत स्तन उछलते हुए उसके गले से टकराते थे,, किशन अपनी ही मस्ती में है अपनी मां को बुरी तरह रौंद रहा था वह उसकी पकड़ से आजाद होकर जैसे ही जोर लगाती है लिंग योनि से बाहर एक आवाज के साथ निकलता है,,
"लड़खड़ाते हुए उसका बदन कांप रहा था शरीर में मानो जैसे जान, उसके बेटे की लिंग ने खींच ली थी वह अपनी तेज चल रही सांसो को निरंतर करने की कोशिश करते हुए पेट के बल, हांपते हुए बिस्तर पर गिर जाती है,, किशन का लहराता हुआ विकराल लिंक मानव आज उसकी योनि को तहस-नहस करने के लिए सांप के फन के समान लहरारा रहा था,, किशन मन ही मन अपनी मां की दशा को देखकर मुस्कुराते हुए विचार करता है,,
किशन: बहुत तड़पाया है तुने मुझे,, मगर आज तेरी चूत,, के पानी से अपने ल** की प्यास बुझा कर रहूंगा...
"किशन बिस्तर पर लेटी लंबी सांसे लेते हुए अपनी मां के पास जाता है और उसके होठों को प्यार से जूम कर,,
किशन: क्या हुआ मेरी जान...????
"किशन की मां रोहाना सभा चेहरा बनाकर अपने बेटे की आंखों में देखती है और कहती है।।
रामो: मान जाओ ना... ऐसी कौन करता है बहुत दर्द हो रहा है मुझे मुझसे ऐसे नहीं होगा किशन...
किशन: इस बार प्यार से करूंगा मेरी जान... आओ कुछ देर बर्दाश्त करो और फिर देखो घोड़ी बनकर चूत देने में, कितना मजा आता है पहली बार कर रही हो ना इसलिए थोड़ी तकलीफ होगी,, आओ फिर से घोड़ी बन जाओ,,,
रामो: पूरी जिंदगी की जान एक ही दिन में निकाल दोगे क्या,,, मुझे बहुत तकलीफ हो रही है मैं सीधी लेट जाती हूं और प्यार से कर लो,,, या फिर मुंह से चूस लेती हूं एक बार और,,, मगर तुम जिस प्रकार कर रहे हो मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है,,,, जी....
किशन: मां अभी तुम्हें नहीं पता कि किस प्रकार संभोग का आनंद लिया जाता है तुम्हें वह आनंद दूंगा कि जिंदगी भर मेरे लिंग की दीवानी हो जाएगी,, देख मेरा लिंग किस प्रकार फटा जा रहा है जल्दी घोड़ी बन जा,,,
"मानोगे नहीं मेरी जान लेकर रहोगे प्यार से करना तेज तेज करते हो तो,,.. मुझे बहुत तकलीफ होती है..
"एक बार फिर से किशन के कहे अनुसार उसकी मां उस ही आसन में आ जाती है और किशन अपना लहराता हुआ लिंग उसकी योनि में प्यार से डालकर धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु करता है!! इस बार उसकी मां को थोड़ा कम दर्द महसूस होता है और उस दर्द के साथ आनंद का भी आभास होता है जिसे महसूस कर वह सिसकारी लेते हुए आहे भर्ती है!!
किशन: अब कैसा लग रहा है मां???
रामो: अच्छा लग रहा है धीरे धीरे!.... कहां से सीखा जी.... आपने यह सब?????
किसन: यह तो कुछ भी नहीं मां,, अभी देखते जाओ कैसे कैसे मजा देता हूं तुजे, अपने भारी कुल्लू को बाहर को निकालो मेरी जान..
"किशन की बात सुनकर ;; रामो... देवी अपने भारी नितम्ब को थोड़ा पीछे निकाल देती है और किशन अपनी मां के स्तन को पकड़कर लिंग को अंदर दबाव देते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु करता है!!! अब उसे भी इस क्रिया में आनंद मिल रहा था और वह सिसकारी की गूंज किशन के कानों तक पहुंचा रही थी जिससे किशन का जोश और बढ़ जाता है और वह थोड़ा तेज धक्के लगाने जैसे ही शुरु करता है,,
रामो: हे भगवान... धीरे करो जी... पूरा नहीं डालो अंदर मेरे पेट में चुभता है!! और मां मत बोलो मुझे,,, अच्छा नहीं लगता नाम से पुकार लो,, अब तो मैं आपकी दासी हम आपके चरणों की धूल,,,, आप मेरे दिल में एक पति से भी बढ़कर हो,, जो सुख आपने मुझे दिया है वह एक पति के सिवा कोई और नहीं दे सकता जी.... हाय,, मर गई.... धीरे....
किशन: क्यों मां,, क्या बापू ने तुझे तभी इस प्रकार नहीं चोदा,,???
रामो: आपको अपनी पत्नी की कसम है।। अबकी बार यदि मुझे मां बोला तो मेरा मरा मुंह देखोगे... जान दे दूंगी अपनी...
किशन: ठीक है मेरी जान अब नहीं कहूंगा मगर बोलो ना क्या बाबू मैं तुझे कभी पहले,,, ऐसा किया है,,,
रामो: नहीं है उन्होंने कभी नहीं किया.... और सालों से वह तो मुझे छूते भी नहीं जी... हाय मां... धीरे करो... ना...
किशन: मगर तुम सिंगार तो रोज करती थी... ऐसा लगता था जैसे रोज रात को,,, चूत देती है बाबू को,,
रामो: मन तो बहुत करता था मगर अब तुम्हारी बाबू कुछ कर नहीं पाते थे,,, उन्हें डर था की तुम जवान हो गए हो,, कहीं कुछ देखना लो,, जी.... हाय मां.....जी...
"दोनों मां बेटा मस्ती की दुनिया में खोए इसी प्रकार न जाने अपने दिल की क्या-क्या बातें एक दूसरे से कर रहे थे और किशन कुछ समय तक इसी प्रकार अपनी मां को घोड़ी बनाकर धक्के लगा रहा था,, तभी न जाने किशन की मां को क्या सोचता है और वह अपना एक हाथ पीछे लाकर किशन के लिंग को पकड़ लेती है और कहती है::?!!!!
रामो: अब करो... बहुत तड़पाया है मैंने तुम्हें.. निकाल दो आज अपनी सारी गर्मी...
किशन: हां मेरी जान इसी प्रकार पकड़ लो इससे... कैसा लग रहा है तुम्हें...
रामो: अच्छा लग रहा है।... जी... मीठी,मीठी खुजली हो रही है इसमें... हाय... मैं... गई......
किशन:। क्या हुआ झरने वाली हो क्या जान....??????
रामो: हां मैं झड़ने वाली हूं जी..... और इससे ज्यादा मार... नहीं सह पाएगी... ये... टूट जाएगी... जी...
"किशन देता है कि उसकी मां को बहुत आनंद मिल रहा है और वह उसके लिंक को अपने हाथों की पकड़ से जकड़े हुए हैं किशन अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा देता है जिससे किशन की मां को और आनंद मिलता है और वह आनंद के सागर में डूबी हुई आंखें बंद कर लंबी-लंबी सिसकारी भरते हुए.... चरम सीमा को पार कर देती.. आनंद में किशन से कहती है!!!
रामो: हाय... मेरी जान निकल रही है.... हाय मैं मर गई... इतनी बार तो पहले कभी नहीं झड़ी... मेरे पैर पकड़ लो जी.... मैं गिर जाऊंगी... मेरे पैर मेरे पैर कहां पर है पकड़ लो जी.......
"आज किशन में अपनी मां की उस गर्मी को शरीर से निकाल दिया था जो उसका बाप कभी नहीं निकाल पाया था इसीलिए वह बेजान अपने कांपते हुए पैरों से बिस्तर पर गिर जाती है उससे ऐसा महसूस होता है जैसे कि अब उसके शरीर में जान बची ही ना हो... इतनी बार झड़ने के बाद उसका शरीर एक जिंदा लाश की तरह बिस्तर पर गिर जाता है... और वह अपनी आंखें बंद कर अपने सांसों को काबू करते हुए,, लेट जाती है,,, किशन अपने लिंग को हाथ से चलाते हुए उसके चेहरे को देखता है जो इस समय सुर्ख लाल और एक शांत चीन नजर आ रहा था,, उसे देख कर किशन उसके करीब आता है और अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर उसके कान में कहता है।।।
किसन: रामो,, ओ रामो,, सुन रही है???
रामो: जी.. कहिए....
किशन: देखना कैसे परेशान कर रहा है यह तेरी गर्मी तो निकल गई है इसकी भी निकाल दे...
रामो: बस और नहीं जी... अब जान नहीं है शरीर में.. और नहीं होगा मुझसे.. कल कर लेना!!!!..
किशन: अब खुद की आग तो बुझ गई ना.. मगर क्या अपने पति को ऐसे ही तड़पता हुआ छोड़ देगी...?????
"किशन की बात सुनकर वह अपनी आंखें खोलती है और उसकी आंखों में देख कर कहती है!!!
रामो: सच कह रही हूं.. अब तो मुझ से हिला भी नहीं जा रहा... आओ इधर हाथ से सहला देती हूं....
"और वह किशन के लिंग को अपने हाथों से पकड़ा ऊपर से नीचे तक बड़े ही प्यार से सहलाने लगती है इस समय किशन का लिंग ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसकी मां की योनि का सारा रस निकलकर किशन के लिंग पर लिपट गया हो,,,
किशन: तुझे क्या लगता है कि ऐसी झड जाऊंगा मैं??
रामो: मैं झाड़ दूंगी... आप शांत लेटे रहे... जी.. मगर मुझसे और नहीं होगा.... मैं हाथ से झाड़ देती हूं...
किशन: नहीं मुझे तेरी चूत चहिए,,,...
रामो: आप जिद क्यों कर रहे हैं... क्या मेरी जान ही लोगे ???? हाथ से नहीं करना तो मुंह से जूस देती हूं...
किशन: ठीक है मुंह से ,,,, आजा ले ले मुंह में... और निकाल दे इसकी सारी गर्मी....
रामो:: मुझसे तो हिला भी नहीं जाता... अभी डाल दीजिए ना मेरे मुंह में जूस लेती हूं से तुम्हें सुकून मिल जाएगा जी......
""सुबह होने में अब कुछ ही घंटे बाकी थी परंतु किशन की आंखों में दूर-दूर तक नींद नहीं थी वह हर अपने मन की वह इच्छा पूरी कर लेना चाहता था जिसके उसने ख्वाब देखे थे.. इसलिए उसके इच्छा अनुसार वह अपनी मां को मना कर सभी काम करवा रहा था और धीरे-धीरे अपने लिंग को हाथ में लेकर अपनी मां के चेहरे के पास जाता है और कहता है!!
किशन: ले जूस ले से और उतार ले अपने गले की गहराइयों तक...
"किशन की मां धीरे से अपने बेटे के लिंग को हाथ से पकड़ कर मुंह में लेती है और प्यार से उसकी आंखों में देख कर चूसने लगती है,,
किशन: मुझे लगता है कि तुझे इसे चूसने में मजा आ रहा है... इसीलिए तो अपने मुंह से बोल रही है चूसने के लिए पूरा उतार ले गले तक.... मेरी जान....
"किशन अपनी मां के सर को पकड़कर अपने लिंग को उसके गले की गहराइयों तक उतार देता है जिसे उसकी मां न चाहते हुए भी बर्दाश्त करती है,, और कुछ समय बाद तुरंत ही लिंग को बाहर निकाल देती है,,
किशन: बस ऐसे ही मेरी जान... पूरा अंदर लेकर.... चूस.. तेरे मुंह को चोदने में मज़ा आ रहा है.... सही कहती थी तारावती काकी,, मेरे जैसे को तो तू ही संभाल सकती है,,,
"किशन के लिंग को उसकी बातें सुनकर रामो, बाहर निकाल देती है और उसकी ओर देखकर कहती है,,
रामो: खबरदार अगर उस रंडी का नाम लिया तो,, जान से मार दूंगी,,
किशन: किसे मार दोगी जान से मेरी जान मुझे???
रामो: नहीं उस रंडी तारावती को और अपने आप को,,
किशन: इतना प्यार करने लगी हो मुझसे.... कि किसी और के साथ बर्दाश्त नहीं कर सकती????
रामो: हां बहुत प्यार करती हूं आपसे और अब सिर्फ आप मेरे हो.. किसी और के साथ देख नहीं सकती आपको मर जाऊंगी.….
किशन: नहीं मेरी जान तुझे मैं मरने नहीं दूंगा तुझ में तो मेरी जान बसती है आजा मेरी बाहों में थक गई है ना तुझे अपनी गोद में उठा लो.....
"गोद में क्यों लाइए ना और चुस्ती हूं स""
"नहीं नहीं अब मुझे तेरी च** चाहिए""
"किशन अपनी मां को दोनों टांगों से पकड़कर है अपनी गोद में उठा लेता है वह समझ नहीं पाती कि किशन यह क्या कर रहा है परंतु गिरने के डर की वजह से अपनी बाहें फैलाकर उसके गले में डाल देती है "किशन उसके दोनों टांगों को पकड़कर है फैलाते हुए अपने लिंग का निशाना लगाकर उसकी योनि में प्रवेश कराता है""
रामो: हाय राम.... यह क्या कर रहे हो जी..... गिर जाऊंगी मैं.... हे भगवान..... ऐ जी..... मर गई...... मां.. मेरी....
किशन: बस कुछ देर ,,
Awesome updateUpdate:56
**** Suhagrat ****
"किशन अपनी मां की योनि में अपना लिंग डालने के बाद लगातार तेज तेज धक्कों की बरसात कर देता है,, उसे इस क्रिया में एक असीम सुख की प्राप्ति हो रही थी परंतु उसकी मां जो झुकी हुई खड़ी थी शर्म से पानी पानी होकर चिल्ला रही थी उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी योनि की दीवारों को चीर कर उसके बेटे का लिंग उसकी बच्चेदानी में अपनी जगह बना लेगा किशन के हर धक्के पर उसकी मां के नितंब 4 इंच तक ऊपर उछल जाते थे जिससे उसे आभास हो रहा था कि उसके बेटे की मर्दानगी किस प्रकार उसके नितंब पर प्रहार कर रही है!! जब दर्द असहनीय होता है तो वह चिल्लाते हुए कहती है!
रामो: नहीं,,.... नहीं मेरे लाल.. रुक जाना मर जाएगी तेरी मां... रुक जाना किशन.... नहीं मर जाऊंगी मैं.....
", किशन अपनी मस्ती में डूबा अपनी मां को गले से पकड़कर और तेज धक्के लगाता है जिससे उसकी मां का सारा वजूद जाता है। किताबों में पढ़ी हुई सारी क्रियाएं और उनमें देखे गए चित्र के कलं को मन में ध्यान करते हुए किशन सभी का अध्ययन अपनी माता पर कर लेना चाहता था वह हर उस क्रिया का आनंद लेना चाहता था जिसकी वह मन ही मन कल्पना करता था,, परंतु उस कल्पना में उन क्रिया का अमल वह अपनी ही सगी मां पर करेगा ऐसा उसने सोचा भी नहीं था,,, जैसे-जैसे किशन अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा रहा था उसके हर धक्के पर रामो देवी, की आंखें बड़ी हो जाती थी और उसके कठोर उन्नत स्तन उछलते हुए उसके गले से टकराते थे,, किशन अपनी ही मस्ती में है अपनी मां को बुरी तरह रौंद रहा था वह उसकी पकड़ से आजाद होकर जैसे ही जोर लगाती है लिंग योनि से बाहर एक आवाज के साथ निकलता है,,
"लड़खड़ाते हुए उसका बदन कांप रहा था शरीर में मानो जैसे जान, उसके बेटे की लिंग ने खींच ली थी वह अपनी तेज चल रही सांसो को निरंतर करने की कोशिश करते हुए पेट के बल, हांपते हुए बिस्तर पर गिर जाती है,, किशन का लहराता हुआ विकराल लिंक मानव आज उसकी योनि को तहस-नहस करने के लिए सांप के फन के समान लहरारा रहा था,, किशन मन ही मन अपनी मां की दशा को देखकर मुस्कुराते हुए विचार करता है,,
किशन: बहुत तड़पाया है तुने मुझे,, मगर आज तेरी चूत,, के पानी से अपने ल** की प्यास बुझा कर रहूंगा...
"किशन बिस्तर पर लेटी लंबी सांसे लेते हुए अपनी मां के पास जाता है और उसके होठों को प्यार से जूम कर,,
किशन: क्या हुआ मेरी जान...????
"किशन की मां रोहाना सभा चेहरा बनाकर अपने बेटे की आंखों में देखती है और कहती है।।
रामो: मान जाओ ना... ऐसी कौन करता है बहुत दर्द हो रहा है मुझे मुझसे ऐसे नहीं होगा किशन...
किशन: इस बार प्यार से करूंगा मेरी जान... आओ कुछ देर बर्दाश्त करो और फिर देखो घोड़ी बनकर चूत देने में, कितना मजा आता है पहली बार कर रही हो ना इसलिए थोड़ी तकलीफ होगी,, आओ फिर से घोड़ी बन जाओ,,,
रामो: पूरी जिंदगी की जान एक ही दिन में निकाल दोगे क्या,,, मुझे बहुत तकलीफ हो रही है मैं सीधी लेट जाती हूं और प्यार से कर लो,,, या फिर मुंह से चूस लेती हूं एक बार और,,, मगर तुम जिस प्रकार कर रहे हो मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है,,,, जी....
किशन: मां अभी तुम्हें नहीं पता कि किस प्रकार संभोग का आनंद लिया जाता है तुम्हें वह आनंद दूंगा कि जिंदगी भर मेरे लिंग की दीवानी हो जाएगी,, देख मेरा लिंग किस प्रकार फटा जा रहा है जल्दी घोड़ी बन जा,,,
"मानोगे नहीं मेरी जान लेकर रहोगे प्यार से करना तेज तेज करते हो तो,,.. मुझे बहुत तकलीफ होती है..
"एक बार फिर से किशन के कहे अनुसार उसकी मां उस ही आसन में आ जाती है और किशन अपना लहराता हुआ लिंग उसकी योनि में प्यार से डालकर धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु करता है!! इस बार उसकी मां को थोड़ा कम दर्द महसूस होता है और उस दर्द के साथ आनंद का भी आभास होता है जिसे महसूस कर वह सिसकारी लेते हुए आहे भर्ती है!!
किशन: अब कैसा लग रहा है मां???
रामो: अच्छा लग रहा है धीरे धीरे!.... कहां से सीखा जी.... आपने यह सब?????
किसन: यह तो कुछ भी नहीं मां,, अभी देखते जाओ कैसे कैसे मजा देता हूं तुजे, अपने भारी कुल्लू को बाहर को निकालो मेरी जान..
"किशन की बात सुनकर ;; रामो... देवी अपने भारी नितम्ब को थोड़ा पीछे निकाल देती है और किशन अपनी मां के स्तन को पकड़कर लिंग को अंदर दबाव देते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु करता है!!! अब उसे भी इस क्रिया में आनंद मिल रहा था और वह सिसकारी की गूंज किशन के कानों तक पहुंचा रही थी जिससे किशन का जोश और बढ़ जाता है और वह थोड़ा तेज धक्के लगाने जैसे ही शुरु करता है,,
रामो: हे भगवान... धीरे करो जी... पूरा नहीं डालो अंदर मेरे पेट में चुभता है!! और मां मत बोलो मुझे,,, अच्छा नहीं लगता नाम से पुकार लो,, अब तो मैं आपकी दासी हम आपके चरणों की धूल,,,, आप मेरे दिल में एक पति से भी बढ़कर हो,, जो सुख आपने मुझे दिया है वह एक पति के सिवा कोई और नहीं दे सकता जी.... हाय,, मर गई.... धीरे....
किशन: क्यों मां,, क्या बापू ने तुझे तभी इस प्रकार नहीं चोदा,,???
रामो: आपको अपनी पत्नी की कसम है।। अबकी बार यदि मुझे मां बोला तो मेरा मरा मुंह देखोगे... जान दे दूंगी अपनी...
किशन: ठीक है मेरी जान अब नहीं कहूंगा मगर बोलो ना क्या बाबू मैं तुझे कभी पहले,,, ऐसा किया है,,,
रामो: नहीं है उन्होंने कभी नहीं किया.... और सालों से वह तो मुझे छूते भी नहीं जी... हाय मां... धीरे करो... ना...
किशन: मगर तुम सिंगार तो रोज करती थी... ऐसा लगता था जैसे रोज रात को,,, चूत देती है बाबू को,,
रामो: मन तो बहुत करता था मगर अब तुम्हारी बाबू कुछ कर नहीं पाते थे,,, उन्हें डर था की तुम जवान हो गए हो,, कहीं कुछ देखना लो,, जी.... हाय मां.....जी...
"दोनों मां बेटा मस्ती की दुनिया में खोए इसी प्रकार न जाने अपने दिल की क्या-क्या बातें एक दूसरे से कर रहे थे और किशन कुछ समय तक इसी प्रकार अपनी मां को घोड़ी बनाकर धक्के लगा रहा था,, तभी न जाने किशन की मां को क्या सोचता है और वह अपना एक हाथ पीछे लाकर किशन के लिंग को पकड़ लेती है और कहती है::?!!!!
रामो: अब करो... बहुत तड़पाया है मैंने तुम्हें.. निकाल दो आज अपनी सारी गर्मी...
किशन: हां मेरी जान इसी प्रकार पकड़ लो इससे... कैसा लग रहा है तुम्हें...
रामो: अच्छा लग रहा है।... जी... मीठी,मीठी खुजली हो रही है इसमें... हाय... मैं... गई......
किशन:। क्या हुआ झरने वाली हो क्या जान....??????
रामो: हां मैं झड़ने वाली हूं जी..... और इससे ज्यादा मार... नहीं सह पाएगी... ये... टूट जाएगी... जी...
"किशन देता है कि उसकी मां को बहुत आनंद मिल रहा है और वह उसके लिंक को अपने हाथों की पकड़ से जकड़े हुए हैं किशन अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा देता है जिससे किशन की मां को और आनंद मिलता है और वह आनंद के सागर में डूबी हुई आंखें बंद कर लंबी-लंबी सिसकारी भरते हुए.... चरम सीमा को पार कर देती.. आनंद में किशन से कहती है!!!
रामो: हाय... मेरी जान निकल रही है.... हाय मैं मर गई... इतनी बार तो पहले कभी नहीं झड़ी... मेरे पैर पकड़ लो जी.... मैं गिर जाऊंगी... मेरे पैर मेरे पैर कहां पर है पकड़ लो जी.......
"आज किशन में अपनी मां की उस गर्मी को शरीर से निकाल दिया था जो उसका बाप कभी नहीं निकाल पाया था इसीलिए वह बेजान अपने कांपते हुए पैरों से बिस्तर पर गिर जाती है उससे ऐसा महसूस होता है जैसे कि अब उसके शरीर में जान बची ही ना हो... इतनी बार झड़ने के बाद उसका शरीर एक जिंदा लाश की तरह बिस्तर पर गिर जाता है... और वह अपनी आंखें बंद कर अपने सांसों को काबू करते हुए,, लेट जाती है,,, किशन अपने लिंग को हाथ से चलाते हुए उसके चेहरे को देखता है जो इस समय सुर्ख लाल और एक शांत चीन नजर आ रहा था,, उसे देख कर किशन उसके करीब आता है और अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर उसके कान में कहता है।।।
किसन: रामो,, ओ रामो,, सुन रही है???
रामो: जी.. कहिए....
किशन: देखना कैसे परेशान कर रहा है यह तेरी गर्मी तो निकल गई है इसकी भी निकाल दे...
रामो: बस और नहीं जी... अब जान नहीं है शरीर में.. और नहीं होगा मुझसे.. कल कर लेना!!!!..
किशन: अब खुद की आग तो बुझ गई ना.. मगर क्या अपने पति को ऐसे ही तड़पता हुआ छोड़ देगी...?????
"किशन की बात सुनकर वह अपनी आंखें खोलती है और उसकी आंखों में देख कर कहती है!!!
रामो: सच कह रही हूं.. अब तो मुझ से हिला भी नहीं जा रहा... आओ इधर हाथ से सहला देती हूं....
"और वह किशन के लिंग को अपने हाथों से पकड़ा ऊपर से नीचे तक बड़े ही प्यार से सहलाने लगती है इस समय किशन का लिंग ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसकी मां की योनि का सारा रस निकलकर किशन के लिंग पर लिपट गया हो,,,
किशन: तुझे क्या लगता है कि ऐसी झड जाऊंगा मैं??
रामो: मैं झाड़ दूंगी... आप शांत लेटे रहे... जी.. मगर मुझसे और नहीं होगा.... मैं हाथ से झाड़ देती हूं...
किशन: नहीं मुझे तेरी चूत चहिए,,,...
रामो: आप जिद क्यों कर रहे हैं... क्या मेरी जान ही लोगे ???? हाथ से नहीं करना तो मुंह से जूस देती हूं...
किशन: ठीक है मुंह से ,,,, आजा ले ले मुंह में... और निकाल दे इसकी सारी गर्मी....
रामो:: मुझसे तो हिला भी नहीं जाता... अभी डाल दीजिए ना मेरे मुंह में जूस लेती हूं से तुम्हें सुकून मिल जाएगा जी......
""सुबह होने में अब कुछ ही घंटे बाकी थी परंतु किशन की आंखों में दूर-दूर तक नींद नहीं थी वह हर अपने मन की वह इच्छा पूरी कर लेना चाहता था जिसके उसने ख्वाब देखे थे.. इसलिए उसके इच्छा अनुसार वह अपनी मां को मना कर सभी काम करवा रहा था और धीरे-धीरे अपने लिंग को हाथ में लेकर अपनी मां के चेहरे के पास जाता है और कहता है!!
किशन: ले जूस ले से और उतार ले अपने गले की गहराइयों तक...
"किशन की मां धीरे से अपने बेटे के लिंग को हाथ से पकड़ कर मुंह में लेती है और प्यार से उसकी आंखों में देख कर चूसने लगती है,,
किशन: मुझे लगता है कि तुझे इसे चूसने में मजा आ रहा है... इसीलिए तो अपने मुंह से बोल रही है चूसने के लिए पूरा उतार ले गले तक.... मेरी जान....
"किशन अपनी मां के सर को पकड़कर अपने लिंग को उसके गले की गहराइयों तक उतार देता है जिसे उसकी मां न चाहते हुए भी बर्दाश्त करती है,, और कुछ समय बाद तुरंत ही लिंग को बाहर निकाल देती है,,
किशन: बस ऐसे ही मेरी जान... पूरा अंदर लेकर.... चूस.. तेरे मुंह को चोदने में मज़ा आ रहा है.... सही कहती थी तारावती काकी,, मेरे जैसे को तो तू ही संभाल सकती है,,,
"किशन के लिंग को उसकी बातें सुनकर रामो, बाहर निकाल देती है और उसकी ओर देखकर कहती है,,
रामो: खबरदार अगर उस रंडी का नाम लिया तो,, जान से मार दूंगी,,
किशन: किसे मार दोगी जान से मेरी जान मुझे???
रामो: नहीं उस रंडी तारावती को और अपने आप को,,
किशन: इतना प्यार करने लगी हो मुझसे.... कि किसी और के साथ बर्दाश्त नहीं कर सकती????
रामो: हां बहुत प्यार करती हूं आपसे और अब सिर्फ आप मेरे हो.. किसी और के साथ देख नहीं सकती आपको मर जाऊंगी.….
किशन: नहीं मेरी जान तुझे मैं मरने नहीं दूंगा तुझ में तो मेरी जान बसती है आजा मेरी बाहों में थक गई है ना तुझे अपनी गोद में उठा लो.....
"गोद में क्यों लाइए ना और चुस्ती हूं स""
"नहीं नहीं अब मुझे तेरी च** चाहिए""
"किशन अपनी मां को दोनों टांगों से पकड़कर है अपनी गोद में उठा लेता है वह समझ नहीं पाती कि किशन यह क्या कर रहा है परंतु गिरने के डर की वजह से अपनी बाहें फैलाकर उसके गले में डाल देती है "किशन उसके दोनों टांगों को पकड़कर है फैलाते हुए अपने लिंग का निशाना लगाकर उसकी योनि में प्रवेश कराता है""
रामो: हाय राम.... यह क्या कर रहे हो जी..... गिर जाऊंगी मैं.... हे भगवान..... ऐ जी..... मर गई...... मां.. मेरी....
किशन: बस कुछ देर ,,
zabardast update..!!Update: 55
**** SUHAGRAT ****
"रामो देवी"डरे और सहमे हुए अंदाज में अपने बेटे को देख रही थी किशन अपनी दुल्हन बनी मां के चेहरे को देख मुस्कुरा रहा था कुछ समय के बाद अपनी खामोशी तोड़ते हुए रामू देवी कहती है।।
रामो: जल्दी करो ना सही से साफ किया है ना..
"किशन समझ जाता है कि उसकी मां उसका लिंग अपने मुंह में लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है और वह अब उसके लिंग को देखना चाहती है इसलिए वह तुरंत अपना वस्त्र नीचे कर अपनी पकड़े हुए लिंग को हाथ में पकड़ कर अपने मां के चेहरे की ओर करते हुए कहता है..
किशन: लो यह भी कब से बेकरार है तुम्हारे होठों को प्यार करने के लिए...
"जैसे ही किशन लिंग बाहर निकाल कर अपने हाथ में लेता है उसकी मां के होश उड़ जाते हैं क्योंकि वह उसका आकार बहुत ही करीब से देख रही थी उसी यकीन नहीं हो पा रहा था कि यह उसके मुंह में किस प्रकार जाएगा जाएगा भी या नहीं,, वह अपने हृदय को थाम ते हुए हसरत भरी नजरों से अपनी बेटी के लिंग की ओर देखती है..
रामो: हे भगवान.. कैसा है यह.....???
"लिंग को देखते ही किशन की मां अपना सर पीछे हटा लेती है किशन उसकी भावनाओं को समझता है वह उसके सर को अपने हाथों से पकड़कर प्यार से कहता है।।
किशन: डरा नहीं मां मैं जिंदगी भर तेरा गुलाम रहूंगा... परंतु आज की रात मुझे खुश कर दे इसे अपने मुंह में ले ले.... हास्य पकड़ो इसे और प्यार से चलाओ...
"किशन की मां अपनी हिम्मत बढ़ाते हुए एक पत्नी की तरह अपने बेटे की बात मानती है और उसके लिंग को हाथ में पकड़ कर है प्यार से शलाते हुए कहती है,,
रामो: मैं इसकी हाथ से ही मालिश कर देती हूं... आपको आराम मिलेगा....
किशन: नहीं मेरी जान जो आराम तेरे मुंह में जाकर इसे मिलेगा वह हाथों से नहीं अब देर ना कर और इसे अपने मुंह का रास्ता दिखा...
रामो: आप मानोगे नहीं... मेरा मन नहीं है यह सब करने का क्या सच में ऐसे मुंह में लिया जाता है!!
किशन: एक बार मुंह में ले कर तो देख उसके बाद तुझे आदत हो जाएगी और तरसेगी से लेने के लिए कभी पहले इसका स्वाद चखा नहीं है तूने इसलिए ऐसा लग रहा है।।।
रामो: आप मानोगे नहीं... ठीक है मैं कोशिश करती हूं.. इतना मोटा कैसे जाएगा ..
"रामो देवी अपने सुंदर गुलाब के समान होठों को खोलती है और किशन के लिंग के कुछ हिस्से को मुंह में भर लेती है।।।
"ओ मेरी जान.... कितनी अच्छी है तू ऐसे ही चुस्ती रहे धीरे-धीरे.....
"किशन मदहोशी में.. अपनी आंखें बंद कर लेता है यह नजारा उसके लिए एक ख्वाब पूरा होने जैसा था कि आज उसकी अपनी मां उसका लिंग अपने मुंह में लेकर चूस रही है,, पहली बार किशन की मां ने लिंग मुंह में लिया था कुछ देर मुंह में लेने के बाद उसे बहुत अजीब सा महसूस होता है वह लिंग को बाहर निकाल देती है और किशन की आंखों की ओर देखते हुए कहती है।।
रामो: बहुत अजीब लग रहा है... एक बार और कर लो ना आगे से ही...
"आगे से ही क्या?? शुरुआत सबको ऐसा ही लगता है। कुछ समय बाद अच्छा लगेगा... मुंह खोलो..""
""मैं कह रही थी की आगे की ले लो ना.. अगर आप चाहो तो तेज तेज धक्के मार लेना""
"नहीं मेरी जान पहले तेरे मुंह से अपने ल** की प्यास बुझा लूंगा खोलो मुंह और अपने लाल होठों को...""
"इस बार किशन की मां अपना मुंह प्यार से खुलती है क्योंकि वह जानती थी कि किशन मानने वाला नहीं है और किशन ने भी कभी ऐसा नहीं किया था इसलिए उसे अपनी मां के मुंह में लिंग जाता हुआ एक अलग ही आनंद की अनुभूति करा रहा था"जैसे ही मुंह खुलता है किशन उसके लाल सुर्ख होठों को चीरता हुआ अपना लिंग उसके मुंह में कुछ हिस्से तक डाल देता है!!!
किशन: बस ऐसे ही चूसो इसे धीरे-धीरे...
"रामो, अबकी बार मन बना लेती है कि वह अपने पति बने बेटे को खुश करके उसे अपने बस में कर लेंगे क्योंकि वह नहीं चाहती थी की किशन उसके सिवा अब किसी और का विचार भी अपने मन में लाएं इसलिए वह अपनी पूरी कोशिश कर रही थी कि किशन के लिंग को, उसके बताए अनुसार मुंह में लेकर चूस ले इसलिए वह धीरे-धीरे किशन के लिंग को, अपने मुंह में लेकर चूसने लगी,,
"जैसे ही किशन की मां अपने मुंह में लिंग को लेने की कोशिश करती है किशन के लिंग का आकार बढ़ने लगता है... परंतु वह जितना हो सकता था उतना लिंग ही अपने मुंह में ले आ रही थी और धीरे-धीरे अपनी आंखें बंद किए लिंग की चुसाई कर रही थी,,,
किशन: ओ मेरी जान... ऐसी कितना अच्छा लग रहा है तेरे लाल सुर्ख होठों मैं मेरा लन्ड.... और अंदर लो पूरा उतार लो...
"किशन की बात सुनकर रामो देवी और अधिक लिंग अपने, मुंह में लेने की कोशिश करती है परंतु लिंग की मोटाई और उसकी लंबाई अधिक होने के कारण लिंग पूरा कोशिश करने के बाद भी अंदर है नहीं ले पा रही थी,, परंतु धीरे-धीरे वह किशन के लिंग को चूस रही थी और अपनी पूरी कोशिश कर रही थी कि वह अपने पति को खुश कर उसे अपने वश में कर सके,,
किशन: मां मुझे विश्वास नहीं होता कि आज तुम मेरा ल** जूस रही हो..??? मैं हमेशा भगवान से यही प्रार्थना करूंगा कि तुम हर जन्म में मेरी पत्नी बन कर रहो...
"बेटे की बात सुनकर कुछ समय के लिए रामो देवी, अपने मुंह से लिंग को आजाद कर उसकी आंखों में देखते हुए मुस्कुरा कर कहती है।।"
"और कितनी देर करना है अब तो तुम खुश हो ना""
"बस कुछ देर और करो मेरी जान बहुत अच्छा लग रहा है एक बार पूरा गले तक उतार लो ऐसे""
"मैं कोशिश करती हूं मगर उसके बाद नहीं करूंगी.. सांस लेने में दिक्कत होती है जी....."
"जैसे ही वह लिंग को अपने मुंह में लेने के लिए कोशिश करती है किशन ना उसके सर को पकड़कर लिंग को उसके गले की गहराइयों तक उतार देता है और लिंग उसके हलक को फैलाता हुआ अंदर गले की गहराइयों तक दस्तक देता है,, मैं के लिए किशन इसी प्रकार रुक जाता है और,,
किशन: देखो इस बार पूरा चला गया ऐसे ही कोशिश करती रहो... तुम बहुत अच्छी हो ... मेरी जान.... जूस लो इसे निकाल दो इसकी सारी गर्मी अपने मुंह से...
"रामू देवी अपने आप पर गर्व महसूस करती है उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने किशन के इतने बड़े और मोटे लिंग को अपने गले की गहराइयों तक उतार लिया है,,,, वह बहुत खुश होकर अपने बेटे की ओर देखती है और हसरत भरी नजरों से कहती है।।
रामो: क्या वाकई मैंने पूरा ले लिया था मुंह में..?????
"हां मां तुम्हारे गले की गहराई मेरे लिंग से बहुत अधिक है कैसा लग रहा है अब तो अच्छा लग रहा है ना...????"
"अच्छा तो लग रहा है मगर एक बार आगे की ले लो ना.."""
"और फिर से लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसने में लग,, जाती है
किशन: तेरी सुंदर चेहरे ने ही तो मेरा जीना हराम किया था... पहले इसे तो चोद दूं मन भर के...
"आज ही सारा बदला लोगी क्या??? मुंह दर्द कर रहा है मेरा???
"बोलो नहीं और लो मुंह खोलो... मैं तेरे गले की गहराइयों तक इसे उतारता हूं...
"किशन अपनी मां को बालों से पकड़कर लिंग के धक्के लगाते हुए पूरा लिंग उसके गले तक उतार रहा था किशन की मां की आंखों से बहते पानी उसका दर्द उजागर कर रहे थे परंतु वह किशन के हर धक्के को कह रही थी और मन ही मन अपने पति को खुश कर अपने आप पर गर्व महसूस कर रही थी,,, किशन को अपनी मां के मुंह की च**** करते हुए एक अलग ही आनंद मिल रहा था कुछ समय तक इसी प्रकार की लगाते हुए रामू देवी की सांस फूलने लगती है और किशन के लिंग से निकला हल्का वीर्य और धूप से उसका चेहरा रंग जाता है जिसे देख किशन अपने लिंग को बाहर निकाल लेता है...
रामो: क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो,, क्या मैं अच्छा नहीं कर रही आपको अच्छा नहीं लग रहा,,
"मैं देख रहा हूं कि कहीं मेरी जान को ज्यादा तकलीफ तो नहीं हो रही है"
"अब तो आपके लिए हर तकलीफ को सह सकती हो लाओ चूस देती हूं और,, डाल दो मेरे मुंह में""
"अब तो रोज ही चूसना होगा तुझे मेरी जान...""बोल रोज लेगी मुंह में,,,
"जी जैसा आप कहोगे वैसा ही करूंगी....""
,, किशन को अपनी मां पर बहुत प्यार आता है और वह उसे बिस्तर पर लेटा कर उसके ऊपर आते हुए उसके होठों को देख चूमने की कोशिश करता है,, परंतु वह अपनी गर्दन घुमा कर किशन से कहती है।।,,,
रामो: गंदा है ,, साफ कर लेने दीजिए ना,,
"तेरे हर अंग का हिस्सा मुझे अमृत सामान लगता है मेरी जान कोई भी हम गंदा नहीं हो सकता मैं तेरे नीचे के होंठों को चूसना चाहता अपनी टांगें खोलो"
"मुंह से नहीं ऐसे ही डाल दीजिए"
"किशन जोश में आकर तुरंत अपनी मां को निर्वस्त्र कर देता है और उसकी टांगों को पकड़कर अपना मुंह उसकी योनि पर लगा कर बहुत सुकून से चाट रहा था,,
रामो: हाय मां... जी.. कहां से सीखा आपने यह सब??? बड़ा अजीब सा लगता है जब तुम उसमें मुंह लगाते हो??
"अजीब नहीं मेरी जान अच्छा लगता है तुझे तभी तो देखो ना कैसे फूल रही, ये...?? और अभी तो तुझे ऐसा मजा दूंगा यह तूने कभी सोचा भी नहीं होगा कितना रस से तेरी च** में है कब से बचा के रखा था मेरी जान....??
"कहीं मेरी जान ना चली जाए कितना अच्छा लग रहा है... ऐसे ही प्यार करते रहोगे ना जिंदगी भर.. मैं मर जाऊंगी अगर तुम मुझसे दूर हो गयतो."अब तो यह आपकी ही है निकाल दो उसका सारा रस बहुत परेशान करती है मुझे""
"तो फिर आ ज मेरी जान अबकी बार तुझे घोड़ी बनाकर चोद दूंगा... उल्टी हो जा और देख कैसे हैं तेरी च** की आग ठंडी करता हूं...""
"मुझे नहीं आता यह सब घोड़ी क्या होता है??
"घोड़ी मतलब घोड़ी क तरह झुक कर खड़ी हो जा और मैं जैसे एक घोड़ा अपनी घोड़ी पर चढ़ता है उसी प्रकार तेरी च** मैं अपना ल** डालूंगा.."
"छी कितना गंदा बहुत ही होता है यह सब गंदी बातें कहां से सीखी??? और ऐसी कौन करता है जानवरों की तरह""
"एक बार घोड़ी बनकर तो देख कितना मजा आएगा अब देर ना कर और घुटनों के बल घोड़ी बन जा""
"मुझे शर्म आती है ऐसे ही डाल लीजिए ना...""
"परंतु किसन अपनी मां को उठा कर जबरन घोड़ी बना देता है और अपना लिंग उसकी योनि में डालकर जैसे ही धक्के मारने शुरू करता है उसकी मां की एक सिसकारी के साथ चीख निकलती है""
"
zabardast update..!!Update:56
**** Suhagrat ****
"किशन अपनी मां की योनि में अपना लिंग डालने के बाद लगातार तेज तेज धक्कों की बरसात कर देता है,, उसे इस क्रिया में एक असीम सुख की प्राप्ति हो रही थी परंतु उसकी मां जो झुकी हुई खड़ी थी शर्म से पानी पानी होकर चिल्ला रही थी उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी योनि की दीवारों को चीर कर उसके बेटे का लिंग उसकी बच्चेदानी में अपनी जगह बना लेगा किशन के हर धक्के पर उसकी मां के नितंब 4 इंच तक ऊपर उछल जाते थे जिससे उसे आभास हो रहा था कि उसके बेटे की मर्दानगी किस प्रकार उसके नितंब पर प्रहार कर रही है!! जब दर्द असहनीय होता है तो वह चिल्लाते हुए कहती है!
रामो: नहीं,,.... नहीं मेरे लाल.. रुक जाना मर जाएगी तेरी मां... रुक जाना किशन.... नहीं मर जाऊंगी मैं.....
", किशन अपनी मस्ती में डूबा अपनी मां को गले से पकड़कर और तेज धक्के लगाता है जिससे उसकी मां का सारा वजूद जाता है। किताबों में पढ़ी हुई सारी क्रियाएं और उनमें देखे गए चित्र के कलं को मन में ध्यान करते हुए किशन सभी का अध्ययन अपनी माता पर कर लेना चाहता था वह हर उस क्रिया का आनंद लेना चाहता था जिसकी वह मन ही मन कल्पना करता था,, परंतु उस कल्पना में उन क्रिया का अमल वह अपनी ही सगी मां पर करेगा ऐसा उसने सोचा भी नहीं था,,, जैसे-जैसे किशन अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा रहा था उसके हर धक्के पर रामो देवी, की आंखें बड़ी हो जाती थी और उसके कठोर उन्नत स्तन उछलते हुए उसके गले से टकराते थे,, किशन अपनी ही मस्ती में है अपनी मां को बुरी तरह रौंद रहा था वह उसकी पकड़ से आजाद होकर जैसे ही जोर लगाती है लिंग योनि से बाहर एक आवाज के साथ निकलता है,,
"लड़खड़ाते हुए उसका बदन कांप रहा था शरीर में मानो जैसे जान, उसके बेटे की लिंग ने खींच ली थी वह अपनी तेज चल रही सांसो को निरंतर करने की कोशिश करते हुए पेट के बल, हांपते हुए बिस्तर पर गिर जाती है,, किशन का लहराता हुआ विकराल लिंक मानव आज उसकी योनि को तहस-नहस करने के लिए सांप के फन के समान लहरारा रहा था,, किशन मन ही मन अपनी मां की दशा को देखकर मुस्कुराते हुए विचार करता है,,
किशन: बहुत तड़पाया है तुने मुझे,, मगर आज तेरी चूत,, के पानी से अपने ल** की प्यास बुझा कर रहूंगा...
"किशन बिस्तर पर लेटी लंबी सांसे लेते हुए अपनी मां के पास जाता है और उसके होठों को प्यार से जूम कर,,
किशन: क्या हुआ मेरी जान...????
"किशन की मां रोहाना सभा चेहरा बनाकर अपने बेटे की आंखों में देखती है और कहती है।।
रामो: मान जाओ ना... ऐसी कौन करता है बहुत दर्द हो रहा है मुझे मुझसे ऐसे नहीं होगा किशन...
किशन: इस बार प्यार से करूंगा मेरी जान... आओ कुछ देर बर्दाश्त करो और फिर देखो घोड़ी बनकर चूत देने में, कितना मजा आता है पहली बार कर रही हो ना इसलिए थोड़ी तकलीफ होगी,, आओ फिर से घोड़ी बन जाओ,,,
रामो: पूरी जिंदगी की जान एक ही दिन में निकाल दोगे क्या,,, मुझे बहुत तकलीफ हो रही है मैं सीधी लेट जाती हूं और प्यार से कर लो,,, या फिर मुंह से चूस लेती हूं एक बार और,,, मगर तुम जिस प्रकार कर रहे हो मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है,,,, जी....
किशन: मां अभी तुम्हें नहीं पता कि किस प्रकार संभोग का आनंद लिया जाता है तुम्हें वह आनंद दूंगा कि जिंदगी भर मेरे लिंग की दीवानी हो जाएगी,, देख मेरा लिंग किस प्रकार फटा जा रहा है जल्दी घोड़ी बन जा,,,
"मानोगे नहीं मेरी जान लेकर रहोगे प्यार से करना तेज तेज करते हो तो,,.. मुझे बहुत तकलीफ होती है..
"एक बार फिर से किशन के कहे अनुसार उसकी मां उस ही आसन में आ जाती है और किशन अपना लहराता हुआ लिंग उसकी योनि में प्यार से डालकर धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु करता है!! इस बार उसकी मां को थोड़ा कम दर्द महसूस होता है और उस दर्द के साथ आनंद का भी आभास होता है जिसे महसूस कर वह सिसकारी लेते हुए आहे भर्ती है!!
किशन: अब कैसा लग रहा है मां???
रामो: अच्छा लग रहा है धीरे धीरे!.... कहां से सीखा जी.... आपने यह सब?????
किसन: यह तो कुछ भी नहीं मां,, अभी देखते जाओ कैसे कैसे मजा देता हूं तुजे, अपने भारी कुल्लू को बाहर को निकालो मेरी जान..
"किशन की बात सुनकर ;; रामो... देवी अपने भारी नितम्ब को थोड़ा पीछे निकाल देती है और किशन अपनी मां के स्तन को पकड़कर लिंग को अंदर दबाव देते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु करता है!!! अब उसे भी इस क्रिया में आनंद मिल रहा था और वह सिसकारी की गूंज किशन के कानों तक पहुंचा रही थी जिससे किशन का जोश और बढ़ जाता है और वह थोड़ा तेज धक्के लगाने जैसे ही शुरु करता है,,
रामो: हे भगवान... धीरे करो जी... पूरा नहीं डालो अंदर मेरे पेट में चुभता है!! और मां मत बोलो मुझे,,, अच्छा नहीं लगता नाम से पुकार लो,, अब तो मैं आपकी दासी हम आपके चरणों की धूल,,,, आप मेरे दिल में एक पति से भी बढ़कर हो,, जो सुख आपने मुझे दिया है वह एक पति के सिवा कोई और नहीं दे सकता जी.... हाय,, मर गई.... धीरे....
किशन: क्यों मां,, क्या बापू ने तुझे तभी इस प्रकार नहीं चोदा,,???
रामो: आपको अपनी पत्नी की कसम है।। अबकी बार यदि मुझे मां बोला तो मेरा मरा मुंह देखोगे... जान दे दूंगी अपनी...
किशन: ठीक है मेरी जान अब नहीं कहूंगा मगर बोलो ना क्या बाबू मैं तुझे कभी पहले,,, ऐसा किया है,,,
रामो: नहीं है उन्होंने कभी नहीं किया.... और सालों से वह तो मुझे छूते भी नहीं जी... हाय मां... धीरे करो... ना...
किशन: मगर तुम सिंगार तो रोज करती थी... ऐसा लगता था जैसे रोज रात को,,, चूत देती है बाबू को,,
रामो: मन तो बहुत करता था मगर अब तुम्हारी बाबू कुछ कर नहीं पाते थे,,, उन्हें डर था की तुम जवान हो गए हो,, कहीं कुछ देखना लो,, जी.... हाय मां.....जी...
"दोनों मां बेटा मस्ती की दुनिया में खोए इसी प्रकार न जाने अपने दिल की क्या-क्या बातें एक दूसरे से कर रहे थे और किशन कुछ समय तक इसी प्रकार अपनी मां को घोड़ी बनाकर धक्के लगा रहा था,, तभी न जाने किशन की मां को क्या सोचता है और वह अपना एक हाथ पीछे लाकर किशन के लिंग को पकड़ लेती है और कहती है::?!!!!
रामो: अब करो... बहुत तड़पाया है मैंने तुम्हें.. निकाल दो आज अपनी सारी गर्मी...
किशन: हां मेरी जान इसी प्रकार पकड़ लो इससे... कैसा लग रहा है तुम्हें...
रामो: अच्छा लग रहा है।... जी... मीठी,मीठी खुजली हो रही है इसमें... हाय... मैं... गई......
किशन:। क्या हुआ झरने वाली हो क्या जान....??????
रामो: हां मैं झड़ने वाली हूं जी..... और इससे ज्यादा मार... नहीं सह पाएगी... ये... टूट जाएगी... जी...
"किशन देता है कि उसकी मां को बहुत आनंद मिल रहा है और वह उसके लिंक को अपने हाथों की पकड़ से जकड़े हुए हैं किशन अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा देता है जिससे किशन की मां को और आनंद मिलता है और वह आनंद के सागर में डूबी हुई आंखें बंद कर लंबी-लंबी सिसकारी भरते हुए.... चरम सीमा को पार कर देती.. आनंद में किशन से कहती है!!!
रामो: हाय... मेरी जान निकल रही है.... हाय मैं मर गई... इतनी बार तो पहले कभी नहीं झड़ी... मेरे पैर पकड़ लो जी.... मैं गिर जाऊंगी... मेरे पैर मेरे पैर कहां पर है पकड़ लो जी.......
"आज किशन में अपनी मां की उस गर्मी को शरीर से निकाल दिया था जो उसका बाप कभी नहीं निकाल पाया था इसीलिए वह बेजान अपने कांपते हुए पैरों से बिस्तर पर गिर जाती है उससे ऐसा महसूस होता है जैसे कि अब उसके शरीर में जान बची ही ना हो... इतनी बार झड़ने के बाद उसका शरीर एक जिंदा लाश की तरह बिस्तर पर गिर जाता है... और वह अपनी आंखें बंद कर अपने सांसों को काबू करते हुए,, लेट जाती है,,, किशन अपने लिंग को हाथ से चलाते हुए उसके चेहरे को देखता है जो इस समय सुर्ख लाल और एक शांत चीन नजर आ रहा था,, उसे देख कर किशन उसके करीब आता है और अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर उसके कान में कहता है।।।
किसन: रामो,, ओ रामो,, सुन रही है???
रामो: जी.. कहिए....
किशन: देखना कैसे परेशान कर रहा है यह तेरी गर्मी तो निकल गई है इसकी भी निकाल दे...
रामो: बस और नहीं जी... अब जान नहीं है शरीर में.. और नहीं होगा मुझसे.. कल कर लेना!!!!..
किशन: अब खुद की आग तो बुझ गई ना.. मगर क्या अपने पति को ऐसे ही तड़पता हुआ छोड़ देगी...?????
"किशन की बात सुनकर वह अपनी आंखें खोलती है और उसकी आंखों में देख कर कहती है!!!
रामो: सच कह रही हूं.. अब तो मुझ से हिला भी नहीं जा रहा... आओ इधर हाथ से सहला देती हूं....
"और वह किशन के लिंग को अपने हाथों से पकड़ा ऊपर से नीचे तक बड़े ही प्यार से सहलाने लगती है इस समय किशन का लिंग ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसकी मां की योनि का सारा रस निकलकर किशन के लिंग पर लिपट गया हो,,,
किशन: तुझे क्या लगता है कि ऐसी झड जाऊंगा मैं??
रामो: मैं झाड़ दूंगी... आप शांत लेटे रहे... जी.. मगर मुझसे और नहीं होगा.... मैं हाथ से झाड़ देती हूं...
किशन: नहीं मुझे तेरी चूत चहिए,,,...
रामो: आप जिद क्यों कर रहे हैं... क्या मेरी जान ही लोगे ???? हाथ से नहीं करना तो मुंह से जूस देती हूं...
किशन: ठीक है मुंह से ,,,, आजा ले ले मुंह में... और निकाल दे इसकी सारी गर्मी....
रामो:: मुझसे तो हिला भी नहीं जाता... अभी डाल दीजिए ना मेरे मुंह में जूस लेती हूं से तुम्हें सुकून मिल जाएगा जी......
""सुबह होने में अब कुछ ही घंटे बाकी थी परंतु किशन की आंखों में दूर-दूर तक नींद नहीं थी वह हर अपने मन की वह इच्छा पूरी कर लेना चाहता था जिसके उसने ख्वाब देखे थे.. इसलिए उसके इच्छा अनुसार वह अपनी मां को मना कर सभी काम करवा रहा था और धीरे-धीरे अपने लिंग को हाथ में लेकर अपनी मां के चेहरे के पास जाता है और कहता है!!
किशन: ले जूस ले से और उतार ले अपने गले की गहराइयों तक...
"किशन की मां धीरे से अपने बेटे के लिंग को हाथ से पकड़ कर मुंह में लेती है और प्यार से उसकी आंखों में देख कर चूसने लगती है,,
किशन: मुझे लगता है कि तुझे इसे चूसने में मजा आ रहा है... इसीलिए तो अपने मुंह से बोल रही है चूसने के लिए पूरा उतार ले गले तक.... मेरी जान....
"किशन अपनी मां के सर को पकड़कर अपने लिंग को उसके गले की गहराइयों तक उतार देता है जिसे उसकी मां न चाहते हुए भी बर्दाश्त करती है,, और कुछ समय बाद तुरंत ही लिंग को बाहर निकाल देती है,,
किशन: बस ऐसे ही मेरी जान... पूरा अंदर लेकर.... चूस.. तेरे मुंह को चोदने में मज़ा आ रहा है.... सही कहती थी तारावती काकी,, मेरे जैसे को तो तू ही संभाल सकती है,,,
"किशन के लिंग को उसकी बातें सुनकर रामो, बाहर निकाल देती है और उसकी ओर देखकर कहती है,,
रामो: खबरदार अगर उस रंडी का नाम लिया तो,, जान से मार दूंगी,,
किशन: किसे मार दोगी जान से मेरी जान मुझे???
रामो: नहीं उस रंडी तारावती को और अपने आप को,,
किशन: इतना प्यार करने लगी हो मुझसे.... कि किसी और के साथ बर्दाश्त नहीं कर सकती????
रामो: हां बहुत प्यार करती हूं आपसे और अब सिर्फ आप मेरे हो.. किसी और के साथ देख नहीं सकती आपको मर जाऊंगी.….
किशन: नहीं मेरी जान तुझे मैं मरने नहीं दूंगा तुझ में तो मेरी जान बसती है आजा मेरी बाहों में थक गई है ना तुझे अपनी गोद में उठा लो.....
"गोद में क्यों लाइए ना और चुस्ती हूं स""
"नहीं नहीं अब मुझे तेरी च** चाहिए""
"किशन अपनी मां को दोनों टांगों से पकड़कर है अपनी गोद में उठा लेता है वह समझ नहीं पाती कि किशन यह क्या कर रहा है परंतु गिरने के डर की वजह से अपनी बाहें फैलाकर उसके गले में डाल देती है "किशन उसके दोनों टांगों को पकड़कर है फैलाते हुए अपने लिंग का निशाना लगाकर उसकी योनि में प्रवेश कराता है""
रामो: हाय राम.... यह क्या कर रहे हो जी..... गिर जाऊंगी मैं.... हे भगवान..... ऐ जी..... मर गई...... मां.. मेरी....
किशन: बस कुछ देर ,,
Mast updateUpdate:56
**** Suhagrat ****
"किशन अपनी मां की योनि में अपना लिंग डालने के बाद लगातार तेज तेज धक्कों की बरसात कर देता है,, उसे इस क्रिया में एक असीम सुख की प्राप्ति हो रही थी परंतु उसकी मां जो झुकी हुई खड़ी थी शर्म से पानी पानी होकर चिल्ला रही थी उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी योनि की दीवारों को चीर कर उसके बेटे का लिंग उसकी बच्चेदानी में अपनी जगह बना लेगा किशन के हर धक्के पर उसकी मां के नितंब 4 इंच तक ऊपर उछल जाते थे जिससे उसे आभास हो रहा था कि उसके बेटे की मर्दानगी किस प्रकार उसके नितंब पर प्रहार कर रही है!! जब दर्द असहनीय होता है तो वह चिल्लाते हुए कहती है!
रामो: नहीं,,.... नहीं मेरे लाल.. रुक जाना मर जाएगी तेरी मां... रुक जाना किशन.... नहीं मर जाऊंगी मैं.....
", किशन अपनी मस्ती में डूबा अपनी मां को गले से पकड़कर और तेज धक्के लगाता है जिससे उसकी मां का सारा वजूद जाता है। किताबों में पढ़ी हुई सारी क्रियाएं और उनमें देखे गए चित्र के कलं को मन में ध्यान करते हुए किशन सभी का अध्ययन अपनी माता पर कर लेना चाहता था वह हर उस क्रिया का आनंद लेना चाहता था जिसकी वह मन ही मन कल्पना करता था,, परंतु उस कल्पना में उन क्रिया का अमल वह अपनी ही सगी मां पर करेगा ऐसा उसने सोचा भी नहीं था,,, जैसे-जैसे किशन अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा रहा था उसके हर धक्के पर रामो देवी, की आंखें बड़ी हो जाती थी और उसके कठोर उन्नत स्तन उछलते हुए उसके गले से टकराते थे,, किशन अपनी ही मस्ती में है अपनी मां को बुरी तरह रौंद रहा था वह उसकी पकड़ से आजाद होकर जैसे ही जोर लगाती है लिंग योनि से बाहर एक आवाज के साथ निकलता है,,
"लड़खड़ाते हुए उसका बदन कांप रहा था शरीर में मानो जैसे जान, उसके बेटे की लिंग ने खींच ली थी वह अपनी तेज चल रही सांसो को निरंतर करने की कोशिश करते हुए पेट के बल, हांपते हुए बिस्तर पर गिर जाती है,, किशन का लहराता हुआ विकराल लिंक मानव आज उसकी योनि को तहस-नहस करने के लिए सांप के फन के समान लहरारा रहा था,, किशन मन ही मन अपनी मां की दशा को देखकर मुस्कुराते हुए विचार करता है,,
किशन: बहुत तड़पाया है तुने मुझे,, मगर आज तेरी चूत,, के पानी से अपने ल** की प्यास बुझा कर रहूंगा...
"किशन बिस्तर पर लेटी लंबी सांसे लेते हुए अपनी मां के पास जाता है और उसके होठों को प्यार से जूम कर,,
किशन: क्या हुआ मेरी जान...????
"किशन की मां रोहाना सभा चेहरा बनाकर अपने बेटे की आंखों में देखती है और कहती है।।
रामो: मान जाओ ना... ऐसी कौन करता है बहुत दर्द हो रहा है मुझे मुझसे ऐसे नहीं होगा किशन...
किशन: इस बार प्यार से करूंगा मेरी जान... आओ कुछ देर बर्दाश्त करो और फिर देखो घोड़ी बनकर चूत देने में, कितना मजा आता है पहली बार कर रही हो ना इसलिए थोड़ी तकलीफ होगी,, आओ फिर से घोड़ी बन जाओ,,,
रामो: पूरी जिंदगी की जान एक ही दिन में निकाल दोगे क्या,,, मुझे बहुत तकलीफ हो रही है मैं सीधी लेट जाती हूं और प्यार से कर लो,,, या फिर मुंह से चूस लेती हूं एक बार और,,, मगर तुम जिस प्रकार कर रहे हो मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है,,,, जी....
किशन: मां अभी तुम्हें नहीं पता कि किस प्रकार संभोग का आनंद लिया जाता है तुम्हें वह आनंद दूंगा कि जिंदगी भर मेरे लिंग की दीवानी हो जाएगी,, देख मेरा लिंग किस प्रकार फटा जा रहा है जल्दी घोड़ी बन जा,,,
"मानोगे नहीं मेरी जान लेकर रहोगे प्यार से करना तेज तेज करते हो तो,,.. मुझे बहुत तकलीफ होती है..
"एक बार फिर से किशन के कहे अनुसार उसकी मां उस ही आसन में आ जाती है और किशन अपना लहराता हुआ लिंग उसकी योनि में प्यार से डालकर धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु करता है!! इस बार उसकी मां को थोड़ा कम दर्द महसूस होता है और उस दर्द के साथ आनंद का भी आभास होता है जिसे महसूस कर वह सिसकारी लेते हुए आहे भर्ती है!!
किशन: अब कैसा लग रहा है मां???
रामो: अच्छा लग रहा है धीरे धीरे!.... कहां से सीखा जी.... आपने यह सब?????
किसन: यह तो कुछ भी नहीं मां,, अभी देखते जाओ कैसे कैसे मजा देता हूं तुजे, अपने भारी कुल्लू को बाहर को निकालो मेरी जान..
"किशन की बात सुनकर ;; रामो... देवी अपने भारी नितम्ब को थोड़ा पीछे निकाल देती है और किशन अपनी मां के स्तन को पकड़कर लिंग को अंदर दबाव देते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु करता है!!! अब उसे भी इस क्रिया में आनंद मिल रहा था और वह सिसकारी की गूंज किशन के कानों तक पहुंचा रही थी जिससे किशन का जोश और बढ़ जाता है और वह थोड़ा तेज धक्के लगाने जैसे ही शुरु करता है,,
रामो: हे भगवान... धीरे करो जी... पूरा नहीं डालो अंदर मेरे पेट में चुभता है!! और मां मत बोलो मुझे,,, अच्छा नहीं लगता नाम से पुकार लो,, अब तो मैं आपकी दासी हम आपके चरणों की धूल,,,, आप मेरे दिल में एक पति से भी बढ़कर हो,, जो सुख आपने मुझे दिया है वह एक पति के सिवा कोई और नहीं दे सकता जी.... हाय,, मर गई.... धीरे....
किशन: क्यों मां,, क्या बापू ने तुझे तभी इस प्रकार नहीं चोदा,,???
रामो: आपको अपनी पत्नी की कसम है।। अबकी बार यदि मुझे मां बोला तो मेरा मरा मुंह देखोगे... जान दे दूंगी अपनी...
किशन: ठीक है मेरी जान अब नहीं कहूंगा मगर बोलो ना क्या बाबू मैं तुझे कभी पहले,,, ऐसा किया है,,,
रामो: नहीं है उन्होंने कभी नहीं किया.... और सालों से वह तो मुझे छूते भी नहीं जी... हाय मां... धीरे करो... ना...
किशन: मगर तुम सिंगार तो रोज करती थी... ऐसा लगता था जैसे रोज रात को,,, चूत देती है बाबू को,,
रामो: मन तो बहुत करता था मगर अब तुम्हारी बाबू कुछ कर नहीं पाते थे,,, उन्हें डर था की तुम जवान हो गए हो,, कहीं कुछ देखना लो,, जी.... हाय मां.....जी...
"दोनों मां बेटा मस्ती की दुनिया में खोए इसी प्रकार न जाने अपने दिल की क्या-क्या बातें एक दूसरे से कर रहे थे और किशन कुछ समय तक इसी प्रकार अपनी मां को घोड़ी बनाकर धक्के लगा रहा था,, तभी न जाने किशन की मां को क्या सोचता है और वह अपना एक हाथ पीछे लाकर किशन के लिंग को पकड़ लेती है और कहती है::?!!!!
रामो: अब करो... बहुत तड़पाया है मैंने तुम्हें.. निकाल दो आज अपनी सारी गर्मी...
किशन: हां मेरी जान इसी प्रकार पकड़ लो इससे... कैसा लग रहा है तुम्हें...
रामो: अच्छा लग रहा है।... जी... मीठी,मीठी खुजली हो रही है इसमें... हाय... मैं... गई......
किशन:। क्या हुआ झरने वाली हो क्या जान....??????
रामो: हां मैं झड़ने वाली हूं जी..... और इससे ज्यादा मार... नहीं सह पाएगी... ये... टूट जाएगी... जी...
"किशन देता है कि उसकी मां को बहुत आनंद मिल रहा है और वह उसके लिंक को अपने हाथों की पकड़ से जकड़े हुए हैं किशन अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा देता है जिससे किशन की मां को और आनंद मिलता है और वह आनंद के सागर में डूबी हुई आंखें बंद कर लंबी-लंबी सिसकारी भरते हुए.... चरम सीमा को पार कर देती.. आनंद में किशन से कहती है!!!
रामो: हाय... मेरी जान निकल रही है.... हाय मैं मर गई... इतनी बार तो पहले कभी नहीं झड़ी... मेरे पैर पकड़ लो जी.... मैं गिर जाऊंगी... मेरे पैर मेरे पैर कहां पर है पकड़ लो जी.......
"आज किशन में अपनी मां की उस गर्मी को शरीर से निकाल दिया था जो उसका बाप कभी नहीं निकाल पाया था इसीलिए वह बेजान अपने कांपते हुए पैरों से बिस्तर पर गिर जाती है उससे ऐसा महसूस होता है जैसे कि अब उसके शरीर में जान बची ही ना हो... इतनी बार झड़ने के बाद उसका शरीर एक जिंदा लाश की तरह बिस्तर पर गिर जाता है... और वह अपनी आंखें बंद कर अपने सांसों को काबू करते हुए,, लेट जाती है,,, किशन अपने लिंग को हाथ से चलाते हुए उसके चेहरे को देखता है जो इस समय सुर्ख लाल और एक शांत चीन नजर आ रहा था,, उसे देख कर किशन उसके करीब आता है और अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर उसके कान में कहता है।।।
किसन: रामो,, ओ रामो,, सुन रही है???
रामो: जी.. कहिए....
किशन: देखना कैसे परेशान कर रहा है यह तेरी गर्मी तो निकल गई है इसकी भी निकाल दे...
रामो: बस और नहीं जी... अब जान नहीं है शरीर में.. और नहीं होगा मुझसे.. कल कर लेना!!!!..
किशन: अब खुद की आग तो बुझ गई ना.. मगर क्या अपने पति को ऐसे ही तड़पता हुआ छोड़ देगी...?????
"किशन की बात सुनकर वह अपनी आंखें खोलती है और उसकी आंखों में देख कर कहती है!!!
रामो: सच कह रही हूं.. अब तो मुझ से हिला भी नहीं जा रहा... आओ इधर हाथ से सहला देती हूं....
"और वह किशन के लिंग को अपने हाथों से पकड़ा ऊपर से नीचे तक बड़े ही प्यार से सहलाने लगती है इस समय किशन का लिंग ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसकी मां की योनि का सारा रस निकलकर किशन के लिंग पर लिपट गया हो,,,
किशन: तुझे क्या लगता है कि ऐसी झड जाऊंगा मैं??
रामो: मैं झाड़ दूंगी... आप शांत लेटे रहे... जी.. मगर मुझसे और नहीं होगा.... मैं हाथ से झाड़ देती हूं...
किशन: नहीं मुझे तेरी चूत चहिए,,,...
रामो: आप जिद क्यों कर रहे हैं... क्या मेरी जान ही लोगे ???? हाथ से नहीं करना तो मुंह से जूस देती हूं...
किशन: ठीक है मुंह से ,,,, आजा ले ले मुंह में... और निकाल दे इसकी सारी गर्मी....
रामो:: मुझसे तो हिला भी नहीं जाता... अभी डाल दीजिए ना मेरे मुंह में जूस लेती हूं से तुम्हें सुकून मिल जाएगा जी......
""सुबह होने में अब कुछ ही घंटे बाकी थी परंतु किशन की आंखों में दूर-दूर तक नींद नहीं थी वह हर अपने मन की वह इच्छा पूरी कर लेना चाहता था जिसके उसने ख्वाब देखे थे.. इसलिए उसके इच्छा अनुसार वह अपनी मां को मना कर सभी काम करवा रहा था और धीरे-धीरे अपने लिंग को हाथ में लेकर अपनी मां के चेहरे के पास जाता है और कहता है!!
किशन: ले जूस ले से और उतार ले अपने गले की गहराइयों तक...
"किशन की मां धीरे से अपने बेटे के लिंग को हाथ से पकड़ कर मुंह में लेती है और प्यार से उसकी आंखों में देख कर चूसने लगती है,,
किशन: मुझे लगता है कि तुझे इसे चूसने में मजा आ रहा है... इसीलिए तो अपने मुंह से बोल रही है चूसने के लिए पूरा उतार ले गले तक.... मेरी जान....
"किशन अपनी मां के सर को पकड़कर अपने लिंग को उसके गले की गहराइयों तक उतार देता है जिसे उसकी मां न चाहते हुए भी बर्दाश्त करती है,, और कुछ समय बाद तुरंत ही लिंग को बाहर निकाल देती है,,
किशन: बस ऐसे ही मेरी जान... पूरा अंदर लेकर.... चूस.. तेरे मुंह को चोदने में मज़ा आ रहा है.... सही कहती थी तारावती काकी,, मेरे जैसे को तो तू ही संभाल सकती है,,,
"किशन के लिंग को उसकी बातें सुनकर रामो, बाहर निकाल देती है और उसकी ओर देखकर कहती है,,
रामो: खबरदार अगर उस रंडी का नाम लिया तो,, जान से मार दूंगी,,
किशन: किसे मार दोगी जान से मेरी जान मुझे???
रामो: नहीं उस रंडी तारावती को और अपने आप को,,
किशन: इतना प्यार करने लगी हो मुझसे.... कि किसी और के साथ बर्दाश्त नहीं कर सकती????
रामो: हां बहुत प्यार करती हूं आपसे और अब सिर्फ आप मेरे हो.. किसी और के साथ देख नहीं सकती आपको मर जाऊंगी.….
किशन: नहीं मेरी जान तुझे मैं मरने नहीं दूंगा तुझ में तो मेरी जान बसती है आजा मेरी बाहों में थक गई है ना तुझे अपनी गोद में उठा लो.....
"गोद में क्यों लाइए ना और चुस्ती हूं स""
"नहीं नहीं अब मुझे तेरी च** चाहिए""
"किशन अपनी मां को दोनों टांगों से पकड़कर है अपनी गोद में उठा लेता है वह समझ नहीं पाती कि किशन यह क्या कर रहा है परंतु गिरने के डर की वजह से अपनी बाहें फैलाकर उसके गले में डाल देती है "किशन उसके दोनों टांगों को पकड़कर है फैलाते हुए अपने लिंग का निशाना लगाकर उसकी योनि में प्रवेश कराता है""
रामो: हाय राम.... यह क्या कर रहे हो जी..... गिर जाऊंगी मैं.... हे भगवान..... ऐ जी..... मर गई...... मां.. मेरी....
किशन: बस कुछ देर ,,